Adultery चन्डीमल हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर (सम्पूर्ण)

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बेला: (शरमाते हुए) आप जान के बात कर रही हैं दीदी……….ऐसा मुन्सल सा लंड आज तक मेने अपनी जिंदगी में कभी नही देखा………कम से कम 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा होगा, उस छोरे का…..

रजनी: (हैरान होते हुए) चल हट ऐसा भी होसकता है क्या…..वो तो अभी बच्चा है…..अभी तो उसकी मून्छे भी नही निकली…….देखा नही क्या ?

बेला: दीदी आप कह तो सही रही हैं…….पर जब मेने उसका औजार देखा तो , मुझे भी यकीन नही हो रहा था…..पर सच तो यही है कि, उसका लंड इतना ही बड़ा है……..

बेला की बात सुन कर रजनी का दिल जोरों से धड़कने लगा…..उसके दिमाग़ मे भी सोनू के लंड की छवि से बन गयी…….”सच कह रही है बेला तू” रजनी ने अपनी सारी के ऊपेर से अपनी बुर को खुजाते हुए कहा..

बेला भी रजनी के हालत ताड़ गयी…..”हां दीदी सच उसके लंड का सुपाडा तो जैसे किसी छोटे सेब के बराबर था…एक दम गुलाबी रंग…….दिल कर रहा था…अभी जाकर मुट्ठी मे भर कर उसके लंड के सुपाडे को जी भर कर चुसू……..” बेला तिरिछि नज़रों से रजनी की तरफ देख रही थी…….

रजनी: चल हट जाने दे……….तू अपना काम कर, और सुन उस छोरे से दूर ही रहना….कुछ उल्टा सीधा मत करना……..

रजनी ने बेला की आँखों में झाँका….दोनो के होंटो पर कामुकता से भरी मुस्कान फैली हुई थी….रजनी बाहर चली गयी……


रात को बेला ने सब के लिए खाना लगा दिया……..और खुद अपना और बेटी का खाना लेकर घर चली गयी…..चांदीमल तो मानो जैसे खाना जल्दी से खा कर अपने कमरे मे जाना चाहता था….रात के करीब 10 बजे तक सब अपने अपने कमरों में घुस चुके थे……रजनी अपनी कमरे में लेटी हुई, करवटें बदल रही थी……..रजनी के कमरे की पीछे वाली खिड़की, घर के पिछवाड़े में खुलती थी. पर खिड़की पर लोहे की सलाखें लगी हुई थी…………

पर उस खिड़की की लकड़ी को नीचे की तरफ घुन लग चुका था……जिससे उसकी एक लोहे के सलाख ढीली हो गयी थी………और उसे आसानी से निकाला जा सकता था. एक सलाख को निकालने के बाद इतना गॅप तो बन ही जाता था कि, उसमे से कोई पतला शख्स आसानी से निकल सके……..

मैं इस खिड़की के बारे मे आप को इस लिए बता रहा हूँ क्योंकि इस खिड़की का इस कहानी मे बहुत बड़ा योगदान है…..अब तक आप समझ ही गये होंगे, कि मैं किस तरफ इशारा कर रहा हूँ.

रजनी के दिमाग़ मे शाम से बेला की बातें ही घूम रही थी……वो भी तो कामज्वाला में कब से जल रही थी………वो उठ कर अपने कमरे से बाहर आई………चारो तरफ सन्नाटा फेला हुआ था….रजनी धीरे-2 आगे बढ़ाते हुए घर के पीछे की तरफ बढ़ने लगी….वो खुद नही जानती थी, कि आख़िर वो इतनी रात को पीछे करने क्या जा रही है……….रजनी का दिल सोनू के रूम की तरफ बढ़ते हुए जोरों से धड़क रहा था………जब वो घर के पीछे पहुची, तो चारो तरफ घना कोहरा छाया हुआ था….सर्दी अपने सबाब पर थी………..
 
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रजनी शॉल ओढ़े हुए काँप रहे कदमो के साथ सोनू के रूम की तरफ गयी, और धीरे से उसका डोर नॉक किया……..पर अंदर से कोई जवाब नही आया……..रजनी एक पल के लिए रुकी, और फिर मूड कर वापिस जाने लगी…शायद उसकी भी हिम्मत नही हो रही थी..अभी वो कुछ ही कदम आगे बढ़ी थी, कि उसके कदम डोर खुलने के आवाज़ से सुन कर रुक गये……रजनी का दिल जोरों से धड़कने लगा………उसने उखड़ती हुई साँसों के साथ पीछे घूम कर देखा……पीछे दरवाजे पर सोनू खड़ा था….उसके हाथ में लालटेन थी…………

जब सोनू ने लालटेन की रोशनी रजनी की तरफ की, तो सोनू हैरान रह गया…..रजनी होंटो पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाए हुए खड़ी थी…….उसका फेस लालटेन के रोशनी में ऐसे चमक रहा था…मानो जैसे हीरे के ऊपेर रोशनी पड़ने से हीरा चमकता है……..वो रेड कलर की सारी पहने खड़ी थी…. जैसे अभी अभी स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे उतर आई हो.

“मालकिन आप इस समाए..कोई काम था” सोनू ने घबराते हुए रजनी से पूछा.”

रजनी: (लड़खड़ाती हुई आवाज़ में) नही वो हां दरअसल मेरे पैरों में बहुत दर्द हो रहा है…..क्या तुम अभी मेरे पैरो को दबा सकते हो……

सोनू को कुछ समझ नही आ रहा था……पर नौकर मालिक का हुकम कैसे टाल सकता है. “जी दबा देता हूँ”

रजनी बिना कुछ बोले मूडी, और घर के अंदर की तरफ जाने लगी……सोनू ने कमरे मे लालटेन रखी, और दरवाजा बंद करके, रजनी के पीछे आ गया……..रजनी के पीछे सोनू उसके रूम के अंदर आ गया……..रजनी ने अपने रूम का डोर अंदर से बंद कर लिया..सोनू की हालत पतली हो गये….उससे कुछ समझ मैं नही आ रहा था……डोर लॉक करने के बाद रजनी ने अपनी शॉल को उतार कर टाँग दया….और अपनी सारी खोलने लगी………

सोनू की तो जैसे बोलती ही बंद हो गये थी, और बोजया भी क्या… सामने अप्सरा सी सुंदर औरत खड़ी, अपनी सारी उतार रही थी..और वो पीछे खड़ा, धड़कते दिल के साथ देख रहा था……..रजनी ने अपनी सारी उतार कर अलमारी में रख दी, और बेड पर जाकर बैठ गयी.. “अब देख क्या रहे हो. आओ मेरे पैर दबा दो….सुबह से बहुत दुख रहे हैं……….रजनी बेड के रेस्ट सीट से अपनी पीठ टिका कर बैठ गयी…..और उसने अपनी टाँगों को घुटनो से मोड़ लिया……

सोनू काँपते हुए कदमो के साथ रजनी के पास गया, और नीचे बैठ गया……नीचे फर्श बहुत ठंडा था……सोनू के चूतड़ तो जैसे सुन्न होने लगी……….

रजनी ने देखा कि, सोनू को नीचे बैठने में थोड़ी तकलीफ़ हो रही है. “ऊपेर ही बैठ जाओ….नीचे बहुत ठंड है” रजनी ने सोनू की आँखों मैं झाँकते हुए कहा……..

सोनू: नही मालकिन मैं भला ऊपेर आपके बराबर कैसे बैठ सकता हूँ…..मैं तो मामूली सा नौकर हूँ….मैं यहीं ठीक हूँ………..

रजनी: (मुस्कुराते हुए) कोई बात नही, वैसे भी नीचे बैठ कर तू ठीक से दबा भी नही पाएगा. पलंग बहुत उँचा है…ऊपेर ही बैठ जा…और हां सुन वो लालटेन यहाँ पलंग पर लाकर रख दे…

सोनू: (सर झुकाए हुए) जी मालकिन……….

सोनू ने लालटेन उठाई, और बेड पर रख दी….वो रजनी की जाँघो के पास बेड पर नीचे पैरों को लटका कर बैठ गया……और रजनी के टाँगों की पिंडलयों को दबाने लगा………रजनी ने अपनी आँखें बंद कर ली…….जैसे उसे सच में दर्द से राहत मिल रही हो………रेड कलर का पेटिकॉट लालटेन की रोशनी में ऐसे लग रहा था………जैसे पेटिकॉट के अंदर आग जल रही हो……बाहर से रजनी की मस्त जाँघो की छाया दिखाई दे रही थी……..
 
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सोनू ने देखा कि रजनी अपनी आँखें बंद किए हुए है, इसलिए उसने थोड़ी हिम्मत जुटा कर उसकी जाँघो की तरफ देखा….गोस्त से भरी हुई जांघे केले के तने के जैसी एक दम चिकनी थी

……”वो तेल की शीशी ले, और मेरी टाँगों की मालिश कर दे” रजनी ने अपनी आँखें बंद किए हुए सोनू कहा……

सोनू को कुछ समझ नही आ रहा था कि, आख़िर रजनी से सब क्यों कर रही है…..अगर चांदीमल को पता चल जाता कि, उसका नौकर बंद कमरे में उसकी बीवी के साथ आधी रात को है, तो वो तो उसे जान से मार देगा….

ये सोच कर सोनू के हाथ पैर काँप रहे थे……..पर वो चाह कर भी तो रजनी को मना नही कर सकता था……सोनू ने तेल की बॉटल उठाई, और रजनी की तरफ मुड़ा….उसका मूह खुला का खुला रह गया…..रजनी अब भी आँखें बंद किए हुए बैठी हुई थी…….तकरीबन अध्लेटी सी…..उसने अपने पेटिकॉट को जाँघो के आधे हिस्से तक ऊपेर चढ़ा लिया था……जिससे पेटिकॉट का नीचला हिस्सा जाँघो के नीचे लटक रहा था…….और रजनी की मांसल जांघे लालटेन की रोशनी में एक दम सॉफ नज़र आ रही थी………

वो धीरे से जाकर रजनी के पास बैठ गया…..और अपनी हथेली में तेल डाल कर सीशी को नीचे रख कर रजनी की टाँगों की मालिश शुरू कर दी……रजनी बड़े इम्त्मीनान से अपनी आँखें बंद किए हुए थी….और सोनू उसकी टाँगों की मालिश करते हुए, बार -2 उसकी खुली हुई टाँगों के बीच झाँकने की कॉसिश कर रहा था……रजनी सोनू के हालत भलीभाँति समझ रही थी………”बहुत अच्छी मालिश करते हो तुम. पहले भी मालिश कर चुके हो ? “ रजनी ने अपनी टाँगों को और फेलाते हुए कहा………ये सब वो ऐसे कर रही थी….जैसे अंजाने में सब हो रहा हो.

सोनू: नही मालकिन. मेने कभी किसी की मालिश नही की…..

रजनी: (आँखें बंद किए हुए) चल कोई बात नही. थोड़ा ऊपेर कर ना……दर्द ऊपेर हो रहा है……..

रजनी का पेटिकॉट घुटनो तक चढ़ा हुआ था…..जैसे ही सोनू ने अपने हाथों को थोड़ा ऊपेर की तरफ बढ़ाया, उसकी उंगलियाँ रजनी के पेटीकोटे से जा टकराई……घुटनो के मुड़े हुए होने कारण पेटिकॉट घुटनो से सरक कर उसकी जाँघो की जड़ों पर इकट्ठा हो गया……लालटेन की रोशनी में रजनी की बिना झान्टो की चिकनी चूत सोनू की आँखों के सामने आ गयी……….जिसे देख कर सोनू के हाथ पैर सुन्न हो गये…. दिल ने धड़कना बंद कर दया…….उसके हाथ तेज़ी से काँपने लगे………..

रजनी को इस बात का अहसास था कि, उसका पेटिकॉट अब उसकी कमर में आ चुका है, और उसकी चूत सोनू की आँखों के सामने है….पर वो ऐसे रिएक्ट कर रही थी..जैसे कुछ हुआ ही ना हो….उसने तो अपनी आँखें तक नही खोली…..अपने घुटनो पर सोनू के काँप रहे हाथों को महसूस करके वो सोनू की हालत का अंदाज़ा लगा चुकी थी……रजनी के होंटो की मुस्कान और बढ़ गयी…….”ठंड लग रही है तो बिस्तर के ऊपेर हो जा….काँप क्यों रहा है” रजनी ने अपनी आँखें बंद किए हुए कहा…..
 
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सोनू: नही मालकिन मैं यही ठीक हूँ…….(सोनू ने घबराई हुई आवाज़ में कहा)

रजनी: शरमाओ मत…..ऊपेर हो जा……ठंड बहुत है…………

अब सोनू से बोलना भी मुस्किल हुआ जा रहा था……..उसके सामने रजनी जैसी गदराई औरत अपनी जाँघो को फैलाए हुए, अपनी चूत का दीदार सोनू जैसे जवानी के दहलीज पर खड़े लड़के को करवा रही थी……..सोनू अपने पैरो को ऊपेर करके बेड पर बैठ गया…….वो अपनी नज़रें रजनी की फूली हुई चूत पर से हटा नही पा रहा था…..उसका लंड उसके पाजामे में तंबू बनाए हुए खड़ा था…..

रजनी ने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर सोनू की तरफ देखा…….वो उसकी जाँघो की मालिश करते हुए, उसकी चूत को घुरे जा रहा था………ये देख रजनी के होंटो पर कामुकता से भरी मुस्कान फेल गयी…. जब उसे अपनी जाँघो पर सोनू के हाथों का अहसास हुआ तो, उसकी साँसें भी भारी हो गयी…..दिल की धड़कने तेज हो चली थी…….उसके मूह से मस्ती भरी आह निकल गयी………

जिससे सुन कर सोनू थोड़ा घबरा गया, और उसने अपनी नज़रों को घुमा लिया……”

उंह बहुत अच्छा लग रहा है अब, सबाश….. हाँ ऐसे ही दबा दबा कर मालिश करो…….हां थोड़ा और ऊपेर यहाँ यहाँ पर दर्द हो रहा है”

रजनी ने अपनी जाँघो के जोड़ों के पास हाथ लगा कर इशारे से कहा…….

.सोनू की हालत और पतली हो गयी

……”बहुत अच्छा लग रहा है……..” रजनी ने एक बार फिर से अपनी आँखों को बंद कर लिया…..

सोनू ने अपने काँप रहे हाथों को और आगे बढ़ा कर मालिश करना शुरू कर दिया….जब उसके हाथ मालिश करते हुए, रजनी की जाँघो के जोड़ो की तरफ जाते, तो उसकी उंगलियाँ रजनी की चूत से 3-4 इंच ही दूर रह जाती.

रजनी की चूत की फाँकें भी सोनू के हाथों को इतना पास महसूस करके कुलबुलाने लगी… उसकी साँसें अब तेज होती जा रही थी………..जिससे उसकी तनी हुई चुचियाँ ब्लाउस में कसी हुई, ऊपेर नीचे होने लगी….चुचियों पर कोई आँचल नही था……वो सच में किसी कामरस से भीगी हुई, अप्सरा से कम नही लग रही थी……

अब तक सोनू जो घबरा रहा था, थोड़ा नॉर्मल हो चुका था. क्योंकि रजनी उससे बेहद नरम लहजे से पेश आ रही थी. बस उसे डर था कि, कहीं सेठ चांदीमल को ये बात ना पता चल जाए……

फिर रजनी ने अपना आखरी दाँव खेला….जिसका अंदाज़ा सोनू को बिल्कुल भी नही था…..

वो सिसकारी भरते हुए अपना एक हाथ नीचे ले गयी, और अपनी चूत की फांकों के बीच दो उंगलियों को डाल कर फेरने लगी….

.ये देख सोनू दंग रह गया……जैसे ही उसने अपनी उंगलियों को अपनी चूत की फांकों के बीच में फिराया….चूत की फाँकें थोड़ी से फेल गयी, और अंदर लबलबाता हुए गुलाबी छेद की एक झलक सोनू को घायल कर गयी…….
 
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.”उंह अहह बहुत खुजली हो रही है”

सोनू का लंड जो कि पहले से कड़ा हो चुका था……उसकी हालत खराब हो गयी…….वो झड़ने के बेहद करीब था……..पर वो रजनी के सामने अब बैठने की हालत में नही था……”मालकिन वो वो मुझे” सोनू आगे बोल नही पाया….

रजनी: (आँखें बंद किए हुए) हां बोलो…….

सोनू: वो मुझे बहुत तेज पेशाब लगी है……….

रजनी सोनू की आवाज़ सुन कर समझ गयी कि, सोनू का लंड अब पानी छोड़ने के लिए बिल्कुल तैयार है…. पर रजनी नही चाहती थी कि, सोनू झाडे, क्योंकि उससे उसका सारा प्लान ख़तम हो जाता……”अच्छा अब जा तू. वैसे भी बहुत रात हो गयी है”

सोनू बेड से खड़ा हुआ, और डोर की तरफ जाने लगा…..वो जल्दी से जल्दी रजनी के रूम से बाहर चला जाना चाहता था……

.”रुक ज़रा” रजनी ने बेड से खड़े होते हुए कहा…..”इधर से नही……अगर कोई जाग गया तो, लाख सवाल पूछे गा. इधर आ.” सोनू मूड कर रजनी के पास आ गया…रजनी ने पीछे वाली खिड़की को खोला, और उसमें से ढीली पड़ चुकी सलाख को निकाल दिया. “इधर से जा”

सोनू आराम से दो सलाखों के बीच में से निकल कर बाहर पिछवाड़े में पहुँच गया.

बाहर आकर सोनू अपने रूम की तरफ जाने लगा…पर रजनी ने फिर उसे आवाज़ देकर रोक लिया…

.सोनू खिड़की के पास आकर खड़ा हो गया…..”कल भी मेरी टाँगों को दबाने के लिए आ जाना. तू अब जा. और सुन. ये ली” रजनी ने सोनू की तरफ 10 रुपये बढ़ाए….

.पर सोनू पैसे लेने से मना करने लगा

……”अर्रे रख ले इनाम समझ कर, और सुन ये बात किसी को मत बताना कि रात को तू मेरी मालिश करने के लिए मेरे कमरे में आया था.” सोनू ने रजनी के हाथ से पैसे ले लिए….

.रजनी ने प्यार से सोनू के सर पर हाथ फेरा…जैसे उसे जतला रही हो. कि मुझसे डरने की ज़रूरत नही है…….
 
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सोनू अपने कमरे में चला गया।
जब से वो यहाँ आया था, तब से उसके साथ ये सब हो रहा था।
उसका लण्ड तो अब सूजने की हालत में पहुँच चुका था।
अगले दिन सुबह बेला सब को नाश्ता देने के बाद सोनू को नाश्ता देने गई।
‘आज चलोगे नहाने, वैसे कल से सर्दी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है..’
सोनू जो अब तक चूत और गाण्ड देख कर पागल हो चुका था। उसने भी बेला के साथ चलने के लिए हामी भर दी।
दोनों नदी की तरफ चल पड़े।
सुबह के 10 बजे थे, पर सूरज देव का नामो-निशान नहीं था, चारों तरफ घना कोहरा छाया हुआ था।
लगभग गाँव के सभी लोग अपने-अपने घर में दुबके हुए थीं।
‘आज रहने देते हैं काकी.. आज सच में बहुत ठंड है।’
बेला ने पीछे मुड़ कर देखा और मुस्कुराते हुए बोली- चल ठीक है… वैसे आज ठंड कुछ ज्यादा ही है।
यह कह कर बेला वापिस गाँव की तरफ मुड़ गई, बेला और सोनू जब नदी पर आने से पहले बेला के घर पर गई थीं, तब बेला ने अपनी बेटी बिंदया को सेठ के घर जाकर सफाई करने को कहा था।
बेला ने सोचा इस समय उसके घर पर कोई नहीं होगा तो हो सकता है, आज उसकी चूत की आग ठंडी हो जाए।
बेला- चलो, पहले मेरे घर चलते हैं, ये कपड़े तो वापिस रख दें।
उसके बाद बेला सोनू को लेकर अपने घर पर आ गई।
बेला के बेटी चन्डीमल के घर पर जा चुकी थी।
‘चलो आज नहाया तो नहीं, कम से कम मुँह हाथ तो धो ही लेती हूँ।’
ये कह कर बेला आँगन में आकर एक चौकी पर बैठ गई और अपने लहँगे को घुटनों से ऊपर सरका कर.. अपने पैरों को साफ़ करने लगी।
सोनू बाहर आँगन में खड़ा बेला की तरफ देख रहा था।
कल से वो देख-देख कर पागल हो चुका था।
रजनी के साथ तो कुछ करने के उसकी हिम्मत नहीं थी, पर बेला… वो भी तो उसी की तरह नौकर थी।
हाथ-पाँव धोने के बाद बेला कमरे में गई और अपनी चोली उतारने लगी।
उसने कमरे का दरवाजा बंद नहीं किया था। बाहर खड़ा सोनू अब अपने आप पर काबू रखने की हालत में नहीं था।
बेला ने जैसे ही अपनी चोली उतारी, उसकी नंगी पीठ सोनू की आँखों के आगे आ गई।
बेला जानती थी कि सोनू की आँखें उसी पर लगी हुई हैं। फिर बेला एक संदूक के तरफ बढ़ी और उसमें से अपने लिए कपड़े निकालने के लिए झुकी, तभी बेला को वो झटका लगा, जिसके लिए वो पिछले कुछ दिनों से अन्दर ही अन्दर सुलग रही थी।
‘आह्ह.. ओह.. क्या कर रहा है छोरे.. छोड़ मुझे..’ बेला ने कसमसाते हुए कहा।
सोनू ने अचानक से पीछे से जाकर बेला की चूचियों को अपनी हथेलयों में भर लिया था।
उसकी 38 इन्च की गुंदाज चूचियाँ सोनू के हाथों में समा नहीं रही थीं।
सोनू का लण्ड जो उसके पजामे में तंबू बनाए हुए था।
 
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सीधा बेला के लहँगे के ऊपर से उसकी चूतड़ों की दरार में धंस गया।
बेला ने अपने हाथों से सोनू के हाथों को पकड़ लिया…
वो भले ही सोनू को छोड़ने के लिए कह रही थी, पर वो विरोध बिल्कुल भी नहीं कर रही थी।
बेला कसमसाते हुए- आहह.. छोड़ सोनू कोई आ जाएगा.. छोड़ दे.. ऊंह सोनू ओह…
बेला के इधर-उधर हिलने से सोनू का लण्ड उसके लहँगे के ऊपर से गाण्ड की दरार में सरकता हुआ सीधा उसकी चूत की फांकों में जा लगा।
बेला एकदम से मचल उठी और उसने अपने हाथों को पीछे ले जाकर सोनू के सर को पकड़ लिया।
अब सोनू के हाथ आज़ाद थे, जिसका पूरा फायदा उसने उठाना शुरू कर दिया।
उसने धीरे-धीरे बेला की चूचियों को अपने हाथों में भर कर दबाना शुरू कर दिया।
बेला एकदम मस्त हो चुकी थी, उसने अपने सर को सोनू के कंधों पर टिका दिया.. उसकी आँखें मस्ती में बंद हो गईं।
बेला- सोनू छोड़ दे बेटा.. कोई आ जाएगा, मान जा.. मेरी बात.. ऊंह सीईई क्या कर रहा है धीरे सोनू आह्ह…
बेला ने सोनू के हाथों को पकड़ कर अपनी चूचियों से हटाया और सोनू से अलग होकर सोनू की तरफ देखने लगी।
उसकी चूचियाँ तेज सांस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थीं।
सोनू एकटक बेला की ऊपर-नीचे हो रही गुंदाज चूचियों को देख रहा था।
आज सालों बाद जवान लड़के के हाथों का स्पर्श पाकर उसकी चूचियों के काले चूचुक एकदम तन गए और उसे अपने चूचकों के पास खिंचाव महसूस होने लगा।
सोनू ने जैसे ही अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसकी चूची को छुआ.. बेला एकदम मस्त हो गई और सोनू की ओर अपनी अधखुली आँखों से देखते हुए कहने लगी (मस्ती से भारी लड़खड़ाती आवाज़ में)- तुम किसी को बताओगे तो नहीं।
सोनू- नहीं काकी।
सोनू ने बस इतना ही कहा था कि बेला ने सोनू आगे बढ़ कर अपनी बाँहों में भर लिया।
उसकी चूचियां सोनू के छाती में धँस गईं।
‘ओह्ह सोनू कब से तड़फ रही हूँ और जब से तुम्हारा लण्ड देखा है.. मेरी चूत में आग लगी हुई है.. तुम मुझे चोदेगा ना…’
सोनू- आहह.. काकी… आपने भी तो मुझे अपनी चूत दिखा-दिखा कर पागल कर दिया है… देखो ना मेरा लण्ड कैसे खड़ा हो गया है..
बेला- चल पीछे हट.. पहले मुझे बाहर का दरवाजा बंद करके आने दे।
तब तक तुम नीचे बिस्तर लगा.. फिर देख कैसे तेरे लण्ड का रस निचोड़ कर इसकी अकड़ निकालती हूँ।
यह कह कर बेला थोड़ा सा पीछे हटी और अपने लहँगे को खोल कर ऊपर करके अपनी चूचियों पर बाँध कर बाहर चली गई।
जब बेला बाहर के दरवाजे को बंद करके वापिस आई तो सोनू ज़मीन पर बिस्तर लगा रहा था।
बेला ने मुस्कुराते हुए उसे देखा और फिर कमरे का दरवाजा भी बंद कर दिया।
दरवाजा बंद करने के बाद बेला, सोनू के पास आकर खड़ी हो गई और अपने लहँगे के नाड़े को जो कि उसकी चूचियों पर बँधा हुआ था.. को खोल दिया।
लहँगे के नाड़े की पकड़ उसकी चूचियों पर ढीली पड़ते ही.. लहंगा सरकता हुआ बेला के कदमों में आ गिरा।
सोनू के सामने बेला अब पूरी तरह से नंगी खड़ी थी।
उसकी 38 साइज़ की चूचियां तेज से साँस लेने के कारण ऊपर-नीचे हो रही थीं और नीचे चूत पर काली घनी और लंबे झांटें साफ़ दिखाई दे रही थीं जो रजनी की चूत से बिल्कुल अलग थी।
सोनू बेला को यूँ अपने सामने नंगा खड़ा देख कर पागल हो गया।
उसने आगे बढ़ कर उसे अपनी बाँहों में कसते हुए उसकी बाईं चूची को मुँह में भर लिया।
जैसे ही बेला की चूची का चूचुक पर सोनू के जीभ का स्पर्श हुआ, बेला सिसक उठी।
उसने सोनू के सर को अपने बाँहों में कस लिया।
‘आह्ह.. सीई ओह सोनू चूस्स्स ले.. सब तेरे ही लिए है आज.. चूस और ज़ोर से चूस्स्स बेटा ओह..’
बेला पागलों की तरह सोनू की बाँहों में छटपटा रही थी।
उसके हाथ तेज़ी से सोनू के सर के बालों में घूमने लगे और होंठ सोनू के कंधों पर रगड़ खाने लगे।
मस्ती से अधीर हो चुकी बेला की चूत कि फाँकें कुलबुलाने लगीं।
 
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नीचे सोनू का लण्ड बेला के पेट से सटा हुआ था, बेला अपना हाथ नीचे ले गई और सोनू के लण्ड के मोटे गुलाबी सुपारे को दो उँगलियों और अंगूठे के बीच में पकड़ लिया।
अंगूठे के नाख़ून से उसने सोनू के लण्ड के सुपारे से हल्का सा कुरेद दिया।
सोनू- आह.. काकी ये क्या कर रही हो ?
सोनू की आँखें भी मस्ती में बंद होने लगीं, बेला लगातार अपने अंगूठे को गोल-गोल घुमा कर सोनू के लण्ड के सुपारे को नाख़ून से कुरेद रही थी।
सोनू का लग रहा था, जैसे बेला उसके लण्ड को निचोड़ कर पूरा रस निकाल लेना चाहती हो।
अब सोनू भी बेला के हर हरकत का जवाब देने के लिए बिल्कुल तैयार था।
उसने बेला के चूचुक को मुँह से निकाला और दूसरी चूची को मुँह में भर कर चूसना चालू कर दिया।
बेला एक बार फिर से सिसक उठी।
‘ओह हाआआ सोनू बेटा चूस दोनों तेरी हैं.. ऊंह सीईई और ज़ोर से चूस..’
सोनू बेला की चूची को चूसते हुए धीरे-धीरे अपना हाथ नीचे ले गया और बेला की जाँघों को फैला कर उसकी चूत की फांकों को अपने हाथ से दबोच लिया।
बेला का बदन एकदम से अकड़ गया, मानो जैसे उसकी साँस ही रुक गई हो, उसका मुँह खुल गया और उसने अपनी जाँघों को फैला लिया।
मौका देखते ही सोनू ने अपनी एक ऊँगली को बेला की चूत में पेल दिया।
‘ओह्ह सोनू अब और खड़ा नहीं रहा जाता बेटा ओह..’
बेला के बात सुन कर सोनू ने बेला की चूत से अपनी ऊँगली निकाली और अपनी बाँहों में भर कर उससे नीचे लेटा दिया।
जैसे ही बेला नीचे लेटी, उसने अपनी टाँगों को घुटनों से मोड़ कर फैला कर ऊपर उठा लिया, जिससे उसकी झाँटों से भरी चूत का मुँह खुल कर सोनू की आँखों के सामने आ गया।
चूत का गुलाबी कामरस से भीगा हुआ छेद देख सोनू का लण्ड और ज्यादा अकड़ गया।
बेला अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी और उसकी चूत में सरसराहट इस कदर बढ़ गई थी कि वो एक पल और इंतजार नहीं करना चाहती थी।
‘ये ले बेटा.. देख मेरी चूत कैसे अपना पानी बहा रही है… अब और मत तड़फा बेटा… घुसा दे अपना मूसल सा लण्ड अपनी काकी की फुद्दी में…।’
बेला ने अपनी चूत की फांकों को हाथों से फैला कर सोनू को दिखाते हुए कहा, जिससे देख सोनू एकदम पागल हो गया और बेला की जाँघों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपने लण्ड के मोटे सुपारे को बेला की चूत के छेद पर लगा दिया जिसे बेला अपने हाथों से खोल कर सोनू को दिखा रही थी।
जैसे ही सोनू के लण्ड का गरम और मोटा सुपारा बेला की चूत के छेद पर लगा, बेला के बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।
उसके कमर ने ऊपर की ओर झटका खाया और सोनू के लण्ड का सुपारा बेला की गीली चूत में जा घुसा।
बेला- ओह्ह.. सोनू कब से तरस रही थी.. मेरी फुद्दी.. तुम्हारे मोटे लण्ड के लिए.. ओह अब चोद डालो मुझे.. कस-कस ज़ोर से चोदो।
ये कहते हुए, बेला ने सोनू को कंधों से पकड़ कर उससे अपने ऊपर खींच लिया, जिससे सोनू का वजन बेला के ऊपर पड़ते ही.. उसके लण्ड का सुपारा बेला चूत की दीवारों को फ़ैलाता हुआ अन्दर घुसने लगा..
जिसे महसूस करते ही बेला सिसक उठी और अपनी टाँगों को उठा कर उसने सोनू की पीठ पर कस लिया।
‘ऊंह मर गइईई रे.. बहुत मोटा लण्ड है.. तेरा.. ओह्ह..’
बेला ने अपनी गाण्ड को धीरे-धीरे ऊपर कर और उछालते हुए कहा।
कुछ ही पलों में सोनू का पूरा लण्ड बेला की चूत की गहराइयों में जा घुसा। उसके लण्ड का सुपारा बेला के बच्चेदानी से रगड़ खा रहा था।
अब सोनू भी थोड़ा सामान्य हो चुका था और वो भी अपनी कमर को हिलाते हुए धीरे-धीरे अपने लण्ड को बेला की चूत की अन्दर-बाहर करने लगा।
बेला की चूत की दीवारें सोनू के मोटे लण्ड के ऊपर एकदम कसी हुई थीं.. मानो जैसे उसका सारा रस निचोड़ लेना चाहती हो।
बेला अपनी कमर को हिलाने से नहीं रोक पा रही थी, वो मस्ती के सागर में गोते खाते हुए.. लगातार अपने चूतड़ों को ऊपर की ओर उछालते हुए चुदवा रही थी।
बेला पागलों की तरह अपने हाथों से सोनू की पीठ को सहलाते हुए- ओह चोद दे बेटा..अब दिखा दे… तेरे लण्ड में कितना दम है।
बेला की बात सुन कर सोनू एकदम से जोश में आ गया और बेला के होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया।
बेला तो पहले से ही मस्त हो चुकी थी, उसने भी अपने होंठों को ढीला छोड़ कर सोनू से चुसवाना शुरू कर दिया।
जैसे ही बेला की आवाज़ बंद हुई.. सोनू ने अपने लण्ड को सुपारे तक बाहर निकाला और पूरी ताक़त से फिर से बेला की चूत में पेल दिया।
सोनू का लण्ड पूरी रफ़्तार के साथ उसकी चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ.. बच्चेदानी से जा टकराया।
बेला अपने होंठों को सोनू के होंठों से अलग करते हुए- ओह्ह.. मारा डाला रे…धीरे बेटा धीरे ओह्ह ऊंह आह्ह.. आह्ह.. आह्ह.. हाय.. धीरे.. बेटा.. उफफफफ्फ़..
बेला को बदन में दर्द और मस्ती के मिली-ज़ुली लहर दौड़ गई।
सोनू तो जैसे बेला को साँस लेने का मौका भी नहीं देना चाहता था.. एक के बाद एक ताबड़तोड़ धक्के बेला की चूत में लगाए जा रहा था और बेला मुँह खुला हुआ था और आँखें ऊपर को चढ़ी हुई थीं।
अब उसके मुँह से ‘आ..आह’ की हल्की आवाज़ ही निकल रही थी।
 
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सोनू लगातार पूरी रफ़्तार से अपने लण्ड को बेला की चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था।
उसके जाँघों के झटके बेला के पेट के निचले हिस्से और चूत के आस-पास टकरा कर ‘हॅप-हॅप’ की आवाज़ करने लगे।
जिसे सुन कर सोनू और जोश में आ गया और तेज़ी से बेला की चूत को चोदने लगा।
फिर अचानक से बेला का बदन अकड़ गया।
उसकी टाँगें जो ऊपर उठी हुई थीं, एकदम सीधी हो गईं और उसने अपने चूतड़ों को बिस्तर से ऊपर उठा कर सोनू के लण्ड पर अपनी चूत को ज़ोर से दबा दिया।
‘सोनू रुक जा बेटा.. ओह।’
कहते हुए एक बार फिर बेला की कमर झटके खाने लगी।
बेला झड़ गई थी, उसकी चूत जो इतने दिनों बाद चुदी थी..
सोनू के मोटे लण्ड के जबरदस्त धक्कों को ज्यादा देर ना झेल पाई और उसकी चूत से कामरस की नदी बह निकली।
जैसे ही बेला की कमर ने एक और झटका खाया.. सोनू का लण्ड फिसल कर बेला की चूत से बाहर आ गया और बेला की चूत से पेशाब की धार छूट पड़ी, जो सीधा जाकर सोनू की छाती पर गिरने लगी।
बेला की आँखें मस्ती में एक बार फिर बंद हो गईं।
‘ओह्ह यह क्या किया काकी.. हटिए..’ सोनू चिल्लाता हुआ खड़ा हो गया।
गनीमत यह थी कि बेला बिस्तर के किनारे लेटी हुई थी और मूत की धार नीचे कच्चे फर्श पर गिर रही थी।
सोनू बेला को यूँ लेटे हुए देख रहा था.. और उसकी चूत से मूत की धार निकल कर नीचे गिर रही थी.. यह देख सोनू का लण्ड और अकड़ गया।
पेशाब करने के बाद बेला ने अपने चूतड़ों को नीचे टिका लिया और अपनी मदहोशी से भरी आँखें खोल कर सोनू के तरफ देखा।
बेला- ओह्ह.. सोनू मुझे नहीं मालूम था कि तुम्हारा ये मोटा लण्ड मेरा मूत निकाल देगा। कसम से आज तक इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया चूत में ।
 
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सोनू उदास मन से एक ओर खड़ा हुआ बेला की तरफ देखते हुए- पर काकी अभी तो मेरा हुआ ही नहीं!
बेला के होंठों पर संतुष्टि से भरी मुस्कान फैली हुई थी- तो मैं कब तुम्हें मना कर रही हूँ, आज से ये फुद्दी तेरे ही मेरे राजा.. चल इधर आ मुँह लटका कर क्यों खड़ा है?
सोनू बेला के पास जाकर बिस्तर पर खड़ा हो गया, बेला नीचे अपने चूतड़ों के बल बैठी हुई थी, उसने तकिए को उठा कर अपने चूतड़ों के नीचे रखा और सोनू के लण्ड को मुठ्ठी में भर कर गौर से देखने लगी।
‘हाय राम.. यह तो सच में बहुत बड़ा है.. इसलिए तो मेरी चूत से मूत निकाल दिया तेरे लण्ड ने…’ फिर बेला ने सोनू के लण्ड को मुठ्ठी में भर कर तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया।
‘आह.. काकी धीरे ओह्ह.. काकी धीरे करो ना!’ बेला ने मुस्कुराते हुए सोनू के लण्ड के सुपारे को अपनी उँगलियों के बीच में लेकर ज़ोर से मसल दिया।
सोनू एकदम सिसकते हुए चिल्ला उठा।
बेला सोनू के लण्ड को तेज़ी से हिलाते हुए- क्यों रे.. अब मैं क्यों रुकूँ.. जब मैंने तुम्हें रुकने के लिए कहा था, तब तो तूने मेरी एक भी नहीं सुनी.. बोल मारेगा अपनी काकी के फुद्दी..हाँ…
सोनू- हाँ काकी.. पहले मेरा लण्ड तो छोड़ो।
सोनू की बात सुन कर बेला ने सोनू का लण्ड छोड़ दिया।
फिर वो दूसरी तरफ पलट गई और कुतिया के जैसी अवस्था में आ गई।
‘ये चोद अपनी काकी की फुद्दी.. बेटा देख मैं तेरे लिए कुतिया की तरह अपनी चूत फैला कर कुतिया बनी हुई हूँ। अब डाल दे अपना मूसल सा लण्ड मेरी चूत में..।’
सोनू का लण्ड एक बार फिर से पूरे उफान पर था।
सोनू बेला के पीछे आकर घुटनों के बल बैठ गया।
बेला आगे से नीचे की ओर झुक गई और उसने अपनी गाण्ड को जितना हो सकता था ऊपर उठा लिया, जिससे बेला की चूत का छेद बिल्कुल सोनू के लण्ड की सीध में आ गया।
सोनू ने एक हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा और एक हाथ से बेला की झाँटों भरी चूत की फांकों को पकड़ कर पेलने की कोशिश करने लगा।
ये देख बेला भी अपना एक हाथ पीछे ले आई और अपनी चूत की फांकों को एक तरफ से फैला दिया और दूसरी तरफ से सोनू ने जोर लगाया।
अब सोनू को बेला की चूत का गुलाबी छेद बिल्कुल साफ़ दिखाई दे रहा था।
सोनू ने अपने लण्ड के सुपारे को बेला की चूत के छेद पर टिका कर उसकी कमर को दोनों तरफ से पकड़ कर धीरे-धीरे अपने लण्ड के सुपारे को अन्दर पेलना शुरू किया।
बेला की आंखें फिर से मस्ती में बंद हो गईं।
सोनू के लण्ड के गरम सुपारे ने एक बार फिर बेला की चूत की दीवारों को रगड़ कर उसे गरम कर दिया।
‘ऊंह हाआअँ.. बेटा बहुत अच्छे बेटा हाआआं और घुसाओ… उफ़फ्फ़ ऊंह..’
ये कहते हुए बेला ने अपनी चूतड़ों को पीछे की तरफ धकेला।
सोनू का लण्ड बेला की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर घुस गया।
‘सुन बेटा तेरा लण्ड बहुत मोटा है.. पर तुझे अपनी काकी पर तरस खाने के कोई ज़रूरत नहीं है… चोद मुझे कुतिया की तरह.. रगड़ कर चोद.. ज़ोर-ज़ोर से पेल अपना लण्ड.. मेरी फुद्दी में.. तेरे मोटे लण्ड को चूत में लेने के लिए मैं कुछ भी सह लूँगी..’
सोनू ने बेला के दोनों चूतड़ों को फैला कर अपनी कमर को थोड़ा सा पीछे किया और फिर साँस रोक कर जोरदार धक्का मारा।
 

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