Incest ज़िंदगी भी अजीब होती है

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कुछ सोच विचार करने के बाद मैने प्रीतम को एक लेटर लिखा कि मुझे वो बहुत ही अच्छी लगती है हर पल मैं उसके ही बारे मे सोचता रहता हू
और उस से मिलने के लिए तड़प रहा हू उस रात जो हमारा मिलन हुआ वो अभी तक मेरे शरीर मे महसूस होता हैं ऐसे ही मैने कई मीठी मीठी बाते लिखी और लिखा कि मैं जल्दी से जल्दी उस से मिलना चाहता था मैने अपनी चिठ्ठी उस को दे दी थी अब बस इंतजार था उसके जवाब का……………………… ……………… ……………………………………………………………………………………………………
अगले दिन वो मिली और एक काग़ज़ का टुकड़ा पकड़ा के फॉरन ही चली गयी थी मैने जल्दी से पढ़ा तो लिखा था शनिवार शाम जंगल मे. मेरे चेहरे पे एक गहरी मुस्कान छा गयी अब इंतज़ार था शनिवार का मेरे मन मे एक विचार आया कि क्यों ना प्रीतम को एक गिफ्ट दूं मैने मम्मी से 500 रुपये माँगे पहले तो उन्होने मना कर दिया पर फिर दे ही दिए 200 रुपये का जुगाड़ मैने चाची से कर लिया और प्रीतम के लिए एक जोड़ी पायल खरीद ली जैसे तैसे दिन निकले और शनिवार आया आज मैं बहुत ही उत्साहित हो रहा था शाम को 5 बजे के लगभग मैं जंगल की ओर चल पड़ा

मैं काफ़ी देर उसका इंतज़ार करता रहा तब जाके वो आई मैने उसका हाथ पकड़ा और जंगल मे गहराई की ओर चल पड़े मैं कोई ऐसी जगह ढूढ़ रहा था जहाँ अगर कोई आ भी जाए तो हमें ना देख सके लगभग 10 मिनिट बाद हम काफ़ी घने पेड़ो के अंदर पहुच गये थे प्रीतम मेरे सीने से लग गयी थी उसकी छातिया किसी ढोँकनी की तरह उपर नीचे हो रही थी

मैं उसकी पीठ को सहला रहा था इस टाइम हमारी फीलिंग्स सेक्स की ना होकर थोड़ी रूमानी हो गयी थी तभी प्रीतम बोली कि जो भी करना हैं तुम जल्दी से कर लो मेरे पास ज़्यादा वक़्त नही है हालाँकि मैं इतने दिनो से उसकी चूत मारने को बेताब था पर ना जान मुझे क्या हो गया था मैं बस चाहता था कि वो मेरे पास ही रहे मेरी बाहों मे मोके की नज़ाकत को समझते हुए मैने उसको अपनी बाहों मे भर लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटो को चूमने लगा

प्रीतम भी थोड़ी उतावली हो रही थी वो भी मेरा सहयोग करने लगी उसको चूमते चूमते अब मैने अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी हम दोनो की जीब एक दूसरे से टकरा रही थी और हम बहुत ही मज़े से किस कर रहे थे हमारे मुँह मे काफ़ी थूक इकठ्ठा हो गया था बस एक दूसरे को चूमे ही जा रहे थे हमारी साँस उखड़ने लगी थी फिर भी हम ऐसे लगे थे जैसे ये हमारा लास्ट चुंबन हो

आख़िर प्रीतम ने किस तोड़ी और हाँफने लगी अब मैने उसकी सलवार के नाडे पर हाथ रखा और एक ही झटके से उसको ढीला कर दिया सलवार उसकी टाँगो मे नीचे को गिर गयी मैं अब एक हाथ से उसके गान्ड को कछि के उपर से दबाने लगा प्रीतम भी कामुक हो रही थी और दूसर हाथ उसकी चूत पे रख के उसको मसल्ने लगा कच्छि के उपर से ही पता चल रहा था कि चूत से पानी बह रहा है

कुछ ही देर मे उसकी कच्छि भी नीचे पड़ी थी मैने एक उंगली अंदर डाली और रगड़ने लगा प्रीतम ने भी मेरे लंड को पेंट के उपर से ही सहलाना शुरू कर दिया था मैं लगातार उंगली करता जा रहा था वो अपने दांतो से होन्ट को काट रही थी उसकी आँखे पूरी तरह वासना मे डूब रही थी उसने मेरी ज़िप खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ से मसल्ने लगी मैने उसे लंड को गीला करने को कहा तो उसने नीचे झुकते हुए लंड को मुँह मे भर लिया और चुप्पे मारने लगी

पूरा लंड उसके मुँह मे था थूक उसके मुँह से बहता हुवा नीचे गिर रहा था अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था मैने उसको खड़ा किया और उसके हाथो को घुटनो पे रखते हुए थोड़ा सा झुकाया और अपने थूक से सने हुए लंड को उसके गोल चुतडो से रगड़ ते हुए चूत मे धकेल दिया प्रीतम की मुँह से आह निकल गयी मैने उसकी कमर को थाम लिया और चुदाई करने लगा दो जवान जिस्म जंगल मे हुस्न के मज़े लूट रहे थे उस टाइम हमें दुनिया की कोई खबर नही थी बस सब से बेख़बर हम एक दूसरे मे समाए हुए जन्नत की सैर कर रहे थे हर लम्हे के साथ मेरे धक्के तेज होते जा रहे थे
प्रीतम भी लगातार अपनी गान्ड को पीछे कर रही थी और लगातार आहे भर रही थी अब मैने अपने हाथ उसके सूट के अंदर डाले और ब्रा के उपर से ही चूचियो को मसल्ने लगा जिस से प्रीतम का मज़ा और भी बढ़ गया हमे चुदाई करते हुए 20 मिनिट से भी ज़्यादा हो गये थे पर कोई भी हार मान ने को तैयार नही था चूत से लगातार रस बह रहा था और कामरस से भीगा हुवा लंड फ़चा फ़च अंदर बाहर हो रहा था ना जाने मुझे क्या सूझा मैं अपने अंगूठे को पीतम के दाने से रगड़ने लगा और पीछे से धक्के भी मार ता जा रहा था प्रीतम का शरीर काँपता जा रहा था थप थप चुदाई होये जा रही थी तभी प्रीतम की चूत की फांके मेरे लंड पे कस गयी और प्रीतम झाड़ ने लगी उसी पल मेरे लंड ने भी अपन गरमा गरम पानी छोड़ दिया और हम दोनो एक साथ चर्म सुख को प्राप्त हो गये…
 
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कुछ सोच विचार करने के बाद मैने प्रीतम को एक लेटर लिखा कि मुझे वो बहुत ही अच्छी लगती है हर पल मैं उसके ही बारे मे सोचता रहता हू और उस से मिलने के लिए तड़प रहा हू उस रात जो हमारा मिलन हुआ वो अभी तक मेरे शरीर मे महसूस होता हैं ऐसे ही मैने कई मीठी मीठी बाते लिखी और लिखा कि मैं जल्दी से जल्दी उस से मिलना चाहता था मैने अपनी चिठ्ठी उस को दे दी थी अब बस इंतजार था उसके जवाब का……………………… ……………… ……………………………………………………………………………………………………
अगले दिन वो मिली और एक काग़ज़ का टुकड़ा पकड़ा के फॉरन ही चली गयी थी मैने जल्दी से पढ़ा तो लिखा था शनिवार शाम जंगल मे. मेरे चेहरे पे एक गहरी मुस्कान छा गयी अब इंतज़ार था शनिवार का मेरे मन मे एक विचार आया कि क्यों ना प्रीतम को एक गिफ्ट दूं मैने मम्मी से 500 रुपये माँगे पहले तो उन्होने मना कर दिया पर फिर दे ही दिए 200 रुपये का जुगाड़ मैने चाची से कर लिया और प्रीतम के लिए एक जोड़ी पायल खरीद ली जैसे तैसे दिन निकले और शनिवार आया आज मैं बहुत ही उत्साहित हो रहा था शाम को 5 बजे के लगभग मैं जंगल की ओर चल पड़ा

मैं काफ़ी देर उसका इंतज़ार करता रहा तब जाके वो आई मैने उसका हाथ पकड़ा और जंगल मे गहराई की ओर चल पड़े मैं कोई ऐसी जगह ढूढ़ रहा था जहाँ अगर कोई आ भी जाए तो हमें ना देख सके लगभग 10 मिनिट बाद हम काफ़ी घने पेड़ो के अंदर पहुच गये थे प्रीतम मेरे सीने से लग गयी थी उसकी छातिया किसी ढोँकनी की तरह उपर नीचे हो रही थी

मैं उसकी पीठ को सहला रहा था इस टाइम हमारी फीलिंग्स सेक्स की ना होकर थोड़ी रूमानी हो गयी थी तभी प्रीतम बोली कि जो भी करना हैं तुम जल्दी से कर लो मेरे पास ज़्यादा वक़्त नही है हालाँकि मैं इतने दिनो से उसकी चूत मारने को बेताब था पर ना जान मुझे क्या हो गया था मैं बस चाहता था कि वो मेरे पास ही रहे मेरी बाहों मे मोके की नज़ाकत को समझते हुए मैने उसको अपनी बाहों मे भर लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटो को चूमने लगा

प्रीतम भी थोड़ी उतावली हो रही थी वो भी मेरा सहयोग करने लगी उसको चूमते चूमते अब मैने अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी हम दोनो की जीब एक दूसरे से टकरा रही थी और हम बहुत ही मज़े से किस कर रहे थे हमारे मुँह मे काफ़ी थूक इकठ्ठा हो गया था बस एक दूसरे को चूमे ही जा रहे थे हमारी साँस उखड़ने लगी थी फिर भी हम ऐसे लगे थे जैसे ये हमारा लास्ट चुंबन हो

आख़िर प्रीतम ने किस तोड़ी और हाँफने लगी अब मैने उसकी सलवार के नाडे पर हाथ रखा और एक ही झटके से उसको ढीला कर दिया सलवार उसकी टाँगो मे नीचे को गिर गयी मैं अब एक हाथ से उसके गान्ड को कछि के उपर से दबाने लगा प्रीतम भी कामुक हो रही थी और दूसर हाथ उसकी चूत पे रख के उसको मसल्ने लगा कच्छि के उपर से ही पता चल रहा था कि चूत से पानी बह रहा है

कुछ ही देर मे उसकी कच्छि भी नीचे पड़ी थी मैने एक उंगली अंदर डाली और रगड़ने लगा प्रीतम ने भी मेरे लंड को पेंट के उपर से ही सहलाना शुरू कर दिया था मैं लगातार उंगली करता जा रहा था वो अपने दांतो से होन्ट को काट रही थी उसकी आँखे पूरी तरह वासना मे डूब रही थी उसने मेरी ज़िप खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपने हाथ से मसल्ने लगी मैने उसे लंड को गीला करने को कहा तो उसने नीचे झुकते हुए लंड को मुँह मे भर लिया और चुप्पे मारने लगी

पूरा लंड उसके मुँह मे था थूक उसके मुँह से बहता हुवा नीचे गिर रहा था अब मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था मैने उसको खड़ा किया और उसके हाथो को घुटनो पे रखते हुए थोड़ा सा झुकाया और अपने थूक से सने हुए लंड को उसके गोल चुतडो से रगड़ ते हुए चूत मे धकेल दिया प्रीतम की मुँह से आह निकल गयी मैने उसकी कमर को थाम लिया और चुदाई करने लगा दो जवान जिस्म जंगल मे हुस्न के मज़े लूट रहे थे उस टाइम हमें दुनिया की कोई खबर नही थी बस सब से बेख़बर हम एक दूसरे मे समाए हुए जन्नत की सैर कर रहे थे हर लम्हे के साथ मेरे धक्के तेज होते जा रहे थे
प्रीतम भी लगातार अपनी गान्ड को पीछे कर रही थी और लगातार आहे भर रही थी अब मैने अपने हाथ उसके सूट के अंदर डाले और ब्रा के उपर से ही चूचियो को मसल्ने लगा जिस से प्रीतम का मज़ा और भी बढ़ गया हमे चुदाई करते हुए 20 मिनिट से भी ज़्यादा हो गये थे पर कोई भी हार मान ने को तैयार नही था चूत से लगातार रस बह रहा था और कामरस से भीगा हुवा लंड फ़चा फ़च अंदर बाहर हो रहा था ना जाने मुझे क्या सूझा मैं अपने अंगूठे को पीतम के दाने से रगड़ने लगा और पीछे से धक्के भी मार ता जा रहा था प्रीतम का शरीर काँपता जा रहा था थप थप चुदाई होये जा रही थी तभी प्रीतम की चूत की फांके मेरे लंड पे कस गयी और प्रीतम झाड़ ने लगी उसी पल मेरे लंड ने भी अपन गरमा गरम पानी छोड़ दिया और हम दोनो एक साथ चर्म सुख को प्राप्त हो गये…
Nice update and awesome writing skills
 

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