Incest गांव की कहानी

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नहाने के बाद रूपाली और मंजू दोनों की खूबसूरती और ज्यादा खील उठी थी,,,,,, नदी पर नहाते समय दोनों के बीच जिस तरह की गंदी बातें हुई थी उसको लेकर मंजू की हालत खराब हो रही थी,,,,,रूपाली को अपनी ननद से इस तरह की गंदी बातें कर रहे हो आजकल तो लगा था लेकिन उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ा था क्योंकि वह तो खेली खाई थी,,, दो बच्चों की मां थी,,,,, लंड बुर चुदाई शब्द उसके लिए कोई नया नहीं था यह सब मंजू के लिए बिल्कुल नया था इस तरह की बातें करने से ही उसकी टांगों के बीच की पतली दरार से मदन रस का रिशाव होना शुरू हो जाता था,,,,,,,,


दूसरी तरफ रविकुमार परेशान था इस बात को लेकर कि आज वह अपनी बहन के बारे में बहुत ही गंदी बातें सोच गया था,,, ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था,,, यह पहली मर्तबा था जब वह अपनी बहन को झाड़ू लगाते हुए देख रहा था उसकी मस्त कर देने वाली नारंगी जैसी चुचियों को देख कर उसके खुद के मुंह में पानी आ गया था,, उसकी गदराई गांड पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी और उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसकी बहन वाकई में बहुत खूबसूरत है,,,,,, और बस इतने में वह अपनी बहन के बारे में गंदी बातों को सोचने लगा,,, इसमें उसकी कोई भी गलती नहीं थी अगर वह भाई के नजरीए से देखता तो शायद उसे अपनी बहन को लेकर इतने गंदे विचार कभी नहीं आते लेकिन वह एक मर्द के नजरिए से देख रहा था,, अपनी गलती पर उसे पछतावा भी हो रहा था,,,,,,,,, जिसके कारण आज उसका मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था स्टेशन के बाहर वह बड़े से आम के पेड़ के नीचे अपनी बेल गाड़ी खड़ी करके बैलगाड़ी में ही बैठा हुआ था,,, कुछ सवारियों को ले जाने के लिए उसने इनकार भी कर दिया यह देखकर उसके बाकी के साथी पूछने लगे कि आखिर वह सवारी क्यों नहीं ढो रहा,,, जवाब में उसने तबीयत ना ठीक होने का बहाना कर दिया,,,,। उस दिन के बारे में सोचने लगा था वह आपने मरती हुई मां को वचन दिया कि वह मंजू को अपनी छोटी बहन नहीं बल्कि अपनी लड़की समझ कर उसका पालन पोषण करेगा और उसकी अच्छे से शादी भी करेगा,,,,,, और अब तक उसने अपने वचन को निभाता भी आया बस हाथ पीले करने के लिए हाथ में पैसे कम पड़ रहे थे,,, अच्छा सा घर बार देखकर रविकुमार उसकी शादी करने के फिराक में था,,,,,,, उसे इस बात का अफसोस भी था की पहले मंजू की शादी करने की जगह वह अपनी बड़ी बेटी की शादी कर चुका था,,,,,, उस समय हालात ही कुछ ऐसे हो गए थे कि उसे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,, जिसकी वजह से मंजू की शादी में विलंब होने लगा,,,,,,,, यह सब भी वह अच्छे से कर लेगा इसका उसे पूरा भरोसा था लेकिन आज सुबह जो कुछ भी हुआ था उससे वह पूरी तरह से हील चुका था,,, अपने ख्यालों को वह दफन कर देना चाहता था ताकि इस तरह के ख्याल उसके मन में कभी दोबारा ना उभरे,,,,,।

अपने मन को अपने आप को कसम में बांधकर वह अपने आप को तसल्ली देने लगा यही कशमकश में शाम हो गई,,, दूसरे बैलगाड़ी वाले वहां से जा चुके थे,,, वह अभी भी वहीं खड़ा था आज कोई सवारी बैठा या नहीं था इसलिए एक आने की भी कमाई नहीं हुई थी,,,,, फिर भी उसे आज अफसोस नहीं था,,,वह अपनी बहन गाड़ी लेकर जाने ही वाला था कि तभी उसे एक सवारी ने आवाज लगाया,,, और वह रुक गया,,वैसे तो सवारी दे जाने का उसका मन बिल्कुल भी नहीं था लेकिन उस सवारी को उसी गांव जाना था जहां पर नामदेवराय का घर था,,, और आज रविकुमार को नामदेवराय के ब्याज के पैसे भी चुकाने थे इसलिए उस सवारी को बैठा लिया,,,,।

शाम ढल चुकी थी और रात की स्याही वातावरण में फैल रही थी,,, रविकुमार सवारी को गांव में उतार कर नामदेवराय की हवेली की तरफ बढ़ चुका था और हवेली पर पहुंचकर,,, बेल गाड़ी खड़ी किया और हवेली मैं प्रवेश किया दरवाजे पर आज कोई नहीं था,,,,,, धीरे-धीरे वह अंदर की तरफ बढ़ने लगा,,,दो-तीन बार मालिक मालिक कहकर आवाज भी लगाया लेकिन कोई जवाब नहीं,,,,,, रविकुमार के मन हो रहा था कि वापस लौट चलें कल आकर पैसे दे देगा लेकिन वह यह बात अच्छी तरह से जानता था कि लाना वक्त का बेहद पाबंद है जिस समय पर तय किया गया उसी समय पर पैसा चुकाने पर ही गनीमत है वरना वह और ज्यादा ब्याज लगा लेता है,,,,इसलिए रविकुमार अपने मन में सोचा कि यहां तक आ गया है तो पैसे देकर ही घर जाएगा लेकिन कोई नजर नहीं आ रहा था,,,, रविकुमार धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा और जैसे ही नामदेवराय के कमरे के करीब पहुंचा तो उसे अंदर से जोर-जोर से हांफने की आवाज आ रही थी,,,,,,, रविकुमार थोड़ा बहुत घबराया हुआ था इसलिए उसे कुछ समझ में नहीं आया और वह दरवाजे पर पहुंचकर दरवाजा पूरी तरह से खुला हुआ था और सामने का नजारा देखकर उसके होश उड़ गए,,,,,,,,,,

बिस्तर पर एक औरत पूरी तरह से नंगी घुटनों के बल और हाथ की कोहनी केबल बैठकर झुकी हुई थी उसकी गांड हवा में लहरा रही थी और उसके ठीक पीछे नामदेवराय उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने लंड को उसकी गुलाबी बुर में डालकर जोर-जोर से चोद रहा था,,,रविकुमार को तो कुछ समझ में नहीं आया कि वह क्या करें वहां खड़ा रहेगा वापस लौट जाएं इतना समय उसके में बिल्कुल भी नहीं था,,,, रविकुमार आखिरकार एक इंसान ही था,,, और मानव मन से ग्रस्त होकर इस हालात में भी उस औरत के चेहरे को देख कर पहचानने की कोशिश कर रहा था लेकिन ऐसा कर पाना उसके लिए बेहद नामुमकिन सा था,,, क्योंकि उस औरत के घने काले काले लंबे बाल उसके एक तरफ के चेहरे को ढक कर रखे हुए थे,,,और उसी तरफ रविकुमार भी खड़ा था जिससे उस औरत को पहचाने नहीं मैं उसे बेहद दिक्कत हो रही थी क्योंकि उसका चेहरा ही नहीं दिख रहा था,,,,,उस औरत की गरम सिसकारी की आवाज रविकुमार के कानों में बराबर सुनाई दे रही थी और नामदेवराय बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की चुदाई कर रहा था,,। पल भर में ही रविकुमार की सांसे ऊपर नीचे होने लगी उसे उम्मीद नहीं थी कि इस तरह का दृश्य नामदेवराय के कमरे में देखने को मिलेगा,,,अभी तक उन दोनों में से किसी की भी नजर रविकुमार पर नहीं गई थी,, नामदेवराय बड़ी मस्ती के साथ उस औरत की बड़ी-बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,,,,,,

और जोर से ,,,,,और जोर से,,,,, कहते हुए वो औरत नामदेवराय को और ज्यादा उकसा रही थी,,,,, रविकुमार इससे ज्यादा देख पाता इससे पहले ही,,,,, उसके हाथ से,,, दरवाजे के पास ही सजावट के लिए रखा हुआ पीतल का घड़ा नीचे गिर गया और उसकी आवाज के साथ ही नामदेवराय एकदम घबराते हुए दरवाजे की तरफ नजर घुमाकर देखा तो वहां रविकुमार खड़ा था वह एकदम से सन्न रह गया,,, उस औरत की तो एकदम सांस ही अटक गई लेकिन वहां अपनी नजरों को दरवाजे की तरफ नहीं तुम्हारी उसी तरह से झुकी रह गई,,,, रविकुमार को दरवाजा पर खड़ा हुआ देखकर नामदेवराय जोर से चिल्लाया,,,।


रविकुमार यह क्या बदतमीजी है,,,,


मममम,,, मालिक मुझसे भूल हो गई कोई नहीं था तो मैं यहां तक आ गया,,,,



तो क्या अभी भी यही खड़े रहने का विचार है,,,,( नामदेवराय उसी अवस्था में अपने लंड को पूरी तरह से उस औरत की बुर में घुसाए हुए और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से थामे हुए बोला,,,, नामदेवराय को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि जैसे रंग में भंग पड़ गया हो और वह इस कार्य को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था इसीलिए तो अपने आप को अपने नंगे बदन को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया था और ना ही उस औरत ने जिस अवस्था में थी उसी अवस्था में मूर्तिवंत बनी रही,,,,)


मममम,,, मालिक आज की तारीख थी पैसे देने आया हूं,,,(रविकुमार घबराते हुए हाथ जोड़कर बोला लेकिन उसकी नजर उस औरत के नंगे बदन पर घूम रही थी,,,)

तो क्या पैसे मुझे यहां देगा बाहर बैठ कर इंतजार कर मैं आता हूं,,,,,,, जा अब भाग यहां से,,,
(नामदेवराय गुस्से में आ चुका था और उसके गुस्से को देखकर रविकुमार का वहां खड़े रहना ठीक नहीं था बस तुरंत बाहर मेहमान खाने में आकर बैठ गया,,,)


हराम जादा मादरचोद,,,,,(रविकुमार को गंदी गाली देते हुए जोर-जोर से अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया तभी वह औरत बोली,,)


तुमको बोली थी भैया दरवाजा बंद कर लो लेकिन तुम तो इतने नशे में हो जाते हो कि दरवाजा बंद करना भी भूल जाते हो,,,,,,, अगर वह यह सब जाकर बाहर कह दिया तो,,,मेरे साथ साथ आपकी भी बदनामी हो जाएगी और गांव वाले क्या कहेंगे,,,,,,,


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सोनी रविकुमार तुम्हारा चेहरा नहीं देख पाया है,,,, तुम्हारे घने घने रेशमी बालों की कारण आज हम दोनों साफ साफ बच गए हैं,,,,(नामदेवराय उसके रेशमी बालों को अपने हाथ में पकड़ते हुए बोला),,,,


बस भैया अब रहा नहीं जाता जोर जोर से धक्के लगाओ,,, आज पूरा लंड डाल दो मेरी बुर में फाड़ दो अपनी बहन की बुर,,,,,, भैया,,,,,


यह बात है,,,,, तो ले मेरी रानी बहन,,,,तेरा बड़ा भाई कैसी तेरी चुदाई करता है कैसी तेरी बुर का भोसड़ा बनाता है,,,,,(इतना कहते ही नामदेवराय जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया और उसके मुंह से आहहह आहहहह की आवाज पूरे कमरे में गुंजने लगी,,, उसके पपीते जैसे बड़े-बड़े चूचियां नीचे हवा में झुलने लगे,,, जिससे नामदेवराय अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर थाम लिया था और जोर जोर से दबा रहा था,,,, कजरी उसकी छोटी बहन थी जो कि शादी के बाद ३ साल के भीतर ही बिधवा बन गई थी,,, कोई बच्चा नहीं था ससुराल वाले कुछ महीने तक उसे अपने साथ रखें और वापस उसे अपने मायके भेज दिए,,,, कजरी बहुत ही कामुक औरत थी,,, उसे छत्रछाया भी चाहिए थी और अपने बदन की प्यासी भी बुझाना था वो जानती थी कि उसका भाई शादी नहीं किया था इसलिए उसकी भी कुछ जरूरते थी,,, और वह अपने भाई के साथ संबंध बना बैठी,,, नामदेवराय भी तन का प्यासा था,,,,जब उसकी बहन खुद तैयार थी तो उसे भला क्या कर आज हो सकता था और तब से दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो गया और हर रात नामदेवराय अपनी बहन की चुदाई करता था,,,, जिससे नामदेवराय और पूरे हवेली में कजरी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा था जो कजरी कहती थी वही होता था,,,,,,,, दुनिया की नजरों में अच्छे बने रहने के लिए नामदेवराय की बहन कजरी गांव के बच्चों को घर बुलाकर पढ़ाती भी थी जिससे गांव में उसकी इज्जत मान सम्मान बढ़ गया था,,,,
नामदेवराय के धक्के तेज रफ्तार से शुरु हो गए थे जिसे कजरी बड़े आराम से झेल ले रही थी,,,, दोनों की सांसो की गति तेज हो गई थी नामदेवराय की बहन कजरी बिस्तर पर बिछाए हुए चादर को अपनी मुट्ठी में जोरों से भींच ली थी,,,,, और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,,,, नामदेवराय अपनी बहन की चिकनी सीट पर मुंह रखकर उसकी चिकनी पीठ को चाटते हुए झडने लगा था,,,, जब दोनों की सांसे दुरुस्त हुई तो नामदेवराय अपनी बहन के ऊपर से उठा और नामदेवराय की बहन कजरी चादर को अपने बदन पर डालते हुए बोली,,,,।


भैया जाकर उस रविकुमार को डांटना तो,,,, कहीं बाहर जाकर सबको बक ना दे,,,,,,,


तुम चिंता मत करो कजरी मैं अभी जाकर उसी खबर लेता हूं और वैसे भी वह तुम्हें देखा नहीं है,,,,,,(इतना कहते हुए नामदेवराय अपनी कमर पर धोती बांधते हुए कमरे से बाहर निकल गया और दूसरी तरफ मेहमान खाने में रविकुमार बैठकर कमरे के अंदर के दृश्य के बारे में सोच रहा था और बार-बार यह सोच रहा था कि नामदेवराय तो विवाहित नहीं है शादी नहीं किया है तो वह कीस औरत को चोद रहा था,,, बिस्तर पर घुटनों के बल बैठकर चुदवाने वाली वह औरत कौन थी,,,, वह और चेहरा को सोचता है इससे पहले ही नामदेवराय वहां आ गया और रविकुमार को डांटते हुए बोला,,,।)


रविकुमार तू पागल हो गया क्या तुझे जरा भी तमीज नहीं है कि किसी के घर कैसे जाया जाता है,,,, और तू कोई घर का सदस्य नहीं है जो बिना पूछे घर में घुस गया,,,,


नहीं नहीं मालिक मैं माफी चाहता हूं ऐसी कोई बात नहीं है मुझसे भूल हो गई मुझे माफ कर दो,,,,


ठीक है आज तो माफ कर देता हूं लेकिन आएगा इस तरह की गलती बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए और यह बात भी तो कान खोल कर सुन लेना कि अगर कमरे वाली बात बाहर गई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,,,,



नहीं नहीं मालिक ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा आप तो हमारे मारी बात है भला आपके बारे में अनाप-शनाप बोल कर अपने पैर पर क्यों कुल्हाड़ी मारे,,,, भरोसा रखिए मालिक कमरे की बात मेरे सीने में दफन हो गई है यह बात किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी,,,,



ठीक है लाओ रुपए,,,,,



मैं कल आ जाता मालिक लेकिन मैं जानता हूं कि दिए हुए तारीख पर ही पैसा चुकाना जरूरी होता है इसलिए मुझे आना पड़ा,,,(रविकुमार अपने कुर्ते के जेब में हाथ डालकर पेसे निकालते हुए बोला,,,,)


यह लो मालिक,,,,,(इतना कहने के साथ ही रविकुमार हाथ आगे बढ़ाकर रुपए को नामदेवराय के हाथों में रखने लगा इसे नामदेवराय बड़े प्यार से हाथ आगे बढ़ा कर रुपए को अपने हाथों में ले लिया,,, और गिनने लगा,,,, पूरे रुपयों की तसल्ली कर लेने के बाद वह रविकुमार से बोला,,,,)


ठीक है तू वादे का पक्का है इसीलिए जरूरत पड़ने पर तुझे रूपए उधार दे देता हूं,,,,,,


इसीलिए तो आपके द्वार पर आते हैं मालिक,,,,


ठीक है रविकुमार अब तु जा सकता है,,,,


ठीक है मालिक,,,,(और इतना कहने के साथ ही रविकुमार हवेली से बाहर आ गया उसके मन मस्तिष्क पर नामदेवराय के कमरे वाला दृश्य पूरी तरह से छप चुका था,,,,और वह घर पहुंच कर खाना खाने के बाद सोने के लिए जैसे ही अपने कमरे में गया वैसे ही अपने बीवी के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया और ताबड़तोड़ उसकी चुदाई करना शुरू कर दिया जिसकी सिसकारी की आवाज सुनकर बाजू वाले कमरे में सो रही मंजू की भी हालत खराब होने लगी,,,।
MAST EROTIC UPDATE
 
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ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,,,,, रविकुमार का जीवन बड़े अच्छे से व्यतीत हो रहा था जिंदगी रेलवे स्टेशन और घर की दूरी पर सिमट कर रह गई थी लेकिन फिर भी रविकुमार को बेहद सुकून मिलता था दिन भर की थकान भरा चेहरा लेकर जब वह घर पहुंचा था तो अपनी बीवी के खूबसूरत चेहरे को देखकर फिर से हरा भरा हो जाता था अपनी सारी थकान रात को सोते समय बिस्तर पर निकाल देता था,,,,।

गर्मी का मौसम अपने जोरों पर था,,, वातावरण में चिलकती धूप अपना पूरा असर दिखा रही थी,,,, गांव में, कुछ लोग खेतों में काम कर रहे थे और कुछ लोग घरों पर आराम कर रहे थे,,, बच्चे बड़े-बड़े पेड़ों के बगीचे में खेल का मजा ले रहे थे,,,,,,, गांव में घना आम का बगीचा भी था जिस के छांव के नीचे गर्मी में अक्सर गांव के लोग आराम किया करते थे,,,,


ऐसे ही नौजवानों का एक झुंड गिल्ली डंडा खेलने में लगा हुआ था,,,,,,,, और तबीयत नौजवान डंडे की चोट से गिल्ली को हवा में उछाला और डंडे से उसे फटकारा और गिलली,, आठ से दस लड़कों के ऊपर से उड़ते हुए जाकर एक मटके से टकरा गई और मटकी फूट गई,,,,,,, और मटका ली हुई औरत एकदम से झेंप गई और जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसकी मटकी गिल्ली लगने के कारण फूट गई है, वह जोर-जोर से गाली देने लगी,,,।


कौन है रे,,,, हरामी , साला कुत्ता,,, हरामजादा,,,,(सर पर मटकी ले जाने के कारण उसके फूटते ही उसका पानी उसके पूरे बदन पर गिर गया था जिसकी वजह से वह पूरी तरह से भीग गई थी,,,उस औरत की टूटी हुई मटकी और उसकी हालत को देखकर उनमें से एक लड़का थोड़ा घबराते हुए बोला,,)


बाप रे सुधियां काकी ,,,,, सुरज आज तो तु गया,,,,

अरे,,,,, मैंने कोई जानबूझकर थोड़ी ना मटकी फोड़ा हुं,,, वो तो गलती से लग गई,,,,(सुरज उससे घबराते हुए बोला,,)


कुछ भी हो सुरज मटकी तो,,, तेरे से ही फुटी है,,,, और गिल्ली भी तुझे ही मांग कर लानी होगी,,,,,,


नहीं नहीं ये मुझसे नहीं होगा,,,, वह मुझे अजीब सी नजरों से देखती है,,,,,,,,
(उसका इतना कहना था कि दूसरा लड़का तुरंत वहां पहुंच गया और सुधियां काकी से गिल्ली मांगने लगा,,,)


काकी गिल्ली दे दो ना,,,, भूल से लग गई,,,,


तो तू था रे मादरचोद तूने मेरी मटकी फोड़ी हराम के जने,,,, कुत्ता साले हरामी,,,,(उस लड़की को देखते ही सुधियां काकी एकदम से उस पर भड़कते हुए बोली,,, क्योंकि वह जानती थी उस लड़के का नाम शुभम था,,, और उसकी नजर गांव की हर औरत पर खराब ही रहती थी,,,)


नहीं नहीं चाची मैं गिल्ली थोड़ी मारा,(वह लड़का,,, सुधियां काकी की भरी हुई छातियों की तरफ जो कि पानी के गिरने के कारण पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसकी तनी हुई निप्पल साफ झलक रही थी,।,,,)

तो कौन मारा रे,,,,,(गुस्से में उस लड़के की तरफ देख कर बोली,,,)

वो,,,,वो,,,, सुरज ने मारा ,,,,,(उंगली से सुरज की तरफ ,,, इशारा करते हुए वह बोला,,,)


अच्छा तो यह सुरज की करनी भरनी है कहां है सुरज,,,,, इधर आ तो,,,,(सुरज की तरफ हाथ का इशारा करके उसे अपने पास बुलाते हुए वह बोले शुभम वहीं खड़ा था शुभम को अच्छी तरह से मालूम था कि सुधियां काकी का झुकाव सुरज की तरफ ज्यादा था,,, और इसी बात से शुभम को जलन भी होती थी शुभम को अभी भी वहीं खड़ा देखकर सुधियां गुस्साते हुए बोली,,,)

तु अभी तक यहीं खडा है,जा उसे भेज और यह गिल्ली उसे ही मिलेगी दूसरा कोई आएगा तो उसे नहीं मिलने वाली,,, समझा जा जाकर जल्दी भेज उसे ,,,,

ठीक है काकी में उसे अभी भेजता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही शुभम भागते हुए सुरज के पास गया और जाकर बोला,,,)



जा ओ रंडी तुझे बुला रही है उसे तेरा पसंद आ गया है,,,


नहीं यार मुझे डर लगता है,,,, तू जाकर मांग ले,,,( सुरज घबराते हुए बोला)


भोसड़ी के मुझे देती तो मैं मांग कर नहीं लाया होता,,,,,, वो तुझे ही अपना देगी,,, अब जल्दी से जा और मांग कर ला खेल रुक गया है,,,,।

(इतना सुनकर सुरज धीरे-धीरे सुधियां काकी की तरफ बढ़ने लगा सुरज सुधियां काकी से बहुत डरता था क्योंकि वह बहुत गालियां देती थी और उसकी हरकतें सुरज को अजीब लगती थी,,, सुरज को अपनी तरफ आता देखकर सुधियां काकी मन ही मन में मुस्कुराने लगी सुधियां काकी का व्यक्तित्व थोड़ा कामुक था,,,। दो बेटो की शादी हो चुकी थी घर में दो बहुए थी,,, लेकिन अभी भी उसमें जवानी का रस पूरी तरह से भरा हुआ था,,, पति मैं अब इतना दम नहीं बचा था जितना कि उसकी जवानी का हक था,,,इसलिए अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए पर सुरज पर डोरे डाल रही थी मैं कितना सुरज एकदम नादान सुधियां काकी की हरकतों को वह समझ नहीं पाता था और उनसे डरा डरा रहता था हालांकि सुधियां काकी उसे अपने अंगों के उभार को पूरी तरह से उसे दिखाने की कोशिश करती थी लेकिन वह नजर उठाकर उसके अंगों के ऊभार को देखने की हिम्मत नहीं कर पाता था और वहा से किसी भी तरह का बहाना करके भाग जाया करता था,,,। धीरे-धीरे सुरज सुधियां काकी के करीब पहुंच गया और सुधियां काकी जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।)

क्यों रो तूने फोड़ी मेरी मटकी,,,,


मममम,,,मै ,,,,नहीं चाची जानबूझकर नहीं फोड़ी, गिल्ली गलती से लग गई,,,,,,,( सुरज घबराते हुए बोला,,,)


अच्छा गलती से लग गई यह देख तूने मेरी क्या हालत किया है,,,,(अपने दोनों हाथों को अपने गीलें ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुचियों पर रखते हुए बोली,,,,सुधियां काकी की अदा बेहद कामुक थी वह जानबूझकर सुरज के सामने इस तरह की हरकत कर रही थी,,,, सुरज सुधियां काकी की हरकत देखकर थुक को गले से नीचे निगलते हुए बोला,,,)


अनजाने में हो गया काकी अब ऐसा कभी नहीं होगा,,,,,,,(सुरज अपनी गलती मानते हुए बोला,)


ऐसे केसे अनजाने में हो गया आजकल तेरी गिल्ली बहुत इधर उधर भागती है,,,,(ऐसा कहते हुए सुधियां काकी अपनी हथेली को बार-बार जानबूझकर ब्लाउज के ऊपर से अपनी चुचियों पर रख दे रही थी यह देखकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी जिसे खुद वह समझ नहीं पा रहा था,,,।)

अब ऐसा नहीं होगा काकी,,,


नहीं-नहीं,,, अब ऐसा ही होगा क्योंकि अब तो पूरी तरह से जवान हो गया है,,,,,, इसलिए तो तेरी गुल्ली कुछ ज्यादा उछल रही है,,,,(सुधियां काकी सुरज के पजामे की तरफ देखते हुए बोली जिस में अब थोड़ा थोड़ा सा उभार आना शुरू हो गया था,,, सुधियां काकी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) वैसे तेरी गुल्ली है कितनी बड़ी मैं भी तो देखूं जरा ,,,

अरे काकी आपके हाथ में ही तो है मुझे दे दो,,,,(सुरज सुधियां काकी के हाथ में पकड़ी हुई गिल्ली की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,)


यह ,,,, क्या सच में इतनी बड़ी है तेरी गिल्ली,,,,( सुधियां काकी हाथ में ली हुई गिल्ली को अपने दोनों हाथों में लेकर गोल-गोल इधर-उधर घुमाते देखने लगी जो कि वाकई में कुछ ज्यादा ही बड़ी थी और मोटी थी,,,,)


बाप रे यह तो कुछ ज्यादा ही बड़ी है,,, तू कैसे संभाल लेता है,,,


यह तो हमारे रोज का काम है,,,,


लेकिन तेरी गुल्ली देखकर मेरी हालत खराब हो जाती है,,,


ऐसा क्यों,,,?


कभी मिलना फुर्सत में तो सब कुछ बताऊंगी,,,,( सुधियां काकी सुरज के पजामे की तरफ देखते हुए बोली जोकी उसका उभार धीरे-धीरे बढ़ रहा था,,,। उसे देख कर मुस्कुराते हुए वह बोली,,)


पजामे में देख कर तेरी गुल्ली खड़ी होने लगी है,,,,
(इतना सुनते ही सुरज नजर नीचे करके अपने को जाने की तरफ देखने लगा जो कि वाकई में पजामे के आगे वाला भाग पूरी तरह से तंबू बन चुका था,,, यह देखकर सुरज पूरी तरह से शर्मा गया और सुरज को शर्माता हुआ देखकर सुधियां काकी मुस्कुराने लगी और गिल्ली को उसके हाथों में देते हुए बोली,,,)


ले संभाल तेरी गुल्ली,,,लेकिन मुझसे मिलना जरूर वरना मैं तेरी हरकत के बारे में तेरे मामा और तेरी मामी को बता दूंगी तो समझ लेना तेरी खेर नहीं,,,,


नहीं नहीं काकी ऐसा मत करना मैं जरूर मिलने आऊंगा,,,,,(इतना कहकर वह सुधियां काकी को जाते हुए देखता रहा,,, न जाने क्यों आज उसकी नजर सुधियां काकी के कमर के नीचे उसके नितंबों के उभार पर चली गई थी जिसे देख कर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,,)


अरे अब इधर आएगा भी या वही मां चुदवाता रहेगा,,,(सुरज को अभी भी वहां खड़ा देखकर शुभम चिल्लाता हुआ बोला,,, सुरज को शुभम की गाली अच्छी नहीं लगी और वह गिलली लेकर उसके पास जाते हुए बोला,,,)


देख शुभम तू गाली मत दिया कर मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता है,,,,


तो वहां खड़ा खड़ा क्या कर रहा था,,, गिल्ली लेकर आना चाहिए था ना कि सुधियां काकी की,,,बुर में घुसने का इरादा था,,,,।


यार शुभम तु कैसी गंदी गंदी बातें करता है सुधियां काकी हमारे मां की उमर की है वो,,, इस तरह की गंदी बातें नहीं करना चाहिए ,,,,

अरे सुधियां काकी नहीं सुधियां रंडी है वह उसे अच्छी तरह से जानता हूं,,,,,, साली मुझसे बात करके से मैं उसकी मां मरी जा रही थी कैसे गुस्से में बातें कर रहे थे और कैसे-कैसे हंस हंस के बातें कर रही थी ऐसा लग रहा था कि अभी अपनी साड़ी उठाकर तुझे अपनी बुर में डाल लेगी,,।
(शुभम गुस्से में बोले जा रहा था,,, और सुरज,,उसके मुंह से गंदी गंदी बातें सुनकर और खास करके उसके मुंह से बुर शब्द सुनकर एकदम से मचल उठा था,,,। उससे कुछ भी कहा नहीं जा रहा था जैसे तैसे करके खेल फिर शुरू किया गया लेकिन सुरज ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया और आउट हो गया क्योंकि उसके दिमाग में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,)
WAH SUDHIYA KAKI BHI KAFI GARAM AURAT LAG RAHI HAI
 
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खेल खत्म हो चुका था,,,,,,,, सुरज के मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी सुधियां काकी की बातें उसका भीगा बदन उसकी उन्नत चूचियां,,, सब कुछ एक एक करके सुरज की आंखों के सामने से गुजर रही थी,,, और शुभम की गंदी गालियां सुधियां काकी के प्रति खराब खराब बोलना,,, यह सब सुरज के कोमल मन पर भारी पड़ रही थी,,,,,,,

शुभम थोड़ा गुस्से में था और वह भी सुधियां काकी के रवैया के वजह से क्योंकि वह सुरज को पसंद करती थी और उसे नापसंद सुरज के साथ हंस कर बातें करती थी और उसके साथ गुस्से में,,,,,, शुभम अपने मन में यही सोचता था कि अगर सुरज की जगह पर होता तो सुधियां काकी की कब से चुदाई कर दिया होता,,,, चुदाई के मामले में सुरज को कुछ भी पता नहीं था यह बात भी शुभम अच्छी तरह से जानता था,,,,,,,, इसलिए सुरज को चिढ़ाने के लिए शुभम बोला जो कि अभी भी वही बगीचे में ही सब लोग थे,,,।


यार सुरज सुधियां काकी तुझे इतना मानती है,,, तुझसे कितना हंस हंस कर बातें करती है और तो और तुझे अपनी पानी से भीगी हुई चूचियां भी दिखा रही थी,,,, लेकिन मैं जानता हूं तुझसे कुछ होगा नहीं,,,,,, मुझे लगता नहीं कि तेरा खड़ा होता है,,,,,,,।


शुभम यह कैसी बातें कर रहा है तू,,,,(सुरज गुस्से में बोला)


सही तो कह रहा हूं,,, तुझ से कुछ होने वाला नहीं है,,,, देख नहीं रहा था सुधियां काकी तुझे अपनी बड़ी बड़ी चूचीया कैसे दिखा रही थी मुझे दिखाती तो कसम से अपने दोनों हाथ में पकड़ कर जोर जोर से दबा देता,,,
(शुभम की गंदी बातें सुनकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, फिर भी सुरज शुभम को समझाते हुए बोला,,,)


ऐसा नहीं कहते शुभम तु जो कुछ भी कह रहा है गलत कह रहा है वो सुधियां काकी है,,,, उनकी दो बहुएं है,,,,


तो क्या हुआ दो बहुए होने की वजह से क्या वो सीधी हो गई,,,,,, नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तु नहीं जानता सुधियां काकी के पास भी बुर है,,, और उन्हें भी अपनी बुर के अंदर लंड चाहिए ,, और लेती भी है,,,, मुझे तो लगता है कि तेरे पास है ही नहीं तभी तो सुधियां तुझे इतना भाव देती है लेकिन तू भाव खाता है,,,,,
(सुरज की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी शुभम बेहद गंदी जुबान में बातें कर रहा था इस तरह की गंदी बातों को सुनकर सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, खास करके लंड और बुर वाली बात,,,,, सुरज ईससे पहले भी गांव के आवारा लड़कों के मुंह से गाली सुन चुका था लेकिन खुद के लिए नहीं लेकिन आज इस तरह की गंदी बात शुभम उसे ही कह रहा था इसलिए सुरज के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी,,,।)

शुभम अब तू ज्यादा बोल रहा है,,,,



बोलूंगा क्या कर लेगा,,,,,,, तेरे पास होता तो सुधियां काकी की चुदाई कर लिया होता लेकिन तेरे पास है ही नहीं इसलिए नहीं कर पा रहा है,,,,तू बोल के सुधियां काकी को मेरे पास भेज दे देख मे सुधियां काकी को अपने लंड से एकदम मस्त कर दूंगा,,,,,,, अगर सुधियां काकी को नहीं भेज पाता तो अपनी मामी को ही भेज दे तेरी मामी वैसे भी गांव की सबसे खूबसूरत औरत है उसकी बड़ी बड़ी गांड देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है कसम से तेरी मामी को नंगी करके चोदने में बहुत मजा आएगा,,,, तेरी मामी की बुर बहुत मनाई छोड़ती होगी,,,,
(सुरज को इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि शुभम उसकी मामी के बारे में इतनी गंदी-गंदी बातें बोलेगा इसलिए अपनी मामी के बारे में गंदी बात सुनते ही सुरज एकदम से शुभम से भिड़ गया,,, और दोनों में लड़ाई हो गई,,, झगड़ा बड़ा होता देखकर उन दोनों के साथी बीच बचाव करते हुए दोनों को अलग किए और घर की तरफ ले गए,,,,,,,,,, सोनू सुरज को घर ना ले जाकर रास्ते में ही पेड़ के नीचे बिठा लिया और उसे समझाने लगा सोनू सुरज का पक्का दोस्त था जो हमेशा उसके साथ ही रहता था,,,, दोनों पेड़ के नीचे बैठे हुए थे शाम ढलने लगी थी धीरे-धीरे अंधेरा बढ़ रहा था और अभी भी सुरज गुस्से में ही था सोनू उसे समझाते हुए बोला,,,)


तू इतना बड़ा हो गया है लेकिन अभी भी सीधा है इसलिए वह तेरी मस्करी कर लेता है तेरा मजाक बना देता है अगर तू भी उन लड़कों की तरह हरामी होता तो शायद यह नौबत ही नहीं आती वो तेरी मामी के बारे में इतनी गंदी बात कभी नहीं बोल पाता,,,,,,,(सुरज अभी भी गुस्से में था लेकिन सोनू की बातों को ध्यान से सुन रहा था क्योंकि सोनू उसका सबसे चहिता यार था दोनों की उम्र बराबर ही थी,,,)

और तुझे सच कहूं तो शुभम सुधियां काकी के बारे में सच ही कह रहा था तू सीधा है इसलिए तुझे समझ में नहीं आता अगर तेरी जगह गांव का कोई और लड़का होता तो अब तक सुधियां काकी पर चढ़ गया होता और सुधियां काकी भी यही चाहते हैं,,,


चढ गया होता मतलब ,,,,(सुरज आश्चर्य जताते हुए बोला)


अरे बुद्धू शुभम सच्ची कहता है कि तू सच में उस लायक नहीं है तेरे पास है ही नहीं यह सब भी नहीं समझ पाता,,,


सच में मुझे नहीं पता,,,,


अरे यार चढ जाने का मतलब होता है कि चुदाई करना तेरी जगह कोई गांव का दूसरा लड़का होता तो सुधियां काकी की बुर में अपना लंड डालकर चुदाई कर दिया होता,,, और शुभम की तुझे यही कह रहा था पता है क्यों क्योंकि सुधियां काकी तुझे पसंद करती है इसलिए तो तु देख नहीं रहा था कैसे पानी से भीगे हुए अपने ब्लाउज में छिपी हुई चुचियों को तुझे दिखा दिखा कर बातें कर रही थी,,,


नहीं रोहित ऐसी कोई बात नहीं है मेरी वजह से सर पर रखी हुई मटकी फूट गई थी और वह भीग गई थी इसलिए,,,,


अरे बुद्धू सुधियां काकी को मोटे मोटे लंबे और जवान लंड पसंद है यह बात गांव का हर कोई जानता है एक तू ही नहीं जानता इसलिए इस तरह की बातें कर रहा है,,,। और सच कहूं तो सुधियां काकी तेरे लिए अपनी दोनों टांगें खोलकर तेरे लंड को अपनी बुर में ले लेगी लेकिन तेरी बातें सुनकर तो मुझे भी लगने लगा है कि शुभम तेरे बारे में सही कहता है कि तेरे पास है ही नहीं अगर होता तो अब तक तो सुधियां काकी की चुदाई कर दिया होता,,,,,, सच सच बता तेरे पास है कि नहीं की सच में शुभम तेरे बारे में सही कह रहा था,,,।


क्या है कि नहीं,,,?


अरे बुद्धू लंड और क्या,,,,


पागल हो गया क्या तू मेरे पास भी है,,,,


तो जब शुभम तुझे उल्टा सीधा बोल रहा था तो खोल कर दिखा देना चाहिए था ना वह दिखाया क्यो नहीं,,,,


ऐसे कैसे दिखा दु मैं उन लोगों की तरह बेशर्म थोड़ी हूं,,,


तुझे भी बेशर्म बनना पड़ेगा वरना तुझे वह लोग बार-बार इसी तरह से चिढ़ाते रहेंगे परेशान करते रहेंगे कहीं ऐसा तो नहीं कि तेरा सबसे छोटा है इसलिए नहीं दिखा रहा है,,,,



नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है सब कुछ ठीक है,,,,


तो मुझे तो दिखा दे मुझे भी यकीन हो जाए तो मैं दूसरों को बोल सकूं ना तू वाकई में मर्द है,,,,



नहीं यार तू पागल हो गया है क्या मुझे शर्म आती है,,,,



ले बच्चु तू तो औरतों की तरह शर्मा रहा है सच में चुदाई कैसे कर पाएगा तो शर्माता बहुत है और कुछ समझता भी नहीं है,,,,,, मुझे तो यकीन होने लगा है कि अगर तेरे पास होगा भी तो बहुत छोटा होगा,,,।


तेरे पास तो है ना,,,,


हां मेरे पास तो है ले तुझे दिखा देता हूं,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह खड़ा हो गया,,,,और तुरंत अपने पजामे की डोरी खोलकर नीचे कर दिया और अपने लंड को दिखाना शुरू कर दिया जो कि पूरी तरह से खड़ा था,,,उसे अपने हाथ में पकड़ कर ऊपर नीचे करके हीलाते हुए बोला,,,)


ले देख लिया ना मेरे पास
है तभी तुझे दिखा रहा हूं तेरे पास नहीं है तभी तु नहीं दिखाता,,,, अगर हिम्मत है तो दिखा,,
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बात ही बात में अपनी,,, अपनी खड़े लंड को अपने पजामे से बाहर निकालकर सुरज को दिखा दिया था,,, सुरज के लिए भी यह पहला मौका था जब वह अपनी हम उम्र के लड़के का लंड इतने पास से देख रहा था,,,, सोनू की बातों को सुनकर और उसके खड़े लंड को देख कर सुरज के पजामे में भी हलचल होने लगी थी उसका लंड पजामें के अंदर पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,,

सोनू था तो उसका दोस्त लेकिन वह इस समय जानबूझ कर उसे उकसा रहा था वह भी सुरज की लंड को देखना चाहता था,, क्योंकि औरों की बातों को सुनकर उसे भी लगने लगा था कि शायद सुरज के पास दमदार लंड नहीं है तभी तो सुधियां काकी के लिए उकसाने के बाद भी वह उसकी तरफ आकर्षित नहीं होता था और बुद्धू बना रहता था नहीं तो उसकी जगह कोई और लड़का होता तो अभ तक सुधियां काकी की चुदाई कर दिया होता और इसी ताक में गांव के लड़के लगे भी रहते थे लेकिन किसी की दाल नहीं गल रही थी और सुरज तो सामने से मालपुआ पाने के बावजूद भी उसका स्वाद नहीं ले पा रहा था इसलिए सोनू को भी शक हो रहा था और इसीलिए वह सुरज के लंड को देखना चाहता था,,,,। अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाते हुए सोनू बोला,,,।


क्या हुआ देखता ही रहेगा या अपना भी दिखाएगा,,, देख नहीं रहा है मेरे लंड में कितना दम है अगर सुधियां काकी की बुर में चला जाए तो सुधियां काकी पानी पानी हो जाए,,,,


क्या सोनू तू भी सुधियां काकी के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहा है,,,


अरे बुद्धू अगर तू सुधियां काकी के बारे में जान जाएगा तो तू भी मेरी तरह ही गंदी गंदी बातें करेगा उसे चोदने के लिए दिन रात उसके पीछे पीछे घूमता रहेगा,,,, वह तो तुझे भाव देती है अगर मुझे भाव दे तो मैं भी उसकी बुर में लंड डालकर चुदाई कर दुं,,,
(एक औरत के साथ चुदाई की खुली बातें सुनकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगती है उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और उसके टांगों के बीच कुछ कुछ होने लगा था,,, आखिरकार वह भी एक जवान लड़का था जो कि इस उम्र में जवान लड़कों के अरमान कुछ ज्यादा ही मचलते रहते हैं ऐसे में सुरज दूसरे लड़कों से बिल्कुल अलग था लेकिन सोनू की गंदी बातें उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,,,, सोनू की गंदी बातें सुनकर,,, सुरज बोला,,,)

तू भी शुभम की तरह है,,,

हां मैं भी शुभम की तरह हूं और मेरी तरह हर लड़के शुभम की तरह ही होते हैं लेकिन तू ही सबसे अलग है,,,, क्योंकि हम सब का खड़ा होता है औरत को देखने की बड़ी चूचियां देखकर की बड़ी-बड़ी गांड देख कर,,, और हम लोगों का मन उन्हें चोदने को करता हैं,,,,और लगता है कि शुभम सच ही कहता है कि तेरे पास है ही नहीं और तेरा खड़ा भी नहीं होता,,,,।


सोनू तु भी शुरु हो गया,,, तू भी शुभम की तरह बातें कर रहा है,,,


शुभम की तरह बातें करु ना तो और क्या करूं मुझे अच्छा नहीं लगता जब वह तेरे बारे में खराब खराब बोलते हैं,,,,तेरी पीठ पीछे तेरी मामी के बारे में तेरी मौसी के बारे में कितनी गंदी गंदी बातें बोलते हैं वह लोग,,,,



कौन बोलता है,,,?(सुरज ताव में आकर बोला,,,)


शुभम बोलता है उसके साथी बोलते हैं सब तो कहते हैं,,,(


क्या कहते हैं,,,?



अब जाने भी नहीं बहुत गंदी गंदी बातें बोलते हैं,,,,



वही तो पूछ रहा हूं क्या बोलते है,,,,?


नहीं नहीं मैं नहीं बताऊंगा नहीं तो तुम दोनों के बीच झगड़ा हो जाएगा और यह अच्छी बात नहीं है,,,,,,,,,



चल अब बोल भी दे,,,,,



नहीं तु झगड़ा करेगा,,,,फिर कौन बताया यह बात निकलेगी तो मेरा नाम आएगा और फिर तू तो जानता है कि मेरे पिताजी कितना मारते हैं,,, नहीं नहीं मैं नहीं बताऊंगा जाने दे वह तो मैं तेरी भलाई के लिए कह रहा था कि,,,, एक बार सबको दिखा दे तो वह लोगों का मुंह बंद हो जाए लेकिन तो शायद नहीं चाहता,,,,, क्यों लोग तेरे बारे में गलत सलाह बोलना बंद कर दे तेरी मामी और मौसी के बारे में गंदी बातें करना बंद कर दें,,,,



देख सोनू मुझे अच्छा नहीं लगता कि कोई मेरी मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें करें,,,, इसलिए तुम मुझे बता ताकि मैं उन लोगों को खामोश कर सकूं,,,,



देख मैं तुझे बता दूंगा लेकिन मुझसे वादा करके तो झगड़ा नहीं करेगा अगर तू झगड़ा करेगा तो मैं तुझे नहीं बताऊंगा फिर हम दोनों की दोस्ती समझ लो टूट जाएगी,,,,।



चल कोई बात नहीं मैं नहीं झगड़ा करूंगा लेकिन तू बता तो सही कौन कहता है और क्या कहता है,,,।

(सुरज की बातें सुनकर सोनू को यकीन हो गया कि सुरज उसकी बातों को सुनकर झगड़ा नहीं करेगा क्योंकि वह अपनी बातों को नमक मिर्च लगाकर बताना चाहता था एक जवान लड़का होने के नाते जिस तरह से दूसरी लड़की औरतों को गंदी नजरों से देखते हैं उसी तरह से सोनू भी दूसरी औरतों के साथ-साथ खुद सुरज की मामी और मौसी को भी गंदी नजरों से देखता था सुरज की मामी की बड़ी-बड़ी गांड उसे बहुत पसंद थी और उसकी मौसी की खूबसूरती भी उसे उत्तेजित कर जाती थी,,, जिस तरह से दूसरे लड़के सुरज की मामी को देखते ही उसके बारे में गंदी कल्पनाएं करने लगते थे उसी तरह से सोनू भी सुरज की मामी को देखकर गंदी-गंदी कल्पना करता था इसीलिए अपनी बात को नमक मिर्ची लगाते हुए बोला,,,)



शुभम और उसके साथी तेरी मामी के बारे में और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें कहते हैं,,,, शुभम कहता है कि सुरज की मामी की गांड कितनी मस्त है बड़ी-बड़ी अगर कपड़े उतार कर नंगी हो जाती होगी तो देखने वाले का लंड अपने आप पानी छोड़ देता होगा,,,(सोनू के मुंह से अपनी मामी के बारे में गंदी गंदी बातें सुनकर सुरज को शुभम और उसके साथी पर बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी मामी के बारे में गंदी बातें सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होना शुरु हो गया था,,,) शुभम के साथी भी सुर में सुर मिलाते हुए कहते रहते हैं कि सुरज की मौसी कितनी मस्त है उसके अमरुद दबाने में बहुत मजा आएगा,,,,।


अमरुद ,,,,अमरुद मतलब,,,,,( सुरज भोलेपन से बोला)


अरे बुद्धू अमरूद का मतलब तेरी मौसी की चुची,,,, तेरी मौसी की चूची दबाने में बहुत मजा आता ऐसा वह लोग कह रहे थे,,,(लगे हाथ गांव के लड़कों की बदमाशी के बारे में बात बताते हुए सोनू अपने मुंह से अपने ही दोस्त की मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें बोलकर अपनी खड़े लंड को भी ना रहा था जो कि सुरज की नजर बार-बार उसके खड़े लंड पर पहुंच जा रही थी जो कि उत्तेजना के मारे सोनू अपने लंड को मुठिया रहा था,,,,वह दोनों एक पेड़ के नीचे खड़े थे और यह पेड़ गांव से थोड़ा अलग जगह पर यहां पर शाम के वक्त कोई आता जाता नहीं था और अंधेरा भी होने लगा था इसलिए यहां पर किसी के भी आने का डर बिल्कुल भी नहीं था,,,, सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,)


और तो और बोलो कितनी गंदी बात बोल रही थी कि मुझे बताने में भी शर्म आ रही है,,,


कैसी गंदी बात,,,


तू सुन पाएगा,,,,,



तू बोल तो सही आखिरकार में भी तो सुनो कि गांव वाले मेरी मामी और मौसी के बारे में कैसी कैसी बातें करते हैं,,,


वह लोग कह रहे थे कि,,,अगर तेरी मामी एक रात के लिए उन्हें मिल जाए तो सारी रात अपनी खड़े लंड को तेरी मामी की बुर में डाल डाल कर उसकी चुदाई करके उसकी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,,,, सच कहूं तो वह लोग तेरी मामी को चोदना चाहते हैं,,, तेरी मामी की बुर में अपना लंड डालना चाहते हैं क्योंकि वह लोग कहते हैं कि गांव में सबसे खूबसूरत बुर तेरी मामी की ही होगी,,,,,,

(यह सब सुनकर सुरज का चेहरा गुस्से से नहीं बल्कि उत्तेजना से तमतमा गया था अपनी मामी के बारे में इस तरह की गंदी बात और पहली बार सुन रहा था और उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी थी उसे अपनेआप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि अपनी मामी और मौसी के बारे में इतनी गंदी बातें सुनकर वह ईतने आराम से खड़ा है,,,, अपने दोस्त सोनू की बातों को सुनकर,,,,,,ना चाहते हुए भी उसके कल्पनाओं का घोड़ा बड़ी तेजी से दौड़ने लगा था और वह जिस तरह से उसकी मामी की गंदी बातें कर रहा था उसे सुनकर वह अपने मन में कल्पना करने लगा था अपनी मन की बड़ी-बड़ी गांड के बारे में उसकी चुचियों के बारे में और उसकी बुर के बारे में जिसे वह आज तक अपनी आंखों से देख नहीं पाया था उसकी भूगोल की संरचना के बारे में उसे बिल्कुल भी समझ नहीं थी फिर भी वह कल्पना कर रहा था आज उनसे पहली बार इस बात का पता चला था कि औरतों की चूचियों को अमरुद भी कहा जाता है वरना तो अमरूद पेड़ पर लगे फल को ही समझता था आज पहली बार ज्ञात हुआ था कि औरतों के छातियों पर लगे हुए फल को भी अमरुद कहां जाता है,,,। सुरज को उसके ख्यालों में खोया हुआ देखकर मिलना उसे ऊपर से नीचे की तरफ देखने लगा और उसके पजामे में अपने तंबू को देखकर उसके होश उड़ गए,,, उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था क्योंकि वह पूरी तरह से अपनी औकात में था खड़ा होने के बाद सोनू का खुद का पजामा भी इस तरह से तंबू नहीं बन जाता था इसलिए तो सुरज के पजामा में बने तंबू को देख कर उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,पर इस बात से भी वह पूरी तरह से हैरान और उत्तेजित हो गया था कि अपनी मामी के बारे में गंदी गंदी बातें सुनकर उसके चेहरे पर गुस्सा नहीं बल्कि उसके पजामे की हालत खराब हो रही थी इसका मतलब साफ था कि वह भी अपनी मामी के बारे में गंदी बातें सुनकर उत्तेजित हो रहा था,,,, सोनू अभी भी अपने लंड को हिला रहा था और किसी और के बारे में ही बल्कि सूरज की मामी और मौसी के बारे में सोच कर ही,,,, अपने लंड को हिलाते हुए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)


देख सूरज मैं गांव के बाकी लड़कों की तरह नहीं हूं जो तेरी मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें करु मैं तेरा पक्का दोस्त हु और मैं यह चाहता हूं कि तू उन लोगों का मुंह बंद कर दे इस तरह से खामोश रहेगा तो वह लोग इसी तरह से तेरी मामी और मौसी के बारे में गंदी गंदी बातें करते रहेंगे और वह लोग यही सोचेंगे कि तेरे पास है ही नहीं इसलिए भी सुधियां काकी के साथ कुछ कर नहीं पाता सच कहूं तो जिस तरह से वह लोग बातें करते हैं उसी तरह से तुझे भी हिम्मत करके उन लोगों की मां बहन के बारे में गंदी बातें करना चाहिए ताकि वह लोग तेरी घर की औरतों के बारे में इस तरह की गंदी बातें ना कर सके,,,,,,,
(सोनू की बातों को सुनकर सुरज कुछ देर खामोश रहा फिर बोला)


तू सच कह रहा है सोनू मुझे भी उन जैसा बनना पड़ेगा तभी यह हरकतें बंद होगी वरना यह लोग इसी तरह से मेरा मजाक उड़ाते रहेंगे,,,,


इसीलिए तो कह रहा हूं दिखा अपना,,,, देख मेरा कैसा खडा है,,,(सोनू जोर-जोर से अपने लंड को हिलाते हुए बोला,,, सुरज की नजर बार-बार उसके
लंड पर चली जा रही थी ,,, जो की पूरी तरह से खड़ा था सुरज की हालत खराब होती जा रही थी कि की पहली बार कोई उसका हमउम्र इस तरह से उसकी आंखों के सामने अपने लंड को हिला रहा था,,,,,, सुरज के लिए यह बर्दाश्त के बाहर था,,,, उसे अपने खड़े लंड में दर्द महसूस होने लगा था,,,,,,,,,)दिखाएगा नहीं तो पता कैसे चलेगा कि तेरे पास भी है वरना रोज यही बातें होती रहेंगी कि सुरज के पास है ही नहीं वह औरतों को खुश नहीं कर सकता,,,,


देख ऐसी बात नहीं मेरे पास भी है लेकिन मुझे शर्म आती है,,,



अरे शर्म कैसी,,,, मुझे देख में शर्मा रहा हूं क्या,,,( सोनू उसी तरह से अपने लंड़ को हिलाते हुए बोला,,,)



तुझे नहीं आ रही है लेकिन मुझे तो आ रही है ना,,,(सुरज शर्माते हुए बोला)


जा मुझे क्या गांव वाले तब तो यही कहते रहेंगे कि सच में तेरे पास लंड नहीं है,,,,इसी तरह से तू रहा तो एक न एक दिन जरूर शुभम और उसके दोस्त तेरी मामी को चोद देंगे,,,, तब मत कहना कि यह कैसे हो गया,,,,

(सोनू की यह बात सुनकर सुरज को गुस्सा आ गया और वह गुस्से में बोला)


मेरे पास भी है रुक अभी दिखाता हूं,,,,(पर इतना कहने के साथ ही सुरज में अपने पजामे को एक झटके से नीचे की तरफ खींच लिया और अगले ही पल उसका खड़ा मोटा तगड़ा लंबा लंड हवा में एकदम से आसमान की तरफ मुंह उठाए टनटनाने लगा,,,,, यह देखकर तो सोनू की आंखें फटी की फटी रह गई उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सुरज जो निगम शर्मिला सबसे शर्माता रहता है उसके पास इतना मोटा तगड़ा लंबा लंड होगा,,,, आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,,, सोनू को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था,,,,,,, क्योंकि वह सुरज का हमउम्र था पर इस उम्र को देखते हुए वह बार-बार अपने लंड की तरफ देख लेगा था जो कि सुरज के लंड से आधा ही था और वह अपने आप पर शर्मिंदा होने लगा कि अपना आधा लंड दिखा कर कीतना गर्व कर रहा था,,,,,सुरज के लंड में जरा भी लचकपन नहीं था ,,,,अपनी मामी की गंदी बातों को सुनकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसका असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच अपने लटकते हुए लंड पर महसूस हुआ था और वह उत्तेजित होकर पूरी तरह से एकदम लोहे के रोड की तरह खड़ा का खड़ा हो गया था,,,,
सुरज एक नजर अपने लंड की तरफ डालकर सोनू की तरफ देखते हुए बोला,,,।


सोनू अब बोल मेरे पास है कि नहीं,,,,,


बाप रे इतना बड़ा और मोटा यार तेरा तो एकदम जबरदस्त है सुधियां काकी की बुर में अगर एक बार चला गया तो सुधियां काकी माई बाप करके चिल्ला उठेगी और वह तो तेरी दीवानी हो जाएगी सुधियां काकी ही क्यों गांव की किसी भी औरत की बुर में अगर तेरा लंड चला गया तो वह तो तेरी दीवानी हो जाएगी,,,,(सोनू सुरज के लंड की बढ़ाई किए जा रहा था और अपने लंड को जोर-जोर से हिलाए जा रहा था,,, सुरज तो अपने लंड की बड़ाई सुनकर गदगद हुए जा रहा था,,,, सोनू की बातों को सुनकर उसे यह एहसास होने लगा था कि,, उसके पास जो है वह अद्भुत और जानदार है,,,, अभी तक सुरज बड़ी उत्सुकता से सोनू को मुठिया मारते हुए देख रहा था लेकिन यह क्रिया उसके समझ के बिल्कुल भी परे थी वह हस्तमैथुन की क्रिया को जानता ही नहीं था जोकि अभी तक सिर्फ खामोशी से देख रहा था लेकिन अब बोल पड़ा,,,,)


सब तो ठीक है लेकिन तु यह क्या कर रहा है,,,,?


मुठिया मार रहा हूं मेरे दोस्त,,,, इसे अपने आप ही सुख प्राप्त करना कहते हैं,,,, इससे बहुत मजा आता है,,,,(सोनू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था उत्तेजना के इस खेल में उसकी उत्तेजना को और अधिक बढ़ावा दे रहा था सुरज की मामी की कल्पना जिसके चलते सोनू तुरंत चरम सुख के करीब पहुंच गया था और देखते ही देखते सुरज कुछ और पूछ पाता इससे पहले ही सोनू लंड से एक जोरदार पिचकारी फूट पड़ी,,,,, यह पिचकारी सुरज के लिए अद्भुत और बेहद अनजान सी थी,,,,,, इस बारे में सुरज को बिल्कुल भी पता नहीं था,,, हां कभी-कभी उसे उठने के बाद अपना पैजामा किला महसूस जरूर होता था लेकिन कभी वह समझ नहीं पाया था,,, इसलिए पिचकारी को देखते ही आश्चर्य से सुरज बोला,,,)

अरे यह कैसा पेशाब है,,,,?


यह पेशाब नहीं है सुरज यह मस्ती की धारा है,,,,, तू भी अगर जोर जोर से हिलाएगा तो तेरे भी निकलेगी,,,,( सोनू पजामे को ऊपर करके गहरी सांस लेते हुए बोला,,,, सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)देख सुरज तू मेरा दोस्त है इसलिए तुझे कहता हूं कि जब भी शुभम या उसके दोस्त तुझे चिढ़ाए तो,,उन्हें भी अपना खोल कर दिखा देना देखना हम की आंखें फटी की फटी रह जाएगी और सब शर्मिंदा हो जाएंगे और तुझसे दोबारा कुछ भी नहीं कहेंगे पता नहीं क्यों क्योंकि उन लोगों के पास तेरे से आधा ही है,,,,



क्या मेरे पास ज्यादा बड़ा है क्या,,,,( सुरज आश्चर्य से बोला)


हां तेरे पास सच में ज्यादा बडा है और तेरा लंड औरतों का अपना दीवाना बना देगा,,,,

चल हट पागल हो गया है तू,,,, चल अब घर चलते हैं अंधेरा हो गया है,,,,(और इतना कहकर दोनों घर की तरफ चलने लगे,,, सुरज अपने मन में सोचने लगा क्या वाकई में उसके पास जबरदस्त लंड है,,,,, यह सोचकर वह अपने आप पर गर्व महसूस भी कर रहा था,,,)
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सुरज की किस्मत वाकई में बहुत तेज थी ऐसा लगता है कि कामदेव ने खुद अपने हाथों से सुरज की किस्मत लिखी थी इसलिए,,, आए दिन सुरज को नई बुर का स्वाद चखने को मिल रहा था,,,,,, और सुरज अपनी किस्मत से बेहद खुश था और अपने आप पर गर्व महसूस करता था,,,

वादे के मुताबिक सुरज अपने मामा के साथ रेलवे स्टेशन पर जाने लगा धीरे-धीरे उसे बेल गाड़ी चलाने में मजा भी आने लगा और वह बहुत ही जल्द रेलगाड़ी को चलाना सीख गया था,,,, कौन सी जगह का कितना किराया है यह भी उसे बहुत ही जल्द पता चलने लगा,,,,,, रेलवे स्टेशन के अंदर जाना वहां से सवारी लेना उनका सामान लेकर बैलगाड़ी पर रखना यह सब बड़े जल्दी सुरज सीख गया था और रविकुमार बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसकी मदद करने वाला जो मिल गया था रविकुमार अपने मन में यही सोचता था कि जैसे तैसे करके बाहर नामदेवराय का उधार चुका दे तो कुछ उधार पैसे ले करके एक बैलगाड़ी और ले ले ताकि उसका भांजा भी उसकी मदद करें और आमदनी भी अच्छी हो जाए,,,,,,,,,,,

धीरे धीरे सुरज की वजह से रविकुमार की आमदनी बढ़ने लगी थी रविकुमार बहुत खुश था ऐसे ही एक दिन शाम ढलने वाली थी और रविकुमार बेल गाड़ी लेकर स्टेशन के बाहर खड़ा था कि कोई आखिरी सवारी मिल जाए तो जाते-जाते कुछ आमदनी हो जाए ,,, रविकुमार का मित्र अनिल भी वहीं बैठा हुआ था,,, दोनों आपस में बातचीत कर रहे थे,,, और सुरज रेलवे स्टेशन के अंदर जाकर ट्रेन आने का इंतजार कर रहा था ताकि सवारी मिल सके,,,,।

अच्छा हुआ रविकुमार तु अपने भांजे को भी काम पर लगा दिया नहीं तो दिन भर इधर-उधर घूमता रहता,,,,


हां इसीलिए तो,,,, मैं भी सोचा कि कुछ मदद हो जाएगी आजकल खांसी परेशान किए हुए हैं,,,,


तू भी तो दिन भर बीडी फुंकता रहता है ऐसा नहीं कि बीडी छोड़ दु,,,


क्या करूं यार छुटती ही नहीं है,,, और तू भी तो दिन भर शराब पीते रहता है,,, अभी कुछ दिन पहले ही तेरी बीवी मिली थी,,, रोने जैसा मुंह हो गया था,,, तेरे सर आप से एकदम परेशान हो गई है,,,, तू शराब छोड़ क्यों नहीं देता,,,


अब तेरे जैसा हाल मेरा भी है जैसे तुझसे बीड़ी नहीं छोड़ी जा रही वैसे मैं से शराब भी नहीं छोड़ा जा रहा है,,,, हम दोनों साथ में ही भुगतेंगे,,,,(ऐसा कहकर वह हंसने लगा,,,, धीरे-धीरे समय बीत रहा था और सवारी मिलने का नाम नहीं ले रहे थी तो,,, रविकुमार का मित्र अनिल ने धोती में शराब की बोतल निकाला उसका ढक्कन खोलने लगा देखकर रविकुमार बोला,,,)

देख अब अभी पीना मत शुरू कर दे तुझे घर भी वापस जाना है रात हो रही है,,,, और तु मुझसे दो गांव आगे रहता है,,,।


अरे कुछ नहीं होगा यार यह तो मेरे रोज का है ले तू भी ले ले,,,,


नहीं नहीं शराब तुझे ही मुबारक हो,,, मेरी तो बीडी ही सही है,,,(ऐसा कहते हुए वह भी अपने कुर्ते की जेब में से बीडी निकाल कर उसे दिया सलाई से सुलगाया और पीना शुरू कर दिया,,, और अनिल पूरी सीसी मुंह में लगाकर घूंट पर घुट मारने लगा,,,, नतीजा यह हुआ कि उसे शराब चढ़ने लगी,,,, थोड़ी ही देर में वह पूरी तरह से नशे में धुत हो गया,,,
अंधेरा हो चुका था घर जाना जरूरी था और सवारी मिलने का कोई ठिकाना ना था रविकुमार सोचा कि जाकर स्टेशन से सुरज को वापस बुला ले और यही सोचकर वह बैलगाड़ी से नीचे उतरा कि सामने से सुरज आता हुआ दिखाई दिया वह रविकुमार के पास आकर बोला,,,,।)

मामा आज ट्रेन लेट है देर रात को आएगी और तब तक हम रुक नहीं सकते,,,।


हां तु ठीक कह रहा है,,, इसलिए मैं भी तुझे बुलाने ही वाला था,,,

तो घर चले,,,


हां चलना तो है लेकिन,,ये, अनिल पूरी तरह से नशे में धुत हो गया,, है,,,,।
(इतना सुनते ही सुरज अनिल की बेल गाड़ी के पास गया और उसका हाथ पकड़ कर हिलाते हुए बोला)


मामा ओ मामा,,, उठो घर नहीं चलना है क्या,,,।
(इतना सुनकर वह थोड़ा सा उठा और)

हममममम,,,,,,,, इतना कहने के साथ फिर से लुढ़क गया,,, उसकी हालत को देखते हुए सुरज बोला,,।

रवि मामाजी यह तो बिलकुल भी होश में नहीं है,,,


हां मैं भी देख रहा हूं पता नहीं यह घर कैसे जाएगा,,,जा पाएगा भी कि नहीं और रात को यहां पर छोड़ना ठीक नहीं है यह पूरी तरह से नशे में है अगर कोई चोर उचक्के आ गए तो ईसकी बेल गाड़ी भी लेकर रफूचक्कर हो जाएंगे,,,


तो फिर करना क्या है मामा ,,,,


करना क्या है इसे घर तक पहुंचाना है,,, तू बैलगाड़ी अच्छे से चला तो लेगा ना,,,


बिल्कुल मामा जी मैं एकदम सीख चुका हूं,,,


तब तो ठीक है देख रात काफी हो चुकी है,,,,,, चांदनी रात है इसलिए कोई दिक्कत तो नहीं आएगी लेकिन फिर भी इसे इसके घर तक पहुंचाना जरूरी है एक काम कर तु इसकी पहल गाड़ी ले ले और इसे इसके घर पर छोड़ देना,,,,


फिर मैं वहां से आऊंगा कैसे,,,


हां यह बात भी ठीक है,,,,,(कुछ सोचने के बाद)अच्छा तो एक काम करना कि अगर ज्यादा देर हो जाए तो वहीं पर रुक जाना अनिल के वहां ही सो जाना,,,,
(वैसे तो वहां रुकने का उसका कोई इरादा नहीं था क्योंकि रात को मंजू की गुलाबी बुर चोदे बिना उसका भी मन नहीं मानता था उसे नींद नहीं आती थी,,, फिर भी वह बोला,,)

ठीक है मामा जैसा ठीक लगेगा वैसा करूंगा,,,
(सुरज अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर सही लगा तो वह वापस लौट आएगा अगर ज्यादा रात हो गई तो वहां से आना भी ठीक नहीं है इसलिए वह वहीं रुक जाएगा,,, दोनों चलने की तैयारी करने लगे,,, रविकुमार आगे आगे अपनी बैलगाड़ी लेकर चल रहा था और पीछे सुरज सुरज के लिए यह पहला मौका था जब वहां के रेलगाड़ी को संपूर्ण आजादी के साथ चला रहा था बेल की लगाम उसके हाथों में थी जहां चाहे वह वहां मोड सकता था उसी बेल गाड़ी चलाने में मजा भी आ रही थी,,, आगे आगे चलते हुए रविकुमार उसे निर्देश भी दे रहा था,,,।)

देखना आराम से जल्दबाजी ना करना कहीं ऐसा ना हो कि बेल भड़क जाए और भागना शुरू कर दे तब दिक्कत हो जाएगी आराम से प्यार से,,,


चिंता मत करो मामा मैं चला लूंगा,,,,
(ऐसा कहते हुए सुरज अपने मामा के पीछे पीछे चलने लगा,,, सुरज के साथ-साथ रविकुमार भी खुश था कि उसका भांजा बड़े आराम से बैलगाड़ी को चला ले रहा है,,, देखते ही देखते सुरज का गांव आ गया और मुख्य सड़क से कुछ निर्देश देते हुए रविकुमार अपनी बैलगाड़ी को नीचे गांव की तरफ उतार लिया और सुरज को आगे बढ़ जाने के लिए बोला क्योंकि यहां से २ गांव आगे अनिल का गांव था,,, रविकुमार बिल्कुल सहज था लेकिन जैसे ही सुरज बेल गाड़ी लेकर अनिल के गांव की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी उसके दिमाग में खुराफात जागने लगी सुरज की गैर हाजिरी मे उसका मन मचलने लगा और वो जल्दी जल्दी घर पर पहुंच गया,,,, और दूसरी तरफ सुरज अपनी मस्ती में बेल को हांकता हुआ आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, चांदनी रात होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, रात तो हो चुकी थी लेकिन फिर भी इक्का-दुक्का लोग सड़क पर आते जाते नजर आ जा रहे थे,,, सुरज अपने मन में सोचने लगा कि जल्दी से अनिल मामा को उसके घर पहुंचाकर वापस अपने गांव आ जाएगा क्योंकि मंजू की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार उसे बहुत याद आ रही थी,,,।

अनिल के गांव को जाने वाली सड़क थोड़ी संकरी थी इसलिए बड़ा संभाल कर सुरज अपने बैल को आगे बढ़ा रहा था क्योंकि जरा सा इधर-उधर होने पर बेल गाड़ी नीचे खेतों में उतर जाती है फिर तो और मुश्किल हो जाती इसलिए वह किसी भी प्रकार की गलती नहीं करना चाहता था और चांदनी रात में उसे सहारा भी मिल रहा था,, उसे सब कुछ नजर आ रहा था,,,,।

तकरीबन १ घंटा अपने गांव से बैलगाड़ी को और ज्यादा चलाने पर अनिल का गांव आ गया था लेकिन अनिल का घर कौन सा है उसे मालूम नहीं था,,, और रात होने की वजह से कोई नजर भी नहीं आ रहा था,,,, गांव में पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था और वैसे भी आज रेलवे स्टेशन से आने में देर हो गई थी,,, सुरज के मन में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे हैं अपने मन में सोचने लगा कि अगर अनिल के घर पर रुकना पड़ गया तो आज की रात वह चुदाई कैसे कर पाएगा,,, मंजू को चोदे बिना तो उसका भी मन नहीं मानता था सुरज अपने मन में सोचने लगा कि भले ही उसकी मौसी उसे अपनी गांड नहीं देती लेकिन दुनिया की सबसे बेश कीमती खजाना तो उसे सौंप देती है,,, और एक जवान लड़के को रात गुजारने के लिए क्या चाहिए,,,,,,, हे भगवान कहां फंस गया बेवजह मुसीबत मोल ले लिया कह देना चाहिए था कि मुझे बेल गाड़ी अभी ठीक से चलाना नहीं आता ताकि घर पर इत्मीनान से अपनी मौसी के साथ रात तो गुजार सकता था,,,,,, यहां तो कोई नजर भी नहीं आ रहा है,,,अपने मन में यही सोचता हुआ सुरज धीरे-धीरे बैलगाड़ी को आगे बढ़ा रहा था वह अपने मन में सोच रहा था कि कोई नजर आ जाता तो उसी से अनिल मामा का घर पूछ लेता,,,,

यही सोचता हुआ सुरज आगे बढ़ रहा था कि तभी उसे घास फूस की झोपड़ी में एक बुजुर्ग इंसान बैठे हुए नजर आए जो कि जोर-जोर से खास रहे थे,,, बस फिर क्या था सुरज तुरंत बैलगाड़ी को खड़ा करके बैलगाड़ी से नीचे उतरा और उस बुजुर्ग इंसान के पास गया और बोला,,,।


दादा प्रणाम,,,

अरे खुश रहो बेटा इतनी रात को कहां,,,


अरे दादा जी अनिल जी के घर जाना था बेल गाड़ी वाले,,,


अच्छा-अच्छा अनिल के घर,,,


हां दादा अनिल जी के घर,,,,


यहां से,,,(जोर जोर से खांसते हुए रुक गए और फिर थोड़ा जल्दी जल्दी सांस लेते हुए बोले मानो कि जैसे उनकी सांस फूल रही हो,,) तीन घर छोड़ने के बाद वह जो बड़ा सा पेड़ नजर आता है ना घना,,,, बस वही अनिल का घर है,,,,(सुरज उस बुजुर्ग के उंगली के इशारे की तरफ देखता हुआ)

जो बड़ा सा पेड़ नजर आ रहा है वही ना दादा,,,,

हां बेटा वही,,,


बहुत-बहुत धन्यवाद दादा,,,,
(इतना कहने के साथ ही सुरज वापस बैलगाड़ी पर बैठ गया और बेल को हांकने लगा,,,अब बेल को भी अपना ठिकाना मालूम था इसलिए वह बिना रुके हैं उस घने पेड़ के नीचे आकर रुक गया,,,, सुरज बैलगाड़ी से नीचे उतरा और दरवाजे पर पहुंच कर दरवाजे की सीटकनी को हाथ में पकड़ कर उसे दरवाजे पर बजाते हुए बोला,,,)

मामी,,,,ओ,,,,मामी,,,,,,,
(कुछ देर तक किसी भी तरह की आवाज अंदर से नहीं आई तो सुरज जोर से दरवाजे के सिटकनी को पटक ते हुए आवाज लगाया,,,)

मामी अरे जाग रही हो कि सो गई,,,,,।
(थोड़ी देर में सुरज को अंदर से कुछ हलचल की आवाज सुनाई थी तो वह समझ गया कि मामी जाग गई है,,,, और वह शांत होकर खडा हो गया,,,, दरवाजे की तरफ आते हुए उसे पायल और चूड़ियों की खनकने की आवाज आ रही थी,,, और अगले ही पल दरवाजा खुला,,,और अभी दरवाजा ठीक से खुला ही नहीं था कि तभी सुरज बोला,,)

ओ,,, मामी क्या है ना कि अनिल मा,,,,(अभी वह पूरी बात बोल ही नहीं पाया था कि उसके शब्द उसके गले में ही अटक कर रह गए क्योंकि दरवाजा खुलने के साथ जो नजारा उसकी आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखते ही वह एकदम से दंग रह गया,,,, दरवाजे पर एक खूबसूरत औरत खडी थी,,, एकदम गोल चेहरा भरा हुआ,,, बाल एकदम खुले हुए थे वह एक हाथ में लालटेन पकड़ी हुई थी जिसकी पीली रोशनी में उसका खूबसूरत भरा हुआ चेहरा एकदम साफ नजर आ रहा था सुरज उसके खूबसूरत चेहरे की तरफ देखता ही रह गया लाल लाल होंठ तीखे नैन नक्श गोरे गोरे गाल एकदम भरे हुए माथे पर बिंदिया और नाक में छोटी सी नथ,,, सुरज तो देखता ही रह गया,,,, वह अभी भी थोड़ी नींद में थी सुरज कुछ और बोल पाता इससे पहले ही सुरज की नजर उस की भरी हुई छाती ऊपर गई तो उसके होश उड़ गए,,, ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे जो कि शायद गर्मी की वजह से वह सोते समय खोल दी थी जिसकी वजह से उसकी आंखें से ज्यादा चूचियां बाहर आने के लिए मचल रही थी और लालटेन की पीली रोशनी में अपनी आभा बिखेर रही थी,,,, अनिल की बीवी संगीता को देखकर तो सुरज के होश उड़ गए थे वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी लगता ही नहीं था कि यह अनिल की बीवी संगीता है क्योंकि अनिल एकदम मरियल सा शराबी व्यक्ति था,,, और उसकी आंखों के सामने जो खड़ी थी वह तो हुस्न की मल्लिका लग रही थी,,,,अभी भी उसकी आंखों में नींद थी इसलिए वह जबरदस्ती अपनी आंखों की पलकों को खोलने की कोशिश करते हुए बोली,,,।)

कौन ,,,,इतनी रात गए,,,,,


अरे मामी मैं हूं,,, सुरज अनिल मामा को लेकर आया हूं शराब पीकर बेल गाड़ी चलाने के होश में नहीं थे इसलिए मुझे आने पड़ा,,,

(अनिल का जिक्र होते ही वह एकदम से हड़बड़ा गई,,,,,)

कहां है,,,,वो,,,,,(इतना कहते हुए वह दरवाजे पर खड़ी होकर ही बाहर को इधर-उधर झांकने लगी,,,)

अरे बैलगाड़ी में है,,, आओ थोड़ा सहारा देकर उन्हें अंदर ले चलते हैं,,,,)

चलो चलो जल्दी चलो,,, मैंने कितनी बार कहीं हूं कि शराब छोड़ दो लेकिन यह है कि मेरी सुनते ही नहीं,,,(ऐसा कहते हैं शुरुआत में लालटेन लिए हुए घर से बाहर निकल आई,,,)
 
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अनिल की बीवी हाथ में लालटेन लिए हुए ही वह घर के बाहर आ गई आगे-आगे सुरज था,,,अब उसकी दिलचस्पी अनिल की बीवी में कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी वह अनिल की बीवी के बारे में सोच रहा था कि कहां गदर आई जवानी की मालकिन और कहां सुखा हुआ मरियल सा अनिल ,,,, औरतों का स्वाद चख चुका सुरज समझ गया था कि अनिल की बीवी शारीरिक रूप से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं होती होगी,,,,,,,,,, सुरज का मन अब वापस घर लौटने का बिल्कुल भी नहीं था,,, क्योंकि उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर एक औरत खड़ी थी जोकि एक ऐसे इंसान की औरत थी जिसमें दमखम बिल्कुल भी नहीं था और हमेशा शराब के नशे में धुत रहता था ऐसे हालात में वह अपनी बीवी को कैसे संतुष्ट कर पाता होगा,,, इसलिए सुरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर थोड़ी सी कोशिश की जाए तो आज की रात उसके जिंदगी की हसीन रात बन सकती है,,, क्योंकि मौका और दोस्तों से दोनों सुरज के पक्ष में था,,,।



सुरज अनिल की बीवी संगीता से दो कदम आगे चलते हुए बैलगाड़ी के पीछे आ गया और उसके पीछे पीछे अनिल की बीवी संगीता है जिसके हाथ में अभी भी लालटेन थी और लालटेन की पीली रोशनी में बैलगाड़ी के अंदर बेसुध हो कर लेटा हुआ अनिल साफ नजर आ रहा था जिसे देख कर ही पता चल रहा था कि वह बिल्कुल कि होश में नहीं था,,,,।


रुको मैं उठाता हूं मामी ,,,,(इतना कहकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अनिल की टांग को पकड़े हुए था और नजर घुमाकर अपने बिल्कुल पास में खड़ी अनिल की बीवी संगीता के खूबसूरत चेहरे को देख रहा था क्योंकि लालटेन की रोशनी में बहुत ज्यादा ही खूबसूरत नजर आ रहा था उसे देखते हुए सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें मामी कहूं या कुछ और क्योंकि तुम्हारी उम्र देख कर मुझे लगता नहीं है कि तुम्हें चाहे कहना योग्य होगा वैसे तो समाज के रीति रिवाज के हिसाब से में इन्हें मामा कहता हूं तो लाजमी है कि तुम्हें मामी ही कहना पड़ेगा लेकिन मुझे तुम्हें मामी कहने में खुद को शर्म महसूस हो रही है क्योंकि तुम एकदम बेहद जवान और खूबसूरत औरत हो,,,, और तुम्हें मामी कहने में एक उम्र की सीमा बंध सी जाती है,,, इसलिए समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें क्या कहूं,,,,(इतना कहने के साथ ही अनिल की बीवी संगीता का जवाब सुने बिना ही अनिल को उठाने की कोशिश करने लगा और अनिल की बीवी संगीता अपनी खूबसूरती की तारीफ एक अपरिचित जवान लड़के के मुंह से सुनकर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,, अनिल की बीवी को अपने जाल में फंसाने का यह सुरज की तरफ से फेंका गया पहला पासा था,,, और इस पहले पासे में ही अनिल की बीवी चारों खाने चित हो गई थी,,,, भला एक औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना क्यों ना पसंद होगा,,,, अनिल की बीवी से कुछ भी बोला नहीं जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले सुरज की बातों को सुनकर वह अनिल के बारे में भूल गई,,,, तभी अनिल की बीवी के सामने जानबूझकर अपना दम दिखाते हुए बिना उसकी बीवी का मदत लिए हुए ही वह कमर से अनिल को पकड़कर उठाया और अपने कंधे पर किसी बोझ की तरह रख दिया,,,, चाहे देख कर अनिल की बीवी भी हैरान रह गई,,, क्योंकि सुरज ने एक झटके में ही उसे कंधे पर उठा दिया था और,,, बोला,,,।



अरे यार कितना मरियल सा शरीर है ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा है कि मैंने एक इंसान को उठाया हूं,,,।
(मरियल शब्द जानबूझकर सुरज ने बोला था क्योंकि वहां अनिल की बीवी को एहसास दिलाना चाहता था कि उसका पति बेहद कमजोर और मरियल है इसके मुकाबले वह एकदम जवान और हट्टा कट्टा गठीला बदन वाला है,,, सुरज की बात को सुनकर अनिल की बीवी कुछ बोली नहीं लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसका पति वाकई में सुरज के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,, अनिल को कंधे पर उठाकर व दरवाजे की तरफ जाने लगा और बोला,,)

जल्दी से बताओ कहां ले चलना है,,,?


अरे हां रुको,,,,,(इतना कहने के साथ ऐसी हालत में लालटेन दिए हुए अनिल की बीवी जल्दी से कमरे में दाखिल हुई हर आंगन में ही खटिया गिरा कर बोली)
यहीं पर लिटा दो,,,

(और इतना सुनते ही सुरज तुरंत आगे बढ़ा और खटिया पर आराम से उसे लिटा दिया उसकी हालत देखने पर सुरज समझ गया था कि यह सुबह तक जगने वाला नहीं है और उसके पास पूरा मौका था आज की रात रंगीन करने का लेकिन कैसे इस बारे में अभी उसने कोई योजना भी नहीं बनाई थी,,, खटिया पर लेटा लेने के बाद अपना हाथ झाड़ते हुए बोला)


तुम इन्हें समझाती क्यों नहीं,,,, शराब पी पी कर अपनी हालत खराब कर लिए हैं,,,


अब कितना समझाए बबुआ,,, हमारी तो यह एक नहीं सुनते,,, हमारी तो किस्मत खराब हो गई है,,,,,,


सच में मैं तो बिलकुल भी होश नहीं है कि कहां सो रहा हूं,,,,


वैसे तुम कौन हो बबुआ तुम्हें में पहली बार देख रही हूं,,,


मै रविकुमार का भांजा हूं,,,,


अच्छा-अच्छा रविकुमार भाई साहब,,,,, ३ दिन पहले मुझे मिले थे मैं उनसे बोली थी कि कुछ समझाईए ईन्हें,,,

अरे मामाजी तो इन्हें बहुत समझाते हैं मेरे सामने ही ऐसी हालत होने से पहले ही कितना समझाए थे लेकिन यह माने नहीं और उन्होंने ही मुझे इन्हें सही सलामत घर पर छोड़ने के लिए बोले थे,,,,


भाई साहब बहुत अच्छे हैं काश उनकी बात ये मान लीए होते तो ऐसी हालत नहीं होती,,,,(अभी भी उसके हाथों में लालटेन थी और लालटेन की रोशनी में उसकी ,भरी हुई छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे शायद गर्मी की वजह से वह खोले हुए थी,,, लेकिन वजह चाहे जो भी हो इस समय वह सुरज के लंड की एठन बढ़ा रही थी,,, अनिल की बीवी की बात सुनकर सुरज बोला)


अभी भी सुधर जाए तो भी,,,


अब भगवान जाने कब इन्हें अक्ल आएगी,,,,,,,(अनिल की बीवी एकदम सहज होकर बातें कर रही थी उसके मन में सुरज को लेकर ऐसा वैसा कुछ भी नहीं था लेकिन सुरज के मन में उसे लेकर के ढेर सारी भावनाएं उमड रही थी,,, अनिल की बीवी एकदम सहज होते हुए बोली,,) अरे बबुआ रात तो काफी हो गई है ऐसे में घर जाना ठीक नहीं है,,, एक काम करो तुम आज की रात यही रुक जाओ,,,।


नहीं नहीं मैं चला जाऊंगा,,,,


अरे कैसे चले जाओगे एक तरह से तुम आज की रात हमारे मेहमान हो,,, पर इतना तो जानती हूं कि तुम मेरे पति को यहां लेकर आए हो तो अभी तक खाना भी नहीं खाए होंगे,,,, रुको मैं खाना गर्म कर देती हूं,,,,

नहीं नहीं तुम रहने दो मैं तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहता हूं वैसे भी तुम कम तकलीफ में नहीं हो,,,

अरे बबुआ यह तो रोज का हो गया है,,,,,, पर शायद जिंदगी भर का हो गया है,,, रुको मैं अभी खाना गर्म कर देती हूं,,,(वह लालटेन लिए चूल्हे के पास जाने लगी,,, सुरज उसे परेशान करना नहीं चाहता था लेकिन क्या करें उसे भूख भी लगी थी और वह कुछ कहता इससे पहले वह खुद ही उसे रुकने के लिए बोल दी थी,,,,, रुकने के लिए बोल कर उसने तो सुरज के लिए सोने पर सुहागा कर दी थी,,,, अनिल की बीवी संगीता चोली के पास बैठकर चूल्हा जलाने लगी,,,लेकिन चूल्हा ठीक से चल नहीं रहा था तो सुरज ही उसकी मदद करने के लिए उसके पास गया और बैठ कर चुल्हा जलाने लगा,,,,,, दोनों बैठे हुए थे सुरज दियासलाई जलाकर सूखी लकड़ी को जलाने की कोशिश कर रहा था और,,, अनिल की बीवी थोड़ा सा झुक कर फूंक मारकर लकड़ी के साथ डाले हुए सूखे पत्ते को जलाने की कोशिश कर रही थी उसके झुकने की वजह से और ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले होने की वजह से उसकी आधे से ज्यादा चूचियां बाहर को लुढकी हुई नजर आ रही थी,,, जिस पर बार-बार सुरज की नजर चली जा रही थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से इसके ब्लाउज के बटन खोल कर दोनों खरबूजा को हाथ में लेकर जी भर कर दबा दबा कर उनसे खेले,,, लेकिन इतनी जल्दी वह हिम्मत दिखाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था क्योंकि उसके मन में क्या चल रहा है इस बारे में सुरज को बिल्कुल भी मालूम नहीं है सुरज पहले माहौल को पूरी तरह से समझ लेने के बाद ही अगला कदम बढ़ाता था,,, चोला चलाते हुए सुरज अनिल की बीवी से बोला,,,।)

मैं तुमको मामी कहकर कर बोलु तो तुम्हें एतराज तो नहीं होगा,,,


अब एतराज कैसा बबुआ जमाने का दस्तूर ही यही है,,, अगर तुमने मामा कहते हो तो मुझे मामी कहोगे ना अब काकी तो थोड़ी ना कहोगे,,,

बात तो ठीक ही कह रही है मामी लेकिन तुम्हारी उम्र तुम्हारी खूबसूरती देखकर तुम्हें मामी कहने का मन नहीं कर रहा है,,,


तो फिर क्या कहने का मन कर रहा है,,,

संगीता सखी,,,,
(सुरज की बात सुनकर अनिल की बीवी हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर सुरज के मन में प्रसंता के भाव नजर आने लगे क्योंकि हंसते हुए वह बेहद खूबसूरत लग रही थी,,, उसे हंसता हुआ देखकर सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच संगीता मामी,,,मैं तो तुम्हें संगीता मामी हीं कहूंगा क्योंकि तुम रविमामाजी के दोस्त की बीवी हो और तुम्हारी उम्र बहुत कम लग रही है इस लिए मामी कहानेका मन नहीं कर रहा है,,,, तुम हंसते हुए कितनी खूबसूरत लगती हो,,,।
(इतना सुनकर अनिल के बीवी सुरज की तरफ एक तक देखने लगी और फिर हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,)


बबुआ तुम बहुत अच्छी अच्छी बातें करते हो और सच कहे तो जिस तरह से तुम मेरी खूबसूरती की तारीफ कर रहे हो ना आज तक उन्होंने बिल्कुल भी नहीं किया,,(खटिया पर सो रहे अपने पति की तरफ इशारा करते हुए) यहां तक कि हमारी तरफ ठीक से देखते तक नहीं है सुबह बैल गाड़ी लेकर निकल जाते हैं और रात को इसी तरह से नशे में धुत होकर घर पर आते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए कढ़ाई में रखी हुई सब्जी को कढ़ाई सहित चूल्हे पर रखकर उसे गर्म करने लगी,,)

एक बात कहूं संगीता मामी,,,

कहो,,,


सच में तुम्हारी किस्मत खराब है,,,


वह क्यों,,,?


क्योंकि संगीता मामी तुम्हें देखकर कोई इनको, (अनिल की तरफ इशारा करते हुए) इन्हें थोड़ी ना कहेगा कि यह आपके पति है,,, तुम्हारा पति तो होना चाहिए था कोई बांका जवान गठीला बदन वाला लंबा चौड़ा जो तुम्हें अपनी बाहों में भर ले तो तुम्हारे दामन में दुनिया भर की खुशियां भर दे,,,


(सुरज की बातें सुनकर बहुत सोच में पड़ गई,,, क्योंकि वह भी जानती थी कि उसकी शादी ऐसे इंसान से नहीं होना चाहिए था लेकिन मजबूरी से गरीबी से मां-बाप परेशान थे इसलिए जो हाथ लगा उसी से बिहा कर दिया,,,,)

बात तो तुम ठीक ही कह रहे हो लेकिन किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है शायद मेरी किस्मत में यही था,,,,(कढ़ाई गर्म हो रही थी इसलिए वह दोनों हाथों में कपड़े का टुकड़ा लेकर कढ़ाई को नीचे उतार दी,,, वह खाना परोसने लगी और सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)


संगीता मामी मुझे यह सवाल तो नहीं पूछना चाहिए था लेकिन फिर भी मैं पूछ ही लेता हूं कि बच्चे कितने हैं,,,


बच्चे,,,,(इतना कहकर ना कुछ देर तक जगह किसी ख्यालों में खो गई और फिर थोड़ी देर बाद बोली) नहीं नहीं शादी के २ साल हो गए हैं लेकिन बच्चे नहीं हैं और ऐसी हालत में तो अच्छा ही है कि नहीं है,,,


नहीं संगीता मामी ऐसा क्यों बोल रही हो बच्चे तो भगवान का दिन होते हैं और बच्चे होंगे तब तुम भी बच्चों में खोई रहोगी तुम्हें भी खुशी मिलेगी,,,,
(सुरज की बात से वह पूरी तरह से सहमत थी लेकिन २ साल हो गए थे बच्चे क्या वह ठीक से संभोग सुख भी प्राप्त नहीं कर पाई थी क्योंकि उसके बदन के मुकाबले उसका पति कुछ भी नहीं था एकदम बढ़िया सा शरीर लेकर जब भी उसके ऊपर चढ़ता था तो तुरंत पानी फेंक देता था असली जवानी का सुख तो वह भोग ही नहीं पाई थी,,, फिर भी वह अपना मन मारते हुए सुरज से बोली,,)

हो जाएगा जब होना होगा,,,(इतना कहते हुए वह भोजन की थाली सुरज की तरफ आगे बढ़ा दी और पानी लाने के लिए कोने में रखें मटके की तरफ जाने लगी,,,और जाते समय सुरज की नजर उसकी गोल गोल गांड पर थी जोकि जवानी के रस से पूरी तरह से भरी हुई थी जिस पर मर्दाना हाथों का शायद सही उपयोग नहीं हुआ था इसलिए गांड का घेराव खेली खाई औरतो वाला बिल्कुल भी नहीं था,,, गांड का आकार एकदम सुगठित था,,,,, शादी को २ साल हो गया था लेकिन २ साल में वह मर्दाना सुख से पूरी तरह से शायद वंचित ही रह गई थी या उसे असली सुख प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए उसके बदन में ज्यादा बदलाव नहीं आया था बस थोड़ा सा भराव आ चुका था,,,, फिर भी मटकती हुई गांड देखकर सुरज के हौसले पश्त होने लगे,,, प्यासी नजरों से उसके कमर के नीचे के घेराव को देखता है जा रहा था और अपने पजामे में उठ रहे तूफान को अपने हाथों से दबाने की कोशिश करता जा रहा था,,,, वह अनिल की बीवी संगीता की गांड देख ही रहा था कि वह बोली,,,

अरे बबुआ तुमने तो हाथ धोए ही नही ,, आ जाओ मैं हाथ धुला देती हूं,,,,
(और इतना सुनते ही सुरज अपनी जगह से खड़ा हुआ और
हाथ धो कर वापस आ गया हुआ था ली क्या है बैठ गया और जैसे ही पहला निवाला मुंह में डालने लगा कि तभी वह अनिल की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,)

तुम खाना खाई हो संगीता मामी,,,,


नहीं मुझे भूख नहीं है,,, इंतजार करते करते सो गई और फिर लगता है कि मेरी भूख भी सो गई,,,।


अरे ऐसे कैसे मैं तुम्हारे हिस्से का खाना खा जाऊं ऐसा नहीं हो सकता,,,


नहीं बबुआ मुझे भूख नहीं है,,,


नहीं नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा मैं तुम्हें खाना खिला कर ही रहूंगा ,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी थाली में से निवाला लेकर अनिल की बीवी संगीता की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

चलो चलो मैं खोलो,, जल्दी से,,,

अरे बबुआ यह क्या कर रहे हो,,,, मैं तुम्हारे हाथों से खाना खाऊंगी,,,,


अरे तू क्या हो गया खाना ही तो खिला रहे हु जहर थोड़ी खिला रहा हूं,,,,


नहीं मुझे शर्म आ रही है,,,


अरे शर्म कैसी,,,,, चलो जल्दी से मुंह खोलो तुम्हें मेरी कसम,,,,।

(अनिल की बीवी संगीता को बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि एक जवान लड़के के हाथों से वह खाना कैसे खा ले क्योंकि आज तक उसने ऐसा कभी नहीं की थी और ना ही किसी ने उसे अपने हाथों से खाना ही खिलाया था इसलिए मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन ना जाने कैसा आकर्षण था सुरज की बातों में कि वह उसकी बातें सुनकर मंत्रमुग्ध हुए जा रही थी,,, उसके थोड़ा सा जबरदस्ती करने से अपना मुंह खोल दी और सुरज ने निवाला उसके मुंह में डाल दिया और वह शर्माते हुए खाने लगी,,,और फिर जब एक बार शुरू हुआ तो आगे बढ़ता ही रहा सुरज ने धीरे-धीरे करके मुझे खाना खिलाना शुरू कर दिया और वह शर्मा संभालकर खाना खाने लगी लेकिन इस तरह से खाना खाने में उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और सबसे ज्यादा हाल-चाल उसे ना जाने की अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में महसूस हो रही थी,,,, खाना खाते खाते उसे अपनी बुर की ली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,।

और दूसरी तरफ जब रविकुमार अकेला ही घर पहुंचा तो रूपाली सुरज के बारे में पूछने लगी और रविकुमार ने सब कुछ बता दिया,,, आज की रात अकेले गुजारना पड़ेगा इस बात से मंजू परेशान हो गई थी क्योंकि उसे भी सुरज का लंड लिए बिना नींद नहीं आती थी,,, लेकिन तभी उसके मन में जो ख्याल आया वही ख्याल रविकुमार के मन में भी आ चुका था,,,,,,, लेकिन यह बात रविकुमार मंजू से कहता मंजू उससे पहले ही मौका देकर करो से रात को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रण दे दी थी,,,,
लेकिन रविकुमार अपनी बीवी की चुदाई किए बिना उसके कमरे में नहीं जा सकता था क्योंकि उसकी बीवी की भी आदत थी जब तक वह जमकर चुदवा नहीं लेती थी तब तक उसे नींद नहीं आती थी और चुदवाने के बाद वह बहुत ही गहरी नींद में सोती थी जिससे रविकुमार का काम आसान हो जाता,,, इसलिए जल्दी से खाना खाकर वह अपनी बीवी को संतुष्ट करने में लग गया था,,,

दूसरी तरफ सुरज और अनिल की बीवी संगीता ने भी खाना खा लिया था वह लोग खाना खाकर हाथ धो ही रहे थे कि तभी उन्हें दूर से आवाज सुनाई दी,,,


जागते रहो,,,, जागते रहो,,,,,,


यह आवाज सुनकर की बीवी एकदम से घबरा गई,,, लेकिन सुरज के चेहरे पर घबराहट बिल्कुल भी नहीं थी,,,, अनिल की बीवी संगीता को घबराई हुई देखकर सुरज बोला,,।

क्या हुआ संगीता मामी इतनी घबराई हुई क्यों हो,,,


अरे बबुआ से मिल रहे हो गांव में चोर उचक्के आने का डर है इसलिए तो जागते रहो जागते रहो की आवाज आ रही है,,,।


अरे संगीता मामी तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,, यहां कोई आने वाला नहीं है और अगर आ भी गया तो तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं हूं ना तीन-चार लोगों को तो मैं संभाल लूंगा,,, और एक दो बचेंगे तो उसे तो तुम ही संभाल लेना,,,

नहीं बबुआ मुझे तो चोर लोगों से बहुत डर लगता है,,,,,

चलो कोई बात नहीं मैं सब को संभाल लूंगा,,,,

गर्मी बहुत थी इसलिए कमरे में सोने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए अनिल की बीवी में अपने पति के बगल में ही खटिया लगा दी,,, आंगन ऊपर से पूरी तरह से खुला हुआ था और चारों तरफ दीवार से गिरी हुई थी,,,, यहां पर हवा बहुत अच्छी लग रही थी लेकिन सुरज को नींद थोड़ी आने वाली थी,,,, सुरज खटिया पर बैठकर अनिल की बीवी से बोला,,,।


संगीता मामी तुम कहां सोओगी,,,


अरे मैं यही नीचे जाकर सो जाऊंगी तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो बबुआ,,,,(ऐसा क्या कर वह दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर बैठ गई और कुछ देर तक दोनों इधर उधर की बातें करने लगे अनिल की बीवी को भी सुरज से बातें करना अच्छा लग रहा था उसे पता ही नहीं चला कि उसका पति नशे में धुत होकर वही सो रहा है वह अपने पति के बारे में बिल्कुल भी भूल चुकी थी कुछ देर बातें करने के बाद थोड़ी रात गहरी होने लगी,,, तो वह खड़ी होकर तभी दरवाजे के पास जाती तो कभी वापस आ जाती सुरज उसे देखकर समझ नहीं पा रहा था कि माजरा क्या है आखिरकार वह पूछ ही लिया,,,,


अरे संगीता मामी क्या हुआ ऐसे क्यों रात को चहल कदमी कर रही हो,,,,


क्या बताऊं बबुआ मुझे तो शर्म आ रही है बताने में,,,


अरे ऐसी कौन सी बात है जो मुझे बताने में शर्म आ रही है,,,


मुझे बाहर जाना है बड़े जोरों की,,,,पपपप,,,पैशाब लगी है,,,
(भोली भाली खूबसूरत औरत के मुंह से पेशाब शब्द सुनते ही सुरज के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया,,,)
 
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सुरज अनिल को उसके घर पहुंचाने के बाद वहां पर रुकने वाला नहीं था वह वहां से वापस लौट आना चाहता था क्योंकि घर पर मंजू कि बुर की याद उसे बहुत आती थी,, क्योंकि अपनी मौसी को बिना चोदे उसे नींद नहीं आती थी,,, लेकिन जैसे ही उसकी नजर अनिल की बीवी संगीता पर पड़ी थी उसका इरादा एकदम से बदल गया था,,,,, और वह वहीं पर रुकना ही मुनासिब समझा,,,, और उसका वहां रुकना ऐसा लग रहा था कि धीरे-धीरे सफलता की राह पकड़ रहा था,,, क्योंकि रात पूरी तरह से गहरी हो चुकी थी,,, उसका पति नशे में बेसुध होकर सो रहा था,,, खाना पीना हो चुका था,,, और सुरज चालाकी दिखाते हुए अनिल की बीवी संगीता को खुद अपने हाथों से खाना खिलाया था और सुरज यहीं पर ही अनिल की बीवी संगीता को अपने हाथों से खाना खिलाते ही सफलता की सीढ़ी चढ़ना शुरू कर दिया था,,, वरना एक औरत किसी गैर मर्द के हाथों से खाना क्यों खाए,,,, सुरज को अनिल की बीवी संगीता बहुत ही भोली भाली भी लग रही थी जो कि वह थी भी,,,,

दोनों सोने की तैयारी कर रहे थे और तभी अनिल की बीवी संगीता को जोरो की पेशाब लगी थी और जिस तरह से वह कांपते स्वर में चोरों की पेशाब लगने वाली बात की थी उसे सुनते ही सुरज के लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया था,,,,,, एक ऐसी औरत जिसे मैं जानता था कि नहीं था जिसे पहली बार मिला था ज्यादा जान पहचान भी नहीं थी ऐसी खूबसूरत औरत जहां से पेशाब लगने वाली बात बोली तो इसे सुनकर ही सुरज की खुशी का ठिकाना ना रहा,,,,,

सुरज कुछ देर तक शांत होकर खड़ा रहा और उस खूबसूरत औरत को देखता है जो कि बहुत ही भोलेपन से पेशाब लगने वाली बात कही थी,,,, उसका बार-बार कभी दांया पैर उठाना कभी बाया फिर रह रहकर अपनी कमर पकड़ लेना,,,, ,, यह सब दर्शा रहा था कि उसे कितनी तीव्रता से पेशाब लगी है और यह सब देख कर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, पेशाब करने वाली बात से ही वह पल भर में ही उसके खूबसूरत बुर के बारे में कल्पना करना शुरू कर दिया था कि उसकी बुर कैसी होगी तुम चिकनी हो क्या मखमली रेशमी बालों से घिरी हुई होगी,,, फिर अपने ही सवाल का खुद ही जवाब देते हुए बोला,,, जैसे भी होगी बहुत खूबसूरत होगी,,,, सुरज सब कुछ भूल कर उसकी खूबसूरत यौवन को वह अपनी आंखों से पी रहा था,,, एक तरफ जहां पेशाब लगने की वजह से अनिल की बीवी संगीता की हालत खराब हो जा रही थी वहीं दूसरी तरफ उसके बारे में सोच कर ही सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, आखिरकार अनिल की बीवी संगीता से बिल्कुल भी नहीं रहा गया तो वह बोली,,,।


अरे कुछ करोगे बबुआ,,,, या ऐसे ही खड़े रहोगे,,,,


अरे मामी इसमें मैं क्या कर सकता हूं पेशाब लगी है तो बाहर जाकर कर लो,,,,,


बाहर,,,,(मुंह बनाते हुए दरवाजे की तरफ देखते हुए) नहीं बाहर मुझे डर लगता है,,,


तो पहले क्या करती थी जब तुम्हें पेशाब लगती थी तब,,,,


यही कोने में,,,(आंगन के कोने में उंगली से इशारा करके दिखाते हुए) यहीं पर कर लेती थी,,,


यहां पर,,,(उसके उंगली के इशारे से दिखाए गए कोने की तरफ देखते हुए) यहां पर तुम मुतती थी,,,
(जानबूझकर सुरज मुतती शब्द का प्रयोग किया था और वैसे भी अनिल की बीवी संगीता के साथ पेशाब के बारे में इतने खुले तौर पर बात करने में इस तरह की उत्तेजना का अनुभव सुरज को महसूस हो रही थी सुरज पूरी तरह से चुदवासा हो गया था उसके पजामे में हलचल सी होने लगी थी,,,सुरज आंगन किस कोने की तरफ देखते हुए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)
तो आज भी यहीं कर लो ना इस में दिक्कत क्या है,,,,
(जिस तरह से वह भोलेपन से बात कर रही थी सुरज को ऐसा ही लग रहा था कि उसके बोलने पर अनिल की बीवी संगीता उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर मुतना शुरू कर देगी,,,)

नहीं पागल हो गए हो क्या,,,, पहले कोई नहीं रहता था ,, तब करने मैं कोई दिक्कत नहीं होती थी लेकिन अब तो तुम हो,,,


अरे तो इसमें क्या हुआ मैं थोड़ी ना तुम्हें खा जाऊंगा,,,


देख तो लोगे ना,,,,


क्या देख लूंगा,,,?
(सुरज को पूरा यकीन हो गया था कि अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से एकदम भोली है,, या तो फिर जानबूझकर इस तरह का नाटक कर रही है क्योंकि कोई भी औरत इस तरह से अनजान लड़के से पेशाब करने वाली बात नहीं कहती,, लेकिन जो भी हो सुरज को तो मजा आ रहा था आज की रात उसे रंगीन होने की आशंका नजर आ रही थी,,,, सुरज की बात सुनकर अनिल की बीवी संगीता शर्माने लगी तो सुरज बोला,,,)

बोलो ना मामी क्या देख लूंगा,,,


अरे मुझे पेशाब करते हुए बबुआ और क्या,,,


इसमें क्या हुआ मामी अनिल मामा भी तो देखते होंगे,,,

अरे बबुआ तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करते,,, वह तो मेरे पति हैं,,,(जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए अपने पेशाब पर अंकुश करने की कोशिश करते हुए बोली,,)

तो क्या हुआ है तो इंसान ही,,,


अरे बबुआ तो नहीं समझोगे यहां बड़े बड़े जोरों की लगी हुई है और तुम हो कि बात को इधर उधर घुमा रहे हो,,,


अरे मामी तो दिक्कत क्या है दरवाजा खोलकर बाहर जाकर कर लो,,,

इतनी हिम्मत होती तो चली नहीं गई होती,,,


क्यों,,,?


अंधेरे में मुझे बहुत डर लगता है वैसे भी रात को चोर उचचको का डर ज्यादा रहता है इसलिए मैं बाहर नहीं जाती,,,,


तो तुम ही बताओ,,, मामी मैं क्या करूं मैं चलूं साथ में,,,

हां,,,,,( वह एकदम से शरमाते हुए बोली,,,)

और मैंने देख लिया तो,,,,

नहीं नहीं देखना नहीं तुम्हें मेरी कसम मुझे बहुत शर्म आती है,,,,,
(उसके भोलेपन से भरी बातें और उसका भोलापन देखकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह अपने मन में सोचने लगा कि इसको चोदने में बहुत मजा आएगा,,, उसकी बात मानते हुए सुरज बोला,,,)

ठीक है मामी नहीं देखुंगा बस,,,,,,,

हां,,, ठीक है,,,,
(इतना कहने के साथ ही वह पैर को दबाते हुए दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगी और सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि भला ऐसा हो सकता था कि बिल्ली को दूध की रखवाली करने के लिए दिया जाए और बिल्ली उसकी रखवाली ही करें,,,, ऐसा बिल्कुल भी मुमकिन नहीं है,,,,,, यह तो सिर्फ एक भरोसा था जो सुरज ने अपनी तरफ से अनिल की बीवी संगीता को दे रखा था,,,, अनिल की बीवी संगीता को तो ऐसा ही था कि वादा कर दिया तो निभाएगा जरूर,,, ऐसे हालात में कोई मर्द अपना वादा निभाए ऐसा मुमकिन भी नहीं है और सुरज के लिए तो बिल्कुल भी नहीं,,,,,,,, सुरज ने जानबूझकर दीवार से टंगी हुई लालटेन को हाथ में ले लिया क्योंकि वह जानता था कि बाहर अंधेरा होगा भले ही चांदनी रात थी तो क्या हुआ क्योंकि घर के बाहर ढेर सारे पेड़ लगे हुए थे,,, और अंधेरे में सुरज उसे पेशाब करता हुआ नहीं देख सकता था,, इसलिए वह लालटेन को हाथ में ले लिया था,,,, और कोने में पड़ा मोटा सा डंडा भी हाथ में ले लिया था,,, क्योंकि रात को कभी कबार जरूरत भी पड़ जाती थी,,,अनिल की बीवी संगीता दरवाजे पर खड़ी थी दरवाजा पकड़कर और पीछे नजर कमाकर सुरज को भी देख रही थी वह उसके आने का इंतजार कर रही थी क्योंकि वहां के लिए दरवाजा खोलकर बाहर जाने में भी डरती थी,,,,,, जैसे ही सुरज उसके पास आया वह दरवाजे की सिटकनी खोलने लगी ,,, दरवाजा के खुलते ही पहले वह चारों तरफ नजर घुमाकर तसल्ली करने लगी और फिर इत्मीनान से अपने पैर घर से बाहर निकाल दि और पीछे पीछे सुरज के घर से बाहर आ जा लालटेन को अपने हाथ में लेकर थोड़ा हाथ की कोहनी को मोड़कर उठाए हुए था और लालटेन की रोशनी में तकरीबन १५ फीट की दूरी तक सब कुछ नजर आ रहा था,,,,,,, दो कदम चलने के बाद वह फिर से खड़ी हो गई और इधर-उधर देखने लगी तो सुरज बोला,,,,


कहां मुतोगी मामी ,,,,(सुरज जानबूझकर इस तरह के खुले शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,, वह अनिल की बीवी संगीता को उकसाना चाहता था,,, और अनिल की बीवी संगीता भी अपने लिए इस तरह का शब्द का प्रयोग एक अनजान जवान लड़के के मुंह से सुन कर सिहर उठी,,,, सुरज के सवाल उंगली से इशारा करते हुए बोली,,,)


वहां झाड़ियों के पास,,,


ठीक है चलो,,,,,,,
(इतना सुनकर जैसे ही अनिल की बीवी संगीता अपना एक कदम आगे बढ़ा कि उसके कानों में फिर से वही आवाज सुनाई दी जागते रहो वह एकदम से घबरा गई,,,)

हाय दैया,,,,, लगता है चोर यहीं कहीं आस पास में ही है,,, मुझे तो बहुत डर लग रहा है,,,


क्या मामी तुम भी बच्चों जैसा डरती हो ऐसे ही धरती रही तो मुझे लगता है अपनी साड़ी गीली कर दोगी,,,,

धत्,,,,,(अनिल की बीवी संगीता एकदम से शरमाते हुए बोली,, सुरज जल्द से जल्द,,, अनिल की बीवी संगीता की गोल-गोल गांड देखना चाहता था क्योंकि इतना तो अंदाजा लगा ही लिया था कि जब चेहरा इतना खूबसूरत है तो गांड भी खूबसूरत होगी,,,, इसीलिए सुरज उतावला हुआ जा रहा था,,,, उसे इस बात का डर भी था कि कहीं अनिल होश में ना आ जाए और अगर ऐसा हो गया तो रंग में भंग पड़ जाएगा,,,, अनिल की बीवी संगीता हिम्मत दिखाते हुए अपने कदम आगे बढ़ाने लगी वैसे तो उसकी हिम्मत बिल्कुल भी नहीं होती थी लेकिन उसके साथ सुरज था इसलिए उसमें थोड़ी हिम्मत थी,,,, उसका धीरे धीरे से पैर रखकर आगे बढ़ना सुरज को बहुत अच्छा लग रहा था उसके पायलों की खन खन से पूरा वातावरण संगीतमय हुआ जा रहा था,,, चूड़ियों की खनक सुरज के कानों में पहुंचते ही सीधे उसके लंड पर दस्तक दे रही थी,,,, सुरज उसकी गोल-गोल कांड को मटकते हुए लालटेन की पीली रोशनी में एकदम साफ देख पा रहा था,,,,

यही तो सबसे बड़ी कमजोरी थी सुरज की औरतों की बड़ी-बड़ी गोल गोल गांड,,,, इन्हें देखते ही मदहोश होने लगता था इसीलिए तो इस समय की अनिल की बीवी संगीता की गांड को देखकर उसका नियंत्रण अपने आप पर खोता चला जा रहा था उसका मन तो कर रहा था कि आगे बढ़ कर खुद उसकी साड़ी ऊपर कमर तक उठा दी और उसकी नंगी गांड का दीदार कर ले,,,, फिर भी धीरे-धीरे में जो मजा है वह जल्दबाजी में नहीं,,, यही सुरज का मूल मंत्र भी था जिसकी वजह से वह अब सफलता हासिल करता आ रहा था और औरतो कि दोनों टांगों के बीच अपना विजय पताका भी लहराता आ रहा था,,, देखते ही देखते अनिल की बीवी संगीता सामने की झाड़ियों के करीब पहुंच गई और सुरज जानबूझकर उससे दूर खड़ा रहने की जगह उसे केवल आठ दस फीट की दूरी पर ही खड़ा हो गया,,, और अनिल की बीवी संगीता उसे दूर जाने के लिए ना बोले इसलिए वह पहले ही बोला,,,,)

मामी लगता तो है कि चोर उचक्के इसी गांव के आसपास में ही तभी जागते रहो की आवाज बार-बार आ रही है,,,,

(इतना सुनते ही वह घबरा गई,,, और उसी जगह पर खड़े खड़े ही अपने चारों तरफ नजर घुमाने लगी,,, और तसल्ली कर लेने के बाद,,, वह अपनी नाजुक उंगलियों को हरकत देते हुए दोनों तरफ से अपनी साड़ी को उंगली से पकड़ ली और उसने ऊपर की तरफ उठाने से पहले,,, सुरज की तरफ नजर करके बोली,,,,)

देख बबुआ यहां पर देखना नहीं,,, नहीं तो शर्म के मारे हमारी पेशाब भी रुक जाएगी,,,,


नहीं नहीं मामी तुम चिंता मत करो मैं नहीं देखूंगा,,,,
( और इतना कहकर दूसरी तरफ देखने का नाटक करने लगा,,,, अनिल के घर पर आकर सुरज का समय बहुत अच्छे से गुजर रहा था यहां आने से पहले वह यही सोच रहा था कि अगर वहां रुकना पड़ गया तो रात कैसे बिताएगा,,, लेकिन अनिल की बीवी संगीता की खूबसूरती देखकर उसका भोलापन उसकी बातें सुनकर सुरज यहां पर जिंदगी भर रुकने को तैयार हो गया था,,,, मौसम भी गर्मी का था लेकिन हवा चलने की वजह से वातावरण में ठंडक आ गई थी,,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था,,, वैसे तो चांदनी रात थी लेकिन चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ होने की वजह से यहां पर अंधेरा था अगर सुरज साथ में लालटेन ना लाया होता तो उसे भी ठीक से कुछ दिखाई नहीं देता,,,, सामने का नजारा बेहद खूबसूरत और मादकता से भरा हुआ था जोकि पूरी तरह से अपनी मदहोशी पूरे वातावरण में बिखेरने को तैयार था,,,, सुरज की आंखें सब कुछ भूल कर सिर्फ सामने के नजारे को देख रही थी जल्द से जल्द सुरज उसकी नंगी गांड के दर्शन करने के लिए तड़प रहा था पर ऐसा लग रहा था कि अनिल की बीवी संगीता उसे कुछ ज्यादा ही तड़पा रही है,,,,धीरे-धीरे अनिल की बीबी अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और चारों तरफ नजर घुमाकर देख भी रही थी,,, सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन अनिल की बीवी संगीता के मन में घबराहट हो रही थी चोर चोको को लेकर उसे चोर ऊच्चोको से बहुत डर लगता था,,, जैसे-जैसे अनिल की बीवी संगीता की साड़ी ऊपर की तरफ जा रही थी वैसे उसे लालटेन की पीली रोशनी में उसकी नंगी चिकनी टांग उजागर होती चली जा रही थी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया देखकर सुरज का मन ललच रहा था,,, देखते ही देखते उसकी साड़ी उसकी मोटी सुडोल जांघों तक आ गई,,, और मोटी मोटी चिकनी जांघों को देखकर सुरज का सब्र का बांध अब टूटने लगा,, सुरज का मन उसको चोदने को करने लगा,,,उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,,
चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था सिर्फ दूर-दूर तक कुत्तों की भौंकने की आवाज आ रही थी,,और रह रह कर झींगुर की आवाज आने लगती थी,,,,

एक तरफ जहां सुरज का मन तड़प रहा था उसकी नंगी गोरी गोरी गांड को देखने के लिए वहीं दूसरी तरफ अनिल की बीवी संगीता के मन में घबराहट थी कि कहीं कोई आ ना जाए उसे इस बात की चिंता बिल्कुल भी नहीं थी कि उसके पीछे खड़ा एक अनजान जवान लड़का उसे पेशाब करते हुए देखने जा रहा था और वह भी हाथ में लालटेन जिसमें उसका सब कुछ नजर आ रहा था,,, साड़ी को मोटी मोटी जांघों तक उठाकर वह फिर से इधर-उधर देखने लगी तो सुरज बोला,,,,)

जल्दी से करो ना मामी,,, कितना देर कर रही हो,,,


अरे रुको तो बबुआ कोई चोर आ गया तो,,,


अरे नहीं तुम्हारी गांड मार लेगा,,,,
(सुरज एकदम से खुले शब्दों में बोल दिया,,, धीरे-धीरे उसे एहसास होने लगा था कि वह बहुत भोली है वह कुछ बोलेगी नहीं इसीलिए सुरज खुले शब्दों में बात करने लगा था,,)

हाय दैया यह कैसी बात कर रहे हो,,,, सच कहूं तो मुझे भी इसी बात का डर रहता है,,, इसीलिए तो रात को घर से बाहर निकलने से डर लगता है,,,,,
(उसकी भोली बातें सुनकर सुरज के लंड की अकड़ पड़ने लगी वह पूरी तरह से समझ गया था कि कोशिश करने पर आज की रात उसका लंड उसकी बुर में होगा,,,,,, सुरज को इस तरह से खुली बातें करने में बहुत मजा आ रहा था,,,थोड़ा थोड़ा मजा अनिल की बीवी संगीता को भी आ रहा था हालांकि उसके मन में डर भी था और वह भी चोर को लेकर,,, लेकिन एक जवान लड़के के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसे भी अच्छा लगने लगा था सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

अच्छा मामी एक बात बताना,,,तो,,,

क्या,,,? (वह उसी तरह से सारे को उसी स्थिति में जांघों तक उठाए हुए बोली,,)

पहले कहो नाराज तो नहीं होगी ना,,,

नही बबुआ,,, तुम से क्या नाराज होना,,,

अच्छा एक बात बताओ तुम्हें सच में चोर से ज्यादा डर लगता है या चुदवाने में,,,,
(सुरज के मुंह से इस तरह का सवाल सुनकर अनिल की बीवी संगीता के भी तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, वह कुछ बोली नहीं बस अपनी नजर को सुरज की तरफ घुमा कर उसकी तरफ देखते हूए बोली,,,)

यह कैसा सवाल है बबुआ,,,

अरे सही तो सवाल है,,,तुम्हें रात को बाहर निकलने में डर लगता है और वह भी चोर से,,,और सच कहूं तो अगर तुम्हारे घर में चोर आ भी गया तो तुम्हें देखकर बोला तुम्हारे घर का कोई कीमती सामान नहीं ले जाएगा लेकिन तुम्हारे पास रखा हुआ बेशकीमती खजाना जरूर लुटकर चला जाएगा,,,,,,,


लेकिन मेरे पास कौनसा खजाना पड़ा हुआ है जो लूट कर चला जाएगा,,,


अरे मामी तुम तो नहीं जानती तुम्हारे पास इतना बेशकीमती खजाना है कि उसे पाने के लिए दो दो रियासतों में मार हो जाए,,,


धत् पागल ,,, मेरे पास कोई खजाना नहीं है,,,,


हे मामी ,,, बहुत बेशकीमती खजाना है,,,


आहहहह,,, तुम रहने दो बबुआ,,, मुझसे अब ज्यादा रोका नहीं जा रहा है,,,,(इतना कहने के साथ ही एक झटके से मोटी मोटी जांघों पर स्थिर साड़ी को वहां एकदम से कमर तक उठा दी,,, पल भर में ही सुरज की आंखों के सामने अनिल की बीवी संगीता की गोरी गोरी गांड नंगी हो गई,,, सुरज तो बस देखता ही रह गया और वह अगले ही पल नीचे बैठ गई मुतने के लिए,,,, और क्षण मात्र में ही उसकी बुर से नमकीन पानी की धार छूटने लगी,,, और गुलाबी बुर में से आ रही मधुर ध्वनि सुरज के कानों में मिश्री घोलने लगी,,,,
 
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सुरज की आंखों के सामने ही,,, पेशाब की तीव्रता को नहीं सहन कर पाने की स्थिति में अनिल की बीवी संगीता अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड दिखाते हुए मुतने बैठ गई थी,,, सुरज के एक हाथ में लालटेन थी और एक हाथ में डंडा,,, लालटेन उसने अपने लालच के बस हाथ में पकड़ रखा था डंडा अनिल की बीवी संगीता की तसल्ली के लिए,,,, और जिस चीज का लालच करके वह लालटेन लेकर बाहर आया था,,, उसमें उसे सफलता हाथ लगी थी,,,सुरज जानबूझकर अनिल की बीवी संगीता से महज आठ दस कदमों की दूरी पर ही खड़ा था,,, अनिल की बीवी संगीता के भोलेपन का वह फायदा उठा रहा था और इतनी नजदीक खड़े होने की वजह से लालटेन की पीली रोशनी में अनिल की बीवी संगीता की गोरी गोरी गांड और ज्यादा चमक रही थी सुरज तो यह देखकर एकदम मदहोश होने लगा,,, पजामें में उसका लंड गदर मचाने को तैयार था,,,, गहरी सांस लेते हुए वह इस लुभावने दृश्य का आनंद ले रहा था,,,

अनिल की बीवी संगीता मुतना शुरू कर दी थी और उसकी गुलाबी क्षेत्र में से आ रही सीटी की आवाज सुरज के कानों में मिश्री घोल रही थी ,,मदहोशी का रस घोल रही थी,,, सुरज अपने तन बदन में एक अद्भुत उत्तेजना का संचार होता हुआ महसूस कर रहा था,,,, उतेजना के मारे सुरज का गला सूखता जा रहा था,,, चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था एक तो घने पेड़ के नीचे झाड़ियों के पास अनिल की बीवी संगीता बैठकर मुत रही थी ,, इसलिए अंधेरा कुछ ज्यादा ही था,, अनिल की बीवी,, सुरज के वादे पर यकीन कर गई थी यही उसके भोलेपन का सबसे बड़ा सबुत था,, उसे ऐसा ही लग रहा था कि,,,, सुरज ने वादा किया है तो वह उसकी तरफ नहीं देखता होगा,,, वह शायद जमाने के दस्तूर से वाकिफ नहीं थी,,,,,, इसलिए वह सिर्फ चोर की चिंता करते हुए मुत रही थी और इधर उधर देख रही थी हालांकि पीछे की तरफ से निश्चित थी इसलिए पीछे की तरफ नजर घुमाकर नहीं देख रही थी,,, और इसी का फायदा उठाते हुए सुरज एक बेहद खूबसूरत औरत को पेशाब करते हुए देखना उसकी खूबसूरत गोरी गोरी गांड लालटेन की रोशनी में चमक रही थी और उस गांड की चमक देख कर सुरज का मन कर रहा था कि उसकी गांड को अपनी जीभ से चाट जाए,,,, सुरज खान लंड पूरी तरह से अकड़न पर था,,, उसमें मीठा मीठा दर्द होने लगा था,, लंड की गर्मी शांत करना बहुत जरूरी हो गया था और इस समय उसका जुगाड केवल अनिल की बीवी संगीता के पास था लेकिन देखना यह था कि अनिल की बीवी संगीता उसके हाथ में कैसे आती है,,,

गुलाबी छेद से आ रही सीटी की आवाज और पेशाब की धार जो की बड़ी तीव्रता से जमीन पर पड़ रही थी उसकी आवाज दोनों मिलकर एक अद्भुत माहौल बना रहे थे,,, सुरज से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रहा था उसकी आंखों के सामने बेहद खूबसूरत औरत अपनी नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब कर रही थी सुरज का मन कर रहा था कि अपना लंड बाहर निकालकर ठीक है उसके पीछे जाकर बैठ जाए और अपने लंड को उसकी गोरी गोरी गांड पर रगडना शुरू कर दें,,,,,,, चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था झिंगुर और कुत्तों की आवाज ही आ रही थी ऐसे में माहौल बनाने के लिए सुरज बोला,,,।

आराम से मुत लो मामी मैं यहीं खड़ा हूं घबराना नहीं,,,।

(सुरज की बातों को सुनकर अनिल की बीवी संगीता को हिम्मत मिल रही थी लेकिन उसकी यह बात सुनकर अनजाने नहीं वह पीछे नजर करके देखने लगी तो सुरज को अपनी ही गांड की तरफ देखता पाकर वह पल भर में ही शर्म से सिहर उठी,,,मैं तुरंत दोनों हाथों के पीछे की तरफ लाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड पर उसे ढकने के लिए रख दी,,,, उसकी इस हरकत पर सुरज मन ही मन मुस्कुराने लगा,,, और उसकी इस हरकत की वजह जानने के लिए बोला,,,)

क्या हुआ मामी,,,?

अरे बबुआ तुम तो मेरी तरफ ही देख रहे हो,,, मुझे शर्म आ रही है तुम तो वादा किए थे कि देखोगे नहीं,,,,


हां मामी मैंने तुमसे वादा था किया था कि तुम्हारी तरफ देखूंगा नहीं लेकिन तुमको कुछ पता चला,,,,

क्या,,,?

सच में तुम को कुछ भी पता नहीं चला,,,(सुरज जानबूझकर बात बनाते हुए बोला,,)

नहीं तो क्या हुआ,,,,(वह अभी भी अपनी गांड की फांकों को अपनी हथेलियों से ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,)

अरे मामी अच्छा हुआ तुम्हें पता नहीं चला और अच्छा हुआ कि मैं देख रहा था इसमें कुछ गलत समझना नहीं लेकिन अगर देखता नहीं होता तो शायद सांप तुम्हें काट लिया होता,,,।


ससससस,, सांप,,,कककक,,,, किधर है,,,, किधर है,,,,(इतना कहते हुए घबरा करवा अपनी गोल गोल गांड को उठाकर खाली होने लगी तो सुरज उसे सांत्वना देते हुए बोला,,,)


अरे अरे,,,,, यह क्या कर रही हो,,,(मौके का फायदा उठाते के सुरज आगे बढ़ा और अनिल की बीवी के बेहद करीब पहुंच कर उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ दबाते हुए बोला,,,) बैठ जाओ मामी ,,, ठीक से मुत तो लो,,,, अब सांप नहीं है चला गया,,, ठीक तुम्हारे पीछे से गया है,,,,अगर मैं उसे डंडे की आवाज से बहकाया ना होता तो शायद वह तुम्हारी गांड में काट लेता,,,,(सुरज कहा था अभी भी अनिल की बीवी संगीता के कंधे पर था और जिस तरह से हुआ है दबाए हुए था उसकी वजह से अनिल की बीवी संगीता वापस अपनी जगह पर बैठ गई थी,,,,


बाप रे इतना कुछ हो गया और मुझे पता तक नहीं चला अच्छा हुआ कि तुम पीछे खड़े थे,,,


अरे अच्छा हुआ कि मैं पीछे खड़ा तो था लेकिन अगर तुम्हें दिया हुआ वादा पूरा करता तो शायद इस समय ना जाने क्या हो गया होता वह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारी गोरी गोरी गांड को देखने का लालच में अपने मन में रोक नहीं पाया और तुम्हारी गांड देखने के लिए ही मैं तुम्हारी तरफ देख रहा था और तभी एक बड़ा सा सांप गुजरने लगा,,,,


आवाज देना था ना,,,


आवाज देता तो तुम हड़बड़ा जाती घबरा जाती और ऐसे में तुम छटपटाने लगती और तुम्हारा पैर अगर उस पर पड़ जाता तो बिना कहे वह तुम्हें काट लेता इसलिए मैं दिमाग से काम लिया,,,,,, मैं कुछ बोला नहीं शांत रहा और उसे जमीन पर डंडा पटक कर उसका ध्यान भटकाने लगा और वह ठीक तुम्हारे पीछे से गुजर गया सच कहूं तो मैं भी एकदम घबरा गया था,,,, मेरे होते हुए अगर तुम्हें सांप काट लेता तो मेरी मर्दानगी पर दाग लग जाता,,,,(सुरज अभी भी उसके कंधे पर हाथ रखे हुए था अब उसे उसकी गांड एकदम करीब से नजर आ रही थी जो कि लालटेन की रोशनी में कम साफ दिखाई दे रही थी उस पर दाग धब्बे बिल्कुल भी नहीं थे,,, एकदम बेदाग गोरापन था,,,, अनिल की बीवी संगीता की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एकदम से घबरा गई थी,,, उसे लग रहा था कि सुरज जो कुछ भी बोला वह सच है,,, लेकिन या तो सुरज की बनी बनाई बात थी वह पूरी तरह से अनिल की बीवी संगीता को अपने विश्वास में ले लेना चाहता था,,, अनिल की बीवी संगीता एकदम घबराई हुई थी इसलिए उसकी घबराहट को कम करते हुए सुरज बोला,,,)

मामी तुम्हारी तो पेशाब ही रुक गई सांप का नाम सुनकर,,, तुम चिंता मत करो ठीक से मुत लो,,, मेरे होते हुए तुम्हें कुछ नहीं होगा,,,,( और यह कहते हुए सुरज ठीक उसके पीछे थोड़ा सा बगल में बैठ गया उसका हांथ अभी भी उसके कंधे पर था,,,अनिल की बीवी संगीता सांप का नाम सुनकर घबरा तो गई थी लेकिन सुरज को अपने इतने करीब बैठा हुआ पाकर अजीब सी स्थिति का अनुभव कर रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,, क्योंकि इस तरह से तो कभी उसके पति ने भी उसके साथ नहीं बैठा था,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,) तुम चिंता मत करो मामी पेशाब करो वरना रात को फिर लग जाएगी तो,,, क्या करोगी खामखा नींद खराब होगी,,,,(सुरज की हिम्मत बढ़ने लगी थी क्योंकि ऐसा कहते हैं सुरज कंधे पर से अपने हाथ को हटा कर सीधे उसकी गोरी गोरी गांड पर रख दिया था,,, और इस समय अनिल की बीवी संगीता अपनी हथेली से अपनी गांड को ढकने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं कर रही थी क्योंकि सांप का नाम सुनकर हो रहा है एकदम से सिहर उठी थी और उसके दोनों हथेली अपनी गांड पर से अपने आप ही हट गई थी,,, गोरी गोरी गांड पर हाथ फेरते हुए सुरज की उत्तेजना बढ़ने लगी थी एक हाथ में अभी भी उसके लालटेन की जिससे उसकी रोशनी में उसको सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था,,,एक अनजान जवान लड़की की हथेली अपनी गांड पर महसूस करते हैं कि अपने आप ही उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था अपने बदन में उसे अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी,,,, और सुरज उसी तरह से अपनी हथेली को उसकी गोल गोल गांड पर फिराते हुए एकदम मदहोशी भरे स्वर में बोला,,,),,

मुतो ना मामी ,,,,,,,,(सुरज की हरकत की वजह से अनिल की बीवी संगीता की सांसे एकदम गहरी चलने लगी थी उसे अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी उसके बदन में सुरूर सा छाने लगा था,,, और अनिल की बीवी संगीता को एकदम स्थिर और शांत देखकर सुरज हिम्मत बढ़ने लगी और वापस अपने हाथो को उसकी गांड की दोनों फांकों के बीच लाते हुए अपनी हथेली को नीचे की तरफ सरकार ने लगा अपनी हाथों को हरकत देते हुए बहुत ही जल्द वह अनिल की बीवी संगीता के गांड के छेद पर अपनी उंगली फिराने लगा,,,,अनिल की बीवी संगीता एक दम मस्त हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है,,,,, सुरज अपनी हरकत को आगे की ओर बढ़ने लगा अनिल की बीवी संगीता की गांड का छेद का स्पर्श अपनी उंगली पर होते ही उसका लंड एक दम फूलने पिचकने लगा,,, सुरज के साथ-साथ अनिल की बीवी संगीता की हालत खराब होती जा रही थी सुरज तो खेला खाया लड़का था बहुत सी औरतों के साथ में इस तरह के संबंध बना चुका था इसलिए अपनी उत्तेजना को किसी हद तक दबाने में कामयाब हो गया था लेकिन अनिल की बीवी संगीता की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, उसकी उखडती हुई सांसो को देखकर,,, सुरज समझ गया था कि उसे मजा आ रहा है‌ वह मस्ती के सागर में गोते लगा रही है,,,,,,, अभी तक दोबारा उसकी बुर के गुलाबी छेद से पेशाब की धार नहीं फुटी थी,,, सुरज अपनी हथेली को उसकी गांड के छेद पर हल्के से दबाते हुए अपनी उंगली से उसके भूरे रंग के छेद को दबा दिया जिससे ना चाहते हुए भी अनिल की बीवी संगीता के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,,सससहहहह,,,, इस आवाज को सुनते ही सुरज समझ गया कि उसका काम आसान होने वाला है,,,,,,, इसलिए फिर से,,,मुतो ना मामी ,,,बोलकर वह अपनी उंगलियों को आगे की तरफ बढ़ाने लगा,,,

जैसे-जैसे ऊंगलियां बुर की तरफ आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे,, अनिल की बीबी संगीता की सांसे अटकने सी लगी थी,,, इस तरह की मदहोशी का अनुभव उसने आज तक नहीं की थी,,, अपने पति के द्वारा भी इस तरह की हरकत का सामना वह कभी नहीं कर पाई थी इसलिए शायद औरतों के खूबसूरत बदन से मर्दो कि इस तरह की हरकत के बारे में उसे कुछ भी समझ नहीं थी,,,,,।

रात के काले अंधेरे में पेशाब करते समय अनिल की बीवी संगीता को सुरज पूरी तरह से उकसाने की कोशिश में लगा हुआ था,,,,, जहां उत्तेजना के मारे सुरज की हालत खराब थी वहीं दूसरी तरफ अनिल की बीवी संगीता पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि इस तरह की छेड़छाड़ उसके पति ने आज तक उसके साथ नहीं किया था,, उसे तो उसकी बस शराब ही भली थी,,,,,,सुरज अपनी हरकतों की वजह से पूरी तरह से अनिल की बीवी संगीता को अपनी गिरफ्त में ले चुका था,,,, सुरज की हरकतों की वजह से पूरी तरह से भावनाओं में बह जाने के सिवा ऐसा लग रहा था कि जो की संगीता के पास दूसरा कोई चारा नहीं था,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और सुरज की उंगलियां उसकी गांड के छेद से आगे की तरफ बढ़ते हुए उसकी बुर की तरफ जा रही थी जो कि केवल एक अंगुल की ही दूरी पर ही थी,,, पर मात्र एक अंगुल की दूरी तय करने में सुरज के साथ साथ अनिल की बीवी संगीता को भी अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी उत्तेजना और डर के मारे अनिल की बीवी संगीता की पेशाब रुक गई थी,,, गांड की दोनों फांकों के बीच की गर्माहट सुरज अपने तन बदन में अच्छी तरह से महसूस कर रहा था छोटे से छेद की गर्मी से कहीं उसका लंड पिघल न जाए इस बात का भी उसे डर था,,,,

सुरज की हरकतों की तड़प अनिल की बीवी संगीता के चेहरे पर साफ नजर आ रही थी उसकी सांसे भी गवाही दे रही थी कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी है और सुरज अपनी उंगली को धीरे-धीरे करके ठीक उसकी गरम बुर पर रखते ही,,, उसके कान में धीरे से फुसफुसाते हुए बोला,,,।

मुतो ना मामी रुक क्यों गई,,,?

बस सुरज का इतना कहना था कि उत्तेजना के मारे एक बार फिर से अनिल की बीवी संगीता की गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार चल चला कर बाहर निकलने लगी जोकि सुरज की उंगलियों को भी गर्माहट के साथ भीगोते हुए जमीन पर गिर रही थी,,,, सुरज एकदम से मस्त हो गया और अनिल की बीवी संगीता भी मदहोश होने लगी उसकी आखो में खुमारी जाने लगी किसी ने भी आज तक उसके साथ इस तरह की हरकत नहीं किया था,,, इसलिए सुरज की इस तरह की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से चुदवासी हुई जा रही थी,,,,,,अभी तक की हरकत को अनिल की बीवी संगीता किसी भी तरह से रोकने की कोशिश नहीं की थी इसलिए सुरज की भी हिम्मत बढ़ती जा रही थी लालटेन उसके हाथों में थी बड़े से डंडे को व नीचे जमीन पर रख दिया था और उसी हाथ से अनिल की बीवी संगीता की बुर को रगड़ रहा था,,,आंखें दोनों की बंद हो चुकी थी दोनों अपनी अपनी दुनिया में पूरी तरह से मस्त हो चुके थे अनिल की बीवी संगीता पेशाब की धार अभी भी अपनी गुलाबी छेद में से निकाले जा रही थी,,,,, अनिल की बीवी संगीता की बुर का गुलाबी छेद नीचे होने की वजह से सुरज ठीक से उसकी बुर के दर्शन नहीं कर पाया था हालांकि अपनी हथेलियों से टटोलकर वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,,बुर की गर्माहट अपनी हथेली पर महसुस करते ही वह अनिल की बीवी संगीता के कानों में बोला,,)


तुम्हारी बुर बहुत गर्म है मामी ,,,,

सहहहहह ,,,,आहहहहहह,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,(अपनी दोनों आंखों को मदहोशी के आलम में बंद किए हुए ही वह सुरज से बोली,,,)

तुम्हें ठीक से मुता रहा था डर के मारे तुम्हारी पेशाब रुक गई थी ना अगर मैं ऐसा ना करता तो तुम्हारी पेशाब रुकी रह जाती है और तुम्हें पेट में दर्द होना शुरू हो जाता,,,(सुरज उसी तरह से अनिल की बीवी संगीता की बुर को अपनी हथेली से मसलते हुए बोला,,,, और अनिल की बीवी संगीता कुछ बोलने के लायक नहीं थी,,, धीरे-धीरे अनिल की बीवी संगीता मूत्र क्रिया संपन्न कर ली लेकिन सुरज की हथेली का आनंद लेने में पूरी तरह से मशगूल हो गई सुरज को इस बात का आभास हो गया था वह उसकी मस्ती को धीरे-धीरे और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,,,, इसलिए वह धीरे से अपनी एक उंगली को उसकी बुर के अंदर सरका दिया और जैसे ही ऊंगली गुलाबी छेद में प्रवेश की वैसे ही अनिल की बीवी संगीता के मुंह से आह निकल गई,,,, उसकी आह की आवाज सुनकर सुरज चारों खाने चित हो गया वह पूरी तरह से मदहोश हो गया और अपनी उंगली को पूरी की पूरी उसकी गुलाबी छेद में डालता हुआ बोला,,,,।

आहहहह मामी मुत ली हो क्या,,,?

हां बबुआ,,,(गरम आहें भरते हुए वह बोली,,,)


तो लो मामी अब तुम लालटेन पकड़ो मुझे भी जोरो की पेशाब लगी है,,,(सुरज पेशाब करने के बहाने से उसे अपने लंड का दर्शन कराना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि संगीता मामी कितनी भी भोली भाली हो लेकिन उसका मोटा तगड़ा लंड देखकर वह भी मस्ती हो जाएगी और उसे अपनी बुर में लेने के लिए तैयार हो जाएगी,,,, सुरज की बात सुनकर अनिल की बीवी संगीता बिना कुछ बोले खड़ी हुई और अपने कपड़ों को व्यवस्थित करने के बाद लालटेन को अपने हाथ में ले ली,,, वह लालटेन को हाथ में लेकर पीछे कदम ले जाती इससे पहले ही जल्दबाजी दिखाते हुए सुरज तुरंत अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,, ताकि लालटेन की रोशनी में वह अच्छी तरह से उसके लंड का दीदार कर सके,,, और ऐसा ही हुआ,,,, सुरज जैसे ही लंड को अपने पजामे में से बाहर निकाल कर पेशाब करना शुरू किया वैसे ही अनिल की बीवी संगीता की नजर उसके मोटे तगड़े लंबे लंड पर चली गई जो कि पूरी तरह से खड़ा था,,, इतने मोटे तगड़े लंबे लंड पर नजर जाते ही अनिल की बीवी संगीता की हालत खराब हो गई क्योंकि उसने आज तक केवल अपने पति के ही लंड को देखी थी और अपने पति के लंड के साथ ज्यादा मस्ती नहीं कर पाई थी,,, जोकि सुरज के लंड से आधा और पतला ही था,, इसलिए सुरज के लंड को देखकर वह पूरी तरह से हैरान हो गई,,,। उसके पैर ज्यों के त्यों वही ठीठक कर रह गए,,,,, सुरज के लंड को देखकर अनिल की बीवी संगीता की आंखों में चमक आ गई थी,,, उसे यह नजारा बेहद अद्भुत और रमणीय लग रहा था,,, तो सुरज भी जानबूझकर अपने लंड को पकड़ कर हिलाते हुए पेशाब कर रहा था और अनिल की बीवी संगीता की तरफ देखते हुए बोला,,,


आहहहहह ,,,, मामी ,,, तुमको पेशाब करता हुआ देखकर ,, मुझे भी जोरो की पैशाब लग गई,,,।
(लेकिन इस बार अनिल की बीवी संगीता कुछ बोली नही क्योंकि सुरज के लंड को देखकर उसकी आंखों में शर्म की लालिमा छा गई थी,,और वह शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,। सुरज मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसका काम धीरे धीरे बनता हुआ नजर आ रहा था उसे अपने पर पूरा विश्वास हो गया था कि जब वहां अपनी उंगली को उसकी बुर में प्रवेश करा दिया तो लंड डालने में कितना देर लगेगा और वह जरा सा भी विरोध नहीं कर पाई थी औरतों की संगत में सुरज को औरतों के मन में क्या चल रहा है इस बारे में थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था अनिल को देखकर वह समझ गया था कि उसकी बीवी पूरी तरह से प्यासी है तन की प्यार की,,, उसे तृप्ति का अहसास चाहिए संतुष्टि चाहिए जो कि वही उसे प्रदान कर सकता है,,,, पर आज की रात वह अनिल की बीवी संगीता के साथ चुदाई का खेल खेलना चाहता था,,,,

भोली भाली अनिल के बीवी के मन में सुरज के लंड को देखकर भी हलचल हो रही थी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि बाप रे इतना मोटा और लंबा लंड,,, उसके पति का तो इसके सामने कुछ भी नहीं है,,, बाप रे यह बुर में कैसे जाता होगा,,, यह सब सोचते हुए उसे अपनी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी थी जो कि कुछ देर पहले ही सुरज ने अपनी हथेली का कमाल दिखाते हुए उसकी बुर से काम रस निकाल दिया था,,। अनिल की बीवी संगीता अभी यही सब सोच रही थी कि उसके कानों में फिर से वही आवाज आई जागते रहो जागते रहो,,,, वह एकदम से घबरा गई,,, और सुरज से बोली,,,।


जल्दी करो बबुआ,,,मुझे तो बहुत डर लग रहा है आज बाहर बार जागते रहो जागते रहो चिल्ला रहे हैं,,,


अरे मामी तुम खामखा डरती हो जब मैं तुम्हारे साथ हूं तो किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,


नहीं नहीं बबुआ सब कुछ तो ठीक है लेकिन जल्दी से अंदर चलो,,,(अनिल की बीवी संगीता अपने चारों तरफ नजर घुमाते हुए बोली)


ठीक है मामी मेरा भी हो गया,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे अपने पजामे को थोड़ा आगे की तरफ खींच कर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा जो कि उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में था इसलिए पजामे के अंदर जाने में थोड़ी मशक्कत करनी पड़ी आखिरकार वह थोड़ी मशक्कत करने के बाद अपनी पजामे में लंड को ठुंसते हुए बोला,,)


क्या करूं मामी बहुत परेशान कर देता है ज्यादा लंबा और मोटा है ना इसलिए पजामे में ठीक से जाता नहीं है,,,(अपने पजामे को व्यवस्थित करते हुए बोला लेकिन अभी भी उसके पजामे में खूंटा बना हुआ था,,, ज्यादा लंबा और मोटा कहकर सुरज अनिल की बीवी संगीता को और ज्यादा तडपाना चाहता था,,,,, और सुरज की बातों को सुनकर वह तड़प भी रही थी,,, सुरज की बातों को सुनकर अनजाने नहीं अचानक उसके मुंह से निकला,,,।

हां सच में बहुत मोटा और लंबा है,,,,
(अनिल की बीवी संगीता का जवाब सुनकर सुरज मंद मंद मुस्कुराने लगा और उसके हाथों से लालटेन ले लिया और नीचे पड़ा डंडा भी हाथ में उठा लिया आगे-आगे अनिल की बीवी संगीता और पीछे पीछे सुरज घर में प्रवेश कर गए,,,, अंदर आते ही अनिल की बीवी संगीता सुरज से बोली)

अच्छे से दरवाजा बंद कर देना,,,


तुम चिंता मत करो मामी ,,,( और इतना कहने के साथ ही सुरज लालटेन को नीचे जमीन पर रख दिया और डंडे को एक तरफ दीवार के सहारे खड़ा करके दरवाजा बंद करके उसकी सीटकनी लगा दिया ,,,, वापस अपने बिस्तर की तरफ आने लगा अनिल की बीवी संगीता दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर उस पर बैठ गई थी,,, उसके मन में भी हलचल मची हुई थी सुरज के लंड को लेकर,,,और सुरज बिस्तर पर बैठते हुए बोला,,)

क्या हुआ मामी रात भर जागने का विचार है क्या,,,

नहीं बबुआ लेकिन ना जाने क्यों नींद नहीं आ रही है,,,

(अनिल की बीवी संगीता की बात सुनकर सुरज समझ गया था कि उसे नींद क्यों नहीं आ रही है वह किसी भी तरह से आज की रात अनिल की बीवी संगीता की चुदाई करना चाहता था और दूसरी तरफ सुरज के मामा रविकुमार खाना खाने के बाद अपनी छोटी बहन मंजू को इशारा करके अपने कमरे में चला गया और अपनी बीवी रूपाली के सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया और उसे जबरदस्त तरीके से चोदने लगा दो कि पूरी तरह समझ तो गई थी रविकुमार यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी बीवी को जमके चोदने के बाद वह इत्मीनान से गहरी नींद में सोती है और सुबह से पहले उसकी नींद नहीं खुलती,,इसीलिए रविकुमार अपनी बीवी को पूरी तरह से तृप्त कर देना चाहता था और थोड़ी ही देर में वहां अपनी बीवी की चुदाई करके कुछ देर तक उसके साथ बिस्तर पर लेटा रहा और जब देखा कि उसकी बीवी गहरी नींद में सो गई है तो वह धीरे से खटिया पर से उठा और बिना आवाज के दरवाजा खोल के बाहर से दरवाजा बंद कर लिया ताकि अगर किसी भी तरह से उसकी नींद खुल भी गई तो वह आराम से कोई बहाना बनाकर बच सकता है,,,, और वहां से निकल कर बगल वाले कमरे में जिसमें मंजू सोती है वहां दरवाजे पर आकर दरवाजे पर दस्तक देने के लिए जैसे ही वह हाथ दरवाजे पर रखा दरवाजा अपने आप ही खुल गया,,मंजू ने पहले से ही दरवाजा को खुला छोड़ दी थी क्योंकि वह जानती थी कि उसका बड़ा भाई उसकी बीवी की चुदाई करके उसके पास जरूर आएगा,,, जैसे ही दरवाजा खुला
दरवाजे के खुलने की आवाज सुनकर खटिया पर ऐसे ही लेटकर अपने बड़े भाई का इंतजार कर रही मंजू तुरंत से उठ कर बैठ गई और दरवाजे पर अपने बड़े भाई को देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई,,, अंदर आकर दरवाजे को बंद करते हुए रविकुमार बोला,,,।

क्या बात है तुझे नींद नहीं आ रही है,,,

तुम्हारा इंतजार कर रही थी,,,,

(इतना सुनते ही रविकुमार आगे बढ़ा और खटिया पर बैठते हुए मंजू को अपनी बाहों में लेकर उसे खटिया पर पीठ के बल लेटाते हुए उसके ऊपर पूरी तरह से छा गया,,,।
 
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एक खटिया पर अनिल नशे में धुत होकर सोया हुआ था दूसरी खटिया पर सुरज सोने की तैयारी मैं था,,हालांकि उसकी आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी और दोनों खटिया के बीच में चटाई बिछाकर अनिल की बीवी संगीता बेठी हुई थी उसके भी आंखों में नींद नहीं थी जिसका कारण था चोरों का डर और सुरज का बमपिलाट लंड जिस का दर्शन वह अभी अभी कुछ देर पहले ही बाहर करके आई थी जब सुरज उसकी आंखों के सामने जानबूझकर हाथ से हीलाते हुए मुत रहा था,,,,,,, अनिल की बीवी संगीता चटाई पर बैठे-बैठे सुरज के लंड के बारे में सोच रही थी भले ही वह एकदम भोली थी ,,, लेकिन मर्दों के लंड के बारे में सोचते ही उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगती थी हालांकि अभी तक वह किसी मर्दाना ताकत के बारे में लंड से वाकिफ ओर मुखातिब नहीं हुई थी,,, उसकी बुर में जाता भी था कि उसके पति का पतला और कमजोर लंड जो कि उसको पूरी तरह से अनुभव नहीं करा पाता था,,,,इसीलिए तो सुरज के लंड को देखकर उसकी हालत खराब होने लगी थी वह सोच में पड़ गई थी कितना मोटा और लंबा लंड बुर में जाता कैसे हैं,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता को इस तरह से विचार मग्न देख कर बोला,,,।

क्या हुआ संगीता मामी नींद नहीं आ रही है क्या,,,?


हां बबुआ नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही है,,,


चोरों का डर लग रहा है क्या,,,?

हां,,,,?

अरे यहां चोर आने वाले नहीं हैं तुम चिंता मत करो मैं हूं ना,,,


और आ गए तो तब क्या करोगे,,,


मेरी ताकत पर भरोसा नहीं है संगीता मामी,,, दो तीन से तो मैं ऐसे ही निपट लूंगा,,,, अच्छा एक बात बताओ रुपया पैसा ज्यादा रखी हो क्या,,,

नहीं तो,,,


फिर तो गहने खूब होंगे,,,


अरे नहीं बबुआ ऐसा कुछ भी नहीं है,,,


फिर काहे को डरती हो संगीता मामी,,,, जब लुट कर ले जाने जैसा कुछ भी नहीं है,,,, हां,,,,,, लेकिन रुपया पैसा गहना से भी ज्यादा बेशकीमती चीज है तुम्हारे पास उसे जरूर लूट कर ले जाएंगे,,,,


क्या,,,? नहीं नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है मेरे पास,,,


अरे संगीता मामी तुम नहीं जानती कि तुम्हारे पास कितना पैसे कीमती खजाना है दुनिया की दौलत भी लुटा दो तो शायद उसे खरीद नहीं पाओगे,,,।


बबुआ तुम पहेली मत बुझाओ,,,मुझे तो बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम क्या कह रहे हो,,,, मेरे पास और वह भी बेशकीमती खजाना हो ही नहीं सकता,,, शादी जब हुई थी हमारी तब पिताजी के घर से सिर्फ यह कान की झुमकी मेरे पास उसके बाद ना तो वहां से कुछ मिला और ना ही यहां से,,,,
(सुरज उसके भोलेपन की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रहा था,,,)

और अगर मैं दिखा दूं तो कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना है तब बोलो क्या दोगी,,,,,


तो ,, क्या,,,,,मतलब ,,,की ,,,तुम्हें उस खजाने में से थोड़ा सा हिस्सा दे दूंगी और क्या,,,,(अनिल की बीवी संगीता को ऐसा ही था कि उसके पास खजाना जब है ही नहीं तो वह हिस्सा क्या देगी उसे ऐसा ही लग रहा था कि सुरज सिर्फ ऐसे ही बातें बना रहा है,,,,,, और सुरज उसकी बात को सुनकर मन बना दो मुस्कुराने लगा ,,, वह ऐसे नाजुक मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था,,, और ऐसे ही मौके पर पुरी तरह से झपटता भी था,, और इसीलिए वह अनिल की बीवी संगीता से बोला,,,)
तब इधर आओ खटिया पर बैठो तब मैं तुम्हें बताता हूं,,,।
(इतना सुनते ही अनिल की बीवी संगीता उठी और खटिया पर बड़ी गांड रखकर बैठ गई लेकिन अभी भी उसके दोनों पैर खटिया के नीचे थे इसलिए सुरज बोला)

अरे ठीक से बैठ जाओ संगीता मामी पांव ऊपर करके तुम्हें इत्मीनान से दिखाता हूं कि तुम्हारे पास बेशकीमती खजाना क्या है और कहां पर है,,,,,(इस बार सुरज की बात सुनकर वो थोड़ा सा सिहर उठी,, उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, फिर भी उसकी बात मानते हो कि अनिल की बीवी संगीता अपने पैर खटिया पर रखकर बैठ गई वह सुरज से एकदम सट कर बैठी थी,,,, सुरज के तन बदन में भी उन्माद की लहर उठ रही थी,,,, अनिल की बीवी संगीता उसी तरह से भोलेपन से बोली,,,)

अब दिखाओ बबुआ,,,,, खजाना,,,,।

(उसकी उत्सुकता देखकर सुरज की उत्तेजना बढ़ने लगी कभी-कभी उसकी बातें सुनकर उसे उसका भोलापन लगता था तो कभी-कभी सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वाकई में भोली है या भोली होने का नाटक कर रही है,,, जो भी हो मजा तो सुरज को दोनों तरफ से था,,,,,।
अनिल के बीवी की हालत बहुत ज्यादा खराब होती जा रही है इसके तन बदन उतेजना की लहर उठ रही थी बदन में शोले भड़क रहे थे सुरज की हरकत को वह कुछ-कुछ वह समझ रही थी,, सुरज के कहने का मतलब को थोड़ा-थोड़ा उसे समझ में आ रहा था लेकिन वह पूरा नतीजा देखना चाहती थी,, और सुरज था कि आज उसे तारों की सैर कराना चाहता था,,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता से एकदम से सट गया था अनिल की बीवी के बदन की गर्मी से उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और एकदम से चुदवासा भी,,,, उत्तेजना का असर अनिल के बीवी की आवाज पर भी हो रहा था उसके स्वर भारी होते जा रहे थे,,, ऐसे ही वह गहरे स्वर में बोली,,,।


दिखाओ कहां है बेशकीमती खजाना,,,,।


उतावली मत करो संगीता मामी एकदम इत्मीनान से दिखाऊंगा कि तुम्हारे पास कौन सी जगह पर बेशकीमती खजाना है,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अपने हाथ को उसके पैरों की उंगलियों पर रखकर उसे हल्के हल्के सहलाने लगा,,,, धीरे-धीरे मदहोशी का असर अनिल की बीवी संगीता पर हो रहा था,,,
और सुरज पूरी तरह से अपनी हरकत पर उतर आया था धीरे-धीरे वह अपनी हथेलियों कोपेड़ के ऊपर की तरफ नहीं जा रहा था जिससे उसकी साड़ी भी धीरे-धीरे उठती चली जा रही थी,,,, अनिल की बीवी संगीता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन सुरज की हरकत से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, सुरज अपनी हरकत को जारी रखते हुए अपनी बातों से उसका मन भी हहला रहा था और उसे उलझा भी रहा था,,,)

संगीता मामी तुम नहीं जानती कि तुम क्या चीज हो पूरे गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,
ऊफफफ,,, तुम्हारे बदन की खुशबू,,,,ऊममममम,,(औरतों को अपनी जाल में फांसने का उन्हें पूरी तरह से अपने विश्वास में लेने का हुनर सुरज अच्छी तरह से सीख गया था और इस समय अनिल की बीवी संगीता के साथ भी हो रहा था अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी लेकिन साथ ही उसकी हरकत से वह पूरी तरह से मस्त भी हो रही थी,,, उसे अपनी बुर से काम रस बहता हुआ महसूस होने लगा था,,,,धीरे-धीरे अनिल की बीवी संगीता मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी और मदहोश होते हुए सुरज की हरकत को महसूस करते हुए बोली,,,)

सहहहहह ,,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


कुछ नहीं संगीता मामी सिर्फ तुम्हें एहसास दिला रहा हूं कि तुम क्या चीज हो तुम्हारे पास ऐसा कौन सा बेशकीमती खजाना है जिसे देख कर दुनिया पागल हो जाती है,,,,, बस तुम इसी तरह से मेरा साथ देती रहो,,, दोगी ना संगीता मामी मेरा साथ,,,(अपनी हथेली को उसकी साडी को पर उठाते हुए उसके घुटनों पर रखते हुए सुरज बोला,,, मदहोशी और उत्तेजना के आलम में वह पूरी तरह से सुरज की गिरफ्त में आ चुकी थी,,, अंदर से वह भी एक प्यासी औरत थी जिसकी प्यास सुरज ने अपनी हरकत से भड़का दिया था,,, धीरे-धीरे अनिल की बीवी संगीता सुरज के आगे लाचार होती जा रही थी इसलिए उसकी बात माननी किसी और के पास दूसरा कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए वह बोली,,,)

दुंगी,,,,(खुमारी में अपनी आंखों को बंद किए हुए वह बोली,,)

ओहहहह ,,,, संगीता मामी,,,, तुम बहुत अच्छी हो,,,(इतना कहते हुए ही सुरज ज्यादा कस के बुर के बेहद करीब ही अनिल की बीवी संगीता की चांघ को अपनी हथेली में दबोच लिया जिससे,, अनिल की बीवी संगीता के मुंह से सिसकारी फूट पड़ी,,,, उसकी गरम-गरम सिसकारी की आवाज सुनकर सुरज एकदम से मस्त होता हुआ बोला,,)


क्या हुआ संगीता मामी इस तरह से क्यों आवाज निकाल रही हो,,,,(सुरज की बात सुनकर बड़े होने से अपनी आंखों को खोलते हुए अनिल की बीवी संगीता सुरज की आंखों में देखते हुए बोली,,,)

मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,

मैं जानता हूं संगीता मामी तुम्हें क्या हो रहा है,,,,

क्या हो रहा है बबुआ,,,,?(उत्तेजना से सिहरते हुए अनिल की बीवी संगीता बोली,,)

तुम्हें बहुत मजा आ रहा है संगीता मामी,,,,,,
(अनिल की बीवी संगीता को इस बात का अहसास था कि उसे बहुत मजा आ रहा है सुरज की हर हरकत पर उसके तन बदन में आग लग रही है मीठा मीठा दर्द भी हो रहा है,,, लेकिन फिर भी वह बोली)

मुझे नहीं मालूम बबुआ,,,, लेकिन तुम अभी तक वह खजाना नहीं दिखाएं,,,,


अभी दिखाता हूं संगीता मामी मेरी पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है,,,।
(इस बात को सुनते ही अनिल की बीवी संगीता उत्तेजना से सिहर उठी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि सुरज किस बारे में बात कर रहा है,,,, वह अभी यही सोच ही रही थी कि सुरज अपनी हथेली को पूरी तरह से उसकी बुर पर रखकर अपनी हथेली में दबोच लिया जैसे कि सच में मैं कोई खजाने को मुट्ठी भर भर कर लूट रहा हो,,,, जैसे ही सुरज ने उसकी बुर को अपनी हथेली में कस के दबोचा,,, वैसे ही तुरंत अनिल की बीवी संगीता के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम मादक स्वर में फूट पड़ी,,,।)


सससहहहह आहहहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,आहहहहहह,,, यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,


यही तो खजाना है संगीता मामी जिसे दुनिया लूटना चाहती है चोर लूटना चाहते हैं तुम्हारे घर आकर तुम्हारा रुपया पैसा गहना नहीं लूटेंगे बल्कि तुम्हारी दोनों टांग के बीच में छुपी हुई इस खजाने को लूट कर जाएंगे,,,


ओहहहह बबुआ,,,,आहहहहहहह,,,, इस खजाने की बात कर रहे हो मै तो कुछ और ही समझी थी,,,,

संगीता मामी तुम्हारे इस खजाने को देखने के बाद कोई भी मर्द दुनिया का और खजाना देखने और पाने की इच्छा बिल्कुल भी नहीं करेगा,,,,

तुम्हारी बातें मुझे समझ में नहीं आती बबुआ,,,,(अनिल की बीवी संगीता मस्ती से अपनी आंखों को खोलते हुए सुरज की आंखों में देखते हुए बोली,,,, सुरज की भी नजरे उसकी नजरों से टकराई और सुरज सिरहाने गया और सुरज अपने होठों को अनिल की बीवी संगीता के तपते हुए होंठ पर रख दिया और उसे चूसना शुरू कर दिया,,,अनिल की बीवी संगीता को इस तरह के चुंबन का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था इसलिए वह पल भर में ही सुरज की हरकत से पूरी तरह से कामाग्नि में जलने लगी,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी उसकी बुर से काम रस की धारा फूट पड़ी जो कि सुरज की हथेलियों को पूरी तरह से अपने काम रस में भिगो दे रही थी,,,, सुरज उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को जोर-जोर से उसकी बुर पर रगडना शुरू कर दिया,,, चुंबन का आनंद और साथ ही बुर पर हथेली का घर्षण अनिल की बीवी संगीता से बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह कसमसा रही थी उसके कसमस आने की वजह से खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी जो कि यह आवाज वातावरण में और ज्यादा मादकता फैला रही थी,,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता के होठों का रसपान करते हुए उसकी बुर से लगातार खेल रहा था,,,,।

काम ज्वाला अनिल की बीवी संगीता के भी तन में भड़क चुकी थी,,, सुरज के तो भाग्य खुल गए थे ,, एक ओर बुर को हस्तगत कर लिया था उस पर विजय प्राप्त कर लिया था बस विजय पताका लहराना बाकी था,,,अनिल की बीवी संगीता पहली बार इस तरह की उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और पहली बार किसी गैर मर्द के हाथों को अपने बदन पर महसूस कर रही थी क्योंकि उसके संपूर्ण बदन पर कब्जा जमाया हुआ था,,,।

अब कैसा लग रहा है संगीता मामी,,,


मत पूछो बबुआ ना जाने कैसी कैसी चीटियां पूरे बदन को काट रही है,,,

ये चीटियां नहीं है संगीता मामी,,, तुम्हें तुम्हारी गदराई जवानी चिकोटी काट रही है,,,,


बस करो बबुआ पास में ही लेटे हैं अगर वह जाग गए तो गजब हो जाएगा,,,।


कुछ गजब नहीं होगा संगीता मामी,,,(उसके यह कहने का मतलब को अच्छी तरह से सुरज समझ गया था सुरज जान गया था कि उसका भी चुदवाने का मन है,,, बस अपने पति से थोड़ा डर रही है इसलिए उसके डर को दूर करने के लिए सुरज बोला,,,)

तुम्हें तो पता ही होगा ना संगीता मामी कि नशे में धुत होने के बाद इनकी नींद कब खुलती है,,,,


अपने आप नहीं खुलती,,, सुबह जगाना पड़ता है तब जाकर उठते हैं,,,(अनिल की बीवी संगीता का भी पूरी तरह से मन बन चुका था चुदवाने का इसलिए सुरज से सही-सही बता दी थी वरना आनाकानी करती डरती और ऐसा करने से उसे रोकती लेकिन वह भी मजबूर थी अपने बदन के जरूरत के आगे,,, क्योंकि वह संभोग में संतुष्टि के एहसास के लिए तड़प रही थी उसे पूरी तरह से मजा नहीं आ रहा था बस अपनी जिंदगी को चाहिए जा रही थी अभी अभी तो उस पर पूरी तरह से जवानी चली थी और ऐसे में मरियल सा पति उसकी आग बुझाने में सक्षम नहीं था,,, इसलिए बांका जवान मर्द पाकर उसके जवानी की गर्मी उबाल मार रही थी,,, अपनी जवानी को वह बर्बाद नहीं होने देना चाहती थी,,, इसलिए सुरज के साथ आज की रात में पूरी तरह से जी लेना चाहती थी,,,, सुरज की उसकी बात सुनकर एकदम से खुश हो गया और बोला,,,)

बस फिर क्या चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,, मेरी रानी,,,,आज की रात देखना मैं तुम्हारी बेशकीमती खजाने का कितना सही उपयोग करता हूं तब तुम्हें इस बात का एहसास होगा कि वाकई में तुम्हारे पास कितना बेशकीमती खजाना पड़ा है जिसके बारे में तुम्हें और तुम्हारे पति को अहसास तक नहीं है,,,,


वैसे हमारा नाम संगीता है बबुआ,,,,


ओहहहह संगीता मामी तुमने तो मुझे खुश कर दिया अपना नाम बता कर जैसा नाम है वैसे ही तुम लगती हो बस थोड़ा सा नसीब गड़बड़ा गया जो इधर आ गई,,,


सच कह रहे हो बबुआ हमारा भी ऐसी शादी करने का कोई इरादा नहीं था लेकिन मां-बाप ने जहां बांध दिया तो आ गई,,,


अब तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो रानी,,, तुम्हारी प्यास बुझाने के लिए तुम्हारा सुरज आ गया है,,, वैसे सच कहूं तो जैसे तुम्हारा नाम संगीता है मेरा नाम भी सुरज ही है,,,(सुरज जानबूझकर अपना नाम बता रहा था ताकि सुर और संगीत का मिलाप हो सके इसलिए सुरज का नाम सुनते ही वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,)

ओहहहह क्या सच में तुम्हारा नाम सुरज है,,,।


हां मेरी रानी मेरा नाम सुरज ही है,,,(सुरज जोर-जोर से उसकी बुर मसलते हुए बोला,,,)

ओहहहह सुरज,,, बचपन से ही में गई सपना देखा करती थी कि मेरे होने वाले पति का नाम राजा महाराजाओ जैसा होगा या लेकिन ऐसा नहीं हो पाया,,,


दुखी मत हो संगीता बदन की प्यास बुझाने वाला भी पति से कम नहीं होता आज की रात तुम मुझे अपना पति समझो और मैं तुम्हें अपनी पत्नी,,,,
(सुरज की बात सुनते ही वह एकदम से शर्मा गई,,, और उसे शर्माता हुआ देखकर सुरज बोला,,)

शर्माते हुए तुम सच में राजकुमारी लगती हो,,,,मुझे तो तुम पर तरस आता है कितनी खूबसूरत राजकुमारी की तरह होने के बावजूद भी तुमने इतने सामान्य से दिखने वाले इंसान से कैसे विवाह कर लिया,,,


तकदीर का लेखा है बबुआ,,,


सूरज मेरी संगीता,,,


हां हा सुरज,,,(वह हंसते हुए बोली तो सुरज उसकी बुर पर हथेली को रगडते हुए बोला,,,)

तुम्हारी बुर पानी बहुत छोड़ रही है संगीता क्या इस तरह से पहले भी पानी छोड़ती थी,,,।

नहीं मेरे सुरज तुम्हारा हाथ लगने के बाद ही इतना पानी छोड़ रही है,,,।

हाए मेरी जान अब तो आज यह सुरज तुम्हारी बुर का गुलाम बन जाएगा,,,, रुको ऐसे नहीं,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अनिल की बीवी संगीता की साड़ी को उतारने लगा अनिल की बीवी संगीता भी साड़ी उतरवाने के लिए आतुर हुए जा रही थी,,। लेकिन बीच-बीच में शंका जताते हुए बोल रही थी कि अगर यह जाग गए तो,,, और सुरज कुछ भी ना होने का आश्वासन देकर धीरे-धीरे करके उसकी साड़ी उतार फेंका और उसकी ब्लाउज का बटन खोलने लगा क्योंकि ब्लाउज में से ही उसकी चूचियां कयामत ढा रही थी बड़े-बड़े चुचियों की मालकिन जो थी,,,देखते ही देखते सुरज उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसके बदन से उसके बदन से अलग कर दिया उसकी नंगी चूचियों को देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि वह एकदम दशहरी आम की तरह नजर आ रही थी और उसके पति को देखकर उसके नशे की आदत होती है कि कल रात में समझ गया था कि यह दबा दबा कर बड़ी नहीं होंगे बल्कि कुदरती रूप से ही इसी आकार की है,,,और इस बात से सुरज एकदम से खुश हो गया उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ में लेकर दबाते हुए बोला,,,)


औहहहह मेरी संगीता तुम्हारी चूचियां कितनी बड़ी बड़ी है,, लगता है तुम्हारे पति सारा कसर तुम्हारी चुचियों पर ही उतारते हैं,,,

धत्,,, वह तो इसकी जरा भी खबर नहीं लेते मेरे ब्लाउज को उतारते तक नहीं है,,,


तो मेरी जान इतनी बड़ी बड़ी कैसे हो गई,,,

शुरू से ऐसे ही,,,है,,,।


आहहहह तब तो बहुत मजा आएगा तुम्हारे मायके में तो लड़के तुम्हारी चूचियां देखकर ही पानी फेंक देते होंगे,,।

धत् कैसी बातें करते हो,,, मै किसी भी लड़के को अपने करीब नहीं आने दि‌ हुं,,,



(सुरज को उसकी बातों में सच्चाई नजर आती थी वह दोनों हाथों से उसके पपैया को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर पी रहा था यह अनिल की बीवी संगीता के लिए पहला मौका था जब कोई मर्द उसकी चूचियों से खेल रहा था इसलिए उसे बहुत ही मजा आ रहा था,, बल्कि उसे तो इस बात का अहसास तक नहीं था की चुचियों को दबाने में पीने में औरतों को मजा आता है और वही मजा सुरज आज उसे प्रदान कर रहा था आज उसे स्त्री होने का गौरव प्राप्त करा रहा था,,,, देखते ही देखते सुरज उसकी चूचियों को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,, सुरज बड़ी शिद्दत से अनिल की बीवी संगीता की चूचियों से खेल रहा था और उसे इसमें बहुत मजा आ रहा था और मुंह में लेकर जब जब पीता था तब तक उसकी कड़क किशमिश को दांतों तले दबा दे रहा था जिससे उसकी आ निकल जाती थी देखते ही देखते हो पूरी तरह से मस्त हो गई और इसके बाद उसकी चुचियों का स्तनपान करते हुए सुरज एक आंख से उसके पेटीकोट का नाड़ा खोने लगा और अगले ही पल उसके पेटीकोट की डोरी को अपने हाथों से खींचकर उसके पेटीकोट को एकदम सा ढीला कर दिया,,,,।

अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से पानी पानी हो गई थी वह कसमसा रही थी गरमा गरम सिसकारी ले रही थी उसका सिसकना कसमसाना देखकर सुरज समझ गया था कि आप उसकी बुर में लंबा मोटा लंड डालने की आवश्यकता पड़ गई है लेकिन इतनी सी भी सुरज कहां मानने वाला था,,, उसे खटिया पर पीठ के बल लेटा दिया ,,खटिया पर लेटने के बाद अपनी तसल्ली के लिए अनिल की बीवी संगीता बगल में ही खटिया पर नशे की हालत में सो रहे हैं अपने पति की तरफ देखिए उसी तरह से धुत होकर सो रहा था,,, अनिल की बीवी संगीता ना तो कभी कल्पना की थी और ना ही कभी सपने में भी ऐसा सोचती थी कि अपने ही पति के बगल में वह लेट कर किसी गैर जवान लड़के से अपने जवानी की गर्मी को शांत कराएगी,,, सुरज उसे पीठ के बल लेटा कर उसकी पेटीकोट को ऊपरी छोर से पकड़कर उसको नीचे की तरफ खींचते हुए बोला,,।

अब तुम पूरी तरह से नंगी होने जा रही हो मेरी संगीता रानी,,,।

जैसी तुम्हारी इच्छा हो वैसा ही करो मेरे सुरज राजा,,,।
(अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से लाइन पर आ चुकी थी जिसका फायदा सुरज पूरी तरह से उठा रहा था,,, और मुस्कुराते हुए इसके पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचते हुए वह बोला,,,,,,)



मैं भी देखना चाहता हूं कि नंगी होने के बाद तुम कितनी और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,,(पर ऐसा कहते हुए पेटीकोट को खींचकर निकालने लगा तो उसकी गोल-गोल ‌गांड के नीचे पेटीकोट दबने की वजह से नीचे की तरफ नहीं सरक रही थी,,, तो सुरज की मदद करते हुए अनिल की बीवी संगीता अपनी गांड को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा दे ताकि उसकी पेटीकोट निकल जाए और ऐसा ही हुआ,,,,

जैसे ही अनिल की बीवी संगीता ने अपनी गांड को हवा में उठाई गई सही सुरज उसकी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींच लिया और उसके पेटीकोट को उसके बदन से उतारकर खटिया के नीचे फेंक दिया खटिया पर अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी,,, सुरज तो लालटेन की पीली रोशनी में अनिल की बीवी संगीता के नंगे बदन को देखता ही रह गया नंगी होने के बाद वह एकदम क़यामत लग रही थी सुरज तो एकदम से उसका दीवाना हो गया और उसकी नंगी चिकनी जांघों पर अपनी दोनों हथेलियां रखते हुए बोला,,,)


बाप रे तुम तो स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही हो तुम सच में बहुत खूबसूरत हो ,,,(अनिल की बीवी संगीता सुरज की बातें सुनकर शरमा गई और शर्मा कर दूसरी तरफ नजर फेर ली और सुरज अनिल की बीवी संगीता के नंगे बदन पर पूरी तरह से कब्जा जमाने के लिए उसकी दोनों टांगों को धीरे धीरे खोलने लगा और अगले ही पल उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गया,,,,अनिल की बीवी संगीता को यही लग रहा था कि अब सुरज अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर उसकी चुदाई करेगा,,, क्योंकि शराबी पति पाकर संभोग के नियम को वह कहां जान पाई थी उसे क्या मालूम था कि संभोग के प्रकरण से कौन कौन सी क्रिया जुड़ी होती है लेकिन आज उसकी सारी जरूरतों को उसकी सारी कमियों को सुरज पूरी तरह से दूर करने के लिए उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बना लिया था और देखते ही देखते अपने होठों को उसकी बुर पर रखकर उस पर चुंबनों की बौछार कर दिया,,,अनिल की बीवी संगीता ईसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए एकाएक सुरज की हरकत की वजह से वह पूरी तरह से सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन जब तक वह समझ पाती उससे पहले सुरज पूरी तरह से उसे अपनी गिरफ्त में ले चुका था उसकी नाजुक सी छोटी सी बुर पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था,,, और अगले ही पल वह गर्म सिसकारी के साथ सुरज की हड़ताल का स्वागत करने लगी और वह भी अपनी कमर ऊपर की तरफ उठा उठा कर,,, सुरज उसकी पतली कमर को दोनों हाथों से थाम कर उसकी रसीली बुर पर अपने होठों को रख कर अपनी जीभ को अंदर तक डालकर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,,और अनिल की बीवी संगीता गरमा गरम सिसकारी लेते हुए कसमसाने लगी,,,।

सहहहहह आहहहह आहहहहहह मेरे सुरज जी क्या कर रहे हो,,,आहहहहह बहुत मजा आ रहा है मेरे सुरज,,,, आज तक मेरे पति ने इस तरह से कभी मुझे प्यार नहीं किया,,,,आहहहहह मैं तो आज धन्य हुई जा रही हूं,,,,ओहहहहहहह,,,,।

(उसकी गरमा गरम सिसकारी उसकी मद भरी बातों को सुनकर सुरज का जोश बढ़ने लगा और वह जोर-जोर से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया यहां तक की,,, अनिल की बीवी संगीता को वह अपनी जीभ से एक बार झाड़ भी दिया,,,,


औहहहह ,, मेरे सुरज,,,आहहहहहह मुझसे रहा नहीं जा रहा है कुछ करो मेरे सुरज,,,आहहहहहहह,,,,,


उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर सुरज समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो गया है अब हथोड़ा मारने की जरूरत है इसलिए वह तुरंत उठा और अपने कपड़े को उतारने लगा और देखते ही देखते खटिया पर बैठे-बैठे ही अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया अनिल की बीवी संगीता की नजर उस पर पड़ी तो वह पूरी तरह से सिहर उठी,,,उसे अपने अंदर लेने के लिए उत्सुकता भी थी तो एक तरफ उसे डर भी लग रहा था की ईतना मोटा उसकी बुर में जाएगा कैसे,,,, सुरज अपने लंड को हाथ में लेकर उसे हीलाते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए बोला,,,।


अब देखना मेरी जान तुम्हें कैसे तारों की सैर कराता हुं,,,


घुस पाएगा,,,(अनिल की बीवी संगीता शंका जताते हुए बोली,,)


पूरा का पूरा घुस जाएगा मेरी संगीता देखना कितने आराम से ले लेती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज ढेर सारा थूक मुंह में लेकर उसकी बुर पर गिराने लगायह देखकर अनिल की बीवी संगीता की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और अगले ही पल सुरज मोर्चा संभालते हुए अपने लंड की तोप को उसकी गरमा गरम दीवार से बनी किले पर उसे पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में लेने के लिए टीका दिया,,, जैसे ही अनिल की बीवी संगीता सुरज के मोटे तगड़े लंड के मोटे सुपाडे को उसकी गरम बुर‌ के गुलाबी छेद पर महसूस होते ही ऐसे ही उसका पूरा बदन एकदम से कसमसा गई,,, सुरज पूरी तरह से उसके ऊपर छाने के लिए तैयार हो चुका था चांदनी रात थी और ऊपर से लालटेन की रोशनी में सब कुछ नजर आ रहा था बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था उसकी बिल्कुल भी चिंता ना करते हुए सुरज अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ रहा था,,,अनिल की बीवी संगीता के मन में आशंका थी इसलिए अपनी नजरों को ठीक अपनी दोनों टांगों के बीच टीकाए हुए थी,,,,।

सुरज धीरे-धीरे अपने सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के छेद में डालना शुरू कर दिया,,, उसकी बुर पहले से ही पनीयाई हुई थी और ऊपर से सुरज ने ढेर सारा थूक उस पर चुपड़ दीया था,,, इसलिए सुरज को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और धीरे-धीरे उसका मोटा लंड बुर के अंदर सरकना शुरू कर दिया,,,लेकिन अभी तक अपने पति का पतला और हमारी ओर से अपनी बुर में लेती आ रही थी,,,,

इसलिए अनिल की बीवी संगीता को थोड़ा बहुत दर्द का अहसास हो रहा था,,,, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था,,,,

दर्द और मस्ती का मिलाजुला मिश्रण अनिल की बीवी संगीता के चेहरे पर देखने को मिल रहा था,,उसका मुंह आश्चर्य से खुला का खुला था और वह अभी भी अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी उसके गुलाबी छेद में सुरज का पूरा लंड घुस गया था अनिल की बीवी संगीता को बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कितना मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर की गहराई में कहीं खो गया था,,,, सुरज अनिल की बीवी संगीता की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था वह पूरी तरह से तेजी था और अपने हथौड़े को गरम हो चुके लोहे पर पटकने के लिए तैयार था और धीरे-धीरे वह अपनी कमर को आगे पीछे करके हीलाना शुरू कर दिया जैसे-जैसे सुरज का मोटा तगड़ा लंबा लंड बुर की अंदर की दीवारों को रगडते हुए अंदर बाहर हो रही थी उसी से अनिल की बीवी संगीता के बुर से पानी निकल रहा था,,, उसे मजा आ रहा था,,,सुरज कुछ ही देर में अपनी रफ्तार पकड़ लिया था और अनिल की बीवी संगीता को हुमच हुमच कर चोद रहा था,,,।


अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाती हुई नजर आ रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इस तरह का सुख उसने कभी प्राप्त नहीं की थी अपने आप से ही मन में बोली,,, बाप रे क्या इस तरह से भी चुदाई होती है,,, लेकिन औरत और मर्द के बीच में इस तरह के संबंध के बारे में जहां तक वह सोच सकती थी वहां से आगे सुरज उसे एक नई दुनिया में लेकर जा रहा था,,,।

बड़े आराम से लेकिन रगड़ कर सुरज का लंड अनिल की बीवी संगीता की बुर में अंदर बाहर हो रहा था एक अद्भुत सुख की परिभाषा से आज सुरज उसे अवगत करा रहा था,,, बुर पुरी तरह से पनियाई हुई थी इसलिए किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आ रही थी,,, सुरज हर धक्के के साथ अनिल की बीवी संगीता की आहहह निकाल दे रहा था वह इतनी जोर जोर से धक्के मार रहा था कि ऐसा लग रहा था कि वह अपने लंड के साथ-साथ अपने अस्तित्व को भी उसकी बुर की गहराई में घुसेड देगा,,, खटीया से चरर चरर की आवाज आ रही थी साथ ही पूरे वातावरण में अनिल की बीवी संगीता की गरमा गरम सिसकारियां गुंज रही थी बगल में ही उसका पति लेटा हुआ था लेकिन उसे होश कहां था अगर होश में होता तो शायद आज उसकी बीवी सुरज से ना चुद रही होती,,,।
सुरज को अनिल की बीवी संगीता की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसकी बुर एकदम संकरी थी इसलिए उसमे लंड डालने मे सुरज को अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,
देखते ही देखते अनिल की बीवी संगीता की सांसे और तेज चलने लगी सुरज समझ गया कि वह चरम सुख के बेहद करीब है और वह उसे अपनी बाहों में कस लिया और अपनी कमर को जोर-जोर से कराना शुरू कर दिया क्योंकि वह भी बेहद करीब था झढ़ने में,,, और देखते ही देखते १५ २० धक्कों में दोनों का गर्म लावा फूट पड़ा,,, अनिल की बीवी संगीता पूरी तरह से तृप्त हो गई सुरज के लंड से निकला गर्म लावा का फव्वारा इतना तेज था कि अनिल की बीवी संगीता को अपनी बच्चेदानी पर उसकी पिचकारी महसूस हो रही थी जिससे वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी इस तरह का एहसास उसके पति ने कभी नहीं कराया,,,।


दूसरी तरफ हो रविकुमार अपनी बीवी के गहरी नींद में सो जाने के बाद अपने कमरे से निकलकर दरवाजे पर बाहर से सिटकनी लगा दिया था और अपनी छोटी बहन के कमरे में घुस गया था जहां पर मंजू उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी और रविकुमार आज की रात इत्मीनान से अपनी बहन की चुदाई करना चाहता था इसलिए धीरे धीरे एक एक करके उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया था,,।
 
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यह उस समय की कहानी है जब यातायात के लिए मोटर गाड़ियां ना के बराबर थी उस समय केवल तांगे या बेल गाड़ियां चला करती थी,,,,,,,, यातायात के लिए यही एक रोजगारी का साधन था,,,। और यही एक जरिया भी था एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का,,,।

बेल के पैरों में बंधे घुंघरू और गले में बजी घंटी की आवाज से पूरी सड़क गूंज रही थी,,, रविकुमार अपने बेल को जोर से हंकारते हुए रेलवे स्टेशन की तरफ ले जा रहा था,,,, क्योंकि स्टेशन पर गाड़ी आने वाली थी और समय पर पहुंच जाने पर सवारियां मिल जाया करती थी जिससे उसका गुजर-बसर हो जाता था,,,, लेकिन आज थोड़ी देर हो चुकी थी इसलिए समय पर पहुंचने के लिए रविकुमार बेल को जोर-जोर से हंकार रहा था लेकिन उस पर चाबुक बिल्कुल भी नहीं चला रहा था,,,, क्योंकि रविकुमार के लिए बेल उसकी रोजी-रोटी थी जिसकी बदौलत वह अपने बच्चों का पेट भर रहा था,,,,।


चल बेटा मोती आज बहुत देर हो गई है अगर समय पर हम स्टेशन नहीं पहुंचेंगे तो हमें सवारी नहीं मिलेगी ,,, सवारी नहीं मिली तो पैसे नहीं मिलेंगे पर पैसे नहीं मिले तो तू तो अच्छी तरह से जानता है,,,,, नामदेवराय साहूकार के पैसे चुकाने,, बड़ी बेटी की शादी के लिए जो पैसे दिए थे उसके एवज में, जमीन गिरवी पड़ी है और तुझे भी तो नामदेवराय से पैसे उधार लेकर ही खरीद कर लाया हुं,,, और अगर पैसे नहीं कमाऊंगा तो नामदेवराय को क्या चुकाऊंगा,,,,
(इतना सुनते ही रविकुमार का बेल जान लगा कर दौड़ने लगा ,,,)

शाबाश बेटा,,,, एक तेरा ही तो सहारा है ,,,, ऊपर भगवान और नीचे तु,,,, शाबाश मोती यह हुई ना बात,,,, शाबाश बेटा,,,,
(और थोड़ी ही देर में रविकुमार की बेल गाड़ी स्टेशन के बाहर खड़ी हो गई और रविकुमार खुद बैलगाड़ी से नीचे उतर कर,,, सवारी लेने के लिए आगे बढ़ चला गाड़ी आ चुकी थी और धीरे-धीरे सवारी स्टेशन से बाहर निकल रही थी,,,, रविकुमार की किस्मत अच्छी थी जल्द ही उसे सवारी भी मिल गई,,, और सवारी को उसके गंतव्य स्थान पर ले जाने के लिए ८ आना किराया तय किया गया,,,, खुशी-खुशी रविकुमार उस सवारी का सामान लेकर बैलगाड़ी में रखने लगा,,,)


अरे वाह रविकुमार तुझे तो सवारी भी मिल गई मुझे तो लगा था कि आज तु नहीं आएगा,,,,,,,(दूसरा बैलगाड़ी वाला जो कि काफी समय से वहीं बैठा था उसे सवारी नहीं मिली थी वह बोला)


अरे कैसे नहीं आता यही तो हमारी रोजी-रोटी है ,,अगर नहीं आएंगे तो फिर काम कैसे चलेगा और तू चिंता मत कर तुझे भी सवारी मिल जाएगी,,,,(उस सवारी के आखिरी सामान को भी बैलगाड़ी में रखते हुए रविकुमार बोला,,,,, सवारी भी बेल गाड़ी में बैठ गया था,,, और वह बोला,,)


अरे भाई जल्दी चलो देर हो रही है,,,।



हां हां साहब चल रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रविकुमार बेल गाड़ी पर बैठ गया और बैल को हांकने लगा,,,, एक तरफ कोयले का इंजन सीटी बजाता हुआ और काला काला धुआं उगलता हुआ आगे बढ़ने लगा और दूसरी तरफ रविकुमार का बेल कच्ची सड़क पर अपने पैरों में बंधे घुंघरू को बजाने लगा,,,,,, सवारी और गाड़ीवान का वैसे तो किसी भी तरह से रिश्ता नहीं होता लेकिन फिर भी दोनों के बीच औपचारिक रूप से बातचीत होती रहती है उसी तरह से रविकुमार और सवारी के बीच भी औपचारिक रूप से बातचीत हो रही थी ताकि समय जल्दी से कट जाए और अपने गंतव्य स्थान पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके,,,,। रविकुमार उस सवारी को लेकर उसे गंतव्य स्थान पर पहुंच चुका था और अपने हाथों से उसका सारा सामान उतार कर उसके घर के आंगन में भी रख दिया था और उस से किराया लेकर,,, मुस्कुराते हुए वापस फिर गाड़ी पर बैठ गया और उसे अपने घर की तरफ हांक दिया,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी,,, वैसे तो रविकुमार को कोई भी बुरी लत नहीं थी केवल बीड़ी पीता था जिसकी वजह से उसे खांसी की भी शिकायत थी,,, ४२ वर्षीय रविकुमार बेहद चुस्त पुस्ट तो नहीं था फिर भी गठीला बदन का जरूर था,,,,,,,

बैलगाड़ी को खड़ी करके उसमें से बेल को अलग करके उसे छोटी सी झोपड़ी में जो की बेल के लिए ही बनाया था उसने काम किया और उसके आगे चारा रख दिया और एक बाल्टी पानी भी,,,।


का बेटा और आराम कर,,,,
(इतना कहकर वह अपने घर के आंगन में खटिया गिरा कर बैठ गया और बीडी निकालकर दिया सलाई से उसे जला लिया और पीना शुरू कर दिया,,,, और अपनी बीवी को आवाज लगाया,,,,)

रूपाली ओ रूपाली ,,,,, कहां हो एक गिलास पानी लेते आना तो,,,
(इतना कहकर बीड़ी फूंकने लगा,,,, रूपाली उसकी बीवी का नाम था जो कि २ बच्चों की मां थी और बड़ी बेटी की शादी भी कर दी थी और एक बच्चा ५ साल का था,,,, अपने पति की आवाज सुनते ही रसोई बना रही रूपाली ,,, अपनी ननद मंजू को आवाज देते हुए बोली,,, जो की सूखी लकड़ियां लेने के लिए बगल वाले इंधन घर में गई हुई थी,,, रूपाली की आवाज सुनते ही सूखी लकड़ियों को दोनों हाथों में उठा कर बोली,,,)

आई भाभी,,,(और ईतना कहते ही वह जल्दी से सूखी लकड़ी के पास पहुंच गई और उसे नीचे रखते हुए बोली,,)

लो भाभी आ गई,,,।


अरे आ नहीं गई,,, देख तेरे भैया आए हैं और पानी मांग रहे हैं,,जा जरा एक गिलास पानी दे देना तो,,,,,,


ठीक है भाभी,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह एक गिलास पानी लेकर अपने बड़े भाई रविकुमार के पास आ गई और बोली,,)


लो भैया पानी,,,,


अरे मंजू तू,,,,,(इतना कहने के साथ ही बची हुई बीडी को बुझा कर फेंकते हुए पानी का गिलास थाम लिया और बोला,,) मुन्ना कहां है,,,?


वह तो सो रहा है,,,,


और सुरज,,,
Nice update bro
 

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