जीवन में दो पड़ाव ऐसे होते हैं जब कामेच्छा चरमसीमा पर होती है !
1. जब उम्र 16-17 पार होती है तब उसे खुद को जानने की इच्छा होती है तने हुए स्तन को किसी मर्द के द्वारा मसल दिए जाने की जब उसे उसके मन का मर्द मिलता है तब पहली बार अनुभव करती है वो सुख जिसके बाद उसे औरत होने पर खुशी मिलती है फिर संभोग और चरमसुख का सिलसिला शुरू हो जाता है !
2. औरत जब 35 पार कर चुकी होती है जब शरीर पूरा भर चुका होता है स्तन मुलायम हो चुके होते हैं लचक आ चुकी होती है जांघें भरी भरी हो जाती है तब शरीर में नयापन महसूस होने लगता है फिर एक बार उस नयेपन को महसूस करने का मन करता है फिर से मर्द के स्पर्श से औरत फिर से औरत हो जाती है
जीवन में दो पड़ाव ऐसे होते हैं जब कामेच्छा चरमसीमा पर होती है !
1. जब उम्र 16-17 पार होती है तब उसे खुद को जानने की इच्छा होती है तने हुए स्तन को किसी मर्द के द्वारा मसल दिए जाने की जब उसे उसके मन का मर्द मिलता है तब पहली बार अनुभव करती है वो सुख जिसके बाद उसे औरत होने पर खुशी मिलती है फिर संभोग और चरमसुख का सिलसिला शुरू हो जाता है !
2. औरत जब 35 पार कर चुकी होती है जब शरीर पूरा भर चुका होता है स्तन मुलायम हो चुके होते हैं लचक आ चुकी होती है जांघें भरी भरी हो जाती है तब शरीर में नयापन महसूस होने लगता है फिर एक बार उस नयेपन को महसूस करने का मन करता है फिर से मर्द के स्पर्श से औरत फिर से औरत हो जाती है