Incest आवारा सांड और चुदक्कड़ घोड़ियां

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अपडेट २

जब मैं घर आया तो मैंने देखा कि ताईजी रसोईघर में खाना बना रही है, मुझे देखकर ताईजी थोड़ी हैरान रह गई।

"अरे लल्ला आज इतनी जल्दी कैसे आ गया तू?"

"ताईजी वो आज गणित के मास्टरजी नही आए थे इसलिए छुट्टी हो गई, आप कहां थी ताईजी मैं बहुत देर से आपको ढूंढ रहा था।"

"लल्ला मैं सभ्या को अपने गंदे कपड़े धुलने देने के लिए नदी किनारे गई थी" ताईजी थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली।

"ताईजी मुझे बहुत भूख लग रही है, खाना में क्या बना है?"

"दाल तो बन गई है और चावल मैंने कुकर में रखकर चूल्हे पर चढ़ा दिया है, तू आंगन में चटाई बिछा कर बैठ मैं अभी तेरे लिए खाना लेकर आती हूं।"

मैंने हाथ मुंह पानी से धोया और आंगन में चटाई बिछा कर बैठ गया, मेरे दिमाग में अभी भी वो झोपड़ी वाला दृश्य घूम रहा था ताईजी खटिया पर झुकी हुई थी और पीछे से कल्लू उनकी गांड मार रहा था, मुझे गुस्सा भी आ रहा था और हैरानी भी हो रही थी मैं सोच रहा था कि कहीं वो सब सपना तो नहीं था लेकिन वो कोई सपना नहीं था, ताईजी रसोईघर में काम कर रही थी मैंने देखा कि ताईजी की साड़ी उनकी गांड की दरार में अटकी हुई थी जिससे उनकी मोटी गांड का आकार निखरकर आ रहा था, मैं उनकी मदमस्त मोटी गांड देखता रहा, आज तक मैने ताईजी को कभी इतना गौर से नही देखा था पर अब तो ताईजी को देखने का मेरा नजरिया ही बदल गया था।

कुछ देर में ताईजी मेरे लिए एक थाली में दाल, चावल और सलाद लेकर आई और फिर उन्होंने मेरे साथ चटाई पर बैठकर खाना शुरू किया, तभी मेरी नजर ताईजी के ब्लाउज पर पड़ी मैंने देखा कि ताईजी के ब्लाउज के ऊपर वाला बटन खुला रह गया है जिसमे से उनकी बड़ी बड़ी गोरी चूचियों की गहरी लंबी दरार नजर आ रही है, मैंने सोचा कि शायद ताईजी ने झोपड़ी से बाहर निकलते वक्त अपने ब्लाउज पर ध्यान नहीं दिया होगा, मैं ताईजी को देखे जा रहा था और बेहद गंदी नजर से घूर रहा था, मैंने सोचा कि ये गलत है मैं क्या कर रहा हूं मुझे ताईजी को ऐसे नही देखना चाहिए पर फिर मैंने सोचा कि अगर कल्लू जैसा नौकर मेरी ताईजी को चोद सकता है तो मैं क्यों नहीं, ताईजी की बड़ी बड़ी चूचियां और मदमस्त गदराई हुई गांड का मैं दीवाना हो गया था, मेरा मन तो कर रहा था कि यहीं ताईजी को चटाई पर पटककर चोद दूं।

तभी मैंने ध्यान दिया कि ताईजी ने मुझे उनकी चूचियों को घूरते देख लिया है लेकिन कुछ बोली नहीं, उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और फिर रसोईघर में चली गई, मुझे भी थोड़ी शर्म महसूस हो रही थी, मैंने अपना भोजन किया और फिर आंगन में ही चारपाई पर लेटकर आराम करने लगा, कुछ देर बाद ताईजी रसोईघर से बाहर निकलकर अपने कमरे में सोने चली गई। मैने सोचा कि मैंने ठीक किया ताईजी को नहीं बताया कि मेरी कोचिंग अगले 2 दिन के लिए बंद है, अब मैं ताईजी पर नजर रख सकता हूं और ताईजी को कैसे चोदा जाए इसकी योजना बनाने लगा, मुझे पता नहीं चला कब नींद आ गई। कुछ देर बाद रसोईघर में बर्तन की आवाज होने से मेरी नींद टूट गई, मैंने देखा कि रसोईघर में शीला भाभी हैं, वह टिफिंग में खाना रख रही थी चूंकि भीमा भईया दुकान पर होते थे तो शीला भाभी उनके लिए खाना लेने घर आ जाती है।

"देवर जी क्या बात है ऐसे क्या देख रहे हैं"

"भाभी कुछ नहीं, मैं देख रहा हूं आप भईया की कितनी सेवा करती हो, कड़ी धूप में उनके लिए खाना लेने आई हो"

"देवर जी हम तो आपकी सेवा करने के लिए भी तैयार हैं लेकिन आप तो कभी हमको मौका ही नही देते हो"

"ऐसी बात है तो फिर आप मेरे लिए एक ग्लास ठंडी लस्सी बना दीजिए"

मैं शीला भाभी को रसोईघर में काम करते हुए देख रहा था, आज मैंने शीला भाभी को बहुत ध्यान से देखा तो मैंने नोटिस किया कि जब शीला भाभी इस घर की बहु बनकर आई थी तो कितनी कमसिन थी और अब कितनी सुडोल हो गई है, इसका श्रेय तो भीमा भईया को ही जाता है, मैं ऐसा सोच ही रहा था कि शीला भाभी लस्सी का ग्लास लेकर रसोईघर में बाहर निकलती हुई आने लगी और मेरे पास आकर झुक के उन्होंने मेरी तरफ लस्सी का ग्लास बढ़ाया तो उनकी चूचियों की गहरी दरार मेरे आंखों के सामने मंडराने लगी और मेरी नजर उनकी चूचियों पर जम गई।

"देख क्या रहें है देवर जी पी लीजिए ना।" शीला भाभी मुझे लस्सी का ग्लास देते हुए मजाकिया अंदाज में बोली

"आप ही पीला दीजिए ना भाभी" मैं भी मुस्कुराते हुए बोला

देवर और भाभी का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है हम एक दूसरे की डबल मीनिंग बात को बखूबी समझते थे।

फिर शीला भाभी ने बड़े प्यार से मुझे अपने हाथ से लस्सी पिलाई।

"भाभी बड़ी स्वादिष्ट है, क्या लस्सी बनाई है, भाभी मुझे भी कभी अपनी सेवा करने का थोड़ा मौका दिया करो"

"सोच लो देवर जी नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा"

"भाभी की सेवा देवर नहीं करेगा तो कौन करेगा, आप जैसा कहोगी वैसा करूंगा एक बार कहकर तो देखिए।"

"देवर जी मुझे देर हो रही है अगर टिफिन लेकर समय पर दुकान नहीं पहुंची तो तुम्हारे भईया चिल्लाएंगे" शीला भाभी दीवार पर टंगी घड़ी को देखते हुए बोली और रसोईघर से टिफिन लेकर बाहर चली गई।

फिर मैं अपने कमरे में पढ़ने चला गया, शाम को करीब 5 बजे मैं पढ़ाई करके उठा, मुझे बहुत प्यास लग रही थी इसलिए मैं रसोईघर में पानी पीने चला आया, मैंने देखा कि पीहू दीदी आंगन में चारपाई पर बैठकर अपने फोन पर किसी से बात कर रही है लेकिन जैसे ही पीहू दीदी ने मुझे देखा तो उन्होंने फोन काट दिया, मैंने नोटिस किया कि पीहू दीदी आज बहुत खुश लग रही है, मैं पानी का लोटा लेकर अपने कमरे में चला गया, तभी मेरे दोस्त राज का कॉल आ गया, राज ने मुझे नदी किनारे पुल पर घूमने के लिए पूछा, मैंने कहा मैं थोड़ी देर में आता हूं।

कुछ देर बाद मैं नदी किनारे पुल की तरफ चल दिया, 10 मिनट बाद मैं नदी किनारे पहुंच गया मैंने देखा कि राज पुल पर है उसने मुझे ऊपर आने के लिए इशारा किया, मैं पुल पर आ गया।

"आज तुझे मेरी याद कैसे आ गई।"

"ऐसी बात नही हैं तू तो अपना यार है"

कुछ देर हम पढ़ाई लिखाई की बात करते रहे क्योंकि हम एक ही कोचिंग में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे, चूंकि इस गांव में मैं नया था और राज से मेरी दोस्ती हुए कुछ दिन हो चुके थे इसलिए मैने सोचा कि राज से थोड़ा खुलकर बात करता हूं।

"राज एक बात पूछूं?"

"हां पूंछ ना क्या बात है?"

"राज गांव में तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?"

"गर्लफ्रेंड! नही तो" राज थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला।

"तू इतना डर क्यों रहा है, ऐसे ही पूछ रहा हूं भाई, क्या तुझे गांव में कोई लड़की पसंद नही है?"

"ऐसी बात नही है, मुझे एक लड़की बहुत पसंद है।"

"कौन?"

"तू किसी को बताएगा तो नहीं"

"नहीं"

"मुझे मालती बहुत पसंद है"

"मालती कौन है?"

"मेरे पड़ोस में रहती है"

"तू मालती से बातचीत करता है की नहीं?"

"थोड़ी बहुत लेकिन मुझे उसके बाप से बहुत डर लगता है, उसका बाप प्रधान जी के घर चौकीदारी करता है।"

"उसका बाप कौन है?"

"हरिया"

"हरिया तो वसूली भी करता है मेरी ताईजी के खेत में एक दिन वसूली करने आया था"

"हां, बड़ा चोदू आदमी है वसूली के अलावा प्रधान जी के बहुत से अवैध धंधे भी करता है।"

"मालती तुझे पसंद करती है की नहीं?"

"पता नहीं भाई, तू बता गांव में तुझे कोई लड़की पसंद है"

"मुझे इस गांव में आए कुछ ही दिन तो हुए हैं, मैंने तो अभी तक किसी को ध्यान से देखा भी नहीं है।"

"तेरे पड़ोस में भी तो एक खूबसूरत लड़की रहती है?"

"किसकी बात कर रहा है रुबीना भाभीजान तो मेरी भाभी समान है लेकिन देखने में बड़ी कमसिन लगती है"

"नहीं भाई, मैं नुसरत की बात कर रहा हूं"

"मुझे पता नहीं तू किसकी बात कर रहा है?"

"शादाब भाई की बहन नुसरत"

"क्या? शादाब भाई की कोई बहन भी है, मुझे तो अभी पता चला है"

"हां भाई, नुसरत घर से बाहर अपने भाई या अम्मी के साथ ही जाती है, गांव के किसी लड़के को भाव तक नहीं देती है"

"ऐसी बात है फिर तो देखना पड़ेगा,,,,"

फिर ऐसे ही कुछ देर और बात करने के बाद मैं अपने घर चला दिया और राज भी अपने घर चला गया।

शाम के 7 बज चुके थे, भीमा भईया अपने कमरे में आराम कर रहे थे, ताईजी और शीला भाभी रसोईघर में रात का खाना बना रही थी और पीहू दीदी आंगन में पुदीने की चटनी बना रही थी। मैं चारपाई पर बैठ गया और पीहू दीदी को देखने लगा, आज पीहू दीदी के चेहरे पर अलग ही चमक थी और पता नही क्या सोच कर मुस्कुरा रही थी।

कुछ देर बाद रात का खाना तैयार हो गया, फिर सभी ने टीवी देखते हुए भोजन किया उसके बाद मैं अपने कमरे में पढ़ने के लिए चला गया, मेरी थोड़ी बहुत पढ़ाई हुई लेकिन झोपड़ी वाला दृश्य बार बार मेरे मन में घूम रहा था इसलिए मैंने पुस्तक को बंद किया और आंगन में आकर चारपाई पर बैठ गया तो मैंने देखा कि रसोईघर में ताइजी मेरे लिए चूल्हे पर दूध चढ़ा रही हैं मैं बहुत देर तक ताईजी की मस्तानी मोटी गांड को घूरता रहा और इस कदर गुम हो गया अपने सपने में कि ताईजी दूध का ग्लास लेकर खड़ी थी मुझे दूध पीने को कह रही थी और मुझे होश ही नहीं था, तभी ताईजी ने मेरे गाल पर धीरे से हाथ मारा तो मैं सपनों की हसीन वादियो से हकीकत के वीराने में पहुंच गया।

"क्या सोच रहा है मेरा लल्ला"

"कुछ नही ताईजी बस यूं ही"

"मैं देख रही हूं सुबह से अजीन हरकतें कर रहे हो, तुम्हारा ध्यान कहां है, पता नही किस दुनिया में खोए हो, तबीयत तो ठीक है ना"

"हां ताईजी तबीयत तो बिलकुल ठीक है"

"तो फिर इतने खोए खोए से क्यों लग रहे हो"

अब क्या कहूं ताईजी कि इसकी वजह आप हो, आज मुझे पता चला है कि आप कितनी बड़ी चुदक्कड़ हो।

"मुझे कुछ नही हुआ है पढ़ाई के बारे में सोच रहा था और कोई बात नहीं है"

"ठीक है तुम दूध पियो, मुझे थकान हो रही है मैं अपने कमरे सोने जा रही हूं"

हां गांड चूदाई करोगी तो थकान तो होगी ही, फिर मैंने दूध पिया और कुछ देर बाद ताईजी अपने कमरे में सोने चली गई, मैं भी आंगन में चारपाई पर लेटे लेटे ही सो गया,,,,
 
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अपडेट ३

सुबह 6 बजे के आस पास मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि सभ्या चाची (कल्लू की मां) आंगन में झाड़ू लगा रही है, सभ्या चाची सुबह घर पर झाड़ू और बर्तन करने के लिए आती थी उन्होंने एक ढीली ब्लाउज और पुरानी साड़ी पहनी हुई थी और मैं केवल धोती में चारपाई पर लेटा हुआ था, मैंने देखा कि सभ्या चाची झाड़ू लगाते हुए मेरी धोती की तरफ बार बार देख रही थी, तभी मैंने ध्यान दिया कि मेरी धोती में तम्बू बना हुआ है, सुबह का वक्त था इसलिए मेरा लन्ड धोती में अपनी औकात में खड़ा था, सभ्या चाची झुक कर झाड़ू लगा रही थी मेरी नजर जैसे ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों पर पड़ी तो मेरा लन्ड धोती में फड़कने लगा, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में झाड़ू लगाने चली गई तो मैं चारपाई से उठकर घर के पिछवाड़े में मूतने चला गया।

फिर मैं घर के पिछवाड़े में ही कसरत करने लगा, बचपन से मेरी आदत थी की सुबह–सुबह मैं देसी दंड मार लिया करता था, कुछ देर बाद सभ्या चाची कमरे से झाड़ू लगाकर बाहर निकली और आंगन के नल से बाल्टी में पानी भरकर पोछा लगाने लगी, मैंने आंगन में सभ्या चाची की तरफ ध्यान दिया तो मेरे तो होश ही उड़ गए, सभ्या चाची अपने घुटनों के बाल बैठके फर्श पर पोछा लगा रही था, मुझे उनकी साड़ी में कैद उनकी भारी गांड नजर आ रही थी, सभ्या चाची ऐसे झुकी हुई थी कि उनकी साड़ी में से उनकी पैंटी साफ़ दिखाई दे रही थी, सभ्या चाची के भारी चूतड़ों को छोटी सी पैंटी में कैद देख मैं पागल होने लगा और फिर से मेरा लन्ड धोती में तनकर खड़ा हो गया था, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में पोछा लगाने चली गई।

घर के पिछवाड़े में ही गुसलखाना बना था, मैं अपना तौलिया लेकर नहाने चला गया।

कुछ देर बाद मैं नहाकर बाहर निकला तो देखा कि ताईजी आंगन में चारपाई पर बैठकर चाय पी रही थी, सभ्या चाची रसोईघर में बर्तन कर रही थी और शीला भाभी खाना बना रही थी, भीमा भईया ने मुझे देखा तो वह तौलिया लेकर नहाने चल दिए, इधर पीहू दीदी अभी तक अपने कमरे में घोड़े बेचकर सो रही थी, फिर मैंने अपने कमरे में आकर कपड़े पहने और थोड़ी बहुत पढ़ाई करने के लिए कुर्सी पर बैठ गया।

करीब एक घंटे के बाद भीमा भईया और शीला भाभी भोजन करके बाइक से बाजार के लिए निकल चुके थे, बाजार में उनके कपड़े और कॉस्मेटिक्स की दुकान है। कुछ देर बाद मैंने भोजन किया और साइकिल से कोचिंग के लिए निकल गया, आज कोचिंग बंद थी मुझे तो ताईजी पर नजर रखनी थी इसलिए मैं कोचिंग का बहाना देकर घर से बाहर निकला था, मैने अपनी साइकिल को ताईजी के गन्ने के खेत में छुपा दिया और घर से थोड़ी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के पीछे आकर छुप गया। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मेरे दोस्त राज की बहन रजनी ताईजी के घर में गई है, कुछ देर के बाद मैंने देखा कि रजनी दीदी और पीहू दीदी एक साथ घर से बाहर निकली और पता नही किसलिए प्रधान जी के हवेली की तरफ चली गई, कुछ समय बाद सभ्या चाची एक गठरी में कपड़े लेकर घर से बाहर आई और गांव की नदी के किनारे चली गई।

अब 10 बज चुके थे लेकिन ताईजी अभी तक घर में ही थी, कुछ देर बाद ताईजी घर से बाहर आई और घर के फाटक पर कुंडी मारकर अपने आम के बगीचों की तरफ जाने लगी। मैं चुपके से बरगद के पेड़ के पीछे से बाहर निकला और धीरे धीरे ताईजी के पीछे चलने लगा, मैं बहुत दूर था इसलिए ताईजी मुझे देख नही सकती थी और मुझे भी इस बात की बड़ी चिंता थी कि कहीं ताईजी मेरी आंखों से ओझल न हो जाए और ठीक ऐसा ही हुआ, कुछ दूर के बाद ताईजी मेरी आंखों से ओझल हो गई, मैंने आम के बगीचों में ताईजी को बहुत ढूंढा लेकिन मुझे ताईजी कहीं पर भी नजर नहीं आ रही थी। मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन मैंने हिम्मत नही हारी थी, मैंने ऐसी ही आधा घंटा तक ताईजी को आम के बगीचे में ढूंढता रहा और फिर थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया, तभी मुझे ध्यान आया कि आम के बगीचे के पीछे एक पंपहाउस है वहां तो मैंने देखा ही नहीं।

फिर मैं थोड़ा जोश में उठकर खड़ा हुआ और थोड़ी देर चलने के बाद मुझे पंपहाउस नजर आ गया।

मैं अभी पंपहाउस से थोड़ा दूर ही था कि मुझे किसी की सिसकियां सुनाई पड़ी, आवाज ताईजी की ही थी कल जैसे आह्ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह कर रही थी , मैं समझ गया कि अंदर खेल चालू है, मैं पंपहाउस के पास पहुंचा तो ताईजी की सिसकियां और तेज होने लगी, कल तो ताईजी को डर था कि कोई आ न जाए इसलिए धीरे आवाज कर रही थी पर आज उन्हें यकीन था कि यहां कोई आने वाला नही है इसलिए वह बिना किसी डर के सिसकियां भर रही हैं, पंपहाउस का दरवाजा लकड़ी से बना था और अंदर से लॉक था।

मैंने keyhole से देखा कि ताईजी बिलकुल नग्न अवस्था में गद्दे पर कल्लू के ऊपर बैठी है और कल्लू का लन्ड अपनी चूत में लेकर ऊपर नीचे हो रही है, पंपहाउस में झोपड़ी जितना अंधेरा तो नहीं था लेकिन keyhole से ठीक से कुछ नजर नहीं आ रहा था, ताईजी की चूचियां सच में बहुत बड़ी बड़ी थी और इस उम्र में भी उनकी चूचियां लटकी नही थी लेकिन थोड़ा नीचे की तरफ हो गई थी पर इतनी बड़ी बड़ी चूचियां थी तो नीचे झुकना तो जायज था।

ताईजी ऊपर नीचे हो रही थी और कल्लू का लन्ड ताईजी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था लेकिन कल के मुकाबले आज कल्लू का लन्ड थोड़ा मोटा लग रहा था और उसके लन्ड की लंबाई छोटी लग रही थी, कल्लू का लन्ड भूरे रंग लग रहा था जबकि कल तक उसका लन्ड काला था। मैंने सोचा कि कल उसका लन्ड काला इसलिए लग रहा होगा क्योंकि झोपड़ी में अंधेरा था लेकिन उसका लन्ड आज मोटा कैसे हो गया और लंबाई में छोटा। अब मैं समझ गया कि यह कल्लू नही है, आखिर कौन हो सकता है, तभी मुझे नजर आया कि पंपहाउस में दो नहीं चार लोग हैं।

मैंने देखा कि कोई ताईजी से कुछ दूर खड़ा हुआ है और अपने लन्ड को किसी औरत के मुंह में डालकर अंदर बाहर कर रहा है, मैंने उसके लन्ड को ध्यान से देखा तो पता चला कि वह कोई और नही बल्कि कल्लू ही है लेकिन अब वह औरत कौन है जो कल्लू का लन्ड चूस रही है और ताईजी किसके लन्ड के ऊपर इतना उछल–उछल कर चुद रही है,,,, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है। इधर ताईजी बहुत तेजी से अपनी गांड को उस आदमी के मोटे भूरे लन्ड पर पटक रही थी और उधर उस औरत ने कल्लू के लंबे काले लन्ड को अपने गले तक उतार लिया था। ताईजी नग्न अवस्था में थी जबकि वह औरत हरे रंग की सलवार कमीज में थी लेकिन उसकी सलवार घुटनों तक सरकी हुई थी और कमीज़ उसके स्तन के ऊपर तक चढ़ी हुई थी, बड़ी गोरी चिट्ठी औरत थी, उसकी चूचियां भी बड़ी बड़ी थीं लेकिन ताईजी के जितनी बड़ी नही थीं, उसके चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे इसलिए मुझे उसका चेहरा नज़र नही आ रहा था। इधर ताईजी उस आदमी के ऊपर झुक गई थी और वह आदमी ताईजी की गांड को थामकर उनकी चूत में अपने लन्ड के ताबड़तोड़ धक्के जड़ रहा था लेकिन वह आदमी थोड़ी भी आवाज नहीं कर रहा था मुझे सच में ताईजी किसी बाजार की रण्डी लग रही थी।
 
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congratulations for new story badhiya kahani hai dost

Congratulations for start a new story


एक और शानदार भाग :clapclap:
ताई जी को संभोग करते हुए देखने पर बलराम का नजरिया तो बदलना ही था...अब क्या ताई जी अपने बलराम के नीचे आ पायेगी ये देखना होगा...
शीला भाभी भी शायद जल्द ही बलराम की लिस्ट में शामिल हो जाएगी....
ये नुसरत के साथ कुछ खास हो तो मजा ही आ जाएगा....
पीहू दीदी की ये मुस्कान किस वजह से है....और यू अचानक से कॉल कट करदेना भी संदेहपूर्ण है...
देखते है बलराम कहा कहा अपना खाता खोलता है...
आपकी लेखनी और कहानी लिखने li शैली सराहनीय है....हमे पूरा भरोसा है पाठक समय के साथ इस कहानी से जुड़ते जाएंगे...
अगले भाग की प्रतीक्षा रहेगी।


Bahut khub maja agaya nest update please
Aap sabhi ke comments ke liye dhanyawaad, update post kar diya hai
 
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Introduction–

मेरा नाम बलराम है मेरी उम्र 20 साल है, मेरे बारहवीं में 90% अंक आए थे इसलिए मेरे मां बापू ने आगे कॉम्पिटिशन और सरकारी नौकरी की तैयारी करने के लिए मुझे मेरी ताइजी के गांव भेज दिया था क्योंकि वहां से शहर पास पड़ता था मैं साइकिल से कोचिंग जाता था, मेरे घर में मेरे मां बापू के अलावा मेरी दो बड़ी बहनें भी हैं लेकिन अभी के लिए इस कहानी में मेरे परिवार को कोई रोल नहीं है इसलिए मैं अपने परिवार का परिचय बाद में दूंगा।

मैं अपने ताईजी के घर में रहता था, मेरी ताईजी का नाम कजरी है उम्र करीब 48 साल है, देखने में थोड़ी मोटी हैं या यूं कहें कि गदराय जिस्म की मालकिन हैं, इनके पति की मौत को काफी साल हो चुके हैं। मेरी ताईजी अपने बेटे, बहू और अपनी बेटी के साथ रहती हैं, ताईजी के बेटे का नाम भीमा है , भीमा भईया की उम्र 30 साल है देखने में हट्ट कट्टे हैं, गांव के बाजार में कपड़े और कॉस्मेटिक्स की दुकान है भीमा भईया की पत्नी का नाम शीला है, उम्र 26 साल है। शीला भाभी गांव की सबसे खूबसूरत औरतों में से एक हैं, जवान से लेकर बूढ़े और बच्चे भी शीला भाभी के दीवाने हैं। ताईजी की बेटी का नाम पीहू है पीहू दीदी की उम्र 26 साल है, इसके आगे पीछे गांव के जवान लड़के अपनी गांड हिलाए घूमते रहते हैं लेकिन ये किसी को भाव नहीं देती तो ये है मेरी ताईजी का छोटा सा परिवार।

इस गांव में मेरा एक दोस्त है जो की मेरे साथ कोचिंग में ही पढ़ता है, मेरे दोस्त का नाम राज है, जिसकी उम्र 20 साल है, राज थोड़ा शर्मिला है लेकिन बड़ा ही चतुर है। राज के बापू का नाम शम्भू है उम्र 48 साल है इनकी गांव में दूध की दुकान है राज की मां का नाम रागिनी है, उम्र 46 साल है, देखने में मदमस्त गदराई गाय लगती है, राज की बहन का नाम रजनी है उम्र 26 साल है, रजनी गांव की सबसे चुदक्कड़ लड़की है और पीहू दीदी की सहेली है।

मेरी ताईजी के खेत में एक नौकर काम करता है अपनी मजदूर विधवा मां के साथ जिसका नाम कल्लू है, कल्लू की उम्र 20 साल है, कल्लू की मां सभ्या की उम्र 43 साल है, सभ्या ताईजी के घर में खाना बनाने से लेकर झाड़ू पोछा और कपड़े धुलना सभी काम करती है। सभ्या की चाल में ही एक चुदक्कड़ रण्डी दिखती है इसके स्तन और गांड बहुत सुडोल हैं।

इस गांव के प्रधान का नाम है मुरारीलाल, उम्र करीब 52 साल है, यह बहुत चोदू किस्म का इंसान है और देखने में मोटा सांड जैसा है। मुरारीलाल की पत्नी का नाम कमला है, उम्र 46 साल है गांव की सबसे चुदासी औरत है चूंकि मुरारीलाल तो बाहर के कुएं का पानी पी रहा होता है तो घर के कुएं का पानी कहां से पिएगा और इस चक्कर में कमला हिस्टीरिया की मरीज बन कर रह गई है , दिन रात अपनी चूत में उंगली डालकर बैठी रहती है। मुरारीलाल की एक बहन है मेनका उम्र 36 साल, इसकी शादी नहीं हुई है क्योंकि यह मांगलिक है। मुरारीलाल और कमला के दो बच्चे हैं एक बेटा और एक बेटी, मुरारीलाल के बेटे का नाम सूरज है, उम्र 26 साल है, सूरज गांव का सबसे आवारा लड़का है, और पीहू दीदी का सबसे बड़ा दीवाना है मुरारीलाल की बेटी का नाम काम्या है उम्र 20 साल है, काम्या बहुत ज़िद्दी और गुस्सैल प्रवृत्ति की है लेकिन उतनी ही खूबसूरत भी है, प्रधान की बेटी है इसलिए कोई इसके ऊपर नजर नहीं डालता। ।

मुरारीलाल अवैध धंधे भी करता है जैसे नशीले पदार्थ की स्मगलिंग इत्यादि, मुरारीलाल का नौकर हरिया इसके अवैध धंधे चलाता है, हरिया की उम्र 50 साल है अपनी पत्नी, बहन और बेटी के साथ गांव में ही रहता है। हरिया बहुत बड़ा नशेड़ी और चोदू किस्म का इंसान है, हरिया की पत्नी का नाम रेखा है उम्र 42 साल है, रेखा थोड़ी काली है लेकिन गदराया हुआ मस्त भारी भरकम जिस्म है, रेखा अपनी मालकिन कमला के सभी नाजायज काम करती है। हरिया और रेखा की बेटी मालती की उम्र 20 साल है, मेरा दोस्त राज मालती को बहुत पसंद करता है, मालती की चूचियां और गांड बेहद सुडोल हैं। हरिया की बहन का नाम कामिनी है उम्र 30 साल है, पिछले साल ही इसकी मुश्किल से शादी हुई है लेकिन कुछ महीने में ही अपने पति से लड़ाई करके अपने मायके भाग आई है, देखने में कामिनी मस्त गदराई घोड़ी लगती है।

गांव में मेरी ताईजी के पड़ोस में शहनाज़ नाम की एक विधवा औरत रहती है शहनाज़ की उम्र 46 साल है, यह अपने घर में ही एक लेडीज टेलर की दुकान चलाती है, देखने में शहनाज़ बहुत गोरी चिट्ठी है और भरे हुए गदराए जिस्म की मालकिन है। शहनाज़ के परिवार में उसका बेटा , बहू और उसकी बेटी साथ में ही रहते हैं, शहनाज़ के बेटे का नाम शादाब है उम्र 30 साल है, देखने में अपनी मां के जैसे गोरा चिट्ठा है लेकिन हरकतें लड़की वाली हैं। शादाब की बीवी का नाम रुबीना है उम्र 26 साल है रुबीना और शादाब की शादी हुए छह साल हो चुके हैं, रुबीना बेहद खूबसूरत बदन की मालकिन है, देखने में बड़ी कमसिन लगती है लेकिन थोड़ी गुस्सैल स्वभाव की है रुबीना की अपनी सास बहुत लड़ाई झगड़े होते हैं। शहनाज़ की बेटी का नाम नुसरत है, उम्र 20 साल है नुसरत गांव की सबसे खूबसूरत जवान लड़कियों में से एक है, यह अपने घर में ही रहती है लेकिन कभी अगर अपनी अम्मी के साथ घर से बाहर निकलती है तो इसे देखने के लिए गांव के जवान लड़कों की कतार लग जाती है।

पात्र परिचय में परिवार के अलावा ओर भी बहुत सारे किरदार भरे पड़े हैं। किसी भी कहानी का मुख्य श्रोत पात्र परिचय होता हैं। पात्र परिचय जिस तरह दिया गया हैं उससे जान पड़ता है कहानी सिर्फ इंसेस्ट ही नहीं एडल्ट्री बेस हैं। तो देखते है आगे Babaji किया क्या गुल खिलाते हैं।
 
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अपडेट १

मुझे अपनी ताईजी के गांव आए कुछ दिन ही हुए थे, मैं पास के शहर में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा था, सुबह १० बजे से दोपहर २ बजे तक मेरी कोचिंग होती थी, एक दिन मैं साइकिल से कोचिंग पहुंचा तो मैने देखा कि कोचिंग में रिन्यूवेशन का काम चल रहा है इसलिए कोचिंग अगले २ दिन के लिए बंद रहेगी। मैं साइकिल आगे बढ़ा देता हूं और ताईजी के घर की तरफ चल देता हूं, घर पहुंचकर साइकिल रोकता हूं और अपने कमरे में चला आता हूं फिर धोती पहनकर आंगन में आता हूं और खटिए पर बैठते हुए ताईजी को आवाज लगाकर कहता हूं कि ताईजी जल्दी से खाना लगाओ बहुत भूख लगी है। २ मिनट तक ताईजी के कमरे से कोई आवाज नहीं आती इसलिए मैं खटिए से उठकर ताईजी के कमरे की तरफ आता हूं, कमरे का दरवाजा खुला हुआ था पर अंदर कोई नही था फिर मैं रसोईघर की तरफ़ जाता हूं पर वहां भी कोई नही था।

फिर मैं बहुत आवाज लगाता हूं पर कोई जवाब नही देता, मुझे पता था कि इस समय भीमा भईया शीला भाभी के साथ अपने कपड़े एवं कॉस्मेटिक्स की दुकान पर होंगे और पीहू दीदी अपनी सहेलियों के साथ नदी किनारे घूमने गई होगी। मैं ताईजी को घर के आस पास बहुत खोजता हूं लेकिन ताईजी का कुछ अता पता नहीं था, फिर मैने सोचा कि कल्लू से पूछता हूं, कल्लू मेरी ताईजी के खेत में अपनी विधवा मां सभ्या के साथ काम करता है। मैं अपनी ताईजी के खेत में आ जाता हूं पर वहां मुझे कोई दिखाई नहीं देता लेकिन जैसे ही मैं वहां से आने लगता हूं तो मुझे कुछ आवाज सुनाई देती है जो ताईजी के गन्ने के खेत में बनी एक झोपड़ी में से आ रही थी।

मुझे झोपड़ी के अंदर से अजीब तरीके की आवाज आ रही थी, मैं आगे बढ़ता हूं और आवाज को सुनने को कोशिश करता हूं पर मुझे कुछ भी साफ सुनाई नही देता, झोपड़ी के अंदर कोई बहुत धीरे धीरे बातें कर रहा था, मैंने सोचा कि झोपड़ी के अंदर जाकर देखता हूं पर उसका फाटक अंदर से बंद था लेकिन मैं जानना चाहता था की आवाज के पीछे कौन है, मुझे बहुत बेचैनी हो रही थी और डर भी लग रहा था कि कहीं खेत में कोई चोर तो नही घुस गया, यहां पर मैं अकेला था इसलिए डर भी रहा था अगर कल्लू या सभ्या चाची होती तो भले ही नहीं डरता, डर से ज्यादा बेचैनी हो रही थी क्योंकि वह आवाज मुझे जानी–पहचानी लग रही थी।

मैं झोपड़ी के पीछे बनी खिड़की की तरफ गया तो देखा कि खिड़की भी अंदर से बंद थी पर खिड़की पुरानी थी इसलिए उसमें एक जगह छोटा सा छेद बना हुआ था, मैं छेद से झोपड़ी के अंदर देखने में कामयाब हो गया पर जैसे ही मैंने अंदर का नजारा देखा तो मेरे दिल ने धड़कना ही बंद कर दिया मैं गुमसुम सा हो गया क्योंकि मैं कुछ ऐसा देख रहा था जिसके बारे में मैं कभी सोच भी नही सकता था, झोपड़ी के अंदर ताईजी एक पुराने से खटिए पर आगे की ओर झुकी हुई थी उनके ब्लाउज के बटन खुले हुए थे और साड़ी के साथ साथ पेटीकोट उनकी पीठ तक चढ़ा हुआ था और पैंटी उनके घुटनों तक गिरी हुई थी।

झोपड़ी के अंदर बहुत अंधेरा था , मुझे ताईजी तो नजर आ रही थी पर ताईजी के साथ जो कोई भी थी उसको देखने में मुझे मुश्किल हो रही थी पर ताईजी की हालत देखकर मैं इतना तो समझ गया था कि ताईजी अंदर चुद रही है, वह इंसान ताईजी के पीछे खड़ा था और अपने लन्ड को ताईजी के गांड में डालकर अंदर बाहर कर रहा था, मैंने देखा की उसका लन्ड बहुत लंबा था लेकिन पतला था फिर भी उसके लन्ड ने मेरी ताईजी की गांड को फाड़कर रखा हुआ था, और ताईजी उस इंसान को और तेज झटके मारने को बोल रही थी, आआआह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह उम्मम्म हां मेरे राजा ऐसे ही चोदो डाल दो अपना पूरा लन्ड मेरी गान्ड में,,,, मैं देखकर बहुत हैरान था कि इतना बड़ा लन्ड ताईजी की गांड में घुसा हुआ है फिर भी ताईजी और तेज झटके मारने को बोल रही है।

कुछ देर बाद उसने अपना लन्ड गांड से बाहर निकाला और ताईजी के मुंह के पास लेकर आ गया और ताईजी उसके लन्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, मैं तो बहुत हैरान था कि इतना बड़ा लन्ड ताईजी ने बड़ी आसानी से अपने मुंह में भर लिया और बड़े आराम से चूसे जा रही थी, फिर २ मिनट चूसने के बाद ताईजी ने लन्ड को अपने मुंह से बाहर निकाल दिया और तभी उस इंसान ने दुबारा से अपना लन्ड ताईजी की गांड में घुसेड़ दिया, उसने एक झटके में अपना लन्ड ताईजी की गांड में उतार दिया जिससे ताईजी की चिल्ला पड़ी आआआह्ह्ह्ह लेकिन ताईजी इतने धीरे से चिल्लाई थी कि उनकी आवाज ज्यादा दूर तक नही गई बस मुझे ही सुनाई पड़ी, वह बहुत तेज झटकों के साथ ताईजी की गांड में अपना लन्ड सूत रहा था और ताईजी आह उह करते हुए मजा ले रही थी फिर उसने अपने हाथ आगे बढ़ाकर ताईजी की बड़ी बड़ी चूचियों पर रखे और उन्हें दबाना और मसलना शुरू किया और पकड़ मजबूत करके लन्ड को गांड में बहुत जोर जोर से पेलने लगा।

आह्ह्ह्ह उह्ह्ह ऐसी ही आह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा ऐसी ही चोदो अपनी रानी को आह्ह्ह्ह्ह फाड़कर रख दो मेरी गांड को आआआह्ह्ह्हह हां ऐसी ही दम लगाकर चोदो,,,, मैं पहली बार अपनी ताईजी के मुंह से ऐसी बातें सुन रहा था, मैं हैरान था कि जो औरत इतनी भोली भाली दिखती है चूदाई के दौरान ऐसी गंदी बातें भी बोल सकती है, आज पहली बार मैंने अपनी ताईजी को नंगी देखा था, ताईजी पूरे तरह से नंगी तो नही थी पर लगभग नंगी ही थी, ताईजी का गोरा नंगा जिस्म देखकर मुझे कुछ कुछ होने लगा, मेरी ताईजी के खरबूजे के आकार के बूब्स हवा में लटक रहे थे और हर एक झटके के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे, पीछे से वह मेरी ताईजी की चूचियों की जानवरों की तरह मसल भी रहा था और कभी चूचियों को छोड़कर ताईजी की मोटी गांड पर पकड़ बनाकर तेज तेज झटके भी लगा रहा था, ताईजी की हालत बहुत खराब हो चुकी है पर उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि उन्हें बहुत मजा आ रहा है, मेरी हालत भी ताईजी को देखकर बिगड़ने लगी थी मेरा हाथ अचानक अपने लन्ड पर चला गया , मैंने धोती में से अपना लन्ड बाहर निकाला जो पहले से ही अपनी औकात में सर उठाकर खड़ा हुआ था।

पता नही क्यों मैं अपने लन्ड की तुलना उस इंसान के लन्ड से करने लगा जो मेरी ताईजी जो चोद रहा था, मेरे लन्ड की लंबाई उसके लन्ड से थोड़ी बड़ी थी पर मेरा लन्ड उसके लन्ड से मोटा बहुत था, मैने अपने लन्ड को हाथ में लेकर मुठियाने लगा, उधर ताईजी उसके लन्ड से चूद रही थी और इधर मैं अपनी ताईजी की बड़ी बड़ी चूचियों को देखकर मुठ्ठी मारने लगा , मुठ मारते वक्त मुझे ताईजी कुछ ज्यादा ही कामुक लग रही थी, मैं सोचने लगा कि काश उस इंसान की जगह मैं ताईजी की गांड अपने लन्ड से मार रहा होता, उधर उस इंसान ने बहुत तेज तेज ताईजी की गांड मारना शुरू कर दिया और इधर मेरा हाथ मेरे लन्ड पर तेज रफ्तार से दौड़ने लगा।

ताईजी की सिसकियां भी तेज होने लगी पर ताईजी अपनी आवाज ज्यादा ऊंची नही कर रही थी , वह इस बात का ख्याल रख रही थी कि झोपड़ी से बाहर आवाज नहीं जाए, करीब 10–12 मिनट बाद उस इंसान की सांस उखड़ने लगी और ताईजी की सासें भी उखड़ रही थी और मेरी भी दिल की धड़कन बहुत तेज हो गई थी और मेरा हाथ बहुत रफ्तार में मेरे लन्ड पर चल रहा था। कुछ ही देर में उस इंसान में एक तेज आवाज के साथ वीर्य छोड़ दिया, ताईजी की गांड को अपने वीर्य से भर दिया और उसके साथ साथ ताईजी भी झड़ गई और मैंने भी झोपड़ी के ऊपर अपने लन्ड की पिचकारी छोड़ दी, वह इंसान अपना लन्ड बिना गांड से बाहर निकाले ही ताईजी की पीठ पर आहें भरता रहा और करीब 2 मिनट बाद अपना लन्ड गांड से बाहर निकाला तो ताईजी की गांड से बहुत सारा कामरस टपकने लगा, वह अपने लन्ड को ताईजी के मुंह के पास ले गया और ताईजी ने उसके लन्ड को चाटकर साफ़ कर दिया, और मैंने अपना लन्ड धोती के अंदर कर लिया। कुछ देर बाद ताईजी अपनी साड़ी ठीक करने लगी और वह इंसान भी अपनी धोती पहन लिया।

मुझे पता था अब दोनो किसी भी वक्त बाहर आने वाले हैं, इसलिए मैं झोपड़ी से हटकर थोड़ा दूर गन्ने के खेत में चुप गया और झोपड़ी के फाटक की तरफ देखने लगा, 2 मिनट बाद झोपड़ी का फाटक खुला और ताईजी बाहर निकालकर इधर उधर देखने लगी कि कोई है तो नही, फिर धीरे से घर की तरफ चली गई पर वह इंसान अभी भी झोपड़ी से बाहर नहीं निकला, मैं 5–10 मिनट इंतजार किया फिर भी वह इंसान बाहर नहीं आया इसलिए हिम्मत करके मैंने सोचा कि देखता हूं झोपड़ी में आखिर कौन है? मैं चुपचाप झोपड़ी के फाटक के पास पहुंचकर अंदर देखने लगा, झोपड़ी के अंदर देखकर मैं दंग रह गया, अंदर मेरी ताईजी के खेत में काम करने वाला मजदूर कल्लू था, मैं दंग रह गया कि मेरी ताईजी के खेत में काम करने वाला नौकर कल्लू अपनी मालकिन को चोद रहा था।

कुछ देर मैं ऐसे ही बेसुध खड़ा रहा, फिर जैसे ही मैं वहां से जाने को हुआ तो कल्लू में मुझे देख लिया,

"आप कब आए बाबूजी"

कल्लू मेरे उम्र का था लेकिन था तो एक नौकर ही इसलिए मुझे बाबूजी कहकर बोलता था।

"मैं वो, मैं अभी आया हूं, मुझे भूख लगी थी इसलिए ताईजी को ढूंढते हुए आ गया, ताईजी कहां है? और सभ्या चाची भी कहीं दिखाई नहीं दे रही हैं।"

"मालकिन तो अभी घर के तरफ ही गई हैं और अम्मा तो कपड़े धुलने के लिए नदी किनारे गई हैं।,"

"ठीक है मैं भी अब घर जाता हूं।" ऐसा कहकर मैं घर के तरफ चल दिया।
शानदार अपडेट बलराम की ट्यूशन में अगर छूटी न होता तो बलराम को कभी ये न पता चल पता की उसकी ताई खेत मे काम करने वाले एक मजदूर से संभोग का आनंद लें रहा हैं। जो काम ताई सभी के नजरों से बचकर करती थी। आज उसका पर्दाफाश हों गया। आगे देखते हैं बलराम ताई जी के राज का किस तरह फायदा उठाता हैं।
 
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अपडेट २

जब मैं घर आया तो मैंने देखा कि ताईजी रसोईघर में खाना बना रही है, मुझे देखकर ताईजी थोड़ी हैरान रह गई।

"अरे लल्ला आज इतनी जल्दी कैसे आ गया तू?"

"ताईजी वो आज गणित के मास्टरजी नही आए थे इसलिए छुट्टी हो गई, आप कहां थी ताईजी मैं बहुत देर से आपको ढूंढ रहा था।"

"लल्ला मैं सभ्या को अपने गंदे कपड़े धुलने देने के लिए नदी किनारे गई थी" ताईजी थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली।

"ताईजी मुझे बहुत भूख लग रही है, खाना में क्या बना है?"

"दाल तो बन गई है और चावल मैंने कुकर में रखकर चूल्हे पर चढ़ा दिया है, तू आंगन में चटाई बिछा कर बैठ मैं अभी तेरे लिए खाना लेकर आती हूं।"

मैंने हाथ मुंह पानी से धोया और आंगन में चटाई बिछा कर बैठ गया, मेरे दिमाग में अभी भी वो झोपड़ी वाला दृश्य घूम रहा था ताईजी खटिया पर झुकी हुई थी और पीछे से कल्लू उनकी गांड मार रहा था, मुझे गुस्सा भी आ रहा था और हैरानी भी हो रही थी मैं सोच रहा था कि कहीं वो सब सपना तो नहीं था लेकिन वो कोई सपना नहीं था, ताईजी रसोईघर में काम कर रही थी मैंने देखा कि ताईजी की साड़ी उनकी गांड की दरार में अटकी हुई थी जिससे उनकी मोटी गांड का आकार निखरकर आ रहा था, मैं उनकी मदमस्त मोटी गांड देखता रहा, आज तक मैने ताईजी को कभी इतना गौर से नही देखा था पर अब तो ताईजी को देखने का मेरा नजरिया ही बदल गया था।

कुछ देर में ताईजी मेरे लिए एक थाली में दाल, चावल और सलाद लेकर आई और फिर उन्होंने मेरे साथ चटाई पर बैठकर खाना शुरू किया, तभी मेरी नजर ताईजी के ब्लाउज पर पड़ी मैंने देखा कि ताईजी के ब्लाउज के ऊपर वाला बटन खुला रह गया है जिसमे से उनकी बड़ी बड़ी गोरी चूचियों की गहरी लंबी दरार नजर आ रही है, मैंने सोचा कि शायद ताईजी ने झोपड़ी से बाहर निकलते वक्त अपने ब्लाउज पर ध्यान नहीं दिया होगा, मैं ताईजी को देखे जा रहा था और बेहद गंदी नजर से घूर रहा था, मैंने सोचा कि ये गलत है मैं क्या कर रहा हूं मुझे ताईजी को ऐसे नही देखना चाहिए पर फिर मैंने सोचा कि अगर कल्लू जैसा नौकर मेरी ताईजी को चोद सकता है तो मैं क्यों नहीं, ताईजी की बड़ी बड़ी चूचियां और मदमस्त गदराई हुई गांड का मैं दीवाना हो गया था, मेरा मन तो कर रहा था कि यहीं ताईजी को चटाई पर पटककर चोद दूं।

तभी मैंने ध्यान दिया कि ताईजी ने मुझे उनकी चूचियों को घूरते देख लिया है लेकिन कुछ बोली नहीं, उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और फिर रसोईघर में चली गई, मुझे भी थोड़ी शर्म महसूस हो रही थी, मैंने अपना भोजन किया और फिर आंगन में ही चारपाई पर लेटकर आराम करने लगा, कुछ देर बाद ताईजी रसोईघर से बाहर निकलकर अपने कमरे में सोने चली गई। मैने सोचा कि मैंने ठीक किया ताईजी को नहीं बताया कि मेरी कोचिंग अगले 2 दिन के लिए बंद है, अब मैं ताईजी पर नजर रख सकता हूं और ताईजी को कैसे चोदा जाए इसकी योजना बनाने लगा, मुझे पता नहीं चला कब नींद आ गई। कुछ देर बाद रसोईघर में बर्तन की आवाज होने से मेरी नींद टूट गई, मैंने देखा कि रसोईघर में शीला भाभी हैं, वह टिफिंग में खाना रख रही थी चूंकि भीमा भईया दुकान पर होते थे तो शीला भाभी उनके लिए खाना लेने घर आ जाती है।

"देवर जी क्या बात है ऐसे क्या देख रहे हैं"

"भाभी कुछ नहीं, मैं देख रहा हूं आप भईया की कितनी सेवा करती हो, कड़ी धूप में उनके लिए खाना लेने आई हो"

"देवर जी हम तो आपकी सेवा करने के लिए भी तैयार हैं लेकिन आप तो कभी हमको मौका ही नही देते हो"

"ऐसी बात है तो फिर आप मेरे लिए एक ग्लास ठंडी लस्सी बना दीजिए"

मैं शीला भाभी को रसोईघर में काम करते हुए देख रहा था, आज मैंने शीला भाभी को बहुत ध्यान से देखा तो मैंने नोटिस किया कि जब शीला भाभी इस घर की बहु बनकर आई थी तो कितनी कमसिन थी और अब कितनी सुडोल हो गई है, इसका श्रेय तो भीमा भईया को ही जाता है, मैं ऐसा सोच ही रहा था कि शीला भाभी लस्सी का ग्लास लेकर रसोईघर में बाहर निकलती हुई आने लगी और मेरे पास आकर झुक के उन्होंने मेरी तरफ लस्सी का ग्लास बढ़ाया तो उनकी चूचियों की गहरी दरार मेरे आंखों के सामने मंडराने लगी और मेरी नजर उनकी चूचियों पर जम गई।

"देख क्या रहें है देवर जी पी लीजिए ना।" शीला भाभी मुझे लस्सी का ग्लास देते हुए मजाकिया अंदाज में बोली

"आप ही पीला दीजिए ना भाभी" मैं भी मुस्कुराते हुए बोला

देवर और भाभी का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है हम एक दूसरे की डबल मीनिंग बात को बखूबी समझते थे।

फिर शीला भाभी ने बड़े प्यार से मुझे अपने हाथ से लस्सी पिलाई।

"भाभी बड़ी स्वादिष्ट है, क्या लस्सी बनाई है, भाभी मुझे भी कभी अपनी सेवा करने का थोड़ा मौका दिया करो"

"सोच लो देवर जी नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा"

"भाभी की सेवा देवर नहीं करेगा तो कौन करेगा, आप जैसा कहोगी वैसा करूंगा एक बार कहकर तो देखिए।"

"देवर जी मुझे देर हो रही है अगर टिफिन लेकर समय पर दुकान नहीं पहुंची तो तुम्हारे भईया चिल्लाएंगे" शीला भाभी दीवार पर टंगी घड़ी को देखते हुए बोली और रसोईघर से टिफिन लेकर बाहर चली गई।

फिर मैं अपने कमरे में पढ़ने चला गया, शाम को करीब 5 बजे मैं पढ़ाई करके उठा, मुझे बहुत प्यास लग रही थी इसलिए मैं रसोईघर में पानी पीने चला आया, मैंने देखा कि पीहू दीदी आंगन में चारपाई पर बैठकर अपने फोन पर किसी से बात कर रही है लेकिन जैसे ही पीहू दीदी ने मुझे देखा तो उन्होंने फोन काट दिया, मैंने नोटिस किया कि पीहू दीदी आज बहुत खुश लग रही है, मैं पानी का लोटा लेकर अपने कमरे में चला गया, तभी मेरे दोस्त राज का कॉल आ गया, राज ने मुझे नदी किनारे पुल पर घूमने के लिए पूछा, मैंने कहा मैं थोड़ी देर में आता हूं।

कुछ देर बाद मैं नदी किनारे पुल की तरफ चल दिया, 10 मिनट बाद मैं नदी किनारे पहुंच गया मैंने देखा कि राज पुल पर है उसने मुझे ऊपर आने के लिए इशारा किया, मैं पुल पर आ गया।

"आज तुझे मेरी याद कैसे आ गई।"

"ऐसी बात नही हैं तू तो अपना यार है"

कुछ देर हम पढ़ाई लिखाई की बात करते रहे क्योंकि हम एक ही कोचिंग में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे, चूंकि इस गांव में मैं नया था और राज से मेरी दोस्ती हुए कुछ दिन हो चुके थे इसलिए मैने सोचा कि राज से थोड़ा खुलकर बात करता हूं।

"राज एक बात पूछूं?"

"हां पूंछ ना क्या बात है?"

"राज गांव में तेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?"

"गर्लफ्रेंड! नही तो" राज थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला।

"तू इतना डर क्यों रहा है, ऐसे ही पूछ रहा हूं भाई, क्या तुझे गांव में कोई लड़की पसंद नही है?"

"ऐसी बात नही है, मुझे एक लड़की बहुत पसंद है।"

"कौन?"

"तू किसी को बताएगा तो नहीं"

"नहीं"

"मुझे मालती बहुत पसंद है"

"मालती कौन है?"

"मेरे पड़ोस में रहती है"

"तू मालती से बातचीत करता है की नहीं?"

"थोड़ी बहुत लेकिन मुझे उसके बाप से बहुत डर लगता है, उसका बाप प्रधान जी के घर चौकीदारी करता है।"

"उसका बाप कौन है?"

"हरिया"

"हरिया तो वसूली भी करता है मेरी ताईजी के खेत में एक दिन वसूली करने आया था"

"हां, बड़ा चोदू आदमी है वसूली के अलावा प्रधान जी के बहुत से अवैध धंधे भी करता है।"

"मालती तुझे पसंद करती है की नहीं?"

"पता नहीं भाई, तू बता गांव में तुझे कोई लड़की पसंद है"

"मुझे इस गांव में आए कुछ ही दिन तो हुए हैं, मैंने तो अभी तक किसी को ध्यान से देखा भी नहीं है।"

"तेरे पड़ोस में भी तो एक खूबसूरत लड़की रहती है?"

"किसकी बात कर रहा है रुबीना भाभीजान तो मेरी भाभी समान है लेकिन देखने में बड़ी कमसिन लगती है"

"नहीं भाई, मैं नुसरत की बात कर रहा हूं"

"मुझे पता नहीं तू किसकी बात कर रहा है?"

"शादाब भाई की बहन नुसरत"

"क्या? शादाब भाई की कोई बहन भी है, मुझे तो अभी पता चला है"

"हां भाई, नुसरत घर से बाहर अपने भाई या अम्मी के साथ ही जाती है, गांव के किसी लड़के को भाव तक नहीं देती है"

"ऐसी बात है फिर तो देखना पड़ेगा,,,,"

फिर ऐसे ही कुछ देर और बात करने के बाद मैं अपने घर चला दिया और राज भी अपने घर चला गया।

शाम के 7 बज चुके थे, भीमा भईया अपने कमरे में आराम कर रहे थे, ताईजी और शीला भाभी रसोईघर में रात का खाना बना रही थी और पीहू दीदी आंगन में पुदीने की चटनी बना रही थी। मैं चारपाई पर बैठ गया और पीहू दीदी को देखने लगा, आज पीहू दीदी के चेहरे पर अलग ही चमक थी और पता नही क्या सोच कर मुस्कुरा रही थी।

कुछ देर बाद रात का खाना तैयार हो गया, फिर सभी ने टीवी देखते हुए भोजन किया उसके बाद मैं अपने कमरे में पढ़ने के लिए चला गया, मेरी थोड़ी बहुत पढ़ाई हुई लेकिन झोपड़ी वाला दृश्य बार बार मेरे मन में घूम रहा था इसलिए मैंने पुस्तक को बंद किया और आंगन में आकर चारपाई पर बैठ गया तो मैंने देखा कि रसोईघर में ताइजी मेरे लिए चूल्हे पर दूध चढ़ा रही हैं मैं बहुत देर तक ताईजी की मस्तानी मोटी गांड को घूरता रहा और इस कदर गुम हो गया अपने सपने में कि ताईजी दूध का ग्लास लेकर खड़ी थी मुझे दूध पीने को कह रही थी और मुझे होश ही नहीं था, तभी ताईजी ने मेरे गाल पर धीरे से हाथ मारा तो मैं सपनों की हसीन वादियो से हकीकत के वीराने में पहुंच गया।

"क्या सोच रहा है मेरा लल्ला"

"कुछ नही ताईजी बस यूं ही"

"मैं देख रही हूं सुबह से अजीन हरकतें कर रहे हो, तुम्हारा ध्यान कहां है, पता नही किस दुनिया में खोए हो, तबीयत तो ठीक है ना"

"हां ताईजी तबीयत तो बिलकुल ठीक है"

"तो फिर इतने खोए खोए से क्यों लग रहे हो"

अब क्या कहूं ताईजी कि इसकी वजह आप हो, आज मुझे पता चला है कि आप कितनी बड़ी चुदक्कड़ हो।

"मुझे कुछ नही हुआ है पढ़ाई के बारे में सोच रहा था और कोई बात नहीं है"

"ठीक है तुम दूध पियो, मुझे थकान हो रही है मैं अपने कमरे सोने जा रही हूं"

हां गांड चूदाई करोगी तो थकान तो होगी ही, फिर मैंने दूध पिया और कुछ देर बाद ताईजी अपने कमरे में सोने चली गई, मैं भी आंगन में चारपाई पर लेटे लेटे ही सो गया,,,,
शानदार अपडेट एक नजारे ने बलराम के देखने का नजरिया ही बदल दिया। ताई जी में बलराम को एक सामान्य महिला नाराज आता था अब उनमें काम देवी नजर आ रहा हैं जिसके अंग प्रतायंग से काम भावना झलक रही। देखते हैं आगे ओर किया किया होता हैं
 
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अपडेट ३

सुबह 6 बजे के आस पास मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि सभ्या चाची (कल्लू की मां) आंगन में झाड़ू लगा रही है, सभ्या चाची सुबह घर पर झाड़ू और बर्तन करने के लिए आती थी उन्होंने एक ढीली ब्लाउज और पुरानी साड़ी पहनी हुई थी और मैं केवल धोती में चारपाई पर लेटा हुआ था, मैंने देखा कि सभ्या चाची झाड़ू लगाते हुए मेरी धोती की तरफ बार बार देख रही थी, तभी मैंने ध्यान दिया कि मेरी धोती में तम्बू बना हुआ है, सुबह का वक्त था इसलिए मेरा लन्ड धोती में अपनी औकात में खड़ा था, सभ्या चाची झुक कर झाड़ू लगा रही थी मेरी नजर जैसे ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों पर पड़ी तो मेरा लन्ड धोती में फड़कने लगा, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में झाड़ू लगाने चली गई तो मैं चारपाई से उठकर घर के पिछवाड़े में मूतने चला गया।

फिर मैं घर के पिछवाड़े में ही कसरत करने लगा, बचपन से मेरी आदत थी की सुबह–सुबह मैं देसी दंड मार लिया करता था, कुछ देर बाद सभ्या चाची कमरे से झाड़ू लगाकर बाहर निकली और आंगन के नल से बाल्टी में पानी भरकर पोछा लगाने लगी, मैंने आंगन में सभ्या चाची की तरफ ध्यान दिया तो मेरे तो होश ही उड़ गए, सभ्या चाची अपने घुटनों के बाल बैठके फर्श पर पोछा लगा रही था, मुझे उनकी साड़ी में कैद उनकी भारी गांड नजर आ रही थी, सभ्या चाची ऐसे झुकी हुई थी कि उनकी साड़ी में से उनकी पैंटी साफ़ दिखाई दे रही थी, सभ्या चाची के भारी चूतड़ों को छोटी सी पैंटी में कैद देख मैं पागल होने लगा और फिर से मेरा लन्ड धोती में तनकर खड़ा हो गया था, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में पोछा लगाने चली गई।

घर के पिछवाड़े में ही गुसलखाना बना था, मैं अपना तौलिया लेकर नहाने चला गया।

कुछ देर बाद मैं नहाकर बाहर निकला तो देखा कि ताईजी आंगन में चारपाई पर बैठकर चाय पी रही थी, सभ्या चाची रसोईघर में बर्तन कर रही थी और शीला भाभी खाना बना रही थी, भीमा भईया ने मुझे देखा तो वह तौलिया लेकर नहाने चल दिए, इधर पीहू दीदी अभी तक अपने कमरे में घोड़े बेचकर सो रही थी, फिर मैंने अपने कमरे में आकर कपड़े पहने और थोड़ी बहुत पढ़ाई करने के लिए कुर्सी पर बैठ गया।

करीब एक घंटे के बाद भीमा भईया और शीला भाभी भोजन करके बाइक से बाजार के लिए निकल चुके थे, बाजार में उनके कपड़े और कॉस्मेटिक्स की दुकान है। कुछ देर बाद मैंने भोजन किया और साइकिल से कोचिंग के लिए निकल गया, आज कोचिंग बंद थी मुझे तो ताईजी पर नजर रखनी थी इसलिए मैं कोचिंग का बहाना देकर घर से बाहर निकला था, मैने अपनी साइकिल को ताईजी के गन्ने के खेत में छुपा दिया और घर से थोड़ी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के पीछे आकर छुप गया। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मेरे दोस्त राज की बहन रजनी ताईजी के घर में गई है, कुछ देर के बाद मैंने देखा कि रजनी दीदी और पीहू दीदी एक साथ घर से बाहर निकली और पता नही किसलिए प्रधान जी के हवेली की तरफ चली गई, कुछ समय बाद सभ्या चाची एक गठरी में कपड़े लेकर घर से बाहर आई और गांव की नदी के किनारे चली गई।

अब 10 बज चुके थे लेकिन ताईजी अभी तक घर में ही थी, कुछ देर बाद ताईजी घर से बाहर आई और घर के फाटक पर कुंडी मारकर अपने आम के बगीचों की तरफ जाने लगी। मैं चुपके से बरगद के पेड़ के पीछे से बाहर निकला और धीरे धीरे ताईजी के पीछे चलने लगा, मैं बहुत दूर था इसलिए ताईजी मुझे देख नही सकती थी और मुझे भी इस बात की बड़ी चिंता थी कि कहीं ताईजी मेरी आंखों से ओझल न हो जाए और ठीक ऐसा ही हुआ, कुछ दूर के बाद ताईजी मेरी आंखों से ओझल हो गई, मैंने आम के बगीचों में ताईजी को बहुत ढूंढा लेकिन मुझे ताईजी कहीं पर भी नजर नहीं आ रही थी। मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन मैंने हिम्मत नही हारी थी, मैंने ऐसी ही आधा घंटा तक ताईजी को आम के बगीचे में ढूंढता रहा और फिर थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया, तभी मुझे ध्यान आया कि आम के बगीचे के पीछे एक पंपहाउस है वहां तो मैंने देखा ही नहीं।

फिर मैं थोड़ा जोश में उठकर खड़ा हुआ और थोड़ी देर चलने के बाद मुझे पंपहाउस नजर आ गया।

मैं अभी पंपहाउस से थोड़ा दूर ही था कि मुझे किसी की सिसकियां सुनाई पड़ी, आवाज ताईजी की ही थी कल जैसे आह्ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह कर रही थी , मैं समझ गया कि अंदर खेल चालू है, मैं पंपहाउस के पास पहुंचा तो ताईजी की सिसकियां और तेज होने लगी, कल तो ताईजी को डर था कि कोई आ न जाए इसलिए धीरे आवाज कर रही थी पर आज उन्हें यकीन था कि यहां कोई आने वाला नही है इसलिए वह बिना किसी डर के सिसकियां भर रही हैं, पंपहाउस का दरवाजा लकड़ी से बना था और अंदर से लॉक था।

मैंने keyhole से देखा कि ताईजी बिलकुल नग्न अवस्था में गद्दे पर कल्लू के ऊपर बैठी है और कल्लू का लन्ड अपनी चूत में लेकर ऊपर नीचे हो रही है, पंपहाउस में झोपड़ी जितना अंधेरा तो नहीं था लेकिन keyhole से ठीक से कुछ नजर नहीं आ रहा था, ताईजी की चूचियां सच में बहुत बड़ी बड़ी थी और इस उम्र में भी उनकी चूचियां लटकी नही थी लेकिन थोड़ा नीचे की तरफ हो गई थी पर इतनी बड़ी बड़ी चूचियां थी तो नीचे झुकना तो जायज था।

ताईजी ऊपर नीचे हो रही थी और कल्लू का लन्ड ताईजी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था लेकिन कल के मुकाबले आज कल्लू का लन्ड थोड़ा मोटा लग रहा था और उसके लन्ड की लंबाई छोटी लग रही थी, कल्लू का लन्ड भूरे रंग लग रहा था जबकि कल तक उसका लन्ड काला था। मैंने सोचा कि कल उसका लन्ड काला इसलिए लग रहा होगा क्योंकि झोपड़ी में अंधेरा था लेकिन उसका लन्ड आज मोटा कैसे हो गया और लंबाई में छोटा। अब मैं समझ गया कि यह कल्लू नही है, आखिर कौन हो सकता है, तभी मुझे नजर आया कि पंपहाउस में दो नहीं चार लोग हैं।

मैंने देखा कि कोई ताईजी से कुछ दूर खड़ा हुआ है और अपने लन्ड को किसी औरत के मुंह में डालकर अंदर बाहर कर रहा है, मैंने उसके लन्ड को ध्यान से देखा तो पता चला कि वह कोई और नही बल्कि कल्लू ही है लेकिन अब वह औरत कौन है जो कल्लू का लन्ड चूस रही है और ताईजी किसके लन्ड के ऊपर इतना उछल–उछल कर चुद रही है,,,, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है। इधर ताईजी बहुत तेजी से अपनी गांड को उस आदमी के मोटे भूरे लन्ड पर पटक रही थी और उधर उस औरत ने कल्लू के लंबे काले लन्ड को अपने गले तक उतार लिया था। ताईजी नग्न अवस्था में थी जबकि वह औरत हरे रंग की सलवार कमीज में थी लेकिन उसकी सलवार घुटनों तक सरकी हुई थी और कमीज़ उसके स्तन के ऊपर तक चढ़ी हुई थी, बड़ी गोरी चिट्ठी औरत थी, उसकी चूचियां भी बड़ी बड़ी थीं लेकिन ताईजी के जितनी बड़ी नही थीं, उसके चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे इसलिए मुझे उसका चेहरा नज़र नही आ रहा था। इधर ताईजी उस आदमी के ऊपर झुक गई थी और वह आदमी ताईजी की गांड को थामकर उनकी चूत में अपने लन्ड के ताबड़तोड़ धक्के जड़ रहा था लेकिन वह आदमी थोड़ी भी आवाज नहीं कर रहा था मुझे सच में ताईजी किसी बाजार की रण्डी लग रही थी।

एक ओर झटका बलराम को लग चुका हैं। बलराम ताइजी पर नजर रखने की सोचा था पर उसे ये पता न था की उसे ताई की एक और रूप देखने को मिलेगा जिसमे ताई के कल्लू के अलावा एक ओर मर्द भी होगा सिर्फ मर्द ही नही अपितु एक ओर महिला भी होगा अब ये जाना है की वो महिला कौन हैं साथ ही पीहू अपने सहेली के साथ हवेली की ओर क्यों गया हैं?
 
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कुछ देर बाद उधर कल्लू नीचे गद्दे पर लेट गया और वह औरत अपने कपड़े उतारकर कल्लू के ऊपर बैठ गई, इधर ताईजी अपने घुटनों के बल घोड़ी बन गई और वह आदमी अपने घुटनों के बल ताईजी के पीछे खड़ा हो गया। कल्लू ने अपना लन्ड उस औरत की गुलाबी चूत में पेल दिया और उस आदमी ने अपना लन्ड ताइजी की गांड के भूरे छेद में ठूंस दिया। अचानक मैंने पंपहाउस में आ रही रोशनी पर ध्यान दिया जो पंपहाउस के पीछे वाली खिड़की से आ रही थी, मैंने सोचा वहां चलकर देखता हूं अब मैं धीरे से पंपहाउस के पीछे आ गया लेकिन वहां खिड़की तो थी पर ऊंचाई पर थी मैंने वहां चार ईट लगाई और उसके ऊपर चढ़ गया, मेरी किस्मत भी मेरे साथ थी क्योंकि पंपहाउस की खिड़की बंद नहीं थी जैसे ही मैंने खिड़की से पर्दा हटाकर अंदर देखा तो मेरे दिल ने जैसे धड़कना ही बंद कर दिया।

वह आदमी जो ताईजी को घोड़ी बनाकर उनकी गांड पेल रहा था वो और कोई नही बल्कि प्रधान जी की हवेली का चौकीदार हरिया था और वह औरत जो कल्लू के ऊपर उछल–उछल कर उसके लन्ड पर अपनी गांड पटक रही थी वह मेरे पड़ोस में रहने वाली शहनाज़ बेगम थी, मैं उन्हें खाला कहता हूं। मेरा दिल किया कि पंपहाउस अंदर घुसकर इस खेल में शामिल हो जाऊं या गांव वालों को यहां लेकर आऊं और इनकी करतूतों की धज्जियां उड़ा दूं लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी और मुझे अंदाजा भी नहीं था कि अगर मैने कुछ किया तो उसका परिणाम क्या होगा। ताईजी की सिसकियां तेज होने लगी "आह्ह्ह्ह् हरिया मेरे राजा थोड़ा तेज कर मैं झड़ने वाली हूं उह्ह्ह्ह्हह" और ताईजी की बड़ी बड़ी चूचियों को दबोचकर हरिया कसकर अपने लन्ड के धक्के उनकी चौड़ी गांड में मारने लगा। खाला की भी सिसकियां तेज होने लगी "आह्ह्हह्ह कल्लू मेरी जान ऐसे ही चोदो उह्ह्ह्हह ऐसे ही रोज मुझे चोदा कर उह्ह्ह्ह् मेरा पानी निकलने वाला है" कल्लू ने शहनाज़ की गोरी चर्बीदार गांड को दबोच लिया और नीचे से कसकर अपने लन्ड को उनकी फूली हुई चूत में जड़ने लगा।

कुछ देर में शहनाज़ झड़ गई और कल्लू ने भी अपना वीर्य शहनाज़ की चूत में भर दिया और थोड़ी देर बाद हरिया के लन्ड ने भी ताईजी की गांड को अपने रस से भर दिया और ताईजी की चूत ने भी फुवारा छोड़ दिया, मैंने सोचा कि अब यहां रुकने का कोई फायदा नहीं है इसलिए वहां से मैं सरक लिया। फिर ताईजी के गन्ने के खेत से अपनी साइकिल उठाई और अपने दोस्त राज के घर चल दिया क्योंकि घर तो मैं जा नहीं सकता था, राज के पिता शम्भू काका की बाजार में दूध की दुकान है, उन्होंने हाल ही में पक्का मकान बनवाया था इसलिए वह थोड़ा कर्जे में चल रहे थे, रजनी दीदी तो सारा दिन गांव में घूमते रहती थी या अपने बाप के सब्जियों के खेत में थोड़ा बहुत काम कर लिया करती है। घर पर केवल राज की मां रागिनी ही होती थी जो सब्जियों के खेत के काम के साथ साथ घर के भी सभी काम किया करती थी।

थोड़ी देर में मैं साइकिल से राज के घर पहुंच गया, मैंने देखा कि रागिनी काकी अपने घर के आंगन में मसाला कूट रही हैं, उन्होंने जैसे ही मुझे देखा तो मुझे अंदर आने के लिए कहा,

"राज कहां है काकी?"

रागिनी काकी छोटी सी ओखली में मोटा सा मूसल लेकर मसाला कूट रही थी।

"वो तो अभी नहा रहा है, तू बैठ ना मैं तेरे लिए कुछ लेकर आती हूं"

"नहीं काकी मेरा पेट भरा हुआ है, ताईजी ने चार आलू के परांठे ठुसवाए हैं आप अपना काम कीजिए"

मेरी बात सुनकर रागिनी काकी मुस्कुराई और बोली "लस्सी ही पी ले, मैंने बनकर रखी हुई है"

"ठीक है ले आओ"

रागिनी काकी रसोईघर में मेरे लिए ठंडी लस्सी ले आई और वापस से मसाला कूटने लगी। मैं लस्सी पीते हुए रागिनी काकी को देख रहा था उनका ब्लाउज पसीने से गीला हो चुका था जिससे उनकी बड़ी बड़ी चूचियों की घुंडियां ब्लाउज के ऊपर दिखाई दे रही थी मैं उनकी चूचियों को घूरे जा रहा था अचानक मैंने ध्यान दिया कि रागिनी काकी ने मुझे उन्हें घूरते हुए पकड़ लिया है।

"बलराम और लस्सी चाहिए क्या?" रागिनी काकी मसाला कूटते हुए बोली।

"बड़ी स्वादिष्ट लस्सी बनाई है काकी, अब तो आपकी लस्सी रोज पीने आऊंगा"

मेरी बात में थोड़ी डबल मीनिंग थी रागिनी काकी मेरी बात सुनकर थोड़ा शर्मा गई लेकिन बोली कुछ नहीं।

"काकी आप क्या कर रही हो?"

"दिखाई नहीं दे रहा क्या मसाला कूट रही हूं" रागिनी काकी थोड़ा तुनकते हुए बोली

"लेकिन काकी क्या आपको नहीं लगता कि ओखली के हिसाब से मूसल कुछ ज्यादा ही मोटा है"

"मोटा है तभी तो ओखली में रगड़ रगड़ कर घुस रहा है और मसाला कितना बारीक कुट रहा है"

"ऐसा न हो कि इतने तगड़े मूसल को ये छोटी ओखली संभाल न पाए और टूट जाए, ये मूसल तो बड़ी ओखली के लिए बना है क्यों काकी मैं ठीक बोल रहा हूं ना"

"बेटा ओखली छोटी हो या बड़ी लेकिन मूसल मोटा होना चाहिए तभी कूटने में मजा आता है"

"लेकिन काकी आपसे ये तगड़ा मूसल ठीक से उठ भी नहीं पा रहा है , लाओ मैं आपकी मदद कर देता हूं।

"हां बेटा मेरी मदद कर दे, देख मेरी ओखली में कितना मसाला है"

मैने जैसे ही रागिनी काकी की मदद करने के लिए पहुंचा वैसे ही राज अपने घर के पिछवाड़े से नहाकर अंदर आ गया।

"अरे बलराम तू कब आया?"

"मुझे आए बस थोड़ी देर हुई है"

मुझे पहली बार राज पर बहुत गुस्सा आ रहा था, मैंने इतना अच्छा माहौल बनाया था सत्यानाश हो गया, रागिनी काकी भी मस्त डबल मीनिंग बात कर रही थी उनके चेहरे पर भी थोड़ा बहुत अफसोस था।

फिर मैं और राज उसके कमरे में आ गए, राज तौलिया लपेटा हुआ था, मैने ध्यान दिया कि उसके तौलिए के अंदर तम्बू बना हुआ है।

"क्या बात है राज नहाते वक्त किसके सपने देख रहा था?" मै राज के लन्ड की तरफ आंखों से इशारा करते हुए बोला

"साले तू बड़ा चालू है" राज झल्लाते हुए बोला

"मैंने क्या किया जो तू ऐसे बोल रहा है"

"मैं तेरी और मां की बातें सुन रहा था, मूसल ओखली लस्सी मैं कोई बच्चा नहीं हूं"

अब मैं क्या बोलूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, थोड़ी देर के लिए मैं चुप रहा तो राज बोला "अब ज्यादा भोला मत बन, कोई बात नहीं।"

"सॉरी भाई आगे से ऐसा नहीं करूंगा"

"मैंने ऐसा भी तो नहीं कहा"

राज की बात सुनकर मैं आश्चर्यचकित हो गया "तेरा मतलब क्या है?"

"यार मुझे तो उल्टा बहुत मजा आया, तेरी और मां की बातें सुनकर मेरा लन्ड खड़ा हो गया था"

"सच में"

"हां भाई, एक बात कहूं तू किसी को बताएगा तो नहीं"

"क्या बात है? नहीं बताऊंगा"

"यार मुझे मां बहुत पसंद है"

"मतलब?"

"मैं मां से बहुत प्यार करता हूं और उन्हें चोदना चाहता हूं"

राज के मुंह से यह बात सुनकर मुझे तो जैसे हार्ट अटैक ही आ गया मुझे समझ में नही आ रहा था की आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है।

"तू पागल तो नहीं हो गया है"

"यार मेरी मां बहुत प्यासी है, मेरा बाप कर्जे में डूब चुका है दिन में बाजार के कोठे पर पड़ा रहता है और रात में शराब पीके आता है और मां से लड़ाई झगड़े करता है, रजनी दीदी भी पता नहीं कहां से पैसे लेकर आती हैं जिससे थोड़ा बहुत घर का गुजारा चल जाता है, अब बता तू मेरी जगह होता तो क्या करता?"

"मुझे इसके ऊपर थोड़ा विचार करना पड़ेगा, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा।"

"आज मुझे एक उम्मीद नजर आई है प्लीज बलराम क्या तू मेरी मदद करेगा"

"दोस्ती के लिए जान हाजिर है तू बता क्या करना है लेकिन पहले तू मेरे सवाल का जवाब दे क्या तू सच में अपनी मां को चोदना चाहता है?"

"हां भाई, मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं और उसका दुख नहीं देख सकता, पता नहीं कितनी बार मैंने अपनी मां को चूत में उंगली करते देखा है और इतना ही नहीं मैंने कई बार उन्हें अपनी चूत बैंगन भी डालते हुए देखा है, तू जानता नहीं है भाई अगर मां बहक गई तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा"

"क्या तू कभी अपनी मां के साथ कुछ करने की कोशिश किया है?"

"भाई, मैने बहुत बार कोशिश की है पर कभी सफल नहीं हुआ, अगर कुछ करने की कोशिश करता हूं तो मां मुझे डांटकर भगा देती है लेकिन आज जब मैने तुझे और मां को बातें करते हुए देखा तो मुझे एक उम्मीद की किरण नजर आई"

"लेकिन राज तेरी सगी मां तुझसे कैसे चुदेगी?"

"चुदेगी लेकिन तुझे मेरा साथ देना पड़ेगा"

"मैं तैयार हूं लेकिन कुछ सोचा है तू कि कैसे करेगा"

"कल रविवार है इस बारे में कल शाम को हम नदी किनारे पुल पर मिलकर बात करते हैं।"

"तो ठीक है अब मैं घर चलता हूं" कहकर मैं साइकिल से अपने घर की तरफ चल दिया
 

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