भाई की शादी में कुंवारी लड़की की बुर का मजा
मैं अपनी कुंवारी पड़ोसन की गांड मार चुका था लेकिन चूत चुदाई का इंतजार था. मेरे भाई की शादी की रात मैंने मौका पाकर उस कुंवारी लड़की की सीलतोड़ चुदाई की.
प्रिय पाठको, नमस्कार! मैं आपका प्यारा अनुराग अपनी जवानी की चुदाई की कहानी लाया हूं. पहले भाग
पड़ोसन लड़की की गांड की चुदाई की
में मैंने आपको बताया था कि मैं पड़ोस की लड़की हिमानी को जान से ज्यादा पसंद करता था और वो भी मुझे चाहने लगी थी.
भाई की शादी में मैंने उसकी चूत भी देख ली थी लेकिन उसने चूत चुदवाने से मना कर दिया. मैं तड़प कर रह गया पर मैंने किसी तरह से उसकी गांड मार ली थी.
अब आगे की कहानी:
भैया की शादी के दिन 14 फरवरी को बाथरूम में मुझे उसकी चूत के दर्शन हो गये थे. मगर चुदाई नहीं हो पाई.
फिर मैं जल्दी से नहा धोकर वापस ताईजी के घर आ गया.
चूंकि शादी का दिन था और घर पर बहुत सारे काम थे. भईया के यार दोस्त, सगे सम्बन्धी धीरे-धीरे घर में इकट्ठा होना चालू हो गये थे।
घुडचढ़ी की तैयारी हो रही थी.
भईया के टीके होने चालू हो गये थे. घर के बाहर घोड़ी आकर खड़ी हो गयी थी और हमारे शहर का मशहूर महाराष्ट्र बैंण्ड भी घर के बाहर आ गया था.
मेरी प्यारी हिमानी भी काले रंग की ड्रेस पहने हुए थी जिस पर लाल रंग का दुपट्टा था. उसकी आँखों में काजल, वो होंठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक लगाये हुए थी. उसके एक हाथ में ब्रेसलेट व एक हाथ में सुंदर घड़ी थी. कंधे पर लाल रंग का पर्स लटकाए हुए थी.
वो किसी हिरोइन से कम नहीं लग रही थी. उसके आने से जैसे महफिल में चार चांद लग गये हों. मैं तो उसको देखता ही रह गया.
मैं उसके पास आकर उसके कान में बोला- जान … आज क्या इरादा है? आज ये बिजली किस पर गिरेगी?
वो खिलखिलाकर हंस पड़ी.
बड़ा ही मस्त दिन था वो. लड़कपन की प्यारी यादें!
आज भी जब अतीत के पन्नों को उलट कर देखता हूं तो सोचता हूं कि वो भी क्या दिन थे… एकदम मस्त … किसी बात की कोई चिंता नहीं.
समय पंख लगाकर उड़ जाता है दोस्तो … और रह जाती हैं उन अच्छे दिनों की यादें.
उस दिन मेरी हिमानी माधुरी से कम नहीं लग रही थी. उन दिनों में हिरोइनों में सबसे ज्यादा मुझे माधुरी दीक्षित ही पसंद थी.
मेरा पहला प्यार … दोस्तो, ये लड़कपन का प्यार होता ही ऐसा है। हमारे घर में पहली शादी थी और आप सभी जानते ही होंगे कि घर में पहली शादी की कितनी खुशी होती है.
चारों ओर हंसी खुशी का माहौल रहता है. हर कोई नव उर्जा से संचरित रहता है।
बाहर बैण्ड वाला बाजा बजा रहा था और गाना बज रहा था- आज मेरे यार की शादी है, लगता है जैसे सारे संसार की शादी है.
उन दिनों यह गाना बहुत प्रसिद्ध था. ज्यादातर शादियों में इसी तरह के गानों की धूम रहती थी। घुडचढ़ी शुरू हो गयी और भईया के यार दोस्त और घर के सभी लोग घुडचढ़ी में घोड़ी के आगे नाचने गाने लगे।
उस दिन कितनी खुशी और कितना उत्साह नजर आ रहा था. मैं अपनी प्यारी हिमानी को देख-देख कर रीझ रहा था. उसका प्यारा चाँद सा चेहरा मेरी नजरों से हट ही नहीं रहा था।
घुड़चढ़ी प्रारम्भ हो गयी. सभी नाच रहे थे. पास ही एक शिव मन्दिर था जहां तक घुड़चढ़ी हुई थी. घुड़चढ़ी के पश्चात् अब बारात जाने की तैयारी होने लगी।
बारात को दिल्ली जाना था जो कि हमारे शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर थी। बारात के लिए 2 बस और लगभग 10 छोटी गाड़ियां थीं और सभी यार दोस्त व रिश्तेदार बारात में जाने के लिए अपनी अपनी तैयारी करने लगे।
हिमानी और उसकी मम्मी भी बारात में जाने के लिए तैयार होने लगीं. मैं भी बहुत खुश था कि हिमानी भी हमारे साथ बारात में चल रही थी।
मन में कहीं ना कहीं बहुत प्रसन्नता थी कि हिमानी भी बारात में चल रही है।
मैं भईया के साथ एक गाड़ी में बैठ गया और हिमानी मौहल्ले की अन्य औरतों व अपनी मम्मी के साथ बस में बैठ गई और ‘‘रानी मण्डप’’ दिल्ली के लिए हम सभी चल पड़े।
मैं अपनी कुंवारी पड़ोसन की गांड मार चुका था लेकिन चूत चुदाई का इंतजार था. मेरे भाई की शादी की रात मैंने मौका पाकर उस कुंवारी लड़की की सीलतोड़ चुदाई की.
प्रिय पाठको, नमस्कार! मैं आपका प्यारा अनुराग अपनी जवानी की चुदाई की कहानी लाया हूं. पहले भाग
पड़ोसन लड़की की गांड की चुदाई की
में मैंने आपको बताया था कि मैं पड़ोस की लड़की हिमानी को जान से ज्यादा पसंद करता था और वो भी मुझे चाहने लगी थी.
भाई की शादी में मैंने उसकी चूत भी देख ली थी लेकिन उसने चूत चुदवाने से मना कर दिया. मैं तड़प कर रह गया पर मैंने किसी तरह से उसकी गांड मार ली थी.
अब आगे की कहानी:
भैया की शादी के दिन 14 फरवरी को बाथरूम में मुझे उसकी चूत के दर्शन हो गये थे. मगर चुदाई नहीं हो पाई.
फिर मैं जल्दी से नहा धोकर वापस ताईजी के घर आ गया.
चूंकि शादी का दिन था और घर पर बहुत सारे काम थे. भईया के यार दोस्त, सगे सम्बन्धी धीरे-धीरे घर में इकट्ठा होना चालू हो गये थे।
घुडचढ़ी की तैयारी हो रही थी.
भईया के टीके होने चालू हो गये थे. घर के बाहर घोड़ी आकर खड़ी हो गयी थी और हमारे शहर का मशहूर महाराष्ट्र बैंण्ड भी घर के बाहर आ गया था.
मेरी प्यारी हिमानी भी काले रंग की ड्रेस पहने हुए थी जिस पर लाल रंग का दुपट्टा था. उसकी आँखों में काजल, वो होंठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक लगाये हुए थी. उसके एक हाथ में ब्रेसलेट व एक हाथ में सुंदर घड़ी थी. कंधे पर लाल रंग का पर्स लटकाए हुए थी.
वो किसी हिरोइन से कम नहीं लग रही थी. उसके आने से जैसे महफिल में चार चांद लग गये हों. मैं तो उसको देखता ही रह गया.
मैं उसके पास आकर उसके कान में बोला- जान … आज क्या इरादा है? आज ये बिजली किस पर गिरेगी?
वो खिलखिलाकर हंस पड़ी.
बड़ा ही मस्त दिन था वो. लड़कपन की प्यारी यादें!
आज भी जब अतीत के पन्नों को उलट कर देखता हूं तो सोचता हूं कि वो भी क्या दिन थे… एकदम मस्त … किसी बात की कोई चिंता नहीं.
समय पंख लगाकर उड़ जाता है दोस्तो … और रह जाती हैं उन अच्छे दिनों की यादें.
उस दिन मेरी हिमानी माधुरी से कम नहीं लग रही थी. उन दिनों में हिरोइनों में सबसे ज्यादा मुझे माधुरी दीक्षित ही पसंद थी.
मेरा पहला प्यार … दोस्तो, ये लड़कपन का प्यार होता ही ऐसा है। हमारे घर में पहली शादी थी और आप सभी जानते ही होंगे कि घर में पहली शादी की कितनी खुशी होती है.
चारों ओर हंसी खुशी का माहौल रहता है. हर कोई नव उर्जा से संचरित रहता है।
बाहर बैण्ड वाला बाजा बजा रहा था और गाना बज रहा था- आज मेरे यार की शादी है, लगता है जैसे सारे संसार की शादी है.
उन दिनों यह गाना बहुत प्रसिद्ध था. ज्यादातर शादियों में इसी तरह के गानों की धूम रहती थी। घुडचढ़ी शुरू हो गयी और भईया के यार दोस्त और घर के सभी लोग घुडचढ़ी में घोड़ी के आगे नाचने गाने लगे।
उस दिन कितनी खुशी और कितना उत्साह नजर आ रहा था. मैं अपनी प्यारी हिमानी को देख-देख कर रीझ रहा था. उसका प्यारा चाँद सा चेहरा मेरी नजरों से हट ही नहीं रहा था।
घुड़चढ़ी प्रारम्भ हो गयी. सभी नाच रहे थे. पास ही एक शिव मन्दिर था जहां तक घुड़चढ़ी हुई थी. घुड़चढ़ी के पश्चात् अब बारात जाने की तैयारी होने लगी।
बारात को दिल्ली जाना था जो कि हमारे शहर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर थी। बारात के लिए 2 बस और लगभग 10 छोटी गाड़ियां थीं और सभी यार दोस्त व रिश्तेदार बारात में जाने के लिए अपनी अपनी तैयारी करने लगे।
हिमानी और उसकी मम्मी भी बारात में जाने के लिए तैयार होने लगीं. मैं भी बहुत खुश था कि हिमानी भी हमारे साथ बारात में चल रही थी।
मन में कहीं ना कहीं बहुत प्रसन्नता थी कि हिमानी भी बारात में चल रही है।
मैं भईया के साथ एक गाड़ी में बैठ गया और हिमानी मौहल्ले की अन्य औरतों व अपनी मम्मी के साथ बस में बैठ गई और ‘‘रानी मण्डप’’ दिल्ली के लिए हम सभी चल पड़े।