कविता उसके ऊपर से उठना चाही, पर जय ने उसे कमर से जकड़ रखा था।
कविता लाज से बोली," भाई प्लीज उठने दो ना।"
जय- क्यों माँ तुमको देखेगी थोड़े ही। और मोबाइल स्पीकर पर लगाके फोन उठाके बोला- माँ, प्रणाम।
दूसरी तरफ से ममता की आवाज़ आयी- कैसे हो बेटा, ठीक हो ना? हम यहां सुबह 6 बजे पहुंच गए थे।
जय- अच्छे...