Incest बरसात की रात (completed)

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दोस्तों आज मैं एक नई कहानी शुरू करने जा रहा हूं और यह कहानी मैं आशा करता हूं कि आप लोगों को जरूर पसंद आएगी,,, ,,, मुझे मालूम है कि पाठक को हमेशा गांव की कहानियां बेहद पसंद आती है इसलिए मैं आप लोगों के सामने एक बार फिर से गांव की कहानी लेकर आया हूं जिसमें सब कुछ है कामुकता रोमांचक था अंग प्रदर्शन और भी बहुत कुछ जो आप लोगों को कहानी के दरमियान पढ़ने को मिलेंगी और कहानी के चरितार्थ धीरे धीरे आप लोगों के सामने आती जाएंगे,,,मैं आशा करता हूं कि इस कहानी को भी आप लोगों का ढेर सारा प्यार और कमैंट्स मिलेगा जिससे मुझे कहानी को और बेहतर लिखने की प्रेरणा मिले
 
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गांव के बूढ़े बच्चे औरतें सभी लोग गांव के चौपाल पर इकट्ठा हुए थे क्योंकि आज फैसला आना था और मसला था लाला के 10 बीघा जमीन की जो की गांव वालों के जानवर के चरने के काम में आती थी,,, और गांव वालों के पशुपालन की उम्मीद भी यही दस बीघा खुली हुई हरियाली से भरी हुई जमीन थी जिस पर उनके जानवर चरते थे लेकिन लाला नहीं चाहता था कि अब गांव वालों के पशु उसकी जमीन पर चढ़े इसलिए वह गांव वालों को सख्त हिदायत दे रखा था कि अगर किसी भी गांव वालों का जानवर उसकी जमीन पर दिखाई दिया तो वह उसके जानवर को भी उठा ले जाएगा और उससे दंड भी लेगा,,
लाला के इस बात से पूरे गांव वाले परेशान थे लाला के सामने बोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती थी क्योंकि लाला बेहद हैरानी किस्म का इंसान था और उसके पास गुंडों का गुट था,,, जिससे जब चाहे तब वह किसी को भी मरवा पिटवा सकता था,,, इसलिए तो गांव वाले उससे कुछ बोल नहीं पाए,,लेकिन उनकी आखिरी उम्मीद थी गांव के मुखिया प्रताप सिंह पर जो कि गांव वालों के लिए एकदम भगवान की तरह थे क्योंकि आज तक उन्होंने ऐसा कोई भी फैसला नहीं लिया जिसमें गांव वालों का नुकसान हुआ जितना भी फैसला उन्होंने लिया सब गांव वालों के हक में हुआ और दूसरे गांव वाले खुश भी हैं और इसीलिए तो प्रताप सिंह की इज्जत गांव में बहुत ही ज्यादा थी,,
और आज दस बीघा खुली जमीन का भी फैसला प्रताप सिंह को ही करना था इसलिए तो गांव के सभी लोग चौपाल पर इकट्ठा हुए थे,,,
गांव के लोग आपस में ही कानाफूसी कर रहे थे क्योंकि उन्हें मालूम था कि अगर 10 बीघा जमीन का फैसला उनके हक में आ गया तो उनका पशुपालन अच्छे से चलता रहेगा वरना उन्हें पशुपालन बंद कर देना पड़ेगा क्योंकि दूसरी खुली जमीन इतनी नहीं थी और जो थी,,, वह ठीक बिल्कुल भी नहीं थी,,,
गांव वालों के बीच में दूसरों की ही तरह लेकिन कुछ ज्यादा ही चिंतित नजर आ रही थी कजरी,,, क्योंकि कजरी का जीवन यापन दूसरे गांव वालों की तरह ही पशुपालन और थोड़े से खेत में हो रहा था ,,, और बाकी गांव वालों की तुलना में बजरी के पास खेती की मात्रा और पशुओं की गिनती ज्यादा थी जिससे वह अपने घर का गुजारा चला ले रही थी,, अगर आज फैसला गांव वालों के हक में आ गया तो,, कजरी का घर पहुंच अच्छे से चल जाएगा ऐसा उसे उम्मीद थी लेकिन अगर फैसला उसके हाथ में नहीं आया तो उसे भी मजबूरन अपने जानवर को बैच देना पड़ेगा,,, इसीलिए उसके माथे पर चिंता की लकीर कुछ ज्यादा ही गहरी होती जा रही थी जैसे जैसे समय गुजर रहा था वैसे वैसे गांव वालों के साथ साथ कजरी के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, तभी उसके बगल में लगभग हांफते हुए ललिया आकर खड़ी हो गई और अपने गीले हाथ को अपनी साड़ी से पोंछते हुए कजरी से बोली,,,

क्या हुआ कजरी प्रताप सिंह जी आ गए क्या,,,?

नहीं रे उन्हीं का तो इंतजार है और रघु नहीं आया,,,,(इधर उधर देखते हुए कजरी बोली,,)

नहीं मैं कितना जोर जोर से दरवाजे को पीट-पीटकर थक गई लेकिन तुम्हारे लड़के की नींद खुले तब ना हो तो एकदम कुंभकरण की तरह सो रहा है,,,

क्या करूं इस लड़की का इतना बड़ा हो गया है लेकिन फिर भी अभी एकदम बच्चे की तरह ही रहता है बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता उसे की कौन जी रहा है कौन मर रहा है घर में कैसे भोजन का प्रबंध हो रहा है यह सब बिल्कुल भी मतलब का नहीं है उसके बस उसे खाने को चाहिए और आवारा दोस्तों की तरह गांव में घूमने को,,,

क्या करोगी कजरी आजकल पूरे गांव में इस उम्र के छोकरो का यही हाल है,,,,
(कजरी और ललिया दोनों एक दूसरे की पड़ोसन थी दोनों में काफी अच्छी बनती थी,, दोनों आपस में बात कर ही रही थी कि तभी प्रताप सिंह की बग्गी आती हुई नजर आई और सब लोग आंखों में आशा की उम्मीद लिए उसी तरफ देखने लगे,,,,)
 
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गांव वालों की नजरें जिस की राह देख रही थी उसकी बग्गी सामने से आती हुई नजर आ रही थी सबकी आंखों में चमक आ गई,,,, तभी चौपाल के बीचो बीच घोड़ा गाड़ी आकर खड़ी हुई घोड़ा बांध चाबुक मारकर घोड़े को वही खड़े रहने का इशारा किया और घोड़ा भी समझदार था वह चौपाल के बीचो-बीच खड़ा हो गया,,, तभी उसमें से अपनी मूछों पर ताव देते हुए प्रताप सिंह नीचे उतरे और साथ में उनके नौकर उनके आजू बाजू सर झुकाए खड़े हो गए,,,,
गांव वाले पहले से ही प्रताप सिंह जी के लिए अच्छी कुर्सी का प्रबंध करके वही रख दिए थे जिस पर प्रताप सिंह विराजमान हो गए,,,, उनको देखते ही गांव वालों में आपस में कानाफूसी शुरू हो गई,,, तभी प्रताप सिंह कुर्सी पर बैठे बैठे हाथ ऊपर करके सभी को खामोश रहने का इशारा किया,,, इतनी देर में वहां पर लाला भी आ गया जिसकी जमीन का फैसला होने वाला था,,,

देखिए मैं जानता हूं कि आप गांव वालों के लिए लाला जी की यह 10 बीघा खुली जमीन जो की हरियाली से भरी हुई है कितनी मायने रखती है,,,( बातें करते हुए प्रताप सिंह कभी लाला की तरफ तो कभी गांव वालों की तरफ देख ले रहे थे,,) और काफी सोच-विचार कर मैंने यह फैसला लिया है कि,,,,( इतना कहकर प्रताप सिंह खामोश हो गए और इधर-उधर देखने लगे उनके इस रवैया को देखकर गांव वालों की घिग्घी बंध गई,,, गांव वालों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि गांव के मुखिया प्रताप सिंह जी किस तरह का फैसला लेंगे,,, तभी प्रताप सिंह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले।)
वैसे तो कानूनी तौर पर कहा जाए तो जो कुछ भी लालाजी ने किया वह बिल्कुल सही है लेकिन इंसानियत के नाते यह बिल्कुल गलत है और कानून और इंसानियत की बात जब भी होती है इंसानियत को मैं पहले पक्ष में रखता हूं इसलिए मैं यह फैसला किया हूं कि। लालाजी की 10 बीघा हरियाली से भरी हुई जमीन वह संपूर्ण रूप से लाला की है उस पर किसी भी व्यक्ति या गांव वालों का बिल्कुल भी हक नहीं है लेकिन मेरे समझाने पर लाला जी इस बात के लिए राजी हो चुके हैं कि आप गांव वाले लोग अपने पशुओं को इस जमीन पर चराने के लिए खुला छोड़ सकते हैं ,,,,,( इतना सुनते ही गांव वाले खुशी से चिल्लाने लगे उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था खासकर के कजरी जो की खुशी के मारे ललिया की गले लग गई प्रताप सिंह गांव वालों को फिर से शांत कराने के लिए अपना हाथ ऊपर किए और गांव वाले फिर खामोश हो गए,,,,) लेकिन किसी भी प्रकार का किसी भी तरह से लाला की जमीन पर कोई भी कुछ भी बना नहीं सकता या किसी भी प्रकार का दावा नहीं कर सकता यह मेरा हुक्म और फैसला दोनों है,,,
( एक बार फिर से गांव वाले खुश होते हुए शोर मचाने लगे उन्हें शांत कराने के लिए इस बार प्रताप सिंह खुद कुर्सी पर से उठ खड़े हुए और सभी गांव वाले अपनी खुशी जताने के लिए उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेने लगे,,,,)

मालिक आपका यह फैसला हम गांव वालों के लिए जीवनदान है आपका यह फैसला हम लोगों के लिए आशीर्वाद की तरह है इसी तरह से आप हम गांव वालों का उद्धार करते रहिए,,,,( इतना कहकर एक बुजुर्ग जब प्रताप सिंह के पैर छूने लगा तो प्रताप सिंह उसका हाथ पकड़ कर उसे खड़ा कर दिया और उसे गले से लगाते हुए बोले ,,,,,


यह क्या कर रहे हैं आप मेरा तो यह फर्ज बनता है कि आपका वालों की खुशी का ख्याल रखो मैं जो भी कुछ किया हूं वह सब आप लोगों की भलाई के लिए किया हूं,,,

प्रताप सिंह जी की जय,,,,,, प्रताप सिंह जी की जय,,,,

गांव वाले नारा लगाने लगे और प्रताप सिंह के चेहरे पर खुशी के भाव झलक उठे वह जाने के लिए तैयार हो गए थे और जैसे ही बग्गी में बैठने के लिए पावा के बढ़ाएं कि तभी लाला आकर बोल पड़ा,,,,

प्रताप सिंह जी मुझे पूरा विश्वास है कि आप जो भी फैसला लेते हैं वह हमेशा सच ही फैसला होता है गांव वालों की भलाई के लिए,,,,

देखो लालाजी भगवान ने आपको बहुत कुछ दिया है अगर थोड़ा बहुत लोगों की मदद करने में छोड़ भी देंगे तो इसमें आपका कुछ कम नहीं होगा बल्कि भगवान आपको और भी देगा अब मैं चलता हूं अपना ख्याल रखना ,,,,,

इतना कहने के साथ ही प्रताप सिंह फिर से घोड़ा गाड़ी में सवार हो गए और घोड़ा वान घोड़ा गाड़ी आगे बढ़ा दिया। लाला वहीं खड़ा घोड़ा गाड़ी को आगे बढ़ते हुए धूल उड़ाते हुए देखता रहा लाला को यह फैसला मंजूर नहीं था लेकिन एक समधी होने के नाते उसे यह फैसला मानना ही पड़ा आखिरकार अपनी बेटी जो प्रताप सिंह के घर पर बिहा कर दिया है,,,,,

कजरी बहुत खुश थी,,,,वह ललिया से बातें करते हुए अपने घर की तरफ आ गई,,,, घर पर पहुंचते ही देखी की घर का दरवाजा खुला हुआ है और अंदर कमरे में रघु नहीं था,,,, खाली बिस्तर को देखकर वह मन ही मन में बोली,,,
देखा जब काम पड़ता है तो यह कभी भी हाजिर नहीं रहता चौपाल पर आज फैसला होने वाला था तो यह आराम से सो रहा था और जब फैसला हो गया तो यह अपने बिस्तर से गायब है जरूर रामू ही इसे जगा कर ले गया होगा,,,( रामू उसकी पड़ोसन ललिया का लड़का था जो कि रघु के ही उम्र का था दोनों में काफी बनती थी दोनों जहां जाते थे एक साथ जाते थे उठते बैठते खेलते दिखाते हमेशा साथ में ही रहते थे ,,, और कजरी का सोचना बिल्कुल सही था रघु अपने बिस्तर पर सो रहा था तो रामू भी उसे जगा कर बाहर ले गया था,,,,, कजरी हाथ में झाड़ू लेते हुए फिर से अपने मन में बड़बड़ाती हुई बोली,,,)
और यह शालू भी गायब है इसे बोल कर गई थी कि मेरे आने से पहले घर की सफाई कर देना लेकिन यह महारानी है कि इनको समझ में नहीं आता जब तक 10 बार ना बोला जाए,,,( शालू कजरी की ही लड़की थी जो कि रघु से बड़ी थी और वह तालाब पर कपड़े धोने गई थी,,,, कजरी घर में अकेली थी और वह अकेले ही घर की सफाई करना शुरू कर दी,,,)

रघु और रामू दोनों भागे चले जा रहे थे,,,, दोनों एक दूसरे को पीछे करने की होड़ में लगे हुए थे कभी रामू आगे हो जाता तो कभी रघु,,,, वह लोग जल्द से जल्द ऊंची टेकरी पर पहुंचना चाहते थे जिसके पीछे हरा-भरा मैदान ही मैदान था यह उसी 10 बीघा जमीन का हिस्सा था जिसका फैसला आज प्रताप सिंह ने गांव वालों के हक में करके गए थे,,,, थोड़ी देर में दोनों टेकरी के पास हाफते हुए पहुंच गए,,,,,

देखा रामू मैं तुझसे पहले पहुंच गया ,,,,,

तू नहीं मैं पहुंचा हूं पहले,,,,,( रामू रघु से बोला,,, दोनों इसी तरह से मैं पहुंचा में पहुंचा में लगे हुए थे तभी रघु शांत होता हुआ बोला,,,)

अच्छा चल तू पहुंचा,,,, जल्दी कर ऐसा ना हो कि नजारा देखने से पहले ही उस पर पर्दा पड़ जाए,,,
( इतना कहने के साथ ही दोनों थोड़ी सी ऊंची टेकरी पर चढ़ने लगे जिस पर ऊंची ऊंची घास ऊगी हुई थी चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी,,,, धीरे-धीरे करके दोनों ऊंची टेकरी पर चढ़ गए,,,, और वहां से छुपकर सामने खुले मैदान का नजारा देखने लगे जहां पर बड़े-बड़े पेड़ उगे हुए थे और बड़ी-बड़ी घास भी उगी हुई थी,,, दोनों इधर-उधर जहां तक नजर जा रही थी वहां तक नजर दौड़ा कर देखने लगे लेकिन वहां कोई भी नजर नहीं आ रहा था तो दोनों निराश हो गए रघु निराश होता हुआ बोला,,,।)

यार लगता है आज हम दोनों को इधर आने में देर हो गई देख कोई भी नहीं है,,,

हां यार आज सच में देर हो गई और यह सब तेरी वजह से हुआ है देर तक सोता रहता है मुझे ही तुझे जगा कर लाना पड़ता है,,,( रामू रघु से नाराज होता हुआ बोला,,,)

लेकिन यार ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ और ज्यादा देर भी नहीं हुई है,,,,( रघु बड़े-बड़े घास की ओट में छुपकर मैदान की तरफ इधर उधर देखता हुआ बोला,,,)

लेकिन आज तो हो गया ना अब चल यहां कुछ नहीं दिखने वाला,,,( रामू की निराशा भरी बातें सुनकर रघु भी उदास हो गया उसे भी लगने लगा कि आज कुछ दीखने वाला नहीं है और वह भी टेकरी से नीचे उतरने ही वाला था कि तभी कुछ लड़कियों के हंसने की आवाज आई तो वह चौकन्ना हो गया और फिर से उसी मैदान की तरफ देखने लगा कि तभी उसे चार पांच लड़कियों का झुंड वहां पर आता हुआ नजर आया,,,)

जल्दी,,,,,,-जल्दी रामू इधर आ जल्दी हमें देर नहीं हुई है शायद इन लड़कियों को ही देर हो गई है जल्दी आ देख,,,
( रघु एकदम चमकते हुए बोला तो रामू के चेहरे पर भी प्रसन्नता भरे भाव नजर आने लगे और वह भी झट से टेकरी के ऊपर चढ़ गया और घास की ओट में छिप कर सामने मैदान की तरफ देखने लगा जहां से चार पांच लड़कियां पेड़ की तरफ से आ रही थी,,,, रघु और रामू दोनों सामने मैदान की तरफ देखने लगे जैसे जैसे वह लड़कियां करीब आती जा रही थी वैसे वैसे दोनों के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी देखते ही देखते वह चार पांच लड़कियों का झूठ इतना करीब आ गया कि उन दोनों को एकदम साफ साफ नजर आने लगा कि वह लड़कियां कौन है कि तभी दो लड़कियों को पहचानते हुए रघु बोल पड़ा,,,)

अरे देख रहा हूं देख जल्दी तेरी बहन ने भी है रानी और चंदा,,,, कसम से रामू आज तो मजा आ जाएगा,,,( रानी और चंदा दोनों रामू की बड़ी बहने थी शादी की उम्र हो गई थी लेकिन पैसे की तंगी की वजह से अभी तक दोनों का रिश्ता नहीं हो पाया था दोनों में जवानी कूट-कूट कर भरी हुई थी,,,, या यूं कह लो उन लड़कियों के झुंड में सबसे खूबसूरत लड़कियां और रामू की दोनों बहने ही थी,,, रघु की हालत तो अभी से खराब होती जा रही थी उसके पेजआमए में उसके लंड गदर मचाना शुरू कर दिया था,,, रघु की बातें सुनकर रामू कुछ बोला नहीं क्योंकि उसे भी अपनी दोनों बहनों को कपड़े उतारते हुए देखने में आनंद आता था और वह कई बार अपनी बहन को नंगी भी देख चुका था आज उसके हाथ फिर एक बार मौका लगा था कि वह अपनी बहन की नंगी गांड के दर्शन कर सकें,,,, देखते ही देखते वह लड़कियां उन दोनों के लिए नहीं करीब आ गई कि उन दोनों को वहां से वह लड़कियां एकदम साफ नजर आ रही थी वह लड़कियां सभी थोड़ी थोड़ी दूरी पर लंबी-लंबी घांसो के बीच खड़ी हो गई,,,, और वालों की किस्मत इतनी अच्छी थी कि उन सभी लड़कियों की पीठ उन्हें दोनों की तरफ थी,,,, जहां से उन लोगों को उन सभी लड़कियों की मदमस्त गांड के दर्शन करने को अच्छी तरह से मिल रहा था,,,,)

रामू अब आएगा असली मजा आज तो मेरा दिन बन गया तेरी दोनों बहने अपनी सलवार उतार कर अपनी बड़ी बड़ी नंगी गांड दिखाएंगी कसम से मेरा लंड हीचकोले खा रहा है,,,,( शुभम पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए बोला और उसकी यह हरकत रामू देख रहा था लेकिन बोल कुछ नहीं रहा था अपनी बहनों के बारे में रघु के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर उसे भी मजा आ रहा था,, जो हालत रघु की थी वही हालत रामू की भी हो रही थी रामू के मन में भी अपनी बहनों की नंगी गांड देखने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,,, रखो अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर यह तसल्ली भी कर ले रहा था कि कहीं कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, देखते ही देखते बाकी की लड़कियां अपनी सलवार उतार कर वही बड़ी-बड़ी घास के बीच बैठ गई लेकिन रानी और चंदा दोनों अभी भी खड़ी होकर इधर-उधर देख रही थी तभी उनकी सहेलियां बोली,,,।)

अब देख क्या रही है यहां कोई आने वाला नहीं है बैठ जा जल्दी से,,,,
( उन लड़कियों की बात रामू और रघु दोनों को एकदम साफ सुनाई दे रहा था इसलिए वह उन लड़कियों की बात सुनकर रघु बोला,,,)

हाय,,,, रामू तेरी बहने शर्माती बहुत है,,,, कपड़े उतारने में और वह भी लड़कियों के सामने कसम से अगर मेरे सामने तेरी बहन ने इस तरह से शर्मा कर कपड़े उतारे तो मेरी तो किस्मत ही बदल जाए,,,,

तू बहुत हारामी है रघु मेरे सामने मेरी बहनों के बारे में ऐसी बातें करता है,,,

तुझे बुरा लगा है तो बोल दे मैं तेरे सामने कभी ऐसी बातें नहीं करूंगा लेकिन सच कहूं तो तेरी बहने इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि मैं तो तड़पता हूं तेरी बहनों को नंगी देखने के लिए,,,, अभी तु देखना तेरी बहने कैसे अपनी सलवार उतार कर अपनी नंगी नंगी गांड के दर्शन कराएंगी,,,,सहहहहह,,,,, मजा आ जाएगा,,,,
( रघु की गंदी बातें सुनकर रामू को ज्यादा नाराजगी नहीं दर्शा रहा था बस यूं ही ऊपरी मन से यह सब कह रहा था बाकी अंदर से तो उसे रघु कि इस तरह की गंदी बातें और वह भी उसकी बहन के बारे में सुनकर तो उसकी उत्तेजना बढ़ जा रही थी,,, तभी तो वह अपने पजामे में हाथ डालकर अभी से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया था,,,,। अपनी सहेलियों की बात सुनकर भी रानी और चंदा इधर-उधर देखकर पूरी तसल्ली के साथ अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी,,, जैसे-जैसे रानी और चंदा अपने सलवार की डोरी को खोलते जा रही थी वैसे वैसे रघु और रामू दोनों की हालत खराब होती जा रही थी,,,, रामू तो अपने पजामें को घुटनों तक सरका कर अपने लंड को हिलाना भी शुरू कर दिया था जब रघु ने उसकी तरफ नजर दौड़ाया तो उसकी हालत को देखकर हंसने लगा और बोला ,,,,)


साले मुझसे ज्यादा हरामी तो तू है कि अपनी बहन को नंगी होता हुआ देखकर खुद इतना मस्त हुआ जा रहा है कि अपना लंड हिला रहा है,,,। हिला हिला कोई बात नहीं लंड को तो सिर्फ बुर से मतलब होती है और वह किसकी है इससे कोई मायने नहीं रखता,,,
( रघु की बात सुनकर रामू बोला कुछ नहीं क्योंकि वह भी जानता था कि रघु जो कुछ भी कह रहा था वह बिल्कुल सच था वह बस सामने के नजारे को देखता हुआ मजा ले रहा था देखते ही देखते उन दोनों की आंखों के सामने दोनों ने अपने सरवार की डोरी खोल कर खड़ी हो गई अब रघु से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने उसकी हालत खराब कर देने वाली दोनों लड़कियां खड़ी थी जो कि उसके ही दोस्त की बहन थी अक्सर उन दोनों बहनों को देख कर रघु आहे भरता था,,,, हालांकि अभी तक उसे ऐसा मौका कभी नहीं मिल पाया था कि वह उन दोनों बहनों को नंगी देख सके लेकिन आज किस्मत से उसके हाथ ऐसा मौका मिला था और वह इस मौके को जाने नहीं देना चाहता था वह अच्छी तरह से जानता था कपड़ों के ऊपर से जब वह दोनों बहने इतनी खूबसूरत लगती है तो बिना कपड़ों के तो वह लोग कयामत लगती होंगी इसलिए उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी अपने पजामे को घुटनों तक नीचे खींच कर कर दिया,,,, पजामे के नीचे आते ही रघु का मोटा लंड जो कि एकदम मुसल की तरह था वह एकदम हवा में लहराने लगा,,,, और रघु अपने लहराते हुए लंड को अपने हाथ में लेकर उसे ऊपर नीचे करके अपने हाथ से हिलाते हुए रामू से बोला,,,,।

देख रामु तेरी दोनों बहनों को देखकर कैसा मचल रहा है मेरा लंड,,,,( रघु की बातें सुनकर रामू की नजर जैसे ही रघु के मोटे तगड़े लंड पर पड़ी आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया क्योंकि आज पहली बार हुआ रघु के लंड को देख रहा था भले ही उन दोनों की याद आती थी इस तरह से टेकरी पर आकर लड़कियों को शौच करते हुए देखने की लेकिन रामू तो अपने लंड को हिला कर पानी निकाल लेता था लेकिन रघु ने इस तरह की हरकत है रामू के सामने कभी नहीं किया था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके दोस्त की दोनों बहने थी जो कि अपनी सलवार की डोरी खोले खड़ी थी या गरमा गरम नजारा उसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह भी रामू की तरह अपना पहचाना उतार कर अपने लंड को हिलाना शुरू कर दिया था,,,, रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर रामू आश्चर्य से बोला,,,।

बाप रे रघु तेरा तो कितना मोटा और लंबा है,,,,

रामू बेटा यह मर्दाना ताकत से भरे हुए मर्द का लंड है,,,, मेरे लंड को देख कैसी तेरी हालत खराब हो गई तो सोच जब तेरी दोनों बहने मेरे लंड को देखेगी तो उनकी तो बुर गीली हो जाएगी,,,, कसम से रामू बहुत मजा आएगा तेरी बहन की बुर में लंड डालने में,,,

देख रघु ये अच्छी बात नहीं है मेरी बहनों के बारे में इस तरह की बातें मत कर,,,( रामू नाराजगी दर्शाते हुए बोला लेकिन यह सिर्फ ऊपरी मन से था अंदर से तो रघु की यह बातें उसे एकदम मस्त कर दे रही थी,,,,)

मैं तो करुंगा दोस्त क्या करूं मजबूर हूं तेरी दोनों बहने इतनी मस्त है कि उन्हें देखते ही लंड खड़ा हो जाता है अगर तेरी बहन तैयार हो तो मैं अभी यहीं पर दोनों की बुर में लंड डालकर उन दोनों की चुदाई कर दु और तू भी अपनी आंख से यह देख ले कि एक मर्द कैसे चुदाई करता है,,,


देख रहा हूं इस तरह की बातें मत कर मैं मम्मी को सब कुछ बता दूंगा,,,,

बता दे मेरे राजा फिर मैं अभी तेरी मम्मी को यह बता दूंगा कि तुम्हारी लड़कियां जब मैं दान करने जाती है तो तुम्हारा लड़का खुद अपनी बहनों को देखकर अपना लंड हीलाकर पानी निकाल देता है,,,
( रघु की यह बात सुनकर रामू बोला कुछ नहीं बस उसे देखता रहा,,, तभी रघु उन दोनों की तरफ देखा तो उसकी हालत खराब होने लगी बहुत दोनों अपनी सलवार को घुटनों तक कर दी थी और अब धीरे-धीरे अपने नाजुक उंगलियों के सहारे अपनी पैंटी को को पकड़कर उसे नीचे उतार रही थी,,, रघु की हालत खराब हुए जा रही थी रानी और चंदा की स्थिति को देखकर रघु जोर-जोर से अपने लंड को मुठियाना शुरू कर दिया,,,,,)
ससससहहहह,,,,, हाय मेरी चंदा और रानी क्या बात है तुमने दोनों की,,,,( ऐसा कहते हुए जोर-जोर से लंड को हिलाने लगा,,,, यही हालत रामू की भी थी लेकिन रघु की गंदी बातें जो कि उसकी बहन के बारे में थी उस गंदी बातों को सुनकर और अपनी आंख के सामने अपनी बहनों को इस तरह से सलवार उतार कर अपनी पेंटी उतारते हुए देखकर रामू से उन दोनों की जवानी बर्दाश्त नहीं हुई और उसके लंड ने पानी फेंक दिया,,, रामू की हालत देखकर रघु मुस्कुरा दिया और बोला,,,,,

बस अभी से तेरा शुररररर,,,, हो गया ऐसे कैसे तू अपनी बहनों की जवानी को शांत कर पाएगा देख मैं अपने लंड से तेरी दोनों बहनों की गर्म जवानी को ठंडा कर सकता हूं,,,,
( रामू अपनी बहनों के बारे में इतनी गंदी बातें रघु के मुंह से सुनकर बोल कुछ नहीं रहा था बस उन गंदी बातों का मजा ले रहा था और रघु के मोटे तगड़े लंड को देखकर एकदम आश्चर्य में था,,,, रघु रामू की दोनों बहनों को देखकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था धीरे-धीरे दोनों बहने एक साथ अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरका रही थी जैसे-जैसे उन दोनों की पैंटी नीचे होती जा रही थी वैसे वैसे रघु की आंखों के सामने उन दोनों बहने की नंगी गोरी गांड उजागर होते जा रही थी और उन दोनों की नंगी गांड देखकर रघु जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा था आखिरकार वह अपनी पेंटी को अपनी जांघो तक लाकर झट से नीचे बैठ गई और एक बेहतरीन खूबसूरत नयनरम्य दृश्य पर बड़ी बड़ी घांसो का पर्दा पड़ गया,,,, लेकिन रघु के लिए इतना काफी था कुछ सेकंड के लिए ही सही आज अपने मन की मुराद पूरी करने को तो उसे मिल गई थी आज वह चंदा और रानी दोनों की मदमस्त गांड के दर्शन जो कर लिया था वह जोर-जोर से अपने लंड को हिला रहा,,,, था,,, रामू भी अपनी दोनों बहनों की नंगी गांड को देखकर मस्त हो गया था लेकिन अब कुछ करने लायक नहीं था क्योंकि उसका पानी निकल गया था वह धीरे से अपनी पजामे को ऊपर चढ़ा दिया था,,,
बाकी की लड़कियों पर उन दोनों का ध्यान बिल्कुल भी नहीं था ऐसा नहीं था कि वह लड़कियां खूबसूरत नहीं थी लेकिन चंदा और रानी कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी उन दोनों का कसा हुआ बदन बदन का हर एक कटाव किसी भी मर्द का पानी निकाल देने में सक्षम था,,,, चंदा और रानी भी बड़ी-बड़ी घास की ओट में बैठकर सोच करने लगी थी जहां से कुछ नजर नहीं आ रहा था बस उन सब की पीठ ही नजर आ रही थी,,,,
रघु जोर-जोर से अपने लंड को जा रहा था अभी तक उसके लंड ने पानी नहीं फेंका था जो कि रामू के लिए यह एकदम आश्चर्य वाली बात थी,,,

कमाल है रघु इतनी देर से हिला रहा है लेकिन तेरा अभी तक पानी नहीं निकला है,,,,

यही तो मेरी खासियत है रामू अगर मैं किसी औरत की चुदाई करूं तो कम से कम एक घंटा तक उसकी जमकर चुदाई कर सकता है इतने में तो औरतों का दो तीन बार पानी निकल जाता है और मेरा सिर्फ एक बार,,,,

( रघु की बात सुनकर रामू पूरी तरह से आश्चर्य में था क्योंकि वह दो-तीन मिनट से ज्यादा नहीं ठहर पाता था और यह तो एक घंटा टीकने की बात कर रहा था,,,)

तो अभी तेरा पानी कब निकलेगा,,,,

तेरी दोनों बहनों की गांड के दर्शन जब तक दोबारा नहीं हो जाता तब तक देखना इसका पानी नहीं निकलेगा,,,
( बार-बार रघु रामू की बहनों के बारे में गंदी बातें कर रहा था लेकिन राह में बिल्कुल भी एतराज नहीं कर रहा था बस दिखावटी नाराजगी दर्शाने का नाटक भर कर रहा था,,, वापी देखना चाहता था कि जो रघु कह रहा है क्या वास्तव में वह सच है या ऐसे ही बंडल मार रहा है,,,, कुछ देर तक वह सभी लड़कियां वही बड़ी-बड़ी घास में बैठकर बातें करती रही और थोड़ी देर बाद जब वह सभी लड़कियां निपट लिए तो धीरे-धीरे करके एक एक लड़की खड़ी होने लगी और तभी दोनों बहने एक साथ खड़ी हुई और एक बार फिर से रघु और रामू दोनों को उन दोनों की मदमस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन हो गए,,,, जब तक चंदा और रानी दोनों अपनी सलवार पहनकर अपनी मदमस्त गांड को पर्दे में करती तब तक रघु जोर-जोर से हिलाता हुआ जैसे ही चंदा और रानी दोनों अपनी सलवार की डोरी को बांधने लगी तब जाकर रघु के लंड से पानी का फव्वारा निकल पड़ा,,,,,
रघु के द्वारा किए गए दावे को पूरा होता हुआ अपनी आंखों से देख कर रामू पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उसने सब कुछ अपनी आंखों से देखा था। ,,,, रघु पानी निकलने के बाद वही निढाल होकर घास पर ढेर हो गया था,,,, और लंबी लंबी सांसे लेते हुए हाफ रहा था,,,,

चंदा और रानी के साथ साथ बाकी की भी लड़कियां वहां से जा चुकी थी और यह दोनों ही वहां से वापस लौट आए,,,।
 
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कजरी आज बहुत खुश नजर आ रही थी मन ही मन में गाना गुनगुनाते हुए वह झाड़ू से सारे घर की सफाई कर चुके थे अब तक चालू घर पर वापस नहीं लौटी थी इसलिए वह मन ही मन उसे बुदबुदाते हुए भला बुरा भी कह रही थी,,,, क्योंकि अभी तक सूरज सर पर चढ़ाया था लेकिन अभी छोड़ा नहीं चला था आज उसे काफी देर हो चुकी थी क्योंकि आज जमीन का फैसला जो आना था और प्रताप सिंह जी ने जिस तरह का फैसला गांव वालों के हाथ में लिया था उसे सुनकर कजरी बहुत खुश थी,,, लेकिन वह चूल्हा देख कर नाराज हो गई क्योंकि अब तक वह रसोई घर का सारा काम कर चुकी होती थी लेकिन आज चौपाल पर जाने की वजह से उसे देर हो चुकी थी और वह अपनी बड़ी लड़की सालों से नाराज थी कि वह घर पर नहीं थी तो आज खाना भी नहीं बना कर रखे थे वैसे तो रसोई का सारा काम वह खुद ही करती थी लेकिन फिर भी कभी-कभी उसकी बेटी शालू उसका हाथ बटा लिया करती थी लेकिन आज वह कपड़े धोने के लिए नदी पर चली गई थी जिसकी वजह से आज रसोई का काम हो नहीं पाया था अभी उसे नहाना भी बाकी था इसलिए वह जल्दी जल्दी अपने कपड़े समेट कर घर के पीछे बने लकड़ी के सहायता से स्नानघर में घुस गई,,, इसे स्नानघर तो कहना उचित बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी यह नहाने के ही काम में आता था इसलिए इसे स्नानघर कहना ही उचित होगा जिसमें सिर्फ कजरी और उसकी बड़ी बेटी शालू ही नहाया करती थी,,,,
कजरी लकड़ी के बने उस छोटे से स्नान घर में प्रवेश कर गई अंदर घुसते ही वह लकड़ी के बड़े फुट्टे के सहारे से उस स्नानगर को बंद कर दी यह लकड़ी का बड़ा फुट्टा दरवाजे का काम करता था,,,,
अभी-अभी कजरी 40 साल की हुई थी गांव में छोटी उम्र में ही शादी कर दिया जाता है वैसा ही कजरी के साथ भी हुआ था छोटी उम्र में शादी कर देने की वजह से वह जल्दी ही मां बन गई दोनों बच्चों के जन्म के बाद उसका पति चल बसा वह ज्यादा ही शराब और बीड़ी पिया करता था,, जिसकी वजह से वह टीबी का मरीज हो गया था और टीबी का मरीज होने के बाद 6 महीने के अंदर ही वह दम तोड़ दिया तब से कजरी अकेले ही अपना जीवन यापन कर रहे थे अपने बच्चों के लालन पोषण में वह कोई भी कमी रहने देना चाह रही थी इसलिए वो दिन रात अपने खेतों में मेहनत करके अपने पालतू पशुओं के सहारे अपने बच्चों को संभाल रही थी,,,,
कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान औरत थी उसके बदन का हर एक अंग अपनी मादकता की अलग ही कहानी कहता था उसके अंगों का कटाव ऐसा लगता था कि जैसे भगवान ने खुद अपने हाथों से बनाया हो,,, एक खूबसूरत औरत को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए बदन में जहां जहां पर उभार की जरूरत होती है भगवान ने कजरी पर खुले हाथों से लुटाया था,,,, तीखे नैन नक्श गोरा बदन लेकिन धूप में काम कर कर के तीन अंगों पर वस्त्र नहीं होता था वहां का रंग थोड़ा दब चुका था,,,, बड़ी बड़ी काली आंखों को देखकर ही उसके मां-बाप ने उसका नाम कजरी रखा था,,,, मांसल भरावदार बदन पूरी तरह से गांव के हर एक मर्द को आकर्षित करता रहता था और सारे मर्द कजरी की तरफ आकर्षित भी थे जहां से चली जाती थी वहां लोग देखकर गरम आहे भरा करते थे,,,, उच्च मात्रा में घेराव दार ऊभारदार नितंबों को देखकर मर्दों का लंड खड़ा हो जाता था और तो और कजरी के रंगीन खयालों में गांव का हर मर्द लगभग अपने हाथ से ही अपना लंड हिला कर अपने आप को शांत करने की कोशिश करता था,,,, कुल मिलाकर गरीब होने के बावजूद भी खूबसूरती की धनी थी कचरी पूरे गांव की आकर्षण का केंद्र बिंदु थी कजरी,,, और अपनी ऐसी खूबसूरती के कारण गांव की औरतें उससे ईर्ष्या भी करती थी,,,। कुछ भी हो इन सब के बावजूद भी कजरी अपने आप को संभाल कर रखी थी अभी तक उसने अपने दामन पर एक भी दाग लगने नहीं दिया था पति की मृत्यु के बाद से अब तक वह संपूर्ण रूप से शादीशुदा होने के बावजूद भी कुंवारी थी क्योंकि बरसों बीत गए थे ना तो उसने किसी लंड के दर्शन किए थे और ना ही अपनी बुर के अंदर किसी भी लंड को प्रवेश करने की इजाजत दी थी,,, उसके लिए सावन भादो सब एक बराबर था,,,,,
अपने उस छोटे से लकड़ी के सहारे से बने सारा घर में प्रवेश करते ही खत्री अपने बदन पर से एक-एक करके अपने सारे वस्त्र उतारने लगी अपनी साड़ी को उतारकर वह एक किनारे रख कर अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर अपने ब्लाउज की डोरी को खोलने लगी,,, जैसे ही ब्लाउज की डोरी खींची हुई अपने आप ही उसकी बड़ी-बड़ी गोलाकार सूचियों सेकसी हुए ब्लाउज का घेराव ढीला होने लगा और देखते ही देखते खत्री ने अपने हाथों के सहारे से अपनी बाहों में से उस ब्लाउज को निकाल कर उसे भी एक किनारे कर दी ब्रा कैसी होती है यह कजरी को मालूम ही नहीं था कजरी को तो क्या पूरे गांव की औरतों ने अब तक शायद ब्रा पहनी ही नहीं थी। कजरी भी केवल ब्लाउज पहना करती थी इसलिए बदन पर से ब्लाउज के उतरते ही उसकी बड़ी-बड़ी गोल मोसंबी जैसी चूचियां अपना मुंह उठाए खड़ी हो गई,,,, उत्तेजना आत्मा की स्थिति में ना होने के बावजूद भी कजरी की सूचियों की निप्पल एकदम काजू की तरह गोल और सख्त थी,,, जिसे मुंह में भर कर चूसने का अपना अलग ही मजा था हालांकि यह सुख अभी तक कजरे ने अपने पति के सिवा दूसरे किसी भी मर्द को नहीं दी थी और इस सुख से उसका पति भी वंचित रहा था क्योंकि औरतों के साथ संभोग कला में वह एकदम नादान था,,,,,


ब्लाउज के उतरते ही कचरी अपने पेटीकोट की डोरी को अपने नरम नरम उंगलियों के सहारे खोलने लगी और देखते ही देखते पेटिकोट की डोरी के खुलते ही उसका पेटीकोट उसकी कमर से टूटते हुए तारे की तरह टूट कर नीचे गिर गया और उस छोटे से स्नानागार में कजरी की खूबसूरती पूरी तरह से नंगी हो गई लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं था,,,, सर से लेकर पांव तक वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी बाल खुले हुए थे एकदम घने काले,,, मोटी मोटी सुडोल जांगे एकदम दूधिया के रंग की जिसकी चिकनाहट देखकर शायद किसी का भी पानी निकल जाए और सबसे बेहतरीन जलवा तो कजरी की मदमस्त गांड का था जिस किसी की भी नजर कजरी की गांड पर पड़ जाए तो उसके मुंह से उफफ,,,,, निकल जाए,,,, कजरी की गरमा गरम मद मस्त जवानी किसी के भी वजूद को पिघलाने के लिए काफी थी,,,,,
कजरी की सुडोल चिकनी टांगों के बीच कि वह पतली सी दरार जिसके इर्द-गिर्द हल्के हल्के रेशमी बालों का झुरमुट सा बना हुआ था ऐसा लग रहा था कि मानो किसी पहाड़ी के बीच से झरना बह रहा हो,,,, झरने में डूबने के लिए दुनिया का हर मर्द तैयार बैठा हो,,,, कजरी की मदमस्त जवानी में दुनिया भर का नशा भरा हुआ था लेकिन उसके नशे का रसपान करने वाला शायद इस दुनिया में अभी तक पैदा नहीं हुआ था,,,, या यूं कह लो कि किसी की मजाल नहीं थी की कजरी के बदन को हाथ भी लगा सके वह हमेशा इन सब मामलों में तुरंत गुस्सा हो जाती थी और अपनी घास काटने वाली कटार उठा लिया करती थी जिससे किसी की हिम्मत नहीं होती थी कि कजरी के पास जा सके,,,,

इस समय कजरी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी नहाने के लिए दो बाल्टी में ठंडा पानी भरा हुआ था लेकिन नहाने से पहले उसे बहुत जोरों की पेशाब लग गई और वह उसी तरह से नीचे बैठकर पेशाब करना शुरू कर दी,,, कुश्ती लाजवाब नमकीन दूर से मधुर रस के समाज उसके पेशाब की धार बड़ी तेजी के साथ निकल रही थी और उसकी बुर से मधुर संगीत के रूप में बांसुरी रूपी धुन निकल रही थी जो कि अगर कोई उस धन को सुन लेता तो उसे इस बात का एहसास हो जाता कि कोई खूबसूरत औरत उसके आसपास ही पेशाब कर रही है और यह सोच कर ही उसका लंड खड़ा हो जाता,,,, बड़ी बड़ी गांड पर अपने दोनों हाथ रख कर कजरी पेशाब करने का आनंद लूट रही थी क्योंकि जैसे-जैसे पेशाब उसकी बुर से बाहर निकल रही थी वैसे वैसे उसका प्रेशर कम होता जा रहा था और उसे अपने बदन में आरामदायक महसूस हो रहा था,,, और देखते ही देखते वह मूत्र त्याग करके एक लोटे में पानी लेकर उसे अपनी बुर पर डालकर उसे साफ करने लगी साफ सफाई में कजरी बहुत ध्यान रखती थी खास करके अपने गुप्त अंगो का,,,
धीरे-धीरे करके कजरी बाल्टी से पानी लेकर उस ठंडे पानी को अपनी गर्म बदन पर डालने लगी,,, उसे राहत महसूस हो रही थी,,, कुछ ही देर में वह खड़े होकर अपने बदन पर पानी डालने लगी वह नहा चुकी थी कि तभी उसे अपने लकड़ी का दरवाजा हटता हुआ नजर आया,,,, अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगे कि तभी लकड़ी का दरवाजा एकदम से हट गया और जैसे कजरी की सांस ही अटक गई लेकिन सामने शालू को खड़ी देखकर उसकी जान में जान आई और वह बोली।

धत् मैं तो डर ही गई मैं समझी की ,,,,( अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर हाथ रखते हुए वह इतना बोल कर रुक गई,,)

क्या समझी यही कि रघु आ गया,,,( शालू दरवाजे पर खड़े होकर अपनी मां से नजरें घुमाते हुए बोली,,)

हां,,,( कजरी शरमाते हुए बोली,,,)

क्या मां तुम भी अगर रघु आ गया होता तो छुपाने जैसा कुछ भी नहीं था सब कुछ तो दिख रहा है तुम्हारा,,,, और यह तुम्हारी (अपनी नजरों को अपनी मां की बुर की तरफ करते हुए) बुर भी दिख रही है इसे देखकर तो तुम्हारा बेटा पागल हो गया होता,,,,

धत ईतनी बड़ी हो गई है लेकिन बात करने का तमीज नहीं है,,,,

इसमें तमीज वाली कौन सी बात है मां ((अपने साथ लाई हुई पानी की बाल्टी को उसी स्नानागार में रखकर वापस जाते हुए) तुम्हारा बेटा बड़ा हो गया है और इस उम्र में लड़कियां अक्सर औरतों के इन अंगों को घूरते ही रहते है,,,

चल चल तू जल्दी से खाना बना मेरा बेटा ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह तो बहुत सीधा साधा है,,,,

अरे वाह बहुत नाज है तुम्हें अपने बेटे पर,,,,

नाज क्यों ना हो,,,, पूरे गांव में कोई लड़का है जो मेरे बेटे की बराबरी कर सकें खूबसूरत भी है बिल्कुल मेरी तरह,,,

हां,,,हांंं,,, तभी घूमता रहता है तुम्हारा बेटा आवारा लड़कों के साथ,,,,

चल अब ज्यादा बहस मत करो पर जल्दी से खाना बना आज बहुत देर हो गई है,,,

तुम चिंता मत करो मां,,, अभी झट से खाना बना देती हुं( इतना कहकर शालू रसोई घर में चली गई और खाना बनाने की तैयारी करने लगी और कजरी गीले कपड़े धोने लगी और वह भी उसी तरह से एकदम नंगी ही,,, लेकिन तभी उसे अभी कुछ देर पहले जिस तरह से शालू एकाएक आ गई थी वह याद आ गया परवाह नहीं चाहती थी कि इसी तरह से कभी रघु आ जाए और उसे नंगे बदन को देख ले इसलिए वो झट से कपड़े धोने से पहले अपने सूखे हुए कपड़े पहन कर वापस कपड़े धोने लगी,,, भले ही मां बेटी में इस तरह की बहस हो जाया करती थी लेकिन दोनों में बड़ा प्यार था मां बेटी का रिश्ता होने के बावजूद भी दोनों एकदम सहेली की तरह रहती थी इसीलिए तो कजरी का परिवार एकदम खुशहाल जिंदगी जी रहा था,,,,
 
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कजरी नहा धोकर तैयार होती उससे पहले ही शालू ने खाना बना कर तैयार कर दी,,,, कजरी नहाकर धुले हुए कपड़ों को वहीं पास में रस्सी पर टांग कर रसोई घर में आ गई,,, आते ही छोटे से आईने में अपने खूबसूरत चेहरे को निहारने लगी,,, आईना इतना छोटा था कि उसमें केवल उसका चेहरा ही नजर आ रहा था और वह भी एकदम चांद सा खिला हुआ था अपनी खूबसूरत चेहरे को देखकर उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई,, अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर शालू बोली,,

क्या बात है मां आज इतना मुस्कुरा क्यों रहीं हो,,,

क्यों अब मुस्कुराने पर भी पाबंदी है क्या,,,? ( कपड़े के नाम पर कजरी मात्र अपने पेटिकोट को ऊपर चढ़ा कर उसकी डोरी को अपनी बड़ी बड़ी चूचियों पर बांध रखी थी वह भी इसलिए कि कहीं अचानक उसका लड़का आ जाए तो उसके नंगे बदन को देख ना ले,,, कजरी अपनी पेटिकोट के नीचे की छोर को पकड़कर उसे हल्का सा ऊपर की तरफ उठाए हुए थी और खुद थोड़ा सा झुकी हुई थी जिससे वह अपने गीले बालों को साफ कर रही थी,,, लेकिन पीछे बैठी हुई शालू अपनी मां की इस हरकत की वजह से मुस्कुरा रही थी क्योंकि कजरी के इस तरह से थोड़ा सा झुकने और अपने पेटिकोट को थोड़ा सा ऊपर उठाने की वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी पर बेहद गदराई हुई गांड नजर आ रही थी और वह भी पूरी नहीं बस गदराई गांड के नीचे वाला हिस्सा जिससे उसके बीच की दरार बेहद मादक लग रही थी,,, उसे मुस्कुराता हुआ देखकर कजरी बोली,,,,

अब तू इतना क्यों मुस्कुरा रही है,,,

नहीं बस ऐसे ही ऐसी कोई बात नहीं है,,,( शालू इतना कहते हुए भी अपनी नजरों को अभी मां की मदमस्त गांड पर गड़ाए हुए थी,,, जिससे कजरी उसकी नजरों का पीछा करते हुए समझ गई की वह क्या देख रही है,,,, अपनी बेटी की इस हरकत पर वह भी मुस्कुरा दी लेकिन वह अपने पेटिकोट को अपने हाथों से छोड़ी नहीं वह पहले की तरह ही अपने बालों को साफ करती रही,,, और बालों को साफ करते हुए वह बोली,,,।)

ऐसा लग रहा है कि जैसे पहली बार देख रही है,,,

नहीं मैं देखी तो बहुत बार हूं लेकिन आज कुछ ज्यादा खूबसूरत लग रही हो,,,,

मैं लग रही हूं या,,,,,( इतना कहकर वह वापस बालों को अपने पेटीकोट से साफ करने लगी अपनी मां का कहने का मतलब शालू समझ गई थी इसलिए वह बोली।)

तुम भी खूबसूरत लग रही हो मां और तुम्हारी ये,,, गांड भी,,( गांड शब्द शालू ने बेहद धीरे से और शरमाते हुए बोली थी,, अपनी बेटी की इस तरह की बात सुनकर कजरी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी क्योंकि शालू का इस तरह की बातों का मतलब उसकी तारीफ करना ही था इस उमर में भी एक लड़की के द्वारा अपने खूबसूरत नितंबों की तारीफ सुनकर वह मन ही मन गर्व महसूस कर रही थी,,, कजरी अपने बालों को साफ कर ली थी और कंगी लेकर अपने बालों को सवारते हुए बोली,,,)

तू पागल हो गई है शालू अब इस उमर में यह इतनी खूबसूरत थोड़ी रह गई है अब तो तेरे दिन हैं जरा आईने में अपना चेहरा देख कितनी खूबसूरत लगती है एकदम चांद का टुकड़ा और जैसा तेरा खूबसूरत चेहरा है वैसी तेरी( जोर से शालू की गांड पर चपत लगाते हुए) गांड है मुझसे भी बहुत खूबसूरत,,,

आहहहहह,,,, मां,,,,,( गांड पर जोर से चपत लगने की वजह से उसके मुंह से आह निकल गई ) ,,,,लेकिन मां तुम्हारे जैसी खूबसूरत और गदराई हुई नहीं है,,,,।

हो जाएगी मेरी रानी बेटी समय के साथ वो और भी खूबसूरत हो जाएगी,,,,
( अपनी मां का कहने का मतलब समझ कर शालू एकदम से शरमा गई और अपनी नजरें झुका कर बोली।)

क्या मां तुम भी,,,,( ऐसा क्या करवा अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर ली लेकिन कजरी अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों हाथों से सालों के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ बड़े प्यार से करते हुए बोली,,,)

अब तू शादी लायक हो गई है,,, कोई अच्छा सा लड़का मिल जाए तो मैं तेरे हाथ पीले कर दूं,,, तू मुझे तेरी चिंता सताए जाती है कोई अच्छा सा रिश्ता मिल जाए तो समझ लो गंगा नहा ली,,,

क्या मां जब देखो मेरी शादी की बात करती रहती हो मैं तुमको छोड़कर नहीं जाने वाली,,,( ऐसा कहते हो शालू अपनी मां के गले में बाहें डाल कर उसके गले से लग गई,,,)

जाना तो पड़ेगा बेटी लड़की का असली घर उसका ससुराल होता है,,,,( इतना कहते हुए कजरी का दिल भर आया क्योंकि वह जानती थी वह चाहे या ना चाहे शादी करके उसे इस घर से विदा करना जरूरी भी था शादी लायक हो चुकी थी लेकिन अभी तक कोई अच्छा सा लड़का नहीं मिला था इसलिए वह उसके हाथ पीले नहीं कर पाई थी,,, अच्छी तरह से जानती थी कि जवान लड़की का इस तरह से घर में रहना उचित नहीं था क्योंकि बहुत बार ऐसा होता है कि लड़कियां अपनी जवानी को संभाल नहीं पाती और शादी से पहले बदनाम हो जाती है जिससे उनकी शादी में बहुत दिक्कत है आती है इसलिए कजरी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी कि उसके साथ कुछ ऐसा हो वैसी के जल्द से जल्द अपनी बेटी सालु का ब्याह कर देना चाहती थी,,, वह साली को अपने गले से अलग करते हुए बोली,,, अपना काम कर मुझे कपड़े बदलने दे,,,, शालू वापस जाकर उसी जगह पर बैठकर खाना परोस ने लगी और कजरी अपने पेटिकोट की डोरी को ढीली करके पेटीकोट को नीचे छोड़ दी देखते ही देखते शालू की आंखों के सामने उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो गई,,, अपनी मां की खूबसूरत नंगे बदन को देख कर शालू के मुंह से आह निकल गई शालू को भी अपनी मां के खूबसूरत बदन पर गर्व होता था क्योंकि उसके साथ की उम्र की औरतें बुड्ढी हो चली थी लेकिन कजरी अभी भी पूरी तरह से जवान थी या यूं कहने की इस उम्र में अब उसकी दूसरी बार जवानी शुरू हुई थी। कजरी की मदमस्त गोल-गोल नंगी गांड देखकर शालू को इस बात का एहसास होता था कि भले ही वो इतनी जवान लड़की है लेकिन फिर भी वह अपनी मां की मदमस्त जवानी और उसके खूबसूरत बदन के हिसाब से पूरी तरह से फीकी ही है,,,। अपनी मां की खूबसूरत गदर आई बदन को देख कर सालों खुद शर्म से पानी-पानी हो जाती थी क्योंकि उसे भी अपनी मां की तरह गदराया बदन बड़ी मदमस्त गदराई हुई गांड और गोल-गोल चुची की चाह रहती थी,,, लेकिन इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी मां की तरह गदराई बदन की मालकिन बनने के लिए उसे शादी करना जरूरी था या तो पुरुष संसर्ग,,,,,
दुनिया के रीति रिवाज के मुताबिक वह शादी तो करने को तैयार थे लेकिन किसी गैर पुरुष के साथ संबंध बनाने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं किया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से उसकी परिवार की इज्जत खराब हो,,, खाना परोसते हुए शालू अपनी मां की मदमस्त नंगी जवानी को देखते जा रही थी और खाना परोसे जा रहे थी,,,, तीन थालियां लगाते हुए देखकर कजरी अपनी दूसरी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए जो कि पहली वाली बालों को साफ करने की वजह से गीली हो चुकी पेटीकोट को निकालकर कर वहीं नीचे जमीन पर रख दी थी,,, वह अपनी पेटीकोट की डोरी बांधते हुए शालू से बोली,,,)

तू खाना खा ले शालू रघु आ जाएगा तब मैं खाना खा लूंगी,,,

क्या मैं तुम भी उसका इंतजार कर रही हो जानती हो ना वह कब आएगा उसका कोई ठिकाना नहीं है अपने आवारा दोस्तों के साथ घूम रहा होगा कहीं,,,

तू खा ले शालू मैं उसके साथ ही खाऊंगी तू तो जानती ही हैं बिना उसको खिलाए मैं कभी नहीं खाती,,,,

हां जानती हूं जैसा तुम कहो,,,,,( इतना कहकर शालू दो थाली को बगल में रख दी और अपने लिए खाना परोसने लगी और कजरी कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गई अपने खेतों की तरफ,,,,
 
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कजरी रघु के साथ हमेशा खाना खाती थी भले ही कितनी भी देर हो जाए इसी आदत बस वह अपनी बेटी के साथ खाना नहीं खाई और घर से बाहर निकल गई,,, कजरी खेतों में पहुंचकर हरी हरी घास काट रही थी,,, अपने पालतू जानवर के लिए,,,,सूरज सर पर चढ़ा हुआ था जिससे धूप काफी लग रही थी,,। कजरी अकेले ही अपने खेतों में बैठकर हरी हरी घास काट रही थी और उसे उखाड़ रही थी,,, तभी दूर कच्चे रास्ते से लाला गुजर रहा था और उसकी नजर खेतों में बैठकर घास काटती हुई कजरी पर पड़ गई,,, लाला के मन में हजारों अरमान एक साथ मचलने लगे,, गांव के बाकी मर्दों की तरह ही लाला भी कजरी की तरफ पूरी तरह से आकर्षित था खास करके उसकी गोल-गोल चुचियों की तरफ जो कि अक्सर ब्लाउज में पूरी तरह से कैद नहीं हो पाती थी और आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को झलकती रहती थी,,, जिसे देखकर लाला के मुंह में पानी आ जाता था,,,, कजरी को देखकर लाला अपने आप को रोक नहीं पाया और सीधा खेतों में घुस गया,,, उसके हाथ में छतरी थी जो कि वह छतरी को खोल कर अपने आप को कड़ी धूप में ठंडक देने की कोशिश, कर रहा था,,, कजरी इस बात से अनजान की लाला उसे देखकर उसके पीछे पीछे खेतों में आ गया है वह अपनी मस्ती में गीत गुनगुनाते हुए हरी हरी घास को काट रही थी,,, तभी कड़ी धूप में उसे अपने ऊपर ठंडी छांव का अहसास हुआ तो वह अपने पीछे देखने लगी,,, जो कि ठीक उसके पीछे खड़े होकर लाला उसकी चिकनी नंगी पीठ को नजर भर कर देख रहा था और पीठ के नीचे का नजारा तो उसे जन्नत का नजारा लग रहा था,, क्योंकि जिस तरह से खेत में घासो के ढेर के बीच में बैठी हुई थी,,, उस वजह से उसकी पेटीकोट का वो हिस्सा जिसमें से डोरी गुजरती है वह थोड़ा सा नीचे की तरफ सरक गया था,,, जिसकी वजह से कजरी के घेराव दार गांड का ऊपरी हिस्सा हल्की-हल्की दरारों के साथ नजर आ रहा था,,, बस उतना नजारा देखते ही लाला का दिल हरा हो गया उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,, पल भर में ही उसकी धोती में उसका तंबू तनना शुरू हो गया,,,, क्योंकि मात्र कजरी की मदमस्त गांड की ऊपरी हिस्से की हल्की सी दरार देखते ही,,, लाला पलभर में ही यह कल्पना करने लगा कि,, बिना पेटीकोट की कजरी की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड कैसी दिखती होगी,,,ऊफफ,,, मजा आ जाता होगा,,,,, लाला यह सब सोचकर अपने मन में ही बड़बड़ा रहा था,,, कई बार तो कजरी की भारी-भरकम घेराव दार गांड को मात्र कसी हुई साड़ी में उसका हलन चलन कामुकता भरा मटकना देखकर ही लाला का पानी निकल चुका था,,, कचरी की मादकता भरी गांड की हल्की सी दरार के दर्शन करके लाला कुछ और कल्पना के घोड़े दौड़ाता इससे पहले ही अपने ऊपर कड़ी धूप में ठंडक भरी छांव का अहसास होते ही कजरी पलटकर पीछे देखी तो पीछे लाला खड़ा था,,, उस पर नजर पड़ते ही कजरी एकदम क्रोध से भर गई लेकिन वह अपने क्रोध को अपने चेहरे पर लाना नहीं चाहती थी इसलिए उसे देखते ही मुस्कुरा दि क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी,, के लाला चोरी-छिपे उसके खूबसूरत अंगों को ताडता रहता है,,,। और लाला काफी धनवान व्यक्ति होने के साथ-साथ बहुत ही हरामी इंसान भी था यह बात पूरा गांव जानता था,,, और लाला गांव वालों की मजबूरी का फायदा उठाकर नहीं पैसे उधार में देता था और ना चुकाने पर उनकी जमीन हथिया लेता था,, और अगर कोई गांव वाला ऐसा करने से इंकार कर देता था तो अपने भाड़े के पालतू गुंडों से उन्हें पिटवाता था,,, और तो और कजरी ने तो यहां तक सुन रखी थी कि कई बार जब पैसे नहीं मिलते थे तो उधार लेने वाले की बहू बेटि यां ऊसकी बीवी के साथ रात गुजारता था,,, जिसका विरोध चाह कर भी कोई गांव वाला नहीं कर पाता था,,,। यह सब बातें जानकर कजरी लाला से नफरत करती थी उससे डरती भी थी कि कहीं लाला उसके साथ जोर जबरदस्ती ना करने लगे,,, इसलिए लाला को इस तरह से अपने पीछे खाना हुआ देखकर भी वहां गुस्से को दबा ले गई और मुस्कुराते हुए उसकी तरफ घूम गई,,,।

क्या बात है लाला जी इतनी कड़ी धूप में आप यहां खेतों में क्या कर रहे हैं,,

कुछ नहीं कजरी मैं तो यह देखने आया था कि प्रताप सिंह के फैसले से आप लोग खुश तो हो ना,,

खुश क्यों नहीं होंगे लाला,,, आखिर सब गांव वाले यही तो चाहते थे,, प्रताप सिंह जी के फैसले पर पूरा गांव खुश है,,,

सच कहूं तो कजरी मुझे भी अच्छा ही लग रहा है कि फैसला तुम गांव वालों के पक्ष में चला गया,,,, मुझे भी इस बात का एहसास हुआ कि मेरी वह 10 बीघा जमीन गांव वालों के उद्धार के लिए ही बनी हुई है,,,(लाला अपने चेहरे पर बनावटी खुशी लाता हुआ कजरी से बोला।)

लाला यह तो आपका बड़प्पन है कि अपनी इतनी ढेर सारी जमीन गांव वालों के उद्धार के काम में लगा दिए हैं वरना आजकल कोई अपनी 1 इंच जमीन भी नहीं छोड़ता,,,(कजरी फिर से घास को काटते हुए बोली लेकिन लाला को देखकर हड़बड़ाहट में कजरी अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक से अपने कंधे पर रख नहीं पाई जिसकी वजह से कजरी के छोटे से ब्लाउज में से उसकी भारी भरकम गोलाकार चूचियां बाहर छलकती हुई नजर आने लगी,, जिस पर लाला की नजर पड़ते ही उसकी आंखें चौंधिया गई उसके मुंह में पानी आ गया,,, लाला आंखें फाड़े कजरी की भारी-भरकम दूधिया चुचियों को देखने लगा,,,, लाला को अपने बेहद करीब खड़ा हुआ देखकर कजरी अंदर ही अंदर घबरा गई थी और अपनी सी घबराहट को दूर करने के लिए वह अपना ध्यान घास ऊखाडने में लगा रही थी,,,
लेकिन वो इस बात से बेखबर थी की उसकी इस हड़बड़ाहट की वजह से उसकी साड़ी का पल्लू उसकी चौड़ी छातियों से नीचे गिर गया था जिसकी वजह से उसकी मनमोहक गोलाईयां नजर आ रही थी,,, जिसको देखकर लाला अपनी आंख सेंक रहा था और लार टपका रहा था,,,।)

यह मेरा बड़प्पन नहीं कजरी यह तो एक तरह से भगवान का ही फैसला है,, बस तुम लोगों की मदद करने के लिए भगवान ने मुझे जरिया बनाया है,,,(इतना कहते हुए लाला नजर भर कर कजरी की मदमस्त चुचियों का दीदार कर रहा था,,, धोती में उसका लंड मचल रहा था,,, और वह अपनी छतरी से उसकी छाया बराबर कजरी पर छाया हुआ था,,, कड़ी धूप में घास काटने की वजह से कजरी के बदन पर पसीने की बूंदें उपसने लगी थी जो कि उसके खूबसूरत अंगों पर मोती की तरह चमक रही थी,, पसीने की कुछ बूंदे उसकी मदमस्त चुचियों की गोलाईयो पर भी उपसी हुई थी,,, जोकि कजरी की गोलाइयों को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी,,,, कजरी लाला की बात का जवाब देने के लिए अपनी नजरों पर की ही थी कि लाला की बेधक नजरों को अपनी छातीयों पर धंसता हुआ पाकर वह एकदम शर्म से लाल हो गई और वह तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू उठा कर अपनी छातियों पर रखकर बेहतरीन नजारे पर परदा गिरा दी,,,, कजरी की इस हरकत की वजह से लाला अपना मन मसोसकर रह गया,,,, और कजरी लाला की इस हरकत पर शर्म और घबराहट का मिलाजुला असर दिखाते हुए लड़खड़ाते स्वर में बोली,,,)

लललल,,,,लाला,,जी,, अब बड़े आदमी हैं,, इसलिए ऐसा कह रहे हैं,,,,(कटी हुई घास को अपने दोनों हाथों से इकट्ठा करते हुए कजरी माहौल को संभालते हुए बोली,, लेकिन कजरीमाहौल को जितना संभालने की कोशिश कर रही थी उसकी हरकतों की वजह से माहौल पूरी तरह से और बिगड़ता जा रहा था बिगड़ता क्या जा रहा था पूरी तरह से घर माता जा रहा था और वह भी लाला के लिए,,, क्योंकि अपनी साड़ी के पल्लू को जल्दी से कजरी ने अपनी छातियों पर डाल दी थी लेकिन,, घुटने मोड़ के वह कुछ इस तरह से बैठी थी कि उसकी साड़ी घुटनों से ऊपर चढ़ गई थी जिसकी वजह से उसकी टांगों के बीच काफी जगह बन चुकी थी जिसमें से बहुत कुछ नजर आ रहा था और लाला का ध्यान तुरंत कजरी के साड़ी के बीचो-बीच चला गया। लाला तो उस गरमा गरम नजारे को देखकर एकदम से पागल हो गया उसकी सांसो की गति तेज हो गई क्योंकि लाला को कजरी की साड़ी के अंदर का कुछ दूरी तक का हिस्सा नजर आ रहा था जिसमें उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघें नजर आ रही थी,, कजरी की गोरी गोरी जाओगे एकदम सुडौल थी मांसल थी,, जिसे देखते ही लाला की धोती मैं हाहाकार मच गया,,,,कजरी दोनों हाथों से कटी हुई खास समेटने में लगी हुई थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसकी जवानी का मद मस्त छलकता हुआ वह हिस्सा नजर आ रहा था जिसे देखने के लिए गांव का हर मर्द नजरे बिछाए बैठा था,,,लाला पागलों की तरह अपनी नजरों को ऊपर नीचे आगे पीछे करते हुए साड़ी के अंदर की गहराई को देखने की पूरी कोशिश कर रहा था,,, लाला की किस्मत खराब थी और कजरी की किस्मत जोरों पर थी,,, क्योंकि लाला कजरी की साड़ी के अंदर झांकने की भरपूर कोशिश कर रहा था लेकिन वह खूबसूरत अंग नजर नहीं आ रहा था इसे देखने की चाह लाला अपने मन में दबाए हुए था,, क्योंकि साड़ी के अंदर पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था,,, और कजरी की मदमस्त जवानी का वह बेहतरीन खूबसूरत अनमोल अंग इतना सस्ता नहीं था कि बिना कोशिश किए ही वह किसी को भी नजर आ जाए,,, ऐसा लग रहा मानो कजरी की मदमस्त जवानी से लगता हुआ वह खारे पानी का झरना घनघोर घाटियों से घिरा हुआ था, जहां पर पहुंचना आम इंसान के बस की बात नहीं थी,,,
लाला अभी भी पूरी कोशिश में था कि जरा सा ही सही पर कजरी का वह खूबसूरत अंग नजर आ जाए,,, ऊतने से ही वह काम चला लेगा,,, लेकिन लाला की किस्मत खराब थी मोटी मोटी जांघों के आगे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था,,,
कुछ देर तक खामोशी छाई रही तो कजरी अपनी नजर एक बार फिर से ऊपर की तरफ उठाई और इस बार तो उसका दिल धक से करके रह गया वह पूरी तरह से घबरा गई,,जब उसे इस बात का अहसास हुआ कि इस बार लाला की नजरें उसकी साड़ी के अंदर कुछ ढुंढ रही हैं तो वह पूरी तरह से हड़बड़ा गई,,, अब कजरी के लिए वहां एक पल भी रुकना अच्छा नहीं था,, कजरी तुरंत कटी हुई घास के ढेर को उठाई और वहां से चलती बनी,, कजरी को युं अपनी गांड मटकाते हुए जाते देखकर लाला पागल हुआ जा रहा था,,, लाला के सांसो की गति तेज चल रही थी,, वह वहीं पर खड़े हुए ही कजरी को आवाज देकर उसे रोकने की कोशिश करते हुए बोला।

रुको कहां जा रही हो,,, रुको कजरी रानी,,,,, कहां जा रही हो इतनी कड़ी धुप में,,,,

लाला पीछे से आवाज देता रहा लेकिन कजरी पलट कर पीछे देखी भी नहीं वह सीधा अपने घर पर जाकर रुकी,,,
 

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