Adultery आँचल की अय्याशियां

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आँचल
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𝓕𝓸𝓻 𝓼𝓽𝓪𝓻𝓽𝓲𝓷𝓰 𝓷𝓮𝔀 𝓼𝓽𝓸𝓻𝔂 𝓽𝓱𝓻𝓮𝓪𝓭
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𝓗𝓸𝓹𝓮 𝓽𝓱𝓲𝓼 𝓼𝓽𝓸𝓻𝔂 𝔀𝓲𝓵𝓵 𝓽𝓸𝓾𝓬𝓱 𝓸𝓾𝓻 𝓱𝓮𝓪𝓻𝓽𝓼

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𝓚𝓮𝓮𝓹 𝓰𝓸𝓲𝓷𝓰
𝓦𝓮 𝔀𝓲𝓵𝓵 𝔀𝓪𝓲𝓽 𝓯𝓸𝓻 𝓽𝓱𝓮 𝓷𝓮𝔁𝓽 𝓾𝓹𝓭𝓪𝓽𝓮
THANKS DEAR FOR COMPLIMENTS
 
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अगले दिन सुबह सुनील ने आँचल को स्वामी के आश्रम में पूजा के लिए कार से पहुँचा दिया. आँचल स्टड स्वामी के साथ फिर से चुदाई को लेकर बहुत एक्साइटेड थी. लेकिन इस बार उसको वेटिंग रूम में 1 घंटे से भी ज़्यादा समय तक बैठना पड़ा. बात ये थी की अंदर स्वामी एक नयी नवेली शादीशुदा औरत को चोद रहा था.

एक घंटे बाद वो दोनो लड़कियाँ आई और आँचल को स्वामी के कमरे में ले गयी. स्वामी को देखते ही आँचल अपने कपड़े उतारने लगी . आँचल की चुदने को जल्दबाज़ी देखकर स्वामी खुश हो गया. नंगी आँचल को स्वामी ने अपनी गोद में बैठा लिया. आँचल के नरम नितंबों के स्पर्श से स्वामी का लंड खड़ा होने लगा. आँचल ने भी अपने नितंबों के नीचे स्वामी के खड़े होते लंड को महसूस किया. उसने स्वामी को अपने आलिंगन में भर लिया और अपनी बड़ी चूचियों को उसकी छाती में दब जाने दिया.

स्वामी उसकी चूची को अपने हाथ से पकड़कर निपल के चारो और अंगूठा घुमाने लगा. आँचल के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी. फिर अचानक उसने एक झटके में अपना लंड आँचल की चूत में घुसा दिया.

आँचल अचानक हुए हमले से चिल्लाई ,” ओइईईईईईईई.......उूुुुऊउगगगघह…”

चूत में पूरा लंड जाने के बाद स्वामी ने अपने सामने लटकती आँचल की बड़ी बड़ी चूचियों पर ध्यान लगाया . वो उनको चूसने , चूमने और काटने लगा. जी भरकर चूसने के बाद उसने आँचल के नितंबों के नीचे हाथ डालकर उसको लंड पर ऊपर उछालना शुरू किया.

आँचल अपनी चूत में स्वामी के मोटे लंड के अंदर बाहर होने से ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी ,”..ह…उन्न्ञन्…..स्वामीजी चोदो…उफफफ्फ़…उन्न्ञननणणन्…..अहह….”

स्वामी बोला,” मज़ा आ रहा है तुम्हें ?”

“उनन्ं….हाआन्न….स्वामीजी…..” आँचल ने लंड पर उछलते हुए जवाब दिया.

स्वामी के मोटे लंड से आँचल की टाइट चूत की खूब रगड़ाई हो रही थी. ऐसी रगड़ से वो मदहोश हो गयी. मादक आँचल को अपनी गोद में मदहोश होकर चुदवाते देखकर स्वामी ने उसके रसीले होठों को चबा लिया . आँचल को पहला ओर्गास्म आ गया और वो सिसकारियाँ लेती हुई झड़ गयी. कुछ पल बाद स्वामी ने उसकी छूट को गरम वीर्य से भर दिया. स्वामी आँचल को अपने आलिंगन में कस के जकड़े हुए था और उसकी चूत में वीर्य की धार पर धार छोड़ता जा रहा था.

फिर उसी पोज़ में वो उठा और आँचल की चूत से अपना लंड निकाले बिना ही उसको उठाकर बेड तक ले गया. बेड में आँचल को लिटाने के बाद स्वामी को ध्यान आया की कल तो आँचल की चूत में घने काले बाल थे. आँचल की चिकनी चूत को देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गया और सोचने लगा इश्स शादीशुदा औरत की चूत बिल्कुल लड़की जैसी टाइट कैसे है.

स्वामी ने पूछा,” तुम्हारा पति अच्छे से चोदता है तुम्हें ?”

“उन्न्ह….नही स्वामीजी….” आँचल अभी भी चुदाई के नशे में थी.

उन दोनो लड़कियों में से एक लड़की ने आँचल की चिकनी चूत देखी तो वो अपने को रोक नही पाई और आँचल के बगल में लेटकर उसने आँचल की चूत में मुँह लगा दिया और उसकी चूत से निकलते रस को चाटने लगी. अपनी चूत और क्लिट पर लड़की की जीभ की रगड़ से आँचल कामानंद से सिसकारियाँ लेने लगी. अपनी चूत चटवाना आँचल को बहुत अच्छा लगता था. उसका भी मन चूत चाटने का होने लगा.

आँचल बोली, “ इधर दो….उन्न्ह…अपनी चूत इधर दो…..उंगग्गघह..”

आँचल की बात सुनकर उस लड़की ने 69 पोज़ में अपनी चूत आँचल के मुँह पर लगा दी. अब दोनो एक दूसरे की क्लिट और गीली रस से भरी चूत को जीभ से चाटने, चूमने और चूसने लगी.

स्वामी अपने सामने के नज़ारे को देखकर बहुत उत्तेजित हो गया और सिसकारियाँ लेती लड़कियों के बगल में बेड पर लेट गया. फिर उसने आँचल की गांड के छेद में उंगली घुसा दी और उंगली से गांड चोदने लगा. चूत और गांड दोनो की रगड़ाई से आँचल आनंद से चीखने लगी और ओर्गास्म पर ओर्गास्म से झड़ती रही.

फिर स्वामी ने आँचल के पेट के दोनो ओर अपनी टाँगे रख दी और उसकी दोनो चूचियों के बीच लंड रगड़ने लगा. दूसरी लड़की ने आँचल के सर के नीचे तकिया लगा कर उसका सर थोड़ा उठा दिया. स्वामी उसकी दोनो बड़ी चूचियों को आपस में मिलाकर बीच में लंड डालकर चूची चोदने लगा. आँचल को दर्द हुआ.

आँचल दर्द से कराह उठी, “ नहिन्न…उन्न्ञन्…बहुत ज़ोर से दबा रहे है आप…नहिन्न….”

आँचल का दर्द देखकर स्वामी थोड़ी देर तक रुक गया और बोला,” क्यूँ रो रही है ? अभी तो तेरी गांड में घुसाऊँगा.”

फिर उसने आँचल को घुटनो के बल कुतिया बना दिया और उसकी चूत में पीछे से लंड घुसा दिया.

टाइट चूत में स्वामी का मोटा लंड घुसने से आँचल चिल्लाई,”उननगज्गघह…ओइइ…”

स्वामी को डोगी पोज़ बहुत पसंद था. आश्रम में आने वाली जवान औरतों को वो डोगी पोज़ में ज़रूर चोदता था. आँचल के उठे हुए नितंबों में थप्पड़ मारते हुए वो तेज तेज धक्के लगाने लगा. धक्कों से आँचल की बड़ी बड़ी चूचियाँ लटककर आगे पीछे को हिलने लगी. स्वामी हाथ आगे करके चूचियों को मसलने लगा.

स्वामी ने आँचल की चूत में तेज तेज धक्के मारते हुए पूछा,” क्या तुम्हारे पति ने ऐसे चोदा है ?”

“उन्न्गह…..ऊओुईइ….माआआआ…..” आँचल ने सिसकारियों से जवाब दिया.

स्वामी मज़े लेते हुए बोला,” अपनी माँ को क्यूँ याद कर रही हो ? मज़ा नही आ रहा है क्या ?”

स्वामी ने उत्तेजना में आँचल के बड़े नितंब थप्पड़ मार मार कर लाल कर दिए.

“उन्न्नह….ओह…..स्वामी….आह…” आँचल दर्द से चिल्लाई और वो झड़ती रही ……..और झड़ती रही.

फिर स्वामी ने अपना लंड चूत से बाहर निकालकर आँचल की गांड के छेद में लगा दिया. सुपाड़े को अंदर डालने के लिए उसने एक धक्का लगाया.

“ ओइईईईईईई…माआ……आआअहह……, मैं मर जाऊँगी, बहुत दर्द हो रहा है,” आँचल गांड में दर्द से चिल्ला पड़ी.

सुपाड़े को गांड में घुसाते हुए स्वामी बोला,” बस थोड़ा दुखेगा, तेरी गांड बहुत टाइट है ना….अभी मज़ा भी मिलेगा तुम्हें….”.

फिर सुपाड़ा अंदर जाने के बाद स्वामी ने बाकी का हिस्सा भी पूरा गांड में घुसा दिया. आँचल को लगा उसकी गांड दो हिस्सों में फट गयी है. दर्द से उसके आँसू बहने लगे और वो रोने लगी.
पर स्वामी ने उसके रोने पर कोई ध्यान नही दिया और उसकी गांड मारते रहा.

थोड़ी देर बाद आँचल को दर्द कुछ कम हो गया और अब गांड में लंड की रगड़ से उसको भी थोड़ा मज़ा मिलने लगा.

तभी एक लड़की वहाँ आई और स्वामी से बोली की आँचल का ससुर उसे लेने आ गया है.
स्वामी उत्तेजना में था उसने लड़की की बात पर कोई ध्यान नही दिया. स्वामी ने आँचल की गांड मारना जारी रखा . कुछ देर बाद उसने आँचल की गांड को अपने वीर्य से भर दिया.
अब स्वामी बहुत थक चुका था , सुबह से दो औरतों को कई बार चोदने की वजह से. वो आँचल के बदन के उपर ही लेट गया. आँचल उसके वजन से दब गयी.

जब लड़कियों ने फिर से ससुर की बात कही तो स्वामी बोला, “ इसको ले जाकर नहलाओ और कपड़े पहना दो.”

आँचल ने स्वामी से विनती की, “ स्वामीजी , मैं ऐसे उनके पास नही जा सकती,वो सब समझ जाएँगे. प्लीज़…..उनको बोलो की मैं यहाँ से निकल चुकी हूँ. मैं ऑटो पकड़कर चली जाऊँगी.”

स्वामी बोला,” ठीक है. जैसा तुम चाहती हो हम वैसा ही करेंगे पर इसके बदले तुम्हें भी मेरा काम करना होगा.”

आँचल ने बिना काम पूछे ही तुरंत हामी भर दी.

स्वामी ने लड़की से कहा की वो आँचल के ससुर से जाकर कह दे की वो यहाँ से पहले ही जा चुकी है.
फिर उसने आँचल से कहा, “ कल सुबह 6 बजे आने की बजाय 10 बजे आना.”

आँचल ने ठीक है कहा और नहाने चली गयी. नहा धोकर कपड़े पहनने के बाद वो आश्रम से बाहर आ गयी और ऑटो ढूंढने लगी.

जब एक ऑटो ड्राइवर ने उससे पूछा की कहाँ चलना है ? तो आँचल ने सोचने में थोड़ा वक़्त लगाया क्यूंकी उसकी समझ में नही आ रहा था की वो घर जाए या बैंक जाए.

ऑटो वाले ने उसको सोचते देखकर हाइ क्लास कॉल गर्ल समझा, वो उसे घूरते हुए बोला, “ होटेल में जाने का है क्या ?”

उसकी बात सुनकर आँचल को बहुत गुस्सा आया. उसने कहा, “ कनाट प्लेस चलो.”

आँचल ने सोचा की खुद ही बैंक जाकर पेपर में साइन करके आती हूँ.
बैंक में पहुँचकर आँचल सीधे बैंक मैनेजर के केबिन में चली गयी और अपना परिचय दिया.

बैंक मैनेजर मिस्टर सेठी था जिसकी उमर करीब 50 वर्ष की थी. अपने केबिन में खूबसूरत आँचल को देखकर मैनेजर उसकी बात ध्यान से सुनने लगा. फिर उसने पिओन को बुलाकर साइन करने के लिए पेपर्स और चाय लाने को कहा. आँचल से बात करते समय सेठी का ध्यान आँचल की चूचियों पर ही था.

सेठी को चूचियाँ घूरते देखकर आँचल को ध्यान आया की आश्रम से आते समय जल्दबाज़ी में वो ब्रा और पैंटी पहनना भूल गयी थी. उसके सूज़े हुए निपल पतले ब्लाउज से दिख रहे थे. तब उसको ध्यान आया की ऑटो ड्राइवर उसको कॉल गर्ल क्यूँ समझ रहा था क्यूंकी बिना ब्रा के निपल उसने भी देख लिए होंगे. मैनेजर के सामने बैठी आँचल शरमा गयी पर अब कुछ किया नही जा सकता था. बैंक में काम खत्म होकर घर लौटने तक उसे इन्ही कपड़ो से काम चलाना था.

मैनेजर भगवान द्वारा अपने केबिन में भेजी गयी अप्सरा को देखकर बहुत खुश था, इसीलिए जब पिओन फटाफट साइन करने के लिए पेपर्स ले आया तो उसे बहुत गुस्सा आया. मन ही मन सोचने लगा, कम्बख़्त थोड़ी देर लगाकर नही ला सकता था.

फिर मैनेजर ने आँचल से पेपर्स पर साइन करने को कहा और खुद जाकर आँचल के पीछे खड़ा हो गया, कहाँ कहाँ पर साइन करने है ये बताने के लिए.

आँचल को कुछ मतलब नही था की वो किन पेपर्स पर साइन कर रही है, जैसा मैनेजर ने बताया वैसे उसने साइन कर दिए. पीछे खड़ा मैनेजर उसकी बिना ब्रा की चूचियों का नज़ारा देख रहा था. आँचल की दूध जैसी गोरी चूचियाँ और उनके बीच की गहरी खाई देखकर मैनेजर का लंड खड़ा हो गया. फिर वो हाथ लगाकर बताने लगा की यहाँ पर साइन करने है और बहाने से उसकी बाँह छूने लगा. उसने बैठी हुई आँचल की बाँह और कंधे से अपना खड़ा लंड भी रगड़ दिया.
 
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आँचल बैंक मैनेजर सेठी के खड़े लंड से रगड़ महसूस कर रही थी पर उसने ऐसे दिखाया जैसे उसे कुछ पता नही है. वो समझ गयी थी उसकी मादक जवानी से बुड्ढा उत्तेजित हो गया है. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर मैनेजर उससे पेपर्स पर साइन करवाते रहा और बहाने से उसके बदन से अपना लंड भी रगड़ते रहा. जब सब जगह साइन हो गये तो उसने आँचल से फोटोग्राफ्स माँगे. आँचल के पास कोई फोटो नही थी उसने कहा की वो मंडे को फोटोज भिजवा देगी.

सेठी ने बहाना बनाया ,” मैडम फोटो तो आज ही चाहिए.”
आँचल की कुछ समझ में नही आया .

आँचल को चुप देखकर सेठी बोला, “आप चिंता मत कीजिए मिसेज जोशी, मैं आपको एक फोटो स्टूडियो में लिए चलता हूँ .”

फिर उसने पिओन को बुलाकर उससे कहा की ड्राइवर से कहो आफीशियल कार बैंक के गेट पर लाए.
बैंक की कार में आँचल के साथ सेठी पीछे की सीट पर उससे सट के बैठा था. उसने अपनी टाँगे आँचल की टाँगों से सटा रखी थी और अपना एक हाथ आँचल के पीछे सीट पर रखा था जो आँचल के कंधों को सहला रहा था.
आँचल ने सेठी के हाथ को अपने कंधों पर महसूस किया और देखा की पैंट में उसका लंड तंबू बना रहा है. सेठी आँचल को बता रहा था की वो कितनी इंपॉर्टेंट पोस्ट पर है. उसने आँचल से कहा की जब भी उसे लोन की ज़रूरत होगी मेरे पास बिना झिझक चले आना , तुरंत जितना चाहिए उतना लोन सेंक्शन कर दूँगा. सेठी ने बताया की मैंने तुम्हारे पति की फैक्ट्री को कितना सारा लोन दिया है.
सेठी ने आँचल से कहा की मैं तुम्हारी शादी में भी आया था , तब तुम दुल्हन की ड्रेस में कितनी खूबसूरत लग रही थी.

जब भी वो कार खराब रोड पर झटके खाती तो आँचल की बिना ब्रा में बड़ी चूचियाँ ज़ोर से हिलती और उन्हे हिलते देखकर उत्तेजना से सेठी आँचल से थोड़ा और सट जाता.
आँचल भी सेठी की इन हरकतों से उत्तेजित होने लगी. सेठी के पैंट में बने तंबू से उसने अंदाज़ा लगा लिया की इसका लंड बड़ा ही लग रहा है. सेठी ने जब आँचल को अपने पैंट में बने तंबू को देखते पाया तो उसकी उत्तेजना और हिम्मत दोनो बढ़ गयी. अब उसने हाथ थोड़ा नीचे किया और आँचल की गर्दन पर पीछे से हाथ फिराने लगा. उसने आँचल के फिगर और उसकी खूबसूरती की तारीफ करनी शुरू कर दी.

सेठी ने अपने बैंक में बहुत सी औरतों को चोदा था , जो वहाँ काम करती थी उनको भी और जो बैंक में काम कराने आती थी उनको भी. अपनी बड़ी पोज़िशन की वजह से उसका रौबदाब बैंक में रहता था. आँचल की गर्दन मलते हुए वो आँचल को भी चोदने का प्लान बना रहा था.

तभी ड्राइवर ने कार फोटो स्टूडियो के आगे रोक दी. सेठी और आँचल कार से उतर गये. सेठी ने आँचल की बाँह कोहनी से थोड़ा ऊपर पकड़ ली और चलने लगा. बाँह पकड़ने से आँचल की मुलायम चूची से उसका हाथ छू जा रहा था. वैसे खड़े लंड के साथ चलने में खुद उसे भी परेशानी हो रही थी.

आँचल बुड्ढे की बोल्डनेस देखकर हैरान थी और साथ ही उत्तेजित भी. उसने सेठी को अपनी बाँह पकड़ने से रोका नही. वो ये देखना चाहती थी अब बुड्ढा आगे क्या करता है. आँचल मादक सा मुँह बनाकर सेठी के साथ चलती रही. सेठी के ऊपर अपने रूप का जादू चलने से उसे सेठी अपना गुलाम जैसा महसूस हो रहा था जो की उसकी फोटो के लिए अपना बैंक छोड़कर उसके आगे पीछे घूम रहा था. आँचल के मादक जिस्म का जादू हर मर्द के ऊपर ऐसे ही चल जाता था. और इस बात का उसे गर्व भी था.

फोटो स्टूडियो में फोटोग्राफर ने पूछा की 5 मिनट में पोलोराइड फोटो चाहिए या पासपोर्ट साइज़ वाली ? उसके लिए 2 घंटे लगेंगे. सेठी तुरंत बोला बैंक में पासपोर्ट वाली ही लगेगी.
फिर सेठी ने आँचल को स्टूल में बिठा दिया और इसी बहाने उसकी चूचियाँ भी छू ली. फिर सही पोज़ बनाने के लिए उसके चेहरे को दोनो हाथों से पकड़कर सीधा करने लगा. फोटोग्राफर भी हैरान था जो काम मेरा है ये बुड्ढा खुद ही कर रहा है . कहाँ बिठाना है कैसा पोज़ बनाना है , ये मैं बताऊँगा या ये बुड्ढा.

उधर आँचल भी सेठी की सब हरकतें समझ रही थी. अपने चेहरे और बदन पर सेठी के बार बार टच करने से उसे हॉर्नी फील हो रहा था. उसने अपने होंठ पॉउट करके फोटो खिचाने के लिए एक सेक्सी सा पोज़ बनाया. सेठी ठीक उसके आगे खड़ा होकर उसके बाल और चेहरा ठीक कर रहा था. सेठी का लंड ठीक आँचल के मुँह के सामने था. आँचल का मन हुआ की वहीं पर सेठी के पैंट की ज़िप खोलकर उसका लंड मुँह में ले ले. इस ख्याल से ही उसकी चूत से रस निकलने लगा.

फोटो खिचाने के बाद सेठी बोला पास में ही एक रेस्टोरेंट है वहाँ लंच कर लेते हैं , क्यूंकी फोटो मिलने में तो 2 घंटे लगेंगे. आँचल ने हामी भर दी. सेठी उसको एक रेस्टोरेंट में ले गया वहाँ बहुत कम लोग थे और लाइट भी काफ़ी कम रोशनी वाली थी . शायद कपल्स की सुविधा के लिए वहाँ कम रोशनी थी जिससे वो अपनी चुम्मा चाटी कर सकें . रेस्टोरेंट में सेठी और बोल्ड हो गया. वो बातें करते करते आँचल की पीठ पर हाथ फिराने लगा. आँचल ने उसकी गरम साँसे अपने चेहरे पर महसूस की. सेठी उसके कंधे और गर्दन को भी मल रहा था. फिर सेठी ने आँचल से बियर पीने को कहा. आँचल ने पहले कभी बियर नही पी थी पर सेठी के ज़ोर देने पर वो मान गयी.
सेठी ने एक ग्लास में बियर डालकर उसको आँचल के होठों पर लगाया, आँचल ने थोड़ी बियर गटक ली. आँचल को बियर पिलाते हुए सेठी ने उसके ब्लाउज पर हाथ रख दिया और उसकी बिना ब्रा की चूचियों को दबाने लगा. आँचल हल्के से मोन करने लगी. फिर सेठी ने अचानक आगे झुककर आँचल के होठों पर अपने होंठ लगाकर एक चुंबन ले लिया.

सेठी की बोल्डनेस से अचंभित होकर आँचल ने उसे टोका,” मिस्टर सेठी…..”

“आप बहुत सेक्सी हैं मिसेज जोशी. मैं अपने ऊपर कंट्रोल नही कर पाया.” सेठी बोला. और उसने फिर से आँचल के होंठ पर चुंबन लेकर उसके निचले होंठ को अपने दांतो से हल्का सा काट लिया.

“उननग्ग्घह…….ऊओह…” उत्तेजना से आँचल की सिसकी निकल गयी . उसने हाथ आगे बढ़ाकर टेबल के नीचे सेठी के पैंट के अंदर उसका लंड पकड़ लिया. सख़्त मोटा लंड अपने हाथ में महसूस करते ही उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी.
आँचल की हालत देखकर सेठी समझ गया अब इसको चोदने में कोई परेशानी नही होगी. उसने फटाफट बिल पेमेंट किया और वेटर को 500 रुपये देकर उससे दूसरी मंज़िल में कमरे की चाभी माँगी.

वेटर ने सेठी को मादक आँचल के साथ देखा जो सिसकारियाँ ले रही थी. वो मन ही मन सोचने लगा साले बुड्ढे ने क्या सेक्सी माल पटाया है. वैसे वो सेठी को जानता था क्यूंकी सेठी अपने बैंक की ट्रेनी लड़कियों और कभी कभी कॉल गर्ल्स को लेकर वहाँ आता था और रूम की चाभी उसी से माँगता था.
आँचल ने सेठी को रुपये देते हुए देखा , सेठी और वेटर की आँखो ही आँखो में हुई बात और वेटर के मुस्कुराने से आँचल शरमा गयी. उत्तेजना से उसका बुरा हाल था और उसे इश्स बात से कोई फरक नही पड़ता था की वेटर उसके बारे में क्या सोच रहा होगा. वो चुदाई के लिए अब और इंतज़ार नही कर पा रही थी.

वेटर चाभी लेकर आया तो देखा बुड्ढा आँचल को किस कर रहा था. वो दोनो अपने अगल बगल भी ध्यान नही दे रहे थे. वैसे उस समय लोग तो कम ही थे वहाँ फिर भी….
वेटर सोचने लगा क्या उसको भी इस सेक्सी औरत को चोदने का चांस मिलेगा ? आँचल की ब्लाउज से बाहर दिखती चूचियों को देखकर वो अपनी जीभ होठों पर फिराते हुए सेठी की किस्मत से जलन करने लगा. साला इस उमर में भी इतनी चिकनी माल को चोद पा रहा है.

आँचल सेठी के साथ किस कर रही थी और वेटर उसको देखकर मन ही मन सोच रहा था,” साले बुड्ढे ने आज तो मस्त छोकरी पटाई है, क्या मस्त मम्मे हैं इसके. ज़रूर मज़ा आएगा बुड्ढे को, साला…”

सेठी मादक आँचल को सिड्यूस करके बहुत खुश था . चाभी मिलने के बाद वो आँचल की बाँह पकड़कर ऊपर कमरे की तरफ जाने लगा. रेस्टोरेंट में मौजूद लोग और वेटर्स की जलन भरी निगाहों से उसे और मज़ा आ रहा था. सेठी जानबूझकर लोगों को जलाने के लिए रेस्टोरेंट मैनेजर के पास जाकर रुका और उससे थोड़ी देर बातचीत की . लोगों को दिखाने के लिए आँचल के बदन पर वो हाथ भी फिराता जा रहा था.

सेठी के टच करने से आँचल मदहोशी में थी उसे अपनी होने वाली चुदाई के ख़याल से चूत रस बहता महसूस हो रहा था.

मैनेजर ने आँचल की बड़ी बड़ी चूचियां देखी , फिर उसे घूरते हुए सेठी से पूछा,” कितने में सौदा हुआ ?”

उसकी बात पर सेठी हंसा और आँचल को सीढ़ियों से ऊपर कमरे में ले गया.
 
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मैनेजर ने आँचल की बड़ी बड़ी चूचियां देखी , फिर उसे घूरते हुए सेठी से पूछा,” कितने में सौदा हुआ ?”

उसकी बात पर सेठी हंसा और आँचल को सीढ़ियों से ऊपर कमरे में ले गया.

कमरे में पहुचने के बाद बैंक मैनेजर सेठी ने फटाफट आँचल की साड़ी उतार दी. अब आँचल सिर्फ़ पेटीकोट और एक पतले ब्लाउज में थी. उस पतले ब्लाउज में आँचल की बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने को मचल रही थी. सेठी ने ब्लाउज के बाहर से ही निपल को मुँह में भर लिया और चूसने लगा फिर ऐसे ही उसने दूसरे निपल को भी चूसा. सेठी के मुँह की लार से वो पतले कपड़े का ब्लाउज पारदर्शी हो गया और ब्लाउज के बाहर से ही चूचियां दिखने लगी.

सेठी के चूचियों को चूसने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी,”..उनन्नज्ग्घह….आअहह….”

फिर सेठी ने आँचल का पेटीकोट उतार दिया और ब्लाउज खींचकर निकाल फेंका. आँचल ने ब्रा और पैंटी नही पहनी थी. उसकी बिना बालों की चिकनी चूत देखकर सेठी के मुँह में पानी आ गया. उसने आँचल को बेड में लिटा दिया और उसकी चूत में जीभ लगाकर चाटने लगा. आँचल की गुलाबी चूत के फूले होठों को देखकर सेठी कामवसना से पागल हो उठा. वो आँचल की क्लिट को जीभ से छेड़ने लगा.

“आअहह.......आअहह” सेठी की जीभ अपनी चूत पर रगड़ने से आँचल सिसकारियाँ लेने लगी. अपनी चूत चटवाना उसको बहुत पसंद था. सेठी के चूत चाटने से आँचल बहुत उत्तेजित हो गयी . उसकी चूत से रस निकलने लगा. आँचल उत्तेजना में भरकर अपने नितंबों को सेठी के मुँह पर उछालने लगी. जल्द ही उसको पहला ओर्गास्म आ गया और चूत से रस बहाते हुए वो झड़ गयी.

सेठी आँचल की कामुकता से हैरान रह गया और सोचने लगा ये तो बहुत ही मज़े ले रही है. उसने जीभ लगाकर आँचल की चूत से बहते रस को चाट लिया.
फिर सेठी ने अपने कपड़े उतार दिए. सेठी कद काठी में कोई खास नही था.
आँचल को उसका शरीर देखकर थोड़ी निराशा हुई. लेकिन जब उसने अपना पैंट और अंडरवियर उतारा तो उसके बड़े और मोटे तने हुए लंड को देखकर आँचल का मुँह खुला का खुला रह गया. उसकी आँखे सेठी के लंड पर ही जम गयी.

सेठी ने आँचल के चेहरे के भाव देखे. उसे इसकी आदत थी. जो भी औरत उसके लंड को देखती थी ऐसा ही रिएक्शन देती थी. सेठी बहुत अनुभवी चोदू था. कुछ औरतें उसके बड़े लंड को देखकर घबरा जाती थी और घबराहट से उनकी चूत बिल्कुल सूख जाती थी. सेठी उनको धैर्य से बहला फुसलाकर धीरे धीरे चोदता था और जब औरत की चूत से रस निकलना शुरू हो जाता था तब वो उनको अच्छी तरह से चोदता था. आँचल को देखकर सेठी समझ गया इसकी हालत भी वैसी ही हो रही है. उसने आगे बढ़कर आँचल का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.

अपने हाथ से बड़े लंड को महसूस करके आँचल डर गयी,” नही नही….मिस्टर सेठी….मैं मर जाऊंगी , इतना बड़ा…”

उसके और कुछ कहने से पहले ही सेठी ने अपने लंड के सुपाड़े को उसके होठों के बीच रख दिया. धीमे धीमे आँचल के गाल और बाल सहलाते हुए बोला,” घबराओ नही मिसेज जोशी, तुम बस इसे चूसो. सिर्फ़ चूसो और कुछ मत सोचो.”

आँचल सुपाड़े को चूसने लगी . सेठी ने धीरे धीरे अपना आधे से ज़्यादा लंड उसके मुँह में घुसा दिया. कुछ पल बाद सेठी को लगा की आँचल का दम घुट रहा है तो उसने लंड मुँह से बाहर निकाल लिया और लार से सने हुए लंड को आँचल के चेहरे पर रगड़ने लगा. कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने फिर से लंड आँचल के मुँह में घुसा दिया. धीरे धीरे मोटे लंड की आदत हो जाने के बाद आँचल मज़े से सेठी का लंड चूसने लगी. कुछ देर बाद उसने सेठी की गोलियों को भी चूसा. अब सेठी से कंट्रोल नही हो रहा था . आँचल ने इतनी अच्छी तरह से मज़े ले लेके उसका लंड चूसा की उसे लगा वो अब झड़ जाएगा.

सेठी ने आँचल के मुँह से लंड निकाल लिया और उसकी क्लिट और चूत के फूले होठों को चूसने लगा. आँचल मज़े से सिसकारियाँ लेने लगी. आँचल की डर और घबराहट से सूख चुकी चूत फिर से गीली होने लगी थी. सेठी को अपनी जीभ में चूत रस का स्वाद आया. उसने आँचल की टांगों को उठा कर अपने कंधों में रख लिया और आँचल की टाइट चूत के छेद में लंड का सूपाड़ा घुसाया.

“आआआअहह …ओइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई….म्म्म्माआआआआआआ…” मोटे लंड के टाइट चूत में घुसते ही आँचल चिल्लाई.

सेठी बड़ी मुश्किल से आँचल की चूत में आधा लंड ही घुसा पाया , अब आगे को लंड घुस ही नही पा रहा था. वो धीरे धीरे और ज़्यादा लंड अंदर घुसाने की कोशिश करता रहा.

आँचल दर्द से चिल्लाई,” मिस्टर सेठी…….ओइईई…माआआ….तुम मेरी फाड़ दोगे…….ओइईई..”

फिर सेठी ने पूरा लंड बाहर निकाल लिया और फिर धीरे से अंदर घुसाना शुरू किया. ऐसा करते करते कुछ देर बाद वो अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गया. उसके बाद उसने अपने दोनो हाथ आँचल की चूचियों पर रख दिए और धीरे धीरे चूत पर धक्के मारने लगा. उसकी गोलियाँ आँचल के नितंबों से टकरा रही थी. लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से आँचल की चीखें अब सिसकारियों में बदल गयी.

“मज़ा आ रहा है ना ? तेरी चूत तो बहुत टाइट और मस्त है आँचल जोशी ” , आँचल की टाइट चूत के मज़े लेते हुए सेठी बोला. मादक आँचल को अपने से चुदते हुए देखकर और सिसकारियाँ लेते हुए देखकर बुड्ढा अपने पहलवान लंड की ही तरह जवान महसूस कर रहा था.

“ आआहाआंन्न…..बहुत मज़ा आ रहा है…..चोदो …चोदो …उईईई माआ..और चोदो …” उत्तेजना में अपने नितंबों को ऊपर उछालती हुई आँचल बोली.

आँचल को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर सेठी भी जोश में आ गया और उसने आँचल की चूत में ताबड़तोड़ स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए. उसकी गोलियों के तेज़ी से आँचल की गांड से टकराने से ठप ठप ठप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी.

“ऊऊउीईईई…ओह…आआअहह…..उईईई..म्म्माआ….” सेठी के मोटे लंड के तेज तेज धक्कों से आँचल चिल्ला पड़ी.

थोड़ी ही देर में उसको ओर्गास्म आ गया और वो दूसरी बार झड़ गयी.
आँचल को झड़ते देखकर सेठी ने धक्के लगाने की स्पीड कम कर दी. और वो ओर्गास्म का आनंद लेती आँचल के चेहरे के बदलते भावों को देखते हुए मज़े लेने लगा. फिर कुछ देर वो आँचल की टाइट चूत में जकड़े हुए अपने लंड को रोके हुए ही रहा. कुछ देर बाद उसने फिर से स्ट्रोक लगाने शुरू किए और फिर से कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगी.

आँचल ने मदहोशी में देखा , बुड्ढा पसीने से भीगा हुआ धक्के पर धक्के लगाए जा रहा है. सेठी आँचल की बड़ी बड़ी दूध जैसी गोरी गोरी चूचियों को दोनो हाथ से बुरी तरह से मसलते हुए धक्के लगाते रहा. आँचल झड़ती रही …और झड़ती रही……

कुछ देर बाद सेठी ने अपने गरम वीर्य से आँचल की चूत को पूरा भर दिया. फिर आँचल की चूत से लंड बाहर निकालकर सेठी ने आँचल के मुँह में डाल दिया. आँचल के मुँह में भी थोड़ा वीर्य चला गया जो उसने गटक लिया. फिर वो आँचल के बगल में लेट गया. दोनो के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसे रुक रुक कर चल रही थी.

कुछ समय बाद सेठी बेड से उठा और बाथरूम में नहाने चला गया. नहाने के बाद उसने आँचल से भी नहाने को कहा. आँचल फटाफट नहा के आई और कपड़े पहनने लगी. उसका ब्लाउज सेठी की लार से गीला था और ज़ोर से खींचने से फट भी गया था. जब उसने ब्लाउज पहना तो उसकी चूचियां और निपल ब्लाउज के पतले गीले कपड़े से साफ दिखाई दे रहे थे. आँचल ने जैसे तैसे अपने पल्लू से छाती को ढका और सीढ़ियों से नीचे आ गयी.

वहाँ रेस्टोरेंट मैनेजर और कुछ वेटर्स खड़े थे. वो सब आँचल को ललचाई आँखो से देखने लगे. उसके सूज़े होंठ और बदन को देखकर लग रहा था की वो बुरी तरह से चुदी है. सेठी ने मैनेजर को कमरे की चाबी दी.

मैनेजर ने आँचल को ऊपर से नीचे घूरते हुए सेठी की पीठ ठोकी, “ साला बहुत मज़ा किया , क्या माल ठोका है तुमने आज.”

सेठी ने आँचल की कमर में हाथ डाला और उसे बाहर कार की तरफ ले जाने लगा. जाते जाते उसने मैनेजर और वेटर्स को आँख मारी.

कार में बैठने के बाद सेठी ने आँचल से कहा की फोटोग्राफ्स मैं खुद ही ले लूँगा. और ड्राइवर से कहा की तुम मुझे बैंक में उतार दो और उसके बाद आँचल को घर छोड़ देना.

“मज़ा आया इस बुड्ढे के साथ ?” सेठी ज़ोर से आँचल से बोला, बिना इस बात की परवाह किए हुए की ड्राइवर भी सब सुन रहा है.

आँचल को चुप देखकर फिर बोला,” बोलो, मिसेज जोशी , मज़ा आया कि नही ?”

आँचल ने उसके बार बार पूछने पर धीमे से कहा , “ हाँ …”

आँचल की धीमी आवाज़ सुनकर सेठी ज़ोर से हंसा और बोला,” मुझे फोन मारना , और भी मज़ा दूँगा.”

फिर अपने बैंक में सेठी उतर गया और ड्राइवर से आँचल को उसके घर तक छोड़ आने को कहा.
 
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रास्ते भर सेठी का ड्राइवर आँचल को ललचाई आँखो से देखता रहा. रोड पर जब भी कार को झटका लगता था तो आँचल की बिना ब्रा के चूचियां ब्लाउज में उछल जाती थी. उस पतले कपड़े के ब्लाउज में उसके सूज़े हुए निप्पल भी साफ दिख रहे थे. आँचल ने ड्राइवर को बार बार अपने को घूरते पाया , वो चुपचाप बैठी रही और जल्दी से सफ़र खत्म हो तो घर पहुँचू , ऐसा सोचने लगी.

घर पहुचने के बाद वो फटाफट अपने बेडरूम में चली गयी , इस डर से की किसी से सामना ना हो जाए . सास ससुर शायद अपने कमरे में थे. बाथरूम में नहाकर उसने नाइटगाउन पहन लिया और सुनील के लौटने का इंतज़ार करने लगी.

रात में डिनर करते समय ससुर नाराज़ लग रहा था.

ससुर आँचल से बोला,” तुम दिन भर कहाँ थी ? तुमने बैंक के काम को इतनी लापरवाही से लिया . बहुत ज़रूरी काम था बैंक में और जब मैं तुम्हें लेने आश्रम पहुँचा तो तुम वहाँ से चली गयी थी. तुम्हे मेरा इंतज़ार करना चाहिए था . मैं तुम्हें बैंक ले जाता.”

ससुर के डाँटने पर आँचल ने माफी माँगी और बोली,” आज पूजा थोड़ी जल्दी खत्म हो गयी थी इसलिए मैंने आपका इंतज़ार नही किया और खुद ही बैंक जाकर पेपर्स पर साइन कर दिए.”

“तो फिर तुमने घर लौटने में इतनी देर क्यूँ की ?”

“ बैंक में मैनेजर ने बताया की कुछ पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ्स भी चाहिए. फोटो स्टूडियो में गयी तो उन्होने बताया की 2 घंटे लगेंगे. बैंक मैनेजर मिस्टर सेठी अच्छे आदमी थे , उन्होने कहा इतना वेट यहाँ बैठकर करने से अच्छा है , मैं तुम्हें लंच पर लिए चलता हूँ. तो मैं उनके साथ लंच के लिए चली गयी. इन सब में थोड़ी देर हो गयी.”

आँचल के मुँह से सेठी के साथ लंच की बात सुनकर ससुर मन ही मन गुस्से से पागल हो गया. सेठी के क़िस्सों से वो भली भाँति वाक़िफ़ था. उस रेस्टोरेंट के ऊपर बने सेठी के पसंदीदा कमरे में खुद ससुर ने सेठी के साथ औरतें चोदीं थी. आँचल के मुँह से उसी रेस्टोरेंट का नाम सुनकर ससुर समझ गया , कमीने सेठी ने आज मेरी बहू को जरूर चोद डाला होगा वहाँ. साला मैंने इतनी प्लानिंग की थी अपनी इस मादक बहू को फँसाने की और मज़े लूट ले गया कमीना सेठी.

फिर अपना गुस्सा पीकर बात बदलते हुए ससुर सुनील से बोला, “ तुम्हें कल सुबह मुंबई जाना है. वहाँ हमारा जो मेन डिसट्रिब्युटर है उसका बहुत सारा पेमेंट रुका पड़ा है. उससे पैसे लेके आओ. ठीक है ?”
आगे बोला, “ तुम चिंता मत करो, बहू को मैं पूजा के लिए आश्रम छोड़ दूँगा और लेने भी चला जाऊंगा .”

सुनील बोला,” ठीक है पापा, मैं कल सुबह मुंबई चला जाऊंगा .”

ससुर मन ही मन खुश होने लगा , अब कैसे बचेगी मेरी जान आँचल रानी , अब तो मैं तुझे चोदूँगा ही चोदूँगा . इस खुशी से उसकी भूख बढ़ गयी और उसने भरपेट डिनर किया.

आँचल ससुर की चाल सब समझ रही थी , बुड्ढा खुद कही नही जाता है और सुनील को कभी सोनीपत , कभी मुंबई भेज देता है. मैं ये चाल कामयाब होने ही नही दूँगी.

डिनर के बाद बेडरूम में आँचल ने सुनील से कहा,” प्लीज़ सुनील , मैं भी तुम्हारे साथ मुंबई आना चाहती हूँ. मुझे भी ले चलो ना अपने साथ.”

“लेकिन कल की पूजा का क्या होगा ?”

“स्वामी भोगानंद जी कह रहे थे की पूजा हो चुकी है जितनी होनी थी , अब मेरे आश्रम जाने की कोई ज़रूरत नही है. इसलिए तुम उसकी चिंता मत करो. देखो सुनील , हम हनीमून के बाद से कहीं घूमने नही गये. अगर मैं तुम्हारे साथ मुंबई गयी तो मैं भी घूम आऊँगी , थोड़ा मेरा मन भी बदल जाएगा.”

मादक आँचल की बात कौन मर्द टाल सकता था . सुनील भी जल्दी ही राज़ी हो गया. दोनो सुबह जल्दी उठकर पहली फ्लाइट से मुंबई चले गये.

ससुर को बाद में जब ये बात पता चली की बहू फिर गच्चा दे गयी तो उसने अपना माथा पीट लिया.

मुंबई पहुँचकर सुनील ने एयरपोर्ट के पास एक 3 स्टार होटेल में रूम लिया.

थोड़ी देर बाद उसने आँचल से कहा ,”तुम खुद ही थोड़ी साइटसीयिंग कर लेना. मुझे मीटिंग से आने में शाम हो जाएगी फिर हम जुहू बीच घूमने जाएँगे. ठीक है ?”

“हाँ , ठीक है.”

सुनील के जाने के बाद आँचल ने कोलाबा एरिया में जाकर थोड़ी शॉपिंग करने का मन बनाया. रिसेप्शनिस्ट से पूछने पर उसने बताया की लोकल ट्रेन से चली जाओ.
आँचल ने ऑटो लिया और स्टेशन पहुँच गयी. वहाँ जाकर उसने पता किया की कौन सी ट्रेन पकड़नी है. स्टेशन में लोगों की भीड़ की वजह से उसे ट्रेन में चढ़ने में परेशानी हुई. लोगों के धक्के खाती हुई वो एक कम्पार्टमेंट में चढ़ गयी.

ट्रेन में चढ़ते ही उसे पछतावा होने लगा. उसे अपनी गांड में फिरते हाथ महसूस हुए. कोई उसकी गांड में चिकोटी भी काट गया था. लोगों के बीच उसकी हालत सैंडविच की तरह हो गयी थी. आँचल की शिफॉन साड़ी में अजनबी लोग उसके बदन पर हाथ फिरा रहे थे. जब ट्रेन चलने लगी तो ट्रेन के धक्कों के साथ ही लोग भी धक्के लगाने लगे. आँचल कुछ नही कर सकती थी. उसने ध्यान भटकाने के लिए ट्रेन के बाहर की सीनरी देखने की कोशिश की. लेकिन बाहर झोपड़ पट्टी, स्लम की गंदगी के सिवाए कुछ नही दिखाई दे रहा था.

आँचल ने एक हाथ से सपोर्ट के लिए रेलिंग को पकड़ रखा था. इससे उसकी चूचियों को हाथ का प्रोटेक्शन नही मिल पा रहा था और साइड से या आगे से लोग उसकी चूचियों को टच कर दे रहे थे. तभी ट्रेन सिग्नल के लिए रुक गयी . आँचल ने देखा पटरियों के पास ही कोई आदमी लेट्रीन कर रहा है.

तभी आँचल को अपने नितंबों पर कुछ महसूस हुआ. उसके ठीक पीछे खड़ा आदमी उसके नितंबों पर अपना खड़ा लंग रगड़ रहा था. भीड़ भाड़ होने की वजह से आँचल ज़्यादा हिल डुल नही पा रही थी. कुछ देर बाद उस आदमी की हिम्मत और बढ़ गयी. उसने दोनो नितंबों के बीच की दरार में साड़ी के बाहर से ही लंड रगड़ना शुरू कर दिया.

अपने नितंबों पर मोटे सख़्त लंड की रगड़ से आँचल उत्तेजित होने लगी. तभी एक झटके से ट्रेन चल पड़ी. पीछे खड़े आदमी ने आँचल की कमर पकड़ ली. आँचल की मुलायम गोरी त्वचा पर उस आदमी के रूखे हाथों के स्पर्श से आँचल की धड़कने बढ़ गयी. वो आदमी पीछे से अपना लंड चुभाता रहा और आँचल की कमर पर हाथ भी फिराता रहा. उसकी बोल्डनेस देखकर आँचल को घबराहट हुई पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लगी.

आँचल ने अपने अगल बगल नज़रें घुमाकर देखा की कोई उनकी ओर तो नही देख रहा ? लेकिन सभी धक्का मुक्की से अपने को बचाने की जुगत में लगे थे. मुंबई की भीड़ भरी लोकल ट्रेन्स में उनका ये रोज़ रोज़ का सफ़र था पर देल्ही की आँचल के लिए ये नया अनुभव था. शायद उस आदमी को भी अंदाज़ा हो गया था की ये खूबसूरत औरत कहीं बाहर से आई है और उसका विरोध नही कर रही है इसलिए वो थोड़ा और बोल्ड हो गया. उसने आँचल का हाथ पकड़ लिया और पीछे ले जाकर अपने खड़े लंड पर दबा दिया. फिर उसने आँचल के खड़े हाथ (जिससे उसने रेलिंग पकड़ रखी थी) की कांख को पकड़ लिया और आँचल को थोड़ा साइड्वेज घुमा दिया. अब वो उस आदमी का चेहरा देख सकती थी. आँचल ने एक नज़र उस आदमी पर डाली , वो मुस्कुरा रहा था , आँचल ने शरम से अपनी नज़रें झुका ली.

वो आदमी करीब 40 साल की उमर का , ठिगने कद का और काले रंग का था. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर , अब वो आदमी आगे हाथ बढ़ाकर पतले ब्लाउज के बाहर से आँचल की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने लगा. आँचल के तने हुए निपल और ऐरोला पर वो अपना अंगूठा और उंगलियाँ घुमाने लगा. आँचल की साँसे रुक रुक कर आने लगी. उसे अपनी चूत से रस बहता महसूस हुआ. उसने बड़ी मुश्किल से अपने होंठ दांतों में दबाकर अपने को सिसकारियाँ लेने से रोका.

फिर वो आदमी आँचल के हाथ से अपने पैंट के बाहर से ही लंड को रगड़ने लगा. मादक आँचल के बदन की खुशबू से वो कामवासना से पागल हो गया था. कुछ ही देर ऐसे हाथ रगड़ने से वो हरामी अपने पैंट के अंदर ही झड़ गया. और झड़ते हुए आँचल की चूचियों को ज़ोर से मसलते रहा. आँचल दर्द से अपने होंठ काटती रही. फिर उसने आँचल को छोड़ दिया और वहीं अपने स्टॉप पर ट्रेन से उतर गया.

आँचल उत्तेजना से गीली हो गयी थी पर शरम से ह्युमिलिटेड भी महसूस कर रही थी. मैंने कैसे उस आदमी को इतना सब कुछ करने दिया ? लेकिन इन सब बातों को सोचने का वो सही समय नही था. ट्रेन में और भी लोग चढ़ गये और कम्पार्टमेंट खचाखच भर गया. आँचल लोगों के बीच दब गयी. लोग उसके बदन पर हाथ फिराते रहे , चिकोटी काटते रहे. आख़िर चर्चगेट स्टेशन आ ही गया और लोगों की भीड़ के धक्के खाती हुई आँचल ट्रेन से उतर गयी.

स्टेशन के प्लेटफार्म पर आँचल ने अपने कपड़े देखे. उसकी शिफॉन साड़ी बुरी तरह से खराब हो चुकी थी. अपने बदन से उसे , और लोगों की गंध आ रही थी. स्टेशन से बाहर आकर आँचल ने घृणा से अपना टिकट फाड़ कर फेंक दिया और प्रण कर लिया की मुंबई की लोकल ट्रेन में वो अब नही बैठेगी, छी !

वहाँ से आँचल ने कोलाबा के लिए टैक्सी पकड़ी और कुछ घंटे कपड़ों और सैंडल्स की शॉपिंग करते हुए बिताए. वहाँ शॉपिंग करते हुए भी उसने देखा की लोग उसके बदन को छूने और पिंच करने का कोई मौका नही छोड़ रहे. इन सब बातों से वो इरिटेट हो गयी और एक टैक्सी में अपना खरीदा हुआ सामान लेकर वापस होटेल आ गयी.

होटेल के कमरे में पहुँचकर आँचल ने रूम सर्विस से खाना मँगवाया और नहाने चली गयी. नहाने के बाद वो टीवी देखने लगी. आँचल नहाकर अपने बेड पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में लेटकर टीवी चैनल बदलने लगी. तभी उसने देखा एक चैनल में ब्लू फिल्म आ रही है. उसने टीवी का वॉल्यूम हल्का कर दिया और ब्लू फिल्म देखने लगी. ब्लू फिल्म में एक गोरी लड़की को एक काला आदमी चोद रहा था . वो लड़की बहुत ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी.

बड़ी बड़ी चूचियों वाली गोरी लड़की को हबशी काले बड़े लंबे लंड से पीछे से चोद रहा था. हबशी के तेज तेज धक्कों से लड़की की चूचियां हवा में उछल रही थी. ये सीन देखकर आँचल उत्तेजित हो गयी और अपनी पैंटी के अंदर हाथ डालकर चूत में उंगली करने लगी.

कुछ देर बाद उसने पैंटी उतार फेंकी और अपनी नंगी हो चुकी चूत पर उंगलियाँ चलाने लगी और ज़ोर ज़ोर से क्लिट को रगड़ने लगी. उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी. टीवी स्क्रीन पर वो हबशी उस गोरी लड़की को पीछे से बेरहमी से चोद रहा था और वो लड़की ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी. सुबह ट्रेन में हुई घटना और अब ब्लू फिल्म ने आँचल को बहुत उत्तेजित कर दिया , वो तेज़ी से अपनी क्लिट को मसलने लगी . कुछ ही पलों में उसका बदन अकड़ गया और एक जबरदस्त ओर्गास्म से उसका बदन काँपने लगा ……..आअहह………… उसकी कमर ऊपर को उठ कर टेढ़ी हो गयी फिर वापस बेड पर गिर पड़ी. आँचल झड़ चुकी थी. झड़ने के बाद उसने देखा टीवी पर वो हबशी अभी भी चोदे ही जा रहा है. क्या नाटक है साला . आँचल ने टीवी बंद कर दिया और बेड पर सो गयी.

आअहह…… शांति मिल गयी …….अब बढ़िया नींद आएगी.
 

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