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UPDATE-33
उसने फॉरन ही गेट बंद कर दिया मैने पूछा घर वाले कहाँ गये तो वो मंद मंद मुस्कते बोली कि उसकी मा और भाई सहर गये हैं और और शाम तक ही वापिस आएँगे मेरे चेहरे पे कुटिल मुस्कान छा गयी
पर मुझे भूक लग रही थी तो मैने उस से रोटी के लिए कहा तो बोली अभी तो कुछ नही हैं रात की बासी रोटी ही हैं और थोड़ी चटनी हैं तुम चाहो तो वो ख़ालो या रुक जाओ मैं गरम बना दूं
तो मैने कहा कि जो है वो ही दे दो और रोटी खाने लगा उसने एक गिलास मे लस्सी भी डाल दी. उस दिन पता चला कि खाने का स्वाद क्या होता हैं थी तो बस चटनी रोटी पर आज तक उस स्वाद को तरसता हू
मुझे खाना खाते देख प्रीतम बहुत ही खुश हो रही थी खाना ख़तम हुवा उसने बर्तन समेट दिए और मुझे उनके चॉबारे मे ले आई और मेरी गोद मे आ के बैठ गयी
मैं उसकी पीठ सहला रहा था उसने अपने होंठ आगे को बढ़ाए तो मैने मना करते हुए कहा कि पहले मैं उस से कुछ बात करना चाहता हू तो बोली हाँ क्यों नही मैं तो बेताब हू कि कब तू मेरी तारीफ करेगा
तो मैने उसकी नशे से भरी आँखो मे देखते हुए पूछा कि तू मेरी कॉन है तो बोली तुझे क्या लगता है तो मैने कहा घुमा मत और बता कि तू मेरी क्या लगती हैं तो बोली कि मैं तेरी अधूरी प्यास हू जो जितना बुझती है उतना ही भड़कती जाती हैं
तो मैने कहा तेरे मेरा क्या रिश्ता है तो वो बोली नदी के दो किनारों का मैने फिर पूछा कि तेरे- मेरे रिश्ते का क्या अंजाम वो हँसते हुए बोली ना कोई आगाज़ ना कोई अंजाम
बोली इतना मत सोचो आख़िर एक ना एक दिन तो हमे बिछड़ना ही होगा तो फिर हम क्यों आस करे कुछ तो बात थी उस लड़की मे उसने मेरी तरफ बढ़ते हुए कहा कि जो चल रहा हैं उसी तरह चलने दो या सब बंद कर दो पर कोई आस कभी मत पालना
क्योंकि जब उम्मीद टूट ती है तो संभालना मुश्किल हो जाता हाँ और नीचे चली गयी कुछ देर बाद वो एक प्याला लेके आई जिसमे कुछ रसगुल्ले थे और मेरी और बढ़ाते हुए बोली कि लो खाओ तो मैं बोला तुम ही खिला दो क्या पता फिर तुम्हारे हाथ से कुछ खाने को मिले या ना मिले
तो वो मेरी गोद मे वापिस आके बैठ गयी और बड़े ही प्यार से मुझे खिलाने लगी उसकी उंगलिया चाशनी मे भीग गयी थी रसगुल्ले के साथ साथ मैं उसकी उंगलियो को भी चाटने लगा वो बस मुस्कुरा रही थी
दो-तीन पीस खाने के बाद मैने उसे खड़ा किया और उसके कपड़े उतारने लगा और खुद के भी उतार दिए अब हम दोनो एक दूसरे के जिस्मो अपनी आँखो से तोल रहे थे मैने एक रसगुल्ला उठाया और उसकी चाशनी प्रीतम के होंटोपे निचोड़ दी
तो वो बोली अरे ये क्या कर रहे हो तो मैने उसे खामोश रहने को कहा कि वो मुझे मेरी मर्ज़ी से उसे प्यार करने दे और उसके मीठे मीठे अधरो को चूमने लगा बहुत ही मनमोहक पल था वो चासनी हमारे मूह मे घुलने लगी थी
ना जाने कितनी देर हम ऐसे हुए एक-दूसरे को चूमते रहे उसकी सांसो को मैं अपने अंदर महसूस कर रहा था अब उसे लिटाया और उसकी 36 इंची चूचियों पे भी थोड़ा रस बिखेर दिया
और उसके निप्पल को चूसने लगा प्रीतम के निप्पल बहुत ही सेन्सिटिव थे और जैसे ही मैं उन्हे चूस्ता तो वो झट से गरम हो जाती थी धीरे धीर मैं उसके पूरे शरीर को चाटने चूमने लगा वो पड़ी पड़ी बस आहें भर रही थी
अब मैं उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत के बालो पे फेरने लगा उसने अपनी जांघे थोड़ा उपर की ऑर फैला ली कमरे मे बस हमारी गहरी साँसे ही गूँज रही थी जीभ अब उसके दाने पे घूमने लगी थी और उसके हाथ उसकी गोल गोल चुचियों को मसल रहे थे
मैने कुछ चाशनी चूत पे भी गिरा दी थी जिस से उसकी चूत का रस और मीठी चासनी मिक्स हो गये थे और खारा मीठा सा टेस्ट आ रहा था अब पूरी गहराई में जहाँ तक मैं जीब डाल सकता था प्रीतम की चूत मे डाल थी
और अंदर बाहर करने लगा वो तो सातवे आसमान मे पहुच गयी थी और उसकी टाँगे बुरी तरह से मेरे चेहरे पे कसी पड़ी थी उसकी चूत की गर्मी मेरे चेहर पे सॉफ पड़ रही थी तभी वो ज़ोर से चीख मारते हुए ढीली पड़ गयी मैं उसका सारा रस पी गया और वो हाँफने लगी
मैने फिर से उसके होटो पे एक लंबा चुंबन दिया और उसके चेरे पे अपना लंड रगड़ने लगा अब लंड उसके होंटो पे रगड़ खा रहा तो उसने अपना मूह खोला और सुपाडे को अपने मूह मे ले लिया और किसी कुलफी की तरह उसे चूसने लगी
चूस्ते चूस्ते उसने लंड को बाहर निकाल दिया तो मैने कहा क्या हुवा तो वो बोली सारा मज़ा क्या तू ही लेगा और बची हुवी चाशनी मेरे लंड और गोलियों पे गिरा दी मैं अब फरश पे खड़ा होके उसे लंड चूसा रहा था और वो नीचे बैठी हुवी थी मैने उसके सर को पकड़ लिया और हल्के हल्के धक्के से मारने लगा
तभी उसने अपनी चूत मे उंगली रगड़नी शुरू कर दी ये देख कर मुझे और भी जोश आ गया 5-7 मिनिट और चूसने के बाद मैने उसे घुटनो के बल झुकाया और चूत मे लंड को सरका दिया उसकी कमर को थामे मैं उसे चोद रहा था प्रीतम भी पूरा सहयोग कर रही थी
तभी मैं अपना एक हाथ उसकी कमर से हटाया और चूत पे रख दिया मेरी उंगली अब उसके दाने को टटोल ने लगी थी ऐसा करने से प्रीतम की उत्तेजना मे और भी इज़ाफा हो गया था वो बोली रे जालिम ये क्या कर दियाआआअ आआआआआआआआआआआआआअ आआआआआआआआ
आज तो मेरी जान ही निकाले गा क्या और बोली ऐसे चोद्ता रह मुझे जब तब मेरी जान ना निकले बस चोद्ता ही रह मुझे बस इसी तरह मेरी प्यास बुझाता रह रुक मत और हाँफने लगी मेरी भी साँस फूलने लगी थे पर मैं अभी झड़ना नही चाहता था
तो मैने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे लिटा ते हुए अपने होंठ एक बार फिर उसकी गरमा गरम चूत पे रख दिए प्रीतम तो जैसे बावली हो गयी थी उसने काँपति आवाज़ मे कहा आक्टिंग मत कर और चोद मुझे ये सुन के मुझे हँसी आ गयी और मैने उसकी टाँगो को अड्जस्ट किया और उसे चोदने लगा
उसने फॉरन ही गेट बंद कर दिया मैने पूछा घर वाले कहाँ गये तो वो मंद मंद मुस्कते बोली कि उसकी मा और भाई सहर गये हैं और और शाम तक ही वापिस आएँगे मेरे चेहरे पे कुटिल मुस्कान छा गयी
पर मुझे भूक लग रही थी तो मैने उस से रोटी के लिए कहा तो बोली अभी तो कुछ नही हैं रात की बासी रोटी ही हैं और थोड़ी चटनी हैं तुम चाहो तो वो ख़ालो या रुक जाओ मैं गरम बना दूं
तो मैने कहा कि जो है वो ही दे दो और रोटी खाने लगा उसने एक गिलास मे लस्सी भी डाल दी. उस दिन पता चला कि खाने का स्वाद क्या होता हैं थी तो बस चटनी रोटी पर आज तक उस स्वाद को तरसता हू
मुझे खाना खाते देख प्रीतम बहुत ही खुश हो रही थी खाना ख़तम हुवा उसने बर्तन समेट दिए और मुझे उनके चॉबारे मे ले आई और मेरी गोद मे आ के बैठ गयी
मैं उसकी पीठ सहला रहा था उसने अपने होंठ आगे को बढ़ाए तो मैने मना करते हुए कहा कि पहले मैं उस से कुछ बात करना चाहता हू तो बोली हाँ क्यों नही मैं तो बेताब हू कि कब तू मेरी तारीफ करेगा
तो मैने उसकी नशे से भरी आँखो मे देखते हुए पूछा कि तू मेरी कॉन है तो बोली तुझे क्या लगता है तो मैने कहा घुमा मत और बता कि तू मेरी क्या लगती हैं तो बोली कि मैं तेरी अधूरी प्यास हू जो जितना बुझती है उतना ही भड़कती जाती हैं
तो मैने कहा तेरे मेरा क्या रिश्ता है तो वो बोली नदी के दो किनारों का मैने फिर पूछा कि तेरे- मेरे रिश्ते का क्या अंजाम वो हँसते हुए बोली ना कोई आगाज़ ना कोई अंजाम
बोली इतना मत सोचो आख़िर एक ना एक दिन तो हमे बिछड़ना ही होगा तो फिर हम क्यों आस करे कुछ तो बात थी उस लड़की मे उसने मेरी तरफ बढ़ते हुए कहा कि जो चल रहा हैं उसी तरह चलने दो या सब बंद कर दो पर कोई आस कभी मत पालना
क्योंकि जब उम्मीद टूट ती है तो संभालना मुश्किल हो जाता हाँ और नीचे चली गयी कुछ देर बाद वो एक प्याला लेके आई जिसमे कुछ रसगुल्ले थे और मेरी और बढ़ाते हुए बोली कि लो खाओ तो मैं बोला तुम ही खिला दो क्या पता फिर तुम्हारे हाथ से कुछ खाने को मिले या ना मिले
तो वो मेरी गोद मे वापिस आके बैठ गयी और बड़े ही प्यार से मुझे खिलाने लगी उसकी उंगलिया चाशनी मे भीग गयी थी रसगुल्ले के साथ साथ मैं उसकी उंगलियो को भी चाटने लगा वो बस मुस्कुरा रही थी
दो-तीन पीस खाने के बाद मैने उसे खड़ा किया और उसके कपड़े उतारने लगा और खुद के भी उतार दिए अब हम दोनो एक दूसरे के जिस्मो अपनी आँखो से तोल रहे थे मैने एक रसगुल्ला उठाया और उसकी चाशनी प्रीतम के होंटोपे निचोड़ दी
तो वो बोली अरे ये क्या कर रहे हो तो मैने उसे खामोश रहने को कहा कि वो मुझे मेरी मर्ज़ी से उसे प्यार करने दे और उसके मीठे मीठे अधरो को चूमने लगा बहुत ही मनमोहक पल था वो चासनी हमारे मूह मे घुलने लगी थी
ना जाने कितनी देर हम ऐसे हुए एक-दूसरे को चूमते रहे उसकी सांसो को मैं अपने अंदर महसूस कर रहा था अब उसे लिटाया और उसकी 36 इंची चूचियों पे भी थोड़ा रस बिखेर दिया
और उसके निप्पल को चूसने लगा प्रीतम के निप्पल बहुत ही सेन्सिटिव थे और जैसे ही मैं उन्हे चूस्ता तो वो झट से गरम हो जाती थी धीरे धीर मैं उसके पूरे शरीर को चाटने चूमने लगा वो पड़ी पड़ी बस आहें भर रही थी
अब मैं उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा और अपनी जीभ उसकी चूत के बालो पे फेरने लगा उसने अपनी जांघे थोड़ा उपर की ऑर फैला ली कमरे मे बस हमारी गहरी साँसे ही गूँज रही थी जीभ अब उसके दाने पे घूमने लगी थी और उसके हाथ उसकी गोल गोल चुचियों को मसल रहे थे
मैने कुछ चाशनी चूत पे भी गिरा दी थी जिस से उसकी चूत का रस और मीठी चासनी मिक्स हो गये थे और खारा मीठा सा टेस्ट आ रहा था अब पूरी गहराई में जहाँ तक मैं जीब डाल सकता था प्रीतम की चूत मे डाल थी
और अंदर बाहर करने लगा वो तो सातवे आसमान मे पहुच गयी थी और उसकी टाँगे बुरी तरह से मेरे चेहरे पे कसी पड़ी थी उसकी चूत की गर्मी मेरे चेहर पे सॉफ पड़ रही थी तभी वो ज़ोर से चीख मारते हुए ढीली पड़ गयी मैं उसका सारा रस पी गया और वो हाँफने लगी
मैने फिर से उसके होटो पे एक लंबा चुंबन दिया और उसके चेरे पे अपना लंड रगड़ने लगा अब लंड उसके होंटो पे रगड़ खा रहा तो उसने अपना मूह खोला और सुपाडे को अपने मूह मे ले लिया और किसी कुलफी की तरह उसे चूसने लगी
चूस्ते चूस्ते उसने लंड को बाहर निकाल दिया तो मैने कहा क्या हुवा तो वो बोली सारा मज़ा क्या तू ही लेगा और बची हुवी चाशनी मेरे लंड और गोलियों पे गिरा दी मैं अब फरश पे खड़ा होके उसे लंड चूसा रहा था और वो नीचे बैठी हुवी थी मैने उसके सर को पकड़ लिया और हल्के हल्के धक्के से मारने लगा
तभी उसने अपनी चूत मे उंगली रगड़नी शुरू कर दी ये देख कर मुझे और भी जोश आ गया 5-7 मिनिट और चूसने के बाद मैने उसे घुटनो के बल झुकाया और चूत मे लंड को सरका दिया उसकी कमर को थामे मैं उसे चोद रहा था प्रीतम भी पूरा सहयोग कर रही थी
तभी मैं अपना एक हाथ उसकी कमर से हटाया और चूत पे रख दिया मेरी उंगली अब उसके दाने को टटोल ने लगी थी ऐसा करने से प्रीतम की उत्तेजना मे और भी इज़ाफा हो गया था वो बोली रे जालिम ये क्या कर दियाआआअ आआआआआआआआआआआआआअ आआआआआआआआ
आज तो मेरी जान ही निकाले गा क्या और बोली ऐसे चोद्ता रह मुझे जब तब मेरी जान ना निकले बस चोद्ता ही रह मुझे बस इसी तरह मेरी प्यास बुझाता रह रुक मत और हाँफने लगी मेरी भी साँस फूलने लगी थे पर मैं अभी झड़ना नही चाहता था
तो मैने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसे लिटा ते हुए अपने होंठ एक बार फिर उसकी गरमा गरम चूत पे रख दिए प्रीतम तो जैसे बावली हो गयी थी उसने काँपति आवाज़ मे कहा आक्टिंग मत कर और चोद मुझे ये सुन के मुझे हँसी आ गयी और मैने उसकी टाँगो को अड्जस्ट किया और उसे चोदने लगा