Incest मम्मी मेरी जान

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सानिया : क्याआ...? क्या कहा तूने... तु मेरी गांड का छेद भी चाटना चाहता है...? और वो भी शहद लगा के...? छि... कितनी गन्दी जगह है ओ... मैं वहां से लेट्रिन करती हु...
सतीश : मम्मी मैंने कहा न की तुम्हारे जिस्म की कोई भी जगह मेरे लिए गन्दी नहीं है... मैं तुमसे इतना प्यार करता हूँ की मुझे तुम में कुछ गन्दा नहीं लगता... मैं अभी शौक से तुम्हारा पिशाब भी पी सकता हूँ और तुम्हारी गांड भी चाट सकता हु..
चाहो तो आज़मा लो...
सानिया : जी नहीं ऐसा कुछ करने की अभी कोई ज़रूरत नहीं है... वो सब बाद में सोचेंगे...
सतीश : ठीक है मम्मी.. लेकिन कम से कम अभी मुझे अपनी ये टेस्टी रसीली चुत तो चाट्ने दो.. ये कह के सतीश बिना अपनी मम्मी का जवाब सुने उसकी चुत से मुह लगा के उसकी चुत से निकल रहे मीठे वीर्य को चाटने लगा...
आज कोई और नहीं उसका अपना बेटा उसकी चुत चाट रहा था.. उसकी मस्ती सातवे आसमान पे पहुँच गयी... और वो मस्ती में आके ज़ोर ज़ोर सिसकारी लेने लगी..
सानिया : आआआआहह... मममममम... ऊऊऊह्ह्... है बड़ा मज़ा आ रहा है... ...
आछ... ओह... है जान... चाट... चाट मेरी चुत को... कई सालो से किसी ने भी चाटा नहीं है... अब ये तेरी हो चुकी है...चाट खूब चाट अपनी मम्मी की चुत... अपनी मम्मी की बात सुन के सतीश बेहद उत्तेजित हो गया उसका लंड फिर से खड़ा हो गया... वो पूरे जोश में अपनी मम्मी की चुत के दाने को अपने मुह में लेके चूसने लगा. सानिया मस्ती में अपने बेटे का सर पकड़ के अपनी चुत पे दबाने लगी...
सानिया : आहः... .. ओहः... है बड़ा मज़ा आ रहा है... .. हाँ और ज़ोर से चूस मेरी चुत को..... खा जा... मेरी चुत के डेन को.... है में झड़ने वाली हु... ... है में गयी.... सानिया काँपते जिस्म के साथ मस्ती में झड़ने लगी... उसकी चुत से वीर्य का सैलाब निकलने लगा...
सतीश अपनी मम्मी की चुत से निकल रहे वीर्य को मज़े ले कर पीने लगा...
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UPDATE-52

सानिया अब सतीश का लंड अपने हाथ में पकडे हुये थी और वो स्पर्श सीधा त्वचा से त्वचा का था. उसकी नाज़ुक उँगलियाँ जब उसके लंड पर कस्स गयीं तो उनका एहसास बहुत ही जबरदस्त था, एकदम अनूठा था. सतिशने अपना लंड उसकी मुट्ठि में धकेला जैसे उसे चोद रहा हो. सानिया का मुंह खुल जाता है और वो धीमि मगर गहरी सांस लेती है मगर वो अपना हाथ वापस नहीं खींचति. सतीश अपना हाथ फिर से मम्मी की जांघ पर रखता है और उसे ऊपर की और लेजाने लगता है इस बार वो मुझे नहीं रोकती.


उनकी सिल्की पेन्टी पर अपनी उँगलियाँ रखते हुये सतीश अपना अँगूठा फ़ैलता है और उसकी पेन्टी की उस दरार में उनका प्रवेश द्वार ढूंडता है जो उसे जल्द ही मिल जाता है. सतीश अपना अँगूठा उस प्रवेश द्वार में उस हद्द तक्क दबाता है जितना उसकी पेन्टी उसे दबाने दे सकती थी. तभी टीवी पर चल रहा प्रोग्राम रुक जाता है और ऐड. आने लगती है. वह दोनों ऐड. की तीखी ऊँची आवाज़ से होश में आ जाते हैं और अपने हाथ वापस खींच लेते है. हालाँकि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं थी क्योंके विशाल अपना मुंह 'द एकनॉमिस्' में गड़ाये हुए था मगर वह हद्द से बाहर होते जा रहे थे. अगर सानिया उसी तरह सतीश का लंड पकडे रहती तो वह उसे उसी समय वहीँ सोफ़े पर चोदने लग जाता चाहे डैड होते या ना होते या फिर उसकी मुट्ठि में ज़ोरों से अपना लंड आगे पीछे करते हुए उनकी पेन्टी पर अपना वीर्य उडेल देता.
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सतिशने मम्मी को देख कर सर हिलाकर उसे किचन की और इशारा किया. मम्मी ने इंकार में सर हिलाया. सतिशने सीढ़ियों की और इशारा किया मगर उसने फिर से इंकार में सर हिलाया. मगर सतीश अब वहां नहीं रुक सकता था, कमोत्तेजना से उसका पूरा जिस्म कांप रहा था. सतिशने अपना पायजामा ऊपर चढाया, मैगज़ीन से जितनी अच्छी तरह से अपनी पेण्ट का टेंट ढक सकता था, ढंका और लंगडाते हुये किचन की और चल दिया.

"यह सतीश को क्या हो गया है"?" सतिशने अपने पीछे डैड को मम्मी से पूछते हुए सुना. "कोई चोट लगी है क्या?"

"क्यों? क्या हुआ?" मम्मी पूछती है.

"वो लँगड़ा रहा है" डैड मम्मी को कहते है.

मुझे ऐसा लगा जैसे वो उठ कर उसके पीछे आने वाले है. सतीश घबरा उठा. अगर उनकी नज़र पड़ती तो सतीश पेण्ट में तूफ़ान मचाये अपने लंड के बारे में क्या सफायी देता? तभी उसे अख़बार हिलने का शोर सुनायी देणे लगा. उसकी घबराहट बढ़ गयी थी.
"आप बैठिये. मैं देखति हु." सानिया की आवाज़ आती है. फिर फर्श पर कदमो की आहट सुनायी देती है और फिर सानिया किचन के दरवाजे में नज़र आती है. वो एक दो पल रुकने के बाद फिर से बाहर को जाती है और किचन के दरवाजे के पास से डैड को आवाज़ देती है

"कुछ नहीं हुआ उसको. वो ज्यादा समय एक टांग पर वजन दाल कर बैठ रहा इस्लिये टांग थोड़ी सुन्न हो गयी है. वो बाहर पार्क में घुमने गया है, थोड़ा सा चलेगा तो सही हो जायेगा." सानिया एक पल के लिए रूकती है. "सुनिये में कपडे ढ़ोने पीछे लांड्री रूम में जा रही हू, आपको कुछ चाहिए तो नहि" सानिया दरवाजे के बाहर डैड से बात कर रही थी और अपना हाथ दरवाजे के अंदर करके मुझे घर के पिछवाड़े की और इशारा कर रही थी जहा शायद वो मुझे डाँटने वाली थी. सतीश किचन के दरवाजे से निकल घर के पिछवाड़े की और चल पडा. पदोसीयों की दीवार के साथ साथ लास्ट में हमारा गेराज था और गेराज के डोर से पहले एक डोर घर के पिछवाड़े में भी खुलता था. सतिशने उस डोर के पास जाकर पीछे मुढ़कर देखा के वो उसके पीछे आ रही थी या नहि. सतीश तेज़ कदमो से अपनी और बढ़ती हुयी मम्मी की स्कर्ट के ऊपर निचे उठने के कारन उसकी मक्खन जैसी नरम मुलायम जांघो को देखता उनकी पेन्टी देखने की कोशिश कर रहा था मगर जाहिर था उसमे उसे सफलता नहीं मिलने वाली थी. सानिया उसके पास आते उसे अपने हाथ से दरवाजा खोल पिछवाड़े में जाने को इशारा कर रही थी. वो बिच बिच में पीछे मुढ़कर देख रही थी जैसे उसे डर था कहीं विशाल न आ जाये. सतीश अंदर पहुंचा तो उसके पीछे पीछे मम्मी भी अंदर आ गई. वो घुमकर दरवाजे को अंदर से लॉक करने लगी. सतीश की तरफ सानिया की पीठ होते ही सतीश की नज़र उसकी उभरि हुयी टाइट गांड पर पड़ी और सतिशने अपना हाथ उसके कुल्हे पर रख दिया और उसे अपने हाथ में भरकर दबाया. उफ्फ्फफ्फ्फ्ग कितनी नरम मुलायम गांड थी. सानिया लॉक लगाकर फुर्ती से उसकी तरफ पलटि और सतीश का हाथ अपनी कमर से झटक दिया. सतीश को धकेलते हुये लांड्री रूम की और इशारा किया. सतीश वहीँ उस पर चढ़ जाना चाहता था मगर वहां बहुत खतरा था, पड़ोसियों में से किसी की भी नज़र उधर पड सकती थी. सतीश लांड्री रूम की और बढा और मम्मी घर के अंदर से पिछवडे में खुलने वाले दरवाजे की और गयी. सतीश का अंदाज़ा सही था वो उसे अंदर से लॉक लगाने गयी थी ताकि डैड कहीं उधर न आ जाये. उसके पीछे पीछे वो भी लांड्री रूम में आ गयी.
 
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UPDATE-53

"कहीं तुम्हे सच में तो चोट नहीं लग गयी?" सानिया अंदर आते ही एक तरफ को झुक कर मेरी टांग और पांव को देखने लगी के में लँगड़ा क्यों रहा था. सतिशने कोई जवाब न दिया. बलके सतिशने आगे बढ़कर उसके दोनों भारी मम्मो को अपने हाथों में भर लिया और उन्हें इतने ज़ोर से दबाया के उसके कड़े निप्पल उभर कर उसके ब्लाउज और ब्रा में से उसकी हथेलियों में चुभने लगे.


"अअअअअहःहःहःह..... सतीशशश...." उसके मुंह से तेज़ और गहरी सिसकि निकलती है.

"रूक जाओ.....सतीश......देखो......." मगर वह नहीं रुकता और उसके सख्त मम्मो को और भी जोर से निचोडने लगता है और उन्हें उसके सीने पर दबाता है.

"नही सतीश......अभी नहीं जबकि तुम्हारे डैड घर पर ही है" उसकी आवाज़ में भी उतनी ही मादकता भरी हुयी थी जितनी के उसकी आवाज़ में. सतिशने उसके निप्पल को अपने अंगूठे और उँगलियों के बिच मसल कर खीँच रहा था और फिर उससे मम्मो को ऊपर उठाया, दो पल उन्हें वहीँ थामे रखकर सतिशने उन्हें छोड़ दिया. वो ब्रा के अंदर ऊपर निचे जम्प मारते आखिरकार फिर से अपनी पहली स्थिति में आकर खड़े होगये.

"जो आज तुमने ऊपर किया न........बिल्कुल पागलपन था.....मेरी तो अभी भी डर से जान कांप रही है के अगर तुम्हारे डैड हमें पकड़ लेते तो?" उसकी आवाज़ में कामुकता और उसकी सांसो की गहरायी पहले से काफी बढ़ गयी थी. सतिशने उसे कोई जवाब नही दिया और निचे झुक कर उसके घुटनो के पास से उसकी स्कर्ट का नीचला सिरा पकड़ा और उसे पूरा ऊपर उठा दिया. सतिशने दूसरे हाथ को उसकी पेन्टी के ऊपर से उसकी चुत पर रखा और उसे अपने हाथ में भरकर मसलने लगा. सतिशने एक हाथ से उसके बाल मुट्ठि में भरकर उन्हें पीछे को खींचा तो उसका सर पीछे को झुक गया. सतिशने अपना मुंह उसके खुले मुंह पर रख अपने होंठ उसके होंठो पर चिपका दिये. सतीश की जीव्हा मम्मी के मुख में प्रवेश कर चुकी थी और सतिशने उसके बालों को छोड़ उसका हाथ अपने हाथ में लिया और उसे अपने स्टील की तरह सख्त लौडे का रास्ता दिखाया. पाजामे के ऊपर से अपने लंड पर उसका हाथ रख सतिशने उसके हाथ को ज़ोर से दबाया. सानिया उसके मुंह में ज़ोर से कराहती है तो वह उसका हाथ अपने पाजामे के अंदर घुसा उसे छोड़ देता है.

सानिया तुरंत उसके लंड को पकड़ लेती है और उसकी कोमल उँगलियाँ उसके अभिमान के प्रतीक उसके मोठे लंड के गिर्द कस्स जाती है. सतीश का दूसरा हाथ उसकी पेन्टी को खींचता हुआ उसकी भीगी चुत से निचे कर देता है. उसकी चुत बेपरदा हो चुकी थी और वह बिना एक भी पल गंवाये उसकी नंगी चुत पर अपना हाथ रख देता है और उसमे दो उँगलियाँ घुसेड देता है. सानिया का जिस्म कांपने लगता है और वो सर झटकने लगती है. सतीश अपने खाली हाथ से उसके सर को पकड़ उसके मुंह को अपने मुंह पर चिपकाये रखता है और उसकी चुत में अपनी उँगलियाँ अंदर बाहर करने लगता है.
सानिया ने अपना हाथ उसके लंड पर से नहीं हटाया था, इसलिये वह जानता था के वो मुझे रोकने वाली नहीं हैं चाहे वो इंकार में आज कितना ही सर हिला ले. सतीश उसकी चुत को अपनी उँगलियों से छेड़ता रहा और जब उनका चुम्बन टूटा तो सतिशने गंदे कपड़ों से भरी बास्केट को उठकर फर्श पर पलट दिया और कपड़े फर्श पर बिखर दिये. फिर वह मम्मी के सामने फर्श पर घुटनो के बल बैठ गया और उसकी पेन्टी को उसकी जांघो से खींच कर उसके पैरों में कर दिया. सानिया ने कोई विरोध नहीं किया मगर जब वह उसके पांव उठाकर उसकी पेन्टी को निकालने लगा तो वो टांगे हिलाने लगी. सतिशने अपने हाथ उसकी जांघो पर रख उसकी टांगो को पूरी तरह कस्स लिया. उसकी जांघो के मास्स को बेदर्दी से पकड़ सतिशने सानिया की टांगे चौड़ी कर दी और मम्मी की रस टपकती चुत खींच कर अपने प्यासे होंठो के नज़दिक लाने लगा.

"हाय भगवान....हाय भगवान.......आहह्ह्..." सानिया के होंठो से एक लम्बी सिसकि निकलती है जबके सतीश का मुंह उसकी चुत के होंठो को दबोच लेता है और उसकी जीव्हा उसकी चुत के अंदर गहरायियो तक समां जाती है. सतीश उसकी जांघो को छोड़ उसकी गांड को थाम लेता है. मम्मी के दोनों नितम्बो को अपने हाथों में भरके पूरी शक्ति से उन्हें दबाता है जबके सानिया खुद उसके सर को पकड़ अपनी कांपती चुत पर दबाती है.

"आह्.........." उसके मुंह से बेटे की तारीफ में लम्बी लम्बी सिस्कियों का निकलना बद्स्तूर जारी था.

"हाय भगवान....हाय भगवान........ओहः......ओह.....ही भगवान......आह...." अचानक सानिया का हाथ उसके सर को इतनी ज़ोर से पकड़ कर चुत पर दबाता हैं के वह सांस भी नहीं ले पाता, नाक से भी नहि. उसकी चुत से उसके जूस की लहरें निकल कर उसके मुंह पर टकराने लगती है. अखिरकार जब उसका झटके खाता जिस्म शांत पढ़ जाता है तो सतीश ने खडे होकर उसे वक्त पर अपनी बाँहों में थाम लेता है क्योंके वो एकदम सुस्त होकर गिरने वाली थी.
सतीश सानिया को उठकर सीधी खड़ी करता है और वो अपनी बाहें बेटे के गर्दन में दाल देती है. जब उसे एहसास होता है के सतीश का लंड उसकी चुत का छेद ढूंढ रहा है तो वह खुद अपनी टांगे खोल देती है और उन्हें चौडा किये रखती है. अखिरकार कई कोशिशों के बाद उसके लंड को उसकी चुत का छेद मिल जाता है और वो एक झटके में अंदर घुस जाता है. मम्मी के मुंह से एक लंबि, तीखी और मादक सिसकि निकलती है. किसी औरत द्वारा मर्द की ऐसी तारीफ का कहना ही क्या!
 

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