Incest ज़िंदगी भी अजीब होती है

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उसने फॉरन ही गेट बंद कर दिया मैने पूछा घर वाले कहाँ गये तो वो मंद मंद मुस्कते बोली कि उसकी मा और भाई सहर गये हैं और और शाम तक ही वापिस आएँगे मेरे चेहरे पे कुटिल मुस्कान छा गयी


पर मुझे भूक लग रही थी तो मैने उस से रोटी के लिए कहा तो बोली अभी तो कुछ नही हैं रात की बासी रोटी ही हैं और थोड़ी चटनी हैं तुम चाहो तो वो ख़ालो या रुक जाओ मैं गरम बना दूं

तो मैने कहा कि जो है वो ही दे दो और रोटी खाने लगा उसने एक गिलास मे लस्सी भी डाल दी. उस दिन पता चला कि खाने का स्वाद क्या होता हैं थी तो बस चटनी रोटी पर आज तक उस स्वाद को तरसता हू

मुझे खाना खाते देख प्रीतम बहुत ही खुश हो रही थी खाना ख़तम हुवा उसने बर्तन समेट दिए और मुझे उनके चॉबारे मे ले आई और मेरी गोद मे आ के बैठ गयी

मैं उसकी पीठ सहला रहा था उसने अपने होंठ आगे को बढ़ाए तो मैने मना करते हुए कहा कि पहले मैं उस से कुछ बात करना चाहता हू तो बोली हाँ क्यों नही मैं तो बेताब हू कि कब तू मेरी तारीफ करेगा

तो मैने उसकी नशे से भरी आँखो मे देखते हुए पूछा कि तू मेरी कॉन है तो बोली तुझे क्या लगता है तो मैने कहा घुमा मत और बता कि तू मेरी क्या लगती हैं तो बोली कि मैं तेरी अधूरी प्यास हू जो जितना बुझती है उतना ही भड़कती जाती हैं

तो मैने कहा तेरे मेरा क्या रिश्ता है तो वो बोली नदी के दो किनारों का मैने फिर पूछा कि तेरे- मेरे रिश्ते का क्या अंजाम वो हँसते हुए बोली ना कोई आगाज़ ना कोई अंजाम

बोली इतना मत सोचो आख़िर एक ना एक दिन तो हमे बिछड़ना ही होगा तो फिर हम क्यों आस करे कुछ तो बात थी उस लड़की मे उसने मेरी तरफ बढ़ते हुए कहा कि जो चल रहा हैं उसी तरह चलने दो या सब बंद कर दो पर कोई आस कभी मत पालना

क्योंकि जब उम्मीद टूट ती है तो संभालना मुश्किल हो जाता हाँ और नीचे चली गयी कुछ देर बाद वो एक प्याला लेके आई जिसमे कुछ रसगुल्ले थे और मेरी और बढ़ाते हुए बोली कि लो खाओ तो मैं बोला तुम ही खिला दो क्या पता फिर तुम्हारे हाथ से कुछ खाने को मिले या ना मिले

तो वो मेरी गोद मे वापिस आके बैठ गयी और बड़े ही प्यार से मुझे खिलाने लगी उसकी उंगलिया चाशनी मे भीग गयी थी रसगुल्ले के साथ साथ मैं उसकी उंगलियो को भी चाटने लगा वो बस मुस्कुरा रही थी

दो-तीन पीस खाने के बाद मैने उसे खड़ा किया और उसके कपड़े उतारने लगा और खुद के भी उतार दिए अब हम दोनो एक दूसरे के जिस्मो अपनी आँखो से तोल रहे थे मैने एक रसगुल्ला उठाया और उसकी चाशनी प्रीतम के होंटोपे निचोड़ दी

तो वो बोली अरे ये क्या कर रहे हो तो मैने उसे खामोश रहने को कहा कि वो मुझे मेरी मर्ज़ी से उसे प्यार करने दे और उसके मीठे मीठे अधरो को चूमने लगा बहुत ही मनमोहक पल था वो चासनी हमारे मूह मे घुलने लगी थी

ना जाने कितनी देर हम ऐसे हुए एक-दूसरे को चूमते रहे उसकी सांसो को मैं अपने अंदर महसूस कर रहा था अब उसे लिटाया और उसकी 36 इंची चूचियों पे भी थोड़ा रस बिखेर दिया


और उसके निप्पल को चूसने लगा प्रीतम के निप्पल बहुत ही सेन्सिटिव थे और जैसे ही मैं उन्हे चूस्ता तो वो झट से गरम हो जाती थी धीरे धीर मैं उसके पूरे शरीर को चाटने चूमने लगा वो पड़ी पड़ी बस आहें भर रही थी

अब मैं उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत के बालो पे फेरने लगा उसने अपनी जांघे थोड़ा उपर की ऑर फैला ली कमरे मे बस हमारी गहरी साँसे ही गूँज रही थी जीभ अब उसके दाने पे घूमने लगी थी और उसके हाथ उसकी गोल गोल चुचियों को मसल रहे थे

मैने कुछ चाशनी चूत पे भी गिरा दी थी जिस से उसकी चूत का रस और मीठी चासनी मिक्स हो गये थे और खारा मीठा सा टेस्ट आ रहा था अब पूरी गहराई में जहाँ तक मैं जीब डाल सकता था प्रीतम की चूत मे डाल थी

और अंदर बाहर करने लगा वो तो सातवे आसमान मे पहुच गयी थी और उसकी टाँगे बुरी तरह से मेरे चेहरे पे कसी पड़ी थी उसकी चूत की गर्मी मेरे चेहर पे सॉफ पड़ रही थी तभी वो ज़ोर से चीख मारते हुए ढीली पड़ गयी मैं उसका सारा रस पी गया और वो हाँफने लगी

मैने फिर से उसके होटो पे एक लंबा चुंबन दिया और उसके चेरे पे अपना लंड रगड़ने लगा अब लंड उसके होंटो पे रगड़ खा रहा तो उसने अपना मूह खोला और सुपाडे को अपने मूह मे ले लिया और किसी कुलफी की तरह उसे चूसने लगी

चूस्ते चूस्ते उसने लंड को बाहर निकाल दिया तो मैने कहा क्या हुवा तो वो बोली सारा मज़ा क्या तू ही लेगा और बची हुवी चाशनी मेरे लंड और गोलियों पे गिरा दी मैं अब फरश पे खड़ा होके उसे लंड चूसा रहा था और वो नीचे बैठी हुवी थी मैने उसके सर को पकड़ लिया और हल्के हल्के धक्के से मारने लगा

तभी उसने अपनी चूत मे उंगली रगड़नी शुरू कर दी ये देख कर मुझे और भी जोश आ गया 5-7 मिनिट और चूसने के बाद मैने उसे घुटनो के बल झुकाया और चूत मे लंड को सरका दिया उसकी कमर को थामे मैं उसे चोद रहा था प्रीतम भी पूरा सहयोग कर रही थी

तभी मैं अपना एक हाथ उसकी कमर से हटाया और चूत पे रख दिया मेरी उंगली अब उसके दाने को टटोल ने लगी थी ऐसा करने से प्रीतम की उत्तेजना मे और भी इज़ाफा हो गया था वो बोली रे जालिम ये क्या कर दियाआआअ आआआआआआआआआआआआआअ आआआआआआआआ

आज तो मेरी जान ही निकाले गा क्या और बोली ऐसे चोद्ता रह मुझे जब तब मेरी जान ना निकले बस चोद्ता ही रह मुझे बस इसी तरह मेरी प्यास बुझाता रह रुक मत और हाँफने लगी मेरी भी साँस फूलने लगी थे पर मैं अभी झड़ना नही चाहता था

तो मैने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे लिटा ते हुए अपने होंठ एक बार फिर उसकी गरमा गरम चूत पे रख दिए प्रीतम तो जैसे बावली हो गयी थी उसने काँपति आवाज़ मे कहा आक्टिंग मत कर और चोद मुझे ये सुन के मुझे हँसी आ गयी और मैने उसकी टाँगो को अड्जस्ट किया और उसे चोदने लगा
 
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वो भी पूरे जोश मे थी कुल मिलाके कमरे मे एक तूफान आया हुवा था काफ़ी देर तक चुदाई चलती रही और फिर ऐसे ही हम काम सुख की ओर बढ़ गये पता नही कितनी देर मैं उसके उपर ही पड़ा रहा फिर उसने धक्का देते हुए कहा कि उठो और मैं साइड मे लेट गया दोपहर हो गयी थी


वो बोली मैं खाना बना लूँ तब तक तुम लेट जाओ तो मैने कहा पहले एक राउंड और मार लू तो वो हंसते हुए बोली कि खाना बनाने के बाद और कपड़े पहने और नीचे चली गयी मैने भी अपने को अड्जस्ट किय और उसके पीछे पीछे नीचे चल पड़ा

वो रसोई मे खाने की तैयारी कर रही थी मैं भी वही बैठ गया और उस से बाते करने लगा फिर हम ने खाना खाया इस सबमे लग भग एक घंटा तो लग ही गया होगा कुछ समय बाद हम फिर से बिस्तर पे पहुच चुके थे कपड़े नीचे फर्श पे पड़े हुए थे मैं लगा तार उसकी गान्ड के छेद को सहला रहा था तो वो बोली क्या इरादा है

तो मैं अपनी उंगली गान्ड मे डालने की कोशिश करता हुआ बोला मुझे ये चाहिए अभी तो वो बोली तुम कब से कुछ पूछ के लेने लगे जो अब पूछ रहे हे मैं खुश हो गया और उसको चूम लिया मैने उंगली पे थूक लगाया और गान्ड मे सरका दी प्रीतम की गान्ड तो अनिता भाभी से भी ज़्यादा टाइट थी खैर मोर्चा तो फ़तेह करना ही था

मैने प्रीतम को उल्टा लिटाया और ढेर सा थूक उसकी गान्ड पे लगा दिया और लंड को वहाँ पे रगड़ने लगा प्रीतम को मैने थोडा रिलॅक्स होने को कहा तो वो बोली जिसकी गान्ड मे लंड घुसने वाला हो वो रिलॅक्स कैसे हो सकता हैं तभी मैने लंड को अंदर डालने की कोशिश की पर वो फिसल रहा था मैं थोड़ा थूक और लगाया और थोड़ा ज़ोर लगाते हुए लंड को थोड़ा अंदर डाल ही दिया

जैसे ही लंड अंदर गया उसकी आँखो की आगे अंधेरा छा गया और वो बेहोशी के कगार पे पहुच गयी पर मैने लंड निकाला नही क्योंकि मुझे पता था कि अगर निकाल लिया तो फिर ये डालने नही देगी आँसू आ गये उसकी आँखो मे और वो ज़ोर से रोती हुए बोली ओहमेरी मा आज तो मर ही गयी

तुम अभी इसको बाहर निकाल लो पर मैने उसे थोड़ा सबर करने को कहा और उसे बातो मे उलझाने लगा कुछ देर बाद अब मैने लंड को अंदर सरकाने का सोचा और थोड़ा और अंदर डालने लगा अब वो भी थोड़ा सहज फील कर रही थी तो मुझे भी तसल्ली हुवी और ऐसे ही धीरे धीरे मैने पूरा लंड अंदर घुसा दिया अब मेरे अंडकोष उसके गद्देदार चुतडो पे टकरा रहे थे मुझसे रुका नही जा रहा था आधे लंड को बाहर की ओर खिचा और फिर से अंदर डाल दिया

अब उसकी गान्ड भी थोड़ा रेस्पॉन्स करने लगी थी मैने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए प्रीतम अभी भी दर्दभरी सिसकारिया निकल रही थी धक्को की रफ़्तार भी अब बढ़ने लगी थी मैं प्रीतम के गालो को मस्ती से काट ते हुए गान्ड चोद रहा था दास-पंद्रह मिनिट तक ऐसे ही करने के बाद मैने अपने लंड को निकाला और उसके मांसल कुल्हो पे अपने वीर्य की धार छोड़ दी उस दिन प्रीतम को कुल तीन बार चोदा घड़ी देखी तो4 .30 हो गये थे प्रीतम बोली अब तुम जाओ घर वाले भी आने ही वाले होंगे और फिर एक किस के बाद मैं उसके घर से निकलकर अपने घर की ओर चल पड़ा



ज्यों ज्यों घर नज़दीक आ रहा था अब मेरी गान्ड फटने लगी थी कि अगर चाची ने रात वाली बात मम्मी को बता दी हो गी तो आज तो गया पर घर तो जाना ही पड़ता वो ही तो एक ठिकाना था दरवाजे पे ही मम्मी के दर्शन हो गये वो मुझे देखते ही गुस्से से बोली कहाँ मर गया था तू सुबह से कुछ अता-पता नही हैं यहाँ हम कितने परेशान है और ये साहिब आवारगार्दी करते घूम रहे थे आज आने दे तेरे पापा को अंदर गया तो चाची टीवी देख रही थी उन्होने मुझ पर एक भरपूर निगाह डाली और उठकर मेरे लिए खाना डालने लगी
 
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मैं भी रसोई मे चला गया था मुझे प्लेट देते हुए बोली कहाँ गये थे सुबह से तो मैं कुछ नही बोला तो वो हल्के से डाँटते हुए बोली कि आज कल बहुत बड़ा हो गया है तू मैं चुप ही रहा तो वो बोली कल रात को क्या देख रहा था तो मैने गर्देन नीचे करली और कुछ नही बोला उन्होने फिर सवाल किया बोली आजकल तुम कुछ ज़्यादा ही उड़ रहे हो लगता हैं तुम्हारी शिकायत दीदी से करनी पड़ेगी तो मैं उनके पाँवो मे गिर गया और माफी माँगने आगा तो वो बोली जा अभी खाना खा ले बाद मे बात करेंगे अब कैसा खाना खाना था


पर फिर भी खा ही लिया थोड़ा बहुत तभी चाचा भी आ गये मैं टीवी देखने लग गया रात घिर आई थी मैं तो रोज छत पे ही सोता था दिनभर जो चुदाई की थी तो थकान से जल्दी ही सो गया अगले दिन जब मैं नहा रहा था तो देखा कि आज वहाँ एक सुंदर सी ऑरेंज कलर की पेंटी रखी थी अब तो मेरी आदत ही बन गयी थी चाव्ही की पेंटी मे मूठ मारने की की एक बार फिर मैने वैसे ही दोहराया और फिर नहा के बाहर आ गया मम्मी खेत पे जाने की तैयारी कर रही थी तभी चाची बोली दीदी क्यों ना आज मैं खेत मे चली जाउ

इधर घर ही घर में रहते हुए थोड़ा बोर सा हो गयी हू तो मम्मी ने हाँ करदी और मुझे बुला के कहा कि चाची के साथ खेतो पे चले जाओ और उनकी मदद करना मैं थोड़ा खुश सा हो गया एक घंटे बाद हम खेतों की ओर चल पड़े खेत कोई एक-डेढ़ किलोमीटर दूर पड़ ते थे हम पैदल ही जा रहे थे चाची ने आज हल्केहरे रंग की साड़ी और वाइट ब्लाउज डाला हुवा था जिसमे उनकी खूबसूरती और भी बढ़ गयी थी धूप तेज होने के कारण उनको पसीना आने लगा था तो मैने रुमाल उनको देते हुए कहा चाची पसीना पोंछ लो

तो वो बोली तुझे आजकल मेरी बहुत पड़ी है बड़ा ध्यान रखने लगा हैं मेरा तो मैं बोला यह तो मेरा फर्ज़ है तो वो चुटकी लेते हुवे बोली कि हां तभी तो आज कल मेरी कछियो पे बड़ा फ़र्ज़ निभा रहे हो और मेरी ओर देखने लगी मैने कुछ नही कहा तो बोली अब बड़ा शर्मा रहा हैं जब ये कांड करते हो जब शरम नही आती तो मेरे मूह से निकल गया कि चाची आप हो ही इतनी मस्त रुका ही नही जाता ये सुनके उनके गाल लाल हो गये और मुझे हल्की सी चपत लगाते हुए बोली शरम नही आती अपनी चाची पे लाइन मारते हुए और जोरो से हँसने लगी

तो मैं भी मुस्कुरा दिया अब मेरा डर पूरी तरह से दूर हो गया था मैने विचार किया कि शायद वो भी रूचि ले रही है और ऐसे ही बाते करतहुए हम खीतो मे पहुच गये मैं तो सीधा ही पानी की होदि मे कूद गया और नहाने लगा चाची वही पड़ी चारपाई पे बैठ गयी और मुझे देखने लगी मैं नहाते हुए बोला क्या देख रही हो तो वो कुछ नही बोली और उठ के होदि के पास आ गयी और अपना मूह धोने लगी तो मैने कहा कि अगर इच्छा है तो नहा ही लो तो वो बोली कपड़े नही है और उपर से तुम भी तो हो जो वैसे ही इतनी तान्क झाँक करते रहते हो तो ना चाहते हुए भी मेरे होंटो पे एक शरारती स्माइल आ गयी .
 

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