Incest अनोखे संबंध

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चेतावनी
जिन दोस्तों को पारिवारिक संबंध से एलर्जी है वह इस कहानी से दुर रहें ।

यह कहानी है राधा और उसके परिवार की। पह्ले सारे पात्र के बारे में जान लेते हैं।

राकेश+राधा = पति पत्नी
रघु, रेखा= उन्के बच्चे

कमलनाथ+कोमल= पति पत्नी
रामू, शीतल= उन्के बच्चे।

अगर कहानी अच्छी लगे क्र्पया लायक और कमेंट करे। इससे हमें उत्साह मिलेगा।
 
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आज राधा बहुत ख़ुश है शहर से उसका पति राकेश आनेवाला है। हफ़्तेमें बस दो दिन ही राकेश गाँव में अपने परिवार के साथ रह पाता है। शहर में उसकी अपनी फ़ेक्ट्री है। उसकी देखभाल वह वहीं रह के किया करता था ।

शाम के पहले ही राकेश आ चुका था । राधा का घर बढ़ा सारा है । नीचे दो और ऊपर तीन कमरें थे । नीचे के एक कमरें में रघु और ऊपर के दो कमरें में उसकी बेटी रेखा और वह रहतीथी। रात के खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में जा चुके थे। राधा आज ख़ुश इस लिए थी क्योंकि उसे अपनी पति से आज अच्छी तरह चूदवाणी थी।

राधा एक नाइटी में अपने पति के सामने थी।
राकेश : आज तो लग रहा है काफ़ी गरम हो।
राधा : तो रहूँगी नहीं क्या। पिछली बार जब तुम आए थे तब तो मेरी माहवारी चल रही थी। आज तो मैं उसका भी हिसाब लूँगी। आज मुझे तीन बार चूदाईं चाहिए।
राकेश: अच्छा जी। तब तो सचमें तुम गरम हो गयी हो। देखना कहीं चूत में आग ना लग जाए। यह कहते हुए वह राधा को पीछे से पकड लेता है।

राधा: उससे आप को क्या।आप तो शहर में बिंदास ठुकाई करते जाते हैं। और इधर मैं लंड के लिए तरसी जा रही हूँ।
राकेश: मेरी राधा तुम्हें तो पता है तुम्हारा पति बिना चूदाईं के रह नहीं सकता। और उधर कारख़ाने की देखभाल भी करनी है। अब मैं रहूँ तो कैसे । तुम ने भी मुझे छूट दे रखी है। और मैं ने तुम्हें आज़ादी दी है इसी लिए तो हम एक दूसरे से इतना प्यार करते हैं।
राकेश अपनी बीबी को चूमने लगता है। और धीरे धीरे उसके कपड़े खोल देता है।

राधा: हाँ बाबा। दी है तुम्हें छूट। वह भी तुम्हारी ख़ुशी के लिए। अपने पति के बाँहों में समाते हुए। लेकिन मेरे बारे में भी ज़रा सोचके देखो किस तरह रहूँ मैं । जहाँ तुम रोज़ एक एक लड़की को चोदते रहते हो वहाँ मैं बस मैं हफ़्ते एक या दो दिन।

राकेश उसके बड़े बड़े मम्मे को मसलता हुया : लेकिन राधा इसकी वजह तो तुम ख़ुद हो। तुम ही बोलती हो तुम्हें किसी से चूदवाना अच्छा नहीं लगता।

राधा: हाँ तो सही तो बोलती हूँ। हाय इस तरह क्यों काट रहे हैं ।

राकेश उसके दूध चूसता चूसता बिस्तर पे लिटा देता है। और बालों से बिलकुल साफ़ चिकनी चूत पे अपना हाथ फेरता है। राधा मजे में सहम रही थी ।

राकेश: आज ही साफ़ किया है ना मेरी जान।

राधा:हाँ। उतने ग़ौर से क्या देख रहे हैं? वहीं मेरी चूत है जिसे आप ने चोद चोद के भोसढा बना दिया है। नया कुछ नहीं हैं।

राकेश: जो भी बोलो आज भी तुम मस्त लगती हो। तुम्हारी चूत देखके कोई बता नहीं सकता के इसी से दो दो बच्चों को निकाल चुकी हो। और यह कह कर वह अपना मुँह उसकी चूत में डुबो देता है।

राधा: आह आह धीरे धीरे चूसो । मैं आज बहुत गरम हूँ। कहीं चूस के ही मेरा पानी निकाल मत देना। मुझे आज दमदार चूदाईं की ज़रूरत है। हाँ हाँ इसी तरह चूसो। खा लो अपनी राधा की चूत। हाय कितना सुख मिल रहा है। कभी कभी जी करता है के किसी से चूत ही चूसवॉ लूँ। इस की गरमी बर्दाश्त नहीं होती।

राकेश चूसता हया अपना मुँह उठाता है। : तो चूसवा ही लेती।

राधा: पर तुम मर्दों को मैं अच्छे से जानती हूँ। वह चूस के मान ने वाला नहीं। वह चोदेगा तभी उसका मन भरेगा। आह आह राकेश मैं झड़ जाऊँगी। और ना चूसो अब घुसा दो अपना लंड। मैं दो हफ़्ते की भूकी हूँ।

राकेश: हाँ हाँ दे तो रहा हूँ! यह लो अपनी अमानत। और अपना 6 इंच का लण्ड निकाल उसके चुत के दरारों मैं घिसने लगता है।: आज मैं अपनी जान की सारी भूख मिटा दूंगा। अपना लौडा चुत के छेद पर घिसते घिसते हल्के से एक धक्के के आधा लण्ड अपनी बीबी की जानी पहचानी चुत में चला जाता है। और फिर एक और धक्के से पुरा लण्ड राधा की चुत मे गायब हो जाता है। राधा मुहं से एक हल्की सी आह निकलती है।

राकेश: अब दिल को शांति मिली ना!
राधा राकेश चेहरे को देखते हुये और मुस्कुरा के कहती है: शांति तो तब मिलेगी ना जब तुम अपना काम चालू रखोगे।

राकेश: तो यह लो ना। और चुत पे धक्के की शुरुयात करता है।

राधा: मुझे तो शांति और सुख तभी मिलेगा जब तुम मुझे रोजाना इसी अन्दाज से ठुकाई करोगे।

राकेश उसके होंटों को चुम्ता हुया: कौसे बोलो। मैं ने तुम्हें बता रखा है। अपनी पसंद का कोई देख लो।

राधा अपने दोनों टाँगें अपने पति के कमर के उपर रख के चुदाई का मजा लेते हुये: तुम्हें गावँ के हालात के बारे में कुछ पता भी है या नहीँ? वह तो मुझे भी पता है अगर मैं ने सोचा तो किसी से भी चूदवा सकती हूँ। पर अब गावँ के माहोल अच्छे नहीं रहे। यहां तो अब तुम्हारे उम्र के लोग जवान लडकियों के पीछे और जवान लौंडे औरतों पीछे लगे हुये हैं। और जिसे पटा लिया उसी को चोद लिया। यही चल रहा है ।

राकेश धक्के की तेज़ को और बढाकर: तो तुम भी किसी जवान लौंडे से अपनी चुत की ठुकाई करवा लेती।

राधा: नहीँ जी नहीं। मुझे बढ़ी शर्म आती है। अपने ही बेटे की उम्र के,,,,,,,,,,
 
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राधा: हाय! मैं नहीं कर सकती। अपने बेटे की उम्र के किसी लौंडे से चूदवाना। हाय कितनी शर्म की बात है।

राकेश उन्ही सब सेक्सी उत्तेजित बातों से राधा को पेल्ता जा रहा था। उसका 6 इंच का लण्ड मानो 7 इंच का हो गया होगा!

राकेश: अरे मेरी प्यारी बीबी! शुरु शुरु में सब को ही शर्म आती है। अब तुम्हारी सहेली कोमल को ही देख लो किस तरह अपनी चुत की भूख का इन्तज़ाम वह खुद कर लेती है। मेरा दोस्त कमलनाथ तो अपने धुन में लगा है। और उसकी बीबी अपने धुन में। मजा आ रहा है ना राधा?

राधा अपनी गांड से नीचे से ही राकेश के लण्ड पर धक्के मारने की कोशिश करती रहती है। कभी कभी अपनी चुत से ही राकेश के लण्ड पर दबाव बनाती रहती है ।

राधा: हाँ पता है मुझे सब। वह तो है ही रंडी। मुझे भी पता है इस में बहुत मजा है। लेकिन शर्म के मारे कुछ कर नहीं पाती। तुम्हारा दोस्त कमल तो अब अपनी लड़की के पीछे लगा हुया है। और उसकी बेटी शीतल भी बिलकुल बाप चूदवानी बन चुकी है। दिन नही रात नहीं हर टाईम बाप के लण्ड पर झूला झूल रही है। पता नहीं किसी दिन पेट से ना हो जाये।

राकेश: तो इसमें बुरा क्या है? बाप अगर अपने बेटी को नहीं चोदेगा तो क्या किस्से चूदेगी वह? हर बाप का उसके बेटी पर पति जौसा अधिकार होता है।

राधा: आह मर गई। कितना मजा आ रहा है। मेरा झड़ने वाला है। मुझे कसके पकड़ लो रघु के पापा। आह आह।

कुछ देर बाद राधा अपनी आंखें खोलती है। राकेश उसकी तरफ देख रही थी। दोनों पसीने में बोर हो चुके थे।

राकेश उसके चेहरे को हाथ से पकड़ के एक किस करता है।

राकेश: मजा आया राधा!

राधा: बहुत मजा आया। दो हफ्ते से चूदी नहीं थी। अब जा के कुछ सुकून मिला मुझे।

राकेश: मेरा तो नहीं गिरा अभी तक।

राधा: चलो मैं गिरा देती हूँ।

राकेश: चुत में ही गिरा देता हूँ?

राधा: नहीं जी। तुम्हें पता नहीं क्या मैं ने पिल खानी छोड़ दी है। तुम पानी गेरोगे तो पक्का मैं पेट से हो जाऊंगी।

राकेश: चलो तुम थक चुकी होगी। वैसे मैं भी आज थका हारा ही आया था। लेकिन तुम्हारी खुशी के लिए मैं थकान को दूर हटा दिया।

राधा: नहीं। नहीं । इस तरह ना कीजिये। आज मुझे एक बार की चूदाई और चाहिये।

राकेश: क्या करूं बोलो। आज आते समय कारखाने में एक लड्की को चोद कर आया हूँ। उसे देख कर रहा नहीं गया। चलो तुम मेरा लण्ड चुस दो। मेरा पानी निकल जाएगा।

राधा: हाय। कितनी आस लगाये बैठी थी के आज पूरी कसर पूरी कर लुंगी। अब तो सच मुच लग रहा है के मुझे किसी से चुदवाना ही पडेगा।

राकेश: तो चूदवा लो ना। और यह कहते हुये अपने लण्ड को राधा के मुहं में डाल देता है । राधा राकेश के लण्ड को मुहं मे ले लेती है। और चूसने लगती है।
 
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रघु और रेखा ( भाई बहन)

रघु एक 20 साल का गाँव का तगड़ा लौंडा था। उसका जिगरी यार था रामू। रामू और रघु के खेत पास पास लगे हुये थे। रघु का बाप तो शहर मे रहा करता था तो खेतों की देखभाल वही करता था। और रामू अपने बाप का हाथ बटाता था।

दो पहर को रेखा अपने भाई के लिए खेत में खाना लेकर आती है। और दोनों भाई बहन खाने को बैठ जाते हैं।

रेखा: भाई आज तो बापू आने वाले हैं।

रघु रोटी मुहं मे डालते हुये बोलता है: हाँ पता है।

रेखा उसकी तरफ एक शरारत भरी मुस्कराहट से बोलती है: फिर आह रात का शो देखना है ना?

रघु उसकी बात पर मुस्कुरा देता है: और नहीं तो क्या। हफ्ते में एक ही दिन तो देखनो को मिलता है। आज शायद ज्यादा मजा मिले।

रेखा: हाँ पता है। पिछ्ले हफ्ते माँ चुदवा नहीं पाई। उनका पीरियड चल रहा था।

रघु: तुझे भी याद है।

रेखा: भाई आप अपनी दिल की बात माँ को कब बतायेंगे?यूं तो दिन गुजरते ही जायेंगे। कम से कम इशारों से या कुछ और तरीकों से बताने की कोशिश तो करो।

रघु: जानता हूँ रे पगली। पर मेरे से होता नहीं। बहुत ट्राई कर चुका हूँ। बात जबान पर आके रुक जाती है।

रेखा: भाई देखो आप को इस काम में जल्दी करनी होगी। क्यों के मुझे नहीं लगता बापू मुझे और ज्यादा दिन यहां छोड़ ने को राजी होंगे। शीतल से मेरी बात हो चुकी है। बहुत जल्द वह अपने बापू से फेरे लेने जा रही है। एक बार वह हो गया तो मुझे भी बापू शहर ले के चले जायेंगे। फिर रहना यहां घुट घुट कर।

रघु थोडा मायुस हो जाता है।: देख मैं और कर भी क्या सकता हूँ। कोमल चाची से एकबार मैं ने कहा था कि आप माँ से कह दो। लेकिन उस वक्त उन्होँने कहा कि बेटा हर एक काम का एक समय होता है। तेरा टाईम भी आयेगा। चिंता मत कर।

रेखा: ठीक है। फिर देखते हैं क्या होता है। चलो अब घर चलते हैं । बापू शाम होते ही आ जायेंगे।




रात को कमरे के अन्दर राधा राकेश की चुदाई चल रही थी। और बाहर खिडक़ी से दोनों भाई बहन अपने माँ बाप का लाइव शो देख रहे थे। और उनकी मनोरंजक बातें सुन मस्त हो रहे थे। रेखा अपने भाई रघु का मस्त लण्ड अपने कोमल हाथों से मसल रही थी। और रघु अपनी बहन की मासूम चुत पे उंगली फेर रहा था।

रेखा: भाई और नही देखा जा रहा है। तुम मुझे कमरे में लेके चलो। आह बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा है। मेरी चुत में आग जल रही है।

रघु उसके उभरे हुये दुध पर हाथ फेरता हुया बोलता: और कितना अपने आप को तडपायेगी। कब से कह रहा हूँ मुझे अपनी चुत की सेवा करने दे। आज तक दिया है क्या? हर बार बोलती है नहीं मुझे मेरी चुत का सिल बापू से तुड़वाना है।

और रघु नंगी रेखा को अपनी गोदी में उठा कर कमरे की तरफ चल देता है । रेखा अपने भाई के गाल पर किस करते हुये बोलती है: भाई चिंता मत करो वह दिन भी जल्द ही आयेगा। मेरी चुत में तुम्हारा लौडा जरुर घुसेगा। दुखी मत हो।

रघु अपनी बहन को बैड पर लिटा देता है। और उसके नंगी शरीर को देख कर रघु सहम जाता है। कितनी मस्त है उसकी बहन। जिसे भी मिलेगी उसकी किस्मत खुल जायेगी । लेकिन यह किस्मत शायद उसके बाप को मिलनी है।

रेखा: क्या देख रहे हो भाई?

रघु: देख रहा हूँ कि मेरी बहन कितनी खुबसूरत है। मेरे बापू के भाग्य खुल जायेंगे। जब वह तुझे चोदेगा ना तेरी भी हवा टाईट हो जायेगी।

रेखा: चिंता ना करो मेरी चुत में मैं तुम्हें भी उतना हक दूंगी जितना मैं बापू को दूंगी। और मुझे पता है मेरी चुत की गहराई तक तुम ही पहँच सकते हो।

रघु उसके टांगो के पास आते आते बोलता है: एसा क्यों?

रेखा उसकी मस्त लण्ड पकड़ के बोलती है: इसे देखा है। यह साईज मेरे लायेक नहीं है। बापू का साईज 6 इंच का हो सकता है। पर तुम्हारा 8 से 9 इंच का है। कोई कुंवारी लड़की पहली बार तुम्हारा लौडा नहीं ले सकती। हाँ ले सकती है पर उसके लिए उस लड़की को पह्ले अपने चुत एक दो बच्चे निकाल ने होंगे।

रघु उसकी चुत सहलाता हुया पूछता है: और इस तरह की औरत मुझे कहाँ मिलेगी मेरी बहना?

रेखा: क्यों खुद तुम्हारी माँ है ना तुम्हारे इस घोड़े जय्सा लौडा लेने को।

रघु अपना मुहं रेखा की चुत पर रखते हुये: पता नहीं वह दिन कब आयेगा जब मैं रेखा की जगह राधा की चुत को इस तरह चुसूनगा। और राधा को अपनी लूगाई बनाकर उसकी चुत का मालिक बनूँगा।

रेखा मस्ती में: आयेगा भाई वह दिन भी जल्द ही आयेगा। मैं बनूँगी बापू की दुल्हन और माँ बनेगी आप की दुल्हन।

दोनों भाई बहन इसी तरह मस्ती में लगे हुये थे।
 
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राकेश और राधा

राकेश अपना पानी अपनी बीबी राधा के मुहं में छोड़ चुका था। दोनों हाँफते हुये एक दुसरे के बगल में लेटे हुए थे। दोनों एक दुसरे के नंगे बदन को सहला रहे थे । राकेश का लण्ड पानी छोड़ के निढ्ल हो चुका था । राधा उससे चिपक जाती है।

राकेश: मजा आया मेरी जान?

राधा: हाँ बहुत मजा आया। काश के तुम रोजाना मुझे इसी तरह चोदते रहते। फिर मेरी कोई शिकायत नहीं रहती।

राकेश अपनी बीबी की मुलायम गांड पे हाथ फेरता हुया: क्या करूं बोलो। शादी के बाद तुम्हें कभी भी चुदाई की कमी महसूस करने दी बोलो? पिछ्ले 15 सालों से हम बेहिसाब चुदाई करते रहे।

राधा: हाँ मुझे पता है। तुम ने कभी मेरी बात नहीं टाली। हर वक्त मेरा ख्याल रक्खा। जब भी मैं ने कहा तुम ने मुझे जी भर कर के चोदा।

राकेश उसकी आंखों में देखता हुया: तुम्हें याद है हम ने पहली बार किस तरह चुदाई की थी?

राधा मुस्कुरा कर: और नहीं तो क्या! मुझे सब याद है। उस वक्त मेरी शायद 15 साल की उम्र थी। मैं और कोमल दोनों स्कुल से घर आ रहे थे। तुम और कमल दोनों के दोनों बहुत बदमाश थे। तुम दोनों जंगल के रास्ते हमारा इन्तज़ार कर रहे थे। हम जूं ही उधर से आये तुम दोनों ने हमारा रास्ता रोक लिया। और हमें फुसलाके जंगल के अन्दर ले के चले ग्ये।

राकेश: एसा मत बोलो। के हम ले कर ग्ये थे। हम तो काफी टाईम से तुम्हें चोदने का सोच रहे थे। लेकिन तुम दोनों सहेलीयां हर बार नखरे करती। आज नहीं फिर कभी। पर उस दिन हमसे रहा गया। इस लिए हम ने सोच लिया था के आज हम अपनी इच्छायें पूरी करके रहेंगे।

राधा उसके निढ्ल लौड़े को सहलाती हुयी: इसी लिए हम को उस दिन तुम ने चोद ही डाला ना?

राकेश: क्यों तुम्हारी भी मर्जी थी। तभी तो पहली बार की चुदाई के बाद तुम्हारे कहने की वजा से हम ने दोबारा चुदाई करी थी।

राधा: और उसी चुदाई में तुम ने मेरे पेट में बच्चा भी डाल दिया था। राधा उसके सीने के उपर चड जाती है। और प्यार से अपने पति के होंट को चूमने लगती है। और साथ में अपनी मोटी मोटी गांड को राकेश लण्ड के उपर घिस्ती रहती है।

राकेश: उस वक्त कहीं हमें पता था? और सिर्फ तुम्हारा नहीं कमल ने भी तो कोमल के पेट में बच्चा डाल दिया था।

राधा: वैसे एक हिसाब से अच्चा ही हुया। मैं गर्भवती बन गई थी इसी लिए मेरे बापू ने भी राजी खुशी तुम्हारे साथ ही मेरा ब्याह करवा दिया था। नहीं तो पता नहीं मैं किस के घर जाती।

राकेश राधा को चुम्ता हुया अपनी बीबी के सुडौल शरीर को प्यार करता जा रहा था। वह दोबारा गरम हो चुका था और उसका लण्ड फिर से तन चुका था।

राकेश: यह तो अच्चा हुया ना। तुम कम उम्र में माँ बन गई। अब देखो तुम्हें देख के कोई बता नहीं सकता के दो दो बच्चों की माँ हो। लगता है मानो रेखा की छोटी बहन हो।

राधा: आप भी ना। भला एसा मुमकिन है क्या? आप का लण्ड तो फिर से खड़ा चुका है। चलिये मैं ही घुसा लेती हूँ। और राधा उपर पड़े अपनी गांड जरा उंचा करके लण्ड को हाथ से पकड़ के चुत के छेद पर रख कर उपर से एक धक्का मारती है और रसीली चुत में लण्ड अपनी जगह बना लेता है। और दोनों फिर चुद लौड़े के खेल में ब्यस्त हो जाते हैं।

राकेश: देखा ना मेरी जान। सोचा था कि आज और नहीं चोदूंगा। लेकिन तुम्हारे इस सुनदर शरीर के आगे मैं हर बार हार जाता हूँ। और हर बार मुझे वही मजा मिलता है जो पहली बार मिला था। वैसे तुम शायद नहीं जानती पर गावँ में काफी लौंडे तुम्हारी इस चुत पे पीछे पड़े हैं। उनका बस चले तो तुम्हे कब का चोद दे। बस एकबार मौका दे कर देखो।

राधा चुदाई में मस्त उपर से ठपकी मारती जा रही थी। उसे यह खेल बहुत पसंद है। यूं तो उसके अन्दर भी एक रांड छुपी हुई है। लेकिन वह उसे बहुत ही संभाल कर अन्दर छुपा रक्खी है। पर जिस दिन यह रांड बाहर को निकल आयेगी पता नहीं वह क्या क्या कर गुज्रेगी।

राधा: मेरे पतिदेव! आप मेरी चुत को दूसरों के आगे खुलवाने के लिए इतने बेचैन क्यों है? आप को लगता है के अगर मैं किसी से चुदवाने लग जाऊँ तो आप का रास्ता खुल जाएगा। है ना?

राकेश भी अपने लण्ड को नीचे से राधा की चुत पर धक्का मारते हुये: एसा नहीं है मेरी जान। मेरा रास्ता तो खुला ही है। और मुझे पता है इसमें तुम्हें भी कोई एतराज़ नहीं है। मैं तो बस तुम्हारी खुशी के लिए ही कह रहा हूँ। के मैं जिस तरह कुंवारी चुत मार कर जिन्दगी के मजे ले रहा हूँ इसी तरह तुम भी मजे लो। मेरी वजा से अपने आप को दुख मत दो।

राधा: आप चिंता ना करे आप अगर खुश रहोगे तो मैं भी खुश रहूंगी।

राकेश: एसा केसे हो सकता है राधा बोलो। कल को जब रेखा मेरे साथ शहर चली जायेगी तो तुम यहां एकेली रह जावोगी। तब तो मेरा गावँ में आना भी कम हो जाएगा ना!

राधा: उसकी चिंता आप ना करें। मैं कभी कभी आप के पास शहर चली जाया करूंगी। और वहाँ से चुदवा कर आयूँगी।

राकेश: आह आज तो तुम ने मुझे बिलकुल थका दिया है। कारखाने में सुबह से दोबार और फिर यहां भी दो दो बार चुदाई हो गई मेरी। और नहीं रोक सकता मैं। मेरा आनेवाला है राधा। कहाँ गेरुं पानी को जल्दी बताओ। नहीं तो चुत में ही गिर जायेगा।

राधा: आह आह रुको जरा रुको जरा। मेरा बस आने ही वाला है। चुत में मत गेरना। जब गिरने का टाईम आयेगा बोल देना मैं निकाल लुंगी। आह आह आह । आ गया बस बस।

राकेश: जल्दी करो नहीं तो मेरा पानी चुत में ही छुट जायेगा।

राधा: हो गया बस। हाँ हाँ हाँ आ आ आ रहा आ रहा है आ रहा है मेरा। हाय हाय हाय। मैं गई मैं गई। यह कहते हुये राधा अपनी चुत से लण्ड को निकाल देती है और साथ में राकेश का लण्ड चुत के बाहर ही पानी छोड़ देता है। और दोनों पति पत्नी एक दुसरे के बाहों में थके हारे सो जाते हैं।
 
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अगला दिन

सुबह सुबह राधा किचेन में नाशता बनाने में लगी थी। रेखा उसकी मदद कर रही थी। दोनों माँ बेटी का रिश्ता भी प्यारा था। मानो दोनों एक दुसरे की दोस्त हो।

सुबह नाश्ता करने के बाद राकेश खेत की तरफ जाने लगता है। गावँ में खेती का क्या हाल है उसे भी देखनी होती है। गावँ में राकेश के 50 बीघा के करीब खेत थे। ज्यादतर जमिन तो राकेश को उसके सुसराल की तरफ से मिले थे। जो की राधा के नाम पर है। राधा अपने माँ बाप की एकलौती सन्तान थी। जो बाद में सारी उसे मिल गई। अभी जो उनका घर है वह दर असल राकेश का सुसराल ही है। राकेश के कई सारे भाई बहन थे, इस लिए उन्के ससुर नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी जो उतने नाजों मे पली बढ़ी थी वह उस घर में जाये। इस लिए राधा पिता ने राकेश को यहीं ठहरा लिया। और तब से वह एक खुशी खुशी जिन्दगी जी रहे हैं ।

खेतों में जा कर देखता है कमलनाथ जो उसका जिगरी यार था वह अपने खेत के पास बने झोंपड़ी के पास खटिया में बेठा है। उसे आता देख कमल आगे आता है। और दोनों दोस्त अपनी अपनी बातों में लग जाता है।

राकेश: और सुना तेरा यहां सब केसा चल रहा है?

कमल: वही यार हर दिन का रूटीन काम है। लेकिन तेरी जींदगी मस्त है यार। हर दिन नई नई लडकियों को चोदने का मौका आखिर किसे मिलता है बोल!

राकेश: अरे छोड़ ना यार। यह सब तो चलता है। वैसे मैं ने सुना है तू भी कुछ कम नहीं है। यह शीतल बिटिया का मामला आखिर कब शुरु हुया?

कमल: तुझे तो मैं बताने ही वाला था। बस उसे भी चाहत थी मेरे उपर। और दोनों मिल गये। मुझे सब से बड़ी खुशी पता किस से हुई?

राकेश: किस से?

कमल: यही की मेरी बेटी ने मेरे लिए अपनी चुत को बिलकुल तैयार रक्खा था। उसकी चुत मैं ने ही सब से पहले मारी है। एसा लग रहा था मानो मैं अपनी नई नवेली दुल्हन को चोद रहा हूँ । बेचारी का खुन निकला था चुत से।

राकेश: सच में यार?

कमल: और नहीं तो क्या! नहीं तो आजकल गावँ में कुंवारी हो या औरत किसी पे भी भरोसा नहीं किया जा सकता है। कोमल तो मेरे ख्याल से कई लोगों से चुदवा चुकी है । उस जगह मेरी बेटी शीतल ने अपनी चुत का सिल मेरे से खुलवाया।

राकेश: यह तो बड़े किस्मत की है यार।

कमल: अब तो वह कह रही है की बापू मैं किसी और से शादी नहीं करूंगी। करूंगी तो सिर्फ आप से।

राकेश: और तुने क्या कहा?

कमल: मेरा भी मन नहीं करता कि उसकी कहीं और शादी दिलवाऊ। इस लिए मैं ने भी हाँ कर दी है।

राकेश: कोमल को बताया तुने?

कमल: हाँ बता चुका हूँ। उसे कोई आपत्ति नहीँ है। वह कह रही है कि अगर तुम्हारा और शीतल का यही फेस्ला है तो मुझे कोई एतराज़ नहीं है।

राकेश: फिर तुम एक घर में केसे रहोगे? क्या अपने भाई और माँ के सामने शीतल एक बहू बन तुझे वह प्यार दे पायेगी जो तुझे चाहिये!

कमल: उसका उपाय भी सोच लिया है। मैं और शीतल दोनों उसी घर में रहेंगे। और कोमल और रामू दोनो माँ बेटे को कोमल के मायके वाला घर दे दूंगा।

राकेश: तो क्या कोमल मानेगी?

कमल: जहाँ तक मुझे पता है वह मान जायेगी। क्यौंकि कुछ दिनों से लग रहा है कि दोनों माँ बेटे के बीच कुछ चल रहा है। शीतल भी मुझे कह रही थी की आप माँ और भाई को नानी का घर दे दो। वह तो खाली ही पड़ा है। और राधा मौसी के घर के पास ही है। तो उनको अच्चा ही लगेगा। हमें भी यहां कोई रोकने वाला नहीं होगा तो हम भी यहां खुल्लम खल्ला एक दुसरे को प्यार कर सकेंगे। और जब माँ और भाई वहाँ चले जायेंगे तो वह भी हमारी तरह एक दुसरे को प्यार करने लगेंगे।

राकेश: हम्म।

कमल: वैसे तू बता रेखा का कुछ बना। कब ले के जा रहा है उसे शहर?

राकेश: हाँ सब प्लान तैयार है। बस वहाँ कमरे में कुछ काम करवाना है। वह हो जाये फिर रेखा को वहीं ले के जाऊंगा। वैसे यार मैं भी चाहता हूँ की राधा किसी से प्यार करने लग जाये। यूँ तो मेरी बीबी है। और प्यार भी बहुत करता हूँ उस से। लेकिन अपनी बेटी को लेकर मैं फिर से घर बसाउँगा यह मेरा सपना है। और मैं चाहता हूँ राधा भी अपनी जींदगी फिर से जीने लग जाए। पर बात बन नहीं रही।

कमल: क्या पता शायद अन्दर ही अन्दर वह किसी से प्यार करती भी हो पर तुझे बताने को शरमाती हो।

राकेश: नहीं एसा लगता नहीं। अगर होता तो मुझे जरुर बताती वह।

कमल: अरे यार। इन औरतों को समझना हमारे बस में नहीं है। अब इस कोमल को ही देख क्या मुझे पता था की इसके और रामू के बीच कुछ चल सकता है? एसा ही हो सकता है वह भी तेरे बेटे रघु को पसंद करती हो पर बोलने से हिचकिचाती हो।

राकेश: अच्चा। यह बात तो मैं ने ध्यान से देखा ही नहीं। वैसे वैसे शादी कब है तेरी?

कमल: शादी की मुहुरत निकलवाया है। मुहुरत कल शाम का है। मैं ने तुम लोगों को ही बुलाया है शादी में। रहना है जरुर।

राकेश: ठीक है ठीक है यार। रहूंगा तेरी और शीतल बिटिया की शादी में। लेकिन मुझे चुदाई देखने का बंदोबस्त जरुर कर देना।

कमल: तू भी यार। कल तो शादी है। शादी वाले सुहागरात है। एक दो हफ्ता जाने दे। अगर तेरा मन करे तो शीतल बिटिया को एक दिन चोद लेना। बस। खुश।

राकेश: नेकी और पुछ पुछ। और दोनों हंसने लगते हैं ।
 
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राधा के घर

रेखा: माँ वह देखो कोमल चाची और शीतल आ रही है।

कोमल अपनी बेटी शीतल को लेकर अपनी सहेली राधा के घर आज कुछ खास काम की वजा से आ रही थी। कोमल और राधा बचपन से दोस्त हैं। उनका घर भी पास पास था। लेकिन कमल के साथ शादी के बाद वह कमल के घर रहने लग गयी थी। वैसे हफ्ते एक दो दिन तो मुलाकात हो ही जाती है इन दोनों की। जब राकेश घर नहीं रह्ता तभी ज्यादतर वह आती रहती है ।

राधा: अरी कोमल आज तो सुबह सुबह आ गई। कहीं मेरी याद तो नहीं आ रही थी ना तुझे?

कोमल: और नहीँ तो क्या। तेरे सेवा कहीं मेरा चलता है क्या? और बता केसे कट रही है?

राधा: अब तुझे नये तरीकों से क्या बताऊँ बोल। सब कुछ तो तुझे पता है। शीतल बिटिया तू जा रेखा साथ उसके कमरे में।

रेखा: हाँ चल शीतल। अब यह दोनों अपने दुख दर्द की बातें करेंगे।

राधा: मारूंगी ना तुझे। जा यहां से।

कोमल: और बोल राधा। कल रात तो भाई साहब आये हुये थे। अच्छी तरह से कसर पूरी कर ली ना! और हंस देती है।

राधा मासुस सी होकर बोलती है: कहाँ!! मेरी कसर क्या एक रात में पूरी हो सकती है? मुझे अगर इस तरह की ठपकी रोजाना मिले तभी मेरी कसर पूरी हो सकती है।

कोमल: देख राधा! तू जो भी बोल। अब इसी तरह तुझे रहना पडेगा। क्यौंकि राकेश भैया अब गावँ में रहने वाले नहीं है। उन्हें तो जवान लडकियों का चसका लग गया है ।

राधा: हाँ मुझे पता है।

कोमल: इस लिए कह रही हूँ अब तू भी मन बना ले।

राधा: पता नहीं मेरे भाग्य में क्या है?

को: वह तो तुझे ही फेस्ला करना है।

रा: मेरी बात छोड़। तू बता तेरा घर केसे चल रहा है?

को: अरे हाँ। उसी वास्ते तो आई हुई थी। कल को शीतल की शादी है। तुझे और घर में सब को रहना है।

रा: ओह हो। अच्छा। तो मतलब जो तू बोल रही थी सब सही था?

को: अब इसमें इनका भी दोष नहीं है। शीतल और के तीन चार फ्रेंड ने अब तक अपने हो बापू से शादी कर ली है। और हमारे पडौस में कल्लो भाभी तो खुद अपनी बड़ी बिध्बा बेटी के साथ बाप का बियाह करवा रही है। वह खुद अपने देवर से फंस चुकी है। अब वह देवर से शादी करेगी।

रा: हाँ यह तो होना ही था। लेकिन तेरा क्या होगा? अपने बारे में कुछ सोचा है तुने?

कोमल मांद मांद मुस्कुरा कर बोली: अब क्या बोलूं मैं। मैं बहुत जल्द तेरे साथ रहने आ रही हूँ।

राधा: सच में?? वह बहुत खुशी में थी

कोमल: अरे हाँ पगली। रामू के बापू ने कहा के वअब से इस घर में मैं और रामू रहेंगे। और वह घर उनका। जो भी हो बेटी है मेरी। मैं नहीं चाह्ती मेरी वजा से उसकी खुशियाँ मे कोई रुकावट आये। इसी लिए मैं मान गई। और तुम्हारा भतीजा जिस तरह मेरे पीछे लगा हुया है मुझे नहीं लगता कि ज्यादा दिन मैं एकेले रह पाऊँगी। यह बोल के कोमल शरमा जाती है।

राधा: अच्छा। तो यह सब चल रहा है। और उसके चेहरो को उपर करती है।

कोमल: अब क्या करूं बोल। बेटी जब बाप के गले पड़ गई तो बेटा तो मेरे ही गोद आने वाला है ना।

राधा: तो क्या। रामू तेरे गोद में आकर तुझे छोड़ देगा?

कोमल: भला कहीं मुझे छोड़ सके क्या? वह तो कह रहा बापू की तरह मैं भी तुम से बियाह करूंगा। और फिर तुम्हें अपनी बीबी बनाऊंगा। और उसके बाद अपने बच्चे की माँ भी बनाऊंगा।

राधा: हाय राम। एसा कहा उसने?

कोमल: उस ने तो कह रक्खा है वह इस घर में आते ही वह मेरे शादी कर लेगा। ता की मुझे अकेला ना सोना पड़े।

राधा: तू खुश है ना।

कोमल: बहुत खुश हूँ राधा।
 
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रेखा और शीतल

रेखा: तो तुझे तेरा प्यार मिल ही गया। है ना?

शीतल: हाँ रे। आखिर कार बापू को मैं ने मना ही लिया। अब देख सुनीता, बबली भी शादी कर चुकी है।

रेखा: अरे यह तो मैं ने नहीं सुना। सुनीता का सुना था। लेकिन बबली?

शीतल: हाँ रे रेखा। अब तो गावँ में शायद ही कोई कुँवारी लड्की होगी जो अपने भाई या बाप से शादी ना की हो।

रेखा: पता नहीं मेरा बाप मुझे कब अपनी दुलहन बनाएगा! मैं तो कब से उसकी राह में लगी हूँ।

शीतल: अरे चिंता मत कर। अब देख जब तेरे बापू मेरी शादी में आयेंगे तो उनका भी मन बन जायेगा के तुझे अपनी दुल्हन बना ले।

रेखा: हाँ यह तो हो सकता है। पर मुझे अपने लिए ज्यादा फिक्र नहीं है। मुझे यकीन है आज नहीं तो कल मैं पापा की दुल्हन जरुर बनूँगी। चिंता मुझे अपने भाई रघु को लेकर है। तुझे तो पता है वह माँ से कितना प्यार करता है। गावँ में काफी लड़कियाँ उस पे लाईन भी मारती है। लेकिन उसका दिल तो माँ के उपर आया हुया है। मुझे अपने भाई और माँ को मिलाना है। मैं चाह्ती हूँ जिस तरह मैं बापू की दुल्हन बनूँगी उसी तरह माँ को भी भाई की दुल्हन बनाऊंगी।

शीतल: तो क्या मौसी राजी नहीं है क्या?

रेखा: पता नहीं। कुछ मालुम नहीं पड्ता। वैसे राजी आज नहीं कल हो ही जायेगी। लेकिन मैं चाह्ती हूँ यह काम जल्द से जल्द हो।

शीतल: फिर तू अपनी माँ या बापू से बात क्यों नहीं करती?

रेखा: हाँ यार। अब लगता है करना ही पड़ेगा। नहीं मेरे भाई को बहुत तकलीफ होग।

शीतल: वैसे मेरी माँ और भाई में लगभग सब फायनल हो चुका है। मेरी शादी के बाद वह दौनों यहीं रहने वाले हैं। और जब एक ही घर में एक ही छत के नीचे रहने लगेंगे तो क्या उन के बीच कुछ करने को बाकी रहेगा क्या? मेरे भाई रामू का बस चले तो वह मुझे ही चोद के माँ बना दे।

रेखा: क्यों रे इतना चुदककर है तेरा भाई?

शीतल: और नहीं तो क्या! पता है खेतों में कुछ औरतों को काम पे लगाया था बापू ने। काम चाहे पुरा हो या ना हो रामू की चुदाई किसी भी दिन मिस नहीं हुई। मुझे तो कईबार उसने पकड़ लिया था। लगभग चोद ही डालता मुझे। अगर मैं मना ना करती तो। वैसे तेरा भाई बहुत अच्चा है। उसने कभी भी मुझपर जबरदस्ती नहीं की। मैं जब भी खेतों में जाती हूँ मेरे बड़े प्यार से पूछता है शीतल अगर काम ना होतो क्या मेरे झोपड़ी में थोड़ी देर के लिए आयेगी?
मैं ने कभी भी उसको निराश नहीं किया। करना ही क्या होता है बेचारे को। बस लण्ड चुस्के पानी गिरा दो।

रेखा: हाँ वह तो मुझे भी पता भी है।

बाहर से कोमल चाची ने आवाज दी। अरी शीतल चल बेटी! घर का बहुत सारा काम पड़ा है। कल तो रेखा आ ही जायेगी। तब जी भर कर बात कर लेना।
 
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रघु और उसकी इच्छाएं

यूँ तो रघु एक सीधा साधा गावँ का प्यारा लड़का था। गावँ के आबो हवा में उसकी परवरिश हुई। और गावँ के स्कुल में ही उसने पढाई की। फिर अपने बापू के शहर चले जाने के बाद उसे अपने घर की जिम्मेदारी उठानी पड़ी। इस घटना को हुये पांच साल हो चुके है। उस के बापू को उसके नानाजी की फेक्ट्री मिल गई। उसके नानाजी भी शहर में रह कर कारखाने की देखभाल किया करते थे। अब जब नानाजी चल बसे तो उसके बापू को वह काम संभालना पड़ा।

शुरु शुरु में घर की जिम्मेदारी में उसे उतना लगाव नहीं था। भला पंद्रह साल की उम्र में कौन सा लड़का परिवार का बोझ उठाने लाएक बनता है! उसे भी परेशानी हुई। लेकिन जब उसे लगा कि अब किस्मत पे रोके कोई फायदा नहीं है। यूँ पेसे की तो कोई कमी नहीं थी। लेहाजा धीरे धीरे वह घर का लड़का कम घर का मुखिया ज्यादा बनता जा रहा था। और यहीं से शुरु हुई रघु की वह इच्छायें जिसे वह सोच सोच के खुद रोमांचित हो जाता। जब कभी घर में कुछ जरुरत होती तो उसकी बहन रेखा और उसकी माँ राधा उससे वह सब लाने को कहती। शुरु शुरु में राधा को कुछ मह्सुस नहीं होता था। लेकिन धीरे धीरे वह भी हर चीज़ के बारे में रघु को बता नहीं पाती थी । राधा उस वक्त अपनी बेटी रेखा को कहती तेरे भाई को बोल यह सामान चाहिये।

रेखा भी माँ की इस शरमाहट को महसूस करके अपनी माँ को छेड़ देती। रेखा बोलती: माँ आप तो एसे बता रही हो जेसे रघु मेरा भाई कम और आप का पति ज्यादा है।

राधा उसे डांट देती। तू ना दिन दिन बेशरम होती जा रही है। जरा अपनी जबान को लगाम दे।

और इसी तरह की छेड़खानी जूं जूं रघु सुनता रहता तो उसके दिल पे प्यार व महब्बत के अम्बार लगते। वह अपनी माँ के बारे में यही सब सपने देखता रहता। और दिन गुजरता गया और रघु अब राधा का बेटा कम ज्यादा उसका प्रेमी था। और अपनी माँ को हासिल करना उसकी सब से बड़ी कामना बन सामने आ गई।
 
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रघु और रामू की दोस्ती

आज रघु का दिल उदास था। यह उदासी और कुछ नहीं बस उसके मन का है। और जब भी वह उदास होता है उसका सहारा बनके हमेशा खड़ा रहने वाला उसका दोस्त रामू हाजिर रहता है। उसका खेंतों में काम पर मन नहीं लगा इस लिए वह रामू के पास चला गया। रामू उसे आता देख समझ जाता है की रघु का दिल उदास है।

रामू: यार इतना उदास क्यों है आज?

रघु: बस कुछ नहीं। काम में मन नही लगता।

रामू: पता है। लेकिन तुझे इस तरह मैं देख नहीं सकता।

रघु: तुझे क्या पता मेरा हाल क्या है। तुझे तो जो चाहिये था मिल गया ना! अब तेरे एश की जिन्दगी है।

रामू: यार दुखी मत हो। हाँ मानता हूँ मुझे जो चाहिए था मुझे वह मिल गया । लेकिन क्या तुझे पता है उसके लिये मैं ने कितनी हिम्मत दिखाई? आखिर अगर तू खुद से सामने आकर अपने दिल की बात मौसी को बतायेगा नहीं, फिर मौसी भी केसे आगे बढ़ कर तेरा साथ देगी? वह काम तो तुझे खुद करना होगा।

रघु: लेकिन यार रामू। अब इस में भला मैं कर ही क्या सकता हूँ बोल। माँ को सब पता है। वह सब जानती है की मैं उन से कितना प्यार करता हूँ।

रामू: मेरे यार यह औरत भी ना बड़ी भोली होती है। उसे चाहे सब पता हो लेकिन वह तेरे मुहं से वह सब बातें सुनना पसंद करेगी जो वह सुनना चाह्ती है। अब मेरी माँ को ही देख, क्या मेरी मा तेरी मौसी कोमल को पता नहीँ था क्या उसका बेटा उससे जी जान से प्यार करता है? उसे पाना चाहता है। उसे अपने दिल की रानी बनाना चाहता है। लेकिन मेरी माँ कोमल सब जान के भी अंजान बनी फिरती थी।

यूँ तो मुझे माँ के बारे में सब मालुम था। वह कहाँ कहाँ जाती है। किस किस से मिलती है। मुझे तो पता था की मेरी माँ की चुत की गर्मी इतनी है के वह बिना चुदे एकदिन भी गुजार नहीं सकती। लेकिन बापू भी माँ को रोजाना चुदाई नहीं दे पाते। तब मैं ने एक दिन देखा माँ हमारे मास्टर जी प्रदीप जी के साथ बड़ी हंसी मजाक कर रही हैं।

रघु: तो क्या मौसी का प्रदीप सर के साथ चक्कर था?

रामू: कुछ एसा ही सोच सकते है। माँ को किसी से दिल लगी नहीं थी। वह तो बस चुदाई की भुकी थी। अब प्रदीप सर को तो हम जानते हैं कितने चुदककर इन्सान हैं। गावँ में जिस किसी के घर में भी वह पढ़ाने गए उस की सभी औरतों को वह जब अपने नीचे ना सुला ले उनका मन नहीं भरता। और बहन का लौंडा चोद्ता भी है बिलकुल सांड के माफिक। इसी लिये तो गावँ में उसे कभी भी चुत की कमी महसूस नहीं होती।

रघु: हाँ यह बात तो है। जो चोदने वाले को कभी चुत की कमी महसूस नहीं होती।

रामू: वही तो। अब जब शीतल को जिस दिन से मास्टर जी पढ़ाने आये उनका तो इरादा था की माँ बेटी दौनों को ही पेल दे। लेकिन मेरी बहन शीतल को तो तू जानता है। यूँ तो बहुत हंसमुख है लेकिन गुस्से के टाईम उसका चेहरा कुछ और ही हो जाता है। माँ का गुस्सा कुछ कम है लेकिन बहन मेरी आगे की चीज़ है। मेरी बहन के आगे तो मास्टर जी की दाल तो पको नहीं लेकिन माँ उन्होनें आसानी से काबू में कर लिया। मैं ने कई बार नोटिस किया लेकिन माँ को खुल के कुछ कहा नहीं। वैसे घर में जब मैं शीतल और माँ एक साथ होते तो मैं माँ को कभी कभी यह बोल के छेड़ देता " शीतल अब माँ हमारी जरुरत नहीं है। वह तो अब बाहर वालों से ही ज्यादा दोस्ती कर रही हैं। उन के साथ ही टाईम पास करती है।"

तो माँ हंस के जवाब देती: "अब क्या करूं मेरे बच्चों को ही जब मेरी फिक्र नहीं है तब मुझे बाहरवालों से ही दोस्ती करनी होगो।"

रघु: फिर मौसी की इस बात पर तुम दौनों ने कुछ कहा नहीं?

रामू: हाँ फिर शीतल ने कहा। माँ आप मेरे भाई को कम न समझो। वह तो आप का अच्छी तरह से ख्याल रख सकता है। पता भी है मेरा भाई खेतों में कितनी मेहनत करता है। आप खुद देख लो काम करते करते उसके डोले शोले कितने मजबुत हो चुके हैं। भला मेरा एसा भाई आपका ख्याल न रक्खे?

माँ ने भी शीतल की बात पे हंस के जवाब दिया: तेरे भाई को अपने दोस्तों से फुर्सत मिले तब न वह मेरा ख्याल रक्खे। हर टाईम तो दोस्तों के साथ फिरने में लगा रहता है।

माँ की इस बात पर मैं ने कहा: एसी बात नहीं है माँ। आप जिस दिन से बोलेगी उसी दिन से दोस्तों को छोड़ कर आप के साथ ही रहूंगा। मैं अपने दोस्तों के लिये अपनी माँ का दिल नहीं दुखा सकता। आप एकबार बोल के तो देखो। हर टाईम आपकी सेवा करूंगा।

शीतल भी बोल पडी: हाँ माँ। आप जरा भाई को मौका तो दे कर देखो मेरा भाई आपको हमेशा खुश रखेगा। वह तो पुरे मन से आपकी सेवा करेगा। देख लेना।

माँ बोली: ठीक है। दूंगी तेरे भाई को मौका। और देखूंगी वह कितनी सेवा करता है। और यह बोलके माँ हंस पड़ी।
 

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