- 1,067
- 2,978
- 143
UPDATE-30
अब वो मुझे बस एक चूत दिखती थी जिसमे मैं अपना लंड डालना चाहता था पर ये बहुत ही मुश्किल था तभी एक अच्छी बात हुई गाँव मे मेला लगा मैने पहले ही पूरा प्लान बना के प्रीतम को लिख दिया था कि मेले वाले दिन वो किसी तरहा हमारे प्लॉट मे आ जाय और हम थोड़ा टाइम साथ बीतायँगे और उसने कहा अगर चान्स मिला तो वो ज़रूर आ जाएगी आख़िर उसकी चूत भी कुलबुला रही थी
आप तो समझ सकते हैं कि गाँव के लोगो के लिए मेलों की क्या अहमियत होती हैं जो मज़ा मेले मे आता था वो मज़ा हज़ारो र्स खर्च करके भी शॉपिंग माल मे नही आता हैं
मेले वाले दिन मैं 11 बजे घर से मेला जाने को कह कर निकला और प्लॉट मे पहुच गया अब बस प्रीतम डार्लिंग का इंतज़ार था काफ़ी समय बीत गया पर वो अभी तक नही आई थी फिर कुछ देर बाद उसने गेट पे दस्तक दी मैने जल्दी से उसको अंदर किया और गेट बंद कर दिया और जल्दी से उसको लेके कमरे मे आ गया
वो झट से मेरे गले लग गयी मैने भी उसको अपनी बाहों मे भर लिया उसकी गरम सांस मेरे चेहरे पे पड़ रही थी उनमे एक अलग सी खुश्बू थी जो हर पल के साथ मुझे मद होश कर रही थी मैं उसकी गान्ड को सलवार के उपर से ही सहलाने लगा
वो भी अधीर होते हुवे बोली कि तुम जल्दी ही कर लेना उसे मेले भी जाना हैं मैने अपनी उंगली उसके होंटो पे रख दी और उसको चुप करवा दिया उसकी नशीली आँखें मेरे उपर डोरे डालने लगी थी मैने बिना देर किए उसके होन्ट अपने मुहमे भर लिए और उनको चूमने लगा
वो भी मेरा साथ देने लगी मेरी जीभ उसके मूह मे घूम रही थी और मैने उसके हाथ को अपने लंड पे रख दिया और वो उसे मसल्ने लगी काफ़ी देर तक उसके होंठ ही चूस्ता रहा तब उसने मुझे हटा या और बोली अब क्या इन्हे सुजा के छोड़ोगे मैने उसके सूट को उपर करना शुरू किया और निकाल ही रहा था की वो बोली पागल मत बनो कोई आ गया तो मैने कहा गेट अंदर से बंद है और आज मेला हैं तो इतना रिस्क तो बनता है
वो हँसते हुवे बोली एक दिन तुम मुझे मरवाओगे सफेद ब्रा मे उसकी मोटी मोटो चूचिया बाहर आने को मचल रही थी मैने देर ना करते हुवे उनको आज़ाद किया और एक को थोड़ा नीचे झुकते हुवे अपने मूह मे भर लिया इधर प्रीतम ने मेरे पाएजामे और अंडरवेर को नीचे करते हुवे लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी उंगलिया उसपे कस दी मैं उसकी चूची पी रहा था बिल्कुल गुलाबी निप्पल्स बहुत ही संवेदन शील थे जितना मैं उनपे जीभ फेरता उतना ही प्रीतम के बदन मे मस्ती का संचार हो रहा था अब मैने उसकी सलवार और पेंटी एक साथ ही उतार दी और उसको नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया मेरा लंड उसकी चूत पे रगड़ खा रहा था वो बोली जल्दी करो ना तो मैने लंड पे थूक लगाया और उसकी एक टाँग को थोड़ा उठाया और लंड को चूत मे डाल दिया और खड़े खड़े ही चूत मारने लगा
प्रीतम की चूत से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी और हर लम्हे के साथ वो मस्ती मे डूब ती जा रही थी अब मैने उसको वही फरश पे लिटा लिया और उसकी टाँगो को चौड़ा किया और उसमे समाता चला गया मैं दुबारा उसके होंटो का रस पीने लगा था चुदाई के समंदर मे हमारी नाव तेज गति से तैर रही थी तभी मुझे ध्यान आया कि उस रात चाचा किस पोज़िशन मे चाची को रगड़ रहे थे
तो मैने अपना लंड निकाला और उसको टेढ़ी करते हुए उसकी एक टाँग को थोड़ा उठाया और पीछे से चूत मे लंड को घुसा दिया प्रीतम बोली आहहह ये क्या करते हो थोड़ा आराम से डालो मैने अपना एक हाथ उसके साइड से निकालते हुवे चूची को पकड़ लिया और उसे भींच ने लगा लंड सरपट सरपट चूत के अंदर बाहर हो रहा था मैने अब उसके गालो को चूसना शुरू कर दिया था प्रीतम भी पूरी मस्ती मे अपने गुदाज कुल्हो को पीछे कर रही थी गर्मी की दुपहरी मे दो जवान पसीने से भीगे जिस्म एक अलग ही लड़ाई मे लगे हुवे थे
अब वो मुझे बस एक चूत दिखती थी जिसमे मैं अपना लंड डालना चाहता था पर ये बहुत ही मुश्किल था तभी एक अच्छी बात हुई गाँव मे मेला लगा मैने पहले ही पूरा प्लान बना के प्रीतम को लिख दिया था कि मेले वाले दिन वो किसी तरहा हमारे प्लॉट मे आ जाय और हम थोड़ा टाइम साथ बीतायँगे और उसने कहा अगर चान्स मिला तो वो ज़रूर आ जाएगी आख़िर उसकी चूत भी कुलबुला रही थी
आप तो समझ सकते हैं कि गाँव के लोगो के लिए मेलों की क्या अहमियत होती हैं जो मज़ा मेले मे आता था वो मज़ा हज़ारो र्स खर्च करके भी शॉपिंग माल मे नही आता हैं
मेले वाले दिन मैं 11 बजे घर से मेला जाने को कह कर निकला और प्लॉट मे पहुच गया अब बस प्रीतम डार्लिंग का इंतज़ार था काफ़ी समय बीत गया पर वो अभी तक नही आई थी फिर कुछ देर बाद उसने गेट पे दस्तक दी मैने जल्दी से उसको अंदर किया और गेट बंद कर दिया और जल्दी से उसको लेके कमरे मे आ गया
वो झट से मेरे गले लग गयी मैने भी उसको अपनी बाहों मे भर लिया उसकी गरम सांस मेरे चेहरे पे पड़ रही थी उनमे एक अलग सी खुश्बू थी जो हर पल के साथ मुझे मद होश कर रही थी मैं उसकी गान्ड को सलवार के उपर से ही सहलाने लगा
वो भी अधीर होते हुवे बोली कि तुम जल्दी ही कर लेना उसे मेले भी जाना हैं मैने अपनी उंगली उसके होंटो पे रख दी और उसको चुप करवा दिया उसकी नशीली आँखें मेरे उपर डोरे डालने लगी थी मैने बिना देर किए उसके होन्ट अपने मुहमे भर लिए और उनको चूमने लगा
वो भी मेरा साथ देने लगी मेरी जीभ उसके मूह मे घूम रही थी और मैने उसके हाथ को अपने लंड पे रख दिया और वो उसे मसल्ने लगी काफ़ी देर तक उसके होंठ ही चूस्ता रहा तब उसने मुझे हटा या और बोली अब क्या इन्हे सुजा के छोड़ोगे मैने उसके सूट को उपर करना शुरू किया और निकाल ही रहा था की वो बोली पागल मत बनो कोई आ गया तो मैने कहा गेट अंदर से बंद है और आज मेला हैं तो इतना रिस्क तो बनता है
वो हँसते हुवे बोली एक दिन तुम मुझे मरवाओगे सफेद ब्रा मे उसकी मोटी मोटो चूचिया बाहर आने को मचल रही थी मैने देर ना करते हुवे उनको आज़ाद किया और एक को थोड़ा नीचे झुकते हुवे अपने मूह मे भर लिया इधर प्रीतम ने मेरे पाएजामे और अंडरवेर को नीचे करते हुवे लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी उंगलिया उसपे कस दी मैं उसकी चूची पी रहा था बिल्कुल गुलाबी निप्पल्स बहुत ही संवेदन शील थे जितना मैं उनपे जीभ फेरता उतना ही प्रीतम के बदन मे मस्ती का संचार हो रहा था अब मैने उसकी सलवार और पेंटी एक साथ ही उतार दी और उसको नंगी कर दिया और खुद भी नंगा हो गया मेरा लंड उसकी चूत पे रगड़ खा रहा था वो बोली जल्दी करो ना तो मैने लंड पे थूक लगाया और उसकी एक टाँग को थोड़ा उठाया और लंड को चूत मे डाल दिया और खड़े खड़े ही चूत मारने लगा
प्रीतम की चूत से फ़च फ़च की आवाज़ आ रही थी और हर लम्हे के साथ वो मस्ती मे डूब ती जा रही थी अब मैने उसको वही फरश पे लिटा लिया और उसकी टाँगो को चौड़ा किया और उसमे समाता चला गया मैं दुबारा उसके होंटो का रस पीने लगा था चुदाई के समंदर मे हमारी नाव तेज गति से तैर रही थी तभी मुझे ध्यान आया कि उस रात चाचा किस पोज़िशन मे चाची को रगड़ रहे थे
तो मैने अपना लंड निकाला और उसको टेढ़ी करते हुए उसकी एक टाँग को थोड़ा उठाया और पीछे से चूत मे लंड को घुसा दिया प्रीतम बोली आहहह ये क्या करते हो थोड़ा आराम से डालो मैने अपना एक हाथ उसके साइड से निकालते हुवे चूची को पकड़ लिया और उसे भींच ने लगा लंड सरपट सरपट चूत के अंदर बाहर हो रहा था मैने अब उसके गालो को चूसना शुरू कर दिया था प्रीतम भी पूरी मस्ती मे अपने गुदाज कुल्हो को पीछे कर रही थी गर्मी की दुपहरी मे दो जवान पसीने से भीगे जिस्म एक अलग ही लड़ाई मे लगे हुवे थे