Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Ooo.... to raghu ke sath sath yahan to pushpa ki bhi shaadi tay ho gayi ashish ke sath.....
par un chaaro ki shaadi abhi hone ka sambhaavna kam hai.... jab tak ki kamla exam nehi de deti aur udhar ashish ips clear nahi kar leta...
dusri taraf apasyu ko haan keh di dimpal ne :D
waise bhi dono abbal darze ke kamine kamini... jodi to superhit honi hai...
So ye final hua ki raghu aur kamla ke hone wale bete deep ki hone wali kamini chachi dimpal banegi :D

Udhar ravan aur sukanya ke puchne par shaadi tay hone wali baat chupa di raghu ne... :good2:
waise ek baat to sach hai.... mana ki raghu ke pita achhe insaan hai lekin uska dimag utna hi tez.... bahot aage ki soch ke kadam aage badhate hai...

Well sabhi pehlu mein sabhi arthpoorn baaton, kirdaaro bich huye vaartalaap ko aur gatividhiyo ko ek sathik gati ke sath samete huye hai update ke jariye writer sahab ne shabdon mein khoob roopantaran kiya hai. .

Bahot dilchasp update sath hi kuch arthpoorn aur manmahok kirdaaro ki bhumika bhi...

Btw comedy ka tadka bhi tha...

Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :clapping: :clapping:
Itni shandar aur motivated revo diya iske liye bahut bahut shukriya 🙏

Dono hai to ababl darje ke kameena kameeni par sochne wali bat ye hai ki hamesha aise hi badal bhi to sakte hai.

Deep ki jarurat hi kyu hai raghu hai kamla hai apashyu hai ravan hai dalal hai aur ek most important kirdar jo abhi tak entry nehi kiya hai uska aana baki hai itne sare kirdaro ke hote huye bhi deep chahiye aisa kyu 🤔
 
Eaten Alive
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Itni shandar aur motivated revo diya iske liye bahut bahut shukriya 🙏

Dono hai to ababl darje ke kameena kameeni par sochne wali bat ye hai ki hamesha aise hi badal bhi to sakte hai.

Deep ki jarurat hi kyu hai raghu hai kamla hai apashyu hai ravan hai dalal hai aur ek most important kirdar jo abhi tak entry nehi kiya hai uska aana baki hai itne sare kirdaro ke hote huye bhi deep chahiye aisa kyu 🤔
To phir nischal ko hero bana dijiye :D
Raghu aur kamla ka beta nischal :hint2:
 
E

El Professor

Update - 15

रघु ओर पुष्पा एक ही कर में थे तो पुष्पा रघु को छेड़ते हुए बोला... भईया अपने ऐसा किया बोल दिया जो भाभी जैसी खुबसूरत लड़की आप जैसे बुद्धू लड़के से शादी करने को राजी हों गई।

पुष्पा के गाल खींच रघु बोला...मैं बुद्धू हूं बोल भईया को बुद्धु बोला।

पुष्पा...हां आप हों बुद्धू एक नबर के बुद्धू हों न जानें भाभी ने किया देखकर हां बोला दिया। मुझे तो लगता हैं अपने बहला फुसला कर हां बुलवाया होगा।

रघु एक चपत पुष्पा के सिर पर लगा दिया। पुष्पा झूठा गुस्सा दिखा सिर सहलाते हुए बोली...भईया आप महारानी को गुस्सा दिला रही हों मुझे गुस्सा आ गया तो यहीं कार रुकवा कर आप'को सजा दे दूंगी।

रघु पुष्पा के सिर पर जहां चपत लगाया था वहा सहलाते हुए बोला...तेरी सजा पाने से बचने के लिय ही तो मैंने कमला को शादी करने को मना लिया। कमला हां न करती तो तू मुझे सजा देती तेरी दी सजा मैं भुगत लेता लेकिन तु मुझ'से बात न करके जो सजा मुझे देती वो मेरे लिए सब से बड़ी सजा होता।

पुष्पा...अपने सिर्फ मेरे लिए भाभी को मनाया आप मुझ'से इतना प्यार करते हों।

रघु...तुझे शक हैं तो बता दे मैं प्रूफ करके दिखा देता हूं मैं तुझे कितना प्यार करता हूं।

पुष्पा...आप को प्रूफ करने की जरूरत नहीं मैं जानती हूं मेरे दोनों भाई मुझ'से कितना प्यार करते हैं। आज अपश्यु भईया भी साथ होते तो कितना अच्छा होता।

रघु... छोटे साथ होता तो बहुत मजा आता। पुष्पा घर जा'कर छोटे, छोटी मां काका को फ़ोन करके बताना होगा।

पुष्पा...अभी नहीं बताएंगे जब हम दार्जलिंग जाएंगे तभी उन्हे surprise देंगे। आप रमन भईया को भी नहीं बताना उन्हें बताया तो आप समझ रहें हैं न क्या होगा।

रघु...बाकी सब तो ठीक है पर रमन को तो बताने दे तू जानती हैं न मैं….।

पुष्पा...हां हां मैं जानती हू आप'के लाईफ में रमन भईया ही वो शख्स हैं जिसके साथ अपने लाईफ के एक एक पल शेयर करते हों।

रघु...जब जानती हैं तो बताने दे न मेरी प्यारी बहना।

पुष्पा...ठीक हैं बता देना पर तब जब शादी की तारिक तय हों जाएं।

रघु... ठीक हैं तब तक रूक जाता हूं।

पुष्पा...भईया मैं न भाभी से आपके लिए कुछ मांग कर लाई हूं।

रघु... रघु क्या लाया? दिखा न!

पुष्पा नंबर वाला पर्चा निकलकर रघु को दिखाते हुए बोला... भईया ये देखो भाभी का नंबर।

रघु...ला दे न तू मेरी अच्छी और प्यारी बहन हैं न!

पुष्पा...Oooo Hooo मस्का पर मैं अभी नहीं देने वाली।

रघु... क्यों?

पुष्पा...पहले आप वादा करों आप मुझे आप'के शादी में जी भार कर शॉपिंग करवाओगे

रघु...बस इतना ही मैं तो तुझे पूरा मॉल खरीद कर दे दुंगा। अब तो नंबर दे दे।

पुष्पा...अभी नहीं घर चलो फिर दूंगी। अपने नंबर कहीं गिरा दिया तो मुझे नंबर मांगने फिर से भाभी के घर जाना पड़ेगा।

रघु आगे कुछ नहीं कहा ऐसे ही दोनों भाई बहन मस्तियां करते हुए घर आ गए। घर आने के बाद भी दोनों की मस्तियां जारी थीं। पुष्पा एक छोटी बच्ची की तरह कभी रघु को परेशान कर रहीं थी तो कभी पापा को तो कभी मां को, मां तोड़ा बनावटी गुस्सा दिखा डांट देती तो पुष्पा रूठ जाया करती ये देख रघु तरह तरह के सकल बना पुष्पा को मनाने लग जाता। राजेंद्र और सुरभि अपने बच्चो की हरकते देख मुस्कुराए बिन रह न सकें।

ऐसे ही समय कब बीत गया पता ही नहीं चला दिन ढल गया सांझ की बेला आ गई। तब सुरभि के कहने पर पुष्पा सुरभि और चंपा के साथ शाम के खाने की तैयारी करने चले गए। शाम के खाने के लिए तरह तरह के डिशेज़ बनाया गया सभी डिशेज़ पुष्पा ने अपने पसन्द का ख़ुद ही बनाया। समय रहते सभी तैयारी हों गया तब पुष्पा को अच्छे से तैयार होने भेज दिया गया। कुछ वक्त में आशीष और उसके घर वाले आ गए। आदर और सम्मान के साथ सत्कार किया गया। रघु को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। क्योंकि रघु को अभी तक कुछ बताया नहीं गया था। परिचय के वक्त ही रघु को सब पता चला। पहले तो रघु मन ही मन गुस्सा हुआ लेकिन बहन की खुशी को देखकर गुस्सा थूक दिया और मन में खुशी को जगह दे दिया। रघु आशीष से अकेले में बात करना चहता था इसलिए कहा... पापा क्या मैं अशीष से अकेले में बात कर सकता हूं।

सभी समझ गए। अशीष को परख कर भाई होने का फर्ज निभाना चहता हैं। इसलिए बिना किसी आनाकानी के दोनों को बात करने भेज दिया गया। आशीष को लेकर बाहर आते ही रघु के पहले सवाल ने अशीष को भौचक्का कर दिया।

रघु...तुम तो बड़े चालक निकले मेरे बहन को बहला फुसला कर अपने जल में फंसा लिया बोलो ऐसा क्यों किया तुम्हारे मन में किया चल रहा हैं।

आशीष असमंजस की स्थिति में पड़ गया। रघु के सवाल का जवाब दे तो दे क्या, अशीष रघु के हाव भाव को परखने लग गया कि रघु जानना किया चाह रहा था। कही रघु मजाक तो नहीं कर रहा हैं पर रघु का हाव भाव गंभीर देखकर अशीष समझ गया रघु मजाक नहीं कर रहा हैं। इसलिए आशीष सहज भाव और साफ लब्जो में बोला…आप मुझे डराने के तर्ज पर बोल रहे हैं तो आप एक बात जान लीजिए मैं आप'की बातो से बिल्कुल भी डर नहीं रहा हूं। मैं पुष्पा से प्यार करता हूं न की मैंने पुष्पा को बहला फुसला कर फसाया हैं। आप सोच रहे होंगे आप'के अपर धन संपत्ति पाने की लालच में, मैं पुष्पा को प्यार की जल में फसाया हैं तो आप गलत सोच रहे हैं। धन संपत्ति की हमारे पास भी कमी नहीं हैं हां आप'से काम हैं लेकिन जितना हैं हमारे लिए बहुत हैं।

आशीष की बाते सुनकर रघु अचंभित हो'कर देखता रह गया क्योंकि आशीष बातो के दौरान एक पल के लिए नज़रे नहीं चुराया नजर से नजर मिलकर बात किया, तब रघु थोडा ओर परखने के लिए बोला…चलो मान लिया तुम पुष्पा से प्यार करते हों तो क्या तुम पुष्पा को पाने के लिए अपने मां बाप को छोड़कर घर जमाई बन सकते हों।

रघु की बात सुनकर आशीष एक पल को ठिठक गया। रघु कहना किया चाहता था। कोई खुद्दार लडका कैसे घर जमाई बन सकता था ओर आशीष तो खुद्दारी की प्रतिमूर्ति हैं। वो ऐसा कैसे कर सकता था। तब आशीष मुस्कुराते हुए बोला...आप'के सवाल का जवाब थोड़े देर में दे दुंगा उससे पहले क्या आप मेरे एक सवाल का जवाब देंगे?

रघु…पूछो क्या पुछना चहते हों?

आशीष…आप'को मेरी बातो से बूरा लग सकता हैं इसलिए आप'से पहले ही माफी मांग लेता हूं। जो सवाल अपने मूझ'से पूछा वो सवाल आप पर भी लागू होता है। सुना है आप'का भी रिश्ता आज ही तय हुआ हैं। तो क्या वो लोग कहते तो आप भी घर जमाई बनने को तैयार हों जाते।

आशीष की सवाल सुनकर पहले तो रघु चाैका फिर मुस्कुरा कर बोला…मैं भला क्यों घर जमाई बनूंगा वो अगर ऐसा कहते तो मैं रिश्ता ठुकरा देता। मैं अपने मां बाप के लिए ऐसे सैंकड़ों रिश्ता ठुकरा सकता हूं।

आशीष…तो फिर मैं कैसे मां बाप को छोड़कर घर जमाई बन सकता हूं। मेरे लिए जितना जरूरी मां बाप हैं उतना ही जरूरी पुष्पा हैं। अब आप ही बताईए मैं किया करू मैं न मां बाप को छोड़ सकता हु न ही पुष्पा को।

आशीष के कहते ही रघु जान गया आशीष किस तरह का लडका हैं। जो बिना डरे बिना हिचके रघु से नजरे मिलाकर उससे बात कर रहा था। बात ही नहीं उससे उल्टा सवाल भी कर रहा था। इसलिए रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया फ़िर बोला…मैं जो कहूंगा तुम मान सकते हों।

अब तो आशीष को भी डर लगने लगा की कही रघु ये न कह दे तुम्हें पुष्पा को भूलना होगा। ये बात सोचते ही आशीष की पलके भारी हो गया और भारी पलकों से रघु की और देखते हुए बोला…कहिए मेरे बस का हुआ तो मैं जरुर मानूंगा।

रघु…मैं मेरी बहन को हमेशा खुश देखना चहता हूं। क्या तुम मुझे वचन दे सकते हों मेरी बहन को हमेशा खुश रखोगे?

रघु की कहने की देर थीं की आशीष रघु के गले मिलते हुए कहा…Thank You भईया मैं आप'को वचन देता हु पुष्पा को मैं हमेशा खुश रखूंगा आप'को कभी शिकायत का मौका नहीं दुंगा।

इसके बाद रघु ने आशीष से कुछ ओर भी बाते किया वो आगे किया करना चहता हैं। कब से दोनो का प्रेम प्रसंग चल रहा हैं। आशीष ने रघु के पूछे गए एक एक सवाल का जवाब दे दिया फिर दोनों अदंर आ गए। अदंर आते ही राजेंद्र बोला…रघु बेटा लडका कैसा हैं अच्छे से परख लिया आशीष तुम्हारे पैमाने पर खरा उतर पाया की नहीं!

रघु…..हां पापा परख लिया मेरे ओर से हां हैं। आगे की आप देख लो।

उसके बाद जा'कर सुरभी पुष्पा को नीचे ले'कर आई आशीष तो पुष्पा को देखता रह गया। पुष्पा भी कम नहीं थी आशीष की ओर देखकर एक आंख दबा दी मतलब आंख मार दिया। आशीष बस मुस्कुरा दिया। आशीष की मां शालिनी ने बोला…अरे बहन जी ये फॉर्मलेटी करने की क्या जरूरत थीं? हम तो पुष्पा बेटी से कई बार मिल चुके हैं और इन दोनो के बारे में बहुत पहले से जानते हैं। फ़िर पुष्पा से कहा आओ बेटी मेरे पास आ'कर बैठो।

राजेंद्र…मतलब की सिर्फ़ हमे ही अंधेरे में रखा गया था। पुष्पा तुमने अच्छा नहीं किया।

पुष्पा ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दिया फिर कुछ और बाते हुआ उसके बाद खाने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए राजेंद्र ने होने वाले समधी रावल से बोला…जब इन दोनों ने तय कर ही लिया हैं दोनों को साथ रहना हैं तो हम बड़े कुछ नहीं कर सकते हैं तो समधी जी बताइए शुभ मूहर्त कब निकला जाए।

रावल…हमे भी जल्दी हैं की हम अपनी बहु को घर ले जाए लेकिन अभी मुझे कुछ वक्त और Wait करना होगा क्योंकि आशीष की ips की ट्रेनिग शुरू होने वाला हैं वह से लौटने के बाद ही शुभ मूहर्त निकालकर दोनों के फेरे पड़वा देंगे।

राजेंद्र...जैसा आप कहें हम ठहरे लड़की वाले तो लड़के वाले जैसा कहेंगे मानना पड़ेगा।

रावल...न न आप बिल्कुल भी ये न समझना हम लड़के वाले हैं तो जैसा हम कहेंगे वैसा ही होगा। होगा तो वही जैसा दोनो ओर से चाहेंगे इसलिए आप बोलो आप क्या करना चाहते हों। आप अभी शादी करवाना चाहते हैं तो हम भी तैयार हैं।

राजेंद्र...मैं भी अभी बेटी की शादी नहीं करवाना चहता हूं क्यूंकि बेटे की भी शादी तय हों गया हैं तो पहले बहु घर ले'कर जाएंगे फिर बेटी विदा करेगें।

रावल... समधी जी एडवांस में बहु घर लाने की बधाई दे रहा हूं रखना हो तो रख लो नहीं तो बाद में फिर दे देंगे।

रावल की बाते सून हसी और ठहाकों का माहौल बन गया। सभी हंसते मुस्कुराते खाना खा लिए। खाना खाने के दौरान पुष्पा सभी से नजरे बचा आशीष को बहुत परेशान किया। आशीष नाराज़ होने का ढोंग करता तो पुष्पा आंखे दिखा धमका दिया करता। आशीष विचारा चुप चाप मासुका का ढाया सितम सहता रहा फिर आशीष अपने परिवार के साथ विदा ले'कर वापस लौट गया। उनके जानें के बाद यहां सब रात्रि विश्राम के लिए चले गए।

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद रघु दार्जलिंग वापस जा रहा था। वापस जानें की खबर सुन पुष्पा उदास हों गईं और बोली…..भईया कल चले जाना बस आज का दिन ओर रुक जाओ।

रघु…मैं नहीं रूक सकता वहां काम बहुत हैं। मां और पापा रूक तो रहे हैं।

पुष्पा...कहा रुक रहे हैं वो भी आज जा रहे हैं।

रघु…मां आप दोनों भी आज ही लौट रहे हों। आप दोनों को अभी जानें की जरूरत नहीं हैं पुष्पा के पेपर खत्म होने तक यहां रहिए फिर पुष्पा को साथ ले'कर आ जाना।

राजेंद्र…मैं यहां रुक गया तो तु वहां संभाल पाएगा।

रघु…हां पापा मैं संभाल लूंगा बस कुछ दिनों की तो बात हैं।

राजेंद्र...तुम कह रहे हो तो रुक जाते हैं।

पुष्पा अनमने मन से बोला…ठीक हैं।

रघु…तू खुश नहीं हैं तो मां पाप को साथ ले'कर जाता हूं।

पुष्पा…मैं खुश हूं पर आप रुकते तो ओर खुश होता।

पुष्पा को ठीक से पढ़ाई करने को कहकर रघु चल दिया। पुष्पा, राजेंद्र और सुरभी रघु को बाहर तक छोड़ने आए। रघु कार में बैठ रहा था तब राजेंद्र बोला…रघु अभी तेरे रिश्ता पक्का होने की बात किसी को बताने की जरूरत नहीं हैं। जिसको भी बताना होगा मैं बता दुंगा।

रघु हां बोलकर चल दिया। रघु के जाते ही तीनों भी अदंर चले गए। उधर अपश्यु ने डिंपल को अल्टीमेटम दिया था तो डिंपल मन नहीं बना पा रहीं थीं की उसे क्या करना चाहिए उसे अपश्यु के बारे में बहुत कुछ सुगंधा ने बताया था तो न जाने डिंपल को क्या सूजा वो अपश्यु के बारे में ओर छानबीन करने लग गई।

छानबीन करते हुए डिंपल ने अपश्यु के दोस्तों ओर दूसरे जानने वाले से अपश्यु के बारे में पूछताछ कर ओर भी बहुत कुछ पाता लगा लिया। पूछताछ के बाद डिम्पल फैसला नहीं कर पा रही थी कि अपश्यु के प्रपोजल को एक्सेप्ट करें की न करें पर इसी बीच अनुराग डिंपल से मिलने आया ओर बोला...आप'ने अपश्यु के प्रपोजल के बारे में क्या सोचा?

डिंपल...मैं तुम्हें क्यों बताऊं मैने क्या सोचा?

अनुराग...आप चाहें न बताओं लेकिन मैं जान गया हूं आप अभी तक अपश्यु के बारे में बहुत कुछ जान गए होंगे। मैं ये भी जानता हू अपश्यु हद से ज्यादा बिगड़ा हुआ हैं और ऐसे लड़के के साथ कोई भी लड़की रिलेशन में नहीं रहना चाहेगा।

डिंपल...जानते हों तो फिर पुछ क्यों रहें हों?

अनुराग...मैं पुछने नहीं आया मैं बस आप'से विनती करने आया हूं कि आप दिखावे के लिय ही सही अपश्यु के प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लीजिए।

डिंपल..मैं कोई दिखवा नहीं करने वाली माना की मैं भी दूध की धुली नहीं हूं। लेकिन मैं इतना भी बूरा नहीं हूं की अपश्यु जैसे बिगड़े हुए लड़के का प्रपोजल एक्सेप्ट करूं।

अनुराग...माना की अपश्यु बहुत बिगड़ा हुआ हैं पर कोई कितना भी बिगड़ा हुआ हों उसे सुधरा जा सकता हैं। मैं भी मेरे दोस्त को सुधरना चहता हूं। बस आप थोडी हेल्प कर देना उसके प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लेना।

डिंपल...तुम अपश्यु के लिए इतना क्यों सोच रहे हों इसमें तुम्हारा क्या फायदा हैं बिना फायदे के कोई किसी के लिय कुछ भी नहीं करता।

अनुराग...जैसे अपने खुद के फायदे के लिए बहुत से लड़कों का इस्तेमाल किया।

इतना सुन डिंपल चौक गई। ये देख अनुराग बोला...इतना चौकने की जरूरत नहीं हैं। मैं आप'के बारे में बहुत कुछ जनता हूं पर मुझे उससे कोई लेना देना नहीं हैं। मैं बस इतना चाहूंगा की इस बार अपना फायदा न देख कर किसी को सुधारने में हेल्प कर दो।

डिंपल...चलो मैने प्यार का नाटक कर भी लिया तो जिस दिन उसे पाता चलेगा उस दिन क्या होगा कुछ समझ रहें हों?

अनुराग...जैसा आप सोच रहीं हों ऐसा कुछ भी नहीं होगा। अपश्यु भाले ही सभी से बूरा बरताव करता हों। पर वो भी एक अच्छा इंसान है बस उसकी अच्छाई कहीं छुप गया हैं जिस दिन उसका अच्छाई बहार निकलकर आएगा उस दिन आप खुद उससे प्यार करने लग जाओगे।

अनुराग की बाते सून डिंपल अन्दर ही अन्दर विचार करने लग गई ये देख अनुराग बोला…बताओं तुम क्या मेरी हेल्प करोगे।

डिंपल... मुझे सोचने के लिय कुछ वक्त दो।

अनुराग...जो भी फैसला लेना बस इतना सोच कर लेना की आप'का लिया एक फैसला किसी के काम आने वाला हैं।

इतना कह अनुराग चला गया ओर डिम्पल बहुत देर तक खुद में विचार करता रहा फ़िर डिंपल भी चला गया। डिंपल भाले ही फैसला नहीं कर पा रहीं थीं पर डिंपल कॉलेज में बहुत सा वक्त अपश्यु के साथ बिताया। जो किसी को खटक रहा था इसलिए वो अपने चेला चपाटे को अपश्यु के पीछे लगा दिया और उसके पल पल की खबर उस तक पहुंचाने को कहा।

अपश्यु का दिया अल्टीमेटम का आज अखरी दिन था। इसलिए कॉलेज पहुंच कर अपश्यु अपने दल बाल के साथ डिम्पल को ढूंढने लग गया। अपश्यु के कॉलेज पहुंचते ही वह बंदा भी अपश्यु के पीछे छाएं की तरह लग गया था। अपश्यु जहां जहां डिम्पल को ढूंढने गया वो बंदा भी वहां वहां अपश्यु के पीछे पीछे गया। लेकिन डिम्पल कहीं मिला नहीं थक हर कर अपश्यु कैंटीन में आ'कर बैठ गया फिर बोला…यार दो चार कॉफी का ऑर्डर कर दे टैंशन के मारे सर फटा जा रहा हैं।

विभान...कोई ओर डिम्पल ढूंढ लेना दुनियां में लड़कियों की अकल थोड़ी न पड़ गया हैं।

अनुराग…अरे जानें दे न यार तू दूसरी लड़की ढूंढ लेना वैसे भी मुझे लगता हैं ये डिम्पल बहुत खेली खाई घट घट की पानी पिया हुआ लडक़ी हैं।

संजय…मैं तो कहूंगा हमारे यार के लिए यहीं लडक़ी सही हैं ये भी घट घट का पानी पिया हुआ हैं वो भी कई घटो में डुबकी लगा चुकी हैं। दोनों की जोड़ी मस्त जमेगा।

मनीष….क्यों दोस्त की बिना बसे घर गृहस्थी में आग लगाने पर तुला हुआ हैं पहले बस जाने दे फिर पेट्रोल डाल डाल के आग लगाएंगे।

चोरों खिली उड़ने के तर्ज पर हंस रहे थे। जिससे अपश्यु का पारा चढ़ गया। इसलिए अपश्यु नीचे झुका जूता निकला और चारों को पीटने लग गया और बोला…मैंने दोस्त नहीं सपोले पले हैं मेरा ही खा खा कर जहर बनाया और मुझ पर ही युगल रहा है। निकलो यह से कंबख्तो।

इतना पीटा इतना पीटा अपश्यु का जूता ही फट गया ओर चारों के तोबडे का नक्शा ही बिगड़ दिया। लेकिन अपश्यु रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसी वक्त डिम्पल की एंट्री होती हैं। अपश्यु को इस तरह पीटते देखकर डिम्पल रोकते हुए बोली…अरे जानू ऐसे क्यों पीट रहे हों मेरे प्यारे प्यारे देवरों को इतने भोली सकलो वाले मासूम मासूम देवरों को पीट कर नक्शा ही बिगड़ दिया।

इतना बोल डिंपल अनुराग की ओर देख इशारा किया ओर अनुराग सभी से नज़रे बचा हाथ जोड thank you बोला फिर डिंपल ने अनुराग को रिलैक्स होने का इशारा कर दिया। डिंपल को बिच बचाव में आया देख चारों डिम्पल के पीछे खड़े हों गए और एक साथ बोला…भाभी बचा लो नहीं ते ये अपश्यु हमारी खाल उधेड़ कर ढोलक बना कर आप'को गिफ्ट कर देगा।

अपश्यु…डिम्पल तुम बीच में से हट जाओ आज इन चारों की सच में खल उधेड़ दूंगा।

डिम्पल…अरे बाबा पहले बताओ इन्होंने ऐसा किया किया जो तुम इन्हे पीटे जा रहे हों रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हों।

चारों…अरे भाभी हमने आप'की थोड़ी तारीफ क्या कर दी ये अपश्यु तो भड़क गया ओर बिना दाएं बाएं देखें कब से पीटे जा रहा हैं। मर मर के हमारा नक्शा बिगड़ दिया।

अपश्यु…तारीफ कर रहे थे रुको अभी बता हूं। अब जूते से नहीं डंडे से मरूंगा।

चारों एक साथ चीखे "बचाओ भाभी नहीं तो आज हमें मार देगा" तब डिम्पल अपश्यु को रोकते हुए बोला….. अपश्यु रुक जाओ नहीं तो मैं तुम्हारा प्रपोजल ठुकरा दूंगी।

प्रपोजल ठुकरा दूंगी सुनकर अपश्यु रुक गया तब जा'कर चारों की जान में जान आया। अपश्यु के रुकते ही डिम्पल उन चारों को बोला…चलो मेरे प्यारे प्यारे देवरों निकलो यहां से जा'कर अपना ईलाज करवाओ, पैसे अपने जेब से भरना।

चारों दुम दबके भाग गया उनको जाते हुए देखकर दोनों हंसने से खुद को न रोक पाए उनकी हंसी कि गुंज केंटीन मे गूजने लग गया। हसी का पाला खत्म हुआ फिर दोनों बैठे गए तब अपश्यु बोला... कहा थे तुम, कब से ढूंढ रहा हूं।

डिम्पल…तुम्हें ऐसा किया काम पड़ गया जो मुझे ढूंढ़ रहे थे।

अपश्यू…तुम्हें नहीं पाता आज तुम्हें दिए अल्टीमेटम का आखरी दिन हैं।

डिम्पल….Oooo Nooo मैं आज मरने वाली हूं तुम्हें किसने कहा। मै तो सौ साल तक जिऊंगी और तुम्हारा सिर खाऊंगी।

अपश्यु…अपश्यु का सिर खाना इतना आसान नहीं हैं चलो बताओं तुम्हारा ज़बाब किया हैं।

डिम्पल…कौन सा ज़बाब मुझे कुछ नहीं पता।

अपश्यु...अच्छा मेरे साथ मस्करी डिम्पल मस्करी करना छोड़ों और सच सच बताओ मेरे प्रपोजल का किया हुआ।

डिम्पल…बुद्धू मैंने तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया अब चलो इस ख़ुशी में मुझे शॉपिंग करवाओ।

अपश्यु…अच्छा gf बनते ही शॉपिंग चलो तुम्हें भी पाता चल जाएगा तुम्हारा bf कितना दिल वाला हैं।

दोनों शॉपिंग करने चल दिया और नजर रखने वाला लडका भी इनके पीछे पीछे चल दिया ऐसे ही आज का दिन बीत गया शाम तक रघु दार्जलिंग पहुंच चुका गया। शाम का खाना खाते वक्त सुकन्या बोली…रघु बेटा मैंने तुम्हें कहा था ड्राइवर को साथ ले जाना फ़िर लेकर क्यों नहीं गए।

रघु...छोटी मां वो वो...।

सुकन्या...अटका हुआ सीडी क्यों बन गया आगे बोलो।

रावण...सुकन्या छोड़ो भी कभी तो उसे अंचल से निकलने दिया करों तुम और भाभी आज भी रघु को एक छोटे बच्चे की तरह ट्रीट करते हों।

सुकन्या...आप चुप चाप खाना खाओ अच्छा रघु तू बता तू कलकत्ता क्यों गया था।

रघु बहना बनते हुए...छोटी वहा एक मीटिंग था इसलिए पापा ने मुझे बुलाया था।

ऐसे ही बातें करते हुए तीनों खाना खा'कर सोनो चले गए इधर रात के दस बजे करीब अपश्यु और डिम्पल पर नजर रखने वाला लडका एक Waar में बैठा किसी का वेट कर रहा था।


आज के अपडेट में इतना ही अगले अपडेट में जानेंगे नजर रखने वाला किसका वेट कर रहा हैं। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
Toh ashish aur pushpa ka rishta bhi tay hogya. Lagta hai dono bhai behen ki shaadi ki sehnaaiya eksaath bajegi.idher woh ladka kaun hai jo Apasyu ka pichha kar raha hai dimple ki wajah se.

Kyaa yeh wahi ladka hai jo Apasyu ko kutte ki tarah dhoyegaa.
Dekhte hai aage kya hota hai.
super update... :good2:
 
Will Change With Time
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Toh ashish aur pushpa ka rishta bhi tay hogya. Lagta hai dono bhai behen ki shaadi ki sehnaaiya eksaath bajegi.idher woh ladka kaun hai jo Apasyu ka pichha kar raha hai dimple ki wajah se.

Kyaa yeh wahi ladka hai jo Apasyu ko kutte ki tarah dhoyegaa.
Dekhte hai aage kya hota hai.
super update... :good2:
New reader ka tahe dil se welcome hai aur bahut bahut shukriya 🙏

Dono bhai bahan ki shahnai alag lag hi bajega kab kaise ye aage aaane wale update me pata chlega.

Ladka kaun hai kyu najar rakh rha hai janne ke liye thoda wait karna padega.
 
D

Dhruva

Update - 15

रघु ओर पुष्पा एक ही कर में थे तो पुष्पा रघु को छेड़ते हुए बोला... भईया अपने ऐसा किया बोल दिया जो भाभी जैसी खुबसूरत लड़की आप जैसे बुद्धू लड़के से शादी करने को राजी हों गई।

पुष्पा के गाल खींच रघु बोला...मैं बुद्धू हूं बोल भईया को बुद्धु बोला।

पुष्पा...हां आप हों बुद्धू एक नबर के बुद्धू हों न जानें भाभी ने किया देखकर हां बोला दिया। मुझे तो लगता हैं अपने बहला फुसला कर हां बुलवाया होगा।

रघु एक चपत पुष्पा के सिर पर लगा दिया। पुष्पा झूठा गुस्सा दिखा सिर सहलाते हुए बोली...भईया आप महारानी को गुस्सा दिला रही हों मुझे गुस्सा आ गया तो यहीं कार रुकवा कर आप'को सजा दे दूंगी।

रघु पुष्पा के सिर पर जहां चपत लगाया था वहा सहलाते हुए बोला...तेरी सजा पाने से बचने के लिय ही तो मैंने कमला को शादी करने को मना लिया। कमला हां न करती तो तू मुझे सजा देती तेरी दी सजा मैं भुगत लेता लेकिन तु मुझ'से बात न करके जो सजा मुझे देती वो मेरे लिए सब से बड़ी सजा होता।

पुष्पा...अपने सिर्फ मेरे लिए भाभी को मनाया आप मुझ'से इतना प्यार करते हों।

रघु...तुझे शक हैं तो बता दे मैं प्रूफ करके दिखा देता हूं मैं तुझे कितना प्यार करता हूं।

पुष्पा...आप को प्रूफ करने की जरूरत नहीं मैं जानती हूं मेरे दोनों भाई मुझ'से कितना प्यार करते हैं। आज अपश्यु भईया भी साथ होते तो कितना अच्छा होता।

रघु... छोटे साथ होता तो बहुत मजा आता। पुष्पा घर जा'कर छोटे, छोटी मां काका को फ़ोन करके बताना होगा।

पुष्पा...अभी नहीं बताएंगे जब हम दार्जलिंग जाएंगे तभी उन्हे surprise देंगे। आप रमन भईया को भी नहीं बताना उन्हें बताया तो आप समझ रहें हैं न क्या होगा।

रघु...बाकी सब तो ठीक है पर रमन को तो बताने दे तू जानती हैं न मैं….।

पुष्पा...हां हां मैं जानती हू आप'के लाईफ में रमन भईया ही वो शख्स हैं जिसके साथ अपने लाईफ के एक एक पल शेयर करते हों।

रघु...जब जानती हैं तो बताने दे न मेरी प्यारी बहना।

पुष्पा...ठीक हैं बता देना पर तब जब शादी की तारिक तय हों जाएं।

रघु... ठीक हैं तब तक रूक जाता हूं।

पुष्पा...भईया मैं न भाभी से आपके लिए कुछ मांग कर लाई हूं।

रघु... रघु क्या लाया? दिखा न!

पुष्पा नंबर वाला पर्चा निकलकर रघु को दिखाते हुए बोला... भईया ये देखो भाभी का नंबर।

रघु...ला दे न तू मेरी अच्छी और प्यारी बहन हैं न!

पुष्पा...Oooo Hooo मस्का पर मैं अभी नहीं देने वाली।

रघु... क्यों?

पुष्पा...पहले आप वादा करों आप मुझे आप'के शादी में जी भार कर शॉपिंग करवाओगे

रघु...बस इतना ही मैं तो तुझे पूरा मॉल खरीद कर दे दुंगा। अब तो नंबर दे दे।

पुष्पा...अभी नहीं घर चलो फिर दूंगी। अपने नंबर कहीं गिरा दिया तो मुझे नंबर मांगने फिर से भाभी के घर जाना पड़ेगा।

रघु आगे कुछ नहीं कहा ऐसे ही दोनों भाई बहन मस्तियां करते हुए घर आ गए। घर आने के बाद भी दोनों की मस्तियां जारी थीं। पुष्पा एक छोटी बच्ची की तरह कभी रघु को परेशान कर रहीं थी तो कभी पापा को तो कभी मां को, मां तोड़ा बनावटी गुस्सा दिखा डांट देती तो पुष्पा रूठ जाया करती ये देख रघु तरह तरह के सकल बना पुष्पा को मनाने लग जाता। राजेंद्र और सुरभि अपने बच्चो की हरकते देख मुस्कुराए बिन रह न सकें।

ऐसे ही समय कब बीत गया पता ही नहीं चला दिन ढल गया सांझ की बेला आ गई। तब सुरभि के कहने पर पुष्पा सुरभि और चंपा के साथ शाम के खाने की तैयारी करने चले गए। शाम के खाने के लिए तरह तरह के डिशेज़ बनाया गया सभी डिशेज़ पुष्पा ने अपने पसन्द का ख़ुद ही बनाया। समय रहते सभी तैयारी हों गया तब पुष्पा को अच्छे से तैयार होने भेज दिया गया। कुछ वक्त में आशीष और उसके घर वाले आ गए। आदर और सम्मान के साथ सत्कार किया गया। रघु को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। क्योंकि रघु को अभी तक कुछ बताया नहीं गया था। परिचय के वक्त ही रघु को सब पता चला। पहले तो रघु मन ही मन गुस्सा हुआ लेकिन बहन की खुशी को देखकर गुस्सा थूक दिया और मन में खुशी को जगह दे दिया। रघु आशीष से अकेले में बात करना चहता था इसलिए कहा... पापा क्या मैं अशीष से अकेले में बात कर सकता हूं।

सभी समझ गए। अशीष को परख कर भाई होने का फर्ज निभाना चहता हैं। इसलिए बिना किसी आनाकानी के दोनों को बात करने भेज दिया गया। आशीष को लेकर बाहर आते ही रघु के पहले सवाल ने अशीष को भौचक्का कर दिया।

रघु...तुम तो बड़े चालक निकले मेरे बहन को बहला फुसला कर अपने जल में फंसा लिया बोलो ऐसा क्यों किया तुम्हारे मन में किया चल रहा हैं।

आशीष असमंजस की स्थिति में पड़ गया। रघु के सवाल का जवाब दे तो दे क्या, अशीष रघु के हाव भाव को परखने लग गया कि रघु जानना किया चाह रहा था। कही रघु मजाक तो नहीं कर रहा हैं पर रघु का हाव भाव गंभीर देखकर अशीष समझ गया रघु मजाक नहीं कर रहा हैं। इसलिए आशीष सहज भाव और साफ लब्जो में बोला…आप मुझे डराने के तर्ज पर बोल रहे हैं तो आप एक बात जान लीजिए मैं आप'की बातो से बिल्कुल भी डर नहीं रहा हूं। मैं पुष्पा से प्यार करता हूं न की मैंने पुष्पा को बहला फुसला कर फसाया हैं। आप सोच रहे होंगे आप'के अपर धन संपत्ति पाने की लालच में, मैं पुष्पा को प्यार की जल में फसाया हैं तो आप गलत सोच रहे हैं। धन संपत्ति की हमारे पास भी कमी नहीं हैं हां आप'से काम हैं लेकिन जितना हैं हमारे लिए बहुत हैं।

आशीष की बाते सुनकर रघु अचंभित हो'कर देखता रह गया क्योंकि आशीष बातो के दौरान एक पल के लिए नज़रे नहीं चुराया नजर से नजर मिलकर बात किया, तब रघु थोडा ओर परखने के लिए बोला…चलो मान लिया तुम पुष्पा से प्यार करते हों तो क्या तुम पुष्पा को पाने के लिए अपने मां बाप को छोड़कर घर जमाई बन सकते हों।

रघु की बात सुनकर आशीष एक पल को ठिठक गया। रघु कहना किया चाहता था। कोई खुद्दार लडका कैसे घर जमाई बन सकता था ओर आशीष तो खुद्दारी की प्रतिमूर्ति हैं। वो ऐसा कैसे कर सकता था। तब आशीष मुस्कुराते हुए बोला...आप'के सवाल का जवाब थोड़े देर में दे दुंगा उससे पहले क्या आप मेरे एक सवाल का जवाब देंगे?

रघु…पूछो क्या पुछना चहते हों?

आशीष…आप'को मेरी बातो से बूरा लग सकता हैं इसलिए आप'से पहले ही माफी मांग लेता हूं। जो सवाल अपने मूझ'से पूछा वो सवाल आप पर भी लागू होता है। सुना है आप'का भी रिश्ता आज ही तय हुआ हैं। तो क्या वो लोग कहते तो आप भी घर जमाई बनने को तैयार हों जाते।

आशीष की सवाल सुनकर पहले तो रघु चाैका फिर मुस्कुरा कर बोला…मैं भला क्यों घर जमाई बनूंगा वो अगर ऐसा कहते तो मैं रिश्ता ठुकरा देता। मैं अपने मां बाप के लिए ऐसे सैंकड़ों रिश्ता ठुकरा सकता हूं।

आशीष…तो फिर मैं कैसे मां बाप को छोड़कर घर जमाई बन सकता हूं। मेरे लिए जितना जरूरी मां बाप हैं उतना ही जरूरी पुष्पा हैं। अब आप ही बताईए मैं किया करू मैं न मां बाप को छोड़ सकता हु न ही पुष्पा को।

आशीष के कहते ही रघु जान गया आशीष किस तरह का लडका हैं। जो बिना डरे बिना हिचके रघु से नजरे मिलाकर उससे बात कर रहा था। बात ही नहीं उससे उल्टा सवाल भी कर रहा था। इसलिए रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया फ़िर बोला…मैं जो कहूंगा तुम मान सकते हों।

अब तो आशीष को भी डर लगने लगा की कही रघु ये न कह दे तुम्हें पुष्पा को भूलना होगा। ये बात सोचते ही आशीष की पलके भारी हो गया और भारी पलकों से रघु की और देखते हुए बोला…कहिए मेरे बस का हुआ तो मैं जरुर मानूंगा।

रघु…मैं मेरी बहन को हमेशा खुश देखना चहता हूं। क्या तुम मुझे वचन दे सकते हों मेरी बहन को हमेशा खुश रखोगे?

रघु की कहने की देर थीं की आशीष रघु के गले मिलते हुए कहा…Thank You भईया मैं आप'को वचन देता हु पुष्पा को मैं हमेशा खुश रखूंगा आप'को कभी शिकायत का मौका नहीं दुंगा।

इसके बाद रघु ने आशीष से कुछ ओर भी बाते किया वो आगे किया करना चहता हैं। कब से दोनो का प्रेम प्रसंग चल रहा हैं। आशीष ने रघु के पूछे गए एक एक सवाल का जवाब दे दिया फिर दोनों अदंर आ गए। अदंर आते ही राजेंद्र बोला…रघु बेटा लडका कैसा हैं अच्छे से परख लिया आशीष तुम्हारे पैमाने पर खरा उतर पाया की नहीं!

रघु…..हां पापा परख लिया मेरे ओर से हां हैं। आगे की आप देख लो।

उसके बाद जा'कर सुरभी पुष्पा को नीचे ले'कर आई आशीष तो पुष्पा को देखता रह गया। पुष्पा भी कम नहीं थी आशीष की ओर देखकर एक आंख दबा दी मतलब आंख मार दिया। आशीष बस मुस्कुरा दिया। आशीष की मां शालिनी ने बोला…अरे बहन जी ये फॉर्मलेटी करने की क्या जरूरत थीं? हम तो पुष्पा बेटी से कई बार मिल चुके हैं और इन दोनो के बारे में बहुत पहले से जानते हैं। फ़िर पुष्पा से कहा आओ बेटी मेरे पास आ'कर बैठो।

राजेंद्र…मतलब की सिर्फ़ हमे ही अंधेरे में रखा गया था। पुष्पा तुमने अच्छा नहीं किया।

पुष्पा ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दिया फिर कुछ और बाते हुआ उसके बाद खाने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए राजेंद्र ने होने वाले समधी रावल से बोला…जब इन दोनों ने तय कर ही लिया हैं दोनों को साथ रहना हैं तो हम बड़े कुछ नहीं कर सकते हैं तो समधी जी बताइए शुभ मूहर्त कब निकला जाए।

रावल…हमे भी जल्दी हैं की हम अपनी बहु को घर ले जाए लेकिन अभी मुझे कुछ वक्त और Wait करना होगा क्योंकि आशीष की ips की ट्रेनिग शुरू होने वाला हैं वह से लौटने के बाद ही शुभ मूहर्त निकालकर दोनों के फेरे पड़वा देंगे।

राजेंद्र...जैसा आप कहें हम ठहरे लड़की वाले तो लड़के वाले जैसा कहेंगे मानना पड़ेगा।

रावल...न न आप बिल्कुल भी ये न समझना हम लड़के वाले हैं तो जैसा हम कहेंगे वैसा ही होगा। होगा तो वही जैसा दोनो ओर से चाहेंगे इसलिए आप बोलो आप क्या करना चाहते हों। आप अभी शादी करवाना चाहते हैं तो हम भी तैयार हैं।

राजेंद्र...मैं भी अभी बेटी की शादी नहीं करवाना चहता हूं क्यूंकि बेटे की भी शादी तय हों गया हैं तो पहले बहु घर ले'कर जाएंगे फिर बेटी विदा करेगें।

रावल... समधी जी एडवांस में बहु घर लाने की बधाई दे रहा हूं रखना हो तो रख लो नहीं तो बाद में फिर दे देंगे।

रावल की बाते सून हसी और ठहाकों का माहौल बन गया। सभी हंसते मुस्कुराते खाना खा लिए। खाना खाने के दौरान पुष्पा सभी से नजरे बचा आशीष को बहुत परेशान किया। आशीष नाराज़ होने का ढोंग करता तो पुष्पा आंखे दिखा धमका दिया करता। आशीष विचारा चुप चाप मासुका का ढाया सितम सहता रहा फिर आशीष अपने परिवार के साथ विदा ले'कर वापस लौट गया। उनके जानें के बाद यहां सब रात्रि विश्राम के लिए चले गए।

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद रघु दार्जलिंग वापस जा रहा था। वापस जानें की खबर सुन पुष्पा उदास हों गईं और बोली…..भईया कल चले जाना बस आज का दिन ओर रुक जाओ।

रघु…मैं नहीं रूक सकता वहां काम बहुत हैं। मां और पापा रूक तो रहे हैं।

पुष्पा...कहा रुक रहे हैं वो भी आज जा रहे हैं।

रघु…मां आप दोनों भी आज ही लौट रहे हों। आप दोनों को अभी जानें की जरूरत नहीं हैं पुष्पा के पेपर खत्म होने तक यहां रहिए फिर पुष्पा को साथ ले'कर आ जाना।

राजेंद्र…मैं यहां रुक गया तो तु वहां संभाल पाएगा।

रघु…हां पापा मैं संभाल लूंगा बस कुछ दिनों की तो बात हैं।

राजेंद्र...तुम कह रहे हो तो रुक जाते हैं।

पुष्पा अनमने मन से बोला…ठीक हैं।

रघु…तू खुश नहीं हैं तो मां पाप को साथ ले'कर जाता हूं।

पुष्पा…मैं खुश हूं पर आप रुकते तो ओर खुश होता।

पुष्पा को ठीक से पढ़ाई करने को कहकर रघु चल दिया। पुष्पा, राजेंद्र और सुरभी रघु को बाहर तक छोड़ने आए। रघु कार में बैठ रहा था तब राजेंद्र बोला…रघु अभी तेरे रिश्ता पक्का होने की बात किसी को बताने की जरूरत नहीं हैं। जिसको भी बताना होगा मैं बता दुंगा।

रघु हां बोलकर चल दिया। रघु के जाते ही तीनों भी अदंर चले गए। उधर अपश्यु ने डिंपल को अल्टीमेटम दिया था तो डिंपल मन नहीं बना पा रहीं थीं की उसे क्या करना चाहिए उसे अपश्यु के बारे में बहुत कुछ सुगंधा ने बताया था तो न जाने डिंपल को क्या सूजा वो अपश्यु के बारे में ओर छानबीन करने लग गई।

छानबीन करते हुए डिंपल ने अपश्यु के दोस्तों ओर दूसरे जानने वाले से अपश्यु के बारे में पूछताछ कर ओर भी बहुत कुछ पाता लगा लिया। पूछताछ के बाद डिम्पल फैसला नहीं कर पा रही थी कि अपश्यु के प्रपोजल को एक्सेप्ट करें की न करें पर इसी बीच अनुराग डिंपल से मिलने आया ओर बोला...आप'ने अपश्यु के प्रपोजल के बारे में क्या सोचा?

डिंपल...मैं तुम्हें क्यों बताऊं मैने क्या सोचा?

अनुराग...आप चाहें न बताओं लेकिन मैं जान गया हूं आप अभी तक अपश्यु के बारे में बहुत कुछ जान गए होंगे। मैं ये भी जानता हू अपश्यु हद से ज्यादा बिगड़ा हुआ हैं और ऐसे लड़के के साथ कोई भी लड़की रिलेशन में नहीं रहना चाहेगा।

डिंपल...जानते हों तो फिर पुछ क्यों रहें हों?

अनुराग...मैं पुछने नहीं आया मैं बस आप'से विनती करने आया हूं कि आप दिखावे के लिय ही सही अपश्यु के प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लीजिए।

डिंपल..मैं कोई दिखवा नहीं करने वाली माना की मैं भी दूध की धुली नहीं हूं। लेकिन मैं इतना भी बूरा नहीं हूं की अपश्यु जैसे बिगड़े हुए लड़के का प्रपोजल एक्सेप्ट करूं।

अनुराग...माना की अपश्यु बहुत बिगड़ा हुआ हैं पर कोई कितना भी बिगड़ा हुआ हों उसे सुधरा जा सकता हैं। मैं भी मेरे दोस्त को सुधरना चहता हूं। बस आप थोडी हेल्प कर देना उसके प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लेना।

डिंपल...तुम अपश्यु के लिए इतना क्यों सोच रहे हों इसमें तुम्हारा क्या फायदा हैं बिना फायदे के कोई किसी के लिय कुछ भी नहीं करता।

अनुराग...जैसे अपने खुद के फायदे के लिए बहुत से लड़कों का इस्तेमाल किया।

इतना सुन डिंपल चौक गई। ये देख अनुराग बोला...इतना चौकने की जरूरत नहीं हैं। मैं आप'के बारे में बहुत कुछ जनता हूं पर मुझे उससे कोई लेना देना नहीं हैं। मैं बस इतना चाहूंगा की इस बार अपना फायदा न देख कर किसी को सुधारने में हेल्प कर दो।

डिंपल...चलो मैने प्यार का नाटक कर भी लिया तो जिस दिन उसे पाता चलेगा उस दिन क्या होगा कुछ समझ रहें हों?

अनुराग...जैसा आप सोच रहीं हों ऐसा कुछ भी नहीं होगा। अपश्यु भाले ही सभी से बूरा बरताव करता हों। पर वो भी एक अच्छा इंसान है बस उसकी अच्छाई कहीं छुप गया हैं जिस दिन उसका अच्छाई बहार निकलकर आएगा उस दिन आप खुद उससे प्यार करने लग जाओगे।

अनुराग की बाते सून डिंपल अन्दर ही अन्दर विचार करने लग गई ये देख अनुराग बोला…बताओं तुम क्या मेरी हेल्प करोगे।

डिंपल... मुझे सोचने के लिय कुछ वक्त दो।

अनुराग...जो भी फैसला लेना बस इतना सोच कर लेना की आप'का लिया एक फैसला किसी के काम आने वाला हैं।

इतना कह अनुराग चला गया ओर डिम्पल बहुत देर तक खुद में विचार करता रहा फ़िर डिंपल भी चला गया। डिंपल भाले ही फैसला नहीं कर पा रहीं थीं पर डिंपल कॉलेज में बहुत सा वक्त अपश्यु के साथ बिताया। जो किसी को खटक रहा था इसलिए वो अपने चेला चपाटे को अपश्यु के पीछे लगा दिया और उसके पल पल की खबर उस तक पहुंचाने को कहा।

अपश्यु का दिया अल्टीमेटम का आज अखरी दिन था। इसलिए कॉलेज पहुंच कर अपश्यु अपने दल बाल के साथ डिम्पल को ढूंढने लग गया। अपश्यु के कॉलेज पहुंचते ही वह बंदा भी अपश्यु के पीछे छाएं की तरह लग गया था। अपश्यु जहां जहां डिम्पल को ढूंढने गया वो बंदा भी वहां वहां अपश्यु के पीछे पीछे गया। लेकिन डिम्पल कहीं मिला नहीं थक हर कर अपश्यु कैंटीन में आ'कर बैठ गया फिर बोला…यार दो चार कॉफी का ऑर्डर कर दे टैंशन के मारे सर फटा जा रहा हैं।

विभान...कोई ओर डिम्पल ढूंढ लेना दुनियां में लड़कियों की अकल थोड़ी न पड़ गया हैं।

अनुराग…अरे जानें दे न यार तू दूसरी लड़की ढूंढ लेना वैसे भी मुझे लगता हैं ये डिम्पल बहुत खेली खाई घट घट की पानी पिया हुआ लडक़ी हैं।

संजय…मैं तो कहूंगा हमारे यार के लिए यहीं लडक़ी सही हैं ये भी घट घट का पानी पिया हुआ हैं वो भी कई घटो में डुबकी लगा चुकी हैं। दोनों की जोड़ी मस्त जमेगा।

मनीष….क्यों दोस्त की बिना बसे घर गृहस्थी में आग लगाने पर तुला हुआ हैं पहले बस जाने दे फिर पेट्रोल डाल डाल के आग लगाएंगे।

चोरों खिली उड़ने के तर्ज पर हंस रहे थे। जिससे अपश्यु का पारा चढ़ गया। इसलिए अपश्यु नीचे झुका जूता निकला और चारों को पीटने लग गया और बोला…मैंने दोस्त नहीं सपोले पले हैं मेरा ही खा खा कर जहर बनाया और मुझ पर ही युगल रहा है। निकलो यह से कंबख्तो।

इतना पीटा इतना पीटा अपश्यु का जूता ही फट गया ओर चारों के तोबडे का नक्शा ही बिगड़ दिया। लेकिन अपश्यु रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसी वक्त डिम्पल की एंट्री होती हैं। अपश्यु को इस तरह पीटते देखकर डिम्पल रोकते हुए बोली…अरे जानू ऐसे क्यों पीट रहे हों मेरे प्यारे प्यारे देवरों को इतने भोली सकलो वाले मासूम मासूम देवरों को पीट कर नक्शा ही बिगड़ दिया।

इतना बोल डिंपल अनुराग की ओर देख इशारा किया ओर अनुराग सभी से नज़रे बचा हाथ जोड thank you बोला फिर डिंपल ने अनुराग को रिलैक्स होने का इशारा कर दिया। डिंपल को बिच बचाव में आया देख चारों डिम्पल के पीछे खड़े हों गए और एक साथ बोला…भाभी बचा लो नहीं ते ये अपश्यु हमारी खाल उधेड़ कर ढोलक बना कर आप'को गिफ्ट कर देगा।

अपश्यु…डिम्पल तुम बीच में से हट जाओ आज इन चारों की सच में खल उधेड़ दूंगा।

डिम्पल…अरे बाबा पहले बताओ इन्होंने ऐसा किया किया जो तुम इन्हे पीटे जा रहे हों रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हों।

चारों…अरे भाभी हमने आप'की थोड़ी तारीफ क्या कर दी ये अपश्यु तो भड़क गया ओर बिना दाएं बाएं देखें कब से पीटे जा रहा हैं। मर मर के हमारा नक्शा बिगड़ दिया।

अपश्यु…तारीफ कर रहे थे रुको अभी बता हूं। अब जूते से नहीं डंडे से मरूंगा।

चारों एक साथ चीखे "बचाओ भाभी नहीं तो आज हमें मार देगा" तब डिम्पल अपश्यु को रोकते हुए बोला….. अपश्यु रुक जाओ नहीं तो मैं तुम्हारा प्रपोजल ठुकरा दूंगी।

प्रपोजल ठुकरा दूंगी सुनकर अपश्यु रुक गया तब जा'कर चारों की जान में जान आया। अपश्यु के रुकते ही डिम्पल उन चारों को बोला…चलो मेरे प्यारे प्यारे देवरों निकलो यहां से जा'कर अपना ईलाज करवाओ, पैसे अपने जेब से भरना।

चारों दुम दबके भाग गया उनको जाते हुए देखकर दोनों हंसने से खुद को न रोक पाए उनकी हंसी कि गुंज केंटीन मे गूजने लग गया। हसी का पाला खत्म हुआ फिर दोनों बैठे गए तब अपश्यु बोला... कहा थे तुम, कब से ढूंढ रहा हूं।

डिम्पल…तुम्हें ऐसा किया काम पड़ गया जो मुझे ढूंढ़ रहे थे।

अपश्यू…तुम्हें नहीं पाता आज तुम्हें दिए अल्टीमेटम का आखरी दिन हैं।

डिम्पल….Oooo Nooo मैं आज मरने वाली हूं तुम्हें किसने कहा। मै तो सौ साल तक जिऊंगी और तुम्हारा सिर खाऊंगी।

अपश्यु…अपश्यु का सिर खाना इतना आसान नहीं हैं चलो बताओं तुम्हारा ज़बाब किया हैं।

डिम्पल…कौन सा ज़बाब मुझे कुछ नहीं पता।

अपश्यु...अच्छा मेरे साथ मस्करी डिम्पल मस्करी करना छोड़ों और सच सच बताओ मेरे प्रपोजल का किया हुआ।

डिम्पल…बुद्धू मैंने तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया अब चलो इस ख़ुशी में मुझे शॉपिंग करवाओ।

अपश्यु…अच्छा gf बनते ही शॉपिंग चलो तुम्हें भी पाता चल जाएगा तुम्हारा bf कितना दिल वाला हैं।

दोनों शॉपिंग करने चल दिया और नजर रखने वाला लडका भी इनके पीछे पीछे चल दिया ऐसे ही आज का दिन बीत गया शाम तक रघु दार्जलिंग पहुंच चुका गया। शाम का खाना खाते वक्त सुकन्या बोली…रघु बेटा मैंने तुम्हें कहा था ड्राइवर को साथ ले जाना फ़िर लेकर क्यों नहीं गए।

रघु...छोटी मां वो वो...।

सुकन्या...अटका हुआ सीडी क्यों बन गया आगे बोलो।

रावण...सुकन्या छोड़ो भी कभी तो उसे अंचल से निकलने दिया करों तुम और भाभी आज भी रघु को एक छोटे बच्चे की तरह ट्रीट करते हों।

सुकन्या...आप चुप चाप खाना खाओ अच्छा रघु तू बता तू कलकत्ता क्यों गया था।

रघु बहना बनते हुए...छोटी वहा एक मीटिंग था इसलिए पापा ने मुझे बुलाया था।

ऐसे ही बातें करते हुए तीनों खाना खा'कर सोनो चले गए इधर रात के दस बजे करीब अपश्यु और डिम्पल पर नजर रखने वाला लडका एक Waar में बैठा किसी का वेट कर रहा था।


आज के अपडेट में इतना ही अगले अपडेट में जानेंगे नजर रखने वाला किसका वेट कर रहा हैं। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
ab do do shadiya hogi rajendra ke mahal me
Is Dimpal ke charitra ke bare me abhi kuch nehi kaha ja sakta.. Kuch mysterious type ki hai.. baar baar rang badalne wali ...
Ab ye aisi kyun hai iske bare me sayad aage pata chal jaye. Njar rhakne wala banda naam ka kya hai.. Sukanya apne asaliyat ke bare kab batayegi rajendra Or surbhi ko...

Bahut lajawaab update tha .. :claps:
 
Will Change With Time
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ab do do shadiya hogi rajendra ke mahal me
Is Dimpal ke charitra ke bare me abhi kuch nehi kaha ja sakta.. Kuch mysterious type ki hai.. baar baar rang badalne wali ...
Ab ye aisi kyun hai iske bare me sayad aage pata chal jaye. Njar rhakne wala banda naam ka kya hai.. Sukanya apne asaliyat ke bare kab batayegi rajendra Or surbhi ko...

Bahut lajawaab update tha .. :claps:

New reader ka tah dil se welcome hai saath hi bahut bahut shukriya 🙏🙏

Rajendra ke Mahal me abhi to philhaal ek hi shadi hogi halaki tay do hua hai.

mysterious girl dimpal ka charitr kaisa hai ye dheere dheere pata chal jayega bas aise hi saath saath chlte rahiyega.
 
Eaten Alive
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New reader ka tah dil se welcome hai saath hi bahut bahut shukriya 🙏🙏

Rajendra ke Mahal me abhi to philhaal ek hi shadi hogi halaki tay do hua hai.

mysterious girl dimpal ka charitr kaisa hai ye dheere dheere pata chal jayega bas aise hi saath saath chlte rahiyega.
Ye readers kuch zyada hi dimpal ko leke dilchaspi le rahe hai :hint2:
Kuch to baat hai dimpal mein apsyu ke saath sath readers pe bhi jaadu chala di :lol:
 
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Ye readers kuch zyada hi dimpal ko leke dilchaspi le rahe hai :hint2:
Kuch to baat hai dimpal mein apsyu ke saath sath readers pe bhi jaadu chala di :lol:
Dono ki dilchaspi alag alag hai. Kaun kis vaajah se dilchaspi le raha hai ye to apashyu aur reader bata sakta hai.🤨
 

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