Erotica DESI SEX KAHANIYA

Active member
888
1,279
123
सगी बहन की सीलपैक चुत
मेरा नाम कपिल दिवाकर है, मेरी उम्र 19 साल की है. मैं राजस्थान के एक शहर का रहने वाला हूँ.

आज मैं आपको मेरे जीवन की सबसे मस्त सेक्स कहानी बताने जा रहा हूँ.
यह सेक्स कहानी मेरे और मेरी सगी बड़ी बहन के बीच हुई चुदाई की कहानी है.

मैं हमेशा से अपनी बहन को गंदी नज़रों से देखता आ रहा हूँ, वो है ही इतनी कमसिन कली कि किसी का भी लंड खड़ा कर दे.

मेरी घर में चार लोग रहते हैं. मैं, मेरे पापा-मम्मी और मेरी बड़ी बहन. मेरी बड़ी बहन का नाम संगीता है.
घर में सभी लोग उसे प्यार से संगो कहते हैं.

संगो की उम्र 19 साल की है. वो बहुत खूबसूरत और सेक्सी है.
मेरी बहन का फ़िगर बहुत ही हॉट है. उसकी बड़ी गांड और तने मम्मों को देख कर हमेशा ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

मैं जब भी अपनी बहन को देखता, तो बस मेरा यही मन करता कि अभी इसको यहीं नंगी करके चोदने लगूँ, पर गांड फट जाती थी कि उसके बाद मेरा क्या हाल होगा.

मैं अपनी सगी बहन संगो को अपने लौड़े के नीचे ला नहीं पा रहा था, तो मैं बाथरूम में उसकी उतारी हुई पैंटी को ही चाट कर उसकी रसीली चुत का स्वाद ले लेता था.
कभी तो मैं चुपके से संगो दीदी को कपड़े बदलते देख कर उसकी बड़ी गांड और मम्मों का दीदार भी कर लेता था.

जब से मेरा लंड जवान हुआ है, तब से ही मैं दीदी की गांड का दीवाना हूँ.
घर में जब संगो दीदी टाइट जींस में गांड मटकाती हुई चलती थी तो मेरा लंड मचल उठता था.

मैंने अब तक कई बार अपनी दीदी के बारे में सोच कर मुठ मारी है.

हमारी चुदाई उस समय शुरू हुई, जब मैं कक्षा ग्यारहवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा था और मेरी बहन संगो कक्षा बारहवीं में थी.

हम लोग हमेशा से साथ में पढ़ाई करते थे और एक ही कमरे में सोते थे.

मैं और मेरी बहन थोड़ी बहुत खुल कर भी बात कर लेते थे.
कभी कभी किसी एडल्ट जोक वगैरह पर साथ हंस लेते थे.

फिर मैंने एक दिन सोच ही लिया कि किसी भी तरह से दीदी को चुदाई के लिए मनाना ही है, चाहे कोई तरकीब लगानी पड़े.

एक दिन जब दीदी नहाने गयी तो मैंने उसका मोबाइल चैक कर लिया.
उसमें उसकी एक फ़्रेंड की वाट्सअप चैट खोल कर देखी, तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
उसमें बहुत सारी पोर्न मूवीज़ थीं जो उन्होंने आपस में भेजी हुई थीं; बहुत सारी चुदाई की बातें भी लिखी हुई थीं.

चैट में उसकी फ़्रेंड मेरी दीदी को अपनी चुदाई की कहानी भी बता रही थी.
उसने दीदी को ये भी लिख कर भेजा था कि वो भी जल्दी से किसी का लंड चख ले.
जिसके उत्तर में मेरी दीदी ने जो लिखा था, वो बड़ा ही चौंकाने वाला था.

दीदी ने लिखा था कि वो भी किसी बड़े लंड से चुदवाना चाहती है, पर डरती है कि किसी को पता ना चल जाए.

इतना पढ़ने के बाद जब मुझे दीदी के बाहर आने की आवाज़ आयी तो मैंने उसका मोबाइल बंद करके रखा और बाहर आ गया.

मुझे एक बात की ख़ुशी हो रही थी कि दीदी को चुदवाने की इच्छा है, बस वो बाहर किसी से चुदवाने में डरती है.

अब मेरे दिमाग़ में एक तरकीब आयी कि मैं बड़ी आसानी से दीदी को मेरे लंड की दीवानी बना सकता हूँ. चूंकि मैं तो घर में ही उसको चोद सकता हूँ, तो वो भी खुश हो जाएगी.

हम दोनों के साथ अच्छी बात ये भी थी कि हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे.

उसके दूसरे दिन ही मैंने अपना काम चालू कर दिया.

दूसरे दिन जब सुबह सुबह मैंने देखा कि दीदी नहाने जाने की तैयारी कर रही है.
तभी मैं बाथरूम में चुपचाप घुस गया.

मैंने दरवाज़ा बिना कुंडी लगाए अटका दिया और पूरे शरीर पर पानी गिरा लिया.
आधे शरीर पर साबुन लगा कर ऐसे खड़ा हो गया, जैसे नहा रहा हूँ. मैंने अपने लंड को भी हिला कर खड़ा कर रखा था ताकि दीदी को मेरा लंड फुल साइज़ में बड़ा दिखे.

कुछ ही पलों में मुझे दीदी के आने की आहट हुई तो मैं दरवाज़े की तरफ़ मुँह करके साबुन शरीर पर मसलने लगा.

दीदी ने जैसे ही दरवाज़ा खोला तो उसकी सीधी नज़र मेरे मोटे लम्बे खड़े लंड पर गयी.
वो एकदम से डर कर बाहर चली गयी.

उसके बाद जब रात को हम कमरे में पढ़ने बैठे, तो दीदी बार बार चुपके चुपके से मेरी पैंट में लंड पर नज़र घुमा रही थी.
तभी मैं समझ गया था कि दीदी को लंड देखकर मज़ा आ गया है.

फिर मैंने सोचा कि दीदी को एक बार बता दूँ कि मैंने उसका मोबाइल देख लिया था तो शायद उसकी शर्म मुझसे टूट जाए और वो मेरे लंड से चुदाई के लिए मान जाए.

मैंने दीदी को मोबाइल के बारे में बता दिया, तो वो मेरी तरफ देखने लगी.
दीदी बोली- ये ग़लत बात है, तुझे मेरा मोबाइल नहीं देखना चाहिए था.

मैंने दीदी को बिना शर्म कर बोल दिया.
मैं बोला- दीदी अगर आपको चुदवाना है, तो कहीं बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है. आप मेरे साथ मज़े ले सकती हो.
इस पर दीदी बोली- पागल है क्या, तू भाई है मेरा … मैं ऐसे कैसे तेरे साथ सेक्स कर सकती हूँ.

मैंने महसूस किया कि दीदी ने बिना ग़ुस्सा के ये बात कही है तो मैं समझ गया कि मेरे लंड से चुदवाने का मन तो दीदी का भी है. बस थोड़ा शर्मा रही है.
मैं मनाने की कोशिश करूं तो ये मान भी जाएगी.

मैंने बोला- दीदी यार, कब तक अपने फ़्रेंड्स की स्टोरी सुन कर अपनी कोमल चुत में उंगलियां करोगी. मेरा बहुत बड़ा लंड है, मुझसे ही मजा ले लो. फिर घर की बात घर में ही रह जाएगी, किसी को पता भी नहीं चलेगा.

दीदी मेरी तरफ देखने लगी और कुछ सोच कर बोली- बात तो तेरी सही है. तेरा लंड देख कर मेरा भी एक बार तुझसे चुदवाने का मन तो हुआ था.

मैंने पूछा- आपने मेरा लंड कब देख लिया था.
दीदी हंस दी और बोली- साले लंड दिखाने के लिए ही तूने बाथरूम में ड्रामा किया था और अब मुझसे बन रहा है.

उसके इतना कहते ही मैंने दीदी को अपनी ओर खींच लिया; उसके गुलाबी होंठों को चूमना शुरू कर दिया.

दीदी ने भी मुझे टाइटली पकड़ लिया और मेरे साथ ही चूमना शुरू कर दिया.
मेरा लंड अब एकदम तन कर खड़ा हो गया था.

मैंने अपने दोनों हाथों से दीदी की मोटी गांड दबाना शुरू कर दिया.
दीदी चुदने के लिए इतनी उतावली हो रही थी कि उसने अगले ही पल मेरी टी-शर्ट उतार दी और मुझे पलंग पर गिरा कर मेरे ऊपर चढ़ गयी.

दीदी बोली- साले बहनचोद मुझे तेरे लंड को चूसना है. जल्दी से तू अपने लंड को अपनी इस रंडी बहन के मुँह में घुसा दे.

मैंने अपना लंड दीदी के मुँह के सामने खोल दिया.
दीदी ने पूरा लौड़ा मुँह में ले लिया और मस्ती से लंड चूसने लगी.

सच में पोर्न देखकर मेरी दीदी बड़ी वाली रांड बन चुकी थी. मेरे लंड को बड़ी मस्ती से चूसने लगी थी.

दस मिनट तक मेरे लंड को चूसने के बाद दीदी बोली- आज तो तू पूरा बहनचोद बन जा, आज तुझे अपनी बहन को तुझे जितना चोदना है, चोद ले. आज रात मेरे पूरे जिस्म को निचोड़ दे मेरे भाई. तू मुझे जल्दी से अपनी रंडी बना कर चोद दे. आज अपनी बहन की चुत का भोसड़ा बना दे. आज हम दोनों पूरी रात चुदाई करेंगे.

उसकी बातें बता रही थीं कि मेरी बहन अब पूरी तरह गर्म हो चुकी है.

उसने 69 में आकर झटके से मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसे फिर से चाटने लगी.
वो एक अनुभवी चुदक्कड़ की तरह ये सब कर रही थी.

मैं भी अपनी बहन की चूत चाट रहा था.
अब हम दोनों 69 की पोजीशन बनाए हुए मजा ले रहे थे और एक दूसरे को चाट चूस रहे थे.

करीब दस मिनट एक दूसरे को चाटने के बाद मेरी बहन मेरा लौड़ा चूत में लेने को तैयार थी.

मैंने दीदी को लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया.

दीदी की चूत के छेद पर मैंने अपना लंड लगाया और एक हल्का झटका दे दिया.
उसके मुँह से एक हल्की सी आवाज निकली.

इससे मुझे लगा कि दीदी मेरा लंड सहन कर लेगी इसलिए मैंने एक तेज झटका मारा और अपना आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में घुसा दिया.

दीदी के मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं.

वो बोली- आंह बहनचोद, अपनी बहन पर रहम कर मां के लौड़े … उम्म्ह … अहह … हय … याह … इतना मोटा लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया. साले पहले दिन तो रहम करता, अब तो अगले कई साल तक मैं तेरी रंडी हूँ, जब मन करे तब चोद दियो.

मैंने अपने झटके चालू रखे और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों झड़ कर अलग हो गए.

थोड़ी देर आराम से लेटने के बाद मैंने दीदी के मम्मे फिर से चूसना शुरू कर दिए.
दीदी फिर से गर्म होने लगी थी, उससे रहा नहीं जा रहा था.
वो जल्दी से जल्दी चुत में लंड घुसवाना चाह रही थी.

मैंने दीदी की कोमल गुलाबी चुत को चाटना शुरू कर दिया.
दीदी वासना से भरी हुई सिसकारियां लेने लगी.

दीदी- आह … भाई ओह्ह … जल्दी चाट ले भाई … और जल्दी से लंड इसमें घुसा दे … अब रहा नहीं जाता.

मैंने दीदी को घोड़ी बना दिया और उसकी मोटी गांड को अपने हाथों में ले लिया; अपना लंड धीरे धीरे करके दीदी की चुत में घुसा दिया.

पहले मैंने धीरे धीरे झटके दिए तो दीदी बोली- साले क्या हुआ तेरे लौड़े में दम नहीं बचा क्या … आह ज़ोर ज़ोर से चोद ना अपनी बहन को … तेरी बहन कमज़ोर नहीं है … चोद सेल तेज तेज चोद.

अब मैंने दीदी को बुरी तरह पेलना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद दीदी को नीचे लेकर उसके ऊपर चढ़ गया और ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.

दीदी की दोनों टांगें हवा में उठी हुई थीं और मैं पूरी ताकत से चुत का भोसड़ा बनाने में लगा हुआ था.

कम से कम आधे घंटे की चुदाई के बाद मैंने दीदी की चुत में ही लंड का पानी छोड़ दिया.

हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेट गए.

कुछ देर बाद दीदी बोली- देख भाई, चुदाई में तो मज़ा आ गया, पर तूने जो अन्दर पानी छोड़ा है … इससे मैं प्रेगनेंट भी हो सकती हूँ.
मैं बोला- तो फिर दीदी अब क्या करें?

दीदी बोली- कोई बात नहीं, इस बार मैं देख लूंगी कुछ, मगर अगली बार से ध्यान रखना.
उसके बाद मैं और दीदी रोज़ रात को खुल कर चुदाई करने लगे थे और कम से कम दो बार चुदाई के बाद ही सोते हैं.

हम लोगों ने 3 साल तक बहुत जमकर चुदाई की.
मैंने दीदी को पूरी रंडी बना दिया था.
कई बार मैं दीदी को अपने लंड का पानी भी पिला चुका हूँ.
उनकी प्यास भी अब मेरे लंड के पानी से ही बुझती है.

घर में मैं कभी भी मौका पाते ही दीदी के मम्मे दबा देता हूँ और कभी भी गांड पर हाथ भी घुमा देता हूँ.
दीदी भी चलते चलते मेरे लंड पर हाथ मार देती है.

कभी कभी तो रसोई घर में ही दीदी को लंड चुसवा देता हूँ. मैंने कई बार दीदी को मेरे लंड का पानी ब्रेड पर लगा कर भी खिलाया है.

एक बार तो हमने रात को कमरे में एक दूसरे से शादी भी कर ली थी.
मैंने दीदी की मांग भी भरी थी और सुहागरात तो हम रोज़ ही मना लेते हैं.

फिर एक दिन दीदी की शादी हो गयी और दीदी अपना फटा भोसड़ा लेकर किसी और से चुदवाने चली गयी.
लेकिन अब भी जब घर आती है, तो हम दोनों जमकर चुदाई करते हैं.

मैंने अपनी दीदी की चूत को चोद कर उसको अपनी पत्नी ही बना लिया है और मुझे अपने किए पर कोई पछतावा भी नहीं है.
मैं अपनी बहन के बिना नहीं रह सकता था और मेरी बहन भी मेरे बिना नहीं रह सकती थी.
इसलिए हम दोनों आज भी चुदाई करते हैं.
The end
 
Active member
888
1,279
123
मस्त पड़ोसन की चूत 5 साल बाद चोदने मिली

मेरा नाम आशीष है, मैं राजस्थान के कोटा से हूँ . मैं कई सालों से सेक्स कहानियां पढ़ता आ रहा हूँ. इस बार मैंने भी सोचा एक चुदाई कहानी के आपसे साझा करूं.

ये मेरी जिंदगी की हक़ीक़त है, जो मेरा सबसे पहला प्यार था … और मुझे उसे पाने के इंतज़ार करना पड़ा था.

ये भाभी की चुदाई कहानी इस साल हुए लॉकडाउन की है.

आगे बढ़ने से पहले मैं पाठकों को अपने बारे में कुछ बता दूँ.

मैं अपनी कद-काठी या लंड की तारीफ नहीं करूंगा, बस इतना कहूंगा एक सिंपल और अच्छा दिखने वाला लड़का हूँ. पहली बार भाभी की चुत चोदी तो पता चला कि मैं चुदाई में काफी देर तक टिकने वाला मर्द हूँ.

मेरी पड़ोसन भाभी, जिनके साथ मैंने पहली बार सेक्स किया था, वो दिखने में बेहद खूबसूरत और कमाल की हैं.

उनका नाम मोना है और उनकी उम्र 37 साल है. भाभी 2 बच्चों की माँ हैं.

मैं मोना भाभी से शुरू से ही काफी क्लोज रहा हूँ.
हमारी घनिष्ठता इतनी अधिक थी कि हम दोनों हर तरह की बातें कर लेते हैं, फिर चाहे वो सेक्स की बातें ही क्यों न हों.

इतना खुलापन होने के बावजूद मैंने उनके साथ सेक्स करने का अब तक कभी नहीं सोचा था.

एक बार उन्होंने मुझसे पूछा कि आपको कैसी लड़की पसन्द है?
मैंने फटाक से जवाब दिया- आपके जैसी.

भाभी- मुझमें ऐसा क्या ख़ास है!
मैं- आप ये बताएं भाभी जी कि आपमें क्या ख़ास नहीं है!

मेरी बात पर भाभी शर्मा गईं और बोलीं- मगर आपके भैया को मेरी कोई कद्र ही नहीं है.
मैंने मजाक में कहा- भैया की तो नहीं कह सकता मगर मुझे तो है. मैं तो बस आपको देखता ही रहता हूँ.

वो बोलीं- आप मुझे इतना क्यों देखते हो?
मैंने कहा- आप देखने लायक चीज हो इसलिए देखता हूँ … काश मुझे आपके जैसी ही बीवी मिल जाए.

भाभी हंस कर बोलीं- अरे मिल जाएगी यार, इतना मत सोचा करो.
मैं कहा- आपके मुँह में घी शक्कर.

भाभी हंस दीं और उसी समय वो जरा झुक सी गईं, जिससे मुझे सुंदर सुडौल मम्मों की घाटी दिख गई.

फिर ऐसे ही कुछ वक्त निकला और लॉकडाउन लग गया.
सभी का आना जाना बंद हो गया.

चूंकि मोना भाभी मेरे पड़ोस में रहती थीं, तो मैं उनके घर जाया करता था. भैया भी अपने खेत चले जाया करते थे.

एक दिन भैया ओर भाभी की किसी बात पर लड़ाई हो गयी और उस समय मैं वहीं था.

भैया ने गुस्से में कहा- मैं तो तुमसे परेशान हो गया. काश मेरी शादी तुमसे न हुई होती.

ये कह कर भैया कमरे से निकल गए. वो अपने खेतों की तरफ निकल गए थे.

भाभी चुप रहीं और रोती रहीं.
मैंने उनको चुप कराया तो वो मुझसे चिपक कर और भी ज्यादा रोने लगीं.

भाभी रोते हुए बोलीं- मैंने क्या नहीं किया इस आदमी के लिए … इसने जब जो कहा, मैंने किया. लेकिन इसको मेरी कद्र ही नहीं है. जब देखो मुझे डांटता रहता है.
ये कहते हुए भाभी मेरे सीने से लिपट गईं.

मैंने उनके सिर में हाथ फेरते हुए कहा- आप मुझे बोल दिया करें … जो आपको चाहिए हो.
वो मुझसे ऐसे ही चिपके हुए बैठी रहीं.

मैंने कहा- भाभी कोई आ जाएगा, तो गलत सोचेगा … आप उठ जाइए.
भाभी- सोचने दो, मुझे तुमसे चिपके रहने में अच्छा लग रहा है आशु.

मैंने कुछ नहीं कहा.
भाभी की गर्म सांसें मुझे महसूस हो रही थीं.

मैंने कहा- भाभी मुझे कुछ हो रहा है, आप प्लीज़ उठ जाओ.
भाभी- होने दो, बस तुम मुझसे दूर मत जाओ.

मैंने कहा- भाभी आप क्या सोचती हो आगे क्या होगा … भैया तो ऐसे ही रहते हैं.

भाभी- मुझे उस आदमी से फर्क नहीं पड़ता. उसके लिए इतना सब करने के बाद भी वो मुझे गालियां देता है.
मैंने कुछ नहीं कहा.

भाभी- आशु, एक बात बताओ तुम मुझे पसंद करते हो ना!

मैं डर गया और कुछ नहीं बोला.

भाभी- जवाब दो!
मैंने कहा- भाभी, मैं आपको 5 साल से पसन्द करता हूँ … और देखता हूं. ये आपको भी मालूम है.

भाभी बोलीं- हां मगर तुम ये बात आज बता रहे हो … इससे पहले क्यों नहीं कहा … मुझे भी तुम अच्छे लगते हो.
मैंने कहा- भाभी बस आप खुश रहो. मुझे ये ही अच्छा लगता है.

वो बोलीं- अब तुम ही मुझे खुश रखोगे.
ये बोल कर उन्होंने मुझे होंठों पर किस कर दिया.

मैंने उनके किस का अहसास किया और वासना से उन्हें देखने लगा.

भाभी ने अपने होंठों पर जीभ फिराई और आंख मटका दीं.

उनकी आंखों में मुझसे फिर से वही सवाल था कि क्या मैं उनको खुश रखूँगा.

मैंने कहा- हां मैं आपको जरूर खुश रखूंगा.

ये कह कर मैंने भी भाभी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और उन्हें किस करने लगा.

फिर मैंने बाहर की तरफ देखा कि भैया तो नहीं हैं.

भाभी मुझसे चिपक गईं और बोलीं- वो खेत चला गया … बाहर कोई नहीं है. बच्चे भी सो रहे हैं. मुझे अभी के अभी तुम्हारा होना है.
मैंने कहा- मैं आपका ही हूँ भाभी.

भाभी बोलीं- ऐसे नहीं … अंग से अंग लगा कर एक होना है.
मैंने समझ लिया कि भाभी लंड से चुत लड़ा कर एक होना चाहती हैं.

मैंने उनकी तरफ देखा तो भाभी बोलीं- मुझे ऊपर वाले कमरे में ले चलो.

भाभी को मैंने गोद में उठाया और उनको रूम में ले गया. भाभी मेरी गोद में ही मुझसे लग गई थीं.

कमरे में तो आते ही वो मुझे चिपक गईं.
मैंने भी भाभी को अपनी बांहों में भींचते हुए कहा- मैं इस पल का पांच साल से ज्यादा इंतजार किया है.
भाभी- आज इन्तजार खत्म हो गया है आशु … आ जाओ मुझमें समा जाओ.

हम दोनों किस करने लगे.
मेरे होंठों को वो ऐसे किस करने लगीं जैसे बरसों की प्यासी हों.
मैं भी भाभी के चुम्बनों में बराबरी से उनका साथ दे रहा था.

उन्होंने मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ा और बोलीं- आज तक इसके लिए तरसी हूँ … आज खा जाऊंगी.

मैंने उनका दूध दबाते हुए कहा- खा जाओ भाभी, ये आपका ही है.
भाभी बोलीं- मुझे भाभी नहीं मोना कहो.

मैंने भी उन्हें चूमा और मोना कहा.

फिर मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया. उनके मम्मों पर किस करने लगा और दूध चूसने लगा.

उनके मम्मों में अभी भी दूध आता था. मुझे दूध का स्वाद आने लगा, तो मैं मस्ती से दूध चूसने लगा.

भाभी भी अपना निप्पल पकड़ कर मुझे दूध पिलाने लगीं.

वे ‘आह हहहह अहह …’ की आवाजें करने लगीं और बोलने लगीं- आंह आशु पी जाओ … खा जाओ मेरे मम्मों को नौंच डालो … आज मेरे बदन को पीस दो.
मैं- मोना मेरी जान, आज तुम बस मेरी हो … अब देखो मैं आज कैसे तुमको चोदता हूँ … तुम भी मेरे लंड को याद करोगी.

भाभी बोलीं- हां बाबू, मैं बहुत प्यासी हूँ आज बुरी तरह से खा जाओ मुझे. चोद दो मुझे. मेरा पति अब मुझे चोदता ही नहीं है.
मैंने किस करते करते बेड पर लिटा दिया और उनके कपड़े उतारने लगा.

क्या मस्त बदन की मालकिन थीं मेरी मोना भाभी … उनके जिस्म को देख कर दिल खुश हो गया.

भाभी की पैंटी ऊपर से गीली थी और माल छोड़ रही थी.

मैंने एक झटके में भाभी की पैंटी फाड़ दी और उन्हें पूरी नंगी कर दिया.
अभी भाभी कुछ समझ पातीं, तब तक मैंने उनकी चूत पर मुँह लगा दिया और चूत चाटने लगा.

भाभी एकदम से सिहर उठीं और ‘इस्स आह मर गई मम्मी रे आह … आशु खा जाओ …’ उनकी मादक आवाजें गूँजने लगीं.
मैं बस उनकी चुत को चाटने में लगा रहा.

भाभी मेरे सर को अपनी चुत पर दबाती हुई बोलीं- आह आशु … आज पी जाओ मेरी चुत का सारा पानी … आह इसे आज चोदकर भोसड़ा बना दो.

मैंने भाभी की चुत को और तेजी से चूसना शुरू कर दिया.
वो मेरे बाल पकड़ कर मेरा सिर अपनी चुत में मानो घुसाने सी लगी थीं.

मैंने अपनी पूरी जीभ चुत में डाल दी थी और चुत रस चूसने लगा था.

दो मिनट में ही भाभी झड़ गईं और मेरे मुँह में ही सारा माल झाड़ दिया.
मैं चुत का सारा रस पी गया.

फिर मैंने चुत से मुँह हटाते हुए कहा- भाभी, मेरा लंड चूसोगी?

मेरे कहते ही भाभी ने लंड को लपक कर मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.

मैंने उनके बाल पकड़ लिए और लंड के धक्के लगाना शुरू कर दिया. मैंने अपना पूरा लंड गले तक उतार दिया.

वो मेरे टट्टे चूसने लगीं और मेरी आह निकल गयी.

भाभी ने 5 मिनट तक मेरा लंड चूसा और कहने लगीं- अब मत तड़पाओ … मुझे बादलों की सैर कराने ले चलो.

मैंने भाभी को लिटाया और चुत पर अपना लंड टिका दिया.
भाभी आंखें बंद करके अपनी गांड ऊंची करने लगीं.

मैंने एक झटके में अपना लंड उनकी चुत की गहराई में घुसा दिया.
वो जोर से चिल्लाईं और बोलीं- आंह इसी दर्द को मैं सहना चाहती थी. तेरा भाई लल्लू है भोसड़ी का. साला चुत की डिमांड ही नहीं समझता है.

भाभी अपनी गांड हिला हिला कर शॉट लगाने का इशारा करने लगीं.

मैंने तेज धक्के लगाना शुरू कर दिया और भाभी को चोदने लगा.

वो पूरा मुझसे लिपट गयी थीं और उन्होंने अपने दोनों पैर मेरी कमर पर फंसा लिए थे- आह अहह मांआआ … मर गई … आह और जोर जोर से चोदो!

मैंने अपनी चुदाई की स्पीड तेज़ की और जोर जोर से शॉट मारने लगा.
भाभी की ताबड़तोड़ चुदाई होने लगी.

दस मिनट चोदने के बाद भाभी का शरीर अकड़ने लगा.
वो जोर से बोलीं- आह आशु मैं गई … उन्न आन्न्न …

भाभी झड़ गईं और निढाल होकर फ़ैल गईं.
मैं तब भी नहीं रुका और लगातार शॉट लगाए जा रहा था.

मैंने बोला- मोना मेरी जान, आज जाकर मिली हो … मेरा मन नहीं भरा है.
भाभी बोलीं- जान आज तुम अपना मन और मेरी चुत दोनों भर लो.

मैंने उनको गोद में बिठाया और उठा उठा कर चोदने लगा.

वो फिर से चार्ज हो गई थीं और अपनी गांड हिला कर चुदने लगी थीं.

तभी भाभी ने जोर से मुझे कसके पकड़ लिया और दुबारा झड़ गईं.

मैंने उनको लिटा दिया और जोर जोर से शॉट मारने लगा.

इस बार वो कराहने लगीं- आह आह आह प्लीज़ आशु बस रुक जाओ … मेरी चुत फट रही है!
मगर मैंने एक नहीं सुनी और भाभी को चोदता रहा.

फिर वो एकदम से जोर से चीख पड़ीं- आ मर गयी बाबू …
वो तीसरी बार कांपती हुई टांगों से झड़ गईं.

अब मेरा भी होने वाला था.
देर तक चोदने के बाद मैंने खुद को मन ही मन बहुत रोका लेकिन अब मैंने अपने लंड का लावा उनकी चुत में डालने का मन बना लिया था.

मैंने बिना रुके तेज़ तेज़ झटके लगाना शुरू कर दिए और बोलने लगा- मोना मेरी जान … आज तो मजा आ गया … पूरे 5 साल की प्यास बुझ गयी मेरी.

ये बोलते बोलते मैं भाभी की चुत में झड़ गया.

मेरे झड़ जाने के बाद भाभी हंस कर बोलीं- आज जो सुख आपने दिया है देवर जी, आगे भी देते रहना.
मैंने कहा- जरूर भाभी जी … आपके लिए मैंने इतना वक़्त निकाल दिया, अब पूरी जिंदगी वक़्त दूंगा … और पूरी जिंदगी मजा दूंगा.

हम दोनों नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो गए.

फिर रात में मैंने भैया के खेत पर जाने के बाद पूरी रात भाभी की गांड मारी.
 
Active member
888
1,279
123

मेरी कुंवारी चूत का उद्घाटन दिवाली में फूफा जी के द्वारा


आज आपको एक मस्त सेक्स कहानी (Mast Sex Story) सुनाने जा रही हूँ। मैं अभी मात्र अठारह साल की हूँ। और मेरे फूफा जी 40 साल के हैं। मैं अपने फूफा जी को दिल नहीं दी बल्कि चुत दे बैठी
fufa-ji-sex.png

मेरा नाम रिंकी है मैं बिहार की रहने वाली हूँ। मेरे फूफा जी गुडगाँव जो दिल्ली के पास है वही रहते है एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम करते हैं। मेरी फुआ भी और उनकी एक बेटी जो की मेरे उम्र की ही है वो लोग वही रहते हैं। और मैं गाँव में ही रहकर पढाई करती हूँ। मेरे पापा दूसरे शहर में काम करते है मेरी माँ आंगनबाड़ी में काम करती है। मैं अकेली अपने माँ बाप की संतान हूँ। मेरे घर में मेरे दादा और दादी जी भी हैं।

कहानी दिवाली के दिन की है। मेरे फूफा जी दिवाली के दो दिन पहले ही आये थे मेरे दादा जी को देखने क्यों की वो पटना में भर्ती थे उनका तबियत ख़राब था। तो वो देखने आये थे। सब कुछ नार्मल हो गए था। पटना में दादा जी के पास सिर्फ मेरी दादी थी और मम्मी पापा दोनों ही घर आ गए थे दिवाली के एक दिन पहले ताकि घर में पूजा पाठ सही तरीके से हो जाये। पर दिवाली के एक दिन पहले शाम को फोन आया की तबियत ज्यादा ख़राब हो गया है। तो मेरे मम्मी पापा दोनों ही पटना चले गए।

मैं घर में अकेली थी तो पापा मम्मी ने फूफा जी से कहा की आप रुक जाइये दो दिन के लिए क्यों की घर में लड़की अकेली है और जमाना ख़राब है। एक जवान लड़की को घर में छोड़ना अच्छी बात नहीं। पर शायद उन दोनों को क्या पता जिसको मेरी रक्षा के लिए रख रहे हैं वही मेरी चूत की सील तोड़ेगा और दो दिन तक मुझे अपनी बाहों में सुलाएगा और चुत गांड की बैंड बजा देगा।

शाम को घर में मैं और फूफा जी थे। शाम को उन्होंने ने ही खाना बनाया और हम दोनों खाये। फूफाजी बड़े अच्छे इंसान है वो लोगो की मदद करना चाहते हैं। और करते भी है। तो मैं उनको पूछने लगी की इंजीनियर बनने के लिए क्या क्या करना होता है। तो वो समझाने लगे की पहले इंटरेंस एग्जाम दो फिर पास करो फिर अच्छे कॉलेज में एडमिशन हो जाएगा।

तो मैं बोल दी मुझे तो बहुत अच्छे से पढ़ने का मन करता है और मैं आगे बढ़ना चाहती हूँ पर शायद मैं कभी बाहर जाकर नहीं पड़पाऊंगी क्यों की मेरे पापा नहीं भेजेंगे। तो उन्होंने कहा मैं करुगा तुम्हरी मदद मैं दूंगा पैसे और मैं करवाऊंगा तुम्हारा एडमिशन। इतना सुंनते ही मेरे ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैं गलती से ही सही ख़ुशी के मारे मैं उनको गले लगा ली।

जब गले लगा ली तो एहसास हुआ की मैंने कुछ गलत कर दिया क्यों की उनका लंड पहले से ही खड़ा था इसका मतलब ये था की उनको निगाहें पहले से ही मेरे प्रति ख़राब हो गयी थी। तो मैं अपने कपडे ठीक करने लगी क्यों की मेरी दोनों चूचियां मेरे कपडे के ऊपर से हाफ दिखाई दे रहा था। पर उन्होंने कहा नहीं नहीं तुम्हे ठीक करने की कोई जरुरत नहीं बहुत सुन्दर लग रही हो। तुम बहुत हॉट हो।

मैं शरमा गयी उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला की तुम अगर मेरी बात मान लो तो मैं तुम्हे रानी बना दूंगा आगे चलकर एस करोगी ज़िंदगी में। मैं तुम्हे खर्चे दूंगा मैं पढ़ाऊंगा और फिर मस्त तरीके से तेरी शादी करवाऊंगा जो लड़का विदेश में रहता हो तुम ही जहाज से जाना विदेश और खूब मजे करना अपने पति के साथ। पर तुम्हे मेरा साथ देना होगा अगर तुम मुझे खुश करोगी तो मैं भी तुम्हे खुश करूंगा।

दोस्तों मैं बहक गयी फिसल गयी मैं मना नहीं कर पाई मैं चुपचाप थी तब तक उनका हाथ मेरी जांघों को फेरने लगा था और एक हाथ मेरी चूचियों पर टिका हुआ था। मैं भी खुद को नहीं रोक पाई और फिर मैं उनके करीब चली गयी. बाहर पटाखे की आवाज आ रही थी। और मेरे तन बदन में आग लग गयी थी। किसी मर्द के बाहों में पहली बार थी और वो भी जवानी की शुरआत में मेरी चूचियां भी बड़ी नहीं हुई थी अभी जवानी की दहलीज पर कदम ही रखी थी।

उन्होंने मेरे होठ को पहले अपने उँगलियों से छुआ फिर उन्होंने मेरे बालों को सहलाया उन्होंने मेरे गाल पर किस किया और फिर मेरे होठ को चूसने लगे। मैं भी शर्माती हुई हौले हौले ही सही पर साथ दे रही थी। मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ रहा था। मैं सिसकारियां और अंगड़ाईयाँ लेने लगी। उन्होंने मेरे ऊपर के कपडे उतार दिये और फिर मेरा टेप उतार दिया मेरी चूचियों को मसलने लगे और फिर मुझे लिटा दिए और निप्पल को मुँह में लेकर पीने लगे।

अब मैं बरदाश्त के बाहर हो गयी मेरी चूत में आग लग गयी थी गरम हो गया था चूत की पानी। मैं फूफाजी को बोली जो करना है कर लो। पर मुझे आगे बढ़ाओ। उन्होंने कहा अब तुम कुछ भी नहीं सोचो, तुम्हारा काम हो गया और इतना कहते ही उन्होंने मेरे पेण्ट और पेंटी उतार फेंकी मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी थी।

उन्होंने मेरे दोनों पैरों के बिच में बैठ कर अपना ऊँगली मेरी चूत में डालना शुरू कर दिया बड़ी मुश्किल से उनकी ऊँगली मेरी चूत में जा रही थी। मैं मना भी कर रही थी और जाने दे भी रही थी। उन्होंने फिर मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया और फिर मेरी दोनों चूचिओं को मसलना और मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया मैं अंगड़ाईयाँ लेने लगी सिसकारि लेने लगी। दांतो से खुद के होठ को दबाती और आआह्ह्ह्ह आआअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्हह की आवाज निकालने लगी।

उन्होंने अपना कपड़ा उतार दिया और अपना मोटा लंड मेरी मुँह में दे दिया और मुझे चूसने को कहा पर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए मैं मना कर दी। उन्होंने अब मेरे दोनों पैरों को अलग अलग किया और अपना लंड मेरी चूत में छेड़ पर रखा और घुसाने लगे। मैं कराह उठी क्यों की मैं उसके पहले कभी चुदी नहीं थी। एक उनलगी जा सकता था क्यों की मैं हस्थमैथुन करती थी। पर इतना मोटा लंड को मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

उन्होंने जोर जोर से घुसाने की कोशिश करने लगे पर मैं दर्द से बेचने होने लगी थी पर उन्होंने मेरी एक नहीं मानी अपने लंड में थूक लगाया और जोर से घुसा दिया। जब पूरा लंड अंदर गया तो मैं शांत हो गयी मेरे अंदर सुरसुराहट होने लगी। मैं अब कम्फर्ट फील कर रही थी पर जब वो अंदर बाहर करते तो दर्द होता था।

पर करीब दस मिनट के अंदर ही दर्द ख़तम हो गया और वो मुझे आराम से चोदने लगे और मैं भी उनको साथ देने लगी। उन्होंने मुझे उल्ट कर पलट कर कभी पीछे से कभी बैठा कर कभी खड़ा कर के खूब चोदा रात भर उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा और मुझे अपनी बाहों में भर कर रखा।

पहली चुदाई का आनंद ही अलग होता है दोस्तों। दो दिन तक उन्होंने मुझे खूब चोदा दूसरे दिन मुझे गांड भी मारा। पर हां मुझे बहुत अच्छा लगा और अब मैं जल्द ही उनके पास जाने वाली हु कल ही मेरे मम्मी पापा कह दिए हैं की तुम चाहते हो आगे की पढ़ाई करने और फूफा जी मदद करने वाले है तो अच्छी बात है।

मैं सब बातों को समझ रही थी पढाई के साथ साथ मेरी चुदाई भी होगी। अब मुझे ट्रैन के टिकट का इंतज़ार है जल्द ही मैं गुडगाँव अपने फूफा जी के यहाँ जाने वाली हूँ चुदने और पढ़ने।
Village-girl-nude-selfies-_007.jpg
 
Active member
888
1,279
123

फटाफट छोटी बहन को चोदा छत पर


दोस्तों पहले तो आपको भी दिवाली की शुभकामनाएं, आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसको पढ़कर आपके होश उड़ जायेंगे। ये कहानी दिवाली की रात की।

मेरा नाम कुणाल है और मेरी बहन का नाम कशिश है। मैं 22 साल का हूँ और मेरी बहन कशिश 21 की है। मैं पंजाब के एक कॉलेज में पढता हूँ और मेरा गाँव वाराणसी के पास है। मैं दिवाली में अपने घर आया था। दिवाली मनाने के लिए और मेरी दिवाली जबरदस्त मनी। क्यों की जिस चीज की चाहत बरसों से थी वो मुझे मिल गया तो और मुझे क्या चाहिए आप खुद सोचिये एक वर्जिन चुत की चुदाई से बढ़कर इस दुनिया में कुछ है ? कुछ भी नहीं है दोस्तों आज मैं आपको हॉट नहीं कर दूँ और लंड नहीं खड़ा कर दूँ और औरतों और लड़कियों की चूत ना गीली करवा दूँ इस कहानी को पढ़ते पढ़ते तो मेरा नाम कुणाल नहीं।

मैं अपने गाँव 1 नवंबर को ही पहुंच गया था। मेरा इंतज़ार मेरे मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन बेसर्बी से कर रहे थे। ऐसा होता है दोस्तों जब घर का कोई सदस्य घर से बाहर रहता है और जब वो आ रहा होता है तो घर वाले उसका इंतज़ार करते ही हैं। लाड प्यार भी मिलता है घर आने के बाद ऐसा मेरे साथ भी हुआ था। शॉपिंग हुई मेरे और मेरी बहन के लिए मैं शानदार कुर्ता पजामा और बहन के लिए एक वेस्टर्न ड्रेस जो की काफी सेक्सी था।

मेरी बहन जब अपना ड्रेस पहनी तो उसकी गांड और चूचियां उभर कर आ गया उसकी जवानी छलक रही थी उसके ड्रेस में से। ड्रेस भी वन पीस था वो भी घुटनो से ऊपर तो गोरी जांघ भी दिख रही थी और थोड़ा ऊपर चलिए तो उसका चूतड़ का उभार, ऐसी सेक्सी फिगर देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाये। और मेरे साथ तो ऐसा ही हुआ मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थी।

शाम होते होते ऐसा लग रहा था की मैं मूठ मार लूँ क्यों की ये सब बर्दाश्त के बाहर हो रहा था। पर दिवाली का दिन था लोग आ जा रहे थे और मम्मी बोली पूजा में बैठने के लिए। करीब 9 बजे पूजा ख़तम हुआ। तो तुरंत ही मम्मी पापा और भाई बहन खाना खाने बैठ गए। तभी मासी का फ़ोन आ गया जो मेरे घर से करीब 5 मिनट का पैदल रास्ता है। मासी मम्मी पापा दोनों को अपने यहाँ बुला रहे थे। वो दोनों जल्दी जल्दी मासी के यहाँ जाने लगे और हम दोनों को कहते गए सब जगह दीया जल गया है। छत पर जाकर तुम दोनों से मोमबत्ती जला दो चारों और क्यों की वह अभी तक अँधेरा होगा।

वो दोनों निकले की मैं दरवाजा बंद कर दिया। हम दोनों मोमबत्ती लेकर छत पर चढ़ने लगे। वो आगे आगे सीढ़ी पर थी और मैं ठीक उसके पीछे पीछे। अब गांड का उभार और भी आ रहा था और कमर हिल रहा था। मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैं सिसकारियां ले लिया तो मेरी बहन पीछे मुड़कर बोली क्या हुआ अभी तक मिर्ची लग रही है क्या। पनीर में तो मिर्ची थी भी नहीं। मैं कुछ नहीं बोल पाया और ऊपर चढ़ने लगा।

छत पर अँधेरा था। मेरी धड़कन तेज तेज चलने लगी। मुझे लगा की मैं इजहार कर दूँ अपनी बात बता दूँ की आज मैं क्या सोच रहा हूँ उसके लिए। पर डर लग रहा था की कही उसे बुरा न लग जाये। पर मेरी धड़कन तेज तेज बढ़ ही रही थी। मेरी बहन भी खूब मचल रही थी। पर मैं चुपचाप अपनी जज्बात को अपने दिल में समाये मोमबत्ती लेकर घूम रहा था। अचानक मेरी बहन बोल दी क्या बात है कुछ परेशां लग रहे हो।

मैं चुप रहा वो फिर से बोली कहो क्या बात है। मैं चुप रहा। वो अब मेरे पास आ गयी और मुझे घूरने लगी और बोली बोली क्या बात है। अब मेरे से क्या छुपाना क्या हुआ। तो मैं उसकी तरफ देखा और बोला आज तुम बहुत ही सुन्दर लग रही हो। तो वो हसने लगी और बोली इसी लिए तुम उदास हो। मैं बोल पड़ा नहीं नहीं इसलिए हूँ क्यों की तुम हॉट और सेक्सी लग रही ही और मेरे दिल में कुछ कुछ हो रहा है। वो बोली अच्छा क्या लग रहा है। तो मैंने कहा मेरी धड़कन तेज तेज चल रहा है और बार बार होठ मेरे सुख रहे हैं। इतना बोलते बोलते लड़खड़ा गया मुझे लगा की कहि मैं कुछ गलत तो नहीं बोल गया मेरे होठ कांपने लगे।

वो अपना हाथ फैला दी छत पर अन्धेरा था पर हम दोनों एक दूसरे को साफ़ साफ़ देख रहे थे। वो मुझे अपनी बाहों में बुला रही थी। मैं भी दोनों हाथों के फैलाते हुए उसको अपने सीने से लगा लिया। उसने मेरे गाल पर किस कर दी। मैं उसके पीठ को सहलाते हुए उसके गाल पर किस कर दिया। उसकी बड़ी बड़ी टाइट गोल गोल चूचियां मेरे सीने से चिपकी हुई थी मेरा लंड खड़ा होने लगा था और मेरी धड़कन तेज तेज होने लगी थी।

मुझे लग रहा था क्या करूँ। कभी उसके गाल को छूता कभी पीठ सहलाता कभी अपनी और खींचता। पर वो चुपचाप थी पर उसकी साँसे तेज तेज चलने लगी मैं उसकी गरम गरम साँसों को महसूस कर पा रहा था। मैं उसके होठ पर अपना होठ रखने लगा तो वो बोली अरे नहीं नहीं ऐसा नहीं। मैं बोला आज मत रोको मुझे। वो बोली रिश्ते भी कोई चीज होती है। मैं तुम्हारी बहन हूँ। मैं बोला मैं मर जाऊंगा अगर आज मुझे तुम नहीं दोगी तो। मैं पागल हो गया हूँ।

वो बोली ठीक है आराम आराम से मैं उसके होठ को चूसने लगा और उसके पीठ को सहलाने लगा। उसके होठ पर मेरे होठ लॉक हो रहे थे पर उसके तरफ से अभी ज्यादा कुछ नहीं हो रहा था। मैं अचानक से उसकी चूचियों को पकड़ लिया और जोर से दबा दी। उसकी चूचियाँ दबते ही वो पागल हो गयी और मेरे पर टूट पड़ी। वो मेरे होठ को चूसने लगी मेरे माथे को सहलाने लगी मेरे बाल में अपनी उँगलियाँ फिराने लगी।

ओह्ह्ह दोस्तों क्या बताऊँ हम दोनों ही एक दूसरे को चूस रहे थे सहला रहे थे। हम दोनों थोड़ा साइड हो गए जहा पानी का टंकी था। और मैंने तुरंत ही उसके चूत को गांड को सहलाने लगा। तुरंत निचे से उसके कपडे ऊपर कर दिया चौड़ी गांड अब मेरे सामने थी सफ़ेद कलर की पेंटी अब दिखाई दे रही थी।

उसने कहा धीरे धीरे करना और जल्दी कर लो मम्मी पापा आने वाले ही होंगे। जब वो दोनों घर में नहीं रहेंगे मैं आराम से दूंगी। आज जल्दी जल्दी कर दो। मैं बोला ठीक है। तुरंत ही उसको मैं झुकने के लिए कहा और उसकी पेंटी उतार दी।

छूट पर हाथ फेरा तो गीली थी। मैंने तुरंत ही अपना लंड निकला और घुसाने लगा पर जा नहीं रहा था। क्यों की मैं जल्दीवाजी कर रहा था लंड छटक रहा था। पर उसने खुद ही लंड को सेट किया और दोनों पैरों को अलग अलग की और थोड़ा झुकी और बोली धीरे धीरे धक्के दो। मैं वैसा ही किया तीन से चार झटके में मेरा लंड अंदर चला गया।

चौड़ी चूतड़ देखकर पागल हो रहा था और लंड चूत में समाया हुआ था तो मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ रहा था सिहरन हो रही थी मेरे पुरे शरीर में। अब मैं जोर जोर से धक्के देने लगा वो भी आह आह आह ओह्ह्ह्हह ओह्ह्ह करने लगी। मुझे वो मिल गया था जिसका मुझे इंतज़ार था। मैं चोद रहा था जोर जोर से लंड चुत में पेल रहा था।

दोस्तों उसकी गांड जब मेरे लंड से टकराती पर लंड उसकी चूत में घुसती तो ये ऐसा लग रहा था जैसे की मैं जन्नत में हूँ कभी कभी उसकी चूचियों को भी दोनों हाथ से पकड़ लेता और मसलने लगता कभी उसकी गांड पर थप्पड़ मारता। ओह्ह्ह्ह मेरा तो निकलने ही वाला था तभी डोर बेल बज गया। वो दोनों वापस आ गए थे।

कशिश तुरंत ही छटक कर अलग हो गयी पेंटी ढूढ़ने लगी और तुरंत ही पेंटी पहनी और भागी निचे। और जाकर गेट खोली। मैं अपना लंड हाथ में लेकर थोड़ा थूक लगा कर हिलाने लगा हस्थमैथुन करने लगा। और करीब तीस सेकंड में ही पूरा माल वही निचे गिरा दिया।

और मोमबत्ती जलाने लगा। करीब पांच मिनट में ही वो तीनो ऊपर आ गए। मेरी माँ गलती से उधर चली गयी जिधर मैं अपना माल गिराया था उसके पैर में लग गए तो बोली पता नहीं क्या चिपचिपा सा लग गया मेरे पैर में। मेरी बहन मेरे तरफ देखने लगी वो समझ गयी की मैंने ही अपना वीर्य गिराया है। फिर हम चारो मिलकर दिवाली का आनंद लेने लगे। पर मेरी बहन मेरे से बार बार नजर चुरा रही थी।
 

Top