Incest गांव की कहानी

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देखते ही देखते रह जा उसकी कुर्ती को उतार फेंका और उसकी नंगी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु कर दिया,,,,, दोनों बड़े से पेड़ के पीछे खड़े होकर यह क्रिया कर रहे थे और उसके अगल बगल बड़ी-बड़ी घास उगी हुई थी जिसकी आड़ में दोनों पूरी तरह से सुरक्षित है देखते ही देखते सुरज पूरी तरह से गौरी की गर्म जवानी पर छाने लगा गौरी को मज़ा आने लगा वह पूरी तरह से मदहोश होकर गहरी गहरी सांस लेने लगी,, सुरज उसकी दोनों चूचियों से खेल रहा था जो कि अब तो उसका हक बन चुका था दोनों संतरो को दबा दबा कर दशहरी आम बनाने पर तुला हुआ था,,,,।




सहहह आहहहहह सुरज मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है,,,

अब तो खुला दौर मिल गया है मेरी रानी अब तो रोज तुम्हें मजा दूंगा,,,,,

आहहहह अब जल्दी से मुझे दुल्हन बना कर अपने घर ले चलो सुरज,,,

ले चलूंगा मेरी रानी मौसी की शादी जैसे हो जाएगी मैं तुरंत तुम्हें दुल्हन बनाकर अपने घर लेकर आऊंगा फिर दिन रात को तुम्हारी बुर में लंड डालकर पड़ा रहूंगा,,,

दिन-रात मेरी बुर में लंड डालकर पड़े रहोगे तो काम कौन करेगा,,,, तब तो मेरी सांस भी मुझे ताने मारेगी गाली देगी की शादी करके आते ही मेरे लड़के को बिगाड़ दी अब वह नाकाम काम पर ध्यान देता है ना घर गृहस्ती पर बस बुर में घुसा हुआ है,,,,


तो क्या हुआ मेरी जान किसी और की बुर में तो नहीं घुसा हुआ हूं ना मैं तो अपनी बीवी के बुर में घुसा हुआ हूं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सुरज सलवार की डोरी को एक झटके से पकड़ कर खींच दिया और सलवार एकदम से ढीली हो गई जो कि खुद मदहोशी के आलम में गौरी ही अपनी सलवार को अपने हाथों से अपनी चिकनी टांग वैसे उतार फेंकी और वह पूरी तरह से नंगी हो गई सुरज कि अपना धोती उतार कर नंगा हो गया था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा था जिसे देखकर गौरी के तन बदन में आग लग रही थी,,,,

यह सोचकर वह और ज्यादा गर्व का अनुभव कर रही थी कि उसके होने वाले पति का लंड कुछ ज्यादा ही दमदार और मजबूत है इस बार सुरज को गौरी को दिशानिर्देश बताने की जरूरत नहीं पड़ी और गौरी खुद ही अपने घुटनों के बल बैठकर अपने होने वाले पति का लंड पकड़ कर चूसना शुरू कर दी यह देखकर सुरज के तन बदन में आग लग गई वह पूरी तरह से मदहोश होने लगा और अगले ही पल उसके मुंह में अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे लेकिन आप सुरज का मन गौरी की बुर में डालने का कर रहा था इसलिए सुरज अपने लंड को उसके मुंह में से बाहर निकाल लिया और उसकी बांह पकड़कर उसे खड़ी किया गौरी अच्छी तरह से जानती थी कि उसे क्या करना है इसलिए पेड़ का सहारा लेकर वह अपनी गोरी गोरी गोल गोल गांड को अपने होने वाले पति के सामने परोस दी,,,।



सुरज के लिए खुला दौर मिल चुका था वह गौरी की कमर दोनों हाथों से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी गोल-गोल गांड को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाकर अपने लंड के सिधान पर लेने लगा,,,,

अगले ही पल वह अपने होने वाली बीवी की गुलाबी छेद में जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी उसमें अपना लंड डालकर उसे चोदना शुरू कर दिया सुरज को आज बहुत मजा आ रहा था आज वह गौरी को अपनी प्रेमिका नहीं बल्कि अपनी बीवी समझ कर चोद रहा था जिस पर उसका पूरा हक था,,,, गौरी की गर्म सिसकारियां पूरे बगीचे में गूंज रही थी और वह बेझिझक होकर गरमा गरम सिसकारियां ले रही थी क्योंकि वह जानती थी कि इस बगीचे में कोई आने वाला नहीं है इसलिए बात ही सुरज के चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी,,,,,



दोनों प्रेमी प्रेमिका थे लेकिन बहुत ही जल्दी दोनों पति पत्नी बनने वाले थे और इसी के चलते वह दोनों चुदाई में पूरी तरह से खो चुके थे उन दोनों को यही लग रहा था कि इस बगीचे में कोई उन्हें देखने वाला नहीं है लेकिन एक बड़ी ही तीखी आप उन दोनों की इस काम क्रीड़ा को देख रही थी और अंदर ही अंदर झुलस रही थी,,,,, और वह आंखें थी नचिकांत सिंह की जिसे कुछ दिन पहले सुरज जी भर कर पीटा था और वह भी उसी के लिए जिसकी वह चुदाई कर रहा है उस समय तो रंजीत सिंह ने गौरी को नंगी नहीं देखा था लेकिन कपड़ों के ऊपर से ही उसके खूबसूरत बदन का जायजा लेकर उस पर लट्टू हो गया था लेकिन आज अपनी आंखों के सामने गौरी को पूरी तरह से नंगी देखकर उसकी आंखों में वासना की चिंगारी फूट रही थी वह गौरी की मदमस्त जवानी से पूरी तरह से प्रभावित हो चुका था,,,

उसकी संतरे जैसी चूचियां उसके मन में बस गई थी जिसे वह मुंह में लेकर दबा दबा कर पीना चाहता था उसकी गोल-गोल सुडौल गांड उसके दिल पर छुरियां चला रही थी सुरज के लंड को उसकी बुर में देखकर वह आग बबूला हुआ जा रहा था लेकिन इस समय वह कुछ कर भी नहीं सकता था क्योंकि सुरज की ताकत का परिचय उसे उसी दिन लग गया था ऐसा नहीं था कि नचिकांत पहली बार उस पर नजर रखे हुए था जिस दिन से वह अपमानित हुआ था उस दिन से ही वह गौरी पर पूरी तरह से नजर रखें हुआ था गौरी कहां जाती है कहां घूमती है खेत में कब जाती है सबकुछ उसे बारीकी से निरीक्षण करके पता चल रहा था और इस समय भी वह गौरी की ही तलाश में यहां पर आया हुआ था उसके पीछे-पीछे उसे नहीं मालूम था,,,



कि गौरी किसी से मिलने आई है इस सुनसान जगह पर नचिकांत सिंह अपने अपमान का बदला लेना चाहता था गौरी को चोदकर उसकी इज्जत लूट कर लेकिन सुरज को देख कर उसके पैर जम गए थे सुरज को अपने मन की रानी की चुदाई करता हुआ देखकर नचिकांत सिंह गुस्से से लाल हो गया था लेकिन गौरी के खूबसूरत नंगे बदन को देख कर उसकी आंखों में वासना बढ रही थी वह किसी भी कीमत पर गौरी को हासिल करना चाहता था और अपने अपमान का बदला लेना चाहता था और यही दृढ़ निश्चय करके कि वह गौरी से जरूर बदला लेगा और उसकी इज्जत से जी भर कर खेलेगा और यह सोचकर वह वहां से चला गया थोड़ी देर में सुरज और गौरी दोनों चरम सुख को प्राप्त कर के कपड़े पहनकर गांव की ओर चल दिए,,,,।
 
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सुरज शाम के वक्त घर पर पहुंचा तो देखा कि रुपाली मामी का भाई आया हुआ था,, उन्हें सुरज मामा कहके पुकारता था,, वह अपने मामा को देखकर खुश हुआ और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया,,,, साथ में मामा की बड़ी लड़की शिवानी भी आई हुई थी,,,, जिस पर नजर पड़ते ही सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,

बात ही बात में रुपाली ने अपने बड़े भाई से बोली,,,

और भैया कैसा हाल है घर पर सब ठीक-ठाक तो है ना भाभी कैसी है,,,

सब कुछ ठीक है बहना घर में सब मजे में है,,,

बड़े दिनों बाद आज मेरी याद कैसे आ गई मुझे तो लग रहा था कि यहां का रास्ता ही भूल गए हैं,,,


नहीं नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है बस कामकाज में उलझ गया था खेती-बाड़ी में समय ही नहीं मिलता वह तो मुझे बहुत अच्छा रास्ता मिल गया था अच्छा लड़का अच्छा खानदान तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और इधर आ गया,,,

अच्छा रिश्ता अच्छा लड़का मैं कुछ समझी नहीं,,,


अरे अपनी मंजू के लिए,,,,

क्या भैया सच कह रहे हो,,,

हां इसीलिए तो मैं आया हूं,,,, वैसे जीजा कहां गए दिखाई नहीं दे रहे हैं,,,,


आते ही होंगे,,,,,

चलो ठीक है जीजा के आ जाने पर ही बात करूंगा,,,,
 
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सुरज अपने बड़े मामा को देखकर जितना खुश हुआ था उससे भी कहीं ज्यादा खुश हूं वह अपने बड़े मामा की लड़की शिवानी को देखकर हुआ था शिवानी को देखते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी शिवानी सुरज की ही हम उम्र थी देखने में बेहद खूबसूरत गोरी चिट्टी थी,,,,,

उसे देखते ही सुरज के पजामे में हलचल सी होने लगी थी सुरज के लिए अब कोई भी रिश्ता कितना भी करीबी क्यों ना हो कोई मायने नहीं रखता था उस रिश्ते में सुरज को केवल उसकी बुर दीखती थी और इस समय भी सुरज को अपनी बड़े मामा की लड़की में अपनी बहन नहीं बल्कि उसकी दोनों टांगों की बीच की बुरी नजर आ रही थी सुरज औरतों की खूबसूरती अब उनकी चूची और उभरी हुई गांड से ही तय करता था और इस समय शिवानी की चूची और गांड दोनों जवानी का उभार लिए हुए थी,,,,


लेकिन सुरज यह जानकर थोड़ा हैरान हुआ था कि उसके मामा मंजू की शादी का रिश्ता लेकर आए थे मंजू की शादी का रिश्ता का मतलब था कि मंजू कि जल्द से जल्द शादी हो जाना और फिर उसके बाद मंजू अपने ससुराल चली जाती सुरज यह सोच कर परेशान हुआ जा रहा था क्योंकि रात को भले दिन भर उसे बुर के दर्शन ना हो लेकिन,,, रात को वह अपनी मौसी की बुर में अपना लंड डालकर अपनी गर्मी शांत करता ही था अगर उसकी मौसी शादी करके अपने घर चली जाती तो रात की तन्हाई में वह करवटें बदलते हुए अपना दिन गुजारता,,, इसीलिए शादी वाली बात उसे ठीक नहीं लगी थी लेकिन वह कर भी क्या सकता था उसकी मौसी की शादी की उम्र जो हो गई थी,,,,,,


थोड़ी ही देर में रविकुमार भी पहल गाड़ी लेकर आ गया था और अपने साले को देखकर एकदम से खुश हो गया था,,,, साला उम्र में छोटा था इसलिए रविकुमार को देखते ही उसके पैर छूकर आशीर्वाद लिया,,, और दोनों बैठ गए बातें करने,,, मंजू भी अपनी भाभी के पास बैठ गई थी क्योंकि उसकी शादी की बात जो हो रही थी और उसे भी अच्छा नहीं लग रहा था उसे तो सुरज का नशा हो गया था उसके लंड को जब तक वह अपनी बुर में नहीं लेती थी तब तक उसे नींद नहीं आती थी और जो सुरज सोच रहा था वही सोच कर मंजू भी परेशान हुए जा रही थी वह अब शादी करके यहां से जाना नहीं चाहती थी क्योंकि शादी वाला सुख तो उसे घर में ही मिल रहा था और यही हाल रविकुमार का भी था रविकुमार भी कभी कभार अपनी छोटी बहन की बुर का मजा ले लेता था और अपनी बीवी की बुर से उसे ज्यादा मजा अपनी छोटी बहन की बुर में आता था क्योंकि अपनी बीवी को तो वह रोज ही चोदता था,,,,


ईसलिए यु एका एक मंजू के विवाह की बात होते ही वह भी परेशान हो गया था,,,, लेकिन इन सब ने रुपाली बहुत खुश थी क्योंकि बाकी के तो सभी अपना अपना नजरिया लगाकर देख रहे थे लेकिन रुपाली दूर तक सोच रही थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि अगर मंजू शादी करके इस घर से अपने ससुराल चली जाएगी तो उसके और उसके भांजे के बीच कोई दीवार नहीं रह जाएगी कोई बोलने वाला नहीं कोई टोकने वाला नहीं बस वह और उसका भांजा दिनभर चुदाई के खेल में मग्न रहेंगे,,,,


सभी लोग विवाह के बाद में लगे हुए थे और सुरज अपने मामा की लड़की शिवानी के पीछे पड़ चुका था शिवानी की उभरी हुई गांड उसके लंड की ऐंठन को बढ़ा रही थी,,, सुरज किसी भी तरह से शिवानी को अपने बस में करना चाहता था इसलिए उससे बोला,,,।

शिवानी जब तक यह लोग बातें करते हैं तब तक आओ मैं तुम्हें थोड़ा बाहर घुमा लाता हूं यहां बहुत गर्मी है,,,

तुम ठीक कह रहे हो सुरज मुझे भी बहुत गर्मी लग रही है,,, चलो चलते हैं,,,,

(शिवानी की मधुर आवाज उसके कानों में मिश्री घोल रही थी और वह खुश होता हुआ शिवानी को घर से बाहर लेकर आ गया,,, चारों तरफ अंधेरा छा चुका था,,, शिवानीऔर सुरज दोनों काफी बरसों के बाद एक दूसरे से मिल रहे थे बचपन में दोनों एक दूसरे के साथ खेला करते थे,,,, इसलिए सुरज अपनी बातों का जादू शिवानी के ऊपर चलाते हुए बोला,,,)

याद है तुमको शिवानी जब तुम छोटी थी छोटा तो मैं भी था लेकिन तुम्हारी नाक बहा करती थी और मैं रोज तुमको डांट दिया करता था,,,

धत्,,,, वह सब बचपन की बात थी अब तो मेरी नाक बिल्कुल भी नहीं बहती,,,,


हां शिवानी तुम अब बिल्कुल बदल गई हो तुम बहुत खूबसूरत दिखती हो ऐसा लगता है कि जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर कर धरती पर आ गई हो,,,
(सुरज की अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर शिवानी एकदम से शर्मा गई और उसके होठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई यह देखकर सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तुम्हें इधर नहीं आना चाहिए था,,,

वह क्यों,,?

तुम तो नहीं जानती शिवानी लेकिन मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की इस गांव में क्या,,, अगल-बगल के 10 गांव में नहीं है,,,,


क्या तुम भी सुरज,,,(शिवानी हंसते हुए बोली तो सुरज बोला,,)

मेरे सर की कसम शिवानी मैं तो पूरा गांव घुमा हूं लेकिन मैंने आज तक तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की इस गांव में तो क्या 10 गांव में नहीं देखा हूं इसीलिए कह रहा हूं कि तुम्हें किस गांव में नहीं आना चाहिए वरना सुबह होते ही गांव के लड़कों की लाइन लग जाएगी तुम्हें देखने के लिए,,,

ऐसा क्या,,,!


हां,,,, शिवानी जब गांव के जवान लड़कों को यह बात पता चले कि की एक खूबसूरत लड़की से गांव में आई है तो सोचो वह लोग धूम दबा कर भागते हुए इधर आ जाएंगे और तुम्हें देखकर एकदम पागल हो जाएंगे,,,,

(सुरज की बातों को सुनकर शिवानी को बहुत मजा आ रहा था क्योंकि सुरज उसकी खूबसूरती की तारीफ के पुल बांध रहा था और ऐसी कौन सी लड़की हो तो जिसे अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना पसंद नहीं होगा,,,, सुरज की बात सुनकर शिवानी मुस्कुराते हुए जवाब दी,,,)

तब तो मुझे बड़े सवेरे ही इधर से निकल जाना होगा ताकि किसी को पता ही ना चले,,,


हां यह बात तो है,,,, लेकिन इतनी जल्दी हम तुम्हें तुम्हारे घर भेजने वाले थोड़ी हैं,,,,

तो कब भेजोगे,,,

जब हमारा मन भर जाएगा,,,

किस बात से,,,

तुम्हारी खूबसूरती देख देख कर,,,,



धत्,,, कैसी बातें कर रहे हो ऐसा लग रहा है जैसे किसी दूसरी लड़की से बात कर रहे हो मैं तो तुम्हारी बहन हूं फिर भी इस तरह से बातें कर रहे हो,,,,

अरे पगली वह तो मैं जानता ही नहीं लेकिन तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ करना भी बहुत जरूरी था तुम बहुत खूबसूरत हो,,,
(बातें करती है फिर दोनों खेत की तरफ निकल आए थे जहां पर थोड़ी ऊंचाई थी और शिवानी की नजर जैसे आसमान में पड़ी वह एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

अरे वाह सुरज देखो तो सही चांद कितना खूबसूरत लग रहा है,,,,

तुमसे ज्यादा खूबसूरत नहीं है शिवानी,,,,

पागलों जैसी बातें मत करो सुरज तुम जिस तरह की बातें कर रहे हो इस तरह की बातें कोई अपनी बहन से नहीं करता,,,

तो किससे करता है,,,,

चलो अब तुम बड़े हो गए हो इतना तो समझते ही होगी किस तरह की बातें एक जवान लड़का किससे करता है,,,


काफी समझदार हो गई हो शिवानी,,,,

समझदार तो मैं पूरे गांव में हूं,,, पता है गांव के लोग क्या कहते हैं,,,(अपने कमीज को ठीक करते हुए नीचे जमीन पर बैठ गई)

क्या कहते हैं,,,?(इतना कहने के साथ ही सुरज भी उसके एकदम बगल में बैठ गया इस तरह से बैठ गया कि उसका बदन शिवानी के बदन से स्पर्श होने लगा,,,, ओर यह स्पर्श शिवानी के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा करने लगा बहुत संकोचाते हुए बोली,,,)


यही कि पूरे गांव में मेरी जैसी समझदार लड़की कोई नहीं है,,,,


यह तो मैं भी कह रहा हूं हमारे तो समझदार लड़की कहते हैं मैं तो कहता हूं कि तुम बहुत खूबसूरत हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की कोई नहीं है,,,,।

(शिवानी जवान हो चुकी थी उसके तन बदन में भी जवान लड़कों की इस तरह की बातें सुनकर हलचल सी होती थी लेकिन इस तरह की बातें उससे आज तक किसी ने किया नहीं था और इसीलिए सुरज की बातें सुनकर उसके बदन में हलचल सी हो रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल उसे मदहोश कर रही थी,,,, कुछ देर के लिए एकदम से खामोश हो गई तो इस खामोशी को तोड़ते हुए सुरज बोला,,,)

बड़े मामा जी मौसी की शादी के लिए आए हैं ना,,,

हां,,,

लेकिन तुम भी तो जवान और खूबसूरत हो तो तुम्हारी शादी के लिए,,,,(इतना कहकर सुरज रुक गया तो शिवानी बोली,,)


हमारी शादी तय हो चुकी है लेकिन अभी नहीं 2 साल बाद होगी पिताजी ने अच्छा रिश्ता देख लिया था तो सोचे क्यों ना तुम्हारी मौसी की शादी उस लड़के से कर दिया जाए क्योंकि लड़का भी ठीक-ठाक है और घर बार भी ठीक-ठाक है खेत खलियान सब कुछ है इसीलिए तो पिताजी जल्दबाजी में इधर आ गए वरना वह लोग किसी और से बातें करने वाले थे,,,,

चलो तब तो ठीक ही है आखिरकार एक ना एक दिन तो मौसी की शादी होनी है बड़े मामा जी देखे होंगे तो अच्छा ही रिश्ता होगा,,,,

(शिवानी के चेहरे के हाव-भाव थोड़े बदलते हुए नजर आ रहे थे उसके बदन में कसमस आहट हो रही थी यह देख कर सुरज बोला)

क्या हुआ शिवानी क्या बात है कुछ तकलीफ है क्या,,,?

नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं है लेकिन हमें घर चलना चाहिए काफी देर हो गई है,,,,
(इतना कहकर एकदम से खड़ी हो गई और चलने की तैयारी कर ही रही थी कि अपना पेट पकड़कर थोड़ा सा झुक गई हो चेहरे पर दर्द के भाव लाते हुए बोली,,,)

हाय दैया,,, मर गई रे,,आहहहह

(शिवानी के मुंह से इतना सुनकर सुरज एकदम से हैरान हो गया और वह एकदम परेशान होता हुआ बोला)

क्या हुआ शिवानी क्या हुआ,,,,

पेट में ऐठन हो रही है,,,,


एेंठन ,,,,,


हां पेट में गुड़गुड़ाहट भी हो रही है मैं अब घर तक नहीं जा सकती,,,,


मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं तुम क्या कह रही हो,,,,


अरे बेवकूफ मुझे सौच जाना है,,,, जाओ जल्दी से टप्पा लेकर आओ पानी भर कर मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है,,,,


ओहहहहह,,,, तुम यहीं रुको मैं जल्दी से डब्बा लेकर आता हूं,,,,,
(इतना कहने के साथ ही सुरज डब्बा लेने के लिए हेड पंप की तरफ चला गया जोकि थोड़ी ही दूरी पर था और दूसरी तरफ शिवानी ऊंचाई पर खड़ी होकर चारों दिशा में देख रही थी कि शौच जाने के लिए अच्छी जगह कौन सी होगी,,,, शिवानी को कोई अच्छी जगह नजर नहीं आ रही थी और एक तो मुसीबत वाली बात यह थी कि आसमान में चांद पूरी तरह से खिला हुआ था और चांदनी रात होने की वजह से दूर-दूर तक सब कुछ साफ नजर आ रहा था इसलिए उसकी परेशानी और बढ़ती जा रही थी लेकिन फिर भी वह,,, अपने आप को रोक नहीं सकती थी इसलिए धीरे से ऊंचाई पर से नीचे उतरी और धीरे-धीरे कदम रखते हुए घनी झाड़ियों को ढूंढने लगी और तकरीबन 20 25 कदम जाने के बाद उसे घनी झाड़ी नजर आई और वह तुरंत उस खड़ी झाड़ी के पीछे जाकर खड़ी हो गई वह अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखने लगी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है ,,,, लेकिन दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह धीरे से अपनी सलवार की दूरी खोलने लगी और सलवार खोलने के साथ ही सलवार को नीचे घुटनों तक लाकर वहीं बैठ गई और सौच करने लगी,,,


और दूसरी तरफ डब्बा ढूंढ कर हेडपंप में से पानी भरकर सुरज उसी जगह पर आ गया जहां पर वह शिवानी को छोड़ कर गया था लेकिन शिवानी वहां नजर नहीं आ रही थी तो वहीं खड़ा खड़ा था चारों तरफ नजर उठाकर देखने लगा तो कहीं शिवानी दिखाई नहीं दे रही थी यह देखकर सुरज थोड़ा परेशान हुआ कि आखिर कार चली कहां गई फिर वह भी धीरे से नीचे उतरा और इधर-उधर देखना शुरू कर दिया सुरज शिवानी को नहीं देख पा रही थी लेकिन शिवानी जोगी झाड़ियों के पीछे बैठी हुई थी वह सुरज को साफ देख पा रही थी,,,,

लेकिन इस समय सुरज को आवाज देकर अपने पास बुलाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी ऐसा वह पहले भी कर चुकी थी लेकिन डब्बा भर कर लाने वाला कोई लड़की ही होती थी कोई जवान लड़का नहीं लेकिन आज मामला पलट चुका था डब्बा भर कर सुरज लेकर आया था इसलिए शिवानी को शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि वह गांड खोल कर बैठी हुई थी सोच करने ऐसे में वह किस मुंह से झाड़ियों से बाहर निकल कर आती या सुरज को आवाज देकर अपने पास बुलाते यह शिवानी के लिए बेहद शर्मसार कर देने वाला मामला महसूस हो रहा था,,,,।


दूसरी तरफ सुरज परेशान था कि कहीं शिवानी घर की और तो नहीं चली गई लेकिन फिर वह सोचने लगा कि शिवानी को बड़े जोरों की लगी हुई थी वह घर जा ही नहीं सकती इसलिए थोड़ा आगे की तरफ जाने लगा जहां पर शिवानी झाड़ियों के पीछे बैठी हुई थी शिवानी का दिल जोरों से धड़क रहा था आखिरकार ऐसे हालात में जो कि उसकी सलवार उसके घुटनों तक है उसकी नंगी गांड एकदम साफ नजर आ रही है ऐसे हालात में वह एक जवान लड़के के सामने कैसे जाएगी यह सोच कर उसे शर्म महसूस हो रही थी और हैरान भी थी कि अब वह क्या करें,,,,, अभी तक तो सुरज बिना कुछ बोले उसे सिर्फ ढूंढ रहा था लेकिन अब उसका नाम लेकर बुलाने लगा,,,,।

शिवानी,,,,,,, शिवानीकहां हो बोलो तो सही,,,, देखो यह मजाक करने का समय बिल्कुल भी नहीं है घर पर सब लोग इंतजार कर रहे होंगे,,,,
(लेकिन कहीं से किसी भी तरह का जवाब नहीं आ रहा था दोनों के बीच की दूरी केवल 1 मीटर जैसी रह गई थी लेकिन फिर भी सुरज को इस बात का एहसास नहीं हो रहा था कि झाड़ी के पीछे ही शिवानी बैठी हुई है शिवानी एकदम से शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी क्योंकि 1 मीटर की दूरी पर ही वह बैठकर एक जवान लड़के के सामने सोच कर रही थी ऐसे हालात से कभी वह गुजरी नहीं थी इसलिए इस तरह के हालात सामने आते ही वह घबराहट में पसीना पसीना हो गई थी,,,,,,

शिवानी अपने मन में यही सोच रही थी कि सुरज अगर थोड़ी दूर जाएगा तो उसे आवाज देकर वहीं पर डब्बा रखने के लिए बोल देगी लेकिन जब तक वह ऐसा बोल पाती है तभी उसे झाड़ियों में सुरसुराहट की आवाज आ गई और वह इस तरह की सुरसुरा हट की आवाज से एकदम से घबरा जाती थी और डर जाती थी और वैसे भी उसे भूत चुड़ैल का बहुत ज्यादा डर लगता था इसलिए जैसे ही झाड़ियों के अंदर से सुरसुरा मत की आवाज आई वह एकदम से चौक कर झाड़ी के बाहर आ गई,,,)

हाय दैया,,,,(ऐसा कहते हुए वो एकदम से झाड़ी के बाहर आकर खड़ी हो गई ठीक सुरज की आंखों के सामने वह एकदम से घबराई हुई थी लेकिन सुरज की आंखों के सामने आते ही वह एकदम से जडवंत हो गई थी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें जिस हालात में वह सुरज की आंखों के सामने खड़ी थी उस हालात में सुरज उसे देखकर एकदम से मदहोश हो गया उसके बाद मस्त जवानी उसकी आंखों के सामने उजागर हुई थी,,,

झाड़ियों में से आई सुरसुराहट की आवाज सुनकर वो एकदम से चौक कर बाहर निकल आई थी,,,, और उसके ऐसा करने से उसके हाथ में उसकी कुर्ती तो रह गई थी जो कि कमर से ऊपर पकड़ी हुई थी लेकिन सलवार सूट कर नीचे उसके कदमों में जा गिरी थी और ऐसे हालात में कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी हो गई थी सुरज की नजर थी उसकी मदहोश कर देने वाली खुशबूदार बुर पर गई थी जिस पर हल्के हल्के बाल थे और बालों के अंदर छिपी हुई उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि एकदम पतली दरार के रूप में थी,,,


सुरज तो अपने बड़े मामा की लड़की की खूबसूरत जवानी के केंद्रबिंदु को देख कर पागल हुआ जा रहा था उसके पैजामा में तंबू बन चुका था शिवानी एकदम हैरान और परेशान कि उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें जिस हालात में हुआ थी ऐसे हालात में वह सलवार को उपर उठाकर पहन भी नहीं सकती थी सुरज ने शिवानी की मदहोश जवानी को अपनी आंखों से देख लिया था और उसे पाने के लिए तड़प उठा था,,,,, शिवानी के तन बदन में भी अजीब सी हलचल होने लगी थी क्योंकि वह साफ तौर पर देख रही थी कि सुरज उसकी बुर की तरफ देख रहा था और एक जवान लड़की के लिए इससे ज्यादा शर्म कर देने वाली बात और क्या हो सकती है कि वह एक लड़के के सामने अपनी बुर दिखा कर खड़ी हो,,,,,

शिवानी कुछ बोल नहीं पा रही थी और सुरज इसी का फायदा उठाते हुए उसकी बुर को देखे जा रहा था जोकि खूबसूरत चिकनी टांगों के बीच और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी,,,,,, आखिरकार शिवानी से रहा नहीं गया और वह बोली,,,,,

सुरज तुम डिब्बा वहीं रख दो और जाओ मैं आती हूं,,,
(शिवानी की आवाज कानों में पढ़ते ही जैसे सुरज को किसी ने नींद से जगाया हो वो एकदम से चौक गया और हडबढ़ाते हुए बोला,,,,)

हां ,,,, हा,,,,,,, मैं मैं यही रख दे रहा हूं,,,,(इतना कहकर सुरज वहीं पर डिब्बा रख दिया जहां पर खड़ा था लेकिन इस दौरान भी वह अपनी नजरों को शिवानी की दोनों टांगों के बीच गडाया हुआ था और डिब्बा रखने के बाद भी वह वही खड़ा रह कर शिवानी की बुर कोई देख रहा था तो शिवानी एकदम से शर्माते हुए बोली,,,)

अब जाओ कि खड़े रहोगे,,,,

जजज,,, जाता हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज जाने लगा तो शिवानी फिर से बोली)

अभी यहा देखना नहीं,,,,(और सुरज की कुछ दूरी पर जाने पर शिवानी धीरे से नीचे से अपनी सलवार को उठाकर घुटनों तक लाई और उसी तरह से झुकी हुई ही उस डब्बे तक गई और वहीं पर बैठकर पानी से धोने लगी पानी के गिरने की आवाज सुरज के कानों में एकदम साफ सुनाई दे रही थी इसलिए उससे रहा नहीं गया और वह पीछे मुड़कर शिवानी की तरफ देखने लगा,,,,

शिवानी सुरज कर दिए बिना अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच टिकाए हुए डिब्बे के पानी से साफ कर रही थी इस हालात में इस अवस्था में शिवानी गजब की खूबसूरत और कामुकता से भरी हुई लग रही थी शिवानी की अचानक नजर ऊपर उठी और सुरज की तरफ गई तो सुरज की आंखों में देख कर रही ना एकदम से शरमा गई और वह कुछ बोल नहीं पाई उससे कुछ भी बोला नहीं जा रहा था और वह उसी तरह से पानी से साफ करती रही और सुरज की आंखों के सामने ही डब्बे को रख कर धीरे से खड़ी हुई और अपनी सलवार को उपर चढ़ाकर सलवार की डोरी को बांधने लगी,,,, इसके बाद डब्बा को हाथ में लेकर वह आने लगी तो सुरज बोला,,,।

डिब्बा फेंक दो,,,, अपने घर का नहीं है,,,
(और इतना सुनते ही शर्मिंदगी का अहसास लिए शिवानी दिलवा को वहीं पर एक दिया और बिना कुछ बोले शर्म से संकुचाते हुए सुरज के करीब आई और धीरे से अपने घर की तरफ दोनों चल दिए,,,,,, सुरज बहुत खुश था आज अनजाने में ही वह शिवानी की खूबसूरत बुर के दर्शन कर लिया था और उसकी बुर की वजह से उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था जिस पर अनजाने में ही शिवानी की नजर पड़ी तो वह एकदम से चौक गई आज तक उसने एक जवान लंड के दर्शन नहीं कि थी इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी हालांकि अभी भी वह नंगे लंड को नहीं देख पाई थी लेकिन फिर भी एक जवान लड़की होने की वजह से उसे इतना तो पता ही था कि एक जवान लड़के के पजामे में उसके काम की ही चीज होती है जो कि इस समय तंबू की शक्ल में था यह देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल होने लगी थी वह बिना कुछ बोले सुरज के साथ चली जा रही थी और रह रह कर अपनी तिरछी नजरों से उसके पजामे की तरफ नजर भर कर देख ले रही थी आज शिवानी की जिंदगी में पहला मौका था जब वह अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और किसी जवान लड़के के सामने इस अवस्था में आई थी इसलिए कुछ अजीब सी हलचल उसके बदन को झकझोर कर रख दे रही थी जवानी की प्यास उसके बदन में भी उम्र रही थी मदहोशी उसके बदन में चीकोटिया भर रही थी,, आज सही मायने में उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वह पूरी तरह से जवान हो गई है क्योंकि उसकी बुर से मदन रस टपकने लगा था और देखते ही देखते दोनों घर पर पहुंच गए थे जहां पर अभी भी विवाह की ही बात हो रही थी,,,,।
 
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शिवानी की बुर की झलक पाकर सुरज मदहोश हो चुका था जो कुछ भी उसकी आंखों के सामने दिखा था वह उसकी उत्तेजना बढ़ाने के लिए काफी था वैसे भी शिवानी की खूबसूरती से वैसे ही उसके तन बदन में हलचल सी हो रही थी,,,,,

शिवानी जिस तरह से हड़बड़ा कर झाड़ियों से बाहर आकर खड़ी हो गई थी और अफरा-तफरी में उसकी सलवार उसकी हाथों से छूट कर उसके कदमों में जा गिरी थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे जो कुछ भी हो रहा था वह सुरज के लिए ही हो रहा था सुरज कभी सोचा नहीं था कि अपने बड़े मामा की लड़की को वह इस हाल में देखेगा उसकी बुर के दर्शन कर पाएगा,,,,,

लेकिन अचानक ही सुरज की बड़े मामा लड़की उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बढ़ा गई थी अपनी मदमस्त कर देने वाली कुंवारी गुलाबी बुर दिखाकर सुरज के लंड को हिला गई थी,,,, यह सब कुछ अचानक ही हुआ था शिवानी को भी कहां पता था कि सुरज के साथ थोड़ी दूर जाने पर ही उसके पेट में गड़बड़ी हो जाएगी और ना चाहते हुए भी उसे सुरज की मदद लेनी पड़ेगी और उसकी मदद लेते हुए अपने बेशकीमती खजाने को उसके सामने उजागर करना पड़ेगा इस तरह के हालात शिवानी के सामने पहली बार आए थे और सुरज के साथ भी या पहली बार हो रहा था कि वह किसी खूबसूरत लड़की के लिए पानी का डब्बा लेकर गया था,,,,,

एक तरफ शिवानी जहां इस हादसे से पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो जा रही थी वहीं दूसरी तरफ सुरज मारे खुशी से चमक रहा था,,,,, और घर की ओर लौटते समय अचानक हुई शिवानी की नजर सुरज के पाजामे पर चली गई थी जिसके उभार को देखकर जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी शिवानी के तन बदन में हलचल सी होने लगी थी,,,, हालांकि अभी तक शिवानी ने जवान लंड के दर्शन नहीं की थी लेकिन इतना तो वह जानती थी कि लड़कों के पैजामा में कौन सा हथियार छुपा रहता है इसलिए पजामें मैं तने हुए खूटे को देखकर ना चाहते हुए भी शिवानी की बुर फुदकने लगी थी,,,,,



दोनों घर पर पहुंचे तो अभी भी वहां विवाह की ही बात हो रही थी अपने विवाह की बात को लेकर गुलाबी नाराज थी क्योंकि वह इतनी जल्दी इस घर को छोड़कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि उसकी जरूरत घर में ही पूरी हो रही थी और वह अच्छी तरह से जानती थी कि सुरज की तरह उसके बदन की प्यास कोई और मर्द नहीं बुझा सकता,,,,,

रविकुमार को भी इतनी जल्दी गुलाबी की विवाह की बात अच्छी नहीं लगी थी लेकिन लोग समाज की बात को अच्छी तरह से जानता था गुलाबी विवाह के लायक कब का हो चुकी थी इस तरह से उसे घर पर बैठा ना ठीक भी नहीं था इसलिए ना चाहते हुए भी उसे अपने साले की बात माननी पड़ी और विवाह के लिए राजी होना पड़ा,,,,, थोड़ी बहुत इस विवाह को लेकर सब में नोकझोंक थी लेकिन रुपाली इस विवाह से बेहद खुश थी क्योंकि इसके बाद सुरज सिर्फ उसका ही होकर रह जाने वाला था,,,,,

खाना खाकर सोने की तैयारी होने लगी,,,,, आंगन में खटिया डालकर सुरज के मामा का बिस्तर लगा दिया गया,,,, और रुपाली शिवानी को अपने साथ सोने के लिए बोली तो शिवानी ने साफ इंकार कर दी वह बोली कि उसे मंजू के साथ सोना है क्योंकि वह किसी भी तरह से सुरज का साथ पाना चाहती थी और वह जानती थी कि सुरज और मंजू दोनों एक ही कमरे में सोते हैं क्योंकि यह बात को रुपाली ही अपने मुंह से बताई थी,,,

शिवानी अच्छी तरह से जानती थी कि सुबह उसे चले जाना है इसलिए वह मंजू और सुरज से बातें करते हुए अपना समय बिताना चाहती थी,,,,, सुरज की मौजूदगी में शर्म से पानी पानी होने के बावजूद भी शिवानी का आकर्षण सुरज की तरफ बढ़ता जा रहा था,,,, खास करके जब से उसकी नजर उसके पैजामा की तरफ गई थी तब से उसका आकर्षण सुरज की तरफ कुछ ज्यादा ही बढ़ रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि उसे अर्ध नग्न हालत में देख कर ही सुरज के पजामे में खूंटा तन गया था पहली बार उसे इस बात का आभास हुआ था कि उसकी गर्म जवानी के कारण किसी का लंड खड़ा हो रहा था क्योंकि वह अपनी आंखों से देख रही थी,,,,।

आखिरकार शिवानी मंजू और सुरज के साथ उसे कमरे में चली गई खटिया को एक कोने में खड़ी करके चटाई बिछा दी गई जिस पर तीनों आराम से सो सकें,,,, मंजू ज्यादा बातें नहीं कर रही थी क्योंकि उसे अपने विवाह को लेकर नाराजगी थी लेकिन फिर भी मजबूर थी इसलिए थोड़ी बहुत बात करके कब उसकी आंख लग गई उसे पता ही नहीं चला सुरज और शिवानी की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी शिवानी बीच में सोई हुई थी और सुरज और मंजू उसके अगल-बगल,,,, इधर उधर की बातें करते हुए सुरज जानबूझकर खेत वाली बात को उभारते हुए बोला,,,।



मैं माफी चाहता हूं शिवानी,,,

किस लिए,,,

खेत में जो कुछ भी हुआ उसमें मेरी कोई गलती नहीं थी सब कुछ अचानक ही हो गया था,,,,
(खेत वाली जिक्र होते ही शिवानी शर्मा गई,,,, कमरे में लालटेन जल रही थी जिसकी पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था)

कोई बात नहीं मैं जानती हूं सब कुछ अनजाने में हुआ था,,,

लेकिन तुम एकाएक झाड़ियों के पीछे से बाहर क्यों निकल आई आवाज भी तो दे सकती थी,,,


मैं डर गई थी,,,


किस लिए,,,,(दोनों बड़े धीमे स्वर में बात कर रहे थे)

झाड़ियों में बड़ी तेजी से सुरसुरा हट हुई थी मैं एकदम से घबरा गई इसलिए बाहर आ गई थी,,,,,

ओहहह ,,,, पर इस तरह से घबराना नहीं चाहिए हिम्मत से काम लेना चाहिए अगर मेरी जगह कोई और होता तो,,,,


तो क्या होता,,,,


अरे बहुत कुछ हो जाता तुम नहीं जानती गांव के लड़कों को,,,,,


क्यों,,,?(शिवानी आश्चर्य जताते हुए बोली तो सुरज एकदम इत्मीनान से हाथ की कोहनी का सहारा लेकर अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ उठा लिया और शिवानी की तरफ मुंह करके बात करते हुए बोला)


अरे पगली जो कुछ भी नजर आ रहा था उसे देखकर मेरी जगह गांव का कोई भी लड़का होता तो ना जाने क्या कर बैठता,,,,


ऐसा क्या नजर आ गया था,,,,,( शिवानी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस हालात में वह खड़ी थी उस हालात में सुरज ने क्या देखा था लेकिन फिर भी जानबूझकर बोल रही थी लेकिन यह बोलते हुए भी उसकी आंखों में शर्म साफ नजर आ रही थी जो कि लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था यह देखकर सुरज के तन बदन में भी हलचल सी होने लगी थी,,,,,)

क्या सच में तुम जानना चाहती हो कि क्या नजर आ रहा था,,,

हां मैं सच में जानना चाहती हूं मुझे भी तो पता चले कि ऐसा क्या नजर आ रहा था जिसे देखकर मेरे साथ कुछ भी हो सकता था,,,,


अरे पगली तुम्हारी बुर नजर आ रही थी,,,(सुरज एकदम बेझिझक होकर बोला उसके मुंह से बुर शब्द सुनकर शिवानी के तन बदन में हलचल सी मचने लगी,,,, वह कभी सोच ही नहीं थी कि सुरज इस तरह से एकदम खुलकर बोल देगा इसलिए वह एकदम से जीत गई वह अपनी नजर को नीचे झुका ली,,, वह कुछ बोल नहीं पाई बस उसके मुंह से इतना ही निकला,,,)

धत्,,,,,,,


अरे सच में मैं झूठ थोड़ी कह रहा हूं जो दिखाई दिया वही तो बता रहा हूं,,, मुझे तो एकदम साफ नजर आ रही थी अच्छा ही होगा कि चांदनी रात थी वरना मैं इतना खूबसूरत दृश्य देख नहीं पाता,,,,


धत्,,,, यह क्या कह रहे हो,,,(शर्मा कर शिवानी दूसरी तरफ नजर घुमा ली,,,)

अरे सच कह रहा हूं रहना मेरी कसम अच्छा यह बताओ तुम्हारी बुर पर हल्के हल्के बाल है ना,,,,

(सुरज की ऐसी बात सुनकर शिवानी कुछ बोली नहीं बस खामोश नहीं मंद मंद मुस्कुरा रही थी आज तक उससे इस तरह की किसी ने भी बात नहीं किया था,,, इसलिए उसके बदन में गर्माहट फैल रही थी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह सुरज से क्या बोले क्योंकि जो कुछ भी वह कह रहा था उसमें बिल्कुल भी झूठा पर नहीं था एकदम खरा सच था जिससे वह इंकार नहीं कर सकती थी वह तो केवल शर्मा कर इस तरह की बातें कर रही थी वह जानती थी कि सुरज ने उसकी बुर को अपनी आंखों से देख चुका है,,,, शिवानी को शर्माता देखकर सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी वह अंदर ही अंदर खुश हो रहा था क्योंकि उसकी बात का जरा भी बुरा शिवानी नहीं मान रही थी,,,, शिवानी को खामोश देखकर सुरज फिर से वही तार छेड़ता हुआ बोला,,,)

बोलो ना शिवानी क्या मैं झूठ कह रहा हूं,,,,

हा तुम बिलकुल झूठ कह रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं है,,,,


अगर ऐसा है तो एक बार फिर से दिखा दो अगर मेरे कहे अनुसार तुम्हारी बुर पर हल्के हल्के बाल ना हुए तो मैं अभी इस कमरे से बाहर चला जाऊंगा,,,,, बोलो तैयार हो,,,, मैं पल भर में ही तुम्हारी बुर की खूबसूरती को अपनी आंखों से देख चुका हूं एकदम गुलाबी कचोरी की तरह फूली हुई उस पर हल्के हल्के बाल मानो उसकी और भी ज्यादा शोभा बढ़ा रहे हो,,,,, और तुम्हारी बुर एकदम एक पतली लकीर नुमा है अभी तक उसने गुलाबी पति बाहर नहीं निकली है,,,,, बोलो मैं सच कह रहा हूं या झूठ और मैं यह भी देखा था कि तुम्हारे पेशाब की बूंद तुम्हारे रेशमी झांठ के बाल पर लगी हुई थी जो कि मोती की तरह चमक रही थी,,,,,,,


हाय दैया,,,,(सुरज के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर शिवानी का मुंह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है सुरज से इतनी गंदी बातें कैसे कर रहा है क्योंकि आज तक उससे इस तरह की गंदी बात किसी ने भी नहीं किया था लेकिन ना जाने क्यों सुरज कि इस तरह की अश्लील बातों में उसे आनंद प्राप्त हो रहा था जिससे वह इनकार नहीं कर पा रही थी भले ही मुंह से वह नकार रही थी लेकिन चेहरा बता रहा था कि सुरज की बातें उसे बेहद उत्तेजित कर रही थी जो कि लालटेन की रोशनी में उसका गोरा मुखड़ा टमाटर की तरह लाल हुआ जा रहा था,,,,)


मैं सच कह रहा हूं कि ना मुझे सब कुछ साफ नजर आ रहा था अगर तुम्हें झूठ लग रहा है तो रुको मैं देखकर बता सकता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही एकदम से उठ कर बैठ गया और पीठ के बल लेटी हुई शिवानी की कुर्ती को ऊपर करके उसकी सलवार की डोरी को दोनों हाथों से पकड़ लिया शिवानी एकदम से घबरा गई और उसका हाथ पकड़ कर झटकते हुए बोली,,,)

हाय दैया यह क्या कर रहे हो तुम्हें शर्म नहीं आ रही है कोई,,,, देख लिया तो,,,,
(शिवानी के मुंह से कोई देख लिया वाली बात सुनकर सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह समझ गया था कि शिवानी के मन में भी वही चल रहा है जो उसके मन में चल रहा था,,, इसलिए सुरज बोला,,,,)

कोई नहीं देखेगा और मैं कहां कुछ कर रहा हूं,,,, सिर्फ तुम्हें वही दिखा रहा हूं जो मैंने देखा हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज ने फिर से शिवानी के सलवार की डोरी को अपने हाथ में पकड़ लिया थोड़ी ना फिर से उसे हटाते हुए बोली,,)


नहीं रहने दो तुम जो भी कह रहे हो सच है लेकिन देखने की जरूरत नहीं है,,,,(दोनों बेहद फुसफुसाने वाली आवाज में बातें कर रहे थे ताकि बगल में सो रही गुलाबी को जरा भी भनक ना हो,,,, शिवानी का रवैया देखकर सुरज का मन उदास हो गया वह कुछ कर नहीं पाया और शिवानी शर्म के मारे आगे नहीं बढ़ पाई बगल में गुलाबी सो रही थी उसे इस बात का डर था कि अगर गुलाबी उठ गई तो क्या होगा जबकि इस बात का डर सुरज को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि गुलाबी भी उसी कश्ती में सवार थी मन मसोसकर शिवानी गुलाबी की तरफ करवट लेकर लेट गई लेकिन सुरज का मन मान नहीं रहा था सुरज भी कुछ देर तक पीठ के बल लेटा रहा लेकिन ऐसा लग रहा था कि शिवानी की बुर की खुशबू उसके लंड को मिल चुकी थी इसलिए बैठने का नाम नहीं ले रहा था वह उसी तरह से खड़ा का खड़ा था,,,,


सुरज से बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था तो वह कुछ देर बाद शिवानी की तरफ करवट करके लेट गया लेकिन थोड़ा सा आगे की तरफ बढ़ गया जिससे उसका लंड सीधे शिवानी की गांड पर जाकर रगड़ खाने लगा शिवानी एकदम से मदहोश हो गई क्योंकि वह समझ गई थी कि उसकी गांड पर कौन सी नुकीली चीज रगड़ रही है,,,, वह एकदम से मदहोश होने लगी लेकिन इस बार बार सुरज को रोक नहीं पा रही थी क्योंकि उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी उसका सब्र भी जवाब दे गया था और सुरज अपने लंड को शिवानी की गांड पर रगड़ता रहा,,,,,



शिवानी की हालत खराब होती जा रही थी उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता जा रहा था पहली बार किसी जवान लड़के ने उसके नितंबों पर इस तरह से अपने लंड को रगड़ना शुरू किया था इसलिए पहली मर्तबा एक जवान लंड को अपनी गांड पर महसूस करके वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,,,,

लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था गुस्से का नाटक करके शिवानी सोने का नाटक तो कर रही थी लेकिन नींद उसकी आंखों से कोसों दूर थी क्योंकि जिस तरह से सुरज ने उससे सीधी जबान में बुर पेशाब की बूंद इस तरह की बातें किया था उन शब्दों को सुनकर उसके तन बदन में उत्तेजना की हथौड़े बज रहे थे जिससे उसका चयन और करार दोनों खोने लगा था शिवानी भी अब सुरज की हरकत का मजा ले रही थी कुछ देर तक सुरज इसी तरह से अपना लंड उसकी गांड पर रगड़ता रहा जब किसी भी प्रकार की हरकत शिवानी के बदन में नहीं हुई तो हिम्मत दिखाते हुए सुरज अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी हथेली को शिवानी की गांड पर रखकर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,

शिवानी मदहोश होने लगे उसके बदन की नसों में उत्तेजना की लहर लहू बनकर दौड़ने लगी उसकी सांसे गुजरी चलने लगी और गहरी सांसो को देखकर सुरज की हिम्मत और ज्यादा बढ़ने लगी सुरज समझ गया था कि शिवानी को मजा आ रहा है उसे आनंद मिलना है और इसी आनंद को बढ़ाने के लिए सुरज हिम्मत दिखाते हुए अपना हाथ जोकि शिवानी की गांड को मसल रहा था वहां से हटाकर सुरज ने अपनी हथेली को शिवानी की चूची पर रख दिया और शिवानी एकदम से मस्त हो गई हल्की सी कराहने की आवाज निकल गई जब सुरज उसकी चूची पर हाथ रखकर जोर से दबा दिया,,,,

नीचे से सुरज अपनी कमर को आगे खेलते हुए पूरा का पूरा अपना लंड उसकी गांड की दरार में धंसाने की कोशिश करने लगा और ऊपर से उसके दोनों नारंगी ओ को अपनी एक हथेली से दबाना शुरू कर दिया बारी बारी से सुरज अपने मामा की लड़की की दोनों चूचियों को दबा रहा था यह पहली मर्तबा था जब शिवानी की चूची किसी मर्दाना हाथ में थी और उसे अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था बार-बार वह मंजू की तरफ देख ले रही थी कि कहीं मंजू जागना चाहिए लेकिन मंजू घोड़े बेच कर सो रही थी,,,,,



सुरज की हीम्मत और ज्यादा बढ़ने लगी सुरज एकदम से शिवानी के पीछे जाकर चिपक गया और उसकी गर्दन पर अपनी होठ रखकर चुंबन करने लगा बस फिर क्या था शिवानी अपना धैर्य एकदम से खो गई थी वह पूरी तरह से मदहोश हो गई पहली बार किसी मर्दाना बाहों में थी वह धीरे-धीरे पिघलना शुरू कर दी उसकी बुर से मदन रस टपकने लगा,,,,,
उससे जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह बार-बार अपनी गांड में धंस रहे सुरज के केंद्र को हाथ पीछे की तरफ लाकर पर जाने के ऊपर से ही पकड़ ली,,,,

यह शिवानी की तरफ से जीवन में पहली प्रतिक्रिया थी जो कि बेहद लुभावनी और कामुकता से भरी हुई थी पहली बार वह किसी लंड को अपने हाथ में ले रही थी और वह भी पायजामा के ऊपर से,,,, सुरज का लंड इतना मोटा था कि उसकी हथेली पूरी भरी की भरी रह गई शिवानी की गहरी सांस चलने लगी और शिवानी की हरकत देखकर सुरज की हिम्मत और ज्यादा बढ़ने लगी तो वहां उसका कंधा पकड़ कर उसे अपनी तरफ घुमाने लगा अब शर्माने से कोई फायदा नहीं था इसलिए शिवानी धीरे से सुरज की तरफ करवट लेने लगी लेकिन आंखों को बंद किए हुए थी आज उसे नजर मिलाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,,,,,


लालटेन की पीली रोशनी में सुरज को सब कुछ साफ नजर आ रहा था शिवानी का खूबसूरत चेहरा उत्तेजना से तमतमा रहा था उसके लाल लाल होंठों मैं कंपन हो रहा था जिसे देखकर सुरज से रहा नहीं गया और वहां अपने होठों को आगे बढ़ा कर शिवानी के लाल-लाल होठों पर रखकर चुंबन करने लगा ,,, शिवानी की जिंदगी में आज सब कुछ पहली बार हो रहा था पहली बार वह चुनाव का आनंद ले रहे थे जैसे ही सुरज के होंठ अपने होंठों पर महसूस की उसके तन बदन में आग लग गई वह एकदम से सिहर उठी और सुरज एक हाथ उसके नितंबों पर रखकर उसे अपनी तरफ खींच लिया,,,, लेटे हुए ही शिवानी उसकी बाहों में समा गई और सुरज पागलों की तरह उसके होठों का रसपान करने लगा अभी तक सुरज का लंड पीछे से उसकी गांड में घुसने का प्रयास कर रहा था और आगे से अब तो सुरज का लंड सलवार के ऊपर से ही उसकी बुर पर ठोकर मार रहा था,,,,

जिससे शिवानी की काम पिपासा बढ़ते जा रही थी वह अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पा रही थी यह जानते हुए भी कि उसके बगल में मंजू सो रही है वह बिल्कुल गई उसकी चिंता किए बिना सुरज की हरकतों का मजा ले रही थी,,,,, कुछ देर तक सुरज शिवानी के लाल-लाल होठों का रस पीकर हां लेकिन उसकी उत्तेजना पढ़ाते हुए वह अपना एक हाथ सलवार के अंदर डालकर उसकी बुर को हथेली में भर-भर कर दबाने लगा सुरज की यह हरकत शिवानी के लिए बेहद घातक साबित हो रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी ऐसा लग रहा था कि वह किसी तूफान में फंसती चली जा रही है जिसमें से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था सुरज कोई कच्चा केला नहीं था औरतों को कैसे काबू में किया जाता है यह वाह भली-भांति जानता था इसीलिए तो शिवानी की उत्तेजना के केंद्र बिंदु को दबाना शुरू कर दिया था जिससे शिवानी के लिए वापस लौटना नामुमकिन हो जाए,,,,।



रह रह कर शिवानी के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ रही थी लेकिन वह बड़ी मुश्किल से अपनी आवाज को दबाए हुए थी,,,,, सुरज सलवार में हाथ डालकर शिवानी की बुर से खेलते हुए शिवानी से बोला,,,।

तुम बहुत खूबसूरत हो शिवानी तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की मैंने आज तक नहीं देखा,,,,।
(सुरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर शिवानी को बहुत खुशी हो रही थी,,,,, लेकिन फिर भी शर्म के मारे बात का रुख दूसरी तरफ मोडते हुए बोली,,,)

सुरज मुझे डर लग रहा है अगर ये जाग गई तो,,,

कौन बोला तुमको बाकी चिंता बिल्कुल भी मत करो वह घोड़े बेच कर सोती हैं अब सुबह से पहले उठने वाली नहीं है,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सुरज उठ कर बैठ गया और जिस कार्य को करने में अभी तक शिवानी रुकावट बन रही थी अब उसी कार्य को अंजाम देते हुए सलवार की डोरी को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया लेकिन इस बार भी ना उसे रोक नहीं पाई बस शर्मा और डर के मारा मंजू की तरफ देख रही थी कहीं मंजू जाग ना जाए,,,


सुरज का दिल भी बड़े जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह बेहद खूबसूरत बुर के दर्शन करने जा रहा था,,,, यही हाल है ना कभी था जिंदगी में पहली बार कोई जवान लड़का उसकी सलवार खोलने जा रहा था उसकी बुर के दर्शन करने जा रहा था और ना जाने उसकी बुर के साथ क्या-क्या करने वाला था जिसके बारे में सोच कर ही उसके बदन में सिहरन सी दौड़ रही थी,,,,, देखते ही देखते सुरज शिवानी की लड़की की सलवार की डोरी को खींच कर खोल दिया सलवार कमर से एकदम से देरी हो गई और बिना देर किए सुरज सलवार को दोनों हाथों से पकड़कर उसे नीचे की तरफ खींचने लगा तो,,,,

शिवानी समझदारी दिखाते हुए अपनी गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा ली क्योंकि वह भी जानती थी कि इस तरह से सलवार उतरने वाली नहीं थी,,, मौके की नजाकत को समझते हुए सुरज बड़ी ही समझदारी से शिवानी की सलवार उसके पैर में से निकाल कर एक तरफ रख दिया कमर के नीचे शिवानी पूरी तरह से नंगी हो गई यह पहली मर्तबा था जब वह जवान लड़के के सामने एकदम नंगी थी एकदम नंगी नहीं लेकिन कमर के नीचे जो अंक बेशकीमती और छुपाने लायक थी वह पूरी तरह से उजागर हो चुकी थी जिस पर सुरज की प्यासी नजर चिपक सी गई थी ,,,,,।


सुरज पागलों की तरह रहना की बुर की तरफ देख रहा था उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार बेहद खूबसूरत नजर आ रही थी शिवानी एक नजर सुरज की तरफ की तो सुरज को अपनी बुर देखता हुआ पाकर वह शर्म से अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा ली,,,, सुरज अपने हाथों से उसकी दोनों टांगों को थोड़ा सा खोलते हुए और अपनी उंगली उसकी चिकनी बुर पर रखते हुए बोला,,,।

बाप रे कितनी मुलायम है मैंने आज तक इतनी खूबसूरत दूर नहीं देखा एकदम गुलाब के पत्ते की तरह नरम गरम है,,,,
(सुरज की उंगलियों को अपनी बुर पर महसूस करते हैं उसके बदन में कंपन महसूस होने लगी उसकी बुर से काम रस टपक रहा था जिससे उसकी पूरी बुर गीली हो चुकी थी इस तरह से पहली बार शिवानी की बुर पनियाई हुई थी,,,,

सुरज से सब्र कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए वह तुरंत दोनों जनों पर अपनी हथेली रखकर उसे उत्तेजना से दबाते हुए अपने प्यासे होठों को उसकी दोनों टांगों के बीच ले जाने लगा तो शिवानी यह देखकर कसमसाने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करने वाला है,,,,। लेकिन अगले ही पल सुरज के गरम होठों को अपनी तपती हुई बुर पर महसूस की तो वह एकदम से मचल उठी,,, उसे अपने आप पर बिल्कुल भी सब्र नहीं हुआ और अपने आप ही उसकी कमर हवा में उठ गई जो कि दर्शा रहा था कि उसे कितना आनंद प्राप्त हुआ है पहले तो शिवानी को बहुत अजीब लगा क्योंकि मुझे इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि मर्द औरत की बुर को इस कदर अपने होंठ से अपनी जीभ से चाटते है इसलिए तो सुरज की हरकत पर को पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसकी आंखें एकदम से बंद हो गई थी और गहरी गहरी सांस लेने लगी थी और बड़ी ही उत्तेजना का प्रदर्शन करते हुए सुरज भी शिवानी की कमर कुछ और से दोनों हाथों में दबाकर उसकी बुर के अंदर अपनी जीभ डाल कर चाट रहा था पहली बार था इसलिए शिवानी की बुर कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी,,,,

सुरज अपना पूरा अनुभव और करता शिवानी के ऊपर लगा दे रहा था शिवानी पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी पहली बार जवानी की याद उसके वजन को चला रही थी जिसे बुझाने का जिम्मा सुरज ने अपने कंधों पर उठा रखा था अपने बड़े मामा की लड़की की दोनों टांगों को फैला कर रहा जो उसकी अनछुई गुलाबी बुर को चाट रहा था,,,।



बुर का छोटा सा गुलाबी छेद देखकर सुरज समझ गया था कि अभी तक शिवानी की बुर में लंड का प्रवेश नहीं हुआ है जिससे एकाएक उस में लंड डालने में तकलीफ आ सकती थी इसलिए अपने लंड के लिए रास्ता बनाते हुए सुरज अपनी बड़े मामा की लड़की की बुर में अपनी एक उंगली धीरे-धीरे डालना शुरू कर दिया लेकिन इस समय सुरज की उंगली भी शिवानी के लिए लंड समान थी वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वाकई में उसकी बुर में लंड घुसा जा रहा है वह अपनी नजर उठा कर अपनी दोनों टांगों के बीच देखने लगी,,,,, पहली बार वह अपने बुर की हालत देख रही थी जोकि सुरज अपनी हरकतों से खराब कर रहा था,,,,,।

धीरे-धीरे उंगली से शिवानी को मजा आने लगा कि दर्द उसे हो रहा था लेकिन आनंद भी बहुत मिल रहा था,,,, जब एक उंगली से शिवानी को मजा आने लगा तो हिम्मत करके सुरज दूसरी उंगली भी धीरे-धीरे प्रवेश करने लगा इस बार थोड़ा सा दर्द महसूस हुआ तो वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर सुरज के बाल को कस के पकड़ ली क्योंकि वह उत्तेजित भी बड़ी तेजी से हो रही थी और देखते ही देखते सुरज दर्द और आनंद का मिश्रण देते हुए अपनी दूसरी उंगली भी शिवानी की बुर में प्रवेश करा दिया और उसे गोल गोल घुमा कर अपने लंड के लिए जगह बनाने लगा लेकिन उसकी हरकत शिवानी को चरम सुख के करीब लेकर जा रही थी शिवानी मदहोश होकर चटाई पर मचल रही थी बगल में ही मंजू गहरी नींद में सो रही थी उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था उसकी उसके बगल में पहली बार ही आइ शिवानी को सुरज पर पेलने जा रहा है,,,,,


मदहोशी में उत्तेजना के कारण शिवानी पसीने से तरबतर हो चुकी थी उसकी कुर्ती भीगने लगी थी सुरज रह-रहकर शिवानी की बुर का मजा लेते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर कुर्ती के ऊपर से यही उसके दोनों संतानों को दबा देता था जिससे शिवानी का मजा दोगुना होता जा रहा था,,,, देखते-देखते शिवानी की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है उसका बदन अकड़ने लगा था माथे पर पसीने की बूंदें ऊपर आई थी वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन अगले ही पल उसकी बुर से मदन रस की पिचकारी फूट पड़ी और जिस प्रकार का आनंद उसे प्राप्त हुआ वह पूरी तरह से मदहोश हो गई उस आनंद के सागर में अपने आप को डुबो ले गई,,,,


शिवानी सुरज के प्रयास से झड़ चुकी थी और झड़ने में उसे अद्भुत सुख का प्राप्ति हुआ था वह पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसकी आंखों में नशा छाने लगा था और उसकी बुर से निकलने वाली मादक रस की पिचकारी सुरज अपने जीभ से चाट चाट कर उसे गले के नीचे उतार ले गया था,,, सुरज को पूरा विश्वास हो गया था कि वह अपने लंबे मोटे लंड को शिवानी की गुलाबी छेद में आराम से डाल सकेगा इसलिए वह अपना कुर्ता उतारने लगा और फिर खड़े होकर अपना पजामा भी उतार दिया शिवानी की आंखों के सामने पहली बार कोई जवान लड़का एकदम नंगा हुआ था सुरज के नंगे लंड को देखकर वो एकदम से सिहर उठी थी पहली बार बार किसी जवान लड़के के लंड को देख रही थी उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मर्द की दोनों टांगों के बीच इतना मोटा और लंबा हथियार होता है वह देखकर एकदम घबरा गए थी,,,,

सुरज अच्छी तरह से समझ रहा था कि शिवानी के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह उसके करीब जाकर बैठ गया और उसे उठा कर बैठाते हुए उसके कुरते को भी निकालने लगा तो प्रश्नवाचक दृष्टि से वह मंजू की तरफ देखी तो सुरज बोला,,,।


तुम चिंता मत करो शिवानी मंजू मौसी सुबह से पहले उठने वाली नहीं है,,,,


तुम सच कह रहे हो ना सुरज,,,,


अपनी कसम,,,,
(ना चाहते हुए भी शिवानी को सुरज की बातों पर विश्वास करना पड़ रहा था क्योंकि उसका बदन उसका साथ नहीं दे रहा था वह भी चुदाई के सुख को प्राप्त करना चाहती थी इसलिए वह सुरज की बात मानते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठा देता कि सुरज बड़े आराम से उसकी कुर्ती को भी उतार सकें और अगले ही पल सुरज फुर्ती दिखाते हुए उसकी कुर्ती को निकालकर शिवानी को भी पूरी तरह से नंगी कर दिया लालटेन की पीली रोशनी में शिवानी बला की खूबसूरत लग रही थी उसका नंगा जिसमें लालटेन की रोशनी में चमक रहा था जिसे देखकर सुरज के मुंह में पानी आ रहा था,,, उसकी नारंगी जैसे चुचियों को देखकर सुरज से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह आगे बढ़कर शिवानी की चूची को एक हाथ में पकड़ कर उसे मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, अब तक रही ना सिर्फ बच्चों को ही चूची पीते देखी थी इसलिए सुरज की हरकत उसके बदन में सिहरन सी दौड़ आ गई वह एकदम से कसमसा गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें सुरज बच्चे की तरह उसकी चूची को पकड़कर पी रहा था यहां शिवानी के लिए बेहद अद्भुत था वह कभी सोची नहीं थी कि एक जवान लड़का लड़की की चूची को भी पकड़ कर पीता है और एकदम बच्चों की तरह,,,,

लेकिन सुरज की हरकत से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी सुरज शिवानी की संतरे जैसी चूची को जोर जोर से दबाते हुए उसे पी रहा था स्तन मर्दन कर रहा था जिससे शिवानी का मजा और ज्यादा बढ़ता जा रहा था,,,,,, देखते ही देखते रहना फिर से तैयार हो चुकी थी वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी थी उसकी आंखों में खुमारी जाने लगी थी सुरज उसकी चूची को मुंह में लेकर पीते हुए उसका हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया था कि उसका डर कम हो जाए,,,,

लेकिन जैसे ही सुरज में शिवानी का हाथ पकड़ कर उसे अपने मोटे लंड पर रखा शिवानी एकदम से चौक गई और अपना हाथ पीछे ले ली उसे लगा कि जैसे कोई गर्म लोहे के रोड पर उसका हाथ पड़ गया हो,,,,, शिवानी की हड़बड़ाहट और घबराहट देखकर सुरज अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठा वह समझ गया था कि आज उसे अनचोदी बुर मिलने वाली है,,,,, लेकिन जैसे ही शिवानी को इस बात का एहसास हुआ कि सुरज ने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया था उसके तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी और वहां फिर से सुरज के लंड को पकड़ने के लिए लालायित हो गई तो सुरज फिर से उसकी हथेली को अपने लंड पर रख दिया लेकिन इस बार शिवानी उत्तेजना के चलते अपनी हथेली को सुरज के लंड से हटाई नहीं और कसके उसे दबा ली,,,, शिवानी की खुशी देखकर सुरज उत्तेजित हो गया और वह जोर-जोर से शिवानी की चूची दबाते हुए दोनों चूची को बारी बारी से पीना शुरू कर दिया शिवानी की बुर एक बार फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दी थी,,,,,।



शिवानी को पता नहीं था कि मर्द के लंड से कैसे खेला जाता है इसलिए वहां अपनी हथेली में लेकर उसे कसकस के सिर पर दबा रही थी हिला बिल्कुल भी नहीं रही थी लेकिन इसी से सुरज को मजा आ रहा था कुछ देर तक इसी तरह से उसे अपने लंड से खेले ने दिया था कि उसका डर एकदम से निकल जाए और फिर उसके बाद उसे चटाई पर लिटा कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा,,,,

शिवानी को इस बात का एहसास हो गया था कि आपस में खेल शुरू होने वाला है इसलिए उसका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे घबराहट भी हो रही थी वह बार-बार अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी और सुरज के लंड को देख रही थी शायद सुरज के लंड को देखकर उसके मन में यही आशंका जाग रही थी कि इतने छोटे से छेद में इतना मोटा लंड जाएगा कैसे,,,, लेकिन वह सब कुछ सुरज के ऊपर छोड़ दी थी उसे पता था कि सुरज सब कुछ सही कर देगा इसलिए वह उसी तरह से लेटी रही है और सुरज उसकी दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल आकर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी आधी गांड को अपने जांघों पर ले लिया,,,,,

बगल में मौसी सोई हुई थी लेकिन सुरज को अब केवल अपना लक्ष्य दिखाई दे रहा था और वह भी शिवानी की दोनों टांगों के बीच स्थित था जिस पर वह पूरा ध्यान केंद्रित करते हुए अपने लंड को अपने हाथ में लेकर उसके टोपे को उसकी बुर पर पटकना शुरू कर दिया जिससे शिवानी एकदम से मचल उठी और अपना सर इधर उधर पटकने लगी इतने से ही शिवानी को बहुत मजा आ रहा था अभी तो अंदर घुसना बाकी था,,,, शिवानी की गुलाबी बुरे एकदम से पनियाई हुई थी लेकिन फिर भी सुरज ढेर सारा थूक उसकी बुर पर गिरा दिया अपने लंड पर लगाकर एकदम गीला कर लिया था कि बड़े आराम से उसकी बुर में घुस सके,,,,, अब अंतिम चरण की शुरुआत हो चुकी थी सुरज पहली बार शिवानी की बुर में लंड प्रवेश कराने जा रहा था जिसका दोनों को बड़ी बेसब्री से इंतजार था दोनों के बदन पसीने से तरबतर हो चुके थे शिवानी की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी क्योंकि उसके जीवन का वह पहला चुका था जिसके बारे में उसने शायद ही कल्पना की थी,,, क्योंकि शिवानी अभी तक चुदाई के बारे में कुछ सोच ही नहीं थी लेकिन आज अनजाने नहीं उसकी बुर में लंड का प्रवेश होने जा रहा था शुरुआत होने जा रही थी इसलिए वह बड़ी बेसब्री से अपनी दोनों टांगों के बीच के उस पतली दरार को देख रही थी जिसमें मोटा तगड़ा लगे पूछने वाला था,,,,,



सुरज धीरे से अपनी आलूबुखारे जैसे सुपाड़े को शिवानी के गुलाबी छेद पर रखा और उसे हल्का सा दबाव देता हुआ अंदर की तरफ डालना शुरू कर दिया बुरा पूरी तरह से पानी पानी हो चुकी थी जिससे अंदर की तरफ सरकने में ज्यादा दिक्कत नहीं आ रही थी लेकिन सुपाड़ा को ज्यादा मोटा था इसलिए थोड़ी बहुत मेहनत है सुरज को करना जरूरी था ताकि यह क्रिया बड़े आराम से सफलतापूर्वक पार हो सके,,,,, सुरज अंदर डालने की कोशिश कर रहा था अब ऐसा लग रहा था कि शिवानी को दर्द महसूस हो रहा है क्योंकि उसके चेहरे के हाव-भाव बदल रहा था लेकिन वह भी जानती थी कि जिस तरह का आनंद उसे प्राप्त हो रहा है शायद लंड के अंदर घुसते ही वह पूरी तरह से मस्त हो जाए,,, इसलिए अपने दर्द को पीने की कोशिश कर रही थी और उसकी यह कोशिश रंग ला रही थी सुरज के लंड का सुपाड़ा धीरे-धीरे गुलाबी छेद में घुसना शुरू कर दिया था देखते ही देखते लंड का आधा हिस्सा बुर में घुस चुका था शिवानी अपना सर उठा कर बड़ी बेसब्री से और उत्सुकता से अपनी दोनों टांगों के बीच देख रही थी सुरज अच्छी तरह से जानता था कि उसे क्या करना है इसलिए वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर शिवानी के कंधों को कस के पकड़ लिया और एक करारा धक्का लगाया और इस बार आधा बचा सुपाड़ा भी बुर के अंदर प्रवेश कर गया लेकिन शिवानी के लिए यह पहली मर्तबा था इसलिए दर्द का झटका उसके बदन में पूरी तरह से फैल गया और वह एकदम से दर्द से बिलबिला उठी लेकिन शोर मचाना बिल्कुल भी उचित नहीं था इसलिए अपने दांत से अपने होंठ को दबाकर दर्द को पीने की कोशिश करने लगी,,, शिवानी की यह समझदारी सुरज को पूरी तरह से मस्त कर गई,,,, फिर भी सुरज शिवानी को दिलासा देते हुए बोला,,,।


बस बस शिवानी हो गया बस थोड़ा सा दर्द होगा उसके बाद तुम्हें स्वर्ग का मजा मिलेगा ऐसा मजा मिलेगा तुम जिंदगी में कल्पना भी नहीं की होगी बस थोड़ा सा और सह लो,,,,
(और इतना कहने के साथ ही रहना के दर्द को और कम करने के लिए सुरज शिवानी के ऊपर चुटिया और उसके संतरे को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया उसे दबाना शुरू कर दिया था कि शिवानी का ध्यान दर्द से हट जाए और ऐसा ही हुआ थोड़ी ही देर में शिवानी के मुंह से हल्की हल्की सिसकारी निकलने लगी लंड का सुपाड़ा अभी भी बुर के अंदर घुसा हुआ था,,, मौका देखकर सुरज एक बार फिर से करारा झटका मारा और इस बार,,,, आधा लंड शिवानी की बुर में घुस गया एक बार फिर से शिवानी दर्द से बिलबिला उठी लेकिन इस बार सुरज उसके लाल-लाल होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया उसके दर्द को अपने अंदर लेना शुरू कर दिया सुरज अपनी सूझबूझ से शिवानी के दर्द को कम करने की भरपूर कोशिश कर रहा था और उसमें कामयाब भी हो रहा था आधा लंड शिवानी की बुर में घुस चुका था और आधा लंड अभी भी बाकी था जिसको जैसे तैसे करके सुरज शिवानी की बुर में डाल दिया शिवानी पूरी तरह से हैरान तक इतना मोटा लंबा लंड उसकी छोटी सी बुर में घुसकर से क्या इसलिए वह अपनी नजर उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच सुरज के लंड को अपनी बुर में छुपे हुए देख रही थी हालांकि दर्द का एहसास उसके चेहरे पर साफ झलक रहा था लेकिन फिर भी एक अद्भुत सुख अद्भुत अहसास उसके तन बदन ने अपना असर दिखा रहा था जिसके चलते उसकी गहरी गहरी सांसें उसे और ज्यादा उन्मादित कर रही थी,,,,


अपनी मौसी के बगल में ही वह अपने बड़े मामा की लड़की की चुदाई करना शुरू कर दिया था,,, शिवानी का दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा था और दर्द आनंद में परिवर्तित होता जा रहा था मंजू के बगल में रहना पूरी तरह से नंगी होकर अपने भाई की चुदाई का मजा लूट रही थी इस तरह की हिम्मत वह जिंदगी में पहली बार दिखा रही थी अब तक अपने घर पर भी वह औरतों की मौजूदगी में भी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी नहीं हुई थी लेकिन सुरज की हरकतों ने उसे पूरी तरह से विवश कर दिया था जिसके चलते हैं वहां सुरज के द्वारा अपने कपड़े उतरवाकर नंगी होने के लिए मजबूर हो गई,,, लेकिन नंगी होने के बाद उसे इस बात का आभास हो रहा था कि आनंद लूटने के लिए कपड़े उतारकर नंगी होना बेहद जरूरी है,,,,

सुरज शिवानी के बदन से खेल रहा था खिलवाड़ कर रहा था वह हर तरीके से मजा लूट रहा था उसके दोनों संतरो को दोनों हाथ में लेकर कमर को आगे पीछे करके हिला रहा था शिवानी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मेहमान बन कर जिस घर में एक रात के लिए आई है उसी घर में अपने भाई से चुदाई का मजा इस कदर लूटेगी कि सब कुछ भूल जाएगी,,,,,

गरमा गरम सांसे शिवानी के मुंह से लगातार निकल रहा था,,, कुछ देर पहले वह सबका से पूरी तरह से गिरी हुई थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुरज का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में घुस जाएगा लेकिन अब सब कुछ साफ था वह अपनी आंखों से सब कुछ देख रही थी सुरज का मोटा तगड़ा लंबा लंड उसकी बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था और अद्भुत सुख दे रहा था बुर पूरी तरह से कसी हुई थी इसलिए सुरज के लंड की उभरी हुई नशे,,, शिवानी की बुर के अंदर धमाल मचा रही थी उसे एकदम साफ महसूस हो रहा था रगड़ता हुआ इसलिए उसका आनंद और ज्यादा बढ़ता जा रहा था लगातार उसकी बुर से मदन रस का रिसाव हो रहा,,,,,

धीरे-धीरे दोनों चरम सुख के करीब पहुंचने लगे थे लालटेन की पीली रोशनी में कुछ भी छुपा नहीं था सब कुछ उजाले में हो रहा था शिवानी कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिंदगी का यह पहला संभोग वह रोशनी में करेगी,,, बाहर आंगन में उसके पिताजी आराम से चैन की नींद सो रहे थे उन्हें कहां पता था कि उनकी जवान लड़की अंदर कमरे में अपने ही भाई के साथ चुदाई का सुख भोग रही है,,,

और देखते ही देखते चटाई पर अपने भाई के धक्के का मजा लेते हुए शिवानी की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी वह दूसरी बार झड़ने के कगार पर आ चुकी थी और इस बार सुरज उसे अपनी बाहों में लेकर अपनी कमर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में दोनों एक साथ अपना गरम लावा बाहर फेंक दिए,,, वासना का तूफान शांत हो चुका था सुरज का लंड अभी भी शिवानी की बुर में घुसा हुआ था सुरज झड़ने के बावजूद भी उसके लाल-लाल होठों का मजा ले रहा था,,,,,

शिवानी भी इस पल का मजा लूटते हुए सुरज को अपने ऊपर से हटा नहीं रही थी अब वह बिल्कुल भी डर नहीं रही थी कि बगल में मंजू सो रही है वह सुरज के बाल को सहला रही थी उसकी पीठ को थपथपा रही थी,,,, कुछ देर बीता था कि शिवानी को फिर से सुरज का लंड अपनी बुर के अंदर ही मोटा और टनटन आता हुआ महसूस होने लगा तो वह बोली,,,।

सुरज मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,,

तो बाहर जाकर कर लो,,,,

पागल मुझे अकेले जाने में डर लगता है,,,,


तो रुको मैं भी चलता हूं,,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अपने लंड को देना की बुर में से बाहर निकलता हुआ उसके ऊपर से उठा और अपने कपड़े पहनने लगा शिवानी भी अपने कपड़े पहन कर अपने बाल को ठीक कर ली और धीरे से सुरज शिवानी का हाथ पकड़कर धीरे-धीरे उसे कमरे के बाहर ले आया आंगन में ही उसके पिताजी सो रहे थे इसलिए इशारे से ही शोर ना मचाने का बोला और धीरे से घर के बाहर आ गया चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था,,,, आसमान में चांद पूरी तरह से खिला हुआ था इसकी हल्की हल्की रोशनी में थोड़ा थोड़ा साफ नजर आ रहा था लेकिन फिर भी दूर दूर कुछ साफ नजर नहीं आ रहा था,,,, घर के बाहर खड़ा होकर सुरज शिवानी से बोला,,,।

यही कर लो,,,,

यहां पर,,,

हां यहीं पर,,,

अरे पागल हो गई हो क्या दरवाजे के सामने नहीं नहीं मुझसे यहां नहीं होगा,,,,

अरे तो क्या हुआ यहां कोई देख थोड़ी रहा है,,,,

नहीं-नहीं सुरज मुझे शर्म आ रही है,,,

तो चलो घर के पीछे,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सुरज शिवानी को घर के पीछे ले गया चांदनी रात में घर के पीछे अंधेरा होने के बावजूद भी सब कुछ साफ नजर आ रहा था शिवानी सुरज से 5 कदम की दूरी पर जाकर अपनी सलवार की डोरी खोल कर पेशाब करने के लिए बैठ गई चांदनी रात में सुरज को शिवानी की गोरी गोरी गाल नजर आ रही थी जिसे देख कर एक बार फिर से सुरज का लंड खड़ा होने लगा सुरज अपने मन में सोचा कि कल तो शिवानी चली जाएगी ऐसा मौका फिर कभी मिले ना मिले और यही सोचकर वह ठीक उसके बगल में जाकर अपना लंड बाहर निकाल कर पेशाब करने लगा शिवानी के लिए यह बेहद मदहोश कर देने वाला था किसी लड़के को उसने आज तक इतने करीब से पेशाब करते हुए भी नहीं देखी थी सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड से निकलते पेशाब की धार को देखकर वह मदहोश होने लगी और पेशाब करके वह तुरंत खड़ी हो गई लेकिन उसकी नजर,,,,

सुरज के लंड पर से हट नहीं रही थी यह देखकर सुरज का मन फिर से शिवानी को चोदने के लिए करने लगा और शिवानी अपनी सलवार की डोरी बांध पाती इससे पहले ही उसकी कमर में हाथ डाल कर वह अपनी तरफ खींचा और उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चुंबन करने लगा इससे शिवानी को भी बिल्कुल भी ऐतराज नहीं हुआ और अगले ही पल सुरज उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़कर उसकी पीट अपनी तरफ कर लिया और पेड़ का सहारा लेकर उसे जिम जाने के लिए बोला शिवानी भी अभी तक सलवार की डोरी बात नहीं पाई थी इसलिए सलवार उसके हाथों से छूट कर उसके कदमों में जा गिरी और उसकी गोरी गोरी गाल एक बार फिर से नंगी हो गई और इस बार सुरज उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच कर उसकी गोल गोल गांड को अपने लंड के सिधान पर ले लिया और एक बार फिर से अपने लंड को उसकी गुलाबी छेद में डालकर चोदना शुरू कर दिया शिवानी की उत्तेजना कम नहीं हो रही थी वह एक बार फिर से वह मस्त हो गई इस बार वह घर के बाहर खुले में चुदाई का मजा ले रही थी चांदनी रात में आसमान के नीचे चुदवाने का मजा ही कुछ और होता है इस बात का एहसास उसे अच्छी तरह से हो रहा था।।

इसके बाद दोनों वापस घर में आकर सो गए किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई सुबह उठकर नाश्ता पानी करके खुद सुरज बेल गाड़ी लेकर उन्हें उनके घर छोड़ने के लिए चला गया,,,,,
 
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नचिकांत सिंह ने जब से गौरी के नंगे बदन को देखा था तब से उसकी आंखों में वासना की चमक उभर आई थी पहली नजर में ही गौरी उसे भाग गई थी वह गौरी के खूबसूरत बदन और उसके बनावट से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था वह किसी भी हालत में गौरी को प्राप्त करना चाहता था और वह गौरी के साथ अपनी मनमानी कर भी लेता अगर कैन मौके पर सुरज ना आ गया होता तो लेकिन सुरज के आ जाने से रंग में भंग पड़ गया था और उसके हाथों वह पीट भी चुका था,,,,

सुरज की हिम्मत और ताकत देखकर नचिकांत सिंह समझ गया था कि उसकी दाल गलने वाली नहीं है इसलिए वह मन में सोच कर वहां से चला गया था लेकिन मन ही मन सुरज से बदला लेने का वह मन में ठान चुका था और गौरी को किसी भी हालत में प्राप्त करने के जुगाड़ में वह लग चुका था इसलिए तो दिन-रात गौरी पर नजर रखने के लिए वह चोरी-छिपे उसकी दिनचर्या पर नजर रखे हुए था और ऐसे में ही उसे गौरी सुरज से चुदवाते हुए नजर आ गई थी,,,,

सुरज ने धीरे-धीरे एक-एक करके उसके बदन से सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर चुका था और नंगी हो चुकी गौरी के नंगे बदन को देख कर तो नचिकांत सिंह के यहां आंखों में वासना के डोरी नजर आ रहे थे वह किसी भी हालत में गौरी को प्राप्त करना चाहता था गौरी की नंगी गांड उसके दिल में बस गई थी नचिकांत सिंह अपने लंड को गौरी की बुर में डालकर अपनी प्यास बुझाना चाहता था लेकिन सुरज के होते ऐसा मुमकिन बिल्कुल भी नहीं था वह दिन रात इसी सोच में डूबा रहता था कि कैसे गौरी को प्राप्त किया जाए,,,।


ऐसे ही 1 दिन वह विक्रम सिंह की हवेली के सामने के बगीचे में कुर्सी पर बैठकर गौरी के ही ख्यालों में खोया हुआ था कि बिट्टू सिंह जो कि रिश्ते में उसके चाचा थे वह हिसाब किताब मैं व्यस्त थे लेकिन नचिकांत सिंह के रवैया को देखकर उन्हें चिंता होने लगी थी इसलिए वह हिसाब खाते की किताब को बंद करके नचिकांत सिंह की तरफ देखते हुए बोले,,,।


क्या बात है नचिकांत आजकल में देख रहा हूं कि तू बहुत खोया खोया है,,,, तबीयत तो ठीक है ना तेरी,,,,
(अपने चाचा की बात सुनकर नचिकांत जैसे किसी ख्वाब से बाहर निकला हो इस तरह से हड़बड़ा कर अपने चाचा की तरफ देखने लगा पल भर की तो उसे लगा कि वह बात को बदलते लेकिन अपने चाचा से बात छुपाने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि उसके चाचा ही एक ऐसे शख्स थे जो उसकी समस्या का हल निकाल सकते थे उसकी मुसीबत दूर कर सकते थे इसलिए वह बोला,,,)


क्या बताऊं चाचा,,,, अब आपसे क्या छुपाना,,,, ,,, वो जो अपने नामदेवराय जी है ना,,, उनके गांव में एक लड़की है वह मुझे बहुत पसंद आ गई है,,,,


क्या बात कर रहा है,,,(एकदम खुश होता हुआ वह बोला)

हां चाचा मुझे तो वह बहुत पसंद है,,,,


शादी करना है क्या तुझे,,,


नहीं चाचा शादी नहीं करनी है बस मजा लेना है,,,


तो इंतजार किस बात का है जाकर उठा ला,,,, मैं भी तो देखूं उसकी खूबसूरती,,,,


जरूर चाचा लेकिन अभी सही समय का मुझे भी इंतजार है,,,,,


क्यों कोई बात है क्या,,,?

नहीं नहीं चाचा ऐसी कोई भी बात नहीं है आपके होते हुए कोई बात हो सकती है क्या यह तो मैं ही रुका हुआ हूं वरना अब तक तो वह लड़की मेरे नीचे होती,,,,


शाबाश भतीजे,,,,, यह हुई ना मर्दों वाली बात,,,,
(नचिकांत सिंह की बात को सुनकर बिट्टू सिंह खुश होता हुआ उसे शाबाशी देने लगा,,,, असली बात को नचिकांत छुपा ले गया था अपने चाचा को यह बिल्कुल भी बताना नहीं चाहता था कि वह गांव के ही लड़के से मार खाया था बड़ी बेइज्जती हुई थी अगर यह सब कुछ अपने चाचा को बता देता तो उसके चाचा उस पर खुद भड़क जाते,,,,, और वह किसी भी तरह से अपने चाचा को नाराज नहीं करना चाहता था इसलिए असली बात को छुपा ले गया था और उसके चाचा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले,,,)

जिस दिन भी उस लड़की को उठाना हो बता देना मैं भी उसकी खूबसूरती को देखना चाहता हूं आखिर उसमें ऐसी कौन सी बात है जिसे देखकर मेरा भतीजा एकदम पागल हुआ जा रहा है,,,

जी चाचा,,,,,।
(और बिट्टू सिंह फिर से अपने काम में लग गया ,,, विक्रम और नचिकांत दोनों चाचा भतीजा है दोनों में चाचा भतीजा का रिश्ता होने के बावजूद भी दोनों मित्र की तरह रहते थे दोनों के राज एक दूसरे जानते थे बिट्टू सिंह कब किस औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाता था किस लड़की को अपने आदमी को भिजवा कर उठाकर अपने गोदाम पर लाता था और रात भर अपनी रात रंगीन करता था इन सब के बारे में नचिकांत सिंह अच्छी तरह से जानता था क्योंकि नचिकांत सिंह को भी बदले में एस करने को मिल जाता था औरत के साथ संबंध बनाने को मिल जाता था और वैसे भी मिल जाते थे इसलिए दोनों चाचा भतीजा कम दोस्त ज्यादा थे,,,,,।



दूसरी तरफ कजरी भी अपने भाई को चिंतित देखकर समझ नहीं पाती थी कि क्या बात है वह बार-बार अपने भाई से पूछना चाहती थी कि आखिर क्या बात है जो वह चिंतित रहने लगा है,,,, ऐसे ही 1 दिन मौका देखकर जब नामदेवराय और कजरी दोनों भोजन कर रहे थे तो कजरी बात को छेड़ते हुए बोली,,,,।

भैया मैं पिछले कई दिनों से देख रही हूं जब से जमीदार बिट्टू सिंह अपने घर पर आकर गए हैं तब से आप बहुत चिंतित रहने रखे हैं आखिर ऐसी कौन सी बातें मुझे भी तो बताइए,,,,


ऐसा कुछ भी नहीं है कजरी,,,,


नहीं कुछ तो बात है भैया अगर बताएंगे नहीं तो उसका हाल कैसे निकलेगा,,,,


मेरे बताने से भी कुछ नहीं होने वाला है क्योंकि मैं जानता हूं कि मेरी समस्या का हल है ही नहीं,,,, बस यह समझ लो कजरी की सब कुछ,,,(हवेली को नजर उठाकर देखते हुए) बर्बाद होने वाला है मिट्टी में मिलने वाला है बरसों की बनाई इज्जत खाक में मिलने वाले हैं घर खेत खलियान गोदाम कारोबार सब कुछ डूबने वाला है,,,,


यह आप क्या कर रहे हैं भैया आपकी तबीयत तो ठीक है,,,,

हां कजरी में बिल्कुल ठीक कह रहा हूं,,,, सब कुछ बर्बाद होने वाला है यह चमक-दमक सब मिट्टी में मिल जाने वाला है शायद तुम नहीं जानती कि कौन सी मुसीबत आ पड़ी है,


यह क्या कह रहे हो भैया मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है ,,, बोलना क्या चाह रहे हो साफ-साफ बताओ,,,,


कजरी,,,,,(एकदम उदास होते हुए) यह गाड़ी हवेली खेत खलियान गोदाम सबकुछ बिट्टू सिंह के पिता जी के हाथों अपने पिताजी ने गिरवी रखा हुआ है,,,


क्या,,,, यह क्या कह रहे हो भैया,,,,,,,?(एकदम से हैरान होते हुए सोनी बोली,,,)

मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं कजरी,,,, अपना कुछ भी नहीं है,,,,


तो यह सब,,,,,


सब कुछ बिट्टू सिंह का है,,,,,, और उसने कुछ दिनों की मोहलत दी है,,,,,


लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि पिताजी ने आखिर ऐसा किया क्यों,,,,


अपनी जमीदारी चलाने के लिए जो कि उस समय सब कुछ बर्बाद हो गई थी लेकिन बिट्टू सिंह के पिताजी अपने पिता जी के बहुत अच्छे दोस्त थे और पिताजी के कहने पर उन्होंने हम लोगों की मदद की थी बदले में पिताजी भी व्यवहार निभाते हुए सारे कागजात उन्हें सौंप चुके थे लेकिन बिट्टू सिंह के पिताजी ने अपनी दोस्ती निभाई है और सारे कागजात पिताजी को लौटा दिए लेकिन जो उधार की रकम थी,,,,,

वह एक कागजात में लिखकर पिताजी के दस्तखत करवा कर बिट्टू सिंह के पिताजी ने अपने पास रखे हुए थे,,,,, जिसमें साफ लिखा हुआ था कि निश्चित की हुई रकम ना चुकाने पर वह हम लोगों की हवेली कारोबार खेत खलियान गोदाम सब कुछ अपने हक में ले सकता है,,,,(कजरी बड़े ध्यान से अपने बड़े भाई की बात सुनती जा रही थी और हैरान होती चली जा रही थी,,,,) अभी तक तो सब कुछ ठीक चल रहा था बरसो गुजर गए लेकिन ना जाने कैसे वह कागजात बिट्टू सिंह के हाथ लग गए और वह उसी कागज के बलबूते पर हमारा सब कुछ हथियाना चाहता है,,,,,


लेकिन भैया जो रकम पिताजी ने उधार लिए हैं उसे चुका कर दो मुसीबत को दूर किया जा सकता है,,,,

किया जा सकता है कजरी लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है उसकी नजर तो हमारी हवेली और गोदाम पर है वह सब कुछ ले लेना चाहता है और बिट्टू सिंह की ताकत का तुम्हें अंदाजा नहीं है उसके आगे हम सब कुछ भी नहीं है इसीलिए तो मैं लाचार हूं,,,,,,,,


तो भैया क्या इसमें कोई हमारी मदद नहीं कर सकता,,,,,


ऐसा कोई भी नहीं है कि बिट्टू सिंह से टक्कर ले सके उससे वह कागजात वापस ले सके,,,,,


अगर सुरज से यह बात करके देखे तो,,,,


कजरी तुम पागल हो गई हो वह अभी बच्चा है भले जवान हो गया है लेकिन इतना बड़ा भी नहीं हो गया है और ताकतवर भी नहीं है कि बिट्टू सिंह से टक्कर ले सके,,,,,


लेकिन भैया उसकी ताकत को आप देख चुके हैं,,,,,


वह बात कुछ और थी कजरी हम दोनों रंगे हाथ पकड़े गए थे इसलिए मैं कुछ कर नहीं सकता था लेकिन यहां पर हालात दूसरे हैं,,,,,,



लेकिन भैया सुरज से एक बार बात तो करके देखे होते क्योंकि गांव में ऐसे बहुत से लड़के हैं जो उसकी बात मानते हैं देख रही हो गोदाम पर किस तरह से वह सब पर हुकम चलाता है और सब लोग उसका हुकुम बजाते भी हैं,,,,,


कजरी वह बात कुछ और है और जिस तरह की मुसीबत में हम लोग पडे हुए हैं उस मुसीबत से हमें भगवान के सिवा और कोई नहीं निकाल सकता,,,,

भैया अब तो मुझे भी डर लगने लगा है क्योंकि उस दिन बिट्टू सिंह अपने घर पर आया था लेकिन उसकी गंदी नजर मुझ पर ही थी बड़ी गंदी नजर से वह मुझे देख रहा था मुझे तो उससे बहुत डर लग रहा था लेकिन मुझे क्या मालूम था कि उसकी गंदी नजर पिताजी की बनाई हुई इस जायदाद पर भी है,,,,

(कजरी की बात सुनकर नामदेवराय घबरा गया था क्योंकि वह बिट्टू सिंह के चरित्र के बारे में अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि औरतों के मामले में उसका पैजामा बहुत ढीला है और वह उसके खुद के गांव की औरतों के साथ मनमानी कर चुका है इसलिए उसे इस बात का डर था कि कहीं बिट्टू सिंह उसकी बहन के साथ भी कुछ गलत ना करना इसलिए नामदेवराय अपनी बहन को आश्वासन देते हुए बोला,,,,,,,।)

तुम चिंता मत करो कजरी इसका हल जरूर मैं निकाल लूंगा,,,,,
(नामदेवराय की तरफ से यह कजरी को झूठा आश्वासन था नामदेवराय अच्छी तरह से जानता था कि वह बिट्टू सिंह का बाल भी बांका नहीं कर सकता है लेकिन फिर भी वह कजरी को चिंतित नहीं करना चाहता था,,,,,)

दूसरी तरफ अपनी विवाह के बात से ही मंजू,,, खोई खोई सी रहने लगी थी उसका किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था वह इस घर को छोड़कर जाना नहीं चाहती थी इस घर को नहीं बल्कि इस घर में मिलने वाली मस्ती को वह बिल्कुल भी छोड़कर जाना नहीं चाहती थी पहले उसे भी शादी की जल्दबाजी थी लेकिन जबसे सुरज उसकी जिंदगी में आया था तब से वह शादी को लेकर बिल्कुल भी व्याकुल नहीं थी लेकिन,,,,

अब उसे लगने लगा था कि बहुत ही जल्द उसके घर वाले उसकी शादी करके उसे उसके ससुराल भेज देंगे,,,, ऐसे ही 1 दिन दोपहर का समय था और भोजन करके रुपाली झाड़ू लगा रही थी और मंजू खटिया पर बैठकर किसी ख्यालों में खोई हुई थी तो झाड़ू लगाते लगाते रुपाली रुक गई और बोली,,,)

क्या बात है मंजू तू कुछ दिन से खोई खोई रहने लगी है,,,


मैं शादी नहीं करना चाहती हूं भाभी,,,,


लेकिन क्यों,,,,


मैं इस घर को तुमको भैया को सुरज को छोड़कर नहीं जाना चाहती,,,,


अरे पगली,,,, लड़कियों की तो किस्मत यही है शादी करके उन्हें अपने घर जाना ही पड़ता है और वैसे भी हम लोगों को तेरी शादी कब से कर देना चाहिए लेकिन देर हो गई है बहुत अच्छा रिश्ता मिला है अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती,,,,,, वैसे भी मंजू तेरी शादी की उम्र हो चुकी है पास पड़ोस वाले गांव वाले क्या कहते होंगे कि मां बाप नहीं है तो यह लोग मंजू की शादी भी समय पर नहीं कर रहे हैं और अपनी बेटी की शादी करके उसे ससुराल भेज चुके हैं,,,,

(अपनी भाभी की बात सुनकर मंजू रोने लगी उसकी आंखों से आंसू की धारा बहने लगी और उसे चुप कराने के लिए रुपाली अपनी जगह से उठी और उसके पास जाकर बैठ गई और उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी और जोर से रोते-रोते मंजू उसके गले से लग गई उसके गले से लगते ही रुपाली को एक अजीब सा एहसास हुआ उसकी गोल-गोल चुचियां उसकी खुद की चुची से रगड़ खाने लगी और रुपाली के बदन में अजीब सा एहसास होने लगा,,,।
 
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मंजू की बेबसी को रुपाली अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि मंजू इस घर को छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहती है,,, और यह भी वह अच्छी तरह से जानती थी उसके सिवा घर में इस शादी को लेकर खुशी ना तो सुरज को थी और ना ही उसके पति रविकुमार को थी क्योंकि वह दोनों मंजू को इस घर में रख कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते थे लेकिन रुपाली यह चाहती थी कि वह शादी करके अपने ससुराल चली जाए ताकि वह सुरज से खुलकर मजा ले सकें,,,,


मंजू की आंखों में आंसू थे और से चुप कराने के लिए रुपाली उसके करीब बैठ कर उसे सीने से लगाकर उसे सांत्वना देते हुए चुप करा रही थी लेकिन अकेले ही पल जो एहसास उसके तन बदन में हुआ उस एहसास के चलते वह पूरी तरह से मदहोश हो गई जिंदगी में पहली बार उसे इस तरह का एहसास हुआ था मंजू की संतरे जैसे चूचियों उसके खरबूजे जैसी चूची पर रगड़ खाने लगी थी और यह एहसास रुपाली के लिए तो पहली बार था पहली बार किसी औरत की चूची उसकी चूची से रगड़ खा रही थी वरना उसकी खुद की चूची मर्दाना छातियों से रगड़ रगड़ कर खरबूजा बन गई थी,,,,,

मंजू की आंखों से आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे थे और रुपाली थी कि उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी एक बार जैसे ही उसकी चूची मंजू की चूची से रगड़ खाई वह तुरंत अपनी छाती को थोड़ा सा पीछे ले ली लेकिन वह एहसास उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर गया और इसी हलचल को फिर से महसूस करने के लिए वह मंजू को एक बार फिर से अपनी तरफ कसकर खींच ली और उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी और इस बार उसकी बड़ी बड़ी चूची उसे मंजू की छाती पूरी तरह से चिपक गई और रुपाली के तन बदन में अजीब सा एहसास होने लगा वह मदहोश होने लगी,,, अपनी ननद को चुप कराते कराते उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,

रुपाली की सांसे गहरी चलने लगी वह मदहोश हो रही थी जिसका एहसास आंख से आंसू बहा रही मंजू को भी होने लगा था क्योंकि उसे अपनी छातियों पर भी अपनी भाभी की बड़ी-बड़ी छातियां महसूस हो रही थी जिसके चलते उसे भी अजीब सा एहसास हो रहा था,,,, रुपाली अपनी भावनाओं पर काबू करने की पूरी कोशिश कर रही थी इसलिए वह मंजू को अपने बदन से अलग करते हुए उसकी बाहों को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे चुप कराते हुए बोली,,,,


मंजू समझने की कोशिश कर विवाह का उम्र हो चुका है तेरा अगर तेरी शादी समय पर ना की गई तो गांव वाले तो यही कहेंगे कि बिना मां बाप की बेटी है इसलिए इसके भैया और भाभी भी उसकी शादी नहीं करा रहे हैं,,,,


लेकिन भाभी मुझे इतनी जल्दी जिस घर से नहीं जाना है मुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,

अच्छा लगे कि ना लगे शादी करके तो ससुराल जाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे ससुराल ही अपना घर लगने लगता है तो समझने की कोशिश कर मंजू,,,,

(मंजू रो रही थी लेकिन रुपाली की नजर उसके फफकते हुए होठों पर थी उसके होठों में कंपन हो रहा था उसके लाल लाल होंठ को देखकर रुपाली कि तन बदन में ना जाने कैसी हलचल हो रही थी वह अपने आप को रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसे से अपने आप को रोका नहीं जा रहा था मंजू की खूबसूरती आज उसे मदहोश कर रही थी आज वह पहली बार किसी स्त्री के प्रति आकर्षित हुए जा रही थी यह बात अच्छी तरह से रुपाली जानती थी कि उससे ज्यादा खूबसूरत पूरे गांव में कोई और औरत नहीं थी लेकिन आज ना जाने क्यों उसका बदन उसका साथ नहीं दे रहा था उसका सोच विपरीत दिशा में भाग रहा था वह अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी आज मंजू मैं उसे 4 बोतलों का नशा महसूस हो रहा था उसके लाल-लाल होठों से अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे रुपाली से रहा नहीं गया और वह अगले ही पल मंजू को चुप कराने के बहाने अपने प्यासे होठों को उसके लाल-लाल होठों पर रखती और जैसे ही रुपाली ने अपने लाल-लाल होठों को मंजू के होठों पर रखी मंजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो गई वह पूरी तरह से मदहोश हो गई पल भर के लिए तो उसे अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हुआ उसे झटका सा लगा लेकिन अगले ही पल जैसे ही रुपाली के होठों के बीच अपने होठों को पाकर और अपने भाभी के द्वारा अपने होंठों का रसपान करता हुआ महसूस कर के मंजू मदहोश होने लगी,,,,


अपनी भाभी का चुंबन मंजू को उत्तेजित कर रहा था वह अपने होठों को अपनी भाभी के होठों से अलग नहीं कर पाई और देखते ही देखते वह अपने आप को अपने लाल-लाल होठों को अपने भाभी के होठों के बीच समर्पित कर दी,,,, रुपाली के लिए पहली बार था वह मदहोश होकर अपनी ननद के होठों का रसपान कर रही थी और ऐसा करने में उसे आनंद प्राप्त हो रहा था लेकिन मंजू को दुगना मजा मिल रहा था मंजू इस अनुभव से गुजर चुकी थी अपनी सहेली के साथ वह इस तरह के रिश्ते को बना चुकी थी और महीनों बाद आज उसकी भाभी ने एक बार फिर से उसके बदन में वही फुहार पैदा कर दी थी जैसा कि उसकी सहेली ने उसके बदन में आग लगाई थी देखते ही देखते मंजू भी अपनी भाभी का साथ देने लगी और एक दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे,,,,


रुपाली के होठों का रसपान आज तक केवल सुरज और उसके पति रविकुमार ने ही किया था लेकिन आज उसकी ननद भी उसके होठों का मजा ले रही थी और खुद रुपाली भी अपनी ननद के होठों का आनंद ले रही थी,,,,,,, रुपाली उत्तेजित हुए जा रही थी एक औरत के साथ वह एक मर्द की हरकत को महसूस करके जिस तरह से उत्तेजित होती थी उससे भी कहीं ज्यादा उत्तेजना उसके तन बदन में अपना असर दिखा रही थी उससे रहा नहीं जा रहा था वह अपनी ननद के होठों का रस पीते हुए अपने हाथ को सीधे मंजू की चूची पर रख दी जो की कुर्ती के ऊपर से भी काफी उभरी हुई थी,,,,

और उसे दबाना शुरू कर दी देखते ही देखते रुपाली अपने दोनों हाथों से अपनी ननद की दोनों चूची को कुर्सी के ऊपर से दबाना शुरू कर दी,,,, अपनी भाभी की यह हरकत मंजू को बड़ी अजीब लग रही थी क्योंकि आज तक उसकी भाभी ने इस तरह की हरकत इस तरह की छेड़खानी उससे नहीं की थी हां इतना वह जरूर करती थी कि आते जाते मंजू की गांड पर चपत लगा देती थी लेकिन आज पूरी तरह से वो मदहोश हो चुकी थी एक औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात का अनुभव ले चुकी मंजू अपने भाभी की हरकत का मजा लेते हुए समझ गई थी कि उसकी भाभी भी उसकी सहेली की तरह मजा लेना चाहती है इसलिए वह अपने आप को पूरी तरह से उसके हाथों में छोड़ दी थी क्योंकि रुपाली की हथेलियों का मजा उसे अच्छा लग रहा था,,,,,


दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था दोनों आंखों को बंद किए एक दूसरों के हमरो से मजा ले रहे थे अभी तक रुपाली अपनी ननद की चूची दबा रही थी लेकिन उत्तेजित हो चुकी मंजू भी अपना हाथ आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से अपनी भाभी के घर पहुंचे जैसे चुचियों को थाम ली और उसे दबाना शुरू कर दी,,,,, क्योंकि मंजू भी इस आनंद को बढ़ाना चाहती थी ना कि रोक देना चाहती थी इसलिए वह अपनी हरकत से अपनी भाभी के बदन में आग लगा देना चाहती थी,,,,,,, इसलिए मंजू अपनी भाभी के ब्लाउज का बटन खोलने लगी इस बात का एहसास होते ही रुपाली के तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह मस्त होने लगी मदहोश होने लगी उसकी बुर से मदन रस चुने लगी,, रुपाली की बुर पूरी तरह से रीश रही थी उसमें रिसाव हो रहा था,,,, देखते ही देखते मंजू अपनी भाभी के ब्लाउज के सारे बटन को खोल दी थी,,,,

मंजू एक औरत होने के बावजूद भी अपनी भाभी की चूचियों के प्रति पहले से ही आकर्षित थी क्योंकि उसे अपनी भाभी की चूचियां बहुत ही खूबसूरत और आकर्षित कर देने वाली लगती थी क्योंकि दो-दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चुचियों का कसाव बेहद खूबसूरत था,,,, खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी होने के बावजूद भी एकदम तनी हुई थी,,,, पहले तो वह अपनी भाभी की चूचियों को देखकर केवल ललचाती थी लेकिन आज उसे पूरा मौका मिला था अपनी भाभी की चुचियों से खेलने के लिए,,,,

इसलिए मंजू आज अपने हाथ से इस मौके को जाने नहीं देना चाहती थी,,,,, वह अपनी भाभी को बिना कुछ बोले अपनी भाभी की नंगी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दी रुपाली की चूची है इतनी बड़ी थी कि उसके दोनों हाथ में ठीक से समा नहीं पा रही थी लेकिन उसकी खुद की चूची संतरे की तरह थी इसलिए उसकी भाभी की हथेली में बड़े आराम से समा जा रही थी,,,,


दोनों के हो तभी भी आपस में भिड़े हुए थे लेकिन दोनों की हथेली अपनी हरकत को अंजाम देते हुए एक दूसरे की चूची को मसल मसल कर उनका रस निचोड़ने में लगे हुए थे,,,, मंजू तो फिर भी अपनी भाभी की नंगी चूचियों का मजा ले रही थी लेकिन अभी भी रुपाली अपनी ननद की चूची का मजा कुर्ती के ऊपर से रही थी लेकिन आप वह भी अपनी मेहनत की चूची को नंगी कर देना चाहती थी उसकी छातियों की शोभा बढ़ा रही उसकी चूची के आकार को देखना चाहती थी उसकी लालिमा को देखना चाहती थी उसकी खूबसूरती को अपनी आंखों से पीना चाहती थी इसलिए वह तुरंत उसकी कुर्ती को पकड़कर ऊपर उठाने लगी और अगले ही पल मंजू भी अपनी भाभी का साथ देते हुए अपने हाथ को ऊपर उठा दी और रुपाली अपने ननद की कुर्ती को उतार कर नीचे फेंक दी कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई अपनी मंजू की मंजू छातियों को देखकर रुपाली के मुंह में पानी आ गया यह पहली बार था जब वह एक स्त्री की छाती को देखकर पूरी तरह से सम्मोहित हो जा रही थी आज ना जाने क्यों कैसी खुमारी रुपाली की आंखों में छाई हुई थी कि वह एक औरत से मजा ले रही थी और वह भी जी भर के,,,,,


वाह मंजू तेरी चूचीया तो कितनी खूबसूरत है एकदम संतरे की तरह,,,,(जवाब में मंजू कुछ बोली नहीं बस उत्तेजना से गहरी सांस लेने लगी और अगले ही पल रुपाली अपनी दोनों हथेली में उसके दोनों संतरो को थाम ली और उसे जोर जोर से दबाना शुरू कर दी,,,, अगले ही पल अपनी भाभी की हथेली के कसाव को अपनी चुचियों पर महसूस करते ही मंजू से रहा नहीं गया और उसके मुंह से सिसकारी फूट पड़ी,,,।

सहहहह आहहहहह,,भाभी,,,,,,


मजा आ रहा है ना मेरी मंजू,,,,,,(और इतना कहने के साथ ही खटिया पर ही रुपाली अपनी ननद की चुचियों को पकड़े हुए उसे खटिया पर लेटाने लगी और देखते ही देखते मंजू खटिया पर पीठ के बल लेट गई और रुपाली‌ मंजू की आंखों में देखते हुए उसकी चूची को मुंह में भर ली,,,,,, और अगले ही पल एक अद्भुत एहसास से पूरी तरह से वह भर गई उसे अब जाकर इस बात का एहसास हुआ कि मर्दों को औरतों की चूची पीने में क्यों इतना मजा आता है क्योंकि आज पहली बार वह इस अनुभव से गुजर रही थी पहली बार वह किसी स्त्री की चूची को मुंह में भरकर उसे पीने का सुख भोग रही थी और वास्तव में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह पागल हुए जा रही थी अब जाकर उसे इस बात का अहसास हुआ कि क्यों उसका पति रविकुमार और उसका भांजा सुरज उसकी चूची को दोनों हाथों से पकड़ पकड़ कर बारी-बारी से मुंह में लेकर पीते हैं,,,,


और अब रुपाली उसी अनुभव को पूरी तरह से अपने एहसास में डुबो लेना चाहती थी,,,,, रुपाली की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह एक औरत के जिस्म से खेल रही थी उसकी संतरे जैसी चूची को बारी-बारी से मुंह में लेकर पीना शुरु कर दी,,, वह अपने भांजे के अनुभव को अपनी ननद पर उतार रही थी जिस तरह से सुरज उसकी चुचियों को दबाते हुए मुंह में लेकर उसकी छुहारे को पीता था उसी तरह से वह भी अपनी ननद की चूची को बारी-बारी से मुंह में लेकर उसके छुआरे को पी रही थी,,,, और इस सुख को प्राप्त करते हुए मंजू के मुंह से गरमा गरम सिसकारियां फुट रही थी,,,।


सहहहह आहहह भाभी,,,आहहहहह ऊमममम ,,,ऊहहहहह,,,(अपनी भाभी की हरकत की वजह से खटिया पर मंजू कसमसा रही थी,,,, अंगड़ाई ले रही थी,,,, उसके बदन में हलचल मच रही थी रुपाली पूरी तरह से अपनी ललित की जवानी पर छा चुकी थी,,,, एक औरत के अंगों से कैसा सुख मिलता है आज रुपाली को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था,,,, औरत की नरम नरम चुचियां मर्दों को कितना ज्यादा उत्तेजित करती है आज रुपाली को भी अच्छी तरह से एहसास हो रहा था,,, रुपाली अपनी ननद की चुचियों को चाट चाट कर मुंह में लेकर पी पीकर उसे टमाटर की तरह लाल कर दी थी और मंजू उसके नीचे दबी सिर्फ गरम आहें भर रही थी दोनों की बुर से पानी टपक रहा था दोनों पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी,,, कुछ देर तक रुपाली इसी तरह से मजा लेती रही,,, लेकिन वह भी चाहती थी कि मंजू भी उसकी चूची को मुंह में लेकर पीए,,, इसलिए वह मंजू के ऊपर से उठी और अपने ब्लाउज को उतारने लगी जो कि पहले से ही मंजू ने अपने हाथों से उसके ब्लाउज के बटन खोल दी थी,,,, देखते ही देखते रुपाली अपने ब्लाउज को उतार कर खटिया के नीचे फेंक दे कमर के ऊपर भाभी नंगी हो गई उसके खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी चूचियों को देखकर,,, मंजू के मुंह में पानी आने लगा वह भी अपनी भाभी की बड़ी बड़ी चूची को मुंह में लेकर पीने के लिए ललचाने लगी,,,, हालांकि वह एक औरत की चूची को पीने के सुख से वंचित बिल्कुल भी नहीं थी,,,, लेकिन,,,,

जिसकी चूची पीने का मजा हुआ है ले चुकी थी उसकी चूची उसकी ही तरह संतरे की तरह थी उसकी भाभी की तरह खरबूजे की तरह नहीं थी इसलिए वह अपनी भाभी की बड़ी बड़ी चूची का मजा लेना चाहती थी उसे पीने का उसे दबाने का उसके घर में एहसास में खो जाने का पूरी तरह से आनंद लेना चाहती थी इसलिए इस बार वह उठी और अपनी भाभी की दोनों चूची को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे खटिया पर लेटाने लगी,,,, देखते ही देखते रुपाली की पीठ के बल लेट गई और मंजू पूरी तरह से इस खेल को अपने हाथों में लेते हुए उसकी खरबूजे जैसी चूची को दोनों हाथों में पकड़ कर दबाते हुए उसके छुहारे को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दी,,,,


भाभी और ननद दोनों मस्ती के सागर में गोते लगा रहे थें,, मंजू आज पूरी मस्ती से अपनी भाभी की चूची को पीने में लगी हुई थी अपनी सहेली के साथ इस तरह से मजा नहीं आया था जितना उसे अपनी भाभी के साथ आ रहा था उसकी बुर पानी फेंक रही थी कमर के ऊपर दोनों भाभी और ननद नंगी ही थी,,,, दूध पिलाने का मजा रुपाली अच्छी तरह से ले रही थी,,, अब तक रुपाली यह सुख केवल अपने पति और अपने भांजे को ही देती थी,,, लेकिन आज उसने यह शुभ अवसर अपनी ननद को दे रखी थी और उसकी ननद इस अवसर का पूरा फायदा उठाते हो अपनी भाभी को पूरी तरह से मस्त कर दे रही थी और खुद भी इसका मज़ा ले रही थी,,,, उत्तेजना के मारे मंजू रह रह कर अपनी भाभी की चूची की किसमिस के दाने को दांतों से काट ले रही थी जिससे रुपाली का उन्माद और ज्यादा बढ़ जाता था और वह गरमा गरम सिसकारी लेने लगती थी उसके मुख से लगातार गरमा गरम सिसकारी की आवाज आ रही थी जिसको इस समय खड़ी दुपहरी में मंजू के सिवा सुनने वाला और कोई नहीं था,,,,

अपनी भाभी की मादक सिसकारियां की आवाज को सुनकर वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,,,, हालांकि उसके हथेली में रुपाली की बड़ी-बड़ी चूचियां ठीक से समा नहीं पा रही थी लेकिन फिर भी वह पूरा प्रयास करके अपनी भाभी की खरबूजे जैसी चूची को हथेली में लेकर जोर-जोर से दबाते हुए उसे मुंह में लेकर पी रही थी,,,,, उत्तेजना के मारे रुपाली की बुर पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी,,,,,,,,, गहरी गहरी सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को अपनी ननद के सर पर रख कर उसे अपनी चूची पर दबा रही थी और जितना हो सकता था उतना मुंह में लेकर मंजू अपनी भाभी की चूची को पी रही थी,,,

दोपहर का समय था ऐसे में सब लोग गर्मी के समय में अपने घर में समय व्यतीत कर रहे थे और भाभी और ननद दोनों घर में मस्ती कर रहे थे वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि इस समय घर में कोई आने वाला नहीं है इसलिए आप बेफिक्र होकर एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए एक अलग ही एहसास का मजा ले रहे थे,,,, रुपाली यह बात नहीं जानती थी कि मंजू अपनी सहेली के साथ मजा ले चुकी है इसलिए उसे कुछ ज्यादा ही अनुभव है उसे ऐसा लग रहा था कि वह खुद इस खेल की शुरुआत की है इसलिए इस खेल में वह पूरी तरह से इस खेल का वर्चस्व अपने हाथों में लेकर जमे रहना चाहती थी लेकिन मंजू पहले से ही मदहोश होकर अपने आनंद को बढ़ाना चाहती थी इसलिए अपनी भाभी की चूची से कुछ देर तक खेलने के बाद वह उसकी चूची को छोड़कर उसकी साड़ी की गिठान खोलने लगी और जैसे ही रुपाली को इस बात का एहसास हुआ उसके बदन में हलचल सी होने लगी उसका वजन कसमस आने लगा,,,, देखते ही देखते मंजू अपनी भाभी की साड़ी की गठान को खोलकर उसे खोलना शुरू कर दी रुपाली अपनी ननद को बिल्कुल भी रोक नहीं रही थी वह जल्द से जल्द अपनी ननद के हाथो नंगी हो जाना चाहती थी,,,, देखते ही देखते मंजू जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी भाभी की साड़ी को उतारकर खटिया के नीचे फेंक दी अब केवल वहां पेटीकोट में ही थी,,,,,

मंजू अपनी भाभी की मदमस्त कर देने वाली जवानी को देखकर आंहे भर रही थी उसके मुंह में पानी आ रहा था वह जल्द से जल्द अपनी भाभी की रसीली बुर के दर्शन बेहद नजदीक से करना चाहती थी,,, इसलिए अपनी भाभी की आंखों में देखते हुए वह अपनी भाभी के पेटीकोट की डोरी को दोनों हाथों से पकड़ ली रुपाली अपनी नजरों को अपनी पेटीकोट की तरफ करके अपनी ननद की हरकत को बारीकी से देख रही थी वह भी चाहती थी कि जल्द से जल्द मंजू उसके पेटीकोट को उतारकर उसे नंगी कर दें और जैसे कि मंजू अपनी भाभी की आंखों में नंगी होने की जल्दबाजी को पढ़ ली थी और अगले ही पल वह एक झटके में अपनी भाभी की पेटीकोट की डोरी को खींचकर हल्दी और पेटीकोट कमर पर एकदम ढीली हो गई,,,,,, दोनों के बीच नाम मात्र का वार्तालाप हो रहा था दोनों एक दूसरे की आंखों में ही पढ़ ले रहे थे,,,,,।

अपनी भाभी को नंगी देखने की उत्सुकता मंजू की आंखों में साफ झलक रही थी इसलिए मंजू अपने दोनों हाथों का सहारा लेकर अपनी भाभी की पेटीकोट को पकड़कर नीचे की तरफ खींचने लगी और मौके की नजाकत को समझते हुए रुपाली अपनी भारी-भरकम गोल-गोल कहां को हल्कै से उठाकर अपनी ननद को पेटीकोट उतारने में मदद करने लगी,,, और अगले ही पल मंजू भी जल्दबाजी दिखाते भी अपनी भाभी की पेटीकोट को एक झटके से खींच कर उसके पैरों से निकाल कर अलग कर दी और पलक झपकते ही रुपाली खटिया के ऊपर एकदम नंगी हो गई,,,, अपनी भाभी की गोरी जवानी और वह भी एकदम नंगी यह नजारा देखकर मंजू की आंखें फटी की फटी रह गई थी वह आज बेहद करीब से अपनी भाभी के नंगे बदन को देख रही थी जो कि ऐसा लग रहा था कि बड़े फुर्सत से तराशा हुआ था,,,, अपनी भाभी के नंगे बदन को देखकर मंजू के मुंह के साथ-साथ उसकी बुर में भी पानी आ रहा था,,,,

रुपाली उत्तेजित अवस्था में गहरी गहरी सांसे ले रही थी और उसकी सांसों के साथ उसकी खरबूजे जैसी चूची ऊपर नीचे हो रही थी उसकी मोटी मोटी जांघें खटिया पर फैली हुई थी,,,,

लेकिन अभी भी उसकी बुर उसकी दोनों जांघों के बीच छुपी हुई थी जिसे मंजू अपने हाथों से खोलते हुए उसके दर्शन करके एकदम धन्य होते हुए अपने होंठों पर जीभ फिराने लगी मंजू की हरकत को देखकर रुपाली के तन बदन में आग लग गई उसकी बुर में चीटियां रेंगने लगी उसे इस बात का एहसास हो गया कि,,, मंजू कुछ गजब करने वाली है इसलिए वह थोड़ा सा और अपनी दोनों टांगों को खोल दी,,,

जिससे उसकी ननद को उसकी बुर एकदम साफ दिखाई दे यह पहला मौका था जब रुपाली एक औरत को अपनी बुर दिखा रही थी अपना नंगा बदन दिखा रही थी और ऐसा करने में उसे अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था उसको भूल से लगातार मदन रस का रिसाव हुआ था जिसे उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और मदन रस उसकी गांड के छेद को गीला कर रहा था,,,,,, और मंजू थी की आंखें फाड़े अपनी भाभी की नंगी बुर को देखी जा रही थी उससे यह उत्तेजना सहन नहीं हो रही थी और अगले ही पल वह अपनी भाभी की मोटी मोटी जांघों को दोनों हाथों से पकड़ कर उस पर अपने प्यासे होठ रख दी,,,

अपनी ननद के लाल लाल होठों को अपने गुलाबी छेद पर महसूस करते ही रुपाली उत्तेजना के मारे सिहर उठी उसके बदन में कंपन होने लगा वह पूरी तरह से मस्त हो गई और अगले ही पर हो तुरंत अपना हाथ अपनी ननद के सर पर रख कर उसे दबा दी और मंजू पागलों की तरह अपनी भाभी की बुर को चाटना शुरू कर दी,,,,, अपनी भाभी की मदमस्त रसीली बुर चाटने का एहसास मंजू को पागल किए जा रहा था अपनी सहेली की बुर को चाटने का वह स्वाद चख चुकी थी लेकिन जो मजा उसे अपनी भाभी के साथ आ रहा था वह मजा उसे अपनी सहेली के साथ बिल्कुल भी प्राप्त नहीं हुआ था हालांकि मजा उस वक्त भी उसे बहुत आया था लेकिन आज की तुलना में उसे लग रहा था कि वह मजा आज की मजा के आगे फीका ही था,,,,,।

पहली बार रुपाली एक औरत से अपनी बुरटवां रही थी अपने भांजे और अपने पति के द्वारा तो वह यह सुख रोज ही प्राप्त कर रही थी लेकिन आज का दिन कुछ खास था आज एक औरत से बुर चटाई का पूरा आनंद ले रही थी और इसमें उसे बहुत मजा भी आ रहा था,,, उत्तेजना के मारे रुपाली अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा ली थी जिससे उसके बड़ी बड़ी गांड कमर से ऊपर की तरफ उठ गई थी और मंजू भी उसकी दोनों मांसल पिंडलियों अकेला अपनी दोनों हथेली से पकड़कर उसे हवा में उठाई हुई थी और उसकी बुर को चाटने का मजा ले रही थी ,,,,।

सहहहह आहहह मंजू मेरी प्यारी ननद तू तो मुझे पागल कर देगी रे,,,आहररर मैं कभी सोच ही नहीं थी कि औरत औरत में इतना ज्यादा मजा आता है तूने तो मेरी बुर में आग लगा दी है,,,,आहहहह पूरी जीभ अंदर डालकर चाट,,,आहहहरह,,,


क्या भाभी पति और भांजे से ज्यादा मजा मिल रहा है क्या,,,,

हारे तो बहुत मजा दे रही है मैं तो कभी सोचा ही नहीं थी कि तू इतने काम की है,,,आहहहहहहहह,,,,(उन्मादीत स्वर में रुपाली मस्त होते हुए बोल रही थी,,,,, अपनी भाभी की बात सुनकर,,,, मंजू पूरे जोश के साथ अपनी भाभी की बुर चाट रही थी उसकी मलाई चाट रही थी और ऐसा करने में उसे भी बहुत मजा आ रहा था दोपहर के समय खटिया पर दोनों ननद और भाभी दंगल खेल रहे थे दोनों को भरपूर मजा आ रहा था मंजू अपनी जीभ की हरकत से अपनी भाभी को संपूर्ण सुख दे रही थी,,,, मंजू की जीभ कभी बोर के अंदर जा रही थी तो कभी बाहर आ रही थी और कभी बुर के चकोर उभरे हुए भाग पर घूम रही थी,,,, उत्तेजित अवस्था में रुपाली की बुर फुल कर कचोरी की तरह हो चुकी थी जिसका मजा मंजू बराबर ले रही थी,,,,

लेकिन एक औरत की बुर चाटने का शौक रुपाली भी लेना चाहती थी उसके मन में भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि एक औरत की बुर चाटने का आनंद कैसा होता है क्योंकि आज तक यह सुख केवल देती आ रही थी लेकिन आज मंजू को देखकर उसकी बुर चाटने का मन हो गया था इसलिए कुछ देर तक अपनी दोनों टांगों को हवा में उठाए हुए यह सुख अपनी ननद को देती रही लेकिन थोड़ी देर बाद वह आसन बदलने लगी,,,,,, मंजू भी समझ गई थी कि उसकी भागी उसकी बुर चाटने चाहती है इसलिए वह खुद ही अपने हाथों से अपनी सलवार की डोरी खोल कर उसे उतारकर एकदम नंगी हो,,, गई,,,,,, और खटिया पर पीठ के बल लेट गई जो क्रिया मंजू कर रही थी उसी क्रिया को करने के लिए रुपाली तैयार हो चुकी थी अपने हाथों से अपनी मेहनत की दोनों टांगों को खोलते हुए वह उसकी बुर को देखने लगी और उसकी बुर को अपनी हथेली से दबाते हुए बोली,,,,।


हाय मेरी ननद रानी इसी‌ बुर में मेरे भांजे का लंड लेती थी ना,,

हां भाभी तेरा भांजा बहुत मजा देता था अपना मोटा लंड इसी में डालकर चोदता था मेरी बुर पानी पानी कर देता था बहुत मजा देता था भाभी,,,,ओहहहहह भाभी,,,(अपनी ननद की बात सुनकर रुपाली अपनी हथेली में कसकर उसकी बुर को दबा दी रुपाली पूरी तरह से जोश में भर गई और अगले ही पल अपने दोनों हाथों से अपनी ननद की दोनों टांगों को खोलकर उसकी बुर पर अपने होंठ रख दी,,, यह पहला मौका था जब रुपाली एक औरत की बुर पर अपने होंठ रख दी थी ऐसा करने से बुर की मादक खुशबू उसके नथुनों में जा रही थी,,,, उस मादक खुशबू के कारण रुपाली पूरी तरह से मदहोश हो गई,,,, और पागलों की तरह उसकी गुलाबी बुर को चाटना शुरू कर दी,,,, उत्तेजना के मारे रुपाली पागल हो जा रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था जो औरत की बुर चाटने में जो है ना दूसरे प्राप्त हो रहा था इस बात से उसे ज्ञात होगा कि वाकई में मर्दों को औरत की बुर चाटने में कितना मजा आता होगा,,,,, गहरी गहरी सांस लेते हुए रुपाली अपनी जीभ को,,, अपनी ननद की बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दी और थोड़ी ही देर में अपने भांजे की हरकत दिखाते हुए वहां अपनी एक उंगली को अपनी ननद की बुर में डालकर उसे अंदर बाहर करते हुए उसकी बुर को चाटने का आनंद लेने लगी देखते ही देखते दोनों को बहुत मजा आ रहा था लेकिन रुपाली का मन धक्के लगाने को कर रहा था जैसे कि मर्द औरत की बुर में लंड डालकर धक्के लगाते हैं उसी तरह से रुपाली भी अपनी ननद की बुर में धक्के लगाना चाहती थी लेकिन इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि धक्के लगाने के लिए लंड की आवश्यकता होती है जो कि उन दोनों के पास नहीं था हम दोनों के पास केवल मर्दों को गर्म करने वाली चीज थी और वह थी बुर,,,

लेकिन रुपाली अभी जानती थी कि बुर से बुर को रगड़ने का भी एक अलग आनंद होता होगा और उसी सुख को प्राप्त करने के लिए थोड़ी ही देर में रुपाली मर्दों की तरह मंजू की दोनों टांगों को फैला कर उसके ऊपर इस तरह से चल गई जैसे एक मर्द औरत के ऊपर चढ़ता है और देखते ही देखते वह अपनी बुर अपनी ननद की बुर से रगड़ना शुरु कर दी,,,,

अपनी भाभी की हरकत से मंजू पूरी तरह से मस्त हो गई वह सोचे भी नहीं थे कि उसकी भाभी उसे इतना मस्त कर देखी अपनी बुर से उसकी बुर रगड़ कर पूरी तरह से दोनों गर्म हो चुके थे,,,, वह दोनों एक दूसरे में इतना मगन हो गए थे कि पूरी दुनिया को भूल गए थे और इस बात को भी भूल गए थे कि एक दूसरे के अंगों से मजा लेने के चक्कर में वह लोग दरवाजे को बंद करके कड़ी लगाना भूल गए थे और सुरज दोपहर के समय घर पर आ चुका था वह धीरे से दरवाजा खोला तो अंदर से आ रही आवाज को सुनकर वह पूरी तरह से चौक गया वह इस आवाज को अच्छी तरह से जानता था इसलिए उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी और वो धीरे धीरे अंदर कमरे की ओर बढ़ने,,,, लगा और जैसे ही वह घर के अंदर पहुंचा तो सामने के नजारे को देखकर दंग रह गया उसकी आंखों के सामने उसकी मामी और मौसी दोनों एकदम नंगी होकर मजे ले रहे थे उसकी मामी उसकी मौसी पर चढ़ी हुई थी और मर्दों की तरह हरकत करते हुए अपनी बुर की ठोकर मंजू की बुर पर मार रही थी और दोनों पूरी तरह से मदहोश हो जाए थे,,,, यह देखकर सुरज का लंड तुरंत खड़ा हो गया एक साथ दो दो मदमस्त कर देने वाली औरत को नंगी देख कर भला किसका लंड खड़ा ना हो जाए,,,,, अब तो ऐसा लग रहा था कि एक साथ सुरज दोनों की चुदाई करके मस्त हो जाएगा और यही सोच कर उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी और वह पजामे के ऊपर से अपने लंड को मसलते हुए बोला,,,,।)

बाप रे तुम दोनों तो मेरी जान ले लोगी,,,,।


(इतना सुनते ही दोनों एकदम से चौंक गई,,, आवाज की दिशा में देखे तो वहां पर सुरज खड़ा था और उसे देखकर दोनों एकदम से घबरा गए,,,,)
 
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सुरज ने जो नजारा अपनी आंखों से देखा था उसे देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था,,, वह कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसकी आंखों के सामने ऐसा नजारा भी देखने को मिलेगा,,,,,,,,

अपनी मामी की मस्ती को देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो गया था खटिया पर अपनी हि ननद की दोनों टांगे फैलाकर वाह मर्दों जैसी हरकत कर रही थी लेकिन भले ही रुपाली के पास मर्द वाला अंग नहीं था लेकिन जिस तरह से वह अपनी कमर हिला रही थी दोनों की जाने और बुर आपस में रगड़ खा रही थी उससे वैसे ही आवाज आ रही थी जैसे कि एक मर्द और औरत के बीच की क्रिया में आती है इसीलिए तो सुरजइस नजारे को देखकर पूरी तरह से गनगना गया था,,,,


दोनों भाभी और ननद एक दूसरे के बदन की मस्ती में इस कदर हो रही थी कि उन दोनों को इस बात का अहसास नहीं था कि बाहर दरवाजे पकड़ी नहीं लगी हुई है और उन दोनों को तब तक एहसास नहीं हुआ जब तक कि वहां पर सुरज आकर खड़ा भी हो गया था लेकिन जैसे ही उसकी आवाज सुनी वह दोनों बुरी तरह से घबरा गए,,,, खटिया पर एक साथ दो दो नंगी जवानी को देखकर सुरज के लंड को खड़े होने में बिल्कुल भी देरी नहीं लगी वह पूरी तरह से अपनी औकात में आ गया था आखिरकार अपने सपनों की रानी दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत को नंगी जो देख लिया था और वह भी अपनी मौसी के साथ अपनी मामी की नंगी नंगी गांड उसकी हरकत अपनी मौसी के नंगे बदन और उसकी मदमस्त कर देने वाली चूची और उसकी गर्मागर्म सिसकारी की आवाज सुनकर सुरज पूरी तरह से मस्त हो गया था,,,,,

जितना सुरज मस्त हुआ था उससे भी कहीं ज्यादा मस्ती के सागर में दोनों भाभी और ननद डुबकी लगा रहे थे तभी तो सुरज के आने का उन दोनों का अहसास तक नहीं हुआ और जैसे ही उन दोनों के कानों में सुरज की बात गई वह दोनों एकदम से घबराते हुए सुरज की तरफ देखने लगे,,,,।


हाय मेरी रानी तुम दोनों तो मेरी जान ले लोगी,,,।
(सुरज का इतना कहना था कि रुपाली और मंजू दोनों की सांसे सूख गई दोनों सुरज की तरफ देखकर एकदम से घबरा गई थी,,,, उन दोनों इस तरह की अवस्था में थे कि अपने आप को छुपा भी नहीं सकती थी दोनों का नंगा बदन डालो की आंखों के सामने चमक रहा था,,,,, और ऐसा भी नहीं था कि दोनों सीधी-सादी थी दोनों संस्कारी थी दोनों सुरज का लंड अपनी बुर में लेकर मस्त हो चुकी थी,,,, लेकिन एक दूसरे के सामने एकदम से घबरा गए थे,,,, सुरज इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि वह अपनी मौसी की निगरानी में ही अपनी मामी की चुदाई कर चुका था लेकिन इस बात को रुपाली जानते हुए भी जानबूझकर अनजान थी वह सुरज से ऐसा जता रही थी कि उसे पता नहीं है कि उसके और उसके मौसी के बीच कुछ चल रहा है,,,, चाहे जो भी हो सुरज के हाथ में एक नहीं दोनों हाथ में घी के लड्डू थे और इस समय वह खटिया पर एक साथ दो दो नंगी औरतों को देखकर पूरी तरह से मस्त हो चुका था इसलिए पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए बोला,,,।

हाय मेरी रानीयो यह क्या कर रही हो तुम दोनों अपनी अपनी बुर पर ऐसा जुर्म क्यों कर रही हो और वह भी मेरे होते हुए,,,, मुझे बुला ली होती दोनों की बुर में अपना लंड डालकर तुम दोनों की गर्मी शांत कर देता,,,,



मममम,,, मुझे मालूम नहीं था कि तू आ जाएगा,,,(रुपाली एकदम से घबराते हुए और खटिया के नीचे हाथ ले जाकर अपनी साड़ी को उठाने की कोशिश करने लगी लेकिन तभी अपना पैर अपनी मामी की साड़ी पर रखकर बोला,,)

अच्छा ही हुआ मामी तुम्हें नहीं मालूम था कि मैं आ जाऊंगा,,, नहीं तो ऐसा खूबसूरत है दिल से मैं देख नहीं पाता,,,,


ततत तु जा सुरज मुझे शर्म आ रही है,,,,


अब शर्म कैसी अब तो सब कुछ हम तीनों की आंखों के सामने हैं हम तीनों एक दूसरे के राज को जानते हैं,,,, तुम मैं यह जानती हो कि मैं मौसी को चोदता हूं और मौसी यह जानती है कि, मैं तुम्हें जानता हूं तुम दोनों जानते हो कि तुम दोनों मुझसे चुदवाते हो और मैं तुम दोनों की बराबर चुदाई करता हूं फिर शर्म कैसी अब तो खुलकर मजा लेने का समय आ गया है क्योंकि बहुत ही जल्द मौसी की शादी हो जाएगी और वह अपने ससुराल चली जाएगी ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा,,,,


तततत तू कहना क्या चाहता है,,,,,?


यही और इतना कहने के साथ ही अपनी मामी और मौसी की आंखों के सामने जो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया रुपाली सुरज के खड़े लंड को देखकर पूरी तरह से मस्त होने लगी ,,,, रुपाली जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव कुछ देर पहले कर रही थी उसे देखते हुए उसका मन सुरज के लंड को पकड़ कर उसे मुंह में लेने को कर रहा था लेकिन अपनी ननद के सामने उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,,, रुपाली की आंखों में सुरज के लंड को देखकर वासना भरी प्यास नजर आ रही थी और यही प्यास मंजू की आंखों में भी नजर आ रही थी सुरज को तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी एक साथ दो दो बुर में लंड डालने का मौका मिल चुका था,,,,, वो धीरे से आगे बढ़ा और खटिया के करीब खड़ा हो गया खटिया के एक तरफ रुपाली बैठी थी और दूसरी तरफ मंजू दोनों के बीच खड़े होकर सुरज अपने लंड को पकड़कर हिलाते हुए बोला,,,,।

मामी तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है आज मैं तुम्हें एहसास को दूंगा ऐसा मजा दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगे आज मैं चाहता हूं कि तुम दोनों की एक साथ लूं,,,,,


मैं कुछ समझी नहीं,,,,(रुपाली आश्चर्य जताते हुए बोली तो बीच में मंजू बोल पड़ी)

अरे भाभी तुम्हारा भांजा हम दोनों की बुर एक साथ चोदने के लिए बोल रहा है,,,

क्या,,,?(एकदम आश्चर्य से अपने मुंह पर हाथ रखते हुए बोली)

तो क्या मैं तुम्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं तुम दोनों की एक साथ प्यास बुझा पाऊंगा कि नहीं बुझा पाऊंगा,,,,

(रुपाली सुरज की तरफ आश्चर्य से देखते हुए,,,,,
लेकिन मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं की और ना ही कभी इस बारे में सोच ही हूं और मुझे नहीं मालूम कि ऐसा होता भी होगा कि नहीं होता होगा,,,,)

बहुत कम होता है मामी जिसके लंड में दम होता है वही इतना दमखम दिखा सकता है एक साथ दो दो औरतों को,,,,,
(सुरज की बात सुनकर रुपाली मंजू की तरफ देखने लगी तो मंजू बोली,,,)

ले लो मजा भाभी मेरे साथ मिलकर आखिरकार बहुत ही जल्दी मेरा शादी हो जाएगा और मैं अपने घर चली जाऊंगी फिर यह सुख कहां मिलने वाला है,,,,,

लेकिन एक साथ दो दो औरत को,,,,


तुम्हें सुरज के लंड पर विश्वास नहीं है क्या तुम्हें तो सुरज के लंड पर गर्व होना चाहिए,,,,, इस बात को तो तुम समझ ही गई होगी कि तुम्हारे भांजे के लंड में कितना दम है,,,, तुम्हें पता ही होगा कि तुम्हारी बुर की क्या हालत करता है तुम्हारा भांजा भैया से ज्यादा मजा देता है ना,,,


(मंजू की बात सुनते ही रुपाली एकदम से शर्मा गई,,,, वह अभी भी शर्मा कर अपनी बड़ी बड़ी छातियों को अपने दोनों हथेली से छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी अपनी मौसी की बात को सुनकर और अपनी मामी की आंखों में शर्म देखकर सुरज के तन बदन में आग लगने लगी और अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मामी की छातियों से उसके दोनों हाथों को पकड़कर अलग करते हुए बोला)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं मेरे लंड में इतना दम है कि तुम दोनों को दो दो बार पानी निकाल सकता हूं बिना झड़े,,,,, बस तुम दोनों मेरे लंड को बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर एकदम गिला कर दो,,,,

(सुरज की बात सुनकर वह फिर से शर्म के मारे मंजू की तरफ देखने लगी तो मंजू भी आंख से ही सारा करके उसे आगे बढ़ने के लिए बोल रही थी रुपाली के लिए बेहद शर्मनाक स्थिति हो गई थी लेकिन उसे मजा भी बहुत आ रहा था वह कभी सपने में नहीं सोचा कि कि उसे इस तरह के हालात से गुजरना होगा अपनी ही ननद के साथ मस्ती करते हुए उसका ही भांजा उसे रंगे हाथ पकड़ लेगा और अपनी मनमानी करने पर उतारू हो,,,, जाएगा,,,,

सुरज अपनी मामी की तरफ देख रहा था उसकी आंखों में शर्म और उत्तेजना दोनों साफ नजर आ रही थी सुरज कई औरतों की संगत में आ चुका था इसलिए वह अपनी मामी के मन की बात को अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मामी भी मज़ा लेना चाहती थी बस अपनी ननद के सामने शर्मा रही थी और उसके इसी शर्म को दूर करते हुए,,,, सुरज अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मामी की चूची को पकड़ लिया और उसे दबाते हुए बोला,,,,।)

शरमा ओ मत मजा लो आज देखना कि एक मर्द दो दो औरत को कैसे चोदता है कैसे एक की बुर में लंड डालकर उसे निकाल कर दूसरे की बुर में डालता है,,,,,
(सुरज के द्वारा स्तन वर्धन और उसकी गरमा गरम बातें सुनकर रुपाली के तन बदन में आग लग रही थी वह भी इस खेल को खेलने के लिए उत्सुक हुए जा रही थी,,,, सुरज और मंजू दोनों एक साथ तीन लोगों का मजा ले चुके थे लेकिन रुपाली अपवाद थी रुपाली इस सुख के बारे में कभी सोचा ही नहीं थी उसे तो इस बात का पता भी नहीं था कि दो औरत और एक मर्द मिलकर चुदाई का खेल खेलते भी है,,,, उसे तो बस यही मालूम था कि एक औरत और एक मर्द ही इस खेल में होते हैं इसीलिए तो आज सुरज की बात सुनकर वह पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी मंजू जो कि इस तरह के खेल का मजा ले चुकी थी और वह भी अपनी ही भतीजी के साथ आज उसे फिर मौका मिला था कि अपनी भाभी के साथ वही सुख के अनुभव को दोहराए और अपनी भाभी की झिझक को दूर करने के लिए मंजू खुद आगे बढ़ी हो अपने भतीजे के लंड को उसकी मामी की आंखों के सामने ही पकड़ कर उसे हिलाते हुए अपनी भाभी की तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोली,,,,)

भाभी मुझे तुम्हारे भांजे पर पूरा विश्वास है पूरा भरोसा है कि वह अपने लंड से हम दोनों की गर्मी को शांत कर देगा,,,,,
(अपनी ननद की बात को सुनकर उसके होठों पर मुस्कान आती इससे पहले ही उसकी आंखों के सामने ही मंजू सुरज के लंड को मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दी यह देखकर रुपाली पूरी तरह से गनगना गई उसके बदन में कंपन होने लगा,,,, रुपाली‌ यह देखकर पूरी तरह से हैरान हो गई थी कि उसकी आंखों के सामने ही उसके लेने दो उसके भांजे के कंधों पर बेशर्मी से पकड़ कर उसे मुंह में भर कर चूस रही थी यह नजारा बेहद उत्तेजनात्मक‌ था,,,, रुपाली इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि सुरज अपनी ही मौसी की चुदाई करते हैं लेकिन आज अपनी आंखों से देख कर वह पूरी तरह से मदहोश हो गई थी शायद वह पूरे गांव में पहली औरत थी जो सुरज के लंड को अपनी आंखों के सामने अपनी ही ननद के मुंह में देख रही थी,,,,,।



क्या नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था इस नजारे में एक अद्भुत नशा था जो कि इस नजारे को देखकर इस नजारे का नशा रुपाली की आंखों में एकदम साफ नजर आ रहा था रुपाली की आंखो में खुमारी छाने लगी थी,,, मंजू जो की पूरी तरह से छिनार हो चुकी थी वह अपने मुंह में से अपने भतीजे के लंड को निकाल कर उसे पकड़ कर उसके गरम सुपाड़े को अपनी भाभी की तरफ बढ़ाने लगी यह हरकत मंजू की तरफ से अपनी भाभी को आमंत्रण था इस खेल में शामिल होने के लिए और रुपाली भला इस आमंत्रण को कैसे ठुकरा सकती थी इस आमंत्रण को स्वीकार करने के सिवा उसके पास और कोई रास्ता नहीं था और वह तुरंत आगे बढ़ी और घुटनों के बल बैठकर अपनी भांजे के लंड को उसके शुरुआती छोर से पकड़ कर अपने गोरी गोरी गाल पर उसके सुपाड़े को रगडने लगी,,,,,

रुपाली के बदन में अजीब सी मस्ती छा रही थी और सुरज अपनी मामी की हरकत को देखकर मदहोश हुआ जा रहा था मैं पागल हुआ जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने लंड को अपनी मामी के मुंह में डाल देना चाहता था लेकिन वह अपने आप को रोते हुए था वह देखना चाहता था कि उसकी मामी अब क्या करती है,,,,

रुपाली सुरज की मर्दाना ताकत के आगे पूरी तरह से शिथिल हुए जा रही थी वह कमजोर पड़ रही थी वह जानती थी कि सुरज के लंड को देखकर वह अपने काबू में नहीं रहे पाती और इसीलिए वह अपनी ननद की आंखों के सामने ही बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए सुरज की आलू बुखारा की तरह गोल गोल सुपाड़े को अपने लाल-लाल होठों पर रगड़ना शुरु कर दी,,,, एहसास सुरज के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रहा था वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था घर के आंगन में मामी भांजा और मौसी तीनों नग्न अवस्था में जवानी का मजा लूट रहे थे रुपाली घुटनों के बल बैठ कर सुरज के लंड से खेल रही थी और सुरज अपना एक हाथ अपनी मामी की चूची पर तो दूसरा हाथ अपनी मौसी की चूची पर रखकर से जोर जोर से दबा रहा था एक साथ सुरज संतरे और खरबूजे दोनों का मजा ले रहा था,,,,,


सुरज इतने जोर जोर से अपनी मामी और मौसी की चूची को दबा रहा था कि दोनों के मुंह से दर्द भरी कराह निकल जा रही थी,,,, लेकिन फिर भी सुरज की हरकत से भाभी और ननद दोनों मस्त थे दोनों खुश थे दोनों को बहुत मजा आ रहा था और दोनों की बुर पानी छोड़ रही थी,,,, देखते ही देखते रुपाली सुरज के लंड को मुंह में लेना शुरू कर दी,,, ऐसा पहली बार नहीं था वह कई बार सुरज के लंड से इस तरह से खेल चुकी थी लेकिन आज अपनी मेहनत की उपस्थिति में वह कुछ ज्यादा ही चुदवासी हुए जा रही थी उसके बदन में कुछ ज्यादा ही मस्ती छा रही थी,,,,, और देखते ही देखते रुपाली सुरज के पूरे लंड को अपने गले तक उतार कर चलना शुरू कर दी यह देखकर उत्साहित होते हुए मंजू बोली,,,)


वाह सुरज वाह तुमने तो कमाल कर दी सुरज के लंड को अपने गले तक ले ली हो कितना मजा आ रहा है,,,,ऊमममममम,,,,,,,,,
(अपनी मौसी की बात सुनकर सुरज बोला)

तुम किस इंतजार में हूं मौसी तुम भी तो कुछ करो,,,,

(फिर क्या था इतना सुनते ही मंजू थोड़ा और आगे बढ़ी और अपने होठों पर लंड के नीचे की तरफ ले जाने लगी और देखते ही देखते मंजू सुरज के फुले हुए अंडकोष को चाटना शुरु कर दी,,,,)

आहहहह गजब,,ऊफफ,,,, बहुत मजा आ रहा है मौसी बहुत मजा आ रहा है,,,आहहहह ऐसे ही आहहहहहह,,,,
(सुरज पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगा था क्योंकि आज पहली बार किसी ने उसके गोटों को जीभ लगा कर जाता था और उसके गोटे भी पूरी तरह से उत्तेजना में पूरे हुए थे मानो की रबड़ का गेंद हो,,,,, लंड को मामी चूस रही थी और अंडों को मौसी दोनों मिलकर सुरज के रस को नीचोड़ने में जी-जान लगाए हुए थे,,,, सुरज के हाथों में अब कुछ भी नहीं था वह अपना सब कुछ अपनी मामी और अपनी मौसी को सौंप दिया था और उसकी मामी और मौसी अपनी हरकत से उसे पूरी तरह से मस्त कर दे रहे थे,,,, सुरज और ज्यादा मजा लेना चाहता था इसलिए एक कदम पीछे आ गया और यह देख कर मामी और मौसी दोनों आगे की तरफ झुक गई और ऐसे में पीछे से उन दोनों की गांड हवा में लहराने लगी जिसे देखकर सुरज के तन बदन में आग लगने लगी और वह अपनी मामी के मुंह में अपना लंड देकर धीरे-धीरे कमर ही रहता हुआ अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ झुक कर अपनी मामी और मौसीकी दोनों की गोल गोल गांड पर हथेली रखकर उस पर चपत लगाने लगा,,,। जैसे ही रुपाली और मंजू दोनों की गोरी गोरी गांड पर चपत पड़ी वैसे ही दोनों के मुंह से आह निकल गई,,,,।

आहहहह ,,,,,,,,,


क्या हुआ मेरी रंडीयो,,,, मजा आ रहा है दोनों छिनार को,,,आहहहह अब देखना मेरा कमाल,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज जोर-जोर से दोनों की गांड पर एक साथ चपत पर चपत लगाने लगा देखते ही देखते दोनों की गोरी गोरी गांड तरबूज की तरह लाल लाल हो गई,,,,,

अपनी मामी की गोरी गोरी गांड को लाल होते हुए देखकर सुरज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वह अपनी मामी के मुंह को ही उसकी बुर समझ कर अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाने लगा,,,,, मंजू तुरंत उठकर खटिया के दूसरी तरफ चली गई और घुटनों के बल खटिया के नीचे बैठकर अपनी भाभी की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़कर उसे फैलाते हुए उसके गुलाबी छेद को देखने लगी,,,,, और अगले ही पल अपनी जीभ को उसकी बुर पर रखकर चाटना शुरू कर दी जिसमें से मदन रस का बहाव लगातार हो रहा था,,,, अब रुपाली के लिए हालात बिगड़ ना शुरू हो गए थे एक तरफ सुरज का लंड था और दूसरी तरफ उसकी ननद की प्यासी जीभ जो कि बार-बार उसके मंजू छेद में अंदर तक चली जा रही थी,,,,, रुपाली की प्यास बढ़ने लगी थी वह पागल हुए जा रही थी,,,,,

सुरज लगातार अपनी कमर हिला कर अपनी मामी के मुंह की चुदाई कर रहा था,,, उसे अपनी मामी के मुंह में अपनी मोटे लंड को अंदर बाहर करने में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसकी मामी अपने लाल-लाल होठों का कसाव सुरज के लंड पर बढ़ा देती थी जिससे सुरज को अपनी मामी के लाल लाल होठों के बीच उसकी बुर जैसा ही मजा मिल रहा था,,, दूसरी तरफ मंजू पूरी तरह से अपनी भाभी की बुर पर छा चुकी थी वह पागलों की तरह अपनी भाभी की बुर को चाट रही थी उसके मदन रस को अपनी जीभ से चाट कर गले के अंदर गटक रही थी,,,


दोपहर के समय लोग अपने अपने घरों में आराम कर रहे थे लेकिन रुपाली सुरज और अपनी ननद के साथ जवानी का मजा लूट रही थी,,,, कुछ देर तक सुरज अपनी मामीके मुंह में लंड को इसी तरह से पेलता रहा रुपाली पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुकी थी,,,,, अब सुरज अपनी मामी की बुर को चाटना चाहता था अपनी मौसी की आंखों के सामने उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी गुलाबी बुर पर अपनी जीभ लगाकर उसके मदन रस को चाटना चाहता था,,,, इसलिए अपने लंड को अपनी मामी के मुंह में से बाहर निकाला और बोला,,,, बस बस मेरी रानी बहुत सेवा कर ली अब मुझे सेवा करने का मौका दो,,,,।

(रुपाली गहरी गहरी सांस लेते हुए सुरज की तरफ देख रही थी सुरज अपनी मामी की आंखों में देखकर मस्त हुआ जा रहा था और अपनी मामी की नंगी चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दबाते हुए बोला)

तुम दोनों छिनार खटिया पर अपनी अपनी गांड मेरे तरफ करके झुक जाओ,,,,, अपने तुम दोनों की बुर की सेवा करूंगा,,,,,

(इतना सुनकर रुपाली के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और सुरज की बात मानते हुए खटिया पर ही घुटनों के बल बैठ कर अपनी गांड को खटिया पर बैठे-बैठे ही हवा में ऊपर की तरफ उठा दी और मंजू भी धीरे से खटिया पर बैठकर अपनी गांड को अपने भतीजे के सामने कर दी,,,,, अब सुरज की आंखों के सामने एक नहीं दो दो खूबसूरत गांड की गोल गोल मादकता से भरी हुई,,,, जवानी के नशा में सरोबोर ,,,,आहहहह आज तो बहुत मजा आने वाला है,,,,,, आज तुम दोनों की गांड से जी भर कर खेलूंगा,,,,(पर इतना कहने के साथ ही सुरज फिर से अपनी मामी की गांड के साथ-साथ अपनी मौसी की गांड पर जोर जोर से चपत लगाने लगा,,,, अपनी मामी की गांड पर चपत लगाते हुए उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,, क्योंकि दोनों के मुंह से एक साथ आह निकल जा रही थी और इस आहा को और गरमा-गरम सिसकारी को इस समय इस खड़ी दोपहरी में घर के अंदर सुनने वाला उसके सिवा और कोई नहीं था,,,,, सोचा था कि अच्छा हुआ कि आज वह बैल गाड़ी लेकर नहीं गया वरना आज वह स्वर्ग का सुख भोग नहीं पाता,,,,,

सुरज अपने लंड को हाथ में लिए अपनी मामी की गांड के साथ-साथ अपनी मौसी की गांड को देख रहा था वह दोनों की गांड की खूबसूरती को देखकर समझ नहीं पा रहा था कि किसकी गांड से शुरुआत करें लेकिन वह इस बात को भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी की गांड की तरह किसी और की गांड खूबसूरत है ही नहीं इसलिए बहुत ही जल्द वह अपनी मामी की कहानी अपनी मामी की गांड के आगे घुटनों के बल बैठ गया और उसकी गुलाबी छेद को प्यासी नजरों से देखते हुए अपने होठों को उसको करीब ले जाने लगा जिसमें से मदन रस की बूंद नीचे टपकने वाली थी,,,, और जैसे ही रुपाली के गुलाबी छेद में से मदन रस की बूंद उसके मदन रस के गुच्छे में से टूटकर बुंद बनकर नीचे जमीन पर गिरने ही वाली थी कि सुरज ने तुरंत उस बेशकीमती मोती के दाने की तरह चमकती हुई बूंद को अपने होठों पर ले लिया और उसे जीभ से चाट कर अंदर कर लिया,,,,,

एक औरत की बुर से टपकती हुई उसके काम रस की कीमत को एक मर्द ही समझ सकता है जिसके लंड में दम होता है जो अपने लंड के दम पर औरत की सिसकारी छुड़ा देता है और वह दमखम सुरज के लंड में था इसीलिए तो वह अपनी मामी की बुर से टपकने वाली काम रस की कीमत को अच्छी तरह से समझता था जो कि दूसरा कोई ढेर सारा पैसा खर्च करने के बावजूद भी प्राप्त नहीं कर सकता था इसलिए सुरज अपनी मामी की बुर से निकलने वाले काम रस की बूंद को जाया नहीं होने देना चाहता था इसलिए वह तुरंत अपने होठों को उस पर लगाकर उस बूंद को अमृत की बूंद समझकर अपने अंदर ले लिया था जिससे उसे ज्यादा जोश और ताकत मिल रही थी वह अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड की दोनों आंखों को दोनों हथेली में भरकर फैलाते हुए अपनी मामी के गुलाबी छेद को चाटना शुरू कर दिया जिसमें नमकीन काम रस भरा हुआ था और से चाट कर वो खुद मस्त होने लगा मंजू नीचे सर झुका कर सुरज की हरकत को देख कर मस्त हो रही थी और अपने नंबर का इंतजार कर रही थी अपने पारी का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हुए उसे रहा नहीं जा रहा था और वह बार-बार अपने गांड को इधर-उधर हिला रही थी जिसे देखकर सुरज से भी रहा नहीं जा रहा था और वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मौसी की गांड पकड़कर उसे सांत्वना दे रहा था कि बस थोड़ी देर में तुम्हारा नंबर भी आने वाला है,,,,,।


कुछ देर तक अपनी मामी की बुर से खेलने के बाद सुरज घुटनों के बल अपनी मौसी की तरफ आगे बढ़ा है और अगले ही पल उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके गुलाबी छेद को चाटने शुरू कर दिया,,,, यह देखकर रुपाली को तो आनंद प्राप्त हो रहा था लेकिन यह देखकर एक औरत होने के नाते उसके अंदर जलन भी हो रही थी क्योंकि यही वह नहीं चाहती थी कि उसका भांजा उसकी मौसी पर इतना ध्यान दें वह चाहती थी कि उसका भांजा केवल उसी को प्यार करें उसके बदन से खेलते और उसे जी भर कर चुदाई का सुख दे,,,,,

सुरज को मंजू की बुर में खोया हुआ देखकर रुपाली अपने आप खटिया पर से नीचे उतरी और,,,, सीधे अपनी ननद की आंखों के सामने जाकर खड़ी हो गई मंजू अपने भतीजे से अपनी बुर चटाई का मजा ले रही थी,,,, अपनी जीभ की करामत दिखाकर जिसे सुरज नानखटाई बना दिया था,,,, अपनी आंखों के सामने मोटी मोटी जांघो को देखकर मंजू की उत्सुकता बढ़ गई और अपनी नजर उठाकर देखी तो उसकी नजर ठीक है अपनी भाभी की बुर पर गई जो की कचोरी की तरह खुली हुई थी मंजू अच्छी तरह से जानती थी कि अब उसे क्या करना है इसलिए अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर वह अपनी भाभी की दोनों मोटी मोटी जांघों को पकड़ ली रुपाली की पूरी तरह से मदहोश और उत्सुक थी इसलिए थोड़ा सा नीचे झुक कर अपनी बुर को अपनी ननद की आंखों के सामने करते और मंजू अपनी जी बाहर निकाल कर अपनी भाभी की बुर को चाटना शुरू कर दी यह देख कर सुरज का भी जोश बढ़ने लगा होगा अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मामी के दोनों दशहरी आम को पकड़ लिया और उसे जोर-जोर से दबाकर उसका रस निकालने लगा,,,,,

तीनों बहुत मजा ले रहे थे तीनों के बदन में नशा छा रहा था तीनों अपने अपने तरीके से मस्त हो चुके थे मंजू और रुपाली की बुर जल्द से जल्द सुरज के लंड के लिए तरस रही थी,,,,, रुपाली तो पूरी तरह से आंखों को बंद किए हुए अपनी कमर को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी ननद से अपनी बुर चटवा रही थी अपनी मामी की मस्ती और खुमारी देखकर सुरज से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वह तुरंत अपने लंड को किसी की भी बुर में डाल देना चाहता था और इस समय उसके लंड के बेहद करीब सिर्फ उसकी मौसी की बुर थी जो कि पानी छोड़ रही थी और सुरज तुरंत खड़ा हुआ और,,,, सीधा अपनी मौसी की बुर में एक झटके में लंड उसके बच्चेदानी तक घुसे विद्या एकाएक हुए इस हमले से मंजू अपने आप को बचाना ही पाई और उसके मुंह से चीख निकल गई,,,।

हाय दैया मर गई रे,,,,,
(इतना सुनते ही रुपाली की आंखें जो की मस्ती से मुंदी हुई थी वो एकदम से खुल गई,,, और वह अपनी आंखों के सामने के दृश्य को देखकर एकदम से दंग रह गई उसका भांजा एकदम बेशर्मी दिखाते हुए उसकी आंखों के सामने ही अपनी मौसी को चोदना शुरु कर दिया था रुपाली यह सब देख रही थी कि सुरज की आंखों में बिल्कुल भी शर्म और हया नहीं थी वह एकदम बेशर्म हो चुका था और शायद उसके बेशर्म होने में ही इतना मजा था कि जो आज वह अपने पति को भूल कर सुरज से चुदवाती थी,,, रुपाली के तन बदन में आग लग गई वह चाहती थी कि उसका भांजा पहले अपने लंड को उसकी बुर में डाले लेकिन मामला उल्टा पड़ चुका था,,,,

सुरज अपनी मौसी को चोद रहा था और उसकी मौसी एकदम मस्त हुए जा रही थी लेकिन लगातार अपनी भाभी की बुर को भी चाट रहे थे जिससे रुपाली की भी हालत खराब होती जा रही थी रुपाली अपनी बुर को अपनी ननद के मुंह से लगाए हुए आगे की तरफ झुकी और सुरज के लंड को बड़े आराम से अपनी ननद की बुर में अंदर बाहर होता है वह देख रही थी,,,,,

रुपाली से रहा नहीं जा रहा था और वह अपनी एक टांग खटिया पर रखकर आगे की तरफ झुक कर बेशर्मी दिखाते हुए अपना हाथ सुरज के लंड पर रख दिया और उसे पकड़ कर अपनी ननद की बुर में लंड को अंदर बाहर करने में मदद करने लगी जो कि बड़े आराम से सुरज यह क्रिया को कर रहा था लेकिन बुर में घुसते हुए लंड को पकड़ने में जो मजा रुपाली को प्राप्त हो रहा था ऐसा मजा उसने आज तक नहीं ली थी,,,,,

रुपाली साफ तौर पर देख पा रही थी कि उसके भांजे ने मंजू को चोद चोद कर उसकी मंजू बुर का मुंह खोल दिया था,,,, धीरे-धीरे रुपाली को मज़ा आने लगा था रुपाली कभी सुरज का लंड को पकड़ती तो कभी अपने हाथ को सुरज के नितंबों पर रखकर उसे शाबाशी देते हुए बोलती,,,।

शाबाश बेटा और जोर से फाड़ दे अपनी मौसी की बुर को,,,(और यह सुनकर सुरज का लंड और ज्यादा टन्ना जाता था और बड़ी रफ्तार के साथ मंजू की‌ बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,, रुपाली से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह भी सुरज का लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी लेकिन उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वो धीरे से खटिया पर से अपने पैर को नीचे करें और अपनी बुर को अपनी ननद के मुंह से हटाते हुए,,, अपनी गांड मटकाते हुए जाने लगी तो यह देखकर सुरज बोला,,,,)

कहां चली मेरी छम्मक छल्लो,,,,,


अभी मुत कर आई मेरे राजा,,,,(इतना कहते हुए इतराते हुए और अपनी बड़ी बड़ी गांड को मटकाते हुए वह आंगन के कोने में जाने लगी धूप में उसका गोरा बदन और ज्यादा चमक रहा था और जी सदा से वह आगे बढ़ रही थी उसे देखकर सुरज के लंड में एक नशा सा छा रहा था सुरज से रहा नहीं जा रहा था और वह अपनी मौसी की गांड को पकड़कर कस कस के धक्के लगाते हुए बोला,,,)

जल्दी आ मेरी रानी तेरी ‌बुर का मजा लेना है या तेरे बुर की भोसड़ा बना दूंगा,,,,, जल्दी आ छिनार,,,,।

(रुपाली सुरज की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी वह सुरज की तरफ देख कर उसे और ज्यादा उत्तेजित करते हुए अपने दोनों हाथों को अपनी गोल-गोल गांड पर रखकर मसल रही थी आज उसे सुरज के मुंह से इस तरह की गाली और ज्यादा अच्छी लग रही थी और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी उसका भांजा उसे छिनार कह रहा था रंडी कह रहा था लेकिन एक गाली में भी एक अलग मजा था जो रुपाली अपने अंदर महसूस कर रही थी और उत्तेजित हुई जा रही थी सुरज लगातार अपनी मौसी की बुर में धक्का लगाता हुआ अपनी मामी को ही देख रहा था एक पल के लिए भी अपनी नजर को हटाया नहीं था क्योंकि अपनी मौसी को चोदने से भी ज्यादा मजा उसे अपनी मामी को नंगी देखने में आ रहा था उसे पेशाब करते हुए देखने में आ रहा था और उसकी आंखों के सामने ही देखते देखते रुपालीर सुरज की ओर देखते हुए,,,,

अपनी टांगें छितरा कर बैठ गई और पेशाब करने लगी सुरज ईस नजारे को देखकर पागल हुआ जा रहा था अगले पर उसके कानों में अपनी मामी की बुर से निकलने वाली पेशाब की धार की आवाज साफ सुनाई देने लगी और उस आवाज में इतनी मादकता इतना नशा छुपा हुआ था कि सुरज से बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,,, सुरज की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए,,,, उसकी तरफ देखकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को सहला रही थी मानो कि जैसे उसे कह रही हो कि दम है तो मेरी प्यास बुझा कर दिखा,,,,
लेकिन सुरज भी पीछे हटने वाला नहीं था वह इस मुकाबले के लिए पूरी तरह से तैयार था,,,,

एक तरफ मामी भांजे की जवानी का जोश और दूसरी तरफ मंजू अपनी बुर में अपने भतीजे के मोटे लंड के धक्के को सहन नहीं कर पा रही थी,,,, ऐसा नहीं था कि आज पहली बार मंजू अपने भतीजे के लंड को अपनी बुर में ले रही थी लेकिन आज उसका भतीजा कुछ ज्यादा ही जोर लगाकर उसकी चुदाई कर रहा था उसका आनंद हर बार उसके बच्चेदानी से टकरा जा रहा था और वह चीख उठ रही थी,,,,,

थोड़ी ही देर में रुपाली आंगन के कोने में बैठकर पेशाब करने के बाद उठ कर खड़ी हो गई और पेशाब करके सुरज की तरफ घूम कर अपनी बुर जिस पर अभी भी उसके पेशाब के बहुत लगी हुई थी उस पर हथेली रखकर उसे रगड़ने लगी यह देखकर सुरज बोला,,,,।


अरे भोसड़ा चोदी वही खड़ी खड़ी मुझे तड़पाएगी या आकर मुझे देगी भी,,,,


तेरे लिए ही तो तैयार कर रही हुं मादरचोद,,,,(इतना कहने के साथ ही रुपाली सुरज की तरफ आगे बढ़ने लगी और अगले ही पल सुरज के बेहद करीब आकर खड़ी हो गई तो सुरज से सहन नहीं हुआ और वह अपना हाथ उसकी कमर में डालकर अपनी तरफ खींचा और उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख चुसना शुरू कर दिया,,, रुपाली मामी के लाल लाल होठों का रस पीकर वह पूरी तरह से पागल हुआ जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने लंड को रुपाली मामी की बुर में डाल देना चाहता था इसलिए तुरंत उसकी एक टांग को उठाकर खटिया पर रखा और अपने लंड को अपनी मौसी की बुर से बाहर निकालकर सीधे उसकी दिशा बदलते हुए,,,, अपनी मामी की बुर में डाल दिया जो की पूरी तरह से पानी पानी हुई थी एक झटके में ही रुपाली भी सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी बुर की गहराई में ले ली सुरज तुरंत अपनी मामी की गांड को दोनों हाथों से थाम कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया उसे चोदना शुरु कर दिया मंजू की ओर से ज्यादा निकलते ही मंजू चैन की सांस लेते हुए अपनी नजर घुमाकर पीछे की तरफ,,,, देखने लगी वह चैन की सांस ले रही थी लेकिन देख रही थी कि सुरज अपनी मामी की हालत पल भर में खराब कर दिया था वह इतनी जोर जोर से धक्के लगा रहा था कि उसकी मामी का पूरा वजूद ही जा रहा था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां हवा में गीत की तरह चल रही थी वह पागल हो जा रहा था आज जैसे लग रहा था कि उसमे सांड की ताकत आ गई हो वह पागलों की तरह अपनी मामी को चोद रहा था और वह भी खड़े-खड़े,,,,, उसके लाल-लाल होठों का रस पीते हुए,,,, उसे बीच-बीच में गाली भी दे रहा था जो कि रुपाली के जोश को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,,


भोसड़ा चौदी रंडी,,,, देख रंडी आज कैसे में अपने लंड से तेरी बुर का भोसड़ा बनाता हूं छिनार बहुत लंड का शौक है तुझे आज तेरे शौक को पूरा कर दूंगा,,,,आहहहह आहहहह बहुत मजा दे रही है मादरचोद तो क्या मस्त बुरर है तेरी एकदम कसी हुई,,,,

रुपाली‌ भी कहां पीछे रहने वाली थी वह भी सुरज को गाली देते हुए उसके जोश को बढ़ा रही थी,,,


आहहह आहहहह मेरे राजा बेटा तू मेरा भांजा नहीं हो तो मेरा सैया हो गया है मेरा पति हो गया हूं तेरे मामाजी से अच्छा तो तू चोदता है तेरे लोड़े में ज्यादा दम है मादरचोद,,,तु एकदम मादरचोद हो गया है मुझे चोद चोद कर,,, फाड दे मेरी बुर को मादरचोद,,,,आहहहह आहहहहहहह
(माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था सुरज का मोटा तगड़ा लंड खड़े-खड़े उसकी मामी की बुर में बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था खटिया पर पैर रखकर रुपाली बड़े आराम से और जोश के साथ सुरज से चुदाई का मजा लूट रही थी आज उसका भांजा पूरा दम लगा कर उसे चोद रहा था हर धक्के पर उसकी आ निकल जा रही थी और धक्का इतना तेज था कि वह बार-बार लड़खड़ा जा रही थी लेकिन सुरज अपनी मजबूत भुजाओं का सहारा देकर उसे पकड़े हुए था,,, मंजू भी सुरज की चुदाई देखकर पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,,,

उसकी बुर की जलन थोड़ी कम हुई तो वह फिर से अपनी बुर को सहलाने लगी और यह देखकर सुरज अपनी मामी की बुर में से लंड को बाहर निकाला और सीधे जाकर मंजू की बुर में डालकर उसे चोदना शुरु कर दिया,,,,, और मौका देखकर रुपाली खटिया पर जाकर पीठ के बल अपनी दोनों टांगे फैलाकर कुछ देर तक वह अपनी मौसी की बुर में डालने के बाद,,,

दोनों भाभी और ननद को सुरज बराबर का मजा ले रहा था सुरज का लंड कभी मौसी की बुर में तो कभी अपनी मामी की बुर में डालकर हुआ अपनी लंड की ताकत दोनों की बुर को दिखा रहा था,,,, थोड़ी ही देर में मौसी के मुंह से गरमा गरम सिसकारी की आवाज तेज हो गई वह झड़ने के बेहद करीब आ गई थी सुरज उसकी बुर में जी-जान लगाकर अपने लंड को पेल रहा था,,,, और देखते ही देखते मंजू की सांसे ऊपर नीचे होने लगी और अगले ही पल उसकी बुर से मदन रस का फव्वारा फूट पड़ा वह मस्त हो गई एकदम से मदहोश हो गई वो झड़ चुकी थी और थोड़ी देर में सुरज अपनी मौसी की बुर में से अपने लंड को बाहर निकाला और अपने खड़े लंड को जो कि मौसी के काम रस में पूरी तरह से डूबा हुआ था उसे हिलाते हुए अपनी मामी के करीब गया जो की टांग फैला कर लेटी हुई थी,,,,

सुरज अपने लंड से दोनों की बुर को पूरी तरह से प्राप्त कर रहा था और दोनों भाभी और ननद अपने भतीजे और भांजे के लंड को देखकर पूरी तरह से पागल हुए जा रहे थे सुरज के लंड की ताकत ऐसा लग रहा था कि आज कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी,,,, सुरज मंजू की बुर से उसका सारा रस निचोड़ चुका था अब उसकी मामी की बारी थी सुरज तुरंत अपनी मामी की गुलाबी छेद पर लंड का सुपारा रखकर एक करारा झटका मारा और लंड पूरी तरह से उसके बच्चेदानी से जा टकराया रुपाली के मुंह से हल्की सी आने के लिए और सुरज तुरंत उसे अपनी बांहों में भरकर उठा लिया उसे अपनी गोद में उठा लिया रुपाली एकदम हैरान हो गई थी मंजू की आंखें फटी की फटी रह गई थी क्योंकि रुपाली थोड़ा भारी भरकम शरीर वाली थी लेकिन सुरज उसे पूरा दम लगा कर उसे अपनी बांहों में उठा कर उसे अपनी गोद में ले लिया था लंड अभी भी उसकी बुर में घुसा हुआ था,,,,,,

सुरज यह क्या कर रहा है गिरा मत देना,,,

सुरज संभाल कर अपनी मामी को नीचे मत गिरा देना,,,,

मौसी तुम्हें याद है ना तुम्हें ऐसे गोद में उठाकर कितनी बार चोदा हूं,,,, मामी को भी मैं इसी तरह से गोद में उठाकर बहुत बार चोद चुका हूं लेकिन फिर भी यह डर रही है लेकिन अभी इसका डर एकदम दूर कर देता हूं,,,।
(इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी कमर ऊपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया रुपाली पूरी तरह से मस्त होकर अपनी दोनों टांगों को सुरज की कमर पर लपेट ली और सुरज से चुदवाने का मजा लेने लगी सुरज गोद में उठाए हुए आंगन में इधर-उधर घूम घूम कर अपनी मामी को चोद रहा था यह अनुभव रुपाली के लिए बेहद तरोताजा कर देने वाला था वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी रुपाली की सांसे ऊपर नीचे होते ही सुरज समझ गए कि उसकी मामी भी झड़ने वाली है इसलिए वह सीधा ले जा करके उसे दीवाल से हटा दिया और गपा गप अपनी कमर हिला कर अपने लंड को अपनी मामी के अंदर-बाहर करने लगा और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,,,,.

वासना का तूफान पूरी तरह से शांत हो चुका था लेकिन सुरज की गोद में थी और उसकी बुर में सुरज का लंड अभी भी मौजूद था,,,,, दोनों गहरी गहरी सांस ले रहे रुपाली‌ की बुर से काम रस नीचे टपक रहा था और जमीन को गीला कर रहा था,,,,, सुरज आज अपना पूरा मर्दाना ताकत लगाते हुए एक साथ दो दो औरतों को तृप्त कर दिया था और वह भी एकदम जबरदस्त तरीके से सुरज ने धीरे से अपनी मामी को नीचे उतारते हुए लंड पहले उसकी बुर से बाहर निकाला जो कि अभी भी पूरी तरह से टनटनाकर खड़ा था अभी भी इसी अवस्था में भी वह अपनी मामी को दोबारा चोद कर उसका पानी निकालने में सक्षम था लेकिन उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी मामी पूरी तरह से थक चुकी थी उसके माथे से उसके बदन से पसीना चु‌ रहा था,,,, अपनी मामी को गोदी से नीचे उतारते हैं रुपाली बोली,,,)

बाप रे क्या खाया था रे आज,,,,


कुछ नहीं मेरी जान तू है ही इतनी मस्त कि तेरी गांड देखकर ही लंड में जोशना जाता है,,,,


हाय दैया मेरी बुर का भोसड़ा बना दिया,,,(रुपाली अपनी बुर की तरफ देखते हुए और यह देखकर मंजू भी बोली)

सही कह रही हो भाभी सुरज तो आज पागल ही हो गया था,,,, मेरी कमर बड़ी तेज दर्द कर रही है,,,,।
(सुरज अपनी मामी और अपने मौसी की बात सुनकर अपने लंड को हिलाते हुए मुस्कुरा रहा था,,,, रुपाली और उसकी मौसी दोनों आंगन के कोने में गई और वहीं बैठकर पेशाब करने लगी आज सुरज पहली बार दो दो औरतों को एक साथ बैठकर पेशाब करते हुए भी देख रहा था और वह भी जाकर पेशाब करने लगा तीनों के बीच किसी भी प्रकार की शर्म मर्यादा बिल्कुल भी नहीं रह गई थी तीनों आपस में पूरी तरह से खुल चुके थे,,,,,)
 
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काम क्रीडा का अद्भुत खेल मामी भांजे और मौसी तीनों मिलकर खेल चुके थे इस खेल से तीनों को इतना अदभुत सुख प्राप्त हुआ था कि तीनों अपने मुंह से बयां नहीं कर सकते थे,,,,, सुरज के तो भाग्य खुल गए थे घर में ही एक साथ दो दो बुर में अपना लंड डालकर वह पूरी तरह से तृप्त हो चुका था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने घर में अपने घर की औरतों की एक साथ चुदाई करेगा और वह भी अपनी मामी और अपनी मौसी की वैसे तो अपने घर की वह तीन औरतों की चुदाई कर चुका था ,,, अपनी मामी अपनी मामी की लड़की और मौसी तीनों की जमकर चुदाई कर चुका था लेकिन एक साथ दो दो बुर का जो मजा उसे मिला था वह अब तक का सबसे अद्भुत सुख था,,,,,,


घर के आंगन में दो दो जवान नंगी औरत जिस पर चुदाई का सुख प्राप्त करने की होड़ लगी हो ऐसे में दो औरतों की प्यास केवल सुरज ही बुझा सकता था सुरज को अपने लंड पर पूरी तरह से विश्वास और गर्व भी था,,,, वह बारी बारी से अपने लंड की मर्दाना ताकत दिखाते हुए,,, अपनी मामी और अपनी मौसी की बुर में अपना लंड डालकर उन दोनों की गर्मी शांत करके उन दोनों को झाड़ चुका था,,,, तीनों पूरी तरह से मस्त हो चुके थे,,,,

शाम को भोजन बनाते समय दोपहर में हुए अद्भुत खेल का वर्णन करते हुए रुपाली अपनी ननद से बोली,,,

हाय दैया में तो कभी सोच ही नहीं थी कि मेरे भांजे में इतना ज्यादा दम होगा कि वह एक साथ दो दो औरतों की चुदाई करेगा,,,,


मुझे तो पूरा विश्वास था भाभी क्योंकि तुम्हारा तो पहली बार था लेकिन मेरा यह दूसरी बार था पहली बार मैं तुम्हें बताई थी ना,,,, सुरज की बड़ी बहन,,,

हां हां,,,,,(कुछ याद करते हुए)

उसके साथ मिलकर सुरज ने हम दोनों को जमकर चोदा था उस दिन ही मैं समझ गई थी कि सुरज में सांड की ताकत है,,,, लेकिन भाभी सब कुछ तो ठीक है लेकिन तुम्हारी जवानी पर काबू पाना सबकी बस की बात नहीं है सुरज बड़े आराम से तुम्हारी प्यास बुझा देता है यही बहुत बड़ी बात है,,,,,,,



क्यों ऐसा क्या खास है मुझमें की मेरी प्यास कोई नहीं बुझा सकता,,,,(रुपाली रोटिया पकाते हुए इतराते हुए बोली,,)

भाभी कभी अपने आपको आईने में देखें आस-पास के गांव में घूम कर देखिए तुम्हारी जैसी खूबसूरत और जवानी से भरी हुई गदराई औरत कोई और है,,,, तुम्हारी बुर की मोटी मोटी फांके,,,, क्या और कोई मर्द है जो तुम्हारी बुर में लंड डालकर तुम्हारी बुर की प्यास बुझा सकता है भैया का तो देख ही चुकी हो अगर भैया से तुम्हें पूरी तरह से संतुष्टि मिलती तो तुम अपने भांजे की तरफ रुख ना करती यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती होगी तुम्हारे भांजे का लंड भैया से कहीं ज्यादा मोटा और लंबा है तभी तो तुम उसके सामने अपनी दोनों टांगे फैला देती हो,,,,,

(अपनी ननद की बात सुनकर रुपाली शर्म से लाल हुई जा रही थी,,,, और मंजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) देखी नहीं मुझसे ज्यादा तुम अपनी गांड पटक रही थी,,,, सच में पानी तुम कपड़े उतार कर जब नंगी होती हो ना तो कसम से कहती हूं स्वर्ग से उतरी अप्सरा लगती हो तुम्हारे नंगे बदन को देख कर गांव में ऐसा कोई मर्द नहीं होगा जिसका खड़ा ना हो जाए और जिसका लंड तुरंत पानी ना फेंक दे वह तो सुरज है कि हम दोनों की जवानी पर बराबर काबू पाए हुए हैं हम दोनों का पानी निकालने के बाद ही अपना पानी निकलता है,,,, देखी नहीं भाभी सुरज कैसे तुम्हें अपनी गोद में लेकर चोद रहा था और वह भी एक जगह पर नहीं पूरे घर में इधर-उधर घूम घूम कर इसी से उसकी ताकत का अंदाजा लगा सकते हो तुम्हारा शरीर भी भारी-भरकम है लेकिन सुरज पूरी तरह से जवान मर्द है,,,,


चल अब रहने दे इतनी तारीफ करने को तेरी बातों से मेरी बुर फिर गीली हो रही है,,,

क्या हुआ भाभी कहां दूर जाना है कहो तो सुरज को आवाज देकर बुला लो यही रसोई घर में ही तुम्हारी साड़ी उठाकर चोद देगा,,,,,


नहीं नहीं रहने दे,,,,,


भाभी यही सब समझती हो तो यह घर छोड़कर जाने का मन बिल्कुल भी नहीं करता सुरज से इतना मजा मिलता है कि अब मुझे किसी दूसरे मर्द की जरूरत ही नहीं है,,,


अरे पागल है क्या तुझे मां भी सुरज के बच्चे की बनना है क्या,,?

तो क्या हुआ भाभी सुरज में अपनी बहन तुम्हारी बेटी को चोद कर उसे गर्भवती कर दिया है दुनिया की नजर में सुरज उसके बच्चे का मामा होगा लेकिन मैं जानती हूं कि सुरज भाई उसका बाप है तो सोचो कितना मजा आएगा जब मुझे चोद चोद कर सुरज गर्भवती कर देगा,,,,


अरे बुद्धू तब तो सबको पता चल जाएगा कि तेरे पेट में किसी का पाप है क्योंकि तेरी शादी नहीं हुई है ना अगर शादी हुई होती तो सबको यही लगता है कि तेरे पेट में तेरे पति का ही बच्चा है तब किसी को पता भी नहीं चलता कि तेरे पेट में जो बच्चा है वह तेरे भतीजे का ही है समझी,,,,,

ओहहह भाभी यह तो मैं भूल ही गई,,, लेकिन सच कह रही हूं शादी पहले किसी से भी करूंगी लेकिन मां तो मैं सुरज के लंड से ही बनुंगी,,,,

चल अब तब की तब देखेंगे अभी खाना बनाने में मेरी मदद कर अभी तेरे भैया आ जाएंगे,,,,


भाभी भैया को जरा भी एहसास नहीं होता है कि तुम्हारी बुर पहले से ज्यादा ढीली हो गई है,,,, क्योंकि पहले तो भैया के लंड का ही सोचा तुम्हारी बुर में बना हुआ था लेकिन अब तो सुरज का मोटा लंबा लो तो तुम्हारी बुर में जा जाकर तुम्हारी बुर को और फैला दिया होगा,,,,


चल तू मेरी छोड़ अपना ध्यान रखना कहीं सुहाग रात को ही तेरे पति को पता ना चल जाए कि तू मायके में मरवा मरवा कर‌ आई है,,,,

बिल्कुल भी पता नहीं चलेगा भाभी जैसे ही वह अपना लंड मेरी बुर में डालेगा मैं जोर जोर से चिल्लाने लगी उसे ऐसा ही लगेगा कि पहली बार है,,,,

अरे हरामजादी कहां से सीखी तु यह सब,,,(अपनी ननद की बात सुनकर रुपाली अपने होठों पर आई मुस्कान को रोक नहीं पाई और हंसते हुए चिमटा उठा ली उसे मारने के लिए और मंजू भी जोर जोर से हंसने लगी,,,,)

फिर सब रात का खाना खाले सब सो गए,,,,
 
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दुसरे दिन श्याम को सुरज मामी से यह बोला की आज खेतो में थोड़ा काम है,, रात को खेतो में ही रुकूंगा,,,,

रूपाली ने कहा ठीक है और खाने की पोटली सुरज को थमा दी और कहा पर अपना ख्याल रखना,,,
और सुरज खेतो की और निकल गया,,, खाने की पोटली को बाजू में रख कर सुरज खेतो में काम करने चला गया,, खेतो में काम खतम करने में बहुत रात हो गई थी,, और सुरज को जोर की भूख लगी थी तो खाने की पोटली वहापर नहीं थी,, सुरज ने सोचा कि शायद कोई कुत्ता लेकर गया होगा,, तो सुरज घर की और निकल पड़ा,, आज सुरज को भूख ज्यादा लगी थी,, की उससे चला नहीं जा रहा था,,


सुरज गांव के बाजार हलवाई की दुकान पर ग्राहकों के लिए रखे गए बड़े-बड़े पत्थर पर बैठकर थकान को दूर करने लगा। भुक तो बहुत जोरों की लगी हुई थी,,, उससे चला भी नहीं जा अह था,, लेकिन कर भी क्या सकता था इसलिए वहां वहां से उठा और हलवाई के दुकान के पीछे पानी पीने के लिए हेड पंप के करीब चला गया,,, और वह हेड पंप चलाकर पानी पीने लगा,,, हैंडपंप की आवाज से हलवाई की औरत की नींद खुल गई तुरंत उठ कर दुकान के पीछे यह देखने के लिए आ गई कितनी रात को यहां कौन है कहीं कोई चोर तो नहीं है,,,,

कौन है वहां कौन है इतनी रात को इधर आ गया,,, अगर चोरी करने के इरादे से आए हो इस बारे में कभी सोचना भी मत,,,,
(हलवाई की बीवी की आवाज सुनते ही पहले तो सुरज घबरा गया फिर शांत होता हुआ बोला)

मैं हूं उल्का चाची चोर नहीं हूं,,,

(सुरज की आवाज सुनकर हलवाई की बीवी इतना तो समझ गई कि यह आवाज जानी पहचानी थी,,, इसलिए लालटेन को हाथों में लेकर आगे बढ़ने लगी ताकि उजाले में उसका चेहरा देख सके,,, चांदनी रात होने के बावजूद हेडपंप जहां पर था वहां पर बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए थे इसलिए वहां अंधेरा था,,,लालटेन के उजाले में जैसे ही रखो का चेहरा हलवाई की बीवी को नजर आया वैसे ही उसके चेहरे पर से डर के भाव दूर हो गए,,, और वह एकदम शांत स्वर में बोली,,।)

अच्छा तू है,,,दुकान पर आते हुए तुझे देखे तो हूं लेकिन तेरा नाम मुझे मालूम नहीं,,,

सुरज,,,,सुरज नाम है मेरा,,(हेडपंप को अपने हाथों से छोड़ते हुए और अपने हाथ को अपने ही कपड़े से साफ करते हुए बोला)..

इसी गांव के हो,,,

हां यही गांव में ही रहता हूं रविकुमार का भांजा हूं,,

अरे तु रविकुमार का भांजा है,,, अरे तुम्हारे मामा अक्सर यहासे जिलेबी और समोसे लेके जाते है,,, और तुम्हारी मामी तो इस गांव की सबसे खूबसूरत औरत है,,,

हां,,,, लेकिन तुमसे ज्यादा नहीं,,,
(सुरज के मुंह से यह बात सुनते ही वाह एकदम से सन्न हो गई,,, वह पल भर के लिए सुरज को एकटक देखने लगी,,,)

ऐसे क्या देख रही हो सच कह रहे हैं,,, बस थोड़ा सा वजन ज्यादा है लेकिन खूबसूरती और गोराई मे तुम मामी से ज्यादा चटक हो,,,(औरतों को अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना भला कैसे अच्छा नहीं लगता हलवाई की बीवी को भी सुरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ पर बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी वह एतराज जताते हुए बोली,,।)

तुम मुझसे इस तरह की बातें कर रहा है तुझे शर्म लिहाज या डर बिल्कुल भी नहीं है,,,।

सच कहने में कैसा डर हम तो सच कहते हैं यह तो आप पर आधारित है कि आपको अच्छा लगा या बुरा,,, वैसे उल्का चाची कभी आईने में देख कर आपको यह नहीं लगता कि आप अपने पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत है।

(सुरज की बातें सुनकर थोड़ा सोचने के बाद लालटेन को नीचे जमीन पर और अपने दोनों हाथ को कमर पर रखते हुए बोली..)

चल छोड़ ये सब जाने दे लेकिन तू इतनी रात को यहां क्या कर रहा है,,,।


खेतो से काम कर के घर जा रहा था,, लेकिन भूख और थकान के कारण थोड़ा रुक कर पानी पीने का सोचा और यहां आ गया,,


मतलब कि भूखा है,,,
(इस बार सुरज कुछ नहीं बोल पाया,,, सच तो यही था कि उसे जोरों की भूख लगी हुई थी,,।)

और पानी पीकर अपनी भूख मिटाने की कोशिश कर रहा था,,

नाही उल्का चाची मैं बस घर ही जा ही हूं आप आराम करिए,,,

भूखे पेट चला नहीं जाएगा चल मैं तुझे खाना देती हूं,,,

(इस बार सुरज उसकी बात को मानने से इंकार नहीं कर सकती क्योंकि वह जानता था,, हलवाई की बीवी लालटेन उठाकर बोली,,।)

आजा,,,
( हलवाई की बीवी की गदराई जवानी उसके तन बदन में ऊतेजना की चिंगारी फुटने लगी थी,,, और पजामे में उसके सोए हुए लंड में तनाव आना शुरू हो गया था। हलवाई की बीवी लालटेन लेकर एक कदम बढ़ाई थी कि सुरज की नजर उसकी गोल-गोल बड़ी-बड़ी गई थी पड़ गई और वह मदहोश होने देना उसकी मदहोश कर देने वाली नितंबों के आकर्षण में अपना पहला कदम बढ़ाया ही था कि फिर पंप के करीब ढेर सारा कीचड़ होने की वजह से उसका पैर फिसल गया और वह गिर गया,,,,धम्म,,, की आवाज के साथ ही वह नीचे गिर गया और हलवाई की बीवी तुरंत पीछे पलट कर देखें तो रखो नीचे कीचड़ में पीठ के बल गिर गया था,,, सुरज को ईस हालत में देखकर हलवाई की बीवी की हंसी छूट गई,,,, वह जोर-जोर से ठहाके मार के हंसने लगी सुरज को उसकी हंसी बेहद मादक लग रही थी,,,। बल्कि हलवाई की बीवी को हंसता हुआ देखकर वह खुद अंदर से प्रसन्ना हो रहा था,,, फिर वह उससे बोला,,,।

अरे हंसते ही रहोगे या मुझे उठने में मदद करोगी,,,,

हां क्यों नहीं जरूर ,,,,(इतना कग कर वह लालटेन वापस जमीन पर रख दी,,, और आगे बढ़ कर अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर सुरज को उसका हाथ पकड़ने का इशारा कि हालांकि अभी भी वह हंस ही रही थी,,, सुरज का मन बहकने लगा था,, हलवाई की बीवी की गदराई जवानी उसके मन को बहका रही थी,,, सुरज अपना हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई के बीवी के नरम नरम हाथ को अपने हाथ में लेकर कस के पकड़ लिया,,, जैसे ही हलवाई की बीवी का नरम हांथ सुरज के हाथ में आया सुरज को ऐसा महसूस हुआ कि उसके तन बदन में आग लग गई है,,,
उसके तन बदन में जोश बढ़ने लगा था,,, सुरज के मन में शरारत सुझ रही थी,,, उठने के बजाय हल्का सा उठने का नाटक करते हुए हलवाई की बीवी के हाथ को अपनी तरफ हल्के से खींच लिया जिससे हलवाई की बीवी अपने आप को संभाल नहीं पाई और भला भला कर सुरज के ऊपर गिर गई,,,,

चांदनी रात में सुरजएक अद्भुत पल को जी रहा था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह सब सच है क्योंकि हलवाई की खूबसूरत बीवी जो कि भले ही थोड़ी मोटी थी इस समय सुरजकी बाहों में गिरी हुई थी,,, हलवाई की बीवी की गोल गोल बड़ी-बड़ी चूचियां सुरज की छातीयो पे अपना दबाव बनाए हुए थी,, सुरज को पलभर में ही यह एहसास हो गया कि जिस चूची को वहां उस दिन आंखों से कर रहा था वह चुची इस समय उसकी छातियों पर दबी हुई है। इतने मात्र से ही सुरज का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया,,,। जोकि खड़ा होने के बाद सीधा हलवाई की बीवी की टांगों के बीच साड़ी के ऊपर से ही उसके मुख्य द्वार पर ठोकर मारने लगा।। हलवाई की बीवी काफी अनुभवी थी अपनी टांगों के बीच उस चुभती हुई चीज की रगड़ को महसूस करके उसे समझते देर नहीं लगी कि जो चीज उसकी बुर के मुख्य द्वार पर ठोकर मार रही है वह सुरज का लंड ही है,,,

हलवाई की बीवी के तो होश उड़ गए और वह भी इसलिए नहीं की सुरज का लंड सीधे उसकी बुर के मुख्य द्वार पर ठोकर मार रहा था,,, बल्कि इसलिए कि सुरज का लंड उसकी बुर के मुख्य द्वार तक पहुंच कैसे गया और वह भी साड़ी पहने होने के बावजूद भी उसकी ठोकर इतनी अच्छी तरह से उसे महसूस कैसे हो रही थी,,,,,
हलवाई की बीवी का हैरान होना जायज था क्योंकि मोटी शरीर होने की वजह से उसका पेट आगे से निकला हुआ था जिसकी वजह से उसे खुद की नजरों से उसकी बुर कभी नजर नहीं आती थी और जब कभी भी वह अपने पति से चुदवाती थी तो पेट निकले होने की वजह से उसका लंड ठीक तरह से उसकी बुर में घुस भी नहीं पाता था ,,,इसलिए तो वह एकदम से हैरान हो गई थी क्योंकि बिना किसी रूकावट के शुभम का लंड सीधे उसकी बुर के मुख्य द्वार तक पहुंच रहा था,,,,
सुरजके तो होश उड़ गए थे अपने ऊपर भारी भरकम शरीर लिए हुए हलवाई की बीवी पूरी तरह से उसके ऊपर गिरी हुई थी,,, हलवाई की बीवी भी इस तरह से रखो के ऊपर गिर जाने की वजह से वह पूरी तरह से शर्म से लाल हो चुकी थी।अपनी टांगों के बीच अपनी बुर पर सुरजके लंड की ठोकर महसुस करके वह पूरी तरह से उत्तेजित होने लगी थी,,,। उसकी सांसों की गति तेज होने लगी थी ना जाने क्यों सुरजके ऊपर से उसका उठने का मन नहीं हो रहा था सुरजभी अच्छी तरह से जान रहा था कि उसका लंड खड़े होकर सीधे उसकी टांगों के बीच लहरा रहा था।,, आखिरकार वही उसे बोला,,,।

बाप रे आप तो मेरी जान ले लोगी,,, अब ऊठोगी भी या मुझ पर ऐसे ही लेटी रहोगी,,,,(इतना कहते हुए सुरज जानबूझकर अपने दोनों हाथ को उसे उठाते हुए उसे सहारा देने के बहाने हल्के से अपने दोनों हाथों की हथेलियों को उसकी गोलाकार नितंबों पर रखकर हल्कै से उसे दबा दिया। सुरज कि यह हरकत को अपने नितंबों पर महसूस करके उत्तेजना के मारे हलवाई की बीवी पूरी तरह से गनगना गई,,,, वह उठने की कोशिश करने लगी,,,भारी भरकम शरीर होने की वजह से उसे थोड़ी दिक्कत हो रही थी क्योंकि अनजाने में ही वह उसके ऊपर गिर गई थी इसलिए जैसे ही वह थोड़ा सा सुरज के ऊपर से अपने बदन को हटाई उस समय हलवाई की बीवी का बदन ठीक सुरज के ऊपर था,,, और सुरज हलवाई की बीवी को सहारा देते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाकर इस तरह से हलवाई की बीवी को पकड़ लिया जिससे उसकी हथेली में हलवाई की बीवी की चुचियों का आधा आधा हिस्सा आ गया और वह उसे उसको ऊपर की तरफ उठाने लगा वह सारा तो जरूर दे रहा था लेकिन सहारे के नाम पर अपना उल्लू भी सीधा कर रहा था,,, फिर हलवाई की बीवी के अंदर अंदर बड़ी-बड़ी चूचियां सुरज के हथेली में थी और यह एहसास रखो को एकदम उत्तेजना के सागर मिलिए जा रहा था सुरज की इस हरकत से हलवाई की बीवी भी पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,,क्योंकि उसे साफ पता चल रहा था कि सुरज अपनी हथेली में उसकी चूचियों के आधे हिस्से को पकड़कर दबाए हुए था,,,, अगले ही पल हलवाई की बीवी ऊसके ऊपर से उठ गई और अपनी साड़ी को ठीक करने लगी,,,
रखो भी खड़ा हो गया लेकिन वह पूरी तरह से कीचड़ में सन गया था हलवाई की बीवी शर्म के मारे कुछ बोल नहीं रही थी तो सुरज ही बातों के दौर को शुरू करते हुए बोला,,

अच्छा हुआ उल्का चाची आप मेरे ऊपर गीरी वरना आप भी किचड में सन जाती,,,,
(इस बार फिर से हलवाई की बीवी के होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,,।)

चल अंदर आ जा मैं तुझे कपड़े देती हूं बदल लेना,,,।
(इतना कहकर हलवाई के बीवी लालटेन उठाकर आगे आगे चलने लगी और सुरज उसकी मटकती गांड को देखते हुए उसके पीछे पीछे चलने लगा.)



चांदनी रात में गांव का माहौल और भी ज्यादा खूबसूरत और खुशनुमा हो चुका था,,,हलवाई का घर गांव के बाहर था इसलिए यहां पर चारों तरफ सन्नाटा था और चारों तरफ खेत ही खेत नजर आ रहे थे,,, सुरज के मुंह से अपने लिए खूबसूरती के चार अल्फाज सुनकर,, हलवाई की बीवी का मन डोलने लगा था,,,, और उस पर उसका सुरज के ऊपर गिर जाना और अपनी टांगों के बीच में उसके लंड की ठोकर का अनुभव करना कुल मिलाकर हलवाई की बीवी की हालत खराब कर चुका था,,,। वैसे भी हलवाई की बीवी शारीरिक रूप से संतुष्ट बिल्कुल भी नहीं थी हालांकि इस और उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं जाता था क्योंकि दिन भर काम ही इतना लगा रहता था कि अपने बारे में सोचने की उसे फुर्सत नहीं थी और जब कभी भी हलवाई और उसकी बीवी के बीच में संभोग क्रिया स्थापित होने को होती भी थी तो हलवाई की मोटी तोंद और हलवाई की बीवी का बाहर निकला हुआ पेट दोनों के बीच में अड़चन बन जाते थे,,,


जिससे हलवाई ठीक तरह से अपनी बीवी की चुदाई नहीं कर पाता था लेकिन मर्द होने के नाते उसका तो उसकी बीवी की रसीली बुर के अंदरूनी हिस्से पर और बाहर की रगड़ से गरम होकर अपना पानी निकाल देता था लेकिन प्यासी रह जाती थी उसकी बीवी,,, क्योंकि रात भर अपनी हथेली से ही अपनी गरम बुर पकड़ कर अपने आप को ठंडा करने की कोशिश करती रहती थी,, शारीरिक संबंध बनाने में उसका मोटापा उसके लिए श्राप युक्त बन गया था उसे अपना मोटापा बिल्कुल भी पसंद नहीं था लेकिन जिंदगी में पहली बार वह इस जवान होते लड़के के मुंह से अपने लिए खूबसूरती के दो शब्द सुनी थी पहली बार वह सुरजके मुंह से अपने मोटापे की खूबसूरती की तारीफ सुनकर गदगद हो गई थी।
हलवाई की बीवी और उसके पीछे सुरज कमरे में प्रवेश किया कमरा क्या था चारों तरफ कच्ची दीवार ही थी और मिट्टी के खपड़े से उसकी छत छाई हुई थी। अंदर एक कोने में खाट बिछी हुई थी। जिसके चादर पर सिलवटें पड़ी हुई थी जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि हलवाई की बीवी इसी पर सो रही थी। घर के बीच में एक छोर से दूसरे छोर तक रस्सी बंधी हुई थी और उस रस्सी पर जरूरत के कपड़े टंगे हुए थे। हलवाई की बीवी दीवार में एक खील लगी हुई थी जिसमें वह लालटेन को टांग, दी,, लालटेन की लौ ज्यादा होने की वजह से पूरे घर में रोशनी बनी हुई थी। सुरजअंदर तो आ गया था लेकिन दरवाजे के पास ही खड़ा था और दरवाजा अभी भी खुला हुआ था। उसके सारे कपड़े कीचड़ में सने हुए थे। हलवाई की बीवी इधर-उधर घूम कर एक तोलिया ढुंढ रही थी,,,। और तोलिया ढूंढने में इस कोने से उस कोने चक्कर काट रही थी,,, जिधर जिधर हलवाई की बीवी जा रही थी उधर उधर सुरज की नजरें भी घूम रही थी इस तरह से रात के समय गांव से बाहर एक ही कमरे में एक खूबसूरत गदराए बदन की मालकिन के साथ खड़े रहने में सुरजके तन बदन में जवानी के सोले भड़क रहे थे,,,

बार-बार सुरज की नजर न लगाए की बीवी के हर एक अंग पर घूम रही थी ज्यादा मोटी होने की वजह से उसकी चूचियां भी काफी बड़ी बड़ी थी और साथ ही उसके नितंबों का घेराव बेहद उन्मादक था,, कुल मिलाकर यह सब सुरज के तन बदन में आग लगा रही थी,,,सुरजकी हालत खराब हो रही थी उसकी पहचान है मैं उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था जिससे उसके पजामे में तंबू सा बन गया था,,,और कुछ देर पहले ही जिस तरह से हलवाई की बीवी उसके ऊपर पूरी तरह से पसर गई थी,,, उसी हालात का फायदा उठाते हुए सुरज जिंदगी में पहली बार किसी औरत के बड़े-बड़े नितंबों को अपने हाथ से छुआ था,,, और साथ ही अपने लंड के कड़क पन को उसकी टांगों के बीच के मुख्य द्वार पर ठोकर मारते हुए महसूस किया था,,, यह सब सोचकर ही सुरज की हालत खराब हो रही थी,,,।

तभी हलवाई की बीवी के हाथ तोलिया लग गया और वह तोलिया सुरजको थमाते हुए बोली,,।

ये लो अपने सारे कपड़े उतार कर इसे लपेट लो,,, और गंदे कपड़े को पानी में भिगोकर उसे रस्सी पर टांग दो।
(सुरज उसके हाथ से तोलिया ले लिया और एक टक उसके खूबसूरत चेहरे को देखने लगा,, हलवाई की बीवी की भी नजर सुरजकी नजरों से टकरा गई,,,सुरजके इस तरह से देखने में ना जाने कैसी कशिश थी कि वह एकदम से शर्मा गई और झट से अपनी नजरें मुस्कुराते हुए फेर ली और बोली।

जल्दी से आ जाओ मैं खाना लगा देती हूं,,,।
(सुरज को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें यह औरत इतनी रात को घर में तुम अकेली है और ऐसे में एक जवान लड़के को अपने ही घर में बुलाकर उसे खाना खिलाने जा रही है और वह भी सीधे-सीधे उसे अपने कपड़े उतार कर लड़का होने के लिए भी कह रही है भले ही तो लिया लपेटने की औपचारिकता बता रही है लेकिन जिस तरह से वह बोली के अपने सारे कपड़े उतार कर तोलिया लपेट लो,,, इससे उत्तेजना के मारे सुरज का पूरा बदन गनगना गया था,,,

सुरज के तन बदन में जवानी के शोले भड़क रहे थे उसे ऐसा लग रहा था कि आज कुछ नया होने वाला है वह मन ही मन भगवान को मना भी रहा था कि आज की रात उसे जवानी का मजा चखने को मिल जाए,,, सुरज और हलवाई की बीवी के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह थी कि उसका घर गांव से दूर था अगर गांव में होता तो अब तक सुरज को आते जाते कोई ना कोई तो देख ही लेता,,, और जीस जगह पर हलवाई की बीवी रहती थी ,,, यहां पर भेड़ियों का उपद्रव कुछ ज्यादा ही था,,, इसलिए अंधेरा होते ही यहां पर गांव वाले भटकते भी नहीं थे,,,। सुरजअभी भी उसी तरह से तोड़ दिया हाथ में पकड़े खड़ा था तो हलवाई की बीवी खाना निकालते निकालते बोली,,।)

शर्मा मत कपड़े बदल ले,, यहां पर तेरे और मेरे सिवा कोई और नहीं है,,,। (हलवाई की बीवी की बातें सुनकर सुरजके तन बदन में कुछ-कुछ हो रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि हलवाई की बीवी की यह सब बातें उसकी तरफ से दी जाने वाले इशारे को समझे या इसका मतलब कुछ और है,,, सुरज भी कम नहीं था उसका तो काम ही था आए दिन और तो और लड़कियों को झांकना,,, उसका मन बार-बार यही कह रहा था कि तू भी तो यही चाहता था कि किसी औरत के साथ ओ सब कुछ हो जो एक मर्द और औरत के बीच में होता है आज जब सब कुछ होने का अंदेशा लग रहा है तो इतनी झिझक क्यों,,, अपनी मन की बात को मानते हुए सुरजअपने गंदे कपड़ों को निकालने लगा,,, एक औरत के सामने कपड़े उतारने में ना जाने क्यों उसे शर्म महसूस हो रही थी,, क्योंकि सुरज पक्के तौर पर नहीं कह सकता था कि यह औरत क्या चाहती है,,, यह भी हो सकता है कि यह औरत उसके हालात पर तरस खाकर ऊसे खाना दे रही है या ये भी हो सकता है कि ईस औरत के मन में गंदे ख्याल आ रहे हो,,,।

धीरे-धीरे अपने कपड़े उतार रहा था एक-एक करके अपने शर्ट के बटन को खोल रहा था,,, हलवाई की बीवी के मन में कोई गंदा विचार बिल्कुल भी नहीं था,,, सुरज अकेला भूखा प्यासा उसके द्वार पर बैठा हुआ था इसलिए उसे उसके ऊपर तरस आ गया था और उसके मुंह से निकले हुए तारीफ के शब्द सुनकर वह पूरी तरह से सुरजसे खुश हो गई थी लेकिन उसकी तरफ आकर्षित बिल्कुल भी नहीं थी,,


वह खाना निकाल चुकी थी और वहीं बैठकर सुरज के वहां आने का इंतजार कर रही थी,,, सुरज अपना शर्ट उतार कर वही पानी भरे बाल्टी में डाल दिया,,,शर्ट के ऊपर जाने से सुरज का चौड़ा सीना साफ नजर आने लगा जो कि लालटेन की रोशनी में चमक रहा था,,, सुरजके ऊपर हलवाई की बीवी की नजर गई तो वह उसके बांके शरीर को देखकर अपनी नजरों को उस पर से हटा नहीं सकी,,, सुरज बार-बार हलवाई की बीवी की तरफ देख ले रहा था और उसे अपनी तरफ देखता हुआ पाकर शर्म से नजरें झुका ले रहा था,, उसके पहचाने में तंबू बना हुआ था लेकिन वह ना जाने क्यों अपने तंबू को दिलवाई की बीवी की नजरों से बचा नहीं रहा था।। वह अपने पजामे में बने तंबू को बिल्कुल भी छुपा नहीं रहा था,,,,

अभी तक हलवाई की बीवी की नजर उसके चौड़ी छाती पर ही गई थी लेकिन जैसे ही सुरज अपने पजामे को उतारने के लिए अपने पजामे की डोरी को खोलने लगा तब जाकर हलवाई की बीवी की नजर उसके पजामे में बने तंबू पर पड़ी,, और उस अद्भुत तंबू को देखकर वह एकदम से दंग रह गई,,, उसे समझते देर नहीं लगी की उसका लंड पूरी तरह से खड़ा है,,, वह शर्म के मारे अपनी नजरें नीचे झुका ली,,, उसे अब जाकर समझ में आया कि कहीं वह जवान लड़के को आधी रात में अपने घर में पनाह देकर गलती तो नहीं कर दी,,, सुरज थोड़ा बेशर्म होता जा रहा था। जिस तरह से हलवाई की बीवी शर्मा कर अपनी नजरों को फेर ली थी उसे देखते हुए सुरज की हिम्मत बढ़ने लगी थी ना जाने क्यों उसके मन में इस समय अपने खड़े लंड को उसे दिखाने की सुझ रही थी,, वह दूसरी तरफ अपना मुंह करके अपने कपड़े उतार सकता था लेकिन वह ऐसा नहीं किया वह इस तरह से खड़ा था कि जहां से हलवाई की बीवी को उसका सबकुछ नजर आता,,,


धीरे-धीरे सुरज अपने पजामे की डोरी को खोल दिया,,, दूसरी तरफ हलवाई की बीवी की दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी जिस तरह का पजामे में तंबू बना हुआ था उसे देखते हुए उसे इतना तो समझ में आ ही गया था कि सुरजके पजामे के अंदर उसका हथियार बड़ा ही है। ना चाहते हुए भी उसकी नजर बार-बार सुरजके ऊपर चली जा रही थी,,, उसके मन में भी सुरजके लंड को देखने की लालसा देखने लगी थी और सुरज जानबूझकर अपने लंड को हलवाई की बीवी को दिखाना चाहता था,,, दोनों तरफ का माहौल धीरे-धीरे गरमाने लगा था।


हलवाई की बीवी को यह समझ में नहीं आ रहा था कि आधी रात को एक जवान लड़के को अपने घर में बुलाकर उसने अच्छा कि या गलत,, लेकिन उसके सामने जो भी नजारा पेश हो रहा था उसे देख कर उसके तन बदन में ना जाने कैसे कैसे उमंग फेलने लगे थे,,, उसे भी यह सब अच्छा लग रहा था,,, उसने सुरज के लिए खाना परोस चुकी थी,,, लेकिन ऐसा जान पड रहा था कि सुरजहलवाई की बीवी के लिए कुछ और परोसने के इंतजाम में था,,

सुरज ने पजामे की डोरी को खोल चुका था पजामे की डोरी खुलते ही उसका पजामा एकदम ढीला हो गया,,, अगर वह हाथ से पकड़ कर ना रखा होता तो उसका पजामा क्षण भर में ही उसके कदमों में गिरा होता,,,
सुरजकी आंखों में बेशर्मी साफ नजर आ रही थी,, वह औरत जो कि भूखा होने की वजह से उसे खाना खिलाने जा रही थी सुरज उसी औरत को अब गंदी नजरों से देखने लगा था,

सुरज के तन बदन में आग लगी हुई थी और यही हाल हलवाई की बीवी का भी था,,, पजामे में बने तंबू को देखकर वह सुरज के लंड के बारे में उसके आकार के बारे में तर्क लगाना शुरू कर दी थी,,,बार-बार वह अपनी नजरों को ऊपर करके सुरजकी तरफ देख ले रही थी कि कब वह अपने पजामे को नीचे करें और उसे उसके लंड के दर्शन हो जाए,,, हलवाई की बीवी शादी के बाद से अपने घर गृहस्ती में ऐसी ऊलझी की ऊलझ के रह गई,, शादी के पहले वह अपने खेतों में काम करते हुए मजदूरों के साथ चुदाई का भरपूर मजा ली थी,, शादी के पहले उसका गोरा बदन बेहद आकर्षक और कसा हुआ था जो कि शादी के बाद एकदम जलेबी और समोसे छान छान कर डीलडोल हो गया था। शादी के बाद उसे अपने पति से शारीरिक सुख बराबर मिल रहा था जिससे वह किसी गैर मर्द के बारे में कभी सोची भी नहीं थी ऐसे में एक बार उसका देवर उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश कर रहा था तो वह उसके गाल पर दो तमाचा मार कर उसे होश में ला दी थी,,,

अपने पति से चुदाई का भरपूर सुख मिलने की वजह से वह अपने कदम को इधर-उधर बहकने नहीं दी थी,,, लेकिन एक बेटी को जन्म देने के बाद से उसके जीवन में परिवर्तन आना शुरू हो गया उसका शरीर बड़ी तेजी से एकदम मोटा हो गया और कामकाज में वह ईतना व्यस्त रहने लगी कि अपने शरीर के प्रति वह कभी ध्यान ही नहीं दे सकी,,, उसके पति का भी शरीर पहले की तरह कसा हुआ और हट्टा कट्टा नहीं रह गया था उसके पति की भी तोंद निकल आई थी जिससे तोंद के नीचे उसका तगड़ा लंड छोटा लगने लगा था,,, और खुद की भारी-भरकम शरीर हो जाने की वजह से दोनों में अच्छी तरह से चुदाई नहीं हो पा रही थी,,।यह बात हलवाई की बीवी को जल्द ही समझ में आ गई थी कि अब वह अपने शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति अच्छी तरह से नहीं कर पाएगी,, तब से लेकर आज तक वह ऐसे ही अपना जीवन व्यतीत कर रही थी लेकिन आज की रात उसे ऐसा लग रहा था कि उसके जीवन में कुछ बदलाव होने वाला है,,,।

उसके दिल की धड़कन बड़ी तेजी से चल रही थी,, वह रसोई के पास बैठी हुई थी,, उसके आगे भोजन की थाली पड़ी हुई थी,,, सुरजके मन में भी असमंजसता छाई हुई थी,,
उसका एक मन कहता था कि पैजामा उतार कर हलवाई की बीवी को अपना मोटा तगड़ा लंड के दर्शन करा दे लेकिन फिर वह सोचता है कि अगर ऐसा करने पर वह नाराज हो गई तो क्या होगा,,,,, लेकिन फिर उसके मन में ख्याल आता है कि जो होगा देखा जाएगा आखिरकार अगर हलवाई की बीवी को ऐतराज होता तो वह तभी उसे अपने कमरे में नहीं बुलाती जब वह उसके ऊपर एकदम से पसर गई थी और उसके मोटे तगड़े लंड को अपनी टांगों के बीच एकदम साफ तौर पर महसूस की थी,,,और एक अनुभवी औरत होने के नाते उसे इतना तो पता ही होगा कि एक मर्द का लंड किस अवस्था में और कब खड़ा होता है,,। और वैसे भी इस समय हलवाई की बीवी घर में अकेली थी रात की तन्हाई और पैसे में घर में गैर जवान लड़का यह सब सोचकर ही शायद हलवाई की बीवी का मन बदल जाए,,,

सुरज अपने ढीले पजामे को हलवाई की बीवी की तरफ नशीली आंखों से देखते हुए धीरे-धीरे नीचे करने लगा,,, पजामे के ऊपरी सतह कमर पर का भाग का घेराव सुरज के कमर के हिसाब से ही था लेकिन इस समय सुरजका लंड पूरी तरह से खाना था जो कि काफी बड़ा था और इसलिए सुरज अपने पजामे को नीचे करते समय लंड खड़े होने की वजह से पजामे का घेराव छोटा पड़ने लगा,,, और पैजामा कमर से थोड़ा ही नीचे आकर फिर से अटक गया,,, सुरज की आंखों में एक औरत के सामने अपने कपड़े उतारने का नशा साफ नजर आ रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी जहां पर उसका पजामा अटक सा गया था,,, सुरज को मालूम था कि यह किस वजह
 
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हलवाई की बीवी के तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी वह सुरज को अपनी मदमस्त गांड को नंगी करके दिखाना चाहती थी इसी बहाने वाह पेशाब भी कर लेती जिंदगी में पहली बार हलवाई की बीवी इस तरह के कदम उठाने जा रही थी और वह भी शादी के बाद हालांकि वह शादी के पहले बहुत लोगों के साथ शारीरिक संबंध बनाकर चुदाई का आनंद लूट चुकी थी लेकिन शादी के बाद से यह उसका पहला मौका था जब वह किसी पराए मर्द के सामने तू अभी एक लड़के के सामने अपनी नंगे बदन का प्रदर्शन करने जा रही थी,, मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी रखो की भी हालत खराब थी,,

हालांकि इससे पहले वह कहीं औरतो और लड़कियों को चोद कर अपनी गर्मी शांत कर चुका था लेकिन आज उसकी जिंदगी में पहला मौका था जब वह एक मोटी गदराई औरत को बेहद करीब से पेशाब करते हुए देखने वाला था और उसके लिए मजे की बात यह थी कि उस औरत को मालूम था कि वह उसे पेशाब करते हुए देखेगा यह सब सोचकर अभी सही फिर से सुरज के टावल में तंबू बन चुका था। और दरवाजा खोलने से पहले हलवाई की बीवी की नजर सुरज के तंबू पर पड़ चुकी थी इसलिए तो वह ज्यादा उत्सुक थी सुरज के सामने पेशाब करने के लिए वह सुरज को पूरी तरह से अपनी मदमस्त जवानी के आगोश में ध्वस्त कर देना चाहती थी,,,।

सुरज एक हाथ में लाठी पकड़े हुए था और दूसरे हाथ के सहारे से वह लकड़ी का बना दरवाजा खोल दिया,,, दरवाजा खेलते हैं ठंडी हवा का झोंका सुरज के तन बदन से टकराया पल भर में ही सुरज के बदन में शीतलता छा गई,,, बाहर एकदम सन्नाटा छाया हुआ था,,, सुरज लाठी लेकर पहले घर से बाहर निकला उसके पीछे पीछे हाथ में लालटेन थामें हलवाई की बीवी बाहर निकली,,,, चारों तरफ वातावरण में धूप्प सन्नाटा छाया हुआ था,,, बार-बार शियार की आवाज आ रही थी जिससे हलवाई की बीवी के मन में डर की भावना पैदा हो रही थी,,,। आधी रात के समय घर से बाहर निकलने में उसे डर भी लग रहा था लेकिन सुरज को अपनी मदमस्त गोल-गोल गांड दिखाने की उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी वैसे उसके पास समय काफी था तकरीबन अभी 12:00 ही बजे थे,,, हल्की हल्की चांदनी बिखरी हुई थी जिससे थोड़ा-थोड़ा सब कुछ साफ नजर आ रहा था सुरज घर से बाहर निकल कर पांच कदम ही आगे चला होगा कि उसे सामने से दो सियार उसी की तरह पाता हुआ नजर आए हलवाई की बीवी की नजर उस पर पड़ते ही वह एकदम से घबरा गए और सुरज को आगाह करते हुए बोली,,,।

सुरज वह देख सियार अपनी तरफ ही आ रहे हैं,,,।
( सुरज की नजर पहले से ही उन सियारों पर पड़ चुकी थी इसलिए वह एकदम सतर्क हो चुका था,,, वह हलवाई की बीवी को दिलासा देते हुए बोला,,।)

तुम घबराओ मत उल्का चाची मेरे होते हुए यह लोग कुछ नहीं कर पाएंगे,,,।
( और ऐसा ही हुआ रखो बिना डरे लाठी को जोर-जोर से जमीन पर पटक ते हुए उन सियार की तरफ बढ़ने लगा तो वह सियार सुरज की हिम्मत और उसके हाथ में लंबे लाठी को देखकर वहां से दुम दबाकर भाग गए,,,। हलवाई की बीवी सुरज की हिम्मत पर एकदम से उसकी कायल हो गई सुरज की हिम्मत देखकर उसे बहुत अच्छा लगा,,, और इस हिम्मत को देखते हुए वह पूरी तरह से सुरज के प्रति आकर्षित हो गई और उसी से संभोग करने की तीव्र इच्छा उसके मन में जागने लगी,,, लेकिन वह अपने मन में यही सोच रही थी की पहल करना उचित नहीं है,,,

सुरज उसी तरह से सिर्फ अपने बदन पर टावल लपेटे दस पंद्रह कदम और आगे बढ़ गया,,, एक तरह से सियारों को खदेड़ चुका था,,, वहां से वापस लौटते समय हलवाई की बीवी उसे बड़े गौर से देख रही थी गांव का एक दम बांका जवान था हट्टा कट्टा बलिष्ठ भुजाओं वाला जो कि समय और भी ज्यादा आकर्षक लग रहा था सुरज की चौड़ी छाती को देखकर उसकी डेढ़ इंच की बुर पसीजने लगी,,, सुरज हाथ में लाठी लिए हलवाई की बीवी के एकदम करीब पहुंच गया,,, हलवाई की बीवी की सांसो की गति बहुत तेज चल रही थी अपने बेहद करीब सुरज को खड़ा देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,। हलवाई की बीवी से कुछ कहा नहीं जा रहा था तो सुरज ही उससे बोला,,,,।

उल्का चाची अब डरो मत सियार भाग गया है,,, वैसे कहां करोगी पेशाब,,,।
( एक बांके नौजवान को उससे इस तरह से पेशाब करने के बारे में पूछ कर हलवाई की बीवी की हालत खराब होने लगी बुर से मदन रस की दो बूंदे अपने आप चु गई,,, वह अपने तन बदन में बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रही थी,,। उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी वह बार-बार अपनी पेशाब के प्रेशर को रोकने के लिए इधर-उधर पैर पटक रही थी जो कि उसकी यह हरकत सुरज की आंखों से बच नहीं सकी वह समझ गया था कि उसको बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई है अगर वह कुछ देर और यहीं खड़ी रही तो शायद वह यही मुत देगी। इसलिए सुरज एक बार फिर से बेशर्म बनते हुए बोला,,।)

कहां मुतोंगी चाची,,,,( इतना शब्द कहते हुए सुरज के तन बदन में उत्तेजना का तूफान उमड रहा था उसके तन बदन में आग लग रही थी, इससे पहले उसने कभी भी किसी औरत से इस तरह की बातें नहीं की थी इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल मची हुई थी,,,। हलवाई की बीवी भी एकदम मस्त हो गई थी सुरज के मुंह से इस तरह की बात सुनकर क्योंकि आज तक उसके पति ने भी उसे इस तरह से कभी भी नहीं पूछा था बल्कि उसका पति तो आधी रात को गहरी नींद में खर्राटे भरता रहता था और कभी कबार जब उसे पेशाब लगती थी तो वह उसे जगाने की नाकाम कोशिश करती रहती थी लेकिन वह जागता ही नहीं था तो उसे अकेले ही डर के मारे घर से बाहर निकलना पड़ता था और दो ही कदम पर वह बैठकर मुतने लगती थी,,,। लेकिन सुरज उसके पति से बिल्कुल अलग था एकदम बांका नौजवान हट्टा कट्टा शरीर और जैसा शरीर वैसा ही सोच वरना इस तरह से कोई सियार के जोड़े के आगे हिम्मत दिखाते हुए जाता है क्या,,,, हलवाई की बीवी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें सुरज के आकर्षण में इस कदर बंध चुकी थी कि उसे ही ताके जा रही थी,,। हलवाई की बीवी की हालत को देखकर सुरज की हिम्मत बढ़ती जा रही थी उसके लंड की नसों में रक्त का प्रवाह इतनी तेज गति से हो रहा था कि मानो अभी उसका लंड फट जाएगा,,, हलवाई की बीवी उसकी सवाल का जवाब बिल्कुल भी नहीं दे रही थी तो एक बार फिर से वह उसका हाथ हौले से पकड़ते हुए बोला,,,।

उल्का चाची मुतना है तो जल्दी से मुत लो तुम्हारी हालत देखकर ऐसा लग रहा है कि कुछ देर और रुको गी तो साड़ी में ही मुत दोगी,,,

अं,,,हहहहममम,,,,,( जैसे किसी ने उसे नींद से जगाया हो इस तरह से सकपका गई,,,)

वैसे उल्का चाचीमुंतोगी कहां,,,,( सुरज एकदम मादक स्वर में बोला)


वहां,,,,( हलवाई की बीवी उंगली के इशारे से वह स्थान दिखाएं जहां पर उसे पेशाब करना था जो कि 15 कदम की ही दूरी पर था जहां पर लंबी-लंबी ढेर सारी जंगली घास भी हुई थी)

वहां से अच्छा है कि यहीं बैठ कर मुत लो इतनी दूर जाने की जरूरत क्या है यहां कौन सा कोई देखने वाला है,,,,,

नहीं मुझे शर्म आती है वैसे भी तू तो है ना देखने वाला,,,

मैं तो देखूंगा ही ना उल्का चाची तुमसे नजर हटाना नहीं है,, कहीं फिर सियार आ गया तो,,,( सुरज मुस्कुराते हुए बोला उसकी मुस्कुराहट में वासना साफ नजर आ रही थी लेकिन हलवाई की बीवी को भी सुरज की यह बात बहुत अच्छी लगी थी हलवाई की बीवी के लिए पहला मौका था जब वह अपने आप को पेशाब करते हुए किसी गैर मर्द को दिखाने जा रही थी इस वजह से उसके तन बदन में भी अद्भुत हलचल मची हुई थी जिसका अनुभव आज तक उसने अपने बदन में नहीं की थी,,,)

हां तू सच कह रहा है मुझे सियार से बहुत डर लगता है,,, मैं तेरे भरोसे ही वहां जा रही हूं पेशाब करने,,, एक काम कर तू भी वहां चल बस थोड़ा सा दूरी बना कर खड़े रहना मुझे बहुत डर लगता है कहीं सियार आ गया तो मैं तो डर के मारे ही बेहोश हो जाऊंगी,,,( हलवाई की बीवी के तन बदन में भी हलचल मची हुई थी वह बेहद नजदीक से सुरज को अपनी मदमस्त गोलाकार गांड के दर्शन कराना चाहती थी,,, वह आज की रात जा या नहीं होने देना चाहती थी वह इस रात की तन्हाई का अकेलेपन का सुरज के साथ भरपूर आनंद उठाना चाहती थी,,, हलवाई की बीवी की बातें सुनकर सुरज भी बेहद उत्सुक हो गया उसकी गांड को बेहद करीब से देखने के लिए इसलिए वह बोला,,,।)

ठीक है उल्का चाची तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं तुम्हारा साया बनकर तुम्हारे साथ साथ चलूंगा,,,

ले तू यह लालटेन पकड़ ,,,(हलवाई की बीवी सुरज को लालटेन पकड़ा कर आगे आगे चलने लगी,, सुरज हलवाई की बीवी की बड़ी-बड़ी गगराई मदमस्त गांड देखकर पूरी तरह से मदहोश होने लगा,, उसकी हिलती हुई गांड सुरज के तन बदन में हलचल पैदा कर रही थी,,,। हवा में दाएं बाएं लहराती हुई उसकी बड़ी बड़ी गांड सुरज के कलेजे पर छुरियां चला रही थी,,,। प्रभु के मन में हो रहा था कि वह पीछे से जाकर अपनी खड़े लंड को हलवाई की बीवी की गांड पर जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दें,,, लेकिन ना जाने क्यों उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी भले ही वह उससे खुलकर बातें कर रहा था लेकिन उसके साथ कुछ खुलकर करने की हिम्मत अभी उसके में नहीं थी,,, जंगली झाड़ियों के बेहद करीब पहुंच कर हलवाई की बीवी रुक गई,,, उसके तीन चार कदम पीछे ही सुरज लालटेन लेकर खड़ा हो गया हलवाई की बीवी की पीठ ठीक उसके सामने थी,,,।
दोनों की सांसें बड़ी तेज चल रही थी क्योंकि दोनों को पता था कि अब क्या होने वाला है,,। उत्तेजना के मारे बार-बार सुरज अपने लंड को अपने हाथ से दबा दे रहा था और हलवाई की बीवी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसकी बुर से पेशाब की जगह नमकीन रस बह रहा था,,


हलवाई की बीवी कोई अच्छी तरह से मालूम था कि वहां पर उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था लेकिन फिर भी वह पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहती थी ताकि आगे चलकर उसकी बदनामी ना हो वह चारों तरफ नजर घुमाकर देख रही थी कि कहीं कोई दिखाई तो नहीं दे रहा और वैसे भी इतनी आधी रात को वहां कौन आने वाला था लेकिन फिर भी मन की शांति के लिए हलवाई की बीवी अपने मन को तसल्ली दे रही थी दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ अंधेरा और सन्नाटा की छाया हुआ था तसल्ली कर लेने के बाद हलवाई की बीवी धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी यह जानते हुए भी कि उसके ठीक पीछे एक गैर जवान लड़का खड़ा है लेकिन फिर भी वह उसके आंखों के सामने ही अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और यह तसल्ली करने के लिए कि वह उसे देख रहा है कि नहीं एक बार अपनी नजर को पीछे करके उसकी तरफ देखने लगी और उसे अपने आपको ही देखता हुआ पाकर उसके तन बदन में उत्तेजना की नहर दौड़ने लगी,,, बेहद अद्भुत और उन्माद से भरा हुआ यह पल दोनों के लिए बेहद अतुल्य था जिंदगी में दोनों पहली बार इस तरह के संजोग से गुजर रहे थे,,,

जैसे-जैसे हलवाई की बीवी अपनी साड़ी को ऊपर उठाती जा रही थी वैसे वैसे सुरज के दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, साड़ी नुमा पर्दे के पीछे क्या छुपा है यह सुरज अच्छी तरह से जानता था,,, और हलवाई की बीवी भी इस बात से बिल्कुल भी अनजान नहीं थी कि साड़ी उठा देने के बाद उसका बेहद अनमोल अंक पत्र लिखा जाना एक गैर लड़के के सामने प्रदर्शित हो जाने वाला था लेकिन इस बात की चिंता उसे बिल्कुल भी नहीं थी वह अपने बेहद कोमल और हसीन और भी को दिखाकर सुरज को अपने बस में करना चाहती थी,,,,

आज दोनों तेरा बराबर लगी हुई थी दोनों की उत्सुकता और कामुकता पल-पल बढ़ती जा रही थी सुरज के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया था,,, लंड मचल रहा था तौलिए से बाहर आने के लिए और मचलता भी क्यों नहीं आखिरकार उसकी मंजिल जो उसकी आंखों के सामने थी,,, देखते ही देखते बेशर्म ओं की तरह हलवाई की बीवी अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी सुरज की आंखों के सामने जो नजारा प्रदर्शित हुआ उसे देखकर सुरज के तन बदन में मदहोशी छाने लगी आंखों में 4 बोतलों का नशा उतर आया जिंदगी में उसने कभी भी इतनी बड़ी मदमस्त गोरी गोरी और चिकनी गांड नहीं देखा था,,, अपनी आंखों से हलवाई की बीवी की नंगी गांड देखने के बाद उसे इस बात का आभास हुआ की वास्तव में हलवाई की बीवी की गांड बहुत ज्यादा बड़ी है और उसकी बड़ी-बड़ी गांड देखते ही उसकी इच्छा करने लगी कि पीछे से जाकर उसकी गांड में पूरा लंड पेल दे जोकि सुरज की तरफ से इस तरह की किसी भी हरकत के लिए हलवाई की बीवी अपने आप को पूरी तरह से तैयार किए हुए थी,, सुरज को हलवाई की विधि का पूरा वजूद उसका कमर के नीचे का नंगा बदन संपूर्ण रूप से एकदम साफ नजर आ रहा था लेकिन फिर भी मन की तसल्ली के लिए वह अपने हाथ में लिए हुए लालटेन को थोड़ा सा आगे करके और अच्छी तरह से उसे देखना चाहता था जो कि उसे सब कुछ साफ साफ दिखाई दे रहा था और यह बात हलवाई की बीवी भी अच्छी तरह से जानती थी। और हलवाई की बीवी भी तो यही चाहती थी जैसा वह चाह रही थी वैसा ही हो रहा था सुरज की आंखों के सामने वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाए अपनी नंगी गांड को सुरज को दिखा रही थी और सुरज उसकी नंगी गांड को देखकर पूरी तरह से उत्तेजना में सरोबोर हुआ जा रहा था,,,,

यह नजारा बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,, हलवाई की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि शादी के बाद से वहां जिस अंग को साड़ी के अंदर छुपा कर दुनिया की नजरों से बचाए हुए थे आज उसी हमको को वह एक नौजवान लड़के के सामने खोल कर खड़ी होगी,,,।

उत्तेजना के मारे सुरज का गला सूखता जा रहा था उसका लंड एकदम तन कर तंबू हुआ था हलवाई की बीवी एक बार फिर से पीछे नजर घुमाकर देखी तो सुरज पागलों की तरह उसकी नंगी गांड को भी देख रहा था और यह देखकर हलवाई की बीवी बहुत प्रसन्न हुई उसे जोरो की पिशाब लगी हुई थी इसलिए वह साड़ी को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बड़ी बड़ी गांड लेकर वही झाड़ियों के बीच में बैठ गई,,,

आआहहहरह,,, क्या नजारा है,,, कसम से थोड़ा सा इशारा कर दी तो पीछे से जाकर इसकी गांड में पूरा लंड डाल दु,,

( हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी गांड देखते होंगे सुरज गरम आहें भर कर अपने मन में ही बातें करते हुए बोला,,, कुछ ही सेकंड में उसके कानों में हलवाई की बीवी के बुर से निकलती हुई सीटी की आवाज गूंजने लगी और वह उस पेशाब करने की मधुर आवाज को सुनकर एकदम से काम भीबोर हो गया,,,, ऐसा लग रहा था मानो इससे मधुर संगीत उसने जिंदगी में कभी भी अपने कानों से नहीं सुना हो,,, लगातार सुरज गरम आहें भर रहा था उसकी आंखों के सामने इस समय दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत बैठकर मूत रही थी,,,, बड़ी-बड़ी घास होने की वजह से हलवाई की बीवी हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठाए हुए थी,,, और उसकी हल्के से उठी हुई गांड किसी तोप से कम नहीं लग रही थी जो कि किसी भी दुश्मन के वजूद को मिटाने में सक्षम थी और इस समय हलवाई की बीवी की उठी हुई तो सुरज को पूरी तरह से ध्वस्त कर रही थी,,,। हलवाई की बीवी के समय अपनी मत मस्त गांड को उठाकर एकदम मन मोहिनी लग रही थी जो कि पृथ्वी के किसी भी इंसान को अपनी तरफ मोहित कर देने में सक्षम थी। हलवाई की बीवी की बुर से लगातार मधुर संगीत फूट रही थी उसे इतनी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी कि चारों तरफ खेले हुए सन्नाटे में उसकी बुर की सीटी की आवाज बहुत दूर तक जा रही थी,,,। सुरज के सामने इस तरह से इतनी बड़ी बड़ी गांड दिखाते हुए मुतने में हलवाई की बीवी को अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था,,।


वातावरण में शीतलता के साथ-साथ चांदनी भी फैली हुई थी लेकिन जिस स्थान पर बैठकर हलवाई की बीवी मूत रही थी वहां घनी झाड़ियां थी,,, वैसे भी गांव में और से या कहीं भी ऐसा ही स्थान ढूंढती है जहां पर कोना हो या बड़े-बड़े पेड़ या जंगली झाड़ियां,,, लेकिन यहां पर हलवाई की बीवी के पास छुपाने के लायक कुछ भी नहीं बचा था,,, अपनी जलेबी जैसी गोल-गोल और समोसे जैसी फूली हुई गांड दिखाकर वह सुरज के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी ला दी थी,,, इस उम्र में भी हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी देख कर सुरज पूरी तरह से घुटने टेक दिया था लेकिन जवानी की दहलीज पर कदम रखते हुए उसके हौसले बुलंद हुए जा रहे थे क्योंकि इस तरह की कामुकता भरी जवानी को देखकर अभी भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा का खड़ा था वरना किसी और का होता तो अब तक पानी फेंक दिया होता या फिर वह अपने आप पर सब्र ना रखते हुए अपने हाथ से हिला कर अपनी गर्मी शांत कर लिया होता लेकिन सुरज था कि अभी भी डरा हुआ हाथ में लालटेन लिए हुए वह हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी को अपनी आंखों से चख रहा था,,,,

हलवाई की बीवी लगातार अपनी गुलाबी बुर के छेद में से नमकीन पानी की बौछार जंगली झाड़ियों पर कर रही थी,,, उत्तेजना और उन्माद उसके बदन पर भी पूरी तरह से हावी हो चुका था सुरज के आंखों के सामने अपनी बड़ी-बड़ी गांड को दिखाते हुए मुतने में उसे अब बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी बल्कि अब उसे यह सब करने में आनंद आ रहा था। सुरज के होते हुए उसे आधी रात के समय इस तरह से बाहर बैठकर मुतने में जरा भी डर का अनुभव नहीं हो रहा था,,, वैसे भी वह कुछ देर पहले ही सुरज के पराक्रम को देख चुकी थी उसे विश्वास था कि सुरज कैसी भी परिस्थिति में उसकी रक्षा कर सकता है,,,। हालांकि अभी भी दूर-दूर से सियार के चिल्लाने की आवाज आ रही थी कोई और समय होता तो शायद हलवाई की बीवी इतनी देर तक घर से बाहर ना रूकती और ना ही इतनी दूर आकर पेशाब करती लेकिन हालात और माहौल बिल्कुल बदले हुए थे हलवाई की बीवी के मन में अपनी मदमस्त कर दिखाने की उत्सुकता और आज की रात कुछ कर गुजरने की चाह उसे यहां तक ले कर आई थी,,,,

धीरे-धीरे करके हलवाई की बीवी की पेशाब की टंकी पूरी तरह से खाली हो गई वह जबरदस्ती प्रेशर देकर अपनी गुलाबी भर के छेद में से बची दो चार बूंदों को भी बाहर निकाल देना चाहती थी और उठते समय अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को हल्के से दो-तीन बार झटके देकर वहां अपनी बुर के किनारे पर फंसे पेशाब की बूंदों को बाहर झटक दी,,,, हलवाई की बीवी खड़ी हो गई लेकिन अभी भी वह अपनी कमर पर साड़ी को अपने दोनों हाथ से पकड़ी हुई थी वह आखिरी पल तक अपनी मदमस्त गांड का जलवा सुरज को दिखा देना चाहती थी,,, अपनी तसल्ली के लिए एक बार फिर से हलवाई की बीवी पीछे नजर करके रखो की तरफ देखी तो वह एकदम से प्रसन्न हो गई क्योंकि अभी भी सुरज पागलों की तरह हाथ में लालटेन और दूसरे हाथ में लाठी लिए उसकी बड़ी-बड़ी गांड को ही घूर रहा था,,, और उसके दर्शन करते हुए उसके लंड महाराज की हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि वह अपनी जगह से पूरी तरह से खड़ा होकर टॉवल से बाहर आने के लिए मशक्कत कर रहा था,,। हलवाई की बीवी सुरज की आंखों में देखते हुए अपनी साड़ी को कमर के ऊपर से ही नीचे छोड़ दी और सुरज के देखने लायक मनमोहक दृश्य पर पर्दा पड़ गया,,।

अब चलो सुरज,,, मेरा हो गया है,,,।

तुम्हारा तो हो गया लेकिन मुझे लग गई है,,,।
( अत्यधिक उत्तेजना और उन्मादकता के कारण सुरज को भी बहुत जोरों की पेशाब लग गई थी,,।)

तो तू भी मुत ले,,,,।

यह लो उल्का चाची लालटेन और लाठी पकड़ो,,,
( इतना कहकर सुरज ठीक उसकी आंखों के सामने दो कदम जाकर खड़ा ही हुआ था कि उसकी कमर पर बंधा टॉवल अपने आप छूट कर नीचे गिर गया,,, पल भर में ही रघुवर भाई की बीवी की आंखों के सामने पूरा नंगा हो गया उसका मुसल जैसा लंड पूरी तरह से आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,, जिसको देखते ही हलवाई की बीवी आश्चर्य से दांतो तले उंगली दबा ली,,,, सुरज इस तरह से जता रहा था कि उसे बहुत जोरों की पेशाब लगी हुई है और वह नीचे झुककर टॉवल उठा नहीं सकता,,, और वह वही खड़े होकर मुतने लगा,,, हलवाई की बीवी तो उसे देखती ही रह गई जिंदगी में पहली बार इतने मोटे खड़े लंबे लंड को जो देख रही थी,,,, और उसमें से निकलती हुई बहुत जोरों की पेशाब की धार उस धार को देखकर हलवाई की बीवी को यह लग रहा था कि कहीं उसकी बुर से मदन रस की धार ना छूट जाए,,,। बड़ा ही मनमोहक उत्तेजक नजारा था जिंदगी में पहली बार हलवाई की बीवी किसी मर्द को इस तरह से अपने बेहद करीब खड़ा होकर पेशाब करते हुए देख रही थी पर यह नजारा देख कर उसके तन बदन में उत्तेजना कि वह आग लग रही थी जिसे बुझाने के लिए शायद सुरज के लंड से निकला हुआ गरम लावा ही शांत कर सकता था,,,

सुरज जानबूझकर हलवाई की बीवी की आंखों के सामने ही अपने खड़े लंड को एक हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके झुलाते हुए पेशाब कर रहा था,,,। और यह नजारा हलवाई की बीवी के पूरे वजूद को अंदर से पिघला रहा था। जिस तरह से गर्माहट पाकर आइसक्रीम पिघलती है उसी तरह से अपनी आंखों के सामने गरमा-गरम दृश्य देखकर महीनों से इकट्ठा हुआ हलवाई की बीवी की बुर से मदन रस निकल कर बाहर आ रहा था,,,। सुरज भी मदहोशी के आलम में बेशर्म की तरह हलवाई की बीवी की आंखों में आंखें डाल कर मूत रहा था,,,। देखते-देखते हलवाई की बीवी की आंखों के सामने सुरज अपनी पेशाब क्रिया को संपूर्ण रूप से खत्म किया और बड़े आराम से नीचे झुक कर अपनी टावल को ऊपर उठाकर कमर पर लपेटते हुए बोला,,,।

बाप रे इतनी जोर की पेशाब लगी हुई थी कि टावल उठाने का भी समय नहीं था,,,,
इतना कहकर वह खुद ही हलवाई की बीवी के हाथों में से लालटेन और लाठी दोनों ले लिया और आगे हलवाई की बीवी को चलने के लिए कहा,,,, हलवाई की बीवी सुरज की गरमा गरम हरकत और उसके मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड को देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है लेकिन उसे एक बात समझ में जरूर आ रहा था कि आज की रात जरूर खास है,,,, वह बिना कुछ बोले आगे आगे चलने लगी,,, रुको फिर से हलवाई की बीवी की मटकती हुई गांड को देखने लगा,,,। चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था केवल कुत्तों के भौंकने और सियार की ही आवाज आ रही थी जाहिर था कि ऐसे में पूरे गांव वाले नींद की आगोश में सो रहे थे लेकिन गांव के बाहर हलवाई की दुकान पर उसकी बीवी और सुरज दोनों जाग रहे थे जाग रहे थे क्या दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर भाग चुकी थी,,,।
दरवाजे पर पहुंचकर रखो लालटेन को हलवाई की बीवी के हाथों में थमा ते हुए बोला,,,।

उल्का चाची तुम अंदर जाकर आराम से सो जाओ और बिल्कुल भी चिंता मत करना मैं यहीं पर सो जाऊंगा,,,।

( सुरज की ऐसी बातें सुनकर हलवाई की बीवी एकदम व्याकुल हो गई उसके चेहरे पर चिंताओं की लकीरे अपना जाला बनाने लगी,,, क्योंकि वह अपने मन में कुछ और सोच कर रखी थी और सुरज की बात सुनकर उसे लगने लगा था कि उसका सोचा हुआ नहीं हो पाएगा इसलिए वह बेचैन हो गई थी और बेचैनी भरे स्वर में वह सुरज से बोली,,,।)

नहीं नहीं सुरज यहां कैसे सो पाओगे फिर से सियार लोगों का झुंड आ जाएगा,,,।

तुम चिंता मत करो उल्का चाची मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लगता और आ जाएंगे तो क्या हुआ मेरे पास यह लाठी जो है अगर हाथ में लाठी हो तो सियार तुम्हारे पास भटक भी नहीं सकते,,,,( सुरज जानबूझकर बाहर सोने की बात कर रहा था वह देखना चाहता था कि हलवाई की बीवी क्या करती है क्योंकि वह भी एक जवान लड़का था और पूरे गांव भर में घूम कर यही सब बातों पर ध्यान दिया करता था औरतों और लड़कियों के नंगे बदन को मौका मिलते ही देखकर आंखें भर ना यही उसका दिन भर का काम था और यहां तो हलवाई की बीवी जिस तरह से बिना शर्माए उसे अपनी मदमस्त गांड के दर्शन कर आई थी और उसकी आंखों के सामने ही बेशर्म बन कर बैठ कर बुर से मधुर सीटी की आवाज निकालते हुए मुत रही थी उसे देखते हुए सुरज इतना तो समझ ही गया था कि इस औरत के मन में कुछ और चल रहा है,,, हलवाई की बीवी की हरकतों को देख कर उसे अंदाजा लग गया था कि आज की रात उसके लिए बेहद खास है अगर आज का मौका वहां से से जाने देगा तो ना जाने ऐसा मौका उसके हाथ कब लगेगा और वैसे भी वह दिन रात बस चुदाई के सपने देखा करता था इसलिए इस तरह का मौका अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था बस हलवाई की बीवी की व्याकुलता और उसकी बेचैनी देखना चाहता था,,, और उसे इस समय हलवाई की बीवी के चेहरे व्याकुलता साफ नजर आ रही थी,,,। सुरज उसी बड़े पत्थर पर बैठकर हलवाई की बीवी को अंदर जाने के लिए बोल रहा था हालांकि वह खुद हलवाई की बीवी के साथ अंदर जाकर उसके खूबसूरत भारी भरकम बदन के साथ मटरगश्ती करना चाहता था,,,। सुरज की बातें सुनकर हलवाई की बीवी बोली,,,।)

चल बड़ा आया हिम्मतवाला मैं जानती हूं तुझ में कितनी हिम्मत है लेकिन यहां सोएगा तो तुझे रात भर मच्छर नहीं सोने देंगे,,,, ( हलवाई की बीवी इतना कह रही थी कि तभी थोड़ी दूर पर सियार का झुंड जोर जोर से चिल्लाने लगा जो कि साफ नजर आ रहा था तो हलवाई की बीवी उस तरफ इशारा करते हुए बोली,,,।) देख ले अगर वह लोग तेरे पास आएंगे भी नहीं तो भी वह इस तरह से चिल्ला चिल्ला कर तुझे सोने नहीं देंगे इसलिए कहती हूं चल अंदर चल वैसे भी मुझे डर लग रहा है,,, आज तेरे चाचा घर पर नहीं है इसलिए कह रही हूं,,,।

( सुरज अपने मन में सोचा कि ज्यादा भाव खाना अच्छी बात नहीं है कहीं ऐसा ना हो कि सच में हलवाई की बीवी घर में चली जाए और गुस्से में दरवाजा बंद कर ले और खोले ही नहीं तो उसके भी सारे अरमान हवा में फुर्र हो जाएंगे,, जो कुछ भी वहां अपने मन में सोच रहा है वह मन में ही रह जाएगा इसलिए वह हलवाई की बीवी की बात मानते हुए पत्थर पर से खड़ा होते हुए बोला,,,।)

ठीक है उल्का चाची तुम कहती हो तो,,, मैं भी तुम्हारे साथ अंदर चलता हूं,,,( इतना कहकर वह पास में रखे हुए लाठी को फिर से उठा लिया और पत्थर पर से खड़ा हो गया सुरज को अंदर चलते हुए देखकर हलवाई की बीवी मन ही मन बहुत प्रसन्न हुई उससे ज्यादा उसकी टांगों के बीच की उस पतली दरार में ज्यादा प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे जिसमें से मदन रस के दो-चार बुंदे तुरंत टपक गई,,,। अगले ही पल दोनो घर के अंदर हलवाई की बीवी खुद दरवाजा बंद करके उसकी कड़ी लगा दी और लालटेन को वही ऊपर लकड़ी में लगी खिल्ली में टांग दी,,,। लालटेन को वह ऐसी जगह टांग कर रखी थी जहां से पूरे कमरे में उसका उजाला फेल रहा था,,,,

लेकिन उल्का चाची में कहां सोऊंगा यहां तो बस एक ही खटिया है,,,,।

मेरे साथ एक ही खटिया पे,,( हलवाई की बीवी की बात सुन कर वह एकदम से दंग रह गया,,।)



एक ही खटिया पर सोने की बात सुनकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी आज तक उसने कभी भी किसी औरत के साथ एक ही खटिया पर नहीं सोया था और आज किस्मत उस पर पूरी तरह से मेहरबान थी,,, कहते हैं ना जब भगवान एक दरवाजा बंद कर देता है तो 10 दरवाजे खोल भी देता है कुछ वैसा ही सुरज के साथ हो रहा था खेतो मे काम करके अपना खाना किसी जानवरने चुराया और खुद भूखा रहा उसी के एवज में हलवाई की बीवी उसे अपने खूबसूरत बदन का हर एक अंग बड़े अच्छे से दिखा दे रही थी। हलवाई की बीवी की संगत में उसे इस बात का एहसास होने लगा कि दुनिया में असली सूख औरत ही दे सकती है बाकी कोई नहीं,,


जिस तरह से हलवाई की बीवी उसकी आंखों के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड दीखाते हुए घनी झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी,,, सुरज यह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा भी उसके साथ होगा कि कोई औरत जानबूझकर उसे अपनी मस्त बड़ी बड़ी गांड दिखाएगी और उसकी आंखों के सामने पेशाब करेगी जबकि गांव की कोई भी औरत यह नहीं चाहती कि उसे सोच क्रिया करते हुए कोई देखें भले ही वह उसका पति या प्रेमी क्यों ना हो,,, और मर्दों की ख्वाहिश हमेशा से यही रहती है कि कहीं ना कहीं उसे पेशाब करते हुए औरत दिखाई दे दे ताकि वह उसकी बड़ी-बड़ी मदमस्त गोरी गांड को देखकर अपने मन को शांत कर सके,,, और इस मामले में सुरज कि किस्मत बड़ी तेज थी,,,

सुरज के कानो ने अभी-अभी ही एक ही खटिया पर दोनों के सोने की बात सुनकर ऐसा महसूस किया था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया हो उसके तुरंत बाद जैसे ही उसकी नजर कोने में खड़ी हलवाई की बीवी कर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि वह अपनी साड़ी अपनी कमर पर से छुड़ा रही थी,,,, उसकी बेहतरीन खूबसूरत पहाड़ी नुमा भारी भरकम छातियां बेपर्दा हो चुकी थी,,। अब तक सुरज हलवाई की बीवी की मदमस्त जवानी के दर्शन उसके नितंबों को देखकर ही किया था उसकी भारी-भरकम विशालकाय छातियों पर पहली बार उसकी नजर पड़ी थी हालांकि इससे पहले वह दोनों चूचियों के बीच की गहरी लकीर को देखकर मस्त हो चुका था लेकिन पहली बार ही वह उसे खुले तौर पर देख रहा था,,,,,,,,

हलवाई की बीवी अपनी साड़ी उतार रही थी और सुरज उसकी तरफ एकदम मदहोशी भरी निगाहों से देख रहा था छोटे से बलाउज में हलवाई की बीवी की भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूची सामा नहीं पा रही थी ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज का बटन दोनों चुचियों के भार से से अभी का अभी टूट जाएगा,,,। हलवाई की बीवी सुरज से नजरें बचाकर पहले से ही अपने ब्लाउज के दो बटन को खोल चुकी थी जिससे उसकी आधी चूचियां कमरे के माहौल को और भी ज्यादा नशीली बना रही थी। सुरज तो हलवाई की बीवी की मदमस्त मस्त जवानी के नशे में पूरी तरह से बहकने लगा था।

हलवाई की बीवी अपनी साड़ी उतार चुकी थी और उसे रस्सी पर डालते हुए बोली,,,

आज कुछ ज्यादा ही गर्मी लग रही है रघु,,,।

हां उल्का चाची मुझे भी ऐसा ही लग रहा है,,,। ( हलवाई की बीवी की नशीली जवानी देख कर सुरज का पूरा वजूद गरमा चुका था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी,,, हलवाई की बीवी भी इस तरह की हरकत अपनी जिंदगी में पहली बार ही कर रही थी वह भी कभी सपने में नहीं सोचा थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा कौन आएगा कि वह अपने ही घर में किसी गैर जवान लड़के को शरण देकर उसके साथ संभोग सुख भोगने की कल्पना या ख्वाब देखे गी,,, और उसका यह ख्वाब हकीकत में बदलने वाला था,,, लेकिन इसके लिए अभी समय बाकी था लोहा धीरे-धीरे गरम हो रहा था बस हथोड़ा मारने की देरी थी,,, हलवाई की बीवी भी चोर नजरों से सुरज की तरफ देख ले रही थी जब जब उसकी नजर उसके उठे हुए टॉवल पर जाती तब तक उसके बदन में हलचल सी होने लगती थी।

हलवाई की बीवी एक नई रोमांस के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर ली थी जिंदगी में पहली बार शादी के बाद वह अपने पति के साथ धोखा करने जा रही थी पति के घर पर ना होने का पूरा फायदा उठाना चाहती थी,,,। यह सब उसके मन में सुरज से मिली तब तक नहीं था लेकिन धीरे-धीरे सुरज के प्रति वह पूरी तरह से आकर्षित होने लगी और इतनी ज्यादा आकर्षित हो गई कि उसके साथ संभोग सुख भोगने के लिए अपने आपको तैयार कर ली,,,। पेटीकोट और ब्लाउज में हलवाई की बीवी एकदम क़यामत लग रही थी अपनी भारी-भरकम शरीर और बड़े बड़े दूध और तरबूज जैसे गोल-गोल नितंबों की वजह से उसमें एक अजीब प्रकार का आकर्षण था जिसके आकर्षण में सुरज पूरी तरह से अपने आप को खोता हुआ महसूस कर रहा था,,,।
लालटेन की पीली रोशनी में पूरा कमरा नहाया हुआ था वैसे तो सोते समय हलवाई की बीवी लालटेन की लौ को एकदम कम कर देती थी ताकि कमरे में अंधेरा हो जाए क्योंकि उजाले में उसे नींद नहीं आती थी लेकिन आज की बात कुछ और थी वह आज लालटेन को अपनी पूरी लौ के साथ जला रही थी,,, आज की रात में कोई भी कसर बाकी रखना नहीं चाहती थी अपना हर एक अंग खुलकर और खोलकर सुरज को दिखा देना चाहती थी जिसकी शुरुआत वह अपनी साड़ी को उतारकर और अपनी ब्लाउज के दो बटन खोल कर कर चुकी थी,,,। सुरज की आंखों के सामने साड़ी उठाकर नंगी गांड दिखाते हुए पेशाब करना तो पेशाब करने की औपचारिकता थी लेकिन ब्लाउज के दो बटन खोल कर और साड़ी उतार कर चुदाई के लिए वह धीरे-धीरे अपने आप को आगे बढ़ा रही थी,,,,,

दोनों तरफ आग बराबर लगी हुई थी दोनों के दोनों जल्दी से खटिया पर जाना चाहते थे जिसकी शुरुआत हलवाई की बीवी आगे बढ़कर कि वह जाकर सीधा खटिया पर लेट गई वह पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी भरावदार उन्नत छातियां एकदम ऊपर की तरफ मुंह उठाए ब्लाउज में कैद थी,,, उत्तेजना के मारे हलवाई की बीवी बहुत ही गहरी गहरी सांस ले रही थी और बड़ी ही मादक नजरों से सुरज की तरफ देख रही थी,,,, उत्तेजना के मारे सुरज का गला सूखता जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना है वह अनुभवहीन था लेकिन मन में जिज्ञासा भरी हुई थी औरतों के अंगों से खेलने की कल्पना ने उसे अपने आप में ही प्रचुर मात्रा में अनुभव से भर दिया था वह प्यासी नजरों से हलवाई की बीवी को नजर भर कर देख रहा था उसकी उठती बैठती सांसो के साथ उसकी भारी-भरकम चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जिससे सुरज का कलेजा उत्तेजना के मारे मुंह को आ रहा था,,,। हलवाई की बीवी बेहद उत्सुक थी वह चाहती थी कि जल्द से जल्द आ रहा हूं उसके पास खटिया पर आ कर लेट जाए शादी के बाद से पहली बार वह किसी पराए मर्द के साथ लेटने जा रही थी,,,

आ जाओ सुरज वहां क्यों खड़े हो,,,,( हलवाई की बीवी एकदम बाद अक्सर में बोलते हुए धीरे से अपनी एक काम को घुटनों से मोड़कर खड़ा कर दी जिससे उसकी पेटीकोट एकदम से उसकी नशीली चमकीली मोटी मोटी जांघों से होती हुई सीधे उसकी कमर पर जा गिरी पल भर में ही रहोगी आंखों के सामने हलवाई की बीवी की मोटी मोटी चिकनी नंगी जागे नजर आने लगी पृथ्वी को समझते देर नहीं लगी कि यह हरकत हलवाई की बीवी जानबूझकर की थी,,,,। सुरज तो एकदम से होश खो बैठे उसकी इस हरकत की वजह से वह पूरा मदहोश हो चुका था आंखों में 4 बोतलों का नशा नजर आ रहा था वह तुरंत आगे बढ़ा और सीधा जाकर खटिया पर बैठ गया,,,,, जैसे ही रखो हलवाई की बीवी के बेहद करीब खटिया पर बैठा दोनों का बदन आपस में एकदम स्पर्श होने लगा दोनों के तन बदन में आग लग गई दोनों के मुंह से हल्की सी गर्म सिसकारी फूट पड़ी दोनों काम उत्तेजना के चरम सीमा पर पहुंच चुके थे जहां से वापस लौटना दोनों के लिए नामुमकिन था,,,,।

एक जवान मर्द को अपने बेहद करीब एक ही खटिया पर बैठे होने की वजह से हलवाई की बीवी के तन बदन में मस्ती की लहर उठ रही थी वह इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह बेशर्म की तरह अपनी नंगी चिकनी जांघ पर अपनी हथेली फेरते हुए सुरज से बोली,,,।

बैठा क्यों है आजा लेट जा,,,,।

सुरज बिना कुछ बोले खटिया पर लेट गया खटिया इतनी छोटी थी कि दोनों का बदन आपस में स्पर्श होने लगा,,, दोनों के बदन में पल भर में उत्तेजना भरी गर्माहट फैलने लगी,,,।
दोनों की सांसे उत्तेजना के मारे धुकनी की तरह चल रही थी,,,। सुरज से रहा नहीं जा रहा था पहली बार बार किसी मोटी गदराई औरत के सामने एकदम सट कर लेटा हुआ था,,,। बार बार उसका गला सूखता चला जा रहा था और वह बार-बार धूप से अपने गले को गिला करने की नाकाम कोशिश कर रहा था तेज चलती सांसो की वजह से वह सहज नहीं हो पा रहा था और इस बात को अनुभवी हलवाई की बीवी समझ गई थी वह धीरे से सुरज की तरफ करवट लेते हुए एक हाथ सुरज की छातियों पर रखकर बोली,,,।

क्या हुआ रखो तुम्हें मेरे साथ सोने में अच्छा नहीं लग रहा है,,,।
( हलवाई की की बीवी के द्वारा धीरे-धीरे उसकी उंगलियों को परी नंगी चौड़ी छाती ऊपर महसूस करके सुरज पागल हुआ जा रहा था वह सीधे पीठ के बल लेटा हुआ था जिसकी वजह से उसका लंड पूरी तरह से टॉवल में खड़ा था उसका मुंह उत्तेजना के मारे खुला का खुला रह गया था,,, अपनी तरफ करवट लेने की वजह से सुरज को उसकी मोटी चिकनी जांगे बेहद मोटी लग रही थी,,, वह हड बढ़ाते हुए जवाब दीया,,,।)

चचचच ,,, उल्का चाची मुझे तुम्हारे साथ सोने में अच्छा तो बहुत लग रहा है लेकिन डर भी लग रहा है,,,।

डर कैसा मैं तुझे खा जाने वाली नहीं हूं,,,।
( सुरज पूरे गांव में आवारा लड़कों के साथ ही घूमता था इसलिए उसे आवारागर्दी अच्छी तरह से मालूम थी और वह औरतों के मन में चल रहे भाव से अच्छी तरह से वाकिफ था वह हलवाई की बीवी के मन में क्या चल रहा है यह भी समझ गया था लेकिन यह उसका पहली बार था इसलिए घबराहट हो रही थी लेकिन जिस तरह से हलवाई की बीवी एकदम सहज भाव से उसे बातें कर रही थी और सब कुछ धीरे-धीरे खोल दी चली जा रही थी उसे देखते हुए सुरज अपने आप से ही बातें करते हुए बोला यह क्या कर रहा है सुरज यही सब तो तू चाहता था औरतों के साथ मस्ती करने की कल्पना में ही दिन रात खोया रहता था जब मौका ढूंढता था तब मौका तुझे नहीं मिलता था आज अपने आप से मौका मिल रहा है तो जो आंख क्यों चुरा रहा है कर दे जो तेरे मन में है हलवाई की बीवी पकवान से भरी हुई थाली है और उसे देखकर अगर मुंह चुरायेगा तो तो कभी भी अपना पेट नहीं भर पाएगा आज नहीं तो कभी नहीं,,,। यही सब सोचते हुए पल भर में ही सुरज ने यह निर्णय कर लिया कि आज जो कुछ भी उसके साथ हुआ है उसे देखते हुए अगर आज वह हलवाई की बीवी को चोद नहीं पाया तो वह जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा इसलिए वह मन में ठान लिया था कि आज की रात जमकर हलवाई की बीवी को चोदेगा और चुदाई के अध्याय में अपना खाता खोलेगा,,,। यही सोचकर वह जवाब देते हुए बोला,,,।)

मुझे तुमसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता चाची,,,

फिर किस से डर लगता है,,,

तुम्हारी( इतना कहने के साथ ही सुरज अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर हलवाई की बीवी की मोटे मोटे पेट के नीचे अपनी हथेली ले जाते हुए सीधा अपनी हथेली को उसकी गरम-गरम बुर पर रखते हुए उसे हल्के से दबाव देते हुए उसे रगड़ते हुए बोला,,,) इस बुर से,,,,,,

( जैसे ही सुरज अपनी हथेली को हलवाई की बीवी की बुर पर रखा वैसे ही हलवाई की बीवी अपनी बुर पर सुरज की हथेली को महसूस करते हैं एकदम से सिहर उठी और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।)

ससससहहहह,,,आहहहहह,,, सुरज,,,,।

इस से डर लगता है उल्का चाची मुझे तुम्हारी बुर से,,,,( सुरज एकदम बेशर्म की तरह हल्के हल्के हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर को अपनी हथेली से रगड़ ते हुए बोला,,,, वह अपने हाथ से हलवाई की बुर को स्पर्श कर रहा था,,, उसे यह स्पर्श बेहद उन्माद से भरा हुआ और बेहद अद्भुत महसूस हुआ था जिंदगी में किसी भी चीज को छूने में इतना आनंद उसे नहीं आया था जितना आनंद उसे हलवाई की बीवी की गुलाबी रंग की बुर को छूने में आ रहा था,,, सुरज को अपने अंदर कुछ पिघलता हुआ महसूस हो रहा था,,, सुरज की हरकत की वजह से हलवाई की बीवी की हालत खराब होती जा रही थी क्योंकि सुरज उसकी बुर को लगातार अपनी हथेली को जोर-जोर से रगड़ रहा था,,,,। पल भर में ही सुरज के साथ-साथ हलवाई की बीवी मदहोश होने लगी,,,, वह लंबी सांसे लेते हुए वापस पीठ के बल हो गई लेकिन सुरज अपनी हथेली को उसकी दोनों टांगों के बीच से बाहर नहीं खींच पाया उसे मजा आ रहा था,,,।

ओहहहह,,, सुरज तुझे ईससे डर क्यों लगता है जबकि तेरे जैसे छोकरे तो इसके पीछे पड़े रहते हैं,,,,( सुरज की हथेली की रगड़ को अपनी बुर पर महसूस करते हुए वहां मस्ती भरी आवाज में बोली,,,।)

मैं भी हमेशा से बुर के ही सपने देखा करता था लेकिन कभी हकीकत में उसे नजर भर कर देखा नहीं था और ना ही उसे स्पर्श किया था,,,,। तुम्हारे इतने करीब आकर मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरी इच्छा पूरी हो जाएगी जिसके लिए मैं तड़पता था मुझे उस बुर के दर्शन जरूर हो जाएंगे,,,।( सुरज होले होले से अपनी हथेली को हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर पर मसलते हुए बोला,,,।)

क्या तुम्हें पूरा यकीन था कि आज तुम्हारी इच्छा पूरी हो जाएगी,,,,( हलवाई की बीवी सुरज की तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,,।)

यकीन तो नहीं था लेकिन फिर भी ऐसा लग रहा था,,,( वह सुरज के मोटे खड़े लंड को जो कि अभी भी टावर के अंदर तंबू सा शकल लिए खड़ा था उसे देखते हुए बोली,,,।)

धीरे-धीरे दोनों को मजा आ रहा है पहली बार रहो किसी औरत की बुर को अपनी हथेली से मसल रहा था और सच पूछो तो उसे बुर मसलने में इतना ज्यादा आनंद आ रहा था कि वह बयां नहीं कर सकता था बुर की नरमाहट और गर्माहट दोनों काबिले तारीफ थी,,, औरत की बुर छूने में मर्दों को इतना आनंद आता है इस बात का पता सुरज को आज ही चल रहा था,,,। हलवाई की बीवी आनंदित होकर अपना मदन रस धीरे-धीरे बुर में से बहा रही थी जिसकी वजह से सुरज की हथेलियां गीली होने लगी थी,,,, उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूखता चला जा रहा था आधी रात से ज्यादा का समय हो गया था ऐसे में पूरा गांव चैन के लिए सो रहा था लेकिन हलवाई की बीवी और सुरज दोनों की आंखों में नींद बिल्कुल भी नहीं थी दोनों एक ही खटिया पर सोते हुए एक दूसरे के अंगों से मजा ले रहे थे,, दोनों के बीच पूरी तरह से खामोशी छाई हुई थी बस दोनों की गरम सिस कारीयो की आवाज उस घर में गूंज रही थी,,,।


पेट के बल लेट होने की वजह से हलवाई की बीवी की भारी-भरकम साथिया उसकी सांसों की गति के साथ होले होले ऊपर नीचे हो रही थी जो कि बेहद मादकता का अनुभव करा रही थी यह सब देख कर सुरज के तन बदन में नशा सा छाने लगा था हालांकि अभी तक बुर को स्पर्श करने के बावजूद भी वह अभी अपनी आंखों से बुर के दर्शन नहीं कर पाया था,,, सुरज अब तक बुर के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था अच्छे से अपनी हथेलियों से स्पर्श करने के बावजूद भी उसके आकार की प्रतीति उसे बिल्कुल भी नहीं हो पा रही थी उसमें से निकल रहे चिपचिपी पदार्थ से वह पूरी तरह से व्याकुल हुए जा रहा था,,,। उस स्थिति पर की वजह से वह अपनी आंखों से हलवाई की बीवी की बुर के दर्शन करना चाहता था वह अपने आप को धन्य करना चाहता था दिन-रात औरतों के बदन को भरने के बावजूद भी वह औरतों के बदन से उनके अंगों से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था आज की रात उसके लिए औरतों के बदन के भूगोल को समझने की रात थी आज के दिन वह पूरी तरह से मर्द बनना चाहता था,,, वह साफ तौर पर देखता रहा था कि उसके द्वारा बुर को रगड़ने की वजह से हलवाई की बीवी के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना खेल रही थी क्योंकि जब जब वह अपनी हथेली को जोर से उसकी बुर पर रगड़ता तब तब हलवाई की बीवी का बदन कसमसा ने लग रहा था बार-बार बाहर अपने गले को अपने ही थूक से गीला कर रही थी उसके चेहरे के हाव-भाव पूरी तरह से बदल चुके थे उत्तेजना के मारे उसका चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था,,,,


और वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी सुरज को इतना तो पता चल ही गया था अब अगर वह उसके साथ कुछ भी करेगा तो वह उसका विरोध बिल्कुल भी नहीं करेगी क्योंकि वह खुद जा रही थी कि सुरज सब कुछ उसके साथ करें इसलिए सुरज की हिम्मत बढ़ती जा रही थी,,,।
इसलिए सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही बड़ी बड़ी चूची ऊपर उसका ध्यान पूरी तरह से केंद्रित हो चुका था ब्लाउज के अंदर के अनमोल खजाने को वह अपने हाथ में पकड़ कर उसे टटोलना चाहता था दबाना चाहता था उसके रस को रसगुल्ले की तरह अपने मुंह में भर कर निचोड़ना चाहता था,,,। रखो पूरी तरह से मदहोश हो चुका था औरत के अंगों के बारे में जानने की उत्सुकता है उसकी बढ़ती जा रही थी उसकी रसीली बुर के साथ वह बहुत देर से अपनी हथेली से खेल रहा था लेकिन अभी तक उसके दर्शन नहीं कर पाया था और अब जाकर उसका ध्यान पूरी तरह से हलवाई की बीवी की खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी चूची पर केंद्रित हो चुकी थी इसलिए वह धीरे से उठ कर बैठ गया उसे यू उठ कर बैठता हुआ देखकर हलवाई की बीवी बोली,,,।

क्या हुआ सुरज,,,,

कुछ नहीं उल्का चाची तुम्हारी चूचियां परेशान कर रही है,,,।

( सुरज के मुंह से चूचियां शब्द सुनकर वो एकदम से मंत्रमुग्ध हो गई उसे उम्मीद नहीं थी कि सुरज इतनी जल्दी ओर इतना खुलकर बोल देगा,,, सुरज की बातों के साथ ही उसका ध्यान अपनी बड़ी बड़ी चूचियों की तरफ गई थी जोकि अपनी ब्लाउज के ऊपर के दो बटन को वह खुद अपने हाथों से ही खोल चुकी थी जिसकी वजह से लेटे होने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी भरे गुब्बारों की तरह इधर-उधर बिखरने के लिए बेताब थी लेकिन ब्लाउज में कैसे होने की वजह से बेहद कम सीन लग रही थी सुरज की बात सुनते ही उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा के साथ-साथ होठों पर मुस्कुराहट भी तैरने लगी और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

मेरी चूचियां तुझे इतनी परेशान कर रही है तो अपने हाथों से आजाद कर दे इन्हें,,,,( हलवाई की बीवी एकदम मादक स्वर में बोली साथ ही इन सब बातों के साथ वातावरण में हलवाई की बीवी की कलाई में ढेर सारी चूड़ियों की खनक की आवाज भी गूंज रही थी जिसकी वजह से वातावरण में मादकता का असर और ज्यादा फैलता चला जा रहा था,,। हलवाई की बीवी की तरफ से यह प्रस्ताव सुनते ही उत्तेजना के मारे सुरज के रोंगटे के साथ-साथ उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया सुरज अपनी जिंदगी में इस तरह का मादकता और उत्तेजना का अनुभव कभी नहीं किया था उसकी आंखों के सामने जवानी से भरपूर हलवाई की खटिया पर लेटी हुई थी सुरज के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी लेकिन आगे तो बढ़ना ही था एक औरत के द्वारा दिए गए प्रस्ताव को एक मर्द होने के नाते अगर वह पूरा नहीं करता तो एक औरत के सामने उसकी नजरों में वह गिर जाता उसकी मर्दानगी पर सवाल उठने खड़े हो जाते,,, लेकिन सुरज के साथ ऐसा कुछ भी नहीं था वह तो मचल रहा था अपने हाथों से हलवाई की बीवी के ब्लाउज के बटन खोलने के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिया लेकिन जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की ब्लाउज को उतारने जा रहा था उसके बटन को खोलने जा रहा था इसलिए लाजमी था कि उसके हाथों में कंपन हो रहा था और यह देखकर हलवाई की बीवी मन ही मन खुश हो रही थी,,,, रखो अपने कांपते हाथों से अपनी उंगलियों का सहारा लेकर जैसे ही अपने हाथ को ब्लाउज के बटन खोलने के लिए उसके ऊपर रखा,,, हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी चूचियों की नरमाहट ऊसे अपनी उंगलियों पर महसूस हुई ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नरम नरम रूई पर अपने हाथ रख रहा हो,,, एक जबरदस्त सुखद एहसास पूरी तरह से सुरज के तन बदन में फैल गया और यही हाल हलवाई की बीवी का भी हो रहा था,,, सुरज की उंगलियों को अपनी मदमस्त चुचियों पर महसूस करके वह पूरी तरह से मस्त हो गई और उसकी बुर से मदन रस का रिसाव होने लगा,,,,। सुरज हलवाई की बीवी की आंखों में आंखें डाल कर देते हुए उसके ब्लाउज के बाकी के बटन खोलना शुरू कर दिया लेकिन लगातार उसके हाथों में कंपन हो रहा था जिसे देखकर हलवाई की बीवी बोली,,।

लगता है तो पहली बार किसी औरत के कपड़े उतार रहा है,,

ऐसा ही समझ लो उल्का चाची मैं सच में जिंदगी में पहली बार किसी औरत के ब्लाउज के बटन खोल रहा हूं,,,।( उल्का चाची को झूठ बोला क्योंकि वह नहीं बताना चाहता कि वह गांव की बहुत औरतों को चोद चुका है)

और तुझे कैसा लग रहा है कि औरत के ब्लाउज के बटन खोलने में,,,

पूछो मत उल्का चाची पूरे बदन में शोले फूट रहे हैं मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या कर रहा हूं मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया है,,, मुझे आज ऐसा महसूस हो रहा है कि जिंदगी में औरतों के कपड़े उतारने से बेहतरीन काम और कोई नहीं है,,,

( ऐसा कहते हुए सुरज हलवाई की बीवी के बटन खोलने लगा,,, सुरज की बातें सुनकर हलवाई की बीवी मन ही मन प्रसन्न हो रही थी और वह उसे बड़े गौर से देख रही थी क्योंकि जैसे जैसे वह ब्लाउज के बटन खोलता जा रहा था वैसे वैसे उसके चेहरे के हाव भाव बदलते जा रहे थे देखते ही देखते सुरज हलवाई की बीवी के ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया और जैसे ही ब्लाउज का आखरी बटन खुला हलवाई की बीवी की बड़ी बड़ी मस्त मस्त खरबूजे जैसी चूचियां एकदम से पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा गई हलवाई की बीवी की छातियां काफी बड़ी थी और ऊपर से उसकी दोनों मदमस्त चूचियां ऐसा लग रहा था कि तालाब में दो बत्तख छोड़ दिए गए हो और दोनों इधर उधर भाग रहे हो,,,

हलवाई की बीवी की लहराती हुई चुचियों को देखकर सुरज के मुंह में पानी आ गया जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत की चूची को इतने करीब से देख रहा था,,,। उत्तेजना के मारे सुरज का गला सूख रहा था बड़ी बड़ी चूची को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी,,,, सांसे इतनी गहरी चल रही थी कि उसके नथूनों से निकल रही सांसो की गर्माहट सीधे हलवाई की बीवी के चेहरे तक पहुंच रही थी,,, सुरज अपने पूरे होशो हवास को बैठा था एक बेहतरीन नजारा उसकी आंखों के सामने था जिसकी अब तक वह सिर्फ कल्पना ही करता रहा था,,, वह मन ही मन अपनी मां को ढेर सारी दुआएं दे रहा था कि उसकी वजह से ही उसकी जिंदगी में आज ऐसा पल आया था कि आधी रात के समय पर किसी खूबसूरत गैर औरत की खटिया पर बैठकर उसके ब्लाउज के बटन खोल कर उसकी चूचियों को देख रहा था,,। हलवाई की बीवी की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध ना होता देखकर धीरे-धीरे सुरज की हिम्मत बढ़ने लगी थी इसलिए वह हलवाई की बीवी की इजाजत पाए बिना ही अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ा कर उसकी बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को समेटने लगा हलवाई की बीवी की चूचियां इतनी बड़ी थी कि उसके दोनों हथेली में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,,, चूची को छूने पर कैसा महसूस होता है सुरज को अब जाकर महसूस हुआ वह पागल हुआ जा रहा था,,,, उसकी चूचियों को हाथों में पकड़ने के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि बाहर से कड़क दिखने वाली चूचियां वास्तव में रुई की तरह नरम होती है जिसे वह अपने हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया था,,, उसकी चुचियों को दोनों हाथों से पकड़कर दबाने में सुरज को इतना आनंद आ रहा था कि वह मस्ती में आकर अपनी आंखों को मुंद लिया,,,,

जिस तरह से सुरज उसकी चूचियों को दबा रहा था हलवाई की बीवी को समझते देर नहीं लगी थी सुरज काफी ताकतवर है वह बड़ी ताकत लगाकर उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था दबा क्या रहा था उबले हुए आलू की तरह मसल रहा था लेकिन उसके इस तरह से मसलने से हलवाई की बीवी की आनंद की पराकाष्ठा बढ़ती जा रही थी,,।

ओहहहह,,,, सुरज कितना जोर जोर से दबा रहा है रे तू,,आहहहहह,,, मेरी तो जान ही निकली जा रही है,,,।

क्या करूं जाती जिंदगी में पहली बार किसी औरत की चूची को हाथ से पकड़ रहा हूं इसलिए मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,( सुरज जोर-जोर से चूचियों को दबाता हुआ बोला,,)

तो क्या दबा दबा कर जान निकाल लेगा क्या,,,

जान नहीं निकलेगी उल्का चाची मैं तो सुना हूं कि औरतों की चूचियों को जोर-जोर से जितना ज्यादा दबावों उतना ज्यादा मजा औरतों को आता है,,


हारे तुम्हें ठीक ही सुना है लेकिन तो कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा है देख तूने मेरी चूची को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया है,,,।( हलवाई के बीवी गर्म आहें भरते हुए बोली)

यह सब छोड़ो उल्का चाची बस मजे लो,,,( इतना कहने के साथ ही फिर से सुरज जोर-जोर से हलवाई की बीवी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया हलवाई की बीवी की चुचियों का कद इतना ज्यादा था कि उसकी हथेली में ठीक से आ नहीं पा रहा था तो वह रह रह कर एक ही चूची को दोनों हाथों से पकड़कर जोर जोर से दबा रहा था मानो किसी का गला घोट रहा हो लेकिन सुरज की इस हरकत की वजह से हलवाई की बीवी का तन बदन एकदम मदहोश हुआ जा रहा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी इसीलिए तो इस तरह से रगड़ रगड़ कर चूची को दबाने के बाद वह मस्ती में आकर आंखों को बंद कर ली थी,,

पहली बार औरतों की चूची हाथ में आते ही सुरज के अरमान जागने लगे थे आज पूरी तरह से वह औरत के हर अंग से मजे लेने के इरादे से हलवाई की बीवी की चूचियों से खेल रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथों में चूची नहीं फुटबॉल आ गया हो,,,, धीरे धीरे हलवाई की बीवी पूरी तरह से स्तन मर्दन के कारण उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना में होने के कारण उसकी चूची की निप्पल एकदम कड़क होने लगी थी जिसका एहसास सुरज को बराबर हो रहा था यह चूची में आए बदलाव को देखकर सुरज उत्सुकता के साथ साथ उत्तेजना का भी अनुभव करने लगा उससे रहा नहीं गया चॉकलेट की शक्ल की कड़ी निप्पल को देखकर उसके मुंह में पानी आने लगा उसे मुंह में लेकर चूसना चाहता था इसलिए वह अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए अपने मुंह को चूची की तरफ आगे बढ़ाया और देखते ही देखते,,, पूरी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, जैसे ही हलवाई की बीवी को यह एहसास हुआ कि उसकी निप्पल को सुरज अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया है तो इस अहसास से ही वह पूरी तरह से गदगद हो गई उसके मुंह से हल्की सी गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,।

ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,, सुरज,,,,,,
( हलवाई की बीवी एकदम मस्ती भरे सिसकारी लेते हुए अपने दोनों हाथ को सुरज के सर पर रख कर उसे हल्के से अपनी चूची पर दबाने लगी यह उसकी तरफ से ही सारा था कि पूरा मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दें और सुरज ने वही किया क्योंकि उसकी भी ललक बढ़ती जा रही थी उसकी चूची को पूरी तरह से मुंह में लेकर चूसने की जितना हो सकता था उतना वह मुंह में भर कर उसकी चूची के निप्पल को चुची सहित चूसना शुरू कर दिया,,, पल भर में ही सुरज के तन बदन में गर्माहट भर गई,,, जैसे जैसे वह औरतों के अंगों के बारे में समझता चला जा रहा था वैसे वैसे उनके साथ खेलने की युक्ति भी अपने आप ही उसके दिमाग में भर्ती चली जा रही थी उसे इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों की हर अंग से अत्यधिक आनंद की अनुभूति होती है वह एक हाथ से चूची को दबाते हुए और दूसरे हाथ में चूची को भरकर उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया था,,,। लेकिन हलवाई की बीवी की एक चूची से उसका मन नहीं भर रहा था वह कभी दाईं चूची को तो कभी भाई चूची को बारी-बारी से अपनी मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया हलवाई की बीवी सुरज कि इसका मुख हरकत से पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गई,,, उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी साथ ही उसकी कलाई में ढेर सारी चूड़ियों की खनक से पूरा कमरा गूंज रहा था,,,


बाहर ढेर सारे सीयारो का चिल्लाना जारी था लेकिन अपनी मादकता भरी सिसकारी और सुरज की हरकतों की वजह से बदन में फैल रही उत्तेजना के कारण वह अब सब कुछ भूल चुकी थी,,,,, वह अपनी दोनों हथेली को सुरज की नंगी पीठ पर ऊपर से नीचे घुमाते हुए उसके हौसले को बढ़ा रही थी,,, इस कशमकश में सुरज केतन से उसका तो लिया कब छूट कर नीचे जमीन पर गिर गया उसे पता ही नहीं चला वह पूरी तरह से नंगा था उसका लंड अपनी औकात में आ चुका था,,, इधर-उधर हाथ घुमाते हुए हलवाई की बीवी की उत्सुकता बढ़ने लगी तो वह अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर जैसे ही सुरज की टांगों के बीच अपना हाथ ले गई वैसे ही उसका खड़ा लंड उसके हाथ में आ गया और जैसे ही है उसका खड़ा मोटा तगड़ा लंबा लंड हलवाई की बीवी की नरम नरम हथेली में आया वह पूरी तरह से मस्त हो गई और उत्तेजना अवश्य जोर से सुरज के लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबा दी,,,, इस तरह से दबाए जाने से सुरज को अपने लंड में हल्के दर्द का एहसास हुआ तो वह उत्तेजना में आकर अपने दांत से हलवाई की बीवी की कड़ी निप्पल को हल्के से काट लिया और हलवाई की बीवी सिसक पड़ी,,,,।
हलवाई की बीवी के हाथों में उसकी मुंह मांगी मुराद आ गई थी जिंदगी में पहली बार हुआ इतने मोटे तगड़े लंड से मुखातिब हो रही थी भले ही वह अपनी जवानी के दिनों में ढेर सारी लंड को अपनी बुर में ले चुकी थी लेकिन सुरज के लंड में जो बात थी उसे इस बात का एहसास हो गया कि वह बात किसी के लंड में नहीं थी इतना मोटा तगड़ा और लंबा लंड वह जिंदगी में पहली बार देख रही थी और उसे अपने हाथ में लेकर उससे खेल रही थी,,,
सुरज पागल हुआ जा रहा था पहली बार उसका लंड किसी मोटी गढ़राई औरत के हाथ में जो आया था हलवाई की बीवी होले होले से सुरज के लंड को मुठिया रही थी और इस क्रिया को एक औरत के हाथों होता देख और उसे महसूस करके सुरज सातवें आसमान में उड़ने लगा था वह जोर-जोर से हलवाई की बीवी की दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर जोर-जोर से पीना शुरू कर दिया था हलवाई की बीवी की हालत पर फल खराब होती जा रही थी वह उत्तेजना के मारे अपना सर दाएं बाएं पटक रही थी और साथ ही सुरज के लंड को जोर-जोर से अपनी मुट्ठी में दबा कर हिला रही थी उसे इस बात का आभास हो चुका था कि कुछ देर बाद उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में जाने वाला है और इस बात से वह बेहद खुश थी आज की रात उसके लिए बेहतरीन रात होने वाली थी अपनी पति की गैरमौजूदगी में जिस तरह का कदम उसने उठाई थी उससे उसकी शरीर की भूख मिटने वाली थी ऐसा उसे ज्ञात हो चुका था वरना अब तक अपने पति की की हरकतों से केवल वह गर्म होती थी उसे ठंडा करने की ताकत उसके पति में बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

खटिया पर हलवाई की बीवी और सुरज का घमासान मचा हुआ था दोनों एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे सुरज पूरी तरह से नंगा था और हलवाई की बीवी के बदन पर अभी भी पेटीकोट बंधी हुई थी,,,। जिसे सुरज अपना एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलना शुरू कर दिया था और सुरज की इस हरकत की वजह से हलवाई की बीवी को समझते देर नहीं लगी की ब्लाउज के बटन खोलने वाला सुरज अब उसके पेटीकोट को खोलकर उसे पूरी तरह से नंगी कर देगा,,, और नंगी होने के अहसास से ही वह पूरी तरह से मस्त होने लगी उसके बदन में कसमसाहट होने लगी,,।
हलवाई की बीवी की दिल की धड़कन तेज हो गई सुरज की एक-एक हरकत उसके तन बदन में आग लगा रही थी,,, संपूर्ण रूप से नंगी होकर हलवाई की बीवी बहुत ही कम बार चुदवाई थी अक्सर वह कपड़े पहने हुए हालत में ही चुदवाती आ रही थी ज्यादा से ज्यादा ब्लाउज के बटन खुल जाते थे लेकिन ब्लाउज पूरी तरह से बदन से अलग नहीं होता था और चोदने के लिए बस काम भर की जगह ,,,बस साड़ी को कमर तक उठाकर शुरू पड़ जाता था उसका आदमी,,,। और जवानी के दिनों में भी बहुत ही कम कार ही ऐसा मौका मिला था जब वह निश्चिंत होकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर चुदाई का आनंद ली थी वरना इतना समय ही नहीं मिलता था कहीं खेत में तो कहीं छत पर तो कहीं पेड़ के पीछे बस सलवार की डोरी खोल कर उसे जांघों तक नीचे गिरा कर थोड़ा सा झुक जाती थी,,, और चुदाई हो जाती थी,,,। लड़कों में भी इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि उसके सारे कपड़े उतार कर चुदाई का मजा ले क्योंकि उनके पास भी समय का अभाव होता था समय का अभाव का मतलब की यह डर की कोई देख ना ले इसलिए जल्दी काम खत्म करने के चक्कर में हलवाई की बीवी के संपूर्ण नंगे बदन के दर्शन भी नहीं कर पाते थे बस उसकी बुर में लंड पेल कर,,, और ज्यादा कुछ हुआ तो कुर्ती के ऊपर से दोनों नारंगीयो को दबाकर मजा ले लिए,,, लेकिन हलवाई की बीवी को एहसास हो गया कि सुरज उनमें से बिल्कुल ही अलग है,,, क्योंकि वह उसके साथ एकदम इत्मीनान से आनंद ले रहा था और आनंद दे भी रहा था,,,।
चूचियों को तो पहले से ही वह दबा दबा कर एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया था,,, पहली बार हलवाई की बीवी को स्तन मर्दन में इतना ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी क्योंकि जिस शिद्दत से वह उसकी चुचियों पर डटा हुआ था उस तरह से आज तक उसके पति ने भी उसकी चुचियों से नहीं खेला था,,,।
सुरज भी अपने आप को पूरी तरह से हलवाई की बीवी के हर एक अंग से खेल कर अपने आप को तृप्त कर लेना चाहता था इसलिए उसके हर एक अंग पर कुछ ज्यादा ही समय देते हुए उससे पूरा रस निचोड़ रहा था क्या करें सुरज की कल्पना जो साकार होती नजर आ रही थी जिंदगी में पहली बार वह खरबूजे जैसी चुचियों को अपने हाथों में लेकर उससे खेल रहा था,,,।

लेकिन धीरे-धीरे हलवाई की बीवी के हालात पूरी तरह से बिगड़ते जा रहे थे लेकिन आनंद की परी काष्ठा बढ़ती जा रही थी क्योंकि अब सुरज धीरे-धीरे करके उसकी पेटीकोट की डोरी को खोल चुका था,,, डोरी के खुलते ही नितंबों के घेराव के इर्द-गिर्द कसी हुई पेटीकोट एकदम ढीली हो गई,,, डोरी के खुलते ही सुरज की भी हालत खराब होने लगी हलवाई की बीवी की मदमस्त भरी हुई जवानी की गर्मी उसके तन बदन से पसीने छुड़ा रही थी,,, हलवाई की बीवी इस बात से और ज्यादा खुश थी कि इस उम्र के दौरान भी वह जवान होते मर्दों के भी पसीने छुड़ाने में सक्षम थी,,, रह रह कर दोनों का गला उत्तेजना के मारे सूख जा रहा था और दोनों अपने थुक से अपने सूखे गले को गिला करने की कोशिश कर रहे थे,,, डोरी को खोल कर रखो हलवाई की बीवी के चेहरे की तरफ देखा तो वह उत्तेजना के मारे पूरी मदहोश हो चुकी थी उत्सुकता कामोत्तेजना और शर्म की लालिमा साफ उसके चेहरे पर झलक रही थी,,, लेकिन इन सब के दौरान भी उसके हाथ में सुरज का लंड बरकरार था वह उत्तेजना के मारे जोर जोर से सुरज के लंड को दबा रही थी,,,

उसे भी आश्चर्य हो रहा था क्योंकि काफी देर से वह सुरज के लंड से खेल रही थी लेकिन उसके लंड नहीं अभी तक पानी नहीं फेंका था वरना उसके पति का होता तो बस थोड़ा सा सहलाने पर ही पानी फेंक देता था,,, हलवाई की बीवी की पेटीकोट को उतारकर उसे नंगी करने के लिए सुरज पूरी तरह से तैयार हो चुका था लेकिन इससे पहले वह अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी के खुले हुए ब्लाउज पर रखकर उसे उतारने की कोशिश करने लगा तो हलवाई की बीवी समझ गई कि सुरज क्या करना चाहता है इसलिए खुद हल्के से थोड़ा सा ऊपर उठ गई और उसे अपना ब्लाउज अपनी दोनों बांहों में से निकलवाने में मदद करने लगी और देखते ही देखते सुरज उसके दोनों बांहों में से उसके ब्लाउज को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया कमर के ऊपर हलवाई की बीवी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,, उसकी दोनों चूचियां ब्लाउज की कैद से संपूर्ण रूप से आजाद हो चुकी थी और अपने पंख फड़फड़ा ते हुए उन्नत पहाड़ियों की तरह छातियों की शोभा बढ़ा रही थी,,
उसकी गहरी नाभि बेहद खूबसूरत लग रही थी सुरज उसकी गहरी नाभि को देखा कर उसे चुंबन लेने की अपनी लालसा और लालच को रोक नहीं पाया और धीरे से झुक कर उसकी नाभि पर अपने होंठ रख दिए,,, जैसे ही रखो उसकी नाभि ऊपर अपने प्यासे होंठ को रखा वैसे ही हलवाई की बीवी उत्तेजना के मारे सिहर उठी उसके मुंह से हल्की सिसकारी की आवाज फूट पड़ी,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहहह,,सुरज,,,,,,ओहहहहहह,,

हलवाई की बीवी का इतना कहना था कि रखो अपनी जीभ को बाहर निकाल कर उसकी नाभि की गहराई में उतार कर उसे गोल गोल घुमा कर चाटने का आनंद लेने लगा इससे पहले सुरज को इस तरह के ज्ञान का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था लेकिन धीरे-धीरे हलवाई की बीवी की संगत में वह अपने आप से ही सब कुछ सीखता चला जा रहा था हलवाई की बीवी सुरज की इस हरकत से बेहद कामुक सिसकारियां लेने लगी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द ने उसकी गहरी नाभि पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन किया था और उसमें अजीब डालकर उसे चाटने की एक अद्भुत प्रयास किया था जिससे हलवाई की बीवी पूरी तरह से काम विह्वल हो चुकी थी,,,, सुरज को मजा आ रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने दोनों हाथ एली को हलवाई की बीवी के कमर के इर्द गिर्द रखकर उसे जोर से दबाते हुए उसकी नाभि को चाटने का आनंद ले रहा था,,,। हलवाई की बीवी की हालत पर्पल खराब होती जा रही थी बार-बार उसकी बुरे से उत्तेजना के मारे मदन रस बह रहा था जिससे उसकी पेटीकोट नीचे की तरफ से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,।

ससससहहहह,,,आहहहहहहह, सुरज में पागल हो जाऊंगी तू यह क्या कर रहा है मुझसे रहा नहीं जा रहा,,,आहहहहहहह,,,, रघु,,,,ऊमममममम,,,


हलवाई की बीवी की गर्म से इस कार्यों की वजह से सुरज अपने तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रहा था लेकिन उसका भी लंड पूरी तरह से टन्नाया हुआ था,,, जो कि अभी भी हलवाई की बीवी के हाथ में ही था ना जाने कैसा आकर्षण था कि वहां रखो के मोटे तगड़े लंड को किसी भी हालत में छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं थी पहली बार हुआ इतनी देर तक किसी बंद को अपने हाथ में लेकर उससे खेल रही थी और ताज्जुब इस बात की थी कि अभी तक उसकी नरम नरम उंगलियों की गर्माहट पाकर भी उसका लंड अपना लावा पिलाया नहीं था बल्कि ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी नरम नरम उंगलियों का सहारा पाकर उसमें और ज्यादा मर्दाना जोश भरता चला जा रहा था,,,, कुछ देर तक सुरज उसकी नाभि में ही डाटा रहा ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नाभि के सहारे उसके पेट में उतर जाएगा उसका बस चलता तो वह अपनी लंड को उसकी नाभि में डालकर उसकी चुदाई कर देता क्योंकि वैसे भी हलवाई की बीवी के मोटे पेट के कारण उसकी नाभि की गहराई काफी गहरी थी,, सुरज के लंड में रक्त का प्रवाह बड़ी तेजी से हो रहा था,,,। अब वह हलवाई की बीवी को पूरी तरह से नंगी करना चाहता था इसलिए वह अपने दोनों हाथों को उसकी पेटीकोट पर रखकर नीचे खींचने वाला था कि एक नजर हलवाई की बीवी की तरफ डाला वह उसे ही बड़ी उत्सुकता से देख रही थी और जैसे सुरज की आंखों की भाषा व आंखों से ही पढ़ ली हो इस तरह से वह सुरज के इशारे को समझते हुए अपनी भारी-भरकम गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठा दी,,, उसकी यह अदा पर सुरज पूरी तरह से चारों खाने चित हो गया,,,, यही एक खास अदा होती है औरतों में अगर वह किसी मर्द के साथ संभोग नहीं करना चाहती है तो वह कभी भी उसे इस तरह से अपनी पेटीकोट या कपड़ा उतारने नहीं देगी लेकिन जब उस की हानि होगी तो खुद ब खुद उसकी बड़ी बड़ी गांड ऊपर की तरफ उठ जाएगी ताकि उसका साथी है उसका पेटीकोट या उसका कपड़ा उतार कर उसे पूरी तरह से नंगी कर सके,,,। और हलवाई की बीवी पूरी तरह से तैयार थे इसलिए जैसे ही हो अपनी गांड उठा कर रखो का सहकार देने की कोशिश की है सही मौके का फायदा उठाकर सुरज उसकी पेटिकोट को उसकी बड़ी बड़ी गांड से नीचे की तरफ खींच कर उसे पूरी तरह से नंगी कर दिया,,,,। अब सुरज की आंखों के सामने हलवाई की बीवी खटिया पर एकदम नंगी लेटी हुई थी,,, लेकिन एक अनजान लड़के के सामने वह पूरी तरह से सर में से गाड़ी जा रही थी वह बार-बार शर्म के मारे अपने चेहरे को इधर-उधर घुमा ले रही थी ना जाने क्यों इस समय वह सुरज से आंखें मिलाने से कतरा रही थी,,,, उसका शर्माना सुरज के कलेजे पर छुरियां चला रही थी जितना भी शर्म आ रही थी उतना ज्यादा उत्तेजना का अनुभव सुरज अपने बदन में कर रहा था उसकी मोटी मोटी चिकनी जांघें लालटेन की पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी,,, हलवाई की बीवी के संपूर्ण नंगे बदन को देखकर सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था जिंदगी में पहली बार में किसी औरत को एकदम नंगी देख रहा था हालांकि पहले भी वह औरतों के नंगी गांड और कभी कबार उनकी चुचियों के दर्शन कर चुका था लेकिन उसका यह पहला मौका था जब वह संपूर्ण रूप से एक औरत को नंगी देख रहा था,,,। पेटिकोट को उतारते समय हलवाई की बीवी के हाथ से सुरज का लंड छूट गया था जिससे वो और ज्यादा तड़प उठी थी हलवाई की बीवी अपनी मोटी मोटी जागो को आपस में सटाकर अपने अनमोल खजाने को छुपाए हुए थी,,,, और वही देखने के लिए सुरज के तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, इस समय दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी क्योंकि दोनों की बातें केवल इशारों में ही हो रही थी,,,।
सुरज अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों पर हाथ रखते हुए उसे एक दूसरे से दूर करने की कोशिश करने लगा लेकिन हलवाई की बीवी शर्म के मारे कसके अपनी दोनों टांगों को आपस में सट आए हुए थे और घुटनों से मोड़ें हुए थी,,,,

यह क्या कर रही है उल्का चाची अपनी टांगे खोलो मुझे देखना है,,,।

क्या देखना है तुझे मुझे शर्म आ रही है ऐसे ही रहने दें,,,


शर्म किस बात की उल्का चाची मैंने अपने हाथों से ही तुम्हारे कपड़े उतार कर तुम्हें नंगी किया हूं और अब शर्म कैसी,,,

पता नहीं लेकिन ना जाने क्यों तेरे सामने मुझे शर्म आ रही है,,,।

यह शर्म भी जाती रहेगी उल्का चाची बस एक बार अपनी दोनों टांगों को खोल दो मुझे अपने अनमोल खजाने को देखने दो मैं अपनी नजरों से तुम्हारे खजाने को लूटना चाहता हूं,,,,


नजरों से लूटकर कुछ नहीं होगा ना मेरा ना तुम्हारा इसे लूटने के लिए तुम्हें अपना हाथ लगाना होगा,,,
( हलवाई की बीवी शर्मा भी रही थी और इशारों में ऐसे अपनी अंदरूनी अंगों को छूने की इजाजत भी दे रही थी,,।)

तो देर किस बात की है उल्का चाची खोलो अपनी टांगों को मैं अपने हाथ से नहीं बल्कि अपने होठों से टटोलकर तुम्हारी बुर को देखना चाहता हूं,,,।( इतना कहते हुए सुरज एक बार फिर से अपनी दोनों हथेली को हलवाई की बीवी की नंगी जांघों पर रख दिया।)


ससससहहहह,,, सुरज,,,,,, तेरे हाथों में जादू है रे,,,,

तो इस जादू को बढ़ जाने दो चाची,,, तुम नहीं जानती कि मैं तुम्हारी बुर को देखने के लिए कितने तड़प रहा हूं,,,
( सुरज के मुंह से बुरे शब्द सुनते ही हलवाई की बीवी का पूरा बदन उत्तेजना के मारे कसमस आने लगा उसकी यह बात सुनते ही वह भी अपनी दोनों टांगों को खोल देना चाहती थी,,।)

क्यों अभी तक किसी की बुर नहीं देखा क्या,,,।

तुम पहली औरत हो उल्का चाची जिसकी बुर और जिस के नंगे बदन को मैं आज मैं देख रहा हूं,,,, बस उल्का चाची अब मत तड़पाओ,,, खोल दो अपनी टांगों को और समा जाने दो मुझे अपनी टांगों के बीच में,,,,( इतना कहने के साथ ही जैसे ही सुरज हलवाई की बीवी की मोटी मोटी टांगों को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर लगाते हुए एक दूसरे से अलग करने की कोशिश किया वैसे ही हलवाई की विधि संपूर्ण रूप से अपनी इच्छा दर्शाते हुए अपनी दोनों टांगों को खोल दी और जैसे ही हलवाई की बीवी की दोनों टांगे खुली सुरज उसकी टांगों के बीच के दृश्य को देखता ही रह गया लालटेन की पीली रोशनी में हलवाई की बीवी की रसीली बुर की गुलाबी फांकें बेहद साफ नजर आ रही थी,,,, एक चीज और उसकी नजर में आई थी जो कि उसे बेहद आश्चर्य कर गई थी उसे अब तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि औरतों के गुप्त अंग पर भी बाल होते हैं जैसे कि उसके लड़के इर्द-गिर्द थे वह हलवाई की बीवी की बुर के ऊपर के घुंघराले रेशमी बालों को देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया उससे रहा नहीं गया और अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी उंगलियों से छूने लगा सुरज की इस हरकत पर हलवाई की बीवी एकदम से सिहर उठी,,,, ।

ओहहहह सुरज,,,,, अब देख ले तेरी आंखों के सामने तुझे जो करना है कर ले,,,।
( हलवाई की बीवी की तरफ से यह कहना एकदम साफ इशारा था कि अब वह उसे चोदने के लिए कह रही थी,,, और आमतौर पर यही होता भी था उसके साथ जैसे ही वह थाने खोल दी थी उसका आदमी उस पर चढ़कर उसकी बुर में लंड डालकर बस दो-चार धक्के नहीं झड़ जाता था,, उसका आदमी क्या शादी के पहले जवानी के दिनों में जिसके लिए भी अपनी दोनों टांगे खोली थी वह सीधा उसकी बुर में लंड पेन देता था लेकिन शायद सुरज उन मर्दों में से बिल्कुल भी नहीं था वह हलवाई की बीवी की बुर के आकार का पूरी तरह से मुआयना कर रहा था उसे बड़ा ही ताज्जुब और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था वह बड़े गौर से अपनी उंगलियों से टटोल टटोलकर उसकी बुर को उसकी रूपरेखा को देख रहा था उसमें से मदन रस का रिसाव बराबर हो रहा था जिससे उसकी उंगलियां गीली होती चली जा रही थी लंड में ऐसा महसूस हो रहा था कि उस की नसें फट जाएंगे इतना अत्यधिक वह उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,।
सुरज की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी वह दोनों टांगों के बीच आ गया और धीरे से अपने चेहरे को उसकी बुर के करीब ले जाने लगा,,,। जैसे-जैसे उसका चेहरा हलवाई की बीवी की टांगों के बीच के एकदम करीब आता जा रहा था वैसे वैसे बउर से उठा रही मादक खुशबू उसके नथुने से होकर उसकी छातियों में भर रही थी एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन में छा रहा था और देखते ही देखते उसके होंठ कब उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों पर स्पर्श कर गए यह ना तो सुरज को पता चला और ना ही हलवाई की बीवी को जब इस बात का आभास हुआ तब काफी देर हो चुकी थी सुरज भी बेहद ताज्जुब में था कि यह कैसे हो गया,,, उसके होंठ औरतों के उस अंग पर कैसे पहुंच गए जहां से वह पेशाब करती है लेकिन अब रखो मैं इतनी हिम्मत नहीं थी कि अपने होठों को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से जुदा कर सके क्योंकि उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी ना जाने यह कैसा सुख था जिसे वह महसूस तो कर रहा था लेकिन समझ नहीं पा रहा था,,,। देखते ही देखते उसके होंठों के बीच से उसकी जीभ बाहर निकल कर उसकी बुर में समा गई वह थोड़ी ही देर में अपनी जीभ से उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया एक अद्भुत सुख का अहसास हलवाई की बीवी को अपने आगोश में ले लिया वह समझ ही नहीं पा रही थी कि यह सब क्या हो रहा है,,, उसे तो आज तक उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचने के बावजूद भी पता नहीं था कि औरतों की बुर चाटी भी जाती है और उसमें औरत को बेहद सुख की अनुभूति होती है,,,। हलवाई की बीवी पागल हुए जा रही थी लगातार उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज फूट रही थी जो कि पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,। उसकी गरम शिसकारियों की आवाज छोटा कमरा होने के नाते उसे बाहर भी जाती होगी लेकिन आधी रात के समय उसे सुनने वाला कोई नहीं था,,,। सुरज तो पागल हुआ जा रहा था वह पूरी तरह से हलवाई की बीवी की रसीली बुर को चाट रहा था जो कि इस समय फुल कर एकदम कचोरी जैसी हो चुकी थी वह अपनी हथेली की उंगलियों को भी उस पर रगड़ रहा था लेकिन अभी तक उसे बउर के गुलाबी छेद के बारे में पता नहीं था,,, इतनी देर से हलवाई के बीवी के रंगों से खेलने के बावजूद भी उसे इस बात का पता अब तक नहीं चला था कि अपने लंड को औरत की बुर में कैसे डालते हैं,,, लेकिन इस बात का पता उसे जल्द ही चल गया क्योंकि वह हलवाई की बीवी की बुर को चाटने के साथ-साथ अपनी उंगलियों को उस पर रगड़ भी रहा था जिससे उसकी एक उंगली झट से उसकी बुर की गुलाबी छेद में उतर गई और वह उस समय एकदम से घबरा गया उसका दिल धक से कर गया लेकिन उसे इस बात का आभास हो गया कि इसी क्षेंद में लंड को डाला जाता है,,,


गुलाबी छेद के बारे में पता चलते ही सुरज से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने लंड को उसकी बुर के अंदर डालकर उसको चोदना चाहता था और यही हाल हलवाई की बीवी का भी था वह पागल हुए जा रही थी,,,। अपनी बुर के अंदर सुरज की उंगली को महसूस करते ही उससे सब्र करना मुश्किल हुए जा रहा था और उत्तेजना बस सुरज अपनी घुसी हुई उंगली को जोर-जोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया,,,, हलवाई की बीवी के माथे से पसीना छूटने लगा बड़ी तेजी से सुरज की उंगली उसकी बुर के अंदर बाहर हो रही थी वैसे तो लुगाई की बीवी के मोटे तगड़े शरीर के हिसाब से छोटी सी उंगली की कोई भी साथ नहीं थी लेकिन कई महीनों से उसकी बुर के अंदर अच्छी तरह से लंड प्रवेश नहीं किया था इसलिए लोगों की उंगली से भी उसे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी,,, सुरज की हरकत की वजह से हलवाई की बीवी के मुख से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज फूटने लगी,,,

ससससहहहह,,,आहहहहहहह,,,,ओहहहहहह, रघु,,,,, मेरे राजा तूने तो कमाल कर दिया है रे,,,। तेरी मुरली से जब इतना मजा आ रहा है तो जब तेरा लंड मेरी बुर में जाएगा तब कितना मजा आएगा,,,,।

ओहहहह, उल्का चाचीयह क्या कह रही हो चाची,,,, तुम्हारी बातों से तो मुझे नशा चढ़ने लगा है,,,आहहहहहहह,,,,, चाची,,,,, बहुत गरम बुर है तुम्हारी,,,,,,
( हलवाई की बीवी के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर हो पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह जोर-जोर से अपनी उंगली को उल्का चाचीकी बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते वह अपनी दूसरी वाली को भी उसकी बुर के अंदर सरका दिया,,,, दूसरी उंगली के बुर में घुसते ही हलवाई की बीवी एकदम मदहोश होने लगी,,,, अब उसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था अब वह चाहती थी कि सुरज अपनी उंगली बाहर निकाल कर इतना मोटा तो बड़ा लंड उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दे और सुरज भी यही चाह रहा था,,,। हलवाई की बीवी कुछ बोलती इससे पहले ही वह अपनी उंगली को बाहर निकाल कर कुछ पल के लिए गहरी गहरी सांसे लेने लगा,,,, दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था हलवाई की बीवी का तो पानी निकल चुका था लेकिन वह असली सुख के लिए तड़प रही थी और सुरज अभी तक पूरी तरह से बरकरार था उसके लंड में उत्तेजना चिंगारियां फूट रही थी लेकिन अभी तक उसका ज्वाला फूटा नहीं था,,,, लेकिन अब वक्त आ गया था असली खेल का जो कि आज तक सुरज ने नहीं खेला था,,,, सुरज को शांत होता देखकर हलवाई की बीवी हल्के से अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा और फैला दी और अपने हाथों की कहानी का सहारा लेकर थोड़ा सा ऊपर उठी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच दौड़ाने लगी हलवाई की बीवी अपनी बुर का मुआयना कर रही थी वह देखना चाहती थी कि सुरज की उंगली से चुदकर उसकी बुर का क्या हाल है,,,,, और अपनी बुर को देखते ही उसे एहसास हो गया कि उसकी बुर का बुरा हाल था,,, उत्तेजना और लंड की लालच में उसकी बुर फूल कर एकदम कचोरी जैसी हो गई थी,,,, रेशमी बालों के झुरमुट के बीच उसकी गुलाबी रंग की पत्तियां बेहद मोहक लग रही थी,,,, आज बरसों के बाद उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बुर का आकर्षण अभी भी पहले की ही तरह है भले ही थोड़ा सा खुल गई हो तो क्या हुआ अभी भी उस में इतना जोश भरा हुआ है कि वह इस जवान लड़के को अपनी तरफ पूरी तरह से आकर्षित कर रही है,,,।

आज की रात हलवाई की बीवी कुछ ज्यादा ही बेशर्मी दिखा रही थी,,,, वह गहरी गहरी सांसे ले रही थी अपने बदन की उत्तेजना उससे दब नहीं रही थी वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी,,,। हलवाई की बीवी की मदहोशी को देखकर सुरज बोला,,,।

कैसा लगा चाची,,,,( सुरज अपने खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हलवाई की बीवी को दिखा कर हिलाते हुए बोला,,,)

बहुत मजा आया लेकिन में चाहती हूं कि तू अपने इस,,( एक हाथ की उंगली से सुरज टैलेंट की तरफ इशारा करते हुए और दूसरी हथेली को अपनी गुलाबी बुर पर रगड़ ते हुए,,) मोटे तगड़े लंड को मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई कर दे,,,,, रघु,,,,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,।

तुम मुझसे ही कहां रहा जा रहा है चाचा मैं तो तुम्हारी आज्ञा का इंतजार कर रहा था,,,,।


आज की रात तुझे मेरी तरफ से पूरी छूट है तू जो चाहे वह मेरे साथ कर सकता है,,,, बस मुझे मस्त कर दे मुझे तृप्त कर दे प्यासी मत छोड़ना अधूरी मत छोड़ना,,,,।

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो चाचा मेरा यह लंड तुम्हारी बुर में जाकर ऐसा गदर मचाएगा की तुम्हारी आंखें फटी की फटी रह जाएगी,,,, आज तुम्हारी बुर को चोद कर भोसड़ा बना दूंगा,,,,( सुरज अपने टन टनाए हुए लंड को हिलाते हुए बोला,,,,।)

कहने और करने में बहुत फर्क होता है सुरज मैंने अच्छे-अच्छे को बीच मझधार में डूबते हुए देखी हूं,,,,, मुझे नहीं लगता कि तू मेरी बुर की प्यास बुझा पाएगा,,,,,( हलवाई की बीपी लगातार सुरज को उकसाने हुए अपने गुलाबी बुर को जोर जोर से मसल रही थी और यह देखकर और उसकी बातें सुनकर सुरज का पाना चढ़ने लगा था,,,,, वह उसकी बातें सुनकर एकदम जोस से भर चुका था और वह खटिया पर से खड़ा हो गया और एक तरह से अपने लंड को अच्छी तरह से हलवाई की बीवी को दिखाते हुए बोला,,,।)

अगर आज उल्का चाचीमैं तुम्हारी बुर का भोसड़ा ना बना दिया तो मैं कभी अपनी शक्ल तुम्हें नहीं दिखाऊंगा,,,,।


बोल मत कर के दिखा,,,,

यह बात है तो रुको आज मैं तुम्हें दिखा देता हूं कि यह सुरज क्या चीज है,,,,।( इतना कहने के साथ ही रखो कटोरी में रखे हुए सरसों के तेल को अपनी हथेली पर गिरा कर उसे अच्छे से अपने लंड पर लगाकर मालिश करने लगा,,, सुरज अक्सर अपने घर में सरसों के तेल से अपने लंड की मालिश किया करता था,,, तभी तो सरसों के तेल को पी पी कर उसका लंड एकदम मुसल की तरह हो गया था,,, आधी रात से ज्यादा का समय हो चुका था पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था,,, केवल कुत्तों के भौंकने और सियार के चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी,,,, गांव में कजरी अपने बेटे सुरज का इंतजार कर कर के थक हार कर सो गई उसे क्या पता था कि आज सुरज घर से बाहर निकल कर हलवाई की बीवी के साथ अपनी मर्दानगी का खाता खुलवा रहा है,,,, और हलवाई की बीवी का आदमी दूर किसी गांव में नदी में पकोड़े छानने में व्यस्त था और उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि वह उधर शादी में पकौड़ी छान रहा है और उसकी बीवी घर में गैर मर्द से अपनी कचोरी पर चटनी गिरवानी के लिए आतुर है,,,,।

छोटे से कमरे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था लालटेन की पीली रोशनी में हलवाई की बीवी का नंगा बदन पूरी तरह से नहाया हुआ था,,,,। सुरज बड़े अच्छे से सरसों तेल से अपने लंड की मालिश कर रहा था जैसे कि एक सैनिक युद्ध के मैदान में जाने से पहले अपने बंधु को मैं तेल पानी देकर उसे एकदम दुरुस्त कर लेता है ताकि गोली ठीक समय पर फूटे,,,,,,

आप अपने लंड की मालिश करते करते सुबह कर दोगे या इधर भी आओगे मेरी बुर में आग लगी हुई है,,,,।

चिंता मत करो रानी तुम्हारी बुर की आग में ही बुलाऊंगा मुझे ऐसा लग रहा है कि आज मेरी मां ने मुझे घर से मेरा उद्धार करने के लिए ही निकाली थी साथ में तुम्हारा भी उद्धार मेरे ही लंड से होगा,,,
( हलवाई की बीवी सुरज के मुंह से कितनी खुली बातें सुनकर एकदम मस्त होने लगी मदहोशी उसकी आंखों में छाने लगी वह पूरी तरह से नशे में हो गई थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी पुर में चीटियां रेंग रही हो वह जल्द से जल्द सुरज के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी वह उसकी मोटाई को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर महसूस करना चाहती थी,,,। वह जिस तरह से अपनी हथेली से लगातार अपनी पुर की गुलाबी पत्तियों को मसल रही थी उसे देखते हुए सुरज के सब्र का बांध टूटने लगा,,,, और वह अपने सरसों में सने हुए लंड को एक हाथ से हिलाते हुए सीधे खटिए पर बैठकर अपने लिए हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों के बीच जगह बनाने लगा,,, खटिया पर आते ही हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा और फैला दी,,,,। सही मायने में औरतों का यही रूप सबसे ज्यादा कामुक होता है उनकी यह हरकत बेहद कामाोतेजना और कामुकता से भरी होती है,,,, कितना मोहक और बेहद आकर्षक लगता है और कितना अतुल्य पल होता है जब एक औरत एक मर्द के लिए अपनी दोनों टांगों को खुद ब खुद खोलती है यह उसकी तरफ से पूरी तरह से समर्पण की स्वीकृति होती है,,,, और औरत का यही रूप देखने के लिए हर मर्द लालायित रहता है,,,, सुरज को भी हलवाई की बीवी की यह अदा और हरकत बेहद मनमोहक और आकर्षक लगी थी,,,, और उसकी यही हरकत पर सुरज का लंड अपना मुंह उठाकर उसकी मदमस्त जवानी को सलामी भर रहा था,,,,।

बिना अनुभव के बिना किसी दिशानिर्देश के सुरज खटिया पर अपने घुटनों के बल होकर हलवाई की बीवी की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैलाते हुए अपने लिए जगह बना लिया था आज तक उसे पता नहीं था कि औरत की बुर की अंदर कौन से स्थान पर रखकर अपने लंड को प्रवेश कराया जाता है लेकिन जैसे-जैसे हलवाई की बीवी के अंगों से खेलने के बाद पल बीतता जा रहा था वैसे वैसे उसका अनुभव बढ़ता जा रहा था और उसका दिमाग भी बहुत तेजी से चल रहा था,,,, सुरज एक बार हलवाई की बीवी की बुर गुलाबी छेद के प्रवेश द्वार को अपनी उंगलियों से टटोलकर पूरी तरह से तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए एक बार फिर से वह अपनी अंगुली से उसकी गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियों को टटोल ते हुए उस में उंगली डालकर अपनी सही दिशा पर ध्यान केंद्रित कर चुका था वह एक हाथ की उंगली से उसकी गुलाबी बुर की पत्तियों को टटोल ते हुए अपनी दूसरे हाथ में अपनी खड़े लंड को लेकर उसे धीरे से उसके सुपारी को उस गुलाबी छेद के ऊपर रख दिया,,,, जैसे ही हलवाई की बीवी को अपनी बुर की गुलाबी पत्ती के ऊपर सुरज के मोटे तगड़े गरम लंड का एहसास हुआ वह पूरी तरह से उत्तेजना में आकर सिहर उठी,,,,,आहहहहहहह रघु,,,,, उसके मुंह से गर्म सिसकारी के साथ सुरज का नाम निकल गया,,,,,।

जिंदगी में पहली बार अपने लंड को किसी औरत की बुर के ऊपर रखकर सुरज पूरी तरह से जोश में आ गया था उसकी उत्तेजना और प्रसन्नता समाए नहीं समा रही थी वो बेहद खुश था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आसमान में उड़ रहा हो उसे जन्नत का मज़ा मिलने लगा था लेकिन अभी तो उसका लंड केवल पुर के प्रवेश द्वार पर ही दस्तक दे रहा था अभी तो अंदर घुसकर पूरी तरह से तसल्ली करना बाकी था,,,। सुरज को इतना तो पता ही था कि चोदने के लिए बुर के अंदर लंड डालना बेहद जरूरी होता है और बुर के अंदर लंड कैसे घुसता है ये भी वह जान चुका था,,, हालांकि अभी तक वह अपनी जिंदगी में किसी भी बुर के अंदर अपने लंड को डाला नहीं था लेकिन उसे एहसास हो गया था कि बुर के अंदर लंड को कैसे डाला जाता है,,,, हलवाई की बीवी अपने दोनों हाथों की कहानी का सहारा लेकर अपने गर्दन को ऊपर उठाकर अपनी नजरों को सीधा अपनी टांगों के बीच स्थिर किए हुए थी वह अपनी आंखों से देखना चाहती थी कि सुरज क्या करता है अपनी बुर के ऊपर लेटे हुए लंड को देख कर उसे इस बात का एहसास हो गया था कि रखो का लंड को ज्यादा ही मोटा और लंबा है जो कि बड़े आराम से उसकी बुर के ऊपर रेशमी बालों के झुरमुट पर लेटा हुआ था,,,,, हलवाई की बीवी को अपनी रेशमी बालों के झुरमुट पर लेटे हुए सुरज का लंड काले नाग की तरह लग रहा था जो कि उसकी गुलाबी बिल में जाने के लिए बेताब था,,,,।
सुरज की सांसे बेहद गहरी चल रही थी उसका चौड़ा सीना लालटेन की रोशनी में बेहद मोहक लग रहा था उसकी चौड़ी छाती को देखकर हलवाई की बीवी समझ गई थी कि सुरज पूरी तरह से मर्दाना ताकत से भरा हुआ जवान लड़का है जिसकी बाहों में अपने आप को छुपाकर वह चुदाई के मजे को भरपूर तरीके से लूटेगी।

सुरज अपने हाथ में अपने खड़े लंड को पकड़ कर उसके सुपाड़े को जोर-जोर से हलवाई की बीवी की गुलाबी बुर पर पटकने लगा,,,,

आहहहहह,,, रघु,,,,, क्या कर रहा है मुझे चोट लग रही है,,,
( हलवाई की बीवी मस्ती के साथ गर्म आहे लेते हुए बोली,,,।)

सससससससहहहहह,,,चोट लग रही है चाची,,,,सससहहहह,,,,, बस इतने से ही तुम्हें चोट लग रही है जब मेरा मोटा लंड तुम्हारी बुर के छोटे से गुलाबी छेद में घुसेगा तब क्या होगा,,,,( सुरज एकदम मस्ती में आकर बोला सुरज की बात सुनकर हलवाई की बीवी को इस बात का एहसास हो गया था कि वाकई में सुरज जो कह रहा था वह बिल्कुल सच था सुरज के मोटे लंड की मुकाबले उसकी बुर का छेद छोटा था,,, क्योंकि उसके पति का लंड सुरज के लंड से आधा ही था,,,,, लेकिन फिर भी वह सुरज के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए बेताब थी,,,।)

कुछ नहीं होगा बस तू अपने लंड को मेरी बुर में डाल दें,,,,

( हलवाई की बीवी के उतावलापन को देखकर सुरज से भी रहा नहीं गया और वह अपने लंड को कपड़े को अच्छी तरह से उसके गुलाबी छेद पर रखकर हल्के हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा पहले से ही हलवाई की बीवी की बुर से ढेर सारा नमकीन मदन रस बह रहा था जिसकी चिकनाहट पाकर उसका लंड का सुपाड़ा धीरे-धीरे उसकी बुर के अंदर प्रवेश करने लगा,,,। और जैसे-जैसे उसके मोटे लंड का छोटा टुकड़ा उसकी बुर के अंदर घुस रहा था वैसे वैसे हलवाई की बीवी के चेहरे पर दर्द की आवाज साफ नजर आ रही थी उसके चेहरे के हाव भाव पल पल बदलता हुआ नजर आ रहा था,,,, हलवाई की बीवी को इस बात का एहसास हो गया कि उसके सोचने के मुताबिक सुरज के लंड का सुपाड़ा काफी मोटा है अब तो उसे दर्द भी होने लगा था लेकिन दर्द के बाद मिलने वाले अद्भुत सुख को महसूस करने के लिए वह इस दर्द को झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार थी,,,, सुरज अपने लंड को हलवाई की बीवी की बुर में डालने के प्रयास में जुटा हुआ था वह पूरा जोर लगा दे रहा था लेकिन उसके लंड का मोटा से बड़ा हलवाई की बीवी की बुर के गुलाबी से छोटे से छेद को भेद पाने में असमर्थ लग रहा था,,,। इसका एक कारण यह भी था कि सुरज अनुभव ही न था अगर उसे औरत की बुर में लंड डालने का अनुभव होता तो अब तक वह उसकी बुर को फाड़ चुका होता है,,,। उसे लगने लगा कि उसका प्रयास सफल नहीं हो पाएगा तो वह वापस अपने लंड को उसकी बुर से बाहर खींच लिया और इस बार वह ढेर सारा थूक अपनी हथेली पर लेकर अपने लंड की सुपाड़े पर अच्छे से लगाने लगा,,, थूक लगाने से उसका लंड पूरी तरह से लिसलिशा हो गया,,, अब उसे पूरा यकीन हो गया कि इस बार उसका लंड पूरी तरह से अपना झंडा बुर में गाड़ कर ही आएगा,,,,

यह सब हलवाई की बीवी बड़ी उत्सुकता बस देख रही थी और बोली,,,

मैं कह रही थी ना कहने और करने में बहुत फर्क होता है,,, तुझसे भी नहीं होगा,,,,

आज तक कोई ऐसा काम नहीं है उल्का चाचीजो मुझसे ना हुआ हो यह भी होगा और बराबर होगा,,,,( सुरज अपने लंड पर अच्छे से थुक को लगाते हुए बोला। वह एक बार फिर से अपनी जगह लेते हुए अपने लंड की सुपाड़े को उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रख दिया,,,, इस बार सुरज ने कोई भी गलती नहीं किया और देखते ही देखते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा हलवाई की बीवी की बुर में प्रवेश करने लगा लेकिन हलवाई की बीवी का दर्द बरकरार था जिंदगी में पहली बार वह इतने मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में जो ले रही थी,,,, जैसे-जैसे उसका लंड का सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियों को चीरता हुआ अंदर धंस रहा था वैसे वैसे दर्द की रेखाएं हलवाई की बीवी के सुंदर चेहरे पर अपना असर दिखा रही थी,,,, सुरज को काफी मेहनत लग रही थीं वह पसीने से तरबतर हो चुका था साथ ही दर्द के मारे हलवाई की बीवी अपने दातों को दबाए हुए थी,,,। सुरज अभी तक थोड़ा एहतियात बरत रहा था लेकिन अब उसे लगने लगा था कि थोड़ा कठोर बंद दिखाना जरूरी है तभी वह अपनी मंजिल तक पहुंच सकेगा इसलिए वह अपने दोनों हाथों से हलवाई की बीवी की मांसल कमर को दबोच लिया और इस बार वह कचकच आ गए जबरदस्त धक्का लगाया और उस धक्के के साथ ही उसका मोटा तगड़ा लंड का मोटा सुपाड़ा सरकते हुए सीधे बुर के द्वार के भीतर प्रवेश कर गया,,,,, सुरज चुदाई की पहली सीढ़ी को पार कर गया था लेकिन इस सीडी को पार करते हुए हलवाई की बीवी को बेहद दर्द भी दे रहा था वह दर्द से कराह उठी धक्का इतना जबरदस्त और तेज था कि फिर भाई की बीवी के मुंह से चीख निकल गई लेकिन उस चीज को उस सन्नाटे में उस वीराने में सुनने वाला इस समय कोई नहीं था,,,।

बाप रे बाप ओ मोरी दैया,,,,, मेरी तो जान निकल जाएगी,,, यह क्या किया सुरज तूने,,,,,( इतना जबरदस्त दर्द हो रहा था कि हलवाई की भी एकदम से डर गई थी कहीं उसकी बुर फट जाएगी इसलिए वह गर्दन उठाकर अपनी बुर की तरफ देख रही थी हलवाई की बीवी का इस तरह से अपने बुर को आश्चर्य से देखना शायद सुरज समझ गया था इसलिए वह उसकी कमर था में हुए ही बोला,,,)

चिंता मत करो उल्का चाचीबुर फटी नहीं है अभी सलामत है,,,,।

आहहहहहहह,,,, हाय राम तूने तो मेरी हालत खराब कर दी रे मैं तो समझी कि मेरी बुर आज गई,,,,,आहहहहहहह,,,, मैं मर जाऊंगी बहुत दर्द कर रहा है निकाल ले तू इसे तेरा लैंड है कि मुसल है निकाल इसे ,,,,,

( हलवाई की बीवी दर्द से छटपटा रही थी वह जानती थी कि शुभम के लंड की मोटाई उसकी बुर की छेद से काफी बड़ा था इसलिए उसे इस तरह का दर्द हो रहा था,,,, लेकिन सुरज पहली बार किसी औरत की बुर में अपना लंड मिल रहा था इसलिए उस में से निकालने की उसकी इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी,,,, वह अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर हलवाई की बीवी के दोनों खरबूजे को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाते हुए बोला,,,।)

नहीं उल्का चाचीअब यह मुमकिन नहीं है,,,, मेरा मन बिल्कुल भी नहीं कर रहा है तुम्हारी बुर से अपने लंड को बाहर निकालने का अब तो मन कर रहा है कि तुम्हें ऐसा पेलु के जिंदगी भर याद रखो,,,,

हलवाई की बीवी की बुर में दर्द भी हो रहा था लेकिन ट्रकों की बातें सुनकर उसका हौसला भी बढ़ रहा था उसे एहसास हो रहा था कि सुरज उसे सबसे अच्छा सुख देने वाला है उसे तृप्त कर देने वाला है इसलिए वह भले ऊपर से बोल रही थी कि अपने लंड को बाहर निकाल ले लेकिन अंदर से यही चाहती थी कि वह अपने लंड को बाहर ना निकालें,,,, ना जाने कैसे सुरज पहली बार में ही औरतों के साथ कैसा व्यवहार उसके अंगों से कैसे खेला जाता है सब कुछ सीखता चला जा रहा था वह होले होले से उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था जिससे स्तन मर्दन की वजह से एक बार फिर से हलवाई की बीवी के तन बदन में काम भावना जागृत होने लगी थी,,,,

ससससहहहह,,,आआहहहरह,,,,सुरज,,,,ओहहहहहह,,, मेरे राजा मजा आ रहा है बहुत मजा आ रहा है,,,,

हलवाई की बीवी की यह बातें सुनते ही रहो को लगने लगा कि अब आगे बढ़ना जरूरी है क्योंकि लोहा एक बार फिर से गर्म होने लगा था सुरज का लंड टस से मस नहीं हो रहा था वह धीरे-धीरे सुपारी को ही अंदर बाहर करके हलवाई की बीवी को चोदना शुरू कर दिया अंदर की चिकनाहट पाकर उसका लंड धीरे धीरे अंदर की तरफ घुसता चला जा रहा था,,,। हलवाई की बीवी के चेहरे की रंगत एक बार फिर से फीकी पड़ने लगी क्योंकि जैसे जैसे रखूं करेंगे अंदर घुस रहा था वैसे वैसे फिर से उसे दर्द का एहसास हो रहा था,,,
काफी मशक्कत करने के बाद सुरज आधे से ज्यादा लंड को हलवाई की बीवी की बुर में प्रवेश करा चुका था,,,, सुरज के माथे से पसीने की बूंदें टपक रही थी जो कि हलवाई की बीवी के गोरे चिकने पेट पर गिर रही थी,,, अपने पेट पर गिरते हुए पसीने की बूंदों को देखकर हलवाई की बीवी को एहसास हो गया था कि उसकी चुदाई करना बच्चों का खेल नहीं था,,, वैसे भी उसका पेट काफी निकला हुआ था और जिस तरह से सुरज उसे चोद रहा था उसकी बुर में लंड पर रहा था इस तरह से सामान्य तौर पर आम इंसान ही नहीं कर पाते क्योंकि इसके लिए लंबा मोटा तगड़ा लंड की जरूरत होती है और ऐसा अब तक हलवाई की बीवी ने किसी के पास नहीं देखी थी लेकिन सुरज की बात अलग थी सुरज का आधे से ज्यादा लंड उसकी बुर में घुस चुका था लेकिन हलवाई की बीवी को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई गरम रोड उसकी बुर में पूरी तरह से घुस गया हो और उसमें बिल्कुल भी जगह नहीं बची थी अंदर लेने के लिए,,,, इसलिए तो हलवाई की बीवी आश्चर्य से बोली,,,

पूरा घुस गया क्या,,,?

नहीं उल्का चाची अभी थोड़ा बाकी है,,,,

कितना बाकी है रे मेरी बुर में तो जगह ही नहीं बची,,,( इतना कहकर वो फिर से अपनी गर्दन उठा कर अपनी टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेने के लिए अपनी नजर वहां पर दौड़ आने लगी तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि शुभम का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में पूरी तरह से घुसा हुआ था और अभी भी लगभग 3 इंच जैसा बाकी था,,,,,)

बाप रे बाप तेरा लंड तो लगता है मेरी बुर फाड़ देगा मेरी बुर में करे लंड को लेने के लिए जगह नहीं बची है,,,

जगह तो बनाई जाती है उल्का चाचीइतना कहने के साथ ही सुरज एक बार फिर से हलवाई की बीवी की कमर को अपनी दोनों हथेलियों में कस के दबोच कर एक जबर्दस्त प्रहार किया और इस बार उसका लंड का सुपाड़ा बुर की अंदरूनी अड़चनों को चीरता हुआ सीधा जाकर उसके बच्चेदानी से टकरा गया,,,

आहहहहहहह,,,,, मर गई रे,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह छटपटाने लगी जो दर्द से बिलबिला उठी थी उसे यह दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था अब वह सच में यही चाहती थी कि सुरज अपने लंड को उसकी बुर से बाहर निकाल ले,,,, सुरज कहां मानने वाला था जवानी के जोश से भरा हुआ था पहली बार उसे चोदने के लिए मलाईदार बुर जो मिली थी वह अपने लिंग को उसकी बुर से निकालने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था बस थोड़ा सा ठहर गया था और पहले की ही तरह एक बार फिर से उसकी दोनों चूचियों को हाथ में पकड़ कर दबाते हुए इस बार उसे मुंह भर कर पीना शुरू कर दिया,,,, जिससे थोड़ी ही देर में एक बार फिर से हलवाई की बीवी को मजा आने लगा और उसके मुंह से हल्की हल्की सिसकारी की आवाज आने लगी ,,, सुरज पूरी तरह से उसके ऊपर लेटा हुआ था और हलवाई की बीवी अपनी दोनों टांगों को छीतराए हुए थी,,, उसकी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर सुरज का हौसला बढ़ने लगा और वह हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया अब बड़े आराम से उसका लंड बुर के अंदर बाहर हो रहा था,,,,

पूरी तरह से आनंद में डूबकर हलवाई की बीवी सुरज की नंगी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगी उसे मजा आने लगा देखते ही देखते सुरज की कमर जोर से ही ना शुरू कर दी,,,।
कमर को हिलाते होगे कब वह धक्के लगाने लगा या उसे पता ही नहीं चला उसके धक्के बढ़ने लगे वह बड़ी तेजी से हलवाई की बीवी की बुर में धक्के लगा रहा था और हर धक्के के साथ पूरी खटिया चरमराने लगी थी,,, चररर मरररर,,,चररर,,,मरररर,,,, की आवाज और गर्म सिसकारियों से पूरा घर गूंजने लगा,,,

ओहहहहहह,,, मेरी राजा बहुत मजा आ रहा है तेरा लंड सीधे मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा,,,, और जोर जोर से धक्के लगा,,,आहहहहहहह,,,आहहहहहहह,,,,
( उसकी यह सब बातें सुनकर सुरज का जोश बढ़ता जा रहा था और वह बड़ी तेजी से अपना कमर हिला रहा था हलवाई की बीवी के बच्चेदानी से टकराने वाली बातों से समझ में नहीं आई थी और ना ही वह कुछ जानना चाहता था लेकिन वह इतना जरूर जानता था कि अगर वह और जोर जोर से धक्के लगाएगा तो खटिया टूट जाएगी इसलिए वह शंका जताते हुए बोला,,,,।)

ओहहहहहह,,, उल्का चाची कहीं तुम्हें पेलने में तुम्हारी खटिया ना टूट जाए,,,,,

नहीं टूटेगी मेरे राजा शीशम की लकड़ी से जो बनवाई है तेरे हर धक्के को मेरे साथ साथ मेरी खटिया भी झेल जाएगी बस तो धक्के लगाता रे,,,,

( हलवाई की बीवी के मुंह से हौसला अफजाई वाली बात सुनकर सुरज दुगने जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिया वह बड़ी जोर जोर से हलवाई की बीवी की दोनों चूचियों को पकड़ कर मसल ता हुआ अपनी कमर हिला रहा था,,,ठप्प ठप्प,,, की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था हलवाई की बीवी की मोटी मोटी जांघों से जब जब सुरज की जान रख रही थी तब तब उसमें से मधुर संगीत की आवाज गूंज रही थी साथ ही उसकी गरम सिसकारियां और उसकी चूड़ी की खनक पूरे माहौल को मादकता प्रदान कर रही थी,,,।
सुरज पागल हुए जा रहा था आज उसे पता चला था कि जुदाई में कितना आनंद मिलता है जो दुनिया में कहीं नहीं मिलता वह हर धक्के के साथ हलवाई की बीवी की चुचियों को जोर से मसल दे रहा था जिससे उसकी आह निकल जा रही थी,,,,,

देखते ही देखते दोनों चरमसुख के करीब पहुंचने लगे हलवाई की बीवी की सिसकारियां तेज होती जा रही थी और सुरज पागलों की तरह अपनी कमर हिला रहा था वह अपनी दोनों हाथों को हलवाई की बीवी के पेट के नीचे से लाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया वह उसे अपने सीने से लगा लिया उसकी निर्धन धर्म चूचियां उसके सीने पर ठोकर मारने लगी और इस बार सुरज अपनी हिम्मत दिखाते हुए,,, अपने होठों को हलवाई की बीवी के गुलाबी रखते हुए होंठ पर रखकर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया यह भी हलवाई की बीवी के लिए बिल्कुल नया था आज तक उसके होठों को उसके पति ने भी नहीं चुसा था,,, एक तरह से उसका आदमी इतनी खूबसूरत बेबी होने के बावजूद भी संभोग कला से बिल्कुल विमुख था,,, वहीं पर सुरज पहली बार में ही औरतों को कैसे खुश किया जाता है इस कला में निपुण होने लगा था देखते ही देखते जिस तरह से सुरज उसके गुलाबी होठों को चूस रहा था उसी तरह से वह भी सुरज के होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दी थी यह उसके लिए पहला अनुभव था और बेहद आनंददायक था,,, उसे इस तरह के चुंबन में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह भी पागलों की तरह उसका साथ दे रही थी,,,,।
काम भावना के वशीभूत होकर हलवाई की बीवी पूरी तरह से मदहोश होकर सुरज के पूरे तन पर अपना हाथ फेर रही थी,,,। देखते ही देखते चरम सुख के बेहद करीब पहुंचकर वह अपने दोनों हाथों से लोगों के नितंबों को पकड़कर उसे अपनी बुर पर दबाना शुरू कर दी,,,,

ओहहहहह,, सुरज मेरे राजा ऐसे ही चोद ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा,,,आहहहहहहह,,,,,आहहहहहहह,,,,, फाड़ दे मेरी बुर को सुरज मेरी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,आहहहहह,,,आहहहहह,,, मेरा होने वाला है मेरा होने वाला है सुरज,,,,,,,,ओहहहहहहह, रघु,,,,,आहहहहहहह,,,,
( इतना कहने के साथ ही हलवाई की बीवी चरम सुख के अंतिम क्षण में सुरज के जबरदस्त धक्कों के आगे ठहर नहीं पाई और भल भला कर झड़ने लगी,,,,,)
ऊऊऊमममम,,,ऊमममममम,,,,,( इतना कहते हुए वह जोर से सुरज को अपनी बाहों में कस ली,,, उसकी बुर से मदन रहने लगा था लेकिन अभी भी सुरज बरकरार था,,, इसलिए वह हलवाई की बीवी के ऊपर से उठा और घुटनों के बल बराबर बैठ कर हलवाई की बीवी को कमर से पकड़ कर उसे अपनी जांघों पर खींच लिया,,,, और बिना रुके चुदाई करना शुरू कर दिया अब उसे खटिया टूटने का डर बिल्कुल भी नहीं था और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 10 15 धक्कों के बाद वह भी झड़ने लगा,,,, सुरज कैलेंडर से निकले हुए गरम लावा को अपनी बुर के अंदरूनी दीवारों पर महसूस करके हलवाई की बीवी एकदम तृप्त होने लगे और एकदम से मस्त हो गई,,,,
झड़ने के बाद सुरज हलवाई की बीवी के ऊपर ही लेटा रहा,,,,

वासना का तूफान शांत हो चुका था जिंदगी में पहली बार अद्भुत तृप्ति का अहसास से पूरी तरह से भर चुकी थी हलवाई की बीवी चुदाई का असली मजा उसे सुरज के साथ आया था,,,, और सुरज की जिंदगी में पहली बार हलवाई की बीवी की चुदाई करके इतना मस्त हो चुका था कि उस पर मदहोशी अभी तक छाई हुई थी उसे इस बात का एहसास हो गया कि औरत की चुदाई से ज्यादा सुख और कहीं नहीं मिलता वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था हलवाई की बीवी पूरी तरह से थक चुकी थी उसकी आंखों में नींद भरी हुई थी और वह सोने लगी थी लेकिन सूचियों की गर्माहट और रसीली बालू अलीपुर देखकर एक बार फिर से सुरज गर्म होने लगा,,,,। खटिया पर लेटी हुई हलवाई की नंगी बीवी को देखकर उसका लंड खड़ा होने लगा और वह एक बार फिर से हलवाई की बीवी की टांगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी बुर के अंदर डालना शुरू कर दिया,,,।
हलवाई की बीवी पूरी तरह से नींद में थी लेकिन अपनी बुर के अंदर मोटा लंड प्रवेश करते ही उसकी नींद खुल गई और वह एक बार फिर से सुरज को अपनी बाहों में ले ली,,, एक बार फिर से सुरज की कमर चलने लगी एक बार फिर हलवाई की बीवी तृप्ति के एहसास में डूबने लगी सुबह होने तक सुरज उसके तीन बार जमकर चुदाई कर चुका था और उजाला होने से पहले युवा उसके घर से बाहर निकल गया हलवाई की बीवी उसी तरह से निर्वस्त्र हालत खटिया पर बेसुध होकर होती रही,,, पंछियों की कलकलाहट की आवाज से जब उसकी नींद खुली तो अपनी हालत देखकर वह शर्म से पानी पानी हो गई कोई जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी,,,।


सुरज की जिंदगी की सबसे बेहतरीन रात गुजर चुकी थी,,,। आज की रात के बाद से उसकी जिंदगी की नई शुरुआत हो रही थी इस रात ने सुरज को एकदम से बदल कर रख दिया था,,, उसके सोचने समझने का तरीका एकदम से बदल गया था,,,। जिंदगी में पहली बार वह औरत के बदन के हर एक पन्ने को अपने हाथ से एक-एक करके खोल कर उनका अध्ययन जो कर चुका था स्कूल की किताबों से शायद उसका कोई वास्ता नहीं था लेकिन औरत के जिस्मानी शब्दों को वह भली-भांति समझ गया था,,, सुरज काफी खुश नजर आ रहा था वह अपने खेतों में इधर से उधर घूम रहा था,,, हालांकि अभी भी वह अपने घर नहीं गया था,,।
हलवाई की बीवी ने अपनी जिंदगी की सबसे बेहतरीन और संतुष्टि भरी रात गुजारी थी,, जिसकी कसक अभी तक उसके बदन में महसूस हो रही थी,,। सुरज के एक-एक जबरदस्त धक्के को याद करके मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,। उसने कभी जिंदगी में नहीं सोची थी कि उम्र के इस पड़ाव पर आकर उसे इस तरह से एक अद्भुत सुख का अनुभव होगा,,,। सुरज के साथ रात गुजारने का उसे बिल्कुल भी मलाल नहीं था,,। भले ही वह अपने पति को धोखा दे चुकी थी लेकिन जिंदगी का बेहतरीन सुख उसने प्राप्त की थी,,,

रूपाली परेशान थी सुबह हो चुकी थी लेकिन सुरज का कहीं भी अता पता नहीं था,,, लेकिन थोड़ी देर बाद सुरज को आता देख कर रुपाली ने राहत की सास ली और और सुरज को खाना परोस कर उसे सोने के लिए कहा,,,
 

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