Incest गांव की कहानी

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गांव में ऐसा शायद पहली बार हो रहा था कि, एक लड़का खुद अपनी शादी की बात करने अपने ससुराल गया था,,,, जबकि ऐसा बिल्कुल भी होता नहीं था गांव में बड़े बुजुर्ग मां-बाप अपने लड़के लड़की का रिश्ता तय करते थे अपने हिसाब से,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता था कि जवान लड़का अपना रिश्ता लेकर अपने ससुराल जाए और लड़की का हाथ मांगे,,,, लेकिन सूरज के मामले में कुछ और था,,, वह अपने घर पर किसी को भी नहीं बताया था कि वह गांव की लड़की झुमरी से बेहद प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है उसे पूरा विश्वास था कि उसकी बात गौरी की मां जरूर मान जाएगी क्योंकि उससे शारीरिक रिश्ता जो था और वह गौरी की मां की कमजोरी को अच्छी तरह से जानता था गौरी की मां की कमजोरी थी उसका मोटा तगड़ा लंड,,, जिसके बलबूते वह अपने मन की बात गौरी की मां से मंगवाना चाहता था और उसने वैसा ही किया गौरी की मां सूरजके मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में देने के लिए तड़प रही थी और सूरजउसे तड़पा रहा था वैसे तो वह चाहे जिस हाल में उससे झुमरी का हाथ मांगता हुआ देने को तैयार हो जाती लेकिन सूरजयह देखना चाहता था कि उसके बगैर गौरी की मां कैसे तड़पती है इसीलिए तो वहां गौरी की मां की बुर में लंड डालने से पहले अपने मन की बात उससे मनवा लिया था और उसका दामाद बनने के बाद फायदा भी गिनवा दिया था कि उसकी लड़की के साथ शादी करने के बाद भी वह पूरी तरह से उसे खुश करता रहेगा और इसी लालच से गौरी की मां तैयार भी हो गई थी और वैसे भी सूरजगांव में धीरे-धीरे पूरी तरह से वर्चस्व कारी इंसान बनता जा रहा था लाला का एकदम खास होता जा रहा था आमदनी भी अच्छी होती जा रही थी इसलिए ऐसा कौन होगा जो ऐसे लड़के से अपनी लड़की का विवाह नहीं करना चाहेगा इसीलिए तो झुमरी की मा भी मान गई थी,,,

गौरी की मां अब एक तरह से सूरजकी सास बन चुकी थी लेकिन फिर भी अपने ही दामाद से चुदवा रही थी,,, उसके मोटे तगड़े लंबे दमदार लंड की रगड़ को वह अपनी बुर में अच्छी तरह से महसूस कर रही थी,,,,,,,,

सूरजने अपनी ही शादी की बात करके अपने जीवन में पहला सबसे बड़ा काम कर चुका था वैसे तो उसने इस उमर में ना जाने कैसे कैसे अद्भुत कार्य कर चुके थे लेकिन यह कार्य उसके लिए बेहद संतोष कारी था क्योंकि यह कार्य करके वह खूबसूरत लड़की के साथ अपना जीवन गुजारना चाहता था अपने माता-पिता को तो वह कभी भी इस विवाह के लिए मना सकता था क्योंकि उसे पूरा विश्वास था कि उसके माता-पिता इस रिश्ते के लिए कभी भी इनकार नहीं करेंगे आखिरकार वह परिवार का कमाऊ पूत जो बन चुका था,,,,,,

ऐसे ही एक दिन खेतों में पानी देना था रूपाली परेशान थी क्योंकि अकेले यह काम उससे होने वाला नहीं था,,,, लेकिन सूरज का कहीं अता पता नहीं था,,, उसे वाकई में सूरजके मदद की जरूरत है खेत पर चलने के लिए इस समय परिवार का कोई भी सदस्य नहीं था वैसे तो मंजू घर पर ही थी लेकिन घर में काम बहुत था इसलिए वह मंजू को घर का काम करने के लिए कही थी और जाते-जाते हिदायत दी थी कि सूरजजैसे ही आया उसे खेत पर भेज देना इस बात पर उसकी ननद चुटकी लेते हुए बोली थी,,,

क्यों भाभी बुर में खुजली हो रही है क्या,,,?

धत्,, भोसड़ा चोदी,, तुझे हमेशा यही सुझता रहता है क्या,,,

नहीं ऐसा तो नहीं है लेकिन जिस तरह से तुम सूरजको खेत पर भेजने की बात कर रही हो मुझे तो ऐसी लग रहा है कि जैसे तुम्हें आज कुछ ज्यादा ही खुजली मची हुई है,,,

अरे मेरी पुर में नहीं तेरी बुर में आग लगी हुई है अगर ऐसा है तो सूरजघर पर आए ना तो पहले उसके सामने दोनों टांगे खोल देना और जब शांत हो जाना तब खेत पर भेज देना,,,

अच्छा मुझे शांत करने के बाद ताकि वह तुम्हें शांत कर सके,,,


हाय दैया यह कब सुधरेगी,,,, दीन रात इसकी बुर में आग लगी रहती है आने दे तेरे भैया को तेरी शादी की बात करती हु ताकि दिन-रात अपनी बुर में लेकर पड़ी रहना अपने आदमी का,,,,


ना मेरी प्यारी भाभी ऐसा बिल्कुल भी मत करना आदमी कैसा भी मिल जाए लेकिन उसका लंड सूरज की तरह बिल्कुल भी नहीं होगा इतना लंबा और मोटा तगड़ा लंड है सूरजका की कसम से मैं तो सोच कर ही मायूस हो जाती हूं की शादी के बाद मेरा क्या होगा सूरजके बिना तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा,,,

तू एक काम कर सूरज से ही शादी कर ले फिर दिन रात उससे चुदवाते रहना,,,,

सच कह रही हो भाभी अगर समाज का डरना रहता तो मैं सूरज से ही शादी कर लेते अगर मुझे मौका मिले सूरज को लेकर कहीं और चले जाने को तो मैं चली जाऊं जहां हम दोनों को कोई ना पहचानता हो जानता हो ताकि हम दोनों पति पत्नी बन कर रह सके और जिंदगी का मजा लूट सके,,,


हाय दैया कितनी हारामी है रे तू चुदवाने के लिए अपने ही भतीजे से शादी करना चाहती है,,,,,

तू क्या हुआ भाभी जिंदगी का असली सुख तो चुदाई में ही है बाकी सब बेकार है अगर यह सुख ना मिले तो फिर जिंदगी किस काम की,,,

तेरे से तो बात करना ही बेकार है जैसा कहीं हूं वैसा ही करना सूरजको जल्दी खेत पर भेज देना खेतों में पानी देना है वरना फसल नष्ट हो जाएगी,,,


ठीक है भाभी,,,(मंजू हंसते हुए बोली,,,, और रूपाली खेत के लिए चली गई,,,, मंजू घर में बर्तन मांजने लगी,,, और बर्तन साफ करते हुए वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर सच में उसकी शादी ऐसे आदमी से हो गई जिसका लंड सूरजकी तरह नहीं हुआ तो उसका क्या होगा सूरज के लंड को अपनी बुर मे लीए तो अब उसको मजा ही नहीं आता,,,, यह सोचकर वह अपने मन में ही बोली मैं तो शादी ही नहीं करूंगी ताकि सूरजसे मजा ले सकूं,,,, वह बर्तन मांज कर उठी ही थी कि सूरजआ गया,,,, और आते ही हाथ मुंह धोने लगा और बोला,,,)


मौसी जल्दी से खाना निकालो मुझे बड़े जोरों की भूख लगी है,,,(यह सुनकर मंजू बोली)

तेरी भूख तो रोटी खाने से पूछे जाएगी लेकिन मेरी भूख का क्या मुझे तो तेरे लंड की भूख है जब तक तू इसे मेरी बुर में डालकर जो देगा नहीं तब तक मैं भूख से तड़पती रहूंगी,,,


हाय मेरी रानी मौसी तू तो एकदम छिनार हो गई है तेरी बातें सुनकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,(पजामा के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए)

तो देर किस बात की है मेरे राजा,,(इतना कहने के साथ ही उत्तेजित अवस्था में मंजू अपने सलवार की डोरी खोलने ही वाली थी कि उसे रोकते हुए सूरजबोला,,)

थोड़ा रुको मेरी रानी खाना तो खा लेने दो उसके बाद तुम्हारी जमकर चुदाई करूंगा,,,,
(इतना सुनकर मंजू खुश हो गई और वह सूरजके लिए खाना परोसने लगी वह भी खाना नहीं खाई थी इसलिए वह भी अपने लिए थाली परोस ने लगी और थोड़ी ही देर में दोनों खाना खाने लगे लेकिन खाना खाते-खाते सूरजबोला,,,)

क्या हुआ आज कैसा खाना बनाई हो दाल में तो नमक ही कम लग रहा है,,,

हाय राजा दाल का नमक तो तू चख रहा है लेकिन मेरी जवानी का नमक भी चख ले,,,

हाय मेरी रानी सच में अगर दाल में तेरी जवानी का नमक घुल जाए तो दाल और भी ज्यादा स्वादिष्ट हो जाएगी,,,,

रुक तुझे नमक कम है ना अभी तुझे नमक देती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही मंजू अपनी जगह पर खड़ी हो गई अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी और अगले ही पल वाली सलवार की डोरी खोलकर सलवार को अपने कदमों में गिरा दी और अपनी मंजू बुर को सूरजके सामने परोस ते हुए बोली,,,)

मेरे राजा नमक लेने तेरी दाल में नमक कम है ना रोटी में डूबा डूबा कर खा ले,,,,
(अपनी मौसी के इस रंडी पन पर सूरज पूरी तरह से उत्तेजित हो गया वह जानता था कि उसे क्या करना है वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मौसीकौन से नंबर की बात कर रही है इसलिए वह अपने खाते में से रोटी लेकर उसे तोड़कर उस रोटी के टुकड़े को सीधा अपनी मौसीकी बुर से लगा दिया जिसमें से उसका काम रस टपक रहा था और काम रस की वजह से उसकी पूरी बुर भीगी हुई थी और उसी रस में सूरजपूरी तरह से अपनी रोटी के टुकड़े को डुबोकर उसे वापस दाल में डालकर खाने लगा,,,, यह देखकर मंजू एकदम से उत्तेजित हो गई और वह अपने हाथों से अपने कुर्ते के ऊपर से अपनी चूची को जोर जोर से दबाना शुरू कर दी यह देखकर सूरजके तन बदन में भी आग लग गई और वह रोटी के टुकड़े को बार-बार तोड़कर उसकी बुर्के काम रस से लगा था और फिर दाल में डालकर उसे खाता इस तरह से हुआ है मंजू की बुर में अपनी रोटी को डुबोकर खा रहा था जिससे उसका स्वाद एकदम बढ जा रहा था,,,,)

वह मौसी कमाल का स्वाद है तुम्हारी बुर दाल तो एकदम स्वादिष्ट हो रही है तुम्हारी बुर नमक दाल में गिरते ही दाल और भी ज्यादा लजीज हो गई है अब तो मैं ऐसा ही करूंगा तुम्हारी बुर में रोटी डूबा डूबा कर खाऊंगा,,,,

ओहहहह सूरज मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मेरी बुर में आग लगी हुई है तो जल्दी से इसमे अपना लंड डाल‌ दे,,,,
(मंजू एकदम तड़प रही थी मचल रही थी सूरजके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए अपनी मौसीकी तरफ को अच्छी तरह से समझ रहा था वाकई में उसे लंड की बहुत जरूरत थी सूरजतब तक अपनी मौसीकी बुर में डूबा डूबा कर खाते हुए अपनी रोटी को खत्म कर चुका था और जब उसने देखा कि उसकी मौसीकी बुर से काम रस पानी की बूंद की तरह टपक रहा है तो वह खाली ऊपर की तरफ उठाया और अपनी मौसीकी दोनों टांगों के बीच रख दिया ताकि बुर से गिरने वाला काम रस उसके दाल में गिर कर उसे और स्वादिष्ट कर दे और जब 10 12 बूंद टपक कर थाली में गिरा तो सूरज बिना देर किए उसे मुंह से लगाकर पी गया,,,,, और जैसे ही थाली की दाल खत्म हुई थाली को एक तरफ रख कर सूरज अपना दोनों हाथ अपनी मौसी की गोल-गोल गांड पर रखकर उसे जोर से दवाई और उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी बुर पर अपना मुंह रख दिया जैसे ही सूरजके होंठ मंजू की‌ बुर पर स्पर्श हुआ मंजू पूरी तरह से तड़प उठी और तुरंत अपना हाथ उसके सर पर रख कर उसके बाल को कसके अपनी मुट्ठी में भींच ली सूरजजितना हो सकता था उतनी अपनी जीभ को अपनी मौसीकी बुर में डालकर उसे चाट रहा था थोड़ी ही देर में सूरजअपनी मौसी को चोदने के लिए तैयार हो चुका था और उसी अवस्था में ही वह खड़ा हुआ और अपने पहचाने को घुटने तक सरका कर अपनी मौसीकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेट लिया और उसके मंजू क्षेंद में अपना लंड डाल दिया,,, मोटा तगड़ा गरमा गरम लंड बुर में जाते ही गुलाब एकदम से तड़प उठी और कसकर सूरजको पकड़ ले सूरजमौका देखकर उसकी दूसरी टांग भी ऊपर उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और उसे गोद में उठा लिया सूरजका मोटा और लंबा लंड मंजू की बुर में घुसा हुआ था और वह उसे गोद में उठाए हुए हैं उसकी गांड को पकड़कर ऊपर नीचे करके उसे चोदना शुरू कर दिया मंजू पूरी तरह से मस्त हो गई थी वह सूरजकी ताकत को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए उसे गिरने का बिल्कुल भी डर नहीं था कि कि वह चाहती थी कि सूरजउसे गिरने नहीं देगा,,, सूरजसे गोद में उठाए हुए हैं आगे बढ़ा और दीवार से सटा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया मंजू पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी घर में कोई भी नहीं था इसलिए बस जोर-जोर से सिसकारी ले रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,, वह अपनी भाभी की कही बात को सच कर रही थी वह सूरज के सामने अपनी दोनों टांगें खोल चुकी थी,,,,,,,

थोड़ी देर में सब कुछ शांत हो गया सूरज अपने पजामे को कमर तक उठाकर उसे बांध लिया,,, और जैसे एकाएक मंजू को कुछ याद आया हो इस तरह से वह बोली,,,,।

अरे मैं एक बात तो भूल ही गई,,,

क्या,,,?


भाभी तुझे खेत पर बुलाई थी खेत में पानी देना है,,,,,, देखना खेत की जगह अपनी बुर में पानी ना डलवा ले,,,,
(अपनी मौसी की बात सुनकर सूरज मुस्कुराने लगा और मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया,,,, और थोड़ी ही देर में वहां खेत पर पहुंच गया जहां पर उसकी मामी खेत में सूखी हुई लकड़ियों का गट्टा बनाकर अपने कंधे पर उठाकर एक तरफ रख रही थी इस तरह से बहुत अपने कंधे पर उठाकर ले जाने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड कुछ ज्यादा ही उभरी हुई नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही सूरजके लंड में सनसनाहट होने लगी,,,, और वह अपनी मामी के पास गया और बोला,,,)

वाह तुम्हारी गांड तो कितनी बड़ी बड़ी लग रही है,,,,
(सूरज पीछे से जाकर बोला था इसलिए रूपाली को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसका भांजा खेत पर आ चुका है इसलिए वह एकदम से चौक गई और उसकी कंधे पर बोझा उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया और वह पीछे की तरफ देखी तो पीछे सूरज खड़ा था और वह गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर पर हाथ रख कर बोली,,,)


तू अभी आया है जब पूरा काम होने को आया है तब तू इधर आ रहा है,,,,(अपनी कमर पर दोनों हाथ रख कर गहरी सांस लेते हुए रूपाली गुस्से में बोल रही थी और ऐसा करने पर उसका रूप सौंदर्य और भी ज्यादा निखर गया था उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, और गर्मी का महीना होने की वजह से वह पसीने से तरबतर हो चुकी थी और पसीने की बूंदे उसकी गोरी गोरी चूचियों पर फिसल कर उसकी चूचियों के बीच की गहराई में डूब रही थी यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और बोला,,,)

वाह बनाने वाले ने भी क्या खूब चीज बनाया है मैंने आज तक इतनी खूबसूरत औरत नहीं देखा देखो तुम्हारी चूचियां कितनी चमक रही है धूप में और पसीने की बूंदे उसमें से फिसलती हुई किसी तुम्हारी चूची की गहराई में घाटी में गिर रही है,,,,,(यह सुनते ही रूपाली की नजराना ऐसी है अपनी छातियों पर गई और वह वाकई में पसीने को अपनी सूची की गहराई में जाता हुआ देखकर मुस्कुराने लगी और बोली,,,)

तू बहुत शैतान है तुझे जरा भी पता है कि मैं अकेले काम कर रही हूं और वह भी कड़ी धूप में,,,


क्या करूं मामी मैं जैसे घर पहुंचा मौसी ने जैसे ही मुझे बताई और मैं तुरंत यहां दौड़ता हुआ चला आया,,,, अब बोलो मुझे क्या करना है,,,,,

करना क्या है सब कुछ तो मैं कर चुकी हूं बस अब मशीन चालू करके पानी खेतों में देना है,,,, जो कि आप सिर्फ मशीन चालू करने का ही काम रह गया है खेत में पानी तो अपने आप ही चला जाएगा,,,,

तो रुको मैं मशीन चालू कर देता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही दोनों नीम के पेड़ के नीचे आ गए उसके घनी छांव में हवा लगने से रूपाली को थोड़ी राहत हो रही थी और वह अपने साड़ी के पल्लू से अपने माथे का पसीना पोंछतए हुए बोली,,,) अब जाकर थोड़ी राहत महसूस हो रही है वरना गर्मी से तो मेरी हालत ही खराब हो गई थी,,,,


थोड़ी देर यहीं बैठो सही हो जाएगा,,,,
(इतना कहने के साथ ही सूरज उसी पेड़ के नीचे बने छोटे से झुग्गी के अंदर गया और मशीन चालू करने लगा थोड़ी ही देर में मशीन चालू हो गई और उसमें से पानी निकलने लगा जो कि एक पाइप से निकलकर पहले टंकी में जाता था और फिर टंकी से होते हुए मिट्टी के नाली में से होकर खेतों में जा रहा था,,,,,,, सूरजभी बाहर आ गया और खटिया गिरा दिया जिस पर रूपालीबैठ गई और वह भी बैठ गया,,,,,, कुछ देर तक दोनों इधर-उधर की बातें करते रहे और रूपालीउठकर झुग्गी के पीछे की तरफ जाने लगी तो सूरजबोला,,,,।

कहां जा रही हो,,,

अभी आई,,,,

मुतने जा रही हो क्या,,,,

अरे बोली ना अभी आई,,,,,
(सूरज मुस्कुराता हुआ वहीं बैठा रह गया जब थोड़ा देर हो गया तो सूरज झुग्गी की तरफ जहां से ट्यूबवेल में से पानी गिर रहा था वहां देखा तो उसकी नजर नंगी चिकनी टांग पर पड़ी जो की टंकी के अंदर आधी डूबी हुई थी और बाकी टंकी के बाहर थी कितना देखकर सूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा और वह तुरंत अपनी जगह से उठ कर ट्यूबेल की तरफ गया तो वहां का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया उसके तन बदन में मदहोशी का नशा छाने लगा और उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,,)
 
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सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था एक बार फिर उसे अपनी मामी और अपने मामा की चुदाई जो दीखने वाली थी,,,एक बार फिर से वहां अपने मामा का लंड अपनी मामी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ देखने जा रहा था,,, खटिया पर सोते हुए अपनी मौसी की गांड पर हाथ रखने के ख्याल से ही उसका लंड खड़ा हो चुका था,,,, और कमरे के अंदर के दृश्य को देखते ही उसके लंड का कड़क पन एकदम से बढ़ गया,,,,

दूसरी तरफ मंजू की भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि जिस तरह से सुरज उठकर उससे दीवार के छेद के तरफ गया था मंजू को लगने लगा था कि सुरज को हो ना हो शंका जरूर हो चुकी है कि दीवार के छेद का मामला कुछ और ही है,,,, इसलिए वह कुछ बोली नहीं बस आंखों को हल्का सा खोल कर लेटी रही,,,, सुरज अपनी आंखों को दीवार के उस छोटे से छेद में हटाकर दूसरी तरफ के कमरे के दृश्य को देखने की कोशिश करने लगा,,, तो जल्द ही लालटेन की पीली रोशनी में उसे उसकी मामी नजर आई जो कि अभी पूरी तरह से कपड़ों में थी और गिरी हुई गिलास को उठाकर रख रही थी शायद वह पानी पी रही थी,,,,,, अपनी मामी को संपूर्ण वस्त्र में देखकर उसकी आंखें वासना से चमकने लगी उसके मामा उसी तरह से खटिए पर लेटे हुए थे लेकिन उनके बदन पर भी अभी वस्त्र था,,, दोनों को कपड़ों में देखकर सुरज को लगने लगा कि खेल अभी शुरू होने जा रहा है,,, वह टकटकी बांधे नजारे के लुप्त को उठाने लगा थोड़ी ही देर में उसकी मामी उसकी आंखों के सामने अपनी साड़ी उतारने लगी यह देखकर सुरज के लंड में हरकत होना शुरू हो गया वह समझ गया था कि थोड़ी ही देर में उसकी मामी की आंखों के सामने नंगी हो जाएगी,,,,,, पर देखते ही देखते सुरज की मामी अपनी साड़ी उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दी वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही खड़ी थी,,,,,,, सुरज को अंदर के कमरे की बात सुनाई नहीं दे रही थी बस उसे दिखाई दे रहा था,,,, क्योंकि वह दो ना बहुत ही फुसफुसाहट भरे स्वर में बात कर रहे थे,,,सुरज अपने मन में सोचने लगा कि काश ऊन दोनों की बात आज भी सुनाई देती तो और मजा आता क्योंकि अपनी मामी और मामा के मुंह से चुदाई जैसे गंदे शब्दों का प्रयोग उनकी बातें सुनकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,,,,,,,


दूसरी तरफ मंजू समझ गई थी कि बगल वाले कमरे में क्या हो रहा है वरना सुरज इतनी देर तक वहां खड़ा नहीं रहता और वह यह भी जान गई थी कि उस छोटे से छेद में से उसे सब कुछ नजर आने लगा है,,,, मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि अपने मामी और अपने मामा की चुदाई देखकर उन्हें नंगा देखकर सुरज क्या महसूस करेगा उसे कैसा लगेगा कहीं उसे गुस्सा तो नहीं आएगा और यही देखने के लिए वह बड़े गौर से सुरज की तरफ देखने लगी,,,,
सुरज के मुंह में पानी आ रहा था क्योंकि उसकी नजर इस समय अपनी मामी की चूचियों पर टिकी हुई थी जो की पूरी तरह से ब्लाउज में कैद में होने के बावजूद भी मानो जैसे कि उसके ब्लाउज के अंदर खरबूजे भर दिए गए हो इस तरह से ऊभरी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर ही सुरज समझ गया था कि उसकी मामी की चूची कितनी बड़ी है ऐसा नहीं था कि आज वह देख रहा था पहली बार भी वह अपनी मामी को संपूर्ण रूप से नंगी देख चुका था और अपनी मामी की बड़ी-बड़ी चुचियों को देखकर उसके लंड का तनाव कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था इस समय ब्लाउज के अंदर उसकी मामी की चूचियां बेहद आकर्षक लग रही थी ब्लाउज के ऊपर का एक बटन खुला होने की वजह से उसकी गहरी दरार साफ नजर आ रही थी जिसमें सुरज का मन डूब जाने को कह रहा था,,,,,, सुरज को अपनी मामी स्वर्ग से उतरी अप्सरा लग रही थी,,, जो कि किसी भी हाल में कामदेवी नजर आती थी,,,,अपनी मामी के खूबसूरत बदन को देखकर भले ही वह वस्त्र में हो या चाहे वस्त्र विहीन,,,सुरज की आंखों में एक अद्भुत चमक आ जाती थी जो कि इस समय भी उसकी आंखों में बरकरार थी,,,,। सुरज कमरे में बने उस छोटे से छेद के पीछे के रहस्य को अच्छी तरह से समझ गया था और यह भी जान गया था कि इसी क्षेत्र में से उसकी मौसी मंजू भी उसी नजारे को देखकर मस्त हो जाती है जिस नजारे को देखकर वह अपने अंदर उत्तेजना की लहर को ऊमडते हुए महसूस कर रहा था,,,।


खटिया पर नींद का बहाना करके लेटी हुई मंजू सुरज के हर एक हरकत को बड़ी बारीकी से देख रही थी,,,,, हर एक पल मंजू के दिल की धड़कन को बढ़ा रहा था मंजू भी,,,इतना तो समझ ही गई थी कि सुरज समझ ही गया होगा कि उस छोटे से छेद का रहस्य क्या है,,,,,, मंजू जानती थी कि कमरे के अंदर संभोग का प्रसारण शुरू हो गया होगा,,,और यही अहसास उसके तन बदन में उत्तेजना को बढ़ा रहा था और उससे ज्यादा वह अपने बदन में कामुकता का एहसास इस बात से कर रही थी कि उस मादक दृश्य को सुरज खुद अपनी आंखों से देख रहा था,,,, वह देखना चाहती थी कि अपनी मामी को चुदते हुए देखकर वह कैसा महसूस करता है,,,,इसलिए उत्तेजना के मारे अपने सूखे गले को अपने ही थूक से गीला करने की कोशिश करते हुए वह टकटकी लगाए देख रही थी,,,।

सुरज अपने मन में यह सोच रहा था कि जल्द से जल्द उसकी मामी बाकी के बचे अपने कपड़े उतार कर पूरी नंगी हो जाए बहुत दूर से ही सही अपनी मामी को नंगी देखना चाहता था ब्लाउज में कैद उसके दोनों खरबूजे को अपनी आंखों से देखना चाहता था दोनों टांगों के बीच उसकी पतली गुलाबी दरार को देखकर मस्त होना चाहता था,,,, गोल गोल बड़ी बड़ी गांड को देखकर अपने अंदर दहकते शोले को महसूस करना चाहता था,,,। लेकिन उसकी मामी बाकी के बचे कपड़े उतारने का नाम नहीं ले रही थी,, बस अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर अपने शरीर को गोल-गोल तरीके से हिला रही थी जिसे देख कर उसके मामा आहें भर रहे थे,,,,,,सुरज अपने मन में यह सोच कर मस्त हो रहा था कि उसकी मामी को इस हाल में देखकर उसके मामा का लंड खड़ा हो गया होगा क्योंकि दूर से देख कर ही जब उसका लंड पर जाने में बवाल मचा रहा था तो उसके मामा की हालत को वह अच्छी तरह से समझ रहा होगा,,,। अपनी मामी को खुशहाल में खाना देखकर सुरज अपने मन में ही बोल रहा था कि,,,।


उतार जल्दी उतार मुझे सब कुछ देखना है,,,,।

तभी उसके मामा अपनी धोती को उतारने लगे और अगले ही पल वह खटिए पर निर्वस्त्र हो गया,,, सुरज अपने मामा को देखकर अपने मन में फिर से वही सोचने लगा कि उसके मामा की जगह उसका लंड होता तो और मजा आता,,,, उसके मामा अपने लंड को हाथ से पकड़ कर ही लेना शुरू कर दिए थे जिसे देखकर उसकी मामी मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,,। अपनी मामी को मंद मंद मुस्कुराता हुआ देखकर सुरज अपने मन में ही बोलने लगा कि उतारेगी भी या हंसती रहेगी,,।

मंजू खटिया पर लेटी लेटी यही सोच रही थी कि अंदर क्या हो रहा होगा,,,,,, उसकी खुद की हालत खराब थी,,,सुरज रह-रहकर एक नजर अपनी मौसी मंजू पर डाल दे रहा था कि कहीं वह जाग तो नहीं रही है और जब जब वह मंजू की तरफ देखता तब तब मंजू अपनी आंखों को जल्दी से बंद कर लेती,,, उत्तेजना के मारे मंजू और सुरज दोनों का हाल बद्तर हुआ जा रहा था,,,,,

सुरज टकटकी लगाए सब कुछ देख रहा था वह अपने मन में इस बात से पूरी तरह से तसल्ली किए हुए था कि अच्छा है कि उसके मामा यह काम लालटेन के उजाले में करते हैं,,, अगर लालटेन जला रही होती तो उसे कुछ भी देखने का मौका नहीं मिल पाता और अपनी मामी का कामुक रुप,,, उसका खूबसूरत बदन उसके अंगों की परिभाषा को ना हीं देख पाता और ना ही समझ पाता,,,।सुरज को यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि उसकी मामी कपड़े उतार के नंगी होने में इतना नाटक क्यों करती है वह अपने मामा की तड़प को अच्छी तरह से समझ रहा था क्योंकि वह खुद तड़प रहा था उत्सुक था अपनी मामी को नंगी देखने के लिए वह अपने मन में यह सोच रहा था कि अगर वह खुद अपने मामा की जगह मौजूद होता तो वह अपने हाथों से अपनी मामी के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करने में एक पल की भी देरी ना करता,,,,।

यह सुरज के मन की बात थीऔर शायद वह अपनी मामी के साथ मौका मिलने पर ऐसा ही करता है लेकिन वह इस बात से अनजान था कि एक औरत को मर्द को तड़पाने में इसी तरह से मजा आता है और मर्द को तड़पाने का यह सबसे जबरदस्त तरीका भी है,,,, औरत इसी तरह से अपनी जवानी का जलवा दिखा कर मर्द को घुटनों पर ला देती है उन्हें अपना गुलाम बना देते हैं अपनी जवानी का रस मिलाकर जिंदगी भर अपनी मनमानी करती रहती है,,,, रूपाली भी इससे अछूती नहीं थी वह भी अपने पति की भले ही चाहे जितनी भी इज्जत करती थी लेकिन रात को बिस्तर पर वह अपने पति को अपनी जवानी का गुलाम ही बना देती थी,,,,,,

सुरज का दिल जोरो से धड़क रहा था उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी तरह कोई ओर लड़का इस तरह से घर के सदस्यों की चुदाई छुप छुप कर देखता है या नहीं लेकिन इस तरह से देखने में अजीब से सुख की अनुभूति होती है जिसे प्राप्त करके सुरज अपने आप को भाग्यशाली समझ रहा था,,,। भले ही यह नैतिक नजरिए से गलत था लेकिन इसमें एक अद्भुत सुख भी था जिससे सुरज वंचित नहीं होना चाहता था,,,। धड़कते दिल के साथ हुआ बगल वाले कमरे के नजारे को देख रहा था कि तभी उसके कानों में उसके मामा के शब्द पडे,,,।


अरे अब कितना तड़पाओगी,,,


रुको जरा मुझे जोरों की पेशाब लगी है,,,


चुदवाने के नाम पर तुम्हें पेशाब जल्दी लग जाती है,,,



अरे ऐसी बात नहीं है,,,(रूपाली मुस्कुराते हुए बोली,,,,सुरज तो अपनी मामी के मुंह से पेशाब करने वाली बात सुनते ही एकदम से उत्तेजित हो गया उसके लंड कि अकड और ज्यादा बढ़ गई,,,। सांसों की गति तेज होने लगी,,,,पहली बार वह अपनी मामी के मुंह से इस तरह के शब्दों पसंद आया था इतने खुले तरीके से उसने आज तक पेशाब करने वाली बात नहीं बोली थी इसलिए सुरज को अपनी मामी के इस बात में बेहद कामुकता का अनुभव हो रहा था,,,,)


अब थोड़ा रुकीए में जल्दी आती हूं,,,(इतना कहकर रूपाली जाने को हुई ही थी कि रविकुमार पीछे से आवाज लगाते हुए बोला,,,)



अरे बाहर कहां जा रही हो यही कर लो,,,
( अपने मामा की यह बात सुनकर सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,)

अरे पागल हो गए हो गए हो क्या जी यहां नहीं,,,,


अरे तुम भी बेवकूफ हो नाली लगी हुई है ना वहां बैठ कर कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,(सुरज के मामा उंगली से इशारा करके बोले,,,)

यहां लेकिन यहां मैंने कभी की नहीं हुं।


तो क्या हुआ अब कर लो बाहर जाने की जरूरत नहीं है,,,।
(सुरज की तो सासे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, उसकी मामी पेशाब करने वाली है इस बात से ही उसके तन बदन में आग लगी हुई थी,,,, क्योंकि अब तक वह अपनी मामी को पेशाब करते हुए कभी नहीं देखा था लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह आज भी नहीं देख पाएगा क्योंकि उसके मामा उंगली के इशारे से घर के कोने की तरफ करने को बोल रहे थे जहां पर पानी गिराया जाता था बर्तन धोने के काम आता था वहां नाली लगी हुई थी ताकि पानी निकल सके और उसी जगह पर उसकी मामी के साथ करने जा रहे थे जो की नजरों से दूर थी वहां तक नजर नहीं पहुंच पा रही थी उसकी मामी बिना कुछ बोले उस कोने में चली गई और थोड़ी देर में सुरज के कानों में पेशाब करने की मधुर धुन सुनाई देने लगी इतना तो जानता ही था कि पेशाब करने पर इस तरह की आवाज निकलती है हालांकि उसने आज तक,,, घर की औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा था,,, इस बात के एहसास सेवह पूरी तरह से मदहोश हो गया कि उसकी मामी कोने में बैठ कर के पेशाब कर रही है पेशाब करते हुए कैसे नजर आती होगी उसकी गांड कैसी दिखाई देती होगी और उसकी मामी अपनी पेटीकोट को कमर तक कैसे उठाई होगी,,, यह सब ख्याल सुरज के तन बदन में आग लगा रहा था उसके कानों में पढ़ रही परेशान की मधुर धुन बेहद मादक लग रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके कानों में मध घोल दिया गया गया हो सुरज के चेहरे का अभाव बदल रहा था जो कि मंजू बड़े सांप तौर पर देख पा रही थी सुरज के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर,,,मंजू इतना तो समझ गई थी कि कमरे के अंदर का दृश्य बेहद उत्तेजक होता जा रहा है,,,
थोड़ी ही देर में पेशाब करने की आवाज की मधुर धुन बंद हो गई और सुरज समझ गया कि उसकी मामी पेशाब कर चुकी है अपने मामा के नजर और उसके चेहरे के बदलते हावभाव को देखकर राजु भी समझ गया था कि उसके मामा उसकी मामी को पेशाब करते हुए देख कर मस्त हुए जा रहे हैं,,,, थोड़ी ही देर में उसकी मामी फिर से उसी जगह पर पहुंच गई जहां पर खड़ी थी लेकिन खड़ी होकर अपने पेटिकोट की डोरी को बांट रही थी तो पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए देखकर सुरज के मामा बोले,,,।


अरे अब ईसे क्यों बांध रही हो इसे तो अब उतारना है,,,।

(उसकी बातें सुनकर रूपाली मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)

मैं तो भूल ही गई थी,,,(इतना कहते हुए भी वह पेटीकोट की डोरी को बांध दी और अगले ही पल अपनी उंगलियों को ब्लाउज पर रख दी और ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,सुरज समझ गया कि उसकी मामी पेटीकोट से नहीं ब्लाउज से कपड़े उतारने का शुरुआत करना चाहती है,,, अब सुरज के दिल की धड़कन बढ़ने लगी,,,देखते देखते उसकी आंखों के सामने उसकी मामी अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अगले ही पल ब्लाउज को उतार कर नीचे फेंक दी,,,सुरज को अपनी आंखों के सामने अपना भविष्य नजर आने लगा अपनी मामी की गोल गोल बड़ी-बड़ी तनी हुई चूचियों को देखकर उसके लंड में उबाल आना शुरू हो गया,,,,,,,

रूपाली की चूचियां पहले से ही बेहद आकर्षक थी,, दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियां उसी तरह से तनी हुई थी जैसे की जवानी के दिनों में तनी रहती थी,,, दूसरों की तरह उसकी चुचियों में जरा भी लचक नहीं थी यह देखकर सुरज के तन बदन में और आग भड़कने रखती थी,,,, और जैसे ही सुरज की मामी का हाथ पेटीकोट की डोरी पर क्या सुरज के दिल की धड़कन और तेजी से चलने लगी वह समझ गया कि अब अकेले ही पल उसकी मामी नंगी हो जाएगी उससे यह दृश्य यह कामुकता यह मादकता,,, सही नहीं जा रही थी,,, उसकी सांसे बेहद गहरी चल रही थी,,, उसके पेजामे में बवाल मचा हुआ था उसका लंड पजामा फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था,,,
अब तक मंजू उसके चेहरे के बदलते हुए हाव-भाव को देख रही थी,,,उसके लंड की तरफ उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं गया था लेकिन जैसे ही उसकी नजर पजामे पर पड़ी उसके तो होश उड़ गए,,,, पजामे में जबरदस्त तंबू बना हुआ था अब तो मंजू की हालत ज्यादा खराब होने लगी कमरे का दृश्य धीरे-धीरे गरमाता चला जा रहा था,,,,देखते ही देखते सुरज की मामी ने अपनी पेटीकोट भी उतार कर फेंक दी इस समय वह कमरे में पूरी तरह से नंगी हो गई,,,, सुरज की हालत खराब होने लगी और अगले ही पल वह अपना हाथ को अपने पजामे में डाल कर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,, मंजू यह देखकर एकदम से मचल उठी,,,सुरज की हरकत और उसकी उत्तेजना देखकर मंजू को समझ तो आ ही रहा था कि अंदर के नजारे देखकर उसे गुस्सा नहीं बल्कि मजा आ रहा है और ऐसा ही तो वह मन ही मन चाहती भी थी क्योंकि अगर सुरज को मजा आएगा तो उसका काम आसान हो जाएगा,,,,।



सुरज की मामी कमरे में एकदम नंगी हो गई थी सुरज के मामा की हालत खराब होती जा रही थी,,,,,,सुरज को साफ नजर आ रहा था कि उसके मामा से रहा नहीं जा रहा था एक के लिए पल अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर उसकी मामी की गांड कड़ कर उसे अपनी तरफ से इसलिए बस यह दृश्य सुरज से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह पजामे को घुटने तक सरका कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और,,, उसे हाथ में लेकर हीलाना शुरू कर दिया,,,, मंजू यह देखकर दंग रह गई क्योंकि सुरज भूल चुका था कि वह कमरे में है और कमरे में उसकी मौसी मंजू भी सो रही है,,,, मंजू पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और उसे यही मौका सही भी लग रहा था सुरज के लंड को वह पहले भी नजर भर कर देख चुकी थी,,, लेकिन आज का हालात कुछ और था,,,, उससे रहा नहीं गया और वह खटिए पर से उठ खड़ी हुई,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और इस बात से अनजान सुरज कमरे के अंदर अपने मामी बाप की गरमा गरम चुदाई देखने जा रहा था,,,, सुरज को अपनी मामी की गांड बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,।
Good
 

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