अध्याय 9
मैं गया तो था शांति के लिए और ले आया कई सवाल,हा मुझे बाबा से गुरु मन्त्र मिल गया था,आँखे बंद करो और देखो की क्या हो रहा है,अपने अंदर झाको वही हर सवाल का जवाब है..
मैंने तय किया की बस देखूंगा जो चल रहा है,काजल को इसका आभास भी नहीं होने दूंगा,मैं ऑफिस में आकर कल की विडिओ को चालू किया पर कुछ खास हाथ नहीं आया,वही उसका सज धज के जाना और उजड़े हुए वापस आना,इतना तो समझ आ गया की मेरे घर में मेरी ही बीवी गैरो की हो चुकी है,घर जाने पर वही प्यार भरी बाते वही प्यार वही चहरा,इतना प्यार लुटाना की लगे किस्मत ने सब दे दिया है,पर काजल के प्यार में झूट नहीं था जो मुझे अंदर से झकझोर रही थी मैं मन ही नहीं पा रहा था की वो मुझे प्यार करती है,पर क्या करू कितना भी बुरा सोच कर भी मैं काजल के प्यार को झुठला नहीं पा रहा था,वो प्यार तो असली ही था,पूरा खालिस असली मन की गहराई से निकला हुआ,फिर क्यों ये धोखा…
रात बिस्तर पे मैं उदासीन ही रहा,लेकीन काजल से मेरे चहरे के भाव न छुप पाए,’क्या हुआ जान
कुछ नहीं मैंने आराम से जवाब दिया
कल से कुछ खोये से लग रहे हो सब ठीक तो है ना उसने मेरे बालो से खेलते हुए पूछ लिया
हा सब ठीक ही तो है मैं एक शून्य में देखता हुआ जवाब दिया,
नहीं मैं आपको खूब समझती हु,आप कुछ तो छुपा रहे हो मुझसे,बताओ ना,’उसने जोर दिया और मेरे छाती पर अपना चुम्मन जड़ दिया,
तुम तो मुझे समझती हो पर क्या मैं तुम्हे समझता हु,’मेरे मन का द्वन्द दामने आ रहा था,मैंने मन ही मन एक फैसला कर लिया,
अच्छा बताओ तुम रात में कहा जाती हो,मैं कल भी तुम्हे रात में ढूंडा पर तूम बाहर भी नहीं थी,’जैसा मैंने सोचा था उसके विपरीत वो चौकि नहीं वो हसने लगी जैसे मैंने कोई मजाक कर दिया हो,
क्या तुम भी कहा जाउंगी यही थी,काका के पास बैठी थी,जानते हो वो बहुत अकेले और दुखी रहते है,और मुझे भी तो नींद नहीं आती न रात में जल्दी,’मैं बिलकुल स्तब्ध था की ये औरत इतनी शातिर कैसे हो सकती है की चहरे पे जरा भी शिकन नहीं आया..मैं गुस्से में मानो फुट पड़ा,
रात के 1-2 बजे तुम नौकर के पास जाती हो,नींद नहीं आता इसका क्या मतलब है,अगर किसी को ये बात पता चली तो जानती हो लोग क्या सोचेंगे पागल हो तुम,इतना समझ नहीं है तुममे,और क्या मतलब की वो अकेला है,दिन भर तो उसके साथ रहती हो न फिर तुम्हे रात में भी उससे हमदर्दी जतानी है…’
मैंने कभी काजल से इतने ऊचे आवाज में बात नही की थी,मेरा चहरा ताप रहा था,और काजल के आँखों में आंसू थे आज पहली बार मुझे उसके चहरे में आसू देख दुख नहीं हो रहा था,काजल ने अपने भरे नयन से मुझे देखा,भगवान इतना प्यारा भी किसी को न बनाये,डबडबाई आँखों पर से कुछ बूंद चहरे पर गिरे थे,अनायाश ही वो हुआ जिसका मुझे डर था मैंने आगे बड कर उसे चूम लिया और उसके आँखों का पानी अपने होठो पे पि गया ,मुझे खुद में आश्चर्य था की मैं ये कर रहा हु,लेकिन मैंने अपने आप को सख्त बनाये रखा,केवल बाहर से..काजल को इतना तो समझ आ गया था की मैं उससे जादा देर तक गुस्सा नहीं रह पाउँगा,वो मुझेसे एक भोले बच्चे की तरह लिपट गयी और सिसकिया लेती हुई मेरे छाती में अपना सर रगड़ने लगी,
मैं कभी ऐसा फिर नहीं करुँगी जान माफ़ कर दो अब कभी रात में घर से बाहर नहीं जाउंगी,’मेरे दिल में एक उमंग जगी लेकीन मैंने एक गलती कर दी
तो कसम खाओ मेरी ‘हा मैं कसम खाती हु,’
ये मेरी बहुत बड़ी गलती बनने वाली थी जिसका मुझे उस वक्त अंदाजा भी नहीं था,
मैंने प्यार से उसका सर सहलाया मानो सब ठीक हो गया हो पर मैं भूल गया था की कुछ ठीक नहीं हुआ है,मैं उससे लिपटा अपनी प्यार की दुनिया में खो गया…पर…
मेरे अवचेतन ने मुझे जगा दिया क्योकि मैं जनता था कुछ ठीक नहीं हुआ है,लगभग 12 बजे का वक्त था,काजल अब भी मेरे बांहों में थी,ये जानकर मुझे शकुन भी मिला,लेकिन मैं काजल को ये अहसास नहीं दिलाना चाहता था की मैं जग चूका हु,थोड़ी देर बाद ही काजल का मोबाइल बीप किया काजल जैसे जग ही रही हो उसने msg पड़ा मैं हैरान था की वो एक घंटे से जादा समय से जग रही है,और मुझसे लिपटी हुई है,मुझे लगा था वो सो चुकी है पर ऐसा नहीं था,मैंने हलके से आँखे खोले उसे देखने की कोसिश करने लगा,उसके चहरे पर मुस्कान साफ दिखाई पड रही थी,उसने भी कुछ लिखा थोड़ी देर तक msg का ये सिलसिला चलता रहा,और उसने सर उठाया मैंने अपनी आँखे बंद की वो कुछ देर मुझे देखते रही उसकी सांसो से मुझे इसका अहशास हो गया,फिर उसने मेरे चहरे पर माथे पर kiss किया और मुझसे अलग हो चली गयी,उसके जाने की आहट ने मेरा दिल तोड़ दिया की उसने अभी तो मुझसे वादा किया था इतनी जल्दी क्या थी,मेरी नजर उसके मोबाइल पर पड़ी मैंने उससे उठा लिया,msg whatapp से किये गए थे मैंने msg चेक किये,प्यारे काका जी का msg था,
काका-‘कितना तडफायेगी जल्दी आ न,’
काजल -‘आज आपके पास नहीं आ पाऊँगी,मैंने इन्हें वचन दिया है,आप ही आ जाओ,’
काका-क्या अब ये क्या है,छोड़ भी इस वचन को
काजल-काका मैं जान दे सकती हु पर इनसे किया कोई वचन नहीं तोड़ सकती जानते हो न,अपनी औकात में रहो वरना मैं दिखा दूंगी,’मैं और भी सदमे में था की ये क्या है,जो औरत किसी दुसरे मर्द का बिस्तर गर्म करती है वो पति की इतनी इज्जत कर रही है की अपने यार को धमका रही है,
काका-‘अरे बहु रानी आप तो गुस्सा हो गयी मुझे माफ़ कर दीजिये
काजल -‘पहली गलती है काका माफ़ करती हु,लेकिन आज के बाद इनके बारे में कुछ कहा तो सोच लेना अंजाम क्या होगा,मैं भी जमीदारो के खानदान से हु
काका-माफ़ी मालकिन
काजल ने जवाब में स्माइल भेजा
काका -तो क्या करना है
काजल -पता नहीं क्या क्या करना है,आप आ जाइये यहाँ मैं आपकी सेवा करती हु,लेकिन आज जादा नहीं बस कुछ कुछ
इसके बाद कोई बात नहीं हुई पर मेरे मन में विचारो की रेल चल पड़ी ये क्या है,वो मुझसे प्यार करती है तो उसके साथ क्यों है और नहीं करती तो इतना प्यार मेरे लिए क्यों,और अब क्या वो मेरे सामने ही मेरे घर के अंदर ये सब करेंगे,मैं क्या करु मुझे समझ नहीं आ रहा था,और मैं कुछ करना भी नहीं चाहता था न जाने कौन सी शक्ति ने मुझे रोका हुआ था,थोड़ी देर में ही काजल की हसी से मेरी तन्द्रा भंग हुई,मैं बड़े ही सम्हाल के जगा और किचन में गया तो पाया प्यारे पास खड़ा था और काजल चाय बना रही थी ,प्यारे थोड़ी थोड़ी देर में काजल को छू लेता पर इससे जादा नहीं बाद रहे थे शायद उन्हें मेरा डर था ,प्यारे ने काजल के कानो में कुछ कहा और वो खिलखिला के हस पड़ी प्यारे ने अपना हाथ बढाकर काजल के वक्षो को सहलाने लगा उसने अंदर कुछ ना पहना था मैंने काजल की कोमलता का अहसास किया कैसे ये गैरो के हाथो से मसला रहे है,मेरी सांसे तेज हो गयी उसने अपना हाथ जन्घो को सहलाते हुए दोनों जन्घो के बीच की घाटी पे ले जाने की कोशिस की मेरे सब्र का बांध टूट सा गया मैं आगे बड़ा पर रुका और पीछे जा फिर से खासने की एक्टिंग की जिससे दोनों सजग हो गए,मैं किचन मे पंहुचा तो प्यारे की हालत ख़राब थी पर काजल बिलकुल सामान्य सी दिख रही थी,
अभी इतनी रात यहाँ क्या कर रहे हो मैंने प्यारे को उच्ची आवाज में कहा
अरे जान मैंने ही बुलाया है ,वो नींद नहीं आ रही थी तो और अपने कसम दि थी ना की बहार मत जाना तो इन्हें घर में बुला लिया,आप गुस्सा क्यों कर रहे हो,’इतनी प्यारी आवाज साला मैं पागल हु या इसका दीवाना या महा बेवकूफ हो इसकी बातो में प्यार सा आ जाता है,
मैं कहा गुस्सा कर रहा हु ,’मैंने थोडा सम्हाल के कहा,
अच्छा एक खिलखिलाती आवाज जो मेरे कानो को भेद कर मेरे दिल तक चली गयी,उसका हसता चहरा क्या बेवफा भी इतनी प्यारी इतनी निर्भीक इतनी मासूम होती है,
गुस्सा नही कर रहे तो क्यों चिल्ला रहे हो ,’चलो जाओ सो जाओ मैं आ रही हु,काका आप जाइये ये चाय ले जाइये,मैं इनका गुस्सा शांत करती हु,’प्यारे तो चला गया,पर मैं भी सर पटक के अपने रूम में जाकर सोने का नाटक करने लगा जाने क्यों मैं कुछ खुलकर नहीं कह पा रहा था,काजल आई मुझसे लिपट कर सो गयी सायद ऐसे जैसे मुझे मना रही हो …..
मैं बेचैन था ,पर बेकाबू नहीं मैं कुछ करना तो चाहता था पर क्या करू ये मुझे भी पता नहीं था,अब तो ऑफिस भी जाने का मन नहीं करता था ,साला मैं ऑफिस में होऊंगा और यहाँ घर पर मेरी बीवी ,……………मैं जलकर भूंज जाता ,बहाने बना बना कर घर आ जाता ,काजल भी मेरा बहुत ध्यान रख रही थी ,कुछ दिनों से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिससे मुझे दुःख पहुचे पर मैं कब तक अपनी पत्नी की रखवाली करता रहूँगा ,जब उसने ही मन बना लिया है और वो भी इसका मजा ले रही है तो मैं कब तक उसे रोक पाऊंगा,…….मैं क्या करू तलाक ……
तलाक का नाम दिमाग में आते ही मेरे तन बदन में एक झुनझुनाहट सी दौड़ गयी ,नहीं मैं काजल से दूर नहीं रह सकता था ,तो ट्रान्सफर करा लू…ताकि इस प्यारे से छुटकारा मिल जाय ,इसमें भी तो समय लगेगा ,मुझे सोचने को समय चाहिए था ,ताकि मैं कुछ अच्छा सा फैसला कर पाऊ,मैंने काजल को उसके मायके भेजने की सोची,वो भी ख़ुशी ख़ुशी तैयार ही गयी ,साले प्यारे की सूरत उसके जाने पर रोनी सी हो गयी थी ,काजल भी मेरे ही सामने उसे सांत्वना दे रही थी ,की काका जल्द ही आ जाउंगी ना ………
उसके जाने से मुझे कुछ शांति सी महसूस हुई कुछ दिनों से इतना तनाव था की मैं पागल सा हो रहा था ,तभी मेरे दिमाग में एक नाम गूंजा ,,,,,,,,,,,,डॉ चुतिया …जी हा मेरे स्कूल का दोस्त था ,पूरा नाम था चुन्नीलाल तिवारी यरवदावाले …बचपन में साला बहुत हु चुपचाप और सबसे अलग रहने वाला था ,और पड़ी में बड़ा ही कमजोर था पर ना जाने ऐसा क्या हुआ की 12 th के बाद उसके व्यक्तित्व में गजब का सुधार हुआ वो M.B.B.S.,डॉ बन गया उसके बाद ना जाने क्या क्या डिग्रिय और चीजे सीखता रहा ,शहर में उसने प्रक्टिस भी शुरू कर दि,पर वो लोगो के परेशानियों के हल ढूंढने में माहिर था ,सायकोलोजी की उसे गहरी जानकारी थी ,इसके साथ ही ना जाने क्या क्या ,,,,क्या उसे सब बताना ठीक रहेगा ?????मेरे दिमाग में एक ही बात आई ,साला दोस्त भी है और डॉ भी कही कमीनापण ना कर दे ,लेकिन मैंने उसका सीधा साधा और सबकी मदद करने और सबके दुःख में साथ देने वाला रूप भी देखा था मैंने हिम्मत की और फैसला किया की मैं उसे सब कुछ बताऊंगा और उसे काल किया …
“क्या चुन्नीलाल कैसे हो ,”
“आप कौन बोल रहे है ”
“अबे मैं विकास , ”
“अबे साले तू है ,इतने दिनों बाद कॉल किया ,शादी के बाद तो भूल ही गया दोस्तों को …और बता भाभी कैसी है ,”मैं थोडा उदास सा हो गया ,
“ठीक है अभी मायके में है ,”
“अच्छा तभी तुझे हमारी याद आई साले ”
“नहीं भाई बात कुछ खास है ,क्या तू मुझे मिल सकता है ,यार थोड़ी परेशानी में चल रहा हु ”
“क्यों क्या हुआ ”
“फोन में नहीं आकर मिलता हु ,तू मुझे अपने क्लिनिक का पता msg कर दे मैं कल ही मिलता हु ”
“हा हा बिलकुल कभी भी आजा ”
“अच्छा चल यार रखता हु ,बाय ”
“ओके दोस्त बाय “…………..
मैं डॉ के क्लिनिक पंहुचा वहा कोई भी दिखाई नहीं दे रहा था ,मैं केबिन के अंदर झाका चुन्नी मुझे अपने कुर्सी पर बैठा कुछ पड़ता हुआ दिखाई दिया ,मुझे देखते ही वो खड़ा हुआ और मेरे पास आकर मेरे गले से लग गया ,मैं भी बड़ी ही आत्मीयता से उससे मिला ,हम बैठे इधर उधर की बाते होने लगी फिर मैंने मुद्दे की बात करने की सोची मैंने गंभीरता से उसे सभी मामला बताया और वो बड़ी ही गंभीरता से उसे सुनने लगा,…मुझे आश्चर्य हुआ की उसे मेरी बातो से जादा आश्चर्य नहीं हुआ वो बड़े ही आराम से मेरी बात सुन रहा था जैसे मैं उसका दोस्त नहीं कोई क्लाईंट हु…
“हम्म्म्म तो ऐसी बात है ,कोई बात नहीं भाई ,मैंने जब पहली बार तेरी शादी में काजल को देखा था तभी मुझे लगा की कुछ तो गड़बड़ है पर क्या है ये मुझे अब समझ आ रहा है ,”
मैं उसे आँखे फाडे देखने लगा ,क्या गड़बड़ है ……….
“पूरी बात तो मैं उससे मिल कर ही बता पाउँगा पर अभी जितना तुमने मुझे बताया ,मुझे वो एक सेक्स एडिक्ट लग रही है ,”
डॉ की बात सुनकर मेरा माथा घूम गया ,सेक्स एडिक्ट मेरी बीवी ,
“भाई तू क्या बोल रहा है ,वो बहुत अच्छे घर की बेटी है और इतनी पढ़ी लिखी भी है यार ,,,,”मैं लगभग रुवासु हो चूका था ,ऐसा लग रहा था जैसे अभी जोर जोर से रो पडूंगा ,पर मैंने अपने को सम्हाला ,मुझे देखकर चुतिया हसने लगा ,मुझे लगा की वो मेरा मजाक उड़ा रहा है ,
“नाम मेरा चुतिया है और काम तेरा चुतियो जैसा है ,साले की बीवी दूसरो से चुद्वाती है ,हा हा हा “डॉ के ये वचन मेरे दिल को झल्ली झल्ली कर रहे थे ,मैं उसे मरना चाहता था ,मेरा ही दोस्त ,इतना बड़ा काउंसलर होकर भी वो ऐसी बाते कर सकता है मुझे यकीं नहीं आ रहा था ,मुझे अपने पर ही गुस्सा आया की मैं यहाँ क्यों आ गया ,मैं वहा से उठाकर जाने लगा ,उसने मुझे रोका भी नहीं ,मैं और भी गुस्से में आ चूका था ,मैं बाहर निकला ,बाहर रघु गाड़ी लेकर खड़ा था ,मैं अपनी ऑफिस की गाडी से वहा आया हुआ था ,उसे देखकर मैंने खुद को सम्हाला ,
“चलना है क्या साहब “रघु ने बड़े ही प्यार से पूछा
“हा मादरचोद ,मैं यहाँ नाचने आया हु क्या ,जायेंगे नहीं तो और क्या करेंगे ,दीखता नहीं क्या तुझे ,”मेरे इस बात से रघु भी घबरा गया था ,उसने मुझे कभी भी ऐसे रूप में नहीं देखा था वो जल्दी से ड्राईवर सिट पर बैठा और मैं पीछे बैठने ही वाला था की किसी ने मेरा हाथ पकड़कर बहार खीच लिया ,मैं उसे देखकर और भी गुस्से में आ चूका था वो डॉ था ,…………
“चल तुझे कुछ और भी बताना है “डॉ के चहरे पर अब भी एक मुस्कुराहट थी ,मैंने अपना हाथ छुड़ाया ,
“मुझे कुछ नहीं जानना ”
“सोच ले ,अबे चल सॉरी अब तो आजा ,यु ड्राईवर के सामने क्यों तमाशा कर रहा है ,ये हम दोस्तों की आपस की बात है ,चल ना यार ,”
मैं रघु के सामने सचमे कोई भी तमाशा नहीं करना चाहता था ,मैं उसे ये भी पता नहीं लगने देना चाह्त्ता था की मैं यहाँ क्यों आया हु,मैं चुपचाप अंदर चला गया ,फिर उसी केबिन में
“क्या हुआ ,जल्दी बता ”
“भाई मुझे माफ़ कर दे की मैंने ये सब किया ,पर ये जरुरी था ,तेरे प्रश्न का उत्तर है ये ,की काजल क्यों सेक्स एडिक्ट हो गयी ,और क्यों कोई इस रोग में पड़ जाता ही ,”मुझे उसकी बाते कुछ भी समझ नहीं आ रही थी ,मैंने उसे बड़े ही आश्चर्य से देखा ,वो मुझे आराम से रहने और बैठने को कहा ,
“देख तुझे रोना आया पर तू मेरे सामने नहीं रो पाया ठीक ,”
“हा तो उससे क्या ”
“बताता हु ,फिर तुझे मुझपर गुस्सा आया पर तूने गुस्सा दबा लिया ,और वो गुस्सा किसपर निकला तेरे ड्राईवर पर ,है ना ”
“हा तो ”
“बता की ये गुस्सा ड्राईवर पर क्यों निकला ”
मैं उसे अनजान सा देखने लगा ,
“क्योकि तू मुझपर तो गुस्सा नहीं कर सकता था पर अपने ड्राईवर पर कर सकता था ,तूने कभी भी अपने ड्राईवर को ऐसे नहीं कहा होगा पर आज तुझे क्या हुआ ,तूने कहा गलती कर दि ”
मैं उसके बातो को समझने का प्रयास कर रहा था ,
“तूने मुझपर गुस्सा नहीं करके और अपने रोने और गुस्से को दबाकर गलती कर दि ,दबा हुआ गुस्सा ड्राईवर पर फूटा वहा नहीं फूटता तो कही और और ही फूटता शायद और भी बढ़कर ”
“तू कहना क्या चाह रहा है ”
चुतिया ने एक गहरी साँस भरी
“देख भाई हम सब इन्सान है और इन्सान होने की सबसे बड़ी जो खासियत है वो है हमारी भावनाए ,पर ये समाज,धर्म ,और नैतिक बन्धनों से भी हम बंधे हुए ही जो हमें सिखलाते है की ये करो ये मत करो ,अब हम है तो मूलतः जानवर ही ना ,पर यही बंधन हमें जानवरों से अलग करते है ,लेकिन इन्ही बन्धनों के कारन हम अपनी भावनाओ को दबाते है ,और उसका परिणाम होता है,विकृति …..हमारी असली भावना कही छुप जाती है और वो विकृत होकर प्रगट होती है ,इसलिए लोग हत्या करते है चोरी करते है ,और सबसे बड़ी और मूल भावना है सेक्स की भावना लेकिन हमें बचपन से ही इसे दबाना सिखाया जाता है ,इसका परिणाम होता है की हम ना तो प्यार कर पाते है और ना ही इससे पूरी तरह से छुट पाते है ,परिणाम होता है विकृत सेक्स ……जैसे बलात्कार ,और सेक्स एडिकशन और भी बहुत कुछ ,जैसे सेक्स में कमी या चिडचिडापन या बहुत ही जादा गुस्सा आना और भी कई तरह की शरिर्रिक और मानसिक बिमारिया जन्म लेती है …….”
थोड़ी देर चुप्पी छाई रही जिससे मुझे कुछ कुछ चीजे समझ आने लगी थी ,डॉ ने फिर से बोलना शुरू किया
“काजल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा ,वो बहुत ही कुलीन घर की लड़की है ,और उसे अपनी सेक्स की भावना को दबाना पड़ा होगा इसमें कोई भी दो राय तो नहीं है ,पर जब उसे मौका मिला होगा ,जैसा तूने बताया की वो वर्जिन नहीं थी ,तो उसने इसे या तो खुलकर एन्जॉय किया होगा ,या फिर ग्लानी के भाव से भर गयी होगी ,यार ये ग्लानी बहुत ही ख़राब चीज है जो इन्सान के भावनाओ को कुरूप कर देती है ,शायद उसके साथ भी ऐसा ही हुआ होगा……….अगर ऐसा हुआ होगा तो जो वो आज कर रही है वो,वो नहीं कर सकती थी इसके लिए उसने जरुर किसी से काउंसलिंग ली होगी जिसने उसे समझाया होगा की ग्लानी से बचो और इसे एन्जॉय करो ….हो सकता है ऐसा कुछ भी नहीं हुआ हो और वो एक सेक्स एडिक्ट नहीं हो तो ,,,,,,,,हा ये भी हो सकता है तो बस एक ही चीज हुई होगी और वो ये है की वो जब मुंबई गयी तो उसने पहली बार आजादी देखि और उसे ये सब करने में मजा आने लगा वो अपनी जिंदगी खुलकर जीने लगी ,और अब भी वो ये सब बस मजे के लिए करती होगी ,”
मुझे ऐसे तो सब कुछ समझ आ रहा था पर ……..
“यार लेकिन क्या सचमे वो मुझसे प्यार करती है या सिर्फ दिखावा “मेरी आँखे फिर से गीली हो गयी ,
“इतना तो पक्का है मेरे दोस्त की वो तुझसे बहुत ही जादा प्यार करती है ,”
“तो भाई ये सब ,…………अब मैं क्या करू ”
डॉ भी थोड़ी देर तक चुप रहता है ….
“कुछ भी मत कर ,अभी तो उसे मायके में ही रहने दे और तेरे ट्रांसफर लेने से मामला नहीं बदलेगा बस प्यारे की जगह कोई और आ जायेगा ,अभी कम से कम प्यारे तेरे हाथो में तो है ,वो काजल के कण्ट्रोल में है,और कोसिस यही करना की कभी भी प्यारे या काजल या किसी भी और को ये ना पता चले की तू ये सब जानता है ,अगर किसी को भी ये पता चला और काजल ने उसका साथ दिया तो तेरे लिए उसकी इज्जत जाती रहेगी फिर वो कभी भी तुझे और तू कभी भी उसे वो प्यार नहीं दे पाओगे जो वो अभी तुझसे करती है …..”
मैं जोरो से रोने लगा .डॉ आकर मेरे कंधे पर अपना हाथ रखता है,
“तू फिकर मत कर मेरे दोस्त सब ठीक हो जाएगा ,मैं खुद मुंबई जाकर उसके बारे में पता करूँगा ”
“लेकिन यार तब मैं क्या करू ,कब तक उसे मायके में रखूँगा और कब तक मैं उसे बचा पाउँगा वो फिर ,,,,,,,,और मैं कैसे ये सब सहूंगा ”
साले कमीने डॉ के चहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान आ गयी जिसे देख मुझे फिर से गुस्सा आ गया ,वो इसे समझ गया और
“भाई मेरे मुस्कान पर गुस्सा मत हो पर तुझे voyeurism का पता है ”
“ये क्या होता है ”
“किसी दुसरे को सेक्स करते देखकर मजे लेना ”
मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर पहुच गया
“मादरचोद तो क्या मैं अपने बीवी को अपने नौकर से चुदते देखकर मजे लू ”
डॉ फिर जोर से हँसा
“नहीं मेरे भाई ,मैं बस बता रहा था ,ऐसे ले भी सकता है ,ये सोच की अगर काजल को कोई परेशानी नहीं है तो तुझे क्यों है ,ऐसे लोग भी होते है जो अपनी शादीशुदा जिंदगी में मजे को बढ़ने के लिए ये जानबूझकर करते है ,”
“दुसरे करते होंगे मैं नहीं कर सकता ,साले तेरे पास आया था की तू काजल को ठीक करेगा और तू कह रहा है की मैं इसमें मजे ढूढू …”
“देख दोस्त तू क्या ये चाहता है की काजल का तेरे ऊपर प्यार कम हो जाय ,नहीं ना अगर तू चाहता तो अभी तक उसे कह चूका होता ,और मुझे थोडा समय चाहिए इस केस को समझने और जचने के लिए ,मैं काजल से बात नहीं कर सकता मुझे सीक्रेट तरीके से मुंबई जाकर और उसके गाव जाकर ही पता लगाना पड़ेगा ,तब तक तू क्यों जलेगा ,try करके देख ले ,मैं तुझे कुछ कहानियो और विडिओ के लिंक भेजता हु तू उन्हें चेक कर ले अगर पसंद आया तो ठीक वरना ……जलते रह इस आग में अपने को दुखी करते रह …”
डॉ की बात मुझे समझ आ चुकी थी ,मेरे पास ऐसे कोई भी रास्ता नहीं था मैंने हां में सर हिलाया और वहा से चला गया …..
मेरा मन व्याकुल सा था जस्बातो ने कबड्डी खेल खेल कर मेरा दिमाग झंड कर दिया था ,मैं बात बात में चिडचिडा सा जाता था ,खासकर प्यारे को देखकर तो दिमाग चढ़ जाता था ,पर उसे कुछ ना कह पाता ,क्या कहता,हर काम सही टाइम में कर देता था ,कुछ ना कह पाना भी बहुत बड़ा दुःख था,काजल अभी तक नहीं आई थी,डॉ से मिले मुझे बस दो दिन ही हुए थे ,मैं उससे और भी बात करना चाहता था ,पर क्या बोलता उसे …………
भगवान ने मेरी सुन ली और डॉ का फोन आ गया ,
“कैसे हो भाई,”
“बढ़िया हु दोस्त थोडा बेचैन सा हु ,क्या करू समझ नहीं आ रहा ,”
“तू मेरे पास तुझे कुछ दिखाना है ,”
“क्या ”
“तू आ तो जा फिर दिखता हु ”
“अरे यार पर छुट्टी का थोडा ”
“ओके सन्डे आ जा और अपने ड्राईवर को साथ मत लाना तू बस अकेले आना .”
डॉ से बात होने के बाद मैं और बेचैन था पता नहीं साला क्या दिखाना चाहता था ,आख़िरकार सन्डे आ ही गया और मैं शहर में था ,डॉ मुझे एक क्लब में ले गया एक साधारण सा दिखने वाला क्लब था ,बहुत से लोग तो नहीं थे और सब कुछ बड़ा ही नार्मल लग रहा था ,मैंने डॉ को बार बार पूछा की बात क्या है पर वो कुछ भी नहीं बता रहा था कहता था की रुक जा टाइम आने पर पता चलेगा ……..हम दोनों इधर उधर और अपने स्कूल के टाइम की बाते करते रहे और बियर पीते रहे ,तभी मुझे एक कपल दिखाई दिया ऐसे तो वहा और भी कपल थे पर वो कपल बहुत ही खास था कारन था उनके बीच का प्यार ,दोनों को देखकर कोई भी कह सकता था की उनमे कितना जादा प्यार है ,पत्नी को कुछ हो जाता तो पति आगे आकर उसे सम्हालता ,पति के चहरे पर कुछ लग जाता तो पत्नी उसे अपने पल्लू से पोछती थी ,दोनों एक दुसरे से ऐसे मिले बैठे थे जैसे कभी अलग ही नहीं होंगे ,मुझे ये कपल मेरी और काजल की याद दिला रहा था ,वो लड़की दिखने में भी कुछ कुछ काजल जैसी ही थी,बहुत देर तक वो दोनों वहा बैठे रहे ,शाम जब और गहराने लगी तो वो साथ एक दूजे के कमर में हाथ डाले नाचते हुए दिखाई दिए ,कुछ देर बाद मेरा धयान डॉ की तरफ चला गया और वो दोनों मुझे फिर दिखाई नहीं दिए ,पर मुझे उन्हें यु घुरना डॉ से छिपा नहीं था ,
“क्यों क्या हुआ उनमे कुछ खास है क्या जो तू उन्हें यु घुर रहा है ,”
“हा यार ये दोनों मुझे काजल और मेरी याद दिलाते है,काजल भी मुझे ऐसे ही प्यार करती है और ऐसे ही मेरा ख्याल रखती है ,”मेरी आँखों में कुछ आंसू की बुँदे आ गयी ,डॉ ने मुझे दिलासा दिलाया और इधर उधर की बाते करने लगा ,तब तक वो कपल आँखों से ओझल हो चूका था ,मैंने नज़ारे घुमाई पर वो कही नहीं दिखे …….डॉ मेरी नजरो को समझ गया ,
“उन्हें ढूंड रहा है क्या ,”मैंने हा में सर हिलाया
“रुक जा थोड़ी देर में मिलवाता हु “मैंने आशचर्य से डॉ को देखा
“तू जानता है उन्हें ”
“नहीं नहीं जानता फिर भी मैं जानता हु की वो क्या कर रहे होंगे “मैंने फिर से आँखों को चौड़ा किया ,डॉ ने मुझे चुपचाप अपना ड्रिंक ख़तम करने और साथ आने को कहा मैं बिना किसी सवाल के डॉ के साथ चलने लगा ,वो एक अलग ही गेट था क्लब के अंदर से और भी अंदर जाने के लिए पूरी तरह से डिम लाइट जल रही थी ,रोशनी इतनी थी जीतनी की लोग दिख जाय पर इतनी भी नहीं थी की कोई अनजान आदमी पहचान में आ सके ,,उस लाल रोशनी के कारन लोगो का चहरा भी लाल लाल दिख रहा था ,ac चलने के कारण वहा ऐसे तो बड़ी ठंडक थी पर माहोल कुछ गर्म लग रहा था,वो एक सकरा रास्ता था जो किसी और मंजिल तक पहुचता था ……….
हम दोनों फिर एक गेट पर पहुच गए ,वहा कुछ बड़े ही डोले शोले वाले लोग खड़े थे ,देखकर ही समझ आ रहा था की अंदर जो चल रहा है वो हर किसी के लिए नहीं है ,हमारे पास जाने पर डॉ ने उन्हें एक कार्ड दिखाया ,और उनके कानो में कुछ कहा ,उनमे से एक बॉडीबिल्डर हमें रुकने का इशारा कर अंदर जाता है फिर वापस आकर हमें अंदर जाने का इशारा करता है अंदर जाकर मैं और भी अचंभित हो गया क्योकि वहा ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे गलत समझा जाय ,वहा होटलों जैसे सिंपल से कमरे बने हुए थे ,और एक और एक ऑफिस नुमा केबिन था ,डॉ ने मुझे केबिन की तरफ आने का इशारा किया केबिन के बहार भी कुछ बॉक्सर टाइप लोग खड़े थे ,ऐसा लग रहा था जैसे साला मैं किसी डॉन के पास या किसी बड़े पॉलिटिशियन के पास जा रहा हु ,इतनी सिक्योरिटी मैंने वही देखि थी ,हम दोनों केबिन के अंदर गए,बड़ा सा केबिन था जैसे किसी कम्पनी के सीईओ का होता है ,एक कोने में एक अर्धगोलाकार टेबल के पीछे एक लम्बा चौड़ा सा व्यक्ति बैठा हुआ था,चहरा रोबदार और हलकी हलकी दाढ़ी कानो में बाली ,बाल बिलकुल छोटे जैसे आर्मी वाले रखते है उससे थोडा बड़ा , आँखों में हलकी लालिमा जैसे की हल्का हल्का खून उतर आया हो ,मूंछ धारदार थे पर वो देसी बिलकुल नहीं लग रहा था ,रंग गोरा था पर कुछ कुछ जैसे अग्रेजो जैसे रंग का था ,लेकिन देशी स्टायल लिए ,शारीर तो जैसे मॉस का कोई गोदाम खोल रखा हो साला कही भी कोई चर्बी नहीं दिख रही थी दिख रहा था तो बस कसे हुए मसल्स ,वो एक स्पोर्ट बनियान और जीन्स पहने था ,इतने बड़े प्रोफेसनल से लगने वाली जगह का मालिक (जैसा मुझे लग रहा था )बनियान पहन के बैठा था ,उसके पास ही एक लड़की पूरी तरह से तैयार होकर खड़ी थी ,ड्रेस और हावभाव से लग रहा था की वो उसकी सेकेटरी है और वो जैसे खड़ी थी इससे पता लग रहा था की वो 25-30 साल का किसी हीरो की तरह दिखने वाला शख्स बिलकुल भी नर्म नहीं है ,उस शख्स का शरीर देखकर मुझे जॉन इब्राहीम की याद आई पर जब वो खड़ा हुआ तो उसकी चाल विद्युत् जामवाल सी थी ,साला दोनों का मिश्रण था ,डॉ को देखकर वो खुश होकर उठा और आगे बढकर डॉ के गले से लग गया ,डॉ उसके शारीर के सामने बच्चा लग रहा था ,
“ये आकाश है मेरा दोस्त “उसने अपना हाथ बढाया ,मुझे लगा जैसे मैं किसी लोहे के पुतले को छू रहा हु ,
“और आकाश ये है टाइगर उर्फ़ दलजीत कनाडियन माँ और पंजाबी पिता की देन है ,इस क्लब का मालिक और हमारा खास दोस्त “डॉ ने मुझे बैठने का इशारा किया हम सभी अपनी जगहों पर बैठ चुके थे ,डॉ बे बैठते हुए उसकी सेकेटरी को हाय कहा उसने भी अपना सर हिला कर उनसा अभिवादन किया
“कैसी हो रेहाना ”
“अच्छी हु डॉ ”
“तो आज इस नाचीज को कैसे याद किया डॉ ,”टाइगर के आवाज में भी वही भारीपन था जो की उसकी पर्नालिटी में था ….
“ह्म्म्म वही पुराना रिसर्च का चक्कर है ,लेकिन इसबार मुझे इसके साथ देखना है ,”डॉ ने मेरी तरफ इशारा किया ,टाइगर ने जब मुझे घुर कर देखा तो मेरी रूह तक काप गयी साले की आँखे थी या अंगारे थे ,जैसे दहक रहे हो ,उसने एक भारी सांसे ली जैसे की कोई शेर गुर्राता हो,
“डॉ आपको नहीं बोलना मेरे लिए हमेशा से मुस्किल रहा है ,पर ये नहीं हो सकता ,आप जानते है की क्यों ,यहाँ लोग मेरे भरोसे आते है और मैं उसके साथ धोखा नहीं कर सकता ,आप मेरे वसूलो को जानते है ,मैं कितना प्रोफेसनल हु ये भी आपको पता है ,जब मैं कनाडा से यहाँ आया था तो आपने मेरी बहुत मदद की थी ,जिसका अहसान मैं कभी नहीं चूका सकता पर ये मेरे धंधे से गद्दारी होगी मेरे ग्राहकों से गद्दारी होगी ,आप चाहे तो आपको मैं कुछ भी दिखा सकता हु पर ये ,……………..( उसने फिर से मुझे घुर )आप जानते है …मैं कैसे “बस इतना बोलकर वो खामोश हो गया ,और डॉ के चहरे पर एक गंभीर भाव आ गया
“ह्म्म्म यार तेरी बात तो ठीक है पर सच में ऐसा है की मुझे इसको दिखने की जरुरत है ,”
“डॉ सॉरी मैं ये नहीं कर सकता “डॉ के चहरे पर एक मुसकान सी खिल गयी
“ठीक है पर अगर मैं तुझे एक डील दू तो तू सायद इंकार नहीं करेगा “डॉ ने मुस्कुराते हुए कहा
“डॉ आप और आपके डील “टाइगर भी हसने लगा “पर इस बार कुछ नहीं सॉरी ”
डॉ ने मुझे बाहर जाने को कहा और कुछ देर बाद मुझे अंदर बुलाया गया ,टाइगर ने मुझे फिर से घुर इस बार उसके चहरे पर एक अजीब सी सांत्वना का भाव था मुझे लगा इस साले डॉ ने कही उसे मेरे बारे में तो नहीं बता दिया ,
“ठीक है डॉ बस एक घंटे और ये लास्ट है ”
“हा ऐसे तूने पिछली बार भी यही कहा था “और दोनों हस पड़े
“क्या करू आपकी डील होती ही इतनी अच्छी है “दोनों फिर से हसे मैं उन्हें बस एक प्रश्नवाचक भाव से देख रहा था ………..डॉ ने मुझे इशारा किया और हम दोनों उसकी केबिन के अंदर एक और दरवाजे में चले गए ,पता नहीं साला कितना दरवाजा था यहाँ ………….
12
डॉ और मैं जैसे ही कमरे के अंदर गए कमरा बंद कर दिया गया ,वहा इतना अंधेला था की मैं डॉ को भी नहीं देख पा रह था डॉ ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे आगे खीचा थोड़ी देर में ही आँखे कुछ कुछ समझाने लगी थी पर अभी भी मुझे कुछ जादा नहीं दिख रहा था ,दिखा रखा तो बस दीवाल से लगा हुआ कुछ चमकीला सा नंबर ,मैंने ध्यान दिया की डॉ नंबर को देखता हुआ आगे बड रहा है ,उसने मेरा हाथ अब भी थामे हुए था ,हर नंबर के निचे मुझे एक परदे का आभास हो रहा था ,मुझे समझ में आ चूका था की डॉ मुझे क्या दिखने ले जा रहा है पर ये नहीं समझ पा रहा था की आखिर क्यों ,.
आख़िरकार वो नंबर आ ही गया जिसपर 15 लिखा था और डॉ वहा पर रुक गया ,डॉ ने पर्दा हटाया परदे के अंदर एक बड़ा सा झरोखे जैसा काच लगा हुआ था ,पर्दा हटते ही कुछ रोशनी वहा फ़ैल गयी जिससे मुझे डॉ का चहरा दिखने लगा डॉ ने मुझे चुप रहने का इशारा किया और कानो में कहा
“हम इससे अंदर देख सकते है पर अंदर से हमें कोई नहीं देख सकता”और अपनी जेब से दो हेडफोन निकाले “इससे हम अंदर चल रही बात सुन पायेंगे “उसने उन हेडफोन को पास के कुछ प्लगो में लगाया कुछ बटन दबाये और एक मुझे दे दिया मैंने उसे अपने कानो में डाला और अंदर देखने गया ,
अंदर कमरे में अच्छी रोशनी थी और अंदर का नजारा बिलकुल साफ़ था और ये भी की डॉ मुझे क्या दिखने लाया था ,साला कमीना डॉ ……………….अंदर वही महिला थी जिसे मैंने उसके पति के साथ देखा था ,यहाँ भी वो अपने पति के साथ दोनों बिलकुल निर्वस्त्र थे जिसे देखकर मेरे चहरे में एक मुस्कान आ गयी ,वो बिस्तर में टंगे फैलाये बैठी थी और उसका पति उसके योनी को बड़े प्यार से चूस रहा था वो बहुत ही आनद से अपनी आँखे बंद किये हुए इसका मजा ले रही थी ,मुझे उस लड़की को देखकर फिर से काजल की याद आ गयी ,मैं भी कभी कभी उसकी योनी का रस ऐसे ही पिता हु और वो इसी तरह से मेरे बालो को अपने हाथो से सहलाती है ,और आनंद के दरिया में गोते लगाती है ,वाह कितना प्रेम था दोनों में कैसे दोनों एक दूजे का ख्याल रख रहे थे ,मुझे ग्लानी हुई की मैं इनके बिलकुल ही निजी क्षणों को देख रहा हु,मैंने अपना हेडफोन निकला और डॉ के कानो में कहा ,
“साले यहाँ मुझे दूसरो की चुदाई देखने लाया है कमीने “डॉ के चहरे में मुस्कान आ गयी
“बस तू देखता जा साले जो तू देख रहा है वो पूरा सच नहीं नहीं है “मैंने उसे आश्चर्य से देखा और अंदर देखने लगा वो दोनो अब एक दूजे को बहुत ही प्यार से किस कर रहे थे वो अपनी पत्नी के जिस्म से बड़े ही प्यार से खेल रहा था और उसकी पत्नी भी उसे उतने ही प्यार से सहला रही थी ,मुझे ये देखकर बहुत ही अच्छा लग रहा था की ये पति पत्नी आपस में कितना प्यार करते है ,मेरे कानो में लड़की के द्वारा कहे गए जान ,जानू ,बेटू ,,सोना जैसे शब्द आ रहे थे ,वो बार बार उसे जान कहकर पुकार रही थी ,मुझे समझ नहीं आया की आखिर डॉ को इसमे क्या अजीब लग गया ,क्या वो उसका पति नहीं है ,हो सकता है शायद ये सब देखने के बाद वो मुझे ये बताएगा की वो उसका पति नहीं था और एक इतनी प्यारी और घरेलु लगाने वाली महिला कैसे अपने पति के अलावा दुसरे से चुदवा रही थी वो भी इतने प्यार से ,,,,साला डॉ मेरे जख्मो को कम करने के बजाय इसपर नमक छिड़क रहा है ,मुझे थोडा गुस्सा तो आया पर डॉ के इतने प्रयास पर मुझे उसपर प्यार भी आया …….चलो अपने दोस्त के लिए साला कुछ तो कर रहा है ,….लेकिन मैं ये नहीं देखना चाहता था और मैंने वहा से जाने की सोची पर जैसे ही मैं अपने हेडफोन निकलने को था मैंने उनके बाथरूम के खुलने की आवाज सुनी ,………….यानि यानि वहा कोई भी है ,मैं थोडा सजग हो गया और अंदर देखने लगा .और जो देखा उससे मेरा खून सूखने लगा …
बाथरूम से एक सांड सा शख्स बहार निकलता है ,वो बहुत ही लम्बा चौड़ा था और पूरी तरह से नग्न था ,
“कितना समय लगा दिए तुम “लड़की की कोमल आवाज मेरे कानो में गूंज गयी उसका पति उसे देखकर मुस्कुराता है और लड़की को छोड़कर फिर से नीछे बैठ जाता है ,
“बस अपने को साफ़ कर रहा था ,तुमने अभी तक कुछ शुरुवात नही की क्या ,”वो शख्स रोबदार आवाज में उसके पति से कहता है
“अरे आज तो तुम दोनों का दिन है ,तुम ही ऐश करो मेरी तो बीवी है मुझे तो रोज ही करना है ,”उसका पति हस्ते हुए कहा ,मुझे अपने कानो पर विस्वास नहीं हो रहा था की ये क्या हो गया …..नहीं एक पति ऐसे कैसे कह सकता है ,
उस शख्स ने बिस्तर में चड़कर उस कोमल सी फूल को अपने बांहों में ले लिया और उसके नाजुक होठो को अपने होठो में भरकर चूसने लगा ,वो नाजुक सी घरेलु कलि उस सांड की बांहों में ऐसे समागई जैसे वो कभी थी ही नहीं ,उसके मासपेशिया देखकर मुझे किसी पहलवान की याद आ रही थी वो उसे हलके से ही पकडे था ,अगर वो थोड़ी ताकत लगा दे तो शायद वो लड़की वही मर जाय ….उसका पति ये सब आँख फाडे देख रहा था ,वो निचे बैठकर लड़की के जन्घो को फैलता है और उसके योनी से रिसते हुए पानी को चूसने लगता है ,लड़की की सिस्कारिया बढ़ने लगती है और वो उस शख्स को और भी जोरो से पकड़ लेती है और अपने होठो को उसके होठो को हवाले कर देती है ,वो शख्स उसके कमर को उठता है ,जैसे वो लड़की कुछ समझ चुकी थी वो उठकर उसके गोद में अपने कमर को रख देती है और साथ ही उसके ताने हुए विशाल और भयानक दिखने वाले लिंग को अपने गुलाबी और प्यारे से योनी में घुसाने की कोसिस करती है ,अब भी दोनों के होठ मिले हुए थे और इसलिए लिंग शायद उसकी योनी में सही तरह से नहीं जा पा रहा था ,उसका पति ये देखकर हसता है और अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उसके लिंग को अपनी प्यारी सी पत्नी के योनी में रगड़ता है लड़की की योनी रस से भरी हुई थी और इतने लसदार पानी से गीली थी की लिंग को भी भीगा देती है ,वो उसके होठो को छोड़कर एक आह भारती है और अपने पति की आँखों में देखती हुई धीरे धीरे उस विशाल लिंग को अपनी योनी में तब तक अंदर करती है जब तक की वो वहा जाकर गायब नहीं हो जाता ,एक जोरदार आह उसके मुह से निकल कमरे में गूंजने लगती है ,…..वो अपने पति को अपनी और खिचती है और उसके होठो में अपने होठो को मिला देती है दोनों ही बहुत ही उमंग और उत्तेजना से एक दूजे के होठो को चूसने लगते है ,तभी पीछे बैठा हुआ शख्स हलके से उसकी कमर उठता है ,मुझे उस शख्स का लिंग उसकी योनी से बहार आता दिखता है लेकिन थोडा बहार लाकर वो उसकी कमर को छोड़ देता है ,वो अपने भरी निताम्भो से गिरती है और फिर से उसकी योनी उसके लिंग अपने में समां लेती है पर इसबार आया हुआ दर्द या मजा उसकी आँखों में पानी बनकर दिखाई देता है……वो शख्स बार बार ऐसा कर रहा था और हर बार लड़की के मुह से एक भारी सी चीख निकल जाती थी ….आख़िरकार उसने अपने पति को छोड़ा और अपना सर घुमा कर उस शख्स के होठो को चूसने लगी और खुद उसके जन्घो में अपना हाथ रख उसके ऊपर कूदने लगी कभी धीरे धीरे कभी जोर जोर से ,उसका पति लिंग और योनी के जोड़ पर अपनी जीभ टीकाकार उसका पानी चूसने की कोसिस कर रहा था ,लेकिन उसका सर भी उसकी पत्नी के कमर के ऊपर नीचे होने के साथ साथ ऊपर निचे हो रही थी ,उसकी पत्नी जैसे उसे भूल ही चुकी थी और उसके पुरे शारीर पर उस सांड से शख्स का अधिकार हो चूका था ,वो उसके निताम्भो को अपने हाथो से मरता उसके वक्षो को अपने हाथो से दबाता सहलाता ,और उसके होठो को तो छोड़ ही नहीं रहा था ,उसकी आहे उसके होठो में घुल रही थी ,पर मजे की चीत्कार दबकर भी बहार तक आ रही थी ….
इधर मेरे लिंग में हरकत तो होने लगी थी पर साथ ही मैं उस लड़की की जगह काजल को देखने लगा था,मैंने अभी तक उस लड़की में काजल को ही देखा था और उसका नाक नक्श और अदाए भी काजल की तरह ही थी ,और शायद उसकी ये हरकत भी ,……मैं अजीब से कश्मकस में था एक ओर मुझे लग रहा था की मैं यहाँ से भाग जाऊ ,क्योकि मेरे आँखों में ये देखकर आंसू थे ,वही मेरा लिंग पूरी तरह से अकड़ चूका था और मेरा हाथ वहा जाकर उसे मसल रहा था,इशार काम लीला पुरे सबाब में थी इधर मेरी उत्तेजना भी बहुत बड रही थी ,साथ ही मेरा गुस्सा और ग्लानी और ना जाने क्या क्या ……….आखिर उनके इस खेल का अंत दोनों के एक चीख से हुआ लड़की चीख कर उस शख्स के ऊपर निढाल हो गयी ,एक संतुष्टि का भाव उसके चहरे पर था ,मेरी नजर जब निचे गयी तो मैंने देखा की उस शख्स का गढ़ा वीर्य उसकी योनी से रिस रहा है वो अभी भी हलके हलके धक्के लगा रहा था …और उस लड़की वो बड़े जोरो से पकड़ कर उसे चूमे जा रहा था ,वही उसका पति अब खड़ा हो चूका था और उस लड़की से लिपट कर उसके उजोरो पर अपने मुह को टीकाकार उसे चूसने की कोशिस कर रहा था ,थोड़ीदेर में लड़की ने आँखे खोली अपने पति को देखा और उसके होठो को चुमते हुए उसे थैंक्स कहा ,…..लड़के ने उसे मुस्काते हुए देखा
“जान अभी तो पार्टी शुरू हुई है ,”तीनो हसने लगे और लड़की फिर से अपने पति के होठो को चूसने लगी ,मैंने अपने बाजु में खड़े डॉ को देखा वो वहा नहीं दिखाई दिया मैंने इधर उधर देखा ,वो अँधेरे में खो गया था ,मुझे समझ आ गया की वो मुझे यहाँ छोड़ कर चला गया है ताकि मैं उसके कारन असमंजस की स्थिति महसूस ना करू ,……….मैंने अपने लिंग को छोड़ा अंदर फिर से शायद कुछ होने वाला था पर मैं अब देखने की हालत में नहीं था…मेरे लिंग की उत्तेजना भी अब खत्म हो चुकी थी और एक ग्लानी,शर्म,जलन और क्रोध का मिला जुला भाव मेरे अंदर समां चूका था …………….मैंने परदे खिचे और हेडफोन को वही लटकता छोड़ा और वहा से निकलने लगा ……….