UPDATE-37
करीब 5 मिनट आंटी बिना लंड को मुँह से निकाले चूस्ति रही ओर मैं 1 उंगली से आंटी की चूत मारता रह….ऑर 1 हाथ से ड्राइव कर रहा था
कार की स्पीड बहुत कम थी बट आंटी की नही….मैने अब कार को रोक लिया ऑर दो उंगली आंटी की चूत मे डाल दी ऑर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा….
आंटी तो जैसे आज पागल हो गई थी….10 मिनट से मेरा लंड उनके मुँह मे था ओर वो चूसे जा रही थी
आंटी-सस्रररुउुउउप्प्प्प्प्प….सस्स्स्र्र्ररुउुउउप्प्प…..उूुउउम्म्म्ममनममम….सस्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प
मैं-आंटी …मज़ा आ गया…आअहह
अचनाक आंटी अकड़ने लगी तो मैं समझ गया कि मेरी उंगलियो का कमाल है ये ऑर मैं तेज़ी से उंगली को आंटी की चूत मे अंदर बाहर करने लगा….
थोड़ी ही देर मे आंटी झड गई ऑर उनका पूरा चूत रस मेरे हाथ से बहता हुआ कार की शीट पर जाने लगा….अब आंटी ने लंड को मुँह से निकाला…
आंटी-आअहह…..मज़ा आ गया…ऑर ये बोलकर फिर से पहले की तरह लंड चूसने लगी…
कुछ देर बाद मैं भी झड़ने लगा
मैं-आअहह…आअहह…आंटी….मैं…आआया…..पी जाओ
मेरे झड़ने पर आंटी ने लंड को चूसना जारी रखा ओर गपगाप मेरा लंड रस अपने गले से उतार लिया.......
ऑर जब लंड रस पी लिया तो मेरे लंड को चूस के सॉफ कर दिया…तब उसे मुँह से निकाला
आंटी फिर शीट पर टिक कर बैठ गई
आंटी-आअहह….मज़ा आया..???
मैं-बहुत…आपको??
आंटी-मुझे भी
मैं-आंटी आज तो आप एक्सपर्ट रंडी की तरह चूस रही थी
आंटी-अब तुम्हारी रंडी बन ना है तो वैसे काम भी करने पड़ेंगे ना
हम दोनो ही इस बात पर हँसने लगे…
फिर मैने कुछ सोच कर कहा…
मैं-आंटी…आप वो करोगी जो मैं कहुगा
आंटी-कोई शक है क्या…बोल के देख लो
मैं-पलट मत जाना
आंटी-मैं तुम्हारी हूँ…जो कहोगे ..वो करूगी
मैं-ठीक है तो अब आपको खुले आसमान के नीचे चोदता हूँ
आंटी-तुम जहाँ चाहो वहाँ चोदो…मैं तैयार हूँ
मैं-पक्का
आंटी(मेर लंड को हाथ से मसल्ते हुए)- सर…आपकी पर्सनल रंडी हूँ….लाइफ टाइम के लिए…कुछ भी कर सकती हूँ…आपकी खुशी के लिए
मैने आंटी को किस किया ऑर बोला…
मैं-चलो कोई अच्छी जगह देखते है…
ओर मैने कार की स्पीड बढ़ाई ऑर जाते हुए जगह भी देखने लगा …जहाँ मैं आंटी की चुदाई कर सकूँ
करीप 45 मिनट के सफ़र के बाद मुझे 1 मस्त खेत दिखा …जहाँ कुछ बड़े-2 पेड़ दिख रहे थे…ओर 1 छोटा सा लकड़ी का घर भी था वहाँ...
वो मेन रोड से थोड़ा हटकर जगह थी….मैने कार को वहाँ मोड़ दिया…ऑर साइड मे लगा दिया
आंटी-ह्म्म..यहाँ???
मैं-हाँ, यहाँ…आ जाओ…
ऑर हम कार ने निकल कर कार लॉक करके खेत मे जाने लगे….अब आंटी बिंदास लग रही थी…कोई कह भी नही सकता था कि ये एक हाउसवाइफ है…
हम खेत के अंदर पहुचे तो हमे एक तरफ छोटा का मैदान दिखाई दिया …वहाँ पर बड़े-2 पेड़ भी लगे थे ऑर घास भी मस्त थी…
मैने सोचा..यहाँ चुदाई का मज़ा आयगा…ऑर मैने आंटी को कमर से पकड़ कर वहाँ चलना शुरू किया…
जब हम वहाँ पहुचे…तो नज़ारा देख कर हम खुश हो गये…चारो तरफ घास थी …ऑर उपर से पेड़ो की छाया…
आंटी-वाउ…यहाँ तो मज़ा आ जायगा
मैं- बिल्कुल
आंटी-मैने कभी सोचा भी नही था कि मैं ऐसी जगह भी चुदाई करूगी
मैं(आंटी की गंद दवाकर)-अब देखती जाओ मैं ….कहाँ-कहाँ…ऑर कैसे –कैसे तुम्हारी चूत ऑर गंद को फाड़ता हूँ..
आंटी-आहह….अब मेरी चूत , गंद ऑर ये बॉडी तुम्हारी है…जैसे चाहो यूज़ करो..
मैने आंटी को वही बैठने को कहा ओर आंटी…घास पर बैठने लगी…तभी रुक कर बोली
आंटी-ड्रेस खराब हो जाएगी
मैं-हां, सही कहा…तो निकाल दो
आंटी-यहाँ???...कोई देख ना ले
मैं-देख लेगा तो क्या
आंटी-मतलब….क्या है
मैं-तुम मेरी हो…मैं जो कहता हूँ वैसा करो
आंटी-तुम जो कहो…बट कोई दूसरा आ गया तो
मैं(कुछ सोच कर)-अगर आ गया…तो मैं उसी के सामने तुम्हे चोदुन्गा…कोई प्राब्लम
आंटी(चुप रही)-……
मैं-बोलो क्या हुआ
आंटी(थोड़ा सोच कर)-तुम कैसे भी चोदो…कोई प्राब्लम नही…खुश