Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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Update - 44


बेटी की शादी को अभी मात्र चार ही दिन हुआ था। इतने काम दिनों में बेटी के प्रति ससुराल वालों की लगाव उसके खुशियों का ध्यान रखने की बात सुनकर महेश मन ही मन गदगद हो उठा। महेश को लग रहा था। उसका समधी राजेंद्र सही कह रहा हैं। उसे सिर्फ और सिर्फ बेटी की खुशी को ही देखना चाहिए। रहीं बात समाज के कायदे कानून कि तो न जानें ऐसे कितने कायदे कानून समाज ने बनाया फ़िर बाद में तोड़ भी दिया।

महेश विचारों में खोया हुआ था। तो कोई प्रतिक्रिया न पाकर राजेंद्र बोला...महेश बाबू क्या हुआ आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे हों। किन ख्यालों में खोए हुए हों।

अचानक कान के पास आवाज़ होने से कुछ क्षण को महेश अचकचा गया। रिसीवर हाथ से छुट गया जब तक रिसीवर जमीन से टकराता तब तक महेश खुद को संभालकर रिसीवर को पकड़ लिए फ़िर कान से लगाकर बोला... राजेंद्र बाबू मैं आप'की कही हुई बातो पर विचार कर रहा था। मेरे विचार से मुझे आप'का निमंत्रण स्वीकार कर लेना चाहिए।

राजेंद्र...अपने बिल्कुल सही विचार किया हैं। आप दोनों समय से आ जाना मुझे दुबारा न कहना पड़े। और हा बहु को पाता न चले की आप दोनों आ रहे हों। मैं बहु को सरप्राइस देखकर उसकी खुशी को दुगुनी करना चाहता हूं।

राजेंद्र की बाते सुनकर महेश के लवों पर मुस्कान आ गया मुस्कुराते हुए महेश बोला…ठीक है राजेंद्र बाबू जैसा अपने कहा वैसा ही होगा। हम पार्टी से एक दिन पहले ही आ जाएंगे।

राजेंद्र... ठीक है अब रखता हूं।

मनोरमा और शालू नजदीक ही थे तो दोनों ने राजेंद्र और महेश के बीच हुई बात चीत सुन लिया था। बेटी के ससुराल से निमंत्रण आया ये जानकर मनोरमा को बेटी से मिलने की चाह तीव्र हों गई पर महेश के आनाकानी करने से मनोरमा को अपनी चाहत अधूरी रहने का डर सताने लगा । किन्तु जब महेश ने हां कहा तब मनोरमा ने एक गहरी सांस लिया फ़िर मुस्कुरा दिया।

महेश फ़ोन रखकर दोनों के पास आने को पलटा तो मनोरमा के खिले और मुस्कुराते चहरे को देखकर स्वत‌: ही उसके चहरे पर मुस्कान आ गया। मुस्कुराते हुए पास आकर बैठा फ़िर बोला... मनोरमा बेटी के ससुराल जाना हैं। जानें की तैयारी तुम अभी से शुरू कर दो।

मनोरमा... तैयारी तो मैं कर ही लुंगा। आप मुझे इतना बता दीजिए आप इतनी आनाकानी क्यों कर रहे थें। जिस बेटी को हमने पैदा किया उसकी खुशी का हमसे ज्यादा उनको ख्याल हैं जिनके घर में बहु बनकर गए अभी कुछ ही दिन हुआ हैं।

महेश... मनोरमा तुम जानते बूझते हुए भी ऐसी बाते कर रहे हों। मनोरमा हमे समाज में सभी के साथ रहना हैं। सभी को साथ लेकर चलना हैं। समाज के बनाए नियमों के विरूद्ध मैं कैसे जा सकता हूं।

मनोरमा...मुझे समाज के नियम कायदे से कुछ लेना देना नहीं हैं। मुझे मेरी बेटी के घर जाना हैं। मुझे जानें से आप या आप'का समाज कोई नहीं रोक सकता।

महेश… समाज के रोकने से मैं भी नहीं रूकने वाला न ही मैं तुम्हें रोकूंगा अब हमारा जब भी मन करेगा हम कमला से मिलने उसके ससुराल जाते रहेगें।

जब मन करे तब बेटी से मिलने जा सकती हैं। ये बातें सुनते ही मनोरमा के चेहरे पर लुभानी मुस्कान आ गई। मनोरमा को मुस्कुरते देख महेश भी मुस्कुरा दिया। बगल में बैठी शालू दोनो के हाव भाव को देख रहीं थीं। दोनों को खुश देखकर शालू भी मंद मंद मुस्कुरा दिया फ़िर अचानक शालू की चेहरे का भाव बदल गई। बदला हुआ भाव चेहरे पर लेकर शालू बोली...अंकल आंटी क्या मैं भी आप'के साथ जा सकती हूं। कमला से मिलने का मेरा भी मान कर रहा है।

मनोरमा...शालु बेटी ये तो अच्छी बात है तुम कमला से मिलने जाना चाहती हों पर क्या तुम्हारे पापा इतने दूर दर्जलिंग जानें देंगे।

महेश...हां बेटी तुम जानती हो की तुम्हारे पापा कैसे है। मुझे नहीं लगाता अनुकूल जी तुम्हें जानें देंगे।

शालु…अंकल आंटी आप दोनों उनसे बात करेंगे तो पक्का पापा जी जानें देगें। क्या आप दोनों अपने इस बेटी के लिए इतना नहीं कर सकते।

शालु के बातों का कोई भी उत्तर मनोरमा या महेश दे पाता उससे पहले ही किसी ने दरवाजा पीट दिया। महेश उठकर दरवाजा खोलने गया और मनोरमा बोली... बेटी तुम्हारी मां जयंती की तरह तुम्हारी बाप की सोच नहीं हैं जो हमारे कहने से तुम्हारा बाप हमारा कहना मानकर तुम्हें हमारे साथ भेज देगा। फ़िर भी मेरे इस बेटी के लिए हम तुम्हारे बाप से बात करने को तैयार हैं। हम सिर्फ बात कर सकते हैं। जानें देना न देना ये तो अनुकूल जी बताएंगे।

महेश जाकर दरवाजा खोला सामने चंचल खड़ी थीं। चंचल को देखकर महेश बोला…कैसी हों चंचल बेटी आओ अंदर आओ.

चंचल... मैं ठीक हूं अंकल। आप कैसे है।

महेश:- मैं ठीक हूं।

इतना बोलकर महेश और चंचल अंदर आ गए फ़िर बैठक की और चल दिया। मनोरमा की बाते सुनकर शालू बोली...आंटी मैं नहीं जानती आप कैसे पापा को मनाएंगे मैं बस इतना ही जानती हूं की मुझे आप के साथ जाना हैं तो जाना हैं।

"शालु तू कहा जाना चाहती हैं और तेरे पापा से क्या बात करनी हैं।" इतना बोलते हुए चंचल शालू के पास जाकर बैठ गई। चंचल को आया देखकर मनोरमा बोली... चंचल शालू हमारे साथ दार्जलिंग जाना चाहती है पर….।

मनोरमा की बाते बीच में काटकर चंचल बोली...आंटी कब जा रहे हो मुझे भी जाना हैं। Pleaseeee मुझे भी साथ ले चलना मुझे भी कमला से मिलना है।

मनोरमा...अगले हफ्ते जाना है। तुम भी चल देना। तुम जाओगी तो कमला को बहुत अच्छा लगेगा।

शालु...aachchaaaa चंचल के जाने से कमला को अच्छा लगेगा तो किया मेरे जानें से कमला को बूरा लगेगा मैं भी उसकी सहेली हूं। मेरे जानें से भी उसे ख़ुशी मिलेंगी।

मनोरमा... हां हां तुम्हारे जानें से भी कमला को खुशी होगी। आखिर तुम दोनों ही उसके सब से ख़ास सहेली हों।

चंचल…शालु तू जाना तो चाहती है लेकिन जाएंगी कैसे...।

चंचल की बात बीच में काट कर शालू बोली... जैसे तू अंकल आंटी के साथ जाएंगी वैसे ही मैं भी अंकल आंटी के साथ जाऊंगी।

चंचल...कैसे जायेगी का मतलब ये नहीं की तू अकेली जाएंगी बल्कि मेरे कहने का मतलब है क्या तूझे तेरे घर से जानें की प्रमीशन मिल जाएंगी। मेरी बात अलग हैं मुझे अंकल आंटी के साथ जानें की प्रमीशन मिल जाएगा कोई और होता तो शायद मुझे प्रमीशन नही मिलता लेकिन तेरा मामला उल्टा हैं।

शालु... वहीं बात तो मैं आंटी से कह रही थीं लेकिन तु बीच में आ टपकी। आंटी आप दोनों पापा से बात करों न मुझे भी जाना हैं। मैं नहीं जा पाई तो सोच लो आप तीनों को भी जानें नहीं दूंगी।

चंचल... कैसे जानें नहीं देगी अजीब जबरदस्ती हैं। तू नही जा पाएगी तो किया हम भी न जाएं। नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं होगा हम तो जाएंगे ही। क्यों आंटी मैंने सही कहा न।

शालु... क्या सही कहा हा बोल क्या सही कहा तू मेरी अच्छी सहेली बिल्कुल नहीं हैं। अच्छी सहेली होती तो मुझे साथ लिए बिना जाती नहीं तूझसे अच्छी तो कमला हैं कम से कम मेरा साथ तो देती हैं।

दोनो को आपस में तू तू मैं मैं करते देखकर महेश बोला... अच्छा अच्छा अब तुम दोनो आपस में न लडो मैं खुद अनुकूल जी से बात करूंगा और जैसे भी हो शालू का हमारे साथ चलने की प्रमीशन मांग लुंगा।

चंचल... हां अंकल कुछ भी करके शालू के पापा से प्रमीशन ले लेना नहीं तो ये ज़िद्दी शालू हम में से किसी को जानें नहीं देगी।

शालु... मैं जिद्दी हूं तो तू किया है बोल!

मनोरमा... तुम दोनों फ़िर से शुरू हों गई अब बस भी करों कोई जिद्दी नहीं हों

चंचल…सूना आंटी ने किया कहा मैं jiddiiii nahiiii honnn ।

शालु... हां हां सूना हैं आंटी ने कहा मैं jiddiiii nahiiii honnn।

इतना बोल दोनों खिलखिलाकर हंस दिया। कुछ ओर वक्त तक दोनों रुके रहे फिर अपने अपने घर को चले गए। दोनों के जानें के बाद महेश और मनोरमा अपने अपने दिन चर्या में लग गए।

उधर दार्जलिंग में राजेंद्र अपने समधी से बात करने के बाद सुरभि को सक्त हिदायत दिया की बहु को भनक भी नहीं लगना चाहिए की उसकी मां बाप शादी के रिसेप्शन पर आ रहे है। उसके बाद राजेंद्र कुछ काम का बोलकर चला गया।

महल में बचे लोग अपने अपने काम को करने में लगे हुए थे। अपश्यु ने रूम में जाकर डिंपल को कॉल लगाया एक दो रिंग बजने के बाद डिम्पल ने कॉल रिसीव किया कॉल रिसीव होते ही अपश्यु बोला... मेरे न आने से तुम इतना नाराज़ हो गई कि मुझसे बात ही नहीं करना चाहती हों। इतना गुस्सा क्यों पहले जान तो लेती मैं तुमसे मिलने क्यों नहीं आ पाया।

डिंपल... न हेलो न हाय सीधा सवालों की बौछार कर दिया। ये क्या बात हुई भाला।

अपश्यु... अच्छा हैलो डिंपल कैसे हों मेरी जान तुम्हे कोई दिक्कत तो न हैं।

डिंपल…hummm जान सुनने में कानों को अच्छा लग रहा हैं। पर क्या मैं सच में तुम्हारा जान हूं?

अपश्यु... तुम सच में मेरी जान हों फ़िर भी आगर तुम्हे शक है तो बोलों मुझे साबित करने के लिए क्या करना पड़ेगा।

डिंपल... साबित तो हों चूका हैं मै तुम्हारा कोई जान बान नहीं हूं आगर होती तो तुम मुझसे मिलने जरूर आते।

अपश्यु...उस दिन तुम्हारे बुलाने पर नहीं आया उसके लिए सॉरी। यकीन मानो मैं उस दिन बहुत जरुरी काम में पास गया था इसलिए नहीं आ पाया।

डिंपल... मुझसे भी ज्यादा जरुरी क्या था जो तुम मुझसे मिलने नहीं आ पाए। चलो माना की जरुरी काम आ गया होगा। तो क्या तुम मुझे फ़ोन करके बता नहीं सकते थे कि डिंपल मैं नहीं आ सकता बहुत जरुरी काम आ गया है।

अपश्यु... मैं मानता हूं की गलती मेरी हैं क्योंकि मुझे तुम्हें फोन करके बताना चाहिए था पर मैंने ऐसा नहीं किया। दरसल हुआ ये था उस दिन बड़े पापा के साथ ऑफिस गया था। मैने सोचा था जल्दी काम निपट जाएगा और तुमसे मिलने चला जाउंगा पर ऐसा हुआ नहीं क्योंकि इस दिन बड़े पापा किसी डील पर मीटिंग कर रहें थें। मीटिंग इतना लम्बा चला की देर हों गया। देर हो रहा था इसलिए टेंशन में मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। इसलिए फोन भी नहीं कर पाया।

डिंपल...अपश्यु तुम ऑफ़िस गए थे वो भी तुम्हारे बड़े पापा के साथ मैं मान ही नहीं सकती तुम जैसा निठला जिसे सिर्फ घूमना फिरना अच्छा लगाता हैं। वो काम में हाथ बंटाने गया था। ये चमत्कार कैसे हों गया।

अपश्यु... बस हो गया कैसे हुआ ये न पूछो।

डिंपल...क्यों न पुछु क्या मेरा इतना भी हक नहीं की मैं तुमसे कुछ पूछ सकू।

अपश्यु... किसने कहा तुम्हें हक नहीं हैं तुम्हें पूरा हक हैं की तुम मुझसे कुछ भी पुछ सकती हों….।

अपश्यु के बात को बीच में कांटकर डिंपल बोली... तुमसे कुछ भी पुछने का हक़ हैं तो फिर बता क्यों नहीं देते तुममें ये बदलाव आया तो आया कैसे।

डिंपल की बात सुनकर अपश्यु खुद से बोला... क्या डिंपल को सब बता दूं। बता दिया तो कहीं डिंपल मुझे छोड़कर न चला जाए। डिंपल ने मुझे छोड़ दिया तो मेरा क्या होगा। नहीं नहीं मैं नहीं बता सकता। पहली बार किसी से प्यार हुआ हैं। मैं उसे ऐसे ही नहीं खो सकता। पर कभी न कभी डिंपल को सच बताना ही होगा कब तक उसे झूठी आस में रखूंगा।

अपश्यु खुद से बातें करने में खोया था। इसलिए डिंपल की बातों का कोई जवाब न दिया। तो डिंपल बोली... क्या हुआ अपश्यु कुछ बोलते क्यों नहीं बोलो ऐसा किया हुआ जो तुममे इतना बदलाव आ गया।

डिंपल की बाते सुनकर अपश्यु ख्यालों से बाहर आया फ़िर बातों की दिशा को बदलने के लिए बोला... तुम भी न डिंपल छोड़ा उन बातों को ये बताओं कल मिलने आ रही हों की नहीं।

डिंपल...नहीं बिल्कुल नहीं जब तक तुम बता नहीं देते तब तक मैं मिलने नहीं आने वाली।

अपश्यु... ऐसे न तड़पाओ अपने दीवाने को थोड़ा तो मुझ पर तरस खाओ।

डिंपल... तरस ही तो खा रही हूं तभी तो तुमसे पुछ रही हूं। बता दो फिर तुम जितनी बार मिलने बुलाओगे जहां बुलाओगे वहा आऊंगी।

अपश्यु... थोड़ा तो समझने की कोशिश करों मैं तुम्हें अभी नहीं बता सकता वक्त आने दो मै तुम्हें सब बता दुंगा पर अभी नहीं।

डिंपल... समझ रहीं हूं तभी तो पुछ रही हूं। तुम बता रहे हों की मैं फोन काट दूं।

अपश्यु... समझो न मैं अभी नहीं बता सकता।

डिंपल... नहीं बता रहें हों तो ठीक है मैं फोन राख रही हूं।

अपश्यु... क्यों जिद्द कर रहीं हों थोड़ा तो समझो मैं मजबुर हूं अभी नहीं बता सकता।

डिंपल... मजबूरी कैसी मजबूरी जो तुम मुझे बता नहीं सकते। बताते हों की मैं फ़ोन राख दूं।

अपश्यु…डिंपल समझने की कोशिश करों मैं अभी बता नहीं सकता सही वक्त आने दो फिर बता दुंगा उसके बाद तुम्हे जो फैसला लेना हैं ले लेना लेकिन अभी जिद्द न करों।

डिंपल... ठीक है जब तुम्हारा मन करे तब बता देना पर एक बात जान लो जब तक तुम बता नहीं देते तब तक मैं तुमसे मिलने नहीं आने वाली।

अपश्यु... डिंपल ऐसा तो न कहो कल मिलने आओ न!

डिंपल... अपश्यु अभी मैं फ़ोन रखती हूं मां बुला रही ही…. आया मम्मी।

इतना बोलकर डिंपल फोन रख दिया। अपश्यु सिर्फ सुनो तो सुनो तो कहता रह गया पर कोई फायदा न हुआ। इसलिए अपश्यु फ़ोन रखकर बेड पर जाकर बैठ गया फिर खुद से बोला... हे प्रभु ये किस मोड़ पर लाकर मुझे खडा कर दिया मैं चाहकर भी डिंपल को सच नहीं बता पा रहा हूं सिर्फ इस डर से। कि कहीं डिंपल मेरा साथ न छोड़ दे। लेकिन कब तक डिंपल से मां से बड़ी मां से सभी से अपने घिनौने कुकर्म को छुपा कर रखूंगा। आज नहीं तो कल मुझे बताना ही होगा। जब तक बता नहीं दुंगा मेरे मन को शांति नहीं मिलेगा मेरे पापा कर्मों का बोझ कम नहीं होगा।

अपश्यु खुद से बातें कर रहा था तभी उसके मन में एक आवाज़ गूंज...अपश्यु क्या कर रहा क्यों सभी को अंधेरे में रख रहा हैं। बता दे नहीं तो तेरे मन का बोझ कम नहीं होगा।

अपश्यु... कौन हों तुम तुम्हारी आवाज़ कहा से आ रही हैं।

"मैं कौन हूं मैं तेरी अंतरात्मा हूं। आज मैं तूझे सही मार्ग दिखाने आया हूं। मेरा कहना मान जा जाकर सभी को सच बता दे तभी तुझे शांति मिलेगा। वरना ऐसे ही तू घुट घुट कर जीता रहेगी।"

अपश्यु... नहीं मैं तुम्हारा कहना बिल्कुल नहीं मानूंगा। मैंने तुम्हारा कहना मान लिया तो मैं सभी के नजरों में गिर जाऊंगा।

"तो अब कौन सा तू सभी के नजरो में उठा हुआ है अभी भी तो तू सभी के नजरो में गिरा हुआ हैं। याद है न मंदिर में किया हुआ था। उस गिरे हुए बुजर्ग जिसे तू उठने गया था उसने किया कहा था।"

अपश्यु... हां हां मुझे याद हैं। उन्होंने क्या कहा था। उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा जो मैंने किया था वहीं कहा।

"हां उन्होने सही कहा पर तू एक बार सोच, सोचकर देख उनके जैसे न जानें और कितने लोग हैं जो कदम कदम पर तूझे तेरे कर्मो को याद दिलाते रहेंगे। तू कब तक उनकी कटु बाते सुनता रहेगा। कभी न कभी तुझे अपने घर वालो को सच बताना ही होगा। जब बताना है तो अभी क्यों नहीं।"

अपश्यु... नहीं मैं अभी किसी को कुछ नहीं बताने वाला मैं ने अभी बता दिया तो मेरे घर वाले मुझे खुद से दूर कर देंगे मैं अभी उनसे दूर नहीं जाना चाहता।

"ठीक हैं जो तूझे ठीक लगें कर पर इतना ध्यान रखना तू जीतना देर करेगा उतना ही तेरे लिए मुस्किले बढ़ता जायेगा। कहीं ऐसा न हों तेरे बताने से पहले तेरे घर वालों को किसी बहर वाले से पता चले की उनका चहेता कितना गिरा हुआ और कुकर्मी इंसान हैं।"

अपश्यु... हां मैं गिरा हुआ इंसान हूं। मुझे ऐसा ही रहने दे मैं तेरा कहना मानकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मर सकता जा तू मेरा सिर दर्द और न बड़ा जा तू भाग जा।

अपश्यु इतनी बात बोलकर अपना सिर पकड़कर बैठ गया और मां मेरा सिर मां मेरा सिर बोल बोल कर तेज तेज चीखने लगा।


आज के लिए बस इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत शुक्रिया। 🙏🙏🙏
shalu ke baap ko dar hai jada dhil dene par kahi bahar jake uski beti galat salat na kar de . is karan se shalu yaha waha jane se rok tok karta hoga. dimple badi jidi nikli. bina sach jane wo nhi manne wali . lekin apashyu majburi tha , wo bta nahi sakta tha . sach bata deta to dimple ke liye apashyu most hatred person ban jta. apashyu ki andar ki awaj use bar bar sach bolne ke liye keh rha tha. par wo batae bhi kese. isi udherbun me uska sar par tej dard hone laga. dekhte hai age kya karta hai apashyu.
 
I

Ishani

Update - 44


बेटी की शादी को अभी मात्र चार ही दिन हुआ था। इतने काम दिनों में बेटी के प्रति ससुराल वालों की लगाव उसके खुशियों का ध्यान रखने की बात सुनकर महेश मन ही मन गदगद हो उठा। महेश को लग रहा था। उसका समधी राजेंद्र सही कह रहा हैं। उसे सिर्फ और सिर्फ बेटी की खुशी को ही देखना चाहिए। रहीं बात समाज के कायदे कानून कि तो न जानें ऐसे कितने कायदे कानून समाज ने बनाया फ़िर बाद में तोड़ भी दिया।

महेश विचारों में खोया हुआ था। तो कोई प्रतिक्रिया न पाकर राजेंद्र बोला...महेश बाबू क्या हुआ आप कुछ बोल क्यों नहीं रहे हों। किन ख्यालों में खोए हुए हों।

अचानक कान के पास आवाज़ होने से कुछ क्षण को महेश अचकचा गया। रिसीवर हाथ से छुट गया जब तक रिसीवर जमीन से टकराता तब तक महेश खुद को संभालकर रिसीवर को पकड़ लिए फ़िर कान से लगाकर बोला... राजेंद्र बाबू मैं आप'की कही हुई बातो पर विचार कर रहा था। मेरे विचार से मुझे आप'का निमंत्रण स्वीकार कर लेना चाहिए।

राजेंद्र...अपने बिल्कुल सही विचार किया हैं। आप दोनों समय से आ जाना मुझे दुबारा न कहना पड़े। और हा बहु को पाता न चले की आप दोनों आ रहे हों। मैं बहु को सरप्राइस देखकर उसकी खुशी को दुगुनी करना चाहता हूं।

राजेंद्र की बाते सुनकर महेश के लवों पर मुस्कान आ गया मुस्कुराते हुए महेश बोला…ठीक है राजेंद्र बाबू जैसा अपने कहा वैसा ही होगा। हम पार्टी से एक दिन पहले ही आ जाएंगे।

राजेंद्र... ठीक है अब रखता हूं।

मनोरमा और शालू नजदीक ही थे तो दोनों ने राजेंद्र और महेश के बीच हुई बात चीत सुन लिया था। बेटी के ससुराल से निमंत्रण आया ये जानकर मनोरमा को बेटी से मिलने की चाह तीव्र हों गई पर महेश के आनाकानी करने से मनोरमा को अपनी चाहत अधूरी रहने का डर सताने लगा । किन्तु जब महेश ने हां कहा तब मनोरमा ने एक गहरी सांस लिया फ़िर मुस्कुरा दिया।

महेश फ़ोन रखकर दोनों के पास आने को पलटा तो मनोरमा के खिले और मुस्कुराते चहरे को देखकर स्वत‌: ही उसके चहरे पर मुस्कान आ गया। मुस्कुराते हुए पास आकर बैठा फ़िर बोला... मनोरमा बेटी के ससुराल जाना हैं। जानें की तैयारी तुम अभी से शुरू कर दो।

मनोरमा... तैयारी तो मैं कर ही लुंगा। आप मुझे इतना बता दीजिए आप इतनी आनाकानी क्यों कर रहे थें। जिस बेटी को हमने पैदा किया उसकी खुशी का हमसे ज्यादा उनको ख्याल हैं जिनके घर में बहु बनकर गए अभी कुछ ही दिन हुआ हैं।

महेश... मनोरमा तुम जानते बूझते हुए भी ऐसी बाते कर रहे हों। मनोरमा हमे समाज में सभी के साथ रहना हैं। सभी को साथ लेकर चलना हैं। समाज के बनाए नियमों के विरूद्ध मैं कैसे जा सकता हूं।

मनोरमा...मुझे समाज के नियम कायदे से कुछ लेना देना नहीं हैं। मुझे मेरी बेटी के घर जाना हैं। मुझे जानें से आप या आप'का समाज कोई नहीं रोक सकता।

महेश… समाज के रोकने से मैं भी नहीं रूकने वाला न ही मैं तुम्हें रोकूंगा अब हमारा जब भी मन करेगा हम कमला से मिलने उसके ससुराल जाते रहेगें।

जब मन करे तब बेटी से मिलने जा सकती हैं। ये बातें सुनते ही मनोरमा के चेहरे पर लुभानी मुस्कान आ गई। मनोरमा को मुस्कुरते देख महेश भी मुस्कुरा दिया। बगल में बैठी शालू दोनो के हाव भाव को देख रहीं थीं। दोनों को खुश देखकर शालू भी मंद मंद मुस्कुरा दिया फ़िर अचानक शालू की चेहरे का भाव बदल गई। बदला हुआ भाव चेहरे पर लेकर शालू बोली...अंकल आंटी क्या मैं भी आप'के साथ जा सकती हूं। कमला से मिलने का मेरा भी मान कर रहा है।

मनोरमा...शालु बेटी ये तो अच्छी बात है तुम कमला से मिलने जाना चाहती हों पर क्या तुम्हारे पापा इतने दूर दर्जलिंग जानें देंगे।

महेश...हां बेटी तुम जानती हो की तुम्हारे पापा कैसे है। मुझे नहीं लगाता अनुकूल जी तुम्हें जानें देंगे।

शालु…अंकल आंटी आप दोनों उनसे बात करेंगे तो पक्का पापा जी जानें देगें। क्या आप दोनों अपने इस बेटी के लिए इतना नहीं कर सकते।

शालु के बातों का कोई भी उत्तर मनोरमा या महेश दे पाता उससे पहले ही किसी ने दरवाजा पीट दिया। महेश उठकर दरवाजा खोलने गया और मनोरमा बोली... बेटी तुम्हारी मां जयंती की तरह तुम्हारी बाप की सोच नहीं हैं जो हमारे कहने से तुम्हारा बाप हमारा कहना मानकर तुम्हें हमारे साथ भेज देगा। फ़िर भी मेरे इस बेटी के लिए हम तुम्हारे बाप से बात करने को तैयार हैं। हम सिर्फ बात कर सकते हैं। जानें देना न देना ये तो अनुकूल जी बताएंगे।

महेश जाकर दरवाजा खोला सामने चंचल खड़ी थीं। चंचल को देखकर महेश बोला…कैसी हों चंचल बेटी आओ अंदर आओ.

चंचल... मैं ठीक हूं अंकल। आप कैसे है।

महेश:- मैं ठीक हूं।

इतना बोलकर महेश और चंचल अंदर आ गए फ़िर बैठक की और चल दिया। मनोरमा की बाते सुनकर शालू बोली...आंटी मैं नहीं जानती आप कैसे पापा को मनाएंगे मैं बस इतना ही जानती हूं की मुझे आप के साथ जाना हैं तो जाना हैं।

"शालु तू कहा जाना चाहती हैं और तेरे पापा से क्या बात करनी हैं।" इतना बोलते हुए चंचल शालू के पास जाकर बैठ गई। चंचल को आया देखकर मनोरमा बोली... चंचल शालू हमारे साथ दार्जलिंग जाना चाहती है पर….।

मनोरमा की बाते बीच में काटकर चंचल बोली...आंटी कब जा रहे हो मुझे भी जाना हैं। Pleaseeee मुझे भी साथ ले चलना मुझे भी कमला से मिलना है।

मनोरमा...अगले हफ्ते जाना है। तुम भी चल देना। तुम जाओगी तो कमला को बहुत अच्छा लगेगा।

शालु...aachchaaaa चंचल के जाने से कमला को अच्छा लगेगा तो किया मेरे जानें से कमला को बूरा लगेगा मैं भी उसकी सहेली हूं। मेरे जानें से भी उसे ख़ुशी मिलेंगी।

मनोरमा... हां हां तुम्हारे जानें से भी कमला को खुशी होगी। आखिर तुम दोनों ही उसके सब से ख़ास सहेली हों।

चंचल…शालु तू जाना तो चाहती है लेकिन जाएंगी कैसे...।

चंचल की बात बीच में काट कर शालू बोली... जैसे तू अंकल आंटी के साथ जाएंगी वैसे ही मैं भी अंकल आंटी के साथ जाऊंगी।

चंचल...कैसे जायेगी का मतलब ये नहीं की तू अकेली जाएंगी बल्कि मेरे कहने का मतलब है क्या तूझे तेरे घर से जानें की प्रमीशन मिल जाएंगी। मेरी बात अलग हैं मुझे अंकल आंटी के साथ जानें की प्रमीशन मिल जाएगा कोई और होता तो शायद मुझे प्रमीशन नही मिलता लेकिन तेरा मामला उल्टा हैं।

शालु... वहीं बात तो मैं आंटी से कह रही थीं लेकिन तु बीच में आ टपकी। आंटी आप दोनों पापा से बात करों न मुझे भी जाना हैं। मैं नहीं जा पाई तो सोच लो आप तीनों को भी जानें नहीं दूंगी।

चंचल... कैसे जानें नहीं देगी अजीब जबरदस्ती हैं। तू नही जा पाएगी तो किया हम भी न जाएं। नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं होगा हम तो जाएंगे ही। क्यों आंटी मैंने सही कहा न।

शालु... क्या सही कहा हा बोल क्या सही कहा तू मेरी अच्छी सहेली बिल्कुल नहीं हैं। अच्छी सहेली होती तो मुझे साथ लिए बिना जाती नहीं तूझसे अच्छी तो कमला हैं कम से कम मेरा साथ तो देती हैं।

दोनो को आपस में तू तू मैं मैं करते देखकर महेश बोला... अच्छा अच्छा अब तुम दोनो आपस में न लडो मैं खुद अनुकूल जी से बात करूंगा और जैसे भी हो शालू का हमारे साथ चलने की प्रमीशन मांग लुंगा।

चंचल... हां अंकल कुछ भी करके शालू के पापा से प्रमीशन ले लेना नहीं तो ये ज़िद्दी शालू हम में से किसी को जानें नहीं देगी।

शालु... मैं जिद्दी हूं तो तू किया है बोल!

मनोरमा... तुम दोनों फ़िर से शुरू हों गई अब बस भी करों कोई जिद्दी नहीं हों

चंचल…सूना आंटी ने किया कहा मैं jiddiiii nahiiii honnn ।

शालु... हां हां सूना हैं आंटी ने कहा मैं jiddiiii nahiiii honnn।

इतना बोल दोनों खिलखिलाकर हंस दिया। कुछ ओर वक्त तक दोनों रुके रहे फिर अपने अपने घर को चले गए। दोनों के जानें के बाद महेश और मनोरमा अपने अपने दिन चर्या में लग गए।

उधर दार्जलिंग में राजेंद्र अपने समधी से बात करने के बाद सुरभि को सक्त हिदायत दिया की बहु को भनक भी नहीं लगना चाहिए की उसकी मां बाप शादी के रिसेप्शन पर आ रहे है। उसके बाद राजेंद्र कुछ काम का बोलकर चला गया।

महल में बचे लोग अपने अपने काम को करने में लगे हुए थे। अपश्यु ने रूम में जाकर डिंपल को कॉल लगाया एक दो रिंग बजने के बाद डिम्पल ने कॉल रिसीव किया कॉल रिसीव होते ही अपश्यु बोला... मेरे न आने से तुम इतना नाराज़ हो गई कि मुझसे बात ही नहीं करना चाहती हों। इतना गुस्सा क्यों पहले जान तो लेती मैं तुमसे मिलने क्यों नहीं आ पाया।

डिंपल... न हेलो न हाय सीधा सवालों की बौछार कर दिया। ये क्या बात हुई भाला।

अपश्यु... अच्छा हैलो डिंपल कैसे हों मेरी जान तुम्हे कोई दिक्कत तो न हैं।

डिंपल…hummm जान सुनने में कानों को अच्छा लग रहा हैं। पर क्या मैं सच में तुम्हारा जान हूं?

अपश्यु... तुम सच में मेरी जान हों फ़िर भी आगर तुम्हे शक है तो बोलों मुझे साबित करने के लिए क्या करना पड़ेगा।

डिंपल... साबित तो हों चूका हैं मै तुम्हारा कोई जान बान नहीं हूं आगर होती तो तुम मुझसे मिलने जरूर आते।

अपश्यु...उस दिन तुम्हारे बुलाने पर नहीं आया उसके लिए सॉरी। यकीन मानो मैं उस दिन बहुत जरुरी काम में पास गया था इसलिए नहीं आ पाया।

डिंपल... मुझसे भी ज्यादा जरुरी क्या था जो तुम मुझसे मिलने नहीं आ पाए। चलो माना की जरुरी काम आ गया होगा। तो क्या तुम मुझे फ़ोन करके बता नहीं सकते थे कि डिंपल मैं नहीं आ सकता बहुत जरुरी काम आ गया है।

अपश्यु... मैं मानता हूं की गलती मेरी हैं क्योंकि मुझे तुम्हें फोन करके बताना चाहिए था पर मैंने ऐसा नहीं किया। दरसल हुआ ये था उस दिन बड़े पापा के साथ ऑफिस गया था। मैने सोचा था जल्दी काम निपट जाएगा और तुमसे मिलने चला जाउंगा पर ऐसा हुआ नहीं क्योंकि इस दिन बड़े पापा किसी डील पर मीटिंग कर रहें थें। मीटिंग इतना लम्बा चला की देर हों गया। देर हो रहा था इसलिए टेंशन में मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। इसलिए फोन भी नहीं कर पाया।

डिंपल...अपश्यु तुम ऑफ़िस गए थे वो भी तुम्हारे बड़े पापा के साथ मैं मान ही नहीं सकती तुम जैसा निठला जिसे सिर्फ घूमना फिरना अच्छा लगाता हैं। वो काम में हाथ बंटाने गया था। ये चमत्कार कैसे हों गया।

अपश्यु... बस हो गया कैसे हुआ ये न पूछो।

डिंपल...क्यों न पुछु क्या मेरा इतना भी हक नहीं की मैं तुमसे कुछ पूछ सकू।

अपश्यु... किसने कहा तुम्हें हक नहीं हैं तुम्हें पूरा हक हैं की तुम मुझसे कुछ भी पुछ सकती हों….।

अपश्यु के बात को बीच में कांटकर डिंपल बोली... तुमसे कुछ भी पुछने का हक़ हैं तो फिर बता क्यों नहीं देते तुममें ये बदलाव आया तो आया कैसे।

डिंपल की बात सुनकर अपश्यु खुद से बोला... क्या डिंपल को सब बता दूं। बता दिया तो कहीं डिंपल मुझे छोड़कर न चला जाए। डिंपल ने मुझे छोड़ दिया तो मेरा क्या होगा। नहीं नहीं मैं नहीं बता सकता। पहली बार किसी से प्यार हुआ हैं। मैं उसे ऐसे ही नहीं खो सकता। पर कभी न कभी डिंपल को सच बताना ही होगा कब तक उसे झूठी आस में रखूंगा।

अपश्यु खुद से बातें करने में खोया था। इसलिए डिंपल की बातों का कोई जवाब न दिया। तो डिंपल बोली... क्या हुआ अपश्यु कुछ बोलते क्यों नहीं बोलो ऐसा किया हुआ जो तुममे इतना बदलाव आ गया।

डिंपल की बाते सुनकर अपश्यु ख्यालों से बाहर आया फ़िर बातों की दिशा को बदलने के लिए बोला... तुम भी न डिंपल छोड़ा उन बातों को ये बताओं कल मिलने आ रही हों की नहीं।

डिंपल...नहीं बिल्कुल नहीं जब तक तुम बता नहीं देते तब तक मैं मिलने नहीं आने वाली।

अपश्यु... ऐसे न तड़पाओ अपने दीवाने को थोड़ा तो मुझ पर तरस खाओ।

डिंपल... तरस ही तो खा रही हूं तभी तो तुमसे पुछ रही हूं। बता दो फिर तुम जितनी बार मिलने बुलाओगे जहां बुलाओगे वहा आऊंगी।

अपश्यु... थोड़ा तो समझने की कोशिश करों मैं तुम्हें अभी नहीं बता सकता वक्त आने दो मै तुम्हें सब बता दुंगा पर अभी नहीं।

डिंपल... समझ रहीं हूं तभी तो पुछ रही हूं। तुम बता रहे हों की मैं फोन काट दूं।

अपश्यु... समझो न मैं अभी नहीं बता सकता।

डिंपल... नहीं बता रहें हों तो ठीक है मैं फोन राख रही हूं।

अपश्यु... क्यों जिद्द कर रहीं हों थोड़ा तो समझो मैं मजबुर हूं अभी नहीं बता सकता।

डिंपल... मजबूरी कैसी मजबूरी जो तुम मुझे बता नहीं सकते। बताते हों की मैं फ़ोन राख दूं।

अपश्यु…डिंपल समझने की कोशिश करों मैं अभी बता नहीं सकता सही वक्त आने दो फिर बता दुंगा उसके बाद तुम्हे जो फैसला लेना हैं ले लेना लेकिन अभी जिद्द न करों।

डिंपल... ठीक है जब तुम्हारा मन करे तब बता देना पर एक बात जान लो जब तक तुम बता नहीं देते तब तक मैं तुमसे मिलने नहीं आने वाली।

अपश्यु... डिंपल ऐसा तो न कहो कल मिलने आओ न!

डिंपल... अपश्यु अभी मैं फ़ोन रखती हूं मां बुला रही ही…. आया मम्मी।

इतना बोलकर डिंपल फोन रख दिया। अपश्यु सिर्फ सुनो तो सुनो तो कहता रह गया पर कोई फायदा न हुआ। इसलिए अपश्यु फ़ोन रखकर बेड पर जाकर बैठ गया फिर खुद से बोला... हे प्रभु ये किस मोड़ पर लाकर मुझे खडा कर दिया मैं चाहकर भी डिंपल को सच नहीं बता पा रहा हूं सिर्फ इस डर से। कि कहीं डिंपल मेरा साथ न छोड़ दे। लेकिन कब तक डिंपल से मां से बड़ी मां से सभी से अपने घिनौने कुकर्म को छुपा कर रखूंगा। आज नहीं तो कल मुझे बताना ही होगा। जब तक बता नहीं दुंगा मेरे मन को शांति नहीं मिलेगा मेरे पापा कर्मों का बोझ कम नहीं होगा।

अपश्यु खुद से बातें कर रहा था तभी उसके मन में एक आवाज़ गूंज...अपश्यु क्या कर रहा क्यों सभी को अंधेरे में रख रहा हैं। बता दे नहीं तो तेरे मन का बोझ कम नहीं होगा।

अपश्यु... कौन हों तुम तुम्हारी आवाज़ कहा से आ रही हैं।

"मैं कौन हूं मैं तेरी अंतरात्मा हूं। आज मैं तूझे सही मार्ग दिखाने आया हूं। मेरा कहना मान जा जाकर सभी को सच बता दे तभी तुझे शांति मिलेगा। वरना ऐसे ही तू घुट घुट कर जीता रहेगी।"

अपश्यु... नहीं मैं तुम्हारा कहना बिल्कुल नहीं मानूंगा। मैंने तुम्हारा कहना मान लिया तो मैं सभी के नजरों में गिर जाऊंगा।

"तो अब कौन सा तू सभी के नजरो में उठा हुआ है अभी भी तो तू सभी के नजरो में गिरा हुआ हैं। याद है न मंदिर में किया हुआ था। उस गिरे हुए बुजर्ग जिसे तू उठने गया था उसने किया कहा था।"

अपश्यु... हां हां मुझे याद हैं। उन्होंने क्या कहा था। उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा जो मैंने किया था वहीं कहा।

"हां उन्होने सही कहा पर तू एक बार सोच, सोचकर देख उनके जैसे न जानें और कितने लोग हैं जो कदम कदम पर तूझे तेरे कर्मो को याद दिलाते रहेंगे। तू कब तक उनकी कटु बाते सुनता रहेगा। कभी न कभी तुझे अपने घर वालो को सच बताना ही होगा। जब बताना है तो अभी क्यों नहीं।"

अपश्यु... नहीं मैं अभी किसी को कुछ नहीं बताने वाला मैं ने अभी बता दिया तो मेरे घर वाले मुझे खुद से दूर कर देंगे मैं अभी उनसे दूर नहीं जाना चाहता।

"ठीक हैं जो तूझे ठीक लगें कर पर इतना ध्यान रखना तू जीतना देर करेगा उतना ही तेरे लिए मुस्किले बढ़ता जायेगा। कहीं ऐसा न हों तेरे बताने से पहले तेरे घर वालों को किसी बहर वाले से पता चले की उनका चहेता कितना गिरा हुआ और कुकर्मी इंसान हैं।"

अपश्यु... हां मैं गिरा हुआ इंसान हूं। मुझे ऐसा ही रहने दे मैं तेरा कहना मानकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मर सकता जा तू मेरा सिर दर्द और न बड़ा जा तू भाग जा।

अपश्यु इतनी बात बोलकर अपना सिर पकड़कर बैठ गया और मां मेरा सिर मां मेरा सिर बोल बोल कर तेज तेज चीखने लगा।


आज के लिए बस इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत शुक्रिया। 🙏🙏🙏
""" लग गए, आपश्यू के तो """ लग गए 🤭
पूरे गाँव में झोल किया, किसका न सुना
चुटियापा करता गया, घरवालो के वारे में भी नही सोचा
प्यार में सोचा था की चैन सुकुन और डिम्पल होगी
सपने देखे मिठे, पर डिम्पल ने भी पहना दी टोपी.🤭
 
Eaten Alive
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Mahesh aur manorama ke sath kamla ke sasuraal aana shalu ka to bas bahana hai , ...... asal baat kuch aur hi hai....
Jishm ki garmi .... ji haan, uski jishm ki garmi is kadar badh gayi hai ki ab shalu ko raman ke bina rah nahi pa rahi hai :akshay:

Par chanchal kahe aa rahi hai ye baat abhi ek shaq ke ghere mein hai.... Maybe usko sukanya ki adher jawani bha gayi ho.... btw iski possibilities 50 - 50 hai :D.... kyun ki har koi surbhi ki tarah thodi naa hai.. :hint2:

Khair.... I think Mahesh ne jawani ke time mein josh josh mein shalu ki maa ched diya hoga.....aur ush din office se jaldi ghar aa gaya hoga shalu baap..... aur mahesh ki tharki harkaton ko dekh liya hoga..... aur yahin wajah rahi hogi jiske chalte shalu ka baap mahesh pe ittu sa bhi vishwas nahi karta hai...... aise mein apni beti ko uske sath AKELE kaise bheje...... :D Hain na Destiny sahab :D
rahi baat apsyu ki...... wo aise nalla hi marega..... btw aaj me bhery bhery happy.... :D..... Destiny sahab ne uski band bajane mein koi kasar nahi chhodi hai..... :lol1: meri maaniye to har update band bajaiye uski.. :D

Well..
shaandaar update, shaandaar lekhni aur shaandaar shabdon ka chayan.... Sath hi dilchasp kirdaaro ki bhumika bhi...

Let's see what happens next..
Brilliant update with awesome writing skills.... :clapping: :clapping:
 
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""" लग गए, आपश्यू के तो """ लग गए 🤭
पूरे गाँव में झोल किया, किसका न सुना
चुटियापा करता गया, घरवालो के वारे में भी नही सोचा
प्यार में सोचा था की चैन सुकुन और डिम्पल होगी
सपने देखे मिठे, पर डिम्पल ने भी पहना दी टोपी.🤭
:roflboow: :rolrun:
 
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अपश्यु इतनी बात बोलकर अपना सिर पकड़कर बैठ गया और मां मेरा सिर मां मेरा सिर बोल बोल कर तेज तेज चीखने लगा।
:lol1: ab jaake kaleje ko thandak mili hai.... :chillpill:
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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""" लग गए, आपश्यू के तो """ लग गए 🤭
पूरे गाँव में झोल किया, किसका न सुना
चुटियापा करता गया, घरवालो के वारे में भी नही सोचा
प्यार में सोचा था की चैन सुकुन और डिम्पल होगी
सपने देखे मिठे, पर डिम्पल ने भी पहना दी टोपी.🤭
:lol:
 
Will Change With Time
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Achche Karam aur bure Karam dono parchai ki tarah sath chalte hain achche Karam Jahan khusiyan dete wahin bure Karam dukh deta hai pashchatap ki agni bahut jalati hai

बिल्कुल ठीक बोलो हो अच्छे और बुरे कर्म इंसान की परछाई हैं। जहां बूरा कर्म दुख का कारण बनता है वहीं अच्छा कर्मा सुख का कारण बनता हैं।

बहुत बहुत शुक्रिया ऐसे ही साथ बने रहना
 
Will Change With Time
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Wonderful update. Newton's third law,
For every action, there is an equal and opposite reaction. scientifically bhi ye bat proved hai. apashyu ki sthiti isse alag nahi. jab achai ko chuna hai to prayachit bhi karna hoga use har ek jurm ki. family aur apne pyar ko batana hi hoga uske past ke bare me. jitna der karega, bitte waqt ke sath samsyae aur badhegi uske liye .
ये सिर्फ कहानी के किरदार अपश्यु के साथ नहीं अपितु वास्तविक जीवन में भी न्यूटन बाबा का एक्शन का रिएक्शन काम करता है।

बहुत बहुत शुक्रिया ऐसे ही साथ देते रहना
 

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