Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

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सुबह के ६:३५ बज रहें है. उर्मिला गैस पर चाय चढ़ा के रोज की तरह रसोई का दूसरा काम कर रही है. तभी पायल वहां आती है. वही गुलाबी टॉप पहने, कन्धों पर दुपट्टा और निचे टाइट फिटिंग वाला पजामा.

पायल : गुड मोर्निंग भाभी...

उर्मिला : गुड मोर्निंग पायल... (ऊपर से निचे देखती है) कमाल की लग रही है पायल... लेकिन ये दुपट्टा क्यूँ डाल रखा है... निकाल इसे...

पायल दुपट्टा निकाल देती है और पास के टेबल पर रख देती है. उसकी नज़रे यहाँ वहां घूम रही है जैसे किसी को तलाश रहीं हो.

उर्मिला : पापा को ढूंड रही है?

पायल : (मुस्कुराते हुए बेहद धीमी आवाज़ में) हाँ...!! कहाँ है पापा...?

उर्मिला : आ जायेंगे...इतनी उतावली क्यूँ हो रही है...

तभी पायल और उर्मिला को कदमो की आहट सुनाई देती है. दोनों सतर्क हो जाती है. रमेश अपने सर को गर्दन से गोल गोल घुमाते, गर्दन की अकडन ठीक करते हुए रसोई में आते है.

रमेश : बहू.... (इतना कहते ही बाबूजी जी नज़र पायल पर पड़ती है और उनका घूमता सर वैसे ही थम जाता है. आज पायल ने दुपट्टा नहीं लिया है. पायल की बेहद टाइट टॉप उसके बड़े बड़े खरबूजों पर कसी हुई है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहरी गली साफ़ दिखाई दे रही है. बाबूजी की नज़रे पायल के सीने के बीच की गहरी खाई पर आ कर रुक जाती है)

उर्मिला : क्या हुआ बाबूजी...??

रमेश : (उर्मिला की आवाज़ सुन के अपने आप को संभालता है) अ...कुछ नहीं बहु...ये..ये...पायल आज फिर से इतनी जल्दी उठ गई...? पायल बेटी...आज तू फिर से इतनी सुबह ?

पायल : हाँ पापा...कल मैंने कहा था ना की अब से मैं रोज जल्दी उठ जाया करुँगी और भाभी का काम में हाथ बटाया करुँगी...तो बस...उठ गई जल्दी...(पायल अपने चेहरे पर भोलापन लाते हुए कहती है)

रमेश : (पायल के सर पर हाथ रखते हुए) शाबाश बिटिया....!! बहुत अच्छा कर रही हो तुम... (एक नज़र टाइट टॉप में उठी हुई पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर डालने के बाद रमेश उर्मिला से कहता है) अच्छा बहु....वो ..चाय बन गई क्या?

उर्मिला : बस बाबूजी बनने ही वाली है. आप छत पर जाइये, मैं आपकी चाय ले कर ऊपर ही आ जाउंगी.

रमेश : (थोडा हिचकिचाते हुए) अरे नहीं नहीं बहु ..दिन में दस बार ऊपर निचे करती है, थक जाती होगी. अभी पायल तो ऊपर आएगी ही ना...(पायल की तरफ घूम कर) क्यूँ पायल ? तू तो कपडे डालने आएगी ना छत पर?
 
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पायल : हाँ पापा...अभी वाशिंग मशीन से कपड़े निकाल के बाल्टी में डालूंगी उसके बाद आउंगी....

रमेश : हाँ तो बहु...पायल मेरी चाय लेते आ जाएगी...अब ये उठी ही है तेरी मदद करने तो फिर करने दे इसे...

उर्मिला : हाँ बाबूजी...सही कहा आपने....येही आपकी चाय ले कर छत पर आ जाएगी. और जब ये काम ही करने के लिए जल्दी उठी है तो छत वाले सारे काम मैं पायल को ही दे देती हूँ....

रमेश : (अपनी ख़ुशी को किसी तरह से छुपाते हुए) हाँ हाँ बहु....!! छत के सारे काम करवाओ इस से....और मैं तो कहता हूँ की अभी सुबह सुबह ही सारे काम करवालो पायल से...एक बार इसकी माँ उठ गई तो पता नहीं इसे किस काम पर लगा दे...

उर्मिला : हाँ बाबूजी आपने बिलकुल सही कहा...छत के सारे काम मैं इस से अभी ही करवा लेती हूँ...

रमेश : हाँ बहू...छत के सारे काम करवा लो पायल से अभी...अच्छा अब मैं चलता हूँ...कसरत की तैयारी कर लूँ छत पर....

बाबूजी छत की सीढ़ियों की तरफ जाने लगते है. रसोई में पायल और उर्मिला एक दुसरे की तरफ देख के मुस्कुरा रहीं है.

उर्मिला : पायल..! तेरा काम तो बन गया....

पायल : हाँ भाभी...! (फिर चेहरे पर डर का भाव लाते हुए) लेकिन भाभी...अगर कोई छत पर अचानक से आ गया तो?

उर्मिला आँखे गोल गोल घुमाते हुए कुछ क्षण सोचती है फिर अचानक बाबूजी को आवाज़ देती है.

उर्मिला : बाबूजी...!!!!

रमेश चलते चलते उर्मिला की आवाज़ सुन कर रुक जाता हैं और पीछे मुड़ के उर्मिला को देखते है.

रमेश :क्या बात है बहु?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) देखिये ना बाबूजी.....पायल क्या कह रही है....

उर्मिला ना जाने क्या कहने वाली है ये सोच कर पायल की सिट्टी-पिट्टी गम हो जाती है. वो भाभी का हाथकस के पकड़ लेती है.

रमेश : (दूर से ही पायल की तरफ देखते हुए) क्या कह रही है मेरी बिटिया रानी?

उर्मिला : बाबूजी ये कह रही है की अगर इसका दिल काम में ना लगा तो ये निचे आ जाएगी. कॉलेज बंद हुए १ दिन हुआ है और देखिये कैसे अभी से रंग दिखाना शुरू कर दिया है इसने...(उर्मिला पायल की नाक पकड़ के धीरे से दबाते हुए) एक दम नटखट हो रही है आपकी बिटिया रानी...
 
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उर्मिला : बाबूजी ये कह रही है की अगर इसका दिल काम में ना लगा तो ये निचे आ जाएगी. कॉलेज बंद हुए १ दिन हुआ है और देखिये कैसे अभी से रंग दिखाना शुरू कर दिया है इसने...(उर्मिला पायल की नाक पकड़ के धीरे से दबाते हुए) एक दम नटखट हो रही है आपकी बिटिया रानी...

उर्मिला की इस बात से पायल की जान में जान आती है.

रमेश : (हँसते हुए) क्यूँ पायल? बहु सही कह रही है?

उर्मिला पीछे से पायल की चुतड पर चुटकी काट लेती है तो पायल, जो अब तक खामोश थी, झट से बोल पड़ती है.

पायल : (बचपना दिखाते हुए) हाँ पापा...!! मेरा दिल नहीं लगेगा काम में तो मैं भाग कर निचे आ जाउंगी....

उर्मिला : देखा बाबूजी आपने...? कितनी नटखट होती जा रही है आपकी लाड़ली...आप एक काम करियेगा बाबूजी. जब पायल छत पर आएगी तो ऊपर से दरवाज़ा बंद कर लीजियेगा ताकि ये भाग कर निचे ना आ सके. और बाबूजी अब ये आपकी जिम्मेदारी है की पायल ठीक तरह से छत के सारे काम करे. फिर बाद में मुझे ही करना पड़े तो क्या फायदा.

उर्मिला की बात सुन के रमेश किसी तरह से अपनी मुस्कान को चेहरे पर आने से रोकता है.

रमेश : अ..अ..हाँ बहु.. मैं ऊपर से दरवाज़ा बंद कर लूँगा. और तुम चिंता मत करो. मैं खुद खड़े हो कर इस से सारे काम करवाऊंगा....(फिर कुछ सोच कर) लेकिन बहु...अगर घर में किसी को छत पर कोई काम हुआ तो? मेरा मतलब है की मैं अपनी कसरत कर रहा हूँ और पायल अपने काम में वैस्थ है तो पता नहीं चल पायेगा ना की दरवाज़ा खोलना है.

उर्मिला : कोई नहीं आएगा बाबूजी...सोनू तो ९ बजे से पहले उठेगा नहीं. मम्मी जी ७ बजे उठेगी और चाय पीते हुए टीवी के सामने जम जायेंगी. प्रवचन १ - १:३० घंटे तो चलता ही है. और रही मैं, तो रसोई का काम करने में मुझे भी १ - १:३० घंटे लग ही जायेंगे. आप छत का दरवाज़ा लगा लीजियेगा, कोई नहीं आएगा..

रमेश : (अपनी ख़ुशी को छुपाते हुए) अच्छा..अच्छा ठीक है बहु...मैं ऊपर का दरवाज़ा लगा लूँगा...अब मैं चलता हूँ...

बाबूजी के जाते ही पायल ख़ुशी से भाभी से चिपक जाती है.

पायल : वाह भाभी...!! आपने तो कमाल कर दिया...

उर्मिला : तो तू क्या मुझे ऐसा-वैसा समझती है? अब ध्यान से सुन मेरी बात...बाबूजी के सामने झुक झुक के काम करना. जरुरत पड़े तो अपना सीना थोड़ा उठा भी देना. अगर बाबूजी कोई काम करने कहें तो चुप चाप कर देना. समझ गई ना?

पायल : (ख़ुशी के साथ) जी भाभी...समझ गई...

उर्मिला : अब ये चाय का प्याला ले और वो रही सामने बाल्टी, उठा और सीधा छत पर चली जा...

पायल : जी भाभी...

पायल घूम कर जाने लगती है. पीछे से उर्मिला आवाज़ देती है.

उर्मिला : आरी ओ पायल रानी...!!

पायल : (घूम कर) हाँ भाभी...

उर्मिला : वो तो मेरे पास छोड़ कर जा....
 
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पायल : (भ्रमित हो कर) वो आपके पास छोड़ कर जाऊं? वो क्या भाभी?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) अपनी 'लाज-शर्म' और क्या...

पायल को हँसी आ जाती है. फिर एक नज़र इधर-उधर डाल के उर्मिला की ओर देखती है . एक हाथ से चाय का प्याला पकड़े, दुसरे हाथ से टॉप उठा के अपनी नंगी चूची को मसलते हुए कहती है.

पायल : (चूची मसलते हुए) "उफ्फ पापा..!!"

और दोनों जोर से हँस देती हैं.

पायल : अच्छा भाभी अब मैं चलती हूँ....

पायल कपड़ों की बाल्टी उठाये दुसरे हाथ में चाय का प्याला लिए, सीढ़ियों पर धीरे धीरे चड़ने लगती है. पीछे से उर्मिला उसकी हिलती हुई चौड़ी चूतड़ों को देखती है. "लगता है आज पायल रानी बाबूजी की बड़ी पिचकारी से होली खेल के ही दम लेगी". और उर्मिला भी रसोई में अपने काम पर लग जाती है.



छत पर रमेश तेज़ क़दमों से यहाँ वहां घूमते हुए टहल रहें है. उनकी नज़रें बार बार छत के दरवाज़े की तरफ जा रहीं है. थोड़ी सी भी आहट होती तो उन्हें लगता की पायल आ रही है. पायल के बारें में सोच कर ही उनका लंड बेचैन हो रहा है. तभी सीढ़ियों पर क़दमों की आहट सुनाई देती है. रमेश दरवाज़े पर नज़रे गड़ाये खड़े हो जाता है. तभी पायल एक हाथ में चाय का प्याला और दुसरे हाथ में कपड़ो से भरी बाल्टी ले कर दरवाज़े से छत पर आती है. रमेश की नज़र सीधे पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर जाती है जो टाइट टॉप में कसी हुई है. पायल पापा की नज़र को भांप लेती है और अपना सीने हल्का सा उठा देती है. ये देखकर रमेश का लंड धोती में एक झटका खाता है.

रमेश : आ गई मेरी गुड़िया रानी....

पायल : जी पापा...!!

रमेश : ला ये बाल्टी मुझे दे...(पायल के हाथ से बाल्टी लेते हुए) कहाँ रखूँ इसे बेटी?

पायल : (पायल जानती है की पापा खटिया के पास हे कसरत करते है. वो झट से कहती है) यहाँ रख दीजिये पापा...खटिया के पास. मैं येही से कपडे निचोड़ के सूखने डाल दूंगी.

रमेश : ठीक है बेटी...

रमेश बाल्टी उठा के खटिया के पास रख देता है. पायल चाय का प्याला लिए खड़ी है. रमेश उसे देखते है और मुस्कुराते हुए खटिये पर बैठ जाते है.

रमेश : ला पायल...चाय दे दे....

पायल धीरे धीरे चल के पापा के पास आती है. हाथ बढ़ा के चाय का प्याला देते हुए वो आगे झुक जाती है.

पायल : लीजिये पापा....आपकी चाय...
 
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पायल के झुकते ही रमेश की आँखों के सामने टॉप के बड़े गले से उसकी आधी चूचियां दिखने लगती है. बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई देख कर रमेश की हालात ख़राब हो जाती है.वो एक तक उस गहराई को घूरे जा रहा है. तभी उसके कानों में पायल की आवाज़ पड़ती है.

पायल : कहाँ खो गए पापा? चाय लीजिये....

रमेश : (हडबडाते हुए) अ..आ.. कहीं नहीं बिटिया....ला चाय दे मुझे...

चाय दे कर पायल खड़ी हो जाती है. रमेश पायल के हाथ से चाय लेकर एक चुस्की लेते है.

रमेश : वाह पायल...!! चाय भले ही बहु ने बनाई हो, पर तेरे हाथ लगते ही इसका स्वाद और उम्दा हो गया...

पायल : (पायल अपने हाथ के रुमाल को नखरे के साथ घुमाते हुए कहती है) थैंक्यू पापा... अगली बार मैं आपको अपने हाथों से बनी चाय पिलाउंगी

रमेश : हाँ पायल...मेरा भी दिल करता है की कभी मैं तेरे हाथ की चाय पियूं....

तभी पायल जान बुझ के अपने हाथ का रुमाल गिरा देती है.

पायल : मैं आपको स्पेशल चाय पिलाउंगी पापा... (रुमाल उठाने के लिए झुकती है. उसकी आधी नंगी चूचियां पापा की आँखों के सामने आ जाती है)...डबल दूध वाली....

सामने का नज़ारा देख के रमेश का लंड धोती के अन्दर झटके लेते हुए लार की २-३ बूंदें टपका देता है. पायल की आधी नंगी चूचियां और उसके मुहँ से डबल दूध वाली चाय की बात सुन कर रमेश के होश उड़ जाते है. वो कुछ सोच कर कहते है.

रमेश : पायल...तुझे तो पता है बेटी...मैं बाज़ार के पैकेट वाला दूध नहीं पीता हूँ. मुझे तो घर की गाय का दूध ही पसंद है.

रमेश की बात सुन के पायल मन हे मन मुस्कुरा देती है फिर कुछ सोच के कहती है.

पायल : लेकिन पापा...घर की गाय तो अभी दूध नहीं देती है ना....

रमेश खड़े होते है और पायल के सर पर हाथ फेरते हुए कहते है.

रमेश : (पायल के सर पर हाथ फेरते हुए) जानता हूँ पायल बेटी...घर की गाय अभी दूध नहीं देती, लेकिन वो दूध देने लायक तो हो गई हैं ना ?...तुझे तो पता है की पापा ने उसकी कितनी देख-भाल की है. कुछ दिन पापा के हाथ का चारा खाएगी तो हो सकता है की दूध भी देने लग जाए.

रमेश की बातें सुन के पायल के जिस्म के आग लग जाती है. उसका रोम रोम उस आग में जलने लगता है. उर्मिला ने पहले ही पायल के लाज-शर्म के कपडे उतार दिए थे. पापा की इस बात ने उसकी थोड़ी बहुत बची हुई लाज-शर्म को जैसे छु-मंतर कर दिया. अब पायल पापा के सामने एक ऐसी लड़की की तरह थी जो कपड़े पहन के भी पूरी नंगी हो.

पायल और रमेश की नज़रें आपस में मिलती है. दोनों कुछ क्षण एक दुसरे की आँखों में देखते रहते है मानो एक दुसरे का हाल समझने की कोशिश कर रहे हो. तभी पायल अपने ओठ काटते हुए कहती है.

पायल : अच्छा पापा...अब मैं कपडे डालने जाती हूँ.

रमेश : हाँ बेटी..ठीक है...
 
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पायल घूम कर अपनी चौड़ी चुतड हिलाते हुए जाने लगती है. रमेश हिलती चूतड़ों को देखते हुए अपने लंड को धोती के ऊपर से एक बार जोर से मसल देता है. पायल कपड़ो की बाल्टी के पास पेशाब करने के अंदाज़ में बैठ जाती है. रमेश ठीक उसके सामने खटिये पर बैठ जाता है. पायल बाल्टी से एक कपड़ा निकालती है और दोनों हाथों से जोर जोर से रगड़ने लगती है. पायल की बड़ी बड़ी चूचियां हिलने लगती है. चुचियों के बीच की खाई, चुचियों के हिलने से कभी छोटी तो कभी लम्बी होने लगती है. बीच बीच में पायल और रमेश की नज़रे मिलती है तो दोनों कुछ क्षण एक दुसरे की आँखों में घूरते ही रह जाते है. नज़रें हटते ही पायल की चुचियों का हिलना और तेज़ हो जाता है. पायल ३-४ कपड़ों को रगड़ के बाल्टी की दूसरी तरफ रख देती है. अब रमेश उठ के छत के दरवाज़े का पास जाता है और दरवाज़े को बंद करके बाहर से कुण्डी लगा देता है. फिर चलते हुए वो पायल के पास आता है और अपनी धोती को हाथों से जांघो तक चढ़ा के पायल के सामने पेशाब करने के अंदाज़ में बैठ जाता है. रमेश के निचे बैठते ही उसकी नज़रे पायल की नज़रों से मिलती है. रमेश की आँखों में देखते हुए पायल अपने ओठो को दाँतों से काट लेती है. पायल के हाथ में एक कपड़ा है. रमेश उस कपड़े की और ऊँगली से इशारा करते हुए कहता है.

रमेश : (पायल को देखते हुए) पायल बिटिया...लगता है इस कपड़े पर चाय गिर गई थी. ठीक से साफ़ नहीं हुआ....

पायल : (कपड़े पर उस धब्बे को देखती है) हाँ पापा....ये तो वाशिंग मशीन में भी साफ़ नहीं हुआ. लगता है मुझे ही इसे अच्छे से इसे साफ़ करना पड़ेगा.

ये कह कर पायल उस कपडे को ज़मीन पर फैला देती है और घोड़ी के अंदाज़ में एक हाथ से कपडे के एक कोने को दबा देती है. वो घोड़ी बन के सामने झुकती है तो पायल की बड़ी बड़ी चूचियां रमेश की नजरो के ठीक सामने आ जाती है. घोड़ी बन के झुकने से अब टॉप के बड़े गले से चूचियां आधे से ज्यादा दिखने लगी है. चुचियों के बीच की गहराई अब सीध में दिखने लगी है. पायल एक बार पापा की आँखों में देखती है और फिर नज़रे कपडे पर डाले जोर जोर से रगड़ने लगती है. रमेश पायल की जोर जोर से हिलती चूचियां दखते है. रमेश गौर करते है तो देखते है की पायल के हाथों की गति धीमी है और चुचियों के हिलने की गति ज्यादा. ये देख कर रमेश के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. वो कुछ देर वैसे ही पायल की हिलती बड़ी बड़ी चुचियों का मज़ा लेते है फिर पायल को देख कर कहते है.

रमेश : बेटी..लगता है ये दाग नहीं निकलेगा. देखो तो तुम्हें कितना पसीना आ गया है. पूरी टॉप भीग गई है
 
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पायल : हाँ पापा...लगता है ये दाग नहीं निकलेगा....

पायल खड़ी हो कर अपने माथे का पसीना पोंछती है. फिर दोनों हाथो को उठा के अपने बालों को पीछे ले जा कर बाँधने लगती है. रमेश की नज़र पायल की की बगलों पर पड़ती है. टॉप की छोटी बांहों से बगल के हलके काले रेशमी बाल दिख रहे है और निचे पसीने से गीला धब्बा. ये नज़ारा देख के रमेश का लंड और सक्त हो जाता है. वो पायल के पास जाता है. नज़रें पायल की बगलों पर है. पायल को समझने में देर नहीं लगती की पापा की नज़रें कहाँ है. वो वैसे ही हाथो से बालों को ठीक करते हुए खड़ी है.

रमेश : (पायल के पास जा कर एक लम्बी साँसे लेते हुए) पायल बेटी...ये खुशबू कहाँ से आ रही है? कौनसा परफ्यूम लगाया है?

पायल समझ जाती है की पापा किस खुशबू की बात कर रहे है. वो परफ्यूम सिर्फ कॉलेज जाते वक़्त लगाती थी. अब जब कॉलेज बंद हो गया था तो उसने दो दिनों से कोई परफ्यूम नहीं लगाया था.

पायल : (नखरा दिखाते हुए) हाँ पापा ....लगाया है. लेकिन मैं आपको उसका नाम नहीं बताउंगी. वो परफ्यूम तो आप भी इस्तेमाल करते हो. देखती हूँ की आप पहचान पाते हो या नहीं?

रमेश : (मुस्कुराते हुए) ये तो तुमने मुझे दुविधा में डाल दिया बिटिया. खैर...अब तुम मुझे परखना ही चाहती हो तो ठीक है, देखते है....

रमेश अपना सर पायल की टॉप के करीब ला कर जोर से सांस लेते है. २-३ बार साँसे लेने के बाद.

रमेश : यहाँ तो कुछ पता नहीं चल रहा पायल. तुम अपनी बगलों में ज्यादा परफ्यूम लगाती हो ना?

पायल : जी पापा....पसीने भी तो वही ज्यादा आता है ना....

रमेश : हाँ पायल बेटी...और तुझे तो और भी ज्यादा पसीने आता है. देख तो तेरी बगलों के निचे की टॉप कैसी भीगी पड़ी हैं. चलो...कोई बात नहीं. मैं अभी सूंघ के बताता हूँ की कौनसा परफ्यूम है.

रमेश अपनी नाक पायल की बाएं बगल की तरफ ले जाता है. पायल भी अपना हाथ और ऊपर उठा देती है.

रमेश : (जोर से सांस खींच कर) हम्म....!! खुशबू तो अच्छी है पायल लेकिन ये तेरे टॉप की बाहं सब खेल बिगाड़ रही है. इसकी वजह से मैं ठीक तरह से खुशबू नहीं ले पा रहा हूँ. तेरे पास कोई बिना बाहं वाली टॉप नहीं हैं क्या?

पायल : है तो पापा...लेकिन वो मैं सिर्फ सोते वक़्त ही पहनती हूँ...
 
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रमेश : तो कोई बात नहीं बेटी...किसी दिन तेरे कमरें में आ कर उस खुशबू को पहचान ने की कोशिश कर लूँगा.

पायल : ठीक है पापा....

रमेश : अच्छा पायल तेरा काम हो गया हो तो अब तू जा. तेरी मम्मी का प्रवचन ना खत्म हो जाए.

पायल : हाँ पापा मैं चलती हूँ...नहीं तो टीवी का प्रवचन खत्म होगा और मम्मी का शुरू....

दोनों एक बार एक दुसरे को देख के मुस्कुरा देते है और पायल बाल्टी उठा के जाने लगती है. रमेश पीछे से उसकी चुतड को देखते हुए लंड मसलने लगता है.



चहरे पर मुस्कराहट लिए पायल उच्चलती हुई सीढ़ियों से निचे उतर रही है. पापा के साथ हुई हर एक घटना को याद करके उसका दिल धड़क रहा है और एक मीठा सा दर्द उसके तन-बदन में एक अजीब सी प्यास जगा रहा है. कभी शर्माती तो कभी हँसती हुई वो निचे आती है. सामने सोफे पर बैठी उमा उसे देखती है.

उमा : अरी ओ, बेलगाम घोड़ी....!! संभल के. गिर गई और हड्डियाँ टूट गई तो हो गया सत्यानाश....

पायल ड्राइंग रूम में आती है और मुहँ बना कर उमा को लम्बी सी जीभ दिखा देती है.

उमा : बताऊँ तुझे मैं...? अपनी माँ को जीभ दिखाती है ? और....और ये क्या कपड़े पहन रखे हैं तुने ? घर में दो-दो मर्द है और इस लड़की को देखो... अभी बदल के आ ये टॉप...जा...

पायल : नहीं बदलूंगी...!! फैशन है ये आजकल... और मुझे गर्मी भी होती है....

उमा : फैशन गया तेल लेने...और गर्मी होगी तो क्या घर में नंगी घूमेगी तू?

पायल : हाँ ..! घुमुंगी नंगी... आपको क्या?

उमा गुस्से में सोफे पर से उठ के खड़ी हो जाती है और अपना हाथ उठा के....

उमा : चुप कर बदमाश..!! अभी एक तमाचा लगा दूंगी तुझे....

रसोई में खड़ी उर्मिला माँ-बेटी को नोक-झोंक बहुत देर से देख रही थीं. उमा का पारा चढ़ते ही वो वहां पहुँच जाती है.

उर्मिला : अरे अरे मम्मी जी...!! इतना गुस्सा क्यूँ कर रही है ? (पायल को अपने सीने से लगा कर) इतनी प्यारी बच्ची है...(पायल के सर पर हाथ फेरना लगती है).

उमा : २१ साल की घोड़ी हो गई है और अक्कल नहीं है इस लड़की को जरा भी...देख तो उर्मिला इस लड़की को...अब तू ही समझा इसे..

उर्मिला : मम्मी जी..आप ऐसे ही गुस्सा कर रही है. (उर्मिला चुपके से अपनी ऊँगली पजामे के ऊपर से पायल की बूर पर रगड़ देती है और कहती है) बहुत गर्मी होती है बेचारी को...

उर्मिला की इस हरकत पर पायल भाभी को देखती है और अपने ओंठ काट लेती है.

उमा : बहु...गर्मी तक तो ठीक है...लेकिन इसे कुछ तो शर्म होनी चाहिए ना...?

उर्मिला : (पायल को देखते हुए) मम्मी जी की ये बात बिलकुल सही है पायल...थोड़ा ध्यान तो तुझे भी रखना होगा...(धीरे से पायल को आँख मारते हुए) अब चल...मम्मी जी को सॉरी बोल....
 
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पायल : (धीरे से) आइ एम सॉरी मम्मी....

उमा : हाँ ठीक है...चल अब जा और पहले ये कपड़े बदल.... (अपने कमरे की तरफ जाते हुए) पता नहीं ये लड़की बाहर क्या कांड करेगी....

उमा के जाते ही पायल और उर्मिला धीरे धीरे हँसने लगते है.

उर्मिला : (धीरे से पायल से कहती है) ये लड़की बाहर नहीं मम्मी जी, घर में कांड करेगी....बोल करेगी ना पायल ?

पायल : (मुस्कुराते हुए) हाँ भाभी...करुँगी...!

उर्मिला : अब जल्दी से अपने कमरे में जा, मैं २ मिनट में आती हूँ.

पायल दौड़ती हुए अपने कमरे में चली जाती है. रसोई में बचा हुआ काम जल्दी जल्दी खत्म करके उर्मिला पायल के रूम में जाती है. दरवाज़े से अन्दर देखती है तो पायल आईने के सामने खड़ी हो कर टॉप पर से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां पकडे हुए है. उर्मिला झट से दरवाज़ा अन्दर से बंद कर के पायल के पास पहुँच जाती है.

उर्मिला : (पीछे से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पकड़ के) और मेरी पायल रानी..!! बड़ी खुश लग रही है...पापा का लंड अपनी बूर में ठूंसवा के आ रही है क्या?

पायल : (मस्ती में) भाभी काश...!! पापा मेरी बूर में अपना मोटा लंड ठूँस देते...

उर्मिला : (पायल को अपनी तरफ घुमाते हुए) तो नहीं ठूँसा क्या?

पायल : (उदास होते हुए) नहीं भाभी....

उर्मिला : (पायल को सीने से लगाते हुए) कोई बात नहीं मेरी बन्नो...!! सब्र कर...फल जल्द ही मिलेगा...अच्छा ये तो बता क्या क्या हुआ छत पर..?

पायल की आँखों में चमक आ जाती है. वो भाभी का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले जाती है और दोनों बैठ जाते है.

पायल : (उत्सुकता के साथ) क्या बताऊँ भाभी....आज मैंने पापा को अपनी आधी चूचियां दिखा दी...

उर्मिला : सच..!! फिर तो पापा का बुरा हाल हो गया होगा ना?

पायल : हाँ भाभी... इधर मैं अपनी चूचियां जोर जोर से हिला रही थी और उधर पापा का लंड धोती में झटके ले ले कर उच्छल रहा था...

उर्मिला : हाय...!! बाबूजी तेरी चुचियों को घुर रहे थे क्या?

पायल : हाँ भाभी...खा जाने वाली नज़रों से....मेरा तो दिल किया की अभी पापा के पास जाऊं और टॉप उठा के अपनी बड़ी बड़ी चूचियां उनके मुहँ में दे दूँ...

उर्मिला : तो दे देती ना...किसने रोका था....

उर्मिला : (पायल मुहँ बना कर) हाँ भाभी...अगली बार पापा ऐसे देखेंगे तो सच में दे दूंगी....

उर्मिला : (हँसते हुए) अच्छा...और बता ना क्या हुआ...?
 
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पायल : पापा ने मेरी पसीने से भरी बगलें सूंघ ली भाभी...कह रहे थे की टॉप की बांहे खेल बिगाड़ रही है. वो पूछ रहे थे की कोई बिना बांह वाली टॉप नहीं है क्या मेरे पास...

पायल की बात सुन के उर्मिला की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है. वो धीरे से गहरी सांस लेती है तो पायल के बदन से निकलती हलकी पसीने की खुशबू सीधे उसकी नाक में घुस जाती है. "उफ़"...उर्मिला के मुहँ से निकल जाता है.

पायल : क्या हुआ भाभी..?

उर्मिला : तेरे बदन की खुशबू ही इतनी मदहोश कर देने वाली है पायल, तो तेरी बगलों की महक तो सच में किसी को भी पागल कर देगी...एक बार अपना हाथ तो उठाना...

पायल एक हाथ ऊपर उठा देती है. उर्मिला गौर से देखती है. उसकी छोटी बांह से हलके रेशमी बाल दिख रहे है और निचे का टॉप भीगा हुआ है. उर्मिला अपनी नाक पायल की बगल के पास ले जाती है और एक जोरो की सांस लेती है....

उर्मिला : आह्ह्हह्ह्ह्ह.....!! तेरी बगल की गंध से मेरा ये हाल हो रहा है तो बाकी मर्दों का क्या हाल होगा. पता नहीं इसे सूंघने के बाद तेरे पापा ने अपने आप पर कैसे काबू रखा होगा...

पायल : सच भाभी..? मेरी बगल की गंद इतनी अच्छी है?

उर्मिला : अच्छी ? बहुत अच्छी है पायल.. तू एक बार किसी को सुंघा दे तो वो अपना लंड थामे तेरे पीछे पीछे चला आये...

इस बात पर दोनों हँस पड़ते है...

उर्मिला : अच्छा अब आगे का कुछ सोचा है?

पायल : पता नहीं भाभी...आप ही कुछ बताइए ना...

उर्मिला : अच्छा...करती हूँ मैं कुछ....(कुछ सोच कर) अच्छा पायल एक बात तो बता...

पायल : जी भाभी..

उर्मिला : सोनू से तेरी कभी क्यूँ नहीं बनती? हमेशा दोनों झगड़ते रहते हो?

सोनू का नाम सुनते ही पायल को गुस्सा आ जाता है.

पायल : मेरे सामने उसका नाम भी मत लीजिये भाभी... एक नंबर का गधा है वो...

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा ठीक है...गधा है वो लेकिन फिर भी तेरा सगा भाई है...

पायल : भाई है तो क्या हुआ? उस गधे से तो मैं बात भी ना करूँ...

उर्मिला : पगली...भाई बहन में तो नोक-झोंक चलती ही रहती है...अब जैसे देख, मैं और मेरा चचेरा भाई....

पायल मुस्कुराते हुए बीच में उर्मिला की बात काट देती है.

पायल : वही ना भाभी...जिसने आपकी सबसे पहले बूर खोली थी..

उर्मिला : (हँसते हुए) हाँ बाबा...वही...!! तो हम दोनों भी पहले बहुत झगडा करते थे लेकिन सबसे पहले मेरी बूर में उसी का लंड गया ना?

पायल : लेकिन भाभी...मैं और सोनू तो एक दुसरे को फूटीं आँख नहीं भाते...
 

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