Incest गांव की कहानी

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सुधियां काकी के पास अपने बचाव के लिए कोई शब्द नहीं थे और ना कोई बहाना क्योंकि जो कुछ भी इल्जाम सुधियां काकी की बहू उस पर लगा रही थी वह बेबुनियाद नहीं था वह उसका आंखों देखा सच था जिसकी वजह से वह डंके की चोट पर,, गांव की उसी लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी प्यास को बुझाने लगी थी जिस लड़के से उसकी सांस इस उम्र में भी चुदाई का सुख प्राप्त कर रही थी,,
सुधियां काकी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि उसकी बहू ने आज उसके सामने ही उसके बेटे की हकीकत को भी अपने मुंह से उगल दी थी उसके बताए अनुसार उसके बेटे का लंड उंगली जितना था जिसमें बिल्कुल भी दम नहीं था,,,सुधियां काकी अपनी बहू की बात सुनकर यही सोच रही थी कि अगर उसके बताए अनुसार अगर यह बात सच है तो सच में उसके लिए डूब मरने जैसी बात होगी,, और वह अपने मन में सोचने लगी कि ऐसे हालात में तो वहां कभी भी दादी नहीं बन पाएगी,,,,,, सुधियां काकी से अपनी बहू की बातें सुनी नहीं जा रही थी और वही उसकी बहू एक-एक करके उसके कानों में जैसे बम फोड़ रही थी,,,।


मा जी वह तो मैं हूं कितने महीने हो गए फिर भी यहां पर टिकी हुई हो अगर मेरी जगह कोई और औरत होती तो वह कब का तुम्हारा घर छोड़कर हो तुम्हारे बेटे को छोड़कर चली गई होती,,,, मैं पहले कभी ऐसी नहीं थी और ना इस बारे में कभी सोचती थी जैसी भी थी तुम्हारी बेटे के साथ खुश थी भले ही वह मुझे किसी भी प्रकार की खुशी नहीं देता था लेकिन मेरे में बदलाव आया तो सिर्फ तुम्हारी वजह से अगर ना मैं अपनी आंखों से तुम्हारी कामलीला देखी होती और ना ही मेरे मन में भी एक आकांक्षा ने जन्म ली होती,,,,,, मा जी तुम तो उम्र दराज हो दुनिया देखी हो,,,और इस उम्र में पहुंचने के बावजूद भी जब तुम्हें जवान लड़की का मोटा तगड़ा और लंबा लंबा लंड पसंद है तो सोचो मैं तो अभी पूरी तरह से जवान हूं मेरे तो खेलनेखाने के दिन है कब बोलो मैं कैसे तुम्हारे बेटे के छोटे से लंड से खुश होंऊगी,,, मुझे भी तो अरमान है मोटे तगड़े लंबे लंड का जैसा कि सुरज के पास है,,,(आज सुधियां काकी की बहू एकदम बेशर्म होकर अपनी सास के सामने अपने मन की बात बता डाल रही थी और उसे सुनने में सुधियां काकी को जरा भी अतिशयोक्ति महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि जो कुछ भी वह कह रही है उसमें शत-प्रतिशत सच्चाई है,,, सुधियां काकी की बहू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) और जरा सोचो मां जी तुम सुरज को सुरज के साथ शारीरिक संबंध इसलिए बनाई थी कि उसका लंड मोटा तगड़ा और लंबा है और वह मर्दानगी से भरा हुआ है और वही तुम्हें अच्छी तरह से शारीरिक सुख प्रदान करके तुम्हें तृप्त कर सकता है इसीलिए ना अगर उसके पास भी तुम्हारे बेटे जितना लंड होता और उसकी क्षमता ना के बराबर होती तो क्या तुम सुरज के साथ इस तरह की कामलीला को अंजाम देती बिल्कुल भी नहीं देती तुम्हारा मन भी सुरज के मोटे तगड़े लंड पर डोल गया था जैसा कि मेरा मुझे तो बिल्कुल भी नहीं मालूम था कि उसका लंड कैसा है वह तो मैंने अपनी आंखों से तुम्हारी बुर में अंदर-बाहर होता हुआ देखी तब मुझे एहसास हुआ कि वाकई में उसके आगे तुम्हारा बेटा तो कुछ भी नहीं,,, है,,,।


अगर मैं सुरज के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाऊंगी तो ध्यान रख लेना कि तुम कभी भी दादी नहीं बन पाओगी और ना मुझे कभी मां का सुख प्राप्त होगा और ना ही तुम्हारा बेटा बाप बन पाएगा पूरे गांव में थु थु हो जाएगी,,, दो तीन साल बीतने के बाद से ही तुम्हें एहसास होना शुरू हो जाएगा,,, जब गांव की औरतें तुमसे यह पूछेंगे कि तुम अभी तक दादी क्यों नहीं बन पाई तुम्हारी बहू के पांव भारी क्यों नहीं हो रहे हैं कहीं ऐसा तो नहीं तुम्हारे बेटे में कमी है,,, क्या उस समय तुम गांव की औरतों की यह बातें सुन पाओगी अपने बेटे की हो रही बदनामी को अपनी आंखों से देख पाओगी,,, बोलो मा जी बोलो,,,।


बस कर बहु बस कर,,,, मुझसे बिल्कुल भी सुना नहीं जा रहा है,,,(इतना कहकर सुधियां काकी रोने लगी,,, सुधियां काकी रो रही थी उनकी बहू की कहीं हर एक बात उसके कानों में गूंज रही थी सुधियां काकी अपनी बहू की बातों पर विचार विमर्श कर रही थी अपने मन में ही वह सारी धारणाएं बना रही थीवह अपने मन में सोच भी रही थी कि उसकी बहू जो कुछ भी कह रही है वह बिल्कुल सच है,,, दो-तीन साल क्या १ साल शादी के बाद से ही गांव की औरतें पूछना शुरू कर देंगी और ऐसे सुधियां क्या जवाब देगी आखिरकार उसका भी तो मन है पोता पोती खिलाने का दादी बनने का,,,, सुधियां काकी अपने मन में यही सब सोच रही थी,,,,, अपनी बहू के बताए अनुसार सुधियां काकी अपनी बेटे के लंड के बारे में कल्पना करने लगे अगर वाकई में सुरज के लंड के आगे उसके बेटे का लंड कुछ भी नहीं है तो वह कैसा होगा यह सोचकर ही वह हैरान हो गई,,, एक औरत होने के नाते औरत के मन की वास्तविकता को उसकी जरूरत को सुधियां काकी अच्छी तरह से समझती थी अगर वाकई में उसके बेटे का लंड उंगली के बराबर है तो वह किसी भी औरत को संतुष्ट करने के काबिल बिल्कुल भी नहीं है ऐसे आदमी के साथ औरत की जिंदगी नरक के समान हो जाती है इस बात का एहसास सुधियां काकी को अच्छी तरह से था,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि उसका बेटा उसकी बहू को बिल्कुल भी सुख और संतुष्टि प्रदान नहीं कर पाता होगा ऐसे में उसका बहक जाना लाजमी था,,,सुधियां काकी फिर अपने मन में यही सोचने लगी कि लेकिन जो कुछ भी हुआ उसकी जिम्मेदार वह खुद है वह अपनी प्यास बुझाने में इतनी मशहूर हो गई कि कमरे का दरवाजा या खिड़की बंद करना ही भूल गई वह यह भी भूल गई थी उसकी बहू किसी भी वक्त घर पर आ सकती है लेकिन सुरज के मोटे तगड़े लंड से चोदने की प्यास के आगे वह सब कुछ भूल गए और उसकी बहू अपनी आंखों से सब कुछ देख ली,,, अगर वह अपनी आंखों से सब कुछ ना देखी होती तो शायद उसकी हिम्मत इतनी आगे ना बढ़ गई होती की वह शौच करने के बहाने सुरज के साथ खुले खेत में चुदवाती,,,, सुधियां काकी का बुत बनी में यही सब सोच भी रही थी और रो भी रही थी उसकी बहू खड़ी होकर अपनी सास को रोते हुए देख रही थी उसे अपनी सास पर दया रही थी वह भी जानती थी कि एक औरत होने के नाते उसकी भी कुछ जरूरते हैं,,,, वह धीरे से अपने सास के पास कहीं और उसके कदमों में बैठकर अपनी सास की दोनों टांगों को पकड़कर अपनी सास को समझाते हुए बोली,,,।


रहमत मा जी मैं जानती हूं जो कुछ भी होगा उसने तुम्हारी गलती बिल्कुल भी नहीं है एक औरत को जिस तरह से भूख लगती है खाने के लिए भोजन ग्रहण करने के लिए उसी तरह से एक औरत को धमकी भी भूख लगती है तन की भी प्यास लगती है जिसे मिटाने के लिए अपनी प्यास बुझाने के लिए उसे यह काम करना ही होता है,,,, घर में या घर के बाहर चोरी चुपके औरत के कदम डगमगा ही जाते हैं तुमने भी वही की इससे मुझे कोई एतराज नहीं है,,,, लेकिन तुम्हें भी मेरी जरूरतों के बारे में समझना चाहिए सोचो अगर तुम्हारा बेटा मुझे मां नहीं बना सका तो इसमें बदनामी किसकी है तुम्हारी और तुम्हारे बेटे की लेकिन अगर मैं सुरज के साथ संबंध बना कर,,,पेट से हो गई और मां बनते ही तो इसमें तुम्हारा ही सर ऊंचा रहेगा और तुम्हारे बेटे की बदनामी भी नहीं होगी,,,और सुरज के बारे में तो तुम अच्छी तरह से जानती हो भले ही औरतों के मामले में उसका नाड़ा ढीला है लेकिन वह‌ यह बात किसी को कहेगा नहीं,,,, जिससे हम दोनों का ही फायदा है,,,(सुधियां काकी की बहू चालाकी दिखाते हुए अपनी सास को आगे भी सुरज के साथ संबंध बनाते हुए चुदाई का सुख प्राप्त करने का रास्ता खोज रहे थे और उसे ऐसा लग भी रहा था कि उसे शायद उसकी मंजिल मिल गई है,, उसकी सास की तरफ से उसे मायूस नहीं होना पड़ेगा वह इस बात को अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि वह जानती थी कि उसकी सास भी सुरज से चुदवाए बिना नहीं रह सकती ऐसे में सास बहू दोनों का काम होना लाजमी था,,,, अपने आंसुओं को पोछते हुए अपनी बहू की बात सुनकर सुधियां काकी बोली,,,)

क्या उसने तुम्हें बताया कि वह मेरे साथ भी संबंध बनाता है,,,

नहीं मा जी बिल्कुल भी नहीं उसने। तुम्हारे बारे में मुझसे कोई जिक्र भी नहीं किया है इसीलिए तो मैं कहती हूं कि उसके साथ यह रिश्ता कायम करने में हम दोनों का फायदा है और सुरक्षित भी है,,,।

फिर तेरे साथ सुरज कैसे चालू हो गया,,,

माजी अब तुमसे क्या छुपाना अब हम दोनों एक दूसरे के राजदार बन चुके हैं इसलिए मैं तुमसे कुछ भी नहीं छुपाऊगी,, जब मैंने तुम्हें और सुरज को तुम्हारा ही कमरे में देखी थी,,, तो तुम दोनों को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देखकर पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया था लेकिन जिस तरह से तुम मजा ले रही थी तुम्हारे मुंह से आग्रह ऊहहहह की आवाज आ रही थी यह सब सुनकर मेरी हालत खराब होने लगी,,,मैं तुम दोनों को रंगे हाथ पकड़ लेना चाहती थी लेकिन सुरज जिस तरह से धक्का लगा रहा था उसे देखकर तो मेरे होश उड़ गए उसी समय में अपने मन में ठान ली थी कि सुरज के साथ संबंध बनाकर रहूंगी और इसके लिए मैंने,,,, धमकी देने का मन बना ली थी,,,

कैसी धमकी,,,

यही कि मैंने तुम दोनों को चुदाई करते हुए देख ली हूं और यह बात मैं उसकी मामी से बता दूंगी,,,

फिर,,


फिर क्या मुझे ऐसा करने की जरूरत ही नहीं पड़ी वह तो खुद मेरी जवानी पर एकदम फिसल गया और मेरे साथ खुद ही आगे चलकर वह संबंध बना लिया,,,


खेत में तुम लेकर गई थी उसे,,,

नहीं मा जी मैं तो खेत में शौच करने के लिए जा रही थी वही मेरे पीछे पीछे आ गया और झाड़ियों के पीछे मेरे साथ चुदाई करने लगा,,,,।


देख सब कुछ तो ठीक है लेकिन इस बारे में गांव वालों को भनक नहीं लगनी चाहिए वरना हम लोगों की बदनामी हो जाएगी,,,,।


तुम बिल्कुल की चिंता मत करो मां जी मुझे अपनी इज्जत और परिवार की इज्जत का बहुत अच्छे से ख्याल है किसी को कानों कान भनक तक नहीं लगेगी और हां तुम्हारे लिए मेरी तरफ से बिल्कुल छुट है मैं जानती हूं तुम्हें तेज धक्के पसंद है,,,(इतना कहकर सुधियां काकी की बहू हंसने लगी और सुधियां काकी भी अपनी हंसी नहीं रोक पाए उसे इस बात की खुशी थी कि अच्छा हुआ कि यह राज उसकी बहू के सामने खुल गया और दोनों एक दूसरे के राजदार हो गए अब वह सुरज के साथ जब चाहे तब संबंध बना सकती थी,,,)



दूसरी तरफ रूपाली के दिलों दिमाग पर उसका भांजा छाया हुआ था,,, उसकी कामुक हरकत की वजह से जिस तरह से वह पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उस पल को याद करके उसकी बुर से कभी भी पानी निकल जा रहा था,,,, इसमें रूपाली की गलती बिल्कुल भी नहीं थी वह पल ही कुछ ऐसा था कि रूपाली पूरी तरह से अपने काबू में बिल्कुल भी नहीं थी और वह अपने भांजे की आगोश में खोती चली जा रही थी,,,अगर ऐन मौके पर उसे होश ना आया होता तो शायद उसके भांजे का लंड उसकी बुर की गहराई नाप रहा होता और वह तब अपने भांजे को नहीं रोक पाती क्योंकि अपनी गदराई गांड पर वह अपने भांजे के लंड की चुभन को महसूस करके इतना तो समझ ही गई थी कि उसके भांजे का लंड,,,कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा है उसने अभी तक अपनी आंखों से देखी नहीं थी लेकिन उसका एहसास उसे अंदर तक झकझोर कर रख दिया था,,,, लेकिन एक औरत होने के नाते उसे अपने भांजे की हरकत बिल्कुल भी पसंद नहीं थी अगर एक औरत होने के नाते वह अपने भांजे की हरकत के बारे में सोचती तो वह अपने भांजे की हरकत का पूरा आनंद लेते हुए उसे आगे बढ़ने की इजाजत दे देती लेकिन वह एक माथे और अपने भांजे को अपने ही साथ इस तरह के अनैतिक रिश्ते में आगे बढ़ने नहीं देना चाहती थी वह किसी भी तरह से अपने भांजे को समझाना चाहती थी,, पवित्र रिश्ता के बीच मर्यादा की डोरी को टूटने नहीं देना चाहती थी दोनों के बीच संस्कार की जो पतली परत थी उसमें छेद नहीं होने देना चाहती थी इसलिए अपना मन बना ली थी कि किसी भी तरह से अपने भांजे को समझ आएगी और इस तरह के पाप ना करने देने से उसे बचाएगी,,,, लेकिन घर पर अपने भांजे को इस बारे में समझाना मुमकिन नहीं था इसलिए वह उसे खेत में काम करने के बहाने ले जाना चाहती थी जहां पर वह उसके और उसके भांजे के बीच किस प्रकार का रिश्ता है उस बारे में भली-भांति समझाना चाहती थी,,,,।

इसलिए दूसरे दिन खेतों पर काम करने का बहाना देकर रूपाली सुरज को अपने साथ खेतों पर ले गई,,, रास्ते भर दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी रूपाली अपने मन में यही सोच रही थी कि कैसे वह बात की शुरुआत करें आखिरकार वह एक औरत थी और वह अपने ही भांजे से एक औरत और मर्द के बीच के संबंध के बारे में कैसे बात कर सकती थी,,, लेकिन शुरुआत तो उसे करनी ही थी ,,, यही सब सोचते हुए रूपाली ऊंची नीची पगडंडियों से अपने खूबसूरत नाजुक पैरों को इधर-उधर रखकर आगे बढ़ती चली जा रही थी और उसके इस तरह से चलने से उसकी बड़ी-बड़ी गदराई गांड में जिस तरह की थिरकन हो रही थी उसे देखकर सुरज के मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ रहा था,,,, अपनी मामी की मटकती हुई गांड देखकर सुरज के होश उड़ रहे थेएक तो रूपाली की आदत ही थी कि वह साड़ी को अपनी कमर से कसकर बांध दी थी जिसकी वजह से कसी हुई साड़ी में उसकी बड़ी बड़ी गांड तरबूज की तरह बाहर निकल कर हाहाकार मचाती थी,,,सुरज का मन तो कर रहा था कि वह आगे बढ़कर अपनी मामी की गांड को दोनों हाथों से थाम ले और साड़ी ऊपर कर के अपना मुंह उसकी गांड की दरार में घुसा दे,,, उसे यकीन था कि उसकी मामी उसे ऐसा करने से बिल्कुल भी नहीं रुकेगी क्योंकि शाम के वक्त दोनों के बीच जिस तरह का कामुकता भरा छेड़छाड़ हुआ था उसे देखते हुए सुरज की हिम्मत बढ़ने लगी थी उसे यकीन हो चला था कि उसकी मामी उसे आगे बढ़ने से बिल्कुल भी नहीं रुकेगी क्योंकि वह जानता था कि अगर उसकी मौसी ना आई होती तो उसकी मामी उसके लंड को अपनी बुर में लेने से इनकार नहीं करती और वहां अपनी मंजिल प्राप्त करके कामयाब हो जाता,,, लेकिन आज अपनी मंशा पूरी करने का इरादा बना चुका था,,,,आदमी की हिम्मत तब और ज्यादा बढ़ जाती है जब सामने वाला किसी भी प्रकार का प्रतिकार नहीं करता है और इस समय सुरज के साथ भी यही हो रहा था,,, अपनी मामी की खामोशी उसकी कर्म सांसो को उसकी तरफ से उसका निमंत्रण समझ कर आगे बढ़ना चाहता था इसलिए तो इस समय अपनी मामी की मटकती भी गांड देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,, था पजामे में उसका लंड गदर मचाने को तैयार था,,,,। इस बात से बिल्कुल भी बेखबर रूपाली अपनी धुन में अपने भांजे को समझाने के लिए अपने मन में बहाना सोच रही थी,,,उसे इस बात का आभास बिल्कुल भी नहीं था कि उसका भांजा जो उसके ठीक पीछे चल रहा है उसकी गांड को देखकर उत्तेजित हो रहा है,,,,
अनजाने में ही चलते हुए उसकी नजर पीछे की तरफ गई तो अपने भांजे की नजरों को भांप कर उसकी दोनों टांगों के बीच सिहरन सी दौड़ गई,,,, वह अपने मन में सोचने लगी बाप रे इसे किस तरह से समझाऊंं,, और देखते ही देखते दोनों अपने खेतों में पहुंच गए,,,।
 
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सुरज अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड देखकर ललचाते हुए खेत में पहुंच चुका था,,, शाम के वक्त जो कुछ भी हुआ था उसे देखते हुए सुरज को लगने लगा था कि आज खेत में वह अपनी मामी की चुदाई कर रही लेगा क्योंकि उसकी मामी भी पूरी तरह से राजी थी,,,,,,, खेत में पहुंचने के बाद सुरज अपने खेत के बीचो-बीच खड़ा होकर चारों तरफ देख रहा था खेत में काम करने जैसा कुछ भी नहीं था वह अपने मन में सोचने लगा था कि उसकी मामी जानबूझकर एक बहाने से उसे खेत में काम करने के लिए इधर लाई है यह सोच कर ही उसके मन में लड्डू फूटने लगा,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि उसकी मामी का भी मन है उससे चुदवाने का इसीलिए एक बहाने से यहां पर ले कर आई है,,,लेकिन सुरज अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था वह देखना चाहता था कि उसकी मामी पहल करते हुए क्या करती है,,, कौन सी हरकत करती है,,,, चुदाई में औरतों के पहल का भी एक अपना अलग मजा होता है उसी मजा का आनंद लेना चाहता था राजू,,,, सुरज इस बात से पूरी तरह से आश्वस्त हो चुका था कि आप उसकी मामी उसकी बाहों में है मंजिल दूर नहीं है वह जल्द ही अपनी मामी की दोनों टांगों के बीच पहुंच जाएगा यही सोचता हुआ अपनी मामी से बोला,,,।


यहां कौन सा काम करना है मामी,,,, मुझे नहीं लगता कि खेतों में काम करने की जरूरत है,,,

जरूरत क्यों नहीं है,,,(अपने दोनों हाथों को कमर पर रखते हुए वह जमीदार वाली अंदाज में बोली ऐसा करने से उसकी लाजवाब बड़ी बड़ी छातिया बाहर की तरफ निकल कर सुरज को पूरा का पूरा अपने अंदर निकल जाने की तैयारी में दिखाई दे रही थी,,,, जिस पर नजर पड़ते हैं सुरज के तन बदन में उत्तेजना की तरह दौड़ने लगी क्योंकि सुरज अपनी मामी की नंगी चूचियों को बहुत बार देख चुका था और उसे मालूम था कि उसकी मामी की चूचियां बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी है जो कि उसके ब्लाउज में भी ठीक तरह से समा नहीं पाती हैं,,,,सुरज अपने मन में सोच रहा था कि पता नहीं कैसे उसकी मामी ईतनी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने वश में करके रखती है और उसी चुचियों की वजह से अपने पति को भी पूरी तरह से अपने वश में करके रखी है,,,,अपनी मामी की चूचियों के आकार को देखकर सुरज को इस बात का एहसास हुआ कि वह स्वयं और उसके मामाजी ही क्यों गांव के सभी बूढ़े बड़े उसकी मामी की चुचियों के दीवाने होंगे क्योंकि अपनी कल्पना में अपनी आंखों के पलकों से उसकी मामी के एक एक वस्त्र उतारकर नंगी करते होंगे और उसके नंगे बदन से कल्पना में ही खेलते होंगे,,, अपनी मामी की बात सुनकर सुरज बोला,,,)

तो बताओ ना क्या करना है मामी,,,।


देख नहीं रहा है खेतों में कितनी हरी हरी घास उग‌ आई है इसे उखाड़ना है ताकि इसमें अच्छे से बीज लगाया जा सके,,,,।


हां यह बात तो है,,,,


तो फिर इंतजार किस बात का है उखाड़ना शुरू कर,,,,

(अपनी मामी की बात सुनते ही सुरज किसी भी प्रकार से पहल ना करते हुए घास को उखाड़ना शुरू कर दिया,,,, उसकी मामी सुरज को ही देख रही थी उसे लग रहा था कि खेतों में पहुंचकर सुरज अपनी हरकत करना शुरू कर देगा और वह उसी समय उसे समझाएगी लेकिन यहां तो ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,,, सुरज तू अपने ही काम में लगा हुआ था रूपाली को अपने भांजे की हरकत के बारे में बात करने की शुरुआत करने में भी शर्म महसूस हो रही थी वह अपने मन में सोच रही थी कि आज किसी भी तरह से वह सुरज को अपनी हरकत को आगे ना बढ़ाने के लिए समझाएंगी और यही सोचते हुए रूपाली की खेतों में से घास को उखाड़ना शुरू कर दी,,,, ,,,
सुरज घास को भले ही उखाड़ रहा था लेकिन उसका सारा ध्यान अपने मामी के ऊपर था क्योंकि उसे हर हाल में अपनी मामी को देखना भी उत्तेजित कर देता था,,,, अपनी मामी का कसा हुआ बदन देखकर उसके लंड की अकड़ बढ़ जाती थी,,, कभी-कभी तो उसे अपने मामाजी की किस्मत पर गुस्सा आ जाता था क्योंकि वह सोचता था कि इतनी खूबसूरत औरत है उसके मामाजी के किसी कोने कैसे आ गई क्योंकि उसके मामाजी मरियल से शरीर वाले थे लेकिन इस बात को सुरज अच्छी तरह से जानता था कि जुदाई में उसके मामाजी पीछे बिल्कुल भी नहीं हटते थे तभी तो उसकी मामी टीकी हुई थी वरना ना जाने अब तक गांव के कई मर्दों के सामने अपनी टांग खोल दी होती इस बात को सुरज अपने मन में इसलिए सोच रहा था क्योंकि वह गांव की औरतों की भावनाओं को अच्छी तरह से समझ चुका था क्योंकि धीरे-धीरे वह गांव की कई औरतों की चुदाई कर चुका था जो कि अपने घर में अपने पति से संतुष्ट नहीं थी या तो फिर उन्हें चुदाई का सुख चाहिए,,,, सुरज अपने कमरे के छोटे से छेद से अपनी मामी और अपने मामाजी की कामलीला को अपनी आंखों से कई बार देख चुका था एक भी दिन खाली नहीं जाता था जब दोनों चुदाई नहीं करते थे इसलिए सुरज को इस बात का एहसास था कि उसकी मामी को भी चुदवाए बिना चैन नहीं आता था,,,, अपनी मामी की तरफ देखते हुए सुरज को श्याम की किस्मत पर गर्व होता था कि उसकी किस्मत इतनी अच्छी है कि वह जब चाहे तब अपनी मां की चुदाई कर सकता है और एक वो है,,,

के सिर्फ इंतजार में हैं,,,,।,,, घास को उखाडते हुए सुरज देखना चाहता था कि उसकी मामी के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह अपनी मामी से बोला,,,।


तुम क्यों आई मामी मुझे ही बता दी होती तो मैं कर दिया होता,,,


तेरे अकेले से यह होने वाला नहीं है मेरे बिना तो यह काम नहीं कर सकता था,,,।
(अपनी मामी की बात सुनते ही सुरज को लगने लगा कि कहीं उसकी मामी बातों ही बातों में उसे इशारा तो नहीं दे रही है अपने मन में सोचने लगा कि लगता है उसकी मामी चुदाई के बारे में बात कर रही है क्योंकि वह अकेले से नहीं हो सकता उसमें एक मर्द और औरत की जरूरत होती है,,,, सुरज अपनी मामी की बात सुनकर मन ही मन खुश हो रहा था और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)

अरे मामी बता दी होती तो मैं खुद अकेला ही कर लेता,,,


मैं बोल रही हूं ना तुझसे अकेले नहीं होने वाला और वैसे भी तुझे बता कर भी कोई फायदा नहीं था तो खेत में खड़ा होकर भी पूछ रहा था कि करना क्या है,,,,।

(रूपाली सहजता से औपचारिक बात कर रही थी लेकिन सुरज की आंखों में वासना की पट्टी पड़ी हुई थी इसलिए उसे अपनी मामी की बात भी दो अर्थ वाली लग रही थी,,,,उसे लग रहा था कि जैसे उसकी मामी उसे ही पहल करने के लिए बोल रही थी,,,,सुरज का मन तो कर रहा था कि अपनी मामी को जाकर बाहों में भर दे और उसके होठों पर चुंबन करना शुरू कर दें लेकिन अभी अपने आप को रोक कर रखा हुआ था वह देखना चाहता था कि उसकी मामी अगर शुरुआत करेगी तो कैसे करेगी,,,, इसलिए वह भी सहज होता हुआ बोला,,)


चलो कोई बात नहीं हम दोनों मिलकर अच्छे से खेत का काम कर लेंगे,,,,।

(एक तरफ अपनी मामी के बातों का गलत अर्थ निकाल कर सुरज मन ही मन खुश हो रहा था और दूसरी तरफ रूपाली अपने मन में यही सोच रही थी कि अपने भांजे को समझाने की शुरुआत कैसे करें हालांकि धीरे-धीरे उसकी पैनी नजरें अपने बदन पर घूमती हुई उसे अच्छी लगने लगी थी,,,अपने भांजे की वासना भरी नजरों से उसे इस बात का एहसास होता था कि अभी भी वह पूरी तरह से जवान है और अपनी जवानी से किसी भी जवान लड़के को अपने बस में कर सकती हैं,,, यही सब सोचते सोचते हैं वह घास को काटते हुए कब सुरज के ठीक सामने आ गई उसे पता ही नहीं चला वह सुरज से तकरीबन डेढ़ मीटर की दूरी पर बैठकर घास काट रही थी उसकी पीठ सुरज की तरफ थी,,, जब-जब रूपाली घास काटते हुए आगे की तरफ झुकती थी तब तक उसकी चोडी गांड सुरज की आंखों के सामने हाहाकार मचा दी थी सुरज अपनी मामी का यह रूप देखकर पूरी तरह से पागल हो जा रहा था,,,,उसके आगे की तरफ झुकने की वजह से उसकी गांड की चौड़ाई और ज्यादा बढ़ जा रही थी जिसे देखकर सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी और उसका मन कर रहा था कि आगे बढ़कर अपनी मामी की साड़ी कमर तक उठाते और उसकी चुदाई करना शुरू कर दें,,,,,सुरज बड़ी मुश्किल से अपने आप को वश में किए हुए था वरना वह अपने आपे के बाहर चला जाता,,,,,,,।
धीरे-धीरे दोनों घास उखाड़ रहे थे रूपाली अनजाने में उसकी आंखों के सामने अपनी गांड उठा दे रही थी सुरज से जब अपनी आंखों से यह सब कुछ देखते-देखते बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह भी दो अर्थ वाली बात करते हुए बोला,,,।

हाय कितनी बड़ी बड़ी है,,,,,


क्या कितनी बड़ी बड़ी है,,,, छोटी-छोटी तो है,,,(रूपाली अपने भांजे की तरफ देखे बिना ही बोली)

अरे मैं तुम्हें छोटी-छोटी लग रही है ना लेकिन मेरे लिए तो बहुत बड़ी-बड़ी है,,,,

(सुरज अपनी मामी की गांड के बारे में बात कर रहा था लेकिन रूपाली यह समझ रही थी कि उसका भांजा घास के बारे में बात कर रहा है,,, इसलिए वह बोली,,,)

तो क्या हुआ तेरे में दम नहीं है क्या ताकत लगाकर खींच ले,,,


हां मामी ऐसा ही करना होगा,,,, इस काम में दम होना चाहिए तभी यह काम मुमकिन है,,,


तुझे आज पता चल रहा है,,,, जान में दम रहेगी तभी यह का मुमकिन है इस बात को आज समझ लेना,,,,(रूपाली सुरज की तरफ देखे बिना ही अपनी गांड को हल्के हल्के उठाए हुए घास को उखाड रही थी और सुरज से बोल रही थी,,,)

दम तो मेरे में बहुत है,,,, लेकिन इतनी बड़ी बड़ी है कि पूरा दम लगाना पड़ेगा,,,,


तो लगाना दम अगर दम नहीं लगा पाएगा तो मर्द कैसे कहलाएगा आखिर तू एकदम जमाने तेरे में तो दम होना चाहिए,,,,


दम तो मेरे में बहुत है मामी,,, लेकिन दम दिखाने का मौका नहीं मिल रहा है,,,,


तो आज इस खेत में अपना दम दिखा दे मैं भी जान जाऊंगी कि तू भी असली मर्द है,,,‌
(सुरज अपनी मामी की बातों को सुनकर पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा था अपनी मामी की बातों को सुनकर उसे लग रहा था कि जैसे उसकी मामी उसे इशारा कर रही आगे बढ़ने के लिए उसकी मामी उसकी मर्दानगी देखना चाहती है,,, इसलिए वह भी जोश में आकर बोला,,)


बहुत हिम्मत का काम है मामी मुझे नहीं लगता कि तुम ज्यादा देर तक टिक पाओगी,,,,


पागल है क्या आज तक में ही तो यह सब करते आई हु मैं तेरे से ज्यादा देर तक टिक कर दिखाऊंगी तुझे अभी मेरी हिम्मत का एहसास नहीं है,,,

एहसास तो है लेकिन कभी देखा नहीं हो ना इसके लिए,,,

तो आज देख लेना,,,, चल अब बातें बंद कर और अपना काम कर देख सूरज सर पर आ गया हैं,,,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने काम में आगे बढ़ने लगी,,,, सुरज से रहा नहीं जा रहा था सुरज के तन बदन में अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड देखकर उत्तेजना की वाला हर उठा रही थी जिसमें वह अपनी मामी को खींचे लेकर चले जाना चाहता थाइस बात का उस एहसास हो चुका था कि अब तक उसने कई औरतों की चुदाई कर चुका है लेकिन जो मजा उसे अपनी मामी की चुदाई करने में मिलेगा वह मजा किसी और में नहीं मिलने वाला क्योंकि वह अपनी मामी को देखकर इतना अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करने लगता था कि इस तरह की उत्तेजना वह कभी महसूस नहीं किया था,,, इस समय भी उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि जैसे उत्तेजना से उसका लंड फट जाएगा,,,, डेढ़ मीटर की दूरी पर यह अपनी मामी को अपनी बड़ी बड़ी गांड उठाकर घास उतारते हुए देखकर सुरज से बिल्कुल भी रहा नहीं किया और वहां एक बार फिर से गरम‌‌ आहहह भरते हुए बोला,,,।)


हाय कितनी बड़ी बड़ी है मैंने आज तक ऐसा नहीं देखा,,,
(इस बार रूपाली को अपने भांजे की आवाज में शरारत और मदहोशी नजर आई इसलिए वह अनजाने में ही अपनी गांड को थोड़ा सा हवा में उठाए हुए ही अपने भांजे की तरफ देखते हुए बोली,,)

क्या नहीं देखा बड़ी-बड़ी,,,?
(इस बार वह अपने मन की बात अपनी मामी से कह देना चाहता था क्योंकि आज उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,,, उसे ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी मामी चाहती है कि वह पहल करें क्योंकि कई औरतों की तरफ से उसे इस बात का एहसास हुआ था कि बहन उसे ही करना पड़ा था इसलिए अपनी मामी की बात सुनकर वह खुले शब्दों में बोला,,)

तुम्हारी गांड में तुम्हारी गांड के जैसी बड़ी बड़ी गांड मैंने आज तक नहीं देखा और मुझे पूरा यकीन है कि साड़ी उतारने के बाद तुम्हारी गांड एकदम खूबसूरत लगती होगी,,,(सुरज एक झटके में ही अपनी मामी से खुले शब्दों में बोल चुका था और रूपाली अपने भांजे की है बातें सुनकर पूरी तरह से सन्न रह गई,,,अपने भांजे के मुंह से अपनी गांड का जिक्र सुनते हैं उसे इस बात का एहसास हुआ कि इसमें भी उसकी गांड हवा में लहरा रही है इसलिए वह तुरंत ठीक से बैठ गई,,,,और आश्चर्य अपने भांजे की तरफ देखने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले अपनी मामी की खामोशी को देखकर सुरज कीमत बढ़ने लगी और वह अपनी मामी से और भी ज्यादा अश्लील शब्द में बात करते हुए बोला,,,)

सच में मामी तूम बहुत खूबसूरत हो पूरे गांव में तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,, मैं तुम्हें नंगी देखना चाहता हूं तुम्हारे नंगे जिस्म को अपनी आंखों से देखना चाहता हूं तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचियां तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड अपने हाथों से छूना चाहता हूं,,,, सच में मैं तुम्हारे हुस्न में पागल हो चुका हूं,,, तुम्हारा खूबसूरत बदन मुझे चैन से जीने नहीं देता,,,, तुम्हें पता है ना मैं जब भी तुम्हें देखता हूं तो ना जाने क्यों तुम्हारी बुर के बारे में सोचने लगता हूं,,,,(अपने भांजे के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर खास करके अपने भांजे के मुंह से अपनी बुर के बारे में सुनकर जहां एक तरफ वह हैरान हो चुकी थी वहीं दूसरी तरफ उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी और अपने भांजे की बात सुनकर ही उसकी बुर से मदन रस टपकने लगा था,,)
 
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रूपाली पूरी तरह से हैरान थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भांजा उसके साथ गंदी हरकत करने की कोशिश तो कर ही चुका था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके सामने बैठकर एकदम अश्लील भाषा में उससे गंदी बात कर रहा था उसकी गांड के बारे में उसकी बुर के बारे में,,,रूपाली अभी भी उसी तरह से बैठे हुए हवा में अपनी गांड उठाए हुए थे और पीछे नजर घुमाकर अपने भांजे की तरफ देख रही थी और उसकी बातों को सुनकर ईरानी के साथ-साथ उत्तेजित भी हुए जा रही थी,,,, वह हैरान इस बात से थी कि उसके भांजे में अब बिल्कुल भी शर्म नहीं रह गई थी उसके साथ गंदी बात कर रहा था उसकी बुर के बारे में बोल रहा था,,, अपने भांजे के मुंह से ,, वो भी अपनी ही बुर के बारे में सुनकर रूपाली पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो चुकी थी वह आंखें फाड़े सुरज की तरफ देख रही थी,,,,तब जाकर उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी गांड उसके भांजे के ठीक सामने उठी हुई है और एकदम गदराई हुई नजर आ रही है पल भर में ही रूपाली के गोरे गोरे गाल शर्म से लाल हो गए और वह तुरंत अपनी गांड को नीचे करते हुए बैठ गई,,,वह हैरान थी कि वह अपने भांजे से क्या बोले उसे कैसे समझाएं कि वह जो कुछ भी कह रहा है और करना चाहता है वह सरासर गलत है,,,,अपनी मामी की खामोशी को देखकर सुरज का हौसला बढ़ता जा रहा था उसे लगने लगा था कि उसकी मामी जो अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में उठाई हुई है वह बड़े आराम से अपनी गांड को उसके लंड पर रख देगी,,,, इसलिए तो वह मन ही मन प्रसन्न हुआ जा रहा था,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,)

मैं सच कह रहा हूं मामी,,, साड़ी में कसी हुई तुम्हारी गांड देखे बिना मुझे चैन नहीं आता भले ही कपड़ों में देखु लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि जैसे तू मेरी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो,,, तुम्हारी हाहाकार मचाती चूचियां हमेशा मेरे होश उड़ा दे मन करता है कि तुम्हारी दोनों चूचियों को अपनी हथेली में जोर-जोर से दबाते हुए बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर उसका पूरा दूध पी जाऊं,,,,(अपने भांजे की बात सुनकर उसके संपूर्ण बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी उसे अपने भांजे की नीयत ठीक नहीं लग रही थी आज रूपाली ऐसा महसूस कर रही थी कि जैसे कोई गैर मर्द उससे अश्लील बातें कर रहा हूं क्योंकि जिस तरह की बातें सुरज कर रहा था उसके मुंह से कभी भी रूपाली इस तरह की कल्पना ही नहीं की थी,,,, शर्म के मारे रूपाली अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,फिर भी हिम्मत करके सुरज की तरफ देखे बिना ही वह बोली,,,)

यह क्या कह रहा है सुरज तुझे शर्म आनी चाहिए अपनी मामी के बारे में इस तरह की गंदी बातें करते हुए,,,,,

शर्म तो बहुत आती है मामी लेकिन तुम्हारी खूबसूरती के आगे मुझे कुछ सुझता ही नहीं है,,,,,,
(सुरज की बात को सुनकर धीरे-धीरे रूपाली अपनी जगह पर खड़ी होने लगी थी और साथ ही सुरज भी अपनी जगह पर खड़े होते हुए अपनी मामी से अश्लील बातें कर रहा था,,, सुरज की बात सुनकर दूसरी तरफ मुंह फेरे खड़ी रूपाली बोली,,,)


तेरी आंखों पर जवानी का पर्दा पड़ चुका है तुझे सही कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,,,


तुम्हारी खूबसूरती के आगे मुझे कुछ भी दिखाई नहीं देता,,, सच कहूं तो चारों तरफ मुझे तुम ही तुम दिखाई देने लगी हो,,,,,,,


सुरज कैसी बहकी बहकी बातें मत कर मैं कभी नहीं सोची थी कि तू इस तरह से बातें करेगा,,,,


इसमें मेरा कोई भी दोष नहीं है मामी, मुझे अब इतना तो समझ में आने लगा कि औरत की खूबसूरती क्या चीज होती है मैं दिन भर गांव में इधर-उधर घूमता रहता हूं लेकिन तुम्हारी जितनी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,,,,
(अपने भांजे की बात को सुनकर रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक औरत होने के नाते सुरज के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ उसे अच्छी भी लग रही थी,,, लेकिन एक औरत होने के नाते उसे अपने भांजे की बातें बेहद गंदी लग रही थी,,,, रूपाली का दिल अपने भांजे की बात मानने से इनकार कर रहा था लेकिन दिमाग उसकी बातों से गिरा हुआ था जिसका असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,,,अपने भांजे की बात को सुनकर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन दूसरी तरफ उसकी बातों से उसकी बुर गीली भी हो रही थी,,,, वह खेतों में अपने भांजे को समझाने के लिए लाई थी लेकिन उसकी बातों से उसका मन बहकने लगा था,,, आखिरकार एक मां होने से पहले वह एक औरत थी,,,,,पर एक औरत होने के नाते दूसरी औरतों की तरह उसे भी अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना बेहद पसंद था,,,, लेकिन यहां पर उसके लिए हालात कुछ और थे उसकी खूबसूरती का तारीफ करने वाला कोई गैर मर्द नहीं बल्कि उसका ही जवान भांजा था,,, अपने भांजे की बात को सुनकर उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी थी,,,,, ना चाहते हुए भी वह अपने भांजे से बोली,,,)

तुझे यह सब कहना अच्छा लगता है इस तरह की बातें तुझे शोभा देती है और वह भी अपनी मामी के लिए कोई सुनेगा तो क्या कहेगा,,,

यहां कौन सुनने वाला है मामी,, और वैसे भी मैंने कोई गलत बात नहीं कहां हो तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं और जो कि एक दम सच है,,,


कौन भांजा अपनी मामी की खूबसूरती की तारीफ करता है,,,? यह गंदी बात है सुरज,,,,


ऐसा तुम समझती हो लेकिन मेरी नजरों से देखोगी तो तुम्हें भी सब कुछ एकदम सही लगेगा,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,,
(अपने भांजे की बातों को सुनकर रूपाली की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी सांसों की गति के साथ-साथ उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी,,,, सूरज सर पर आ गया था दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था और उसी जगह पर दोनों खड़े थे वह जगह जंगली झाड़ियों से गिरी हुई थी किसी के भी देखे जाने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी,,,,)

सुरज तु समझने की कोशिश कर,,,(ऐसा कहते हुए रूपाली सुरज की तरफ घूम गई,,) एक मामी के लिए भांजा कभी भी इस तरह की बातें नहीं करता तू अपनी राह से भटक गया है,,, तू जितना सोच रहा है उतनी भी खूबसूरत मैं नहीं हूं,,, दो दो बच्चों की मां हु तु यह बात समझता क्यों नहीं है,,, तुझे तो अपनी उम्र की लड़कियों में दिलचस्पी होना चाहिए ना की एक औरत के एक औरत तक भी यह बात ठीक थी लेकिन तू तो अपनी ही मामी के पीछे पड़ गया है,,,।




प्यार में उम्र कोई मायने नहीं रखती,,,, लेकिन तुम अपने आप को देखो और गांव की दूसरी औरतों को देखो तुम्हारे लिए और उन में जमीन आसमान का फर्क है दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम,,, अभी भी लड़की की तरह ही नजर आती हो जवान खूबसूरत लड़की उम्र की सीमा को तुम पार कर चुकी हो,,,।
(सुरज अपनी मामी की खूबसूरती के आकर्षण में इस तरह से कैद हो चुका था कि उसे भी सही गलत का पता नहीं चल रहा था वह अपनी मामी से इस तरह से बातें कर रहा था जैसे किसी गैर लड़की से बात कर रहा हूं एकदम आशिकाना मिजाज हो चुका था ना चुका उसकी बातों को सुनकर रूपाली भी एकदम हो चुकी थी इस तरह से तो जवानी में भी उसके साथ किसी ने भी बातें नहीं की थी ना ही उसके पति ने,,,,,,,, रूपाली अब तक अपने भांजे को छोटा बच्चा ही समझती थी लेकिन उसकी बातों को और उसकी हरकतों को देखते हुए वह समझ गई थी कि उसका भांजा पूरी तरह से जवान हो चुका है जो कि औरतों की जवानी में रस लेने लगा है,,,, अपने भांजे को समझाने की जगह ना जाने क्यों रूपाली के तन बदन में अपने भांजे की बातों को सुनकर एक लहर से उठने लगी थी उसे अपने भांजे की बातें ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी,,, रूपाली को ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी-अभी उसकी जवानी खील कर उभरी है ,, और सुरज उसके सपना का राजकुमार की तरह उसके पीछे पड़ा है उसे लुभाने के लिए उसे अपने प्यार में पागल करने के लिए रूपाली भी अपने भांजे की जालसाज बातों में आते हुए अपने भांजे से बोली,,,)

तू पागल हो गया सुरज मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत औरतें पूरे गांव में है तो मेरे पीछे पड़ कर मर्यादा की दीवार लांघ रहा है,,,,,


मैं कोई भी मर्यादा की दीवार नहीं लाघ रहा हूं,,,, तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो,,,,


पागल मत बन सुरज,,,तेरे और मेरे बीच में मामी भांजे का पवित्र रिश्ता है कोई मर्द और औरत का नहीं जो इस तरह से मेरे पीछे पड़ा है किसी को पता चल गया तो कितनी बदनामी हो जाएगी तुझे पता है,,,,


कुछ भी नहीं होगा मामी,,, किसी को कानों कान तक खबर नहीं पड़ेगी,,,, तुम अगर चाहो तो हम दोनों के बीच मर्द और औरत वाला रिश्ता पनप सकता है,,,

(रूपाली अपने भांजे की तरफ मुंह करके जरूर खड़ी थी लेकिन वह अपने भांजे से नजर नहीं मिला पा रही थी उसकी आंखों में शर्म भरी हुई थी लेकिन उसके भांजे की आंखों में बिल्कुल भी शर्म नहीं था वह अपनी मामी से बेहद अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए बातें कर रहा था,,,रूपाली इस बात से हैरान थी कि उसका भांजा सीधे-सीधे उसे चोदने की बात कर रहा था जो कि आज तक शादी की पहली रात को उसके पति ने इस तरह से खुल कर उसे चोदने की बात नहीं किया था बल्कि उसे चोदने की इच्छा भी जाहिर नहीं किया था बस धीरे-धीरे बातों ही बातों में अपने आप ही सब कुछ हो गया था लेकिन यहां तो उसका भांजा एक कदम आगे बढ़ चुका था,,,, रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके भांजे में उसे पाने की चाहत इस कदर कैसे बढ़ गई जबकि इस उम्र में लड़के अपनी उम्र की लड़कियों को ढूंढते हैं उनसे प्रेम मिलाप करते हैं प्रेम की बातें करते हैं लेकिन यहां सब कुछ उल्टा हो चुका था यही जानने के लिए वह अपने भांजे से बोली,,,)

सुरज में तुझे कितना समझाने की कोशिश कर रही हो कि हम दोनों के बीच इस तरह का रिश्ता कायम नहीं हो सकता आखिरकार तू ऐसा मुझ में क्या देख लिया कि मेरे पीछे ही पड़ गया है बल्कि तुझे तो अपनी हम उम्र लड़कियों के साथ घूमना चाहिए,,,

पहले मैं ऐसा कभी नहीं सोचता था लेकिन जब से मैंने तुम्हें अपनी आंखों से एकदम नंगी देखा हूं तब से मेरे होश उड़ गए हैं,,,(सुरज की बात सुनते ही रूपाली की हालत खराब हो गई आश्चर्य से उसकी आंखें चोडी हो गई,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके भांजे ने उसे कब पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख लिया जबकि वहां इस बात का पूरा ध्यान रखती है कपड़े बदलते समय नहाते समय की कोई उसे देख ना ले,,उससे कहां पर गलती हो गई थी जो उसके भांजे ने उसे नग्न अवस्था में देख लिया यही जानना चाहती थी इसलिए आश्चर्य से वह सुरज की तरफ देख रही थी और देखते हुए बोली,,,)

क्या तूने मुझे,,, लेकिन कब,,,,


जब तुम नहा कर अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तब मैं किसी काम से आया था लेकिन मैंने देखा दरवाजा खुला था और तुम्हारे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था,,,(सुरज जानबूझकर बात को बदलते हुए बोल रहा था वह सीधे सीधे अपनी मामी को यह कहना चाहता था कि वह तुम्हें चुदवाते हुए देख चुका है,,, वरना कमरे के एक छोटे से छेद का राज जाहिर हो जाता,,,,,)

क्या,,,?(रूपाली एकदम आश्चर्य से बोली,,)

इससे पहले मेरा इरादा बिल्कुल भी गंदा नहीं था लेकिन उस दिन जब मैं तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखा तो मेरे होश उड़ गए मेरे सोचने का तरीका एकदम से बदल गया उस समय है तुम्हारी पीठ मेरे सामने थी और तुम्हारी नंगी गोरी गोरी गांड देखकर मेरे तो होश ही उड़ गए मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं,,,,(रूपाली की हालत खराब होती जा रही थी सुरज जानबूझकर अश्लील शब्दों में अपनी मामी को पूरी कहानी जो की मनगढ़ंत की उसे सुना रहा था वह अपनी गंदी बातों से अपनी मामी का मन बहलाना चाहता था,,,)मैंने आज तक इतनी खूबसूरत गांड किसी की नहीं देखा था एकदम गोरी मक्खन मलाई की तरह और एकदम गोल-गोल मानो कि जैसे तो बड़े-बड़े खरबूजे लटका दिए गए हो,,, सच कहूं तो मामुझे यह सब देखने का बिल्कुल इरादा नहीं था लेकिन उस समय मेरी नजरों ने जो देखा था मेरे सोचने समझने की शक्ति को पूरी तरह से छीण कर दिया था,,,,, मैं अपने जीवन में पहली बार किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था,,,, मेरी सांसे एकदम तेज चलने लगी थी,,,,मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कुछ देर तक मैं वहीं रुक आ रहा और मैं जैसे जाने क्यों हुआ वैसे ही तुम दूसरी तरफ घूम गई जिसकी वजह से मुझे तुम्हारी चूचियां नजर आने लगी,,,, सच कहूं तो तुम उसी दिन अपनी अदाओं से मेरे दिलो-दिमाग पर वार पर वार कर रही थी,,, जिसको मैं झेल नहीं पा रहा था,,,,,,
(अपने भांजे की मामी के प्रति बातों को सुनकर रूपाली की बुर गीली होने लगी थी,,,, रूपाली की खुद की सांसो ऊपर नीचे हो रही थी जोकि सुरज की आंखों से बची नहीं पाई थी,,, वह अपनी मामी की हालत पर गौर कर रहा था उसे अहसास हो रहा था कि उसकी बातों से उसकी मामी को मजा आ रहा था उसे अब ऐसा लगने लगा था कि आज उसका काम बन जाएगा वह अपनी बात को और ज्यादा नमक मिर्च लगाते हुए बोला,,,)
पहली बार मुझे एहसास हुआ कि औरत की चूचियां कितनी खूबसूरत और आकर्षक होती हैं मैं तो तुम्हारी चुचियों को देखता ही रह गया,,,(सुरज जानबूझकर अपनी मामी के सामने उसके चूची शब्द का प्रयोग कर रहा था ऐसा करते हुए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन चुका था,, जिस पर अभी तक रूपाली की नजर नहीं पड़ी थी,,,, रूपाली अपने भांजे की दोनों टांगों के बीच ध्यान नहीं दे रही थी,,, और सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए,,) कसम से मामी जैसे दशहरी आम पकने के बाद कितना खूबसूरत लगता है उससे भी कहीं ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत मुझे तुम्हारी चूची लग रही थी खरबूजे जैसी गोल गोल,,,,

तेरा मन क्या कह रहा था,,,(अनजाने में ही रूपाली के मुंह से यह शब्द निकल गए वह अपने भांजे से इस तरह का सवाल बिल्कुल भी नहीं पूछना चाहती थी क्योंकि इस तरह का सवाल पूछने पर सीधे सीधे उसके भांजे के लिए इशारा होता कि उसे भी उसकी हरकतें अच्छी लग रही है,,,इसलिए तो अनजाने में ही निकले इन शब्दों के कारण शर्म से उसकी गाल एकदम से लाल हो गए थे और वह शर्मिंदगी महसूस करते हुए अपनी नजरों को और ज्यादा नीचे झुका ली थी सुरज तो अपनी मामी के मुंह से इस सवाल को सुनकर एकदम खुशी से झूम उठा क्योंकि यह सवाल नहीं था बल्कि उत्सुकता थी जानने की और इसीलिए सुरज की अपनी बात को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

मेरा मन तो कह रहा था कि तुम्हारी चूची को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर जोर जोर से दबाते रहु मुझे तुम्हारे किसमिस का दाना निकला हुआ है ना उसे मुंह में भरकर दांतो से हल्के हल्के दबाऊ,,,, मेरी तो हालत खराब हो गई थी,,, और तुम्हारा अनजाने में ही मेरी तरफ मुंह करके घूमना यह समझ लो कि मेरी जान निकलते निकलते रह गई थी,,,,

(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली का मन तो कह रहा था कि अपने भांजे से पूछ ले कि ऐसा क्या हो गया था कि तेरी जान निकलते निकलते रह गई थी लेकिन पूछने की उसमें बिलकुल भी हिम्मत नहीं थी तो सुरज ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला),

बाप रे मामी कसम मैंने जिंदगी में ऐसा नजारा नहीं देखा था पहली बार मैंने,,,, तुम्हारी बुर देखा,,,,(अपने भांजे के मुंह से बुर शब्द सुनते ही अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए रूपाली से अपनी उत्तेजना संभाले नहीं संभली और उसकी बुर से मदन रस की अमृत बूंद उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से ओस की बूंद की तरह बाहर निकलते हुए नीचे जमीन पर चु गई,,, काश अगर इस समय रूपाली पूरी तरह से नंगी खड़ी होती तो सुरज अपनी मामी की मादकता भरी प्रक्रिया को देखकर अपने आप पर काबू नहीं रख पाता और अपने घुटनों के बल बैठकर अपनी मामी की बुर से उसकी गुलाब की पत्तियों को चीर कर बाहर निकल रही मदन रस की उस बूंद को अपना जीव लगाकर चाट कर उसे अपने अंदर कर लेता,,,, रूपाली को अपने भांजे के मुंह से इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना बहुत ही अच्छा लग रहा था जबकि वह उसकी बातों से गुस्सा करने वाली थी उसे समझाने वाली थी लेकिन हालात एकदम बदल चुके थे फिर भी वाह अपनी कमजोरी ना दिखाते हुए अपने भांजे से बोली,,,)

हाय दैया यह तु कैसी बातें कर रहा है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजर अपने भांजे के पजामे पर पड़ गई और उस पर नजर पड़ते ही उसके तो होश उड़ गए वह अपने भांजे के पजामे में बने तंबू को भी देखती रह गई ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके भांजे के पजामे में लंड की जगह खूंटा हो,,,, रूपाली एकदम से आश्चर्यचकित हो गई थी उसे इस बात का अहसास था कि मर्द का लंड कितना मोटा और लंबा होता है लेकिन अपने भांजे के पजामे मैं बने तंबू को देखकर उसके मन में उथल-पुथल हो रही थी इतना तो मैं तो समझ ही गई थी कि उसके पजामे में हाहाकार मचाने वाला औजार था जिसे देखने के लिए उसका मन मचल उठा था,,, सुरज अपनी मामी की नजरों को अच्छी तरह से भांप गया था,,,, और यह देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था अपनी मामी की तरफ को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपनी मामी की आंखों के सामने पजामे के ऊपर से अपने लंड को मुट्ठी में भरकर खुजलाने लगा यह देखकर रूपाली की हालत खराब होने लगी और रूपाली कुछ आगे बोल पाती इससे पहले ही सुरज बोला,,,)

कुछ भी गलत नहीं कह रहा हूं मैं जो कुछ भी मैंने देखा जो कुछ भी देखने के बाद मेरे तन बदन में हुआ मैं वही बता रहा हूं उस समय तुम्हारी बुर देखकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था जैसा कि आज,,, खड़ा हो गया है,,(इतना कहने के साथ ही अपनी मामी की आंखों के सामने ही वह पजामे को एक झटके में नीचे खींच दिया,,,, सुरज की इस हरकत पर उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड पजामे की कैद से बाहर आते ही हाहाकार मचाने लगा,,, सुरज का लंड रबड़ की तरह ऊपर नीचे हो रहा था जिसे देखकर रूपाली की आंखों में मदहोशी छाने लगी रूपाली आज तक इस तरह के लंड की कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,,) देखो,,,,,,,

पल भर में ही दोनों की सांसे ऊपर नीचे होने लगी रूपाली की नजरें हटाए नहीं हट रही थी,,,,सुरज का लंड इतना ज्यादा कड़क हो चुका था कि उसकी लंड की नसें उभरकर नजर आ रही थी जिसे देखकर रूपाली ना चाहते हुए भी अपने मन में यह कल्पना करने लगी और सोचने लगी कि उसके भांजे का लंड बुर में जाते कितना रगड डालेगा ऐसा रूपाली अपने भांजे के लंड की मोटाई और खास करके उसकी उभरी हुई नसों को देखकर सोच रही थी अपनी मामी को,,, इस तरह से अपने लंड को देखता हुआ पाकर सुरज मन ही मन प्रसन्न होने लगा सुरज ईस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी भी आखिरकार एक औरत ही है जैसा वह दूसरी औरतों के साथ करता रहा था उन्हें अपनी बातों में लुभा कर अपने लंड के दर्शन करा कर चुदाई करने के लिए तैयार कर लेता था उसी तरह से वह अपनी मामी को भी अपने बातों की जाल में फंसा कर उसके साथ मनमानी करना चाहता था और उसकी यह चाल कामयाब होती हुई नजर आ रही थी,,,,। अद्भुत अवर्णनीय और कल्पना के परे इस अद्भुत नजारे को अगर कोई देख लेता तो उसका भी लंड खड़ा हो जाता,,, सुनहरी धूप में दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था यह वह समय था जब खेतों में काम कर रहे लोग अपने अपने घर पर आराम करने के लिए चले जाते थे और ऐसे में सुरज और उसकी मामी खेत के बीचो बीच खड़े होकर अद्भुत दृश्य रचा रहे थे,,,अपनी मामी को इस तरह से अपने लंड के आकर्षण में खोया हुआ देखकर सुरज तुरंत अपनी मामी का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और अपने हाथ की मुट्ठी बनाकर खुद ही जबरदस्ती अपनी मामी की हथेली को अपने लंड पर कसने लगा,,,,,,अपने भांजे के लंड की गर्माहट और उसकी मोटाई को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्मी रूपाली को सीधे-सीधे अपनी बुर पर महसूस होने लगी उसमें से उसका गर्म लावा पिघलने लगा था और उत्तेजना के मारे रूपाली से रहा नहीं गया और वह खुद ही अपनी हथेली का कसावा अपने भांजे के लंड पर बढ़ा दी,,, वह उत्तेजना का अनुभव करते हुए अपने भांजे के लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दी थी,,लेकिन तभी उसे होश आया कि वह या क्या कर रही है वह तो सुरज को यहां समझाने के लिए लेकर आई थी लेकिन वह खुद ही मदहोशी और भावनाओं में बहती चली जा रही है,,, अपने आप को संभालने की यह रूपाली के लिए बेहद पतली भेद रेखा थी,,, जिसमें से सही गलत का भेद समझते हुए रूपाली को बाहर निकलना था और वह सही गलत के बीच के फर्क को अच्छी तरह से समझ गई थी,, और वह तुरंत अपने भांजे के लंड पर से अपना हाथ पीछे खींच ली,,, और सुरज की तरफ देखते हुए बोली,,,।


नहीं सुरज यह गलत है यह बिल्कुल गलत है,,,(इतना कहते हुए वहां अपने कदमों को पीछे लेने लगी घर यह गलत है कहते कहते लगभग दौड़ते हुए वह घर की तरफ जाने लगी,,, रूपाली की यह हरकत सुरज की गर्म जवानी पर ठंडा पानी डाल गई थी सुरज अपनी मामी को जाते हुए देखता रह गया,,, सुरज अपनी मामी को भागते हुए देख रहा था और यह सोच रहा था कि भागते हुए भी उसकी मामी की गांड कितनी हिलोरे लेती है,,,,अपनी मामी की चुदाई करने के मंसूबे पर पानी फिर चुका था लेकिन अभी भी उसका लंड अपनी मामी की नरम हथेली की गर्माहट पाकर पूरी तरह से अपनी औकात में खड़ा था सुरज से रहा नहीं गया और वह अपनी मामी की कल्पना करते हुए मुठ मारने लगा,,,।


रूपाली जब अपने घर पहुंची तो घर में अपनी बड़ी बेटी को आई हुई देखकर एकदम खुश हो गई,,,
 
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रूपाली घर पर पहुंची तो घर पर उसकी बड़ी बेटी आई हुई थी जिसे देखकर रूपाली एकदम से खुश हो गई क्योंकि शादी के २ साल बाद पहली बार वह घर पर आई थी ,,,, रूपाली अपनी बड़ी बेटी को बरसों बाद देखकर एकदम खुशी से झूम उठी,,,।

पुनम तू,,,, तू कब आई,,,(घर में प्रवेश करते हुए रूपाली बोली,,, और अपनी मां को देखते ही पुनम अपनी जगह से खड़ी होते हुए अपनी मां की तरफ आगे बढ़ते हुए बोली,,,)

अभी अभी आ रही हूं मां,,,,(इतना कहने के साथ ही पुनम अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगी)

जीती रहो बेटी,,,, लेकिन तुम्हें लेकर कौन आया,,,

छोटा देवर आया था,,,,


रुका नहीं,,,,


नहीं उसे शादी में जाना था इसलिए तुरंत छोड़ कर चला गया,,,,


चलो कोई बात नहीं,,, मंजू,,,, पुनम को पानी पिलाई या नहीं,,,


यह भी कोई पूछने वाली बात है भाभी,,,,,,


बुआ ने आते ही मेरा मुंह मीठा कराकर पानी पिला दी,,, मां,,, बुआ मेरा बहुत ख्याल रखती है,,,


हां सो तो है,,,,


अच्छा सुरज नजर नहीं आ रहा है वह कहां गया,,,,,,
(सुरज का जिक्र आते ही,,, रूपाली को कुछ देर पहले का दृश्य याद आने लगा,,,, सुरज के मोटे तगड़े लंड को जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से देख रही थी,, इसे देखते ही उसकी दोनों टांगों के बीच की खलबली को अभी भी महसूस कर रही थी,,,, इतना मोटा तगड़ा और लंबा लंड उसने आज तक कभी नहीं देखी थी,,,अपने भांजे के लंड की गर्माहट को अभी भी अपनी हथेली के साथ-साथ पूरे जिस्म में महसूस कर पा रही थी,,, अपनी मां को ख्यालों में खोया हुआ देखकर पुनम फिर से बोली,,,)

अरे मामी मैं तुमसे पूछ रही हूं,,,,,, सुरज दिखाई नहीं दे रहा है कहां है,,,?

अरे होगा कहां,,,अपने आवारा दोस्तों के साथ गांव में घूम रहा होगा कुछ दिनों से अपने मामाजी के साथ बैलगाड़ी पर भी नहीं जा रहा है,,,,


सुरज बैलगाड़ी चलाता है,,,(पुनम आश्चर्य से बोली,,)

तो क्या,,,,लेकिन कुछ दिनों से जा नहीं रहा है आज ही इसकी खबर लेती हूं,,,, चल वो जाने दे चल कर कुछ खा ले लंबा सफर तय करके आइ है थक गई होगी,,,


हां मां सो तो हैं,,, मुझे बड़ी जोरों की भूख लगी है,,,।

तो इंतजार किस बात का पुनम,,,, चलो खाना लगा देती हूं अपने तीनों साथ में खा लेते हैं,,,,(मंजू उत्साहित होते हुए बोली,,,, और तीनों हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए,,,,,,,बातों ही बातों में मंजू बात को छेड़ते हुए बोली,,,)

क्यों पुनम रानी २ साल हो गए हैं खुशखबरी कब सुना रही हो,,,,,
(मंजू की बात सुनते ही रूपाली भी उसके सुर में सुर लगाते हुए बोली,,,)

हां बेटी २ साल हो गए हैं अभी तक हुआ क्यों नहीं,,,,, गांव वाले बात करते होंगे,,,।
(उन दोनों की बात सुनते ही पुनम थोड़ी उदास हो गई,,,,उसका उदास चेहरा देखकर रूपाली से रहा नहीं जा रहा था वहां काफी चिंतित नजर आ रही थी इसलिए फिर से बोली,,,)

क्या हुआ पुनम खामोश क्यों हो गई क्या कोई चिंता वाली बात है,,,,,,।


क्या बताऊं मां,,,,(कुछ देर विचार करने के बाद) पिताजी ने जल्दबाजी में मेरी शादी ऐसी जगह कर दी कि मेरी जिंदगी नरक हो गई है पिताजी ने किसी भी प्रकार की जांच पड़ताल किए बिना ही मुझे उस घर में ब्याह दिया,,, और फिर मेरी जिंदगी एकदम खराब हो गई,,,।

(पुनम की बात सुनते ही मंजू और रूपाली दोनों एकदम से चिंतित हो गए और रूपाली बोली)

क्यों क्या हो गया बेटी,,,,

क्या बताऊं ,,, रोज का झगड़ा,,,

किस बात का झगड़ा,,,(रूपाली हाथ में निवाला पकड़े हुए ही बोली,,, मंजू भी चिंतित मुद्रा में पुनम की तरफ देख रही थी,,,)


यही,,,(इतना कहकर पुनम खामोश हो गई,,, तो मंजू बोली)

अरे बता ना क्या हो गया किस बात का झगड़ा हमें बताएं कि नहीं तो हम कैसे सुलझाएंगे,,,,


क्या बताऊं बुआ,,,,, शादी को २ साल हो गए हैं,,,,


तो,,,(रूपाली बोली)


तो क्या,,, सास को दादी बनना है,,,


तो इसमें कौन सी बड़ी बात है शादी हुआ है तो सब कुछ धीरे-धीरे हो ही जाएगा,,,(मंजू बोली)

लेकिन २ साल गुजर चुके हैं बुआ,,,,


मैं तेरी बात को अच्छी तरह से समझ रही हूं पुनम,,,,शादी के २ साल गुजर चुके हैं अब तक तेरे पांव भारी हो जाना चाहिए था,,,(जिस बात को बताने में पुनम झिझक रही थी रूपाली उसे खुलकर बता दी,,,)

अब तो सांस ननद दोनों ताना कसने लगी है,,,(पुनम एकदम उदास होते हुए बोली रूपाली अपनी बेटी का दर्द अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह बोली,,)

दामाद जी कुछ नहीं बोलते,,,


वह किसी से कम नहीं वह भी मुझे बात-बात पर ताना देता रहता है,,, दिन भर जुआ शराब और रात को घर से बाहर ही रहता है,,,,,,।

तेरे साथ,,,(रूपाली एकदम गंभीर मुद्रा में बोले रूपाली के कहने का मतलब को पुनम की तरह से समझ रही थी इसलिए बोली)

होता है लेकिन जोर जबरदस्ती का,,,, और २ मिनट में ही ढेर,,,,।
(पुनम के कहने के मतलब को रूपाली अच्छी तरह से समझ रही थी और पुनम को यह बताने में शर्म भी महसूस हो रही थी लेकिन वह किसी भी तरह से अपनी गलती बिल्कुल भी नहीं है यही दर्शना चाहती थी और वास्तव में इस में पुनम की गलती बिल्कुल भी नहीं थी,,, पुनम का पति शराबी था दिनभर शराब के नशे में डूबा रहता था रात में कभी कबार उसके साथ संबंध बनाने की कोशिश भी करता था तो एकदम ढेर हो जाता था,,,, पुनम इस बात को अच्छी तरह से जानती थी और अपने पति की करतूत अपनी सास से वह बताती भी थी लेकिन उसकी सास कि उसकी बात मानने को तैयार ही नहीं थी और सारा दोष पुनम को ही देती थी इसलिए वह लड़ झगड़ कर कुछ दिनों के लिए मायके आ गई थी,,,, सारी बात सुनने के बाद पुनम और मंजू दोनों चिंतित हो गई थी,,, इसलिए पुनम उसको सांत्वना देते हुए बोली,,,)

कोई बात नहीं बेटी तू चिंता मत कर किसी किसी को थोड़ा समय बाद ही मां बनने का सुख मिलता है,,, तुझे भी जल्द ही मिल जाएगा अब खाना खा चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,।

(इसके बाद तीनों ने खाना खाई और आराम करने लगी,,, शाम ढलने लगी थी रविकुमार बैलगाड़ी लेकर घर पर पहुंच गया,,,, बैलगाड़ी के पेर में बने घुंघरू की आवाज को सुनकर,,, रूपाली उत्साहित होते हुए बोली,,,)

पुनम तेरे बाबूजी आ गए हैं,,,,
(इतना सुनते ही अपनी बुआ के बगल में बैठकर सब्जी काट रहे पुनम तुरंत उठ कर खड़ी हो गई और उस लगभग भागते हुए घर के बाहर गई रविकुमार बैलगाड़ी को बेल से अलग कर रहा था उसे देखते ही पुनम तुरंत बाबूजी के कहकर आगे बढ़ी और पाव छूने लगी रविकुमार तो एकदम से चौंक हीं गया क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी पुनम के इधर होने की क्योंकि २ साल गुजर गए थे कोई हाल समाचार नहीं मिला था और ना ही रविकुमार ही पुनम के घर पर गया था इसलिए २ साल बाद पुनम को देखकर वह एकदम खुश हो गया,,)


खुश रहो खुश रहो बेटी तुम कब आई,,,

दोपहर में ही आई हूं बाबूजी,,,,


पूरे २ साल गुजर गए एक २ साल में तुम्हें कभी भी हम लोगों का हाल समाचार नहीं ली,,,


ऐसी कोई बात नहीं है बाबू जी,,,,, कोई पहुंचाने को तैयार ही नहीं होता था,,,,


कोई बात नहीं तू अंदर चल में बेल को बांधकर आता हूं,,,,

जी बाबू जी,,,(इतना कहकर पुनम घर में चली गई और रविकुमार बहन को लेकर घर के पीछे की तरफ उसे बांधने के लिए चला गया,,,, इसके बाद मंजू पानी लेकर रविकुमार के लिए लेकर आई,,, रविकुमार मंजू के हाथ में से पानी का लोटा लेते हुए दूसरे हाथ से उसकी चूची दबाते हुए बोला,,,)

साला मौका नहीं मिल रहा है तुझे चोदने का,,, तेरी बुर का रस अभी तक मेरे लंड पर लगा हुआ है,,,


क्या कर रहे हो भैया जरा धीरे बोलो अब तो पुनम भी आ गई है अगर सुन ली तो बखेडा हो जाएगा,,,


अरे कोई नहीं सुनेगा,,,,(धीरे-धीरे पानी को पीते हुए बोला पानी पी लेने के बाद वापस लौटे को मंजू के हाथ में पकड़ाते हुए बोला,,,) अरे सुनना मैं कह रहा था कि चलना घर के पीछे बस सलवार खोल कर खड़ी हो जाना बाकी का काम मैं संभाल लूंगा,,,

अरे पागल हो गए हो क्या भैया,,,(घर के द्वार की तरफ देखते हुए बोले) कोई देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,और जब तक पुनम है तब तक ऐसी होती कोई भी हरकत मत करना पुनम हमेशा मेरे पास ही रहती है इसलिए कुछ करने का मौका भी नहीं मिलेगा,,,,
(मंजू की बात सुनते ही रविकुमार लंबी सांस लेते हुए अफसोस भरे स्वर में बोला)

चल कोई बात नहीं तेरी भाभी से ही काम चलाना पड़ेगा,,,,
(और इतना कहकर रविकुमार और मंजू दोनों घर में प्रवेश कर गए रूपाली जो कि खाना बना रही थी रविकुमार को रसोई घर की तरफ आता हुआ देख कर बोली),,


अजी सुनते हैं कुछ दिनों से सुरज को साथ में क्यों नहीं ले जाते दिनभर यहां-वहां घूमता फिरता है,,,

अरे ले तो जाऊ लेकिन समय पर रहता था वह तो बैल गाड़ी ले जाते समय गायब रहता है,,, अच्छा आने दो आज ईसे बताता हूं,,,यह समय हो गया अभी तक यह घर पर नहीं आया ना जाने कहां घूमता फिरता रहता है,,,।


हां जरा डांटीएगा तो,, लापरवाह होता जा रहा है,,,,,,(तवे पर रोटी को सेंकते हुए वह बोली,,,, थोड़ी देर में सब कोई अपना काम करने लगे खाना बनकर तैयार हो गया था तभी सुरज घूमता का घर में प्रवेश किया,,,, उस पर नजर पड़ते ही रूपाली बोली,,,)

आ गए हैं लाट साहब,,,,
(अपनी मामीकी बात सुनकर सुरज अपनी मामीकी तरफ देखने लगा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मामीऐसा क्यों बोल रही हो तभी उसके पिताजी बोलें,,,)



सुरज दिन भर कहां घूमता फिरता रहता है तुझे मेरे साथ बैलगाड़ी पर चलना चाहिए था ना कुछ दिनों से चल क्यों नहीं रहा है तू,,,।

ओ ओ ,,,, क्या है ना मामाजी,,,वो,,,,


क्या वो वो लगा रहा है दिनभर गांव के आवारा लड़कों के साथ घूमता रहता है,,, तुझे घर की जिम्मेदारी का कुछ भान है या नहीं,,,,

ऐसा कुछ भी नहीं है मामाजी कुछ दिनों से मुझे अपनी तबीयत सही नहीं लग रही थी इसलिए नहीं गया,,,।
(सुरज अपनी मामी की तरफ देख कर बोल रहा था उसे समझ में आ गया था कि उसके मामाजी उसे डांट क्यों रहे हैं लेकिन इतना तो उसे तसल्ली थी कि उसकी मामी ने खेत वाली बात को नहीं बताई थी,,,,,)


अरे तबीयत खराब है तो मुझसे कहा होता अपनी मामी से कहां होता किसी से बोला भी तो नहीं,,,
(अभी यह डांट फटकार चल ही रही थी कि बाहर पुनम जोकि पानी लेने गई थी वह घर में प्रवेश करते हुए और पानी भरी बाल्टी को एक कोने में रखते हुए बोली,,,)

क्या बाबू जी मेरे सुरज भाई को खामखा डांट रहे हो,,,,।

अरे दीदी तुम,,,, तुम कब आई,,,( सुरज बचपन से पुनम को दीदी कहकर पुकारता था,,)

घर में रहोगे तब ना पता चलेगा कि घर में कौन आ रहा है कौन जा रहा है,,,,(एक बार फिर से थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए रविकुमार बोला,,, अपने मामाजी की बात को अनसुना करते हुए वह तुरंत पुनम की तरफ आगे बढ़ा,,,,पुनम सुरज से २ साल बाद मिल रही थी इसलिए प्यार से उसे गले लगा ली,,,, सुरज भी २ साल बाद पुनम्य को देखकर पूरी तरह से खुश हो गया था इसलिए वहां भी एकदम से अपनी बहन को गले लगा लिया था लेकिन इस हरकत की वजह से सुरज की छातियों में उसकी बहन की गोल-गोल खरबूजे जैसी चूचियां चुभती हुई महसूस होने लगी यह एहसास सुरज को अंदर तक उत्तेजित कर गया,,,,, लेकिन पुनम सहज बनी रहे और वह सुरज को अलग करते हुए बोली,,,।


तू बहुत शैतान हो गया है दिन भर इधर-उधर घूमता रहता है ऐसा नहीं कि बाबू जी के काम में हाथ बटाए,,,


कल से जरूर जाऊंगा दीदी,,,,

हां जरूर जाना तू अब बड़ा हो गया है लेकिन मेरे लिए तो मेरा छोटा मुन्ना ही है,,,,
(पुनम की बात सुनकर मंजू अपने मन में बोली देखना छोटे मुन्ने का अब बड़ा हो गया है कहीं तेरी बुर में ना घुसा दे,,,।

थोड़ी ही देर में पूरा परिवार एक साथ खाना खाने के लिए बैठ गया था और खाना खा लेने के बाद रूपाली ने पुनम को सुरज और मंजू के साथ सोने के लिए बोली,,, वैसे तो सब कुछ ठीक था नहीं मंजू और सुरज का एक दूसरे के बिना चलने वाला बिल्कुल भी नहीं था सुरज जब तक मंजू की चुदाई नहीं करता था तब तक उसे नींद नहीं आती थी और यही हाल मंजू का भी था बिना सुरज करूंगा अपनी बुर में लिए उसे चैन बिल्कुल भी नहीं आता था इसलिए दोनों परेशान नजर आ रहे थे पुनम की मौजूदगी में,,, दोनों को अपनी प्यास बुझाने का मौका नहीं मिलता लेकिन फिर भी करके आ सकते थे बेमन से सुरज ने खटिया को खड़ी कर दिया और एक कोने में रख दिया क्योंकि वह जानता था एक घटिया पर तीनों नहीं सो सकते इसलिए नीचे चटाई बिछड़ना जरूरी था,,,, मंजू बीच में सो गई और सुरज और पुनम दोनों किनारे किनारे पर सो गए मंजू जानबूझकर बीच में सोई थी क्योंकि वह किसी ना किसी बहाने सुरज से चुदाई का आनंद लेना चाहती थी,,,,

दूसरी तरफ रविकुमार बात करते हो अपने बीवी के कपड़े एक-एक करके उतार रहा था,,, जब वह ब्लाउज का बटन खोल रहा था तभी रूपाली बोली,,,।


लड़की ब्याने से पहले एक बार लड़के के बारे में पूछताछ कर लिए होते तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता,,,,


क्यों ऐसा क्या हो गया,,,?(ब्लाउज का आखरी बटन खोलते हुए बोला)

ससुराल में रोज उसे ताना सुनने को मिल रहा है,,,


ताना लेकिन क्यों,,,,?(रविकुमार अपनी बीवी की चूची को मुंह में लेते हुए बोला)


क्यों क्या पांव भारी नहीं हुए हैं इसलिए,,, आप भी तो बिना सोचे समझे कहीं भी उसका शादी कर दिए,,,


रूपाली तुम तो अच्छी तरह से जानती हो उस समय के हालात कैसे थे,,, पुनम की हरकतें कितनी गंदी हो चुकी थी तुम्हें मालूम है ना मैंने ही गन्ने के खेत में दो लड़कों के साथ उसे पकड़ा था,,,, अगर आनंद थाना में मैं उसका शादी नहीं करवाता तो शायद बदनामी हो जाती और फिर उसकी शादी कभी नहीं हो पाती,,,


जानती हूं,,,, लेकिन उसका दुख देखा नहीं जाता,,,


अरे रूपाली तूम खा म खा परेशान हो रही हो,,, किसी किसी को देर में बच्चे होते हैं,,,

मैं भी तो उसे यही कह रही थी लेकिन ससुराल के ताने से वह परेशान हो चुकी है,,,


चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह रूपाली को पीठ के बल खटीया पर लिटाते हुए उसकी दोनों टांगों को खोल दिया और उसकी बुर में समा गया,,, दूसरी तरफ चटाई पर तीनों लेटे हुए थे मंजू और पुनम आपस में बात कर रहे थे और सुरज था कि अपनी बहन की नजर बचाकर मंजू जो कि उसकी तरफ मुंह करके बात कर रही थी सलवार के ऊपर से उसकी गांड को जोर जोर से दबा रहा था,,,,सुरज की हरकतों से मंजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,,,
 
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एक तरफ मंजू पुनम से बातें कर रही थी और दूसरी तरफ सुरज मंजू की गोल गोल गांड को सलवार के ऊपर से ही अपने हाथों में ले लेकर दबा रहा था,,,, और साथ में पजामे में अपने खड़े लंड को बार-बार अपनी मौसी की गांड पर धंशा दे रहा था,,,सुरज की यह हरकतें मंजू के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी को और ज्यादा भड़का रही थी अगर इस समय पुनम साथ में ना होती तो मंजू खुद सुरज के लंड पर चढ गई होती,,,,,,, पुनम को तो इस बात का आभास तक नहीं था कि उसके बगल में ही है काम क्रीड़ा की शुरुआत हो चुकी है वह तो अपने ही बातों में तल्लीन थी,,,

सुरज ने अपनी कामुक हरकतों से अपनी मौसी को पूरी तरह से गर्म कर दिया था,,,,, पुनम को नींद आने लगी थी इसलिए वह सोने से पहले सुरज से बोली,,,।

सुरज लालटेन बुझा देना,,, मुझे उजाले में नींद नहीं आती,,,

ज़ी दीदी,,,,(पुनम की बात सुनते ही सुरज प्रसन्न हो गया था क्योंकि अब तो उसका काम और भी आसान हो जाता वह तुरंत खड़ा हुआ और लालटेन की ज्योत को बुझा दिया और वापस आकर चटाई पर लेट गया,,,,थोड़ी ही देर में दोनों को जब इस बात का एहसास हो गया कि पुनम गहरी नींद में सो रही है तो तुरंत मंजू सुरज की तरफ घूमी और अंधेरे में ही सुरज को अपनी बाहों में भरकर अपने लाल-लाल होठों को उसके होंठ पर रख दी दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे और सुरज तुरंत अपना एक हाथ मंजू की कमर में डालकर उसे अपनी तरफ खींच दिया जिससे दोनों का बदन आपस में एकदम से सट गया और सुरज का लंड पजामे में होने के बावजूद भी मंजू कि बुर पर ठोकर मारने लगा,,,,, मंजू इसी ठोकर के लिए तो मरी जा रही थी वह पूरी तरह से रोमांचित हो उठी,,,, अपनी बुर पर अपने भतीजे के लंड की ठोकर उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह जल्द से जल्द अपने भतीजे के लंड को अपनी बुर में ले लेना चाहती थी,,, मंजू मदहोश होते हुए अपने भतीजे के होठों का रसपान कर रही थी और सुरज कभी मंजू की गांड तो कभी चूची को अपनी हथेली में लेकर दबा रहा था,,,,,,,।

सुरज अपनी मौसी के कपड़े उतार कर मजा लेना चाहता था,,,इसलिए अपना हाथ सलवार की दूरी पर रखकर उसे खींचने की तैयारी में ही था कि मंजू उस पर हाथ रखकर धीरे से बोली,,,,।

मुझे नंगी करेगा क्या,,?

तो क्या हुआ नंगी किए बिना मजा नहीं आएगा,,,


बगल में पुनम सो रही है,,,


तो क्या हुआ दीदी तो गहरी नहीं तुम्हें और वैसे भी कमरे में अंधेरा है कुछ दिखने वाला नहीं है,,,।
(सुरज के मुंह से इतना सुनते ही मंजू सुरज के हाथ पर से अपना हाथ हटा लिया और उसे आगे बढ़ने की इजाजत दे दी अगले ही पल सुरज मंजू की सलवार की डोरी को हाथ में पकड़ कर खींच दीया था,, अगले ही पल मंजू की कमर कसी हुई सलवार एकदम ढीली हो गई सुरज की सांसे बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी वह तुरंत अपनी मौसी की सलवार में हाथ डालकर उसकी कचोरी जैसी फूली हुई बुर को अपनी उंगलियों से टटोलने लगा,,,, अपने भतीजे की उंगली को अपनी फुली हुई बुर पर महसूस करते ही मंजू पूरी तरह से मदहोश होने लगी,,,, उसकी सांसे धुकनी की तरह तेज हो गई,,, सुरज अपनी मौसी की बुर टटोल ते हुए उसके गीलेपन को अच्छी तरह से महसूस कर रहा था और उसमें से उठ रही मदक खुशबू पूरे वातावरण को मदहोश बना रही थी रात के अंधेरे में और कमरे के अंधेरे में,,, जमीन आसमान का फर्क था,,,रात के अंधेरे में दिन भर की थकान उतारते हुए लोग चैन की नींद सोते हैं तो कुछ लोग संभोग क्रीडा में पूरी तरह से लिप्त हो जाते हैं,,, और कुछ ऐसा ही मंजू और सुरज भी कर रहे थे हालांकि दोनों का रिश्ता बेहद पवित्र था लेकिन दोनों मौसी और भतीजा होने से पहले एक मर्द और एक औरत थे जिनके बीच शारीरिक आकर्षण लाजमी था,,,,,,, सुरज को अपनी मौसी की खुली हुई बुर गरमा गरम कचोरी की तरह महसूस हो रही थी उत्तेजना का अनुभव करते हुए सुरज रह-रहकर मंजू की बुर को अपनी मुट्ठी में भींच ले रहा था मानो कि जैसे उसके हाथ में गुलाब जामुन आ गया हो और वह दबाकर उसका सारा रस निकाल देना चाहता हो,,,।

दोनों का प्रगाढ चुंबन जारी था,,,,सलवार की डोरी खोल देने के बाद भी सुरज में अभी तक अपने मौसी के बदन से सलवार को अलग नहीं किया था लेकिन उसके नंगे पन को अच्छी तरह से महसूस कर रहा था,,,,,।

ओहहहह मौसी तुम तो एकदम मलाई हो,,,(एक बार फिर से जोर से अपनी मौसी की बुर को अपनी मुट्ठी में दबाते हुए बोला,,,)

सहहहहह धीरे,,,, पुनम जाग जाएगी,,,,


नहीं जागेगी,,,, देख नहीं रही हो कैसे सो रही है,,,, कसम से तुम्हारी बुर लिए बिना तो मुझे नींद भी नहीं आती इसलिए तुम्हें परेशान हो गया था कि दीदी के रहते मैं तुम्हारी चुदाई कैसे कर पाऊंगा,,,

हारे मैं भी इसीलिए परेशान थी,,,,,जैसा तेरा हाल है वैसा मेरा भी हाल है जब तक तेरा लंड मेरी बुर की गहराई नहीं नापता तब तक मुझे भी नींद नहीं आती,,,

अच्छा हुआ मौसी हम दोनों को जुगाड़ मिल गया,,,।
(ऐसा कहते हुए मंजू खुद ही अपने पैरों के सहारे से अपनी सलवार उतारने की कोशिश कर रही थी और यह देखकर सुरज चुटकी लेते हुए बोला,,)

हाय मेरी मौसी,,,, बड़ी जल्दी पड़ी है तुम्हें नंगी होने की,,,


क्या करूं रे जब तक नंगी नहीं हो जाती तब तक चुदवाने का मजा ही नहीं आता,,,


सच बोलूं तो मौसी मुझे भी तुम्हें नंगी करके चोदने में ही मजा आता है,,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपनी जगह पर उठ कर बैठ गया और अपने हाथों से अपनी मौसी की सलवार को उतारने का था देखते ही देखते सुरज ने बगल में सो रही पुनम के पास लेटी हुई अपनी मौसी की सलवार उतार कर कमर से नीचे उसे नंगी कर दिया और उसकी चिकनी जांघ पर अपनी हथेली फिराते हुए बोला,,,)


सहहहहह आहहहहह कितनी मुलायम जांघ है तुम्हारी मन करता है कि तुम्हारा पूरा बदन अपनी जीभ से चाट जाऊं,,,,

तो चाट जाना रे,,,, बोलता क्यों है करके दिखा,,,,


हाय मेरी मौसी रानी तेरी यही अदा तो मुझे दीवाना कर दि‌‌ है,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज ने कुर्ती के ऊपर से ही मंजू की चूचियों को इतनी कसके तब आया कि उसकी चीख निकल गई लेकिन वह जल्दी अपनी चीख को दबा दी,,, और गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,)

हरामी मादरचोद इतनी जोर से कोई दबाता है क्या,,,


क्या करूं मौसी तुम्हारी बातों से मुझे जोश आ गया था,,,।


जोश आ जाएगा तो क्या गांड मार लेगा,,,


वह तो मैं तुम्हारी मार ही चुका हूं,,,, चलो छोड़ो सब बात मुझे अपना दूध पिला दो,,,

अरे बुद्धू अभी इसमें से दूध निकलता ही कहां है,,,


तो क्या हुआ मौसी मजा तो आता है ना चूसने में,,,


तू सच में बहुत शैतान हो गया है और थोड़ा कम बोल देख नहीं रहा है बगल में महारानी सो रही है,,,,


कसम से बोला अगर आज कमरे में दीदी नहीं होती तो सुबह तक तुम्हारी चुदाई करता,,,


क्यों आज तेरा जोश ईतना ज्यादा बढ़ गया है,,,,


तुम्हारी बातों से मौसी,,,, अब थोड़ा सा उठो और मुझे कुर्ती उतारने दो,,,।
(सुरज का इतना कहना था कि मंजू धीरे से उठ कर बैठ गई और सुरज अपने हाथों से उसकी कुर्ती उतारने लगा देखते ही देखते रात के अंधेरे में कमरे के अंदर मंजू पूरी तरह से नंगी हो गई लेकिन उसके नंगे पन को अंधेरे में सुरज देख नहीं पा रहा था लेकिन महसूस जरूर कर रहा था क्योंकि उसके दोनों हाथ मंजू की दोनों संतरा को थामें हुए थे,,, मंजू की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी फुली हुई कचोरी में से नमकीन चटनी निकल रही थी,,,, जिसको चाटने के लिए सुरज का मन तड़प रहा था,,,,,, लेकिन सुरज के हाथों में मंजू के संतरे आ जाने से कुछ देर के लिए उसका मन बदल गया था और वह अगले ही पल,,, मंजू के छुहारे को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,, मंजू उत्तेजना के मारे गदगद हो गई,,,,।

सुरज पूरी मस्ती के साथ मंजू की दोनों चूचियों को दबा दबा कर पी रहा था,,,,और मंजू मजे लेकर सुरज को अपना चूची पीला रही थी,,,।


सहहहहह आहहहहहह ऊईईईईई,,,, सुरज आहहहहहहह बहुत मजा आ रहा है रे,,,(मंजू मादकता भरी लेकिन एकदम धीमे श्वर में बोल रही थी,,,,,,यह डर दोनों को था कि कहीं पुनम जागना जाएं लेकिन जवानी के जोश और औरत के भजन की चाहत में इंसान सब कुछ भूल जाता है एक औरत के जिस्म को पाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहता है वैसा ही कुछ दोनों इस समय कर रहे थे कि बगल में पुनम के होने के बावजूद भी दोनों एक दूसरे से अपनी प्यास बुझाने की खातिर एक दूसरे के अंगों से मजे ले रहे थे एक दूसरे की हरकतों का पूरा लुफ्त उठा रहे थे सुरज तो फिर भी अभी पूरे कपड़ों में थाने की मंजू पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी उसके कपड़ों को उतारकर सुरज बगल में रख दिया था,,,,,।

सुरज जल्द से जल्द अपने मोटे तगड़े गंड को अपनी मौसी की बुर में डालकर उसकी चुदाई कर देना चाहता था लेकिन जुदाई से पहले की क्रीड़ा में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी और उसकी हर एक हरकत का मजा मंजू पूरे जोश के साथ लेती थी और इसीलिए सुरज जल्द ही अपनी मौसी की दोनों टांगों के बीच पहुंच गया रात के अंधेरे में कुछ भी दिख नहीं रहा था लेकिन सुरज को इतना तो अंदाजा था ही की मंजू चूची और बुर कहां है और इसीलिए वहां अपने दोनों हाथों को मंजू की गांड के नीचे डाल कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और अपने प्यासे होठों को कमरे के अंधेरे में मंजू की बुर पर रख दीया,,,,, जैसे ही सुरज के प्यासे होठ मंजू की तपती हुई बुर पर इस पर से हुई वैसे ही मंजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और वह अगले ही पर अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा‌ दी ताकि सुरज आराम से उसकी बुर का रस पी सके,,,मंजू की इस हरकत पर सुरज करके उसकी कमर को अपनी हथेली से दबा दिया और जितना हो सकता था उतनी जीभ को मंजू की गुलाबी बुर की गहराई में गाड दिया,,,

सुरज की यह हरकत इतनी ज्यादा मादकता भरी थी कि पहली बार में ही मंजू सुरज की जीभ के कारण अपनी उत्तेजना पर काबू नहीं कर पाई और भल भलाकर अपना मदन रसबहाने लगी,,,,,लेकिन सुरज ने अपनी मौसी की बुर में से निकले बदन रस को अमृत की बूंद समझकर जीभ से होले होले पूरा का पूरा चट कर गया,,, और एक बार फिर से अपनी मौसी को उत्तेजित करने में लग गया सुरज पागलों की तरह अपनी मौसी की बुर चाट रहा था उसके मदन रस में उसका पूरा चेहरा सन गया था और उसमें से उठ रही मादक खुशबू सुरज को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी देखते ही देखते सुरज अपनी दो उंगली को उसकी बुर में डालकर अंदर बाहर करने का ऐसा करने से मंजू पूरी तरह से चुदवाती हो गई और अपने मुंह से गर्मागर्म सिसकारी की आवाज निकालने लगी वह मदहोशी में भूल गई कि बगल में पुनम सो रही है,,,,।


गरमा गरम सिसकारी की आवाज कानों में पड़ते ही पुनम की नींद खुल गई ,,,,जवानी से भरी हुई पुनम जवानी का खेल खेल चुकी पुनम भला इस काम क्रीड़ा के गरमा गरम सिसकारी की आवाज को कैसे नहीं पहचानती प्यासी औरत के कानों में दूसरी प्यासी औरत की गरमा गरम सिसकारी की आवाज एकदम साफ सुनाई दे रही थी ऐसे में पुनम के होश उड़ गए क्योंकि जब उसे यह ज्ञात हुआ कि कमरे में तो केवल उसका भाई सुरज और उसकी मौसी मंजू ही सो रहे थे तो यह आवाज कैसी है,,,, मंजू अभी भी सुरज की हरकत की वजह से पूरी तरह से मदहोश होकर सिसकारी की आवाज निकाल रही थी कमरे के अंधेरे में भगवा को कुछ नजर नहीं आ रहा था बस दो काली परछाई नजर आ रही थी और उस काली परछाई उसे साफ दिखाई दे रही थी कि एक परछाई लेटी हुई है और दूसरी परछाई दोनों टांगों के बीच झुकी हुई है,,,,,पुनम की हालत खराब होने लगी गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह दोनों परछाई है किसकी उसके बगल में तो सुरज और मंजू सो रहे थे और दोनों के बीच इस तरह के संबंध स्थापित होना नामुमकिन था,,,,,

लगातार मंजू के मुंह से गर्मागर्म सिसकारी की आवाज आ रही थी दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी इसलिए दोनों की आवाज सुनने की कोई गुंजाइश पुनम को नजर नहीं आ रही थी क्योंकि दोनों अपने-अपने काम में लगे हुए थे,,,, पुनम के दिमाग में ढेर सारे सवाल उठने लगे वह सोचने लगी कि अगर दोनों परछाई उसके भाई सुरज और उसकी मौसी की हुई तो क्या होगा वह सोचने लगी कि क्या है इसे घरेलू रिश्तो के बीच इस तरह के संबंध मुमकिन है उसे समझ में नहीं आ रहा था उसकी आंखें जो देख रही थी उससे उसे बिल्कुल भी तसल्ली नहीं हो पा रही थी कि आखिरकार दोनों पर चाहिए किसकी यही जानने के लिए वह लालटेन को जलाना चाहती थी,,, उसकी भी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी आखिरकार वह भी जवानी से भरी हुई थी और एक औरत की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर उसके तन बदन में भी चुदवाश की लहर दौड़ रही थी क्योंकि शादीशुदा होने के बावजूद भी वह अभी तक प्यासी ही थी,,,, वह दोनों परछाई की हकीकत जानने के लिए धीरे से उठी और कोने में लटक रही लालटेन को जला दी लालटेन की लौ जलते ही पूरे कमरे में पीली रोशनी फैल गई और उस पीली रोशनी में उसकी आंखें जिस दृश्य को देखी उसे देख कर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और आश्चर्य से खुला का खुला रह गया,,,,।
 
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लालटेन के जलते ही लालटेन की पीली रोशनी में जो दृश्य पुनम की आंखों के सामने नजर आया उसे देखते ही पुनम के होश उड़ गए उसकी आंखें फटी की फटी रह गई और वह आश्चर्य से खुला रह गया क्योंकि उसने कभी सपने में भी इस तरह के दृश्य की कल्पना नहीं की थी,,,,,, पल भर में ही पुनम की सांसे धुकनी की तरह चलने लगी,,,उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी वह देख रही है वह हकीकत है या कोई सपना,,,,लालटेन की पीली रोशनी में उसे साफ नजर आ रहा था कि उसकी बुआ चटाई पर एकदम नंगी होकर पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी दोनों टांगें खुली हुई थी,,, टांगों के बीच सुरज जो कि अब पूरी तरह से जवान हो चुका था वह झुका हुआ था और वह उसकी बुर में अपनी जीभ डालकर चाट रहा था,,,,,,,,।

लालटेन की रोशनी कमरे में फैलते हैं मंजू और सुरज दोनों हक्के बक्के रह गए दोनों के होश उड़ गए दोनों की चोरी आज पकड़ी गई थी दोनों ने अपनी भावनाओं पर अपनी जवानी पर काबू नहीं कर पाए थे जिसका नतीजा यह था कि आज दोनों पुनम की आंखों के सामने काम क्रीडा में लिप्त नजर आ गए थे,,, जैसे ही लालटेन की रोशनी कमरे में पहली वैसे ही सुरज की जीभ मंजू की गुलाबी बुर में धंसी की धंसी रह गई,,, और मंजू को समझते देर नहीं लगी कि कमरे में लालटेन की रोशनी किसकी वजह से हुई है क्योंकि उसके बगल वाली जगह खाली थी वह पुनम से नजर तक मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी,,,, पुनम उसी तरह से आश्चर्य से भरी हुई ही बोली,,,।

यह क्या हो रहा है,,,?

(पुनम के सवाल का जवाब ना तू सुरज के पास था और ना ही मंजू के पास क्योंकि दोनों आज रंगे हाथ पकड़े गए थे अगर कोई पुनम को उन दोनों के बारे में उन दोनों की बात बताता तो शायद यह जानकर सुरज और मंजू अपनी तरफ से अपने बचाव में कुछ कह भी सकते थे लेकिन यहां कहने के लिए कुछ भी नहीं था,,,, सुरज एक बार पुनम की तरफ देखा और दूसरी बार उसकी तरफ देखने की उसकी हिम्मत नहीं हुई वह धीरे से अपना मुंह मंजू की बुर से हटाया और बगल में पड़ी चादर को खुद ही मंजू के नंगे बदन पर डाल दिया और वही सर पकड़ कर बैठ गया,,,,पुनम जान चुकी थी कि दोनों के पास कहने के लिए कोई शब्द नहीं थे इसलिए वह उन दोनों की तरफ आगे बढ़ी और दोनों को लगभग डांटते हुए बोली,,,,।)

यह सब क्या हो रहा है बुआ,,,, और वह भी सुरज के साथ सुरज तुझे बिल्कुल भी शर्म नहीं आई इस तरह की हरकत करते हुए और वह भी अपने ही मौसी के साथ,,,,।

दीदी मैं,,,,


बस चुप हो जा मुझे कुछ नहीं सुनना तुम दोनों आपस में ही इस तरह का गलत काम कर रहे हो पवित्र रिश्ते को तार-तार कर रहे हो,,,, मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मुझे यह सब देखना पड़ेगा,,,,।
(मंजू तो पुनम की बात सुनकर रोने लगी थी और सुरज वहीं पास में खामोश हुए सिर्फ पुनम की बातें सुन रहा था,,,,)

तुम दोनों को यह सब करते शर्म नहीं आई,,,,,, अगर मां और बाबू जी को पता चलेगा तो क्या होगा तुम दोनों को पता है,,,,।

(इतना सुनते ही मंजू झट से अपनी जगह पर उठ कर बैठ गई और पुनम का पांव पकड़ ली और बोली,,)

नहीं नहीं पुनम ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,, नहीं तो मैं मर जाऊंगी,,,,,,।


अरे अरे यह क्या कर रही हो बुआ,,,, तुम पहले मेरा पांव छोड़ो,,,, पागल हो गई हो मेरा पैर पकड़ रही हो,,,,
(अपने पैर छुड़ाने में मंजू के बदन से सुरज के द्वारा डाली गई चादर हट गई और उसकी नंगी चूचियां पुनम को नजर आने लगी जो कि बेहद खूबसूरत गोलाई लिए हुए थी,,,, और पुनम की खुद की चूची बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी हो गई थी क्योंकि वह लगभग गांव में शादी से पहले रोज ही लड़कों से दबवाती थी और उन्हें पिलाती भी थी,, इसलिए उसे अपनी मौसी की संतरे जैसी चूचियां आकर्षित कर रही थी,,,, पुनम की वहीं बैठ गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं लेकिन जिस तरह का नजारा उसने अपनी आंखों से देखी थी उसे देखकर उसके तन बदन में हलचल सी मच ने लगी थी वह भी उत्तेजना महसूस कर रही थी और इसी के चलते उसकी बुर से भी मदन रस टपक रहा था,,,लालटेन की पीली रोशनी में उसने साफ देखी थी कि कितने मजे लेकर उसकी बुआ सुरज से अपनी बुर चटवा रही थी,,,। पुनम खेली खाई जरूर थी लेकिन उसने कभी बुर चटाई का आनंद नहीं ली थी क्योंकि गांव में इत्मीनान से चोरी-छिपे चुदवाने का मजा उसने नहीं ले पाई थी बस जहां भी मौका मिलता था वहां पर अपनी सलवार खोल कर खड़ी हो जाती थी,, और चुदवा लेती थी इतना ही उसे मौका मिल पाता था और कभी-कभी केवल कमीज के ऊपर से या कम इसको थोड़ा उठाकर चूची को दबवाने का मजा ले लेती थी,,, हालांकि उसे चुची दबवाने का शुख ज्यादा मिला था लेकिन बुर पर लंड के सिवा होंठों का स्पर्श आज तक नहीं हुआ था,,,इसलिए तो इस अद्भुत दृश्य को देखकर उसके मन में भी भावनाएं जागने लगी उसकी भी इच्छा जोर करने लगी,,,,वह सिर्फ दोनों को डराना धमकाना चाहती थी ताकि उसका भी उल्लू सीधा हो सके आखिरकार शादी के बाद से वह प्यासी ही थे और एक प्यासी औरत को और क्या चाहिए था,,,, सब कुछ उसकी आंखों के सामने ही था,,, बस उसे अच्छी तरह से अपने लिए उपयोग में लाना था,,,,, कुछ देर की खामोशी के बाद पुनम बोली,,,।)

चुप रहो बुआ रोना बंद करो मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि तुम दोनों के बीच इस तरह का संबंध स्थापित हो जाएगा मुझे तो देखकर एकदम शर्म आ रही है लेकिन तुम चिंता मत करो मैं मां और बाबू जी को कुछ भी नहीं बताऊंगी,,,।
(इतना सुनते ही दोनों की आंखों में चमक आ गयी दोनों आश्चर्य से; पुनम की तरफ देखने लगी इस बात से उन दोनों को संतुष्टि थी कि पुनम उन दोनों की बात किसी को नहीं बताएगी,,,, पुनम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
मैं किसी को कुछ भी नहीं बताऊंगी लेकिन मुझे यह जानना है कि तुम दोनों के बीच आखिर यह रिश्ता कैसे जन्म ले लिया,,, ऐसा तो बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए था,,,, बोलो बुआ,,,।


पुनम मैं तुझसे बड़ी हूं,,,, लेकिन मेरे से जल्दी तेरी शादी हो गई एक औरत होने के नाते तुझे भी है पता होना चाहिए कि समय आने पर औरत को मर्द की जरूरत पड़ने लगती है,,,मुझे भी ऐसा महसूस होने लगा था लेकिन मैं कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि मेरा रिश्ता अपने ही भतीजे के साथ हो जाएगा,,,,,,, लेकिन यह सब करने का मेरा इरादा बिल्कुल भी नहीं था जो कुछ भी हुआ अनजाने में ही हुआ,,, ना तो इसमें मेरी कोई गलती है और ना ही सुरज की,,,


वही तो मैं पूछ रही हूं मौसी कि ऐसा कैसे हो गया क्यों तुम इतना मजबूर हो गई,,,।

(अपनी बड़ी बहन की बातों को सुनकर सुरज को भी तसल्ली हो रही थी कि उन दोनों का राज,, राज ही रहेगा उसकी बड़ी दीदी ऐसा कुछ भी नहीं करेगी जिससे दोनों को शर्मिंदा होना पड़े,,,, मंजू भी इत्मीनान हो चुकी थी वह खुलकर बताने लगी थी वह बोली,,,)

मजबूर,,,, पुनम ,,, मेरी जगह अगर तू होती तो तेरा भी वही हाल होता जो मेरा उस समय था,,,,,,

ऐसा क्या हो गया था,,,,(पुनम उत्सुकता दिखाते हुए बोली,,)

यह पूछ क्या नहीं हुआ,,,, मेरा तो दिमाग ही घूम गया था,,,


अरे बताएगी भी या ऐसे ही पहेलियां बुझती रहेगी,,,

(सुरज बड़े गौर से देने की बातों को सुन रहा था,,, जिस तरह की उत्सुकता पुनम दिखा रही थी उसे देखते हुए सुरज का दिमाग घूम रहा,,, था,, गांव की बहुत सी औरतों के संगत में आकर सुरज औरतों के मन का हाल समझने लगा था,,, इसीलिए तो वह पुनम के मन की जिज्ञासा को भांपकर अंदर ही अंदर प्रसन्न हुआ जा रहा था,,,, पुनम की बात सुनकर मंजू बोली,,)


अरे क्या बताऊं पुनम ,,,, यह सब बात में किसी को बताती नहीं लेकिन तुझे बताना पड़ रहा है क्योंकि मजबूरी है,,,,


इसीलिए तो कह रही हूं मौसी जल्दी से बता दो,,,(अपने होठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए पुनम बोली )


तू तो जानती ही है मैं और सुरज एक ही खटिया पर सोते हैं लेकिन उस दिन से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था कि मेरे मन में सुरज को लेकर गलत भावना जागी हो साथ में भले सोते थे लेकिन ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था,,, सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैं आलस मरोडते हुए खटिया पर बैठ गई बाहर अभी भी अंधेरा था,,,कमरे में लालटेन चल रही थी और लालटेन की पीली रोशनी पूरे कमरे में जगमगा रही थी मैं सोची सुबह हो गई है तो सुरज को भी चढ़ा दूं इसलिए सुरज की तरफ देख कर उसे जगाने ही वाली थी कि मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी जो कि टुवाल लपेटे होने की वजह से उसका लंड बाहर निकला हुआ था और पुनम कसम से मेरी तो हालत ही खराब हो गई,,, सुरज का लंड कितना मोटा और तगड़ा और लंबा है कि पूछो मत,,, छत की तरफ टनटना कर खड़ा था सच कहूं तो पुनम ,,, सुरज का लंड देखते ही मेरी बुर कुलबुलाने लगी,,, इस तरह से कहने में अब मुझे तेरे सामने किसी भी प्रकार की शर्म नहीं है क्योंकि जो सच है वह सच है,,,,

(अपनी बुआ की बात सुनकर पुनम अपने मन में सोचने लगी कि सुरज के पास ऐसा कैसा लंड है किसी से देखकर मौसी रिश्ते नातों को एक तरफ रख कर उसके ऊपर ही चढ़ गई,,,और उसके मन में यह ख्याल आने लगा कि गांव के सभी जवान लड़कों का लगभग उसने लंड को देखी थी और उसे अपनी बुर में ले भी चुकी थी,,, मौसी के बताए अनुसार इतना तो दमदार किसी का भी नहीं था,,, यह सब सोचकर पुनम की उत्सुकता सुरज भाई के लंड को देखने के लिए बढ़ने लगी,,, कुछ देर तीनों के बीच शांति छाई रही और फिर मंजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

सच कहूं तो पुनम सुरज के लंड को अपने हाथ में पकड़ने की इच्छा को मैं रोक नहीं पाई और उसे में अपना हाथ बढ़ा कर पकड़ ली सुरज का लंड कितना गर्म था कि लंड को पकड़ते ही उसकी गर्मी से मेरी बुर का पानी पिघलने लगा,,,

(अपनी बुआ के मुंह से इतनी गंदी बात को सुनकर पुनम के तन बदन में आग लगने लगी,,,) और उसी समय सुरज की नींद खुल गई पहले तो वह एकदम से घबरा गया लेकिन सच कहूं पुनम सुरज के लंड को छोड़ने की मेरी इच्छा बिल्कुल भी नहीं हो रही थी इसलिए मैं उसके लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगी थोड़ी ही देर में सुरज मेरी आंखों की भाषा को समझ गया,,, आखिरकार वह भी पूरी तरह से जवान था और आंखों ही आंखों में इशारा होते ही मैं वापस खटिया पर लेट गई और अपनी सलवार उतार कर एक तरफ फेंक दी बाहर अभी भी अंधेरा था इसलिए हम दोनों के पास समय था सुरज को कुछ भी नहीं आता था और ना मुझे लेकिन इतना तो मैं जानती थी कि चुदाई कैसे होती है इसलिए मैं खुद ही अपनी टांगे फैलाकर,,, सुरज के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर पर रख दिया और उसे अंदर डालकर अपनी कमर हिलाने के लिए बोली बस फिर क्या था यह सिलसिला शुरू हो गया और आज तक चालू ही है,,, मैं आज तुझे बता रही हूं पुनम मैं तुझसे बड़ी हूं सबसे पहले मेरे बदन में जवानी चिकोटि काट रही थी मेरी शादी तुझसे पहले होनी चाहिए थी लेकिन ना जाने क्यों भैया ने तेरी शादी पहले कर दी इसलिए मुझे तुझसे थोड़ी जलन होती थी लेकिन सुरज के मिल जाने के बाद मुझे तेरी शादी का कोई भी अफसोस नहीं रह गया मुझे तो सुरज के साथ बहुत मजा आता है,,,,

(मंजू सब कुछ बिना शर्माए बता दें क्योंकि वह जानती थी कि अब पुनम से शर्म करने का कोई फायदा नहीं है और उसे यकीन था कि सुरज के लंड के बारे में सुनकर पुनम का भी मन डोल उठेगा भले ही वह उसकी बहन हे,,,, भाई बहन के रिश्तो के बीच वह पहले से ही चुदाई का सुख भोग चुकी थी इसलिए उसकी नजर में भाई बहन के रिश्ते की मर्यादाऔर पवित्रता कोई मायने नहीं रखती थी और इस बात को भी वह भली-भांति जानती थी कि जब औरत के बदन में चुदास की लहर उठती है तो वह यह नहीं देखती कि सामने वाला मर्द उसका भाई है चाचा है मामा है या भांजा है बस उसे तो अपनी प्यास बुझाने से मतलब होता है,,,, और जिस तरह की बात उसने पुनम को बताई थी पक्के तौर पर उसे यकीन था कि उसकी बुर भी पानी छोड़ रही होगी इसलिए पुनम कुछ बोलती उससे पहले ही मंजू अपना दांव खेलते हुए बोली,,,)

देखेगी पुनम अपने भाई के लंड को,,,, बस एक बार देख ले तेरा इरादा ना बदल जाए तो कहना,,,
(इतना सुनते ही सुरज का मन प्रसन्नता से झूमने लगा उसे लगने लगा कि उसकी बहन भी अब उससे चुदने वाली है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर आनाकानी करते हुए बोला)

नहीं नहीं बुआ ऐसा नहीं हो सकता,,, वह मेरी दीदी है मैं ऐसा नहीं कर सकता,,,


अरे बुद्धू मैं तुझे तेरी दीदी को चोदने के लिए नहीं बोल रही हूं उसे सिर्फ तेरा हथियार दिखाने के लिए बोल रही हु,,,


नहीं मौसी मुझे शर्म आ रही है,,,,


अरे पगले मेरे साथ तुझे शर्म नहीं आती मैं तो तेरी मौसी हूं ना,,,,
(मंजू और सुरज के बीच की बात को सुनकर पुनम से रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द अपने भाई के लंड को देखना चाहती थी,,,, इसलिए वह खुद ही बोली,,,)

दिखा दे सुरज नहीं तो मैं तुम दोनों की करतूतें मारऔर बाबू जी को बता दूंगी,,,,।

(अपनी बहन की बात सुनकर सुरज को बिल्कुल भी डर नहीं लगा क्योंकि वह समझ चुका था कि उसकी बहन के मन में क्या चल रहा है लेकिन फिर भी डरने का नाटक करते हुए बोला,,,)

नहीं नहीं दीदी ऐसा बिल्कुल भी मत करना मैं दिखाता हूं,,,
(इतना कहना के साथ ही सुरज खड़ा हो गया और पहले से ही अपनी मौसी की गरमा गरम बातों को सुनकर उसका लंड खड़ा हो चुका था जो कि पजामे में पूरी तरह से तंबू बनाया हुआ था इस पर नजर पड़ते ही महुवा के तन बदन में सनसनी सी दौड़ने लगी अपनी मौसी की कही बात उसे सच लगने लगी,,,,खेली खाई पुनम को समझ में आ गया था कि पजामे के अंदर वाकई में गदर मचाने वाला हथियार है,,,,सुरज जानबूझकर अपनी दीदी के सामने बिल्कुल भी शर्मनाक करते हुए एकदम से खड़ा हो गया था,,,, मंजू पास में बैठ कर मुस्कुरा रही थी,,,,, सुरज मंजू की तरफ देखा तो मंजू बोली,,)

शर्मा मत दिखा दे वैसे भी तेरे जीजा तेरी दीदी की चुदाई नहीं कर पाते हैं,,, इसलिए तो तेरी दीदी प्यासी है,,,,।
(कोई और समय होता तो शायद अपनी मौसी की बात का पुनम को बहुत बुरा लगता लेकिन इस समय का हालात बिल्कुल अलग था इसलिए अपनी मौसी की बात का उसे बिल्कुल भी अफसोस नहीं हो रहा था वह तो वह तो उत्सुक थी अपने भाई के नंगे लंड को देखने के लिए,,,, और सुरज भी ललाईत था अपने लंड को अपनी बहन को दिखाने के लिए इसलिए वह पजामे को पकड़कर एक झटके में नीचे कर दिया और उसका लंड लहरा के एकदम से बाहर आ गया पहचाने से बाहर आकर झूलते हुए लंड को देखकर वाकई में पुनम की बुर से पानी गिरने लगा पुनम तो आश्चर्य से अपनी हथेली को अपने मुंह पर लगा दी,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसने आज तक इस तरह का लंबा तगड़ा मोटा लंड नहीं देखी थी,,,, पुनम के तन बदन में हलचल सी होने लगी और वह अपने मन में

सोचने लगी कि वाकई में उसकी बुआ जो कुछ भी कह रही थी सच कह रही थी इस बड़े लंड को देखकर तो कोई भी औरत अपनी राह भटक जाए,,,, इसे अपने अंदर लेने के लिए किसी भी औरत का मन मचल जाए,,,,।)

बाप रे,,,,(पुनम एकदम आश्चर्य जनक शब्दों में बोली सुरज अपनी दीदी के मुंह से यह शब्द सुनकर अंदर ही अंदर बहुत खुश होने लगा वह समझ गया था कि उसकी दीदी भी अपनी दोनों टांग उसके लिए खोलने वाली है,,,, पुनम की हालत को देखकर मंजू उसकी जवानी की आग में घी डालते हुए बोली,,,,)

पकड़ ले पुनम सुरज के लंड को,,,,,, देख क्या रही है मैं जानती हूं तू प्यासी है तेरा पति तुझे ठीक से चोद नहीं पाता इसीलिए तु मां नहीं बन पा रही है अब तो तेरे पास मौका और दस्तूर दोनों है,,,, यह राज हम तीनों के बीच ही रहेगा,,, अपने भाई से चुदवा कर अपने पांव भारी कर ले कहीं ऐसा ना हो जाएगी तेरे ससुराल वाले तेरे पति की शादी दूसरे जगा कर दे और तुझे ठोकर खाने के लिए छोड़ दें,,,,।
(मंजू की बातें पुनम के दिमाग पर हथौड़े की तरह बज रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसके मौसी के कहे अनुसार वास्तव में वह आप एकदम प्यासी थी और मां बनने वाली बात से वह समझ नहीं पा रही थी कि वह क्या करें क्योंकि उसके ससुराल वाले उसके पति की गलती मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं थे जिस तरह का रवैया उन लोगों का था उसे देखते हुए महुवा को भी लग रहा था कि कहीं उसे घर से बाहर ना निकाल दें,,,, लेकिन फिर अपने मन में सोचने लगी कि अगर सुरज से चुदवा कर वह गर्भवती हो गई,,तो,,, क्या होगा,,, यह बात अगर किसी को पता चल गई तो क्या होगा,,, सुरज के बच्चे की मां बनने में कैसा लगेगा,,,, फिर अपने ही सवाल का जवाब अपने आप को देते हुए वह अपने मन में सोची,,,, लोगों को पता ही नहीं चलेगा कि यह बच्चा किसका है उसका घर संसार भी बच जाएगा और एक अद्भुत सुख और तृप्ति का एहसास उसे भी मस्त कर देगा,,, काफी सोच विचार करने के बाद भगवा अपने मन में ठान ली,,,, सुरज अभी भी उसी तरह से खड़ा था उसे आप अपनी बहन के सामने अपना लंड दिखाने में बिल्कुल भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी बल्कि वह अपनी बहन की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए खुद अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाना शुरू कर दिया जिसे देखकर पुनम से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा अपना हाथ आगे बढ़ाकर सुरज के लंड को थाम ली,,,जवानी और मर्दाना ताकत से भरे हुए सुरज के लंड की गर्मी को अपनी हथेली में महसूस करते ही पुनम को वह गर्मी अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस होने लगी और उस गर्मी को पाकर उसकी बुर से मदन रस पिघलने लगा,,,,, और उत्तेजना के मारे पुनम ने सुरज के लंड को अपनी मुट्ठी में और जोर से कस ली ऐसा करने से उसके मुख से अनजाने में ही गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।

सहहहहह आहहहहहहह सुरज,,,
 
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पुनम शादी के बाद से एकदम प्यासी थी,,, और रात को अनजाने में ही अपनी आंखों से जो नजारा उसने देखी थी,,, उसे देखकर वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,,, उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था अपनी बुआ के कहने पर उसने अपनी आंखों से सुरज के लंड क को देखकर पूरी तरह से मस्त हो गई उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि किसी का लंड ईतना मोटा लंबा और तगड़ा होता है इसलिए उसे छूने की अपनी लालच को वह दबा नहीं पाई अपनी बुआ के कहने पर वह अपना हाथ बढ़ा कर सुरज के लंड को अपनी मुट्ठी में दबा ली,,, लंड की मोटाई और गरम महसूस करते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौडने लगी और साथ ही लंड की गर्मी पाकर उसकी बुर से मदन रस पिघलने लगा,,,,,।
यह बेहद अद्भुत नजारा था जिसके बारे में तीनों में से किसी ने भी कल्पना नहीं किया था वैसे तो सब कुछ कल्पना से परे यह होता जा रहा था लेकिन इस समय कमरे का नजारा जो बना हुआ था वह बेहद कामोत्तेजना से भरा हुआ था,,, मंजू जो की पूरी नंगी थी वह बैठी हुई थी और सुरज अपने पजामे को घुटनो तक नीचे करके अपने खड़े लंड को पुनम को दिखा रहा था और पुनम बिल्कुल भी सोच विचार किया दिलाई अपना हाथ बढ़ा कर उसके लंड को पकड़े हुए थे,,,, उत्तेजना के मारे पुनम के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी थी वह पल भर में ही शादी के पहले के सारे दृश्य को याद करने लगी उसने गांव के लगभग लगभग सभी लड़कों से चुदाई का आनंद लूटी थी लेकिन जिस तरह का लंड सुरज का था उस तरह की लंड से वह कभी भी मुखातिब नहीं हो पाई थी इसलिए तो सुरज के लंड को पकड़ कर वह पूरी तरह से मचल उठी थी उसकी गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर हमको मंजू बोली,,,।

क्यों रे पुनम क्या हुआ,,, निकल गई ना तेरी सिसकारी,,,, जब तेरा यह हाल है तो सोच मेरा क्या हुआ होगा,,,,मुझे पूरा यकीन है कि तेरा भी मन इसे अपनी बुर में लेकर चुदवाने को कर रहा होगा,,,,।
(मंजू की बातों को सुनकर एक तरफ सुरज पूरी तरह से मस्ती से सराबोर हुआ जा रहा था क्योंकि एक तरह से उसकी मौसी उसका ही काम कर रही थी,,, और दूसरी तरफ मंजू की बात को सुनकर पुनम हक्की बककी हो गई थी,,, क्योंकि सीधे-सीधे उसकी बुआ उसे सुरज से ही चुदवाने के लिए बोल रही थी,, उत्तेजना के मारे पुनम का गला सूखता चला जा रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था जो कुछ भी उसकी बुआ कह रही थी उसमें उसकी ही भलाई थी,, लेकिन उसे शर्म भी आ रही थी क्योंकि आज तक उसने किसी रिश्ते के बीच अवैध संबंध को ना तो देखी थी और ना ही उसके बारे में कभी सुनी थी इसीलिए सुरज के साथ शारीरिक संबंध बनाने में उसे अजीब लग रहा था,,, सुरज अपनी मौसी की बात सुनकर पुनम के जवाब का इंतजार कर रहा था और उसे पक्के तौर पर मालूम था कि जिस तरह से पुनम ने उसके लंड को पकड़ कर अपने आप पर काबू न कर पाने कि सूरत में उसके मुख से गरमा गरम सिसकारी फूट पड़ी थी उसे देखते हुए उसे समझ में आ गया था कि पुनम की दोनों टांगें उसके लिए जरूर खुलेगी,,,,,, वह कुछ बोल नहीं रहा था बस स भरी नजर से अपनी मौसी और अपनी दीदी को देख रहा था पुनम को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले वह कभी मंजू को तो कभी सुरज सुरज को देख रही थी लेकिन हाथ में अभी भी सुरज का लंड पकड़े हुए थे जिससे वह धीरे-धीरे करके हिला रही थी,,, उसे इस तरह से विचार मग्न देखकर मंजू फिर बोली,,,।)


क्या सोच रही है रे किसी को कानों कान खबर तक नहीं पड़ेगी तेरा काम भी बन जाएगा और तेरी प्यास भी बुझ जाएगी जानती हो ना ससुराल में बच्चे ना होने से कितने ताने सुनना पड़ता है और तो और ससुराल वाले कहीं तुझे घर से निकाल दिया तब तू क्या करेगी,,,।
(पुनम के लिए उसकी बुआ की बातें सोचने पर मजबूर कर दी थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह ऐसा दिन भी देखेगी सुरज के बारे में तो इस तरह कि उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी भले ही वह बेहद कामुक लड़की होने के साथ-साथ गांव के लड़कों से चुदाई का सुख प्राप्त कर चुकी थी लेकिन सुरज के बारे में कभी भी वह गलत नहीं सोची थी लेकिन आज कमरे में सुरज के लंड को पकड़कर और पूरी तरह से मचल उठी थी उसे अपनी बुर में लेने के लिए,,,। लंड की गर्मी उसे मदहोश कर रही थी वह अपनी बुआ की तरफ देख कर बोली,,,)

लेकिन बुआ यह मेरे छोटे भाई जैसा है,,,


मेरा भी तो भतीजा है,,, लेकिन मैंने तो रिश्ते नाते नहीं देखी अरे पगली जब बुर में आग लगी होती है ना तो बुर भाई बाप नहीं देखती बस देखती है तो उनका लंड क्योंकि उनकी बुर में जाकर उनकी प्यास बुझा सके और मैं दावे के साथ कह सकते हो कि तेरी प्यास को तृप्त करने वाला इस समय से तेरा भाई नहीं है जो तुझे चोद कर तुझे तृप्त भी करेगा और तुझे पेट से भी करेगा ताकि तू अपने ससुराल में सर उठाकर जी सकें,,,,,,,।

(मंजू की बातें पुनम को १०० फ़ीसदी सच लग रही थी जो कुछ भी पुनम अपने कानों से सुन रही थी उसमें उसका ही फायदा था आखिरकार वा उसकी बुआ थी कोई गैर तो थी नहीं और वैसे भी अपनी बुआ की बात ना मानती तो भी पुनम का मन सुरज से चुदवाने के लिए मचल उठाना,,, फिर भी वह थोड़ी देर खामोश रहने के बाद बोली,,,)

सुरज को तो एतराज होगा ना,,,,


अरे तू कैसी बातें कर रही पगली भला सुरज को इसमें कौन सा एतराज होगा उसके तो मजे ही मजे हैं एक और वह उसे चोदने को मिल जाएगी,,, और अपने मजे के साथ साथ वह तेरा दुख भी दूर कर देगा,,, क्यों सुरज तुझे कोई ऐतराज है,,,(सुरज की तरफ देखते हुए मंजू बोली,,, सुरज की उत्तेजना बढ़ती जा रही क्योंकि अब वह पुनम की चुदाई करने वाला था इसलिए बिना जवाब दिए ही वह,,, अपना हाथ आगे बढ़ा कर पुनम की छाती पर से उसके साड़ी का पल्लू पकड़ कर नीचे गिरा दिया और उसकी आंखों के सामने उसकी बड़ी बहन की भारी-भरकम चूचियां जोकि ब्लाउज में कह दी थी वह पूरी तरह से अपना आकर्षण जमाने लगे ब्लाउज का ऊपर का एक बटन खुला हुआ था जिसकी वजह से उसकी भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूचियां बाहर को निकलने को तैयार थी,,,, इस हरकत से पुनम एकदम शर्म से लाल हो गई क्योंकि सुरज ने बिना कुछ बोले ही उसकी जवानी पर से पर्दा हटा दिया था शर्मा कर पुनमने अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, लेकिन अभी भी उसके हाथ में सुरज का लंड था,,, सुरज की हरकत देखते हुए मंजू बोली,,,)


देखी मेरी पुनम रानी तेरे सुरज भाई को कोई एतराज नहीं है उसे तो बस बुर से मतलब है और बुर मौसी की हो या दीदी की,,, इसे अगर मौका मिले तो यह तो तेरी मां की भी चूदाई कर दे,,,,(अपनी बुआ की यह बात सुनकर सुरज अपनी मौसी की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी और अपनी मौसी की बात और सुरज का मुस्कुराता हुआ देखकर पुनम शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी उसे समझ में आ रहा था कि सुरज कितना बदल चुका है और उसे बदलने में उसकी मौसी का पूरा हाथ है,,,, इन सब बातों का इस समय कोई मायने नहीं था इस बात को वह भी अच्छी तरह से जानती थी वह भी २ साल से प्यासी थी इसलिए आज सुरज के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में लेकर अपनी प्यास बुझाना चाहती थी जिसके लिए वह पूरी तरह से लालायित भी थी,,,वह अपने मन में यही सब सोच रही थी कि सुरज अपनी हरकत को आगे बढ़ाते हुए ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया था,,,,,,पुनम की चूची को ब्लाउज के ऊपर से ही अपने हाथ में लेते ही सुरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी पुनम के बारे में उसने आज तक कभी इस तरह की भावना नहीं रखा था और वह भी शायद इसलिए कि पुनम २ साल पहले ही शादी करके अपने ससुराल जा चुकी थी और उस समय का सुरज मैं और इस समय के सुरज में जमीन आसमान का फर्क था,,,, अगर इस समय पुनम का विवाह ना हुआ होता तो शायद सुरज अब तक पुनम को कब से चोद चुका होता,, जब वह अपनी मामी को चोदने की लालसा में पूरी तरह से जल रहा था तब तो पुनम खुद ही पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी ऐसे में वह पुनम को जरूर चोदता,,,,,,, क्योंकि सुरज अधिकतर औरतों की बड़ी-बड़ी कौन-कौन गांड से आकर्षित होता था और पुनम की गांड तो बवाल थी,,, उसकी गोल-गोल साड़ी में कसी हुई बड़ी बड़ी गांड देखकर,,, सुरज का मन जरूर उसके ऊपर मोहित हो गया होता,,,, वैसे भी सुरज की मुलाकात पुनम से शाम ढलने के बाद हुई थी अंधेरे में वह पुनम को ठीक से देख नहीं पा रहा था लेकिन इस समय लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था पहली बार वह पुनम की बड़ी बड़ी चूचीयो पर नजर गड़ाया हुआ था जिसे वो खुद अपने हाथों में लेकर जोर जोर से दबा रहा था,,,, पुनम सुरज के हथेलियों की ताकत को देखकर रोमांचित हुए जा रही थी क्योंकि उसे इतनी सही समझ में आ गया था कि सुरज रात भर उसको रगड़ कर चोदेगा,,, और यही तो वह चाहती थी,,,,,,।

लालटेन की पीली रोशनी में सुरज पुनम की मदमस्त कर देने वाली जवानी को अपनी आंखों से देख कर पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था और इसी मदहोशी का कसर वह पुनम की चूची पर उतार रहा था,,,जिसे वो ब्लाउज के ऊपर से ही जोर जोर से दबाता हुआ पुनम की गरमा गरम संस्कारी निकाल रहा था,,, उत्तेजित होते हुए पुनम अपनी बुर से पानी छोड़ रही थी,,,,,, और सुरज पुनम की चूची दबाता हुआ मस्त होकर बोला,,,।

सहहहह आहहहहह,,, क्या मस्त चूचियां है दीदी,,,,

(सुरज की बात सुनकर मंजू बोली,,,)

देखी पुनम रानी तेरे सुरज की बेशर्मी और तुझे लगता था कि सुरज तुझे चोदने के लिए तैयार नहीं होगा अरे तूने अभी इसकी बेशर्मी देखी कहां है देखना एक बार जब तेरी बुर में लंड जाएगा ना तो तेरी ऐसी चुदाई करेगा कि तू पानी मांगने लगेगी,,,,,,

(अपनी बुआ की बात सुनकर मंजू पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी उससे कुछ बोला नहीं जा रहा था हम अपने बाल की हरकत से पूरी तरह से हैरान थी कि सुरज में जरा भी शर्म लिहाज नहीं रह गया था पहली बार में ही वह पुनम के साथ बिना शर्मा इस तरह की हरकत कर रहा था इस बात से पुनम पूरी तरह से हैरान भी थी और आनंदित भी हो रही थी,,,,)

हाय दीदी तेरी चूचियां ब्लाउज में जब इतनी कसी हुई है तो नंगी कितनी मस्त लगती होगी,,,, रुक दीदी मैं तेरा ब्लाउज उतारता हूं,,,।
(पुनम की तो सांसे ऊपर नीचे हो रही थी इतनी भाई की बातों को सुनकर और वह भी बेहद गंदी,,,, शर्म से और उत्तेजना से पुनमकी टांगें थरथरा रही थी क्योंकि बिना उसका जवाब सुने ही सुरज अपनी ऊंगलीयो को हरकत मे लाते हुए उसके ब्लाउज के बटन खोलना शुरू कर दिया था जैसे-जैसे बटन खुलता जा रहा था वैसे वैसे पुनम की सांसे ऊपर नीचे होती जा रही थी और देखते-देखते सुरज पुनम के ब्लाउज का आखिरी बटन खोल दिया उत्तेजना के मारे और इस बात के एहसास से की अब उसकी चूचियां उसके भाई की आंखों के सामने एकदम नंगी हो जाएंगी और वह इस अहसास से पूरी तरह से उत्तेजित हो गई और सुरज के लंड को कस कर अपनी मुट्ठी में दबोच ली,,, वह इतनी कसकर लंड को मुट्ठी में दबाई थी कि सुरज की चीख निकलने वाली थी लेकिन वह पुनम के सामने पहली बार में ही कमजोर नहीं देखना चाहता था इसलिए अपने लंड के दर्द को वह पुनम की चूची को देखने की खुशी में पी गया था,,, और ब्लाउज केखुलते ही जो नजारा उसकी आंखों के सामने दिखाई दिया उसे देखकर उसका मुंह खुला का खुला रह गया,,,,।

पुनम की बड़ी-बड़ी और गोल-गोल चुचियां एकदम आकर्षक लग रही थी और वह भी तनी हुई,,, बड़ी होने के बावजूद भी चुचियों में जरा सा भी लचक पन नहीं था,,, पुनम की चूची को देखते ही सुरज के मुंह में पानी आ गया सुरज पुनम की चूची को देखता ही रह गया और यह देखकर कि सुरज उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को प्यासी नजरों से देख रहा है पुनम की आंखें शर्म से झुक गई उसके तन बदन में खलबली सी मचने लगी,,, पुनम गांव के बहुत से लड़कों के साथ चुदाई का खेल खेल चुकी थी,,। लेकिन इस तरह से किसी भी लड़की के सामने शर्म से पानी पानी नहीं हुई थी लेकिन सुरज के सामने उसे बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि चाहे कुछ भी हो रिश्ते से तो वह उसका छोटा भाई ही था इसलिए पुनम के गाल शर्म से लाल हुए जा रहे थे और दूसरी तरफ सुरज एकदम बेशर्म बनता हुआ अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाया और पुनम की छाती को दबाना शुरू कर दिया,,,, पल भर में ही पुनम के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,, सुरज की हरकतों से पुनम बहुत ही जल्द गर्म होने लगी थी दूसरी तरफ मंजू मुस्कुराते हुए दोनों की हरकत को देख रही थी,,, दोनों खड़े थे और मंजू घुटनों के बल बैठ गई थी वह अपने ऊपर से चादर को पूरी तरह से हटा चुकी थी कमरे में इस समय मंजू ही पूरी तरह से नंगी थी बाकी पुनम अर्धनग्न अवस्था में थी,,, और सुरज के बदन पर अभी भी उसके सारे वस्त्र थे,,,, पुनम की गरम सिसकारी की आवाज सुनकर मंजू बोली,,,।

देखी ना मेरी रानी तेरी हालत खराब होने लगी ना,,,, अरे तेरा भाई है ही ऐसा किसी भी औरत का पानी निकाल दे,,,,
(इतना कहते हुए मंजू खुद ही अपनी नारंगी यों को जोर जोर से दबा रही थी,,,,पुनम की बड़ी बड़ी चूची को दबाते हुए सुरज अपने मन में यही सोच रहा था कि उसकी मौसी उसकी बड़ी दीदी से बड़ी होने के बावजूद भी उसकी चूची नारंगी की तरह छोटी थी लेकिन उसकी दीदी की चूची बड़ी-बड़ी थी,,,, जो कि यह बात सुरज बिल्कुल भी नहीं जानता था कि पुनम गांव के लड़कों से अपनी चूची दबवा दबवा कर बड़ी कर दी है,,,, अपनी बुआ की बातें सुनकर पुनम कुछ भी बोल नहीं रही थी क्योंकि मंजू के कहे अनुसार ही उसकी भी हालत खराब हो रही थी उसकी आंखों में मदहोशी छाने लगी थी होठ हल्के खुले हुए थे,,,, और वह गहरी गहरी सांस ले रही थी और सुरज,,, अपनी पुनम दीदी की चुचियों को दशहरी आम की तरह जोर जोर से दबा रहा था,,,, और पुनम की खूबसूरत चेहरे की तरफ देख रहा था जिसके बदलते हाव-भाव को देखकर समझ गया था कि उसकी हरकत से पुनम को बहुत मजा आ रहा है और उसके मजा को और ज्यादा बढ़ाने के लिए सुरज अपने दोनों हाथों को पुनम की चूची पर से हटा कर उसकी कमर पर रखती है और कमर को जोर से पकड़ कर अपनी तरफ एक झटके से खींच लिया,,,, पुनम आह की आवाज के साथ एकदम से उसकी बाहों में आ गई और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही सुरज अपनी प्यासी होठों को पुनम की चूची के कड़क खजूर पर रखकर उस का रस चूसना शुरू कर दिया इस हरकत से पुनम पूरी तरह से तिलमिला उठी उसके बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा और वह सुरज के सर पर हाथ रख कर उसे अपनी चूची पर दबाना शुरू कर दिया पुनम की हालत को देखकर मंजू बहुत खुश हो रही थी,,, क्योकी वह अब समझ चुकी थी,की उसका

राज‌ अब राज ही रहने वाला है,,,,, ।

सुरज पागलों की तरह पुनम की चूची को पकड़े बिना ही बारी-बारी से अपने होठों को पुनम की दोनों चुचियों पर रखकर उसे चूस रहा था और दोनों हाथ को जो कि कमर पर थे उन्हें थोड़ा सा नीचे ले जाकर पुनम की बड़ी बड़ी गांड को पकड़कर दबा रहा था,,,,पुनम की गांड पर हाथ रखते ही उसे अब जाकर इस बात का एहसास हुआ कि पुनम की गांड भी बड़ी-बड़ी है क्योंकि वह पुनम को रात के अंधेरे में ठीक से देख नहीं पाया था लेकिन यहां कमरे में लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,,, पुनम की बड़ी-बड़ी कांड दबाने में सुरज को बहुत मजा आ रहा था,,,, दूसरी तरफ पुनम सुरज की हरकत से पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी उसे यकीन ही नहीं हो रहा था,,,की सुरज उसे इस तरह से मजा दे रहा है क्योंकि उसे सुरज से इस तरह की उम्मीद ही नहीं थी लेकिन आज उस एहसास हो रहा था कि सुरज पूरी तरह से मर्द हो चुका है,,,,पुनम के मुंह से लगातार गरमा गरम सिसकारी की आवाज निकल रही थी,,,, मंजू के तन बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,,,, मंजू घुटनों के बल आगे बढ़ते हुए सुरज के करीब पहुंच गई और घुटनों पर अटका हुआ पजामे को पकड़कर उसे उतारना शुरू कर दी और देखते ही देखते सुरज कि अपने पैरों का सहारा देकर अपने पजामे को निकाल कर एक तरफ कर दिया,,, अब वह कमर के नीचे पूरी तरह से नंगा था उसका लंड पूरी तरह से टनटनाकर अपनी औकात में आ चुका था,,,, यह शायद सुरज के लिए पुनम की जवानी का नशा ही था जो उसके लंड का कड़क पन कुछ ज्यादा ही बढ़ चुका था,,,,

पुनम की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर मंजू से भी रहा नहीं जा रहा था और वह सुरज के लंड को पकड़ कर उसे सीधा अपने मुंह में डालकर चूसना शुरू कर दी,,,, यह देखकर पुनम के तन बदन में आग लग गई पुनम की सांसे ऊपर नीचे होने लगी इतने मोटे तगड़े लंड को मंजू बड़े आराम से अपने मुंह में लेकर चूस रही थी,,, यह देखकर पुनम को समझते देर नहीं लगी कि शादीशुदा ना होने के बावजूद भी उसकी बुआ जवानी का पूरा मजा लूट रही थी और वह शादीशुदा होने के बावजूद भी बिस्तर में सिर्फ करवट बदलकर तड़प रही थी,,,,,,, पुनम सुरज को तो कभी मंजू को देख रही थी,,,, जितना मजा लेकर उसका भाई उसकी चूची को पी रहा था इतना मजा लेकर किसी ने भी उसकी चूची से इतना प्यार नहीं किया था बस उसे जोर-जोर से बेरहमो की तरह दबाया ही था,,,, इसलिए तो पुनम को भी बहुत मजा आ रहा है सुरज बारी-बारी से स्तन मर्दन और स्तनपान का मजा ले भी रहा था और उसे दे भी रहा था,,,।

पैरों में घुटनों के बल बैठी हुई मंजू को देखकर और उसकी हरकत को देखकर पुनम से रहा नहीं गया और अपना हाथ अपनी बुआ के सर पर रखकर होले होले उसे सह लाते हुए बोली,,,।

बुआ तुम तो एकदम छिनार हो गई हो,,,,


आज तुमहे भी सुरज रंडी बना देगा,,,(मौसी की बात का जवाब देने के लिए सुरज के लंड को अपने मुंह में से निकाल कर बोली और वापस फिर से बोलने के बाद भी लंड को फिर से मुंह में ले ली मानो कि जैसे लंड के लिए वह अपने मुंह को उसका घर बना दि हो,,,।,, अपनी बुआ के मुंह से अपने लिए रंडी शब्द सुनकर ना जाने क्यों पुनम के तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी,,,,,,क्योंकि उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि वह इस समय जो भी कर रही है एक रंडी का ही काम कर रही है क्योंकि वह रिश्ते नातों को एक तरफ रख कर सुरज के साथ रंगरलिया मना रही थी,,,अपनी बुआ को सुरज का मोटा तगड़ा लंबा लंड मुंह में लेकर चुसता हुआ देखकर उसकी भी इच्छा कर रही थी कि वह भी सुरज के लंड को मुंह में लेकर उसे चूसे,,,हालांकि गांव के कई लड़कों ने उसके मुंह में जबरदस्ती अपना लंड डालकर उसे चुसवाया था लेकिन जितने भी लंड पुनमने अपने मुंह में ली थी वह सब सुरज के लंड से आधा भी नहीं था,,,,।

कुछ देर तक कमरे में पूरी तरह से खामोशी छाई रही तीनों अपने अपने तरीके से आनंद ले रहे थे कमरे का माहौल पूरी तरह से करवा चुका था लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था बगल वाले कमरे में रविकुमार और रूपाली दोनों चुदाई का सुख भोग कर गहरी नींद में सो रहे थे,,, उन दोनों को यह कहां मालूम था कि बगल वाले कमरे में ही उनके बच्चे जवानी का मजा लूट रहे हैं,,,,, मंजू कुछ देर तक सुरज के लंबे-लंबे को अपने गले तक उतार कर रुकी है जाती थी और फिर वापस उसे अपने मुंह से बाहर निकाल दे रही थी ऐसा करने से उसकी सांस ऊपर नीचे हो जा रही थी लेकिन आनंद की कोई पराकाष्ठा नहीं थी उसे बहुत मजा आ रहा था,,,, कुछ देर तक मंजू उसी तरह से मजा लेती रही और फिर उसके बाद वह खड़ी हो गई उसके मुंह से लार होंठों से नीचे टपक रही थी,,,।

सुरज का जोश बढ़ता जा रहा था वह जल्द से जल्द पुनम के सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी करना चाहता था और उसकी नंगी जवानी को अपनी आंखों से देखना चाहता था कि लालटेन की पीली रोशनी में उसे साफ लगने लगा था कि पुनम बला की खूबसूरत थी और उसे अपनी किस्मत पर गर्व होने लगा था कि आज परिवार में ही अपनी मौसी के साथ-साथ पुनम की भी चुदाई करने वाला है,,,,उत्तेजना से भरी हुई पुनम सुरज की तरफ ठीक से नजर नहीं मिला पा रही थी वह गहरी गहरी सांस ले रही थी और सुरज था कि पूरी तरह से जोश से भरा हुआ था वह तुरंत पुनम की कमर में एक बार फिर से हाथ डालकर से अपनी तरफ खींचा और अपनी बाहों में ले लिया लेकिन इस बार हुआ है उसे घुमाकर पीठ की तरफ से उसे अपनी बाहों में कस लिया ऐसा करने से उसकी बड़ी बड़ी गांड एकदम सीधे सुरज के लंड से रगड़ खाने लगी,,, लंड की ठोकर और रगड़ पुनम साड़ी के ऊपर से अपनी गांड पर महसूस करते हुए पूरी तरह से मस्त हो गई,,,,,, सुरज बेहतरीन अदा से पुनम की दोनों बाहों को पकड़कर,,, गर्दन पर चुंबनो की बौछार कर दिया वैसे भी औरत का सबसे संवेदनशील अंग उसकी गर्दन ही होती है उस पर चुंबन करते ही औरतों के तन बदन में चुदवाश की लहर दौड़ने लगती है,,,, और यही असर पुनम को भी हो रहा था और मैं उत्तेजना के मारे अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपनी भाई की तरफ ठेलने लगी जो कि उसका भाई पुनम की गांड की ठोकर को अपने लंड का सहारा देकर रोक दे रहा था,,,,सुरज पूरी तरह से मस्त हो जा रहा था उससे एक पल भी रुकना बर्दाश्त नहीं हो रहा था और वहां पुनम का ब्लाउज पकड़ कर उसकी दोनों बाहों में से ब्लाउज को निकालकर नीचे जमीन पर फेंक दिया कमर के ऊपर पुनम पूरी तरह से नंगी हो गई एक बार फिर से सुरज पुनम के कंधे को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और उसके खरबूजे जैसी चुचियों को पकड़कर दबाना शुरू कर दिया और हल्के हल्के साड़ी के ऊपर से अपने लंड को पुनम की गांड पर रगड़ना शुरु कर दिया,,,, उत्तेजना के मारे पुनम का गला सूखता चला जा रहा था,,, सुरज की हरकत को देखकर मंजू से भी रहा नहीं जा रहा था और वह आगे बढ़कर पुनम की चुची को थामने लगी,,,,,,,,, औरत के अंगों से मंजू पहले भी मजे ले चुकी थी और वह भी अपनी सहेली के साथ,,, और उस पल का वह खूब मजा भी ली थी इसलिए वो जानती थी कि पुनम की चूची दबाने ने उसे भी मजा आएगा,,,मंजू के द्वारा अपनी चूची पकड़े जाने पर पुनम फिर से सिहर उठे क्योंकि उसके लिए यह पहला अवसर था जब उसकी चूची को कोई औरत हाथ लगा रही थी सुरज अपनी बुआ का हाथ चुची पर लगते ही अपने हाथ को उस पर से हटाते हुए बोला,,,।

दीदी तुम्हारी चूची बहुत बड़ी-बड़ी है बहुत खूबसूरत है तभी तो देखो मौसी भी दबा रही है,,,(इतना कहते हुए साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) लेकिन समझ में नहीं आता कि तुम्हारी चुची मौसी से बड़ी बड़ी क्यों हो गई,,,,।(इतना कहते हुए सुरज पुनम की साड़ी को एकदम कमर तक उठा दिया कमर के नीचे से उसकी नंगी गांड सुरज के नंगे लंड से रगड़ खाने लगी,,, और नंगी गांड और लंड की रगड़ से पुनमके तन बदन में गर्मी पैदा होने लगी जिसकी वजह से उसका काम रस पीघलने लगा,,,लेकिन सुरज के सवाल का क्या जवाब देना है इस बारे में पुनम को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी चूची बड़ी-बड़ी कैसे हो गई,,,, पुनम कुछ बोल पाती इससे पहले ही मंजू चुटकी लेते हैं बोली,,,)


अरे बुद्धू तेरी मामी की चूची बड़ी बड़ी है ना इसके लिए पुनम की भी चूची बड़ी-बड़ी है,,,, पुनम की चूची तेरी मामी पर गई है देखता नहीं तेरी मामी की चूची कितनी बड़ी बड़ी है,,, ऐसा लगता है कि तेरी मामी की चूची ब्लाउज फाड़ कर बाहर आ जाएगी,,,,(मंजू जानबूझकर ऐसे माहौल में सुरज की मामी का जिक्र छेड़ देती थी और ऐसा करने पर सुरज का जोश और ज्यादा बढ़ जाता था,,,, सुरज और ज्यादा उत्तेजित होते हुए अपने लंड को पकड़ कर पुनम की गांड की बीच की गहरी दरार में रगड़ते हुए बोला,,)

मौसी ऐसा थोड़ी ना है मामी की चूची मामाजी रोज दबाते होंगे इसीलिए तो बड़ी बड़ी हो गई है,,,(पुनम सुरज के मुंह से अपनी मां के लिए इतनी गंदी बात सुनकर एकदम से दंग रह गई लेकिन ना जाने क्यों इस समय जो हरकत सुरज के लंड से उसकी गांड पर हो रहा था उसे देखते हुए सुरज की बात उसे और भी ज्यादा उन्मादीत कर रही थी,,, सुरज अपनी बात को और आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

दीदी की भी चूची जीजा दबाते होंगे इसलिए बड़ी बड़ी हो गई है,,,,

अरे बुद्धू तेरे जीजा कर इसे मजा देते तो तेरे साथ यह सब करने की जरूरत ही कहां होती,,,,

(इतना सुनते ही सुरज पुनम के चेहरे को पकड़कर अपनी तरफ घुमा लिया और उसकी आंखों में देखने लगा कुछ देर तक पुनम भी अपनी भाई की आंखों में देखने लगी लेकिन वह ज्यादा देर तक सुरज से नजर नहीं मिला पाई और अपनी नजरों को नीचे झुका ली,,, मानो कि जैसे अपने नजरों को नीचे झुका कर ही वह अपनी बुआ की बातों के साथ होने का प्रमाण दे रही हो पुनम की झुकी हुई नजरों को देखकर सुरज समझ गया था और वह अपने पैसे होठों को पुनम को लाल-लाल होठों पर रखकर चुंबन करने लगा,,,, सुरज की इस हरकत से पुनम एकदम से सिहर उठी,,, उसके बदन में इस चुंबन से कंपन होने लगा,,, सुरज को पुनम के होठों का रस शहद से भी ज्यादा मीठा लग रहा था,,,, सुरज पागलों की तरह पुनम के होंठों को चूस रहा था और मंजू थी कि पुनम की चूची को पकड़कर मुंह में डालकर चूसना शुरु कर दी,,, पुनम पर दोनों तरफ से कामुकता भरा हमला हो रहा था जिससे वह पूरी तरह से धराशाई होते चली जा रही थी,,, पुनम के लिए हालत एकदम खराब होती चली जा रही थी,,, सुरज का लंड लगातार पुनमकी नंगी गोरी गोरी गांड पर रगड़ खा रहा था जिससे पुनम के तन बदन में हलचल सी मची हुई थी,,,,, पुनम अपने बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी वह जल्द से जल्द सुरज के लंड को अपनी बुर की गहराई में देखना चाहती थी लेकिन ऐसा इतनी जल्दी हो पाना संभव बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि सुरज जब तक पुनम की जवानी का रस अपने होठों से चखना ले तब तक उसमें अपने लंड की हिस्सेदारी बिल्कुल भी नहीं रखता था,,,,,,।

कमरे में वातावरण की नहीं बल्कि तीनों की जवानी की गर्मी छाई हुई थी ,,,, एक तरफ जवानी की गर्मी पिघल कर मांगा और मंजू की बुर से टपक रही थी और दूसरी तरफ वातावरण की गर्मी से तीनों के माथे से पसीना छूट रहा था,,,, अपनी गांड पर सुरज का लंड चुभता हुआ महसूस करके पुनम समझ गई थी कि उसके भाई के पास दमदार हथियार हैं क्योंकि उसकी पुर का भोसड़ा बना देगा,,,, पुनम के होठों का रसपान करते हुए सुरज पूरी तरह से कामोतेजीत हो चुका था और दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर पुनम की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हथेलियों में दबोचते हुए बोला,,,।


हाय मेरी रानी आज देखना मैं कैसे निकालता हूं तेरा पानी,,,।
(सुरज के मुंह से अपने लिए इस तरह के असली शब्दों को सुनकर पुनम उत्तेजना से गदगद हो गई,,,, सुरज पुनम की गांड को दोनों हाथों से मसलते हुए एक हाथ को आगे की तरफ लेकर उसके चिकने पेट पर रख दिया और उसे अपनी हथेली में उत्तेजना के मारे दबोच लिया,,, जिससे पुनमके मुंह से दर्द के कराह के साथ-साथ मदहोशी भरी सिसकारी भी फुट पड़ी,,,,।)


सससहहहह आहहहहहहह ,,,, दीदी तू कितनी अच्छी है तेरा बदन कितना खूबसूरत है एकदम मक्खन से बना हुआ है तेरी गदराई जवानी की खुशबू मेरे लंड को बहुत तड़पा रही है,,,,,(ऐसा कहते हुए सुरज,, अपनी हथेली को पुनम की बुर पर रखते हुए एकदम से गर्म होते हुए बोला,,,)
सहहहहह हाय दीदी तेरी बुर कितनी गरम है और कितना पानी छोड़ रही है,,,, लगता है तेरा चुदवाने का बहुत मन कर रहा है,,,,।(इतना कहते हुए सुरज पुनम की बुर पर अपनी पूरी हथेली रखकर उसे अपनी हथेली में दबा लिया उत्तेजना के मारे पुनम की बुर कचोरी की तरह पूरी हुई थी और उसमें से उसकी चटनी बाहर निकल रही थी,,,सुरज के मुंह से इतने अश्लील शब्दों को सुनकर पुनम से रहा नहीं जा रहा था वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका भाई उसके साथ ऐसी बातें कर रहा है जैसे कि वह किसी रंडी के साथ कर रहा हो लेकिन ना जाने क्यों पुनम को अपनी भाई की बातें इस समय बिल्कुल भी गलत नहीं लग रही थी बल्कि उसे तो सुरज की बात सुन कर बहुत मजा आ रहा था,,,लेकिन सुरज के बात का बिल्कुल भी जवाब नहीं दे पा रही थी इस तरह की गंदी बातें तो प्यार करते समय उसका पति ने भी नहीं किया था इसलिए इस तरह की बातें पुनमको और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,,,।
दूसरी तरफ मंजू पूरी तरह से पुनम की चूचियों पर छाई हुई थी वह बारी-बारी से लगातार पुनम की चूची को मुंह में लेकर पी पीकर टमाटर की तरह लाल कर दी थी,,, वह भी अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर पुनम की बुर से निकल रहा है पानी को देखना चाहती थी लेकिन उस पर सुरज की हथेली चिपकी हुई थी इसलिए सुरज की हथेली को हटाते हुए बोली,,,


हटा तो सुरज मैं भी तो देखूं तेरी दीदी कितना पानी छोड़ रही है,,,


उतना ही पानी छोड़ रही है मौसी जैसा कि तुम पहली बार छोड़ रही थी,,,(ऐसा कहते हुए सूरज पुनम की बुर पर से अपनी हथेली को हटा दिया लेकिन सुरज की बात सुनकर पुनम समझ गई थी कि यह दोनों एकदम बेशर्म हो चुके हैं,,,, सुरज की हथेली हटते ही मंजू अपनी हथेली पुनम की बुर पर रख दी और वाकई में उसने से बहुत पानी छोड़ रहा था,,, पुनम की बुर पर हाथ रखते ही मंजू आसरे जताते में बोली,,,,,।

हाय रे दैया तेरी बुर में तो बाढ आया हुआ है,,,, सुरज इसका कुछ कर नहीं तो यह इस बाढ में बह जाएगी,,,,


मुझे भी ऐसा ही लग रहा है बुआ लगता है दीदी काफी दिनों से चुदी नहीं है इसलिए इतना पानी छोड़ रही है,,,(सुरज एकदम से बेशर्मी की सारी हदें पार करता हुआ बोला,,,सुरज की बातें सुनकर पुनम शर्म से लाल हुई जा रही थी वह एक शब्द भी नहीं बोल पा रही थी और मंजू और सुरज थे कि गंदी से गंदी बातें किए जा रहे थे ऐसे माहौल में इस तरह की गंदी बातें माहौल को और ज्यादा गर्म कर देती है,,,, इसका एहसास पुनम को अच्छी तरह से हो रहा था,,,,,सुरज अपनी बात पूरी करने के साथ ही अपने दोनों हाथों को आगे की तरफ लाकर पुनम की साड़ी की गिठान खोलने लगा और पुनम की साड़ी को खोलकर उसे नंगी करना चाहता था और देखते-देखते सुरज अपने हाथों से पुनम की साड़ी को खोलने लगा यह एहसास पुनम के लिए बेहद अद्भुत था क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके जीवन में ऐसा फल आएगा कि सुरज उसकी साड़ी उतारकर उसे नंगी करेगा,,,,उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी जिसके साथ उसकी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी और यही ऊपर नीचे होती हुई चूचियां मंजू का मनमोह ले रही थी,,, देखते ही देखते सुरज पुनम की शाडी को खोल दिया और पेटीकोट की डोरी को एक झटके में ही खींच दिया डोरी के खुलते ही पेटीकोट का कसाव पुनम की कमर से एकदम ढीला हो गया और वह झरझरा कर उसके कदमों में गिर गया लालटेन की पीली रोशनी में एक ही झटके में पुनम पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी शर्म के मारे को अपने नंगे पन को छुपाने के लिए अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी,,, यह देखकर मंजू और सुरज दोनों हंसने लगे और सुरज हंसते हुए बोला,,,।


इसे छुपाने का अब कोई फायदा नहीं है दीदी इसे छुपाओगी तो मेरा लंड अंदर कैसे लोगी,,,,(सुरज ठीक पुनम के सामने आकर अपने लंड को हिलाते हुए बोला सुरज के हाथ में उसके हिलते हुए लंड को देखकर पुनम पूरी तरह से मचल उठी,,,,और गहरी सांस लेते हुए शर्मा कर सुरज के लंड पर से अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा ली,,,, सुरज पुनम की जवानी का स्वाद चखना चाहता था इसलिए ठीक उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया,,, पुनम के दिल जोरों से धड़क रहा था उसे कुछ कुछ समझ में आ रहा था कि उसके भाई उसके साथ क्या करने वाला है,,,, लेकीन हैरान थी पुनम यह देखकर की उसके भाई का लंड अभी तक उसी तरह से खड़ा का खड़ा है और उसे बिल्कुल भी जल्दबाजी नहीं है बुर में डालकर शांत होने की क्योंकि २ घंटे से ज्यादा गुजर चुके थे अभी तक वहां सिर्फ और बदन से ही खेल रहा था,,,,,पुनम से अपना धड़कता दिन काबू में नहीं हो रहा था वह गहरी सांस लेते हुए सुरज की तरफ देखने लगी सुरज भी पुनम की तरफ देख रहा था दोनों की नजरें आपस में टकराई और पुनम शर्मा कर अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमा ली मंजू यह सब देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,,।सुरज भी पुनम की नंगी बुर को देखना चाहता था उसकी बनावट को देखना चाहता था,,,इसलिए अपना हाथ बढ़ाकर पुनम का हाथ पकड़कर उसे बुर से हटाने लगा,,, तो शर्मा कर पुनम बोली,,,।

नहीं,,,,,,,

(इतना कहकर वह गहरी गहरी सांस लेने की तकरीबन २ घंटे बाद उसके मुंह से यह शब्द निकले थे,,,, जिसमें उसकी लगभग लगभग हामी ही थी वह तो सिर्फ शर्मा कर ना बोल रही थी,,,, सुरज अब पुनम की कहां सुनने वाला था वह पुनम की कलाई कस के पकड़ कर उसे हटा दिया और उसकी नंगी बुर को लालटेन की पीली रोशनी में जी भर कर देखने लगा पुनम की बुर को देखकर उसके तन बदन में हलचल सी होने लगी अपनी मौसी के बाद यह दूसरी बार था कि वह अपने परिवार में पुनम की बुर को इतने नजदीक से देख रहा था,,,,दूर से तो वह अपनी मामी की बुर को भी देख चुका था और उस पर हाथ भी लगा चुका था लेकिन इतने करीब से अभी तक अपनी मामी की बुर के दर्शन नहीं कर पाया था,,,,,, इसलिए पुनम की मदमस्त कर देने वाली कसी हुई बुर को देखकर सुरज बोला,,,।)


वाह रे दीदी क्या मस्त बुर है तेरी लगता ही नहीं है कि तू शादीशुदा है ऐसा लगता है कि तेरी बुर में अभी तक लंड गया ही नहीं है,,,,।(सुरज को देखने पर पुनम की बुर कुंवारी लड़की की तरह ही लग रही थी एकदम कसी हुई है पतली दरार की तरह उसमें से अभी भी गुलाबी पत्ती बाहर नहीं निकली थी,,,,, इसलिए सुरज को ऐसा ही लग रहा था कि पुनम की बुर कुंवारी लड़की कि तरह है सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

लगता है जीजा जी तुझे चोदते नहीं और मुझे नहीं लगता कि उनका लंड मोटा तगड़ा लंबा होगा वरना तेरी बुर अब तक तो भोसड़ा बन गई होती,,,,,(पुनम सुरज के कामुक शब्दों के बाण को झेल नहीं पा रही थी वह पल पल उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी सुरज की अश्लील बातें उसे बेहद आनंदित कर रही थी और देखते ही देखते सुरज अपने प्यासे होठों को अपनी

बहन की तपती हुई बुर पर रख दिया जिसमें से लावा बह रहा था,,,, सुरज के होठों को अपनी बुर पर महसूस करते ही पुनम के तन बदन में हलचल सी मच ने लगी उसके पैरों में कंपन होने लगा वह किसने ही वाली थी कि तुरंत मंजू उसके पीछे जाकर उसे बाहों में भर लिया और उसकी चूची पर अपने दोनों हाथ रख दी,,,इस तरह से वह पुनम को गिरने से तो बचा ली लेकिन उत्तेजना के सागर में ऐसा लग रहा था कि वह खुद उसका सिर पकड़ कर डुबो रही हो वह तुरंत चूची को दबाना शुरू कर दी और अपनी नंगी बुर को उसकी बड़ी बड़ी गांड पर रगड़ना शुरु कर दी पुनम दोनों तरफ से पीस रही थी जिसमें से पीसने के बाद आनंद का फुवारा फूट रहा था,,, सुरज पुनम की नमकीन बुर को चाटने शुरू कर दिया था हल्के हल्के बालों से सुसज्जित पुनम की बुर मादक खुशबू बिखेर रही थी जिस के नशे में सुरज मदहोश हुआ जा रहा था वह अपनी दोनों हथेली को पुनम की गांड पर रखकर जोर से दबाते हुए जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को उसकी बुर के अंदर डालकर उसकी मलाई को चाट रहा था,,,,।

यह अनुभव पुनम के लिए बिल्कुल नया था वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी सांसो की गति एकदम तेज चल रही थी जिस पर अब पुनम का बिल्कुल भी काबू नहीं था वह उत्तेजना के मारे अपने दोनों हाथों को सुरज के सिर पर रखकर उसके बाल को अपनी मुट्ठी में कस के भींच ली थी और उसके होठों को कस के अपनी बुर पर दबा‌ ली थी,,,,,,, पुनम के मुंह से लगातार सिसकारी की आवाज फुट रही थी और दूसरी तरफ मंजू हल्के हल्के अपनी कमर हिला रही थी मानो कि जैसे पुनम की चुदाई कर रही हो,,,,सुरज पूरी तरह से पुनम की जवानी का रस पीने में लगा हुआ था जिस बात का एतराज मंजू को बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि वह जानती थी कि इस समय पुनम को अग्रिमता देना बेहद जरूरी है,,,,।

सहहहह आहहहहह सुरज तू तो मुझे पागल कर दिया है रे आहहहहह सुरज,,,,,ऊमममममम ऊममममममम,,,( ऐसा कहते हुए पुनम अपनी गांड को गोल गोल घुमा‌ रही थी,,,,
सुरज भी पुनम की बुर को चाट कर मस्त हुआ जा रहा था कुछ देर तक यह क्रीडा चलती रही अब समय आ गया था पुनम को असली चुदाई का सुख देने का इसलिए सुरज पुनम की बुर पर से अपना मुंह हटा कर उसकी कमर पकड़ कर खड़ा हुआ और एक बार पुनम की आंखों में जाते हुए फिर से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया,,, होंठों पर अभी भी पुनम के बुरका रस लगा हुआ था जो कि इस तरह के चुंबन से वह काम रस पुनम के भी होंठों से लग कर उसके गले लग जा रहा था,,, पहली बार पुनम के होठों पर बुर का रसलग रहा था और पहली बार उसे ही इस बात का एहसास हुआ कि बुरके रस का स्वाद कितना कसैला और नमकीन होता है लेकिन फिर भी मर्द लोग कितना जी जान लगाकर उसे चाटते रहते हैं,,, थोड़ी ही देर में पुनम को भी अपनी बुर का स्वाद अच्छा लगने लगा,,,
देखते ही देखते सुरज पुनम के कंधों पर दोनों हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ बैठाने लगा महुवा को समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भाई ऐसा क्यों कर रहा हैथोड़ी ही देर में अपने घुटनों के बल आने पर ही उसे समझ में आ गया कि उसका भाई उससे क्या करना चाहता है,,,, सुरज अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसके सुपाड़े को पुनम के होठों पर रख देना शुरू कर दिया इससे पुनम एकदम से मदहोश होने लगी और अगले ही पल अपने होठों को खोल कर पुनम के लंड को अपने मुंह में आने का निमंत्रण दे दी देखते ही देखते पुनमको इस खेल में मजा आने लगा,,,,,,, वह सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने गले तक उतार कर मजा ले रही थी अपने मुंह में लेने पर ही उसे पता चला कि उसके भाई का लंड कितना दमदार है,,,,, धीरे-धीरे सुरज अपनी कमर ही रहना शुरू कर दिया और मंजू पूरी तरह से मस्त होकर सुरज के कंधे में हाथ डालकर उसे अपनी तरफ खींच कर उसके मुंह को अपनी चूची पर रख दी जिसे सुरज बड़े चाव से मुंह में लेकर पीना शुरु कर दिया तीनों आनंद के सागर में गोते लगा रहे थे कुछ देर तक यह क्रीडा इसी तरह से चलती रही,,,, पुनम की बुर में आग लगी हुई थी,,,, सुरज अब समझ गया था कि पुनम को लंड चाहिए इसलिए अपने लंड को पुनम के मुंह में से बाहर निकाल कर उसे चटाई पर लेटने के लिए बोला,,,,।

सुरज के द्वारा दिए जा रहे इस तरह के निर्देश पुनम को शर्मसार कर रहे थे लेकिन क्या करें उसे भी तो मजा आ रहा था और उसे भी तो मां बनना था ताकि वह अपने ससुराल वालों का मुंह बंद कर सके वह जानती थी कि उसके पति से कुछ होने वाला नहीं है जो एक ही झटके में झड़ जाता हो वह क्या मां बनाने की क्षमता रखता है,,, पुनम अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई उसे उसके ससुराल में इज्जत दिलाएगा उसे मां बना कर,,,,इसलिए सुरज की बात मानते हुए अपने सर के नीचे तकिया रखकर वह पीठ के बल लेट गई सुरज अपनी मौसी की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला,,,।

मौसी अब देखना मैं दीदी की कैसे चुदाई करता हूं दीदी देखना पानी मांगने लगेगी,,,
(सुरज की बातें सुनकर पुनम शर्म आ रही थी,,, और दूसरी तरफ मंजू पुनम का हौसला बढ़ाते हुए बोली,,,)

अरे तभी तो वह तेरे नीचे आने को तैयार हो गई है अब देखना पुनम का ख्याल रखना ससुराल में उसकी इज्जत खराब ना होने पाए,,,,जितने दिन यहां रहेगी उतने दिन तुझे इसे चोदना होगा,,,

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मौसी अब यह जिम्मेदारी मेरी है,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज पुनम के दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और अपने लिए जगह बनाने लगा पुनम का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि कुछ ही देर में उसके भाई का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की सैर करने वाला था,,,पुनम के मन में एक शंका थी कि ईतना मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर में घुस पाएगा कि नहीं इसलिए अपनी शंका को दूर करने के लिए वह बोली,,,।)


अरे दीदी तो बिल्कुल भी चिंता मत करो देखना एकदम सरपट दौड़ेगा,,,,

अरे पगली तो बिल्कुल भी चिंता मत कर मुझे भी पहले इसी तरह का डर लगता था लेकिन अब देख बड़े आराम से ले लेती हूं,,,, तुझे तेरा भाई देखना जन्नत की सैर कराएगा ऐसा पेलेगा की तु जिंदगी भर याद रखेगी,,,,।
(इतना कहकर वह हंसने लगी और सुरज अपने लंड के सुपाड़े को पुनम की गुलाबी बुर पर रख दूया जोकी पूरी तरह से पानीयाई हुई थी,,,, पुनम की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसका दिल जोरों से धड़क रहा था सुरज अपने लंड के मोटे से पानी को जो कि आलू बुखारा की तरह एकदम गोल था,,, वो धीरे धीरे पनियाई बुर के अंदर सरकना शुरू कर दिया,,,देखते ही देखते सुरज के लंड का सुपाड़ा पुनम की बुर अंदर प्रवेश कर गया यह देखकर पुनम के चेहरे पर सुकून नजर आ रहा था लेकिन दर्द की भी रेखाएं खींची हुई थी,,, क्योंकि पहली बार उसकी बुर के अंदर इतना मोटा लंड जो जा रहा था,,,। उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी सुरज बड़ी समझदारी से काम ले रहा था,,, वह एक झटके में ही पूरा का पूरा लंड पुनम की बुर में डाल सकता था लेकिन ऐसा करने से पुनम को बहुत दर्द होता,,, इसलिए सुरज ऐसा बिल्कुल भी नहीं करना चाहता था ,,,, लेकिन धीरे-धीरे सुरज अपने मोटे तगड़े लंड को पुनम की बुर की गहराई में पहुंचा ही दिया,,,, पुनम धीरे से अपना सर उठा कर अपनी दोनों टांगों के बीच देखी तो हैरान रह गई,,, क्योंकि वह सोची भी नहीं थी कि उसके भाई का मोटा तगड़ा लंबा लंड इतने आराम से उसकी बुर की गहराई में प्रवेश कर जाएगा लेकिन जो कुछ भी हो अपनी आंखों से देख रही थी वह बिल्कुल सच था दर्द तो थोड़ा हुआ ही था लेकिन अंदर घुसते हुए बुर की अंदरूनी दीवारों पर रखकर खाकर जिस तरह का आनंद दिया था उस तरह की आनंद की कल्पना भी उसने कभी नहीं की थी,,,,अपना पूरा लंड पुनम की बुर की गहराई में उतार कर रहा है जो लंबी सांस लेते हुए बोला,,,।

देख दीदी बोला था ना आराम से चला जाएगा,,,(और इतना कहने के साथ ही सुरज अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पुनम की चुची पर रख दिया और उसे ज़ोर से दबाते हुए अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,,, या देखकर मंजू भी उत्तेजित हो गई और वह आगे की तरफ मुंह करके अपनी बड़ी बड़ी गांड को पुनम के चेहरे पर रखने लगी पुनम को तो पहले समझ में नहीं आया कि उसकी बुआ क्या कर रही है लेकिन जैसे ही मंजू की बुर उसके होठों से स्पर्श हुई उसे समझते देर नहीं लगी कि उसे क्या करना है वह भी सुरज की तरह अपनी जी बाहर निकाल कर अपनी बुआ की बुर को चाटना शुरू कर दी अद्भुत दृश्य कमरे के अंदर अपनी गर्मी फैला रहा था इसके बारे में उन तीनों ने कभी कल्पना भी नहीं किए थे,,, मंजू की गरमा गरम सिसकारी गूंजने लगी और अपनी मौसी की गांड को अपनी आंखों के सामने देखकर सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी वहां अपनी मौसी की चूची को पकड़कर अपनी मौसी की गांड दबोच लिया और उस पर जोर जोर से चपत लगाता हुआ धक्के लगाने लगा,,,,, पुनम की हालत खराब हो रही थी,,, पुनम के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी लगातार फूट रही थी आज जाकर उसे सुरज से चुदाई का असली सुख मिल रहा था,,,, वह सही मायने में सुरज को असली मर्द मानने लगी क्योंकि वाकई में वहां उसकी बुर को रगड़ रगड़ कर चोद रहा था,,, सुरज की दमदार चुदाई को देखकर वह समझ गई थी कि उसका मां बनना एकदम तय है इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ नजर आई थी इसलिए वह सुरज के दमदार धकको को खुशी-खुशी झेल रही थी,,,,

सुरज को भी पुनम चोदने का बहुत मजा आ रहा था वह लगातार अपनी कमर हिला रहा था और अपने लंड की तरफ भी देख रहा था जो कि पुनमकी बुर में गोल छल्ला बनाए हुए था,,,,पहली चुदाई में हीं सुरज ने पुनम की बुर को चौड़ा कर दिया था,,,,, सुरज के माथे से पसीना छूट रहा था और यही हाल मंजू और महुवा का भी था,,, सुरज का जोश बढ़ता जा रहा था दूसरी तरफ पुनमकी सिसकारी की आवाज भी बढतू जा रही थी,, अपनी मौसी की बड़ी बड़ी गांड अपनी आंखों के सामने देखकर उससे रहा नहीं जा रहा था,,,इसलिए उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था और अपना दोनों हाथ अपनी मौसी की कमर पर रखकर उसे अपनी तरफ खींच लिया देखते ही देखते उसकी मौसी अपने घुटनों के बल बैठकर घोड़ी बन गई और सुरज पुनम की बुर में से अपना लंड बाहर निकाल कर अपनी मौसी की बुर में डाल दिया और उसे घसा घसा चोदना शुरु कर दिया,,,, पुनम देखकर हैरान थी १० १५ धक्कों के बाद वह अपना लंड वापस निकाल कर पुनम की बुर में डाल दिया और उसे चोदना शुरु कर दिया यही क्रिया पर बार-बार कर रहा था कभी अपनी मौसी को तो कभी पुनम को चोद रहा था एक ही लंड से वह एक साथ दो दो औरतों को संतुष्ट करने में लगा था,,, पुनम की सबसे बड़ी तेजी से चल रही थी या देखकर मंजू समझ गई थी कि पुनम का पानी निकलने वाला है इसलिए वह सुरज से बोली,,,,


सुरज तू हम दोनों को एक साथ भले चोद लेकिन अपना पानी पुनम की बुर में ही निकालना देखना यह जिम्मेदारी तेरी है उसे मां बनाना है उसे पेट से करना है,,,

ठीक है मौसी,,,(और इतना कहने के साथ ही एक बार अपनी मौसी की बुर में 10 15 धक्के एक साथ मारने के बाद वह अपना लंड अपनी मौसी की बुर में से बाहर निकाल कर पुनम की बुर में डाल दिया और जबरदस्त धक्के पर धक्का पेलने लगा,,, पुनम जयका बदन अकड़ने लगा था उसका पानी किसी भी पर निकलने वाला था इसीलिए मंजू भी एक बार फिर से अपनी बुर को उसके होठों पर रखकर दबाना शुरू कर दी,,,और सुरज पुनम की कमर पकड़कर जोर-जोर धक्के लगाने लगा और अगले ही पल दोनों एक साथ गरमागरम आह के साथ झड़ना शुरू कर दिए सुरज अपने लंड को तब तक पुनम की बुर से बाहर नहीं निकाला जब तक उसका पानी पूरा का पूरा पानी में नहीं गिर गया,,, और वह भी पुनम के ऊपर गिर कर हांफने लगा,,,,
 
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सुरज अपनी बहन की जबरदस्त चुदाई करते हुए उसके ऊपर ढह चुका था उसके लंबे का लावा,,, अपनी बहन की गरम जवानी की आंच में पिघल चुका था लेकिन पिघलने से पहले अपनी बहन की जवानी को दो-तीन बार पिघला चुका था,,,सुरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह अपनी बहन की चुदाई करेगा और वह भी अपनी बड़ी बहन की,,, 2 साल पहले ही वह शादी करके ससुराल जा चुकी थी और 2 साल पहले सुरज में औरतों को समझने का हुनर बिल्कुल भी नहीं था औरतों के अंगों के प्रति आकर्षण बिल्कुल भी नहीं था लेकिन इन 2 वर्षों में सब कुछ बदल चुका था,,,2 साल बाद पहली बार रात के अंधेरे में अपनी बहन से मिल रहा था इसलिए अपनी बहन के अंगों और बदन की बनावट को वकील से देख नहीं पाया था लेकिन कमरे के अंदर लालटेन की रोशनी में वह अपनी बहन की दहकती जवानी को देखकर अपने ऊपर काबू नहीं रख पाया था,,,,,, ना ही उसकी बहन अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को देखकर सब्र कर पाई थी और उसे अपनी बुर में लेकर 2 साल की प्यास को तृप्त कर चुकी थी अपने भाई के लंड को अपनी बुर में लेने का एक अलग ही लालच था मां बनने का और दूसरा चुदाई का संपूर्ण आनंद लेने का,,, जिस तरह से सुरज ने जमकर चुदाई किया था उसे देखते हुए पुनम को लग रहा था कि वह जरूर अपने भाई के द्वारा,,, पेट से हो जाएगी,,,, उन दोनों के साथ में ही मंजू भी अपनी मंजू बुर का स्वाद पुनम को चखाते हुए झड़ चुकी थी,,,,,।
दूसरे दिन पुनम वापस ससुराल चली गई,,,
 
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रूपाली की तबियत ठीक नहीं थी तो रविकुमार सुरज को रूपाली को वैध के यहां ले जाने के लिए बोला,,, सुरज अपनी मामी को वेध के वहां ले जाने के लिए तैयार हो चुका था,,,,,, सुरज के मन में अपनी मामी का साथ पाने के लिए उत्सुकता बहुत थी आज दूसरी बार वह अपनी मामी को बैलगाड़ी में कहीं लेकर जा रहा था पहली बार का सफर तो उसके लिए बेहद मनमोहक और उत्तेजना पूर्ण था,,,, पहली सफर के दौरान जिस तरह की वार्तालाप दोनों के बीच हो रही थी उसी को लेकर सुरज आज भी उत्साहित,,,, आसमान में रह-रहकर बादल उमड़ा रहे थे बरसात होने की संभावना ज्यादा थी,, लेकिन अभी बारिश बिल्कुल भी नहीं पड रही थी,,, सफर थोड़ा ज्यादा लंबा था शाम हो सकती थी इसलिए रूपालीचाहती थी कि जल्द से जल्द वहां जाकर वापस लौट आए,,,,,,।

बैलगाड़ी घर के बाहर खड़ी थी रविकुमार और उसकी बहन मंजू बैलगाड़ी के पास में ही खड़े थे सुरज बैलगाड़ी के नीचे खड़ा था वह अपनी मामी का बैलगाड़ी में बैठने का इंतजार कर रहा था,,,।

जाओ बेल गाड़ी में बैठो और हो सके तो जल्दी आने की कोशिश करना क्योंकि बरसात कभी भी आ सकती है शाम ढलने से पहले आ जाओ तो अच्छा है,,,

चिंता मत करो मैं जल्दी ही आऊंगी,,,(इतना कहने के साथ ही रूपाली बैलगाड़ी के ऊपरी हिस्से पर एक पाव रखकर चढ़ने की कोशिश करने लगे और ऐसा करने पर उसकी बड़ी-बड़ी गांड का घेराव कुछ ज्यादा ही बड़ा नजर आने लगा,,, जिस पर नजर पड़ते ही सुरज के लंड में हरकत होने लगी,,,,,,, अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड देखकर सुरज के मुंह में पानी आने लगा,,,, और देखते ही देखते रूपाली बैलगाड़ी पर चढ़कर बैठ गई,,,,)

तू बिल्कुल भी चिंता मत करो मामाजी मैं जल्दी जाऊंगा और जल्दी लेकर आऊंगा,,(और इतना कहने के साथ ही बैलगाड़ी पर जाकर बैठ गया और बैल को हांक कर बैलगाड़ी आगे बढ़ा दिया बेल गाड़ी के पहिए में बंधे घुंघरू शोर करने लगे,,,,,, रूपाली पीछे नजर घुमाकर तब तक देखती रही जब तक कि उसका पति और मंजू दोनों आंखों से ओझल नहीं हो गए थोड़ी ही देर में बैलगाड़ी गांव से बाहर निकल आई थी,,,, मौसम बड़ा सुहावना लग रहा था धूप हल्की हल्की पड़ रही थी जिसकी वजह से गर्मी का एहसास बिल्कुल भी नहीं हो रहा था चारों तरफ हरियाली होने की वजह से यह सफर और भी ज्यादा मनमोहक लग रहा था,,,
सुरज भाई गाड़ी में बैठा बैठा कुछ देर पहले के उस नजारे के बारे में सोच कर मस्त हो रहा था जब उसकी माइक पर रखकर बैलगाड़ी पर चढ़ने की तैयारी कर रही थी और उसी समय उसकी बड़ी-बड़ी गांड उभर कर सामने आ गई थी,,, सुरज को अपनी मामी की बड़ी-बड़ी गांड का बेहद आकर्षण था पूरे गांव भर में घूम लेने के बाद यहां तक कि अपनी बहन मौसी के साथ साथ हवेली की छोटी मालकिन कजरी की भी मत बस कर देने वाली गांड देखने के बावजूद भी उसे सबसे खूबसूरत गांड अपनी मामी की लगती थी,,,, अपनी मामी की गांड के बारे में सोच कर ही सुरज के तन बदन में हलचल सी होने लगी थी,,,,, दोनों मामी भांजे के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी दोनों के बीच चुप्पी सी फैली हुई थी रूपाली अपने भांजे के साथ के पहले सफर का अनुभव के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ थी पहली सफर में जिस तरह का अनुभव से हुआ था उसे लेकर वह काफी रोमांचित और शर्मिंदगी का अहसास भी कर रही थी,,,, रूपाली को अच्छी तरह से मालूम था कि उसका भांजा किस तरह से धीरे-धीरे उसके साथ खुलने लगा था और रह-रहकर गंदे शब्दों का प्रयोग कर रहा था और कुए पर पानी पीते वक्त जिस तरह से वह उसे ढूंढता हुआ पत्थर के पीछे झांक कर देखा था उस पल को याद करके रूपाली के बदन में अभी भी सिहरन सी दौड़ जाती थी,,,, रूपाली को अच्छी तरह से याद था कि वह पत्थर के पीछे बड़े जोरों की पेशाब करने के लिए अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर नंगी गांड लिए बैठकर पेशाब कर रही थी और उसी समय उसका भांजा वहां पर आ गया था दोनों की नजरे आपस में टकरा गई थी,,,,, उस समय रूपाली की हालत जो हुई थी उसके बारे में सोच कर ही उसके तन बदन में हलचल सी मच जाती थी वह तुरंत शर्म से लाल हो गई थी सुरज का तो पता नहीं वह अच्छी तरह से जानती थी कि सुरज को उस नजारे को देखकर मजा ही आ गया होगा,,,, क्योंकि अनुभव से भरी हुई रूपाली मर्दों के चेहरे पर औरतों के अंगों को देखने के बाद किस तरह की रेख रूपा नजर आती है उससे अच्छी तरह से वाकिफ थी,,,
इसलिए सफर के पहले अनुभव को लेकर रूपाली इस समय थोड़ा चिंतित नजर आ रही थी कि कहीं उसका भांजा ऐसी वैसी हरकत ना कर दे इसीलिए वह अपने भांजे से बात करने से कतरा रही थी,,,,। दोनों के बीच की चुप्पी को तोड़ते हुए सुरज ही पहल करता हुआ बोला,,,।

क्या मामी सच में तुम्हारी तबीयत खराब है,,,


क्यों तुझे विश्वास नहीं हो रहा है क्या,,,


नहीं ऐसी बात नहीं है तुम मुझे कहीं से भी बीमार नहीं लग रही हो चेहरे पर पहले की तरह ही रौनक है आवाज भी एकदम बेहतर है,,,,।


अरे बुद्धू रह रह कर मुझे बुखार आ जाता है इसीलिए तो परेशान हुं,,,,


अच्छा तो यह बात है,,,


तुझे कहां मेरी फिक्र रहती है सारा दिन इधर-उधर घूमता रहता है घर पर रहे तब ना तुझे पता चले,,,,

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मा,,,, मैं तो तुमसे हमेशा बात करना चाहता हूं तुम्हारे पास रहना चाहता हूं लेकिन तुम ही हो जो मुझसे कतराती रहती हो मुझसे बात तक नहीं करती,,,


पागल हो गया क्या तू मैं भला तुझसे क्यों कतराने लगी,,,, तू कोई गैर है क्या,,,


पता नहीं लेकिन तुम शायद समझती हो,,,,


यह तु कैसी बातें कर रहा है राजू,,,, एकदम अनजान इंसान की तरह तु बातें कर रहा है,,,,,,

क्या करूं तुमने मुझे अनजान बना दी हो,,,, शायद मुझसे कोई गलती हो गई होगी,,,,


नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,(रूपाली एकदम साजिक रूप से बात कर रही थी लेकिन सुरज के मन में कुछ और चल रहा था धीरे-धीरे वह अपनी गाड़ी को पटरी पर लाना चाहता था इसलिए बात की शुरुआत इस तरह से कर रहा था)

नहीं मामी तुम झूठ बोल रही हो,,,,


मैं भला तुझसे झूठ क्यों बोलूंगी,,,,


हो सकता है मेरी हरकत की वजह से तुम मुझसे नाराज हो गई हो,,,


हरकत,,,(रूपाली सुरज के कहने का मतलब को समझ नहीं पा रही थी लेकिन उसे कुछ कुछ समझ में आ रहा था कि सुरज किस बारे में बात कर रहा है इसलिए भाई सुरज के मुंह से जानना चाहती थी कि वह ऐसा क्यों बोल रहा है,,)

हां मामी वही हरकत,,,, खेत में जो मैं तुम्हारी आंखों के सामने अपने पजामे को नीचे कर दिया था,,, और तुम्हें दिखा रहा था इसलिए शायद तुम नाराज हो,,,,।
(रूपाली समझ गई कि उसका भांजा उसी हरकत के बारे में बात कर रहा है और रूपाली इस तरह की बातें नहीं करना चाहती थी,,, लेकिन सुरज जानबूझकर उसी तरह की बातें कर रहा था,,, रूपाली को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने भांजे की बात का वह क्या जवाब दें,,,, इसलिए वह उससे कुछ बोल नहीं रही थी और दूसरी तरफ नजर घुमा ली थी सुरज यह बात अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी बात को सुनकर उसकी मामी शर्म आ रही है और वह इसी शर्म को तो दूर करना चाहता था क्योंकि वह जानता था कि उसके और उसकी मामी के बीच में सिर्फ शर्म का ही पर्दा है,, वरना जिस तरह से उसने अपनी मामी को अपने लंड के दर्शन कराए थे उसकी मामी भी दूसरी औरतों की तरह उसके नीचे आ गई होती,,, कुछ देर की खामोशी के बाद सुरज फिर बोला,,,)

बोलो ना मामी उसी बात से नाराज होना,,,, मैं जानता हूं तुम उसी बात से नाराज हो शायद मुझसे गलती हो गई थी लेकिन मैं तुम्हारे मन में क्या चल रहा है यह समझ नहीं पाया था,,,,(बैलगाड़ी को रस्सी के सहारे आगे बढ़ाते हुए सुरज अपनी बात को भी आगे बढ़ा रहा था वह जानता था कि उस दिन के सफर की तरह आज का सफर भी यादगार होने वाला है,,,,) जिस तरह से तुम मुझे खेतों में लेकर गई थी मुझे ऐसा ही लग रहा था कि शायद तुम कुछ करवाना चाहती हो,,,,(रूपाली अपने भांजे के मुंह से कुछ करवाने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रही थी और उसके मतलब को समझकर एकदम शर्म से लाल हुई जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका भांजा उसी से इस तरह की बातें कैसे कर सकता है,,,) और इसीलिए मैं भी तुम्हारे साथ खेतों में चला गया और तुम भी तो कुछ बोल ही नहीं बस खेत के एकदम बीचोबीच ले जाकर खड़ी हो गई मुझे ऐसा लगा कि शायद तुम हम दोनों के लिए अच्छी जगह ढूंढ रही हो,,,,।


अरे अरे यह कैसी बातें कर रहा है तू तुझे शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हुए,,,,


इसमें शर्म कैसी मामी उस दिन मेरी जगह कोई और होता तो उसे भी ऐसा ही लगता,,,, शादी में जब तुम्हें मैं छोड़ने के लिए जा रहा था तू हम दोनों जिस तरह से खुलकर बातें कर रहे थे तुम्हें बिल्कुल भी ऐतराज नहीं था मुझे तो ऐसा ही लग रहा था कि तुम शायद तैयार हो तुम्हें भी यह सब अच्छा लगेगा,,,, इसीलिए तो जल्दबाजी में मैंने खेत में अपना पजामा नीचे कर दिया था,,,,(सुरज को इस बात का भी डर लग रहा था कि कहीं उसकी जल्दबाजी से बना बनाया काम बिगड़ ना जाए इसलिए वह अपनी बातों को दुरुस्त करता हुआ बोला) मुझे तुम्हारा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर नहीं रखना चाहिए था,,,(सुरज जानबूझकर अपने मुंह से लंड शब्द का प्रयोग किया था और अपने भांजे के मुंह से इस शब्द का प्रयोग सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,, रूपाली को सुरज के मुंह से लंड शब्द सुनकर अपनी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हरकत महसूस होने लगी,,, आखिरकार जैसे भी हो उसने भी तो अपने भांजे के लंड की मोटाई लंबाई और कड़कपन को देखी थी और अपनी हथेली में दबाकर उसकी गरमाहट को महसूस भी की थी उसकी गर्माहट से वह अपनी बुर को पिघलता हुआ भी महसूस की थी इसलिए तो इस समय भी उसके तन बदन में हलचल उठ रही थी,,,) मुझसे यही गलती हो गई मैं जल्दबाजी में वह कर गया जो मुझे कभी नहीं करना चाहिए था इसके लिए मैं माफी चाहता हूं,,,,,.

लेकिन इसमें मेरी कोई गलती नहीं है तुम हो ही इतनी खूबसूरत कि तुम्हें देखकर किसी का भी मन बहक जाता है,,, सच में मामी तुम बहुत खूबसूरत हो तुम्हारी जैसी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,,(रूपाली जानती थी कि उस दिन की तरह ही आज भी उसका भांजा उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा है लेकिन आज भी उसके मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ और जिस तरह की अश्लील बातें वो कर रहा था उसे सुनकर उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी)

चल‌ ये सब बातें मत कर मुझे अच्छा नहीं लगता,,,

कोई बात नहीं मैं तो तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और वैसे भी कोई झूठ झूठ की तारीफ थोड़ी कर रहा था तुम हो खूबसूरत तभी तो,,,,।
(सुरज के बाद खामोश हो गया वह नहीं चाहता था कि उसकी मामी किसी भी तरह से नाराज हो जाए क्योंकि वह इस सफर को यादगार बनाना चाहता था उसे पूरी उम्मीद थी कि सफर के दौरान जरूर कुछ ना कुछ होगा इसलिए वह खामोश रहा,,,, लेकिन उसकी यह खामोशी रूपाली को अच्छी नहीं लग रही थी रूपाली चाहती थी कि वह कुछ ना कुछ बोलता रहे क्योंकि उसकी अश्लील बातें भी उसे अच्छी लग रही थी उसके तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर रही थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली गुलाबी लकीर में हलचल हो रही थी,,,,,, रूपाली दोनों के बीच की खामोशी को तोड़ना चाहती थी वह सुरज से बात करने का बहाना ढूंढ रही थी,,,,, वह दोनों गांव से काफी दूर आ चुके थे दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ खेत ही खेत थे बस थोड़ी थोड़ी दूर पर खेतों में कोई काम करता हुआ नजर आ जा रहा था बाकी सड़क पूरी तरह से खाली थी,,,,, मौसम बहुत ही सुहाना था ना धूप में छांव थी ठंडी ठंडी हवा चल रही थी आसमान में बादल जगह जगह पर नजर आ रहे थे कभी ऐसा लग रहा था कि बारिश होगी तो कभी ऐसा लग रहा था कि बारिश नहीं होगी,,,, तभी बात की शुरुआत करते हुए रूपाली बोली,,,)


अच्छा एक बात बता सुरज तू अपने मामाजी की तरह बीड़ी या कोई नशा तो नहीं करता ना,,,

नहीं मैं बिल्कुल मैं ना तो बीड़ी पीता हूं और ना ही नशा करता हूं तभी तो मेरा शरीर देखो कैसा गठीला है,,,,

हां सो तो है देखना तू नशा पत्ती मत करने लगना,,, नशा में कुछ नहीं रखा है,,,,

मैं जानता हूं मामी नशा करना बुरी बात है,,,,,,,


तेरे दोस्त लोग,,,,


लगभग लगभग तो कोई नशा नहीं करता,,,,


लेकिन मुझे लगता है कि तेरी संगत गंदे लड़कों से है तभी तो इस तरह की बातें करता है,,,


किस तरह की,,,(सुरज अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी क्या कहना चाह रही है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर अपनी मामी के मुंह से सुनना चाहता था)

अरे उसी तरह की जिस तरह की तू अभी बातें कर रहा था गंदी गंदी,,,,


अब क्या करूं मैं गांव में लड़के ही इसी तरह के हैं तो जाऊं तो जाऊं कहां,,,,,,,,

क्या सब इसी तरह की बातें करते हैं आपस में,,,


तो क्या मामी,,,,,

तभी तो भी उन्हीं लोग की तरह बातें करता है लेकिन वह लोग तो अपनी मामी से इस तरह की बातें नहीं करते होंगे जिस तरह से तू मुझसे करता है,,,,


यह तो नहीं मालूम लेकिन जिस तरह से तुम बोल रही थी ना कि तू नशा तो नहीं करता है मैं सच कहूं तो मुझे खूबसूरती का नशा है,,,,,, मेरी खूबसूरती का नशा मुझे सिर्फ तुमसे मिलता है तुम्हें देखते ही मुझे ना जाने क्या होने लगता है मुझे नशा होने लगता है,,,,


तू फिर शुरू हो गया,,,,


तो क्या करूं मौसम इतना सुहावना है और मेरे साथ इतनी खूबसूरत औरत होगी तो इस तरह की बातें तो होंगी ही होंगी,,,


पागल मत बन मैं कोई औरत नहीं बल्कि तेरी मामी हूं,,,


लेकिन उससे पहले तुम एक औरत तुम्हारी भी जरूरते है,,, जिस तरह से दूसरी औरतों को कुछ ज्यादा की लालच होती है उस तरह से तुम्हारे मन में भी कुछ ज्यादा पाने की लालच होगी,,,।


क्या मतलब मैं तेरा मतलब नहीं समझी,,,


अब इतनी भी नादान ना बनो ,,, तुम अच्छी तरह से समझती हो मैं क्या बोलना चाह रहा हूं,,,


कसम से मैं नहीं समझ पा रही हूं कि तू क्या बोलना चाह रहा है मुझे चाहते कि कभी ना तो लालच ही है और ना ही उम्मीद,,,,

धन दौलत की बात नहीं कर रहा हूं अपने लिए सुख संतुष्टि और तृप्ति की बात कर रहा हूं,,,,


नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं है सब तरह से तो मैं सुखी हूं,,,


सब तरह से हो लेकिन एक मामले में तुम अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो और सुखी नहीं हो,,,,


तू बोलना क्या चाह रहा है,,,,


मैं बहुत कुछ बोलना चाह रहा हूं लेकिन डर लगता है कि कहीं तुम नाराज ना हो जाओ क्योंकि मैं सब कुछ सह सकता हूं लेकिन तुम्हारी नाराजगी नहीं सह सकता,,,।
(अपने भांजे की बात सुनकर रूपाली का दिल धक-धक कर रहा था उसे इतना तो आभास हो गया था कि उसका भांजा कुछ गंदा ही बोलने वाला है लेकिन क्या बोलने वाला है इस बारे में उसे पता नहीं था और यही वह सुरज के मुंह से सुनना चाहती थी इसलिए वह बोली)

नहीं मैं नाराज नहीं होऊंगी,,, मैं सुनना चाहती हूं कि मैं किस मामले में सुखी नहीं हूं जरा मैं भी तो देखूं क्या सच में मेरी जिंदगी अधूरी चल रही है,,,


हां मामी में सच कह रहा हूं,,,,


तो बताना,,,,


नहीं जाने दो तुम नाराज हो गई तो मैं अपने आप को माफ नहीं कर पाऊंगा,,,,(सुरज समझ गया था कि उसकी मामी उसके मुंह से सुनना चाहती है लेकिन सुरज से थोड़ा और तड़पाना चाहता था उसे और उकसाना चाहता था इसलिए बात को इधर-उधर घुमा रहा था,,,)

सुरज मैं बोली ना मैं नाराज नहीं होऊंगी,,,,


और अगर नाराज हो गई तो,,,,


पागल मत बन मैं कह रही हूं ना,,,

तो खाओ मेरी कसम कि मेरी बात का अगर बुरा लगेगा तो तुम मुझसे नाराज बिल्कुल भी नहीं होगी,,,


यह कैसी बातें कर रहा है मैं तेरी कसम कभी खाई हूं क्या,,,?

तब तो तुम जरूर नाराज हो जाओगी क्योंकि बात ही कुछ ऐसी है,,,,,,


अच्छा तेरी कसम बस अब तो बता दे,,,,


चलो ठीक है जब तुम इतना कह रही हो तो बता देता हूं और तुम कसम खाई हो नाराज बिल्कुल भी मत होना,,,,
(इतना कहने के साथ ही सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था बैल अपनी लय में आगे बढ़ रहा था बेल के पैरों में और पैसे में बंधा घूंगरू पूरे शांत वातावरण में शोर मचा रहा था,,,, दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था चारों तरफ हरियाली छाई हुई थी ऐसा मौसम देखकर सुरज का मन भी कुछ करने को कह रहा था लेकिन अपने आप को बड़ी मुश्किल से संभाले हुए था,,,,, कुछ देर तक वह खामोश रहा होगा देखना चाहता था कि उसकी मामी फिर बोलती है या नहीं तभी थोड़ी देर गुजरा ही था कि फिर रूपाली बोली,,)

क्या हुआ खामोश क्यों हो गया,,,


नहीं मैं सोच रहा था कि क्या मुझे तुमसे इस तरह की बातें करनी चाहिए या नहीं करनी चाहिए,,,


अरे तो तू इतना सब तो तू मुझसे बोल चुका है और तो और खेत में जिस तरह की हरकत किया था उसे देखते हुए तुझे शर्म आ रही है मैं तो सोचकर ही हैरान हो रही हूं,,, अगर मैं तेरी हरकत से तेरी बात से नाराज हुई होती तो मैं कब से तेरे मामाजी से बता दी होती और तेरे मामाजी मार मार कर तेरी हालत खराब कर दी होते लेकिन मैं जानती हूं कि इस उम्र में जवान लड़कों से गलती हो जाती है इसलिए मैं तेरी बात पर पर्दा डाल चुकी हूं और तू है कि,,,,,


क्या सच में तुमने मामाजी से कुछ नहीं बताई हो,,,


अगर बता दी होती तो क्या तू इस हालत में होता,,,


हां बात तो सच है,,,,(इतना कहकर सुरज अपने मन में सोचने लगा कि उसकी हरकत के बारे में उसकी मामी ने अभी तक उसके मामाजी को नहीं बताई है और ना ही किसी को बताएगी इसका मतलब साफ है कि उसकी मामी को भी उसकी हरकतें अच्छी लग रही थी बस शर्म और मर्यादा का पर्दा दोनों के बीच आड़े आ रहा है,,,, सुरज अपने मन में सोचने लगा कि अगर यह शर्म और मर्यादा का पर्दा दोनों के बीच से हट जाए तो उसे उसकी मामी की दोनों टांगों के बीच जाने से कोई नहीं रोक सकता और उसे या पर्दा खुद ही दूर करना होगा इसलिए वह बोला,,,)


देखो मैं जो कुछ भी कहने वाला हूं उसे सुनकर तुम्हें थोड़ा गुस्सा भी आएगा या तुम उसे मानने से इनकार करो लेकिन हकीकत यही है कि तुम्हें भी ज्यादा की उम्मीद है,,,


अरे बताएगा भी,,,


देखो मैं तुम सब बातों में एकदम सुखी हो परिवार से लेकर धन दौलत खेतों में खलियान में जानवरों से सभी तरह से सुखी संपन्न हो लेकिन बिस्तर में अभी भी तुम पूरी तरह से पर्याप्त नहीं हो,,,

क्या,,, मैं अभी भी नहीं समझी तु क्या कह रहा है,,,


मैं यह कहना चाह रहा हूं मामी की मुझे नहीं लगता कि मामाजी तुम्हारी प्यास बुझा पाते होंगे,,,,


यह क्या कह रहा है तू पागल तो नहीं हो गया तुझे इस तरह की बात करने में शर्म भी नहीं आ रही है,,,


देखो मैं कह रहा था ना तुम नाराज हो जाओगी अभी तुमने मेरी बात पूरी सुनी ही कहा हो,,,,
(अपने भांजे की बातें सुनकर रूपाली का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उसे समझ में आ गया था कि उसका भांजा किस मामले की बात कर रहा था,,,, सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)

देखो मैं इसमें दो राय बिल्कुल भी नहीं है कि तुम्हारे जैसी खूबसूरत औरत पूरे गांव में कोई भी नहीं है तुम्हारा गदराया बदन खूबसूरत मचलती जवानी पर काबू पाना मामाजी के बस में बिल्कुल भी नहीं है मामाजी तुम्हारी उफान मारती जवानी पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाते,,, तुम्हारी खूबसूरत बदन की मचलती जवानी पर काबू पाना मामाजी के बस में बिल्कुल भी नहीं है,,,,


तू कहना क्या चाह रहा है कि मैं अभी तक तेरे मामाजी से खुश नहीं हूं,,,


यह तो मन को बहलावा देने वाली बात है मा,,,,(जिस तरह से रूपाली उसकी बात में हम ही भर रही थी उसकी बातों को सुन रही थी उसे देखते फिर सुरज में हिम्मत आने लगी थी और सुरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए और एकदम खुले शब्दों में बोला) सच कहूं तो मैं मामाजी के लंड से तुम्हारी जवानी की प्यास बिल्कुल भी नहीं पिघलती होगी बल्कि मामाजी की हरकत से तुम्हारी प्यास और बढ़ जाती हो कि वह तो तुम संस्कारी औरत हो इसलिए मामाजी से ही खुश रहना की कोशिश करती हो लेकिन सच तो यही है कि तुम्हारी जवानी पर काबू पाने के लिए मर्दाना ताकत से भरे हुए मर्द की जरूरत है जिसके मोटे तगड़े लंबे लंड से तुम्हारी बुर का जमा हुआ पानी एक ही धक्के में लावा बनकर पिघल कर बाहर आ जाए,,,,(अपनी भांजे की इतनी गंदी बात सुनकर रूपाली का दिल बिल्कुल भी काबू में नहीं था वह बड़े जोरों से धड़क रहा था,,, उसे अपनी बुर से नमकीन पानी बहता हुआ महसूस हो रहा था वह अपने भांजे की बात सुनकर ही झड़ने लगी थी,,,, और यही हाल सुरज का भी था उसका लंड पूरी तरह से अपने काबू से बाहर हो गया था वह किसी भी वक्त उसके पजामे को फाड़ कर बाहर आने के लिए मचल रहा था लंड का कड़क पन भी एकदम बढ़ गया था ऐसा लग रहा था कि लंड की नसें किसी भी वक्त फट जाएंगी,,, अपनी मामी की खामोशी देखकर सुरज समझ गया था कि वह उसकी बात सुनकर चारों खाने चित हो गई है और इसीलिए वह अपनी बात को और ज्यादा आगे बढ़ाते हुए बोला,,) सच में मामी तुम्हें पूरी तरह से तृप्त करने की ताकत मामाजी में बिल्कुल भी नहीं है तुम्हें मोटा और लंबा लंड चाहिए मामाजी से दोगुना से भी ज्यादा जो तुम्हारी बुर की अंदरूनी दीवारों को फैलाता हुआ अंदर की तरफ जाए और उसकी रगड़ से तुम्हारी दूर का नमकीन रस बाहर निकलने लगे तुम्हारी बुर को पहले ही धक्के में एकदम गोल छल्ले की तरह बना दे तब जाकर तुम्हारी जवानी पर काबू पा पाएगा,,,, मुझे पूरा यकीन है कि मामाजी के पास ऐसा दमखम बिल्कुल भी नहीं है और ना ही ऐसा मोटा तगड़ा लंड है,,,,,,,,
(रूपाली को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कहें उससे तो कुछ बोला ही नहीं जा रहा था वह अपने भांजे की इतनी गंदी बात सुनकर वो झड़ चुकी थी और इस तरह से झड़ने पर वह खुद हैरान थी,,, कि उसके भांजे की हरकत पर नहीं बल्कि उसकी अश्लील गंदी बातों को सुनकर ही उसका पानी निकल चुका था,,, सुरज की भी हालत खराब थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उसकी मामी सच में नाराज ना हो जाए इसलिए,,,, वह एकदम से खुश होता हुआ अपनी मामी से बोला,,,)

अरे वह देखो मा बाजार आ गया,,,,,
(सामने की तरफ रूपाली नजर दौड़ाई तो देखी सचमुच में बाजार आ रहा था और वह सब बातों को भूल कर खुश हो गई क्योंकि बरसों बाद वह बाजार में आई थी,,,.)
 

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