अपडेट २
जब मैं घर आया तो मैंने देखा कि ताईजी रसोईघर में खाना बना रही है, मुझे देखकर ताईजी थोड़ी हैरान रह गई।
"अरे लल्ला आज इतनी जल्दी कैसे आ गया तू?"
"ताईजी वो आज गणित के मास्टरजी नही आए थे इसलिए छुट्टी हो गई, आप कहां थी ताईजी मैं बहुत देर से आपको ढूंढ रहा था।"
"लल्ला मैं सभ्या को अपने गंदे कपड़े धुलने देने के लिए नदी किनारे गई थी" ताईजी थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली।
"ताईजी मुझे बहुत भूख लग रही है, खाना में क्या बना है?"
"दाल तो बन गई है और चावल मैंने कुकर में रखकर चूल्हे पर चढ़ा दिया है, तू आंगन में चटाई बिछा कर बैठ मैं अभी तेरे लिए खाना लेकर आती हूं।"
मैंने हाथ मुंह पानी से धोया और आंगन में चटाई बिछा कर बैठ गया, मेरे दिमाग में अभी भी वो झोपड़ी वाला दृश्य घूम रहा था ताईजी खटिया पर झुकी हुई थी और पीछे से कल्लू उनकी गांड मार रहा था, मुझे गुस्सा भी आ रहा था और हैरानी भी हो रही थी मैं सोच रहा था कि कहीं वो सब सपना तो नहीं था लेकिन वो कोई सपना नहीं था, ताईजी रसोईघर में काम कर रही थी मैंने देखा कि ताईजी की साड़ी उनकी गांड की दरार में अटकी हुई थी जिससे उनकी मोटी गांड का आकार निखरकर आ रहा था, मैं उनकी मदमस्त मोटी गांड देखता रहा, आज तक मैने ताईजी को कभी इतना गौर से नही देखा था पर अब तो ताईजी को देखने का मेरा नजरिया ही बदल गया था।
कुछ देर में ताईजी मेरे लिए एक थाली में दाल, चावल और सलाद लेकर आई और फिर उन्होंने मेरे साथ चटाई पर बैठकर खाना शुरू किया, तभी मेरी नजर ताईजी के ब्लाउज पर पड़ी मैंने देखा कि ताईजी के ब्लाउज के ऊपर वाला बटन खुला रह गया है जिसमे से उनकी बड़ी बड़ी गोरी चूचियों की गहरी लंबी दरार नजर आ रही है, मैंने सोचा कि शायद ताईजी ने झोपड़ी से बाहर निकलते वक्त अपने ब्लाउज पर ध्यान नहीं दिया होगा, मैं ताईजी को देखे जा रहा था और बेहद गंदी नजर से घूर रहा था, मैंने सोचा कि ये गलत है मैं क्या कर रहा हूं मुझे ताईजी को ऐसे नही देखना चाहिए पर फिर मैंने सोचा कि अगर कल्लू जैसा नौकर मेरी ताईजी को चोद सकता है तो मैं क्यों नहीं, ताईजी की बड़ी बड़ी चूचियां और मदमस्त गदराई हुई गांड का मैं दीवाना हो गया था, मेरा मन तो कर रहा था कि यहीं ताईजी को चटाई पर पटककर चोद दूं।
तभी मैंने ध्यान दिया कि ताईजी ने मुझे उनकी चूचियों को घूरते देख लिया है लेकिन कुछ बोली नहीं, उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और फिर रसोईघर में चली गई, मुझे भी थोड़ी शर्म महसूस हो रही थी, मैंने अपना भोजन किया और फिर आंगन में ही चारपाई पर लेटकर आराम करने लगा, कुछ देर बाद ताईजी रसोईघर से बाहर निकलकर अपने कमरे में सोने चली गई। मैने सोचा कि मैंने ठीक किया ताईजी को नहीं बताया कि मेरी कोचिंग अगले 2 दिन के लिए बंद है, अब मैं ताईजी पर नजर रख सकता हूं और ताईजी को कैसे चोदा जाए इसकी योजना बनाने लगा, मुझे पता नहीं चला कब नींद आ गई। कुछ देर बाद रसोईघर में बर्तन की आवाज होने से मेरी नींद टूट गई, मैंने देखा कि रसोईघर में शीला भाभी हैं, वह टिफिंग में खाना रख रही थी चूंकि भीमा भईया दुकान पर होते थे तो शीला भाभी उनके लिए खाना लेने घर आ जाती है।
"देवर जी क्या बात है ऐसे क्या देख रहे हैं"
"भाभी कुछ नहीं, मैं देख रहा हूं आप भईया की कितनी सेवा करती हो, कड़ी धूप में उनके लिए खाना लेने आई हो"
"देवर जी हम तो आपकी सेवा करने के लिए भी तैयार हैं लेकिन आप तो कभी हमको मौका ही नही देते हो"
"ऐसी बात है तो फिर आप मेरे लिए एक ग्लास ठंडी लस्सी बना दीजिए"
मैं शीला भाभी को रसोईघर में काम करते हुए देख रहा था, आज मैंने शीला भाभी को बहुत ध्यान से देखा तो मैंने नोटिस किया कि जब शीला भाभी इस घर की बहु बनकर आई थी तो कितनी कमसिन थी और अब कितनी सुडोल हो गई है, इसका श्रेय तो भीमा भईया को ही जाता है, मैं ऐसा सोच ही रहा था कि शीला भाभी लस्सी का ग्लास लेकर रसोईघर में बाहर निकलती हुई आने लगी और मेरे पास आकर झुक के उन्होंने मेरी तरफ लस्सी का ग्लास बढ़ाया तो उनकी चूचियों की गहरी दरार मेरे आंखों के सामने मंडराने लगी और मेरी नजर उनकी चूचियों पर जम गई।
"देख क्या रहें है देवर जी पी लीजिए ना।" शीला भाभी मुझे लस्सी का ग्लास देते हुए मजाकिया अंदाज में बोली
"आप ही पीला दीजिए ना भाभी" मैं भी मुस्कुराते हुए बोला
देवर और भाभी का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है हम एक दूसरे की डबल मीनिंग बात को बखूबी समझते थे।
फिर शीला भाभी ने बड़े प्यार से मुझे अपने हाथ से लस्सी पिलाई।
"भाभी बड़ी स्वादिष्ट है, क्या लस्सी बनाई है, भाभी मुझे भी कभी अपनी सेवा करने का थोड़ा मौका दिया करो"
"सोच लो देवर जी नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा"
"भाभी की सेवा देवर नहीं करेगा तो कौन करेगा, आप जैसा कहोगी वैसा करूंगा एक बार कहकर तो देखिए।"
"देवर जी मुझे देर हो रही है अगर टिफिन लेकर समय पर दुकान नहीं पहुंची तो तुम्हारे भईया चिल्लाएंगे" शीला भाभी दीवार पर टंगी घड़ी को देखते हुए बोली और रसोईघर से टिफिन लेकर बाहर चली गई।
फिर मैं अपने कमरे में पढ़ने चला गया, शाम को करीब 5 बजे मैं पढ़ाई करके उठा, मुझे बहुत प्यास लग रही थी इसलिए मैं रसोईघर में पानी पीने चला आया, मैंने देखा कि पीहू दीदी आंगन में चारपाई पर बैठकर अपने फोन पर किसी से बात कर रही है लेकिन जैसे ही पीहू दीदी ने मुझे देखा तो उन्होंने फोन काट दिया, मैंने नोटिस किया कि पीहू दीदी आज बहुत खुश लग रही है, मैं पानी का लोटा लेकर अपने कमरे में चला गया, तभी मेरे दोस्त राज का कॉल आ गया, राज ने मुझे नदी किनारे पुल पर घूमने के लिए पूछा, मैंने कहा मैं थोड़ी देर में आता हूं।
कुछ देर बाद मैं नदी किनारे पुल की तरफ चल दिया, 10 मिनट बाद मैं नदी किनारे पहुंच गया मैंने देखा कि राज पुल पर है उसने मुझे ऊपर आने के लिए इशारा किया, मैं पुल पर आ गया।
"आज तुझे मेरी याद कैसे आ गई।"
"ऐसी बात नही हैं तू तो अपना यार है"
कुछ देर हम पढ़ाई लिखाई की बात करते रहे क्योंकि हम एक ही कोचिंग में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे, चूंकि इस गांव में मैं नया था और राज से मेरी दोस्ती हुए कुछ दिन हो चुके थे इसलिए मैने सोचा कि राज से थोड़ा खुलकर बात करता हूं।
"राज एक बात पूछूं?"
"हां पूंछ ना क्या बात है?"
"राज गांव में तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?"
"गर्लफ्रेंड! नही तो" राज थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला।
"तू इतना डर क्यों रहा है, ऐसे ही पूछ रहा हूं भाई, क्या तुझे गांव में कोई लड़की पसंद नही है?"
"ऐसी बात नही है, मुझे एक लड़की बहुत पसंद है।"
"कौन?"
"तू किसी को बताएगा तो नहीं"
"नहीं"
"मुझे मालती बहुत पसंद है"
"मालती कौन है?"
"मेरे पड़ोस में रहती है"
"तू मालती से बातचीत करता है की नहीं?"
"थोड़ी बहुत लेकिन मुझे उसके बाप से बहुत डर लगता है, उसका बाप प्रधान जी के घर चौकीदारी करता है।"
"उसका बाप कौन है?"
"हरिया"
"हरिया तो वसूली भी करता है मेरी ताईजी के खेत में एक दिन वसूली करने आया था"
"हां, बड़ा चोदू आदमी है वसूली के अलावा प्रधान जी के बहुत से अवैध धंधे भी करता है।"
"मालती तुझे पसंद करती है की नहीं?"
"पता नहीं भाई, तू बता गांव में तुझे कोई लड़की पसंद है"
"मुझे इस गांव में आए कुछ ही दिन तो हुए हैं, मैंने तो अभी तक किसी को ध्यान से देखा भी नहीं है।"
"तेरे पड़ोस में भी तो एक खूबसूरत लड़की रहती है?"
"किसकी बात कर रहा है रुबीना भाभीजान तो मेरी भाभी समान है लेकिन देखने में बड़ी कमसिन लगती है"
"नहीं भाई, मैं नुसरत की बात कर रहा हूं"
"मुझे पता नहीं तू किसकी बात कर रहा है?"
"शादाब भाई की बहन नुसरत"
"क्या? शादाब भाई की कोई बहन भी है, मुझे तो अभी पता चला है"
"हां भाई, नुसरत घर से बाहर अपने भाई या अम्मी के साथ ही जाती है, गांव के किसी लड़के को भाव तक नहीं देती है"
"ऐसी बात है फिर तो देखना पड़ेगा,,,,"
फिर ऐसे ही कुछ देर और बात करने के बाद मैं अपने घर चला दिया और राज भी अपने घर चला गया।
शाम के 7 बज चुके थे, भीमा भईया अपने कमरे में आराम कर रहे थे, ताईजी और शीला भाभी रसोईघर में रात का खाना बना रही थी और पीहू दीदी आंगन में पुदीने की चटनी बना रही थी। मैं चारपाई पर बैठ गया और पीहू दीदी को देखने लगा, आज पीहू दीदी के चेहरे पर अलग ही चमक थी और पता नही क्या सोच कर मुस्कुरा रही थी।
कुछ देर बाद रात का खाना तैयार हो गया, फिर सभी ने टीवी देखते हुए भोजन किया उसके बाद मैं अपने कमरे में पढ़ने के लिए चला गया, मेरी थोड़ी बहुत पढ़ाई हुई लेकिन झोपड़ी वाला दृश्य बार बार मेरे मन में घूम रहा था इसलिए मैंने पुस्तक को बंद किया और आंगन में आकर चारपाई पर बैठ गया तो मैंने देखा कि रसोईघर में ताइजी मेरे लिए चूल्हे पर दूध चढ़ा रही हैं मैं बहुत देर तक ताईजी की मस्तानी मोटी गांड को घूरता रहा और इस कदर गुम हो गया अपने सपने में कि ताईजी दूध का ग्लास लेकर खड़ी थी मुझे दूध पीने को कह रही थी और मुझे होश ही नहीं था, तभी ताईजी ने मेरे गाल पर धीरे से हाथ मारा तो मैं सपनों की हसीन वादियो से हकीकत के वीराने में पहुंच गया।
"क्या सोच रहा है मेरा लल्ला"
"कुछ नही ताईजी बस यूं ही"
"मैं देख रही हूं सुबह से अजीन हरकतें कर रहे हो, तुम्हारा ध्यान कहां है, पता नही किस दुनिया में खोए हो, तबीयत तो ठीक है ना"
"हां ताईजी तबीयत तो बिलकुल ठीक है"
"तो फिर इतने खोए खोए से क्यों लग रहे हो"
अब क्या कहूं ताईजी कि इसकी वजह आप हो, आज मुझे पता चला है कि आप कितनी बड़ी चुदक्कड़ हो।
"मुझे कुछ नही हुआ है पढ़ाई के बारे में सोच रहा था और कोई बात नहीं है"
"ठीक है तुम दूध पियो, मुझे थकान हो रही है मैं अपने कमरे सोने जा रही हूं"
हां गांड चूदाई करोगी तो थकान तो होगी ही, फिर मैंने दूध पिया और कुछ देर बाद ताईजी अपने कमरे में सोने चली गई, मैं भी आंगन में चारपाई पर लेटे लेटे ही सो गया,,,,