बैलगाड़ी

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अपनी मां की बात को सुनकर राजू की उत्सुकता बढ़ चुकी थी और गुलाबी ने उसके उम्मीदों को पर लगा ‌ दी थी अगर गुलाबी के कहे अनुसार सब कुछ सही हो गया तो राजू की दसो उंगलियां घी में होगी तब वह जब चाहे तब अपनी मां की चुदाई घर में ही कर सकता था और वह भी बिना किसी से डरे,,,, राजू अपनी मां की चुदाई कर चुका था उसकी खूबसूरत रसीली बुर का स्वाद चख चुका था लेकिन अपने बुआ के कहे अनुसार एक बार फिर से अपनी मां को चोदने की तमन्ना उसके मन में जागने लगी थी अभी तक वह चोरी-छिपे अपनी मां के खूबसूरत बदन का मजा ले रहा था लेकिन अब वह अपनी बुआ की हाजिरी में अपनी मां की चुदाई करने के लिए उत्सुक हो चुका था क्योंकि बुआ पुरी तरह से राजी हो चुकी थी,,,, राजू को उसकी मां ने ही बता दी थी कि वह उन दोनों का राज जान चुकी है इसलिए राजू अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी बुआ अपने किए पर पर्दा डालने के लिए ही उसे उसकी मां को चोदने के लिए उक‌सा रही है जिसमें उसका ही भला होने वाला था,,,।

दूसरी तरफ मधु की भी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, वह भी यही सोच रही थी कि आज अगर सब‌ कुछ सही हो गया तो,, वह भी अपने बेटे से जब चाहे तब अपनी ननद की हाजिरी में चुदवा सकती है,,,,, इसलिए उसके भी तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी सब कुछ जल्द ही शुरू होने वाला था इस बात के इंतजार में उससे रहा नहीं जा रहा था वह बार-बार घर में झाड़ू लगाते हुए भी अपनी ननद के द्वारा इशारा पाने का इंतजार कर रही थी,,,, तभी थोड़ी ही देर में गुलाबी उसके पास आई और धीरे से उससे बोली,,,

भाभी तैयार हो जाओ खेल शुरू हो गया है मैं तुम्हें जैसा कहती हूं वैसा ही करना,,,,(और इतना कहने के साथ ही गुलाबी अपनी भाभी को आगे का खेल समझा दी और उसी खेल के तहत मधु,,, घर में ही छोटे से बने गुसल खाने में जो कि वहां नहाना बिल्कुल भी नहीं होता था बर्तन धोने के ही काम आता था लेकिन आज उसके कहे अनुसार मधु को वहां पर एकदम नंगी नहाना था,,, जो कि वह जगह हल्की सी झुग्गी लगाकर घिरी हुई थी और अभी चारों तरफ सिर्फ 3 फीट तक बाकी सब कुछ खुला हुआ था मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था इस खेल को गुलाबी ने राजू को भी समझा दी थी राजू और मधु अच्छी तरह से जानते थे कि इस खेल के असली खिलाड़ी वह दोनों खुद थे बाकी गुलाबी तो सिर्फ मोहरा थी,,,, मधु का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि आज गुलाबी की हाजिरी में उसे अपने बेटे के सामने नंगी नजराना था ताकि उसके नंगे पन को देखकर राजू का लंड खड़ा हो जाए और गुलाबी के कहे अनुसार दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो जाए और इसी मौके का फायदा उठाते हुए मधु धीरे-धीरे करके अपने बदन से कपड़े उतार रही थी और देखते ही देखते वह घर में बने छोटे से गुसल खाने में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है और बाल्टी में भरे पानी को लौटे में लेकर अपने ऊपर डालने लगी वह अच्छी तरह से जानती थी कि गुलाबी भी वहीं कहीं सब कुछ देख रही है इसलिए वहां अपने बेटे की हाजिरी में ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहती थी ताकि गुलाबी को शक हो जाएगी उन दोनों के बीच पहले से चल रहा है दोनों गुलाबी की नजरों में एकदम अनजान बने रहना चाहते थे,,,,,

गुलाबी और राजू बाहर वाले कमरे में खड़े थे और अपनी उत्तेजना को भड़काने के लिए राजू अपनी बुआ की चूची को दबा रहा था क्योंकि अब तो मधु को भी पता चल गया था कि राजू और गुलाबी के बीच शारीरिक संबंध है उसी का फायदा उठाते हुए राजू गुलाबी के बदन से खेल रहा था और गुलाबी चाहती थी कि उसका यही खेल उसकी मां के साथ भी शुरू हो जाए ताकि वह भी जब चाहे तब राजू के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी गर्मी को शांत कर सके,,,, थोड़ी ही देर में मधु आवाज लगाई,,,,

गुलाबी अरे ओ गुलाबी मैं कपड़े लाना भूल गई जरा कपड़ा तो लादे,,,,,
(इतना सुनते ही गुलाबी के गुलाबी गाल लाल हो गए और वह राजू से बोली)

राजू देख खेल शुरू हो गया है तेरी मां तुझसे चुदवाना चाहती है यह मैं अच्छी तरह से जानता हूं और इस समय वह नंगी ही नहा रही है,,, और यही मौका है तेरे पास वैसे भी तू औरतों के मामले में कुछ ज्यादा ही चला था इसलिए तुझे अच्छी तरह से मालूम है कि तुझे क्या करना है बस किसी तरह से तू अपनी मां को अपना लंड दिखा देना और वह भी टनटनाया हुआ पूरी तरह से खड़ा फिर देखना तेरी मां तेरे लिए अपनी दोनों टांगे खोल देगी,,,


लेकिन बुआ अगर मा नाराज हो गई तो,,,

अरे बुद्धू तेरी मां बिल्कुल भी नाराज नहीं होगी बस इतना करना कि तुझे उसे अपना खड़ा लंड दिखाना है बस तेरी मां एक बार तेरा लंड देख लेगी तो खुद ही उसकी बुर पानी छोड़ देगी,,,,


ठीक है बुआ तुम्हारी बात मान कर मैं जा रहा हूं अगर कुछ भी हुआ तो मैं तो तुम्हारा ही नाम दे दूंगा कि बुआ ने हीं यह सब करने को कही थी।

ठीक है तू मेरा ही नाम दे देना बस अभी तो जा,,,

(इतना सुनकर राजू जाने लगा तो उसे रोकते हुए गुलाबी फिर बोली,,)

सुन सुन देखु तो सही तेरा खड़ा हुआ है कि नहीं,,,(और इतना कहने के साथ ही गुलाबी अपना हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से ही राजू के लंड को टटोलने लगी जो की पूरी तरह से खड़ा था फिर भी वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)
चलो ठीक है ,,, अपनी मां को नंगी देखेगा तो और ज्यादा कड़क हो जाएगा,,,,
(गुलाबी का इतना कहना था कि एक बार फिर से मधु आवाज लगाते हुए बोली)

गुलाबी कहां गई कब से चिल्ला रही हूं,,,,

तू जा राजू और कहना कि गुलाबी घर पर नहीं है,,,,
(इतना सुनकर राजू का भी दिल जोरो से धड़कने लगा था अपनी मां को वह ना जाने कितनी बार नंगी देख चुका था और अपने हाथों से नंगी कर भी जुड़ा था लेकिन अभी जो कुछ भी होने वाला था उसको लेकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और वैसे भी अपनी मां को नंगी देखने का मौका वह कभी छोड़ता नहीं था अपनी मां को नंगी देखने का सुख उसे बेहद अद्भुत महसूस होता था इसलिए वह मुस्कुराते हुए गुसल खाने की तरफ आगे बढ़ गया जहां पर उसकी मां अभी भी बैठकर अपने बदन पर पानी डाल रही थी,,,, राजू सीधा गुसल खाने की तरफ पहुंच गया और ऐसा जताने लगा कि जैसे उसे मालूम ही नहीं है की उसकि मां गुसलखाने में नहा रही है,,, और गुसल खाने की तरफ जाकर एकदम से वह गुसल खाने के अंदर झुक कर देखने लगा जहां पर मधु पूरी तरह से नंगी होकर नहा रही थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी की बुंदो से और ज्यादा चमक रही थी,,, अपनी मां को गुसल खाने में देख कर चौक ने का नाटक करते हुए राजू बोला

अरे मां तुम यहां नहा रही हो,,,,
(राजु और मधु दोनों को मालूम था कि गुलाबी वही कही ना कहीं है इसलिए दोनों ऐसा बर्ताव कर रहे थे मानो कि सब कुछ अचानक हो रहा है,,,, राजू को ठीक अपने सामने खड़ा देखकर मधु भी चौक ने का नाटक करती हुई बोली,,)

अरे राजू तो तुझे शर्म नहीं आती इधर आ गया देख नहीं रहा है मैं कैसे नहा रही हूं,,,

अरे मुझे क्या मालूम था कि तुम यहां आ रही हो और वह भी बिना कपड़ों के कम से कम कपड़े तो पहने होना चाहिए तुम तो कुछ भी नहीं पहनी हो एकदम नंगी नहा रही हो,,,,
(बाहर से खड़ी-खड़ी गुलाबी सब कुछ सुन रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,)

अब तो मुझे बताएगा कि मुझे कपड़े पहनकर नाना या बिना कपड़े पहने और तुझे शर्म नहीं आती अभी तक नहीं खड़ा है ज्यादा गुलाबी कहां है उसे भेज एक तो मैं आज कपड़े लेना ही भूल गई,,,, और यह गुलाबी ना जाने कहां चली गई,,,


मां‌ वो तो घर पर नहीं है वह तो खेत में सब्जी लेने गई है,,,

क्या अब क्या करूं मैं,,,,(मधु परेशान होने का नाटक करते हैं बॉडी वह अभी भी गुसल खाने में बैठी हुई थी और जानबूझकर अपनी खूबसूरत नंगे बदन को छिपाने की कोशिश कर रही थी और वह भी ऐसे लड़के से जिससे वह चुदवा चुकी थी,,,,)

अरे क्या हुआ मां मुझे बोलो ना,,,,


अरे तुझे क्या बोलूं मुझे तो गुस्सा आ रहा है गुलाबी पर बिना बताए घर से चली गई,,,,

नहीं बताना है तो हटो मुझे बड़ी जोरों की पेशाब लगी है,,,,
(इतना सुनते ही बाहर खड़ी गुलाबी आश्चर्य से एकदम से चूक गई और अपने मुंह पर शर्म से हाथ रख दी क्योंकि इस तरह का खेल खेलने को गुलाबी ने उसे गोली ही नहीं थी और उसे पक्का विश्वास था कि राजू अपनी मां को चोदने के लिए जरूर मना लेना क्योंकि वह मजा हुआ खिलाड़ी था उसकी इसी बात से गुलाबी समझ गई थी,,,, मधु की तो हालत खराब हो गई वह बिल्कुल सहज थी राजू की बात को सुनकर लेकिन फिर भी असहज होने का नाटक करते हुए बोली,,)

क्या कहा तूने अरे तुझे शर्म आती है घर में मुतेगा,,,,


और क्या करूं कोई रास्ता भी तो नहीं है,,,

अरे घर के पीछे चले जा,,,

मां मेरे पास इतना समय नहीं है मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है अगर मैं दो कदम भी चलूंगा तो मेरी पेशाब छूट जाएगी और मैं पजामे में ही पेशाब कर दूंगा इतनी जोर की लगी है,,,, मुझे लगा था कि बुआ के साथ साथ तुम भी खेतों में चली गई होगी इसलिए तो यहां आ गया था,,,,

नहीं नहीं राजू यहां बिल्कुल भी नहीं तू घर के पीछे चले जा और जरा तो यहां से हट जा तुझे शर्म आनी चाहिए मैं इस समय बिल्कुल नंगी हूं और तू मेरे ठीक सामने खड़ा है मुझे कपड़े लेने हैं,,,

देखो मा कपड़े बाद में लेना लेकिन मुझे मुतने दो,,,,


इतना बड़ा हो गया लेकिन तुझे शर्म नहीं आती मेरे सामने इस तरह की बातें करते हुए यह कोई जगह है पेशाब करने की,,,, तुझे पता होना चाहिए कि इस जगह पर तो हम लोग नहीं बैठे थे पेशाब करने के लिए,,,,, और तू लड़का होकर यहां मुतने की जीद‌कर रहा है,,,


आहहहह मां,,,(जानबूझकर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ते हुए,,) तुम समझने की कोशिश करो मुझे बड़े जोरों की लगी है,,,,

नहीं राजू ऐसा बिल्कुल भी मत कर कोई देख लेगा तो क्या होगा और तू इस तरह से मेरे सामने खड़ा है मैं नहा रही हूं अगर तेरी बुआ आ गई तो वह क्या सोचेगी,,,,

अरे कुछ नहीं सोचेगी अभी जिस तरह के हालात में बुआ के सामने भी पेशाब कर दूंगा,,,

हार दैया तुझे तो शर्म नहीं आती,,,

शर्म करने का बिल्कुल भी समय नहीं है मां तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करती अगर बाहर चला गया और पजामे में ही पेशाब हो गई तो कोई देखेगा तो क्या कहेगा,,,, अब तो गांव भर में मेरी भी कुछ इज्जत है समझने की कोशिश करो,,,


नहीं मैं बिल्कुल भी नहीं समझूंगी तुझे तो शर्म आनी चाहिए मुझे कपड़े देने की जगह पर तू मुझसे बहस कर रहा है अब तो मुझे लग रहा है कि तुम मुझे नंगी देखना चाहता है इसीलिए हट नहीं रहा है,,,,

(मां बेटे दोनों की बातें और उन दोनों की जीद को देखकर गुलाबी की बुर गीली हो रही एक अपना लंड दिखाने के बहाने किसी ना किसी तरह से अपनी मां की आंखों के सामने पेशाब करना चाहता था ताकि उसकी मां पेशाब करते हुए अपने बेटे को देखकर उसके लंड को देखकर मचल उठे और दूसरी तरफ मधु शर्म और लिहाज का सिर्फ दिखावा कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसकी ननद कहीं ना कहीं मौजूद है,,,, एक पल को तो गुलाबी को ऐसा महसूस हो रहा था कि वह खुद अंदर चली जाए और सब कुछ साफ-साफ बता दे और तीनों खुलकर मजा ले ले,,, लेकिन वह इस खेल में अभी शामिल होना नहीं चाहती थी वह सब कुछ अपने मुताबिक हो जाने देना चाहती थी इसलिए बाहर खड़ी होकर इंतजार कर रही थी राजू अपनी मां की बातों को सुनकर जल्दबाजी दिखाता हुआ बोला,,,)

देखो मां में आखिरी बार कह रहा हूं,,, हट जाओ मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है मुझे पेट में दर्द होने लगा है,,,,
(मधु कुछ कहती इससे पहले ही राजू ऐसा नाटक करने लगा कि जैसे उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी है और वह भी गुसल खाने में घुस गया यह देखकर मधु शर्मा का एकदम से खड़ी हो गई बस यही तो राजू चाहता ही था मधु पूरी तरह से नंगी थी और उसके खड़ी होते ही पुस्तक खूबसूरत बदन एकदम से नजर आने का था और अपनी बुआ के कहे अनुसार उसे किसी ना किसी तरह से अपनी मां को अपना लंड दिखाना था और वह तुरंत अपने पैजामा को नीचे करके अपने खड़े लंड को बाहर निकाल लिया यह सब हरकत गुलाबी दीवाल की ओर से बाहर निकल कर अपने आप को दीवाल की ओट में छुपा कर देख रही थी,,, मधु को इस बात का एहसास था की गुलामी उसे देख रही है क्योंकि वह तिरछी नजर से गुलाबी की तरफ देख ली थी और गुलाबी उसी को ही देख रही थी और मधु शर्मा ने और चौंकाने का नाटक कर रही थी और राजू था कि अपने लंड को हिलाता हुआ पेशाब करने लगा,,,, और मधु अपने बेटे के लंड को देख कर चौक ने का नाटक करते हुए अपनी आंखों को एकदम से चोरी कर ली और मुंह को खुला का खुला छोड़ दी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आश्चर्य से देख रही है जबकि वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में कई बार ले चुकी थी,,,,

राजू अपनी मां की आंखों के सामने ही बेशर्म बनकर पेशाब कर रहा था और बार-बार अपनी मां की खूबसूरत बदन की तरफ देख ले रहा था,,,, वह अपनी मां की नजर को भी देख रहा था उसकी मां भी उसके लंड को देख रही थी इसलिए वह थोड़ा सा जोर से बोला था कि उसकी बुआ जो की दीवाल के पीछे छुपी हुई है अब तो कुछ ऐसा ही लगता था वह नहीं जानता था कि उसकी बुआ चोरी-छिपे उन दोनों को देख भी रही है,,, राजू बोला,,,

क्या देख रही हो मां मेरा लंड दिख रही हो कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है ना,,,

हाय दैया मैंने आज तक इतना मोटा और लंबा नहीं देखी,,,,
(गुलाबी की तरफ तिरछी नजर से देखकर मधु जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोल रही थी ताकि गुलाबी को ऐसा ही लगे कि सब कुछ उसके कहे अनुसार ही चल रहा है,,,, और सब कुछ पहली बार ही हो रहा है,,,)

अब तो देख रही हो ना मां,,,, एक बार पकड़ कर देखो बहुत अच्छा लगेगा,,,

हाय दैया बेशर्म कहीं का अपनी मां से ऐसी बात करता है,,,,

तुम बहुत खूबसूरत हो मां,,(अपनी मां की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ खींचने की कोशिश करते हुए राजू बोला यह देखकर दीवार के पीछे छुप कर देख रही गुलाबी के तन बदन में आग लग गई उसकी बुर से पानी टपकने लगा,,,, मधु जानती थी कि गुलाबी देख रही है इसलिए एकदम से उसका हाथ पकड़कर झटकते हुए बोली,,)

अरे थोड़ा तो शर्म कर बेशर्म अपनी मां से इस तरह की हरकत करता है,,,,

क्या करु मा तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो बिना कपड़े के तो तुम स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही हो,,,,

बाप रे थोड़ा तो शर्म कर,,(ऐसा कहते हुए मधु अपने बेटे के हिलते हुए लंड को देख रही थी और यह देख कर राजू बोला)

मुझे शर्म करने को कह रही हो और खुद मेरे लंड को प्यासी नजरों से देख रही हो ऐसा लग रहा है कि जैसे खुद ही इस पर चढ़ जाओगी और इसे अपनी बुर में ले लोगी,,,
(गुलाबी की मौजूदगी में अपने बेटे से इस तरह की गंदी बातें सुनकर मधु पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था वह जल्दी से जल्दी यहां से निकलना चाहती थी गुलाबी से सिर्फ इतनी बात हुई थी कि वह बिना कपड़ों के नंगी होकर नहाने की और अपने बेटे से कपड़ा मांगेगी उसका बेटा उसे कपड़ा लाकर देगा और उसे अपना अंग

दिखाने के बहाने दोनों के बीच बात आगे बढ़ेगी लेकिन यहां तो कुछ और ही नाटक शुरू हो गया था और इसलिए गुलाबी के सामने मधु शर्मा रही थी अगर गुलाबी समय मौजूद ना होती तो शायद मधु अपने बेटे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरु कर देती,,,)

धत् बेशर्म,,,, मैं जा रही हूं,,,(और इतना कहकर मधु गुशल खाने से नंगी ही बाहर आ गई और बिना कपड़ों के ही अपने कमरे की तरफ नंगी ही जाने लगी तो राजू भी गुसल खाने से बाहर आ गया और बोला)

मैं भी आ रहा हूं,,,

तू ऐसे नहीं मानेगा आज तेरे पिताजी से सब कुछ बता दूंगी
(ऐसा कहते हुए मधु अपने कमरे की तरफ जा रही थी एकदम नंगी वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी उसकी गोल गोल गाना चलते समय पानी भरे गुब्बारों की तरह लचक रही थी या देखकर गुलाबी के गाल भी सुर्ख लाल हो गए वह समझ गई थी कि वाकई में उसकी भाभी उससे भी ज्यादा खूबसूरत है ना कि होने के बाद तो वह सच में स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी उसकी नंगी गोरी गोरी गोर गोर गाल देखकर तो दुनिया का कोई भी मर्द उस पर लट्टू हो जाएं राजू भी अपनी मां को नंगी अपने कमरे की तरफ जाता देखकर अपने लंड को पकड़ कर हिला रहा था यह देखकर गुलाबी उसे सारा करके उसके पीछे पीछे जाने के लिए कह रही जो कि अगर वह ना भी कहती तो भी वह उसके पीछे पीछे चले जाता,,,)
अरे मां मैं भी आ रहा हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही वह भी अपनी मां के पीछे जाने लगा और यह देखकर मधु के तन बदन में आग लगने लगी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि वह जानती थी कि अब सब कुछ वैसा ही हो जाएगा जैसा कि वह चाहती थी वह अपने कमरे का दरवाजा खोल कर कमरे में प्रवेश करती ईससे पहले ही संजू भी दरवाजे के पास आ गया और तुरंत पूर्ति दिखाता हुआ कमरे में प्रवेश कर गया,,,)

अरे अरे यह क्या कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है,,,

क्या करूं मां तुम्हें नंगी देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,
(और इतना कहने के साथ ही वह अपने आप से ही दरवाजा बंद करके दरवाजे पर कड़ी लगा दिया,,,,, मधु बहुत खुश थी और काफी उत्तेजित भी क्योंकि गुलाबी भी उन दोनों को देख रही थी और यह सब देख कर,, गुलाबी की खुशी समा नही रही थी क्योंकि उसके दिशा निर्देश के अनुसार ही सब कुछ हो रहा था और कुछ ही देर में दोनों मां बेटी के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो जाएगा और गुलाबी का राज राज बनकर रह जाएगा और इस राज में तीनों एक साथ शामिल हो जाएंगे,,,, हरिया भी इस राज का हिस्सा था लेकिन अभी वह जो कुछ भी हो रहा था इन सब से बिल्कुल अनजान था,,,, गुलाबी का दिल जोरों से धड़क रहा था मैं पहली बार एक मां और बेटे को कमरे में बंद देख रही थी और वह भी दोनों के बीच किसी भी वक्त चुदाई का खेल शुरू होने वाला था क्योंकि दोनों एक दूसरे के प्यासे थे,,, गुलाबी खेल को अपनी आंखों से देखना चाहती थी इसलिए धीरे-धीरे वह भी अपनी भाभी के कमरे के पास पहुंच गई और दरवाजे के छेद को ढूंढने लगी ताकि उसमें से अंदर के दृश्य को आराम से देखा जा सके,,,
 
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माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था मधु शर्मा कर इस तरह से गुसल खाने से बाहर निकली थी मानो जैसे वह सच में अपने बेटे के सामने पहली बार इस तरह की स्थिति का सामना कर रही हो,,,,,,, मधु गुशल खाने से निकलकर बिना कपड़ों के ही चलते हुए अपने कमरे तक गई थी और यह मधु की तरफ से फेंका हुआ जबरदस्त पासा था जिसमें सब कुछ चारों खाने चित हो चुके थे गुलाबी तो इस मनोरम में दृश्य को देखकर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी भाभी बला की खूबसूरत है उसके सामने उसकी जवानी कुछ भी नहीं थी,,,, जवान बच्चों की मां के साथ-साथ एक सास होने के बावजूद भी जिस तरह से वह अपने बदन के बनावट को एकदम गठीला और कसा हुआ बना कर रखी थी उसे देखते हुए खुद गुलाबी के मुंह में पानी आ रहा था गुलाबी की नजर उसके नंगे बदन के साथ-साथ उसकी गोल-गोल गांड पर स्थिर हो चुकी थी जो कि चलते समय पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर उधर हील रही थी अपनी भाभी की मदमस्त कर देने वाली गोल गोल गांड को देखकर गुलाबी अपने मन में यही सोच रही थी कि जब अपनी भाभी को देखकर उसका यह है हाल है तो मर्दों का क्या हाल होता होगा वाकई में आज तो राजू पूरी तरह से अपनी मां की जवानी के आगे घुटने टेक देगा और आज उन दोनों के बीच चुदाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा,,,। और वैसे भी राजू के चरित्र को गुलाबी अच्छी तरह से समझती थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी मां को चोदने में राजू के मन में किसी भी प्रकार की झिझक पैदा नहीं होगी,,,,,,, गुलाबी ने अच्छी तरह से देखी थी कि उसकी भाभी अपने बेटे के लंड को कितनी प्यासी नजरों से देख रही थी यह देखकर गुलाबी पूरी उम्मीद से बंध चुकी थी कि उसकी भाभी अपने ही बेटे से अच्छी तरह से चुदवाएगी,,, क्योंकि गुलाबी भी अपने बड़े भैया के लंड की ताकत लंबाई चौड़ाई से अच्छी तरह से वाकिफ थी जोकि राजू के मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के आगे कुछ भी नहीं था,,,,,,

राजू भी अपनी मां के पीछे पीछे लार टपका ते हुए उसके कमरे में प्रवेश कर गया था जहां से एक नए रिश्ते की शुरुआत होनी थी और वह भी गुलाबी की नजर में जबकि गुलाबी की नजरों से अनजान दोनों के बीच अनैतिक रिश्ता पनप चुका था और दोनों उस रिश्ते से बेहद खुश और तृप्त थे,,,,, मधु के कमरे में प्रवेश करते ही राजू भी पीछे से अपनी मां के कमरे में घुस गए और अपने हाथों से ही दरवाजा बंद करके कुंडी लगा दिया यह अनुभव और एहसास गुलाबी के तन बदन में आग लगा रहा था ऐसा लग ही नहीं रहा था कि दोनों मां बेटे हैं बल्कि ऐसा लग रहा था कि प्रेमिका के पीछे पीछे प्रेमी उसके कमरे में घुस गया है और अपने हाथों से दरवाजा बंद करके आज उसकी जमकर चुदाई करने वाला है एहसास गुलाबी की बुर से पानी निकाल रहा था कमरे का दरवाजा बंद होने से गुलाबी जल्द ही अंदर देखने के लिए दरवाजे की दरार को तलाशने लगी और उसे जल्द ही एक बहुत ही खूबसूरत दरार नजर आ गई जिसकी लंबाई केवल बुर की लंबाई जितनी ही थी और उसमें से उसे जन्नत का नजारा देखना था गुलाबी चल रही दरवाजे के उस छोटे से दरार पर अपनी नजरें दिखा दी और अंदर की तरफ देखने लगी अंदर सब कुछ एकदम साफ नजर आ रहा था दोपहर का समय था इसलिए कोई दिक्कत पेश नहीं आ रही थी लेकिन तभी उसे याद आया कि दरवाजा तो खुला छोड़ आई है इसलिए वह तुरंत गई और दरवाजा बंद करके वापस दरवाजे के करीब आकर उस छोटे से दरार में अपनी नजर को दिखा दी लेकिन उसके दरवाजे तक आने पर मधु और राजू दोनों को उसके दरवाजे पर खड़े होने का एहसास हो गया था और राजू ने उसे इशारा करके नाटक करने को ही कहा था वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि उन्हें इस तरह से नाटक करना है मानो की गुलाबी को ऐसा लगे कि सब कुछ पहली बार ही हो रहा है और दोनों इस खेल में पूरी तरह से माहिर हो चुके थे,,,,,दरवाजे की तरफ तिरछी नजर से देख कर अपनी ननद के वहां होने का अहसास से मधु शर्म से पानी-पानी तो हो रही थी लेकिन अपनी ही ननद के सामने अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़पती रही थी यह उसके लिए एक नया अनुभव था जिसमें वह पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी इसीलिए वह नाटक करते हुए बोली,,,,


राजू तुझे शर्म नहीं आती मेरे पीछे पीछे कमरे में आ गया और दरवाजा भी बंद कर दिया,,,,,(बिस्तर पर पड़ी चादर को उठाकर अपने बदन पर डालकर जानबूझकर ढकने की कोशिश करते हुए मधु बोली)

तुम्हारी खूबसूरती और तुम्हारा खूबसूरत बदन देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है मां,,, सच में तुम बहुत खूबसूरत हो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से उतरी में कोई अप्सरा हो और जिस तरह से तुम गुसल खाने से निकलकर नंगी ही अपने कमरे तक आई हो मैं तो पागल हो गया हूं देखो मेरा लंड कितना खड़ा हो गया है,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू बेशर्मी की हद पार करते हुए अपनी बुआ की आंखों के सामने ही अपने पजामे को खींच कर नीचे घुटनों तक कर दिया और उसके ऐसा करने से उसका मोटा तगड़ा लंबा टन टनाया हुआ

लंड हवा में लहरा उठा,,,, ना चाहते हुए भी मधु की नजर अपने बेटे के लंड पर चली गई लेकिन वह ऐसा बर्ताव कर रही थी मानो कि बाहर खड़ी गुलाबी को ऐसा ही लगे कि वह वाकई में शर्म आ रही है और उत्तेजित भी हो रही है,,,,, अपने बेटे के लंड पर नजर डालकर मधु अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,,)

यह गलत है राजू तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए मैं तेरी मां हूं,,,,

मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम मेरी मां हो और मैं तुम्हारा बेटा हूं लेकिन ना तो मेरा लंड यह बात जानता है ना तुम्हारी बुरी बात जानती है कि हम दोनों के बीच कैसा रिश्ता है बस यह दोनों तो एक मर्द और औरत का ही रिश्ता जानते हैं अगर ऐसा ना होता तो तुम्हें देखकर तुम्हारे नंगे बदन को देख कर मेरा लंड खड़ा ना होता और ना मेरे लंड को देखकर तुम्हारी बुर पानी पानी होती,,,,


यह क्या कह रहा है राजू तुझे शर्म नहीं आ रही है अपनी मां से इस तरह की बातें करते हुए,,,,

मैं अपनी मां से नहीं बल्कि एक औरत से बात कर रहा हूं जो कि प्यासी है अपने पति के छोटे लेने से पूरी तरह से तृप्त नहीं हो पाती मजा नहीं ले पाती वह अपने पति से चुदाई का भरपूर मजा नहीं ले पाती इसलिए तो यह जिम्मेदारी निभाने के लिए मैं आया हूं,,,, देखो मेरे लंड को क्या इसे देखकर तुम्हारी बुर पानी नहीं छोड़ रही है,,,,।
(अपने बेटे की बात सुनकर नाटक करने के बावजूद भी मधु पूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि इस तरह की गंदी गंदी बात सुनकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगी थी और तो और अपनी ननद के सामने अपने बेटे के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह शर्मसार हुए जा रही थी,, और दरवाजे के पीछे खड़ी गुलाबी भी राजू की बातें सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी वह सोच ही नहीं थी कि पहली बार में ही राजू अपनी हम आपके सामने इस तरह की गंदी गंदी बातें करेगा आप गुलाबी पूरी तरह से समझ चुकी थी कि राजू पूरा का पूरा खिलाड़ी हो चुका है उसे हरा पाना नामुमकिन है उसे अंदर का नजारा देखने में बहुत मजा आ रहा था,,,,, अपने बेटे की बात का जवाब देते हुए मधु बोली,,,)

नहीं जैसा तु सोच रहा हैं ऐसा कुछ भी नहीं है,,,,,,(सर में से अपनी नजरों को झुकाते हुए और चादर के पीछे अपने नंगे बदन को छुपाने का नाटक करते हुए मधु बोली ,,)

तुम झूठ बोल रही हो मां,,,(हाथ में पकड़ कर अपने लंड को हिलाते हुए,,) तुम्हारे होंठ कुछ और कह रहे हैं और चेहरे की रंगत कुछ और बयां कर रही है तुम्हारा चेहरा शर्म से लाल हो चुका है तुम एकदम से चुदवासी हो गई हो ,, और इसे मैं साबित कर सकता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की चादर को उसके बदन से खींचकर अलग करके फेंक दिया और एक बार फिर से कमरे के अंदर राजू की आंखों के सामने उसकी खूबसूरत मा एकदम नंगी हो गई जो कि अपनी दोनों जनों को हटाकर अपनी हथेली को अपनी बुर पर रख कर राजू के हकीकत को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,,, राजू आगे बढ़ा और अपनी मां की कलाई पकड़ कर उसे अपनी बुर से हटाते हुए बोला,,,)

अब छुपाने से कोई फायदा नहीं है मां जैसा मेरा लंड खड़ा हो गया है वैसा तुम्हारी बुर की तड़प रही है मेरे लंड को लेने के लिए,,,,(और ऐसा कहते हैं मैं राजू धीरे-धीरे अपने घुटनों के बल बैठ गया एक हाथ में वह अपनी मां की कलाई पकड़ कर उसे अपनी मां की बुर से बुर किए हुए था वाकई में मधु की बुर से मदन रस टपक रहा था जिसे देखते ही राजू के मुंह में पानी आ गया और यह देखकर दरवाजे के पीछे छिपी गुलाबी सलवार के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर दबाना शुरू कर दी,,,, अपनी मां की पनियाई बुर को देखकर राजू मुस्कुराते हुए बोला,,)

देखी ना मां मैं सच कह रहा था ना तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है तुम भी बहुत मस्त हो रही हो,,,,(पर इतना कहने के साथ ही अपनी मां की कलाई को छोड़कर वह अपने दोनों हाथों को अपनी मां की कमर पर रख दिया नंगी चिकनी कमर पर अपने बेटे की मजबूत हथेलियों का स्पर्श पाते ही नाटक करने के बावजूद भी मधु पूरी तरह से गर्म हो गई उसके बदन में सिहरन दौड़ने लगी,,,, राजू की हरकत से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी गुलाबी अब जानती थी कि राजू क्या करने जा रहा है और उस पल की उत्सुकता में वह खुद पानी पानी हो रही थी,,,, अगले ही पल राजू अपनी मां की तरफ देखते हुए अपनी प्यासे होठों को अपनी मां की बुर की तरफ बढ़ाने लगा यह देख कर मधु कसमसाने लगी और अपना हाथ उसके सर पर रख कर उसके बाल को कस के पकड़ लिया और उसे अपनी बुर की चार अंगुल की दूरी पर उसे रोक दी और बोली,,,)

राजू यह गलत है,,,,

कुछ भी गलत नहीं है ना मेरे सर की कसम खाकर बोलो कि तुम नहीं चाहती कि मैं तुम्हें मजा दूं तुम्हारी बुर पर अपने होंठ रख कर उसके रस को चाटु तुम्हारी बुर में अपना लंबा लंड डालकर तुम्हें चुदाई का परम सुख प्रदान करुंं,,,,,

(राजू अपनी मां की आंख में आंख डालकर बातें कर रहा था और राजू के आत्मविश्वास को देखकर मधु एकदम से मदहोश होने लगी अब वह नाटक नहीं बल्कि हकीकत में सब कुछ करने लगी थी और मजा ले रही थी,,,, राजू की गर्म कर देने वाली बातों को सुनकर,,, राजू के बालों पर से मधु के मुट्ठी की पकड़ ढीली होने लगी और उसकी ढीली होती मुट्ठी को महसूस करते ही राजू धीरे-धीरे अपने होठों को आगे बढ़ाया और अगले ही पल अपनी मां की दहकती हुई बुर की गुलाबी पत्तों पर रखकर अपनी प्यास को बुझाने के लिए अपनी जीभ को बाहर निकाला और अपनी मां की गुलाबी छेद में डाल कर उसके मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,, दरवाजे के बाहर छुप कर देख रही गुलाबी को पूरा विश्वास था कि अब मैं तुमसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा और वह पूरी तरह से मस्त हो जाएगी,,,, और उसके सोचने के मुताबिक ही मधु पूरी तरह से मदहोश हो गई,,,,,, और एकदम से उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,

सस‌हहहहह,,,,आहहहह राजू,,,,,,ऊमममममम,,,,
(अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज दरवाजे के पीछे खड़ी गुलाबी को एकदम साफ सुनाई दे रहा था और वह अपनी भाभी की इस सिसकारी की आवाज को सुनकर पूरी तरह से मदहोश हो गई वह समझ गई कि आप वह अपने बेटे के सामने अपनी दोनों टांगे खोल देगी और उसका राज,,, राज बनकर रह जाएगा,,,, जितना मां बेटे पूरी तरह से आनंदित हो रहे थे उससे भी ज्यादा बाहर खड़ी गुलाबी मजे ले रही थी क्योंकि पहली बार अपनी आंखों के सामने एक बेटे को अपनी मां की बुर चाटता हुआ देख रही थी और यह नजारा उसके लिए बेहद अद्भुत था,,,,,, राजू को अब कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं थी वह पागलों की तरह अपनी मां की बुर की गहराई में अपनी जीभ डालकर चाट रहा था अपनी बुआ की नजर में वह पहली बार अपनी मां की बुर को जीभ लगा कर चल रहा था लेकिन वह कई बार अपनी मां की बुर का मजा ले चुका था इसलिए वह पूरी तरह से अपनी मां की बुर के भूगोल से वाकिफ था,,,,, राजू पागलों की तरह जितना हो सकता था उतनी जीभ अपनी मां की बुर में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था और मधु पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी आंखों को बंद किए इस पल का मजा ले रही थी,,,,,,, इस समय मधु बिल्कुल भी नाटक नहीं कर रही थी बल्कि एक हकीकत को जी रही थी और उसका मजा ले रही थी,,, उसकी सांसे बड़ी गहरी चल रही थी वह अपने कमरे के बीचो बीच खड़ी थी और उसका बेटा घुटनों के बल बैठकर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़े उसकी गुलाबी छेद में जीभ डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,, बाहर खड़ी गुलाबी से यह दृश्य बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को रगड़ रही थी,,,, और राजू की हरकत को देखकर यह सोच रही थी कि राजू कितना बेशर्म है पहली बार में ही मौका मिलते ही सीधा अपनी मां की बुर को चाटना शुरू कर दिया वाकई में यह लड़का बहुत आगे,, है,,,, और उसे पूरा विश्वास था कि आज राजु अपने मोटे तगड़े लंड की ताकत से अपनी मां को पूरी तरह से तृप्त कर देगा और आज के बाद उसकी मां अपने बेटे का लंड लिए बिना नहीं रह पाएंगी और यही तो वह चाहती भी थी,,,,।

दोपहर के समय मधु अपने कमरे में एकदम लग्न अवस्था में अपने बेटे के सामने अपनी बुर को परोस दी थी और उसका बेटा भी एक भूखे इंसान की तरह परोसी हुई थाली पर पूरी तरह से टूट चुका था,,,, और उसे जी भर कर चाट रहा था उससे अपनी भूख मिटा रहा था लेकिन यह बुर की प्यास ऐसी थी की जितना भी प्राप्त कर लो उसे पाने की प्यास और ज्यादा बढ़ती रहती है जितना भी बहुत लो उसे फिर से भोगने की प्यास फिर जाग जाती है,,,, यही तो राजू के साथ भी हो रहा था राजू अपनी मां की जमकर चुदाई कर चुका था और आए दिन मौका देखकर वह अपनी मां की बुर में लंड डाली देता था लेकिन आज अपनी बुआ के सामने वह पूरी तरह से अतृप्त होकर अपने आप को तृप्त करने की कोशिश कर रहा था और इस शुभ अवसर का मजा अपनी मां को भी बराबर दे रहा था बार-बार उसकी बुर से मदन रस का फव्वारा फूट पड़ रहा था जिस की एक भी बूंद को राजू जाया नहीं होने दे रहा था और उसे अपनी जीत के सहारे चाट चाट कर अपने गले के नीचे गटक रहा था,,,, राजू अपनी मां की कमर पर से अपने दोनों हाथ को हटाकर उसकी गोल-गोल गांड पर रख दिया था और उसे हथेली में जितना हो सकता था उतना लेने कर दबा रहा था अपनी मां की बुर चाटते हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड दबाने में भी उसे अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी और यही आनंद मधु को भी पूरी तरह से मदहोश कर रही थी अपनी नजर के सामने अपनी बेटी से बुर चटवाने का मजा ही कुछ और होता है इस बात का एहसास मधु को अच्छी तरह से हो रहा था वह बहुत ज्यादा आनंदित और उत्तेजित नजर आ रही थी इसलिए तो वह अपनी कमर को गोल-गोल घुमा कर अपनी बुर को उसके संपूर्ण गुलाबी क्षेत्र को अपने बेटे के होंठों के साथ साथ उसके पूरे चेहरे पर रगड़ रही थी जिससे उसकी बुर से निकल रहे काम रस के रस में राजू का पूरा चेहरा सरोबोर हो चुका था,,,, यह देखकर गुलाबी की

सलवार गीली होने लगी थी,,,,,,, गुलाबी को एकदम साफ तौर पर नजर आ रहा था कि उसकी भाभी अपने ही बेटे के चेहरे पर अपनी गरम-गरम बुर को रगड़ रही थी,,, एक मा अपने बेटे को एक अद्भुत सुख प्रदान कर रही है यह देख कर गुलाबी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, गुलाबी को भी बहुत मजा आ रहा था वह सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को रगड़ रही थी वह कभी सोची नहीं थी किस खेल को देखने में भी इतना अधिक मजा आएगा,,,।

कुछ देर तक यह सिलसिला यूं ही चलता रहा राजू अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की बुर में उंगली डालने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि उसकी मां की बुर में उसके लंड का सांचा बना हुआ था इसलिए जगह बनाने का सवाल ही पैदा नहीं हो रहा था,,,, राजू अपनी मां की गरमा गरम बुर से अपने होठों को हटाकर अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,,,,।


तुम्हारी बुर बहुत गर्म है ना और बहुत पानी छोड़ रही है सच में तुम्हारी बुर का रस चाटने में मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,
(अपने बेटे की गरमा गरम बातों को सुनकर मधु की हालत खराब होती जा रही थी और दरवाजे के बाहर खड़ी गुलाबी भी अपने भतीजे की इतनी गंदी बात को सुनकर एकदम मदहोश हुए जा रही थी,,, राजू के रवैये से वह अच्छी तरह से वाकिफ थी लेकिन वह अपनी मां के साथ कुछ ही पल में इतना ज्यादा खुल जाएगा इस बात का उसे अंदाजा भी नहीं था लेकिन जो कुछ भी हो अपनी आंखों से देख रही थी उसे सब कुछ नया-नया सा और पहली बार ही लग रहा था जबकि दोनों मां बेटों में यह सिलसिला महीनों से चला आ रहा था,,,,,, अपने बेटे की इतनी गंदी बात सुनकर मधु एकदम से शर्मा गई थी और वह शंका जताते हुए बोली,,)

राजू कहीं तेरी बुआ गुलाबी आ गई तो,,,

बुआ इतनी जल्दी आने वाली नहीं है मां वह अपनी सहेली से मिलने गई होंगी तब तक तो अपना काम हो जाएगा,,,

मुझे डर लग रहा है राजू इस बारे में किसी को पता चल गया तो क्या होगा,,,,


किसी को कैसे पता चलेगा,,,, यहां कोई आने वाला नहीं है,,,,(इतना कहते हुए राजू अपनी जगह से खड़ा हुआ और अपनी मां की आंख में आंख डालते हुए बोला) सब कुछ भूल कर इस पल का मजा लो सच में तुम्हारा खूबसूरत गोरा बदन कुदरत ने अपने हाथों से तराशा है ऐसी खूबसूरत औरत मैंने पूरे गांव में नहीं देखा,,,(राजू अपनी मां की आंख में आंख डालकर बोल रहा था और मधु उसी से नजरें मिलाने में शर्मा रही थी और वह अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,) तुम्हारी यह खूबसूरत गांड (दोनों हाथों को अपनी मां के पीछे की तरफ ले जाकर उसकी गोल-गोल गांड पर अपनी हथेली रखकर दबाते हुए) देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,( इतना कहने के साथ ही अपनी मां की गोल-गोल गांड को अपनी हथेली में दबोचे हुए हैं वह उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी मां एकदम से उसकी बाहों में समा गई और राजू तुरंत अपनी मां के लाल लाल होंठों पर अपने होंठ रख कर उसके होठों के मधुर रस को पीना शुरू कर दिया यह नजारा देखकर गुलाबी के तन बदन में आग लग गई और वह कुर्ती के ऊपर से ही अपनी चूची पकड़कर दबाना शुरू कर दी,,,, मधु की गदर आई जवानी से भरपूर मांसल बदन राजू की बाहों में था और राजू उसकी बड़ी बड़ी गांड को जोर जोर से दबाता हुआ उस पर चपत लगा रहा था और साथ ही उसके होठों को पी रहा था मधुर की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां राजू की छाती पर दब रही थी,,,, मधु कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि इस खूबसूरत मनोरम्य द्रशय को उसकी ननद अपनी आंखों से दरवाजे के पीछे छुपकर देख रही थी,,,,,, अपनी ननद की मौजूदगी में मधु ईस रिश्ते को आगे बढ़ाने में बहुत ही एहतियात बरत रही थी क्योंकि वह ऐसी कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी जिससे गुलाबी को लगे थी दोनों के बीच पहले से ही कुछ चल रहा है,,,, इसलिए वह गरम आहे भरते हुए बोली,,,,।

ओहहहह राजू ,,,,, मेरे बेटे मुझे बहुत डर लग रहा है,,,, मुझसे आगे बढ़ा नहीं जा रहा है,,,,

यह कैसी बातें कर रही हो मां,,,(चुंबन को तोड़ते हुए) क्या तुम्हें,,,, मजा नहीं आ रहा है,,,,, नहीं तुम्हें भी बहुत मजा आ रहा है तभी तो तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है अगर तुम्हें मजा नहीं आता तो अब तक तुम मुझे अपने कमरे से बाहर निकाल दी होती डरो मत मैं किसी से भी घबराने की जरूरत नहीं है किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा बुआ को भी नहीं है यह रिश्ता हम दोनों के बीच रहेगा,,,, क्या तुम्हे चाहती थी तुम्हारी बुर में पिताजी के छोटे लंड की जगह मोटा और लंबा लंड जाए जो तुम्हारी बुर मैं जाकर पूरी तरह से तुम्हें तृप्त करके ही बाहर आए,,, तुम्हारी उफान मारती जवानी या गदराया बदन को काबू में करने की क्षमता पिताजी में बिल्कुल भी नहीं है तुम्हारी एक खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी सिर्फ मेरे लायक है आज देखना मैं तुम्हें ऐसा सुख दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मां के कंधे पर रख दिया और उसे नीचे की तरफ दबाव देने लगा) तुम्हारी बुर पतले और

छोटी लंड के लिए नहीं बल्कि मेरे जैसे मोटे और लंबे लंड के लिए बनी हुई है तुम्हारी बुर से पानी निकालने की क्षमता पिताजी के लंड में बिल्कुल भी नहीं है ऐसा असमर्थ कार्य को सिर्फ मेरे द्वारा ही पूरा किया जा सकता है जिसका तुम्हें अंदाजा भी नहीं है लेकिन मैं चाहता हूं कि आज मैं तुम्हें चुदाई क्या होती है उसका सुख क्या होता है दोनों से परिचित करवाऊं,,,(ऐसा कहते हुए राजु अपनी मां को नीचे की तरफ बैठा रहा था राजू अपनी मां से अद्भुत तरीके से अश्लील वार्तालाप कर रहा था जिसको सुनकर मधु के साथ-साथ दरवाजे के पीछे खड़ी गुलाबी के भी तन बदन में आग लग रही थी वह चित्र से जानती थी कि राजू बातों का जादूगर था और वह अपनी मां को पूरी तरह से अपने बातों के जादू में उलझा कर मनमानी करने जा रहा था,,,, अपने कंधों पर अपने बेटे के हाथ का दबाव पाकर मधु अच्छी तरह से समझ गई थी कि अब उसे क्या करना है,,,, इसलिए बहुत देखते ही देखते अपने घुटनों के बल बैठ गई उसकी नजरें अपने बेटे के पजामे की तरफ थी जिसमें तंबू बना हुआ था वह चित्र से जानती थी कि गुलाबी सब कुछ देख रही है लेकिन इस बात से भी वह अच्छी तरह से परिचित होगी क्योंकि वह भी एक औरत थी कि ऐसे हालात में एक औरत की क्या स्थिति होती है इसीलिए मधु भी अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के पजामे को पकड़कर उसे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,, और अगले ही पल मधु ने अपने बेटे के पहचाने को खींचकर सीधे उसके पैरों के नीचे उसके कदमों में ला दी और राजू अपने पैरों का सहारा लेकर अपने पैजामा को उतार फेंका और अपने ही हाथों से अपना कुर्ता भी निकाल कर एकदम नंगा हो गया,,,, मधु की आंखों के सामने उसका मोटा तगड़ा लंड हवा में हिलोरे मार रहा था जिसको देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो मधु अपने बेटे के लंड को बहुत बार अपनी बुर में ले चुकी थी लेकिन इस बार उसे ऐसा दिखाना था कि मानो जैसे वह पहली बार अपने बेटे के लंड को हाथ में पकड़ कर उसके साथ खेल खेल रही है इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,,।

बाप रे बेटा तेरा लंड तो सच में बहुत बड़ा और मोटा है,,,

तो क्या मां पिताजी की तरह थोड़ी छोटा सा और पतला सा जो कि बुर में जाए तो पता ही ना चले देखना मां जब यह तुम्हारी बुर में जाएगा ना पूरी तरह से तुम्हारी बुर को रगड़ रगड़ कर उसका पानी निकालेगा,,,,।
(इस नजारे को देखकर गुलाबी से रहा नहीं जा रहा था और वह धीरे-धीरे अपने सलवार का नाड़ा खोल रही थी,,,)
अब ईसे अपने मुंह में लो,,,,

नहीं मुझे डर लग रहा है,,,

अरे मा ईसमे घबराने जैसी कोई बात नहीं है लंड है कोई सांप थोड़ी है,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपनी मां के गोरे-गोरे गाल पर अपने लंड को पकड़ कर उसे रगड़ना शुरू कर दिया मधु पूरी तरह से मदहोश ले जा रही थी अपनी मेहनत के सामने अपने बेटे के लंड को पकड़ने में उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, और उसकी यह शर्म को दूर करते हुए राजू अपने लंड के सुपाड़े को ‌ उसके लाल-लाल होठों पर रगड़ने लगा आखिरकार मधु कब तक शर्म‌ का पर्दा उड़कर इस खेल को खेल की वह पूरी तरह से गर्म हो गई और तुरंत अपने लाल-लाल होठों को खोल दी ,,,, और अपने बेटे के लंड को अपने मुंह में आने का आमंत्रण दे दी राजू की मौके की नजाकत को समझते हुए अपने टनटनाए हुए लंड को अपनी मां के मुंह में डाल दिया और देखते-देखते मधु भी अपने बेटे के लंड़ को चूसना शुरू कर दी,,, और इस नजारे को देखकर गुलाबी पूरी तरह से मदहोश हो गई और देखते ही देखते हो अपनी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को अपने कदमों में गिरा दी और अपने नंगी बुर पर अपनी हथेली रगड़ना शुरु कर दी,,,,,।

कमरे के अंदर और बाहर दोनों तरफ वासना का नंगा नाच हो रहा था एक तरफ दो खिलाड़ी थे और एक तरफ दर्शक बनकर देख रही गुलाबी थी जो कि दर्शक बनने में भी एक अजीब सा नशा और मजा देना होता है इसका अनुभव ले रही थी अब राजू की कमर आगे पीछे ही लेना शुरू हो गई थी वह एक तरह से अपनी मां के मुंह को चोद रहा था अपने बेटे के मोटे लंड को अपने मुंह में ठूंस कर मधु उत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी अपनी ननद की मौजूदगी में उसकी आंखों के सामने इस गंदे खेल को खेलने में और ज्यादा मजा आ रहा है उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,,, राजू अपनी मां की रेशमी बालों में अपनी उंगलियां फंसा कर अपनी कमर को आगे पीछे करके हिला रहा था,,, और बार-बार दरवाजे की तरफ देख ले रहा था दरवाजे के बाहर तो उसे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था बस गुलाबी के होने का एहसास उसे हो रहा था बाकी गुलाबी को कमरे के अंदर का सब कुछ साफ नजर आ रहा था इसीलिए तो वह पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही थी,,,

ओहहह मां कितना मजा आ रहा है तुम ही सोचो पिताजी के लड्डू को मुंह में लेने में कितना मजा नहीं आ रहा होगा जितना कि मेरा अपने गले तक उतारने में आ रहा है,,,,।
(मोटे तगड़े मुसल जैसे लंड को अपने मुंह में ठूंस कर मधु से कुछ बोला नहीं जा रहा था बस वह ऊंऊ ऊंऊ कर रही थी,,,, कुछ देर तक राजू इसी तरह से अपनी मां को ही चोदता रहा लेकिन वह अब पूरी तरह से गर्म हो चुका था अब उसे अपनी मां के होंठों के बीच नहीं बल्कि अपनी मां की बुर्के गुलाबी पत्तियों के बीच लंड डालना था इसलिए वो धीरे से अपने लंड को मुंह में से बाहर निकाला और अपनी मां के कंधों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा गहरी सांस लेते हुए मधु अपने बेटे के हाथों की कठपुतली बनकर जैसा वह नजारा था वैसे नाच रही थी देखते देखते वह खड़ी हो गई लेकिन इस बार राजू कुछ और करने के फिराक में था इसलिए तुरंत अपनी मां के होठों पर और रखकर एक बार फिर से उसके होठों के मदन रस्क चाटना शुरू कर दिया और उसकी एक टांग को घुटनों से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और अपनी कमर से लपेट लिया ऐसा करने से मधु की रसभरी और उसके लंड के एकदम सामने आ गई और राजू,,, अपने लंड को पकड़ कर लंड के सुपाड़े से अपनी मां की बुर को टटोलते हुए उसकी बु‌र के गीलेपन को महसूस करते ही उसमें अपने लंड का सुपाड़ा डालना शुरू कर दिया और देखते ही देखते,,, इस स्थिति में भी राजू ने बड़े आराम से अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मां की बुर में डाल दिया और करारा धक्का मारा जिससे कि पूरा का पूरा लंड मधु की बुर की गहराई में घुस गया और मधु के मुंह से जोर से चिल्लाने की आवाज निकल गई,,,।

आहहहह,,,,,,मर गई रे दैया,,,(इस तरह की आवाज मधु ने जानबूझकर अपने मुंह से नहीं निकाली थी बल्कि राजू की आक्रामकता की वजह से उसके मुंह से अनायास ही इस तरह की आवाज निकल गई थी और इस आवाज को सुनकर गुलाबी को पूरा एहसास हो गया था कि दोनों के बीच का यह रिश्ता पहली बार का ही था राजू एक हाथ से अपनी मां की मोटी मोटी जान पकड़कर उसे अपनी कमर पर लपेटे हुए दूसरे हाथ को अपनी मां के पीछे की तरफ ले जाकर उसकी कमर में हाथ डालकर उसको सहारा देकर चोदना शुरू कर दिया था इस तरह से वह मधु को पहली बार पेल रहा था जिससे मधु को भी बहुत मजा आ रहा था,,,,,

आहहहह आहहहहह आहहहरहह,,,,
(राजू के हरे धक्के के साथ मधु के मुंह से आह निकल जा रही थी गुलाबी बहुत खुश थी क्योंकि आज उसके मन की हो चुकी थी राजू का लंड उसकी मां की बुर में जाते ही खुशी के मारा गुलाबी ताली बजाने वाली थी लेकिन किसी तरह से अपने आप पर काबू कर गई थी आज उसका राज राज बनकर रह गया था अब उसे किसी का भी डर नहीं क्योंकि जिसने उसे रंगे हाथों पकड़ी थी आज वह खुद अपने ही बेटे के साथ चुदाई का मजा ले रही थी,,,, गुलाबी अपनी आंखों से एक भी दृश्य को ओझल होने देना नहीं चाहती इसीलिए लगातार दरवाजे की दरार में से कमरे के अंदर के मनोरम्य दृश्य का आनंद ले रहे थे और साथ ही अपनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को अपनी हथेली से रगड़ रही थी,,, अंदर का नजारा और ज्यादा गर्म हो जा रहा था क्योंकि राजू दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड को पकड़कर दबाते हुए अपनी कमर हिला रात है और मधु खुद ही अपनी कमर को अपने बेटे की कमर से लपेट कर खड़ी थी हालांकि हर धक्के के साथ वह डगमगा जा रही थी,,,। लेकिन राजू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से थामा हुआ था जिससे वह संभल जा रही थी अब बुर में से आ रही चपचप की आवाज मधु के कानों में एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,,,,

राजू पूरी तरह से जोश से भर गया था,,, वह अपनी मां की गांड के इर्द-गिर्द अपने हाथ का झाला बनाकर उसे अपनी गोद में एक झटके में उठा लिया ऐसा करने से मधु एकदम से घबरा गई और उसके कंधे को कस के पकड़ ली लेकिन तब तक राजू अपनी मां को अपनी गोद में उठा चुका था,,,,,

राजू क्या कर रहा है मैं गिर जाऊंगी,,,, नीचे उतार मुझे,,,,,अरे नही,,,,, पागल हो गया है क्या तू,,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा आज तुम्हें अपनी गोद में उठाकर चोदूंगा,,,,(राजू पूरी तरह से अपनी मां को गोद में उठा लिया था और मधु अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर अपने आप को स्थिर करने की कोशिश कर रही थी हालांकि अभी भी उसकी बुर की गहराई में राजू का लंड घुसा हुआ था,,,, मधु पूरी तरह से हैरान थी अपने बेटे की ताकत को देख कर,,, और यह नजारा देखकर गुलाबी की भी आंखें फटी की फटी रह गई थी क्योंकि वह चित्र से जानती थी कि मधु का बदन थोड़ा भारी-भरकम था उसका देंह भरा हुआ था लेकिन फिर भी राजू बड़े आराम से अपनी मां को अपनी गोद में उठाया हुआ था और उसका लंड भी उसकी मां की बुर में घुसा हुआ था और ऐसे हालात में वह अपनी कमर को धक्के लगाकर अपनी मां को चोद रहा था यह पूरी तरह से अविस्मरणीय और अद्भुत नजारा था जिसकी तुलना कर पाना मुश्किल था,,,,, इस नजारे को देखकर गुलाबी से रहा नहीं गया और

वहां अपनी बुर में अपनी खुद की दो उंगली डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दी मधु तो अभी भी घबरा रही थी कि उसका बेटा कहीं उसे गिराना दें लेकिन देखते ही देखते उसके बेटे ने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था और उसके गोद में उठाए हुए ही उसे चोद रहा था,,, देखते ही देखते इस आसन में मधु को बहुत ज्यादा मजा आने लगा उसकी बड़ी-बड़ी गांड राजू की मजबूत जहां से टकरा रही थी जिससे दोनों के टकराने की ठाप ठाप की आवाज आ रही थी जिससे कमरे के अंदर का वातावरण पूरी तरह से गर्म हो चुका था कुछ देर तक राजु अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही चोद रहा था इस दौरान मधु की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसका बदन अकड़ने लगा और वह अपने बेटे के कंधों को जोर से दबा ली और भलभलाकर झड़ने लगी,,,,,।
बुर पूरी तरह से मधु के काम रस से चिपचिपी हो चुकी थी जिसमें बड़े आराम से राजू का मोटा तगड़ा लंड अंदर बाहर हो रहा था और यह देखकर गुलाबी गर्म होकर अपनी बुर को अपनी ही उंगली से चोद रही थी,,,, मधु एक बार छोड़ चुकी थी इस आसन में अपनी मां को गोद में उठाए हुए राजू जोर जोर से धक्के नहीं लगा पा रहा था और वह अपनी बुआ की आंखों के सामने अपनी मां को जबरदस्त चुदाई का आनंद लेना चाहता था हर धक्के के साथ पूरी खटिया को चरमरा देना चाहता था इसलिए वह बिना कुछ बोले अपनी मां को उसी तरह से गोद में यह हुए ही वह धीरे से खटिया के पास आया और धीरे-धीरे झुकते हुए अपनी मां को खटिया पर लेटाने लगा लेकिन इस दौरान भी उसका लैंड मधु की बुर में घुसा हुआ था और देखते ही देखते वह बड़े धीरे से अपनी मां को खटिया पर पीठ के बल लेट आते हुए उसी अवस्था में उसके ऊपर लेट गया अब उसके पसंदीदा आसन मिल चुका था और वह अपनी मां को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी छाती से लगा लिया और अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया,,,,

बाहर खड़ी गुलाबी को यह दृश्य देखकर पूरी तरह से मस्ती छा चुकी थी वह अपने भतीजे के हिलते हुए कमर को देख रही थी और हवा में लहराती हुई अपनी भाभी की नंगी टांगों को देख रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था राजू बड़ी फुर्ती और तेजी दिखाता हूं अपनी मां को चोद रहा था खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी जोकि दरवाजे पर खड़ी गुलाबी को भी अच्छी तरह से सुनाई दे रही थी,,,, एक बार झड़ चुकी मधु अपने बेटे की जबरदस्ती चुदाई की वजह से फिर से तैयार हो चुकी थी वह फिर से गर्म हो चुकी थी और एक बार फिर से उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी थी और इस गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनते ही राजू का जोश दोगुना हो गया और वह बड़ी तेजी से अपना कमर हिलाना शुरू कर दिया और लगातार अपनी मां की चूची को मुंह में भरकर पी‌भी रहा था कभी दाईं चूची तो कभी बांई चुची,,,,

दोनों मां-बेटे पसीने से तरबतर हो चुकी थी खटिया पर दोनों बिना कपड़ों के एकदम नंगे चुदाई का मजा लूट रहे थे और बाहर गुलाबी दरवाजे पर खड़ी होकर अंदर के नजारे को देखकर अपनी सलवार को कदमों में गिराए अपनी उंगली से ही अपनी गर्म जवानी पर रस निकाल रही थी,,, राजू के धक्के बड़े तेजी से चल रहे थे वह बड़े ही जोरों शोरों से चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और एक बार फिर से मधु की भी यही हालत हो चुकी थी वह भी गहरी गहरी सांस ले रही थी और सांसो की गति के साथ उसकी उठती बैठती छातियां और उसकी मदमस्त कर देने वाली खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर हिलोरे मार रही थी जिसे देखकर राजू का मन और ज्यादा लालच जा रहा था और वह बार-बार उसे मुंह में लेकर दबा दे रहा था,,,,

देखते ही देखते दोनों की सांसें बड़ी तेजी से चलने लगी और राजू की कमर बड़ी तेजी से ऊपर नीचे होने लगी राजू का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से उसकी मां की बुर में अंदर बाहर हो रहा था,,,,

आहहह आहररर आहहह राजू मेरे बेटे मेरा निकलने वाला है,,,आहहहह आहहहहह

मैं भी आ रहा हूं मां,,,,

और इतना कहने के साथ ही राजू पूरा दम लगा कर अपना लंड अपनी मां की बुर में पेलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 10 12 धक्कों में दोनों एक साथ झड़ गए और राजू अपनी मां को अपनी बाहों में दबोचे हुए गहरी गहरी सांस लेने लगा,,,,

गुलाबी का काम हो चुका था गुलाब यही चाहती थी कि दोनों मां बेटे के बीच जिस्मानी ताल्लुकात बन जाए जिससे उसका राज उसकी भाभी किसी के सामने खोल ना पाए,,, जितनी खुश गुलाबी थी उससे कहीं ज्यादा खुशी मधु और राजू को थी,,, क्योंकि अब वह दोनों जब चाहे तब चुदाई का मजा लूट सकते थे और वह भी किसी भी समय अपने घर की चारदीवारी में गुलाबी की मौजूदगी में और तो और मधु को आप अपने पति का भी घर बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उसका राज भी वह जानती ही थी,,,,

कमरे के अंदर की गरमा गरम तीसरे को देखकर और वह भी एक मां बेटे की गरमा गरम चुदाई करते का घर गुलाबी अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपनी ही उंगली का सहारा लेकर वह अपनी गर्म जवानी का रस निकाल चुकी थी और अपनी सलवार को ऊपर करके उसे बांधकर मुस्कुराते हुए चली गई थी क्योंकि उसका काम हो चुका था और राजू अपनी मां के ऊपर लेट कर जोर जोर से हांफ रहा था,,,।
 
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अद्भुत अविस्मरणीय अतुलनीय संभोग रचना का जो मनोरम में दृश्य राजू ने दिखाया था उसे देखकर गुलाबी बाग बाग हो गई थी और खास करके इसलिए कि आज राजू अपनी मां की चुदाई कर रहा था एक बुआ होने के नाते वह खुद अपने भतीजे के साथ एक बहन होने के नाते खुद अपने भाई के साथ संभोग सुख को प्राप्त करके अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर चुकी थी लेकिन जिंदगी में पहली बार किसी मां को अपने ही बेटे से चुदवाते हुए अपनी आंखों से देखी थी जिसमें खुद की उसकी ही लालसा थी अब गुलाबी भी पूरी तरह से आजाद हो चुकी थी घर में खुले तौर पर चुदाई करवाने के लिए,,,,, राजू को वह‌ अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि वह दोनों साथ में ही घर में बने छोटे से छेद के बगल वाले कमरे में से अपनी मां की चुदाई देखा करते थे गुलाबी अपनी भाभी की और राजू अपनी मां की उस समय के दृश्य को देखकर गुलाबी के साथ-साथ राजू के तन बदन में भी आग लग जाती थी उत्तेजना अपने चरम शिखर पर पहुंच जाती थी,,,,,,,, अपने बड़े भाई के लंड को अपनी भाभी की बुर में घुसता हुआ देखकर खुद उसकी बुर गीली हो जाती थी और वह अपने भतीजे के लंड को देखती थी तो आश्चर्य होता था क्योंकि उसका भी एकदम से खड़ा हो जाता था यह देखकर गुलाबी ऐसा सोचती थी जिसकी शायद अपनी मां के नंगे बदन को देखकर उसके भजन में उत्तेजना बढ़ जा रही है और शायद इसीलिए उसका लंड खड़ा हो जाता है और चुटकी लेते हुए राजू से‌वह कई बार अपनी मां को चोदने वाली बात कह चुकी थी लेकिन गुलाबी जानती नहीं थी कि मौका मिलने पर सच में राजू अपनी मां को चोद देगा लेकिन आज अपनी आंखों से देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी और मर्द की जात का उसे अच्छी तरह से ज्ञान हो गया था कि मर्द चाहे सामने कोई भी हो उसकी बहन हो भाभी हो बुआ हो या उसकी खुद की सगी मां हो उसे सिर्फ उसकी बुर ही दिखती है,,,,,, एक मर्द के लिए जब उसका लंड खड़ा हो तो नहीं तो रिश्तो ‌ के रूप में सिर्फ उसे औरत ही नजर आती और यही वह अपनी आंखों से देख चुकी थी कि राजू अपनी मां की बेझिझक चुदाई किया था,,,। चाहे जो भी हो उसे लग रहा था कि अपनी चालाकी से उसने खुद का उल्लू सीधा कर ली है लेकिन इस खेल से घर में सभी का उल्लू सीधा हो चुका था बस इस बात से अनजान केवल हरिया ही था,,,।


शाम के वक्त खाना बनाते समय घर में केवल गुलाबी और उसकी भाभी मधु ही थी दोपहर में मधु के साथ जो कुछ भी हुआ था उसे लेकर वह गुलाबी के सामने शर्मिंदगी के अहसास में डूबी हुई थी,,, वह गुलाबी के सामने शर्मा रही थी गुलाबी अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसकी बातें उससे शर्मा रही है इसलिए चुटकी लेते हुए बोली,,,

क्यों भाभी कैसा लगा,,,

क्या कैसा लगा,,,(ऐसा बोलते हुए मधु के गोरे गाल सुर्ख लाल हो गए)

अरे मैंने सब कुछ देखी अपनी आंखों से,,, कैसे सटासट तुम अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में ले रही थी पहले तो मुझे ऐसा ही लगा कि तुम्हारी बुर में तुम्हारे बेटे का लंड घुस नहीं पाएगा क्योंकि कुछ ज्यादा ही मोटा है,,,
(मधु खामोश होकर शर्मा कर अपनी ननद की बात सुन रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि उसकी मेहनत को क्या मालूम कि वह पहले से ही अपने बेटे के लंड को खा चुकी थी अपनी बुर में गप से ले चुकी थी,,,, गुलाबी एकदम से उत्साहित होते हुए बोली,,)
बताओ ना भाभी तुम्हें कैसा लगा,,,?

अब मैं तुझे क्या बताऊं देखी तो थी ना तूने अपनी आंखों से,,,

हां भाभी देखी तो थी,,, कि तुम्हारे मुंह से सुनने में बहुत मजा आएगा क्योंकि आज एक मां अपने बेटे से चुदवाई,,
(अपनी ननद की यह बात सुनकर मधु एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई,,,, तो एकदम से शरमाते हुए बोली,,)

धीरे से गुलाबी कहीं कोई सुन ना ले,,,

अरे भाभी अब तुम बेकार में डरती हो कोई सुन लेगा तो सुन लेगा और वैसे भी इस घर में इस बात को कोई सुनने वाला है तो कौन है मैं हूं तुम हो राजू है और बड़े भैया हैं जो कि इस खेल में पूरी तरह से शामिल है तो कोई कुछ बोलेगा ही नहीं,,,,

यह बात तो तु ठीक कह रही है,,,। लेकिन फिर भी गुलाबी मुझे बहुत शर्म आ रही है आज मेरे हाथों ऐसा लगता है कि पाप हो गया है,,,,(जानबूझकर मधु पछतावा का नाटक करते हुए बोली तो गुलाबी उसे समझाते हुए बोली)

कुछ पाप नहीं भाभी यह तो आनंद है किसी से भी ले लो आखिर करना क्या होता है टांग खोल कर सो जाना होता है,,, और फिर तुम्हारी बुर में लंड किसका जा रहा है इससे कोई मतलब नहीं होता बस एक मर्द के नजरिए से देखना चाहिए सच पूछो तो भाभी इस खेल में बहुत मजा आता है जब परिवार का ही कोई सदस्य शामिल हो जाता है मुझे तो बहुत ज्यादा मजा आया जब राजू तुम्हारी बुर में अपना लंड पेल रहा था और भाभी कितने जोश के साथ वह तुम्हारे चुदाई कर रहा था देखते ही बन रहा था इतनी जोश से तो वह मेरी चुदाई नहीं करता,,,,(सब्जी काटते हुए गुलाबी बोली,,,) भाभी शर्माने वाली कोई बात नहीं है कोई बहुत बड़ा पाप नहीं हो गया है देखना एक दिन वही तो मैं पूरा मजा देगा

और तुम उसकी दीवानी हो जाओगी मुझे पूरा विश्वास है कि अभी भी अपने बेटे के लंड के बारे में सोच कर तुम्हारी बुर पानी छोड़ देती होगी,,,

धत्,,,,(एकदम से शरमाते हुए मधु बोली)

हां हां भाभी मैं सच कह रही हूं मेरे साथ भी ऐसा ही होता है सच कहूं तो अभी भी सोचो की बात करके मेरी बुर पानी छोड़ रही है,,,, बहुत मोटा है ना भाभी,, बोलो ना भाभी शर्मा क्यों रही हो,,,
(अपनी ननद की यह बात सुनकर मधु अपने मुंह से कुछ बोली नहीं बस शर्मा कर हां में सिर हिला दी और यह देखकर गुलाबी एकदम से खुश होते हुए बोली)


वाह मेरी प्यारी भाभी यही तो मैं तुमसे कह रही थी,,, राजू का लंड एक बार ले लोगी तो पागल हो जाएगी एकदम रगड़ रगड़ के जाता है अंदर,,,,,,
(गुलाबी की बातों को सुनकर मधु के तन बदन में एक बार फिर से सुरसुरी सी दौड़ने लगी थी वह आप अच्छी तरह से समझ गई थी कि अपनी मेहनत से शर्माने क्या आप कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह अपनी आंखों से उसे अपने बेटे से चुदवाते हुए देख चुकी थी इसलिए वह भी अपनी ननद के सुर में सुर मिलाते हुए बोली)

हारे गुलबिया तु एकदम सच कह रही थी वाकई में मेरे बेटे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा है मैं तो सिर्फ समझ रही थी कि तू बस अपनी गलती छुपाने के लिए मुझे बेहका रही है,,,, लेकिन आज सारी आशंकाएं दूर हो गई मैं तो बस देखती ही रह गई थी अपने बेटे के लंड को जैसा लग रहा था कि जैसे किसी सांड का है,,,

अच्छा एक बात बताओ भाभी अपनी बेटी का मोटा और लंबा लंड देखकर तुम्हें डर नहीं लगा कि तुम्हारी बुर में जाएगा कैसे,,,!

हां मुझे तो पहले बहुत डर लग रहा था क्योंकि राजू के लंड के आगे का सुपाड़ा कितना मोटा है एकदम खुला हुआ आलूबुखारा की तरह मुझे तो बहुत डर लग रहा था कि अगर एक बार मेरी बुर में क्या तो मेरी बुर फट जाएगी,,,, लेकिन लगता है कि तेरी संगत में राजू एकदम होशियार हो गया है कितने आराम से मेरी बुर में डाला शुरू शुरू में दर्द कर रहा था लेकिन उसके बाद इतना मजा आया कि पूछो मत,,,(मधु भी अपने बेटे के लंड की तारीफ चटखारे लगाकर कर रही थी,,,, क्योंकि वह समझ गई थी कि आप अपनी ननद से शर्म करना बेफिजूल है इसलिए वह इस तरह की बातों का आनंद ले रही थी,,,)

सच कह रही हो भाभी तुम तुम तो फिर भी जवान बच्चों की मां हो तुम्हारी बुर में ना जाने कितनी बार लंड गया होगा लेकिन शुरू शुरू में तो मेरी हालत खराब कर दी थी तुम्हारे बेटे ने सरसों का तेल नहीं अपना थूक लगाकर डाला था इतना दर्द किया था मुझे तो लग रहा था कि मेरी जान चली जाएगी लेकिन तुम्हारा बेटा एक नंबर का हराम है मेरा दर्द कम करने के लिए वह एकदम से आधा लंड डालकर रुक गया था और मेरी चूची को जोर जोर से दबाते हुए उसे मुंह में लेकर पी रहा था और जैसे ही मेरा दर्द कम हुआ और मेरे मुंह से आवाजें आने लगी बात तुरंत एक धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड सीधे मेरे बच्चेदानी से जा टकराया,,,, और इसके बाद तो तुम्हारे बेटे ने मेरी ऐसी चुदाई किया कि मेरी बुर फटते-फटते और खटिया टूटते टूटते बची थी,,,(अपने ननद की बात सुनकर मधु खिलखिला कर हंस दी तो गुलाबी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) क्या खाई थी भाभी तुम राजू के पैदा होते समय जो इतना सांड जैसा औलाद पैदा की हो राजू के लंड को देखकर लगता ही नहीं है कि वह भैया के अलावा किसी और के सामने तो टांगे नहीं खोल दी थी भाभी तुमने,,,।

धत्,,,, मुझे तो ऐसी वैसी औरत समझ रही है क्या,,,?

ओह हो,,, अपने बेटे के सामने तो अपनी टांग खोल दी अपनी गांड खोल दी और कहती हो कि मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हुं,,,

अरे हरामजादी,,,(मजाक में गुलाबी को गाली देते हुए) तेरे कहने पर तेरी बातों से मेरा मन बहक गया था वरना मैंने आज तक अपने बदन को किसी गैर मर्द को छूने भी नहीं दी हूं,,,,, लेकिन तू सच कहती है तेरे भैया का लंड राजू के लंड से आधा ही है,,,, मेरी बुर अभी तक दर्द कर रही है,,,

तो क्या हुआ भाभी अभी भी तुम्हारा मन अपने बेटे के लंड को लेने के लिए कर रहा होगा,,,

धत् अभी मारूंगी,,,,(मुस्कुराते हुए)

ओए होए देखो तो सही मेरी भाभी रानी के गालो को कैसे शर्म से लाल हो गई है कहो तो आज की रात राजू को फिर से तुम्हारे कमरे में भेज दूं,,,,, ताकि भैया भी तो देखें असली मर्द किसको कहते हैं नहीं तो तुम ही मेरे कमरे में चली आना भैया को खुश करने के बाद फिर उसके बाद हम दोनों एक साथ मजा करेंगे,,,,।
(गुलाबी की यह बात सुनकर मधु के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी गुलाबी के कहे अनुसार दो औरत और एक मर्द जिसके बारे में आज तक मधु ने कल्पना भी नहीं की थी,,, इस बारे में सोच कर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ में लगी उसके लिए यह बिल्कुल नया था जिसके बारे में सोच कर ही उसकी बुर गीली हो रही थी लेकिन गुलाबी इस तरह के अनुभव का पूरा मजा ले चुकी थी और वह भी अपनी भतीजी मतलब की राजू की बड़ी बहन के साथ मिलकर राजू के मर्दाना जोश को अपने अंदर लेकर मस्त हो चुकी थी,,,,,

गुलाबी की बात का कोई उत्तर दे पाती इससे पहले ही हरिया घर में प्रवेश करने लगा तो दोनों एकदम खामोश हो गई,,,, इसके बाद दोनों दोपहर वाली बात का जिक्र छोड़ कर घर के काम में मन लगा दी लेकिन दोनों का मन लग नहीं रहा था,,,,, जैसे तैसे करके सब लोग भोजन करके अपने अपने कमरे में चले गए मधु एक बार फिर से हरिया के नीचे थी लेकिन इस बार वह अपने पति से बिल्कुल भी खुश और संतुष्ट नजर नहीं आ रही थी क्योंकि जिस तरह की जबरदस्त चुदाई उसके बेटे ने उसकी किया था उसे देखते हुए हरिया में बिल्कुल भी जोश नजर नहीं आ रहा था हालांकि रोज हरिया अपनी इसी जोश के साथ अपनी बीवी को खुश कर देता था लेकिन आज की बात कुछ और थी मधु की बुर में अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड का सांचा बन चुका था जिसमें अपने पति के छोटे लंड से उसे बिल्कुल भी महसूस नहीं हो पा रहा था वहीं दूसरी तरफ गुलाबी बहुत खुश थी,,, राजू से पूरी तरह से नंगी करके उसकी दोनों टांगे फैला चुका था और अपने लंड को उसकी बुर पर रखकर डालने की तैयारी में था तभी उसके जोश को और ज्यादा बढ़ाते हुए गुलाबी बोली,,,

मुझे मालूम है राजू तेरी मां की बुर मेरी बुर से भी ज्यादा कसी हुए खूबसूरत है तभी तो मैं देखी कितनी जोर जोर से धक्के लगा रहा था आखिरकार जो अपनी मां को चोद ही दिया मादरचोद बन गया,,,

अब मैं बुआ चोद बनने जा रहा हूं,,, मेरी रंडी बुआ,,,, अब देख मैं तुझे कैसे चोदता हूं,,,
(और इतना कहने के साथ ही राजु ने एक जबरदस्त धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड गुलाबी की बुर में डाल दिया,,,)

एक तरफ राजू चुदाई का भरपूर मजा लूट रहा था तो दूसरी तरफ झुमरी के साथ उसका प्यार परवान चल रहा था वह झुमरी को दिलों जान से चाहने लगा था और झुमरी भी उससे बेइंतहा मोहब्बत करने लगी थी दोनों के बीच मन के आकर्षण के साथ था शारीरिक आकर्षण भी बढ़ता जा रहा था जिसके तहत दोनों चुदाई के सुख को भी भोग चुके थे और जहां मौका मिलता था वहां पर एक दूसरे की प्यास बुझा लेते थे,,,, ऐसे ही 1 दिन वहां राजू से मिलने के लिए धीरे-धीरे उसके गोदाम पर पहुंच गई जहां पर राजू मजदूरों से काम कराया करता था,,, लेकिन गोदाम पर झुमरी को राजू कहीं नजर नहीं आ रहा था तो वह निराश होकर वापस अपने घर की तरफ जाने लगी लेकिन आज विक्रम सिंह का भतीजा रंजीत सिंह गोदाम पर आया हुआ था,,,, विक्रम सिंह ने उसे 1 बहाने से गोदाम पर भेजा था जिसके जरिए वह देखना चाहता था कि गोदाम का व्यापार कैसा चल रहा है और यहां पर आकर रंजीत सिंह बहुत खुश हुआ था क्योंकि गोदाम का कारोबार बड़े जोरों शोर से चल रहा था,,,,, लेकिन उसकी नजर वापस लौटती हुई झुमरी पर चली गई उसकी मस्तानी मतवाली चाल और गोलाकार गांड देखकर रंजीत सिंह का मन बहक गया,,, और वह गोदाम पर किसी को भी कुछ भी बताएं झुमरी के पीछे पीछे चलने लगा वह झुमरी से नजर बचाकर उसके पीछे पीछे जा रहा था और मौके की तलाश में था झुमरी की मस्तानी चार और उसकी मद भरी गांड देखकर 30 वर्षीय रंजीत सिंह का लंड खड़ा होने वाला,,, वैसे भी रंजीत सिंह रंगीन मिजाज का व्यक्ति था अपने खेतों में काम करने वाली कई औरतों के साथ वहां पैसे देकर या जबरदस्ती उनके बदन का सुख हो चुका था और आज उसका दिल गांव की झुमरी पर आ गया था,,,,,,

रंजीत सिंह बहुत ही ताकतवर जमीदार विक्रम सिंह का भतीजा था इसलिए वह अपने रूआब का पूरा फायदा उठाता था,,,, उसे अपने ऊपर पूरा विश्वास था कि आज वह झुमरी के साथ मनमानी कर लेगा और इसीलिए वह मौके की तलाश में था,,,,, कुछ दूर तक वह झुमरी का पीछा करने के बाद सुनसान जगह पर पहुंच गया था जहां पर दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था और बार-बार झुमरी को भी ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसके पीछे कोई आ रहा है इसलिए वहां कुछ देर रुक जाती और पीछे मुड़कर चारों तरफ देखने लग जाती थी लेकिन उसके मरने से पहले ही रंजीत सिंह बड़े पेड़ के पीछे अपने आप को छुपा लेता था और झुमरी यही समझती थी कि उसका भ्रम है इसलिए मैं निश्चिंत होकर चल रही थी लेकिन जब रंजीत सिंह ने देखा कि चारों तरफ बड़े बड़े घने घने पेड़ हैं और दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है तो वह एकदम से उसके पीछे चलते हुए बोला,,,।


हाय हाय मेरी रानी तुम्हारी गांड तो बहुत खूबसूरत है ऐसे मटक के चलोगी तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाएगा,,,
(अनजान अश्लील आवाज को सुनते ही झुमरी के बदन में एकदम से सिहरन सी दौड़ गई वैसे तो झुमरी बहुत बहादुर लड़की थी लेकिन इस तरह से कोई उसके बारे में गंदी बात आज तक कोई नहीं बोल नहीं पाया था इसलिए वह एकदम से घबरा गई थी वह तुरंत घूम कर देखी तो उसके सामने एक हट्टा कट्टा 30 वर्षीय लंबा चौड़ा इंसान खड़ा था जिसे वह पहली बार देख रही थी झुमरी डर तो कही थी लेकिन फिर भी हिम्मत करते हुए बोली)


ऐय,,, हरामी क्या बोला रे तु,,,, तेरे घर में मां बहन नहीं है क्या,,?

मा है बहन है लेकिन तेरी जैसी खूबसूरत लड़की की कमी है जो रोज मेरी प्यास बुझा सके,,,

क्या बोला रे हरामि,,,,

यानी कि तेरे जैसी लड़की की कमी है जो रोज मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर मेरी प्यास बुझा सके,,,,


हरामजादे नीच कुत्ते तेरी यह हिम्मत,,, रुक मैं तुझे अभी बताती हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही झुमरी इधर उधर नजर घुमाकर उस पर कुछ मारने के लिए लकड़ी और पत्थर ढूंढने लगी लेकिन उसकी किस्मत खराब थी उसे कुछ मिल नहीं रहा था और रंजीत सिंह जोर जोर से हंसता हुआ उसकी तरफ आगे बढ़ा और तुरंत उसे पकड़ कर कपड़े के गट्ठर की तरह अपने कंधे पर उठा लिया और उसे बड़े से पेड़ के नीचे की तरफ ले जाते हुए बोला,,,)

हाय मेरी रानी तू तो एकदम जंगली बिल्ली की तरह उछल कूद मचा रही है,,, तेरे साथ मुझे बहुत मजा आएगा और तू ही मेरा साथ दे तुझे भी बहुत मजा दूंगा और पैसे भी दूंगा,,,

पैसे हरामजादे अपनी मां की भोंसड़ी में डाल दे,,, कुत्ते,,,

मां की गाली देती है रंडी अभी तेरे भोसड़ी में लंड डालता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही रंजीत सिंह ने गुस्से में आकर गुलाबी को घास के ढेर पर बड़ी जोर से पटक दिया,,, जिससे झुमरी एकदम से जोर से पटके जाने की वजह से एकदम निश्चेत हो गई वह उठने की कोशिश कर रही थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी,,,, अपनी आंखों से देखी तो रंजीत सिंह अपने पजामे की डोरी खोल रहा था यह देखकर वो एकदम से घबरा गई उसे लगने लगा कि आज उसकी इज्जत चली जाएगी और इसीलिए आखरी प्रयास करते हुए जितना हो सकता था इतनी जोर से वह बचाओ बचाओ चिल्लाने लगी,,,, झुमरी की नसीब बहुत तेज थी कि वही बगल के कच्चे सड़क से राजू और उसका दोस्त श्याम जोकि झुमरी का भाई था राजू उसे लेकर गोदाम पर जा रहा था उसके कानों में आवाज पडते ही वह एकदम से चौक गया,,,, झुमरी से बहुत प्यार करता था इसलिए उसके चिल्लाने की आवाज भी एकदम से जल्दी से पहचान गया जबकि श्याम को कुछ भी पता ही नहीं चला,,,, एकदम से श्याम को रोकते हुए बोला।

श्याम लगता है झुमरी की आवाज है,,,

तेरे कान बज रहे हैं राजू यहां किसी की आवाज नहीं आ रही है,,,

नहीं-नहीं श्याम में झुमरी की आवाज को अच्छी तरह से पहचानता हूं,,,,

पागल हो गया क्या तू,,,,

बचाओ बचाओ,,,,(तभी एक बार फिर से झुमरी ने जोर से चिल्लाई और इस बार श्याम के कानों में आवाज पहुंची लेकिन फिर भी वह बोला)

पागल हो गया क्या तू जो मेरी इस तरह से क्यों चिल्लाएगी,,,


नहीं शयाम कुछ तो गड़बड़ है,,,,(और इतना कहने के साथ ही घड़ी भर की भी विलंब किए बिना राजू आवाज की दिशा में भागने लगा जहां से झुमरी जोर जोर से चिल्ला रहे थे बचाओ बचाओ की गुहार लगा रही थी और तुरंत ही राजू की आंखों के सामने वह मंजर दिखाई दिया जिसके बारे में कभी राजू ने सोचा भी नहीं था रंजीत सिंह ने पैजामा निकाल चुका था उसका लंड खड़ा था और वह नीचे घुटनों के बल बैठकर झुमरी की सलवार की टूरी जबरदस्ती खोल रहा था यह देखकर राजू एकदम से आग बबूला हो गया और भाई एकदम से जोर से चिल्लाते हुए रंजीत सिंह की और भागा,,,,।


हरामजादे कुत्ते आज मैं तेरा खून पी जाऊंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह उछलकर एक लात रंजीत सिंह कुमार और रंजीत सिंह इस बारे में कभी कल्पना ने भी नहीं किया था और एकदम से 5 फुट दूर जाकर गिरा,,,,, लेकिन रंजीत सिंह एकदम फुर्तीला और कसरती बदन का था इसलिए वह तुरंत उठ कर खड़ा हो गया और वह पलटवार करते हुए राजू के ऊपर अपना हाथ जला दिया लेकिन राजू उससे भी ज्यादा फुर्तीला निकला वह तुरंत उसका हाथ पकड़ कर उसे पूरी तरह से घुमा दिया और एक लात उसकी कमर पर मारा हुआ एकदम से फिर से जमीन पर बिखर गया और दूसरी तरफ झुमरी रोते हुए अपने आप को संभालते हुए बोले जा रही थी,,,।

मार राजू इसे और मार यह मेरी इज्जत लूटना चाहता था खत्म कर दे इसे यह हराम ज्यादा मुझे कहीं का नहीं रखने वाला था उसने मेरी इज्जत पर हाथ डाला है राजू इसे छोड़ना मत कर,,,

तू चिंता मत कर झुमरी तेरे ऊपर यह नजर उठा कर देख भी नहीं सकता मैं इसकी ऐसी हालत करूंगा,,,,,(झुमरी की बात सुनकर राजू एकदम से गुस्से में लाल पीला होते हुए बोला और अपने हाथ की मुट्ठी को कस के बाद का हुआ अगला वार रंजीत सिंह के मुंह पर किया उसके पूरे जबड़े हिल गए,,, और वह फिर से जमीन पर गिर गया तब तक श‌याम भी उधर आ गया था झुमरी को रोता हुआ देखकर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और राजू उसकी जमकर पिटाई कर रहा था रंजीत सिंह राजू के वार से पूरी तरह से चारों खाने चित हो चुका था,,,,,, राजू बहुत गुस्से में था जैसे तैसे करके रंजीत सिंह खड़ा हुआ और मौके का फायदा उठाते हुए वहां से भाग गया लेकिन जाते-जाते बोला,,,

तूने ठीक नहीं किया है कुत्ते इसका बदला मैं तुझसे जरूर लूंगा,,,,

अरे जा मादरचोद,,,,,(ऐसा क्या कर राजू ने फिर से दौड़ाया तो वह भाग खड़ा हुआ रंजीत सिंह की तरफ किसी ने आज तक उंगली तक नहीं उठाई थी लेकिन राजू ने उसकी जमकर पिटाई कर दिया था और रंजीत सिंह गोदाम पर जाने की जगह सीधा अपने घर पर चला गया लेकिन यह बात उसने अपने चाचा विक्रम सिंह से बिल्कुल भी नहीं कहा क्योंकि इसमें उसकी बदनामी हो जाति की कितनी जमीदार का भतीजा होते हुए भी एक गांव के लड़के से मार खा गया ,,,, और दूसरी तरफ झुमरी अपने भाई की गैर हाजिरी की परवाह किए बिना ही सीधा जाकर श्याम की बाहों में उसके सीने पर सर रखकर रोने लगी और राजू भी श्याम की परवाह ना करते हुए उसे अपनी बाहों में कस कर उसे चुप कराने लगा,,,,)

चुप हो जाओ झुमरी कुछ नहीं हुआ वह तो अच्छा हुआ मैं सही समय पर आ गया वरना आज सच में कुछ ना कुछ हो जाता और मैं बर्दाश्त नहीं कर पाता और उस हरामजादे का खून कर देता,,,,।
(श्याम आश्चर्य से अपनी बहन झुमरी और राजू की तरफ देख रहा था शयाम को कुछ कुछ शंका होने लगी थी राजू जैसे तैसे करके झुमरी को चुप कराया है और इस बारे में किसी को कुछ भी ना बताने का बोल कर उसे चुपचाप घर पर भेज दिया उसके जाते ही राजू मुस्कुराता हुआ शयाम की तरफ देखने लगा तो श्याम बोला,,,)

यह सब क्या था राजू,,,

अरे देखा नहीं,,,(अपने बदन से मिट्टी को झाड़ते हुए) आज तेरी बहन की इज्जत चली जाती वह तो में सही समय पर आ गया,,,,

वह तो मैं देख नहीं रहा हूं और इसका में तेरा शुक्रगुजार भी हो लेकिन इसके अलावा जो कुछ भी मैं देख रहा हूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,

इसमें समझने वाली क्या बात है अब तक तू मेरा दोस्त था लेकिन बहुत ही जल्द तू मेरा साला बन जाएगा मैं तेरी बहन से शादी करने वाला हूं,,,,

क्या,,,?(एकदम आश्चर्य से श्याम मुंह फाडता हुआ बोला,,,)

अरे इसमें चोकने वाली कौन सी बात है एक ना एक दिन तो तेरी बहन की शादी होनी है तो दूसरों से हो इससे अच्छा मेरे से हो जाए तो सब कुछ सही रहेगा,,,,

तेरे से पागल हो गया क्या तेरे बारे में मुझसे अच्छा भला कौन जानता है औरतों के मामले में तेरा नाडा कुछ ज्यादा ही ढीला है,,,

अच्छा और तेरा जैसे कि मुझे कुछ पता ही नहीं है मेरा तो दूसरी औरतों के मामले में नाडा ढीला है ना लेकिन तेरा तू तो अपनी मां को ही चोदता है,,,,
(इतना सुनते ही श्याम एकदम से खामोश हो क्या बहुत बड़ा राज जोकि राजू अच्छी तरह से उस राज का फायदा उठाना चाह रहा था उसे देखते हुए श्याम बोला)

लेकिन यह कैसे हो सकता है,,,, अगर ऐसा हो गया तो गजब हो जाएगा,,,

क्या गजब हो जाएगा श्याम,,,


तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे कुछ पता ही नहीं है,,,, तेरे और मेरी मां के बीच कैसा रिश्ता है तो अच्छी तरह से जानता है भला ऐसा कैसे हो सकता है कि तू बीवी को भी और मां को भी,,,,(इस समय चोदना शब्द अपनी मां और बहन के लिए प्रयोग करने में श्याम को शर्म महसूस हो रही थी लेकिन राजू तो बेशर्म था इसलिए श्याम की बात सुनकर मुस्कुराता हुआ राजू बोला)


अरे यही ना कि मैं तेरी मां को भी चोद चुका हूं और तेरी बहन को भी चोदुंगा तो कैसा लगेगा,,,, अरे पगले जरा यह तो सोच अगर मैं तेरा जीजा बन गया तो कितना मजा आएगा मैं जब चाहूं तब तेरे घर पर आकर तेरी मां की चुदाई कर सकता हूं मतलब कि अपनी ही सास को चोद सकता हूं और सोच कितना गर्म करने वाली बात है कि इस उम्र में भी मेरी सास कितनी जानदार और शानदार है कि उसे देखकर ही मेरा खड़ा हो जाता है,,,,।
(राजू की यह बात सुनकर श्याम शर्मिंदा तो हो गया लेकिन उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, लेकिन वह फिर भी शंका जलाते हुए बोला,,,)

लेकिन राजू यह बात झुमरी को पता चल गई तो कि तू मां को भी,,,,,,(इससे आगे श्याम कुछ बोला नहीं खामोश हो गया तो राजू बोला,,,)

तू श्याम बिल्कुल भी चिंता मत कर झुमरी को कुछ भी पता नहीं चलेगा और तेरे बारे में भी झुमरी को मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा तू आराम से अपनी मां के साथ मजे कर सकता है और वैसे भी झुमरी का विवाह हो जाने के बाद वह मेरे घर आ जाएगी और तुम दोनों मां बेटे को खुला दौर मिल जाएगा ऐश करने के लिए,,,,।
(इस बात से श्याम भी सहमत था इसलिए वह मन ही मन खुश होने लगा लेकिन फिर भी बोला,,)
लेकिन क्या मां इस रिश्ते के लिए तैयार होगी,,,,

तू चिंता मत कर श्याम एक मां बाप को अपनी लड़की के लिए कैसा आदमी चाहिए जो कमाता हो खाता हूं जिसकी समाज में इज्जत हो और क्या चाहिए और तू तो मुझको जानता ही है मेरा रुतबा धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है,,,, तू चिंता मत कर जब तक मैं हूं तब तक,,,,,,
सबकुछ हो सकता है,,,तु बस मेरा साथ देते रहना,,, चाची तो ऐसे भी मान जाएंगी,,,,(चाची के मानने वाली बात पर राजू श्याम की तरफ देख कर आंख मार दिया और श्याम राजू के आंख मारने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,,, श्याम को लेकर राजू गोदाम की तरफ चला गया,,,,
 
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i request to writter please write another story and if there are any problem we all audiences will donet some
 
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यह उस समय की कहानी है जब यातायात के लिए मोटर गाड़ियां ना के बराबर थी उस समय केवल तांगे या बेल गाड़ियां चला करती थी,,,,,,,, यातायात के लिए यही एक रोजगारी का साधन था,,,। और यही एक जरिया भी था एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का,,,।

बेल के पैरों में बंधे घुंघरू और गले में बजी घंटी की आवाज से पूरी सड़क गूंज रही थी,,, हरिया अपने बेल को जोर से हंकारते हुए रेलवे स्टेशन की तरफ ले जा रहा था,,,, क्योंकि स्टेशन पर गाड़ी आने वाली थी और समय पर पहुंच जाने पर सवारियां मिल जाया करती थी जिससे उसका गुजर-बसर हो जाता था,,,, लेकिन आज थोड़ी देर हो चुकी थी इसलिए समय पर पहुंचने के लिए हरिया बेल को जोर-जोर से हंकार रहा था लेकिन उस पर चाबुक बिल्कुल भी नहीं चला रहा था,,,, क्योंकि हरिया के लिए बेल उसकी रोजी-रोटी थी जिसकी बदौलत वह अपने बच्चों का पेट भर रहा था,,,,।


चल बेटा मोती आज बहुत देर हो गई है अगर समय पर हम स्टेशन नहीं पहुंचेंगे तो हमें सवारी नहीं मिलेगी ,,, सवारी नहीं मिली तो पैसे नहीं मिलेंगे पर पैसे नहीं मिले तो तू तो अच्छी तरह से जानता है,,,,, लाला के पैसे चुकाने,, बड़ी बेटी की शादी के लिए जो पैसे दिए थे उसके एवज में, जमीन गिरवी पड़ी है और तुझे भी तो लाला से पैसे उधार लेकर ही खरीद कर लाया हुं,,, और अगर पैसे नहीं कमाऊंगा तो लाला को क्या चुकाऊंगा,,,,
(इतना सुनते ही हरिया का बेल जान लगा कर दौड़ने लगा ,,,)

शाबाश बेटा,,,, एक तेरा ही तो सहारा है ,,,, ऊपर भगवान और नीचे तु,,,, शाबाश मोती यह हुई ना बात,,,, शाबाश बेटा,,,,
(और थोड़ी ही देर में हरिया की बेल गाड़ी स्टेशन के बाहर खड़ी हो गई और हरिया खुद बैलगाड़ी से नीचे उतर कर,,, सवारी लेने के लिए आगे बढ़ चला गाड़ी आ चुकी थी और धीरे-धीरे सवारी स्टेशन से बाहर निकल रही थी,,,, हरिया की किस्मत अच्छी थी जल्द ही उसे सवारी भी मिल गई,,, और सवारी को उसके गंतव्य स्थान पर ले जाने के लिए 8 आना किराया तय किया गया,,,, खुशी-खुशी हरिया उस सवारी का सामान लेकर बैलगाड़ी में रखने लगा,,,)


अरे वाह हरिया तुझे तो सवारी भी मिल गई मुझे तो लगा था कि आज तु नहीं आएगा,,,,,,,(दूसरा बैलगाड़ी वाला जो कि काफी समय से वहीं बैठा था उसे सवारी नहीं मिली थी वह बोला)


अरे कैसे नहीं आता यही तो हमारी रोजी-रोटी है ,,अगर नहीं आएंगे तो फिर काम कैसे चलेगा और तू चिंता मत कर तुझे भी सवारी मिल जाएगी,,,,(उस सवारी के आखिरी सामान को भी बैलगाड़ी में रखते हुए हरीया बोला,,,,, सवारी भी बेल गाड़ी में बैठ गया था,,, और वह बोला,,)


अरे भाई जल्दी चलो देर हो रही है,,,।



हां हां साहब चल रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही हरिया बेल गाड़ी पर बैठ गया और बैल को हांकने लगा,,,, एक तरफ कोयले का इंजन सीटी बजाता हुआ और काला काला धुआं उगलता हुआ आगे बढ़ने लगा और दूसरी तरफ हरिया का बेल कच्ची सड़क पर अपने पैरों में बंधे घुंघरू को बजाने लगा,,,,,, सवारी और गाड़ीवान का वैसे तो किसी भी तरह से रिश्ता नहीं होता लेकिन फिर भी दोनों के बीच औपचारिक रूप से बातचीत होती रहती है उसी तरह सेहरिया और सवारी के बीच भी औपचारिक रूप से बातचीत हो रही थी ताकि समय जल्दी से कट जाए और अपने गंतव्य स्थान पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके,,,,। हरिया उस सवारी को लेकर उसे गंतव्य स्थान पर पहुंच चुका था और अपने हाथों से उसका सारा सामान उतार कर उसके घर के आंगन में भी रख दिया था और उस से किराया लेकर,,, मुस्कुराते हुए वापस फिर गाड़ी पर बैठ गया और उसे अपने घर की तरफ हांक दिया,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी,,, वैसे तो हरिया को कोई भी बुरी लत नहीं थी केवल बीड़ी पीता था जिसकी वजह से उसे खांसी की भी शिकायत थी,,, 42 वर्षीय हरिया बेहद चुस्त पुस्ट तो नहीं था फिर भी गठीला बदन का जरूर था,,,,,,,

बैलगाड़ी को खड़ी करके उसमें से बेल को अलग करके उसे छोटी सी झोपड़ी में जो की बेल के लिए ही बनाया था उसने काम किया और उसके आगे चारा रख दिया और एक बाल्टी पानी भी,,,।


का बेटा और आराम कर,,,,
(इतना कहकर वह अपने घर के आंगन में खटिया गिरा कर बैठ गया और बीडी निकालकर दिया सलाई से उसे जला लिया और पीना शुरू कर दिया,,,, और अपनी बीवी को आवाज लगाया,,,,)

मधु ओ मधु,,,,, कहां हो एक गिलास पानी लेते आना तो,,,
(इतना कहकर बीड़ी फूंकने लगा,,,, मधु उसकी बीवी का नाम था जो कि 3 बच्चों की मां थी और बड़ी बेटी की शादी भी कर दी थी एक बच्चा 5 साल का था और एक जवान हो रहा था,,,, अपने पति की आवाज सुनते ही रसोई बना रही मधु,,, अपनी ननद गुलाबी को आवाज देते हुए बोली,,, जो की सूखी लकड़ियां लेने के लिए बगल वाले इंधन घर में गई हुई थी,,, मधु की आवाज सुनते ही सूखी लकड़ियों को दोनों हाथों में उठा कर बोली,,,)

आई भाभी,,,(और ईतना कहते ही वह जल्दी से सूखी लकड़ी के पास पहुंच गई और उसे नीचे रखते हुए बोली,,)

लो भाभी आ गई,,,।


अरे आ नहीं गई,,, देख तेरे भैया आए हैं और पानी मांग रहे हैं,,जा जरा एक गिलास पानी दे देना तो,,,,,,


ठीक है भाभी,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह एक गिलास पानी लेकर अपने बड़े भाई हरिया के पास आ गई और बोली,,)


लो भैया पानी,,,,


अरे गुलाबी तू,,,,,(इतना कहने के साथ ही बची हुई बीडी को बुझा कर फेंकते हुए पानी का गिलास थाम लिया और बोला,,) मुन्ना कहां है,,,?


वह तो सो रहा है,,,,


और राजु
nice story start dear keep it up
 
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सूरजकी बैलगाड़ी घर की तरफ निकल पड़ी,,, सूरजआज बहुत खुश था क्योंकि आज उसे वह मिल गया था जिसके बारे में सिर्फ कल्पना किया करता था ,,, सूरजकैसा महसूस हो रहा था कि जैसे आज उसे दुनिया का सबसे बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो और अब वह उसका मालिक बन गया हो लेकिन रूपालीकी हालत खराब थी रात भर की जमकर चुदाई करने के बाद उसे अपनी दोनों टांगों के बीच बुर में दर्द महसूस हो रहा था,,, ऐसा तो उसे अपनी सुहागरात पर भी दर्द नहीं हुआ था अपने भांजे की मर्दानगी को वहां रात भर में ही अच्छी तरह से देख चुकी थी और उसे अपने भांजे पर गर्व भी हो रहा था,,, जहां एक बार में ही उसका पति ध्वस्त हो जाता था वही उसका भांजा लगातार रात भर खुद भी जाता रहा और उसे भी जगह तरह ना खुद सोया ना उसे सोने दिया,,,,,,,, सुबह हो चुकी थी चारों तरफ सूर्य की रोशनी अपना उजाला फैला रही थी खेतों में पानी भरा हुआ था लेकिन कच्ची सड़क पर पानी नहीं था जिससे बेल गाड़ी आराम से आगे बढ़ रही थी ऐसी गजब की बारिश ना तो रूपालीही देखी थी और ना ही सूरजही ऐसा लग रहा था कि यह बारिश शायद उन दोनों के मिलन के लिए ही बरस रही थी,,,, बेल गाड़ी चलाते समय भी रह-रहकर सूरजअपनी मामीकी खूबसूरती में खो जाता था उसकी आंखों के सामने कभी उसकी मामीका नंगा बदन उसकी नंगी चूचियां उसकी बड़ी बड़ी गांड तो उसकी बुर में घुसता हुआ अपना लैंड नजर आता था,,,, सूरजइस बात से हैरान था कि दो दो जवान बच्चों की मामीहोने के बावजूद भी अभी भी उसकी मामीकी पूरे तुम कैसी हुई थी मानो कि जैसे जवान औरत इसीलिए तो वह रात भर अपनी मामीको जमकर चोदे बिना नहीं रह पाया था और अपनी मामीकी मदमस्त जवानी देख कर बार-बार उसका लंड खड़ा भी हो जा रहा था,,,, अपनी मामीके बारे में सोचते हुए अभी भी उसका लंड खड़ा हो गया था अगर उसकी मामीइजाजत देती तो बैलगाड़ी में ही वह अपनी मामीकी अभी भी चुदाई कर देता क्योंकि सूरजका मन अपनी मामीके मादक सौंदर्य से भरा नहीं था और ना ही कभी भरने वाला था,,,, रूपालीके अंग अंग से मधुर रस टपकता था जिसका रस वह रात भर कभी अपने होठों से तो कभी अपने लंड से पीता रहा,,,,,

रात को जो कुछ भी हुआ था उससे रूपाली एकदम शर्मिंदा हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रात को जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वह सही था या गलत इसका फैसला करने में वह बिल्कुल भी सक्षम नजर नहीं आ रही थी क्योंकि रात को जो कुछ भी हुआ था समाज की नजर में वह एक अपराध था रिश्तो को कलंकित कर देने वाला था लेकिन एक औरत के नजरिए से रात को जो कुछ भी हुआ था वह उन दोनों की अपनी अपनी जरूरत थी जिसमें दोनों अपनी जरूरत को पूरा करते हुए एक दूसरे को संपूर्ण संतुष्टि का अहसास दिला चुके थे और आज तक रूपालीने इस तरह का सुख नहीं भोग पाई थी,,,, और इस अद्भुत सुख की प्राप्ति के एवज में उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने भांजे से घृणा करें या उसके इस उपकार के बदले अपना अस्तित्व पूरी तरह से उसके कदमों में रख दें ऐसे भी रात को वह अपने संपूर्ण अस्तित्व को अपनी जवानी को अपने भांजे के कदमों में निछावर कर चुकी थी जिसके बदले में उसके भांजे ने उसकी मादक अद्भुत खूबसूरती को अपनी बाहों में लेकर उसका रसपान किया था,,,,,,, रूपालीबीते हुए रात के बारे में सोच कर एक-एक पल के बारे में सोच कर पूरी तरह से फिर से मस्त हुए जा रही थी उसे सब कुछ सपना सा लग रहा था उसे लग रहा था कि वह एक बेहद खूबसूरत सपना देख रही थी लेकिन उसने सपने जैसी जिंदगी को जी चुकी थी अपने भांजे के लंड की लंबाई और मोटाई को अपनी बुर की गहराई में महसूस कर चुकी थी उसका हर एक धक्का वह अपने बच्चेदानी पर अच्छी तरह से महसूस कर चुकी थी,,,, अपने भांजे की मजबूत बाहों में आकर उसका संपूर्ण वजूद एक गुड़िया की तरह ही लग रहा था जिसे उसके भांजे ने जी भर कर प्यार किया था,,,। रूपालीकभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने भांजे के साथ शारीरिक संबंध बनाएगी,,, लेकिन कभी-कभी सोच से विपरीत और भी ज्यादा खूबसूरत होता है जैसा कि उसके साथ हुआ था,,,,, रात को अपने भांजे की आंखों के सामने बैठकर पेशाब करना उसकी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाना यह सब रूपालीके लिए बिल्कुल नया था लेकिन बेहद अद्भुत सुख प्रदान करने वाला था किसी जवान लड़के के सामने कपड़े उतार कर देंगी होने में भी एक अपना मजा होता है जिसे वह अच्छी तरह से महसूस कर पाई थी वरना यह सुख उससे पूरी तरह से अधूरा ही था,,,,,, अपने भांजे की बाहों में नग्न अवस्था में सोना उसके बदन की गर्मी से वातावरण की ठंडक को दूर करना यह सब सोचकर रूपालीपूरी तरह से गर्म हुई जा रही थी,,,, रात भर चोदने के बाद जिस तरह से सुबह में दोनों खंडार के पीछे जाकर नहाए थे वह पल रूपालीके लिए बहुत खास था क्योंकि आज तक उसने खुले में कभी इस तरह से सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहीं आई थी और वह भी अपने भांजे के साथ रूपालीको अपनी खूबसूरत बदन पर अपनी जवानी पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र

के दौर में भी वह अपने जवान भांजे को अपनी तरफ आकर्षित करने में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी और उसकी गर्म जवानी से उसके भांजे की प्यास बुझ ही नहीं रही थी जोकि रात भर उसे पेलता रहा,,, उस पल को याद करके रूपालीकी आंखों में एक बार फिर से शर्म उतार आई जब वह खंडार के पीछे नंगी होकर नहा रही थी और उसका भांजा भी उसका साथ देने के लिए आ गया था अपने भांजे के खड़े लंड को अपनी गांड पर अपनी बुर पर महसूस करके वह खुद इतना ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपने भांजे के लंड को खुद ही पकड़ ली थी और घुटनों के बल बैठकर अपने भांजे के लंड को मुंह में लेकर उसे अद्भुत सुख प्रदान की थी,,, अपनी हरकत से अपने भांजे को एक बार फिर से गर्म करके वह अपने भांजे को खुद को चोदने पर मजबूर कर देते और उसका भांजा भी अपनी मर्दानगी की सारी ताकत दिखाता हुआ एक बार फिर से उसकी बुर में समा गया था,,,

यह सब ख्याल रूपालीको एक बार फिर से गर्म कर दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध के इस रिश्ते को आगे बढ़ाए यहीं खत्म कर दे क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह का सुख उसके भांजे ने उसे दिया था उस तरह का सुख उसे अब कभी नहीं मिलने वाला है बिना उसके भांजे का क्योंकि वह अपने पति की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि बरसो उन्हीं से चुदवाती आ रही थी,,,, समाज का डर उसके मन में भी था उसे भी इस बात का डर था कि अगर घर में किसी को इस बात की भनक लग गई तो क्या होगा उसकी इज्जत का क्या होगा उसके सम्मान का क्या होगा और अगर गांव में किसी को पता चल गया तब क्या होगा वह तो गांव में किसी को मुंह दिखाने के काबिल ही नहीं रह जाएगी यही सब सोचकर व थोड़ा परेशान भी हो रही थी कि तभी सूरजबोला,.

रात को कैसा लगा मामी,,,
(अपने भांजे के सवाल का जवाब देने के लिए वह तैयार नहीं थी आखिर वह अपने भांजे से क्या कहती कि उसे मजा आया उसके लंड से चोदने में उसे बहुत आनंद मिला ऐसा कहने में उसे शर्म भी महसूस हो रही थी इसीलिए वह खामोश रही उसकी ख़ामोशी को देखकर सूरजफिर बोला)

बोलो ना बा कैसा लगा,,,, मुझे तो बहुत मजा आया क्योंकि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत की चुदाई जो मैंने किया है सच कहूं तो तुम्हें चोदने की सिर्फ कल्पना ही कर सकता था मुझे नहीं मालूम था कि यह हकीकत में हो जाएगा अच्छा हुआ कि मामाजी ने दवा दिलाने के लिए तुम्हें मेरे साथ भेज दिए और यह तूफानी बारिश का तुम्हें अपने दिल से लाख-लाख बार शुक्रिया अदा करूंगा क्योंकि यह बारिश ना होती तो शायद हम दोनों एक ना होते,,,

बस सूरजजो हो गया सो हो गया अब आगे बिल्कुल भी नहीं होगा,,,

ऐसे कैसे नहीं होगा मेरा लंड तो तुम्हारी एक बुर में जाने के लिए अभी भी तड़प रहा है तुम्हारी खूबसूरत जवानी का रस रात भर पीता रहा हूं लेकिन यह प्यास है कि बुझने का नाम नहीं ले रही है,,, कसम से मामीइस उम्र में भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है मेरा तो लंड दर्द करने लगा,,,

तू भी तो तू कहां मान रहा था जब मन कर रहा था तब डाल दे रहा था यह भी नहीं सोचता था कि मुझे कैसा लग रहा है,,,


क्यों तुम्हें मजा नहीं आया क्या कसम से बताओ तुम्हें मेरी कसम,,,


अब क्या बताऊं,,,, मुझे भी बहुत मजा आया लेकिन डर लगता है कि किसी को यह बात पता चल गई तो क्या होगा,,,

क्या मामीतुम भी पागलों जैसी बात करती हो हम दोनों के बीच की इस बात को भला कैसे लोगों को पता चलेगा यह तो तुम जानती हो और मैं जानता हूं और इस रात को घने जंगल में इस खंडार में अपने इस बेल के सिवा और कोई नहीं जानता और यह बेल है कि बोल नहीं पाएगा और ना जरूरी अपने मालिक को बता देता कि मालिक मालिक रात भर तुम्हारी बीवी की चुदाई तुम्हारा भांजा किया है,,,,।
(इतना सुनते ही रूपालीकी हंसी छूट गई और वह खिलखिला कर हंसने लगी अपनी मामीको इस तरह से हंसता हुआ देखकर सूरजबोला)

देखना मामीहंसते हुए तुम और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,, तुम्हें हंसता हुआ देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया है,,, अगर इजाजत हो तो इसी समय बैलगाड़ी में तुम्हारी बुर में डाल दुं,,,,

चल चल रहने दे अब तेरा मुझे नहीं डलवाना है रात भर डाल डाल कर पूरा सुजा दिया है,,,,

क्या सुजा दिया है,,,,?(सूरजसब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर बोला क्योंकि वह अपनी मामीके मुंह से सुनना चाहता था)

अरे वही जिसमें तू डाल रहा था,,,(रूपालीशर्माते हुए पूरी उसे मालूम था कि उसका भांजा उसके साथ शरारत कर रहा है और उसके शरारत में उसे भी मजा आ रहा था)

क्या मामीठीक ठीक से बोलो ना क्या सूज गया और मैं क्या डाल रहा था,,,

चल तुझे सब कुछ मालूम है,,,


हां वह तो है मुझे सब कुछ मालूम है लेकिन तुम्हारे मुंह से सुनने में मुझे बहुत मजा आएगा,,,

क्यों रात भर जो मजा लिया वह कम था क्या,,,

अरे पूछो मत वह मजा तो मेरी जिंदगी का सबसे अनमोल तोहफा था तुम्हारी तरफ से लेकिन अपने मुंह से अगर साफ साफ शब्दों में कहोगी तो मुझे और मजा आएगा,,,

क्या,,,?


वही कि क्या सोच गया और मैं क्या डाल रहा था,,,
(अपनी भांजे की बात सुनकर रूपालीको शर्म महसूस हो रही थी उसे शर्म भी आ रही थी और मजा भी आ रहा था वह भी अपने भांजे के सामने खुले शब्दों में बोलने में लाल आई तो थी और वैसे भी रात भर में उसके भांजे ने उसे खुद अपने हाथों से नंगी करके उसकी चुदाई भी किया था और उसे मजा भी दिया था तो ऐसे में अपने भांजे से शर्म करने का कोई मतलब नहीं था इसलिए वह शरमाते हुए बोली)

तू अपना लंड मेरी बुर में डाल डाल कर सुजा दिया है,,,

आहहह आहहरह‌ क्या बात है कितनी मधुर आवाज है देखी तुम्हारे मुंह से यह शब्द कितने अच्छे लगते हैं बुर और लंड,,,


तुम मुझे सच में बेशर्म बनाता जा रहा है,,,

लेकिन बेशर्म बनने में कितना मजा है ना मामीअगर तुम बेशर्म ना बनती तो मेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी ना होती मेरे सामने बैठकर पेशाब ना करती मेरे लंड को अपने मुंह में ले लेती और ना ही मुझे अपनी चूची पीने देती ना अपनी बुर का रस पिलाती और ना ही मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाने का अद्भुत सुख प्राप्त कर पाती,,,

(अपने भांजे की इन बातों को सुनकर रूपालीके तन बदन में फिर से आग लगने लगी थी अपने भांजे के लैंड की रबड़ को अभी भी अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों में महसूस कर पा रही थी)

बहुत बेशर्म हो चुका है तू,,,

क्या मा फिर से अभी-अभी तो तुम्हें बेशर्म होने का फायदा बताया हूं कहो तो थोड़ी और बेशर्मी दिखा दु,,,।

अब इससे ज्यादा बेशर्मी तू और क्या दिखाएगा,,,

अरे पूछो मत इससे भी ज्यादा बेशर्म बन्ना मुझे आता है अगर इससे भी ज्यादा बेशर्म बन गया ना तो कसम से यह सड़क पर इसी बैलगाड़ी में तुम्हें नंगी करके चोदना शुरू कर दूंगा,,,

हाय दैया,,, इतना हरामि हो गया है तू तेरे में जरा भी शर्म नहीं रह गई है,,,


तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत हो वीरान सड़क हो तो ऐसे में कोई भी मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा कसम से तुम्हारे बदन की खुशबू मुझे और ज्यादा मस्त कर देती है,,,


चल अब रहने दे बैलगाड़ी को जल्दी आगे बढ़ा,,,,


देखो ना मामी,,,दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है और अभी भी गांव बहुत दूर है कहो तो यहीं पर एक बार और तुम्हारी चुदाई कर दुंं मेरा लंड पूरी तरह से तैयार है,,,,


लेकिन मेरी बुर बिल्कुल भी तैयार नहीं है,,,,(रूपालीहल्की सी मुस्कुराहट के साथ शरमाते हुए बोली)

ऐसा हो ही नहीं सकता तुम्हारी बुर भी एकदम तैयार है मुझे मालूम है तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही होगी यकीन ना आए तो हाथ लगा कर देख लो,,,


चल अब रहने दे बदतमीज इस तरह की बातें करेगा तो किसी की भी बुर पानी छोड़ने लगेगी,,,, तू बकवास बंद कर और जल्दी जल्दी चल,,,,,


सोच लो मामीयहां पर जिस तरह का मौका मिल रहा है घर पर पता नहीं मौका मिलेगा कि नहीं वहां मेरे लंड के लिए तरस जाओगी अपनी बुर में लेने के लिए क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि अब तुम्हें मामाजी के लंड से बिल्कुल भी मजा नहीं आएगा,,,,


कोई बात नहीं तू अब अपना मुंह बंद रख,,,,,
(रूपालीफिर से शरमाते हुए बोली दोनों मामी भांजे पूरी तरह से आपस में खुल चुके थे रूपाली बहुत खुश नजर आ रही थी बस उसे इस बात का डर था कि दोनों के बीच के संबंध के बारे में किसी को भनक ना लग जाए,,,, और सूरजके इस बात पर भी वह गौर कर रही थी कि वास्तव में घर पर इधर की तरह उसे मौका नहीं मिल पाएगा अगर उसका मन बहक गया और उसे अपने भांजे का लैंड लेने की तड़प जाग गई तो वह क्या करेगी,,,, किसी तरह से वह अपने मन को समझा रही थी,,,,,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते दोपहर हो चुकी थी रात को जिस तरह की तूफानी बारिश हो रही थी उसे देखते हुए रूपालीको ऐसा ही लग रहा था कि आज भी बारिश होगी लेकिन आसमान पूरी तरह से साफ हो चुका था धूप पूरी तरह से गर्मी भी खेल रही थी घर पर पहुंचकर सूरजबैलगाड़ी को घर के सामने खड़ी कर दिया और वहीं पेड़ के सहारे बेल को बांध दिया,,,, सूरजतुरंत बेल गाड़ी के पीछे आकर अपनी मामीको उतरने में मदद किया और दोनों दरवाजे पर पहुंचे तो दरवाजा बंद था,,,,)

लगता है कोई घर पर नहीं है,,,,( रूपाली चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखते हुए बोली)

लगता है खेत में गए होंगे,,,,,
(घर पर कोई नहीं है इस बात का ख्याल आते ही सूरजका शैतानी दिमाग फिर से दौड़ना शुरू कर दिया सूरज के पजामे में हरकत होना शुरू हो गया रूपाली दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश की और पीछे पीछे सूरजभी आ गया जिस तरह से हाथ में आई मौके का फायदा सूरजऔर रूपालीपूरी तरह से उठाकर रात भर मस्ती किए थे उसी तरह से उन दोनों के घर से जाते ही हरिया और उसकी छोटी बहन आपस में जुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे और वह खेल लगातार जारी था रात भर और दिनभर की चुदाई के बाद हरिया और मंजू दोनों खेत में थोड़ा काम करने के लिए चले गए थे और घर पर कोई नहीं

था घर में प्रवेश करते ही सूरजने तुरंत दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दिया था और अपनी मामीको तुरंत वह कुछ समझ पाती उससे पहले अपनी गोद में उठा लिया था और गोद में उठाए हुए ही वह उसे उसके कमरे की तरफ ले जा रहा था,,,,)

अरे अरे सूरजयह क्या कर रहा है छोड़ मुझे मैं गिर जाऊंगी नीचे उतार,,, अरे पागल हो गया क्या कोई देख लिया तो,,,

अरे यहां कोई देखने वाला नहीं है ना मामाजी और मौसी दोनों खेत पर काम करने गए हैं क्यों ना इस मौके का फायदा उठा लिया जाए,,,।
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीका दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी उसे समझते देर नहीं लगी कि सूरजफिर से उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो चुका है लेकिन रूपालीउसे ऐसा करने से रोकती नहीं लेकिन वह माना नहीं हो अपनी गोद में उठाए हुए सूरजअपनी मामीको उसके ही कमरे में ले गया और खटिया पर ले जाकर पटक दिया,,,,)

अरे नहीं सूरज पागल हो गया क्या तू तेरे मामाजी आ गए तो गजब हो जाएगा,,,

अरे जब तक वो लोग आएंगे तब तक अपना काम पूरा हो जाएगा और वैसे भी दरवाजा बंद है आने से पहले हमें भी पता चल जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मामीके साथ मनमानी करते हैं उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा रूपालीसे रोकने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन सूरजनहीं माना और देखते ही देखते अपनी मामीके ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी नंगी चूची को आजाद कर दिया,,,,)

नहीं पागल ऐसा मत कर अगर किसी ने देख लिया तो हम दोनों बदनाम हो जाएंगे,,,


कोई नहीं देखने वाला है मां,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरजअपनी मामीकी दोनों चूची को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाता हुआ अपने प्यासे होठों को अपनी मामीके लाल लाल होठों पर रखकर चुंबन करने लगा आखिरकार रात भर की जबरदस्त चुदाई के बाद एक बार फिर से रूपालीकी बुर पानी छोड़ना शुरू कर दी थी,,, उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन फिर भी सूरजकी हरकत ने उसे फिर से उत्तेजित कर दिया था देखते ही देखते सूरजपूरी तरह से अपनी मामीके होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया था और रूपालीकी भी हालत खराब हो रही थी,,, सूरजअपने मुंह को तुरंत अपनी मामीके होठों से हटाकर उसकी चूची पर रख दिया और उसे पीना शुरू कर दिया सूरजकी हरकतें रूपालीके तन बदन में जवानी का जोश भर रही थी,,, सूरजपर पूरी तरह से वासना का भूत सवार हो चुका था घर में किसी की मौजूदगी ना होने पर हुआ इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था और वह अपनी मामीकी नंगी जवानी पर पूरी तरह से टूट चुका था उसकी दोनों चूचियों को पकड़ पकड़ कर दबाते हुए उसे मुंह में लेकर पी रहा था आखिरकार रूपालीकब तक अपने सब्र को काबू में कर पाती वह भी अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,, उससे भी रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से यह अपने भांजे के खड़े लंड को टटोलने लगी वाकई में सूरजका लैंड पूरी तरह से लोहे की छड़ की तरह हो गया था,,, जिसे अपनी हथेली में महसूस करके उसकी गुरबाणी फेंक रही थी,,,, पजामे के ऊपर से ही अपने भांजे के लंड को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए रूपालीबोली,,)

हाय दैया तेरा तो पूरा खड़ा हो गया है,,,


तुम्हारी बुर में जाने के लिए मचल रहा है,,,(इतना कहते ही सूरज अपनी मामीकी साड़ी की गिठान को खोलने लगा उसकी साड़ी उतारने लगा तो उसे रोकते हुए रूपाली बोली)

नहीं साड़ी मत उतार कोई आ गया तो पहनने में दिक्कत हो जाएगी,,,

कुछ नहीं होगा वैसे भी चोदने का मजा पूरी तरह से नंगी करने के बाद ही आता है,,,
(रूपालीअच्छी तरह से जानती थी कि उसके भांजे की आगे अब उसकी एक भी चलने वाली नहीं है और सूरजदेखते ही देखते अपनी मामीकी साड़ी उतार कर पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नीचे की तरफ एक झटके में ही खींच दिया और रूपालीभी अपने भांजे का साथ देते हुए अपनी भारी-भरकम गांव को ऊपर की तरफ उठाती थी ताकि उसका भांजा आराम से उसके पेटीकोट को उतार सके देखते-देखते रूपालीखटिया में एकदम नंगी हो गई सूरजअपनी मामीकी नंगी जवानी को दिन के उजाले में देखकर और भी ज्यादा मस्त हो गया और तुरंत अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया अपने भांजे के खड़े लंड पर नजर पड़ते ही रूपालीके होश उड़ गए वह भी अपने भांजे के लंड को दिन के उजाले में देख रही थी और अंदर ही अंदर मचल रही थी,,, सूरजइस बार अपनी मामीकी दोनों टांगों को फैलाने की जगह एक साथ पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और साथ में पकड़े हुए ही जाकर उसकी छाती से उसके घुटने लगा दिया जिससे कमर के नीचे रूपालीकी गोल गोल गाना मटके की तरह नजर आने लगी और सूरजतुरंत अपने लंड को उसके मंजू छेद में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,, रूपालीपूरी तरह से मदहोश में जा रही थी मस्ती उसकी आंखों में साफ झलक रही थी इस तरह से दोनों टांगों को सता कर चोदने में सूरजको और भी ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि इस तरह करने से पहले से ही रूपालीकी बुर कसी हुई थी लेकिन इस स्थिति में उसकी बुर और ज्यादा

सख्त और कसी हुई नजर आ रही थी जिससे सूरजका लंड उसकी मामीकी बुर में थोड़ी दिक्कत के साथ लेकिन पूरा आनंद देते हुए अंदर बाहर हो रहा था,,,,।
रूपालीकभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका भांजा उसके ही कमरे में उसके ही खटिया पर उसकी चुदाई करेगा दोनों पूरी तरह से नंगे थे दोनों के बदन की गर्मी दोनों के लावा को पिघलाने के लिए तैयार थी,,, तकरीबन इस अवस्था में 20-25 मिनट के घमासान चुदाई के बाद रूपालीकी सांसें तेज चलने लगी और यही स्थिति सूरजकी भी थी सूरजतुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर अपनी मामीको अपनी बांहों में कस लिया और जोर जोर से धक्का लगाने लगा खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी रूपालीको इस बात का डर था कि कहीं सूरजके तेज झटकों की वजह से खटिया ना टूट जाए लेकिन सूरजपूरी तरह से मस्ती में चूर था वह धक्के पर धक्के लगा रहा था देखते ही देखते दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और दोनों एक साथ झड़ गए एक बार फिर से सूरजने अपनी मामीकी मदमस्त जवानी पर काबू पा लिया था रूपालीभी अपने भांजे की इस अफरा तफरी भरी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,
सूरजतुरंत खटिया पर से उठा और अपने कपड़े पहन लिया रूपालीभी धीरे से खटिया पर से उठी और अपने कपड़ों को ढूंढने लगी उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था वह अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर की स्थिति को देखी तो थोड़ा सा घबरा गई क्योंकि बुर सुजी हुई थी,,, जैसे तैसे करके वह अपने कपड़े पहन कर दुरुस्त हो गई थोड़ी ही देर में हरी और मंजू भी घर पर आ गए और उन दोनों को देखकर दोनों खुश हो गए हालांकि यह खुशी ऊपर से ही थी क्योंकि वह लोग और मजा करना चाहते थे वैसे तो मंजू को अपने भाई से ज्यादा सूरजके साथ मजा आता था लेकिन क्या करें वह अपने भाई को भी पूरा मस्ती देना चाहती थी ताकि दोनों की चोरी पकडे जाने पर दोनों एक दूसरे पर उंगली ना उठा सके,,,,।

रात को सोते समय रूपालीहल्दी वाला दूध एक गिलास गट गटाकर पी गई क्योंकि वह जानती थी कि इससे उसके दर्द में राहत मिलेगी,,,, रात को जब हरिया ने रूपालीके कपड़े उतार कर लेंगी करने की कोशिश किया तो रूपालीने उसे इंकार कर दी क्योंकि मैं तू जानती थी की सूजी हुई बुर अगर उसका पति देखेगा तो जरूर मन में शंका करेगा,,, थके होने और तबीयत खराब होने का बहाना करके रूपालीअपने पति को समझा कर सो गई और सूरजभी पूरी तरह से थक चुका था इसलिए खटिया पर पडते ही सो गया,,,।
 

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