Incest छोटी कहानियों का संग्रह

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मेरी सौतेली बहन की कामुकता
अपडेट २

जब तक आशिमा ऊपर देखती, मैं चुपके से घर के अन्दर खिसक गया और धीमे से लॉक बंद कर दिया.

दो मिनट बाद लॉक पर बाहर से चाबी लगाने की आवाज़ आई, आशिमा ने दरवाज़ा खोला, वह बहुत बदहवास और काफी डरी हुई लग रही थी.
आशिमा अपने कमरे में गयी, अपना बैकपैक रखा, अपने बैग से अपना सिप्पर निकाला पानी पीया और वाशबेसिन के सामने जाकर मुंह धोने लगी.

आज मैंने पहली बार देखा, आशिमा गज़ब की सेक्सी थी. उसका जिस्म ठीक जगह से भरा हुआ था, उसे सुन्दर और सेक्सी दिखने में कोई ज्यादा कष्ट करने की जरूरत नहीं थी.
उसके सिल्की बाल स्टेप कट थे जो उसके कन्धों पर बिखरे हुए थे. मैंने कभी पहले गौर नहीं किया था वह कैसे कपड़े डालती है. आज देखा तो तो उसने स्लिम फिट जीन्स और ऊपर से लगभग सफ़ेद स्लीवलेस टॉप पहनी थी जिसके पीछे से उसकी ब्रा का स्ट्रेप नज़र आ रहा था.

जब वह कुल्ले के लिए वॉशबेसिन पर झुकी तो उसकी पैन्टी की आउटलाइन उसकी जीन्स पर उभर आई. मुझे पीछे खड़ा देख, आशिमा मुझे अवॉयड करने के लिए बाथरूम में घुस गयी.

मेरा लोड़ा इतनी बुरी तरह तना हुआ था, वह अपने आप गीला हो गया था और मेरा टोपा पीछे की और खिसक गया था. मैं ठरक से जला जा रहा था और मेरा लंड अपने आप झटके मार रहा था. यह तो शुक्र है मैंने अपने लोअर के नीचे बॉक्सर डाले थे वर्ना छुपाना नामुमकिन हो जाता.
यह सच है कि अगर मुझे इस बात का ध्यान न होता कि वह मेरी बहन है वह आज हर हाल में उसे चोद डालता.

उस समय मुझे आशिमा पर कोई गुस्सा नहीं आ रहा था. बल्कि मुझे उसे डरा देख कर बुरा लग रहा था.

मैं ठरक में अपनी जो हालत हो गयी थी वह तो देख ही रहा था, मैंने सोचा आशिमा भी तो जवान है, उसकी भी जिस्मानी ज़रूरतें होंगी, जैसे सेक्स के नशे में हम लड़के बहकते हैं, वह भी बहक सकती है. ऐसे वक़्त पर मुझे उसका साथ देना चाहिए, ना कि उसे डांटना-डपटना चाहिए, या फिर पापा-मम्मी को उसकी शिकायत करनी चाहिए.

आशिमा जब दस मिनट तक बाथरूम से बाहर नहीं आयी तो मैंने दरवाजा खड़काया और पूछा- आशिमा कब आ रही हो, मुझे भी जाना है.
उसी हल्की सी आवाज़ आई- बस आ रही हूँ मन्नू भैया.

जब वह बाहर आई तो उसका चेहरा रुआंसा था, और वह मुझसे आँख नहीं मिला रही थी.

मैं दिखावे के लिए बाथरूम गया, मूत करने की कोशिश की मगर लंड खड़ा होने के कारण मूत नहीं निकला पाया, मैंने दिखावे के लिए फ्लश चला दिया और वापस आकर उसे बोला- चलो आशिमा खाना खा लेते हैं.
आशिमा ने कहा- आप खा लें भैया, मुझे अभी भूख नहीं.

मुझे लगा यह मामला तब तक तय नहीं होगा जब तक मैं आशिमा से इस बारे में बात नहीं करूँगा. वर्ना यह लड़की तो तनाव से ही मर जायेगी.
मैं उसके पास गया और बहुत आराम से उससे पूछा- आशिमा, वह लड़का कौन था?
"कॉलेज का एक दोस्त है!" आशिमा ने डरते हुए धीरे से बोला.
मैंने बहुत आराम से उसे बोला- ठीक है … पर आशिमा अपना ध्यान रखना, ज़रूरी नहीं सब लड़के अच्छे ही हों, कुछ गलत भी होते हैं.

मैंने बात को जारी रखते हुए कहा- डरो मत, मैं मम्मी-पापा को कुछ नहीं बताऊँगा, लेकिन अगर कभी किसी तरह की भी गड़बड़ हो जाए तो तुम मुझसे वादा करो मुझे ज़रूर बताओगी.
उसकी आँखें भर आई और बस उसके मुंह से सिर्फ एक 'जी भैया' निकला.
मैंने कहा- देखो आशिमा, तुम्हारी ज़िम्मेदारी मेरी है. मगर तुम मेरी बहन पहले हो, इस लिए अगर तुमसे कुछ गलती भी होगी तब भी मैं तुम्हारा साथ दूंगा.

इतना सुनना था कि वह सुबक सुबक कर रोने लगी.
मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा- अब चलो मुंह धोओ, खाना खाते हैं.
उसके मन से तो मानो जैसे एक पहाड़ उतर गया हो, वह वॉशबेसिन पर मुंह धोकर किचन में गयी और खाना माइक्रोवेव में गर्म करने लगी.

बाद में हमने टीवी देखते हुए खाना खाया, आशिमा मुंह नीचे कर ही खाती रही, ख़त्म होने पर बर्तन रखे और बोली- भैया, मैं सोने जा रही हूँ.

हालाँकि यह अभी सोने का वक़्त नहीं था, मगर मुझे पता था उसे नींद क्यूं चाहिए थी. उस लड़के ने आज इसकी जवानी को पूरा निचोड़ डाला था. उसकी चूत ही नहीं उसके शरीर का अंग-अंग दर्द कर रहा होगा.

मैं अपने कमरे में गया, और बिस्तर पर लेटे हुए मैं सोचने लगा कि मुझे तो पता ही नहीं लगा कब मेरी छोटी सी बहन आशिमा एक जवान लड़की बन गयी है और आज दूसरे मर्दों से चुदने भी लग गयी है.
उस लड़के और आशिमा का सेक्स याद करके मेरा रोम-रोम वासना से भर रहा था.

मैंने उठ कर दरवाज़े पर अन्दर से कुण्डी लगाई, अपना लोअर और बॉक्सर नीचे किया, हाथ में थूक लगायी और आशिमा को सोच कर धीरे धीरे चमड़ी ऊपर नीचे खिसकाने लगा.
हैरानी की बात थी कि मेरे मन में आज ज़रा सी भी इस बात की शर्म या ग्लानि नहीं थी कि मैं उस दिन अपनी छोटी बहन को आज सिर्फ और सिर्फ एक चूत की तरह देख रहा था.

उस दिन पहली बार मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाया, एक तो कई दिन से टट्टे वीर्य से भारी थी, और ऊपर से जो आज मैंने देखा उसका प्रभाव. अचानक मेरे लोड़े ने चार-छह छोटी-बड़ी पिचकारियाँ हवा में निकलीं, उनमें आज इतना जोर था कि एक दो तो मेरे मुंह पर आ कर गिरी.
मैंने उठ कर अपने पुराने तौलिये से अपने को साफ़ किया और लाइट बंद कर के सो गया.

वह रात और अगला दिन दोनों बेचैनी से गुज़रे. सारा दिन आशिमा को याद कर के मैं उत्तेजित होता रहा. मुझे अब हर हाल में सेक्स चाहिए था, मुझे अपना लोड़ा या तो किसी के मुंह में ठूँसना था या फिर चूत या गांड में घुसाना था, जो भी हो हर हाल में मुझे अपना कामरस निकालना था.

जो भी जवान मर्द हैं वे समझते होंगे कि कई बार आदमी ऐसे स्थिति में पहुँच जाता है जहाँ ठरक से वह पागल हो चुका होता. ऐसे में रिश्तों की कोई अहमियत नहीं रहती. हर औरत और लड़की बस उसकी हवस ठंडी करने का एक जरिया होता है. मुझे भी आज आशिमा की जरूरत थी, मैं इसी उधेड़बुन में था कि कैसे मैं अपना लोड़ा अपनी बहन की चूत में घुसाऊँ.

यह तो था नहीं कि वह कोई कुंवारी थी, जिस हिसाब से वह उस लड़के को किस कर रही थी, उससे फिन्गरिंग करवा रही थी, उसका लोड़ा चूस रही थी तो यह पक्का था कि यह चुद भी चुकी है. उस दिन भी शायद वह उस लड़के से चुद जाती अगर कहीं मन के अन्दर अनजाने में पकड़े जाने का डर ना होता. तभी दोनों ने सीढ़ियों में ही अपना काम कर लिया था.

मुझे किसी तरह घर पहुंचना था. एक बार फिर खराब तबीयत का बहाना बना कर आधे दिन बाद घर आ गया.

आशिमा अभी नहीं आई थी. मैं उसके कमरे में गया, उसकी अलमारी खोली और उसके कपड़े देखने लगा. उसके हर कपड़े को पकड़ कर मुझे ठरक चढ़ रही थी.
मैंने अलमारी में पीछे हाथ मारा तो एक साइड पर उसकी कच्छियां (पंजाबी में पैन्टी को यही कहते हैं) और ब्रा पड़ी थीं.

मैंने बाहर निकाली और देखा दोनों अच्छी क्वालिटी की थी, पतले स्ट्रेप, बॉडी की शेप के टाइट कप, कहीं जाली और कहीं सुन्दर कढ़ाई, मतलब देखते ही सेक्स आ जाये. कुछ ब्रा स्किन कलर थीं, एक दो काली और लाल भी थी, एक पूरा सेट लेमन कलर का था, ब्रा का साइज़ बत्तीस था जो उसके शरीर की बनावट और उसके वज़न के लिये एकदम उचित था.

पैन्टी अट्ठाईस साइज़ की थी और बहुत से रंगों में थीं. कई पतली थोंग जैसी, कोई बिकिनी जैसी, कई सूती और कई सेक्सी साटिन की. मन में आशिमा को यह पैन्टी और ब्रा डाले हुए सोचा तो लंड ने एक ठुमका मारा.

उसकी ब्रा पैन्टी को छूकर मैं ऐसे मुकाम पर पहुँच गया जहाँ बगैर सेक्स किये अब मैं वापस नहीं जा सकता तथा. पहले सोचा किसी रंडी को बुला लूं. जब मैं और आफताब यहाँ रहते थे तो एक दो बार हमने रंडी बुलाई थी, मगर तब हम दो थे और थ्रीसम किया था, पैसे भी आधे आधे कर लिए थे.

लेकिन अब मैं अकेला था सोचा पता नहीं कितना सुरक्षित होगा, कहीं कोई गलत लड़की से चक्कर में फंस ना जाऊं, दूसरी बात यह कि एक ट्रिप में तीन से पांच हज़ार तक लग जायेंगे, और ज्यादा से ज्यादा आधा घंटा चलेगा. इतनी ज्यादा ठरक में तो हो सकता है और भी जल्दी झड़ जाऊं. मुझे यह फिजूलखर्ची लग रही थी, विशेषतः जब मुझे रंडी चोदने में कोई ख़ास मज़ा नहीं आता था.
आखिर हार कर वही पुरानी मुठ मारने की सोची. सोचा आशिमा अपने अंडरगारमेंट धोने के लिए कहाँ रखती होगी, मुझे उसकी चूत की खुशबू सूंघनी थी.

वाशिंग मशीन के पास लांड्री बास्केट पड़ी थी, हमारी मेड दो-तीन दिन बाद जब कुछ कपड़े हो जाते थे, मशीन में धो देती थी. बास्केट में पड़े कपड़े बाहर निकाले तो सबसे नीचे कच्छियाँ और ब्रा मिलीं.

मैंने पैन्टी उठायी और अपने कमरे में ले आया. आज मुझे पूरा नंगा होकर मुठ मारने का मन था. मैंने कपड़े उतारे और आशिमा की पैन्टी को चूत वाली जगह से सूंघने लगा, पैन्टी ताज़ी ताजी उतरी हो तो उसमें चूत की खुशबू होती है, बाद में सूख जाए तो ख़त्म हो जाती है.

मैंने अपनी जीभ निकाल कर चूत से लगने वाले भाग को चाटना शुरू किया. साथ साथ अपने हाथ में थूक लगा कर लंड पर चलाना भी शुरू कर दिया. पूरे कमरे में मेरे सेक्स की खुशबू भर गयी, तभी मैंने उसकी पैन्टी ही लंड पे लपेट ली और उसके साथ ही मुठ मारने लगा.

मैं सेक्स करते हुए गालियाँ देता हूँ, विशेषतः जब वीर्य छूटने को होता है, मगर पता नहीं क्यूं अभी भी आशिमा को जिस टाइप की गाली देने का मैं आदी था, कहने में झिझक हो रही थी,
बस सेक्सी, बिच जैसे अंग्रेजी शब्द ही मुंह से निकल रहे थे.

कुछ देर में ही यह सब मेरे लोड़े की बर्दाश्त के बाहर हो गया और मैं बोला 'ये ले मेरी बिच, अपने भाई का सीमन ले!' और मेरा लोड़ा ज़ोरदार धार मारने लगा, मेरे हल्के पीले सॉलिड माल से आशिमा की सारी पैन्टी भीग गयी.

थोड़ी देर में मैं उठा, आशिमा की ही दूसरी पैन्टी से अपने लंड को पौंछ कर साफ़ किया और फिर आँखें बंद करके कुछ देर के लिए लेट गया.

जब उठा तो बाथरूम गया, पैन्टी को वॉशबेसिन पर थोड़ा धोया ताकि मेरा माल छूट के निकल जाए, और फिर लांड्री बास्केट में फ़ेंक दी.
पता नहीं क्यूं अब मुझे डर नहीं रहा था कि आशिमा या मेड को शक हो जाएगा.

रात को सोते हुए मैं सोच रहा था कि अब यह किस्सा जहाँ पहुँच गया है, आशिमा को चोदे बगैर मुझे चैन नहीं आएगा. अब यही सोचना है कि किस तरह से इसे अंजाम दिया जाए कि कुछ ज़बरदस्ती भी ना हो और काम भी बन जाये.

मन में शर्म और ग्लानि थी ही नहीं. बायोलॉजिकली ना तो आशिमा मेरी बहन थी ना मेरे बाप की बेटी. रिश्ते में ज़रूर मेरी बहन थी, मगर मैं कोई इस से ज़बरदस्ती करने वाला तो नहीं था, अगर कुछ होना है उसकी मर्ज़ी से ही होना था, फिर इसमें बुरा क्या!


समाप्त
 
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सुहागरात को बीवी की चुदाई से चूत फट गयी. अगले दिन दर्द से कराहती पत्नी की चूत की जांच के लिए डॉक्टर के पास गये. वहां पर क्या हुआ जो सुहागरात से ज्यादा मजेदार था.
 
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सुहागरात में फटी बीवी की फटी चूत का इलाज
मेरी नयी नयी शादी हुई थी. मन में सुहागरात मनाने का जोश था और उत्साह भी. चूत चुदाई के हसीन ख्वाब देख रहा था. बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी शादी की रस्में खत्म कीं और फिर चुदाई के लिए तैयारी करने लगा.

नई नवेली पत्नी की चुदाई को लेकर बहुत उत्साहित था. मेरी पत्नी के बारे में आपको क्या बताऊं. वो दिखने में ऐसी थी कि आलिया भट्ट को शादी का जोड़ा पहना दिया गया हो. हूबहू आलिया की कॉपी थी.
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रात को अपने कमरे में पहुंचा तो मेरा लंड बल्ले बल्ले कर रहा था. सुहागरात की सेज पर पहुंचने से पहले ही शेरवानी की पजामी में तन गया था. एक एक पल का इंतजार करना मुश्किल हो रहा था. परीशा से मेरी बात शादी से पहले भी होती थी. फोन पर सब कुछ शेयर कर लिया था. बस अब दो जिस्मों का एक हो जाना बाकी था.
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मेरी पत्नी परीशा एकदम से नाजुक और हसीन सी कली थी. कमरे में पहुंचा तो रात के दस बज गये थे. मैंने जाते ही दरवाजा लॉक कर दिया. अब घूंघट उठाने और मुंह दिखाई जैसी रस्म के लिए सब्र नहीं हो रहा था. मैंने जाते ही परीशा को अपनी बांहों में ले लिया और उसे लेकर लेट गया.

जल्दी ही दोनों एक दूसरे के जिस्मों की जैसे तहें खोलने लगे. मैंने उसके आभूषण उतारे और फिर उसका ब्लाउज और लहंगा. फिर पेटीकोट में उसकी नंगी चूचियों को पीते हुए उसको लेकर चूसने लगा.

मेरी दुल्हन भी पूरी चुदासी हो रही थी. मेरे जिस्म को बांहों में भर रही थी. काफी देर तक उसके दूध से सफेद उरोजों को पीने के बाद मैंने परीशा का पेटीकोट भी उतार दिया. उसकी नयी नवेली चूत ने अपना मीठा रस छोड़ना शुरू कर दिया.

मैंने परीशा की चूत पर मुंह रख दिया और उसकी चूत का रसपान करने लगा. दो मिनट के अंदर ही वो अपनी चूत को मेरे मुंह की ओर उठाने लगी थी. मैं भी पूरी शिद्दत के साथ अपनी पत्नी की चूत के रस को पी रहा था.

फिर परीशा ने भी शर्म का गहना उतार फेंका और मुझे नंगा करने लगी. मेरी कमीज को उतारा और फिर नीचे की पजामी को. मैंने वी-शेप का अंडरवियर पहना हुआ था. मुझे नीचे लिटा कर मेरी पत्नी मेरी फ्रेंची के ऊपर से ही तने हुए लौड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी.

मेरे लंड का तो पहले से ही बुरा हाल हो गया था. परीशा की चूचियों को पीते हुए ही उसने अपनी मिठास मेरी फ्रेंची में चारों ओर फैला दी थी. इधर परीशा भी लौड़े के रस को मेरी फ्रेंची से ऐसे चूस रही थी जैसे अंडरवियर के कपड़े में अमृत लगा हो.

परीशा ने मेरे अंडरवियर को खींच दिया और मेरे लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी. इससे पहले मैंने परीशा को अपने लंड की पिक्स सेक्स चैट के दौरान उसके फोन में भेजी हुई थी. वो शायद मेरे लंड को देख कर शादी से पहले ही चूत में उंगली भी कर चुकी थी. इसलिए सारी शर्म छोड़कर वो लंड को पी रही थी.

जैसे ही उसने मेरे लंड को मुंह में भरा तो मैं जन्नत की सैर करने लगा. मेरे हाथ मेरी नंगी दुल्हन के सिर को पकड़ कर लंड पर दबाने लगे. वो भी जैसे रंडियों से दीक्षा लेकर आई थी. 6.5 इंच का लौड़ा गले तक उतार रही थी.

पांच मिनट तक लंड चुसवाने का मजा लेकर मैं अपने आपे से बाहर हो गया. मैंने उसे नीचे पटका और उसकी चूत में जोर जोर से मुख चोदन करने लगा. परीशा तड़पने लगी. वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी.

बात दोनों के बर्दाश्त से बाहर थी. मैंने फ्रेंची निकाल फेंकी और नंगा होकर परीशा की टांगों को खींचते हुए उसे अपनी ओर खींचा. उसकी चूत पर लंड को रगड़ते हुए उसकी आंखों में देखने लगा. दोनों पर ही पहली चुदाई का नशा सवार था.

उसने भी आंखों ही आंखों में कह दिया- मेरी चूत का उद्घाटन करने में इतनी देर न करो स्वामी.
मैंने उसके मन की इच्छा को भांपते हुए जिस्मों के मिलन की घड़ी को करीब लाते हुए उसकी चूत में अपने चिकने लंड का सुपारा गच से घुसा दिया.
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लंड घुसने भर की देर थी कि मैं किसी इंजन के पिस्टन की तरह परीशा की चूत को ताबड़तोड़ चोदने लगा. वो भी सिसकारियां लेते हुए कामसुख में खो सी गयी.
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पहला राउंड पांच मिनट तक ही खिंच पाया. परीशा तो 4 मिनट के करीब में ही झड़ गयी थी और उसकी चूत के रस से सराबोर अब मेरे लंड के धक्के पच-पच उसकी चूत में लगने लगे.
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एक मिनट के अंदर ही आनंद के उन्माद ने मेरे वीर्य को लंड से बाहर खींच लिया और मैं अपनी पत्नी चूत में स्खलित हो गया.
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एक आंधी सी आकर रुक गयी. मगर ये कुछ देर की शांति थी. तूफान तो आना अभी बाकी था.

उसके दस मिनट बाद तक मैं उसकी चूचियों को पीता रहा और लंड महाराज फिर से चढ़ाई करने के लिए तैयार हो गये. मेरी गोरी चिट्टी पत्नी के मखमली से बदन को चोदने के लिए एक बार फिर से मैंने हथियार को पैना कर लिया.

दोबारा से चुदाई शुरू हुई जो लगभग 30 मिनट तक चली. अबकी बार परीशा नहीं झड़ी. शायद उसकी चूत दुख गयी थी. इसलिए पहली बार वाली उत्तेजना पैदा नहीं हो पायी थी. मगर लंड को चैन कहां था.
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आधे घंटे का विराम देकर मैंने फिर से उसकी चूचियों को छेड़ना शुरू कर दिया. उसकी चूत में उंगली करने लगा और अगले तीन-चार मिनट में उसकी चूत को उंगलियों से ही स्खलित कर दिया.
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अब मैं फिर से अधूरा रह गया था लेकिन परीशा की चूत को भी गर्म करना जरूरी था. फिर मुझे उसके नंगे जिस्म पर लेटे हुए नींद आ गयी. और रात के 3 बजे के करीब फिर से लंड तना हुआ मिला.

मैंने नींद में ही उसकी चूत में लंड को डाल दिया. अब तक ऊर्जा भी इकट्ठा हो गयी थी और परीशा की चूत को भी आराम मिल चुका था. एक घंटे की चुदाई में मैंने उसको दो बार स्खलित किया. अब मेरे लंड में भी दर्द होने लगा था.

दोनों ही फिर से थक कर सो गये. चार बजे के सोये हुए मेरी नींद सुबह के आठ बजे परीशा ने ही खोली.
वो कह रही थी कि उसकी चूत में बहुत तेज दर्द हो रहा है. उसको पेशाब करने में भी दिक्कत हो रही थी.

पत्नी थी इसलिए उसका खयाल रखना भी पहली प्राथमिकता थी. मैंने उसे दिलासा दिया और करीब 11 बजे डॉक्टर दिव्या की क्लीनिक ले गया. दिव्या लगभग 40 साल की महिला रही होगी. क्षेत्र की प्रतिष्ठित डॉक्टर. उन्होंने मेरी नयी नवेली दुल्हन परीशा की जांच की.
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जांच करने के बाद पत्नी को उसने खाने व लगाने की दवा दी तथा ठीक होने तक चुदाई न करने की सलाह दी. चलते समय डॉक्टर दिव्या ने मुझसे कहा कि दो बजे अकेले आकर मिलिये.
मैंने संकोचवश एक ओर जाकर पूछा- कुछ बड़ी समस्या है क्या?
लेडी डॉक्टर ने कहा- चिन्ता की कोई बात नहीं लेकिन आप दो बजे आइये. तब तसल्ली से बात करते हैं. अभी इनको (पत्नी को) आराम की जरूरत है.

घबरा कर मैं परेशान सा हो गया कि आखिर ऐसी क्या बात है जो डॉक्टर मुझे अकेले में बताना चाहती है. कहीं जोश जोश में मैंने कुछ कांड तो नहीं कर दिया अपनी कमसिन सी बीवी के साथ? मन में सौ तरह के सवाल थे लेकिन मैंने परीशा से कुछ भी नहीं कहा.

दो बजे क्लीनिक पहुंचा तो डॉक्टर एक मरीज को देख रही थीं. मरीज के जाने के बाद डॉक्टर ने अपने स्टाफ को छुट्टी दे दी और मुझसे मुखातिब हुईं.
वो बोली- आपकी शादी कब हुई?
मैंने कहा- परसों हुई थी.
दिव्या जी ने पूछा- इससे पहले आपने किसी के साथ सेक्स किया है?
संकोचवश मैंने कहा- कभी नहीं किया मैम.

दिव्या जी बोलीं- मिस्टर, मैं दस साल से प्रैक्टिस कर रही हूँ और बीस साल से चुदवा रही हूँ. मेरे सामने ऐसा कोई केस नहीं आया. आप अन्दर चलिये, आपका चेकअप करना होगा.

एक बार तो मैं सकपका गया कि इसको मेरे चेकअप की क्या पड़ी है. फिर सोचा कि वो डॉक्टर है, हो सकता है कुछ जांच परख करना चाह रही हो.

मैं उठा और अन्दर की ओर चल दिया. इस बीच डॉक्टर साहिबा ने क्लीनिक का मेन डोर लॉक कर दिया और अन्दर आ गईं. मैं अन्दर मासूम सा मुंह बनाकर खड़ा था जैसे स्कूल में उपद्रव करने के बाद बच्चे को प्रिंसीपल के सामने खड़ा कर दिया जाता है.

वो बोली- ऐसे चेकअप होगा क्या आपका? पैंट खोलिये.
जैसे उसने पैंट खोलने की बात कही तो लंड में गुदगुदी सी मची. लेकिन सेक्स जैसी कोई भावना नहीं थी. मैं तो इसे जांच का हिस्सा समझ रहा था.
मैंने कहा- ओह्ह … सॉरी मैम, अभी निकाल देता हूं.

डॉक्टर साहिबा के कहने पर मैंने अपनी पैन्ट खोल दी. अब नीचे से अंडरवियर के अंदर में मेरा लंड लटका हुआ था.
वो बोली- ये भी उतारिये.
उसके कहने पर मैंने सकुचाते हुए अपना अण्डरवियर भी उतार दिया.

घबराहट भी हो रही थी और शर्म भी आ रही थी. डॉक्टर साहिबा ने लंड को लटकता देख कर एक बोतल में से कोई जेल अपने हाथ में लिया और मेरे लण्ड पर मलने लगीं.

जैसे ही उसका हाथ मेरे गर्म से सोये हुए लंड पर लगा तो लंड में करंट सा दौड़ गया. हवस को उफनते हुए देर न लगी और लौड़ा उसके हाथ में भरता हुआ आ गया.
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वो लंड खड़ा होने के बाद भी लंड पर जेल रगड़ रही थी. उसके चेहरे पर वासना टपकने लगी थी. मैं भी मजा लेने लगा था. लंड तनकर एकदम सख्त लोहे की रॉड की तरह हो गया. मगर वो अभी भी लंड को मसले जा रही थी.

मुझे समझते देर न लगी कि ये कोई चेकअप नहीं कर रही बल्कि ये तो चूत चुदवाने के चक्कर में है. मैं डॉक्टर साहिबा के जिस्म का मुआयना करने लगा. लगभग 40 साल की उम्र, गोरा चिट्टा भरा बदन, बड़ी बड़ी चूचियां और भारी भरकम चूतड़.
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भले ही वो बीस साल से चूत चुदवाने की बात कह चुकी थीं लेकिन थीं तो वो अविवाहित. यानि कि तकनीकी रूप से मुझे एक कुंवारी महिला को चोदने का मौका मिलने वाला था.

मेरे लंड को हाथ में भरकर वो उसको दबाने लगी थी. फिर उसने मेरी ओर देखा और एकदम से मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
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मैं तो पहले ही चुदाई के कयास लगाये बैठा था इसलिए लंड चुसवाने का मजा लेने लगा. मुझे हैरान नहीं हो रही थी कि क्योंकि उसकी हरकत ही चुदक्कड़ औरत वाली थी.

लेडी डॉक्टर मेरे लंड को मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी.
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मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. उसकी चूचियों की घाटी मुझे नीचे हिलती हुई दिखाई दे रही थी जो मेरी उत्तेजना को और ज्यादा तीव्र कर रही थी.
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उसकी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे सरक गया था और ब्लाउज में उसकी मोटी मोटी चूचियां भरी हुई अलग से दिखाई दे रही थीं. मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और उसके मुंह को चोदने लगा.
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अब मेरे धक्के उसके मुंह में लग रहे थे.
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वो भी पक्की रंडी थी. पूरा लंड गले तक ले रही थी. मेरे लौड़े की नसें फटने को हो गयी थीं.
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उसने माहौल ही ऐसा पैदा कर दिया था कि उसकी चूत को फाड़ देने का मन कर रहा था.

तभी डॉक्टर साहिबा ने अपनी साड़ी, पेटीकोट को उतार कर एक तरफ फेंका और केवल पैंटी और ब्लाउज में मेरे सामने खड़ी हो गयी. मैं उसकी चूचियों पर टूट पड़ा उसके उरोजों को उसके ब्लाउज के ऊपर से दबाते हुए मसलने लगा. वो सिसकारने लगी और मेरा लंड उसकी जांघों से टकराने लगा.

मैंने फिर उसकी पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा.
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वो मेरे मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी. जब उससे रहा न गया तो उसने मेरी शर्ट को खोला और फिर खुद जाकर बेड (जांच कक्ष के स्ट्रेचर) पर लेट गयी.

चूत खोलकर वो चुदने के लिए तैयार थी और मेरी तोप उसकी चूत की धज्जियां उड़ाने के लिए. मैं उसकी टांगों के बीच आया तो उन्होंने अपनी टांगें फैला दीं जिससे बुर के लब अपने आप खुल गये.

मैंने लण्ड का सुपारा बुर पर रखकर ठोका तो सुपारा टप्प से बुर के अन्दर हो गया.
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मैं रुका नहीं और पूरा लण्ड उनकी बुर में पेल दिया.
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पूरा लण्ड बुर में जाते ही डॉक्टर साहिबा ने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलकर ब्रा ऊपर खिसका दी और अपने कबूतर आजाद कर दिये.

चूचियां नगीं होते ही मैंने लपककर एक चूची मुंह में ले ली और चूसने लगा. डॉक्टर साहिबा बार बार अपनी बुर को अन्दर की ओर सिकोड़ रही थीं जिससे मेरा लण्ड टनटनाता जा रहा था. मैंने चूची छोड़ी और लण्ड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
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सिसकारते हुए बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… इतने प्यार से चोदो, इतनी जोर से चोदो, इतनी देर तक चोदो कि मैं दुनिया भूल जाऊं.
मैंने कहा- डॉक्टर साहिबा, अभी तीन बजे हैं, मैं अगले पांच घंटे तक फ्री हूं, आप पड़ी रहिये, मैं चोदता रहूंगा.
वो बोलीं- मेरे पास तीन घंटे का ही समय है, छह बजे मेरा स्टाफ आ जाता है, तब तक चोद चोद कर मेरी चूत का कचूमर निकाल दो.
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मैंने उनकी दोनों टांगें उठाकर अपने कंधों पर रख लीं और राजधानी एक्सप्रेस की रफ्तार से उसकी चूत को चोदने लगा.
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लंड जाते ही चिल्ला पड़ी- बस करो, बस करो … आह्ह आराम से … चोदो.
मैं रुक गया तो अगले ही पल फिर से सिसकार उठी- अच्छा और तेज करो … आह्ह चोदो … पूरा जोर लगाकर.
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समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहना चाह रही थी. जाने क्या क्या बोल रहीं थी और चूतड़ उचका उचकाकर मेरा साथ दे रही थी. आधे घंटे तक उसकी चूत को पेलने के बाद मेरे स्खलन का समय नजदीक आ गया.
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उस समय मेरा लण्ड फूलकर और मोटा व टाइट होने लगा तो वो समझ गईं और बोली- अब रुकना नहीं, डिस्चार्ज होने के बाद भी नहीं.

मैंने वैसा ही किया और डिस्चार्ज होने के बाद भी ठुकाई जारी रखी.
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फिर निढाल होकर बोली- बस करो राजा, तुमने आज जन्नत दिखा दी. आओ अब खाना खा लें, फिर दूसरा राउण्ड होगा और इस बार तुम नीचे लेटोगे और मैं तुम्हें चोदूंगी.

चुदाई का पहला राउंड खत्म हो गया था. उसके बाद हमने कुछ देर का आराम किया और फिर से जांच कक्ष (चुदाई कक्ष) में पहुंच गये. अबकी बार मैं बेड पर लेटा और वो मेरे लंड पर अपनी चूत को चौड़ी करके बैठ गयी.

मैंने नीचे से उसकी चूत में धक्के लगाते हुए उसको पेलना शुरू कर दिया.
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उसकी फुटबाल के आकार की मोटी मोटी चूचियां उछल-कूद करने लगीं.
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वो मेरे लंड पर कूदते हुए लंड को अंदर तक लेकर आनंदित होने लगी. दस-पंद्रह मिनट के बाद ही उसकी चूत ने पानी फेंक दिया और फच-फच की आवाज के साथ चुदाई करते हुए दो मिनट के बाद मेरा वीर्य भी उसकी चूत में निकल गया.
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दूसरा राउंड हो गया था. पंद्रह मिनट का विराम दिया और एक बार फिर से उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया. दस मिनट लगे लंड को फिर से चुदाई लायक होने के लिए. मैंने लंड पर फिर से जेल लगाया और उस लेडी डॉक्टर को वहीं बेंच पर घोड़ी बना लिया.

उसकी चूचियों को भींचते हुए जोर जोर से गचके लगाते हुए उसकी चूत को ठोकने लगा.
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वो भी साली रंडियों की तरह मेरे लंड को पूरा अंदर तक सोखने लगी. मैंने बीस मिनट तक उसकी चूत चोदी.
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फिर भी उसकी प्यास न बुझी तो वो मेरे सामने पीठ के बल लेटकर चूत को मसलने लगी.
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मैंने उसकी टांगों को पकड़ लिया और एक बार फिर से उसकी चूत को लंड से रगड़ना शुरू कर दिया. अबकी बार जितनी ताकत के साथ मैं धक्के लगा सकता था मैंने लगाये और उसकी चूत का कचूमर निकाल दिया.
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फिर आखिर में एक बार फिर से उसकी चूत में स्खलित होते हुए उस पर गिर पड़ा. वो भी बेसुध सी हो गयी थी.
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अब तक उसके स्टाफ के आने का समय भी हो गया था. हमने जल्दी से अपने अपने कपड़े पहने और फिर मैं वहां से निकल आया. ऐसी चुदक्कड़ लेडी डॉक्टर मुझे यूं मिल जायेगी मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था.

समाप्त
 
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पति ने मुझे और मेरी बहन को एक ही बिस्तर पर चोदा

मेरा नाम सोनल है। मैं जयपुर की रहने वाली हूँ। यही पर मेरी शादी भी हुई है। मेरे पति सत्यम मुझे बहुत प्यार करते है। रात में खूब मस्त चुदाई करते है मेरी। अभी मेरी शादी को 2 साल हुए है। मैं तो बच्चा करना चाहती हूँ पर पति कहते है की अभी हमे सिर्फ मजे और मौजमस्ती पर ध्यान देना चाहिए। बच्चा होने के बाद पति पत्नी के बीच वो पहली वाली बात नही रह पाती है। इसलिए अभी मैंने कोई बच्चा नही किया है। सिर्फ चुदाई पर ध्यान दे रही हूँ।

मेरा अपने पति सत्यम से खूब मेल खाता है। हम दोनों को सेक्स में बड़ा आनंद आता है। मुझे जोर जोर से धक्के वाला सेक्स पसंद है। मोटा लंड मुझे ख़ास तौर पर पसंद है। जब भी पति मुझे रात में पेलते है मैं उनका लंड चूस चूसकर और हाथ से अच्छे से फेट फेटकर खड़ा कर देती हूँ। उसके बाद वो लंड चूत में देकर चुदाई करते है। बड़ा आनंद आता है। अब मैं स्टोरी पर आती हूँ। मेरी जवान बहन रिनी मुझसे 3 साल छोटी है। मैं 25 साल की हूँ और रिनी 22 साल की है। वो मेरे घर आई हुई थी। जयपुर घुमने का उसका बड़ा मन था। मैंने उसे पूरा जयपुर शहर घुमा दिया। अब रिनी जवान और खूबसूरत हो गयी थी। उसका रंग खूब गोरा था। चेहरा गोल था और बिलकुल देसी इंडियन लड़की लगती थी। रिनी रिश्ते में मेरे पति सत्यम की साली लगती थी। एक दिन सत्यम से रिनी को कपड़े बदलते हुए देख लिया। रिनी बाथरूम से निकलकर मेरे कमरे में आ गयी थी। उसके गुलाबी रंग की ब्रा और पेंटी पहनी थी। इतने में पतिदेव आ गये और उसे देख लिया। रिनी शरमा गयी और घूम गयी।
पति तो ताड़ते रह गये। गोरा चिकना बदन, ब्रा में कसी उसकी 34″ की गोल गोल सेक्सी चूचियां बल खा रही थी। उसके पुट्ठे खूब भरे भरे गोल गोल फूले फुले सनी लिओन की याद दिलाने लगे।
"अरे मेरी साली तो जवान हो गयी" सत्यम रिनी को देखकर बोल पड़े
"जीजा जी!! आप बाहर जाइए। मैं कपड़े बदल रही हूँ" रिनी मुंह बनाकर बोली
"साली तो आधी घर वाली होती है। देखो तुमपर पूरा हक है मेरा" सत्यम बोले और ताड़ते हुए बाहर चले गये
आज तो ब्रा और पेंटी में उनको मेरी सेक्स बहन के दर्शन हो गये।

रात में सत्यम का दिमाग खराब हो गया था। "जान! अपनी बहन की चूत दिलादे तो बड़ा अहसान होगा" वो बार बार कहने लगे। उन्होंने आज उसके भरे हुए बदन को देख लिया था। बार बार उनको रिनी की याद सता रही थी।
"अजी चोदना है तो मेरी चूत हाजिर है। साली को तो तुम्हारा होने वाला साढ़ू की चोदेगा" मैंने हँसते हुए कहा
धीरे धीरे हम पति पत्नी का मौसम बन गया। सत्यम ने मेरा ब्लाउस खोल कर उतार दिया। मेरे दूध मुंह में लेकर चूसने लगे। उस दिन वो मेरी छोटी बहन को याद कर करके चूस रहे थे। इसलिए मुझे मजा कुछ जादा ही आ रहा था। फिर उन्होंने मेरी साड़ी उतार दी। पेंटी उतारकर जल्दी जल्दी मेरी चूत चाटने लगे। फिर लंड अंदर डालकर मुझे चोदने लगे। उस दिन सत्यम से रिनी को सोच सोचकर मेरे साथ सम्भोग किया। इसलिए 20 मिनट तक झड़े ही नही। मुझे भी बड़ा आनन्द आया। आज सत्यम मेरी जवान बहन को देखकर जोश में आ गये थे। इसलिए उन्होंने बहुत देर तक काम लगाया था। मुझे भी खूब आनंद आज मिला था। धीरे धीरे सत्यम रोज ही गुजारिश करने लगे की एक बार रिनी की चूत उनको दिलवा दूँ। धीरे धीरे मेरा भी दिल करने लगा की क्यों न वो मुझे और रिनी को साथ में चोदे। इस तरह तो मजा दुगुना हो जाएगा। एक रात 12 बजे मैंने किसी की "ओह्ह माँ..ओह्ह माँ.उ उ उ उ उ..अअअअअ आआआआ..की आवाजे सुनी। जाकर जब देखा तो मेरी बहन रिनी अपने कमरे में मुठ मार रही थी। उसके हाथ में एक बड़ा सा काला रबर वाला डिलडो था। वो रात के अँधेरे में नंगी होकर जल्दी जल्दी चूत में डिलडो अंदर बाहर कर रही थी और मजा ले रही थी। मैंने जब लाईट जलाई तो ये सब देखकर मैं दंग रह गयी। मुझे देखकर रिनी डर गयी। डिलडो उसने अपने पीछे छुपा लिया।
"इधर लाओ क्या है तुम्हारे हाथ में रिनी" मैंने कहा
वो छुपाए रही।
"दीदी!! आप किसी से बोलोगी तो नही" वो सहमकर बोली
"नही" मैंने कहा
फिर उसने मुझे डिलडो दिया। 10″ का मोटा था रबर का लंड था वो। मैं इसे देखकर खुश हुई। रिनी को लेकर अपने बेडरूम में आ गयी। मेरे पति सत्यम तो पहले से नंगे थे और आँख बंदकर लेटे हुए थे।
"अजी जीजा जी!! अपनी तीसरी आँख खोलिए। आज आपकी साली खुद आपने चुदने आई है" मैंने कहा
सत्यम जग गये। रिनी पूरी तरह से नंगी थी। कयामत लग रही थी। उसे देखकर सत्यम होश खो बैठे। फिर रिनी को पास लिटा लिया। बाहों में भरकर प्यार करने लगे। मैंने अपनी मैक्सी उतार दी। रात में मैं सिर्फ मैक्सी पहनकर रहती थी क्यूंकि कब सत्यम का मुझे चोदने का प्लान बन जाता था कुछ कहा नही जा सकता था। हम तीनो अब नंगे हो गये।
"दीदी!! जीजा से चुदाने में कोई बुराई तो नही" रिनी मेरी तरह देखकर बोली
"अरे नही रे!! संसार की सब सालियाँ अपने जीजा लोगो से चुदा लेती है। कोई शर्म की बात नही है इसमें" मैंने कहा
धीरे धीरे सत्यम रिनी को चुम्मा देने लगे और अपने उपर लिटा लिया। रिनी के पुट्ठे भरे हुए और खूब सेक्सी थे। ये उसे सहलाने लगे। फिर दोनों किस करने लगे। आज मेरे पति की पुरानी इक्षा पूरी होने वाली थी। कुछ देर बाद सत्यम से रिनी को नीचे लिटा दिया और अपना उपर आ गये। कुछ देर तक उसके कलश जैसे दूध को ताड़ते रहे। रिनी के बूब्स बड़े सेक्सी थे। तने हुए कसे कसे। दुधिया बूब्स के बीच निपल थी और उसके चारो तरह काले काले गोले तो उसकी सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे। सत्यम आज मेरी बहन के नंगे जिस्म का रसपान आँखों से कर रहे थे। काफी देर तक ताड़ते रहे। फिर बायीं चूची को हाथ से पकड़कर मुंह में भर लिया। रिनी "ओहह्ह्ह.ओह्ह्ह्ह.अह्हह्हह.अई..अई. .अई. उ उ उ उ उ."करने लगी। सत्यम जल्दी जल्दी पीने लगा।
इसी बीच कामोतेज्जना से उनका लंड खड़ा हो गया। मैं भी उसके बगल की लेटी थी। आज अपनी बहन को चुदते हुए लाइव विडियो देख रही थी। सत्यम ऐसे चूं चूं की आवाज निकालकर चूस रहे थे जैसे आज पहली बार किसी लड़के के मम्मे पी रहे थे। उधर रिनी भी उनको पूरा प्यार दे रही थी। अपने हाथो को उसके सिर पर प्यार से घुमा रही थी। सत्यम की आँखे बंद थी। शायद आज वो कुछ और नही देखना चाहते थे। बस मेरी 22 साल की जवान बहन के आम को चूसना चाहते थे। दोनों के इस मनभावन प्यार हो होते देख मेरी चूत से पानी निकलने लगा। मैंने जल्दी से रिनी वाले डिलडो को अपनी चूत में डाल दिया और जल्दी जल्दी फेटने लगी। सत्यम से मुंह चला चलाकर सब रस पी लिया। 10 मिनट तक मेरी बहन की बायीं चूची पी और चूस चूसकर उसे लाल कर दिया। फिर दाई चूची को भी काफी देर तक चूस लिया। रिनी अब पूरी तरह से गर्म हो गयी थी। चुदने को वो भी अब तडप रही थी।
""आआआअह्हह्हह…ईईईईईईई….जीजा जी!!! प्लीस जल्दी से मेरी गर्म चूत में अपना मोटा लौड़ा डाल दो और मुझे जल्दी से चोदो वरना मैं मर जाउंगी!!" रिनी मिन्नतें करने लगी।

"तुम दोनों बहने एक साथ लेट जाओ और अपनी अपनी टांग खोल दो। आज मैंने दोनों की इक्षा पूरी करूंगा" सत्यम बोले
ये सुनकर मैं भी खुश हो गयी। मैंने और रिनी, दोनों से अपनी अपनी टांग खोल दी। सत्यम हम दोनों की बुर के दर्शन करने लगे। मेरी चुद्दी पूरी तरह से फटी और खुली हुई थी। वही रिनी की चूत पूरी तरह से कुवारी थी। सत्यम मेरे भोसड़े पर आ गये और चूत चाटने लगे। फिर 5 मिनट तक चाटते रहे। फिर रिनी के भोसड़े पर चले गये और जल्दी जल्दी चाटने लगे। रिनी की चूत के ओंठ बहुत सुंदर और सजीले थे। गुलाबी गुलाबी। आजतक किसी और मर्द से उसकी भोसड़ी नही चाटी थी। सत्यम वो पहने इन्सान थे जो जल्दी जल्दी उसकी भोसड़ी पी रहे थे। रिनी की चूत के होठ काफी बड़े बड़े और उपर की तरफ उठे हुए थे। मेरे पति सत्यम जल्दी जल्दी उसके होठो को दांत से पकड़कर काट काट कर उपर उठा रहे थे। ये देखकर तो मुझे बड़ा आनंद आया। सत्यम से 10 मिनट रिनी की चूत का रस चूसा। फिर चूत पर अपना लंड रख दिया और हाथ से पकड़कर अंदर डालने लगे।
"..मम्मी.मम्मी…सी सी सी सी.. हा हा हा …ऊऊऊ ..ऊँ. .ऊँ.ऊँ.उनहूँ उनहूँ-दर्द हो रहा है जीजा जी!!" रिनी कहने लगी। पर सत्यम नही माने। धीरे धीरे अंदर धक्का देते रहे और फिर चूत की सील पक की आवाज के साथ टूट गयी। इनका 7″ का लम्बा मोटा ताजा लंड अंदर घुस गया और खून बहने लगा। रिनी दर्द से रोने लगी। पर सत्यम नही माने। हल्के हल्के धक्के देकर उसे पेलने लगे। दर्द से वो कराह रही थी। पर सत्यम लंड को अंदर बाहर करने लगे। चूत से अब खून निकलना बंद हो गया। 5 मिनट तक वो लंड अंदर बाहर करने लगे फिर बाहर निकाला। लंड का टोपा खून से सना हुआ था। अब लंड को मेरी चूत में डाल दिया और जल्दी जल्दी चोदने लगे। उधर रिनी आराम करने लगी। मेरी बुर तो पहले से खुली हुई थी। सत्यम अंदर बाहर करने लगे। 10 मिनट बाद फिर से लंड बाहर निकाल लिया और रिनी के उपर लेट गये।
"आओ साली साहिबा!! तुमको प्यार करूं" सत्यम बोले और रिनी को बाहों में ले लिया
"क्या अब भी दर्द हो रहा है?? वो पूछने लगे
"हाँ हो रहा है हल्का हल्का जीजा जी!!" रिनी ने अपनी चूत की तरह देखकर बोला

"शुरू शुरू में ऐसा होता है। कुवारी लड़की जब फर्स्ट टाइम चुदती है तो ऐसा होता है। अब तुमको मजा आएगा" सत्यम बोले
फिर उसे प्यार करने लगे। दोनों लिपलोक होकर फ्रेंच किस करने लगे। सत्यम तो उसे आज अपनी बीबी यानी मेरी तरह से किस कर रहे थे। दोनों मुंह से मुंह लगाकर एक दूसरे के होठो को चूस रहे थे। धीरे धीरे रिनी गर्म हो गयी। अब उसकी चूत का दर्द गायब हो गया। सत्यम फिर से उसकी चूत पर आ गये और जीभ लगाकर चाटने लगे। अपनी जीभ की नोक को रिनी के चूत के दाने से जल्दी जल्दी टकराने लगे। इससे उसे एक नये तरह का जोश मिल रहा था। फिर सत्यम उसकी चूत को अंदर तक चूसने लगे। उसने एक ऊँगली करके फेटने लगे। रिनी "…उई. .उई..उई…माँ..ओह्ह्ह्ह माँ..अहह्ह्ह्हह." करने लगी। 15 मिनट तक उन्होंने उसकी चूत का रसपान किया। फिर से लंड हाथ से पकड़कर कसी चूत में डाल दिया। कमर उठा उठाकर मेरी बहन को मेरे सामने पेलने लगे। बड़ा आनन्द आया मुझे ये देखकर। इस बार रिनी को दर्द नही हुआ।
"…सी सी सी सी.. हा हा हा चोदोदोदो.मुझे और कसकर चोदोदो दो दो दो" रिनी कहने लगी
उसकी मिन्नतें सुनकर सत्यम और जोश में आ गये और गहरे धक्के चूत में देने लगे। रिनी की बच्चेदानी का मुंह खुला जा रहा था। चट चट पट पट की मीठी आवाजे उसके भोसड़े से निकल रही थी। इसी तरह से खूब चूदाई की सत्यम ने मेरी बहन की। फिर कुछ देर बाद लंड बाहर निकाल लिया और रिनी के मुंह पर पिचकारी छोड़ दी। उसका चेहरे सत्यम के माल से सन गया था।
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अब वो अक्सर मेरे साथ सत्यम से चुदवा लेती है। हम तीनो साथ में पार्टी करते है।

समाप्त
 
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अगली कहानी मौसा से चुदाई
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पढ़ाई करने के लिए मैं शहर गयी तो मौसी के घर रही. से हुई. मौसा के कम्प्यूटर से पता चला कि वो सेक्स के पारंगत विद्वान हैं. मेरी उफनती जवानी में परेशान कर रही चूत ने ठान लिया कि चूत का उद्घाटन होगा तो मौसा के लंड से ही. मौसा को मैंने कैसे अपने जाल में फांसा?
 
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मौसा से चुदाई
अपडेट 1
मेरा नाम कल्पना है. मैं 32 साल की हूं और फिगर 32-34-36 का है मेरा. मेरी मां की उम्र 52 साल है. उनका फिगर 36-38-40 का है. मेरी मां की शादी छोटी उम्र में ही हो गयी थी. शादी के पहले साल में मेरी बड़ी बहन और दूसरे साल में मैं पैदा हो गयी थी.

मैं गांव की रहने वाली थी और सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी. इस कहानी को लिखने का मेरा मकसद यही है कि मैं आपको बता सकूं कि कैसे मैंने सेक्स के बारे में ज्ञान प्राप्त किया और चुद चुद कर कैसे में चुदक्कड़ औरत बन गयी. इसलिए कहानी को ध्यान से पढ़ें.

मैं शुरू से ही पढ़ाई में ठीक रही हूं. एक छोटे से गांव में मैंने मैट्रिक पास की. मेरी रूचि साइंस और संगीत में थी. आगे की पढाई में बी.ए. करने के लिए मां-बाप ने मुझे मौसी के पास शहर में भेज दिया.

इसके पहले मैं कभी शहर में नहीं गयी थी. मौसी का एक ही लड़का था. उसकी शादी हो चुकी थी. उसका एक फैन्सी स्टोर था. दुकान में ही रहता था. सुबह जाता था और शाम को देर से ही आता था.

हम दो बहनें हैं लेकिन बड़ी वाली ने घर से भाग कर विजातीय विवाह कर लिया. उसको हमने काफी तलाश किया लेकिन पता नहीं लग सका. समय के साथ मेरे माता पिता मेरी बहन को भूल गये. अब मैं इकलौती रह गयी थी और इसी कारण मुझे नसीहत भी ज्यादा मिलती थी.

मौसी के घर जाने के बाद भी मौसी मुझ पर पूरा ध्यान रखती थी और वो इकलौती औलाद वाली नसीहत ने मौसी के घर में भी मेरा पीछा नहीं छोड़ा. अपने मौसा से भी परिचय करवा देती हूं. मेरे मौसा राजपत्रित आर्युवेद अधिकारी थे. वे शहर में आर्युवेद में सेक्स की बीमारी के बारे में स्पेशलिस्ट हैं.

उन्होंने 50 साल की उम्र में समय से पूर्व ही रिटायरमेन्ट ले लिया था. मेरे मौसा ने सरकारी नौकरी से अच्छा खासा बैंक बैलेंस बना लिया था. मगर चोर कितना भी होशियार हो एक दिन पकड़ा ही जाता है इसलिए मौसा ने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था. वे अपनी नौकरी की साख को बचाना चाहते थे.

इस तरह से मेरी पढ़ाई वहां पर होने लगी. उसके बाद मैं एम.ए भी करने लगी. उस समय तक मोबाइल फोन चलन में आ चुका था. दो साल मैंने किसी तरह निकाल लिये थे. उस वक्त मेरी जवानी भी मुझे तंग करने लगी थी.

मौसी ने एक दिन मौसा से कहा- कल्पना को भी कंप्यूटर सिखा दीजिये, एक ही तो बेटी है, ये भी सीख लेगी.
मौसा मुझे सिखाने लगे. धीरे धीरे कुछ ही दिनों में मैंने काम चलाऊ कम्प्यूटर चलाना सीख लिया.

समय बीतता गया और मैं सेक्स के बारे में काफी कुछ जान गयी. अब मेरा मन सेक्स के लिए करने लगा था. मैं कुछ न कुछ पढ़ती रहती थी. तीन चार साल मैंने मौसा के कम्प्यूटर में सेक्स के बारे में काफी कुछ सीखा.

अब तक ऑनलाइन शॉपिंग भी होने लगी थी. मैं भी घर बैठे होम डिलीवरी मंगवाने लगी थी.
एक दिन ऐसे ही मैं कंप्यूटर पर बैठी हुई थी. एक फाइल खोलने लगी. मैंने उसको खोला तो देख कर दंग रह गयी. उसमें मौसा की कोई सेक्स की फाइल थी. अब मैं सभी फाइलों को चेक करने लगी.

पता चला कि मौसा तो बहुत चालू आदमी निकला. उन दिनों पापा ने मुझे नया मोबाइल दिया था. मैंने अपने फोन में ब्लूटूथ से सारी जरूरी फाइलें ले लीं. मैंने गूगल हिस्ट्री चेक की तो बहुत सारी साइट मिल गयी मुझे.

मैंने मौसा का आईडी पता किया और पासवर्ड क्या है वो देख कर अपने फोन में सेव कर लिया. अब मौसा कुछ भी देखेंगे तो मुझे पता लग जाना था. इतना काम करने के बाद मैं कंप्यूटर बंद करके अपने काम में लग गयी.

मौसा आला दर्जे का सेक्स करने में इंट्रेस्टेड था. मौसा के कंप्यूटर के वीडियो यही बता रहे थे. देर रात तक जागते रहते थे. उनके सेक्स करने का टाइम रात के 12 बजे का था. मौसा और मौसी रूम की लाइट जला कर सेक्स किया करते थे.

मेरे मौसा एक सेक्सी बदन वाले पुरूष थे. मौसी उनके सामने काफी कमजोर थी. मौसा जिस तरह का सेक्स करना चाहते थे उसमें मौसी बराबरी का सहयोग नहीं दे पा रही थी.

इस तरह से दिन बीतते गये. उन दिनों भाभी की डिलीवरी हुई थी. देर रात को भैया और मौसी सो गये. मेरे लिये अच्छा मौका था. मेरा रूम अलग था. रात को मैंने सारी फाइलें देखीं. मैं सोच कर विश्वास नहीं कर पा रही थी कि मौसा इतना सेक्सी आदमी है. उनको देख कर कोई नहीं बता सकता था कि उनके अंदर इतना सेक्स भरा हुआ है.

अगले दिन फिर मैं कॉलेज गयी. वहां पर भी मन नहीं लगा. मैं पार्क में आ गयी और ****** की कहानी पढ़ने लगी. अब मेरे मन में भी सेक्स करने की तीव्र इच्छा हो रही थी. मौसा की सेक्सी फाइलों ने मेरे अंदर की आग को और तेज कर दिया था.

उस दिन मैं पूरा दिन सेक्स कहानियां पढ़ती रही मौसा की ****** साइट पर. जब कॉलेज खत्म हुआ तो मैं घर आ गयी. फिर दो दिन के बाद मुझे गांव आना पड़ा.

गांव आने के बाद अब मेरा मन पहले के मुकाबले ज्यादा सेक्स के बारे में सोचने लगा था. मैं स्कूल में बायलॉजी की स्टूडेंट थी तो किसी भी चीज के बारे में पूरा रिसर्च कर डालती थी. रिसर्च करने से ही मैं किसी नतीजे पर पहुंचती थी.

मेरी सोच के मुताबिक, मौसा की जो सेक्स फाइलें थीं और चुदाई के जो वीडियो मैंने देखे थे उनके बारे में और ज्यादा जानने के लिए मैंने कैमरे का प्रयोग करने की सोची कि ये सब सच है या कल्पित है.

मैंने ऑनलाइन हिडन कैमरे मंगवाये. मैंने वो कैमरे मौसा के घर में मौसा के लड़के के रूम में, मेरे मां-बाप के रूम में भी लगवाये. मेरे घर आने वाले मेहमानों की भी मैंने रिकॉर्डिंग करके देखी.

करीब 6 महीने तक मैंने नेट और लाइव वीडियो देखे. मौसा की चुदाई की रिकॉर्डिंग और जो फाइल मौसा के कंप्यूटर में थी उनमें काफी समानता थी. इससे साफ था कि मेरे मौसा सेक्स के बहुत बड़े विद्वान मास्टर थे.

मौसा और मौसी की चुदाई को देख कर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि अगर मेरी चूत का उद्घाटन कोई करेगा तो वो मेरे मौसा ही करेंगे. मौसा और मेरी उम्र 30 साल का फर्क था. मैंने केल्कुलेशन लगा कर देखा कि मौसा पन्द्रह साल तक और इसी तरह सेक्स बखूबी कर सकते हैं।

आप को एक महत्वपूर्ण बात बताना तो मैं भूल ही गयी. मौसा आर्युवेद के बड़े जानकार हैं. उन्होंने घर में ही लैब बना रखी है. वे इंग्लिश मेडिसिन में विश्वास नहीं करते. बहुत से लोग उनके पास इलाज के लिए आते हैं.

अब आगे की बात करती हूं. मेरी मां और मौसी जन्म से ही बहनों की तरह न रह कर सहेलियों की तरह रही हैं. दिन में दो-तीन बार तो उनकी बात फोन पर जरूर होती थी. कोई फैसला करने से पहले दोनों एक दूसरे की राय लेना नहीं भूलती थी.

मेरे शहर आने के पीछे भी मां का मेरी मौसी पर दोस्त वाला भरोसा ही था. उनको पता था कि पढ़ाई के लिहाज से मौसी का घर ही सबसे उपयुक्त है. इस कारण मेरी मां अपनी बहन पर पूरा विश्वास करती थी कि मेरी बेटी बहन के पास सुरक्षित रहेगी.

अब मुझे शहर से आये 6 महीने बीत चुके थे. मैंने काफी मंथन किया. अंतिम सोच यही निकली कि मैं अपनी चूत मौसा के सिवाय किसी को नहीं दूंगी. किसी नये लड़के में वो खूबी नहीं हो सकती है जो कि मौसा की तरह मुझे संतुष्ट कर सके.

मन ही मन मैंने मौसा को पति मान लिया था. अब मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मौसा को पटाया किस तरह से जाये. इधर मेरे माता पिता मेरी शादी की बात करने लगे थे. मैंन उनको खुले रूप से बोल दिया कि जब तक मैं कुछ बन नहीं जाती तब तक मैं शादी नहीं करूंगी.
पापा मेरी बात को मान गये थे मगर मां को चिन्ता रही थी लड़की की शादी की.

मुझे लगा कि मेरी पढ़ाई सही तरीके से नहीं हो पा रही है और मुझे कोचिंग की जरूरत पड़ेगी. मैंने अच्छी कोचिंग तलाश करने की सोची.

मैंने मौसी को इस बारे में बोला- आप मौसा जी को कह कर किसी अच्छी कोचिंग का इंतजाम करवाइये.
मौसी ने मौसा को मेरे साथ रवाना कर दिया. मैं स्कूटी पर मौसा के पीछे बैठ कर चिपक कर जाती थी.

कई बार जानबूझ कर अपनी चूचियों को मौसा की पीठ से चिपका लेती थी. अपने बूब्स को कई बार उनके सीने से सटा देती थी. हमने दो-तीन जगह कोचिंग का पता किया.

उसके बाद फिर मैं मौसा से बोली- आप पीछे स्कूटी पर बैठ जाओ. मौसा ने स्कूटी मुझे दे दी और खुद पीछे बैठ गये. मैं ड्राइव करने लगी. स्कूटी चलाते हुए मैं जान बूझ कर ब्रेक लगा देती थी और मौसा को अपने बदन से चिपकाने की कोशिश करती.

आखिर मौसा भी लोहे के नहीं बने थे. इन्सान ही थे इसलिए लंड तो गर्म होना ही था. कई बार महसूस किया कि मौसा का लंड मेरी गांड पर दबाव बना रहा था. मैं सीट के और ज्यादा पीछे होकर उनके लंड को अपनी गांड में और अच्छे से घुसने का मौका देती थी.

मौसा भी समझ तो रहे थे कि कुछ चल रहा है लड़की के अंदर. कुछ दिन इसी तरह से निकल गये. एक दिन फिर हम रेस्टोरेंट में खाने के लिए गये. वहां पर काफी भीड़ थी. दो दो लोगों के आमने सामने बैठने की जगह थी. हमें एक सीट मिल गयी. मैं भी ऐसे ही मौके की तलाश में थी.

मैं मौसा के संग चिपक कर बैठ गयी. मैंने अपनी चप्पल खोल कर अपना बायां पैर उनके दायें पैर के ऊपर रख लिया और बायां हाथ उनके लंड के करीब रख दिया.

मौसा बड़ा ही खुर्राट किस्म का आदमी था. सीधे शब्दों में बोला- बेटी तुम गलत समझ रही हो.
अब मैं भी जान गयी थी कि हमला आमने सामने से करना होगा. मेरे पास अब एक ही रास्ता बचा था मौसा का रास्ता बंद करने के लिए.

मैंने अपना फोन निकाला और मौसा की सारी वीडियो खोल कर सामने रख दी.
वीडियो और फाइलें देख कर मौसा बोले- अच्छा, होशियार हो.
मैंने कहा- हां, थोड़ी सी तो हूं मौसा जी.

वो बोले- देख, तू मेरी बेटी के समान है.
तभी मैंने वेब लिंक खोल कर दिखाया. मैंने कहा कि ये आपने ही लिखा हुआ है कि औरत और पुरूष के बीच में रिश्ता सिर्फ चुदाई का ही होता है. उसमें जात-पात और धर्म-अधर्म कोई मायने नहीं रखता है.

ये सुन कर मौसा सकते में आ गये और बोले- मुझे सोचने के लिए समय दो.
उसके बाद हम दोनों नाश्ता करने के बाद बाहर निकले.
मैं मौसा से बोली- मेरी एक इच्छा है. अगर आज आप पूरी कर सको तो?
वो बोले- क्या इच्छा है?

मैंने कहा- मुझे फिल्म देखनी है.
वो बोले- पगली, इतनी सी बात! चल देख लेते हैं.

जैसे ही मौसा ने हां कि तो मैं मन ही मन खुश हो गयी. मैंने सोचा कि शिकार मेरे जाल में बुरी तरह से फंस चुका है. मैं जानती हूं कि मुझे जो कुछ भी करना है वो आज ही करना है. अगर आज नहीं कर पाई तो फिर कभी नहीं हो सकेगा.

इतने में ही हम लोग सिनेमा हॉल में पहुंच गये. वहां पर पहुंच कर मैंने दो टिकट ले ली मगर दोनों ही लेडीज के नाम से ली. बालकनी की टिकट मिली थी. बालकनी में हम दोनों के सिवाय कोई नहीं था.

ऐसा माहौल पाते ही मौसा के लिए मेरे मन में सेक्स के ख्याल हिलौरियां मारने लगे. मौसा के साथ अकेले अंधेरे हॉल में होने के अहसास से ही मेरी जवानी अंगड़ाई लेने लगी थी.


कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
 
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मौसा से चुदाई
अपडेट 2
इस कहानी के पहले भाग

में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैं गांव से शहर में पढ़ाई करने के लिए आई थी.

शहर में मौसी के घर रहते हुए मेरा दिल मौसा पर आ गया था. चढ़ती जवानी में चूत की गर्मी मौसा के लंड का पानी मांग रही थी. मैं पहले ही मन ही मन मौसा को पति मान चुकी थी. अब बस कोशिश थी मौसा के अंदर मेरे लिये भावनाएं पैदा करने की.

उसके लिए सिनेमा हॉल अच्छा विकल्प था. मैं मौसा को फिल्म देखने के बहाने ले गयी. उस दिन मैंने सोच लिया था कि अगर आज मौसा को पटा नहीं पाई तो फिर कभी न हो पायेगा.

सिनेमा हॉल में अब मेरे पास तीन घंटे थे. इस दरम्यान मुझे मौसा को किसी भी प्रकार खुश करना था. सीट पर बैठते ही मैंने मौसा का हाथ पकड़ कर मेरी टी शर्ट के अन्दर कर लिया.

मैंने मौसा के हाथ में बूब्स पकड़ा दिए और मुंह मौसा के नजदीक ले जाकर बायें हाथ से मौसा का चेहरा पकड़ होंठ से होंठ मिला कर चुंबन लेने लगी. मौसा मुझे पीछे हटाते रहे मगर मैं बार बार उनको छेड़ती रही.

कुछ देर की आना-कानी के बाद वो ढीले पड़ गये और मैंने इसी पल का फायदा उठा कर मौसा की पैंट की चेन को खोल दिया. उनका लौड़ा अंदर तना हुआ था जिसको मैं जिप से बाहर निकालने की कोशिश करने लगी. मगर लंड बाहर नहीं निकल पा रहा था मुझसे.

तब मौसा ने अपने हाथ से लंड बाहर निकाला. जैसे ही मैंने हाथ में लंड लिया उसका आकार ऐसा था कि वो मेरे हाथ की गोलाई में समा नहीं रहा था. यानि मौसा का लण्ड मोटाई में करीब ढाई इन्च तो पक्का ही था.

दोनों हाथ से मौसा के लंड की लम्बाई नापी जाये तो करीब 7 इन्च के ऊपर ही था. मुझे अब समझ आ गया था कि मौसा इतने चोदू कैसे हैं. ऐसा तगड़ा लंड मौसी को मिला हुआ है मौसी की तो किस्मत चमक गयी है.

मैंने सोच लिया कि इस लंड को अगर मैंने मौसी से छीन न लिया तो मेरा नाम भी कल्पना नहीं है. मैं मन ही मन लंड को अपना बनाने की कसम खाकर अपने होंठों से मौसा के लंड के सुपारे को छेड़ने लगी.

जो वीडियो कलेक्शन मेरे पास था मौसा का, मैं सब कुछ उसी के मुताबिक कर रही थी. मैं मौसा के लंड के टोपे पर जीभ फिराने लगी और फिर लंड के टोपे को मुंह में लेकर चूसने लगी. अब मौसा पूरे ढीले पड़ते जा रहे थे और उनके हाथ मेरे बालों में प्यार से सहलाने लगे थे.

इधर मौसा अब मेरी गोलाइयों से बुरी तरह खेल रहे थे. मैं उनके मूसल लंड से खेलती रही और आधा घंटे में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. अपने होंठों से मौसा के होंठों की चुसाई और अपनी जीभ से उनकी जीभ की चुसाई मैंने पूरी की.

मौसा पूछ बैठे- अब तक कितने लौड़ों का स्वाद चख चुकी है?
मैं बोली- अपना हाथ दो.
उनका हाथ लेकर मैंने मेरी पैंटी में डाला. उनकी उंगलियां मेरी पनियाई चूत पर फिरने लगीं.

उन्होंने एक उंगली अंदर डालने की कोशिश की. चूंकि मेरी चूत में किसी मर्द की उंगली जाने का यह पहला मौका था इसलिए मेरी हल्की चीख निकल गयी.

मौसा बोले- यह तो सच में कुंवारी चूत है. अभी तक इसको तुमने ऐसे अनछुई क्यों रखा हुआ है, इसके अंदर किसी का लंड डलवाने में इतनी देर क्यों की हुई है तुमने?

मैं बोली- ये चूत केवल आपकी अमानत है. मैं इस कच्ची कुंवारी चूत की कली को आपकी भेंट देना चाहती हूं. बहुत सोचने के बाद मैंने ये फैसला किया है. छह महीने लग गये मुझे इस नतीजे पर पहुंचने में. अब इस चूत को आपके हवाले करने का सही वक्त आ गया है.

उसके बाद मैंने मौसा को पूरी बात बताई. मेरी सारी स्टोरी सुन कर मौसा हंसने लगे और मेरी चतुराई पर बोले- वाह छोकरी, तू तो पूरी चालू खोपड़ी है. मगर मैं तेरे लिये चिंतित भी हो रहा हूं कि अगर कल को तेरी शादी होगी तो फिर इज्जत भी खराब होगी. उस वक्त तेरे पति को मालूम पड़ जायेगा.

मैं बोली- देखो मौसा, पहली बात तो ये कि तुम ही मेरे पति हो. पूरी दुनिया में ढूंढने पर भी मुझे कोई और ऐसा मर्द दूसरा नहीं मिलने वाला है. अगर आपका लंड नहीं मिल पाया तो मैं उम्र भर कुंवारी ही रहूंगी. ऐसे ही मैंने 6 महीने नहीं लगाये हैं ये फैसला करने में.

वो बोले- मुझे डर लगता है कि एक न एक दिन तो ये भांडा फूटेगा ही. उस दिन मेरी इज्जत भी तार तार हो जायेगी. अगर तेरी इतनी ही इच्छा है मेरा लंड अपनी चूत में लेने की तो महीने दो महीने में बढ़िया मौका देख कर मैं तेरी चूत को खुश कर दूंगा.

हमने प्लान बना लिया था कि जैसे ही मौका मिलेगा वैसे ही मौका मिलते ही पहले मुझे चोदेंगे. इसके सुबूत के लिए मैंने विडियोग्राफ़ी के साथ फोटो खिंचवाने और एक स्टाम्प पेपर पर साइन करने तक सारे काम कर लिये.

इसी बीच मैंने ये शर्त भी रख दी थी कि हम दूसरे स्टेट में जाकर कोर्ट मैरिज करेंगे. मौसा ने कुबूल कर लिया. उसके बाद फिल्म पूरी करके हम घर पहुंचे. मौसी को कुछ पता नहीं चलने दिया कि मेरे और मौसा के बीच में प्यार की कोंपलेंफूट चुकी हैं.

घर पर मौसी के सामने थकावट जाहिर की. मौसी कोचिंग के लिए पूछने लगी.
मौसा बोले- दो चार दिन और घूमने-फिरने पर मालूम पड़ेगा.

मौसी बोली- इसमें बड़ी बात क्या है, हमारी भी तो यही एक बेटी है. बेटी के लिए फिरते हो तो क्या अहसान करते हो?
मौसा बोले- आज काफी थकान है मुझे. पहले आराम करना होगा.
मौसी बोली- कर लेना, अब रात हो चुकी है. खाना खाकर आराम ही करना अब।

दूसरे दिन राजेश भैया दुकान पर गये और मौसी भी चली गयी. मौसी एक घंटे से पहले नहीं आने वाली थी. मैंने घर का दरवाजा बंद किया और मौसा के साथ नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी. स्नान करने के बाद फिर मौसी भी आ पहुंची.

खाना खाकर फिर से हम दोनों स्कूटी पर चल पड़े किसी और सिनेमा हॉल के लिए. इस तरह मस्ती करके आ गए शाम को फिर से घर पर वापस। आज प्लान करके आये थे कि दो चार दिन यहां फिजूल की कोशिश दिखा देंगे.

फिर हम दोनों भोपाल जाकर किसी यूनिवर्सिटी से अगला दाखिला लेंगे. भोपाल में आने और जाने के चार दिन तो खपेंगे ही और फिर उसके बाद तीन दिन का दूसरा बहाना कर देंगे. इस तरह से एक सप्ताह की मौज काटनी थी।

हम दोनों सुबह स्कूटी पर घूमने निकल जाते. फिल्म देखना रोज की बात हो गयी. इस तरह तीन चार दिन मस्ती हुए बिताये. अब मौसा मेरे साथ खुल कर बात करने लगे थे. हमने पार्क में एक साथ सेल्फी भी ली. पार्क में ही मौसा का लंड निकाल कर चूसते हुए मुंह में लेने का मौसा ने मेरा वीडियो भी बना रखा था.

हमने एक स्टाम्प पेपर पर मेरे बालिग होने के सर्टिफिकेट के साथ मेरी हस्त लिखित राइटिंग से स्टाम्प पेपर पर अपने पास सबूत के रूप में ले रखी थी ताकि मौसा खुद को बेगुनाह साबित करें और मैं इसी कोशिश में थी कि एक बार कोर्ट मैरिज हो जाये तो एक दो साल हम किसी को नहीं बताएंगे.

शाम को घर आकर मैंने बताया कि यहां किसी कॉलेज में एडमिशन नहीं हो पाया. इसलिए प्राइवेट फार्म भरने के लिए भोपाल से एडमिशन दिलाना होगा.
मौसी मौसा को डांटते हुए बोली- काम के ना काज के, घर पर निठल्ले ही बैठे रहते हो. इसके साथ जाकर इसका एडमिशन करवा दो.

अंधे को दो आँखें चाहिए वो हमें मिल गयीं. हम शाम की बस से रवाना होने की तैयारी करने लग गए. मौसा जी बस की स्लीपर की टिकट लेने चले गए. शाम को सही समय पर हम घर से रवाना होकर बस में अपनी सीट पर बैठ गए।

बस शहर से बाहर निकल आयी थी. स्लीपर कोच के दरवाजे बन्द हो गये थे. मैं कपड़े व गद्दी घर से लेकर आयी थी क्योंकि आज चूत का उद्घाटन होना था. मैं पूरी तैयारी करके आयी थी.
मौसा ने जब मुझे कपड़े बिछाते देखा तो पूछा- यह क्या कर रही हो?

मैं बोली- आज तो सील टूटेगी.
मौसा बोले- कल रात को टूटेगी. थोड़ा सा सब्र रख. अगर इतने दिन रख दिया तो एक रात में कुछ नहीं होगा। इतना कह कर मौसा ने अपने से मुझे चिपका दिया।

चलती बस में मेरी लैगी को खोल कर मेरी चूत को चाटने लगे. मुझे आज आनन्द की अनुभूति अलग ही हो रही थी। मौसा अपनी जीभ से बड़े ही शालीन तरीके से मेरी चूत चाट रहे थे.

मेरे मुंह से सीत्कार निकल पड़े- ओह माँ … मर गयी … आह्ह।
ऐसा लग रहा था जैसे कि चुदाई का आनन्द मिल रहा है चूत में. जब मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया तो मौसा उसे बड़े ही मजे से चूस चूस कर पी गये.

अब मुझे शांति मिल चुकी थी. पूरी रात मैं मौसा की बांहों में रही. दूसरे दिन भोपाल में मौसा ने अपने किसी मित्र का घर, जो निचला हिस्सा किराये पर दे रखा था, उसी में ऊपर के हिस्से की चाबी साथ ले आये थे. आज हमारी सुहागरात होने वाली थी इसलिए वो दिन से ही तैयारियों में लग गये.

मेरी वैक्सिंग हुई, आई-ब्रो, सुहाग के कपड़े, वीडियो कैमरा और लाइटिंग सब मकान में सेट कर दिया. बेड को फूलों से सजाया गया. नीचे जो किरायेदार थी वो एक कॉलेज की लेक्चरार थी. इतनी तैयारी देख कर शायद उसे भी महसूस हुआ कि ऊपर सुहागरात की तैयारी हो रही है.

आखिर रात के 11 बजे वो लम्हा आया जब मौसा ने मेरा घूंघट उठाया. मैं दुल्हन सजी बैठी थी. मौसा दूल्हे बने थे. मेरी ओढ़नी को उतारा तो मेरी पलकें झुक गयीं और होंठ कांपने लगे. पता नहीं आज क्यों मुझे मौसा से डर सा लग रहा था. इससे पहले मैं खुद ही उनके लंड को हाथ में पकड़ लेती थी.

मुझे लेकर वो बेड पर लेट गये और मेरी चूचियों को कपड़े के ऊपर से ही किस करके मेरे सीने से लिपट गये. मैंने भी अपनी बांहों में उनको घेर लिया. फिर वो उठे और मेरे होंठों के करीब अपने होंठों को ले आये. उनकी सांसें मुझे अपनी सांसों में मिलती हुई लगने लगीं.

उनके गर्म होंठ मेरे होंठों पर धरे गये तो मेरी जवानी जैसे खिल उठी. मैंने उनको अपनी बांहों में कस लिया और दोनों एक दूसरे से लिपटते हुए मुंह की लार का आदान प्रदान करने लगे.

देखते ही देखते दोनों के बदन पर अंडरगार्मेंट्स के सिवाय कुछ नहीं बचा. मैंने लाल रंग की जालीदार ब्रा और पैंटी का सेट पहना था. मौसा का सफेद अंडरवियर जो जांघों तक को ढके था, उसमें उनका 9 इंची लौड़ा इतना भयानक रूप ले चुका था कि मेरे बदन से पसीना छूटने लगा था.

बार बार झटके लेता हुआ लिंग मेरी चूत में सिरहन पैदा कर रहा था. सोच रही थी कि इसको चूत में लूंगी कैसे, कहीं जान न निकल जाये. मगर अब तो मोर्चा संभालने के लिए सिवाय कोई चारा नहीं था.

मौसा ने मेरी ब्रा को खोल दिया और मेरी अनछुई चूचियां पहली बार किसी अधेड़ उम्र के पुरूष के सामने तन कर खड़ी हो गयीं. ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने हवा भर दी हो उनमें और वो ऊपर निकल जाना चाहती हों.

जब मौसा के होंठ मेरे कड़े निप्पलों पर लगे तो मैंने उनके मुंह को अपनी चूचियों पर दबा लिया और उनको लेकर लेट गयी. वो मेरी चूचियों को पीने लगे और मेरी जांघें आपस में रगड़ खाने लगीं. मेरे निप्पलों पर सांप की तरह रेंगती उनकी जीभ मेरे पूरे बदन में करंट पैदा करने लगी.

बदन का पारा एकदम से चढ़ गया और लगा कि सेक्स का ज्वर आ गया है. अब इस आग को मिलन का ठंडा ठंडा पानी शांत कर सकता था. मौसा ने मेरी पैंटी की ओर हाथ बढ़ाये तो मैंने जांघों सिकोड़ लीं मगर उन्होंने अपने हाथों से मुझे पकड़ लिया. फिर अपने दांतों से पैंटी की इलास्टिक खींचने लगे.

मेरी वैक्स की गयी चिकनी चूत से पर्दा उठने लगा और वो कोमल सी कुंवारी कच्ची कली जिसमें बीच में एक छोटा सा चीरा लगा था वो मौसा के सामने बेपर्दा हो गयी.

मौसा के अंदर का शैतान उस नन्हीं जान को देख कर मुस्करा रहा था. मुझे डर लग रहा था. आज की ये जंग काफी खौफनाक होने वाली थी. मौसा ने मेरी चूत में जीभ दे दी और आवेश में आकर उसको जोर जोर से खींचते हुए काटने लगे.

मैंने बेडशीट को नोंचना शुरू कर दिया. अपने चूचों को छेड़ते हुए मैं उस आनंद के ज्वार को बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी. पांच मिनट के अंदर ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.

अब बारी सील टूटने की थी. मगर उससे पहले मौसा ने अपने अंडरवियर को उतार कर मेरे होंठों के करीब लंड को कर दिया. इशारा साफ था. लंड को मेरे मुंह में देना चाहते थे.

आज मौसा को पूरा नंगा देख कर मुझे सच में डर लग रहा था. सोच रही थी कि इतने भारी भरकम इन्सान के मूसल लंड को मौसी झेल कैसे लेती है.

मैंने डरते हुए उनके लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी. मौसा ने एक धक्का दिया तो मेरी सांस अटक गयी. खांसी आने लगी. चेहरा लाल होते देख कर लंड को वापस खींच लिया उसने.
बोले- अभी नई खिलाड़ी हो, तुमसे न होगा.

ये मेरे लिये खुली चुनौती के जैसे था. मैंने उनके लंड को हाथ में पकड़ा और जोर जोर से चूसने लगी. कभी पूरे टोपे पर जीभ फिराने लगी तो कभी पूरे लंड को मुंह में ले जाती. मौसा आसमान की सैर करने लगे. मेरे बालों को सहलाते हुए लंड चुसवाने लगे.

पांच मिनट के बाद उनके सब्र ने जवाब दे दिया और उन्होंने मेरी टांगों को खोल कर अपने लंड के टोपे पर थोड़ा सा थूक मल कर मेरी चूत पर सटा दिया. मेरी धड़कन तेज हो गयी और मैंने आंखें बंद कर लीं. मैं समझ नहीं पा रही थी कि अपनी कामयाबी की खुशी मनाऊं या इस लंड के नीचे खुद ही फंसने की बेवकूफी का अफसोस करूं.

मगर अब तो पीछे नहीं हटा जा सकता था. पहला धक्का लगा तो मौसा की ताकत का ट्रेलर मिल गया. लंड मोटा और चूत छोटी. पहली बार में दर्द करने के बाद भी लंड फिसल गया.

दोबारा लंड को चूत पर लगाया गया और मौसा ने मेरी चूचियों पर मुंह रख दिया और पीने लगे. मेरा ध्यान मेरी चूत से हट गया और मैं चूचियां पिलाने के आनंद में खो गयी. अपने नाखूनों से मौसा की पीठ को खरोंचने लगी. मौसा का लंड मेरी चूत में लगा हुआ था. ऐसा मजा मिल रहा था कि क्या बताऊं. इस पल का इंतजार कितने महीने किया था मैंने.

फिर अगले ही पल मौसा ने एक जोरदार धक्का दे दिया और मेरी चूत के छोटे मुंह को फाड़ कर टोपा अंदर फंस गया. मैं तिलमिला उठी लेकिन मौसा का भारी शरीर मुझे दबाये हुए था. तड़प कर रह गयी. दूसरे धक्के में ऐसा लगा कि आंखों के सामने अंधेरा हो रहा है.

मौसा ने मेरे गाल पर थपथपाया और मुझे होश में रखने की कोशिश की. दर्द बर्दाश्त के बाहर था. आंखों से पानी बह चला. फिर भी मौसा को थामे रही. वो मंझे हुए खिलाड़ी थे. जानते थे कि उनके लंड के नीचे मेरी चूत की क्या हालत होनी थी.

फिर कुछ देर सहलाने के बाद दर्द थोड़ा कम हुआ और मौसा ने फिर से धक्का दिया. इस बार आधे से ज्यादा लंड चूत में जा फंसा और मैंने पूरी ताकत लगा कर चीख मारी. शायद नीचे लेक्चरर को भी पता लग गया होगा कि मेरी चूत की सील टूट रही है. मेरी आंखें बाहर आ गयी. बुरी तरह छटपटाने लगी.

अब वापस लौटने का कोई रास्ता नहीं था सिवाय दर्द को बर्दाश्त कर जाने के अलावा. पांच मिनट तक मौसा मेरे होंठों को चूसते रहे. मेरे बदन को सहलाते और दुलारते रहे ताकि मेरी चूत का दर्द कम हो. जब थोड़ा आराम मिला तो चूत में लंड की गति होती हुई महसूस हुई.

धीरे धीरे मौसा के लंड का जादू अब असर दिखाने लगा. मेरी कुंवारी चूत मुझे औरत बनाने के लिए कमर कस चुकी थी. अब वो लंड को बर्दाश्त करने लगी. कुछ ही देर में मैं मौसा को अपने ऊपर खींचने लगी थी. मेरी गांड नीचे से उठ उठ कर और अंदर तक लंड को आने का न्यौता देने लगी थी.

मौसा का इंजन भी स्पीड पकड़ चुका था. मेरी चूत को वो परम सुख मिलने लगा जिसके सपने मैंने इतने महीनों से देखे थे. मैं मौसा के होंठों को बेतहाशा काटने और चूमने लगी. उनकी गांड को दबाने लगी.

उनका लंड मेरी चूत में अभी भी दीवारों को छीलता हुआ महसूस हो रहा था. फिर भी उनके लंड का आनंद इतना ज्यादा था कि हर तरह का दर्द बर्दाश्त हो रहा था. उसके कुछ देर बाद आनंद में मेरी आंखें बंद होने लगीं. मौसा जी कुत्ते की तरह मेरी चूत को चोदने लगे.

मैं किसी अलग ही दुनिया में पहुंच गयी जहां पर एक नशा ही नशा था. इतना आनंद मिलता है संभोग में, मैं पहली बार इसका मजा लूट रही थी. फिर एक लहर उठी और मेरा बदन अकड़ गया. मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया. मगर मौसा अभी भी नहीं रुके.

वो लगातार मेरी चूत को रौंद रहे थे. अगले पांच मिनट तक उन्होंने पूरी ताकत के साथ मेरी चूत को रगड़ा और फिर उनके गर्म गर्म लंड से निकलने वाला लावा मुझे मेरी चूत में लगता हुआ महसूस हुआ. उस गर्म लावा से मेरी घायल हो चुकी चूत को सुकून सा मिलने लगा.

मौसा मेरे ऊपर लेट कर हांफने लगे और मैंने उनको बांहों में भर कर चूम लिया. आज मैं एक लड़की से औरत बन गयी थी. मुझे लगा ही नहीं कि मैं किसी बूढ़े आदमी के साथ बिस्तर में हूं. मैं दावे के साथ कह सकती थी कि अच्छा खासा नौजवान भी उस वक्त मौसा का मुकाबला नहीं कर सकता था.

उस रात हमने पूरी रात चुदाई की. मैं मौसा की दीवानी हो गयी. मुझे यकीन हो गया कि मौसा को अपनी चूत सौंप कर मैंने रत्ती भर भी गलती नहीं की है. मेरी चूत के ताले के लिए मौसा के लंड से अच्छी चाबी और कोई हो ही नहीं सकती थी.


कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
 
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मौसा से चुदाई
अपडेट 3
इससे पहले वाले भाग में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैंने मौसा को सिनेमा हॉल में ले जाकर उनको अपनी प्यासी जवानी का अहसास करवाया था.

मौसा अब मेरे जाल में फंस चुके थे. फिर हम दोनों भोपाल गये और वहां पर हमारी सुहागरात हुई. मौसा ने पहली बार मेरी चूत में लंड डाला और रात भर मुझे चोदते रहे. मेरी कुंवारी चूत की सील उस रात टूट गयी थी.

अब आगे की कहानी:

अगले दिन दोपहर को मौसा उठे और दूध लेने के लिए नीचे गये. मगर बाहर से गेट का ताला लगा हुआ था. शायद लेक्चरार कॉलेज में चली गयी थी. फिर उसी की रसोई में से चाय बना कर मौसा ले आये. दो घंटे के अंदर फिर हम नहा धोकर तैयार हो गये.

अब हमें भूख लगी हुई थी और इन्तजार लेक्चरार का ही कर रहे थे. कुछ ही देर में ताला खुलने की आवाज आयी. मौसा जी ने मैडम को नीचे जाकर बताया कि किस तरह जरूरत के कारण उन्हीं के किचन से दूध लेकर हमने चाय बनाई. फिर उनकी 8 साल की बेटी भी स्कूल से आ गयी.

मौसा उनको बोल कर आ गये कि हम बाहर नाश्ता करने के लिए जा रहे हैं. फिर लेक्चरार कहने लगी कि आपको बाहर जाने की जरूरत नहीं है. मैं आपका नाश्ता तैयार करके ऊपर ही ले आती हूं.

कुछ देर के बाद वो नाश्ता लेकर ऊपर आ गयी. हम दोनों के साथ बातें करने लगी और घुल मिल गयी.
जाते हुए वो बोली- अगर आपको ऐतराज न हो तो शाम को एक छोटी सी पार्टी मेरे यहां करते हैं, जिसमें ड्रिंक का भी इंतजाम होगा.
मौसा बोले- जरूर. हमें भी खुशी होगी.

फिर वो शरमा कर नीचे चली गयी. मौसा मंद मंद मुस्काने लगे.
मैंने पूछा- क्यों मुस्करा रहे हो?
मौसा बोले- इसकी चूत को भी शायद कुछ चाहिए है. इसलिए ये हमसे इतनी क्लोज हो रही है.
मैंने कहा- मगर एक साथ दो दो चूत, नहीं मौसा, मजा नहीं आयेगा.

मौसा बोले- पगली तू चिंता मत कर. मैं सब संभाल लूंगा.
उसके बाद मौसा नीचे चले गये. उनकी बेटी को कुछ पैसे देकर मौसा ने उसको बाजार में भेज दिया. मौसा अब खुले तौर पर बात करने लगे.
बोले- मैडम आपके पति से तलाक हुए कितना समय हो गया है आपको?

वो बोली- अभी 8 महीने हो गये हैं. केस लगा रखा है. रात में मैं ऊपर जाकर चुपके से सब कुछ देख रही थी. आप दोनों काफी मशगूल थे. काश आपके जैसा पति मुझे भी मिल जाता.

ये बोल कर उसने मौसा जी को खुला ऑफर दे दिया.
मौसा भी तपाक से बोले- तो फिर देर किस बात की है साहिबा, आप आज तैयार होकर रहना. आपकी इच्छा पूरी करना मेरा फर्ज है.

तभी मौसा ने जेब से एक गोली निकाल कर उनको दी और बोले- ये नींद की गोली है. एक घंटे पहले से ही इसको खिला देना ताकि पार्टी में कोई व्यवधान न हो. फिर आप ऊपर आ जाना.
कहकर मौसा ने शरारती स्माइल दे दी.
वो बोली- ठीक है, मैं खाने की तैयारी पहले से कर लूंगी और केवल चपाती बनाने का काम रह जायेगा.

मौसा वहां से आ गये.
रात आठ बजे वो लेक्चरार नई नवेली दुल्हन की तरह तैयार होकर वाइन की बोतल और उसके साथ गिलास, नमकीन, आइस लेकर ऊपर आ गयी.

हम तीनों साथ में बैठ कर पीने लगे. एक घंटे तक पीने की पार्टी चली और फिर हम तीनों नीचे आ गये. उसके बाद हमने साथ में डिनर किया और फिर वापस से ऊपर चले गये.

तीनों को ही नशा था और सब ये सोच रहे थे कि पहल कौन करे. लेक्चरार की चूत कुछ ज्यादा ही दिनों से प्यासी थी. उसने मौसा का हाथ पकड़ लिया और अपनी कमर पर रखवा कर अपने हाथ से दबाते हुए कमर को सहलाने लगी.

मौसा भी शुरूआत ही चाह रहे थे. उन्होंने उसका हाथ पकड़ कर अपनी पैंट के ऊपर अपने लंड पर रखवा दिया और मैडम ने मौसा का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया. वो उनके लंड को सहलाते हुए उसका साइज मापने लगी.

सहलाने के कारण मौसा का लंड देखते ही देखते अपने आकार में आ गया और उन्होंने अपनी पैंट खोल दी. अंडरवियर को तंबू बनाये हुए उनका लंड फनफना रहा था. मौसा ने मैडम को अपने घुटनों में नीचे बैठा लिया और उसके मुंह के सामने अपना अंडरवियर उतार दिया.

लंड देखकर मैडम के मुंह में पानी आने लगा और उसने बिना अगले आदेश की प्रतीक्षा किये मौसा के लंड को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया. वो इतने आनंद से उसको चूस रही थी जैसे कभी उसने लंड देखा ही न हो. इतना प्यार तो मैंने भी कभी मौसा के लंड से नहीं किया था.

मौसा ने मुझे भी नीचे बैठने का इशारा किया. मैं मना करने लगी लेकिन उन्होंने रिक्वेस्ट की तो मैं मान गयी. मैडम के साथ मुझे अजीब लग रहा था. मैं भी उनके घुटनों में आकर बैठ गयी.

मैडम के मुंह से मौसा ने लंड निकाल लिया और मेरे मुंह में दे दिया. अब एक बार मैडम लंड को मुंह में ले रही थी और एक बार मैं. बारी बारी से हम दोनों मौसा का लंड चूसने लगीं.

फिर उन्होंने हमें आपस में किस करने के लिए कहा. मैंने कभी इसके बारे में सोचा नहीं था. हां मगर सेक्स वीडियो में लेस्बियन कपल का सेक्स देखा हुआ था इसलिए अन्जान भी नहीं थी.

मैं मैडम के होंठों को चूसने लगी. उसके मुंह से मौसा के लंड की गंध आ रही थी. मुझे कुछ अच्छा भी लग रहा था और थोड़ा अजीब भी. मेरे हाथ अपने आप ही फिर मैडम की चूचियों पर पहुंच गये. वो भी मेरे कपड़े खोलने लगी.

हम दोनों औरतों ने एक दूसरे को नंगी कर दिया. इतने में मौसा ने भी अपने कपड़े उतार दिये और वो भी नंगे हो चुके थे. हम दोनों को लेकर वो बेड पर आ गये.

मौसा ने मैडम को नीचे लेटाया और उसके ऊपर लेट कर उसके होंठों को चूसने लगे. फिर उसकी चूचियों को पीने लगे. उसके बाद उन्होंने मुझे मैडम के मुंह पर चूत रगड़ने के लिए कहा. मैंने वैसा ही किया.

नीचे से मौसा ने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. अब ऊपर से मैडम मेरी चूत को चाट रही थी और नीचे से मौसा उसकी चूत को चाट रहे थे. जब जब मौसा की जीभ मैडम की चूत में जाती थी तब तब वो मेरी चूत को भी जोर से चूसती थी. मैं तो पागल होने लगी. मौसा पूरे खिलाड़ी थे.

कुछ देर तक चूतों को चूसने का सिलसिला जारी रहा. उसके बाद मौसा ने अपना लंड मैडम की चूत में सेट कर दिया और मुझे उसकी चूचियां दबाने को कहा. मौसा ने उसकी टांगों को पकड़ लिया और उसकी चूत में लंड पेल दिया. मैडम की चीख निकल गयी.

मगर मैंने उसके होंठों से होंठ सटा दिये. वो मेरी चूत को उंगली से कुरेदने लगी. अब मौसा ने मैडम की चुदाई शुरू कर दी. कुछ ही देर में मैडम की चूत लंड के आनंद में बह गयी. चूत ने बेडशीट पर पानी पानी कर दिया.

फिर वो एक तरफ हो गयी और मौसा ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर कर लिया और खुद नीचे लेट गये. उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत पर सेट किया और मुझे बैठने के लिए कहा. मैं अपनी चूत को फैला कर मौसा के लंड पर बैठ गयी. आह्ह … मजा आ गया. मैं लंड पर कूदने लगी.

तेजी के साथ मैं मौसा का लंड चूत में लेने लगी. उधर मौसा मैडम के चूतड़ों को चाटने लगे. मैडम भी उठ उठ कर अपनी गांड को मौसा के मुंह पर रगड़ रही थी. मेरे मुंह से मस्त सिसकारी निकलने लगी- आह्ह मौसा .. ओह्ह … वाह्ह … ओह्ह … याह्ह .. स्स्… आह्ह … हाय.

पांच मिनट के बाद जब मैं थकने लगी तो मौसा ने मुझे घोड़ी बना लिया और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया.

सामने मैडम लेट गई और मैं उसकी चूत को चूसने लगी और उसकी चूचियों को दबाने लगी. जैसे ही मौसा के धक्के मेरी चूत में लगते वैसे ही मेरी जीभ मैडम की चूत में अंदर बाहर हो जाती. इस तरह मौसा मेरी चूत को पेलने लगे और मैं मैडम की चूत को जीभ से चोदने लगी.

रात भर चुदाई चली और मौसा ने हम दोनों को सोने नहीं दिया. मौसा एक को खुश करके दूसरी के पास आ जाते और दूसरी को खुश करके पहली के पास.

सुबह जब सूर्योदय हुआ तो मैडम बोली- आप तो सच में ही असल मर्द हैं मौसा जी. वरना आजकल के लड़कों में इतना दम कहां कि एक साथ दो-दो चूतों को खुश कर सकें और वो भी पूरी पूरी रात. मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं.
वो बोले- हां कहिये.

मैडम- आप मुझे भी अपना बना लीजिये. अभी मेरी उम्र ही क्या है. मैं अब कहां ठोकरें खाती फिरूंगी.
मौसा बोले- आप नम्बर दे दीजिये. मैं सोच विचार करके आपसे इस बारे में बात करूंगा.

उसके बाद हम दोनों एक दिन के लिए यूनिवर्सिटी गए. वहां जाकर एडमिशन ले लिया. वहां बताया गया कि महीने में दो चार दिन अटेंडेंस लगानी होगी.

इस तरह हम भोपाल से अच्छे बहाने के साथ वापस घर आ गए। घर आने के बाद अब मुझे राहत मिल चुकी थी. अब सेक्स की बेसब्री खत्म हो चुकी थी. इतनी परिपक्वता आ गयी थी कि अब लड़की से नारी बन चुकी थी.

आज मौसा बाजार गए तो अनवान्टेड की गोलियां लाकर दे दीं. समय अनुसार लेकर निश्चिंत हो गयी. इस तरह हम दूसरे महीने का बेसब्री से इंतजार करने लगे. एक बार दो चार दिन के लिए गांव जाकर मैं मम्मी पापा से मिल आयी. पापा की हालत पहले से ज्यादा कमजोर हो गयी थी इसलिए समाचार सुनकर एक बार मिल आयी।

दूसरा महीना लगते ही हम मौसा संग फिर एक सप्ताह के लिए भोपाल गए. तीन चार दिन मस्ती लेने का सिलसिला चल पड़ा. इस तरह कब दो साल बीत गए पता भी नहीं चला मुझे.

मेरे प्यारे पाठको, आप को एक बात बतानी ही भूल गयी. हमने भोपाल की कोर्ट में शादी करके प्रमाण पत्र ले लिया था।

समाप्त
कहानी पर अपनी राय देना न भूलें. मुझे आप लोगों की प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा.
 
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मेरे पति के गुजरने के बाद मैं और मेरा बेटा बेटी ही थे. दोनों जवान हो गये थे. एक दिन मैंने घर में कुछ ऐसा देखा कि मैं हैरान परेशान हो गयी. क्या देखा मैंने अपने घर में?
 

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