Incest छोटी कहानियों का संग्रह

किस तरह की स्टोरी आपको ज्यादा पढ़ना अच्छा लगता है ?


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दोस्तों यहां में छोटे छोटे कहानियां पोस्ट करूंगा जो की सीमित अपडेट में पूर्ण होता होगा कहानी net से होगी तो इसका श्रेय उन अज्ञात लेखकों को जायेगा जिन्होंने उसको लिखा है।
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Note : यहां पोस्ट की गई हर कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए है,कृपया वास्तव जीवन में कहानी में घटित कोई भी चित्र प्रयोग करना घातक हो सकता है और इसका जिम्मेदारी कहानी के लेखक या फिर कहानी प्रस्तुतकर्ता नहीं होंगे,तो कृपया इस सबको अपने निजी जिंदगी के साथ मत जोड़ें और अपने बुद्धि,विवेक के साथ काम लें।

धन्यवाद
भोलाराम
 
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-Index-
क्रमांकश्रेणीनामअपडेट संख्यापेज नंबर
Incestमम्मी बन गयी बीवी11
Incestभाई-बहन का लिव इन रिलेशन21
Incestमेरी सौतेली बहन की कामुकता21-2
Adulteryसुहागरात में फटी बीवी की फटी चूत का इलाज12
Incestपति ने मुझे और मेरी बहन को एक ही बिस्तर पर चोदा12
Incestमौसा से चुदाई32
Incestकिसकी गलती!73
Incestजीजू के साथ लंबा हनीमून मनाया44
Eroticaचुत चुदाई गन्ने के खेत में14
क्रमांकश्रेणीनामअपडेट संख्यापेज नंबर
१०Adulteryशादी में मेरी पहली चुदाई15
११Incestबाप बेटी की चुदाई करवा दी15
१२Incestपापा मुझे चोद कर बेटीचोद बन गए25-6
१३Incestबहु की प्यासी जवानी का जलन16
१४Incestबाबूजी भाभी को पेलने के बाद मुझे पेलने लगे16
१५Adulteryजिम ट्रेनर और चुत चुदाई का खेल16
१६Adulteryनौकर ने अपने लंड का पानी चटाया16
१७Adulteryअपंग बाप की वासना और मजबूरी17
१८Incestमेरी दूसरी बीवी की बहन को चोदा17
१९Adulteryजुआरी की बीवी37
२०Incestदीदी को बीवी बनाया37-8
२१Adulteryभाभी का कौमार्य भंग78
२२Incestकमसिन बेटी की उफनती जवानी69-10
२३Incestकुँवारी भांजी की सीलतोड़ चुदाई110
२४Incestहाय रे… वो तो मेरा भाई निकला!110
२५Incestनामर्द भाई के सामने उसके बीवी को बड़े भाई ने चोदा111
२६Adulteryदीदी ओर डॉक्टर111
२७Adulteryलेडी डाक्टर111
२८Incestभांजी के बूब्स संतरे जैसे111
२९Incestससुर ने गांड़ मार ली112
३०Incestमामाजी मेरे चूत में अपना मोटा लन्ड डालते हैं112
३१Adulteryदोस्त की वाइफ112
३२Adulteryरंडी बहन की गैंग बैंग612-13
३३Incestससुर जी का लंड मेरी प्यासी चूत में113
३४Incestसेक्सी विधवा मॉम213
३५Adulteryदीवानी जवानी414
३६Incestकमला की चुदाई...114
३७Incestछोटी बहन के साथ चोदा चोदी415
३८Incestलॉकडाउन में दीदी के साथ मस्ती215
३९Incestबहन को फसाकर चोदा215
४०Incestभतीजी और उसके दोस्त की चुदाई216
४१Adulteryबहन को रंडी बनकर अपनी गरीबी मिटाई216
४२Adulteryपड़ोसी की माल दीदी117
४३Adulteryदरवाजा बनाने आया बच्चा बना गया117
 
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कहानी का शीर्षक मम्मी बन गयी बीवी
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हमारे परिवार पर ईश्वर की बड़ी कृपा थी, सब कुछ अच्छा चल रहा था कि तभी एक दुर्घटना में पापा चल बसे. उसके बाद मेरी शादी हुई तो बीवी से झगड़ा हो गया. वो चली गयी.उसके बाद...
 
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मम्मी बन गयी बीवी
कक्षा 12 उत्तीर्ण करने के बाद मैं अपने पापा के साथ दुकान पर बैठने लगा. कानपुर के एक मार्केट में हमारी कपड़े की दुकान थी. घर में तीन प्राणी थे, मैं, मम्मी और पापा. 22 साल का होते ही मेरी शादी तय हो गई.
हमारे परिवार पर ईश्वर की बड़ी कृपा थी, सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था कि तभी एक मार्ग दुर्घटना में पापा चल बसे. डेढ़ महीने बाद मेरी शादी थी. सभी रिश्तेदारों के कहने पर हमने शादी टाली नहीं और सादगी के साथ मेरा विवाह हो गया.

मेरी पत्नी अनु काफी खूबसूरत थी जिसको पाकर मैं खुद को भाग्यवान समझने लगा. मेरी दुल्हन अनु ने मुझे सुहागरात को जन्नत के दीदार करा दिये. शादी के तीन महीने तक मैंने अनु की जमकर चुदाई की.

तभी भाग्य ने एक बार फिर करवट ली और किसी मामूली सी बात पर मम्मी से झगड़ा करके अनु अपने मायके चली गई. मेरे समझाने पर मानना तो दूर, उसने तो तलाक की नोटिस भिजवा दी.
मेरा दिन तो दुकान पर कट जाता था लेकिन रात को बिस्तर पर जाते ही अनु की याद आने लगती और मेरा लण्ड टनटनाने लगता. लगभग रोज ही मैं मुठ मारकर अपने लण्ड को शांत करने लगा.

भाग्य ने एक बार फिर करवट ली.
हुआ यूं कि इतवार का दिन था और दुकान बंद होने के कारण मैं घर पर था. सुबह के घर के काम निपटा कर लगभग 11 बजे मम्मी नहाने चली गईं और मैं टीवी देख रहा था.

तभी मम्मी के फोन की घंटी बजी. मैं फोन उठाता, उससे पहले ही घंटी बंद हो गई.
मैंने देखा, रेखा आंटी का फोन था.

रेखा आंटी मम्मी की बचपन की दोस्त थीं और मुम्बई में रहती थीं. रेखा आंटी की मिस्ड कॉल के साथ व्हाट्सएप पर उनके मैसेज भी दिखाई दिये तो मैंने व्हाट्सएप खोल दिया. व्हाट्सएप खोलते ही मेरी आँखें फटी रह गईं, रेखा आंटी मम्मी को न्यूड सेक्स क्लिप्स भेजती थीं और यह सिलसिला सालों से चल रहा था. चुदाई के क्लिप्स देखकर मेरा लण्ड टनटनाने लगा.

तभी मम्मी नहाकर आ गईं. अब मम्मी मुझे मम्मी नहीं बल्कि चुदाई का सामान दिखने लगीं.

मैंने मम्मी को चुदाई की नजर से देखा तो पाया कि 5 फुट 5 इंच कद, गोरा चिट्टा रंग, भरा बदन, मस्त चूचियां, मोटे मोटे चूतड़. चुदाई के लिए और क्या चाहिए?

मम्मी अपने कमरे में चली गईं और मैं चुदाई का तान बाना बुनने लगा. मैं मम्मी के कमरे में पहुंचा तो मम्मी पेटीकोट, ब्लाउज पहने हुए ड्रेसिंग टेबल के सामने अपने बाल संवार रही थीं. शीशे में दिख रही मम्मी की चूचियां और साक्षात दिख रहे चूतड़ों ने मेरा दिमाग खराब कर दिया. मन में आया कि यहीं बेड पर गिरा कर चोद दूं लेकिन हिम्मत नहीं पड़ी.

मैं थोड़ा सब्र से काम लेना चाहता था इसलिए मैंने मम्मी को सिनेमा चलने के लिए राजी कर लिया. हम लोग दोपहर का खाना घर से खाकर निकले और रात को बाहर खाकर आयेंगे, यह तय हो गया.

अनिल कपूर व श्री देवी की फिल्म मिस्टर इंडिया दो दिन पहले ही रिलीज हुई थी, दो टिकट लिये और हॉल में जा बैठे.

शिफॉन की झीनी सी साड़ी पहने भीगी हुई
'काटे नहीं कटते ये दिन ये रात'
गाती श्री देवी को देखकर मैंने मम्मी से कहा- मॉम, श्री देवी भी आपकी तरह हॉट है.
मम्मी ने चौंकते हुए गुस्से से कहा- मेरी तरह?

मैंने हंसते हुए कहा- ओह सॉरी, आपसे कम.
और हम दोनों हंस दिये.

फिल्म खत्म होने के बाद हम रेस्तराँ गये और खाना खाकर घर आ गये.

कपड़े चेंज करके मम्मी सोने लगी तो मैंने कहा- मॉम, दो कमरों में रात भर ए.सी. चलता है, क्यों न हम एक ही कमरे में सोया करें.
मॉम ने कहा- सो सकते हैं, आइडिया बुरा नहीं है.

मेरा बेडरूम बेहतर है इसलिए उसमें दोनों लोग सो गये.

मम्मी का तो मुझे पता नहीं लेकिन मुझे रात भर नींद नहीं आई. मम्मी दो बार पेशाब करने के लिए बाथरूम गईं और मैं बाथरूम में उनको पेशाब करने की कल्पना करके, उनकी चूत के बारे में सोचकर अपना लण्ड सहलाता रहा.

दो दिन ऐसे ही चला, तीसरे दिन आधी रात को मैं पेशाब करने के लिए उठा तो मम्मी गहरी नींद में सो रही थीं. कमरे में एक लाइट जलाकर सोना हम लोगों की आदत है.

मैं जब पेशाब करके लौटा तो मम्मी का बदन निहारने लगा. गुलाबी रंग के गाऊन में मम्मी का गदराया बदन मेरी आँखों में नशा भरने लगा.
घुटनों तक उठे गाऊन से बाहर दिखतीं मम्मी की गोरी गोरी टांगें देखकर उनकी जांघों और चूत के बारे में सोचते सोचते मेरा लण्ड टनटना गया.

एक बार मम्मी की जांघें ही देख लूं तो बाथरूम जाकर मुठ मार लूंगा. ऐसा सोचकर घुटनों के बल बैठकर मम्मी की गाऊन उचकाकर अंदर झांका तो सन्न रह गया, मम्मी ने पैन्टी नहीं पहनी थी और उनकी चिकनी चूत देखकर अंदाजा लगा कि दो चार दिन पहले ही मम्मी ने अपनी झांटें साफ की हैं.

मुठ मारने से अच्छा है कि मम्मी के चूतड़ों पर लण्ड रगड़कर डिस्चार्ज कर लूं, ऐसा सोचकर मैं मम्मी के बगल में लेट गया. मम्मी अपनी बायीं ओर करवट लेकर सोई थीं और मैं उनके पीछे. लोअर के अंदर टनटनाता हुआ लण्ड मैंने मम्मी के चूतड़ों से सटा दिया. लण्ड को सेट करते हुए मम्मी के दोनों चूतड़ों के बीच सेट करके हौले हौले से रगड़ने लगा.

मैं जैसे जैसे लण्ड रगड़ रहा था, मेरा जिस्म बेकाबू होता जा रहा था.

तभी मम्मी के शरीर में हलचल हुई, शायद वो जाग गई थीं. मैं नींद का बहाना बनाते हुए सोने का नाटक करने लगा.

मम्मी उठीं और बाथरूम चली गईं. मुझे लगा कि वो पेशाब करने के लिए जगी होंगी. थोड़ी देर बाद मम्मी बाथरूम से निकलीं और कमरे की लाइट बंद करके बेड पर आ गईं. बाहर से स्ट्रीट लाइट की छनकर आती रोशनी में दिख रहा था कि मम्मी फिर से अपनी बायीं ओर करवट लेकर सो गई थीं.

कुछ देर तक कोई हरकत नहीं हुई तो मुझे लगा कि मम्मी सो गई हैं. मैंने धीरे से अपना लण्ड मम्मी के चूतड़ों से सटा दिया. चूंकि लाइट ऑफ थी इसलिए मैंने अपना लण्ड लोअर से बाहर निकाल लिया था. मुझे अब पहले की अपेक्षा बेहतर लग रहा था क्योंकि पहले लण्ड और चूतड़ों के बीच मेरा लोअर और मम्मी का गाऊन था और अब सिर्फ मम्मी का गाऊन था, वो भी पतला सा.

कुछ देर तक लण्ड को चूतड़ों के बीच सटाये रखने के बाद मैंने सोचा अगर मम्मी का गाऊन ऊपर सरका दूं तो लण्ड सीधे चूतड़ों के सम्पर्क में आ जायेगा. ऐसा करने के लिए मैंने मम्मी का गाऊन धीरे धीरे उनकी कमर तक उठा दिया और अपना लण्ड मम्मी के चूतड़ों से सटा दिया.

ये मन भी कितना हरामी है, कहीं ठहरता नहीं. जब नंगे चूतड़ों पर लण्ड रगड़ने लगा तो मन में आया कि मम्मी तो सो ही रही है, अगर लण्ड और चूत की एक बार चुम्मी हो जाये तो मजा आ जाये. बस यही सोचकर मैं अपना लण्ड चूतड़ों के बीच खिसकाते हुए चूत तक पहुंचाने की कोशिश करने लगा.

तभी मेरे भाग्य ने पलटी मारी और मम्मी ने भी.
करवट में सो रही मम्मी सीधी हो गईं, अपनी टांगें चौड़ी कर दीं और मेरा लण्ड अपनी मुठ्ठी में पकड़कर मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया.

मैं खट से मम्मी के ऊपर आ गया और अपना मूसल सा लण्ड मम्मी की चूत में पेल दिया. मम्मी की चूत भी काफी गीली हो चुकी थी और धक्का मुक्की में मैं भी जल्दी ही डिस्चार्ज हो गया. मेरे लण्ड से निकला वीर्य मम्मी की चूत में भर गया था.
मैंने अपना लण्ड मम्मी के गाऊन से पोंछा और चुपचाप सो गया.

सुबह देर से उठा, मम्मी रसोई में थीं. मैं नहाकर तैयार हुआ और नाश्ता करके दुकान चला गया.

रात को घर लौटा, हाथ मुंह धोकर खाना खाया और चुपचाप टीवी देखने लगा. मम्मी से नजर मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी और मम्मी भी नजरें चुरा रही थी.
जो होना था, हो चुका था अब क्या हो सकता था.

कुछ देर तक टीवी देखने के बाद मैं बेडरूम में चला गया और सोने की कोशिश करने लगा, मम्मी रसोई समेट रही थीं. साढ़े ग्यारह बज चुके थे, वही हुआ जिसका मुझे डर था, मम्मी मेरे बेडरूम में नहीं आई.

रात के ठीक बारह बजे मम्मी ने मेरे मोबाइल पर कॉल की और पूछा- नींद नहीं आ रही है ना? आ जाओ, मेरे बेडरूम में. तुम्हारी दुल्हन तुम्हारा इन्तजार कर रही है.

मैं उठा, मम्मी के बेडरूम में पहुंचा तो दंग रह गया. मम्मी का बेडरूम फूलों से सजा हुआ था. सुहाग की सेज पर मम्मी लाल साड़ी पहनकर बैठी थीं.

मैंने मम्मी का चेहरा देखने के लिए घूंघट उठाया तो मेरी आँखें फटी रह गईं. पूरे मेकअप में मम्मी श्री देवी को मात कर रही थीं. मम्मी का हाथ अपने हाथों में लेकर उसको चूमते हुए मैं बोला- आई लव यू, रेनू.
मम्मी कुछ नहीं बोलीं.

मैंने मम्मी का घूंघट हटाकर उनके माथे को चूमा, और उनके होठों पर अपने होंठ रख दिये. मम्मी के होंठ दहक रहे थे.
मम्मी को अपने आलिंगन में लेकर उनकी चूचियां सहलाते हुए मैंने पूछा- मॉम, मैं आपको रेनू कहकर बुला सकता हूँ?
"हाँ, मेरे सोनू, मेरे राजा." इतना कहकर मम्मी मेरी बांहों में झूल गईं.

मैंने मम्मी की साड़ी उतारी, फिर पेटीकोट और ब्लाउज उतारा. ब्लैक कलर की ब्रा और पैन्टी में मम्मी और ज्यादा गोरी लग रही थीं.
अपनी टीशर्ट उतारकर बालों से भरी अपनी छाती से मम्मी को सटाकर मैंने अपना हाथ मम्मी की पैन्टी पर रख दिया और पैन्टी के ऊपर से मम्मी की चूत सहलाते हुए मम्मी के होंठ चूसने लगा.
कुछ देर बाद मैंने मम्मी की ब्रा उतार दी और बीस बाईस साल के अंतराल के बाद आज फिर मम्मी की चूची मेरे मुंह में आ गई.
पैन्टी पर हाथ फेरते फेरते मैंने मम्मी की पैन्टी उतार दी. मम्मी ने आज ही अपनी चूत शेव की थी. मम्मी की चूत पर हाथ फेरते फेरते मैंने अपनी ऊंगली मम्मी की चूत में डाली तो मम्मी नजाकत से चिहुंक उठी.
मैंने मम्मी की चूत के होठों को खोलकर अपने होंठ उस पर रख दिये और अपनी जीभ मम्मी की चूत में फेरने लगा. जीभ की चोंच बनाकर मम्मी की चूत के अन्दर डाला तो मम्मी ने मेरा लण्ड अपनी मुठ्ठी में दबोच लिया और फुर्ती से मेरा लोअर नीचे खिसका दिया. अब मैं मम्मी की चूत चाट रहा था और मम्मी मेरा लण्ड सहला रही थी.

जब मेरा लण्ड टनटना कर मूसल जैसा हो गया और मम्मी की चूत भी अच्छी तरह से गीली हो गई तो मैंनें एक तकिया मम्मी के चूतड़ों के नीचे रखा और मम्मी की टांगों के बीच आ गया.

मम्मी की चूत के लबों को खोलकर अपने लण्ड का सुपाड़ा मम्मी के चूत के मुखद्वार पर सेट करके मैं आगे की ओर झुका और मम्मी की दाहिनी चूची अपने दोनों हाथों से पकड़कर चूसने लगा. मम्मी ने चूतड़ उचकाकर जाहिर कर दिया कि वो अब चुदवाने के लिए बेताब हैं.

अपनी मम्मी की चूची चूसते चूसते मैंने अपना लण्ड मम्मी की चूत में धकेला तो धीरे धीरे पूरा लण्ड मम्मी की चूत में समा गया. मम्मी की चूत कल की अपेक्षा आज टाइट लग रही थी. या तो आज मेरा लण्ड ज्यादा टनटनाया हुआ था या चूतड़ों के नीचे तकिया रखने से मम्मी की चूत टाइट हो गई थी.

मेरा लण्ड मम्मी की चूत के अन्दर था और मम्मी की चूची मेरे मुंह के अन्दर.

मेरे बालों में उंगलियां चलाते हुए मम्मी बोलीं- सोनू, मेरे राजा, मेरी जान मुझे रेनू कहकर बुलाओ, मैं तुम्हारी रेनू हूँ. मुझसे अश्लील भाषा में बात करो, मुझे चोदो, मेरी चूत की धज्जियां उड़ा दो, मेरी चूचियां नोचो, काटो. मेरे साथ दरिंदगी करो, मैं बरसों की प्यासी हूँ, तेरे पापा कुछ नहीं कर पाते थे, मैं बहुत तड़पी हूँ. मुझे चोदो, जमकर चोदो, गंदी गंदी बातें सुनाते हुए चोदो.

अपना लण्ड आधा बाहर निकालकर जोर से अन्दर ठोंकते हुए मम्मी की दोनों चूचियां अपनी मुठ्ठियों में दबोचते हुए मैंने कहा- रेनू डार्लिंग, मेरी जान, मेरी गुलो गुलजार मैं तुम्हें जमकर चोदूंगा, मेरा लण्ड जब अपनी रफ्तार पकड़ेगा तो तुम्हारी नाभि के भी परखच्चे उड़ा देगा. तुम मुझसे चुदवाने के लिए ही पैदा हुई हो और तुमने मुझे इसीलिए पैदा किया था कि मैं तुम्हारी चूत की आग बुझा सकूं. लो झेलो, अब मेरे लण्ड की ठोकरें.

इतना कहकर मैंने मम्मी की चूचियां छोड़ दीं, मम्मी की टांगें अपने कंधों पर रख लीं और अपना लण्ड मम्मी की चूत में अन्दर बाहर करना शुरू किया.

दो तीन बार धीरे धीरे करने के बाद जब दो तीन शॉट जोर से मारे तो मम्मी चिल्ला पड़ी.
मैंने हंसते हुए कहा- रेनू मैडम, अब चिल्लाने से कुछ नहीं होगा, चुदाई ऐसे ही होगी और रातभर होगी.

राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड से पड़े धक्कों से मम्मी हाँफने लगी और हाथ जोड़कर रुकने का निवेदन किया. मैं रूका तो मम्मी ने अपनी टांगें मेरे कंधों से उतार लीं और अपनी सांस सामान्य करने लगीं.

मैंने मम्मी को पलटाकर घोड़ी बना दिया और उनके पीछे आकर चूत का मुंह फैला कर अपने लण्ड का सुपारा रख दिया. दोनों हाथों से मम्मी की कमर पकड़कर जोर का झटका मारा और पूरा लण्ड पेल दिया.

पैसेंजर ट्रेन की रफ्तार से शुरू हुई चुदाई जब राजधानी एक्सप्रेस की स्पीड तक पहुंची तो मेरा लण्ड अकड़ने लगा. मम्मी की टांगें दर्द करने लगी थीं. उनके बार बार कहने पर उनको सीधा करके पीठ के बल लिटा दिया.

इस बार उनके चूतड़ों के नीचे दो तकिये रखे जिससे चूत का मुंह आसमान की तरफ हो गया. लण्ड को मम्मी की चूत में डालकर मैं मम्मी के ऊपर लेट गया और मम्मी की चूचियां पकड़कर रेनू रेनू कहते हुए चोदने लगा.

जब डिस्चार्ज का समय नजदीक आया तो मम्मी के होंठ अपने होंठों में दबाकर मैंने लण्ड की स्पीड बढ़ा दी. डिस्चार्ज होने के बाद भी कुछ देर तक मैं मम्मी के ऊपर ही लेटा रहा.

जब मैं हटा तो मम्मी बोलीं- सोनू, तुम लोटा भरकर डिस्चार्ज करते हो, मेरी पूरी चूत भर दी.

उस रात मैंने मम्मी को तीन बार चोदा. अब यह रोज का काम हो गया.

करीब बीस दिन बाद भाग्य ने फिर करवट ली. रात को खाना खाने के बाद हम बेडरूम में आ गये, लेटते ही मैंने अपना हाथ मम्मी की चूचियों पर फेरना शुरू किया तो मम्मी ने मेरा हाथ पकड़कर चूचियों से हटा दिया और अपने पेट पर रखते हुए बोलीं- सोनू, तुम्हारा छोटा सोनू मेरे पेट में पल रहा है.

मैंने मम्मी को बांहों में भरकर चूमते हुए कहा- रेनू, मेरी जान, मेरे बच्चे की मम्मी, आई लव यू.

इसके बाद मैंने अनु से तलाक ले लिया. अपनी दुकान और मकान बेच दिया और हम लोग कानपुर से सैकड़ों किलोमीटर दूर भुवनेश्वर में आकर बस गये, जहां हमें कोई नहीं जानता था. अब इस घर में तीन प्राणी हैं. मैं, मेरी पत्नी रेनू और हमारा बेटा मोनू.

समाप्त
 
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अगली कहानी भाई-बहन का लिव इन रिलेशन
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आजकल युवा पढ़ाई के लिए दूसरे शहरों में जाते हैं. कई बार हालात और जवानी का जोश उनको किसी दूसरी राह पर धकेल देती हैं. इसी पहलू पर प्रकाश डालती एक कहानी...
 
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अपडेट १
मेरी यह कहानी लिव इन रिलेशन पर आधारित है.

जिस तरह से शिक्षा के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है उसे देखते हुए देश में एजुकेशन का रेश्यो भी काफी हद तक बढ़ गया है. आज के जमाने में हर इन्सान और हर माता पिता अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने की सोचता है.

इसके लिए सब कोशिश में लगे हुए हैं. मैं इस प्रयास में कोई कमी निकाल कर लोगों के मन में कोई गलत धारणा पैदा करना नहीं चाहता हूं किंतु मुझे लगता है कि हर सिक्के के दो पहलू हैं.

इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि शिक्षा के उच्च स्तर से लोगों का जीवन स्तर बेहतर होता है लेकिन इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता कि किसी चीज का कोई फायदा होता है तो उसका नुकसान भी होता है. इसी को सोच कर मैंने ये कहानी लिखी है ताकि दोनों पहलुओं को आपके सामने रख सकूं.

मैं एक बार बिहार स्टेट में गया हुआ था. शहर के पास शेरघटी के जफर खान साहब जो एक जमींदार की फैमिली ताल्लुक रखते थे. उनके दो बच्चे थे. वो दोनों शहर से दूर थे. एक का नाम आसिफ था जिसकी उम्र 24 साल थी. दूसरी एक बेटी थी जिसका नाम था फिज़ा, जो कि 19 साल की थी.

वो दोनों बच्चे स्टडी के लिए बैंगलोर में चले गये थे. आसिफ एम.टेक करने के बाद इंजीनियरिंग में पीएचडी कर रहा था और फिजा इंटर के बाद मेडिकल की कोचिंग ले रही थी. दोनों ही एक फ्लैट में रहते थे जो कि दो रूम वाला फ्लैट था. फ्लैट काफी छोटा था तो दोनों को थोड़ी परेशानी हो रही थी लेकिन दोनों के बीच की जुगलबंदी और समझदारी इतनी अच्छी थी कि दोनों आराम से मैनेज कर ले रहे थे.

उन दोनों के बीच की बॉन्डिंग इतनी अच्छी थी कि दोनों साथ में ही मिल कर खाना बनाते थे. साथ में ही पढ़ाई करते थे और साथ ही बाइक से यूनिवर्सिटी भी जाया करते थे.

तीन चार महीने तक सब कुछ अच्छा चल रहा था. एक दिन कोचिंग से वापस आते वक्त रास्ते में जोर से बारिश होने लग गयी. वो घर की ओर भागे मगर रास्ते में ही दोनों के दोनों पानी में पूरे तर हो गये थे.

उन्होंने जल्दी से बाइक को बेसमेंट में पार्क किया और फिर सीढ़ियों से ऊपर चढते हुए तेजी से अपने फ्लैट की ओर दौड़े. चूंकि दोनों के कपड़े गीले हो चुके थे और दोनों ही पानी पानी हो रहे थे इसलिए कपड़ों से बहता पानी पैरों में जाकर नीचे टपक रहा था.

इसी जल्दी जल्दी में सीढियां चढ़ते हुए फिजा का पैर सीढ़ियों पर से फिसल गया. पैर फिसलते ही उसके पैर में मोच आ गयी. आसिफ ने उसको उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसके पैर में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था और काफी कोशिश करने के बाद भी वो उठने में कामयाब नहीं हो पा रही थी.

उठने की जल्दी में उसके पैर में दर्द और तकलीफ और ज्यादा बढ़ गया था. आसिफ भी बेबस हो गया था. वो अपनी बहन को इस तकलीफ में नहीं देख सकता था. मगर फिजा से उठा ही नहीं जा रहा था. मजबूरी में आसिफ ने अपनी बहन को अपनी गोद में उठा लिया.

वो उसको उठा कर फ्लैट में अंदर ले गया. आसिफ पहली बार किसी जवान लड़की के इतने करीब आया था. फिजा का बदन उसके गीले बदन से सटा हुआ था. फिजा भी पूरी गीली थी और उसका भरा भरा और गुदाज बदन जब आसिफ के शरीर से टच हो रहा था तो आसिफ को एक अलग ही फीलिंग आ रही थी. ऐसी फीलिंग जो उसने आज से पहले कभी महसूस नहीं की थी. उसको वो अहसास काफी खूबसूरत लग रहा था.

उधर फिजा की हालत भी कुछ ऐसी ही थी. उसके मन में भी शायद वही सब उथल पुथल चल रही थी जो आसिफ के मन में चल रही थी. आसिफ की मर्दाना बांहों में उसे भी वही मीठी मीठी और मदहोश कर देने वाली फीलिंग आ रही थी.

फ्लैट के दरवाजे के बाहर पहुंच कर आसिफ ने किसी तरह बहुत ही मुश्किल से फिजा को सहारा देकर खड़ी होने में मदद की. फिजा ने दीवार का सहारा लेकर अपने वजन को संभालने की कोशिश की. इतने में ही आसिफ जल्दी से फ्लैट का लॉक खोलने लगा.

ताला खोलकर वो फिजा को सीधा बेडरूम में ले गया और उसको बेड पर लिटा दिया. फिजा पूरी तरह से भीग गयी थी. इस कारण से उसके सफेद रंग के टॉप में जो कि पूरा का पूरा गीला हो गया था, उसके अंदर फिजा ने सफेद रंग की समीज पहनी हुई थी जो गीली होने के कारण उसके बदन से चिपक गयी थी.

उसकी चिपकी हुई समीज के अंदर से फिजा के मस्त से कसे हुए बूब्स और उसके चूचों पर तने हुए गुलाबी से निप्पल साफ साफ झलकी सी दे रहे थे. आसिफ भी तिरछी नजर से अपनी बहन के गुब्बारों को घूर रहा था.

जब फिजा ने देखा कि उसका भाई उसकी चूचियों को इस तरह से घूर रहा है तो वो बुरी तरह से शरमा गयी. उसने अपने दोनों हाथों से अपने बूब्स को छिपा लिया. आसिफ भी ये सब देख रहा था. फिर उसने नजर हटा ली और वो अलमारी से तौलिया निकालने लगा.

तौलिया के साथ में उसने फिजा के कपड़े भी निकाल दिये. उसने फिजा की ओर कपड़े डाल दिये.
फिजा बोली- भाईजान, मुझे सिर्फ मेरी मैक्सी दे दीजिये. मैं इन गीले कपड़ों के ऊपर से ही मैक्सी डाल कर अपने कपड़े चेंज कर लूंगी.

फिजा के कहने पर आसिफ ने अलमारी से उसकी मैक्सी निकाल कर दे दी. फिर वो रूम से बाहर निकल गया. कुछ देर के बाद वो आयोडेक्स लेकर आया. उसको बहन के पैर की मालिश करनी थी.

वो फिजा के पास बैठ कर उसके टखने पर बाम मलने लगा. आसिफ के छूने से फिजा के बदन में हल्का सा सुरूर और गुदगुदी हो रही थी. तभी दोनों की नजरें मिल गयीं. उनकी नजर एक साथ टकराई तो फिजा शरमा गयी.

फिजा ने अपनी नजरें नीचे करके झुका लीं. आसिफ ने भी उसके टखने पर ध्यान दिया. फिजा पहली बार किसी लड़के के इतना करीब आई थी. अब वो कोई छोटी बच्ची नहीं रह गयी थी. उसकी खिलती जवानी में उसके यौनांगों में कुछ कुछ अब महसूस होने लगा था.

काफी देर तक आसिफ ने अपनी बहन के पैर की मालिश की. फिर वो किचन में गया और वहां से हल्दी मिला हुआ दूध लेकर आ गया. उसने वो दूध फिजा को पीने के लिए दिया.

आसिफ के प्यार भरे बर्ताव से वो काफी इम्प्रेस हो गयी. चार दिनों तक आसिफ ने अपनी बहन फिजा का काफी ध्यान रखा. उसने उसका पूरा खयाल रखा. उसको सुबह सुबह बाथरूम में लेकर जाना. उसको ब्रश वगैरह करवाना. ये सब करते हुए वो दोनों काफी करीब आ गये थे.

भले ही वो दोनों रिश्ते में एक दूसरे के भाई बहन लगते थे लेकिन वो दोनों थे तो विपरीत सेक्स वाले. विपरीत सेक्स में आकर्षण हो जाना तो आम सी बात है. मगर यहां पर देखने वाली बात ये भी थी कि प्यार को अक्सर अंधा कहा जाता है. प्यार को दिखाई नहीं देता कि कौन सी राह ठीक है और कौन सी नहीं.

जिस तरह से एक साथ में आग और तेल साथ सुरक्षित नहीं रह सकते, इन दोनों के साथ रहने से दुर्घटना होने का खतरा हमेशा बना रहता है. आसिफ और फिजा के साथ भी ऐसा ही हो रहा था. दोनों के दिलों में एक दूसरे के लिए मोहब्बत की चिंगारी सुलग चुकी थी. दोनों के दिल में प्यार के दीये जल उठे थे.

इसी दौरान एक ऐसी घटना घट गयी कि बाकी जो थोड़ी बहुत कसर रह गयी थी इन दोनों के रिश्ते में वो भी फिर पूरी हो गयी.

आसिफ अपनी बहन फिजा के पैर में सरसों का गर्म तेल लगा रहा था. फिजा बेड के ऊपर बैठी थी और आसिफ नीचे बैठा हुआ था. उस वक्त फिजा अपने फोन में टिकटॉक देखने में बिजी थी. इसी बेखयाली में उसकी मैक्सी उठ गयी.

उस दिन इत्तेफाक भी ऐसा था कि फिजा ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी. उसी वक्त आसिफ की नजर फिजा की जांघों के बीच में ऊपर की ओर चली गयी. आसिफ की नजर सीधी अपनी बहन की छोटी सी और प्यारी सी उभरी हुई चूत पर चली गयी.

ये देख कर उसका दिल धक्क से रह गया. वाह … क्या खूबसूरत नजारा था उसकी आंखों के सामने. उसकी चूत के ऊपर मुलायम से झांट भी आ गये थे. उसकी चूत की अगल बगल में उसकी रेशमी झांटों ने अपना डेरा जमाया हुआ था.

फिजा की चूत की दोनों फांकें आपस में चिपकी हुई थी. उसकी चूत की दोनों फांकें बिल्कुल ही बेदाग थीं. ये देख कर आसिफ के दिल में तूफान सा उठने लगा. वो बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गया था. अब आसिफ जान बूझ कर अपनी बहन की टांग पर तेल मलने में ज्यादा से ज्यादा समय लगाने की कोशिश कर रहा था.

ज्यादा समय लेने का यही कारण था कि वो फिजा के जनकलोक (चूत) का दर्शन इसी तरह से करता रहे. उसको अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बहन की जवानी से यौवन की खुशबू अब आसपास में फैलने लगी है. उसी यौवन का एक फूल, उसकी चूत, के दर्शन करके आसिफ अचम्भे में था.

आसिफ का 7 इंच लम्बा लंड उसकी बरमूडा में उछल-फांद कर रहा था. उसका लंड पूरी तरह से अकड़ कर तन गया था. कुदरत ने भी ये दोनों चीज बहुत ही कमाल बनाई हैं. लंड और चूत ये दो ऐसे अंग हैं जो एक दूसरे की झलक भर भी पा लें तो तुरंत मचलने लगते हैं.

तभी फिजा बोली- अब रहने भी दीजिये न भाईजान, आप काफी थक गये होंगे.
इतना कह कर फिजा ने अपनी मैक्सी को नीचे करके अपने पैरों को मोड़ लिया. आज की इस घटना ने आग में घी का काम किया.

आसिफ भी एक मर्द था. इस छोटी सी घटना ने उसकी सोच को एक दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया था. उसको असमंजस और दुविधा ने ऐसा जकड़ लिया था कि उसको कोई रास्ता दिखाई ही नहीं दे रहा था. उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो आखिर करे तो क्या करे.

फिजा की मदमस्त जवानी हर वक्त उसके दिल पर छुरी चलाती रहती थी. वो भला खुद को काबू में रखने की कोशिश भी करता तो कब तक? फिजा की जवानी उसके धैर्य और संयम की परीक्षा ले रही थी. आसिफ पूरी कोशिश कर रहा था कि वो इन सब बातों को इगनोर कर दे लेकिन उसका मन बार बार विचलित हो रहा था.

वो जानता था कि इस तरह की बातें सोचना उसके लिये पाप था लेकिन दिल पर भला किसका जोर चलता है. आखिर में वो अपने आप से ही हार गया. जब से उसको फिजा की कुंवारी चूत का दर्शन हुआ था तब से ही वो अपनी बहन की चुदाई के लिये बेताब था.

आसिफ को ये भी मालूम था कि इस उम्र में, खासकर कि पीरियड्स के दिनों में लड़कियां सेक्स के लिए काफी एक्साइटेड हो जाती हैं. ऐसे में अगर वो फिजा की सेक्स की ख्वाहिश को जगाने में कामयाब हो जाता है तो उसकी पांचों उंगली घी में होंगी.

आसिफ इस बात से बिल्कुल अन्जान था कि फिजा भी कुछ इसी तरह के ख्यालों से घिरी हुई थी. उसके मन में भी वही हालात पैदा हो गये थे जिनसे आसिफ गुजर रहा था. ये 18-19 की उम्र होती ही ऐसी है कि सब संयम हाथों से छूटता सा नजर आता है. कई बार कदम लडखड़ा जाते हैं.

आसिफ के प्यार और समर्पण की भावना ने फिजा के दिल में एक अलग ही जगह बना ली थी. वो आसिफ की आंखों में अपने लिये प्यार और चाहत के भावों को साफ साफ देख सकती थी.

एक सगे भाई के देखने के तरीके और मर्द के देखने के तरीके में बहुत ज्यादा फर्क होता है. औरतों को कुदरत ने एक कमाल की चीज दी है जिसको छठी इंद्री कहा जाता है.

अगर कोई मर्द किसी औरत को छूता है तो उसके स्पर्श के बारे में औरत तुरंत पता लगा सकती है. यदि स्पर्श साधारण तौर पर या गलती से किया गया होता है तो उसको पता लग जाता है. यदि स्पर्श काम की दृष्टि से किया गया है तो भी औरत को पता लग जाता है.

इतना ही नहीं. महिलाओं को पुरूषों के देखने के नजरिये से भी पता लग जाता है कि सामने वाला उसके बारे में क्या सोच रहा है या उसके मन में किस तरह के विचार चल रहे हैं. जिस तरह से आसिफ फिजा के बदन को देखता था उसकी नजर सीधे फिजा के जिस्म में अंदर तक उतर जाती थी.

फिजा भी अपने भाई की आंखों में एक भाई को नहीं बल्कि एक मर्द को ही देख रही होती थी. वह जानती थी कि आसिफ के मन में उसके लिए प्यार और वासना काफी बढ़ चुकी है.

यह सब देखते देखते फिजा की सोच में भी तब्दीली आ रही थी और उसकी कामेच्छा भी सिर उठाने लगी थी. फिजा को अब अपना बिस्तर जैसे कांटों भरा लगने लगा था. उसके हाव-भाव में अब समाज के प्रति बागी तेवर साफ साफ नजर आने लगे थे.

फिजा इस तथाकथित समाज के बनाये हुए सिद्धांतों और लाज-ओ-शर्म व मान-मर्यादा की दीवार को धवस्त करके आसिफ की बांहों में समा जाने के लिए उत्सुक रहने लगी थी.

आसिफ को देख कर आजकल उसकी धड़कनें तेज हो जाती थीं. उसके जिस्म में एक अलग ही झुरझुरी सी दौड़ने लगती थी जब आसिफ उसके सामने होता था. अपने भाई से उसकी नजर से नजर मिलते ही उसकी नजर का नीचे झुक जाना इस बात की ओर साफ इशारा कर रहा था कि उसको आसिफ से प्यार हो गया है.

जब भी आसिफ अधनंगा होता या बाथरूम से बाहर निकल रहा होता था तो फिजा की नजर उसके कसरती बदन को चोरी चोरी चुपके चुपके से ताड़ने की कोशिश किया करती थी. आसिफ को कई बार उसने तौलिया में भी देखा था. उसके गीले बदन को देख कर और उसके तौलिया में उठे उसके लंड के उठाव को देख कर फिजा की चूत में कामरस बहना शुरू हो जाता था.

धीरे धीरे उन दोनों के बीच की ये कशिश और चाहत दोनों को एक दूसरे के करीब ले आयी. शायद कुदरत भी उनके इस प्यार को आगे ले जाने में उनकी मदद कर रही थी.

एक दिन ऐसे ही शाम को अचानक से मौसम बहुत खराब हो गया. देखते देखते ही तेज आंधी तूफान चलने लगा. साथ में ही बारिश भी आ गयी. रात के 9 बज रहे थे. मगर बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी.

फिजा उस वक्त किचन में खाना बना रही थी. उसको नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है. वो अपनी मस्ती में खाना बनाने में व्यस्त थी कि एकदम से पावर कट हो गया. घर में पूरा अंधेरा हो गया. बाहर से भी कोई रोशनी नहीं आ रही थी.

अंधेरा होने के कारण उसको कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. वह उजाला करने के लिए किचन से निकल कर बाहर आने लगी. वह इमरजेंसी लाइट ढूंढ रही थी.

अब यहां पर किस्मत का खेल देखिये कि उसी वक्त आसिफ बाथरूम में नहा रहा था. वहां भी अंधेरा हो गया तो वो कुछ देख नहीं पा रहा था. एक तरफ से फिजा अंधेरे में पैर जमाती हुई आगे बढ़ रही थी और दूसरी ओर से आसिफ बाथरूम से निकल कर बाहर आ रहा था.

बीच में दोनों कहीं एक दूसरे से टकरा गये और फिजा नीचे गिरते गिरते बची क्योंकि आसिफ ने अपनी बांहों में उसको थाम लिया था. अगर उस वक्त आसिफ ने फिजा को थामा न होता तो उसको अंधेरे में काफी चोट लग सकती थी.

मगर उस चोट से तो वो दोनों बच गये थे लेकिन अब चोट कहीं और लग गयी थी. बाहर की चोट की बजाय अब अंदर की चोट में दर्द होने लगा था. आसिफ की बांहों का सहारा पाकर फिजा के बदन में अलग ही लहरें दौड़ने लगीं.

उधर फिजा के बदन को छूने के बाद आसिफ भी बहकने लगा था. वो तो अभी नहाकर ही बाहर आया था. बाहर बारिश का मौसम और अंदर अंधेरे में दो जवान जिस्म एक साथ चिपके हुए, आप सोच सकते हैं कि दोनों की हालत क्या हो रही होगी.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
 
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भाई-बहन का लिव इन रिलेशन
अपडेट २

कहानी के पिछले भाग में मैंने आपको फिजा और उसके भाई आसिफ के बारे में बताया था.

वो दोनों भाई बहन पढ़ने के लिए बैंगलोर में रह रहे थे. रिश्ते में वो दोनों भले ही भाई-बहन थे लेकिन शारीरिक तौर पर देखा जाये तो वो दोनों औरत और मर्द भी थे.

फिजा के पैर में चोट लगी तो आसिफ ने उसका बहुत ख्याल रखा. इसी बात ने फिजा के दिल में आसिफ के लिए जगह बना दी. एक दिन आसिफ ने भी अपनी बहन की चूत देख ली. अब दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षण महसूस कर रहे थे.

एक दिन ऐसे ही शाम को अचानक से मौसम बहुत खराब हो गया. देखते देखते ही तेज आंधी तूफान चलने लगा. साथ में ही बारिश भी आ गयी. रात के 9 बज रहे थे. मगर बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी.

फिजा उस वक्त किचन में खाना बना रही थी कि एकदम से पावर कट हो गया. घर में पूरा अंधेरा हो गया. वह उजाला करने के लिए किचन से निकल कर बाहर आने लगी. वह इमरजेंसी लाइट ढूंढ रही थी.

उसी वक्त आसिफ बाथरूम में नहा रहा था. एक तरफ से फिजा अंधेरे में पैर जमाती हुई आगे बढ़ रही थी और दूसरी ओर से आसिफ बाथरूम से निकल कर बाहर आ रहा था. बीच में दोनों कहीं एक दूसरे से टकरा गये और फिजा नीचे गिरते गिरते बची क्योंकि आसिफ ने अपनी बांहों में उसको थाम लिया था.

आसिफ के मुंह से निकला- ओह्ह सॉरी. फिजा तुम्हें चोट तो नहीं लगी?
वो बोली- नहीं भाईजान, मैं बिल्कुल ठीक हूं. आप ठीक हो ना?
वो बोला- हां मैं भी ठीक हूं.

फिर आसिफ ने कहा- फिजा वैसे एक बात कहूं?
वो बोली- हां बोलिये न?
आसिफ ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा- जिसको कोई इतना चाहता हो उसको भला कैसे कुछ हो सकता है?

फिजा बोली- कौन है वो खुशनसीब भाईजान? मुझे भी तो पता चले उसके बारे में.
आसिफ ने कहा- पागल तू ही तो है, और कौन हो सकती है मेरी जिन्दगी में तेरे सिवाय?
वो बोली- धत्त, भाईजान ये भी कोई बात है क्या, आप भी न बस!

इतना बोल कर फिजा ने अपने सिर को आसिफ के चौड़े सीने पर रख दिया. ये सब इतना जल्दी में हुआ कि फिजा को संभलने का मौका नहीं मिला और वो अब आसिफ की बांहों में कैद हो गयी थी.

आसिफ ने धीरे से फिजा के कानों के नीचे अपने होंठों को ले जाकर प्यार से फुसफुसाया- फिजा, आई लव यू.
फिजा भी आहिस्ता से उसके सीने में अपने सिर को छिपाते हुए धीरे से बोली- आई लव यू टू भाईजान.

फिजा की ओऱ से पॉजीटिव रेस्पोन्स मिलने पर आसिफ ने उसके चेहरे को ऊपर करते हुए अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिया और धीरे धीरे उन दोनों के बीच में लिप-लॉक और किसिंग शुरू हो गयी.

आसिफ के साथ लिप लॉक होने से पहले फिजा बस इतना ही बोल सकी- ओह्ह भाईजान, ऐसा मत कीजिये, ये गुनाह है. ऐसा मत कीजिये.
आसिफ ने एक हाथ से फिजा के बूब्स को दबाते हुए बोला- नहीं, फिजा आज मुझे मत रोको. आज वो सब कुछ हो जाने दो, मैं अब तुमसे दूरी को बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं.

अपने भाई के मर्दाना जिस्म की गर्मी के दायरे में आने के बाद फिजा का बदन भी पिघलने लगा था.
वो हकलाने लगी थी और हकलाते हुए बोली- भाईजान, प्यार तो मैं भी आपसे बहुत करती हूं. मगर मैं इस बात को लेकर सोच रही हूं कि मां और पापा क्या कहेंगे.

आसिफ ने कहा- तुम घबराओ नहीं. मैं उन्हें समझा दूंगा.
ये कह कर फिजा को उसने गोद में उठाये हुए ही अंधेरे में ही अपने कदमों को अपने बेडरूम की ओर बढ़ा दिया. फिजा अपने भाई की मजबूत बांहों में चिपकी हुई थी.

दो दिन पहले ही फिजा पीरियड से फारिग हुई थी. उसकी भी सेक्स की ख्वाहिश भड़क उठी थी. आसिफ ने उसे पलंग पर बैठा दिया. उसके बाद उसने फिजा के कपड़े एक एक करके उतार दिये.

फिजा का बदन अब नंगा था और वो अपने भाई के हवाले थी. आसिफ ने अपनी बहन की गोल गोल कसी हुई चूचियों को अपने हाथों में भर कर उनको दबाना शुरू कर दिया. फिर वो अपनी बहन की चूचियों का रसपान करने लगा.

इधर अंदर इन दोनों के जिस्म में चाहत और वासना का तूफान उठा हुआ था और बाहर मौसम का तूफान भी थमने की बजाय और तेज हो रहा था. दो जिस्म अब मिलन के लिए मचल रहे थे. आसिफ फिजा के पूरे बदन पर चूम रहा था. कभी उसकी चूचियों मसल रहा था तो कभी उसके पेट पर चूम रहा था. कभी उसके होंठों को पी रहा था और कभी उसके कानों पर दांतों से काट रहा था.

आसिफ अब बेकाबू होता जा रहा था. अब उसने फिजा की दोनों टांगों को फैला दिया था और भाई के होंठ बहन की चूत पर जाकर ठहर गये. जैसे ही उसकी चूत पर आसिफ के होंठ लगे तो फिजा ने उसके सिर को अपनी चूत पर दबा दिया.

फिजा अब बुरी तरह से मचलने लगी और आसिफ उसकी चूत का रस खींच खींच कर बाहर निकालने लगा. इधर फिजा ने आसिफ के बालों को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से बेड के बिछौने को नोंचने लगी.

आसिफ के होंठों के प्रहार को फिजा की चूत झेल नहीं पा रही थी. उसके मुंह से सहसा ही निकलने लगा- आह्ह भाईजान … प्लीज मुझे थाम लीजिये … ओह्हह … मैं गिर जाऊंगी.

इतना बोलते ही फिजा के शरीर में झटके लगने शुरू हो गये. उसने कस कर आसिफ के मजबूत बाजुओं को पकड़ लिया और उसकी चूत से पहला स्खलन होने लगा. उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकल आया. आसिफ ने जान बूझ कर उसे झड़ने दिया. उसे पता था कि अब दूसरी बार जब उसकी चूत में लंड जायेगा तो उसको चोदने का असली मजा आयेगा. इससे फिजा को भी चूत में तकलीफ नहीं होगी और लंड आसानी से प्रवेश कर जायेगा.

स्खलन के बाद फिजा सुस्त होकर बेड पर लेट गयी. लगभग आधे घंटे तक वो दोनों चुपचाप लेटे रहे. आसिफ उसको पूरा आराम देकर सहज करना चाह रहा था. आराम करने के बाद अब आसिफ ने फिर से फिजा के जिस्म को छेड़ना शुरू कर दिया.

बीस मिनट तक वो उसके बदन को छेड़ता रहा. उसको सहलाता रहा. उसके बाद उसने फिजा की दोनों टांगों को फैला कर फिर से मोर्चा संभाल लिया. इस बार आसिफ ने अपने लंड को चूत की दरार के बीच में एडजस्ट कर दिया.

अब वो अपने लंड को उसकी चूत पर अप और डाउन करते हुए उसकी चूत पर रगड़ने लगा. कुछ ही देर में फिजा दोबारा से गर्म हो गयी. उसके मुंह से अब कामुक सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह उफ्फ … भाईजान, अब कर दीजिये.

आसिफ भी अब ताव में आ चुका था. उसने बहन की चूत के नीचे लंड को सेट करके धक्का लगाया तो फिजा की चीख निकल गयी- बाप रे,,, मर गयी रे … ओह्ह नहीं भाईजान, प्लीज मत डालिये, बहुत दर्द हो रहा है.

फिजा की चूत बिल्कुल सील पैक थी. 5-6 बार कोशिश करने के बाद भी उसकी चूत में लंड अंदर घुसाने में आसिफ कामयाब नहीं हो पा रहा था. जब उसको कोई रास्ता नहीं सूझा तो उसने तेल की बोतल ली और अपने लंड और अपनी बहन की चूत पर नारियल तेल से चिकना कर लिया.

अब वो दोबारा से मोर्चे पर आ गया. उसने फिजा की टांगों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर फैला दिया और मोड़ दिया, इससे फिजा की चूत की दरार खुल गयी. फिर उसने उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने लंड को उसकी चूत पर सेट कर दिया.

लंड को सेट करने के बाद उसने लंड को अंदर धकेला तो कच्च की आवाज के साथ उसका लंड फिजा की चूत को फाड़ता हुआ उसकी चूत में घुस गया. इससे पहले की फिजा की चीख निकलती उससे पहले ही आसिफ ने उसके मुंह को अपनी हथेली से दबा लिया. इससे उसकी चीख अंदर ही दब कर रह गयी.

फिजा दर्द से बिलबिला उठी थी. उसकी आंखों से दर्द के मारे पानी निकलने लगा था. इधर आसिफ को परेशानी हो रही थी. उसको ऐसा लग रहा था जैसे उसने अपने लंड को एक रबर बैंड वाले छल्ले के छोटे से छेद में घुसाया हो और उस छल्ले ने उसके लंड को चारों तरफ से जकड़ लिया हो. उसको ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत का छेद उसके लंड को अंदर खींच रहा था.

उसके बाद वो धक्के देने लगा. इंच दर इंच उसका लंड फिजा की चूत में घुसता जा रहा था. पहले धक्के में 2 इंच, दूसरे में 4 इंच, फिर 6 इंच और फिर 8 इंच और अंत में एक और जोरदार धक्के के साथ 9.5 इंच तक उसने अपना लंड उसकी चूत में पूरा घुसा दिया.

इतने में ही आसिफ के फोन का रिंगटोन बजने लगा- दूरी ना रहे बाकी, तुम इतने करीब आओ कि तुम मुझ में समा जाओ, मैं तुम में समा जाऊं.

अब आसिफ धीरे धीरे अपने धक्कों की रफ्तार को बढ़ा रहा था. फिजा के मुंह से जोर जोर से दर्द भरी सिसकारियां निकल रही थीं. बाहर अभी भी तूफानी बारिश जारी थी. अंदर फ्लैट में सुनामी आई हुई थी. आसिफ अब तूफान मेल बन चुका था- हच … हच … फच-फच … करते हुए अपनी बहन की जबरदस्त चुदाई कर रहा था.

लगभग 20 मिनट तक उसकी चूत की जबरदस्त चुदाई चली.
तभी फिजा फिर से बोल उठी- हाय … ओह्ह … मुझे संभालिये भाईजान, मैं गिर रही हूं.
ये कहते हुए उसने आसिफ के कंधे और सीने पर कई जगह अपने दांत गड़ा दिये.

साथ ही उसने दोनों टांगों को आसिफ की कमर में कैंची की तरह फँसा दिया. इस तरह वो चुदाई की चरम सीमा में पहुंच गयी और 7-8 झटके देते हुए जोर जोर से झड़ गयी.

उस रात को उन दोनों के बीच में 3 बार जम कर चुदाई हुई. सुबह 7 बजे आसिफ की नींद खुली तो उसने पाया कि बेडशीट पर जगह जगह खूने के दाग हो गये थे. फिजा की चूत सूज कर कचौरी बन गयी थी. वो अपना मुंह छुपाये हुए रो रही थी. उसकी इज्जत की उस रात में धज्जियां उड़ गयी थीं.

फिजा को रोते हुए देख कर वो उसे तसल्ली देने लगा.
वो बोला- घबराओ नहीं, कुछ नहीं होगा. अब तुम्हारी सारी जिम्मेवारी मेरी है. जब तुमने अपना सब कुछ मुझे सौंप दिया है तो अब मैं तुम पर कोई आंच नहीं आने दूंगा.

धीरे धीरे बीतते दिनों के साथ सब कुछ नॉर्मल होता गया. अब फिजा अपने भाई आसिफ के साथ ही सोने लगी थी. वो दोनों बिल्कुल ऐसे रहने लगे जैसे शौहर और बीवी रहते हैं.

संडे के दिन हर बार दिन में 3-4 राउंड चुदाई के होने लगे थे. दोनों को सेफ्टी और प्रोटेक्शन का जरा भी ध्यान नहीं था. महीना पूरा होते होते फिजा का जिस्म काफी भर गया था. उसके चूतड़ चौड़े और भारी हो गये थे.

उसके दोनों बूब्स भी काफी हद तक बड़े हो चुके थे. अब उसको जीन्स और टीशर्ट टाइट होने लगी थी. उन दोनों को होश तब आया जब अगले महीने में फिजा का पीरियड मिस हो गया.

उसने यूरीन टेस्ट कराया तो उसमें प्रेगनेंसी का टैस्ट पॉजीटिव आया. आसिफ को मालूम चला तो घबराने की बजाय वो उल्टा खुश हो गया.
खुश होकर वो बोला- आई लव यू मेरी जान … तुमने इतनी जल्दी मुझे अपने बच्चे का बाप और मामा बना दिया?

ये सब होने के तीने महीने के बाद ईद की छुट्टी पर दोनों भाई बहन अपने घर गये. जब फिजा की दादी ने उसके जिस्म को देखा तो उसको कुछ शक सा हुआ.

उसकी दादी ने फिजा से पूछा- साफ साफ बताओ, क्या बात है.
दोनों ने ही अपने बीच हुई बात को एक्सेप्ट कर लिया. आसिफ ने घर वालों को खुल कर बता दिया. उसने कहा कि इसमें फिजा की कोई गलती नहीं है. ये बच्चा जो इसके पेट में है वो बच्चा हम दोनों का ही है.

इस बात पर घर में बहुत हंगामा हुआ. वो लोग मानने को तैयार ही नहीं थे कि भाई बहन आपस में मिल कर बच्चा पैदा कैसे कर सकते हैं. जफर साहब भी काफी गुस्सा हो गये.

जफर साहब ने उन दोनों को घर से निकाल देने का फैसला कर लिया. मगर दादी नहीं चाहती थी कि उसके पोता-पोती घर छोड़ कर जायें. उसने अपने बेटे जफर को किसी तरह से समझा दिया. उसने बड़ी ही होशियारी से मामले को निपटा दिया.

अब घरवालों ने फिजा को अपने एक दूर के रिश्तेदार के यहां कानपुर में भेज दिया. फिजा कानपुर में 9 महीने तक रही. उसके बाद उसने वहीं पर जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. धीरे धीरे सब कुछ नॉर्मल होता चला गया.

आसिफ की जॉब मुम्बई में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में लग गयी थी. वो फिजा और दोनों बच्चों को लेकर मुंबई में चला गया और वहीं पर रहने लगा. जफर साहब और उनकी बीवी ने दोनों को माफ कर दिया. एक महीने के लिए वो अपने पोते पोती-कम-नाती नातिन और बेटे बेटी-कम बहू दामाद के पास आकर रहने लगे.

इस तरह से अब यह एक हैप्पी फैमिली बन गयी थी. मगर ये कहानी की हैप्पी एन्डिंग नहीं थी. जफर साहब अभी केवल 48 साल के थे. उनकी नजर अब अपनी ही बेटी फिजा की भरपूर जवानी पर फिसलने लगी थी.

फिजा की बड़ी बड़ी गोल चूचियां, उसका भरा बदन और उसके गुदाज चूतड़ और बड़ी बड़ी सुडौल चूचियों को देख कर जफर साहब का लंड फिर से जवान हो जाता था.

जब फिजा चलती थी जफर साहब की नजर अपनी बेटी की मोटी मोटी सुडौल चूचियों को उछलते हुए देख कर ललचा जाती थी. भले ही फिजा उनकी सगी बेटी थी लेकिन वो एकदम से गोरी और कमाल की माल हो गयी थी. आसिफ ने चोद चोद कर उसके हुस्न को और निखार दिया था. अब इसी निखार की चमक जफर साहब की आँखों को भी चुभने लगी थी और वो अपनी बेटी की चुदाई की फिराक में रहने लगे थे.

इत्तेफाक से उनको ये मौका मिल भी गया. इस बार ये हुआ कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने आसिफ को तीन महीने के लिए ट्रेनिंग के लिए अमेरिका में भेज दिया.

बस फिर क्या था. जफर साहब के पास इससे अच्छा मौका कहां हो सकता था. उन्होंने अपनी बेगम को साफ साफ शब्दों में अपना इरादा बता दिया कि किसी तरह फिजा की चूत का जुगाड़ करवाओ. मगर किसी तरह का हंगामा नहीं होना चाहिए.

आसिफ के जाने के दूसरे दिन के बाद ही जफर साहब ने अपनी बीवी को कहा कि वो दोनों बच्चों को अपने साथ में सुला ले. बीवी ने वैसा ही किया. फिजा के कानों में बात पहले ही डाल दी गयी थी.

जफर साहब अपनी मजबूत बांहों का प्रयोग करते हुए फिजा को उठा कर अपने कमरे में ले गये. उस रात उन्होंने चार बार अपनी बेटी की जम कर चुदाई की. चूत चुदाई के साथ ही उन्होंने फिजा की गांड चोदने का भी भरपूर मजा लिया.

फिजा के बारे में जफर साहब अच्छी तरह जानते थे कि वो लम्बी रेस की घोड़ी है. इसलिए पहली ही रात को उन्होंने अपना लोहा मनवा लिया. उन्होंने अपने 8 इंची हथियार से फिजा की चूत का रेशा रेशा हिला कर बिल्कुल ढीला कर दिया.

अब धीरे धीरे वो भी बिल्कुल खुल कर अपने पिता के लंड से अपनी चुदाई करवाने लगी. 7 इंची की जगह अब उसको 8 इंची लंड मिल गया था. वैसे भी बाप तो आखिर बाप ही होता है. भाई के लंड में उतना दम कहां जो अपने अब्बू के लंड में उसको दिखाई दे रहा था.

एक महीने तक लगातार चुदवाने के बाद फिजा एक बार फिर से प्रेग्नेंट हो गयी. घर में फिर से खुशियां आ गयीं. मगर इस बार खुशी किसी और के खाते में आई थी. इसलिए अबकी बार आसिफ को अपने पिता के साथ समझौता करना पड़ा.

समझौता एक्सप्रेस दौड़ी और दोनों पार्टियों के बीच में सुलह हो गयी. पिछली बार पिता ने कॉम्प्रोमाइज किया था और अबकी बार कॉम्प्रोमाइज करने की बारी बेटे की थी.

उसके ठीक 9 महीने के बाद फिजा जफर साहब के बच्चे की अम्मी बन गयी. एक बार फिर से घर बच्चे की किलकारियों से गूंज उठा. अब फिजा अपने अब्बू जफर साहब से भी बहुत खुश थी. उसकी खुशी के दो कारण थे. एक तो उसके पास अब एक और औलाद हो गयी थी. दूसरा ये कि जफर साहब अपने बेटे यानि कि फिजा के पति आसिफ से सेक्स के मामले में ज्यादा तजुरबेदार थे.

तो दोस्तो, आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी. ये कहानी लिखने का मेरा मकसद भी आप लोगों को समझ में आ गया होगा. आजकल के जमाने में ये जो लव आजकल चल रहा है इसके बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है. इसलिए युवाओं को काफी सोच समझ कर आगे कदम बढ़ाना चाहिए.

समाप्त
 
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मेरी सौतेली बहन मेरे साथ ही रह कर पढ़ रही थी. एक बार मैं जल्दी अपने फ़्लैट पर आ गया. उस दिन मैंने देखा कि मेरी बहन सीढ़ियों में अपने लवर के साथ …
 
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मेरी सौतेली बहन की कामुकता
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मेरा नाम 'मनन' है और उम्र लगभग सत्ताईस साल. यह करीबन दो साल पुरानी बात है, उन दिनों में दिल्ली में रहता था. वैसे हम लोग पंजाब से हैं और चंडीगढ़ में सेटल्ड हैं. पापा पंजाब सरकार में एक बड़ी पोस्ट पर हैं और मम्मी पंजाब यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं.

मेरी एक छोटी बहन भी है, 'आशिमा' जो मेरे से 6 साल छोटी है. दरअसल जब मैं आठवीं में था तो मेरी मम्मी गुज़र गयीं थे, तब मेरी बुआ और दादी ने पापा की दूसरी शादी करवा दी थी. आशिमा मेरी दूसरी मम्मी की ही बेटी है.
नयी मम्मी बहुत ही अच्छी हैं, उन्होंने हम सबको बहुत प्यार दिया और घर-बार सब सम्भाल लिया. आशिमा ने भी मुझे हमेशा अपना सगा भाई समझा और मैंने भी उसे अपनी 'बेबी सिस्टर' से कम नहीं समझा.

हाई स्कूल के बाद मैं इंजीनियरिंग के लिए पिलानी चला गया था, सिर्फ छुट्टियों में ही घर आ पाता था. केम्पस प्लेसमेंट में ही जॉब मिल गयी थी, और मैं नौकरी करने पुणे चला गया. दो साल पुणे में ही रहा.
वहीं मेरी एक गर्लफ्रेंड भी बन गयी थी. वह हरियाणा के हिसार शहर की थी और यहाँ पर नौकरी के लिए आई थी.

जनाब, क्या गज़ब की ठरकी थी, जब तक … मैं वहां रहा, उसने मेरी जवानी की प्यास को जी भर के बुझाया. हफ्ते में दो बार तो मैं उसको ज़रूर चोदता ही था.

अच्छा वक़्त भी एक दिन ख़त्म हो जाता है. मुझे अपनी तब वाली जॉब से कहीं बेहतर पैकेज वाली एक जॉब गुडगाँव में मिली और मुझे वहां शिफ्ट होना पड़ा.

पापा ने एक छोटा सा डीडीए फ्लैट गुरूग्राम के पास ही दिल्ली में ले रखा था. यह सोच कर कि शायद बच्चों को आगे पढ़ाई या नौकरी के लिए कभी जरूरत पड़े, नहीं तो एक अच्छा निवेश तो था ही.
मैंने नयी नौकरी ज्वाइन करी और उसी फ्लेट में शिफ्ट हो गया. साथ में ही अपनी बोरियत कम करने के लिए अपनी ही कंपनी का एक सहकर्मी 'आफताब' को अपना फ्लैटमेट भी बना लिया.
आफताब और मेरी काफी पक्की दोस्ती हो गयी थी. वह ना सिर्फ अच्छे खाने बनाने और खिलाने का शौकीन था बल्कि रोज़ मुझे खींच कर जिम भी ले जाता था.
सारा दिन ऑफिस में गुज़र जाता, शाम में हम दोनों आपस में बतियाते रहते या फिर लैपटॉप पर अंग्रेजी फिल्में या संगीत सुनते रहते.

सब ठीक था, मगर जवानी का रस निकालने का कोई जुगाड़ नहीं थी. कोई गर्लफ्रेंड तो अब तक बनी नहीं थी और पोर्न देख कर मुठ मारना कुछ मजेदार नहीं था. ना तो मुझे अपनी मर्ज़ी का पोर्न मिलता था, ना ही मुठ मार के आसानी से मेरा माल निकलता था.

हाल यह था कि सारा दिन टट्टे भारी रहते और जब भी खाली होता, मन में चूत का ही ख्याल आता. यहाँ तक कि जो भी लड़की मुझे दिखती उसमें मुझे सिर्फ चूत ही नज़र आती थी. आफताब का भी यही हाल था, और आप शायद मानेंगे कि कुंवारे लड़के की यही हालत रहती है.

कभी वीर्य का प्रेशर बहुत ज्यादा हो जाता तो मुठ काम कर जाती थी, मगर यह तो खाली पेट को खील से भरने जैसा था, मुठ मारने में ना तो चूत की वह गर्माहट और फिसलाहट मिलती थी, ना ही इसमें लड़की के कोमल बदन को अपने नीचे मसलने आनंद. और जो स्वर्गिक सुख गर्म चूत के आखिर तक घुस कर पिचकारी छोड़ने का है, वह मुठ में कहाँ.

बहरहाल किसी तरह हमने भी लगभग एक साल निकाल दिया.

इस दौरान आशिमा ने हाईस्कूल बहुत अच्छे नंबरों से क्लियर किया और अपनी ग्रेजुएशन के लिए उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज में एडमिशन लेने की सोची. जब यह पक्का हो गया कि आशिमा यहीं आएगी ही तो मुझे मजबूरन आफताब को कहीं और रहने का इंतज़ाम करने को बोलना पड़ा. उसने मेरी मजबूरी एकदम समझी और जल्दी से शिफ्ट हो गया.

आशिमा को सेटल करने के लिए मम्मी एक महीने की छुट्टी लेकर दिल्ली आयीं. वह आशिमा के साथ उसके कॉलेज तक भी गयीं और देखा कि मेट्रो से उसे आने-जाने में ज्यादा तकलीफ तो नहीं है!

उन्होंने घर में पार्टटाइम मेड वगैरह भी बदल दी, अब सारा काम उसे सिखा दिया, अब सब कुछ अच्छे से हो जाता था. पहली बार घर, घर जैसा, लगने लगा था.
एक महीने बाद, जब मम्मी को पूरी तसली हो गयी, तो वह वापस चंडीगढ़ चली गयीं.

मेरा तो पहला जैसा ही रूटीन रहा, आशिमा भी सुबह निकल जाती थी पर वह मेरे आने से पहले ही घर होती थी. शाम को हम लोग कुछ छोटी मोटी बातें कर लेते, उसे कुछ रोजमर्रा की तकलीफ होती तो मैं उसका हल बता देता. कभी लेट आता था तो वह खाना खा लेती थी, वरना हम दोनों इकट्ठे ही खाते थी. बाद में दोनों अपने अपने कमरे में सोने चले जाते थे.

अब तक सब वैसा ही चल रहा था जैसे एक आम घर में चलता है.

एक दिन मेरी तबीयत कुछ ढीली थी तो मैं जल्दी घर आ गया और यहीं से ऑफिस के सर्वर में लॉग कर लिया और काम करने लगा.

करीब चार बजे सर भारी सा लगा तो उठ कर किचन में गया और कॉफ़ी तैयार करने लगा. हमारा घर सबसे ऊपर की तीसरी मंजिल पर था, और दूसरी पर तब कोई नहीं रहता था. किचन में एक खिड़की थी जो बाहर आगे की और खुलती थी.

जब मैं कॉफ़ी बना रहा था तो नीचे एक कार रुकने की आवाज़ आई, क्यूंकि मेरी कार भी वहीं खडी थी मैंने खिड़की की ग्रिल से नीचे झाँका. क्या देखता हूँ कि एक हौंडा सिटी रुकी है और आशिमा उस कार से उतर रही थी. ड्राईवर साइड से एक लड़का भी उतरा और दोनों सीढियों की ओर बढे.

एक बार तो मैं कुछ चौंका, मगर फिर सोचा कोई कॉलेज का दोस्त होगा, इधर आ रहा होगा तो यह भी साथ हो ली होगी. फिर सोचा, अब इतनी छोटी भी नहीं है, उन्नीस की हो जायेगी, अगर कोई बॉयफ्रेंड बन भी गया हो तो क्या बुराई है.
इसी ऊहापोह में पांच-दस मिनट निकल गए, मगर आशिमा ऊपर नहीं आई, ना ही वह गाड़ी ही वहां से हिली.

मुझसे रहा न गया और मैंने धीरे से दरवाज़ा खोल नीचे सीड़ियों में झाँका. दूसरी मंजिल, और हमारे वाली मंजिल पर सीढ़ियों की लाइट नहीं जल रही थी मगर उससे नीचे वाली मंजिल पर लाइट जल रही थी. उसी बल्ब की रोशनी ऊपर भी आ रही थी.

देखता हूँ कि दूसरी मंजिल की सीढ़ियों के मोड़ पर वह लड़का दीवार के सहारे खड़ा है और उसने आशिमा को बांहों में भींच रखा है. वे दोनों लगातार किस किये जा रहे हैं और वह लड़का आशिमा के मुंह पर अपना मुंह लगा कर चूस रहा था. आशिमा भी उसका पूरा साथ दे रही थी.

चूंकि मेरे फ्लोर पर अँधेरा था तो उन्हें मैं आसानी से नज़र नहीं आ सकता था. दूसरा आशिमा को यह उम्मीद भी नहीं थी कि मैं घर पर हूँगा.
किस करने के साथ वह लड़का नीचे से आशिमा की गांड को अपने हाथों के जोर से अपनी तरफ तरफ दबा रहा था ताकि कपड़ों के ऊपर से ही सही, उसका लंड आशिमा की चूत के आसपास लग जाए.

कुछ देर बाद उसने आशिमा को कन्धों से नीचे की और दबाने की कोशिश की, मैंने देखा आशिमा प्रतिरोध कर रही थी, मगर वह बहुत बलिष्ट था, आशिमा से दो-तीन साल बड़ा भी लग रहा था, शायद कोई हरियाणा का जाट या गुर्जर होगा.

उसके मर्दाने जोर के आगे आशिमा की एक ना चली, और उसने आशिमा को नीचे की होकर बैठने को मजबूर कर दिया. आशिमा अब उस कोने वाली बड़ी सीढ़ी पर उसके सामने घुटने के बल बैठ गयी.
लड़के ने ज़िप खोली और लंड बाहर निकालने की कोशिश करी. मगर क्यूंकि शायद उसका लंड शायद बुरी तरह तना था वह बाहर निकल नहीं पा रहा था. उसने उसी समय अपनी बेल्ट खोली, पैन्ट और चड्डी थोड़ी से नीचे करी. उसका लोड़ा उछल के बाहर निकल आया.

जब उसका लंड बाहर आया तो मैंने देखा उसका लंड काफी बड़ा और मोटा सा था. वह खुद तो गोरा था, मगर उसका लंड कुछ काला था. उसने एक हाथ अन्दर डाल के अपने टट्टे भी बाहर निकाल दिए.
उसके बाद उसने आशिमा के सर को अपने लंड की और दबाया ताकि वह उसे मुंह में ले ले.

आशिमा ने एक बार तो मुंह में लिया मगर फिर बाहर निकाल दिया और उस लड़के से हल्के से कुछ बोली. मेरा ख्याल है उस लड़के का लंड उस समय पूरी तरह साफ़ नहीं था, वैसे भी गर्मी का मौसम था, ऐसे में लंड और टट्टे अगर साफ़ ना हों तो एक नशीली सी बदबू देते हैं जो हर लड़की को पसंद हो यह ज़रूरी नहीं.

लड़के ने जेब से एक वेट नेपकिन निकाला और उस से लंड को और टट्टे को अच्छे से साफ़ किया. साफ़ होने के बाद उसने फिर से लोड़ा आशिमा के मुंह में लंड ठूँस दिया. आशिमा धीरे धीरे उसका सुपारा चूसने लगी.

अब तक लड़का ठरक से ज़ालिम हो चुका था, उसके चेहरे से यह ज़ाहिर हो रहा था, उसने आशिमा का सर को दोनों तरफ पकड़ लिया और खुद आगे-पीछे होकर उसके मुंह की तेज़-तेज़ चुदाई करने लगा. यह चोदना लगभग पांच सात मिनट तक चला. उसका लोड़ा आशिमा की थूक और उसके प्री-कम से बुरी तरह से चमकने लगा था. साथ-साथ उसके मुख से सिसकारियां भी निकल रहीं थीं.

वो जिस बेदर्दी से वह उसका मुंह चोद रहा था, आशिमा का दम घुटने लगा. उसने उठने की कोशिश की मगर लड़के ने उसे उठने नहीं दिया.
कुछ देर बाद लड़के ने खुद ही आशिमा को पकड़ कर उठाया. और उसे फिर से किस करने लगा. उसने आशिमा की टीशर्ट के नीचे से एक हाथ अन्दर डाल दिया और बेदर्दों की तरह उसकी चूचियां भींचने लगा.

कुछ ही देर में उसने मोम्मे छोड़ दिए और उसने आशिमा की जींस का बटन खींच कर खोल जीन्स नीचे खिसका दी, साथ-साथ आशिमा की पैंटी भी नीचे खिसक गयी.
उसने अपना हाथ नीचे की ओर करके आशिमा की चूत पर रखा और शायद एक या दो उंगली आशिमा की चूत में डाल दी. आशिमा के मुंह से एक दबी हुई चीख सी निकली. इस सब से वह ठरक से बेहाल हो गयी, और उस लड़के से बुरी तरह से चिपकने लगी.
कोई भी लड़का अपने साथ सेक्स करने वाली लड़की की यही दशा करना चाहता है. ऐसी हालत में लड़की वासना में डूब कर अपने होश खो बैठती है. ऐसे में आप उसको चौक में नंगा करके भी चोदोगे तो मना नहीं कर पाएगी.

खैर, अब लड़के का पूरा ध्यान आशिमा कि चूत पर था, उसने नीचे की और हाथ करके उसकी चूत में उंगलियाँ जल्दी-जल्दी अन्दर बाहर करनी शुरू कर दीं. वह चाहता था कि आशिमा जल्द से क्लाइमेक्स पर पहुँच जाए.
और ठीक वैसा ही हुआ, आशिमा की हालत बदहवास हो चली थी, वह उस लड़के पर गिरती चली गयी, जब तक वह चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंची लड़का नीचे से उसे फिंगर-फक करता ही रहा.

मैंने कभी अपनी बहन के बारे में नहीं सोचा था कि वह इतनी गज़ब की सेक्सी होगी. इस समय वह एक वासना से भरी हुई कुतिया लग रही थी, जिसे सिर्फ और सिर्फ एक मर्द की जरूरत थी,

सच बात तो यह कि मैंने आज से पहले मैंने कभी उसकी और इस निगाह से देखा ही नहीं था. हर लड़की किसी की बेटी और किसी की बहन तो होती ही है मगर सेक्स में तो हर लड़की को रंडी की तरह बनना ही पड़ता है तभी उसे भी सुख मिलता है और आदमी को भी मज़ा आता है.

इधर आशिमा को फारिग करने के बाद उस लड़के को अपने माल निकालने की जल्दी थी.
उसने अपने होंठ फिर से आशिमा के होंठ पर रखे और पूरी जीभ उसके मुंह में डाल दी.
एक हाथ से वह अपने अकड़े हुए लंड पर मुठ मारने लगा, दूसरा हाथ अब भी आशिमा की चूत में था, उसका लोड़ा पूरी तरह चिकना हो रहा था और उसकी चमड़ी फटाफट आसानी से उसके सुपारे पर ऊपर-नीचे हो रही थी.

अचानक उस लड़के ने आशिमा की चूत से हाथ निकाला और पहले सूंघा फिर चारों उँगलियों को चूसने लगा. शायद उनमें आशिमा की चूत का पानी लगा था.
उसकी आँखें बंद हो गयीं थीं और उसका मुंह ऊपर की ओर था, वह वासना के उस क्षण तक पहुँच गया जहाँ से अब वापसी संभव नहीं. तभी मैंने देखा उसके लंड से एक के बाद तीन चार धार निकली और आगे सीढ़ी पर जा गिरी. लगभग एक मिनट तक वह अपना लंड हिलाता रहा और आह-आह करता रहा.

जिस पल वह शांत हुआ उसकी आँखें खुली तो उसे लगा कि कोई ऊपर से उसे देख रहा है. वह एकदम घबरा गया, उसने आशिमा को कुछ धीरे से बोला, लोड़ा पैन्ट में ठूसा और पैन्ट बंद करता हुआ नीचे की तरफ भागा.

जब तक आशिमा ऊपर देखती, मैं चुपके से घर के अन्दर खिसक गया और धीमे से लॉक बंद कर दिया.

कहानी जारी रहेगी.
 

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