Adultery चन्डीमल हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर (सम्पूर्ण)

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खाना खाने के बाद सोनू अपने झूटे बर्तन लेकर घर के आगे आ गया।
कान्ति खाना खाने के बाद रजनी के कमरे में चली गई थी.. पर रजनी अभी भी आँगन में लगे बड़े से पलंग पर बैठी हुई थी।
बेला और बिंदया नीचे चटाई पर बैठे खाना खा रहे थे।
सोनू ने अपने झूठे बर्तन रसोई में रख दिए और वापिस घर के पिछवाड़े की तरफ जाने लगा, पर रजनी ने उसे रास्ते में ही आवाज़ दे कर रोक दिया और अपने पास बुला लिया।
रजनी- सोनू सुन ज़रा मेरे पैर तो दबा दे, बहुत दर्द हो रहे हैं।
यह कह कर रजनी उठ कर एक कुर्सी पर बैठ गई और अपनी साड़ी को घुटनों से ऊपर करके, एक टाँग उठा कर सामने पलंग पर रख दी, ताकि उसकी चूत सोनू को दिखाई दे सके।
बेला ये सब सामने बैठी देख रही थी।
‘साली छिनाल अब अपना भोसड़ा खोल कर बैठ गई है.. छोरे के सामने..’ बेला ने मन ही मन रजनी को कोसा, इसके अलावा और वो कर भी क्या सकती थी।
सोनू नीचे बैठ कर उसका एक पैर दबाने लगा।
उसका ध्यान भी रजनी के पेटीकोट के अन्दर ही था।
बेला अपने मन में सोनू को भी गाली देती है- यह भी उसी की चूत देख रहा है.. साले मादरचोद इन सब मर्दों की एक ही जात होती है.. कुत्ते जहाँ चूत देखी, वहीं चाटना शुरू कर देते हैं।
खैर.. बेला अब रजनी के सामने तो कुछ बोल नहीं सकती थी, इसलिए वो खाना खाकर अपनी बेटी बिंदया के साथ चली गई और सोनू भी अपने कमरे में जा कर सो गया।
आज रात फिर रजनी की चूत को लण्ड के लिए और तड़पना था।
अगली सुबह जब नाश्ते के बाद जब बेला अपने घर जा चुकी थी तो सोनू को रजनी ने बाजार से कुछ सामान लाने के लिए कहा।
जब वो सामान लाने के लिए घर से निकला, तो उसे बेला नदी की तरफ जाते हुए नज़र आई।
दोनों ने एक-दूसरे के तरफ देखा, पर बेला ने नखरा करते हुए अपना मुँह दूसरी तरफ मोड़ लिया।
जिस पर सोनू को थोड़ी हैरानी तो ज़रूर हुई, पर वो बिना कुछ बोले बेला के पीछे चल पड़ा।
वो बेला से कुछ फासला बना कर चल रहा था।
बेला जानती थी कि सोनू उसके पीछे आ रहा है, पर उसने जानबूझ कर उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया।
कुछ ही देर में बेला नदी के घाट पर पहुँच गई, यहाँ पर वो नहाती थी..
पर आज बेला वहाँ नहीं रुकी और नदी के साथ आगे बढ़ने लगी।
सोनू को कुछ समझ में नहीं आया, वो भाग कर बेला के पास गया- काकी ओ काकी.. सुनो तो.. कहाँ जा रही हो?
बेला ने सोनू की तरफ देखते हुए कहा- क्यों तुम्हें क्या.. कहीं भी जाऊँ?
बेला फिर से आगे चल पढ़ी और सोनू भी बेला के पीछे चल पड़ा।
जैसे-जैसे दोनों आगे बढ़ रहे थे, रास्ता और सुनसान होता जा रहा था।
चारों तरफ ऊँची-ऊँची झाड़ियाँ बढ़ने लगीं, गाँव बहुत पीछे रह गया था।
आगे जंगल शुरू हो गया था।
काफ़ी दूर चलने के बाद बेला एक घाट पर रुकी और अपने साथ लाए हुए कपड़े की गठरी को नीचे रख कर अपनी चोली खोलने लगी।
सोनू यह सब पीछे खड़ा देख रहा था।
‘क्यों रे क्या देख रहा है, मेरे पीछे क्यों आ गया.. जा तेरी मालकिन तुझे ढूँढती होंगी।’
सोनू- वो उन्होंने सामान लाने के लिए भेजा था।
बेला- तो जा फिर.. सामान खरीद, यहाँ कौन सी दुकान खुली है।
सोनू- आप नाराज़ हो मुझसे?
बेला- मैं भला कौन होती हूँ तुमसे नाराज़ होने वाली।
सोनू- तो फिर काकी आप ऐसे क्यों बात कर रही हो?
बेला- अच्छा जा.. अब अपना काम कर, मुझे परेशान मत कर।
सोनू का चेहरा बेला के बात सुन कर उतर गया और वहीं घास पर नीचे बैठ गया।
बेला ने अपनी चोली उतार कर अपने लहँगे को अपनी चूचियों पर बाँध लिया और नदी में उतर गई।
वो कनखियों से सोनू की तरफ देख कर मन ही मन मुस्करा रही थी।
सोनू नदी के किनारे बैठा बेला को देख रहा था, बेला का लहंगा गीला होकर बेला के बदन से चिपक गया था।
सोनू का लण्ड अकड़ने लगा, पर आज लगता है कि सोनू को भी चूत के लिए तरसना पड़ सकता है।
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नहाने के बाद बेला नदी से बाहर निकली और सोनू के पीछे जाकर अपने साथ लाया हुआ दूसरे लहँगे को उठा कर गीले लहँगे को उतार दिया।
सोनू ने पीछे की तरफ नहीं देखा, वो तो बस मुँह लटकाए बैठा हुआ था।
उसके बाद उसने दूसरे लहँगे को भी ऊपर करके अपनी चूचियों पर बाँध लिया और फिर गीले लहँगे को लेकर नदी के सीढ़ियों पर बैठ कर अपने उतारे हुए कपड़े धोने लगी।
सुनहरी धूप चारों तरफ फैली हुई थी, सोनू पीछे बैठा बेला को देख रहा था।
जब बेला कपड़ों को रगड़ने के लिए आगे की ओर झुकती, तो बेला का लहंगा जो कि उसकी चूचियों पर बँधा हुआ था, उसके चूतड़ों से ऊपर उठ जाता और बेला के भारी चूतड़ों का दीदार सोनू को हो जाता।
बेचारे को क्या पता था कि वो दो चूत की आग के बीच में झुलस रहा है, जो कल से एक-दूसरे के हर पैंतरे को नाकामयाब करने के कोशिश कर रही थी।
अब सोनू के बर्दाश्त से बाहर हो जा रहा था, बेला जानबूझ कर अपने पैरों के बल बैठी हुई, बार-बार अपनी गाण्ड को ऊपर उठा लेती और पीछे बैठे सोनू को बेला के गाण्ड और झाँटों से भरी चूत की झलक पागल कर देती।
सोनू का लण्ड अब उसके पजामे में पूरी तरह तना हुआ था।
बेला ने अपने कपड़े धोए और उठ कर अपने कपड़े उठाने के लिए झुकी- आह्ह.. क्या क्या कर रहा है छोरे, यहाँ कोई देख लेगा.. हट जा अपनी मालकिन के पाँव दबा..
बेला ने सोनू को दूर धकेल दिया और अपने कपड़ों को घास पर डाल कर झाड़ियों के अन्दर जाने लगी।
यह देख सोनू भी उसके पीछे चला गया।
‘क्या है.. अब आराम से मूतने भी नहीं देगा क्या.. पीछे क्यों आ रहा है?’
बेला ने जानबूझ कर गुस्सा दिखाते हुए कहा।
सोनू- पर काकी हुआ क्या है, मुझसे कोई ग़लती हो गई क्या?
बेला ने सोनू की बात का कोई जवाब नहीं दिया और थोड़ा आगे जाकर अपने लहँगे को अपनी कमर तक उठा कर पेशाब करने के लिए बैठ गई।
बेला सोनू से कुछ दूरी पर बैठी मूत रही थी और अब सोनू के लिए रुक पाना नामुमकिन था, वो आगे बढ़ा और बेला के पास जाकर नीचे बैठ गया।
बेला के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई- देखा, कैसे कुत्ते की तरह चूत को सूँघता हुआ पीछे बैठ गया है..
बेला ने अपने मन में सोचा, उसके होंठों पर लंबी मुस्कान फैली हुई थी जैसे उसने कोई जंग जीत ली हो।
तभी अचानक सोनू ने बेला के चूतड़ों के नीचे से ले जाकर बेला की चूत को अपनी मुट्ठी में भर कर ज़ोर से मसल दिया।
बेला एकदम से सिसक उठी।
पेशाब तो वो कर चुकी थी, बस अपनी गाण्ड और चूत दिखा कर सोनू को तड़फा रही थी.
‘उफफ्फ़ हट हरामीई ओह.. सोनू बेटा.. ये जगह ठीक नहीं है ओह सोनू..’
इससे पहले कि बेला कुछ और बोल पाती, सोनू ने अपनी दो उँगलियों को एक साथ बेला की चूत में पेल दिया।
बेला बुरी तरह छटपटाते हुए खड़ी हो गई, पर सोनू अपनी उँगलियों को तेज़ी से बेला की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
सोनू भी खड़ा हो गया और एक हाथ से बेला के गदराए हुए पेट को पकड़ कर दूसरे हाथ को पीछे से उसकी चूत में डाल कर उँगलियों को अन्दर-बाहर कर रहा था।
बेला सोनू छूटने की कोशिश कर रही थी, जिससे वो आगे की ओर झुकने लगी और उसकी गाण्ड पीछे से और बाहर को आ गई।
बेला- ओह्ह.. रुक जा रे छोरे.. क्या कर रहा हाईईईई ओह माआआ रुक आह्ह.. आह्ह… सुन नाअ.. चल घर चलते हैं.. यहाँ कोई देख लेगा बेटा।
सोनू बेला की बात सुन कर खुश हो गया और उसने बेला की चूत में से अपनी ऊँगलियाँ निकाल लीं।
जैसे ही बेला सोनू के गिरफ़्त से बाहर हुई, वो हँसती हुई आगे भाग गई।
‘तू अब जा अपनी मालकिन के पैर दबा..’ बेला ने हँसते हुए कहा और आगे बढ़ने लगी।
सोनू का पारा सातवें आसमान पर जा पहुँचा.. और तेज़ी से भाग कर बेला को पीछे से पकड़ लिया।
सोनू- ओह्ह.. तो अच्छा ये बात है, तुम्हें मालकिन से जलन हो रही है ना।
बेला- जले मेरे जूती.. तू जा यहाँ से..
सोनू ने बेला को पीछे से बाँहों में भर लिया और उसके पेट को सहलाते हुए उसके पीठ पर अपने होंठों को रगड़ने लगा, बेला के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई, पर फिर भी अपने पर काबू करते हुए बोली- नहीं.. यहाँ नहीं.. तू जा अभी.. मुझे घर जाने दे, मुझे अभी बहुत काम हैं..
सोनू- अब गुस्सा छोड़ो भी काकी.. मैं भी तो तुम्हारी तरह नौकर हूँ और उनकी बात ना आप टाल सकती हैं और ना ही मैं… इसमें मेरी क्या ग़लती है?
यह कहते हुए सोनू के हाथ बेला की चूचियों पर पहुँच चुके थे और उसने धीरे-धीरे बेला की चूचियों को दबाना चालू कर दिया।
बेला की आँखें मस्ती में धीरे-धीरे बंद होने लगीं।
सोनू ने बेला को अपनी तरफ घुमाया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला- अब और मत तड़पाओ काकी.. यह देखो मेरे लण्ड कैसे तेरी फुद्दी में जाने के लिए तरस रहा है..
यह कह कर सोनू ने बेला का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और फिर सोनू ने अपना हाथ बेला के जाँघों के बीच घुसा दिया।
बेला अपनी अधखुली मस्ती से भरी आँखों से सोनू की तरफ देखते हुए बोली- अगर कोई आ गया तो?
सोनू ने बेला की चूत की फांकों में अपनी उँगलियों को फिराया और फिर बेला की चूत के दाने को अपनी उँगलियों के नीचे दबा कर मसलना चालू कर दिया।
‘कोई नहीं आएगा काकी..’
बेला छटपटाते हुए सोनू से लिपट गई और सोनू के लण्ड को पजामे के ऊपर से तेज़ी से हिलाने लगी।
सोनू ने बेला के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना चालू कर दिया और बेला ने सोनू के पजामे का नाड़ा खोल दिया।
सोनू का पजामा उसकी जाँघों में आकर अटक गया।
बेला ने अपनी कामुक नज़रों से एक बार सोनू के तने हुए 8 इंच लंबे लण्ड की ओर देखा और बोली- तेरा ये मूसल सा लौड़ा मेरे दिमाग़ पर ऐसा छाया हुआ है कि मैं तो इससे चाह कर भी भूल नहीं सकती।
सोनू ने बेला के आँखों में देखा और फिर से उसके होंठों पर होंठों को रख दिया।
बेला ने अपनी आँखें बंद कर लीं..दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे।
सोनू ने अपनी जीभ बेला के होंठों में पेल दी और बेला उसकी जीभ ऐसे चाटने लगी, जैसे कोई कुल्फी हो।
फिर अचानक बेला ने अपने होंठों को सोनू के होंठों से अलग किया और अपने लहँगे का नाड़ा खोल दिया, जो कि उसकी चूचियों पर बँधा हुआ था।
नाड़ा खुलते ही बेला के पैरों मैं आ गिरा, बेला ने उस लहँगे को उठाया और एक बड़े से पेड़ की तरफ बढ़ी और फिर उसने लहँगे को पेड़ के नीचे रख दिया और सोनू को उसके ऊपर बैठने को कहा।
सोनू भी अपना पज़ामा संभालते हुए उस पेड़ के नीचे आकर लहँगे के ऊपर बैठ गया।
उसने अपनी पीठ को पेड़ के तने से टिका लिया, उसने अपने पैरों को लंबा करके पहला रखा था।
बेला उसके पैरों के दोनों तरफ टाँगें करके खड़ी हो गई और फिर नीचे बैठते हुए सोनू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा कर धीरे-धीरे अपनी चूत को सोनू के लण्ड के सुपारे के ऊपर दबाने लगी।
सोनू के लण्ड का मोटा सुपारा बेला की चूत के छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर जाने लगा।
बेला अपनी चूत के छेद पर सोनू के लण्ड के गरम सुपारे का अहसास पाते ही सिसयाने लगी- ओह सीईईईई.. सोनू तू मुझे पागल बना कर छोड़ेगा ओह.. कितना मोटा है.. रे.. तेराअ…
जैसे ही सुपारा बेला की चूत में घुसा.. सोनू ने बेला की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे की तरफ दबा दिया।
बेला की गीली हो चुकी चूत में सोनू का लण्ड फिसजया हुआ अन्दर जा घुसा।
‘ओह्ह छोरे.. क्या कर रहा है, ज़रा भी सबर नहीं है.. ओह मार दियाआ रेए… ओह रुक जा ओह आह्ह.. ओह!’
सोनू नीचे से लगातार अपनी कमर को हिलाते हुए बेला की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
उसके लण्ड ने बेला की चूत के छेद को बुरी तरह फैलाया हुआ था।
बेला की आँखें मस्ती में बंद हो गई, सोनू ने उसके ऊपर-नीचे हो रही चूचियों में से एक को मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
बेला- ओह सोनू.. धीरे-धीरे अई बेटा.. ओह हाँ.. चूस ले.. बेटा मेरी चूची.. ओह सोनू हाँ.. ऐसे मसल…ऊऊओ मेरी गाण्ड कूऊऊ सलिएईई सब के नज़रें इसी पर रहती हैं.. ओह.. बेटा चोद अपनी काकी को.. चोद डाल बेटा.. अपनी काकी की फुद्दीई ओह..
बेला अपने पैरों के बल बैठ गई और सोनू के कंधों को पकड़ कर पागलों की तरह अपनी गाण्ड को ऊपर-नीचे उछालने लगी, लण्ड तेज़ी से बेला की चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था।
बेला की चूत से निकल रहे कामरस से सोनू का लण्ड पूरी तरह भीग गया था, जिससे उसका लण्ड ‘फच-फच’ की आवाज़ करता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था।
सोनू ने अब अपनी कमर हिलाना बंद कर दिया था और दोनों हाथों से बेला के चूतड़ों को मसलते हुए, उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूस रहा था।
खुले आसमान के नीचे चुदाई का जबरदस्त दौर चल रहा था।
बेला- ओह्ह.. बेटा ले.. मजा आ रहा है नाआअ.. अपनी काकी की फुद्दी मार कर्ररर.. ओह बेटा ले चूस्स्स लेए जीईए भरररर तुन्न्न् मुझसे नाराज़ तो नहीं हाईईईईई ओह…
सोनू- नहीं काकी मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूँ।
बेला ने सोनू को ज़ोर से अपने बदन से चिपका लिया और सोनू ने भी बेला के चूतड़ों को फैला कर अपनी एक ऊँगली उसके गाण्ड के छेद में घुसा दी।
बेला एकदम तड़फ उठी और होंठों पर कामुक मुस्कान लाकर बोली- क्या इरादा है.. तेरा..आँ.. मेरी गाण्ड में ऊँगली कर रहा है।
सोनू इस पर कुछ नहीं बोला और धीरे-धीरे अपनी ऊँगली से उसकी गाण्ड के छेद को कुरदने लगा।
बेला अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी और पूरी रफ़्तार से अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर सोनू का लण्ड अपनी फुद्दी में ले रही थी।
अब उसकी चूत में सरसराहट और बढ़ गई थी।
उसका पूरा बदन काँपने लगा और फिर बेला का बदन एकदम से अकड़ गया और वो सोनू के ऊपर पसर होकर लुड़क गई।
सोनू के लण्ड ने भी लावा छोड़ दिया।
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