Incest गांव की कहानी

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रूपाली अपनी बुर को अपने भांजे के मुंह पर र करते हुए एक अद्भुत चर्मसुख को प्राप्त करते हुए झड़ चुकी थी और उसकी बुर से निकला हुआ मदन रस का एक-एक बूंद सूरज अपनी जीभ से चाट कर अपने गले के नीचे घटक गया था,,, बिना लंड को अपनी बुर में ले झड़ जाने का एक अपना अलग ही मजा होता है और इस अनुभव को सूरज की संगत में रूपाली बार-बार महसूस कर रही थी,,,,, सूरज ही था जो अपनी मामी को बिना शारीरिक संबंध बनाए हैं सिर्फ हरकतों से ही गर्म करके पानी निकाल देता था और इससे रूपाली बेहद खुश भी थी खुले आसमान के नीचे घने खेतों के बीच रूपाली पहली बार इस तरह की सुख का अनुभव कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी अभी भी सूरज घुटनों के बल बैठा हुआ था और अपनी मामी की पाव को दोनों हाथों से दबाए हुए अभी भी वह अपनी मामी के बुर को अपने होठों से लगाया हुआ था,,,, क्योंकि अभी भी झड़ते हुए रूपाली अपनी कमर का झटका लगा दे रहे थे झढ़ते समय रूपाली का चेहरा देखने लायक होता था उसका गोरा मुखड़ा लाल टमाटर की तरह तमतमाने लगता था आंखें अपने आप ही बंद हो जाती थी,,, होठ खुले के खुले रह जाते थे और सांसे की गति इतनी तेज की छातियों की शोभा बढ़ा रही दोनों खरबूजा जैसी चूचियां ऊपर नीचे होते हुए उसकी मदहोशी की कहानी खुद ही बयां कर रही होती,,,,,, सूरज और रूपाली के नजरिए से देखा जाए तो इस तरह का नजारा बेहद कम होते जना से भरपूर और मदहोश कर देने वाला था लेकिन सामाजिक नजरिए से देखा जाए तो यह नजारा बेहद शर्मसार कर देने वाला था बेहद शर्मनाक दृश्य बना हुआ था समाज के नजरिए से एक अपनी साड़ी को कमर तक उठाए खड़ी थी और उसका भांजा घुटनों के बल बैठकर अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड को हथेली में दबाते हुए उसकी बुर पर अपना होंठ लगाकर चाट रहा था,,,,।

वासना का तूफान कुछ देर के लिए थम चुका था रूपाली अपनी सांसो को दुरुस्त करने में लगी हुई थी सूरज भी अपने होठों को अपनी मामी की रसीली बुर से हटाकर घुटनों के बल बैठा हुआ अपनी मामी की तरफ देख रहा था रूपाली भी अपने भांजे की तरफ देखकर गहरी गहरी सांस ले रही थी दोनों मामीं-भांजे पूरी तरह से मदहोशी के सागर में गोते लगाने को एक बार फिर से तैयार थे,,,, रूपाली कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने ही भांजे के साथ इस तरह कदर खुल जाएगी कि उसके साथ बेशर्मी की सारी हदें पार कर देगी लेकिन बेशर्मी की हद पार करने में ही जिंदगी का असली मजा था इस बात का एहसास उसे होने लगा था वह सूरज की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी सूरज भी मुस्कुरा रहा था और सूरज मुस्कुराते हुए बोला,,


सच में मामी तुमने आज मुझे एकदम खुश कर दी अपना पानी पिला कर,,,,
(अपने भांजे की बातें सुनकर माध्यम से शरमामी गई और बिना कुछ बोले कमर तक उठाए हुए अपनी साड़ी को एक झटके में नीचे गिरा दी और एक अद्भुत खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी,,,, सूरज भी अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ बोला,,,) सच में मामी तुम पेशाब करते हो इतनी खूबसूरत लगती हो जैसे कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा बैठकर मुत रही हो,,,,


क्या मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हुं,,,(इतना कहने के साथ ही पेशाब की हुई जगह पर अपने पैर बचाकर वापस झोपड़ी की तरफ लौटते हुए वह बोली)

मत पूछो तुम मुझे कितनी खूबसूरत लगती हो मेरा बस चलता तो मैं तुमसे शादी कर लेता और फिर जिंदगी भर तुम्हारी बुर में लंड डालकर पड़ा रहता,,,

वह तो तू अभी भी कर सकता है,,,

हां कर तो सकता हूं लेकिन फिर किसी का डर नहीं रहता ना,,,

हां यह बात तो है,,,,(इतना कहने के साथ ही रूपाली झोपड़ी के पास आ गई हो खटिया को अपने हाथों से गिरा कर उस पर बैठ गई उसके पास में सूरज भी बैठ गया,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रहे रूपाली रह रह कर मुस्कुरा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने भांजे के साथ नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ बैठी हो,,, अपनी मामी के चेहरे की तरफ देखते हुए सूरज बोला)

चलो थोड़ा काम कर लेते हैं उसके बाद फिर खेल शुरू करते हैं,,,

कौन सा काम,,,?(रूपाली अपने होठों पर मादक मुस्कान लाते हुए बोली)

खेत का काम और कौन सा इसीलिए तो तुम मुझे यहां पर बुलाई थी ना,,,,

अरे बुद्धू तुझे खेत जोतने के लिए नहीं बल्कि (दोनों टांगों के बीच उंगली से इशारा करते हुए) अपना खेत जोतने के लिए एक बहाने से बुलाकर लाई हूं,,,
(अपनी मामी की बात सुनते ही सूरज एकदम से खुशी से झूम उठा और बोला)

क्या सच में तुम एकदम चुदवासी हो गई हो,,,,

हा रे कई दिन हो गए थे तेरे लंड को अपनी बुर में लिया कसम से तू सच कहता था कि मैं तेरी गुलाम बन जाऊंगी और ऐसा ही हो रहा है पता है अब तो तेरे मामाजी से चुदवाने में मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता और तू सच कहता है कि तेरे लंड से आधा ही है तेरे मामाजी का लंड और जो हो रखते लंड को एक बार अपनी बुर में ले ले फिर पतले लंड से उसकी प्यास कहां बुझने वाली है,,,,

मुझे मालूम था मेरी रानी मेरे नीचे आने के बाद तुम भी पागल हो जाओगी दोबारा लेने के लिए,,,,

तुझे अपने लंड पर सच में इतना ज्यादा भरोसा था,,,

तो क्या जब भी खड़ा होता है तो मैं समझ जाता हूं कि जिसकी भी बुर में घुसेगा उसे पूरी तरह से मस्त करके ही बाहर निकलेगा,,,,,,,

हां सो तो है तेरे लंड की मोटाई और लंबाई देखकर ही मैं समझ गई थी कि अगर यह मेरी बुर में गया तो रगड़ रगड़ कर पानी निकालेगा,,,, तुझे पता है अब तो तेरे मामाजी का लंड मेरी बुर में जाता है तो मुझे पता ही नहीं चलता है कि अंदर गया है लेकिन तेरा लंड जैसे ही अंदर जाता है ना अंदर की दीवारों को पूरी तरह से रगड़ रगड़ कर‌ नीचोड निचोड़ कर पानी निकाल देता है,,,,,,,

मुझे बहुत खुशी है कि मैं तुम्हें खुश करने में कामयाब हो गया वरना अगर जिस तरह से मैं तुम्हारे पीछे पड़ा था अगर डालते ही पानी निकल जाता तो तुम शायद मुझे फिर कभी अपने बदन को हाथ नहीं लगाने देती,,,

हां सो तो है मर्द उसे थोड़ी ना कहते हैं कि औरत को गर्म करके बीच मझधार में ही छोड़कर अपना किनारा पकड़ ले मर्द तो उसे कहते हैं जो औरत को पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ कर उसे पूर्णतः संतुष्टि का अहसास दिखाएं और उसे खुश करने के बाद किनारे पर पहुंचे,,,, लेकिन मानना पड़ेगा तेरे में बहुत ताकत है रात भर तूने मेरी जमकर चुदाई किया और सुबह सुबह नहाते हुए भी दो बार चोद दिया और तो और घर पर पहुंचने के बाद भी तूने मेरी जमकर चुदाई किया कसम से मैं कभी सोच नहीं थी कि एक आदमी इतनी बाहर जो देख सकता है क्योंकि तेरे मामाजी एक बार में ही ढेर हो जाते थे और वह भी शुरू से यही आदत थी,,, तुझे पता है तेरे से चुदवाने के बाद 2 दिन तक में ठीक से चल नहीं पाई थी मेरी बुर सूजी हुई थी हल्दी वाला दूध 2 दिन पी तब जाकर आराम हुआ,,,

क्या करूं मेरी जान पहली बार जो तुमने सेवा करने का मौका दी थी इसलिए किसी भी तरह का कसर नहीं बाकी रखना चाहता था,,,

धत् मजा तो देता है लेकिन तकलीफ भी तु बहुत देता है,,,

क्या मैं फिर तुमको चुदाई ही क्या जिसमें तकलीफ ना हो आराम से डाला और निकाला और झड़ गया इतने से क्या मजा आता है क्या जब तक औरत ऊहहहह ऊहहहहह आरहहह ना कर दे तब तक चोदने का मजा ही नहीं आता,,,,।
(रूपाली एक बार झड़ चुकी थी लेकिन अपने भांजे की बातों को सुनकर फिर से उसका बदन कर्म हमें लगा था वह बार-बार अपने भांजे के पजामे की तरफ देख रही थी और उसे राह नहीं किया तो वह खुद आप आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से ही अपने भांजे के लंड को पकड़ कर बोली)

बाप रे देख तो सही कैसे लोहे की तरह खड़ा है,,

खड़ा तो रहेगा ही ना तुमने इसकी सेवा ही कहा कि हो बस अपना पानी निकालती लेकिन इसका कौन निकालेगा,,,

अरे मैं हूं ना,,, मेरे रहते अब तुझे प्यासा रहने की जरूरत नहीं है चल उठ खड़ा हो और मेरे सामने आजा,,,,(पजामे के ऊपर सही अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए ही सूरज को उठाई और लंड को पकड़े हुए हैं उसे ठीक अपने सामने लाकर खड़ा कर दी सूरज पूरी तरह से अपने आपको अपनी मामी के हाथों में सौंप दिया था वह अपने दोनों हाथों को छाती पर बांध कर खड़ा हो गया था और रूपाली मदहोश होते हुए बेशर्मी दिखाते हुए अपने भांजे के पजामी को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे नीचे की तरफ खींच दी है और जैसे ही सूरज का लंड पजामे की कैद से आजाद हुआ वह खुली हवा में सांस लेता हुआ ऊपर नीचे करके हिलने लगा जिसे देखकर रूपाली की बुर पानी छोड़ने लगी,,,,)

बाप रे ऐसा लगता है कि पहली बार ही देख रही हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रूपाली अपनी भांजे के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगी)

सच कहूं तो मामी तुम मेरे लंड को अच्छी तरह से पहली बार ही देख रही हो दिन के उजाले में वरना रात भर चुदवाने के बाद भी तुमने ठीक से मेरे लंड को देख नहीं पाई थी क्योंकि खंडर में रात का अंधेरा था और जलती हुई लकड़ी की रोशनी में ठीक से नजर नहीं आता था लेकिन फिर भी मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे लंड के दर्शन करके तुम्हारी बुर पानी छोड़ दी होगी,,,

इसमें भी कहने वाली बात है क्या मेरी क्या कोई औरत भी देखती तो उसका भी पानी छूट गया होता,,,,

हाय मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरी मामी इतना तड़प रही थी मेरे लंड के लिए अगर पता होता तो बैलगाड़ी में ही चोद दिया होता,,,,

तो अब कौन सा तू बाकी रख रहा है इसी काम के लिए तो तुझे यहां लेकर आई हूं ,,(अपनी नरम में कम हथेली में अपने भांजे के लंड को पकड़कर आगे पीछे करके मुठीयाते हुए बोली सूरज अपनी मामी की हरकत से पूरी तरह से मदहोश हो जा रहा था वह धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे पिलाना शुरू कर दिया था आगे कुछ और बोल पाता या उसकी मामी कुछ बोल पाती इससे पहले ही अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मामी के सर को पकड़ लिया और उसे धीरे-धीरे अपने लंड की तरफ नीचे की तरफ जाने लगा और देखते ही देखते रूपाली अपने भांजे की प्यास बुझाने का जिम्मामी अपने सर पर उठाते हुए अपने भांजे के लंड को अपने लाल-लाल होठों को खोल कर उसे अपने अंदर ले ली और उसे चाटना शुरू कर दी,,, रूपाली इतने चाव से

अपने पति के लंड को मुंह में लेकर प्यार नहीं करती थी लेकिन सूरज की बात कुछ और थी सूरज ने उसे मुंह में लेकर चूसने का एक नया कला और आनंद से अवगत कराया था जिसमें उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह उसी आनंद की प्राप्ति के लिए अपने भांजे के लंड को धीरे-धीरे करके अपने गले तक उतार ले रही थी हालांकि उसे सांस लेने में दिक्कत आ जाती थी लेकिन फिर भी वह अपने भांजे के लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी,,,।


सहहहरह आहहहरहह कितना मजा आ रहा है तू सच में मामी लंड को बहुत अच्छे से चुस्ती है बस ऐसे ही पूरा मुंह में लेकर चूस आहहहहह आहहहहह मेरी रानी तूने मुझे बहुत मस्त कर दी है,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी कमर को धीरे-धीरे हिलाना शुरू कर दिया था मानो कि जैसे वह अपनी मामी के मुंह को ही चोद रहा हो और रूपाली भी जानबूझकर अपने लाल-लाल होठों को गोल करके दबा ली थी ताकि उसके भांजे को उसकी कसी हुई बुर जैसा ही मजा मिले,,, झोपड़ी के बाहर बिछी हुई खटिया पर रूपाली गांड पसार कर बैठी हुई थी और सूरज की उसके सामने खड़ा था उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड मुंह में गले तक चला जा रहा था और रूपाली अपने भांजे की हिलती हुई कमर के साथ-साथ अपना मुंह भी आगे पीछे कर रही थी जिससे सूरजको और ज्यादा मजा आ रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था अपनी मामी के मुंह में लंड पेलते हुए वह थोड़ा सा नीचे झुका और अपनी मामी के ब्लाउज के बटन को खोलना शुरू कर दिया,,, और देखते ही देखते वह अपनी मामी के ब्लाउज के बटन को खोल कर उसके नंगी चूचियों को आजाद कर दिया और दोनों चुचियों को दोनों हाथों में लेकर दबाते हुए बोला,,,।

हाय मेरी जान तेरी चूचियां कितनी लाजवाब है एकदम खरबूजा की तरह बड़ी बड़ी,,,आहहहहह तेरी चूची,,, मामाजी को तूने बहुत मजा दे अब मेरी बारी है,,,,ऊममममम (अपने सूखे हुए होठों पर अपनी जीभ फिराते हुए सूरज बोला,,,,,,, मामी भांजे पूरी तरह से मदहोश हो चुके थे मामी भांजे के पवित्र रिश्ते की दीवार को दोनों ने मिलकर गिरा दिए थे दोनों के बीच मामी भांजे का नहीं बल्कि एक मर्द औरत का रिश्ता बन चुका था जोकि धीरे-धीरे और गहरा होता जा रहा था,,,, अपनी मामी की खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी गोरी गोरी चूचियों को दबा दबा कर सूरज ने टमाटर कि तरह लाल कर दिया था,,, एक बार फिर से रूपाली की बुर अपने भांजे के लंड के लिए तड़प उठी थी हालांकि अभी तक सूरजने अपनी मामी की बुर में लंड डाला नहीं था कि उसे अपनी जीभ से ही झाड़ दिया,,, था,,,,, रूपाली मदहोशी और चुदासी की हालत में अपने भांजे के लंड को जोर-जोर से मुंह में लेकर अंदर बाहर करने थे यह देखकर सूरज समझ गया था कि उसकी मामी पूरी तरह से गर्म हो चुकी है इसलिए वो धीरे से अपने लंड को बाहर निकाला,,, मुंह में से लंड के बाहर निकलते ही रूपाली गहरी गहरी सांस लेने लगी ऐसा लग रहा था कि सूरजका इस तरह से रूपाली के मुंह में से लंड को बाहर खींच लेना रूपाली को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,, थूक और लार से सने हुए अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए सूरज बोला,,,।


हाय मेरी जान तूने तो अपना थूक लगा लगा कर मेरे लंड को अपनी बुर में डालने के लिए तैयार कर दि है अब देखना इसका कमाल कैसा तुम्हारी बुर में धमामील मचा ता है,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मामी की कंधों को पकड़कर उसे खटिया पर लेट जाने के लिए इशारा किया और उसकी मामी भी उत्तेजना बस अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए पीठ के बल खटिया पर लेट गई और सूरज खटिया पर घुटनों के बल चढ़कर अपने लिए जगह बनाने लगा देखते ही देखते ना जो अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच आ गया रूपाली ने खुद अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ खींच कर कमर पर इकट्ठा करती थी और अपनी नंगी बुर को अपने भांजे के सामने परोस दी थी अपनी मामी की पानी से चिपचिपाती हुई बुर को देखकर सूरज के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया सूरज से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था लंड पूरी तरह से धड़क रहा था और वह अपनी मामी की तपती हुई बुर में घुसने के लिए तैयार हो चुका था देखते ही देखते सूरज अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच एकदम से जगह बनाते हुए अपनी मामी की कमर को दोनों हाथों से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और अपनी मामी की बड़ी-बड़ी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख लिया,,, रूपाली की रसीली पुर पुर सूरज के लंड का सुपाड़ा दोनों बेहद करीब आ चुके थे वह आज दोनों में एक अंगुल का ही फासला था जिसकी वजह से बुर की तपन जोकि भट्टी की तरह गर्म हो चुकी थी उसकी गर्माहट सूरज अपने लंड पर एकदम साफ महसूस कर रहा था जिसकी वजह से वह और ज्यादा उत्तेजित हो गया देखते ही देखते सूरज खड़े लंड की मोटे सुपारी को अपनी मामी की गुलाबी छेद पर रख दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और पहले प्रयास में ही पूरा का पूरा आलूबुखारा के माप का सुपाड़ा रूपाली की बुर में समामी गया और जैसे ही वह बुर के गुलाबी पत्तियां नुमी दरवाजे को खोलकर अंदर प्रवेश किया वैसे ही रूपाली के मुंह से हल्की सी चीख निकल

पड़ी लेकिन यह चीज उसकी आनंद की परिभाषा दें और पल भर में ही दूसरे ही प्रयास में सूरजने अपना आधा लंड अपनी मामी की बुर में घुसा दिया था,,, तूफानी बारिश वाली रात से लेकर के अब जाकर रूपाली और सूरजको एक होने का मौका मिला था इसलिए फिर से ऐसा लग रहा था कि दोनों के बीच पहली बार चूदाई हो रही है इसलिए तो उत्तेजना और उत्साह में रूपाली पूरी तरह से गदगद हो चुकी थी ब्लाउज खुला होने की वजह से उसकी नंगी चूचियां छाती पर लहरा रही थी लेकिन उसे अपने हाथों में पकड़ने के लिए अभी ठीक समय नहीं था क्योंकि वह अभी अपने पूरे लंड को अपनी मामी की बुर में घुसा देना चाहता था और देखते ही देखते अपनी मामी की कमर को थामे हुए सूरजने अगला धक्का एकदम कचकचा कर लगाया और लंड बुर की अंदरूनी अड़चनों को दूर करता हुआ सीधे बच्चेदानी से जा टकराया और एक बार फिर से रूपाली के मूंह से चीख निकल गई,,,,।)

ओहहहहह मा मर गई रे,,,

बस बस हो गया मेरी रानी अब देख कितना मजा आता है,,,

अरे तेरे मजा के चक्कर में मेरी बुर फट जाएगी,,,

नहीं मेरी जान मैं ऐसा नहीं होने दूंगा,,, क्योंकि अब तेरी बुर पर मेरा हक है,,,,और मैं तेरी खुबसूरत बुर को ईस‌ तरह से फटने नहीं दुंगा,,, क्योंकि इसमें ही तो डाल कर मुझे अपनी प्यास बुझानी है,,, अब देख मैं तुझे कैसे चोदता हूं,,,।
(और इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते सूरज का मोटा तगड़ा लंड उसकी मामी की बुर में अंदर बाहर होना शुरू हो गया और उसके अंदर बाहर होने के साथ ही रूपाली के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों से उसका मदन रस पसीजने लगा,,,, देखते ही देखते रूपाली को एक बार फिर से मजा आने लगा अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेकर वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई उसे अपनी बाहों में लेकर हवा में उड़े लेकर चला जा रहा है उसे स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था हर एक धक्के ने उसकी चीख निकल जा रही थी लेकिन हर एक चीज के पीछे बेशुमार आनंद छुपा हुआ था जिसके मदहोशी में वह पूरी तरह से भीग जा रही थी,,,

सूरजके हर धक्के के साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पानी पर गुब्बारे की तरह छाती पर लौट रही थी,,, जिसे सूरज अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर उसे अपनी हथेली में दबा लिया और दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के पर धक्के लगाने लगा ,,, वैसे भी मर्दों को सबसे ज्यादा मजा औरतों की चूची पकड़कर धक्के लगाने में आता है और वही सुख सूरज अपनी मामी से प्राप्त कर रहा था रूपाली की बड़ी-बड़ी चूचियां ऐसा लग रहा था कि सूरजके लिए लगाम का काम कर रही थी जिससे वह अपनी मामी को पूरी तरह से अपने काबू में किया हुआ था,,,,।

सहहहरह आहहहहह सूरज मेरे भांजे तेरा लंड को ज्यादा ही मोटा है बहुत मजा आ रहा है भांजे इसी तरह से धक्का लगा तेरी चूदाई में तो मुझे स्वर्ग का सुख मिल रहा है अब तक तो तेरे मामाजी के छोटे लंड से चुदाई कर मुझे पता ही नहीं चला कि कोई इस कदर भी अपने लंबे लंड से चुदाई कर सकता है और वह भी इतनी देर तक बहुत मजा आ रहा है भांजे रुकना नहीं,,,,आहहहहह ,,,,

तू चिंता मत कर मेरी रानी मेरे लिए समय तो एकदम थोड़ी हो गई और मैं तेरे ऊपर सवार हो गया हूं इसे अपनी मंजिल तक पहुंचाने के बाद ही तुझे छोड़ुगा,,,आहहररह मेरी जान तेरी कसी हुई दूर बहुत मजा देती है ऐसी तो जवान लड़कियों की भी नहीं होगी जैसा कि तेरी बुर‌ है,,,

आहहहह तो पूरा मजा लेना हरामि पूरा मामीचोद हो गया है तू,,,

तूने ही तो मुझे मामीचोद बनाई है भोसड़ा चोदी तेरी भोंसड़ी के चक्कर में ही मामीचोद बन गया,,, लेकिन तेरा भोंसड़ा मुझे बहुत मजा दे रहा है,,,

तो घुस जा फाड़ कर अंदर,,,

अरे छिनार मेरा बस चलता तो सही में तेरी भोंसड़ी में जाकर बैठ जाता,,,,

तो चलाना अपना बस,,,, तेरे आगे मेरी कहां चल रही है,,, चला,,,,,

ले भोसडा चोदी मामीचोद रंडी एकदम छिनार हो गई है तू देख मैं तेरी कैसी प्यास बुझाता हूं अपने लंबे लंड से मेरा लंड तेरी बुर में ही जाने के लिए बना है,,,।
(और सूरजताबड़तोड़ घोड़े की लगाम अपने हाथों में लिए हुए उसे दौड़ाना शुरू कर दिया दोनों मामीं-भांजे के बीच अब किसी भी प्रकार का शर्म नहीं बचा था दोनों एक दूसरे को तू तड़ाका के साथ-साथ गंदी गालियों से बात कर रहे थे जिससे दोनों का मजा बढ़ता जा रहा था दोनों पूरी तरह से जोश में आ चुके थे सूरज ऊपर से धक्के लगा रहा था और रूपाली कोशिश करते हुए नीचे से अपनी कमर उतार रही थी और कामयाबी हो रही थी अपनी मामी को इस तरह से कमर उछलता हुआ देखकर सूरज का जोश और ज्यादा बढ़ गया था और वह अपनी मामी की चूची को पकड़कर जोर-जोर धक्के लगा रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे आज वह सच में अपनी मामी का भोसड़ा फाडकर उसमें घुस जाएगा,,, रूपाली के साथ साथ खटिया की भी हालत खराब होती जा रही थी उसमें से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी रूपाली को इस बात का डर था कि कहीं खटिया टूट ना जाए क्योंकि सूरज के

धक्के बड़े तेजी और एकदम बलशाली थे उसके हर एक धक्के पर रूपाली की चीख निकल जा रही थी देखते ही देखते रूपाली पूरी तरह से मदहोश हो गई थी,,,, लेकिन खटिया टूट जाने का डर उसके अंदर पूरी तरह से भर गया था और वह बोली,,,।

बस बस जोर से नहीं खटिया टूट जाएगी,,,

खटिया टूटे या फिर तेरी दूर फटे आज में रुकने वाला नहीं हूं,,,,(इतना कहते हो सूरज फिर से अपनी कमर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया खटिया से लगातार चरण चरण की आवाज आ रही थी इस बात का अंदेशा सूरज को भी हो गया था लेकिन वहां रुकना नहीं चाहता था लेकिन रूपाली उसे कसम देकर रोक दी और बोली ,,,,)

नहीं नहीं सूरज खटिया टूट जाएगी तो खामखा इसे बनाने की जहमत उठानी पड़ेगी,,,, चल झोपड़ी में लेकर चल मुझे वहीं पर मुझे चोदना,,,,।
(खटिया टूटने का डर दोनों के रंग में भंग डाल चुका था लेकिन सूरज इस रंग में भंग नहीं पड़ने देना चाहता था इसलिए वह धीरे से अपनी मामी को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी बुर में लंड डाले हुए ही धीरे-धीरे उठना शुरू कर दिया और देखते ही देखते वह खटिया से नीचे उठ कर खड़ा हो गया लेकिन अपनी मामी को अपनी गोद में उठा लिया था और अपने लंड को उसकी बुर से बाहर नहीं निकाला था अपने भांजे की ताकत देखकर रूपाली भी एकदम हैरान हो चुकी थी लेकिन पूरी तरह से आनंद में सराबोर हो चुकी थी सूरज खड़ी-खड़ी अपने आप मामी को चोदना शुरू कर दिया था और चोदते हुए उसे झोपड़ी के अंदर ले जा रहा था सूरज की ताकत बहुत ही प्रभावशाली थे जो कि रूपाली को पूरी तरह से अपने घुटने टेकने पर मजबूर कर दी थी,,,, थोड़ी देर में सूरज झोपड़ी के अंदर प्रवेश कर गया और उसी तरह से सूखी हुई घास में अपनी मामी को बैठाकर उसे चोदना शुरु कर दिया थोड़ी देर तक उसके ऊपर सवार होने के बाद वह खुद पीठ के बल लेट गया और अपने ऊपर अपनी मामी को ले लिया उसकी मामी को पता था कि क्या करना,,,, है,,, वह अपनी भारी भरकम बड़ी बड़ी गांड को अपने भांजे के मोटे तगड़े लंड पर भटकना शुरू कर दी उसे अपने भांजे के लंड की ताकत का अंदाजा अच्छी तरह से था इसलिए वह जानती थी कि उसकी बड़ी बड़ी गांड पटक ने पर भी उसका भांजा हार नहीं मानेगा और नीचे से वह अपनी कमर उछाल रहा था दोनों पूरी तरह से मदहोश में जा रहे थे दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे,,, दोपहर के समय जब लोग अपने घर में आराम कर रहे थे तो दोनों मामीं-भांजे खेत में काम करने के बहाने से एक दूसरे की प्यास बुझा रहे थे कुछ देर तक सूरज अपनी मामी को अपने ऊपर लिए हुई आनंद लेता था लेकिन उसका पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था इसलिए वह फिर से अपनी मामी को अपनी बाहों में जकड़े हुए भी उसी स्थिति में फिर से उसे नीचे कर दिया और खुद पर आ गया और फिर से धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया इस बार उसका हर एक धक्का रूपाली को मदहोशी की तरफ ले जा रहा था वह पूरी तरह से मस्त हो जा रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी और देखते देते उसका बदन अकड़ने लगा उसकी गरमामी गरम सिसकारी की आवाज सुनकर सूरज समझ गया था कि उसका पानी निकलने वाला है वह भी अपनी मामी के साथ ही झड़ना चाहता था और वह अपने धक्कों की रफ़्तार और ज्यादा बढ़ाते हुए देखते ही देखते अपनी मामी के ऊपर ही हांफने लगा दोनों मामी भांजे एक साथ झड़ चुके थे,,, कुछ देर तक दोनों उसी स्थिति में लेटे रहे दोनों आराम कर रहे थे लेकिन सूरज का लंड अभी भी रूपाली की बुर में था तकरीबन १ घंटे तक दोनों उसी स्थिति में लेटर ही आराम करते रहे फिर रूपाली धीरे से सूरज को अपने ऊपर से उठाने लगे और सूरज अपनी मामी के ऊपर से उठते हुए अपने लंड को अपनी मामी की बुर से बाहर खींच लिया,,,,।

तूफानी बारिश के बाद एक बार फिर से दोनों ने जमकर चुदाई का आनंद लिया था और फिर रूपाली बोली,,,


चलो थोड़ा काम कर लेते हैं वरना अगर गुलाबी खेत पर आएगी तो कुछ ना काम देख कर ना जाने क्या सोचेगी,,,,

ठीक है तुम बैठो मैं काम कर देता हूं,,,
(इतना कहकर सूरज फावड़ा उठाकर जिस नाली से पानी ज्यादा था वहां की मिट्टी को इकट्ठा करने लगा और थोड़ी देर में रूपाली भी हल्की सी चाल बदलते हुए उसके करीब आ गई क्योंकि जिस तरह की चुदाई सूरज ने किया था उससे अपनी कमर में दर्द महसूस हो रहा था,,, सूरज उसी तरह से काम करता रहा देखते ही देखते शाम होने को आ गई,,, रूपाली भी अपने भांजे के आगे झुक कर हरी हरी घास उखाड़ रही थी गाय भैंस के लिए लेकिन अपनी मामी को इस तरह से झुका हुआ देखकर उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से सूरज के पजामें मे हरकत होने लगी,,, सूरज फावड़े को एक तरफ रख कर ठीक अपनी मामी मीके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी मामी कुछ बोल पाती समझ पाती इससे पहले ही साड़ी को उठाते हुए उसकी कमर तक साड़ी उठा दिया और उसकी नंगी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया रूपाली एकदम से चौक गई और बोली,,,।

बाप रे तेरी प्यास अभी तक नहीं बुझी,,,

तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर एक बार फिर से मऐ प्यासा हो गया हूं,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी मामी की इजाजत पाए बिना ही सूरज अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल कर एक बार फिर से अपनी मामी की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, रूपाली भला क्यों इंकार करती वह तो अपने भांजे से बहुत खुश थे और एक बार फिर से दोनों मजा ले करके अपने घर की तरफ चल दिए,,,।)
 
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सूरज की जिंदगी बड़े अच्छे तरीके से चल रही थी,,,,, वह जिस उम्र के दौर से गुजर रहा था इस उम्र के लड़के केवल बुर और औरत के अंगों की मात्र कल्पना ही करके अपने हाथ का सहारा लेकर अपनी गर्मी को शांत करने की कोशिश करने में लगे रहते थे लेकिन सूरज अपने हम उम्र के लड़कों से कहीं आगे था,,, इस उम्र में वह रोज नई-नई बुर का स्वाद चख रहा था,,,,,, जिसमें अब उसकी खुद की मामी भी शामिल हो चुकी थी,,, और सूरज तो अपनी मामी की खूबसूरत मखमली बुर पाकर और ज्यादा बलवान होता चला जा रहा था,,,,,,,,।



जमीदार बीटू सिंह के नाम का खौफ वह नामदेवराय के चेहरे पर अच्छी तरह से देख चुका था वह कई बार अपने मन में सोचा कि इस बारे में वह नामदेवराय से बात करके देखे लेकिन वह पूछ नहीं पाया ना जाने क्या मामला था,,,, जोकि नामदेवराय बीटू के सामने नजरे झुकाए खड़ा था और तुरंत उसे लेकर अपनी हवेली पर चला गया था,,,। सूरज अपने मन में ही सोचता था कि खैर जो भी हो उसका काम तो अच्छी तरह से चल रहा था,,, गोदाम का सारा देखभाल उसके ही सिर पर था जब से बीटू सिंह आकर वापस गया था तब से तो नामदेवराय गोदाम का सारा कारभार सूरज के ही हाथों में सौंप दिया था और सूरज भी अपने इस फर्ज को बखूबी निभा रहा था,,,, देखते ही देखते मजदूरों में सूरज की इज्जत बढ़ने लगी थी सूरज को उनमें से कई लोग साहब कहकर ही बुलाते थे,,,,,,,, सूरज भी मजदूरों का बहुत ख्याल रखता था इसलिए मजदूरों में सूरज पूरी तरह से लोकप्रिय हो गया था उसकी एक आवाज पर सब लोग खड़े हो जाते थे,,, नामदेवराय से सभी मजदूर डरते थे लेकिन सूरज से प्यार करते थे,,,, क्योंकि सूरज आए दिन उनकी मजदूरी में से कुछ ज्यादा पैसे देकर उनकी मदद भी करता था,,,,,,, जिस तरह से सूरज ने गोदाम के काम को बड़ी होशियारी से और अपनी इमानदारी से संभाला था उसे देखते हुए नामदेवराय भी सूरजसे बहुत खुश रहता था,,,,,,।


ऐसे ही १ दिन सूरज गोदाम पर काम कर रहा था,,,, और लकड़ी के बने छोटे-छोटे बक्सों में आम भरवा रहा था जो कि शहर जाना था,,,,, यही देखने के लिए नामदेवराय गोदाम पर आया हुआ था और साथ में कजरी भी आई हुई थी,,,,,, कजरी की नजर सूरज पर पडते ही कजरी शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका दे क्योंकि जिस दिन से सूरज ने अपनी आंखों के सामने उसे अपने भाई से ही चुदवाते हुए देखा था तब से कजरी की हिम्मत नहीं होती थी सूरज से नजर मिलाने की सूरज को दोनों भाई-बहन के बीच के रिश्ते से कोई भी गलतफहमी बिल्कुल भी नहीं थी,, रिश्तो के बीच में हु इस तरह के संबंध को वह‌ व्यवहारिक रुप से सही मानने लगा था क्योंकि उसका खुद का संबंध अपनी ही मौसी और अपनी मामी के साथ साथ अपनी शादीशुदा बहन मामा की लड़की पूनम के साथ भी था जिसके पेट में उसका ही बच्चा पल रहा था,,,,,
कजरी को देखते ही सूरज नामदेवराय के सामने हाथ जोड़कर अभिवादन करने के बाद कजरी की तरफ मुखातिब होता हुआ बोला,,,


आईए छोटी मालकिन,,, धूप में क्यों खड़ी है अंदर आ जाइए,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज एक कुर्सी खींचकर कजरी की तरफ कर दिया और कजरी बिना कुछ बोले उस पर बैठ गई थी,,,,,, सूरज ने तुरंत नामदेवराय और उसकी छोटी बहन कजरी के लिए मिठाई और पानी का बंदोबस्त किया,,,, कजरी बार-बार तिरछी नजरों से सूरज की तरफ देख ले रही थी और सूरज भी कजरी को देख कर मुस्कुरा दे रहा था,,,, सूरज के खुशमिजाज व्यवहार को देखते हुए कजरी को लगने लगा था कि सूरज उससे नाराज नहीं हैं,,, कटोरी में रखी हुई मिठाई खाए बिना पानी का गिलास उठा कर पीना चाही तभी सूरज बीच में टोकते हुए बोला,,,।

अरे अरे छोटी मालकिन है क्या कर रही है मिठाई तो खाइए,,, खास करके आपके लिए ही मंगवाया,,,
(सूरज की बात सुनकर नामदेवराय का भी इस और ध्यान गया तो हम भी सूरज के सुर में सुर मिलाता हुआ बोला,,)

अरे हां कजरी मिठाई तो खाओ,,,,, खाली पेट पानी पियोगी तो पेट में दर्द होने लगेगा,,,

जी भैया,,,(इतना कहकर कजरी छोटे से मिठाई के टुकड़े को लेकर खाने लगी और फिर पानी पीने लगी ,,, यह देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा कि घर के चारदीवारी के बाहर यह दोनों सच में समाज के लिए एक भाई बहन हैं लेकिन चारदीवारी के अंदर एक मर्द और औरत बन कर कैसे एक दूसरे की आंखों से खेलते हुए अपनी प्यास बुझाते हैं जैसा कि वह खुद अपने ही घर में करता रहा था,,,,दूसरी तरफ नामदेवराय अपनी जगह से खडा हो गया और सूरज से बोला,,,)

सूरज आमों को शहर में भेजने का क्या इंतजाम किए हो,,,

सब कुछ हो गया सर जी बस उसे लकड़ी के बक्सों में भरा जा रहा है,,, चलिए चल कर देख लीजिए,,,,

तुम यहीं बैठो कजरी,,,, मैं इंतजामत देख कर आता हूं,,,
(इतना कहने के साथ ही नामदेवराय सूरज के साथ गोदाम के अंदर वाले हिस्से में चला गया जहां पर पके हुए आम को लकड़ी के बक्से में रखा जा रहा था नामदेवराय यह देखकर बहुत खुश हुआ कि मजदूर बड़ी लगन से काम कर रहे थे और सूरज हमसे अच्छा काम निकलवा रहा था,,,,)

बहुत अच्छे सूरज मुझे तुमसे यही उम्मीद थी तुम मेरे काम को बढ़िया अच्छे से संभाल लिए हो,,,,

जी शेठ जी,,, मैं आपका काम अपना ही काम समझकर करता हूं,,,,

तुमसे मैं बहुत खुश हूं तभी तो इतने बड़े गोदाम का कार्यभार मैंने तुम्हें सौंप दिया है,,,।

(नामदेवराय बहुत खुश नजर आ रहा था और उसे इस तरह से खुश होता देखकर सूरजके मन में आया कि बीटू सिंह के बारे में पूछे लेकिन फिर कुछ सोच कर वह कुछ बोला नहीं,,, नामदेवराय और सूरज दोनों वहीं बैठे रह गए और गोदाम के बाहर वाले इस समय कजरी बैठ कर इंतजार कर रही थी देखते ही देखते शाम ढलने लगी थी अंधेरा होने की शुरुआत हो रही थी,,,,)

अब मुझे चलना चाहिए राजू,,, २ दिनों में तो आम लकड़ी के बक्सों में एक हो जाएगा ना,,,

अरे नहीं नहीं मालिक अभी कुछ घंटों में ही सारा का सारा हम लकड़ी के बक्सों में धरती आ जाएगा और सुबह होते ही मैं इन्हें बैलगाड़ी में भरवा कर स्टेशन तक पहुंचा दूंगा,,,

क्या आज पूरा हो जाएगा,,(क्यों नहीं शेठ,,)

मजदूर देर तक काम करेंगे,,,,

हां जरूर करेंगे कैसे काम करवाना है मुझे अच्छी तरह से आता है,,,


तब तो यह बड़ी अच्छी बात है सूरज,,,, तुम पर विश्वास करके मैंने कोई गलत काम नहीं किया है,, अच्छा अब मैं जा रहा हूं तुम सारा काम करवा कर गोदाम मैं ताला लगा देना,,,


जी सेठ जी,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों गोदाम के आगे वाले हिस्से पर आ गए,,, तभी कजरी अपनी जगह से खड़ी होते हुए बोली)

क्या भैया कितनी देर लगा दीए,,,,

कजरी वो क्या है ना कि आम को सही समय पर शहर भेजना है वरना सड जाएंगे,,,,
(नामदेवराय का इतना कहना था कि तभी एक आदमी आया और बोला)

नमस्ते नामदेवराय जी,,, आपके परम मित्र ने आपके लिए निमंत्रण भिजवाया है,,

निमंत्रण कैसा निमंत्रण,,,,

आज उनके घर जश्ने है और आपको उस जश्न में शामिल होने के लिए बुलावा भेजा है,,,

अभी,,,

जी जमीदार साहब,,,

(अपने परम मित्र के द्वारा भेजे गए इस निमंत्रण के मतलब को नामदेवराय अच्छी तरह से समझता था मास मदिरा और शबाब का पूरा इंतजाम था इसलिए जमीदार ना भी नहीं बोल पा रहा था लेकिन उसे एक चिंता थी कि कजरी को घर भी पहुंचाना था वह सोच में पड़ गया था और बोला)

अभी चलना है,,,

जी मालिक,,,,


लेकिन कजरी को घर भी पहुंचाना जरूरी है मुझे घर जाकर वापस जाना होगा,,,,


आप बिल्कुल भी चिंता मत करो सेठ जी,,,,,, मैं छोटी मालकिन को हवेली तक पहुंचा दूंगा,,,

तुम पहुंचा दोगे सूरज,,,

जी मालिक मैं पहुंचा दूंगा सही सलामत,,,

अरे वाह तब तो यह बहुत अच्छा हुआ,,, लेकिन रुको,,,
(इतना कहने के साथ ही नामदेवराय घोड़ा गाड़ी के करीब गया और घोड़ा गाड़ी में रखी हुई अपनी दो नाली वाली बंदूक को बाहर निकाला और सूरज को थमा ते हुए बोला,,)

यह लो सूरज रात का समय है तुम दोनों की सुरक्षा के लिए,,,

(सूरज उस बंदूक को पकड़ते हैं एकदम उत्साहित हो गया उसके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह बंदूक अपने हाथों में पकड़ कर इधर-उधर देखते हुए बोला,,)

क्यों सच में मालिक मैं रख लु इसे,,,

हां सूरज अब इसकी तुम्हें जरूरत है क्योंकि तुम्हारा भी नाम आस-पास के गांव में प्रख्यात होने लगा है और अब तो व्यापारी भी तुम्हारा नाम जानने लगे हैं इसलिए तुम्हारी सुरक्षा और तुम्हारे ओहदे के सम्मान के लिए तुम्हारा बंदूक रखना जरूरी हो चुका है,,,,।
(सूरज बहुत खुश नजर आ रहा था ,, उसने अब तक बंदूक को दूर से देखा बता लेकिन आज से अपनी हाथ में लेकर वह बहुत उत्साहित नजार‌ आ रहा था यह देखकर नामदेवराय बोला)

इसे चलाने भर की हिम्मत तो है ना,,,

सेठ जी हिम्मत की बात कर रहे हो मेरी हिम्मत आप अच्छी तरह से देख चुके हो,,,
(सूरज की बात सुनते ही नामदेवराय को उस दिन की सारी घटना याद आ गई और वह कुछ बोल नहीं पाया सूरज ने भले ही पहली बार बंदूक हाथ में लिया था लेकिन इसे कैसे चलाना है इसका अंदाजा उसे अच्छी तरह से था,,,,)

ठीक है सूरज मैं चलता हूं तुम थोड़ी देर में निकल जाना,,,

ठीक है मालिक आप चाहिए वैसे भी हवेली ज्यादा दूर नहीं है अच्छे से पहुंच जाएंगे,,,,।
(थोड़ी देर में नामदेवराय घोड़ा गाड़ी में बैठकर उस आदमी के साथ चला गया,,, और कजरी का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह काफी दिनों बाद सूरज के साथ अकेली थी सूरज कजरी से बोला,,,)

तुम यहीं रुको मैं अभी आता हूं,,,
(इतना कहने के साथ ही सूरज अंदर के और मजदूरों को सारा काम समझा कर उन्हें गोदाम की चाबी देकर वापस आ गया और वहीं पर टंगी हुई लालटेन को अपने हाथ में ले लिया और बंदूक को अपने कंधे पर टांग लीया बंदूक को अपने कंधे पर टांग लेने के बाद कैसा लग रहा था उसकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ गई थी,,, कजरी और सूरज दोनों हवेली की तरफ निकल गए थे पैदल ही जाना था उस पैदल का सफर सूरज को बहुत अच्छा लग रहा था चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था हाथ में लालटेन लिए उसकी रोशनी ने सूरज आगे बढ़ रहा था साथ में सोने भी धीरे धीरे चल रही थी दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप

नहीं हो रही थी कजरी अभी भी शर्मिंदा थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पा रही थी बात की शुरुआत करते हुए सूरज बोला,,,।)

तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही हो,,,

सूरज जो कुछ भी तुमने उस दिन देखा उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं,,,

अरे तो क्या हुआ कजरी मुझे कोई दिक्कत नहीं है मैं जानता हूं तुम्हारी मजबूरी को और तुम्हारी बड़े भैया के जरूरत को,,, इसलिए उस दिन के लिए मुझसे शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है,,,,

ओहहहह सूरज तुम बहुत अच्छे हो मुझे तो लगा था कि तुम मुझे माफ‌ ही नहीं करोगे,,,,

नहीं कजरी इसमें तुम्हारी कोई भी गलती नहीं है मैं अच्छी तरह जानता हूं बल्कि उस दिन जो कुछ भी मैंने अपनी आंखों से देखा उससे मुझे फायदा ही हुआ है,,,

फायदा कैसा फायदा,,,,


अरे देख नहीं रही हो तुम्हारे भैया ने सारे गोदाम का कार्यभार मुझे सौंप दिया है और साथ ही यह बंदूक भी दे दिए हैं और तो और मेरा सारा कर्जा उतर गया है अब तुम ही सोचो उस दिन की बात के लिए मेरे मन में कोई मलाल रहेगा क्या,,,,,,


सही कह रहे हो लेकिन मुझे इसी बात का डर था कि तुम इस तरह के रिश्ते को कैसे देखोगे जो कि सब कुछ अपनी आंखों से देख चुके थे मुझे इस बात का भी डर था कि कहीं तुम ने सबको बता दिया तो मेरा तो जीना दूभर हो जाएगा,,,

नहीं मैं मरते दम तक यह राज किसी को नहीं बताऊंगा क्योंकि नामदेवराय का तो पता नहीं लेकिन तुम मेरे लिए बहुत खास हो,,,

(सूरज के मुंह से अपने लिए यह बात सुनकर कजरी का दिल गदगद हुए जा रहा था वह इस बात से खुश थी कि सूरज उसके राज को राज ही रखा हुआ था ,,,,,चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ तेज हवा के झोंकों से लहलहा रहे थे ऊंची नीची कच्ची सड़क से दोनों चले जा रहे थे इस तरह के एकांत में कजरी का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, सूरज लालटेन की रोशनी में कजरी के गोल गोल पिछवाड़े को देखकर उत्तेजित हो जा रहा था उससे रहा नहीं गया तो वह चलते हुए ही कजरी की गांड पर हाथ रखते हुए बोला,,,,)



तुम्हारे भैया तो निमंत्रण में गए हैं आज की रात तुम्हारे कमरे में,,,

नहीं नहीं सूरज भैया ने दो दरबान दरवाजे पर रखे हुए हैं जो दिन-रात पहरा भरते हैं,,, अगर तुम मेरे साथ भैया की गैर हाजिरी ने आओगे और कुछ देर बाद जाओगे तो हो सकता है उन लोगों को शक हो जाए और ऐसा में बिल्कुल भी नहीं चाहती,,,


इसका मतलब हैरानी कि हमें यही करना होगा,,,

नहीं अब तो यहां भी नहीं कर सकते ,,,

क्यों,,,?

बातों ही बातों में पता नहीं चला वह देखो हवेली का दरवाजा नजर आने लगा है और वहां खड़े दोनों दरबार जहां की हरकत के बारे में जरा भी आभास होगा तो दौड़ते हुए यहां तक आ जाएंगे,,,


ऐसा कुछ भी नहीं होगा मेरी जान,,,

(और इतना कहने के साथ ही सूरज अपने कंधे पर लटका ली हुई बंदूक को उतारकर पेड़ के सहारे खड़ा कर दिया और लालटेन की लौ को एकदम धीमा करके उसे भी पेड़ के पीछे रख दिया ताकि उसकी रोशनी दूर तक नजर ना आए कजरी सूरज के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसके तन बदन में आग लगने लगी थी उसकी दोनों टांगों के बीच की गुलाबी छेद में काम रस इकट्ठा होने लगा था और देखते ही देखते सूरज ने उसे अपनी तरफ खींच कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर उसका चुंबन करने लगा रात के अंधेरे में दूर-दूर तक यहां देखने वाला कोई नहीं था हवेली के दरवाजे पर खड़े दो दरबान भी अंधेरे में यहां तक नहीं देख पा रहे थे,,, सूरजकजरी को अपनी आगोश में लेकर ब्लाउज के ऊपर से उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया था पल भर में ही कजरी की बुर से काम रस टपक ना शुरू कर दिया,,,।

ओहहहह सूरज बहुत दिन हो गए तुम्हारे बिना मुझे भी चैन नहीं आता,,,

मैं भी तुमसे दूर रहकर बहुत तड़पता हूं कजरी आज मौका मिला है,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज कजरी के कंधों को पकड़कर दूसरी तरफ घुमामी दिया और उसे पेड़ की तरफ झुका नहीं लगा कजरी खेली खाई औरत थी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि उसे क्या करना है वो खुद अपने हाथों से पेड़ का सहारा लेकर झुकते हुए एक हादसे अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और अपनी बड़ी बड़ी नंगी गांड को सूरज के सामने परोस दी,,,, कजरी की गांड ईतनी गोरी थी कि अंधेरे में भी एकदम चमक रही थी जिसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आने लगा होगा तुरंत अपने पजामे को नीचे करके अपने टनटनाए हुए लंड को बाहर निकाल लिया और अंधेरे में ही अपनी उंगली से कजरी की बुर को टटोलते हुए अपने लंड के सुपाडे को उस छेद से सटा दिया बुर पूरी तरह से कामरस छोड़ रही थी इसलिए उसके गीले पन का सहारा लेते ही एक ही झटके में सूरज ने अपना आधा लंड कजरी की बुर में डाल दिया बहुत दिनों बाद कजरी सूरज के लंड को अपनी बुर में ले रही थी इसलिए थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था लेकिन आनंद की पराकाष्ठा क्या होती है यह भी उसे महसूस हो रहा था वो एकदम से गदगद हो गई थी सूरज तुरंत अंधेरे में कजरी की कमर थाम कर एक और झटका मारा और पूरा का पूरा लंड कजरी की बुर

में समा गया,,, नामदेवराय कजरी की रखवाली उसकी खासियत करने के लिए सूरज को उसके साथ भेजा था लेकिन ऐसा भला हो सकता है कि दूध मलाई से भरी हुई कटोरी की रखवाली खुद बिल्ली कर रही हो,,,, सूरज इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए सोने की हवेली के ठीक सामने ही अंधेरे का फायदा उठाते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया था कजरी के मुंह से गरमामी गरम सिसकारी फूट रही थी,,, सूरज के लंड को अपनी बुर में महसूस करके वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी और सूरज उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए तुरंत अपना दोनों हाथ आगे ले गया और अंधेरे में ही अंगुलियों से टटोल टटोलकर उसके ब्लाउज का सारा बटन खोल दिया और उसकी नंगी चूचियों को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,

कजरी को इस बात का एहसास अच्छी तरह से ताकि सूरज से अच्छा उसे चर्मसुख कोई नहीं प्राप्त कर आ सकता था इसीलिए तो सूरज की बाहों में वह पूरी तरह से समर्पित हो जाती थी,,, सूरज भी कजरी के समर्पण भाव को देखते हुए पूरा दम लगा देता था उसका रस निचोड़ने में,,, सूरज की कमर लगातार आगे पीछे हो रही थी सूरज का मोटा तगड़ा लंड बुर की अंदरूनी दीवारों पर रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था जिससे कजरी के तन बदन में आग लग रही थी वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,,।

बड़े से पेड़ का सहारा लेकर अंधेरे का फायदा उठाते हुए अपनी गांड हवा में लहराते हुए छुपकर खड़ी थी और उसकी गांड को दोनों हाथों से थाने सूरज उसकी चुदाई कर रहा था साथ ही उसकी चूची को भी जोर जोर से दबा रहा था इस तरह की चुदाई के लिए वह तड़प उठती थी और सूरज से मिलते ही उसकी बुर हमेशा पानी छोड़ने लगती थी,,,, कजरी की बुर का कसाव अपने लंड की गोलाई पर महसूस करके सूरज की उत्तेजना और बढ़ती चली जा रही थी देखते ही देखते रह चुके धक्के तेज होते जा रहे थे और साथ ही कजरी की सांसे भी बड़ी तेजी से चल रही थी कजरी का बदन अकड़ने लगा था वह किसी भी वक्त चरमसुख के करीब पहुंचने वाली थी और इसी को देखते हुए सूरज अपने धक्कों की रफ्तार को तेज कर दिया था,,, फच फच की आवाज से पूरा वातावरण गूंज रहा था जांघों से जांघ टकराने की ठप ठप की आवाज दोनों के बदन में और ज्यादा उत्तेजना फैला रहा था देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ना शुरु हो गए,,,,।

थोड़ी ही देर में कजरी अपनी साड़ी को नीचे करके अपने ब्लाउज के बटन बंद करने लगी और सूरज कि अपने पजामे को ऊपर करने लगा और बोला,,,

नामदेवरायजी मुझसे ज्यादा मजा देते हैं क्या,,,


तुम तो देखे हो सूरज तुम्हारे से आधा ही है तो ज्यादा मजा का तो सवाल ही नहीं उठता बस मजबूरी है,,,,

चलो कोई बात नहीं मैं तो हूं ना,,,।

(और इसके बाद सूरज फिर से बंदूक को अपने कंधे पर रखकर और लालटेन की लौ बढ़ाकर कजरी को हवेली के दरवाजे तक छोड़ दिया और फिर वहां से अपने घर की ओर चला गया वह घर पर पहुंचकर बंदूक को घर के लकड़ी के बने छत के ऊपर जहां घास फूस रखी जाती है उसी में छुपा दिया वह जानता था कि अगर उसकी मामी बंदूक देखेगी तो घबरा जाएगी इसीलिए वह किसी को कुछ बताए बिना वह अपने कमरे में आकर सो गया क्योंकि रात काफी हो चुकी थी,,,)
 
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जैसे तैसे करके दिन गुजरने लगे थे,,,, सूरज के घर वालों को इस बात की भनक तक नहीं लगी थी,, की सूरज ने नामदेवराय की दी हुई बंदूक को घर में लाकर रखा है,,,,,, मामी भांजे के बीच के पवित्र रिश्ते की दीवार एक बार गिर जाने से दोनों मामी-भांजे के लिए मर्यादा की दीवार लांघ कर आगे बढ़ना अब कोई बड़ी बात नहीं रह गई थी सूरज और रूपाली अब आपस में छेड़छाड़ करने लगे थे दोनों एक दूसरे के अंगों को कभी पकड़ लेते थे दबा देते थे और ऐसा करने में दोनों को मजा भी आता था,,,, लेकिन रूपाली इस बात का बेहद ख्याल रखती थी कि उन दोनों की छेड़छाड़ उन दोनों की हरकतों का पता मंजू और रविकुमार को ना हो जाए,,,,।

ऐसे ही एक दिन रूपाली खाना बना रही थी गर्मी का मौसम था और सुबह का समय था लेकिन फिर भी चुल्हे के सामने बैठने की वजह से उसकी तपन से रूपाली के माथे से पसीना टपक रहा था वह तवे पर रोटियां सेक रही थी,,,, तभी सूरज भी उधर आ गया तो ठीक सामने रविकुमार खटिया गिरा कर बैठा हुआ था और बीड़ी फुंक रहा था,,,, सूरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी की चूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी है और ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पाती हैं और ब्लाउज से बाहर आने के लिए हमेशा में चलती मचलती है,,,,,,, सूरज खाना बना रही है अपनी मामीके पास आते ही ठीक उसके सामने एकदम पास में बैठ गया और उसके ब्लाउज मे उठने जवानी के तूफान को देखते हुए बोला,,,,।

सुबह-सुबह अगर खरबूजा खाने को मिल जाए तो दिन बन जाता है,,,,।(रूपाली अपने भांजे के कहने का मतलब को और उसके नजर के सिधान को देखते ही शर्म आ गई और आंखों से ही वहां पर उसके मामा के होने का एहसास कराने लगी लेकिन सूरज कहां मानने वाला था,,,, इस मामले में धीरे-धीरे निडर होता जा रहा था लेकिन रूपाली के लिए यह सब कुछ नया था इसलिए उसे घबराहट हो रही थी,,, खरबूजे वाली बात रविकुमार ने सुन लिया था और बीड़ी का कस खेंचते हुए बोला,,,,,)

अरे पहले जैसा कहां खरबूजा मिलता है,,,, अब तो उसमें मिठास ही नहीं होती,,,,

अरे नहीं मामाजी मैं जगह जानता हूं इतने अच्छे खरबूजे मिलते हैं बड़े-बड़े कि पूछो मत और एकदम रस से भरे हुए,,,,(अपनी मामी की चूचियों की तरफ देखते हुए बोला,,,) मैं तो अब रोज खाता हूं,,,

अरे फिर घर के लिए भी लेता आ,,,,

जरूर मामाजी आपके लिए तो मैं खास लेकर आऊंगा क्योंकि मुझे मालूम है मुझे पसंद है तो तुम्हें भी जरूर पसंद आएगी,,,।

(अपने भांजे की बात को सुनकर रूपाली को घबराहट भी हो रही थी और उसकी बातें एकदम शर्म से पानी पानी कर देने वाली थी,,,, रूपाली इशारे में अपने भांजे को शांत रहने के लिए बोल रही थी लेकिन सूरज शांत बैठने वाला नहीं था उसे साफ दिख रहा था कि उसकी मामी की ब्लाउज का ऊपर वाला बटन खुला हुआ था जिसकी वजह से उसकी गोल-गोल चूचियां कुछ ज्यादा ही बाहर को झलक रही थी,,,, इसलिए वह अपनी मामीको उसके ब्लाउज की तरफ निर्देश करता हुआ धीरे से बोला,,,)

तुम्हारा खुला हुआ ब्लाउज का बटन देखकर मेरे पजामे का नाडा ढीला हो जाता है,,,,,,,
(अपने भांजे की बातें सुनकर वह तुरंत अपनी छातियों की तरफ देखी और सच में ब्लाउज का बटन खुला देखकर रोटी को वैसे ही छोड़ कर अपनी ब्लाउज का बटन बंद करने लगे लेकिन हल्की सी आवाज रविकुमार के कानों तक पहुंच गई थी इसलिए वह बोला,,,)

अरे क्या ढीला हो गया है सूरज,,,

अरे कुछ नहीं मामाजी पजामे का नाडा बार-बार ढील‌ा हो जा रहा है,,,

अरे तो अपनी मामी को दे दे ठीक कर देंगे,,,

मामी की वजह से ही तो ढीला हो जा रहा है,,,,।
(इस बार रूपाली एकदम से झेंप गई वह तुरंत अपने पति की तरफ देखने लगी कि वह क्या प्रतिक्रिया देता है सूरज की बात सुनकर लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था इसलिए बोला,,,)

ऐसा क्यों कह रहा है सूरज,,,

अरे कहु ना तो और क्या करूं मामी की वजह से ही तो सब कुछ हो रहा है,,,(पजामे में अपने खड़े लंड को हाथ से दबाते हुए,,,,) कितनी बार कहा हु की मेरा पजामा ठीक कर दो,,, लेकिन मामी है कि मेरे पर ध्यान ही नहीं देती,,,

क्यों भाई रूपाली ऐसा क्यों कर रही हो तो तुम्हारा भांजा जवान हो गया है कमाने लगा है अब तो गांव भर में इसका नाम चर्चा में रहता है फिर भी इसे खुश नहीं कर पा रही हो,,,,
(रविकुमार औपचारिक रूप से बातें कर रहा था लेकिन सूरज और रूपाली इस समय उसके कहने के मतलब को गलत अर्थ निकाल रहे थे इसलिए दोनों के बदन में अजीब सी हलचल सी हो रही थी,,,) करो उसका पैजामा ठीक तुम्हारी वजह से उसके पजामे का नाड़ा ढीला हो जा रहा है,,,,

सुन ली ना मामी अब तो मामाजी ने भी तुम्हें इजाजत दे दिए हैं अब ठीक कर देना,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने मामाजी की तरफ देखते हुए ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मामी की चूची दबा दिया,,, अब डर और उत्तेजना के मारे रूपाली की हालत खराब होती जा रही थी उसकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, अपने भांजे की हरकत देखते हुए वह तुरंत अपने भांजे की तरफ देखकर आंख दिखाने लगी लेकिन सूरज पर इसका बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ रहा

था,,,, इसलिए रूपाली बोली,,)

चल अच्छा रहने दे शिकायत करने को खाना बन गया है खाना खाकर बेल गाड़ी लेकर जा,,,,

खिलाओगी तो क्यों नहीं खाऊंगा और रोटी तो अच्छे से फूलाओ तुम्हें तो पता ही है कि अच्छे से गर्म करने के बाद फुलाने के बाद ही खाने का मजा आता है,,,,।
(रूपाली अपने भांजे के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि उसका भांजा रोटी के बहाने उसकी बुर के बारे में बात कर रहा था जिसकी वजह से उसकी बुर से मदन रस टपक रहा था)

दिखाई नहीं दे रहा है तुझे फूल तो रही है बराबर,,,

मैं अंधा थोड़ी हूं कहां फूल रही है दिखाओ तो,,,,(इतना कहकर सूरज अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच देखने लगा और रूपाली समझ गई कि वह क्या देखना चाह रहा है एकदम से शरमा गई और रविकुमार की तरफ देखने लगी कि कहीं वह यहां तो नहीं देख रहा है लेकिन वहां बीड़ी पीने में ही मस्त था ऐसा नहीं था कि सूरज की हरकतों से अच्छी नहीं लग रही थी उसे सूरज की हरकत बेहद उत्तेजित भी कर रही थी लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं उसके पति को भनक ना लग जाए,,,, इसलिए वह बेहद धीमें स्वर में बोली,,,)

सूरज क्यों ऐसा कर रहा है जाकर बैठ जा मैं तुझे खाना देती हूं,,,

नहीं ऐसे नहीं पहले मुझे अपनी बुर दिखाओ,,,,(सूरज भी अपने मामाजी की तरफ देखकर धीरे से बोला,,)

नहीं दिखाऊंगी,,,(गुस्से का नाटक करते हुए रूपाली अपने घुटने पर की साड़ी को ठीक करते हुए बोली)

यब तो मऐ यहां से हिलने वाला भी नहीं हूं,, देख रही हो,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी जगह से खड़ा हो गया और उसके खड़ा होते हैं उसके फायदा में भी बना तंबू एकदम से खूटे की तरह नजर आने लगा जिसे देखते ही रूपाली की बुर फुदकने लगी,,,) मेरी हालत कितनी खराब होती जा रही है तुम्हारी देखने के लिए,,,,
(सूरज इस समय पूरी तरह से मस्ती के मूड में था और बार-बार अपने मामाजी की तरफ देख भी ले रहा था कि कहीं वह देख ना ले,,, अपने भांजे की हरकत की वजह से रूपाली के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह भी मदहोश हो रही थी,,, लेकिन अपने पति की मौजूदगी में उसे डर लग रहा था,,, इसलिए वह तवे पर की फूली हुई रोटी चिमटी से पकड़ कर थाली में रखते हुए बोली,,)
सूरज तू क्या कर रहा है देख नहीं रहा तेरे मामाजी यहां बैठे हैं मुझे डर लग रहा है,,,,

डर कैसा मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लग रहा है देखना चाहती हो,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने मामाजी की तरफ देखकर अपने पजामी को तुरंत एक हाथ से नीचे की तरफ सरकार कर अपने खड़े लंड को अपने मामी को दिखाने लगा और साथ में अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसे तीन चार बार मुठिया भी दिया यह देख कर रूपाली एकदम से चौक गई और वह दांतो तले उंगली दबा ली उसकी बुर पानी से भर चुकी थी अपने भांजे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर वह पानी पानी हुई जा रही थी सूरज तुरंत एक झलक अपने लंड की दिखाने के बाद वापस पजामे को उपर कर लिया,,,, रूपाली बोली,,,।)

तू चाहता क्या है,,,

मुझे भी एक झलक अपनी बुर की दिखा दो,,,,

अभी,,,

तो क्या ऐसे ही मौके पर तो ज्यादा मजा आता है,,,

कुछ तो शर्म कर तेरे मामाजी यहीं पर बैठे हैं,,,,
(रविकुमार अपनी मस्ती में बीड़ी पर बीड़ी फूंक रहा था उसे उसकी पीठ पीछे क्या हो रहा है उसे बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था,,,)

तो क्या हुआ मेने नहीं दिखा दिया,,, कहो तो एक बहाने से मामाजी के सामने ही तुम्हें कमरे में ले जाकर चोद दूं,,,

(अपने भांजे की बात सुनकर मैं तो एकदम से शर्मा गई और ‌ धीमे स्वर में बोली,,,)

तू मानेगा नहीं ना,,,,

मैं नहीं मानूंगा,,,
(अपने भांजे की जिद को देखकर रूपाली अपने पति की तरफ देखने लगी वह उन दोनों की तरफ पीठ करके बीड़ी पी रहा था इस समय वह अपने आप में पूरी तरह से मशगूल था ऐसा नहीं था कि रूपाली का मन ना कर रहा हो दिखाने का अपने भांजे की हरकत और उसकी हिम्मत को देखकर उसके लंड की झलक को देखकर उसका भी मन कर रहा था कि अपने भांजे को अपने रस से भरी हुई बुर दिखाएं,,, इसलिए वह भी अपने पति की तरफ नजर रखकर अपनी दोनों टांगों को हम कैसे फैला ली और सारी को टांगों के बीच से खोलकर अपनी बुर दिखाने लगी सूरज तुरंत अपनी मामीकी दोनों टांगों के अंदर झांकने लगा लेकिन इस तरह से मजा नहीं आ रहा था इसलिए वह बोला,,,।)

ऐसे नहीं ऐसे दिखाई नहीं दे रहा,,,

फिर कैसे,,,( रूपाली परेशान होते हुए बोली,,,)

वैसे ही जैसे मैं खड़ा होकर दिखाया था,,,(सूरज अपने मामाजी की तरफ देखते हुए बोला,,)

हाय दइया मुझसे यह ना होगा,,,(अपने पति की तरफ देखते हुए) पागल हो गया क्या तू,,,,


थोड़ी तो हिम्मत दिखाओ बहुत मजा आएगा,,,, जल्दी करो नहीं तो कोई आ जाएगा और फिर मैं आज आने वाला नहीं हूं वहीं बैठ के तुम्हें परेशान करते रहूंगा,,,,

सूरज तू बहुत शैतान हो गया है,,,,

अब क्या करूं तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि शैतान बनना पड़ता है,,,,


अच्छा तू जा अभी बाद में दिखा दूंगी,,,

बाद में तो मैं देखूंगा भी और डाल भी दूंगा इसमें कहने वाली कोई बात नहीं है,,, लेकिन इस समय तो मैं सिर्फ देखना चाहता हूं,,,,,(अपने मामाजी की तरफ देखते हुए) देखो ना मामाजी का ध्यान यहां बिल्कुल भी नहीं है जल्दी से खड़ी होकर दिखा दो,,,,,

तू सच में बहुत शैतान हो गया है,,,, जरा सा भी डर नहीं है कि अगर कोई देख लिया तो क्या होगा,,,

अरे कुछ नहीं होगा,,,।
(रूपाली का मन भी मचल रहा था अपने भांजे को अपनी बुर के दर्शन कराने के लिए,,, लेकिन इसमें पकड़े जाने का डर भी था अगर ऐसे हालात में किसी ने देख लिया तो क्या होगा यह सोचकर वह घबरा भी रही थी और उत्सुक भी थी वह बार-बार अपनी पति की तरफ देख ले रही थी जो कि काफी देर से उन दोनों की तरफ ना तो ध्यान दे रहा था और ना ही देख रहा था यही सही मौका भी था रूपाली के लिए इसलिए वह भी बिना कुछ बोले धीरे से खड़ी हुई और अपनी मामी को इस तरह से खड़ी होता देखकर सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी लंड में उबाल मारने लगा,,,, कोई देख ना ले इस बात की फिक्र सूरज को भी थी इसलिए वह अपने मामा की तरह बार-बार देख ले रहा था और दरवाजे की तरफ भी नजर डाल दे रहा था लेकिन दरवाजा बंद था और अंदर से कड़ी लगी हुई थी इसलिए बाहर से किसी के भी आने की आशंका और डर बिल्कुल भी नहीं थी,,,।

मामी भांजे दोनों उत्सुक और व्याकुल नजर आ रहे थे भांजा देखने के लिए और मामीदिखाने के लिए दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, सूरज की आंखें एकदम चौकन्नी थी रूपाली के मन में घबराहट भी थी और जिस तरह की हरकत बदलने हो रही थी उसके चलते रूपाली की बुर से काम रस टपक रहा था,,,, सांस इतनी तेजी से चल रही थी कि रूपाली की भारी-भरकम छातियां ऊपर नीचे हो रही थी जो कि एक अलग नशा भर रही थी ,,, धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर उठाने का समय रूपाली के पास बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वह तुरंत अपनी साड़ी को पकड़ी और एक झटके से अपनी कमर तक उठा दी और साड़ी को कमर तक उठाने के बाद जो नजारा नजर आया,,,, उसे देखकर सूरज की आंखों में नशा छा गया और लंड में हलचल होने लगी जो की पूरी तरह से अकड़ गया सूरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि एक बार साड़ी ऊपर करने के बाद तुरंत उसकी मामी साड़ी नीचे गिरा देगी इसीलिए वह तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी दो उंगलियों को अपनी मामी की खुली हुई बुर पर रखकर उसके काम रस को अपनी उंगली पर लगा लिया यह इतनी जल्दी हुआ कि रूपाली को भी इस बात का एहसास तक नहीं हुआ लेकिन जब तक उसे पता चलता तब तक देर हो चुकी थी रूपाली साड़ी अपने नीचे गिराती इससे पहले ही सूरज अपनी वह दो उंगलियों को अपने होठों से लगाकर उसका रस जीभ से चाटते हुए बोला,,,)

वाह अब आया ना स्वाद,,,,,
(अपने भांजे की हरकत की वजह से रूपाली एकदम से जीत गई थी इसलिए तुरंत वह अपनी साड़ी को कमर से नीचे गिरा दी और एक खूबसूरत नजारे पर पर्दा गिरा दी अपने भांजे की हरकत और उसकी बात पर रूपाली शर्मा कर सिर्फ इतना ही बोल पाई,,,)

बेशर्म कहीं का,,,,
(लेकिन अपने भांजे के द्वारा कही गई बात को रविकुमार सुन लिया था इसलिए वह बोला)

अरे किस में आ गया स्वाद,,,,

खाने में मामाजी नमक कम था ना मामी ने नमक डाल दिया एकदम स्वादिष्ट बना है खाना,,,, आओ आप भी खाइए पहला हक तो आपका ही है,,, उसके बाद झूठा खाने का मजा ही कुछ और है,,,


यह कैसी बातें कर रहा है सूरज तू खा ले मैं बाद में खा लूंगा,,,
(रविकुमार अपने भांजे की बात को बिल्कुल भी समझ नहीं पाया था लेकिन रूपाली अपने भांजे की कहीं और एक बात को अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी,,, तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी,,,)

भाभी दरवाजा तो खोलो,,,

जा सूरज दरवाजा खोल दे तेरी मौसी आ गई है,,,
(इतना सुनते ही सूरज अपनी जगह से उठकर गया और दरवाजा खोल दिया अंदर आते ही मंजू अपनी भाभी से बोली,,,)

भाभी घर के पीछे देख कर काम करना वही मैंने सांप देखी हूं,,,

क्या सच में,,,?

हां भाभी बहुत लंबा था,,,,


वह तो होगा ही ना घर के पीछे कितना झाड़ी झंकार है इनसे कितनी बार कहीं हूं कि सब काट कर समतल कर दो लेकिन सुनने का नाम ही नहीं लेते कहीं किसी को काट लिया तब समझ में आएगा,,,

कहां देखी थी मंजू,,,(रविकुमार मंजू की तरफ देखते हुए बोला)

वहीं जहां बेल बांधते हैं,,,,

ठीक है फिर मैं आज सारा काम छोड़ कर वहां की सफाई कर देता हूं,,,,

हां ये ठीक रहेगा भैया,,,,,,,,

सूरज खाना खाकर अपनी मामी की तरफ देख कर मुस्कुरा कर चला गया,,,,, एक बात तो रूपालीभी मानती थी कि उसके भांजे ने उसके जीवन में उमंग भर दिया था,,,,,,।

सूरज बेल गाड़ी लेकर चल पड़ा था तभी उसे ख्याल आया कि क्यों ना आज गौरी को अपने साथ घूमने ले चले क्योंकि वह भी तो यही चाहती थी,,,,,,, सूरज अभी यही सोच रहा था कि सामने से उसे गौरी आती हुई दिखाई दी और उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,, गौरी भी सूरज को देख ली थी इसलिए उसके चेहरे पर भी खुशी साफ झलक रही थी,,,, खेत में कपड़े धोने

के बहाने,, जिस तरह की चुदाई राजे ने उसकी किया था अभी तक इस बारे में सोच कर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ जाती थी,,,,, गौरी बैलगाड़ी के बहुत करीब आ गई थी इसलिए मुस्कुराते हुए सूरज गौरी से बोला,,,।

चलोगी गौरी सैर पर,,,

कहां घूमाओगे,,,,


जहां तुम कहो,,,

बाजार चलोगे,,,,,

तुम कहो वहां ले चलूंगा,,,,

बाजार में छोला चाट समोसे खिलाने पड़ेंगे,,,

तुम्हें क्या लगता है मैं खर्चे से डर जाऊंगा,,,,

तुम्हारे साथ समय बिताने के लिए तो मैं कुछ भी कीमत चुकाने को तैयार हूं,,,,

ओहहह हो,,, क्या बात है,,,, फिर चलो मैं तैयार हूं लेकिन जल्दी आना,,,,

अरे एकदम जल्दी,,,,

( गौरी तुरंत बैलगाड़ी में जाकर बैठ गई और सूरज निकल गया गौरी को लेकर,,,,, दोनों के बीच प्यार भरी वार्तालाप हो रही थी,,,,, थोड़ी ही देर में सूरज गौरी को लेकर बाजार पहुंच गया,,,, बाजार में चहल-पहल ज्यादा थी,,, गौरी तुरंत समोसे चाट की दुकान पर पहुंच गई,,,,,,,, बाजार में आना-जाना गौरी का बहुत ही कम ही होता था,,यहां तक कि ना के ही बराबर कभी कोई खास मौके पर कपड़े खरीदने होते तो वह बाजार आती थी लेकिन कुछ सालों से वह बाजार का मुंह तक नहीं देखी थी इसलिए बाजार में आकर वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,,, पहली बार वह इतनी ज्यादा भीड़ भाड़ बाजार में देख रही थी लोग आ रहे थे जा रहे थे सबके चेहरे पर खुशी थी कोई कपड़े खरीद रहा था कोई चूड़ियां खरीद रहा था कोई सब्जियां खरीद रहा था कोई घर का राशन खरीद रहा था बाजार में आने का यही एक फायदा होता है कि यहां पर भात भात के लोगों से मिलने का मौका मिल जाता है,,,,,,।

समोसे की दुकान पर जाते ही सूरज ने समोसे और चाट खरीद कर,, गौरी को दे दिया और गौरी बड़े चाव से खाने लगी,,,, गौरी को देखकर तुरंत उसे उस दिन वाली बात याद आ गई जब इसी तरह से वह अपनी मामीको वेद के वहां ले जाते समय रास्ते में इसी तरह से बाजार में रोककर चाट और समोसा खिलाया था और उसकी खूबसूरत बदन को भोगा था,,,, गौरी का खूबसूरत चेहरा सूरज के दिल में बस गया था सूरज गौरी से बेहद प्यार करता था और उसके खूबसूरत बदन को भोग भी चुका था इसलिए फिर से उसको चोदने में सूरज को ज्यादा उतावल‌ नहीं था वह जानता था कि भी उसके कहने पर किसी भी समय गौरी उसे करने देगी आखिरकार उसे भी तो एक मर्द की जरूरत है यह सूरज ने खेतों के बीच गौरी की चुदाई करते हुए भांप लिया था,,,

थोड़ी ही देर में गौरी नहीं चाट और समोसे का स्वाद ले चुकी थी आज पेट भर कर समोसा और चाट खाई थी गौरी पानी पीने जा रही थी तो इससे पहले ही सूरज उसी दुकान से गरमा गरम जलेबी या ले लिया और उसे पानी पीने से रोकते हुए बोला,,,।

ऐसे नहीं गौरी जलेबी खा लो फिर पानी पीना मीठा खाने के बाद पानी पीने का मजा ही कुछ और होता है और वैसे भी गर्मी बहुत है,,,

हां तुम सच कह रहे हो गर्मी भी बहुत है और चाट में मिर्चा भी बहुत था देख नहीं रहे हो पसीने से भीग गई हुं,,,, नहाने को मिल जाता तो मजा आ जाता,,,

तो इसमें क्या हो गया यही नल के नीचे बैठ कर नहा लो,,,

धत्,,,, यहां की बात नहीं कर रही हो मैं तुम्हारी तरह पागल नहीं हूं कि सबके सामने बैठकर अपने बदन की नुमाइश करु,,,

तुम्हारे नुमाइश करने की अदा पर पर तो मैं पागल हो गया हूं,,, ना तुम्हें नहाता हुआ देखता और ना तुमसे प्यार होता तो आज मैं तुम्हारे पीछे दीवानों की तरह इधर-उधर घूमता ना रहता,,,,


अच्छा तो यह बात है अगर मेरे पीछे घूमना तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा है तो तुम जा सकते हो,,,

अरे नहीं नहीं मेरी रानी तुम्हारे पीछे तुम्हें जिंदगी भर घूमते रहूंगा,,, लो अब गुस्सा मत करो जलेबी खाओ,,,(इतना कहते हुए सूरज कागज के पड़ीका में से जलेबी लेकर गौरी को थमाने लगा और गौरी भी मुस्कुराते हुए जलेबी लेकर खाने लगी,,,, इसके बाद पानी पीकर कुछ देर तक दोनों बाजार में इधर-उधर घूमते रहे सूरज गौरी को बहुत कुछ दिलवाना चाहता था लेकिन गौरी घर पर क्या कहेगी इसलिए कुछ खरीदी नहीं,,,,,,, धीरे-धीरे एकदम दोपहर हो गई थी गर्मी का महीना होने की वजह से धूप बड़े जोरों की पड़ रही थी दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,,, सूरज गौरी को लेकर फिर से उसे गांव की ओर निकल गया था लेकिन गांव अभी बहुत दूर था और गौरी को पसीने से तरबतर होता देखकर सूरज दूसरी तरफ बैलगाड़ी को घुमा लिया था,,, किसी अनजान सड़क पर बैलगाड़ी को जाता हुआ देखकर,,, गौरी बोली,,,


कहां ले जा रहे हो,,,

तुम्हें बहुत खूबसूरत जगह पर ले जा रहा हूं तुम देखोगी तो देखती रह जाओगी,,,

अरे ऐसी कौन सी जगह है जहां पर ले जा रहे हो और मैं देखी नहीं हूं,,,

तुम अभी बहुत कुछ नहीं देखी हो मेरी रानी,,,
(जब भी सूरज गौरी को मेरी रानी चाहता था तब तक गौरी के तन बदन में हलचल सी हो जाती थी उसे बहुत अच्छा लगता था आपने आपको सूरज के मुंह से रानी कहना,,, गौरी कुछ बोल नहीं पाई दोनों के बीच खामोशी छाई रही,,, लेकिन अब सूरज के मन में कुछ और चलने लगा था इस तरह के एकांत और सुनसान माहौल में जहां पर सूरज गौरी को ले जा रहा था वहीं पर गौरी को चोदने का मन कर रहा था क्योंकि उस तरह के माहौल में एक खूबसूरत लड़की की चुदाई करना बहुत ही ज्यादा मदहोश कर देने वाला पल होता है,,,,, मैं जानता था ऐसे तो गौरी इंकार नहीं करेगी लेकिन अगर वह खुद उस समय के लिए तैयार हो जाए तो और ज्यादा मजा आए इसलिए बातों का दौर शुरू करते हुए अपनी गरम बातों से वह‌गौरी को गर्म करना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)

सच कहूं तो गौरी जितनी तुम कपड़ों में खूबसूरत लगती हो उससे भी ज्यादा खूबसूरत बिना कपड़ों की लगती हो एकदम नंगी हो जाने के बाद तो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे जमीन पर उतर आई हो,,,,

चलो रहने दो,,,,

नहीं सच कह रहा हूं गौरी तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की मैंने आज तक नहीं देखा उस दिन खेत मैं तुम्हें चोदने के बाद मुझे महसूस हुआ कि वाकई में तुम से खूबसूरत कोई लड़की हो ही नहीं सकती तुम्हारे बदन का हर एक अंग इतना मस्त तराशा हुआ है कि पूछो मत तुम्हारे बदन के हर कोने से रस टपकता है,,,,।
(सूरज की इस तरह की बातें जो मेरी को अच्छी लग रही थी आखिरकार वह भी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी और ऐसे में एक जवान लड़का एक लड़की की तारीफ और वह भी इस तरह के गंदे शब्दों में करे तो वाकई में लड़की की दिलचस्पी बढ़ ही जाती है,,,, फिर भी जानबूझकर नाटक करते हुए गौरी बोली,,,)

अभी इस तरह की बातें करना जरूरी है क्या,,,


क्यों नहीं इस तरह का एकांत हम दोनों को कहां मिल पाता है इस तरह की बातें करने का समय कहां मिलता है,,, आज मौका भी है दस्तूर भी है तो क्यों ना इस तरह की बातें कर लिया जाए सच में गौरी तुम्हारी बुर इतनी कसी हुई है कि पूछो मत,,, तुम्हें पता है मर्दों को सबसे ज्यादा अच्छा क्या लगता है,,,

क्या,,,?(अपनी कसी हुई बुर का जिक्र सूरज के मुंह से सुनकर गौरी के तन बदन में हलचल सी मच आने लगी थी इसलिए वह धीमे से मदहोशी भरे स्वर में बोली थी,,)

लड़कियों की कसी हुई बुर जिस में लंड डालने पर पता चले कि वाकई में वह किसी संकरे चीज में जा रहा है ऐसी जगह पर जहां पर एक उंगली तक जाने में मुश्किल हो,,,,
(इस तरह की गंदी बातें सुनकर गौरी के मन में कुछ कुछ होने लगा था उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी आज तक इतनी गंदी बातें तुम अपनी सहेलियों के मुंह से भी नहीं सुनी थी जितनी गंदी बात सूरज उससे कर रहा था,,, सूरज बिना रुके अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) कसम से गौरी तुम्हारी बुर नहीं एक खूबसूरत संकरा गुफा है जिसमें जाने के लिए दुनिया का हर मर्द धड़कता है मेरी किस्मत इतनी अच्छी थी कि पहला मौका मुझे मिला और यह मौका मैं जिंदगी भर लेना चाहता हूं मैं किसी और को उस गुफा में जाने नहीं दूंगा वह गुफा सिर्फ मेरा है मेरा,,,(अपनी बुर को गुफा का नाम देने पर गौरी मुस्कुरा रही थी उसे हंसी आ रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने हंसी पर काबू करके बैठी हुई थी,,, वह सूरज की बातों का मजा ले रही थी,,,) और हां तुम्हारी गांड बहुत लाजवाब है ना ज्यादा बड़ी ना ज्यादा छोटी एकदम सुगठित ऐसी गांड मुझे बहुत पसंद है तभी तो मैं तुम्हारा दीवाना हो गया था तुम्हें नहाते हुए देखकर सबसे पहली नजर मेरी तुम्हारी गांड पर ही गई थी और इतनी खूबसूरत गांड तो मैंने आज तक नहीं देखा था,,,,,।
(सूरज कितनी गंदी बातों को सुनकर गौरी उत्तेजित में जा रही थी उसे अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में सिहरन सी होती हुई महसूस हो रही थी,,,, उसे उस दिन वाला वह पल याद आने लगा जब सूरज उसकी दोनों टांगों के बीच आकर अपने मोटे और लंबे लंड को उसकी बुर में डालना शुरू किया था,,,, सूरज का जादू उसकी बातों का असर गौरी पर धीरे-धीरे छाने लगा था उसकी आंखों में खुमारी छाने लगी थी और उसे अपनी बुर गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,) सच गौरी मैं बहुत ज्यादा किस्मत वाला हूं जो तुम्हें चोदने का मुझे मौका मिला तुम्हारी बुर में पहली बार मेरा लंड गया है और मैं तुमसे शादी करके जिंदगी भर यह सुख लेना चाहता हूं,,,, बोलो गौरी क्या तुम मुझसे शादी करोगी,,,

अगर तुमसे शादी ना करना होता तो मैं तुम्हें अपना तन ना सौंपती,,

हाय मेरी जान तुम्हारी यह बातें तो मुझे एकदम खुश कर देती है,,,, देखना जब हम दोनों की शादी होगी तो हम दोनों इसी तरह से रोज घूमने चलेंगे,,,,

(सूरज की बातें सुनकर गौरी बहुत खुश हो रही थी कि तभी सामने उसे झरना दिखाई दिया जो कि पहाड़ के बीच में से गिर रहा था या देखकर वो एकदम से खुश होते हुए बोली,,,)

वह देखो सूरज झरना कितना खूबसूरत लग रहा है,,,

यही तो दिखाने के लिए तुमको यहां लाया हूं,,,

बाप रे इतनी भी खूबसूरत जगह होगी मैं तो कभी सोची भी नहीं थी,,,(इतना कहने के साथ ही बेल गाड़ी रुकी नहीं थी कि वह पहले ही नीचे उतर गई तो सूरज बोला)
अरे संभल के,,,, चोट ना लग जाए,,,

अरे कुछ नहीं होगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही गौरी ऊंची नीची डगरिया से होते हुए ठीक झड़ने के सामने पहुंच गई जहां उसके सामने छोटा सा तालाब बना हुआ था और उसका पानी एकदम साफ था तालाब में सब कुछ स्वच्छ पानी में एकदम साफ नजर आ रहा था,,,,, सूरज की बेल गाड़ी को खड़ी करके गौरी के पास आ गया और झरने के नजारे को देखने लगा,,,, और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

कैसा लगा गौरी,,,,

बहुत ही खूबसूरत सूरज तुमने मुझे यहां लाकर एहसान की है मेरा तो नहाने का मन कर रहा है,,,,

तो रोका किसने है इसीलिए तो मैं तुम्हें यहां पर ले कर आया हूं अब ना जाने कब तुम्हें मौका मिले,,,

सच कह रहे हो सूरज ऐसा मौका मैं अपने हाथ से जाने नहीं दूंगी,,,(इतना कहने के साथ ही गौरी झरने से गिरे रहे पानी से बने तालाब में पैर रखकर अंदर जाने को हुई तो सूरज उसका हाथ पकड़ कर,,, अपनी तरफ खींचते हुए बोला,,)



कपड़े पहन कर जाओगी तो मजा नहीं आएगा और वैसे भी कपड़े फिर सोचने वाली नहीं है वापस जाओगे कैसे गीले कपड़े में,,,

फिर,,,?(आश्चर्य से सूरज की तरफ देखते हुए बोली)

फिर क्या अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर‌ जाओ बहुत मजा आएगा,,,
(सूरज के मुंह से इतना सुनकर गौरी एकदम से शर्मा गई और बोली,,,)

धत् पागल हो गए हो क्या बिना कपड़ों के में कैसे नहाऊंगी मुझे शर्म आती है,,,

अरे पगली अब मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है हम दोनों के बीच सबकुछ हो चुका है और वैसे भी मैंने तुम्हें पहले भी नंगी नहाते हुए देख चुका हूं इसलिए मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है और वैसे भी हम दोनों के सिवा इस सुनसान जगह पर कोई है भी तो नहीं इसलिए शर्माने की जरूरत नहीं है,,,,।

लेकिन फिर भी,,,,(सूरज की बात सुनकर गौरी का भी मन कर रहा था बीना कपड़े के नंगी होकर तालाब में जाकर नहाने का वह भी इस अनुभव को लेना चाहती थी,,, इसलिए कुछ सोचने के बाद वह एक बड़े से पत्थर के पीछे कहीं और थोड़ी देर बाद पत्थर के पीछे से एकदम नंगी बाहर निकली यह देखकर सूरज का लंड एकदम से खड़ा हो गया पत्थर के पीछे कपड़े उतारने गई थी उसे नंगी देखकर राज्यों के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ गए और वह मुस्कुराते हुए बोला,,,)

यह हुई ना बात,,,,

(गौरी भी मुस्कुरा रही थी खूबसूरत कुदरत के सौंदर्य का आनंद लेने के लिए वह अपने कपड़ों को त्याग चुकी थी और धीरे-धीरे तालाब के पानी में उतर रही थी तालाब का पानी ठंडा था क्योंकि गर्मी में राहत दे रहा था और एकदम साफ होने की वजह से सब कुछ साफ नजर आ रहा था गौरी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी और जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी पानी की गहराई में उसका नंगा बदन डूबता चला जा रहा था और देखते ही देखते तालाब के पानी में उसकी खूबसूरत गांड डूब गई,,,, इसके बाद गौरी झरने से गिर रहे हैं पानी में नहाने का आनंद लेने लगी उसे बहुत मजा आ रहा था कुदरत से गिरे हुए इस सुंदर से भरपूर जगह पर संपूर्ण नग्न अवस्था में नहाने का मजा ही कुछ और था बार-बार गौरी सूरज को भी तालाब में आज आने के लिए बोल रही थी लेकिन सूरज अंदर जा नहीं रहा था तो गौरी खुद तालाब के बाहर आने लगी और सूरज को उसका हाथ पकड़कर अंदर की तरफ ले जाने लगी तो सूरज भी तैयार हो गया और तुरंत अपने सारे कपड़े उतार कर वह भी महंगा हो गया तालाब के अंदर गौरी और सूरज दोनों पूरी तरह से नंगे ही थे सूरज छाती जितने पानी में गौरी को अपनी बाहों में लेकर,,, उसकी गोल गोल गांड पर अपना लौंडा रगड़ रहा था जिससे गौरी एक बार फिर से मदहोश होने लगी थी सूरज का लंड गौरी की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था,,,, अब सूरज से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था इसलिए सूरज गौरी को तालाब के बाहर लेकर आया और,,, बड़े से पत्थर का सहारा लेकर उसे झुका दिया,,,, गौरी के चेहरे से लग रहा था कि वह सूरज के लंड को अपने बुर में लेने के लिए तड़प रही है इसलिए सूरज भी बिना देर किए पीछे से अपने लंड को गौरी के मंजू छेद में डाल दिया और चोदना शुरू कर दिया एक बार फिर से सूरज के लंड को अपनी बाहों में लेकर गौरी पूरी तरह से झूम गई वह बड़े से पत्थर का सहारा लेकर अपनी गाड़ी को हवा में उठाए सूरज से चुदवा‌ रही थी,,,, यह दूसरा मौका था जब गौरी सूरज के साथ एकदम खुले में चुदाई का मजा ले रही थी गौरी पर जवानी पूरी तरह से छाई हुई थी इसलिए सूरज के लंड को अपनी बुर में लेते ही वह पूरी तरह से मस्त हो गई थी और गरमा गरम सिसकारी भरना शुरू कर दी थी,,,,,

ओहहहह सूरज,,, आहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है सूरज,,,,ओहहहहह

मुझे भी बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तुम्हें चोदने में बहुत मजा आता है और वह भी एक दम नंगी करके,,,,


आहहहह आहहहह थोड़ा धीरे सूरज तुम्हारा बहुत मोटा है,,,

क्या मोटा है मेरी जान,,,,

तुम्हारा लंड,,,(गौरी एकदम मदहोश होते हुए बोली)

ओहहहह मेरी रानी तुम्हारे मुंह से लंड शब्द कितना अच्छा लगता है,,,,आहहहह मेरा लंड मोटा है तो तुम्हारी बुर भी तो बहुत संकरी है,,, तुम्हारी पतली गली से कितने मुसीबत से गुजर रहा हूं,,,आहहहहह लेकिन तुम मजा बहुत दे रही हो,,,,आहहहहह

दोनों की गरमा गरम आह और सिसकारियां निकल रही थी इस वीराने में खूबसूरत जगह पर उन दोनों की मदमस्त कर देने वाली चुदाई और उनकी गर्मागर्म सिसकारियों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं था,,,, एक बड़े से पेड़ के नीचे बेल गाड़ी खड़ी थी चारों तरफ छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ यह जगह बहुत ही खूबसूरत लग रहा था सूरज उसी तरह से झुकाकर गौरी को चोद रहा था,,,,, दोनों के बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था दोनों को बहुत मजा आ रहा था,,,,, थोड़ी ही देर में सूरज ने जगह और आसन बदलते हुए उसे बिठाकर हल्के से पीछे की तरफ झुका दिया और उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखकर अपने लंड को एक बार फिर से उसकी बुर में डाल दिया और इस बार बड़ी तेजी से चोदना शुरु कर दिया सूरज का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से गौरी की बुर की गहराई नाप रहा था,,,,
कुछ देर तक सूरज इसी तरह से गौरी की चुदाई करता रहा और फिर दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी है और दोनों एक साथ झड़ गए,,,, गौरी को सूरज ने कुछ ही दिनों में तीसरी बार चोदने का सुख दिया था जो मेरी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इसके बाद गौरी वापस उस बड़े से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े पहन कर वापस आ जाए तब तक सूरज भी अपने कपड़े पहन चुका था और बैलगाड़ी में जाकर बैठ गया था सूरज गौरी को लेकर गांव में पहुंच गया लेकिन गांव में घुसने से पहले ही गौरी उतर गई थी ताकि किसी को कुछ भी पता ना चले,,,, अभी भी सूरज के पास बहुत समय था इसलिए वह घर जाने की जगह गोदाम की तरफ चला गया था,,,

दूसरी तरफ रविकुमार घर के पीछे जंगली झाड़ियों को साफ कर रहा था और मंजू उसका हाथ बंटा रही थी कड़ी दुपहरी में काम करने की वजह से दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे इसलिए पेड़ की छांव में बैठ गए थे रविकुमार मंजू से बोला,,,।

मंजू बहुत दिन हो गए तेरी मंजू बुर में लंड नहीं डाला,,,

तो आज डाल दो,,,,

लेकिन तेरी भाभी आ गई तो,,,


इस समय भाभी सो रही होगी,,,

तो चल उसमें चलते हैं,,,(रविकुमार ने हाथ के इशारे से मंजू को घास फूस की बनी झोपड़ी में चलने के लिए बोला जहां पर बेल बांधा जाता था मंजू तैयार हो गई और दोनों कुछ ही देर में झोपड़ी के अंदर पहुंच गए एकदम दोपहर का समय था इसलिए सब लोग अपने अपने घरों में आराम कर रहे थे और यही सोचकर मंजू भी अपने भाई के साथ सुधारने के लिए तैयार हो गई थी क्योंकि समय उसकी भाभी भी आराम करती थी अंदर पहुंचते ही रविकुमार अपनी बहन को अपनी बाहों में लेकर उसके लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरू कर दिया और साथ ही कुर्ती के ऊपर से ही उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया मंजू पल भर में एकदम गरम हो गई और अपने हाथ से ही अपने सलवार की डोरी खोलने लगी कुछ ही देर में मंजू अपने भाई की तरफ अपनी गांड कर के झुक गई और ढीली सलवार को रविकुमार अपने हाथों से नीचे घुटनों तक लाकर अपने धोती में से अपने खड़े लंड को निकाल लिया और अपनी बहन की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया दूसरी तरफ रूपाली जाग रही थी और सोची वह लोग थक गए होंगे इसलिए थोड़ा सा गुड और पानी लेकर पीछे की तरफ आ गई लेकिन दोनों कहीं नजर नहीं आ रहे थे तो वहां हैरान हो गई कि दोनों भाई बहन कहां ,, वह वापस लौटने वाली थी कि तभी उसे कुछ आवाज सुनाई दी उसे समझ में नहीं आ रहा था की आवाज कैसी है वह आवाज की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी और जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी क्योंकि जिस तरह की आवाज आ रही थी वह उस आवाज को अच्छी तरह से पहचान दी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह आवाज आ कहां से,,, रही है तभी उसे इस बात का एहसास हुआ की झोपड़ी के अंदर से आवाज आ रही थी और वह धीरे-धीरे झोपड़ी की तरफ दबे कदमों से जाने लगी वह झोपड़ी के दरवाजे के सामने आने की बजाय दूसरी तरफ से देखना चाहती थी कि आखिरकार अंदर हो क्या रहा है,,,,, वह धीरे-धीरे झोपड़ी के बगल में पहुंच गई और वहां से जगह ढूंढने लगी अंदर की तरफ देखने कि आप उसे झोपड़ी के अंदर से आ रही गरमा-गरम सिसकारी की आवाज साफ सुनाई दे रही थी लेकिन बातचीत की आवाज बिल्कुल भी नहीं आ रही थी उस की उत्सुकता बढ़ने लगी थी लेकिन एक डर और शंका भी उसके मन में बैठ गया था और उसी शंका के निवारण के लिए वह जल्दी से एक जगह ढूंढ ली जहां से अंदर की तरफ देखा जा सकता था और वह उसी जगह से अंदर की तरफ देखने लगी और जैसे ही उसकी

नजरों ने अंदर के नजारे को देखा उसके तो होश उड़ गए उसको तो जैसे काटो तो खून नहीं इस तरह की हालत हो गई,,,,,।
अंदर जो कुछ भी हो रहा था उसे देखकर रूपालीकी हालत खराब हो गई थी उसकी सांसे अटक गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसे साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी ननद मंजू झुकी हुई थी और ठीक उसके पीछे उसका पति उसकी कुर्ती को ऊपर उठाएं उसकी बुर में लंड डालकर चोदा रहा था यह क्या देख रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था एक भाई अपनी बहन को चोद रहा है उसे बहुत गुस्सा आ रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एकदम आग बबूला हो गई थी वह इसी समय दोनों को रंगे हाथ पकड़ लेना चाहती थी,,,, लेकिन उन दोनों के सामने जाने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी वह साफ देख रही थी कि मंजू अपने ही भाई से चुदवाया कर बहुत मस्त हुए जा रही थी और रविकुमार भी उसकी कमर थामें अपनी कमर हिला रहा था,,,,, यह नजारा देखकर रूपाली की आंखों के आगे अंधेरा छा गया वह कुछ देर के लिए वहीं पर बैठ गई और अपनी सांसो को दुरुस्त करने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा तेरे से उठी और वापस अपने कमरे में आकर खटिया पर बैठ कर रोने लगी,,,,।
 
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जिंदगी में जिस बारे में कभी कल्पना नहीं की थी और ना ही कभी सोची थी ऐसा दृश्य अपनी आंखों से देख कर,,, उसके पसीने छूट गए थे उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था वह किसी भी तरह से अपने आप को संभालते हुए अपने कमरे तक आई थी और खटिया पर बैठ कर रोने लगी थी उसे अपने पति से और अपनी मेहनत से यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी तो कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका पति पीठ पीछे इस तरह की गुल खिलाएगा और अपनी ही छोटी बहन के साथ रंगरेलियां मनाएगा,,,,, रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, वह सोच में पड़ गई थी कि ऐसा कैसे हो गया मंजू तो अपने बड़े भाई की बहुत इज्जत करती थी सम्मान देती थी और रविकुमार भी उसे अपनी बेटी की तरह रखता था तो फिर दोनों में इस तरह के संबंध कब स्थापित हो गए,,,, रूपाली झोपड़ी के अंदर के दृश्य को देखकर इतना तो समझ गई थी कि यह रिश्ता नया नया बिल्कुल भी नहीं था वह काफी समय से चलता रहा था क्योंकि दोनों आपस में एकदम खुल चुके थे और अगर ऐसा है तो अब तक उसे दोनों के बीच शक क्यों नहीं हुआ दोनों की हरकतों का पता क्यों नहीं चला यही सोचकर रूपाली हैरान हुई जा रही थी,,,, उसका दिमाग काम करना बंद कर दिया था भाई-बहन के बीच इस तरह का रिश्ता कैसे हो सकता है,,,, बार-बार रूपालीकी आंखों के सामने झोपड़ी वाला तेरे से नजर आ रहा था जब उसका पति अपनी बहन की कमर थामें उसकी बुर में लंड पर रहा था और मंजू भी बहुत मजा ले रही थी उसकी आंखों में बिल्कुल भी शर्म नजर नहीं आ रही थी बल्कि अपने भाई से चुदवाने का एक असीम सुख एक तृप्ति का एहसास उसके चेहरे पर नजर आ रहा था,,,,, मंजू अपनी राह कैसे भटक गई और उसका पति कैसे अपना धर्म और फर्ज भूल गया एक खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी आखिरकार उसके पैर क्यों डगमगा गए आखिरकार रोज रात को तो वह अपने पति को खुश कर देती थी जैसा वह चाहता था वैसा ही करती थी फिर ऐसा कौन सा कभी उसके प्यार में रह गया कि उसका पति अपनी ही बहन के साथ मुंह काला कर रहा है,,,,,,,,

रूपाली के अंतर्मन में विचारों का बवंडर उठ रहा था जिसमें से निकलने का कोई राह उसे नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था वह समझ नहीं पा रही थी कि कहां जाए क्या करें उसे बहुत गुस्सा आ रहा था अभी भी उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे अपनी पति की बेवफाई के चलते वह यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और तो और एक भाई और बहन के बीच इस तरह के शारीरिक रिश्ते को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी वह अपने मन में ठान ली थी कि अभी दोनों घर पर आएंगे और दोनों को झोपड़ी वाली बात कहेंगी लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि उन दोनों से कहेगी क्या,,,, कैसे शुरुआत करेगी दोनों अपना मुंह काला जरूर कर रहे थे लेकिन शर्मिंदगी का अहसास रूपाली को रहा था,,,,,, रूपाली तुम दोनों से बात करने के नाम से ही शर्मा रही थी,,,, रूपाली बहुत गुस्से में थी अगर इस समय दोनों इधर आ गए होते तो शायद रूपाली उनसे जरूर सवाल-जवाब कर लेती हो ना होने का हो जाता,,, जैसे तैसे करके खटिया पर रोते रोते उसे नींद लग गई और वह कब सो गई उसे पता ही नहीं चला शाम को जब मंजू उसे उठाई तब जाकर उसकी नींद खुली लेकिन मंजू को देखकर उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए,,,,,, मंजू से गुस्से में दोपहर वाली बात बोलने हीं जा रही थी कि तभी,,,, उसे सूरज का ख्याल आ गया सूरज का ख्याल आते ही अपने और अपने भांजे के बीच की उस रिश्ते के बारे में भी याद आ गया,,,,, जिस रिश्ते के बीच शारीरिक रिश्ते को देखकर वह मंजू को सवाल जवाब करने जा रही थी वो एकदम से खामोश हो गई,,, आखिरकार वह अभी तो उसी कश्ती में सवार थी,,, जिस कश्ती के मंजू और रविकुमार भी मुसाफिर थे,,,,,,,

क्या हुआ क्या सोच रही हो भाभी,,,,(मंजू के द्वारा हाथ पकड़कर हिलाने की वजह से रूपाली की तंद्रा भंग हुई और वहां एकदम से जैसे होश में आई हो इस तरह से हड़बड़ा कर मंजू की तरफ देखने लगी और अपने गुस्से को शांत करके बोली)

हो गई सफाई मंजू,,,

हां भाभी वो तो कब से हो गई मैं और भैया मिलकर पूरे पिछवाड़े की झाड़ी झंकडीयो को साफ कर दिए,,,
(मंजू की है बातें सुनकर रूपाली मन मे हीं बोली कि हां मैं देखी थी कि कैसे अपना पिछवाड़ा अपने भाई के सामने परोस कर मजा ले रहे थे,,,)

चल ठीक होगा अब जल्दी से घर की सफाई कर दे में खाना बनाने की तैयारी करती हुं,,,,(इतना कहकर रूपाली खटिया पर से उठने लगी वह एकदम सहज होकर मंजू से बात कर रही थी लेकिन अंदर ही अंदर बात चल रही थी मंजू को देखकर ही उसका दिल एकदम से जलने लगा था,,,, कभी-कभी ऐसा होता था कि जोर-जोर से चिल्ला चिल्ला कर मंजू से सब कुछ बता दे जो उसने अपनी आंखों से देखी थी लेकिन अपने आप को शांत कर के वह‌ अपनी और अपने भांजे के बीच के रिश्ते के बारे में सोचने लगती थी और यह सोच कर चिंतित हो जाती थी कि अगर उसे और उसके भांजे को बाहर का छोड़ो घर में ही किसी ने देख लिया तो क्या होगा,,,,, लेकिन तभी

उसकी आंखों की चमक बढ़ गई उसे ख्याल आया कि अगर वह मंजू से झोपड़ी के अंदर मंजू और उसके भैया के लिए जो कुछ भी हो रहा था उसे बता दे तो अगर भविष्य में किसी ने भी उसे और उसके भांजे को रंगे हाथ पकड़ भी लिया तो बात धरी की धरी रह जाएगी कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि वह खुद दोनों को रंगे हाथ पकड़ चुकी थी,,, ऐसा सोच कर उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी लेकिन फिर भी जो कुछ भी उसने अपनी आंखों से देखी थी उसका दर्द उससे सहन नहीं हो रहा था,,,, इस बारे में वह मौका देकर मंजू से बात करना चाहती थी और वह बात करने के लिए कल का दिन है न कि की थी वह कल के दिन मंजू को नदी पर कपड़े धोने के लिए ले जाना चाहती थी और वहीं पर इस बारे में बहस करना चाहती थी और अपने लिए रास्ता भी साफ कर लेना चाहती थी,,, क्योंकि मंजू ने अपनी गर्म जवानी के चलते जो कुछ भी कर रही थी वह पाप तो था ही लेकिन पाप वह खुद भी कर रही थी क्योंकि जवानी के जोश में मंजू एक बार भटक सकती थी लेकिन वह तो उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी थी जहां पर सही गलत का फैसला करना सब कुछ उसके हाथ में ही था लेकिन फिर भी बदन की जरूरत और जवानी के जोश ने उसे भी बहका दिया था और वह अपने ही भांजे के साथ पाप लीला को कामलीला में बदल दी थी,,,,

खैर जैसे-तैसे रूपाली ने खाना बनाई और रात को सबके साथ मिलकर भोजन भी की इसके बाद वह अपने कमरे में चली गई लेकिन गुस्से के कारण बाहर या को अपने बदन पर हाथ नहीं लगानी थी और दर्द का बहाना करके सो गई,,,,
दूसरे दिन रूपाली अपने पति और मंजू की हरकतों पर नजर रखे हुए थे और धीरे-धीरे से पता चल रहा था कि वाकई में वह दोनों के बीच पहले से ही यह रिश्ता कायम हो चुका था क्योंकि जारी लगाते समय मंजू अपने बड़े भाई को देख कर मुस्कुरा ले रही थी और रविकुमार भी मंजू को देखकर मुस्कुरा भी ले रहा था और बेशर्मी दिखाते हुए धोती के ऊपर से अपने लंड को दबा दे रहा था अपने पति की हरकत से रूपाली पूरी तरह से शर्मसार हुए जा रही थी क्योंकि इस बात का एहसास रूपाली को भी अच्छी तरह था कि मंजू से वह कई मायने में खूबसूरत और जवानी से लबालब भरी हुई है लेकिन फिर भी रविकुमार इतनी खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी पतली सी नाजुक सी मंजू के साथ मुंह काला कर रहा था इसीलिए रूपाली को गुस्सा भी आ रहा था,,,,।

थोड़ी ही देर में रविकुमार और सूरज दोनों अपनी अपनी राह पर निकल गए और रूपाली मंजू से बोली,,,।

मंजू सारा काम छोड़ आज नदी पर कपड़े धोने चलना है,,,

ठीक है भाभी मैं भी अपने कुछ कपड़े ले लेती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने कमरे में गई और अपने और सूरज के भी कुछ कपड़ों को साथ में ले ली,,, गंदी कपड़ों का ढेरो अपने साथ में लेकर अपने कमरे से बाहर आई तो रूपालीबड़े गौर से से खूबसूरत चेहरे को देखने लगी यह देखकर मंजू शर्माते हुए बोली,,,।

क्या हुआ भाभी ऐसे क्यों देख रही हो पहले कभी मुझे देखी नहीं हो क्या,,,?

देखी तो हूं लेकिन यह भी देख रही हूं कि तेरे चेहरे की खूबसूरती में बदलाव आ रहा है अब तो मर्दों को अपनी तरफ रीझाने लायक हो गई है,,,
(अपनी भाभी की यह बात सुनते ही मंजू एकदम से शर्म आ गई और शर्म के कारण उसके गोरे गोरे गाल लाल हो गए और वह शरमाते हुए बोली)

क्या भाभी तुम भी मजाक कर रही हो,,,

मजाक नहीं कर रही हो सच कह रही हूं,,,, अब तेरी बुर चोदने लायक हो‌ गई है,,,,
(इस बार तो मंजू एकदम से शरमा गई और,, वह कुछ बोल नहीं पाई बस घर से बाहर निकल गए रूपाली उसकी बिजली ही चाल को देख रही थी उसकी गांड के उभार को देख रही थी पहली बार रूपाली का ध्यान उसके नितंबों के उभार पर गया था जो कि वाकई में अब चौड़ी होती जा रही थी,,,,, अरे देख कर वह‌मन में सोचने लगी कि यही देखकर उसका आदमी अपनी बहन पर बहक गया है,,, मंजू आगे-आगे चल रही थी और रूपाली पीछे पीछे रूपाली रास्ते में उसे बहस नहीं करना चाहती थी वहां पर पहुंचकर कपड़े धोते हुए उससे बात करना चाहती थी लेकिन अपने मन में यह सोचने लगी कि अगर मंजू का मन अपने ही बड़े भाई पर इस तरह से बह सकता है उससे अपनी जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही है तब तो वह सूरज के साथ एक ही खटिया पर सोती है और सूरज की मर्दाना ताकत से तो वह पूरी तरह से अवगत हो चुकी थी और सूरज की हरकत को देखते हुए अब उसे शंका होने लगी थी कि क्या ऐसा तो नहीं कि सूरज और मंजू के बीच में भी कुछ खिचड़ी पक गई हो,,,,, यह सोचकर रूपाली का दिमाग घूमने लगा था अब उसके मन में शंका के बादल घिरने लगे थे,,, अब तो उसे सूरज के चरित्र को लेकर शंका होने लगी थी क्योंकि सूरज भी बहुत पहले से उसके पीछे पड़ा हुआ था और इसीलिए उसके शंका करने का कारण और भी मजबूत होते जा रहा था वह सोच रही थी कि जब उसका भांजा अपनी मामी के पीछे इस कदर उसे चोदने के लिए पड़ा था तब तो वह अपनी मौसी के साथ एक ही खटिया पर सोता था,,,, जब वह अपनी मामी के साथ गंदी से गंदी हरकत कर सकता था तो क्या अपनी मौसी के साथ नहीं किया होगा,,,,

यह सोचते हैं रूपालीके दिमाग में सूरज से जुड़ी पिछली कई घटनाएं घूमने लगी,,,, कुवे पर से पानी की बाल्टी खींचते समय उसकी मदद करने के बहाने उसके नितंबों पर अपने लंड की रगड़ महसूस करवाना,,, उसे प्यासी नजरों से घूरना किसी ने किसी बहाने उसके अंगों को स्पर्श करना और रूपाली को वह घटना याद आने लगी जब वह बेशर्मी दिखाते हुए शादी में ले जाते समय उसे गंदी गंदी बात कर रहा था और पत्थर के पीछे जब वह पेशाब करने का ही तो १ बहाने से उसे देखने लगा था रूपाली को अभी भी याद था कि उस समय सूरज ने उसकी नंगी गांड को देख लिया था और फिर घर के पीछे बेल को बांधते समय जिस तरह की हरकत किया था उसकी हरकत से उसकी दूर में भी पानी आ गया था इस बहाने से उसकी बुर पर हथेली रखकर रगड़ दिया था,,, औरत और वेद के वहां दवा दिलाने के बहाने रास्ते भर गंदी बातें करना और बरसात पर जाने की वजह से खंडहर के अंदर इस तरह की कामुक हरकत करना जिसकी वजह से वह खुद अपने आप को संभाल नहीं पाई थी वह अपने भांजे के आगे घुटने टेक दी थी उसकी चालाकी उसकी मर्दानगी और उसकी औरत को खुश करने की कला को देखकर रूपाली को शक होने लगा कि वह एक ही कमरे में एक ही खटिया पर सोती हुई अपनी मौसी को बख्शा होगा,,, क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि उसके भांजे को भी अपने लंड की गर्मी शांत करने के लिए बुर की जरूरत थी जो कि उसकी मौसी जवान और खूबसूरत भी थी तो जरूर एक ही खटिया पर सोने का उसने फायदा उठाया होगा,,,, इन सभी सवालों का जवाब दो अब सिर्फ मंजू ही दे सकती है और इसी बारे में सोचते सोचते वह कब नदी पर पहुंच गए उसे पता ही नहीं चला,,,।
 
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रूपाली और मंजू दोनों नदी के किनारे पहुंच चुके थे दोपहर का समय था इसलिए नदी पर इस समय कोई भी नजर नहीं आ रहा था केवल वधू और मंजू थे रूपाली के मन में सवालों का बवंडर उठ रहा था वह रूपाली से सवाल जवाब करना चाहती थी,,, उससे पूछना चाहती थी कि आखिरकार ऐसा कैसे हो गया कैसे वापस जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने ही बड़े भाई के साथ शारीरिक संबंध बना ली,,,, अपने ही सवाल का अपने आप ही जवाब देते हुए अपने मन में सोच रही थी कि हो सकता है कि शायद शादी की उम्र हो जाने के बावजूद भी अभी तक उसके हाथ पीले नहीं हुए हैं और यह शारीरिक इच्छा भी तो एक उम्र मैं पूरी तरह से विकसित हो जाती है शायद उसी के वजह से मंजू अपनी जवानी पर काबू नहीं कर पाई और अपने ही भाई के साथ हमबिस्तर हो गई,,,, कुछ भी हो पूछना तो जायज था वैसे रूपाली जिस तरह से अपने भांजे के साथ ही हमबिस्तर हो कर शारीरिक आनंद उठा रही थी उसे देखते हुए किसी भी सूरत में रूपाली से यह सवाल जवाब करना उचित नहीं था क्योंकि वह भी उसी कश्ती में सवार थी जिसमें मंजू भी बैठकर अपनी मंजिल की ओर बढ़ रही थी,,,,।

वाह भाभी कितनी ठंडी हवा बह रही है मन कर रहा है कि खटिया बिछा कर यही सो जाऊं,,,।

लेकिन ऐसे अकेले में तो नींद तुझे आएगी नहीं खटिया पर कोई ना कोई तो होना चाहिए तेरी प्यास बुझाने के लिए,,,,(रूपाली मंजू पर व्यंग कसते हुए बोली और जवाब में मंजू शरमाते हुए बोली)

क्या भाभी तुम भी कभी भी मजाक करने लगती हो,,,

मजाक नहीं सही कह रही हूं तेरी उम्र हो चुकी है लंड लेने के लिए तेरी फैली हुई गांड देखकर इतना तो समझ में आता है कि तेरी बुर लंड खाने लायक हो गई है,,,

हाय भाभी कैसी बातें कर रही हो कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा,,,,

सोचेगा क्या वह भी समझ जाएगा कि मंजू रानी जवान हो गई है और अभी इन्हें लंड की जरूरत है तो वह भी तुम्हारे चक्कर में दिन रात घूमता रहेगा,,,,

भाभी लगता है कि,,, भैया ने रात भर तुम्हारी ली है,,,, इसलिए आज रंगीन मिजाज लग रहा है,,,,,,,

वह तो मेरी किस्मत है रात भर लेने के लिए तू भी अपनी किस्मत बना ले या फिर तेरी भी किस्मत जाग गई है कोई तो होगा तेरी दोनों टांगों को फैला कर तेरी बुर में लंड डालने वाला,,,,,

धत् भाभी,,,,, आज पता नहीं क्या खाकर आई हो,,,,
(ननद भाभी में इस तरह की मजाक अक्सर होती रहती थी इसलिए मंजू को अपनी भाभी की इस तरह की बातें सुनकर उसके पीछे का उद्देश्य बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था और वह पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरी हुई थी कि उसकी रंगरेलियो के बारे में उसकी भाभी को बिल्कुल भी पता नहीं है और इसीलिए वह कपड़ों का घर लेकर नदी के किनारे बड़े से पत्थर पर बैठ गई और खुद ही धोना शुरू कर दी रूपाली उससे २ मीटर की दूरी पर अपनी कमर पर हाथ रखकर खड़ी होकर उसे ही देख रही थी और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि इस समय उसकी ननद ही उसकी सौतन बनी हुई है,,,, ,,,

यह बात मैं तो अच्छी तरह से जानते थे कि उसके पति से ज्यादा मजा उसका भांजा दे रहा था अपनी पति के लंड से कहीं ज्यादा आनंद से अपने भांजे के लंड से प्राप्त हो रहा था और कई मायनों में भी सूरज का लंड उसके मामाजी से बेहतरीन था लंबाई में भी मोटाई में भी और मर्दाना ताकत में भी जो की औरतों की बुर में जाकर कुछ ज्यादा ही देर तक टिका रहता था ना कि कुछ ही मिनटों में ढेरों जाना यह सूरज के पछ में बिल्कुल भी नहीं था इस बात को,,, रूपाली भली-भांति जानती थी लेकिन फिर भी रविकुमार उसका पति था भले ही उसे उसके भांजे जैसा संभोग सुख‌ वह नहीं दे पा रहा था लेकिन फिर भी एक पत्नी अपने पति को किसी गैर औरत से कभी नहीं बांट सकती और यही रूपाली के साथ भी हो रहा था वह अपने पति को अपनी ही ननंद से बांटना नहीं चाहती थी इसलिए तो वह मन ही मन मंजू को देखकर जल बुन रही थी लेकिन बात की शुरुआत कैसे की जाए इस बारे में उसे समझ में नहीं आ रहा था इसीलिए वह इधर-उधर की बातें कर रही थी लेकिन उसका मकसद यही था जो की मंजू समझ नहीं पा रही थी,,,, मंजू कपड़े धो रही थी इसलिए रूपालीभी ठीक उसके सामने जाकर बैठ गई और गंदे कपड़ों को लेकर धोना शुरू कर दी,,,,,, बात की शुरुआत करते हुए बोली,,,।

मंजू अब तेरे हाथ पीले करने पड़ेंगे तु अब पूरी तरह से जवान हो गई है वैसे मैं तेरे भी कुछ अरमान होंगे तेरे भी मन में कुछ हसरते होंगे जो कि इस उम्र में पूरी होनी चाहिए,,,,


नहीं भाभी मेरा बिल्कुल भी इरादा नहीं है इतनी जल्दी शादी करने का,,,, मैं आप लोगों को छोड़कर इतनी जल्दी नहीं जाना चाहती,,,,।

कब तक अपनी भैया से ही चुदवाती रहेगी,,,,,।
(ना चाहते हुए भी आखिरकार रूपाली के मुंह से निकल ही गया और अपनी भाभी की यह बात सुनकर मंजू एकदम से सन्न रह गई उसे काटो तो खून नहीं ऐसी हालत हो गई और वहां आश्चर्य से अपनी भाभी की तरफ देखने लगी और सच्चाई को अपने झूठ से ढकने की कोशिश करते हुए बोली)

यह कैसा मजाक है भाभी इस तरह का मजाक मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है,,,

चल अब रहने दे बातें बनाने को मैं सब जानती हूं तू अपने ही भैया से चुदवाती है,,,

किसने कहा आपसे मैं उसकी टांगे तोड़ दूंगी कौन है जो मुझे बदनाम करना चाहता है,,,,(इतना कहते ही मंजू अपनी जगह से खड़ी हो गई वह भी एकदम गुस्से में आ गई थी और वैसे भी सच कड़वा होता है सच सुन लेने के बाद मंजू अपने आप में बिल्कुल भी नहीं थी,,,,, रूपाली भी एकदम गुस्से में आ गई थी और वह भी अपनी साड़ी को कमर पर बांधते हुए खड़ी हो गई थी और वह गुस्से में बोली,,,)

कितना झूठ बोलेगी रे मंजू,,, तुझे शर्म नहीं आई मेरी ही सौतन बनने में ,,,, तुझे बिल्कुल भी लाज नहीं आई अपने ही भाई के लिए अपनी दोनों टांगें खोलने में,,,

बस भाभी बस मैं तुम्हारी इज्जत करती हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम मुझे बदनाम करती जाओ मेरे बारे में भला बुरा कहती जाओ,,,, मैं तुमसे पूछती हूं कि उसका नाम तो बताओ जिसने तुम्हारे कान भरे हैं,,,,छी छी, ऐसी गंदी हरकत कर ही नहीं सकती और इस बारे में तो कभी सोच ही नहीं सकती,,,,।

रंडी की शायद अपना घर छोड़ देती होगी लेकिन तू तो रंडी से भी बदतर काम की है,,,, और हां काश ऐसा हो जाता कि कोई मेरे कान भरे होते तो मैं जिंदगी में इस बात पर विश्वास नहीं करती लेकिन मैंने खुद अपने आंखों से देखी हूं,,,,
(इतना सुनकर मंजू की हालत खराब होने लगी और रूपाली अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोलीं,,) घर के पीछे झोपड़ी में झाड़ीयो को साफ करने के बहाने जो तुम दोनों मिलकर कामलीला कर रहे थे मैं अपनी आंखों से देखी थी कैसे तुम दोनों मजे ले रहे थे और तू मंजू कितनी रंडी की तरह अपनी सलवार खोल कर झुक कर खड़ी थी और तेरा भाई तेरी गांड पकड़े कैसा लंड पर रहा था उसे भी बिल्कुल भी शर्म नहीं आई अपनी बहन के साथ मुंह काला करते हुए,,,,

(अब मंजू के पास अपने बचाव के लिए कुछ भी नहीं बचा था वह जान गई थी कि उसकी भाभी अपनी आंखों से देख चुकी है अब तो कुछ ऐसा ही लग रहा था कि शायद किसी ने उसके कान भरे हो लेकिन बात बिल्कुल साफ हो चुकी थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई और फफक फफक कर रोने लगी,,,,,,,, मंजू की हालत एकदम खराब हो गई थी मंजू को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें रोने के सिवा उसके पास और कोई रास्ता नहीं बचा था आखिरकार रंगे हाथ जो पकड़ी गई थी,,,,, क्योंकि रूपाली ने दोनों की रंगरेलियां का एकदम सही समय और स्थान बताई थी जो की पूरी तरह से सही था जो की जिसे झूठ लाया नहीं जा सकता था,,,, उसे रोता हुआ देखकर ‌ रूपालीभी एकदम गुस्से में आ गई थी वह,,, फिर से गुस्से में बोली,,,।)

अब बोल हरामजादी कुत्तिया तेरे पास और कोई बहाना बचा है,,,,,, या अभी भी मेरी बात मानने को तैयार नहीं है,,,,,।
(नदी के किनारे पर बड़े से पत्थर पर दोनों भाभी और ननद खड़ी थी ननंद अपनी गलती पकड़े जाने पर आंसू बहा रही थी और भाभी गुस्से में उसे देख रही थी,,, लेकिन मंजू मर्दों की संगत में जितनी ज्यादा निखर चुकी थी उतनी ज्यादा दिमाग की तेज भी हो चुकी थी वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब उसकी चोरी पकड़ी गई है तो क्यों ना सूरज के बारे में भी सच्चाई बता दे लेकिन वह कुछ कहती इससे पहले ही रूपाली जोर से बोली,,)

हरामजादी रंडी में कभी सोची नहीं थी कि तू इस तरह से मुझसे विश्वासघात करेगी,,,, मेरा ही बिस्तर तु बांट लेगी,,, अरे रंडी अगर इतनी ही तेरी बुर में आग लगी थी तो मुझे बता दी होती तेरी शादी कर दी होती इस तरह से मेरे संसार में तु आग तो ना लगाती,,,,, मुझे तो तेरे भाई पर भी गुस्सा आ रहा है कैसा धर्म पुरुष बनकर रहता है मुझे तो अभी भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वाकई में वह कुछ ऐसा कर सकते हैं और वह भी अपनी बहन के साथ अरे क्या कुछ नहीं दी मने ना होने के बावजूद भी रात को उनका साथ देती थी रोज लेने के बावजूद भी ना जाने किसी प्यास है कि बुझती ही नहीं,,,, (मंजू कुछ बोल नहीं रही थी वह रोते हुए अपनी भाभी की कड़वी बातों का घूंट पी रही थी लेकिन अपने मन में कुछ सोच भी रहीं थी वह सारा दोष सारी बदनामी अपने सर पर नहीं लेना चाहती थी क्योंकि इसमें जितना हाथ उसका था उतना ही हाथ उसके बड़े भैया और उसके भतीजे सूरज का भी था इसलिए वह इस कीचड़ में उन दोनों को भी घसीटना चाहती थी,,,,, रूपाली के मुंह से सच निकल रहा था लेकिन वह सच मंजू के कानों में शीशा की तरह पिघल रहा था,,,,) मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि तेरी बुर ईतनी प्यासी है वरना कसम से मैं खुद तेरे लिए लड़का ढूंढ थी और तेरी शादी करके तुझे विदा कर देती,,,,, यह तो चलो भगवान का शुक्र है कि मैंने अपनी आंखों से देखी अगर मेरी जगह कोई और देख लेता तो पूरे परिवार की बदनामी हो जाती,,,,

(मंजू कुछ बोल नहीं रही थी बस रोए जा रही थी,,,, इस बात की तसल्ली उसके मन में अभी भी थी कि पूरे परिवार में उसकी भाभी ही उसे खरी खोटी सुना सकती है बाकी ना तो सूरज और ना तो रविकुमार उसे कुछ बोल सकते हैं क्योंकि दोनों भी इस खेल में पूरी तरह से शरीख है,,,, मंजू को इस तरह से खामोश खड़ी और रोती देखकर रूपाली का गुस्सा और बढ़ता जा रहा था इसलिए वह चिल्ला कर बोली,,)

हरामजादी अब कुछ बोलेगी भी या इसी तरह से रोती रहेगी,,,, मुझे तो अब शक होने लगा है अगर तू अपने बड़े भैया के साथ चूदवा सकती है तब तो सूरज पूरी तरह से जवान है और वहां तेरे साथ ही सोता है कहीं खटिया पर तू उसे भी नहीं छोड़ी होगी,,,, तुझे तो लंड चाहिए अपनी बुर में चाहे किसी का भी हो भाई का या भतीजे का तुझे तो अपनी प्यास बुझाने से मतलब है,,,,,बोल हरामजादी,,,(इतना कहते हुए वह मंजू के करीब गई और उसका बाल पकड़ ली और बोली,,,)
बोल रंडी सूरज के साथ तो कुछ नहीं की है ना,,,,, की उसे भी बर्बाद कर दी,,,।
(मंजू को भी बहुत गुस्सा आ रहा था इस तरह की गंदी गालियां आज तक उसे किसी ने नहीं दिया था लेकिन आज अपनी भाभी के मुंह से गंदी गंदी गालियां सुनकर वह पूरी तरह से हैरान हो चुकी थी लेकिन वह जानती भी थी कि अगर किसी भी औरत के पति को कोई औरत अपना बनाना चाहेगी तो उसकी हालत होगी वरना इस बात से वह भी पूरी तरह से अवगत थी कि उसकी भाभी कभी भी अपने मुंह से गाली नहीं देती थी लेकिन आज तो उसकी भाभी बेहद गुस्से में थी और उसे गंदी गंदी गालियां दे रही थी मंजू के पास कोई रास्ता नहीं बचा था वह भी अपना आखिरी पत्ता खोलना चाहती थी ,,, अपना बचाव करना चाहती थी वह इस खेल में अकेली नहीं थी यह भी बताना चाहती थी इसलिए वह भी एकदम गुस्से में आकर अपने बाल पर से अपने भाभी का हाथ पकड़कर उसके हाथ को झटकते हुए बोली,,,)

बस भाभी बस बहुत हो चुका,,, जानना चाहती हो यह सब किसकी वजह से हुआ,,,, जानना चाहती हो कि मेरी बुर के साथ-साथ किसके लंड में ज्यादा आग लगी हुई थी ,,,, सुन पाओगी,,,,,,,,, तुम्हें सुनना ही होगा,,, यह जो कुछ भी हो रहा है उस में किसका हाथ है,,,

तुम्हारे भांजे सूरज का,,,,
(इतना सुनते ही रूपाली के होश उड़ गए उसे अपने कान पर विश्वास नहीं हो रहा था वह आश्चर्य से मंजू की तरफ देख रही थी तो मंजू भी अपनी बात को दोबारा बोली,,,)

हां हां भाभी तुम्हारे भांजे सूरज का हांथ है,,,,, उसके ही लंड में कुछ ज्यादा ही आग लगी हुई थी,,,,,

नहीं मंजू तू झूठ बोल रही है ऐसा नहीं हो सकता मेरा सूरज ऐसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता,,,,,,,(सूरज की हरकत से रूपाली पूरी तरह से वाकिफ थी यहां तक कि सूरज के साथ वह चुदाई का आनंद भी लूट चुकी थी लेकिन जानबूझकर मंजू के सामने चोकने का नाटक कर रही थी,,, क्योंकि अब उसके लिए यह जानना बहुत जरुरी हो गया था कि सूरज उसी के पीछे इस तरह पागलों की तरह पडा था या पहले से ही वह औरतों के मामले में कामुक प्रव्रति का था और यह भी जानना चाहती थी कि सूरज मंजू के मामले में किस तरह से शामिल है,,,,,,,, अपनी भाभी को इस तरह से अपने भांजे पर विश्वास करता देखकर मंजू के होठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई और वह बोली,,,।

जिसे तुम सीधा साधा समझ रही हो ना भाभी वह पूरी तरह से मर्द बन चुका है उसकी करतूतो के बारे में सुनोगी तो तुम्हें विश्वास नहीं होगा,,,,,


तू झूठ बोल रही है ना मंजू मैं जानती हूं तु रंगे हाथ पकड़ी गई है ना इसलिए मेरे भांजे को फंसाना चाहती है,,,,

मैं क्या उसे फंसाऊंगी भाभी वह तो खुद मुझे बर्बाद कर चुका है,,,,


मंजू कुछ भी कहने से पहले १० बार अच्छी तरह से सोच ले की तु क्या कह रही है,,,,( ‍ रूपाली गुस्से में बोली,,,,)

मैं एकदम से सोच-समझकर बोल रही हूं मैं अच्छी तरह से जानती हूं की अगर मैं आज चुप रह ही तो यह कलंक मेरे ही माथे पर हमेशा लगा रहेगा,,,,,, जो कुछ भी तुमने भाभी अपनी आंखों से देखी हो उसमें भैया और सूरज दोनों का हाथ है,,,,।

नहीं मंजू नहीं,,,, ऐसा बिल्कुल भी नहीं हों सकता ने मान ही नहीं सकती कि सूरज ऐसी नीच‌ हरकत कर सकता है,,,,

बस यही तो बात है भाभी ,,,,,,,, तुम्हें सूरज के चरित्र पर विश्वास है लेकिन मेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है जानना चाहती हो ।हसब शुरू कैसे हुआ किसकी वजह से हुआ,,,,,,।
(मंजू की आंखों में आंसू थे वह रूपाली की तरफ देख रही थी रूपालीभी हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,,, मंजू अपनी जगह पर बैठ गई थी,,,,, अपनी भाभी की तरफ ना देख कर वह नदी की तरफ देख रही थी,,,, अब तो रूपाली की भी उत्सुकता बढ़ चुके थे सूरज के कारनामे के बारे में सुनने के लिए सूरज के चरित्र के बारे में तो वह अच्छी तरह से जानती थी लेकिन जो‌ वह नहीं जानती थी वह मंजू के मुंह से सुनना चाहती इसलिए वह भी ठीक मंजू के सामने बड़े से पत्थर पर बैठ गई,,,,,, दोपहर का समय होने की वजह से चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था नदी के किनारे

गांव का कोई भी इंसान नहीं था इस समय नदी पर केवल मंजू और रूपालीही थे दोनों भाभी और ननद,,, खुलासा कर रहे थे मंजू अपने आप को इस चक्रव्यूह में फंसा देखकर एक नया पाशा फेंकने जा रही थी जो कि पूरी तरह से उसके बचाव के लिए काफी था कि इस सारे काम रूपी चक्रव्यूह में वह सिर्फ मोहरे के रूप में उपयोग में ली जा रही थी,,,,,,,, अपने भाभी के द्वारा पकड़े जाने पर अपना राज फास होने पर मंजू सुबह-सुबह कर रो रही थी लेकिन अब इस चक्रव्यू से वह निकलना चाहती थी इसलिए अपने आंसुओं को पोछते हुए वह बोली,,,)

भाभी तुम जिसे सीधा साधा भोला भाला समझ रही हो हकीकत में वह ऐसा है नहीं सूरज दूसरे लड़कों की तरह ही औरत बाज है बहुत जल्द ही उसकी गर्मी उफान मारने लगी मुझे तो इन सब के बारे में कुछ पता ही नहीं था,,,, मुझे इस कर्मकांड में खींचने वाला सूरज भी है मैं भी उसे बहुत भोला-भाला सीधा-साधा समझती थी और मुझे उस पर नाच भी होता था कि मेरा भतीजा दूसरे लड़कों की तरह खराब चरीत्र का नहीं है,,,,


अरे आगे बोलेगी भी या पूरी महाभारत यहीं सुनाएगी यह सब शुरू कैसे हुआ यह बता,,,,


वही तो बता रही हु भाभी,,,, वो रात में कभी नहीं भूल सकती,,,,(अब मंजू अपनी बातों में नमक मिर्च लगाना शुरू कर दी थी किसी भी तरह से वह अपने आप को इस सारे खेल से बचाना चाहती थी यह जताना चाहती थी कि जो कुछ भी हो रहा है उसमें उसकी गलती बिल्कुल भी नहीं है,,,) आधी रात से ज्यादा का समय हो रहा था मुझे जोरो की पिशाब लगी हुई थी इसलिए मेरी नींद खुल गई कमरे में पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था कुछ भी नजर नहीं आ रहा था मैं धीरे से उठी और टटोलकर लालटेन तक पहुंच गई पास में ही दियासलाई रखी हुई थी मैं उससे भी टटोलकर उठा ली और दियासलाई को जैसे ही जलाई तो उसकी रोशनी में मुझे सामने कुछ खड़ा हुआ नजर आया कोई इंसान मैं तो एकदम से घबरा गई लेकिन दियासलाई के चलने की वजह से कमरे में रोशनी फैल चुकी थी और उस रोशनी में मुझे साफ दिखाई दिया कि जो परछाई मुझे दिख रही है वह और कोई नहीं बल्कि सूरज है,,,, मैंने तुरंत लालटेन को उस दिया सलाई से जला दी और कमरे में रोशनी फैल गई अंधेरे में एकाएक रोशनी फैलने से सूरज भी एकदम हक्का-बक्का रह गया था लेकिन उसकी हालत को देखकर मेरे तो एकदम होश उड़ गए,,,,

ऐसा क्या देख ली थी,,,?(रूपाली उत्सुकता दिखाते हुए बोली)

सूरज,,, भाभी सूरज उसकी हालत देखकर तो मैं चौक गई थी उसका पैजामा नीचे जमीन पर गिरा हुआ था और उसका,,, वो,,,,,मतलब,,,,वो,,,,(आगे बोलने में जानबूझकर मंजू शर्माने का नाटक कर रही थी यह देखकर रूपालीबोली,,,)

अब आगे बोलने में शर्मा क्यों रही है चुदवाते समय नहीं शर्म आती,,,

मतलब भाभी सूरज का वो,,,ललल,,लंड,,, एकदम खड़ा था और सूरज से अपने हाथ में लेकर हिला रहा था,,,,

क्या,,,(आश्चर्य से अपनी आंखों को चोड़ी करते हुए,,) यह क्या कह रही है मंजू,,,,

हां भाभी मैं सच कह रही हूं सूरज की हालत देखकर मेरी हालत खराब हो गई मैं एकदम से घबरा गई थी,,, मैं घबराते हुए लेकिन थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,


सूरज यह क्या कर रहा है तुझे शर्म नहीं आती यह सब करते हुए,,,, मेरी बात सुनकर सूरज बिल्कुल भी नहीं घबराया और एकदम बेशर्मी दिखाते हुए पता है क्या बोला,,,।

क्या बोला,,,?(धड़कते दिल के साथ रूपाली बोली)

वह बोला भाभी मजा ले रहा हूं तुम भी आ जाओ वह तुम्हें मैं एक चीज दिखाता हूं,,,, मैं तो यह सुनकर एकदम हैरान रह गई मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि सामने जो लड़का है वह सूरज ही है या ‌ उसकी शक्ल में कोई और खड़ा है क्योंकि सूरज से मुझे ऐसी उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि वह ऐसा लड़का था ही नहीं,,,


लेकिन वह कौन है मैं खड़ा होकर कर‌ क्या रहा था,,?(रूपाली हैरानी जताते हुए बोली,,)

वही तो भाभी सुनो गी तो तुम्हारे पैरों तले से जमीन खिसक जाएगी तुम्हारे लाडले भांजे के कारनामे,,,,

(अब तो रूपाली से रहा नहीं जा रहा था वह जल्दी से जल्दी मंजू के मुंह से अपने भांजे के काले कारनामे के बारे में सुनना चाहती थी,,,,) मैं तो उसकी बात सुनकर एकदम घबरा रही थी क्योंकि सूरज जिस हालत में था उस हालत में एक सीधी-साधी लड़की को उसके पास जाने में शर्म और डर दोनों महसूस होता ही जैसा कि मुझे हो रहा था मैं उसके पास जा नहीं रही थी तो वह खुद ही आगे बढ़ा और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया,,,, सच कहूं तो भाभी शुरू से ही सूरज का इरादा मुझे गंदा नजर आ रहा था वह मुझे अपनी तरफ खींचते ही मेरी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और मेरे कानों में धीरे से बोला,,,

शोर बिल्कुल भी मत मचाना मौसी क्योंकि जो चीज में तुम्हें दिखाने जा रहा हूं तुम देख कर एकदम मस्त हो जाओगी,,, ऐसा कहते हुए वह भाभी गहरी गहरी सांस ले रहा था और उसकी गर्म सांसे मेरी गर्दन पर पढ़ रही थी,,, और क्या बताऊं भाभी पहली बार किसी जवान लड़के ने मुझे इस तरह से पकड़ा था और इस हालत में में पहली बार किसी लड़की को देखी थी इसलिए सूरज की हरकत से ना जाने क्यों मेरे बदन में कपकपी सी दौड़ रही थी मेरी तो हालत खराब हो रही थी हो जिस तरह से मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था मुझे तो सोचकर ही डर लग रहा था कि सूरज क्या करने वाला है,,,

फिर क्या हुआ,,,,?(रूपाली पूरी तरह से मंजू की बातों में आ चुकी थी और मंजू की बातों को आश्चर्य और रस लेकर सुन रही थी)

फिर भाभी उसने मेरे कानों में धीरे से बोला कि दीवाल के छेद के अंदर देखो,,,

दीवार के छेद के अंदर,,,,(आश्चर्य से रूपाली बोली)

हां भाभी दीवार के छेद के अंदर सूरज मुझे देखने के लिए बोल रहा था मैं तो एकदम घबराई हुई थी और सूरज ने मुझे जिस तरह से पकड़ा था उसका वह लंड सलवार के ऊपर से ही मेरी गांड पर दबाव दे रहा था मेरे पूरे बदन में सनसनाहट फेल रही थी,,,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं लेकिन फिर से सूरज ने मुझे दीवार के छेद में देखने के लिए बोला मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर का दीवार के छेद में सूरज दिखाना क्या चाहता है लेकिन फिर भी उसकी बात मानने के सिवा मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था इसलिए मैं दीवार के छेद में अपनी आंखें गड़ा कर देखी तो मुझे तुम्हारा कमरा नजर आने लगा,,,

मेरा कमरा,,,(एकदम आश्चर्य से)

हां भाभी तुम्हारा कमरा लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था मुझे पहले तो कुछ अंदर समझ में नहीं आया लेकिन जैसे ही मेरी नजर तुम्हारी खटिया पर पड़ी तो मेरे तो होश उड़ गए,,,,

क्या,,,?(उम्र के इस दौर में पहुंच चुकी रूपाली अच्छी तरह से समझ चुकी थी कि दीवार के छेद से सूरज क्या देख रहा था रूपाली के भी दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी )

हां भाभी मैं सच कह रही हूं,,, दीवार के छोटे से छेद से तुम्हारा कमरा पूरी तरह से एकदम साफ नजर आ रहा था,,,, और खटिया पर नजर पड़ते ही मेरी हालत खराब हो गई थी क्योंकि खटिया पर भाभी तुम और भैया एकदम नंगे थे,,,,

क्या,,,?(आश्चर्य शर्म के मारे अपने मुंह पर हाथ रखते हुए रूपाली बोली,,,)

हां भाभी तुम्हारी दोनों टांगे भैया के कंधे पर थी और भैया तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोद रहे थे और यही नजारा देखकर सूरज की हालत खराब हो गई थी और उसका लंड एकदम खड़ा था और वह उसे अपने हाथ में पकड़ कर हिला रहा था,,,,,,


बाप रे,,, सूरज ऐसी हरकत करता है तब तूने क्या किया,,,,


मैं तो तुम्हारे कमरे का नजारा देखकर एकदम से हैरान हो गई थी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था जिंदगी में पहली बार में इस तरह का नजारा देखी थी इसलिए भाभी ना जाने मेरे बदन में क्या होने लगा और मैं अपनी नजरों को वहां से हटा नहीं पाई और सूरज ठीक मेरे पीछे खड़ा था,,, वह समझ गया था कि अंदर का नजारा देखकर मुझे कुछ-कुछ हो रहा है और इसी का फायदा उठाते हुए सूरज मेरी कमर से दोनों हाथ उठाकर तुरंत दोनों हाथों को मेरी चूची पर रख दिया और दबाना शुरू कर दिया मैं उसे रोकने की कोशिश करने लगी,,, मैं उससे बोली,,,,

क्या कर रहा है सूरज तुझे शर्म नहीं आती अपने ही मामीऔर मामाजी को इस हालत में देख रहा है,,,, तब पता है भाभी उसने क्या कहा,,,


क्या कहा,,,?

एकदम बेशर्म बन चुका था जवानी उसके सर पर सवार हो चुकी थी वह मुझसे बोला तो क्या हुआ मामी और मामाजी चुदाई का मजा ले रहे हैं देख नहीं रही हो मामाजी का लंड कैसे मामी की बुर में अंदर बाहर हो रहा है और मामी को भी अच्छा लग रहा है,,,,(मंजू बनी बनाई बात को नमक मिर्च लगाकर और भी ज्यादा चटकारा लगाते हुए बोल रही थी जिसका असर रूपाली पर बराबर हो रहा था)

क्या,,,,?(मंजू के मुंह से अपने भांजे की बेशर्मी भरी बात को सुनकर रूपाली इस समय शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,)

हां भाभी मैं तो एकदम हैरान हो गई थी उसकी बात सुनकर मैं उसकी तरफ नजर घुमा कर देखने लगी क्योंकि वह मुझे इस तरह से पीछे से जकड़े हुए था कि मैं घूम नहीं सकती थी और तो और उसका नंगा लंड मेरी गांड पर रगड़ रहा था पहली बार में १ जवान लंड को अपनी गांड पर महसूस कर रही थी इसलिए ना जाने मुझे क्या हो रहा था एक नशा सा छा रहा था फिर भी मैं उसे रोकते हुए बोली,,,,।


सूरज तू तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं था अपनी मामी और मामाजी के बारे में इस तरह की गंदी बातें कर रहा है और मुझे छोड़ तुझे शर्म नहीं आ रही है मैं तेरी मौसीहूं,,,,, मेरी बात सुनकर तुम जानती हो क्या कहा,,,,


क्या कहा मंजू उस हरामजादे ने,,,,(रूपाली बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली क्योंकि उसके खुद भी अपने भांजे के साथ शारीरिक संबंध स्थापित हो चुके थे जिसका वह पूरी तरह से आनंद ले रही थी अब वापस लौट ना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था,,,,)

भाभी उसकी बात कहने में मुझे शर्म आ रही है सच में सूरज इतना बदल जाएगा मैं कभी सोची नहीं थी इतना गंदा उसने जवाब दिया कि मेरे तो होश उड़ गए,,,

अरे बताएगी भी या पहेलियां बुझाती रहेगी,,,,

बता रही हूं भाभी वह मुझे अपनी बाहों में कस के झगड़े हुए था उसके दोनों हाथ मेरी चूचियों पर थे पहली बार मेरी चूची पर किसी मर्द का हाथ लगा था इसलिए ना चाहने के बावजूद भी एक अजीब सी कसक मेरी चूचियों पर हो रहा था और नीचे से लगातार वह अपने लंड का दबाव मेरी गांड पर बना रहा था अगर सच में मेरी सलवार अगर ना होती तो वह कब से मेरी बुर में लंड डाल दिया होता,,,,,(मंजू जानबूझकर गंदे शब्दों में बता रही थी जिसका असर रूपाली पर बराबर हो रहा था,,,,) वाह बेशर्म की तरह मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख कर चुंबन करते हुए बोला,,,, मौसी इस समय मुझे कुछ भी सोच नहीं रहा है यह तो तुम हो मेरी बाहों में अगर मैं भी होती तो मैं भी साड़ी उठाकर उनकी बुर में लंड डाल दिया होता,,,,,( मंजू जानबूझकर रूपाली के बारे में इतनी गंदी बातें बता रहे थे जो कि उसके भांजे ने बोला भी नहीं था फिर भी वह जानबूझकर सूरज का नाम लेकर बता रही थी और यह बात सुनकर तो रूपाली की बुर से पानी टपक गया वह सोची नहीं थी कि उसका भांजा इतना हरामि होगा लेकिन अब उसे समझ में आ गया था कि दीवार के छोटे से छेद से ही उसे नंगी चुदवाते हुए देखने के बाद ही उसके मन में उसके लिए काम भावना जागने लगी,,,,, मंजू के मुंह से अपने बारे में इतने गंदी बातें सुनकर आश्चर्य से उसका मुंह खुला का खुला रह गया था और वह हैरान होते हुए बोली,,,।)


नहीं मंजू ,,, तू झूठ बोल रही है मेरा भांजा मेरे बारे में सर की गंदी बात कभी नहीं बोल सकता,,,,(रूपाली जानबूझकर मंजू के सामने चौक ने का नाटक भर कर रही थी क्योंकि वह अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी और उसकी हरकत का भोग भी बन चुकी थी,,,,)

भाभी अगर तुम्हें विश्वास नहीं होता तो १ दिन उसके कमरे में जब वह अकेले हो तब जाना,,, और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहनकर फिर देखना वह तुम्हारे साथ क्या करता है,,,
(रूपाली अच्छी तरह से जानती थी कि ऐसे हालत में उसका भांजा उसके साथ क्या करेगा जो कि वह कर भी चुका था फिर भी रूपाली बोली,,)


तू उसे रोकी नहीं,,,,


उसे रोकने की बहुत कोशिश की भाभी लेकिन उसकी बाजुओं में कुछ ज्यादा ही दम था मैं उसे डराने की कोशिश भी की कि मैं जोर से शोर मचा दूंगी भैया भाभी को सब बता दूंगी तो उससे भी वह नहीं रहना और हंसते हुए बोला,,,।

बुलाओ मैं तो साफ कह दूंगा कि मौसी इस छोटे से छेद में से तुम्हारे कमरे में हमेशा देखती रहती है आज मैंने पूछ लिया तो वह मुझ पर बिगड़ पड़ी और मुझसे गलत करने के लिए बोल रही है,,,, ऐसा सुनकर तुम एकदम से चूक गई मेरे लिए तो सब रास्ते बंद हो चुके थे और फिर उसने अपनी मनमानी करने शुरू कर दिया मैं भी क्या करती एक तो अंदर तुम्हारे कमरे का दृश्य देखकर मैं भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और दूसरा सूरज ने अपनी हरकत से मुझे मदहोश कर दिया था देखते ही देखते वह मेरी सलवार की डोरी खोलने लगा मैं उसे रोकने की कोशिश की लेकिन उसके आगे मेरी एक ना चली और फिर मैं क्या करती मुझे भी ना जाने क्यों अच्छा लगने लगा और वह मुझे उसी तरह से गोद में उठाकर खटिया पर ले गया और मेरी कुर्ती को भी उतार फेंका मैं खटिया पर उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी हो गई वह तो पहले से ही पैजामा उतार चुका था और सच में भाभी उसका लंड देखकर तो में डर गई थी,,,

क्यों डर गई थी,,,?(रूपाली सब कुछ जानते हुए भी कि सूरज का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा है लेकिन फिर भी मंजू के सामने अनजान बनने का नाटक करते हुए बोली)

क्यों नहीं डरती भाभी छोटे से छेद से मैंने भैया के लंड को देखी थी जिसके मुकाबले सूरज का लंड उससे दोगुना लंबा चौड़ा और मोटा था,,,,। ओर इसीलिए मैं एकदम घबरा गई,,,, लेकिन सूरज बहुत चालाक था उसने जो हरकत किया भाभी उसी से मैं पूरी तरह से पानी पानी हो गई मेरी बुर से पानी फेंक दिया,,,

ऐसी क्या हरकत कर दिया,,,,?

अरे पूछो मत भाभी,,, उसने जो हरकत किया उसके बारे में तो मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी,,,,, उसने अपने हाथों से मेरी दोनों टांगे फैलाया और फिर मेरी बुर पर अपने होंठ रखकर जीभ से चाटना शुरू कर दिया,,, भाभी सच पूछो तो सूरज की हरकत से मेरी यही सही हिम्मत भी जवाब दे गई अब उसका विरोध करने की ताकत मेरे को बिल्कुल भी नहीं थी वह मुझे खटिया पर अपनी कठपुतली बना लिया था जैसा वह चाह रहा था वैसा मुझसे मजा ले रहा था और उसके बाद तो भाभी अपनी मनमानी को अंजाम देते हुए मेरी बुर में अपना लंड डाल दिया और मुझे चोदना शुरू कर दिया सच पूछो तो पहली बार मेरी बुर में लंड जाते हैं मैं दर्द से बिलबिला उठी मुझे तो होश ही नहीं था मैं बेहोश होते-होते बची थी रांची लेकिन बहुत चलाक है भाभी वह मुझे इस दर्द से निकालने के लिए मेरे बदन से हरकत करने लगा वह मेरी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और देखते ही देखते थोड़ी देर में मेरा दर्द गायब हो गया और मुझे मजा आने लगा और फिर उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया मेरी जिंदगी की पहली चुदाई अपने ही भतीजे से होगी मैं कभी जिंदगी में सोचा नहीं थी लेकिन सच भाभी जो मजा उसने मुझे दिया मैं उसे भूल नहीं सकती मैं जानती हूं कि जो कुछ भी हुआ सब गलत हो रहा था लेकिन एक बात माननी पड़ेगी कि सूरज के लंड में बहुत दम है और फिर वह सिलसिला शुरू हो गया,,,,(मंजू जानबूझकर सूरज के लंड से ज्यादा मजा मिलने की बात रूपाली के सामने कर रही थी ताकि रूपालीका भी मन मचल उठे वह यह बात नहीं जानते थे कि रूपालीअपने भांजे से चुदाई का आनंद ले चुकी थी और जारी भी थी,,,)

बाप रे मेरी पीठ पीछे बगल वाले कमरे में इतना कुछ होता रहा और मुझे कभी शक भी नहीं हुआ मैं सोच भी नहीं सकती थी एक ही कमरे में लड़का और लड़की और वह भी एकदम जवान कभी साथ में सो नहीं सकते लेकिन मैं इस विश्वास में थी कि मंजू और सूरज दोनों इस तरह की हरकत कभी नहीं करेंगे लेकिन,,,,,

भाभी मेरी गलती नहीं है मेरी जगह अगर तुम भी होती तो शायद तुम्हारी भी मेरी जैसी हालत हो जाती सूरज का लंड है ही कुछ ऐसा कि एक बार बुर में जाते ही औरत मचल उठती है तुम तो शादीशुदा हो रोज मजा लेती हो,,, लेकिन एक बार अपने भांजे का लंड देखोगी तो भैया का लंड भूल जाओगी और अपने भांजे से चुदवाने के लिए तैयार हो जाओगी सच भाभी कसम से कह रही हो सूरज का लंड एक बार तुम अपनी बुर में ले लो फिर सब कुछ भूल जाओगी,,,,

(मंजू अब जानबूझकर अपनी भाभी को अपने ही भांजे से चुदवाने के लिए प्रेरित कर रही थी उसके खंड से कितना आनंद मिलता है इस बारे में बोल बोल कर उसके दिमाग में अपनी बात भरना चाहती थी और इस बात को रूपालीभी अच्छी तरह से जानती थी लेकिन फिर भी खामोश थी वह इस तरह से जता रही थी जैसे उसके और उसके भांजे के बीच में शारीरिक संबंध बिल्कुल भी नहीं है लेकिन मंजू की बात सुनकर रूपाली का दिमाग तेजी से दौड़ रहा था अपने मन में सोच रही थी कि अगर मंजू की बात मानकर मंजू को विश्वास में लेकर वह अपने भांजे के साथ संबंध बनाती है तो फिर वह घर में मंजू की हाजिरी में भी अपने भांजे से चुदवाने का मजा ले सकेगी और किसी प्रकार की दिक्कत भी नहीं आएगी अगर इस बात की खबर उसके पति को चलेगी तो वह अपने पति को यह कहकर दबा देगी कि उसने भी उसे अपनी बहन के साथ चुदाई करते हुए देखिए और उसी का बदला लेने के लिए वह अपने भांजे के साथ यह सब कर रही है यह ख्याल मन में आते ही रूपाली के होठों पर मुस्कान तैरने लगी,,,, लेकिन फिर भी मंजू की बात सुनकर आनाकानी करते हुए बोली)

कैसी बातें करती है मंजू वह मेरा भांजा है और मैं ऐसा उसके साथ कभी नहीं कर सकती,,,

भाभी यह तो तुम मानती हो कि वह तुम्हारा भांजा ही लेकिन सूरज तुम्हें एक औरत की नजर से ही देखता है तुम्हें जब भी देखता है तो उसका लंड खड़ा हो जाता है इस बात को उसने मेरे सामने कबूल किया है सच कहूं तो वह तुम्हें चोदना चाहता है बस तुम्हारे इशारे की देर है तुम्हें ऐसा मजा देगा कि तुम खुद उसके लंड पर चढ जाओगी,,,,

(एक जवान खूबसूरत लड़की के मुंह से अपने भांजे के लंड की तारीफ सुनकर उसके मर्दाना ताकत की तारीफ सुनकर रूपालीअंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी अब अपनी चाल चलने का समय आ चुका था इसलिए वह बोली)

क्या मंजू सच में मेरे भांजे का लंड मेरे पति से ज्यादा मोटा तगड़ा लंबा है,,,

हां भाभी,,,, उसका कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा है और ज्यादा देर तक टिका रहता है मैं तुम्हारे और भैया की चुदाई को देखती थी भैया तो कुछ ही देर में पानी छोड़ देते थे लेकिन सूरज दो-तीन बार पानी निकाले बिना झडता नहीं है,,, और एक औरत को यही तो चाहिए कि घंटो एक मर्द उसे चोदता रहे,,,,
(अपने भांजे से चुदाई का मजा लूट चुकी रूपाली अपनी ननद के मुंह से उसकी बढ़ाई सुनकर एक बार फिर से उसकी बुर मचलने लगी थी अपने भांजे के लंड को अंदर लेने के लिए इसलिए वह बोली,,,)

क्या तू सच कह रही है मंजू,,,


मेरे सर की कसम भाभी मैं झूठ नहीं कह रही हूं क्योंकि सूरज रोज रात को मेरी लेता है,,,,
(रूपाली कि सासे ऊपर नीचे होने लगी थी मंजू और सूरज के बारे में उसे पता ही नहीं था वह तो मंजू अपने ही मुंह से सब कुछ बता रही थी यह बेहद चौका देने वाला खुलासा था लेकिन बेहद रोमांचित भी कर रहा था कुछ देर सोचने के बाद रूपाली बोली,,,)

लेकिन क्या मंजू सूरज मुझे करने को तैयार होगा,,,
(इतना सुनते ही मंजू के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि रूपाली के द्वारा यह कहना उसके मन की मनसा को साफ जाहिर कर रहा था और अगर ऐसा हो जाएगा तो मंजू भी बेझिझक मजा ले सकेगी इसलिए वह खुश होते हुए बोली,,,)

जरूर वह तो तड़प रहा है तुम्हारी लेने के लिए तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो भाभी मैं सब कुछ संभाल लूंगी,,,,

मुझसे नहीं हो पाएगा मुझे तो शर्म आ रही है अपने ही भांजे के साथ छी,,,

क्या भाभी इसमें शर्माना कैसा तुम तो अभी पूरी तरह से जवान हो और यह सोचो कि तुम्हारा जवान लड़का तुम्हारी जवानी देख कर पानी पानी हो गया है तो जरूर तुम बहुत खूबसूरत है यह बात मैं भी अच्छी तरह से जानती हूं तो यह जवानी का मजा ले लो,,, और वैसे भी घर की बात है कहां किसी को पता चलने वाली है लेकिन एक बात है भाभी अगर सच में ऐसा हो गया ना तो सूरज तुम्हें खुश कर देगा तुम्हारा पानी तीन बार निकालने के बाद ही वह झढ़ेगा,,,,
(मंजू की बात सुनकर रूपाली आगे की सोच कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और अपनी भाभी के चेहरे की प्रसन्नता को देखकर मंजू भी पूरी तरह से सहज हो चुकी थी वरना जिस तरह से रूपाली ने उसे रंगे हाथ पकड़ी थी उसे देखते हुए मंजू की हालत खराब हो चुकी थी फिर थोड़ी देर बाद रूपाली बोली,,,)

मैं तो तुझसे तेरे भैया के बारे में पूछ रही थी लेकिन तूने अपने मुंह से ही सूरज की भी करतूतों को बता दी जो कि अच्छा ही हुआ कि सूरज के बारे में मैं सब कुछ जान गई लेकिन यह बता कि तेरे भैया के साथ कैसे यह सब हो गया,,,

भाभी अभी अचानक ही हो गया भैया खेत में काम कर रहे थे और मैं उनके लिए खाना लेकर गई थी वह थक कर खटिया पर आराम कर रहे थे और मुझे कमर दबाने के लिए बोले कमर दबाते दबाते में उनके पैर दबाने लगी और वह पीठ के बल लेट गए ऐसा करने से उनकी धोती के अंदर उनका लंड खड़ा होने लगा ना जाने क्या हुआ कि भैया खुद मेरा हाथ पकड़ कर अपने लैंड पर रख दिए और फिर जो नहीं होना था वह हो गया और अब तक चल रहा है,,,

बाबरे मतलब कि सब लोग घर में ही अपना सुख खोज लिए हैं और मजा भी ले रहे हैं एक मैं ही इन सब से अनजान हुं,,,


अब नहीं हो भाभी तुम्हारे लिए भी सुख के द्वार खुल चुके हैं और यह राज हम दोनों के बीच ही रहने वाला है इसलिए निश्चिंत होकर मजा लो,,,,

(दोनों बहुत खुश थे दोनों ने मिलकर सारे गंदे कपड़ों को धोए और फिर दोनों ने एक साथ अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गए और दोपहर का समय होने की वजह से कोई था नहीं इसलिए इसका फायदा उठाते हुए दोनों नंगी ही नदी में उतर गए और नहाने का आनंद लेने लगे इसके बाद अच्छी तरह से नहा लेने के बाद दोनों वापस घर पर आओगे लेकिन अब दोनों के लिए आगे का सफर एकदम आसान हो चुका था दोनों बहुत खुश हैं मंजू इसलिए कि उसका राज अब राज नहीं था और उसकी राजदार उसकी भाभी बन चुकी थी और रूपाली इसलिए खुश थी कि उसके भांजे के साथ शारीरिक संबंध को लेकर जो यह डर था कि अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा वह डर भी खत्म हो चुका था क्योंकि अब उसके भांजे के साथ हमबिस्तर होने में खुद उसकी ननद मदद करने वाली थी और वह भी उसकी राजदार बनकर,,,,)
 
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रूपाली अब मंजू के राज का राजदार बन चुकी थी लेकिन रूपाली के बारे में मंजू को बिल्कुल भी आभास तक नहीं था कि उससे भी एक कदम आगे वह एक संस्कारी औरत होते हुए भी अपने ही भांजे के साथ चुदाई का सुख भोग रही है,,,, जो भी हो जिस तरह से मंजू को लग रहा था कि उसकी नमक मिर्च लगी कोई बातों को सुनकर उसकी भाभी अपने ही भांजे के मर्दाना ताकत से भरे लंड की गाथा को सुनकर आकर्षित हो रही है उसे देखते भी मंजू को लगने लगा था कि उसकी भाभी भी अपने ही भांजे के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई है जबकि इस बात से वह पूरी तरह से अनजान थी कि वह पहले से ही अपने भांजे से शारीरिक संबंध बना चुकी है,,,, अपनी भाभी को इस खेल में शामिल करने के लिए उकसाने के बाद मंजू चैन की सांस ले रही थी क्योंकि अब उसका राज रूपाली के जानने के बावजूद भी राज ही रह गया था,,,, रूपाली इस बात से खुश थी कि अब वह अपने भांजे के साथ जब चाहे तब चुदवा सकती थी क्योंकि वह अपने पति और अपनी ननद दोनों का राज जान चुकी थी ऐसे में कोई उस पर उंगली उठाने वाला नहीं था बल्कि इस खेल में अब सब का रास्ता साफ हो चुका था बस थोड़ी बहुत औपचारिकता ही बाकी रह गई थी अब रूपाली को मंजू के सामने इस आ जाता है ना था कि जो कुछ भी हो रहा है वह सब कुछ पहली बार हो रहा है,,,,,,, अब आगे के खेल के लिए रूपाली भी उत्सुक हुए जा रही थी उसका मन भी व्याकुल भेजा रहा था इस बात को सोचकर कि कैसा लगता है जब एक परिवार का सदस्य एक परिवार के सदस्य को आपस में चुदाई करते हुए देखेगा,,,, अब सब कुछ साफ हो चुका था इस खेल में मंजू उसका पूरा साथ देने वाली थी और मंजू के ही ‌ माध्यम से वह पहली बार अपने भांजे से चुदवाएगी,,,,।

रूपाली को घर पहुंचने के बाद बिल्कुल भी चैन नहीं मिल रहा था वह आने वाले पल के बारे में सोच सोच कर अंदर ही अंदर सिहर उठा रही थी क्योंकि अब तक वह अपने परिवार की नजर से बच कर अपने भांजे से मजा लूट रही थी लेकिन अब वह खुलेआम अपने भांजे से चुदाई का आनंद लूट सकती थी,,,, लेकिन इससे पहले सारे समीकरण बनाने थे जो कि ऐसा ही लगेगी रूपाली पहली बार अपने भांजे के साथ कुछ अद्भुत करने जा रही है,,,, शाम ढल चुकी थी और रूपाली खाना बना रहे थे अब मंजू अपनी भाभी के पीछे लग चुकी थी क्योंकि उसका राज‌ उसकी भाभी जान चुकी थी इसलिए वह अपनी भाभी को मक्खन लगाना चाहती थी और अपने ही भतीजे के नाम का इसलिए अपनी भाभी के बगल में बैठ कर सब्जी काटते हुए धीरे-धीरे सूरज के द्वारा प्राप्त अद्भुत आनंद के बारे में बता रही थी,,,।

भाभी सच में सूरज का लंड इस बैगन से भी,,,(बैगन को हाथ में लेकर जिसे वह काट रही थी जो कि कुछ ज्यादा ही मोटा और तगड़ा था उसे दिखाते हुए) बड़ा और मोटा है एक बार बुर में गया ना तो बिना तीन चार बार पानी निकाले सूरज निकालता नहीं है सच में भाभी इतना मजा आता है कि पूछो मत मन करता है कि दिन-रात सूरज के लंड को अपने बुर में डलवा कर पड़े रहो,,,,(अपनी ननद के मुंह से अपने भांजे के मर्दाना ताकत की तारीफ को सुनकर रूपाली मन ही मन खुश हो रही थी वह तो खुद ही अपने भांजे के लंड को ले चुकी थी लेकिन फिर भी एक खूबसूरत जवान लड़की के मुंह से अपने भांजे के लंड की तारीफ सुनकर वह गदगद हुए जा रही थी) औरतों और भाभी ऐसे ऐसे नए नए तरीके से चुदाई करता है कि पूछो मत कमर दुखने लगती है लेकिन मजा बहुत देता है और इतनी जोर जोर अपनी कमर हिलाता है कि मानो कि जैसे कोई मोटर चल रही हो,,,, मैंने आज तक ऐसी अद्भुत ताकत से भरे हुए मर्द को नहीं देखी,,,

क्यों रे गांव भर में सबको देती फिरती है क्या जो सबके बारे में पता है,,,

अरे नहीं भाभी एक सूरज एक भैया बस २ दिन ही तो है और भैया से तो मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं मिलता ऐसा लगता है कि सूरज के लंड की मोटाई का सांचा मेरी बुर में बन गया है इसलिए भैया का जब भी जाता है तब पता ही नहीं चलता,,,,


हाय दैया मेरे सामने ही मेरे पति का मजाक उड़ा रही है उनकी मर्दाना ताकत पर शक कर रही है जानती नहीं है इतने बरसों से मैं तेरे भैया का ही लेती आ रही हूं और जिसका लेकर तुम मजा ले रही है ना,,,(अपने पति की मर्दानगी पर उंगली उठता देखकर जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए रूपाली बोली क्योंकि वह तो अपने पति के मर्दाना ताकत को भलीभांति जानती थी जोकी उसके भांजे के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,,)

भाभी तुम तो नाराज हो रही हो मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि भैया के बारे में मुझसे अच्छा तुम जानती हो लेकिन उनकी लंड के बारे में मुझे भी पता है सूरज से आधा ही है तुम तो भैया का देखी हो लेकिन सूरज का देखी नहीं तो लेने का सवाल ही नहीं पैदा होता,,,,इस इसलिए तुम ऐसा कह रही हो,,,,सच में भाभी अगर तुम सूरज का देख भर लोगी ना तो ही तुम्हारी बुर पानी फेंक देगी,, इतना जबरदस्त मोटा तगड़ा एकदम नाग की तरह है एक बार बुर में गया तो समझ लो कि हो गया मैं कभी भी सूरज के साथ चुदवाने के बारे में सोची नहीं थी लेकिन पहली बार क्यों उसकी हरकत और बार-बार उसकी लंड का मेरी गांड से मेरी बुर से टकराना मेरी हालत खराब कर दिया था और मैं उसकी मर्दाना ताकत के आगे घुटने टेक दी थी सच में भाभी जो मजा सूरज ने दिया था मेरी बुर गीली हो जाती है अभी तुम्हें सलवार पहनी हूं वरना तुम्हें दिखा देती,,,, लेकिन रुको (इतना कहने के साथ ही मंजू अपने चारों तरफ देखकर तुरंत घुटनों के बल खड़ी हो गई और अपनी सलवार को अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार के लग चिपके सलवार की उस जगह को दिखाने लगी जो कि वाकई में उसके काम रस से गीली हो चुकी थी,,, यह देख कर रूपाली की भी हालत खराब हो गई थी मंजू के किले पर को देखकर उसकी खुद की बुर पानी छोड़ रही थी,,,,, मंजू की किल्ली सलवार को देखकर अपने मुंह पर शर्म से हाथ रखते हुए बोली,,)


हाय दइया तेरा तो पानी निकल रहा है रे,,,

क्या करूं भाभी यही हाल है सूरज के बारे में सोच कर भी मेरी यही दशा हो जाती है,,,,


तो इस तरह की बातें मत कर मिला भी मुझे ना जाने क्यों कुछ कुछ हो रहा है,,,

ओहहह भाभी मैं जानती हूं मेरी बातें सुनकर तुम्हारा भी मन कर रहा है अपने भांजे के लंड को देखने का उसे अपनी बुर में लेने का सच भाभी अगर एक बार तुम सूरज के लंड‌ को अपनी बुर में ले लोगी ना तो भैया को भूल जाओगी भैया का तो सूरज से आधा भी नहीं है तो सोचो तुम्हें कितना मजा देगा,,,, मैं देखी हूं भैया को जब तुम्हारी बुर में पीछे से डालते हैं तरह से जा नहीं पाता होगा लेकिन अगर सूरज तुम्हारी बुर में पीछे से डालेगा तो कसम से सीधा तुम्हारे बच्चेदानी से टकराएगा,,,,

सहहहह मंजू,,, क्या सच में ऐसा होता है उनका तो कभी भी इतनी गहराई तक नहीं पहुंच पाया,,,,(अपने भांजे की मर्दाना ताकत और उसकी पहुंच तक के बारे में रूपाली अच्छी तरह से जानती थी लेकिन तू भी मंजू के सामने अनजान बनते हुए बोल रही थी मानो कि जैसे उसे कुछ पता ही ना हो क्योंकि मंजू को तो ऐसा ही लग रहा था कि जैसे उसकी भाभी को कुछ भी पता नहीं है,, अपनी भाभी की बात सुनकर मंजू को लगने लगा कि उसकी भाभी का भी मन मचल रहा है इसलिए वह खुश होते हुए बोली,,,)

हां भाभी बिल्कुल एकदम तुम्हारी बुर को फाड़ देगा तुम्हारा भांजा इतना मजा देगा कि तुम खुद अपने भांजे के लंड पर कुदोगी अपनी बड़ी बड़ी गांड रखकर,,,,।
(अपनी ननद के मुंह से अपने भांजे के लंड की तारीफ सुनकर पल-पल रूपाली की हालत खराब भी हो रही थी और गर्व से वह गदगद हुए जा रही थी,,,,,, मंजू को ऐसा लग रहा था कि वह पूरी तरह से अपनी भाभी को मनाने में कामयाब होती नजर आ रही है और उसकी नजर में ऐसा हो भी रहा था जबकि रूपालीखुद ऐसा चाह रही थी कि उसकी ननंद खुद उसका और उसके भांजे का मिलन करवाएं इसलिए रूपाली बोली,,,)

मंजू तेरी बातें सुनकर मेरा भी मन करने लगा है लेकिन मुझे शर्म आ रही है वह मेरा भांजा है,,,

क्या भाभी जब देखो तब भांजा है भांजा है भांजा है जबकि एक भांजा खुद अपनी मामी को चोदना चाहता है तुम उसकी बातों से वाकिफ नहीं हो लेकिन अच्छी तरह से जानती हूं वह तुम्हें चोदना चाहता है तुम्हें देखते ही उसका लंड बड़ा हो जाता है और सच कहूं तो मुझसे भी ज्यादा आकर्षण तुम्हारा है उसके मन में तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड को जब भी देखता है देखता ही रह जाता है और सही मायने में भाभी तुम उससे भी ज्यादा खूबसूरत हो तभी तो तुम्हारा भांजा तुम्हारे पीछे दीवाना हुआ है बस अपने मुंह से कह नहीं पा रहा है अगर थोड़ा सा उस इशारा मिल जाए तो तुम्हारी दोनों टांगे छीतरा कर तुम्हारी बुर में लंड डाल देगा,,,,,।

और कहीं ऐसा नहीं हुआ तो उसने इंकार कर दिया तो,,,

भाभी यह बेकार की शंका अपने मन में मत लाओ तुम्हें देखते ही उसके मुंह से लार टपकने लगती है देखना जिस दिन तुम उसके सामने अपनी दोनों टांगे खोल दोगी ना वह बिल्कुल भी झिझक नहीं दिखाएगा तुम्हारे ऊपर चढ़ने में,,,,


लेकिन यह होगा कैसे मंजू,,,,


तुम तैयार हो तो सब कुछ हो जाएगा,,,,


कैसे बचाएगा मैं अपने मुंह से थोड़ी बोलूंगी की भांजे तु अपने लंड को मेरी बुर में डाल दे,,,,


अरे भाभी तुम्हें ऐसा कहने की जरूरत ही नहीं है मैं सब कुछ व्यवस्था कर दूंगी बस तुम्हें थोड़ा थोड़ा अपने भांजे को अपनी तरफ रिझाना होगा,,,,

रीझाना होगा जैसे,,,,

जैसे कि,,,, जैसे कि,,,(कुछ देर सोच कर) उसके सामने कपड़े बदलना नहीं ऐसे नहीं,,, भाभी तुम उसके सामने नहाना ऐसे नहाना कि वह तुम्हें देखें और वह भी एकदम नंगी होकर और उसे पता ना चले तुम अपनी बुर उसकी आंखों के सामने जोर-जोर से रगड़ना यह देखकर तुम्हारा भांजा पागल हो जाएगा उसका लंड अपने काबू में नहीं रहेगा और वह जरूर तुम्हें चोदेगा,,,,
(अपने भांजे के साथ चुदाई का मजा लूट लेने के बाद भी मंजू के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसका मन मचल रहा था जिस तरह से मंजू उसे करने को कह रही थी उस बारे में सोचकर ही उसकी हालत खराब हो रही थी,,,,)

क्या वह मुझे नहाते हुए देखेगा,,,, उसे पता कैसे चलेगा कि मैं उससे चुदवाना चाहती हूं,,,

अरे भाभी में सब कुछ संभाल लूंगी देखना कल दोपहर में तुम्हारा भांजा तुम्हारी चुदाई करके तुम्हें मस्त कर दुंगी मैं तुम्हें विश्वास दिलाती हूं भाभी,,,

अगर कुछ गड़बड़ हो गया तो,,,,(रूपाली जानबूझकर इस तरह के सवाल पूछ रही थी ताकि मंजू को ऐसा ही लगे कि सब कुछ पहली बार हो रहा है,,, अपनी भाभी की बात सुनकर मंजू बोली,,)

ऐसा कुछ भी नहीं होगा भाभी तुम्हारे भांजे का लंड तो तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए भला ऐसा मौका वह कैसे छोड़ेगा,,,,

देख मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती रिश्तो के बीच इस तरह का रिश्ता नाजायज संबंध अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा,,,

ऐसा कुछ भी नहीं होगा भाभी और रिश्तो के बीच में ही तो इस तरह के रिश्ते बनाने में मजा आता है और ज्यादा आनंद मिलता है देखना तुम्हें भी इतना मजा आएगा कि जिंदगी में आज तक तुमने ऐसा मजा नहीं ली होगी,,,,


देख मंजू सब कुछ तेरे ऊपर है,,,, ऐसा बिल्कुल भी लगना नहीं चाहिए कि मैं आगे से चलकर सूरज को चोदने के लिए बुला रही हूं,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो भाभी ऐसा ही लगेगा कि जैसे सूरज का ही मन कुछ ज्यादा मचल रहा है,,,,,

लेकिन जो राज हम दोनों के बीच रहे तो उसे किसी को बताना नहीं तेरे भैया को भी मत बताना कि मैं उनके और तेरे बीच जो कुछ भी हो रहा है जान चुकी हूं जैसा चल रहा है चलने दे,,,

तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं है ना भाभी,,,

बिल्कुल भी नहीं,,,,,, मुझे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है,, आखिरकार मैं भी तो देखूं रिश्तो के बीच इस तरह के रिश्ते बनाने में कितना मजा आता है,,,,

बहुत मजा आएगा भाभी,,,,,,
(दोनों एक अद्भुत कामक्रीड़ा के खेल के राजदार बन चुके थे दोनों को दूसरे दिन की बड़ी बेसब्री से इंतजार था क्योंकि दोनों को अपना अपना उल्लू सीधा करना था मंजू जल्द से जल्द अपनी भाभी को उसके भांजे से चुदवा देना चाहती थी ताकि फिर कभी उसकी भाभी उस पर उंगली ना उठा सके और रूपाली मंजू के माध्यम से अपने भांजे के साथ सारी संबंध बनाकर हमेशा के लिए अपने मन से पकड़े जाने का डर निकाल देना चाहती थी,,,, दूसरे दिन घर के सभी लोग नित्यक्रम में लग गए और रूपालीभी अपने कमरे में झाड़ू लगाने लगी तभी मौका देकर सूरज अपनी मामीके कमरे में घुस गया और उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया,,,,,,,, अपनी मामी को बाहों में जकड़ते ही सूरज का लंड एकदम से खड़ा हो गया और सीधे जाकर साड़ी के ऊपर से ही उसकी मामी की बुर के मुख्य द्वार पर ठोकर मारने लगा जिससे रूपालीभी एकदम से काम विह्वल हो गई,,,,,,, पहले रूपाली ऐसा ही समझती थी कि सूरज सिर्फ उसके पीछे ही दीवाना है लेकिन अब उसे पूरी तरह से मालूम हो गया था कि सूरज की उन मर्दों में से हैं जो सभी औरतों के पीछे लट्टू बन कर घूमता रहता है लेकिन उसे इस बात से दिलासा था कि उसके अंतर्मन में काम भावना जगाने का मुख्य कारण वह खुद ही उसकी मदहोश कर देने वाली जवानी ही उसकी उत्तेजना का सर्वप्रथम केंद्र बिंदु और कारण था जो कि अभी भी बरकरार था,,,, सूरज मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी मामीको बाहों में भर कर पीछे से उसकी साडी को ऊपर की तरफ उठाने लगा ,,, और बोला,,,।

जल्दी करो मा जल्दी से मुंह दीवान की तरफ करके घोड़ी बन जाओ मैं पीछे से तुम्हारी बुर में डाल देता हूं नहीं तो कोई आ जाएगा,,,,

कोई आ गया तो भी फर्क नहीं पड़ता,,,, आप मुझे किसी के भी पकड़े जाने का डर नहीं है,,,,

क्या बात है तुम्हारे में भी जोश जाग गया है,,,(अपनी मामी की साड़ी को कमर तक उठाते हुए सूरज बोला)


जोश तो मेरे में पहले से ही था,,,, लेकिन यह कैसा राज का पर्दाफाश हो गया है कि मुझे किसी का भी डर नहीं लगता,,,


कैसा राज,,,(आश्चर्य से सूरज अपनी मामी की तरफ देखते हुए बोला तो जवाब में रूपालीमुस्कुराते हुए बोली)

तेरा और तेरी मौसी का,,,

क्या,,,?(इतना सुनते ही सूरज एकदम से चौक गया और उसके हाथों से उसकी मामी की साड़ी जो की कमर तक उठी हुई थी एकदम से छूट गई और एक बार फिर से उसकी नंगी खूबसूरत गांड पर पर्दा गिर गया,,,,)

घबराओ मत मुझे इसमें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है,,,, तुम दोनों का राज जानकर अब तो मुझे खुली छूट मिल गई है तेरे साथ मजा लेने का,,,,

ककककक,,, क्या बोल रही हो मामी मेरा और मौसी का,,,

डर मत मुझे सब पता है और तेरी मौसी ने हीं मुझे सब कुछ बताइ है,,,,, पहले तो मुझे तूने जो बताया था शुभम और उसकी मां बात मुझे बकवास लग रही थी मुझे ऐसा लग रहा था कि तो मुझे बहकाने के लिए उसका नाम ले रहा है लेकिन घर में तेरा और तेरी मौसी का देख कर मुझे यकीन हो गया कि हर घर में इस तरह का खेल चलता ही रहता है चारदीवारी के अंदर,,,,

तो तुम्हें सब पता चल गया,,,

हां मुझे सब पता चल गया और यह भी कि तू अपने कमरे के दीवार के छेद में से मेरे कमरे में सब कुछ देखता था और मुझे नंगी देखकर अपना लंड ही लाता था,,,

बाप रे मौसी ने सब कुछ बता दी,,,,

हां तेरी मौसीने सब कुछ बता दी और यह भी बता दे कि तू मुझे चोदना चाहता है मुझे नंगी देखकर तेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,

मौसी ने ऐसा कहीं,,,,


हां तेरी मौसी ने ऐसा कहीं और यह कह कर तेरे और मेरे बीच की जितनी भी दूरी थी घर के अंदर सब खत्म कर दी,,,

तुम क्या कह रही हो मामी मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,

देख मैं तुझे समझाती हूं तेरी मौसी रंगे हाथ पकड़ी गई इसलिए अपनी गलती को छुपाने के लिए वह चाहती है कि हम दोनों के बीच भी तुम दोनों के बीच का रिश्ता बने,,,,


लेकिन हम दोनों के बीच तो पहले से ही यह रिश्ता है,,,

अरे पगले यही तो असली खेल है,,,, यह तो हम दोनों जानते हैं कि हम दोनों के बीच क्या चल रहा है लेकिन तेरी मौसी तो नहीं जानती ना कि हम दोनों के बीच क्या चल रहा है और तेरी मौसी यह चाहती है कि तू मुझे चोदे और मैं तुझसे चुदवाऊं,,,,, और जानता है ना अगर ऐसा हो गया तो क्या होगा,,,,

क्या होगा,,,,?

अरे बुद्धू अगर ऐसा हो गया तो हम दोनों को खुला दौर मिल जाएगा जब चाहे तब चुदवा सकते हैं जब चाहे तब तु मेरी बुर में अपना लंड डाल सकता है,,,

सच में,,,(एकदम खुश होता हुआ सूरज बोला)

हां बिल्कुल सच और हां अभी हम दोनों को कुछ नहीं करना है लेकिन इस खेल की शुरुआत आज ही होगी तुझे अभी मंजू कुछ बताएगी तुझे उसकी बात मान कर आगे बढ़ना है और ऐसा नाटक करना है कि हम दोनों के बीच ऐसा पहले कभी हुआ ही नहीं सब कुछ नया सा लगना चाहिए समझ गया ना,,,,


ओहहह मामी मैं एकदम से समझ गया,,,,,(खुश होकर एक बार फिर से अपनी मामीको गले लगाते हुए बोला लेकिन उसकी मामीउसे अपने से दूर करते हुए बोली,,)

अरे बुद्धू अभी कुछ नहीं करना है थोड़ी देर में खेल शुरू हो जाएगा तेरी मौसी को आने दे,,,,

(इतना कहने के साथ ही रूपाली अपने कमरे से बाहर आ गई और सूरज भी दातुन करने लगा थोड़ी ही देर में मंजू कमरे में आई वह तो पहले से ही सूरज का इंतजार कर रहे थे लेकिन कुछ काम से घर से बाहर चली गई थी सूरज को घर में देखते ही वह खुश होते हुए बोली,,,)

सूरज तुझसे एक बात करना है,,,,

क्या,,,?

अरे बताती हूं पहले इधर आ,,(इतना कहने के साथ ही बात इशारे से उसे कमरे में ले गई और बोली) मैं आज तुझे ऐसी बात बताऊंगी की तु सुनकर खुश हो जाएगा,,,

अरे ऐसी कौन सी बात है बताओ गी,,,

अच्छा एक बात बता अगर तेरी मामी तेरे सामने अपनी दोनों टांगे खोल दे तब तु क्या करेगा,,,

धत्,,, मौसी यह कैसी बात है,,,

अरे जो भी है लेकिन तेरे काम की है,,,

नहीं नहीं यह मेरे काम की नहीं मामी के बारे में तुम गंदी बात कह रही हो,,,

अच्छा बच्चु जब चोरी चोरी अपनी मामी को नंगी होता हुआ देखता था अपनी मामी को चुदवाते हुए देखता था तब तो तेरा खड़ा हो जाता था तो अभी क्या हो गया,,,
(अपनी मौसी की बात सुनकर सूरज कुछ बोला नहीं तो मंजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) अरे बुद्धू अगर तेरी मामी तुझसे चुदाना चाहे तो क्या तू चोदेगा या नहीं,,,(अपनी मौसी की बात सुनकर कुछ देर तक वह कुछ सोचने लगा जानबूझकर सूरज ऐसा कर रहा था वह ‌ अपनी मौसी से आप सीधे शब्दों में यह तो नहीं कह सकता था ना कि हां मैं अपनी मामी को चोदूंगा इसीलिए थोड़ा नाटक कर रहा था,,, और उसे कुछ सोचता हुआ देखकर मंजू उसे कल्पनाओं की दुनिया में ले जाते हुए बोली) अरे पागल जरा तू सोच तेरी मामी मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है उसके अंदर उसके बदन मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत और भरे हुए हैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां जरा तू सोच जब तू अपने हाथों से अपनी मामीके ब्लाउज का एक एक बटन खोल कर उनके दोनों खरबूजा को अपने हाथ में लेकर दबाएगा तो सोच कितना मजा आएगा,,,, और तो और अपने हाथों से अपनी मामीकी साड़ी उतारे का उसकी पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे खींचकर नीचे करेगा तब तेरी आंखों के सामने तेरी मामी खूबसूरत एकदम नंगी हो जाएगी जरा तु सोच उसकी रस से भरी हुई बुर जब तेरी आंखों के सामने एकदम नंगी दिखाई देगी तब कैसा नजारा होगा तेरा तो एकदम खड़ा हो जाएगा तेरी मामीको चोदने के लिए उसकी मंजू बुर में लंड डालने के लिए तु तड़प उठेगा और कितना मजा आएगा,,, जब तेरा मोटा तगड़ा लंबा लंड तेरी मामीकी बुर की गहराई में जाएगा और तू धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाता हुआ अपनी मामी को चोदेगा,,,,
(अपनी मौसी की बातों को सुनकर सब कुछ करने के बावजूद भी ना जाने क्यों वह खुद भी कल्पना की दुनिया में खो गया और जैसे कि वह सच में अपनी मामीकी बुर में लंड डालकर चोदा इस तरह की कल्पना करने लगा,,,, कुछ देर तक इसी अवस्था में रहने के बाद वह बोला)

लेकिन मौसी यह सब होगा कैसे,,,,(एकदम दबे हुए स्वर में सूरज बोला तो खुश होते हुए मंजू बोली,,,)

हो जाएगा शायद तू नहीं जानता कल मैं तेरी मामी को छोटे से छेंद से देख रही थी और वह चुदवा रही थी और पता है क्या कह रही थी,,,

क्या,,,?

कह रही थी तेरे मामाजी को की तुम्हारे से मोटा और लंबा तो सूरज का है अगर उसका लंड एक बार बुर में चला गया तो एकदम मस्त कर देगा,,,

क्या हुआ सच में मामी ऐसा कह रही थी,,,(एकदम से हैरान होने का नाटक करते हुए सूरज बोला,,, जबकि यह बात सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मौसी उसे झूठ कह रही है लेकिन फिर भी उसके झूठ में सबका उल्लू सीधा होना था इसलिए सभी लोग एक दूसरे पर विश्वास कर रहे थे,,,)

हां सूरज तभी तो मैं हैरान हो गई की भाभी भी तुझ से चुदवाना चाहती है,,,

लेकिन मामी ने कब मेरा लंड देख ली,,,

देख ली होंगी,,, कहीं भी कैसे भी वैसे भी तेरा कुछ ज्यादा ही बड़ा और मोटा है पजामे में भी साफ नजर आता है,,,

सच में मौसी अगर ऐसा हो गया तब तो मजा आ जाएगा,,,

अरे मजा तो ठीक है लेकिन सोच अगर ऐसा हो गया तो हम दोनों के लिए एकदम आसान हो जाएगा अगर कभी हम दोनों पकड़े भी गए तो तेरी मामी हमें कुछ बोलेगी नहीं क्योंकि वह तो खुद ही तुझसे चुदवा रही है,,,,
(इतना सुनते ही सूरज बोला)

वाह मौसी वाह क्या दिमाग पाई हो सच में तब तो हम दोनों कभी भी मजा ले सकते हैं,,,,,

हारे एकदम खुलकर मजा,,,,

लेकिन यह होगा कैसे,,,

बस थोड़ी ही देर में सब कुछ शुरू हो जाएगा,,,,
 
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अपनी मामी की बात को सुनकर सूरज की उत्सुकता बढ़ चुकी थी और मंजू ने उसके उम्मीदों को पर लगा ‌ दी थी अगर मंजू के कहे अनुसार सब कुछ सही हो गया तो सूरजकी दसो उंगलियां घी में होगी तब वह जब चाहे तब अपनी मामीकी चुदाई घर में ही कर सकता था और वह भी बिना किसी से डरे,,,, सूरज अपनी मामीvकी चुदाई कर चुका था उसकी खूबसूरत रसीली बुर का स्वाद चख चुका था लेकिन अपने मौसी के कहे अनुसार एक बार फिर से अपनी मामी को चोदने की तमन्ना उसके मन में जागने लगी थी अभी तक वह चोरी-छिपे अपनी मामीके खूबसूरत बदन का मजा ले रहा था लेकिन अब वह अपनी मौसी की हाजिरी में अपनी मामीकी चुदाई करने के लिए उत्सुक हो चुका था क्योंकि मौसी पुरी तरह से राजी हो चुकी थी,,,, सूरजको उसकी मामीने ही बता दी थी कि वह उन दोनों का राज जान चुकी है इसलिए सूरजअच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मौसी अपने किए पर पर्दा डालने के लिए ही उसे उसकी मामीको चोदने के लिए उक‌सा रही है जिसमें उसका ही भला होने वाला था,,,।

दूसरी तरफ रूपालीकी भी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, वह भी यही सोच रही थी कि आज अगर सब‌ कुछ सही हो गया तो,, वह भी अपने भांजे से जब चाहे तब अपनी ननद की हाजिरी में चुदवा सकती है,,,,, इसलिए उसके भी तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी सब कुछ जल्द ही शुरू होने वाला था इस बात के इंतजार में उससे रहा नहीं जा रहा था वह बार-बार घर में झाड़ू लगाते हुए भी अपनी ननद के द्वारा इशारा पाने का इंतजार कर रही थी,,,, तभी थोड़ी ही देर में मंजू उसके पास आई और धीरे से उससे बोली,,,

भाभी तैयार हो जाओ खेल शुरू हो गया है मैं तुम्हें जैसा कहती हूं वैसा ही करना,,,,(और इतना कहने के साथ ही मंजू अपनी भाभी को आगे का खेल समझा दी और उसी खेल के तहत रूपाली,,, घर में ही छोटे से बने गुसल खाने में जो कि वहां नहाना बिल्कुल भी नहीं होता था बर्तन धोने के ही काम आता था लेकिन आज उसके कहे अनुसार रूपालीको वहां पर एकदम नंगी नहाना था,,, जो कि वह जगह हल्की सी झुग्गी लगाकर घिरी हुई थी और अभी चारों तरफ सिर्फ 3 फीट तक बाकी सब कुछ खुला हुआ था रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था इस खेल को मंजू ने सूरजको भी समझा दी थी सूरजऔर रूपालीअच्छी तरह से जानते थे कि इस खेल के असली खिलाड़ी वह दोनों खुद थे बाकी मंजू तो सिर्फ मोहरा थी,,,, रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि आज मंजू की हाजिरी में उसे अपने भांजे के सामने नंगी नजराना था ताकि उसके नंगे पन को देखकर सूरजका लंड खड़ा हो जाए और मंजू के कहे अनुसार दोनों के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो जाए और इसी मौके का फायदा उठाते हुए रूपालीधीरे-धीरे करके अपने बदन से कपड़े उतार रही थी और देखते ही देखते वह घर में बने छोटे से गुसल खाने में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है और बाल्टी में भरे पानी को लौटे में लेकर अपने ऊपर डालने लगी वह अच्छी तरह से जानती थी कि मंजू भी वहीं कहीं सब कुछ देख रही है इसलिए वहां अपने भांजे की हाजिरी में ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहती थी ताकि मंजू को शक हो जाएगी उन दोनों के बीच पहले से चल रहा है दोनों मंजू की नजरों में एकदम अनजान बने रहना चाहते थे,,,,,

मंजू और सूरज बाहर वाले कमरे में खड़े थे और अपनी उत्तेजना को भड़काने के लिए सूरजअपनी मौसी की चूची को दबा रहा था क्योंकि अब तो रूपाली को भी पता चल गया था कि सूरज और मंजू के बीच शारीरिक संबंध है उसी का फायदा उठाते हुए सूरज मंजू के बदन से खेल रहा था और मंजू चाहती थी कि उसका यही खेल उसकी मामी के साथ भी शुरू हो जाए ताकि वह भी जब चाहे तब सूरज के लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी गर्मी को शांत कर सके,,,, थोड़ी ही देर में रूपाली आवाज लगाई,,,,

मंजू अरे ओ मंजू मैं कपड़े लाना भूल गई जरा कपड़ा तो लादे,,,,,
(इतना सुनते ही मंजू के गुलाबी गाल लाल हो गए और वह सूरज से बोली)

सूरज देख खेल शुरू हो गया है तेरी मामी तुझसे चुदवाना चाहती है यह मैं अच्छी तरह से जानता हूं और इस समय वह नंगी ही नहा रही है,,, और यही मौका है तेरे पास वैसे भी तू औरतों के मामले में कुछ ज्यादा ही चला था इसलिए तुझे अच्छी तरह से मालूम है कि तुझे क्या करना है बस किसी तरह से तू अपनी मामी को अपना लंड दिखा देना और वह भी टनटनाया हुआ पूरी तरह से खड़ा फिर देखना तेरी मामीतेरे लिए अपनी दोनों टांगे खोल देगी,,,


लेकिन मौसी अगर मा नाराज हो गई तो,,,

अरे बुद्धू तेरी मामी बिल्कुल भी नाराज नहीं होगी बस इतना करना कि तुझे उसे अपना खड़ा लंड दिखाना है बस तेरी मामी एक बार तेरा लंड देख लेगी तो खुद ही उसकी बुर पानी छोड़ देगी,,,,


ठीक है मौसी तुम्हारी बात मान कर मैं जा रहा हूं अगर कुछ भी हुआ तो मैं तो तुम्हारा ही नाम दे दूंगा कि मौसी ने हीं यह सब करने को कही थी।

ठीक है तू मेरा ही नाम बता देना बस अभी तो जा,,,

(इतना सुनकर सूरज जाने लगा तो उसे रोकते हुए मंजू फिर बोली,,)

सुन सुन देखु तो सही तेरा खड़ा हुआ है कि नहीं,,,(और इतना कहने के साथ ही मंजू अपना हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से ही सूरजके लंड को टटोलने लगी जो की पूरी तरह से खड़ा था फिर भी वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)
चलो ठीक है ,,, अपनी मामी को नंगी देखेगा तो और ज्यादा कड़क हो जाएगा,,,,
(मंजू का इतना कहना था कि एक बार फिर से रूपालीआवाज लगाते हुए बोली)

मंजू कहां गई कब से चिल्ला रही हूं,,,,

तू जा सूरज और कहना कि मंजू घर पर नहीं है,,,,
(इतना सुनकर सूरज का भी दिल जोरो से धड़कने लगा था अपनी मामी को वह ना जाने कितनी बार नंगी देख चुका था और अपने हाथों से नंगी कर भी जुड़ा था लेकिन अभी जो कुछ भी होने वाला था उसको लेकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी और वैसे भी अपनी मामी को नंगी देखने का मौका वह कभी छोड़ता नहीं था अपनी मामी को नंगी देखने का सुख उसे बेहद अद्भुत महसूस होता था इसलिए वह मुस्कुराते हुए गुसल खाने की तरफ आगे बढ़ गया जहां पर उसकी मामी अभी भी बैठकर अपने बदन पर पानी डाल रही थी,,,, सूरज सीधा गुसल खाने की तरफ पहुंच गया और ऐसा जताने लगा कि जैसे उसे मालूम ही नहीं है की उसकि मामी गुसलखाने में नहा रही है,,, और गुसल खाने की तरफ जाकर एकदम से वह गुसल खाने के अंदर झुक कर देखने लगा जहां पर रूपालीपूरी तरह से नंगी होकर नहा रही थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां पानी की बुंदो से और ज्यादा चमक रही थी,,, अपनी मामीको गुसल खाने में देख कर चौक ने का नाटक करते हुए सूरज बोला

अरे मामी तुम यहां नहा रही हो,,,,
(सूरज और रूपाली दोनों को मालूम था कि मंजू वही कही ना कहीं है इसलिए दोनों ऐसा बर्ताव कर रहे थे मानो कि सब कुछ अचानक हो रहा है,,,, सूरज को ठीक अपने सामने खड़ा देखकर रूपाली भी चौक ने का नाटक करती हुई बोली,,)

अरे सूरज तो तुझे शर्म नहीं आती इधर आ गया देख नहीं रहा है मैं कैसे नहा रही हूं,,,

अरे मुझे क्या मालूम था कि तुम यहां आ रही हो और वह भी बिना कपड़ों के कम से कम कपड़े तो पहने होना चाहिए तुम तो कुछ भी नहीं पहनी हो एकदम नंगी नहा रही हो,,,,
(बाहर से खड़ी-खड़ी मंजू सब कुछ सुन रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,)

अब तो मुझे बताएगा कि मुझे कपड़े पहनकर नहाना या बिना कपड़े पहने और तुझे शर्म नहीं आती अभी तक नहीं खड़ा है ज्यादा मंजू कहां है उसे भेज एक तो मैं आज कपड़े लेना ही भूल गई,,,, और यह मंजू ना जाने कहां चली गई,,,


मामी वो तो घर पर नहीं है वह तो खेत में सब्जी लेने गई है,,,

क्या अब क्या करूं मैं,,,,(रूपाली परेशान होने का नाटक करते हुए वह अभी भी गुसल खाने में बैठी हुई थी और जानबूझकर अपनी खूबसूरत नंगे बदन को छिपाने की कोशिश कर रही थी और वह भी ऐसे लड़के से जिससे वह चुदवा चुकी थी,,,,)

अरे क्या हुआ मामी मुझे बोलो ना,,,,


अरे तुझे क्या बोलूं मुझे तो गुस्सा आ रहा है मंजू पर बिना बताए घर से चली गई,,,,

नहीं बताना है तो हटो मुझे बड़ी जोरों की पेशाब लगी है,,,,
(इतना सुनते ही बाहर खड़ी मंजू आश्चर्य से एकदम से चूक गई और अपने मुंह पर शर्म से हाथ रख दी क्योंकि इस तरह का खेल खेलने को मंजू ने उसे गोली ही नहीं थी और उसे पक्का विश्वास था कि सूरज अपनी मामी को चोदने के लिए जरूर मना लेना क्योंकि वह मजा हुआ खिलाड़ी था उसकी इसी बात से मंजू समझ गई थी,,,, रूपाली की तो हालत खराब हो गई वह बिल्कुल सहज थी सूरजकी बात को सुनकर लेकिन फिर भी असहज होने का नाटक करते हुए बोली,,)

क्या कहा तूने अरे तुझे शर्म आती है घर में मुतेगा,,,,


और क्या करूं कोई रास्ता भी तो नहीं है,,,

अरे घर के पीछे चले जा,,,

मामी मेरे पास इतना समय नहीं है मुझसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है अगर मैं दो कदम भी चलूंगा तो मेरी पेशाब छूट जाएगी और मैं पजामे में ही पेशाब कर दूंगा इतनी जोर की लगी है,,,, मुझे लगा था कि मौसी के साथ साथ तुम भी खेतों में चली गई होगी इसलिए तो यहां आ गया था,,,,

नहीं नहीं सूरज यहां बिल्कुल भी नहीं तू घर के पीछे चले जा और जरा तो यहां से हट जा तुझे शर्म आनी चाहिए मैं इस समय बिल्कुल नंगी हूं और तू मेरे ठीक सामने खड़ा है मुझे कपड़े लेने हैं,,,

देखो मा कपड़े बाद में लेना लेकिन मुझे मुतने दो,,,,


इतना बड़ा हो गया लेकिन तुझे शर्म नहीं आती मेरे सामने इस तरह की बातें करते हुए यह कोई जगह है पेशाब करने की,,,, तुझे पता होना चाहिए कि इस जगह पर तो हम लोग नहीं बैठे थे पेशाब करने के लिए,,,,, और तू लड़का होकर यहां मुतने की जीद‌कर रहा है,,,


आहहहह मामी,(जानबूझकर पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को पकड़ते हुए,,) तुम समझने की कोशिश करो मुझे बड़े जोरों की लगी है,,,,

नहीं सूरज ऐसा बिल्कुल भी मत कर कोई देख लेगा तो क्या होगा और तू इस तरह से मेरे सामने खड़ा है मैं नहा रही हूं अगर तेरी मौसी आ गई तो वह क्या सोचेगी,,,,

अरे कुछ नहीं सोचेगी अभी जिस तरह के हालात में मौसी के सामने भी पेशाब कर दूंगा,,,

हार दैया तुझे तो शर्म नहीं आती,,,

शर्म करने का बिल्कुल भी समय नहीं है मामी तुम समझने की कोशिश क्यों नहीं करती अगर बाहर चला गया और पजामे में ही पेशाब हो गई तो कोई देखेगा तो क्या कहेगा,,,, अब तो गांव भर में मेरी भी कुछ इज्जत है समझने की कोशिश करो,,,


नहीं मैं बिल्कुल भी नहीं समझूंगी तुझे तो शर्म आनी चाहिए मुझे कपड़े देने की जगह पर तू मुझसे बहस कर रहा है अब तो मुझे लग रहा है कि तुम मुझे नंगी देखना चाहता है इसीलिए हट नहीं रहा है,,,,

(मामी भांजे दोनों की बातें और उन दोनों की जीद को देखकर मंजू की बुर गीली हो रही एक अपना लंड दिखाने के बहाने किसी ना किसी तरह से अपनी मामी की आंखों के सामने पेशाब करना चाहता था ताकि उसकी मामी पेशाब करते हुए अपने भांजे को देखकर उसके लंड को देखकर मचल उठे और दूसरी तरफ रूपाली शर्म और लिहाज का सिर्फ दिखावा कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसकी ननद कहीं ना कहीं मौजूद है,,,, एक पल को तो मंजू को ऐसा महसूस हो रहा था कि वह खुद अंदर चली जाए और सब कुछ साफ-साफ बता दे और तीनों खुलकर मजा ले ले,,, लेकिन वह इस खेल में अभी शामिल होना नहीं चाहती थी वह सब कुछ अपने मुताबिक हो जाने देना चाहती थी इसलिए बाहर खड़ी होकर इंतजार कर रही थी सूरजअपनी मामीकी बातों को सुनकर जल्दबाजी दिखाता हुआ बोला,,,)

देखो मामी में आखिरी बार कह रहा हूं,,, हट जाओ मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है मुझे पेट में दर्द होने लगा है,,,,
(रूपाली कुछ कहती इससे पहले ही सूरज ऐसा नाटक करने लगा कि जैसे उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी है और वह भी गुसल खाने में घुस गया यह देखकर रूपाली शर्मा का एकदम से खड़ी हो गई बस यही तो सूरजचाहता ही था रूपाली पूरी तरह से नंगी थी और उसके खड़ी होते ही पुस्तक खूबसूरत बदन एकदम से नजर आने का था और अपनी मौसी के कहे अनुसार उसे किसी ना किसी तरह से अपनी मामीको अपना लंड दिखाना था और वह तुरंत अपने पैजामा को नीचे करके अपने खड़े लंड को बाहर निकाल लिया यह सब हरकत मंजू दीवार की ओर से बाहर निकल कर अपने आप को दीवाल की ओट में छुपा कर देख रही थी,,, रूपाली को इस बात का एहसास था की मंजू उसे देख रही है क्योंकि वह तिरछी नजर से मंजू की तरफ देख ली थी और मंजू उसी को ही देख रही थी और रूपाली शर्मा ने और चौंकाने का नाटक कर रही थी और सूरज था कि अपने लंड को हिलाता हुआ पेशाब करने लगा,,,, और रूपाली अपने भांजे के लंड को देख कर चौक ने का नाटक करते हुए अपनी आंखों को एकदम से चोरी कर ली और मुंह को खुला का खुला छोड़ दी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आश्चर्य से देख रही है जबकि वह अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में कई बार ले चुकी थी,,,,

सूरज अपनी मामी की आंखों के सामने ही बेशर्म बनकर पेशाब कर रहा था और बार-बार अपनी मामी की खूबसूरत बदन की तरफ देख ले रहा था,,,, वह अपनी मामीकी नजर को भी देख रहा था उसकी मामीभी उसके लंड को देख रही थी इसलिए वह थोड़ा सा जोर से बोला था कि उसकी मौसी जो की दीवाल के पीछे छुपी हुई है अब तो कुछ ऐसा ही लगता था वह नहीं जानता था कि उसकी मौसी चोरी-छिपे उन दोनों को देख भी रही है,,, सूरज बोला,,,

क्या देख रही हो मामी मेरा लंड दिख रही हो कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है ना,,,

हाय दैया मैंने आज तक इतना मोटा और लंबा नहीं देखी,,,,
(मंजू की तरफ तिरछी नजर से देखकर रूपाली जानबूझकर आश्चर्य जताते हुए बोल रही थी ताकि मंजू को ऐसा ही लगे कि सब कुछ उसके कहे अनुसार ही चल रहा है,,,, और सब कुछ पहली बार ही हो रहा है,,,)

अब तो देख रही हो ना मामी,, एक बार पकड़ कर देखो बहुत अच्छा लगेगा,,,

हाय दैया बेशर्म कहीं का अपनी मामी से ऐसी बात करता है,,,,

तुम बहुत खूबसूरत हो मामी(अपनी मामी की कमर में हाथ डाल कर उसे अपनी तरफ खींचने की कोशिश करते हुए सूरज बोला यह देखकर दीवार के पीछे छुप कर देख रही मंजू के तन बदन में आग लग गई उसकी बुर से पानी टपकने लगा,,,, रूपाली जानती थी कि मंजू देख रही है इसलिए एकदम से उसका हाथ पकड़कर झटकते हुए बोली,,)

अरे थोड़ा तो शर्म कर बेशर्म अपनी मामी से इस तरह की हरकत करता है,,,,

क्या करु मा तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो बिना कपड़े के तो तुम स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही हो,,,,

बाप रे थोड़ा तो शर्म कर,,(ऐसा कहते हुए रूपाली अपने भांजे के हिलते हुए लंड को देख रही थी और यह देख कर सूरज बोला)

मुझे शर्म करने को कह रही हो और खुद मेरे लंड को प्यासी नजरों से देख रही हो ऐसा लग रहा है कि जैसे खुद ही इस पर चढ़ जाओगी और इसे अपनी बुर में ले लोगी,,,
(मंजू की मौजूदगी में अपने भांजे से इस तरह की गंदी बातें सुनकर रूपाली पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हो रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था वह जल्दी से जल्दी यहां से निकलना चाहती थी मंजू से सिर्फ इतनी बात हुई थी कि वह बिना कपड़ों के नंगी होकर नहाने की और अपने भांजे से कपड़ा मांगेगी उसका भांजा उसे कपड़ा लाकर देगा और उसे अपना अंग

दिखाने के बहाने दोनों के बीच बात आगे बढ़ेगी लेकिन यहां तो कुछ और ही नाटक शुरू हो गया था और इसलिए मंजू के सामने रूपाली शर्मा रही थी अगर मंजू समय मौजूद ना होती तो शायद रूपालीअपने भांजे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरु कर देती,,,)

धत् बेशर्म,,,, मैं जा रही हूं,,,(और इतना कहकर रूपाली गुशल खाने से नंगी ही बाहर आ गई और बिना कपड़ों के ही अपने कमरे की तरफ नंगी ही जाने लगी तो सूरज भी गुसल खाने से बाहर आ गया और बोला)

मैं भी आ रहा हूं,,,

तू ऐसे नहीं मानेगा आज तेरे मामाजी से सब कुछ बता दूंगी
(ऐसा कहते हुए रूपाली अपने कमरे की तरफ जा रही थी एकदम नंगी वह मन ही मन मुस्कुरा रही थी उसकी गोल गोल गाना चलते समय पानी भरे गुब्बारों की तरह लचक रही थी या देखकर मंजू के गाल भी सुर्ख लाल हो गए वह समझ गई थी कि वाकई में उसकी भाभी उससे भी ज्यादा खूबसूरत है ना कि होने के बाद तो वह सच में स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी उसकी नंगी गोरी गोरी गोर गोर गाल देखकर तो दुनिया का कोई भी मर्द उस पर लट्टू हो जाएं सूरजभी अपनी मामीको नंगी अपने कमरे की तरफ जाता देखकर अपने लंड को पकड़ कर हिला रहा था यह देखकर मंजू उसे सारा करके उसके पीछे पीछे जाने के लिए कह रही जो कि अगर वह ना भी कहती तो भी वह उसके पीछे पीछे चले जाता,,,)
अरे मामी मैं भी आ रहा हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही वह भी अपनी मामी के पीछे जाने लगा और यह देखकर रूपाली के तन बदन में आग लगने लगी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी क्योंकि वह जानती थी कि अब सब कुछ वैसा ही हो जाएगा जैसा कि वह चाहती थी वह अपने कमरे का दरवाजा खोल कर कमरे में प्रवेश करती ईससे पहले ही संजू भी दरवाजे के पास आ गया और तुरंत पूर्ति दिखाता हुआ कमरे में प्रवेश कर गया,,,)

अरे अरे यह क्या कर रहा है तुझे शर्म नहीं आ रही है,,,

क्या करूं मामी तुम्हें नंगी देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,
(और इतना कहने के साथ ही वह अपने आप से ही दरवाजा बंद करके दरवाजे पर कड़ी लगा दिया,,,,, रूपाली बहुत खुश थी और काफी उत्तेजित भी क्योंकि मंजू भी उन दोनों को देख रही थी और यह सब देख कर,, मंजू की खुशी समा नही रही थी क्योंकि उसके दिशा निर्देश के अनुसार ही सब कुछ हो रहा था और कुछ ही देर में दोनों मामी भांजे के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो जाएगा और मंजू का राज राज बनकर रह जाएगा और इस राज में तीनों एक साथ शामिल हो जाएंगे,,,, रविकुमार भी इस राज का हिस्सा था लेकिन अभी वह जो कुछ भी हो रहा था इन सब से बिल्कुल अनजान था,,,, मंजू का दिल जोरों से धड़क रहा था मैं पहली बार एक मामी और भांजे को कमरे में बंद देख रही थी और वह भी दोनों के बीच किसी भी वक्त चुदाई का खेल शुरू होने वाला था क्योंकि दोनों एक दूसरे के प्यासे थे,,, मंजू खेल को अपनी आंखों से देखना चाहती थी इसलिए धीरे-धीरे वह भी अपनी भाभी के कमरे के पास पहुंच गई और दरवाजे के छेद को ढूंढने लगी ताकि उसमें से अंदर के दृश्य को आराम से देखा जा सके,,,
 
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माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था रूपाली शर्मा कर इस तरह से गुसल खाने से बाहर निकली थी मानो जैसे वह सच में अपने भांजे के सामने पहली बार इस तरह की स्थिति का सामना कर रही हो,,,,,,, रूपाली गुशल खाने से निकलकर बिना कपड़ों के ही चलते हुए अपने कमरे तक गई थी और यह रूपाली की तरफ से फेंका हुआ जबरदस्त पासा था जिसमें सब कुछ चारों खाने चित हो चुके थे मंजू तो इस मनोरम में दृश्य को देखकर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी और उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी भाभी बला की खूबसूरत है उसके सामने उसकी जवानी कुछ भी नहीं थी,,,, जवान बच्चों की मा के साथ-साथ एक सास होने के बावजूद भी जिस तरह से वह अपने बदन के बनावट को एकदम गठीला और कसा हुआ बना कर रखी थी उसे देखते हुए खुद मंजू के मुंह में पानी आ रहा था मंजू की नजर उसके नंगे बदन के साथ-साथ उसकी गोल-गोल गांड पर स्थिर हो चुकी थी जो कि चलते समय पानी भरे गुब्बारे की तरह इधर उधर हील रही थी अपनी भाभी की मदमस्त कर देने वाली गोल गोल गांड को देखकर मंजू अपने मन में यही सोच रही थी कि जब अपनी भाभी को देखकर उसका यह है हाल है तो मर्दों का क्या हाल होता होगा वाकई में आज तो सूरज पूरी तरह से अपनी मामी की जवानी के आगे घुटने टेक देगा और आज उन दोनों के बीच चुदाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा,,,। और वैसे भी सूरज के चरित्र को मंजू अच्छी तरह से समझती थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि अपनी मामी को चोदने में सूरज के मन में किसी भी प्रकार की झिझक पैदा नहीं होगी,,,,,,, मंजू ने अच्छी तरह से देखी थी कि उसकी भाभी अपने भांजे के लंड को कितनी प्यासी नजरों से देख रही थी यह देखकर मंजू पूरी उम्मीद से बंध चुकी थी कि उसकी भाभी अपने ही भांजे से अच्छी तरह से चुदवाएगी,,, क्योंकि मंजू भी अपने बड़े भैया के लंड की ताकत लंबाई चौड़ाई से अच्छी तरह से वाकिफ थी जोकि सूरजके मर्दाना ताकत से भरे हुए लंड के आगे कुछ भी नहीं था,,,,,,

सूरजभी अपनी मामीके पीछे पीछे लार टपका ते हुए उसके कमरे में प्रवेश कर गया था जहां से एक नए रिश्ते की शुरुआत होनी थी और वह भी मंजू की नजर में जबकि मंजू की नजरों से अनजान दोनों के बीच अनैतिक रिश्ता पनप चुका था और दोनों उस रिश्ते से बेहद खुश और तृप्त थे,,,,, रूपालीके कमरे में प्रवेश करते ही सूरजभी पीछे से अपनी मामीके कमरे में घुस गए और अपने हाथों से ही दरवाजा बंद करके कुंडी लगा दिया यह अनुभव और एहसास मंजू के तन बदन में आग लगा रहा था ऐसा लग ही नहीं रहा था कि दोनों मामीभांजे हैं बल्कि ऐसा लग रहा था कि प्रेमिका के पीछे पीछे प्रेमी उसके कमरे में घुस गया है और अपने हाथों से दरवाजा बंद करके आज उसकी जमकर चुदाई करने वाला है एहसास मंजू की बुर से पानी निकाल रहा था कमरे का दरवाजा बंद होने से मंजू जल्द ही अंदर देखने के लिए दरवाजे की दरार को तलाशने लगी और उसे जल्द ही एक बहुत ही खूबसूरत दरार नजर आ गई जिसकी लंबाई केवल बुर की लंबाई जितनी ही थी और उसमें से उसे जन्नत का नजारा देखना था मंजू चल रही दरवाजे के उस छोटे से दरार पर अपनी नजरें दिखा दी और अंदर की तरफ देखने लगी अंदर सब कुछ एकदम साफ नजर आ रहा था दोपहर का समय था इसलिए कोई दिक्कत पेश नहीं आ रही थी लेकिन तभी उसे याद आया कि दरवाजा तो खुला छोड़ आई है इसलिए वह तुरंत गई और दरवाजा बंद करके वापस दरवाजे के करीब आकर उस छोटे से दरार में अपनी नजर को दिखा दी लेकिन उसके दरवाजे तक आने पर रूपालीऔर सूरजदोनों को उसके दरवाजे पर खड़े होने का एहसास हो गया था और सूरजने उसे इशारा करके नाटक करने को ही कहा था वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि उन्हें इस तरह से नाटक करना है मानो की मंजू को ऐसा लगे कि सब कुछ पहली बार ही हो रहा है और दोनों इस खेल में पूरी तरह से माहिर हो चुके थे,,,,,दरवाजे की तरफ तिरछी नजर से देख कर अपनी ननद के वहां होने का अहसास से रूपालीशर्म से पानी-पानी तो हो रही थी लेकिन अपनी ही ननद के सामने अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़पती रही थी यह उसके लिए एक नया अनुभव था जिसमें वह पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी इसीलिए वह नाटक करते हुए बोली,,,,


सूरज तुझे शर्म नहीं आती मेरे पीछे पीछे कमरे में आ गया और दरवाजा भी बंद कर दिया,,,,,(बिस्तर पर पड़ी चादर को उठाकर अपने बदन पर डालकर जानबूझकर ढकने की कोशिश करते हुए रूपाली बोली)

तुम्हारी खूबसूरती और तुम्हारा खूबसूरत बदन देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है मामी, सच में तुम बहुत खूबसूरत हो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से उतरी में कोई अप्सरा हो और जिस तरह से तुम गुसल खाने से निकलकर नंगी ही अपने कमरे तक आई हो मैं तो पागल हो गया हूं देखो मेरा लंड कितना खड़ा हो गया है,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरजबेशर्मी की हद पार करते हुए अपनी मौसी की आंखों के सामने ही अपने पजामे को खींच कर नीचे घुटनों तक कर दिया और उसके ऐसा करने से उसका मोटा तगड़ा लंबा टन टनाया हुआ

लंड हवा में लहरा उठा,,,, ना चाहते हुए भी रूपालीकी नजर अपने भांजे के लंड पर चली गई लेकिन वह ऐसा बर्ताव कर रही थी मानो कि बाहर खड़ी मंजू को ऐसा ही लगे कि वह वाकई में शर्म आ रही है और उत्तेजित भी हो रही है,,,,, अपने भांजे के लंड पर नजर डालकर रूपालीअपनी नजर को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,,)

यह गलत है सूरजतुझे ऐसा नहीं करना चाहिए मैं तेरी मामीहूं,,,,

मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम मेरी मामीहो और मैं तुम्हारा भांजा हूं लेकिन ना तो मेरा लंड यह बात जानता है ना तुम्हारी बुरी बात जानती है कि हम दोनों के बीच कैसा रिश्ता है बस यह दोनों तो एक मर्द और औरत का ही रिश्ता जानते हैं अगर ऐसा ना होता तो तुम्हें देखकर तुम्हारे नंगे बदन को देख कर मेरा लंड खड़ा ना होता और ना मेरे लंड को देखकर तुम्हारी बुर पानी पानी होती,,,,


यह क्या कह रहा है सूरजतुझे शर्म नहीं आ रही है अपनी मामीसे इस तरह की बातें करते हुए,,,,

मैं अपनी मामीसे नहीं बल्कि एक औरत से बात कर रहा हूं जो कि प्यासी है अपने पति के छोटे लेने से पूरी तरह से तृप्त नहीं हो पाती मजा नहीं ले पाती वह अपने पति से चुदाई का भरपूर मजा नहीं ले पाती इसलिए तो यह जिम्मेदारी निभाने के लिए मैं आया हूं,,,, देखो मेरे लंड को क्या इसे देखकर तुम्हारी बुर पानी नहीं छोड़ रही है,,,,।
(अपने भांजे की बात सुनकर नाटक करने के बावजूद भी रूपालीपूरी तरह से उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि इस तरह की गंदी गंदी बात सुनकर उसकी बुर पानी छोड़ने लगी थी और तो और अपनी ननद के सामने अपने भांजे के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह शर्मसार हुए जा रही थी,, और दरवाजे के पीछे खड़ी मंजू भी सूरजकी बातें सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हुए जा रही थी वह सोच ही नहीं थी कि पहली बार में ही सूरजअपनी हम आपके सामने इस तरह की गंदी गंदी बातें करेगा आप मंजू पूरी तरह से समझ चुकी थी कि सूरजपूरा का पूरा खिलाड़ी हो चुका है उसे हरा पाना नामुमकिन है उसे अंदर का नजारा देखने में बहुत मजा आ रहा था,,,,, अपने भांजे की बात का जवाब देते हुए रूपालीबोली,,,)

नहीं जैसा तु सोच रहा हैं ऐसा कुछ भी नहीं है,,,,,,(सर में से अपनी नजरों को झुकाते हुए और चादर के पीछे अपने नंगे बदन को छुपाने का नाटक करते हुए रूपालीबोली ,,)

तुम झूठ बोल रही हो मामी,(हाथ में पकड़ कर अपने लंड को हिलाते हुए,,) तुम्हारे होंठ कुछ और कह रहे हैं और चेहरे की रंगत कुछ और बयां कर रही है तुम्हारा चेहरा शर्म से लाल हो चुका है तुम एकदम से चुदवासी हो गई हो ,, और इसे मैं साबित कर सकता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही सूरजअपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मामीकी चादर को उसके बदन से खींचकर अलग करके फेंक दिया और एक बार फिर से कमरे के अंदर सूरजकी आंखों के सामने उसकी खूबसूरत मा एकदम नंगी हो गई जो कि अपनी दोनों जनों को हटाकर अपनी हथेली को अपनी बुर पर रख कर सूरजके हकीकत को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,,, सूरजआगे बढ़ा और अपनी मामीकी कलाई पकड़ कर उसे अपनी बुर से हटाते हुए बोला,,,)

अब छुपाने से कोई फायदा नहीं है मामीजैसा मेरा लंड खड़ा हो गया है वैसा तुम्हारी बुर की तड़प रही है मेरे लंड को लेने के लिए,,,,(और ऐसा कहते हैं मैं सूरजधीरे-धीरे अपने घुटनों के बल बैठ गया एक हाथ में वह अपनी मामीकी कलाई पकड़ कर उसे अपनी मामीकी बुर से बुर किए हुए था वाकई में रूपालीकी बुर से मदन रस टपक रहा था जिसे देखते ही सूरजके मुंह में पानी आ गया और यह देखकर दरवाजे के पीछे छिपी मंजू सलवार के ऊपर से ही अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर दबाना शुरू कर दी,,,, अपनी मामीकी पनियाई बुर को देखकर सूरजमुस्कुराते हुए बोला,,)

देखी ना मामीमैं सच कह रहा था ना तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है तुम भी बहुत मस्त हो रही हो,,,,(पर इतना कहने के साथ ही अपनी मामीकी कलाई को छोड़कर वह अपने दोनों हाथों को अपनी मामीकी कमर पर रख दिया नंगी चिकनी कमर पर अपने भांजे की मजबूत हथेलियों का स्पर्श पाते ही नाटक करने के बावजूद भी रूपालीपूरी तरह से गर्म हो गई उसके बदन में सिहरन दौड़ने लगी,,,, सूरजकी हरकत से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी मंजू अब जानती थी कि सूरजक्या करने जा रहा है और उस पल की उत्सुकता में वह खुद पानी पानी हो रही थी,,,, अगले ही पल सूरजअपनी मामीकी तरफ देखते हुए अपनी प्यासे होठों को अपनी मामीकी बुर की तरफ बढ़ाने लगा यह देख कर रूपालीकसमसाने लगी और अपना हाथ उसके सर पर रख कर उसके बाल को कस के पकड़ लिया और उसे अपनी बुर की चार अंगुल की दूरी पर उसे रोक दी और बोली,,,)

सूरजयह गलत है,,,,

कुछ भी गलत नहीं है ना मेरे सर की कसम खाकर बोलो कि तुम नहीं चाहती कि मैं तुम्हें मजा दूं तुम्हारी बुर पर अपने होंठ रख कर उसके रस को चाटु तुम्हारी बुर में अपना लंबा लंड डालकर तुम्हें चुदाई का परम सुख प्रदान करुंं,,,,,

(सूरजअपनी मामीकी आंख में आंख डालकर बातें कर रहा था और सूरजके आत्मविश्वास को देखकर रूपालीएकदम से मदहोश होने लगी अब वह नाटक नहीं बल्कि हकीकत में सब कुछ करने लगी थी और मजा ले रही थी,,,, सूरजकी गर्म कर देने वाली बातों को सुनकर,,, सूरजके बालों पर से रूपालीके मुट्ठी की पकड़ ढीली होने लगी और उसकी ढीली होती मुट्ठी को महसूस करते ही सूरजधीरे-धीरे अपने होठों को आगे बढ़ाया और अगले ही पल अपनी मामीकी दहकती हुई बुर की मंजू पत्तों पर रखकर अपनी प्यास को बुझाने के लिए अपनी जीभ को बाहर निकाला और अपनी मामीकी मंजू छेद में डाल कर उसके मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,, दरवाजे के बाहर छुप कर देख रही मंजू को पूरा विश्वास था कि अब मैं तुमसे बिल्कुल भी रहा नहीं जाएगा और वह पूरी तरह से मस्त हो जाएगी,,,, और उसके सोचने के मुताबिक ही रूपालीपूरी तरह से मदहोश हो गई,,,,,, और एकदम से उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,

सस‌हहहहह,,,,आहहहह सूरज,,,,ऊमममममम,,,,
(अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज दरवाजे के पीछे खड़ी मंजू को एकदम साफ सुनाई दे रहा था और वह अपनी भाभी की इस सिसकारी की आवाज को सुनकर पूरी तरह से मदहोश हो गई वह समझ गई कि आप वह अपने भांजे के सामने अपनी दोनों टांगे खोल देगी और उसका राज,,, राज बनकर रह जाएगा,,,, जितना मामीभांजे पूरी तरह से आनंदित हो रहे थे उससे भी ज्यादा बाहर खड़ी मंजू मजे ले रही थी क्योंकि पहली बार अपनी आंखों के सामने एक भांजे को अपनी मामीकी बुर चाटता हुआ देख रही थी और यह नजारा उसके लिए बेहद अद्भुत था,,,,,, सूरजको अब कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं थी वह पागलों की तरह अपनी मामीकी बुर की गहराई में अपनी जीभ डालकर चाट रहा था अपनी मौसी की नजर में वह पहली बार अपनी मामीकी बुर को जीभ लगा कर चल रहा था लेकिन वह कई बार अपनी मामीकी बुर का मजा ले चुका था इसलिए वह पूरी तरह से अपनी मामीकी बुर के भूगोल से वाकिफ था,,,,, सूरजपागलों की तरह जितना हो सकता था उतनी जीभ अपनी मामीकी बुर में डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था और रूपालीपूरी तरह से मदहोश होकर अपनी आंखों को बंद किए इस पल का मजा ले रही थी,,,,,,, इस समय रूपालीबिल्कुल भी नाटक नहीं कर रही थी बल्कि एक हकीकत को जी रही थी और उसका मजा ले रही थी,,, उसकी सांसे बड़ी गहरी चल रही थी वह अपने कमरे के बीचो बीच खड़ी थी और उसका भांजा घुटनों के बल बैठकर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़े उसकी मंजू छेद में जीभ डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,, बाहर खड़ी मंजू से यह दृश्य बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को रगड़ रही थी,,,, और सूरजकी हरकत को देखकर यह सोच रही थी कि सूरजकितना बेशर्म है पहली बार में ही मौका मिलते ही सीधा अपनी मामीकी बुर को चाटना शुरू कर दिया वाकई में यह लड़का बहुत आगे,, है,,,, और उसे पूरा विश्वास था कि आज राजु अपने मोटे तगड़े लंड की ताकत से अपनी मामीको पूरी तरह से तृप्त कर देगा और आज के बाद उसकी मामीअपने भांजे का लंड लिए बिना नहीं रह पाएंगी और यही तो वह चाहती भी थी,,,,।

दोपहर के समय रूपालीअपने कमरे में एकदम लग्न अवस्था में अपने भांजे के सामने अपनी बुर को परोस दी थी और उसका भांजा भी एक भूखे इंसान की तरह परोसी हुई थाली पर पूरी तरह से टूट चुका था,,,, और उसे जी भर कर चाट रहा था उससे अपनी भूख मिटा रहा था लेकिन यह बुर की प्यास ऐसी थी की जितना भी प्राप्त कर लो उसे पाने की प्यास और ज्यादा बढ़ती रहती है जितना भी बहुत लो उसे फिर से भोगने की प्यास फिर जाग जाती है,,,, यही तो सूरजके साथ भी हो रहा था सूरजअपनी मामीकी जमकर चुदाई कर चुका था और आए दिन मौका देखकर वह अपनी मामीकी बुर में लंड डाली देता था लेकिन आज अपनी मौसी के सामने वह पूरी तरह से अतृप्त होकर अपने आप को तृप्त करने की कोशिश कर रहा था और इस शुभ अवसर का मजा अपनी मामीको भी बराबर दे रहा था बार-बार उसकी बुर से मदन रस का फव्वारा फूट पड़ रहा था जिस की एक भी बूंद को सूरजजाया नहीं होने दे रहा था और उसे अपनी जीत के सहारे चाट चाट कर अपने गले के नीचे गटक रहा था,,,, सूरजअपनी मामीकी कमर पर से अपने दोनों हाथ को हटाकर उसकी गोल-गोल गांड पर रख दिया था और उसे हथेली में जितना हो सकता था उतना लेने कर दबा रहा था अपनी मामीकी बुर चाटते हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड दबाने में भी उसे अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी और यही आनंद रूपालीको भी पूरी तरह से मदहोश कर रही थी अपनी नजर के सामने अपनी बेटी से बुर चटवाने का मजा ही कुछ और होता है इस बात का एहसास रूपालीको अच्छी तरह से हो रहा था वह बहुत ज्यादा आनंदित और उत्तेजित नजर आ रही थी इसलिए तो वह अपनी कमर को गोल-गोल घुमा कर अपनी बुर को उसके संपूर्ण मंजू क्षेत्र को अपने भांजे के होंठों के साथ साथ उसके पूरे चेहरे पर रगड़ रही थी जिससे उसकी बुर से निकल रहे काम रस के रस में सूरजका पूरा चेहरा सरोबोर हो चुका था,,,, यह देखकर मंजू की

सलवार गीली होने लगी थी,,,,,,, मंजू को एकदम साफ तौर पर नजर आ रहा था कि उसकी भाभी अपने ही भांजे के चेहरे पर अपनी गरम-गरम बुर को रगड़ रही थी,,, एक मा अपने भांजे को एक अद्भुत सुख प्रदान कर रही है यह देख कर मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, मंजू को भी बहुत मजा आ रहा था वह सलवार के ऊपर से ही अपनी बुर को रगड़ रही थी वह कभी सोची नहीं थी किस खेल को देखने में भी इतना अधिक मजा आएगा,,,।

कुछ देर तक यह सिलसिला यूं ही चलता रहा सूरजअच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामीकी बुर में उंगली डालने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि उसकी मामीकी बुर में उसके लंड का सांचा बना हुआ था इसलिए जगह बनाने का सवाल ही पैदा नहीं हो रहा था,,,, सूरजअपनी मामीकी गरमा गरम बुर से अपने होठों को हटाकर अपनी मामीकी तरफ देखते हुए बोला,,,,,,।


तुम्हारी बुर बहुत गर्म है ना और बहुत पानी छोड़ रही है सच में तुम्हारी बुर का रस चाटने में मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,
(अपने भांजे की गरमा गरम बातों को सुनकर रूपालीकी हालत खराब होती जा रही थी और दरवाजे के बाहर खड़ी मंजू भी अपने भतीजे की इतनी गंदी बात को सुनकर एकदम मदहोश हुए जा रही थी,,, सूरजके रवैये से वह अच्छी तरह से वाकिफ थी लेकिन वह अपनी मामीके साथ कुछ ही पल में इतना ज्यादा खुल जाएगा इस बात का उसे अंदाजा भी नहीं था लेकिन जो कुछ भी हो अपनी आंखों से देख रही थी उसे सब कुछ नया-नया सा और पहली बार ही लग रहा था जबकि दोनों मामी भांजे में यह सिलसिला महीनों से चला आ रहा था,,,,,, अपने भांजे की इतनी गंदी बात सुनकर रूपालीएकदम से शर्मा गई थी और वह शंका जताते हुए बोली,,)

सूरज कहीं तेरी मौसी मंजू आ गई तो,,,

मौसी इतनी जल्दी आने वाली नहीं है मामी वह अपनी सहेली से मिलने गई होंगी तब तक तो अपना काम हो जाएगा,,,

मुझे डर लग रहा है सूरज इस बारे में किसी को पता चल गया तो क्या होगा,,,,


किसी को कैसे पता चलेगा,,,, यहां कोई आने वाला नहीं है,,,,(इतना कहते हुए सूरज अपनी जगह से खड़ा हुआ और अपनी मामीकी आंख में आंख डालते हुए बोला) सब कुछ भूल कर इस पल का मजा लो सच में तुम्हारा खूबसूरत गोरा बदन कुदरत ने अपने हाथों से तराशा है ऐसी खूबसूरत औरत मैंने पूरे गांव में नहीं देखा,,,(सूरजअपनी मामीकी आंख में आंख डालकर बोल रहा था और रूपालीउसी से नजरें मिलाने में शर्मा रही थी और वह अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,) तुम्हारी यह खूबसूरत गांड (दोनों हाथों को अपनी मामीके पीछे की तरफ ले जाकर उसकी गोल-गोल गांड पर अपनी हथेली रखकर दबाते हुए) देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,( इतना कहने के साथ ही अपनी मामीकी गोल-गोल गांड को अपनी हथेली में दबोचे हुए हैं वह उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी मामीएकदम से उसकी बाहों में समा गई और सूरजतुरंत अपनी मामीके लाल लाल होंठों पर अपने होंठ रख कर उसके होठों के मधुर रस को पीना शुरू कर दिया यह नजारा देखकर मंजू के तन बदन में आग लग गई और वह कुर्ती के ऊपर से ही अपनी चूची पकड़कर दबाना शुरू कर दी,,,, रूपालीकी गदर आई जवानी से भरपूर मांसल बदन सूरजकी बाहों में था और सूरजउसकी बड़ी बड़ी गांड को जोर जोर से दबाता हुआ उस पर चपत लगा रहा था और साथ ही उसके होठों को पी रहा था मधुर की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी चूचियां सूरजकी छाती पर दब रही थी,,,, रूपालीकुछ ज्यादा ही उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि इस खूबसूरत मनोरम्य द्रशय को उसकी ननद अपनी आंखों से दरवाजे के पीछे छुपकर देख रही थी,,,,,, अपनी ननद की मौजूदगी में रूपालीईस रिश्ते को आगे बढ़ाने में बहुत ही एहतियात बरत रही थी क्योंकि वह ऐसी कोई भी गलती नहीं करना चाहती थी जिससे मंजू को लगे थी दोनों के बीच पहले से ही कुछ चल रहा है,,,, इसलिए वह गरम आहे भरते हुए बोली,,,,।

ओहहहह सूरज,,,,, मेरे भांजे मुझे बहुत डर लग रहा है,,,, मुझसे आगे बढ़ा नहीं जा रहा है,,,,

यह कैसी बातें कर रही हो मामी,(चुंबन को तोड़ते हुए) क्या तुम्हें,,,, मजा नहीं आ रहा है,,,,, नहीं तुम्हें भी बहुत मजा आ रहा है तभी तो तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है अगर तुम्हें मजा नहीं आता तो अब तक तुम मुझे अपने कमरे से बाहर निकाल दी होती डरो मत मैं किसी से भी घबराने की जरूरत नहीं है किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा मौसी को भी नहीं है यह रिश्ता हम दोनों के बीच रहेगा,,,, क्या तुम्हे चाहती थी तुम्हारी बुर में मामाजी के छोटे लंड की जगह मोटा और लंबा लंड जाए जो तुम्हारी बुर मैं जाकर पूरी तरह से तुम्हें तृप्त करके ही बाहर आए,,, तुम्हारी उफान मारती जवानी या गदराया बदन को काबू में करने की क्षमता मामाजी में बिल्कुल भी नहीं है तुम्हारी एक खूबसूरत मदहोश कर देने वाली जवानी सिर्फ मेरे लायक है आज देखना मैं तुम्हें ऐसा सुख दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,(इतना कहने के साथ ही सूरजअपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मामीके कंधे पर रख दिया और उसे नीचे की तरफ दबाव देने लगा) तुम्हारी बुर पतले और

छोटी लंड के लिए नहीं बल्कि मेरे जैसे मोटे और लंबे लंड के लिए बनी हुई है तुम्हारी बुर से पानी निकालने की क्षमता मामाजी के लंड में बिल्कुल भी नहीं है ऐसा असमर्थ कार्य को सिर्फ मेरे द्वारा ही पूरा किया जा सकता है जिसका तुम्हें अंदाजा भी नहीं है लेकिन मैं चाहता हूं कि आज मैं तुम्हें चुदाई क्या होती है उसका सुख क्या होता है दोनों से परिचित करवाऊं,,,(ऐसा कहते हुए राजु अपनी मामीको नीचे की तरफ बैठा रहा था सूरजअपनी मामीसे अद्भुत तरीके से अश्लील वार्तालाप कर रहा था जिसको सुनकर रूपालीके साथ-साथ दरवाजे के पीछे खड़ी मंजू के भी तन बदन में आग लग रही थी वह चित्र से जानती थी कि सूरजबातों का जादूगर था और वह अपनी मामीको पूरी तरह से अपने बातों के जादू में उलझा कर मनमानी करने जा रहा था,,,, अपने कंधों पर अपने भांजे के हाथ का दबाव पाकर रूपालीअच्छी तरह से समझ गई थी कि अब उसे क्या करना है,,,, इसलिए बहुत देखते ही देखते अपने घुटनों के बल बैठ गई उसकी नजरें अपने भांजे के पजामे की तरफ थी जिसमें तंबू बना हुआ था वह चित्र से जानती थी कि मंजू सब कुछ देख रही है लेकिन इस बात से भी वह अच्छी तरह से परिचित होगी क्योंकि वह भी एक औरत थी कि ऐसे हालात में एक औरत की क्या स्थिति होती है इसीलिए रूपालीभी अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपने भांजे के पजामे को पकड़कर उसे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,, और अगले ही पल रूपालीने अपने भांजे के पहचाने को खींचकर सीधे उसके पैरों के नीचे उसके कदमों में ला दी और सूरजअपने पैरों का सहारा लेकर अपने पैजामा को उतार फेंका और अपने ही हाथों से अपना कुर्ता भी निकाल कर एकदम नंगा हो गया,,,, रूपालीकी आंखों के सामने उसका मोटा तगड़ा लंड हवा में हिलोरे मार रहा था जिसको देखकर उसके मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो रूपालीअपने भांजे के लंड को बहुत बार अपनी बुर में ले चुकी थी लेकिन इस बार उसे ऐसा दिखाना था कि मानो जैसे वह पहली बार अपने भांजे के लंड को हाथ में पकड़ कर उसके साथ खेल खेल रही है इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,,।

बाप रे सूरज तेरा लंड तो सच में बहुत बड़ा और मोटा है,,,

तो क्या मामी मामाजी की तरह थोड़ी छोटा सा और पतला सा जो कि बुर में जाए तो पता ही ना चले देखना मामीजब यह तुम्हारी बुर में जाएगा ना पूरी तरह से तुम्हारी बुर को रगड़ रगड़ कर उसका पानी निकालेगा,,,,।
(इस नजारे को देखकर मंजू से रहा नहीं जा रहा था और वह धीरे-धीरे अपने सलवार का नाड़ा खोल रही थी,,,)
अब ईसे अपने मुंह में लो,,,,

नहीं मुझे डर लग रहा है,,,

अरे मा ईसमे घबराने जैसी कोई बात नहीं है लंड है कोई सांप थोड़ी है,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मामीके गोरे-गोरे गाल पर अपने लंड को पकड़ कर उसे रगड़ना शुरू कर दिया रूपालीपूरी तरह से मदहोश ले जा रही थी अपनी मेहनत के सामने अपने भांजे के लंड को पकड़ने में उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, और उसकी यह शर्म को दूर करते हुए सूरजअपने लंड के सुपाड़े को ‌ उसके लाल-लाल होठों पर रगड़ने लगा आखिरकार रूपालीकब तक शर्म‌ का पर्दा उड़कर इस खेल को खेल की वह पूरी तरह से गर्म हो गई और तुरंत अपने लाल-लाल होठों को खोल दी ,,,, और अपने भांजे के लंड को अपने मुंह में आने का आमंत्रण दे दी सूरजकी मौके की नजाकत को समझते हुए अपने टनटनाए हुए लंड को अपनी मामीके मुंह में डाल दिया और देखते-देखते रूपालीभी अपने भांजे के लंड़ को चूसना शुरू कर दी,,, और इस नजारे को देखकर मंजू पूरी तरह से मदहोश हो गई और देखते ही देखते हो अपनी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार को अपने कदमों में गिरा दी और अपने नंगी बुर पर अपनी हथेली रगड़ना शुरु कर दी,,,,,।

कमरे के अंदर और बाहर दोनों तरफ वासना का नंगा नाच हो रहा था एक तरफ दो खिलाड़ी थे और एक तरफ दर्शक बनकर देख रही मंजू थी जो कि दर्शक बनने में भी एक अजीब सा नशा और मजा देना होता है इसका अनुभव ले रही थी अब सूरजकी कमर आगे पीछे ही लेना शुरू हो गई थी वह एक तरह से अपनी मामीके मुंह को चोद रहा था अपने भांजे के मोटे लंड को अपने मुंह में ठूंस कर रूपालीउत्तेजना से गदगद हुए जा रही थी अपनी ननद की मौजूदगी में उसकी आंखों के सामने इस गंदे खेल को खेलने में और ज्यादा मजा आ रहा है उसकी बुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,,, सूरजअपनी मामीकी रेशमी बालों में अपनी उंगलियां फंसा कर अपनी कमर को आगे पीछे करके हिला रहा था,,, और बार-बार दरवाजे की तरफ देख ले रहा था दरवाजे के बाहर तो उसे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था बस मंजू के होने का एहसास उसे हो रहा था बाकी मंजू को कमरे के अंदर का सब कुछ साफ नजर आ रहा था इसीलिए तो वह पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही थी,,,

ओहहह मामी कितना मजा आ रहा है तुम ही सोचो मामाजी के लड्डू को मुंह में लेने में कितना मजा नहीं आ रहा होगा जितना कि मेरा अपने गले तक उतारने में आ रहा है,,,,।
(मोटे तगड़े मुसल जैसे लंड को अपने मुंह में ठूंस कर रूपालीसे कुछ बोला नहीं जा रहा था बस वह ऊंऊ ऊंऊ कर रही थी,,,, कुछ देर तक सूरजइसी तरह से अपनी मामीको ही चोदता रहा लेकिन वह अब पूरी तरह से गर्म हो चुका था अब उसे अपनी मामीके होंठों के बीच नहीं बल्कि अपनी मामीकी बुर्के मंजू पत्तियों के बीच लंड डालना था इसलिए वो धीरे से अपने लंड को मुंह में से बाहर निकाला और अपनी मामीके कंधों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगा गहरी सांस लेते हुए रूपालीअपने भांजे के हाथों की कठपुतली बनकर जैसा वह नजारा था वैसे नाच रही थी देखते देखते वह खड़ी हो गई लेकिन इस बार सूरजकुछ और करने के फिराक में था इसलिए तुरंत अपनी मामीके होठों पर और रखकर एक बार फिर से उसके होठों के मदन रस्क चाटना शुरू कर दिया और उसकी एक टांग को घुटनों से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और अपनी कमर से लपेट लिया ऐसा करने से रूपालीकी रसभरी और उसके लंड के एकदम सामने आ गई और सूरज, अपने लंड को पकड़ कर लंड के सुपाड़े से अपनी मामीकी बुर को टटोलते हुए उसकी बु‌र के गीलेपन को महसूस करते ही उसमें अपने लंड का सुपाड़ा डालना शुरू कर दिया और देखते ही देखते,,, इस स्थिति में भी सूरजने बड़े आराम से अपने लंड के सुपाड़े को अपनी मामीकी बुर में डाल दिया और करारा धक्का मारा जिससे कि पूरा का पूरा लंड रूपालीकी बुर की गहराई में घुस गया और रूपालीके मुंह से जोर से चिल्लाने की आवाज निकल गई,,,।

आहहहह,,,,,,मर गई रे दैया,,,(इस तरह की आवाज रूपालीने जानबूझकर अपने मुंह से नहीं निकाली थी बल्कि सूरजकी आक्रामकता की वजह से उसके मुंह से अनायास ही इस तरह की आवाज निकल गई थी और इस आवाज को सुनकर मंजू को पूरा एहसास हो गया था कि दोनों के बीच का यह रिश्ता पहली बार का ही था सूरजएक हाथ से अपनी मामीकी मोटी मोटी जान पकड़कर उसे अपनी कमर पर लपेटे हुए दूसरे हाथ को अपनी मामीके पीछे की तरफ ले जाकर उसकी कमर में हाथ डालकर उसको सहारा देकर चोदना शुरू कर दिया था इस तरह से वह रूपालीको पहली बार पेल रहा था जिससे रूपालीको भी बहुत मजा आ रहा था,,,,,

आहहहह आहहहहह आहहहरहह,,,,
(सूरजके हरे धक्के के साथ रूपालीके मुंह से आह निकल जा रही थी मंजू बहुत खुश थी क्योंकि आज उसके मन की हो चुकी थी सूरजका लंड उसकी मामीकी बुर में जाते ही खुशी के मारा मंजू ताली बजाने वाली थी लेकिन किसी तरह से अपने आप पर काबू कर गई थी आज उसका राज राज बनकर रह गया था अब उसे किसी का भी डर नहीं क्योंकि जिसने उसे रंगे हाथों पकड़ी थी आज वह खुद अपने ही भांजे के साथ चुदाई का मजा ले रही थी,,,, मंजू अपनी आंखों से एक भी दृश्य को ओझल होने देना नहीं चाहती इसीलिए लगातार दरवाजे की दरार में से कमरे के अंदर के मनोरम्य दृश्य का आनंद ले रहे थे और साथ ही अपनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को अपनी हथेली से रगड़ रही थी,,, अंदर का नजारा और ज्यादा गर्म हो जा रहा था क्योंकि सूरजदोनों हाथों से अपनी मामीकी बड़ी-बड़ी गांड को पकड़कर दबाते हुए अपनी कमर हिला रात है और रूपालीखुद ही अपनी कमर को अपने भांजे की कमर से लपेट कर खड़ी थी हालांकि हर धक्के के साथ वह डगमगा जा रही थी,,,। लेकिन सूरजअपनी मामीकी बड़ी बड़ी गांड को दोनों हाथों से थामा हुआ था जिससे वह संभल जा रही थी अब बुर में से आ रही चपचप की आवाज रूपालीके कानों में एकदम साफ सुनाई दे रही थी,,,,,

सूरजपूरी तरह से जोश से भर गया था,,, वह अपनी मामीकी गांड के इर्द-गिर्द अपने हाथ का झाला बनाकर उसे अपनी गोद में एक झटके में उठा लिया ऐसा करने से रूपालीएकदम से घबरा गई और उसके कंधे को कस के पकड़ ली लेकिन तब तक सूरजअपनी मामीको अपनी गोद में उठा चुका था,,,,,

सूरजक्या कर रहा है मैं गिर जाऊंगी,,,, नीचे उतार मुझे,,,,,अरे नही,,,,, पागल हो गया है क्या तू,,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा आज तुम्हें अपनी गोद में उठाकर चोदूंगा,,,,(सूरजपूरी तरह से अपनी मामीको गोद में उठा लिया था और रूपालीअपने भांजे के कंधे का सहारा लेकर अपने आप को स्थिर करने की कोशिश कर रही थी हालांकि अभी भी उसकी बुर की गहराई में सूरजका लंड घुसा हुआ था,,,, रूपालीपूरी तरह से हैरान थी अपने भांजे की ताकत को देख कर,,, और यह नजारा देखकर मंजू की भी आंखें फटी की फटी रह गई थी क्योंकि वह चित्र से जानती थी कि रूपालीका बदन थोड़ा भारी-भरकम था उसका देंह भरा हुआ था लेकिन फिर भी सूरजबड़े आराम से अपनी मामीको अपनी गोद में उठाया हुआ था और उसका लंड भी उसकी मामीकी बुर में घुसा हुआ था और ऐसे हालात में वह अपनी कमर को धक्के लगाकर अपनी मामीको चोद रहा था यह पूरी तरह से अविस्मरणीय और अद्भुत नजारा था जिसकी तुलना कर पाना मुश्किल था,,,,, इस नजारे को देखकर मंजू से रहा नहीं गया और

वहां अपनी बुर में अपनी खुद की दो उंगली डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दी रूपालीतो अभी भी घबरा रही थी कि उसका भांजा कहीं उसे गिराना दें लेकिन देखते ही देखते उसके भांजे ने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था और उसके गोद में उठाए हुए ही उसे चोद रहा था,,, देखते ही देखते इस आसन में रूपालीको बहुत ज्यादा मजा आने लगा उसकी बड़ी-बड़ी गांड सूरजकी मजबूत जहां से टकरा रही थी जिससे दोनों के टकराने की ठाप ठाप की आवाज आ रही थी जिससे कमरे के अंदर का वातावरण पूरी तरह से गर्म हो चुका था कुछ देर तक राजु अपनी मामीको गोद में उठाए हुए ही चोद रहा था इस दौरान रूपालीकी सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी उसका बदन अकड़ने लगा और वह अपने भांजे के कंधों को जोर से दबा ली और भलभलाकर झड़ने लगी,,,,,।
बुर पूरी तरह से रूपालीके काम रस से चिपचिपी हो चुकी थी जिसमें बड़े आराम से सूरजका मोटा तगड़ा लंड अंदर बाहर हो रहा था और यह देखकर मंजू गर्म होकर अपनी बुर को अपनी ही उंगली से चोद रही थी,,,, रूपालीएक बार छोड़ चुकी थी इस आसन में अपनी मामीको गोद में उठाए हुए सूरजजोर जोर से धक्के नहीं लगा पा रहा था और वह अपनी मौसी की आंखों के सामने अपनी मामीको जबरदस्त चुदाई का आनंद लेना चाहता था हर धक्के के साथ पूरी खटिया को चरमरा देना चाहता था इसलिए वह बिना कुछ बोले अपनी मामीको उसी तरह से गोद में यह हुए ही वह धीरे से खटिया के पास आया और धीरे-धीरे झुकते हुए अपनी मामीको खटिया पर लेटाने लगा लेकिन इस दौरान भी उसका लैंड रूपालीकी बुर में घुसा हुआ था और देखते ही देखते वह बड़े धीरे से अपनी मामीको खटिया पर पीठ के बल लेट आते हुए उसी अवस्था में उसके ऊपर लेट गया अब उसके पसंदीदा आसन मिल चुका था और वह अपनी मामीको अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी छाती से लगा लिया और अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया,,,,

बाहर खड़ी मंजू को यह दृश्य देखकर पूरी तरह से मस्ती छा चुकी थी वह अपने भतीजे के हिलते हुए कमर को देख रही थी और हवा में लहराती हुई अपनी भाभी की नंगी टांगों को देख रही थी उसे बहुत मजा आ रहा था सूरजबड़ी फुर्ती और तेजी दिखाता हूं अपनी मामीको चोद रहा था खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी जोकि दरवाजे पर खड़ी मंजू को भी अच्छी तरह से सुनाई दे रही थी,,,, एक बार झड़ चुकी रूपालीअपने भांजे की जबरदस्ती चुदाई की वजह से फिर से तैयार हो चुकी थी वह फिर से गर्म हो चुकी थी और एक बार फिर से उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ी थी और इस गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनते ही सूरजका जोश दोगुना हो गया और वह बड़ी तेजी से अपना कमर हिलाना शुरू कर दिया और लगातार अपनी मामीकी चूची को मुंह में भरकर पी‌भी रहा था कभी दाईं चूची तो कभी बांई चुची,,,,

दोनों मामी-भांजे पसीने से तरबतर हो चुकी थी खटिया पर दोनों बिना कपड़ों के एकदम नंगे चुदाई का मजा लूट रहे थे और बाहर मंजू दरवाजे पर खड़ी होकर अंदर के नजारे को देखकर अपनी सलवार को कदमों में गिराए अपनी उंगली से ही अपनी गर्म जवानी पर रस निकाल रही थी,,, सूरजके धक्के बड़े तेजी से चल रहे थे वह बड़े ही जोरों शोरों से चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और एक बार फिर से रूपालीकी भी यही हालत हो चुकी थी वह भी गहरी गहरी सांस ले रही थी और सांसो की गति के साथ उसकी उठती बैठती छातियां और उसकी मदमस्त कर देने वाली खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर हिलोरे मार रही थी जिसे देखकर सूरजका मन और ज्यादा लालच जा रहा था और वह बार-बार उसे मुंह में लेकर दबा दे रहा था,,,,

देखते ही देखते दोनों की सांसें बड़ी तेजी से चलने लगी और सूरजकी कमर बड़ी तेजी से ऊपर नीचे होने लगी सूरजका मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से उसकी मामीकी बुर में अंदर बाहर हो रहा था,,,,

आहहह आहररर आहहह सूरज मेरे भांजे मेरा निकलने वाला है,,,आहहहह आहहहहह

मैं भी आ रहा हूं मामी,,

और इतना कहने के साथ ही सूरजपूरा दम लगा कर अपना लंड अपनी मामीकी बुर में पेलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते 10 12 धक्कों में दोनों एक साथ झड़ गए और सूरजअपनी मामीको अपनी बाहों में दबोचे हुए गहरी गहरी सांस लेने लगा,,,,

मंजू का काम हो चुका था मंजू यही चाहती थी कि दोनों मामी भांजे के बीच जिस्मानी ताल्लुकात बन जाए जिससे उसका राज उसकी भाभी किसी के सामने खोल ना पाए,,, जितनी खुश मंजू थी उससे कहीं ज्यादा खुशी रूपाली और सूरजको थी,,, क्योंकि अब वह दोनों जब चाहे तब चुदाई का मजा लूट सकते थे और वह भी किसी भी समय अपने घर की चारदीवारी में मंजू की मौजूदगी में और तो और रूपाली को आप अपने पति का भी घर बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उसका राज भी वह जानती ही थी,,,,

कमरे के अंदर की गरमा गरम तीसरे को देखकर और वह भी एक मामीभांजे की गरमा गरम चुदाई करते का घर मंजू अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपनी ही उंगली का सहारा लेकर वह अपनी गर्म जवानी का रस निकाल चुकी थी और अपनी सलवार को ऊपर करके उसे बांधकर मुस्कुराते हुए चली गई थी क्योंकि उसका काम हो चुका था और सूरज अपनी मामी के ऊपर लेट कर जोर जोर से हांफ रहा था,,,।
 
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अद्भुत अविस्मरणीय अतुलनीय संभोग रचना का जो मनोरम में दृश्य सूरजने दिखाया था उसे देखकर मंजू बाग बाग हो गई थी और खास करके इसलिए कि आज सूरजअपनी मामीकी चुदाई कर रहा था एक मौसी होने के नाते वह खुद अपने भतीजे के साथ एक बहन होने के नाते खुद अपने भाई के साथ संभोग सुख को प्राप्त करके अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर चुकी थी लेकिन जिंदगी में पहली बार किसी मामी को अपने ही भांजे से चुदवाते हुए अपनी आंखों से देखी थी जिसमें खुद की उसकी ही लालसा थी अब मंजू भी पूरी तरह से आजाद हो चुकी थी घर में खुले तौर पर चुदाई करवाने के लिए,,,,, सूरजको वह‌ अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि वह दोनों साथ में ही घर में बने छोटे से छेद के बगल वाले कमरे में से अपनी मामीकी चुदाई देखा करते थे मंजू अपनी भाभी की और सूरज अपनी मामी की उस समय के दृश्य को देखकर मंजू के साथ-साथ सूरजके तन बदन में भी आग लग जाती थी उत्तेजना अपने चरम शिखर पर पहुंच जाती थी,,,,,,,, अपने बड़े भाई के लंड को अपनी भाभी की बुर में घुसता हुआ देखकर खुद उसकी बुर गीली हो जाती थी और वह अपने भतीजे के लंड को देखती थी तो आश्चर्य होता था क्योंकि उसका भी एकदम से खड़ा हो जाता था यह देखकर मंजू ऐसा सोचती थी जिसकी शायद अपनी मामीके नंगे बदन को देखकर उसके भजन में उत्तेजना बढ़ जा रही है और शायद इसीलिए उसका लंड खड़ा हो जाता है और चुटकी लेते हुए सूरजसे‌वह कई बार अपनी मामीको चोदने वाली बात कह चुकी थी लेकिन मंजू जानती नहीं थी कि मौका मिलने पर सच में सूरजअपनी मामीको चोद देगा लेकिन आज अपनी आंखों से देख कर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी और मर्द की जात का उसे अच्छी तरह से ज्ञान हो गया था कि मर्द चाहे सामने कोई भी हो उसकी बहन हो भाभी हो मौसी हो या उसकी खुद की सगी मामीहो उसे सिर्फ उसकी बुर ही दिखती है,,,,,, एक मर्द के लिए जब उसका लंड खड़ा हो तो नहीं तो रिश्तो ‌ के रूप में सिर्फ उसे औरत ही नजर आती और यही वह अपनी आंखों से देख चुकी थी कि सूरजअपनी मामीकी बेझिझक चुदाई किया था,,,। चाहे जो भी हो उसे लग रहा था कि अपनी चालाकी से उसने खुद का उल्लू सीधा कर ली है लेकिन इस खेल से घर में सभी का उल्लू सीधा हो चुका था बस इस बात से अनजान केवल रविकुमार ही था,,,।


शाम के वक्त खाना बनाते समय घर में केवल मंजू और उसकी भाभी रूपाली ही थी दोपहर में रूपाली के साथ जो कुछ भी हुआ था उसे लेकर वह मंजू के सामने शर्मिंदगी के अहसास में डूबी हुई थी,,, वह मंजू के सामने शर्मा रही थी मंजू अच्छी तरह से समझ रही थी कि उसकी बातें उससे शर्मा रही है इसलिए चुटकी लेते हुए बोली,,,

क्यों भाभी कैसा लगा,,,

क्या कैसा लगा,,,(ऐसा बोलते हुए रूपालीके गोरे गाल सुर्ख लाल हो गए)

अरे मैंने सब कुछ देखी अपनी आंखों से,,, कैसे सटासट तुम अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में ले रही थी पहले तो मुझे ऐसा ही लगा कि तुम्हारी बुर में तुम्हारे भांजे का लंड घुस नहीं पाएगा क्योंकि कुछ ज्यादा ही मोटा है,,,
(रूपाली खामोश होकर शर्मा कर अपनी ननद की बात सुन रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि उसकी मेहनत को क्या मालूम कि वह पहले से ही अपने भांजे के लंड को खा चुकी थी अपनी बुर में गप से ले चुकी थी,,,, मंजू एकदम से उत्साहित होते हुए बोली,,)
बताओ ना भाभी तुम्हें कैसा लगा,,,?

अब मैं तुझे क्या बताऊं देखी तो थी ना तूने अपनी आंखों से,,,

हां भाभी देखी तो थी,,, कि तुम्हारे मुंह से सुनने में बहुत मजा आएगा क्योंकि आज एक मामीअपने भांजे से चुदवाई,,
(अपनी ननद की यह बात सुनकर रूपालीएकदम से शर्म से पानी पानी हो गई,,,, तो एकदम से शरमाते हुए बोली,,)

धीरे से मंजू कहीं कोई सुन ना ले,,,

अरे भाभी अब तुम बेकार में डरती हो कोई सुन लेगा तो सुन लेगा और वैसे भी इस घर में इस बात को कोई सुनने वाला है तो कौन है मैं हूं तुम हो सूरजहै और बड़े भैया हैं जो कि इस खेल में पूरी तरह से शामिल है तो कोई कुछ बोलेगा ही नहीं,,,,

यह बात तो तु ठीक कह रही है,,,। लेकिन फिर भी मंजू मुझे बहुत शर्म आ रही है आज मेरे हाथों ऐसा लगता है कि पाप हो गया है,,,,(जानबूझकर रूपालीपछतावा का नाटक करते हुए बोली तो मंजू उसे समझाते हुए बोली)

कुछ पाप नहीं भाभी यह तो आनंद है किसी से भी ले लो आखिर करना क्या होता है टांग खोल कर सो जाना होता है,,, और फिर तुम्हारी बुर में लंड किसका जा रहा है इससे कोई मतलब नहीं होता बस एक मर्द के नजरिए से देखना चाहिए सच पूछो तो भाभी इस खेल में बहुत मजा आता है जब परिवार का ही कोई सदस्य शामिल हो जाता है मुझे तो बहुत ज्यादा मजा आया जब सूरज तुम्हारी बुर में अपना लंड पेल रहा था और भाभी कितने जोश के साथ वह तुम्हारे चुदाई कर रहा था देखते ही बन रहा था इतनी जोश से तो वह मेरी चुदाई नहीं करता,,,,(सब्जी काटते हुए मंजू बोली,,,) भाभी शर्माने वाली कोई बात नहीं है कोई बहुत बड़ा पाप नहीं हो गया है देखना एक दिन वही तो मैं पूरा मजा देगा

और तुम उसकी दीवानी हो जाओगी मुझे पूरा विश्वास है कि अभी भी अपने भांजे के लंड के बारे में सोच कर तुम्हारी बुर पानी छोड़ देती होगी,,,

धत्,,,,(एकदम से शरमाते हुए रूपाली बोली)

हां हां भाभी मैं सच कह रही हूं मेरे साथ भी ऐसा ही होता है सच कहूं तो अभी भी सोचो की बात करके मेरी बुर पानी छोड़ रही है,,,, बहुत मोटा है ना भाभी,, बोलो ना भाभी शर्मा क्यों रही हो,,,
(अपनी ननद की यह बात सुनकर रूपालीअपने मुंह से कुछ बोली नहीं बस शर्मा कर हां में सिर हिला दी और यह देखकर मंजू एकदम से खुश होते हुए बोली)


वाह मेरी प्यारी भाभी यही तो मैं तुमसे कह रही थी,,, सूरजका लंड एक बार ले लोगी तो पागल हो जाएगी एकदम रगड़ रगड़ के जाता है अंदर,,,,,,
(मंजू की बातों को सुनकर रूपालीके तन बदन में एक बार फिर से सुरसुरी सी दौड़ने लगी थी वह आप अच्छी तरह से समझ गई थी कि अपनी मेहनत से शर्माने क्या आप कोई मतलब नहीं है क्योंकि वह अपनी आंखों से उसे अपने भांजे से चुदवाते हुए देख चुकी थी इसलिए वह भी अपनी ननद के सुर में सुर मिलाते हुए बोली)

हारे गुलबिया तु एकदम सच कह रही थी वाकई में मेरे भांजे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा है मैं तो सिर्फ समझ रही थी कि तू बस अपनी गलती छुपाने के लिए मुझे बेहका रही है,,,, लेकिन आज सारी आशंकाएं दूर हो गई मैं तो बस देखती ही रह गई थी अपने भांजे के लंड को जैसा लग रहा था कि जैसे किसी सांड का है,,,

अच्छा एक बात बताओ भाभी अपने भांजे का मोटा और लंबा लंड देखकर तुम्हें डर नहीं लगा कि तुम्हारी बुर में जाएगा कैसे,,,!

हां मुझे तो पहले बहुत डर लग रहा था क्योंकि सूरजके लंड के आगे का सुपाड़ा कितना मोटा है एकदम खुला हुआ आलूबुखारा की तरह मुझे तो बहुत डर लग रहा था कि अगर एक बार मेरी बुर में क्या तो मेरी बुर फट जाएगी,,,, लेकिन लगता है कि तेरी संगत में सूरजएकदम होशियार हो गया है कितने आराम से मेरी बुर में डाला शुरू शुरू में दर्द कर रहा था लेकिन उसके बाद इतना मजा आया कि पूछो मत,,,(रूपालीभी अपने भांजे के लंड की तारीफ चटखारे लगाकर कर रही थी,,,, क्योंकि वह समझ गई थी कि आप अपनी ननद से शर्म करना बेफिजूल है इसलिए वह इस तरह की बातों का आनंद ले रही थी,,,)

सच कह रही हो भाभी तुम तुम तो फिर भी जवान बच्चों की मामीहो तुम्हारी बुर में ना जाने कितनी बार लंड गया होगा लेकिन शुरू शुरू में तो मेरी हालत खराब कर दी थी तुम्हारे भांजे ने सरसों का तेल नहीं अपना थूक लगाकर डाला था इतना दर्द किया था मुझे तो लग रहा था कि मेरी जान चली जाएगी लेकिन तुम्हारा भांजा एक नंबर का हराम है मेरा दर्द कम करने के लिए वह एकदम से आधा लंड डालकर रुक गया था और मेरी चूची को जोर जोर से दबाते हुए उसे मुंह में लेकर पी रहा था और जैसे ही मेरा दर्द कम हुआ और मेरे मुंह से आवाजें आने लगी बात तुरंत एक धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड सीधे मेरे बच्चेदानी से जा टकराया,,,, और इसके बाद तो तुम्हारे भांजे ने मेरी ऐसी चुदाई किया कि मेरी बुर फटते-फटते और खटिया टूटते टूटते बची थी,,,(अपने ननद की बात सुनकर रूपालीखिलखिला कर हंस दी तो मंजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) क्या खाई थी भाभी तुम सूरजके पैदा होते समय जो इतना सांड जैसा औलाद पैदा की हो सूरजके लंड को देखकर लगता ही नहीं है कि वह भैया के अलावा किसी और के सामने तो टांगे नहीं खोल दी थी भाभी तुमने,,,।

धत्,,,, मुझे तो ऐसी वैसी औरत समझ रही है क्या,,,?

ओह हो,,, अपने भांजे के सामने तो अपनी टांग खोल दी अपनी गांड खोल दी और कहती हो कि मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हुं,,,

अरे हरामजादी,,,(मजाक में मंजू को गाली देते हुए) तेरे कहने पर तेरी बातों से मेरा मन बहक गया था वरना मैंने आज तक अपने बदन को किसी गैर मर्द को छूने भी नहीं दी हूं,,,,, लेकिन तू सच कहती है तेरे भैया का लंड सूरजके लंड से आधा ही है,,,, मेरी बुर अभी तक दर्द कर रही है,,,

तो क्या हुआ भाभी अभी भी तुम्हारा मन अपने भांजे के लंड को लेने के लिए कर रहा होगा,,,

धत् अभी मारूंगी,,,,(मुस्कुराते हुए)

ओए होए देखो तो सही मेरी भाभी रानी के गालो को कैसे शर्म से लाल हो गई है कहो तो आज की रात सूरजको फिर से तुम्हारे कमरे में भेज दूं,,,,, ताकि भैया भी तो देखें असली मर्द किसको कहते हैं नहीं तो तुम ही मेरे कमरे में चली आना भैया को खुश करने के बाद फिर उसके बाद हम दोनों एक साथ मजा करेंगे,,,,।
(मंजू की यह बात सुनकर रूपालीके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी मंजू के कहे अनुसार दो औरत और एक मर्द जिसके बारे में आज तक रूपालीने कल्पना भी नहीं की थी,,, इस बारे में सोच कर उसके बदन में सिहरन सी दौड़ में लगी उसके लिए यह बिल्कुल नया था जिसके बारे में सोच कर ही उसकी बुर गीली हो रही थी लेकिन मंजू इस तरह के अनुभव का पूरा मजा ले चुकी थी और वह भी अपनी भतीजी मतलब की रूपाली की बड़ी बेटी के साथ मिलकर सूरजके मर्दाना जोश को अपने अंदर लेकर मस्त हो चुकी थी,,,,,

मंजू की बात का कोई उत्तर दे पाती इससे पहले ही रविकुमार घर में प्रवेश करने लगा तो दोनों एकदम खामोश हो गई,,,, इसके बाद दोनों दोपहर वाली बात का जिक्र छोड़ कर घर के काम में मन लगा दी लेकिन दोनों का मन लग नहीं रहा था,,,,, जैसे तैसे करके सब लोग भोजन करके अपने अपने कमरे में चले गए रूपाली एक बार फिर से रविकुमार के नीचे थी लेकिन इस बार वह अपने पति से बिल्कुल भी खुश और संतुष्ट नजर नहीं आ रही थी क्योंकि जिस तरह की जबरदस्त चुदाई उसके भांजे ने उसकी किया था उसे देखते हुए हरिया में बिल्कुल भी जोश नजर नहीं आ रहा था हालांकि रोज रविकुमार अपनी इसी जोश के साथ अपनी बीवी को खुश कर देता था लेकिन आज की बात कुछ और थी रूपाली की बुर में अपने भांजे के मोटे तगड़े लंड का सांचा बन चुका था जिसमें अपने पति के छोटे लंड से उसे बिल्कुल भी महसूस नहीं हो पा रहा था वहीं दूसरी तरफ मंजू बहुत खुश थी,,, सूरजसे पूरी तरह से नंगी करके उसकी दोनों टांगे फैला चुका था और अपने लंड को उसकी बुर पर रखकर डालने की तैयारी में था तभी उसके जोश को और ज्यादा बढ़ाते हुए मंजू बोली,,,

मुझे मालूम है सूरज तेरी मामी की बुर मेरी बुर से भी ज्यादा कसी हुए खूबसूरत है तभी तो मैं देखी कितनी जोर जोर से धक्के लगा रहा था आखिरकार जो अपनी मामी को चोद ही दिया मामीचोद बन गया,,,

अब मैं मौसी चोद बनने जा रहा हूं,,, मेरी रंडी मौसी,,,, अब देख मैं तुझे कैसे चोदता हूं,,,
(और इतना कहने के साथ ही सूरज ने एक जबरदस्त धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड मंजू की बुर में डाल दिया,,,)

एक तरफ सूरज चुदाई का भरपूर मजा लूट रहा था तो दूसरी तरफ गौरीके साथ उसका प्यार परवान चल रहा था वह गौरीको दिलों जान से चाहने लगा था और गौरीभी उससे बेइंतहा मोहब्बत करने लगी थी दोनों के बीच मन के आकर्षण के साथ था शारीरिक आकर्षण भी बढ़ता जा रहा था जिसके तहत दोनों चुदाई के सुख को भी भोग चुके थे और जहां मौका मिलता था वहां पर एक दूसरे की प्यास बुझा लेते थे,,,, ऐसे ही 1 दिन वहां सूरजसे मिलने के लिए धीरे-धीरे उसके गोदाम पर पहुंच गई जहां पर सूरज मजदूरों से काम कराया करता था,,, लेकिन गोदाम पर गौरीको सूरजकहीं नजर नहीं आ रहा था तो वह निराश होकर वापस अपने घर की तरफ जाने लगी लेकिन आज नचीकांत सिंह का भतीजा नचिकांत सिंह गोदाम पर आया हुआ था,,,, नचीकांत सिंह ने उसे 1 बहाने से गोदाम पर भेजा था जिसके जरिए वह देखना चाहता था कि गोदाम का व्यापार कैसा चल रहा है और यहां पर आकर नचीकांत सिंह बहुत खुश हुआ था क्योंकि गोदाम का कारोबार बड़े जोरों शोर से चल रहा था,,,,, लेकिन उसकी नजर वापस लौटती हुई गौरीपर चली गई उसकी मस्तानी मतवाली चाल और गोलाकार गांड देखकर नचिकांत सिंह का मन बहक गया,,, और वह गोदाम पर किसी को भी कुछ भी बताएं गौरीके पीछे पीछे चलने लगा वह गौरीसे नजर बचाकर उसके पीछे पीछे जा रहा था और मौके की तलाश में था गौरीकी मस्तानी चार और उसकी मद भरी गांड देखकर 30 वर्षीय नचिकांत सिंह का लंड खड़ा होने वाला,,, वैसे भी नचिकांत सिंह रंगीन मिजाज का व्यक्ति था अपने खेतों में काम करने वाली कई औरतों के साथ वहां पैसे देकर या जबरदस्ती उनके बदन का सुख हो चुका था और आज उसका दिल गांव की गौरीपर आ गया था,,,,,,

नचिकांत सिंह बहुत ही ताकतवर जमीदार बीटू सिंह का भतीजा था इसलिए वह अपने रूआब का पूरा फायदा उठाता था,,,, उसे अपने ऊपर पूरा विश्वास था कि आज वह गौरीके साथ मनमानी कर लेगा और इसीलिए वह मौके की तलाश में था,,,,, कुछ दूर तक वह गौरीका पीछा करने के बाद सुनसान जगह पर पहुंच गया था जहां पर दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था और बार-बार गौरीको भी ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसके पीछे कोई आ रहा है इसलिए वहां कुछ देर रुक जाती और पीछे मुड़कर चारों तरफ देखने लग जाती थी लेकिन उसके मरने से पहले ही नचीकांत सिंह बड़े पेड़ के पीछे अपने आप को छुपा लेता था और गौरीयही समझती थी कि उसका भ्रम है इसलिए मैं निश्चिंत होकर चल रही थी लेकिन जब रंजीत सिंह ने देखा कि चारों तरफ बड़े बड़े घने घने पेड़ हैं और दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है तो वह एकदम से उसके पीछे चलते हुए बोला,,,।


हाय हाय मेरी रानी तुम्हारी गांड तो बहुत खूबसूरत है ऐसे मटक के चलोगी तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाएगा,,,
(अनजान अश्लील आवाज को सुनते ही गौरीके बदन में एकदम से सिहरन सी दौड़ गई वैसे तो गौरीबहुत बहादुर लड़की थी लेकिन इस तरह से कोई उसके बारे में गंदी बात आज तक कोई नहीं बोल नहीं पाया था इसलिए वह एकदम से घबरा गई थी वह तुरंत घूम कर देखी तो उसके सामने एक हट्टा कट्टा 30 वर्षीय लंबा चौड़ा इंसान खड़ा था जिसे वह पहली बार देख रही थी गौरीडर तो कही थी लेकिन फिर भी हिम्मत करते हुए बोली)


ऐय,,, हरामी क्या बोला रे तु,,,, तेरे घर में मामीबहन नहीं है क्या,,?

मा है बहन है लेकिन तेरी जैसी खूबसूरत लड़की की कमी है जो रोज मेरी प्यास बुझा सके,,,

क्या बोला रे हरामि,,,,

यानी कि तेरे जैसी लड़की की कमी है जो रोज मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर मेरी प्यास बुझा सके,,,,


हरामजादे नीच कुत्ते तेरी यह हिम्मत,,, रुक मैं तुझे अभी बताती हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही गौरीइधर उधर नजर घुमाकर उस पर कुछ मारने के लिए लकड़ी और पत्थर ढूंढने लगी लेकिन उसकी किस्मत खराब थी उसे कुछ मिल नहीं रहा था और रंजीत सिंह जोर जोर से हंसता हुआ उसकी तरफ आगे बढ़ा और तुरंत उसे पकड़ कर कपड़े के गट्ठर की तरह अपने कंधे पर उठा लिया और उसे बड़े से पेड़ के नीचे की तरफ ले जाते हुए बोला,,,)

हाय मेरी रानी तू तो एकदम जंगली बिल्ली की तरह उछल कूद मचा रही है,,, तेरे साथ मुझे बहुत मजा आएगा और तू ही मेरा साथ दे तुझे भी बहुत मजा दूंगा और पैसे भी दूंगा,,,

पैसे हरामजादे अपनी मा की भोंसड़ी में डाल दे,,, कुत्ते,,,

मा की गाली देती है रंडी अभी तेरे भोसड़ी में लंड डालता हूं,,,,(इतना कहने के साथ ही नचीकांत सिंह ने गुस्से में आकर गौरी को घास के ढेर पर बड़ी जोर से पटक दिया,,, जिससे गौरीएकदम से जोर से पटके जाने की वजह से एकदम निश्चेत हो गई वह उठने की कोशिश कर रही थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी,,,, अपनी आंखों से देखी तो नचिकांत सिंह अपने पजामे की डोरी खोल रहा था यह देखकर वो एकदम से घबरा गई उसे लगने लगा कि आज उसकी इज्जत चली जाएगी और इसीलिए आखरी प्रयास करते हुए जितना हो सकता था इतनी जोर से वह बचाओ बचाओ चिल्लाने लगी,,,, गौरीकी नसीब बहुत तेज थी कि वही बगल के कच्चे सड़क से सूरज और उसका दोस्त शुभम जोकि गौरीका भाई था सूरजउसे लेकर गोदाम पर जा रहा था उसके कानों में आवाज पडते ही वह एकदम से चौक गया,,,, गौरीसे बहुत प्यार करता था इसलिए उसके चिल्लाने की आवाज भी एकदम से जल्दी से पहचान गया जबकि शुभम को कुछ भी पता ही नहीं चला,,,, एकदम से शुभम को रोकते हुए बोला।

शुभम लगता है गौरीकी आवाज है,,,

तेरे कान बज रहे हैं सूरजयहां किसी की आवाज नहीं आ रही है,,,

नहीं-नहीं शुभम में गौरीकी आवाज को अच्छी तरह से पहचानता हूं,,,,

पागल हो गया क्या तू,,,,

बचाओ बचाओ,,,,(तभी एक बार फिर से गौरीने जोर से चिल्लाई और इस बार शुभम के कानों में आवाज पहुंची लेकिन फिर भी वह बोला)

पागल हो गया क्या तू जो मेरी इस तरह से क्यों चिल्लाएगी,,,


नहीं शुभम कुछ तो गड़बड़ है,,,,(और इतना कहने के साथ ही घड़ी भर की भी विलंब किए बिना सूरज आवाज की दिशा में भागने लगा जहां से गौरीजोर जोर से चिल्ला रहे थे बचाओ बचाओ की गुहार लगा रही थी और तुरंत ही सूरजकी आंखों के सामने वह मंजर दिखाई दिया जिसके बारे में कभी सूरजने सोचा भी नहीं था नचिकांत सिंह ने पैजामा निकाल चुका था उसका लंड खड़ा था और वह नीचे घुटनों के बल बैठकर गौरीकी सलवार की टूरी जबरदस्ती खोल रहा था यह देखकर सूरजएकदम से आग बबूला हो गया और भाई एकदम से जोर से चिल्लाते हुए नचिकांत सिंह की और भागा,,,,।


हरामजादे कुत्ते आज मैं तेरा खून पी जाऊंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह उछलकर एक लात नचिकांत सिंह कुमार और नचिकांत सिंह इस बारे में कभी कल्पना ने भी नहीं किया था और एकदम से 5 फुट दूर जाकर गिरा,,,,, लेकिन नचिकांत सिंह एकदम फुर्तीला और कसरती बदन का था इसलिए वह तुरंत उठ कर खड़ा हो गया और वह पलटवार करते हुए सूरजके ऊपर अपना हाथ जला दिया लेकिन सूरज उससे भी ज्यादा फुर्तीला निकला वह तुरंत उसका हाथ पकड़ कर उसे पूरी तरह से घुमा दिया और एक लात उसकी कमर पर मारा हुआ एकदम से फिर से जमीन पर बिखर गया और दूसरी तरफ गौरीरोते हुए अपने आप को संभालते हुए बोले जा रही थी,,,।

मार सूरजइसे और मार यह मेरी इज्जत लूटना चाहता था खत्म कर दे इसे यह हराम ज्यादा मुझे कहीं का नहीं रखने वाला था उसने मेरी इज्जत पर हाथ डाला है सूरजइसे छोड़ना मत कर,,,

तू चिंता मत कर गौरीतेरे ऊपर यह नजर उठा कर देख भी नहीं सकता मैं इसकी ऐसी हालत करूंगा,,,,,(गौरीकी बात सुनकर सूरजएकदम से गुस्से में लाल पीला होते हुए बोला और अपने हाथ की मुट्ठी को कस के बाद का हुआ अगला वार नचिकांत सिंह के मुंह पर किया उसके पूरे जबड़े हिल गए,,, और वह फिर से जमीन पर गिर गया तब तक शुभम भी उधर आ गया था गौरीको रोता हुआ देखकर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और सूरजउसकी जमकर पिटाई कर रहा था रंजीत सिंह सूरजके वार से पूरी तरह से चारों खाने चित हो चुका था,,,,,, सूरजबहुत गुस्से में था जैसे तैसे करके नचिकांत सिंह खड़ा हुआ और मौके का फायदा उठाते हुए वहां से भाग गया लेकिन जाते-जाते बोला,,,

तूने ठीक नहीं किया है कुत्ते इसका बदला मैं तुझसे जरूर लूंगा,,,,

अरे जा मादरचोद,,,,,(ऐसा क्या कर सूरजने फिर से दौड़ाया तो वह भाग खड़ा हुआ नचिकांत सिंह की तरफ किसी ने आज तक उंगली तक नहीं उठाई थी लेकिन सूरजने उसकी जमकर पिटाई कर दिया था और नचिकांत सिंह गोदाम पर जाने की जगह सीधा अपने घर पर चला गया लेकिन यह बात उसने अपने चाचा बीटू सिंह से बिल्कुल भी नहीं कहा क्योंकि इसमें उसकी बदनामी हो जाति की कितनी जमीदार का भतीजा होते हुए भी एक गांव के लड़के से मार खा गया ,,,, और दूसरी तरफ गौरीअपने भाई की गैर हाजिरी की परवाह किए बिना ही सीधा जाकर सूरज की बाहों में उसके सीने पर सर रखकर रोने लगी और सूरज भी शुभम की परवाह ना करते हुए उसे अपनी बाहों में कस कर उसे चुप कराने लगा,,,,)

चुप हो जाओ गौरीकुछ नहीं हुआ वह तो अच्छा हुआ मैं सही समय पर आ गया वरना आज सच में कुछ ना कुछ हो जाता और मैं बर्दाश्त नहीं कर पाता और उस हरामजादे का खून कर देता,,,,।
(शुभम आश्चर्य से अपनी बहन गौरीऔर सूरजकी तरफ देख रहा था शुभम को कुछ कुछ शंका होने लगी थी सूरज जैसे तैसे करके गौरीको चुप कराया है और इस बारे में किसी को कुछ भी ना बताने का बोल कर उसे चुपचाप घर पर भेज दिया उसके जाते ही सूरजमुस्कुराता हुआ शुभम की तरफ देखने लगा तो शुभम बोला,,,)

यह सब क्या था सूरज,

अरे देखा नहीं,,,(अपने बदन से मिट्टी को झाड़ते हुए) आज तेरी बहन की इज्जत चली जाती वह तो में सही समय पर आ गया,,,,

वह तो मैं देख नहीं रहा हूं और इसका में तेरा शुक्रगुजार भी हो लेकिन इसके अलावा जो कुछ भी मैं देख रहा हूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,

इसमें समझने वाली क्या बात है अब तक तू मेरा दोस्त था लेकिन बहुत ही जल्द तू मेरा साला बन जाएगा मैं तेरी बहन से शादी करने वाला हूं,,,,

क्या,,,?(एकदम आश्चर्य से शुभम मुंह फाडता हुआ बोला,,,)

अरे इसमें चोकने वाली कौन सी बात है एक ना एक दिन तो तेरी बहन की शादी होनी है तो दूसरों से हो इससे अच्छा मेरे से हो जाए तो सब कुछ सही रहेगा,,,,

तेरे से पागल हो गया क्या तेरे बारे में मुझसे अच्छा भला कौन जानता है औरतों के मामले में तेरा नाडा कुछ ज्यादा ही ढीला है,,,

अच्छा और तेरा जैसे कि मुझे कुछ पता ही नहीं है मेरा तो दूसरी औरतों के मामले में नाडा ढीला है ना लेकिन तेरा तू तो अपनी मा को ही चोदता है,,,,
(इतना सुनते ही शुभम एकदम से खामोश हो क्या बहुत बड़ा राज जोकि सूरजअच्छी तरह से उस राज का फायदा उठाना चाह रहा था उसे देखते हुए शुभम बोला)

लेकिन यह कैसे हो सकता है,,,, अगर ऐसा हो गया तो गजब हो जाएगा,,,

क्या गजब हो जाएगा शुभम,,,


तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे कुछ पता ही नहीं है,,,, तेरे और मेरी मा के बीच कैसा रिश्ता है तो अच्छी तरह से जानता है भला ऐसा कैसे हो सकता है कि तू बीवी को भी और मा को भी,,,,(इस समय चोदना शब्द अपनी मा और बहन के लिए प्रयोग करने में शुभम को शर्म महसूस हो रही थी लेकिन सूरजतो बेशर्म था इसलिए शुभम की बात सुनकर मुस्कुराता हुआ सूरजबोला)


अरे यही ना कि मैं तेरी मा को भी चोद चुका हूं और तेरी बहन को भी चोदुंगा तो कैसा लगेगा,,,, अरे पगले जरा यह तो सोच अगर मैं तेरा जीजा बन गया तो कितना मजा आएगा मैं जब चाहूं तब तेरे घर पर आकर तेरी मा की चुदाई कर सकता हूं मतलब कि अपनी ही सास को चोद सकता हूं और सोच कितना गर्म करने वाली बात है कि इस उम्र में भी मेरी सास कितनी जानदार और शानदार है कि उसे देखकर ही मेरा खड़ा हो जाता है,,,,।
(सूरजकी यह बात सुनकर शुभम शर्मिंदा तो हो गया लेकिन उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, लेकिन वह फिर भी शंका जलाते हुए बोला,,,)

लेकिन सूरज यह बात गौरी को पता चल गई तो कि तू मा को भी,,,,,,(इससे आगे शुभम कुछ बोला नहीं खामोश हो गया तो सूरजबोला,,,)

तू शुभम बिल्कुल भी चिंता मत कर गौरीको कुछ भी पता नहीं चलेगा और तेरे बारे में भी गौरी को मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा तू आराम से अपनी मा के साथ मजे कर सकता है और वैसे भी गौरीका विवाह हो जाने के बाद वह मेरे घर आ जाएगी और तुम दोनों मा बेटे को खुला दौर मिल जाएगा ऐश करने के लिए,,,,।
(इस बात से शुभम भी सहमत था इसलिए वह मन ही मन खुश होने लगा लेकिन फिर भी बोला,,)
लेकिन क्या मा इस रिश्ते के लिए तैयार होगी,,,,

तू चिंता मत कर शुभम एक मा बाप को अपनी लड़की के लिए कैसा आदमी चाहिए जो कमाता हो खाता हूं जिसकी समाज में इज्जत हो और क्या चाहिए और तू तो मुझको जानता ही है मेरा रुतबा धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है,,,, तू चिंता मत कर जब तक मैं हूं तब तक,,,,,,
सबकुछ हो सकता है,,,तु बस मेरा साथ देते रहना,,, मंगल मामी तो ऐसे भी मान जाएंगी,,,,(मामी के मानने वाली बात पर सूरज शुभम की तरफ देख कर आंख मार दिया और शुभम सूरजके आंख मारने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था,,,, शुभम को लेकर सूरजगोदाम की तरफ चला गया,,,,
 
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जब से सूरजने नचीकांतसिंह की जमकर पिटाई किया था तब से उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी और गांव में उसकी इज्जत और हैसियत दोनों बढ़ती जा रही थी गांव वाले उसे इज्जत की नजर देखने लगे थे कल तक वह गांव का आवारा लड़का ही था लेकिन जमीदार के साथ उठने बैठने और उसके गोदाम को संभालने की वजह से सूरजका रुतबा समाज में बढने लगा था,,,, लेकिन सूरजअपने बढ़ते हुए रुतबे का गलत इस्तेमाल अभी तक नहीं किया था वह जहां तक हो सकता था वह गांव वालों की मदद ही करता था,,,,,,



दूसरी तरफ गौरी पूरी तरह से सूरजकी दीवानी हो चुकी थी सूरजने उसकी दो बार इज्जत बचा चुका था,,, लेकिन गौरी दिल के साथ-साथ अपना तन भी सूरजको सौंप चुकी थी,,, ,,, शुभमको इतना तो पता चल गया था कि उसकी बहन सूरजसे प्यार करती है लेकिन इस बारे में बिल्कुल भी नहीं जानता था कि सूरज ने उसकी मां की तरह ही उसकी बहन की भी चुदाई कर चुका है,,,,, और शुभम अच्छी तरह से जानता था कि अगर वह यह जान भी जाएगी सूरज उसकी बहन को चोदा है फिर भी वह चाह कर भी कुछ कर सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था और अब तो सूरज का कद दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था इसलिए उससे दोस्ती और रिश्तेदारी बना लेने में ही शुभम की भलाई थी और वह अपने आप को सूरजको अपना जीजा बनाने का मन बना लिया था बस अब उसे अपनी मां को मनाना था,,,,

ऐसे ही एक दिन अच्छा सा दिन है देखकर सूरज समोसे जलेबी और मिठाई खरीद कर शुभमके घर पहुंच गया,,,, उस समय घर पर कोई नहीं था सिवाए शुभम और उसकी मां के,,, सूरजको देखते ही शुभम की मां की बुर फुदकने लगी क्योंकि शुभम की मां सूरजके लंड की ताकत और रगड़ को अच्छी तरह से जानती थी ,,, काफी दिनों बाद सूरज शुभम के घर आया था इसलिए शुभम की मां को सोते हुए बोली,,,।

अरे सूरजतू अच्छे समय पर आया है,,,, रुक में तेरी भी थाली लगा देती हूं,,,,

अरे नहीं नहीं मंगल मामी रहने दो,,,, मैं खा कर आया हूं,,,,।
(सूरज को अपनी मां से इतनी इज्जत से बात करता हुआ देखकर शुभम अपने मन में ही बोला,,,)
साला मादरचोद अब इतनी इज्जत से बात कर रहा है मानो पुरे गांव का सबसे संस्कारी लडका यही है लेकिन मौका मिल जाए तो अभी बुर में लंड डालकर भोसड़ा बना देगा और अभी कैसा मंगल मामी मंगल मामी कह रहा है,,,,)

तू आजा बेटा बैठ,,,, अब तो तू इधर आता ही नहीं है भूल गया क्या मेरे घर का रास्ता,,,


क्या मंगल मामी अब यही कहोगी पहले जैसा अब समय नहीं मिलता है,,,, वह क्या है ना कि काम धंधा पर लग गया हूं,,,

क्या कहा काम धंधा पर कैसा काम,,,!(शुभम की मां एकदम आश्चर्य जताते हुए बोली)

अरे मंगल मामी बेल गाड़ी चलाता हूं नामदेवराय का गोदाम देखता हूं और अब तो अच्छी आमदनी हो जाती है इसीलिए तो मुझे समय नहीं मिलता तुम्हारे पास आने को वरना तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत पूरे गांव में नहीं है,,,,(शुभमकी तरफ देखते हुए मुस्कुराकर सूरजने बोला सूरजके कहने का मतलब को शुभमअच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह शर्मिंदा हो गया था और ऐसी बात सुनकर अपने बेटे के सामने शुभमकी मा भी शर्म से पानी पानी हो गई थी,,,, इसलिए वह शरमा कर बोली,,)

क्या बेटा तू भी इस उम्र में यह सब बातें कर रहा है,,,(खाना खाते हुए)

क्या मंगल मामी तुम्हारी खूबसूरती को मेरे और शुभम के सिवा कोई अच्छी तरह से जान पाया है क्या मुझे आज भी मालूम है कैसे तुम्हारी बुर में मेरा लंड फस गया था सच में तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है,,,,


सूरज यह क्या कह रहा है,,,,(सूरजकी बात सुनकर शुभम उसे रोकते हुए बोला क्योंकि शुभम अच्छी तरह से जानता था कि अब वह उसकी बहन से शादी करना चाहता है और ऐसे हालात में वह अपनी ही सास के बारे में इतनी गंदी बात कैसे बोल सकता है शायद शुभम भावनाओं में यह भूल गया था कि वह खुद एक बेटा होते हुए भी अपनी मां को चोद रहा था और वह तो सगा भी नहीं है फिर वह कैसे अपने आपको रोक सकता है,,,)

क्या शुभम तू तो लड़कियों की तरह शर्मा रहे हम तीनों का राज सिर्फ हम तीनों के बीच ही है और मैं यह राज किसी और को बताने वाला नहीं हूं क्योंकि तू मेरा जिगरी दोस्त है और तेरी मां मेरी मां भले ही हम दोनों मिलकर चुदाई क्यों ना करते हो रिश्तो की बात अलग है और जहां बुर‌ का सवाल आ जाता है वहां लंड रिश्तेदारी नहीं देखता,,,,, कहो तो मंगल मामी अभी तुम्हें गोद में उठाकर अंदर ले चलो मेरा तो लंड बिल्कुल तैयार है तुम्हें चोदने के लिए अब पता नहीं शुभमका मन है कि नहीं,,,,, शायद इसका खड़ा होने में समय लेता है,,,,(सूरजकी ऐसी बात सुनकर शुभम एकदम से तैश में आ गया और तुरंत अपने पैजामा को नीचे करके अपने खड़े लंड को दिखाते हुए बोला)

देख ले तेरा तो अभी अभी खड़ा हुआ होगा मेरा तो कब से खड़ा है बस मां के खाना खाने तक का इंतजार कर रहा था उसके बाद मैं खुद ही अंदर ले जाकर पटक कर चोदता,,,,


वाह मेरे दोस्त मौका भी है दस्तूर भी है फिर देर किस बात की,,,


तुम दोनों हरामि लोग मिलकर मेरी बुर का भोसड़ा बना दोगे,,,


मजा भी तो बहुत देते हैं ना मंगल मामी,,,, और हां गौरी तो नहीं है ना घर में,,,

नहीं अभी तो नहीं दोपहर के बाद ही आएगी,,,,(शुभमके भाव यह कहकर सूरजको हरी झंडी दिखा दी थी यह सुनकर सूरजएकदम खुश होता हुआ बोला)

यह हुई ना बात अब देखना कितना मजा आएगा जब मैं आगे से और शुभमपीछे से पेलेगा,,,,

हां हां देखना संभाल कर मेरी बुर कहीं फाड़ मत देना,,,,


तुम बिल्कुल भी फिक्र मत करो मंगल मामी एक बार की बात थोड़ी है इससे तो ना जाने कितना काम लेना है बस अब जल्दी से खाना खत्म करो अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,।
(इतना सुनते ही शुभम की मां जल्दी-जल्दी खाना खाने लगी एक साथ दो दो जवान लंड के बारे में सोच कर उसकी बुर गीली हो रही थी खास करके सूरजके लंड के बारे में सोच कर तो उसकी बुर फुदकने लगी थी,,,। खाना खाकर वह जल्दी से उठ गई उसे बर्तन साफ करने थे लेकिन वहां बर्तन साफ करने का काम छोड़ दी थी क्योंकि अगर वह बर्तन मांजने में लग जाती तो शायद देर हो जाती और अभी इस समय उसके बदन में आग लग चुकी थी वह अपने बदन की आग को सूरजके जवान लंड से बुझाना चाहती थी,,,, हाथ धो कर अपने हाथ को अपनी ही साड़ी में पोछते हुए वह बोली,,,)

शुभमतू दरवाजा बंद कर दे,,,,,।
(अब तक के माहौल को देखकर शुभम के लंड में भी झुनझुनाहट हो रही थी इसलिए वह तुरंत आगे बढ़कर दरवाजा बंद कर दिया,,,, दरवाजा बंद करके वह सूरजकी तरफ घुमा तो अपनी आंख के सामने का नजारा देखकर एकदम से हैरान रहे क्या उसके दरवाजा बंद करते करते सूरजमें उसकी मां के बदन से साड़ी उतार कर नीचे फेंक दिया था और उसे अपनी मजबूत भुजाओं में उठा लिया था,,,, सूरजयह देखकर पूरी तरह से हैरान हो गया था कि सूरजबड़े आराम से उसकी मां को गोद में उठाए हुए था और उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला,,,)

पीछे पीछे आजा शुभम आज मजा करते हैं,,,


हाय दैया तेरे में तो बड़ा दम है रे,,,,

तो क्या मंगल मामी देसी घी खाता हूं और तुम्हारा दूध पीता हूं तभी तो इतना दम है,,,

चल झूठा,,,(गोद में होने के बावजूद भी एक हल्की सी चपत सूरजके गाल पर लगाते हुए) इतने दिनों से मेरी बुर सूख रही थी तुझे बिल्कुल भी याद नहीं रही और कहता है कि तुम्हारा दूध पीकर ताकत आई है,,,

दो बार तो पिया हु ना उसी का दम है,,,,

चल असली दम दिखाना तो अभी बाकी है देखु तो सही अभी भी वही धार है या धार कम हो गई है,,,( इतना कहने के साथ ही शुभमकी मां अपना हाथ नीचे की तरफ ले गई और पैजामा के ऊपर सही सूरजके लंड को टटोलने लगी जो की पूरी तरह से खड़ा हो चुका था शुभमकी मां उतेजीत होते हुए पजामे के ऊपर से ही सूरजके लंड को कस के अपनी मुट्ठी में दबा ली,,, यह देखकर सूरजअंदर वाले कमरे में पहुंचकर बोला,,,)

मुंह में लेकर चूसोगी तो और ज्यादा मजा आएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरजशुभमकी मां को खटिया पर पटक दिया,,,,)

अरे धीरे से खटिया तोडेगा,,, क्या,,,,

हां मेरी रानी आज तो खटिया के साथ साथ तुम्हारी बुर का भोसड़ा भी बना दुंगा,,,(इतना कहने के साथ ही सूरजअपने बदन पर से कुर्ते को उतार फेंका,,,, और पाजामा को भी उतार कर फेंक दिया,,,, पल भर में ही सूरजशुभमकी मां की आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और यह देखकर शुभमभी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया ,,,, कमरे में शुभमकी मां की आंखों के सामने दो दो जवान लड़के एकदम नंगे खड़े थे लेकिन शुभमकी मां की नजर अपने बेटे पर नहीं बल्कि सूरजके खूबसूरत गठीले बदन पर टिकी हुई थी,,, खास करके उसके खड़े लंड पर शुभम की मां से भी बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था वह खटिया पर घुटने के बल बैठी हुई थी उसका पिछवाड़ा खटिया के उस पार था और उसका मुंह इस तरफ जहां पर सूरजखड़ा था और सूरजअपने लंड को हिलाते हुए शुभमकी मां के सामने पहुंच गया,,,, सूरजअपने लंड की चोट को शुभमकी मां के खूबसूरत चेहरे पर मार रहा था,,,, शुभमकी मां को सूरजकी हरकत बेहद उत्तेजित कर रही थी शुभमअपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया था और पीछे से अपनी मां की पेटीकोट को उठा रहा था और देखते ही देखते वह अपनी मां की पेटीकोट को उठाकर कमर तक कर दिया और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों में पकड़ कर अपना मुंह उसकी दोनों जांघों के बीच डाल दिया और देखते ही देखते शुभमकी मां एक रंडी की तरह अपने बेटे की उपस्थिति में ही उसके दोस्त को भरपूर आनंद देते हुए सूरजके लंड को पकड़कर अपने मुंह में डाल दी और उसे चूसना शुरू कर दी,,,,, सूरजपलभर में ही मदहोश हो गया वह अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर अपनी कमर को आगे पीछे हिलाता हुआ शुभमकी मां के मुंह को चोद रहा था,,,,।

आहहहह आहहहह मंगल मामी ऐसे ही पूरा मुंह में ले लो बहुत मजा आएगा,,,,,आहहहरहह,,,, मंगल मामी तुम तो पूरा कमाल कर रही हो,,,,आहहहहह‌ बहुत मजा दे रही हो मंगल मामी,,,,।

(एक तरफ सूरज शुभम की मां के मुंह में अपना लंड ठुंसकर पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था और दूसरी तरफ शुभमकी गंदी गंदी आह्लाद बातों को सुनकर शुभमपूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था और वह जोर-जोर से अपनी मां की गोरी गोरी गांड पर चपत लगाता हुआ उसकी बुर पर अपने होंठ घुमा रहा था,,,, शुभमकी मां सूरजके लंड को पूरी तरह से गले तक ले ले रही थी और सूरजअपने दोनों हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसके ब्लाउज का बटन खोल रहा था वह देखते ही देखते वह नीचे झुका कर उसके मुंह में लंड डाले हुए ही उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी नंगी चूचियों को पके हुए आम की तरह दबाना शुरू कर दिया,,,,,,।

सूरज उसकी चूचियों को इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट जा रही थी और उन सिसकारियो की आवाज को सुनकर शुभम से रहा नहीं जा रहा था,,,और वह जल्दबाजी दिखाते हुए अपनी जगह पर खड़ा हुआ तो अपनी मां की गांड को पकड़कर अपने लंड को उसकी बुर में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया और यही फर्क था शुभममैं और सूरजमें जिस बात को अच्छी तरह से शुभमकी मां जानती थी,,,,,

शुभम पीछे से अपनी कमर हिला रहा था और सूरज आगे से अपनी कमर हिला रहा था लेकिन दोनों में बहुत फर्क था से हम जल्दबाजी दिखा रहा था और सूरजधैर्य से काम ले रहा था कि वह,,, शुभमकी मां के बालों का जुड़ा अपने हाथों से खोल कर उसके घने बालों को एकदम खोल दिया ,,,, ऐसा करने पर खुले बालों में शुभमकी मां और भी ज्यादा खूबसूरत और मादक लगने लगी,,,,

शुभम की मां को बहुत मजा आ रहा था उसका बेटा पीछे से और सूरज आगे से चोद रहा था एक बुर चोद रहा था और दूसरा मुंह,,,,, सूरजपूरी तरह से उत्तेजित अवस्था में अपने लंड को जबरदस्ती उसके गले तक डालकर पांच छः सेकंड तक वेसे ही रुका रह जाता था जिससे शुभमकी मां की सांस अटकते अटकते रह जाती थी और वह वापस लंड को बाहर खींच ले रहा था,,,, दूसरी तरफ अपनी बुर में अपने बेटे के लंड को शुभमकी मां महसूस तो कर रही थी लेकिन वह मजा नहीं मिल रहा था जो मजा सूरजदेता था और देखते ही देखते शुभमकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी वह अपनी मां की कमर थामे जोर-जोर से अपनी कमर को हिला रहा था और देखते ही देखते अपनी मां के पिछवाड़े पर ही ढेर हो गया,,,,,,,,,, शुभमतो झड़ चुका था लेकिन उसकी मां प्यासी रह गई थी बीच बाजार में उसके बेटे ने उसे छोड़कर खुद किनारे पर लग गया था और शुभमकी मां भी किनारे पर आने के लिए तड़प रही थी अब उम्मीद की आखिरी किरण सिर्फ सूरजही था जो उसे अपनी मोटे तगड़े लंबे लंड से चोद कर उसे संतुष्ट कर सकता था इसलिए अपने मुंह में से सूरजके लंड को बाहर निकालते हुए बोली,,,।

बस सूरज तेरा काम अब आगे नहीं पीछे हैं देखने का है मेरा बेटा मुझे बीच मझधार में ही छोड़ दिया अब किनारे तक पहुंचाने की जिम्मेदारी तेरी है,,,,,


तो बिल्कुल भी चिंता मत करो चाचा जब तक मैं हूं तब तक तुम्हारी बुर प्यासी नहीं रह सकती,,,,,,।
(तब तक शुभम अपनी मां के पिछवाड़े पर से उठ कर खड़ा हो गया था और बगल में खड़ा हो गया था और अपनी मां की चुदाई देखने जा रहा था सूरजशुभमकी मां को खटिया पर ले जाने से पहले उसके ब्लाउज को उतार फेंका और साथ ही पेटीकोट की डोरी पकड़ कर खींच दिया जिससे पेटीकोट कमर से एकदम ढीली हो गई और शुभमकी मां खटिया पर पीठ के बल लेट ते हुए अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ उठा दी ताकि सूरजउसकी पेटीकोट को निकाल कर उसे पूरी तरह से नंगी कर सके शुभमकी मां की कमर को उठा हुआ देखकर सूरजतुरंत फुर्ती दिखाता हुआ पेटीकोट को खींच कर नीचे कर दिया और अगले ही पल शुभमकी मां खटिया में एकदम नंगी हो गई औरत के नंगे बदन को देख कर सूरजका लंड वैसे भी 10 गुना और ज्यादा ताकतवर हो जाता था और इस समय भी शुभमकी मां की मदहोश कर देने वाले जवानी उसके नंगे बदन को देख कर सूरजका लंड लोहे की छड़ की तरह एकदम कड़क हो गया था इस समय इस बात से और भी ज्यादा है वह तेजी था कि वह एक बेटे के सामने उसकी आंखों के सामने उसकी मां को चोदने जा रहा था,,,,,।

अकेले ही पर सूरज खटिया पर घुटनों के बल बैठ गया था और अपने लिए शुभम की मां की दोनों टांगों के बीच जगह बना रहा था अगले ही पल अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर शुभमकी मां की मोटी कमर को अपने दोनों हाथों में पकड़,,, लिया उसे अपनी तरफ खींच लिया सूरजअपनी भुजाओं का दम दिखाते हुए शुभमकी मां की मजबूत जानू को अपने ऊपर चढ़ा लिया और उसकी आधी गांड उसकी जांघों पर आ गई,,,, इस अवस्था में शुभमकी मां की बुर ठीक सूरजके मोटे तगड़े लंड के सामने थे और गुहार लगा रही थी कि लंड को उसकी बुर में डाल देंंंं लेकिन सूरजथा कि शुभमकी मां को और ज्यादा तड़पाते हुए अपने लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी बुर पर रगड रहा था और लंड की गर्माहट पाकर शुभमकी ना पूरी तरह से मचल उठी उसे अपने अंदर लेने के लिए इसलिए खुद ही अपनी कमर ऊपर उठाकर सूरजके लंड को अपनी बुर में लेने की कोशिश कर रही थी और इसी तड़प और मचल का इंतजार सूरजको था इसलिए सूरजबोला,,,,।

मंगल मामी मे तुमसे एक बात कहना चाहता हूं,,,,

अरे पगले बात कहने के लिए तुझे यही समय मिला है बाद में भी तो कह सकता था,,,

नहीं मुझे यही समय ठीक लग रहा है,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज अपने लंड के‌ सुपाडे को उसकी बुर में डालकर वापस निकाल लिया,,,, यह तो शुभम की मां के लिए ऐसा ही होगा कि स्वादिष्ट भोजन उसके आगे परोस कर थाली हटा ली गई हो वो एकदम से तड़प उठी उसे अंदर लेने के लिए,,,,)

आहहहह सूरज यह क्या कर रहा है मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,।

(सूरजइस बार शुभम की मां पर रहम दिखाते हुए अपने लंड के सुपाड़े को वापस उसकी बुर में डाल दिया और बोला,,,)

मैं जानता हूं मंगल मामी मैं जो कुछ भी कहूंगा तुम मेरी बात मान जाओगे लेकिन फिर भी मैं बात करना उचित समझ रहा था इसलिए कह रहा हूं,,,।

अरे हरामि जो कुछ भी कहना है बाद में कहना है लेकिन पहले मुझे चोद मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,


मुझसे भी कहां रहा जा रहा है मंगल मामी,,,(इतना कहने के साथ ही एक करारा धक्का लगाया और लंड उसकी बुर की गहराई में खो गया,,,,,, बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

मैं चाहता हूं मंगल मामी कि तुम गौरी का हाथ मेरे हाथ में दे दो,,,
(इतना सुनते ही शुभम की मां एकदम से चौक गई उसे अपने कान पर भरोसा नहीं हुआ तो वह फिर से बोली,,)

क्या कहा मैं कुछ समझा नहीं,,,(अभी भी सूरज का लंड उसकी बुर की गहराई में था और उसके मोटे पन को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर महसूस करके वह पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी)

मैं गौरी से शादी करना चाहता हूं,,,


यह क्या कह रहा है सूरज तू तेरे और मेरे बीच में किस तरह का रिश्ता है यह तु भी अच्छी तरह से जानता है,,,

तो क्या हुआ मंगल मामी मैं तुमसे शादी तो नहीं कर सकता ना,,,, मैं तुम्हारी बेटी से प्यार करता हूं और उससे शादी करना चाहता हूं,,,,।
(सूरज की बात सुनकर शुभम के माध्यम से हैरान हो गई थी और शुभमकी तरफ देखी तो शुभम की सूरजके सुर में सुर मिलाता हुआ बोला)

मान जाओ मा सूरज का रुतबा और हैसियत पूरे गांव में सबसे ज्यादा बढ़ती जा रही है जानती हो नामदेवराय का सबसे खास है गोदाम का काम यही देखता है और पैसे भी खूब कमाता है गौरी इसके घर पर इसके साथ राज करेगी,,,,।

मतलब तुझे भी सब कुछ मालूम है,,,,

क्या मा तुम भी गौरी खुद सूरज से प्यार करती है उससे शादी करना चाहती है,,,

हाय दैया मेरे पीठ पीछे इतना कुछ हो रहा है और मुझे कुछ पता ही नहीं है,,,

गौरी के भी पीठ पीछे तो बहुत कुछ चल रहा है उसे कहां पता है,,,


तू सच में बहुत बड़ा हारामी है,,, अब चल जल्दी कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,


मंगल मामी तुम भी तैयार होना मुझे अपना दामाद बनाने के लिए,,,

अब मियां बीबी राजी तो क्या करेगा काजी और वैसे भी तेरे रिश्ते के बारे में मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा कि तरफ तो मेरा दामाद भी है और दूसरी तरफ मुझे चोदता भी है लेकिन शादी के बाद तो तु बदल तो नहीं जाएगा ना,,,

कैसी बात कर रही हो मंगल मामी तुम्हारी पानी से भरी बुर की कसम शादी के बाद भी तुम्हारी बुर की सेवा करूंगा,,,

चल बाद की बाद में देखा जाएगा अभी तो सेवा कर,,,

यह लो मंगल मामी,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरजएकदम खुश होता हुआ धक्के पर धक्का लगाने लगा और इतनी जोर जोर से खुशी के मारे धक्का लगा रहा था कि खटिया चरमरा जा रही थी लेकिन शुभमकी मां को बहुत मजा आ रहा था तकरीबन 20 25 मिनट तक जमकर चुदाई करने के बाद सूरजशुभमकी मां को पूरी तरह से तृप्त करने के बाद अपना पानी भी निकाल दिया और बाद में खुश होता हुआ वहां से चला गया,,,
 

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