एक अधूरी प्यास

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शुभम अभी सोच ही रहा था कि बारिश का जोर बढ़ने लगा अब तो बादलों की गड़गड़ाहट भी बढ़ने लगी। मौसम का मिजाज देख कर निर्मला को थोड़ी चिंता होने लगी अभी शीतल का घर काफी दूर था।

वैसे तो अगर तेजी से कार दौड़ाती तो 1 घंटे मे हीं पहुंच जाती लेकिन आराम से चलाने की आदत की वजह से काफी समय हो गया था अंधेरा छा चुका था हाईवे पर स्ट्रीट लाइट जल चुकी थी लेकिन तेज वर्षा के जोर के कारण कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था।

गाड़ी के हेडलाइट की रोशनी में भी ज्यादा दूर तक देखा नहीं जा रहा था। मौसम पूरी तरह से बिगड़ चुका था। ऐसे हालात में निर्मला के लिए गाड़ी चलाना उचित नहीं था यह बात वह खुद भी जानती थी। बार बार आसमान में हो रही बादलों की गड़गड़ाहट से वह घबरा जा रही थी।

एक तरफ उसके मन में घबराहट भी हो रही थी और एक तरफ वह अपने बेटे के मुंह से यह सुनना चाहती थी कि उसके दोस्त प्यार व्यार कि किस तरह की बातें उससे करते हैं।

शुभम को भी लगने लगा था कि यही मौका ठीक है वह भी सब कुछ खुलकर बता देगा हो सकता है उसके लिए भी मस्ती के दरवाजे खुल जाए। वह भी मौसम का मिजाज देख कर थोड़ा सा घबरा रहा था।

आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी। निर्मला बड़े ही धीमी गति से कार को आगे बढ़ा रही थी क्योंकि दो मीटर से ज्यादा की दूरी ठीक से नजर ही नहीं आ रही थी।

तेज हवा के साथ साथ तेज बारिश हो रही थी जिसकी वजह से सब कुछ धुंधला धुंधला सा नजर आ रहा था। निर्मला को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह शीतल के घर तक पहुंचेगी कैसे पार्टी भी शुरू हो गई होगी यह सब सोचकर वह बड़ी चिंतित नजर आने लगी।

कुछ देर पहले बड़ा ही रोमांटिक माहौल के बीच उसके मन में शुभम के हालात को जानने की बड़ी ही उत्सुकता थी लेकिन अब मौसम का मिजाज देख कर वह चिंतित हो गई थी।

ऐसे खराब मौसम में उसने कभी भी गाड़ी नहीं चलाई थी इसलिए उसके चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी।


काफी देर से दोनों के बीच में खामोशी छाई रही क्योंकि सुबह मैं इस बात का इंतजार कर रहा था कि उसकी मां फिर से उसे ज़ोर देकर पूछे और वहां धीरे धीरे सब कुछ बता दे ताकि उसे भी ठीक तरह से पता चले कि उसकी मम्मी के मन में क्या चल रहा है।

वह बार बार उसके सामने अपने अंगो का प्रदर्शन लगभग नग्नावस्था में क्यों कर रही है आखिर वह चाहती क्या है? और दूसरी तरफ निर्मला की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी जबसे शुभम उसके सपने में आकर उसकी जबरदस्ती चुदाई करके गया है तब से वह यही चाहती थी कि उसका यह सपना हकीकत में बदल जाए और वह जिस सुख का अनुभव सपने में भी करके एक दम मस्त हो गई थी उसे हकीकत में करके किस तरह का आनंद की अनुभूति होती है उस अनुभूति का अनुभव करना चाहती थी।

निर्मला का मन और दिमाग दोनों अब वासना के वशीभूत हो चुके थे। संभोग सुख प्राप्त करने की प्रबल भावना उसके मन में प्रजव्लित हो चुकी थी।


बरसात अपने पूरे जोर पर था हवा की जगह अब आंधीे चलने लगी थी। गाड़ी में तेज बौछार आ रही थी इसलिए निर्मला ने दोनों तरफ के कांच को बंद कर दी।

निर्मला आज मौसम के मिजाज को देखते हुए अच्छी तरह से समझ गई थी कि उससे ड्राइविंग कर पाना बड़ा मुश्किल होगा। ऐसे हालात में शीतल के घर पहुंच पाना बहुत मुश्किल सा हो गया था।


निर्मला के मन में यही सब चल रहा था कि तभी उसने अपनी गाड़ी को एका एक बहुत जोर से ब्रेक मारी,,, जोर से ब्रेक मारते ही,,, चीईईईईईई,,, की जबरदस्त आवाज के साथ ही गाड़ी अपनी जगह पर ही रुक गई गाड़ी रुकते ही निर्मला की जान में जान आए क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करती तो सामने वाली कार से टक्कर हो जाती जोकि तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।


मम्मी लगता है कि गाड़ी चला पाना आसान नहीं होगा (शुभम तेज बारिश को देखते हुए बोला।)


मैं भी यही सोच रही हूं बेटा समय भी काफी हो गया है अब शीतल के घर भी पहुंच नहीं पाएंगे वहां तो पार्टी शुरू हो गई होगी और इतनी तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा है। देखा नहीं तूने अगर ठीक समय पर ब्रेक नहीं मारी होती तो गाड़ी की टक्कर हो जाती।


गाड़ी को इस तरह से हाईवे पर खड़ी भी नहीं रह सकते जिस तरह से हमें दिखाई नहीं दिया उस तरह से दूसरे गाड़ी वालों को भी इतना नहीं दिख रहा होगा ऐसे में टक्कर होने का डर बना रहेगा।


तो अब क्या करें मम्मी( शुभम चिंतित स्वर में बोला।)


रुक जा कुछ सोचती हूं ( इतना कहकर निर्मला इधर-उधर नजर दौड़ाने लगी)

उसकी बात भी सही थी हाईवे पर गाड़ी खड़ी करने का मतलब था किसी भी गाड़ी का टक्कर होना मुमकिन था। निर्मला इधर उधर नजर दौड़ा कर सेफ जगह ढूंढ रही थी कि तभी उसे हाईवे के बगल में ही एक खाली जगह नजर आई।

निर्मला धीरे-धीरे गाड़ी को आगे बढ़ाते हुए हाईवे से नीचे गाड़ी को उतारने लगी और अगले ही पल निर्मला हाईवे से नीचे गाड़ी उतार कर एक घने पेड़ के नीचे गाड़ी को खड़ी कर दी। यहां लंबी लंबी घास भी हुई थी चारों तरफ घने पेड़ पौधे भी लगे हुए थे जिसकी वजह से गाड़ी ठीक से नजर भी नहीं आती और यह जगह सुरक्षित भी थी। बरसात अभी भी जोरो से बरस रही थी। गाड़ी को खड़े होते ही शुभम बोला।


यह कहां ले आई मम्मी यहां पर चारों तरफ लंबी लंबी ऊंची घासे है और यहां से अब तो हाईवे भी ठीक से नहीं नजर आ रहा है।


हां तो यही जगह तो एकदम सुरक्षित है। जहां पर रुक कर हम लोग बारिश थमने का इंतजार करेंगे और बारिश के कम होते ही यहां से चले जाएंगे तब तक के लिए हमें यहीं रुकना पड़ेगा ऐसे हालात में हाईवे पर रुकना भी ठीक नहीं है। ( निर्मला शुभम को समझाते हुए बोली।)


ठीक है मम्मी लेकिन बारिश को देख कर लगता नहीं है कि बारिश इतनी जल्दी बंद हो जाएगी और अब तो हम लोग पार्टी में भी नहीं पहुंच पाएंगे,,,, शीतल मैडम खामखा नाराज होंगी


नहीं नाराज होगी उसे भी तो पता ही होगा कि बारिश बहुत तेज पड़ रही है अच्छा रुकने उसे फोन करके बोल देती हूं।

इतना कहने के बाद निर्मला अपना पर्स मोबाइल निकाल कर शीतल का नंबर डायल करने लगे लेकिन तेज बारिश की वजह से नेटवर्क ही नहीं मिल पा रहा था तीन चार बार ट्राई करने के बाद हैरान होकर वाह मोबाइल को फिर से पर्स में रखते हुए बोली।


धत तेरे की नेटवर्क ही नहीं मिल रहा


सारा मजा किरकिरा हो गया मम्मी,,, पूरा प्लान चौपट हो गया,,, तुम कितनी अच्छी तरह से तैयार हुई थी पार्टी में जाने के लिए लेकिन तुम्हारा मूड भी ऑफ हो गया होगा।


हां सो तो है लेकिन मौसम के आगे कर भी क्या सकते हैं।

निर्मला और शुभम दोनों का मूड ऑफ हो गया था क्योंकि दोनों के बीच बड़े ही अच्छी तरीके से वार्तालाप हो रहे थे और यह वार्तालाप धीरे धीरे गर्माहट का अंदेशा लिए आगे बढ़ रही थी लेकिन मौसम की वजह से सारा मजा किरकिरा हो चुका था।

गाड़ी का कांच बंद होने की वजह से परफ्यूम और निर्मला के बदन की मादक खुशबू का मिलाजुला बेहद मादक सुगंध पूरी गाड़ी में बड़ी तीव्रता के साथ अपना असर दिखा रही थी। शुभम को परफ्यूम की खुशबू से ज्यादा बेहतर और उत्तेजनात्मक खुशबू उसकी मां के बदन से आ रही सुगंधित खुशबू लग रही थी।

दोनों के बीच फिर से खामोशी छाई रहीं निर्मला स्टेयरिंग पर अपना हाथ रख कर शुभम की ही तरफ देखे जा रही थी धीरे-धीरे निर्मला के बदन में वासना की गर्मी फैलती जा रही थी। शुभम का खूबसूरत चेहरा निर्मला को ऊन्मादित कर रहा था। शुभम का गठीला बदन निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर फैला रहा था।

वैसे देखा जाए तो हालातों पर माहौल का भी गहरा असर पड़ता है और मौसम का मिजाज जरूर थोड़ा सा खराब था लेकिन जितना खराब था उतना ही एक औरत एक मर्द के लिए बेहद रोमांटिक और उत्तेजनात्मक भी था और इस समय कार में भले ही एक मां और एक बेटा बैठा हुआ था लेकिन इस तरह के बरसाती मौसम में और वह भी हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर और एक बंद कार में,

यह हालात ओर एकांत किसी भी पवित्र रिश्ते चाहे वह कैसा भी हो चाहे भाई-बहन का हो या फिर मां-बेटे का हो उनके बीच का पवित्र रिश्ते की डोरी टूट कर बिखर जाती है केवल उनके बीच रिश्ता रह जाता है तो सिर्फ एक मर्द और एक औरत का और आज जिस तरह का एकांत और मौसम का साथ शुभम और निर्मला को मिला था और दोनों के अंदर जो काम भावना एक दूसरे के बदन को देखकर प्रज्वलित हो चुकी थी उससे यही लग रहा था कि आज की रात इन दोनों के पवित्र रिश्ते के बीच की मर्यादा की डोऱ संस्कारों की डोर टूट कर तार-तार हो जाएगी।

इसलिए तो इस तरह के बरसाती माहौल में एकदम सुनसान जगह पर एकांत पाकर अपने बेटे को एकटक निहारते हुए मुस्कुरा रहीे थी। शुभम अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर बोला।


क्या मम्मी तो सारा मजा किरकिरा हो गया पार्टी में जा नहीं पाए और तुम हो कि इस तरह से हंस रही हो


अब हंसो नहीं तो क्या करूं,,, वैसे एक बात कहूं जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली।)


क्या खाक जो भी होता है अच्छे के लिए होता है इतनी तूफानी बारिश मे हमें इस तरह से हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर रुकना पड़ा यह क्या अच्छा हो रहा है।


हां बेटा जो भी होता है अच्छे के लिए होता है तू इस तरह से उदास मत हो हम दोनों इसी जगह पर पार्टी मनाएंगे बस,, मैं हूं ना तू चिंता मत कर


निर्मला की बाते शुभम को अजीब लग रही थी आखिर इस जगह पर कैसे पार्टी मनाएंगे।
 
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निर्मला की बात शुभम को अजीब लग रही थी आखिर इस जगह पर कैसे पार्टी मनाएंगे।

बारिश अपने जोरों पर थी हाईवे के किनारे की घनी झाड़ियों के बीच निर्मला अपनी कार को खड़ी कर दी थी घने पेड़ के नीचे,, वह लोग बारिश थमने तक आसरा लिए हुए वहीं रूके रहे।

निर्मला सोच रही थी कि बारिश के रुकते ही वह फिर से शीतल के घर उस की सालगिरह मनाने चली जाएगी लेकिन बारिश का मिजाज देखते हुए ऐसा संभव हो पाना मुश्किल ही लग रहा था।

निर्मला ने अपनी कार को ऐसी घनी झाड़ियों के बीच पाक की थी की हाईवे से आते जाते लोगों को भी कार नजर नहीं आती। बरसात की वजह से मौसम में ठंडक का अनुभव होने लगा था निर्मला अपने बेटे की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराते हुए बोली


बेटा अब ऐसी बारिश में हमें तो यहां रुकना ही पड़ेगा लेकिन जैसा मैंने तुझे बोली कि जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है तो हो सकता है कि यहां रुकना हम दोनों के लिए कुछ अच्छा साबित हो जाए।


मम्मी ऐसी कोई बात है नहीं लेकिन आप कह रही हैं तो जरूर मुझे आप पर विश्वास है।

इतना कहने के साथ ही वह अपनी मां को बड़े गौर से देखने लगा जो कि इस समय मुस्कुराते हुए और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।


ऐसे क्या देख रहा है?


कुछ नहीं मम्मी मैं तो यह देख रहा हूं कि ऐसी मुसीबत की घड़ी मे भी आप मुस्कुराते हुए कितनी खूबसूरत लगती है।


अच्छा मैं तुझे खूबसूरत लगती हूं ( निर्मला अपने बेटे की बात पर मुस्कुराते हुए बोली।)


हां मम्मी तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो।


अब बे वजह तू बातें मत बना


नहीं मम्मी सच में अपनी कसम तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो खूबसूरत लगती क्या हो,,,, तुम हो ही बहुत खूबसूरत।

निर्मला को अपने बेटे के मुंह से अपनी तारीफ सुन कर बहुत अच्छा लग रहा था वह मन ही मन मुस्कुरा भीे रही थी। वहां अपने बेटे की नजर को अच्छे से पहचान रही थी खूबसूरती के पीछे आकर्षण भी था जो कि उससे अपने बेटे की आंखों में साफ नजर आ रहा था कि वहां उसके बदन के प्रति आकर्षित है। लेकिन अभी उसके अंदर झिझक भरी हुई थी। निर्मला को तभी कुछ याद आया हो इस तरह से बोली।


अच्छा मैं तुझसे एक सवाल पूछी थी लेकिन तूने उसका जवाब नहीं दिया


कैसा सवाल मम्मी?


यही कि तेरे दोस्त भी तो गर्लफ्रेंड लड़कियों की बातें करते होंगे तुझ से उन लोगों ने तो तुझे कुछ बताया ही होगा कि प्यार व्यार क्या होता है।


नहीं मम्मी ऐसा कुछ भी नहीं है वह लोग मुझसे ऐसी बातें नहीं करते।


नहीं तू झूठ बोल रहा है ऐसा हो ही नहीं सकता लड़के अक्सर अपने दोस्तों से यह सब बातें जरूर शेयर करते हैं।

निर्मला अपनी बात पर जोर देते हुए बोली वह अपने बेटे के मुंह से जानना चाहती थी कि प्यार व्यार के बारे में उसके दोस्त क्या बोलते हैं।


नहीं मम्मी सच कह रहा हूं ऐसी कोई बात नहीं है।


नहीं तू जरुर झूठ बोल रहा है। देख बारिश को देखते हुए हम लोगों को लगता है कि सारी रात यहीं रुकना होगा और एक दूसरे से बातें किए बिना या रात कटने वाली नहीं है।

यह तूफानी रात गुजारने के लिए हम दोनों को टाइम पास के लिए बातचीत तो करनी ही होगी अब मैं तुझ से घर गृहस्ती के बारे में बातचीत तो कर नहीं सकती इसलिए ऐसे टॉपिक पर बात करना चाहती हूं जिसमे तुझे भी इंटरेस्ट हो क्योंकि तेरी उम्र भी अब जवान हो रही है ऐसे में तेरा आकर्षण लड़कियों के प्रति जरूर होता होगा।


अपनी मां की बात सुनकर शुभम हैरान होते हुए अपनी मां को ही देखे जा रहा था अपने बेटे के चेहरे के भाव को पढ़ते हुए निर्मला बोली


देख शुभम मैं जानती हूं कि ऐसी बातें करना ठीक नहीं है लेकिन मैं तेरी मां हूं और तुझे सही उम्र में सही बातों की जानकारी देना मेरा फर्ज बनता है और साथ ही में तो एक टीचर भी हूं इसके लिए तेरे हर सवालों का सही जवाब देना मेरा फर्ज बनता है और मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तेरी उम्र के लड़के अक्सर अपने दोस्तों से लड़कियों के बारे में अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में जरूर बात करते हैं इसलिए मुझसे तू झूठ मत बोल।

निर्मला शुभम पर अपनी बातों का दबाव बराबर बनाई हुई थी और निर्मला के सवालों से शुभम का छटक पाना मुश्किल था। उसके लिए भी जवाब देना जरूरी होता जा रहा था वह थोड़ा सोचने लगा और फिर सोचता हुआ देखकर निर्मला फिर बोली


देख शुभम तू घबरा मत आज की रात तू दिल खोल कर जो तेरे मन में है सब कुछ मुझे बोल डाल क्योंकि जिस माहौल में हम दोनों फंसे हुए हैं ऐसे माहौल में अगर एक प्रेमी और प्रेमिका फंस जाते हैं और उन्हें इस तरह का एकांत मिल जाता है तो उनके लिए तो यह जन्नत के बराबर हो जाता है।

और शायद तो यह नहीं जानता की जिन लड़की लड़कियों को आपस में प्यार हो जाता है वह अक्सर ऐसे ही एकांत माहौल को ढूंढते रहते हैं।


शुभम अपनी मां की बात बड़े गौर से सुन रहा था और उसे अपनी मां की यह सब बातें बड़ी अजीब भी लग रही थी।


अच्छा तो मुझे एक बात सच सच बताना क्या तूने कभी किसी लड़की से प्यार किया है या तुझे किसी लड़की से प्यार हुआ है।


नहीं मम्मी ऐसा कुछ भी नहीं है।


देख तू सच सच बताओ झूठ मत बोल पूरे स्कूल में तुझे कौन सी लड़की सबसे अच्छी लगती है। ( निर्मला स्टीयरिंग पर अपने दोनों हथेलियों को रखते हुए बोली।)


नहीं मम्मी इन सब बातों पर मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया।


हे भगवान तेरे जैसा लड़का तो मैंने आज तक नहीं देखी अच्छा यह तो बता कि तुझे कौन अच्छी लगती है।

शुभम को अपनी मां की बातें और उसके बात करने का अंदाज कुछ अलग लग रहा था लेकिन तभी उसे अपने दोस्त की बात याद आ गई उसे भी लगने लगा कि आज उसकी मां उसके दोस्त की भाभी की तरह ही बात कर रही है जिस तरह से वह बहुत चुदवासी थी हो सकता है उसकी मां भी चुदवासी हो गई हो,, वरना इस तरह की बातें ना करती शुभम के लिए मौका बड़ा खास था वह मन ही मन सोचने लगा कि जब ऐसी बातें करते हुए उसके दोस्त की भाभी अपने ही देवर को ऊकसा कर उसके साथ चुदाई का सुख प्राप्त की।

और आज उसकी मां थी अपनी बातों से उसे उकसा रही है हो सकता है कि आज उसका भी मन लंड लेने को कर रहा है यही सब सोचकर शुभम इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था।

वह अपनी मां की बातों का मतलब धीरे-धीरे समझ रहा था वरना ऐसी मुश्किल घड़ी में भी किसी औरत के चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं आती लेकिन जिस तरह से निर्मला मुस्कुरा रही थी शुभम को अब लगने लगा था कि इस मुस्कुराहट के पीछे कोई वजह जरुर है। और यह वजह शारीरिक सुख से ही संबंधित है।

इस बात की शंका शुभम के मन में होते ही उसके बदन में गुदगुदी सी होने लगी।अब वह भी अपनी मां से दूसरी तरह से ही बातें करना चाहता था क्योंकि उसकी मां ने ही बोली थी कि आज जो भी उसके मन में हो सब बोल डाले।


क्या हुआ क्या सोच रहा है बता ना तुझे कौन अच्छी लगती है । अपनी मां की बात सुनते ही जैसे उसकी तंद्रा भंग हुई हो इस तरह सेकपकाते हुए बोला


कककक,,, कुछ तो नही,,,


तो बताना तुझे कौन अच्छी लगती है ।


क्या मम्मी तुम तो मेरे पीछे ही पड़ गई हो


अच्छा ठीक है कुछ मत बताओ मैं तुझसे अब कुछ पूछुंगी भी नहीं,,,( निर्मला बनावटी गुस्सा बताते हुए बोली।)


लो अब तुम नाराज हो गई मम्मी मैं कह रहा हूं फिर बताने जैसा नहीं है क्योंकि वह लोग प्यार व्यार की बातें नहीं करते थे वह लोग कुछ और ही बताते थे।


क्या बताते थे वह लोग कैसी बातें करते थे?


क्या बताऊं मम्मी बताने लायक नहीं है।
शुभम की यह बात सुनकर निर्मला के मन में उत्सुकता जागने लगी उसे लगने लगा कि शुभम कुछ गंदी बातें छुपा रहा है और यही मौका भी अच्छा है उसके मुंह से गंदी बातें उगलवा कर आज की रात हसीन करने का,, निर्मला के मन में ढेर सारी भावनाएं उमड़ने लगी वह शुभम से बोली


देख तू मुझसे शर्मा मत सब कुछ बोल डाल


मम्मी मुझे बहुत शर्म आती है मैं कैसे बोलूं


अच्छा तुम मुझे एक बात बता अगर मेरी जगह ऐसे मौके पर ऐसी सुनसान जगह पर और बरसती बारिश में तेरी कोई गर्लफ्रेंड होत तो क्या तू उसे नहीं बताताा,,, देख शर्मा मत

अपनी मां की ऐसी बातें सुनकर शुभम को लगने लगा कि आप जरुर उसके साथ कुछ ना कुछ अच्छा होने वाला है। वह भी मन ही मन सोचने लगा की जब उसकी मां खुद ही सब कुछ सुनने के लिए तैयार है तो उसे बोलने में क्या हर्ज है इसलिए वह बोला।


मम्मी वह लोग गंदी बातें करते है।


कैसी गंदी बातें किसके बारे में ( इतना कहने के साथ ही वह स्टेयरिंग पर से हाथ हटाकर एक हाथ को पीछे की सीट पर रखकर आराम से बैठ गई)


सससस,,, सेक्स के बारे में ( शुभम एकदम से डरते हुए बोला आज पहली बार उसके मुंह से यह शब्द बाहर निकले थे निर्मला को भी अपने बेटे के मुंह से सेक्स शब्द सुनकर गर्माहट सी फैलने लगी। )


सेक्स के बारे में किस तरह के कैसी बातें जरा खुलकर तो बता मैं पहले ही तुझे बता चुकी हूं कि तू आज मत शर्मा,,, यह समझ ले कि तेरे सामने तेरी गर्लफ्रेंड बैठी है और वैसे भी तो मैं तुझे अच्छी लगती हुं ना,, तो यही समझ ले आज यहां पर इस एकांत में तेरे साथ तेरी मम्मी नहीं बल्कि तेरी गर्लफ्रेंड बैठीे है। और अपनी गर्लफ्रेंड से शर्माने की कोई जरूरत नहीं है।

निर्मला के मन में पूरी तरह से वासना सवार हो चुकी थी कि शीतल वाली बात उसे अच्छी तरह से याद थी। शीतल बार-बार उसे शुभम की तरफ इशारा करके उससे जवान लंड लेने की बात कर रही थी इसलिए निर्मला का मन अपने बेटे के प्रति आकर्षित होने लगा था और ऐसे माहौल में तो उसके बदन में एक अजीब सी उत्सुकता सीे फेल जा रही थी। शुभम भी अपनी मां की बातें सुनकर बोला


चचचच,, चुदाई,,, वाली बातें,,,

शुभम फिर से शर्माते हुए बोला। अपनी मां से इस तरह की बातें करने में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जिसे वह बार-बार पैंट के ऊपर से एडजस्ट कर रहा था और निर्मला की नजर उसकी इस हरकत को ध्यान से देख रही थी।


चुदाई वाली बातें तेरे दोस्त यह सब बातें करते है लेकिन किस की चुदाई के बारे में बातें करते हैं

निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी अपने बेटे के मुंह से यह सब सुनकर उसका अंग अंग उन्माद से भरने लगा था। बाहर बारिश अपने जोरों पर अपना जलवा बिखेर रहे थे साथ ही बादलों की गड़गड़ाहट मौसम को और भी ज्यादा भयानक बना रहीे थी, लेकिन यह बारिश यह एकांत और बादलों की गड़गड़ाहट कार के अंदर के माहौल को गर्मी प्रदान कर रही थी। शुभम भी अपनी मां की बात का जवाब देते हुए बोला


मम्मी वाला बहुत गंदी बातें करते थे मैं तो वह बातें सुनकर ही हैरान था कि आखिर वह इस तरह की बातें कर कैसे लेते हैं।


किस तरह की बातें बेटा मुझे भी तो बता

निर्मला इस बार अपने एक पैर को सीट पर रख कर आराम से बैठ गई लेकिन वह अपने पैर को जानबूझ कर इतना उठाई थी की साड़ी ऊपर की तरफ सरक गई और उसकी पिंडलियां जो कि एकदम गोरी थी वह साफ साफ नजर आने लगी उस पिंडलियों पर शुभम की नजर चली गई जिसे देख कर उसका लंड ठुनकी लेने लगा।

इस बात का एहसास निर्मला को भी है हो गया कि उसकी गोरी पिंडली को देखकर शुभम के बदन में हलचल सी मचनें लगी थी इसलिए वह अपनी हथेली को अपनी पिंडली पर रखकर हल्के हल्के सहलाने लगी जिसे देखकर शुभम बावला होने लगा और अपने बदन में अपनी मम्मी की गोरी गोरी पिंडली की गर्माहट को महसूस करते हुए बोला


मम्मी वह लोग एक दूसरे की बहन भाभी की गंदी बातें उनकी चुदाई करने की बातें करके मजा लेते थे।

निर्मला को अपने बेटे की बात सुनते ही उसके बदन में गुदगुदी होने लगी और वह बोली


क्या एक दूसरे की बहन भाभी को चोदने की बात करते थे,,,

निर्मला चोदने शब्द को कुछ ज्यादा ही भार देकर बोली थी ताकि शुभम के बदन में मस्ती की लहर दौडने़ लगे और वैसा हो भी रहा था शुभम कभी सोचा नहीं था कि उसकी मां ऐसे शब्दों का प्रयोग करेगी और वह भी उसके ही सामने इसलिए आज पहली बार अपनी मां के मुंह से सेक्स चुदाई की बात सुनकर उसके बदन में हलचल सी मच आने लगी थी।

शुभम का भी मन खुलने लगा वह मन ही मन सोच रहा था कि जब उसकी मां इतना खुल सकती है तो वह भी अपनी बात को नमक मिर्च लगाकर क्यों नहीं बता सकता इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला इस बार वह अपने अंदर चल रही हलचल को अपने शब्दों में बाहर लाते हुए अपनी मां से बोला।


और तो और मम्मी जब उन लोगों की मैंने यह बात सुनी कि वह लोग अपनी मम्मी को भी गंदी नजर से देखते हैं तो मेरा दिमाग एकदम सन्न हो गया।

शुभम दोस्तों की मम्मी वाली बात जानबूझकर बोला था ताकि वह अपने लिए रास्ता साफ कर सके और अपने बेटे के मुंह से दोस्तों की मम्मी वाली बात सुनकर निर्मला भी हैरान थी वह शुभम से बोली।


क्या वो लोग अपनी मम्मी को गंदी नजर से देखते हैं पर तुझे कैसे मालूम पड़ा क्या बोल रहे थे वह लोग। ?


मम्मी कैसे बताऊं मुझे शर्म आ रही है


शर्मा मत देख मैं तुझे बता चुकी हूं कि तू मुझे अपनी गर्लफ्रेंड समझ और मुझे सब कुछ बता दे ।

इतना कहने के साथ ही वह अपनी पिंडली को खुजलाते खुजलाते एक बहाने से साड़ी को हल्के से और ऊपर उठा दी जिससे निर्मला की जांघ का थोड़ा भाग नजर आने लगा। चिकनी गोरी जांघ का थोड़ा सा भाग देख कर शुभम के मन पर बिजलियां दौड़ने लगी और वह बोला


मम्मी वो लोग ढेर सारी बातें करते थे जब हम लोग क्रिकेट खेलते रहते हैं और फील्डिंग करते रहते हैं तो आपस में वालों की यही बातें करते हैं जो कि मुझे साफ साफ सुनाई देती है एक तो अपने दोस्त से बोल रहा था कि यार आज तो सुबह-सुबह ही मेरा मूड बन गया और मुझे मुठ मारना पड़ा

निर्मला तो अपने बेटे के मुंह से मुठ शब्द सुनते ही दंग रह गई और बोली


मूड बन गया मतलब कैसे ?


मम्मी वह बोल रहा था कि जब वह सुबह उठ कर बाथरूम की तरफ गया तो उसे नहीं मालूम था कि बाथरुम में उसकी मां है और वह बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला ही था कि उसकी मां उसे एकदम नंगी बाथरूम में नहाती मिल गई और वह बताने लगा कि उसकी मां की बड़ी-बड़ी गांड और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर उसका लंड टनटनाकर खड़ा हो गया। ( लंड टनटनाकर खड़े होने की बात सुनते ही निर्मला की बुर में चीटियां रेंगने लगी। )


और तों और मम्मी जब उसने कहा कि,,, अगर उसकी मां जरा सा इशारा कर देती तो वह बाथरुम में घुसकर अपनी मां की बुर में लंड डालकर चोद दीया होता।

अपने बेटे के मुंह से इस तरह की खूबी बातें सुनकर उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुलने पिचकने लगी,,, आश्चर्य के साथ उसका मुंह खुला का खुला रह गया था। निर्मला हैरान होते हुए और साथ ही अपनी गोरी जांघ को हथेली से सहलाते हुए बोली।


फिर क्या किया उसने,,,


फिर उसने बताया मम्मी की वह वंही दरवाजे पर ही अपने आप को छुपा कर खड़ा रहा और धीरे से अपने पजामे को नीचे कर दिया और वही खड़े खड़े अपनी मां को नंगी देखते हुए अपने लंड को हिलाने लगा और तब तक हिलाते रहा जब तक कि उसका पानी नहीं निकल गया।


तुझे कैसे मालूम कि वह पानी निकलते तक हिलाते रहा।


उसी ने तो बताया था।

इतना कहते हुए वह फिर से अपने खड़े लंड को एडजस्ट करने लगा। जो कि अपने बेटे की ईस हरकत को वह कनखियों से देख रही थी।


शुभम तेरे दोस्त तो बहुत ही गंदी बातें करते हैं । क्या वह सब सच में ऐसा करते हैं क्या सच में वह अपनी मां को चोदने की ख्वाहिश रखते हैं।

निर्मला गहरी सांसे लेते हुए बोली और गहरी सांस लेने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जोकी शुभम को साफ साफ नजर आ रही थी।


ख्वाहिश ही नहीं मम्मी एक दोस्त ने तो यहां तक बताया कि एक रात जब वह अपनी मां के पास सो रहा था तो धीरे-धीरे करके उसने अपनी मां की ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए,,, बटन खोलने के बाद वह धीरे धीरे अपनी मां की चुचियों को दबाने लगा,,,

( अपने बेटे के मुंह से यह बात सुनते ही निर्मला की बुर से नमकीन पानी रिसने लगा,,, उसकी सांसे तेज चलने लगी।)


फिर क्या हुआ?

निर्मला बड़ी ही उत्सुकता के साथ होली यह सब बातें शुभम जानबूझकर नमक मिर्च लगाकर बोल रहा था जबकि उसके दोस्त ऐसा कुछ किए नहीं थे पर हां बल्कि वह लोग अपनी मां को देखते जरूर थे।


फिर क्या मम्मी जब उसने देखा कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हो रहा है तो मैं धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर उठाने लगा। लेकिन उसकी मां सोई नहीं थी जो कि यह बात उसने खुद बताई बहुत याद आ रही थी अपने बेटे की हरकत की वजह से उसकी सांसे तेज चल रही थी। उसे भी मजा आ रहा था। ( यह सब सुनकर निर्मला की हालत खराब हुए जा रही थी।)


फिर क्या हुआ ?


उसके बाद उसने अपनी मां की साड़ी को पूरी कमर तक उठा दिया और धीरे-धीरे उसकी पैंटी को नीचे सरका कर अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ने लगा। इतना करने से उसकी मां से रहा नहीं दिया और वह अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने बेटे के लंड को पकड़ लि और अपने बुर से सटा दी,,,,


इसके बाद,,,,


इसके बाद क्या मम्मी उसके बाद तुम अपनी मां का इशारा पाकर वह अपनी मम्मी को रात भर चोदता रहा।

निर्मला की तो सांस उखड़ने लगी उसकी बुर से पानी निकलने लगा वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को आधी जांघ तक सरका दी। और कामोत्तेजित होते हुए बोली।


हां मम्मी सच में वह लोग एसी ही बातें करते हैं।


अच्छा जब वह लोग एक दूसरे की मां के बारे में खुद अपनी मां के बारे में गंदी बातें करते हैं तो वह लोग जरूर तेरी मां के बारे में भी कुछ ना कुछ तो बोले ही होंगे।

शुभम समझ गया कि उसकी मां अपने बारे में भी सुनना चाहती है लेकिन फिर भी वह जान बूझकर ना बताने का नाटक करते हुए बोला।


नहीं मम्मी जाने दो ना


अरे कैसे जाने दो,,, बता तो सही वो लोग मेरे बारे में क्या बताते हैं तुझसे,,, क्या सोचते हैं वह लोग मेरे बारे में


जाने दो ना मम्मी क्या करोगे सुनकर वह लोग तुम्हारे बारे में इतनी गंदी बातें बोल रहे थे कि मेरा तो एक बार झगड़ा भी हो चुका था।


अरे बता तो सही बोलो क्या बोल रहे थे मैं भी तो सुनूं कि मेरे पीठ पीछे लोग क्या क्या मेरे बारे में बोलते हैं और सोचते हैं।


देखो शर्मा मत इतना कुछ बता दिया है तो यह भी बता दे।


मम्मी मेरे दोस्त मुझे बोल रही थी कि तेरी मम्मी क्या माल लगती है तेरी मम्मी की बड़ी बड़ी गांड देख कर हम लोगों का तो लंड ही खड़ा हो जाता है।
( निर्मला जानबूझकर अपने मुंह पर हाथ रखते हुए हैरान होने का नाटक करते हुए बोली।)


क्या तेरे दोस्त मेरे बारे में इस तरह की बातें करते हैं। ( निर्मला हैरान होने का सिर्फ नाटक कर रही थी लेकिन उसे अपने बेटे की यह बात सुनकर बड़ा ही मजा आ रहा था।)


हां मम्मी वह लोग यह भी कह रहे थे कि अगर तेरी मम्मी हम लोगों को मौका दे तो तेरी मम्मी की बूर में सारी रात लंड डालकर सारी रात तेरी मम्मी की चुदाई करें और तेरी मम्मी जब चलती है तो क्या मटक मटक कर अपनी गांड मटका तेरी चलती है और तो और,,, रोज सुबह तेरी मम्मी को याद करके हम लोगों को मुठ मारकर पानी निकालना पड़ता है।


शुभम तेरे दोस्त तों बड़े ही आवारा किस्म के हैं,,,, सारे के सारे ठरकी लगते हैं। सबके मन में कितना गंदा विचार है अपनी भी मम्मी के बारे में और दोस्तों की भी मम्मी के बारे में।


इसलिए तो मम्मी मुझे उन लोगों की दोस्ती पसंद नहीं है।


कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही शुभम के साथ साथ निर्मला भी पूरी तरह से कामवासना हावी हो चुकी थी शुभम का लंड उसके पैंट में जोऱ दिए हुए था,, जिसे बार-बार वह अपने हाथ से एडजस्ट कर रहा था निर्मला की भी पैंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी थोड़ी देर बाद वह बोली


शुभम तेरे सभी दोस्त अपनी मां के बारे में गंदी विचार रखते हैं और वह लोग अपनी मां को चोद भी चुके हैं और चोदना भी चाहते हैं।


तो अपने दोस्तों की बातें सुन कर तेरे मन में भी तो कुछ कुछ होता होगा,,, तू भी मुझे गंदी नजर से देखता होगा मेरे बदन पर अपनी नजरें दौड़ाता होगा ( जांघों पर हथेली से सहलाते हुए) तू भी मुझे पीछे से देखता होगा जब मैं अपनी गांड मटका के चलती होऊंगी तब,,, तेरी नजर भी मेरी बड़ी बड़ी गांड पर टीकती होगी,, सच सच बताना शुभम क्योंकि मुझे नंगी देखा होगा ना।
 
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निर्मला शुभम से पूछती है कि कहीं तूने मुझे एकदम नंगी भी देख चुका हे तो भी मैं तुझे कुछ नहीं कहूंगी बस तू मुझे सच सच बता दे तू ने मुझे नंगी देखा है कि नही।


अपनी मां की बात सुनकर उसके मन में थोड़ी राहत हुई उसे तो यह सब अच्छा लग रहा था कि आज उसकी मां बिल्कुल खुले शब्दों में उससे बातें भी कर रही है और लगभग उसका साथ भी दे रही है।

शुभम को इससे ज्यादा और क्या चाहिए था वैसे भी शुभम तू अपनी मां के ख्यालों में खोया रहता था और आज तो उसे भरपूर मौका मिला था और वह भी उसकी मां उसे साफ साफ शब्दों में सारा भी कर रही थी अगर आज शुभम इस मौके का फायदा नहीं उठाएगा तो शायद ही ऐसा मौका उसे दोबारा मिले वैसे भी बारिश कम होने का नाम नहीं ले रही थी तो यहां से जाने का सवाल ही नहीं होता था बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम में एक रोमांच सा भर गया था। शुभम फिर भी इतना खुलना नहीं चाहता था वह जान बूझकर अपनी मम्मी से बोला।


नहीं मम्मी जैसा तुम समझ रही हो वैसा बिलकुल भी नहीं है।


अरे ऐसे कैसे नहीं है तेरे दोस्त तेरे सामने ही अपनी मम्मी को चोदने का और एक दूसरे की मम्मी को चोदने की बात करते हैं और मैं जानती हूं इस उमर में लड़कों को यह सब अच्छा भीं लगता है तो मैं कैसे मान लूं कि तेरे दोस्तों की बात सुनने के बाद भी तेरे मन में मेरे प्रति कोई आकर्षण नहीं जगा हो। क्या मैं तुझे अच्छी नहीं लगती हूं कि मेरा बदल इस लायक नहीं है कि तू मुझे पसंद ना कर सके,,, जबकि तू खुद अभी-अभी बोला था कि मैं तुझे बहुत अच्छी लगती हूं।


हां मम्मी तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो लेकिन,,,

इतना कहने के साथ ही वह फिर से शांत हो गया,,,, उसे शांत देखकर निर्मला फिर बोली।


लेकिन क्या,,,

निर्मला धीरे से साड़ी को ऊपर चढ़ाते हुए बोली अब उसकी जांघों का आधे से भी ज्यादा भाग नजर आने लगा था जिस पर नजर पड़ते ही शुभम की आंखों में चमक नजर आने लगी और वह बोला


मम्मी अब मैं क्या बताऊं मुझसे कुछ बोला नहीं जा रहा है।


क्या सुनाऊं तू भी औरतों की तरह शर्मा रहा है देखने औरत होने के बावजूद भी कितना बिंदास होकर तुझसे बातें कर रही हुं। क्योंकि आज की रात कुछ खास है देख जो होता है अच्छे के लिए ही होता है हो सकता है यहां रुकना हम दोनों के लिए अच्छा ही हो वरना हम दोनों तो निकले थे शीतल की शादी की सालगिरह के लिए लेकिन एकाएक मौसम खराब हो गया बल्कि मौसम कितना साफ था।

तु देख धीरे-धीरे कितना समय बीत गया अगर हम लोग इस तरह की बातें नहीं करते तो समय काटना भी बड़ा मुश्किल होता जाता और ऊपर से तूफानी बारिश में डर भी लगता। इसलिए जो बोलना है तो एकदम बिंदास बोल


अपनी मां की बात को बड़े ध्यान से सुन रहा था और अपनी मां के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए वह बोला।


क्या बोलूं मम्मी मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि कहां से शुरू करूं


मतलब तू मुझे नंगी देख चुका है। (निर्मला अपने बेटे की आंखों में झांकते हुए बोली)

शुभम अपनी मां की यह बात सुनकर सिर्फ हां में सिर हिलाकर नजरे नीचे झुका लिया अपने बेटे का जवाब सुनकर निर्मला के बदन में गुदगुदी सी होने लगी। एक अजीब प्रकार का रोमांच उसके बदन में फैल गया।

वो मन ही मन में सोचने लगी कि कब देखा होगा शुभम उसे नंगी,,, वो क्या कर रहीे थीे जब उसने उसे नंगी देखा होगा कैसा लगा होगा जब उसने उस के नंगे बदन को देखा होगा क्या उसमें भी उसके दोस्त की ही तरह अपनी मां को नंगी देखकर अपने लंड को हिलाया होगा क्या उसके मन में भी है भावना जगी होगी कि वह अपनी मां की चुदाई करें यही सब सोचकर निर्मला का बदन उत्तेजना के मारे गनगना गया।

उसकी सांसे तेज चलने लगी और सीने में अंदर बाहर हो रही सांसों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी पहाड़ी घाटी की तरह ऊपर नीचे होते हुए कार के अंदर अपने बेटे पर कहर ढा रही थी। वह चहकते हुए बोली।


क्या तूने सच मे मुझे नंगी देखा है कब देखा और कहां देखा मैं क्या कर रहीे थी जब तुने मुझे नंगी देखा था। बता ना देखा बिलकुल भी मत शर्माना इतना कुछ बता दिया है तो यह भी बता दे।

शुभम को अब इस बात का पूरी तरह से आभास हो चुका था कि आज उसके साथ जरुर कुछ ना कुछ अच्छा ही होने वाला है वह तो अंदर ही अंदर मचल रहा था सब कुछ बताने के लिए बस थोड़ा सा नाटक कर रहा था वह नजरें उठाकर अपनी मां की आंख में झांकते हुए बोला


दो तीन बार देख चुका हूं हालांकि मैं नंगी देखने के उद्देश्य से जगह पर नहीं पहुंचा था लेकिन फिर भी देख लिया।


सच कहां कहां देखा था क्या मैं उसमे बिल्कुल नंगी थी क्या कर रही थीे मै,,


बाथरूम में ही देख चुका हूं और एक दिन घर के पीछे वाले भाग मे जब तुम कपड़े धो रहीे थी,,,

घर के पीछे वाले भाग में देखने के नाम से ही निर्मला की बदन में उत्तेजना की तेज बाहर दौड़ने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि घर के पीछे वाले भाग में जब वह कपड़े धो रहे थे तो एकदम बिंदास होकर अपनी बुर में उंगली डालकर अपने हाथों से अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी।


घर के पीछे वाले भाग में,,,,, तू कहां से देख लिया और क्या करने आया था पीछे?


मम्मी तुम उस दिन मुझे कहीं भी नजर नहीं आई मैं बस तुम्हें ढूंढते ढूंढते वहां पहुंच गया तो देखा कि तुम एकदम नंगी होकर कपड़े धो रही हो,,,


मुझे एकदम नंगी देख कर तुझे कैसा लगा,,,,


मम्मी अब मैं क्या बताऊं उस दिन पहली बार मैंने तुम्हें नहीं देखा था मुझे तो समझ में ही नहीं आया कि यह क्या हो रहा है मेरा तो दिमाग ही काम करना बंद कर दिया था अब तक मैंने तुम्हें कपड़ों में देखा था कपड़ो में आप काफी खूबसूरत लगती हो लेकिन उस दिन बिना कपड़ों की एकदम नंगी देख कर मुझे पता चला कि आप बेहद और ज्यादा बेहद खूबसूरत हो।

अपने बेटे के मुंह से अपने बदन की तारीफ सुनकर निर्मला को बहुत अच्छा लग रहा था वह खुश होते हुए बात को आगे बढ़ाते हुए बोली


सच में मैं तुझे बेहद खूबसूरत लगती हूं अच्छा यह बता उस दिन मैं वहां क्या कर रही थी।


तुम कपड़े धो रही थी।


सिर्फ कपड़े धो रही थी या और कुछ भी कर रही थी।


अपनी मां की बात सुनकर शुभम समझ गया कि उसकी मां उसके मुंह से क्या सुनना चाहती है। वह भी कहां पीछे हटने वाला था वह भी उस दिन जोे देखा वह साफ साफ बताया लेकिन थोड़ा घुमा फिरा कर

मम्मी तुम कपड़े धोने के बाद अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जा कर जोर जोर से ना जाने क्या कर रही थी मुझे दूर से तो कुछ साफ नहीं दिखाई दिया बस तुम्हारे हाथ की हरकत यह देख रही थी लेकिन यह समझ में नहीं आया कि तुम कर क्या रही हो

( शुभम की बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी वह समझ गई कि शुभम अभी तक कुल नादान है इसलिए आवाज नहीं समझ पाया कि वह क्या कर रही है इसलिए वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)


अच्छा यह तो बता कि मुझे एकदम नंगी देख कर तुझे कुछ हुआ था।


पता नहीं मम्मी तुम्हें ऊस समय एकदम नंगी देखकर मेरे बदन में ना जाने क्या होने लगा पूरे बदन में गर्मी महसूस होने लगी मेरे माथे से पसीने की बूंदें टपकने लगी और,,,

( इतना कहकर वह चुप हो गया इस तरह से उसने चुप हो जा देख कर निर्मला बोली।)


और,,,,, और क्या हुआ तो चुप क्यों हो गया बताना,,,


मम्मी मुझे शर्म आ रही है।


अरे तू शर्मा मत जो भी उस दिन तुझे महसूस हुआ सब कुछ बता दे

इतना कहते हुए जानबूझकर निर्मला ने अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दी जिससे उसकी भरी भरी छातियां शुभम की आंखों के सामने फड़फड़ाने लगी।

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निर्मला ने जैसे ही जानबूझकर अपने साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिराई उसकी भारी छातियां ब्लाउज में कैद दोनों कबूतरों के साथ फड़फड़ा कर शुभम की आंखों के सामने आ गए।

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अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर जो कि अभी भी ब्लाउज में कैद थी। शुभम के मुंह में पानी आ गया और जिस नजरिए से वह अपनी मां की चूची को देख रहा था यह देख कर निर्मला का मन खुशी से झूम उठा वह बड़ी प्यासी नजरों से अपनी मां की चुचियों को देखे जा रहा था। निर्मला भी अपने बेटे की हालत और ज्यादा खराब करते हुए हल्के से अपनी हथेली को अपनी एक चूची पर रखकर उसे सहलाते हुए अपनी जीभ से अपने सुर्ख होठों को गिला करते हुए बोली।


अब बता भी दे कि और क्या हुआ था। ( शीशे से बाहर झांकते हुए) देख मौसम भी कितना रोमांटिक होता जा रहा है।

शुभम की तो हालत खराब हुए जा रहीे थी, आज वह अपनी मां का एक नया रुप देख रहा था। आज उसकी मां कामसूत्र की कोई मूरत की तरह लग रही थी। उसके हाव भाव उसके बदन की रूपरेखा एकदम काम देवी की तरह लग रही थी।

शुभम के पेंट में उसका टनटनाया हुआ लंड गदर मचाये हुए था। जिसे बार-बार वह हाथ लगा कर बैठ आने की कोशिश कर रहा था निर्मला भी अपने बेटे की इस हरकत को काफी देर से गौर कर रही थी। शुभम के लिए भी अब सब कुछ साफ होता नजर आ रहा था जिस तरह से उसकी मां उसे से जानबुझकर यह सब पूछना चाहती थी उससे बिल्कुल साफ हो गया था कि आज कोई नया अद्भुत अध्याय उसकी जिंदगी की किताब से जुड़ने वाला है। इसलिए वह बोला।


मम्मी ऐसे तो मैं तुम्हें पता तो नहीं लेकिन तुम इतना जोर दे रही हो तो मैं बता रहा हूं लेकिन इसके बाद तुम मुझ पर गुस्सा मत करना।


नहीं करूंगी तू बता तो,,,


मम्मी घर के पीछे तुम्हें कपड़े धोते हुए देखकर वह भी एक दम नंगी तो मेरी हालत खराब हो गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं तुम्हारी बड़ी बड़ी गाड़ और चिकना बदन मेरे दिल की धड़कन बढ़ाता जा रहा था मेरे माथे पर पसीने की बूंदें उपस आई थी। जैसे जैसे तुम्हारे हाथों में कपड़े धोने के लिए हरकत हो रही थी वैसे वैसे तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड बड़ी अजीब सी थिरकन लिेए हुए मटक रही थी।

तुम्हारा वह रुप देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थी सच कहूं तो मम्मी इससे पहले मैंने कभी किसी औरत को नंगी देखा ही नहीं था। नंगी औरत कैसी दिखती है मुझे कुछ भी नहीं मालूम था।

जिंदगी में पहली बार मैंने किसी औरत को बिना कपड़ो के देखा था तभी तो मेरी सांसे एकदम तेज चलने लगी थी मुझे लेकिन वह समझ में नहीं आया कि जब आप सारे कपड़े धो चुकी थी उसके बाद ना जाने हाथ को इतनी तेजी से कहां रखकर हिला रही थी तुम्हारी पीठ मेरी आंखो के सामने थी इसलिए मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया लेकिन जो भी तुम कर रही थी वह मेरी हालत खराब किए हुए थी। तुम्हें देखकर मेरा लंड एकदम टनटनाकर खड़ा हो गया था।



अपने बेटे की गरम बातें सुनकर निर्मला की हालत खराब होने लगी उसकी भी सांसे धीरे-धीरे तेज चलने लगी थी। धीरे-धीरे अभी भी अपनी जांघों को फैला रही थी जिस पर बार-बार शुभम की नजर पहुंच जाती थी और उसके बदन में ठंडे मौसम में भी गर्माहट फैल जाती थी।

निर्मला अपनी एक उंगली को दोनो चुचियों की बीच की गहरी लकीर में हल्के से घुसाते हुए बोली


सच! क्या सच में तेरा लंड खड़ा हो गया था जब तेरा लंड खड़ा हो गया तब तूने क्या किया?

निर्मला की जबान एकदम रंडियों की तरह हो गई थी वह अब अपने बेटे से बिल्कुल भी शर्म नहीं कर रही थी और जो भी मुंह में आ रहा था अपने बेटे से बोल दे रही थी। और यही सब बातें निर्मला के साथ-साथ शुभम के भी बदन में दबी हुई चिंगारी को भड़काने का काम कर रही थी।


जब तुम्हें देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मुझे जोरों से पिशाब लगी है और ना चाहते हुए भी मैंने पेंट मेसे अपने लंड को बाहर निकाल लिया।


फिर क्या किया ?(निर्मला उत्सुकतावश बोली)


उसके बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैंने झट से अपने लंड को पकड़ लिया और ना जाने क्यों मैं उसे आगे पीछे करके हिलाने लगा ऐसा मैं क्यों कर रहा था यह मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आया लेकिन ऐसा करने में ना जाने मुझे क्यों मजा आ रहा था।

जैसे जैसे तुम्हारे हाथ की हरकत बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे मेरा हाथ भी जोर जोर से चल रहा था। और कुछ ही देर बाद मेरें लंड मेसे ना जाने कैसा सफेद सफेद पानी बाहर आ गया,,, लेकिन शायद वहां पानी बाहर निकल रहा था तो मुझे ना जाने अजीब प्रकार की सुख की अनुभूति हो रही थी ऐसा अनुभव मैंने इससे पहले कभी नहीं किया था। और मैं वहां से चला गया।


( शुभम भी निर्मला की तरह खोलकर अपनी मां से बातें करने लगा था वो जानबूझकर इतनी गरम गरम शब्दों में उस दिन की बातें बयान कर रहा था यह सब बातें सुनकर निर्मला की बुर एकदम गीली हो चुकी थी। वह गर्म सांसे बाहर छोड़ते हुए बोली।)


शुभम तु तो एकदम से छिछोरा हो गया रे तू भी अपने दोस्तों की संगत में ऊन्ही की तरह करने लगा। अब वाकई में तू बहुत बड़ा हो गया है अच्छा यह बता कि बाद में तूने कब देखा मुझे बिना कपड़ों के।


आज ही तो देखा,,,( इस बार शुभम एकदम बिंदास होकर बोला।)


आज,,,, आज कब देख लिया तूने ( निर्मला के चेहरे के भाव बदल रहे थे।)


अरे आज ही तो देखा,,, जब मैं पार्टी में आने के लिए तैयार हो चुका था और मुझे पिशाब लगी तो मैं बाथरुम की तरफ जाने लगा और जैसे ही बाथरूम में पहुंचा तो दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था लेकिन मुझे क्या मालूम था कि अंदर तुम हो।

मैं तो एक बार फिर से तुम को देखकर एकदम दंग रह गया उस दिन की एकदम नंगी थी बाथरूम में आज भी तुम एकदम नंगी होकर नहा रही थी। मम्मी तुम्हारी खूबसूरती नंगे पैर में और भी ज्यादा निकल कर सामने आती है और तुम्हारी खूबसूरती देखकर तो मेरा मुंह खुला का खुला रह जाता है उस समय भी ऐसा हुआ तुम नहा रही थी और मैं तुम्हें बाथरुम से बाहर खड़ा हो कर देख रहा था और फिर से मेरा लंड टनटनाकर खड़ा हो गया।


( शुभम की बात सुनकर निर्मला के चेहरे पर कामुक मुस्कान तैरने लगी।)

सच मम्मी फिर से तुम्हें नंगी देख कर मेरी हालत खराब होने लगी दिल को मैंने थोड़ा दूर से देखा था लेकिन आज लगभग बिल्कुल करीब से देख रहा था तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड पानी मैं भीगी हुई और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी मैं तो बस देखता ही रह गया। मेरी हालत खराब होने लगी मैं अपने आप को संभाल पाता इससे पहले ही आपने वह नजारा मुझे दिखा दीे कि मैं तो पागल होते होते बचा।


ऐसा क्या तूने देख लिया और मैंने क्या दिखा दिया कि तू पागल होते होते बच गया।


पूछो मत मम्मी कि मैंने क्या देख लिया (अपने लंड को पेंट के ऊपर से सहलाते हुए) मैंने पहली बार तुम्हें पेशाब करते हुए देखा मेरी तो सांसे ही अटक गई मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि मैं या क्या देख रहा हूं मुझे लगने लगा था कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा लेकिन सपना नहीं वह हकीकत था।

तुम जैसे ही बैठकर मूतना शुरू करें ना जाने कहां से सीटी की आवाज मेरे कानों में गूंजने लगी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आवाज कहां से आ रही है बस इतना पता था कि तुम पेशाब कर रही हो मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपने कमरे में जा कर एक बार फिर से अपने लंड को हिलाकर पानी निकाल दिया।



( निर्मला तो अपने बेटे की इस बात को सुनकर एकदम हैरान हो गई उत्तेजना और आश्चर्य दोनों के भाव उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहे थे। वह इस बात से बिल्कुल हैरान हो चुकी थी कि उसकी पीठ पीछे इतना कुछ हो गया और उसे भनक तक नहीं लगी।

उसका बेटा उसे नंगी देख देख कर अपना लंड हिला कर मुठ मारता रहा लेकिन इस बात का उसे जरा भी अंदाजा ही नहीं हुआ। इसका मतलब था कि वह अपने बेटे को अब तक एकदम नादान समझती थी लेकिन उसका बेटा उसकी सोच से एक कदम आगे ही था।)


वाह बेटा तूने तो कमाल कर दिया मुझे तो इस बात की भनक तक नहीं लगी और तू मेरी पीठ पीछे मुझे एकदम नंगी देख देखकर ना जाने कैसे-कैसे ख्याल करके अपना पानी निकालता रहा।


मम्मी जो कुछ भी हुआ सब अनजाने में हुआ मुझे तो इस बारे में कुछ पता भी नहीं था।


चल कोई बात नहीं मुझे पता है कि यह उम्र ही है ऐसी है अच्छा यह बता कि तूने मेरे बदन का कौन कौन सा हिस्सा देखा है।


लगभग मम्मी मैंने आपके बदन का हर हिस्सा देख लिया हूं,,,


अरे देख लिया है तो बता तो सही कौन कौन सा हिस्सा देखा है नाम लेकर तो बता (निर्मला एक हाथ से धीरे-धीरे अपने ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोली)


मम्मी सबसे पहले तो मैंने आपकी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां को देखा जिसे देख कर मैं एकदम हैरान हो गया और उसके बाद तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड को जिसका मटकना हालत खराब कर देता है।


और क्या देखा तूने,,, ( इतना कहने के साथ ही निर्मला ब्लाउज के पहले बटन को खोल चुकी थी जिस पर शुभम की नजरें गड़ी हुई थी।)


बस मम्मी इसे ज्यादा मैंने और कुछ नहीं देखा


क्या इससे ज्यादा तूने और कुछ नहीं देखा और तू कहता है कि मैंने सब कुछ देख लिया,,, तूने औरतों के सारे अंग को देख लिया लेकिन औरत के मुख्य द्वार को अभी तक नहीं देख पाया।


मुख्य द्वार ये मुख्य द्वार क्या होता है मम्मी?( शुभम भोलेपन से बोला।)


तो सच में बुद्धू है अरे मुख्य द्वार मतलब जिसे बूर कहते हैं। वह तो तूने देखा ही नहीं और तो मुझे कह रहा है कि तूने मुझे पेशाब करते हुए देखा।


हां मम्मी मैंने सच में तुम्हें पेशाब करते हुए देखा हूं लेकिन तुम्हारी बुर को मेने नहीं देख पाया।


पेशाब करते हुए देखा लेकिन पेशाब कहां से निकलती है तुझे नहीं दिखाई दिया।


नहीं मम्मी मैं सच कह रहा हूं पेशाब करते हुए देखा लेकिन पेशाब कहां से निकलती है वह मुझे नहीं दिखाई दिया क्योंकि आप बैठी हुई थी तो मुझे ठीक से नहीं दिखा।


पागल जिसमें से पेशाब निकलती है उसे ही बुर कहते हैं। और इसी बुर को पाने के लिए तो दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है तुझे पता है। अच्छा तु यह बता तूने कभी किसी औरत को चुदवाते या किसी आदमी को चोदते देखा है?


भीगती तुफानी बारीश मे कार के अंदर का तापमान एकदम गर्म हो चुका था। दोनों मां बेटे की गर्म बातों से कार के अंदर का माहौल एकदम गर्म हो चुका था दोनों कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आपस में बैठकर इस तरह से गंदी बातें करेंगे और एक दूसरे के अंगों को प्यासी नजरों से देखेंगे लेकिन अब यह एक दम सच हो चुका था तूफानी बारिश में हाईवे के किनारे सुनसान जगह पर जंगली झाड़ियों के बीच दोनों मां बेटे किसी एक नए सफर के लिए निकल चुके थे जिसमें दोनों अपनी वासना का तूफान लिए दरिया को पार करने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

 
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भीगती तुफानी बारीश मे कार के अंदर का तापमान एकदम गर्म हो चुका था। दोनों मां बेटे की गर्म बातों से कार के अंदर का माहौल एकदम गर्म हो चुका था दोनों कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आपस में बैठकर इस तरह से गंदी बातें करेंगे और एक दूसरे के अंगों को प्यासी नजरों से देखेंगे लेकिन अब यह एक दम सच हो चुका था।

तूफानी बारिश में हाईवे के किनारे सुनसान जगह पर जंगली झाड़ियों के बीच दोनों मां बेटे किसी एक नए सफर के लिए निकल चुके थे जिसमें दोनों अपनी वासना का तूफान लिए दरिया को पार करने की पूरी कोशिश कर रहे थे।

गरम बातों की वजह से निर्मला की बुर पूरी तरह से की जा चुकी थी उसका एक बटन खुला हुआ था उसके चेहरे पर कामुकता साफ नजर आ रहीे थीे, यही हाल शुभम का भी था पेंट में उसका लंड तूफान मचाए हुए था वह बाहर आने के लिए तड़प रहा था जिसे वह बार बार अपने हाथों से शांत करने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह शांत होने की वजह और भी ज्यादा भड़क रहा था। अपनी मां के कामुकता से भरे इस सवाल का जवाब देते हुए शुभम बोला।)


नही मम्मी मैंने आज तक ऐसा कुछ भी नहीं देखा,,,


क्या बेटा तू क्या करता है इतना हैंडसम हो कर के भी इस उम्र में तूने अब तो कुछ भी नहीं देख पाया। तुझे पता है एक आदमी अपने लंड को औरत के किस अंग में डालकर उसे चोदता है।

( निर्मला के इस सवाल पर शुभम के चेहरे पर पसीने की बूंदे साफ झलतने लगी ऐसे ठंडे मौसम में भी दोनों मां बेटे के बदन से पसीना टपक रहा था।

शुभम अपनी मां के सवाल का क्या जवाब दे उसके पास कोई जवाब नहीं था क्योंकि उसने आज तक चुदाई नामक कामक्रिडा को देखा ही नहीं था।

उसे यह बिल्कुल भी नहीं पता था कि औरत अपनी किस्मत में आदमी की नंगी को बुला कर चुदवाती है जो आदमी अपने लंड को औरत की किस अंग में डाल कर चोदता है । इन सब बातों से शुभम बिल्कुल अंजान था उसने बस दोस्तों से सुन रहा था था चोदना चुदाई करना चुदवाना इन सब का उल्लेख वह शब्दों से ही जानता था।

इतना तो उसे पता था कि यह सब करने से औरत और मर्द दोनों को आनंद ही आनंद आता है। लेकिन कैसे करते हैं यह उसे नहीं मालूम था। इसलिए अपनी मां के सवाल पर वह खामोश ही रहा लेकिन निर्मला शुभम की खामोशी को तोड़ते हुए बोली


क्या हुआ बता,,,,, तुझे नहीं मालूम है क्या?


इस बार सुबह अपनी मां की अधनंगी जांघो और ब्लाउज के खुले बटन मैसे आधे से ज्यादा बाहर निकली हुई चूचीयो की तरफ पैंट के ऊपर से अपने लंड को मसलता हुआ ना में सिर हिला दिया और अपनी बेटे का इशारा समझ कर वह मुस्कुराने लगी,,,,

अपने बेटे के इशारे पर उसे वह समझ गई कि उसका बेटा वाकई में इस मामले में एकदम बुद्धू है भले ही उसके पास घोड़े के लंड की तरह हथियार है लेकिन उसकी बातों से साफ पता चलता है कि उसने अभी तक अपने लंड को सिर्फ हाथों से ही लाया है उसने अभी तक किसी भी लड़की या औरत की बुर का स्वाद नहीं चखा है।

इस बात से वह एकदम प्रसन्न हो गई की उसका लड़का अभी तक एक दम कुंआरा था और सितल की बात याद आते हीै उसके मन में सतरंगी तरंग बजने लगे कि इस उम्र में जवान लंड से चुदवाने का मजा ही कुछ और होता है।

निर्मला के होठो पर कुटिल मुस्कान फैल गई वह अपने बेटे की नादानी देख कर खुशी से गदगद होने लगी। उसे बड़ा अजीब लगा कि इस उम्र में उसका बेटा अभी तक यह नहीं जानता कि लड़के लड़की के किस अंग में लंड डालकर उसे छोड़ते हैं बल्कि उसकी उम्र में तो लड़की ना जाने क्या-क्या कर चुके होते हैं।

निर्मला अपने बेटे की तरफ देखकर अपनी जवानी का जलवा दिखाते हुए मुस्कुराते हुए बोली।


क्या सच में तुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम है कि लंड किस अंग में डाल कर चुदाई की जाती है या तो सिर्फ ऐसे ही भोला बन रहा है।


सच मम्मी मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम मैंने तो अभी तक कुछ देखा ही नहीं तो कैसे बता दूं।


शुभम के बदन मे भी उत्तेजना की लहर पुरी तरह से अपना जाल बिछा चुकी थी इसलिए वह अपनी मां की आंखों के सामने जो अभी तक लंड को पैंट के ऊपर से ही दबा दे रहा था वह अब जान बूझकर मसलने लगा था।यह देखकर निर्मला की भी बुर कुलबुलाने लगी थी। उत्तेजना के मारे निर्मला का चेहरा लाल लाल हो गया था जोकिं इस समय बेहद कामुक लग रहा था। वो फिर से अपने सूखे होंठ पर जीभ फिराते हुए बोली।


क्या शुभम मुझे तो लगता था कि मेरा बेटा जरूर दो चार लड़कियों को अपनी गर्लफ्रेंड बना कर रखा होगा।


अपनी मां की बात सुनकर शुभम हंसने लगा और शुभम को इस तरह हंसता हुआ देखकर निर्मला बोली।


क्यों क्या हुआ हंस क्यों रहा है।


अब हंसु नहीं तो क्या करूं मम्मी मुझे देखकर तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं ऐसा कर सकता हूं।


क्यों तुम मर्द नहीं ह?


ऐसी बात नहीं है मम्मी,,,


फिर कैसी बात है,,,, हथियार तो बड़ा भारी रखा है,,,, लगता ही नहीं कि इंसान का है।

( शुभम अपनी मां की यह बात सुनकर उसे एकटक देखने लगा उसे समझ में नहीं आया कि उसकी मां क्या कह रही है बहुत बड़े ही आश्चर्य के साथ अपनी मां को देखते हुए बोला।)


क्या मतलब मैं कुछ समझा नहीं


तू सच में एकदम बुद्धू का बुद्धू ही है। इतना भी नहीं समझता। अच्छा क्या तुझे गर्मी महसूस हो रही है।( निर्मला अपने माथे पर से पसीने को पोंछते हुए बोली।)


हां मम्मी मुझे भी गर्मी महसूस हो रही है देखो मेरे माथे पर भी पसीना ऊपस आया है।


तुझे मालूम है ऐसी बारिश के मौसम में पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है और ऐसे में गर्मी महसूस नहीं होनी चाहिए लेकिन इस गर्मी के महसूस होने का कारण तु शायद नहीं जानता।


क्या कारण है मम्मी?


हम दोनों जिस तरह की बातें कर रहे हैं यह उन बातों में थोड़ी मस्ती की गर्मी है। तू भी अच्छी तरह से जानता है कि तेरे दोस्त भी इसी तरह की बातें करते हैं। और उनकी बातों को सुनकर तुझे भी मजा आता है सच सच बताना सुबह तेरे दोस्तों की बातें सुनकर तुझे भी मजा आता था ना।

देखो झूठ मत बोलना सब कुछ खुलकर बोले झुकाते हैं अभी बोल दो आज की रात तेरे और मेरे बीच में शर्म की कोई दीवार नहीं होनी चाहिए मैं तुझसे पहले ही कह चुका हूं कि तुम मुझसे अपना दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड समझ कर बात कर



हां मम्मी उन लोगों की बातें गंदी जरूर थीै लेकिन मुझे भी मजा आता था।


तो जब वो तेरी मम्मी के बारे में मतलब कि मेरे बारे में गंदी बातें कर रहे थे तो तो तू ऊनसे झगड़ा क्यों करने लगा।


तो क्या करता वह लोग तुम्हारे बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे थे और ऐसी गंदी गंदी बातें जो कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था तो ऐसी बातें सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और मैं उन लोगों से झगड़ा कर बैठा।

अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुराने लगी और मुस्कुराती भी कैसे नहीं क्योंकि उसे भी अपने लिए उसके दोस्तों से उसका झगड़ा करना अच्छा लगा। तभी वह मुस्कुराते हुए अपने ब्लाउज की दूसरे बटन को भी खोलते हुए बोली।


देख लगता है कि हम दोनों की बातें कुछ ज्यादा ही गर्म होती जा रही है इसलिए मुझे गर्मी कुछ ज्यादा ही लग रही है।

( ऐसा कहते हुए लेकिन मेरा नहीं अपने दूसरे बटन को भी खोल दी दूसरे बटन के खुलते ही उसकी आधे से भी ज्यादा चूचियां ऐसा लग रही थी कि अभी ब्लाउज की बाकी बचे बटन को तोड़कर बाहर आ जाएंगी।

शुभम तो यह नजारा देख कर उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया उसकी सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी और वह अपनी फटी आंखों से अपनी मां के सीने की गोलाइयों को देखने लगा।

सांसों के साथ साथ ऊपर नीचे होती हुई निर्मला की चूचीयां किसी समुंदर में तैरते हुए पहाड़ की तरह लग रही थी। निर्मला भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके हुस्न का जादू शुभम पर पूरी तरह से छा चुका था।

निर्मला को अपनी बेटे की हालत पर हंसी आ रही थी आज पहली बार निर्मला ऐसे हालात के दौर से गुजर रही थी कि किसी के सामने वह अपने हुस्न का जलवा बिखेरते हुए अपने अंदर दबी हुई चिंगारी को भड़का रही थी। आज वह अपने बेटे के साथ रिश्तो की मर्यादा को तार-तार करने के लिए पूरी तरह से उतारू हो चुकी थी। बरसों की प्यासी निर्मला आज हर रिश्ते को भूल जाना चाहती थी । समाज के पन्ने पर लिखे हुए मां-बेटे के रिश्ते को वह वासना के रबड़ से मिटा देना चाहतेी थी।

शुभम की सासे बड़ी तेजी चल रही थी और उसका हाथ उसके लंड पर पेंट के ऊपर से ही उसे सहना रहा था वह भी अपनी शर्म को भूल चुका था इसमें उसकी भी कोई गलती नहीं थी हालात ही कुछ ऐसे बन चुके थे कि जिससे नजर. फेर पाना ऊसके बस मे नहीं था और वह कर भी क्या सकता था जिस उम्र के दौर सेवह गुजर रहा था ऐसे मैं अक्सर जवान होते लड़को की नजर ना चाहते हुए भी आपसी रिश्तो के पीछे छुपे खूबसूरत आकर्षण के प्रति आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाते।


यही हाल शुभम का भी हो रहा था उसके सामने तो रूप खूबसूरती और सेक्स से भरा हुआ एक पतीला पड़ा था जिसमें से वह पेट भरना चाहता था,,, अपनी प्यास को बुझाना चाहता था अपनी भुख मिटाना चाहता था। लेकिन स्वादिष्ट व्यंजन से भरे हुए पतीले में वह हाथ बढ़ाने से डरता था जबकि निर्मला तो खुद ही शुभम के सामने परोसी हुई थाली बन कर बैठी थी। भाभी शुभम के आगे हाथ बढ़ाने का इंतजार कर रही थी लेकिन उसकी हालत देखकर वह समझ गई थी कि शुभम से कुछ होने वाला नहीं है जो भी करना है उसे ही करना होगा।


रात गहराती जा रहे थे बादल अभी भी बरस रहे थे और साथ में गरज भी रहे थे दूर-दूर तक खाली बिजली के चमकने की रोशनी नजर आ रही थी सब कुछ वीरान पड़ा था ऐसे में निर्मला और शुभम एक ही कार में बैठ कर एक दूसरे के मन को उधेड़ रहे थे।

आपसी बातचीत के दौरान दोनों को एक दूसरे को समझने में काफी मदद मिल रही थी। दोनों इतना तो जान ही चुके थे कि इस तूफानी बारिश का दूसरा अध्याय दोनों के लिए कुछ अजीब और अद्भुत लेकर आने वाला है।
 
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रात गहराती जा रहे थे बादल अभी भी बरस रहे थे और साथ में गरज भी रहे थे दूर-दूर तक खाली बिजली के चमकने की रोशनी नजर आ रही थी सब कुछ वीरान पड़ा था ऐसे में निर्मला और शुभम एक ही कार में बैठ कर एक दूसरे के मन को उधेड़ रहे थे। आपसी बातचीत के दौरान दोनों को एक दूसरे को समझने में काफी मदद मिल रही थी। दोनों इतना तो जान ही चुके थे कि इस तूफानी बारिश का दूसरा अध्याय दोनों के लिए कुछ अजीब और अद्भुत लेकर आने वाला है।


निर्मला सही मौके का इंतजार कर रहे थे अपनी जिंदगी में जिसने कभी गाली को भी अपने होठों पर नहीं आने दी थी आज वह खुद अपने बदन को अपने बेटे के सामने खोलकर धीरे-धीरे उसे उकसा रही थी।

उसकी साड़ी जांघो पर चढ़ी हुई थी ब्लाउज के दोनों बटन खुले हुए थे जिसमें से आधे से भी ज्यादा चुचीयां बाहर को लटकी हुई थी। यह सब देख कर शुभम की हालत संभाले नहीं संभल रही थी वह अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल रहा था।

अपने बेटे को इस तरह से उसकी आंखों के सामने लंड को मसलता हुआ देखकर निर्मला की बुर में चीटियां रेंगने रखी थी। वह अपने बेटे के हथियार को अच्छी तरह से अपने हाथों में लेकर देख चुकी थी इसके लिए वह जानती थी कि उसमें कितना दम है बस आजमाना बाकी था।

निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि उसके एक इशारे पर उसका बेटा उस पर टूट पड़ेगा और बरसों से ना बुझने वाली प्यासा कौ वह अपने लंड से रगड़ कर एकदम तृप्त कर देगा। निर्मला अपने आपको अपने बेटे के साथ सांभोगिक मुठभेड़ के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी लेकिन फिर भी अभी आगे बढऩे मैं थोड़ा सा कतरा रही थी। अभी भी थोड़ी सी झिझक ऊसके अंदर बाकी थीै और वह इस झिझक को बातचीत से खत्म करना चाहती थी।


रात काफी हो चुकी थी रात के तकरीबन 1:00 बज चुके थे। बातों की मस्ती में दोनों इस तरह से खोए की समय का ऊन्हे जरा भी पता ही नहीं चला।

दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर थी दोनों को नींद नहीं आ रही थी। हाथ में बदी घड़ी पर नजर गई तो निर्मला के होश उड़ गए कब तीन-चार घंटे बीत गए उसे पता ही नहीं चला। उसे अब इस बात का डर था कि अगर ऐसे ही सिर्फ बातों में ही उलझे रहे तो सुबह हो जाएगी और यह सुनहरा मौका उसके हाथ से निकल जाएगा।

बारिश थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। शुभम प्यासी आंखों से अपनी मां को गोरे जा रहा था और उसका यह घूरना निर्मला को बेहद आनंद की अनुभूति करा रहा था। निर्मला समय को ऐसे गुजरने नहीं देना चाहती थी इसलिए वह हाथ में घडी घडी की तरफ देखते हुए शुभम से बोली।


अरे सुबह देखो तो बातों ही बातों में कब समय गुजर गया इसका पता ही नहीं चला 1:00 बज रहा है।


क्या बात कर रही हो मम्मी सच में 1:00 बज रहा है।


हां रे ले तू भी देख ले(शुभम की तरफ घड़ी दीखा़ाते हुए)


हां मम्मी सच में समय का तो पता ही नहीं चला।


अब तो शीतल की पार्टी भी ना जाने कब से खत्म हो चुकी होगी हम लोग उसकी पार्टी में जा नहीं पाए,,, लेकिन शुभम तू सच बताना पार्टी से ज्यादा मजा तुझे इधर एकांत में मेरे साथ आ रहा है कि नहीं।


हां मम्मी तुम सच कह रही हो पार्टी से ज्यादा मजा इधर आ रहा है। (शुभम अपनी मां की चुचियों की तरफ देखता हुआ बोला)


तु शायद नहीं जानता कि मैं तुझसे ऐसी बातें क्यों कर रही हूं मेरे अंदर यह सब बरसों से दबा हुआ है मैं यह सब बातें तेरे पापा से करना चाहती थी और एक पति भी अपनी पत्नी से इसी तरह की बातें करता है मस्ती करता है लेकिन तेरे पापा को मुझ पर ध्यान ही नहीं देते।

इतना कहते हुए निर्मला में थोड़ा सा अपने घुटनों को मोदी जिससे उसकी सारी पूरी तरह से उसकी कमर तक चल गई और उसकी लाल रंग की पैंटी नजर आने लगी शुभम की नजर सीधे अपनी मां की पैंटी पर चली गई और वह अपने मां की लाल पेंटी को देखे कर एकदम से उत्तेजना का अनुभव करने लगा और उसकी सांसे तेज चलने लगी उसका हाथ अपने आप पेंट के ऊपर से लंड को जोर-जोर से मसलने लगा,,

यह तो बड़ा ही काम उत्तेजना से भरपूर नजारा था और एक जवान होते लड़के के लिए यह तो बेहद ही कामोत्तेजना और रोमांच से भरा हुआ नजारा था। निर्मला को भी आभास हो गया कि उसका लड़का उसकी पेंटी को देखकर एकदम उत्तेजित हो चुका है लेकिन वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)


शुभम तू नहीं जानता कि तेरे पापा मुझसे हमेशा कटे कटे से रहते हैं मुझसे ठीक से बात भी नहीं करते इसलिए मैं हमेशा अपने दुखों को छुपा कर अपने चेहरे पर बनावटी हंसी लाकर दुनिया के सामने रहती हूं।


क्या बात कर रही हो मम्मी क्या पापा तुमसे प्यार नहीं करते?


अगर करते होते तो क्या मुझे तुझसे इस तरह की बातें करने की जरूरत पड़ती।

इतना कहते हुए उसने इस बार अपनी हथेली को अपनी पैंटी पर रखकर हल्के हल्के से सहलाने लगी यह नजारा देखकर शुभम से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह गर्म आहें भरते हुए इस बात ना चाहते हुए भी पैंट के ऊपर से ही अपने लंड को मुट्ठी में भर लिया और यह देखकर निर्मला झट से बोली।


क्या बात है बेटा मैं काफी देर से देख रही हुं कि तू बार बार अपना हाथ अपने लंड पर रख दे रहा है तुझे अभी भी आराम नहीं मिला है क्या?

अपनी मां के मुंह से लंड शब्द सुनकर उसका लंड और भी ज्यादा टनटना गया। लेकिन वह बहाना बनाते हुए बोला।


नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मम्मी मुझे जोरों से पेशाब लगी है।


अरे तो फिर इतनी देर से तु रोका क्यों है कर क्यों नहीं लिया।


रुको मम्मी में करके आता हूं।

अपने बेटे की बात सुनते ही देखें उसके दिमाग की बत्ती जली हो और उसने तुरंत अपने बेटे को रोकते हुए बोली।


रुक जा बेटा कार से नीचे मत ज ऐसी तूफानी बारिश में इस जंगल झाड़ी में सांप बिच्छू के होने का खतरा बना रहता है।


तो मैं पेशाब केसे करूंगा मम्मी,,,


रुक जा में शीशा नीचे कर देती हुं तु यहीं से पेशाब कर ले,,,


ऐसे में मम्मी तुम्हारे सामने में कैसे कर सकता हूं।


अरे पागल अब मुझसे शर्माने की क्या जरूरत है रुक जा में शीशा नीचे कर देती हूं।( इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने बेटे के करीब आ गई और वहां से सीशे को नीचे करने लगी


ले अब कर ले,,,

शुभम की हालत खराब हुए जा रही थी उसे सच में पेशाब लगी थी उसका लंड पूरी तरह से पेंट के अंदर खड़ा था और ऐसे मैं उसे अपनी मां के सामने पेशाब करने में शर्म आ रही थी। निर्मला अपने बेटे की स्थिति को अच्छी तरह से समझ गई और वह बोली।


अच्छा रुक जा मैं जानती हूं तू मेरे सामने शर्मा रहा है।मैं ही तेरे लंड को तेरे पेंट से बाहर निकाल देती हूं उसके बाद तो पेशाब कर लेना।


शुभम कुछ सोच पाता इससे पहले ही निर्मला झट से उसके पेंट के बटन को खोलने लगी निर्मला के बगल में झुनझुनी सी फेल जा रही थी जब वह अपने बेटे के पेंट में बने तंबू को देख रही थी।

निर्मला आज वासना के वशीभूत होकर वह भी करने को तैयार हो गई थी जो कि उसने आज तक अपनी पती के साथ भी नहीं की थी इस तरह से वह अपने पति के पेंट को नहीं खोली थी।

अगले ही पल निर्मला ने अपने बेटे की पेंट को खोलकर जांगो तक सरकादी और अंडरवियर को भी नीचे सरका दिया जैसे ही उसका खड़ा लंड अंडरवियर के बाहर आया तो वह हवा में झूलने लगा जिसे देखकर निर्मला की बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी।

वह आंख फाड़े अपने बेटे के लंड को ही देखे जा रही थी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने बेटे के लंड के मोटे सुपाड़े को देखकर उसका मन एकदम से ललच रहा था।

उसके जी में तो आ रहा था कि वह अपने बेटे के लंड को मुंह में भरकर लॉलीपॉप की तरह चूस डाले। तभी निर्मला की नजर अपने बेटे की नजर से टकराई तो वह बेशर्मों की तरह अपने बेटे की आंख से आंख मिला कर देखने लगी।


शुभम भी अपनी मां की नजर में वासना का उठा हुआ तूफान देख रहा था जिसके अंदर वह खुद को डूबता हुआ नजर आ रहा था शुभम की हालत एकदम खराब हो रही थी अजब सा माहौल बना हुआ था तूफानी बारिश ठंडा मौसम उसके बावजूद भी कार का तापमान एकदम गर्म था। उत्तेजना के मारे निर्मला का गला सूख रहा था उसका चेहरा लाल सुर्ख हो चुका था वह अपने बेटे के लंड को अपने हथेली में पकड़ कर ना चाहते हुए भी ऊपर नीचे कर के हिलाते हुए बोली


देख मैं ना कहती थी कि तेरा हथियार देख कर लगता ही नहीं कि इंसान का हथियार है।( शुभम अपनी मां की बात सुनकर एकदम खामोश था और कह भी क्या सकता था और निर्मला शुभम के लंड को पकड़ कर गाड़ी की खिड़की से थोड़ा सा बाहर निकाल कर बोली


अब ले मूत ले,,,


निर्मला का इतना कहना था कि शुभम के लंड से पेशाब की पिचकारी निकलने लगी जो की बड़ी तेज रफ्तार से निकल रही थी। शुभम के लंड को निर्मला अभी भी अपनी हथेली में कस के पकड़े हुए थी।

शुभम की उत्तेजना का ठिकाना ना था उसे इस पल बेहद आनंद के अनुभूति हो रही थी वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा।

निर्मला को बस एक टक अपने बेटे के लंड को और उसमें से निकलती तेजधार को देखे जा रही थी। शुभम पेशाब गाड़ी के बाहर कर रहा था लेकिन गिली उसकी बुर हो रही थी। निर्मला भी इससे पहले किसी मर्द को पेशाब करते हुए नहीं देखी थी।

निर्मला से रहा नहीं गया तो वह एक हाथ से पेंटी के ऊपर से अपनी बुर को मसलने लगी जो कि काफी गीली हो चुकी थी।

निर्मला की पल-पल हालत खराब होती जा रही थी और कुछ ही देर में शुभम एकदम हल्का हो गया लेकिन उसके लंड का तनाव एकदम बरकरार था।


कार के अंदर का माहौल अब पूरी तरह से गरम हो चुका था शुभम पेशाब कर चुका था लेकिन उसे पैंट पहनने की शुध बिल्कुल भी नहीं थी। ज्यों का त्यों वह अपनी मां की आंखों में देखता हुआ वहीं बैठ गया,,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था जो कि अभी भी निर्मला के ही हाथ में था निर्मला भी नहीं चाहती थी कि शुभम पैंट पहनकर इस अद्भुत नजारे पर पर्दा गिरा दे।

निर्मला को भी पेशाब का अनुभव होने लगा उसे भी जोरों की पेशाब आई थी। वह अपने बेटे के लंड को हाथ में लिए हुए ही सोचने लगी कि यही सही मौका है उसे अपने बेटे को अपनी बुर दिखाने का है जिसे उसने आज तक नहीं देख पाया था। वह मन ही मन पूरी तरह से अपने मन में यह धारणा बना ली थी कि वह अपनी रसीली बुर अपने बेटे को दिखा कर उसे संभोग के लिए उत्तेजित और उत्साहित कर लेगी उसे अपनी इस धारणा पर पक्का विश्वास था कि उसका बेटा उसकी चिकनी रसीली बुर को देखेगा तो जरुर उसे चोदने के लिए तड़प उठेगा।
 
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