एक अधूरी प्यास


दूसरी तरफ शुभम की भी प्यास बढ़ती ही जा रही थी वह रात दिन अपनी मां को अपने लंड के दर्शन कराने की फिराक में लगा रहता था लेकिन उसमे कभी भी उसे कामयाबी नहीं मिल पा रही थी। इस बात से वह एकदम परेशान हो गया था लेकिन एक दिन सुबह सुबह रविवार के दिन बिस्तर से उठते ही उसके मन में एक विचार एक युक्ति ने जन्म लिया।


बिस्तर से उठते ही उसने अपने सारे कपड़े उतार फेंके और एकदम नंगा हो गया, केवल एक टॉवल लपेटकर कमरे से बाहर आ गया और अपनी मां को इधर-उधर ढूंढने लगा। उसके पापा घर पर नहीं थे वह दो-तीन दिनों के लिए बाहर गए हुए थे।


वह अपनी मां के कमरे में भी उन्हें ढूंढने के लिए गया लेकिन उसके मन में यह आस भी बनी हुई थी कि शायद आज भी उसकी मां उसे नंगी नजर आ जाए लेकिन कमरे में भी उसकी मां नजर नहीं आई तो अब समझ गया कि उसकी मां रसोई घर में ही होगी वैसे तो छुट्टी के दिन वह देर में ही रसोई घर में जाती थी लेकिन कहीं ना पाकर उसे ऐसा लग रहा था कि वह शायद रसोईघर में नाश्ता तैयार कर रही होंगी इसलिए वह सीधे रसोई घर की तरफ गया।

और उसके सोचने के मुताबिक उसकी मां रसोई घर में ही थी जो कि एक दम रेशमी मरून रंग का गाउन पहने हुए थे जो कि उसके बदन से एकदम जगह जगह के उभार और कटाव से चिपका हुआ था जिसकी वजह से उसके बदन का पोर पोर गाउन पहने होने के बावजूद भी उभरकर नजरों को गर्मी प्रदान कर रहा था।






एक बार तो वह कुछ पल के लिए वहीं रुक कर अपनी मां के भराव दार बदन को गाउन के अंदर के उभरे हुए उभारों को देखकर उत्तेजित होने लगा उसके लंड में हल्का हल्का सा तनाव उत्पन्न होने लगा।

इस तरह के परिवेश में वह अपनी मां को पहले भी देख चुका था लेकिन पहले उसका नजरिया साफ था लेकिन अब उम्र के साथ-साथ उसकी नजरों में भी औरतों के बदन के आकर्षण को भाप लिया था इसलिए तो इस समय वह अपनी मां को इस तरह से गाऊन में खड़े हुए देखकर उत्तेजना का अनुभव कर रहा था।


उसकी मां कुछ काम कर रही थी जिसकी वजह से उसके बदन में हो रहे हलन -चलन की वजह से उसके नितंबों में थिरकन सी हो रही थी। लेकिन पहले की अपेक्षा यह थिरकन इस रेशमी गाउन में साफ-साफ महसूस हो रही थी।




जिसे देख कर शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी और उसके लंड का तानाब कुछ ज्यादा ही बढ़ता हुआ नजर आ रहा था। टॉवल का आगे वाला भाग उठता ही जा रहा था। जिसकी वजह से शुभम को मजा तो आ रहा था लेकिन डर भी लग रहा था कही उसकी मां की नजर उस पर ना पड़ जाए।
मन-मस्तिष्क मे अपनी माँ के प्रति कोई गलत भावना नही थी,
 

पिछले भाग में शुभम हैरान और दंग था। दवा लगाने वाली युक्ति इस तरह से और इतनी अद्भुत तरीके से काम कर जाएगी इस बारे में वह भी पूरी तरह से दृढ़ निश्चयी नहीं था। लेकिन सब कुछ बहुत अच्छे से पार हो गया था इसीलिए उसके चेहरे पर विजयी मुस्कान तैर रही थी। यह जीत अकेले सिर्फ शुभम का नहीं था बल्कि निर्मला का भी था बल्कि जो कह दो कि अपनी मंजिल को पाने की यह पहली सीढी थी जिसे दोनों ने बहुत बखूबी पार कर ली थी।



अब आगे


उस दिन के बाद से दोनों एक दूसरे से कतराने लगे। दोनों के मन में शर्म महसूस हो रही थी इसलिए दोनों एक दूसरे को मुंह दिखाने से शर्मा रहे थे।

निर्मला अपने बेटे को संपूर्ण निर्वस्त्र अवस्था में देखकर और वह भी उसके दमदार हथियार के साथ यह नजारा ही उसके प्यासे मन को तड़पाने के लिए काफी था। सोते जागते उठते बैठते निर्मला की आंखों के सामने उसके बेटे का गठीला बदन और उसका हथियार नजर आ रहा था, जिसके बारे में सोच कर ही दिन भर में न जाने कितनी बार उसकी पैंटी गीली हो जाती थी।

अब हाल यह था कि बैगन से भी उसकी प्यास नहीं बुझती थी। अब तो वह अपने बेटे के लंड की प्यासी हो चुकी थी। वह आगे बढ़ना चाहती थी और शुभम भी आगे बढ़ना चाहता था लेकिन दोनों शर्म की वजह से अब आगे बढ़ने से कतरा रहे थे जबकि दोनों के बदन में आग बराबर की लगी हुई थी।

शुभम तो अपनी मां को अपने ही हाथों से अपनी बुर को मसलते हुए देख कर जिस तरह से वो गरम सिसकारी ले रही थी उस पल को याद करके वह ना जाने कितनी बार मुट्ठ मार चुका था।

एक बात की कसक उसके मन में भी रह गई थी की अपनी मां को अपने हाथों से अपनी रसीली बुर मसलती हुए देखा जरूर था लेकिन उसने इतना कुछ होने के बावजूद भी अपनी मां की नंगी बुर के दर्शन नहीं कर पाए थे।

उस दिन भी निर्मला अपने बेटे के सामने अपनी बुर मसाले जरूर रही थी लेकिन पैंटी में हाथ डालकर इस वजह से शुभम को अपनी मां की रसीली बुर के दर्शन करना दुर्लभ हो चुका था।

उसने अपनी मां के बदन के लगभग हर अंग को देख चुका था लेकिन अभी तक उस द्वार को नहीं देख पाया था जिस द्वार मे से गुजरने का हर एक मर्द का सपना होता है।

शुभम अभी तक उसी द्वार के भूगोल और आकार से बिल्कुल अंजान और अज्ञान था इसलिए तो उसकी तड़प और ज्यादा बढ़ जाती थी।


खैर जैसे तैसे दिन गुजरने लगे दोनों अपनी प्यासी नजरों को हमेशा एक दूसरे के अंगों को देखने के लिए इधर उधर ताड़ में ही रखते थे। लेकिन अब दोनों को कुछ खास सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही थी। दोनों अंदर ही अंदर एक दूसरे से डरे हुए थे।

धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य होने लगा दोनों एक दूसरे से बातें भी करने लगे लेकिन उस दिन वाली बात को याद करके दोनों के चेहरे पर शर्म के भाव साफ नजर आ जाते थे।


हालांकि उस पल को याद करके आज निर्मला के मन में जरा भी ग्लानि महसूस नहीं होती थी बल्कि उस पल को याद करके उसके मन में तन-बदन में एक रोमांच सा फैल जाता था।
1अपनी वासना के कारण मुझे अम्मी का स्वभाव भी अपनी तरह लग रहा था,शायद मैं गलत
 
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पिछले भाग में निर्मला और शुभम पार्टी जाते समय निर्मला को पेशाब लग जाती है जिसे शुभम उसको अपनी साड़ी उठाकर पेशाब करते देखता रहता है लेकिन पेशाब करने के बाद वह ज्यादा देर तक इस तरह से नहीं खड़ी रह सकती थी इसलिए वह खिड़की पर से हटी लेकिन अभी भी उसकी सारी कमर तक ही चढ़ी हुई थी और पेंटी जांघों तक सरकी हुई थी


और वह भी अपने बेटे की तरह ही मैं तो सारी को नीचे की और ना ही पैंटी को कहीं नहीं बस वैसे ही सीट पर बैठ गई और जल्दी-जल्दी कार के सीसे को चढ़ाने लगे क्योंकि बाहर तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी जिसकी वजह से पानी की बौछार से उसकी सारी और उसका ब्लाउज भीग चुका था। मैं सीट पर बैठ कर अपनी साड़ी को झाड़कर सुखाने की नाकाम कोशिश करने लगी।


लेकिन अपनी साड़ी को उतारने का इससे अच्छा मौका ना मिलेगा यह ख्याल उसके मन में आते हैं उसका मन मोर की तरह नाचने लगा,,,, लेकिन शुभम का ध्यान केवल उसकी रसीली बुर पर ही टिका हुआ था यह देख कर निर्मला उससे बोली।


ले ओर नजर भर कर इसे ठीक से देख ले ( इतना कहने के साथ ही वह अपनी जांघ को थोड़ा सा फैला दी,,, शुभम का तो गला सूखने लगा अब तक औरत कि तूने इसी अंग को नहीं देखा था ना।


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हां मम्मी मैंने तुम्हारा सब कुछ देख लिया था लेकिन इस अंग को नहीं देख पाया था (वह कांपतेे स्वर में बोला)


कैसी लगी तुझे मेरी बुर (अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखते हुए बोली)

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गजब मम्मी एकदम अद्भुत मैंने आज तक इस से खूबसूरत कोई अंग नहीं देखा मुझे यकीन नहीं हो पा रहा है कि औरत के बदन में इस तरह का भी अंग होता है।


अच्छी लगी ना तुझे


हां मम्मी बहुत अच्छी लगी,,,,


इसे छुने का दिल कर रहा है तेरा,,,,,


हां मम्मी मै ईसे छुना चाहता हूं देखना चाहता हूं कि छूने पर कैसा महसूस होता है। ( अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुरादी,,,,)


तो ले छू कर देख ले बहुत गर्म होती है।


सच मम्मी,,,


हां रे सच कह रही हूं लैं छुकर देख ले।

निर्मला का गला उत्तेजना के मारे सो रहा था उसका मन एकदम आनंदित हो चुका था,,, वासना ने उसके मन मस्तिष्क को पूरी तरह से अपने वश में कर लिया था। उस की रसीली बुर की गुलाबी फांकें अपने बेटे की उंगलियों के स्पर्श को आभास करके ही फुल पिचक रही थी।

अपनी मां का आदेश का पाकर शुभम कैसे अपने आप को रोक पाता वह तो कब से ईस पल का सपना देख रहा था। शुभम अपने कांपते हाथों को अपनी मां की जांघों के बीच बढ़ाने लगा,,,, उसका दिमाग एकदम सुंन्न हो चुका था,, उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था उसकी आंखों के सामने बस उसे अपनी मां की बुर दिखाई दे रही थी जोंकि गुलाबी फांकों के बीच बेहद खूबसूरत लग रही थी अगले ही पल उसकी उंगलिया निर्मला की चिकनी बुर को स्पर्श कर रहीे थीे जैसे ही शुभम ने अपनी उंगली को अपनी मां की बुर से सटाया उसके बदन में जैसे करंट दौड़ गया हो इस तरह से उसका पूरा बदन गंनगना गया। अपनी मां की बुर को स्पर्श करने के बावजूद भी उसे यकीन नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वो सपना ही देख रहा है। तभी उसकी मां बोली,,,


कैसा लगा तुझे,,,,,


बहुत ही खूबसूरत मम्मी और वाकई में तुम्हारी बुर बहुत गर्म है।

वह अपनी मां की तरफ देखे बिना ही बोला अपने बेटे का जवाब सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और धीरे-धीरे करके अपने ब्लाउज के बाकी बचे बटन को भी खोल दी,,, सुभम जब नजर उठा कर अपनी मां की तरफ देखा तो निर्मला बोली


पानी की बौछार की वजह से मेरे कपड़े गीले हो गए हैं इसलिए इसे उतारना पड़ेगा

शुभम तो और ज्यादा खुश हो गया क्योंकि उसे देखने लगा कि जैसे कि उसकी मां उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी हो जाएगी आज सच में पार्टी की ही रात है। शुभम तू धीरे धीरे करके अपनी मां की बुर पर पूरी हथेली काही स्पर्श करने लगा,,, रह-रहकर निर्मला अपनी बेटे की हथेली का स्पर्श अपनी बुर पर करके एकदम से उत्तेजना के मारे सिहरं ऊठ रही थी और उसके मुंह से गरम सिसकारी निकल जा रही थी।

अगले ही पल निर्मला अपने ब्लाऊज के साथ साथ अपनी ब्रा को भी उतार दी जैसे ही उसने अपनी ब्रा को अपने बदन से अलग की वैसे ही ऊसकी बड़ी बड़ी चूचीया सीना ताने शुभम के सीने में चुभने लगी,,,,

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शुभम यह देखकर एकदम हैरान हो गया,,, उत्तेजना की मारे उसने अपनी हथेली में अपनी मां की बुर को भरकर दबोच लिया जिससे निर्मला की हल्की सी चीख निकल गई,,

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आहहहहहह,,,, क्या कर रहा है रे,,,, लगता है तुझे मेरी बुर कुछ ज्यादा ही पसंद आ गई है तभी तो देखना तेरा लंड कैसा खड़ा हो गया है। तुझे पता है अगर तेरी जगह और मेरी जगह कोई प्रेमी प्रेमिका होती तो ना जाने उसके प्रेमी में कब से इस खड़े लंड को अपनी प्रेमिका की बुर में डाल कर चोद दिया होता,,,,,

यह बात अपनी मां के मुंह से सुनकर शुभम एकदम दंग रह गया वह समझ गया कि उसकी मां एकदम चुदवासी हो गई है और चुदवाना चाहती है। वह नादान बनते हुए बोला।


सच मम्मीं क्या ऐसा ही होता है?


हां बिल्कुल ऐसा ही होता है तो शायद नहीं जानता क्योंकि तूने अभी तक ना तो चुदाई देखा है और ना ही किसी को चोदा है इसलिए तुझे समझ में नहीं आ रहा पता है यह लंड क्यों खड़ा होता है,,


क्यों खड़ा होता है मम्मी ( वह अपनी हथेली को अपनी मां की बुर से रगड़ते हुए बोला)


बेवकूफ इस में जाने के लिए ( वह उंगली के इशारे से शुभम को अपनी बुर दिखाते हुए बोली।)


क्या मम्मी कहीं इस छोटे से छेद में इतना मोटा और लंबा लंड घुस पाएगा,,,, ( शुभम जानबूझकर नादान बनते हुए बोला)


अरे पागल एक छोटे से छेद में तो गधे का लंड घुस जाए,,,, (सुभम अपनी मां के मुंह से ऐसी बात सुनकर एकदम से हैरान हो गया।)


तुझे लगता है मेरी बात पर विश्वास नहीं होता अरे इसी में तो मर्द अपने लंड को डाल कर लंड को अंदर बाहर करते हुए चोदता है और इसी को चुदाई कहते हैं।

तेरा दोस्त जो कि अपनी भाभी को चोदने की बात तुझे बताया था और तेरा वह दोस्त जो अपनी मां को भी चोद़ चुका था वह लोग इसी तरह से अपनी मां और भाभी की बुर में लंड डालकर चोदेे होंगे,,,, और तू केवल चुदाई शब्द ही सुनकर इतना प्रसन्न हो जाता है और अभी तो तुझे चुदाई के बारे में कुछ भी पता ही नहीं है अच्छा यह बताओ तेरे दोस्तों की बात सुनकर तेरा मन भी तो औरत को चोदने को करता होगा।


( शुभम मुंह से तो कुछ नहीं बोला बस हां में सिर हिला दिया,, यह देखकर निर्मला मुस्कुरा दी और बोली।)

लेकिन कैसे,,, तुझे तो चोदना ही नहीं आता है अरे तुझे तो यह भी नहीं पता कि लंड कौन से अंग में डालकर चोदते हैं।

और मेरी बात पर विश्वास ही नहीं कर रहा कि इस बुर में ( ऊंगली से बुर की तरफ इशारा करते हुए )तेरा इतना मोटा लंबा तगड़ा लंड भी चला जाएगा,,,,,
(इतना कहते हुए उसने झट से अपने बेटे के लंड को पकड़ ली



 
😈😈😈ENDLESS 😈😈😈
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तभी अशोक भी जोगिंग करके वापस आ गया । घर में घुसते ही वह निर्मला पर नजर डाले बिना ही बाथरूम की तरफ चला गया। इसी तरह से अशोक का निर्मला को नजर अंदाज करना कांटे की तरह चुभता था।


अशोक की इस तरह की हरकत को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती थी लेकिन कर भी कुछ नहीं सकती थी इसलिए वह मन में दर्द की वेदना लिए अंदर ही अंदर घुटती रहती थी।


थोड़ी देर बाद वह नाश्ता तैयार करके, नाश्ते को टेबल पर लगाकर अशोक का इंतजार कर रही थी, निर्मला शुरू से ही अशोक के खाने के बाद ही या उसके साथ ही नाश्ता या भोजन करती थी लेकिन इस बात की अशोक को बिल्कुल भी परवाह नहीं होती थी।


रोज की ही तरह वह तैयार होकर के आया और कुर्सी पर बैठकर निर्मला से बिना कुछ बोले ही नाश्ता करने लगा। ब्रेड पर मक्खन लगाकर वह खाते समय तिरछी नजर से निर्मला पर जरूर नजरें फेर ले रहा था लेकिन बोल कुछ भी नहीं रहा था।


निर्मला अशोक के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ में दो शब्द सुनने को तरस गई थी।
Tagda update bro
 
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निर्मला ने अपने बेटे के लंड को पकड़ लिया, उसका मन एकदम से मचलने लगा उसके तन-बदन के अंदर फड़फड़ा रहा कबूतर बाहर आने के लिए तड़पने लगा, उसके पास एक बहुत ही सुनहरा मौका था इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी। अपने बेटे के लंड को पकड़कर उस की चुदवाने की प्यास और ज्यादा बढ़ गई थी।

उसकी नजर घड़ी पर गई तो तकरीबन पौने 4:00 का समय हो रहा था बारिश का जोर भी धीरे-धीरे कम हो रहा था, शुभम के लंड को मुंह में लेकर चूसना चाहती थी जबकि उसने आज तक अपने मन से अपने पति का लंड अपने मुंह में नही ली थी,,, वह अपने बेटे से अपनी बुर चटवाना चाहती थी।

अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को उसके हाथों में सौंप कर उसे जोर जोर से मसलवाना चाहती थी और अपनी चूची को उसके मुंह में देकर उसे से चुसवाना चाहती थी, लेकिन समय और बारिश का जोर कम होता देखकर वह अपने मन की बात को मन में ही दबा दूं क्योंकि यह सब के लिए ज्यादा समय नहीं बचा था, लेकिन इस समय वह अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में डलवा कर एक नए रिश्ते का उद्घाटन करना चाहती थी।

क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की अगर आज इसका बेटा अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर चोद दिया तो वह पूरी तरह से उस का दीवाना हो जाएगा, वह भी आजकी प्यासी रात को अपने बेटे के लंड से चुद कर तृप्त हो जाएगी और अगर आज चुदाई का कार्यक्रम संतुष्टी जनक से संपूर्ण हो गया तो यह चुसना चटवाना तो हमेशा होता रहेगा।

लेकिन जिस तरह से बातों ही बातों में समय बीतता जा रहा हूं अगर ऐसे ही बातें ही करते रहे तो हाथ में आया यह सुनहरा मौका निकल जाएगा और ना जाने भविष्य में ऐसा पल आएे ना आए,, इसलिए वह अपने आप को पूरी तरह से अपने बेटे के लंड को अपनी बुर में डलवाने के लिए तैयार कर ली और इसलिए वह अपने बेटे के लंड को आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाने लगी

समय रेती की तरह उसके हाथ से सरकता जा रहा था,,, बारिश का दौर एकदम कम हो चुका था और ऐसा लग रहा था कि कभी भी बारिश बंद हो सकती है। अब किसी भी बात को पूछने पुछाने का उसके पास समय नही था।


शुभम भी बड़ी आतुरता के साथ अपनी मम्मी के अगले कदम का इंतजार कर रहा था। शुभम को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी जब ऊसकी मां ऊसके लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे पीछे कर रही थी।

लंड का मोटा सुपाड़ा निर्मला की बुर में खलबली मचाए हुआ था। धीरे से निर्मला अपने लिए जगह बनाने लगी स्टेरिंग सीट से थोड़ा सा बगल में सरक कर आ गई। वह सीट के बीचो-बीच बैठ गई और अपनी गांड को उचका कर थोड़ा सा सीट के एकदम किनारे पर रख दी,,,

शुभम अपनी मां को देख रहा था लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उत्तेजना के मारे निर्मला की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी। शुभम का लंड अभी उसके हाथ में था।

निर्मला कसमसाते हुए अपनी गांड को थोड़ा सा इधर उधर की,, ऊसकी पेंटी,अभी भी उसके घुटनो में अटकी हुई थी, जिसकी वजह से निर्मला ठीक से पोजीशन नहीं बना पा रही थी इसलिए वह शुभम के लंड को छोड़कर अपने पंटि को अपनी टांगो से उतार फेंकी। अब वह कमर के नीचे से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी चुचिया तो वह पहले से ही दिखा रही थी ।

यह सब देखकर शुभम से रहा नहीं गया वह एकदम कामोत्तेजित हो चुका था लेकिन फिर भी जब वह अपनी मां को अपनी पैंटी निकालते हुए देखा तो वह बोला।


यह क्या कर रही हो मम्मी


अब कुछ भी बताने का समय नहीं है,,,( इतना कहते हुए उसने अपनी टांगो को फैला ली इससे उसकी रसीली बुर एकदम साफ साफ शुभम को नजर आ रही थी इतना खूबसूरत नजारा उसने कभी नहीं देखा था इसलिए उसने और कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझा वह अपनी मां को टांगे फैलाए सीट पर बैठे हुए देखकर उत्तेजित हो ही रहा था कि तभी उसकी मां ने फिर से शुभम का लंड पकड़ ली और इस बार वह लंड को आगे की तरफ खींच कर उसके सुपाड़े को अपनी बुर के बिल्कुल करीब ले आई,,,

यह देखकर शुभम की सांसे तीव्र गति से चलने लगी। निर्मला की भी हालत इस समय काफी खराब हो रही थी। वह अपने बेटे के लंड के सितारे को अपनी बुर के बिल्कुल करीब एकदम करीब ला कर रुक गई थी,,,, उसके मन में उत्तेजना के साथ-साथ उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी जवान लंड की रगड़ वह भी मोटे और लंबे तगड़े की बुर की अंदर की दीवारों पर कैसा कहर ढाती है इसे महसूस करने की उत्सुकता निर्मला के अंदर बढ़ती जा रही थी।

शुभम समझ गया था कि अब उसका सपना पूरा होने वाला है।शुभम कुछ और सोच पाता इससे पहले ही निर्मला ने लंड के सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटा दी।

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जैसे ही निर्मला ने अपने बेटे के लंड के सुपाड़े को,,,अपनी बुर की गुलाबी पत्तियो के बीच सटाई वेसे ही ऊसके पुरे बदन मे हलचल सी मच गई ऊत्तेजना के मारे ऊसकी बुर फुलने पिचकने लगी। उसे इस बात का एहसास हो गया कि आज उसकी बुर में एकदम सही लंड जाने वाला है। शुभम की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एक नजर शुभम की तरफ घूमाई और बोली।


अब देख,,,, तू बोलता था ना कि ईतनी छोटी सी बुर में इतना मोटा लंबा लंड कैसे जाएगा देख मे तुझे बताती हूं कि कैसे जाएगा। ( इतना कहते हुए निर्मला ने एकदम ठीक से लंड के सुपाड़े को अपनी बुर के बीचो-बीच टीका दी,,, और बोली)


देख अब कैसे जाता है तू अपनी कमर को आगे की तरफ ठैल,,, अपने लंड को थोड़ा सा धक्का देकर मेरी बुर में डालने की कोशिश कर


अपनी मां की बात सुनकर तो शुभम पसीने से तरबतर हो गया उस की पराकाष्ठा की कोई सीमा नहीं थी, उसके मन में एक उमंग सी जग़ गई थी,,, चुदाई क्या होती है कैसे होती है आज यह उसकी मा सिखाने वाली थी वह भी अपनी मां की बात को मानते हुए,, अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलना शुरू किया,,,,

निर्मला की बुर उत्तेजना के मारे काफी समय से पानी छोड़ रही थी इसलिए उसकी बुर की दीवारें पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जिससे शुभम के लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर सरकने लगा।

इतने से ही निर्मला को आभास हो गया कि उसके बेटे का लंड काफी मोटा है। जैसे-जैसे शुभम अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ा रहा था वैसे वैसे लंड का सुपाड़ा निर्मला की बुर की दीवारों को फैलीता हुआ अंदर की तरफ सरक रहा था और निर्मला को हल्के हल्के दर्द का अनुभव होने लगा।

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जैसे-जैसे निर्मला की बुर का मुख्य खुल रहा था वैसे वैसे दर्द के मारे निर्मला का भी मुंह खुलता चला जा रहा था। शुभम की तो हालत खराब हुए जा रहीे थीे, उसे इस बात का आभास बिल्कुल भी नहीं था कि बुर की अंदरूनी दीवारें बहुत ही ज्यादा गर्म होती है उसे ऐसा महसुस होने लगा कि उसका लंड गर्मी सें कही पिघल न जाए।

शुभम की हालत खराब हो जा रही थी मुझसे अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था तो उसके दिमाग पर उत्तेजना पूरी तरह से हावी हो चुकी थी इसी उत्तेजना के चलते वह जोर से अपनी कमर को झटका दिया और इस बार उसका लंड आधे से ज्यादा निर्मला की बुर में समा गया

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लेकिन इस धक्के ने निर्मला की चीख निकाल दिया निर्मला इस धक्के के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी,,, वह तो अच्छा हुआ कि वह लोग एकांत जगह पर थे इसलिए उसकी चीख दूसरा कोई नहीं सुन पाया,, शुभम अपनी मां की चीख को सुनकर रुक गया और बोला।

क्या हुआ मम्मी ऐसे क्यों चिल्लाई,,


कुछ नही बेटा तेरा दम देख कर मेरी चीख निकल गई तू फिक्र मत कर देख कैसे तेरा आधे से भी ज्यादा लंड मेरी बुर में समा गया है अब धीरे धीरे करके पूरा डाल दे।

शुभम अभी संभोग के दौरान औरत के मुंह से निकलने वाली चीख से बिल्कुल भी अनजान था उसे इस बात का चेहरा भी ज्ञान नहीं था कि ऐसी चीजें संभोग के दौरान औरत को और भी ज्यादा मस्त कर देती है। शुभम सीख वाली बात पर बिलकुल भी ध्यान ना देते हुए अब फिर से आगे जुट चुका था। पनियाई बुर की वजह से धीरे-धीरे करके शुभम का मंडी आगे बढ़ रहा था और निर्मला को बेहद दर्द की अनुभूति भी होने लगी थी।

अपने पति के लंड को जब भी बुर में लेती थी तो कभी भी उसे दर्द की अनुभूति नहीं हुई। वह नजरे नीचे झुका कर अपने बेटे के मोटे लंड को अपनी रसीली बुर के अंदर घुसता हुआ देख रही थी। उसकी सांसे बड़ी तेज चल रही थी और तेज चलती सांसो के साथ साथ उसकी नंगी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी जो की शुभम के जोश को और ज्यादा बढ़ा रही थी।

आखिरकार धीरे धीरे करके शुभम ने अपने समुचे लंड को अपनी मां की बुर में डाल ही दिया,, जैसे ही शुभम का पूरा लंड निर्मला की बुर में कहीं खो सा गया हो ऐसा लगने लगा तब निर्मला एकदम प्रसन्न होती हुई शुभम से बोली

देख बेटा अपनी आंखो से देख ले मैं सच कह रही थी या झूठ,,,,,


तुम बिल्कुल सच कह रही हो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा

( शुभम कांपते स्वर में बोला। उसका पूरा लंड अपनी मां की बुर में डालकर वह अपनी मां की आंखों में देख रहा था। और अपनी मां की आंखों में देखता हुआ बोला।


अब क्या करूं मम्मी ( शुभम बड़े ही भोले पन से बोला।)



बस अब तू अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए लंड को अंदर बाहर कर के मुझे चोद,,, इसको ही चुदाई कहते हैं।

निर्मला बड़े ही उत्तेजनात्मक स्वर मे बोली,,, बस फिर क्या था शुभम शुरू बन गया वह अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाने लगा,,,, उसके अंदर पूरी तरह से जोश बढ़ चुका था निर्मला को शुभम से इतनी तेज झटकों की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी।

वह तो सोच रही थी कि शुभम बड़े आराम से धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए ऊसे चोदेगा लेकीन ऊसकी गिनती बिल्कुल ऊलटी पड़ गई थी। शुभम बड़ी तेजी उसे चोद रहा थ । उसकी चुदाई देखकर ऊसका पुरा वजुद हील गया था। ऊसे यकीन नही हो रहा था की शुभम उसको चोद रहा है।

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क्योंकी शुभम अभी बिल्कुल नादान था। लेकिन वह इस समय पुरी तरह से ऊत्तेजित हो चुका था। इसलिए ऊसके रुकने का तो सवाल ही नही ऊठता था। वैसे भी निर्मला अब उसे रोकने के लिए और धीरे-धीरे करने के लिए बोल ही नहीं सकती थी क्योंकि जिस रफ्तार से वह अपने लंड को बुर में अंदर बाहर कर रहा था उसे बहुत ही ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी।

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फच्च फच्च करते हुए शुभम का लंड निर्मला की बुर में अंदर बाहर हो रहा था। शुभम की रफ्तार बिल्कुल भी कम नहीं हो रही थी वह लगातार अपनी मां की बुर में लंड अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा था। थोड़ी ही देर में पूरी कार निर्मला की गरम सिसकारियों से गूंजने लगी।


सससससहहहहहह,, आहहहहहह,,,,, शुभम क्या मस्त चोद रहा है तू और चोद,,,,आहहहह,,, आहहहहहह

निर्मला की गरम सिसकारियां सुनकर सुभम का जोश और ज्यादा बढ़ने लगा और वह जोर जोर से धक्के लगाते हुए अपनी मां को चोदने लगा,,,,,

निर्मला की हालत खराब होने लगी थी काफी देर से शुभम एक ही लय मे अपनी मां को चोदे जा रहा था। निर्मला हैरान थी की अभी तक शुभम का पानी नहीं निकला था,,,, शुभम की बुर में धक्के पर धक्का पड़ रहे थे उसको जब धक्का बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह थोड़ा सा पीछे की तरफ झुक गई।

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हर धक्के के साथ निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियां ऊछल जा रही थी। इसलिए निर्मला खुद ही अपने बेटे के दोनों हांथ को पकड़ कर अपनी अपनी बड़ी बड़ी चुचीयाे पर रखकर ऊसे जोर जोर से दबाने के लिए बोली ।

शुभम तो दोनों खरबूजे को दोनों हाथ से पकड़ कर जोर जोर से दबाते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। निर्मला और शुभम दोनों को बहुत मजा आ रहा था उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसे एकांत में तूफानी बारिश में वो लोग इस तरह की पार्टी मनाएंगे।

तकरीबन चालीस 45 मिनट तक शुभम अपनी मां की बुर को रौंदता रहा। और उसके बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,, जब सुभम झड़ने वाला था तो निर्मला को इस का आभास हो गया और उसने कसके अपने बेटे की कमर को पकड़ कर अपनी बुर में दबाए रखी ताकि वह ऊसकी बुर में हि झड़े। तूफान एकदम से शांत हो गया था कार के अंदर वासना का और कार के बाहर बारीश का।


निर्मला ने घड़ी देखी तो 5:00 बज रहा था सुबह हो चुकी थी बारिश भी एक दम से थक चुकी थी अब दूर दूर तक गाड़ियों की हेडलाइट नजर आ रही थी अब यहां पर रुकना ठीक नहीं था इसलिए निर्मला ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन कर एकदम से तैयार हो गई और गाड़ी को वापस हाईवे पर लाकर घर की तरफ बढ़ा दी।


 
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निर्मला बारिश के बंद होते ही तुरंत अपनी गाड़ी हाइवे पर लाकर अपने घर की तरफ बढ़ा दी रास्ते भर दोनों एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे। निर्मला को इस बात का पछतावा बिल्कुल भी नहीं था कि उसने अपने बेटे के ही साथ संभोग सुख का आनंद ले ली है । बल्कि वह अपने बेटे से शर्म के मारे नजरें नहीं मिला पा रही थी। शुभम मन-ही-मन अति प्रसन्न हो रहा था आज उसके मन की बात सच हो गई थी।

आज जो कुछ भी होगा उसके लिए शायद दोनों ही पूरी तरह से तैयार नहीं थे वह तो पार्टी के लिए निकले थे लेकिन हालात ने उन्हें उस एकांत जगह पर रुकने को मजबूर कर दिया था।

तूफानी बारिश एकदम थक चुकी थी मौसम धीरे धीरे साफ होने लगा था दूर सूरज की लालिमा हल्के हल्के धरती से जैसे बाहर आ रही हो,,,, निर्मला आराम से गाड़ी चलाते हुए,,, यह सोच रही थी कि अब शीतल उससे ना आने का कारण पूछेगी तो वह क्या बताएगी तभी वह अपने ही सवाल का जवाब मन में ढूंढते हुए मन में ही बोली थी वह भी तो जान ही रही होगी कि तूफानी बारिश किस तरह से पूरे शहर को अपने कब्जे में ले ली थी हाईवे तक सुनसान सा हो चुका था ऐसे में भला कैसे उसके घर पहुंच पाते,,,,, वह मन ही मन शीतल के सवाल का जवाब ढूंढ ली थी।


थोड़ी ही देर में निर्मला की गाड़ी घर के गैराज में प्रवेश की और उसमें से शुभम उतर कर बिना कुछ बोले अपने कमरे की तरफ चला गया निर्मला भी धीरे धीरे कुछ सोचते हुए अपने घर में प्रवेश की तो सामने से ही अशोक तैयार होकर सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ नजर आया उसे देखते ही निर्मला बोली,,,


अरे आप तैयार हो गए रूको भी नाश्ता बना देतीे हुं।


नहीं कोई जरुरत नहीं है मैं ऑफिस में कर लूंगा मुझे देर हो रही है।


लेकिन आप आज बहुत जल्दी जा रहे हैं,,,

निर्मला के इतने कहने के साथ ही अशोक आगे बढ़ गया और जाते-जाते बोला।


मुझे आज ऑफिस में जरुरी काम है इसलिए जल्दी जाना है। और इतना कहने के साथ यह वह घर से बाहर चला गया।

निर्मला उसे घर के बाहर जाते हुए देखती रही। निर्मला उसे गुस्से की नज़र से देखने लगी और मन ही मन उसे कोसते हुए बोली अगर तू मुझ पर ध्यान दिया होता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता।


इतना कहने के साथ ही वहां पास में पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और रात की घटना के बारे में सोचने लगी उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसने कुछ ऐसा कदम उठा ली है जो कि उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख सकती है।

एक मन उसका कह रहा था कि निर्मला तूने जो कि वह बिल्कुल गलत है,,, तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था तूने मां बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को तार तार कर दी है तूने वह शर्मनाक काम कर दी है जिसके बारे में सोचना भी पाप है। यह ख्याल मन में आते ही निर्मला का मन ग्लानी से भर जा रहा था उसे सच में लगने लगा कि उसने जो की है वह सच में बेहद गलत है उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था

लेकिन तभी उसका दूसरा मन कहता कि तूने जो की है उसमें कोई गलती नहीं है जो कुछ हुआ वह हालात की वजह से हुआ इस तरह से एकांत में बरसती बारिश में उन दोनों की जगह कोई भी होता तो उनके साथ भी यही होता आखिरकार निर्मला सबसे पहले एक औरत है जो कि बरसों से अपने पति के प्यार के लिए तरस रही थी जिसने अभी तक अपने पति से संभोग सुख का पूरा आनंद भी नहीं लेता इतने वर्षों से ऊषकी बुर प्यासी थी, जो कि एक मोटा और तगड़ा लंड के लिए तड़प रही थी और ऐसा दमदार लंड उसके बेटे के पास था जिसे वह अपने हाथों में लेकर बारीकी से उस का निरीक्षण कर चुकी थी।

शुभम भी जवान हो रहा गठीले बदन का मर्द था। जिसके अंदर जवानी का जोश हिलोरे मार रहा था। जिसकी नजरे मदमस्त बदन वाली औरतों के अंगो ऊपांगो पर घूमने लगी थी ऊन्हें देख कर उसके लंड में भी तनाव आना शुरू हो गया था और तो और वह खुद ही अपनी मां की खूबसूरत बदन से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था।

ऐसे में उस की उत्सुकता औरतों को और भी अच्छे से जानने की बढ़ती ही जा रही थी और जिस हालात में वह रात भर तूफानी बारिश में रुका था। कार के अंदर अपनी खूबसूरत और सेक्सी बदन वाली निर्मला को वह सिर्फ औरत की ही नजर से देख रहा था। ऐसे में बरसों से प्यासी एक पत्नी अपने पति से जरा भी प्यार ना पाने की वजह से एक प्यासी औरत बन चुकी थी जो किसी भी तरह से अपनी प्यास बुझाना चाहती थी और दूसरी तरफ जवान हो रहा लड़का, जो औरतों के बदन से आ रही मादक खुशबू को अपने सीने में उतारना चाहता था। ऐसे में दोनों के बीच मां बेटे के रिश्ते की जगह केवल औरत और मर्द का यह रिश्ता रह गया था इसलिए दोनों सब कुछ भूल कर एक दूसरे में समाते हुए सारे रिश्ते नातों को तोड़कर संभोग सुख की असीम आनंद कीें गाथा को लिखने में जुड़ गए।

उस पल को याद करके निर्मला की बुर फिर से पानी पानी हुए जा रही थी। सारी रात जागने की वजह से वह थक चुकी थी उसे अपने बदन में थकान सी महसूस हो रही थी और जिस आनंद को पाने के लिए वह बरसों से तरस रही थी उसके लिए तो जगना भी जरूरी था बिना कर्म किए बिना मेहनत किए कभी भी फल नहीं मिलता और निर्मला तो बरसों से प्यासी थी अपनी प्यास बुझाने के लिए अगर उसने महीनों जागना भी पड़ता तो भी उसके लिए वह तैयार थी।

निर्मला कुर्सी पर बैठकर यही सब याद करते करते कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला।
 
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निर्मला कुर्सी पर बैठकर अपने बेटे के साथ जो हुआ उसको याद करते करते कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला।

यही हाल शुभम का भी था उसे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि रात को कार में उसने अपनी मां को चोदा है। और यकीन भी कैसे करता यह तो उसके लिए एक सपना ही था अपनी मां के खूबसूरत बदन को देख देखकर उसके कल्पनाओं का घोड़ा ना जाने कितनी तीव्र गति से कहां-कहां दौड़ आया था।

निर्मला की बड़ी बड़ी चूचियां उसके बड़े बड़े नितंब को याद करके ना जाने कितनी बार उसने अपने लंड को अपने ही हाथों से शांत किया था। शुभम को वह पल बराबर उसके जेहन में बस गया था जब उसने अपनी मां की रसीली बुर को पहली बार कार के अंदर देखा, वह अभी तक उस अंग के बारे में केवल कल्पना ही करता आया था।

उसे अपनी नजरों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसने अपनी आंखों से अपनी मां की नंगी बुर को देखा है। उसकी बनावट उसके आकार को देखकर आश्चर्यचकित रह गया। वैसे भी उसकी मां की बुर इस उम्र में भी बेहद तारीख थी जिसकी वजह से उसकी गुलाब की पत्तियां बस हल्की हल्की ही नजर आ रही थी और नजर आ रही थी बस केवल एक हल्की सी पतली लकीर जिसमें लाखों खुशबूदार फूलों के रस को निचोड़कर सारा रस भरा हुआ था।

शुभम अपनी मां की जांघों के बीच जब पतली सी दरार को देखा तो उसके बदन में हलचल सी मच गई। उसे कोई भी सुराग नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह और भी ज्यादा दंग इस बात से था कि आखिरकार बुर में लंड जाता कैसे हैं और क्या इतनी सी छोटी सी बुर में मोटा लंबा लंड घुस जाता है। यह सब बातें उस समय उसे बेहद परेशान किए हुए थी। ऊस पल की उत्तेजना उसके बदन में झनझनाहट की तीव्रता को और भी ज्यादा बढ़ा दी थी। जब शुभम ने अपनी अंगुलियों से अपनी मां की दहकती हुई बुर को स्पर्श किया तो उस समय उसका पूरा वजूद किसी सूखे पत्ते की तरह फड़फड़ासा गया। उसे निर्मला की गुलाबी बुर का स्पर्श किसी बिजली के तार में दौड़ते करंट से कम नहीं लगा था।

शुभम अपने बिस्तर पर लेटे लेटे यही सब सोच रहा था और यह सब सोचते हुए उसका हाथ खुद-ब-खुद पजामे में चला गया, उसका लंड एक बार फिर से पूरी तरह से तैयार होकर खड़ा हो गया था। जिसे वह हल्के हल्के सहलाते हुए आनंद की अनुभूति कर रहा था। उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि बाहर से एकदम शांत दिखने वाली बुर अपने अंदर ना जाने कितने महासागर को समेटे हुए हैं। आंखों को ठंडक प्रदान करने वाली रसीलपुर अपने अंदर ना जाने कितनी गर्मी भरे हुए हैं क्योंकि वह जब अपने लंड को अपनी मां की बुर के अंदर उतारा था तो उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि बुर के अंदर की गर्मी किसी तपती हुई भट्टी के समान होगी, उसे एक पल तो ऐसा लगा कि जैसे उसका लंड निर्मला की बुर के अंदर की गर्मी में पिघल जाएगा लेकिन ना जाने वह कैसे संभाल गया उसे खुद भी नहीं पता चला।

उसे इतना तो उसके दोस्तों के द्वारा पता ही चल गया था कि चुदाई करने में बहुत मजा आता है लेकिन इतना ज्यादा मजा आता है उसे इस बात का पता निर्मला की चुदाई करने के बाद ही हुआ। अपनी मां की चुदाई करने के बाद उसके मन में किसी भी प्रकार की ग्लानी नहीं थी। बल्की वह तोें इस नए रिश्ते से बेहद खुश था। लेकिन उसके मन में अभी भी है सवाल बना हुआ ही था कि क्या आगे भी उसकी मम्मी इसी तरह से उसके साथ संबंध कायम रखेगी या यह संबंध यहीं खत्म हो जाएगा,,,, यही सब सोचते हुए वह भी सो गया।
 
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अगली सुबह मोबाइल की घंटी बजी तो निर्मला की नींद खुली और वहां अपने पर्स में से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर देखी तो शीतल का ही नंबर झलक रहा था। वह समझ गई कि कल रात के बारे में ही शीतल उसे फोन कर रही है।

निर्मला को खुद अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि ले देकर शीतल ही उसकी खास सहेली थी। उसके घर ना पहुंच पाने का दुख निर्मला को भी था लेकिन हालात ही उसके सामने कुछ इस तरह से अपना हाथ रोके खड़े थे कि वह उसके घर पहुंच ही नहीं पाए शायद किस्मत को कुछ और मंजूर था। और जो मंजूर था वह हो चुका था।

अब तो निर्मला बस इसी उधेड़बुन में लगी हुई थी कि शीतल को कैसे समझाएं। यह सब सोचते हुए ही शीतल का फोन एक बार कट गया और दोबारा रिंग बजने लगी इसलिए निर्मला ने शीतल के फोन को रिसीव करके हेलो बोल रही थी कि सामने से सवालों की झड़ी बरसने लगी।


क्या हुआ निर्मला दिखा दी तुमने अपनी दोस्ती कितने प्यार से मैंने तुम्हें अपनी शादी की सालगिरह पर बुलवाई थी और तुम हो कि एक बार भी फोन करना भी मुनासिब नहीं समझी


अरे यार मेरी बात तो सुनो कि सब कुछ बोलती ही रहोगी


अब क्या सुनू मैं और सुनने सुनाने के लिए कुछ बाकी रखा ही कहां है तुमने, अरे नहीं आना था तो मुझे साफ-साफ बोलदी होती मैं पागलों की तरह तुम्हारा इंतजार तो नहीं करती


अरे बाबा मेरी बात तो सुनो,,,, मेरी सुनोगी भी या खुद ही बक बक बक बक करती रहोगी। तुम्हें इतना तो पता ही होगा कि कल रात कितनी मूसलधार बारिश पड़ी है। हम निकले ही तो थी तुम्हारे घर पर आने के लिए लेकिन बीच रास्ते में ही ऐसी तूफानी बारिश पड़ने लगी कि आगे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था एक्सीडेंट होते-होते बचा। तुम्हें तो पता ही होगा कि मैं गाड़ी कितने संभालकर चलाती हूं और ऐसी स्थिति में गाड़ी चला पाना मेरे बस की बात नहीं है।

इतनी तेज बारिश हो रही थी कि हाईवे पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा था अगर ऐसे में मैं तुम्हारे घर आने की कोशिश भी करती तो शायद एक्सीडेंट हो जाता मुझे मजबूरन गाड़ी को हाईवे से नीचे उतारकर पेड़ के नीचे खड़ी करनी पड़ी और तुम शायद नहीं जानती कि रात भर हमें वही ही रुकना पड़ा जब तक की बारिश बंद नहीं हो गई। एक तो भूखे प्यासे हम लोग रात भर वही रूके रहे और तू है कि हम लोगों को ही भला बुरा कहे जा रही है।


निर्मला की बात सुनकर शीतल को इस बात का पछतावा होने लगा कि आप बिना कुछ सोचे समझे निर्मला को बोले जा रहीे थी, तभी वह अपनी गलती मान कर बात को घुमाते हुए अपने मजाकिया अंदाज में बोली


वाह निर्मला रात भर बरसती बारिश में और वह भी कार के अंदर मुझे तो लग रहा है रात भर भाई साब ने तेरी जमकर चुदाई किए होंगे


तु फिर शुरू हो गई तेरे दिमाग में सच में गंदगी भरी हुई जब देखो तुझे एक ही बात सुझती है।


क्या करूं निर्मला डार्लिंग जब तक बदन में जवानी है मजे ले लेना चाहिए एक बार बुढ़ापा आ गया तो बस सब कुछ एक सपना सा हो जाएगा।


तो भाई साहब तो है ना जमकर मजा लिया करो उनके साथ।


अपनी किस्मत कहां ऐसी है ऊन्हे तो काम से ही फुर्सत नहीं मिलती। बस तड़प कर ओर हथेलीे से रगड़ कर ही रह जाती हुं।

शीतल की बात सुनकर निर्मला भी कुछ पल के लिए खो सी गई और मन ही मन सोचने लगी कि शीतल की तरह ही उसकी भी हालत यही थी वह भी तड़प कर रहे जाती थी, चुदाई का असली सुख क्या होता है यह तो वह भूल ही चुकी थी। निर्मला कुछ और सोच पाती इससे पहले ही फिर से शीतल बोली


अरे क्या हुआ तू खामोश क्यों हो गई अच्छा सच सच बताओ क्या भाई साहब ने रात भर तेरी ली है कि नहीं


अरे यार तू सच में पागल है क्या तेरे भाई साहब को कहा फुर्सत मिलती है मेरे साथ कहीं भी आने जाने के लिए वह तो अपने बिजनेस में ही मस्त रहते हैं।


तो फिर तू किसके साथ आ रही थी।


वो अपने बेटे शुभम के साथ आ रही थी


ओहह, जवान लड़के के साथ और वह भी तूफानी बारिश में हाईवे के किनारे एक लड़का और एक खूबसूरत औरत कार के अंदर बड़ा ही रोमांटिक मौसम,,,, वाहहह,,, मेरी जान जरूर कुछ ना कुछ हुआ होगा


धत्तत्त,,, तू सच में एकदम पागल है,, वह मेरा बेटा है। तू इतना गंदा क्यों सोचती है?


अरे पागल मैं नहीं तू है बेटा है तो क्या हुआ है तो जहान में उस की नसों में भी जवान खून दोड़ रहा होगा,, एक जवान खूबसूरत औरत को अपने करीब और वह भी ऐसी बरसती बारिश में पाकर उसका भी लंड खड़ा हो गया होगा।


शीतल,,, क्या बकवास कर रही है।


बकवास नहीं सच कह रही हूं मैंने बहुत सी इंग्लिश मूवी में देखा है की एक जवान बेटा अपनी मां की चुदाई करता है और उसकी मां भी अपने बेटे से जम कर चुदवाती है।


बस कर शीतल तू अब बहुत बोल रही है ऐसा कुछ भी नहीं है।


क्या सच में कुछ नहीं हुआ


नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ मैं इस तरह कुछ सोच भी नहीं सकती।


यार इतना अच्छा मौका तुम दोनों ने गंवा दिया तो रात भर क्या हुआ मंजीरा बजा रहे थे।


बारिश बंद होने का इंतजार कर रहे थे। ( निर्मला हंसते हुए बोली।)


धत्त तुम दोनों बेवकूफ के बेवकूफ हो,,,, अगर कहीं मैं ऐसी परिस्थिति में अपने बेटे के साथ तूफानी बारिश में कहीं फसी होती तो सच में अपने बेटे के जवान लंड से जरूर चुदी होती


क्या सच में तू ऐसा करती शीतल


तो क्या निर्मला में तेरी तरह बेवकूफ थोड़ी हूं इस उम्र में जवान लंड का स्वाद चखने को मिल जाए यही बहुत होता है और वैसे भी कहां किसी को पता चलने वाला है अब खुद का बेटा तो दूसरे को यह नहीं कहना ना वह अपनी मां को चोदता है और ना ही उसकी मां ही कहेगी की वह अपने बेटे से चुदवाती है। इसलिए सब कुछ सुरक्षित ही रहता है और इस उम्र में कहीं बाहर जाकर मुंह मारो तो बदनामी का डर भी रहता है और इतना मजा भी नहीं आता। और इस तरह से तो घर की बात घर में ही रह जाती है।

निर्मला शीतल की यह बात सुनकर हंसने लगी और हंसते हंसते कुछ सोचते हुए बोली


यार शीतल कितना अच्छा होता अगर तेरे भी एक बेटा होता, तू किसी डॉक्टर के वहां चेकअप नहीं करवाई।


करवाई थी यार मेरा तो सब कुछ नॉर्मल है खामी तो उनके मे ही


तो उनको इलाज करवाना था ना


लेकिन वह इलाज के लिए तैयार हो तो ना मर्द हैं कभी झुकना नहीं चाहते इसलिए तो आज तक बिना औलाद के ही हूं। सच कहूं तो निर्मला इसलिए मेरा मन इधर उधर भटकता रहता है किसी और से संबंध बनाने के लिए लेकिन भले ही में इतना कुछ बोल डालती हूं अंदर ही अंदर मुझे बहुत ही शर्म महसूस होती है। मेरी बातें सुनकर तू भी यही सोचती होगी कि मैं गंदी औरत हुं,,, लेकिन सच बताऊं तो मैंने आज तक कभी भी किसी गैर मर्द के साथ संबंध नहीं बनाए।

शीतल की बात सुनकर निर्मला थोड़ा उदास हो गई और उस को दिलासा देते हुए बोली


तू परेशान मत हो शीतल सब कुछ ठीक हो जाएगा


क्या खाक ठीक हो जाएगा निर्मला तू भी बस झूठा दिलासा देती रहती है ( तभी शीतल हंसते हुए बोली) हां जरूर ठीक हो जाएगा जब तू अपने बेटे को मेरे पास भेज देगी हो सकता है उसके जवान लंड से चुदकर में पेट से हो जाऊं

इतना कहने के साथ ही वह जोर जोर से हंसने लगी लेकिन निर्मला खामोशी रही वह शीतल की बात सुनकर कुछ भी नहीं बोल पाई तभी शीतल बोली


अच्छा यह तो बताओ कि तू आज स्कूल क्यों नहीं आई।


अरे कैसे आती है अभी तो मैं सोकर उठी हूं


चलो अच्छा कोई बात नहीं मुझे क्लास में जाना है कल मिलते हैं बाय। इतना कहने के साथ ही वह फोन कट कर दी।

 

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