शुभम अभी सोच ही रहा था कि बारिश का जोर बढ़ने लगा अब तो बादलों की गड़गड़ाहट भी बढ़ने लगी। मौसम का मिजाज देख कर निर्मला को थोड़ी चिंता होने लगी अभी शीतल का घर काफी दूर था।
वैसे तो अगर तेजी से कार दौड़ाती तो 1 घंटे मे हीं पहुंच जाती लेकिन आराम से चलाने की आदत की वजह से काफी समय हो गया था अंधेरा छा चुका था हाईवे पर स्ट्रीट लाइट जल चुकी थी लेकिन तेज वर्षा के जोर के कारण कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था।
गाड़ी के हेडलाइट की रोशनी में भी ज्यादा दूर तक देखा नहीं जा रहा था। मौसम पूरी तरह से बिगड़ चुका था। ऐसे हालात में निर्मला के लिए गाड़ी चलाना उचित नहीं था यह बात वह खुद भी जानती थी। बार बार आसमान में हो रही बादलों की गड़गड़ाहट से वह घबरा जा रही थी।
एक तरफ उसके मन में घबराहट भी हो रही थी और एक तरफ वह अपने बेटे के मुंह से यह सुनना चाहती थी कि उसके दोस्त प्यार व्यार कि किस तरह की बातें उससे करते हैं।
शुभम को भी लगने लगा था कि यही मौका ठीक है वह भी सब कुछ खुलकर बता देगा हो सकता है उसके लिए भी मस्ती के दरवाजे खुल जाए। वह भी मौसम का मिजाज देख कर थोड़ा सा घबरा रहा था।
आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी। निर्मला बड़े ही धीमी गति से कार को आगे बढ़ा रही थी क्योंकि दो मीटर से ज्यादा की दूरी ठीक से नजर ही नहीं आ रही थी।
तेज हवा के साथ साथ तेज बारिश हो रही थी जिसकी वजह से सब कुछ धुंधला धुंधला सा नजर आ रहा था। निर्मला को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह शीतल के घर तक पहुंचेगी कैसे पार्टी भी शुरू हो गई होगी यह सब सोचकर वह बड़ी चिंतित नजर आने लगी।
कुछ देर पहले बड़ा ही रोमांटिक माहौल के बीच उसके मन में शुभम के हालात को जानने की बड़ी ही उत्सुकता थी लेकिन अब मौसम का मिजाज देख कर वह चिंतित हो गई थी।
ऐसे खराब मौसम में उसने कभी भी गाड़ी नहीं चलाई थी इसलिए उसके चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी।
काफी देर से दोनों के बीच में खामोशी छाई रही क्योंकि सुबह मैं इस बात का इंतजार कर रहा था कि उसकी मां फिर से उसे ज़ोर देकर पूछे और वहां धीरे धीरे सब कुछ बता दे ताकि उसे भी ठीक तरह से पता चले कि उसकी मम्मी के मन में क्या चल रहा है।
वह बार बार उसके सामने अपने अंगो का प्रदर्शन लगभग नग्नावस्था में क्यों कर रही है आखिर वह चाहती क्या है? और दूसरी तरफ निर्मला की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी जबसे शुभम उसके सपने में आकर उसकी जबरदस्ती चुदाई करके गया है तब से वह यही चाहती थी कि उसका यह सपना हकीकत में बदल जाए और वह जिस सुख का अनुभव सपने में भी करके एक दम मस्त हो गई थी उसे हकीकत में करके किस तरह का आनंद की अनुभूति होती है उस अनुभूति का अनुभव करना चाहती थी।
निर्मला का मन और दिमाग दोनों अब वासना के वशीभूत हो चुके थे। संभोग सुख प्राप्त करने की प्रबल भावना उसके मन में प्रजव्लित हो चुकी थी।
बरसात अपने पूरे जोर पर था हवा की जगह अब आंधीे चलने लगी थी। गाड़ी में तेज बौछार आ रही थी इसलिए निर्मला ने दोनों तरफ के कांच को बंद कर दी।
निर्मला आज मौसम के मिजाज को देखते हुए अच्छी तरह से समझ गई थी कि उससे ड्राइविंग कर पाना बड़ा मुश्किल होगा। ऐसे हालात में शीतल के घर पहुंच पाना बहुत मुश्किल सा हो गया था।
निर्मला के मन में यही सब चल रहा था कि तभी उसने अपनी गाड़ी को एका एक बहुत जोर से ब्रेक मारी,,, जोर से ब्रेक मारते ही,,, चीईईईईईई,,, की जबरदस्त आवाज के साथ ही गाड़ी अपनी जगह पर ही रुक गई गाड़ी रुकते ही निर्मला की जान में जान आए क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करती तो सामने वाली कार से टक्कर हो जाती जोकि तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।
मम्मी लगता है कि गाड़ी चला पाना आसान नहीं होगा (शुभम तेज बारिश को देखते हुए बोला।)
मैं भी यही सोच रही हूं बेटा समय भी काफी हो गया है अब शीतल के घर भी पहुंच नहीं पाएंगे वहां तो पार्टी शुरू हो गई होगी और इतनी तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा है। देखा नहीं तूने अगर ठीक समय पर ब्रेक नहीं मारी होती तो गाड़ी की टक्कर हो जाती।
गाड़ी को इस तरह से हाईवे पर खड़ी भी नहीं रह सकते जिस तरह से हमें दिखाई नहीं दिया उस तरह से दूसरे गाड़ी वालों को भी इतना नहीं दिख रहा होगा ऐसे में टक्कर होने का डर बना रहेगा।
तो अब क्या करें मम्मी( शुभम चिंतित स्वर में बोला।)
रुक जा कुछ सोचती हूं ( इतना कहकर निर्मला इधर-उधर नजर दौड़ाने लगी)
उसकी बात भी सही थी हाईवे पर गाड़ी खड़ी करने का मतलब था किसी भी गाड़ी का टक्कर होना मुमकिन था। निर्मला इधर उधर नजर दौड़ा कर सेफ जगह ढूंढ रही थी कि तभी उसे हाईवे के बगल में ही एक खाली जगह नजर आई।
निर्मला धीरे-धीरे गाड़ी को आगे बढ़ाते हुए हाईवे से नीचे गाड़ी को उतारने लगी और अगले ही पल निर्मला हाईवे से नीचे गाड़ी उतार कर एक घने पेड़ के नीचे गाड़ी को खड़ी कर दी। यहां लंबी लंबी घास भी हुई थी चारों तरफ घने पेड़ पौधे भी लगे हुए थे जिसकी वजह से गाड़ी ठीक से नजर भी नहीं आती और यह जगह सुरक्षित भी थी। बरसात अभी भी जोरो से बरस रही थी। गाड़ी को खड़े होते ही शुभम बोला।
यह कहां ले आई मम्मी यहां पर चारों तरफ लंबी लंबी ऊंची घासे है और यहां से अब तो हाईवे भी ठीक से नहीं नजर आ रहा है।
हां तो यही जगह तो एकदम सुरक्षित है। जहां पर रुक कर हम लोग बारिश थमने का इंतजार करेंगे और बारिश के कम होते ही यहां से चले जाएंगे तब तक के लिए हमें यहीं रुकना पड़ेगा ऐसे हालात में हाईवे पर रुकना भी ठीक नहीं है। ( निर्मला शुभम को समझाते हुए बोली।)
ठीक है मम्मी लेकिन बारिश को देख कर लगता नहीं है कि बारिश इतनी जल्दी बंद हो जाएगी और अब तो हम लोग पार्टी में भी नहीं पहुंच पाएंगे,,,, शीतल मैडम खामखा नाराज होंगी
नहीं नाराज होगी उसे भी तो पता ही होगा कि बारिश बहुत तेज पड़ रही है अच्छा रुकने उसे फोन करके बोल देती हूं।
इतना कहने के बाद निर्मला अपना पर्स मोबाइल निकाल कर शीतल का नंबर डायल करने लगे लेकिन तेज बारिश की वजह से नेटवर्क ही नहीं मिल पा रहा था तीन चार बार ट्राई करने के बाद हैरान होकर वाह मोबाइल को फिर से पर्स में रखते हुए बोली।
धत तेरे की नेटवर्क ही नहीं मिल रहा
सारा मजा किरकिरा हो गया मम्मी,,, पूरा प्लान चौपट हो गया,,, तुम कितनी अच्छी तरह से तैयार हुई थी पार्टी में जाने के लिए लेकिन तुम्हारा मूड भी ऑफ हो गया होगा।
हां सो तो है लेकिन मौसम के आगे कर भी क्या सकते हैं।
निर्मला और शुभम दोनों का मूड ऑफ हो गया था क्योंकि दोनों के बीच बड़े ही अच्छी तरीके से वार्तालाप हो रहे थे और यह वार्तालाप धीरे धीरे गर्माहट का अंदेशा लिए आगे बढ़ रही थी लेकिन मौसम की वजह से सारा मजा किरकिरा हो चुका था।
गाड़ी का कांच बंद होने की वजह से परफ्यूम और निर्मला के बदन की मादक खुशबू का मिलाजुला बेहद मादक सुगंध पूरी गाड़ी में बड़ी तीव्रता के साथ अपना असर दिखा रही थी। शुभम को परफ्यूम की खुशबू से ज्यादा बेहतर और उत्तेजनात्मक खुशबू उसकी मां के बदन से आ रही सुगंधित खुशबू लग रही थी।
दोनों के बीच फिर से खामोशी छाई रहीं निर्मला स्टेयरिंग पर अपना हाथ रख कर शुभम की ही तरफ देखे जा रही थी धीरे-धीरे निर्मला के बदन में वासना की गर्मी फैलती जा रही थी। शुभम का खूबसूरत चेहरा निर्मला को ऊन्मादित कर रहा था। शुभम का गठीला बदन निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर फैला रहा था।
वैसे देखा जाए तो हालातों पर माहौल का भी गहरा असर पड़ता है और मौसम का मिजाज जरूर थोड़ा सा खराब था लेकिन जितना खराब था उतना ही एक औरत एक मर्द के लिए बेहद रोमांटिक और उत्तेजनात्मक भी था और इस समय कार में भले ही एक मां और एक बेटा बैठा हुआ था लेकिन इस तरह के बरसाती मौसम में और वह भी हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर और एक बंद कार में,
यह हालात ओर एकांत किसी भी पवित्र रिश्ते चाहे वह कैसा भी हो चाहे भाई-बहन का हो या फिर मां-बेटे का हो उनके बीच का पवित्र रिश्ते की डोरी टूट कर बिखर जाती है केवल उनके बीच रिश्ता रह जाता है तो सिर्फ एक मर्द और एक औरत का और आज जिस तरह का एकांत और मौसम का साथ शुभम और निर्मला को मिला था और दोनों के अंदर जो काम भावना एक दूसरे के बदन को देखकर प्रज्वलित हो चुकी थी उससे यही लग रहा था कि आज की रात इन दोनों के पवित्र रिश्ते के बीच की मर्यादा की डोऱ संस्कारों की डोर टूट कर तार-तार हो जाएगी।
इसलिए तो इस तरह के बरसाती माहौल में एकदम सुनसान जगह पर एकांत पाकर अपने बेटे को एकटक निहारते हुए मुस्कुरा रहीे थी। शुभम अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर बोला।
क्या मम्मी तो सारा मजा किरकिरा हो गया पार्टी में जा नहीं पाए और तुम हो कि इस तरह से हंस रही हो
अब हंसो नहीं तो क्या करूं,,, वैसे एक बात कहूं जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली।)
क्या खाक जो भी होता है अच्छे के लिए होता है इतनी तूफानी बारिश मे हमें इस तरह से हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर रुकना पड़ा यह क्या अच्छा हो रहा है।
हां बेटा जो भी होता है अच्छे के लिए होता है तू इस तरह से उदास मत हो हम दोनों इसी जगह पर पार्टी मनाएंगे बस,, मैं हूं ना तू चिंता मत कर
निर्मला की बाते शुभम को अजीब लग रही थी आखिर इस जगह पर कैसे पार्टी मनाएंगे।
वैसे तो अगर तेजी से कार दौड़ाती तो 1 घंटे मे हीं पहुंच जाती लेकिन आराम से चलाने की आदत की वजह से काफी समय हो गया था अंधेरा छा चुका था हाईवे पर स्ट्रीट लाइट जल चुकी थी लेकिन तेज वर्षा के जोर के कारण कुछ साफ साफ दिखाई नहीं दे रहा था।
गाड़ी के हेडलाइट की रोशनी में भी ज्यादा दूर तक देखा नहीं जा रहा था। मौसम पूरी तरह से बिगड़ चुका था। ऐसे हालात में निर्मला के लिए गाड़ी चलाना उचित नहीं था यह बात वह खुद भी जानती थी। बार बार आसमान में हो रही बादलों की गड़गड़ाहट से वह घबरा जा रही थी।
एक तरफ उसके मन में घबराहट भी हो रही थी और एक तरफ वह अपने बेटे के मुंह से यह सुनना चाहती थी कि उसके दोस्त प्यार व्यार कि किस तरह की बातें उससे करते हैं।
शुभम को भी लगने लगा था कि यही मौका ठीक है वह भी सब कुछ खुलकर बता देगा हो सकता है उसके लिए भी मस्ती के दरवाजे खुल जाए। वह भी मौसम का मिजाज देख कर थोड़ा सा घबरा रहा था।
आसमान में बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ने लगी थी। निर्मला बड़े ही धीमी गति से कार को आगे बढ़ा रही थी क्योंकि दो मीटर से ज्यादा की दूरी ठीक से नजर ही नहीं आ रही थी।
तेज हवा के साथ साथ तेज बारिश हो रही थी जिसकी वजह से सब कुछ धुंधला धुंधला सा नजर आ रहा था। निर्मला को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर वह शीतल के घर तक पहुंचेगी कैसे पार्टी भी शुरू हो गई होगी यह सब सोचकर वह बड़ी चिंतित नजर आने लगी।
कुछ देर पहले बड़ा ही रोमांटिक माहौल के बीच उसके मन में शुभम के हालात को जानने की बड़ी ही उत्सुकता थी लेकिन अब मौसम का मिजाज देख कर वह चिंतित हो गई थी।
ऐसे खराब मौसम में उसने कभी भी गाड़ी नहीं चलाई थी इसलिए उसके चेहरे पर घबराहट साफ नजर आ रही थी।
काफी देर से दोनों के बीच में खामोशी छाई रही क्योंकि सुबह मैं इस बात का इंतजार कर रहा था कि उसकी मां फिर से उसे ज़ोर देकर पूछे और वहां धीरे धीरे सब कुछ बता दे ताकि उसे भी ठीक तरह से पता चले कि उसकी मम्मी के मन में क्या चल रहा है।
वह बार बार उसके सामने अपने अंगो का प्रदर्शन लगभग नग्नावस्था में क्यों कर रही है आखिर वह चाहती क्या है? और दूसरी तरफ निर्मला की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी जबसे शुभम उसके सपने में आकर उसकी जबरदस्ती चुदाई करके गया है तब से वह यही चाहती थी कि उसका यह सपना हकीकत में बदल जाए और वह जिस सुख का अनुभव सपने में भी करके एक दम मस्त हो गई थी उसे हकीकत में करके किस तरह का आनंद की अनुभूति होती है उस अनुभूति का अनुभव करना चाहती थी।
निर्मला का मन और दिमाग दोनों अब वासना के वशीभूत हो चुके थे। संभोग सुख प्राप्त करने की प्रबल भावना उसके मन में प्रजव्लित हो चुकी थी।
बरसात अपने पूरे जोर पर था हवा की जगह अब आंधीे चलने लगी थी। गाड़ी में तेज बौछार आ रही थी इसलिए निर्मला ने दोनों तरफ के कांच को बंद कर दी।
निर्मला आज मौसम के मिजाज को देखते हुए अच्छी तरह से समझ गई थी कि उससे ड्राइविंग कर पाना बड़ा मुश्किल होगा। ऐसे हालात में शीतल के घर पहुंच पाना बहुत मुश्किल सा हो गया था।
निर्मला के मन में यही सब चल रहा था कि तभी उसने अपनी गाड़ी को एका एक बहुत जोर से ब्रेक मारी,,, जोर से ब्रेक मारते ही,,, चीईईईईईई,,, की जबरदस्त आवाज के साथ ही गाड़ी अपनी जगह पर ही रुक गई गाड़ी रुकते ही निर्मला की जान में जान आए क्योंकि अगर वह ऐसा नहीं करती तो सामने वाली कार से टक्कर हो जाती जोकि तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था।
मम्मी लगता है कि गाड़ी चला पाना आसान नहीं होगा (शुभम तेज बारिश को देखते हुए बोला।)
मैं भी यही सोच रही हूं बेटा समय भी काफी हो गया है अब शीतल के घर भी पहुंच नहीं पाएंगे वहां तो पार्टी शुरू हो गई होगी और इतनी तेज बारिश और हवा की वजह से ठीक से दिखाई भी नहीं दे रहा है। देखा नहीं तूने अगर ठीक समय पर ब्रेक नहीं मारी होती तो गाड़ी की टक्कर हो जाती।
गाड़ी को इस तरह से हाईवे पर खड़ी भी नहीं रह सकते जिस तरह से हमें दिखाई नहीं दिया उस तरह से दूसरे गाड़ी वालों को भी इतना नहीं दिख रहा होगा ऐसे में टक्कर होने का डर बना रहेगा।
तो अब क्या करें मम्मी( शुभम चिंतित स्वर में बोला।)
रुक जा कुछ सोचती हूं ( इतना कहकर निर्मला इधर-उधर नजर दौड़ाने लगी)
उसकी बात भी सही थी हाईवे पर गाड़ी खड़ी करने का मतलब था किसी भी गाड़ी का टक्कर होना मुमकिन था। निर्मला इधर उधर नजर दौड़ा कर सेफ जगह ढूंढ रही थी कि तभी उसे हाईवे के बगल में ही एक खाली जगह नजर आई।
निर्मला धीरे-धीरे गाड़ी को आगे बढ़ाते हुए हाईवे से नीचे गाड़ी को उतारने लगी और अगले ही पल निर्मला हाईवे से नीचे गाड़ी उतार कर एक घने पेड़ के नीचे गाड़ी को खड़ी कर दी। यहां लंबी लंबी घास भी हुई थी चारों तरफ घने पेड़ पौधे भी लगे हुए थे जिसकी वजह से गाड़ी ठीक से नजर भी नहीं आती और यह जगह सुरक्षित भी थी। बरसात अभी भी जोरो से बरस रही थी। गाड़ी को खड़े होते ही शुभम बोला।
यह कहां ले आई मम्मी यहां पर चारों तरफ लंबी लंबी ऊंची घासे है और यहां से अब तो हाईवे भी ठीक से नहीं नजर आ रहा है।
हां तो यही जगह तो एकदम सुरक्षित है। जहां पर रुक कर हम लोग बारिश थमने का इंतजार करेंगे और बारिश के कम होते ही यहां से चले जाएंगे तब तक के लिए हमें यहीं रुकना पड़ेगा ऐसे हालात में हाईवे पर रुकना भी ठीक नहीं है। ( निर्मला शुभम को समझाते हुए बोली।)
ठीक है मम्मी लेकिन बारिश को देख कर लगता नहीं है कि बारिश इतनी जल्दी बंद हो जाएगी और अब तो हम लोग पार्टी में भी नहीं पहुंच पाएंगे,,,, शीतल मैडम खामखा नाराज होंगी
नहीं नाराज होगी उसे भी तो पता ही होगा कि बारिश बहुत तेज पड़ रही है अच्छा रुकने उसे फोन करके बोल देती हूं।
इतना कहने के बाद निर्मला अपना पर्स मोबाइल निकाल कर शीतल का नंबर डायल करने लगे लेकिन तेज बारिश की वजह से नेटवर्क ही नहीं मिल पा रहा था तीन चार बार ट्राई करने के बाद हैरान होकर वाह मोबाइल को फिर से पर्स में रखते हुए बोली।
धत तेरे की नेटवर्क ही नहीं मिल रहा
सारा मजा किरकिरा हो गया मम्मी,,, पूरा प्लान चौपट हो गया,,, तुम कितनी अच्छी तरह से तैयार हुई थी पार्टी में जाने के लिए लेकिन तुम्हारा मूड भी ऑफ हो गया होगा।
हां सो तो है लेकिन मौसम के आगे कर भी क्या सकते हैं।
निर्मला और शुभम दोनों का मूड ऑफ हो गया था क्योंकि दोनों के बीच बड़े ही अच्छी तरीके से वार्तालाप हो रहे थे और यह वार्तालाप धीरे धीरे गर्माहट का अंदेशा लिए आगे बढ़ रही थी लेकिन मौसम की वजह से सारा मजा किरकिरा हो चुका था।
गाड़ी का कांच बंद होने की वजह से परफ्यूम और निर्मला के बदन की मादक खुशबू का मिलाजुला बेहद मादक सुगंध पूरी गाड़ी में बड़ी तीव्रता के साथ अपना असर दिखा रही थी। शुभम को परफ्यूम की खुशबू से ज्यादा बेहतर और उत्तेजनात्मक खुशबू उसकी मां के बदन से आ रही सुगंधित खुशबू लग रही थी।
दोनों के बीच फिर से खामोशी छाई रहीं निर्मला स्टेयरिंग पर अपना हाथ रख कर शुभम की ही तरफ देखे जा रही थी धीरे-धीरे निर्मला के बदन में वासना की गर्मी फैलती जा रही थी। शुभम का खूबसूरत चेहरा निर्मला को ऊन्मादित कर रहा था। शुभम का गठीला बदन निर्मला के बदन में उत्तेजना की लहर फैला रहा था।
वैसे देखा जाए तो हालातों पर माहौल का भी गहरा असर पड़ता है और मौसम का मिजाज जरूर थोड़ा सा खराब था लेकिन जितना खराब था उतना ही एक औरत एक मर्द के लिए बेहद रोमांटिक और उत्तेजनात्मक भी था और इस समय कार में भले ही एक मां और एक बेटा बैठा हुआ था लेकिन इस तरह के बरसाती मौसम में और वह भी हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर और एक बंद कार में,
यह हालात ओर एकांत किसी भी पवित्र रिश्ते चाहे वह कैसा भी हो चाहे भाई-बहन का हो या फिर मां-बेटे का हो उनके बीच का पवित्र रिश्ते की डोरी टूट कर बिखर जाती है केवल उनके बीच रिश्ता रह जाता है तो सिर्फ एक मर्द और एक औरत का और आज जिस तरह का एकांत और मौसम का साथ शुभम और निर्मला को मिला था और दोनों के अंदर जो काम भावना एक दूसरे के बदन को देखकर प्रज्वलित हो चुकी थी उससे यही लग रहा था कि आज की रात इन दोनों के पवित्र रिश्ते के बीच की मर्यादा की डोऱ संस्कारों की डोर टूट कर तार-तार हो जाएगी।
इसलिए तो इस तरह के बरसाती माहौल में एकदम सुनसान जगह पर एकांत पाकर अपने बेटे को एकटक निहारते हुए मुस्कुरा रहीे थी। शुभम अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर बोला।
क्या मम्मी तो सारा मजा किरकिरा हो गया पार्टी में जा नहीं पाए और तुम हो कि इस तरह से हंस रही हो
अब हंसो नहीं तो क्या करूं,,, वैसे एक बात कहूं जो भी होता है अच्छे के लिए ही होता है।( निर्मला मुस्कुराते हुए बोली।)
क्या खाक जो भी होता है अच्छे के लिए होता है इतनी तूफानी बारिश मे हमें इस तरह से हाइवे के किनारे सुनसान जगह पर रुकना पड़ा यह क्या अच्छा हो रहा है।
हां बेटा जो भी होता है अच्छे के लिए होता है तू इस तरह से उदास मत हो हम दोनों इसी जगह पर पार्टी मनाएंगे बस,, मैं हूं ना तू चिंता मत कर
निर्मला की बाते शुभम को अजीब लग रही थी आखिर इस जगह पर कैसे पार्टी मनाएंगे।