Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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I

Ishani

UPDATE 004

रिवीजन

अब तक आप सभी ने पढा कि कहानी ने जहा आयुष बाबू अपनी समान्य जीवन मे मस्तियाँ और रोमांच के मजे ले रहे हैं ।
वही पुरा शुक्ला भवन का स्टाफ अपनी चुलबुली और तुनकमिजाजी इंचार्ज मीरा के इरादो से बेखबर है । जो अपने बुआ की एक बक्लोल सी लड़की को आयुष के पल्ले बान्धने के फिराक मे अपने ताने बाने बुन रही है ।
अब आगे,,,



सेम डे सेम होमवर्क

रोज की दिनचर्या के हिसाब दोपहर के भोजन के लिए आशिष , आयुष को लिवा कर घर आता है ।

हाल की चौकी पर मुन्शी जी आराम कर रहे थे और बगल के कमरे से टीवी पर किसी सत्संग के प्रसारण की आवाजे आ रही थी ।

आशिष हाल मे घुसते हुए कुर्सी पकड कर बैठते है और मीरा को आवाज देते है

आशिष - मीराआआआ ये मिराआआ

मनोहर आंखे मुंदे ही - जरा सीढ़ी पर जाय के आवाज देओ ,,, चौबेपुर वाली मिश्राइन आई है

आशिष अचरज से - बुआ इहा , उ कौन काम से

मनोहर करवट बदलते हुए - अरे उका मुड़ी के इहा नवाबगंज मे कालिज मिला है उका लिये हैगी

आशिष कुछ सोचते हुए उठा और सीढि से फिर से मीरा को आवाज दी तो मीरा दौडते हुए निचे आई

मीरा हाफते हुए - आ गये का आप,,ऊ चौबेपुर वाली बुआ आई ना तो

आशिष कुछ मुह बनाते हुए - हा ठीक है खाना लगाओ और ब्च्चु के लिए भी ,,,
आशिष इधर उधर देख कर - इ ब्च्चु कहा गया

आशिष - आयुष ये आयुष
तभी आयुष बाहर से हाल मे प्रवेश करता है - जी भैया

आशिष - कहा गये रहे , खाना नाही खाना का

आयुष अपना मोबाईल जेब मे रखते हुए - खाना है ना भैया , वो कम्पनी से फोन आया था

फिर दोनो खाने के टेबल पर खाना खा रहे होते है इसी दौरान

आशिष- अच्छा, का कौनौ खास बात थी का आयुष

आयुष मुस्कुरा कर - हा भैया , कम्पनी ने हमारा फ्लाइट का टिकट बुक कर दिया है , उसी के लिए फोन आया था ।


आयुष की बाते आशिष के साथ मीरा भी बडे ध्यान से सुन रही थी और उसके मन की छ्टपटाहट बढ़ रही थी ।

अशीष खाने के प्लेट मे चावल मे चम्मच घुमाते हुए - अच्छा कब की है टिकट

आयुष मुसकुराते हुए- भैया शुक्रवार को

अशीष - औ वहा रहे के कोई इन्तेजाम है कि नाही
आयुष खाना खाते हुए - भैया कम्पनी की तरफ से फ्लैट मिल रहा है

आशिष थोडा निश्चिंत होकर - हा वही मतलब अगर कोई दिक्कत हो तो बताओ , सुशीला बुआ है उही नोएडा मे ,,वही बात कर लेंगे बाऊ जी

आयुष , आशिष को आस्व्श्त करते हुए - अरे नाही भैया कोनो दिक्कत नही होगा


लंच ओवर क्लास स्टार्ट

खाना खतम कर आयुष बाबू अपने कमरे मे चले गये जबकि अशीष का खाना जारी था

मीरा - ये जी ,, हमको तो आयुष बाबू को लेके टेनशन हो रहा है

अशीष - काहे , का हुआ
मीरा तुनक कर - जे आप को तो कोनो टेन्सन ही ना हैगी ,, जे ना सोच रहे छोटकन भाई है , नया शहिर मे अकेले रहने जा रहा है , भगवान ना करे कोनो करमजली फास ले उको तो

आशिष मुस्कुरा कर - अरे काहे टेनसनीया रही हो ,, ब्च्चु अब बड़ा होई गवा है और अपना भला बुरा खुद समझ सकता है

मीरा मुह बना कर - जे कौनौ गड़बड़ हुई तो ,,,हम तो कही रहे हैं कि उका जल्दी से शादी तय करा देओ और कोनो मुड़ी पठाये दो ,,, अझुराया रहोगो उसी मा


अशीष खाना खतम कर हाथ धुलता हुआ - तुम झूठहे टेन्सनियाय रही हो मीरा ,,, आयुष समझदार है

फ़िलहाल तो मीरा के लेक्चर का आशिष पर कोई असर नही हुआ
अशीष शुक्ला खाने के बाद वापस दुकान की ओर निकल गये और मीरा अपनी बात न मनवा पाने पर भनभना कर रह गई और कुछ सोच कर उपर अपने बुआ के पास गयी ।


टेस्ट विदआउट नोटिस

कमरे मे
सोनमती - जे का हुआ , का बात हुई जमाई बाऊ से

मीरा भन्नाते हुए - अरे का होगा बुआ , 4 दिन मा आयुष की फ्लाइट है और इनको हमाये बात को जू तक ना रेंगो

सोनमती चिंतित होके - हे भोलेनाथ , अब ???

मीरा कुछ सोच कर थोडा आत्मविश्वासी होकर - जे अब तो नयो खेल खेलनो पडोगो बुआ

सोनमती परेशान होकर - जे हमको टेनसन हो रहा है औ तुम खेल खेलन जा रही हो

मीरा झल्ला कर - इ पगलीया के साथ रह के तुम्हू पगलाये गयी हो का बुआ

मीरा - अरे हम कुछ प्लान करने की बात कही रहे हैं और तुम

सोनमती हस कर - हेहेहेहे अच्छा अच्छा सोच सोच

मीरा कुछ सोच कर चारु से , जो कि बिस्तर पर लेटे हुए मोबाइल मे रिल्स स्पाईप कर रही थी और हस रही थी

मीरा - हे पगली उठ ,, इधर आओ

मीरा - निचे किचन मे फिरीज मा , संतरा वाला जूस होगो जग मा , उका एक ग्लास मे लेके आओ

चारु मुह बनाते हुए उठी और निचे से एक ट्रे मे संतरे का जूस लेके उपर आई और वही टेबल पर रखा और वापस बिस्तर की ओर जाने लगी

मीरा - उधर का जा रही है ये मोटासी , इधर आ ,,

चारु तुनक कर बुदबुदाते हुए - हा जीजी बोलो

मीरा उसके पास खड़ी होकर एक बार उसके बाल थोडे सवारे और एक तरफ से कुछ बाल निकाल कर सामने कर दिये ।
फिर उसके दुपट्टा पीछे से खिच कर गले से चिपका दिया ताकि उसका क्लिवेज दिखे

फिर निचे झुक के उसके पैजामी की चूडिया सेट की और खड़ी हो गयी ।

चारु अपने गले स चिपके दुपट्टे को खीचते हुए - ऐसे काहे कर रही ही जीजी सब खुला खुला दिख रहा है

मीरा उसे समझाते हुए वापस उसका दुपट्टा गले पर चढा देती है
मीरा- भक्क पगली , जे इतना सुन्दर गले का डिजाईन का करने के लिए बनवाई है ,,दिखेगा नही तो पैसे बर्बाद ही है ना क्यू बुआ

सोनमती मजबूरी बस मीरा की हा मे हा मिलाती है क्योकि मीरा की हरकत तो उसे भी पसंद नही आती है

फिर मीरा चारु को वही जूस वाला ट्रे थामा देती है

मीरा - जा , आयुष बाबू को ये जूस देके आ

चारु को अटपटा सा लगता है , वो जानती है कि मीरा और उसकी मा जबरदस्ती उसकी शादी करवाना चाहते है लेकिन वो भी क्या कर सकती थी ।
ये सब उसके लिए ठीक वैसा ही था जैसे स्कूल मे टीचर हमे बिना कोई अग्रिम सूचना दिये अपने मूड के हिसाब से टेस्ट के लिए बोल देते थे ।


वो भी ट्रे लेके आयुष के कमरे का दरवाजा खटखटाती है ।
वही मीरा और सोनमती अपने कमरे के दरवाजे से बाहर झाक रहे होते है

इधर आयुष उठ कर आता है और दरवाजा खोलता है

चारु एक नजर आयुष को देखती है और फिर नजरे नीची कर लेती है

आयुष चारु को देख के - अरे चारु तुम ??

चारु नजरे नीची किये हुए थी और उसे अपने दुपट्टे के लिए बहुत ही शर्म आ रही थी
चारु दबी हुई आवाज - जूस
आयुष मुस्कुरा कर - अरे आओ आओ ,,, भाभी नही थी क्या

चारु अब क्या बोलती की सारी करतुत भाभी की ही तो है
आयुष कमरे मे आकर बिस्तर पर टेक लेके बैठ जाता है और बगल मे लगी चेयर पर चारु को बैठने को कहता है ।


चारु बहुत घबरा रही थी और टेबल पर जूस का ट्रे रख कर कुर्सी पर बैठ जाती है ।

इधर ये दोनो कमरे मे जाते है तो वही मीरा फटाक से दौड़ कर आयुष के दरवाजे से कान लगा कर खड़ी हो जाती है और उसके पीछे सोनमती भी

अन्दर आयुष इस समय एक बुक लेके बैठा था जो कि उसके बिस्तर पर पडा था ।
चारु कुछ सोच विचार दबे स्वर मे - आप अब भी पढाई करते है क्या

आयुष हस कर - नही , ये तो नावेल है ,,वैसे तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है

चारु उदास मन से- मेरी पढाई तो खतम हो गयी ,, BA कर ली है मैने

आयूष - ओह फिर आगे
चारु उखड़े मन से - अम्मा आगे नही पढने दे रही है ,

आयुष को थोडा अजीब सा लगा चारु के जवाब मे लेकिन वो समझ रहा था कि दुनिया समाज की दकियानुसी सोच को जो आज भी कही न कही लड़का और लडकी के लिए अलग अलग भावना रखे हुए थे ।

आयुष मुस्कुरा कर चारु को देखता जिसकी नजर उसकी टेबल पर रखे हिन्दी साहित्य के ख्यातिमान लेखक जयशंकर प्रसाद की लिखी एक किताब - तितली पर टिकी हुई थी ।


आयुष - अगर तुम चाहो तो ये ले सकती हो , पढ कर वापस दे देना

चारु को मानो खुशियो की गाड़ी मिल गयी हो और वो लपक कर वो किताब उठा लेती है ।

आयुष को भी अच्छा मह्सूस होता है कि इतने समय मे चारु के चेहरे पर मुस्कान बिखरि थी । जिसमे उसका भोलापन और मासूमियत और बचपना सबकी झलक थी ।

चारु खड़ी हुई और नजरे झुका कर आयुष को किताब के लिए धन्यवाद किया लेकिन इस बार कोई डर का भाव नही था ,, एक मुस्कान थी चेहरे पर

इधर मीरा और सोनमती को आभास हुआ कि चारु वापस आ रही है तो वो वापस कमरे मे आ गयी ।

थोड़ी ही देर मे चारु कमरे मे किताब लेके आई

मीरा लपक कर उसे खिचती हुए - हे पगली,, का बात हुआ उहा

चारु फिर से डर सी गयी - कुछ भी तो नही जीजी , बस ऐसे ही पढाई लिखाई की बाते

मीरा अपना सर पकड कर बैठ जाती है - हे भोलेनाथ,,, का होगो इ पगली का ,

मीरा थोडा चारु पर गरमा कर - हम काहे लिये तुमको भेजे थे उहा

चारु मासूमियत से - जूस के लिये जीजी ,, दे तो आये

मीरा का तो खुन उबल कर रह गया और वो सोनमती को देख कर - का होगा बुआ इ बकलोली का

सोनमती मीरा को परेशान देख कर- अरे इहमे उका का दोष , ऊ तो वाई की जे तुमने कही

मीरा खुद को शांत कर कुछ सोचते हुए एक नया प्लान बनाती है - हमम्म मतलब , इको बहुत कुछ सिखानो पडोगो

इधर मीरा और सोनमती अगले प्लान के लिए अपनी खोपड़ी मे जोर दे रहे थे ,,वही उसी कमरे मे चारु बड़ी मासूमियत से सब कुछ भूल कर किताब खोल कर बैठ गयी थी ।


क्लास बंक प्लान

एक तरफ जहा मीरा अपनी खोपड़ी मे जोर देके कुछ नये की प्लानिंग मे थी
वही आयुष बाबू कमरे मे बैठे बैठे बोर रहे थे और बाहर कही घूमना चाह रहे थे । इसिलिए वो अपने घनिष्ट , लन्गोटिया और एकमात्र मित्र 3D के पास फोन घुमाते है ।

3D बाबू जो नवाबगंज के एक राजनीतिक पार्टी के निजी कार्यालय मे हो रही एक मिटिंग मे व्यस्त थे । पार्टी उनकी खुद की नही थी बल्कि कार्यकर्ता मात्र थे। लेकिन 3D भैया नवाबगंज के पूर्व चेयरमैन के सुपुत्र रह चुके थे तो पार्टी का महामन्त्री इन्हे ही बनाया गया था ।
पैसे की वजह से पार्टी मे रुतबा इतना था कि अध्यक्ष के बाद दुसरी बडी फ़ोटो , पार्टी के हर बैनर पर इनकी होती थी ।

अब ऐसे मे 3D बाबू खुद को पार्टी का खास हिस्सा मानते थे और हमेशा अपनी जिम्मेदारि को समझते थे ।
अब इतने जिम्मेदार व्यक्ति का बीच मिटिंग से उठ कर जाना भी सही नही था , जबकि मिटिंग की अगुवाई खुद अध्यक्ष महोदय कर रहे हो तो ।
लेकिन लेकिन लेकिन ,,,लेकिन 3D भैया इतने भी खुदगर्ज नही थे कि उनके परम मित्र का फोन आये और वो ना उठाये ।

धर्मसंकट आ गया था 3D के लिए , आखिर करे तो क्या करे

एक तरफ आयुष बाबू के फोन की रिंग आ रही थी, वही अध्यक्ष जी पार्टी की योजना को लेके गंभीर चर्चा कर रहे थे ।

कुछ सेकंड की इस मानसिक जद्दोजहद के बाद कि पार्टी जरुरी या दोस्त

आखिरकार दोसती का मान रखते हुए फोन उठा लिया और उठाते हुए बोल पड़े- हा बाऊजी, हम पार्टी मिटिंग मे है ,, कोनो जरुरी काम

आयुष 3D के बहाने पे पहले हसा और बोला - बेटा, हम घर पर जरा बोर रहे है और तुमको कुछ जरुरी बात बतानी है ,,, जल्दी से अनवर पान वाले के यहा पहुचो ।

फिर आयूष हस कर फोन रख देता है ।
बुरे फसे 3D भैया ,, क्योकि आयुष ने उनको बिना कोई सफाई देने का मौका दिये ,सीधे फैसला सुना दिया


इधर पार्टी मिटिंग मे ये सोच कर शान्ति हो गयी कि पूर्व चेयरमैन साहब का फोन आया है । फोन कटते ही

अध्यक्ष - क्या हुआ दुबे ,, चेयरमैन साहब ठीक है ना ,,काहे परसान दिख रहे हो

3D को जैसे मौका मिल गया बहाने का
3D- हा भैया ऊ बाउजी का दस्त नही रुक रहा है सुबह से तो दवाई बदलेक लिये कही रहे है ।

अध्यक्ष बड़ी चिन्ता भाव से - अच्छा ठीक है तो तुम जाओ दवा लेके जल्दी घर फिर फोन करना जैसा हो ,,,,आते है हम शाम तक घर

3D - जी भैया
फिर 3D तुरंत कार्यालय से बाहर आता है और बुलेट लेके निकल जाता है , अनवर पान स्टाल पर



प्राइवेट टयूशन

इधर एक तरफ जहा 3D और आयुष , अनवर पान स्टाल पर मिल कर निकल जाते है घूमने
वही शुक्ला भवन मे मीरा , चारु की प्राइवेट टयूशन ले रही होती है ।

बंद कमरे मे मीरा और चारु अकेले होते है । मीरा, सोनमती को गेस्टरूम मे आराम करने का बोल कर चारु को अपने साथ अपने बेडरूम मे ले जाती है ।


मीरा चारु को समझाते हुए - देख चारु एक बात हमायी तू धियान से समझ

चारु मन उतार कर हा मे सर हिलाती है ।
मीरा - तू ठहरी बक्लोल और दब्बू ,, आज नाही तो कल ससुराल जायेगी ना ,, औ कल को तुमहारो मुड़ा शराबी जुआरि निकल गवो तो का करेगी , उपर से जेठानी ननंद परेशान करोगो सो अलग

चारु चुपचाप मीरा की बातो को सुन रही थी और उससे खुद को जोड़ रही थी ।

मीरा को भी इस बात का बखूबी अह्सास था
ऐसे मे उसने अपना अगला पासा फेका
मीरा - अच्छा इ बताओ ,, आयुष कैसा है

एक पल के लिए चारु को आयुष की सादगी का ख्याल आया और वो अपने आप उसी कमरे मे वापस ले गयी ।
जहा वो अपने दुपट्टे को गलत ढंग से लेने के लिए झिझक मह्सूस कर रही थी वही आयुष ने एक नजर भी उसके बेआबरु हुए सीने को नही देखा था ।

वही सोच कर चारु मुस्कुराई- वो तो अच्छे है जीजी

मीरा चारु से कबूलवाते हुए - शादी करेगी उका से
चारु हस कर - का जीजी , हम इ सब थोडी सोचे है

मीरा चारु को समझाते हुए - तो पगली सोच ना ,, सोच आयुष से ब्याह हो जायोगो तो इहे घर मे रहेगी ,,, जेठानी और ननद से कोनो डर ना रहोगो ,,हमाये जैसे ठाट से रहेगी ।

चारु मीरा की बाते ध्यान से सुन रही थी
मीरा उसको फुसलाते हुए - जे सोच , डेढ़ करोड़ सालाना कमाई है उकी ,,सब कुछ तुमाओ हो जाओगो और गाड़ी मे घुमे के मिलोगो सो अलग

चारु भी धीरे धीरे मीरा के ब्रेन वास वाले बिचार से प्रभावित हो रही थी ।
वो तो थी ही ऐसी , मासूम , शांत और एक बच्चे से दिल वाली
जहा कही भी थोडी सी खुशिया नजर आती उसी मे खो जाती थी । उसी मे अपनी दुनिया बना लेती थी ।


चारु थोडी जिज्ञासा से - लेकिन आयुष जी थोडी ना मानेगे


मीरा एक शरारती मुस्कान के साथ चारु के सर पर हाथ फेर कर - उकी चिन्ता ना कर ,, हम है ना उका लिये

चारु चुप रही और बस अभी अभी मीरा द्वारा सजाये गये एक माया की दुनिया मे खुद को तालाशने लगी ।

जारी रहेगी


शब्दार्थ
उका = उसका
उ = वो
इको = इसको
इहा = यहा
उहा = वहा
बक्लोल = मन्द बुद्धि
मुड़ी = लड़की
मुड़ा = लड़का
हैगी = आई है या आयेगी
ब्च्चु = घर मे सबसे छोटा
टेनसनिया रही = परेशान हो रही
दस्त ना रुकना = पेट खराब होना

क्लिवेज = दरार 😂😂😂 [ DON'T GOOGLE IT ]
पठाय दो = साथ मे रखने के लिए मंजूरी
अझुराना = फसा रहना


इम्पोर्टेंट नोटिस
सभी विद्यार्थीयो को सूचित किया जाता है कि आज का अपडेट पढने के बाद सभी लोग अपने अपने विचार से इस गद्यान्श का सार और उसपे टिप्पणियाँ लिख कर मुझे दिखाएँगे ।।

सभी विद्यार्थियो को उनके प्रर्दशन के अनुसार एमोजी रियेक्शन और प्रतिक्रिया दी जायेगी ।
धन्यवाद
आयुष जी ज़रा संभल कर चलो
मीरा खड़ी यहाँ मीरा खड़ी
नैनों में चिंगारियाँ , गोरा बदन शोलों की लड़ी
उसकी नज़रों में प्यास, दिल में तलाश
होंठों में हैं बंद नर्मी
उसकी चुनरी में दाग, सीने में आग
साँसों में हैं कैद गर्मी
छूने से जल जाओगे , समझो ना खुलेगा फुलझड़ी
बिजली गिरेगी बिजली 🤭
 
R

Riya

UPDATE 004

रिवीजन

अब तक आप सभी ने पढा कि कहानी ने जहा आयुष बाबू अपनी समान्य जीवन मे मस्तियाँ और रोमांच के मजे ले रहे हैं ।
वही पुरा शुक्ला भवन का स्टाफ अपनी चुलबुली और तुनकमिजाजी इंचार्ज मीरा के इरादो से बेखबर है । जो अपने बुआ की एक बक्लोल सी लड़की को आयुष के पल्ले बान्धने के फिराक मे अपने ताने बाने बुन रही है ।
अब आगे,,,



सेम डे सेम होमवर्क

रोज की दिनचर्या के हिसाब दोपहर के भोजन के लिए आशिष , आयुष को लिवा कर घर आता है ।

हाल की चौकी पर मुन्शी जी आराम कर रहे थे और बगल के कमरे से टीवी पर किसी सत्संग के प्रसारण की आवाजे आ रही थी ।

आशिष हाल मे घुसते हुए कुर्सी पकड कर बैठते है और मीरा को आवाज देते है

आशिष - मीराआआआ ये मिराआआ

मनोहर आंखे मुंदे ही - जरा सीढ़ी पर जाय के आवाज देओ ,,, चौबेपुर वाली मिश्राइन आई है

आशिष अचरज से - बुआ इहा , उ कौन काम से

मनोहर करवट बदलते हुए - अरे उका मुड़ी के इहा नवाबगंज मे कालिज मिला है उका लिये हैगी

आशिष कुछ सोचते हुए उठा और सीढि से फिर से मीरा को आवाज दी तो मीरा दौडते हुए निचे आई

मीरा हाफते हुए - आ गये का आप,,ऊ चौबेपुर वाली बुआ आई ना तो

आशिष कुछ मुह बनाते हुए - हा ठीक है खाना लगाओ और ब्च्चु के लिए भी ,,,
आशिष इधर उधर देख कर - इ ब्च्चु कहा गया

आशिष - आयुष ये आयुष
तभी आयुष बाहर से हाल मे प्रवेश करता है - जी भैया

आशिष - कहा गये रहे , खाना नाही खाना का

आयुष अपना मोबाईल जेब मे रखते हुए - खाना है ना भैया , वो कम्पनी से फोन आया था

फिर दोनो खाने के टेबल पर खाना खा रहे होते है इसी दौरान

आशिष- अच्छा, का कौनौ खास बात थी का आयुष

आयुष मुस्कुरा कर - हा भैया , कम्पनी ने हमारा फ्लाइट का टिकट बुक कर दिया है , उसी के लिए फोन आया था ।


आयुष की बाते आशिष के साथ मीरा भी बडे ध्यान से सुन रही थी और उसके मन की छ्टपटाहट बढ़ रही थी ।

अशीष खाने के प्लेट मे चावल मे चम्मच घुमाते हुए - अच्छा कब की है टिकट

आयुष मुसकुराते हुए- भैया शुक्रवार को

अशीष - औ वहा रहे के कोई इन्तेजाम है कि नाही
आयुष खाना खाते हुए - भैया कम्पनी की तरफ से फ्लैट मिल रहा है

आशिष थोडा निश्चिंत होकर - हा वही मतलब अगर कोई दिक्कत हो तो बताओ , सुशीला बुआ है उही नोएडा मे ,,वही बात कर लेंगे बाऊ जी

आयुष , आशिष को आस्व्श्त करते हुए - अरे नाही भैया कोनो दिक्कत नही होगा


लंच ओवर क्लास स्टार्ट

खाना खतम कर आयुष बाबू अपने कमरे मे चले गये जबकि अशीष का खाना जारी था

मीरा - ये जी ,, हमको तो आयुष बाबू को लेके टेनशन हो रहा है

अशीष - काहे , का हुआ
मीरा तुनक कर - जे आप को तो कोनो टेन्सन ही ना हैगी ,, जे ना सोच रहे छोटकन भाई है , नया शहिर मे अकेले रहने जा रहा है , भगवान ना करे कोनो करमजली फास ले उको तो

आशिष मुस्कुरा कर - अरे काहे टेनसनीया रही हो ,, ब्च्चु अब बड़ा होई गवा है और अपना भला बुरा खुद समझ सकता है

मीरा मुह बना कर - जे कौनौ गड़बड़ हुई तो ,,,हम तो कही रहे हैं कि उका जल्दी से शादी तय करा देओ और कोनो मुड़ी पठाये दो ,,, अझुराया रहोगो उसी मा


अशीष खाना खतम कर हाथ धुलता हुआ - तुम झूठहे टेन्सनियाय रही हो मीरा ,,, आयुष समझदार है

फ़िलहाल तो मीरा के लेक्चर का आशिष पर कोई असर नही हुआ
अशीष शुक्ला खाने के बाद वापस दुकान की ओर निकल गये और मीरा अपनी बात न मनवा पाने पर भनभना कर रह गई और कुछ सोच कर उपर अपने बुआ के पास गयी ।


टेस्ट विदआउट नोटिस

कमरे मे
सोनमती - जे का हुआ , का बात हुई जमाई बाऊ से

मीरा भन्नाते हुए - अरे का होगा बुआ , 4 दिन मा आयुष की फ्लाइट है और इनको हमाये बात को जू तक ना रेंगो

सोनमती चिंतित होके - हे भोलेनाथ , अब ???

मीरा कुछ सोच कर थोडा आत्मविश्वासी होकर - जे अब तो नयो खेल खेलनो पडोगो बुआ

सोनमती परेशान होकर - जे हमको टेनसन हो रहा है औ तुम खेल खेलन जा रही हो

मीरा झल्ला कर - इ पगलीया के साथ रह के तुम्हू पगलाये गयी हो का बुआ

मीरा - अरे हम कुछ प्लान करने की बात कही रहे हैं और तुम

सोनमती हस कर - हेहेहेहे अच्छा अच्छा सोच सोच

मीरा कुछ सोच कर चारु से , जो कि बिस्तर पर लेटे हुए मोबाइल मे रिल्स स्पाईप कर रही थी और हस रही थी

मीरा - हे पगली उठ ,, इधर आओ

मीरा - निचे किचन मे फिरीज मा , संतरा वाला जूस होगो जग मा , उका एक ग्लास मे लेके आओ

चारु मुह बनाते हुए उठी और निचे से एक ट्रे मे संतरे का जूस लेके उपर आई और वही टेबल पर रखा और वापस बिस्तर की ओर जाने लगी

मीरा - उधर का जा रही है ये मोटासी , इधर आ ,,

चारु तुनक कर बुदबुदाते हुए - हा जीजी बोलो

मीरा उसके पास खड़ी होकर एक बार उसके बाल थोडे सवारे और एक तरफ से कुछ बाल निकाल कर सामने कर दिये ।
फिर उसके दुपट्टा पीछे से खिच कर गले से चिपका दिया ताकि उसका क्लिवेज दिखे

फिर निचे झुक के उसके पैजामी की चूडिया सेट की और खड़ी हो गयी ।

चारु अपने गले स चिपके दुपट्टे को खीचते हुए - ऐसे काहे कर रही ही जीजी सब खुला खुला दिख रहा है

मीरा उसे समझाते हुए वापस उसका दुपट्टा गले पर चढा देती है
मीरा- भक्क पगली , जे इतना सुन्दर गले का डिजाईन का करने के लिए बनवाई है ,,दिखेगा नही तो पैसे बर्बाद ही है ना क्यू बुआ

सोनमती मजबूरी बस मीरा की हा मे हा मिलाती है क्योकि मीरा की हरकत तो उसे भी पसंद नही आती है

फिर मीरा चारु को वही जूस वाला ट्रे थामा देती है

मीरा - जा , आयुष बाबू को ये जूस देके आ

चारु को अटपटा सा लगता है , वो जानती है कि मीरा और उसकी मा जबरदस्ती उसकी शादी करवाना चाहते है लेकिन वो भी क्या कर सकती थी ।
ये सब उसके लिए ठीक वैसा ही था जैसे स्कूल मे टीचर हमे बिना कोई अग्रिम सूचना दिये अपने मूड के हिसाब से टेस्ट के लिए बोल देते थे ।


वो भी ट्रे लेके आयुष के कमरे का दरवाजा खटखटाती है ।
वही मीरा और सोनमती अपने कमरे के दरवाजे से बाहर झाक रहे होते है

इधर आयुष उठ कर आता है और दरवाजा खोलता है

चारु एक नजर आयुष को देखती है और फिर नजरे नीची कर लेती है

आयुष चारु को देख के - अरे चारु तुम ??

चारु नजरे नीची किये हुए थी और उसे अपने दुपट्टे के लिए बहुत ही शर्म आ रही थी
चारु दबी हुई आवाज - जूस
आयुष मुस्कुरा कर - अरे आओ आओ ,,, भाभी नही थी क्या

चारु अब क्या बोलती की सारी करतुत भाभी की ही तो है
आयुष कमरे मे आकर बिस्तर पर टेक लेके बैठ जाता है और बगल मे लगी चेयर पर चारु को बैठने को कहता है ।


चारु बहुत घबरा रही थी और टेबल पर जूस का ट्रे रख कर कुर्सी पर बैठ जाती है ।

इधर ये दोनो कमरे मे जाते है तो वही मीरा फटाक से दौड़ कर आयुष के दरवाजे से कान लगा कर खड़ी हो जाती है और उसके पीछे सोनमती भी

अन्दर आयुष इस समय एक बुक लेके बैठा था जो कि उसके बिस्तर पर पडा था ।
चारु कुछ सोच विचार दबे स्वर मे - आप अब भी पढाई करते है क्या

आयुष हस कर - नही , ये तो नावेल है ,,वैसे तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है

चारु उदास मन से- मेरी पढाई तो खतम हो गयी ,, BA कर ली है मैने

आयूष - ओह फिर आगे
चारु उखड़े मन से - अम्मा आगे नही पढने दे रही है ,

आयुष को थोडा अजीब सा लगा चारु के जवाब मे लेकिन वो समझ रहा था कि दुनिया समाज की दकियानुसी सोच को जो आज भी कही न कही लड़का और लडकी के लिए अलग अलग भावना रखे हुए थे ।

आयुष मुस्कुरा कर चारु को देखता जिसकी नजर उसकी टेबल पर रखे हिन्दी साहित्य के ख्यातिमान लेखक जयशंकर प्रसाद की लिखी एक किताब - तितली पर टिकी हुई थी ।


आयुष - अगर तुम चाहो तो ये ले सकती हो , पढ कर वापस दे देना

चारु को मानो खुशियो की गाड़ी मिल गयी हो और वो लपक कर वो किताब उठा लेती है ।

आयुष को भी अच्छा मह्सूस होता है कि इतने समय मे चारु के चेहरे पर मुस्कान बिखरि थी । जिसमे उसका भोलापन और मासूमियत और बचपना सबकी झलक थी ।

चारु खड़ी हुई और नजरे झुका कर आयुष को किताब के लिए धन्यवाद किया लेकिन इस बार कोई डर का भाव नही था ,, एक मुस्कान थी चेहरे पर

इधर मीरा और सोनमती को आभास हुआ कि चारु वापस आ रही है तो वो वापस कमरे मे आ गयी ।

थोड़ी ही देर मे चारु कमरे मे किताब लेके आई

मीरा लपक कर उसे खिचती हुए - हे पगली,, का बात हुआ उहा

चारु फिर से डर सी गयी - कुछ भी तो नही जीजी , बस ऐसे ही पढाई लिखाई की बाते

मीरा अपना सर पकड कर बैठ जाती है - हे भोलेनाथ,,, का होगो इ पगली का ,

मीरा थोडा चारु पर गरमा कर - हम काहे लिये तुमको भेजे थे उहा

चारु मासूमियत से - जूस के लिये जीजी ,, दे तो आये

मीरा का तो खुन उबल कर रह गया और वो सोनमती को देख कर - का होगा बुआ इ बकलोली का

सोनमती मीरा को परेशान देख कर- अरे इहमे उका का दोष , ऊ तो वाई की जे तुमने कही

मीरा खुद को शांत कर कुछ सोचते हुए एक नया प्लान बनाती है - हमम्म मतलब , इको बहुत कुछ सिखानो पडोगो

इधर मीरा और सोनमती अगले प्लान के लिए अपनी खोपड़ी मे जोर दे रहे थे ,,वही उसी कमरे मे चारु बड़ी मासूमियत से सब कुछ भूल कर किताब खोल कर बैठ गयी थी ।


क्लास बंक प्लान

एक तरफ जहा मीरा अपनी खोपड़ी मे जोर देके कुछ नये की प्लानिंग मे थी
वही आयुष बाबू कमरे मे बैठे बैठे बोर रहे थे और बाहर कही घूमना चाह रहे थे । इसिलिए वो अपने घनिष्ट , लन्गोटिया और एकमात्र मित्र 3D के पास फोन घुमाते है ।

3D बाबू जो नवाबगंज के एक राजनीतिक पार्टी के निजी कार्यालय मे हो रही एक मिटिंग मे व्यस्त थे । पार्टी उनकी खुद की नही थी बल्कि कार्यकर्ता मात्र थे। लेकिन 3D भैया नवाबगंज के पूर्व चेयरमैन के सुपुत्र रह चुके थे तो पार्टी का महामन्त्री इन्हे ही बनाया गया था ।
पैसे की वजह से पार्टी मे रुतबा इतना था कि अध्यक्ष के बाद दुसरी बडी फ़ोटो , पार्टी के हर बैनर पर इनकी होती थी ।

अब ऐसे मे 3D बाबू खुद को पार्टी का खास हिस्सा मानते थे और हमेशा अपनी जिम्मेदारि को समझते थे ।
अब इतने जिम्मेदार व्यक्ति का बीच मिटिंग से उठ कर जाना भी सही नही था , जबकि मिटिंग की अगुवाई खुद अध्यक्ष महोदय कर रहे हो तो ।
लेकिन लेकिन लेकिन ,,,लेकिन 3D भैया इतने भी खुदगर्ज नही थे कि उनके परम मित्र का फोन आये और वो ना उठाये ।

धर्मसंकट आ गया था 3D के लिए , आखिर करे तो क्या करे

एक तरफ आयुष बाबू के फोन की रिंग आ रही थी, वही अध्यक्ष जी पार्टी की योजना को लेके गंभीर चर्चा कर रहे थे ।

कुछ सेकंड की इस मानसिक जद्दोजहद के बाद कि पार्टी जरुरी या दोस्त

आखिरकार दोसती का मान रखते हुए फोन उठा लिया और उठाते हुए बोल पड़े- हा बाऊजी, हम पार्टी मिटिंग मे है ,, कोनो जरुरी काम

आयुष 3D के बहाने पे पहले हसा और बोला - बेटा, हम घर पर जरा बोर रहे है और तुमको कुछ जरुरी बात बतानी है ,,, जल्दी से अनवर पान वाले के यहा पहुचो ।

फिर आयूष हस कर फोन रख देता है ।
बुरे फसे 3D भैया ,, क्योकि आयुष ने उनको बिना कोई सफाई देने का मौका दिये ,सीधे फैसला सुना दिया


इधर पार्टी मिटिंग मे ये सोच कर शान्ति हो गयी कि पूर्व चेयरमैन साहब का फोन आया है । फोन कटते ही

अध्यक्ष - क्या हुआ दुबे ,, चेयरमैन साहब ठीक है ना ,,काहे परसान दिख रहे हो

3D को जैसे मौका मिल गया बहाने का
3D- हा भैया ऊ बाउजी का दस्त नही रुक रहा है सुबह से तो दवाई बदलेक लिये कही रहे है ।

अध्यक्ष बड़ी चिन्ता भाव से - अच्छा ठीक है तो तुम जाओ दवा लेके जल्दी घर फिर फोन करना जैसा हो ,,,,आते है हम शाम तक घर

3D - जी भैया
फिर 3D तुरंत कार्यालय से बाहर आता है और बुलेट लेके निकल जाता है , अनवर पान स्टाल पर



प्राइवेट टयूशन

इधर एक तरफ जहा 3D और आयुष , अनवर पान स्टाल पर मिल कर निकल जाते है घूमने
वही शुक्ला भवन मे मीरा , चारु की प्राइवेट टयूशन ले रही होती है ।

बंद कमरे मे मीरा और चारु अकेले होते है । मीरा, सोनमती को गेस्टरूम मे आराम करने का बोल कर चारु को अपने साथ अपने बेडरूम मे ले जाती है ।


मीरा चारु को समझाते हुए - देख चारु एक बात हमायी तू धियान से समझ

चारु मन उतार कर हा मे सर हिलाती है ।
मीरा - तू ठहरी बक्लोल और दब्बू ,, आज नाही तो कल ससुराल जायेगी ना ,, औ कल को तुमहारो मुड़ा शराबी जुआरि निकल गवो तो का करेगी , उपर से जेठानी ननंद परेशान करोगो सो अलग

चारु चुपचाप मीरा की बातो को सुन रही थी और उससे खुद को जोड़ रही थी ।

मीरा को भी इस बात का बखूबी अह्सास था
ऐसे मे उसने अपना अगला पासा फेका
मीरा - अच्छा इ बताओ ,, आयुष कैसा है

एक पल के लिए चारु को आयुष की सादगी का ख्याल आया और वो अपने आप उसी कमरे मे वापस ले गयी ।
जहा वो अपने दुपट्टे को गलत ढंग से लेने के लिए झिझक मह्सूस कर रही थी वही आयुष ने एक नजर भी उसके बेआबरु हुए सीने को नही देखा था ।

वही सोच कर चारु मुस्कुराई- वो तो अच्छे है जीजी

मीरा चारु से कबूलवाते हुए - शादी करेगी उका से
चारु हस कर - का जीजी , हम इ सब थोडी सोचे है

मीरा चारु को समझाते हुए - तो पगली सोच ना ,, सोच आयुष से ब्याह हो जायोगो तो इहे घर मे रहेगी ,,, जेठानी और ननद से कोनो डर ना रहोगो ,,हमाये जैसे ठाट से रहेगी ।

चारु मीरा की बाते ध्यान से सुन रही थी
मीरा उसको फुसलाते हुए - जे सोच , डेढ़ करोड़ सालाना कमाई है उकी ,,सब कुछ तुमाओ हो जाओगो और गाड़ी मे घुमे के मिलोगो सो अलग

चारु भी धीरे धीरे मीरा के ब्रेन वास वाले बिचार से प्रभावित हो रही थी ।
वो तो थी ही ऐसी , मासूम , शांत और एक बच्चे से दिल वाली
जहा कही भी थोडी सी खुशिया नजर आती उसी मे खो जाती थी । उसी मे अपनी दुनिया बना लेती थी ।


चारु थोडी जिज्ञासा से - लेकिन आयुष जी थोडी ना मानेगे


मीरा एक शरारती मुस्कान के साथ चारु के सर पर हाथ फेर कर - उकी चिन्ता ना कर ,, हम है ना उका लिये

चारु चुप रही और बस अभी अभी मीरा द्वारा सजाये गये एक माया की दुनिया मे खुद को तालाशने लगी ।

जारी रहेगी


शब्दार्थ
उका = उसका
उ = वो
इको = इसको
इहा = यहा
उहा = वहा
बक्लोल = मन्द बुद्धि
मुड़ी = लड़की
मुड़ा = लड़का
हैगी = आई है या आयेगी
ब्च्चु = घर मे सबसे छोटा
टेनसनिया रही = परेशान हो रही
दस्त ना रुकना = पेट खराब होना

क्लिवेज = दरार 😂😂😂 [ DON'T GOOGLE IT ]
पठाय दो = साथ मे रखने के लिए मंजूरी
अझुराना = फसा रहना


इम्पोर्टेंट नोटिस
सभी विद्यार्थीयो को सूचित किया जाता है कि आज का अपडेट पढने के बाद सभी लोग अपने अपने विचार से इस गद्यान्श का सार और उसपे टिप्पणियाँ लिख कर मुझे दिखाएँगे ।।

सभी विद्यार्थियो को उनके प्रर्दशन के अनुसार एमोजी रियेक्शन और प्रतिक्रिया दी जायेगी ।
धन्यवाद
Wonderful update. meera bhabhi ne charu ki shadi ayush se karane ke liye ek alag strategy bana li hai. juice dene wala plan chopat hone bad meera samjh gayi ke aise kam nahi banne wala. therefore pure parivar se chupke ab meera charu ko training de rahi hai. uska brain bhi watch kar rahi hai.

shukla family ki bahu banne ki kabil hai wo. thodi kam akal hai par uska man saaf aur nirmal hai. padhi likhi bhi hai .
 
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UPDATE 004

रिवीजन

अब तक आप सभी ने पढा कि कहानी ने जहा आयुष बाबू अपनी समान्य जीवन मे मस्तियाँ और रोमांच के मजे ले रहे हैं ।
वही पुरा शुक्ला भवन का स्टाफ अपनी चुलबुली और तुनकमिजाजी इंचार्ज मीरा के इरादो से बेखबर है । जो अपने बुआ की एक बक्लोल सी लड़की को आयुष के पल्ले बान्धने के फिराक मे अपने ताने बाने बुन रही है ।
अब आगे,,,



सेम डे सेम होमवर्क

रोज की दिनचर्या के हिसाब दोपहर के भोजन के लिए आशिष , आयुष को लिवा कर घर आता है ।

हाल की चौकी पर मुन्शी जी आराम कर रहे थे और बगल के कमरे से टीवी पर किसी सत्संग के प्रसारण की आवाजे आ रही थी ।

आशिष हाल मे घुसते हुए कुर्सी पकड कर बैठते है और मीरा को आवाज देते है

आशिष - मीराआआआ ये मिराआआ

मनोहर आंखे मुंदे ही - जरा सीढ़ी पर जाय के आवाज देओ ,,, चौबेपुर वाली मिश्राइन आई है

आशिष अचरज से - बुआ इहा , उ कौन काम से

मनोहर करवट बदलते हुए - अरे उका मुड़ी के इहा नवाबगंज मे कालिज मिला है उका लिये हैगी

आशिष कुछ सोचते हुए उठा और सीढि से फिर से मीरा को आवाज दी तो मीरा दौडते हुए निचे आई

मीरा हाफते हुए - आ गये का आप,,ऊ चौबेपुर वाली बुआ आई ना तो

आशिष कुछ मुह बनाते हुए - हा ठीक है खाना लगाओ और ब्च्चु के लिए भी ,,,
आशिष इधर उधर देख कर - इ ब्च्चु कहा गया

आशिष - आयुष ये आयुष
तभी आयुष बाहर से हाल मे प्रवेश करता है - जी भैया

आशिष - कहा गये रहे , खाना नाही खाना का

आयुष अपना मोबाईल जेब मे रखते हुए - खाना है ना भैया , वो कम्पनी से फोन आया था

फिर दोनो खाने के टेबल पर खाना खा रहे होते है इसी दौरान

आशिष- अच्छा, का कौनौ खास बात थी का आयुष

आयुष मुस्कुरा कर - हा भैया , कम्पनी ने हमारा फ्लाइट का टिकट बुक कर दिया है , उसी के लिए फोन आया था ।


आयुष की बाते आशिष के साथ मीरा भी बडे ध्यान से सुन रही थी और उसके मन की छ्टपटाहट बढ़ रही थी ।

अशीष खाने के प्लेट मे चावल मे चम्मच घुमाते हुए - अच्छा कब की है टिकट

आयुष मुसकुराते हुए- भैया शुक्रवार को

अशीष - औ वहा रहे के कोई इन्तेजाम है कि नाही
आयुष खाना खाते हुए - भैया कम्पनी की तरफ से फ्लैट मिल रहा है

आशिष थोडा निश्चिंत होकर - हा वही मतलब अगर कोई दिक्कत हो तो बताओ , सुशीला बुआ है उही नोएडा मे ,,वही बात कर लेंगे बाऊ जी

आयुष , आशिष को आस्व्श्त करते हुए - अरे नाही भैया कोनो दिक्कत नही होगा


लंच ओवर क्लास स्टार्ट

खाना खतम कर आयुष बाबू अपने कमरे मे चले गये जबकि अशीष का खाना जारी था

मीरा - ये जी ,, हमको तो आयुष बाबू को लेके टेनशन हो रहा है

अशीष - काहे , का हुआ
मीरा तुनक कर - जे आप को तो कोनो टेन्सन ही ना हैगी ,, जे ना सोच रहे छोटकन भाई है , नया शहिर मे अकेले रहने जा रहा है , भगवान ना करे कोनो करमजली फास ले उको तो

आशिष मुस्कुरा कर - अरे काहे टेनसनीया रही हो ,, ब्च्चु अब बड़ा होई गवा है और अपना भला बुरा खुद समझ सकता है

मीरा मुह बना कर - जे कौनौ गड़बड़ हुई तो ,,,हम तो कही रहे हैं कि उका जल्दी से शादी तय करा देओ और कोनो मुड़ी पठाये दो ,,, अझुराया रहोगो उसी मा


अशीष खाना खतम कर हाथ धुलता हुआ - तुम झूठहे टेन्सनियाय रही हो मीरा ,,, आयुष समझदार है

फ़िलहाल तो मीरा के लेक्चर का आशिष पर कोई असर नही हुआ
अशीष शुक्ला खाने के बाद वापस दुकान की ओर निकल गये और मीरा अपनी बात न मनवा पाने पर भनभना कर रह गई और कुछ सोच कर उपर अपने बुआ के पास गयी ।


टेस्ट विदआउट नोटिस

कमरे मे
सोनमती - जे का हुआ , का बात हुई जमाई बाऊ से

मीरा भन्नाते हुए - अरे का होगा बुआ , 4 दिन मा आयुष की फ्लाइट है और इनको हमाये बात को जू तक ना रेंगो

सोनमती चिंतित होके - हे भोलेनाथ , अब ???

मीरा कुछ सोच कर थोडा आत्मविश्वासी होकर - जे अब तो नयो खेल खेलनो पडोगो बुआ

सोनमती परेशान होकर - जे हमको टेनसन हो रहा है औ तुम खेल खेलन जा रही हो

मीरा झल्ला कर - इ पगलीया के साथ रह के तुम्हू पगलाये गयी हो का बुआ

मीरा - अरे हम कुछ प्लान करने की बात कही रहे हैं और तुम

सोनमती हस कर - हेहेहेहे अच्छा अच्छा सोच सोच

मीरा कुछ सोच कर चारु से , जो कि बिस्तर पर लेटे हुए मोबाइल मे रिल्स स्पाईप कर रही थी और हस रही थी

मीरा - हे पगली उठ ,, इधर आओ

मीरा - निचे किचन मे फिरीज मा , संतरा वाला जूस होगो जग मा , उका एक ग्लास मे लेके आओ

चारु मुह बनाते हुए उठी और निचे से एक ट्रे मे संतरे का जूस लेके उपर आई और वही टेबल पर रखा और वापस बिस्तर की ओर जाने लगी

मीरा - उधर का जा रही है ये मोटासी , इधर आ ,,

चारु तुनक कर बुदबुदाते हुए - हा जीजी बोलो

मीरा उसके पास खड़ी होकर एक बार उसके बाल थोडे सवारे और एक तरफ से कुछ बाल निकाल कर सामने कर दिये ।
फिर उसके दुपट्टा पीछे से खिच कर गले से चिपका दिया ताकि उसका क्लिवेज दिखे

फिर निचे झुक के उसके पैजामी की चूडिया सेट की और खड़ी हो गयी ।

चारु अपने गले स चिपके दुपट्टे को खीचते हुए - ऐसे काहे कर रही ही जीजी सब खुला खुला दिख रहा है

मीरा उसे समझाते हुए वापस उसका दुपट्टा गले पर चढा देती है
मीरा- भक्क पगली , जे इतना सुन्दर गले का डिजाईन का करने के लिए बनवाई है ,,दिखेगा नही तो पैसे बर्बाद ही है ना क्यू बुआ

सोनमती मजबूरी बस मीरा की हा मे हा मिलाती है क्योकि मीरा की हरकत तो उसे भी पसंद नही आती है

फिर मीरा चारु को वही जूस वाला ट्रे थामा देती है

मीरा - जा , आयुष बाबू को ये जूस देके आ

चारु को अटपटा सा लगता है , वो जानती है कि मीरा और उसकी मा जबरदस्ती उसकी शादी करवाना चाहते है लेकिन वो भी क्या कर सकती थी ।
ये सब उसके लिए ठीक वैसा ही था जैसे स्कूल मे टीचर हमे बिना कोई अग्रिम सूचना दिये अपने मूड के हिसाब से टेस्ट के लिए बोल देते थे ।


वो भी ट्रे लेके आयुष के कमरे का दरवाजा खटखटाती है ।
वही मीरा और सोनमती अपने कमरे के दरवाजे से बाहर झाक रहे होते है

इधर आयुष उठ कर आता है और दरवाजा खोलता है

चारु एक नजर आयुष को देखती है और फिर नजरे नीची कर लेती है

आयुष चारु को देख के - अरे चारु तुम ??

चारु नजरे नीची किये हुए थी और उसे अपने दुपट्टे के लिए बहुत ही शर्म आ रही थी
चारु दबी हुई आवाज - जूस
आयुष मुस्कुरा कर - अरे आओ आओ ,,, भाभी नही थी क्या

चारु अब क्या बोलती की सारी करतुत भाभी की ही तो है
आयुष कमरे मे आकर बिस्तर पर टेक लेके बैठ जाता है और बगल मे लगी चेयर पर चारु को बैठने को कहता है ।


चारु बहुत घबरा रही थी और टेबल पर जूस का ट्रे रख कर कुर्सी पर बैठ जाती है ।

इधर ये दोनो कमरे मे जाते है तो वही मीरा फटाक से दौड़ कर आयुष के दरवाजे से कान लगा कर खड़ी हो जाती है और उसके पीछे सोनमती भी

अन्दर आयुष इस समय एक बुक लेके बैठा था जो कि उसके बिस्तर पर पडा था ।
चारु कुछ सोच विचार दबे स्वर मे - आप अब भी पढाई करते है क्या

आयुष हस कर - नही , ये तो नावेल है ,,वैसे तुम्हारी पढाई कैसी चल रही है

चारु उदास मन से- मेरी पढाई तो खतम हो गयी ,, BA कर ली है मैने

आयूष - ओह फिर आगे
चारु उखड़े मन से - अम्मा आगे नही पढने दे रही है ,

आयुष को थोडा अजीब सा लगा चारु के जवाब मे लेकिन वो समझ रहा था कि दुनिया समाज की दकियानुसी सोच को जो आज भी कही न कही लड़का और लडकी के लिए अलग अलग भावना रखे हुए थे ।

आयुष मुस्कुरा कर चारु को देखता जिसकी नजर उसकी टेबल पर रखे हिन्दी साहित्य के ख्यातिमान लेखक जयशंकर प्रसाद की लिखी एक किताब - तितली पर टिकी हुई थी ।


आयुष - अगर तुम चाहो तो ये ले सकती हो , पढ कर वापस दे देना

चारु को मानो खुशियो की गाड़ी मिल गयी हो और वो लपक कर वो किताब उठा लेती है ।

आयुष को भी अच्छा मह्सूस होता है कि इतने समय मे चारु के चेहरे पर मुस्कान बिखरि थी । जिसमे उसका भोलापन और मासूमियत और बचपना सबकी झलक थी ।

चारु खड़ी हुई और नजरे झुका कर आयुष को किताब के लिए धन्यवाद किया लेकिन इस बार कोई डर का भाव नही था ,, एक मुस्कान थी चेहरे पर

इधर मीरा और सोनमती को आभास हुआ कि चारु वापस आ रही है तो वो वापस कमरे मे आ गयी ।

थोड़ी ही देर मे चारु कमरे मे किताब लेके आई

मीरा लपक कर उसे खिचती हुए - हे पगली,, का बात हुआ उहा

चारु फिर से डर सी गयी - कुछ भी तो नही जीजी , बस ऐसे ही पढाई लिखाई की बाते

मीरा अपना सर पकड कर बैठ जाती है - हे भोलेनाथ,,, का होगो इ पगली का ,

मीरा थोडा चारु पर गरमा कर - हम काहे लिये तुमको भेजे थे उहा

चारु मासूमियत से - जूस के लिये जीजी ,, दे तो आये

मीरा का तो खुन उबल कर रह गया और वो सोनमती को देख कर - का होगा बुआ इ बकलोली का

सोनमती मीरा को परेशान देख कर- अरे इहमे उका का दोष , ऊ तो वाई की जे तुमने कही

मीरा खुद को शांत कर कुछ सोचते हुए एक नया प्लान बनाती है - हमम्म मतलब , इको बहुत कुछ सिखानो पडोगो

इधर मीरा और सोनमती अगले प्लान के लिए अपनी खोपड़ी मे जोर दे रहे थे ,,वही उसी कमरे मे चारु बड़ी मासूमियत से सब कुछ भूल कर किताब खोल कर बैठ गयी थी ।


क्लास बंक प्लान

एक तरफ जहा मीरा अपनी खोपड़ी मे जोर देके कुछ नये की प्लानिंग मे थी
वही आयुष बाबू कमरे मे बैठे बैठे बोर रहे थे और बाहर कही घूमना चाह रहे थे । इसिलिए वो अपने घनिष्ट , लन्गोटिया और एकमात्र मित्र 3D के पास फोन घुमाते है ।

3D बाबू जो नवाबगंज के एक राजनीतिक पार्टी के निजी कार्यालय मे हो रही एक मिटिंग मे व्यस्त थे । पार्टी उनकी खुद की नही थी बल्कि कार्यकर्ता मात्र थे। लेकिन 3D भैया नवाबगंज के पूर्व चेयरमैन के सुपुत्र रह चुके थे तो पार्टी का महामन्त्री इन्हे ही बनाया गया था ।
पैसे की वजह से पार्टी मे रुतबा इतना था कि अध्यक्ष के बाद दुसरी बडी फ़ोटो , पार्टी के हर बैनर पर इनकी होती थी ।

अब ऐसे मे 3D बाबू खुद को पार्टी का खास हिस्सा मानते थे और हमेशा अपनी जिम्मेदारि को समझते थे ।
अब इतने जिम्मेदार व्यक्ति का बीच मिटिंग से उठ कर जाना भी सही नही था , जबकि मिटिंग की अगुवाई खुद अध्यक्ष महोदय कर रहे हो तो ।
लेकिन लेकिन लेकिन ,,,लेकिन 3D भैया इतने भी खुदगर्ज नही थे कि उनके परम मित्र का फोन आये और वो ना उठाये ।

धर्मसंकट आ गया था 3D के लिए , आखिर करे तो क्या करे

एक तरफ आयुष बाबू के फोन की रिंग आ रही थी, वही अध्यक्ष जी पार्टी की योजना को लेके गंभीर चर्चा कर रहे थे ।

कुछ सेकंड की इस मानसिक जद्दोजहद के बाद कि पार्टी जरुरी या दोस्त

आखिरकार दोसती का मान रखते हुए फोन उठा लिया और उठाते हुए बोल पड़े- हा बाऊजी, हम पार्टी मिटिंग मे है ,, कोनो जरुरी काम

आयुष 3D के बहाने पे पहले हसा और बोला - बेटा, हम घर पर जरा बोर रहे है और तुमको कुछ जरुरी बात बतानी है ,,, जल्दी से अनवर पान वाले के यहा पहुचो ।

फिर आयूष हस कर फोन रख देता है ।
बुरे फसे 3D भैया ,, क्योकि आयुष ने उनको बिना कोई सफाई देने का मौका दिये ,सीधे फैसला सुना दिया


इधर पार्टी मिटिंग मे ये सोच कर शान्ति हो गयी कि पूर्व चेयरमैन साहब का फोन आया है । फोन कटते ही

अध्यक्ष - क्या हुआ दुबे ,, चेयरमैन साहब ठीक है ना ,,काहे परसान दिख रहे हो

3D को जैसे मौका मिल गया बहाने का
3D- हा भैया ऊ बाउजी का दस्त नही रुक रहा है सुबह से तो दवाई बदलेक लिये कही रहे है ।

अध्यक्ष बड़ी चिन्ता भाव से - अच्छा ठीक है तो तुम जाओ दवा लेके जल्दी घर फिर फोन करना जैसा हो ,,,,आते है हम शाम तक घर

3D - जी भैया
फिर 3D तुरंत कार्यालय से बाहर आता है और बुलेट लेके निकल जाता है , अनवर पान स्टाल पर



प्राइवेट टयूशन

इधर एक तरफ जहा 3D और आयुष , अनवर पान स्टाल पर मिल कर निकल जाते है घूमने
वही शुक्ला भवन मे मीरा , चारु की प्राइवेट टयूशन ले रही होती है ।

बंद कमरे मे मीरा और चारु अकेले होते है । मीरा, सोनमती को गेस्टरूम मे आराम करने का बोल कर चारु को अपने साथ अपने बेडरूम मे ले जाती है ।


मीरा चारु को समझाते हुए - देख चारु एक बात हमायी तू धियान से समझ

चारु मन उतार कर हा मे सर हिलाती है ।
मीरा - तू ठहरी बक्लोल और दब्बू ,, आज नाही तो कल ससुराल जायेगी ना ,, औ कल को तुमहारो मुड़ा शराबी जुआरि निकल गवो तो का करेगी , उपर से जेठानी ननंद परेशान करोगो सो अलग

चारु चुपचाप मीरा की बातो को सुन रही थी और उससे खुद को जोड़ रही थी ।

मीरा को भी इस बात का बखूबी अह्सास था
ऐसे मे उसने अपना अगला पासा फेका
मीरा - अच्छा इ बताओ ,, आयुष कैसा है

एक पल के लिए चारु को आयुष की सादगी का ख्याल आया और वो अपने आप उसी कमरे मे वापस ले गयी ।
जहा वो अपने दुपट्टे को गलत ढंग से लेने के लिए झिझक मह्सूस कर रही थी वही आयुष ने एक नजर भी उसके बेआबरु हुए सीने को नही देखा था ।

वही सोच कर चारु मुस्कुराई- वो तो अच्छे है जीजी

मीरा चारु से कबूलवाते हुए - शादी करेगी उका से
चारु हस कर - का जीजी , हम इ सब थोडी सोचे है

मीरा चारु को समझाते हुए - तो पगली सोच ना ,, सोच आयुष से ब्याह हो जायोगो तो इहे घर मे रहेगी ,,, जेठानी और ननद से कोनो डर ना रहोगो ,,हमाये जैसे ठाट से रहेगी ।

चारु मीरा की बाते ध्यान से सुन रही थी
मीरा उसको फुसलाते हुए - जे सोच , डेढ़ करोड़ सालाना कमाई है उकी ,,सब कुछ तुमाओ हो जाओगो और गाड़ी मे घुमे के मिलोगो सो अलग

चारु भी धीरे धीरे मीरा के ब्रेन वास वाले बिचार से प्रभावित हो रही थी ।
वो तो थी ही ऐसी , मासूम , शांत और एक बच्चे से दिल वाली
जहा कही भी थोडी सी खुशिया नजर आती उसी मे खो जाती थी । उसी मे अपनी दुनिया बना लेती थी ।


चारु थोडी जिज्ञासा से - लेकिन आयुष जी थोडी ना मानेगे


मीरा एक शरारती मुस्कान के साथ चारु के सर पर हाथ फेर कर - उकी चिन्ता ना कर ,, हम है ना उका लिये

चारु चुप रही और बस अभी अभी मीरा द्वारा सजाये गये एक माया की दुनिया मे खुद को तालाशने लगी ।

जारी रहेगी


शब्दार्थ
उका = उसका
उ = वो
इको = इसको
इहा = यहा
उहा = वहा
बक्लोल = मन्द बुद्धि
मुड़ी = लड़की
मुड़ा = लड़का
हैगी = आई है या आयेगी
ब्च्चु = घर मे सबसे छोटा
टेनसनिया रही = परेशान हो रही
दस्त ना रुकना = पेट खराब होना

क्लिवेज = दरार 😂😂😂 [ DON'T GOOGLE IT ]
पठाय दो = साथ मे रखने के लिए मंजूरी
अझुराना = फसा रहना


इम्पोर्टेंट नोटिस
सभी विद्यार्थीयो को सूचित किया जाता है कि आज का अपडेट पढने के बाद सभी लोग अपने अपने विचार से इस गद्यान्श का सार और उसपे टिप्पणियाँ लिख कर मुझे दिखाएँगे ।।

सभी विद्यार्थियो को उनके प्रर्दशन के अनुसार एमोजी रियेक्शन और प्रतिक्रिया दी जायेगी ।
धन्यवाद
mast fadu update tha bhai.
Kya tarif karu meera ki jisko dremboy bhai ne banaya :D
kitni akalmandi hai usme :shy: khade khade hi har muskil ka hal nikal leti hai meri janu :kiss4:
lekin iin dino meera janu aur sommtee tension me hai. mujhe phone laga deti . tab to itna kuch tension palne ki jarurat bhi nhi padti . dono ki tension dur kar deta , khyal bhi rakhta.
raaj ke style me ayus aur santi devi ko bhi mast topi pehna ke apne jhanse me le leta aur charu se shadi kara deta 😘
 
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,सोममति की मुड़ी ?? 😂 चना मुड़ी भेल पूड़ी 🤭
सोनमाती की मुड़ी के ना एक्को यार
पहिने सूट सल्वार
उनकर दिदी खोज निक निक भतार
अपन देवरु से सेटिंग करावे चारी चारि बार


😁😁😁
 

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