Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

A

Avni

Update - 45



अचानक अपश्यु के सिर में दर्द होने लगा दर्द जितना तेज होता जाता उतना ही अपश्यु के बर्दास्त की सीमा पर करता जा रहा था। दो चार बार चीख भी निकल गया पर कोई सुनने वाला पास न था। अंतः किसी तरह खुद को संभालकर बेड के सिराने वाली दराज को खोला फ़िर उसमे से दवाई निकलकर खाया दवाई खाने के कुछ देर बाद दवाई के असर से सो गया।

उधर डिंपल फोन रखने के बाद रूम में इधर से उधर टहल रहीं थीं। कभी मुस्कुरा देती तो कभी खुद पर ही गुस्सा करने लगती। कुछ देर टहलने के बाद डिम्पल ने एक फोन किया पर फ़ोन किसी ने रिसीव नहीं किया। एक बार दो बार तीन बार एक के बाद एक कई बार कॉल किया पर कॉल रिसीव नहीं हुआ तो गुस्से में रिसीवर को पटक दिया फ़िर बेड पर जाकर बैठ गईं और बोला...क्या जरूरत थी इतनी जिद्द करने की जब कह रहा था मैं बाद में बता दुंगा पर नही मुझे अभी के अभी जानना था। अब देखो किया हुआ अपश्यु मुझसे रूठ गया। पर ऐसी क्या बात है जिसे बताने में अपश्यु आनाकानी कर रहा था। क्या इसके बारे मे अनुराग जनता हैं? पूछना पड़ेगा उससे पहले अपश्यु को मनाना पड़ेगा।

इतना बोलकर डिंपल फ़िर से फ़ोन करने लगी पर नतीजा कुछ हाथ न लगा। हताश निराश होकर खुद को गाली देने लगीं। जो मन में आया वो गली खुद के दिया फ़िर भी शांति नहीं मिली तो दुबारा फोन करने जा ही रही थी की उसके रूम का दरवाजा खटखटाया गया। डिंपल कॉल करने की मनसा को परे रख, जाकर दरवाजा खोला। दरवाजे पर डिंपल की मां सुरेखा थी। दरवाजा खुलते ही तुरंत बोली... ये किया डिंपल तू अभी तक तैयार नहीं हुई। जल्दी तैयार हों ले हमे देर हों रहीं हैं।

डिंपल...मां मेरा मान नहीं हैं आप चली जाओ !

सुरेखा... कल ही तो हां कहा था। अब क्या हों गया जो तेरा मन बादल गया। ज्यादा बहाने न कर जल्दी से तैयार होकर बाहर आ।

डिंपल…कुछ नहीं हैं बस जानें का मेरा मन नहीं हों रहा। एक दो दिन की बात होती तो चली जाती पर आप चार पांच दिन के लिए लेकर जा रहे हैं। इसलिए माना कर रहीं हूं।

सुरेखा…किसी दोस्त के साथ जाना होता तो पल भार में तैयार होकर चल पड़ती चाहें महीने भार का टूर क्यों न होता। चार पांच दिन के लिए मां के साथ जानें में तूझे दिक्कत हों रही हैं। होगा भी क्यों नहीं मां से ज्यादा दोस्तों से प्यार जो हैं।

डिंपल…मां इमोशनल ब्लैकमेल करना छोड़ो और ये बताओं मैं कब आप'के साथ नहीं गई। जब भी जहां भी आप लेकर गई हों वहां मैं आप'के साथ गई हूं। बस इस बार जानें का मन नहीं कर रहा हैं।

सुरेखा...बूढ़ी मां के साथ जानें में तूझे शर्म आती है इसलिए हर बार ऐसे ही बहाना करने के बाद ही जानें को तैयार होती हैं। आज भी वैसा ही कर रहीं हैं।

डिंपल…मां जितना आप कह रहीं हों इतना बहना तो नहीं करती हूं हां थोड़ा आनाकानी जरूर करती हुं।

सुरेखा...जा फिर जल्दी से तैयार होकर आ।

डिंपल... ठीक हैं जा रहीं हूं।

इतना कहकर डिंपल तैयार होने लग गईं। तैयार होने के बाद डिंपल एक बार फिर से अपश्यु को फ़ोन लगाया पर किसी ने कॉल रिसीव नही किया तो एक के बाद एक कई बार ट्राई किया पर नतीजा कॉल रिसीव नहीं किया गया। अंत में निराश होकर कॉल करना बंद किया फ़िर बोला... पहले मैं छोटी सी बात का बतंगड़ बना दिया अब अपश्यु भी वोही पैंतरा अपना रहा हैं। मेरा ही किया लौटकर मुझे वापस मिल रही हैं। क्या करूं फ़ोन रिसीव कर लेता तो कम से कम बता तो देती कि मैं मां के साथ मौसी के घर जा रहीं हूं। अपश्यु तो फ़ोन रिसीव नहीं कर रहा हैं। अनुराग को कॉल करती हूं।

डिंपल ने दुबारा कॉल किया इस बार कॉल किसी ने रिसीव किया। कॉल रिसीव होते ही डिंपल बोला... हैलो अनुराग!

"जी आप कौन बोल रहे हों। अनुराग साहब तो घर पर नहीं हैं।"

डिंपल... जी मैं डिंपल बोल रही हूं। अनुराग से कुछ काम था पर वो घर पर नहीं है तो मैं रखती हूं।

इतना बोलकर डिंपल रिसीबर रख दिया। डिंपल आने में देर लगा रहीं थीं इसलिए सुरेखा ने डिंपल को आवाज दिया। मां के बुलाने से डिंपल जल्दी से रूम से बहार आया और मां के पास पहुंचा फ़िर उनके साथ चल दिया।

डिंपल कहा गई क्यों गई इस की जानकारी अपश्यु तक नहीं पूछा वो तो दवा के असर से मस्त सोता रहा। दोपहर के खाने पर उसे आवाज दिया तब कहीं जाकर उठा, उठाकर हाथ मुंह धोया फ़िर सभी के साथ खान खाकर फिर से रूम में जाकर खुद को बंद कर लिया।

यूं ही एक एक पल बीतता गया दिन ढाला शाम हुआ शाम से रात हुआ। रात्रि भोजन के समय सभी एक साथ भोजन में मिले भोजन करने के बाद सभी अपने अपने रूम में चले गए।

रात बिता सुबह सभी ने नाश्ता किया। नाश्ते के बाद रावण ऑफिस जानें के लिए रूम में गया तो सुकन्या भी जल्दी से रावण के पीछे पीछे रूम में पहूंच गईं और दरवाजा बंद कर दिया। सुकन्या को दरवाजा बंद करते देख रावण मुस्कुरा दिया फिर बोला...सुकन्या मुझसे बात करने में आनाकानी करती हों लेकिन आज तुम्हारा इरादा किया हैं जो सुबह सुबह रूम का दरवाजा बन्द कर रहीं हों।

सुकन्या…मेरा इरादा नेक हैं पर आप'के इरादे में मुझे खोट नजर आ रही हैं।

रावण…khotttt दरवाजा तुम बंद कर रहीं हों और खोट मुझमें नजर आ रहा हैं। मुझे तो लग रहा हैं तुम्हारे मन में कुछ ओर चल रहा हैं दिखाना कुछ और चाहती हों।

सुकन्या...सही कहा अपने पर आप'का ये कथन मुझपर नहीं आप पर साठीक बैठता हैं। पल पल रंग आप बदलते हों। आप'के मन में कुछ होता हैं। चेहरे से कुछ ओर दर्शाते हों।

रावण...सुकन्या ये दुनिया बहुत ज़ालिम हैं। यहां अपना वर्चशप कायम करना हैं तो पल पल रंग बदलना पड़ता हैं। तुम्हे आगर लगता हैं की मैं पल पल रंग बदलता हूं। तो सुनो हा मैं रंग बदलता हूं क्यूंकि दुनिया में मुझे अपना वर्चशप कायम करना हैं।

सुकन्या... माना की दुनिया जालिम हैं और रहेंगे। दुनियां वालो ने आप पर जुल्म नहीं ढाया बल्कि आप खुद निरीह लोगों पर जुल्म ढाया किस लिए सिर्फ इसलिए आप'को अपना वर्चशप कायम करना हैं। वर्चशप कायम करने की राह पर चलते चलते आप अपना नाम रुतबा सब खोते जा रहे हों। एक ही परिवार के दो भाईयों पर लोगों की अलग अलग राय हैं देखने का नजरिया अलग अलग हैं। एक से बेशुमार प्यार इज्जत और स्नेह करते हैं। वहीं दूसरे भाई से सिर्फ घृणा करते हैं।

रावण...लोगों के नजरिए का क्या वो तो वक्त के साथ बदलता रहता हैं। जो आज घृणा कर रहे हैं। कल को यही लोग अपना नजरिया बादल लेंगे मान सम्मान देंगे प्यार और स्नेह करेगें।

सुकन्या...उन्हीं लोगों में आप भी हों। आप अपना नजरिया बदल क्यों नहीं लेते। सिर्फ आप'के कारण लोग आप'के साथ साथ हमारे बेटे अपश्यु से भी घृणा करते हैं।

रावण... मुझसे या मेरे बेटे से कोई घृणा नहीं करता हैं। हा वो सभी डरते हैं। उनके डर को घृणा का रूप नहीं दिया जा सकता।

सुकन्या…आप अपने आंखो पर पट्टी बांध कर चलते है इसलिए आप'को लोगों की नजरों में अपने और अपश्यु के लिए घृणा नहीं डर दिखता हैं। शायद लोगों की नज़रों में आपको घृणा दिखता होगा पर आप देखना नही चाहते लेकिन मैंने देखा हैं। लोगों की नज़रों में जितना प्यार रघु और जेठ जी के लिए है। उससे कहीं ज्यादा घृणा आप'के और अपश्यु के लिए हैं।

सुकन्या के इस कथन के बाद रावण निरूत्तर हों गया उसके पास कहने को कुछ था नहीं क्या कहता आज सुकन्या ने वो कह दिया जो सच हैं जिसका प्रमाण रावण को पल पल मिलता रहता हैं। उसने खुद ही देखा था लोग कितनी घृणा उससे करता हैं। लोग रावण से घृणा करता है इसका इल्म रावण को था पर रावण ये नहीं जनता था की उसके साथ साथ लोग अपश्यु से भी घृणा करते हैं।

अपश्यु से घृणा लोग अपश्यु के कर्मो के कारण करते हैं। सुकन्या की बात सुनकर रावण सोचने लगा कि उसके कर्मो के कारण लोग उसके एकमात्र बेटे अपश्यु से घृणा करने लगें हैं। रावण चुप रहा पति को चुप देखकर सुकन्या बोली... आप इतना क्यों सोच रहे हैं। आप'को इतना सोचने की जरूरत नहीं हैं। क्योंकि आप'को अपना वर्चशप कायम करना हैं। करिए जितना वर्चशप कायम करना हैं करिए पर इतना जरूर सोचिएगा आप अपने बेटे के लिए विरासत में क्या छोड़कर जाएंगे लोगों की घृणा या फ़िर प्यार। और हा एक बात ओर मुझे ख़ुशी है की आप रघु के शादी की रिसेप्शन का जिम्मा अपने कंधे पर लिया हैं। मैं बस इतना चाहूंगा की बिना किसी साजिश के रिसेप्शन को अच्छे से संपन्न होने देना। आगर अपने कोई साजिश किया तो जीवन भार आप मुझसे बात करने को तराश जाएंगे सिर्फ बात ही नहीं मेरा चेहरा देखने को भी तराश जायेंगे।

इतना कह कर सुकन्या दनदनाते हुए दरवाजे तक गई। सुकन्या को जाते देख रावण बोला…सुकन्या मेरी बात तो सुनो तुम्हें जो कहना था कह दिया कम से कम मेरी बाते तो सुनती जाओ।

सुकन्या दरवाजा खोल चुकी थीं। रूम से बाहर पहला कदम रखा ही था कि रावण की बाते सुनकर रूक गई और पलट कर बोली... अब तक अपने जो कहा उसे सुनकर मैं आप'की मनसा समझ गई। फिर भी आप कुछ कहना चाहते हों तो अभी आप'को कुछ कहने की जरूरत नहीं हैं जरूरत है तो बस करने कि अच्छे मन से बिना कोई साज़िश किए रिसेप्शन को संपन्न कीजिए उसके बाद आप जितना कहना चाहें कह लेना मैं सुन लूंगी।

इतना कह कर सुकन्या बाहर चली गई। रावण सिर्फ सुकन्या को जाते हुए देखता रहा गया। सुकन्या के जाने के बाद रावण बोला…सुकन्या तुम मुझे समझाने की कोशिश ही नहीं कर रहीं हों मुझे समझ पाती तो कभी ऐसा नहीं कहते। मैं पहले से ही इतना उलझा हुआ हूं तुम मुझे ओर उलझा रही हैं। ऐसा न करों कम से कम मेरा साथ छोड़ने की बात तो न करो तुम मुझे छोड़कर चली गईं तो फिर मैं कुछ भी कर बैठूंगा। हे प्रभु मैं कैसे इन उलझनों से बाहर निकलूं कोई तो रस्ता दिखा।

सुकन्या सिर्फ रावण को दिखने के लिए रूम से बाहर गई थीं। असल में सुकन्या रूम से बाहर आकर छुपकर रावण को देख रही थीं। रावण की बाते सुनने के बाद सुकन्या बोली... अपने मेरे लिए ओर कोई रस्ता ही नहीं छोड़ा आप'को सुधरने के लिए मुझे आप'से दूर जाना पड़ेगा तो चाली जाऊंगी कहा जाऊंगी मुझे नहीं पता ।

इतना बोलते ही सुकन्या के आंखो से आंसू छलक आया। साड़ी के अंचल से बहते आंसू को पोछा फ़िर छुपकर रावण को देखने लगा रावण बहुत देर तक मन ही मन सोचता रहा जितना सोच रहा था उतना ही इसके हाव भाव बदलता जा रहा था। बरहाल रावण सोच को विराम देकर जैसे ही उठा रावण को उठता देखकर सुकन्या बिना कोई आहट किए खिसक लिया। रावण तैयार होकर अनमने मन से ऑफिस के लिए चल दिया।

इधर रघु नाश्ते के बाद वहीं बैठा रह एक एक कर सभी उठकर चले गए पर रघु बैठा रहा। रघु को बैठा देखकर कमला बोली... आप'को ऑफिस नहीं जाना।

रघु…जाना हैं

कमला...जाना है तो बैठें क्यों हों जाओ जाकर तैयार होकर ऑफिस जाओ।

रघु... जी मालकिन जी अभी जाता हूं। फ़िर धीर से बोला…अजीब बीबी मिला हैं। अभी अभी शादी हुआ है ये नहीं की पति के साथ थोड़ा वक्त बिताए पर नहीं जब देखो ऑफिस भेजने पर तुली रहती हैं।

कमला... धीरे धीर क्यों बुदबुदा रहे हो जो बोलना हैं स्पष्ट और थोड़ा तेज बोलिए ताकि मैं भी सुन पाऊं मेरा पति क्या कह रहा हैं।

रघु... मैं तो धीरे से ही बोलूंगा तुम्हें पति की बाते सुनना है तो सुनने की क्षमता बढ़ना होगा।

इतना कह कर रघु मुस्कुराते हुए रूम कि ओर चल दिया। कमला भी रघु के पीछे पीछे रूम की ओर चल दिया। जैसे ही कमला रूम में पहुंची रघु ने कमला को बाहों में भार लिया। छुटने की प्रयास करते हुए कमला बोली...क्या कर रहे हो कोई देख लेगा छोड़िए न।

रघु... छोड़ दुंगा लेकिन पहले तुम मुझे ये बताओं की तुम मुझे प्यार करती हों की नहीं।

कमला...ये कैसा सवाल हैं। चलो अपने पूछ ही लिया तो आप खुद ही बताइए आप'को किया लगाता है।

रघु...वाहा जी वाहा सवाल मैंने पूछा जवाब देने के जगह उल्टा सवाल पूछ लिया। ठीक हैं जब पूछ ही लिया तो सुनो मुझे लगाता हैं तुम मुझसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करती हों।

इतना सुनते ही कमला झूठा गुस्सा दिखाते हुए बोली… छोड़िए मुझे आप'को लगाता है न मैं आप'से प्यार नहीं करती हूं तो ठीक है मै आज ही कलकत्ता चली जाऊंगी फिर कभी लौट कर नहीं आऊंगी।

रघु...आज जाने की बात कहा हैं फ़िर कभी नहीं कहना। तुम मुझे छोड़कर जाना भी चाहोगे तब भी मैं तुम्हें जानें नहीं दुंगा।

कमला...क्यों जानें नहीं देंगे जब आप'को लगाता है मैं आप'से प्यार नहीं करता तो फ़िर...।

कमला की बात बीच में काटकर रघु बोला... कमला मैंने बस इसलिए कहा जब भी मैं तुम्हारे साथ थोड़ा ज्यादा वक्त बिताना चाहता हू तब ही तुम मुझे खुद से दूर कर देती हों।

कमला हल्का सा मुस्कान चेहरे पर सजाकर रघु के गले में बांहों का हार डालकर बोला...एक दूसरे के साथ वक्त बिताने के लिए हमारे पास पुरी जिंदगी पड़ी हैं। समझें पति देव जी।

रघु...हां जनता हूं पर मैं तुम्हारे साथ वक्त बिताकर तुम्हें और अच्छे से जानना चाहता हू। इसलिए सोचा था। आज ऑफिस न जाकर तुम्हें कही घूमने ले जाऊंगा।

कमला... घूमने जानें के लिए ऑफिस से छुट्टी लेनी की जरूरत ही किया हैं। हम इतवार को घूमने जा सकते हैं। इसलिए आप अभी ऑफिस जाओ हम इतवार को घूमने चलेंगे।

रघु... तुम कहती हों तो ठीक हैं। चलो फिर एक kiss 😘 दो।

कमला रघु को आंखें में देखने लगीं तो रघु ने इशारे से फिर से kiss देने को बोला तो कमला ने रघु के माथे पर kiss कर दिया। तो रघु बोला... ये किया कमला मैं तुम्हें kiss होंठों पर देने को कहा तुम तो माथे पर kiss दिया।

कमला... अपने तो सिर्फ kiss देने को कहा था। ये थोड़ी न कहा कहां देना हैं।

रघु... अब तो कहा न चलो होंठों पर kiss दो।

कमला थोड़ा आनाकानी करने के बाद रघु के होंठों से अपने होंठों को जोड़ दिया। एक तरंग दोनों के जिस्म में जगा जिसने दोनो के जिस्म को झनझना दिया। कुछ वक्त तक दोनों एक दूसरे को kiss करते रहें फिर कमला ने पहल करते हुए खुद को रघु से अलग कर लिया और रघु को जल्दी से ऑफिस जानें को कहा। रघु कमला का कहना मानकर ऑफिस जानें के लिए तैयार होने लग गया। तैयार होने के बाद कमला ने रघु को ब्रीफकेस दिया और रघु ऑफिस को चला गया।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बने रहने के लिय बहुत बहुत शुक्रिया।🙏🙏🙏
Fabulous update dear, sochne aur karne me bahut jyada fark hota hai, apashyu ki bujdili use le dubegi ek din.
dimple ki bad luck, apashyu ki sachai samne ane ke bad dimple sadme me chali jayegi,
taras ati hai haweli me rahne wale sabhi logo se, kyu ki sabhi ko sadma lagega apashyu sachai jan kar. Dekhna ye hai ke parinam kiya nikalta hai.
kahani me point of attraction abhi apashyu hai. dekhte hai wo kaese deal karta hai khud ke paap ke sath aur family ke sath.
sabse jyada turn over situation, facts ko hi dekhe, jo aurat apne pati ko chetavani deti hai galat kam nahi karne ke liye, jab use pata chlega uske bete ki asliat, this is most exclusive point of this story, like., suknaya's next step, her reaction and most importantly, is she punished her own blood or not ?
 
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Fabulous update dear, sochne aur karne me bahut jyada fark hota hai, apashyu ki bujdili use le dubegi ek din.
dimple ki bad luck, apashyu ki sachai samne ane ke bad dimple sadme me chali jayegi,

सदमे में जायेगी या फिर डिंपल के साथ किया होगा ये समय आने पार पाता चलेगा
taras ati hai haweli me rahne wale sabhi logo se, kyu ki sabhi ko sadma lagega apashyu sachai jan kar. Dekhna ye hai ke parinam kiya nikalta hai.
kahani me point of attraction abhi apashyu hai. dekhte hai wo kaese deal karta hai khud ke paap ke sath aur family ke sath.

हा ये सच है इस वक्त ज्यादा फ़ोकस आपश्यु पर दिया जा राह हैं।
sabse jyada turn over situation, facts ko hi dekhe, jo aurat apne pati ko chetavani deti hai galat kam nahi karne ke liye, jab use pata chlega uske bete ki asliat, this is most exclusive point of this story, like., suknaya's next step, her reaction and most importantly, is she punished her own blood or not ?

जब सुकन्या को अपने बेटे की घिनौनी हरकतों का पाता चलेगा उस वक्त कौन सा तूफान महल में रहने वाले सभी के जीवन में आएगा ये समय चक्र के चाल में छुपा है।

इतना दिलकश और तथ्य पर आधारित रेवो देने के लिय बहुत बहुत सक्रिय
 
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बहुत दिनों से समय अभाव के चलाते अगला भाग पोस्ट नहीं कर पाया बस कुछ दिन और उसके बाद फिर से नए जोश ओ खरोश के साथ अगले भागो को पोस्ट करना शुरू करूंगा
 
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Update - 46

रघु तो ऑफिस चला गया पर यहां उसकी बीबी को न जानें किया हुआ। बेड पर बैठी बैठी कुछ सोच रहीं थीं और मंद मंद मुस्कुरा रहीं थीं। कमला खुद की ख्यालों में इतना खोई हुई थीं कि उसे सुनाई ही नहीं दे रही हैं। कोई उसे कब से चीख चीख कर बुला रहीं हैं।

कमला को बुलाने वाली कोई ओर नहीं पुष्पा ही थीं। रघु के ऑफिस जाने के बाद भी, जब कमला रूम से बाहर नहीं आई तो पुष्पा खुद भाभी के कमरे में पहुंच गईं। वहां पहुंचकर जो देखा उसे देखते ही पुष्पा खुद मुस्कुराए बिन रह न सकी कुछ पल तक पुष्पा द्वार पर खड़ी खड़ी भाभी को यूं ख्यालों मे खोई मुस्कुराती देखती रहीं फ़िर दो तीन बार द्वार को थप थपाया परंतु कमला पर इस आहट का कोई असर न हुआ। जिऊं की तिऊं कमल ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी को यूं बेसुद हो'कर ख्यालों मे खोया मुस्कुराता देखकर पुष्पा बोली...भाभी को हुआ क्या हैं? किन ख्यालों मे इतनी खोई हुई हैं कि उन्हें इतना भी सूद नहीं हैं कि द्वार पर कोई आया हैं और भाभी को आज हुआ किया जो यूं ख्यालों मे गुम वावलो की तरह मुस्कुरा रहीं हैं।

इतना बोलकर पुष्पा कुछ पल ओर द्वार पर खड़ी रहीं परन्तु कमला में कोई बदलाव नहीं आया। वो तो वैसे ही ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी भाभी बोलकर आवाज देते हुए पुष्पा कमला के पास तक पहुंच गई। किंतु कमला ख्यालों से पल भर के लिए बाहर नहीं आई। तब पुष्पा भाभी के कंधे पर हाथ रखकर हिलाते हुए बोली...भाभी आप'को क्या हुआ? कब से आप'को आवाज दे रहीं हूं। आप सुन ही नहीं रहीं हों।

कमला ख्यालों मे खोई हुई। पुष्पा का हाथ कंधे से हटाते हुए बोली...आप अभी तक ऑफिस नहीं गए। आप'को एक बार बोलने से सुनते क्यों नहीं जाओ जल्दी से ऑफिस जाओ।

पुष्पा... भाभी मै puspaaaa...।

बोलते बोलते रूक गईं फ़िर मन ही मन बोली... अच्छा तो ये बात है रूको अभी बताती हूं।

इतना बोलकर भाभी के कान के पास मुंह ले जा'कर पुष्पा bhabhiiii, जोर आवाज मे चीखते हुए बोली, अचानक तीव्र स्वर कान के पर्दों को छूने का असर यूं हुआ कि oreee bapppp rayyy bhoottt bhoottt तेज आवाज से चीखते हुए कमला ख्यालों से बाहर आई फ़िर इधर उधर देखने लग गई।

इतनी जोर आवाज मे भाभी को चीखते देखकर पुष्पा दो कदम पीछे हट गईं ओर टुकुर टुकुर भाभी को देखते हुए समझने की जतन करने लगीं की अभी अभी क्या हुआ जो भाभी इतनी तेजी से चीखी, पुष्पा आगे कुछ बोलती उससे पहले अंधी की तरह एक के बाद एक सुरभि, सुकन्या और अपश्यु कमरे मे घुस आई, साथ ही महल के नौकर भी आ गए। सुरभि कमला के पास बैठ गई और बोली... बहु क्या हुआ जो इतनी तेज चीखा।

सुकन्या... हां बहु क्या देख लिया जो इतनी तेज चीखा।

कमल से कुछ बोला नहीं गया बस दाएं बाएं नजरे घुमाकर कमरे का जायजा लेने में लगीं रहीं। भाभी को यूं हरकतें करता देखकर पुष्पा बोली... हां हां पूछो पूछो ढंग से पूछो, क्या हुआ जो भाभी इतनी तेज चीखा भाभी ने चीख कर मेरे कान के पर्दे फाड़ दिया।

इतना बोलकर पुष्पा मुस्कुराने लग गईं। बहन को मुस्कुराते देखकर अपश्यू बोला... मुझे लगता हैं भाभी के चीखने के पीछे पुष्पा की कोई शरारत रही होगी। फ़िर पुष्पा की ओर देखकर बोला...pushpaaa बता तूने ऐसा क्या किया जो भाभी इतनी जोर जोर से चीख पड़ी।

सुरभि...pushpaaa बताती क्यों नहीं जल्दी बता तूने ऐसा क्या किया जो बहु चीखने पर मजबूर हों गईं।

पुष्पा... पूछना ही हैं तो भाभी से पूछो, किन ख्यालों मे खोई हुई थी जो मुझे ऐसा कुछ करना पड़ा जिसने भाभी को चीखने पर मजबूर‌ कर दिया।

सुकन्या...मतलब की अभी जो कुछ भी हुआ उसकी वजह तू हैं पर ये तो बता तूने ऐसा क्या किया जो बहू चीख पड़ी कहीं तेरी वजह से बहु को कही चोट तो न लग गई। फ़िर सुरभि की और देखकर बोली... दीदी जरा देखो तो बहु को कहीं चोट तो नहीं लगी हैं।

सुरभि कुछ भी कहती या करती उससे पहले पुष्पा बोली... छोटी मां ऐसा कुछ नहीं हुआ। आप ये ख्याल अपने दिल से निकल दो कि मेरे कारण भाभी को कभी कोई चोट पहुंचेगी।

सुरभि... अच्छा अच्छा ठीक हैं अब ये बता तूने ऐसा क्या किया जो मेरी मासूम सी बहु चीख पड़ी।

पुष्पा मुस्कुराते हुए बोली... भाभी मासूम तो है साथ ही वावली भी, जरा पूछो तो किन ख्यालों मे खोकर ववली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

पुष्पा का इतना बोलना हुआ और कमला का मन मस्तिष्क एक बार फ़िर उन्हीं ख्यालों मे खो गईं। जिन ख्यालों मे खोकर कमला ववालो जैसी मुस्कुरा रहीं थीं। अभी क्या हुआ ये जाने के लिए सुरभी कमला की तरफ देखा तो कमला उन्हें मुस्कुराते हुए दिखा तब सुरभी बोली…बहु ऐसा क्या सोच रहीं थीं? जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं।

कुछ पल के लिए ख्यालों में कोई कमला सास की बाते सुनकर ख्यालों से वापस आ गईं। किंतु सास की बाते वो सुन नहीं पाई इसलिए बोली... मम्मी जी अपने कुछ पूछा।

सुरभि... हां पूछा तो है पर लगता है तुमने ध्यान से सुना नहीं ठीक है एक बार और पूछ लेती हूं। तुम ऐसा क्या सोच रहीं थी जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं

पुष्पा...हां हां बोलो बोलो क्या सोच रहीं थीं जो यूं ववाली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

सुरभि... तू चुप रहेगी तब न बोलेगी। फ़िर कमला के सिर पर हाथ फिरते हुए बोली... बोलों बहु ऐसा किया सोच रहीं थी।


कमला के मुस्कुराने की वजह जानने पर सास को जोर देता देखकर कमला खुद से मन में बोली... अब क्या करूं क्या बोलूं मैं उनकी (रघु की) कहीं बातों के बारे में सोच रहीं थीं ये कैसे बोलूं नहीं नहीं ये नहीं बोल सकती हूं कुछ ओर बोलता हूं।

कमला... मम्मी जी कुछ तो सोच रहीं थी पर क्या ये याद नहीं आ रहीं हैं? सब इस महारानी जी के कारण हुआ। मेरे कानों के पास जोर से नहीं चीखती तो न मैं डरती न ही मैं भूलती कि मैं क्या सोच रहीं थीं।

पुष्पा... वाहा जी वाहा! खुद ही दूध को खुल्ला छोड़ दिया जब बिल्ली सारा दूध पी गई तो दोष बिल्ली को ही दे रहीं हों कि बिल्ली ने दूध पिया ही क्यों था?

इतना बोलकर पुष्पा खिल्ली उड़ने के तर्ज पर हंस दिया। बाकी बचे लोगों में से किसी के पल्ले कुछ न पड़ा तो सभी एक साथ सिर खुजाते हुई। पुष्पा को ताकने लग गए। कुछ पल ताका झाकी चलता रहा फ़िर अपश्यु बोला...क्या दूध बिल्ला की राग अलाप रहीं हैं। कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फ़िर सुरभी की और देखकर बोला... बड़ी मां पुष्पा ने क्या बोला आप'को कुछ समझ आया।

सुरभि...unhuuu कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फिर एक नजर सुकन्या और कमला की ओर देखकर बोली... तुम दोनों कुछ समझ पाए तो जरा मुझे भी बता दो, दूध और बिल्ली की ओर इशारा करके पुष्पा क्या कहना चाह रहीं थीं।

सुकन्या कंधा उचकाते हुई बोली...दीदी मैं ख़ुद नहीं समझ पाई आप'को क्या समझाऊं, जिसने कहा उससे ही पूछ लो, मुझसे न पूछो तो बेहतर होगा। ।

कमला दया हीन भाव से पुष्पा की ओर देखकर बोली... ननद रानी पहेली सुनकर क्या बताना चाह रहीं थीं कुछ समझ नहीं आया। जरा स्पष्ट कहो क्या कहना चाहती हों?

पुष्पा…मेरी बाते आप'के पल्ले नहीं पड़ेगी इसलिए बेहतर होगा आप अपने दिमाग को बेफाजुल ओर न उलझाओ बस आप सभी इतना करो यह से प्रस्थान करो।

सुरभि... हम चले जायेंगे पहले जान तो ले बहू इतनी जोर से चीखी क्यों?

पुष्पा…आप'को जो भी जानना हैं पहले मैं जान लूं फिर आप सभी को बता दूंगा। अब आप सभी जाओ। भाभी से मुलाकात का समय आप सभी के लिए खत्म हुआ।

अपश्यु...बड़ी आई मुलाकात का समय खत्म करने वाली हम तब तक नहीं जायेगे जब तक भाभी बता ना दे, वो चीखी क्यों थी?

पुष्पा... ये महल, महारानी पुष्पा का हैं। इसलिए महारानी पुष्पा आप सभी को हुक्म सुनती हैं आप सभी यहां से बिना विलंब प्रस्थान करो अन्यथा आप सभी सजा के पात्र बन जाओगे।

सुकन्या…maharaniii jiii...।

सुकन्या बस इतना ही बोला था की पुष्पा बीच में रोककर सुकन्या और अपश्यु का हाथ पकड़कर खींचते हुई कमरे से बाहर ले गई। दोनों को बाहर छोड़कर अंदर आई और भौहें हिलाते हुई सुरभि से बोली... मां अब आप'को भी अगल से कहना पड़ेगा।

सुरभि...parrrr...।

सुरभि बस इतना ही बोला थी की पुष्पा मां का हाथ पकड़कर उठाया ओर खींचते हुई बाहर ले गई। पुष्पा को खींचा तानी करते देखकर कमला हंसने से खुद को रोक नहीं पाई। कमरे से बाहर निकलते ही सुरभि बोली... पुष्पा ये तू ठीक नहीं कर रहीं हैं। आने दे तेरे पापा को उसने तेरी शिकायत करूंगी।

सुकन्या…रहने दो दीदी जेठ जी से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं होगा। जेठ जी आप'की एक नहीं सुनने वाले उल्टा वो तो पुष्पा के पक्ष में रहकर आप'को ही डांट लगा देंगे।

पुष्पा खिल्ली उड़ने वाली हसीं हंसते हुई बोलीं... मां आप से समझदार मेरी छोटी मां हैं। इसलिए अब यहां से खिसको ओर हां पापा से जो शिकायत करनी हैं कर देना। उनसे कैसे निपटना हैं मै अच्छे से जानती हूं।

इतना कहकर पुष्पा कमरे के अंदर गई। कमरे का दरवाजा बंद करते हुए बोलीं... अभी ननद और भाभी आपस में बातें करेंगे। इसलिए जब तक मैं और भाभी ख़ुद से बाहर नहीं आ जाते कोई भी हमे परेशान नहीं करेगा।

इतना बोलकर पुष्पा दरवाजा बन्दकर कुंडी लगा दिया और बाहर से तीनों बस मुस्कुराते हुई चले गए। भाभी के पास पहुंचकर पुष्पा बोली... भाभी अब आप वो बताओं जिसे जानने के लिए मां इतना जोर दे रहीं थीं पर अपने वो न बताकर कुछ ओर ही बोल दिया।

कमला... बता तो दिया था अब बताने को रह ही किया गया।

पुष्पा... भाभी कम से कम मुझसे तो झूठ न बोलों, मैं जानती हूं आप भईया के कैसी बात पर सोच सोच कर मुस्कुरा रहीं थीं।

कमला अचंभित भाव से ननद को देखते हुई बोलीं... तुम्हें कैसे पाता मैंने तो कुछ कहा ही नहीं।

पुष्पा…आप बस इतना जान लो जैसे भी जितना भी मुझे पाता चला वो सब आप ने बताया अब ज्यादा नखरे न करो ओर बता दो। हां अगर ज्यादा गोपनीय बाते हैं तो मैं जानने पर जोर नहीं दूंगा।

कमला...umhunnn बताया जा सकता हैं। इतना गोपनीय भी नही हैं।

इतना सुनते ही पुष्पा धाम से भाभी के पास बैठ गई ओर जल्दी जानने की उत्सुक भाव लिए बोली... तो फिर देर किस बात की जल्दी से सुना ढालों।

ननद की उत्सुकता देखकर कमला मुस्कुराते हुई बोलीं... तुम भी न ननद रानी हमेशा जल्दी में रहती हों इतना जल्दी बाज़ी करना ठीक नहीं हैं।

पुष्पा hunhhh करके मुंह बिचका लिए फिर दूसरे ओर नजरे फेर कर रूठने का दिखावा करने लगीं। यह देखकर कमला चीर परिचित अंदाज में मुस्कुरा दिया ओर बोली…यूं रूठने का दिखावा कम से कम मेरे सामने तो न करो। अब मेरी ओर देखो ।

भाभी के बोलने पर जब पुष्पा नहीं मुड़ी तो कमला ननद की ठोड़ी से पकड़कर खुद की ओर गुमाया फ़िर बोलीं...अच्छा बाबा अब ये रूठना छोड़ो ओर मेरी ओर देखो नहीं देखा तो मैं कुछ भी नहीं बताने वाली।

भाभी के इतना कहते ही पुष्पा मंद मंद मुस्कान लावो पर लिए भाभी की ओर पलटी तब कमला बोली... ननद रानी आज तुम्हारे भईया ऑफिस नहीं जाना चाहते थे। वो मुझे कहीं घूमने ले जाना चाहते थे। तुम्हारे भईया कह रहे थे वो मेरी साथ वक्त बिताकर मुझे ओर अच्छे से जाना चाहते हैं पर मैं….।

कमल आगे कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा बीच में रोककर बोली... तो फिर आप गए क्यों नहीं आपको भईया के साथ जाना चाहिए था।

कमला... कैसे चली जाती उनको ऑफिस में कितना काम होगा फ़िर भी इसके साथ घूमने जाती तो लोग क्या कहते कि देखो नई बहू के आए दिन ही कितने हुए ओर पति के साथ घूमने निकल पड़ी। हों सकता है मम्मी जी ख़ुद ही बुरा मान जाती।

भाभी की इतनी बाते सुनते ही पुष्पा उठ खड़ी हुई ओर भाभी का हाथ पकड़कर खींचते हुई बोलीं... आप चलो मेरे साथ।

कमला…रूको तो जरा कहा चलना हैं ये बताओं।

पुष्पा बिना कुछ बोले भाभी का हाथ थामे कमरे से बाहर को चल दिया। "रूको तो जरा, रूको तो जरा" कहते हुए कमला ननद के साथ खींची चली गईं।

इधर पुष्पा द्वारा कमरे से जबरदस्ती निकल दिए जाने पर अपश्यु अपने कमरे में चला गया एवम सुरभी और सुकन्या बैठक में जाकर बैठ गई। बैठते ही सुकन्या बोलीं…दीदी ऐसा किया हुआ होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी?

सुरभि... होना क्या? जरूर पुष्पा ने ही कोई शरारत किया होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी। अगर पुष्पा ने शरारत न किया होता तो हमे ऐसे जबरदस्ती कमरे ने बाहर क्यों भेज देती।

सुकन्या...दीदी पुष्पा बहु के साथ इतनी शरारत करती हैं। कहीं बहु उसकी बातों का बुरा न मान बैठे।

सुरभि... अच्छा एक बात बता पुष्पा की शरारतों का हम में से कोई बुरा मानता हैं।

सुकन्या…हम पुष्पा को अच्छे से जानते हैं इसलिए उसकी बातों का बुरा नहीं मानते पर बहू अभी अभी आई हैं इसलिए मुझे डर सताता हैं कहीं बहू बुरा न मान जाए।

सुरभि... तू बेवजह डर रहीं हैं। तूने शायद ध्यान नहीं दिया होगा। बहू जब से आई हैं बहुत ही कम ऐसा हुआ कि बहु मायके को याद करके उदास हुई हों। ऐसा हुआ हैं तो सिर्फ़ पुष्पा के कारण उसकी यहीं शरारते ही बहू का मन इस घर में लगा कर रखती हैं।

सुकन्या…हां ये तो अपने ठीक कहा।

सुकन्या के इतना बोलते ही एक आवाज आया... छोटी मां, मां ने ऐसा किया कहा जिसे आप ठीक कह रही हों।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏🙏
 
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waiting new update dost

very very good and nice updated waiting for next update

Good update Bhai 🤗

bhut hi shandar aur romnchak se pripurn

Fabulous update destiny bhai....

Super super super update

Suru ke teeno update bhote pasand meko bahut shandar update tha bhai

Behad hi shandar or jabardast update bhai.
Bahut khoob superb.

दा लाउंज पर आकेश हरताल कर रहा था, अब उसकी आदत हवेली की बीवियों को लग गयी। सभी अपने अपने पतियो को छोड़, मायके जाने की हरताल कर रही है 🤭 सबसे आगे सुकन्या है 😈

Nice update

aapasyu ab aur bhi jyada galtia kar raha hai, usko lagta hai bad me batane se dimple ya uski family jyada react nahi karege , lekin ye uski galat soch hai. Raghu rawan sukanya pushpa aur surbhi ek bar lie use maf kar bhi de par kamla aur rajendr usko kabhi maf nahi karege. sukanya puri alert hai, rawan chahkar bhi ab gadbar nahi kar sakta. raghu kamla ke sath rehna chahta hai par kamla use office bhaga rhi hai. nai nai shadi hui hai, arman to jage hi par kamla ko parwah hi nahi :dontknow:

Great story

Fabulous update dear, sochne aur karne me bahut jyada fark hota hai, apashyu ki bujdili use le dubegi ek din.
dimple ki bad luck, apashyu ki sachai samne ane ke bad dimple sadme me chali jayegi,
taras ati hai haweli me rahne wale sabhi logo se, kyu ki sabhi ko sadma lagega apashyu sachai jan kar. Dekhna ye hai ke parinam kiya nikalta hai.
kahani me point of attraction abhi apashyu hai. dekhte hai wo kaese deal karta hai khud ke paap ke sath aur family ke sath.
sabse jyada turn over situation, facts ko hi dekhe, jo aurat apne pati ko chetavani deti hai galat kam nahi karne ke liye, jab use pata chlega uske bete ki asliat, this is most exclusive point of this story, like., suknaya's next step, her reaction and most importantly, is she punished her own blood or not ?

अपडेट 46 पोस्ट कर दिया हैं। जनता हूं बहुत देर हों गया पर किया करू कुछ मजबूरी में फाश गया था जिस करन लिखने का समय नहीं मिल पा रहा था। इसलिए आप सभी से माफी की उम्मीद करता हूं आगे से हर पांचवे दिन एक अपडेट देने की कोशिश करूंगा।
 
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Update - 46

रघु तो ऑफिस चला गया पर यहां उसकी बीबी को न जानें किया हुआ। बेड पर बैठी बैठी कुछ सोच रहीं थीं और मंद मंद मुस्कुरा रहीं थीं। कमला खुद की ख्यालों में इतना खोई हुई थीं कि उसे सुनाई ही नहीं दे रही हैं। कोई उसे कब से चीख चीख कर बुला रहीं हैं।

कमला को बुलाने वाली कोई ओर नहीं पुष्पा ही थीं। रघु के ऑफिस जाने के बाद भी, जब कमला रूम से बाहर नहीं आई तो पुष्पा खुद भाभी के कमरे में पहुंच गईं। वहां पहुंचकर जो देखा उसे देखते ही पुष्पा खुद मुस्कुराए बिन रह न सकी कुछ पल तक पुष्पा द्वार पर खड़ी खड़ी भाभी को यूं ख्यालों मे खोई मुस्कुराती देखती रहीं फ़िर दो तीन बार द्वार को थप थपाया परंतु कमला पर इस आहट का कोई असर न हुआ। जिऊं की तिऊं कमल ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी को यूं बेसुद हो'कर ख्यालों मे खोया मुस्कुराता देखकर पुष्पा बोली...भाभी को हुआ क्या हैं? किन ख्यालों मे इतनी खोई हुई हैं कि उन्हें इतना भी सूद नहीं हैं कि द्वार पर कोई आया हैं और भाभी को आज हुआ किया जो यूं ख्यालों मे गुम वावलो की तरह मुस्कुरा रहीं हैं।

इतना बोलकर पुष्पा कुछ पल ओर द्वार पर खड़ी रहीं परन्तु कमला में कोई बदलाव नहीं आया। वो तो वैसे ही ख्यालों मे खोई मुस्कुराती रहीं। भाभी भाभी बोलकर आवाज देते हुए पुष्पा कमला के पास तक पहुंच गई। किंतु कमला ख्यालों से पल भर के लिए बाहर नहीं आई। तब पुष्पा भाभी के कंधे पर हाथ रखकर हिलाते हुए बोली...भाभी आप'को क्या हुआ? कब से आप'को आवाज दे रहीं हूं। आप सुन ही नहीं रहीं हों।

कमला ख्यालों मे खोई हुई। पुष्पा का हाथ कंधे से हटाते हुए बोली...आप अभी तक ऑफिस नहीं गए। आप'को एक बार बोलने से सुनते क्यों नहीं जाओ जल्दी से ऑफिस जाओ।

पुष्पा... भाभी मै puspaaaa...।

बोलते बोलते रूक गईं फ़िर मन ही मन बोली... अच्छा तो ये बात है रूको अभी बताती हूं।

इतना बोलकर भाभी के कान के पास मुंह ले जा'कर पुष्पा bhabhiiii, जोर आवाज मे चीखते हुए बोली, अचानक तीव्र स्वर कान के पर्दों को छूने का असर यूं हुआ कि oreee bapppp rayyy bhoottt bhoottt तेज आवाज से चीखते हुए कमला ख्यालों से बाहर आई फ़िर इधर उधर देखने लग गई।

इतनी जोर आवाज मे भाभी को चीखते देखकर पुष्पा दो कदम पीछे हट गईं ओर टुकुर टुकुर भाभी को देखते हुए समझने की जतन करने लगीं की अभी अभी क्या हुआ जो भाभी इतनी तेजी से चीखी, पुष्पा आगे कुछ बोलती उससे पहले अंधी की तरह एक के बाद एक सुरभि, सुकन्या और अपश्यु कमरे मे घुस आई, साथ ही महल के नौकर भी आ गए। सुरभि कमला के पास बैठ गई और बोली... बहु क्या हुआ जो इतनी तेज चीखा।

सुकन्या... हां बहु क्या देख लिया जो इतनी तेज चीखा।

कमल से कुछ बोला नहीं गया बस दाएं बाएं नजरे घुमाकर कमरे का जायजा लेने में लगीं रहीं। भाभी को यूं हरकतें करता देखकर पुष्पा बोली... हां हां पूछो पूछो ढंग से पूछो, क्या हुआ जो भाभी इतनी तेज चीखा भाभी ने चीख कर मेरे कान के पर्दे फाड़ दिया।

इतना बोलकर पुष्पा मुस्कुराने लग गईं। बहन को मुस्कुराते देखकर अपश्यू बोला... मुझे लगता हैं भाभी के चीखने के पीछे पुष्पा की कोई शरारत रही होगी। फ़िर पुष्पा की ओर देखकर बोला...pushpaaa बता तूने ऐसा क्या किया जो भाभी इतनी जोर जोर से चीख पड़ी।

सुरभि...pushpaaa बताती क्यों नहीं जल्दी बता तूने ऐसा क्या किया जो बहु चीखने पर मजबूर हों गईं।

पुष्पा... पूछना ही हैं तो भाभी से पूछो, किन ख्यालों मे खोई हुई थी जो मुझे ऐसा कुछ करना पड़ा जिसने भाभी को चीखने पर मजबूर‌ कर दिया।

सुकन्या...मतलब की अभी जो कुछ भी हुआ उसकी वजह तू हैं पर ये तो बता तूने ऐसा क्या किया जो बहू चीख पड़ी कहीं तेरी वजह से बहु को कही चोट तो न लग गई। फ़िर सुरभि की और देखकर बोली... दीदी जरा देखो तो बहु को कहीं चोट तो नहीं लगी हैं।

सुरभि कुछ भी कहती या करती उससे पहले पुष्पा बोली... छोटी मां ऐसा कुछ नहीं हुआ। आप ये ख्याल अपने दिल से निकल दो कि मेरे कारण भाभी को कभी कोई चोट पहुंचेगी।

सुरभि... अच्छा अच्छा ठीक हैं अब ये बता तूने ऐसा क्या किया जो मेरी मासूम सी बहु चीख पड़ी।

पुष्पा मुस्कुराते हुए बोली... भाभी मासूम तो है साथ ही वावली भी, जरा पूछो तो किन ख्यालों मे खोकर ववली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

पुष्पा का इतना बोलना हुआ और कमला का मन मस्तिष्क एक बार फ़िर उन्हीं ख्यालों मे खो गईं। जिन ख्यालों मे खोकर कमला ववालो जैसी मुस्कुरा रहीं थीं। अभी क्या हुआ ये जाने के लिए सुरभी कमला की तरफ देखा तो कमला उन्हें मुस्कुराते हुए दिखा तब सुरभी बोली…बहु ऐसा क्या सोच रहीं थीं? जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं।

कुछ पल के लिए ख्यालों में कोई कमला सास की बाते सुनकर ख्यालों से वापस आ गईं। किंतु सास की बाते वो सुन नहीं पाई इसलिए बोली... मम्मी जी अपने कुछ पूछा।

सुरभि... हां पूछा तो है पर लगता है तुमने ध्यान से सुना नहीं ठीक है एक बार और पूछ लेती हूं। तुम ऐसा क्या सोच रहीं थी जो ववलो की तरह मुस्कुरा रहीं थीं

पुष्पा...हां हां बोलो बोलो क्या सोच रहीं थीं जो यूं ववाली होई मुस्कुराए जा रहीं थीं।

सुरभि... तू चुप रहेगी तब न बोलेगी। फ़िर कमला के सिर पर हाथ फिरते हुए बोली... बोलों बहु ऐसा किया सोच रहीं थी।


कमला के मुस्कुराने की वजह जानने पर सास को जोर देता देखकर कमला खुद से मन में बोली... अब क्या करूं क्या बोलूं मैं उनकी (रघु की) कहीं बातों के बारे में सोच रहीं थीं ये कैसे बोलूं नहीं नहीं ये नहीं बोल सकती हूं कुछ ओर बोलता हूं।

कमला... मम्मी जी कुछ तो सोच रहीं थी पर क्या ये याद नहीं आ रहीं हैं? सब इस महारानी जी के कारण हुआ। मेरे कानों के पास जोर से नहीं चीखती तो न मैं डरती न ही मैं भूलती कि मैं क्या सोच रहीं थीं।

पुष्पा... वाहा जी वाहा! खुद ही दूध को खुल्ला छोड़ दिया जब बिल्ली सारा दूध पी गई तो दोष बिल्ली को ही दे रहीं हों कि बिल्ली ने दूध पिया ही क्यों था?

इतना बोलकर पुष्पा खिल्ली उड़ने के तर्ज पर हंस दिया। बाकी बचे लोगों में से किसी के पल्ले कुछ न पड़ा तो सभी एक साथ सिर खुजाते हुई। पुष्पा को ताकने लग गए। कुछ पल ताका झाकी चलता रहा फ़िर अपश्यु बोला...क्या दूध बिल्ला की राग अलाप रहीं हैं। कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फ़िर सुरभी की और देखकर बोला... बड़ी मां पुष्पा ने क्या बोला आप'को कुछ समझ आया।

सुरभि...unhuuu कुछ पल्ले नहीं पड़ा। फिर एक नजर सुकन्या और कमला की ओर देखकर बोली... तुम दोनों कुछ समझ पाए तो जरा मुझे भी बता दो, दूध और बिल्ली की ओर इशारा करके पुष्पा क्या कहना चाह रहीं थीं।

सुकन्या कंधा उचकाते हुई बोली...दीदी मैं ख़ुद नहीं समझ पाई आप'को क्या समझाऊं, जिसने कहा उससे ही पूछ लो, मुझसे न पूछो तो बेहतर होगा। ।

कमला दया हीन भाव से पुष्पा की ओर देखकर बोली... ननद रानी पहेली सुनकर क्या बताना चाह रहीं थीं कुछ समझ नहीं आया। जरा स्पष्ट कहो क्या कहना चाहती हों?

पुष्पा…मेरी बाते आप'के पल्ले नहीं पड़ेगी इसलिए बेहतर होगा आप अपने दिमाग को बेफाजुल ओर न उलझाओ बस आप सभी इतना करो यह से प्रस्थान करो।

सुरभि... हम चले जायेंगे पहले जान तो ले बहू इतनी जोर से चीखी क्यों?

पुष्पा…आप'को जो भी जानना हैं पहले मैं जान लूं फिर आप सभी को बता दूंगा। अब आप सभी जाओ। भाभी से मुलाकात का समय आप सभी के लिए खत्म हुआ।

अपश्यु...बड़ी आई मुलाकात का समय खत्म करने वाली हम तब तक नहीं जायेगे जब तक भाभी बता ना दे, वो चीखी क्यों थी?

पुष्पा... ये महल, महारानी पुष्पा का हैं। इसलिए महारानी पुष्पा आप सभी को हुक्म सुनती हैं आप सभी यहां से बिना विलंब प्रस्थान करो अन्यथा आप सभी सजा के पात्र बन जाओगे।

सुकन्या…maharaniii jiii...।

सुकन्या बस इतना ही बोला था की पुष्पा बीच में रोककर सुकन्या और अपश्यु का हाथ पकड़कर खींचते हुई कमरे से बाहर ले गई। दोनों को बाहर छोड़कर अंदर आई और भौहें हिलाते हुई सुरभि से बोली... मां अब आप'को भी अगल से कहना पड़ेगा।

सुरभि...parrrr...।

सुरभि बस इतना ही बोला थी की पुष्पा मां का हाथ पकड़कर उठाया ओर खींचते हुई बाहर ले गई। पुष्पा को खींचा तानी करते देखकर कमला हंसने से खुद को रोक नहीं पाई। कमरे से बाहर निकलते ही सुरभि बोली... पुष्पा ये तू ठीक नहीं कर रहीं हैं। आने दे तेरे पापा को उसने तेरी शिकायत करूंगी।

सुकन्या…रहने दो दीदी जेठ जी से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं होगा। जेठ जी आप'की एक नहीं सुनने वाले उल्टा वो तो पुष्पा के पक्ष में रहकर आप'को ही डांट लगा देंगे।

पुष्पा खिल्ली उड़ने वाली हसीं हंसते हुई बोलीं... मां आप से समझदार मेरी छोटी मां हैं। इसलिए अब यहां से खिसको ओर हां पापा से जो शिकायत करनी हैं कर देना। उनसे कैसे निपटना हैं मै अच्छे से जानती हूं।

इतना कहकर पुष्पा कमरे के अंदर गई। कमरे का दरवाजा बंद करते हुए बोलीं... अभी ननद और भाभी आपस में बातें करेंगे। इसलिए जब तक मैं और भाभी ख़ुद से बाहर नहीं आ जाते कोई भी हमे परेशान नहीं करेगा।

इतना बोलकर पुष्पा दरवाजा बन्दकर कुंडी लगा दिया और बाहर से तीनों बस मुस्कुराते हुई चले गए। भाभी के पास पहुंचकर पुष्पा बोली... भाभी अब आप वो बताओं जिसे जानने के लिए मां इतना जोर दे रहीं थीं पर अपने वो न बताकर कुछ ओर ही बोल दिया।

कमला... बता तो दिया था अब बताने को रह ही किया गया।

पुष्पा... भाभी कम से कम मुझसे तो झूठ न बोलों, मैं जानती हूं आप भईया के कैसी बात पर सोच सोच कर मुस्कुरा रहीं थीं।

कमला अचंभित भाव से ननद को देखते हुई बोलीं... तुम्हें कैसे पाता मैंने तो कुछ कहा ही नहीं।

पुष्पा…आप बस इतना जान लो जैसे भी जितना भी मुझे पाता चला वो सब आप ने बताया अब ज्यादा नखरे न करो ओर बता दो। हां अगर ज्यादा गोपनीय बाते हैं तो मैं जानने पर जोर नहीं दूंगा।

कमला...umhunnn बताया जा सकता हैं। इतना गोपनीय भी नही हैं।

इतना सुनते ही पुष्पा धाम से भाभी के पास बैठ गई ओर जल्दी जानने की उत्सुक भाव लिए बोली... तो फिर देर किस बात की जल्दी से सुना ढालों।

ननद की उत्सुकता देखकर कमला मुस्कुराते हुई बोलीं... तुम भी न ननद रानी हमेशा जल्दी में रहती हों इतना जल्दी बाज़ी करना ठीक नहीं हैं।

पुष्पा hunhhh करके मुंह बिचका लिए फिर दूसरे ओर नजरे फेर कर रूठने का दिखावा करने लगीं। यह देखकर कमला चीर परिचित अंदाज में मुस्कुरा दिया ओर बोली…यूं रूठने का दिखावा कम से कम मेरे सामने तो न करो। अब मेरी ओर देखो ।

भाभी के बोलने पर जब पुष्पा नहीं मुड़ी तो कमला ननद की ठोड़ी से पकड़कर खुद की ओर गुमाया फ़िर बोलीं...अच्छा बाबा अब ये रूठना छोड़ो ओर मेरी ओर देखो नहीं देखा तो मैं कुछ भी नहीं बताने वाली।

भाभी के इतना कहते ही पुष्पा मंद मंद मुस्कान लावो पर लिए भाभी की ओर पलटी तब कमला बोली... ननद रानी आज तुम्हारे भईया ऑफिस नहीं जाना चाहते थे। वो मुझे कहीं घूमने ले जाना चाहते थे। तुम्हारे भईया कह रहे थे वो मेरी साथ वक्त बिताकर मुझे ओर अच्छे से जाना चाहते हैं पर मैं….।

कमल आगे कुछ बोलती उससे पहले पुष्पा बीच में रोककर बोली... तो फिर आप गए क्यों नहीं आपको भईया के साथ जाना चाहिए था।

कमला... कैसे चली जाती उनको ऑफिस में कितना काम होगा फ़िर भी इसके साथ घूमने जाती तो लोग क्या कहते कि देखो नई बहू के आए दिन ही कितने हुए ओर पति के साथ घूमने निकल पड़ी। हों सकता है मम्मी जी ख़ुद ही बुरा मान जाती।

भाभी की इतनी बाते सुनते ही पुष्पा उठ खड़ी हुई ओर भाभी का हाथ पकड़कर खींचते हुई बोलीं... आप चलो मेरे साथ।

कमला…रूको तो जरा कहा चलना हैं ये बताओं।

पुष्पा बिना कुछ बोले भाभी का हाथ थामे कमरे से बाहर को चल दिया। "रूको तो जरा, रूको तो जरा" कहते हुए कमला ननद के साथ खींची चली गईं।

इधर पुष्पा द्वारा कमरे से जबरदस्ती निकल दिए जाने पर अपश्यु अपने कमरे में चला गया एवम सुरभी और सुकन्या बैठक में जाकर बैठ गई। बैठते ही सुकन्या बोलीं…दीदी ऐसा किया हुआ होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी?

सुरभि... होना क्या? जरूर पुष्पा ने ही कोई शरारत किया होगा जिसके कारण बहू चीखी होगी। अगर पुष्पा ने शरारत न किया होता तो हमे ऐसे जबरदस्ती कमरे ने बाहर क्यों भेज देती।

सुकन्या...दीदी पुष्पा बहु के साथ इतनी शरारत करती हैं। कहीं बहु उसकी बातों का बुरा न मान बैठे।

सुरभि... अच्छा एक बात बता पुष्पा की शरारतों का हम में से कोई बुरा मानता हैं।

सुकन्या…हम पुष्पा को अच्छे से जानते हैं इसलिए उसकी बातों का बुरा नहीं मानते पर बहू अभी अभी आई हैं इसलिए मुझे डर सताता हैं कहीं बहू बुरा न मान जाए।

सुरभि... तू बेवजह डर रहीं हैं। तूने शायद ध्यान नहीं दिया होगा। बहू जब से आई हैं बहुत ही कम ऐसा हुआ कि बहु मायके को याद करके उदास हुई हों। ऐसा हुआ हैं तो सिर्फ़ पुष्पा के कारण उसकी यहीं शरारते ही बहू का मन इस घर में लगा कर रखती हैं।

सुकन्या…हां ये तो अपने ठीक कहा।

सुकन्या के इतना बोलते ही एक आवाज आया... छोटी मां, मां ने ऐसा किया कहा जिसे आप ठीक कह रही हों।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद। 🙏🙏🙏
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