Incest बरसात की रात (completed)

Member
437
722
93

रघु सालु को कुछ ही देर में घर पर लेकर आ गया शालू को देखते हुए उसकी मां बहुत खुश हुई,,,, कजरी अपने मन में सोच रही थी कि भले ही उसकी बेटी कैसी भी हो लेकिन उसके लिए थी तो उसके जिगर का टुकड़ा है इसलिए तो उसके दूर रहने पर उसका मन कचोट रहा था लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने देखते ही वह फिर से खुश हो चुकी थी और उसे गले लगा कर रोने लगी थी,,,,। शालू के मायके वापस लौटने की खबर सुनते ही उसकी सहेलियां भी उससे मिलने के लिए आ गई और हाल-चाल पूछने के बाद वापस अपने अपने घर लौट गई,,,

शालू के मन में अभी भी ससुराल वाला दृश्य घूम रहा था जहां पर उसकी सास अपने कमरे में अपने ही पति की आंखों के सामने उसके भाई का लंड अपनी बुर में ले रही थी,,, शालू ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह उसके लिए बेहद अजीब था,,,क्योंकि बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि उसके परिवार में और जमीदार के परिवार में जमीन आसमान का फर्क था तो उसकी किस्मत अच्छी थी कि जमीदार की परिवार की बहू बन चुकी थी लेकिन यह बात उससे अभी भी हजम नहीं हो रही थी,,, कि जमींदार की बीवी उसके भाई के साथ शारीरिक संबंध बनाती है,,, क्योंकि वह बड़े घर की बहू थी मालकिन थी,,,, लेकिन जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसे झुठलाया भी नहीं जा सकता था,,और उसके भाई ने भी तो खुद ही बताया था कि जब उसके मायके ले जा रहा था तभी यह संबंध स्थापित हुआ था,,,, शालू अपनी भाई की बातों पर गौर कर रही थी पर अच्छी तरह से इन बातों को समझ रही थी क्योंकि जो कुछ भी उसके भाई ने बताया था वह बिल्कुल सच ही था क्योंकि उसकी सास अभी भी पूरी तरह से जवान थी और उसके ससुर बूढ़े और बिस्तर पकड़ लिया था ऐसे में औरतों का अरमान उनकी खुशियां भी मायने रखती है,,,,और इसीलिए जमीदार की बीवी और बड़े घर की बहू होने के बावजूद भी वह रघु के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी खुशी पूरी कर रही है,,, और इस कार्य में उसकी जेठानी राधा भी शामिल थी,,,,वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई सच ही कह रहा था कि वह दोनों उसके लंड की दीवानी हो चुकी हैं जैसे कि वह खुद हो चुकी थी और अभी भी है,,, एक बार रघु का लंड कोई भी औरत अपनी बुर में ले ले तो दोबारा लिए बिना उसका मन नहीं मानता और यही सब कुछ हो गया था इस बात पर वह खुद मुस्कुरा दी,,, और घर के काम में हाथ बटाने लगी,,, उसकी मां खेतों पर जा चुकी थी,,, रघु इधर-उधर घूम कर मटरगश्ती कर रहा था सॉरी इस बात से अनजान थे कि उसकी और उसके भाई के बीच की हकीकत को उसकी मां अच्छी तरह से जान चुकी थी और रघु से कबूल भी करवा ली थी,,, इसलिए वहइस संबंध में पूरी तरह से निश्चित की और अपने भाई का ही इंतजार कर रही थी क्योंकि शादी के बाद बिरजू उसे रोज चोदता तो था लेकिन उसे पूरी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता था,,,,दिन-रात बिरजू के साथ होने के बावजूद भी वहां अपने भाई का ही सपना देखती रहती थी और आज अपने घर पर पहुंचने के बाद वह अपनी इच्छा पूरी कर लेना चाहती थी,,,, घर का सारा काम करने के बाद वह,,, घर में चारपाई पर लेट कर आराम कर रही थी कि तभी उसका ध्यान आगे के द्वार पर लगे दरवाजे पर गया तो उसे थोड़ा अजीब लगा और वह अपने मन में सोचने लगी ईतने वर्षों में तो कभी भी दरवाजा नहीं लगा था तो उसके जाने के बाद ही दरवाजा क्यों लग गया इसका जवाब शायद उसे नहीं मिल पा रहा था,,,,।

थोड़ी देर बाद रघु घर पर वापस आ गया और सीधा अंदर के कमरे में पहुंच गया जहां पर,,, शालू साड़ी पहने लेटी हुई थी,,,, विवाह के बाद शालू की मदमस्त जवानी और ज्यादा उफान मार रही थी,,, जिसका अंदाजा रघू उसके ब्लाउज के उठाव को देखकर ही लगा लिया था,,,,,, वह जानता था कि कभी भी अपनी बहन की चुदाई कर सकता था इसलिए इत्मीनान से उसके खूबसूरत यौवन को खटिया के पास खड़ा होकर देखता रह गया,,,, जरा सी आहट मिलते ही सालु की नींद खुल गई तो उसकी नजर रघू पर पड़ी जो कि उसे ही घूर रहा था,,,।


ऐसे क्या देख रहा है कभी देखा नहीं क्या,,,

देखा तो बहुत बार हो और वह भी बिना कपड़ों के लेकिन विवाह के बाद आज पहली बार देख रहा हूं तू तो और ज्यादा खूबसूरत लग रही है,,,,(पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए बोला,,,) लगता है जीजा दिन रात तेरी ले रहा है,,,,।

ओ मुआ लेता तो है लेकिन तेरे जितना मजा नहीं दे पाता,,,


क्यों मेरा लंड ज्यादा मजा देता है क्या,,,?( पजामें को नीचे सरका कर अपने लंड को बाहर निकाल कर हिलाते हुए बोला,,,)


बहुत ज्यादा तभी तो झट से तेरे साथ चलने के लिए तैयार हो गई,,,,,,,,


और सच कहूं तो मैं भी तुझे इसीलिए यहां लेकर आया हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रघु खटिया पर बैठ गयाऔर अपना एक हाथ आगे जाकर ब्लाउज के ऊपर से ही सालु की चूची को दबाते हुए बोला,,,)

वाह,,,,, दीदी शादी के बाद तेरा दूध और बड़ा हो गया है,,, मुझे दिखा मैं देखना चाहता हूं,,,।


अपने हाथों से ही खोल कर देख ले,,,,

(इतना सुनते ही रघू अपने दोनों हाथों से शालू के ब्लाउज के बटन खोलने लगा तो उसे रोकते हुए शालू बोली,,,)


अभी नहीं बाद में अभी रहने दे मां आ गई तो,,,


तो क्या हुआ मा आ गई तो,,, वह भी हम दोनों के साथ मजा लेगी,,,(ब्लाउज का पहला बटन खोलते हुए बोला,,,)

धत्त,,,,कैसी बात कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है मां के बारे में ऐसी बात कर रहा है,,,।


तो क्या हुआ,,,,, तू भी तो मेरी बहन है हम दोनों के बीच में सब कुछ हुआ ना जरूरत के मुताबिक,,,,,,,,


कुछ भी हो लेकिन तु मां के बारे में यह सब गंदी बातें मत कर मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,,,,


लेकिन मुझे तो पसंद है ना,,,(ब्लाउज के दूसरे बटन पर हाथ रखते हुए) देखी नही है मां की गांड कितनी खूबसूरत लगती है एकदम बड़ी बड़ी तेरे से भी बड़ी है,,, मेरा तो अब देखते ही खडा हो जाता है,,,,।


तू सच में पागल हो गया क्या,,,,


पागल नहीं दीवाना हो गया मां की मदमस्त गांड का,,, मेरा तो मन करता है कि मां को नंगी करके उनकी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में लेकर जोर जोर से दबाऊ,,,(शालू के ब्लाउज का दूसरा बटन भी खोलते हुए,,,)

सच में रघु तू पागल होता जा रहा है मां के बारे में इस तरह की बातें नहीं करते,,,।


बहन के बारे में भी तो नहीं किया जाता लेकिन देखो मैं तुम्हारा ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।


मेरी बात कुछ और है,,,




क्या कुछ और है,,, तेरे पास चूची नहीं है कि बुर नहीं है,,,,,


रघु तू समझ नहीं रहा है,,,, मां के बारे में ऐसी बातें करना गंदी बात है,,,,।


मैं तो सब कुछ समझ रहा हूं लेकिन तू नहीं समझ रही है,,, तू ही बता जमीदार की बीवी के बारे में तु कभी सोची थी लेकिन उनकी भी कुछ जरूरते थी,,, भुख थी जिस्म की भूख,,,, जो कि तू तो अच्छी तरह से जानती है कि,,, जमीदार साहब बूढ़े हो चुके हैं और मालकिन जवानी के जोश से भरी और मालकिन की उफान मारती जवानी को संभाल पाना जमीदार के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,, उन्हें एक मुस्टंडा नौजवान लड़का चाहिए था,,, और सही समय पर मैं मिल गया,,,, वैसे भी मा भी जमीदार की बीवी की तरह जवान है जवानी के जोश से भरी हुई है,,, तुझे नहीं लगता कि उन्हें भी जरूरत पड़ती होगी,,, और सही कहु तो मा की बुर को भी मेरे लंड की जरूरत है,,,।


धत्त,,,,, तू पागल हो गया तू अच्छे बुरे सही गलत का फैसला नहीं कर पा रहा है,,,।


देख दीदी इसमें सही क्या है गलत क्या है यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं इतना चाहता हूं कि मां बहुत खूबसूरत है मा की गांड बहुत खूबसूरत है मा की बुर,,,आहहहहहह,,, उसमें से तो अमृत की धारा हहती होगी,,,(रघु अपनी बहन के ब्लाउज का अंतिम बटन भी खोलते हुए बोला,,, अब उसकी बहन की चुचीया रघु की आंखों के सामने नंगी थी शादी के बाद उसकी चूचियां और भी ज्यादा निखर गई थी,,
जिसे देख कर रघू कि मुंह में पानी आ रहा था ,,। रघु से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथों में अपनी बहन की दोनों चूचियों को पकड़ के दबाना शुरू कर दिया रघु की हरकत से शालू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, उसके तन बदन में कसमसाहट बढ़ने लगी,,,,।

सहहहहह आहहहहहहहहह,,,,।


मजा आ रहा है ना दीदी,,,,इसी तरह से मां को भी मजा आएगा जब उनकी दोनों नंगी चूचियों को मैं अपने हाथों को पकड़कर दबाऊंगा,,,,।


आहहहहहह,,,,, मां के साथ यह सब अच्छा नहीं लगेगा,,,,।


क्यों नहीं अच्छा लगेगा,,, सब कुछ अच्छा लगेगा जब में मा की चूची को मुंह में भरकर पीऊंगा तो उनके तन बदन में लहर उठने लगेगी,,,। जैसे तुम्हारी पुर से पानी निकलता है वैसे मां की बुर से भी पानी निकलने लगेगा,,,,।(शालू की दोनों चुचियों को जोर-जोर से दबाते हुए रघु बोला रघु की हरकत और उसकी गंदी बातों की वजह से और वह भी अपनी मां के बारे में यह सुनकर शालू के तन बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी उसे अपने भाई की बातें अपनी मां के बारे में गंदी बातें करते हुए अच्छा लगने लगा था,,,, इसलिए वह भी सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)

सहहहह आहहहहहह,,,,, तो क्या तु मां को चोदना चाहता है,,,,


हां दीदी मैं तो ना जाने कब से मां को चोदने का सपना देख रहा हूं,,, उनकी बड़ी बड़ी गांड,,,,आहहहहह बहुत मजा देगी,,,, मां की बुर में जब मेरा मोटा लंड जाएगा तो देखना वो कैसे मस्त हो जाएगी,,,।
(यह बात सुनते ही शालू की बुर में खुजली होने लगी अपने मन में कल्पना करने लगी कि कैसे उसकी मां उसके भाई से चुदवाएगी,,,शालू को पूरा यकीन था कि एक बार अपने बेटे का लंड अपनी बुर में लेने के बाद उसकी मां अपने बेटे की दीवानी हो जाएगी,,,, यह कल्पना करके शालू की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

क्या ऐसा हो पाएगा,,,,


जरूर हो पाएगा मेरी रानी जब तुम मेरे नीचे आ गई तो क्या मां नहीं आएगी,,,,, फिर देखना हम तीनों एक साथ चुदाई का मजा लेंगे,,,,मैं मा की बुर चाटुगा और मा तुम्हारी बुर चाटेगी देखना मजा आ जाएगा,,,,।


ओहहहहह,,,,, रघू,,,, तु तो मुझे पागल कर देगा,,,,,


ओहहहहह दीदी,,,,,( इतना कहने के साथ ही रघु अपनी बहन की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,, शालू की हालत खराब होने लगी टांगों के बीच की हलचल बढने लगी,,,। और रघु अपनी बहन के साड़ी को ऊपर कमर की तरफ उठाने लगाजानता था कि उसकी मां की आने का समय हो गया है लेकिन सालु मदहोशी में पूरी तरह से भूल चुकी थी,, रघू, अपनी मां को दिखाना चाहता था,,,, शालू की चुदाई करते हुए,,,, और ऐसा ही हुआ रघु अपनी बहन की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी दोनों टांगों को फैला दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच आकर उसकी चिकनी जांघों को अपनी जांघों पर रख कर अपने मोटे लंड को अपनी बहन की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,। शालू एकदम मस्त हो गई बिरजू का लंड उसकी बुर में जाता जरूर था लेकिन इतना मजा नहीं देता था जितना उसे अपने भाई के लंड से आता था,,,, शालू पूरी तरह से मस्त हो गई और रघु उसकी मस्ती को और ज्यादा बढ़ाने के लिए उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,,,,,


free image hosting

और तभी कजरी खेतों का काम पूरा करके वापस घर पर लौट आई और सीधा अंदर वाले कमरे के द्वार पर पहुंचकर अंदर से आ रही गर्म सिसकारी की आवाज सुनते ही,,, उसके कान खड़े हो गए,,,,दरवाजे पर लगे परदे को धीरे से हटाकर अंदर की तरफ देखी तो दंग रह गई,,, रघु अपनी बड़ी बहन के ऊपर लेटा हुआ था और उसका लंड उसकी बुर में था,,,, यह देखते ही पल भर में ही कजरी की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,,,, वह तुरंत कमरे के अंदर दाखिल होकर कटनी के पास दोनों हाथों को कमर पर रख कर बोली,,,,।


यह क्या हो रहा है,,,?

(इतना सुनते ही शालू कि तो सिटी पट्टी गुम हो गई,,,चुदवाने के चक्कर में वह भूल गई थी कि उसकी मां कभी भी घर पर वापस आ सकती हैं,,,। शालू की तो हालत खराब हो गई शालू घबरा गई थी लेकिन रघू उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंच गया था,, उसकी कमर बड़ी तेजी से चल रही थी उसकी उत्तेजना इस अहसास से और ज्यादा बढ़ गई थी कि वह अपनी मां की मौजूदगी में अपनी बहन को चोद‌ रहा था,,,, शालू घबरा गई थी क्योंकि जिस हाल में उसकी मां ने उन दोनों को देख ली थी शायद इस बारे में सालु ने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,, इसलिए वह शर्म से पानी पानी हो रही थी,,, वह रघू को अपने ऊपर से उठाने की कोशिश कर रही थी लेकिन रघूयह जानते हुए भी कि उसकी मां उसकी पास खड़ी होकर उन दोनों को देख रही है फिर भी वह अपनी कमर को जोर-जोर से हीलाते हुए अपनी मां के सामने ही अपनी बड़ी बहन की चूची को मुंह में भरकर पी रहा था,,,,।

रघु,,,, मां आ गई,, है,,, रघू,,,,
(लेकिन रघु रुकने का नाम नहीं ले रहा था,,, वह जल्द से जल्द अपना पानी अपनी बहन की बुर में डाल देना चाहता था,,,, इसलिए अपनी बहन की बात को अनसुना करते हुए वह धक्के लगाता रहा,,, और शालु उसे अपने ऊपर से हटाने की पूरी कोशिश कर रही थी लेकिन वह हट नहीं रहा था तो वह जोर से धक्का लगाई और इस बार रघू खटिया पर से नीचे गिर गया और अपनी आंखों के सामने अपनी मां को देखकर वह जानबूझकर डरने का नाटक करने लगा और वहां से अपने कपड़े लेकर भाग खड़ा हुआ लेकिन अंदर वाले कमरे से निकलकर बाहर वाले कमरे में जाकर कोने में खड़ा हो गया था शालू तुरंत शालू तुरंत कमर तक उठी हुई अपनी साड़ी को नीचे की तरफ कर दी और अपनी ब्लाउज के बटन बंद करने लगी तो कजरी गुस्से में बोली,,,।

यह सब क्या हो रहा है सालु,,,,

(शालू क्या बोले उसे तो कुछ सूझ नहीं रहा था आज उसकी चोरी पकड़ी गई थी वह शर्मिंदा हो गई थी और रोने लगी,,,, लेकिन कजरी जानबूझकर उसे डराने की कोशिश कर रही थी और सालु डर के मारे रोए जा रही थी,,,, और बाहर वाले कमरे में खड़ा होकर रघु हंस रहा था,,,,, शालू के मुंह से एक भी शब्द फूट नहीं रहे थे वह बस रो रही थी आंखों को नीचे झुकाएवह अपने आप को ही कोश रही थी कि बेवजह वह अपने ससुराल से यहां आ गई,,,, कजरी कुछ देर तक खड़ी रहकर शालू को डराती रही धमकाती रही उसे भला-बुरा कहती रही,,,, वह अपने दोनों हाथ से चेहरे को ढक कर रो रही थी और यही मौका रघु को ठीक लग रहा था वह वापस अंदर वाले कमरे में आ गया और,,,, अपनी मां के पीछे खड़ा होकर अपनी बहन से बोला,,,।


रो मत इधर देखो दीदी,,,(शालू फिर भी रोए जा रही थी) अरे मैं कह रहा हूं रो मत तुमने कोई पाप नहीं किया है एक बार यहां तो देखो दीदी,,,,।
(बार-बार मनाने पर शालू रोते हुए ऊपर की तरफ नजर उठाकर रघु की तरफ देखने लगी जो कि ठीक है उसकी मां के पीछे खड़ा था और वह भी बिल्कुल नंगा सालु को थोड़ी हैरानी हुई,,,, तो उसकी यह शंका भी दूर करते हुए रघू बोला,,,)

अब ध्यान से देखना दीदी,,,(और इतना कहने के साथ ही वह धीरे से नीचे की तरफ झुका और पीछे से ही अपनी मां की साड़ी को नीचे से पकड़कर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगा यह देखकर शालू की आंखें हैरानी से फटी जा रही थी,,,,और देखते ही देखते रखो अपनी बहन को दिखाते हुए अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया और उसकी नंगी बुर नंगी टांगे मोटी मोटी जांघें सब कुछ सालु की आंखों के सामने चमकने लगी,,,शालू को तो अपनी आंखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था,,,। वह बस आंखें फाड़े देखी जा रही थी,,,, रघू अपनी मां के ठीक पीछे खड़ा होकर मुस्कुराए जा रहा था और बोला,,,।

मैं बोला था ना दीदी घर पर चलो,,,(इतना कहते हुए अपना एक हाथ अपनी मां की बुर पर रखकर उसे ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भींचते हुए) बहुत कुछ बदल गया है,,,,.

(शालू को अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था वह आंखें फाड़े बस देखे जा रही थी,,।
 
Member
437
722
93

शालू की आंखें आश्चर्य से फटी की फटी रह गई थी उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और होता भी कैसे उसकी आंखों के सामने उसका छोटा भाई अपनी मां की बुर को मुट्ठी में दबोचे हुए थे और उसकी इस हरकत पर उसकी मां उसे डांटने के वजाय,,, खुश हो रही थी,,,,,,, शालू के लिए नजारा बेहद आश्चर्य से भरा हुआ था लेकिन पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था,,, जो कुछ भी हो रहा था वह सब शालू के सोच के परे था,,, और रघु और ज्यादा बेशर्मी दिखाते हुए अपनी बहन शालू की आंखों के सामने ही अपनी मां की बुर में एक उंगली डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगा,,,,,,,, शालू की आंखें फटी की फटी रह गई थी और अपने बेटे की हरकत पर कजरी के तन बदन में,,, अपनी ही बेटी के सामने बुर में उंगली करने की वजह से वह काफी उत्तेजित हो गई थी,,,।


देख दीदी,,, मैं कहता था ना बहुत कुछ बदल गया है,,, देख ध्यान से देख मां की बुर में मेरी उंगली कितने आराम से जा रही है,,।,,,
(रघु एकदम खुले शब्दों में बोल रहा था और शालू अपनी खुली आंखों से पूरी सच्चाई देख रही थी उसकी शादी के बाद वाकई में सब कुछ बदल गया था रिश्तो के मायने भी बदल चुके थे,,,, शालू एकदम साहब देख पा रही थी कि उसके भाई की उंगली उसकी मां की बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रही थी,,, जिसे देख कर उसे अजीब तो लग रहा था लेकिन काफी उत्तेजना का अनुभव हो रहा था शालू कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,।)

आहहहहह क्या कर रहा है रे तु,,,, अब बाहर निकाल,,,।

(अपनी मां के मुंह से बाहर निकालने वाली बात सुनकर शालु स्तब्ध रह गई,,,,, 4 दिनों में वह अपनी मां का बदला हुआ रूप देख रही थी,,, उसे अभी भी अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह अपनी मां को संस्कारों में ढली हुई एक नारी के रूप में देखती आ रही थी कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि उसे अपनी आंखों से अपनी मां का यह रंडीपन वाला रूप देखने को मिलेगा,,,,, शालू को अच्छी तरह से दिखाई दे रहा था कि रघु की उंगली की वजह से उसकी मा कसमसा जा रही थी और अपनी कमर को दाएं बाएं घुमा दे रही थी,,,,,, अपनी मां की बात सुनकर रघू बोला,,,)


अभी थोड़ा और मा ,,,,मजा आ रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपनी दूसरी ऊंगली भी बुर में डाल दिया,,, यह देखकर शालू की आंखें चमक खा गई रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा था जो कि पीछे खड़े होने की वजह से उसकी मां की गांड पर रखा जा रहा था जिससे कजरी की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,,दो अलीपुर में जाने की वजह से कजरी की आंखें उत्तेजना में बंद होने लगी उसके चेहरे का हाव भाव बदलने लगा,,, कजरी के गोरे मुखड़े पर उत्तेजना की लाली छाने लगी थी,,, शालू अपनी मां के चेहरे को उत्तेजना में दमकता हुआ देख रही थी,,,।)

क्यों दीदी कैसा लग रहा है,,?


यह सब क्या हो रहा है रघु मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है तुम दोनों,,,,।


क्यों क्या हुआ तुम दोनों भी तो वही करते हो तुम दोनों की चुदाई में अपनी आंखों से छत पर देख चुकी थी लेकिन उस समय कुछ बोली नहीं,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही शालू एकदम से चौंक उठी,,,)


मुझे तुम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उससे कोई एतराज नहीं है क्योंकि मैं भी खुद उसी कश्ती में सवार हूं जिसमें तुम दोनों में हम दोनों की जरूरत है एक औरत होने के नाते तो यह बात अच्छी तरह से जानती है अगर तेरे बदन में हो जरूरत ना होती तो तुम अपने भाई के साथ चुदवाती नही और उसके बच्चे की मां नहीं बनती,,


यह क्या कह रही हो मां,,,,?(बच्चे वाली बात सुनते ही शालू चौक ते हुए बोली,,,)


चल चौकने की जरूरत नहीं है मुझे सब मालूम है,,,, मुझे उसी दिन से शंका हो रही थी जिस दिन अपनी आंखों से तुझे अपने भाई से चुदवाते हुए देखी थी,,,,,,,
(बाकी बातें सुनकर शालू कभी रघु की तरह देखती तो कभी अपनी मां की तरफ शालू के चेहरे पर उड़ती हवाईयो को देखकर रघु बोला,,,)

मां को सब पता है सालू,,,,,अब हम तीनों में किसी भी प्रकार का पर्दा नहीं है हमें बस मजा लूटना है जिंदगी का मजा,,,,(इतना कहते हुए रघु अपना दूसरा हाथ ब्लाउज के ऊपर सही अपनी मां के चूची पर रखकर दबाने लगा,,,)

आऊच्च ,,,, क्या कर रहा है अभी रहने दे,,, बाद में हम तीनों मज़ा लूटेंगे,,,,
( इतना सुनते ही रघू अपनी मां की बुर में से अपनी ऊंगली को बाहर निकाल दिया,,, और उस ऊंगली में लगी अपनी मां की मदद रस को जमीन पर टपकाते हुए उसे अपनी बहन को दिखाते हुए बोला,,)

देख रही है दीदी मां कितना पानी छोड़ती है,,,( यह देखकर कजरी शरमाते हुए बोली)

धत्त,,,, पागल हो गया है तू,,, चलो तुम दोनों हाथ मुंह धोकर आओ मैं खाना निकालती हूं,,,,(इतना कहकर कजरी बाहर चली गई रघु का लंड अभी भी उसके पजामे से बाहर था और झूल रहा था,,,, वह उसी तरह से अपने लंड को बिना हाथ लगाए झुलाते हुए अपनी बहन के ठीक सामने लेकर गया और बोला,,,)


देखी ना दीदी ने क्या कहा था ना सब कुछ बदल गया है अब बस जिंदगी के मजे लो इसीलिए मैं तुम्हें तुम्हारे ससुराल से यहां रह कर आया हूं कि कुछ दिन यहां पर जिंदगी का और अत्यधिक मजा लूट लो,,,
(शालू अभी भी आंखें पानी कभी रघु की तरफ तो कभी उसके लंड की तरफ देख रही थी,,, )

चल हटा ईसे सब इसी की वजह से हुआ है,,,(शालू अपने हाथ से रघु के लंड को बड़े प्यार से एक चपत मारते हुए बोली और खटिया से उठकर अपने कपड़ों को दुरुस्त करके मुस्कुराते हुए बाहर चली गई,,,, और रघु उसे जाते हुए देखता रह गया,,,।


तीनों के बीच घमासान चुदाई होने वाली थी जिसको लेकर तीनों का उत्साह बढ़ता जा रहा था और उत्सुकता चरम सीमा पर थी,,, रघु बिल्कुल भी शर्म नहीं कर रहा था वह पूरा का पूरा बेशर्म बन चुका था क्योंकि यह बात अच्छी तरह से जानता था कि अगर जिंदगी का असली मजा लेना है तो बेशर्म बनना पड़ेगा,,,, शालू को अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि क्या होने वाला है,,,, ,,, और उस पल को लेकर वहां अपने अंदर शर्म महसूस कर रही थी और यह सोच कर परेशान हो रही थी कि अपनी मां की आंखों के सामने ही अपने सारे कपड़े उतार कर कैसे नंगी होगी कैसे अपनी मां के सामने अपने भाई का लंड अपनी बुर में लेगी,,,,,,, यह सोचकर ही उसकी बुर पसीज रही थी,,,।
और इस बात को लेकर कजरी भी हैरान थी कि सब कुछ कैसे होगा,,, हालांकि थोड़ी बहुत अच्छा झलक वह अपनी बेटी को दिखा चुकी थी जब उसका बेटा अपने हाथों से उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर में उंगली पेल रहा था,,,।

सोनू तो उस पल के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा था क्योंकि उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसे क्या करना है और वह बड़े अच्छे से कर लेगा इसका उसे पूरा विश्वास था,,,,लेकिन इस बात को लेकर उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि वह एक साथ अपनी मां और बहन दोनों की चुदाई करेगा उसकी आंखों के सामने दो दो औरतें एकदम नंगी होंगी जिनके नाजुक बदन से वह जी भर कर खेलेगा,,, वह अपने मन में यह सोच कर पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था कि आज उसके सर पर दो दो औरतों को खुश करने की जिम्मेदारी आ पड़ी थी,,,, उन दोनों औरतों को पूरी तरह से संतुष्ट करना था और उसे अपने लगने पर पूरा भरोसा था,,,।

जैसे तैसे करके दिन का समय बीत गया और शाम ढलने लगी शालू रसोई में अपनी मां की मदद करने लगी,,,,,,, और रघू टहलते हुए रामू के घर पहुंच गया,,,,,, जहां पर उसकी दोनों बहने खाना बना रही थी लेकिन रामू और ललिया का अता पता नहीं था,,,, रघु ने ललिया के बारे में पूछा तो रानी उसे बताई कि उसका भाई राम और उसकी मां दोनों तबेले में गाय को चारा देने के लिए गई है जोकि घर के पीछे ही था,,,, रामू की साथ में ही है बात जानते ही रघु का मन बैठ गया क्योंकि वहां चाहता था कि एक साथ अपनी बहन और अपनी मां की चुदाई करने से पहले अपने लंड की वर्जिस ललिया की रसीली बुर से कर लेना चाहता था,,,। लेकिन फिर भी मन में एक आस लेकर वह घर के पीछे बने तबेले की तरफ जाने लगा जो कि उसके तबेले से सटा हुआ ही था,,,,,


हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था लेकिन अभी भी सब कुछ साफ नजर आ रहा था रघु घर के पीछे खड़ा होकर चारों तरफ दौड़ाने लगा लेकिन दोनों मां-बेटे कहीं नजर नहीं आ रहे थे,,,, वह सोचा कि तभी लेकर आखिरी छोड़कर हो सकते हैं इसलिए व धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ने लगा,,,, आखिर में पहुंचने पर भी रामु और ललीया उसे कहीं नजर नहीं आ रहे थे,,,, इसलिए वह सोचा कि हो सकता है दोनों कहीं और गए हो,,,इसलिए वापस आने के लिए जैसे ही कदम पीछे दिया था कि तभी उसे चूड़ियों की खनक ने की आवाज सुनाई दी जो कि तबेले की दीवार के पीछे से आ रही थी वह वहीं रुक गया,,,, और आवाज की दिशा में देखने लगा जो कि तबेले के ठीक पीछे से ही आ रही थी,,,, वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा,,, धीरे-धीरे उसे पीछे की आवाज सुनाई देने लगी थी,,,, जिसे सुनते ही उसे पूरा यकीन हो गया कि तबेले के दीवाल की पीछे रामू और उसकी मां ही है,,,, लेकिन दोनों के बीच की हो रही बात को सुनकर उसके कान के साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो गया,,,,।




अरे मां क्या कर रही है थोड़ा नीचे तो झुको,,,


अरे झुक रही हु थोड़ा सब्र तो कर,,,,,


क्या करूं तेरी गांड देखकर सब्र नहीं होता,,,,। रघु के साथ तो मचलती रहती है चुदवाने के लिए मेरे साथ ही नखरा करती है,,,।


तु ठीक से कर ही नहीं पाता,,, मैं कहती हूं कि सीधे-सीधे मेरे ऊपर आकर कर ले लेकिन तुझे तो पीछे से लेना है,,,।


रघु को तो बहुत पीछे से देती हो,,, और मेरे साथ नखरा दिखाती हो,,,


उसका तो पीछे से भी बड़े आराम से अंदर तक चला जाता है,,,,



(दीवार के पीछे से आ रही बातों को सुनकर रघु का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,, उसे समझ में आ गया कि उसकी तरह रामु भी अपनी मां को चोद रहा है,,,, और उसकी मां बात ही बात मेंउसकी पढ़ाई कर रही थी जो कि लोगों के लिए बहुत ही लाभदायक था उसे विश्वास हो गया था कि अपनी मां और बहन को एक साथ चोदने से पहले उसे ललिया की तरफ से मानसिक ताकत प्राप्त हो चुकी थी,,,, वह अभी का लगा कर सो ही रहा था कि तभी उसके कानों में रामू की बात सुनाई दी,,,।)

बस बस हो गया मा,,,, जा रहा है थोड़ा सा बस नीचे हो जाओ,,,, हां बस ऐसे ही,,,, देखो चला गया ना,,,,आहहह आहहहह आहहहहहह,,,,,
(रघु के कानों में केवल रामू कि ही आह की आवाज सुनाई दे रही थी उसकी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी,,,, जिससे रघु समझ गया कि रामू से चुदवाने में उसकी मां को जरा भी मजा नहीं आ रहा था,,,, और रघु इस खेल में कूदना चाहता था इसलिए तुरंत दीवार के पीछे जाकर खड़ा हो गया,,,, रघु को देखते ही ललिया और रामु के होश उड़ गए,,,,,,, रामू और ललिया दोनों घबरा चुके थे,,,,,,रामू के लिए घर ले लिया की जगह कोई और औरत होती तो शायद वह इतना ना घबराता ललिया के लिए भी उसके पीछे खड़ा लड़का उसका बेटा ना होता तो उसे भी उस शायद रघु के सामने कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन दोनों मां बेटे थे इसलिए तुम दोनों के बीच के बारे में आज रखो को पता चल गया था अपनी आंखों से देख लिया था इसलिए दोनों एकदम से घबरा गए थे,,,।)


यह क्या हो रहा है रामू,,, तू तो अपनी मां को ही चोदने में मस्त हो गया,,,, और क्या चाची मुझे कही होती तो मैं आ जाता अपने ही बेटे से चुदवाने की क्या जरूरत थी,,,।(रघु ललिया की बड़ी-बड़ी और गोरी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला,,,, ललिया एकदम से खड़ी हो गई,,,)


देख रघू तु किसी से कुछ भी मत बताना,,,,,,

हां यार तुझे अपनी दोस्ती की कसम अगर किसी को कुछ भी बताया तो,,,,,,,,


जो कुछ भी हो रहा है ना रघू यह सब तेरी वजह से ही हो रहा है,,,,(ललिया अपनी साड़ी को नीचे करते हुए बोली,,)


मेरी वजह से,,, मेरी वजह से क्यों,,,?


क्योंकि रामू जान गया था कि,,, तु मुझे चोदता है,,,,,, और रामू किसी को कुछ भी ना कहे इस एवज में अपना मुंह बंद रखने के लिए उसने भी,,,,,,( इतना क्या कर ले लिया खामोश हो गई रघु समझ चुका था सारा मामला और रामू की तरफ देखते हुए बोला,,,)

ओहहह बच्चु उस दिन जब मैं बोला कि अपनी मां को चोदा कर तो मुझ पर बिगड़ उठा और अभी यहां पर खुली जगह पर ही अपनी मां की चुदाई कर रहा है,,,।


देख रघू मैं तेरे हाथ जोड़ता हूं इस बारे में किसी को कुछ भी मत बताना,,,


नहीं बताऊंगा,,,, लेकिन मेरा मन इस‌ समय तेरी मां को चोदने को कर रहा है,,,। अगर मेरा मुंह बंद रखना है तो,,,।
(रामू समझ गया था कि अपना मुंह बंद करने के एवज में रघु अपनी मनमानी करके ही रहेगा,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि पहले भी तो वह उसकी मां की चुदाई करते आ रहा है,,, तो अभी कर लेगा तो इसमें क्या बिगड़ जाएगा,,,, ऐसा करके वह अपना मुंह बंद है तो रखेगा वरना इस बारे में अगर किसी को पता चल गया तो और आप मच जाएगा,,,,,,,,,, इसलिए वह हां में सिर हिला दिया इस बात के लिए अपनी मां से पूछना जरूरी नहीं समझा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी उसके लंड की दीवानी थी,,,। रघु खुश हो गयाक्योंकि रात में अपनी मां बहन दोनों के साथ घमासान चुदाई के पहले वह अपने लंड की ताकत को आजमाना चाहता था जो कि अब वह अच्छी तरह से आजमा सकता था,,,। वह तुरंत ललिया के पीछे खड़ा हो गया और उसे झुकने के लिए बोला ललिया बिना देर लगाए झुक गई और अपनी बड़ी बड़ी गांड को ऊपर की तरफ कर दी,,,, रघू अपने ही हाथों से उसकी साड़ी को उठाकर कमर तक कर दिया,,,दीवार के पीछे खड़े होकर ही उन दोनों मां-बेटे की बातें सुनकर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, जो कि रामू की मां की बुर में जाने के लिए तैयार था,,,, और उसकी पुर में धीरे-धीरे अपने लंड को डालते हुए रामु से बोला,,,,)



देख रामु ऐसे डाला जाता है पीछे से,,,,( और इतना कहने के साथ ही रखो अपना पूरा लंड रामू की मां की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में ललीया की गरम सिसकारी गुजने लगी,,, रामू भी अपनी मां की मादक आवाज को सुनकर हैरान था,,, क्योंकि जब भी वह अपनी मां की चुदाई करता था तब उसके मुंह से आवाज निकलती थी उसके बाद के मुंह से एक भी शब्द नहीं निकलता था पहले रामु इस बात को समझ नहीं पा रहा था लेकिन आज समझ गया था और हैरान भी था रघू की ताकत को देखकर,,,,,रघु ठाप पर ठाप लगाए जा रहा था,,,। बिना रुके,, रघु रामू की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था मानो कि उसे कह रहा हो कि देख ऐसे करते हैं पीछे से चुदाई,,,। रामू अपनी मां की तरफ भी देख रहा था जिसे बहुत मजा आ रहा था,,,, तकरीबन 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद दोनों का पानी निकल गया लेकिन इस दौरान अपनी मां की चुदाई देख कर ही रामु का पानी निकल गया था,,,,।

रघु अपने पजामे को ऊपर करता हुआ बोला,,,।


देख रहा हूं तो बिल्कुल भी चिंता मत कर यह राजा राजा ही रहेगा बस मुझे समय-समय पर तेरी मां की लेना पड़ेगा जिसमे तुझे अब कोई भी एतराज होना नहीं चाहिए,,,।
(अगर आज रघु ने अपनी आंखों से सब कुछ देख लिया ना होता तो रामू से कभी भी इजाजत नहीं देता लेकिन उसकी मजबूरी थी इसलिए हम इसे हिला दिया और रघु जाते-जाते ब्लाउज के ऊपर से ही ललिया की चूची को दबाते हुए बोला,,,।)

हाय मेरी रानी बहुत मजा देती है,,,।
(इतना कहकर वह हंसते हुए वहां से चला,,गया,,, घर पर पहुंचने पर थोड़ी देर बाद खाना भी तैयार हो गया था जिसे तीनों ने मिलकर साथ साथ खा लिए और थोड़ी देर बाहर बैठकर बात करने के बाद तीनों अंदर कमरे में जाने लगे तो कजरी रघु से बोली,,,।)

दरवाजा बंद कर लेना,,,,


हा मा तुम दोनों चलो मैं बंद करके आता हूं,,,।


अब शालू अच्छी तरह से समझ गई थी कि उसके जाने के तुरंत बाद ही द्वार पर दरवाजा लगाने की जरूरत क्यों पड़ गई,,,।
 
Member
437
722
93

थोड़ी ही देर में रघु दरवाजे को बंद कर के अंदर वाले कमरे में चला गया जहां पर शालु और कजरी दोनों खटिया के पाटी पर बैठी थी,,। दोनों को देखते ही रघु समझ गया कि दोनों आपस में शर्मा रही है,,, हालांकि सुबह सुबह शालू और कजरी दोनों की शर्म को दूर करने के लिए ही रघु ने अपनी बहन की आंखों के सामने ही अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर को मसला था,,,
लेकिन वह जानता था कि इस समय उसे ही दोनों की शर्म दूर करनी पड़ेगी हालांकि वह पूरी तरह से बेशर्म हो चुका था,,,। इसलिए वह बातों का दौर शुरू करते हुए बोला,,,।

शालू तुम को तो पता ही होगा कि मां कितनी खूबसूरत है,,, और हां मैं यह भी जानता हूं कि मां को देखकर गांव के बूढ़े जवान सभी का लंड खड़ा हो जाता है,,,।


हाय ये तु कैसी बातें कर रहा है,,,,,,(कजरी शर्म से अपनी बेटी शालू की तरफ देखते हुए बोली वह भी हैरान जरूर थी लेकिन शुभम रघु हरकत उसकी मां की स्थिति है उसे देखते हुए उसे सब कुछ सामान्य सा लगने लगा था लेकिन अभी भी उसे शर्म तो महसूस हो ही रही थी,,,)

सच कह रहा हूं,,,, मैं जानता हूं मां की तुमको देख कर गांव में सभी मर्दों का लंड खड़ा हो जाता है और खास करके तुम्हारी गांड देखकर,,,,(रघु जानबूझकर इस तरह की गंदी बातें कर रहा था लेकिन कजरी को शर्म महसूस हो रही थी,,,)

थोड़ा शर्म तो कर,,,(कजरी शरमाते हुए बोली)


शर्म करुंगा तो मजा कैसे ले पाऊंगा और तुम दोनों को मजा कैसे दूंगा,,,,, मैं सच कह रहा हूं मा,,,,, पूरे गांव में तुम सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत हो,,,,और सभी औरतों में सबसे ज्यादा खूबसूरत गांड तुम्हारी है,,,
(रघु एकदम बेशर्म होकर अपनी मां बहन के सामने गंदी गंदी बातें कर रहा था ऐसी बातें सुनकर किसी को भी शर्म महसूस हो रही थी हालांकि होना तो नहीं चाहिए था लेकिन फिर भी वह अपनी बेटी के सामने थोड़ा शर्मा रही थी,,, क्योंकि रघु अपनी बहन के सामने अपनी मां के उन अंगों का खुलकर तारीफ कर रहा था जिसे कजरी हमेशा परदे में हीं रखती थी,,, रघु अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां शर्म आ रही है और उसका शर्मा दूर करना बहुत जरूरी था,,, इसलिए अपनी मां को शालू के सामने शर्माता हुआ देखकर वह बोला,,,)


क्या मा अब क्यों शर्मा रही हो,,, और वह भी दीदी से तुम उसका सच जानती च हो और वह भी तुम्हारा सच जान गई है,,,,,,,।


फिर भी शर्म तो आती है ना,,,(कजरी शालू की तरफ देखते हुए बोली,,)


सुबह जब दीदी के सामने बुर में उंगली डलवा रही थी तब नहीं आ रही थी,,,।
(कजरी के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे,, वह बस शालू की तरफ देख कर मुस्कुरा दी और इस बात पर सालु भी मुस्कुरा दी,,, रघू समझ गया कि अब मौका सही है,,, और वह अपनी मां का हाथ पकड़कर उसे खटिया पर से खड़ी कर दिया और उसे खींचकर अपनी बाहों में भर लिया,,,,कजरी अपने बेटे की बाहों में थी और सालु खटिए पर बैठी हुई सब कुछ देख रही थी,,,, उसे थोड़ा अजीब सा लग रहा था लेकिन इस नजारे को देखकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी थी,,,, रघू अपनी मां की आंखों में देखने लगा,,,, और कजरी शर्माने लगी,,,, लेकिन रघू बिना देरी किए अपने प्यासे होठों को अपनी मां के रसीले होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया,, यह नजारा, देखते ही सालु के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,, रघू बड़ी शिद्दत से अपनी मां के होठों का रस पी रहा था,,,,, और एक हाथ को ब्लाउज के ऊपर रखकर अपनी मां की गोलाईयों को दबा रहा था,,। धीरे-धीरे कजरी के बदन में खुमारी छाने लगी,,, वह मदहोश होने लगी,,,, कुछ देर पहले अपनी बेटी के सामने उसे शर्म आ रही थी लेकिन धीरे-धीरे शर्म का पर्दा हटता चला जा रहा था,,,,उसे काम रघु को बड़ी अच्छी तरीके से करना आता था वह अपनी मां के होठों को चूसता हुआ अपने दोनों हाथों से अपना के ब्लाउज के बटन खोलने लगा,,,, शालू यह देखकर उत्तेजित हुए जा रही थी,,।उसे यकीन नहीं हो रहा था कि 4 दिनों में इतना कुछ बदल गया है मां बेटे के बीच के रिश्ते के मायने बदल गए हैं,,, अपनी आंखों के सामने इतना कुछ बदलते हुए वह पहली बार देख रही थीजिसके सामने बच्चे उठाकर देखने की हिम्मत नहीं थी वही आज अपनी ही मां के ब्लाउज के बटन खोल रहा था यह जिस्मानी रिश्ता भी अजीब होता है,,, पर्दे में रहने वाला सख्श कब बेपर्दा हो जाता है पता ही नहीं चलता,,,, शालू ने अपनी मां को अब तक अच्छे संस्कारों से भरी हुई मर्यादा में रहने वाली औरत के रूप में तैयार थे लेकिन आज शालू को अपनी मां एक बाजारू औरत लग रही थी,,,,,, लेकिन धीरे-धीरे उसे अपनी आंखों के सामने अपने भाई की कामुक हरकत बेहद लुभावनी लगने लगी थी,,,,देखते ही देखते रघु अपनी बहन की आंखों के सामने अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और ब्लाउज के बटन खुलते ही उसके दोनों कबूतर जैसे किसी केद से आजाद हुए हो ईस तरह से खुली हवा में फड़फड़ाने लगे,,,,, और उन फड़फड़ाते हुए कबूतर को रखो अपने दोनों हाथों में भर लिया यह देख कर शालू की टांगों के बीच हलचल सी होने लगी और रघू अपनी मां के दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतरों की गर्दन को अपनी हथेली में भरकर दबाना शुरू कर दिया,,,,, कजरी के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी वह मस्त है जा रही थी उसे आनंद आ रहा था अपने बेटे के हर एक हरकत उसे उत्तेजना प्रदान कर रही थी,,,आज का दिन कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि आज वह अपनी बेटी के सामने अपने बेटे के साथ रंगरेलियां मना रही थी,,,, रघु जोर-जोर से दशहरी आम की तरह अपनी मां की चूचीयो को दबा रहा था,,,, और कजरी सिहर उठ रही थी,,,,,, शालू की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थी क्योंकि उसका भाई खुलकर अपनी सगी मां के खूबसूरत बदन से खेल रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि 4 दिन में रघु मां के साथ इतना खुल चुका होगा,,,,, ,,,।


देख शालू अपनी मां की चूचीया कितनी खूबसूरत और जवान है,,,।(सोनू अपनी मां की चूची पकड़ कर उसके निप्पल को शालू की तरफ दिखाते हुए बोला,,,, शालू की हालत खराब हो रही थी क्योंकि सालु अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भाई की हथेली में चूचियां कितनी फुदकती रहती हैं और वह कितनी शिद्दत से उसे दबा दबा कर मजा लेता है,,, हालांकि उसके दबाने से दर्द भी होता है लेकिन मजा उससे 10 गुना मिलता है,,,,। रघु आज अपनी मां और अपनी बहन के साथ सारी हदों को पार कर देना चाहता था,,,, वह शालू की आंखों के सामने अपनी मां की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया,,,कजरी की हालत खराब होती जा रही थी उत्तेजना के मारे उसके घुटनों में कंपन सा महसूस हो रहा था,,,कजरी जानती थी कि उसका बेटा चुची को जब मुंह में लेता है तो कितना मजा आता है,,,और इसी आनंद के सागर में डुबकी लगाते हुए कजरी गरम सिसकारी लेना शुरू कर दी थी,,,।

सहहहह आहहहहहह ,,,, रघू,,,,,,ऊमहहहहहह,,,,,ओहहह मेरे बेटे,,,,(गर्भ संस्कार की लेते हुए कजरी मचल रही थी अंगड़ाई ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, रघु पागलों की तरह अपनी मां की चूची को मुंह में लेकर चूस रहा था कभी दाई चूची तो कभी बाईं चूची,,,,ऊफफफ,,,,,गजब का नशा भरा हुआ था कजरी की चुची में जिसका पूरा आनंद रघु ले रहा था,,,।,, रघु अपनी मां के साड़ी के पल्लू को कंधे पर से हटा कर अपनी मां के पीछे खड़ा हो गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया ऐसा करने से उसका लंड जोकि पजामे में पूरी तरह से खड़ा हुआ था वह पीछे से उसकी बड़ी बड़ी गांड की दरार में धंसना शुरू कर दिया,,,, अपनी गांड की दरार में अपने बेटे के लंड की चुभन उसे और ज्यादा मदहोश कर रही थी,,।वह बार-बार उस चुभन से उछल जा रही थी और रघु अपनी मां की गर्दन पर अपने होठों को रगडते हुए उसकी चूची को लगाम बनाकर उसे पूरी तरह से अपने काबू में किए हुए था,,,,,, कजरी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थीअपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के पजामे में खड़े लंड पर रगड़ने लगी वह अपनी गोल गोल गांड को गोल गोल घुमाने लगी,,,,,,, शालू की तरफ देखा तो उसका चेहरा उत्तेजना से लाल हो चुका था,,, वह खुद इस खेल में शामिल होना चाहती थी लेकिन शर्मा रही थी,,,, रघु अपनी मां की चूची के दोनों निप्पलो को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच रखकर मसलते हुए सालु से बोला,,,,।


तुम वहां बैठी बैठी क्या कर रही हो दीदी तुम भी आओ बहुत मजा आएगा,,,,।
(शालू तो बस इसी मौके का इंतजार कर रही थी कि कोई उसे बुलाए क्योंकि अपनी मां की मस्ती को देखकर उसकी बुर गीली होना शुरू कर दी थी,,,,शालू तुरंत खटिया पर से खड़ी हुई और ठीक अपनी मां के सामने आकर खड़ी हो गई लेकिन उसकी आंखों में अभी भी शर्म के भाव नजर आ रहे थे,,,, जिसे दूर करने हेतु रघु अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहन के सर को पकड़ लिया और उसे अपनी मां की चूची पर झुकाना शुरू कर दिया,,,,, शालू समझ गई कि उसका भाई क्या करना चाहता है,,, और क्षण मात्र में ही वह अंदाजा लगा ली कि इस खेल में आगे चलकर उसे बहुत मजा आने वाला है,,, और इसीलिए शालू भी इस खेल में शामिल होते हुए अपने गुलाबी होठों को हल्के से खोल कर अपनी मां की निप्पल को मुंह में भर लिया और चूसना शुरू कर दी,,,,,,

अद्भुत अतुल्य अवर्णनीय एहसास से शालू के साथ-साथ कजरी खुद भरी जा रही थी उसने आज तक इस तरह के सुख की कभी भी कामना नहीं की थी,,, वह कभी सोची ही नहीं थी कि एक औरत ही उसकी चूची को मुंह में भर कर पीएगी,,, शालू को बहुत मजा आ रहा था वह कभी सोच नहीं थी कि औरत की चूची पीने में मजा आता है वह तो अभी तक यही समझती थी की चूची को पीने में मर्दों को ज्यादा मजा आता है लेकिन आज उस सुख के एहसास से वह खुद वाकिफ हो रही थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था रघू पीछे से साड़ी के ऊपर से ही अपनी मां के पिछवाड़े में अपने लंड को धंसाते हुए अपनी बहन के रेशमी बालों में उंगली घुमा रहा था,,,,। उत्तेजना में कजरी की आंखें बंद होती चली जा रही थी,,,, उसका गोरा मुखड़ा लाल टमाटर की तरह दमकने लगा था,,,।

आज की रात तीनों की जिंदगी की एक यादगार रात बनने वाली थी कजरी बहुत खुश थी क्योंकि बचपन में अपने दोनों बच्चों को उसने अपनी यही दोनों चुचियों से दूध पिला कर उनकी भुख मिटा कर उन्हें बड़ा की थी और आज उसके दोनों बच्चे इतने बड़े हो गए थे कि आज अपने बदन की भूख मिटाने के लिए आनंद लेने के लिए अपनी मां की चुची पी रहे थे,,,,,,,

शालू पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी वह बारी-बारी से अपनी मां की दोनों चूचियों का स्वाद ले रही थी,,। पहली बार वह अपनी मां की चूची को अपने हाथ से पकड़े हुए थी और उसे मूंह में भरकर पी रही थी,,,। कजरी की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी वह दोनों तरफ से गिर चुकी थी दोनों तरफ से उसके बदन में उत्तेजना का तूफान पीछे से उसका जवान बेटा उसके गर्दन को चूमते हुए अपने लंड को साड़ी के ऊपर से ही उसकी गांड में घुसा रहा था और आगे से उसके दोनों दशहरी आम का स्वाद उसकी बेटी अपना मुंह लगाकर ले रही थी,,,,।

सीईईईईईईई,,,आहहहहहह,,,,,ऊहहहहह मां,,,, तुम दोनों मिलकर क्या कर रहे हो रे,,,,(कजरी एकदम मदहोश भरे स्वर में बोली,,,)


मजा ले रहे मां बड़ी खूबसूरत बदन से तुम्हारे जवान जिस्म से हम दोनों भाई बहन मजा ले रहे हैं,,,,।


मुझे कुछ-कुछ हो रहा है,,,,।


मैं जानता हूं मां तुम्हारी बुर मेरे लंड को लेने के लिए तड़प रही होगी,,,।(रघु उसी तरह से अपनी मां की गोरी गर्दन को चूमते हुए बोला,,,, अपने भाई की घर की बात सुनकर सालु की टांगों के बीच भी हलचल होने लगी,, थी,,,, तभी उसके भाई की बात ने उसकी गर्म जवानी पर घी डालने का काम किया,,)

तेरी भी बुर तड़प रही होगी ना दीदी मेरे लंड को लेने के लिए,,,, मैं जानता हूं आज तुम दोनों मां बेटी को एक साथ चोदुंगा,,,,,


तुझे लगता है कि तू हम दोनों की प्यास बुझा पाएगा और वह भी एक साथ,,,,(कजरी व्यंग भरे स्वर में बोली,,, उसकी बात में अपने ही बेटे के लिए चुनौती थी जो कि वह जानबूझकर दे रही थी क्योंकि वह चाहती थी कि आज एक साथ उसका बेटा उसकी और उसकी बेटी की बुर से जवानी को निचोड़ लें,,,)

तो क्या देखना बिना झड़े तुम दोनों मां बेटी का पानी निकाल दूंगा,,,,(रघु अपनी मां के ब्लाउज को उसकी बाहों से निकालते हुए बोला,,,)


देखना कहीं ऐसा ना हो कि तेरा ही पहले निकल जाए,,,


ऐसा कभी नहीं हो सकता मेरी रानी मुझे मेरे लंड पर पूरा विश्वास है,,,(ब्लाउज को निकालकर खटिया पर फेंकता हुआ बोला,,,शालू की तो हालत खराब हो रही थी एक तरफ होगा अपनी मां की चूची को पीकर पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और ऊपर से अपनी मां और भाई दोनों की गंदी बातें सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना के शोले धधक रहे थे,,,।)

चलो वह तो देखते हैं,,,,( ईतना कह कर कजरी अपने बेटे और अपनी बेटी के द्वारा मजा लेने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे साले अपनी मां की चुचियों को छोड़ने वाली नहीं है वह भारी बारिश ही दोनों चूची मुंह में लेकर पी रही थी उत्तेजना के मारे कजरी की निप्पल एकदम कड़क हो गई थी और उसके आकार में इजाफा भी हो चुका था,, लेकिन रघू अपनी उत्तेजना को बढ़ाने वाले अंग की खोज में लगातार आगे की तरफ बढ़ रहा था और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हुए वह अपनी मां की कमर से बंधी साड़ी को खोलने लगा,,, और देखते ही देखते वह अपनी साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया,,,, अब कजरी अपने बेटे और अपनी बेटी के बीच में केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,। कजरी के घर में उत्तेजना का महासागर उठ रहा था रात धीरे-धीरे गहरा रही थी और रात की गहराई में इन तीनों की वासना और भी ज्यादा गहरी होती जा रही थी,,, रघु अपनी मां की पेटीकोट की डोरी को दोनों हाथों से पकड़कर खींचते हुए बोला,,,।)

तुम कपड़ों के बिना ही बहुत अच्छी लगती हो मां,,,,(इतना कहने के साथ ही कजरी की पेटीकोट को कमर से सरक कर नीचे पैरों में गिर गई और कजरी एकदम नंगी हो गई,,, नंगे पन का एहसास होते ही कजरी शर्म से पानी पानी हो रही थी लेकिन उसकी यह शर्म उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,, रघु अपनी मां की नंगी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला,,,।


कसम से मां तेरी गोरी गोरी गांड मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है,,,आहहहहह कितनी मुलायम है मन करता है खा जाऊं,,।(रघु उत्तेजना से अपने दोनों हाथों से अपनी मां की गोल-गोल गांड की दोनों फांकों को हथेली में दबोचते हुए ‌बोला,,)

तो खा जाना रोका किसने है,,,।


रोकना चाहोगी तो भी नहीं रोक पाओगी क्योंकि तुम्हारी गांड ही मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है,,,
(रघु उसी तरह से अपनी मां की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए बोला शालू अभी भी अपनी मां की चूची पर लट्टु थी,,, रघु देखा कि उसकी बहन अभी भी सारे कपड़े पहने हुए थी इसलिए वह उसे नंगी देखना चाहता था,,, इसलिए वह अपनी मां की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,)

तेरी तू भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जा अभी तक ऐसे ही खड़ी है,,,, शर्म आ रही है तो मै उतार दु(अपने भाई की बात सुन कर साले शर्म के मारे कुछ बोली नहीं तो कजरी बीच में बोल पड़ी)

तू ही उतार दे शर्मा रही है,,,,


यह बात है,,,, कपड़े उतारने में तो मुझे बहुत मजा आता है,,,
( इतना कहने के साथ ही है रघु अपनी बहन के पास आ गया और तुरंत उसके कपड़े उतारने लगा शालू भी अपने भाई के द्वारा कपड़े उतरवाने में मदद करने लगी क्योंकि वह भी यही चाहती थी कि वह भी अपनी मां की तरह नंगी हो जाए,,, और देखते ही देखते सालु अपनी मां की तरह एकदम नंगी हो गई,,,,, शालू बार-बार अपनी मां के नंगे बदन को देख रही थी वह मन ही मन में अपनी मां की खूबसूरती से अपनी खूबसूरती को मिला रही थी लेकिन कहीं भी वह अपनी मां की खूबसूरती को पा नहीं पा रही थी यह बात शालू की अच्छी तरह से समझ रही थी,,,ऐसा नहीं था कि चालू खूबसूरत नहीं थी शालू बहुत खूबसूरत है अपनी मां की तरह की लेकिन कजरी उसकी मां की वह उससे एक कदम आगे बढ़कर ही थी उसकी खूबसूरती के आगे उसकी जवानी फीकी पड़ रही थी लेकिन इस बात का उसे बिल्कुल भी मलाल नहीं था बल्कि फक्र था,,,, रघु पीछे से अपनी बहन को अपनी बाहों में भर लिया और पजामे में अपने खड़े लंड को गांड के बीचोबीच धंसाना शुरू कर दिया,,,, अपने बेटे की हरकत को देखकर कजरी को मजा आ रहा था लेकिन अभी तक उसका बेटा पूरे कपड़ों में था इसलिए वह बोली,,,।

हम दोनों का तो सब कुछ देख ले रहा है और खुदा भी कपड़ों में है हमें भी तो अपना लंड दिखा,,,,


लो अभी उतार देता हूं मुझे कौन सी शर्म,,,, मैं तो पूरी तरह से बेशर्म हो चुका हूं,,,


मादरचोद और बहन चोद,,,,(कजरी हंसते हुए बोली अपनी मां के कहने का मतलब था को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह भी हंस दिया और अपने कपड़े उतारने लगा और अपने कपड़े उतार कर अपनी मां बहन दोनों के सामने एकदम नंगा खड़ा हो गया उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए बोला,,,)

यह लो तुम दोनों बुरचोदी के लिए,,,,,
(कजरी और शालू दोनों अपने लिए बुर चोदी गाली सुनकर एकदम मस्त हो गए मदहोश हो गए,,, कचरी शालू की तरफ देखते हुए बोली )

हारे हम दोनों बुरचोदी है ,,,,, और तू हमारा बुर चोदने वाला,,,

बुरचोदा,,,(बीच में शालू हंसते हुए बोली,, और वह तीनों एक साथ हंसने लगे,,,, आधीरात का समय हो रहा था पूरा गांव चैन की नींद सो रहा था लेकिन कजरी के घर में कुछ और ही चल रहा था वासना का तूफान एक दूसरे के बदन से अपनी प्यास बुझाने की होड रिश्तो की टुटती डोरी मर्यादा की गिरती दीवारें,,,, लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद भी तीनों को असीम सुख प्राप्त हो रहा था जिसकी कोई तुलना नहीं थी,,, रघूकमरे के बीच में नंगा खड़ा था और उसके दोनों हसीनाएं एक उसकी मां और उसकी बड़ी बहन दोनों अपने घुटनों के बल बैठी थी और रघु अपने खड़े मोटे लंड को कभी अपनी मां के मुंह में तो कभी अपनी बहन के मुंह में डाल रहा था,,, कजरी एकदम मस्ती के साथ अपने बेटे के लंड को गले तक उतार कर चाट रही थी और शालू अपने भाई के लंड के आखिरी छोर को अपनी जीभ से चाट रही थी,,,, रघु तो जैसे हवा में उड़ रहा हो इस तरह का सुख से कभी नहीं मिला था,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक साथ दो दो औरतों के साथ चुदाई का सुख भोगने को मिलेगा,,,,,,,।


सहहहहह आहहहहहहह,,,, मां,,,, क्या मस्त चुसती हो तुम,,,आहहहहह बहुत मजा आ रहा है,,,(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी और मस्ती के साथ अपने बेटे की आंखों में आंखें डाल कर उसके लंड की चुसाई कर रही थी,,,,, और शालू ललचाई आंखों से देख रही थी,,,,कजरी जानती थी कि उसकी बेटी को भी यही चाहिए इसलिए वह अपने मुंह में से निकल कर अपने हाथों से अपने बेटे का लंड पकड़ कर अपने बेटी के मुंह में डाल दी परदेसी शालू को इसी का इंतजार भी था वापस अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,

आहहह देख शालू कितना अच्छा चुस्ती है,,,, सच में शालू तेरे लंड की दीवानी हो चुकी है जो अपना ससुराल छोड़कर मायके में अपने भाई से चुदवाने आई,,,


क्या मा तुम भी,,,,(शालू अपने भाई के लंड को निकाल कर बोली और फिर वापस से मुंह में ले ली,,, रघु को मजा आ रहा था एक के मुंह से निकल कर दूसरे मुंह में उसका लंड जा रहा था,,,, कुछ देर तक इसी तरह से रघू मजा लेता रहा लेकिन अब उसकी बारी थी,,, वह अपनी मां और बहन दोनों को स्वर्ग का सुख देना चाहता था,,,, इसलिए कोने में पड़ी चटाई लाकर रूम के बीचो बीच बिछा दिया खटिया को वह खड़ी कर चुका था,,,,)

अब मा तुम इस पर पीठ के बल लेट जाओ अब देखना मैं तुम्हें कैसे मस्त कर देता हूं,,,, मैं तुम्हारी बुर चाटुंगा और मा तुम् सालु की चाटना,,,,
(इतना सुनते ही शालू के साथ-साथ कजरी भी एकदम सिहर उठी अभी तक कजरी ने किसी औरत की बुर को हाथों से भी नहीं छुआ था,,,, पर यहां तो चाटना था और वह भी खुद की लड़की की,,,,)

नहीं रघु यह नहीं हो पाएगा,,,(शालू शरमाते हुए बोली नंगी होने के बावजूद भी उसके ऊपर शर्म कि हया बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,)

अरे कैसे नहीं हो पाएगा देखना बहुत मजा आएगा मुझे भी तो बहुत मजा आता है अगर मजा नहीं आता तो मैं क्या बुर चाटता,,,, चलो देखो मे कैसे मा की बुर चाटता हूं देखकर तुम्हें जोश चढ जाएगा,,,,(इतना कहते हुए हैं वह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच आकर अपनी जगह बनाने लगा कचरी का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था क्योंकि वह भी कभी किसी औरत की बुर नहीं चाहती थी इस लिए जिंदगी में पहली बार बुर चाटने का अनुभव लेने के लिए उत्सुक थी,,,,,,अपनी बहन की तरफ देखते हुए रघू अपनी मां की दोनों जांघों के बीच के उस मखमली दरार पर अपनी जीभ रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, और कजरी की सिसकारी फूट पड़ी आज कजरी को ज्यादा ही उत्तेजित नजर आ रहे थे क्योंकि सालु की आंखों के सामने यह सब हो रहा था,,,, रघु जानता था कि अपनी मां की बुर चाटता हुआ उसे देखकर वह खुद अपने आप को रोक नहीं पाएगी और खुद ही अपनी बुर को अपनी मां के मुंह पर रख देगी,,, और ऐसा ही हुआ शालू अपने आप को रोक नहीं पाई और अपने भाई की तरफ गांड करके घुटनों के बल बैठ गई और अपनी बुर को अपनी मां के चेहरे पर रगड़ना शुरु कर दी बुर में से उठ रही मादक खुशबू का एहसास शायद कजरी को पहली बार हो रहा था,,,। इसलिए वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और अपने दोनों हाथों से अपनी लड़की की गोरी गोरी गोल गोल गांडसको पकड़ कर अपनी जीभ को अपनी बेटी की बुर पर रख दीपहली बार शालू को अपनी पुर के ऊपर किसी औरत के होंठों का स्पर्श हो रहा था इसलिए वह पूरी तरह से मचल उठी और उसकी बुर से मदन रस की दो बूंद टपक गई जो कि कजरी के होंठों से होते हुए उसके गले में उतर गई,,,। कजरी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह बुर चाटने की कला को बिल्कुल भी नहीं जानती थी लेकिन फिर भी अपने बेटे के द्वारा उसे थोड़ा बहुत अनुभव हो चुका था इसलिए वह बड़े अच्छे से अपनी बेटी की बुर में अपनी जीभ डाल कर उसके मदन रस की मलाई चाट रही थी,,,, तीनों को बहुत मजा आ रहा था रघु की आंखों के सामने उसकी बहन की गोरी गोरी गांड चमक रही थी जो कि लालटेन की पीली रोशनी में और भी ज्यादा मादक लग रही थी रघु से रहा नहीं जा रहा था और वह अपनी मां की बुर चाटते हुए अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर,,, अपनी बहन की गोरी गोरी गांड को सहला रहा था दबा रहा था और उस पर चपत लगाने लगा इन सब से सालु की उत्तेजना और बढ़ती जा रही थी,,।

हालात काबू से बाहर होता जा रहा था मां बेटी दोनों की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी,,, द्वार पर दरवाजा लगने की वजह से तीनों निश्चिंत थे,,,, रघु में एक साथ अपनी मां और बहन दोनों की बुर चाटना चाहता था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन की गांड पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचने लगा शायद इसी सारे को चालू के अच्छी तरह से समझ गई थी इसलिए वह भी तुरंत ही अपने घुटनों के बल बैठ गई और हवा में अपनी तरबूज जैसी गांड को लहरा दी,,,, अपनी बहन की यह अदा रघु को पूरी तरह से लुभा गई और वह अपनी मां की बुर पर से अपने होठों को हटाकर तूरंत अपनी बहन की बुर पर रख दिया और चाटना शुरू कर दिया शालू अपने भाई के साथ चुदाई का सुख भोग कर,,, पूरी तरह से चलाक हो चुकी थी इसलिए अपनी गांड को गोल-गोल घूमाने लगी,,।
रघु कभी अपनी मां की तो कभी अपनी बहन की बुर चाट रहा था,,,, दोनों की हालत बिल्कुल खराब थी,,,।

ओहह रघू,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,, मेरी बुर तेरे लंड के लिए तड़प रही है,,,, रघू मेरे बच्चे अपने लंड को मेरी बुर में डालकर इसकी गर्मी को शांत कर दे बेटा,,,,( कजरी तड़प रही थी अपने बेटे के लंड के लिए,,,, कसमसा रही थी उसकी उत्तेजना उससे संभल नहीं रही थी,, और अपनी मां की तड़प देखकर सालु से भी रहा नहीं जा रहा था,,, उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां लहरा रही थी जिसे वह अपने दोनों हाथों से पकड़कर दबाने लगी,,,, कुछ देर तक रघु और अपनी मां की बुर को चाट कर और ज्यादा तड़पा रहा था,,,,, कजरी की तड़प इतनी ज्यादा बढ़ रही थी कि वह बार-बार अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दे रही थी,,,, रघु को समझते देर नहीं लगी की लोहा गरम हो गया है और अब हथोड़ा मारने की जरूरत है,,।
इसलिए रघू भी अब अपनी मां को चोदने के लिए तैयार हो चुका था,,,,



वो धीरे से उठा और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया,,,, अपने दोनों हाथों से अपनी मोटी मोटी जांघें पकड़ कर उसे अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,, अपनी मां की बुर और लंड के बीच में जो भी फासला था रघू उसे दूर करते हुए अपने लंड़ कों अपनी मां की बुर में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया,,,, लंड के घुसते ही कजरी को सुकून मिला और वह अपने बेटे से चुदाने का सुख भोगने लगी,,,, रघु मजे ले कर अपनी मां की चुदाई कर रहा था तीनों स्वर्ग का सुख भोग रहे थे तीनों के बीच रिश्तो की मर्यादा मैं अब शर्मा बिल्कुल भी नहीं बची थी तीनों बेशर्म हो चुके थे कजरी को अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड से बेहद सुकून मिल रहा था,,, शालू अपनी गोल-गोल गांड को ललकार होगी लेकिन अपने मुंह से कुछ बोल नहीं पा रही थी उसे भी अपने भाई का लंड अपनी बुर में चाहिए था,,, जो कि इस बात को रघू अच्छी तरह से समझ रहा थाइसलिए अपनी मां की पूर्व में से अपने लंड को निकाल कर उसे अपनी बहन की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दे रहा था,,, रघु का लंड मां बेटी के मदन रस में पूरी तरह से नहाया हुआ था,,,, दोनों की गर्म सिसकारी से पूरा कमरा गुंज रहा था,,,, रघु ठाप पर ठाप लगा रहा था,,,, उसी स्थिति में रघू अपनी मां और बहन दोनों की चुदाई करता रहा,,,, कजरी की सांसें उखड़ने लगी थी वह चरम सुख के बेहद करीब थे उसका बदन अकड़ने लगा था इसलिए रघु मौके की नजाकत को समझते हुए अपने को अपनी बहन की बुर से बाहर निकालकर उसे अपनी मां की बुर में डाल दिया और जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया,,,,, देखते ही देखते हैं उसकी मां जोरदार चीख के साथ झड़ गई,,, और रघू तुरंत लंड को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल कर अपनी बहन की बुर में डाल दिया और अपने दोनों हाथों से अपनी बहन की गांड पकड़कर चोदना शुरू कर दिया कुछ दिनों के बाद वह भी अपना पानी छोड़ दी,,, वादे के मुताबिक रघू अपना वादा पूरा कर दिखाया था,,, अपनी मां से बोला था कि अपना झडने से पहले वह दोनों का पानी निकाल देगा,,, और ऐसा ही हुआ था,,,, उसका पानी अभी निकला नहीं था इसलिए वह अपनी बहन की पतली कमर को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था,,, और थोड़ी देर बाद वह भी झड़ गया,,,।

अनुभव तीनों के लिए बेहद अतुल्य और अवर्णनीय था ,,, तीनो कि जिंदगी में इस तरह का पल आएगा तीनों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था,,,। लेकिन इस पल को जी कर तीनों बहुत खुश थे भले ही तीनों के बीच रिश्तो की वह मर्यादा की डोर संस्कारों की वह दीवार नहीं थी लेकिन तीनों खुश से अपनी अपनी जिंदगी से चारदीवारी के अंदर वह तीनों औरत और मर्द के जिनके बीज जिस्मानी ताल्लुकात जायज था,,, लेकिन चारदीवारी के बाहर वह तीनों रिश्तो से बंधे हुए थे,,,,। रात भर उसी तरह से चुदाई चलती रहीकचरी के साथ-साथ चालू भी अपने मायके में होकर अपने भाई से चुदवाने का असीम सुख भोग रही थी,,,।

निश्चित समय पर रघु ने अपनी बहन को ससुराल पहुंचा दिया था जहां पर अभी भी उसके तालुकात अपनी बहन के साथ मतलब कि जमीदार की बीवी के साथ और उसकी बहू राधा के साथ बराबर का बना हुआ था,,,, 9 महीने के अंतराल में रघू की बहन सालु ने बहुत ही सुंदर लड़के को जन्म दी,,,, दुनिया की नजर में उसे बच्चे का रघु मामा था लेकिन यह बात केवल दोनों की जानते थे कि रघु उस बच्चे का मामा नहीं बल्कि बाप था एक शालू और उसकी मां कजरी,,,,
कुछ महीनों बाद राधा ने भी एक सुंदर बच्चे को जन्म दिया और घर की मालकिन जमीदार की बीवी जुड़वा बच्चों को जन्मदिन एक लड़की और एक लड़का जमीदार की बीवी बहुत खुश थी क्योंकि उस की औलाद जो उसके हाथों में थी जो कि उसके पति से कभी भी मुमकिन नहीं था,,,। मां बनने की खुशी जमीदार की बीवी के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी लेकिन इस बारे में जब जमीदार को पता चला तो वह पूरी तरह से सदमे में था क्योंकि वह जानता था कि उसकी बीवी के पेट में रघू का बच्चा था और इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाया और दिल का दौरा पड़ने से उसकी मृत्यु हो गई जिसका दुख जमीदार की बीवी को बिल्कुल भी नहीं था ,,,,,,,

कोमल अपने माता पिता गोरखपुर से भी बात करने के लिए पूरी तरह से मना चुकी थी,,, तकरीबन 1 वर्ष के बाद कोमल गांव में वापस आई और साथ में अपने माता पिता को भी लेकर आई थी जोकि रघु के साथ विवाह करना चाहती थी मेरे बारे में रघु की मां सेबात करने पर उसकी बात मान गई थी लेकिन गांव वालों को थोड़ा एतराज था क्योंकि कोमल का पति जिंदा था या मर गया था इस बारे में किसी को पता नहीं था और एक विवाह होने पर दूसरा विवाह गांव में प्रचलित बिल्कुल भी नहीं था मैं तो कोई करता ही था लेकिन कमल के मामले में ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह शुरू से अपने पति का साथ नहीं पाई थी और गांव वाले जानते थे कि उसका पति अस्थिर दिमाग का था,,,,,, गांव वालों को मनाने का कोमल के पास बेहतरीन तरीका था वह जानती थी कि गांव वालों की जमीन उसके ससुर के पास गिरवी पड़ी हुई थी जिनके कागजात उसके पास ही है वह,,गांव वालों को उनकी जमीन के कागजात को लौटा दी जिससे गांव वालों को इस शादी को लेकर कोई भी एतराज नहीं था और सुखी संपन्न रूप से रघु और कोमल का विवाह करा दिया गया,,, इस विवाह से गांव के सभी लोग खुश थे,,,,,,, लेकीन रघू का विवाह हो जाने से कुछ औरतें बिल्कुल भी खुश नहीं थी खास करके कजरी,,,, लेकिन विवाह तो कराना ही था ,,, खुश होकर वह अपनी बहू और अपने बेटे को आशीर्वाद देकर एक नई जिंदगी की शुरुआत करने का आशीष दी,,, और अपने बेटे और बहू से इस बात का वचन भी ली की किसी भी हाल में वह दोनों एक दूसरे का साथ बिल्कुल भी नहीं छोड़ेंगे,,,,
 
Newbie
17
17
3
अपनी मां का सवाल सुनते हो रघु एकदम से चौंक उठा उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी मां इस तरह का सवाल पूछ बैठेगी,,, लेकिन यह सवाल उसकी मां के मन में आया कैसे इस बारे में वह पूरी तरह से अनजान और परेशान भी था,,, फिर भी निश्चिंत होकर वह अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए बोला,,।

कैसी बातें कर रही हो मां बिरजू का और किसका,,,, और यह बात तो तुमने ही मुझे बताई थी,,,,,,।


लेकिन मुझे विश्वास नहीं होता की शालू ऐसा कर सकती है,,,।


सब कुछ तुम्हारे सामने ही तो था मां,,,( वह अभी भी पूरी तरह से नंगा अपनी मंकी मां पर लेटा हुआ था लेकिन ऐसा कहते हुए वह अपनी मां के ऊपर से उठने लगा और खटिया के पाटी पर बैठ गया,,,)

नहीं नहीं सब कुछ मेरी आंखों के सामने नहीं था यह तो मेरी आंखों के सामने बात नहीं लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है,,,।


कैसी बातें कर रही हो मां,,,,,, क्या हो गया है तुम्हें आज बहकी बहकी बातें कर रही हो,,,,(रघु अपनी मां से नजरे चुराता हुआ बोला,,, उसके मन में शंका हो रही थी कि कहीं उसकी मां को कुछ पता तो नहीं चल गया इसलिए वह इस समय अपनी मां से कतरा रहा था लेकिन कजरी सब कुछ जानती थी वह बस अपने बेटे के मुंह से सुनना चाहती थी,,,)




बहकी बहकी बातें नहीं कर रही हूं लेकिन मैं तेरे मुंह से सच सुनना चाहती हूं,,,, तुम दोनों भाई बहन मिलकर मुझे क्या पट्टी पढ़ा गई मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन कुछ तो हुआ है,,, ,,,(कजरी भी खटिया पर बैठते हुए अपने बदन पर चादर डालते हुए बोली,,,)

अब क्या बताऊं बिरजू और शालू दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे और दोनों के बीच कब क्या हो गया पता ही नहीं चला,,,


चल यह बात तो मैं मानती हूं,,, कि उन दोनों में प्यार था और वह दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे,,,,,, लेकिन रघू मैं तेरी मां हूं तुम दोनों की मां हु मुझे इतना तो पता चलता ही है कि मेरे पीठ पीछे मेरे बच्चे क्या गुल खिला रहे हैं,,,,(रघु की आंखों में झांकते हुए बोली रघु एकदम से सकपका गया,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां को पता चल गया है कि उसके और उसकी बहन के बीच में कुछ चल रहा है,,,, फिर भी बात को घुमाते हुए वह बोला,,,)

क्या बात तुम भी बे मतलब की बातें कर रही हो,,,


बेमतलब की नहीं बेटा मैं सच कह रही हुं,,,, क्योंकि मैंने तुम दोनों को छत पर चुदाई करते हुए देख ली थी,,,,(अपनी मां की बात सुनते ही रघु की आंखें चौड़ी हो गई क्योंकि वह अभी तक ही समझ रहा था कि उन दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में किसी को कानों कान खबर नहीं थी लेकिन अपनी मां की बात सुनकर रघु दिन से हैरान हो गया था,,,बात को बदलने के लिए उसके पास कोई भी बहाना नहीं था क्योंकि जो कुछ भी उसकी मां कह रही थी वह बिल्कुल सच था,,,, कजरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली ,,,,)
लेकिन उस समय में कुछ नहीं बोली क्योंकि बहुत बड़ी जो हमारे सर पर भी पता थी वह माथे से दूर होने वाली थी और सिर्फ तेरी वजह से इसलिए मैं खामोश रही लेकिन आज मैं तुझसे यह कह रही हूं,,,,,,(रघु के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था बस शर्म से अपना सर नीचे झुकाए खटिया के पाटी पर बैठा था,,,) अब इंकार करने से कोई फायदा नहीं मैं अपनी आंखों से देखी थी तू अपनी बड़ी बहन को चोद रहा था और वह भी खूब मजे ले रही थी,,,,, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता कि सालु इतनी समझदार और भोली भाली होने के बावजूद ऐसे कदम क्यों उठा ली,,, (रघु शर्म से नजरे झुकाए बैठा हुआ था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले,,,यह बात कजरी भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह से उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया उसी तरह से उन दोनों भाई-बहन के बीच की सारी संबंध स्थापित हो गया होगा इसमें कुछ गलत कजरी को बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहा था क्योंकि वह खुद मां होने के बावजूद भी अपनी बेटे के साथ ही चुदाई का भरपूर आनंद लूट रही थी,,,।)
तू कुछ बताएगा भी कि ईसी तरह से खामोश बैठा रहेगा,,,


मममम,,, मैं क्या बोलूं कुछ समझ में नहीं आ रहा,,,,


जो कुछ भी हुआ वह सब मुझे बता दे मैं तुझे मारने पीटने वाली या तुझे भला बुरा कहने वाली नहीं हूं क्योंकि अब हम तीनों एक ही कश्ती पर सवार, है,,,।(इतना कहने के साथ ही कचरी अपने बदन पर डाले हुए चादर को हटा दी और एक बार फिर से निर्वस्त्र हो गई क्योंकि वह रघु को यह बताना चाहती थी कि अब उसे शर्म करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है,,,खास करके तब जब एक बेटा खुद अपनी मां के साथ शारीरिक संबंध बना देता है और एक मां खुद अपने बेटे से संतुष्ट होती है,,,। चादर के हटते ही रघु की नजर अपनी मां की छातियों पर चली गई जो कि सुबह-सुबह और भी ज्यादा खूबसूरत और उत्तेजक नजर आ रही थी,,,, कचरी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

शालू के पेट में तेरा ही बच्चा है ना,,,,
(अपनी मां का यह सवाल सुन कर रखो अपनी मां की आंखों में देखने लगा लेकिन उसे अपनी मां की आंखों में जरा भी गुस्सा क्रोध नजर नहीं आ रहा था बल्कि सच जानने की उत्सुकता नजर आ रही थी और जैसा कि उसकी मां ने बताया कि वह तीनों एक ही कश्ती पर सवार है तो रघू को इस बात से थोड़ी हिम्मत मिलने लगी,,,, वह भी अपनी मां को सब सच बताने का ठान लिया था और अपनी मां का यह सवाल सुनते ही बोला,,,,)

तुम ठीक कह रही हो मां,,,, दीदी के पेट में मेरा ही बच्चा है,,,।
(यह सुनते ही कजरी का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया हालांकि उसे पूरी तरह से शक हो चुका था कि उसकी बेटी के पेट में उसके ही बेटे का बच्चा है,,,,)


लेकिन यह सब हुआ कैसे क्योंकि शालु जैसी लड़की सच कहूं तो मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,,


मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी हुआ था,,, वहीं सच था,,, मैं अंदर कमरे में इसी कमरे में सोया हुआ था,,, और सुबह सुबह शालू मुझे जगाने के लिए आई थी,,,, तुम तो जानती हो मा कि मैं तोलिया लपेट कर सकता हूं नींद में इधर-उधर तोलिया हो गया था,,,, और मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था मैं गहरी नींद में था शालू मुझे जगाने आई और उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ गई,,,, और वह ना जाने क्यों बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ ली और हीलाने लगी,,,, मेरी नींद खुली तो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था वह मुझे नहीं देख पाई थी कि मैं जाग गया हूं मैं उसी तरह से आंखें बंद कर लिया क्योंकि तुम तो अच्छी तरह से जानती हो मां की उस तरह का पल एक जवान लड़के के लिए कैसा होता है,,,।
(अपने बेटे की बातें सुनकर और वह भी अपनी बेटी के बारे में उसकी गंदी हरकत के बारे में सुनकर ही कजरी के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि वह शालू को कभी भी गंदा काम करते हुए सोची नहीं थी और अपने बेटे के मुंह से सुनकर यह पहली मर्तबा था जब वह सालु के बारे में पूरी तरह से कल्पना कर रही थी की उस दिन क्या क्या हुआ होगा कैसा लग रहा होगा रघु अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

वह मेरा लंड हीलाना शुरू कर दी थी मुझे अच्छा लग रहा था,,, मैं देखना चाहता था कि वह और क्या करती है और तभी बाहर किसी की आवाज आई और वो तुरंत भाग खड़ी हुई,,,, इसी तरह से दूसरे दिन भी हुआ लेकिन मेरी हालत एकदम खराब हो गई मुझसे रहा नहीं गया और मैं दीदी का हाथ पकड़ लिया और उसके बाद वह सब कुछ हो गया जो नहीं होना चाहिए था,,,। और यह सिलसिला रोज का हो क्या एक तरह से कहूं तो दीदी मेरे लंड की दीवानी हो गई थी बिना मेरे लंड को अपनी बुर में लिए उनका मन नहीं मानता था,,,,(रघु बिना रुके बोले जा रहा था साथ ही अपनी बहन के बारे में और खुद के बारे में इतनी गंदी बात बताते हुए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी साथ ही अपनी मां की नंगी चूची को देखकर उसकी उत्तेजना और पढ़ रही थी और वहां अपना हाथ आगे बढ़ाकर एक हाथ से अपनी मां की चूची को दबा भी रहा था और बात को आगे भी बढ़ा रहा था,,,) हम दोनों रोज चुदाई करते हैं छत पर तुम्हारे सो जाने के बाद हमें हमेशा दीदी के पास चला जाता था और दीदी की जमकर चुदाई करता था और ऐसे ही किसी दिन तुम्हारी नजर हम दोनों पर पड़ गई होगी,,,,।

हां रात को मेरी नींद खुल गई थी तो तुम दोनों पर मेरी नजर पड़ गई थी लेकिन तब तक तो शालू पेट से हो चुकी थी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि तुम दोनों ने मिलकर अपनी गलती उस बिरजू के मत्थे क्यों चढ़ दीए और कैसे,,,,,,,(कजरी को अपने बेटे के हाथों से स्तन मर्दन कराना अच्छा लग रहा था,,,कजरी के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी आगे की कहानी सुनने के लिए क्योंकि मैं जानना चाहती थी कि साल और उसका बेटा मिलकर कैसे अपनी करनी को दूसरे के मत्थे की लकीर बना दिए थे,,,,रघु जवाब देता हुआ बोला लेकिन अपनी मां की चूची दबाते दबाते उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने लगा था और कजरी की भी नजर अपने बेटे के दोनों टांगों के बीच झूलते हुए उस लंड पर पड़ चुकी थी जो कि रात भर उसकी बुर के अंदर शरण लिए हुए था,,,, और उसे देख कर उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी,,,)

मैं अच्छी तरह से जानता था कि बिरजू सालु से प्यार करता है और उसके साथ हीविवाह करना चाहता है चालू नहीं बताई थी कि उसके साथ वह चुदाई का सुख प्राप्त करना चाहता था लेकिन सालु आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थी,,,।

फिर क्या हुआ,,,?(इस बार कजरी से रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर रघु के लंड को अपने हाथ में पकड़ लि और उसे हिलाना शुरू कर दी,,,, जिससे रघु की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी।)

फिर क्या था हम दोनों ने षड्यंत्र रचाया,,,, बिरजू को फंसाने का क्योंकि वह पहले से ही शालु पर मरता था और वह आलू को चोदना भी चाहता था और इसी का फायदा उठाकर मैं दीदी को सारी पट्टी पढ़ा दिया और पट्टी पढ़ाने के बादशालू से बोला कि वह आम वाले बगीचे में उसे बुलाया और वहां पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और ऐसा ही हुआ शालू बिरजू को आम वाले बगीचे में बुलाई और उसके साथ चुदवाई,,,, उस बेचारे को तो मालूम ही नहीं था कि उसके चोदने से पहले ही शालू पेट से हो चुकी है और शालू यह बात जानती थी कि वह इस मामले में पूरी तरह से गिरते हुए उसे समय का बिल्कुल भी भाग नहीं होता और इसी का फायदा उठाते हुए मैंने बड़ी मालकिन से इस बारे में बात किया था और तब जाकर शालू की शादी बिरजू से हुई,,,।


अपने बेटे की बात सुनते ही आश्चर्य और खुशी से कजरी की आंखें चोडी हो गई,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह रखो को क्या बोले उसे डांटे फटकारे मारे या भला बुरा कहे,,, क्योंकि जो कुछ भी हुआ था उसमें रघु की गलती सरासर थी लेकिन एक बड़ी समस्या से निकालकर चालू की अच्छे घर में विवाह भी उसी ने ही संपन्न करवाया था,,,, अगर कजरी अपने बेटे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे से चुदवाने का हनन देना लूट रही होती तो शायद अपनी बेटी और अपनी बेटी के पीछे सारी संबंध को लेकर कजरी बवाल मचा चुकी होती या तो फिर उसे दिल का दौरा पड़ चुका होता लेकिन अब वह इस रिश्ते से खुश थी ,,,,


बाप रे मेरी पीठ पीछे तुम दोनों ने इतना बड़ा षड्यंत्र रचा दिया और मुझे इसकी भनक तक नहीं लगी वह तो अच्छा हुआ था कि मैं रात को छत पर तुम दोनों की कामलीला को अपनी आंखों से देख चुकी थी वरना मुझे जिंदगी में कभी भी पता नहीं चलता कि मेरे ही घर में मेरे बेटे और बेटी आपस में चुदाई का मजा लूट रहे है,,,।


जैसे कि हम दोनों,,,(रघु अपना दूसरा हाथ भी अपनी मां की चूची पर रख कर दबातें हुए बोला,,, और रघु ने इतनी मस्ती भरी अदा सेअपनी मां की चूची दबाया था कि उसके मुंह से गर्म सिसकारी फुट पड़ी,,,, और अपनी मां की उत्तेजना का रघु पूरी तरह से फायदा उठा देना चाहता था वह नहीं चाहता था कि उसके और उसकी बहन के बीच 4 दिसंबर को लेकर उसकी मां उसे भला-बुरा का है इससे पहले वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले लेना चाहता था ताकि वह भी सब कुछ भूल कर उन दोनों के रिश्ते पर अपनी सम्मति की मुहर लगा दे,,,, और इसीलिए रघू तुरंत अपनी मां पर झुकता हुआ अपने होठों को उसके होठों पर रखकर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया और खटिए पर चित लिटा दिया उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने खड़े लंड को हाथ से पकड़ कर उसे अच्छी तरह से अपनी मां की गुलाबी बुर्के गुलाबी छेद पर लगाकर हल्का सा धक्का मारा और उसका लंड फिर से कजरी की बुर में समा गया,,,, हल्की सी आह की आवाज के साथकजरी ने अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में समा लेने के लिए आमंत्रण दिया,,, और फिर क्या था एक बार फिर से रघु अपनी मां की बुर में समा गया था,,,उसकी दोनों बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथों में पकड़ कर वह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,, पर एक बार फिर से कजरी अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड की आगोश में अपनी जवानी को समेट कर उसे सौंप चुकी थी,,, और गर्म सिसकारी लेते हुए चुदाई का मजा लूट रही थी,,,,

थोड़ी देर बाद दोनों शांत हो गए सुबह हो चुकी थी लोग अपने अपने खेतों पर जा रहे थे इसलिए कजरी अपने ऊपर से अपने बेटे को हटाते हुए बोली,,,,।

चल हट अब उठ जा घर का काम भी करना है खेतों में भी जाना है,,, शालू अपने ससुराल में है इसलिए मुझे ही ढेर सारा काम करना पड़ता है,,,,।


तुम कहो तो मा,, मै शालु को कुछ दिनों के लिए ले आऊ,,,।


क्यों क्या करने के लिए उसकी चुदाई करने के लिए,,,


अरे नहीं मा,,,(रघु अपनी मां के ऊपर से उठता हुआ बोला,,) पहली बार है ना शालू के बिना यह घर अच्छा नहीं लगता,,,(नीचे जमीन पर गिरी अपने पजामे को उठाकर पांव में डालते हुए बोला,,, कजरी भी खटिया के नीचे गिरी अपनी साड़ी को नीचे छुपकर उठाते हुए बोली,,,)

क्या मालकिन उसे आने के लिए राजी होंगी,,,।


यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो तुमसे इजाजत तो मैं इस रविवार को ही जाकर ले जाऊंगा,,,


ठीक है जैसी तेरी मर्जी वैसे भी उसके बिना अच्छा तो नहीं लगता लेकिन उसके आ जाने पर हम दोनों के बीच यह मधुर मिलन नहीं हो पाएगा,,,,।


कैसे नहीं हो पाएगा मां,,,,,(पजामा पहन कर फिर से खटिया के पाटी पर बैठता हुआ बोला)

पागल हो गया क्या शालू की मौजूदगी में मैं तेरे लिए अपनी टांगे खोलने वाली नहीं हूं,,,,(खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने पेटिकोट को उठाकर अपनी पांव में डालकर उसे अपनी कमर की तरफ खींचते हुए बोली,,,)

तुम अकेले अपनी दोनों टांगे नहीं खोल सकती लेकिन सोचो अगर तुम दोनों मिलकर अपनी दोनों टांगे मेरे लिए खोलो तो,,,
(अपने बेटे की बात सुनते ही कजरी एकदम से सन्न रह गई ,,)

क्या पागल हो गया है क्या शालू और मैं दोनों एक साथ,,, तू सच में पागल हो गया है,,( खटिया से नीचे उतरकर अपने पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए बोली)


अरे हो सकता है क्यो नहीं हो सकता क्या तुम दोनों की चुदाई में एक साथ नहीं कर सकता,,,, मेरे लंड में बहुत दम है मेरा लंड एक साथ तुम दोनों मां बेटी की बुर में जाकर तुम दोनों का पानी निकाल सकता है,,,।

चल रहने दे अपने लंड की बढ़ाई करने के लिए,,,,(साड़ी को अपनी कमर से बांधते हुए बोली,,,,)


अरे मां जरा तुम भी सोचो कितना मजा आएगा,,, हम तीनों एक साथ एकदम नंगे तुम भी नंगी दीदी भी और मैं भी,,, मैं कभी तुम्हारी बुर चाट रहा हूं तो कभी दीदी की कभी तुम्हारे मुंह से गर्म सिसकारी निकल रही है तो कभी दीदी के और कभी तो मेरा लंड चाट रही हो तो कभी दीदी और वह भी एक दूसरे के सामने कितना मजा आएगा सोचो चल मेरा लंड तुम्हारी बुर से निकलकर दीदी की बुर में जाएगा एक साथ हम तीनों कितना मजई आएगा मां जरा सोचो,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर कजरी खुद कल्पनाओ कि दुनिया में खोने लगी जैसा जैसा रघु बता रहा था वैसा वैसा वह अपने मन में कल्पना कर रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल के साथ-साथ ऊलझन भी हो रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के सामने अपने कपड़े कैसे उतार पाएगी,,,। हालांकि अपनी बेटी की बात सुनकर उसके भी मन में अपनी बेटी की मौजूदगी में अपने कपड़े उतार कर अपने ही बेटे के साथ चुदाई का सुख भोगने के लिए उत्सुकता बढ़ती जा रही थी लेकिन अपने मुंह से खुलकर कुछ बोल नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,)

तेरी मर्जी में जो आए वह कर,,,,(इतना कहकर वह कमरे से बाहर जाने लगी तो रखो खुश होता हुआ बोला)

तो ठीक है मैं ऐसी रविवार को दीदी को लेने के लिए जा रहा हूं,,,,।

(कजरी यह सोचकर ही मदहोश हुए जा रही थी कि,,,कितना बजे आएगा जब उसका बेटा और उसकी बेटी और वह खुद नंगी होकर एक दूसरे के साथ मजा लेंगे,,,, देखते-देखते रविवार का दिन आ गया और बड़े सवेरे ही रघु तैयार होकर जमीदार के घर पहुंच गया,,, जमीदार की बीवी रघु को देखते ही एकदम खुश हो गई,,, और उसका आवभगत करते हुए बोली,,,,)

आओ रघू तुम्हारा इंतजार में हमेशा करती रहती हूं लेकिन तुम हो की यहां का रास्ता ही भूल गए हो,,


नहीं मालकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,, मैं तो रोज ही यहां आना चाहता हूं लेकिन अब यह मेरी दीदी का ससुराल है इसलिए थोड़ा सबर करता हूं,,,,


हर यह तुम्हारा ही घर है यहां जब चाहो तब आ सकते हो कोई पाबंदी नहीं है,,,,


जमीदार कैसे हैं,,,(पलंग पर लेटे हुए जमीदार की तरफ देखते हुए बोला,,,)

जैसा छोड़ कर गए थे वैसे ही है,,,,

(रघु को देखते ही जमीदार की आंखें तन गई उसका गुस्सा बढ़ गया आखिर बढ़ता भी कि नहीं उसकी हालत का जिम्मेदार भी तो वही था उसकी आंखों के सामने ही उसकी औरत की चुदाई करता था,,,, एक नजर जमीदार के ऊपर डाल कर वह मालकिन से बोला,,,।)

बड़ी मालकिन बुरा ना मानो तो एक बात कहूं,,,।

कहो रघु इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है,,,।

पहली बार सालु घर से इतना दूर गई है,,, मतलब कि यह उसका ही घर है लेकिन मां बहुत परेशान रहती है मैं सोच रहा था कि कुछ दिनों के लिए चालू कर घर ले जाता तो मां को थोड़ी शांति मिल जाती और मैं वापस आकर छोड़ जाऊंगा,,,,।


क्यों नहीं रघू मैं समझ सकती हूं,,,, लेकिन जो आग मेरे अंदर लगी है शायद तुम नहीं समझ पा रहे हो,,,, अपनी बहन को तुम ले जा सकते हो लेकिन उससे पहले मेरी आग बुझाना होगा,,,,(रघु कुछ कह पाता इससे पहले ही जमीदार की बीवी अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और रघु के सामने अपनी नंगी बुर परोश,,,दी,,, रघु बड़ी मालकिन की कमजोरी अच्छी तरह से जानता था,,,, और वह जमीदार की आंखों के सामने ही आगे बढ़ा और जमीदार की बीवी को अपनी बाहों में भर कर के लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया जमीदार अपनी आंखों से देख कर पागल हुआ जा रहा था लेकिन कुछ भी कर नहीं पा रहा था,,, और देखते ही देखते रघु अपनी बहन के सास की चुचियों से खेलता हुआ,,, उसे जमीदार के पलंग पर ही झुका दिया उसकी साड़ी कमर तक उठाकर उसकी नंगी गांड पर जोर से चपत लगाते हुए अपने मुसल को जमीदार की बीवी की ओखली में डाल दिया,,,, जमीदार के कमरे में जमीदार की बीवी की गरम सिसकारी बुझने लगी जिसे सुनकर जमीदार गुस्से से भरता चला जा रहा था,,। लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था जमीदार की बीवी को कितना मजा मिल रहा है उसके चेहरे को देख कर ही पता चल रहा था और रघु भी कस कस के धक्के लगा रहा था उसी समय जमीदार की दूध पीने का समय हो रहा था,,, और दूध पिलाने का जिम्मा शालू का था इसलिए वह रोज की तरह गिलास लेकर जमीदार की कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी और जैसे ही दरवाजे पर पहुंची उसे कमरे में से अजीब अजीब लेकिन जानी पहचानी आवाज सुनाई देने लगी उस आवाज को सुनकर वह एकदम से चौक गई,,,, जमीदार की बीवी अपनी जवानी का जोश ठंडा करने के चक्कर में दरवाजा बंद करना भूल गई थी दरवाजा थोड़ा सा खुला था और जब शालू थोड़े से खुले दरवाजे में अंदर की तरफ झांककर देखी तो दंग रह गई,,,

उसकी सास अपने पति के सामने पलंग के ऊपर झुकी हुई थी और गांड उपर की तरफ उठाई हुई थी और चुदवा रही थी,,, लेकिन किस से लेकिन यह उसे साफ दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन ध्यान से देखने पर उसके पैरों तले से जमीन खिसक गई क्योंकि उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी सांस के पीछे उसका भाई रघु खड़ा था जोकि उसकी सास को चोद रहा था शालू वहां खड़ी नहीं रह सकी और वापस रसोई घर की तरफ चली गई,,,, थोड़ी देर बाद लौटी तो सब कुछ शांत हो चुका था,,,लेकिन यह खबर सुनते ही की रघू उसे लेने आया है तो वह खुश हो गई,,, सब से आशीर्वाद लेकर चालू अपने घर की तरफ निकल गई लेकिन उसकी सास नहीं रघु को तांगा ले जाने के लिए बोली और रघु तांगे में अपनी बहन को बैठा कर अपने घर की तरफ ले जाने लगा ,,,, शालू को समझ में नहीं आ रहा था कि इतनी बड़ी हवेली की मालकिन उसके भाई से क्यों चुदवा रही थी,,,। यही जानने के लिए वह बोली,,,।


क्यों रे अंदर क्या हो रहा था,,,


कहां,,,?

बाबूजी के कमरे में उनकी आंखों के सामने ही,,,,।


अच्छा तो तुझे पता चल गया,,,,(रघु हंसते हुए बोला)


हंस मत यह सब कैसे हो गया मुझे बता,,,


अरे यह सब बहुत पहले से चल रहा है तुझे याद है ना मैं मालकिन को उनके मायके लेकर गया था वही रास्ते में ही हम दोनों के बीच जुदाई का खेल शुरू हो गया,,, तू तो जानती ही है कि तेरी सांस कितनी जवान है और तेरे बाबूजी तेरे ससुर बूढ़े हो चुके हैं और अब तो बिस्तर ही पकड़ लिए है,,,, जवान औरतों की अपनी ख्वाहिश होती है खास करके चुदवाने की उनकी इच्छा पूरी नहीं हो रही थी तो रास्ते में ही मेरे लंड से चुदवाना शुरू कर दी,,,, और यह सिलसिला अभी तक जारी है,,,,।


बाप रे मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है वह सभ्यता की मूरत इतनी शालीनता से रहती है इतनी संस्कारों वाली है,,,वह ऐसी होंगी उनके बारे में तो मैं सपने में भी कभी नहीं सोच सकती थी,,,,


अरे दीदी तू नहीं जानती जो सीधी सादी होती हैं खास करके उन में ही जवानी की आग भरी होती है,,, तेरी जेठानी राधा वह क्या कम है,,,


क्या मतलब,,,?(आश्चर्य जताते हुए शालू बोली)



मतलब यही कि तेरी जेठानी भी मेरे लंड का स्वाद अच्छा हो चुकी है,,,,।

क्या,,,?


तो क्या दोनों की चुदाई करने के बाद ही तो तेरा उस घर में जाने का रास्ता साफ हुआ है,,, क्योंकि उन दोनों की सबसे बड़ी कमजोरी है मेरा लंड,,, जब तक मेरा लंड समय-समय पर उन दोनों की बुर में ज्यादा रहेगा तब तक तो उस घर में रानी की तरह राज करेगी इसलिए मुझे समय समय पर उन दोनों की सेवा करनी ही पड़ेगी,,,।
(तांगा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता चला जा रहा था और साथ में एक के बाद एक राज पर से पर्दा खुलता चला जा रहा था,,,)

और यह भी सुन तेरे बाद ही तेरी जिठानी और तेरी सास दोनों मां बनेंगी जिसका बाप मैं ही हूं,,,,,

(शालू की तो आंखें आश्चर्य से चोडा होती चली जा रही थी,,उसे तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी वह बिल्कुल सच था और जो कुछ भी रघु कह रहा था वह सच होने वाला था,,,)

बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता नहीं चला,,,।


अरे दीदी बहुत कुछ बदल गया है घर चलोगी तो सब पता चल जाएगा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही रघु और जोर से तांगा हांकने लगा,,,)
Wow... nice update...
Keep it up..
 

Top