Romance काला इश्क़!(completed)

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update 33

सुबह बहुत देर से उठा करीब आठ बजे होंगे, जल्दी-जल्दी तैयार हुआ और ऑफिस पहुँचा| जाहिर है ऑफिस पहुँचने में थोड़ी देर हो गई पर आज बॉस ने मुझे कुछ नहीं कहा| बाकी दिन जब मैं लेट हो जाता तो बॉस कुछ न कुछ सुना देता था पर आज चुप था| जब मैं केबिन में गुड मॉर्निंग करने घुसा तब भी बस गुड मॉर्निंग का जवाब दिया पर कोई भी फाइल उठा कर मुझे नहीं दी| मैं भी वापस आ कर अपनी डेस्क पर बैठ गया और अपना सिस्टम चालु किया, सोचा की मैडम वाले प्रोजेक्ट पर ही थोड़ा काम कर लेता हूँ| तभी मेरी नजर शुक्ल जी पर पड़ी, और दिन तो उनके टेबल पर एक-आधी ही फाइल होती थी पर आज तो ढेर सारी थी! मैं समझ गया की मेरी फाइल्स भी सर ने उन्हें दे दी है तो अब बारी मेरी थी उनके मज़े लेने की! मैं उठा और उनके टेबल पर पहुँच गया;

मैं: अरे सिद्धार्थ भाई, आपने शुक्ल जी को ब्लैक कॉफ़ी नहीं मँगवा के दी? उनका हैंगओवर कैसे उतरेगा?

ये सुनते ही अरुण और सिद्धार्थ हँसने लगे अब शुक्ल जी को भी ढोंग करते हुए झूठी हँसी हसनी पड़ी|

मैं: क्या शुक्ल जी आप मेरे जैसे बच्चे से हार गए? वो भी देसी पीने में? बॉस से हारे होते तो मैं फिर भी मान लेता!

शुक्ल: अरे भाई....वो ....दरअसल ...खाली पेट थे ना?

मैं: खाली पेट? वो भी शादी में? काहे?

अरुण: अरे शुक्ल जी काहे झूठ बोल रहे हो? सबसे ज्यादा खाना तो आप ही दबाये हो! (ये सुनते ही हम सारे हँसने लगे|)

सिद्धार्थ: शुक्ल जी ने पूरे शगुन के पैसे वसूल किये हैं|

मैं: शुक्ल जी महराज धन्य हो आप! मुझे लुढ़काने के चक्कर में खुद लुढ़क गए!

शुक्ल: बिटवा थोड़ा ज्यादा उड़ रहे हो!

उन्होंने मुझे टोंट मारना चाहा पर उनके आगे बोलने से पहले ही मैं बरस पड़ा;

मैं: मैं कहाँ उड़ रहा हूँ जी! मुझे उड़ाने का प्लान तो आप लोग बनाये थे, पर आप जानते नहीं हो मुझे ठीक से! जितनी आपकी उम्र है उतने घाटों का पानी पी चूका हूँ| अगली बार खुंदस निकालनी हो तो थोड़ा ढंग का प्लान बनाना|

मेरी आवाज ऊँची हो चली थी जो बॉस ने भी सुनी पर वो सिर्फ मुझे देख कर ही चुप हो गए| ठीक उसी समय मैडम एंटर हुईं और उन्होंने शायद मेरी बात सुन ली थी इसलिए अपने दाहिने हाथ की छोटी ऊँगली से मेरे हाथ को चलते हुए पकड़ा और मुझे अपने साथ अपने केबिन की तरफ ले आईं और बोलीं; "मानु जी क्यों अपना मुँह गन्दा करते हो? ये छोटे लोग हैं और इनकी सोच भी छोटी है, किसी की तरक्की इनसे देखि नहीं जाती|" मैंने मैडम की बात का जवाब नहीं दिया बल्कि मुड़ के अपने डेस्क की तरफ जा रहा था की उन्हें लगा जैसे मैं उनसे नाराज हूँ| मैडम मेरे टेबल के नजदीक आईं और मुझसे पूछने लगीं; "मुझसे नाराज हो?"

"नहीं तो mam! आपसे भला किस बात की नाराजगी?! मुझे बदनाम करने का पालन आपने थोड़े ही बनाया था|" मैंने तपाक से जवाब दिया|

"वैसे मानु जी! हीरे पर धुल गिराने से उस की चमक कम नहीं होती!" मैं मैडम के बात का मतलब समझ गया इसलिए मैंने आगे उनसे इस बारे में कुछ नहीं कहा| मैडम वापस अपने केबिन में चलीं गईं और मैं प्रोजेक्ट के काम में लग गया| कुछ देर बाद मैडम आईं और बोलीं; "मानु जी आप मुझे हज़रतगंज छोड़ दोगे? वहाँ GST ऑफिस में मुझे कुछ काम है|"

"Mam आप मुझे बोल दीजिये मैं चला जाता हूँ|" मैंने कहा|

"नहीं मैं ही जाऊँगी, यहाँ रहूँगी तो इनकी (बॉस की) शक्ल देखनी पड़ेगी|" मैडम ने मुँह बनाते हुए कहा| पर मुझे दिक्कत ये थी की बॉस का क्या सोचेंगे पर तभी मैडम बोलीं; "क्या सोच रहे हो?"

अब मैं क्या बोलता, मैं था और मैडम को चलने के लिए कहा| मैडम अपने केबिन में कुछ फाइल्स लेने गईं और मैं नीचे उतर आया, पार्किंग से बाइक निकाल के बाहर आया और इतने में मैडम भी नीचे आ गईं| मैडम ने पिट्ठू बैग टाँगा हुआ था, वो आज बाइक पर दोनों तरफ टांगें कर के बैठ गईं और उनके दोनों हाथ मेरे सीने से आ चिपके| आज तो उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी थी और नंगे स्तन बस एक कुर्ते के पीछे से मेरी कमीज में गड़े हुए थे| उनके इस स्पर्श से मेरे जिस्म में करंट दौड़ गया, मेरे लिए ये बहुत अनकम्फर्टेबले हो रहा था पर हिम्मत नहीं हो रही थी की मैडम को बोल सकूँ| मैं जानबूझ कर आगे को झुका ये ड्रामा करने को की मैं बुलेट के इंजन को छू कर कुछ ढूँढ रहा हूँ| इससे मैडम की पकड़ थोड़ी ढीली हो गई और हम दोनों के बीच थोड़ा सा गैप आ गया| मैडम भी समझ गईं की मैं नाटक कर रहा हूँ इसलिए उन्होंने खुद से "सॉरी!!!" बोला| मैं उन्हें ज्यादा ऑक्वर्ड फील नहीं करवाना चाहता था इसलिए मैंने बाइक स्टार्ट की और हम हज़रतगंज के लिए निकले| पूरे रास्ते मैडम ने मुझसे कोई बात नहीं की, आधे घंटे का रास्ता चुप-चाप निकला| GST ऑफिस पहुँच कर मैडम ने कहा की मैं ऑफिस वापस चला जाऊँ| पर वो आज बहुत उदास महसूस कर रहीं थीं, अब उनका दोस्त था तो उन्हें ऐसे अकेला छोड़ना सही नहीं लगा| "Mam आपकी टुंडे कबाब की ट्रीट बाकी है! आज खाएं?" मेरी बात सुनते ही मैडम की चेहरे पर ख़ुशी लौट आई| उन्होंने बताया की उन्हें कम से कम आधे घंटे का काम है और तब तक मैंने भी सोचा की अपना एक काम निपटा लूँ, इसलिए मैंने उनसे इज्जाजत मांगी और निकल आया| जेब से उन अंकल जी का कार्ड निकाला जिन्होंने कल मुझे वो रिंग दी थी| एड्रेस आस-पास का ही था तो मैं उनकी दूकान जा पहुँचा, दूकान क्या वो तो शोरूम था! अब मुझे लगा की बीटा जितनी सेविंग थी सब गई! एंकल जी कॅश काउंटर पर खड़े थे और मुझे देखते ही मेरे पास आये और मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे काउच पर बिठा दिया और आ के मेरे बगल में ही बैठ गए| मेरे बारे में पूछा की मैं कहाँ का रहने वाला हूँ, यहाँ कब से हूँ, क्या जॉब करता हूँ वगैरह-वगैरह| मैंने भी उन्हें सब बता दिया और फिर बात आई रिंग की कीमत की! "बेटा मैं अब भी कह रहा हूँ की तुम्हें पैसे देने की कोई जर्रूरत नहीं!" अंकल जी ने बड़े प्यार से कहा|

"अंकल जी मैं बड़ा गैरतमंद इंसान हूँ! आपसे इस तरह से इतनी महंगी चीज लेना ठीक नहीं! फिर मैं नहीं चाहता की आपको मेरी वजह से नुक्सान हो!" मैंने भी बड़े प्यार से उन्हें अपनी मजबूरी समझाई|

"ठीक है बेटा! वो रिंग ज्यादा महंगी नहीं थी, वाइट सिल्वर की थी, वो दरसल किसी और क्लाइंट के लिए बनाई थी पर उस रात को तुम-दोनों को देख कर मुझे मेरी जवानी के दिन याद आ गए| अब तुमसे पैसे लेने को दिल नहीं करता पर तुम बहुत गैरतमंद हो इसलिए तुम मुझे बस लगत दे दो: 7,000/-, चाहो तो बाद में दे देना इतनी भी कोई जल्दी नहीं है|"

"अंकल जी मैं कार्ड लाया था तो ....आपके पास मशीन हो तो?!" मैंने थोड़ा डरते हुए पूछा की खाएं वो कुछ गलत न समझें पर वो निहायती शरीफ थे उन्होंने तुरंत मशीन मंगवाई और पेमेंट होने के बाद मुझे बिल भी देने लगे तो मैंने मन कर दिया| उनसे बिल ले कर मैं उनकी बेज्जत्ती नहीं करना चाहता था| "तो बेटा शादी कब कर रहे हो?" अंकल ने पूछा|

"जल्द ही अंकल जी!" इतना कह कर मैंने उनसे विदा ली और वापस GST ऑफिस के बाहर पहुँचा| मैडम को बिठा कर सीधा अमीनाबाद पहुँचा और हमने टुंडे कबाब खाये| पर मैडम को अभी भी भूख लगी थी और वो कहने लगीं की किसी रेस्टुरेंट चलते हैं जहाँ बैठ कर खाना खा सकें| हम दोनों एक रेस्टुरेंट में आये और बैठ गए, मैडम का मुँह अब पहले की तरह खिला-खिला था इसलिए खाना भी उन्हीं ने आर्डर किया|
 
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update 34

खाने में मैडम ने बस एक थाली ही आर्डर की थी, दरअसल उन्हें मुझसे कुछ बात करनी थी जो खड़े-खड़े कबाब खाते हुए मुमकिन नहीं थी| आर्डर आने से पहले ही मदमा ने अपनी बात शुरू की;

अनु मैडम: मैं अपनी इस शादी में पिछले २ साल से घुट रहीं हूँ! कॉलेज खत्म होने के बाद मेरा मन शादी करने का कतई नहीं था, बल्कि मैं तो घूमना-फिरना चाहती थी पर मेरे परिवार वालों की सोच बड़ी रूढ़िवादी थी, मेरा घूमना-फिरना उन्हें कतई पसंद नहीं था इसलिए मेरी शादी जबरदस्ती कर दी गई| कुमार (मेरे बॉस का मिडिल नाम) बहुत बोर और लालची इंसान है, उसके दिमाग में हर वक़्त पैसे ही पैसा घूमता है| दहेज़ के लालच में शादी की और इतने सालों में हम ने कभी प्यार के हसीन पल साथ नहीं बिताये! अपना अकेलापन दूर करने को मैंने पीना शुरू कर दिया और खुद उसी मायूसी में घुटती रही| ये घुटन दिन पर दिन बढ़ने लगी थी और मैं सोचने लगी थी की सुसाइड कर लूँ, पर फिर वो मुंबई वाला ट्रिप हुआ और मुझे तुम्हारे रूप में एक अच्छा दोस्त मिल गया|

इतने में वेटर एक थाली ले कर आ गया|

मैं: Mam आपने सर से इस बारे में बात की? I mean if you tell him, he might change himself …… (मैडम मेरी बात काटते हुए बोलीं)

अनु मैडम: I did but he’s too damn adamant to accept his behavior and instead blames me for it and expects me to change! This relationship is beyond repairable …and I’m gonna end it soon! I can’t live with this asshole anymore!

अब ये सुन कर मुझे बुरा लगने लगा और मैं कुर्सी पर पीठ टिका कर बैठ गया, मैडम ने पूरी का एक कौर खाया और मेरी तरफ देखते हुए बोलीं;

अनु मैडम: Don’t blame yourself for it, you’re not responsible for any of this! I told you all this cause I wanted to ask you a question?

अब ये सुन कर मेरी फटी पड़ी थी, मुझे लग रहा था की मैडम मुझे कहीं I Love You न बोल दें!

अनु मैडम: Do you support me in this decision …... as a friend?

मैं: I do mam! ….. As a friend I do!

अनु मैडम: Thank you! In case I need to crash a day or two, I’ll let you know!

ये कहते हुए मैडम हँसने लगीं और मैं भी झूठी हँसी हँसने लगा| मन ख़राब था पर मैं अपने चेहरे पर नकली हँसी बनाये हुए था, मैं नहीं चाहता था की मैडम का घर टूटे! हम अभी बाइके पर बैठ ही थे की किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मैंने पलट के देखा तो ये मोहिनी थी!

"कहाँ घूम रहे हो?" उसने हँस कर पूछा| पर मेरे कुछ बोलने से पहले ही वो बोल पड़ी; "अच्छा जी! गर्लफ्रेंड घुमा रहे हो!!!!" उसकी बात सुन कर मैडम हँस पड़ीं और मैंने उसे प्यार भरे गुस्से से डांटते हुए कहा; "पागल! Office Mam हैं मेरी!"

"ओह..सॉरी...सॉरी..सॉरी..!!!" मोहिनी ने कान पकड़ते हुए कहा| "Its ok dear !!!" मैडम ने भी हँसते हुए कहा|

"तो यहाँ क्या कबाब खाने आये थे आप लोग?" मोहिनी ने पूछा|

"हाँ जी! GST ऑफिस से काम निपटा कर सोचा की चलो कबाब ही खा लें|" मैडम ने जवाब दिया|

"आप यहाँ क्या कर रही हो? बॉयफ्रेंड का इन्तेजार??" मैंने मोहिनी को छेड़ते हुए कहा|

"अरे कहाँ बॉयफ्रेंड! सारे अच्छे लड़के तो आपकी तरह ब्रह्मचारी हो गए हैं!" मोहिनी ने पलट कर मुझे ही छेड़ दिया|

"किसने कहा मैं ब्रह्मचारी हूँ? इतने साल टूशन पढ़ने के टाइम तो कभी मुझे कुछ कहा नहीं? बल्कि तब तो मेरे मजे लेती थी?!" मैंने कहा और मेरी बात सुन कर मैडम हैरानी से मुझे देखने लगी|

"अरे तब माँ होती थी ना! पर अब आपके पास टाइम ही नहीं है!" मोहिनी ने कहा|

हमारी इस हँसी-ठिठोली के मजे मैडम ने बहुत लिए और वो जी भर के हँस रही थी| फिर मुझे याद आया की कहीं मोहिनीं ऋतू के बारे में कहीं न बक दे, इसलिए मैंने उससे विदा ली|

मैडम और मैं बस हलकी-फुलकी बातें करते हुए ऑफिस पहुँचे, मैंने अपना बैग उठा कर सर को; "मैं जा रहा हूँ|" बोल कर निकल गया| सीधा अपनी जानेमन से मिलने उसके कॉलेज वाली लाल बत्ती पर उसका इन्तेजार करने लगा| ऋतू हमेशा की तरह मुस्कुराती हुई आई और पीछे बैठ गई| हम एक कैफ़े में पहुँचे और फिर मैंने उसे आज की सारी घटना बता दी| मेरी बात सुन कर उसे जरा भी हैरानी नहीं हुई और वो भी पूरे जोश में मैडम का सपोर्ट करते हुए बोली; "Mam ने जो भी कहा वो सही कहा! खुश रहें का हक़ सब को है, अब अगर बॉस उन्हें खुश नहीं रख पाते तो वो अपना जीवन क्यों बर्बाद करें? और इस सब में आपकी बिलकुल भी गलती नहीं है, आप नहीं होते तो मैडम सुसाइड कर लेतीं! भगवान् ने आपको उनकी जिंदगी में भेजा ही इसलिए था की आप उन्हें एक अच्छे दोस्त की तरह संभाल सकें!" मैं आगे कुछ बोल न सका, ऋतू का भरोसा खुल कर मेरे सामने आ रहा था| "अच्छा एक जरूरी बात! परसों काम्या का जन्मदिन है और उसने हम दोनों को रात की पार्टी में इन्वाइट किया है| इसलिए आपको अच्छे से तैयार हो कर आना है|" ऋतू ने जोश में आते हुए कहा|

"आजकल पार्टी कुछ ज्यादा नहीं हो रही? मेरी बर्थडे पार्टी, फिर राखी की शादी और अब ये काम्या का बर्थडे?! थोड़ा पढ़ाई में भी ध्यान दो! वैसे आंटी जी को क्या बोलोगी?" मैंने ऋतू को थोड़ा डाँटते हुए कहा|

"उन्हें मैंने पहले ही बता दिया है की घर पर पूजा है इसलिए आप और मैं 3 दिन के लिए जा रहे हैं|" ऋतू ने बड़ी सरलता से कहा|

"पागल हो क्या? तीन दिन? कहाँ है ये पार्टी?" मैंने हैरानी से पूछा|

"जयपुर!!!" ऋतू ने उत्साह से भरते हुए कहा| मैं अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से ऋतू को घूरने लगा की ये लड़की पागल तो नहीं हो गई|

"ऋतू तुझे हो गया है? तेरे कुछ ज्यादा पर निकल आये हैं? कहाँ तो गाँव में चुप-चाप रहने वाली लड़की आज शहर की फूलझड़ी बन गई है!" मैंने ऋतू को थोड़ा डाँटते हुए कहा| ये सुन कर ऋतू का सारा उत्साह फुर्र हो गया और उसकी गर्दन झुक गई|

"गाँव में मैं 'जी' कहाँ रही थी? वहाँ जो भी खुशियां मिली वो सिर्फ आपने दी, वो खुशियाँ बस तरीकों के साथ आती थी| एक लिमिटेड टाइम के लिए, कुछ भी करने से पहले दस बार सोचना की कहीं घर वाले नाराज न हो जाएँ और मेरी शादी न कर दें! पर यहाँ आ कर मुझे पता चला की लाइफ को जिया कैसे जाता है! आप अगर मुझे यहाँ ना लाते तो मैं वही गाँव की गंवार बन के रह जाती| मानती हूँ की कई बार मैं अपनी सारी हदें पार कर देती हूँ, शायद इसलिए की ये खुशियाँ मेरे लिए due थीं और बड़ी लेट मिलीं|" ऋतू ने सर झुकाये हुए ही दबी आवाज में कहा| मैं ऋतू का दर्द समझ सकता था पर ये जो Wild हरकतें वो कर रही थी वो हमारे प्लान पर पानी फेर देतीं| "ऋतू देख मैं समझ सकता हूँ पर तू जिस स्पीड पर भाग रही है वो हमारे आने वाले जीवन के लिए खतरनाक है! अगर घर में बात जारा सी भी लीक हो गई तो बवाल खड़ा हो जायेगा|" मैंने ऋतू को समझाया| ऋतू ने बस सर झुकाये हुए ही हाँ में गर्दन हिलाई और मैं उठ कर उसके बगल में बैठ गया और उसे अपने सीने से लगा लिया| 5 बजने वाले थे तो मैं उसे ले कर निकल पड़ा और उसे हॉस्टल छोड़ा और फिर अपने घर आ गया|

रात के करीब दस बजे होंगे और मैं अंडे की भुर्जी बना रहा था की मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई| मैंने दरवाजा खोला तो सामने काम्या खड़ी थी, मुझे देखते ही वो "Hi!!!" बोली| मैं उसे यहाँ देख कर भौंचक्कारह गया और हकलाते हुए "H ...H ...Hi!!!" निकला| “Can I come in?” काम्या ने पूछा तो मैंने दरवाजे पर से हाथ हटाया और उसे अंदर आने दिया और खुद दरवाजे पर ही खड़ा रहा| वो अंदर आ कर मेरे घर को देखने लगी और तब उसका ध्यान अंडा भुर्जी पर गया और उसने फटाफट किचन सिंक में हाथ धोये और खुद ही एक प्लेट में अपने लिए भुर्जी निकाल ली और ब्रेड का पैकेट खोलने वाली थी तो मैंने उसे बताया की टिफ़िन में परांठा है| उसने फ़ौरन वो निकाला और बिना कुछ आगे बोले खाने लगी| मैं चौखट से अपनी पीठ टिका कर खड़ा हो गया और उसे खाते हुए देखने लगा| आधा परांठा खाने के बाद उसे याद आया की वो किस काम के लिए आई थी; "मानु जी! प्लीज चलो ना मेरे बर्थडे पार्टी पर जयपुर? आप नहीं जाओगे तो रितिका भी नहीं जायेगी!"

"सॉरी जी! पर ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलेगी|" मैंने कहा पर वो आज पूरा मन बना कर आई थी|

काम्या: ओह come on! ये बस एक couple get together है! आप दोनों के बिना हमें कैसे मजा आएगा?

मैं: No offence, but I don’t even know you! I mean except that you’re her friend?

काम्या: That’s the best part, you and me… I mean… we can get to know each other!

मुझे काम्या की बात बहुत अजीब लगी!

मैं: I’m sorry, बॉस छुट्टी नहीं देगा|

काम्या: अरे ऐसे कैसे? इतनी मेहनती आदमी को छुट्टी नहीं मिलेगी तो कैसे चलेगा? मैं बात करती हूँ आपके बॉस से!" काम्या ने भुर्जी खाते हुए कहा|

मैं: Oh please! Don’t be a kid!

काम्या: ओह! समझी.... आप जानबूझ कर जाना नहीं चाहते! ठीक है मैं यहाँ से तब तक नहीं हिलूँगी जब तक आप हाँ नहीं कहते|

मैं: As you wish!

मैंने सोचा की ये कर भी क्या लेगी, कुछ देर बाद तो इसे जाना ही होगा वरना अपने घर में क्या बोलेगी? मैंने इधर ऋतू को फ़ोन मिलाया पर उसने उठाया नहीं, शायद वो सो चुकी थी| आधे घंटे तक मैं चौखट से अपनी पीठ टिकाये खड़ा रहा और काम्या मेरे पलंग पर आलथी-पालथी मारे बैठी रही|

काम्या: मानु जी! मुझे घर भी जाना है! प्लीज मान जाओ, मेरे लिए न सही पर ऋतू के लिए| उस बेचारी ने कभी जयपुर नहीं देखा वो थोड़ा घूम लेगी तो आपका क्या जायेगा? मैं उसे साथ ले जाती पर वो सिर्फ आपके साथ जाना जाती है|

अब मैं सोच में पड़ गया की ये खतरा कैसे उठाऊँ? घर पर ये बात खुलती तो काण्ड होना तय था! तभी ऋतू का फ़ोन आया और उसने मुझे फ़ोन स्पीकर पर करने को कहा; " काम्या? तेरी हिम्मत कैसे हुई उनको तंग करने की? मैंने तुझे बोला था न की हम नहीं जा रहे तू चली जा? फिर तू इतनी रात गए वहाँ क्या कर रही है?" ऋतू काम्या पर बरस पड़ी|

"ऋतू बस! .... शांत हो जा! हम दोनों जा रहे हैं|" मेरी बात सुन कर काम्या खुश हो गई तो ऋतू खामोश हो गई| मैंने फ़ोन स्पीकर मोड से हटाया और अपने कान से लगाया| "अपनी जानेमन की ख़ुशी के लिए कुछ भी!" ऋतू को अब भी यक़ीन नहीं हो रहा था; "उस इडियट ने तो आपको तंग नहीं किया ना? मैंने उसे आपके पास जाने को नहीं बोला, मुझे तो पता भी नहीं था की वो आपके घर पर आई हुई है| अभी उसका मैसेज पढ़ा की वो आपके घर पर आपको मानाने आई है और आप मान नहीं रहे| इसलिए मैंने अभी कॉल किया!"

"जान! मैं किसी दबाव में नहीं कह रहा, बस इस पागल लड़की की बात से एहसास हुआ की मैं तुम्हारे साथ कितनी ज्यादती कर रहा था|" मैंने कहा और मेरे काम्या को पागल लड़की कहने पर वो हँस दी!

"पर घर का क्या?" ऋतू ने चिंता जताई|

"क्यों तुमने तो पहले ही बहाना ढूँढ रखा है?!" मैंने थोड़ा प्यार भरा टोंट मारा| "थैंक यू जानू! I love you!!!" ऋतू की ख़ुशी लौट आई और मुझे नहीं लगता की वो उस रात सोइ भी होगी! इधर रात के पोन ग्यारह हो रहे थे और अभी इस पागल लड़की को घर भी जाना था| "चलो आपको घर छोड़ दूँ|" मैंने ऋतू का फ़ोन काटते ही काम्या से कहा| “Thank you… Thank you… Thank you… Thank you… Thank you” कहते हुए वो मेरे नजदीक आ गई और मेरे गले लग गई पर मैंने उसे छुआ भी नहीं| "अच्छा बस मैडम! चलिए!" इतना कह कर मैंने खुद को उससे छुड़वाया और उसे घर छोड़ने निकला| मेरे घर से उसका घर करीब 20 मिनट दूर था, अब रात में कहीं कुत्ते पीछे न पड़ जाएँ इसलिए मैंने बाइके निकाली और उसे उसके घर के सामने छोड़ा| वो मुझे बाय बोल कर उछलती-कूदती हुई चली गई| मैं भी घर लौट आया और ब्रेड और ठंडी भुर्जी खा कर सो गया|
 
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अगले दिन मैं उठ कर, नाहा धो कर ऑफिस पहुँचा और बॉस के सामने अपनी छुट्टी की अर्जी रख दी| "सर मुझे 4 दिन की छुट्टी चाहिए, घर पर पूजा-पाठ है! मैं मंडे ज्वाइन कर लूँगा|" सर ने मुझे देखे बिना ही ठीक है कह दिया, मैं भी वापस बाहर आ कर डेस्क पर पहले से ही रखी फाइल्स निपटाने लगा| लंच टाइम मैं उठ कर बाहर जा रहा था की अनु मैडम आ गईं और मुझसे बोलीं; "मानु जी! आपके सर ने बताया की आप कल गाँव जा रहे हो? कोई इमरजेंसी तो नहीं?"

"नहीं mam, वो घर में पूजा है इसलिए जा रहा हूँ| And sorry इस संडे प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर पाउँगा, मैं संडे शाम तक लौटूँगा| आज मैं PPTs फाइनल कर दूँगा और वो आपने उन्हें पिछले पाँच साल के फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स मँगवा लिए?" पर मैडम का तो जैसे मेरी बातों पर ध्यान ही नहीं था, उनकी आँखें मुझ पर टिकी थीं पर ध्यान कहीं और था! मैं ने हवा में मैडम के चेहरे के सामने हाथ हिला कर मैडम की तन्द्रा भंग करते हुए पूछा; "क्या हुआ mam?" उन्होंने बस कुछ नहीं कहा और वो अपने केबिन की तरफ चली गईं मैं भी कुछ सोचते हुए नीचे आ गया और चाय पी रहा था| मैंने जेब से फ़ोन निकाला और घर फ़ोन किया ये जानने के लिए की वहाँ सब कुछ कैसा है? कहीं पता चले की वहाँ से कोई शहर आ टपके और काण्ड हो जाए! पिताजी ने फ़ोन उठाया तो वो मुझ पर ही बरस पड़े; "तुम दोनों के पास इतना भी समय नहीं की घर आ जाओ? पढ़ाई और काम-धंधे में इतने व्यस्त हो की घर की कोई चिंता ही नहीं? पहले तो हफ्ते में दो दिन के लिए तुम्हारी शक्ल दिख जाती थी अब तो महीने होंको आये तुम्हें देखे हुए? तुम लोगों की सूरत तो छोडो आवाज सुनने को कान तरस गए और तुम लोग हो की बस अपनी मस्ती में मस्त हो! इसीलिए तुम दोनों को शहर भेजा था?" पिताजी की बात जायज थी पर यहाँ ऋतू और मेरे काम के कारन हम गाँव नहीं जा आ रहे थे|

"पिताजी आपसे हाथ जोड़ कर माफ़ी माँगता हूँ! मैं या ऋतू आप सब की दी हुई आजादी का गलत फायदा नहीं उठा रहे, दरअसल मेरे ऑफिस में आज कल एक नया प्रोजेक्ट चल रहा है और इसलिए मैं सैटरडे-संडे ओवरटाइम कर रहा हूँ| कुछ महीनों में वो खत्म हो जायेगा तो मैं फिर से सैटरडे-संडे आ जाऊँगा| बल्कि मैं इस संडे ऑफिस के कुछ काम से आ रहा हूँ और ऋतू को घर छोड़ जाऊँगा, उसके कॉलेज की छुट्टियाँ हैं| मैं ताऊ जी से भी माफ़ी मांग लूँगा, पर अफ्ले आप तो माफ़ कर दीजिये|" मेरी सेंटीमेंटल बातें सुन कर पिताजी को तसल्ली हुई और उनका गुस्सा शांत हो गया| अभी मैंने कॉल रखा ही था की ऋतू का फ़ोन आ गया|

"जानू! मुझे बहुत डर लग रहा है! अगर हमारे पीछे से घर से कोई यहाँ आ गया तो?" ऋतू ने डरते हुए कहा|

"ये सब पहले नहीं सोचा था?" मैंने ऋतू को ताना मरते हुए कहा| "मैं तो साफ़ कह दूँगा की ये लड़की (ऋतू) मुझे बरगला कर ले गई थी!" मेरी बात सुनते ही ऋतू के मुंह से "Hwwwwwwwwwwww!!! " निकला और में जोर से हँस दिया| मिनट भर तक पेट पकड़ के हँसने के बाद मैं बोला; "तू चिंता मत कर, मैंने अभी घर कॉल किया था और घरवाले अभूत गुस्सा हो रहे थे| बड़ी मुश्किल से मैंने पिताजी को समझाया है और वादा किया है की इस संडे तुझे घर छोड़ दूँगा कुछ दिनों के लिए, क्योंकि तेरे कॉलेज की छुट्टी है|" ये सुनते ही ऋतू बोली; "ये अच्छा है! मुझे ही फंसा दो आप?! मैं वहाँ अकेली इतने दिन आपके बिना क्या करुँगी?!"

"जयपुर का प्लान किसने बनाया था?" मैंने पूछा और ऋतू समझ गई की ये उसकी गलती की सज़ा है| "अगली बार अगर इस तरह का पन्गा खड़ा किया न तो देख ले फिर?!" मैंने ऋतू को सचेत करते हुए कहा|

"I promise अगलीबार कुछ भी करने से पहले आप से पूछूँगी| वैसे आज कितने बजे मिल रहे हैं?"

"आज मुश्किल है, प्रोजेक्ट की PPTs पूरी करनी है वरना मैडम अकेले कैसे करेंगी और हाँ.... याद से मैडम को कल फ़ोन कर के बता देना की तुम इस संडे नहीं आने वाली और प्लीज ये मत कहना की घर पर पूजा है! वो बहाना मैंने मारा है|" मेरी बात खत्म हुई और ऋतू वापस कॉलेज लेक्चर अटेंड करने चली गई| मैं भी चाय पी कर वापस आ गया और डेस्कटॉप पर काम करने लगा| उस दिन मैडम से मेरी बात सिर्फ मेल पर ही हो रही थी क्योंकि मैडम लंच के बाद निकल गईं थी| अगले दिन सुबह जब मैं ऑफिस पहुँचा तो बॉस और मैडम को लगा की मेरा जाना कैंसिल हो गया; "जी शाम की बस है और वो PPT वाला काम फाइनल करना था इसलिए आ गया|" इतना कह कर मैं कल वाली PPTs में मैडम के बातये हुए करेक्शन कर रहा था| लंच के बाद मैं सर को बोल कर निकल गया, मैडम पहले ही जा चुकी थीं| मैं घर पहुँच कर तैयार हो कर एक बैग में अपने कुछ कपडे ले कर निकला और ऋतू के हॉस्टल पहुँचा| आंटी जी चूँकि वहीँ थीं तो उन्होंने जबरदस्ती रोक लिया और चाय पिलाई और पूछने लगी; "क्या घर में सत्य नारायण की पूजा है?" अब मैं बड़ा ही धार्मिक आदमी हूँ इसलिए मैं जान बुझ कर चुप रहा और ऋतू की तरफ देखते हुए मैंने चाय का कप अपने होठों से लगा लिया; "जी आंटी जी!" ऋतू बोली| चाय पी कर हम निकले और एक ऑटो में बैठ गए| "भगवान् के नाम से झूठ बोला है तूने, इस पाप की भागीदार तू ही है|" मैंने ऋतू को छेड़ते हुए कहा| "कोई नहीं जी! आपके प्यार के लिए ये पाप भी सर आँखों पर|" ऋतू ने जवाब दिया|

हम दोनों ही बस स्टॉप पहुँच गए पर काम्या और उसका बंदा अभी तक नहीं आये थे| बस आने में अभी करीब आधा घंटा था और मैं और ऋतू आराम से बैठे बातें कर रहे थे| इतने में मैडम का फ़ोन आया और मैं उनका कॉल लेने के लिए बाहर आ गया और हमारी बातें कुछ मेल वगैरह की हो रही थीं| तभी काम्या और उसका बंदा आ गए और सीधा ऋतू के पास बैठ गए| मेरी नजर अभी उन पर नहीं पड़ी थी, इतने में मेरी तरफ एक लड़का चलता हुआ आया| आँखों पर काला चस्म, लेदर जैकेट और मुँह में च्युइंग गम खाते हुए वो मेरे पास रूक गया| मैंने मैडम से एक मिनट होल्ड करने को कहा, उनका कॉल होल्ड पर डालते हुए उसकी तरफ देखते हुए सवालियां नजरों से देखने लगा और तभी वो खुद बोल पड़ा; "Hi! I'm Rohit!" उसने हाथ मिलाने को आगे बढ़ाया पर मैं अब भी सोच में था की ये कौन है? मेरी उलझन समझ कर वो खुद बोला; "I'm Kamya's boyfriend!" ये सुन कर मैं उसे ऊपर से नीचे फिर से देखने लगा और उसे कहा; "Just a sec! Mam I’ll call you back.” और मैंने मैडम का कॉल काटा और उस अजीब से चूतिये को देख कर मेरी हँसी बाहर आने को बेचैन हो गई| ठण्ड अभी शुरू नहीं हुई थी ये चुटिया लेदर जैकेट पहन के आया था| "You must be Manu?! Ritika’s boyfriend.” उसने बड़े अमेरिकन एक्सेंट के साथ कहा और मेरी हँसी मेरे चेहरे पर झलकने लगी पर मैंने वो फिर भी जैसे-तैसे दबाई और हाँ में सर हिलाया| इतने में काम्या आगई और उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ी हो गई और बड़ी अकड़ से मेरी तरफ देखने लगी; "How did you like him?” मैं जानता था की मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला तो मेरे मुँह से हँसी निकल जायेगी इसलिए मैंने बस थम्ब्स अप का निशाँ दिखाया और जाने लगा| तभी रोहित मुझे रोकते हुए बोला; "I’m going to get some mineral water, would you like some?” मैंने बस ना में सर हिलाया और ऋतू के पास आ कर बैठ गया| ऋतू ने मेरी तरफ देखा और पूछा; "कैसा लगा रोहित?"

"नजाने क्या मजबूरी रही होगी काम्या की!" मेरे मुँह से बस इतना निकला की ऋतू और मैं दहाड़े मार के हँसने लगे| वहाँ बैठे सारे लोग हमें देख रहे थे और तभी काम्या भी आ गई| उसे देख हमें और भी हँसी आ रही थी और वो बेचारी अनजान हमसे हँसी का कारन पूछ रही थी| ऋतू ने बात घुमा दी और ये बोल दिया की ऑफिस की बात थी! थोड़ी देर में रोहित पानी की बोतल ले आया और हमारे सामने बैठ गया| तभी उसकी नजर ऋतू की रिंग पर गई और उसने पूछ ही लिया, अपनी अमेरिकन एक्सेंट में; "That's a nice ring, who gave you?" ऋतू के जवाब देने से पहले ही काम्या ने उसकी पीठ पर थपकी दी और बोली; "Duffer मानु जी ने दी और किस की हिम्मत है जो रितिका को रिंग देगा?" इतना कहते हुए काम्या ने कॉलेज के पहले दिन वाला काण्ड दोहरा दिया जिसे सुन कर रोहित चुप हो गया| बेचारा complex फील करने लगा तो मैंने सोचा की कोई और टॉपिक छेड़ा जाए; "So guys what’s the plan? Where are we staying and what are we doing?”

“Chill bro! I got it!” रोहित ने कूल बनते हुए कहा|

“Oh really? But can you share it with us?” मैंने कहा तो रोहित बड़े ऐटिटूड में बोला; "Once we reach Jaipur we’re gonna check into a hotel, rest and head out for party at night!”

“Okay! But what’s the name of the hotel we’re checking into? And what’re we doing for 3 days?” मैंने रोहित की गलती निकालते हुए पूछा|

"Sex …Sex….Sex” उसने बड़े casually जवाब दिया, पर ये सुन कर रितिका और काम्या गुस्से में उसे देखने लगीं|

“What? I thought we’re going for sex?” ये सुनते ही काम्या ने अपना पर्स उठाया और उस के मुँह पर मारा| “भोसड़ी के मेरा बर्थडे मानाने जा रहा है या हनीमून?" काम्या के मुँह से गाली सुनते ही मेरी तगड़ी वाली हँसी छूट गई और ऋतू आँख फाड़े मुझे देखने लगी|

“Yaar I was joking!” रोहित ने हँसते हुए कहा पर काम्या का गुस्सा खत्म नहीं हुआ; "साले तुझे बोला था न रितिका के सामने जुबान संभाल के बात करिओ, पर नहीं तूने तो अपनी गांड मरवानी है! सारे बनाये हुए इम्प्रैशन की माँ चोद दी तूने बहनचोद!" "तू कभी नहीं सुधरेगी!" ऋतू ने काम्या को गुस्से से देखते हुए अपने दाँत पीसते हुए कहा| मेरा हँसनाबंद हो चूका था, अब मुझे सब समझ आने लगा था| कॉलेज ज्वाइन करने से पहले मैंने ऋतू को समझाया था की अपने दोस्त सोच समझ कर बनाना| नशेड़ी,गंजेड़ियों, लौंडियाबाजों से दूर रहना और अगर लड़की से दोस्ती की तो कम से कम वो गाली न देती हो! काम्या गाली देती थी और ऋतू मुझसे ये बात छुपाना चाहती थी| मैंने ऋतू की तरफ देखा और दबी हुई आवाज में कहा; "Seriously??!" ऋतू ने कान पकडे और मुझे सॉरी कहा पर अब कुछ हो भी क्या सकता था|

"Jokes apart, होटल कौन सा बुक हुआ है?" मैंने पूछा|

"वहाँ पहुँच कर देखते हैं!" रोहित अब भी बड़ा निश्चिन्त था| माने आगे कुछ नहीं कहा और चुप-चाप अपना फ़ोन निकाला और Oyo पर दो रूम बुक किये| फिर फ़ोन दोनों की तरफ घुमाया और उन्हें दिखाते हुए बोला; "Rooms बुक हो गये हैं|"

"देख साले और सीख मानु जी से!" काम्या ने रोहित को घुसा मारते हुए कहा| बस के आने कस टाइम हो चूका था और गनीमत है की उसकी टिकट्स काम्या ने बुक करा दी थी| Volvo Super Deluxe आ कर खड़ी हुई और हम चारों अपनी-अपनी सीट्स पर बैठ गए| काम्या और रोहित ठीक हमारे सामने वाली सीट्स पर थे|खिड़की पर ऋतू बैठी थी, मैं aisle सीट में और उधर रोहित खिड़की पर और काम्या aisle सीट पर| 10 मिनट बाद ही बस चल पड़ी और रोहित ने मुझे देखते हुए अपना हाथ काम्या के कन्धों पर रख दिया| पर मुझे कोई दिखावा करने की जर्रूरत नहीं थी, ऋतू खुद ही मेरे कंधे पर सर रख चुकी थी और अपने दोनों हाथों से उसने मेरे दाएँ हाथ को पकड़ लिया| “Did you plan all this?” मैंने ऋतू से बड़े प्यार से पूछा| पर वो मेरी बात समझ नहीं पाई और बोली; "मैं कुछ समझी नहीं?"

"काम्या को मेरे घर मुझे मानाने के लिए भेजना?"

"बिलकुल नहीं!" ऋतू ने चौंकते हुए कहा|

"तो फिर वो मेरे घर कैसे आई? किसने एड्रेस दिया उसे मेरा?"

"उसने बाजार में आपको कई बार देखा था और एक आध-बार वो आपके घर के पास से गुजरी तब उसने आपको घर में घुसते-निकलते हुए देखा था| जब मैंने उसे आपसे इंट्रोडस करवाया था तब बाद में उसने बताया की वो तो आपको जानती है, मेरा मतलब की आप कहाँ रहते हो ये जानती है!"

"अच्छा जी?!" मैंने ऋतू को चिढ़ाते हुए कहा और ऋतू फिर से मेरे सीने पर सर रख कर बैठ गई|
 
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मुझे नींद का झौंका आ रहा था और ऋतू अपने बाएं हाथ से मेरे दाएँ हाथ को लॉक कर मेरे कंधे पर सर रख बैठी थी| उसकी ख़ुशी उसके चेहरे से झलक रही थी और दूसरी तरफ रोहित और काम्या जी भर के शो करने में लगे थे, एक दूसरे को छेड़ रहे थे, हँसी-ठिठोली कर रहे थे| पर ऋतू बहुत शांत थी और मन ही मन जैसे इस सब के लिए भगवान् को शुक्रिया कर रही थी| अभी मेरी आँख बंद ही हुई थी की उसने मुझे जगा दिया और बोली' "जानू! मुझे भूख लग रही है!" मैंने घडी देखि तो अभी शाम के 6 बजे थे, फिर उसे ऊपर रखे हुए चिप्स और थम्ब्स अप निकाल के दी| मैं हाथ मोड़ के बैठ गया, ऋतू ने पहला चिप्स मुझे खिलाया और फिर खुद खाने लगी| इतने में काम्या का ध्यान हमारी तरफ आया तो वो भी खाने के लिए उसी चिप्स के पैकेट पर टूट पड़ी| "मानु जी आप मेरी सीट पर बैठ जाओ|" काम्या बोली|

"हेल्लो मैडम! मैं आपके बॉयफ्रेंड के साथ बैठने यहाँ नहीं आया|" मैंने मजाक करते हुए कहा| तभी रितिका ने अपना चिप्स का पैकेट उसे दे दिया; "ये ले खा मोटी!" ये सुन कर हम चारों हँस पड़े| इतने में अनु मैडम का फ़ोन आ गया; "तो मानु जी बस मिल गई?"

"जी Mam मिल गई, इनफैक्ट मैं बस में ही हूँ| Sorry उस टाइम आपसे बात नहीं कर पाया|"

"अरे कोई बात नहीं, वो दरसल मैं कंपनी को मेल किया था तो उसने सारा डाटा भेज दिया है| सैटरडे रितिका आएगी तो मैं उसके साथ बैठ कर काम खत्म करती हूँ|" मैडम की बात सुन कर मैं ऋतू की तरफ हैरानी से देखने लगा| ऋतू ने अभी तक मैडम को नहीं बताया था की वो सैटरडे-संडे नहीं आ पायेगी! मैडम से बस इतनी ही बात हुई और फिर उन्होंने फ़ोन काट दिया| "ऋतू तूने मैडम को कॉल करके नहीं बताया?" मैंने ऋतू से पूछा तो वो अपनी जीभ दाँतों तले दबाते हुए बोली; "भूल गई! सॉरी! अभी कॉल करती हूँ|"

"पागल न बन! कल सुबह कॉल करिओ और बहाना अच्छा मारिओ वरना मैडम जबरदस्ती बुला लेंगी|" मैंने ऋतू को समझाया| खेर रात आठ बजे बस ने एक हॉल्ट लिया और खाना-पीना हुआ| मैं बस की यात्रा में कुछ ज्यादा खाता-पीता नहीं, चिप्स या बिस्किट और कोल्ड ड्रिंक्स, इससे ज्यादा कुछ नहीं लेता| काम्या और रोहित ने तो डाब कर पेला और पेट भर खाना खाया| ऋतू ने भी बस दो रोटी खाई और मुझे भी खाने को कहा पर मैंने मना कर दिया| रात के दस बजे होंगे, सारी लाइट्स ऑफ हो गईं और काम्या और रोहित का बस सेक्स चालु हो गया| दोनों एक दूसरे को चूमना शुरू कर चुके थे, ऋतू ये सब देख रही थी और मेरी नजर ऋतू पर थी| ऋतू बेचैन होने लगी थी पर जानती थी की हम बस में हैं और यहाँ कुछ भी करना पॉसिबल नहीं है| ऋतू ने अपने बाएँ हाथ को मेरी कमर में डाला और मेरी तरफ झुक कर मेरे सीने पर अपना सर रख लिया| उसका दाहिना हाथ मेरे पेट पर था और ध्यान अब भी काम्या और रोहित के चूमने पर था| वो दोनों ज्यादा तो कुछ नहीं कर रहे थे बस एक दूसरे को Kiss ही कर रहे थे और इतने से ही ऋतू की सांसें भारी होने लगी थीं| जिस दिन मैंने ऋतू का गुस्से से डाँटा था उस दिन से मैंने उसे जरा भी नहीं छुआ था और उसकी ये बेताबी फिर से बाहर आने लगी थी| माने झुक कर ऋतू के सर को चूमा ताकि वो अपने जज्बातों को काबू में कर ले| पर मेरा ये kiss ऐसा था मानो जैसे किसी ने गर्म तवे पर पानी का छींटा मारा हो| मेरे ऋतू के सर पर kiss करते ही वो मेरी आंखों में प्यास भरी आँखों से देखने लगी| वो आँखों ही आँखों में मुझसे मिन्नत करने लगी| मानो जैसे कह रही हो की बस एक Kiss! उसकी मासूम आँखों को देख कर मैं पिघलने लगा और झुक कर उसके अधरों पर अपने होठों को रख दिया| मैंने अपना मुँह थोड़ा सा खोला और उसके नीचले होंठ को धीरे से अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा| ऋतू का दायाँ हाथ मरे बाएँ गाल पर आ चूका था| ऋतू ने अपनी रस भरी जीभ मेरे मुँह में दाखिल कर दी थी और वो मेरी जीभ से समागम करने लगी थी| मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू के मुँह को थाम लिया था, और उसकी जीभ को अपने मुँह में चूसने लगा था| कुछ सेकंड बाद मैंने उसकी जीभ छोड़ दी और अपनी जीभ को धीरे से उसके मुँह में सरका दिया| मेरी जीभ का गर्म जोशी से स्वागत हुआ, रितिका के होठों ने उसे अपने दबाव से पकड़ लिया और ऋतू उसे चूसने लगी| इसी तरह हम दोनों बारी-बारी से एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे और ये सब हम बिना किसी आवाज के और धीरे-धीरे कर रहे थे| जब हम रुके और अलग हुए तो हमारे रस की एक तार हम दोनों के होठों के बीच थी| हम दोनों उस कुछ देर के लिए ये भी भूल चुके थे की हम घर पर नहीं बल्कि बस में हैं| जब हम अलग हुए तो ऋतू की नजर बगल वाली सीट जिस पर काम्या और रोहित बैठे थे उस पर पड़ी और वो एक दम से शर्मा कर मेरे सीने पर दोनों हाथों से अपना मुँह छुपा कर बैठ गई| मैंने जब उस तरफ देखा तो पाया की वो दोनों हमें ही देख रहे थे! हमारे kiss से अगर कोई संतुष्ट था तो वो थे काम्या और रोहित! हैरानी बात ये थी की मैं बिलकुल नहीं शरमाया बल्कि मुझे तो जैसे गर्व महसूस हो रहा था| ऐसा लगा जैसे मैं कोई टीचर हूँ और उन दोनों को Kiss करना सीखा रहा हूँ| मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू को अपने सीने से चिपकाया और हाथों को लॉक कर ऐसे जताया की वो मेरे पहलु में सुरक्षित है| मेरे ऐसा करने से ऋतू भी संतुष्ट हो गई की वो सुरक्षित है और उसने अपने दोनों हाथों से मुझे कस कर जकड़ लिया| कुछ देर बाद काम्या और रोहित एक दूसरे से कुछ खुसर-फुसर करते हुए सो गए| मुझे ऐसा लगा जैसे काम्या रोहित से कह रही हो की; "सीख मानु जी से कुछ! कितना passionately kiss करते हैं वो रितिका को?" और वो बेचारा जल-भुन के रह गया|

खेर सब सो चुके थे और एक अकेला मैं ही जाग रहा था| हाईवे में हवा से बातें करती हुई बस, वो साईरन बजाते हुए ट्रकों का गुजरना वो जगमगाती हुई ढाबों की लाइट्स, वो दूर कहीं किसी के घर की लाइट्स आदि को देखना| मुझे यही देखने में बड़ा मजा आ रहा था और मैं अपनी सोच में गुम था| बारह बजे ऋतू जाएगी और उसने मुझे इस तरह से जाएगा हुआ पाया तो पूछने लगी; "जानू! क्या हुआ? आप जाग क्यों रहे हो?"

"कुछ नहीं जान! मैं रात को बस में सोता नहीं हूँ, ये शान्ति और लाइट्स देखना मुझे अच्छा लगता है|" मैंने खिड़की से बाहर देखते हुए कहा|

"एक बात कहूँ जानू? आपको पता है मुझे अभी कैसा लग रहा है?"

"कैसा?" मैंने पूछा|

"ऐसा लग रहा है जैसे हम दोनों घर से भाग रहे हैं और कल से हमारी एक नयी जिंदगी शुरू होगी| जहाँ हमें इन समाज के बंधनों की कोई जर्रूरत या परवाह नहीं होगी| कोई रोक-टोक नहीं! हम आजाद परींदे होंगे! वो फिल्मों वाली फीलिंग आ रही है, जिसमें हीरो अपनी हेरोइन को इसी तरह अपने पहलु में छुपाये घर से भगा कर ले जा रहा हो|"

"हम्म... वो दिन भी आएगा मेरी जान! अब आप सो जाओ!" मैंने ऋतू के सर को चूमते हुए कहा|

"हम जयपुर कब पहुँचेंगे?" ऋतू ने फिर से मेरे सीने पर सर रखते हुए पूछा|

"सुबह 4 बजे!"

'तो आप भी सो जाओ थोड़ी देर|" ऋतू ने मुझे उसकी गोद में सर रख कर सोने का निमंत्रण देते हुए कहा|

"आप सो जाओ जान! मुझे ये लाइट्स देखने में आनंद आ रहा है|"

"ठीक है तो मैं भी आपके साथ जागूँगी| मैं भी तो देखूँ की आप किस आनंद की बात कर रहे हो|" पर ऋतू कुछ देर ही मैं बोर हो गई और मेरे कंधे पर सर रख कर सो गई| मैंने धीरे से अपनी जेब से फ़ोन निकाला और अपनी एक सेल्फी ली| ऋतू मेरे कंधे पर सर रख कर सोते हुए बड़ी प्यारी लग रही थी| फिर मैं फ़ोन से स्लो मोशन वीडियो बनाने लगा, फिर फ़ोन से हेडफोन्स लगाए और गाने सुनने लगा, इसी तरह से मैंने सारी रात पार की| सुबह पौने चार बजे मैंने ऋतू को उठा दिया और काम्या और रोहित को भी उठा दिया| ठीक 4 बजे हमारा स्टैंड आ गया| अपना सामान ले कर हम चारों उतरे और मैंने फटफट ऑटो किया, अब बैठने की बारी आई तो काम्या बोली; "रोहित तू आगे बैठ जा!" आगे का मतलब था ड्राइवर के साथ और ये सुन कर वो काम्या की तरफ सावलिया नजरों से देखने लगा| मुझे हँसी तो बहुत आई पर मैं कुछ नहीं बोला और हम तीनों पीछे बैठ गए| मैंने नेविगेशन ऑन कर दी थी की कहीं ऑटो वाला होशियारी न करे और मैं ऑटो वाले को ऐसे बता रहा था जैसे मैं इस इलाके से परिचित हूँ| वो भी मुझसे पूछ रहा था की; "बाबू आप यहीं के रहने वाले हो?" मैंने भी जवाब में हाँ कहा और उसे आगे ज्यादा बात करने का मौका नहीं दिया| पर रोहित तो चूतिया ही निकला वो पूछने लगा; "मानु आप जयपुर के हो?" अब उसकी बात सुन कर मैं काम्या की तरफ देखने लगा और वो अपना सर पीटते हुए बोली; "He's bluffing you moron!" तब जा कर उसे समझ आया और वो चुप कर गया| होटल पहुँच कर मैंने अपनी रिजर्वेशन दिखाई और हम अपने-अपने कमरे में आ गए| सामान रख कर मेरा जासूसी दिमाग चालु हो गया और मैं अपना और ऋतू का फ़ोन ले कर कमरे घूमन शुरू कर दिया| ये Oyo का होटल था और हल ही में इसके बारे में छपा था की यहाँ पर रूम्स के अंदर हिडन कैमरा लगे होते हैं| ऋतू बड़ी हैरानी से मुझे ये जासूसी करते हुए देख रही थी और जब मेरी तहक़ीक़ात पूरी हो गई तो वो बोली; "ये आप क्या कर रहे थे?" तब मैंने ऋतू को सारी बात बताई और वो कहने लगी की हम कहीं और चलते हैं| "जान! किस होटल में कैमरा लगा है ये किसी को नहीं पता, पर अपनी तरफ से चेक कर लेना बेहतर है| इस कमरे में कहीं कोई कैमरा नहीं है| So relax! okay?!" मेरी बात से ऋतू आश्वस्त हो गई और हम अपने कपडे बदल कर लेट गए|
 
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मुझे लग रहा था की ऋतू सेक्स के लिए आतुर हो गई पर उसके ठीक उलट वो तो बस मेरे सीने पर सर रख कर, अपने बाएँ हाथ से मुझे जकड़ और अपनी बायीं टाँग मेरे पेट पर रख कर सो गई| मैंने ऋतू के सर को चूमा और मैं भी सो गया| सुबह 10 बजे मेरी आँख खुली और ऋतू अब भी मेरे से उसी तरह चिपकी हुई थी| मैं उठने लगा तो उसकी भी आँख खुल गई पर फिर भी लेटी रही| में फ्रेश हो कर आपस आ गया और तब तक ऋतू भी उठ गई थी और टी.वी चालु कर रही थी| मुझे देखते ही वो आ कर मेरे से लिपट गई; "जानू! आज कौन सा आपको ऑफिस जाना है जो उठ गए?" मैंने प्यार से ऋतू के सर को चूमा और कहा; "क्या करें? आदत है उठने की और वैसे भी भूख लग आई थी|" फिर मैंने अपने और ऋतू के लिए नाश्ता मँगवाया जो की कॉम्प्लिमेंट्री था| नाश्ता खा कर ऋतू फिर से बिस्तर में बैठ गई पर मैं तैयार होने लगा| मुझे ऐसे तैयार होता हुआ देख वो बोली; "कहाँ जा रहे हो आप?"

"यहाँ कमरे में सोने थोड़े ही आये हैं? चलो रेडी हो जाओ यहाँ इतनी सारी जगह है घूमने की और हाँ याद है अनु मैडम को भी इन्फॉर्म कर दो|" तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, मैंने दरवाजा खोला और काम्य अंदर आ गई| "आप कहीं जा रहे हो मानु जी?" उसने पूछा|

"मैं तो आप दोनों को जगाने आ रहा था, की कहीं घूम कर आते हैं|" मेरी बात सुन कर काम्या खुश हो गई और रेडी होने चली गई| इधर ऋतू ने भी तैयार होना शुरू कर दिया| आज ऋतू ने पहलीबार जीन्स और एक टॉप पहना था और उसे जब देखा तो मेरी आँखें उस पर से हट ही नहीं रही थी|



"क्या कहूँ तेरी सूरत-ए-तारीफ में मेरे हमदम,

अल्फाज खत्म हो गए हैं तेरी अदाएं देख-देख के!"



ये शेर सुनते ही ऋतू भागती हुई आई और मेरे गले लग गई, शर्म से गाल लाल हो चुके थे| हम ऐसे ही दूसरे में खोये हुए थे, काम्या की आवाज ने हमें वापस रियलिटी में खींच लिया| "ओ लव-बर्ड्स चलो" उसने हँसते हुए कहा| हाथों में हाथ लिए मैं और ऋतू कमरा लॉक कर के होटल से निकले और हमने ऑटो किया, सबसे पहले हम हवा महल पहुंचे और उसके पास वाली मार्केट में घूमने लगे| काम्या तो वहाँ की दुकानें देख कर शॉपिंग करने को कूद पड़ी और ऋतू को भी अपने साथ खींच के ले गई| दोनों एक पटरी वाले के पास झुमके देख रहे थे और मैं अपनी जेब में हाथ डाले खड़ा उन्हें देख रहा था| अचानक से काम्या ने एक झुमका ऋतू को दिया और try करने को कहा पर ऋतू ने मना कर दिया| मुझसे नजर बचा कर उसने खुसफुसाती हुए काम्या से कहा; "मेरी सैलरी जीन्स और टॉप में खत्म हो गई... तू ले ले!" काम्या भी खुसफुसाती हुए कहने लगी; "अरे मुझे बाद में दे दियो!" पर ऋतू नहीं मानी और उसने वो झुमका काम्या को वापस दे दिया| काम्या बहुत होशियार थी उसने हाथ हिला कर मुझे अपने पास बुलाया और वो झुमके का पैकेट मुझे दिया और इशारे से कहा की मैं ऋतू को खरीद कर दूँ| मैंने वो झुमके को पैकेट को गौर से देखा और वापस नीचे रख दिया, मेरा ऐसा करने से काम्या का मुँह बन गया| वो सोचने लगी की कितना कंजूस बॉयफ्रेंड है रितिका का, पर अगले ही पल मैंने एक रॉयल ब्लू कलर का झुमका उठाया और उसे ऋतू को try करने को कहा| मेरा ऐसा करने से काम्या की ख़ुशी लौट आई पर ऋतू ने ना में सर हिला कर मना कर दिया| "अच्छा लगेगा अगर मैं यहाँ तुझे एक खींच कर चमाट मार दूँ?" मैंने ऋतू को थोड़ा प्यार से डराते हुए कहा| उसने चुप चाप वो झुमके मुझे पहन के दिखाए और जब उसने खुद को आईने में देखा तो ख़ुशी से उछाल पड़ी और आ कर मेरे सीने से लग गई| काम्या ने भी इसका फायदा उठाया और हम दोनों की तस्वीर खींच ली! भरी-पूरी मार्किट में एक प्रेमी जोड़ा सब कुछ भूल कर बस एक दूसरे के गले लगा हुआ है| हम तो जैसे अलग होना ही नहीं चाहते थे पर इस चमन चूतिये रोहित ने एक्ससिटेमेंट में शोर मचा दिया और हम दोनों अलग हो गए| मैंने अपना वॉलेट निकाला और ऋतू को 1000/- रुपये दे दिए इतने में रोहित ने मुझे स्मोक करने का इशारा किया| ऋतू ने ये देख लिया और हाँ में सर हिला कर मुझे इजाज़त दी|

"दो गोल्ड फ्लैक|" रोहित ने कहा तो मैंने उसे मना कर दिया और अपने लिए एक अल्ट्रा ली, मुझे अल्ट्रा फूँकते देख उसे मेरी रईसी भा गई| 2 मिनट बाद ही ऋतू और कमाया दोनों ही हमारे पास आ गईं| रोहित ने सिगरेट काम्या की तरफ बढ़ाई और उनसे काश लेते हुए ऋतू को भी पीने का इशारा किया| ऋतू मेरी तरफ देखने लगी और मैंने नहीं में सर हिलाया और उसे सिगरेट नहीं दी| "तू स्मोक करती है?" मैंने ऋतू से पूछा तो उसने ना में सर हिलाया| "खा मेरी कसम!" मैंने कहा तो ऋतू ने झट से मेरी कसम खाई और बोली; "मैंने आज तक कभी सिगरेट नहीं पि आपके साथ उस दिन पार्टी में जो पिया था उसके बाद कुछ भी नहीं पिया या खाया|"

"Give her some freedom man!" रोहित ने बीच में बोलते हुए कहा|

"She has all the freedom she wants but smoking isn’t allowed!” मैंने हुक्म से बोला|

"That's not fair! You smoke too!" काम्या बोली|

"Because I gave him permission!" ऋतू बोली और ये सुन कर वो दोनों चुप हो गए| सिगरेट खत्म हो चुकी थी तो हम पैदल चलते हुए हवा महल पहुँचे और वहाँ टिकट ले कर घूमे, ऊपर चढ़ कर हमने बहुत सी पिक्चर खींची! 3 बजे हम वहाँ से निकले और खाना खाने एक रेस्टुरेंट में बैठ गए| खाना आज ऋतू ने आर्डर किया, दाल बाटी, राजस्थानी कढ़ी, बाजरे की रोटी, गट्टे का पुलाव और मीठे में घेवर| "रिसर्च कर के आई हो?" मैंने ऋतू की तारीफ करते हुए कहा और वो मुस्कुराते हुए बोली; "आपसे सीखा है|" खाना खा कर हम उठे थे की अनु मैडम का फ़ोन आ गया; "मानु जी! आप क्या गए यहाँ तो सब के सब मुझे अकेला छोड़ के चले गए?" ये सुन कर मैं थोड़ा हैरान हुआ और समझ नहीं आया की मैडम का कहने का मतलब क्या है; "मैं कुछ समझा नहीं mam?"

"अरे रितिका भी छुट्टी मार रही है! उसके घर पर किसी की डेथ हो गई है|" ये सुनते ही मेरी आँखें बड़ी हो गई और मैं हैरानी से ऋतू को देखने लगा|

"ओह! Mam किसकी डेथ हो गई कुछ बतया रितिका जी ने?" मैंने ऋतू की तरफ देखते हुए कहा और तब वो समझी की क्या माजरा है| "उसके नाना जी की डेथ हो गई, बेचारे उम्रदराज जो थे!" मैं चुप रहा और मुझे ऋतू का बहाना सुन कर हँसी भी आ रही थी और गुस्सा भी| ऋतू के नाना की मृत्यु कुछ साल पहले ही हो चुकी थी और मुझे बुरा लगा की उसने ऐसा झूठ बोला| खेर मैडम ने कुछ काम जे जुडी बातें की और फिर उन्होंने बाय बोल कर कॉल रख दिया| "तुझे मारने के लिए कोई और नहीं मिला?" मैंने ऋतू से हँसते हुए पूछा| ये सुन कर काम्या पूछने लगी तो ऋतू ने खुद ही सारी बात बताई| ये उन कर वो और रोहित दोनों हँसने लगे पर ऋतू जानती की मुझे उसकी ये बात बुरी लगी है|

खेर हम होटल लौटे और रात को पब जाने का प्लान बना था| मैंने अपने कपडे उतारे और अंडर गारमेंट्स में ही लेट गया| ऋतू ने भी अपने कपडे बदले और पलंग पर चढ़ गई| फिर अपने दोनों कान पकडे और घुटनों के बल बैठ गई; "जानू! I’m really sorry! मैं ऐसा झूठ नहीं बोलना चाहती थी, पर मुझे कोई और बहाना नहीं सूझा| I’m really sorry!” मैंने अपनी बाहें खोल दीं और ऋतू आ कर मेरे सीने से चिपक गई| मैंने उसे माफ़ कर दिया, पर काम्या की दोस्ती में ऋतू कुछ ज्यादा ही बिगड़ने लगी थी| कल रात जागने की वजह से मुझे नींद आ रही थी और हम ऐसे ही सो गए| शाम के 7 बजे होंगे की काम्या हमें उठाने आई| ऋतू दरवाजा खोलने गई और मैं बाथरूम जा रहा था| काम्या ने मुझे कच्छे में बाथरूम घुसते देख लिया और वो ऋतू को छेड़ने लगी| हम तैयार हो कर निकले तो ऋतू और काम्या को भूख लगी थी और उन्हें चाहिए था खाना| रोहित ने उन्हें समझाया की जो खाना है वो पब में ही खाना है| हम पब पहुँचे और रोहित ने हमारे लिए एक बूथ ले लिया| लड़कियों ने खाना मंगाया और रोहित ने ड्रिंक्स मेनू मेरी तरफ बढ़ा दिया| वो जानता था की मेरी पसंद बढ़िया है! अपने, ऋतू और काम्या के लिए हेनिकेन्स मंगवाई और रोहित को शो-ऑफ करना था तो उसने अपने लिए कोरोना मंगाई! म्यूजिक अभी बहुत स्लो था, लोग भी ज्यादा नहीं थे| तो बियर पीते हुए बातें शुरू हुईं;

रोहित: So how did you guys meet?


अब इस बारे में ऋतू मुझे पहले ही बता चुकी थी की उसने काम्या को क्या झूठ बोला है| मैंने भी ऋतू की बात को दोहरा दिया;

मैं: We met in a bus.

काम्य: Oh come on maanu ji! I’ll tell you the whole story. So actually it was a sunday morning and she was on her way to somewhere. She was sitting alone on the bus stand and that’s the first time he (manu) saw her. Then the bus came and they both took a seat but not together but at some distance. Manu ji was sitting a seat ahead of her and she was busy looking outside. Then an old auncle came and he (manu) offered his seat to them and stood. That’s the first time she saw him and they were constantly seeing eachothers. They got down at the same bust stand and he (manu) said ‘hi’ to her and she just smiled. Then they simply moved into different directions.

रोहित: What the hell? Why didn’t you guys talk? Didn’t even exchanged numbers?

काम्या: Story’s not over, you duffer! Then after few days they met again on the same bust stand and this time they were sitting next to each other on the bus. He (manu) started the conversation otherwise this dumbo (ritu) wouldn’t have uttered a word. And that’s how they came close!

ऋतू ये सब मुस्कुराती हुई मेरे बाएँ कंधे पर सर रख कर सुन रही थी| सच में बड़ी डिटेल में कहानी बना कर सुनाई थी उसने काम्या को|
 
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धीरे-धीरे म्यूजिक लाउड हो रहा था और नौजवान लोगों का ताँता लगना शुरू हो गया था| बातें करते-करते कब चारों ने तीन-तीन बियर की बोतल ख़त्म कर दी पता ही नहीं चला| चूँकि हेनिकेन्स बड़ी स्मूथ बियर होती है तो हम चारों में से कोई भी नशे में नहीं था| एक हल्का सा सुरूर जर्रूर था| अभी सिर्फ 10 ही बजे थे और डी.जे ने अंग्रेजी गाने बजाने शुरू कर दिए थे और हमारे रोहित को बस एक ही सिंगर का नाम था और एक ही गाना पसंद था| वो गाना था जस्टिन बिबेर का; 'बेबी'| इन्होने अपनी फरमाइश कर दी और डी.जे. भाई ने बजा दिया... गाना! ये भाईसाहब अकेले थे जो खड़े हो कर झूम रहे थे! ऋतू ने मुझे कोहनी मारी और दिखाया की बाकी सब रोहित पर हँस रहे थे! हंसी तो मुझे भी आ रही थी पर मैं जैसे-तैसे हँसी झेल गया| इधर काम्या ने गुस्से में अपने लिए स्कॉच मँगा ली, मैं समझ गया की आज रायता जर्रूर फैलना है| अब स्कॉच देख कर ऋतू ने मेरी देखा, अब उसे मन नहीं कर सका| मैंने हम दोनों के लिए भी स्कॉच मंगाई पर ऋतू के 30ml को अपनी ड्रिंक में डाल कर 10 ml कर दिया! वो प्यार भरे गुस्से से मुझे देखते हुए बोली; That's not fair!" मैंने प्यार से उसके गाल को चूमा और कहा; "अब हो गया न फेयर?" ऋतू खुश हो गई और पूरा ड्रिंक एक बार में गटक गई| मैं हैरानी से उसे देखता रह गया पर उसके चेहरे पर प्राउड वाली फीलिंग थी| मानो जैसे इस तरह एक घूँट में सारा ड्रिंक पी कर उसने कोई तीर मारा हो| मुझे उसके ऐसा करने पर प्यार आ गया और ऋतू मेरे सीने से सर लगा कर बैठी रही|

इधर काम्या हम दोनों को देख-देख कर जल रही थी| उसने आधा ड्रिंक पिया, खड़ी हो कर डांस फ्लोर पर चली गई और रोहित के साथ नाचने लगी| मैं और ऋतू अब भी ऐसे ही बैठे थे और मैं धीरे-धीरे ड्रिंक कर रहा था| ऋतू बहुत शांत थी और स्कॉच का हल्का-हल्का असर उस पर आने लगा था| "जानू! आज मैं भी चिकन विंग्स खाऊँ?" उसने पूछा तो मैंने सीधा वेटर को बुलाया और चिकन विंग्स आर्डर कर दिए| इधर काम्या और रोहित तक कर वापस आ कर बैठ गए| रोहित ने भी अपने लिए स्कॉच मँगाई और धीरे-धीरे पीने लगा| 10 मिनट बाद चिकन विंग्स आ गए और सबसे पहले ऋतू ने एक पीस उठाया| मैंने ऋतू वाले पीस पर आधा निम्बू और निचोड़ दिया| पहली बाईट लेते ही ऋतू को मजा आ गया| निम्बू की खटास थी तो ऋतू को उबकाई नहीं आई वर्ण मुझे डर था कहीं वो उलटी न कर दे| "Wow! Its so yummy! मैंने अपने जीवन ले 19 साल बिना इसे खाय कैसे निकाल दिए?" ऋतू ने चटकारा लेते हुए कहा| ऋतू को चिकन खता देख काम्या आँखें फाड़े देख रही थी| | "मानु जी! आपने क्या जादू कर दिया रितिका पर? जिसे नॉन-वेग देख कर उलटी आती थी वो आज चिकन खा रही है|" काम्या ने मुझसे पूछा| "मैंने कुछ नहीं किया. मैडम जी को आज खुद खाने का मन किया|" मैंने सफाई देते हुए कहा| खेर हम तीनों का ड्रिंक खत्म हो चूका था और किसी ने डी.जे. से रोमांटिक गाने की फरमाइश कर दी| "दिल दियां गल्लां" जैसे ही बजा काम्या मुझे और ऋतू को खींच कर डांस फ्लोर पर ले आई| ऋतू को स्कॉच की थोड़ी-थोड़ी खुमारी चढ़ने लगी थी और डांस फ्लोर पर सभी कपल्स को देख उसने भी ठीक वैसे ही डांस करना शुरू कर दिया| शुरुआत में ऋतू मेरी तरफ मुँह कर के खड़ी थी और मेरे दोनों हाथ उसके कमर पर थे, ऋतू के भी दोनों हाथ मेरे दोनों कन्धों पर थे| हम दोनों बस धीरे-धीरे दाएँ से बाएँ हिल रहे थे|


मैं ऋतू की आँखों में खुमारी साफ़ देख पा रहा था और ऋतू मेरी आँखों में अपने लिए प्यार|

"दिल दियां गल्लां
करांगे नाल नाल बह के
आँख नाले आँख नू मिला के
दिल दियां गल्लां…"

मैं और दोनों ही गाने को लिप सिंक कर रहे थे और एक दूसरे की आँखों में खो गए थे| उस पूरे गाने के दौरान ना तो हमें किसी की परवाह थी न खबर| बस एक ऋतू और एक मैं.....

डी.जे. ने गाना खत्म होने के बाद जो गाना लगाया उससे तो माहौल और भी रोमैंटिक हो गया| अगला गाना था; All of me - John Legends का| गाना चेंज होते ही मैंने और ऋतू ने अपने डांस स्टाइल भी चेंज कर दिया|


मेरा बायाँ हाथ ऋतू की कमर पर था और उसका दाहिना हाथ मेरी कमर पर था| मेरे दाहिने हाथ में ऋतू का बायाँ हाथ था और अब हम अपने पैरों को लेफ्ट-राइट के साथ आगे-पीछे भी कर रहे थे| ऋतू इस गाने के बोल नहीं जानती थी इसलिए वो बस मेरी आँखों में देख रही थी| पर मैं गाने के सारे बोल जानता था और मैं वो गाते हुए ऋतू की आँखों में देख रहा था| गाने में जब ये लाइन्स आई;

Cause all of me

Loves all of you

Love your curves and all your edges

All your perfect imperfections

Give your all to me

I'll give my all to you

You're my end and my beginning

Even when I lose I'm winning

'Cause I give you all, all of me

And you give me all, all of you


मेरा हाथ ऋतू की गर्दन से लेकर कमर और फिर उसके कूल्हे तक गाने के बोल के साथ फिसलते हुए आ गया था| ऋतू उस गाने को समझते हुए अपने पंजों पर खड़ी हो गई मुझे Kiss करने को और मैं भी उस गाने में इतना खो गया था की मैंने ऋतू के होठों को पहले चूमा और फिर हमने फ्रेंच kiss की पर बहुत ही स्लो! हमें इस तरह किश करते हुए देख वहां सारे लौंडों और काम्या ने हल्ला मचा दिया| डी.जे. ने भी माइक पर अन्नोउंस कर दिया; "Give it up for this beautiful couple." ये सुन कर सब ने चिल्लाना शुरू कर दिया पर मैं और ऋतू उसी तरह passionately एक दूसरे को kiss करते रहे| 10 सेकंड बाद जब दोनों पर नशा कुछ कम हुआ और याद आया की हम बाहर हैं तो ऋतू शर्मा गई और मेरा हाथ पकड़ के मुझे खींच के वापस बूथ पर ले आई| वहाँ बैठते ही उसने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया और मेरे सीने से लग गई| मैं ऋतू के सर को चूमने लगा और उससे पूछा; "बियर चाहिए?" ऋतू ने बिना मेरी तरफ देखे हाँ में सर हिलाया| मैंने उसके लिए बियर और अपने लिए 60ml स्कॉच मँगाई! तभी काम्या और रोहित भी आ गए और काम्या ऋतू को गुदगुदी करते हुए छेड़ने लगी, ऋतू खिलखिला के हँसने लगी| रोहित ने भी अपने और काम्या के लिए ड्रिंक्स आर्डर की और खाने के लिए ड्रम्स ऑफ़ हेवन आर्डर किये| हम सब का आर्डर साथ ही आया, ड्रम्स ऑफ़ हेवन देख कर ऋतू मुझसे पूछने लगी की ये क्या है; "चिल्ली पोटैटो वाली सॉस में चिकन विंग्स को बनाया है बस|" ये सुनते ही ऋतू ने पीस उठा लिया और खुद ही उस पर नीम्बू निचोड़ा और बाईट ली| स्वाद उसे तो बहुत आया और बच्चों की तरह मुँह बनाने लगी| उसे इस तरह देख कर मैं बहुत खुश था और दुआ कर रहा था की हमारी इन खुशियों की किसी की नजर न लगे|

मैं उठ कर वाशरूम चला गया और वापस आया तब मुझे छत पर जाती हुई सीढ़ियाँ नजर आईं| मैं ने पहले तो एक बड़ा घूँट स्कॉच का पिया और फिर ऋतू का हाथ पकड़ के उसे खींच के उस तरफ चल दिया| काम्या और रोहित भी मुझे देख रहे थे की मैं और ऋतू कहाँ जा रहे हैं| हम दोनों सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर पहुँचे तो वहाँ सारे कपल बैठे थे और नीचे के उलट यहाँ माहौल बिलकुल शांत था| वहाँ पर एक जगह थी जहाँ पर शीशे की एक रेलिंग थी और मैं और ऋतू वहीँ खड़े हो गए| रात की ठंडी-ठंडी हवा हमारे माथे को छू कर सुकून दे रही थी| ऋतू मेरे सामने खड़ी थी और मेरी बाहें उसके सीने पर लॉक थी| ऋतू ने अपने दोनों हाथों से मेरे बाजुओं को पकड़ रखा था| हम दोनों ही खामोश खड़े थे और सड़क पर आते-जाते ट्रैफिक को देख रहे थे| दस मिनट बाद रोहित हमें नीचे बुलाने आया, नीचे आ कर देखा तो काम्या डांस फ्लोर में नाच रही थी और उसने हमे फिर से अपने साथ डांस करने के लिए खींच लिया| तभी डी.जे.ने गाना लगाया; "Mercy" - बादशाह वाला और हम चारों पागलों की तरह नाचने लगे| 'Have mercy on me' वाली लाइन पर रोहित काम्या को कान पकड़ के गाने लगता| मैंने घडी पर नजर डाली तो रात के बारह बज गए थे, तो मैं वहाँ से धीरे से निकला और डी.जे को बताया की काम्या का बर्थडे है| “guys, we have a birthday girl in the house!” डी.जे. ने अनाउंसमेंट की और सब जोर से "Happy Birthday!!!" चिल्लाने लगे| पहले रोहित ने गले लग कर और kiss कर के काम्या को happy birthday बोला, उसके बाद ऋतू ने गले लग कर उसे birthday wish किया| अब मेरी बारी थी तो वो खुद ही आ कर मेरे गले लग गई और मैंने भी उसे Happy Birthday wish किया| हम चारों बूथ में बैठने जा रहे थे की रोहित हम तीनों को अपने साथ बार काउंटर पर ले आया और उसने चार शॉट्स आर्डर किये| बारटेंडर ने उन ग्लासों में वोडका डाली और फिर चारों गिलास में उसने 1-1 गोली डाल दी जो एक दम से घुल गई| "ये क्या है?" मैंने रोहित से पूछा तो उसने बोला; "एन्जॉय!!!" और उसने शॉट मारा, फिर काम्या ने मारा और इससे पहले की मैं ऋतू को रोकता उसने भी शॉट मारा और अब तीनों मुझे भी जबरदस्ती उकसाने लगे और मैंने भी शॉट मारा| पर रोहित बाज नहीं आया उसने फिर से रिपीट करवा दिया पर इस बार बारटेंडर ने सिर्फ मेरे और रोहित के गिलास में वो गोली डाली| इस बार में भी जोश में आ गया और चारों ने एक साथ शॉट मारा| मैंने वेटर को हाथ से इशारा कर के बिल मंगवाया और हम चारों अपने बूथ में बैठ गए| वहाँ अब भी मेरी आधी ड्रिंक राखी थी, जिसे ऋतू ने एक दम से उठाया और थोड़ा ही पी पाई थी की मैंने उसके हाथ से ड्रिंक ले ली और खुद एक साँस में खींच गया| वेटर बिल ले कर आया तो वो 10 हजार का निकला! बिल सुन कर तो ऋतू के कान खड़े हो गए पर बिल काम्या, मैंने और रोहित ने मिल कर बाँट लिया|
 
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बिल पे हो चूका था पर हम चारों पर दारु की खुमारी चढ़ चुकी थी| उठने को जैसे जी ही नहीं चाह रहा था, कोई घर छोड़ दे बस यही दुहाई कर रहे थे सारे और ठहाके मार के हँस रहे थे| पाँच मिनट बैठे रहने के बाद मेरे दिल की धड़कन अचानक से तेज हो गई| अंदर एक अजीब सी फीलिंग हो रही थी| माथे पर पसीना आ गया और मैं हैरानी से ऋतू की तरफ देखने लगा| उसने वेटर से अपने लिए पानी मंगाया, प्यास से उसका गला सूख रहा था| इधर मेरे जिस्म में तूफ़ान खड़ा हो चूका था| लंड अचानक से अकड़ चूका था और मैं अपने आप ही ऋतू की तरफ झुक रहा था| मेरा मन अब उसे कस कर kiss करने को कह रहा था| इससे पहले की मैं उसे kiss करता काम्या ने मेरा हाथ पकड़ के मुझे डांस फ्लोर पर खींच लिया| उस समय गाना चल रहा था; "तेरे लक दा हुलारा" और काम्या मेरे से चिपक गई और मुझे बहकाने के लिए अपने दोनों हाथों को मेरी गर्दन में डाल कर कस लिया| वो मुझे किश करने ही वाली थी की मैंने उसकी कमर को पकड़ा और उसे खुद से दूर कर दिया और मुड़ कर जाने लगा| पर उसने मेरा हाथ थाम लिया और अपने दाहिने हाथ से अपने कान को पकड़ के सॉरी कहने लगी| मेंरूक गया और तभी ऋतू आ गई और उसने मेरे करीब आ कर नाचना शुरू कर दिया| मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ लिया और खुद से चिपका लिया| गर्दन झुका कर उसके निचले होंठ को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा| ऋतू ने अभी अपनी दोनों बाहें मेरी पीठ पर चलानी शुरू कर दी| हम दोनों ही बेकाबू होने लगे थे और उधर हमारे आस-पास जो भी लोग थे सब चीख रहे थे; "Guys get a room!" पर हम दोनों पर इसका कोई असर ही नहीं पड़ रहा था| काम्या ने हम दोनों का हाथ पकड़ा और बाहर की तरफ खींचने लगी| अब एक तो शराब का नशा और ऊपर से जिस्म की आग! किसी तरह हम चारों लड़खड़ाते हुए बाहर आये और रोहित बुरी तरह चीखने लगा; "ओये!! ऑटो!!! बहनचोद!" अब उसकी इस हालत को देख कोई भी रूक नहीं रहा था| इधर काम्या की उलटी शुरू हो गई और वो एक नाली के पास झुकी उलटी करने लगी| ऋतू से भी खड़ा हो पाना मुश्किल हो चूका था, मैं लड़खड़ाते हुए रोहित के पास आया और उसके इस तरह गाली देने से कोई ऑटो रूक नहीं रहा था तो मुझे उस पर गुस्से आ गया|| मैंने उसकी गुद्दी पर एक चमाट मारी; "भोसड़ी के! ऐसे गाली देगा तो कौन रुकेगा?" मैंने जेब से फ़ोन निकाला पर उसमें साला कुछ ठीक से दिखे ही ना! फिर भी जैसे-तैसे उबर अप्प खोला अब ये ऍप बहनचोद अपडेट मांग रही थी और मेरा गुस्सा और बढ़ता जा रहा था| मेरा मन था की हम जल्दी से होटल पहुँचे और मैं ऋतू को बिस्तर पर पटक कर उस पर चढ़ जाऊँ! जब तक ऍप अपडेट हुआ मैं जी भर के गाली बकता रहा; "मादरचोद चल जा! अभी गांड मरानी है तुझे अपनी?" दो मिनट लिए उस ऍप ने अपडेट होने में और फिर बड़ी मुश्किल से राइड बुक हुई| मैंने फ़ोन जेब में डाला और वापस ऋतू के पास जाने को मुड़ा, मैंने रोहित का कॉलर पकड़ा और खींच कर उसे दोनों के पास ले आया| काम्या की उलटी अब बंद हो चुकी थी और वो और ऋतू एक खम्बे का सहारा ले कर खड़े थे| ऋतू तो मुझे देखते ही बेकाबू हो गई और लड़खड़ाते हुए मेरे पास आई और फिर से मेरे सीने से लग गई| इधर मेरा लंड बेकाबू होने लगा था, मैंने ऋतू को अपनी गोद में उठाया| ऋतू ने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर के इर्द-गिर्द लपेट ली और मेरे ऊपर वाले होंठ को अपने मुँह में भर के चूसने लगी| मैं भी बेतहाशा उसके होंठों को चूस रहा था और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी| हमारी देखा-देखि काम्या को भी जोश आ गया और वो रोहित से चिपक गई और दोनों बुरी तरह Kiss करने लगे| इधर हमारी कैब आ गई और ड्राइवर ने कॉल किया| "सर मैं लोकेशन पर हूँ, आप कहाँ हैं?" ड्राइवर ने पूछा|

"एक मिनट!" इतना बोलते हुए मैं ऋतू को इसी तरह गोद में लिए बाहर आया और पीछे ही काम्या और रोहित भी आये| मैंने पीछे का दरवाजा खोला और सब से पहले काम्या घुसी और फिर मैं जैसे-तैसे ऋतू को गोद में लिए बैठ गया| रोहित आगे बैठा था पर ड्राइवर की नजर मेरे पर थी| "चलो भैया" मैंने उसे कहा तो वो आगे चला| इधर काम्या मेरे नजदीक आ कर बैठ गई और अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया| ऋतू पर तो सेक्स सवार हो चूका था और वो मेरी गर्दन के बायीं तरफ चूम रही थी| काम्या भी बहकने लगी थी और वो मेरी गर्दन के दाएं तरफ चूमना चाहती थी पर मैंने उसे ऊँगली से इशारा कर के मना कर दिया| मेरे दोनों हाथ ऋतू की पीठ पर चल रहे थे और लंड नीचे से ऋतू की गांड पर दस्तक दे रहा था| मैंने भी ऋतू की गर्दन की बायीं तरफ धीरे से काट लिया और ऋतू बस सिसक रह गई| होटल पहुँचने तक मैं बस उसकी गर्दन को चूमता रहा और ऋतू भी मेरी गर्दन को चूम रही थी| मुझे तो फिर भी थोड़ी शर्म थी की मेरे अलावा वहाँ तीन और लोग हैं पर ऋतू पूरी तरह बेकाबू थी और वो धीरे-धीरे मेरी गर्दन को चूमे जा रही थी| ट्रैफिक नहीं था तो हम जल्दी ही होटल पहुँच गए, ड्राइवर ने रोहित को हिला कर जगाया| काम्या दूसरी तरफ से उतरी और ऋतू भी मेरी गोद से उत्तरी और मैंने ड्राइवर को पैसे दिए और थोड़े एक्स्ट्रा भी दे दिए! लॉबी से कमरे तक हम चारों लड़खड़ाते हुए चल के पहुँचे|

रोहित और काम्या का कमरा पहले था और मेरा और रितिका कमरा आखिर में था| अंदर घुसते ही मैंने दरवाजे की चिटकनी लगाईं और ऋतू मुझ पर टूट पड़ी| वो फिर से मेरी गोद में चढ़ गई और सीधा अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी| ऋतू को अपने दोनों हाथों से थामे मैंने उसे बिस्तर पर ला कर पटक दिया| उसकी आँखों में देखते हुए मैंने अपनी कमीज के बटन जल्दी-जल्दी खोलने शुरू किये, फिर पैंट भी निकाल के फेंक दी और पूरा नंगा हो कर ऋतू के कपडे उतारने का वेट करने लगा| ऋतू ने भी फटाफट अपना ओप उतार फेंका, फिर अपनी ब्रा भी निकाल फेंकी| उसने अपनी जीन्स के बटन खोले और मैंने उसकी जीन्स खींच के निकाल दी और उस पर कूद पड़ा| ऋतू का जिस मेरी दोनों टांगों के बीच था और मैं उसके चेहरे को थामे उसके होंठ चूसने लगा| मेरे पास सब्र करने का बिलकुल समय नहीं था, इसलिए मेंने अगला हमला ऋतू की गर्दन पर किया| अपने दाँतों को ऋतू की गर्दन पर गाड़ के मैंने उसे जोर से काट लिया| "आअह!" कहते हुए ऋतू ने अभी अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए| दर्द से ऋतू सीसिया रही थी पर मुझे तो जैसे उसके दर्द की कोई परवाह ही नहीं थी| मैं नीचे को आया और उसके बाएँ स्तन को अपने मुंह में भर कर अपने दाँत गड़ा दिए| अपने बाएं हाथ से मैंने ऋतू के दाएँ स्तन को मुट्ठी में भर कर उसे निचोड़ने लगा और उसके बाएँ स्तन को दाँतों से काट और चूसने लगा| मेरी उँगलियाँ ऋतू के दाएँ स्तन पर छप चुकीं थीं और मेरे दाँतों ने ऋतू के बाएँ स्तन को लाल कर दिया था| मैं नीचे आया तो पाया की उसकी पैंटी अब भी उसकी बुर को ढके हुए है| मैंने अपने दाएँ हाथ से उसकी कच्ची को पकड़ के खींचा पर वो फटी नहीं, मुझे गुस्सा आया और मैं ने जोर से उसकी पैंटी खींच कर निकाल फेंकी| ऋतू की पहले से गीली बुर मेरे आँखों के सामने थी, मैं जितना मुंह खोल सकता था उतना खोला और जीभ निकाल कर ऋतू की बुर को अपनी जीभ से ढक दिया| गर्म जीभ का स्पर्श मिलते ही ऋतू कसमसाने लगी| उसने अपने दोनों हाथों की उँगलियों से मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुंह को अपनी बुर पर दबाने लगी| मैंने भी जीभ से पहले ऋतू के क्लीट को छेड़ा और फिर उसके बुर के कपालों को चूसने लगा| पर नीचे मेरे लंड की हालत बहुत खराब थी| खून का बहाव मेरे लंड पर बहुत तेज था और मेरे लंड में जलन होने लगी थी| लघभग १ मिनट की बुर चुसाई और फिर मैं ऋतू के ऊपर आ गया और अपने दाहिने हाथ से अपने लंड को पकड़ के ऋतू की बुर पर दबाने लगा| अभी सिर्फ लंड का सुपाड़ा ही अंदर गया था की ऋतू अपनी गर्दन को दाएँ-बाएँ पटकने लगी| पर मैं इस बार उसके दर्द की परवाह नहीं कर रहा था और धीरे-धीरे अपना लंड दबाते हुए उसकी बुर में पेल दिया| लंड धीरे-धीरे पूरा अंदर चला गया और ऋतू की बच्चेदानी से टकराया| अब मेरे लंड को आराम मिल रहा था और मैं कुछ देर ऐसे ही ऋतू पर पड़ा रहा| इसी टाइम में ऋतू की बुर ने भी खुद को मेरे लंड के अनुसार एडजस्ट कर लिया| दो मिनट बाद ही मेरे लंड में ताक़त आ गई और मैंने धक्के मारने शुरू कर दिए| आज मेरे धक्कों में पहले के मुक़ाबले बहुत तीव्रता थी और हार ढ़ाके के साथ ऋतू के स्तन हिल रहे थे| ऋतू ने अपने दोनों हाथों के नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए थे जिससे मेरी गति और तेज हो चली थी| दस मिनट तक मैंने कस कर ऋतू को निचोड़ डाला था और हम दोनों ही पसीने से तर थे पर दोनों में से कोई भी अभी तक झडा नहीं था| मैं बिना अपना लंड ऋतू की बुर से निकाले ऋतू के बगल में लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया| ऋतू ने अपने हाथों से अपने बाल बांधे और तेजी से मेरे लंड पर उछलने लगी| पाँच मिनट में वो तक गई और मेरे सीने पर सर रख कर साँस लेने लग गई, पर उसके रूकते ही जैसे मेरे लंड ने उसकी बुर में फड़कना शुरू कर दिया था| मैंने अपने दोनों कूल्हे हवा में उठाये और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए| ऋतू के स्तन थोड़े लटक गए थे और वो मेरे हर धक्के के साथ हिल रहे थे| पाँच मिनट से ज्यादा मैं भी इस पोजीशन पर नहीं टिक पाया और तक कर अपने कूल्हे नीचे टिका दिए| हैरानी की बात ये थी की ऋतू और मैं दोनों अब भी टिके थे!


अब माने ऋतू को अपने ऊपर से धकेल के दूसरी तरफ फेंक दिया और मैं बिस्तर से उठ खड़ा हुआ| जिस तरफ ऋतू के पाँव थे मैं उस तरफ पहुँचा और उसके पाँव पकड़ के उसे नीचे की तरफ खींचा| ऋतू उठ के बैठ गई और उसकी नजरों के सामने मेरा लंड लहरा रहा था| लंड थोड़ा चमक रहा था क्योंकि उस पर ऋतू के बुर का रस लगा हुआ था, मुझे आगे ऋतू को कुछ कहना नहीं पड़ा और उसने गप्प से मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया| कुछ ही सेकंड में उसने अपने मुँह में थूक इकठ्ठा कर लिया और मेरा पूरा लंड उसके गर्म थूक से नहा गया| ऋतू ने धीरे-धीरे मेरे लंड को निगलना शुरू कर दिया| उसके मुँह की गर्माहट मेरे लंड में हो रहे दर्द को आराम दे रही थी और मेरे हाथ अपने हाथ उसके सर पर आ चुके थे| धीरे-धीरे ऋतू मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले गई और ये देख कर मेरी आँखों के आगे सुकून से भरा अँधेरा छा गया| अब ऋतू ने धीरे-धीरे अपने मुँह को मेरे लंड पर आगे-पीछे करना शुरू कर दिया| मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं आँखें बंद किये इस मजे का आनंद ले रहा था| मुझे तो अपनी कमर भी नहीं हिलानी पद रही थी क्योंकि ऋतू इतनी शिद्दत से मेरे लंड को चूस रही थी| पाँच मिनट तक मैं उसके मुँह का आनंद अपने लंड पर लेता रहा| फिर मैंने खुद ही लंड बाहर निकाला और ऋतू को ऊँगली के इशारे से पलटने को कहा| ऋतू पलंग के ऊपर अपने घुटने मोड़ कर घोड़ी बन गई! मैंने अपने दाहिने हाथ की चार उँगलियों पर खूब सारा थूक निकाला और ऋतू की बुर में सारी उँगलियाँ एक साथ घुसा दि| ऋतू की बुर अंदर से गीली हो चुकी थी और मैंने अपने दोनों हाथों से ऋतू के दोनों चूतड़ों को पकड़ के एक दूसरे से दूर किया और उसकी बुर के छेद पर अपना लंड टिका दिया| मैंने एक जोरदसार शॉट मारा और पूरा लंड अंदर तक चीरता हुआ चला गया; "आह...हहहह…ममम...आअअ अ अ अ अ अ अ अ अह्ह्म्म मम ममममम" कर के ऋतू करहाने लगी| उसकी करहाने की आवाज सुन के मुझे थोड़ा होश आया और मैंने दायीं तरफ टेढ़ा हो कर उसके चेहरे की तरफ देखा तो वो गर्दन नीचे झुका कर सिस्क रही थी| मेरा लंड तो पहले ही पूरा का पूरा उसकी बुर में समां चूका था तो मैंने उसकी पीठ पर झुक कर उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और अपने दोनों हाथ से मींजने लगा| मेरा ऐसा करने से दस सेकंड में ही ऋतू का दर्द कम हो गया और उसने अपने कूल्हों को पीछे धकेलना शुरू कर दिया| मैं उसका सिग्नल समझ गया और अपना लंड धीरे से बाहर निकाला और फिर धीरे से अंदर पेल दिया| 2-3 मिनट तक मैं ऐसे ही धीरे-धीरे धक्के मारता रहा पर ऋतू ने खुद कहा; "जानू!....स.स.स.स.स.स.स... तेज...और तेज!" उसकी बात मानते हुए मैंने अपनी रेल गाडी तेज कर दी और लंड तेजी से अंदर पेलना शुरू कर दिया| मेरे धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज हो गई थी; "अ.स.स.स.स.स्सा..अ.अ.अ.अ.हहह...नं.म.म.." की आवाज पूरे कमरे में गूँजने लगी थी| 10 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई और अब ऋतू की हालत खराब होने लगी थी| उसकी टांगें कांपने लगी थी और मेरे अगले धक्के के साथ ही वो बिस्तर पर पस्त हो कर गिर पड़ी| मेरा लंड उसकी बुर से फिसल कर बाहर आ गया था पर लंड की कसावट कम नहीं हुई थी| मैं बिस्तर वापस चढ़ा और ऋतू को पलट कर सीधा किया, वो बुरी तरह हाँफ रही थी पर झड़ी वो भी नहीं थी| पर मेरा लंड इतना अकड़ चूका था की उसका दर्द कम ही नहीं हो रहा था| मैं ऋतू की टांगें चौड़ी की और अपना लंड फिर से उसकी बुर में पेल दिया| अपनी कमर को फुल स्पीड से आगे-पीछे कर रहा था| मेरा लंड तो जैसे ऋतू की बुर में अपनी जगह बना चूका था और बड़ी आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था| अगले 20 मिनट मैंने ऋतू की फुल स्पीड चुदाई की, ऋतू के मुँह से तो जैसे शब्द निकलने ही बंद हो गए थे| वो मेरे हर झटके के साथ बस हिल भर रही थी| 20 मिनट बाद ऋतू के अंदर का ज्वालमुखी फटा; "आह..हहह...ननन...मममम..." करहाते हुए वो उठ के मेरे सीने से चिपक गई ताकि मैं और झटके ना मारु| पूरे एक मिनट तक वो चिपकी रही मुझसे और उसकी बुर से सारा रस बिस्तर पर टपक रहा था| पसीने से तरबतर हम दोनों एक दूसरे से चिपटे रहे, झड़ने के एक मिनट बाद ऋतू धड़ाम से वापस गिर गई| पर मेरे लंड को चैन नहीं मिला था, मैंने इतनी तेजी से झटके मारने शुरू किये की पूरा पलंग हिलने लगा था और 10 मिनट बाद मैं भी उस की बुर में झाड़ गया और पस्त हो कर बगल में गिर गया| साँस इतनी तेज चल रही थी की पूछो मत, पसीने से हाल बुरा था और बेचारी ऋतू में तो जान ही नहीं बची थी वो तो बेसुध हो चुकी थी|


घडी में 3:30 बजे थे, मतलब हम करीबन 1 घंटे भर से ताबड़तोड़ सेक्स कर रहे थे! अब तो इतनी भी जान नहीं थी की उठ के अपना लंड साफ़ कर सकूँ| आँखें कब बंद हुईं और कब सुबह हुई कुछ पता नहीं चला| सुबह 11 बजे नींद खुली जब भूख से पेट में 'गुर्रर' होने लगी| मैं उठा पर सर बहुत भारी था और आँखें तो जैसे खुल ही नहीं रही थी| मैंने उठ के ऋतू को देखा तो वो अब भी दोनों टांगें चौड़ी कर के पड़ी थी जैसे रात को मैंने उसे आखरी बार देखा था| मैंने उसका साँस चेक किया तो पाया की वो जिन्दा है!
 
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मैं उसकी तरफ करवट ले कर लेट गया, अपनी उँगलियों से ऋतू के बाएँ गाल को सहलाने लगा| उँगलियाँ सहलाते हुए मैं उसकी गर्दन तक ले आया और फिर धीरे-धीरे उस के स्तनों के ऊपर| ऋतू के दोनों स्तन लाल थे, मैंने आगे बढ़ कर ऋतू के दाएँ स्तन को मुंह में ले लिया और धीरे-धीरे प्यार से उसे चूसने लगा| मैं बहुत आहिस्ते-आहिस्ते ऋतू के स्तन को निचोड़ कर पी रहा था और अब ऋतू के जिस्म में हरकत शुरू हो गई थी| "उम्..ममम...हम्म्म...अह्ह..!!!" कराहते हुए उसने अपने दाएँ हाथ को मेरे सर पर रख दिया और अपनी उँगलियाँ मेरे बालों में फिरानी शुरू कर दी| मैं रूका और ऋतू की तरफ देखने लगा, उसकी आँखें अभी भी बंद थी| मैं ऊपर की तरफ आया और उसकी पलकों को धीरे से चूम लिया| फिर नीचे को आया और उसके अध् खुले अधरों को चूम लिया, तब जा कर ऋतू की आँख धीरे-धीरे खुली| ऋतू बहुत धीरे से बुदबुदाते हुए बोली; "जानू!" मुझे तो ऐसा लगा जैसे उसमें शक्ति ही नहीं बची कुछ बोलने की| मैं अपने बाएं कान को उसके होठों के पास ले गया, तब ऋतू बुदबुदाते हुए बोली; "जानू! सर दुःख रहा है! बदन टूट रहा है|" मैं समझ गया की मुझे क्या करना है| मैं उठ के खड़ा हुआ और ऋतू को अपनी गोद में उठाया और उसे बाथरूम में ले आया| कमोड पर ऋतू को बिठाया और गर्म पानी का शावर चालु किया| जैसे ही गर्म पानी की बूँदें हमारे शरीर पर पड़ीं, जिस्म को चैन आया| ऋतू अब भी आँखें बंद किये हुए गर्दन पीछे किये हुए बैठी थी| पानी की बूँदें उसके चेरे से होती हुई उसके स्तन पर गिर रही थीं| धीरे-धीरे ऋतू की आँखें खुलीं और मुझे खुद को इस तरह देखते हुए वो शर्मा गई और मुस्कुराते हुए दूसरी तरफ मुँह कर लिया| मैंने अपने दाहिने हाथ से ऋतू की ठुड्डी को पकड़ के अपनी तरफ घुमाया, ऋतू ने अपनी आँखें मूँद ली थी और मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था|
शर्म भी इक तरह की चोरी है…
वो बदन को चुराए बैठे हैं…


ये शेर सुन कर ऋतू ने आँखें खोलीं और बैठे-बैठे ही मेरी कमर को अपने हाथ से थाम लिया| "अच्छा मेरी जानेमन! अब आपको कैसा लग रहा है?" मैंने ऋतू से पूछा तो वो मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी हुई और बोली; "बेहतर लग रहा है|" मैंने साबुन उठाया और अपने और ऋतू के ऊपर वाले बदन पर लगाया, नीचे लगाने के लिए जब मैं झुका तो उसने मुझे रोक लिया और खुद अपने और मेरी टांगों में साबुन लगाया| फिर उसने साबुन से मेरे लंड को साफ़ किया और फिर अपनी बुर को| अच्छे से नाहा-धो कर हम दोनों बाहर आये और अब काफी तरो-ताजा महसूस कर रहे थे| ऋतू की नजर जब बिस्तर पर पड़ी तो उसे जैसे रात का एक-एक वाक्य याद आ गया और वो खुद हैरानी से मुझे देखने लगी| उसे और मुझे खुद यक़ीन नहीं हो रहा था की कल रात को हम दोनों को आखिर हुआ क्या था जो हम सेक्स के लिए इस तरह पागल हो गए थे|

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई, मैंने दरवाजा खोला तो बाहर काम्या और रोहित खड़े थे| हालाँकि मैंने उनका रास्ता रोका हुआ था पर फिर भी काम्या मजाक-मजाक में मुझे अंदर की तरफ धकेलते हुए अंदर आ गई और बिस्तर की हालत देख कर अपने दाएँ हाथ से अपने माथे को पीटा| पीछे से रोहित भी अंदर आ गया और मेरी पीठ थपथपाने लगा| मैं हैरानी से उसकी तरफ देख रहा था की तभी काम्या बोली; "मानु जी! आप तो सच्ची बड़े बेदर्दी हो! मेरी फूल सी दोस्त की रात भर में हालत ख़राब कर दी आपने?"

"इसका क्रेडिट मुझे जाता है?" रोहित बड़े गर्व से बोला और हम तीनों उसकी तरफ देखने लगे|

"क्या मतलब?" काम्या बोली|

"मैंने बारटेंडर से XXX सेक्स ऑन दा रॉक्स बनाने को कहा था, उसने हमारी ड्रिंक्स में वायग्रा डाल दी थी|" उसने हँसते हुए कहा, अब ये सुन कर तो मैंने अपना सर पीट लिया और मैं सोफे पर बैठ गया| "मेरी और आपकी ड्रिंक्स में तो डबल डोज था!" उसने ठहाका मारते हुए कहा|

"तेरा दिमाग ख़राब है बहनचोद!" मैंने उसे डाँटते हुए कहा| "चूतिया हो गया है क्या? वियाग्रा कभी ड्रिंक्स के साथ लेते हैं? वो भी डबल डोज़?" मैंने उसे गुस्सा करते हुए कहा|

"सॉरी ब्रो! मैं तो बस मजे के लिए...."

"अबे काहे के मजे? तेरे मजे के चक्कर में बेचारी ऋतू बेहोश हो गई थी! साले उसे कुछ हो जाता न तो सोच नहीं सकता की मैं तेरा क्या हाल करता!" मैंने सोफे से उठते हुए रोहित को आँखें दिखाते हुए कहा| तभी काम्या मेरे पास आई और हाथ जोड़कर माफ़ी माँगते हुए बोली; "मानु जी! माफ़ कर दो! मैं इसकी तरफ से आपसे माफ़ी मांगती हूँ|" अब चूँकि आज उसका जन्मदिन था तो मैंने बस हाँ में गर्दन हिलाई और ऋतू की तरफ देखा जो डर के मारे गर्दन झुका कर खड़ी थी|

मैं चल कर ऋतू के पास पहुँचा और उसे गले लगा लिया, उसे बुरा लग रहा था की उसने ऐसे नासमझ दोस्त बनाये जिस के कारन आज मुझे इतना गुस्सा आया| "सॉरी मानु जी! मेरा कोई गलत मकसद नहीं था.....I’m extremely sorry!” ऋतू की वजह से मैंने बात को ज्यादा नहीं खींचा और उसे माफ़ कर दिया| “Let’s order some black coffee; this headache is killing me!” सब ने ब्लैक कॉफ़ी के लिए हाँमि भरी और मैंने साथ में आलू के परांठे भी मंगाए| अब चूँकि हमारा कमरा पहले से ही तहस-नहस था तो हम अपना खाना ले कर काम्या वाले कमरे में चले गए| उनका कमरा हमारे कमरे के ठीक उलट था, वहाँ तो सब कुछ ठीक-ठाक था| लग ही नहीं रहा था की वहाँ कोई चुदाई हुई है! खेर मैंने इस बारे में कुछ नहीं कहा और सोफे पर बैठ के नाश्ता करने लगा| ऋतू ने टी.वी. पर गाने लगा दिए और हम चुप-चाप बैठ के खाने लगे| खाने के बाद अनु मैडम का फ़ोन आया और मैं उनका कॉल लेने के लिए बाहर चला गया| आज मैडम का मूड बिलकुल ऑफ था और वो काफी मायूस लग रही थीं| मैंने पूछा भी पर उन्होंने टाल दिया और बात घुमा दी| मैंने उन्हें कुछ मेल फॉरवर्ड किये और एक लास्ट मेल में उन्हें CC करते हुए अंदर आया| मेरी नजर अब भी फ़ोन में थी और जब मैं अंदर घुसा तो काम्या बोली; "क्या मानु जी? यहाँ भी काम? यहाँ तो हम एन्जॉय करने आये हैं|"

"ऑफिस का एक प्रोजेक्ट है, बीच में छोड़ के आया हूँ और ऊपर से ऋतू भी यहीं है! इसलिए कुछ मेल्स फॉरवर्ड करने थे!" मैंने कहा और फ़ोन जेब में रख कर वापस बैठ गया| "तो आज कहाँ का प्रोग्राम है?" काम्या ने मुझसे पुछा?

"यहाँ पर किले हैं देखने के लिए, जंतर मंतर है और हाँ जल महल भी है|" मैंने कहा तो काम्या बोली; "किले देखने कल चलेंगे! कल रात की थकावट अब भी है|" हम तैयार हो के निकले और पहले जंतर-मंतर गए| आगे-आगे मैं और ऋतू थे एक दूसरे का हाथ थामे और पीछे रोहित और काम्या| अचानक से काम्या आई और ऋतु के कंधे पर हाथ रख कर उसे मेरे से दूर ले गई| दोनों एक तरफ जा कर सेल्फी खींचने लगीं| मैं अकेला था तो मैं चुपचाप चल रहा था और वहाँ जो कुछ लिखा था उसे पढ़ रहा था| तभी पीछे से रोहित आ गया और मुझे कंपनी देते हुए वो भी पढ़ने लगा| दोनों लडकियां फोटो खींचते हुए बातें कर रहीं थी और मैं और रोहित बेंच पर चुपचाप बैठे थे|

काम्या: रितिका....तू और मैं बेस्ट फ्रेंड्स हैं ना?

ऋतू: हाँ पर क्यों पुछा?

काम्या: देख तू ने मेरे लिए इतना कुछ किया, अपने बॉयफ्रेंड के साथ यहाँ मेरा बर्थडे सेलिब्रेट करने आई और....और वो भी कितना अंडरस्टैंडिंग है! तेरी कितनी केयर करता है, तुझे कितना प्यार करता है!

ऋतू: क्यों रोहित तुझे प्यार नहीं करता?

काम्या: वो तो साला चूतिया है! कल देख कितना अच्छा मौका था, हरामखोर ने दो-दो वायग्रा खाईं पर साले ने कुछ किया ही नहीं?! कुत्ता मेरे से पहले ही झाड़ गया और मैं बेचारी तड़पती रही! जब दुबारा इसका खड़ा हुआ तब मुझे उठाने आया तो मैंने भी इसकी गांड पर लात मार दी, भोसड़ी का लंड हिला कर सो गया रात को! पर तेरे तो मजे हैं! पूरी रात मानु जी ने तेरी जी तोड़ कुटाई की! तेरा तो जीवन धन्य हो गया! काश की मुझे भी कोई ऐसा मिला होता!

ऋतू: अब मैं हूँ तो नसीब वाली पर तू मेरी किस्मत को नजर मत लगा! तू ऐसा कर छोड़ दे इस लड़के को!

काम्या: वही तो नहीं कर सकती ना! ये साला बहुत पैसे वाला है और ऊपर से मेरे कण्ट्रोल में है, मेरी उँगलियों पर नाचता है ये!

इतना कह कर काम्या कुछ सोचने लगी और फिर बोली;

काम्या: सुन? ..... आज मेरा बर्थडे है....मैं अगर तुझसे कुछ माँगू तो तू मना तो नहीं करेगी?

ऋतू: यार मेरे पास है ही क्या तुझे देने को?

काम्या: नहीं तू दे सकती है|

ऋतू: अच्छा? चल बोल क्या चाहिए मेरी दोस्त को? (ऋतू ने काम्या के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा|)

काम्या: मुझे बस आज की रात मानु जी के साथ गुजारनी है|

ये सुनते ही ऋतू के जिस्म में आग लग गई| उसने जो हाथ अभी तक काम्या के कंधे पर रखा था वो झटके से हटाया और उसे जोर से धक्का देते हुए बोली;

ऋतू: तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसा कहने की?

काम्या: देख प्लीज...तू...

ऋतू: (बीच में बात काटते हुए) मुझे कुछ नहीं सुनना, तेरी गन्दी नियत मुझे आज पता चल गई| आज के बाद मुझे कभी अपनी शक्ल मत दिखाइओ और खबरदार जो तू उनके आस-पास भी भटकी तो, जान ले लूँगी तेरी!

काम्या: अरे सुन तो सही....

पर ऋतू रुकी नहीं और मुझे ढूंढते हुए तेजी से एग्जिट गेट पर पहुँच गई| मैं और रोहित वहीँ खड़े थे और बात कर रहे थे| मेरी नजर अब तक ऋतू पर नहीं पड़ी थी;

रोहित: ब्रो... help me .... काम्या मुझसे पटती ही नहीं! कल रात भी मैंने उसी के चक्कर में सब को वायग्रा खिलाई थी पर साली ने मुझे रात में छूने भी नहीं दिया| कुछ तो बताओ मैं क्या करूँ?

मैं: देख ... पहली बात तो ये जो तू अमेरिकन एक्सेंट बकता है इसे बंद कर, तू कतई इसमें चूतिया लगता है! देसी है देसी बन! उसे ये तेरा अमेरिकन गैंगस्टर लुक नहीं चाहिए... मॉडर्न होना ठीक है पर इतना भी नहीं की चूतिये दिखो|

अभ हमारी इतनी ही बात हुई थी की रोती-बिलखती ऋतू मेरे पास आई और मैं उसे इस तरह रोता हुआ देख समझ नहीं पाया की वो रो क्यों रही है; "चलो आप! हम अभी घर जा रहे हैं|" इतना कह कर वो मुझे खींच कर बाहर ले आई| मैंने कई बार उससे पूछा की बात क्या है पर वो कुछ नहीं बोली और हम सीधा होटल पहुँचे| कमरे में घुसते ही उसने सामान समेटना शुरू कर दिया| "जान! बताओ तो सही हुआ क्या?" मैंने ऋतू से प्यार से पुछा|

ये सुनते ही ऋतू गुस्से में बोली; "वो कुतिया कह रही थी की उसे आपके साथ सोना है!" ये सुनते ही मुझे भी बहुत गुस्सा आया और इससे पहले की मैं कुछ बोलता ऋतू ही बोल पड़ी; "गलती सारी मेरी ही थी, मुझे भी पता नहीं किस कुत्ते ने काटा था की मैंने इसे अपना दोस्त बनाया| आपने इतना समझाया था की दोस्त चुन कर बनाना और मुझे यही कामिनी मिली| ये तो गनीमत है की मैंने इसे हमारे बारे में कुछ भी सच नहीं बताया वर्ण ये तो मुझे आज ब्लैकमेल कर के आपके साथ सब कर लेती| अच्छा हुआ जो मुझे इस हरामजादी के रंग पहले ही पता चल गए|" इतना कहते हुए ऋतू पलंग पर बैठ गई और अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपा कर रोने लगी| मैं ऋतू के सामने घुटनों के बल खड़ा हुआ और उसे चुप कराया| "बस मेरी जान! चलो कपडे पैक करो हम अभी चेकआउट करते हैं|" हम अभी लॉबी में पहुँचे थे की वहाँ रोहित और काम्या मिल गए| काम्या ने रोहित से कुछ भी नहीं कहा था, मेरे हाथ में बैग देखते ही वो समझ गई की क्या माजरा है| उसने फिर से ऋतू को रोकने की कोशिश की, इधर मैं रिसेप्शन पर अपने रूम का चेकआउट करवा रहा था| "क्या हुआ ब्रो?" रोहित ने पुछा|

"Go and ask Kamya!" मैंने कहा|

"She's not telling me shit!" उसने जवाब दिया पर मैं आगे कुछ नहीं बोला और अपने रूम की सारी पेमेंट कर दी| उधर काम्या ने ऋतू का हाथ पकड़ा हुआ था और उसे रोक रही थी; "यार बात तो सुन!" काम्या ने मिन्नत करते हुए कहा| ऋतू ने बड़े जोर से उसका हाथ झटक दिया और बोली; "Stay away from me!" इतना कह कर वो तेजी से चल के मेरे पास आई| रिसेप्शन पर जो कोई था वो सब उन दोनों को ही देख रहे थे| बाहर से ऑटो किया और हम बस स्टैंड पहुँचे पर पूरे रास्ते ऋतू ने मेरा दाहिना हाथ थामा हुआ था, उसका सर मेरे कंधे पर था| बस स्टैंड पहुँच कर पता चला की अगली बस एक घंटे बाद की है, अब भूख लग आई थी पर ऋतू बहुत-बहुत उदास थी| जब मैंने उससे कहा की मैं कुछ खाने को लाता हूँ तो वो इस कदर घबरा गई जैसे मैं उसे छोड़के काम्या के पास जा रहा हूँ| ऋतू मेरे सीने पर सर रख कर बैठी रही और मैं बस उसके सर पर हाथ फेरता रहा| बस आई और हम दोनों बैठ गए, ऋतू ने अपना फ़ोन निकाला और काम्या और रोहित का नंबर ब्लॉक कर दिया| उसके साथ खींची हर फोटो को उसने डिलीट कर दिया, ऐसा करने से उसे ऐसा लग रहा था मानो की उसने काम्या को अपनी जिंदगी से निकाल फेंका है|
 
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बस आधे रास्ते पहुँची थी, रात के 8 बजे थे तो मैं ऋतू को अपने साथ ले कर नीचे उतरा और उसे खाने को कुछ कहा| उसके लिए मैंने परांठे मंगाए और मैंने बस एक चिप्स का पैकेट लिया| खाना खा कर हम वापस अपनी सीट पर बैठ गए, ऋतू ने अपना सर मेरे सेने पर रख दिया था और अपनी बाहें मेरी कमर के इर्द-गिर्द कस ली थीं|

मैं: जान! क्यों परेशान हो आप? मैं आपके पास हूँ ना?

ऋतू: आपको खो देने से डर लगता है|

मैं: ऐसा कभी नहीं होगा|

अब मुझे कैसे भी कर के ऋतू की बेचैनी मिटानी थी;

मैं: अच्छा एक बात तो बताओ आप ये रिंग हमेशा पहने रहते हो?

ऋतू: सिर्फ हॉस्टल के अंदर नहीं पहनती वरना आंटी जी पूछती|

ऋतू ने बड़े बेमन से जवाब दिया|

मैं: Hey! .... जान! अच्छा एक बात बताओ?

ऋतू: हम्म

मैं: शादी कब करनी है?

ये सुनते ही ऋतू की आँखें चमक उठीं और वो मेरी तरफ आस भरी नजरों से देखने लगी|

ऋतू: आप .... सच?

मैं: मैंने आपको प्रोपोज़ कर दिया और तो और हम दोनों ...you know ... बहुत क्लोज आ चुके हैं तो अब बस शादी करना ही रह गया है|

ऋतू: (खुश होते हुए) मेरे फर्स्ट ईयर के पेपर हो जाएँ फिर|

मैंने ऋतू के माथे को चूम लिया और अब ऋतू की खुशियाँ लौट आईं थी| मैंने ऋतू से उसका दिल खुश करने को कह तो दिया था पर ये डगर बहुत कठिन थी| मेरे दिमाग बस यही सोच रहा था की कहीं से मुझे कोई ट्रांसफर का ऑप्शन मिल जाए ताकि मैं ऋतू का कॉलेज कॉरेस्पोंडेंस/ ओपन में ट्रांसफर कर दूँ जिससे उसकी पढ़ाई बर्बाद ना हो| आखरी ऑप्शन ये था की मैं उसकी पढ़ाई छुड़ा दूँ और जब हम दोनों शादी कर के सेटल हो जाएँ तब वो फिर से अपनी पढ़ाई शुरू करे, पर उसमें दिक्कत ये थी की उसे फर्स्ट ईयर से शुरू करना पड़ता| यही सब सोचते हुए मैं जगा रहा और रात के सन्नाटे में गाड़ियों को दौड़ते हुए देखता रहा| रात 2 बजे बस ने हमें लखनऊ उतारा, मैंने कैब बुक की और हम घर आ गए| मैंने सामान रखा और ऋतू बाथरूम में घुस गई| इधर मुझे भूख लग रही थी तो मैंने मैगी बनाई और तभी ऋतू बाहर आ गई| "मैं भी खाऊँगी!" कहते हुए ऋतू ने मुझे पीछे से कस कर जकड़ लिया| उसने अभी मेरी एक टी-शर्ट पहनी थी और नीचे एक पैंटी थी बस! मैंने अभी कपडे नहीं उतारे थे, ऋतू ने पीछे से खड़े-खड़े ही मेरी कमीज के बटन खोलने शुरू कर दिए| फिर वो अपना हाथ नीचे ले गई और मेरी पैंट की बेल्ट खोलने लगी| धीरे-धीरे उसे भी खोल दिया, अब उसने ज़िप खोली और फिर बटन खोला| पैंट सरक कर नीचे जा गिरी, मैं ऋतू का ये उतावलापन देख रहा था और मुस्कुरा रहा था| आखरी में उसने मेरी कमीज भी निकाल दी और अब बस एक बनियान और कच्छा ही बचा था| उसका ये उतावलापन मेरे अंदर भी आग लगा चूका था, मैंने गैस बंद की और ऋतू को गोद में उठा कर उसे बिस्तर पर लिटाया| अपनी बनियान निकाल फेंकी और ऋतू के ऊपर छा गया| ऋतू ने अपने दोनों हाथों से मेरे चेहरे को पकड़ा और मेरे होठों को अपने होठों से मिला दिया| मैंने अपनी जीभ उसके में में प्रवेश कराई थी की उसने मुझे धक्का दिया और खुद मेरे पेट पर बैठ गई| अपने निचले होंठ और जीभ के साथ उसने मेरे ऊपर वाले होंठ को अपने मुँह भर लिया| इधर मैंने उसकी टी-शर्ट के अंदर हाथ दाल दिया और उसके स्तनों को धीरे-धीरे मींजने लगा| वो मुलायम एहसास आज मुझे पहली बार इतना सुखदाई लग रहा था, मन कर रहा था की कस कर उन्हें दबोच लूँ और उमेठ लूँ पर आज मैं अपने प्यार को दर्द नहीं प्यार देना चाहता था| दो मिनट में ही ऋतू की बुर गीली हो गई और मुझे उसका गीलापन अपने पेट पर उसकी पैंटी से महसूस होने लगा| वो अब भी बिना रुके मेरे होठों का रस पान करने में व्यस्त थी, उसके हाथों का दबाव मेरे चेहरे पर बढ़ने लगा था| मैंने ऋतू को धीरे-धीरे अपने मुँह से दूर करना चाहा पर वो तो जैसे मेरे होठों को छोड़ना ही नहीं चाहती थी| बड़ी मुश्किल से मैंने उससे अपने होंठ छुड़ाए और उसकी आँखों में देखा तो मुझे एक ललक नजर आई| उस ललक को देख मेरा मन बेकाबू होने लगा और इधर ऋतू के जिस्म में तो सेक्स की आग दहक चुकी थी| उसने खड़े हो कर अपनी पैंटी निकाल फेंकी और धीरे-धीरे मेरे लंड पर बैठने लगी| पहले के मुकाबले आज लंड धीरे-धीरे अंदर फिसलता जा रहा था, ऋतू जरा भी नहीं झिझकी और धीरे-धीरे और पूरा का पूरा लंड उसने अपनी बुर में उतार लिया| शायद कल की जबरदस्त चुदाई के बाद उसकी बुर मेरे लंड की आदि हो चुकी थी! पूरा लंड जड़ तक समां चूका था और ऋतू बस गर्दन पीछे किये चुप-चाप बैठी थी| दस सेकंड बाद उसने अपनी कमर को क्लॉकवाइज़ घूमना शुरू कर दिया| अब ये मेरे लिए पहली बार था, अंदर से ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड ऋतू की बुर की दीवारों से हर जगह से टकरा रहा है| फिर पांच सेकंड बाद ऋतू ने अपनी कमर को एंटी-क्लॉकवाइज़ घुमाना शुरू कर दिया| मुझे अब इसमें भी मजा आने लगा था| फिर ऋतू रुकी और मेरा दोनों हाथ पकड़ के सहारा लिया और उकडून हो कर बैठ गई और मेरे लंड पर उठक-बैठक शुरू कर दी| लंड पूरा बाहर आता, बस टिप ही अंदर रहती और फिर ऋतू झटके से नीचे बैठती जिससे पूरा का पूरा लंड एक बार में सट से अंदर घुसता| पर बेचारी दो मिनट भी उठक-बैठक नहीं कर पाई और मेरी छाती पर सर रख कर लेट गई| मैंने अपने दोनों हाथो को उसकी कमर पर कसा और अपने कूल्हे हवा में उठाये और जोर-जोर से धक्के नीचे से लगाने शुरू कर दिए| "ससस..आह...हहह.ह.ह.ह.हह.ह.मम..म..उन्हक!" ऋतू की आवाजें कमरे में गूंजने लगी| जब ऋतू मेरे लंड पर उठक-बैठक कर रही थी तब उसके मुँह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी क्योंकि वो बहुत धीरे-धीरे कर रही थी पर अभी जब मैंने तेजी से उसकी बुर चुदाई की तो वो सिस्याने लगी थी| पांच मिनट तक पिस्टन की तरह मेरा लंड ऋतू की बुर में अंदर-बाहर होने लगा था| ऋतू ने अपने दाँतों को मेरी कालर बोन में धंसा दिया था| मैंने आसन बदला और ऋतू के नीचे ले आया और खुद पलंग से नीचे उतर कर खड़ा हो गया| मैंने ऋतू को खींचा उसकी दोनों टांगों के बीच खड़ा हुआ और ऋतू की कमर बिलकुल बसिटर के किनारे तक ले आया| फिर धीरे से अपना लंड उसकी बुर से भिड़ा दिया और धीरे-धीरे अंदर दबाने लगा| लंड पूरा का पूरा अंदर चला गया और मैं ऋतू के ऊपर झुक गया| उसके होठों को चूमा और उसकी आँखों में देखने लगा पर पता नहीं कैसे ऋतू समझ गई की मैं क्या चाहता हूँ| "जानू! फुल स्पीड!" इतना कह कर वो मुस्कुरा दी और उसकी ये बात मेरे लिए उस हरी झंडी की तरह थी जो किसी रेस कार को दिखाई जाती है| उसके बाद तो मैंने जो ताक़त लगा कर ऋतू की बुर में लंड अंदर-बाहर पेला की उसका पूरा जिस्म हिल गया था| ऋतू के हाथ बिस्तर को पकड़ना चाहते थे की कहीं वो गिर ना जाये पर मेरी रफ़्तार इतनी तेज थी की वो कुछ पकड़ ही नहीं पाई और अगले दस मिनट बाद पहले वो झड़ी और फिर मैं| झड़ते ही मैं ऋतू पर जा गिरा और उसने अपनी टांगों को मेरी कमर पर कस लिया, साथ ही अपने हाथों से मेरी गर्दन को लॉक कर दिया| कल रात के बाद ये दूसरा मौका था जब ऋतू ने मेरा साथ इतनी देर तक दिया था| करीब पाँच मिनट बाद जब दोनों की साँसे दुरुस्त हुईं तो हम अलग हुए और अलग होते ही लंड ऋतू की बुर से फिसल आया| लंड के साथ ही ऋतू के बुर में जमी मलाई भी नीचे टपकने लगी| मैं भी ऋतू की बगल में उसी की तरह टांगें लटकाये हुए लेट गया| पहले ऋतू उठी और जा कर बाथरूम में मुँह-हाथ धो कर आई और फिर मैं उठा| हमने किचन काउंटर पर खड़े-खड़े ही सूख कर अकड़ चुकी मैगी खाई| ऋतू ने बर्तन धोने चाहे तो मैंने उसे मना कर दिया, उसने फर्श पर से हमारी मलाई साफ़ की और हम दोनों बिस्तर पर लेट गए| सुबह के 4 बजे थे और अब नींद बहुत जोर से आ रही थी| मैं और ऋतू एक दूसरे से चिपक कर सो गए|


सुबह के 6 बजे ऋतू बाथरूम जाने को उठी और मेरी भी नींद तभी खुली पर मन नहीं किया की उठूँ| इसलिए मैं सीधा हो कर लेट गया, जब ऋतू बाथरूम से निकली तो उसकी नजर मेरे मुरझाये हुए लंड पर पड़ी| वो बिस्तर पर चढ़ी और मेरी टांगों के पास बैठ गई| मेरी आँख लग गई थी पर जैसे ही ऋतू ने मेरे लंड को अपने मुँह में लिया मैं चौंक कर उठा और ऋतू को देखा तो वो आज बड़ी शिद्दत से मेरे लंड को चूस रही थी| मेरे सुपाडे को वो ऐसे चूस रही थी जैसे की वो कोई टॉफी हो| अपनी जीभ से वो मेरे पूरे सुपाडे को चाट रही थी और उसके ऐसा करने से मेरे जिस्म के सारे रोएं खड़े हो चुके थे| मैंने अपने हाथों को ऋतू के सर पर रख दिया और उसे नीचे दबाने लगा| ऋतू समझ गई और उसने मेरे लंड को धीरे-धीरे अपने मुँह में उतारना शुरू कर दिया| 5 सेकंड में ही मेरा पूरा लंड उसके मुँह में उतर गया और ऋतू ऐसे ही रुकी रही| मेरी तो हालत खराब हो गई, उसकी गर्म सांसें और मुँह की गर्माहट मेरे लंड को आराम दे रही थी| अब ऋतू घुटनों के बल बैठी और अपने मुँह को मेरे लंड के ऊपर अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया| वो जब मुँहनीचे लाती तो लंड जड़ तक उसके गले में उतर जाता और फिर जब वो अपने मुँह को ऊपर उठाती तो बिलकुल सुपाडे के अंत तक अपने होठों को ले जाती| उसकी इस चुसाई के आगे मैं बस पॉँच मिनट ही टिक पाया और अपना गाढ़ा-गाढ़ा वीर्य उसके मुँह में उगल दिया| मुझे हैरानी तो तब हुई जब वो मेरा सारा का सारा वीर्य पी गई और मैं आँखें फाड़े उसे देख रहा था| वो मुझे देख कर मुस्कुराई और फिर बाथरूम चली गई, मैं उठ कर बैठ गया और दिवार से टेक लगा कर बैठ गया, सुबह से ऋतू के इस बर्ताव से मेरे जिस्म में खलबली मच चुकी थी| ऋतू ठीक वैसे ही सेक्स में मेरा साथ दे रही थी जैसा मैं चाहता था| जब ऋतू मुँह धो कर आई तो मेरी जाँघ पर सर रख कर लेट गई;

मैं: जान! एक बात तो बताओ? ये सब कहाँ से सीखा आपने?

ऋतू: (जान बुझ कर अनजान बनते हुए|) क्या?

मैं: (उसकी शरारत समझते हुए|) ये जो आपने गुड मॉर्निंग कराई अभी मेरी वो? और जो आप इतनी देर तक मेरे साथ टिके रहे वो? आपका सेक्स में खुल कर पार्टिसिपेट करना वो सब?

ऋतू: लास्ट टाइम आपने मुझे डाँटा था ना, तो मुझे एहसास हुआ की अगर मैं आपको खुश न रख सकूँ तो लानत है मेरे खुद को आपकी पत्नी कहने पर| इसलिए उस कुटिया से मैंने बात की और उसे कहा की मैं अपने बॉयफ्रेंड को sexually खुश नहीं कर पाती| तो उसने मुझे बहुत साड़ी पोर्न वीडियो दिखाई, इतनी तो शायद आपने नहीं देखि होगी! पर आलतू-फ़ालतू वीडियो नहीं ...कुछ वीडियो X - Art की थी, कुछ Fellatio वाली...कुछ कामसूत्र वाली और एक तो वो थी जिसमें एक टीचर कुछ कपल्स को एक साथ बिठा कर सिखाती है की अपने पार्टनर को खुश कैसे करते हैं|

ये सब बताते हुए ऋतू बहुत उत्साहित थी और मैं उसके इस भोलेपन को देख मुस्कुरा रहा था|

ऋतू: बाकी रहा मेरा वो सेल्फ कण्ट्रोल....तो उसके लिए मैंने बहुत एफर्ट किये! मस्टरबैशन बंद किया... थोड़ा योग भी किया...

ये कहते हुए वो हँसने लगी और मेरी भी हँसी निकल गई| सच्ची ऋतू बहुत ही भोलेपन से बात करती थी...

ऋतू: मैंने न....वो.... Kinky वाली वीडियो भी देखि.... बहुत मजा आया.... पर वो सब शादी के बाद!

इतने कह कर वो शर्मा गई और मेरी नाभि से अपना चेहरा छुपा लिया और कस के लिप्त गई| मैं उसके सर पर हाथ फेरने लगा और हम दोनों ऐसे ही सो गए| हम 11 बजे उठे और अब बड़ी जोर से भूख लगी थी| मैंने ऋतू से पूछा की क्या वो भुर्जी खायेगी तो उसने हाँ कहा और नहाने चली गई| अब चूँकि उसने कभी अंडा पकाया नहीं था इसलिए मैंने ही भुर्जी बनाई| जब ऋतू नहा कर आई तो पूरे कमरे में भुर्जी की खुशबु भर गई थी, ऋतू ने अभ भी मेरी एक टी-शर्ट पहनी हुई थी और नीचे अपनी पैंटी| वो चल कर मेरे पास आई और मैंने उसे ब्रेड से एक कौर खिलाया| पहला कौर खाते ही उसकी आँखें चौड़ी हो गईं और वो बोली; "Wow!!!" उसकी ख़ुशी छुपाये नहीं छुप रही थी| "मैंने उस दिन कहा था ना की मेरे हाथ की भुर्जी खाओगी तो याद करोगी!" मैंने ऋतू को वो दिन याद दिलाया| "आज से आप जो कहोगे वो हर बात मानूँगी|" ऋतू ने कान पकड़ते हुए कहा| फिर हमने डट के भुर्जी खाई और लैपटॉप में मूवी देखने लगे| शाम हुई तो ऋतू ने चाय बनाई और मैं उसे ले कर छत पर आ गया| छत पर टंकियों के पीछे थोड़ी जगह थी जहाँ मैं हमेशा बैठा करता था| वहाँ से सारा शहर दिखता था और रात होने के बाद तो घरों की छोटी-छोटी टिमटिमाती रौशनी देख के मैं वहीँ चुप-चाप बैठ जाय करता था| अंधेरा होना शुरू हुआ था और हम दोनों वहाँ बैठे थे, ऋतू का सर मेरे कंधे पर था और वो भी चुप-चाप थी| "हम बैंगलोर में भी ऐसा ही घर लेंगे जहाँ से सारा शहर दिखता हो| एक बालकनी जिसमें छोटे-छोटे फूल होंगे, रोज वहीँ बैठ कर हम चाय पीयेंगे| जब कभी लाइट नहीं होगी तो हम वहीँ सो जाएंगे, एक छोटा सा डाइनिंग टेबल जहाँ रोज सुबह मैं आपको नाश्ता ख़िलाऊँगी, हमारा बैडरूम जिसमें एक रोशनदान हो और सुबह की पहली किरण आती हो| हमारे प्यार की निशानी के लिए एक पालना... " ऋतू बैठे-बैठे हमारे आने वाले जीवन के बारे में सब सोच चुकी थी और सब कुछ प्लान कर चुकी थी|

"वैसे तुम्हे लड़का चाहिए या लड़की?" मैंने पूछा|

"लड़का... और आपको?" ऋतू ने मुझसे पुछा|

"लड़की.. जिसका नाम होगा 'नेहा'|" मैंने गर्व से कहा|

"और लड़के का नाम?"

"आयुष"

"आपने तो सब पहले से ही सोच रखा है?" ऋतू ने खुश होते हुए कहा|

हम दोनों वहीँ बैठे रहे और जब रात के नौ बजे तब नीचे आये| ऋतू ने रात का खाना बनाया और ठीक ग्यारह बजे हम खाना खाने बैठ गए| ऋतू मुझे अपने हाथ से खिला रही थी, पर जब मैंने उसे खिलाना चाहा तो उसने 1-2 कौर ही खाये| खाने के बाद उसने बर्तन धोये और हम लैपटॉप पर मूवी देखने लगे| मूवी में एक हॉट सीन आया और उसे देख कर ऋतू गर्म होने लगी| उसका हाथ अपने आप ही मेरे लंड पर आ गया और वो मेरे बरमूडा के ऊपर से ही उसे मसलने लगी| ऋतू के छूने से ही मेरे जिस्म में जैसे हलचल शुरू हो चुकी थी| पहले तो मैं खुद को अच्छे से कण्ट्रोल कर लिया करता था पर पिछले दो दिनों से मेरा खुद पर काबू छूटने लगा था| मैंने लैपटॉप पर मूवी बंद कर दी और गाना चला दिया; "दिल ये बेचैन वे!" ऋतू मुस्कुरा दी और मुझे नीचे धकेल कर मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे होठों को अपने मुँह में ले कर चूसने लगी| आज वो बहुत धीरे-धीरे मेरे होठों को चूस रही थी और इधर मेरी धड़कनें बेकाबू होने लगी थीं| मुझसे ऋतू का ये स्लो ट्रीटमेंट बरदाश्त नहीं हो रहा था, इसलिए मैंने उसे पलट कर अपने नीचे किया| फिर नीचे को बढ़ने लगा पर ऋतू ने मुझे नीचे नहीं जाने दिया, उसने ना में गर्दन हिलाई और मुझे उसकी बुर को चूसने नहीं दिया| मेरा बरमूडा उसने नीचे किया पर पूरा निकाला नहीं, लंड हाथ में पकड़ उसने अपनी पैंटी सामने से थोड़ा सरकाई और मेरे लंड पकड़ कर उसने अपनी बुर से स्पर्श करा दिया| मैंने अपनी कमर पीछे को की और धीरे से एक झटका मारा और मेरा सुपाड़ा ऋतू की बुर में दाखिल हो गया| ऋतू ने अपने दोनों हाथों से मेरे कन्धों को पकड़ लिया, मैंने फिर से कमर पीछे की और अपना लंड जितना अंदर डाला था वो बाहर निकाल कर फिर से अंदर पेल दिया| इस बार लंड आधा अंदर चला गया, ऋतू के मुँह से सिसकारी निकली; "सससससस स.स..आअह!!!" मैंने एक आखरी झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया ठीक उसी समय गाने की लाइन आई;
सावन ने आज तो, मुझको भिगो दिया...
हाय मेरी लाज ने, मुझको डुबो दिया...
सावन ने आज तो, मुझको भिगो दिया...
हाय मेरी लाज ने, मुझको डुबो दिया...
ऐसी लगी झड़ी, सोचूँ मैं ये खड़ी...
कुछ मैंने खो दिया, क्या मैंने खो दिया...
चुप क्यूँ है बोल तू...
संग मेरे डोल तू...
मेरी चाल से चाल मिला...
ताल से ताल मिला...
ताल से ताल मिला...

इस दौरान में बस ऋतू को टकटकी बांधे देखता रहा और ऐसा महसूस करने लगा जैसे वो अपने दिल की बात कह रही हो| ऋतू ने जब नीचे से अपनी कमर हिलाई तब जा कर मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार पकड़ी| कुछ ही देर में मेरे हिस्से की लाइन आ गई;

माना अनजान है, तू मेरे वास्ते...
माना अनजान हूँ, मैं तेरे वास्ते...
मैं तुझको जान लूं, तू मुझको जान ले....
आ दिल के पास आ, इस दिल के रास्ते...
जो तेरा हाल है...
वो मेरा हाल है...
इस हाल से हाल मिला...
ताल से ताल मिला हो, हो, हो...

इन लाइन्स को सुन ऋतू बस मुस्कुरा दी और मैंने इस बार बहुत तेज गति से उसकी बुर में लंड पेलना शुरू कर दिया| अगले दस मिनट तक एक जोरदार तूफ़ान उठा जिसने हम दोनों के जिस्मों को निचोड़ना शुरू कर दिया और जब वो तूफ़ान थमा तो हम दोनों एक साथ झड़ गए| ऋतू की बुर एक बार फिर मेरे वीर्य से भर गई और मैं उस पर से हैट कर दूसरी तरफ लेट गया| ऋतू ने मेरी तरफ करवट की और अपना दायाँ हाथ मेरे सीने पर रख कर सो गई| नींद तो मुझे भी आने लगी थी और फिर एक खुमारी सी छाई जिससे मैं भी चैन से सो गया|
 

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