मैंने पूछा- क्या किया.. बताओ तो सही?
तो उसने अपनी ब्रा मुझे दी और बोली- इसको पहनाओ..
मैंने पहनाया.. तो वो नहीं आ रही थी।
'मेरी सारी ड्रेस टाइट होने लगी हैं..'
जब मैंने नापा तो उसका फिगर 34बी-26-32 हो चुका था, तो मैं बोला- कोई बात नहीं डार्लिंग.. नए कपड़े आ जायेंगे..
वो मेरे लौड़े पर हाथ लगा कर पूछने लगी- इसका दोष नहीं.. इतने कम दिनों में इसने मेरा नाप इतना बढ़ा दिया है।
तो मैं बोला- अगली बार जब साथ रहेंगे तो कुछ दिनों में ही 38 साइज़ के कर दूँगा।
तो वो हँसने लगी और मुझसे लिपट गई।
कुछ दिन बाद उसकी छुट्टियाँ ख़त्म हो गईं और वो भोपाल वापस चली गई।
उसके बाद जब कभी मौका मिलता.. तो मैं भोपाल या कोलकाता हो आता था और जम कर अपनी बहनों की चूत चुदाई के मजे लेता था।
फिर एक दिन मैं भोपाल गया हुआ था और सोनाली मेरी बाँहों में लेटी थी, वो बोली- तुम इतना अच्छा से चोदते हो.. सीखा है कहीं से?
मैं- नो डार्लिंग.. ओनली एक्सपीरियेंस..
सोनाली- मतलब मुझसे पहले भी किसी को चोद चुके हो?
मैं- हाँ..
सोनाली- किसको..?
मैं- एक हो तब ना बताऊँ.. किसी का नाम..
सोनाली- तो कितनी हैं?
मैं- दस..
सोनाली- इतना ज्यादा मतलब मेरा नम्बर 11वां है?
मैं- हाँ।
सोनाली मेरे लंड को पकड़ते हुए बोली- तभी तो ये इतना मजबूत है।
मैं- हाहहह..
सोनाली- कौन-कौन थीं वो ख़ुशनसीब लड़कियाँ? ज़रा बताओ तो.. मैं भी तो जानूँ.. मैं कितनों को जानती हूँ?
मैं- लगभग सभी को जानती होगी शुरूआत हुई थी चेतना से.. याद है तुमको?
सोनाली- हाँ.. वो जो साथ स्कूल जाती थी।
मैं- हाँ वही..
सोनाली- कब.. स्कूल के टाइम में ही.. या बाद में?
मैं- स्कूल के टाइम में भी और अभी भी चोदता हूँ।