Incest SINFUL FAMILY

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पापी परिवार--3

वहीं दूसरी तरफ दीप के घर पर तांडव मचा हुआ था ..वजह कोई और नही निम्मी थी

" मोम मेरी सारी फ्रेंड्स जा रही हैं ..तो मुझे भी जाना है "

कॉलेज के फ्रेंड्स ने आज पब मे रात बिताने का फ़ैसला किया था ..जिसके चलते निम्मी काफ़ी एग्ज़ाइटेड थी ..हलाकी इस वक़्त उसका किसी से रीलेशन नही पर मुंबई ऐसी जगह है जहाँ रात किसी पब या होटेल के बाहर सिंगल चले जाओ तो कपल बनते देर नही लगती

" नही माने नही ..अब मेरा दिमाग़ मत खा मुझे बहुत काम है समझी और हां कितना गंदा कमरा कर रखा है ..फटाफट सफाई मे जुट जा "

कम्मो नाराज़ होते हुए कमरे से बाहर जाने लगी

" सफाई माइ फुट ..मैं जाउन्गि ..मैं जाउन्गि और ज़रूर जाउन्गि "

निम्मी ने उसे जाते देख चिल्ला कर कहा ..वाकाई मे उसके जैसी ज़िद्दी ..बिग्ड्ल और झगड़ालु लड़की किसी दूसरे के घर मे नही होगी

" मुझसे ज़ुबान मत लड़ा ..वरना तेरे पापा को कॉल लगा दूँगी "

कम्मो ने पलट कर उसे दीप का डर दिखाया

" हां हां बोल देना ..कोई डरता है क्या ..' मुझे भी उनकी सारी काली करतूतो का पता है ' "

निम्मी ने इस सेंटेन्स की लास्ट लाइन थोड़े धीमे स्वर मे कही लेकिन कम्मो के कानो मे ये बात चली गयी

" क्या बोली तू ..फिर से बोल ? "

कामो ने उसके वाक्य दोहराने को कहा

" मैने क्या कहा ? "

निम्मी को थोड़ी घबराहट हुई कि कही मोम ने उसकी बात को सुन तो नही लिया

" वही ..कुछ काली करतूत के बारे मे "

कम्मो ने सुना तो था पर अधूरा

" क्या काली करतूत ..मैने तो बोला था कि पापा होते तो मुझे जाने से कभी नही रोकते ..पर तुम हमेशा से ही मुझे हर काम के लिए टोकती रहती हो "

निम्मी ने बात को चेंज करते हुए माहॉल को सेंटी बनाना शुरू किया

" देख निम्मी मेरे लिए सभी बच्चे बराबर हैं ..ये तेरे मन के फितूर ही तुझे मुझसे दूर ले जाते हैं ..अरे मैं मा हूँ तेरी कोई दुश्मन तो नही "

कम्मो को उसकी बात अपने दिल पर एक चोट लगी ..वो चल कर वापस कमरे मे आने लगी

" मैं सही कह रही हूँ मोम ..दीदी ..भैया और यहाँ तक पापा भी मेरे साथ ग़लत बर्ताव करते हैं तो मुझे दुख होता है ..जैसे मैं इस घर का खून ही नही हूँ "

निम्मी अपनी झुटि बातों से कम्मो का दिल पसीजे जा रही थी मगर सच तो ये था कि उसे घर मे जितना प्यार और आज़ादी मिलती थी वो शायद निकुंज को भी नही थी

" सुन बेटी अब तू बड़ी हो गयी है ..इस तरह का बच्पना छोड़ ..तेरे अलावा कोई इस घर मे इतना ज़िद्दी नही ..अब तू कोई 6 महीने की बच्ची तो नही जो तेरी हर बात को माना जाए "

कम्मो ने इस बार उसे प्यार से समझाया ..बचपन से ही उसे निम्मी का नेचर अच्छी तरह से पता था कि वो जो ठान लेती है उसे कर के मानती है ..चाहे इसके लिए उसे कितना भी लड़ना पड़े

" मैं अब बच्ची नही रही मोम ..अपना बुरा भला समझ सकती हूँ ..अब तुम जाओ मुझे नहाना है ..पार्टी मे जाने को देर हो जाएगी "

इतना कह कर निम्मी ने एक झटके मे अपना टॉप और नीचे पहनी कॅप्री को उतार कर डोर उच्छाल दिया और अंडरगार्मेंट्स मे आ गयी

" हाए राम निम्मी ..शरम कर शरम "

वैसे तो ये कोई नयी बात नही थी ..वो अक्सर कम्मो और अपनी बहेन निक्की के सामने पूरी नंगी हो जाया करती थी ..पर आज पहली बार उसकी मा ने उसे इस तरह की बात कही थी

" कैसी शरम मोम ..क्या हुआ ? "

निम्मी ने एक नज़र कम्मो के चेहरे पर डाली ..वो उसकी नज़रों का पीछा करते हुए अपनी पैंटी पर पहुचि ..और अगले ही पल सारा माज़रा उसे समझ आ गया ..अक्चूली बात ये थी कि कुछ दिन पहले की गयी शॉपिंग मे निम्मी ने कुछ ज़्यादा ही मॉर्डन कपड़े खरीदे थे और उसके अंडरगार्मेंट्स तो फैशन की सारी हद पार करने लायक थे

" ये कैसे अन्द्रूनि कपड़े खरीदे तूने ..कुछ छुप सकता है इनमे ..बोल ? "

निम्मी ने मुस्कुरा कर कम्मो के गले मे अपनी बाहें डाल दी

" इसे क्रॉच लेस पैंटी कहते हैं मोम ..इसमे पुसी को छोड़ कर सारा हिस्सा ढका रहता है "


निम्मी के मूँह से पहली बार पुसी शब्द सुन कम्मो का चेहरा फीका पड़ गया ..माना वो उसकी मा थी पर आज तक इस तरह की सिचूएशन कभी नही बनी थी ..कम्मो ने उसे अपने से दूर कर दिया

" बेशरम ..वही तो पूछ रही हूँ ..इस तरह के कपड़े कोई पहेनता है क्या "

कम्मो ने अपनी आँख उसकी चूत पर गढ़ाते हुए कहा ..बात सही थी जो चीज़ ढकने के लिए पैंटी को बनाया गया है अगर वही चीज़ खुली रहे तो पैंटी किसी मतलब की नही

" मोम इसमे मुझे खुला - खुला सा लगता है ..आप भी पहना करो ..रिलॅक्स फील होगा "

निम्मी ने उसे आँख मार कर कहा

" मारूंगी एक ..मैं तेरी तरह कोई पागल थोड़ी हूँ जो ये सब पहनु "

कम्मो ने इस बार उसे मारने के लिए झूठा नाटक किया तो निम्मी उससे थोड़ा दूर जा कर खड़ी हो गयी ..अब पोज़िशन ये थी कि कम्मो कमरे के अंदर और निम्मी कमरे के गेट पर ..जगह चेंज होने की वजह से निम्मी की गांद कुछ सेकेंड के लिए कम्मो की नज़रों के सामने घूमी और पिछवाड़े का हाल देख कर तो कम्मो ने अपना माथा ही ठोक लिया

" ये क्या है ..पीछे तो कुछ है ही नही "

कम्मो की बात सुन निम्मी ने खुद के चूतडो को देखने की कोशिश की तो उसे ज़ोरों से हसी आ गयी ..उसके हस्ने से कम्मो का हाल देखने लायक था

" बेहया एक तो ग़लती करती है और फिर हँसती भी है "

कम्मो ने उसे फिर से डांटा

" ओह मोम ..तुम्हे कुछ पता नही ..इस पैंटी मे पीछे की तरफ एक पतला सा स्ट्रॅप दिया है पर वो अभी मेरे आस क्रॅक्स मे फसा है "

ये कह कर निम्मी ने अपने चूतडो को कम्मो की तरफ घुमाया और थोड़ा झुकते हुए बड़ी अदा के साथ गांद की दरारो मे फसे कपड़े के पतले से स्ट्रॅप को अपनी उंगलियों से टटोल कर बाहर खीच लिया

" हे भगवान ..तू इसे पहेन के भी नंगी ही है ..इस से अच्छा तो इसे पहना ही मत कर ..घूम ऐसे ही बिना कपड़ो के घर मे ..बेशरम कहीं की "

कम्मो ने भले ही कयि बार अपनी छोटी बेटी को पूरा नंगा देखा था पर उसके शरीर पर गौर पहली बार किया ..और आज उसे वो बच्ची नही वाकयि एक गदराए जिस्म की मालकिन लग रही थी ..पैंटी के फटे हिस्से से बाहर झाकति कुँवारी बिना झटों की चूत ..बड़े - बड़े बेदाग चूतड़ और बूब्स किसी से कम नही थे ..आज कम्मो निम्मी के बदन को सोचते हुए निक्की के जिस्म तक पहुच गयी ..वैसे निक्की को उसने 4 - 5 सालो से नंगा नही देखा था ..पर जब छोटी ऐसी है तो बड़ी के क्या कहने यही सोच कर उसकी चूत मे खुजलाहट मचने लगी साथ ही निम्मी के मूँह से निकले सेक्षुयल शब्द और उसकी हरकतें कम्मो पर कहर ढाने के लिए काफ़ी थी

" तो ठीक है अब से मैं पूरे घर मे नंगी ही घूमूंगी ..थॅंक्स फॉर युवर गुड सजेशन मोम "

निम्मी ने बशर्म बन कर एक फ्लाइयिंग किस कम्मो की तरफ उछालि और अगले ही पल पैंटी और ब्रा भी ज़मीन पर पड़े थे

" तुझ जैसी पागल का कोई भरोसा नही ..घर मे तेरे अलावा तेरा भाई और डॅड भी रहते हैं ..शर्म कर शरम ..या तो बोल तुझे पागल खाने भरती करवा दिया जाए ..मैं आज ही तेरे डॅड से बात करूँगी "

कम्मो इतना बोल कर वापस कमरे के गेट की तरफ बढ़ी पर इस बार जो बात निम्मी के मूँह से निकली उसने कम्मो को अंदर तक झकझोर दिया

" हां हां भेज तो मुझे पागल खाने ..तुम सब यही चाहते हो ना कि मैं इस घर से दूर चली जाउ ..तो भरती कर दो मुझे भी उस पागल इंसान के साथ जिसे पैदा कर के पालना भी तुम्हे गवारा नही "

निम्मी ने एक साँस मे अपनी सारी भादास निकाल दी ..कुछ वक़्त पहले तक क्या टॉपिक चल रहा था और अब बात किस मॅटर पर पहुच गयी ये देख कम्मो की आँखों से आँसू बहने लगे ..निम्मी ने लाख बार अपनी मा को सताया हो पर इस तरह के लांछन की उम्मीद कम्मो ने कभी नही की थी ..दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखने लगे और एक चीख ने दोनो का ध्यान कमरे के गेट की तरफ मोड़ दिया

" निम्मीईीईईईई.......... "

ये आवाज़ निकुंज की थी जिसने सीढ़ियाँ चढ़ते हुए निम्मी के मूँह से निकली आख़िरी बात सुन कर उसके कमरे का रुख़ किया था ..पर उसे इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नही था कि कमरे मे उसकी छोटी बहेन पूरी तरह से नंगी खड़ी होगी

निकुंज ने गेट पर पहुच कर चिल्लाया तो निम्मी और कम्मो दोनो के होश उड़ गये ..लगभग 5 - 10 सेकेंड तक निकुंज की आँखें बहेन के नंगे जिस्म पर पड़ी और जब तक उसे होश आता निम्मी का नंगा बदन पूरी तरह से उसकी आँखों मे उतर गया ..हालत निम्मी की भी कुछ ऐसी ही थी ..भले ही छोटे कपड़ो मे बाप और भाई ने हमेशा से उसे देखा हो पर इस तरह से बिना गेट लॉक किए नंगा खड़ा होना उसके बेशरम होने का जायज़ सबूत था और तो और जो बात निम्मी ने अपने भाई रघु के लिए कही वो सुन कर निकुंज खुद को रोक नही पाया और आज पहली बार इस तरह से अपनी बहेन पर चिल्ला दिया

" बेशरम अपने कपड़े पहेन ..मैं आज तुझे नही छोड़ने वाला ..सारी चर्बी ख़तम कर दूँगा आज तेरी "

होश मे आते ही निकुंज दरवाज़े से थोड़ा पीछे हो गया और निम्मी घबरा कर बाथरूम के अंदर घुस गयी ..कम्मो भी अब तक खुद को समहाल चुकी थी ..उसे निकुंज के जल्दी घर लौट आने के बारे मे ज़रा भी अनुमान नही था वरना बात बंद कमरे मे होती

" बेटा तू चल मेरे साथ ..बच्ची है ..ज़रा सा भी दिमाग़ नही इसमे "

कम्मो ने पहली बार निकुंज को इतने गुस्से मे देखा था ..हमेशा कूल और प्यार से रहने वाला उसका छोटा बेटा आज इतना नाराज़ इस लिए भी हुआ क्यों कि रघु को उसने दीप से भी बढ़ कर माना था

" नही मा ..आज से ये इस घर मे नही रहेगी ..हमारे लाड - प्यार का ये सिला मिलेगा सोचा ना था ..अरे निक्की भी तो इसी घर का खून है उसे देखो ..शायद ही आज तक उसने किसी का दिल दुखाया हो और ये बेशरम ..छ्हीइ शरम आती है इसे बहेन कहते हुए भी "

ये कह कर निकुंज अपने कमरे की तरफ चला पड़ा ..कम्मो भी उसके साथ थी ....

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वहीं बाथरूम के हालात तो और भी बदतर थे ..निम्मी ने उसके भाई की सारी बातें सुनी लेकिन उसकी आँखों मे रत्ती भर भी नमी नही आई बल्कि उसका नंगा बदन तप कर शोलो मे बदल गया ..उसकी साँसे चढ़ि थी और वो किसी सोच की मुद्रा मे शवर के नीचे खड़ी थी

" आज जो कुछ भी घर पर हुआ वो सही नही हुआ ..याद रखना निकुंज चावला अगर मैने अपनी बेज़्ज़ती का बदला नही लिया तो मेरा नाम निम्मी नही ..अब देखना मैं क्या करती हूँ "

ये कहते हुए उसने शवर का टॅप घुमाया और भर - भर करता पानी उसके तन - बदन मे लगी आग को शांत करने लगा ....

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कॅफेट मे बैठे दीप और जीत अपनी अधूरी बातों को पूरा कने मे लगे थे ..पर दीप का ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ उस लड़की मे खोया था जिसने अभी 10 मिनट पहले दीप के लंड का रस चखा था ..कैसे भी कर के दीप को उसे चोदना था और इसके लिए उसने जीत का सहारा चाहा

" तू कहाँ खोया है कमीने ..जब से बड़बड़ा रहा हूँ पर तुझे तो जैसे मेरी बात से कुछ लेना देना ही नही "

जीत ने उसे किसी सोच मे डूबा देख कहा

" यार बुरा मत मान पर मुझे तेरी सेक्रेटरी की चूत चाहिए ..तुझे मंज़ूर हो तब भी और ना हो तब भी "

दीप ने अपनी सोच को आम करते हुए कहा ..उसकी बात से जीत का चेहरा थोड़ा गंभीर हुआ और वो अपनी चेर पर सीधा बैठ गया

" क्या बात है जीत ..क्या तू नही चाहता कि मैं उसे चोदु ..या तुझे उसे मुझसे शेर करने मे कोई तकलीफ़ है ..जो भी बात हो सॉफ - सॉफ बता "

दीप ने उसे शांत देख कहा

" यार अब मैं क्या कहूँ ..अच्छा एक काम करता हूँ उसे भी कॅफेट मे बुला लेते हैं "

जीत की बात सुन दीप का चेहरा खिल उठा

" जानता था तू मेरी बात कभी नही टालेगा ..दोस्त अब दोनो मिल कर उसकी चूत मारेंगे ..साली पक्की रांड़ लगती है ..पर जो भी हो माल काँटा है ..मैने बड़े सालो बाद ऐसा जिस्म देख होगा ..खेर जल्दी बुला उसे जाने से पहले उसकी मंज़ूरी जान लू तो दिल को सुकून आ जाएगा "

दीप तो जैसे पागल हो चुका था उस लड़की के पीछे ..पर जीत का मूँह उसकी असलील बातों से काफ़ी उतर गया ..उसने कॉल कर लड़की को कॅफेट मे बुलाया

थोड़ी देर तक दोनो दोस्त बिल्कुल शांत रहे ..जीत ने 3 कॉफी का ऑर्डर दे दिया और अब दोनो लड़की का इंतज़ार करने लगे ..इंतज़ार की घड़ियाँ ख़तम हुई और वो बंदी अपनी कमर मतकाती हुई उनकी तरफ आती दिखाई दी ..दीप उसकी चाल पर आह भरने लगा जिसे सुन कर जीत ने अपनी नज़रे दोनो से दूर कर ली

" मे आइ सीट हियर "

लड़की ने थोड़ा झुक कर पूछा जिससे उसके रेड टॉप मे बना बूब्स क्लीवेज और भी ज़्यादा विज़िबल हो गया

" या या शुवर "

दीप ने जल्दी से उसे इज़ाज़त दी और तब तक तीनो की कॉफी भी सर्व हो गयी

तीनो की बात स्टार्ट हो पाती कि अचानक से दीप का सेल बजा और उसकी सारी आशाओ पर पानी फिर गया ..निकुंज ने गुस्से मे आ कर दीप को फोन किया और वो सारी बात सुन उन दोनो से ज़रूरी काम का बोल कर घर के लिए रवाना हो गया ....

" बेटा तेरे डॅड नाराज़ होंगे ..तुझे उन्हे कॉल नही करना चाहिए था "

निकुंज और कम्मो बेड पर बैठे बातें कर रहे थे

" क्या करूँ मा आज निम्मी ने सारी हदें पार कर दी ..मैने उसे कितना चाहा है ये तुम भी जानती हो और वो भी ..पर रघु के बारे मे ऐसा गंदा बोलते हुए उसे शरम नही आई "

निकुंज का गुस्सा अभी भी बरकरार था

" छोड़ बेटा अगर इसी तरह डाट - डपट के निम्मी सुधर सकती होती तो कब का सुधर जाती ..मैं तो कहती हूँ उसे प्यार से ही समझाया जा सकता है ..माना थोड़ी ज़िद्दी है पर है तो तेरी बहेन ही ना "

कम्मो ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा

" वैसे मा एक बात कहूँ शायद आप को बुरा लगे ..रघु अगर इस घर मे पैदा ना हुआ होता तो ये जो दो वक़्त चैन की रोटी मिल रही है ना वो भी नसीब नही होती ..आज से 7 - 8 साल पहले था क्या हमारे पास ..एक किराए का कमरा और डॅड के बिज़्नेस के टूटे फूटे बर्तन - भाड़े ..पता है ना आप को जब कोई पार्टी का ठेका मिले महीनो बीत जाते थे तब रघु की ही कमाई से घर चलता था ..ना वो ग़रीबी के चलते गुंडा बनता ना हमारे दिन बदलते ..अरे ये दोनो जो इतनी शान से घूमती हैं वो भी सिर्फ़ रघु के डर की वजह से ..वरना निम्मी जिस हिसाब के फैशोनब्ल कपड़े पेहेन्ति है उन कपड़ो मे मुंबई की सड़को पर रात क्या दिन भी सेफ नही ..लोगो के कानो मे आज भी ये बात पड़ जाए की ये रघु की बहने हैं तो कोई आँख उठा कर भी नही देखता जबकि सब को पता है वो बेचारा किस हाल मे कहाँ भरती है ..लेकिन आज शायद सभी ने उसे अपने दिल से बाहर निकाल दिया ..निम्मी ने कहीं ना कहीं सही भी कहा कि उसे पैदा कर के जहन्नुम मे फेक दिया गया है ..क्या हम उसे घर नही ला सकते मा ..हो सकता है जो रिकवरी वो हॉस्पिटल मे ना कर पाए वो यहाँ हमारे बीच रह के कर ले "

निकुंज के माइंड मे एयूएस. से लौटने के बाद जो बात सबसे पहले आई थी वो उसने कम्मो को बता दी ..वो चाहता था कि रघु को पुणे से घर मे शिफ्ट करवा दिया जाए ताकि वो सबकी नज़रो के सामने तो रहे

" बेटा मन तो मेरा भी यही कहता है ..पर घर मे ऐसा माहॉल देख कर रघु को और भी ज़्यादा तकलीफ़ होगी "

कम्मो ने उसे समझाया

" कुछ भी हो मा उसे यहाँ लाना ही पड़ेगा ..वहाँ हॉस्पिटल मे कौन सा उसका ट्रीटमेंट होता होगा ..सिर्फ़ उस पर रेसेर्च ही करते होंगे सभी ..मैं आज डॅड से इस बारे मे बात करूँगा "

निकुंज इतना बोल कर फ्रेश होने बाथ रूम मे चला गया और कम्मो अपने बचे कामो को पूरा करने किचन मे

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दीप ऑफीस की पार्किंग से कार निकाल कर घर की तरफ लौट रहा था

" साला क्या मस्त माल है ..अगर चुदाई के लिए राज़ी हो जाए तो पटक - पटक के चोदुन्गा ..कितने साल बाद ऐसी आइटम नज़र मे आई ..बस जीत मना ले उसे कैसे भी कर के ..फिर तो मज़े ही मज़े हैं ..वैसे वो हां ही कहेगी क्यों कि पहली बार मे लड़की सिर्फ़ शर्मो - हया दिखाती है ..पर उसने तो मेरा लंड ही चूस लिया ..ऐसा लगता है जैसे अब तक उसके गरम होंठ मेरे लंड से चिपके हों "

ऐसी केयी बातें सोच दीप का बैठा लंड वापस अंगड़ाई लेने लगा ..उसने एक हाथ स्टेरिंग पर और दूसरे से लंड को पॅंट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया

" आज बात पूरी हो जाती अगर निकुंज का कॉल बीच मे ना आया होता ..ये निम्मी भी ना ..ज़रूर कोई उल्टी सीधी हरकत की होगी तभी निकुंज ने मुझे घर बुलाया ..क्या करू इस लड़की का ..हर वक़्त सिर्फ़ लड़ाई - झगड़ा ..आज अच्छे से खबर लेनी पड़ेगी इसकी "

दीप अपनी सोच से बाहर निकलता जब तक उसकी गाड़ी घर के मैन गेट पर पहुच चुकी थी ..कार से उतर कर उसने तेज़ कदमो से हॉल कर रुख़ किया और देखा तो घर मे हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था

" कहाँ हो सब ..कम्मो ? "

दीप ने हॉल को खाली देख चिल्ला कर कहा

उसकी आवाज़ मे बेहद नाराज़गी थी जिसे सुन कर परिवार के सदस्य घबरा कर हॉल मे आने लगे ..कम्मो किचन से दौड़ी तो निकुंज और निक्की अपने - अपने कमरो से ..सिर्फ़ निम्मी को छोड़ कर अब सभी हॉल मे थे

" क्या बात थी तो इस तरह मुझे घर बुलवाया ? "

दीप की दहाड़ से निम्मी तक अपने कमरे मे सहम गयी ..वो रूम की खिड़की से हॉल मे हो रही आवाज़ को सॉफ सुन सकती थी ..एक पल तो उसके चेहरे पर चिंता के बादल छाए पर अगले ही पल एक चिर परिचित मुस्कान से उसके होंठ हिलने लगे ..क्यों कि कुछ देर पहले उसने सभी बातों को जोड़ कर इस प्राब्लम का सल्यूशन ढूंड लिया था

" आप फ्रेश हो जाइए बाद मे बात करेंगे "

कामिनी ने दीप के चेहरे पर आते गुस्से को देख कर कहा ..इशारे से उसने निकुंज को भी छुप रहने की सलाह दी

" नही जो भी बात है अभी बताओ ..कब तक ऐसा माहॉल चलता रहेगा घर मे "

दीप ने सोफे पर बैठते हुए कहा

" डॅड मोम ठीक कह रही हैं ..आप फ्रेश हो जाइए मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है आप से "

निकुंज ने हालात समझते हुए कहा ..वो जानता था कि अगर निम्मी वाली बात डॅड को पता चली तो शायद उसे खूब डाट पड़ती ..भले वो अभी नादान है ..पर जो भी हो इस घर की जान भी है ..यही सोच कर निकुंज ने फ़ैसला किया कि मॅटर से निम्मी को बाहर कर डाइरेक्ट रघु को घर लाने की बात की जाए

" निम्मी कहाँ है ? "

दीप ने तेज़ आवाज़ मे कहा ..ये बात सुनते ही निम्मी खिड़की से हट कर बेड पर लेट गयी और बेड-शीट से खुद को कवर कर लिया ..उसने तय किया था कि चाहे कितने भी बुलावे आएँ वो नीचे हॉल मे नही जाएगी ..अगर दीप को उस से बात करनी है तो उसे निम्मी के कमरे मे आना ही पड़ेगा

" वो अपने कमरे मे है "

निक्की ने दीप को 1स्ट फ्लोर का इशारा कर दिया

" मैं निम्मी से अकेले मे बात करना चाहता हूँ ..कोई 1स्ट फ्लोर पर नही आएगा "

दीप ने कहा और अपने कदमो की रफ़्तार 1स्ट फ्लोर पर बने निम्मी के कमरे की तरफ बढ़ा दी ..नीचे खड़ी कम्मो ..निकुंज और निक्की बस यही खेर मना रहे थे कि दीप का गुस्सा शांत हो जाए और निम्मी उसके कहर से बचे

कमरे के बाहर आ कर दीप ने नॉक करना भी उचित नही समझा और तेज़ी से दरवाज़ा खोलते हुए अंदर आ गया ..रूम की ट्यूब लाइट जल रही थी और निम्मी बेड पर चादर ओढ़े लेटी थी ..दीप ने एक नज़र उसे घूरा और आवाज़ दी

" निम्मी ..ये बच्पना कब ख़त्म होगा तेरा ? "

दीप ने कमरे का गेट लॉक कर कहा ताकि वो बंद कमरे मे अपनी छोटी बेटी को समझा सके ..भले ही उसकी नाराज़गी का कोई पार नही था पर वो चाह कर भी अपने बच्चो को डाट नही पाता ..बचपन से ले कर आज तक शायद ही कभी ऐसा हुआ हो तो जब उसने तेज़ आवाज़ मे घर के किसी भी मेंबर से बात की होगी

" निम्मी सो गयी क्या ? "

दीप उसके बेड की तरफ बढ़ते हुए बोला ..शाम के टाइम तो कभी निम्मी सोती नही थी फिर आज क्यों ..बेड पर उसके बगल मे बैठ कर दीप ने महसूस किया कि निम्मी का बदन चादर के अंदर कप - कपा रहा है जिसे देख वो घबराया और तुरंत ही चादर थोड़ा नीचे खीची ..निम्मी के सर पर अपना हाथ रख दिया

" ओह गॉड ..इसे तो तेज़ बुखार है "

निम्मी का माथा बहुत गरम था ..पर अचानक ये सब कैसे हुआ अब इस पर नज़र डालते हैं

[ जब निकुंज ने दीप को घर आने के लिए कॉल किया था तब निम्मी ने उसके रूम मे हो रही सारी बातें छुप कर सुनी और फ्यूचर का सोचते हुए दौड़ कर किचन मे पहुच गयी ..वहाँ से उसने एक प्याज़ उठाया और मुस्कुराती हुई वापस अपने कमरे मे आ गयी

साइन्स की क्लास मे उसने पढ़ा था कि अगर बॉडी टेंपरेचर को हीट देना हो तो प्याज़ को छील कर अपनी आर्म्स के अंदर दबा लेने से बॉडी कुछ ही वक़्त मे बुरी तरह जलने लगती है और सामने वाला फीवर समझ कर घबरा जाता है ..बस आइडिया लगा कर निम्मी ने एक्सपेरिमेंट कर डाला ..शायद डाँट से बचने का इस से अच्छा कोई और सल्यूशन हो नही सकता ]

( अपने बचपन मे जिस - जिस ने इस उपाए को किया होगा ..शायद वो इसकी उपयोगिता से वाकिफ़ होंगे )

दीप ने निम्मी को आवाज़ दी तो उसने गहरी नींद से जागने का बहाना कर धीरे - धीरे अपनी आँखें खोल दी ..कुछ देर पहले तक दीप कितने गुस्से मे था और अब कितना घबराया सा ..ये देख निम्मी मन ही मन मुस्कुरा उठी

" बेटा तुझे तो बहुत बुखार है "

दीप ने एक बार फिर निम्मी की आँखें खुलने पर कहा

" डॅड "

निम्मी ने नाटक करते हुए दीप को पुकारा

" यस बेबी ..आर यू ओके "

दीप ने बड़े प्यार से उससे पूछा

" यस डॅड बाकी सब तो ठीक है ..पर बहुत पेन हो रहा है "

निम्मी ने जवाब दिया

" पेन कहाँ पर ? "

दीप ने बोलते के साथ साथ उसकी चादर को नीचे खिसकाया और अगले ही पल उसकी आँखें बाहर को निकल आई ..निम्मी ने जान कर बॉडी के उपरी हिस्से पर टॉप नही डाला था और केवल एक सिड्यूसिव सी ब्रा पहने ली थी

" द ..द ..डॅड मैने टॉप नही पहना है ..उफ़फ्फ़..... "

निम्मी को तो आक्टिंग का ऑस्कर मिलना चाहिए था ..एक तो उसने लड़खड़ाती ज़ुबान से अपनी पोजीशन बताई और दूसरा आह ले कर दर्द का नाटक भी किया

" सॉरी मुझे पता नही था "

दीप ने अपनी नज़रें दूसरी तरफ करते हुए कहा ..उसने सोचा कि चादर को निम्मी ऊपर खीच लेगी पर वो ज्यों की त्यों लेटी रही ..पहनी हुई वाइट ब्रा नेट वाली थी जिसमे से उसके निपल सॉफ दिख रहे थे

" डॅड एक पेन किल्लर दे दीजिए ..प्लीज़ीयीईयीई "

निम्मी ने दीप को अपनी तरफ़ देखने पर मजबूर करते हुए कहा

" पेन किल्लर ? "

निम्मी का दर्द भरा प्लीज़ सुन दीप पलटा पर नज़ारा वही था ..इस बार निम्मी ने उठने की कोशिश की

" ना ना लेटी रह ..दर्द कहाँ है "

दीप की आँखें उसकी की अधखुली छातियों से चिपक चुकी थी ..दुनिया भर की चूतो का स्वाद लेने के बाद अपनी बेटी का योवन देखना उसे बुरा तो लगा पर क्या करता ' मैं हूँ आदत से मज़बूर ' "

" वो डॅड मैं नहाते वक़्त बाथरूम मे फिसल गयी थी ..मेरी बॅक मे चोट लगी है ..जैसे तैसे जो पहेन पाई पहना और तभी से आराम ही कर रही हूँ "


निम्मी ने बड़े अफ़सोस के साथ अपनी झुटि कहानी उसे सुनाई ..दर्द की वजह से वो इस अध - नंगी हालत मे है ये भी कन्फर्म कर दिया

" रुक मैं तेरी मोम को बुलाता हूँ "

दीप ने देखा कि निम्मी उसे अपनी छातियों को घूरते देख रही है ..तो उसने बेड से उठ कर जाना चाहा

" नो डॅड ..मोम मुझसे पहले से ही नाराज़ है ..अब उन्हे और परेशान नही कर सकती ..आप तो मुझे एक पेन किल्लर दे दीजिए ..मैं ठीक हूँ "

निम्मी ने बड़ा भोला चेहरा बना कर कहा तो दीप वापस उसके बेड पर बैठ गया

" बॅक मे लगी ..कही फ्रॅक्चर तो नही "

दीप ने चिंता जताई

" नो डॅड फ्रॅक्चर होता तो मैं हिल भी नही पाती ..लगता है हल्की सी गुम चोट लगी है "

ये कहते हुए निम्मी ने बची चादर अपने ऊपर से हटाई और करवट ले कर अपने चूतड़ पर हाथ रख दिया ..लोवर बॉडी पर उसने एक टाइट कॅप्री डाली हुई थी जिसमे फसि उसकी बड़ी सी गान्ड को जान कर निम्मी ने और बाहर की तरफ़ निकाल रखा था ..करवट लेने से उसकी थ्रेड ब्रा की एक सिंगल नाट दीप को दिखाई दी और बाकी पूरी पीठ नेकड़

" दर्द ज़्यादा है क्या बेटा ? "

दीप की लड़खड़ाती आवाज़ सुन निम्मी का चेहरा खिल उठा ..उसका प्लान सक्सेस था ..बस अब उसे ये सोचना था कि इतना काफ़ी है या अपने नाटक को कंटिन्यू रखा जाए ....
wow mast update
 
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पापी परिवार--4

" डॅड यहाँ दर्द से मेरी जान निकली जा रही है और आप को बातों का मज़ाक सूझ रहा है "

निम्मी ने अपने एक चूतड़ को हाथ के पंजे मे दबोच कर मसल दिया ..उसकी सिसकारियों का तो कोई पार ही नही था

" नो बेटा ..आइ'म नोट किडिंग ..तुझे बेवजह ऐसा लग रहा है "

दीप की लार उसकी हाफ - न्यूड पीठ पर गिरती इस से पहले उसने खुद को समहाला और निम्मी के दर्द को महसूस कर अपने माइंड को डाइवर्ट करने की कोशिश की

" डॅड लगता है आप को भी मेरी कोई फिकर नही ..एक काम करो वहाँ वॉर्डरोब से एक पेन किल्लर निकाल दो ..मैं खा लूँगी "

निम्मी ने दीप को सेंटी डाइयलोग मारा और वापस पीठ के बल लेट गयी ..कहीं ना कहीं उसकी भी हालत बिन पानी की मछ्ली की तरह हो रही थी ..आज अपने भरे योवन मे पहली बार ऐसा मौका आया था जब एक बाप अपनी बेटी को अध - नंगी हालत मे देख रहा था और शायद उत्तेजित भी हो

निक्की के करवट लेने से उसकी थ्रेड नेट ब्रा थोड़ी लूज हुई और उसके एक कंधे पर अटका स्ट्रॅप खिसक कर कप के पॅरलेल आ गया ..वैसे भी ब्रा के अंदर छुपे बूब्स का हर हिस्सा पूरी तरह से विज़िबल था और नुकीले निपल्स नेट से बाहर निकलने को आमदा हो रहे थे ..दीप ने अपने सूख चुके गले को थूक निगल कर राहत पहुचाई ..दोनो की आँखें फिर मिली और दीप ने घबरा कर अपनी नज़रें नीची कर ली

" सिर्फ़ पेन किल्लर खाने से कुछ नही होगा निम्मी ..अक्सर बाथरूम मे गिर कर लगने वाली चोट फ्यूचर तक प्राब्लम देती है ..तो हमे डॉक्टर को बुला लेना चाहिए "

दीप एक तरफ मर्द की तारह सोच रहा था और दूसरी तरफ बेटी के दर्द को ले कर परेशान भी था ..पर सिचुयेशन बहुत हॉट थी निम्मी के दर्द की वजह से लंबी - लंबी साँसे लेना जिस से बूब साइज़ काफ़ी तेज़ी से बढ़ता कम होता जा रहा था

" नो वे डॅड ..डॉक्टर से मुझे बहुत डर लगता है ..प्लीज़ हेल्प मी डॅड ..प्लीज़ "

निम्मी ने अब रोने का नाटक स्टार्ट किया ..छटपताकर उसने ब्रा इतनी ढीली कर दी कि एक निपल लगभग पूरा बाहर निकल आया ..दीप का तो मानो खून जम चुका था और पॅंट के अंदर खड़े लंड ने ऐन्ठ कर रहम की भीख माँगनी शुरू कर दी

" सँभाल अपने आप को निम्मी "

दीप ने ना चाहते हुए अपने हाथ उसके गरमाये सपाट पेट पर रखे और उसे छटपटाने से रोकने लगा ..पर निम्मी तो सोच कर लेटी थी या तो आज अपने बाप को काबू मे करेगी या हमेशा के लिए उसके दिल से उतर जाएगी ..वो और भी ज़्यादा मटकने लगी ..कभी - कभी दीप का हाथ उसके बूब्स से टकराता तो दोनो की आह एक साथ निकल जाती

" डॅड कोई और रास्ता तो होगा ना ? "

निम्मी ने अपनी उखड़ती सांसो को चालू रखते हुए दीप के हाथो को ज़ोर से पकड़ ..अपने पेट पर दबा कर कहा ..दीप के मन मे इलाज को ले कर जो बात आई वो बोलना तो चाहता था पर ज़ुबान कहीं से कहीं तक उसका साथ नही दे रही ही ..यहाँ निम्मी उसके हाथ को पेट से ऊपर लाते हुए कयि बार अपने बूब्स पर दबा चुकी थी

" डोंट वरी सब ठीक हो जाएगा बेटा ..पर उसके लिए .... "

इतना बोल कर दीप छुप हो गया ..निम्मी ने उसकी बात सुन कर अपनी आँखें खोली जिनमे से बहते आँसुओ को दीप देख ना सका और अपने हाथ उसकी पकड़ से आज़ाद करते हुए उसे पेट के बल लिटाने की कोशिश की ..निम्मी को एक पल तो समझ नही आया कि दीप उसे पलटा क्यों रहा है पर फिर भी वो किसी कठपुतली की तरह उसके हाथ के सपोर्ट से उल्टा लेट गयी

" यस डॅड जो भी इलाज हो जल्दी करो "

निम्मी ने अपने हाथ से चूतडो को वापस मसलते हुए कहा ..कसी बेहद टाइट कॅप्री मे फसि उसकी गान्ड किसी नामर्द को भी मर्द बना देने मे सक्षम थी फिर दीप तो जनम से ही मर्द था

" बेटा तुझे मालिश से तुरंत राहत मिलेगी और उसके बाद टॅबलेट खा कर सारा दर्द रफूचक्कर हो जाएगा "

दीप को कहते देर नही हुई कि निम्मी ने उसके एक हाथ को पकड़ा और अपने चूतड़ से सटा दिया ..दीप उसकी लेफ्ट मे अपने घुटनो के बल बैठा था

" तो मालिश कर दो डॅड ..लेकिन जल्दी करो "

निम्मी के द्वारा प्रेशर देने से दीप का हाथ उसके मखमली गोल चूतडो मे धँस गया ..निम्मी ने पहली बार सिड्यूस हो कर आह भरी पर दीप को लगा कि उसने दर्द की दरकार से ऐसा किया होगा ..दीप भोचक्का हो कर निम्मी की नंगी पीठ और कॅप्री मे फसि गांद देखे जा रहा था

" यस डॅड प्लीज़ थोड़ा टाइट्ली दबाओ "

निम्मी के मूँह से रज़ामंदी पा कर दीप अपने आपे से बाहर हुआ और अपना दूसरा हाथ भी गांद दबोचने मे लगा दिया ..अब निम्मी के हाथो की कोई ज़रूरत नही थी तो उसने उन्हे अपने पेट के नीचे डाल लिया ..एक बाप के नज़ररिय से अगर दीप इस घटना को देखे तो वो ग़लत था लेकिन अगर एक मर्द की हैसियत समझ कर सोचे तो निम्मी के मस्त - बदन ने उसके दिल और दिमाग़ पर अपना जादू चला दिया था ..निम्मी कुछ देर ज्यों की त्यों बेड पर पैर सीधे किए लेटी रही पर जब उसकी चूत रस ने बाप के प्रति बुरी भावनाओ से रस छोड़ना चालू किया तो वो सडन्ली बेड पर घुटने मोडती हुई उकड़ू बैठने को हुई और दीप को ना चाहते हुए भी ठीक उसके पीछे आना पड़ा ..हाथ पेट के नीचे ले जाने से निम्मी का प्लान था कैप्रि के बटन को अनलॉक कर उसे लूज करना और अब उकड़ू बैठने से उसकी गांद हवा मे बहुत ज़्यादा ऊपर उठ गयी थी जिसके चलते कॅप्री फिसल कर पैंटी स्ट्रॅप लाइन तक पहुचि और उसकी खूबसूरत गांद की दरार से दीप की आँखों का मिलन हो गया

" ओह डॅड यू आर आ रियल पेन किल्लर "

निम्मी ने मस्त होते हुए अंगड़ाई ली और जान कर अपनी ब्रा के स्ट्रॅप लगभग दोनो कंधो से नीचे उतार लिए

" अच्छा फील हो रहा है ना ? "

दीप ने काम के वशीभूत हो उसके चूतडो की दरार मे अपनी उंगली फिरा कर पूछा

" यस डॅड आप के हाथो मे जादू है ..वैसे मूव भी है मेरे कमरे मे "

इतना बोल कर निम्मी चुप हो गयी ..दीप के लिए ये खुला आमंत्रण था उसकी गांद को कॅप्री और पैंटी से पूरा आज़ाद होते नंगा देखने का

" क ..कहाँ रखी है मूव बता मुझे "

अब दीप वाकई अपने लंड रूपी दिमाग़ से सोचने पर मजबूर हो गया ..जानता था कि निम्मी तो अभी बच्ची है पर उसे तो एक बाप होने के नाते उसके चूतडो को छ्चोड़ देना चाहिए था ..वो बेड से नीचे उतरा पर रूम से जाने की वजाए निम्मी के इशारे पर वॉर्डरोब से मूव लेने

" मिल गयी "

जब मूव ले कर दीप पलटा तो नज़ारा और भी ज़्यादा भड़काने वाला था ..निम्मी ने कॅप्री को पैंटी सहित गांद के कोमल भूरे छेद तक उतार लिया था और ब्रा तो झूल कर बिल्कुल उतरने को थी ..डीप की पलकें तो झपकना ही भूल गयी ..उकड़ू अपनी नंगी गान्ड को हवा मे उठाए उसकी बेटी का जिस्म और छाती से नीचे लटकती बड़ी बड़ी चूचियाँ उसे पागल करने को काफ़ी थी ..दीप निम्मी के सर की साइड मे खड़ा था ..एक पल वो उस नज़ारे को देख कर रुका कि कही ये सब उसकी बेटी का कोई नाटक तो नही लेकिन अगले ही पल उसकी आँखें निम्मी की आँखों से जा टकराई और उनमे छुपि मासूमियत को देख दीप का सारा शक़ कूफर हो गया ..उसे लगा जैसे निम्मी उसकी अपनी बच्ची दुनिया की सबसे इनोसेंट लड़की है

" मिल गया डॅड ..अब जल्दी से मालिश को पूरा कर दो "


निम्मी की आवाज़ सुन दीप का ध्यान भंग हुआ और वो हौले हौले बेड की तरफ बढ़ने लगा ..दोनो बाप बेटी फुल तरीके से रोमांचित थे ..डॅड का खड़ा लंड निम्मी की चूत को और भी ज़्यादा फड़का रहा था पर दीप चाहता था कि उसकी बेटी को उसके सिड्यूस होने का पता ना चले ..8" का लंड था कोई 1" की लुल्ली नही जो छुपायि जा सकती थी ..दोनो ये सोच कर भी पानी - पानी हो रहे थे कि एक बाप की आँखों का सामना अपनी बेटी के गान्ड के छेद से कुछ ही पॅलो मे होने वाला था ..दीप बेड पर चढ़ा और निम्मी के ठीक पीछे बैठ कर अपनी उंगली मे मूव की एक लेयर निकाल ली लेकिन अभी तक उसने एक नज़र भी बेटी के खुले पिच्छवाड़े पर नही डाली थी ..शायद मेच्यूर होना इसी को तो कहते हैं ..निम्मी उसका खून थी फिर आज वो इतना आगे कैसे बढ़ गया ..उसने खुद को इस बात के लिए कोसा और फ़ैसला लिया कि वो अपनी आँखें बंद रख के जल्दी से मालिश निपटाएगा और कमरे से बाहर चला जाएगा ..वहीं निम्मी इस पल के इंतज़ार मे थी कि कब उसके डॅड का हाथ उसकी खुली गांद को सहलाता और क्या रिक्षन होगा दीप का जब उसकी आँखें अपनी ही बेटी के आस होल पर पड़ेंगी

दीप को बिल्कुल शांत बैठा महसूस कर निम्मी ने अपनी गर्दन को पीछे घुमाया तो पाया कि डॅड की आँखें बंद और वो कुछ सोचने की मुद्रा मे बैठे हैं ..निम्मी के तन बदन मे आग लगी थी और दीप का इस तरह से एक दम चुप हो जाना निम्मी को गवारा नही हुआ ..कैसे भी कर उसे डॅड की प्रतिक्रिया नोट करनी थी ..पॅंट के अंदर बने तंबू से उसे ये तो पता लग गया था कि बेटी के जिस्म ने बाप के अंदर का मर्द जगा दिया लेकिन वो तो हर नंगी लड़की कर सकती है ..सही बात तो आँखों से बयान होती तभी कुछ सोच कर निम्मी ने कहा

" डॅड मूव थोड़ा देख कर लगाना कहीं ग़लत जगह ना लग जाए ..आप समझ रहे हो ना ..वहाँ लगा तो जलन होगी "

निम्मी ने सोते दीप की आँखे खुलवाने के लिए जो बात कही उससे दीप कब तक बच पता ..उसने फिर भी बंद आँखो से निम्मी के पिछवाड़े का अनुमान लगाया लेकिन पहली ही बार मे निशाने पर गांद का कुँवारा छेद आ गया ..उंगली मे लगी मूव सीधे आस होल से जा टकराई

" अहह.............. डॅड "

निम्मी ने जो कहा था हुआ उसका बिल्कुल उल्टा ..दीप की उंगली का एहसास अपनी गांद के कुंवारे छेद पर महसूस होते ही निम्मी की टाँगे जवाब दे गयी और वो बेड पर करवट ले कर लेट गयी ..दीप ने हड़बड़ा कर अपनी आँखें खोली तब तक उसकी बेटी ने अपने घुटनो को मोड़ लिया था और टाइट कॅप्री मे फासी गांद की दरार आपस मे चिपकी पड़ी थी

" क्या हुआ निम्मी ..सब ठीक तो है ? "

पता दीप को सब था कि उसकी उंगली कहाँ जा कर टकराई थी पर सीधे स्पस्ट शब्दो मे पूछना उसके बस से बाहर था

" उफफफफ्फ़ डॅड ..मैने आप को बोला था कि मूव देख कर लगाना पर आपने तो मेरी जान ही ले ली "

निम्मी को छेद मे जलन शुरू हो गयी ..अब किया हुआ नाटक ख़तम हो कर सब रियल मे बदल गया

" आइ'म सॉरी बेटा ..इस वक़्त तेरी मा को यहाँ होना चाहिए था "

दीप ने अपने बाप रूपी दिमाग़ से सोच कर कहा ..वो मैने अपनी आँखें बंद रखी थी ..तभी ये ग़लती हो गयी ..दीप की बात से उसकी केर सॉफ झलक रही थी

" मोम होती तो वो जान कर ऐसा करती और शायद आप ने भी वही किया ..डॅड मुझे जलन हो रही है "

ये कह कर निम्मी रुआसी हो गयी ..वाकाई मे जब मूव बॉडी के किसी एक्सटर्नल पार्ट पर लगती है तभी जलन का अनुमान हो जाता है और यहाँ तो बात शरीर के इतने सेन्सिटिव अंग की थी ..जल्दबाज़ी मे दीप ने मूव को मला भी नही था अपने हाथो पर ..उसने सोचा था कि डाइरेक्ट उंगली से चूतडो पर मूव लगा कर मालिश करेगा

" ऐसा नही है निम्मी ..मैं तुझे दुख नही दे सकता ..बच्चो मे सबसे ज़्यादा मुझे तुझसे प्यार है "

दीप ने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा

" प्यार माइ फुट डॅड ..ऊईए मा ..कितना स्ट्रेंज सा लग रहा है "

निम्मी ने करवट ले कर खुद के पेन को और ज़्यादा बढ़ाया था ..अगर वो अपने आस होल के क्रॅक्स को नही जोड़ती तो शायद उसे इतनी जलन महसूस नही होती ..ऊपर से वो मटक भी तो नागिन की तरह रही थी ..बूब्स पर से ब्रा पूरी तरह अलग थी और उसकी हर थिरकन से चूचियाँ इधर - उधर डोले जा रही थी

" दिखा मुझे "

जो काम दीप की ग़लती से बिगड़ा था उसे ठीक करने के लिए उसने निम्मी को वापस उसी पोज़ीशन मे लाना चाहा जैसे वो पहले ओकडू बैठी थी ..शायद अब दीप के दिमाग़ मे छुपा शैतान ख़तम होने की कगार पर था

" नो वे डॅड ..आप जाओ ..हर बार की तरह इस बार भी मैं दर्द बर्दास्त कर लूँगी ..मुझे कुछ नही दिखाना "

निम्मी ने उसकी पकड़ से छूट ते हुए कहा तो दीप को और भी ज़्यादा अफ़सोस हुआ

" बेटा अगर दिखाएगी नही तो इलाज कैसे होगा ..मैं प्रॉमिस करता हूँ तेरा दर्द कम कर दूँगा "

दीप ने इस बार अपने दोनो हाथो के ज़ोर से उसे पेट के बल लिटाया और उसे अपनी तरफ खीचना शुरू किया ..निम्मी के पास भी इस वक़्त हालात से समझोता करने के अलावा और कोई चारा नही बचा था ..एक सोचा - समझा मज़ाक ऐसा दर्दनाक मोड़ ले लेगा उसने कल्पना भी नही की थी ..बस दीप को थोड़ा सा परेशान कर वो अपने कमरे से रुखसत कर देती ..लेकिन बात कहाँ तक पहुच गयी

" ऊपर तो उठा इसे "

जब निम्मी के चूतर उसकी सीध मे आ गये तब दीप ने उन्हे हाथ से थप थपा ऊपर उठाने को कहा ..निम्मी ने पहली बार किसी अग्याकारी बच्चा होने का सबूत दिया और अब उसकी गान्ड ठीक डॅड के चेहरे के सामने थी ..दीप ने एक लंबी साँस ली और अपनी नज़रें उसके दरार बंद चूतडो से जोड़ दी

" डॅड जो भी करो जल्दी करना ..मुझे सच मे बहुत पेन है "

निम्मी की बात पूरी भी नही हो पाई कि दीप की पॉकेट मे रखा सेल बजने लगा ..उसने सोचा तो था कि मोबाइल जेब से बाहर ना निकाले पर निम्मी ने अपनी गर्दन पीछे मोड़ कर उसे इशारे से कॉल पिक करने को कहा ..वो चाहती थी कि इस कॉल के बाद अगली सारी रुकावट ख़तम हो जाएँ और उसे अपने दर्द से जल्दी निजात मिल सके ..दीप ने जल्दी से सेल बाहर निकाला तो कॉल जीत का था ....

" हेलो जीत "

दीप ने कॉल पिक किया

" दीप तेरे लिए एक खुश - खबरी है "

जीत ने हंसते हुए जवाब दिया

" खुश - खबरी ? "

दीप पहले तो हैरान हुआ पर तुरंत ही उसे याद आया कि उसने जीत से उसकी सेक्रेटरी को चुदवाने के लिए राज़ी करने की बात कही थी

" हां साले ..खेर तू कर क्या रहा है अभी ? "

जीत ने उसका सवालिया जवाब सुन पूछा

" कुछ नही एक ज़रूरी मीटिंग मे बिज़ी हूँ ..हम 1 घंटे से बात करें "

दीप उसकी बात को सुन ना तो चाहता था पर उसकी नज़र निम्मी के दरार बंद चूतडो से हट कर उसके चेहरे पर पड़ी जिसमे उसकी बेटी मदद की गुहार लगाती दिखाई दी ..ये सोच कर दीप ने जल्दी कॉल को डिसकनेक्ट करने का मन बनाया

" तू और तेरी मीटिंग ..झूठे ज़रूर किसी चूत को चोदने मे लगा होगा ..खेर कैसी चूत है उसकी ..कभी मुझे भी शामिल कर भाई ..मिल कर चोदेन्गे "

जीत की इस बात ने दीप के अंदर छुपे शैतान को जगाने का काम किया और उसका फ्री हाथ अपने आप निम्मी के एक चूतड़ को मसल्ने के लिए बढ़ गया

" खेर जो भी होगा बता दूँगा ..अभी रख और समझ मेरी बात को ..मैं तुझे 1 घंटे से कॉल करता हूँ "

दीप ने थोड़ी ताक़त से निम्मी का चूतड़ मसला तो उसकी बेटी की दर्द और मज़े से भरी आह जीत के कानो मे भी जा पहुचि

" हा हा हा हा लगा रह ..छोड़ना नही भाई ..रगड़ कर चोदना रांड़ को ..चल मे रखता हूँ "

जीत ने इतना बोल कर हस्ते हुए कर कॉल काट दिया

दीप पर उसकी बातों का इतना गहरा असर पड़ा कि सामने उकड़ू बैठी निम्मी मे उसे रंडी की छवि दिखाई देने लगी

" डॅड अगर बात हो गयी हो तो कुछ करो ..आइ कान'त कंट्रोल अनीमोर "

निम्मी ने उसे नींद से जगाया और दीप अपनी सोच की कयास को पूरा करने मे जुट गया

" निम्मी पहली बात तो जो इस बंद कमरे मे हो रहा है प्रॉमिस मी ..बात सिर्फ़ हम दोनो तक ही रहेगी "

दीप ने सेफ हॅंड खेला

" शुवर डॅड ..प्रॉमिस किया "

निम्मी ने उसकी बात को रज़ामंदी दी और अगले ही पल दीप का दूसरा हाथ भी उसकी गान्ड को सहलाने मे लग गया

" बेटा इस कॅप्री तो थोड़ा और नीचे खीचना होगा "

दीप ने गांद की लकीर पर अपनी उंगली फेर कर कहा

" नीचे क्यों डॅड ? "

निम्मी ने शरम से बहाल होते हुए पूछा अगर कॅप्री और नीचे सरकती तो गांद के छेद के साथ उसकी अन्छुइ कुँवारी चूत भी दीप को दिखाई देती

" मैं जैसा कहता हूँ कर ..तुझे रिलॅक्स फील होगा बेटा "

दीप ने उसकी हां सुन ने से पहले ही अपने हाथ से कॅप्री को काफ़ी नीचे खीच दिया ..निम्मी ने पूरी ताक़ात लगा कर अपनी गान्ड को सिकोडा ताकि दरार ना खुल पाए और दीप चूतड़ो के कड़क पन से उसकी इस हरकत को ताड़ गया

" बेटा इन्हे ढीला छोड़ और पूरी तरह रिलॅक्स हो जा "

उसने हाथ के प्रेशर से चुतडो के पट को खोलते हुए कहा

" डॅड मुझे शरम आ रही है "

निम्मी ने और ज़ोर लगा कर उसके हाथो को ऐसा करने से रोकने की कोशिश की

" डॅड से कैसी शरम बेटा ..वैसे मैं जानता हूँ ये ग़लत है लेकिन मान मैं एक डॉक्टर हूँ और तू मेरी पेशेंट है ..तेरे इलाज के लिए ही मैं ऐसा कर रहा हूँ "

दीप ने उसे समझाया और निम्मी ने अपने पिछवाड़े को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया ..और अलगे ही पल एक बाप की आँखों के सामने खुद की बेटी का सुर्ख भूरा गांद का छेद और कुँवारी बिना झाटों की फूली चूत थी ..कॅप्री काफ़ी नीचे थी जिस से ये सीन और भी ज़्यादा कातिलाना था

" अब मैं तेरे दर्द का इलाज करता हूँ "

दीप ने उसे हल्का सा करवट दिलवाया और खुद का कंट्रोल खोते हुए बहुत सारा थूक गांद के छेद मे उडेल दिया ..इस ठंडे एहसास से निम्मी की जान ही निकल गयी ..वो खुद को संभाल पाती की इस से पहले ही दीप ने अपने होंठ छेद पर रखे और इतनी तेज़ी से थूक को सांसो से ज़रिए मूँह के अंदर खीचा कि निम्मी तड़प उठी ..उसे लगा कि जैसे उसकी आत्मा गान्ड के छेद से बाहर निकल जाएगी ..वो ज़ोर दे कर अपने आप को दीप की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगी ..उसकी सिसकारियो से पूरा कमरा गूँझ रहा था ..पर दीप ने उसे कोई चान्स ना देते हुए अपनी जीब बाहर निकाल कर कुत्ते की तरह उस मुलायम छेद को चाटने लगा ..ना चाहते हुए भी निम्मी ने अपने हाथ से चूतडो की दरार को इतनी ताक़त से अलग किया कि उसे अपनी जाँघो मे फसि केप्री से दर्द महसूस होने लगा

" डॅड कॅप्री मेरी जाँघो मे फसि है ..मुझसे इस पोजीसन मे रहा नही जाएगा "

निम्मी ने अपना चेहरा पीछे घुमाया तो देखा दीप फटी आँखों से उसके यौवन को निहार रहा था ..तो क्या ये सिर्फ़ उसकी सोच थी कि डॅड उसके आस होल को बेरहमी से चाटे जा रहे थे ..सपने से बाहर निकल उसे अपने दर्द के ऊपर मदहोशी छाने लगी और लगा जैसे उसकी चूत बहने को तैयार हो

" तो कॅप्री उतार ले बेटा ..ला मैं मदद करता हूँ "

दीप के तो मन की मुरादें पूरी हो रही थीं ..जीत ने उसे जिस खुश - खबरी से रूबरू करना चाहा उससे दीप ने अनुमान लगा लिया था कि दोस्त ने दोस्ती निभाते हुए उस लड़की को चुदवाने के राज़ी कर लिया है और इस बात का असर ये हुआ कि निम्मी मे उसे इस वक़्त उसे वही लड़की दिखाई दी जिसने आज सुबह ही उसका का माल चखा था ..दीप ने आगे हाथ ले जा कर कॅप्री के सारे बटन अनलॉक किए और धीरे - धीरे कॅप्री को उसकी टाँगो के बाहर का रास्ता दिखा दिया ..अब निम्मी के जिस्म पर सिर्फ़ एक छोटी सी पैंटी रह गयी जो उसकी पुसी एरिया से नीचे थी और थ्रेड वाली ब्रा जिसके कप से बूब्स बाहर को लटके थे

" डॅड यहाँ जलन है "

निम्मी को अब दर्द तो नही था पर गान्ड के छेद मे उठ रही जलन उसे काफ़ी मीठा - मीठा एहसास करवा ने लगी और रही - सही कसर उसके सपने ने पूरी कर दी थी ..उसने सोचा जब दीप ने इतना सब देख ही लिया है तो क्यों ना अपने सपने को सच किया जाए ..ऐसा मन मे विचार कर उसने दीप का हाथ पकड़ा और उसकी उंगली को अपने मुलायम छेद से चिपका दिया ..दीप को ऐसा अनुमान कताई नही था और वो खुमारी के चलते उसी हाथ की दूसरी उंगली से अपनी बेटी की कुवारि चूत का ऊपरी हिस्सा खुजलाने लगा

" क्या यही दर्द है बेटा ? "

दीप ने अपनी उंगली को छेद पर घुमाव देते हुए कहा ..उसने छेद पर हल्का सा दवाव भी बना रखा था

" अहह........ यस डॅड "

निम्मी ने मादक सिसकी लेकर कहा

" तो एक काम कर ये पैंटी भी उतार दे ..इलाज करने मे मुझे आसानी रहेगी "

दीप ने बड़ी चालाकी से उसकी थ्रेड ब्रा की ढीली नाट को खोला और अलगे ही पल ब्रा बेड पर पड़ी थी ..हालाकी निम्मी को उसकी उंगलियों का स्पर्श अपनी पीठ पर हुआ ..लेकिन जो दीप कर रहा था कहीं ना कहीं वो भी तो यही चाहती थी

" ओके डॉक्टर "

निम्मी ने मुस्कुरा कर सिर्फ़ इतना कहा और बड़ी कातिल अदा के साथ अपनी पैंटी को टाँगो के बाहर कर दिया ..अब निम्मी पूरी तरह से नंगी थी

" बेटा थोड़ा क्रॅक्स तो फैलाना ..तब तक मैं सोचता हूँ आगे का इलाज कैसे करना है "

निम्मी ने उसकी बात को मानते हुए अपने दोनो हाथो से चूतडो की दरार को चौड़ा लिया ..नज़ारा ऐसा था कि दीप का हाथ खुद - ब - खुद पॅंट के ऊपर से अपना लंड सहलाने मे बिज़ी हो गया

" डॅड इस से ज़्यादा नही खोल सकती "

निम्मी ने फिर से अपना चेहरा पीछे घुमा कर कहा ..दीप को अपना लंड सहलाते देख उसकी चूत से रस की पहली धार बह निकली ..वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी


निम्मी ने फिर से अपना चेहरा पीछे घुमा कर कहा ..दीप को अपना लंड सहलाते देख उसकी चूत से रस की पहली धार बह निकली ..वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी

" नही इतना काफ़ी है "

दीप उसकी आवाज़ सुन होश मे आया और हाथ को तुरंत ही अपने लंड से हटा लिया

" बेटा बुरा ना माने तो एक बात कहूँ ? "

दीप ने उससे सवाल किया

" यस डॅड बोलिए ..आप की बात का बुरा कभी नही मानुगी "

निम्मी ने उसे प्यार से जवाब दिया

" तेरा फिगर बहुत अच्छा है निम्मी "

दीप ने उसकी चूत को बहता देख उसके गरम होने को कन्फर्म किया और शायद अब वो निम्मी को बातों मे भी पूरी तरह खोलना चाहता था ..ताकि तन के साथ मन से भी वो उसका साथ दे

" डॅड ऐसी बात मत करिए मुझे कुछ - कुछ होता है "

निम्मी ने शरमाने का नाटक किया ..मज़े से वो बहाल थी

" क्या कुछ - कुछ होता है बेटा ..अपने डॅड को नही बताएगी "

दीप ने उसे टटोलते हुए कहा और अपना चेहरा झुका कर चूत के ठीक ऊपर एक गहरी चुम्मि जड़ दी ..लगभग 10 सेक तक पूरी ताक़त लगा कर दीप ने उसकी जवानी को अपने अंदर खीच उसे तडपाया ..चूत के रस से उठती मादक खुश्बू से वो वाकिफ़ था

" उफफफफ्फ़ डॅड ..अगर ऐसा करोगे तो जाओ नही बताती ..मुझे शरम आती है "

निम्मी ने अपना चेहरा बेड पर बिछि शीट मे छुपा कर कहा लेकिन जब तक दीप चूत को अपनी जीब से चाट कर उसके रस की पहली धार निगल चुका था

" शरम की कोई बात नही बेटा ..जानता हूँ तू बिल्कुल नंगी अपने डॅड के सामने बैठी है ..पर कभी - कभी हालात ऐसे हो जाते हैं जब सारे रिश्तो को भूल जाना ही ठीक रहता है "

दीप के मूँह से ऐसी बातें सुन निम्मी ताड़ गयी कि अगर अब इस नाटक को यहीं ख़तम नही किया तो उसका अपने डॅड से चुदना तय है और तो और दीप ने अब तक उसके अन्छुए छेदो से छेड़खानी भी शुरू कर दी थी

" छ्हीईइ डॅड कितनी गंदी जगह चाट रहे हो और आप की बात का मतलब क्या है ? "

निम्मी ने गंदा सा मूँह बना कर उससे सवाल किया ..अपनी चूत का चाटा जाना उसे एक अलग ही मज़ा दे रहा था लेकिन बात इससे आगे ही बढ़ती जिसे रोकना भी ज़रूरी था

" मतलब ये कि इस दुनिया मे भले ही इंसान किसी भी रिश्ते से जुड़ा हो ..पर कुछ शारीरिक ज़रूरतें ऐसी होती हैं जो उन रिश्तो से परे हैं ..सॉफ शब्दो मे कहो तो चूत - चूत होती है चाहे अपनी बेटी की हो या किसी पराई औरत की ..रही बात चाटने की तो मेरी बेटी के बदन मे कुछ भी गंदा नही ..मैं अभी इस गांद के छेद को चाट कर तेरा सारा दर्द मिटा दूँगा "

दीप इस बार चूत की जड़ से जीभ फेरते हुए गांद के छेद तक पहुचा

एक पल उसकी खूबसूरती को निहारा और अगले ही पल उस छेद मे अपनी जीब को अंदर तक डाल कर चूसने लगा ..निम्मी इस सुखद छेड़ - छाड़ से लगभग पागल सी हो गयी ..दीप के मूँह से डाइरेक्ट चूत और गान्ड शब्द का इस्तेमाल होता देख उसे ना चाहते हुए भी अपने नाटक का दा एंड करना पड़ा

" डॅड शायद अब मुझे दर्द से राहत मिल गयी है मैं कपड़े पहेन लेती हूँ "

निम्मी ये बोल कर उसकी पकड़ से आज़ाद हुई और बेड से नीचे ज़मीन पर उतरने लगी ..दीप के लिए तो ये खड़े लंड पर धोखा था ..वो सोच नही सकता था कि निम्मी इस कदर अपनी उत्तेजना को शांत कर लेगी

" बेटा दर्द का इलाज होना ज़रूरी है ..वरना फ्यूचर मे दिक्कत हो सकती है "

दीप ने उसे बेड से उतरने से रोका पर निम्मी जब तक ज़मीन पर खड़ी हो चुकी थी

" डॅड अगर कभी दर्द होगा तो मैं आप को बता दूँगी "

निम्मी वॉर्डरोब की तरफ जाती हुई बोली ..उसके बड़े - बड़े तने बूब्स और उभरी गान्ड देख दीप का मन नही माना ..उसने देखा वो वॉर्डरोब से अपने कपड़े बाहर निकाल रही है ..प्लान चौपट होता समझ दीप भी बेड से नीचे उतर कर उसके करीब जा पहुचा

" निम्मी सुन मेरी बात ..मैं तेरा हर दर्द पूरी तरह से ख़तम कर दूँगा ..बिलीव मी बेटा मैं तेरा भला ही चाहता हूँ ..चल वापस बेड पर चलते हैं "

दीप ने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ पलटाया और अगले ही पल निम्मी की आँखें उसके तने लंड से जा चिपकी ..पॅंट के ऊपर का फुलाव देख वो दीप से दो कदम पीछे हट गयी

" डॅड ये क्या है ? "

निम्मी ने एक हाथ अपने खुले मूँह पर रखा और दूसरे से उसके लंड की तरफ इशारा कर पूछा ..दीप ने उसकी बात समझ तुरंत ही लंड को अपने हाथो से कवर किया लेकिन तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी

" वो ..वो ..बेटा वो "

दीप की तो घिघी बंद गयी ..अगर बेड पर सिड्यूसिशन की हालत मे निम्मी ने ये सवाल किया होता तो दीप बात को संभाल सकता था ..लेकिन अब उसकी बेटी एक दम नॉर्मल दिख रही थी ..उसने ने अपनी गर्दन को नीचे झुका लिया

" वो क्या दद ..सॉफ - सॉफ बताओ मुझे "

निम्मी ने उसे मायूस होता देख अपना दवाब बनाया

" न ..न ..निम्मी वो मैं उत्तेजित हो गया था तो कंट्रोल नही कर पाया "

दीप के मूँह से सच सुन एक पल तो निम्मी के चेहरे पर मुस्कान आई पर अगले ही पल वो किसी सोच मे डूब गयी

" उत्तेजित ..यानी अब तक आप इलाज का बहाना कर मेरी न्यूड बॉडी के मज़े ले रहे थे "

निम्मी ने अपना दूसरा प्लान स्टार्ट किया और उसकी बात सुन दीप की आँखों के आगे अंधेरा छा गया ..निम्मी ने उसकी चोरी पकड़ ली थी

" ओह माइ गॉड डॅड ..मैं कितनी बेवकूफ़ हूँ जो मैने आप की बात मान कर अपने कपड़े उतारे और तो और आप कितनी घिनोनी बातें मेरे सामने कर रहे थे ..पुसी - पुसी होती है चाहे बेटी की हो या किसी दूसरी औरत की ..सीधा - सीधा क्यों नही कहते डॅड ' यू वॉंट टू फक मी ' "

ये बोल कर निम्मी रोने का नाटक करते हुए वॉर्डरोब से सॅट कर ज़मीन पर बैठ गयी ..उसने जान कर अपनी टाँगो की जड़ को पूरा खोल रखा था ..ताकि अभी दीप को और परेशान कर सके

" बेटी "

दीप ने उसे आवाज़ दी

" मत कहो मुझे बेटी डॅड ..आप ने वो हक़ खो दिया है ..मैने इस घर मे सबसे ज़्यादा आप को प्यार किया पर आप की नीयत मे खोट है ..आओ कर लो अपनी हवस पूरी दर्द से बिलखती इस बेटी के साथ ..कम ऑन डॅड फक मी आंड बिकम आ रियल डॉटर फकर "

निम्मी ने रोते हुए अपना चेहरा नीचे झुका लिया ..अब दूसरा प्लान यहीं ख़तम कर वो चुप हो गयी

" आइ'म सॉरी बेटा मुझे माफ़ कर देना "

फर्श पर गिरते आँसू देख कर निम्मी को दीप के रोने का पता चला ..वो अपनी नज़रें ऊपर उठाती इस से पहले ही दीप पलट कर कमरे के गेट पर पहुच गया

" गेट लॉक कर लेना "

दीप ने एक लास्ट बार निम्मी के चेहरे को देखा और अपने आँसू पोंछ कर कमरे से बाहर निकल गया

" लो हो गया बँटा धार "

दीप के कमरे से बाहर जाते ही निम्मी ने अपना माथा ठोक कर कहा

" मैने सोचा नही था डॅड रो देंगे ..शायद कुछ ज़्यादा ड्रामा हो गया ..कोई बात नही कम से कम फ्यूचर के लिए तो डॅड मेरे काबू मे आ ही गये ..अब बारी है उस बस्टर्ड निकुंज की ..जिसका गेम ओवर मैं कल से करूँगी "

इतना सोच कर निम्मी के चेहरे पर एक चिर परिचित हसी लौट आई और वो गेट लॉक करने चल दी ....
wow very erotic post
 
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नीचे हॉल मे जाने से पहले दीप 1स्ट फ्लोर पर बने गेस्ट रूम मे एंटर हुआ और वॉश बेसिन के टॅप से अपना चेहरा धोने लगा ..चेहरा धो कर उसने पास के हॅंगर पर टँगे टवल से उसे पोन्छा और तभी उसकी नज़र सामने लगे शीशे से जा टकराई ..शीशे मे खुद का अक्स देख कर उसे अपने चेहरे से नफ़रत सी हो गयी ..एक भूका भेड़िया बन कर थोड़ी देर पहले वो अपनी सबसे प्यारी बेटी के जिस्म से खेल रहा था ..वो बेचारी दर्द से तड़प रही थी और उसका बाप हवस से अँधा हो कर उसे चूसे जा रहा था ..कितना बदल गया था आज दीप ..उसने एक पल भी खुद को इस बात के लिए नही धिक्कारा जब उसके हाथ अपनी ही बेटी के ढके जिस्म को बेपर्दा करने मे लगे थे ..वो कराह रही थी और उसका बाप उसके नाज़ुक अंगो को मस्ती से चाट रहा था ..अपनी कितनी घिनोनी सोच भी बेटी को ज़ाहिर कर दी कि चूत चाहे घर की हो या बाहर की अंतर कुछ भी नही ..जिसकी वजह से निम्मी इस दुनिया मे आई आज उसे ही चोदने निकल पड़ा था उसका बाप

" छ्हीईई लानत है तुझे और तेरी सोच को ..जा मर जा चुल्लू भर पानी मे डूब के "

दीप ने सारी बातें सोच कर खुद को कोसा और तेज़ कदमो से सीढ़िया उतरता हुआ घर के बाहर जाने लगा

हॉल मे अभी भी वो तीन शक्स मौजूद थे जिन्हे थोड़ी देर पहले दीप ने ये बोल कर रोका था कि वो अपनी बेटी से बात करने जा रहा है और उसे इस दौरान किसी भी तरह का कोई डिस्टर्बेन्स नही चाहिए

" कहाँ जा रहे हैं ..चाइ तो पीते जाइए "

कम्मो ने उसे मैन गेट पर रोकते हुए कहा

" एक ज़रूरी काम है ..रात मे लेट हो जाउन्गा "

दीप ने बिना उसकी शकल देखे जवाब दिया और मेन गेट के पार निकल गया ..घर के बाहर खड़ी कार के पहियो ने रफ़्तार पकड़ी लेकिन उनकी मंज़िल का मुकाम तो शायद उन्हे घुमाने वाले मालिक को भी नही पता था

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रात के 11 बज चुके थे पर दीप अब तक घर नही लौटा ..वैसे ये कोई नयी बात नही वो हमेशा 1 के बाद ही वापस आता था लेकिन जिस हाल मे वो आज घर से बाहर गया कम्मो सोच - सोच कर घबराए जा रही थी ..घर की दोनो बेटियाँ अपने कमरो मे और निकुंज हॉल मे बैठा लॅपटॉप पर कुछ काम मे बिज़ी था

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सेल बजने की आवाज़ से दीप की नींद मे खलल पड़ा ..वो इस वक़्त अपने ऑफीस के बेड रूम मे सो रहा था

" हेलो "

उसने नींद मे ही कॉल पिक किया

" जनाब चुदाई से निपटे या अभी भी व्यस्त हो "

लाइन की दूसरी तरफ जीत था

" नही यार थोड़ा आराम कर रहा था "

दीप ने अपनी बंद आँखो को खोल कर जवाब दिया ..सामने की दीवार घड़ी मे 11:30 बज रहे थे

" अभी से नींद आ गयी ..खेर तूने कॉल नही किया ..लगता है खुश - खबरी मे तुझे कोई इंटेरेस्ट नही "

खुश - खबरी शब्द कान मे पड़ते ही दीप की बची नींद भी हवा हो गयी और वो उठ कर बेड पर बैठ गया

" ऐसी बात नही है भाई ..वो थोड़ा आँख लग गयी थी ..सुना क्या सर्प्राइज़ है ? "

दीप ने उसे रिप्लाइ किया

" सुन अगर मैं कहूँ कि हमारी इस दोस्ती को रिश्तेदारी मे बदलना चाहता हूँ तो कैसे रहेगा ? "

जीत ने उससे सवाल किया

दीप :- " रिश्तेदारी !!! "

जीत :- " हां यार "

दीप :- " यू मीन निकुंज और तनवी ? "

" बिल्कुल ..खेर ये तो मेरी सोच है बाकी तुझे जैसा ठीक लगे "

जीत की बात से दीप बहुत खुश हुआ

" यार मुझे तो कोई ऑब्जेक्षन नही ..बल्कि ये तो हमारी ख़ुशनसीबी होगी अगर तनवी मेरे घर की बहू बने ..बस एक बार निकुंज से पूछ लूँ फिर कोई स्पस्ट जवाब दे पाउन्गा "

दीप ने उसे अपनी रज़ामंदी दे कर कहा

" हां ये बिल्कुल सही रहेगा ..बच्चो की हां से ही कुछ बात बन पाएगी "

जीत को भी दीप की बात सही लगी

दीप :- " तनवी की क्या मर्ज़ी है ? "

जीत :- " अभी पूछ लेता हूँ ..तू एक काम कर निकुंज का कोई फोटो मुझे MMएस कर दे ..मैं तुझे तनवी का करता हूँ "

दीप :- " भाई फोटो तो अभी नही है ..मैं घर से थोड़ा दूर हूँ "

जीत :- " तो फिर नींद कहाँ पूरी कर रहा है ? "

दीप :- " ऑफीस मे हूँ "

जीत :- " चल ठीक है कल सुबह कर देना ..पर मैं अभी कर देता हूँ "

दीप :- " ओके ..मैं कल निकुंज का जवाब भी दे दूँगा "

जीत :- " गुड नाइट "

दीप :- " बाइ "

दीप ने ये बोल कर कॉल डिसकनेक्ट कर दिया ..कुछ ही मिनट बाद उसके सेल पर एक MMएस आया ..दीप ने फाइल को ओपन किया ..धीरे - धीरे एक लड़की का धुँधला चेहरा मोबाइल की स्क्रीन पर क्लियर होने लगा ..जब फोटो फुल क्लियर हुई तो उसे देखते ही सेल दीप के हाथ से छूट कर बेड पर गिर पड़ा ..उसने काँपते हाथो से मोबाइल को वापस ऊपर उठाया और झटके से फिर छोड़ दिया

" जिसने आज सुबह मेरा लंड चूसा और जिसको चोदने के लिए मैने जीत से मदद माँगी वो कोई और नही जीत की अपनी बेटी तनवी ही थी "

दीप को फिर कोई होश ना रहा शायद आज लगे दोनो झटके उसे गहरी नीद मे ले जाने के लिए काफ़ी थे

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वहीं दूसरी तरफ जीत के घर मे बाप और बेटी पूरी तरह से नंगे बेड पर लेटे थे

" क्या डॅड ..मेरा फोटो म्‍मस कर आपने मेरे आशिक का लंड फिर से खड़ा कर दिया होगा "

तनवी ने जीत के निपल को अपनी जीभ से कुरेद कर कहा

" नही मेरी जान ..जब उसे पता चला होगा कि तू मेरी बेटी है तो उसकी गांद फट गयी होगी ..साला दिन मे मुझसे कह रहा था कि तुझे चोदने मे मैं उसकी मदद करूँ "

जीत ने प्यार से तनवी के बालो मे अपना हाथ घुमाते हुए कहा

" हां और मैने आपके कॅबिन मे अंकल का लंड भी तो चूसा था ..हे हे हे हे ..वाकई उन्हे झटका लगा होगा "

तनवी चाट ते हुए उसके पेट तक पहुच चुकी थी

" लगता है मेरी बेटी को मेरे दोस्त का लंड काफ़ी पसंद आया जो अब उसके घर बहू बन कर जाना चाहती है "

जीत ने अपना लंड सहला कर कहा जिस से तनवी के मूँह की दूरी मात्र इंचो मे थी

" बिल्कुल डॅड ..अंकल का लंड बहुत बड़ा है ..चुसते हुए मेरे गले से नीचे उतर गया था फिर भी मैने हिम्मत नही हारी और उन्हे पूरा प्लेजर दिया ..वैसे भी आप को तो पता है कि मुझे मिचयोर्ड मॅन कितने पसंद है "

तनवी ने अपने गीले नरम होंठो से लंड का सुपाड़ा चूम कर कहा

" अहह....... मैं ये भी जानता हूँ कि तुझे जितना मज़ा लंड चूसने मे आता है उतना किसी और चीज़ मे नही ..पता नही दीप के घर का क्या हाल करेगी "

जीत तनवी के चूतडो को अपनी तरफ खीचते हुए बोला

" डॅड मुझे मर्द का वीर्य पीना भी अच्छा लगता है ..अब आप खुद को ही देख लो ..जब तक दिन मे 4 - 5 बार मेरे मूँह मे वीर्य नही डालते आप को खुद चैन नही आता "

जीत के इशारे को समझ कर तनवी 69 की पोज़िशन मे आ गयी

" तेरे मूँह मे जादू है बेटी "

इतना कह कर जीत ने उसकी रस छोड़ती चूत को जी भर के सूँघा और अपनी जीब से चाटने लगा

" उफफफफफफ्फ़...... डॅड ज़ोर से ..खा जाओ इसे "

वहाँ जीत ने जीब चूत पर मचलाई और यहाँ तनवी ने उसके लंड को चूसना शुरू कर दिया

[ भले ही ये बाप - बेटी अभी नंगे लिपटे पड़े हों पर सच तो ये है कि तनवी पूरी तरह से वर्जिन थी ..जीत की पत्नी के मरने के बाद वो दूसरी शादी कर सकता था लेकिन तनवी की खातिर उसने खुद की शारीरिक भूख से समझोता कर लिया ..तो इस ग़लत रिश्ते की शुरूवात कैसे हुई ये जान लेना भी बेहद ज़रूरी है ]

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रश्मि रॉय :- जीत की पत्नी और तनवी की मा

शादी के बाद जीत अपनी बीवी के साथ यूएसए चला गया ..वहाँ पर उसने जी भर के पैसा कमाया ..पर जो ख़ास बात उसमे शुरू से रही वो थी रश्मि के लिए उसका बेशुमार प्यार और जिस के चलते उसने जीते जी रश्मि को कोई दुख नही दिया ..भले ही शादी से पहले उसने इंडिया मे रह कर अपने बचपन के दोस्त दीप के साथ कयि जनाना जिस्म नोचे होंगे लेकिन रश्मि से शादी होने के बाद तो जैसे वो बिल्कुल पत्नी व्रता हो गया ..4 साल बाद तनवी का जनम हुआ और जीत - रश्मि का परिवार पूरा हो गया

15 साल तक दोनो मिया बीवी ने जम कर अपनी लाइफ को एंजाय किया ..फिर चाहे नॉर्मल लाइफ हो या सेक्स लाइफ ..जीत मर्द था तो पहल उसी की होती लेकिन एक बार शुरूवात होने के बाद रश्मि अपना वो रूप दिखाती जो शायद किसी बाज़ारू रंडी के भी बस के बाहर होता ..सेक्स के वक़्त वो इतना ज़ोरो से चिल्लाति थी कि घर के बाहर से गुज़रता हर इंसान उसकी सिसकियों से हैरान रह जाता

दोनो मिया बीवी ने कभी सेक्स को जल्दबाज़ी मे नही किया ..रात बीतने पर रश्मि उसे अपनी कातिल अदाओ से रिझाती ..धीरे - धीरे जीत उत्तेजित हो कर रश्मि को चूमता - चाट ता ..सहलाता ..गरम करता और जब चूत का लंड से असली मिलन होता तब दोनो इतने सिड्यूस्ड हो चुके होते कि झड़ने के बाद उन्हे अगले राउंड की कोई ज़रूरत ही नही पड़ती ..फुल सॅटिस्फॅक्षन उनके चेहरे को और भी ज़्यादा खुशनुमा बना देता

तनवी की उमर छोटी होने तक तो दोनो घर के किसी भी कोने या किसी भी वक़्त चुदाई कर पाते पर जैसे - जैसे उनकी बेटी का शारीरिक और मानसिक विकास हुआ ..उनके क्रिया कलापो मे अंतर आया ..फिर कुछ समाए पश्‍चात बात केवल रात पर पहुचि वो भी एक बंद कमरे मे ..आज़ादी के बन्दो को ऐसी सूं - चट चुदाई रास नही आई और सेक्स का खेल काफ़ी कम हो गया

एक बार जीत को किसी काम से जर्मनी जाना पर वो भी पूरे दो सालो के लिए ..उसने रस्मी और तनवी को अपने साथ ले जाने का फ़ैसला किया लेकिन रश्मि ने ये बोल कर उसे इनकार कर दिया कि तनवी की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ेगा क्यों की अब वो अपनी हाइयर स्टडीस की तरफ बढ़ रही है

रश्मि की बात को समझ जीत अकेला जर्मनी के लिए निकल पड़ा और यहाँ यूएसए मे केवल मा और बेटी रह गये ..एक रात तनवी के साथ उसकी क्लासमेट सिम्मी उनके घर आई और डिन्नर कर रात मे ग्रूप स्टडी का बोल कर दोनो तनवी के रूम मे चली गयी ..रश्मि ने उस रात घर का काम निपटाया और सोने के लिए अपने कमरे की तरफ जा ही रही थी कि उसे तनवी के रूम से कुछ सिसकियाँ और आहें बाहर आती सुनाई दी ..एक एक्सपीरियेन्स्ड औरत को समझते देर नही लगी की उसकी बेटी के बंद कमरे मे आख़िर चल क्या रहा है ..उसने ना चाहते हुए भी डोर के की होल से अंदर झाँका तो उसका शक यकीन मे बदल गया

दोनो लड़कियाँ आपस मे चिपकी एक दूसरे को बुरी तारह से चूम रही थी ..बेड के पास रखे लॅपटॉप पर एक लेज़्बीयन मूवी के चलते सीन को दोनो हक़ीक़त का रूप देने मे व्यस्त थी

इस बात से पूरी तरह अंजान कि कमरे के बाहर खड़ी तनवी की मा बड़े आश्चर्य से उनकी करतूत पर नागाह डाले हुए है ..

रश्मि ने देखा कि कुछ देर बाद दोनो ने अपने कपड़ो को उतार कर दूर फेक दिया ..अब तनवी सिम्मी की गोद मे नंगी बैठी थी और सिम्मी उसके बूब्स बड़ी बेरहमी से चूस रही थी

कुछ देर बाद नज़ारा तेज़ी से बदला और सिम्मी ने तनवी की चूत चाट कर उसे झड़ने पर मजबूर कर दिया एक हाथ से वो खुद की चूत भी मसल रही थी

दोनो कुवारि कन्याओं ने जी भर कर एक दूसरे की छेड़ - छाड़ का आनंद लिया और ये देख कर रश्मि बड़े भारी मन से अपने बेड - रूम मे एंटर हुई लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी ..विदेशी परिवेश का इतना गहरा असर तनवी पर पड़ेगा रश्मि ने इसकी कल्पना तक नही थी ..उसने तुरंत अपने पति को इस घटना से रूबरू करवाना चाहा लेकिन जीत का परेशान होना ध्यान मे आते ही उसने तनवी को इस तरह के अप्राक्रातिक संबंधो से बाहर लाने का विचार किया ..लेकिन कैसे बस वो इसी सोच मे डूबी थी

अब तनवी हर रात किसी नयी लड़की के साथ घर लौट ती और बेचारी रश्मि घुट - घुट कर अपने बेड - रूम मे रोती रहती ..इसका असर ये हुआ कि तनवी ने खुल कर घर मे नंगा नाच मचा दिया ..वो घर मे ना के बराबर कपड़े पहन्ति और अपनी मर्ज़ी के मुताबिक लड़कियों से यौन संबंध बनाती

एक दिन तनवी को पता चल गया कि उसकी मा छुप - छुप कर उसकी हरकतों को देखती है ..रश्मि की तरफ से कोई ऑब्जेक्षन ना होता जान तनवी की हिम्मत दुगनी हुई और वो पूरी तरह से लेज़्बीयन मे कॉनवर्ट हो गयी ..रह - रह कर होती घुटन से रश्मि ने बिस्तर पकड़ लिया और फिर वो कभी सही नही हो पाई

2 साल पूरे होने पर जीत यूएसए से घर लौटा ..वापस आते ही उसने रश्मि की हालत पर गौर किया लेकिन तब तक काफ़ी वक़्त बीत चुका था ..हर संभव इलाज करवाने पर भी जब रश्मि की मौत का दिन आया तब उसने जीत के सामने तनवी के लेज़्बीयन होने के राज़ को बे परदा किया और जीत से इस बात का वादा लिया कि वो तनवी को सुधार कर धूम - धाम से उसकी शादी करेगा ..ये आख़िरी शब्द थे जिन्हे बोलते हुए रश्मि ने सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर ली ....

रश्मि के गुज़र जाने से जीत की दुनिया तो जैसे बर्बाद ही हो गयी ..वो पूरे दिन शराब के नशे मे रहने लगा यहाँ तक कि तनवी के लिए उसके दिल मे अब सिर्फ़ नफ़रत ही बची थी

वहीं दूसरी तरफ अपनी मा से बिछड़ जाने का तनवी को अफ़सोस तो ज़रूर हुआ लेकिन उसे ये वहज कतई पता नही चल पाई कि आख़िर रश्मि की तबीयत अचानक से खराब क्यों रहने लगी थी ..वैसे भी रश्मि ने एक बार भी अपनी बेटी की निजी ज़िंदगी पर कोई ऑब्जेक्षन नही उठाया था ..अगर वो तनवी को प्यार से समझाती तो शायद उसकी बेटी अपनी नॉर्मल लाइफ मे दोबारा लौट सकती थी ..जीत अपना पूरा दिन घर से बाहर बिताता ..देर रात घर लौट ता तो भी तनवी की मनहूस शकल देखने का मन नही करता ..नशे से बनाया ताल्लुक उसका गम हल्का करने को काफ़ी था

एक दिन शाम को जीत नशे की हालत मे जल्दी घर आ गया ..उस वक़्त तनवी मार्केट गयी हुई थी ..जीत ने घर खाली देख अपनी जेब से बची शराब की बोतल को बाहर निकाला और हॉल मे ही पीने लगा ..30 मिनट बाद दूसरी की से मेन गेट अनलॉक कर तनवी हॉल मे एंटर हुई ..ये पहली मर्तबा हो रहा था कि वो अपने डॅड को लाइव पीते देख रही थी ..खेर तनवी के मन मे उसके के लिए कोई बदलाव नही था और ना ही इस बात का अंदाज़ा कि जीत उसे रश्मि का कातिल मानता है

लगभग 10 दिनो बाद दोनो एक दूसरे के सामने आए थे ..तनवी इस बात से खुश हो कर दौड़ती हुई जीत के करीब पहुचि और सोफे पर उसके बगल मे बैठ गयी ..अब मा के बाद वही उसकी लाइफ मे अहेम रोल रखने वाला था

" डॅड ये बोतल छोड़ो मैं कुछ खाने को ला देती हूँ "

तनवी ने बड़े प्यार से उसे समझाते हुए शराब का ग्लास छीन ने की कोशिश की ..जीत ने एक नज़र उसके मुस्कुराते चेहरे को घूर कर देखा और अगले ही पल वो ज़ोर से चिल्लाया

" दूर हो जा मेरी नज़रो के सामने से "

लाइफ मे पहली बार तनवी अपने डॅड से घबराई ..माना रश्मि के गुज़रने के बाद वो काफ़ी अकेला पन महसूस कर रहा था लेकिन इसका ये मतलब नही कि वो अपनी औलाद को ही भूल जाए

" डॅड आप ने बहुत पी ली है ..अब छोड़ो ग्लास को "

तनवी ने उसकी बात को अनसुना करते हुए ग्लास पर अपनी पकड़ मज़बूत कर दी

" देख तनवी मैं तुझे आख़िरी बार वॉर्न कर रहा हूँ ..मुझे अकेला छोड़ दे "

जीत ने उसे सोफे से धकेल कर कहा और नतीजा ये हुआ कि शराब का ग्लास ज़मीन पर गिर कर टूट गया

" मैने कहा ना जा यहाँ से "

ग्लास फूटने से जीत फिर चिल्लाया

" बस बहुत हुआ डॅड कब तक ऐसी नशे की ज़िंदगी से जुड़े रहेंगे ..मोम के जाने का दुख मुझे भी है लेकिन इसका मतलब ये नही कि मैं सारे काम काज छोड़ कर ..शराब पीती रहूं ..हटो मैं ये बॉटल रख के आती हूँ "

हलाकी ये बात तनवी ने गुस्से का नाटक करते हुए जीत से कही लेकिन उसकी बात सुन जीत अपने आपे से बाहर हो गया ..बाकी बचा काम शराब पूरा करने को काफ़ी थी

" चटाकककककककक.......... "

इस से पहले तनवी के हाथ टेबल पर रखी बॉटल को उठा पाते जीत ने पूरी ताक़त से उसके गाल पर थप्पड़ मार दिया ..थप्पड़ की गूँज पूरे हॉल मे सुनाई दी और तनवी सोफे से नीचे गिर पड़ी ..एक पल को तो जीत भी हैरान हुआ कि ये उसने क्या कर दिया लेकिन अगले ही पल उसे राशि की कही सारी बातें याद आने लगी

" साली कुतिया ..सिर्फ़ तेरी वजह से मेरी बीवी इस दुनियाँ से रुखसत हुई है और हिम्मत तो देखो मुझसे ज़ुबान लड़ाती है "

जीत ने तनवी को ज़मीन से ऊपर उठाने की कोई कोशिश नही की बल्कि ऊपर से एक लात और मारी लेकिन तनवी थोड़ा दूर खिसक कर उस चोट से बच गयी

" व्हाट ..यू मीन मैने मोम को मारा ? "

तनवी ने अपना चेहरा जीत की तरफ घुमाते हुए पूछा ..उसके गाल पर जीत की पाँचो उंगलियाँ उभर आई थी ..लेकिन अपने दर्द की परवाह ना करते हुए वो फिर से जीत के करीब आ गयी

" हां छिनाल तूने मारा मेरी रश्मि को ..बहुत शौक है ना तुझे लौन्डियो से चुदने का ..आज मैं तेरी सारी भूख शांत कर दूँगा "

ये बोल कर जीत ने तनवी के करीब आते ही अपने हाथ से उसकी मुलायम गर्दन को दबोचा और पूरी ताक़त लगा कर दबाने लगा ..इंसान से वहशी बन चुका वो दरिन्दा एक छोटी सी ग़लत फहमी के चलते अपनी फूल सी नाज़ुक बेटी को जान से मारने पर उतारू हो गया था

गला दबने से तनवी बुरी तरह से फड़फड़ाने लगी ..उसकी साँस पूरी बिल्कुल रुक गयी ..मरता क्या ना करता ..जब पुरज़ोर कोशिशों के बाद भी वो छूट नही पाई तो उसने ने अपना घुटना मोड़ कर जीत के टट्टो पर दे मारा ..हलाकी ये बस उसने जीत की पकड़ से आज़ाद होने के लिए किया था ..जीत के हाथ अपने आप उसके गले से हट गये ..वो ज़ोर से चीखा और सोफे पर गिर पड़ा

" तनवीीईईईई....... "

जीत के मूँह से निकली दर्द भरी चीख और हाथो से उसे अपना लंड मसल्ते देख तनवी होश मे आते ही फिर से उसके करीब आने की ग़लती कर बैठी

" डॅड आइ'म सॉरी ..मैने जान कर नही किया "

तनवी ने उसे तड़प्ते देख अपनी ग़लती के लिए माफी माँगते हुए कहा ..जीत की आँखें बंद थी और वो बहुत तेज़ी से साँसे ले रहा था ..उसके चेहरे पर आते दर्द के भाव देख तनवी का दिल पसीज गया और वो रोने लगी

" हाथ हटाओ डॅड ..मुझे देखना है कहीं ज़्यादा तो नही लगी "

तनवी ने बिना कुछ सोचे समझे जीत का हाथ उसके लंड से हटाया और अगले पल एक बेटी के हाथ मे अपने बाप का सोया हुया लंड था ..उसका हाथ अपने लंड पर पड़ने के बाद भी जीत ने कोई हरकत नही की ..शायद चोट के चलते उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था

" अहह....... "

लगातार निकलती दर्द भरी आहों का ये नतीजा हुआ कि तनवी ने उसके सर को सोफे पर टिका कर रिलॅक्स करवाया और अपने मन को मजबूत कर उसकी जीन्स खोलने लगी ..बेल्ट निकाल कर उसने ज़मीन पर फेका और बटन अनलॉक कर जीन्स के अंदर अपना हाथ डाल दिया ..जीत का सोया लंड अब डाइरेक्ट उसके हाथ की गिरफ़्त मे था ..लंड के सुपाडे पर तनवी की उंगलियों की खुरचन से जीत का होश लौटने लगा ..हलाकी तनवी ने ये सिर्फ़ अपने डॅड के प्रति प्यार की खातिर किया था लेकिन उसके कोमल हाथो के स्पर्श से लंड के खून मे उबाल आने लगा

" डॅड आर यू ओके ..ये जीन्स बहुत टाइट है इसे उतारना पड़ेगा "

तनवी ने अपने दूसरे हाथ से जीत का गाल थप - थपा कर कहा

" डॅड आप सुन रहे हो "

तनवी के इतना बोलते ही जीत ने अपनी आँखें खोली और बेटी का हाथ जीन्स के अंदर से लंड को मसलता पाया ..शराब ..बीवी की मौत ..और अब खड़े होते लंड से बढ़ती दिमागी हवस ..तीनो काफ़ी थे उसका कंट्रोल खोने के लिए

" साली अपने बाप को मारती है ..रुक बता ता हू तुझे दर्द क्या होता है "

जीत होश मे आ कर ऐसी बात करेगा तनवी को यकीन नही था ..उसने डर के मारे अपना हाथ जीन्स के बाहर खीच लिया ..कुछ देर पहले मिले मौके का फ़ायदा उठा कर वो अपने कमरे मे खुद को बंद कर सकती थी मगर किस्मत ..अब वो फिर से जीत की पकड़ मे थी

" डॅड लीव मी मैने जान कर नही किया ..लेट मी एक्सप्लेन डॅड "

तनवी की बात को अनसुना करते हुए जीत ने उसे अपने ऊपर खीचा और अगले ही पल वो जीत की जाँघो पर पेट के बल लेटी थी

" आज मैं तेरा वो हाल करूँगा कि तुझे खुद से नज़रत हो जाएगी "

बोलते देर नही हुई कि जीत ने उसके लोंग वाइट टॉप कम स्कर्ट को उसकी कमर के ऊपर चढ़ाया और नीली पैंटी को नीचे खीच कर उतारने लगा


क्रमशः................................................
wow nice incest..........................
 
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" डॅड छोड़ो मुझे ..मैं आपकी बेटी हूँ ..लीव मी डॅड "

तनवी ने रोते हुए उससे बचने की गुहार लगाई लेकिन जब तक जीत पैंटी को उतार कर दूर फेक चुका था ..बड़े - बड़े मखमली चूतडो से जीत की आँखें चमक उठी ..जो दर्द मिटाने के लिए तनवी ने उसके लंड को मसला था अब वो उसी लंड रूपी दिमाग़ से अपनी बेटी को देख रहा था

" चटाकककककक..... "

एक ज़ोर का थप्पड़ तनवी के गोरे चूतडो पर पड़ा

" आाआईयईई........ डॅड ..लीव मी "

तनवी ने अपने हाथ पीछे ले जाकर जीत के हाथ को रोकने की कोशिश की

" हाथ दूर कर वरना और ज़ोर से मारूँगा "

जीत ने उसका हाथ मरोड़ कर कहा पर तनवी ने छटपटाना बंद नही किया

" लगता है तू ऐसे नही मानेगी "

जीत ने उसे ज़मीन पर गिराते हुए कहा ..तनवी ने फ्लोर से उठने की कोशिश मे अपने हाथ से टेबल को पकड़ा और घुटनो के सहारे खुद को खड़ा करने लगी

" फॅट - फॅट ..फॅट - फॅट "

जीत ने फ्लोर पर पड़ी खुद की बेल्ट से उसके चूतडो पर वार करना चालू कर दिया ..तनवी की चीखों की परवाह ना करते हुए उसने पूरे चूतडो पर खून निकाल दिया

" बोल कमीनि अब मारेगी अपने बाप को "

जीत ने हैवानी की हर हद को पार करते हुए उसे जम कर पीटा

" आहह...... डॅड ..कभी नही करूँगी "

तनवी दर्द से बहाल हो कर ज़मीन पर लॉट लगाने लगी ..चुतडो के साथ अब जीत की आँखों ने अपनी बेटी की वर्जिन चूत को भी जी भर कर देखा ..बीवी की मौत का इससे अच्छा बदला वो कभी नही ले पाता ..तनवी मे उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ रश्मि के कातिल होने की छवि दिखाई दे रही थी

" चल अपना टॉप उतार और मुझे नंगा कर "

जीत ने हंसते हुए उसे ऑर्डर दिया ..तनवी की आँखों से निकलते आँसू और दर्द की चीखो से उसे असीम आनंद की प्राप्ति हुई

" डॅड ऐसा मत करो मैं आप की बेटी हूँ "

तनवी ने अपने हाथ जोड़ कर उससे रहम की भीख माँगी

" बेटी नही रखेल बोल ..आज मैं तुझे लंड की उपयोगिता से रूबरू कर्वाउन्गा ..तब जा कर तुझे पता चलेगा कि सिर्फ़ अपनी चूत चटवा लेने से लड़की औरत नही बनती ..चल फटाफट बिना किसी ऑब्जेक्षन के नंगी हो जा "

जीत ने बेल्ट को हवा मे घुमा कर बोला ..तनवी ने डर के मारे अपने टॉप को झट से उतार फेका ..वो समझ गयी कि आज जीत उसे कताई नही छोड़ेगा

" शब्बाश मेरी चुद्दो रानी ..अब जल्दी से मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर "

तनवी नंगी खड़ी हाथो से अपना यौवन छुपाये हुए रो रही थी ..उसकी हिम्मत नही हुई जीत को हाथ लगाने की

" चटाकककक..... "

बेल्ट के एक और प्रहार ने जीत का काम आसान कर दिया ..तनवी ने झट से उसकी टी-शर्ट को उतार कर फ्लोर पर गिरा दिया

" चल अब घुटनो पर बैठ कर मेरा जीन्स उतार "

जीत खुद उसके सर पर दवाब बनाते हुए उसे ज़मीन पर बिठाने लगा

" डॅड हम बातों से सारी ग़लत फहमियाँ दूर कर लेंगे ..लीव मी "

तनवी की बात सुन जीत ने उसके खुले बालो को पूरी ताक़त से खीचते हुए उसे लताड़ दिया

" ग़लत - फहमी ..चल वो सब बाद मे ..अभी मेरा जीन्स खोल "

ना चाहते हुए भी तनवी के हाथो ने जीन्स को ब्रीफ सहित नीचे खीच दिया लेकिन उसकी आँखें कतई उसके हाथो का साथ नही दे रही थी

" अपनी आँखें खोल तनवी "

जीत ने बाल की पकड़ से उसका चेहरा अपने खड़े लंड की तरफ़ खीच कर कहा

" आआईयईईई...... डॅड "

तनवी ने बालो के दर्द से मूँह तो खोला लेकिन उसकी आँखें अभी भी बंद थी

" तनवी ये लास्ट बार कह रहा हूँ अपनी आँखें खोल ले ..वरना तुझे इतना मारूँगा कि सदा के लिए तेरी आँखें बंद हो जाएँगी "

जीत ने अपनी पकड़ को बालो पर मजबूत करते हुए कहा ..मजबूरी मे तनवी को उसकी बात मान नी पड़ी और अगले ही पल जीत का खड़ा भयानक लंड उसके गाल पर थपकी दे रहा था

" कैसा लगा अपने बाप का लंड बेटी ? "

जीत ने हँसते हुए उससे पूछा मगर तनवी खामोश रही ..ये उसकी लाइफ का पहला लाइव लंड था जो उसकी आँखों के इतना करीब था वो भी उसके सगे बाप का

" बोल कुतिया कैसा लगा अपने बाप का लंड और मुझे मेरे हर सवाल का जवाब हां मे चाहिए ..समझी ना तू "

जीत ने लंड के सुपाडे को उसके नरम होंठो पर घिसते हुए कहा

" हां "

तनवी ने बेहद धीमी आवाज़ मे जवाब दिया

" क्या हां ..अरे मैं पूछ रहा हूँ कैसा लंड है तेरे डॅड का जिससे तूने इस दुनिया मे कदम रखा ..बोल ? "

जीत ने फिर से हँसते हुए पूछा ..तनवी की ऐसी हालत देख वो बेहद प्रसन्न था

" अच्छा है "

तनवी रोते हुए बोली पर आवाज़ का स्तर अभी भी कमजोर था


" पूरा बोल ..यहाँ कोई शॉर्ट टर्म क्वेस्चन नही चल रहे "

जीत ने हुंकार भरी

" डॅड आप का लंड अच्छा है "

तनवी के मूँह से लंड नामक देशी शब्द सुन कर जीत को परम संतोष हुआ

" तो अपने बाप का लंड चूसेगी नही ..जवाब तुझे पता है क्या देना है और पूरा सेंटेन्स बोलना "

जीत ने उसके एक बूब को बुरी तरह मसल कर कहा ..तनवी के शरीर पर ये पहला मर्दाना टच था वो भी किसी गैर इंसान का नही अपने बाप का

" हां डॅड मैं आप का लंड चूसुन्गि "

तनवी ने जवाब तो दिया लेकिन सिर्फ़ मार के डर की वजह से

" तो सूंघ इसे और बता कैसी खुश्बू है इसकी "

जीत ने सुपाडे को उसकी नाक से सटा कर कहा ..तनवी को सूंघना पड़ा और पहली बार उसने अपने अंदर आता सेडक्षन महसूस किया

" अच्छी खुश्बू है डॅड "

जीत ने अपने लंड की तारीफ़ सुन ठहाका लगाया

" वही तो मैं भी कहना चाहता था कि औरत की असली प्यास सिर्फ़ लंड ही बुझा सकता है ..चल फटाफट चूस इसे और अगर तेरे दांतो ने कोई भी ग़लत हरकत की तो तू सच मे जान से जाएगी "

जीत ने इतना बोल कर उसी बूब के निपल को बुरी तरह से दबा दिया तनवी की चीख से उसका मूँह खुला और अगले ही पल जीत का साढ़े सात इंच का लंड हाफ तनवी के मूँह मे था और वो बुरी तरह से चौंक हो गयी

" अहह..... तनवी ..यू लुक लाइक आ रियल स्लुट ..सक इट बेबी ..प्यार कर इससे ..तेरी किस्मत मे तेरे डॅड का लंड लिखा है "

तनवी के मूँह मे लंड जाते ही जीत की आह निकल गयी ..उसके लंड की गोलाई के मुक़ाबले उसकी बेटी का मूँह काफ़ी छोटा था ..जीत को एहसाह हुआ जैसे किसी कुँवारी चूत मे अपना लंड घुसेड दिया हो

" चल मेरी आँखों मे देखते हुए चूसना चालू कर "

अब तक तनवी ने मूँह को ज़रा भी नही हिलाया था ..उसने आँखें ऊपर उठाई तो अपने वहशी बाप का हँसता चेहरा दिखाई दिया ..जिसे देख तनवी के आँसू और तेज़ी से बहने लगे

" नही आता चूसना मेरी बच्ची को ..चल मैं सिखाता हूँ ..मेरे लंड की टिप पर अपनी जीभ से मालिश कर और अपने होंठो से जैसे लॉलीपोप चूस्ति है वैसे चूस "

जीत की बात सुन तनवी ने कोई रेयेक्सन नही दिया बस वो रोती आँखों से अपने बाप के चेहरे को देखे जा रही थी ..जीत ने एक करारा शॉट मारा और लंड जड़ समेत उसके गले तक उतर गया ..तनवी की चिन टट्टो से और सर उसके पेट से चिपक गया

तनवी ने अपना दर्द बताने की गरज से जीत के चूतडो पर अपने हाथो का दवाब डाला क्यों कि जीत ने मस्त हो कर अपने शरीर को तनवी पर झुका लिया था

वो छटपटाती रही और लगभग 10 - 15 सेक एंजाय करने के बाद जीत ने आधा लंड वापस बाहर खीच लिया

" हाए रे अब पता चला तड़प क्या होती है ..तेरी मा तेरे लेज़्बीयन होने की बात सह नही पाई और उसे इस दुनिया से जाना पड़ा ..मैं सिर्फ़ उससे किए वादे को पूरा कर रहा हूँ तुझे सुधार कर धूम धाम से तेरी शादी करूँगा "

जीत के मूँह से ये बात निकली और अलगे ही पल उसने तनवी के बालो को छोड़ दिया ..उसका सारा नशा एक पल मे काफूर हो गया ..थूक से सना लंड तनवी के मूँह से पूरा बाहर निकल आया

तनवी उसकी पकड़ से आज़ाद होते ही खाँसती हुई ज़मीन पर लेट गयी और जीत तेज़ कदमो से चलता हुआ अपने कमरे मे आ गया

रूम की दीवार पर टन्गी अपने परिवार की तस्वीर देख जीत पूरे 2 घंटे रोता रहा ..उसने खुद को जान से मारने के लिए फाँसी का फँदा बनाया लेकिन तनवी के अनाथ होने का सोच कर उस पर झूलने की हिम्मत नही जुटा पाया ..मन मे फ़ैसला किया कि वो अपनी ग़लती को सुधारेगा और यही सोचते हुए वो कमरे से बाहर निकला

तनवी के रूम मे जाने के लिए उसे हॉल को पार करना था ..हॉल मे आते ही उसके बढ़ते कदम रुक गये ..देखा तो तनवी अभी भी ज़मीन पर लेटी थी ..जीत दौड़ कर उसके पास पहुचा

" तनवीीईई...... "

4 - 5 बार जीत ने उसे आवाज़ दी लेकिन तनवी बेहोश पड़ी थी ..जीत ने उसे गोद मे उठाया और उसके कमरे की तरफ बढ़ गया ..बेड पर उसे लिटाने के बाद जीत की नज़र उसके चूतडो पर बने चोट के निशानो पर पड़ी जिन्हे थोड़ी देर पहले जीत ने खुद अपनी बेल्ट से मार - मार कर बनाया था

उसने अपने काँपते हाथ को घाव पर रखा ही था कि तनवी नींद मे भी दर्द महसूस कर छट - पटाने लगी ..जीत ने रोते हुए एक बार तनवी के बालो मे अपना हाथ फेरा और उसके कमरे से बाहर निकल गया

हॉल की टेबल पर रखी शराब की बॉटल उसने डस्टबिन मे फेक दी और कसम खाई कि आज के बाद वो अपनी बेटी को सिर्फ़ प्यार ही प्यार देगा ....

अगले दिन सुबह 7 बजे तनवी की नींद खुली ..रात को हुई घटना के कुछ अंश उसके जेहन मे मौज़ूद थे ..करवट लेते वक़्त उसे अपने पिछवाड़े मे दर्द हुआ और वो कराह उठी ..जैसे तैसे बेड का स्टॅंड पॉइंट पकड़ कर उसने खुद को बिठा पाई

" मैं तो हॉल मे थी फिर अपने कमरे मे कैसे आई और ये कपड़े "

रात को जीत जब उसे हॉल से उठा कर कमरे मे लाया तब तनवी पूरी तरह से बेहोश थी ..कमरे मे लाने के बाद जीत ने उसके वॉर्डरोब से कपड़े निकाल कर उसका नंगा बदन ढका ..वो चाहता था कि तनवी के घाव पर दावा भी लगा दे लेकिन उससे दोबारा अपनी बेटी का न्यूड बदन छुना गवारा नही हुआ और वो कमरे से बाहर निकल कर हॉल के सोफे पर बैठे - बैठे सो गया

तनवी सोच मे डूब गयी कि उसकी मा ने दम तोड़ने से पहले जीत से क्या कहा था ..लेज़्बीयन वाली बात से अगर रश्मि के दिल को इतनी ही चोट पहुचि थी तो क्या वो एक बार तनवी को टोक नही सकती थी ..दुनिया मे हर इंसान की पसंद - ना पसंद अलग होती है फिर चाहे वो रोज़मर्रा की बातें हों या सेक्स से जुड़ी


तनवी शुरू से सिंगल सेक्स एजुकेशन स्कूल मे पढ़ी ..मर्द के नाम पर उसने सिर्फ़ जीत को जाना था ..दिन के वक़्त वो अपनी स्कूल फ्रेंड्स के साथ बिताती और रात का टाइम मोम - डॅड के साथ ..जीत अपने बिज़्नेस के काम मे बिज़ी रहता और रश्मि अपने नेचर की वजह से तनवी से दूर थी

अक्सर देर रात जब जीत तनवी के कमरे मे उससे मिलने जाता उस वक़्त उसकी बेटी अपने सपनो की दुनिया मे होती और सुबह जब तनवी स्कूल के लिए निकलती तब जीत उसे सोता मिलता

पेरेंट्स और बच्चो के बीच अगर बातचीत का गॅप बढ़े तो ये दोनो के लिए खराब होता है

एक दिन स्कूल मे तनवी वॉशरूम मे सूसू कर रही थी ..इस के बाद उसने खड़े हो कर अपने कपड़े सही किए और टाय्लेट से बाहर जाने लगी ..उसने देखा गेट अंदर से लॉक था

" अभी 5 मिनट पहले तो मैं यहाँ आई थी फिर ये गेट किसने बंद किया "

उसके मूँह से निकला और वो वापस गेट से अंदर की साइड लौट गयी ..थोड़ा आगे पहुच कर उसने महसूस किया कि वॉश बेसिन के पास कोई है ..वो दीवार के दूसरी तरफ बने सीनियर गर्ल्स के टाय्लेट मे एंटर हुई और सामने बनी पट्टी पर वो सीन चल रहा था जिसे देख कर तनवी के होश उड़ गये ..स्कूल की सबसे सीनियर क्लास की 2 लड़कियाँ टाय्लेट मे मौजूद थी ..तनवी ने देखा कि एक लड़की पट्टी पर अपनी टांगे चौड़ा कर बैठी है और दूसरी लड़की का मूँह उसने अपनी टाँगो मे फसा रखा था ..पट्टी पर बैठी लड़की ( जया ) की आँखें बंद और अपने हाथ से दूसरी ( निशा ) के बाल सहलाते हुए तेज़ी से साँसे भी ले रही थी ..तनवी के लिए ये पहला सेक्स सीन था ..वो हैरान हो कर दोनो की कारिस्तानी पर अपनी नज़रे जमाए खड़ी थी

[ विदेश मे रहने वाले इंडियन्स के बच्चो के लिए भारतीय स्कूल होते हैं और ये भी उनमे से एक था ..तभी ना तो तनवी के रहेन सहन मे कोई ख़ास अंतर आया ना ही बातचीत के लहजे मे ]

" निशा मज़ा नही आ रहा ..अंदर तक जीभ डाल ना "

जया ने निशा से कहा और उसकी आँखें खुल कर सामने खड़ी तनवी से जा टकराई ..नज़रें मिलते ही जया ने निशा को अपने से अलग किया और तनवी फटी आँखों से उसकी नंगी चूत को देखने लगी ..स्कर्ट के नीचे जया नेकड़ थी ..निशा को तुरंत समझ नही आया कि मॅटर क्या है और जया ने उसे धक्का क्यों दिया

" चाट तो रही हूँ तेरी चूत को अगर मज़ा नही आ रहा तो साली लंड डलवा ले "

निशा ने नाराज़ हो कर कहा

" न ..निशा तनवी "

जया ने अपने हाथ मे पकड़ी पैंटी वापस पहनते हुए कहा और निशा ने पलट कर पीछे देखा तो तनवी डर कर वहाँ से जा रही थी

निशा स्कूल की सबसे दम दार बंदियों मे से थी ..बिना किसी घबराहट के उसने तनवी को आवाज़ दी

" तनवी इधर आ फटाफट "

तनवी के कान मे निशा की आवाज़ पड़ते ही उसकी बढ़ते कदम रुक गये ..उसने पलट कर देखा तो निशा हाथ हिला कर उसे अपने पास बुला रही थी

" द ..द ..दीदी ..वो छुट्टी हो गयी है ..मुझे घर जाना है ..बस मिस हो जाएगी "

तनवी सिर्फ़ इतना बोल कर चुप हो गयी

" बस को जाने दे ..मैं तुझे तेरे घर छोड़ दूँगी ..अब आ मेरे पास "

निशा ने थोड़ा ऊँची आवाज़ मे कहा और तनवी धीरे - धीरे कदमो से चलती हुई उन दोनो के पास पहुच गयी

" हम जो कर रहे थे तुझे अच्छा लगा देखने मे ? "

निशा ने तनवी से सॉफ लफ़ज़ो मे पूछा

" पता नही दीदी मैं तो सूसू करने आई थी "

तनवी ने लो वाय्स मे जवाब दिया

" जया ..एक काम करते हैं ..खाली क्लास मे चलते हैं ..टाय्लेट सेफ नही है "

निशा ने जया को आँख मारते हुए कहा ..खेली - खिलाई जया उसके इशारे को समझ मुस्कुरा दी और तीनो लड़कियाँ टाय्लेट से 3 कमरे छ्चोड़ 4थ मे एंटर हो गयी

" गेट लॉक कर दे "

निशा ने तनवी को ऑर्डर दिया और जया के साथ चलती हुई टीचर की चेर पर बैठ गयी

" सुन जया ..ये अभी कच्ची कली है ..आज इसकी जवानी का पहला रस पी कर मज़ा आ जाएगा और ये किसी से बोलने लायक भी नही रहेगी ..बस तू मेरा साथ देना "

निशा की बात सुन कर जया ने हां मे अपना सर हिला दिया और तब तक तनवी भी गेट लॉक कर टेबल की दूसरी तरफ खड़ी हो गयी

निशा :- " देख तनवी तू मुझे दीदी बोलती है ना ? "

तनवी :- " जी दीदी "

निशा :- " लेकिन आज मुझे अपना टीचर समझ "

तनवी ने सवालिया चेहरे से जया की तरफ नज़रें उठाई जो निशा के ठीक पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी

जया :- " तेरे साथ मैं भी आज निशा की स्टूडेंट हूँ "

जया ने प्लान को आगे बढ़ाया और तनवी को हां करनी पड़ी

निशा :- " पहली बात तो ये जो मैं कहूँगी वो तुम दोनो को करना पड़ेगा और दूसरी ये कि इस बात को तुम दोनो मे से कोई बाहर के आदमी को नही बताएगा "

जया :- " ओके मेडम "

निशा :- " तनवी तू भी नही बताएगी "

तनवी :- " नही बताउन्गि "

" तो फिर क्लास शुरू करते हैं ..तनवी तू इस टेबल पर लेट जा "

निशा की बात सुन तनवी की घबराहट बढ़ गयी ..अगर वो निशा से डरती ना होती तो कतई उसके साथ इस खाली क्लास मे नही आती

निशा :- " मैने कहा लेट जा "

निशा ने स्टार्टिंग से तनवी पर अपना दवाब बनाते हुए कहा और चेर से उठ कर उसे को टेबल पर लिटाने मे मदद की

" जया तुझे पता है ना क्या करना है "

निशा की बात सुन जया ने तनवी का चेहरा ऊपर उठाया और अपने होंठ उसके होंठ से जोड़ दिए

तनवी के लिए ये एक नया एहसास था ..जया ने पूरी ताक़त लगा कर उसके होंठो को चूसना स्टार्ट कर दिया ..साथ ही उसने अपनी जीभ भी उसके मूँह मे डालने की कोशिश की लेकिन तनवी ने अपना मूँह नही खोला ना ही जया के होंठो को अपने होंठो का कोई रेस्पॉन्स दिया

पास खड़ी निशा की आँखें ताड़ गयी कि जब तक सेडक्षन का एहसास तनवी को नही होगा ऐसी हज़ार किस्सस उसके लिए बेकार हैं ..उसने प्लान मे से किस सीन को हटाया और जया के पास जा कर उसकी स्कर्ट उतार दी ..वहीं जया ने किस के साथ तनवी के बूब्स को भी ज़ोरो से मसला ताकि वो थोड़ी तो गरम हो सके ..लेकिन सब बेकार गया तनवी अभी भी किसी लाश की तरह टेबल पर लेटी थी

" छोड़ो एक दूसरे को और अपने कपड़े उतार दो "

निशा ने उनका किस तूडवाया और खुद टेबल पर बैठ गयी ..जया के हाथ अब अपनी स्कूल शर्ट को खोल रहे थे लेकिन तनवी मूक खड़ी निशा को देखे जा रही थी

" ऐसे क्या देख रही है ..जो तेरे पास है वही तो मेरे पास भी है "

निशा ने टेबल पर बैठ कर अपनी टाँगे फैला रखी थी साथ ही पहनी हुई रेड पैंटी को साइड मे खिसका कर चूत का व्यू खोल दिया ..जिसे तनवी बड़े गौर से देखने मे लगी थी

" कुछ नही दीदी "

तनवी ने शरमा कर जवाब दिया उसे लगा निशा ने उसकी चोरी पकड़ ली है

" जानती है इसे क्या कहते हैं ? "

निशा ने अपनी दो उंगलियों से चूत की फांको को स्प्रेड किया

" पुसी "

तनवी ने अपने मूँह पर हाथ रख स्लो वाय्स मे उसे जवाब दिया

" हां वो तो हर पढ़ने वाली लड़की को पता होता है ..पर लड़के इसे आम भाषा मे चूऊऊओत कहते हैं "

निशा ने चूत वर्ड को लंबा खीच कर कहा और तनवी ने हां मे अपना सर हिला दिया

निशा :- " क्या कहते हैं इसे ? "

तनवी :- " चूऊऊओट "

तनवी ने भी उसकी तरह वर्ड को खीचा तो जया और निशा ज़ोर से हस दी

" चूऊऊथ नही चूत "

जया ने उसे समझाया कि वर्ड छ्होटा है और इस बार तनवी के चेहरे पर भी हसी आ गयी

निशा :- " चल फटा फट अपने कपड़े उतार "

और तनवी ने इस बार उसकी बात को मान कर अपनी स्कर्ट ढीली कर दी

थोड़ी देर बाद तीनो लड़कियाँ सिर्फ़ स्कूल लेगैंग्स मे आ गयी ..निशा के इशारे पर जया तनवी को थामे टेबल पर बैठी थी और अगले ही पल कमरे मे बहुत ही हॉट अट्मॉस्फियर क्रियेट हो गया

निशा ने तनवी की दोनो टाँगो को अपने कंधे के पार निकाला और बिना किसी देरी के चेहरा आगे लाते हुए जीब से चूत को चाट कर गीला करने लगी

टाय्लेट मे जया और निशा के बीच जो भी कुछ चला उसे देख कर तनवी कन्फर्म थी कि अब उसके साथ भी वैसा ही कुछ होगा लेकिन ऐसा सुखद एहसास उसकी कल्पना से परे था ..अपनी चूत जिसे उसने अब तक सिर्फ़ मूतने के लिए यूज़ किया था उस पर निशा की गीली ज़ुबान टच होते ही तनवी के दिमाग़ की बत्ती जली और वो बुरी तरह से अपने हाथ पैर फटकारने लगी

" आहह..... ..द ..दीदी ..गुदगुदी हो रही है "

तनवी के मूँह से कप - कपाते बोल फूटे ..जया ने बड़ी मजबूती से उसके हाथो को अपने क़ब्ज़े मे किया हुआ था और टांगे चौड़ाने मे निशा ने तनवी पर कोई रेहेम नही बक्शा ..उसकी वर्जिन चूत का इतना खुला व्यू देख निशा की जीब अपने आप ही उसकी फांको पर मचलने लगी

" अच्छा लगा तनवी ? "

निशा ने आँखें मूंद रखी तनवी से लास्ट बार सवाल किया और जवाब सुने बगैर ही फांको के अंदर तक अपनी जीब को घुसा दिया ..एक उंगली से वो गांद के छेद और चूत के मिड्ल हिस्से को खुज़ला रही थी

" आईईईईईईईई...... "

तनवी उस खुजली को महसूस कर सिहर उठी और दूसरी तरफ जया के हाथ उसके कोमल चुचियों को मसलने मे बिज़ी हो गये ..तनवी अब मस्त थी

निशा ने अपनी उंगली का प्रेशर उसके भग्नासे पर डाला और हल्के दांतो के स्पर्श से उसे काटने लगी

" डीडीिईईईईईई........ "

तनवी का रोम - रोम खिल उठा ..ऐसा मीठा दर्द तो हर कुवारि लड़की को असीम आनंद की प्राप्ति कर देता है फिर तनवी उससे कब तक अछूति रहती ..उसने अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए निशा के सर पर दवाब डाला

" लव मी...... "

तनवी ने चिल्लाया और निशा ने रस से सराबोर चूत पर अपने होंठ और तेज़ी से कस दिए ..जब भी वो चूत के रस को अपने गले से नीचे उतारती उसमे पुरज़ोर ताक़त का इस्तेमाल होता

" खा जाओ इसे..... "

इतना बोल कर तनवी का बदन अकड़ गया ..उसकी टांगे सुन्न हो गयी ..एक्सपीरियेन्स्ड निशा समझ गयी लड़की का काम होने वाला है और अगले ही पल उसने तनवी को करवट दिला दिया

" कंट्रोल तनवी ..अभी तो शुरूवात है "

निशा ने हँस कर चूत से अपना चेहरा हटाते हुए कहा ..जब स्त्री चर्म - सीमा पर हो और किसी तरह से उसका फॉल रुकवा दिया जाए तो वो रहम की भीख माँगने पर उतारू हो जाती है ..यही हाल तनवी का हुआ ..अपने आप ही उसके हाथ निशा के सर को वापस अपनी चूत पर दबाने लगे


" दीदी प्लीज़ रूको नही "

तनवी ने तड़प्ते हुए चिल्लाया

" मेरी गुड़िया रानी ..सबर कर सबर "

निशा ने उसकी तड़प को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी गरम साँसें गांद के मुलायम छेद पर छोड़ दी

" दीदी यहाँ नही ..डर्टी है "

तनवी ने अपना आस - होल सिकोडते हुए कहा

" कुछ डर्टी नही मेरी जान ..चल ढीला छोड़ खुद को "

निशा ने करवट ली तनवी के चूतडो की दरार को खोला और अगले ही पल उसकी जीब की थिकरण गांद के मुलायन छेद पर अपना कहर बरपा रही थी

" आईईईईईई मम्मी "

तनवी ने टेबल पर उठ कर बैठना चाहा लेकिन जया ने उसे हिलने तक का मौका नही दिया

" फॅक्त....... "

निशा की उंगली ने वर्जिन चूत मे प्रवेश कर लिया और साथ ही गान्ड के छेद से वो तनवी की जान को अपने अंदर क़ैद कर रही थी ..चूत का मूँह सिर्फ़ इतना खुला कि जिसमे उंगली घुमा कर निशा उसके कुंवारे पर्दे की छेद - छेड़ सके

" हमम्म्ममम......... "

उंगली के अंदर बाहर होने से तनवी अपना सार पागलो की तरह टेबल पर पटक देती और गांद हवा मे लहराते हुए काँप जाती ..निशा ने जया को इशारे से उसे छोड़ने को कहा और अगले पल जया टेबल से नीचे उतर गयी

" स्वीटी अब लास्ट राउंड है ..तू टेन्षन ना ले ..सब चंगा होगा "

निशा ने टेबल पर चढ़ते हुए तनवी के घुटने मोड़ दिए जिससे उसका निचला यौवन खुल कर बाहर आ गया ..एक नज़र जया के चेहरे को देखा जो नीचे बैठ कर चूत पर अपनी लार गिराए जा रही थी ..दोनो मुस्कुराइ और फाइनल राउंड स्टार्ट कर दिया

चूत और आस - होल पर एक साथ झपट्टा मार दोनो लड़कियों ने तनवी को रुला दिया ..जहाँ निशा टेबल पर बैठी उसके आस - होल को बेरहमी से चाट रही थी वहीं नीचे बैठी जया चूत चाट ते हुए अपनी एक उंगली तेज़ी से अंदर बाहर करने मे लगी थी

तनवी इस दोहरे मज़े से अपने बाल नोचते हुए आँसू बहाने लगी ..उसके चेहरे पर खून का उबाल था और चीखों मे इतनी ताक़त की अगर कमरे के बाहर से कोई भी गुज़रता तो रेप होना समझ कर सिहर जाता ..तनवी ने 2 - 4 मुक्के टेबल पर जड़ते हुए आह ली ..टाइम था उसकी लाइफ के पहले ऑर्गॅज़म का ..शरीर की ऐंठन उसके बस से बाहर हो गयी

" दिदीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ......सूसू........ "

तनवी ने इस बार प्रेयर की कोई रुकावट बीच मे ना आए और अपना कंट्रोल पूरी तरह से खोते हुए झड़ने लगी ..जया किसी बिल्ली की तरह चूत से चिपकी थी ..फव्वारे पर फवारे छूटे ..उसने अपने होंठो को खोलते हुए 3" की पूरी चूत अपने मूँह मे समा लिया ..निशा ने गांद के छेद को तुरंत ही छोड़ा और जया के पास फ्लोर पर बैठ गयी

" कमीनी रस को अकेले मत पी जाना ..मैं भी हूँ "

निशा ने हँसते हुए जया का सर चूत पर दबाते हुए कहा

सब कुछ भूल कर तनवी ने आनंद के सागर मे गोते लगाते हुए चूत रस की आख़िरी बूँद को भी जया मे मूँह मे छोड़ दिया

जब तनवी की साँसे थोड़ी नॉर्मल हुई तो उसने अपनी आँखें खोल कर चूत पर हाथ फेरा ..पूरी चूत रस से सराबोर थी ..एक सुखद एहसास पाने से उसका रोम - रोम पुलकित था ..उसे होश आया कि उसके साथ निशा और जया भी क्लास मे हैं तो वो उठ कर टेबल पर बैठ गयी ..नज़र फ्लोर पर बैठी उन दोनो छिनालो पर डाली जो उसकी जवानी का पहला पानी एक दूसरे को चूमने के ज़रिए गले से नीचे उतार रही थी

" छ्ह्हीईईइ दीदी मेरा सूसू पी लिया "

तनवी की आवाज़ से दोनो की किस टूट गयी ..निशा ने हाथ के इशारे से तनवी को अपने पास बुलाया

" ये ले तू भी चख ले तेरी जवानी ..मेरी जान यही तो सेक्स है "

तनवी के लाख मना करने पर भी निशा ने उसे नही छोड़ा और 10 - 15 सेक तक अपनी जीभ से उसके पूरे मूँह का टेस्ट बदल दिया

" अब जल्दी करो हम काफ़ी लेट हो गये हैं और तनवी अगर तुझे सेक्स के बारे मे ज़्यादा जान ना है तो ये ले डीवीडी ..रात मे जब घर के सारे मेंबर सो जाएँ तब देखना "

जया ने सारे कपड़ो को इकट्ठा कर कहा और तीनो निशा की कार से अपने - अपने घर की तरफ चल दी

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" टॅंग - टॅंग - टन्ग - टॅंग "

बाहर हॉल मे लगी घड़ी ने 8 बजे का साउंड दिया और तनवी अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गयी ..इतना गरम और हॉट सीन जिसके जहेन मे आया हो उसका सिड्यूस होना लाज़मी है लेकिन यहाँ तो तनवी की आँखों मे आँसुओ के सिवा कुछ नही था ..वो खुद को रस्मी का कातिल मान कर ज़ोरो से रोने लगी ..उसकी इतनी छोटी ग़लती के लिए मा ने अपनी जान दे दी

" मैं अब इस घर मे नही रहूंगी ..वरना मैं डॅड को भी दुखी करूँगी ..चाहे मरु या जियु पर आज मेरा आख़िरी दिन है इस घर मे "

तनवी की ग्रॅजुयेशन का लास्ट एअर चल रहा था और इसके बाद उसे एमबीए करना था ..यही सोचते हुए उसके कदम बाथरूम की तरफ़ बढ़ गये ..चलते हुए जाने कैसे उसने अपने दर्द को संभाला होगा ......

क्रमशः///////////////////////////
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पापी परिवार--7

बाथरूम मे पहुच कर तनवी ने अपने कपड़े उतारने शुरू किए ..वैसे तो उसे याद नही कि जीत कब उसे हॉल से उठा कर कमरे मे लाया और कब उसके नंगे बदन को कपड़ो से कवर किया ..लेकिन कपड़े बिल्कुल सॉफ्ट और कॉटन के थे ..वाइट छोटा सा टॉप और मॅचिंग कॉटन शॉर्ट कॅप्री ..तनवी ने सबसे पहले कॅप्री को अपने चुतडो से नीचे खीचा

" उफफफफफफ्फ़...... "

दर्द का एहसास होते ही उसने गर्दन पीछे घुमा कर चोटिल चूतडो पर हल्के हाथ का स्पर्श दिया ..नज़रें लाल निशान देखते ही फिर से छलक उठी

कितना प्यार करती थी तनवी जीत से लेकिन किस बुरी तरह से उसके बाप ने उस पर अपना कहर ढाया

अब तनवी ने फ्रेश को कर टॉप भी उतार दिया ..गीजर से पानी हल्का सा वॉर्म हो चुका था ..जैसे तैसे वो शवर के नीचे ख़िड़ी हुई ..भर - भर करता कुनकुना पानी अपने शरीर पर महसूस कर तनवी को बहुत रिलॅक्स फील हुआ ..उसे अब भी लग रहा था जैसे उसकी टाँगो मे जान ही ना बची हो ..जैसे तैसे उसने शवर के टॅप को मज़बूती से पकड़ कर खुद को नीचे गिरने से रोका हुआ था

बालो से बह कर नीचे आता पानी जब उसके चूदडो से हो कर गुज़रता तो चिन्मीनाहट के मारे उसकी आह निकल जाती ..उसने आज सोप का कोई यूज़ नही किया और लगभग 30 मीं. तक शवर के नीचे सेम सिचुयेशन मे खड़ी रही ..या यूँ कह लीजिए कि उसकी हिम्मत नही हुई कि पानी से बाहर निकल सके

" मुझे लेट हो रहा है "

सुबह सोची बात दिमाग़ मे आते ही उसने शवर टॅप बंद कर दिया ..हॅंगर पर टंगा टवल उतार कर धीरे - धीरे हल्के हाथो से अपना गीला बदन सुखाया और सर के गीले बालो पर टवल बाँध ही रही थी कि सामने लगे मिरर मे उसे जीत का चेहरा दिखाई दिया

जीत की नज़रे नीचे झुकी हुई थी लेकिन वो बाथरूम के गेट पर खड़ा था ..तनवी ने होश मे आ कर तुरंत अपने बालो से टवल को खोला और उतनी ही तेज़ी से अपने नंगे बदन पर लपेट लिया

उसकी इस हरकत को जीत ने फ्लोर पर बहते पानी मे देखा ..शायद तनवी ने उसके रात के वहशीपन के चलते अपने बदन पर टवल लपेटा होगा ..ऐसा सोच कर उसे खुद पर लज्जा आई और वो वहाँ से हटने लगा लेकिन वो बाथ रूम के गेट से पलट पाता इससे पहले ही तनवी ने अपने शरीर पर लपेटा टवल वापस खोल कर नीचे गिरा दिया

[ तनवी बचपन से बहुत गोरी ..सुंदर और छर्हरे बदन की लड़की थी ..कभी - कभी तो खुद रश्मि को भी अपनी बेटी के बढ़ते यौवन से जलन होती ..अक्सर पार्टियों मे जीत से मिलने वाले दोस्तों के मूँह से तनवी की तारीफ़ ज़्यादा और रश्मि की कम सुनाई देती ..वैसे लेज़्बीयन होने के अलावा तनवी मे और कोई खोट नही था ..शायद हमेशा खुश रहने के स्वाभाव ने उसके यौवन को वक़्त से पहले ही निखार दिया था ..लंबे बाल ..36सी के बूब्स सुडोल गोलाई के चूतड़ और लगभग 3 - साढ़े 3" की उभरी चूत ..तनवी ने शुरू से ही अपने आप को बिल्कुल नीट &; क्लीन रखा था ..जवानी के बालो को वो ज़रा भी सहेन नही कर पाती और 4 - 5 दिनो के अंतराल से हमेशा उन्हे सॉफ कर लेती ..अभी कल ही उसने अपनी आर्म-पिट ..चूत और आस होल को खूब चमकाया था लेकिन बेचारी को क्या पता था कि कल उसका बाप ही उसकी कुवारि इज़्ज़त को लूटने पर आम्दा हो जाएगा ..आज भी नहाने के बाद उसका जिस्म मार्बल की तरह शाइन कर रहा था ]

जीत को हैरानी हुई क्यों कि अब तनवी न्यूड उसके करीब चलती आ रही थी ..जैसे - जैसे उसकी बेटी के कदम उसकी तरफ बढ़ते हर कदम पर जीत का दिल बुरी तरह धड़क उठ ता ..जब तनवी और जीत मे सिर्फ़ 1/2फीट का फासला रह गया तब तनवी अपने घुटनो पर नीचे बैठ गयी

" डॅड प्लीज़ मुझे मारना मत ..मैं बिना कहे आप का जी भर के चूसुन्गि "

तनवी ने फफकते हुए रुआसी आवाज़ मे कहा और अपने हाथो को ऊपर उठा कर जीत की जीन्स का बटन अनलॉक करने लगी

एक तो तनवी का बुरी तरह से सिसकारियो के साथ रोना और दूसरा जीत के सामने ऐसी बात कहना ..जीत को लगा जैसे अभी ज़मीन फॅट पड़े और वो उसमे समा कर अपने गुनाह से मुक्त हो जाए ..उसका शरीर थर - थर कापने लगा ..हाथ जाम गये ..वो तुरंत वहाँ से हट जाना चाहता था लेकिन दिमाग़ था जो बिल्कुल सो चुका था

तनवी ने जीन्स का बटन अनलॉक कर दिया था और कमर मे हाथ डाल उसे नीचे खीचने लगी ..रात को पहने कपड़ो मे जीत ने ब्रीफ नही डाली थी ..जीन्स उतार कर उसके घुटनो तक आ गयी ..लंड पर निगाह जाते ही तनवी ने अपना चेहरा आगे किया लेकिन एक बात जो उसने महसूस की वो थी लंड मे तनाव ना के बराबर होना ..जबकि जीत पिच्छले 5 मीं से बाथरूम मे तनवी को नंगा देख रहा था ..उसे जीत की कल वाली बात भी याद आई जब उसने बोला था की ' तेरी आँखें खुली रहनी चाहिए '

तनवी ने अब लंड से नज़र हटा कर ऊपर उठानी शुरू की साथ ही लंड पर अपने हाथ का पहला स्पर्श दिया ..जैसे ही उसकी आँखे अपने डॅड की आँखों से टकराई ..जीत की आँखों से पहला आँसू निकल कर उसकी बेटी के गाल पर गिरा ..उसने पूरी ताक़त से तनवी को ऊपर उठाया और किसी फूल की तरह अपने सीने से चिपका लिया

" आइ'म सॉरी "

बस इतना कह कर उसने बुरी तरह से तनवी को चूमना शुरू कर दिया ..उसके गाल ..माथे पर हज़ारों चुंबनो की वर्षा कर दी ..तनवी का सर अब उसकी छाती मे छुपा हुआ था और वो काफ़ी देर तक रोते हुए उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरता रहा ..तनवी भी खुद को रोने से नही रोक पाई ..उसने जीत के पाश्‍चाप को स्वीकारा और अपने हाथ उसके गले मे डाल कर किसी गुड़िया की तरह चिपक गयी

जब बाप बेटी पूरी तरह से एक दूसरे को माफ़ कर चुके तब जीत बाथ रूम मे लगे बाथ टब पर बैठ गया ..तनवी अब भी उसकी मजबूत बाहों मे थी ..जीत ने उसे पेट के बल घुमाया और कल रात जिस तरह उसकी पैंटी को उसके शरीर से उतारा था सेम उसी पोज़िशन मे ले आया ..तनवी बड़े गौर से उसकी हर्कतो को नोट रही थी और दोनो के होंठ कुछ ना कहने की स्थिति ने पूर्ण रूप से बंद थे

जीत ने देखा कल की अपेक्षा आज घाव ज़्यादा बढ़ गया है ..तनवी के चूतड़ पहले के मुक़ाबले सूजे हुए हैं ..जीत जानता था कि ये ग़लत है जो आज फिर तनवी उसकी बाहों मे नंगी लेटी है पर उसे खुशी थी कि कम से कम उसकी बेटी ने उसे माफ़ तो किया ..उसने अपने हाथ का हल्का स्पर्श उसके चूतड़ पर दिया और तनवी के मूँह से चीख निकल गयी ..जीत ने पास रखी आंटिसेपटिक लिक्विड की बॉटल उठा कर उसके कुछ ड्रॉप्स घाव पर गिराए और बिल्कुल सॉफ्ट हाथ से घाव को सॉफ करने लगा

लोशन ने पूरे चूतडो पर झाग बना दिया ..जीत अपनी ग़लती सुधारने मे खोया था और तनवी अपनी सोच मे ..जीत की जीन्स नीचे सर्की होने की वजह से उसका लंड तनवी के पेट से चिपका था और तनवी के बड़े - बड़े बूब्स उसकी जाँघ से ..यहाँ कोई और मर्द होता तो ना जाने कब का लंड तनवी की कुँवारी चूत ने पेल देता लेकिन जीत ने आज खुद के जज़्बातो को कंट्रोल मे रखा था कि जो न्यूड जिस्म उसकी नज़रो के सामने है वो किसी और का नही अपनी खुद की बेटी का है

सब कुछ ऐसे ही चल रहा कि जीत के हाथ चूतडो की दरार को खोलने लगे ..ऐसा उसने अन्द्रूनि घाव को चेक करने के लिए किया लेकिन चूत का उभर क्लियर होते ही जीत के लंड ने अपनी पहली ठुमकि मारी जिसे तनवी ने अपने पेट पर महसूस किया और वो बुरी तरह शर्मा गयी

" डॅड बाकी मैं कर लूँगी "

जीत समझ गया कि तनवी को उसके लंड के खड़े होने का एहसाह खुद के पेट पर होने लगा है लेकिन वो खुद कैसे घाव की सफाई करेगी ये सोच कर जीत ने खुद को कंट्रोल करने की बहुत कोशिश की लेकिन एक बार किसी मर्द का लंड चूत की झलक देख ले फिर कहाँ उसे चैन मिलता है ..यहाँ पर तो चूत वर्जिन थी वो भी किसी डबल पाव की तरह

जीत ने देखा कि अब उसकी कंट्रोलिंग पवर घटेगी नही सिर्फ़ बढ़ेगी ही तो उसने जल्दी से बाथ टब का पानी लेकर घाव को धोया और बाथ - रूम के हॅंगर पर किसी सॉफ कपड़े की तलाश मे नज़रें घुमाने लगा ..मन मुताबिक वहाँ कोई कपड़ा मौजूद ना होता देख जीत ने वापस तनवी को गोद मे उठाया लेकिन उसके कदम आगे बढ़ते इस से पहले ही उसकी अनलॉक जीन्स पूरी तरह उतर कर फ्लोर पर गिर पड़ी ..माजरा देख तनवी के मूँह से हसी तो छूटी लेकिन तुरंत ही उसने खुद पर काबू भी कर लिया ..अब जो होना था सो हो गया

जीत ने जीन्स को अपनी टाँगो की मदद से वहीं बाथ - रूम मे छोड़ा और तनवी को ले कर उसके कमरे मे आ गया ..गोद मे उल्टी लेटी तनवी दूसरी बार जीत का खड़ा लंड इतने नज़दीक से देख रही थी ..जीत ने जिस ताक़त के साथ उसे थामा ..तनवी को इस उमर मे उसकी ऐसी पार्सनालटी की उम्मीद कतयि नही थी

" स्ट्रॉंग मॅन "

तनवी के मन ने उसकी बात का पूरा साथ दिया


बेड पर अपनी बेटी को इस तरह लिटाया जाए ये सोचने मे जीत को अपना मूँह खोलना ही पड़ा

" कैसे ? "

तनवी पेट के बल उसकी गोद मे थी लेकिन उसकी बात का अंदाज़ा लगा लिया

" ऐसे ही लिटा दीजिए "

स्लो वाय्स मे तनवी का जवाब सुन जीत ने उसे सेम पोज़िशन मे बेड पर लिटाया और अगले ही पल तनवी कंट्रोल खोते हुए ज़ोर से हंस दी

वजह थी जीत का खड़ा लंड जो उसकी टी-शर्ट के नीचे अपना सर उठाए खड़ा था ..तनवी को हँसते देख जीत को ख़ुसी हुई ..शायद उसकी बेटी ने उसे कल के लिए पूरी तरह से माफी दे दी थी

" बिल्कुल भी कंट्रोल नही ..छ्हीईई...... "

जीत ने देखा तो तनवी अपने मूह पर हाथ रख कर हौले - हौले हंस रही थी ..जीत की आँखों ने अपनी बेटी की आँखों का पीछा किया तो पाया तनवी के मुस्कुराने की वजह टी-शर्ट के नीचे खड़ा उसका मूसल लंड है

उसने तुरंत ही लंड को टी-शर्ट से कवर किया लेकिन कोई लुल्ली नही थी जो छुप जाता ..ना जाने कैसे जीत के चेहरे पर भी स्माइल आ गयी

" जब नही हो तथा तो क्यों बाचते हो कथा "

तनवी ने फिर से व्यंग मारा ..जीत शर्मा कर कमरे से बाहर जाना चाहता था लेकिन इस बार तनवी ने जान कर दर्द की आह भरी

" वो क्रीम उधर है "

वॉर्डरोब के कपबोर्ड की तरफ इशारा कर तनवी ने उसे कमरे से बाहर जाने से रोक दिया और जीत क्रीम उठाने चल दिया

जीत के पलटने से उसके मांसल चूतड़ देख तनवी की चूत आज पहली बार किसी मर्द के नाम पर गीली हुई ..उसने हाथ से चेक किया तो चूत ने लावा उगलना शुरू कर दिया था ..तनवी ने मन मे कुछ सोचा और तुरंत ही जीत को परखने का आइडिया लगा लिया ..अपनी टांगे चौड़ा कर वो इस पोज़िशन मे लेट गयी ताकि क्रीम लगाते वक़्त डॅड को उसकी वर्जिन चूत के खुल कर दर्शन हो सकें

हालाकी ताली एक हाथ से नही बजती तो उसने दोनो पहलुओ से सोचा ..पहला बाप और दूसरा एक आम मर्द लेकिन चूत मे बढ़ती खुजली उसकी बर्दास्त से अब बाहर थी ..शायद जीत के प्रति उसका ये पहला सेक्षुयल अट्रॅक्षन था और लेज़्बीयन सोच से से मुक्ति ..जो रश्मि भी चाहती थी .

कपबोर्ड से क्रीम निकाल कर जीत पलटा तो उसकी नज़रे बेड पर लेटी तनवी पर गयी ..कमरे मे दिन का काफ़ी उजाला आ चुका था और सब कुछ दूर से भी क्लियर दिखाई देने लगा

जीत ने देखा तनवी के हाथ उसके चूतडो पर घूम रहे है लेकिन उसके हाथ की उंगली खुद की वर्जिन चूत की फांको को कुरेद रही थी ..जीत की लाइफ का ये पहला मौका था जब उसने अपनी बेटी को खुद की गीली चूत से खेलते पाया ..लंड तो पहले से ही इतना तन चुका था कि मानो टूट कर गिर जाएगा ..अपने आप ही उसका हाथ लंड को गिरफ़्त मे लेने के लिए ऊपर उठा और मुट्ठी बना कर हाथ ने लंड की खाल को आगे पीछे करना शुरू कर दिया ..यहाँ शायद बाप बेटी दोनो का मन अपने तंन के हाथो मज़बूर था

तनवी ने अपनी आँखें खोली और जीत की आँखों मे देखा लेकिन एक पल के लिए भी उसने अपनी उंगली चूत के मूँह से हटाने की कोई कोशिश नही की ..यही हाल जीत का था उसके हाथ लगातार लंड को हिलाए जा रहे थे ..कुछ वक़्त तक दोनो की नज़रे मिली रही और तनवी ने शर्मा कर आँखें फिर से बंद कर ली ..जीत ने सोचा उसका इस तरह से अपनी बेटी के कमरे मे नंगा रहना बिल्कुल भी वाजिब नही ..अगर उसके लंड को तुरंत रिलॅक्स नही मिला तो शायद आज कुछ ऐसा हो जाएगा कि बाप - बेटी कभी एक दूसरे से आँख मिलाने लायक नही रहेंगे

" डॅड दवाई लगने से क्या घाव सही हो जाएगा ? "

तनवी की बात कान मे सुनाई पड़ते ही जीत को फिर से वही मंज़र दिखाई दिया जब उसने वहशी पन के चलते बेल्ट मारते हुए तनवी के चूतडो पर खून उखेड़ा था ..शायद तनवी की बात का अर्थ ये था कि उसके तंन के घाव तो सही हो जाएँगे लेकिन मन के घावों का क्या ..जो उसके सगे बाप ने बड़ी बहरामी से अपनी बेटी के दिल पर बनाए थे ..जीत ने कोई जवाब नही दिया बस उसके कदम बेड की तरफ बढ़ गये ..सोच मे खोने का नतीजा ये हुआ कि कमरे से बाहर जाने की बात भी उसके दिमाग़ से पूरी तरह निकल गयी

बेड पर जीत के बैठने की जगह बनाने के लिए तनवी ने खुद को बेड के सेंटर मे खिसकाया और जीत उसके बगल मे अपने घुटने मोड़ कर बैठ गया ..खड़ा लंड सर उठाए बहुत ही भयानक दिखाई दे रहा था जिसे तनवी अपनी कनखियों से जीत की नज़र बचा कर देखने लगी

" आहह...... "

जीत ने ट्यूब से क्रीम निकाल कर उसके चूतडो पर हल्की उंगली से लगाई तो तनवी की आह निकल गयी ..उसने उकड़ू बैठने की कोशिश की तो

जीत ने उसकी कमर पर अपनी कोहनी का दवाब डाल कर मना कर दिया

" डॅड मुझे बहुत पेन हो रहा है ..रहने दो "

वाकई मे तनवी दर्द से तड़प रही थी

" बस थोड़ी देर और "

जीत ने बस इतना सा जवाब दिया और अपना चेहरा चूतडो के पास कर नीचे झुका लिया ..घाव देखने मे आसानी की वजह से उसने ऐसा किया लेकिन तनवी की लगातार बहती चूत की खुश्बू से उसका रहा सहा सबर भी खोने लगा

" उफफफफफ्फ़ .....खुजली "

तनवी ठीक टाइम पर पंच मारती हुई अपना हाथ पीछे ले जा कर चूत की फाँक को सहलाने लगी..खुद के रस से सन कर उसकी उंगलियाँ चिप - चिपि हो गयी ..चेहरा नीचे झुके होने से जीत इस व्यू को बड़े गौर से देख रहा था और उसके खड़े लंड से प्री कम की बूंदे सुपाडे पर छलक आई

" डॅड आप को भी खुजली हो रही है क्या ? "

तनवी ने उसके गीले सुपाडे को देख कर कहा तो जीत की बॉडी मे बहता पूरा खून रुक गया उसने अपने हाथ से लंड छुआ ही था कि तनवी ने तेज़ी दिखाते हुए अपनी उंगली उसके गीले सुपाडे पर टिका दी

" तनवी..... "

जीत बुरी तरह से चीख पड़ा

" डॅड आप मेरे उधर खुजा दो मैं आपके यहाँ खुजली कर देती हूँ "

तनवी जो भी कर रही थी फुल कॉन्फिडेन्स और फुर्ती से ..जीत उसकी तेज़ी के मुक़ाबले आधा भी नही था ..तनवी ने बात को पूरा करते हुए जीत का फ्री हाथ अपनी फूली कुँवारी चूत पर दबा दिया और दोनो इस मस्ती भरे एहसास से बुरी तरह काँप उठे

" डॅड खुजाओ ना ..मुझसे रहा नही जाता "

रही सही कसर तनवी ने अपनी बात को कह कर पूरी कर दी और खुद उसके गीले सुपाडे पर अपनी नरम उंगली को फेरते हुए आहें भरने लगी ..जीत ने कुछ भी सोच पाने की स्थिति को खो दिया और अपनी कड़क उंगली का घर्षण चूत की कोमल देह पर देने लगा ..अब बाप बेटी दोनो मस्त थे ..जीत की आँखें बंद थी तो तनवी ने इस वक़्त को ठीक समझा अपने मन की बात जान ने के लिए

" डॅड एक बात पूछु "

तनवी ने लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर कहा ..पूरा हाथ लपेटने पर भी लंड उसकी पकड़ से अधूरा था

" ह्म्‍म्म्म...... "

जीत ने बिना आँखें खोले जवाब दिया

" डॅड आपने कल मुझे सिर्फ़ इस लिए मारा था ना ..क्यों कि मोम के जाने के बाद आपकी सेक्षुयल नीड्स पूरी नही हो पाती "

तनवी लंड को ऊपर - नीचे हिलाते हुए मास्टरबेट करने लगी ..जीत के कानो मे ये बात गयी और उसने झटके से अपनी उंगली चूत के मूँह से हटा दी

" डॅड खुजाते हुए बोलो ना ..अच्छा लग रहा है "

तनवी ने उसकी मनोदशा को ताडा और उसका हाथ फिर से अपनी चूत पर दबा दिया ..जीत काफ़ी देर तक उसके सवाल का जवाब ढूंढता रहा

" रश्मि ने मुझे बताया था कि तू एक नॉर्मल ज़िंदगी से दूर जाने लगी है ..तो मुझे अफ़सोस हुआ "

जीत ने काफ़ी स्लो वाय्स मे जवाब दिया

" डॅड अगर मोम को इस बात से तकलीफ़ थी तो मुझे बात सकती थी ..मैं कभी उनका दिल नही दुखाती ..बट आप ने कल "

तनवी रुआसी हो कर बेड पर बैठी और जीत से सीने से चिपक गयी

" डॅड मैं बिल्कुल अकेली हो गयी हूँ ..मैने मोम को नही मारा ..आप जैसा चाहोगे मैं वैसा ही करूँगी ..लेकिन डॅड मेरे मन से लेज़्बीयन होने वाली बात शायद कभी नही जा पाएगी क्यों कि मुझे लड़को मे कोई इंटेरेस्ट नही "

तनवी सिसकते हुए चुप हो गयी लेकिन जीत ने उसे अपने से अलग नही किया और ना ही उसकी किसी बात का कोई जवाब दिया ..वो किसी गहरी सोच मे डूबा था और उसकी सोच वाकई बहुत गहरी थी ..' तनवी के कहे अनुसार वो लड़को के प्रति कभी अट्रॅक्ट नही हो पाएगी ' बस अब उसकी सिर्फ़ यही बात जीत के कानो मे गूँज रही थी

अचानक से जीत ने तनवी का माथा चूमा और उसे बेड पर बैठा छोड़ खुद फ्लोर पर खड़ा हो गया ..उसने अपने शरीर से टी-शर्ट उतार कर दूर फेक दी

" देख तनवी लड़के ऐसे होते हैं ..किसी तरह के डर की कोई बात नही बस तुझे अपने मन से ये लेज़्बीयन होने का भ्रम मिटाना होगा ..मैने कल रात जो किया उसके लिए बहुत शर्मिंदा हूँ ..हाथ जोड़ कर अपने किए की माफी भी माँगता हूँ ..हो सके तो मुझे माफ़ कर देना बेटी "

इतना कह कर जीत अपना सर झुकाए कमरे से बाहर जाने लगा

" डॅड "

तनवी ने उसे आवाज़ दी तो जीत ने पलट कर उसके चेहरे को देखा

" आप मेरा डर ख़तम करेंगे ..बाहरी दुनिया मे मुझे किसी और पर कोई भरोसा नही ..मैं जानती हूँ हम फादर - डॉटर हैं और ये ग़लत होगा लेकिन अगर मोम होती तो वो भी मेरा साथ देती इस जंग से लड़ने मे ..बोलिए डॅड क्या आप मोम की कमी को पूरा करेंगे ? "

तनवी ने अपनी बाहें फैला कर कहा तो जीत खुद को रोक नही पाया ..अगले ही पल दोनो वापस आलिंगन मे थे लेकिन इस बार ना तो किसी की आँखें नम थी ना दिल मे मलाल ..था तो सिर्फ़ मुस्कुराता चेहरा

" मंज़ूर है लेकिन एक हद तक ..ना ही हम इंटरकोर्स करेंगे ना ही तू मुझे इस बात के लिए फोर्स करेगी "

जीत ने उसके चेहरे को हाथ से ऊपर उठा कर कहा जो शरमाहट के मारे तनवी ने उसकी चौड़ी छाती मे छुपा लिया था

" ओके सर ..पर ये इंटरकोर्स क्या होता है ? "

उसकी बात सुन जीत आज पूरे 10 दिन बाद खुल कर हसा था

" सब बता दूँगा फिकर मत कर "

जीत ने तनवी के लाल हो चुके गाल को चूम कर जवाब दिया


" लेकिन आप का ये बहुत बड़ा है "

तनवी ने उसके खड़े लंड पर अपने हाथ की मुट्ठी बना कर कहा

" तेरी मोम को बहुत पसंद था "

जीत उसके कोमल हाथ का एहसास फील कर मस्ती मे आ गया

" मुझे भी आएगा डॅड ..यू डोंट वरी "

तनवी लंड को पकड़े हुए बेड पर बैठ गयी ..कल जो डर उसकी आँखों मे था ..आज वो बिल्कुल नही घबरा रही थी ..उसने लंड के सुपाडे को स्किन पीछे खीचते हुए बाहर निकाला और जीत की आँखों मे देखते हुए अपनी जीभ सुपाडे पर गोल घुमा दी ..लंड उसके बड़े - बड़े बूब्स के ठीक ऊपर था

" आहह.....तनवी ..यू आर डॅम हॉट "

जीत के हाथ उसके सर पर पहुच गये लेकिन आज उसने तनवी पर किसी तरह का कोई दवाब नही डाला ..बल्कि बड़े प्यार से वो उसके बालो मे अपनी उंगलियाँ घुमाने लगा

" आज मुझे आप की पर्मिशन की कोई ज़रूरत नही ..ये अब सिर्फ़ मेरा है "

तनवी ने जीत को अपनी आँख मारी और लंड की टिप से चाट ती हुई उसके गोल टट्टो पर पहुच गयी ..टट्टो को मूँह मे भरने के लिए तनवी को पूरी तरह से अपने होंठ खोलने पड़े लेकिन उसने हार ना मानते हुए आख़िरकार दोनो टट्टो को एक साथ अपने मूँह के अंदर समा ही लिया

जब टटटे उसकी थूक से पूरी तरह सन गये तब उसने उन्हे अपने मूँह से बाहर निकाला और जीभ से खुद का थूक चाटने लगी ..चाट - चाट उसने दोनो टटटे एकदम लाल कर दिए

" डॅड अपनी टाँग को बेड पर रख लो आंड डॉन'ट योउ डेअर टू डिस्टर्ब मे "

तनवी ने बोलते हुए खुद ही उसकी एक टाँग बेड पर रख दी और बेड से नीचे खिसकती हुई टट्टो के एंड पॉइंट पर पहुच गयी ..वहाँ उसने पसीने से लथ्पत और बालो से घिरा जीत का आस होल देखा ..दो मिनट तक उसकी खुश्बू सूंघ तनवी की आँखों मे चमक आ गयी और फिर बिना किसी देरी के वो जीभ से गान्ड का छेद चाटने भिड़ गयी ..हलाकी ये उसने अपनी लेज़्बीयन सोच के चलते किया ..क्यों कि अक्सर वो अपनी लेसबो पार्ट्नर'स के आस होल चाटा करती थी

वहीं जीत फटी आँखों से तनवी की हरकतें देख रहा था ..माना रश्मि को भी ये सब पसंद था पर तनवी आज पहली ही बार मे इतना आगे निकल जाएगी जीत को अचंभा हुआ ..उसने तनवी को रोका नही बल्कि मस्ती मे अपनी आँखें मूंद ली ..छेद पर जीभ की छेड़ - छाड आनंद दायक थी

अनचाहे बाल तनवी की जीभ को परेशान कर रहे थे ..रह - रह कर वो उसके मूँह मे चले जाते और होल की चटाई रुक जाती

" मैं आज ही शेव कर लूँगा "

जीत ने उसकी परेशानी को समझ कर खुद ही बोल दिया

" थ्ट्स माइ डॅड "

तनवी भी उसकी बात का समर्थन करती हुई वापस ऊपर आने लगी ..वापसी मे फिर से टट्टो से होती हुई उसकी जीब सुपाडे पर पहुचि और अगले ही पल पूरा सुपाड़ा तनवी के मूँह मे था

कल की बात ध्यान मे आते ही उसने अपना टूटा आइ कॉंटॅक्ट फिर से जोड़ा और दोगुने जोश से वो जीत को टीस करने लगी ..जीब का घर्षण और होंठो का दबाव इतना ज़्यादा था कि जीत की बॉडी तुरंत ही अकड़ गयी

" उूुुउऊहह तनवी ....सक इट स्लोली बेबी "

उसके गरम मूँह की तेज़ी से जीत जल्दी झाड़ जाता जो उसे कतयि गवारा ना हुआ ..उसने इशारे से तनवी को सकिंग स्पीड कम करने की सलाह दी और अब खुद भी धीरे - धीरे लंड को उसके मूँह मे अंदर - बाहर करने लगा ..नीचे तनवी के दोनो हाथ लगातार उसके टट्टो को मसले जा रहे थे ..शायद ये भी एक वजह थी जीत का बेहतर स्टॅमिना इतने जल्दी क्रॅक होने की

थोड़ी देर बाद तनवी ने अपने हाथो को टट्टो से हटा कर जीत की जाँघो पर रखा और ज़ोर दिखाते हुए लगभग पूरा लंड अपने गले मे उतारने की कोशिश करने लगी

8" का लंड अगर किसी के गले मे फस जाए तो उसकी क्या हालत होगी इस बात से ना तो जीत अछूता था ना ही तनवी ..बड़ी कोशिशों के बाद भी वो खुद को चोक होने से नही रोक पाई ..आँखें बड़ी होने से आँसू छलक कर उसके गालो को गीला करने लगे

" आअहमम्म्ममम .......तनवी लीव इट "

जीत ने मज़े मे भी उसकी तकलीफ़ को पहचान कर उसे टोका लेकिन तनवी नही मानी ..पूरी ताक़त लगा कर उसने अपनी ठोडी जीत के टट्टो से टच करवा ही दी

" आआअहह....... बेटा मैं आया "

जीत चिल्लाया और उसके लंड ने लावा उगलना शुरू कर दिया ..तनवी की सहेन - शक्ति ख़तम होते ही लंड उसके मूँह से आधा बाहर निकल आया लेकिन अभी भी सुपाड़ा मूँह मे वीर्य की पिचकारी पर पिचकारी छोड़े जा रहा था ..आज लगभग 3 महीने बाद जीत झाड़ा था वो भी अपनी बेटी के मूँह मे

जब लंड से स्पर्म निकलना बंद हुआ तब तनवी ने झटके से अपना मूँह खोला और सारा वीर्य उल्टी के ज़रिए जीत के लंड और टाँगो पर बह गया ..तनवी ने जम कर 5 बार मूँह से पानी छोड़ा और थकान से बहाल हो कर बेड पर लेट गयी

" डॅड सॉरी मुझसे नही हुआ ..मैं कमज़ोर पड़ गयी "

तनवी ने अपनी चढ़ि सांसो को कंट्रोल करते हुए कहा

" रिलॅक्स "

जीत बाथ - रूम की तरफ जाते हुए बोला ..उसके चेहरे पर फुल सॅटिस्फॅक्षन महसूस कर तनवी रिलॅक्स होने लगी

वापस आने के बाद जीत ने भी उसे ओरल सेक्स का पूरा प्लेषर लौटाया जो आज भी जारी है लेकिन जो वादा दोनो ने आपस मे किया था वो कभी नही टूटा ' नो इंटरकोर्स ' ....

क्रमशः..............................................
Very hot and very erotic post
 
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पापी परिवार--8

दीप को तनवी के बारे मे बता कर जीत ने जो झटका दिया दीप उसे सह नही पाया और ऑफीस के बेड पर ही उसे नींद ने अपने आगोश मे ले लिया

वहीं घर पर सभी मेंबर्ज़ अपने अपने कमरो मे बंद थे ..रात को तकरीबन 12 बजे निम्मी अपने कमरे से बाहर निकली ..दिन मे अपने डॅड के साथ हुई घटना के बाद ये उसका पहला कदम था अपने रूम से बाहर निकल्ने का ..शायद भूख की वजह से वो नीचे हॉल से होती हुई किचन मे पहुचि और देखा तो उसकी प्लेट ज्यों की त्यों सजी रखी थी ..कम्मो ने डिन्नर के वक़्त उसे 20 सों आवाज़ें दी कि हॉल मे आ जाए लेकिन निम्मी ने उसका कोई जवाब नही दिया ..एक मा होने के नाते वो निम्मी की प्लेट को लेकर उसके कमरे मे भी गयी लेकिन निम्मी ने सोने का ऐसा नाटक किया जैसे सच मे बहुत गहरी नींद मे हो और थक हार कर कम्मो ने वापस उसकी प्लेट को किचन मे रख दिया ..रात लेट सोने की आदत से वाकिफ़ कम्मो ने सोचा जब उसकी नींद खुलेगी अपने आप खाना खा लेगी

माइक्रोवेव मे खाना गरम कर निम्मी ने सिर्फ़ एक रोटी खाई और पलट कर किचन से बाहर निकल गयी ..हॉल मे पहुच कर डाइनिंग - टेबल पर रखे 2 - 3 केलों पर झपट्टा मार वो स्टेर्स चढ़ती इससे पहले उसकी नज़र ग्राउंड फ्लोर पर बने अपनी बड़ी बहेन निक्की के कमरे की विंडो की तरफ घूमी ..खिड़की से बाहर आती ट्यूब - लाइट की रोशनी देख उसे अंदाज़ा हो गया कि निक्की अभी सोई नही है ..उसने एक बनाना छील कर उसका छिल्का आदत अनुसार . फ्लोर पर गिराया और धीमे कदमो से उसके रूम की तरफ बढ़ने लगी

" दी बहुत बोर इंसान है ..फिर आज मुझे नींद भी नही आ रही ..कोई मुर्गा भी नेट चॅट के लिए नही है क्यों ना आज दी का दिमाग़ खाया जाए ..वैसे भी उस बस्टर्ड से बदला लेने के लिए मुझे उसकी ज़रूरत पड़ सकती है "

ऐसा मंन मे सोच निम्मी के शैतानी मंन ने अंगड़ाई ली और उसके हाथ ने रूम का गेट नॉक कर दिया

लगभग 5 सेकेंड का वक़्त भी नही बीत पाया होगा और निक्की ने गेट खोल दिया ..सामने खड़ी अपनी छोटी बहेन को देख कर उसे एक करेंट सा लगा ..बात दरअसल ये थी कि आज पूरे 3 महीने बाद निम्मी उसके कमरे मे आई थी ..भले ही दोनो बहनो की आपसी बात - चीत हमेशा से अच्छी रही लेकिन रूम मे आना जाना ना के बराबर था ..निक्की ने तो अक्सर यही चाहा कि वो निम्मी को वक़्त दे सके ताकि उसकी छोटी बहेन के नेचर मे थोड़ी तो कूलनेस आए लेकिन उसे क्या पता कि निम्मी का माइंड सेन्स तो आइनस्टाइन को भी फैल करने के लिए काफ़ी था

निक्की ने जिस स्पीड से गेट खोला अगर निम्मी का गेट किसी ने नॉक किया होता तो उसे 5 मिनट तो खुद के नंगे बदन को कपड़ो से ढकने मे लग जाते और निम्मी की इस गंदी आदत से घर का हर सदस्य अच्छी तरह से वाकिफ़ होने से गेट पर वेट करना किसी को भी आखरता था

" मिस वैजयंती माला ..अगर आप की इजाज़त हो तो क्या ये मल्लिका शेरावत आपके कमरे मे आ जाए ? "

निम्मी ने हँसते हुए निक्की से कहा ..अकसर अपनी बहेन का ड्रेसिंग सेन्स देख उसे पुरानी अदाकारा वैजयंती माला की याद आ जाती और तो और अब वो निक्की को इसी नाम से बुलाती भी थी

" हां हां आजा ..वैसे आज तेरे पवन कदम मेरे ग़रीब खाने मे कैसे पधारे ? "

निक्की ने भी सेम उसी मजाकिया अंदाज़ मे जवाब दिया

" ऊफ्फ ओह ..गेट से तो हट दी "

निक्की की बात सुन निम्मी भी बड़ी कातिल अदा के साथ हाथ मे पकड़े केले को अपने मूँह मे डाल कर चूसा और हल्का सा दांतो का कट बना कर बाहर निकाल दिया ..सीन देख निक्की के तन बदन मे तो जैसे आग ही लग गयी ..केला बिल्कुल लंड के आकार मे आ गया था

" सुधर जा ..सुधर जा ..वरना बहुत मार खाएगी मुझसे "

निक्की ने गेट से हट कर उसे रूम के अंदर आने दिया और बिना गेट को लॉक किया उसके पीछे चलती हुई खुद भी बेड पर बैठ गयी

" दी गेट तो लॉक कर दे ..ऐसे खुला अच्छा नही लगता "

निम्मी ने केले के साथ की हुई हरकत को दोहराते हुए कहा

" उससे क्या प्राब्लम है ..वैसे भी मैं अपने रूम मे कुछ भी ऐसा नही करती जिससे मुझे गेट को लॉक करना पड़े "

निक्की ने अपना चेहरा उसी किताब मे झुका कर कहा जिसे वो थोड़े वक़्त पीछे निम्मी के कमरे मे आने से पहले पढ़ रही थी

" दी क्या तू भी मुझे बेशरम समझती है ? "

निम्मी ने अपने हाथ मे पकड़े फ्रेश केले से उसकी कमर को गुद गुदाते हुए पूछा

" ओउछ्ह्ह..... निम्मी मुझे ऐसे मज़ाक कतयि पसंद नही ..तो ये लास्ट वॉर्निंग है तेरे लिए ..समझी "

निक्की की कमर पर केले के एहसास ने उसे बेड पर उच्छलने पर मजबूर कर दिया ..बाद मे उसने गुस्से से निम्मी को अपनी उंगली दिखाते हुए डांटा

" क्या यार मेरा सारा रोमॅंटिक मूड ख़तम कर दिया ..छोड़ अगर तुझे बुरा लगा हो तो सॉरी ..मैं जा रही हूँ "

निम्मी ने बुरी सी शकल बनाते हुए ड्रामा किया और बेड से उतर कर रूम के बाहर जाने लगी

" मतलब कि कमरे से चली जाएगी लेकिन सुधर नही सकती ..ओये नोतंकी चल वापस जा "

निक्की उसके नाटक को समझ कर बोली ..उसको पता था कि निम्मी एक नंबर. की ड्रामे बाज़ है

" पहले मुझे सॉरी बोल "

निम्मी ने बिना पलते ही अपना फ़ैसला सुनाया और इंतज़ार मे अपने बढ़ते कदमो को रोक लिया

" तो मल्लिका जी ..मैं अपने कान पकड़ कर आप से क्षमा मांगती हूँ ..क्या आप इस वैजयंती को माफी दे कर कृतार्थ करेंगी "

निक्की ने उसका मूड बनाते हुए कहा और निम्मी ने उसकी तरफ पलट ते हुए अपने मोती जैसे दाँत बाहर निकाल दिए ..निम्मी के इस खूबसूरत अंदाज पर तो कामदेव भी फिदा हो जाते ..वो इस वक़्त एक ब्लॅक 1 पीस स्कर्ट पहने खड़ी थी जो स्ट्रॅप से उसके कंधे को और नीचे से सुडोल जाँघो को कवर कर रहा था ..ब्रा ना पहेन होने का एहसास उसकी चूचियों के तने निपल स्कर्ट के उपर हिस्से पर निशान बनाते हुए गवाही दे रहे थे और तो और स्कर्ट के नीचे पहनी डार्क रंग की छोटी सी थ्रेड पैंटी का धागा उसकी जाँघ से नीचे लटक रहा था ..माना निक्की का बदन अपनी छोटी बहेन के मुक़ाबले ज़्यादा भरा था लेकिन जो अदाए लड़को पर कहेर ढाने के लिए एक लड़की मे होनी चाहिए वो निम्मी मे कूट - कूट कर भरी थी ..उसका ये रिलॅक्स्ड पोज़ देख एक पल को निक्की की पलके झपकना भूल गयी और उसके अंतर मंन ने अपनी छोटी बहेन की तारीफ़ मे ' वाह ' की अर्ज़ी ठोक दी

" ऐसे नही ..अपने दिल से सॉरी बोल "

निक्की को अपने सपने मे खोता देख निम्मी ने उसे बात के ज़रिए जागाया

" हां - हां दिल से सॉरी "

निक्की ने खुद की सोच पर मुस्कुराते हुए अपनी दोनो बाहें हवा मे उठा दी जैसे अपने प्रेमी को आलिंगन मे लेने की भीख माँग रही हो

" अब तो तू गयी दी ..तेरा रेप हुआ समझ "


प्यार के वशीभूत निम्मी खुद को रोक नही पाई और हाथ मे पकड़े केले को ज़मीन पर गिरा कर दौड़ती हुई बेड पर उच्छल गयी ..निक्की को कतयि इसकी उम्मीद नही थी ..कहीं निम्मी को चोट ना लग जाए इस के चलते उसे भी तुरंत ही बेड पर लेटना पड़ा और अगले ही पल निम्मी उसके लेटे बदन से बुरी तरह लिपट गयी ..या यूँ कहिए गिर पड़ी ..वजन और हाइट सेम होने से दोनो लड़कियों के उभार एक ज़ोरदार दबाव से आपस मे टकराए तो जैसे चिंगारी निकल गयी ..दोनो के अनटच बूब्स पर ये पहला घर्षण था फिर चाहे मर्द का हो या किसी औरत जात का ..निक्की एक ढीले टॉप मॅचिंग का फुल लोवर पहने थी और ब्रा से उसके बूब्स बुरी तरह से जकड़े हुए थे ..वहीं निम्मी की गान्ड हवा मे लहरा रही थी और अपने मुड़े घुटने उसने निम्मी की कमर के आजू बाजू निकाल रखे थे ..नतीजा उसकी स्कर्ट खिसक कर लगभग आधी पीठ पर आ गयी और शानदार व्यू बनाती थेराड पैंटी से 70 % बाहर निकले गोल चूतडो की दरार पूरी तरह से विज़िबल हो गयी

जाने क्यू निक्की को उसके शरीर का भार अपने शरीर पर बिल्कुल भी महसूस नही हो रहा था और तो और निम्मी की ऊपर उठी गान्ड को ढकने की भी उसने कोई कोशिश नही की

" अब बोल ..कभी डान्टेगी मुझे "

निम्मी ने उसके दोनो हाथो पर अपने हाथ रखते हुए कहा लेकिन दोनो के बूब्स अभी भी उसी दवाब से चिपके थे ..निम्मी को आज वैसे भी डीप ने बहुत गरम कर दिया था बट निक्की इस मीठे दर्द से बिल्कुल अंजान थी

" नही डाटुन्गि मेरी मा ..अब उठ मेरे ऊपर से "

निक्की ने उसकी उठी गान्ड से नज़र हटाते हुए कहा ..दोनो के मूँह से निकलती गरम साँसे और उन सांसो के चलते बूब्स का घर्षण बेहद आनंद दायक था ..जो फीलिंग निक्की को आज हुई उसे पा कर वो बहुत अजीब सा महसूस कर रही थी

" नही उठ ती ..आज मैं तेरा रेप करने के मूड मे हूँ ..हा हा हा हा ..मैं गब्बर तू बसंती "

निम्मी ने उसकी मनोदशा को ताड़ते हुए जवाब दिया ..कहीं ना कहीं वो इसे अपने गेम का ही पार्ट मान चुकी थी

" पागल गेट खुला है और निकुंज भैया का रूम बिल्कुल बगल मे है ..ठीक नही होगा अगर वो इस वक़्त कमरे से बाहर निकल आए तो "

निक्की ने उसे अपनी समस्या बताई लेकिन वो चाहती थी कि निम्मी उसके उपर इसी तरह से थोड़ी देर और लेटी रहे

[ यहाँ एक बात बताना चाहूँगी ..घर के 1स्ट्रीट फ्लोर पर निम्मी और उसके पेरेंट्स का कमरा है और ग्राउंड फ्लोर पर निक्की और उसके भाई निकुंज का ..बात सिर्फ़ नेचर की थी जिसने करमो का डिस्ट्रिब्यूशन अपने आप ही कर दिया था ]

" तो अगर ये गेट लॉक होता तो क्या तू मुझे अपना रेप करने देती ? "

निम्मी ने अपने होंठ उसके होंठो के करीब ला कर पूछा ..वो जान कर साँसें भी बड़ी गहरी और तेज़ी से ले रही थी

" समझा कर ..बचपना छोड़ ..भले भैया की नींद कुंभकारण को मात करती हो लेकिन अच्छा नही लगता ..अगर वो बाहर आ गये तो बेवजह डाँट पड़ेगी "

निक्की ने इस बार उसकी स्कर्ट को अपने हाथ से पकड़ा और नंगे पैंटी बंद चूतडो को ढकने लगी अचानक से उसका हाथ गान्ड पर घूम गया और वो निम्मी की पकड़ से आज़ाद हो गयी

" उईईइ मा ..छ्हीई मेरे पिछवाड़े को हाथ लगाती है "

ये बोल कर निम्मी ने बदला लेने की गर्ज से उसके लेफ्ट बूब को हाथ मे भर कर ज़ोर से पंप किया और उसके ऊपर से हट गयी

" आअहह ...निम्मी...... "

निक्की ने लगभग चीख छोड़ दी

" क्या हुआ दी ? "

निम्मी ने फिर से उसी बूब को छुना चाहा लेकिन तब तक निक्की ने खुद को सम्हाल लिया और उसका हाथ हटा कर खुद भी बेड पर बैठ गयी

" तेरा दिमाग़ तो सही है "

निक्की ने उसे डांटा ..उसके टॉप पर निम्मी के हाथ से रिंकल बन गये थे

" मैने क्या किया ..तूने मुझे वहाँ छुआ तो मैने तेरे वहाँ छु कर बदला ले लिया "

निम्मी ने अपने एक हाथ की उंगली से बूब्स की तरफ इशारा किया और दूसरे हाथ की उंगली अपनी गान्ड की तरफ कर दी ..सब जानते हुए भी भोलेपन का नाटक उसे बचपन से ही पसंद था

" वो तो मैने उसे तेरी स्कर्ट से ढका था लेकिन तूने तो मेरी जान ही निकाल दी "

निक्की ने उसकी बात से शरमाते हुए उसके मुलायम गाल पर प्यार की थपकी दे कर कहा

" सॉरी दी "

निम्मी ने अबकी बार मायूसी का नाटक किया तो निक्की ज़ोरो से हंस दी

" अच्छा छोड़ तू ये बता किसी ख़ास काम से कमरे मे आई थी क्या ? "

निक्की ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा

" वो दी वो..... "

निम्मी क्या बहाना उसे देती ये सोचने मे उसके शैतानी दिमाग़ ने अपना काम शुरू कर दिया

" हां हां बोल "

निक्की अब पूरी तारह से नॉर्मल हो चुकी थी

" वो दी ..पहले प्रॉमिस करो डान्टोगी नही "

जब तक निम्मी के माइंड ने उसे रूम मे आने का एक बढ़िया सा बहाना सूझा दिया तो उसके चेहरे पर एक अजीब तरीके के भाव तैरने लगे

" गेट लॉक कर दू क्या ? "

निक्की भी समझ गयी कि बात कुछ पर्सनल है

" नही दी खुला रहने दो लेकिन मैं कैसे पूच्छू मुझे समझ नही आ रहा "

निम्मी ने अपना चेहरा नीचे झुका लिया

" अरे मैं तेरी बड़ी बहेन हूँ और उससे पहले एक लड़की ..मुझसे कैसा घबराना ..तू बेझीजक पूछ जो पूछना है "

बात का सीरीयस - पन निक्की के चेहरे पर भी शो होने लगा

" हेर रिमूवर यूज़ करने से कोई प्राब्लम तो नही होती ना "

निम्मी ने एक साँस मे अपनी बात पूरी की और अपने दोनो हाथो से अपना चेहरा छुपा लिया ..जब निक्की को उसकी बात समझ आई तो उसके भी गाल शरम से लाल हो गये

" हेर रिमूवर "

शब्द मूँह से निकाल कर निक्की अतीत की यादों मे खो गयी जब उसके सर पर एक बोल्ड मॉडेल बनने का भूत सवार था ..तब उसके शरीर मे बहुत से बदलाव भी आना शुरू हो गये थे ..MC ..ब्रा की उपयोगिता ..पॅड चेंजिंग ..बॉडी के अन्द्रुनि हिस्सो पर बाल और भी कयि तरह की बातें ..लेकिन अपने शर्मीले नेचर के चलते ना तो वो इन चीज़ो के बारे मे अपनी माँ से कभी पूछ पाई नही ही किसी फ्रेंड से ..बाद मे कम्मो ने ही उसकी मनोदशा को भापते हुए थोड़ा वक़्त निकाल कर उसे हर बदलाव के बारे मे बखूबी समझाया ..यहाँ बात अगर निम्मी की नेचर की करें तो वो बिल्कुल अपनी बहेन से अलग थी और इंटरनेट के ज़रिए उसने खुद ही सब कुछ सीख लिया ..आज हालात ने निम्मी को अपनी बहेन से 80 % ज़्यादा आगे निकाल दिया था

" क्या सोच रही हो दी ? "

निम्मी की आवाज़ से निक्की का ध्यान टूट गया

" कुछ नही ..खेर हेर - रिमूवर यूज़ करने से कोई प्राब्लम नही आती "

निक्की ने उसके सर पर हाथ फेर कर कहा

" वो दी मुझे हेर्स से अपने यहाँ बहुत स्ट्रेंज सी फीलिंग आती है ..मैं कल ही खरीद कर यूज़ करूँगी "

निम्मी ने ये बोलते हुए अपनी चूत पर उंगली से इशारा किया और चेहरे को वापस ढक लिया

" अरे इसमे इतनी शरमाने वाली बात कहाँ है ..रुक मैं देती हूँ ..मेरे पास है "

ये बोल कर निक्की बेड से उतर कर अपने बाथ - रूम मे चली गयी लेकिन सच बात तो ये थी कि आज तक उसने कभी अपनी झान्टे सॉफ नही की थी ..बहुत घना जंगल उसकी चूत पर उगा हुआ था ..साथ ही उसे निम्मी की बात पर थोड़ी हैरानी भी हुई ..कहाँ इतना मोर्डर्न गेट - अप और अब तक हेर - रिमूवर यूज़ नही किया

" ये ले ..खुद लगा लेगी या मैं मदद करूँ "

निक्की ने क्रीम निम्मी के हाथ मे दे कर कहा

" ःऔउउउउउउ ......आप कितनी गंदी हो दी "

निम्मी ने उसकी बात का ये मतलब लगाया कि निक्की खुद उसकी झाटों को सॉफ कर देगी

" अरे मैं सॉफ नही करूँगी ..सिर्फ़ मेतड बताने के लिए ऐसा बोला ..बेवकूफ़ "

निक्की हंसते हुए बोली और साथ मे निम्मी भी मुस्कुरा दी

" मैं यूज़ कर लूँगी ..डोंट वरी "

ये बोल कर निम्मी बेड से उतर कर खड़ी हो गयी

" अच्छा सुन ..कल के लिए मुझे एक लोवर दे दे ..मेरे दोनो लोवर बुककेट मे गीले पड़े हैं "

हर रोज़ 5 बजे सुबह निक्की निकुंज के साथ दौड़ने जाती थी और साथ मे योगा भी करती

" दी आप को टाइट होगा ..मेरा वाला तो मुझे भी बहुत फिट आता है "

निम्मी ने कुछ दिन पहले एक लोवर खरीदा था ..लेकिन छोटे कपड़ो की आदत के चलते पहेन नही पाई

" चल ठीक है ..मैं ट्राइ कर लूँगी "

निक्की की आँखें वापस उसी किताब मे खो गयी जिसे पढ़ने मे वो थोड़ी देर पहले बिज़ी थी

" मैं अभी ला कर देती हूँ ..थॅंक्स फॉर दिस क्रीम और; "

निम्मी रूम से बाहर जाते हुए .........और......... पर रुक गयी

" और; क्या ? "

निक्की ने उसका चेहरा देख कर पूछा

" आइ लव यू मिस वैजयंती माला "

निम्मी ने एक फ्लाइयिंग किस उसकी तरफ उछाल दी

" लव यू टू मिस मल्लिका "

निक्की ने किस को हाथ मे पकड़ कर अपने गालो से लगा लिया और निम्मी दौड़ती हुई अपने रूम मे आ गयी ..वॉर्डरोब से लोवर निकाल कर वो वापस निक्की के रूम मे जाने को पलटी ही थी कि उसके दिमाग़ मे एक बात आई

" क्यों ना कल कोई ड्रामा किया जाए ..अगर लोवर मुझे इतना फिट आता है तो दी को कितना आएगा "

ये सोच कर उसने टेबल के कपबोर्ड से एक ब्लेड निकाली और लोवर की स्ट्रेचिंग थ्रेड काटने लगी

" हे हे हे हे ..कल आएगा मज़ा "

ब्लेड से थ्रेड काटने के बाद उसने लोवर को बॅक साइड से खीच कर देखा तो समझ गयी कि अगर निक्की कल इस लोवर को पहेन कर झुकी तो उसका पिच्छवाड़ा ओपन हो जाएगा वो भी निकुंज के सामने

उसने लोवर को वापस रॅप किया और निक्की के बेड पर फेक कर लौट आई ..निक्की ने एक नज़र लोवर पर डाल कर देखा और वापस अपनी पढ़ाई मे व्यस्त हो गयी ......

क्रमशः.....................................
 
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