Adultery चन्डीमल हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर (सम्पूर्ण)

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सोनू का लण्ड बेला की चूत की दीवारों को बुरी तरह फ़ैलाता हुआ एक ही बार में पूरा अन्दर घुस गया।
बेला- ओह.. सोनू मार दिया रे हरामी.. सालेए.. उफफफ्फ़ फाड़ दी मेरी चूत… ओह्ह..
सोनू- तूने ही तो बोला था काकी.. कि कस-कस के चोदूँ।
बेला- हाँ बोला था.. हरामी साले.. पर तेरा ये मोटा लण्ड उफफफ्फ़.. अब रुक क्यों गया है?
सोनू ने मुस्कुराते हुए बेला के चूतड़ों को दबोच कर एक के बाद एक जोरदार धक्के लगाने चालू कर दिए, सोनू की जाँघें बार-बार बेला के चूतड़ों से टकरा कर आवाज़ कर रही थीं।
बेला इस कदर मस्त हो गई कि उससे ये भी ध्यान नहीं रहा कि उसकी उँची हो रही कामुक सिसकारियों को कोई भी सुन सकता है।
बेला- हाँ चोद बेटा.. ओह… चोद अपनी काकीईईईईई की फुद्दी फाड़ दे.. ओह्ह आह्ह.. ह आह ओह धीरे.. ज़ोर से.. ओह..
सोनू अपना लण्ड बेला की चूत में जड़ तक पेलते हुए- क्या काकी कभी कहती हो धीरे. और कभी कहती हो ज़ोर से फुद्दी मारूं.. एक बात बोलो..
बेला- आह्ह.. ह.. बेटा तुम मेरी बात मत सुनो.. ओह बस अपने इस मूसल छाप लण्ड से मेरीईई चूततत फाड़ देए ओह्ह..
सोनू की मस्ती का कोई ठिकाना नहीं था।
उसने आगे झुक कर बेला की चूचियों को अपने हाथों में दबोच लिया और उनको अपनी तरफ खींचते हुए ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा।
बेला की चूत एक बार फिर झड़ने के कगार पर थी।
उसने भी अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ उछालना शुरू कर दिया।
‘ओह बेटा बस थोड़ी देर और ओह… मेरा होने वाला है।’
सोनू अब होश खो बैठा था और अपने आँखें बंद किए हुए, तेज़ी से धक्के लगा रहा था।
‘काकी ओह.. मेरा भी होने वाला है…ओह्ह काकी।’
और फिर जैसे सोनू के लण्ड से वीर्य का सैलाब निकल कर बेला की चूत की दीवारों को भिगोने लगा।
सोनू के वीर्य को अपनी चूत की दीवारों पर महसूस करते ही बेला ने भी अपनी गाण्ड को तेज़ी से सोनू के लण्ड पर पटकना चालू कर दिया।
बेला- रुक जाआअ बेटा.. बस तेरी ये काकी की फुद्दी भी रसधार बहाने वाली है… ओह आह आह आह्ह..
फिर बेला भी शांत पड़ गई और आगे के तरफ लुढ़क गई।
सोनू का लण्ड जो की बिल्कुल सना हुआ था.. बेला की चूत से बाहर आ गया।
बेला की चूत से कुछ वीर्य निकल कर बाहर बिस्तर पर गिर गया।
बेला पेट के बल लेट गई, उसकी आँखें मस्ती में बन्द थीं और होंठों पर मुस्कान फैली हुई थी।
बेला आँखें बंद किए हुए- तूने तो कमाल कर दिया छोरे… एक ही बार में दो बार मेरी चूत का पानी निकाल दिया.. तेरे इस लण्ड ने मेरी चूत को खोद-खोद कर झाड़ दिया।
सोनू- काकी आप कहो, तो एक बार और निकाल देता हूँ।
बेला- नहीं आज इतना बहुत है..बहुत देर रही है। अब सेठ के घर भी जाना है, चल जल्दी कर कपड़े पहन ले, कहीं बिंदया ना आ जाए।
बेला की बात सुन कर सोनू अपना पज़ामा पहनने लगा, बेला ने भी अपने कपड़े पहने और बिस्तर को ठीक करके रख दिया।
उसके बाद दोनों सेठ के घर आ गए।
अभी दोपहर के 12 बज रहे थे.. जब दोनों सेठ के घर पहुँचे तो पता चला कि सेठ चन्डीमल घर पर था।
वो उसकी नई पत्नी सीमा और दीपा तीनों कहीं जाने के लिए तैयार थे।
रजनी ने बेला को बताया कि चन्डीमल सीमा को लेकर एक-दो दिन के लिए उसके मायके जा रहा था और साथ में दीपा भी जा रही है।
रजनी इस बात से बहुत खुश थी।
अब घर पर सिर्फ़ बेला और सोनू ही उसके साथ थे।
बाहर तांगे वाला खड़ा था, तीनों उस पर सवार होकर शहर स्टेशन की ओर निकल लिए।
बेला को अब सिर्फ़ अपने सोनू और रजनी के लिए ही खाना बनाना था।
आज बेला के चेहरा खिला हुआ था।
जो बयान कर रहा था कि कुछ समय पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई हुई है, इस बात का अंदाज़ा रजनी मन ही मन लगा रही थी, क्योंकि दोनों काफ़ी देर से गायब थे।
खाना खाने के बाद सोनू अपने कमरे में चला गया।
अब उसे भी कोई काम नहीं था।
बिंदया भी खाना खा कर घर जा चुकी थी।
बेला ने बर्तन साफ़ किए और घर जाने के निकली, उसे आज बहुत मीठी-मीठी नींद आ रही थी, पर उसे रजनी ने आवाज़ लगा कर रोक लिया।
‘अए सुन तो बेला.. कहाँ थी इतनी देर.. उस छोरे के साथ?’
रजनी ने ज़रा कड़क आवाज़ में पूछा।
बेला ने हड़बड़ाते हुए कहा- वो मालिकन.. नहाने नदी पर गई थी।
रजनी- अच्छा.. आज-कल नदी पर बहुत जा रही हो तुम.. वैसे मुझे लगता है कि आज तुम कुछ और नहाई हो, देख कैसे बाल बिखरे हुए हैं तेरे…
बेला रजनी की बात सुन कर एकदम से सकपका गई- वो क्या था ना दीदी.. आज बहुत सर्दी थी, जिसकी वजह से नहीं नहाया।
रजनी- तो फिर तेरे को इतने देर कैसे लगी?
बेला- वो दीदी वो वहाँ कपड़े धोने के कारण देर हो गई।
रजनी को बेला की बातों से शक तो हो रहा था पर उससे पूरा यकीन नहीं था।
‘अच्छा चल ठीक है.. चल मेरे कमरे में आज बहुत खुजली हो रही है.. ज़रा मालिश तो कर दे।’
बेला- दीदी आज… पर दीदी मुझे घर पर बहुत काम है।
बेला का मन अब कुछ भी करने को नहीं था।
रजनी- चलती है कि नहीं.. कि दूँ.. दो कान के नीचे..!
बेला फिर चुपचाप रजनी के कमरे में आ गई।
 
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रजनी ने अपने कमरे को अन्दर से बंद किया और अपने कपड़े निकालने लगी।
‘दीदी शाम को अच्छे से कर दूँगी.. अभी मेरे तबियत ठीक नहीं है।’
बेला ने मुँह बनाते हुए कहा।
‘क्यों क्या हुआ तेरे को? चल इधर आ तेरी तबियत आज मैं हरी कर देती हूँ।’
यह कह कर रजनी ने बेला को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके लहँगे को एक झटके में उसकी कमर तक चढ़ा दिया।
‘हाय दीदी.. क्या कर रही हैं आप?’ बेला ने खीजते हुए रजनी से पूछा, पर रजनी ने बिना कुछ बोले.. अपनी ऊँगली को बेला की चूत में पेल दिया।
रजनी की ऊँगली बेला की गीली चूत में फिसलती हुई अन्दर चली गई।
‘आह दीदी ये ईए.. ओह…’
रजनी ने दो-चार बार अपनी ऊँगली बेला की चूत के अन्दर-बाहर की और फिर अपनी ऊँगली निकाल कर देखने लगी।
उसकी ऊँगली बेला की चूत और सोनू के कामरस से भीगी हुई थी, रजनी का शक और बढ़ गया।
रजनी- ये क्या है.. रांड.. बोल क्या किया तूने उस छोरे के साथ? उसका लण्ड अपनी चूत में लेकर अब तेरा भोसड़ा ठंड हो गया हो गया ना?
बेला- ये.. ये.. क्या कह रही हैं दीदी आप.. वो तो मेरे बेटे की उम्र का है।
रजनी- हाँ जानती हूँ मैं तुझे साली.. ज़रूर बेटा.. बेटा.. कह कर उसके लण्ड पर उछल रही होगी.. बोल.. नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
बेला- दीदी वो वो..
इससे पहले कि बेला कुछ बोलती, रजनी अपनी दो उँगलियों को बेला की चूत में पेल कर अपने अंगूठे से उसकी चूत के दाने को ज़ोर से मसल दिया। बेला एकदम से सिसया उठी और अपनी कमर को उछालने लगी।
रजनी- देख साली कैसे अपनी गाण्ड उछाल रही है। ऐसे ही अपने गाण्ड उछाल-उछाल कर चुदवाई होगी ना तुम उस लौंडे से?
बेला- दीदी ग़लती हो गई.. माफ़ कर दो, उसने मुझे संभलने का मौका ही नहीं दिया।
रजनी- क्या उसने.. या तूने उसे मौका नहीं दिया.. जा री.. तेरी फुद्दी उसके लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी होगी.. बोल साली.. मज़ा लेकर आई है ना.. जवान लण्ड का?
बेला- अब बस भी करो दीदी.. कहा ना ग़लती हो गई.. आइन्दा ऐसा नहीं होगा।
रजनी- चल साली जा अब.. आगे से उस छोरे से दूर रहना.. समझी।
बेला बिस्तर से खड़ी हुई और कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई।
बेला तो चली गई, पर रजनी की चूत में बेला की चुदाई की बात सुन कर आग लग चुकी थी।
बेला के जाने के बाद रजनी ने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गई और अपनी चूत को मसलने लगी।
 
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रजनी अपनी चूत को मसलते हुए अपनी चूत की आग को ठंडा करने के कोशिश कर रही थी, पर रजनी जैसे गरम औरत को भला उसकी पतली सी ऊँगलियाँ कैसे ठंडा कर सकती थीं।
फिर अचानक से रजनी के दिमाग़ में कुछ आया और वो उठ कर बैठ गई।
‘अगर वो साली छिनाल उस जवान लौंडे का लण्ड अपनी बुर में ले सकती है तो मैं क्यों अपनी उँगलियों से अपनी चूत की आग बुझाने की कोशिश करूँ… चाहे कुछ भी हो जाए..आज उसे नए लौंडे का लण्ड अपनी चूत में पिलवा कर ही रहूँगी।’
यह सोचते ही बेला के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई और वो उठ कर अपनी साड़ी पहनने लगी।
साड़ी पहनने के बाद वो अपने कमरे से बाहर आकर घर के पीछे की ओर चली गई।
सोनू बाहर ही चारपाई पर लेटा हुआ था और सुनहरी धूप का आनन्द ले रहा था।
रजनी के कदमों की आवाज़ सुन कर वो उठ कर खड़ा हो गया और रजनी की तरफ देखने लगा।
‘आराम कर रहे हो… लगता है आज बहुत थक गए हो तुम?’
रजनी ने मुस्कुराते हुए सोनू से कहा।
‘जी नहीं.. वो कुछ काम नहीं था, इसलिए लेट गया।’
रजनी- अच्छी बात है, आज तुम आराम कर लो अभी.. क्योंकि रात को तुझे मेरी मालिश करनी है… समझे… थोड़ा वक्त लगेगा आज…
सोनू सर झुकाए हुए- जी।
रजनी पलट कर जाने लगी, वो अपनी गाण्ड आज कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी, जैसे वो घर के आगे की तरफ पहुँची, तो मुख्य दरवाजा पर किसी के आने के दस्तक हुई।
रजनी ने जाकर दरवाजा खोला, तो रजनी के चेहरे का रंग उड़ गया। सामने चन्डीमल की चाची खड़ी थीं, जो उसी गाँव में रहती थीं- और सुना बहू कैसी हो?
चन्डीमल के चाची ने अन्दर आते हुए रजनी से पूछा।
चन्डीमल की चाची का नाम कान्ति देवी था।
कान्ति देवी शुरू से ही गरम मिजाज़ की औरत थी। भले ही अपनी जवानी में उसने बहुत गुल खिलाए थे, पर अब 65 साल की हो चुकी कान्ति देवी अपनी बहुओं पर कड़ी नज़र रखती थी।
आप कह सकते हैं कि उसे डर था कि जवानी में जो गुल उसने खिलाए थे, वो उसकी बहुएँ ना कर सकें।
कान्ति देवी को देख रजनी का मुँह थोड़ा सा लटक गया, पर फिर भी होंठों पर बनावटी मुस्कान लाकर कान्ति देवी के पैरों को हाथ लगाते हुए बोली- मैं ठीक हूँ चाची जी.. आप सुनाइए आप कैसी हैं?
कान्ति अन्दर के ओर बढ़ते हुए- ठीक हूँ बहू.. अब तो जितने दिन निकल जाएँ… वही जिंदगी, बाकी कल का क्या भरोसा। कल इस बुढ़िया की आँख खुले या ना खुले।
रजनी- क्या चाची.. अभी आपकी उम्र ही क्या है.. अभी तो आप अच्छे-भले चल-फिर रही हो।
रजनी चाची को अपने कमरे में ले गई, कान्ति रजनी के बिस्तर पर पालती मार कर बैठ गई- वो गेन्दा कह गया था मुझसे कि आज रात तुम अकेली होगी.. इसलिए मैं तुम्हारे पास सो जाऊँ, इसलिए चली आई।
रजनी भले ही अपने मन ही मन बुढ़िया को कोस रही थी, पर वो उसके सामने कुछ बोल भी तो नहीं सकती थी।
‘यह तो आपने बहुत अच्छा किया चाची… और वैसे भी आप हमें कब सेवा करने का मौका देती हो.. अच्छा किया जो आप यहाँ आ गईं।’
कान्ति- अब क्या बताऊँ बहू.. मुझे तो मेरी बहुएँ कहीं जाने ही नहीं देती, बस आज निकल कर आ गई।
रजनी- अच्छा किया चाची जी आपने।
शाम ढल चुकी थी और रजनी का मन बेचैन हो रहा था। वो जान चुकी थी कि आज फिर उसकी चूत को तरसना पड़ेगा।
बेला सेठ के घर से आ चुकी थी और खाना बनाने में लगी हुई थी और सोनू भी घर के छोटे-मोटे कामों में लगा हुआ था।
सोनू अपना काम निपटा कर पीछे अपने कमरे में चला गया।
बेला की बेटी बिंदया भी आ गई, बेला ने रजनी और कान्ति को खाना दिया।
रजनी और कान्ति देवी बाहर आँगन में बैठ कर खाना खा रही थीं।
बेला ने उन दोनों को खाना देने के बाद सोनू के लिए खाना परोसा और पीछे की तरफ जाने लगी।
रजनी बेला को पीछे के तरफ जाता देख कर- अए, कहाँ जा रही है?
बेला रजनी की कड़क आवाज़ सुन कर घबराते हुए- जी वो सोनू को खाना देने जा रही थी।
रजनी- तुम रुको.. ये थाली बिंदया को दे.. वो खाना दे आती है, तू जाकर ये पानी गरम कर ला… इतना ठंडा पानी दिया है.. क्या हमारा गला खराब करेगी।
रजनी की बात सुन कर बेला का मुँह लटक गया, उसने बिंदया को खाना दिया और सोनू को देकर आने के लिए बोला और खुद मुँह में बड़बड़ाती हुई रसोई में चली गई।
बिंदया बहुत ही चंचल स्वभाव की थी, वो सोनू को घर के पीछे बने उसके कमरे में खाना देने के लिए गई और अपने चंचल स्वभाव के चलते वो सीधा बिना किसी चेतावनी के अन्दर जा घुसी।
अन्दर का नज़ारा देख कर जैसे बिंदया को सांप सूंघ गया हो, अन्दर सोनू पलंग पर लेटा हुआ था।
उसका पजामा, उसके पैरों में अटका हुआ था और वो अपने लण्ड को हाथ में लिए हुए तेज़ी से मुठ्ठ मार रहा था, उसके दिमाग़ में सुबह की चुदाई के सीन घूम रहे थे।
बिंदया की तो जैसे आवाज़ ही गुम हो गई हो।
सोनू बिस्तर पर लेटा हुआ अपने 8 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लण्ड को तेज़ी से हिला रहा था और बिंदया सोनू के मूसल लण्ड को आँखें फाड़े हुए देखे जा रही थी।
सोनू इससे बेख़बर था कि उसके कमरे में कोई है।
 
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बिंदया आज अपनी जिंदगी में दूसरी बार किसी लड़के का लण्ड देख रही थी।
पहली बार उसने लण्ड तब देखा था, जब उसका बाप उसकी माँ की चुदाई कर रहा था और बेला अपनी गाण्ड को उछाल-उछाल कर अपने पति का लण्ड अपनी चूत में ले रही थी।
बस फर्क इतना था कि उसके बाप का लण्ड सोनू के लण्ड से आधा भी नहीं था।
अपनी माँ की कामुक सिसकारियाँ सुन कर उससे उसी दिन पता चल गया था कि जब औरत की चुदाई होती है, तो औरत को कितना मजा आता है, बाकी रही-सही कसर उसकी सहेलियों ने पूरी कर दी थी।
जिसमें से कुछ उससे दो-तीन साल बड़ी थीं और उनकी शादी हो चुकी थी।
बिंदया अक्सर उनकी चुदाई के किस्से सुन चुकी थी, पर आज सोनू के विशाल लण्ड को देख कर उसकी चूत में एक बार फिर सरसराहट होने लगी।
बिंदया अक्सर अपनी सहेलयों से यह भी सुन चुकी थी कि लण्ड जितना बड़ा हो, उतना ही मज़ा आता है।
उसकी सहेलियाँ अकसर अपने पति के लण्ड के बारे में बात करती रहती थीं, जो अक्सर उसकी चूत में भी आग लगाए रखती थी।
यहाँ तो सोनू का विशाल लण्ड उसकी आँखों के ठीक सामने था.. उसके हाथ-पैर अंजान सी खुमारी के कारण काँपने लगे।
जिसके चलते उसके हाथ में पकड़ी हुई थाली में हलचल हुई और सोनू की आँखें खुल गईं।
सोनू हड़बड़ा कर खड़ा हो गया, उसने देखा सामने बिंदया हाथ में खाने की थाली लिए खड़ी उसके लण्ड की तरफ आँखें फाड़े देख रही है।
जैसे ही दोनों के नज़रें मिलीं, बिंदया ने नज़रें झुका लीं और थाली को नीचे रख कर तेज़ी से कमरे से बाहर निकल गई।
सोनू को समझ में ही नहीं आया कि आख़िर ये सब कैसे हो गया, पर अब वो कर भी क्या सकता था, उसने अपने पजामे को ऊपर करके बांधा और बाहर जाकर हाथ धोने के बाद आकर खाना खाने लगा।
 
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खाना खाने के बाद सोनू अपने झूटे बर्तन लेकर घर के आगे आ गया।
कान्ति खाना खाने के बाद रजनी के कमरे में चली गई थी.. पर रजनी अभी भी आँगन में लगे बड़े से पलंग पर बैठी हुई थी।
बेला और बिंदया नीचे चटाई पर बैठे खाना खा रहे थे।
सोनू ने अपने झूठे बर्तन रसोई में रख दिए और वापिस घर के पिछवाड़े की तरफ जाने लगा, पर रजनी ने उसे रास्ते में ही आवाज़ दे कर रोक दिया और अपने पास बुला लिया।
रजनी- सोनू सुन ज़रा मेरे पैर तो दबा दे, बहुत दर्द हो रहे हैं।
यह कह कर रजनी उठ कर एक कुर्सी पर बैठ गई और अपनी साड़ी को घुटनों से ऊपर करके, एक टाँग उठा कर सामने पलंग पर रख दी, ताकि उसकी चूत सोनू को दिखाई दे सके।
बेला ये सब सामने बैठी देख रही थी।
‘साली छिनाल अब अपना भोसड़ा खोल कर बैठ गई है.. छोरे के सामने..’ बेला ने मन ही मन रजनी को कोसा, इसके अलावा और वो कर भी क्या सकती थी।
सोनू नीचे बैठ कर उसका एक पैर दबाने लगा।
उसका ध्यान भी रजनी के पेटीकोट के अन्दर ही था।
बेला अपने मन में सोनू को भी गाली देती है- यह भी उसी की चूत देख रहा है.. साले मादरचोद इन सब मर्दों की एक ही जात होती है.. कुत्ते जहाँ चूत देखी, वहीं चाटना शुरू कर देते हैं।
खैर.. बेला अब रजनी के सामने तो कुछ बोल नहीं सकती थी, इसलिए वो खाना खाकर अपनी बेटी बिंदया के साथ चली गई और सोनू भी अपने कमरे में जा कर सो गया।
आज रात फिर रजनी की चूत को लण्ड के लिए और तड़पना था।
अगली सुबह जब नाश्ते के बाद जब बेला अपने घर जा चुकी थी तो सोनू को रजनी ने बाजार से कुछ सामान लाने के लिए कहा।
जब वो सामान लाने के लिए घर से निकला, तो उसे बेला नदी की तरफ जाते हुए नज़र आई।
दोनों ने एक-दूसरे के तरफ देखा, पर बेला ने नखरा करते हुए अपना मुँह दूसरी तरफ मोड़ लिया।
जिस पर सोनू को थोड़ी हैरानी तो ज़रूर हुई, पर वो बिना कुछ बोले बेला के पीछे चल पड़ा।
वो बेला से कुछ फासला बना कर चल रहा था।
बेला जानती थी कि सोनू उसके पीछे आ रहा है, पर उसने जानबूझ कर उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया।
कुछ ही देर में बेला नदी के घाट पर पहुँच गई, यहाँ पर वो नहाती थी..
पर आज बेला वहाँ नहीं रुकी और नदी के साथ आगे बढ़ने लगी।
सोनू को कुछ समझ में नहीं आया, वो भाग कर बेला के पास गया- काकी ओ काकी.. सुनो तो.. कहाँ जा रही हो?
बेला ने सोनू की तरफ देखते हुए कहा- क्यों तुम्हें क्या.. कहीं भी जाऊँ?
बेला फिर से आगे चल पढ़ी और सोनू भी बेला के पीछे चल पड़ा।
जैसे-जैसे दोनों आगे बढ़ रहे थे, रास्ता और सुनसान होता जा रहा था।
चारों तरफ ऊँची-ऊँची झाड़ियाँ बढ़ने लगीं, गाँव बहुत पीछे रह गया था।
आगे जंगल शुरू हो गया था।
काफ़ी दूर चलने के बाद बेला एक घाट पर रुकी और अपने साथ लाए हुए कपड़े की गठरी को नीचे रख कर अपनी चोली खोलने लगी।
सोनू यह सब पीछे खड़ा देख रहा था।
‘क्यों रे क्या देख रहा है, मेरे पीछे क्यों आ गया.. जा तेरी मालकिन तुझे ढूँढती होंगी।’
सोनू- वो उन्होंने सामान लाने के लिए भेजा था।
बेला- तो जा फिर.. सामान खरीद, यहाँ कौन सी दुकान खुली है।
सोनू- आप नाराज़ हो मुझसे?
बेला- मैं भला कौन होती हूँ तुमसे नाराज़ होने वाली।
सोनू- तो फिर काकी आप ऐसे क्यों बात कर रही हो?
बेला- अच्छा जा.. अब अपना काम कर, मुझे परेशान मत कर।
सोनू का चेहरा बेला के बात सुन कर उतर गया और वहीं घास पर नीचे बैठ गया।
बेला ने अपनी चोली उतार कर अपने लहँगे को अपनी चूचियों पर बाँध लिया और नदी में उतर गई।
वो कनखियों से सोनू की तरफ देख कर मन ही मन मुस्करा रही थी।
सोनू नदी के किनारे बैठा बेला को देख रहा था, बेला का लहंगा गीला होकर बेला के बदन से चिपक गया था।
सोनू का लण्ड अकड़ने लगा, पर आज लगता है कि सोनू को भी चूत के लिए तरसना पड़ सकता है।
 
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नहाने के बाद बेला नदी से बाहर निकली और सोनू के पीछे जाकर अपने साथ लाया हुआ दूसरे लहँगे को उठा कर गीले लहँगे को उतार दिया।
सोनू ने पीछे की तरफ नहीं देखा, वो तो बस मुँह लटकाए बैठा हुआ था।
उसके बाद उसने दूसरे लहँगे को भी ऊपर करके अपनी चूचियों पर बाँध लिया और फिर गीले लहँगे को लेकर नदी के सीढ़ियों पर बैठ कर अपने उतारे हुए कपड़े धोने लगी।
सुनहरी धूप चारों तरफ फैली हुई थी, सोनू पीछे बैठा बेला को देख रहा था।
जब बेला कपड़ों को रगड़ने के लिए आगे की ओर झुकती, तो बेला का लहंगा जो कि उसकी चूचियों पर बँधा हुआ था, उसके चूतड़ों से ऊपर उठ जाता और बेला के भारी चूतड़ों का दीदार सोनू को हो जाता।
बेचारे को क्या पता था कि वो दो चूत की आग के बीच में झुलस रहा है, जो कल से एक-दूसरे के हर पैंतरे को नाकामयाब करने के कोशिश कर रही थी।
अब सोनू के बर्दाश्त से बाहर हो जा रहा था, बेला जानबूझ कर अपने पैरों के बल बैठी हुई, बार-बार अपनी गाण्ड को ऊपर उठा लेती और पीछे बैठे सोनू को बेला के गाण्ड और झाँटों से भरी चूत की झलक पागल कर देती।
सोनू का लण्ड अब उसके पजामे में पूरी तरह तना हुआ था।
बेला ने अपने कपड़े धोए और उठ कर अपने कपड़े उठाने के लिए झुकी- आह्ह.. क्या क्या कर रहा है छोरे, यहाँ कोई देख लेगा.. हट जा अपनी मालकिन के पाँव दबा..
बेला ने सोनू को दूर धकेल दिया और अपने कपड़ों को घास पर डाल कर झाड़ियों के अन्दर जाने लगी।
यह देख सोनू भी उसके पीछे चला गया।
‘क्या है.. अब आराम से मूतने भी नहीं देगा क्या.. पीछे क्यों आ रहा है?’
बेला ने जानबूझ कर गुस्सा दिखाते हुए कहा।
सोनू- पर काकी हुआ क्या है, मुझसे कोई ग़लती हो गई क्या?
बेला ने सोनू की बात का कोई जवाब नहीं दिया और थोड़ा आगे जाकर अपने लहँगे को अपनी कमर तक उठा कर पेशाब करने के लिए बैठ गई।
बेला सोनू से कुछ दूरी पर बैठी मूत रही थी और अब सोनू के लिए रुक पाना नामुमकिन था, वो आगे बढ़ा और बेला के पास जाकर नीचे बैठ गया।
बेला के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई- देखा, कैसे कुत्ते की तरह चूत को सूँघता हुआ पीछे बैठ गया है..
बेला ने अपने मन में सोचा, उसके होंठों पर लंबी मुस्कान फैली हुई थी जैसे उसने कोई जंग जीत ली हो।
तभी अचानक सोनू ने बेला के चूतड़ों के नीचे से ले जाकर बेला की चूत को अपनी मुट्ठी में भर कर ज़ोर से मसल दिया।
बेला एकदम से सिसक उठी।
पेशाब तो वो कर चुकी थी, बस अपनी गाण्ड और चूत दिखा कर सोनू को तड़फा रही थी.
‘उफफ्फ़ हट हरामीई ओह.. सोनू बेटा.. ये जगह ठीक नहीं है ओह सोनू..’
इससे पहले कि बेला कुछ और बोल पाती, सोनू ने अपनी दो उँगलियों को एक साथ बेला की चूत में पेल दिया।
बेला बुरी तरह छटपटाते हुए खड़ी हो गई, पर सोनू अपनी उँगलियों को तेज़ी से बेला की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
सोनू भी खड़ा हो गया और एक हाथ से बेला के गदराए हुए पेट को पकड़ कर दूसरे हाथ को पीछे से उसकी चूत में डाल कर उँगलियों को अन्दर-बाहर कर रहा था।
बेला सोनू छूटने की कोशिश कर रही थी, जिससे वो आगे की ओर झुकने लगी और उसकी गाण्ड पीछे से और बाहर को आ गई।
बेला- ओह्ह.. रुक जा रे छोरे.. क्या कर रहा हाईईईई ओह माआआ रुक आह्ह.. आह्ह… सुन नाअ.. चल घर चलते हैं.. यहाँ कोई देख लेगा बेटा।
सोनू बेला की बात सुन कर खुश हो गया और उसने बेला की चूत में से अपनी ऊँगलियाँ निकाल लीं।
जैसे ही बेला सोनू के गिरफ़्त से बाहर हुई, वो हँसती हुई आगे भाग गई।
‘तू अब जा अपनी मालकिन के पैर दबा..’ बेला ने हँसते हुए कहा और आगे बढ़ने लगी।
सोनू का पारा सातवें आसमान पर जा पहुँचा.. और तेज़ी से भाग कर बेला को पीछे से पकड़ लिया।
सोनू- ओह्ह.. तो अच्छा ये बात है, तुम्हें मालकिन से जलन हो रही है ना।
बेला- जले मेरे जूती.. तू जा यहाँ से..
सोनू ने बेला को पीछे से बाँहों में भर लिया और उसके पेट को सहलाते हुए उसके पीठ पर अपने होंठों को रगड़ने लगा, बेला के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई, पर फिर भी अपने पर काबू करते हुए बोली- नहीं.. यहाँ नहीं.. तू जा अभी.. मुझे घर जाने दे, मुझे अभी बहुत काम हैं..
सोनू- अब गुस्सा छोड़ो भी काकी.. मैं भी तो तुम्हारी तरह नौकर हूँ और उनकी बात ना आप टाल सकती हैं और ना ही मैं… इसमें मेरी क्या ग़लती है?
यह कहते हुए सोनू के हाथ बेला की चूचियों पर पहुँच चुके थे और उसने धीरे-धीरे बेला की चूचियों को दबाना चालू कर दिया।
बेला की आँखें मस्ती में धीरे-धीरे बंद होने लगीं।
सोनू ने बेला को अपनी तरफ घुमाया और उसकी आँखों में देखते हुए बोला- अब और मत तड़पाओ काकी.. यह देखो मेरे लण्ड कैसे तेरी फुद्दी में जाने के लिए तरस रहा है..
यह कह कर सोनू ने बेला का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और फिर सोनू ने अपना हाथ बेला के जाँघों के बीच घुसा दिया।
बेला अपनी अधखुली मस्ती से भरी आँखों से सोनू की तरफ देखते हुए बोली- अगर कोई आ गया तो?
सोनू ने बेला की चूत की फांकों में अपनी उँगलियों को फिराया और फिर बेला की चूत के दाने को अपनी उँगलियों के नीचे दबा कर मसलना चालू कर दिया।
‘कोई नहीं आएगा काकी..’
बेला छटपटाते हुए सोनू से लिपट गई और सोनू के लण्ड को पजामे के ऊपर से तेज़ी से हिलाने लगी।
सोनू ने बेला के होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना चालू कर दिया और बेला ने सोनू के पजामे का नाड़ा खोल दिया।
सोनू का पजामा उसकी जाँघों में आकर अटक गया।
बेला ने अपनी कामुक नज़रों से एक बार सोनू के तने हुए 8 इंच लंबे लण्ड की ओर देखा और बोली- तेरा ये मूसल सा लौड़ा मेरे दिमाग़ पर ऐसा छाया हुआ है कि मैं तो इससे चाह कर भी भूल नहीं सकती।
सोनू ने बेला के आँखों में देखा और फिर से उसके होंठों पर होंठों को रख दिया।
बेला ने अपनी आँखें बंद कर लीं..दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे।
सोनू ने अपनी जीभ बेला के होंठों में पेल दी और बेला उसकी जीभ ऐसे चाटने लगी, जैसे कोई कुल्फी हो।
फिर अचानक बेला ने अपने होंठों को सोनू के होंठों से अलग किया और अपने लहँगे का नाड़ा खोल दिया, जो कि उसकी चूचियों पर बँधा हुआ था।
नाड़ा खुलते ही बेला के पैरों मैं आ गिरा, बेला ने उस लहँगे को उठाया और एक बड़े से पेड़ की तरफ बढ़ी और फिर उसने लहँगे को पेड़ के नीचे रख दिया और सोनू को उसके ऊपर बैठने को कहा।
सोनू भी अपना पज़ामा संभालते हुए उस पेड़ के नीचे आकर लहँगे के ऊपर बैठ गया।
उसने अपनी पीठ को पेड़ के तने से टिका लिया, उसने अपने पैरों को लंबा करके पहला रखा था।
बेला उसके पैरों के दोनों तरफ टाँगें करके खड़ी हो गई और फिर नीचे बैठते हुए सोनू के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा कर धीरे-धीरे अपनी चूत को सोनू के लण्ड के सुपारे के ऊपर दबाने लगी।
सोनू के लण्ड का मोटा सुपारा बेला की चूत के छेद को फ़ैलाता हुआ अन्दर जाने लगा।
बेला अपनी चूत के छेद पर सोनू के लण्ड के गरम सुपारे का अहसास पाते ही सिसयाने लगी- ओह सीईईईई.. सोनू तू मुझे पागल बना कर छोड़ेगा ओह.. कितना मोटा है.. रे.. तेराअ…
जैसे ही सुपारा बेला की चूत में घुसा.. सोनू ने बेला की कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर नीचे की तरफ दबा दिया।
बेला की गीली हो चुकी चूत में सोनू का लण्ड फिसजया हुआ अन्दर जा घुसा।
‘ओह्ह छोरे.. क्या कर रहा है, ज़रा भी सबर नहीं है.. ओह मार दियाआ रेए… ओह रुक जा ओह आह्ह.. ओह!’
सोनू नीचे से लगातार अपनी कमर को हिलाते हुए बेला की चूत में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
उसके लण्ड ने बेला की चूत के छेद को बुरी तरह फैलाया हुआ था।
बेला की आँखें मस्ती में बंद हो गई, सोनू ने उसके ऊपर-नीचे हो रही चूचियों में से एक को मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा।
बेला- ओह सोनू.. धीरे-धीरे अई बेटा.. ओह हाँ.. चूस ले.. बेटा मेरी चूची.. ओह सोनू हाँ.. ऐसे मसल…ऊऊओ मेरी गाण्ड कूऊऊ सलिएईई सब के नज़रें इसी पर रहती हैं.. ओह.. बेटा चोद अपनी काकी को.. चोद डाल बेटा.. अपनी काकी की फुद्दीई ओह..
बेला अपने पैरों के बल बैठ गई और सोनू के कंधों को पकड़ कर पागलों की तरह अपनी गाण्ड को ऊपर-नीचे उछालने लगी, लण्ड तेज़ी से बेला की चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था।
बेला की चूत से निकल रहे कामरस से सोनू का लण्ड पूरी तरह भीग गया था, जिससे उसका लण्ड ‘फच-फच’ की आवाज़ करता हुआ अन्दर-बाहर हो रहा था।
सोनू ने अब अपनी कमर हिलाना बंद कर दिया था और दोनों हाथों से बेला के चूतड़ों को मसलते हुए, उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूस रहा था।
खुले आसमान के नीचे चुदाई का जबरदस्त दौर चल रहा था।
बेला- ओह्ह.. बेटा ले.. मजा आ रहा है नाआअ.. अपनी काकी की फुद्दी मार कर्ररर.. ओह बेटा ले चूस्स्स लेए जीईए भरररर तुन्न्न् मुझसे नाराज़ तो नहीं हाईईईईई ओह…
सोनू- नहीं काकी मैं तुमसे नाराज़ नहीं हूँ।
बेला ने सोनू को ज़ोर से अपने बदन से चिपका लिया और सोनू ने भी बेला के चूतड़ों को फैला कर अपनी एक ऊँगली उसके गाण्ड के छेद में घुसा दी।
बेला एकदम तड़फ उठी और होंठों पर कामुक मुस्कान लाकर बोली- क्या इरादा है.. तेरा..आँ.. मेरी गाण्ड में ऊँगली कर रहा है।
सोनू इस पर कुछ नहीं बोला और धीरे-धीरे अपनी ऊँगली से उसकी गाण्ड के छेद को कुरदने लगा।
बेला अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी और पूरी रफ़्तार से अपनी गाण्ड उछाल-उछाल कर सोनू का लण्ड अपनी फुद्दी में ले रही थी।
अब उसकी चूत में सरसराहट और बढ़ गई थी।
उसका पूरा बदन काँपने लगा और फिर बेला का बदन एकदम से अकड़ गया और वो सोनू के ऊपर पसर होकर लुड़क गई।
सोनू के लण्ड ने भी लावा छोड़ दिया।
 

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