Introducing new character कांता
Aladin 😈😈😈ENDLESS 😈😈😈 1,246 1,785 143 Jul 27, 2022 #282 S2 Update 3 सोनू को किसी भी हाल में दो दिन के भीतर चुदाई करनी ही थी वरना वो हमेशा के लिए चुदाई करने लायक नही बचता । पिरियड के कारण आज वैभवी हास्पिटल नही जाती है । और अपने कमरे में आराम करती है । सोनू नीचे किचन मे जाता है और नाश्ता बनाने लगा तभी पारूल आकर पारूल --- अरे दामाद जी ये आप क्या कर रहे हो सोनू -- जी वो नाश्ता बनाने जा रहा हू ।शहर में मैं ही वैभवी और अपने लिए बनाता था । पारूल -- वहा बनाते होगे । लेकीन यहा तुम्हे बनाने कि जरूरत नही है । अभी काम वाली आती होगी वो बना देगी । तभी दरवाजे पे एक 36 साल की गदराई माल की दस्तक होती है । उसे देख कर पारूल --- अरे कांता तुम आ गई । सोनू पीछे मुड़कर देखने लगा । सोनू की नजर एक गदराए बदन के उपर मानो अटक सी गई । सोनू उसको देख कर जैसे मंत्र मुग्ध हो गया । सोनू मन में --- मै इसी से अपना उपवास तोड़ुगा । कांता --: ये साहब कौन है मालकिन । पारूल -- ये मेरे पति है । कांता और सोनू --- क्या ? पारूल --- मेरा मतलब मेरी बेटी के पति है । कांता --- ओह अच्छा यही है आपके दामाद जिनके बारे में आप बाते करते नही थकती थी कांता यहा हसते हुए पारूल -- चुप कर कुछ भी बोलती है । चल अब जल्दी से नाश्ता बना मुझे और वैभवी को अस्पताल जाना है आज दोनो मां बेटी एक ही अस्पताल में काम करेंगी । सोनू --- वो सासु मां आज वैभवी हास्पिटल नही जाएगी । पारूल -- पर क्यो ? आज तो उसका पहला दिन है । सोनू --- क्यो कि आज ही उसका पिरियड स्टार्ट हुआ है । इसलिए वो आराम कर रही है । इसलिए मै उसके लिए नाश्ता बनाने जा रहा था । पारूल -- ओह अच्छा ठीक है । तुम जाओ बेटा कांता नाश्ता बना कर तुम्हारे कमरे में जाकर दे देगी । सोनू -- ठीक है सासु मां । पारूल -- सोनू ! तुम मुझे आज शाम को लेने आ जाना अपनी बाईक से । सोनू -- पर क्यो सासु मां आपकी स्कुटी कहां गई ? पारूल -- मेरी स्कुटी से अभी तो मैं जाऊगी लेकीन आते समय मैं स्कुटी को बनाने के लिए शहर में गैरेज में छोड़ दुगी तुम मुझे पिकअप कर लेना गैरेज से । सोनू -- ठीक है सासु मां । सोनू कांता से सोनू --- तुम किसके घर कि हो ।मैने तो तुम्हे कभी नही देखा इस गांव में । पारूल -- अरे सोनू ये तुम्हारे ही गांव कि है ये यहा नही रहती थी । इसका पति शहर में गार्ड की नौकरी करता था लेकीन उसकी अचानक मौत हो गयी और ये अपने दो बच्चो को लेकर गांव वापस आ गई । इस अकेली बेसहारा विधवा को मैने अपने घर में नौकरी दे दी । सोनू -- अच्छा । सोनू की नजर कांता पर पड़ गई थी । कांता के बारे में कुछ बाते -- कांता को भोली भाली मत समइना शहर न जाने कितने लंड का भोग लगाया है इसके बुर और गांड ने । कांता शहर में भी नौकरानी का काम करती थी कांता के विषय में प्रस्तुत एक सायरी जिस पर इरशाद चाहुंगा । कि अर्ज किया है "" कांता ने जिस जिस के भी घर में काम किया है उस घर के मालिक ने ईनाम स्वरूप अपना लंड कांता के बुर और गांड में दिया है ।"" कांता को शहर जाकर और कुछ मिला न हो लेकीन उसके तन बदन को अपार सुख ( चरम सुख ) अवश्य मिला है । कांता को देख कर ही पता चल जाता है कि वो कितने लंड का सेवन कर चुकी होगी क्यो कि उसकी गांड का साईज ये चीख चीख कर बता रहा होता है । उसके चुचीयों की बात ही अलग है अरे भाई इतने बड़े और कड़क की क्या ही बताए शहर ने जिस ने भी कांता की ली है उसने उसकी चुचीयों को भी मसल कर संतरे से तरबूज बनाने में अपना रोल अदा किया है । उसके बच्चे गांव के ही सरकारी स्कुल में जाते है । कांता सुबह आकर नाश्ता और खाना बना कर चली जाती है और शाम को 6 बजे आकर खाना बना कर चली जाती है । अब सोनू -- वैभवी के पास कमरे में आ जाता है । सोनू बाथरूम में जाकर नहाने लगा । सोनू नहाकर बाथरूम से बाहर आ गया। तभी कांता कमरे में नाश्ता ले के आ गई सोनू बेड पे. वैभवी के बगल में बैठा था । वैभवी भी अब बाथरूम में जाकर नहाने लगी । कांता जब बेड पे नाश्ता रखने के लिए झुकी तो उसकी तरबूज जैसी चुचीयां उसके ब्लाउज से बाहर झाकने लगी जिसको देखकर सोनू के मुह में पानी आ गया । कांता ने सोनू के नजर का पीछा किया और सोनू की नजर को पकड़ लिया । कांता -- ये क्या साहब ये हमरे ब्लाउज में क्या खोज रहे हो । सोनू -- तरबूज खाने का बड़ा मन कर रह था । कितने के है । कांता -- एक एक तरबूज 100 रूपये का है लेकिन अगर केले में दम होगा तो फ्री में भी तरबूज खाने को मिल सकता है । क्यो मुझे केला बहुत पसंद है । सोनू --ओहो अच्छा तो ये बताओ तरबूज खाने के लिए कब और कहा आना होगा । कांता --: कल सुबह 10 बजे के बाद मेरे घर पे। सोनू --- ठीक है ।
S2 Update 3 सोनू को किसी भी हाल में दो दिन के भीतर चुदाई करनी ही थी वरना वो हमेशा के लिए चुदाई करने लायक नही बचता । पिरियड के कारण आज वैभवी हास्पिटल नही जाती है । और अपने कमरे में आराम करती है । सोनू नीचे किचन मे जाता है और नाश्ता बनाने लगा तभी पारूल आकर पारूल --- अरे दामाद जी ये आप क्या कर रहे हो सोनू -- जी वो नाश्ता बनाने जा रहा हू ।शहर में मैं ही वैभवी और अपने लिए बनाता था । पारूल -- वहा बनाते होगे । लेकीन यहा तुम्हे बनाने कि जरूरत नही है । अभी काम वाली आती होगी वो बना देगी । तभी दरवाजे पे एक 36 साल की गदराई माल की दस्तक होती है । उसे देख कर पारूल --- अरे कांता तुम आ गई । सोनू पीछे मुड़कर देखने लगा । सोनू की नजर एक गदराए बदन के उपर मानो अटक सी गई । सोनू उसको देख कर जैसे मंत्र मुग्ध हो गया । सोनू मन में --- मै इसी से अपना उपवास तोड़ुगा । कांता --: ये साहब कौन है मालकिन । पारूल -- ये मेरे पति है । कांता और सोनू --- क्या ? पारूल --- मेरा मतलब मेरी बेटी के पति है । कांता --- ओह अच्छा यही है आपके दामाद जिनके बारे में आप बाते करते नही थकती थी कांता यहा हसते हुए पारूल -- चुप कर कुछ भी बोलती है । चल अब जल्दी से नाश्ता बना मुझे और वैभवी को अस्पताल जाना है आज दोनो मां बेटी एक ही अस्पताल में काम करेंगी । सोनू --- वो सासु मां आज वैभवी हास्पिटल नही जाएगी । पारूल -- पर क्यो ? आज तो उसका पहला दिन है । सोनू --- क्यो कि आज ही उसका पिरियड स्टार्ट हुआ है । इसलिए वो आराम कर रही है । इसलिए मै उसके लिए नाश्ता बनाने जा रहा था । पारूल -- ओह अच्छा ठीक है । तुम जाओ बेटा कांता नाश्ता बना कर तुम्हारे कमरे में जाकर दे देगी । सोनू -- ठीक है सासु मां । पारूल -- सोनू ! तुम मुझे आज शाम को लेने आ जाना अपनी बाईक से । सोनू -- पर क्यो सासु मां आपकी स्कुटी कहां गई ? पारूल -- मेरी स्कुटी से अभी तो मैं जाऊगी लेकीन आते समय मैं स्कुटी को बनाने के लिए शहर में गैरेज में छोड़ दुगी तुम मुझे पिकअप कर लेना गैरेज से । सोनू -- ठीक है सासु मां । सोनू कांता से सोनू --- तुम किसके घर कि हो ।मैने तो तुम्हे कभी नही देखा इस गांव में । पारूल -- अरे सोनू ये तुम्हारे ही गांव कि है ये यहा नही रहती थी । इसका पति शहर में गार्ड की नौकरी करता था लेकीन उसकी अचानक मौत हो गयी और ये अपने दो बच्चो को लेकर गांव वापस आ गई । इस अकेली बेसहारा विधवा को मैने अपने घर में नौकरी दे दी । सोनू -- अच्छा । सोनू की नजर कांता पर पड़ गई थी । कांता के बारे में कुछ बाते -- कांता को भोली भाली मत समइना शहर न जाने कितने लंड का भोग लगाया है इसके बुर और गांड ने । कांता शहर में भी नौकरानी का काम करती थी कांता के विषय में प्रस्तुत एक सायरी जिस पर इरशाद चाहुंगा । कि अर्ज किया है "" कांता ने जिस जिस के भी घर में काम किया है उस घर के मालिक ने ईनाम स्वरूप अपना लंड कांता के बुर और गांड में दिया है ।"" कांता को शहर जाकर और कुछ मिला न हो लेकीन उसके तन बदन को अपार सुख ( चरम सुख ) अवश्य मिला है । कांता को देख कर ही पता चल जाता है कि वो कितने लंड का सेवन कर चुकी होगी क्यो कि उसकी गांड का साईज ये चीख चीख कर बता रहा होता है । उसके चुचीयों की बात ही अलग है अरे भाई इतने बड़े और कड़क की क्या ही बताए शहर ने जिस ने भी कांता की ली है उसने उसकी चुचीयों को भी मसल कर संतरे से तरबूज बनाने में अपना रोल अदा किया है । उसके बच्चे गांव के ही सरकारी स्कुल में जाते है । कांता सुबह आकर नाश्ता और खाना बना कर चली जाती है और शाम को 6 बजे आकर खाना बना कर चली जाती है । अब सोनू -- वैभवी के पास कमरे में आ जाता है । सोनू बाथरूम में जाकर नहाने लगा । सोनू नहाकर बाथरूम से बाहर आ गया। तभी कांता कमरे में नाश्ता ले के आ गई सोनू बेड पे. वैभवी के बगल में बैठा था । वैभवी भी अब बाथरूम में जाकर नहाने लगी । कांता जब बेड पे नाश्ता रखने के लिए झुकी तो उसकी तरबूज जैसी चुचीयां उसके ब्लाउज से बाहर झाकने लगी जिसको देखकर सोनू के मुह में पानी आ गया । कांता ने सोनू के नजर का पीछा किया और सोनू की नजर को पकड़ लिया । कांता -- ये क्या साहब ये हमरे ब्लाउज में क्या खोज रहे हो । सोनू -- तरबूज खाने का बड़ा मन कर रह था । कितने के है । कांता -- एक एक तरबूज 100 रूपये का है लेकिन अगर केले में दम होगा तो फ्री में भी तरबूज खाने को मिल सकता है । क्यो मुझे केला बहुत पसंद है । सोनू --ओहो अच्छा तो ये बताओ तरबूज खाने के लिए कब और कहा आना होगा । कांता --: कल सुबह 10 बजे के बाद मेरे घर पे। सोनू --- ठीक है ।