Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Update - 5


समय अपने गति से चल रहा था। समय के गति के साथ साथ सभी के जीवन से एक एक कर दिन काम होते जा रहे थे। रावण खुद के रचे साजिश को ओर पुख्ता करने में लगा हुआ था। चाैसर की विसात बिछाए एक एक चाल को सावधानी से चल रहा था। रावण के बिछाए बिसात में पत्नि और बेटा मुख्य पियादा था। अपस्यु को बाप के बनाए रणनीति की जानकारी नहीं था इसलिए बाप जैसा कह रहा था वैसा ही व्यवहार कर रहा था। लेकिन सुकन्या को पति के रणनीति की जानकारी थी। जानकारी होते हुऐ भी भुल कर रहा था। न जाने क्यूं सुकन्या ऐसा कर रही थी न जानें सुकन्या के मन में क्या चल रहा था। रावण को आभास हो रहा था सुकन्या जान बूझ कर कर रही हैं। इसलिए दोनों में मत भेद हों जाया करता था जो कभी कभी झगड़े का रूप भी ले लेता था। कुछ दिन के मन मुटाव के बाद दोनों में सुलह हों जाया करता था। सुलह इस शर्त पर होता की सुकन्या मन मुताबिक सभी से व्यवहार करेंगी। थोडी टाला मटोली के बाद रावण सहमत हों जाया करता।

पिछले कुछ दिनों से राजेंद्र कुछ ज्यादा ही परेशान था। करण सिर्फ राजेंद्र जनता था। सुरभि ने कई बार पुछा पर राजेंद्र टाल दिया करता था। सुरभि भी जानने को ज्यादा जोर नहीं दिया। क्योंकि राजेंद्र सुरभि से छुपना पड़े ऐसा कोई काम नहीं करता था। धीरे धीर राजेंद्र की चिंताए बढ़ने लगा जो सुरभि से छुपा न रहा सका इसलिए सुरभि जानना चाहा तो इस बार भी राजेंद्र ने टाल दिया जिससे सुरभि भी चिंतित रहने लग गया। सुरभि को चिन्तित देख राजेंद्र से रहा न गया। इसलिए पुछ लिया।

राजेंद्र…सुरभि पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूं तुम कुछ परेशान सी रहने लग गई हों। बात क्या हैं? मुझे बता सकती हों।

सुरभि...यही सवाल तो मुझे आप से पुछना था।

राजेंद्र…तुम्हारा मतलब क्या हैं? तुम पुछना क्या चाहती हों?

सुरभि…सीधा सा मतलब हैं आप पिछले कुछ दिनों से अपने स्वभाव के विपरीत व्यवहार कर रहें हों। क्या आप मुझे बता सकते हों ऐसा क्यो?

राजेंद्र…तुम कैसे कह सकती हों मैं अपने स्वभाव के विपरीत व्यवहार कर रहा हूं। तुम्हे कोई भ्रम हुआ होगा।

सुरभि…मुझे कोई भ्रम नहीं हुआ मैं देख रही हूं आप पिछले कुछ दिनों से चिड़चिड़ा हों गए हों बिना करण गुस्सा कर रहे हों। कोई बात हैं जो अपको अदंर ही अदंर खाए जा रहा हैं जिससे आप के चहरे पर चिंता की लकीरें दिखाई दे रहा हैं।

राजेंद्र…अब तो ये पक्का हो गया हैं। तुम भ्रम का शिकार हों गई हों। इसलिए मैं तुम्हें चिंतित और चिड़चिड़ा दिखाई दे रहा हूं।

सुरभि...सुनिए जी आप सभी से छुपा सकते हों, पर मुझसे नहीं हमारे शादी को बहुत समय हों गया हैं। इतने सालो में मैं आप'के नस नस से परिचित हों गयी हूं इसलिए आप मुझे सच सच बता दीजिए नहीं तो मैं आप'से रूठ जाऊंगी। आपसे कभी बात नहीं करूंगी।

राजेंद्र…ओ तो तुम मुझसे रूठ जाओगी। लेकिन ऐसा तो कभी हुए ही नहीं मेरी एक मात्र धर्मपत्नी मुझ'से रूठ गई हों।

सुरभी…आप मुझे बरगलाने की कोशिश न करें मैं आप'की बातो में नहीं आने वाली इसलिए जो आप छुपा रहे हों सच सच बता दीजिए।

राजेंद्र…ओ हों देखो तो गुस्से में कैसे गाल गुलाबी हों गया हैं। सुरभि तुम्हारे गुलाबी गालों को देख तुम पर बहुत प्यार आ रहा हैं। चलो न थोडा प्यार करते हैं।

इन दोनों की बातों को कोई सुन रहा था। हुआ ऐसा की रावण रूम से बाहर आया नीचे आने के लिए सीढ़ी तक पंहुचा ही था की सुरभि को राजेंद्र से बात करते हुए देख लिया, पहले तो रावण को लगा दोनों नार्मल बाते कर रहे होंगे लेकिन जब सुरभि बार बार राजेंद्र से जानने पर जोर दे रहीं थीं। और राजेंद्र बात को टालने की कोशिश कर रहा था। ये देख रावण का शक गहरा हों गया। इसलिए रावण जानना चाहा, राजेंद्र इतना टाला मटोली क्यों कर रहा था। इसलिए रावण छुप कर दोनों की बाते सुनने लग गया।

राजेंद्र की बातों को सुन सुरभि मुस्कुरा दिया फ़िर शर्मा कर नजरे झुका लिया, एकाएक ध्यान आया राजेंद्र भटकने, मन बदलने के लिए ऐसा बोल रहा हैं तब सुरभि झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली...आप को मुझ पर, न प्यार आ रहा हैं, न ही आप मुझ'से प्यार करते हों। आप झूठ बोल रहें हों, झूठे प्यार का दिखावा कर रहें हों,आप झूठे हों।

राजेंद्र…ओ हों सुरभि देखो न गुस्से में तुम्हारे गाल गुलाबी से लाल हों गए हैं अब तो मुझे तुम पर ओर ज्यादा प्यार आ रहा हैं। मन कर रहा हैं तुम्हारे लाल लाल गालों को चबा जाऊं।

पति की बाते सुन सुरभि मुस्करा दिया फ़िर मन ही मन बोली…आज इनको हों क्या गया? मुझसे प्यार करते हैं जताते भी हैं लेकिन आज ऐसे खुले में जरूर कुछ बात हैं जो मुझसे छुपाना चाह रह हैं इसलिए खुलेआम प्यार जाता रहें हैं जिससे मैं झांसे में आ जाऊं और जानें की कोशिश न करू। वहा जी आगर ऐसा हैं तो मैं जानकर ही रहूंगी। जानने के लिए मुझे क्या करना हैं? मैं भली भाती जानती हूं।

पति की परेशानी कैसे जानना हैं इस विषय पर सोच सुरभि मन मोहिनी मुस्कान बिखेर दिया। पत्नी को मुस्कुराते देख राजेंद्र बोला…क्या सोच रहे हों और ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हों?

सुरभि…आप यह पर प्यार करेंगे किसी ने देख लिया तो क्या सोचेंगे इसलिए मैं सोच रहीं थी जब आप का इतना मन हों रहा हैं तो क्यों न मैं भी बहती गंगा में हाथ धो लू। चलो रूम में चलते हैं फिर आपको जितना प्यार करना हैं कर लेना।

राजेंद्र…हां हां क्यों नहीं चलो न देरी किस बात की फिर मन में बोला…अच्छा हुआ सुरभि उस बात को भुल गई नहीं तो आज मुझ'से सच उगलवा ही लेती जिसे मैं छुपाना चाहता हूं।

राजेंद्र सोच रहा था सुरभि जो जानना चाहती थी उस बात को भुल गई लेकिन राजेंद्र यह नहीं जानता की सुरभि उससे बात उगलवाने के लिए ही उसके बात को मान गयी। रावण जो छुप कर दोनों की बाते सुन रहा था वो भी सोचने पर मजबूर हो गया...लगता हैं दादा भाई का किसी ओर महिला के साथ संबंध हैं जिसका पाता भाभी को लग गया होगा। शायद उसी बारे में भाभी पुछना चाहती हों और दादाभाई बचने के लिऐ टाला मटोली कर रहे हों। चलो अच्छा हैं अगर यह बात हैं तो मेरा काम ओर आसान हों जायेगा करने दो इनको जो करना हैं। मैं चलता हूं ।

रावण छुपते हुए निकलकर वापस रूम में चला गया। सुरभि उठकर मस्तानी चाल से चल दिया। राजेंद्र भी पीछे पीछे चल दिया। सीढ़ी से ऊपर जाते वक्त सुरभि कमर को कुछ ज्यादा ही लचका रही थी। चाल देख लग रहा था कोई हिरनी मिलन को आतुर हों, विभिन्न मुद्राओं में चलकर साथी नर को अपनी ओर आकर्षित कर रही हों।

राजेंद्र भी खूद को कब तक रोक कर रखता सुरभि की लचकती कमर और मादक अदा देख मोहित हों गया और चुंबक की तरह खींचा चला गया सुरभि सीढ़ी से ऊपर पहुंचकर पलटा राजेंद्र की ओर देख, उंगली से इशारे कर जल्दी आने को कहा, सुरभि को इशारे करते देख राजेंद्र जल्दी जल्दी सीढ़ी चढ ऊपर पहुंच गया। सुरभि जल्दी जल्दी राजेंद्र को ऊपर आते देख कमर को ओर ज्यादा लचकते हुए चल दिया, कमरे के पास पहुंच कर रूक गई फिर पलट कर सोकी और कामुक नजरों से राजेद्र को देखा। सुरभि के हाव भाव देख राजेंद्र मन ही मन बोला….आज सुरभि को हों क्या गया? मन मोहिनी अदा से मुझे क्यों आकर्षित कर रही है? कामुक नजरों से ऐसे बुला रहीं हैं जैसे हमारा मिलन पहली बार हों रहा हों लेकिन जो भी हों आज सुरभि ने शादी के शुरुवाती दिनों को याद दिला दिया।

सुरभि मंद मंद मुस्कुराते हुए दरवजा खोल अदंर जा'कर खड़ी हो गई। राजेंद्र कमरे में प्रवेश करते ही, सुरभि को देख मंत्र मुग्ध हो गया। कमर को एक तरफ बाहर निकल, ऊपरी शरीर को एक ओर झुका, एक हाथ कमर पर रख दूसरे हाथ से केशो को खोल पीछे से सामने की ओर ला रही थीं। सुरभि को इस मुद्रा में देख राजेंद्र के तन में जल रहा काम अग्नि ओर धधक उठा। राजेंद्र धीरे धीरे सुरभि की ओर कदम बढ़ाता गया। सुरभि उसी मुद्रा में पलटकर राजेंद्र को देखा उसी मुद्रा में पलटने से सुरभि के भौगोलिक आभा ओर ज्यादा निखर आया। जिसे देख राजेंद्र "aahaaaa" की आवाज निकाला फिर बोला… सुरभि लगता हैं आज जान लेने का विचार बना लिया हैं।

सुरभि होटों को दांतो से कटते हुए कामुक आवाज में बोली.... जान कौन किसकी लेगा बाद में जान जाओगे। आगे बढ़ने से पहले दरवजा अच्छे से बंद कर दीजियेगा नहीं तो हमे एक दूसरे की जान लेते किसी ने देख लिया तो जवाब देना मुस्किल हों जायेगा।

राजेंद्र पलटकर दरवजा बंद कर कुंडी लगा दिया फिर आगे बढ़ सुरभि के कमर में हाथ डाल अपनी ओर खींच चिपका लिया फिर सुरभि के गर्दन को झुकाकर एक चुम्बन अंकित कर दिया। जिससे सुरभि का बदन सिहर उठा और मूंह से एक मादक ध्वनि "ऊंऊंऊं अहाहाहा" निकला। आवाज में इतनी मादकता और कामुक भाव था कि राजेंद्र हद से ज्यादा काम विभोर हों सुरभि के गर्दन, कंधे पर चुम्बन पे चुम्बन अंकित किए जा रहा था। हाथ को आगे ले सुरभि के पेट को सहलाते हुए ऊपर की ओर ले जानें लगा। सुरभि एक हाथ राजेंद्र के हाथ पर रख उसके हाथ को आगे बढ़ने से रोक दिया। रुकावट का असर ये हुआ राजेंद्र ओर ज्यादा ललायित हो हाथ को बाधा से मुक्त करने लगा गया। राजेंद्र की सभी कोशिशों को सुरभि ने विफल कर दिया। विफलता से विरक्त हों राजेंद्र बोला…सुरभि मुझे क्यो रोक रहीं हों? तुम्हारे रस से भरी गागर में मुझे डूब जाने दो तुम्हारे जिस्म की जलती अग्नि में,मुझे भस्म हो जानें दो।
मेरे तन में जलती ज्वाला को बुझा लेने दो।

सुरभि समझ गई पति के मुंह से बात उगलवाने का वक्त आ गया l इसलिए सुरभि पलटकर राजेंद्र से चिपक गई फिर गले में बांहों का हर डाल दिया फिर बोली…अगर आप'को तन की ज्वाला बुझानी हैं तो मैं जो पूछू सच सच बता दिजिए फिर जितनी बुझानी हैं बुझा लेना नहीं तो आप'के तन कि अग्नि ऐसे ही जलता हुआ छोड़ दूंगी।

राजेंद्र...ahaaa सुरभि ये बातो का समय नहीं हैं चलो न बिस्तर पर काम युद्ध को शुरू करते हैं।

राजेंद्र कहकर सुरभि के सुर्ख होटों को चूमना चाहा लेकिन सुरभि होटों पर उंगली रख दूसरे हाथ से धक्का दे राजेंद्र को खुद से दुर कर दिया फ़िर सोकी से बोली…काम युद्ध बाद में पहले वार्ता युद्ध हों जाएं।

राजेंद्र हाथ पकड़ सुरभि को खीच लिया फिर खुद से चिपका कमर को कसकर पकड़ लिया फिर बोला…सुरभि मुझसे मेरे तन की ज्वाला सहन नहीं हों रहा इसलिए पहले जिस्म में जलती अंगार को ठंडा कर लूं फिर जो तुम पूछना चाहो पूछ लेना।

सुरभि…मेरे जिस्म में भी अंगारे दहक रहें हैं। मैं भी मेरे जिस्म में जल रही अंगारों को बुझाना चाहती हूं। इसलिए मैं जो पूछती हूं सच सच बता दो फिर दोनों अपने अपने जिस्म की ज्वाला बुझा लेंगे।

राजेंद्र कई बार प्रयास किया असफलता हाथ लगा। करण सुरभि मन बना चूका था जब तक राजेंद्र सच नहीं बता देता तब तक आगे नहीं बढ़ने देगा। आखिर सुरभि ने इतना प्रपंच सच जानने के लिए ही किया था। इतना ज्यादा रोका टोकी राजेंद्र से बर्दास्त नहीं हुआ इसलिए खीसिया गया फिर बोला...सुरभि तुम अपने पति को रोक रहीं हों। तुम जानती हों मैं अपने मन की इच्छा पूर्ण करने के लिए तुम्हारे साथ जोर जबरदस्ती से जो मुझे करना हैं कर सकता हूं।

राजेंद्र की बाते सुन सुरभि खुद को राजेंद्र से अलग कर थोड़ दूर खड़ी हो गई फिर बोली…आप एक मर्द हो और मर्द अपने मन की करने के लिए किसी भी औरत के साथ जोर जबरदस्ती कर सकता हैं। जो करना हैं आप भी मेरे साथ कर लिजिए लेकिन आप'के ऐसा करने से मेरे मन को कितना ठेस पहुंचेगा अपको जरा सा भी इल्म हैं।

सुरभि के बोलते ही राजेंद्र को ज्ञात हुआ, अभी अभी उसने क्या बोला जिससे सुरभि का मन कितना आहत हुआ। सुरभि के दिल को कितना चोट पहुंचा। राजेंद्र के जिस्म में जो काम ज्वाला धधक रहा था पल भर में सुप्त हों गया और राजेंद्र का मन ग्लानि से भर गया। इसलिए राजेंद्र सुरभि के पास आ सफाई देते हुए बोला…सुरभि मुझे माफ कर दो मैं काम ज्वाला में भिभोर हो खुद पर काबू नहीं रख पाया, जो मेरे मन में आया बोल दिया।

सुरभि की आंखे नम हों गईं थीं। सुरभि जाकर बेड पर बैठ गई फिर नम आंखो से राजेंद्र की ओर देख बोली…इसे पहले भी न जानें कितनी बार आप को तड़पाया था लेकिन आप'ने कभी ऐसा शब्द नहीं कहा, कहते हुए जरा भी नहीं सोचा मैं आप की पत्नी हूं मेरे साथ जोर जबरदस्ती करके खुद को तो शांत कर लेंगे। लेकिन आप के ऐसा करने से मेरे मन को मेरे तन को कितना पीढ़ा पहुंचेगा।

राजेंद्र...सुरभि हां मैं मानता हु इससे पहले भी तुमने मेरे साथ ऐसा अंगिनत बार किया हैं जिससे हम दोनों को अद्भुत आनंद की प्राप्ति हुआ था लेकिन मैं पिछले कुछ दिनों से परेशान था। आज जब तुमने बार बार मना किया तो मैं खुद पर काबू नहीं रख पाया और जो मन में आया बोल दिया अब छोड़ो न इन बातों को और मुझे माफ कर दो।

सुरभि…आप के परेशानी का करण जानें के लिए ही तो मैं आप'को बहका रही थीं सोचा था आप को तड़पाऊंगी तो आप तड़प को मिटाने के लिए मुझे परेशानी का करण बता देंगे लेकिन आप ने जो कहा उसे सुनकर आज मैं धन्य हों गई। जिसे जीवन साथी चुना वह अपनें इच्छा को पूर्ण करने के लिए मेरे साथ जोर जबरदस्ती भी कर सकता हैं।

राजेंद्र…kyaaaa तुम उन बातों को जानने के लिए ही सब कर रहीं थीं जो मेरे परेशानी का करण बाना हुआ हैं। सुरभि तुमने सोच भी कैसे लिया मैं तुम्हारे साथ जोर जबरदस्ती करके खुद को शान्त करुं लूंगा। सुरभि मैं हमेशा तुम्हारे मन का किया हैं। जब तुम्हारा मन हुआ तभी मैंने तुम्हारे साथ प्रेम मिलाप किया हैं।

सुरभि…हां मैं जानती हूं अपने हमेशा मेरा मान रखा हैं। मैंने भी आप'को कभी निराश नहीं किया। आप'के इच्छाओं को समझकर प्रेम मिलाप में खुद की इच्छा से आप'का संयोग किया लेकिन आज पूछने पर आप सच बताने को राजी नहीं हुए तो सच जानें के लिए मुझे ये रास्ता अपना पड़ा लेकिन मेरे अपनाए इस रस्ते ने आप'के मन में छुपी भावना से मुझे अवगत करा दिया। जिसके साथ मैं इतने वर्षों से रह रहीं हूं जिसके सभी सुख दुःख का साथी रही हूं। वह आज मेरे साथ जोर जबरदस्ती करके शारीरिक सुख पाना चाहता हैं।

राजेंद्र…सुरभि मैं जानता हूं जोर जबर्दस्ती से सिर्फ शारीरिक सुख पहुंचता हैं और मन मस्तिष्क को पीढ़ा पहुंचता हैं। मैं यह भी समझ गया हूं मेरे कहें दो शब्द जो सुनने में साधारण हैं लेकिन उसी शब्द ने मेरे प्रियतामा जो हमेशा मेरे बिना कहे मेरे इच्छाओं का ध्यान रखती आई हैं। मेरे परिवार को जोड़कर रखने की चेष्टा करती आई हैं उसके मन को बहुत चोट पहुंचा हैं और मुझसे रूठ गया हैं अब तुम ही बताओ तुम्हें मानने के लिए मैं क्या करूं?

सुरभि…मुझे मानने के लिए आप को कुछ करने की जरूरत नहीं हैं। आप वही करिए जिसके लिए आप को भड़काया था। शान्त कर लिजिए अपने तन की ज्वाला मिटा लिजिए आप की पिपासा।

सुरभि के कहते ही राजेंद्र हाथ बढ़ा सुरभि के कमर पर रख दिया फिर धीरे धीरे सहलाते हुए पेट पर लाया फ़िर नाभी के आस पास उंगली को घूमने लग गया जिससे सुरभि के तन में सुरसुरी होने लग गया। सुरभि निचले होंठ को दांतों के नीचे दबा चबाने लग गई और इशारे कर माना करने लग गईं। सुरभि के बदलते भाव और माना करते देख राजेंद्र बोला…मैं अपनी प्यास मिटा लूंगा तो मेरी सुरभि जो मुझसे रूठी हुई हैं मान जायेगी। बोलों सुरभि!

सुरभि हां न कुछ भी नहीं बोला बस राजेंद्र को देखने लग गई। नाभी के आस पास सहलाए जाने से सुरभि का हाव भाव बदलने लग गया। सुरभि के बदलते हाव भाव देख राजेंद्र हाथ को धीरे धीरे ऊपर की ओर सरकाने लग गया। सरकते हाथ का अनुभव कर सुरभि ने आंखे बन्द लिया फिर धीर धीरे मदहोश होने लग गई। सुरभि को मदहोश होता देख राजेंद्र थोड़ ओर नजदीक खिसक गया फ़िर हाथ को सुरभि के उभारों की ओर बढ़ाने लग गया। उभारों की ओर बढ़ते हाथ को महसूस कर सुरभि आंखें खोल दिया फिर राजेंद्र के हाथ को रोक कर बोला… हटो जी आप न बहुत बुरे हों। पत्नी रूठा हैं उसे मानने के जगह, बहका रहें हों।

राजेंद्र…मुझे तो पत्नी को मानने का यहीं एक तरीका आता हैं जो मेरे लिए कारगर सिद्ध होता हैं अब तुम ही बता दो ओर क्या करूं जिससे मेरी बीवी मान जाए।

सुरभि…बीबी को मनाना हैं तो उन बातों को बता दीजिए जिसे जानने के लिए आप की बीबी ने इतना कुछ किया लेकिन फायदा कुछ हुआ नहीं बल्कि बात रूठने मनाने तक पहुंच गया।

राजेंद्र…इसकी क्या गारंटी हैं जानने के बाद मेरी बीवी रूठ कर नहीं रहेगी
मान जाएगी।

सुरभि…रूठ कर रहेगी या मान जाएगी ये जानने के बाद ही फैसला होगा। आप बीबी को मना रहे हों इसलिए आप शर्त रखने के स्थिति में नहीं हों।

राजेंद्र…सुरभि मैं जिन बातों को छुपा रहा था उसके तह तक पहुंचने के बाद तुम्हें बताना चाहता था। लेकिन अब तुम्हें मनाने के लिए तह तक पहुंचने से पहले ही बताना पड़ रहा हैं।

सुरभि…आप जिस बात की तह तक पहुंचना चाहते हों। क्या पता बताने के बाद उस बात की तह तक पहुंचने में मैं आप'की मदद कर सकती हूं।

राजेंद्र…अरे हां मैं तो भूल ही गया था। मेरे जीवन में एक नारी शक्ति ऐसी हैं जो सभी परेशानियों से निकलने में हमेशा सहायक सिद्ध हुआ हैं।

सुरभि…ज्यादा बाते बनाने से अच्छा जो पूछा हैं बताना शुरू कीजिए।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

🙏🙏🙏🙏🙏
Ravan aur Sukayna ke beech ho rahi khit phit iss baat ki or ishara karti he ke dono ki nature kitni ghatiya he… Ravana saazish ko kaamyab karne me laga huaa he…

Wow… kaya khoobsurat nok jhok he pati patni ki… Rajder ka payar apni patni ke liye aur uss se bhi badh kar uss ke liye respect… adhbut likhni… kaya shabd hein bro…

Wow kaamuk kaary ne tau aag hi laga di he poore kamre mein… atti uttam… kabhi aage badhna phir ruk jana… shabd hein kea ag ke gole… bro sach mein behtreen update…
 
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Update - 6

राजेंद्र…सुरभि मेरे परेशानी का करण कई हैं जो पिछले कुछ दिनों से मेरे चिन्ता का विषय बना हुआ था। सभी के नजरों से छुपा लिया लेकिन तुम्हारे नजरों से छुपा नहीं पाया। मेरे परेशानियों में से सबसे बाड़ी परेशानी हमारा बेटा रघु हैं।

सुरभि…रघु ने ऐसा क्या कर दिया जो आप'के परेशानी का करण बाना हुए हैं। मेरा लाडला ऐसा नहीं हैं जो कोई भी गलत काम करे।

राजेंद्र…सुरभि तुम इतना परेशान क्यों हों रहीं हों? हमारे बेटे ने कुछ गलत नहीं किया। सुरभि रघु की शादी ही मेरे परेशानी का करण बना हुआ हैं।

सुरभि…लड़की हम ढूंढ़ तो रहे है फिर रघु की शादी आप'के परेशानी का कारण कैसे बन सकता हैं। देर सवेर रघु की शादी हों जायेगा। आप इसके लिए परेशान न हों।

राजेंद्र…मैंने रघु के लिए कई लड़कियां देखा हैं। सभी लड़कियां वैसा हैं जैसा हमे रघु के लिए चाहिए। लेकिन एक बात मेरे अब तक समझ में नहीं आया। ऐसा क्या उन्हें पाता चल जाता हैं जिस'के करण हां कहने के बाद न कह देते हैं।

सुरभि…न कहा रहें है तो ठीक हैं हम रघु के लिए कोई ओर लड़की ढूंढ लेंगे।

राजेंद्र…बात लड़की ढूंढने की नहीं हैं मैं रघु के लिए ओर भी लड़की ढूंढ़ लूंगा लेकिन बात ये हैं बिना लड़के को देखे, बिना परखे कोई कैसे मना कर सकता हैं।

सुरभि…आप थोडा ठीक से बताएंगे आप कहना किया चहते हों।

राजेन्द्र…सुरभि आज तक जितनी भी लड़कियां देखा हैं। सभी लड़कियों को और उसके घर वालों को रघु की तस्वीर देख कर पसंद आ गया लेकिन अचानक उन्हें क्या हों जाता हैं? वो मना कर देते हैं।

सुरभि…ये आप क्या कह रहे हों? ऐसा कैसे हों सकता है? हमारा रघु तो सबसे अच्छा व्यवहार करता हैं उसमे कोई बुरी आदत भी नहीं हैं फिर कोई कैसे रघु को अपनी लड़की देने से मना कर सकता हैं?

राजेंद्र…यहीं तो मेरे समझ में नहीं आ रहा हैं। एक या दो बार होता तो कोई बात नहीं था। अब तक जितनी भी लड़की देखा हैं सभी के परिवार वाले पहले हां कहा फिर मना कर दिया।

सुरभि…उन लोगों ने मना करने के पिछे कुछ तो कारण बताया होगा।

राजेंद्र…उन्होंने जो कारण बताकर मना किया, उसे सुनकर मेरा खून खोल उठा तुमने सुना तो तुम्हें भी गुस्सा आ जायेगा।

सुरभि…उन्होंने ऐसा क्या बताया जिसे सुनकर अपको इतना गुस्सा आया।

राजेंद्र…उन्होंने कहा हमारे बेटे में बहुत से बुरी आदत है उसका बहुत से लड़कियों के साथ संबंध हैं। हम अपने लडकी की शादी आपके बेटे से करेंगे तो हमारी बेटी का जीवन बर्बाद हों जायेगा।

राजेंद्र की बाते सुन सुरभि गुस्से में आग बबूला हों गई और तेज आवाज में बोली…उनकी इतनी जुर्रत जो मेरे बेटे पर लांछन लगा रहें थें। मेरा बेटा सोने जैसा शुद्ध हैं। जैसे सोने में कोई अवगुण नहीं, वैसे ही मेरे लाडले में कोई अवगुण नहीं हैं।

जब सुरभि तेज आवाज में बोल रही थीं उसी वक्त सूकन्या सीढ़ी से ऊपर आ रहीं थीं। तेज आवाज को सुन सुकन्या, सुरभि के रूम के पास गईं दरवाज़ा बन्द था और अंदर से हल्की हल्की आवाजे आ रहा था इसलिए दरवाजे से कान लगाए अंदर हों रहीं बातों को सुनने लग गई। सुरभि के आवेश के वशीभूत होकर बोलने से राजेंद्र सुरभि को समझाते हुए बोला...इतने उत्तेजित होने की जरूरत नहीं हैं। मैं अच्छे से जनता हूं हमारे बेटे में कोई अवगुण नहीं हैं। लेकिन मैं ये नहीं जान पा रहा हूं ऐसा कर कौन रहा हैं हमारे बेटे को झूठा बदनाम करके किसी को क्या मिल जायेगा।

सुरभि…सुनो जी मुझे साजिश की बूं आ रही हैं कोई हमारे बेटे के खिलाफ साजिश कर रहा हैं। आप उस साजिश कर्ता को जल्दी ढूंढो मैं खुद उसे सजा दूंगी।

राजेंद्र…उसे तो मैं ढूंढूंगा ही फिर सजा भी दूंगा। तुमने साजिश का याद दिलाकर अच्छा किए मेरे एक और परेशानी का विषय यह साजिश शब्द भी हैं।

सुकन्या जो छुपकर बाते सुन रहीं थीं। साजिश की बात सुन सुकन्या के कान खडे हों गए फिर मन में बोली…जेठ जी के बातो से लग रहा हैं जेठ जी को हमारे बनाए साजिश की जानकारी हों गया होगा। ऐसा हुआ तो हम न घर के रहेगें न घाट के उनको सब बताना होगा। लेकिन पहले पूरी बाते तो सुन लू ।

सुरभि…आप कहना क्या चाहते हों खुल कर बोलो!

राजेंद्र…पिछले कुछ दिनों से मेरे विश्वास पात्र लोग एक एक करके गायब हों रहे हैं। जो मेरे लिए खबरी का काम कर रहे थे।

सुरभि…अपने गुप्तचर रख रखे हैं जो एक एक करके गायब हों रहे हैं। लेकिन अपको गुप्तचर रखने की जरूरत क्यो पड़ी।

राजेंद्र…सुरभि तुम भी न कैसी कैसी बाते करती हों, राज परिवार से हैं, इतने जमीन जायदाद हैं, इतनी सारी कम्पनियां हैं और विष्टि गुप्त संपत्ति भी हैं जिसे पाने के लिए लोग तरह तरह के छल चतुरी करेंगे। उनका पाता लगाने के लिए मैंने गुप्तचर रखा था लेकिन एक एक करके सभी न जानें कहा गायब हों गए उनमें से एक कुछ दिन पहले मेरे ऑफिस फोन कर कुछ बाते बताया था। बाकी की बाते मिल कर बताने वाला था लेकिन आया ही नहीं मुझे लगता हैं वह भी बाकी गुप्तचर की तरह गायब हों गया होगा।

सुकन्या छुप कर सुन रहीं थीं उसे ज्यादा तो नहीं कुछ कुछ बाते सुनाई दे रही थीं। गुप्तचर की बात सुन सुकन्या मन में ही बोली...ओ हों तो जेठ जी ने गुप्तचर रख रखे हैं लेकिन उनको गायब कर कौन रहा हैं? मुझे पूरी बाते सुननी चाहिए।

दरवाजे से कुछ आवाज सुनाई दिया इसलिए सुरभि का ध्यान दरवाजे की ओर गईं। तब सुरभि पति के मुंह पर उंगली रख चुप रहने को कहा फिर आ रही आवाज़ को ध्यान से सुनने लग गईं। हल्के हल्के चुड़िओ के खनकने की आवाज सुनाई दिया जिससे सुरभि को शक होने लग गई कोई दरवाजे पर खडा हैं। इसलिए शक को पुख्ता करने के लिए सुरभि बोली…दरवाजे पर कौन हैं? कोई काम हैं तो बाद में आना हम अभी जरूरी कम कर रहे हैं।

अचानक सुरभि की आवाज़ सुन सुकन्या सकपका गई और हिलने डुलने लग गई जिससे चूड़ियों की आवाज़ ओर ज्यादा होने लग गया। ज्यादा और स्पष्ट आवाज़ होने से सुरभि का शक यकीन में बदल गया। आवाज देते हुए सुरभि दरवाजे की ओर चल दिया। सुरभि की आवाज़ सुन सुकन्या मन में बोली...कोई छुपकर बाते सुन रहा हैं ये सुरभि को कैसे पाता चल गया। अब क्या करू भाग भी नहीं सकती। सुरभि ने पुछा तो उसे क्या जबाव दूंगी। जो भी पूछे मुझे संभाल कर जवाब देना होगा नहीं तो सुरभि के सामने मेरा भांडा फूट जायेगा।

सुरभि आ'कर दरवाज़ा खट से खोल दिया। सामने सुकन्या को खड़ी देख सुरभि बोली…छोटी तू कब आई कुछ काम था?

सुकन्या…दीदी मैं तो अभी अभी आप'से मिलने आई हूं लेकिन आप को कैसे पता चला की दरवाजे पर कोई आया हैं?

सुरभि…मुझे कैसे पाता चला ये जानकर तू क्या करेंगी ? तू बता मेरे रूम में कभी आती नहीं फिर आज कैसे आ गईं?

सुरभि की बाते सुन सुकन्या सकपका गई उसे समझ ही नहीं आ रहीं थी क्या ज़बाब दे, सुकन्या को सकपते देख सुरभि मुस्कुराते हुए बोली…आज आई हैं लेकिन गलत वक्त पर, अभी तू जा मैं तेरे जेठ जी के साथ व्यस्त हूं। तुझे बात करना हैं तो बाद में कर लेना।

फीकी सा मुस्कान लवों पे खिला न चाहते हुए भी सुकन्या चल दिया। जब तक सुकन्या रूम तक न पहुंच गई तब तक सुरभि खड़ी खड़ी सुकन्या को देख रहीं थी। सुकन्या रूम के पास पहुंचकर सुरभि की ओर देखा फ़िर रूम में घूस गई। सुरभि ने दरवजा बंद किया फिर मुस्कुराते हुए जाकर राजेंद्र के पास बैठ गई फ़िर बोली…छोटी छुप कर हमारी बाते सुन रहीं थीं इसलिए जो भी बोलना थोडा धीमे आवाज में बोलना ताकि बाहर खडे किसी को सुनाए न दे।

राजेंद्र…kyaaaaa सुकन्या लेकिन सुकन्या तो कभी हमारे रूम के अंदर तो छोड़ो रूम के आस पास भी नहीं आई फिर आज कैसे आ गई।

सुरभि…आप छोड़िए छोटी की बातों को उसके मन में क्या चलता हैं ये आप भी जानते हो और मैं भी जानती हूं। आप ये बताइए गुप्त चर ने आप'को किया बताया था। थोड़ा धीमे बोलिएगा तीसरा कोई सुन न पाए।

राजेंद्र…उसने बोला महल में से कोई मेरे और रघु के खिलाफ साजिश कर रहा हैं। मैं और रघु सतर्क रहूं।

सुरभि…महल से कोई साजिश कर रहा हैं। आप'ने उस धूर्त का नाम नहीं पुछा।

राजेंद्र…पुछा था! कह रहा था नाम के अलावा ओर भी बहुत कुछ बताना हैं, सबूत भी दिखाना हैं इसलिए फोन पर न बताकर मिलकर बताएगा।

सुरभि…अब तो वह लापता हों गया। नाम कैसे पता चलेगा?

राजेंद्र…यहीं तो समझ नहीं आ रहा। महल से कौन हों सकता हैं महल में तो हम दोनों भाई, तूम, सुकन्या हमारे बच्चे और कुछ नौंकर हैं। इनमें से कौन हों सकता हैं।

राजेंद्र से महल की बात सुन सुरभि गहन सोच विचार करने लग गई। सोचते हुए हावभाव पाल प्रति पाल बदल रहा था। सुरभि को देख राजेंद्र समझने की कोशिश कर रहा था, सुरभि इतना गहन विचार किस मुद्दे पर कर रहीं हैं। जब कुछ समझ न आया तो सुरभि को हिलाते हुए राजेंद्र बोला…सुरभि कहा खोई हुई हों?

सुरभि…आप'के कहीं बातों पर विचार कर रहीं हूं और ढूंढ रहीं हु आप के कहीं बातों का संबंध महल के किस शख्स से हों सकता हैं।

राजेंद्र…मैं भी इसी बात को लेकर परेशान हूं लेकिन किसी नतीजे पर पहुंच नहीं पाया।

सुरभि…जब आप लड़की देखने जाते थे आप अकेले जाते थे या आप के साथ कोई ओर भी होता था।

राजेंद्र…अकेले ही जाता था कभी कभी मुंशी को भी साथ ले जाया करता था। बाद में तुम्हे और रावण को बता दिया करता था।

सुरभि…ऐसा कोई करण हैं जिसका संबंध रघु के शादी से हो।

राजेंद्र…सुरभि करण है, बाबूजी का बनाया हुआ वसीयत, जिसका संबंध रघु के शादी से हैं।

सुरभि…वसीयत का संबंध रघु के शादी से कैसे हों सकता हैं। सभी संपत्ति तो बाबूजी ने आप दोनों भाइयों में बराबर बांट दिया था। फिर रघु के शादी का वसीयत से क्या लेना देना?

राजेंद्र…वसीयत का रघु के शादी से लेना देना हैं। हमारे पूर्वजों का गुप्त संपत्ति जिसका उत्तराधिकारी रघु की प्रथम संतान होगा और जो प्रत्यक्ष संपत्ति हैं उसका उत्तराधिकारी हम दोनों भाई हैं।

सुरभि...ओ तो ये बात हैं। मुझे लग रहा है अब तक जो कुछ भी हुआ, इसका करण कहीं न कहीं गुप्त संपत्ति ही हैं।

राजेंद्र…मतलब ये की कोई हमारे गुप्त संपत्ति को पाने के लिए साजिश कर रहा हैं। लेकिन गुप्त संपत्ति कहा रखा हैं ये राज मेरे आलावा कोई नहीं जनता, सिर्फ वसीयत के बारे में मैं, हमारा वकील दलाल और अब तुम जान गई हों। हम तीनों के अलावा किसी चौथे को गुप्त संपत्ति की जानकारी नहीं हैं।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏🙏
Ohhh… kyun inkaar karahe hein ladki vale Raghu ke liye rishta dene se… ohhh kissi ne saazish rachayi he… kis ne???

Ho naa ho yeh kaam Ravana aur Sukayna ka hi he… bohat mazaa aay jab Surbhi ne sharminda kar diya Sukayna ko…

Ashbut story line… atti uttam…
 
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Ravan aur Sukayna ke beech ho rahi khit phit iss baat ki or ishara karti he ke dono ki nature kitni ghatiya he… Ravana saazish ko kaamyab karne me laga huaa he…

Wow… kaya khoobsurat nok jhok he pati patni ki… Rajder ka payar apni patni ke liye aur uss se bhi badh kar uss ke liye respect… adhbut likhni… kaya shabd hein bro…

Wow kaamuk kaary ne tau aag hi laga di he poore kamre mein… atti uttam… kabhi aage badhna phir ruk jana… shabd hein kea ag ke gole… bro sach mein behtreen update…

Bahut Bahut shukriya in shvdo ke liye vrtaman me jo dikh raha hai usse to rawan aur suknya galt hi hai lekin prishthi badal bhi sakta hai.

Jaha apar prem hota hai vah bad bhibad bhi hoga.
 
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Ravan aur Sukayna ke beech ho rahi khit phit iss baat ki or ishara karti he ke dono ki nature kitni ghatiya he… Ravana saazish ko kaamyab karne me laga huaa he…

Wow… kaya khoobsurat nok jhok he pati patni ki… Rajder ka payar apni patni ke liye aur uss se bhi badh kar uss ke liye respect… adhbut likhni… kaya shabd hein bro…

Wow kaamuk kaary ne tau aag hi laga di he poore kamre mein… atti uttam… kabhi aage badhna phir ruk jana… shabd hein kea ag ke gole… bro sach mein behtreen update…

Ek hi post dubara repost ho gaya khair ye to lul network ke karan hua hoga
 
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Ohhh… kyun inkaar karahe hein ladki vale Raghu ke liye rishta dene se… ohhh kissi ne saazish rachayi he… kis ne???

Ho naa ho yeh kaam Ravana aur Sukayna ka hi he… bohat mazaa aay jab Surbhi ne sharminda kar diya Sukayna ko…

Ashbut story line… atti uttam…

Vivah me aa rahi adchan ka Karn kya hoaga yaha to aage jakar jana ja sakta hai.

Bahut bahut shukriya bro
 
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Next update post hone me ho rahi deri ke liye mujhe khed hai parantu ek shubh samachar ye hai ki next update me thoda sa kaam aur raha gaya hai. Aaj pura ho gaya to evening me post kar dunga goodnight msg ke sath anytha kal evening me hi post ho payega.
 
expectations
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Next update post hone me ho rahi deri ke liye mujhe khed hai parantu ek shubh samachar ye hai ki next update me thoda sa kaam aur raha gaya hai. Aaj pura ho gaya to evening me post kar dunga goodnight msg ke sath anytha kal evening me hi post ho payega.
:thanks:
 

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