Incest घरेलू चुते और मोटे लंड

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रमेश : पायल बेटी...इस पेड़ के पीछे बैठ कर अराम से पेशाब कर लो. यहाँ से तुम्हे कोई भी नहीं देख पायेगा...

पायल बाबूजी को मुस्कुराते हुए देखती है और अपनी चुतड हिलाते हुए पेड़ के पीछे चली जाती है. बाबूजी पास ही खड़े उसे देखने की कोशिश करते है लेकिन कुछ दिखाई नहीं देता. बाबूजी ने जहाँ सोचा था पायल उस जगह पर नहीं बैठी थी. बाबूजी को अपने आप को एक तमाचा जड़ने की इच्छा हुई. तभी बाबूजी के कानो में पायल की धीमी आवाज़ आती है, "पापा...इधर आएना प्लीज...". पायल की पुकार सुनते ही रमेश का लंड जोर का झटका लेता है. वो तेज़ क़दमों से पेड़ के पीछे जाता है. सामने का नज़ारा देख कर उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है. सामने पायल रमेश की तरफ पीठ कर के पेशाब कर रही है. वो दोनों हाथो से लहंगे को दोनों तरफ से थोडा उठा रखा है. रमेश के कानो में पायल के पेशाब की मोटी धार की "सुर्र्रर्र्र्रर्र्रसुर्र्र्रर्रर" की आवाज़ साफ़ पड़ रही है. कुछ पल वो पायल को देखते हुए पेशाब की उस सुरली आवाज़ को ध्यान से सुनता है, फिर पायल से कहता है.

रमेश : अ..आ...हाँ पायल...क्या हुआ बेटी?

पायल : (थोडा बचपना दिखाते हुए) देखिये ना पापा....मेरा लहंगा पीछे से ज़मीन पर लगा हुआ है...ऐसे तो ये मेरी पेशाब से भीग जायेगा...आप प्लीज इसे ऊपर उठा के रखिये ना....

ये सुनते हे रमेश के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. वो एक बार अपने लंड को धोती पर से जोर से मसलता है और यहाँ-वहां देखकर किसी के ना होने की पुष्टि कर धीरे से पायल के पास जाता है.
 
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ये सुनते हे रमेश के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. वो एक बार अपने लंड को धोती पर से जोर से मसलता है और यहाँ-वहां देखकर किसी के ना होने की पुष्टि कर धीरे से पायल के पास जाता है.

रमेश : पायल बेटी..!! तेरा लहंगा तो सच में पीछे से ज़मीन पर लग रहा है.

पायल : हाँ पापा...तभी तो आपको बुलाया है. इस पीछे से उठा दिजियेना प्लीज....

रमेश कांपते हुए हाथों से पायल का लहंगा पीछे से उठाते हैं. लहंगा उठते ही पायल की गोरी और चौड़ी चुतड की झलक उन्हें दिख जाती है. लहंगा उठा के पायल के पीछे ही रमेश भी बैठ जाता है. गोरी गोरी चुतड उसकी आँखों के सामने है और कानो में पेशाब की सुर्र्र्रर्ररसुर्र्र्रर की आवाज़ से उसका लंड अकड़ने लगता है. वो एक हाथ से अपना लंड बाहर निकालता है और लंड पकड़े हुए हुए धीरे से निचे झुकता है. निचे झुकते ही रमेश को पायल की गोल गोल चूतड़ों के बीच घने बाल दिखाई देते है. फैली हुई चुतड और बालो के बीच पायल के गांड का छेद बेहद कसा हुआ दिख रहा है. पायल जब पेशाब करने में जोर लगाती वो उसकी गांड का छेद अन्दर की तरफ सिकुड़ जाता और फिर वापस अपने आकर में आ जाता. ये नज़ारा देख कर रमेश अपनी जुबान ओठों पर फेरने लगता है. उसका दिल करता है की अपनी मोटी जीभ उसी वक़्त पायल की गांड के उस कसे हुए छेद में पेल दे. रमेश थोडा और निचे झुकता है तो उसे पायल की बालों से घिरी बूर दिखाई देती है जिसमे से पेशाब की एक मोटी धार सुर्र्र्ररसुर्र्र की आवाज़ करती हुई ज़मीन पर गिर रही है. रमेश को पायल के बूर से निकल कर ज़मीन पर गिरती वो पेशाब की मोटी धार किसी झरने सी दिखाई देती है. उसका दिल करता है की पायल की टांगों के बीच अपना मुहँ ले जा कर वो उस झरने का पानी पी ले. तभी उसके कानो में पायल की मीठी आवाज़ आती है.

पायल : पापा...मेरा लहंगा भीग तो नहीं रहा है ना?

रमेश : (सपनो की दुनिया से बाहर आता हुआ) नहीं नहीं बिटिया रानी. तेरे पापा लहंगे को ऊपर उठा के है.

पायल : थैंक्यू पापा...आप नहीं होते तो मेरी ड्रेस ख़राब हो जाती.

रमेश : कोई बात नहीं बिटिया...(फिर उसके बहते पेशाब को देख कर) पायल...आज तो तू बहुत पेशाब कर रही है बिटिया...

पायल : अभी तो और वक़्त लगेगा पापा...जब तक मैं अच्छे से पेशाब नहीं कर लेती तब तक मैं ऐसे ही बैठी रहती हूँ.

पायल बीच बीच में अपनी चुतड पीछे से उठा देती तो रमेश को उसकी चुतड, गांड का छेद और बालों से घिरी बूर के दर्शन हो जाते. अब रमेश से रहा नहीं जाता. उसका दिल करता है की पायल को वहीँ पटक के उसकी बूर में लंड ठूँस दे लेकिन वो ऐसा नहीं करना चाहता. वो चाहता है की पायल खुद ही अपने मुहँ से कहे की "पापा ...मेरी चुदाई कर दीजिये". तभी पायल कहती है.
 
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पायल : पापा ...वो सामने खेत देख रहे हो आप?

रमेश देखता है तो उसे कुछ दिखाई नहीं देता..

रमेश : नहीं बेटी...सामने तो कोई खेत दिखाई नहीं दे रहा...

पायल अपना लहंगा पकड़े, पीछे से चुतड उठा देती है. ज़मीन पर घुटने मोड़ के बैठे रमेश के सामने उसकी चुतड खुल के दिखने लगती है. पायल की बूर अब बालों के बीच से दिखाई देने लगी है. डबल रोटी की तरह फूली हुई बूर देख कर रमेश के होश उड़ जाते है.

पायल : ध्यान से देखिये ना पापा...खेत तो आपके सामने ही है.

रमेश समझ जाता है की वो खेत कहीं और नहीं, पायल की जांघो के बीच ही है.

रमेश : ह...हाँ ...हाँ पायल...अब दिखाई दे रहा है खेत..

पायल : कैसा लगा आपको खेत पापा?

रमेश : छोटा सा है बेटी...खेत पर तो घांस भी काफी उग आई है...

पायल : आपको खेत पर घांस पसंद है पापा?

रमेश : हाँ बेटी...बहुत पसंद है...घासं से तो खेत हरा-भरा दीखता है....

पायल : और क्या दिख रहा है पापा खेत में?

रमेश : बेटी ये खेत तो त्रिकोने आकार का है. खेत के उपरी हिस्से में घनी घासं उगी हुई है और दोनों तरफ हलकी. और बिटिया, खेत के बीच में एक लम्बी फैली हुई नहर दिख रही है जिसमे से पानी बह रहा है. खेत के ठीक निचे एक छोटा सा कुआं भी है जो लगता है बंद पड़ा है. कुएं को खोलने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ेगी....

पापा के मुहँ से अपनी हे बूर और गांड के छेद की बात सुन कर पायल की बूर पानी छोड़ने लगती है.

पायल : पापा ये खेत जुताई के लिए तैयार हो गया है क्या?
 
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रमेश : हाँ बिटिया...पूरी तरह से तैयार....तेरे पापा ने बड़े-बड़े खेत जोते है लेकिन ऐसा प्यारा खेत कभी नहीं जोता. इसकी ज़मीन भी बहुत टाइट दिखाई पड़ रही है. पापा को अपने मोटे हल से इसे जोतने में बड़ा मजा आएगा.

ये सुनकर पायल की साँसे तेज़ हो जाती है और बूर फुदकने लगती है.

पायल : बहुत जोर-जोर से जोतियेगा क्या पापा इस खेत को?

रमेश : (जोश में) हाँ बेटी....इस खेत में तो पापा अपना मोटा हल उठा-उठा के डालेंगे. घंटो इस खेत की जुताई करेंगे. जब पूरा खेत अच्छे से जुत जायेगा तो इसकी गहराई में बीज बो देंगे.

पायल : उफ़ पापा...आप बीज भी बो दोगे क्या?

रमेश : हाँ पायल...बिना बीज बोये खेत की जुताई कभी पूरी नहीं होती....

दोनों बाप-बेटी की हालत खराब हो जाती है. पायल की बूर फ़ैल गई है और रमेश के लंड ने विकराल रूप ले लिया है. तभी जेब में रखा रमेश का फ़ोन बजने लगता है. रमेश अपने लंड को छोड़ फ़ोन कपड़ों में ढूढ़ने लगता है. पायल का लहंगा उसके हाथ से छुट जाता है और वो सीधे कड़ी हो जाती है. अपना फ़ोन निकाल के रमेश कान में लगता है.

रमेश : हे..हे..हेलो ...!!

उधर से उमा की आवाज़ आती है.

उमा : कहाँ हो जी आप? दोस्तों के साथ शराब पीने तो नहीं बैठ गए?

रमेश : (हिचकिचाता हुए) अ..अ..अरे नहीं उमा. मैं तो बस....

उमा : बस-वस छोड़िये...आप पहले जल्दी आईये यहाँ...और जरा पायल को भी देखिये...पता नहीं कौनसे गोलगप्पे खा रही है...

रमेश : हाँ..हाँ..मैं देखता हूँ अभी...तुम फ़ोन रखो...

रमेश फ़ोन रखता है और पायल को देखता है. उसके चेहरे पर उदासी छाई है और चेहरा उतर गया है. रमेश भी निराशा भरी नज़रों से उसे देखता है. दोनों समझ जाते है की अब यहाँ काम नहीं बनेगा. पायल उतरा हुआ चेहरा ले कर पंडाल की तरफ जाने लगती है. पीछे-पीछे रमेश भी उमा को मन हही मन गालियाँ देता चलने लगता है.
 
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रमेश और पायल पंडाल में आते है. भीड़ से होते हुए दोनों उर्मिला, उमा और सोनू के पास पहुँचते है. उर्मिला पायल का मुरझाया हुआ चेहरा देख कर धीरे से कहती है.

उर्मिला : (धीरे से) क्या हुआ पायल? ऐसा मुहँ क्यूँ बना रखा है? पापा ने कहीं पकड़ के तेरी गांड में तो लंड नहीं पेल दिया?

पायल : (मुहँ बनाते हुए) पेल हे देते भाभी....(फिर उमा की तरफ देख कर) पर कुछ लोगों को किसी की ख़ुशी देखि नहीं जाती..

उर्मिला : हम्म ...!! समझ गई... तेरा कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा...

पायल : (उर्मिला को देखते हुए) प्लीज कुछ करीये ना भाभी....बहुत खुजली होती है जांघो के बीच...

उर्मिला : (उर्मिला पायल के गालो को सहलाते हुए) सब्र कर मेरी बन्नो...करती हूँ कुछ...

तभी उमा सक्त आवाज़ में रमेश से कहती है...

उमा : १० बजने आ रहे हैं और ये लोग कह रहे हैं की अभी खाना आने में और वक़्त लगेगा. ऐसी घटिया व्यवस्था मैंने आज तक नहीं देखी.

रमेश : तुम्हारे ही रिश्तेदार हैं उमा....

रमेश की इस बात पर सभी को हंसी आ जाती है. गरम माहौल थोडा ठंडा हो जाता है.

उमा : हाँ बस बस...ठीक है...दूर के रिश्तेदार है. अब ये बताओ की करना क्या है?

उर्मिला : घर ही चलते है मम्मी जी...और ज्यादा रुके तो पता नहीं घर कब पहुँच पाएंगे....ज्यादा रात हो गई तो ठीक नहीं रहेगा...

उमा : तुम सही कह रही हो बहु...घर ही चलते है. वहीँ रास्ते में कुछ खाने के लिए ले लेंगे.

सभी चुप-चाप वहां से निकलने लगते है, तभी बाबूजी कहते हैं....

रमेश : अरे उमा, अपने रिश्तेदारों से तो मिल लो...

उमा : आप चुप रहिये जी....चलिए चुप-चाप....

सभी हँसते हुए वहां से निकल लेते है. पायल बार-बार पापा को घूरे जा रही है और पापा भी तिरछी नजरो से पायल के बदन को निहार रहे है. उर्मिला बड़े मजे से बाप-बेटी के नज़रों का ये खेल देख रही है. उनके दिमाग में कीड़ा रेंगने लगता है. बाबूजी के गाड़ी लाने पार्किंग में चले जाते है तो उर्मिला उमा से कहती है.
 
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उर्मिला : मम्मी जी...बाबूजी को गाड़ी चलाने मत दीजियेगा...

उमा : क्यूँ बहु? ऐसा क्यूँ बोल रही हो?

उर्मिला : आपने देखा नहीं मम्मी जी. बाबूजी की आँखे कैसी नींद से भरी लग रही थीं. गाड़ी चलाते हुए उन्हें नींद आ गई तो?

उमा : हाँ बहु, ये बात तो है. एक काम करते है. गाड़ी सोनू चला लेगा और बाबूजी उसके साथ बैठ जायेंगे.

उमा की बात सुन कर पायल को काम बिगड़ता दीखता है. वो फिर से अपना दिमाग लगाती है.

उर्मिला : अरे नहीं मम्मी जी. बाबूजी सोनू के साथ बैठ कर सो गए तो उन्हें देख कर सोनू की भी आँख लग सकती है. उसके साथ तो किसी भरोसे वाले को ही बैठना चाहिए....जैसे की आप.

उमा : (अपनी तारीफ सुन के खुश होते हुए) हाँ बहु...येही ठीक रहेगा. (पायल के सर पर हाथ रखते हुए) कितनी समझदार और सुशील बहु मिली है मुझे.

तभी बाबूजी गाड़ी ले कर आते है.

उमा : सुनिए जी, आप उतरिये. गाड़ी सोनू चलाएगा...

रमेश : सोनू?? मैं इस गधे को अपनी गाड़ी नहीं चलने दूंगा....

उमा : कभी तो मेरी बात सुन लिया कीजिये...देखिये तो..आपकी आँखों में नींद साफ़ दिखाई दे रही है...

रमेश : नींद? मुझे कहाँ नी.... (तभी उर्मिला बीच में बोल पड़ती है)

उर्मिला : बाबूजी आप १०-१०:३० बजे सोने वाले, नींद तो आ ही रही होगी. गाड़ी सोनू चला लेगा और मम्मी जी उसके साथ बैठ जाएगी. आप और मैं पीछे बैठ जायेंगे और पायल बीच में. एक घंटे की ही तो बात है....

पायल के साथ बैठने की बात सुन कर रमेश के मन में लड्डू फूटने लगते है. वो अपनी ख़ुशी का इज़हार ना करते हुए कहता है.

रमेश : ठीक है उमा. अब तुम बोल रही हो तो मानना ही पड़ेगा...चलो कोई बात नहीं...मैं पीछे ही बैठ जाता हूँ.

बाबूजी के हाँ कहते ही उर्मिला पायल को देख कर आँख मार देती है और धीरे से उसकी चूची मसल देती है. पायल भी खुश हो जाती है भाभी की चुतड दबा देती है. सोनू गाड़ी स्टार्ट करता है. उमा उसके साथ जा कर बैठ जाती है. पीछे बाबूजी और उर्मिला के बीच पायल भी बैठ जाती है और गाड़ी निकल पड़ती है. कुछ देर तो सभी लोग दुल्हे और शादी में हुए किस्सों की बात करते हुए खूब हंसी-मजाक करते है. कुछ हे देर में गाड़ी एक भीड़-भाड़ से दूर पक्की सड़क पर आ जाती है. रात के १०:४० हो रहे है इसलिए ज्यादा ट्रैफिक भी नहीं है. सोनू गाड़ी चला रहा है और उमा की नज़र बराबर उसपर ध्यान रखे हुए है. रमेश और पायल बार-बार एक दुसरे को देख रहे है और मुस्कुरा रहे है. तभी पायल पापा से धीरे से कहती है.
 
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पायल : (धीरे से) पापा...मुझे नींद आ रही है...

रमेश : (धीरे से) कोई बात नहीं बिटिया रानी...सो जा..

पायल : (धीरे से) पापा ...मैं आपकी गोद में सर रख के सो जाऊं?

पायल की बात सुन के रमेश के बदन में गुदगुदी होने लगती है. रमेश सोचता है की जंगल में जो काम अधुरा रह गया था वो पूरा करने का ये अच्छा मौका है.

रमेश : (धीरे से ) हाँ पायल बेटी...ये भी कोई पूछने वाली बात है. आ...सो जा सर रख कर....

पायल धीरे से बैठे हुए पापा की ओर झुकती है और अपना सर पापा की गोद में रख देती है. पायल का गाल जैसे ही बाबूजी की गोद से छूता है, उसे कुछ सक्त और मोटा महसूस होता है. पायल जानती है को वो उसके पापा का वो खिलौना है जिस से वो खेलना चाहती है. उर्मिला जैसे ही बाप-बेटी को इस स्तिथि में देखती है वो उमा से कहती है.

उर्मिला : मम्मी जी...पायल और बाबूजी तो सो रहे है और मुझे भी नींद आ रही है. (फिर सोनू से कहती है) सोनू....तू ऊपर लगे मिरर में हमें सोते हुए मत देख लेना नहीं तो तुझे भी नींद आ जाएगी...

उमा : हाँ बहु .. तुमने कहा और इसने मान लिया...हमेशा बेचैन सा रहता है...बार बार देखेगा...मैं इस मिरर को ही ऊपर कर देती हूँ....(उमा मिरर ऊपर की और घुमा देती है)

उर्मिला : मम्मी जी अन्दर की बत्ती भी बुझा दीजिये ना...आँखों पर पड़ रही है...

उमा : ठीक है बहु..अभी बुझा देती हूँ (उमा बत्ती बुझ देती है). ठीक है, तुम लोग सो जाओ. कुछ खाने-पीने के लिए दिखेगा तो मैं उठा दूंगी...

गाड़ी के अन्दर बत्ती बुझते ही बाबूजी पायल के चेहरे को देखते है. गाड़ी में अँधेरा है और चाँद की हलकी-हलकी रौशनी अन्दर आ रही है. पायल को अपनी गोद में इस तरह से सर रखा देख कर बाबूजी का लंड धोती में मचल रहा है जिसे पायल अपने गाल पर महसूस कर रही है. इधर उर्मिला भी आँखे बंद किये सोने का नाटक कर रही है और कनखियों से बाप-बेटी की रासलीला देख रही है. बाबूजी का लंड जब भी पायल के गाल से पड़ रहे दबाव से खड़ा होने की कोशिश करता, पायल का सर लंड के साथ हल्का सा ऊपर उठ जाता. बाबूजी पायल के सर पर हाथ फेरने लगते है और बीच बीच में धीरे से निचे की ओर दबा देते है जिस से उनका लंड पायल के गाल पर धोती के अन्दर से चिपक सा जाता है. तभी उर्मिला देखती है की बाबूजी ने अपना दूसरा हाथ निचे से धोती में घुसा दिया है. उसका दिल धड़कने लगता है.
 
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बाबूजी धोती में हाथ डालते है और लंड की चमड़ी पूरी पीछे कर देते है. धोती के अन्दर लंड का मोटा लाल-लाल टोपा फूल के सक्त हो चूका है. टोपे पर लंड का रस लगा हुआ है. बाबूजी अपनी उँगलियों से टोपे को पकड़ के अच्छी तरह से मसलते है. कुछ देर बाद बाबूजी अपना हाथ धोती से निकालते है और पायल के नाक पर लगा देते है. पायल आँखें बंद किये बाबूजी जी गोद में सर रखे पड़ी है. तभी उसे एक तेज़ गंध आती है. वो आँखे खोल कर देखती है तो सामने बाबूजी का हाथ है. वो एक बार फिर से बाबूजी का हाथ सूंघती है. एक तेज़ गंध सीधे उसकी नाक में घुस जाती है. पायल को समझने में जरा भी देर नहीं लगती की ये गंध किसी और की नहीं बल्कि उसके अपने पापा के लंड की है. वो एक बार फिर से सूंघती है. पायल को अपना हाथ इस तरह से सूंघता देख बाबूजी हाथ पायल की नाक परा लगा देते है. अब पायल आँखें बंद किये हुए जोर जोर से साँसे लेने लगती है और बाबूजी के लंड की महक सूंघने लगती है. कुछ देर ऐसे ही उस महक का मज़ा लेने के बाद पायल अपने हाथ को धीरे से पीछे ले जाती है और लहंगे के नीचे से अन्दर डाल देती है.

उर्मिला गौर से देखती है की पायल क्या कर रही है. पायल अपनी दो उँगलियों को बूर के बीच की चिप-चिपी दरार में रगड़ने लगती है. कुछ पल ऐसे ही रगड़ने के बाद पायल अपना हाथ बाहर निकालती है और धीरे से बाबूजी की नाक के सामने रख देती है. बाबूजी पायल के हाथ के पास अपनी नाक ले जा कर सूंघते है. एक तेज़ गंध उनकी नाक में घुस जाती है. बाबूजी एक बार फिर से पायल के हाथ को अच्छे से सूंघते है. पेशाब और बूर की लार की वो घुलीमिली गंध सूंघ कर बाबूजी आँखे बंद किये अपना सर पीछे गाड़ी की सीट पर टिका देते है.

उर्मिला ये नज़ारा बड़े ध्यान से देख रही थी. "उफ़...!! ये बाप-बेटी एक दुसरे को अपने लंड और बूर की गंध सुंघा रहे है", उर्मिला मन में सोचती है. तभी बाबूजी धोती हटा के अपना लंड बाहर निकालते है और मोटा टोपा धीरे धीरे पायल के गाल पर रगड़ने लगते है. चीप-चीपा टोपा पायल के गाल पर फिसलने लगता है. बाबूजी लंड को पकड़ के टोपा पायल के गाल में दबा देते है तो गाल पर डिंपल पड़ जाता है. तभी पायल अपना सर उस तरफ घुमा लेती है तो लंड पायल के गुलाबी ओठों पर आ लगता है. पायल की गर्म साँसे लंड पर पड़ती है तो बाबूजी की आँखे झट से खुल जाती है. वो निचे देखते है तो उनका लंड पायल के रसीले ओठों पर दस्तख दे रहा है. ये देख कर तो बाबूजी पसीना-पसीना हो जाते है. बाबूजी का लंड झटके लेता हुआ ओठों पर इधर-उधर फिसल रहा है तो कभी दब रहा है. बाबूजी पायल को देखते है तो उसकी आँखे बंद है. तभी बाबूजी देखते है की पायल का मुहँ धीरे धीरे खुल रहा है. लंड के सामने अब पायल का मुहँ खुला हुआ है. ये देख कर बाबूजी के लंड में हरकत होती है. वो धीरे से अपना लंड पकड़ कर पायल के मुहँ पर रख देते है. लंड के मुहँ पर रखते ही बाबूजी को पायल की जीभ टोपे पर घुमती हुई जान पड़ती है. पायल अपनी जीभ पापा के लंड के टोपे पर फेरने लगती है. बाबूजी ये देखकर हाथ से अपना लंड पायल के मुहँ में हलके से ठेल देते है. पायल अपनी जीभ लंड के छेद पर ले जा कर घुमाने लगती है. बीच-बीच में वो अपनी जीभ लंड के छेद में घुसाने की कोशिश करती है. इस हरकत से तो बाबूजी के सब्र का बाँध टूट जाता है. वो अपने लंड को अब पायल के मुहँ में ठूंसने की कोशिश करने लगते है. पायल भी मानो पापा के लंड को मुहँ में भर लेना चाहती है. वो अपने मुहँ को पूरा खोलते हुए सर आगे कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा लंड मुहँ में ले सके. कुछ ही क्षण में बाबूजी का एक चौथाई लंड पायल के मुहँ में चला जाता है. अब बाबूजी पीछे हो कर आँखे बंद कर लेते है. पायल के ओंठ लंड पर लपटे हुए है और सर धीरे धीरे आगे पीछे हो रहा है.
 
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उर्मिला देखती है की पायल अपना सर आगे पीछे करते हुए बाबूजी का लंड मुहँ में ले रही है. बीच-बीच में बाबूजी अपनी कमर हलके से उठा के लंड को पायल के मुहँ में ठेल देते तो कभी पायल अपना मुहँ खोल कर आगे करते हुए लंड अन्दर ले लेती.

"सोनू..!! ज़रा गाड़ी सड़क के किनारे लेना" - उमा की आवाज़ सुनते ही उर्मिला हडबडा जाती है. पायल झट से लंड पर से मुहँ हटा के बैठ जाती है और आँखे बंद कर लेती है. पायल के ओठों पर और आसपास लंड का चिप-चीपा पानी लगा हुआ है. बाबूजी भी सतर्क हो कर बैठ जाते है.



सोनू गाड़ी सड़क के किनार लेता है और खड़ी कर देता है. उमा अन्दर की बत्ती जला देती है और पीछे मुड़ के देखती है...

उमा : सामने वाले ढाबे से कुछ खाने के लिए ले लेते है. (तभी उसकी नज़र पायल के मुहँ पर लगे पानी पर पड़ती है). अरे पायल.... ये तेरे मुहँ पर क्या लगा है...

पायल : (नज़रे यहाँ वह घुमाते हुए) वो..वो...मम्मी...

उर्मिला : और क्या होगा मम्मी जी? सोते हुए बच्चों की तरह लार गिरा रही होगी...

उमा : (हँसते हुए) इतनी बड़ी घोड़ी हो गई है और हरकतें बिलकुल बच्चों वाली....अजी आप और सोनू जा कर कुछ पैक करवा लीजिये...और जल्दी करियेगा...

उमा की बात सुन कर पायल, रमेश और उर्मिला चैन की सांस लेते है. रमेश और सोनू ढाबे की तरफ बढ़ लेते है और गाड़ी में उर्मिला और पायल फुसफुसाने लगती है.

उर्मिला : (साड़ी के पल्लू से पायल का मुहँ साफ़ करते हुए) कैसा लगा बाबूजी का लोलीपोप?

पायल : (ओंठ काट ते हुए ) मज़ा आ गया भाभी. लेकिन बहुत मोटा है भाभी, और टोपा भी बहुत बड़ा. एक बार में तो मुहँ में जाता ही नहीं है.

उर्मिला : हुम्म...!! अब जरा सोच की मुहँ का ये हाल है तो तेरी बूर का क्या होगा?

पायल : सीईईईईईई ...भाभी...!! मत बोलिए ऐसा. पहले ही गीली हो पड़ी है, और भी गीली हो जाएगी....

उमा : आज कल देख रहीं हूँ की भाभी और ननद में खूब जम रही है...

पायल : हाँ .. और आप इस पर भी नज़र लगा दो...

उमा : (हँसते हुए) अरे नहीं पगली... मुझे तो अच्छा लगता है जब तुम दोनों ऐसे सहेलियों की तरह बातें करते हो. मैं तो भगवान से येही मानती हूँ की तुम दोनों का रिश्ता ऐसे हे बना रहे.

सास, बहु और बेटी के बीच गपशप का सिलसिला शुरू हो जाता है और थोड़ी देर में रमेश और सोनू भी ढाबे से खाना ले कर आ जाते है. रमेश जैसे से ही गाड़ी के पीछे का दरवाज़ा खोलने जाते है, उमा बोल पड़ती है.

उमा : अब आप गाड़ी चलिए जरा. मेरा बच्चा थक गया होगा. आपने एक नींद भी तो ले ली है.

इस बात पर ना उर्मिला कुछ कह पाती है और ना ही रमेश. पायल भी मुहँ बना के बैठ जाती है. उमा सोनू को रमेश के साथ बिठा के खुद पीछे आ कर बैठ जाती है. रमेश गाड़ी स्टार्ट करते है और गाड़ी चल पड़ती है. पीछे उर्मिला और पायल को अब सच में ही नींद आने लगी है. अन्दर की बत्ती बुझते ही दोनों की आँखे लग जाती है.
 
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उर्मिला..!! पायल..!! उठो बेटा...घर आ गया" - उमा की आवाज़ कानो में पड़ते ही उर्मिला और पायल की आँखे खुलती है और वो देखती है तो गाड़ी घर के आँगन में आ चुकी है. एक अंगडाई लेते हुए पायल गाड़ी से उतरती है. उसका बदन एक अनबुझी सी प्यास में तड़प रहा है. जांघो के बीच उसे गीलापन साफ़ महसुस हो रहा है. सभी के उतरने के बाद रमेश गाड़ी गराज में ले जाता है. घर में आते ही सभी अपने अपने कमरों में कपडे बदलने चले जाते है.

अपने कमरे में जाते ही पायल चोली खोल कर फेक देती है और झटके से ब्रा उतार देती है. उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ उच्छल कर बहार आ जाती है. लहंगे को खोल कर जब पायल अपनी पैन्टी उतरती है तो वो बूर की चिकनाहट से पूरी तरह से भीग चुकी है. अपनी बूर को सहलाती हुई जब वो बिस्तर पर लेट जाती है को पापा के साथ गाड़ी में हुई हर एक घटना उसकी आँखों के सामने आने लगती है. पापा के लंड का स्वाद अब भी उसके मुहँ में रह रह कर आ रहा है. तभी उर्मिला की आवाज़ आती है - "पायल..!! जल्दी आ.... खाना निकल गया है.". रात में भाभी की दी हुई किताब का ही सहारा है ये सोचते हुए पायल उठती है और कपडे पहनकर रूम से बहार चली जाती है.
 

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