शीतल के फोन काटने के बाद उसकी कही बात पर गौर करने लगी कि वह किस तरह से एकदम बेशर्मों की तरह ऊससे शुभम से चुदने की बात कर रही थी,, क्या सच में वह ऐसा कर सकती है अभी तक उसके कोई भी संतान नहीं है हो सकता है संतान की लालच में वह ईस तरह के कदम उठा ले और तभी उसकी कही वह बात याद आने लगी थी मां बेटे के बीच शारीरिक संबंध को लेकर कभी भी किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा वह सच ही कह रही थी कि बेटा अपने मुंह से तो यह नहीं कहूंगा कि वह अपनी मां को चोदता है और ना ही मा ही कहेगी कि अपने बेटे से चुदवाती है।
इस बात पर गौर करके निर्मला के चेहरे पर खुशी की चमक आ गई वह काफी देर से उस कुर्सी पर बैठी रही, उसे नहा कर खाना बनाना था तभी उसे ध्यान आया कि शुभम भी शायद अपने कमरे में अभी तक सो ही रहा है। इसलिए वह उठकर शुभम के कमरे में जाकर उसे जगाने की सोची और वह शुभम के कमरे तक पहुंच भी गई, कमरे का दरवाजा खुला हुआ था इसलिए वह दरवाजे पर बिना दस्तक दिए कमरे में प्रवेश कर गई
कमरे में प्रवेश करते ही जैसे ही उसकी नजर बिस्तर पर पड़ी तो वह बिस्तर का नजारा देख कर एकदम से उत्तेजित हो गई,, शुभम एकदम गहरी नींद में था उसका पजामा जांघो तक सरका हुआ था और उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा था जिसे उसने नींद में भी अपने हाथों से पकड़ा हुआ था।
खड़े लंड को देख कर एक बार फिर से निर्मला की बुर में सुरसुराहट होने लगी, एक बार फिर से उसकी जवानी हिलोरे मारने लगी, रात को अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर उसकी प्यास बुझने की बजाए और ज्यादा बढ़ गई थी।
निर्मला अपने बेटे के कमरे में खड़े-खड़े अपने बेटे के टनटनाए हुए लंड को देख कर चुदवासी हुए जा रही थी। कार के अंदर अपने बेटे से जबरदस्ती चुदाई का वह एहसास अभी भी उसके मन में ताजा था वह जानती थी कि उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में एकदम रगड़ता हुआ अंदर बाहर होता था। जिसकी रगड़ की गर्मी में उसकी बुर की अंदरूनी दीवारे पसीज पसीज कर पानी छोड़ रही थी।
अपने बेटे के लंड को देखकर उसका जोर-जोर से कमर हिलाना याद आ गया जो कि बिना रुके अपनी गति को बिना परिवर्तित कीए एक ही लय में उसकी बुर में अंदर बाहर डालते हुए उसे चोद रहा था। शुभम की जबरजस्त कमर हिलाई से ही वह समझ चुकी थी कि उसके बेटे में बहुत दम है। क्योंकि इस तरह के जबरदस्त प्रहार के साथ आज तक अशोक ने कभी भी उसकी चुदाई नही किया था,, अशोक का लंड को बुर की पूरी तरह से गहराई भी कभी नहीं नाप पाया था और शुभम हर धक्के के साथ निर्मला की बुर की गहराई में उतर जाता था। उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि सुबह इतनी जबरदस्त धक्कों के साथ उसकी चुदाई करेगा और इतनी देर तक टिका भी रहेगा वरना अशोक तो पत्ते की महल की तरह दो चार धक्को मेही ढेर हो जाता था।
निर्मला की सांसो की गति गति तीव्र गति से चल रही थी बड़ा ही मोहक और मादक नजारा कमरे का बना हुआ था शुभम बिस्तर पर पीठ के बल एकदम चित लेटा हुआ था, उसका लंड नींद में होने के बावजूद भी पूरी तरह से छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था।
निर्मला के बदन में हलचल सी मची हुई थी उसकी बुर उत्तेजना के मारे पानी पानी हुए जा रही थी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी। निर्मला की बुर में चीटियां रेंगने लगी थी एक ही दिन में यह दूसरी बार था जब उसका मन चुदवाने को व्याकुल हुए जा रहा था। निर्मला की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चल रही थी।
रिश्तो के बीच की मर्यादा की डोरी को उसने रात को ही कार के अंदर तोड़ चुकी थी, मान मर्यादा संस्कार सब कुछ पीछे छुट़ चुका था। शुभम के कुंवारेपन को खुद उसकी मां ही तोड़ चुकी थी।
इस बात पर गौर करके निर्मला के चेहरे पर खुशी की चमक आ गई वह काफी देर से उस कुर्सी पर बैठी रही, उसे नहा कर खाना बनाना था तभी उसे ध्यान आया कि शुभम भी शायद अपने कमरे में अभी तक सो ही रहा है। इसलिए वह उठकर शुभम के कमरे में जाकर उसे जगाने की सोची और वह शुभम के कमरे तक पहुंच भी गई, कमरे का दरवाजा खुला हुआ था इसलिए वह दरवाजे पर बिना दस्तक दिए कमरे में प्रवेश कर गई
कमरे में प्रवेश करते ही जैसे ही उसकी नजर बिस्तर पर पड़ी तो वह बिस्तर का नजारा देख कर एकदम से उत्तेजित हो गई,, शुभम एकदम गहरी नींद में था उसका पजामा जांघो तक सरका हुआ था और उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा था जिसे उसने नींद में भी अपने हाथों से पकड़ा हुआ था।
खड़े लंड को देख कर एक बार फिर से निर्मला की बुर में सुरसुराहट होने लगी, एक बार फिर से उसकी जवानी हिलोरे मारने लगी, रात को अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में लेकर उसकी प्यास बुझने की बजाए और ज्यादा बढ़ गई थी।
निर्मला अपने बेटे के कमरे में खड़े-खड़े अपने बेटे के टनटनाए हुए लंड को देख कर चुदवासी हुए जा रही थी। कार के अंदर अपने बेटे से जबरदस्ती चुदाई का वह एहसास अभी भी उसके मन में ताजा था वह जानती थी कि उसके बेटे का मोटा लंड उसकी बुर में एकदम रगड़ता हुआ अंदर बाहर होता था। जिसकी रगड़ की गर्मी में उसकी बुर की अंदरूनी दीवारे पसीज पसीज कर पानी छोड़ रही थी।
अपने बेटे के लंड को देखकर उसका जोर-जोर से कमर हिलाना याद आ गया जो कि बिना रुके अपनी गति को बिना परिवर्तित कीए एक ही लय में उसकी बुर में अंदर बाहर डालते हुए उसे चोद रहा था। शुभम की जबरजस्त कमर हिलाई से ही वह समझ चुकी थी कि उसके बेटे में बहुत दम है। क्योंकि इस तरह के जबरदस्त प्रहार के साथ आज तक अशोक ने कभी भी उसकी चुदाई नही किया था,, अशोक का लंड को बुर की पूरी तरह से गहराई भी कभी नहीं नाप पाया था और शुभम हर धक्के के साथ निर्मला की बुर की गहराई में उतर जाता था। उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि सुबह इतनी जबरदस्त धक्कों के साथ उसकी चुदाई करेगा और इतनी देर तक टिका भी रहेगा वरना अशोक तो पत्ते की महल की तरह दो चार धक्को मेही ढेर हो जाता था।
निर्मला की सांसो की गति गति तीव्र गति से चल रही थी बड़ा ही मोहक और मादक नजारा कमरे का बना हुआ था शुभम बिस्तर पर पीठ के बल एकदम चित लेटा हुआ था, उसका लंड नींद में होने के बावजूद भी पूरी तरह से छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था।
निर्मला के बदन में हलचल सी मची हुई थी उसकी बुर उत्तेजना के मारे पानी पानी हुए जा रही थी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी। निर्मला की बुर में चीटियां रेंगने लगी थी एक ही दिन में यह दूसरी बार था जब उसका मन चुदवाने को व्याकुल हुए जा रहा था। निर्मला की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चल रही थी।
रिश्तो के बीच की मर्यादा की डोरी को उसने रात को ही कार के अंदर तोड़ चुकी थी, मान मर्यादा संस्कार सब कुछ पीछे छुट़ चुका था। शुभम के कुंवारेपन को खुद उसकी मां ही तोड़ चुकी थी।