Incest गांव की कहानी

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तूफानी बारिश में सुरज धीरे-धीरे बैलगाड़ी को एक खंडहर के सामने लाकर खड़ा कर दिया था,,, हवाई बहुत तेज चल रही थी बारिश थी कि थमने का नाम नहीं ले गई थी और आसमान में बादल गरज रहे थे सब मिलाकर एकदम भयानक वातावरण हो चुका था,,, रात पूरी तरह से गहराई नहीं थे लेकिन फिर भी बादलों की वजह से ऐसा लग रहा था कि जैसे एकदम कह रही रात हो चुकी है दूर-दूर तक की तो बात छोड़ो 3 4 मीटर की दूरी पर भी कुछ ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था,,,, हवा के साथ पानी की बौछार बेल गाड़ी के अंदर तक रूपाली के कपड़ों को गीला कर रही थी,,,, सुरज को बारिश से बचने का खंडहर एक उचित स्थान नजर आ रहा था लेकिन खंडहर के नाम पर रूपाली को घबराहट हो रही थी उसे डर लग रहा था,,,,,,।

सुरज अपनी मामी को आराम से उतरने के लिए बोल रहा था ताकि वह खंडहर की तरफ जा सके,,, लेकिन मैं जानता था कितनी तेज बारिश में उसकी मामी आराम से उतर नहीं पाएगी और भीग जाएगी,,,, इसलिए वह खुद बैलगाड़ी से जल्दी से नीचे उतरा बैलगाड़ी से नीचे उतरने पर वह भी पूरी तरह से तेज बारिश में भीग गया,,, और पीछे की तरफ जाकर अपनी मामी को उतरने के लिए बोला उसकी मामी उसके कंधे का सहारा लेकर बैलगाड़ी से नीचे उतरने लगी लेकिन बैलगाड़ी का पाटिया पूरी तरह से गीला होने की वजह से उस पर पैर रखते उसका पैर फिसला और वह जाकर एकदम से अपने भांजे के ऊपर गिरी लेकिन ऐसा लग रहा था कि सुरज पहले से ही तैयार था वह अपनी मामी को तुरंत थाम लिया लेकिन ऐसा करने से उसकी मामी ठीक उसकी बाहों में आ गई थी और सुरज के तन बदन में अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूची की रगड़ से एकदम उत्तेजना फैल गई और इस पल को लगाते हुए तुरंत अपने दोनों हाथों को अपनी मामी के पेट से हटाकर उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर रख दिया और सुरज की हरकत उसकी मामी ने भी महसूस की और वह अपने भांजे की बाहों में उसकी उत्तेजना आत्मक हरकत की वजह से एकदम से गनगना गई,,, सुरज तुरंत अपनी मामी को अपनी बाहों में से आजाद करते हुए बैलगाड़ी में एक कोने में रखी हुई दियासलाई की डिबिया ले लिया वह जानता था कि खंडहर के अंदर रोशनी और आग की जरूरत पड़ेगी,,,,,।
बैलगाड़ी से नीचे उतरने पर दोनों का एहसास हुआ कि पानी घुटनों तक भर चुका था सुरज तुरंत अपनी मामी का हाथ पकड़कर खंडर की तरफ ले जाने लगा बारिश इतनी तेज थी कि अपने आप को बचाने का उन दोनों को मौका ही नहीं मिला और दोनों पूरी तरह से बरसात में भीग गए,,,।

सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़कर खंडहर के अंदर ले आया,,, खंडार के अंदर एकदम डरावना अंधेरा था,,, लेकिन सुरज एकदम निडर था उसे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा था लेकिन रूपाली को घबराहट हो रही थी वह कभी भी इस तरह से कभी अनजान जगह पर रुकी नहीं थी,,,,।
खंडहर की इमारत के अंदर बरसात का पानी नहीं पहुंच रहा था दोनों अंदर एकदम सुरक्षित थे,,,, रूपाली को ठंड लग रही थी,,, सुरज अपनी मुट्ठी में संभाल कर लाई हुई उस दियासलाई को एकदम संभाल कर ,,, अपने हाथों को साफ करके,,,, उसमें से एक तील्ली निकाला और उसे उस दियासलाई की डिबिया में खींच कर आग जलाने लगा और दूसरे प्रयास में ही दियासलाई की तिल्ली में आग लग गई और उसकी आग की रोशनी में खंडहर में उजाला फैल गया खंडहर की इमारत के अंदर काफी जगह था क्या देखकर सुरज खुश होता हुआ बोला,,,।

मैं यहां पर बेल को भी लेकर आता हूं क्योंकि पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा है ऐसे में बेल एक स्थान पर खड़े नहीं रह पाएगा और वहां कहीं चला गया तो और मुसीबत हो जाएगी,,,


हां सुरज तू सच कह रहा है जा जाकर जल्दी लेकर आना,,,, मुझे इस खंडहर में डर लग रहा है,,,


डरने की कोई बात नहीं है मामी मैं हूं ना मैं जल्दी से लेकर आता हूं,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज तुरंत खंडार में से वापस गया और बेल गाड़ी में से बेल को छुडाने लगा,,, दूसरी तरफ रूपाली कुछ देर पहले अपने भांजे की हरकत के बारे में सोचने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सुरज के हाथों से अनजाने में हो गया या वह जानबूझकर उसकी गांड पर हाथ लगाया था,,,, लेकिन उसकी हरकत की वजह से उसके बदन में पूरी तरह से सिहरन सी दौड़ गई थी,,,, उसे अच्छी तरह से याद था कि जेसीओ बैलगाड़ी से उतरने के लिए नीचे की तरफ बनाई गई लकड़ी के पार्टी पर पैर रखी थी तुरंत पानी की वजह से उसका पैर फिसल गया था और वह अपने भांजे की बाहों में आ गई थी उसे यह भी आता था कि पहले तो उसके भांजे की हथेली उसकी पीठ पर थी लेकिन थोड़ी ही देर में उसकी हथेली उसकी गांड पर आ गई थी उसे अब धीरे-धीरे एहसास होने लगा था कि सुरज की यह हरकत जानबूझकर की गई थी वह जानबूझकर उसकी गांड पर हाथ रखा था,,,, एक बार फिर से अपने भांजे की हरकत के बारे में सोच कर के तन बदन में सिहरन सी दौड़ ने रखी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में ऐसा उसे जल्दी महसूस होता नहीं था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो गया शायद तेज बारिश का असर था जो उसके बदन में उत्तेजना भर रहा था,,,,,,, रूपाली अपने मन में यही सब सोच रही थी कि तभी सुरज बेल की रस्सी पकड़े आगे आगे चला रहा था और पीछे पीछे बेल शायद बेल को भी जल्द से जल्द बारिश से बचना था और थोड़ी ही देर में सुरज बैल को लेकर खंडहर के अंदर आ गया था,,,।

अब ठीक है मामी इसे भी थोड़ी राहत मिल जाएगी वरना यह भी तेज बारिश में ठंडे पानी में ठिठुरता रहता और अगर यह बीमार हो जाता तो हम घर कैसे जा पाते इसीलिए इसकी सुरक्षा सबसे पहले करनी जरूरी है,,,,।
(दियासलाई की तिल्ली को जलाते समय उसकी रोशनी में सुरज की नजर खंडहर की इमारत के अंदर इधर उधर फेंकी हुई सूखी लकड़ियों पर चली गई थी जिसे देखकर उसे प्रसन्नता हो रही थी और वह तुरंत एक बार फिर से दियासलाई की तिल्ली को जलाकर उसकी रोशनी में जल्दी-जल्दी सूखी लकड़ियों को बटोरना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में सुरज ने ढेर सारी सुखी लकड़ियों को इकट्ठा कर लिया था,,,,, सुरज को इस तरह से सूखी लकड़ियां इकट्ठा करता हुआ देखकर रूपाली बोली,,,)


यह तूने बहुत अच्छा किया सुरज मुझे भी बहुत ठंड लग रही है और वैसे भी यहां पर थोड़ी रोशनी की जरूरत है और गर्माहट की,,,(अपनी मामी की यह बात सुनकर सुरज अपने मन में ही बोला इसकी क्या जरूरत है एक बार मेरी बाहों में आ जाओ और मेरे लंड को अपनी बुर में ले लो फिर देखो बिल्कुल भी ठंड नहीं लगेगी,,,,)

हा,,मामी तुम सच कह रही हो वैसे भी हम दोनों पर कपड़े एकदम से भीख चुके हैं और इस गीले कपड़े में रात गुजारना बहुत मुश्किल होगा,,,,,, रुको मैं पहले इसे जलाने की कोशिश करता हूं,,,,,(इतना कहते हुए सुरज ने दियासलाई की डिबिया को हाथ में लेकर उसमें से तिल्ली निकाला वैसे ही रूपाली बोली,,,।)

ऐसे नहीं जल पाएगा यहां पर सूखे पत्ते भी हैं उन्हें मिलाकर चलाएगा तो तुरंत आग पकड़ने का रुत में बटोरती हुं,,,
(इतना कहने के साथ ही रूपाली सूखे हुए पत्तों को इकट्ठा करने लगी वैसे तो खंडार के अंदर पूरी तरह से अंधेरा छाया हुआ था इसलिए कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक से कुछ पल के लिए इमारत के अंदर उजाला फैल जाता था जिसकी रोशनी में वह सूखे पत्तों को इकट्ठा कर ली थी,,,। थोड़ी ही देर में सूखी लकड़ियों के साथ-साथ सूखे हुए पत्ते को भी इकट्ठा करके सूखी लकड़ियों में मिलाकर सुरज दियासलाई की तिल्ली से खींचकर उस तील्ली को जला लिया और उन सूखे पत्तों को उस तील्ली के सहारे सुलगाने लगा,,, और थोड़ी ही देर में पत्ते सूखे होने की वजह से उसमें आग जलने लगी,,,,,।

ये सही हुआ,,,,(ऐसा कहते हुए रूपाली सूखे पत्ते को अपने हाथ में पकड़कर उस आग में डालने लगी पूरा बदन बीघा होने की वजह से उसके गीले बालों में से पानी की बूंदे टपक रही थी जिसे तिरछी नजर से सुरज देख कर मस्त हो रहा था वैसे भी खूबसूरत बदन गीला होने पर और भी ज्यादा मादक और हसीन हो जाता है,,,, अपनी मामी के खिले बदन को देखकर सुरज को मन ही मन अपनी मामी की खूबसूरती पर गर्व होने लगा था,,,, देखते ही देखते रूपाली और सुरज मिलकर सूखे पत्तों को उस पर डाल डाल कर सूखी हुई लकड़ी को भी चलाना शुरु कर दी और देखते ही देखते लकड़ी में भी आग पकड़ ली,,,,)

अब जाकर सही पकड़ा है,,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अपने दोनों हाथ उस आग की तपन में गरम करने लगा,,, और रूपाली भी सुरज की तरह ही करने लगे अपनी मामी के गीले कपड़ों को देखकर सुरज बोला,,,)

लाख कोशिश करने के बावजूद भी हम दोनों भीग गए,,, तुम्हारे तो सारे कपड़े गीले हो गए हैं मामी,,, ऐसे ही रहोगी तो बीमार पड़ जाओगे तो वैसे ही दवा लेकर आई हो,,,,।

नहीं मैं ऐसे ही ठीक हूं आज जल रही है ना उसकी गर्मी से सही लग रहा है,,,,(रूपाली अपने भांजे के सामने अपनी साड़ी को उतारना नहीं चाहती थी वह जानती थी कि अगर वह अपनी साड़ी उतारेगी तो उसका भांजा उसे प्यासी नजरों से देखेगा,,, और वह अपने बदन पर अपने भांजे की घूमती प्यासी नजरों को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी,,,, और वैसे भी अपनब भांजे के सामने साड़ी उतारने में उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह ठंड लगने के बावजूद भी बहाना करके बैठी रह गई थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी आज चलने की वजह से खंडहर में रोशनी फैल गई थी,,,, खंडहर का यह हिस्सा काफी बड़ा था,,, मुमकिन था कि जहां कोई आता जाता नहीं था बस कभी कबार मुसाफिर लोग ही यहां से गुजरा करते थे,,,,, सुरज चारों तरफ अपनी नजर घुमाकर उस खंडहर का मुआयना कर रहा था चारों तरफ जगह-जगह से टूटी हुई दीवारें थी,,,,, जगह जगह पर मकड़ियों का बड़ा-बड़ा ज्यादा लगा हुआ था देखने पर ही है जगह भयानक लग रही थी लेकिन इस समय का माहौल कुछ और था सुरज कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से जंगल जैसी जगह के इस टूटे हुए खंडहर में अपनी खूबसूरत मामी के साथ रात बिताना पड़ेगा,,,, और वह भी पानी में पूरी तरह से भीगी हुई,,,,,,।

सुरज आग की तपन से अपने बदन की गर्मी को दूर करने की पूरी कोशिश करते हुए तिरछी नजरों से अपनी मामी की खूबसूरती को देख रहा था बरसात के पानी में भीगा हुआ उसका बदन और भी ज्यादा खूबसूरत और मादक लग रहा था,,, जलती हुई आग की रोशनी में सुरज को अपनी मामी का भीगा ब्लाउज और उसमें से जाती हुई उसकी लाजवाब गोरी गोरी चूचियां और उस चूची पर पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह चमक रही थी और उस पर कि चल रही थी जिसे देखकर सुरज के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,,,, दोनों के बीच खामोशी छाई रही बस वातावरण में तेज हवा और तेज बारिश के साथ साथ बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई दे रही थी जो कि बेहद भयानक लग रही थी लेकिन अब इस भयानक माहौल में भी सुरज को मदहोशी का नशा छाने लगा था,,,, सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि शायद उसके लिए यह माहौल खुद उसकी जरूरत के मुताबिक तैयार हुआ है उसे लग रहा था आज की रात जरूर वह कामयाबी हासिल करके रहेगा वरना इस तरह के हालात कभी पैदा नहीं होते,,,,,,।

बरसात के ठंडे पानी में भीगने की वजह से और तेज चल रही हवाओं की वजह से रूपाली को ठंड लग रही थी हालांकि जलती हुई आग से उसे कुछ राहत जरूर मिल रही थी लेकिन भीगे हुए कपड़े में वह अपने आप को असहज महसूस कर रही थी वह भी अपने कपड़े उतार कर सुखाना चाहती थी अपने बदन से गीले कपड़ों को उतारकर सहज होना चाहती थी लेकिन अपने भांजे के सामने उसे शर्म आ रही थी वह अपने भांजे के सामने अपने कपड़े उतार कर अपने नंगे बदन क्यों अपने भांजे के सामने प्रदर्शित नहीं करना चाहती थी क्योंकि वह अपने भांजे की हरकत से अच्छी तरह से वाकिफ हो चुकी थी वह अपनी तरफ से ऐसी कोई भी हरकत नहीं करना चाहती थी जिससे उसके भांजे को और ज्यादा बढ़ावा मिले,,,,,,, किसी तरह से वह ठंड में ही आग की तपन से अपने बदन को गर्माहट देने की कोशिश कर रही थी लेकिन सुरज के मन में कुछ और चल रहा था उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था अपने बेहद करीब रात के सन्नाटे के माहौल में बरसती बारिश में खूबसूरत औरत का साथ अगर वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था वैसे भी पहले से ही वह अपनी मामी की तरफ देखकर आकर्षित था उसके बदन की बनावट उसके बदन के मरोड़ अंगों के उभार पर को देखकर वह पहले से ही एक भांजा होने के बावजूद भी एक मर्द की तरह सोचता था,,,,, वह किसी ना किसी बहाने अपनी मामी को अपना टनटनाता हुआ लंड दिखाना चाहता था,,, क्योंकि सफर के दौरान जिस तरह के वार्तालाप दोनों के बीच हो रहा था और उसकी मामी बिल्कुल भी उसे रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि और भी ज्यादा गंदी से गंदी बात सुनने की चाह रख रही थी उसे देखते हुए सुरज समझ गया था कि भले ही उसकी मामी शर्म और संस्कार की दीवार को लांघ कर आगे बढ़ने के लिए अपने आप को तैयार नहीं कर पा रही है लेकिन उसके मन के कोने में कहीं ना कहीं किसी और पुरुष के संसर्ग की कामना जाग रही थी और वह भी कोई गैर नहीं बल्कि अपने ही भांजे के साथ,,,, इस आभास को लिए सुरज अपनी जगह से खड़ा हुआ और बोला,,,,।


मैं बेल को बांध देता हूं वरना कहीं रात को इधर उधर चला गया तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी,,,(वह जलती हुई आग के इस बार अपनी मामी के सामने सीधे-सीधे खड़ा हो गया था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा होने की वजह से पैजामा में तंबू बनाया हुआ था जो कि गिले पजामे की वजह से जलती हुई आग की रोशनी में लंड का अक्स उसका उभार एकदम साफ नजर आ रहा था जिस पर नजर पड़ते ही रूपाली के तन बदन में हलचल सी होने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस गुलाबी छेद में तो मानो जैसे उबाल आ रहा हो,,,,,, इसी सबसे वह अपने आप को बचाना चाहती थी लेकिन अनजाने में ही वह अपने भांजे के टन टन आए हुए लंड को जो कि अभी भी पजामे के अंदर था फिर भी उसके हालात को देखकर अंदर ही अंदर गनगना गई थी,,,,, सुरज जानता था कि जिस तरह से वह उसकी मामी की आंखों के सामने खड़ा हुआ था,,, उसकी मामी की नजर जरूर उसके पजामे पर पड़ेगी और उसे देखकर उसके बदन में जरूर हलचल होगी,,, सुरज खड़ा होने के साथ ही अपनी मामी की नजरों को भांप गया था और अंदर ही अंदर खुश हो रहा था,,,।

वह बेल के करीब गया और उसकी रस्सी को लेकर एक जगह अच्छे से बांध दिया और वह बेल भी आराम से वहीं बैठ गया क्योंकि वह भी जानता था कि शायद ऐसे हालात में बाहर निकलना ठीक नहीं है,,, वह अपनी मामी के पास आया और बोला,,,।

मेरा कपड़ा पूरी तरह से गिला हो चुका है और ऐसे में मुझे अच्छा नहीं लग रहा है मुझे अपना कपड़ा उतारना ही होगा,,,
(अपने भांजे की यह बातें सुनकर रूपाली का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह इशारों ही इशारों में अपने आप को नंगा करने की बात कर रहा था क्योंकि दूसरा कपड़ा तो था ही नहीं इसलिए रूपाली आश्चर्य जताते हुए बोली)

कपड़ा उतार देगा तो पहनेगा क्या,,,?

अरे देख नहीं रही हो इतनी तेज हवा चल रही है जल्दी से सूख जाएगा और तब तक मैं यह कुर्ता लपेट लूंगा,,,,।

(और इतना कहने के साथ ही बिना वक्त कमाए सुरज दो कदम पीछे हटकर दूसरी तरफ मुंह करके अपने कपड़े उतारने लगा वह जानता था कि जिस जगह पर वह खड़ा है जल्दी भी आप की रोशनी वहां तक भी पहुंच रही है और उसकी मामी को जरूर उसका नंगा बदन दिखाई देगा,,, पहले तो सुरज अपना कुर्ता उतारा कुर्ता उतारने के बाद उसके पानी को गार के उससे अपनी छाती को और बदन को पोंछने लगा ना चाहते हुए भी रूपाली की नजर सुरज के ऊपर चली जा रही थी ,,, सुरज जानबूझकर अपनी छाती को अपने कुर्ते से साफ करते हुए अपनी मामी की तरफ वह करके खड़ा हो गया था और लेकिन वह अपनी मामी की तरफ नहीं देख रहा था वह नीचे नजर झुका है अपनी छाती की तरफ देख रहा था वह जानता था कि जिस तरह से मर्दों की कमजोरी औरत का खूबसूरत बदन होता है उसी तरह से औरतों की भी सबसे बड़ी कमजोरी मर्दों का गठीला कसरती बदन होता है और सुरज एक गठीला बदन वाला नौजवान मर्द था उसकी छाती चौड़ी थी ,,,, और यही औरतों की कमजोरी को अच्छी तरह से जानकारी ही सुरज अपना पासा फेंक रहा था और उसका पासा सही लग भी रहा था,,,।

आंख की रोशनी में अपने भांजे की चौड़ी छाती को देखकर रूपाली के बदन में कुछ कुछ होने लगा था,,, वह पल भर में ही अपने भांजे की गठीला बदन से अपने पति के बदन की तुलना करने लगी थी जिसके मुकाबले उसके पति का बदन एकदम निर्मल और दुबला पतला था भले ही दिन रात चुदाई करता था लेकिन अपने शरीर के मामले में सुरज से उसका कोई भी मुकाबला योग्य नहीं था,,,, सुरज अपनी छाती को कुर्ते से साफ करने के बाद वापस दूसरी तरफ मुंह करके खड़ा हो गया था क्योंकि अब वह अगला पासा फेंकने वाला था जो कि जानता था कि उसकी मामी पर यह जरूर असर करेगा सुरज अपनी मामी की आंखों के सामने ही नंगा होने जा रहा था ऐसा आज तक उसने पहले कभी नहीं किया था बचपन में भले ही नादानी में हुआ अपनी मामी के सामने नंगा घूमता था लेकिन वह पूरा जवान मर्द हो चुका था और ऐसे हालात में एक खूबसूरत औरत के सामने एक मर्द का कपड़े उतार कर नंगा होना औरतों के तन बदन में आग लगा देता है अगर उस औरत के मन में जरा भी आकर्षण हुआ तो लेकिन सुरज पक्के तौर पर यकीन करता था कि उसकी मामी जरूर उसके गठीले बदन की तरफ आकर्षित होगी इसलिए वह अपनी मामी के सामने नंगा होने का पासा फेंक रहा था वह धीरे से अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपने पजामे में फंसाया और उसे नीचे करने लगा,,, रूपाली ना चाहते हुए भी अपने भांजे की तरफ देख रही थी,,, सुरज अपनी उंगलियों के सहारे से अपनी पहचाने को नीचे करता है इससे पहले वह एक नजर पीछे की तरफ अपनी मामी की तरफ देखते हुए बोला,,,,।

मामी तुम इधर मत देखना मुझे शर्म आ रही है,,,।

मैं नहीं देख रही हूं,,,(सुरज की बात सुनते ही वह एकदम से घबराहट भरे स्वर में बोली हालांकि सुरज ने पीछे नजर करके अपनी मामी की तरफ देख लिया था कि वह उसे ही देख रही थी इसलिए मन ही मन खुश होने लगा,,,, और सुरज फिर से अपनी नजर अपनी मामी की तरफ से हटाकर अपनी पहचाने को नीचे करने लगा देखते ही देखते हैं उसका पहचाना उसके गोलाकार नितंबों से नीचे की तरफ आने लगा,,,, रूपाली का दिल जोरों से धड़क रहा था अपने भांजे की बात मानने का सवाल ही यहां पैदा नहीं हो रहा था,,,, सुरज के मर्दाना गठीला बदन का आकर्षण उसे भी होने लगा था इसलिए ना चाहते हुए भी उसकी नजर अपने भांजे की तरफ चली जा रही थी,,,,,,

पजामा पूरी तरह से गिला होने की वजह से सुरज धीरे-धीरे उसे अपनी कमर से नीचे की तरफ ले जा रहा था रूपाली का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि जैसे-जैसे पैजामा नीचे की तरफ आ रहा था वैसे वैसे सुरज के गोलाकार नितंब रूपाली की आंखों के सामने जलती आग की रोशनी में चमक रही थी,,, गठीला कसरत ई बदन होने की वजह से नितंबों के उठाव के साथ-साथ उसमें की कसी हुई नशे भी नजर आ रही थी जिसे देखकर रूपाली की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी थी देखते ही देख ले सुरज अपनी मामी की आंखों के सामने ही अपने पजामे को उतारकर एकदम नंगा हो गया रूपाली के सामने सुरज की पीठ थी,,, रूपाली का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने भांजे को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में देख रही थी,,,,,,, रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें और सुरज पहली बार अपनी मामी की आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगा हो रहा था हालांकि उसका सपना तो यह था कि वह अपनी मामी को चोदने से पहले अपने कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो जाए लेकिन इस समय के हालात कुछ और थे,,,,,।

सुरज अपने पजामे को उतारकर अपनी मामी की तरफ देखे बिना ही पजामें से पानी को गार रहा था,,,,,, और रूपाली चोर नजरों से अपने भांजे के नंगे बदन को देख कर उत्तेजित हो रही थी और अपने मन में यही सोच रही थी कि काश वह भी अपने भांजे की तरह हिम्मत दिखाकर अपने भांजे की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारकर नंगी हो जाती तो कितना मज़ा आता वह पल कैसा होता

है जब वह धीरे-धीरे अपने कपड़े अपने भांजे की आंखों के सामने उतारकर नंगी होती जिस तरह से सुरज पर दीवानगी का असर छाया हुआ है उसे देखते हुए अगर वह अपनी आंखों से मेरे नंगे बदन को देख लेता तो शायद एकदम मदहोश हो जाता और उसका पानी निकल जाता,,,, जैसा कि खुद मेरा उसकी बातों से निकल गया था,,,, अनजाने में यह ख्याल अपने मन में आते ही रूपाली अपने आप से ही शर्म आ गई,,,,
सुरज अपने पहचाने को अच्छी तरह से गार लिया था,,,, और अपनी मामी की तरफ देखे बिना ही नीचे पड़ी एक सूखी लकड़ी को उठाकर इमारत की दीवार की दरार में डालकर उस पर अपना पजामा टांग दिया और कुर्ते को उठाकर एक बार उसे जोर से झाड़ कर अपनी कमर पर लपेटने लगा,,,,,, कमर पर अपने गीले कुर्ते को लपेट ते हुए सुरज को इस बात का आभास था कि उसे क्या करना है,,,, वह‌ अपना अगला पासा फेंकने की तैयारी में था,,,, वह जानता था कि अब उसे क्या करना है उसे इस बात का अंदाजा था कि उसकी मामी की नजर उसके ऊपर ही होगी,, और वह इसी मौके का फायदा उठाना चाहता था,,,,।

उसकी पीठ उसकी मामी की तरफ थी और वह अपने नितंबों को रखते हुए कुर्ते को अपनी कमर से लपेटने लगा लेकिन आगे की तरफ से कुर्ते का भाग ऐसा रखा की कुर्ता उसके लंड के ऊपर ही हो पूरी तरह से ढका ना हो और वैसे ही वह अपनी मामी की तरफ घूमिया जलती हुई आग की रोशनी में उसकी मामी की आंखों के सामने जो नजारा दिखाई दिया उसे देख कर उसके बदन में सुरसुरी सी दौड़ने लगी,,, बुर की गुलाबी पत्तियां फुदकने लगी,,,, रूपाली को साफ नजर आ रहा था कि आगे की तरफ से उसका कुर्ता लंड के ऊपरी भाग के हिस्से पर था जिससे उसका समूचा लंड झांठ के बाल सहित नजर आ रहा था पल भर में ही रूपाली की सांसे दुखने की तरह चलने लगी और यही तो सुरज की चाल थी वह किसी भी तरह से अपनी मामी को अपने लंड का दर्शन कराना चाहता था और वह जानता था कि एक बार उसका लंड देख लेने के बाद औरत अपने आप पर काबू नहीं रख पाती,,,,, हालांकि वह पहले भी अपनी मामी को अपने लंड के दर्शन करा भी चुका था और उसे उसके हाथ में पकड़ा भी चुका था लेकिन रूपाली उस समय अपना हौसला पस्त होने नहीं देती और किसी तरह से अपने आप को संभाल ले गई थी लेकिन इस समय मौका और दस्तूर दोनों हालात के साथ थे तेज बारिश में वैसे भी औरतों का मन पुरुष संसर्ग के लिए तड़प उठता है,,,, और इसीलिए इस समय भी रूपाली के तन बदन में आग लग चुकी थी यह बेहद काम भावना से लिप्त मदहोशी बढ़ा देने वाला नजारा सुरज की तरफ से क्षणिक भर का था उसके बाद उसने अपनी तिरछी नजरों से अपनी मामी की तरफ देख कर यह तसल्ली कर लेने के बाद कि उसकी मामी उसके लंड को ही देख रही है वह खुश होता हुआ तुरंत ऊपर उठा हुआ कुर्ता आगे की तरफ करके अपने लंड को ढकने की पूरी कोशिश करने लगा इस तरह से तो उसका लंड पर्दे के पीछे छुप गया लेकिन जिस तरह से टनटनाया हुआ था उससे कुर्ता एकदम खूंटी कि तरह तंबू बना लिया था रूपाली पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी वह चाह कर भी अपनी नजरों को अपने भांजे के दोनों टांगों के बीच से हटा नहीं पा रही थी,,,,,।

ओहहहह अब जाकर थोड़ा आराम मिला,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह नीचे बैठ गया तब जाकर रूपाली की तंद्रा भंग हुई और वह होश में आई लेकिन शर्म के मारे अपने भांजे से नजर नहीं मिला पा रही थी,,,, तभी सुरज मुस्कुराता हुआ अपनी मामी की तरफ देख कर बोला,,,)

मेरी बात मानो तुम भी अपने कपड़े निकाल कर सुखा लो गीले कपड़ों में बीमार हो जाओगी,,,,,, और वैसे भी यहां कौन है जो तुम्हें इस हालत में देख लेगा,,,।


तू तो है ना,,,(रूपाली शर्माते हुए बोली,,,)

अरे मैं कोई गैर थोड़ी हूं जो मेरे आगे इतना शर्म कर रही हो मैं तो इसलिए कह रहा था कि कहीं तुम बीमार ना पड़ जाओ,,,, देखो तुम्हें ठंड भी लग रही है,,,।
(वाकई में गीले कपड़ों में रूपाली को ठंड लग रही थी इस बात का एहसास रूपाली को भी अच्छी तरह से था वह तो जलती हुई आगे के सामने उसकी तपन से थोड़ा बहुत राहत महसूस हो रही थी वरना रूपाली की तबीयत जरूर खराब हो जाती ,,,, रूपाली भी अपने भांजे की बात से सहमत थी लेकिन अपने भांजे के सामने कपड़े उतार कर नंगी होने में उसे बहुत शर्म लग रही थी हालांकि अपने भांजे को कपड़े उतारते हुए देखकर वह भी अपने मन में यही सोच रही है कि काश वह भी अपने भांजे के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो मजा आ जाता,,,, फिर भी वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं मैं ठीक हूं आग जल रही है ना इसलिए थोड़ी बहुत गर्मी मिल रही है और ऐसे में कपड़े भी सूख जाएंगे,,,


चलो कोई बात नहीं जैसी तुम्हारी मर्जी,,,(सुरज ऐसा बोल कर अपने मन में सोचने लगा कि ऐसे बात बनने वाली नहीं और आज की रात ही उसके लिए अहम रात है अपनी इच्छाओं को पूरा करने का वह अपने मन में सोचने लगा कि कोई और जुगाड़ लगाना पड़ेगा इसलिए वह बातचीत का दौर शुरू करते हुए बोला,,,)

अच्छा मामी एक बात बताओ,,, क्या पहले भी तुमने इस तरह से किसी अनजान जगह में रात गुजारी हो ऐसी तूफानी बारिश में,,,


नहीं रे ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ यह पहली बार है कि मैं कहीं रात को इस तरह से तूफानी बारिश में फंस गई हूं,,,

मैं भी पहली बार ही,,,,

अगर मुझे जरा भी अंदाजा होता कि आज इतनी तेज बारिश पड़ेगी तो मैं कभी भी दवा लेने के लिए घर से नहीं निकलती,,,,


सही कह रही हो मामी,,,, लेकिन सोचो एक नया अनुभव भी तो मिल रहा है इस जंगल जैसे वीरान जगह पर तूफानी बारिश में ऐसे खंडहर में रुकने का एक अलग ही मजा है,,,


इसमें कौन सी मजा है रे,,,


मजा ही तो है मामी हां मैं अगर अकेला होता या मेरे दोस्त लोग होते तो शायद कोई और बात होती लेकिन मेरे साथ इतनी खूबसूरत औरत है इसीलिए मुझे इस खंडहर में भी बहुत अच्छा लग रहा है,,,,


खूबसूरत औरत,,,, अरे बुद्धू में तेरी मामी हूं,,,

वह तो एक भांजे के नजरिए से लेकिन मैं तुम्हें एक मर्द के नजरिए से देखता हूं इसलिए तुम मुझे खूबसूरत औरत नजर आती हो,,,।
( अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, अपने भांजे की बात सुनकर वो समझ गई कि उसका भांजा उसे बहुत पसंद करता है,,,,, दो दो जवान बच्चे की मां के लिए इससे बड़ी खुशी की बात और क्या हो सकती है कि ईस उम्र में भी एक जवान लड़का उसे बेहद प्यार करता है उसे चाहता है उसे पाना चाहता है,,,, लेकिन परेशानी इस बात की थी कि वह जवान लड़का खुद का उसका भांजा था,,, फिर भी वह अपने भांजे को समझाने की कोशिश करते हुए बोली,,,)

नहीं सुरज यह गलत है,,,, मैं तेरी बाहों और तू मेरा भांजा है हम दोनों के बीच मामी भांजे का पवित्र रिश्ता है ना कि मर्द और औरत का इसलिए तू अपनी मर्यादा मेरे अगर तेरे इरादों की भनक गांव में किसी को भी लग गई तो बदनामी हो जाएगी,,,,


कैसी बातें कर रही हो मामी गांव वालों को कैसे भनक लगेगी यह तो सिर्फ हम दोनों के बीच की बात है,,,,(ऐसा कहते हुए वह बैठे हुए ही अपनी मामी का ध्यान अपनी दोनों टांगों के बीच आकर्षित करने के लिए अपना हाथ अपनी दोनों टांगों के बीच ले जा करके अपने लंड को खुजाने लगा और ऐसा करने पर वास्तव में उसकी मामी का ध्यान अपने भांजे की दोनों टांगों के बीच गया तो वह फिर से हैरान रह गई उसका लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा था जो कि एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे छुपाने की कोशिश सुरज बिल्कुल भी नहीं कर रहा था जब जब वह अपने भांजे के लंड को देख रही थी तब तक उसके बदन में सिहरन सी दौड़ने लगती थी,,, वह अपना ध्यान दूसरी तरफ केंद्रित करने को करती थी लेकिन वह ऐसा कर नहीं पा रही थी सुरज अपनी बातों में उसे पूरी तरह से उलझा रहा था,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) आईने में लगता है कि तुमने कभी अपने आप को ठीक सारा से देखी नहीं हो इसीलिए तुम यह नहीं समझ पा रही हो कि तुम कितनी खूबसूरत हो,,,,
(अपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर रूपालीको बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन फिर भी अपने भांजे को समझाते हुए बोली)

चल कोई बात नहीं मैं अगर मान भी लूं कि मैं बहुत खूबसूरत हूं लेकिन फिर भी तू मेरा भांजा है कोई गैर नहीं जो मुझसे इस तरह की बातें करता है,,,,

मुझे तुमसे इस तरह की बातें करने में बहुत अच्छा लगता है,,,,(ऐसा कहते हुए सुरज जानबूझकर उसकी मामी को नजर आए इस तरह से अपने लंड को बिना हाथ लगाए ही अपनी ताकत से वह अपने लंड को अपने अंदर की तरफ खींच रहा था जिससे बार-बार उसका लंड ऊपर नीचे अपना मुंह उठाता हुआ हिल रहा था जिसे देखकर खुद रूपाली हैरान हो रही थी वह अपने भांजे के लंड की ताकत को देखकर ही अच्छी तरह से परखने की कोशिश कर रही थी,,,, जलती हुई आग की रोशनी में उसे अपने भांजे का लंड दम साफ तौर पर दिखाई दे रहा था मोटा लंबा,,, इस तरह के लंड की उसने कभी अपने अंदर कल्पना भी नहीं की थी जिसे वह अपनी आंखों से देख कर हैरान हो रही थी,,,,,, सुरज की हरकतों और उसके इरादों के साथ-साथ उसकी बातों का असर रूपाली पर खूब हो रहा था,,, रूपाली अपने भांजे के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,,)

धत् तू पागल है तेरी तरह अगर किसी और ने मुझसे यह बात कही होती तो मैं उसकी जान ले लेती लेकिन तू मेरा भांजा है इसलिए तुझे कुछ कह नहीं रही हूं,,,।
(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज हंसने लगा और से हंसता हुआ देखकर रूपाली भी मुस्कुराने लगी हालांकि बार-बार उसकी नजर अपने भांजे की दोनों टांगों के बीच टनटनाए हुए लंड पर चली जा रही थी,,, और अचानक ही उसके मन में यह ख्याल आया कि अगर यह लंड है उसकी बुर में चला जाए तो उसकी बुर तो फट ही जाए इतना मोटा है यह ख्याल एकाएक उसके मन में आया था इसलिए वह एकदम से शर्मा गई,,,, सुरज का दिमाग बड़े जोरों से काम कर रहा था क्योंकि यह मौका जिंदगी में दोबारा मिलने वाला नहीं था और वह इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था अभी उसके पास बहुत समय था,,,,, अगर दूसरे दिनों की तरह सामान्य दिन होता तो अभी भी आसमान में बिखरी हुई चांदनी में पूरा गांव नहाया हुआ होता और चारों तरफ रोशनी नजर आती लेकिन तेज बारिश और तूफान के चलते चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा नजर आ रहा था,,, और यह जगह एकदम जंगल में वीराने में थी इसलिए यहां पर किसी के आने का डर भी नहीं था इसीलिए सुरज पूरी तरह से निश्चिंत था थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह अपनी मामी से बोला,,,)

तुम्हें भी भूख लगी होगी ना मां,,, मुझे तो बड़े जोरों की लगी है,,,


हारे तो सच कह रहा है बाजार में समोसे के सिवा और खाए ही क्या थी मुझे भी भूख लग रही है लेकिन यहां कर क्या सकते हैं,,,


अरे भूल गई बैलगाड़ी में समोसे और जलेबियां और खरबूजे भी रखे हुए हैं,,,

तो,,,,?(रूपाली आश्चर्य जताते हुए बोली क्योंकि इतनी तेज बारिश में वापस वहां पर जाना ठीक नहीं था)

अरे तो क्या मैं जाकर अभी लेकर आता हूं अच्छा हुआ कि हम लोग बाजार में खरीद कर रखे थे शायद इसी पल के लिए,,,


अरे तू लेकिन जाएगा कैसे अभी भी तेज बारिश हो रही है तो फिर भीग जाएगा फिर से तेरा कुर्ता गिला हो जाएगा,,,


अरे कोई बात नहीं मैं बिना कपड़ों के जाऊंगा और वैसे भी यहां देखने वाला तुम्हारे सिवा और कोई है कहां तुम बस नजर अपनी दूसरी तरफ घुमा लेना,,,,(सुरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामीलाख चाहने पर भी अपनी नजर उसके नंगे बदन से नहीं हटा पाएगी इसलिए वह जानबूझकर बोला था,,, फिर भी इतनी तेज बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट सुनकर रूपाली बोली)


नहीं नहीं रहने दे तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है मुझे भूख नहीं लगी है,,,


अरे कैसी बातें कर रही हो तुम्हें भूख लगी हो और मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को ना लाऊं ऐसा हो सकता है भला मैं अभी गया और अभी आया तुम बस,,,(अपनी जगह पर खड़ा होता हुआ अपनी कमर पर बांधा हुआ अपना कुर्ता खोलने लगा हालांकि इस बार वह अपनी मामी की तरफ पीठ करके खड़ा नहीं हुआ वह अपनी मामी के सामने खड़ा था ताकि एक बार फिर से वह अपनी मामीको अपना नंगा झूलता हुआ लंड दिखा सके,,,, और इसी आपाधापी में सुरज बिना शर्म किए और बिना वक्त गंवाए तुरंत अपनी कमर पर बना हुआ कुर्ता खोल दिया जिससे उसका टनटनाता हुआ लंड एक बार फिर से हवा में झूलने लगा,,,,,, और जिस पर नजर पड़ते ही रूपाली के तन बदन में फिर से आग लग गई और इस बार वह अपने आप को संभाल नहीं पाई और एक गहरी सांस लेते हुए अपनी उत्तेजना जाहीर करते हुए हल्के से अपने होंठ की कीनारी को दांत के नीचे दबाकर काटने और यह अपनी मामीकी खूबसूरत हरकत को सुरज अपनी आंखों में कैद कर लिया और मन ही मन एकदम से खुश होने लगा और अपने मन में सोचने लगा कि भले ही ऊपर से उसकी मामी उसे रोकने की कोशिश कर रही हो लेकिन अंदर से यही चाह रही है कि दोनों के बीच कुछ ना कुछ हो जाए,,,, और इसीलिए अपनी कमर पर बंधी कुर्ते को निकालकर वह अपनी मामीको थमाते हुए बोला,,,)


ये गया और आया,,,,
(सुरज एक बार फिर से अपनी मामी की आंखों के सामने पूरी तरह से नंगा हो गया था जलती हुई आग की रोशनी में रूपाली को सब कुछ साफ नजर आ रहा था अपने भांजे के गठीले और कसरती बदन को एकदम नग्न अवस्था में देखकर रूपाली की बुर गीली होने लगी,,,,,, वह धड़कते दिल के साथ व्याकुल नजरों से अपने भांजे की तरफ देख रही थी,, जोकी पूरी तरह से नंगा होकर इमारत के एकदम किनारे पहुंच चुका था,,, वह वही खड़ा होकर वातावरण का जायजा ले रहा था,,,बादलों की गड़गड़ाहट बहुत तेज थी रे रे कर बिजली चमक रही थी जिसकी रोशनी में कुछ क्षण के लिए सब कुछ साफ नजर आ रहा था और उसी रोशनी में वह अपनी बैलगाड़ी को भी देख रहा था,,,,, चारों तरफ तेज हवाएं चल रही थी जिससे बड़े-बड़े वृक्ष हवा की दिशा में इधर-उधर लहरा रहे थे जिसे देखकर डर भी लग रहा था लेकिन सुरज हिम्मतवाला था चारों तरफ पानी भर चुका था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अच्छा हुआ कि वह बेल को भी अंदर खंडहर में ले आया वरना इतनी तेज बारिश और बादलों की गड़गड़ाहट में उसका बेल बहक जाता और इधर उधर निकल जाता,,,,,।

रूपाली अपने भांजे की तरफ देख रही थी उसका नंगा बदन पीछे से आग की रोशनी में एकदम साफ नजर आ रहा था अपने भांजे को नंगा देखकर रूपाली की बुर कुलबुला रही थी,,, उसे बरसात की याद भी आ रही थी जब कभी भी इस तरह की बारिश या मध्यम बारिश होती थी तो रात भर वह अपने पति से जी भर कर चुदवाती थी और पहल वह खुद ही करती थी क्योंकि ऐसे बारिश के मौसम में उसका मन बहुत ज्यादा था और आज ऐसा ही कुछ हो रहा था लेकिन बड़ी मुश्किल से वह अपने आप पर काबू करे हुए थी,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह से जंगल में खंडहर में इतनी तूफानी बारिश में एक नौजवान मर्दानगी से भरे हुए मर्द के करीब रहकर और वह भी एकदम नंगा फिर भी वह अपने मन पर काबू कैसे कर पा रही है,,, शायद उन दोनों के बीच का रिश्ता रूपालीको आगे बढ़ने से रोक रहा था लेकिन धीरे-धीरे उसके भी ईरादे पस्त होते जा रहे थे,,, अपने मन में उठ रही भावनाओं के समंदर में वह सोच रही थी कि कहीं उसकी

मर्यादा और संस्कार भी ना डुब जाएं,,,, अपने भांजे के मर्दाना ताकत से भरे हुए मोटे तगड़े लंबे लंड को देखकर और उसके कटीले बदन को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका भांजा पूरी तरह से जवान हो गया है और एक ताकतवर मर्द बन चुका है,,,, शायद रूपाली अपने भांजे की मरजानी कि उसके गठीला बदन और उसके मोटे तगड़े लंबे लंड से ही आंक रही थी और यह औरतों के तरफ से मर्दों की मर्दानगी नापने की प्राथमिकता ही थी,,,,, वह अपने विचारों में डूबी हुई थी कि तभी उसे अच्छा की आवाज सुनाई दी और वह देखी तो उसका भांजा घुटनो भर पानी में जल्दी-जल्दी आगे बढ़ता चला जा रहा था वह पूरी तरह से मंगा था उसके बदन पर बिल्कुल भी कपड़ा नहीं था ऐसे हालात में एक औरत के लिए अपने आप पर काबू कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है,,,, लेकिन देखना यही था कि कब तक रूपालीअपनी मर्यादा की डोरी को अपने हाथों से पकड़ कर रखती है,,,, क्योंकि जिस तरह के हालात उसके सामने पैसा रहे थे उसे देखते हुए कभी भी मर्यादा की डोरी टूट सकती थी,,,,

थोड़ी ही देर में सुरज अंधेरे में गायब हो गया तेज हवाओं के साथ हो रही तूफानी बारिश में सुरज को देख पाना रूपाली के लिए कठिन हुआ जा रहा था लेकिन बिजली की चमक के उजाले में वह रह-रहकर नजर आ जा रहा था तब उसे तसल्ली हो जाती थी थोड़ी देर में सुरज बैलगाड़ी तक पहुंच गया था और,,,, समोसे और जलेबी का पड़ेगा और एक खरबूजा अपने हाथ में लेकर उसे सीने से लगाए वापस खंडहर की तरफ आने लगा था,,,, रूपालीअपने भांजे को देखने के चक्कर में अपनी जगह से खड़ी हो गई थी और उसे व्याकुल नजरों से देख रही थी तभी बिजली की चमक के उजाले में उसका भांजा उसे आधा हो नजर आया तो उसके चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,,,, वह घुटनों तक पानी में समोसे जलेबी और खरबूजा लेकर आ रहा था,,,, अपने मन में सोचने लगी कि उसके भांजे को उसकी कितनी फिक्र है कि कितनी तेज बारिश में तूफानी हवाओं में बादलों की गड़गड़ाहट को नजरअंदाज करते हुए उसके लिए खाने के लिए लेकर आ रहा था,,,,, अभी तक तो सुरज अंधेरे में ठीक से नजर नहीं आ रहा था लेकिन जैसे ही वह खंडहर के अंदर प्रवेश किया वैसे ही जलती हुई आग के उजाले में रूपालीकी नजर एक बार फिर से अपने भांजे के लंड पर चली गई जो कि चलने की वजह से ऊपर नीचे हो कर हील रहा था,,, यह नजारा रूपाली की बुर को पिघला देने वाला था और ऐसा हो ही रहा था उसने आज तक इतना जबरदस्त मुस्टंडा अलग नहीं देखी थी वह तो कभी भी इस तरह के लंड की कल्पना भी नहीं की थी लेकिन यह जानकर उसे गर्व हो रहा था कि सोच से भी अधिक बलवान मर्दानगी ताकत से भरा हुआ लंड उसके भांजे के पास है पानी में भीगा हुआ सुरज का लंड रूपाली को और ज्यादा मदहोश कर रहा था,,,, सुरज जल्दी भी आपके करीब आते ही अपनी मामीकी नजरों को देखकर मन ही मन खुश होने लगा था और एक नजर अपने लंड की तरफ डाला तो उसे शाबाशी देते हुए मन ही मन में बोला,,, वह मेरे बच्चे आज तू ने कमाल कर दिया है अगर आज मेरे मन की हो गई तो तेरी सरसों के तेल से मालिश करूंगा तेरी खूब सेवा करूंगा ताकि तू इसी तरह से औरतों की जमकर सेवा करें और मेरी वाह वाह हो जाए,,,,,,,।

अपनी मामी को समोसे और जलेबी के साथ-साथ खरबूजा था मूतने से पहले वह एक हाथ से जानबूझकर अपने लंड को पकड़ कर उसमें से पानी की बूंदों को झटक ने के लिए ऊपर नीचे करके अपने लंड को हिलाने लगा यह देखकर रूपालीकी तो सांस ही अटक गई,,, पल भर में वह ऐसा सोचने लगी कि जैसे उसका भांजा उसकी बुर में डालने के लिए अपने लंड को तैयार कर रहा है,,,,,,, अपनी मामी के सामने सुरज एकदम बेशर्मी दिखाते हुए अपने लंड को पकड़ कर ले जा रहा था और वह भी एक बहाने से ,,, वह अपनी मामी को जताना चाहता था कि उस पर लगी पानी की बूंदों को हटाना चाहता है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था अपनी मामीको बहका रहा था उसे चुदवासी बना रहा था और उसकी यह चाल कामयाब भी होती नजर आ रही थी,,, मंत्रमुग्ध होकर रूपालीअपने भांजे की हरकत को देख रही थी और अंदर ही अंदर मस्त हो रही थी,,, तभी सुरज बोला,,,,।

मामी मेरे कुर्ते से पानी तो पोंछ दो मुझे ठंड लग रही है,,,

(अपने भांजे की बात सुनते ही रूपाली की सांसे तेज चलने लगी उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या करें वह अपने भांजे के नंगे बदन के बेहद करीब खड़ी थी जिसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,,, मधु‌ अपने मन में सोचने लगी कि इतना कड़क तो मर्दों का लंड तभी होता है,,, जब वह बुर में डालने के लिए तैयार हो जाते हैं,,,, लेकिन मेरे भांजे का तो बहुत मोटा और लंबा है अगर मेरी बुर में गया तो गजब कहल ढाएगा,,, इसकी बाबूजी का तो इससे आधा और पतला ही है हाय दैया मैं तो मर जाऊंगी,,,, अपने मन में इस तरह के विचार लाते हैं रूपालीके गाल शर्म से लाल हो गए वह धीरे से अपने भांजे का कुर्ता हाथ में लिए उसके बेहद करीब पहुंच गई और उसके पीछे खड़ी होकर उसकी पीठ से पानी को पोछने लगी,,,।

थोड़ा नीचे कमर के पास,,,

(रूपाली अपने भांजे के बताए निर्देश के अनुसार कमर तक पानी को साफ करने लगी तभी सुरज और आगे बढ़ते हुए बोला)
कमर के नीचे गांड से लेकर नीचे तक,,,,(सुरज एकदम बेशर्मी भरे शब्दों में बोला अपने भांजे के मुंह से गांड शब्द सुनकर रूपालीमदहोश होने लगी और वैसे भी वह अपने भांजे की गांड को अपने हाथों से स्पर्श करना चाहती थी क्योंकि जब वह अपने कपड़े उतार कर नंगा हुआ था तो वह अपने भांजे की गांड देखकर मस्त हो गई थी,,,, देखते ही देखते रूपालीअपने भांजे के बताए अनुसार वहां गांड से लेकर के नीचे तक उसके पानी को पोछना शुरू कर दी,,,,,, रूपाली की सांसे बहुत ही भारी चल रही थी उसके लिए यह कार्य बेहद जटिल था क्योंकि इस समय उसके भी बदन में उत्तेजना जोर मार रही थी और ऐसे में उसका भांजा पूरी तरह से नंगा खड़ा था और उसका लंड अपनी औकात में था अपने भांजे की गोल-गोल नितंबों को उसके कुर्ते से पोछने पर रूपालीको अत्यधिक उत्तेजना का एहसास हो रहा था और उसे इस बात का भी एहसास होने लगा था कि जब उसे इतना मजा आ रहा है तो औरतों की गांड देखकर मर्दों को कितना मजा आता होगा,,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि आज तक उसने अपने पति को जवानी से लेकर अब तक ना जाने कितनी बार नंगा देखते आ रही है लेकिन कभी भी,, उसकी नजर उसके लंड को छोड़कर और कहीं भी स्थिर हुई ही नहीं शायद उसका शरीर सुरज की तरह गठीला नहीं था,,,,।)

आगे भी पोछ दो,,,,(सुरज अपनी नजर पीछे घुमा कर अपनी मामीकी तरफ देखते हुए बोला,,,, और उसकी मामीबिना कुछ बोले पीछे खड़ी होकर ही कुर्ते को उसकी चौड़ी छाती पर रखकर पानी की बूंदों को साफ करने लगी ऐसा करने से औपचारिक रूप से रूपालीथोड़ा आगे की तरफ आ गई थी जिससे उसका बदन सुरज के बदन से रह रहे का स्पर्श होने लगा था और अपने भांजे के बदन की गर्मी अपने बदन में महसूस करके उसे उत्तेजना तो महसूस हो ही रही थी साथ में ठंड से राहत भी मिल रही थी अपने भांजे की चौड़ी छाती को साफ करते हुए उसे आनंद आ रहा था,,,, और वह अपने मन में सोच रही थी काश वह अपने आपको अपने भांजे की छाती में छुपा पाती तो कितना मजा आता,,,,।)

नीचे भी साफ करो ना मामी कितना गीला हो गया है,,,,।
(अपने भांजे की बातें सुनकर वह पीछे सही अपनी नजरों को आगे की तरफ करते हुए देखी तो उसके दोनों टांगों में कंपन होने लगी सुरज का लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा हुआ था यह स्थिति काफी देर से थी इसलिए रूपालीको समझ में नहीं आ रहा था कि उसके भांजे में कितना दम है कि अभी तक उसका लंड खड़ा का खड़ा है और वह अपने भांजे की बात मानते हुए छाती के नीचे से लेकर पेट तक कुर्ता घुमाने लगी,,, रह रह कर रूपालीका मन कर रहा था कि अपने भांजे के लंड को अपने हाथ से पकड़ ले और उस पर लगा पानी कपड़े से नहीं बल्कि अपनी हथेली से घिस घिस कर साफ करें लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी और वो अपना हाथ धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले जा रही थी कि तभी उसकी हथेली पर चलकर उसके लंड से इस पर सोते हुए नीचे की तरफ आ गई और ऐसा होने पर उसका लंड ऊपर नीचे करके हिलना शुरू कर दिया मानो कि जैसे कोई उसे हाथ में लेकर हिला रहा हो या देखकर और उसके लंड की स्पर्श अपनी हथेली में महसूस करके रूपालीकी बुर पानी पानी होने लगी वह एकदम से शर्म से लाल हो गई और सुरज पूरी तरह से मस्त हो गया लेकिन कुछ बोला नहीं थोड़ी देर में सुरज का बदन रूपालीउसके कुरते से साफ कर चुकी थी और सुरज बोला,,,।


बस करो मामी अब ईसे बांध दो मेरी कमर पर जैसे मै बांधा था,,,,।
(सुरज जानबूझकर सब कुछ अपनी मामीसे करवा रहा था वह एक बहाने से अपने बदन को स्पर्श अपनी मामीसे करवाना चाहता था ताकि उसकी मामीके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और ऐसा हो भी रहा था सुरज की बात मानते हुए रूपालीबिना कुछ बोले उसकी कमर से उसके कुरते को बांधने लगी बांधते बांधते रूपालीउसके सामने आ गई और कुर्ते की गिठान उसकी कमर पर बांधते हुए उसके लंड को ही अपनी स्थिर और प्यासी नजरों से देख रही थी,,,, सुरज मन ही मन प्रसन्न हो रहा था क्योंकि उसका फेंका हुआ पासा काम कर रहा था,,,, रूपालीउसके कुरते को कमर पर बाद चुकी थी लेकिन लैंड खड़ा होने की वजह से कुर्ता उसके ऊपर आकर कपड़े की तरह टांगा गया था जिसे रूपालीखुद अपने हाथों से आगे की तरफ खींच कर उसके लंड के आगे कर दी और लंड को पर्दे के पीछे छुपाने की कोशिश करने लगी जो की पूरी तरह से नाकामयाब नजर आ रहा था क्योंकि पर्दे के पीछे होने के बावजूद भी उसके भांजे का लंड अपनी आभा पूरी तरह से बिखेर रहा था खूंटा बनकर,,, अपनी मामीकी गहरी चलती सांसो को देखकर सुरज के तन बदन में आग लग रही थी वह समझ गया था कि उसकी मामीभी चुदासी हो रही है उसे पूरा विश्वास था कि आज की रात वह अपनी और अपनी मामीके बीच की मर्यादा की दीवार को गिरा कर ही रहेगा,,,)

बस हो गया अब चलो कुछ खा लेते हैं अच्छा हुआ कि मैं बाजार से यह सब ले लिया था वरना आज की रात भूखा ही रहना पड़ता,,,,।
(रूपालीकी सांसे अभी भी ऊपर नीचे हो रही थी वह बिना कुछ बोले आग की दूसरी तरफ जा कर बैठने लगी तो सुरज फिर से बोला,,,)

मामीतुम खामखा परेशानी उठा रही हो मेरी बात मानो अपने कपड़े उतार दो,,, वरना परेशान हो जाओगी बीमार पड़ जाओगे और मैं नहीं चाहता कि तुम बीमार पडो,,,अगर पूरे नहीं तो अपनी साड़ी उतार कर,,, उसे सूखने के लिए धर दो ताकि बाद में आराम से पहन सको,।
(रूपालीअपने भांजे की बातों को सुनकर रोमांचित हो उठती थी क्योंकि ऐसा लग रहा था कि जैसे यह बात उसका भांजा नहीं बल्कि उसका कोई प्रेमी या उसका पति कर रहा हो,,, और वह भी अपने फायदे के लिए ताकि वह उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख सके,,, अपने भांजे की बात से रूपालीभी सहमत थी इसलिए वह बोली,,,)

तू ठीक कह रहा है मुझे भी ठंडक महसूस हो रही है और अगर गिला कपड़ा पहने रहेगी तो शायद बीमार पड़ जाऊंगी,,,।
(अपनी मामीकी है बातें सुनकर सुरज अंदर ही अंदर खुश होने लगा क्योंकि उसकी बात उसकी मामीमान रही थी इसलिए वह उत्साहित होते हुए बोला)

हां तुम जल्दी से अपने कपड़े उतार कर यहां सूखने के लिए डाल दो जहां पर मैं डाला हूं और फिर आकर हम दोनों साथ में खाते हैं,,,,,,,।

लेकिन तू मेरी तरफ देखना नहीं मुझे शर्म आती है,,,

क्या मामीतुम भी,,,, इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है आखिरकार यहां पर मेरे को तुम्हारे सिवा है कौन मैं भी तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा बैठा हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मैं बीमार पड़ जाऊं और फिर बैलगाड़ी चलाने लायक ना रह जाऊं फिर आमदनी कहां से होगी,,,,

नहीं फिर भी मुझे शर्म आती है,,,


क्या मामीमैं तुम्हें पहले भी बता चुका हूं कि मैं तुम्हारे नंगे बदन को देख चुका हूं और उस दिन जब शादी में लेकर जा रहा था तो तुम कुएं के पास बड़े से पत्थर के पीछे बैठकर मुत रही थी,,, तो मैं अनजाने में नहीं तुम्हारे पिछवाड़े को देख लिया था,,,,(अपने भांजे के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर वह एकदम से गनगना गई,,, और फिर अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)

वह तो अनजाने में ना मैं जानती नहीं थी इसलिए लेकिन अभी तो कपड़े उतारुंगी तो तेरे सामने ही ना इसलिए तू मेरी तरफ देखना नहीं,,,,

चलो अच्छा ठीक है मैं नहीं देखूंगा बस अब जाओ जल्दी से आओ मुझे बड़ी भूख लगी है,,,,।

(इतना सुनकर रूपाली ५ कदम दूरी पर जाकर अपनी साड़ी को उतारने लगी खंडहर के इस जगह पर पांच कदमों की दूरी कोई ज्यादा दूर नहीं था जल्दी भी आप की रोशनी सब कुछ साफ नजर आ रहा था लेकिन फिर भी इतनी दूर जाकर शायद रूपालीको इस बात की तसल्ली हो रही थी कि वह अपने भांजे की आंखों के सामने अपने कपड़े नहीं उतार रही है जबकि सुरज अपनी मामीको वादा करने के बावजूद भी चोर नजरों से अपनी मामीकी तरफ ही देख रहा था धीरे-धीरे रूपालीअपनी गीले साड़ी को उतारने लगी और देखते ही देखते अपनी कमर पर बनी साड़ी को उतारकर वह केवल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी हो गई और साड़ी के पानी को साड़ी को गोल गोल घुमा कर उसमें से पानी गारने लगी,,,, अपनी मामीकी यह अदा देख कर सुरज का लंड उछल रहा था अपनी प्रियतमा से मिलने के लिए और उसकी प्रियतमा उसकी मामीकी दोनों टांगों के बीच गुलाबी छेद के रूप में पानी छोड़ रही थी और एक तरह से उसका पानी छोड़ना अपने प्रियतमा को अपनी तरफ आकर्षित करना था,,,,,,, सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि काश उसकी मामीअपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो इस खंडहर में रोनक आ जाती,,, फिर भी बरसात के पानी में भीगा हुआ उसके मामीका पेटीकोट,,, की वजह से वह पेटीकोट उसकी मामीके पिछवाड़े के साथ-साथ उसकी जांघों से एकदम चिपका हुआ था जिससे उधर का अंग एकदम उभरा हुआ नजर आ रहा था,,, जिसे देखकर सुरज का लंड ठुनकी मार रहा था,,,,,,, और वह अपने लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर दबाते हुए बोला,,,।

मेरी मानो तो ब्लाउज रहने दो पेटिकोट उतार दो क्योंकि वह पूरी तरह से भीगा हुआ है,,,,।
(रूपालीअपने भांजे की चालाकी को अच्छी तरह से समझ रही थी पेटीकोट उतारने के बाद बाकी रहता है क्या था वह तो पूरी तरह से नंगी हो जाती इसलिए वह अपनी जज्बातों पर काबू करते हुए बोली,,,)

नहीं नहीं चलेगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह नीचे झुक कर अपनी पेटीकोट को थोड़ा घुटनों तक उठाकर उस में से पानी गारने लगी,,, पेटिकोट को घुटनो तक उठाने की वजह से उसकी गोरी गोरी पिंडलिया आग की रोशनी में साफ नजर आ रही थी जिसे देखकर सुरज का मन एकदम से चुदवासा हुआ जा रहा था,,,, थोड़ी देर में रूपालीअपनी साड़ी को जोर से झटक ते हुए उसी जगह पर ले जाने लगी जहां पर सुरज अपने पजामे को टांगा था और वहीं पर जाकर अपनी साड़ी को भी टांग दी,,,, साड़ी को उतारने के बाद वह केवल पेटीकोट और ब्लाउज में ही थी लेकिन फिर भी अपने भांजे की आंखों के सामने इस अवस्था में आने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह

धीरे-धीरे सब कुछ आते हुए आगे की दूसरी तरफ पहुंच गई और अपनी नजरों को नीचे झुकाए हुए ही उसी अवस्था में नीचे बैठ गई,,, सुरज यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामीअपनी चुचियों के नाम से कहीं कम नापका छोटा ब्लाउज पहनती थी जिसकी वजह से उसके दोनों बड़े-बड़े कबूतर उसमें से बाहर निकलने के लिए पंख फड़फड़ा ते हुए नजर आते थे और ऐसा ही हुआ वह नीचे बैठ गई थी लेकिन उसकी दोनों चूचियां पंख फड़फड़ा कर हवा में उड़ने के लिए बेकरार थी,,,।। जलती हुई आग की रोशनी में सुरज को अपनी मामीकी चूचियां ब्लाउज में कसी हुई एकदम साफ नजर आ रहे थे मन तो कर रहा था कि अपने हाथों से ब्लाउज को फाड़ कर उसकी दोनों चूचियों को बाहर निकाल ले और उसे मुंह में लेकर दबा दबा कर पिए,,,, लेकिन शायद इसमें अभी समय था,,,,,।

अपने भांजे के सामने रूपाली शर्मा से संकुचा रही थी,,, और सुरज अपनी मामीको शर्माता हुआ देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था,,,, समोसे और जलेबी की पडीके को वह खोलकर दोनों जन के बीच में रख दिया था ताकि दोनों आराम से खा सके रूपालीको भी भूख लगी हुई थी और वह तुरंत हटा कर बढ़ाकर समोसा उठाकर खाने लगे सुरज भी जलेबी लेकर खाने लगा लेकिन उसे जलेबी से ज्यादा रस अपनी मामीकी चुचियों से मिल रहा था जिसे देखकर वह और भी ज्यादा प्यासा होता जा रहा था बारिश था कि रुकने का नाम नहीं ले रही थी लगातार बादलों की गड़गड़ाहट के साथ तेज हवाए अपना असर दिखा रहे थे रह-रहकर ठंडी हवा का झोंका दोनों के बदन को गनगना दे रहा था,,,,,,,, तभी जैसे कुछ याद आया हो इस तरह से रूपालीबोली,,,,,।


अरे सुरज मेरी चूड़ियां तो थी ना बैलगाड़ी में,,,

हामा तुम चिंता क्यों कर रही हो चूड़ियां सही सलामत है अगर ना भी होती तो कोई दिक्कत की बात नहीं थी मैं नई खरीद देता,,,

अरे वाह अब तो तू पैसे वाला हो गया है मुझे तो पता ही नहीं था,,, अगर तेरे पास पैसे ना होते तो शायद हम दोनों रात को भूखे ही रहते ,,,

ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा मामी नामदेव राय मेरी जेब में है,,,


मैं तेरी बात को समझी नहीं,,,(रूपाली आश्चर्य जताते हुए बोली)

यूं समझ लो मामीकी मेरे हाथों सोने के अंडे देने वाली मुर्गी लग गई है,,,,,,,


पहेलियां क्यों बुझा रहा है ठीक ठीक बताता क्यों नहीं,,,
(अपने बदन को सिकोड़ते हुए वह बोली,,,)
 
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क्या बताऊं बात ही कुछ ऐसी है तुम विश्वास नहीं करोगी,,,,
(सुरज गर्म लोहे पर हथोड़ा चलाने में माहिर था वह समझ गया था कि उस राज को यहां पर बताने का वक्त आ गया है वह जानता था कि इस तरह की बातें सुनकर उसकी मामी के मन में भी कुछ कुछ होने लगेगा इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
मेरे हाथों एक राज लग गया है जो किसी को भी पता नहीं है इसीलिए तो नामदेवराय पूरी तरह से मेरे कब्जे में है,,,।


कौन सा राज कैसा राज मुझे बताएगा भी या यूं ही बडबडाता रहेगा,,,,,,

देखो मामी मैंने आज तक नामदेवराय का यह राज किसी को भी नहीं बताया हूं क्योंकि ‌नामदेवराय से मैंने वादा किया था कि यार आज मेरे सीने में दफन रहेगा मैं किसी से नहीं बताऊंगा इसलिए सिर्फ तुम्हें बता रहा हूं कि मेरे पर लाला इतना मेहरबान क्यों हुआ है और क्यों मामाजी का कर्जा माफ कर दिया,,,,(रूपाली एकदम उत्साहित हो गई थी अपने भांजे की बात सुनने के लिए कि ऐसा कौन सी राज है जिसके चलते नामदेवराय इतना मेहरबान हो गया है अपनी मामी की उत्सुकता देखकर सुरज बहुत खुश हो रहा था क्योंकि सुरज को तो पता ही था कि उसे क्या कहना है जो कि वह अपनी बात को नमक मिर्च लगाकर बताने जा रहा था और उसकी मामी को तो यह अंदाजा भी नहीं था कि सुरज कौन सा राज बताएगा,,,,)
तुम्हें पता है मा कुछ दिन पहले,, मैं नामदेवराय के कर्जे का ब्याज देने के लिए उसके हवेली पर गया था,,,, और मुझे रात हो गई थी हवेली का दरवाजा खुला होने की वजह से मैं वही बैलगाड़ी खड़ा करके अंदर चला गया लेकिन कोई भी नजर नहीं आ रहा था मैं धीरे-धीरे हवेली के अंदर प्रवेश कर गया,,, लेकिन उधर भी कोई नहीं था ,,,

फिर,,,,,?

फिर क्या मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं मेरा मन कर रहा था कि वापस घर लौटा हूं लेकिन उसे पैसे देने थे इसलिए मैं रुका रह गया तभी मुझे सीढ़ियों के ऊपर वाले कमरे से हंसने की आवाज आने लगी,,,

क्या,,,, कोई भूत चुड़ैल का मामला तो नहीं है,,,(घबराते स्वर में रूपाली बोली,,)

अरे नहीं मामी तुम आके तो सुनो भूत चुड़ैल वाली कोई बात नहीं है,,,,, मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा मुझे डर भी लग रहा था क्योंकि हवेली में कोई नजर नहीं आ रहा था और ऐसे में कोई मुझ पर चोरी का इल्जाम भी लगा सकता था कि चोरी छुपे हवेली में घुस रहा है,,,, लेकिन छोटी मालकिन मुझे जानती थी इसलिए मुझे थोड़ी बहुत हिम्मत थी ,,, मैं धीरे-धीरे सीढ़ियों से ऊपर की तरफ चढ गया,,, मैं धीरे-धीरे उस कमरे की तरफ जाने लगा जहां से हंसने की आवाज आ रही थी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था ,,, कि कमरे में कौन है,,,,,, मैं तो धीरे-धीरे उस कमरे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,,।
(रूपाली बड़ी उत्सुकता और खामोशी से अपने भांजे की बात सुन रही थी वह उस राज को जाना चाहती थी जिसकी बदौलत उसका इतने वर्षों का कर्जा माफ हुआ था,,, बरसात बड़े जोरों की पड़ रही थी बादलों की गड़गड़ाहट जा रही थी तेज हवाएं अपना असर दिखा रही थी लकड़ी में आग अभी भी चल रही थी जिसकी बदौलत दोनों को इस तूफानी बारिश की ठंडक में गर्माहट मिल रही थी,,,, रूपाली ब्लाउज और पेटीकोट में थी और सुरज पूरी तरह से नंगा था सिर्फ एक कुर्ता अपनी कमर पर लपेटा हुआ था जिसके लपेटने का भी कोई मतलब नहीं था क्योंकि उसका लंड टनटनाता हुआ नजर आ रहा था और चोर नजरों से रूपालीअपने भांजे के बम पिलाट लंड का दर्शन करके अंदर ही अंदर मस्त हो रही थी,,,, और सुरज ऐसे माहौल में अपनी बातों में नमक मिर्ची लगाकर बता रहा था,,,।)
मेरा दिल तो जोरों से धड़क रहा था लेकिन फिर भी मैं धीरे-धीरे दरवाजे तक पहुंच गया,,,(जलेबी का लुफ्त उठा ता हुआ सुरज बोल रहा था,,,,) दरवाजा बंद था अंदर से हंसने की आवाज लगातार आ रही थी,,, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है लेकिन था अभी थोड़ी देर बाद अंदर से आ रही हंसने की आवाज बदल गई,,

बदल गई मतलब,,,?(रूपाली आश्चर्य जताते हुए बोली,,)

बदल गई मतलब जो आवाज कुछ देर पहले हंसने की आ रही थी वही आवाज सहहहहहह आहहहहहहह ऊईईईईई इस तरह की आने लगी,,,,,

क्या इस तरह की आवाज,,,(रूपाली इस तरह की आवाज को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां मामी इस तरह की आवाज मुझे तो समझ में नहीं आ रहा था की आवाज कैसी है,,, मैं यही जानने के लिए खिड़की के पास गया तो देखा खिड़की थोड़ी सी खुली हुई थी और मैं खिड़की में से जैसे ही अंदर नजर दौड़ा आया तो अंदर का नजारा देखकर तो मेरा होश उड़ गया,,,

ऐसा क्या देख लिया अंदर,,,?


अरे मामी मैंने अंदर जो कुछ भी देखा उसे देखकर तो मुझे अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं हो रहा था मैंने देखा कि नामदेवराय पूरी तरह से नंगा था,,, और वह एक औरत को चोद रहा था,,,,।

क्या,,,, क्या कहा तूने,,,

हां मामी मैं सच कह रहा हूं नामदेवराय पूरी तरह से लगा था और वह एक औरत को चोद रहा था और अब बिस्तर पर पीठ के बल लेटी थी नामदेवराय उसकी दोनों टांगे पकड़ कर फैलाया हुआ था,,, और उसकी बुर में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था,,,,(ऐसा कहते हुए सुरज जानबूझकर अपने लंड को खुजलाने का नाटक कर रहा था और यह देखकर और उसकी गंदी बातों को सुनकर रूपाली के तन बदन में आग लग रही थी सुरज जानबूझकर बेशर्मी दिखाते हुए इस तरह से लंड और बुर जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा था,,,,)

यह क्या कह रहा है सुरज,,,

हां मामी मैं एकदम सच कह रहा हूं,,,, मेरी तो हालत तब और ज्यादा खराब हो गई जब मैंने देखा कि वह औरत कोई और नहीं बल्कि उसकी छोटी बहन कजरी है,,,,

क्या,,,,?(अपने भांजे के मुंह से कजरी का जिक्र आते ही रूपाली एकदम आश्चर्य से हैरान होते हुए बोली क्योंकि वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि कजरी नामदेराय की छोटी बहन थी,,,,) नहीं सुरज तुझसे कोई भूल हो रही होगी,,,


मुझे भी पहले ऐसा ही लगा था ना मैं बार-बार अपनी आंखों को मलमल कर अंदर के दृश्य को देख रहा था लेकिन मैं कजरी को अच्छी तरह से जानता हूं छोटी मालकिन का चेहरा में कैसे भूल सकता हूं वह तो हमें पढ़ाती थी ना,,, मैंने जो देखा वह मेरी आंखों का धोखा नहीं बल्कि हकीकत था सोनी पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी दोनों टांगे चौड़ी थी और नामदेवराय उसकी बुर में अपना लंड डालते हुए उसकी बड़ी बड़ी चूची को पकड़कर दबा रहा था और उसे भी मजा आ रहा था ऐसा नहीं था कि वह मजबूरी में अपने भाई के साथ ऐसा कर रही थी वह पूरा आनंद ले रही थी,,,,


क्या कह रहा है सुरज वह दोनों तो भाई बहन है ना,,,


हां मामी यह बात में भी अच्छी तरह से जानता हूं कि दोनों भाई बहन हैं लेकिन जो मैंने अपनी आंखों से देखा वह झूठ नहीं था तभी तो लाला आज मेरे काबू में है,,,,


लेकिन भाई बहन के बीच,,, ऐसा रिश्ता संभव नहीं हो सकता,,,

अरे कैसे नहीं हो सकता मामी मैंने तुम्हें बताया था ना नामदेवराय और उसकी बहन के बारे में तो यह दोनों तो भाई बहन हैं और पूरी हवेली में अकेले ही रहते हैं और तो और कजरी पूरी तरह से जवान है खूबसूरत है उसे भी तो मर्दों की जरूरत पड़ती होगी और लाला जो अकेला रहता आ रहा है उसे भी तो औरत की जरूरत पड़ती होगी दोनों एक दूसरे की जरूरत पूरी कर रहे हैं बस,,,,।

(सुरज नामदेवराय और कजरी का जिक्र छेड़ कर अपना उल्लू सीधा करना चाहता था वह रिश्तो के बीच शारीरिक संबंधों को कोई गलत बात नहीं मानता है ऐसा अपनी मामी को जताना चाहता था ताकि वह अपनी मामी के साथ शारीरिक संबंध बना सकें,,, सुरज अपनी मामी को नामदेवराय और कजरी की बात बताते हुए पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और यही असर रूपाली के बदन में भी हो रहा था उसका चेहरा लाल हो चुका था और उत्तेजना के मारे सुरज अपनी मामी की आंखों के सामने ही अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा लिया था ऐसा लग रहा था जैसे कि वह मुठ मारने जा रहा हूं या देखकर रूपाली के तन बदन में भी आग लग रही थी एक तो नामदेवराय और कजरी दोनों भाई-बहन के बीच के रिश्ते के बारे में सुरज ने बताकर आग में घी डालने का काम कर दिया था रूपाली भी सोचने पर मजबूर हो गई थी कि आखिरकार अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए भाई बहन आपस में ही अपने पवित्र रिश्ते को कलंकित करते हुए एक दूसरे से आनंद लेते हैं और शुभम और उसकी मां का जिक्र भी उसे मालूम था जो कि दोनों अपनी जरूरत पूरा करने के लिए एक दूसरे के साथ सारे संबंध बनाकर मजा ले रहे थे,,, इस तरह का ख्याल रूपाली के मन में आ रहा था और वह यह सोच रही थी कि क्यों ना वह भी अपने भांजे के साथ शारीरिक संबंध बनाकर जवानी का मजा लुटे क्योंकि बार-बार वह अपनी भांजे के लंड की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,,। उसे किसी ख्यालों में खोया देखकर सुरज बोला,,,)


क्या हुआ मामी कहां खो गई,,,,

कककक,,, कुछ नहीं,,,(रूपाली हक लाते हुए बोली) मैं कजरी और नामदेवराय के बारे में सोच रही थी। दोनों भाई बहन है समाज में दोनों का इज्जत है रुतबा है जमीदार है और इतनी पूछी पदों पर होने के बावजूद भी दोनों आपस में ही इस तरह के संबंध,,,,, मेरा मतलब है क्या रिश्तो में यह सब मुमकिन है,,,


क्या मामी तुम भी पागलों जैसी बात करती हो मैं गांव में ही दो जन का उदाहरण तुम्हें बता चुका हूं फिर भी हर घर में रिश्तो में इस तरह के संबंध होते ही हैं बस किसी को खबर नहीं पड़ती सब लोग अपने अपने तरीके से अपनी जरूरत को पूरा करते हैं,,,,,
(दोनों आपस में बात करते हुए जलेबी और समोसे खा कर खत्म कर चुके थे,,,, सुरज खरबूजे को हाथ से तोड़कर आधा खरबूजा अपनी मामी की तरफ बढ़ा दिया था उसकी मैं अपना हाथ आगे बढ़ा कर खरबूजा थाम ली थी,,, इस मौके का फायदा उठाते हुए सुरज चुटकी लेते हुए बोला,,,)

तुम्हारे ही नाम का है ना मामी,,,,

(सुरज की बात सुनकर रूपाली उसके मतलब को समझते हुए अनजाने में ही खरबूजा हाथ में लिए हुए ही अपनी छातियों की तरफ देखी तो शर्म से पानी-पानी हो गई और वह नजरें नीचे झुका कर बोली,,)

धत सुरज तू बहुत शैतान हो गया है,,,

शैतान नहीं जानकार हो गया हूं तुम्हारी चूची को बिना हाथ में लिए ही मैं तुम्हारी चूची का नाप का खरबूजा खरीद लिया इससे बड़ी बात क्या हो सकती है,,,,


हां तू बहुत औरतों के बारे में समझने लगा है ना,,,,
(इतना कहकर खरबूजा खाने लगी सुरज भी अपना खरबूजा खाने लगा,,, बैल आराम से कोने में बैठा हुआ था शायद उसे भी इस तूफानी बारिश में इस खंडहर में सर छुपाने से राहत की अनुभूति हो रही थी,,,,, तेज बारिश बादलों की गड़गड़ाहट लगातार जारी थी खरबूजा खाते ‌ हुए रूपाली बोली,,,)

मैंने आज तक इतनी तेज बारिश नहीं देखी और इतनी देर तक गिरते हुए नहीं देखी,,,, चारों तरफ पानी पानी हो गया होगा,,,,


तुम सच कह रही हो मामी,,,, मैंने भी आज तक इस तरह की तूफानी बारिश नहीं देखा हूं,,, शायद यह बरसात भी हम दोनों को मिलाना चाहती है,,,
(सुरज के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ कर हम रूपाली की हालत खराब होने लगी उसकी बुर पानी टपकाने लगी,,,, और वह बात के रुख को बदलते हुए बोली)

कितना समय हो रहा होगा सुरज,,,


अरे अभी कोई ज्यादा समय नहीं हुआ है इस समय तो हम लोग खाना खाकर सोने की तैयारी करते हैं,,,

बाप रे अभी तो पूरी रात बाकी है,,,


अगर बारिश बंद भी हो गई तो भी हमें रुकना होगा क्योंकि चारों तरफ पानी ही पानी होगा कुछ नजर नहीं आएगा सुबह होने का इंतजार करना ही पड़ेगा,,,

हाय दैया पता नहीं है रात कैसे गुजरेगी,,,
(रूपाली अंदर ही अंदर थोड़ा घबराहट महसूस कर रहे थे बरसात या भूत प्रेत से नहीं बल्कि अब उसे अपने भांजे से घबराहट होने लगी थी अपने भांजे की मौजूदगी में उसकी बातों को सुनकर उसका मन देखने लगा था वह किसी तरह से अपने मन को काबू में रखी हुई थी लेकिन ऐसा लग रहा था कि वह ज्यादा देर तक अपने मन पर काबू नहीं कर पाएगी और अगर वह अपने भांजे के साथ बहक गई तो क्या होगा यही सोचकर वह हैरान हो रही थी कि तभी उसे जोरो की पिशाब लगी हुई थी और जलेबी समोसा और खरबूजा खाने से प्यास भी लगी हुई थी लेकिन पानी कैसे पिए गी उसे समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह अपने भांजे से बोली,,)

मुझे जोरों की प्यास लगी है लेकिन पानी तो यहां है नहीं,,,,


क्या मामी तुम भी इतनी बारिश हो रही है और तुम कह रही हो यहां पानी नहीं है चलो मैं तुम्हें पिलाता हूं पानी,,,,,,(इतना कहकर वह अपनी जगह से खड़ा हो गया लेकिन उसका लंड कुर्ते की आड़ में तंबू बनाया हुआ था जिस पर रूपाली की नजर पड़ते ही उसकी बुर पानी पानी हो गई,,, अपनी मामी की हालत को देखकर सुरज अपने मन में सोचने लगा कि काश मैं तुम्हारी दोनों टांगों के बीच मुंह लगाकर तुम्हारा पानी पी पाता तुम्हें अपनी प्यास बुझा देता और तुम्हारे मुंह में अपना देकर तुम्हारी प्यास बुझा देता,,,, अपने भांजे के खड़े लंड को देखकर रूपालीकी हालत खराब होने लगी सुरज वहा खड़ा होते हैं आगे की ओर बढ़ गया जहां पर बरसात का पानी गिर रहा था,,,,, वह थोड़ा अंधेरा था वहीं से एक नाली बनाकर ऊपर से पानी गिर रहा था जिस पर अपना दोनों हाथ सटाकर सुरज खड़ा हो गया और उसके हाथ में पानी गिरने लगा जिसकी धार नीचे गिरने लगी सुरज तुरंत बोला,,,.

जल्दी आओ मामी,,,,,

(अपने भांजे का जुगाड़ देखकर रूपाली मन ही मन प्रसन्न हो गई और अपनी जगह से खड़ी होकर तुरंत सुरज के पास आई और उसके दोनों हथेली में से गिर रहे पानी को खुद अपनी दोनों हथेली लगाकर अपने मुंह से हटा ली जिससे नीचे गिरने वाला पानी उसकी प्यास बुझाने लगा वह पानी पीने लगी लेकिन जिस तरह से वह झुकी हुई थी उसकी चूचियां ब्लाउज से बाहर नजर आ रही थी अगर एक भी बटन कमजोर होता तो शायद बटन तोड़ कर उसकी दोनों खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां बाहर निकल आती रूपालीपानी पी रही थी और सुरज पानी पिला रहा था लेकिन अपनी नजरों से अपनी मामी की जवानी देख रहा था,,, और अपने मन में कह रहा था कि तुम बरसात का पानी पी लो और मुझे अपना चूची का पानी पिला दो,,,, थोड़ी ही देर में पानी पीकर रूपालीअपनी प्यास बुझा ली थी,,, और फिर खुद सुरज की तरह करके खड़ी हो गई और सुरज उसी तरह से पानी पीने लगा दोनों पानी पी चुके थे लेकिन रूपाली को जोरो की पिशाब लगी हुई थी,,,, इसलिए मधुभाई खड़ी होकर सुरज को अपनी जगह पर जाने के लिए बोली,,,।


सुरज तू जा मैं अभी आती हूं,,,


अरे यहां खड़ी खड़ी क्या करोगे देख नहीं रही हो चारों तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है,,,


अरे बुद्धू मैं जानती हूं तू जा तो सही मुझे काम है,,,

(सुरज समझ गया था कि उसकी मामी को जोरो की पेशाब लगी होगी इसलिए उसे वहां से जाने के लिए कह रही है इसलिए सुरज भी चुपचाप अपनी जगह पर आकर खड़ा हो गया वह अपनी मामी की नंगी गांड को देखना चाहता था जहां पर उसकी मात्र बाफना दे रहा था लेकिन वह जानता था कि रह-रहकर बिजली चमक रही थी और बिजली की चमक के उजाले में उसकी मामी एकदम साफ नजर आ जा रही थी ऐसे में उसकी गोरी गोरी गांड भी एकदम साफ नजर आएगी इसीलिए सुरज दूर जाकर भी अपनी निगाहों को

अपनी मामी से अलग नहीं कर पाया,,,, और सुरज के दूर जाते ही रूपालीअपना पेटीकोट को एकदम से कमर तक उठा दी थी क्योंकि उसे इस बात का अहसास था कि जहां पर वह खड़ी है वहां पर अंधेरा था और जलती हुई आग की रोशनी भी वहां तक नहीं पहुंच पा रही थी ऐसे में उसका भांजा उसकी नंगी गांड को नहीं देख सकता,,, इसीलिए वह पूरी तरह से निश्चित थी लेकिन उसे क्या मालूम था कि जलती हुई आग के उजाले में ना सही,,,, पर बिजली की चमक में वह नजर आ जा रही थी और जैसे ही वह अपने पेटिकोट को अपनी कमर तक उठाई थी वैसे ही बिजली की चमक पूरे खंडार में फैल गई थी और उस चमक में सुरज को अपनी मामी की नंगी चिकनी गांट पानी में भीगी हुई नजर आने लगी जिसे देखते ही सुरज का लंड और ज्यादा कड़क हो गया सुरज अपनी जगह पर खड़ा था और कुर्ते के अंदर हाथ डाल कर अपने लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया था शुरू से ही सुरज की कमजोरी उसकी मामी की गोल-गोल बड़ी बड़ी गांड रही थी और उसे अपनी नजरों के सामने देखा था वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,।

जब जब बादल में बिजली चमकती थी तब तक कुछ क्षण के लिए उजाला हो जाता था लेकिन फिर अंधेरा ही अंधेरा ऐसा ही हुआ था,,, अपनी मामी की नंगी गांड देखने के तुरंत बाद अंधेरा हो गया था और रूपालीनीचे बैठकर पेशाब करना शुरू कर दी थी,,, सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था वह जानता था कि उसकी मामी पेशाब करने वाली है लेकिन अंधेरा होने की वजह से वह देख नहीं पा रहा था कि तभी फिर से बिजली की चमक फैल गई और सुरज को उसकी मामी बैठकर पेशाब करते हुए नजर आने लगी बारिश का शोर और हवाओं का जोर इतना तेज था कि पेशाब करने पर उसमें से आ रही सु मधुर आवाज सुरज के कानों तक बिल्कुल भी नहीं पहुंच पा रही थी रूपाली पेशाब करने में पूरी तरह से व्यस्त थे और सुरज अपनी मामी की नंगी गांड देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था कि तभी दूसरी ओर से उसे एक लंबा सा सांप पानी में तैरता हुआ उसकी माह के पास जाता हुआ नजर आया वह तुरंत पास में पड़ा एक बड़ा लकड़ा उठा लिया,, लेकिन उसने अपनी मामी को सांप के बारे में बिल्कुल भी नहीं कहा वह धीरे-धीरे जाकर अपनी मामी के बेहद करीब खड़ा हो गया जहां पर उसे अपनी मामी के पेशाब करने की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रहा था तभी बिजली की चमक हुई और उसके उजाले में सांप उसकी मामी के बेहद करीब आता हुआ नजर आया और एक क्षण भी गवाह बिना सुरज उस बड़े लकड़ी के सहारे से सांप को उठाकर दूर पानी में फेंक दिया,,,, तब तक रूपालीको एहसास हो गया था कि उसके पास एक बहुत बड़ा सांप आ गया था और वह तुरंत खबर आकर खड़ी हो गई और तभी बादलों में तेज गड़गड़ाहट हुई जिसकी बदौलत मधुर एकदम से घबरा कर अपने भांजे के छाती से लग गई सुरज की तुरंत अपनी मामी को अपनी बाहों में जकड़ लिया,,,,,,, सांप पानी में दूर जा चुका था खतरा टल चुका था लेकिन सुरज के दिन की घंटी जोर-जोर से बचना शुरू हो गई थी क्योंकि उसकी मामी का भीगा बदन उसकी बाहों में आ गया था सुरज तुरंत मौके का फायदा उठाते हुए लकड़ी को एक तरफ फेंक दिया और अपनी दोनों हथेली को अपनी मामी की नंगी गांड पर रखकर उसे जोर से दबा दिया पेटीकोट गीला होने की वजह से रूपालीके उठने के बावजूद भी उसका पेटिकोट उसकी कमर से चिपका ले गया था जिससे उसकी गांड एकदम नंगी हो गई थी,,, सुरज पूरी तरह से पलभर में ही मदहोश हो गया मधुर पूरी तरह से घबरा चुकी थी एक तो लंबा सांप और ऊपर से बादल की गड़गड़ाहट वह पूरी तरह से सहम गई थी और अपने भांजे के छाती में अपना मुंह छुपा दी थी लेकिन उसे इस बात का आभास बिल्कुल भी नहीं था कि एक खतरा तो टल चुका था लेकिन जिंदगी का दूसरा खतरा उसके सामने घंटी बजा रहा था उसका खड़ा लंड एकदम से उसकी नंगी बुर पर दस्तक देना शुरू कर दिया था जैसे ही रूपालीउसकी छाती से लगी थी,,, सुरज फुर्ती और चालाकी दिखाते हुए अपने कुर्ते को कमर से निकाल कर फेंक दिया था जिससे वह एकदम नंगा हो गया था और इसी का फायदा उसे प्राप्त हो रहा था कि इस समय उसका नंगा लंड उसकी मामी की नंगी बुर के ऊपरी सतह पर रगड़ खाने लगा था,,,,,,,।

रूपालीकी घबराहट के मारे गहरी गहरी सांस चल रही थी जिसकी बदौलत उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां सुरज की छाती पर उठ बैठ रही थी जिसके चलते सूरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी सुरज लगातार अपनी मामी की गांड दबा रहा था,,,,,, जिसके चलते उसका लंड और भी ज्यादा कड़क हो गया था,,,, जैसे ही रूपालीको इस बात का एहसास हुआ कि वह अपने भांजे की बाहों में है और उसकी है दोनों हथेली उसकी नंगी चिकनी गांड पर है और उसका मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर के द्वार पर ठोकर मार रहा है वह पूरी तरह से सिहर उठी,,, वह पल भर में एकदम से चुदवासी हो गई,,,,,,,,, उसका मन कर रहा था किसी से भी अपनी दोनों टांगें खोलकर अपने भांजे का लंड को अपनी बुर के अंदर ले ले,,,, वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी जिसकी गवाह उसकी उखड़ी सांसे थी सुरज पूरी तरह से इस पल का मजा लेते हुए हालात का फायदा उठा रहा

था और अपनी मामी की गोरी गोरी नंगी गांड को अपनी हथेली में ले ले कर जोर जोर से दबा रहा था जिसका असर उसके बदन के साथ-साथ उसकी मामी के बदन में भी हो रहा था,,,,,,,। सुरज को लगने लगा था कि उसकी मामी अब इंकार नहीं कर पाएगी और उसके लंड को अपनी बुर में लेने की लेकिन तभी रूपालीको इस बात का एहसास हुआ कि जो कुछ भी हो रहा है गलत हो रहा है तुरंत अपने भांजे की बाहों से अलग हुई उसके चेहरे पर उत्तेजना और सर में दोनों साफ नजर आ रहे थे और वह धीरे से अपने पेटिकोट को नीचे सरकार ने लगे और अपनी नंगी चिकनी गांड को पर्दे के पीछे छिपा ली,,,, और बातों का रुख बदलते हुए बोली,,।


मुझे तो पता ही नहीं चला कि इतना बड़ा सांप मेरी तरफ आ रहा है,,,

मैं भी नहीं देखा था वह तो मेरी नजर पड़ गई मैं तुमको अगर आवाज देता तो तुम घबरा जाती तुम्हारा पांव फिसलने का डर रहता तुम पानी में गिर सकती थी इसलिए मैं कुछ बोला नहीं और तुम्हारे पीछे जाकर सांप को हटा दिया,,,

तू ना होता तो पता नहीं क्या होता,,,,,।
(इतना कहते हुए रूपालीवापस अपनी जगह पर आकर बैठ गई लेकिन कुछ क्षण पहले जो कुछ भी हुआ था वह उसे पूरी तरह से मदहोश बना रहा था वह पहली बार अपने भांजे के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के मुख्य द्वार पर महसूस करके एकदम मस्त हो गई थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि जब बाहर उसके भांजे का लंड इतना बवाल मचा रहा है तो अंदर जाकर क्या कहर ढाएगा,,,,, सुरज पूरी तरह से नंगा था क्योंकि उसने कुर्ते को ना जाने कहां फेंक दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वह इधर उधर ढूंढ रहा था तभी उसकी मामी बोली,,,।)

क्या ढूंढ रहा है,,,


तुम्हें सांप से बचाने के चक्कर में ना जाने मेरा कुर्ता कहां गिर गया,,,,


यहीं कहीं होगा,,,,


दिखाई नहीं दे रहा है,,,,


अब इस अंधेरे में तू कहां ढूंढेगा,,,,, अब सुबह में ही मिलेगा,,,,,

हां तुम सच कह रही हो मामी,,,(अपनी मामी के सामने नंगा रहने में सुरज को बहुत अच्छा लग रहा था और वह तुरंत नंगा ही आकर अपनी मामी के ठीक सामने आग के उस पार बैठ गया रूपालीको अपनी बेटी का लंड एकदम बराबर नजर आ रहा था एकदम खड़ा खूंटा की तरह जिसमें दमदार बेल को बांधा जाता था शायद औरत की उफान मारती जवानी को काबू में करने के लिए यही खूंटा काम भी आता है यही सोचकर रूपालीकी बुर पानी छोड़ रही थी,,,, रात गुजरने में अभी बहुत समय बाकी था अभी तो शुरुआत हुई थी लेकिन सुरज को गुस्सा आ रहा था कि वह इतना समय बीत गया लेकिन अभी तक अपनी मामी की जवानी पर काबू नहीं कर पाया था कुछ देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रह गए,,, जिस तरह के हालात दोनों के बीच पैदा हुए थे उसे देखते हुए दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर जा चुकी थी नहीं तो दोनों को बिल्कुल भी नहीं आ रही थी लेकिन रूपालीको थोड़ी थकावट महसूस हो रही थी,,,,,, इसलिए वह बोली,,,।

बैठे-बैठे मैं थक गई हूं,,,,


कोई बात नहीं मैं तुम यही लेट जाओ मैं यहां लेट जाता हूं रुको मैं तुम्हारी साड़ी नीचे बिछा देता हूं,,,(इतना कहते ही सुरज अपनी जगह से खड़ा हुआ और खोटे में टंगी हुई अपनी मामी की साड़ी को लेने लगा और रूपालीअपने भांजे के नंगे बदन को एक बार फिर से देखकर मदहोश होने लगी जब वह वापस आने लगा तो उसके हिलते हुए लंड को देखकर उसका धैर्य जवाब देने लगा सुरज भी अब इस रात का मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए ज्यादा से ज्यादा अपनी मामी को उत्तेजित करने की कोशिश कर रहा था वह तुरंत साड़ी को नीचे जमीन पर बिछाने लगा,,,,,)
आ जाओ इस पर तुम यहां लेट जाओ मैं वहां लेट जाता हूं,,,,(इतना कहकर वह अपने मन में सोचने लगा की काश उसकी मामी उसे भी अपने पास लेटने के लिए बोलती तो कितना मजा आ जाता,,,,,, और तभी रूपालीबोली)

तू वहां जमीन पर क्यों मेरे पास ही आ कर लेट जा क्योंकि मुझे सांप से बहुत डर लगता है और अगर सांप आ गया तो मैं अकेले नहीं सोऊंगी,,,


क्या मैं इतनी बड़ी हो गई हो फिर भी डरती हो चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हारे साथ लेट जाता हूं,,,,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों साड़ी के ऊपर लेट गए रूपालीपीठ के बल लेटी हुई थी और सुरज अपनी मामी की तरफ मुंह करके लेटा हुआ था गहरी सांस चलने की वजह से रूपाली की चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जिससे सुरज को अपनी मामी का ब्लाउज ऊपर नीचे होता हुआ नजर आ रहा था जिसे देखकर वह कैसी हो रहा था कुछ देर तक दोनों खामोश रहे रूपालीके तन बदन में आग लगी हुई थी वह भी पुरुष संसर्ग के लिए तड़प रही थी खास करके अपने भांजे के लिए अपनी बेटी के लंड को अपने दिल की गहराई में महसूस करना चाहती थी उसका धैर्य पूरी तरह से जवाब दे रहा था,,,, लेकिन शर्म और मर्यादा की दीवार उसे रोक रही थी वह लाला और उसकी बहन के बारे में सोचने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि क्या यह सच में हो सकता है इसीलिए अपनी शंका को दूर करने के लिए वह फिर से अपने भांजे से बोली,,,)

क्या सच में नामदेवराय अपनी बहन के साथ था,,,,
(अपनी मामी का यह सवाल सुनकर सुरज अंदर ही अंदर प्रसन्न होने लगा,,,, वह समझ गया कि उसकी मामी के दिल में भी कुछ-कुछ हो रहा है इसलिए वह फिर से बोला,,,)

हां मैं मैं सच कह रहा हूं तभी तो नामदेवराय मेरी हर एक बात मानने लगा उसका राज राज रखने के लिए पहले तो वह मुझे भी बोला कि मुंह चुप करने के बदले में वह भी मेरी बहन की चुदाई कर ले लेकिन मैं ऐसा करने से डर रहा था क्योंकि मैं ऐसा करता तो शायद वह मुझ पर गलत इल्जाम लगवा कर मुझे मरवा सकता था,,,,


क्या कर तेरा मन करता है तो तू भी नामदेवराय की बहन के साथ वह सब करता जो नामदेवराय कर रहा था,,,,


जरूर कर लेता लेकिन उससे पहले मुझे अपना कर्जा माफ करवाना था आमदनी कमाना था इसलिए मैं उसकी बहन को छोड़कर अपना कर्जा माफ करवाया,,,,।

दैया रे दैया मैं तो सोच भी नहीं सकती थी ऐसे इंसान भी दुनिया में है जो अपनी ही बहन और अपनी ही मा के साथ ऐसा करते हैं,,,,(ऐसा कहते हुए वह खुद दूसरी तरफ करवट लेकर घूम गई और अपनी गांड को अपने भांजे के लंड के सामने परोस दी क्योंकि वह भी उसी तरह से लेटा हुआ था,,,, रूपाली गहरी सांस लेते हुए बोली)
मुझे ठंड लग रही है,,,,


कह तो रहा था मैं तुम्हारे कपड़े गीले हो गए हैं उसे उतार दो तो तुम्हें शर्म के मारे अपने कपड़े नहीं उतार रही हो यहां पर मुझसे कैसी शर्म,,,, चलो कोई बात नहीं मैं तुम्हें गर्मी देने की कोशिश करता हूं ,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह खुद ही आगे सरक गया और अपने बदन को अपनी मामी के बदन से एकदम से हटा दिया ऐसा करने से उसका खड़ा लैंड सीधे-सीधे उसकी मामी की गांड पर रगड़ खाने लगा रूपालीएकदम से मचल उठी लेकिन बोली कुछ नहीं उसे साफ महसूस हो रहा था कि उसके भांजे का मोटा तगड़ा लंड उसकी गांड पर ठोकर लगा रहा था और उसी गर्मी देने की कोशिश कर रहा था सुरज की हरकत से उसे थोड़ी गर्माहट महसूस होने लगी थी और सुरज भी अपना एक हाथ आगे से ऊपर की तरफ लाकर अपनी मामी के ऊपर रखकर उसे अपनी बाहों मे जकड़ते हुए बोला,,,,,)


थोड़ी गर्मी मिली,,,,

हां अब थोड़ा ठीक लग रहा है,,,,


अगर अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती तो तुम्हें ठंड लगने नहीं देता,,,,


नहीं मुझे शर्म आती है अगर मैं अपने कपड़े उतार कर तेरे सामने नंगी हो गई तो मैं सोच रही हूं कि कहीं तू भी लाला और श्याम की तरह ना बन जाए,,,,


क्या बात तुम भी मुझे उन लोगों की तरह समझी हो ऐसा करना होता तो अब तक मेरा लंड तुम्हारी बुर की गहराई नाप रहा होता मैं तुम्हें चोदचुका होता,,,,
(सुरज पूरी तरह से अपनी मामी से बेशर्मी भरी बातें कर रहा था यह सुनकर रूपालीपूरी तरह से गनगना गई थी और वह बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आती मुझसे इस तरह की बातें करते हुए,,,


तुमसे शर्म करूंगा तो अपने मन की बात किस से कहूंगा,,, वैसे भी मैं तुमसे बहुत कुछ बता चुका हूं जो कि तुम्हें नहीं बताना चाहिए था क्योंकि मैं तुम्हें जानता हूं कि तुम बहुत अच्छी हो मेरी बात का बुरा नहीं मानोगी,(एक तरफ सुरज अपनी बातों से अपनी मामी का दिल बहला रहा था और दूसरी तरफ अपने लंड को और ज्यादा अपनी मामी की गांड से रगड़ रहा था और अपना हाथ आगे की तरफ लाकर अपनी मामी की चूची पर रख दिया था लेकिन उसे दबा बिल्कुल भी नहीं रहा था वह सिर्फ मौके की तलाश में था लेकिन अपने भांजे की हरकत से रूपालीपूरी तरह से गर्म हुए जा रही थी वह समझ गई थी कि अब वापस लौटना मुश्किल है,,,,)

तेरी बात का मुझे बुरा नहीं लगता सिर्फ डरती हु कि हम दोनों के बीच कुछ ऐसा ना हो जाए जो कि जमाने को पता चले तो हम दोनों बदनाम हो जाए,,,


ऐसा कुछ भी नहीं होगा अगर हम दोनों के बीच ऐसा कुछ होता है तो यह राज हम दोनों के बीच ही रहेगा किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगा,,,,,(सुरज दोनों तरफ से अपनी मामी को घेर रहा था,,, एक तरफ अपनी गंदी अश्लील बातों से अपनी मामी के तन बदन में उत्तेजना फैला रहा था और उसे बैठने पर मजबूर कर रहा था और दूसरी तरफ उसे उसकी गांड पर अपने लंड की गर्मी देखकर उसकी बुर का पानी पिला रहा था ऐसा होता हुआ महसूस करके रूपालीखुद मचल रही थी,,,,, सुरज कैसा लग रहा था कि जैसे पूरी दुनिया उसकी बाहों में आ गई हो वह पूरी तरह से नंगा था उसकी मामी के बदन पर केवल पेटीकोट और ब्लाउज ही था लेकिन फिर भी सुरज अपने लंड के बलबूते पेटीकोट सहित अपने लंड को अपनी मामी की गांड में खेल रहा था जिसे खुद रूपालीमहसूस करके अपने भांजे की मर्दाना ताकत पर गदगद हुए जा रही थी,,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से लेटे रहे बाहर बारिश अपना जोर दिखा रही थी और अंदर सुरज अपनी मर्दानगी का जोर दिखा रहा था,,, सुरज चाहता था कि उसकी मामी कपड़े उतार कर नंगी हो जाए,,,,, इसलिए कुछ देर तक खामोश रहने के बाद वह बोला,,,,।)

तुम अगर अपने सारे कपड़े उतार देती तो और अच्छा रहता ऐसे में तुम भी बीमार हो जाओगी और मैं भी तुम्हारे गीले कपड़ों की वजह से बीमार हो जाऊंगा,,,,
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक तरफ तो वो खुद ही अपने कपड़े उतार कर अपने भांजे की बाहों में नंगी होना चाहती थी,,, लेकिन दूसरी तरफ वह मामी भांजे के बीच के रिश्ते की वजह से लाचार नजर आ रही थी,,, फिर भी मामी भांजे के रिश्ते पर वासना के रिश्ते का पलड़ा भारी होता नजर आ रहा था कुछ देर साथ रहने के बाद रूपाली बोली,,,)
 
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अगर मैं ये भी उतार दूंगी तब तो मैं नंगी हो जाऊंगी,,,,


अरे तो क्या हो गया मा,,, इस तूफानी बारिश में इस जंगल में इस खंडार में मेरे और तुम्हारे सिवा तीसरा है कौन तीसरा है यह बेल जो कि कभी कुछ बोलने वाला नहीं है,,,


तू पागलों जैसी बात करता है,,,(बेल का नाम सुनकर रूपाली के होठों पर हंसी आ गई और वह हंसते हुए बोली)

मुझे देखो मैं एकदम नंगा हूं ना घर में भी शर्म करता तो मैं भी गीले कपड़े पहने रहते और बीमार पड़ जाता,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज उत्तेजित होते हुए अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल कर अपने मोटे तगड़े लंड की हाजिरी अपनी मामी को महसूस कराने लगा,,,, अपने भांजे की बात और उसकी हरकत से रूपालीका मन विचलित हो जा रहा था वह उत्तेजित हो रही थी मदहोशी उसके बदन पर छाने लगी थी उसका मन कर रहा था कि हाथ पीछे की तरफ ले जाकर अपने भांजे के नंगे लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर जोर-जोर से दबाए,,,)

तेरी बात कुछ और है तू लड़का है,,,

लड़का नहीं हूं पूरा मर्द बन चुका हूं मेरे लंड की ठोकर को महसूस नहीं कर रही हो क्या,,,,(सुरज पूरी तरह से अपनी मामी को अपने काबू में करना चाहता था अपने बस में करना चाहता था इसीलिए खुले शब्दों में अपनी मामी को अपने मन की बात का इशारा दे रहा था)

सो तो हो रहा है,,,(गहरी सांस लेते हुए) लेकिन फिर भी मगर अपने कपड़े का उतार कर नंगी हो जाऊंगी तो मुझे देख कर मुझे डर है कि कहीं तेरा मन बहक ना जाए,,,,
(अपनी मामी की बात सुनकर सुरज समझ गया था कि उसकी मामी भी नंगी होना चाहती है इसलिए अपनी मामी को दिलासा देने का नाटक करते हुए बोला)

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मां,,, मेरा मन बिल्कुल भी नहीं बहकेगा बहकना होता तो अब तक तो मैं तुम्हारा साया ऊपर करके अपने लंड को तुम्हारी बुर में डाल दिया होता,,,,
(सुरज जानबूझकर अपनी मामी को इस तरह की बातें करते हुए अपने मन का इरादा बता रहा था वह क्या-क्या कर सकता है वह बता रहा था और उसकी मामी अपने भांजे की बातें सुनकर अंदर ही अंदर सिहर उठती थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर तूफान मार रही थी)


सच कहता है ना नहीं बहकेगा,,,,


बिल्कुल भी नहीं मामी विश्वास नहीं आता है तो एक बार उतार कर तो देखो,,,,,,,


लेकिन मेरी वजह से तो तेरा खड़ा हो रहा है,,,


क्या खड़ा हो रहा है,,,?(सुरज सब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर बोला वह अपनी मामी के मुंह से सुनना चाहता था)

वही जो मेरी गांड पर चुभ रहा है,,,,


लेकिन बताओगी मुझे तो नहीं लग रहा है कि कुछ चुभ रहा है मैंने कौन सा कांटा लगा रखा है,,,,,

तू सब जानता है कि क्या चुभ रहा है और तू क्या चुभा रहा है,,,,,,,

मुझे तो ऐसा कुछ भी नहीं लग रहा है मैं तो तुम्हें अपनी बाहों में भर कर तुम्हें सिर्फ गर्मी देने का काम कर रहा हूं,,,


हां और यह गर्मी तू कहां से दे रहा है,,,, तेरे लंड से जो कि मेरे बदौलत खड़ा हो गया है,,,

अरे ये,,,(इतना कहने के साथ ही अनजान बनता हुआ सुरज अपना हाथ तुरंत नीचे लेंगे और अपने लंड को पकड़ कर अपनी मामी की गांड पर पटकते हुए बोला,,,) यह तो मैं ऐसे ही तुम्हारे बदन की गर्मी से खड़ा हो गया है और इसमें भी तुम्हें गर्व करना चाहिए कि इस उम्र में भी तुम्हें देखकर मेरे जैसे जवान लड़कों का लंड खड़ा हो जाता है,,,

(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली चुदवासी हुए जा रही थी उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह धड़कते दिल के साथ बोली,,,)

वही तो बुद्धू जब तेरा खड़ा हो गया है तो तू आगे भी कुछ कर सकता है,,,,


तुम्हें चोदने का,,,, नहीं नहीं ऐसा मैं बिल्कुल भी नहीं करूंगा यह तो औपचारिक रूप से है कि किसी का भी खड़ा हो जाए तुम्हारी जैसी खूबसूरत जवानी देख कर लेकिन इससे आगे मैं नहीं बढुंगा,,,,

सच कह रहा है ना,,,,

बिल्कुल मामी मैं एकदम सच कह रहा हूं,,,,


चल तो ठीक है मैं अपने कपड़े उतार देती हूं लेकिन तू कुछ करना नहीं,,,,( और इतना कहने के साथ ही रूपालीउठ कर बैठ गई और अपने हाथों से अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी ,,,,,,, सुरज का दिल जोरो से धड़कने लगा वह अपनी मामी की तरफ देख रहा था उसकी मामी अपने गले ब्लाउज का बटन धीरे-धीरे खोल रही थी सुरज का दिल जोर से धड़कने लगा था क्योंकि कुछ ही देर में उसकी मामी अपने हाथों से अपना ब्लाउज उतार कर उसकी नंगी चूचियों का उसी दर्शन जो कराने वाली थी,,,, सुरज मन ही मन तेज बारिश के लिए शुक्रिया अदा कर रहा था अगर यह तेज तूफानी बारिश ना होती तो शायद इस तरह से अपनी मामी के साथ उसे समय बिताने को कभी नहीं मिलता,,,,, रूपालीहिचकीचा रही थी लेकिन,,, इस तरह से अपने भांजे के सामने अपने ब्लाउज उतारने में उसे आनंद की अनुभूति भी हो रही थी,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था जैसे-जैसे रूपालीएक-एक करके अपने ब्लाउज के बटन को रही थी वैसे वैसे सुरज अपनी लंड को पकड़ कर जोर जोर से दबा रहा था और रूपालीतिरछी नजरों से अपने भांजे की यह हरकत देखकर पानी-पानी हो रही थी,,, देखते ही देखते रूपालीअपने हाथों से अपनी ब्लाउज के सारे बटन

खोल कर अपनी बेलगाम चुचियों को आजाद कर दी ब्लाउज का आखरी बटन खुलते ही रबड़ के गेंद की तरह रूपालीकी दोनों चूचियां उछल कर बाहर आ गई जो की जलती हुई आप की रोशनी में सुरज को एकदम साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पड़ते ही उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी थी और वह अपनी मामी की आंखों के सामने ही अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया था,,,, रूपालीअपनी आंखों से अपने भांजे की हरकत को देख रही थी लेकिन उसे रोक बिल्कुल भी नहीं रही थी क्योंकि उसे भी अपने भांजे की हरकत से आनंद मिल रहा था वह तिरछी नजरों से अपने भांजे के बमपिलाट लंड को देख रही थी,,,,,,,।

रूपालीअपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपनी ब्लाउज को अपने बाहों में से निकाल रही थी और देखते ही देखते रूपालीअपने बदन से ब्लाउज उतार कर बगल में रख दी और बोली,,,,।

ले मैंने तेरा कहां मानते हुए अपना ब्लाउज उतार दी,,, अब तो ठीक है ना,,,,(, रूपालीउसी तरह से बैठे हुए बोली लेकिन अपनी मामी की नंगी चूचियों को देखकर सुरज से रहा नहीं गया और वह भी उठ कर बैठ गया और अपनी मामी की चुचियों को प्यासी नजरों से देखते हुए बोला,,,)

बाप रे तुम्हारी चूचियां तो कितनी खूबसूरत है मामी एकदम खरबूजे की तरह गोल गोल इसमें बिल्कुल भी लायक नहीं है एकदम तन कर खड़ी है मानो कि किसी जवान लड़की की चूचियां हो,,,,(सुरज अपनी मामी के सामने बिना शर्म किए बेशर्म की तरह अपनी मामी की छातियों की तरफ देखे जा रहा था और अपनी मामी की चुचियों की तारीफ किए जा रहा था रूपालीको अपने भांजे के मुंह से अपनी चूची की तारीफ सुनकर बहुत ही ज्यादा गर्व का अनुभव हो रहा था लेकिन फिर भी वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

तुझे शर्म नहीं आ रही है इस तरह की बातें करते होगे और हां तुझे कैसे मालूम की लड़कीयों की चुचियां कसी हुई और तनी हुई होती है और औरतों की ढीली लचकदार हो जाती है,,,,


हां मैंने देखा है ना,,,,(अब सुरज समझ गया था कि अपनी मामी के सामने शर्म करने का कोई फायदा नहीं है अगर शर्म करेगा तो कर्म फूट जाएंगे इसीलिए वह पूरी तरह से बेशर्म बन जाना चाहता था,,,)

तूने देखा है लेकिन किसकी देखा है,,,,(रूपालीभी अब थोड़ी बेशर्मी पर उतर आई थी क्योंकि उसे भी समझ में आ गया था कि बेशर्मी करने में कितना मजा आता है)


अरे अपना श्याम है ना मैं पढ़ने के लिए जाता था तो उसे घर पर बुलाने जाता था और ऐसे ही उसके घर पर पहुंच गया था तो देखते ही देखते मैं उसके घर के अंदर तक पहुंच गया और वहां देखा कि उसकी बहन झुमरी एकदम नंगी होकर नहा रही थी,,,

क्या एकदम नंगी होकर,,,(रूपालीआश्चर्य जताते हुए बोली)


हां मा एकदम नंगी होकर मुझे तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था वह मेरी तरफ पीठ करके नहा रही थी तब मंजू गोरी चिकनी उसकी गांड एकदम गोल-गोल थी,,, मैं वहां से चला जाना चाहता था लेकिन मैं वहां से ही भी नहीं पाया,,, और वह जैसे ही घूमी मेरे तो होश उड़ गए उसकी नंगी चूचियां एकदम कसी हुई थी और सच कह रहा हूं मैं तुम्हारी चूचियां देखकर मुझे यकीन हो गया है कि तुम बहुत खूबसूरत हो इस उम्र में भी झुमरी जैसी लड़कियों से पानी भरवा दो उसकी चूची और तुम्हारी चूची में जमीन आसमान का फर्क है उसकी चूचियां तो संतरे जैसी है लेकिन तुम्हारी चूचियां एकदम खरबूजे की तरह है कसम से मामी तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,।
(सुरज अपनी मामी की खूबसूरती की तारीफ गंदे शब्दों में करे जा रहा था और रूपालीअपने भांजे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर गदगद हुए जा रही थी,,,, रूपालीबार-बार अपनी चोर नजरों से अपने भांजे के खड़े लंड को देखकर अंदर ही अंदर सिहर उठ रही थी उसे इस बात का एहसास हो गया था कि अगर वह अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेगी तो उसके भांजे का लंड उसकी बुर में कहर मचा देगा,,,, वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसके पति का लंड उसके भांजे के मुकाबले कुछ भी नहीं था,,,, सुरज और रूपालीअपने अपने मन में अपनी भावनाओं के बवंडर में फंसते चले जा रहे थे और तभी बादलों की तेज गड़गड़ाहट हुई और रूपाली एकदम से चौकते हुए बोली,,,।



लगता है आज रात भर बरसात बंद नहीं होगी,,,,(अपनी चुचियों की तरफ देखते हुए) अभी भी ठंड महसूस हो रही है,,,,


पेटीकोट भी उतार दो तब जाकर तुम्हें सही लगेगा क्योंकि पेटीकोट भी गीली है,,, और अभी तो पूरी रात बाकी है सो नहीं पाओगी,,,,


बात तो तू सच ही कह रहा है,,,,,,, लेकिन झुमरी जब तेरी तरफ घूमी थी तो क्या उसने तुझे देखी नहीं थी,,,,

मुझे देख ली थी मैं तो एकदम से घबरा गया था लेकिन मेरी नजर जीस हिस्से पर जाकर रुकी थी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं,,,,

किस हिस्से पर,,,,(धड़कते दिल के साथ रूपालीबोली)

उसकी बुर पर,,,(सुरज बेझिझक अपनी मामी के सामने ही गंदे शब्दों में बोला अपने भांजे के मुंह से सीधी सपाट बुर शब्द सुनते ही रूपालीकी खुद की बुर उछलने लगी,,,,)

क्या यह क्या कह रहा है तू,,,

हां मामी मैं सच कह रहा हूं जिंदगी में पहली बार में किसी लड़की की बुर को देख रहा था इसलिए मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया था,,,,(अपनी मामी के सामने इस तरह से खुले और गंदे शब्दों में बात करते हुए सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी उसका लंड और ज्यादा कड़क हो गया था,,, जिसे वहां अपनी मामी की आंखों के सामने ही अपने हाथ से हिला दे रहा था और जिसे देखकर रूपालीके तन बदन में आग लग जा रही थी,,,।)


बहुत खूबसूरत थी क्या उसकी,,,,(अपनी नजरों को नीचे किए हुए वह बोली एक औरत होने के नाते औरतों के प्रति ईर्ष्या उसके मन में भी कुछ क्षण के लिए जागने लगा था क्योंकि उसका भांजा झुमरी के बुर की तारीफ कर रहा था लेकिन सुरज भी चला था वह अपने जवाब में चला कि दिखाते हुए बोला)


मैंने तो पहली बार देखा था इसलिए मुझे तो बहुत खूबसूरत लग रही थी मैंने दूसरे की तो देखा नहीं हूं कि उसकी बुर से दूसरी की बुर की तुलना कर सकूं,,,,,।

(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीका दिल जोरो से धड़कने लगा हुआ किसी ना किसी बहाने अपने भांजे को अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी उसे अपनी बुर की खूबसूरती से वाकिफ कराना चाहती थी उसे पूरा यकीन था कि अगर उसका भांजा एक बार उसकी बुर को देख लेगा तो उस पर पूरी तरह से मोहित हो जाएगा,,,, इसलिए वह बोली,,,)

मुझे तो अभी भी ठंड लग रही है,,,(अपनी दोनों बाहों को आपस में मिलाते हुए अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को बाहों के घेरे में छुपाते हुए रूपालीबोली)

कह तो रहा हूं,,,,, पेटीकोट भी उतार दो अभी तो पूरी रात बाकी है,,,, गीली पेटीकोट में सो नहीं पाओगी,,,।
(अपने भांजे की बात सेवा पूरी तरह से सहमत थी लेकिन ऐसा नहीं था कि वह समझ नहीं रही हो कि उसका भांजा उसके फायदे के लिए नहीं बल्कि अपने मन की करने के लिए उससे पेटीकोट उतरवाकर उसे नंगी करना चाहता है,,, फिर भी वे इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि गीले पेटीकोट में उसे भी नींद नहीं आएगी और बीमार पड़ने का डर अलग से रहेगा,,,, वैसे भी जिस तरह से उसने अपने भांजे की आंखों के सामने अपना ब्लाउज के बटन खोल कर उसे उतार कर अपनी चुचियों को नंगी कर दी थी उसी तरह से वह अपनी पेटीकोट को उतार कर अपने भांजे के सामने एकदम नंगी हो जाना चाहती थी इसमें उसे अजीब सा सुख भी प्राप्त हो रहा था इसलिए वह बोली,,,,)

बात तो तो ठीक ही कह रहा है अभी तो सुबह होने में पूरी रात बाकी है और रात भर जाग भी नहीं सकते और इस गीले कपड़े में रह भी नहीं सकते,,,,, एक काम कर तू ही उतार दे मेरी कमर दुख रही है मैं थोड़ा लेट जाती हूं,,,,।
(अपनी मामी की है बात सुनते ही सुरज का लंड टन टना कर ठुनकी मारने लगा,,,, सुरज का दिल खुशी से झूम उठा यह तो ऐसा ही हो गया था कि बिल्ली को ही दूध की रखवाली करने के लिए बोला जा रहा है सुरज को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था इसलिए वह फिर से बोला,,,)

क्या कहा मामी तुमने,,,

अरे ले तू ही उतार दे,,,, मेरी कमर दर्द कर रही है मैं थोड़ा लेट जाती हूं,,,,


ठीक है मा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,, जब तक मैं हूं तुम्हें किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है,,,,
(अपने बेट६ की बात सुनकर रूपालीमुस्कुराते हुए पेट के बल लेटने लगी लेकिन तिरछी नजरों से अपने भांजे के खड़े लंड को देख रही थी उसके लंड की मोटाई लंबाई देखकर रूपालीकी बुर पानी फेंक रही थी,,,, रूपालीपीठ के बल लेट चुकी थी और सुरज अपनी मामी की पेटीकोट की डोरी खोलने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका था ऐसा नहीं था कि जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत के पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नंगी करने जा रहा था ऐसा वह बहुत बार कर चुका था लेकिन आज जो सुकून से अपनी मामी का पेटीकोट उतारकर उसे नंगी करने में मिलने वाला था वैसा सुख उसे अभी तक प्राप्त नहीं हुआ था जिसके बारे में सोच कर ही उसका दिल बलि्लयो उछल रहा था,,,,, रूपालीपीठ के बल लेट चुकी थी सुरज एक नजर अपनी मामी के खूबसूरत चेहरे की तरफ दौड़ाया और तुरंत अपनी नजरों को नीचे की तरफ ले जाते हुए उसकी खरबूजे जैसी चुचियों से नीचे की तरफ ले जाने लगा,,,, और अपने दोनों हाथों की उंगलियों को अपनी मामी की पेटीकोट की डोरी में उलझा दिया अपनी मामी की गहरी नाभि और कमर देखकर उसका मन कर रहा था कि अपने दोनों हाथों से अपनी मामी की कमर थामकर धक्के पर धक्के लगाए,,,, सुरज की उंगलियां हरकत करना शुरू कर दी थी और अपने भांजे की हरकत को देखकर रूपालीकसमसा रही थी उसके बदन में उत्तेजना का फुहार फूट रहा था जो कि उसकी बुर से निकल रहा था देखते ही देखते सुरज अपनी मामी के साए की डोरी को खोल दिया और कमर पर कसी हुई पेटीकोट एकदम से ढीली हो गई सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था वह अपने दोनों हाथों से अपनी मामी के पेटीकोट को पकड़ लिया था उसे नीचे की तरफ खींचना शुरू कर दिया था रूपालीयह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी भारी-भरकम कान के नीचे से पेटीकोट बाहर नहीं निकल पाएगी इसलिए अपने भांजे की सहायता करते हुए वह अपनी भारी भरकम

गांड को थोड़ा सा ऊपर उठा दी और इसी मौके की ताक में,,, सुरज तुरंत अपनी मामी की पेटीकोट को उसकी कमर से नीचे की तरफ खींच लिया और पलक झपका आते हैं पेटीकोट को उसकी गोरी गोरी जांघों के नीचे लाते हुए उसके पैर से बाहर निकाल दिया इस समय रूपालीअपने भांजे की आंखों के सामने पूरी तरह से महंगी हो चुकी थी जलती हुई आग की रोशनी में सुरज भौचक्का सा अपनी मामी के नंगे बदन को देख रहा,,, था ऐसा नहीं था कि सुरज पहली बार अपनी मामी को नंगी देख रहा था पहले भी वह कई बार अपनी मामी को नंगी और उसे चुदवाते हुए देख चुका था लेकिन आज पहली बार इतने करीब से उसके नंगे बदन को देखकर उसकी आंखें चौंधिया दिया जा रही थी,,,, अपने भांजे की आंखों में वासना का उठता हुआ तूफान देखकर रूपालीके तन बदन में आग लग रही थी उसके चेहरे को उसकी भावनाओं को और उसके इरादों को रूपालीअच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि बस उसके इशारे करने की देरी है उसका भांजा उसके ऊपर टूट पड़ेगा और फिर उसे अद्भुत सुख देगा,,,,,।

बरसात का जोर बिल्कुल भी कम नहीं हुआ था जिस तरह से शुरुआत हुई थी उसी तरह से अभी तक बारिश का पानी गिर रहा था वही तेज हवाएं वही बिजली की गड़गड़ाहट पूरे वातावरण को भयानक बना रही थी लेकिन ऐसी भयानक तूफानी बारिश में भी खंडहर के अंदर का माहौल पूरी तरह से मदहोशी से भरा हुआ था दोनों मामी भांजे एकदम नग्न अवस्था में एक दूसरे को देख रहे थे भांजा किसी भी वक्त अपने लंड को अपनी मामी की बुर में डालकर उसकी अद्भुत चुदाई कर सकता था लेकिन अपने अनुभव से सुरज समझ गया था कि अब उसकी मामी की बुर में लंड डालने से उसे कोई नहीं रोक सकता इसलिए वह इस खेल को थोड़ा और आगे धीरे-धीरे बढ़ाना चाहता था रूपालीअपने भांजे की आंखों के सामने पीठ के बल एकदम नंगी लेटी हुई थी और उसकी आंखों में शर्म के साथ-साथ उत्तेजना भी नजर आ रही थी वह अपनी नजरों को दूसरी तरफ शर्म के मारे घूमाए हुए थे और सुरज था कि,, उसकी आंखों में शर्म बिल्कुल भी नहीं थी वह एकदम बेशर्म में बन चुका था शायद बेशर्म बनने के बाद ही जिंदगी का असली सुख मिलता है,,,,, अपनी मामी के नंगे बदन को देखते हुए खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को,,,, सुरज पूरी तरह से सम्मोहित हुआ जा रहा था और वैसे भी झुमरी का जिक्र आते ही जिस तरह से सुरज ने उसकी बुर की तारीफ किया था उसे सुनकर रूपालीथोड़ा सा शक पका गई थी वह अपनी खूबसूरती के आगे किसी और की खूबसूरती की तारीफ सुनना पसंद नहीं कर पा रही थी वह भी खास करके अपने भांजे के मुंह से इसलिए वह किसी भी तरह से अपने भांजे को अपनी बुर करना चाहती थी और पूछना चाहती थी कि उसकी बुर कैसी दिख रही है,,,,,,,, रूपाली अपने भांजे से कुछ पूछ पाती इससे पहले ही सुरज अपना पासा फेंकते हुए बोला,,,,।


बाप रे इतनी खूबसूरत बुर मैंने आज तक नहीं देखा गौरी की बुर तो तुम्हारे बुर के आगे कुछ भी नहीं है मा,,,,,
(बस यही तो रूपाली अपने भांजे की मुंह से सुनना चाहती थी खासकर की गौरी की बुर से तुलनात्मक स्थिति में उसका भांजा अपनी मामी की बुर को उत्कृष्ट साबित कर रहा था इसलिए गर्व के मारे रूपालीगदगद हुए जा रही थी और सुरज अपनी मामी की बुर की तारीफ के पुल बांध रहा था)
कसम से मामी मैंने आज तक इतनी खूबसूरत सुंदर‌ बुर नहीं देखा जान पड़ता है कि जैसे किसी ने रेत में अपनी उंगली से लकीर खींच दी या हो,,,,, कसम से मामी मेरी तो हालत खराब होती जा रही है तवे पर रखी हुई रोटी की तरह तुम्हारी बुर एकदम से फुल गई है,,,,,,,, मैं तुम्हारी बुर को छूकर देखना चाहता हूं मां,,(अपनी मामी की तरफ देखते हुए लेकिन अपने भांजे की बात सुन तो शर्म के मारे रूपालीअपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा ली और सुरज किसी को ही अपनी मामी की तरफ से इजाजत समझ लिया और अपनी हथेली आगे बढ़ाकर पूरी की पूरी हथेली को अपनी मामी की बुर पर रखकर उसे ढक लिया मानो कि जैसे वह कचोरी को अपनी हथेली में लेकर छुपा लिया हो,,,, बुर की गर्मी सुरज से बर्दाश्त नहीं हो रसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,)

सहहहरह आहहहहह ओहहहहह मामी तुम्हारी बुर तो एकदम भट्ठी की तरह चल रही है इसकी अपन मुझे अपने बदन में महसूस हो रही है तुम्हारी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी है,,,, रुको मैं कपड़े से इसका पानी साफ कर देता हूं,,,,,(पर इतना कहकर सुरज पास में पड़ी अपनी मामी की पेटीकोट को उठा दिया रूपालीकी हालत एकदम खराब होते जा रही थी जिस तरह से सुरज ने अपनी हथेली पर रखकर अपनी मामी की बुर को अपनी हथेली में भर लिया था उससे वह पूरी तरह से गरमा गई थी और पिघलने लगी थी,,,,, सुरज तुरंत पेटिकोट को अपने हाथ में लेकर अपनी मामी की बुर पर लगाकर उसके निकले पानी को साफ करने के बहाने एक उंगली पेटीकोट के कपड़े में फंसा कर उसे अपनी मामी की बुर्के गुलाबी छेद के लकीर में नीचे से ऊपर की तरफ सर काते हुए पानी साफ करने लगा,,, रूपालीको साफ महसूस हो रहा था कि उसका भांजा अपनी उंगली को उसकी बुर की गहराई में डालने की कोशिश कर रहा था

इससे वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,)

सहहहरह आहहहरहह भांजा,,,,,।

क्या हुआ मामी,,,,,

कककक‌क कुछ नहीं,,,,,(अपनी उफान मारती सांसो को काबू करते हुए बोली सुरज समझ गया था कि उसकी मामी को मजा आ रहा है इसलिए अपनी हरकत को और बढ़ाते हुए बोला)

तुम्हारी बुर बहुत पानी छोड़ रही है मामी,,,,(और इतना कहने के साथ ही फिर से कपड़े से अपनी मामी की बुर को साफ करने के बहाने उसकी बुर में उंगली डालने लगा ऐसा करने से मत हो कि तन बदन में आग लग रही थी वह अपना धैर्य खो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आनंद की अनुभूति उसे पूरी तरह से अपने में समा लेना चाहती थी,,,,, सुरज एक तरफअपनी हरकत को जारी किए हुए था और दूसरी तरफ अपनी मामी को अपनी बातों से बहला रहा था,,,)

ओहहहह तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा नंगी होने के बाद तो तुम ऐसी करती हो जैसे कुदरत का बनाया हुआ कोई करिश्मा हो तुम्हारी बुर लाखों में एक है मैंने आज तक ऐसी दूर नहीं देखा कसम से इस को चूमने का मन कर रहा है,,,, तुम्हारी इजाजत हो तो मैं इस पर अपने होंठ रख दूं,,,।
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी रूपालीको समझ में आ गया था कि अब वह पीछे हटने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि उसके भांजे की हरकत ने उसके बदन में आग लगा दिया था और वह किसी भी तरह से इस आग को बुझाना चाहती थी अपने भांजे की फरमाइश सुनकर वह शर्मा कर अपनी पलकों को नीचे झुका ली जो कि अभी तक वह उसकी तरफ देख रही थी,,,, पर झुकी हुई पलकों को सुरज अपनी मामी की तरफ से आमंत्रण समझ कर अपने पैसे होठों को अपनी मामी की बुर के करीब ले जाने लगा जैसे जैसे सुरज अपने होंठ को अपनी मामी की बुर के करीब लेकर जा रहा था वैसे वैसे रूपाली की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और उसके साथ ही उसकी चुचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लौट रही थी,,,,। सुरज की तमन्ना उसकी ख्वाहिश पूरी होने जा रही थी आज की रात उसकी जिंदगी की बेहद हसीन और अविस्मरणीय है रात होने वाली थी ऐसी तूफानी बारिश में उसे इस तरह का आनंद मिलेगा और वह भी अपनी मामी के साथ वो कभी सपने में भी नहीं सोचा था देखते ही देखते सुरज कभी प्यासे होठों को अपनी मामी की दहकती हुई बुर पर रख दिया,,, रूपालीएकदम से कसमसा गई,,, यह अनुभव उसके लिए बिल्कुल नया था एकदम तरोताजा उसके दिलो-दिमाग पर अब सुरज पूरी तरह से छा चुका था सुरज तो अपनी मामी को सिर्फ उसकी बुर पर अपने होंठ रख कर चुंबन करने की फरमाइश किया था लेकिन जैसे ही वह अपने प्यासे होठों को अपनी मामी की भट्टी जैसी तपती हुई बुर पर रखा उसके इरादे पूरी तरह से पिघलने लगे,,,, पहले से ही उसकी मामी ढेर सारा पानी छोड़ रही थी और सुरज अपनी जीभ को अपनी मामी की गुलाबी छेद पर रखते ही वह बड़ी चालाकी से चुंबन लेने के बहाने अपनी जीभ को अपनी मामी की गुलाबी छेद के अंदर सरकाना शुरू कर दिया,,, उसकी मामी अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से तड़प उठी,,, सुरज अब रुकने वाला बिल्कुल भी नहीं था,,,, उसे तो मुंह मांगी मुराद मिल गई थी वह अपनी जीत से अपनी मामी की बुर को चाटना शुरू कर दिया कभी उसके फूले हुए हिस्से को चाटता तो कभी गुलाबी पत्ती को चाटता तो कभी बुर के अंदर अपनी जीभ डाल कर उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दे रहा था,,,, सुरज पूरी तरह से अपना अनुभव अपनी मामी के ऊपर आजमा रहा था और उसकी मामी अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से पानी पानी में जा रही थी बार-बार उसकी बुर से पानी निकल जा रहा था,,,,।

तूफानी बारिश में सुरज अपनी मामी की बुर चाटने में लगा हुआ था और उसकी मामी अपने भांजे की बुर चटाई से पूरी तरह से मस्ती में डूबती चली जा रही थी,,, थोड़ी देर में उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी और उसे गरमा गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर सुरज के हौसले और ज्यादा बुलंद होने लगे,,,, सुरज अपनी मामी की बुर से अपना मुंह हटाने को बिल्कुल भी तैयार नहीं था,,,, वह पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ था वह जानता था कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मामी खुद ईतनी चुदवासी हो जाएगी कि खुद ही उसके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तड़प उठेगी,,,, देखते ही देखते सुरज पागलों की तरह अपनी मामी की बुर के निचले छोड़ से ऊपरी किनारे तक जीप से लपालप चाट रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे फिर से भरा हुआ कटोरा उसे मिल गया हो और वैसे भी एक तरफ स्वादिष्ट व्यंजन की थाली रखी है और एक तरफ औरत की खूबसूरत दूर रखी हो तो मर्द की पहली पसंद और आखरी सिर्फ और सिर्फ औरत की बुर ही होगी भले ही पेट से भूखा हो लेकिन तन से भूखा रहना वह कभी पसंद नहीं करेगा,,,,।


सहहहरह आहहहहह सुरज यह क्या कर रहा है,,,आहहहहहहह तू तो सिर्फ चुम्मा लेने के लिए बोला था यह अपनी जीभ डाल कर क्या कर रहा है,,,,आहहहहहहह
सूरज,,,,

कुछ नहीं मामी तुम्हारी बुर में मलाई ज्यादा इकट्ठी हो गई है उसे अपनी जीभ से निकाल कर जा रहा हूं और सच पूछो मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,,,(सिर्फ सुरज अपनी मामी को जवाब देने के लिए अपना मुंह अपनी मामी की बुर से हटाया था और फिर वापस उसी कार्य में जुट गया था अपनी मामी की बुर चाटते हुए सुरज का लंड पूरी तरह से हथोड़ा की तरह कड़क हो गया था जो कि किसी भी वक्त वह अपनी मामी की बुर में डालकर अपनी सारी गर्मी को शांत कर देने की ख्वाहिश रखता था लेकिन इससे पहले वह अपनी मामी को पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था और उसकी हरकत से उसकी मामी पूरी तरह से व्याकुल और चुदवासी हुए जा रही थी,,,,, सुरज समझ गया था कि अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता है वह अपनी मामी के साथ कुछ भी करेगा उसकी मामी उसे कुछ भी नहीं बोलेगी क्योंकि वहां अपनी हरकत से अपनी मामी को आनंद दे रहा था इसीलिए वह अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर अपनी मामी की चूची को थाम लिया दशहरी आम की तरह वह अपनी मामी की चूची को थामकर दबाना शुरू कर दिया यह उसके लिए पहला मौका था जब वह अपनी मामी की चूची को अपने हाथों में पकड़ कर दबा रहा था उसे अपनी मामी की चूची दबाने में इतना मजा आ रहा था कि अब तक गांव की जितनी भी औरतों और लड़कियों के साथ व शारीरिक संबंध बनाते हुए उनकी चूचियों का स्तनपान के साथ-साथ स्तन मर्दन किया था उनसे भी ज्यादा मजा उसे अपनी मामी की चुची में आ रहा था,,,,,,
इस तरह से अपने भांजे के द्वारा चूची दबाने में रूपालीको भी आनंद की पराकाष्ठा का अनुभव हो रहा था वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी सुरज अपनी हथेलियों के जोर से पलभर में ही अपनी मामी की गोरी गोरी चूची को टमाटर की तरह लाल कर दिया था खुद शर्म और उत्तेजना के मारे रूपालीका गोरा मुखड़ा लाल हो गया था उसके मुख से लगातार गरमा-गरम सिसकारी की आवाज फूट रही थी,,, वह अपनी बेटी के साथ इस तरह के संबंध की कभी कल्पना नहीं की थी लेकिन धीरे-धीरे सुरज ने अपनी हरकतों से अपनी चालाकी से अपनी मामी को अपने वश में कर लिया था,,,,,

रूपाली पूरी तरह से आश्चर्यचकित और स्तब्ध हो चुकी थी जिस तरह से सुरज उसकी बुर चाट रहा था आज तक उसके पति ने कभी इस तरह से उसकी बुर से अपने होठ लगाकर इतना प्यार नहीं किया था,,, सुरज पूरी तरह से इस कार्य में मशहूर हो चुका था अपने भांजे की दीवानगी देखकर वह पूरी तरह से अपने भांजे की कायल होते जा रही थी सुरज लगातार अपनी मामी की बुर से अपना मुंह हटाने को तैयार ही नहीं था उसका बस चलता तो वह उसकी बुर के अंदर ऐसे ही घुस जाता रूपालीपूरी तरह से आनंद विभोर होकर अपनी दोनों टांगों को फैला दी थी और रह-रहकर ना चाहते हुए भी नीचे से अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल रही थी जो कि इस हरकत की वजह से सुरज के तन बदन में और ज्यादा उत्तेजना का संचार हो रहा था,,,, ना कभी दोनों हाथों से अपनी मामी की चूची दबाता तो कभी एक हाथ से चूची से खेलते हुए कांच को नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को मुठिया ना शुरू कर दे रहा था,,,,, सुरज जानता था कि उसकी मामी अब उससे पेलवाने के लिए तैयार हो चुकी है लेकिन इससे पहले वह अपने मुंह के करतब से ही अपनी मामी का पानी झाड़ देना चाहता था और देखते ही देखते रूपालीकी गरमा गरम सिसकारियां तेज होने लगी लेकिन उस तूफानी बारिश में उस खंडार में उसकी गरमा-गरम सिसकारी सुनने वाला वहां कोई नहीं था इसलिए वह खुलकर गरमा-गरम सिसकारी की आवाज निकाल रही थी,,,।

सहहहरह आहहहहह आहहहहह मेरे भांजे सुरज आहहहरहह,,,,(ऐसा कहते हुए रहा करो अपनी कमर को ज्यादा ऊपर उठा दे रही थी और सुरज अपनी मामी की कमर था में उसकी बुर से लगातार मलाई चाट रहा था सुरज समझ गया था कि उसकी मामी का पानी निकलने वाला है इसलिए वह अपनी मामी की कमर को कस के थाम लिया था और जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को उसकी बुर की गहराई में डाल देने की कोशिश कर रहा था,,, और थोड़ी ही देर में एक तेज चीख के साथ रूपालीअपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल दी और उसी स्थिति में कुछ पल तक स्थिर रह गई सुरज उसी तरह से अपनी मामी की कमर को था में लगातार अपनी मामी की बुर में से निकल रहे पानी को चाटना शुरू कर दिया था क्योंकि रूपालीझड़ चुकी थी,,,, रूपालीझड़ते हुए अपनी मम्मी सोच रही थी कि उसका भांजा किस मिट्टी का बना है एक तरफ वह अपनी बातों से ही उसका पानी निकाल दिया था और दूसरी तरफ अपनी जीभ का कमाल से उसे पिघला चुका था ऐसा तो आज तक उसके पति ने भी नहीं कर पाया था,,,, जब रूपाली की सांसे धीरे-धीरे दुरुस्त होने लगी तो सुरज उसी तरह से अपनी मामी की कमर था मैं उसे नीचे की तरफ जमीन पर लाकर छोड़ दिया और खुद गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी मामी की बुर से अपने होंठ को हटा लिया और अपनी मामी की तरफ देखने लगा दोनों की नजरें आपस में मिली मैं तो एकदम से शरमा गई और अपनी आंखों को बंद कर ली सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मामी की चूची पकड़कर बोला,,,,।

तुम बहुत खूबसूरत हो जितनी खूबसूरत तुम हो उससे भी ज्यादा खूबसूरत तुम्हारी बुर है इसकी मलाई चाटने में मुझे बहुत मजा आया,,,
(सुरज की मामी अपने भांजे की इस तरह की बातें सुनकर शर्म आ रही थी वह शर्म से पानी पानी में जा रही थी सुरज अपनी मामी की बुर की तरफ देखकर बोला)

देखो मामी मैं कितना सारा पानी छोड़ी हो,,,, कसम से आज मजा आ गया,,,(जोर से अपनी मामी की चूची को दबाते हुए)

आहहहह क्या कर रहा है सुरज दर्द कर रहा है,,,

क्या करूं मैं तुम्हारी चूची इतनी खूबसूरत है कि जोर जोर से दबाने का मन करता है ऐसा लगता है कि दशहरी आम हो,,,


तू बहुत शैतान हो गया है,,,(इतना कहते हुए रूपाली हल्के से एक चपत अपने भांजे के गाल पर लगा दी तो सुरज तुरंत बोला)

मामी जिस तरह से मुझे प्यार कर रही हो चपत लगाकर थोड़ा इसे भी (अपने लंड को पकड़ कर अपनी मामी की तरफ आगे बढ़ाते हुए) कर देती तो मजा आ जाता,,,
(रूपालीअपने भांजे की हरकत और उसके टनटनाए लंड को देखकर एकदम से सिहर उठी,,, और एकदम से शर्मा गई सुरज बिल्कुल भी पीछे हटने वाला नहीं था वह तुरंत घुटनों के बल आगे बढ़ा और अपने लंड को अपनी मामी के होठों पर रख दिया क्योंकि वह अपनी आंखों को बंद कर ली थी जैसे ही अपने होठों पर अपने भांजे के लंड का स्पर्श उसकी गर्मी महसूस की वह तुरंत खबर आकर अपनी आंखों को खोल दी और बोली,,,)

यह क्या कर रहा है सूरज,,,

वही जो तुम चाहती हो और जिसका यह हकदार है,,, मैं जानता हूं तुम चोरी चोरी मेरे लंड को देख रही थी और मैं औरत के मन को अच्छी तरह से जानता हूं तुम मेरे लंड को देखकर इसे अपनी बुर में लेने की कल्पना भी कर रही थी,,,
(इससे आगे रूपाली के लिए बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह जानती थी कि जो कुछ भी उसका भांजा कह रहा था उसमें शत प्रतिशत सच्चाई थी वह अपने भांजे के लंड को अपने हाथ से पकड़ना चाहती थी उसकी गर्मी को महसूस करना चाहती थी लेकिन फिर भी अपने भांजे के सामने शर्म आ रहे थे और उसके इसी शर्म को दूर करने के लिए सुरज बार-बार अपने लंड को अपनी मामी के गुलाबी होठों पर रख दे रहा था,,,, उसकी हरकत को देखकर रूपाली बोली,,)

तू करना क्या चाहता है,,?

मैं चाहता हूं कि तुम इसे अपने मुंह में लेकर प्यार करो जी भर कर प्यार करो तुम्हारे प्यार का प्यासा है यह,,,


नहीं सुरज यह गलत है हम दोनों के बीच मां-भांजे का पवित्र रिश्ता है,,,

वह तो समाज के लिए ही लेकिन इस समय इस खंडार में हम दोनों मामी-भांजे नहीं बल्कि एक औरत और मर्द हैं जिसकी अपनी अपनी जरूरत है जैसा कि नामदेवराय और उसकी बहन के पीछे से अमर उसकी मामी के बीच है उसी तरह से हम दोनों को भी इसी चीज की जरूरत है इस समय देखो मेरा लंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,

सूरज,,,(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भांजे के लंड को अपनी मुट्ठी में दबोच ली अपने भांजे के लंड की गर्माहट से,,, रूपालीकी मर्यादा की दीवार बहने लगी उसके संस्कार हवा में वास्प बनकर उड़ने लगे उसका धैर्य जवाब देने लगा,,,, अपने भांजे को वह पूरी तरह से अपनी जवानी का मजा चखाना चाहती थी वह अपने भांजे की हरकत और उसके इरादे के आगे घुटने टेक चुकी थी,,, अपने भांजे के लंड को पकड़ कर वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी उसकी गर्माहट उसकी मजबूती को वह पल भर में महसूस कर चुकी थी इसलिए अब वह भी पीछे हटना नहीं चाहती थी और तुरंत,,, अपने पैसे होठों को अपने भांजे के लंड पर रख दी आज उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी अपने भांजे के लंड के सुपाड़े को अपने होठों पर रखते ही ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अमृतकलश को अपने होठों से लगा ली हो उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि दुनिया का सारा सुख उसे खुद अपने होठों से लगाने के लिए तड़प रहा हो वह देखते ही देखते अपने लाल-लाल होठों को खोल दी और अपने भांजे के लंड के सुपाडे को अपनी मुंह के अंदर प्रवेश कराने की इजाजत दे दी,,,, सुरज इस समय अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब भांजा समझ रहा था क्योंकि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत के मुंह में उसका लंड था धीरे-धीरे रूपाली अपने भांजे के लंड को अंदर की तरफ लेकर उसे चूसना शुरू कर दी थी लंड को कैसे चोदा जाता है वह अच्छी तरह से जानती थी लेकिन आज उसके मुंह में उसके पति का पतला और कमजोर नहीं बल्कि उसके भांजे का दमदार मर्दाना ताकत से भरा हुआ मोटा और लंबा लंड था जिसे मुंह में भरते ही उसका मुंह पूरी तरह से खुल चुका था उसके लाल-लाल होठों का छल्ला उसके भांजे के लंड की गोलाई के आगे छोटा पड़ रहा था जैसे तैसे करके वह धीरे-धीरे अपनी बेटी के लंड को अपने गले तक लेकर चूसना शुरू कर दी थी सुरज पूरी तरह से मस्त होकर घुटनों के बल ही बैठे हुए अपने आंखों को बंद की भी धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे कर रहा था इस समय मामी भांजे की कामलीला को देखने वाला वहां पर कोई भी नहीं था सिर्फ उसके बेल के सिवा,,,, वह भी काफी देर से अपनी मालकिन और उसके भांजे की कामलीला

को अपनी आंखों से देख कर ना जाने अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,।
 
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असली तूफानी बारिश का मजा रूपाली को आज पहली बार मिल रहा था और सुरज भी इससे पहली बार अवगत हो रहा था सुरज धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपनी मामी के मुंह को चोद रहा था जलती हुई आप की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था उसकी मामी का नंगा बदन संगमरमर की तरह चमक रहा था अपनी मामी की मदमस्त कर देने वाली जवानी में सुरज पूरी तरह से हो चुका था वह एक तरफ लंड चुदाई का मजा लूट रहा था तो दूसरी तरफ अपने दोनों हाथों से अपनी मामी की पपाया जैसी चूची को जोर जोर से दबा रहा था जिससे रूपालीभी अंदर ही अंदर से लौट रही थी उसकी बुर में आग लगी हुई थी वह जल्द से जल्द अपने भांजे के लंड को अपनी बुर की गहराई में देखना चाहती थी,,,,।

बाहर बारिश अपना चोर दिखा रही थी और अंदर सुरज अपना जोर दिखा रहा था दोनों मामी बेटों का जोश बढ़ता चला जा रहा था दोनों को विश खंडहर में स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे यह खंडहर उन्हें दोनों के लिए बना हो,,,, दोनों शायद अपने घर में इस तरह का सुख प्राप्त नहीं कर सकते थे जितना आनंद उन्हें इस तूफानी बारिश में इस डरावने खंडहर में मिल रहा था,,,, रूपालीअपने मन में यही सोच रही थी कि बाप रे उसके भांजे का लंड कितना मोटा और लंबा है अगर उसकी बुर में जाएगा तो उसकी बुर फाड़ देगा,,,, कुछ देर तक सुरज इसी तरह से मजा लेता रहा और बार-बार अपनी हथेली को नीचे की तरफ झुक कर अपनी मामी की बुर पर रखकर उसे जोर से मसल दे रहा था जिससे रूपालीखुद अपने भांजे के लंड को लेने के लिए तड़प‌ उठ रही थी,,, सुरज समझ गया था कि अब उसकी मामी को लंड की जरूरत है इसलिए वह हीरे से अपने लंड को अपनी मामी के मुंह से बाहर निकाल लिया,,,, रूपालीकी पूरी तरह से अपनी बेटी को आगे बढ़ने के लिए मौन स्वीकृति दे दी थी,,,।

सुरज गहरी गहरी सांस ले रहा था रूपालीपीठ के बल लेटकर अपनी बेटी के लंड को देख रही थी जो कि उसके थूक और लार से पूरी तरह से सना हुआ था,, जलती हुई आग की रोशनी में उसके भांजे का लंड एकदम चमक रहा था जिसकी चमक में वह पूरी तरह से अपनी जवानी अपने भांजे के कदमों में निछावर करने के लिए तैयार हो चुकी थी,,, सुरज अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे हिलाते हुए बोला,,।

बोलो तो मामी मै ईसे तुम्हारी बुर में डाल दुंं,,
(अपने भांजे की बात सुनकर मुझे कुछ बोले नहीं बस शर्मा कर अपनी पलके झुका कर दूसरी तरफ मुंह फेर ली,,, यह रूपालीकी तरफ से मौन स्वीकृति थी लेकिन सुरज अपनी मामी के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,)

ऐसे नहीं मामी तुम अपने मुंह से बोलो तभी मैं आगे बढ़ुंगा,, मैं तुम्हारी बुर में लंड डाल दूं,,,

इसमें पूछने वाली कौन सी बात है तु मुझे इतना तड़पा रहा है,,, अब जब तक तू अपने लंड को मेरी बुर में डालेगा नहीं तब तक मुझे भी चैन नहीं मिलेगा,,,

ओहहहह मामी यह हुई ना बात इसे कहते हैं औरत वाली बात अब देखना मैं तुम्हारी कैसे चुदाई करता हूं मामाजी को तो तुम भूल ही जाओगी मेरा लंड एक बार अपनी बुर में लोगी तुम मस्त हो जाओगी तुम्हें ऐसा मजा दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,
(इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच आगे और रूपालीखुद अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैला दी सुरज अपने दोनों हाथों को अपनी मामी की कमर के नीचे से ले गया और उसकी कमर थाम कर उसे अपनी जांगू पर चढ़ा लिया उसकी यादें गाना सुरज की जांघों पर टिकी हुई थी सुरज पूरी तरह से तैयार था अपनी मामी की बुर में समाने के लिए रूपालीकी बुर पूरी तरह से चिपचिपी हो चुकी थी जिससे मोटा लंड अंदर जाने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आती और रूपालीकी यह देखना चाहती थी कितना मोटा लंड उसकी बुर में जाने के बाद कैसा दिखता है इसलिए वह अपने हाथ की कोनी का सहारा लेकर अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच स्थिर कर चुकी थी सुरज बेशर्मी की हद पार करते हुए अपने मोटे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर लंड के हथौड़े को अपनी मामी की गुलाबी बुर पर पटकने लगा मानो कि जैसे लोहे की पाटी को अपने हथौड़े से पीट रहा है,,, लेकिन अपने भांजे की इस हरकत से रूपालीपूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी एक बार तो वहां बुर में लंड डालने से पहले अपने लंड को उसके नीचे ले जड़ से पकड़ कर उसे पूरा का पूरा बुर के ऊपर रखकर लंबाई नापने लगा जो कि पेट तक आ रहा था यह देखकर रूपालीथोड़ा सा घबरा गई और सुरज चुटकी लेता हुआ बोला,,।

देखना मैं मैं तुम्हारी बुर से डालूंगा और गांड से निकाल लूंगा,,,

चल देखती हूं तेरी मर्दानगी,,,

यह बात है तो यह लो,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज ढेर सारा थूक अपने मुंह में लिए हुए ही उसे अपनी मामी की बुर पर गिराने लगा जिससे उसकी बुर और ज्यादा गिरी हो गई और सुरज अपने मोटे लंड के सुपाडे को अपनी मामी की गुलाबी छेद पर रख कर उसे धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकारने लगा,,, रूपालीको एकदम साफ नजर आ रहा था जलती हुई लकड़ी की रोशनी में रूपालीअपने भांजे के लंड को जो की बहुत मोटा था अपनी बुर के अंदर घुसता

हुआ देख रही थी उसे धीरे-धीरे दर्द महसूस हो रहा था क्योंकि इतना मोटा लंड उसने आज तक अपनी बुर में नहीं ली थी इसलिए उसे थोड़ा दिक्कत आ रहा था लेकिन सुरज पूरी तरह से अनुभव से भरा हुआ था वह जानता था कि औरत को कैसे काबू में किया जाता है,,, सुरज के लंड का सुपाड़ा अभी आधा ही घुसा था और रूपालीको थोड़ा दर्द महसूस होने लगा जो कि उसके चेहरे से लग रहा था इसलिए सुरज अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर अपनी मामी की चूची को पकड़ लिया था और हल्के से अपनी कमर को आगे खेल दिया जिससे, भक से लंड का सुपाड़ा बुर की गुलाबी पत्तियाो को चीरता हुआ अंदर सरक गया,,,, रूपालीकी सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी सुरज के लंड का मोटा से बड़ा बुर के अंदर घुस जाने के बाद सुरज के लिए आगे का कार्य एकदम आसान हो चुका था वह देखते ही देखते अपने लंड को और अंदर की तरफ डालना शुरू कर दिया लंड की मोटाई इतनी ज्यादा थी कि रूपालीको अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर अपने भांजे के लंड की रगड़ एकदम साफ महसूस हो रही थी जिससे उसका मजा दुगना होता जा रहा था हालांकि थोड़ा बहुत दर्द का भी उसे महसूस हो रहा था लेकिन इस दर्द के आगे जो सुख मिल रहा था उसके आगे दर्द कोई मायने नहीं रख रहा था,,,,, सुरज का लंड आधा उसकी मामी की बुर में घुस चुका था और सुरज अपने हाथ की हरकत को आगे बढ़ाते हुए कभी चूची को पकड़ ले रहा था तो कभी कमर को कस के पकड़ ले रहा था वह अपनी मामी के नंगे चिकने पेट पर अपनी हथेली को सहला रहा था यह रूपालीको सांत्वना भी दे रहा था कि थोड़ी देर में मजा आने वाला है और देखते ही देखते सुरज का पूरा लंड रूपालीकी आंखों के सामने उसकी बुर के अंदर समा गया रूपालीपूरी तरह से हैरान हो चुकी थी कितना मोटा लंबा लंड जिसे वह देखकर कुछ पल के लिए घबरा गई थी कि वह अंदर कैसे ले पाएगी और वह देखते ही देखते उसकी बुर की गहराई में खो चुका था इससे रूपालीको खुशी भी हो रही थी और जिस तरह का सुख से प्राप्त हो रहा था इस तरह का सुख उसने अपने साथी के संपूर्ण जीवन में कभी प्राप्त नहीं कर पाई थी,,, पूरे लंड को अपनी मामी की गहराई में डाल देने के बाद सुरज मुस्कुराता हुआ अपनी मामी की तरफ देखा और बोला,,,।

देखा मामी कितने आराम से तुमने मेरे लंड को अपने बुर में ले ली,,,,

डाल तो दिया है सुरज अब कुछ कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,।
(सुरज अपनी मामी के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मामी सीधे-सीधे उसे चोदने के लिए बोल रही थी इसलिए सुरज एक पल की भी देरी किए बिना अपनी मामी से बोला)

तुम बेफिक्र हो जाओ मामी आज तुम्हें ऐसा सुख दूंगा ऐसी चुदाई करूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी,,,

कुछ भी करना भांजा लेकिन मेरी बुर मत फाड़ देना वरना घर जाकर तेरे मामाजी को कैसे अपना बुर दिखाऊंगी मुंह देखकर तो ऐसे भी उन्हें पता नहीं चलेगा लेकिन वह देखकर तो पता ही चल जाएगा कि रात भर किसी से चुदवा कर आई है,,,।


तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ऐसा कुछ भी नहीं होगा ,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी मामी की कमर को दोनों हाथों से थाम लिया और अपने लंड को अंदर बाहर करके अपनी मामी को चोदना शुरु कर दिया शुरू शुरू में मोटे लंड की वजह से अंदर बाहर होने में थोड़ी बहुत दिक्कत पेश आ रही थी लेकिन उत्तेजना के मारे रूपालीकी बुर अंदर से पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से अंदर चिपचिपाहट सी हो गई थी और थोड़ी ही देर में सुरज का लंड बड़े आराम से सटासट बुर के अंदर बाहर हो रहा था रूपालीपूरी तरह से मस्त हुए जा रहे थे इतना मोटा लंड जिंदगी में पहली बार वह अपनी बुर के अंदर ले रही थी इसलिए चुदाई का उसे परम आनंद प्राप्त हो रहा,,, सुरज का सपना था अपनी मामी को चोदना गांव भर की सारी औरतों को वह रोज चोदता रहा था लेकिन उसका सबसे बड़ा ख्वाब यही था कि वह कब अपनी मामी की बुर में लंड डाले क्योंकि उसकी नजर में उसकी मामी दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत ही और ऐसा था कि गांव भर में उसकी मामी जैसी खूबसूरत औरत दूसरी और कोई नहीं थी उसके बदन की बनावट अभी भी जवान लड़कियों की तरह ही थी बस थोड़ा सा बदन भर गया था जिसकी वजह से वह और ज्यादा कामुक लगने लगी थी,, दो दो बच्चों की मामी होने के बावजूद भी चुदवाने पर ऐसा सुख प्राप्त करती थी और देती थी जिसे महसूस करके सुरज पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था ऐसा सुख तो लाला की बहन को चोदने में भी उसे नहीं आया था जैसा सुख उसे अपनी मामी को चोदने में आ रहा था,,,।

तूफानी बारिश में रूपाली की सिसकारियां पूरे खंडहर में गूंज रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी इस तरह से खुलकर चुदाई का मजा उसने आज तक नहीं रही थी भले ही रोज वह अपने पति से चुदवाती थी लेकिन ऐसा सुख उसे आज तक प्राप्त नहीं हुआ था सुरज से पूरी तरह से मस्त कर दे रहा था कभी चूचियों को दबाता तो कभी कमर को लपक लेता तो कभी नीचे की तरफ झुक कर उसके होठों को चूसने लगता यह सब बेहद अद्भुत था रूपालीजैसी संस्कारी औरत के लिए तो यह सब अविस्मरणीय था वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी

मस्ती के सागर में वह पूरी तरह से डूब ना शुरू कर दी थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की भी जुदाई होती है इस तरह का भी आनंद औरत को प्राप्त होता है लेकिन उसे इस बात का एहसास हो गया था कि मर्द दमदार होना चाहिए जो की औरत को पूरी तरह से नहीं छोड़ कर रख दे और वही कार्य समय उसका भांजा सुरज कर रहा था वह पूरी तरह से अपनी मामी को अपनी आगोश में लिए हुए था और अपने तेज धक्कों से उसे तृप्त कर रहा था रूपालीबार-बार अपने भांजे के लंड की ठोकर को अपने बच्चेदानी पर महसूस करके धन्य हो जा रही थी आज तक उसके बच्चेदानी तक उसके पति का लंड नहीं पहुंच पाया था लेकिन उसके भांजे के लंड का हर एक ठोकर उसे अपने बच्चेदानी पर महसूस हो रहा था जिससे उसका मजा दोगुना होता जा रहा था,,,,।

ओहहहह मामी तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा चोदने में इतना मजा आता है मैंने आज तक कभी सपने में भी नहीं सोचा था लेकिन आज जो सुख मुझे मिल रहा है वैसे जिंदगी में नहीं भूल पाऊंगा मेरी जिंदगी की है रात सबसे हसीन रात है या यूं समझ लो कि आज की रात मेरी सुहागरात है,,,।
(अपने भांजे के मुंह से सुहागरात वाली बात सुनते ही रूपालीएकदम से शर्मा कर लाल हो गई और पानी छोड़ने लगी यह देखकर सुरज अपनी मामी से बोला)

क्यों मैं शरमा गई क्या,,,?

तो और क्या तुझे पता है सुहागरात किसके साथ मनाई जाती है,,,

मुझे पता है अपनी पत्नी के साथ है जिसको रात भर चोदते हैं और आज की रात में तुम्हें चोद रहा हूं तो एक तरह से तुम मेरी बीवी हुई,,,

धत् पागल इस तरह की बातें कर रहा है मैं तेरे मामाजी की हूं समझा,,,

मुझे पता है,,(जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए) लेकिन आज तुम्हारी बुर में मेरा लंड गया है तुम्हें जो सुख में दे रहा हूं इस तरह से मामाजी ने भी कभी नहीं दिया होगा इसलिए अब तुम पर सबसे पहला हक मेरा है,,,.
(कोई और समय होता तो शायद अपने भांजे की इस बात पर वह उसके गाल पर थप्पड़ लगा दी होती लेकिन मौका और दस्तूर दोनों सुरज के साथ था और रूपालीके साथ भी इसलिए सुरज कि इस तरह की गंदी बातें भी रूपालीको अच्छी लग रही थी वह और कस के अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाकर अपने भांजे को चोदने के लिए मजबूर कर दी थी सुरज पागलों की तरह अपनी मामी को चोद रहा था उसकी बुर की चुदाई करके उसे तहस-नहस कर दे रहा था,,,, फुचच फुचच की आवाज लगातार रूपालीकी बुर से आ रही थी और जांघ से जांघ टकराने से एक मधुर आवाज पैदा हो रही थी,, जो की दोनों की मदहोशी बढा रहा था,,, सुरज अपने लंड को अपनी मामी की बुर में पेलता हुआ बोला,,,।

सच-सच बताना मत मेरे लंड से तुम्हें ज्यादा मजा मिल रहा है ना,,,।

हारे बहुत मजा आ रहा है,,,


तुम्हारी बुर के अंदर मामाजी के लंड से ज्यादा रगड़ नहीं मिल रही हो कि कितना रगड़ मेरे लंड से मिल रही है,,,, है ना,,,,,


हा रे तु मुझे रगड़ रगड़ कर चोद रहा है,,,, मैं आज मान गई कि मैंने एक मर्द को जन्म दिया है,,,


अब तो तुम्हें डर नहीं लग रहा है ना इस खंडहर में,,,


सच कहूं तो आप तो मुझे बहुत मजा आ रहा है इस खंडरर में मैं कभी सोची भी नहीं थी कि इस तरह से किसी जंगल में खंडहर में रात बितानी पड़ेगी,,,

यह जान लो आज की रात हम दोनों की सुहागरात है और अब तो मैं रोज तुम्हारी जुदाई करूंगा मौका मिलते ही,,

अब तो मैं खुद तेरे बिना नहीं रह पाऊंगी लेकिन यह बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए,,,

इस बात की किसी को कानों कान भनक तक नहीं पड़ेगी,,,,

(रूपालीअपने भांजे की हरकत और उसकी संगत में पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी एक रंडी की तरह सवाल जवाब करते हुए अपने भांजे से चुदाई का मजा ले रही थी इस तरह का सुख उसने आज तक नहीं प्राप्त की थी जो सुख उसे उसका भांजा दे रहा था अपने भांजे के लंड की मोटाई और लंबाई से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी अपने भांजे का साथ देते हुए वह खुद अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल उछाल कर अपनी बेटी के लंड को अपनी बुर में ले रही थी,,,,, तूफानी बारिश और तेज हवाओं के स्वर में रूपालीकी कामुकता भरी मादकता भरी गरमा-गरम सिसकारी की आवाज खंडहर में ही दबकर रह जा रही थी। सुरज के हर एक धक्के के साथ रूपालीखंडार के जमीन पर आगे की तरफ सरक जा रही थी वह तो सुरज उसकी कमर को कस के थामें हुए था,,,, सुरज का हर एक जबरदस्त प्रहार रूपालीको अंदर तक सिहरन भर दे रहा था उसकी हर एक धक्के पर उसकी गोल-गोल खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह छतियो पर लहराने लग जा रही थी,,,। देखते ही देखते रूपालीका बदन अकड़ने लगा सुरज समझ गया कि उसकी मामी का पानी निकलने वाला है और वह भी चरम सुख के बेहद करीब पहुंच चुका था इसलिए नीचे की तरफ झुक कर अपनी मामी को अपनी बाहों में कस कर उसकी चूची को मुंह में भर कर पीना शुरू कर दिया और अपनी कमर को जोर जोर से हिला रहा शुरू कर दिया लगभग 20-25 धक्के के बाद दोनों की सांसें एकदम से तेज चलने लगी और दोनों एक दूसरे की बाहों में एकदम से समा गए और देखते ही देखते दोनों झड़ना शुरू

कर दिए,,,
 
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अद्भुत अविस्मरणीय अकल्पनीय अतुलनीय संभोग की पराकाष्ठा को प्राप्त करके मधुर गहरी गहरी सांस ले रही थी इस अद्भुत सुख से वह पूरी तरह से भाव विभोर हो चुकी थी,,, रूपाली ने कभी भी इस तरह के संभोग की कल्पना भी नहीं की थी सुरज उसके ऊपर पूरी तरह से डर चुका था और गहरी गहरी सांस लेता हुआ हांफ रहा था,,,, सुरज का लंड अभी भी उसकी मामी की बुर की गहराई में समाया हुआ था,,,, रूपालीकी गहरी सांसे और उसका लाल-लाल तम तमाता हुआ चेहरा साफ बयां कर रहा था कि वह संपूर्ण रूप से तृप्ति को महसूस कर पाई थी,,, चुदाई के असली सुख से रूपालीआज जाकर वाकिफ हुई थी,,,,, रूपालीअपनी मामी के नंगे जिस्म पर लेटा हुआ था उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर सर टिकाएं गहरी गहरी सांस ले रहा था ,,,,,,,। रूपाली अपने भांजे की नंगी पीठ को सहला रही थी,,,, ,,, बाहर अभी भी बड़े जोरों की बारिश हो रही थी,,,,,, बाहर का तूफान अभी भी जारी था लेकिन अंदर का तूफान कुछ देर के लिए शांत हो गया था,,,, खंडहर के अंदर अब किसी भी प्रकार की मादकता और मदहोशी भरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी बस केवल तेज हवाओ और तेज बारिश का शोर सुनाई दे रहा था,,,, बेल के गले में बंधी घंटी बार-बार बज‌ उठती थी।
रूपाली लभ लभाकर अपना पानी छोड़ी थी और सुरज भी अपनी गर्म लावा से अपनी मामी की बुर को पूरी तरह से भर दिया था और धीरे-धीरे वह बुर से बाहर भी निकल रहा था,,,, झड़ने के बावजूद भी सुरज का लंड पहले ही की तरह एकदम टनटनाकर खड़ा था,,,। उसकी मामी अभी भी हैरान थी कि पानी निकल जाने के बाद भी उसके भांजे का लंड पूरी तरह से खड़ा था और उसकी बुर के अंदर अभी भी अपनी मोटाई और लंबाई के साथ-साथ रगड़ महसूस करवा रहा था,,,, जो कि रह-रहकर अभी भी झटके खा रहा था,,,,,,।

धीरे-धीरे आधी रात समय हो चुका था ऐसे में सुरज अपनी मामी की बुर में लंड डाले उसके ऊपर लेटा हुआ था और उसकी मामी अपने भांजे की मेहनत की सराहना के रूप में उसकी पीठ थपथपा रही थी क्योंकि रूपालीके लिए तो उसके भांजे द्वारा किया गया यह कार्य बेहद सराहनीय था क्योंकि आज तक उसने चुदाई का असली सुख महसूस नहीं कर पाई थी जो कि आज उसके भांजे ने तूफानी रात में इस खंडहर में अद्भुत चुदाई का प्रदर्शन करते हुए उसद पूरी तरह से तृप्त कर चुका था,,,,। धीरे-धीरे दोनों अपनी सांसो को दुरुस्त कर रहे थे सुरज आज बहुत खुश नजर आ रहा था ऐसा लग रहा था कि वह पूरी दुनिया का सबसे खुशनसीब भांजा है जो इतनी खूबसूरत औरत की बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर रहा था,,,, जिसके बारे में सोच सोच कर और उत्तेजित होता था और अपने लंड को हिलाता था आज उसी को अपनी अद्भुत मर्दाना ताकत के साथ चुदाई करके तृप्त कर चुका था और वह खुद भी तृप्त हो चुका था लेकिन,,, सुरज की प्यास इतनी जल्दी बुझने वाली नहीं थी,,,,, वह अपनी सांसों को दुरुस्त करके अपने लंड को अपनी मामी की बुर में डाले हुए ही अपनी मामी की आंखों में आंखें डाल कर बोला,,,।

कैसा लगा मामी ‌सच सच बताना,,,,,,
(सुरज के कहे गए एक एक शब्द में शरारत भरी हुई थी वह अपनी मामी के मन की बात को जानना चाहता था लेकिन मालूम थी कि अपने भांजे के सवाल पर एकदम से शरमा गई और अपनी नजरों को नीचे झुका ली तो सुरज खुद अपनी मामी के प्यासे लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख दिया और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करने लगा,,,, रूपालीशर्मा कर अपने चेहरे को इधर-उधर कर रही थी लेकिन सुरज कहां मानने वाला था वह तुरंत दोनों हाथों से अपनी मामी की खूबसूरत चेहरे को किसी फूल की भांति अपने दोनों हथेली में भर लिया और उसके लाल-लाल होठों का फिर से रसपान करना शुरू कर दिया सुरज का अपनी मामी के होठों पर यह पहला चुंबन था जो कि बेहद गहरा था पल भर में ही रूपालीपूरी तरह से मस्त होने लगी सुरज अपनी मामी के लाल लाल होठों का रस पी रहा था मानो कि जैसे उसमें से मध झड़ रहा हो,,,, रूपालीके लाल-लाल होठों का रस किसी मदिरा से कम नहीं था पल भर में ही उसका नशा सुरज के तन बदन में अपना असर दिखाने लगा आंखो में खुमारी छाने लगी एक बार फिर से रूपालीको अपने भांजे का लंड अपनी बुर की गहराई के अंदर ही मोटा होता हुआ महसूस होने लगा,,,, रूपालीके लिए यह पल यह एहसास बिल्कुल नया था उसने आज तक ऐसा महसूस कभी नहीं की थी अपने पति से जब भी चुदवाती थी उसका पानी निकलने के बाद ही वह दूसरी तरफ करवट लेकर सो जाता था लेकिन सुरज था कि रुकने का नाम नहीं ले रहा था रूपालीको लग रहा था एक बार फिर से उसका भांजा तैयार हो रहा है इस बात से रूपाली पूरी तरह से हैरान थी,,, क्योंकि उसे इस बात का एहसास था कि जब से वह खंडहर में आई थी तब से उसके भांजे का लंड टनटनाकर खड़ा हो चुका था और अभी भी चुदाई करने के बावजूद भी फिर से तैयार हो रहा था इतनी मर्दानगी उसने आज तक अपने पति में कभी नहीं देखी थी इसलिए वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित ही थी और इस बात का उसे गर्व भी था कि उसने एक मर्द को पाल पोसकर बड़ा किया था,,,, सुरज पूरी तरह से अपनी मामी के लाल लाल होठों का रस पीने में मजबूर था,,,,

और अपने दोनों हाथों से अपनी मामी के खरबूजे जैसी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया था यह सब रूपाली को फिर से उत्तेजित कर रहा था और सुरज खुद उत्तेजित हो चुका था लेकिन रूपालीअभी तैयार नहीं थी वह थक चुकी थी और जिस तरह की चुदाई उसके भांजे ने अपने मोटे हथौड़े जैसे लंड से किया था उसकी थाप से उसकी पुर दर्द करने लगी थी लेकिन सुरज की हरकत ने एक बार फिर से उसके तन बदन में मदहोशी भर दिया था अपनी नजरों को उसी अवस्था में खंडहर के बाहर की तरफ घुमाई तो अभी भी बाहर तेज बारिश हो रही थी और मन ही मन बोलने लगी कि यह बारिश कब बंद होगी ऐसी बारिश उसने आज तक नहीं देखी थी,,,, बादलों की गड़गड़ाहट तेज हवाओं का झोंका और शोर करती हुई बारिश की बूंदे सब कुछ भयानक सा माहौल पैदा कर रहे थे लेकिन इस खंडहर में उसके भांजे की वजह से जैसे कि बहार आ गई थी जंगल में पुरानी खंडहर में चुदवाने का रूपालीका यह पहला अवसर था जिसमें वह पूरी तरह से अपने आप को तृप्त कर चुकी थी,,,, रूपाली जानती थी कि उसका भांजा फिर से उसे चोदने के लिए अपने आपको तैयार कर चुका था लेकिन वह अभी इसके लिए तैयार नहीं थी वह काफी थक चुकी थी इसीलिए सुरज को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,,।


हट मेरे ऊपर से दर्द कर रहा है,,,,(सुरज चाहता तो अपनी मामी के ऊपर से हटता नहीं और ना ही रूपाली उसे हटा सकती थी लेकिन फिर भी दर्द का नाम सुनकर सुरज अपनी मामी के ऊपर से हटने लगा और अपने लंड को अपनी मामी की बुर से बाहर निकालने लगा जैसे ही लंड बुर से बाहर,, निकला,,उसम से लंड को निकलते समय पुच्च की आवाज आ गई ,,, जिसको सुनकर रूपालीएकदम से शर्मा गई,,, और उठ कर बैठ गई सुरज भी आराम से उठ कर अपनी मामी की तरह बैठ गया था,,,, धीरे-धीरे लकड़ी में आग कम हो रही थी लेकिन उसकी तपन अभी भी बरकरार थी लेकिन उससे ज्यादा तपन सुरज को अपनी मामी के बदन से प्राप्त हुआ था वह पूरी तरह से पसीने से तरबतर हो चुका था आखिरकार मेहनत जो इतना किया था,,,, रूपालीअपनी बुर की तरफ देखते हुए सुरज से बोली,,,।

बाप रे पूरी कमर दर्द करने लगी,,,,(दोनों हाथों से अपनी कमर को पकड़ते हुए बोली तो सुरज बोला,,,)

इतनी तेज धक्के जो लगाया हूं मैं यकीन से कह सकता हूं कि मामाजी इस तरह से तेज धक्के कभी नहीं लगाते होंगे,,,
(अपने भांजे की इस बात पर रूपालीफिर से शर्मा गई और सुरज से बोली)

अच्छा जैसे तुझे मालूम है कि तेरे मामाजी कैसे धक्के लगाते हैं देखता था क्या,,,?
(सुरज का मन तो कर रहा था कि बता दे कि अपने कमरे के छोटे से छेद से हर रोज तुम्हारी चुदाई देखता था लेकिन फिर भी वह इस बात को बताना ठीक नहीं समझा और बोला)
देखा तो नहीं हूं लेकिन मामाजी के शरीर को देखकर मुझे पता तो चलता है कि कितने तेज धक्के लगा सकते हैं मामाजी पास में तुम्हारी चुदाई देख पाता तो मजा आ जाता,,,,
(रूपालीकुछ बोली नहीं बस खामोश रहे और बाहर बारिश को देखती रही जो की पूरी तरह से रात को अपनी आगोश में लेकर जी भर के बरस रहा था जैसा कि अभी-अभी उसके भांजे ने बरसा था,,,, अपनी मामी की नंगी पीठ पर हाथ रखकर उसकी चिकनी पीठ को सहला ते हुए सुरज बोला,,,)

एक बात तो है मामी दो दो जवान बच्चों की मामी होने के बावजूद भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है ऐसा लगता है कोई जवान औरत की बुर हो और किसी का लंड बुर में ली ना हो,,,,,,
(अपने जवान भांजे की मुंह से अपनी कसी हुई बुर की तारीफ सुनकर मधुर एकदम से गदगद हो गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली,,,)

जालिम है तू मार-मार के मेरी बुर को तहस-नहस कर दिया और बोलता है कि कसी हुई है,,,

दिखाओ तो कहां तहस-नहस कर दिया,,,(तुरंत अपनी मामी की दोनों टांगों को पकड़कर खोलते हुए) क्या पागलों जैसी बात करती हो मामी अभी भी कितनी खूबसूरत लग रही है,,,(अपनी हथेली को अपनी मामी की बुर पर रखकर उसे रगडते हुए,,,) अभी तो रात भर चुदवाओगी तो भी तुम्हारी बुर‌ ज्यों की त्यों बरकरार रहेगी,,,,(रूपालीअपने भांजे की हिम्मत भरी बातें और उसकी हथेली की रगड़ को अपनी बुर के उपर महसूस करके एकदम मस्त हो गई और अपने भांजे का हाथ पकड़कर हटाते हुए बोली)

धत्,,,,, बेशर्म हो गया है तू,,, और रात भर चोदेगा कौन किस में इतना दम है,,,,!


अरे तुम्हें रात भर चोदने वाला तुम्हारे सामने ही तो भांजा है देखो, (अपने खड़े लंड को पकड़कर हीलाते हुए) कैसे खड़ा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए अभी टांग फैला दो तो अभी डाल दुं,,,


हां तू तो डाल ही देगा और तुझे काम भी क्या है सिर्फ डालना और निकालना,,,


अरे मा तुम तो ऐसी बातें कर रही हो कि तुम्हें कुछ मजा नहीं मिलता,,, तुम्हारी बुर को चाट चाट कर कितना पानी निकाला हूं उसमें कितनी मेहनत लगती है पता है ना मुझे नहीं लगता कि मामाजी इस तरह से तुम्हारी बुर को चाटते होंगे,,,

चल अब रहने दे तू अपने मामाजी की बातों को,,,,

क्यों,,,? सच तो कह रहा हूं अगर पहले भी मामाजी से इस तरह से अपनी बुर चुसवाती तो आज ईतना पानी ना फेंकती,,,,
(रूपालीअपने भांजे की इस तरह की बातें से एकदम मदहोश हुए जा रही थी उसकी बातों के एक-एक शब्द उसकी कानों के साथ-साथ उसकी बुर में मिश्री घोल रहे थे,,,, उसे अपने भांजे की इस तरह की बातें बहुत अच्छी लग रही थी,,,, लेकिन फिर भी वह अपने भांजे का ध्यान दूसरी तरफ करते हुए बोली,,,)

वह सब रहने दे पहले यह देख आग बुझाने वाली है इसमें लकड़ी डाल,,,,,,

मामी इस बुझी हुई आग में लकड़ी डाल दूंगा तो यह फिर से जल उठेगी लेकिन तुम्हारी बुर में अगर लंड नहीं डालूंगा तो वह जल्दी ही रहेगी वह ‌बुझेगी नहीं,,,,
(रूपालीअपने भांजे के लंड की तरफ देखकर और उसकी बातों को सुनकर एकदम से शर्मा गई और उसे थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

चल अब रहने दे कह रही हु ना उसमें लकड़ी डाल,,,,
(सुरज समझ गया था कि अब आग में लकड़ी डाले बिना काम चलने वाला नहीं है क्योंकि वाकई में लकड़ी की आग शांत हो रही थी और खंडहर में एक बार फिर से अंधेरा छाने लगा था इसलिए वह उठा और बोला,,,)

जैसी आपकी आज्ञा महारानी जी,,,,(अपने लिए महारानी की उपमा सुनकर रूपालीखिलखिला कर हंस दी और सुरज फिर से सूखी हुई लकड़ियों को खंडार में से कट्ठा करके उसमें डालकर जलाने लगा और थोड़ी देर में फिर से पूरे खंडहर में जलती हुई आग का उजाला फैल गया रूपालीको जोड़ो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह अपनी जगह से खड़ी हुई तो सुरज बोला,,,)

अब क्या हुआ,,,

तु यही बैठ में आती हूं,,,

अरे नई-नई रुको मैं भी चलता हूं मैं जानता हूं तुम मुतने के लिए जा रही हो,, मुझे भी जोरों की पेशाब लगी हुई है ,,(और इतना कहकर सुरज अपनी जगह से खड़ा हो गया और रूपालीएक बार फिर से शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसका भांजा एकदम खुले शब्दों में उसे मुतने के लिए बोल रहा था,,, रूपालीकुछ बोल पाती से पहले ही सुरज उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया था और उसे अपने साथ लेकर चलने लगा था रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ज्यादा देर तक वो अपने पेशाब को रोक भी नहीं सकती थी,,, सुरज का लंड एकदम हवा में लहरा रहा था जिसे देखकर रूपालीकी कामना एक बार फिर से जागृत होने लगी थी,,,,,,, गणगौर बारिश के साथ घनघोर काली अंधेरे में भी जलती हुई आग की रोशनी में रूपालीअपने भांजे के लंड को एक बार फिर से ले रहा था वह देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी,,, उसकी जवानी अपने भांजे के सामने घुटने टेक रही थी रूपालीहैरान थी अपने भांजे की मर्दाना ताकत को देखकर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी भी उसके भांजे का लंड टन टना कर कैसे खड़ा है,,,,, रूपालीमंत्रमुग्ध के साथ-साथ आश्चर्यचकित हो गई थी वह सुरज को कुछ भी नहीं बोल पा रही थी और सुरज उसका हाथ पकड़कर उसी जगह पर ले जा रहा था जहां पर कुछ देर पहले वह बैठकर मुत रही थी देखते ही देखते सुरज उसी जगह पर पहुंच गया और अपनी मामी से बोला,,,।

अब मुतो,,,,, मैंने आज तक किसी औरत को पेशाब करते हुए नहीं देखा,,,।
(इतना सुनते ही रूपालीको बाजार वाला दृश्य में जरा आने लगा जब वह इसी तरह से चार समोसे की दुकान के पीछे जाकर झाड़ियों में बैठकर पेशाब कर रही थी वह ठीक उसके सामने उसका भांजा पेशाब कर रहा था जिस तरह से वह कह रहा था रूपालीको यकीन हो चला था कि उसके भांजे को उसके वहां होने की बिल्कुल भी आशंका नहीं थी लेकिन फिर भी अपने भांजे की बात सुनकर वह हैरान हो गई थी शर्म से पानी पानी हो रही थी आखिरकार कैसे अपनी बेटी के सामने बैठकर पेशाब करेगी यही सोचकर वह हैरान हो रही थी,,,, इसलिए सुरज को समझाते हुए बोली,,,।)

क्या भांजा तू पागलों जैसी बात कर रहा है मैं तेरे सामने बैठकर कैसे पेशाब करूंगी,,,

अरे ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले कर रही थी,,,

तू देख रहा था क्या,,,,


अगर देख नहीं रहा होता तो पानी में आ रहा सांप कैसे नजर आता,,,
(इतना सुनते ही रूपालीका चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन फिर भी वह बोली)

नहीं-नहीं सुरज तेरे सामने मुझे शर्म आएगी,,,,,

क्या बात तुम भी,,,, अभी भी तुम्हें शर्म आएगी मेरे मोटे लंबे लंड को अपने बुर में लेकर मस्त हो गई और कहती हो कि शर्म आएगी,,, मैं नंगा खड़ा हूं तुम नंगी खड़ी हो मेरा लंड तुम साफ देख पा रही हो मैं तुम्हारी बुर देख रहा हूं तुम्हारी चूची तुम्हारी गांड सब कुछ देख रहा हूं और कहती हो शर्म आएगी,,,, मजा आएगा बस एक बार मेरा कहा मान लो,,,,
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था और बार-बार अपने भांजे के लंड की तरफ नजर चली जाने की वजह से उसके बदन में मदहोशी भी छा रही थी,,,,,, वह खुद अपने भांजे की बात मानने के लिए अंदर ही अंदर तैयार हो चुकी थी क्योंकि वह भी इस अनुभव का आनंद लेना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी अपने भांजे को ना नूकुर करते हुए बोली,,,।)

नहीं नहीं भांजा मेरी बात समझने की कोशिश कर आखिरकार मैं तेरी मामी हूं और तेरे सामने में कैसे बैठकर मुत सकती हूं,,,,

क्या मामी इतना समझाने के बाद भी तुम समझने को तैयार नहीं हो,,,,,, रुको अच्छा मैं ही तुम्हारे सामने मुत कर दिखाता हूं उसके बाद तुम्हें मुतना होगा,,,
(रूपालीका दिल जोरों से धड़क रहा था उसने इतने करीब से किसी भी इंसान को पेशाब करते हुए नहीं देखी थी हालांकि बाजार में वह अपने भांजे को देखी थी लेकिन उसे अपनी आंखों के सामने पेशाब करते हुए देखने का लुफ्त उठा नहीं पाई थी लेकिन इस पल वह सारी कसर उतार लेना चाहती थी,,,.,, फिर भी अपने भांजे को ऐसा करने से रोकते हुए वह बोली,,,।)

अरे नहीं रहने दे थोड़ा तो शर्म कर,,,,

अगर शर्म करता तो तुम्हारी बुर में लंड डालकर चोदा ना होता तुम्हें इतना मजा ना दिया होता थोड़ा और मजा देना चाहता हूं और लेना चाहता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और बोला,,,,)

देखो मैं अब कैसे पेशाब करता हूं,,,,।
(अपने भांजे का लंड अपने हाथ में पकड़ते ही रूपालीकी बुर एक बार फिर से पिघलने लगी,, थी,,, अपने भांजे के लंड को एक बार फिर से अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्माहट में वह पूरे अपने वजूद को पिघलता हुआ महसूस कर रही थी और उत्तेजना के मारे अपनी हथेली को कस के दबा ली थी जिसमें उसके भांजे का लैंड और ज्यादा कड़क होने लगा था,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था आसमान में काले बादल अभी भी पूरी तरह से अपना जलवा बिखेर रहे थे तूफानी बारिश लगातार जारी थी हवाओं का तेज झोंका बदन में झनझनाहट पैदा कर दे रहा था दोनों मां-भांजे इस समय खंडार के किनारे एकदम नग्न अवस्था में खड़े होकर आनंद की पराकाष्ठा को पार करने की कोशिश कर रहे थे देखते ही देखते सुरज अपनी मामी के हाथ में लंड दिया मुतना शुरू कर दिया,,,, जलती हुई आग की लपटे कुछ ज्यादा ही तेज थी इसलिए यहां तक रोशनी आ रही थी जिसमें रूपालीअपने भांजे के लैंड को और उसमें से निकलती पेशाब की धार को एकदम साफ तौर पर देख पा रही थी वह पूरी तरह से मदहोशी के आलम में पिघलती जा रही थी उसे सहन नहीं हो रहा था और अनजाने में ही वह अपने भांजे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी थी यह देख कर सुरज के तन बदन में आग लगने लगे वह अपनी कमर आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया और उसकी मामी अपने भांजे के लंड को मुट्ठीयाना शुरू कर दी,,,, अद्भुत नजारा बनता चला जा रहा था रूपालीकभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस कदर अपने भांजे के साथ बेशर्म बन जाएगी पहली बार किसी मर्द के लंड को अपने हाथ में लेकर उसे पेशाब करवा रही थी,,,, सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था और एक हाथ अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच ले जाकर उसकी बुर को अपनी हथेली में दबोच लिया था उससे अपनी उत्तेजना काबू में नहीं हो पा रही थी सुरज की इस हरकत पर रूपालीएकदम से सिहर उठी और उसके मुंह से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी,,,,।

सहहहरह आहहहहहहह सूरज,,,,,ऊममममममम,,,,
(रूपालीपूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी लेकिन अभी तक उसकी पूर्व से पेशाब की धार नहीं फूटी थी,,, इसलिए सुरज अपनी उंगली को अपनी मामी की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ रहा था ताकि उसमें से गरमा गरम पेशाब की धार फूट पड़े लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था रूपालीपूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसकी आंखें बंद हो गई थी और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी सुरज से अपनी मामी की हालत देखी नहीं गई और वह आप पेशाब कर चुका था इसलिए तुरंत अपनी मामी का हाथ अपने लंड पर से हटाकर घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत अपने प्यासी होठों को अपनी मामी की बुर से लगा कर उसने अपनी जीभ घुसा दिया रूपाली इस हमले के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी इसलिए जैसे ही उसे अपने दूर पर अपने भांजे के होंठों का स्पर्श हुआ वह तुरंत एकदम से मचल उठी और उत्तेजना के मारे अपने आप ही उसकी कमर आगे की तरफ उचक गई और सुरज तुरंत अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी मामी की गांड को दोनों हाथों से दबोच लिया लाख कोशिश करने के बावजूद भी इस हालत में रखो अपने पेशाब की तीव्रता पर काबू नहीं कर पाई और बल बनाकर उसकी बुर से पेशाब की धार फूट पड़ी लेकिन सुरज अपना मुंह बिल्कुल भी नहीं हटाया रूपालीहैरान थी वह मौत रही थी और उसकी बुर से उसका भांजा मुंह लगाए बैठा था,,, एक तरफ रूपालीको अत्यधिक उत्तेजना और मदहोशी छाई हुई थी और दूसरी तरफ वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी क्योंकि वह अपने भांजे के मुंह में मुत रही थी अपने भांजे का बाल पकड़कर रूपालीउसे हटाने की लाख कोशिश करती नहीं लेकिन मधुर से ज्यादा ताकत सुरज की भुजाओं में थी और वह कसके अपनी मामी की गांड को पकड़े हुए था और उसकी बुर से निकल रही पेशाब की धार को अमृत धार समझकर अपने गले के नीचे घटक रहा था,,,,, रूपालीया देखकर हैरान थी अपने भांजे की आकांक्षा उसकी हरकतें उसे पूरी तरह से प्रभावित कर रही थी इस तरह का सुख आज तक उसके पति

ने कभी भी उसे प्रदान नहीं किया था ना ही कभी इस तरह का जिक्र ही किया था जिस तरह की हरकत सुरज कर रहा था सुरज की हर एक हरकत रूपालीके लिए मदहोशी का कारण बन रही थी उसकी आंखों में खुमारी छा रही थी वह पूरी तरह से पागल हो जा रही थी उसके बदन में उत्तेजना की लहर बार-बार उसे झकझोर रही थी ,,,,, रूपालीका मुंह खुला का खुला रह गया था और वहां नाक से ज्यादा अपने मुंह से सांस ले रही थी उसकी गहरी चलती सांसो के साथ उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी तेज हवाओं का झोंका बारिश की बूंदों को खंडहर के अंदर तक फेंक रहा था क्योंकि दोनों के नंगे तन को भिगो रहा था लेकिन अब भीगने का डर दोनों को बिल्कुल भी नहीं था बरसात का पानी जितना दोनों को नहीं भीगा रहा था उससे ज्यादा वासना का तूफान उन दोनों को अपने अंदर डुबाए लेकर चला जा रहा था,,,,

रूपालीकी बुर से लगातार तीव्रता के साथ उसके पेशाब की धार फूट रही थी जोकि सीधा सुरज के मुंह के अंदर गिर रही थी और उसके बदन को पूरी तरह से भिगो रही थी एक तरह से सुरज अपनी मामी के पेशाब में नहा रहा था और यह अनुभव से और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था उसका लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो चुका था अपनी मामी को गरमा गरम सिसकारी लेता देखकर सुरज समझ गया कि वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी है सुरज अपनी मदहोशी और उत्तेजना को काबू नहीं कर पा रहा था,,,, सुरज का लंड एक बार फिर से अपनी मामी की बुर में जाने के लिए तड़प रहा था रूपालीकी बुर से लगातार पेशाब की धार निकल रही थी उसकी आंखें बंद हो चुकी थी वह मजा ले रही थी और पानी की बूंदे उसके पूरे तन को भिगो रही थी सुरज भी भीग रहा था सुरज अब एक पल भी गवाना उचित नहीं समझ रहा था इसलिए तुरंत अपनी मामी की बुर पर से अपना मुंह हटा कर खड़ा हुआ और उसकी मामी को समझ पाती इससे पहले ही अपनी मामी की जान पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मामी की गीली चपचपाती हुई बुर में लंड सटाकर हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेल दिया,,, और पहले से ही सुरज का लंड अपनी मामी की बुर में अपने नाम का सांचा बना चुका था इसलिए फच्च की आवाज के साथ ही सुरज का लंड एक झटके में उसकी मामी की बुर में समा गया और जैसे ही मोटा तगड़ा लंड बहू की बोर में गिरा उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और वह अपनी आंखों को खोल दी और जब उसे पता चला कि उसके भांजे का लंड उसकी बुर में घुस गया है वह पूरी तरह से मस्त हो गई पानी में भीगने का मलाल उसे बिल्कुल भी नहीं था इस समय वह अपने भांजे के प्यार में उसकी वासना में डूब रही थी और भीग रही थी सुरज अपनी मामी की कमर पर हाथ रखकर उसकी एक टांग को अपनी कमर पर लपेटे हुए धीरे-धीरे खंडहर की बाहरी दीवार से उसे हटा दिया और अपनी कमर को हिला कर अपनी मामी को चोदना शुरू कर दिया रूपालीकभी सोचा भी नहीं था कि उसका भांजा इतनी तीव्रता के साथ अपने लंड को उसकी बुर में डालेगा लेकिन अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से प्रभावित होते हुए उसकी मर्दानगी ताकत के आगे घुटने टेक दी थी ,,,,,

रूपालीकी एक टांग ऊपर उठी हुई थी और सुरज के कमर पर लिपटी हुई थी सुरज एक हाथ उसकी कमर पर रखकर उसे सहारा दिए हुए था और वह अपनी पीठ को खंडार की दीवार से सटाकर अपने भांजे से चुदवाने का मजा ले रहे थे सुरज पहले ही धक्के से रफ्तार को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए अपने लंड का मजा अपनी मामी को दे रहा था उसका हर एक धक्का रूपालीकी चीख निकाल दे रहा था,,,, सुरज अपनी मामी की गर्दन पर अपने होंठ रख कर उसे चुंबन करते हुए अपनी कमर हिला रहा था तूफानी बारिश लगातार जारी थी जिस तरह से बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी उसी तरह से सुरज भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था सुरज लगातार अपनी मामी की चुदाई कर रहा था रूपालीकी बुर में बड़े आराम से सुरज का लंड अंदर बाहर हो रहा था जिसमें से फच्च फच्च की आवाज आ रही थी,,,,।

आहहहह सुरज मेरे लाल‌ आराम से धक्के लगा तेरा लाल कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा है इतना मोटा लंड मैंने आज तक अपनी बुर में नहीं ली,,,


तभी तो मामी मैं तुम्हें जुदाई का असली सुख दे रहा हूं मैं जानता हूं मामाजी का लंड मेरे से आधा भी नहीं है तुम्हें मजा नहीं आता होगा तुम्हारी जवानी का रस मामाजी बराबर जूस नहीं पाते हैं इसीलिए मैं तुम्हारी जवानी का रस पीने के लिए आया हूं देखो आज मैं तुम्हारे बुर को कैसे अपने लंड से चोद चोद कर सुजा देता हूं तुम भी आज की रात जिंदगी भर नहीं भूलोगी,,,

आहहहहह वह तो देख ही रही हूं तेरी बेशर्मी के साथ-साथ में भी बेशर्म बन गई हूं,,,,आहहररह आहहररहह ,,,,

चुदाई के मामले में बेशर्म बनने में ही ज्यादा मजा है शर्म करने से कुछ हासिल नहीं होता तो मगर बेशर्मी नहीं दिखाती तो आज मेरे लंड का मजा नहीं लेती,,, हाय कितनी कसी हुई बुर है,,,,ऊमम(अपनी मामी की गर्दन को चुमते हुए सुरज लगातार अपनी कमर हिला रहा था) देखो मामी कितने आराम से मेरा लंड तुम्हारी बुर में जा रहा है,,,,ऊफफ तुम तो मुझे पागल कर दोगी,,,,।
(इतना कहते हुए सुरज अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया पानी में दोनों का बदन पूरी तरह से भीग रहा था दोनों एक बार फिर से बारिश के पानी में नहा चुके थे लेकिन बारिश का ठंडा पानी दोनों के बदन की अपन को शांत करने में असमर्थ साबित हो रहा था दोनों पूरी तरह से गर्म आ चुके थे रूपालीकी गर्म जवानी में सुरज पूरी तरह से गर्म हो चुका था,,,,, रूपालीकी खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी चूचियां सुरज की छाती के नीचे दबी हुई थी और सुरज अपनी कमर को आगे पीछे करके अपनी मामी को चोद रहा था कुछ देर तक सुरज अपनी मामी को इसी अवस्था में चोदता रहा वह जानता था कि उसकी मामी की टांगे दर्द कर रही होगी इसलिए वह अपनी मामी की टांग को अपनी कमर से हटाकर सीधी कर दिया और एक बार अपने लंड को अपनी मामी की बुर से बाहर निकाल लिया रूपालीको लगा कि शायद उसका पानी निकल गया है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था रूपाली कुछ कह पाती को समझ पाती इससे पहले ही सुरज अपनी मामी की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे खंडार की दीवार की तरफ घुमा दिया और उसकी कमर को अपनी तरफ खींच कर उसकी गोल-गोल गांड को अपने आगे परोश लिया रूपालीसमझ गई थी कि अब उसका भांजा क्या करने वाला है वह भी मौके की नजाकत को समझते हुए अपनी गोल-गोल भारी भरकम गांड को थोड़ा सा और ऊपर की तरफ उठा दे ऐसा लग रहा था कि दुश्मनों को दोस्त करने के लिए सेनापति ने तोप लगा दी हो लेकिन सामने के दल का सेनापति और ज्यादा चला था दुश्मनों की तोप का जवाब अपनी बंदूक से देना जानता था इसलिए सुरज तुरंत अपनी मामी की उठी हुई तोप को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी बंदूक की नाल तोप के छेद में डाल दिया जिसमें से गर्म लावा उसे पिघलाने के लिए निकलने वाला था,,, एक बार फिर से सुरज पूरा मोर्चा संभाल लिया था अपनी मामी की कमर थाम कर वह फिर से अपने लंड को अपनी मामी की गुलाबी छेद में डालकर हिलाना शुरू कर दिया था पीछे से चुदवाने में रूपालीको भी बहुत मजा आता था इसलिए उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज और तेज हो गई थी सुरज कभी अपनी मामी की कमर थाम लेता तो कभी अपनी मामी की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दबाते हुए अपनी कमर हिलाता,,, लेकिन उसका गरम लावा फूटने का नाम ही नहीं ले रहा था अपने भांजे की मर्दाना ताकत के आगे वह पूरी तरह से वशीभूत हो चुकी थी मंत्रमुग्ध थी वह उसी अवस्था में अपनी गांड को हवा में उठाएं अपने भांजे से चुदवाने का मजा लूट रही थी,,,,।

रूपाली अपने मन में सोचने लगी कि सच में उसका भांजा चुदाई की कला में पूरी तरह से महारत हासिल किया हुआ है तभी तो हर तरीके से उसे परमआनंद दे रहा है,,,, बरसात की बोल दे दोनों के तन को भी हो रही थी और रूपालीकी चिकनी पीठ पर फिसलती हुई पानी की बूंदों को सुरज अपना जीभ लगाकर चाट रहा था और अपनी कमर हिला कर लगातार अपनी मामी की चुदाई कर रहा था,,,,

अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।
(अपने भांजे के मुंह से अपने लिए रानी शब्द सुनते ही रूपालीअपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पाई और भलभलाकर उसका पानी निकलना शुरू हो गया,,,, उसे अपने भांजे की बात पर बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था उसे तो इस तरह का संबोधन उसे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था अभी अपने भांजे के सुर में जवाब देते हुए बोली,,,)

बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा तेरे जैसा लंड तो मैंने आज तक नहीं देखी तेरे लंड को अपनी बुर में लेकर मैं धन्य हो गई हूं,,,

ओहहहह मेरी रानी मेरा लंड तेरे लिए ही बना है अब देखना दिन रात तेरी बुर में डालकर मैं ऐसी चुदाई करूंगा तो मस्त हो जाएगी,,,

ओहहहहह मेरे राजा और जोर जोर से धक्के लगा,,,,

साले तू बहुत मस्त पेलवाती है,,, तेरी बुर को चोद‌चोद कर में भोसड़ा बना दुंगा भोसड़ाचोदी,,,,,
(सुरज अपनी मामी से प्यार की बातें करते करते गाली गलौज पर उतर आया था वह जानता था कि चुदाई करते समय गाली गलौज करने में और ज्यादा मजा आता है और इस बात को रूपालीभी अच्छी तरह से जानती थी वह तो पहले थोड़ा हैरान हुई अपने भांजे के मुंह से गाली सुनकर लेकिन ना जाने क्यों अपने भांजे के मुंह से इस समय गाली उसे बहुत अच्छी लग रही थी और वह भी अपने भांजे को जवाब देते हुए बोली)

अरे मादरचोद मैं भी देखना चाहती हूं तेरे में कितना दम है,,, मैं भी तो देखूं कैसे तुम्हारी बुर का भोसड़ा बनाता है मादरचोद,,,

अरे मेरी भोसड़ा चोदी मेरी रंडी तेरी बुर पर मेरा नाम लिख गया है,,,, अब तेरी बुर पर मेरा ही राज चलेगा देख अब कैसे तुझे मस्त करता हूं,,,।
(दोनों पूरी तरह से वासना की आग में लिप्त हो चुके थे दोनों को सही गलत का पहचान बिल्कुल भी नहीं था मां-भांजे का पवित्र रिश्ता टूट चुका था और दोनों में मर्दों और औरतों का रिश्ता पनप गया था इसलिए दोनों एक दूसरे से आनंद लेते हुए एक दूसरे को गाली गलौज कर रहे थे और मजा ले रहे रूपालीने आज तक इस तरह की चुदाई की कभी कल्पना भी नहीं की थी जिस तरह की चुदाई सुरज कर रहा था सुरज बिना रुके बिना थके एक ही लए में अपने लंड को अपनी मामी की बुर के अंदर बाहर कर रहा था देखते ही देखते हैं रूपालीदो बार और अपना पानी छोड़ चुकी थी और तीसरी बार की तैयारी थी लेकिन आंसू अभी एक भी बार अपना पानी नहीं निकाला था लेकिन इस बार वह भी पूरा चरम सुख के करीब पहुंच रहा था और ऐसे में उत्तेजित अवस्था में वह अपनी मामी की चूची को दोनों हाथों से पकड़कर दशहरी आम की तरह जोर-जोर से दबाते हुए धक्के लगा रहा था और देखते ही देखते दोनों का एक साथ पानी निकल गया दोनों जोर जोर से हांफने लगे,,,, कुछ ही देर में दोनों एक दूसरे से अलग हुए दोनों पानी में पूरी तरह से भीग चुके थे,,,,।

रूपाली और सुरज दोनों खंडार के किनारे खड़े थे जहां पर पानी की बूंदे उन दोनों को भिगो रही थी रूपालीतुरंत थोड़ा खंडार के अंदर आ गई और अपने बदन से पानी को अपनी हथेली से साफ करते हुए बोली,,।

तू बहुत हारामी है रे आखिर अपनी मनमानी कर ही लेता है मुझे पूरा भिगो दिया,,,

भी तो मैं भी गया हूं मैं लेकिन मजा कितना आया बहुत मजा आया ना,,,,(इतना कहते हुए सुरज अपना कुर्ता लेने के लिए नीचे झुका और उसे लेकर अपनी मामी के बदन से पानी को साफ करने लगा थोड़ी ही देर में दोनों अपने बदन से पानी सुखा कर आगे के आगे बैठे हुए थे रूपालीपूरी तरह से थक चुकी थी सुबह होने में भी अभी काफी देर थी लेकिन अब उसे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि दमदार जुदाई के बाद अक्सर मर्द और औरत दोनों को नींद आ जाती है दिन भर सफ़र की थकान और रात को चुदाई की मेहनत से दोनों थक चुके थे इसलिए सुरज अपनी मामी की साड़ी को वही जलती हुई आग के किनारे बिछा कर अपनी मामी को अपनी आगोश में लेकर सो गया,,,, सुबह जब सुरज की नींद खुली तो धीरे-धीरे सुबह हो रही थी काले बादल छोड़ चुके थे धीरे-धीरे हल्का-हल्का उजाला हो रहा था लेकिन उसकी मामी अभी भी पूरी तरह गहरी नींद में सोई हुई थी सुरज अपनी मामी को अपनी बाहों में लेकर सो रहा था उसकी पीट उसकी छाती से सटी हुई थी लेकिन लंड पर गौर किया तो उसका लंड रूपालीकी गांड के छेद के एकदम करीब अपना डेरा डाला हुआ था जो की चेतना में आने की वजह से धीरे-धीरे खड़ा हो रहा था एक बार फिर से अपनी मामी की नंगी गांड का स्पर्श पाते ही सुरज के तन बदन में आग लग गई और वह अपनी मामी को नींद से उठा के बिना ही धीरे से अपने हाथ को नीचे की तरफ ले गया और हाथों से ही टटोलकर अपनी मामी की गीली बुर पर हाथ रखकर अपने लंड के सुपाड़े को उस पर टिका दिया और हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ सरका दिया जैसे कोई सांप बिल देखकर अपने आप अंदर की तरफ सरकने लगता है उसी तरह से सुरज का लंड भी अपनी मामी की गुलाबी बिल देखकर अंदर की तरफ सरकने लगा देखते ही देखते सुरज ने निद्रा अवस्था में ही अपनी मामी की बुर में अपना लंड डाल दिया और हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया रूपाली पूरी तरह से गहरी नींद में थी लेकिन उत्तेजना के मारे सुरज के बदन में गर्मी और ताकत दोनों बढ़ती जा रही थी इसलिए वह अपना हाथ अपनी मामी की चूची पर रख कर जोर से दबाना शुरू कर दिया और चूची को जोर से दबाने की वजह से रूपाली की नींद खुल गई और जब उसे एहसास हुआ कि उसकी बुर में पूरी तरह से उसके भांजे का लंड समाया हुआ है तो वह एकदम से गन गना गई वह भी पूरी तरह से मदहोश हो गई और अपने भांजे की तरफ देखे बिना ही बोली,,,।

क्या सुरज रात भर तो चुदाई किया फिर से शुरू हो गया,,

क्या करूं मा तुम्हारी नंगी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा था,,,,

चल यहां इस जंगल में तो ठीक है लेकिन घर पर अपने आप पर काबू में रखना वहां पर ऐसा नहीं कि मेरी गांड देखकर सबके सामने शुरू पड़ जाए,,,


क्या करूं हो भी सकता है तुम्हें देखकर मुझ पर काबू नहीं रह जाता,,,।

(इतना सुनते ही हैरान होते हुए मधुर अपने भांजे की तरफ देखी तो सुरज हंसते हुए बोला)

मजाक कर रहा था,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया रूपालीएक बार फिर से हैरान थे कि इस तरह से लेटे लेटे वह उसे बड़े आराम से चोद रहा था जबकि उसके पति से इस तरह से होता ही नहीं था एक बार फिर से रूपालीके तन बदन में खुमारी छाने लगी आंखों में मदहोशी छाने लगी,,, सुरज भाई आराम से पीछे से अपनी मामी की चुदाई कर रहा था देखते ही देखते एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज हो गई दोनों एक बार फिर से चरम सुख को प्राप्त कर लिए

थोड़ी ही देर में उजाला होने लगा दोनों लग्न अवस्था में ही खंडार के किनारे खड़े होकर बाहर का नजारा देख रहे थे चारों तरफ पानी भरा हुआ था लेकिन अब पानी कम था जिसमें से आराम से दोनों बेल गाड़ी लेकर जा सकते थे,,,,, हल्के हल्के उजाले में सुरज और उसकी मामी दोनों नंगे ही खंडार के अंदर तेरा जो अपनी मामी के नंगे बदन को देखकर मुस्कुराता हुआ बोला,,,।


तुम सच में आसमान से उतरी हुई परी लग रही हो,,,

चल अब रहने दे,,,(इतना कहने के साथ ही रूपालीनीचे बिछी हुई साड़ी को उठाकर शर्म के मारे अपने बदन को ढकने की कोशिश करने लगी तो सुरज फिर से हंसते हुए बोला)

मेरे सामने अब इसकी कोई जरूरत नहीं है तुम्हारी हर एक अंग से मैं वाकिफ हो चुका हूं और सच कहूं तो तुम्हारे बदन का हर एक अंग खरा सोना है जिसकी आभा में मैं पूरी तरह से नहा चुका हूं,,,,,(इतना कहते हुए सुरज अपनी मामी के हाथ मैं पकड़ी हुई साड़ी को पकड़ लिया और उसे खींचने लगा तो सुरज की मामी बोली)

अब रहने दे मुझे पहन लेने दे अब चलना है सुबह हो रही है,,,

अभी नहीं,,,

क्यों,,,?(अपने भांजे की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए रूपालीबोली)

अपने बदन पर देखो कितनी धूल मिट्टी लगी हुई है ऐसे जाओगी तो सब क्या कहेंगे कि कहीं गिर गई थी क्या,,,
(इतना सुनकर रूपाली अपने बदन की तरफ देखी तो वास्तव में धूल मिट्टी लगी हुई थी वह अपने हाथ से अपनी धूल मिट्टी साफ करने की कोशिश करने लगी तो सुरज बोला,,,)

यह सब करने को रहने दो चलो नहा लेते हैं,,,

यहां कहां नहाएंगे,,,,?

चलो मैं बताता हूं,,,,(इतना कहते हुए वह अपनी मामी का हाथ पकड़ लिया और उसे खंडहर के अंदर से ही पीछे की तरफ हाथ का इशारा करके दिखाते हुए बोला,,)

वह देखो खंडगर के छत से पानी गिर रहा है और वह एकदम साफ है,,, इसी के नीचे खड़ी होकर नहा लो मैं भी नहा लेता हूं,,,

यहां,,,? लेकिन यहां कोई आ गया तो,,,

क्या मामी तुम भी इस जंगल में इस वीराने में इतनी सुबह कौन आएगा और वैसे भी यहां दिन में भी कोई नहीं भटकता चलो जल्दी से नहा लेते हैं,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी मामी का हाथ पकड़े हुए खंडार के पीछे छत से गिर रहे पानी के नीचे ले जाकर खड़ा कर दिया चारों तरफ घने घने पेड़ थे जंगली झाड़ियां थी यहां का दृश्य और भी ज्यादा मनोरम में लग रहा था रूपालीगिरते हुए पानी के नीचे एकदम नंगी खड़ी होकर नहा रही थी सुरज अपनी मामी को नहाते हुए देख रहा था जो कि बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,,


इस तरह से खुले में कभी नंगी होकर नहाई हो,,,

कभी नहीं आज पहली बार तेरे साथ इस वीराने में इस तरह से नहाने का मजा ले रही हुं,,,,(और इतना कह कर वो खिलखिला कर हंसने लगी और नहाने का मजा लेने लगी नंगी नहाते हुए रूपालीऔर भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी अपनी मामी की नंगी गांड पर गिरता हुआ पानी देखकर सुरज की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी थी और उसका लंड एक बार फिर से खड़ा होने लगा था वह भी अपनी मामी के पास जाकर गिरते हुए पानी में नहाने का मजा लेने लगा लेकिन आपस में दोनों का बदन टकरा जा रहा था सुरज का लंड कभी उसकी मामी की बुर्सेट अगर आता तो कभी उभरी हुई गांड से रगड़ जा रहा था इस तरह से रूपालीके भी तन बदन में आग लग रही थी बार-बार अपनी गांड से अपने बदन से अपने भांजे का लंड स्पर्श हो जाने की वजह से उसके बदन में गर्माहट आ गई थी और वह अपने आपको ज्यादा देर तक रोक नहीं पाई और तुरंत अपने भांजे के लंड को पकड़ कर उसकी आंख में देखने लगी,,,, रूपाली इस रूप में पूरी तरह से बिस्तर में लग रही थी और पूरी तरह से उत्तेजना से भरी हुई,,, सुरज अपनी मामी की आंखों में वासना का तूफान देख रहा था रूपालीउसी तरह से अपने भांजे के लंड को पकड़े हुए उसकी आंखों में देखते हुए अपने लाल-लाल होठों को अपने दांत से हल्के से काटकर नीचे की तरफ झुकने लगी और देखते ही देखते घुटनों के बल बैठ गई और अपने भांजे के लंड को तुरंत मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी सुरज अपनी मामी की इस हरकत से पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, और गहरी गहरी सांस लेते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया सुरज पहली बार देख रहा था कि उसकी मामी की आंखों में सर में बिल्कुल भी नहीं था वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी और ऐसी औरतों के साथ सुरज को और ज्यादा मजा आता था मधु‌ पूरी तरह से अपना अनुभव दिखाते हुए अपने भांजे का लंड चूस कर उसे मजा दे रही थी दोनों एक बार फिर से तैयार हो चुके थे सुरज तुरंत अपनी मामी की बांह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाया और देखते ही देखते अपनी मामी को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी गोद में उठा लिया एक बार फिर से अपने भांजे की ताकत से रूपालीमंत्रमुग्ध हो गई अपनी गोद में उठाए हुए ही सुरज अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर अपने लंड को अपनी मामी के गुलाबी छेद पर लगा दिया और हल्के से अपनी कमर को धक्का दिया और एक बार फिर से सुरज का लंड उसकी मामी की बुर में समा गया सुरज अपनी मामी को गोद में उठाए हुए उसे चोदना शुरू कर दिया ऊपर से पानी गिर रहा था और

नीचे सुरज पानी में भीगते हुए अपनी मामी को चोद रहा था,,,, रूपाली अपने भांजे की चोदने की ताकत से पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गई थी उसके आगे वहां घुटने टेक चुकी थी अपने भांजे की लंड की ताकत पर उसे गर्व होने लगा था,,,।

एक बार फिर से दोनों की सांसे तेज चलने लगी और दोनों एक साथ अपना पानी छोड़ कर गहरी सांस लेने लगे शांत होने के बाद सुरज अपनी मामी को अपनी गोद से नीचे उतारा दोनों लगातार गिरते हुए पानी में नहा रहे थे रूपालीपानी से अपनी पुर को साफ की और सुरज अपने लंड को और थोड़ी ही देर में दोनों उसी जगह पर आ गए थे और अपने अपने कपड़े पहन चुके थे जो कि सूख चुके थे,,, अपने भांजे से असीम संभोग का सुख प्राप्त करके रूपालीअपनी साड़ी पहनकर शर्मा रहे थे साड़ी उतरने के बाद वह पूरी तरह से बेशर्म बन चुकी थी लेकिन साड़ी पहनने के बाद एक बार फिर से वह मामी बन चुकी थी इसलिए उसे अपने भांजे के सामने शर्म महसूस हो रही थी सुरज बिना कुछ बोले बेल को खंडार में से बाहर लाया और उसे फिर से बैलगाड़ी में जोड़ दिया और दोनों फिर से गांव की तरफ निकल गए,,,।
 
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सूरजकी बैलगाड़ी घर की तरफ निकल पड़ी,,, सूरजआज बहुत खुश था क्योंकि आज उसे वह मिल गया था जिसके बारे में सिर्फ कल्पना किया करता था ,,, सूरजकैसा महसूस हो रहा था कि जैसे आज उसे दुनिया का सबसे बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो और अब वह उसका मालिक बन गया हो लेकिन रूपालीकी हालत खराब थी रात भर की जमकर चुदाई करने के बाद उसे अपनी दोनों टांगों के बीच बुर में दर्द महसूस हो रहा था,,, ऐसा तो उसे अपनी सुहागरात पर भी दर्द नहीं हुआ था अपने भांजे की मर्दानगी को वहां रात भर में ही अच्छी तरह से देख चुकी थी और उसे अपने भांजे पर गर्व भी हो रहा था,,, जहां एक बार में ही उसका पति ध्वस्त हो जाता था वही उसका भांजा लगातार रात भर खुद भी जाता रहा और उसे भी जगह तरह ना खुद सोया ना उसे सोने दिया,,,,,,,, सुबह हो चुकी थी चारों तरफ सूर्य की रोशनी अपना उजाला फैला रही थी खेतों में पानी भरा हुआ था लेकिन कच्ची सड़क पर पानी नहीं था जिससे बेल गाड़ी आराम से आगे बढ़ रही थी ऐसी गजब की बारिश ना तो रूपालीही देखी थी और ना ही सूरजही ऐसा लग रहा था कि यह बारिश शायद उन दोनों के मिलन के लिए ही बरस रही थी,,,, बेल गाड़ी चलाते समय भी रह-रहकर सूरजअपनी मामीकी खूबसूरती में खो जाता था उसकी आंखों के सामने कभी उसकी मामीका नंगा बदन उसकी नंगी चूचियां उसकी बड़ी बड़ी गांड तो उसकी बुर में घुसता हुआ अपना लैंड नजर आता था,,,, सूरजइस बात से हैरान था कि दो दो जवान बच्चों की मामीहोने के बावजूद भी अभी भी उसकी मामीकी पूरे तुम कैसी हुई थी मानो कि जैसे जवान औरत इसीलिए तो वह रात भर अपनी मामीको जमकर चोदे बिना नहीं रह पाया था और अपनी मामीकी मदमस्त जवानी देख कर बार-बार उसका लंड खड़ा भी हो जा रहा था,,,, अपनी मामीके बारे में सोचते हुए अभी भी उसका लंड खड़ा हो गया था अगर उसकी मामीइजाजत देती तो बैलगाड़ी में ही वह अपनी मामीकी अभी भी चुदाई कर देता क्योंकि सूरजका मन अपनी मामीके मादक सौंदर्य से भरा नहीं था और ना ही कभी भरने वाला था,,,, रूपालीके अंग अंग से मधुर रस टपकता था जिसका रस वह रात भर कभी अपने होठों से तो कभी अपने लंड से पीता रहा,,,,,

रात को जो कुछ भी हुआ था उससे रूपाली एकदम शर्मिंदा हो चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रात को जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वह सही था या गलत इसका फैसला करने में वह बिल्कुल भी सक्षम नजर नहीं आ रही थी क्योंकि रात को जो कुछ भी हुआ था समाज की नजर में वह एक अपराध था रिश्तो को कलंकित कर देने वाला था लेकिन एक औरत के नजरिए से रात को जो कुछ भी हुआ था वह उन दोनों की अपनी अपनी जरूरत थी जिसमें दोनों अपनी जरूरत को पूरा करते हुए एक दूसरे को संपूर्ण संतुष्टि का अहसास दिला चुके थे और आज तक रूपालीने इस तरह का सुख नहीं भोग पाई थी,,,, और इस अद्भुत सुख की प्राप्ति के एवज में उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने भांजे से घृणा करें या उसके इस उपकार के बदले अपना अस्तित्व पूरी तरह से उसके कदमों में रख दें ऐसे भी रात को वह अपने संपूर्ण अस्तित्व को अपनी जवानी को अपने भांजे के कदमों में निछावर कर चुकी थी जिसके बदले में उसके भांजे ने उसकी मादक अद्भुत खूबसूरती को अपनी बाहों में लेकर उसका रसपान किया था,,,,,,, रूपालीबीते हुए रात के बारे में सोच कर एक-एक पल के बारे में सोच कर पूरी तरह से फिर से मस्त हुए जा रही थी उसे सब कुछ सपना सा लग रहा था उसे लग रहा था कि वह एक बेहद खूबसूरत सपना देख रही थी लेकिन उसने सपने जैसी जिंदगी को जी चुकी थी अपने भांजे के लंड की लंबाई और मोटाई को अपनी बुर की गहराई में महसूस कर चुकी थी उसका हर एक धक्का वह अपने बच्चेदानी पर अच्छी तरह से महसूस कर चुकी थी,,,, अपने भांजे की मजबूत बाहों में आकर उसका संपूर्ण वजूद एक गुड़िया की तरह ही लग रहा था जिसे उसके भांजे ने जी भर कर प्यार किया था,,,। रूपालीकभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपने भांजे के साथ शारीरिक संबंध बनाएगी,,, लेकिन कभी-कभी सोच से विपरीत और भी ज्यादा खूबसूरत होता है जैसा कि उसके साथ हुआ था,,,,, रात को अपने भांजे की आंखों के सामने बैठकर पेशाब करना उसकी आंखों के सामने अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाना यह सब रूपालीके लिए बिल्कुल नया था लेकिन बेहद अद्भुत सुख प्रदान करने वाला था किसी जवान लड़के के सामने कपड़े उतार कर देंगी होने में भी एक अपना मजा होता है जिसे वह अच्छी तरह से महसूस कर पाई थी वरना यह सुख उससे पूरी तरह से अधूरा ही था,,,,,, अपने भांजे की बाहों में नग्न अवस्था में सोना उसके बदन की गर्मी से वातावरण की ठंडक को दूर करना यह सब सोचकर रूपालीपूरी तरह से गर्म हुई जा रही थी,,,, रात भर चोदने के बाद जिस तरह से सुबह में दोनों खंडार के पीछे जाकर नहाए थे वह पल रूपालीके लिए बहुत खास था क्योंकि आज तक उसने खुले में कभी इस तरह से सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नहीं आई थी और वह भी अपने भांजे के साथ रूपालीको अपनी खूबसूरत बदन पर अपनी जवानी पर गर्व होने लगा था कि इस उम्र

के दौर में भी वह अपने जवान भांजे को अपनी तरफ आकर्षित करने में पूरी तरह से कामयाब हो चुकी थी और उसकी गर्म जवानी से उसके भांजे की प्यास बुझ ही नहीं रही थी जोकि रात भर उसे पेलता रहा,,, उस पल को याद करके रूपालीकी आंखों में एक बार फिर से शर्म उतार आई जब वह खंडार के पीछे नंगी होकर नहा रही थी और उसका भांजा भी उसका साथ देने के लिए आ गया था अपने भांजे के खड़े लंड को अपनी गांड पर अपनी बुर पर महसूस करके वह खुद इतना ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाई थी और अपने भांजे के लंड को खुद ही पकड़ ली थी और घुटनों के बल बैठकर अपने भांजे के लंड को मुंह में लेकर उसे अद्भुत सुख प्रदान की थी,,, अपनी हरकत से अपने भांजे को एक बार फिर से गर्म करके वह अपने भांजे को खुद को चोदने पर मजबूर कर देते और उसका भांजा भी अपनी मर्दानगी की सारी ताकत दिखाता हुआ एक बार फिर से उसकी बुर में समा गया था,,,

यह सब ख्याल रूपालीको एक बार फिर से गर्म कर दिया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी के साथ शारीरिक संबंध के इस रिश्ते को आगे बढ़ाए यहीं खत्म कर दे क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि जिस तरह का सुख उसके भांजे ने उसे दिया था उस तरह का सुख उसे अब कभी नहीं मिलने वाला है बिना उसके भांजे का क्योंकि वह अपने पति की ताकत को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि बरसो उन्हीं से चुदवाती आ रही थी,,,, समाज का डर उसके मन में भी था उसे भी इस बात का डर था कि अगर घर में किसी को इस बात की भनक लग गई तो क्या होगा उसकी इज्जत का क्या होगा उसके सम्मान का क्या होगा और अगर गांव में किसी को पता चल गया तब क्या होगा वह तो गांव में किसी को मुंह दिखाने के काबिल ही नहीं रह जाएगी यही सब सोचकर व थोड़ा परेशान भी हो रही थी कि तभी सूरजबोला,.

रात को कैसा लगा मामी,,,
(अपने भांजे के सवाल का जवाब देने के लिए वह तैयार नहीं थी आखिर वह अपने भांजे से क्या कहती कि उसे मजा आया उसके लंड से चोदने में उसे बहुत आनंद मिला ऐसा कहने में उसे शर्म भी महसूस हो रही थी इसीलिए वह खामोश रही उसकी ख़ामोशी को देखकर सूरजफिर बोला)

बोलो ना बा कैसा लगा,,,, मुझे तो बहुत मजा आया क्योंकि दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत की चुदाई जो मैंने किया है सच कहूं तो तुम्हें चोदने की सिर्फ कल्पना ही कर सकता था मुझे नहीं मालूम था कि यह हकीकत में हो जाएगा अच्छा हुआ कि मामाजी ने दवा दिलाने के लिए तुम्हें मेरे साथ भेज दिए और यह तूफानी बारिश का तुम्हें अपने दिल से लाख-लाख बार शुक्रिया अदा करूंगा क्योंकि यह बारिश ना होती तो शायद हम दोनों एक ना होते,,,

बस सूरजजो हो गया सो हो गया अब आगे बिल्कुल भी नहीं होगा,,,

ऐसे कैसे नहीं होगा मेरा लंड तो तुम्हारी एक बुर में जाने के लिए अभी भी तड़प रहा है तुम्हारी खूबसूरत जवानी का रस रात भर पीता रहा हूं लेकिन यह प्यास है कि बुझने का नाम नहीं ले रही है,,, कसम से मामीइस उम्र में भी तुम्हारी बुर एकदम कसी हुई है मेरा तो लंड दर्द करने लगा,,,

तू भी तो तू कहां मान रहा था जब मन कर रहा था तब डाल दे रहा था यह भी नहीं सोचता था कि मुझे कैसा लग रहा है,,,


क्यों तुम्हें मजा नहीं आया क्या कसम से बताओ तुम्हें मेरी कसम,,,


अब क्या बताऊं,,,, मुझे भी बहुत मजा आया लेकिन डर लगता है कि किसी को यह बात पता चल गई तो क्या होगा,,,

क्या मामीतुम भी पागलों जैसी बात करती हो हम दोनों के बीच की इस बात को भला कैसे लोगों को पता चलेगा यह तो तुम जानती हो और मैं जानता हूं और इस रात को घने जंगल में इस खंडार में अपने इस बेल के सिवा और कोई नहीं जानता और यह बेल है कि बोल नहीं पाएगा और ना जरूरी अपने मालिक को बता देता कि मालिक मालिक रात भर तुम्हारी बीवी की चुदाई तुम्हारा भांजा किया है,,,,।
(इतना सुनते ही रूपालीकी हंसी छूट गई और वह खिलखिला कर हंसने लगी अपनी मामीको इस तरह से हंसता हुआ देखकर सूरजबोला)

देखना मामीहंसते हुए तुम और ज्यादा खूबसूरत लगती हो,, तुम्हें हंसता हुआ देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया है,,, अगर इजाजत हो तो इसी समय बैलगाड़ी में तुम्हारी बुर में डाल दुं,,,,

चल चल रहने दे अब तेरा मुझे नहीं डलवाना है रात भर डाल डाल कर पूरा सुजा दिया है,,,,

क्या सुजा दिया है,,,,?(सूरजसब कुछ जानते हुए भी जानबूझकर बोला क्योंकि वह अपनी मामीके मुंह से सुनना चाहता था)

अरे वही जिसमें तू डाल रहा था,,,(रूपालीशर्माते हुए पूरी उसे मालूम था कि उसका भांजा उसके साथ शरारत कर रहा है और उसके शरारत में उसे भी मजा आ रहा था)

क्या मामीठीक ठीक से बोलो ना क्या सूज गया और मैं क्या डाल रहा था,,,

चल तुझे सब कुछ मालूम है,,,


हां वह तो है मुझे सब कुछ मालूम है लेकिन तुम्हारे मुंह से सुनने में मुझे बहुत मजा आएगा,,,

क्यों रात भर जो मजा लिया वह कम था क्या,,,

अरे पूछो मत वह मजा तो मेरी जिंदगी का सबसे अनमोल तोहफा था तुम्हारी तरफ से लेकिन अपने मुंह से अगर साफ साफ शब्दों में कहोगी तो मुझे और मजा आएगा,,,

क्या,,,?


वही कि क्या सोच गया और मैं क्या डाल रहा था,,,
(अपनी भांजे की बात सुनकर रूपालीको शर्म महसूस हो रही थी उसे शर्म भी आ रही थी और मजा भी आ रहा था वह भी अपने भांजे के सामने खुले शब्दों में बोलने में लाल आई तो थी और वैसे भी रात भर में उसके भांजे ने उसे खुद अपने हाथों से नंगी करके उसकी चुदाई भी किया था और उसे मजा भी दिया था तो ऐसे में अपने भांजे से शर्म करने का कोई मतलब नहीं था इसलिए वह शरमाते हुए बोली)

तू अपना लंड मेरी बुर में डाल डाल कर सुजा दिया है,,,

आहहह आहहरह‌ क्या बात है कितनी मधुर आवाज है देखी तुम्हारे मुंह से यह शब्द कितने अच्छे लगते हैं बुर और लंड,,,


तुम मुझे सच में बेशर्म बनाता जा रहा है,,,

लेकिन बेशर्म बनने में कितना मजा है ना मामीअगर तुम बेशर्म ना बनती तो मेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी ना होती मेरे सामने बैठकर पेशाब ना करती मेरे लंड को अपने मुंह में ले लेती और ना ही मुझे अपनी चूची पीने देती ना अपनी बुर का रस पिलाती और ना ही मेरे लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाने का अद्भुत सुख प्राप्त कर पाती,,,

(अपने भांजे की इन बातों को सुनकर रूपालीके तन बदन में फिर से आग लगने लगी थी अपने भांजे के लैंड की रबड़ को अभी भी अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों में महसूस कर पा रही थी)

बहुत बेशर्म हो चुका है तू,,,

क्या मा फिर से अभी-अभी तो तुम्हें बेशर्म होने का फायदा बताया हूं कहो तो थोड़ी और बेशर्मी दिखा दु,,,।

अब इससे ज्यादा बेशर्मी तू और क्या दिखाएगा,,,

अरे पूछो मत इससे भी ज्यादा बेशर्म बन्ना मुझे आता है अगर इससे भी ज्यादा बेशर्म बन गया ना तो कसम से यह सड़क पर इसी बैलगाड़ी में तुम्हें नंगी करके चोदना शुरू कर दूंगा,,,

हाय दैया,,, इतना हरामि हो गया है तू तेरे में जरा भी शर्म नहीं रह गई है,,,


तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत हो वीरान सड़क हो तो ऐसे में कोई भी मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा कसम से तुम्हारे बदन की खुशबू मुझे और ज्यादा मस्त कर देती है,,,


चल अब रहने दे बैलगाड़ी को जल्दी आगे बढ़ा,,,,


देखो ना मामी,,,दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है और अभी भी गांव बहुत दूर है कहो तो यहीं पर एक बार और तुम्हारी चुदाई कर दुंं मेरा लंड पूरी तरह से तैयार है,,,,


लेकिन मेरी बुर बिल्कुल भी तैयार नहीं है,,,,(रूपालीहल्की सी मुस्कुराहट के साथ शरमाते हुए बोली)

ऐसा हो ही नहीं सकता तुम्हारी बुर भी एकदम तैयार है मुझे मालूम है तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही होगी यकीन ना आए तो हाथ लगा कर देख लो,,,


चल अब रहने दे बदतमीज इस तरह की बातें करेगा तो किसी की भी बुर पानी छोड़ने लगेगी,,,, तू बकवास बंद कर और जल्दी जल्दी चल,,,,,


सोच लो मामीयहां पर जिस तरह का मौका मिल रहा है घर पर पता नहीं मौका मिलेगा कि नहीं वहां मेरे लंड के लिए तरस जाओगी अपनी बुर में लेने के लिए क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि अब तुम्हें मामाजी के लंड से बिल्कुल भी मजा नहीं आएगा,,,,


कोई बात नहीं तू अब अपना मुंह बंद रख,,,,,
(रूपालीफिर से शरमाते हुए बोली दोनों मामी भांजे पूरी तरह से आपस में खुल चुके थे रूपाली बहुत खुश नजर आ रही थी बस उसे इस बात का डर था कि दोनों के बीच के संबंध के बारे में किसी को भनक ना लग जाए,,,, और सूरजके इस बात पर भी वह गौर कर रही थी कि वास्तव में घर पर इधर की तरह उसे मौका नहीं मिल पाएगा अगर उसका मन बहक गया और उसे अपने भांजे का लैंड लेने की तड़प जाग गई तो वह क्या करेगी,,,, किसी तरह से वह अपने मन को समझा रही थी,,,,,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते दोपहर हो चुकी थी रात को जिस तरह की तूफानी बारिश हो रही थी उसे देखते हुए रूपालीको ऐसा ही लग रहा था कि आज भी बारिश होगी लेकिन आसमान पूरी तरह से साफ हो चुका था धूप पूरी तरह से गर्मी भी खेल रही थी घर पर पहुंचकर सूरजबैलगाड़ी को घर के सामने खड़ी कर दिया और वहीं पेड़ के सहारे बेल को बांध दिया,,,, सूरजतुरंत बेल गाड़ी के पीछे आकर अपनी मामीको उतरने में मदद किया और दोनों दरवाजे पर पहुंचे तो दरवाजा बंद था,,,,)

लगता है कोई घर पर नहीं है,,,,( रूपाली चारों तरफ नजर दौड़ा कर देखते हुए बोली)

लगता है खेत में गए होंगे,,,,,
(घर पर कोई नहीं है इस बात का ख्याल आते ही सूरजका शैतानी दिमाग फिर से दौड़ना शुरू कर दिया सूरज के पजामे में हरकत होना शुरू हो गया रूपाली दरवाजा खोल कर घर में प्रवेश की और पीछे पीछे सूरजभी आ गया जिस तरह से हाथ में आई मौके का फायदा सूरजऔर रूपालीपूरी तरह से उठाकर रात भर मस्ती किए थे उसी तरह से उन दोनों के घर से जाते ही हरिया और उसकी छोटी बहन आपस में जुदाई का अद्भुत खेल खेल रहे थे और वह खेल लगातार जारी था रात भर और दिनभर की चुदाई के बाद हरिया और मंजू दोनों खेत में थोड़ा काम करने के लिए चले गए थे और घर पर कोई नहीं

था घर में प्रवेश करते ही सूरजने तुरंत दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दिया था और अपनी मामीको तुरंत वह कुछ समझ पाती उससे पहले अपनी गोद में उठा लिया था और गोद में उठाए हुए ही वह उसे उसके कमरे की तरफ ले जा रहा था,,,,)

अरे अरे सूरजयह क्या कर रहा है छोड़ मुझे मैं गिर जाऊंगी नीचे उतार,,, अरे पागल हो गया क्या कोई देख लिया तो,,,

अरे यहां कोई देखने वाला नहीं है ना मामाजी और मौसी दोनों खेत पर काम करने गए हैं क्यों ना इस मौके का फायदा उठा लिया जाए,,,।
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपालीका दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी उसे समझते देर नहीं लगी कि सूरजफिर से उसके साथ मनमानी करने पर उतारू हो चुका है लेकिन रूपालीउसे ऐसा करने से रोकती नहीं लेकिन वह माना नहीं हो अपनी गोद में उठाए हुए सूरजअपनी मामीको उसके ही कमरे में ले गया और खटिया पर ले जाकर पटक दिया,,,,)

अरे नहीं सूरज पागल हो गया क्या तू तेरे मामाजी आ गए तो गजब हो जाएगा,,,

अरे जब तक वो लोग आएंगे तब तक अपना काम पूरा हो जाएगा और वैसे भी दरवाजा बंद है आने से पहले हमें भी पता चल जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मामीके साथ मनमानी करते हैं उसके ब्लाउज के बटन खोलने लगा रूपालीसे रोकने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन सूरजनहीं माना और देखते ही देखते अपनी मामीके ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी नंगी चूची को आजाद कर दिया,,,,)

नहीं पागल ऐसा मत कर अगर किसी ने देख लिया तो हम दोनों बदनाम हो जाएंगे,,,


कोई नहीं देखने वाला है मां,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरजअपनी मामीकी दोनों चूची को अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबाता हुआ अपने प्यासे होठों को अपनी मामीके लाल लाल होठों पर रखकर चुंबन करने लगा आखिरकार रात भर की जबरदस्त चुदाई के बाद एक बार फिर से रूपालीकी बुर पानी छोड़ना शुरू कर दी थी,,, उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था लेकिन फिर भी सूरजकी हरकत ने उसे फिर से उत्तेजित कर दिया था देखते ही देखते सूरजपूरी तरह से अपनी मामीके होठों को अपने मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दिया था और रूपालीकी भी हालत खराब हो रही थी,,, सूरजअपने मुंह को तुरंत अपनी मामीके होठों से हटाकर उसकी चूची पर रख दिया और उसे पीना शुरू कर दिया सूरजकी हरकतें रूपालीके तन बदन में जवानी का जोश भर रही थी,,, सूरजपर पूरी तरह से वासना का भूत सवार हो चुका था घर में किसी की मौजूदगी ना होने पर हुआ इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था और वह अपनी मामीकी नंगी जवानी पर पूरी तरह से टूट चुका था उसकी दोनों चूचियों को पकड़ पकड़ कर दबाते हुए उसे मुंह में लेकर पी रहा था आखिरकार रूपालीकब तक अपने सब्र को काबू में कर पाती वह भी अपने भांजे की हरकत से पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,, उससे भी रहा नहीं गया और वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर पजामे के ऊपर से यह अपने भांजे के खड़े लंड को टटोलने लगी वाकई में सूरजका लैंड पूरी तरह से लोहे की छड़ की तरह हो गया था,,, जिसे अपनी हथेली में महसूस करके उसकी गुरबाणी फेंक रही थी,,,, पजामे के ऊपर से ही अपने भांजे के लंड को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए रूपालीबोली,,)

हाय दैया तेरा तो पूरा खड़ा हो गया है,,,


तुम्हारी बुर में जाने के लिए मचल रहा है,,,(इतना कहते ही सूरज अपनी मामीकी साड़ी की गिठान को खोलने लगा उसकी साड़ी उतारने लगा तो उसे रोकते हुए रूपाली बोली)

नहीं साड़ी मत उतार कोई आ गया तो पहनने में दिक्कत हो जाएगी,,,

कुछ नहीं होगा वैसे भी चोदने का मजा पूरी तरह से नंगी करने के बाद ही आता है,,,
(रूपालीअच्छी तरह से जानती थी कि उसके भांजे की आगे अब उसकी एक भी चलने वाली नहीं है और सूरजदेखते ही देखते अपनी मामीकी साड़ी उतार कर पेटीकोट की डोरी खोल कर उसे नीचे की तरफ एक झटके में ही खींच दिया और रूपालीभी अपने भांजे का साथ देते हुए अपनी भारी-भरकम गांव को ऊपर की तरफ उठाती थी ताकि उसका भांजा आराम से उसके पेटीकोट को उतार सके देखते-देखते रूपालीखटिया में एकदम नंगी हो गई सूरजअपनी मामीकी नंगी जवानी को दिन के उजाले में देखकर और भी ज्यादा मस्त हो गया और तुरंत अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया अपने भांजे के खड़े लंड पर नजर पड़ते ही रूपालीके होश उड़ गए वह भी अपने भांजे के लंड को दिन के उजाले में देख रही थी और अंदर ही अंदर मचल रही थी,,, सूरजइस बार अपनी मामीकी दोनों टांगों को फैलाने की जगह एक साथ पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया और साथ में पकड़े हुए ही जाकर उसकी छाती से उसके घुटने लगा दिया जिससे कमर के नीचे रूपालीकी गोल गोल गाना मटके की तरह नजर आने लगी और सूरजतुरंत अपने लंड को उसके मंजू छेद में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,, रूपालीपूरी तरह से मदहोश में जा रही थी मस्ती उसकी आंखों में साफ झलक रही थी इस तरह से दोनों टांगों को सता कर चोदने में सूरजको और भी ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि इस तरह करने से पहले से ही रूपालीकी बुर कसी हुई थी लेकिन इस स्थिति में उसकी बुर और ज्यादा

सख्त और कसी हुई नजर आ रही थी जिससे सूरजका लंड उसकी मामीकी बुर में थोड़ी दिक्कत के साथ लेकिन पूरा आनंद देते हुए अंदर बाहर हो रहा था,,,,।
रूपालीकभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका भांजा उसके ही कमरे में उसके ही खटिया पर उसकी चुदाई करेगा दोनों पूरी तरह से नंगे थे दोनों के बदन की गर्मी दोनों के लावा को पिघलाने के लिए तैयार थी,,, तकरीबन इस अवस्था में 20-25 मिनट के घमासान चुदाई के बाद रूपालीकी सांसें तेज चलने लगी और यही स्थिति सूरजकी भी थी सूरजतुरंत अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर अपनी मामीको अपनी बांहों में कस लिया और जोर जोर से धक्का लगाने लगा खटिया से चरर चरर की आवाज आ रही थी रूपालीको इस बात का डर था कि कहीं सूरजके तेज झटकों की वजह से खटिया ना टूट जाए लेकिन सूरजपूरी तरह से मस्ती में चूर था वह धक्के पर धक्के लगा रहा था देखते ही देखते दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और दोनों एक साथ झड़ गए एक बार फिर से सूरजने अपनी मामीकी मदमस्त जवानी पर काबू पा लिया था रूपालीभी अपने भांजे की इस अफरा तफरी भरी चुदाई से पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी,,,
सूरजतुरंत खटिया पर से उठा और अपने कपड़े पहन लिया रूपालीभी धीरे से खटिया पर से उठी और अपने कपड़ों को ढूंढने लगी उसे अपनी बुर में दर्द महसूस हो रहा था वह अपनी दोनों टांगों के बीच अपनी बुर की स्थिति को देखी तो थोड़ा सा घबरा गई क्योंकि बुर सुजी हुई थी,,, जैसे तैसे करके वह अपने कपड़े पहन कर दुरुस्त हो गई थोड़ी ही देर में हरी और मंजू भी घर पर आ गए और उन दोनों को देखकर दोनों खुश हो गए हालांकि यह खुशी ऊपर से ही थी क्योंकि वह लोग और मजा करना चाहते थे वैसे तो मंजू को अपने भाई से ज्यादा सूरजके साथ मजा आता था लेकिन क्या करें वह अपने भाई को भी पूरा मस्ती देना चाहती थी ताकि दोनों की चोरी पकडे जाने पर दोनों एक दूसरे पर उंगली ना उठा सके,,,,।

रात को सोते समय रूपालीहल्दी वाला दूध एक गिलास गट गटाकर पी गई क्योंकि वह जानती थी कि इससे उसके दर्द में राहत मिलेगी,,,, रात को जब हरिया ने रूपालीके कपड़े उतार कर लेंगी करने की कोशिश किया तो रूपालीने उसे इंकार कर दी क्योंकि मैं तू जानती थी की सूजी हुई बुर अगर उसका पति देखेगा तो जरूर मन में शंका करेगा,,, थके होने और तबीयत खराब होने का बहाना करके रूपालीअपने पति को समझा कर सो गई और सूरजभी पूरी तरह से थक चुका था इसलिए खटिया पर पडते ही सो गया,,,।
 
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रूपाली 2 दिनों तक ठीक से चल नहीं पा रही थी हल्दी वाला दूध पी पी करवा है अपनी बुर की सूजन और दर्द को कम कर दी थी ऐसा लेकिन पहली बार हुआ था जब उसे अपनी बुर में इस तरह की सूजन और दर्द महसूस हो रहा था जिसकी वजह था उसके भांजे का मोटा तगड़ा लंड लेकिन अपने भांजे को थोड़ा अद्भुत अविस्मरणीय चुदाई का सुख भोग कर वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी उसे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह से भी कोई चोद सकता है,,,, रूपाली आंगन में झाड़ू लगा रही थी और मंजू सब्जी काट रही थी आज तो बहुत राहत था रूपाली को तभी और ठीक से झाड़ू लगा पा रही थी वरना झुकना भी उसका मुश्किल हो गया था इतनी तेज कमर की दर्द कर रही थी क्योंकि संजू के जबरदस्त धक्को का प्रहार वह पता नहीं कैसे उस समय झेल ले रही थी लेकिन उसका आंसर उसे अब देखने को मिल रहा था,,,,

क्या भाभी अब कमर का दर्द कैसा है,,,,(सब्जी काटते हुए मंजू बोली)

अब जा कर रहा था हुआ है वरना बेल गाड़ी में बैठ कर इतना लंबा सफर तय करना मेरे लिए तो बहुत मुश्किल हो गया था इसीलिए मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था,,,,
(रूपाली जानबूझकर अपने बदन के दर्द का कारण बैलगाड़ी का सफर बता रही थी अब वह यह कैसे खुलकर कह दे कि अपने ही भांजे से चुदवाकर अपने बदन का दर्द मोल ले ली थी,,,, रूपालीअपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
मैंने तो आज तक ऐसी तूफानी बारिश कभी नहीं देखी थी,,, इतना आंधी तूफान तेज हवा बादलों का गर्जना सबकुछ कितना भयानक था,,,

हां भाभी तुम सच कह रही हो लेकिन तुम रुकी कहां थी,,, भैया और मुझ को कितनी चिंता हो रही थी पता है,,,।
(मंजू भी बहाना बनाते हुए बोल रही थी क्योंकि वह भी रात भर तूफानी बारिश का मजा अपने भाई से चुदवा कर ले रही थी,,,)

अरे वह तो अच्छा हुआ कि गांव से निकलने ही वाले थे कि बारिश शुरू हो गई वरना रास्ते में दिक्कत हो जाती सर छुपाने की जगह नहीं मिलती,,,

अच्छा हुआ भाभी तुम गांव में ही रुक गई,,,

मंजू वैद्य जी की पत्नी ने हमें रुकने का प्रबंध कर दिया था तब जाकर हम लोग शांति से रात बिता पाए थे वरना गजब हो जाता,,,,
(इतना कहते हुए रूपाली अपने आप से ही बोली अरे पूछ मत मंजू रात को क्या-क्या हुआ इतना मजा आया कि बता नहीं सकती)

अच्छा भाभी अब तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना,,,


हां धीरे-धीरे आराम हो जाएगा वेद जी ने कहा था कि 15 20 दिन लगेंगे लेकिन एकदम ठीक हो जाओगी,,,

चलो अच्छा है,,,,
(इतना कहकर मंजू वापस सब्जी काटने लगी और रूपालीघर की सफाई करने में जुट गई और दूसरी तरफ,,, सूरजआज बेल गाड़ी लेकर नहीं गया था उसके मामाजी गए थे इसलिए वह गांव में इधर-उधर घूम रहा था कि तभी कपड़ों का ढेर लेकर गौरी उसे खेतों की तरफ जाती हुई दिखाई दी,,,वह, पीछे पीछे जाने लगा,,,,,, गौरी की चाल बड़ी मतवाली थी,,, ऊंची नीची पगडंडियों पर पैर रखते हुए उसके नितंबों का आकार कभी बढ़ जाता तो कभी सिमट कर रह जाता,,, यह देख कर सूरजके तन बदन में झनझनाहट हो रही थी गौरी से‌ वह सच्चा प्रेम करता था,, और चुनरी के लिए उसके मन में अजीब सी चाहत थी,,, चुनरी के बारे में वह कभी अपने मन में गंदे ख्याल आता नहीं था लेकिन उसको देखकर उसके तन बदन में हलचल जरूर होती थी उसकी खूबसूरती उसके बदन का बनावट सूरजको उसकी तरफ हमेशा आकर्षित करती थी,,,,

सूरजको लग रहा था कि गौरी कपड़े धोने के लिए नदी की तरफ जा रही है लेकिन वह खेतों की तरफ घूम गई तो वह भी खेत की तरफ जाने लगा यहां पर किसी का आना-जाना बिल्कुल भी नहीं था चारों तरफ खेत लहलहा रहे थे और बीच की पगडंडी से गौरी अपनी गांड मटकाते मस्तानी चाल लिए चली जा रही थी,,,, चारों तरफ देखकर तसल्ली कर लेने के बाद सूरज पीछे से उसे आवाज लगाते हुए बोला,,,,।


गौरी ये गौरी रुको तो कहां चली जा रही हो,,,
(जानी पहचानी आवाज सुनते ही गौरी माई खड़ी हो गई और पीछे नजर कर कर देखी तो सूरजको अपने पीछे पाकर वह एकदम खुश हो गई क्योंकि काफी दिनों बाद दोनों मिल रहे थे सूरजलगभग दौड़ता हुआ उसके करीब गया और बोला,,,)

अरे कहां जा रही हो गौरी,,,?

देख नहीं रहा है कपड़े धोने जा रही हूं तुझे भी चलना है तो बोल,,,,

अरे क्यों नहीं तुम्हारे साथ तो मैं दुनिया के किसी भी कोने में जाने के लिए तैयार हूं,,,
(सूरजकी यह बात सुनकर गौरी मन ही मन में मुस्कुराने लगी और बोली)

अच्छा यह बात है मेरे साथ तू कहीं भी चल सकता है,,,

हां क्यों नहीं कहो तो मैं तुम्हारी परछाई बन जाऊं,,,,


परछाई भी तो रात में साथ छोड़ देती है,,,,


तुम्हें तुम्हारी सांसे बन जाऊंगा,,,,


अरे वाह बहुत बड़ी-बड़ी बातें करता है,,, यह सब नहीं करना है लेकिन चलो मेरे साथ कपड़े धोने में मेरी मदद कर दो,,,


अरे इतनी सी बात,,, तुम्हारे खेत में ही चलना है ना ट्यूबवेल के पास,,,

हां वही चलना है,,,,।
(इतना सुनते ही सूरज गौरी के हाथों से कपड़ों का ढेर ले लिया और आगे आगे चलने लगा गौरी यह देख कर मुस्कुराने लगी गौरी सूरजको पहले से ही पसंद करती थी लेकिन जिस दिन से दूसरे गांव में उसने उसकी इज्जत बचाई थी तब से सूरज के लिए उसके मन में प्यार और सम्मान दोनों और ज्यादा बढ़ गया था,,,, देखते ही देखते दोनों लहलहाते खेतों के बीच आ गए ट्यूबवेल के पास सूरज कपड़ों का ढेर रखते हुए बोला,,,,)

रुको मैं मशीन चालू कर देता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही सूरजपास में ही घास फूस की बनी झोपड़ी के अंदर गया और मशीन चालू कर दिया देखते ही देखते बड़ी सी पाइप में से पानी निकलना शुरू हो गया और गौरी मुस्कुराते हुए वहां जाकर बैठ गई और कपड़े धोने लगी और तुरंत सूरज उसके सामने आकर बैठ गया और कपड़े लेकर दोनों शुरू कर दिया यह देखकर गौरी उसे रोकते हुए बोली,,,)

अरे यह क्या कर रहा है मैं तो मजाक कर रही थी धोना नहीं है मैं धो दुंगी,,,,


तुम मजाक कर रही थी लेकिन मैं थोड़ी ना मजाक कर रहा था तुम्हारा साथ देने का वादा किया हूं तो पीछे नहीं हटने वाला हूं,,,,
(और इतना कहकर कपड़े धोने लगा,,, गौरी सूरजको देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वह बहुत खुश हो रही थी सूरजका भोलापन उसे बहुत अच्छा लगता था,,,, कपड़े धोते हुए सूरजगौरी से बात करते हुए बोला,,,)

और गौरी मंगल मामी का क्या हाल है तबीयत तो ठीक है ना,,,

हां वह तो एकदम ठीक है,,,।
(मामी का जिक्र छेड़ते ही सूरज की आंखों के सामने सब कुछ वह सब साफ नजर आने लगा जो कुछ महीने पहले सूरज ने किया था शुभम और उसकी मां को रंगे हाथ पकड़ना जिसके बारे में उसकी मां को बिल्कुल भनक तक नहीं थी और उसी का फायदा उठाकर शुभम को विश्वास में लेकर उसकी मां के साथ चुदाई करना और शुभम और सूरज दोनों का मिलकर शुभम की मां की चुदाई करना बेहद अद्भुत और रोमांचक कारी कांड था जिसके बारे में वह गौरी को बिल्कुल भी बताना नहीं चाहता था क्योंकि वह इसी राज के चलते शुभम को पूरी तरह से अपने वश में किया हुआ था जैसा वह बोलता था शुभम वैसा ही करता था,,, सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

मंगल मामी बहुत अच्छी है ,,,,

हां सो तो है,,,,,,,

अरे सूरज तू तो बैलगाड़ी भी चलाने लगा है स्टेशन पर जाता है सवारी ढोने के लिए,,,,

हां मामाजी ने मुझे भी सिखा दिया है,,,

बहुत मजा आता होगा ना दिन भर इधर-उधर घूम लो और पैसे भी कमा लो,,,

हां बहुत मजा आता है रोज नए नए लोग मिलते हैं रेलवे स्टेशन देखने का रोज मौका मिलता है तुझे बताऊं गौरी जब ट्रेन आती है ना तो छुक छुक की आवाज आती है ऊपर से काला काला धुआं निकलता है इतना मजा आता है उसे देखने में कि पूछो मत मन करता है कि स्टेशन पर ही रह जाऊं,,,,


मेरा भी बहुत मन करता है इधर-उधर घूमने का स्टेशन देखने का मैं कभी स्टेशन नहीं देखी हूं तू कभी गाड़ी में बैठा है,,,

नहीं तो और वैसे भी हमें कौन सा दूसरे शहर जाना है,,,


हां यह भी है,,,,,


तुम रेलवे स्टेशन देखना चाहती हो बैलगाड़ी में बैठना चाहती हो,,,


हां सूरज लेकिन कौन दिखाएगा कौन बैठाएगा ,,,,


अरे मैं हूं ना गौरी तुम चिंता क्यों करती हो मैं तुम्हें बैलगाड़ी पर लेकर घुमाऊंगा स्टेशन के दिखाऊंगा और गाड़ी भी दिखाऊंगा देखना बहुत मजा आएगा,,,,

सच सूरज,,,,

कसम से गौरी मैं तुमसे कभी झूठ नहीं बोलता,,,,


सूरज मैं बहुत खुश हूं कि तू मेरा इतना ख्याल रखता है,,,,
(इतना कहकर वह वापस कपड़े धोने लगी और सूरज उसके खूबसूरत चेहरे को देखता ही रह गया नाक में छोटी सी नथनी पहनी हुई थी जिसकी वजह से उसका चेहरा और भी ज्यादा खूबसूरत होता है बालों की लट है उसके खूबसूरत चेहरे पर बार-बार अठखेलियां कर रही थी जिसे वह बार-बार अपनी हथेली का सहारा लेकर उसे अपने कान के पीछे कर देती थी लेकिन वापस हवा के झोंके में उसकी बालों की लटे उसके चेहरे पर आ जाती थी,,,, ट्यूबवेल में से जोरो से पानी के गिरने की वजह से उसकी बौछार उसकी कुर्ती को भिगो रही थी जो कि कुर्ती के आगे वाला भाग लिख रहा था और कुर्ती के भीगने की वजह से उसकी दोनों नौरंगिया उभरकर साफ नजर आ रहे थे क्योंकि कपड़ा उससे चिपक गया था यह देखकर सूरजके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी सूरज बार-बार अपनी नजरों को उधर से हटाना चाहता था लेकिन गौरी के खूबसूरत बदन का आकर्षण इतना जबरदस्त था कि सूरजअपने आप को रोक नहीं पा रहा था और बार-बार उसकी नजर उसकी दोनों नारंगी ऊपर चली जा रही थी इस बात का आभास गौरी को बिल्कुल भी नहीं,,, था,,,,,।

देखते ही देखते कपड़े धोते समय पानी में सूरज के भी कपड़े गीले होने लगे थे उसका पैजामा पूरी तरह से भीग चुका था,,, सूरज कपड़ों के ढेर में से अनजाने में ही गौरी की सलवार को लेकर जो रहा था गौरी जब उसके हाथों में अपनी सलवार देखी तो शर्म से पानी पानी हो गई उसे बड़ा अजीब लग रहा था कि एक जवान लड़का उसकी सलवार को अपने हाथों से धो रहा

है,,,, गौरी उसके हाथ से अपनी सलवार को वापस ले लेना चाहती थी लेकिन ऐसा करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि अगर वह ऐसा करती तो सूरज उसके बारे में क्या सोचता शायद उसकी सलवार के बारे में सोच कर उसे भी इस बात का एहसास होता की सलवार की वजह से वह शर्मा रही है,,,, इसलिए सूरज के हाथ में से सलवार लेने की उसकी हिम्मत नहीं हुई और सूरज देखते देखे उसकी सलवार को एकदम धोकर पानी से भरी बाल्टी में डाल दिया था,,, गौरी की सलवार को सूरज भी अच्छी तरह से पहचानता था इसलिए उसकी सलवार धोते समय उसके बदन में भी उत्तेजना का एहसास हो रहा था सलवार के ऊपरी हिस्से पर साबुन लगाते समय सूरजइस तरह की कल्पना कर रहा था कि मानो कि जैसे वह उसकी सलवार पर नहीं बल्कि गौरी की गांड पर साबुन लगा रहा हो,,, क्योंकि सूरज जानता था कि इसी सलवार के अंदर गौरी अपना बेशकीमती खजाना छुपाती है जिसके बारे में सोचकर वह पूरी तरह से मस्त हो जाता है,,,,

खड़ी दुपहरी में खेतों के बीच ट्यूबवेल के नीचे कपड़े धोने का सिलसिला लगातार जारी था पानी में रहने की वजह से सूरजका पैजामा पूरी तरह से गिला हो चुका था और सूरजदूसरे कपड़े लेने के लिए जैसे ही खड़ा हुआ गौरी की नजर सूरजके गीले पर जाने पर पड़ी और पजामे के अंदर टनटनाए हुए उसके लंड पर जोकि पैजामा पूरी तरह से गीला होने की वजह से सूरजके लंड का आकार उसका अक्स एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर खुद गौरी के तन बदन में आग लगने लगी गौरी ने अभी तक जवान लंड के दर्शन नहीं किए थे लंड के आकार के बारे में उसने सिर्फ कल्पना ही की थी उसे देखी नहीं थी लेकिन आज पहली बार सूरजके पजामे में खड़े लंड को देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल होने लगी थी वह तुरंत अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी और सूरजको भी इस बात का आभास नहीं था वह भी कपड़े लेकर वापस नीचे बैठकर कपड़े धोना शुरू कर दिया था,,,,
अभी तक गौरी के लिए सब कुछ सही चल रहा था लेकिन सूरज के लंड का नजारा देखकर वह असहज महसूस कर रही थी,,, देखते ही देखते गौरी का भी कुर्ती पूरी तरह से पानी में गीला हो गया था और उसमें से भी गौरी की लाजवाब गोल-गोल नारंगी एकदम साफ नजर आने लगी थी जिस पर बार-बार सूरजकी नजर चली जा रही थी कपड़े धोते समय गौरी चोर नजरों से सूरजकी तरफ देखी तो उसकी नजरों को अपनी छातियों की तरफ पाकर वो एकदम से शर्म से पानी पानी हो गई वह अपनी नजरों को नीचे छुड़ाकर अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए उसकी चूची एकदम साफ झलक रही थी उसका आकार कुर्ती में होने के बावजूद भी एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे सूरजअपनी प्यासी आंखों से देख रहा था अब गौरी के लिए यह सूरजका देखना असहनीय होता जा रहा था उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी ऐसा लग रहा था कि मानो सूरजअपनी नजरों से उसके बदन में चीकोटी काट रहा हो वह कसमसा रही थी,,,, गौरी अपनी छातियों को ढक लेना चाहती थी लेकिन सूरजकी आंखों के सामने ऐसा करने से वह और भी ज्यादा शर्म का अनुभव करने लगती है इसलिए ऐसा करने से हिचकी आ रही थी वह ऐसा जता रही थी कि मानो सूरजकी हरकत का उसे अंदाजा ही नहीं है,,,, देखते ही देखते सारे कपड़े दोनों ने मिलकर धो दिए थे अब उन्हें सूखने के लिए डालना था और इसीलिए सूरजफिर से खड़ा हो गया और इस बार गीले पजामे में से सूरजके लंड का आकार एकदम साफ नजर आने लगा एक बार फिर से गौरी उस दृश्य को देखकर गनगना गई,,,, सूरजको तो इस बात का अहसास तक नहीं था कि गौरी उसके पजामे में उसके टनटन आए हुए लंड को देख रही है वह अपनी ही मस्ती में मशगूल था वह गीले कपड़ों को लेकर सूखने के लिए डालने लगा जंगली झाड़ियां उगी हुई थी उसी पर वह एक-एक करके सारे कपड़ों को डाल रहा था और गौरी भी उसके साथ में उसका हाथ बंटा रही थी,,, दोनों करीब-करीब एकदम पास में ही खड़े थे बस दोनों के बीच 2 फुट की ही दूरी थी सूरजभी गीले कपड़ों को सूखने के लिए डाल रहा था और गौरी भी गीले कपड़ों को सूखने के लिए जा रही थी लेकिन उसकी तिरछी नजर सूरजके पजामे पर टिकी हुई थी जिसमें उसका मोटा तगड़ा लंड गौरी के होश उड़ा रहा था सूरजको इस बात का आभास तक नहीं था लेकिन जैसे ही वह गौरी की तरफ देखा और उसकी झुकी हुई नजरों को अपने पजामे की तरफ देखा तो उसके भी तन बदन में आग लग गई उसे अब जाकर इस बात का अहसास हुआ कि पजामे के अंदर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है,,,, गौरी के सामने उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह गौरी की नजरों से अपने लंड को छुपाए या इसी तरह से सब कुछ चलने दे,,,,, गौरी की आंखों के सामने अपने टनटनाए लंड को ढकना यह हरकत गौरी को शर्मिंदा कर सकती थी इसलिए सूरजइस तरह की हरकत करना नहीं चाहता था इसलिए जैसा चल रहा है वैसा ही वह अनजान बनकर चलने देना चाहता था सूरजको अब मजा आने लगा था क्योंकि गौरी उसकी मर्दानगी की तरफ देख रही थी गौरी के तन बदन में और ज्यादा आग लगाने के

लिए सूरजअपने गीले हो चले कुर्ते को गौरी की आंखों के सामने ही उतार दिया और कुर्ते को उतारते ही सूरजकी चौड़ी छाती एकदम नंगी हो गई और यह देखकर गौरी के बदन में हलचल सी होने लगी,,,,,,,,, सूरजकी चौड़ी नंगी छाती सुनहरी धूप में चमक रही थी,, सूरजकी नंगी चौड़ी छाती की तरफ देखकर गौरी शर्मा रही थी,,, सूरजअपने कुर्ते को अपने हाथों में लेकर उसका पानी गारते हुए बोला,,,।

मैं भी पूरा भीग गया इसे भी सुखाने के लिए डालना पड़ेगा,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज अपने गीले कुर्ते को झाड़ियों पर रखकर सूखने के लिए छोड़ दिया गौरी वापस उसी जगह पर आ गई थी उसे नहाना था,,,, लेकिन सूरज की मौजूदगी में उसे नहाने में शर्म आ रही थी हालांकि पहली मुलाकात में ही सूरज है गौरी को संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में नहाते हुए देखा था लेकिन इस बात से उस समय गौरी अनजान थी इसलिए उस समय उसे शर्म का एहसास नहीं हुआ था लेकिन आज सूरजसे उसे शर्म आ रही थी सूरजकी उसी जगह पर आ गया था जानबूझकर सूरजगौरी की आंखों के सामने ही खड़ा था ताकि गौरी की नजर उसके तने हुए लंड पर चला जाए और ऐसा ही हो रहा था गौरी चोर नजरों से सूरजके पजामे की तरफ देख रही थी और उसे देख कर अंदर ही अंदर सिहर उठ रही थी,,,,। गौरी को इस तरह से खड़ी देखकर सूरजबोला,,,।

अब बोलो गौरी क्या करना है,,,?

करना क्या है मुझे नहाना है,,,


तो नहाओ ना,,,

तुम्हारे सामने नहीं नहीं तुम जाओ मैं नहा लूंगी,,,

अब क्यों शर्मा रही हो जानती हो ना मैं तुम्हें नहाते हुए देख चुका हूं और वह भी एकदम नंगी,,,
(सूरजके मुंह से अपने लिए नंगी शब्द सुनकर गौरी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी,,,, फिर भी वह जानबूझकर सूरजके शब्दों पर गौर ना करने का बहाना करते हुए सहज रूप से बोली,,,)

अरे वह तो अनजाने में ही लेकिन अभी तो मैं सब कुछ जान रही हो ना अभी चले जाओ मुझे शर्म आ रही है,,,

तुम्हें शर्म आ रही है लेकिन मुझे तो अच्छा लग रहा है एक बार फिर से मैं तुम्हें उसी हालत में देखना चाहता हूं जैसा कि मैं पहली बार देखा था मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थी तुम्हारे नंगे बदन को देख कर,,,,,(सूरजगौरी के साथ थोड़ा खोलना चाहता था इसलिए इस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रहा था और ऐसा शब्दों का प्रयोग गौरी के सामने करते हुए उसके लंड का कड़क पन और ज्यादा बढ़ रहा था जिस पर बार-बार गौरी की नजर चली जा रही थी और उसे देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल हो रही थी,,,,)

वह तो अनजाने में उस समय की बात कुछ और थी अभी चले जाओ,,,

गौरी तुम खामखा शर्म कर रही हो और वह भी मेरे सामने तुम जानती हो मैं तुमसे प्यार करता हूं और वह भी सच्चा प्यार गौरी मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं तुम्हारे साथ अपना जीवन को जानना चाहता हूं क्योंकि मैं जानता हूं कि तुमसे अच्छी खूबसूरत मुझे दूसरी जीवनसाथी नहीं मिल सकती क्या तुम मुझसे शादी करना चाहोगी,,,,

यह क्या कह रहे हो सूरज,,,,(गौरी शर्मा कर दूसरी तरफ नजर घुमाते हुए ) मुझसे इस तरह की बात मत करो मुझे शर्म आती है,,,, तुम यहां से चले जाओ,,,

चला जाऊंगा लेकिन पहले एक बात का खुलासा कर दूं क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो या नहीं या फिर मैं खामखा तुम्हारे पीछे अपना समय बर्बाद कर रहा हूं,,,
(सूरज के मुंह से प्यार का इजहार सुनकर गौरी के तन बदन में उत्तेजना के साथ-साथ आनंद की फुहार फूटने लगी वह सूरजके मुंह से यही सुनना चाहती थी क्योंकि वह भी सूरजसे विवाह का सपना देखने लगी थी लेकिन अपने प्यार का इजहार करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी हिम्मत करते हुए वह बोली)

सूरजमैं भी तुमसे प्यार करती हूं अब और मुझसे मत पूछो चले जाओ यहां से मुझे शर्म आ रही है,,,
(सूरज गौरी के मुंह से यह सुनकर एकदम खुशी से चूमने लगा और एकदम प्रसन्न होते हुए बोला)

बस बस गौरी मुझे मेरे सवाल का जवाब देकर तुमने मुझे खुश कर दी हो मैं चला जाता हूं तुम नहा लो लेकिन उस दिन की तरह ही नहाना एकदम नंगी होकर क्योंकि तुम नंगी होकर जब भी नहाती हो बहुत खूबसूरत लगती हो ऐसा लगता है कि स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे धरती पर उतर आई हो,,,।
(सूरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर गौरी अंदर ही अंदर बेहद प्रसन्न होने लगी और सूरजइतना कहकर जाने लगा गौरी उसे रोक लेना चाहती थी उसे अपनी आंखों के सामने बैठ आना चाहती थी और उसकी ही बातों को मानते हुए अपने कपड़े उतार कर उसके सामने नंगी रहना चाहती थी लेकिन ऐसा करने में उसे शर्म महसूस हो रही थी वह कैसे भला सूरजको रोक लेती है और उसकी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती इसलिए वह उसे जाते हुए देखती रही थोड़ा दुख से हो रहा था लेकिन फिर भी अपने मन को इस बात से मना ली थी कि सूरजउससे प्यार करता है और उससे शादी करना चाहता है देखते ही देखते सूरजउसकी आंखों से ओझल हो गया और वह सूरजके ख्यालों में खो कर धीरे-धीरे अपने कपड़े

उतार कर नंगी होने लगी,,,, अपनी गीले कपड़ों को उतारते हुए वह बार-बार उसी दिशा में देख ले रही थी जहां से सूरज गया था,,,
 
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सूरज का यूं चले जाना गौरी को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,,, ना जाने क्यों अब उसके मन में यह भावना जागने लगी थी कि काश सूरज उसकी आंखों के सामने खड़ा होता और वह उसकी आंखों के सामने अपने बदन से एक-एक कपड़े उतार कर उसके सामने नंगी होती लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था सूरजको वो खुद जाने के लिए बोली थी क्योंकि उसे शर्म का एहसास हो रहा था आखिरकार वह कैसे कह दे कि तुम खड़े हो मैं अपने कपड़े उतार कर नंगी होती है एक लड़की के लिए यह पल बेहद अजीब होता है और वैसे भी गौरी और सूरज आपस में इतने खुले भी नहीं थे भले ही दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन दोनों के बीच अभी भी एक दूरी थी जो कि बेहद सीमित रूप से थी दोनों के बीच, भले ही प्रेम संबंध का रिश्ता पनप रहा था लेकिन इस तरह का खुलापन बिल्कुल भी नहीं था कि दोनों एक दूसरे के सामने कुछ भी करने को तैयार हो जाए लेकिन एक प्रेमिका होने के नाते गौरी को अपने प्रेमी को इस तरह से नाराज नहीं करना चाहिए था यह सा महसूस हो रहा था और उसे दुख भी हो रहा था,,,,,, मन मसोसकर गौरी अपने बदन से एक-एक करके कपड़ों को उतारना शुरू कर दी थी चिलचिलाती धूप में खेतों के बीच ट्यूबवेल के पास गौरी सूरजके ख्यालों में खोई हुई नंगी होने की तैयारी कर रही थी हालांकि वह अपने सारे कपड़े उतार कर कभी भी नंगी होकर इस तरह से खेत में नहीं आती थी लेकिन आज सूरजकी बात सुनकर ना जाने क्यों अपने बदन से एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार दी चली जा रही थी ‌ पहले कुर्ती कुर्ती के उतारते हैं उसकी मदमस्त कर देने वाली दोनों नौरंगिया अपना जलवा बिखेरने लकी छातियों की शोभा बढ़ा रही उसकी दोनों नौरंगिया बहुत ही सीमित आकार में थी लेकिन बेहद जानलेवा आकर्षक नजर आ रही थी,,,,,, अपनी चुचियों की तरफ नजरे नीचे करके देखने पर गौरी को अफसोस हो रहा था कि क्या फायदा अगर सूरजकी नजर इस पर ना पड़े तो यही सोचकर वह अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी वह अपने मन में यह सोच रही थी कि कहां सर आज उसकी आंखों के सामने खड़ा होता है तो उसके सामने कपड़े उतारने में कितना मजा आता भले ही वह शर्म से शर्मिंदा हो रही होती लेकिन फिर भी एक अद्भुत सुख उसके तन बदन में हिचकोले खा रहा होता,,,,, वह सूरजके ख्यालों में खोई हुई धीरे-धीरे अपनी सलवार की डोरी खोल रही थी इस बात से अनजान की सूरज भले ही उसकी आंखों के सामने से ओझल हो गया था लेकिन घूम कर वह ठीक उसके पीछे मोटे से पेड़ के पीछे आकर खड़ा हो गया था और वहां खड़े होकर गौरी की गतिविधियों को देखकर मस्त हो रहा था सूरजअपनी आंखों से उसे कुर्ती उतारता हुआ देख लिया था उसकी नंगी चिकनी पीठ देखकर सूरजअंदर ही अंदर उत्तेजित हुआ जा रहा था दूसरी तरफ गौरी की नाजुक उंगलियां उसकी सलवार की डोरी में उलझी हुई थी जिसे व खींचकर अपनी सलवार को ढीली कर चुकी थी सलवार के ढीली होते ही सूरजका दिल जोरो से धड़कने लगा वह जानता था कि किसी भी पल गौरी अपनी सलवार उतार कर नंगी हो जाएगी और उसके नंगे बदन को एक बार फिर से सूरज अपनी आंखों से देख कर मस्त हो जाएगा,,,, गौरी अपनी सलवार को उतारने के लिए थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई और सलवार को नीचे की तरफ खींचने लगी और देखते ही देखते उसकी उभरी हुई मदमस्त कर देने वाली गांड सुनहरी धूप में चमकने लगी यह देखकर सूरजके तन बदन में आग लगे हुए गौरी की गांड की दोनों फांकें एकदम जलवा बिखेर रही थी गांड की बीच की फांक इतनी गहरी थी कि सूरजका मन उसमें डूब जाने को कर रहा था,,, देखते ही देखते गौरी अपने बदन पर से सलवार उतार कर एकदम नंगी हो गई नंगी होने का भी एक अपना अलग मजा होता है जिसका एहसास गौरी को अच्छी तरह से हो रहा था यह दूसरा मौका था जब सूरज गौरी को पूरी तरह से नंगी देख रहा था,,,,,।

गौरी की खूबसूरत जवानी से छलकती हुई नंगा बदन देखकर सूरजका लैंड अपने आप ही खड़ा होने लगा था हालांकि वह गौरी से गंदा नहीं बल्कि सच्चा प्यार करता था लेकिन फिर भी अपनी आंखों के सामने अपनी प्रेमिका को लगना अवस्था में देखकर उसकी भावनाएं अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी वह ना चाहते हुए भी उसका लंड खड़ा होने लगा था आखिरकार कर भी क्या सकता था सूरज अपने मन पर काबू कर सकता था लेकिन उसका लंड बिल्कुल भी नहीं क्योंकि लंड की बेहद पसंदीदा और खूबसूरत चीज उसकी आंखों के सामने थी एक खूबसूरत लड़की की गांड हालांकि अभी तक ना तो सूरजने और ना ही उसके लंड ने गौरी की बुर के दर्शन नहीं किए थे लेकिन फिर भी इस बात का एहसास उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर दे रहा था कि उसकी आंखों के सामने गौरी पूरी तरह से नंगी है उसकी खूबसूरत बेशकीमती खजाने को छुपाने के लिए उसके पास कपड़े का एक रेशा तक नहीं है,,,,,, क्योंकि अपने बदन से उतारे हुए कपड़े भी वह पानी में गिरा कर उसे गिला कर चुकी थी और सूखे कपड़े घास फूस की बनी झोपड़ी में रखे हुए थे वहां तक जाने के लिए भी उसे नंगी ही जाना पड़ता ऐसे हालात

में सूरज का उसकी आंखों के सामने आ जाना बेहद उत्तेजनात्मक स्थिति को पैदा कर सकता था लेकिन सूरजअभी अपने आप को रोके हुए था मोटे से पेड़ के पीछे छुप कर वह अपने पूरे अस्तित्व को छुपा लिया था गौरी को इस बात की भनक तक नहीं थी कि उसके ठीक पीछे ही बड़े से पेड़ के पीछे है सूरजछुपा हुआ है उसके नंगे बदन को अपनी आंखों से देख रहा है अगर शायद यह उसे पता चल जाता तो उसकी बुर से मदन रस टपकने लगता,,,,।

खेतों के बीच का यह स्थान पूरी तरह से मदहोशी में गर्म होता चला जा रहा था वातावरण की गर्मी से ज्यादा सूरज को गौरी की मदमस्त कर देने वाली जवानी की गर्मी महसूस हो रही थी,,, देखते ही देखते सूरजका लंड अपनी औकात में आ चुका था,,, गौरी अपनी गोलाकार गांड को वहीं रखे बड़े से पत्थर पर रखकर बैठ गई और ट्यूबवेल की पाइप से गिर रहे पानी को अपने हाथों में लेकर अपने बदन पर गिराने लगी बदन की गर्मी ठंडे पानी से थोड़ी बहुत राहत महसूस करवा रही थी लेकिन गौरी को बिल्कुल भी सुकून नहीं था वह एकदम से गिरे पानी के नीचे सर रखकर बैठ गई और देखते-देखते पानी ने पूरी तरह से गौरी को अपनी बाहों में लेकर उसे अपने शीतलता में भिगो दिया,,, गौरी का बदन पूरी तरह से पानी में गीला हो गया उसके खुले हुए बाल पानी में भीग कर और भी ज्यादा खूबसूरत नजर आने लगे अभी तक सूरजको सिर्फ उसकी पीठ ही नजर आ रही थी और गौरी तुरंत साबुन लेने के लिए सूरज की तरफ घूम गई और सूरज को उसकी गोल-गोल चूचियां नजर आने लगी हालांकि वह उस समय भी बैठे हुई थी इसलिए उसकी बुर को कितनी दूरी से देख पाना नामुमकिन सा लग रहा था क्योंकि पानी भी लगातार उसके बदन पर गिर रहा था जिससे उसकी बुर वाली जगह पानी की धार के पीछे छि‌प सी गई थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे पानी की धार भी गौरी की मदद करते हुए सूरजको तड़पाने में अपना अहम भूमिका निभा रही हो,,,, साबुन को पाते ही गौरी फिर से सामने की तरफ मुंह करके बैठ गई और अपने बदन पर साबुन लगाना शुरू कर दी अपनी गीले बालों पर साबुन लगाकर उसके झाग में नहाई हुई जो मरी और भी ज्यादा खूबसूरत और मादक लग रही थी देखते ही देखते गौरी अपने पूरे बदन पर साबुन लगा दी थी लेकिन पीठ तक उसका हाथ पहुंचने पा रहा था वह बार-बार कोशिश कर रही थी लेकिन ठीक तरह से उसका हाथ पीठ पर पहुंच नहीं पा रहा था इसलिए सूरज किस बात का एहसास हो गया था कि यही उसके पास मौका है गौरी की आंखों के सामने आने का इसलिए वह चोर कदमों से उस बड़े से पेड़ के पीछे से बाहर निकला और धीरे-धीरे झूमर की तरह बाकी बढ़ने लगा और ठीक उसके पीछे पहुंचकर बोला,,,।

तुम्हें दिक्कत ना हो तो मैं लगा दूं साबुन,,,

(इतना सुनते ही गौरी एकदम से चौक गए वह एकदम से घबरा गई और पीछे मुड़कर देखी तो उसके ठीक पीछे सूरज खड़ा था सूरज को अपने पीछे खड़ा देखकर उसकी जान में जान आई लेकिन उसकी आंखों के सामने एक बार फिर से नंगी होने के नाते वह अपने नंगे बदन को छुपाने की कोशिश करने लगी वह अपने आप में ही सिमटने लगी,,, गौरी की मर्जी जाने बिना सूरजठीक उसके पीछे बैठ गया और उसके हाथ से साबुन लेकर उसकी नंगी चिकनी पीठ पर लगाना शुरू कर दिया एक मर्दाना हाथों को अपने बदन पर गौरी पहली बार महसूस कर रही थी गौरी का रोम-रोम एकदम झनझना जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, उसके सपनों का राजकुमार ठीक उसके पीछे बैठकर उसकी नंगे बदन पर साबुन लगा रहा था यह एहसास ही उसके लिए बहुत ज्यादा मायने रखता था एक अद्भुत सुख उसके पूरे बदन में घर कर गया था,,,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की हालत खराब होती जा रही थी उसे साफ महसूस हो रहा था कि पानी की धार में भी उसकी बुर पानी फेंक रही थी सूरजअपने आप को खुश किस्मत समझता हुआ गौरी के गोरे नंगे बदन पर साबुन ऊपर से नीचे की तरफ लगा रहा था वह जिस पर पत्थर पर बैठी हुई थी उस पर बैठने की वजह से उसकी गोलाकार शुगड गांड थोड़ी सी फैली हुई नजर आने लगी थी और उसके बीच की पतली दरार का ऊपर का बिंदु साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर सूरजका लंड तना जा रहा था,,,,,।

चिलचिलाती धूप में भी शीतल हवा बह रही थी जिससे सूरज और गौरी दोनों को राहत महसूस हो रही थी,,, गौरी एकदम शांत हो चुकी थी अपने व्यक्तित्व से विरुद्ध वह कुछ भी नहीं बोल पा रही थी वह कभी भी शांत रहने वाली नहीं थी वह कभी भी किसी को कुछ भी बोल देती थी खास करके उन लड़कों को जो उससे इधर-उधर की गंदी बातें कर देते थे उन्हें वह झाड़ देती थी लेकिन इस समय वह एकदम मूक हो चुकी थी क्योंकि इस समय वह अपने प्रेमी के आगोश में थी अपने प्रेमी के हाथ को अपने नंगे बदन पर महसूस कर रही थी और इसी का फायदा सूरजपूरी तरह से उठा देना चाहता था गौरी को कुछ भी ना बोलता देखकर और ना ही उसका विरोध करता देखकर सूरजकी हिम्मत बढ़ने लगे बस तुरंत अपने दोनों हाथों को साबुन लगाने के बहाने पेट

से होते हुए आगे की तरफ लाया और उसकी नंगी चूचियों पर साबुन लगाने के बहाने अपनी दोनों हथेली में उसकी दोनों नारंगीयो को लेकर दबाना शुरू कर देना,,, गौरी के लिए यह सब कुछ नया था उसके तन बदन में सूरजकी हरकत से आग लग गई उसके बदन से उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सूरजइस तरह की हरकत कर देगा लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उससे ना जाने क्यों गौरी कमजोर पड़ती जा रही थी सूरजका विरोध करने की उसमें बिलकुल भी हिम्मत नहीं थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह खुद ही सूरजको आगे बढ़ने की इजाजत दे रही हो,,,, साबुन के झाग फिसलती हुई गौरी की नंगी चूचियां सूरजकी हथेली में सामान ही रही थी ऐसा नहीं थी कि गौरी की चूचियां खरबूजे जैसी बड़ी-बड़ी हो थी तो वह नारंगी जैसी ही गोल-गोल लेकिन साबुन के झाग की फिसलन की वजह से वह सूरजकी हथेली में ठीक से आ नहीं रही थी,,,,, सूरजगौरी की चुचियों को उत्तेजना के मारे कसकस कर दबाना चाहता था लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था लेकिन उसकी यह हरकत गौरी के तन बदन में उत्तेजना की फुहार भर दे रही थी जो कि उसकी मंजू छेद से बाहर आ रही थी,,,। धीरे-धीरे गौरी की सांसे गर्म हो रही थी क्योंकि लगातार सूरजगौरी की चूची को दबा रहा था साबुन लगाने के बहाने उसके बदन से छेड़छाड़ ले रहा था और इसका विरोध गौरी बिल्कुल भी नहीं कर रही थी क्योंकि उसके जवान बदन में जवानी की तरंगे उठ रही थी उसे पहली बार मर्द के स्पर्श का अनुभव हो रहा था उससे मिलने वाले आनंद को वह अपने अंदर महसूस करके एकदम मदहोश हुए जा रही थी,,,,।

सूरज ईस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहता था,,, उसकी हथेलियां बड़ी तेजी से गौरी की चुचियों पर चल रही थी गौरी की चूचियां दबाने मुझे बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी क्योंकि उसकी चूचियां छोटी होने के बावजूद भी उसकी हथेली में ठीक से आ नहीं रही थी,,,, सूरजकी हरकत की वजह से उसके मुंह से सिसकारी की आवाज आने लगी,,,।

सहरहहहह आहहहरहह सूरजयह क्या कर रहा है,,,,ऊममममम


कुछ नहीं गौरी तुम्हारी खूबसूरत चूची का नाप ले रहा हूं ताकि जब हम दोनों का विवाह होगा तो तुम्हारे नाप का ब्लाउज सिलवा सकूं,,,

आहहहहह सूरज क्या सच में तू मुझसे शादी करेगा,,,


हां गौरी मैं तुझसे प्यार करता हूं सच्चा प्यार करता हूं मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं और तुझसे ही शादी करके रहूंगा,,,,(वास्तविकता यही थी कि सूरज सच में गौरी से शादी करना चाहता था अपना घर गृहस्ती बसाना चाहता था लेकिन इस समय सूरज विवाह का वास्ता देकर गौरी को पूरी तरह से अपने वश में कर लेना चाहता था क्योंकि वह गौरी के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,)

ओहहहह सूरजछोड़ मुझे कोई देख लेगा,,,

यहां कोई नहीं आने वाला गौरी इतनी खड़ी दुपहरी में गांव के लोग घर में ही सोते हैं उन्हें फुर्सत नहीं होती खेतों में आने की,,,,,(ईतना कहने के साथ ही सूरज गौरी के गर्दन के ऊपरी हिस्से पर चुंबन की बारिश कर दिया सूरजको इस बात की अच्छी तरह से पता था कि औरतें कान और गले के बीच में चुंबन करने से और ज्यादा उत्तेजित हो जाती है और यही हो रहा था गौरी के तन बदन में आग लग रही थी उससे रहा नहीं जा रहा था एक तरह से गौरी ने किसी के आने का बहाना देकर सूरजको और भी आगे बढ़ने की इजाजत दे दी थी क्योंकि उसमें उसकी भी हा थी,,,, गौरी की सांसें फूल रही थी फिर भी वह गहरी सांस लेते हुए बोली,,)

कोई आ गया तो सूरज,,,,

कोई नहीं आने वाला गौरी मेरा विश्वास करो ,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरज अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी दहकती हुई बुर पर रख दिया,,, अपनी बुर पर सूरजकी हथेली का स्पर्श होते ही वह एकदम से चौक गई क्योंकि उसके जीवन का यह पहला मौका था जब किसी मर्दाना हाथ को वह अपनी बुर पर महसूस कर रही थी वह पूरी तरह से बौखला गई थी उत्तेजना के चलते उसकी सांसे और ज्यादा तेजी से चलने लगी थी,,, और वह अपनी उखडती हुई सांसो के साथ सूरजसे बोली,,,)

ओहहहह सूरजहै क्या कर रहा है मैं पागल हो जाऊंगी,,,


कुछ नहीं अपनी होने वाली बीवी से प्यार कर रहा हूं,,
(सूरजके मुंह से अपने लिए बीवी शब्द सुनकर गौरी के तन बदन में खुशी के साथ-साथ उत्तेजना की लहर और ज्यादा उठने लग रही थी,,,,)

आहहहहह सूरज ऐसा ना करो मैं मर जाऊंगी,,,,
(इतना कहते हुए गौरी मदहोशी के हालत में पूरी तरह से अपनी पीठ को सूरज की छाती से टिका दी थी वैसे भी सूरज कमर के ऊपर से पूरी तरह से लगा था नंगी पीठ का स्पर्श अपने बदन पर होते ही सूरजका लंड और ज्यादा टनटना गया जो कि सीधे पजामे में होने के बावजूद भी गौरी की पीठ पर ठोकर मार रहा था,,, जोकि बिल्कुल भी अनुभव ना होने के बावजूद भी गौरी को इस बात का एहसास तो हो गया था कि उसकी पीठ पर क्या चुप रही है और इस बात का एहसास सेवा पूरी तरह से उत्तेजना के मारे गनगना गई थी और देखते ही देखते वह अपने

संपूर्ण वजूद को सूरज की नंगी छाती पर टिका दी थी,,,, सूरजलगातार एक हाथ से उसकी चूची दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी बुर की हालत खराब कर रहा था,,,,, और ऊपर से ट्यूबवेल की पाइप में से पानी गिर रहा था जो कि दोनों के बदन को भी हो रही थी दोनों एक साथ ट्यूबवेल के पानी के नीचे नहा रहे थे और आनंद ले रहे थे,,,,, गौरी की हालत को देखते हुए सूरज समझ गया था कि अब गौरी पूरी तरह से लाइन पर आ गई है और देखते ही देखते वह अपनी एक उंगली को उसकी बुर के अंदर घुसेडना शुरू कर दिया बुर पहले से ही पानी छोड़ रही थी इसलिए देखते ही देखते सूरजअपनी उंगली को उसकी बुर के अंदर प्रवेश कराना शुरू कर दिया था और,,, जैसे ही गौरी को इस बात का एहसास हुआ वह तुरंत अपना हाथ सूरजके हाथ पर रख कर उसे रोकने की कोशिश करते हुए बोली,,,,)

नहीं सूरज नहीं,,,,, मुझे शर्म आ रही है,,,

गौरी मेरी रानी अपने होने वाले पति से शर्माने की जरूरत नहीं है अगर शर्म आओगी तो अपने पति से मजा कैसे ले पाओगी,,,
(सूरज अपनी बातों में गौरी को पूरी तरह से उलझा रहा था और गौरी सूरजकी इस तरह की बातें सुनकर एकदम शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, देखते ही देखते सूरजअपनी मनमानी करते हुए गौरी की बुर में अपनी एक उंगली को अंदर तक प्रवेश करा दिया अंदर उंगली जाते हैं सूरजको इस बात का अहसास हो गया कि गौरी की जवानी बहुत ज्यादा गर्म है क्योंकि उसकी बुर के अंदर उसकी उंगली पूरी तरह से तप रही थी,,,, सूरजको मजा आ रहा था सूरजएक हाथ से उसकी चूची और दूसरे हाथ से उसकी बुर से खेल रहा था जिस पर गौरी ने आज तक किसी की नजर तक नहीं पड़ने दी थी हाथ लगाने की तो बात ही दूर थी लेकिन सूरजकी किस्मत बड़े जोरों पर थी क्योंकि गौरी मन ही मन सूरजको पसंद करती थी उसे पति के रूप में देखना चाहती थी इसलिए सूरजको अपने बदन से खेलने की इजाजत दे रही थी वरना उसकी जगह कोई और होता तो हंसीया से उसका हाथ काट देती,,,,

सूरज को इस खेल में मजा आने लगा था खड़ी दुपहरी में खेतों के बीच यहां और कोई नहीं था खुले में कुछ और ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी गौरी का तो यह पहली बार था इसलिए उसके तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी जिसे संभालना उसके लिए नामुमकिन सा होता जा रहा था बार-बार उसकी बुर पानी फेंक दे रही थी और सूरजतो इस खेल में पूरी तरह से माहिर हो चुका था उसे इस बात का अच्छी तरह से ज्ञान था कि औरतों को कैसे खुश किया जाता है कैसे उन्हें अपने बस में किया जाता है और वही सारा तरीका वहां गौरी के पक्ष में लगा रहा था और गौरी भी उसके तरीकों से पूरी तरह से मदहोश ‌हुए जा रही थी,,,,,, सूरज अपनी उंगली को गौरी की बुर में डाल कब से अंदर बाहर कर रहा था एक तरह से वह गौरी की चुदाई करना शुरू कर दिया था यह चुदाई करने से पहले प्रारंभ का सबक था जिसमें औरत या लड़की को पूरी तरह से अपने वश में करने का यही एक बेहद सक्षम तरीका होता है लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है जिस पर मेहनत करके सूरजपार हो चुका था देखते ही देखते सूरजअपनी उंगली का सहारा लेकर गौरी की बुर में अपने लिए जगह बना रहा था क्योंकि इस बात से वह भी अच्छी तरह से वाकिफ था कि गौरी पहली बार चुदाई के लिए तैयार हो रही है और उसका लंड मोटा और लंबा है ऐसे हालात में उसकी बुर में सीधे-सीधे डाल देना उचित नहीं था,,,, इसलिए सूरजसमझदारी और चालाकी से काम ले रहा था गौरी पूरी तरह से अपनी नंगी पीठ को सूरजकी नंगी छाती पर टिकाए हुए थी गौरी की हालत को देखकर सूरजसमझ गया था कि गौरी पूरी तरह से उसके पास में हो चुकी है इसलिए धीरे से उठा और ठीक उसके सामने आकर खड़ा हो गया,,, पानी में पैजामा पूरी तरह से भीग चुका था गौरी की नजर जैसे ही भीगे हुए पजामे के अंदर छुपे उसके मोटे टनटनाते लंड पर पड़ी वह एकदम से घबरा गई,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे वहां इंसान का नहीं बल्कि गधे का लंड देख ली हो,,,, गौरी की घबराहट सूरजने उसके चेहरे से पढ़ लिया था इसलिए गौरी से बोला,,,।

क्या हुआ गौरी मेरी रानी ऐसे क्यों देख रही हो,,,
(सूरजकी बात सुनते ही वह नजर उठा कर सूरज की तरफ देखी और वापस पजामे की तरफ देखने लगी उसके पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे वह शर्मा भी रही थी और उत्सुक भी थी सूरजके लंड को देखने के लिए और वह भी एकदम नंगा,,, गौरी की खामोशी में ही उसकी हा थी इस बात को सूरजअच्छी तरह से समझ गया था इसलिए उसकी आंखों के सामने ही वह अपना पजामा उतारना चाहता था लेकिन तभी उसे कुछ याद आया वह गौरी को और ज्यादा गर्म कर देना चाहता था इसलिए पैजामा उतारे बिना ही वह अपने घुटनों के बल बैठ गया और उसकी दोनों टांगों को घुटनों से पकड़ कर उसे फैलाने लगा ऐसा करने से गौरी एकदम से सकते में आ गई और अपने दोनों टांगों को आपस में हटा दी क्योंकि वह समझ गई थी कि सूरज क्या देखना चाहता है,,,,,)

नहीं सूरज मुझे शर्म आ रही है,,,,

पहली बार तो शर्म आती है मेरी जान लेकिन फिर धीरे-धीरे मजा आने लगता है और वैसे भी किसी गैर के सामने तुम अपनी टांगें थोड़ी खोल रही हो मैं तो तुम्हारा होने वाला पति हूं तुमसे शादी करके तुम्हें अपने घर लेकर आऊंगा तब तो रोज तुम्हारी चुदाई करूंगा तब क्या करोगी,,,
(सूरज के मुंह से चुदाई करने वाली बात सुनकर गौरी एकदम से शर्मा गई और शर्मा कर दूसरी तरफ अपनी नजर कुमारी और इसी पल का फायदा उठाते हुए सूरजने तुरंत उसके दोनों घुटनों को एक दूसरे के विरुद्ध फैला दिया उसकी टांगे खुलते ही सूरजको उसकी मंजू फूल और वह भी एकदम कचोरी की तरह फूली हुई नजर आने लगी,,, सूरज के लिए नजारा उसका देखे गया सबसे बेहतरीन हजारों में से एक था क्योंकि वह गौरी से प्यार करता था उसकी मंजू बुर को देखना उसका सपना का इसलिए इस समय वह पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया झुमरिया देखकर अंदर ही अंदर गदगद हुए जा रही थी कि सूरजउसकी बुर को प्यासी नजरों से देख रहा है गौरी कुछ कर पाती या कुछ बोल पाती इससे पहले ही राज उसकी दोनों टांगों को अपने हाथों से खोलते हुए अपने प्यासे होठों को उसकी गीली बुर पर रख दिया और ऐसा करते ही गौरी के तन बदन में आग लग गई उसे समझ में नहीं आया कि यह सूरजने क्या किया क्योंकि उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि मर्द औरत की बुर भी चाटते हैं क्योंकि उसने आज तक ना तो इस बारे में कभी सोची थी ना ही कभी अपनी आंखों से उसे यह सब देखने का मौका मिला था इसलिए उसके लिए सब कुछ नया था सूरजपलभर में ही गौरी को पूरी तरह से अपनी आगोश में ले लिया वह पूरी तरह से ध्वस्त होने लगी सूरज की मर्दानगी के आगे घुटने टेकने लगी उसकी टांगे कांपने लगे यह अवसर उसके लिए बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय था,,,।

गर्मी के दिन में जब पूरा गांव अपने घर में आराम कर रहा था तब गौरी और सूरजखेतों में कपड़े धोते-धोते कब काम क्रीड़ा का आनंद लेने लगे दोनों को पता ही नहीं चला सूरजपूरी तरह से अपनी जीभ का जादू गौरी की‌ बुर के ऊपर चला रहा था और सूरजका जादू काम भी कर रहा था बुरी तरह से गौरी गहरी गहरी सांस ले रही थी वह आनंद के सागर में गोते लगाना शुरू कर दी थी उसे मजा आने लगा था वह कभी सोची भी नहीं थी कि इस तरह के खेल में इतना मजा आता है वह पागलों की तरह गहरी गहरी सांस लेते हुए गरम सिसकारी ले रही थी जो कि इस समय उसकी गर्म सिसकारी को सुनने वाला वहां कोई नहीं था,,,, सूरजपूरी तरह से गौरी की गर्म जवानी का रस अपनी जीभ से निचोड़ रहा था और अपने गले में गटक रहा था,,,,, गौरी पागलों की तरह अपना सर इधर उधर भटक रही थी वह भी बड़े से पत्थर पर बैठे हुए थी जिस पर बैठने की वजह से उसकी गांड थोड़ी चौड़ी नजर आने लगी थी और सूरज उसकी कमर थामें हुए अपनी जीभ अंदर तक डाल रहा था,,, गौरी की बुर लगातार पानी छोड़ रही थी जिसकी वजह से वह चिपचिपी हो गई थी उसके चिपचिपे पन का फायदा उठाते हुए सूरज कब उसकी बुर में अपनी एक ऊंगली डाल दीय उसे पता ही नहीं चला और उसे अंदर बाहर कर बुर को चाटने आनंद लेने लगा,,,।

गौरी पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी जिसकी गहरी सांस एस बात का सबूत था कि वह पूरी तरह से आनंद के सागर में गोते लगा रही हो ईसी पल का सूरजको इंतजार भी था हुआ समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से गरम हो चुका है उस पर थोड़ा चलाना जरुरी है इससे तुरंत अपना मुंह उसकी बुर से हटाकर खड़ा हो गया सूरजका लंड पजामे के अंदर पूरी तरह से टनटना गया था जो कि पानी में गीला होने के बावजूद भी अपना असर दिखा‌ रहा था उसे देख गौरी की बुर फिर से पानी छोड़ने लगी,,,, गौरी को चोदने के लिए सूरज उसकी इजाजत मांगना जरूरी नहीं समझ रहा था क्योंकि वह जानता था कि वह इंकार करेगी लेकिन अंदर से वह भी उसके लंड को अपनी बुर में लेना चाहती है,,,, इसलिए सूरज गौरी के ऊपर अपना आखिरी पाशा फेंकने जा रहा था वह तुरंत गौरी की आंखों के सामने अपने पजामे को उतारने लगा गौरी शर्मा रही थी उसकी तरफ देखने से कतरा रही थी,,, देखते ही देखते सूरजगौरी की आंखों के सामने एकदम नंगा हो गया उसका लंड हवा में लहरा रहा था आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था जब देखा कि गौरी उसकी तरफ नहीं देख रही है तो सूरजउसके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हाथों में भर लिया और उसकी नजरों को अपने लंड की तरफ करते हुए बोला,,,।


शर्मा क्यों रही हो मेरी रानी तुम्हारा ही है तुम्हारे लिए ही तो खड़ा हुआ है तुम मुझसे प्यार नहीं करोगी तो कौन करेगा क्या तुम चाहती हो कि मैं किसी और लड़की से प्यार करूं किसी और को यह सुख दूं,,,,
(गौरी शर्म के मारे अपनी आंखों को बंद किए हुए थे और सूरजकी बात सुनकर ना में सर हिला रहे थे यह देखकर सूरजमन ही मन बहुत खुश हो रहा था और फिर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

चलो मेरी रानी जिस तरह से मैंने तुम्हारी बुर से प्यार किया हूं तुम भी मेरे लंड से प्यार करो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह गौरी कि खूबसूरत चेहरे को अपने हाथों में लिए हुए ही अपने लंड की तरफ आगे बढ़ाने लगा गौरी को बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि सूरजक्या करने वाला है और देखते ही देखते जैसे ही अपने होठों पर सूरजके गर्म लंड का स्पर्श हुआ वह एकदम से चौक गई और अपनी आंखों को खोल दी,,,)

यह क्या कर रहे हो सूरज,,,

तुम्हें प्यार करना सिखा रहा हूं,,,

ऐसे कोई प्यार होता है क्या,,,

क्यों मैंने भी तो तुम्हारी बुर से प्यार नहीं किया अपने होठ से लगाकर ऐसे ही तो मर्द और औरत प्यार करते हैं,,,

क्या सच में ऐसा होता है,,,

हां गौरी मेरी रानी एक बार इसे मुंह में लेकर चूसने देखो कितना मजा आता है,,,

नहीं मुझे गंदा लगता है,,,

कुछ गंदा नहीं है बस एक बार इसे मुंह में लो फिर तुम खुद ही से नहीं छोड़ोगी,,,
(इतना कहते हो सूरज अपनी लैंड के गरम सुपाड़े को गौरी के लाल-लाल होठों पर रगड़ना शुरु कर दिया इनकार करने के बावजूद भी गौरी के तन बदन में आग लगने लगी और अपने आप ही उसके लाल लाल होंठ खुल गए और मौका देखते ही सूरजअपने लंड के सुपाड़े को उसके लाल-लाल होठों के बीच डाल दिया,,,, पहले तो गौरी को थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर जैसे-जैसे सूरजने बताया उस पर जीभ घुमाते हुए उसे मजा आने लगा और देखते ही देखते सूरजअपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया कुछ ही देर में गौरी को इतना आनंद आ रहा था कि पूछो मत वह खुद ही सूरजकी लंड को पकड़ कर उसे मुंह में लेकर चूसने आई थी देखते ही देखते उसकी शर्म हवा में फुर्र हो गई थी,,,, सूरजपूरी तरह से मस्त हो चुका था गौरी को चोदने की ललक उसकी आंखों में साफ दिखाई दे रही थी वह तुरंत गौरी के मुंह में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसकी दोनों टांगों को उसी स्थिति में फैलाना शुरू कर दिया या देखकर गौरी बोली,,,।

नहीं सूरज यहां नहीं मुझे शर्म आ रही है कोई देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,
(सूरजकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह जल्द से जल्द अपने खड़े लंड को गौरी की बुर में डाल देना चाहता था इसलिए गहरी सांस लेते हुए बोला,,)

तब,,,,,,

झोपड़ी में चलते हैं,,,
(गौरी के मुंह से यह सुनकर आज एकदम खुश हो गया क्योंकि उसकी काम क्रीडा की हरकत पूरी तरह से काम कर चुकी थी गौरी खुद अब चुदवाना चाहती थी इसलिए गौरी को देखकर सूरजमुस्कुराने लगा और वह कुछ समझ पाते इससे पहले ही वह आगे बढ़ कर उसे गोद में उठा लिया गौरी एकदम से घबरा गई ,,, गौरी उसे लगातार नीचे उतारने के लिए बोल रही थी लेकिन सूरजउसे गोद में लिए हुए झोपड़ी की तरफ चला जा रहा था गौरी हैरान थी सूरजकी ताकत को देखकर क्योंकि वह बिना डगमगाए बड़े आराम से उसे गोद में उठाए हुए चला जा रहा था यहां तक कि गौरी का वजन थोड़ा ज्यादा था लेकिन फिर भी उसे जरा भी फर्क नहीं पड़ रहा था यह देखकर गौरी के तन बदन में और ज्यादा मदहोशी जाने लगी थी गौरी को इस बात का डर था कि सूरजउसे गिराना दे लेकिन सूरजका आत्मविश्वास देखकर वह खुद करके रोए जा रही थी देखते-देखते सूरजउसे गोद में उठाए हुए ही झोपड़ी के अंदर लेकर आया और घास फूस की ढेर में उसे लाकर पटक दिया अब सूरजके लिए रोक पाना अपने आप पर काबू कर पाना असंभव था वह देखते ही देखते गौरी कि दोनों टांगों को फैला दिया और,,, जैसे ही सूरजको गौरी की मंजू बुर नजर आई उसके मुंह में पानी आ गया और वहां अपने आप को रोक नहीं पाया घुटनों के बल बैठकर गौरी को अपनी तरफ खींचा और उसकी आदि गांड को अपने घुटनों पर रख दिया गौरी के लिए पहला मौका था जब वह किसी के लंड को अपनी बुर में लेने जा रही थी इसलिए उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसके मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अंदर जाने पर कैसा लगेगा और इसी कशमकश में वह अपनी आंखों को बंद कर चुकी थी,,,,


गौरी के चरित्र को देखकर सूरज अच्छी तरह से जानता था कि जो मेरी पूरी तरह से कुंवारी लड़की है उसकी बुर में लंड डालना बड़ी मेहनत का काम है इसलिए मैं धीरे-धीरे ढेर सारा थूक लगाकर गौरी की बुर पर अपने लंड के सुपाड़े को रखकर उसे धीरे-धीरे अंदर की तरफ ठेलने लगा,,, अभी सुपाड़ा मात्र एक अंगूर अंदर घुसा था कि गौरी को दर्द महसूस होने लगा सूरजसमझ गया कि बड़े सावधानी से आगे बढ़ना है इसलिए वह अपने हाथों को आगे बढ़ाकर उसकी चूची को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया उसको उत्तेजित कर रहा था उसी उत्साह रहा था देखते ही देखते वह अपनी कमर का भी असर उसे दिखा रहा,,, था,,, गौरी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनते ही वह अपनी कमर को आगे की तरफ तेरा और आधा सुपाड़ा गौरी की बुर में,, समा गया उसे दर्द हो रहा था लेकिन वह अपने दर्द को जेल गई थी उसे नहीं मालूम था कि आगे और भी दर्द होगा क्योंकि उसकी बुर में पहली बार लड़ने जा रहा था देखते ही देखते सूरजने थोड़ा सा और

धक्का लगाया और लंड का पूरा सुपड़ा बुर की अंदर घुस गया अब जाकर गौरी को दर्द का एहसास होने लगा उसके मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और सूरजतुरंत आगे बढ़ कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया और उसे चूसना शुरू कर दिया और उसी स्थिति में रुका रह गया वह जानता था कि गौरी का पहली बार होने की वजह से हुआ है बर्दाश्त नहीं कर पाएगी और अगर एक बार उसने लंड बाहर निकाल लिया तो गौरी फिर उसे दोबारा डालने नहीं देगी,,, इसलिए उसे समझाते हुए बोला,,,

बस बस मेरी जान हो गया देखना इतना मजा आएगा कि तुम खुद मेरे लंड पर कुदोगी,,,,(और इतना कहते हुए उसकी चूची को से लाते हैं और उसके लाल-लाल होठों का रसपान करते हुए फिर से अपनी कमर को सहमत दिया और उसे धक्का मार कर आगे की तरफ फेंक दिया इस बार सूरजका आधा लंड उसकी बुर के अंदर घुस गया अब गौरी को और दर्द करना शुरू हो गया गौरी अपना सर पटकने लगी अपना पाव इधर-उधर फेंकने लगे लेकिन सूरजउसे अपने नीचे लिए हुए उसे काबू में रखे हुए था और उसकी चूची को पकड़कर दबा रहा था ताकि उसका दर्द कम हो जाए,,,)

बस बस हो गया मेरी जान बहुत खूबसूरत हो तुम गौरी तुम्हारी खूबसूरती देखकर मैं पागल हो गया हूं इसीलिए तुम्हें बीवी बनाने का मैंने कब से उठा लिया था जबसे तुम्हें पहली बार नंगी नहाता हुआ देखा था उसी दिन मैंने निश्चय कर लिया था कि मेरे घर में बीवी बनकर आएगी तो सिर्फ गौरी,, तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की पूरे गांव में तो क्या अगल-बगल के 10 गांव में मैंने आज तक नहीं देखा तुम जानती हो दिन भर में बैलगाड़ी लेकर इधर-उधर घूमता रहता हूं लेकिन तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की मैंने आज तक नहीं देखा इसलिए तो मैं तुम्हारा दीवाना हूं मेरी जान,,,
(सूरजकी बातों का जादू गौरी के ऊपर छाने लगा था उसका दर्द कम होने लगा तो सूरजअपनी बात को जारी रखते हुए बोला,,,)
तुम नहीं जानती गौरी तुम्हें चोदने का मैं कबसे कल्पना करता था सपने देखता था ख्वाब देखता था मैं यही सोचता था कि तुम जिस दिन मेरे घर पर दुल्हन बन कर आओगे सारी रात तुम्हें प्यार करूंगा तुम्हें कपड़े पहनने नहीं दूंगा सारी रात तुम्हें नंगी करके रखूंगा और रात भर तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर रखूंगा,,,,(सूरजकी बातों में शहद खुला हुआ था मदहोशी भूली हुई थी मादकता छाई हुई थी जो कि पूरी तरह से गौरी को अपनी आगोश में ले रही थी सूरजके मुंह से निकला एक-एक शब्द गौरी के बदन में आग लगा रहे थे इसलिए तो वह सिसकारी देना शुरू कर दी थी और यही मौका देखकर सूरजने फिर से जोर लगाया और पूरा का पूरा लंड गौरी की बुर में गाड़ दिया,,,, एक बार फिर से गौरी की चीज बड़ी जोरों से निकले लेकिन उस सुनसान खेतों में उसकी चीख सुनने वाला कोई नहीं था सूरजजानता था कि थोड़ी ही देर में उसे मजा आ जाएगा इसलिए अपनी बातों का सिलसिला जारी रखते हुए वह बोला,,,)
ओहहहह गौरी बस हो गया मेरी जान तू नहीं जानती तुम जब चलती हो तो तुम्हारी गांड इधर-उधर जब मटकती है ना देखकर लड़के का मन हो जाता है मैं तो तुम्हारी चाल पर एकदम फिदा हो गया हूं लेकिन देखना जब तुम मुझसे शादी कर लो कि जब तुम मेरी बीवी बन जाओगी तो तुम्हें चलने नहीं दूंगा तुम्हें घर पर रख लूंगा रानी बनाकर तुम्हें खेतों में नहीं जाना पड़ेगा काम नहीं करना पड़ेगा तुम दिन भर रात भर मेरी पलकों पर बैठी रहोगी क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम्हारी खूबसूरती को गांव का कोई मर्द अपनी आंखों से पी ए क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम्हें देखकर ना जाने कितने लोग अपने मन में गंदे विचार लाते होंगे,,, तुम्हारी खूबसूरती का रस पीने के लिए लालायित होते होंगे,,, और मेरी किस्मत कितनी अच्छी है कि तुम मुझे अपने पति के रूप में स्वीकार करना चाहती हो और मैं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं,,,
(सूरजकी मिश्री घुली बातें गौरी के दर्द पर असर कर रही थी उसका दर्द कम हो रहा था असहनीय पीड़ा को वह सूरजकी बातों से झेल ले जा रही थी थोड़ी देर में सब कुछ सही हो गया सूरजअपने हाथ का करामत दिखाते हुए उसके नारंगी को पकड़कर जोर जोर से दबा रहा था जिसके चलते हैं उसके चेहरे का रंग फिर से बदलने लगा और वह मदहोशी में आहें भरने लगी और इसी मौके की तलाश में सूरजअपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते वह गौरी को चोदना शुरू कर दिया था सूरजके लिए गौरी पर काबू पाना बहुत ही बड़ा सफर तय करके मंजिल तक पहुंचने जैसा था आखिरकार सूरजगौरी की मामीके साथ साथ गौरी की भी चुदाई कर रहा था,,,।

थोड़ी देर में सूरजका मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से गौरी की बुर की गहराई नापना शुरू कर दिया था,,, लेकिन गौरी की बुर की अंदर की दीवारों पर सूरजका लंड रगड़ता हुआ अंदर बाहर हो रहा था जिससे गौरी के आनंद में बढ़ोतरी होती जा रही थी और ‌ उसकी पुर बार-बार पानी छोड़ रही थी,,,, सूरजलगातार अपनी कमर हिला रहा था उसकी गर्दन उसके हो उसके गाल पर चुंबनो की बारिश कर रहा था,,,

जिससे गौरी को और ज्यादा मजा आ रहा था थोड़ी ही देर में गौरी की बुर से चप्प चप्प आवाज आना शुरू हो गई जिससे वातावरण पूरी तरह से गर्मा रहा था और गौरी की गरम सिसकारियां सूरजके तन बदन में और ज्यादा मदहोशी भर रही थी,,,,

गौरी अपनी नजरें उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच सूरजके मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर के अंदर बाहर होता हुआ देखकर आश्चर्यचकित हुए जा रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतना मोटा तगड़ा लंड इतने आराम से उसकी बुर के अंदर अंदर बाहर हो रहा है,,,, गौरी के चेहरे को देखकर सूरजसमझ गया कि वह क्या सोच रही है इसलिए सूरजमुस्कुराता हुआ बोला,,

बोला था ना मेरी रानी बहुत मजा आएगा अब कैसा लग रहा है बताओ,,,

बहुत अच्छा लग रहा है,,,(शर्मा कर दूसरी तरफ नजर घुमा कर बोली)


अभी तो देखना और मजा आएगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही सूरजजोर जोर से धक्का लगाना शुरू कर दिया हर धक्के के साथ गौरी के मुंह से आह निकल जा रही थी लेकिन दर्द से ज्यादा उसे मजा आ रहा था,,, थोड़ी देर तक इस स्थिति में चुदाई करने के बाद सूरजअपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे घोड़ी बनने के लिए बोला मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है इसलिए सूरजने खुद ही उसे अपने हाथों से घुटने मोड़कर उसकी हाथ की कोहनी मोड़ कर उससे घोड़ी बना दिया और उसकी गांड को अपने हाथों से हवा में उठा दिया,, मदहोशी से भरी हुई गौरी सूरजके इशारे पर नाच रही थी और जैसा वह कर रहा था वैसे ही होती जा रही थी देखते ही देखते सूरजपीछे से गौरी की गांड को पकड़कर अपने लंड को उसके मंजू छेद में डाल दिया और फिर से चोदना शुरू कर दिया इस स्थिति में गौरी के तन बदन में आग लग गई उसे बहुत मजा आ रहा था ऐसा आनंद उसने कभी महसूस तक नहीं की थी और ना ही कभी ऐसे आनंद के बारे में वह सोची थी,,

कुछ ही देर में गौरी के मुंह से गरमा गरम सिसकारियां फूटने लगी और उन गरम सिसकारियां को सुनकर सूरजकी मदहोशी और बढ़ती जा रही थी गर्मी का महीना होने की वजह से सूरजऔर गौरी दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था इतनी मेहनत जो दोनों कर रहे थे लेकिन जितनी मेहनत कर रहे थे उससे 10 गुना आनंद भी प्राप्त कर रहे थे देखते ही देखते गौरी की सांसें तेज चलने लगी सूरजसमझ गया कि उसका पानी निकलने वाला है इसलिए सूरजतुरंत उसकी गोल गोल सुडोल गांड को कस के अपने दोनों हाथों से पकड़कर धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए सूरजपीछे से गौरी को पकड़े हुए सूखी हुई घास पर एकदम पसर गया ,,,,,।
 
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सूरज अपने सपनों की रानी जिसके बारे में वह सपने बना करता था जिसके साथ जीवन यापन करने का ख्वाब देख रहा था ऐसी खूबसूरत गौरी की जवानी पर वह पूरी तरह से काबू पा चुका था गौरी की बुर को हासिल कर लेने के बाद वह अपने आप को दुनिया का सबसे खुशकिस्मत लड़का समझने लगा था और वास्तव में ऐसा ही था गौरी ने आज तक किसी पराए मर्द को अपने बदन को हाथ भी लगानी नहीं दी थी और सूरजको वह अपना सर्वस्य सौंप चुकी थी,,,,,, सूरज गौरी के साथ ऐसा करना नहीं चाहता था लेकिन गौरी के करीब रहकर उसकी मदहोश कर देने वाली खुशबू को अपने अंदर महसूस करके वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपनी आंखों के सामने गौरी को अपने कपड़े उतार कर नंगी होता हुआ देखकर उसकी मदमस्त कर देने वाली कौन कौन था उसकी नारंगी जैसी चूचियां और शरबती रस से भरी हुई उसकी रसीली बुर दूर यह सब सूरजको मजबूर कर दी थी उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए,,,, और इस काम क्रीड़ा में जितना मजा सूरज को प्राप्त हुआ था उससे कहीं ज्यादा मजा गौरी को मिल रहा था इसीलिए तो वह सुखी हुई घास पर ढेर हो गई थी और गहरी गहरी सांस ले रही थी सूरज उसके ऊपर ही लेटा हुआ था और अभी तक उसका मोटा तगड़ा लंड गौरी की बुर में घुसा हुआ था जिसे गौरी अपनी बुर में महसूस करके पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी सूरजकैलेंडर से उसका गर्म लावा बूंद बूंद करके गौरी की बुर की तलैया को भर रहा था,,,,,,,।

झोपड़ी मैं और झोपड़ी के बाहर असीम शांति छाई हुई थी केवल दोनों की गहरी चल रही सांसो की आवाज ही आ रही थी कुछ देर तक सूरजगौरी की नंगी चिकनी पीठ पर लेटा रहा और अपने लंड को उसकी बुर की गर्माहट देता रहा झड़ जाने के बावजूद भी उसका लंड ज्यों का त्यों खड़ा था गौरी को इस तरह का अनुभव पहले कभी नहीं था इसलिए वह बिल्कुल भी अंदाजा लगाने की हालत में नहीं थी,,, झड़ने के बाद लंड की स्थिति क्या होती है,,,, सूरजगौरी के गर्दन पर अपने होठों का चुंबन लेते हुए बोला,,,।

कैसा लगा मेरी रानी,,,,
(जवाब में वह कुछ बोल नहीं पाई बस शर्म के मारे अपनी आंखों को बंद कर ली,,,, सूरजको लड़कियों और औरतों का इस तरह से शर्मा ना ही उसकी उत्तेजना का सर्वप्रथम कारण बन जाता था,,, गौरी केवल इतना ही बोल पाई,,)

अब बाहर निकाल लो,,,
(गौरी के मुंह से यह सुनकर सूरजएकदम मस्त हो गया,,, और गौरी की बात मानते हुए अपने मोटे तगड़े लग गई अंडकोष उमरी की कसी हुई बुर से बाहर खींचते हुए वह अपने लंड को बाहर निकाल दिया और उसके बगल में पेट के बल बैठ गया गौरी पेट के बल लेटी हुई थी और वह पीठ के बल दोनों एक दूसरे को देख रहे थे दोनों की नजरें आपस में टकराई और गौरी शर्म से पानी पानी होने लगी,,,,)

आज मैं बहुत खुश हूं गौरी,,, तुमने मुझे दुनिया का सबसे हसीन सुख दिया है जिसके बारे में सिर्फ मैं कल्पना किया करता था लेकिन तुमने आज मेरे ख्वाब को हकीकत में बदल दि‌ हो,,, मैंने आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की को नहीं देखा बाहर से तुम कितनी खूबसूरत हो बिना कपड़ों के तुम और भी ज्यादा खूबसूरत लगने लगती है कसम से ऐसा लगता है कि जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा नीचे उतर आई हो,,,।
(सूरजगौरी के लिए तारीफ के पुल बांध रहा था गौरी अपनी खूबसूरती की तारीफ सूरजके मुंह से सुनकर गदगद हुए जा रही थी हालांकि उसे शर्म भी बहुत महसूस हो रही थी क्योंकि इस समय भी वह पूरी तरह से नंगी ही थी,,, मैं सिर्फ मंद मंद मुस्कुरा रही थी और सूरजतारीफ पर तारीफ किया जा रहा था,,,)
तुम मुझे जाने के लिए कही थी लेकिन मैं भला कैसे जा सकता था तुम्हें यहां पर अकेला छोड़ कर और वह भी ऐसे माहौल में जबकि हम दोनों मिलकर साथ में कपड़े धो रहे थे,,, सच गौरी जब तुम अपने हाथों से एक-एक करके अपने बदन पर से कपड़े उतार कर नंगी हो रही थी कसम से उस समय का दृश्य देखने लायक था दुनिया में इस तरह का नजारा शायद कोई नहीं देखा होगा जब एक लड़की एक लड़के के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होती है मैं पेड़ के पीछे छुप कर सब कुछ देख रहा था तुम्हारा सलवार की डोरी खोलना सलवार उतारना कुर्ती उतारना तुम्हारी नंगी गांड देखकर तो मेरी हालत खराब हो गई थी तुम्हारी गांड भी कितनी खूबसूरत है गौरी,,,(लेटे हुए ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर गौरी की गांड पर रखते हुए और से हल्के हल्के से लाते हुए ऐसा करने से गौरी के तन बदन में झनझनाहट सी दौड़ने लगी थी) मैं तो तुम्हारी गांड को बस देखता ही रह गया एकदम सुगठित सुडौल है,,, सच कहूं तो तुम्हारी खूबसूरती की परिभाषा तुम्हारी गांड खुद है,,, कोई अगर तुम्हारे चेहरे को ना भी देखें और तुम्हारी गांड को भले ही सलवार में कैद हो उसकी उन्नत उभार को देखकर ही सही अंदाजा लगा लेगा कि गांड इतनी खूबसूरत है तो तुम कितनी खूबसूरत होगी,,,

सूरज,,ऊमममम, कैसी बातें कर रहे हो मुझे शर्म आ रही है,,,(गौरी शर्म से पानी पानी होते हुए बोली)

क्या गौरी मुझसे शर्म करने की अब कोई जरूरत नहीं है ,,,, तुम मेरी होने वाली बीवी हो,,,(गौरी की उम्र की गांड को अपनी हथेली में लेकर जोर-जोर से दबाते हुए) मुझसे शर्म करोगी तो फिर आगे कैसे काम चलेगा अब तो तुम्हें मेरे सामने रोज अपनी टांगें खोलना है,,,,(गौरी कभी भी इस तरह की बातें नहीं सुनी थी खास करके अपने लिए इसलिए सूरजकी बातें उसे शर्मसार किए जा रही थी ना चाहते हुए भी उसके बदन में अजीब सी झनझनाहट हो रही थी और उसकी बुर से एक बार फिर से मदन रस टपकने लगा था,,,, फिर भी वह शंका जताते हुए बोली)

सूरज इस बारे में किसी को पता चल गया तो,,,


अरे किसको पता चलेगा यहां पर तुम्हारे और मेरे सिवा है कौन किसी को पता नहीं चलेगा और किसी को पता भी चल गया तो मैं नहीं डरता वैसे भी तुम्हें मैं अपनी बीवी बनाना चाहता हूं,,,, और तुम तो जानती हो बीवी को दिन-रात चोद सकते हैं,,,

सूरज इस तरह की बातें मत किया करो मुझे बहुत शर्म आती है,,,,,,

और तुम्हारे ईसी शर्माने की वजह से मेरा मन फिर से मचलने लगता है देखो तो सही,,(अपने लंड को हाथ से पकड़ कर ही लाते हुए) मेरा लंड फिर से तैयार हो गया है तुम्हारी बुर में घुसने के लिए,,, अब मैं फिर से तुम्हें चोदने जा रहा हूं,,,,,
(इतना सुनते ही उत्तेजना के मारे गौरी का गला सूखने लगा उसके बदन में कसमसा हाइट बढ़ने लगी क्योंकि सूरजजी इस तरह की बातें कर रहा था उसे लगने लगा था कि कुछ ही देर में सूरजफिर से उसकी बुर में अपना लंड डाल देगा परिवार फिर से उसे पूरी तरह से मस्त कर देगा,,, फिर भी व सूरजसे अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए बोली,,)

सूरज तुम मुझसे सच में शादी करोगे ना,,,,

(इतना सुनते ही सूरजगौरी की तरफ देखकर जोर-जोर से हंसने लगा गौरी को समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस तरह से क्यों हंस रहा है जो मेरी भी मुस्कुरा रही थी लेकिन फिर जोर जोर से हंसते हुए सूरजबोला)

तुम बहुत भोली हो गौरी किसी की भी बात में आ जाती हो,,, मैं तो तुम्हारी बुर को पाने के लिए सिर्फ तुमसे शादी का नाटक कर रहा था तुमसे प्यार का नाटक कर रहा था,,,
(इतना सुनते ही गौरी की आंखें आश्चर्य से चोडी होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि सूरजयह क्या कह रहा है और सूरजअपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।) तुम्हें क्या लगा गौरी में तुम्हारे साथ शादी कर लूंगा,,,, तुम खूबसूरत हो लेकिन इतनी भी खूबसूरत नहीं हो कि मैं तुम्हारे पीछे दीवाना हो जाऊं और तुम से शादी कर लु मेरे लिए तो कहीं मेरा इंतजार कर रही होगी मेरी सपनों की रानी,,, यह सब नाटक तो मैं सिर्फ तुम्हें चोदने के लिए ही किया था तुम्हें पता है जिस दिन से मैं तुम्हें तुम्हारे घर में नंगी नहाते हुए देखा हूं तब से मैं तुम्हारे पीछे पागलों की तरह घूम रहा हूं पता है क्यों सिर्फ तुम्हें चोदने के लिए,,,

हरामजादे यह क्या कह रहा है तू,,,,

मैं सच कह रहा हूं मेरी रानी तेरा नंगा बदन तेरी नंगी गांड तेरी चूची तेरी बुर देखकर मैं उसी दिन से पागल हो गया था इसीलिए तो मैं तुझे पाना चाहता था,,, मेरी ख्वाहिश सिर्फ इतनी थी कि मैं तेरी बुर में अपना लंड डालकर अपनी गर्मी शांत कर सकूं और देख आज मैं अपना सपना सच कर लिया हूं,,,,

क्या कहा तूने हरामजादे नीच तूने मेरे जज्बातों के साथ खेला,,, तू मेरे साथ नाटक करता रहा और मैं तुझ से सच में प्रेम कर बैठी,,,(इतना कहते हैं वह उठ कर बैठ गई वह गुस्से से लाल हुए जा रही थी और गुस्से में उसका खूबसूरत चेहरा और भी ज्यादा गुलाब की तरह चमक रहा था उसकी नंगी चूचियां सांसो की गति के साथ ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखकर सूरजके तन बदन में फिर से आग लग रही थी,,,,) और तूने मेरे प्रेम का यह सिला दिया मेरे जिस्म के साथ खेला मेरी इज्जत के साथ खिलवाड़ किया मैं तुझे कभी नहीं छोडूंगी,,,,

गौरी तू सच में बोलते हुए लेकिन तू खूबसूरत है इसलिए तो तेरे लिए मेरा लंड खड़ा हो जाता है देख फिर से खड़ा हो गया है,,,(अपने लंड को पकड़कर गौरी को दिखाते हुए और जो मेरी उसके लंड की तरफ देखकर अपने मन में यह सोच रही थी क्या कर उसके हाथ में कुल्हाड़ी होती तो इसी समय एक ही बार में उसका लंड काट के गिरा देती) बस एक बार गौरी फिर से मुझे चोदने दे मजा आ जाएगा,,,

हरामजादी सच में तो कितना हारामी है मेरी इज्जत से खिलवाड़ करने के बावजूद भी तो फिर से मेरी इज्जत से खेलना चाहता है,,,

क्या गौरी फिर से पागलों जैसी बात कर रही हो एक बार तुम्हारी बुर में घुस चुका है फिर उसके बाद बार-बार जाए फर्क क्या पड़ेगा तुम्हें भी तो आखिर मजा मिल रहा था तुम भी तो एकदम मस्त हो गई तुम्हें भी तो आनंद आया,,,

मैं तुझे अपना पति मानकर तुझे अपना मान और तन दोनो सौंप दी और तू मेरे साथ खिलवाड़ कर रहा है,,,,

देख गौरी मान जा एक बार फिर से मुझे चोदने दे वरना मैं पूरे गांव में बता दूंगा कि तू चुदवाने के लिए मुझे अपने खेत पर ले गई थी,,,,।
(इतना सुनते ही गौरी की आंखों से आंसुओं की धारा फूट पड़ी वह सूरजके लिए क्या-क्या सपने देखे थे और सूरजने एक ही पल में उसके सपनों को चकनाचूर कर दिया था लेकिन वह गुस्से से लाल पीली हुए जा रही थी और लाल-लाल बड़ी बड़ी आंखें दिखाते हुए बोली)

हरामजादे तू मुझे बदनाम करेगा मुझे बदनाम करने की धमकी देता है अरे मुझे बदनाम करने से पहले मैं अपनी जान दे दूंगी लेकिन उससे पहले मैं तेरी जान ले लूंगी हरामजादे कुत्ते आज मैं तुझे नहीं छोडूंगी,,,
(इतना कहने के साथ ही सु में खड़ी हुई और नग्न अवस्था में ही अपने बदन की स्थिति को देखे भी नहीं सूरजकी तरफ से पड़ने लगी सूरज भी तुरंत खड़ा होकर झोपड़ी से बाहर आ गया और गौरी की तरफ देखकर हंसते हुए इधर-उधर भागने लगा गौरी उसके पीछे-पीछे उसे पकड़ने के लिए दौड़ने लगी अद्भुत नजारा बना हुआ था जिसका आनंद सूरज पूरी तरह से ले रहा था एक लड़की को और भाभी नंगी दौड़ते हुए वह पहली बार देख रहा था तोड़ते हुए गौरी की दोनों नारंगी हवा में उछल रही थी उसके नितंबों का उछाल उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था लेकिन इस समय गौरी को बिलकुल भी होश नहीं था कि वह बिना कपड़ों के दौड़ रही है वह खेत के बीचो-बीच इधर-उधर सूरजके पीछे दौड़ रही थी और सूरजउसे दौड़ा रहा था कभी पेड़ के पीछे तो कभी ट्यूबवेल के पीछे कभी झोपड़ी के चारों तरफ चक्कर लगाने लगता था गौरी उसे पकड़ नहीं पा रही थी हालांकि दौड़ते हुए वह पत्थर उठा उठा कर उसे मार रही थी लेकिन उसे एक भी पत्थर लग नहीं पा रहा था सूरज दौड़ते हुए पीछे देख कर गौरी के नंगे बदन को देखकर मस्त हुआ जा रहा था,,,,, सूरजतब तक इधर-उधर भागता रहा जब तक कि गौरी थक कर चूर ना हो गई हो और पूरी तरह से नंगी थी लेकिन गुस्से में उसे इस बात का अहसास तक नहीं हो रहा था कि वह इस तरह से नंगी भाग रही है और वह भी एक नंगे जवान लड़की के पीछे अगर यह नजारा कोई और देख ले तो उसके मन में तरह-तरह के सवाल पैदा हो जाए,,,,।

जब सूरजको लगा कि गौरी एकदम थक चुकी है तो वह एकदम से रुक गया और चुनरी सीधे आकर उसके सीने से आकर लग गई और इसी मौके का फायदा उठाते हुए सूरजसे अपनी बाहों में भर लिया,,,।

छोड़ हरामजादे छोड़ मुझे कुत्ते कमीने तेरे जैसा नीच इंसान मैंने आज तक नहीं देखी छोड़ मुझे आज तेरी खेर नहीं है या तो तू नहीं या तो मैं नहीं,,,,

क्या कर लोगी मेरा,,,
(एकदम शांत स्वर में सूरज बोला और गौरी अपने साथ हुए अन्याय के चलते रोने लगी एकदम से टूट गई थी उसे रोता हुआ देखकर सूरजसे रहा नहीं गया और वह तुरंत उसे चुप कराते हुए बोला,,,)

अरे अरे यह क्या तुम रोने लगी अरे पगली मैं तो मजाक कर रहा था,,,,(सूरजकी बात पर उसे विश्वास नहीं हो रहा था वह रोए जा रही थी) अरे सच में पगली मैं मजाक कर रहा था,,, तुम्हें अपनी बीवी बनाने का सपना में उसी दिन से देख रहा जिस दिन से मैं तुम्हें पहली बार नहाते हुए देखा था अभी जो कुछ भी मैंने कहा वह तो तुम्हें गुस्सा दिलाने के लिए कहा था मैं देखना चाहता था कि तुम किस हद तक जा सकती हो लेकिन तुम बहुत अच्छी हो तुम बहुत हिम्मत वाली हो और मुझे ऐसी ही बीवी चाहिए थी,,,,
(इतना सुनकर गौरी आश्चर्य से सूरजकी तरफ देखने लगी और बोली)

नहीं तुम झूठ बोल रहे हो तुम्हें सिर्फ मेरा बदन चाहिए था,,,

हां वह तो चाहिए था लेकिन शादी करने के बाद लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं पाया जब तुम्हें आज कपड़े उतारते हुए नंगी देखा तो मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया जैसा कि अभी भी खड़ा हो रहा है,,,,(इतना सुनते ही गौरी जिज्ञासा बस नीचे नजर करके देखे तो सच में सूरजका लंड खड़ा हो चुका था और उसकी बुर पर दस्तक दे रहा था यह नजारा देखते ही गौरी के भी तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी) मैं तुम्हें सच में बहुत प्यार करता हूं गौरी अपनी जान से भी ज्यादा,,,

सच सूरजतुम मुझे धोखा तो नहीं दोगे ना,,,

मां कसम,,,,, मरते दम तक मैं तुम्हें कभी धोखा नहीं दूंगा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सूरज अपने प्यासे होठों को गौरी के लाल-लाल होठों पर रखकर उसके रसपान करने लगा दो पल भर में ही उत्तेजित होने लगे सूरजअपनी दोनों हथेली को गौरी की सुगठित गांड पर रखकर दबाना शुरू कर दिया गौरी भी उत्तेजित होने लगी थी सूरजउसे चोदने की तैयारी करने लगा था वह एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को पकड़ कर उसकी बुर की दरार में ऊपर नीचे करके रगड़ रहा था यह देखकर गौरी बोली,,)

नहीं सूरज अब नहीं,,,

ऐसे कैसे नहीं मेरा मन थोड़ी भरने वाला है,,,
(मन तो गौरी का भी बहुत कर रहा था लेकिन इस तरह से खुले में उसे डर लग रहा था इसलिए वह बोली)

तो यहां नहीं चलो फिर से झोपड़ी में,,,

नहीं मेरी रानी अब तो तुम्हें यही चोदूंगा,,,,

नहीं नहीं सूरज ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,

अरे अब मेरा मन थोड़ी मानने वाला है,,,
(इतना कहने के साथ ही सूरज गौरी की कमर पकड़कर घुमा दिया और उसे ट्यूबवेल की दीवाल पकड़कर झुकने के लिए बोला गौरी का भी मन बहुत कर रहा था सूरजके लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए इसलिए ना चाहते हुए भी सूरजकी बात मानते हुए वह झुक गई और सूरज उसकी कमर पकड़ कर उसकी गांड को थोड़ा और ऊपर उठा दिया अब गौरी की गांड का वह छोटा सा मंजू छेंद सूरजकी आंखों के ठीक सामने था,,, जिसमें से मदन रस टपक रहा था यह देखकर सूरजके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया सूरजका लंड पूरी तरह से तैयार हो चुका था और सूरजतुरंत अपने लंड को पकड़कर गौरी के मंजू छेंद से सटा दिया,,, एक बार फिर से सूरजके गरम लंड के सुपाड़े को अपनी बुर पर महसूस करके गौरी गनगना गई,,,, सूरजएक झटके में ही अपने पूरे लंड को गौरी की बुर में अंदर तक डाल दिया एक हल्की सी चीख गौरी के मुंह से निकली और सब कुछ शांत हो गया,,,, एक बार फिर से गौरी पूरी तरह से मत हो सो चुकी थी सूरजउसकी कमर पकड़कर धक्के लगाना शुरू कर दिया था खुले आसमान के नीचे खेतों के बीच चुदाई करने का अपना एक अलग मजा था जिसका आनंद दोनों इस समय ले रहे थे देखते ही देखते सूरजकी कमर रफ्तार से आगे पीछे होने लगी गौरी मदहोश हो जा रहे थे जिंदगी में पहली बार इस तरह से चुदाई का मजा ले रही थी और एक ही दिन में दो दो बार इसलिए वह पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ गए,,, कुछ देर बाद दोनों जब शांत हुए तो गौरी फिर से नहाने लगी क्योंकि झोपड़ी के अंदर हूं धूल मिट्टी लग चुकी थी वह नहा कर फिर से अपने कपड़े पहन लिए और तब तक कपड़े भी सूख चुके थे वह कपड़ों को लेकर फिर से घर की तरफ जाने लगी पीछे-पीछे सूरजकी जाने लगा लेकिन गांव का मोड़ आने पर सूरजदूसरी तरफ चला गया था कि किसी को शक ना हो,,,,।

सूरजको अभी तक दोबारा अपनी मामीको चोदने का मौका नहीं मिला था वह तूफानी बारिश में जी भर कर अपनी मामीकी चुदाई किया था और घर पर आकर जब उसके मामाजी और उसकी मौसीघर पर नहीं थी तब मौके का फायदा उठाता हुआ अपनी मामीकी चुदाई किया था लेकिन उसके बाद से उसे मौका नहीं मिला था और ना ही रूपाली को ही मौका मिला था दोनों एक दूसरे के संसर्ग के लिए तड़प रहे थे क्योंकि रूपालीअब समझ चुकी थी कि मर्दाना ताकत किसे कहते हैं वह अपने भांजे से जी भर कर चुदवाने के बाद अपने भांजे के लंड की दीवानी हो गई थी,,,,, अब उसे अपने पति से चुदवाने में इतना मजा नहीं आता था क्योंकि उसकी बुर में उसके भांजे के लंड का सांचा जो बन गया था,,,,।

नामदेवराय के गहरे राज का राजदार बनने के बाद से सूरजकी किस्मत जोरों पर थी उसके अनाज के गोदाम का सारा काम सूरजको ही संभालने को मिल गया था जिससे आमदनी उसकी अच्छी होने लगी थी गोदाम पर जाकर सूरज,, दूसरे बैल गाड़ियों में अनाज का बोरा भरवा ता था और उन्हें गंतव्य स्थान तक पहुंचाने का हिदायत दे देता था कुछ बैलगाड़ी से तो रेलवे स्टेशन अनाज उतरता था और उसमें रेलगाड़ी में डालकर दूसरे शहर भेजा जाता था इसी तरह से लाला का कारोबार चलता था ऐसे ही 1 दिन सूरज गोदाम पर अनाज के बोरे भरवा रहा था और तभी गोदाम में काम करने वाला एक मजदूर जोर जोर से चिल्लाता हुआ आया,,,

मालिक ,,,,मालिक,,,,, ओ मालिक,,,
(वह मजदूर इतना जोर से चिल्लाते हुए आया था कि सब लोग उसी को ही देख रहे थे यहां तक कि नामदेवराय भी एकदम गुस्से में आकर जोर से चिल्लाते हुए बोला)

क्या हो गया है जो मालिक मालिक चिल्ला रहा है कुछ आगे बोलेगा भी,,,

अरे मालिक,,,,, जमीदार बीटू सिंह आ रहे हैं,,,।
(इतना सुनना था कि नामदेवराय के तो पसीने छूटने लगे एकदम परेशान नजर आने लगा और अपनी जगह से खड़ा होते हुए बोला)
बीटू सिंह,,,,
(सूरजयह देखकर हैरान था कि बीटू सिंह ऐसी कौन सी बला है कि जिसका नाम सुनकर नामदेवराय के पसीने छूट रहे थे)
 
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नामदेवराय की हालत को देखकर खुद सूरजसोच में पड़ गया था वही नामदेवराय की हालत पर हैरान था उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिरकार यह बीटू सिंह है कौन जिसका नाम सुनते ही नामदेवराय की हालत खराब हो गई,,,। यही जानने के लिए सूरज वही एक कोने में जाकर खड़ा हो गया और सब कुछ अपनी आंखों से देखने लगा,,, नामदेवराय अपनी जगह से खड़ा हो गया था उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी और दूर से घोड़ों की टॉप की आवाज सुनाई दे रही थी,,,,,।

देखते ही देखते घोड़ा गाड़ी और साथ में 2 घुड़सवार जिनके कंधों पर दो नाली वाली बंदूक टंगी हुई थी वह दोनों घोड़े पर से पहले उतरे और घोड़ा गाड़ी के करीब जाकर खड़े हो गए ,,, थोड़ी ही देर में बीटू सिंह नीचे उतरा,,, तकरीबन 6 फुट का हट्टा कट्टा चौड़ी छाती वाला आदमी देख कर ही कोई भी समझ जाएगी यह जमीदार ही हैं,,, उसका व्यक्तित्व था ही उस लायक,,, बड़ी-बड़ी मूछें उम्र तकरीबन 45 के करीब फिर भी अपने कद घाटी के हिसाब से 35 साल का ही नजर आता था,,,,,,, बीटू सिंह घोड़ा गाड़ी से नीचे उतरा ही था कि खुद नामदेवराय अपनी जगह से दौड़ता हुआ उसके करीब गया और हाथ जोड़ते हुए उसका अभिवादन करते हुए बोला,,,।

अरे बीटू सिंह आपने क्यों कष्ट उठाया खबर भिजवा दीए होते तो मैं खुद चला आता,,,,,,


वह तो मैं देख ही रहा हूं नामदेवराय,,,, पर तुम भी अच्छी तरह से जानते हो कि समय भी पूरा हो गया है लेकिन तुम्हारी कोई खोज खबर नहीं मिल रही थी तो हमें खुद आना पड़ा,,,,,

अरे बीटू साहब,,,(अपने चारों तरफ नजर घुमामी कर इधर-उधर देखते हुए) यहां बड़ी धुप है,,चलो हवेली पर चलकर बात करते हैं,,,,,,
(इतना कहने के साथ ही नामदेवराय भी बीटू सिंह की घोड़ा गाड़ी में उसके साथ बैठ गया और वह लोग नामदेवराय की हवेली की तरफ निकल गए,,,, लेकिन जाते-जाते सूरजको अच्छे से काम देखने के लिए बोल कर गया था इसलिए बाकी का काम सूरजने वही खड़े-खड़े सबसे करवाया लेकिन वह सोच में पड़ गया थी आखिरकार यह बीटू सिंह है कौन सी बला और किस समय की बात कर रहा था यह सब सूरजके सोच के परे था लेकिन सूरजको हैरान कर देने वाला था क्योंकि वह अभी तक यही सोच रहा था कि नामदेवराय ही पूरे गांव का मुखिया और रुबाबदार पैसे वाला इंसान है लेकिन यहां तो शेर को सवा शेर मिल गया था,,, फिर आ जाओ अपने मन में सोचा अपने कोई से क्या मतलब नामदेवराय जाने उसका काम जाने और यह सोचकर वह सारे काम करा कर वापस घर लौट आया,,,, रूपाली अपने भांजे के साथ चुदाई का असीम सुख पाकर अपने भांजे के लंड के लिए तड़प रही थी वह भी मौके की तलाश में ही रहती थी लेकिन उसे किसी भी प्रकार से मौका नहीं मिल पाता था हालांकि एक दो बार घर में कुछ पल के लिए दोनों अकेले मिले जरूर थे लेकिन आगे बढ़ने की हिम्मत रूपाली में बिल्कुल भी नहीं थी वह डर के मारे आगे नहीं बढ़ पाई और सूरज पूरी तरह से निश्चिंत हो चुका था क्योंकि वह जानता था कि वह जब चाहे मौका मिलते ही अपनी मामी की चुदाई कर सकता है और जो सुख उसे अपनी मामी की बुर से मिला था वह सुख उसे आज तक किसी की भी बुर से नहीं मिल पाया था,,,,,

ऐसे ही 1 दिन घर में काम कुछ ज्यादा था गेहूं की सफाई भी करनी थी और खेतों में काम भी था खाना बनाते समय रूपाली अपने मन में कुछ सोच रही थी तभी वह गुलाबी से बोली,,,।

गुलाबी,,

जी भाभी,,,

ऐसा करना कि तुम खाना खा लेने के बाद गेहूं की सफाई कर लेना और मैं खेतों में काम कर लूंगी क्योंकि खेत में काम करना भी बहुत जरूरी है,,,

जी भाभी मैं गेहूं साफ कर लूंगी,,,
(इतना कहना था कि तभी वहां पर सूरज भी आ धमका और उसे देखकर रूपाली की बुर फुदकने लगी,,,,, आते ही सूरज अपनी मामी से बोला,,,)

मामी खाना तैयार हो गया क्या,,,,(सूरज अपनी मामी के बेहद करीब जाकर खड़ा हो गया था जहां से सूरजको अपनी मामी के ब्लाउज में से उसके दोनों खरबूजे साफ नजर आ रहे थे और इस बात का आभास रूपाली को हो गया तो वह बोली)

हां तैयार तो हो गया है लेकिन तुझे खाना क्या है,,,,
(इतना कहते हुए वह सूरज की तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोली) यह तो बता दे,,,,

मुझे तो मामी गरम गरम रोटी बहुत पसंद है और वह भी फूली हुई जब तवे पर गर्म होती है ना तो एकदम फुल जाती है वही रोटी मुझे सबसे ज्यादा पसंद है,,,
(सूरज फूली हुई रोटी की उपमा अपनी मामी की बुर से कर रहा था और इस बात का एहसास रूपाली को हो चुका था इसीलिए उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी और वह अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए बोली)

कभी कभी रोटी फूलती नहीं है तो क्या खाएगा नहीं,,,

तुम बस रोटी को तवे पर रख दो उसे फुलाना मेरा काम है क्योंकि फुलाए बिना ना तो रोटी देखने में अच्छी लगती है और ना ही उससे भूख मिटाने में मजा आता है,,,,

(अपने भांजे की दो अर्थ वाली बातों को सुनकर रूपाली की बुर पानी पानी हो रही थी,,, गुलाबी को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि मामी भांजे दोनों दो अर्थ में गंदी बातें कर रहे हैं वह तो अपने काम में बस बोलते क्योंकि उसे इस बात का आभास तक नहीं था कि दोनों मामीमीबेटों के बीच खिचड़ी पक चुकी है,,,,)

तू चिंता मत कर आज तुझे मालपुआ खिलाऊंगी और वह भी रस टपकता हुआ,,,

वाह क्या बात है मामी तुमने तो मेरी भूख (गुलाबी से नजर बचाकर पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए) बढ़ा दी,,,(अपने भांजे को इस तरह की हरकत करता हुआ देख कर रूपाली एकदम से सिहर उठी,,,, उसकी बुर की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी उसे अपनी बुर में अपने भांजे के लंड देने की चाहत और ज्यादा प्रबलित होने लगी,,, सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) सच कह रही हो ना ना भूल तो नहीं जाओगी,,,

बिल्कुल भी नहीं भूलूंगी लेकिन तुझे खेतों में मेरा हाथ बंटाना पड़ेगा,,,,


मौसी भी चलेंगी खेत पर,,,

नहीं,,,(उत्तेजना के मारे अपने निचले हो तो को दांत से काटते हुए) मैं और तू बस हम दोनों चलेंगे मौसी घर का काम करेंगी,,,
(इतना सुनते ही सूरज का लंड तन गया उसे समझ में आ गया था कि आज उसकी मामी कुछ और सोच कर रखी है सूरजके होठों पर मुस्कान तेरने लगी,,,,)

रुक मैं तुझे खाना निकाल कर देती हूं,,,,,
(रूपाली खाना बनाने बैठी थी और गर्मी की वजह से वह अपनी साड़ी को घुटनो तक उठा कर बैठी हुई थी जिससे सूरज बार-बार उसके साड़ी के अंदर झांकने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह कुछ देख नहीं पा रहा था अपने भांजे की हरकत को रूपाली अच्छी तरह से समझ रही थी और उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी तो सूरजभी मौका देखकर अपनी मौसी से नजर बचाकर अपने हाथ की 2 उंगलियों को बुर की मुद्रा में बनाकर उसे दिखाने के लिए बोल रहा था अपने भांजे की हरकत से रूपाली के तन बदन में आग लगी हुई थी उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी काफी दिन हो गए थे अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लिए इसलिए अपने भांजे की हसरत को देखते हुए वह भी गुलाबी की तरफ देखी तो दूसरी तरफ मुंह करके काम कर रही थी और मौका देखते ही रूपाली तुरंत अपनी साड़ी को थोड़ा सा खोलकर अपने दोनों टांगों को फैला दी और अपने भांजे को अपनी रसीली बुर के दर्शन करा दी अपनी मामी की बुर को देखते ही सूरजसे रहा नहीं गया और वह गहरी सांस लेते हुए कसके पजामे के ऊपर से यह अपने लंड को दबोच लिया,,,,।

बस अब खेत में,,,(रूपाली एकदम से धीमे स्वर में बोली और अपनी मामी की बात सुनते ही उसके तन बदन में खुशी की लहर दौड़ने लगी वह तुरंत वहीं बैठ कर खाना खाने लगा और थोड़ी ही देर में रूपाली भी खाना खा ली और सूरज से पहले ही खेत में चली गई और सूरजको आने के लिए बोली थी ,,,,,,, थोड़ी देर में गुलाबी खाना खाकर घर के काम में लग गई तो मौका देखकर सूरजभी खेत की तरफ निकल गया,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी खेतों के बीचो बीच में काम कर रही होगी जहां पर छोटी सी झोपड़ी बनी हुई है और देखते ही देखते सूरजउस जगह पर दबे पांव पहुंच गया वह देखना चाहता था कि उसकी मामी कर क्या रही है,,,,,,,, सूरज समय से थोड़ा जल्दी ही खेत पर पहुंच गया था और रूपाली थोड़ा बहुत काम करके उसे बड़े जरूर की पेशाब लगे हुई थी और वह घनी झाड़ियों के बीच धीरे-धीरे जा रही थी तभी सूरजकी नजर अपनी मामी पर पड़ गई और वह दबे पांव उसके पीछे-पीछे नजर बचाकर जाने लगा वह देखना चाहता था कि उसकी मामी क्या करती है,,,, वैसे तो वहां अपनी मामी के साथ आप कुछ भी कर सकता था लेकिन उसकी हार एक क्रिया उसकी हरकत सूरजके तन बदन में आग लगा देती थी और वही देखने के लिए उत्सुक भी था क्योंकि जिस तरफ उसकी मामी जा रही थी उसे अंदेशा हो रहा था कि उसकी मामी पेशाब करने जा रही है और ऐसा ना जा रहा हूं अपनी आंखों से कैसे जाने दे सकता था देखते ही देखते हो ठीक है अपनी मामी के पीछे एक पड़े से पेड़ के पीछे छुप गया जैसा कि झुमरी को नंगी देखने के लिए किया था,,,


रूपाली को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए वह तुरंत अपनी साड़ी को अपनी कमर तक उठा दे और एक बार फिर से सूरजकी आंखों के सामने उसकी उत्तेजना बढ़ा देने वाला उसका सबसे पसंदीदा अंग उसकी मामी की बड़ी बड़ी गांड नजर आने लगी और वह भी एकदम नंगी,,,, रूपाली को बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए साड़ी उठाने के साथ ही वह तुरंत नीचे बैठ गई और पेशाब करना शुरू कर दी है नजारा देखकर सूरजके दिलों दिमामीग पर बद‌हवासी और मदहोशी छाने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, सूरज पेड़ के पीछे छुप कर अपनी मामी की गोल गोल चिकनी गांड को देख रहा था जो कि कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आ रही थी और पेशाब करने की वजह से उसकी बुर से निकल रही सीटी की आवाज पूरे वातावरण को अपनी रूपाली ध्वनि में डूबा दे रही थी उस सीटी की आवाज को सुनकर सूरज से रहा नहीं गया और वह धीरे से पेड़ के पीछे से निकलकर ठीक है

अपनी मामी के पीछे खड़ा होकर बोला,,,।

क्या मामी अकेले अकेले मुत रही हो मुझे भी तो साथ ले ली होती,,,।
(अपने पीछे से आ रही आवाज को सुनकर पल भर के लिए रूपाली एकदम से चूक गए लेकिन जैसे उसे इस बात का आभास हुआ कि उसका भांजा उसके ठीक पीछे खड़ा है तब जाकर उसे राहत हुई लेकिन अपने भांजे के सामने खड़ी दोपहरी में दिन के उजाले में इस तरह से पेशाब करने में उसे बहुत शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह धीरे से बोली,,,,)

इसके लिए भी किसी को आमंत्रण दिया जाता है क्या,,,,।

(इतना सुनते ही सूरजसे रहा नहीं गया उसे भी जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी और वह भी पजामे को घुटनो तक नीचे खींच कर अपनी मामी की तरह ही बैठ गया यह देख कर रूपाली के तन बदन में आग लग गई क्योंकि वह औरतों की तरह बैठकर पेशाब करने जा रहा था और यह नजारा देखना उसके लिए भी किसी अद्भुत नजारे से कम नहीं था वह अपनी नजरों को हटा नहीं पाई और वहां अपनी नजरों को थोड़ा सा आगे की तरफ झुक कर अपने भांजे की दोनों टांगों के बीच देखने लगी जैसे कि एक मर्द एक औरत की दोनों टांगों के बीच देखता है,,, अपनी मामी की उत्सुकता के बीच सूरज मुतना शुरू कर दिया,,,, उसके लंड से पेशाब की धार दूर तक जा रही थी जहां तक कि उसकी मामी की पेशाब की धार नहीं पहुंच पा रही थी,,,,, और पेशाब की धार को और दूर मारते हुए बेशर्मी की हद पार करते हुए सूरज अपनी मामी से बोला,,,)

देखी मामी मेरे लंड की ताकत,,, तुमसे दूर तक मुत रहा हूं,,,

तू मेरे से दूर तक मुतेगा ही ना तेरा लंड भी तो पाइप की तरह है और मेरे पास क्या है एक छोटा सा छेद है जिसमें से कितनी दूर तक जाएगा,,,,
(रूपाली भी एकदम रंगीन होती जा रही थी उसके शब्द उसकी बातें भी अश्लील होती जा रही थी और उसके मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर सूरजपूरी तरह से मस्त वाला हुआ जा रहा था और वह अपना हाथ अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच उसकी बुर पर रखते हुए बोला,,)

सच में मामी तुम्हारी चिकनी बुर से ज्यादा दूर तक पेशाब नहीं जा सकता,,,, और तुम चाहोगी तो भी नहीं कर सकती,,,(इतना कहते हैं सूरज अपनी मामी की गुलाबी छेद पर अपनी हथेली को रगड़ रहा था और उसकी हरकत रूपाली के तन बदन में उत्तेजना की लहर पैदा कर रही थी वह पूरी तरह से चुदवासी हुए जा रही थी,,,, उत्तेजना के मामीरे रूपाली का गला सूखने लगा था और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) मेरे लंड को पकड़ कर थोड़ा सा और ऊपर उठाओ देखो कितनी दूर तक जाता है,,,.
(सूरज अपनी कामुक मदहोश कर देने वाली बातों से अपनी हरकतों से अपनी मामी को पूरी तरह से चुदवासी कर दिया था उसके बदन में उत्तेजना भर दिया था,,, एक तरह से अपने भांजे की गुलाम बन चुकी थी और उसकी बात मानते हुए तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपने भांजे के खड़े लंड को पकड़े दी काफी दिनों बाद वह अपने भांजे के लंड को पकड़ रही थी उसकी गर्मी उसे सहन नहीं हो रही थी और उसकी‌ तपन उसे अपनी बुर पर महसूस होने लगी थी,,,, रूपाली अपने भांजे के मोटे और लंबे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके सुपारी को थोड़ा सा ऊपर की तरफ उठा ही और सूरजने फिर से पेशाब करना शुरू कर दिया और पेशाब की धार और ज्यादा दूर तक गिरने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे पौधों को पानी दे रहा हो यह देख कर रूपाली की बुर पानी फेंक रही थी इस तरह का नजारा वह कभी देखी नहीं थी और ना ही इस तरह की हरकत करने की कभी वह सोची थी लेकिन सूरजके चलते वह पूरी तरह से बदहवास हो चुकी थी वह अब अच्छे बुरे के बीच फर्क करना भूल गई थी वह मामी भांजे के बीच के पवित्र देशों के बीच इस तरह के शारीरिक संबंध को अब गलत नहीं समझ रही थी वह एक दूसरे की जरूरत को ही समझ रही थी और इस समय रूपाली को भी जरूरत थी और सूरजको भी एक दूसरे की,,,,,,,।

दोनों मामी भांजे बैठकर पेशाब कर रहे थे,,, रूपाली ने आज तक किसी लड़के को इस तरह से बैठकर पेशाब करते हुए नहीं देखा था लेकिन आज उसे अपने भांजे को इस तरह से पेशाब करते हुए देखकर उसकी बुर पानी-पानी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और वह भी एक दूसरे के अंगों से खेल भी रहे थे,,, सूरज अपनी मामी की बुर को सहला रहा था और रूपाली अपने भांजे के लंड को पकड़ कर हिलाना शुरू कर दी थी,,,,,,, देखते ही देखते दोनों एकदम गर्म होने लगे,, रूपाली की नरम नरम हथेली में सूरज का लंड और भी ज्यादा कड़क होने लगा था और सूरजकी हथेली में बार-बार रूपाली की बुर से पानी के छींटे बाहर निकल रहे थे जो कि उसका मदन रस था और यह मदन रस सूरजके लिए अमृत की धार से कम नहीं था,,,, कड़ी धूप में दोनों बैठे हुए थे झाड़ियों के बीच और चारों तरफ हरे हरे खेत लहरा रहे थे कोई देखना चाहे तो भी किसी को दोनों नजर ना आए इस तरह से यह जगह झाड़ियों से गिरी हुई थी और इसी का फायदा उठाते हुए सूरजऔर रूपाली दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबने लगे थे देखते ही देखते सूरजअपने पैसे होठों पर अपनी मामी के लाल लाल होठों पर करीब ले

जाने लगा और रूपाली भी अपने तपते हुए हो उसको अपने भांजे के होठ से लगाने के लिए आगे बढ़ने लगी और दोनों के हाथ अपनी-अपनी क्रिया कर ही रहे थे,,, और देखते ही देखते दोनों के होंठ कब एक हो गए दोनों को पता ही नहीं चला सूरजपूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मामी के लाल लाल होठों को अपने होठों से लगाकर उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे वह शराब की बोतल को पूरा का पूरा अपने होठों से लगा लिया हो पल भर में उसके तन बदन में नशा छाने लगा था आंखों में खुमारी छाने लगी थी और यही हाल रूपाली का भी था,,, रूपाली कभी सपने में नहीं सोचा थी कि वह अपने भांजे की संगत में इस तरह से निर्लज्ज हो जाएगी कि अपने ही भांजे के साथ रंगरेलियां मनाने पर उतारू हो जाएगी,,, क्योंकि खेत पर बुलाने का उसका ही बहाना था वह अपने भांजे के साथ एक बार फिर से चुदाई का खेल खेलना चाहती थी क्योंकि उससे रहा नहीं जा रहा था अपने पति के साथ अब उसे मजा नहीं आता अपने भांजे के मोटे लंड़की रगड़ उसे अपनी बुर के अंदर फिर से महसूस करना था,,,

सूरज भी अपनी मामी को अपने रंग में रंग लिया था दोनों मामीं-भांजे के सर पर वासना का तूफान छाया हुआ था जो कि अपना असर दिखा रहा था रूपाली अपने लाल-लाल होठों को अपने भांजे के लिए खुल चुकी थी और सूरज अपनी जीभ को अपनी मामी के मुंह में डालकर उसके लार को चाट रहा था,,,, इस तरह के चुंबन का सुख आज तक उसके पति ने नहीं दिया था और ना ही इस तरह से कभी चुंबन किया था लेकिन सूरजउसे एक अद्भुत चुंबन की भाषा सिखा रहा था जिसमें औरत और मर्द दोनों कैसे एक दूसरे में खो जाते हैं सूरजएक तरह से रूपाली के लिए संभोग के अध्याय का शिक्षक था जो उसे नए-नए क्रियाकलापों से अवगत करा रहा था और उन क्रियाकलापों का उसे भरपूर आनंद भी दे रहा था,,,,

देखते ही देखते अपनी मामी की बुर को सहला रही उंगलियों को कब उसने अपनी मामी की बुर में डाल दिया यह रूपाली को पता ही नहीं चला और वह अपनी उंगली को अपनी मामी की बुर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया देखते ही देखते चुंबन में लीन रूपाली के मुख से गरमामी गरम सिसकारियां निकलने लगी चौकी इस समय इस तरह के खुले वातावरण में उन दोनों के सिवा सुनने वाला और कोई नहीं था अपनी मामी की गरमामी गरम सिसकारियों को सुनकर सूरजके तन बदन में आग लग रही थी,,,, रूपाली से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था रूपाली के तन बदन में अकड़न बढ़ने लगी थी ऐसा लग रहा था कि किसी भी वक्त उसकी बुर से पानी का फव्वारा फूट पड़ेगा और इसीलिए वह तुरंत अपनी जगह से खड़ी हुई और अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए ही ठीक अपने भांजे के सामने आ गई उसका भांजा अभी भी पेशाब करने की मुद्रा में बैठा हुआ था और सूरजको समझ पाता इससे पहले ही रूपाली अपने दोनों हाथों से सूरजके बाल को पकड़कर उसके प्यासे होठों को अपनी बुर से सटा ली अपनी मामी की यह कामुक मदहोश कर देने वाली हरकत देखते ही रह चुके तन बदन में आग लग गई और वह तुरंत अपनी जभ को बाहर निकालकर अपने मामी के गुलाबी छेद में डाल दिया और उसकी मलाई को चाटना शुरू कर दिया,,,।


सहहहरह आहहहहह आहहहहहहह सूरज मेरे भांजे पूरी जीभ डालकर चाट,,,,(ऐसा कहते हुए रूपाली पूरी तरह से मदहोश और उत्तेजित होकर अपनी कमर को हिला रही थी और ऐसा करने से सूरज अपनी जगह पर ठीक से बैठ नहीं पा रहा था,,, अपनी मामी की योग्यता भरी उत्तेजना को देखकर सूरजभी अत्यंत उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, और वह तुरंत अपनी स्थिति को बदलते हुए घुटनों के बल बैठकर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया और तुरंत अपने दोनों हाथ को साड़ी में डालते हो अपनी मामी की कमर को थाम लिया और उसकी नरम नरम गांड पर अपनी उंगलियों को रखकर दबाव देते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया और जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को बुर में डालकर चाटना शुरू कर दिया,,,,,।

रूपाली की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसकी गरमामी गरम सांसे तेज होती जा रही थी उसकी सिसकारियां की आवाज से पूरा खेत गूंज रहा था,,, शायद खुलकर इस तरह की गरमामी गरम शिसकारियों का आनंद हुआ खुद पहली बार ले रही थी,,,, इस तरह से खुले खेतों के बीच इस तरह की काम क्रीड़ा के बारे में वह कभी सोची भी नहीं थी और ना ही उसके पति ने कभी इस तरह का मौके का फायदा उठाते हुए उसके साथ इस तरह की काम क्रीड़ा का खेल खेला था लेकिन उसके भांजे ने उसे अद्भुत सूखी देते हुए खेतों के बीचो बीच उसकी बुर चाटते हुए उसे मदहोश कर रहा था,,,, उत्तेजना बस अपने आप ही रूपाली की कमर एक मर्द की भांति आगे पीछे हो रही थी ऐसा लग रहा था कि वह अपने भांजे के मुंह को चोद रही हो बुर से निकला बदन रस की चिपचिपाहट से सूरज का पूरा चेहरा गिला हो चुका था और उसमें से आ रही मादक खुशबू से सूरजके तन बदन में आग लगी हुई,,,, रूपाली इतना ज्यादा उत्तेजित हो जा रही थी कि अपना एक पाव उठाकर अपने भांजे के कंधे पर रख दे रहे थे उसे अपनी बुर से दबा ले रही थी,,, इस तरह की उत्तेजना और काम चेस्टा वह पहले कभी नहीं की थी,,,, उसके जीवन का यह पहला अवसर था जब वह

अपने भांजे के साथ मनमानी कर रही थी,,,,,।

सूरज औरत को खुश करने का हुनर अच्छी तरह से जानता था इसलिए जितना हो सकता था आपने जीभ को उसकी बुर की गहराई में उतार दे रहा था और लगातार अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड को अपनी हथेली में लेकर दबा रहा था,,, मदहोशी भरे आनंद के सागर में गोते लगाते हुए रह-रहकर रूपाली के हाथों से उसकी साड़ी छूट जा रही थी जिससे सूरजपूरी तरह से अपनी मामी के साड़ी के अंदर आ जा रहा था और और उसी स्थिति में रूपाली अपनी कमर हिला कर अपनी भांजे के मुंह को ही चोद रही थी,,,, लेकिन इस तरह से साया के अंदर आ जाने से सूरज को बहुत ज्यादा गर्मी का एहसास होने लगता था वह तो वह खुद ही अपनी मामी की साड़ी उठाकर फिर से कमर तक कर देता था और फिर वापस उसी क्रिया में लग जा रहा था,,,, सूरजअपनी जीभ का करामत दिखाते हुए अपनी मामी को स्वर्ग का सुख दे रहा था इस तरह का सुख की कल्पना कभी रूपाली ने नहीं की थी,,,,,,,,

सूरज और रूपाली दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे क्योंकि दोनों एकदम धूप में खड़े थे लेकिन जिस तरह का शुभ दोनों को मिल रहा था उससे उन दोनों को धूप गर्मी का एहसास बिल्कुल भी नहीं हो रहा था भले ही दोनों का बदन पसीने से भीगा हुआ था आखिरकार दोनों मेहनत भी तो उसी तरह की कर रहे थे इसलिए पसीना बहना लाजमी था,,,, देखते ही देखते रूपाली का बदन अकड़ने लगा उसकी सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी और वह अपने भांजे के बाल को कस के पकड़ कर अपने बुर से उसके होंठ को कच कचा के सटाकर झड़ना शुरू कर दी उसकी बुर से गर्म लावा बाहर निकलने लगा और सूरज बेहद उत्साहित और उत्सुक था वह जीभ लगाकर अपनी मामी की बुर से निकले हुए मदन रस को अमृत की धार समझकर अपने गले के नीचे घटक ने लगा कसैला स्वाद भी उसे रूपाली लग रहा था और देखते ही देखते वह तब तक अपनी मामी की बुर में चिप डालकर जागता रहा जब तक की बुर से निकला पानी साफ नहीं हो गया,,,

रूपाली अभी भी गहरी गहरी सांस लेते हुए अपने भांजे के मुंह पर कमर का झटका मार रही थी,,,,,,, सूरजकी पूरी तरह से मस्त हो चुका था लेकिन वह जानता था यह तो शुरुआत है अभी तो खेतों में काम बहुत बाकी है और वह जानता था कि खेत में इस तरह का काम करने में बहुत मजा आने वाला है,,,।
 

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