Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Wonderful update. chalie man lete hai raghu ko bevakuf banaya gaya.lekin aise uspar hasna mujhe bilkul bhi acha nahi laga.
din prati din apashyu ke liye rasta ab aur kathin hone wala hai, kyu ki jab ek bura insan acha banta hai tab uske liye paristhitiya bilkul badal jati hai. ho sakta hai ke surbhi ji koi rasta dikha de .

Bahut bahut shukriya 🙏

Chaliye aap ko bura laga iss ko thoda dur kiya jaye raghu ko pushpa ne bevkoof banaya iss par koyi nehi hasa balki raghu ki bato par jo usne kaha tha ki "tabhi mujhe bahla fhoosla kar subha office bheja" ragu par hasi ki suruvat isi baat se hua tha.
 
A

Avni

Update - 41


रघु के बैठक में पहुंचते ही मां और चाची उसे देखते ही खिली उड़ने के तर्ज पर हंसने लग गई। सिर खुजाते हुए रघु भी जाकर बैठ गया। रघु के बैठते ही मां और चाची का खिलखिलाकर हंसना तेज और तेज होता गया। रघु बस सिर खुजाते हुए मां और चाची को हंसते हुए देखता रहा। अचानक रघु को न जानें किया सूझा रघु भी खिलखिलाकर मां और चाची के साथ ताल से ताल मिलाकर हंसने लग गया। कुछ देर तक तीनों जी भारकर हंसा फिर सुरभि बोली... रघु तूझे किया हुआ बेवजह हंसता ही जा रहा हैं। बावला तो न हों गया।

सुरभि के बोलते ही एक बार फिर से तीनों खिलखिलाकर हंस दिया। सुकन्या किसी तरह खुद पर काबू पाया फिर बोली... रघु हम हंस रहे हैं उसके पीछे वजह हैं पर तू क्यों बावलों की तरह हंसा जा रहा हैं।

छोटी मां की बाते सूनकर रघु खुद को काबू में लाया फ़िर बोला…छोटी मां हंसने के लिए कोई वजह नहीं चाहिए होता हैं फिर भी आप जानना चाहती हों तो, सुनो आप दोनों जिस वजह से हंस रही थीं मेरे भी हंसने की वजह वहीं हैं।

सुरभि...तू भी न raghuu ख़ुद पर कोई हंसता हैं। तू तो सच में वाबला हों गया हैं।

सुकन्या... रघु वाबलापन की हद होती हैं। इतना भी क्या बावला होना कि खुद की खिली खुद ही उड़ाई जाएं।

रघु... छोटी मां मैं कौन सा बहार वालों के सामने ख़ुद की खिली उड़ा रहा हूं। आप दोनों मेरी मां हों मां के सामने ख़ुद की खिली उड़ने में हर्ज ही किया हैं।

पुष्पा और कमला तक भी इन तीनों के खिलखिलाने की आवाज़ पहूंच गया तो दोनों जल्दी जल्दी बैठक में आ गए। सुरभि और सुकन्या में से कोई कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा भौंहे हिलाते हुए बोली...किस बात पर इतनी खिलखिलाई जा रहीं हैं सास नहीं हैं इसका मतलब ये थोडी की खिलखिलाकर जमाने को सुनाई जाए। दादी भी न ऊपर जाने की इतनी क्या जल्दी थी। गई तो गई जानें से पहले, अपने दोनों बहुओं को अच्छे से टाईट दे जाती पर नहीं वो तो अपने दोनों बहुओं को सिर चढ़कर रखती थीं अब देखो नतीजा शर्म लिहाज भुलकर बत्तीसी फाड़ हंसी हंसकर जमाने को सूना रही हैं।

पुष्पा की बाते सूनकर सुरभि और सुकन्या कुछ पल के लिए रूक गईं पर पुष्पा के बोलने की अदा देखकर फिर से हंस दिया और सुरभि उठते हुए बोली…मेरी सास की बुराई करती है। रूक तूझे अभी बाती हूं मेरी सास कैसी थी।

मां को उठते देखकर पुष्पा बोला...जरूरत नहीं हैं उठने की जब देखो मेरे कान के पीछे ही पड़ी रहती हों। मेरी कान उमेठ उमेठ कर इतनी लंबी कर दिया क्या ही बताऊं कितनी लंबी कर दिया।

बेटी की बाते सूनकर सुरभि मुस्कुरा दिया फ़िर बैठ गईं। कमला रघु को पानी देकर सामने जाकर बैठ गई। रघु पानी पीकर कुछ देर बैठा रहा फ़िर रूम में चल दिया। रघु को जाते देखकर कमला बोली...आप'के कपड़े निकलकर बेड पर रख दिया हैं हाथ मुंह धोकर वही पहन लेना।

रघु बस मुस्कुराकर देखा ओर चला गया। एक बार फिर से घर की चारों महिलाएं बातों में रम गई किंतु इस बार बातों का मुद्दा कुछ ओर ही था।

सुरभि...बहु कल जब तक पूजा न हों जाएं तब तक तुम्हें और रघु को उपवास रखना हैं। ना कुछ खाओगी न कुछ पियोगी साथ ही खुद पर थोड़ा संयम भी रखोगी समझ गए, मैंने किया बोला।

कमला सभी बाते समझ गई पर संयम की बात समझने के लिए दिमाग पर जोर दिया तब उसे समझ आया कि संयम किस लिए रखने को कहा जा रहा हैं तो शर्माकर सिर झुका लिया फिर बोली... जी मम्मी जी समझ गई आप कहना क्या चाहती हों।

सुकन्या...दीदी पूजा में बहुत टाईम लगने वाला हैं इसलिए हमे कल जितना जल्दी हों सके निकला होगा।

सुरभि...हां सुबह हम जल्दी ही निकलेंगे। फिर कमला से बोली...बहु कल तुम दुल्हन के जोड़े में सुबह जल्दी से तैयार हों जाना मुझे कहना न पड़े।

कमला... जी मम्मी जी।

इसके बाद कुछ और बातें होती हैं। बातों बातों में रात हों गई। रात का खाना खाकर सभी अपने अपने रूम में चले गए। रघु कुछ ज्यादा ही उतावला होंने लगा। इसलिए कमला से लिपटा झपटी करने लग गया। कमला उसे रोकने लगी खुद से दूर करने की जतन करने लगीं पर रघु मान ही नहीं रहा था। तब कमला बोली...बस आज भार रूक जाओ न।

रघु...क्या हुआ कमला कोई परेशानी हैं जो तुम मुझे रोक रहीं हों। क्या तुम्हारा मन नहीं हैं।

कमला...मन हैं पर कल पूजा है इसलिए मम्मी जी ने संयम रखने के लिए कहा हैं।

रघु...Ooo ये बात हैं तो तुम मुझे पहले ही बता देती मैं तुम्हें इतना परेशान न करता।

इतना कहाकर रघु कमला को बाहों में भारकर लेटने लगा तो कमला फ़िर से बोली...नहीं नहीं ऐसे नहीं आज हम अलग अलग सोएंगे।

रघु...कमला तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं की मैं ख़ुद पर संयम रख पाऊंगा।

कमला...आप पर पूरा भरोसा हैं। खुद पर नहीं कही मैं बहक न जाऊ इसलिए ऐसा कहा आप बूरा न माने।

रघु...मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा जिससे तुम बहक जाओ समझी अब चुप चाप सो जाओ।

इतना कहकर कमला का सिर छीने पर रखकर कमला के इर्द गिर्द बाहों का हार डाल दिया। कमला कुछ वक्त तक रघु के आंखों में देखती रहीं फिर आंखें बन्द कर लिया। कमला के माथे पर एक चुम्बन अंकित कर रघु भी आंखें बन्द कर लिया। कुछ वक्त में दोनो पति पत्नि चैन की नींद सो गए।

इधर अपश्यु बेचैन सा बार बार डिम्पल को कॉल किए जा रहा था पर डिंपल है की कॉल रिसीव ही नहीं कर रहीं थीं। थक हरकर कॉल करना छोड़ दिया फ़िर बेड पर लेट गया। नींद आ नहीं रहा था। बेचैनी सा होना लगा। बैचैनी का करण डिंपल थीं। डिंपल से बात नहीं हों पाया इस पर सोचते हुए खुद से बोला... डिंपल को हो किया गया फ़ोन क्यों नहीं उठा रहीं हैं। इतना भी कोई रूठता हैं की बात ही न करें, मेरी तो फिक्र ही नहीं हैं बात करने को तड़प रहा हूं और डिंपल बात करने को राजी ही ना हों रही हैं।

इतना बोलकर अपश्यु एक गहरी सांस लिया फ़िर बोला…मैं क्यों इतना तड़प रहा हूं पहले तो कभी किसी लड़की से मिलने बात करने के लिए इतना नहीं तड़पा फ़िर डिंपल से बात करने को इतना क्यों तड़प रहा हूं। कहीं मैं….।

इतना बोलकर अपश्यु रूक गया आगे आने वाले शब्दों को सोचकर मंद मंद मुस्कुरा दिया फ़िर बोला...कहीं मुझे डिंपल से प्यार तो न हों गया। Haaa शायद मुझे डिंपल से प्यार हों गया होगा।

इतना बोलकर अपश्यु के लवों पर आ रही मंद मंद मुस्कान ओर गहरा हों गया। बगल में रखा तकिया उठाकर छीने से चिपका लिया फिर इधर उधर अलटी पलटी लेने लग गया। अलटी पलटी लेते हुए डिंपल से हुई मुलाकात से लेकर डिंपल के साथ बिताए एक एक पल को याद करने लग गया।

डिंपल के साथ बिताए उन पलों को याद करने के दौरान अपश्यु वाबलो की तरह मुस्कुराए जा रहा था। एकाएक न जानें क्या याद आ गया। मंद मंद मुस्कान लवों से गायब हों गया और गंभीर भाव चेहरे पर आ गया। गम्भीर भाव चेहरे पर लिए अपश्यु खुद से बोला...मुझे डिंपल से प्यार हों गया तो क्या डिंपल भी मुझसे प्यार करने लगीं हैं। कैसे पता करु कुछ समझ नहीं आ रहा है। आगर डिंपल भी मुझसे प्यार करने लगीं हैं तो जब उसे पता चलेगा की मैं कितना बूरा लड़का हैं तब किया करेंगी क्या मुझे दुत्कार देगी या मुझे अपना लेगी। हे प्रभो ये किस उलझन में फस गया हूं। पहले से क्या कम उलझन थी जो एक ओर उलझन आकर खडा हों गया क्या करूं कौन सी उलझन पहले सुलझाऊ। साला लाईफ भी अजीब ही मोड़ पर आकर खडा हों गया हैं। जब बूरा काम करता था तो कोई उलझन नज़र नहीं आया जब से सही रस्ते पर चलना शुरू किया तभी से उलझन ही उलझन दिखाई दे रहा हैं। इतनी उलझन कैसे सुलझाऊं।

इतनी बाते खुद से कहाकर अपश्यु उठकर बैठ गया। कुछ देर बैठा रहा बैठें बैठे अपने किए दुष्कर्म को याद करने लग गया। जितना याद करता जा रहा था उतना ही उसे लग रहा था जैसे अलग अलग आवाजे सुनाई दे रहा हों कोई आवाज कह रहा है...मलिक मुझे जानें दो क्यों मुझे बर्बाद कर रहें हों मैं आप'की बहन जैसी हूं। छोड़ दो ऐसा न करों मैं किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहूंगी।

फिर एक आवाज अपश्यु को सुनाई दिया जो उसे खुद की आवाज जैसा लगा जो दानवीय हंसी हंसकर बोला...haaaa haaa haaaa तू और मेरी बहन तू मेरी बहन नहीं हैं एक साधारण लड़की हैं जो सिर्फ और सिर्फ एक खिलौना हैं और कुछ नहीं आज मैं इस खिलौना से जी भरकर खेलूंगा।

फिर अपश्यु को एक दर्दनाक चीख सुनाई दिया इसके बाद तो मानो अपश्यु को सिर्फ दर्दनाक चीखे और दनवीय हंसी सुनाई देने लग गया। एक के बाद एक मरमाम चीखे बढ़ता और बढ़ता जा रहा था। जितनी चीखे बढ़ रहा था उतनी ही दानवीय हंसी बढ़ता हुआ सुनाई देने लगा। अपश्यु इन आवाज़ों को सहन नहीं कर पाया और सिर पकड़कर बैठ गया।

सिर में दर्द असहनीय होने लगा शायद इतना सिर दर्द कभी अपश्यु ने महसूस ही न किया होगा। अपश्यु को लग रहा था जैसे कोई नुकीला चीज से सिर में तेज तेज बार किया जा रहा हों। जब सिर दर्द सहन सीमा को पार कर गया तब अपश्यु दोनों हाथों से सिर को पकड़कर इतने ताकत से दबाया। कोई नर्म चीज होता तो पिचक गया होता। बरहाल बहुत वक्त तक अपश्यु सिर में हों रहें असहनीय दर्द को आंसु बहाते हुए बर्दास्त करता रहा फ़िर धीरे धीरे दर्द थोड़ा कम हुआ। तब अपश्यु उठकर बेड के बगल में रखा मेज का दराज खोलकर एक डब्बा निकलकर एक टेबलेट गले से नीचे उतरा फिर पानी पीकर लेट गया। कुछ वक्त इधर उधर करवट बदला फिर स्वतः ही नींद की वादी में खो गया।

महल में किसी को जानकारी नहीं हुआ अपश्यु बंद कमरे में किन परिस्थितियों से गुजरा, ख़ुद से लड़ा फिर एक टेबलेट लेकर चुप चाप बिना आवाज किए सो गया।

भोर के समय कमला नींद से जागी तो देखा जैसे रात में पति के छीने पर सिर रखकर सोई थी वैसे ही सोकर पूरी रात गुजार दिया। मंद मंद लुभानी सी मुस्कान से मुस्कुराकर रघु के बाहुपाश से खुद को आज़ाद किया फिर उठकर बैठ गई। कुछ देर रघु के चेहरे को एकटक देखती रहीं फ़िर अचानक रघु के चेहरे पर झुका खुद के होंठों को रघु के होंठो के पास लेकर गई ओर रूक गई। कुछ देर रुकी रहीं फ़िर होंठो की दिशा को बदलकर रघु के गाल पर एक किस्स करके झटपट उठ गई।

अलमारी से कपड़े निकलकर बॉथरूम में घुस गई। दैनिक क्रिया करके कुछ वक्त में बॉथरूम से बहार निकलकर आई फ़िर रघु को आवाज़ दिया…ओ जी उठो न सुबह हों गई हैं।

रघु बस थोड़ा सा हिला फिर करवट बदलकर वैसे ही पड़ा रहा। एक बार फिर से कमला ने रघु को तेज तेज हिलाते डुलाते हुए आवाज दिया। तब रघु कुनमुनते हुए बोला...क्या हुआ कमला सोने दो न बहुत नींद आ रहा हैं।

कमला...नहीं बिल्कुल नहीं जल्दी से उठकर तैयार हों जाइए। हमे आज कुलदेवी मंदिर जाना हैं। तैयार होने में लेट हों गए तो मम्मी जी आप'को और मुझे बहुत डाटेंगी। क्या आप चाहते है मैं आप'की वजह से, मम्मी जी से डांट सुनूं तो ठीक है आप सोते रहो।

कमला की इतनी बाते सुनकर रघु अंगड़ाई लेते हुए उठकर बैठ गया फ़िर बोला...कमला मैं कभी ऐसा होने नहीं दुंगा की तुम्हें मेरे करण मां या किसी ओर से डांट सुनना पड़े।

कमला एक खिला सा मुस्कान चेहरे पर सजाकर बोली... जाइए फिर जल्दी से फ्रेश होकर नहा धोकर आइए।

रघु तुरंत उठा ओर बॉथरूम में घूस गया। कमला रघु के कपड़े निकलकर बेड पर रख दिया फिर दुल्हन का जोड़ा निकलकर तैयार होने लग गई। कमला तैयार हों ही रही थी की बहार से एक आवाज़ आई... बहु उठ गई की नहीं!

बहार से आवाज़ देने वाली सुरभि थी। सास की आवाज़ सुनकर कमला बोली...जी मम्मी जी उठ गई। तैयार हों रही हूं।

सुरभि…ठीक हैं जल्दी से तैयार होकर नीचे आओ।

कमला... मम्मी जी मैं लगभग तैयार हों गई हूं आप'के बेटे के तैयार होते ही हम आ जाएंगे।

सुरभि ठीक है कहाकर चली गई। कुछ देर में रघु बॉथरूम से निकलकर आया। कमला को दुल्हन के लिवास में तैयार देखकर रघु बोला...Oooo कमला दुल्हन की लिवास में तुम इतनी खुबसूरत लगती हों मेरा मन करता हैं बस तुम्हें देखता ही रहूं।

इतना बोलाकर रघु एकटक कमला को निहारने लग गया। कुछ वक्त तक रघु को देखने दिया फ़िर कमला बोली…मुझे देखकर मन भार गया हों तो जल्दी से तैयार हों लीजिए मम्मी जी बुलाकर गए हैं देर हों गई तो डांट पड़ जाएगी।

रघु धीरे से बोला...बीबी परम सुंदरी मिला है पर जी भरके देखने भी नहीं देती।

कमला... क्या बोला जरा तेज आवाज़ में बोलिए।

रघु... मैंने कह कुछ बोला मैंने तो कुछ बोला ही नहीं लगाता है तुम्हारे कान बज रहा हैं।

इतना बोलकर रघु तैयार होने लग गया। कमला बस मुस्कुराती रह गई। बरहाल कुछ वक्त में रघु तैयार हो गया फिर दोनों बहार आ गए। निचे लगभग सभी तैयार हों गए थे। जो रह गए थे उनके आते ही पुष्पा बोली... मां मैं भईया और भाभी के साथ जाऊंगी।

अपश्यु को न जानें किया सूजा उसने बोला...बड़ी मां क्या मैं आप'के साथ जा सकता हूं।

सुरभि... ठीक हैं चल देना अब हमे चला चाहिए।

सुरभि के बोलते ही सभी अपने अपने तय कार में बैठ गए। एक कार में रघु , कमला और पुष्पा बैठ कर चल दिया। दूसरी कार में सुरभि अपश्यु के साथ पीछे बैठी और राजेंद्र सामने की सीट पर बैठकर चल दिया। तीसरी कर में रावण और सुकन्या बैठ गई। सुकन्या रावण से दूरी बनाकर बैठ गई। एक के पीछे एक कार चल दिया।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏
Fabulous update dear, logo ke muh se kai bar suni thi ye bat aaj padh bhi li aur ahsas bhi ho gaya. pachtave ki aag me insan andar hi andar dhadakta hai. kie gaye galtia bar bar yad ati hai. sare chain, sukun, santi chin jati hai . apashyu ki halat bhi iss alag nahi. wo har bat ko sochke tadap raha hai. ab waqt a gaya hai ke wo sabhi bate kisise share kare. joh use sahi rasta dikha sake.
 
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Fabulous update dear, logo ke muh se kai bar suni thi ye bat aaj padh bhi li aur ahsas bhi ho gaya. pachtave ki aag me insan andar hi andar dhadakta hai. kie gaye galtia bar bar yad ati hai. sare chain, sukun, santi chin jati hai . apashyu ki halat bhi iss alag nahi. wo har bat ko sochke tadap raha hai. ab waqt a gaya hai ke wo sabhi bate kisise share kare. joh use sahi rasta dikha sake.

Bahut bahut shukriya 🙏

Pachhtavaa vo agni hai jisme jalkar inshan apne karmo se mukti pata hai.kya apashyu ka jurm itna kam hai jo sirf pachshtave se hi bhar jayegaa dekhte hai aage kiya hota hai.
 
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Dear readers mera likha halhi ke kuch Update 2000 se 2200 words ke bich hai. Mai ye jana chata hoon aage bhi itne hi word's ka update dena chahiye ya phir word's ko kaam ya jayada karke update ki size ko chota ya bada kar dena chaiye.

Sabhi Readers se binti hai apna sahi sujhav jarur de.
update size aisa ho na to bahut chota ho aur na hi bahut Jada bada ho jaise 10k words I think 5k words behtar hota hai
 

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