अपडेट ३
सुबह 6 बजे के आस पास मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि सभ्या चाची (कल्लू की मां) आंगन में झाड़ू लगा रही है, सभ्या चाची सुबह घर पर झाड़ू और बर्तन करने के लिए आती थी उन्होंने एक ढीली ब्लाउज और पुरानी साड़ी पहनी हुई थी और मैं केवल धोती में चारपाई पर लेटा हुआ था, मैंने देखा कि सभ्या चाची झाड़ू लगाते हुए मेरी धोती की तरफ बार बार देख रही थी, तभी मैंने ध्यान दिया कि मेरी धोती में तम्बू बना हुआ है, सुबह का वक्त था इसलिए मेरा लन्ड धोती में अपनी औकात में खड़ा था, सभ्या चाची झुक कर झाड़ू लगा रही थी मेरी नजर जैसे ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों पर पड़ी तो मेरा लन्ड धोती में फड़कने लगा, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में झाड़ू लगाने चली गई तो मैं चारपाई से उठकर घर के पिछवाड़े में मूतने चला गया।
फिर मैं घर के पिछवाड़े में ही कसरत करने लगा, बचपन से मेरी आदत थी की सुबह–सुबह मैं देसी दंड मार लिया करता था, कुछ देर बाद सभ्या चाची कमरे से झाड़ू लगाकर बाहर निकली और आंगन के नल से बाल्टी में पानी भरकर पोछा लगाने लगी, मैंने आंगन में सभ्या चाची की तरफ ध्यान दिया तो मेरे तो होश ही उड़ गए, सभ्या चाची अपने घुटनों के बाल बैठके फर्श पर पोछा लगा रही था, मुझे उनकी साड़ी में कैद उनकी भारी गांड नजर आ रही थी, सभ्या चाची ऐसे झुकी हुई थी कि उनकी साड़ी में से उनकी पैंटी साफ़ दिखाई दे रही थी, सभ्या चाची के भारी चूतड़ों को छोटी सी पैंटी में कैद देख मैं पागल होने लगा और फिर से मेरा लन्ड धोती में तनकर खड़ा हो गया था, थोड़ी देर बाद सभ्या चाची कमरे में पोछा लगाने चली गई।
घर के पिछवाड़े में ही गुसलखाना बना था, मैं अपना तौलिया लेकर नहाने चला गया।
कुछ देर बाद मैं नहाकर बाहर निकला तो देखा कि ताईजी आंगन में चारपाई पर बैठकर चाय पी रही थी, सभ्या चाची रसोईघर में बर्तन कर रही थी और शीला भाभी खाना बना रही थी, भीमा भईया ने मुझे देखा तो वह तौलिया लेकर नहाने चल दिए, इधर पीहू दीदी अभी तक अपने कमरे में घोड़े बेचकर सो रही थी, फिर मैंने अपने कमरे में आकर कपड़े पहने और थोड़ी बहुत पढ़ाई करने के लिए कुर्सी पर बैठ गया।
करीब एक घंटे के बाद भीमा भईया और शीला भाभी भोजन करके बाइक से बाजार के लिए निकल चुके थे, बाजार में उनके कपड़े और कॉस्मेटिक्स की दुकान है। कुछ देर बाद मैंने भोजन किया और साइकिल से कोचिंग के लिए निकल गया, आज कोचिंग बंद थी मुझे तो ताईजी पर नजर रखनी थी इसलिए मैं कोचिंग का बहाना देकर घर से बाहर निकला था, मैने अपनी साइकिल को ताईजी के गन्ने के खेत में छुपा दिया और घर से थोड़ी दूर एक बड़े से बरगद के पेड़ के पीछे आकर छुप गया। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि मेरे दोस्त राज की बहन रजनी ताईजी के घर में गई है, कुछ देर के बाद मैंने देखा कि रजनी दीदी और पीहू दीदी एक साथ घर से बाहर निकली और पता नही किसलिए प्रधान जी के हवेली की तरफ चली गई, कुछ समय बाद सभ्या चाची एक गठरी में कपड़े लेकर घर से बाहर आई और गांव की नदी के किनारे चली गई।
अब 10 बज चुके थे लेकिन ताईजी अभी तक घर में ही थी, कुछ देर बाद ताईजी घर से बाहर आई और घर के फाटक पर कुंडी मारकर अपने आम के बगीचों की तरफ जाने लगी। मैं चुपके से बरगद के पेड़ के पीछे से बाहर निकला और धीरे धीरे ताईजी के पीछे चलने लगा, मैं बहुत दूर था इसलिए ताईजी मुझे देख नही सकती थी और मुझे भी इस बात की बड़ी चिंता थी कि कहीं ताईजी मेरी आंखों से ओझल न हो जाए और ठीक ऐसा ही हुआ, कुछ दूर के बाद ताईजी मेरी आंखों से ओझल हो गई, मैंने आम के बगीचों में ताईजी को बहुत ढूंढा लेकिन मुझे ताईजी कहीं पर भी नजर नहीं आ रही थी। मुझे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन मैंने हिम्मत नही हारी थी, मैंने ऐसी ही आधा घंटा तक ताईजी को आम के बगीचे में ढूंढता रहा और फिर थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया, तभी मुझे ध्यान आया कि आम के बगीचे के पीछे एक पंपहाउस है वहां तो मैंने देखा ही नहीं।
फिर मैं थोड़ा जोश में उठकर खड़ा हुआ और थोड़ी देर चलने के बाद मुझे पंपहाउस नजर आ गया।
मैं अभी पंपहाउस से थोड़ा दूर ही था कि मुझे किसी की सिसकियां सुनाई पड़ी, आवाज ताईजी की ही थी कल जैसे आह्ह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह कर रही थी , मैं समझ गया कि अंदर खेल चालू है, मैं पंपहाउस के पास पहुंचा तो ताईजी की सिसकियां और तेज होने लगी, कल तो ताईजी को डर था कि कोई आ न जाए इसलिए धीरे आवाज कर रही थी पर आज उन्हें यकीन था कि यहां कोई आने वाला नही है इसलिए वह बिना किसी डर के सिसकियां भर रही हैं, पंपहाउस का दरवाजा लकड़ी से बना था और अंदर से लॉक था।
मैंने keyhole से देखा कि ताईजी बिलकुल नग्न अवस्था में गद्दे पर कल्लू के ऊपर बैठी है और कल्लू का लन्ड अपनी चूत में लेकर ऊपर नीचे हो रही है, पंपहाउस में झोपड़ी जितना अंधेरा तो नहीं था लेकिन keyhole से ठीक से कुछ नजर नहीं आ रहा था, ताईजी की चूचियां सच में बहुत बड़ी बड़ी थी और इस उम्र में भी उनकी चूचियां लटकी नही थी लेकिन थोड़ा नीचे की तरफ हो गई थी पर इतनी बड़ी बड़ी चूचियां थी तो नीचे झुकना तो जायज था।
ताईजी ऊपर नीचे हो रही थी और कल्लू का लन्ड ताईजी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था लेकिन कल के मुकाबले आज कल्लू का लन्ड थोड़ा मोटा लग रहा था और उसके लन्ड की लंबाई छोटी लग रही थी, कल्लू का लन्ड भूरे रंग लग रहा था जबकि कल तक उसका लन्ड काला था। मैंने सोचा कि कल उसका लन्ड काला इसलिए लग रहा होगा क्योंकि झोपड़ी में अंधेरा था लेकिन उसका लन्ड आज मोटा कैसे हो गया और लंबाई में छोटा। अब मैं समझ गया कि यह कल्लू नही है, आखिर कौन हो सकता है, तभी मुझे नजर आया कि पंपहाउस में दो नहीं चार लोग हैं।
मैंने देखा कि कोई ताईजी से कुछ दूर खड़ा हुआ है और अपने लन्ड को किसी औरत के मुंह में डालकर अंदर बाहर कर रहा है, मैंने उसके लन्ड को ध्यान से देखा तो पता चला कि वह कोई और नही बल्कि कल्लू ही है लेकिन अब वह औरत कौन है जो कल्लू का लन्ड चूस रही है और ताईजी किसके लन्ड के ऊपर इतना उछल–उछल कर चुद रही है,,,, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आखिर मेरे साथ हो क्या रहा है। इधर ताईजी बहुत तेजी से अपनी गांड को उस आदमी के मोटे भूरे लन्ड पर पटक रही थी और उधर उस औरत ने कल्लू के लंबे काले लन्ड को अपने गले तक उतार लिया था। ताईजी नग्न अवस्था में थी जबकि वह औरत हरे रंग की सलवार कमीज में थी लेकिन उसकी सलवार घुटनों तक सरकी हुई थी और कमीज़ उसके स्तन के ऊपर तक चढ़ी हुई थी, बड़ी गोरी चिट्ठी औरत थी, उसकी चूचियां भी बड़ी बड़ी थीं लेकिन ताईजी के जितनी बड़ी नही थीं, उसके चेहरे पर बाल बिखरे हुए थे इसलिए मुझे उसका चेहरा नज़र नही आ रहा था। इधर ताईजी उस आदमी के ऊपर झुक गई थी और वह आदमी ताईजी की गांड को थामकर उनकी चूत में अपने लन्ड के ताबड़तोड़ धक्के जड़ रहा था लेकिन वह आदमी थोड़ी भी आवाज नहीं कर रहा था मुझे सच में ताईजी किसी बाजार की रण्डी लग रही थी।