Incest ज़िंदगी भी अजीब होती है

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UPDATE-30

अब वो मुझे बस एक चूत दिखती थी जिसमे मैं अपना लंड डालना चाहता था पर ये बहुत ही मुश्किल था तभी एक अच्छी बात हुई गाँव मे मेला लगा मैने पहले ही पूरा प्लान बना के प्रीतम को लिख दिया था कि मेले वाले दिन वो किसी तरहा हमारे प्लॉट मे आ जाय और हम थोड़ा टाइम साथ बीतायँगे और उसने कहा अगर चान्स मिला तो वो ज़रूर आ जाएगी आख़िर उसकी चूत भी कुलबुला रही थी


आप तो समझ सकते हैं कि गाँव के लोगो के लिए मेलों की क्या अहमियत होती हैं जो मज़ा मेले मे आता था वो मज़ा हज़ारो र्स खर्च करके भी शॉपिंग माल मे नही आता हैं

मेले वाले दिन मैं 11 बजे घर से मेला जाने को कह कर निकला और प्लॉट मे पहुच गया अब बस प्रीतम डार्लिंग का इंतज़ार था काफ़ी समय बीत गया पर वो अभी तक नही आई थी फिर कुछ देर बाद उसने गेट पे दस्तक दी मैने जल्दी से उसको अंदर किया और गेट बंद कर दिया और जल्दी से उसको लेके कमरे मे आ गया

वो झट से मेरे गले लग गयी मैने भी उसको अपनी बाहों मे भर लिया उसकी गरम सांस मेरे चेहरे पे पड़ रही थी उनमे एक अलग सी खुश्बू थी जो हर पल के साथ मुझे मद होश कर रही थी मैं उसकी गान्ड को सलवार के उपर से ही सहलाने लगा

वो भी अधीर होते हुवे बोली कि तुम जल्दी ही कर लेना उसे मेले भी जाना हैं मैने अपनी उंगली उसके होंटो पे रख दी और उसको चुप करवा दिया उसकी नशीली आँखें मेरे उपर डोरे डालने लगी थी मैने बिना देर किए उसके होन्ट अपने मुहमे भर लिए और उनको चूमने लगा


वो भी मेरा साथ देने लगी मेरी जीभ उसके मूह मे घूम रही थी और मैने उसके हाथ को अपने लंड पे रख दिया और वो उसे मसल्ने लगी काफ़ी देर तक उसके होंठ ही चूस्ता रहा तब उसने मुझे हटा या और बोली अब क्या इन्हे सुजा के छोड़ोगे मैने उसके सूट को उपर करना शुरू किया और निकाल ही रहा था की वो बोली पागल मत बनो कोई आ गया तो मैने कहा गेट अंदर से बंद है और आज मेला हैं तो इतना रिस्क तो बनता है

वो हँसते हुवे बोली एक दिन तुम मुझे मरवाओगे सफेद ब्रा मे उसकी मोटी मोटो चूचिया बाहर आने को मचल रही थी मैने देर ना करते हुवे उनको आज़ाद किया और एक को थोड़ा नीचे झुकते हुवे अपने मूह मे भर लिया इधर प्रीतम ने मेरे पाएजामे और अंडरवेर को नीचे करते हुवे लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी उंगलिया उसपे कस दी मैं उसकी चूची पी रहा था बिल्कुल गुलाबी निप्पल्स बहुत ही संवेदन शील थे जितना मैं उनपे जीभ फेरता उतना ही प्रीतम के बदन मे मस्ती का संचार हो रहा था अब मैने उसकी सलवार और पेंटी एक साथ ही उतार दी और उसको नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया मेरा लंड उसकी चूत पे रगड़ खा रहा था वो बोली जल्दी करो ना तो मैने लंड पे थूक लगाया और उसकी एक टाँग को थोड़ा उठाया और लंड को चूत मे डाल दिया और खड़े खड़े ही चूत मारने लगा

प्रीतम की चूत से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी और हर लम्हे के साथ वो मस्ती मे डूब ती जा रही थी अब मैने उसको वही फरश पे लिटा लिया और उसकी टाँगो को चौड़ा किया और उसमे समाता चला गया मैं दुबारा उसके होंटो का रस पीने लगा था चुदाई के समंदर मे हमारी नाव तेज गति से तैर रही थी तभी मुझे ध्यान आया कि उस रात चाचा किस पोज़िशन मे चाची को रगड़ रहे थे

तो मैने अपना लंड निकाला और उसको टेढ़ी करते हुए उसकी एक टाँग को थोड़ा उठाया और पीछे से चूत मे लंड को घुसा दिया प्रीतम बोली आहहह ये क्या करते हो थोड़ा आराम से डालो मैने अपना एक हाथ उसके साइड से निकालते हुवे चूची को पकड़ लिया और उसे भींच ने लगा लंड सरपट सरपट चूत के अंदर बाहर हो रहा था मैने अब उसके गालो को चूसना शुरू कर दिया था प्रीतम भी पूरी मस्ती मे अपने गुदाज कुल्हो को पीछे कर रही थी गर्मी की दुपहरी मे दो जवान पसीने से भीगे जिस्म एक अलग ही लड़ाई मे लगे हुवे थे
 
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UPDATE-31

अब मैने उसे सीधी लिटाया और चुदाई करने लगा उसके कुल्हो की थिरकन बढ़ ती ही जा र्है थी तभी उसने अपने चुतड पूरी तरह उठा दिए और अपने बदन को ऐंठते हुवे झड़ने लगी चूत मे पानी की बढ़ आ गयी थी जिस से लंड फिसलने लगा मैं भी लग भग करीब आ ही गया था और कुछ देर में एक ज़ोर की आह भरते हुवे चूत मे ही झाड़ गया…………


अब वो उठी और अपने कपड़े उठाने लगी तो मैने उसके हाथ को पकड़ ते हुवे कहा कि अभी क्यों पहन रही हो अभी थोड़ी देर रुक जाओ पर वो नही मानी और बोली तुम को जो चाहिए था वो तो तुम्हे दे ही दिया है मैं तुम्हारी लगती भी क्या हू मैं तो तेरे लिए एक रांड़ हू बस चोदने के लिए उसकी बात मुझे चुभ गयी

मैने कहा कि क्या तुम मेरी दोस्त नही हो तो वो बोली कि रे बावले दोस्ती को क्यों बदनाम करता है ये तू भी जानता है कि जिस दिन मुझसे अच्छी मिल जायगी मुझे भूल जायगा और थोड़ी एमोशनल होगयि बात तो उसने 100% सही कही थी आख़िर उसका मेरा रिश्ता ही क्या था दोस्ती तो बस चुदाई के लिए ही थी

तो मैने भी पूछ लिया कि जब तुम्हे पता ही हैं तो क्यों आती हो वो बोली अच्छा लगता हैं तेरा साथ जब तेरे साथ होती हू तो थोड़ा हँसने-मुस्कुराने का बहाना मिल जाता है ना जाने क्यो उसकी बात दिल के अंदर धाड से लगी मैने कुछ भी नही कहा और बस उस को अपनी बाहों मे भर लिया

उसने मुझे हटाया कि छोड़ो पेशाब करना है और बाहर जाके मूतने बैठ गयी साली कमिनी थी पूरी ज़ालिम मेरी ओर मूह कर की ही मूत रही थी मैं चूत से बहती पेशाब की धार को देख रहा था जो उसकी फांको को भिगोरहि थी फिर वो मेरे पास आके बैठ गयी और बोली क्या सोचने लगे तो मैने कहा कुछ नही मैने अपनी जेब मे हाथ डाला और 300 रुपये उसको देते हुवे बोला ये मेरी तरफ से रख लो

तो वो नाराज़ होती हुए बोली मैं तेरे साथ सोती हू पर रंडी नही हू जो पैसो से तोल रहा है तो मैं बोला तुम ग़लत समझ रही हो ये तो मेले के लिए गिफ्ट है तो वो बोली अगर गिफ्ट देना ही था तो खुद खरीद भी सकते थे और गुस्से मे पैर पटक ते हुए चली गयी मैं उसे रोकना चाहता था पर ना रोक सका ना चाहते हुवे भी आज उसने दिल मे एक हूक सी जगा दी थी

मैं भी उठा और थोड़ा पानी पिया और मुँह धोया पता नही चुदाई के बाद प्यास कुछ ज़्यादा ही लगती थी फिर घर की ओर चल दिया वहाँ जाके देखा कि मेन गेट पे ताला लगा हैं तो ध्यान आया कि घर वाले तो मेले मे गये हैं भूख भी लग रही तो मैं भी मेले की ओर चल दिया

हालाँकि मुझे पसंद नही था पर मेरे कदम चल ही पड़े उस ओर या यूँ कहूँ कि तक़दीर कुछ ओर ही खेल खेलना चाहती थी वहाँ पहुच के सबसे पहले दो समोसे खाए तब थोड़ी जान आई गरम हवा सरपट दौड़ रही थी और कुछ भीड़ गर्मी सब कुछ जैसे उबल सा रहा था तो सोचा कि लगे हाथ क्यों ना गन्ने का रस भी पी लिया जाए मैं भी अब मेले के रंग मे रंगने लगा था

तभी एक विचार आया कि क्यों ना प्रीतम की लिए कुछ खरीद लूँ थोड़ा डर भी था कभी कोई देखना ले कि मैं लड़कियों का समान किस के लिया खरीद रहा हू और कुछ गले मे पहन ने के लिए देखने लगा

तभी पीछे से कोई मुझसे टकरा गया मैने फॉरन पीछे मूड कर देखा तो बस देखता ही रह गया साँवली रंगत चेहरे पे हल्की सी ज़ुल्फ़िें बिखरी हुई उसने फॉरन ही मुझसे सॉरी कहा तो मैं भी मुस्कुरा दिया ये उसकी ऑर मेरी पहली मुलाकात थी वो मुस्कुराइ और इठलाती हुई आगे बढ़ गयी मैं बस उसे जाते हुवे देखता ही रहा…………………….. ……..
 
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लेखक- FrankanstienTheKount

दोस्तो मुझे ये कहानी अच्छी लगी इसीलिए इस कहानी को मैं हिन्दी मे पोस्ट कर रहा हूँ
ज़िंदगी भी अजीब होती है कब कैसे मोड़ ले आती है हम कभी कल्पना भी नही कर सकते है. कुछ ऐसी ही मेरी कहानी है मैं कभी ऐसा नही बनना चाहता था पर एक चीज़ होती है तक़दीर जिसपे हमारा कोई बस नही चलता है.यह सब अचानक ही सुरू होता गया शुरुआत मे बहुत ही अच्छा लगता था पर आज जब पीछे मुड़कर देखता हू तो अजीब सा लगता है.खैर आपको बताता हू कि कैसे ये सब शुरू हुआ.


UPDATE-1

मेरा नाम $$$$ है. मैं एक गाँव मे रहता हू उस समय मेरी उमर तो कुछ खास नही थी पर वीसीआर पे ब्लूफिल्म ऑर सेक्सी कहानियो वाली किताब पढ़ कर थोड़ा जल्दी ही जवानी की ओर कदम बढ़ा दिए थे.ये कहानी शुरू हुवी जब मैं अपनी भाभी यानी मेरे तौजी के बेटे की वाइफ के पार्टी आकर्षित होने लगा उनका नाम अनीता था


23-24 की होगी उस टाइम पे वो काफ़ी हँसी-मज़ाक भी करती रहती थी. मैं नया नया जवान हुआ था तो दिल मे चूत मारने की कसक लगी रहती थी. धीरे धीरे अनिता भाभी मुझसे खुलने लगी हम कई देर बाते करते रहते थे और दिन कट रहे थे पर एकाएक दिन लगभग 11 बजे के आसपास्स मैं अपनी छत पर गया तो अचानक मैने देखा कि .........................................

अनिता अपने आँगन मे नहा रही है मेरे तो होश ही उड़ गये!उसको देख कर आप समझ सकते हैं कि गाँव मे लोग ऐसे ही नहाते है बाथरूम वगेरा का चलन गाँवो मे थोड़ा कम ही होता हैं,पानी मे भीगा हुआ उसका गोरा बदन
देख कर मेरी तो सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी ज़िंदगी मे पहली बात किसी औरत तो ऐसा देखा था
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बस एक काले रंग की कछि ही उसके बदन पे थी उसकी बड़ी बड़ी चूचिया देख कर मेरा तो दिमाग़ ही खराब होगया अचानक ही उसकी नज़र मुझ पे पड़ी तो वो मेरी ओर देखकर मुस्कुराइ पर मैं तुरंत ही नीचे भाग गया. बस मेरे दिमाग़ मेउसका मादक बदन ही घूम रहा था शाम को मैं उसके घर पे गया तो वो अकेली ही थी हम बात करने लगे फिर

अचानक से उसने पूछा कि दोपहर को क्या देख रहे थे ? मैने उसको बताया कि कैसे वो सब हो गया. फिर वो हँसने लगी तभी मेरे दिमाग़ मे एक फिल्म का डायलॉग आया कि हसी तो फसी ना जाने मुझे क्या हुआ मैने उसको पकड़ लिया और उसके गुलाबी होंटो को अपने होंटो मे दबा लिया और चूसने लगा वो एकदम से पीछे हुई और मेरी ओर देखने लगी
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मैने बिना देर किए उसको आइ लव यू बोल दिया और दोबारा अपनी बाहों मे भरने की कोशिश की परंतु उसने कहा कि वो सोच के बताए गी और मुझे जाने को कहा क्योंकि उसकी सास आने वाली थी खैर अगले दिनो कुछ खास नही हुआ मैं सोच रहा था कि कब उसको चोदु.................


5-6 दिन बाद अनिता की सास हमारे घर आई और बताने लगी कि वो और उसके पति खाटू शामजी के दर्शन करने के लिए जा रहे है एक हफ्ते के लिए अगले दिन वो चले गये.
Nice update bhai
 
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UPDATE-32


वो लड़की कुछ ही सेकेंड मे एक छाप से छोड़ गयी थी फिर प्रीतम के लिए कुछ खरीदा और थोड़ी देर मेले मे घूमने के बाद घर की ओर प्रस्थान किया शाम हो चली थी लाइट भी नही आ रही थी तो ओर भी मुश्किल सी हो गयी थी मैने आँगन मे खाट बिछाई और उसी पे लेट गया


चाची झाड़ू लगा रही थी उनकी पीठ मेरी ओर थी मैं उनकी गान्ड को देख रहा था साली जिंदगी भी दो तरह से चल रही थी एक तरफ मैं लुस्ट मे डूबा जा रहा था और दूसरी ओर एक नयी राह भी थी जिसपे चलने की तैयारी होने लगी थी मेरा ध्यान पूरी तरह से चाची पे ही था जी कर रहा था कि उसी वक़्त उन्हे चोद दूं पर मजबूरी थी तो सीधा उठके बाथरूम मे घुस गया और उनकी कच्छि को लंड पे रगड़ते हुए मूठ मारने लगा

अब जाके थोड़ा चैन आया उन दिनो साला लंड भी जब चाहे खड़ा हो जाता था पेंटी को उसकी जगह पे रखा और हाथ मूह धोके मैं फिर वापिस आ गया पापा और चाचा भी आ चुके थे तो मैं उनसे बाते करने लगा मई के लास्ट दिन चल रहे थे

तभी चाचा बोले कि 10+2 मे वो मेरा अड्मिशन सिटी मे करवाएँगे ताकि मैं बेहतर ढंग से स्टडी कर सकूँ ये सुनके मैं बहुत ही खुश हो गया तभी चाचा बोले कि जा रसोई मे देखके आ कि खाना बन ने मे कितनी देर हैं मैं वहाँ पे गया तो देखा कि चाची आटा ही लगा रही थी वो बोली बस बना ही रही हैं वो स्लॅब के पास खड़ी आटा लगा रही थी अचानक मुझे पता नही क्या सूझा मैं उनके पीछे खड़ा हो गया

थोड़ी चापलूसी करते हुए बोला चाची आप सारा दिन कितना काम करती हो कभी आराम भी किया करो घर मे ऑर भी हैं वो भी खाना बना सकते है तारीफ औरत की सबसे बड़ी कमज़ोरी होती हैं मैं थोड़ा और मक्खन लगाते हुए बोला कि क्या मैं उनकी हेल्प करू और थोड़ा और उनके करीब सट गया अब मेरी जांघी उनके पिछवाड़े पे टच हो रही थी मेरा नागराज भी खड़ा होने लगा था मैने थोड़ी हिम्मत करते हुए अपना हाथ उनके पेट पे रख दिया और उसपे हाथ फेरने लगा चाची थोड़ा कसमसा गयी पर कुछ ना बोली और आटा लगाती रही मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गयी और मैं उनसे बिल्कुल ही चिपक गया था लंड उनके कुल्हो पे रगड़ खा ने लगा था मुझे सॉफ पता चल रहा था कि उनकी सांसो मे ठहराव आ गया था तभी उन्होने भी अपने कुल्हो को थोड़ा पीछे कर दिया

अब हम दोनो ही जानते थे कि ये चाची-बेटे के प्यार से थोड़ा बढ़ कर कुछ ऑर ही हो रहा था तभी चाचा ने आवाज़ लगाई और मैं घबराते हुए बाहर की ओर भाग चला. फिर कुछ नही हुवा डिन्नर के बाद मैने अपना बिस्तर छत पे लगाया और रेडियो को ऑन करके लेट गया आज गाने भी कुछ ज़्यादा ही रोमॅंटिक चल रहे थे

मुझे तभी उस लड़की का ध्यान आया जो मेले मे टकराई थी दो पल की मुलाकात फिर से मुझ पे हावी होने लगी थी कुछ तो रोमॅंटिक गानो का सुरूर ओर कुछ उस लड़की की कशिश हालाँकि कशिश तो मैने भाबी और प्रीतम मे भी महसूस की थी पर ये कुछ अलग ही था नींद उड़ गयी थी मैने सोचा गाँव की तो नही हो सकती है होती तो पता चल ही जाता पता नही कॉन थी कहाँ रहती थी

एक तो वैसे ही बैचैन था उपर से लव गुरु भी रेडियो पे उस खुमारी को ऑर भी बढ़ा रहे थे गला सूखने सा लगा था पानी की बॉटल टटोली तो पाया आज तो बोतल नीचे ही भूल आया था मैं नीचे की ओर चल पड़ा रसोई मे जा ही रहा थी कि तभी किसी के हल्के से हँसने की आवाज़ आई तो मेरे कान खड़े हो गये

थोड़ा दीवार की पास चिपक के आँगन की ओर देखा कि चाचा ने चाची को पलंग पे घोड़ी बनाया हुवा हैं . दोनो संभोग करने मे मस्त हैं मैं छुप के उन्हे देखने लगा जाने कब मैने अपने लंड को बाहर निकाल लिया और उसे हिलाने लगा

कुछ ज़्यादा सॉफ तो नही दिख रहा था पर जितना भी था काफ़ी था अब चाची चाचा के लंड पे बैठ के उछल कूद मचा रही थी मेरा पानी भी निकलने ही वाला था तभी साला जुलम हो गया लाइट अचानक आ गयी और पूरे आँगन मे बल्ब की रोशनी मे नहा गयी मैं एक दम से हड़बड़ा गया छिपने की कोई जगह भी नही थी और तभी चाची की नज़र मेरे उपर पड़ी

उनकी आँखे हैरत से फैल गयी मेरे हाथ मे मेरा तना हुआ लंड झूल रहा था और उधर वो नंगी अपने पति के लंड पे कूद रही थी मैने आव देखा न ताव और सीढ़ी पर दौड़ लगा दी और घर के बाहर चबूतरे पे आके बैठ गया …………..


सुबह हुई तो मैं सीधा प्लॉट मे चला गया रात का घटना क्रम आँखो के सामने ही घूम रहा था समझ नही आ रहा था कि कैसे चाची को फेस करूँगा फिर प्रभु का नाम लिया और सोचा कह दूँगा ग़लती हो गयी और माँफी माँग लूँगा

नहाया धोया पशुओ को नहलाया उसी मे काफ़ी टाइम हो गया था पेट मे चूहे भी दौड़ने लगे थे पर हिम्मत नही हो रही थी घर जाने की तो मैने सोच कि गाँव के बस स्टॅंड की ओर घूम आता हू और वही कुछ खा भी लूँगा

जैसे ही जेब मे हाथ दिया तो वो खाली थी कोई बात नही दिल को समझाया और फिर भी उधर ही चल पड़ा तभी विचार बदला और सोचा क्यों ना प्रीतम के घर की तरफ राउंड लगाया जाए कई दिन से उसका दीदार भी नही हुआ था

तो वो अपने गेट मे ही खड़ी थी मैने उसे देखा और स्माइल पास की उसने अपनी छोटी को घूमाते हुए मुझे चिड़ाया तभी उसने आने का इशारा किया मैने चारो ओर देखा और साव धानी से उसके घर मे घुस गया
 

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