Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

Newbie
84
180
18
पायल किताब का पहला पन्ना उलटती है. सामने कहानियों के शीर्षिक लिखे हुए हैं. "१. गर्मी की एक रात, पापा के साथ", "२. पापा के लंड की सवारी", "३. भैया के लंड की प्यासी", "४. छोटे भाई का मोटा लंड". कहानियों के शीर्षक पढ़ के पायल को पसीना आने लगता है. उसने सोचा भी नहीं था की इस किताब में इस तरह की कहानियां होगी. पायल उन शीर्षकों को फिर से एक बार पढ़ती है. फिर कांपती हुई उँगलियों से वो पन्ना पलटती है. दुसरे पन्ने में बड़े अक्षरों में, "गर्मी की एक रात, पापा के साथ" लिखा हुआ है. वो धीरे धीरे नज़रों को निचे ले जा कर कहानी पढ़ने लगती है. कहानी एक १९ साल की एक लड़की की है जो गर्मी के मौसम में अलग अलग घटनाओं द्वारा धीरे धीरे अपने पापा के करीब आती है और गर्मी की एक रात पापा की हमबिस्तर हो कर चुद जाती है. पायल की नज़रें गौर से पन्ने पर छपे हर एक अक्षर को पढ़ने लगती है. हर एक पलटते पन्ने के साथ पायल का बुरा हाल होता जा रहा था. कहानी पढ़ते हुए कभी वो अपने ओठों को दांतों से दबा देती तो कभी अपनी बड़ी बड़ी चुचियों की घुंडीयों (nipples) को मसल देती. एक बार कहानी में ऐसा मोड़ आया की पायल ने सिसकारी भरते हुए पैन्टी के ऊपर से अपनी बूर को ही दबोच लिया. धीरे धीरे पायल अपने बदन से खेलते हुए कहानी पढ़ती जा रही थी. ३० मिनट के बाद पायल ने जैसे ही वो कहानी खत्म की, वो किताब को एक तरफ फेंक कर बिस्तर पर सीधा लेट गई. उसके एक हाथ ने टॉप के निचे से होते हुए एक चूची को अपनी गिरफ्त में ले लिया और दुसरे हाथ ने पैन्टी के अन्दर घुस के बूर के ओठों से खेलना शुरू कर दिया. पायल आँखे बंद किये हुए अपने ओठों को दांतों से काट रही थी. उसके हाथ चूची को कभी दबोच के दबा देते तो कभी मसल देते. पैन्टी के अन्दर हाथ की एक ऊँगली बूर के सुराक को तलाशने लगी. पायल की बूर बुरी तरह से रिसने लगी थी. उसके दिमाग में उस कहानी के कुछ मादक अंश घुमने लगे थे. उन्हें याद करके पायल और भी ज्यादा मचल जाती. तभी पायल के दिमाग में कहानी का एक अंश आया जिसने उसका बुरा हाल कर दिया. पायल ध्यान लगा के उस अंश को याद करती है. उसकी बंद आँखों के सामने कहानी का वो एक हिस्सा आ जाता है.....
 
Newbie
84
180
18
"बिना कपड़ों के नंगे बदन कुसुम, अपने पापा के मोटे लंड पर ऐसे उच्छल रहीं थीं मानो किसी घोड़े की सवारी कर रही हो. घर की बिजली कटी थी और गर्मी की रात. इमरजेंसी लाइट की रौशनी में कुसुम का पसीने से भरा बदन चमक रहा था. दोनों हाथों को उठायें वो अपने बालों को चेहरे से हटा के पीछे कर रही थी. तभी निचे लेटे बूर में सटा सट लंड पलते हुए पापा की नज़र कुसुम के उठे हाथों की बगलों पर पड़ी. दोनों बगल में रेशमी बाल और बहता पसीना देख के पापा ने अपने हाथों को उसकी पीठ पर ले जा कर उसे अपने ऊपर खींच लिया. कुसुम की भारी चूचियां पापा के सीने से पूरी तरह से चिपक गई और पापा ने सर उठा के उसकी बगल से निकलती पसीने की खुशबू को एक लम्बी सांस लेते हुए सूंघ लिया. पसीने की गंध सूंघते ही पापा ने निचे से जोर की ठाप लगायी तो कुसुम की चीख निकल गई - 'हाय...!! मर गई पापा...!!'...".

इस अंश को याद करते ही पायल के मुहँ से हलकी सी आवाज़ निकल जाती है, "उफ़ पापा". तभी उसके दोनों हाथ थम जाते है और आँखे झट से खुल जाती है. बड़ी बड़ी आँखों से वो ऊपर पंखे को देखने लगती है. दिल ऐसे धड़क रहा है मानो कोई ढोल बजा रहा हो. "ये मैंने क्या कह दिया? अपने ही पापा के बारें में....". इतना कहते ही पायल की ऊँगली हरकत में आ जाती है और बूर के दाने को रगड़ने लगती है. दूसरा हाथ चूची को मसलने लगता है. उसकी आँखे एक बार फिर से बंद हो जाती है और उसके मुहँ से फिर एक आवाज़ निकलती है, "हाय पापा....सीssss....उफ़ पापाssss". उसकी कमर ऊपर उठ जाती है और ऊँगली बूर के दाने को तेज़ी से रगड़ने लगती है. "बहुत गर्मी है पापा....ठंडा कर दीजिये ना....". पायल के मुहँ से अब अपने पापा के लिए वो शब्द निकलने लगते है जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. पापा के प्रति उसका प्यार अब धीरे धीरे हवस का रूप लेने लगा था. तभी पायल के कानो में दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. वो होश में आती है. किताब को तकिये के निचे झट से छुपा के पायल कड़ी हो जाती है और अपने कपड़े ठीक करते हुए दरवाज़े के पास जाती है.
 
Newbie
84
180
18
पायल : (दरवाज़ा खोलती है) भाभी आप?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए खड़ी है) मैडम ... आपकी आज की पढाई हो गई हो तो चाय पीने आ जाइये. सब आपका इंतज़ार कर रहे है.

पायल : (मुस्कुराते हुए) जी भाभी. ५ मिनट में आती हूँ.

उर्मिला : (जाते हुए) जल्दी आना, देर मत लगा देना.

पायल : जी भाभी ...

दरवाज़ा बंद करके पायल अन्दर आती है. उसके चेहरे पर मुस्कान है. सामने आईने में अपने आप को देखती है. अपनी सुन्दरता और गदराये बदन को देख के पायल की मुस्कान और ज्यादा खिल जाती है. तभी पायल को उस कहानी का एक छोटा सा अंश याद आता है. जिसे याद कर के वो हँस देती है. आईने के थोडा करीब जा कर वो झुक जाती है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई को वो आईने में देखते हुए वो एक हाथ आगे बढ़ाते हुए कहती है, "पापा आपकी चाय...". फिर वो एक हाथ से अपना चेहरा छुपा के मुस्कुराते हुए बाथरूम में भाग जाती है.
 
Newbie
84
180
18
पायल बाथरूम से बाहर आती है. एक बार फिर वो अपने आप को आईने के सामने खड़े हो कर निहारती है. अपनी बड़ी बड़ी चुचियाँ देख कर मुस्कुराते हुए वो एक दुपट्टा लेती है और अपने कंधो पर डाल लेती है. तेज़ क़दमों से चलते हुए वो ड्राइंग रूम के पास आती है. सामने सोफे पर उमा देवी, सोनू और उर्मिला अपनी अपनी जगह पर बैठे है और चाय पी रहे है. पापा को वहां ना पाकर पायल की नज़रें उन्हें ढूंढने लगती है. नज़रे चारों तरफ घुमाते हुए पायल सोफे के पास जाती है और धीरे से बैठ जाती है.

उर्मिला : क्या देख रही हो पायल?

पायल : कुछ नहीं भाभी. वो पापा कहीं दिखाई नहीं दे रहे?

उमा :लो आ गई अपने पापा की लाड़ली..... बाथरूम गए हैं. अभी आ जायेंगे.

पायल मम्मी की तरफ देख के मुहँ बना देती है. उर्मिला किसी तरह अपनी हँसी को रोकती है. तभी उसकी नज़र सोनू पर जाती है. सोनू तिरछी नज़रों से दुपट्टे के निचे से पायल का उभरा हुआ सीना देखने की कोशिश कर रहा था. "शुरू हो गया बहनचोद , उर्मिला मन में सोचती है. तभी बाबूजी बाथरूम से बाहर आते है. उर्मिला उन्हें देख कर रसोई से उनके लिए चाय लेने के लिए उठने लगती है. तभी पायल उर्मिला का हाथ पकड़ के निचे बिठा देती है.

पायल : भाभी आप चाय पीजिये. पापा के लिए मैं चाय ले कर आती हूँ. (पायल रसोई में चली जाती है).

बाबूजी सोफे पर अपनी जगह आकर बैठ जाते है. उन्हें देख के उमा कहती है.

उमा : अरे ...!! आप यहाँ क्यूँ बैठ रहें हैं? जाईये...अपनी पहलवानी कीजिये..

रमेश: देखो उमा..!! तुम मेरी कसरत पर नज़र मत लगाया करो मैं बोले दे रहा हूँ...
 
Newbie
84
180
18
उमा : अजी मैं कहाँ नज़र लगा रही हूँ? मैं तो बस ये कह रहीं हूँ की सर के सारे बाल सफ़ेद होने को आ गए हैं, (सोनू के सर पर हाथ फेरते हुए) एक घोड़े और (रसोई की तरफ मुहँ बना के देखते हुए) एक गधी के बाप हो फिर भी आपकी जवानी ख़तम नहीं होती.

रमेश : (थोड़ी ऊँची आवाज़ में) गधा होगा तुम्हारा ये लाड़ला .... मेरी पायल बिटिया के बारें में कुछ मत बोलना....

उर्मिला : (हँसते हुए) बात तो बाबूजी की सही है मम्मी जी. पायल बेहद समझदार और सायानी लड़की है.

उमा : (हँसते हुए) ठीक है, फिर गधी नहीं तो घोड़ी हे सही...

उमा की इस बात पे सब हँस पड़ते है. उर्मिला रसोई में देखती है तो पायल चुप चाप एक कोने में खड़ी है.

उर्मिला : मम्मी जी main २ मिनट में आयी...

उर्मिला रसोई में पायल के पास आती है. उसके कंधे पर हाँथ रखते हुए कहती है.

उर्मिला : पायल...!! क्या हुआ? तू तो बाबूजी के लिए चाय लेने आई थी? यहाँ ऐसे सर झुकाए क्यूँ खड़ी है?

पायल का सर झुका है और नज़रें निचे रखे चाय के प्याले पर. वो कुछ क्षण वैसे ही प्याले को देखती है और कहती है...

पायल : कहानी और रियल लाइफ में बहुत फर्क होता है भाभी....

इतना कहते ही पायल की आँखे बड़ी हो जाती है. वो झट से बड़ी आँखों से उर्मिला की ओर देखने लगती है. उर्मिला पायल को देख मुस्कुरा रही है. पायल को अपनी गलती का एहसास होता है. उसने अनजाने में ही शायद पापा के लिए अपने जज़्बात को भाभी के सामने ज़ाहीर कर दिया था. वो जानती थी की जिस कहानी की किताब को पढ़ के उसके दिल में पापा के लिए भावनायें जागी थीं, वो किताब उसे उर्मिला ने ही दी थीं. पायल बड़ी बड़ी आँखों से उर्मिला को देख रहीं थीं. उर्मिला ने भी उसकी हालत समझते हुए उसे अपने सीने से लगा लिया. पायल भी भाभी के सीने में मुहँ छुपा लेती है. वो जानती है की इस वक़्त उसके मन में जो उथल पुथल हो रही है वो सिर्फ उर्मिला ही समझ सकती है.

उर्मिला : (पायल को अपने सीने से लगा लेती है) कोई बात नहीं पायल. ऐसा होता है. हर बात का एक समय होता है. शायद जो तू अभी चाह रही हो, उसका अभी ना तो समय हो और ना ही जगह.

पायल : (उर्मिला की बात सुन कर भाभी को देखते हुए) मैं कुछ समझी नहीं भाभी...
 
Newbie
84
180
18
उर्मिला पायल को देख के मुस्कुराती है. फिर उर्मिला पायल को उस दिशा में घुमा देती है जहाँ सोफे पर रमेश, उमा और सोनू बैठे हैं. पायल उन्हें देखने लगती है. उर्मिला अपना चेहरा पायल की कंधे पर लाती है और धीरे से उसके कान में कहती है.

उर्मिला : देख पायल, बहादुरी दिखाना अच्छी बात है लेकिन ये जरुरी नहीं की बहादुरी सबके सामने दिखाई जाए...(उर्मिला पायल की ठोड़ी पकड़ के सोनू और उमा की तरफ उसका चेहरा घुमाते हुए कहती है. फिर वो उसका चेहरा बाबूजी की तरफ घुमा कर कहती है) अगर अपनी मंजिल को पाना हो तो तू बहादुरी अकेले में दिखा, चालाकी के साथ.

पायल के लिए उर्मिला की वो बात किसी ब्र्हम्ज्ञान से कम ना थीं. बात समझते ही पायल के उदास चेहरे पर एक मुस्कराहट आ जाती है. वो शर्माते हुए फिर से अपना चेहरा उर्मिला के सीने में घुसा देती है.

पायल : भाभी....!!!

उर्मिला : (उर्मिला पायल का चेहरा हाथों से उठा के कहती है) समझ गई ना बन्नों?

पायल नज़रें झुकाये अपना सर हिला कर हामी भर देती है. उर्मिला उसका दुपट्टा ठीक करते हुए कहती है.

उर्मिला : अब जा और बाबूजी को चाय दे दे. और हाँ... बहादुरी अकेले में. सबके सामने वाला मोर्चा तेरी भाभी संभाल लेगी.

पायल भाभी को देख के हँस देती है और चाय का प्याला ले कर बाबूजी के पास जाती है. वो अब दुपट्टे को बिना गिराए बाबूजी को चाय देती है.

पायल : पापा... आपकी चाय...

रमेश : थैंक्यू बिटिया....क्या बात है? बड़ी देर लगा दी चाय लाने में?

पायल : वो पापा...वो...वो...

पायल समझ नहीं पा रही थीं की वो क्या जवाब दे. तभी उर्मिला पायल का हाथ पकड़ कर उसे अपनी गोद में बिठा लेती है.

उर्मिला : वो वो क्या कर रही है? बता दे ना.... वो क्या है बाबूजी...पायल ने आपकी चाय में थोड़ा दूध डाल दिया था (उर्मिला दुपट्टे के निचे से पायल की चूची दबा देती है), इसलिए चाय गरम करने में देरी हो गई...

उर्मिला की इस हरकत से पायल के चेहरे का रंग उड़ जाता है. पर सबके सामने वो बेचारी करती भी क्या?

रमेश : (हँसते हुए) ओह अच्छा....

उर्मिला :चाय पी कर बताइए बाबूजी, दूध सही मात्रा में डाला हैं ना पायल ने?

रमेश : (चाय की एक चुस्की ले कर) वाह...!! मज़ा आ गया. दूध की मात्र बिलकुल सही है और स्वाद भी बहुत अच्छा है.
 
Newbie
84
180
18
उर्मिला : देखा पायल..! दूध की मात्र भी सही है और स्वाद भी (उर्मिला एक बार फिर दुपट्टे के निचे से पायल की चूची दबा देती है. बेचारी पायल चुप चाप कसमसा के रह जाती है) बाबूजी, पायल अब बड़ी और सायानी हो गई है. कल मुझसे कह रही थी की, भाभी अब मैं पापा को भी बोझ उठा सकती हूँ...

ये सुन कर पायल हक्कि-बक्की रह जाती है. वो समझ नहीं पाती की क्या बोले और क्या करे. तभी उमा बोल पड़ती है.

उमा : बड़ी और सायानी नहीं, बड़ी घोड़ी कह उर्मिला. बड़ी घोड़ी है ये....

उर्मिला : तो ठीक है मम्मी जी... पायल घोड़ी बन के बाबूजी का बोझ उठा लेगी (उर्मिला धीरे से पायल की चुतड पर चुटकी काट लेती है)

इस बात पर सभी हँसने लगते है और पायल का बुरा हाल हो जाता है. उर्मिला के बात की गहराई और असली मतलब वो अच्छी तरह से समझ रही थी. वो चेहरे पर बनावटी हँसी ला कर सबका साथ देती है.

रमेश : देखो भाई..!! पायल घोड़ी बन के बोझ उठाये या कुछ और... मैं तो बस इतना जानता हूँ की मेरी पायल मेरा बोझ उठाने लायक हो गई हैं...

उर्मिला : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) क्यूँ पायल? उठा लेगी ना पापा का बोझ?

पायल : जी ..जी भाभी...!! (पायल झट से खड़ी हो जाती है). अच्छा भाभी मुझे कॉलेज का कुछ काम याद आ गया. अब मैं चलती हूँ...(और पायल नज़रें झुका के तेज़ क़दमों से अपने कमरे की तरफ बढ़ने लगती है)

पायल के जाने के बाद सभी चाय पीते हुए हँसी मजाक करने लगते हैं. इधर पायल अपने कमरे में आती है. दरवाज़ा बंद करके वो बिस्तर के पास आती है. साँसे तेज़ है, चेहरे पर थोड़ी शर्म और मुस्कराहट. भाभी की दूध वाली बात याद कर के एक हाथ से अपनी चूची दबाते हुए वो हँस देती है. बिस्तर पर बैठते हे उसे भाभी की घोड़ी वाली बात याद आती है. वो धीरे से बिस्तर पर चढ़ती है और घोड़ी के अंदाज़ में बैठ जाती है. दिवार पर टंगे बड़े से आईने में वो अपने आप को देखती है. आईने में देखते हुए धीरे से वो अपनी चुतड को थोड़ा ऊँचा करती है. "हाँ पापा... मैं घोड़ी बन के आपका बोझ उठा सकती हूँ", और वो शर्मा के बिस्तर पर गिर जाती है और अपना चेहरा तकिये में छुपा लेती है. कुछ देर वैसे ही वो बिस्तर पर पड़ी रहती है फिर तकिये के निचे से किताब निकाल के पन्ने पलटने लगती है. "पापा के लंड की सवारी" - पायल के चेहरे पर मुस्कान छा जाती है. धीरे धीरे समय के साथ पायल की टॉप उसकी बड़ी बड़ी चुचियों के ऊपर उठ जाती है और हाथ उन्हें मसलने लगते हैं और पायल उस कहानी की रंगीन दुनिया में खो जाती है.
 
Newbie
84
180
18
रात के १०:३० बज रहे है. सोनू, रमेश और उमा अपने अपने कमरों में सोने जा चुके है. उर्मिला रसोई का काम खत्म करके पायल के कमरे के पास आती है. दरवाज़ा थोड़ा खुला पा कर वो अन्दर चली जाती है. सामने पायल अर्थशाश्त्र की किताब लिए पढ़ रही है. उर्मिला को देख कर वो झट से किताब बंद कर लेती है.

पायल : रसोई का काम हो गया भाभी?

उर्मिला : हाँ हो गया. सोने जाने से पहले सोचा एक बार तेरा हाल चाल भी पंच लूँ. (उर्मिला पायल के हाथ की किताब देख कर) तो अर्थशाश्त्र की पढाई हो रही है.

पायल : जी भाभी...

उर्मिला : अच्छा? और अर्थशाश्त्र की किताब के अन्दर कामशाश्त्र का कौन सा पाठ पढ़ा जा रहा है?

पायल : (शर्माते हुए) "पापा के लंड की सवारी"

उर्मिला : (हँसते हुए पायल के गाल खींच देती है) ओ हो..!! पायल रानी...जरा अपना मुखड़ा तो दिखा...

उर्मिला हाथ से पायल की ठोड़ी को पकड़ के उसका चेहरा उठाती है. पायल पहले तो नज़रे झुका के शर्माती है फीर कहती है.

पायल : (झूठ मुठ का नखरा दिखाते हुए) ओफों भाभी...!! आप हमेशा मुझे छेड़ती रहती है...

उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा बाबा नहीं छेड़ती. पढ़ ले अराम से कहानी.

पायल कहानी पढ़ने लगती है. कुछ समय बाद उर्मिला कहती है.

उर्मिला : अच्छे एक बात बता पायल. तेरे पास वो एक गुलाबी रंग की टॉप थी ना? वही जो तुझे बहुत टाइट हुआ करती थी...

पायल : हाँ भाभी..थी तो. लेकिन बहुत वक़्त से उसे मैंने पहना भी नहीं है. अब पता नहीं कहाँ होगी. लेकिन आप क्यूँ पूछ रहीं हैं?

उर्मिला : जब से तू कॉलेज जाने लगी है सिर्फ छोटे गले वाली टॉप पहनती है. अब कम से कम घर में तो बड़े गले वाली टॉप पहना कर. अब तू सुबह भी जल्दी उठने लगी है, घर का काम भी करने लगी है. रोज सुबह छत पर कपडे सुखाने जाती है. (फिर पायल को देख कर मुस्कुराते हुए) और बाबूजी भी तो सुबह छत पर कसरत करने आते हैं....

उर्मिला की बात समझने में पायल को कुछ क्षण लगते हैं. जैसे ही बात समझ में आती है, पायल का चेहरा लाल हो जाता है और उसके ओठ दाँतों तले अपने आप दब जाते है.

उर्मिला : अब कुछ याद आ रहा है की वो टॉप कहाँ है?

पायल झट से बिस्तर से कूद कर दौड़ती हुई अलमारी के पास पहुँच जाती है. पलड़े खोल कर वो अन्दर कपड़ो को उथल पुथल करने लगती है. कुछ समय बाद वो निचे का दराज खोलती है और देखने लगती है. गुलाबी टॉप पर नज़र पड़ते ही वो झट से उसे निकाल के उर्मिला को दिखाती है.
 
Newbie
84
180
18
पायल : (ख़ुशी से) मिल गई भाभी....

उर्मिला : अरे वाह..!! ये हुई ना बात. अब जल्दी से इसे पहन के दिखा.

पायल : (चेहरे पर संकोच के भाव लाते हुए) भाभी...आपके सामने......

उर्मिला : तो ठीक है जा... बाबूजी के सामने जा कर बदला ले. जब वो तेरी बड़ी बड़ी चुचियों को दबोच के पियेंगे तब तुझे पता चलेगा....

पायल : (शर्माते हुए) धत्त भाभी...आप भी ना...रुकिए, अभी पहन के दिखाती हूँ.

पायल टॉप का निचला हिस्सा पकड़ धीरे धीरे ऊपर करने लगती है. टॉप में फंसी पायल की बड़ी बड़ी चूचियां टॉप के साथ ऊपर उठती है फिर उसकी गिरफ्त से छुटकर उच्चलती हुई बाहर आ जाती है. उर्मिला उसकी बड़ी बड़ी कसी हुई गोरी चूचियां आँखे फाड़ के देखने लगती है.

उर्मिला : पायल तेरी चूचियां तो सच में बड़ी और पूरी कसी हुई हैं. सोच....अगर तेरे पापा अभी आ गए और तुझे इस हाल में देख लिया तो?

पायल : (टॉप उतार के कुर्सी पर डाल देती है और नखरा दिखाते हुए कहती है) तो देख ले.... मुझे क्या?

उर्मिला : फिर वो तेरी चुचियों को दबोच के मसल देंगे....

पायल : (नखरे के साथ मुहँ बनाते हुए) दबोच के मसल दें या फिर मुहँ में भर के चूस ले...मुझे कोई फरक नहीं पड़ता...

पायल की ऐसी बेशर्मी देख के उर्मिला मुस्कुरा देती है. पायल गुलाबी टॉप में बाहें डालती है और फिर सर. टॉप को पकड़ के निचे करने लगती है तो वो उसकी बड़ी चुचियों में फंस सी जाती है. थोड़ी मशक्कत के बाद पायल टॉप पहन लेती है.

पायल : कैसी लग रही है भाभी....

उर्मिला टॉप को ऊपर से निचे तक देखती है. बड़ी बड़ी चुचियों पर चिपकी हुई टॉप गजब ढा रही है. बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई बिना झुके ही अच्छे से दिख रही है.

उर्मिला : पायल जरा सामने झुकना...

पायल : (आगे झुक कर) ऐसे भाभी?

उर्मिला : हुम्म...!! एक काम कर...अपनी चुचियों को दोनों तरफ से एक बार जोर से दबा दे.

पायल : (भाभी के निर्देशानुसार चुचियों को हाथों से दोनों तरफ से दबा देती है. दबाव से दोनों चूचियां आपस में चिपक जाती है और बीच की गहराई लम्बी हो जाती है) अब ठीक है भाभी?
 
Newbie
84
180
18
उर्मिला : हाँ...!! बिलकुल ठीक है... परफेक्ट....!! अच्छा अब देख... ११ बजने वाले है. सुबह तुझे जल्दी भी उठाना है. देर रात तक कहानियां पढ़ के पापा को याद मत करने लग जाना.

पायल : (हँसते हुए) नहीं भाभी...मैं जल्द ही सो जाउंगी...

उर्मिला : ठीक है अब मैं चलती हूँ....गुड नाईट...

पायल : गुड नाईट भाभी...

उर्मिला कमरें से बाहर निकल के जाने लगती है, तभी उसे एक बात याद आती है. वो मुड़ के पायल के कमरे के पास जाती है और जैसे ही दरवाज़ा को थोड़ा खोलती है, उसके हाथ रुक जाते है. उसकी नज़र पायल पर टिक जाती है. अन्दर पायल आईने के सामने अपने दोनों हाथों को उठाये खड़ी है. उर्मिला की समझ में नहीं आता है की पायल ये कर क्या रही है. वो बड़े ध्यान से पायल को देखने लगती है. पायल अपने हाथों को ऊपर उठा के खड़ी है. फिर अपने आप को आईने में देख के वो एक हाथ से अपने कूल्हों की तरफ से टॉप को बारी बारी से निचे खींचती है. फिर दोंनो हाथों को उठा के आईने में देखती है. कुछ देख कर उसके चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ जाते है. उर्मिला समझने की कोशिश करती है. तभी उसका ध्यान आईने पर जाता है और कुछ देख के उसके भी चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है. "अच्छा पायल रानी...तो अब तू ये करेगी....संभल जाइये बाबूजी...कल आपका लंड लंगोट फाड़ के बाहर आने वाला है", मन में सोचते हुए उर्मिला धीरे से दरवाज़ा लगाती है और मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ चल देती है.
 

Top