Incest किस्मत

पहली चुदाई किसकी


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ये कहानी 2 लडको की है । एक जो घर वालो के तानों से तंग आ गया है घर छोड़ के भाग जाना चाहता है । वो थाली में सजी हुई किस्मत को ठोकर मार देना चाहता है । एक है जो अपनी किस्मत कोसता हुआ जागता और किस्मत कोसता हुआ ही सो जाता है की सपने इतने बड़े और हाथ पल्ले कुछ नही । एक का भरा पूरा परिवार है तो एक बचपन से अनाथ है । एक को बिन कमाए शोहरत थाली में सजा के मिलने वाली है तो एक छोटे मोटे काम करके कैसे तैसे काम चला रहा है । एक बोहुत ही डरा और अकेला रहता है हमेशा अपने पिता के साए में छुपा रहता है और एक कुछ ना होते हुआ भी यारो का यार और मारो या मरो में विश्वास रखता है अच्छी जिंदगी के लिए ये कुछ भी कर सकता है । पर किस्मत बड़ी कुत्ती चीज होती कभी भी किसी की भी बदल सकती है । इन दोनो की भी किस्मत आपस में टकराने वाली है।

रोज की तरह विशाल जो अपनी फूटी किस्मत से परेशान है खाने की मेज पर बैठा सुबह सुबह चाय की चुस्की ले रहा था । तभी न्यूज़ पेपर में एक गुमशुदा की तलाश का इश्तहार आया देख उसे ध्यान से देखने लगा विशाल को अपनी किस्मत पर इतना गुस्सा आया की विशाल ने वो अखबार ही फाड़ दिया । उसमे लिखा था इसे ढूंढने वाले को 2cr मिलेंगे । विशाल को इसलिए गुस्सा आया की एक इंसान हुबहू मेरे जैसा दिखता है उसे ढूंढने के लिए कोई 2cr पैसा देने को त्यार है और एक मै हूं जिसकी कोई कीमत ही नही मुझे कोई जानता तक नही भगवान की इतनी बड़ी नाइंसाफी विशाल से सहन नही हो रही थी । विशाल गुस्से में अपने काम पे निकल गया । विशाल इतने गुस्से में था की वो बाइक बड़ी तेज रफ्तार से चला रहा था उसके सिर खून सवार था यातो वो आज खुद एक्सीडेंट से मरता या कोई उसको मार देता । एक सुनसान जगह से निकलते हुए बाइक फिसल गई और विशाल घिसड़ता हुआ नीचे गिर गया । जैसे ही उसका ध्यान अपने ऊपर से हटा उसने देखा उससे कुछ ही दूरी पर एक SUV से कुछ गुंडे निकले और एक लाश को फेंक के चले गए । ये सब देख के विशाल पहली बार डरा और उसके हाथ पैर कांप रहे थे । गुंडों के जाने के बाद वो लाश को विशाल ने देखा तो सर फटा का फटा रह गया ये वही था जिसकी सुबह फोटो अखबार में आई हुई थी गुमशुदा की तलाश में 2cr का इनाम वाला लड़का । उसको देखते ही विशाल के दिमाग के घोड़े दौड़ने लगे की अब क्या किया जाए । तब बोहूत सोचने के बाद विशाल के मन में एक ऐसा ख्याल आया जिससे उसकी किस्मत पलटने वाली है । विशाल ने अपने एक खास दोस्त को फोन किया जिसकी कभी विशाल ने मदद की थी । आज समय था उसकी दोस्ती का उधार चुकाने का । विशाल ने उस लाश का चेहरा एक पत्थर से कुचल दिया ताकि किसी को पता पता ना लगे लाश किसकी है । और कपड़े भी एक दूसरे से बदल लिए । अपना लाइसेंस और आदर कार्ड उसकी जेब में रख लिया और अपना मोबाइल सिम निकल के फेंक दिया । इतने में विशाल का दोस्त आगया अपनी eco कार लेके उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था विशाल जैसा बोलता गया वो करता गया । उन्होंने लाश कार में डाली बाइक वही छोड़ दी क्योंकि अब विशाल अपनी पुरानी लाइफ वही छोड़ चुका था । फिर दोनो ने उस लाश को पास ही एक नदी में दिन दहाड़े फेंक दिया सुनसान जगह होने के कारण किसी ने कुछ नही देखा । विशाल ने अपने दोस्त से एक सेलोन ले चलने को कहा ताकि वो उस लड़के जैसा दिख सके । थोड़े मेकओवर के बाद अब विशाल हुबहू विश्वास जैसा दिख रहा है । फिर हम वहां से निकल के एक बार फिर सुनसान जगह पर ए गए ।

विशाल – देख भाई गोविंद आज से मेरा नाम विश्वास है। यहां से तू सीधा 2hr बाद घर जा और 24 घंटे बाद मेरे गायब होने की रिपोर्ट लिखा । उससे पहले एक काम करके जा हम दोनो मालामाल हो जाएंगे ।

गोविंद – अप हुकुम करो भाई क्या करना है ।

विशाल – मुझे मार चाकू से 2 कट पेट पर और एक जोर दार मुक्का मुंह पर मार और मुझे सिटी के सबसे महंगे हॉस्पिटल में एडमिट करा । पुलिस केस बनेगा बोलियो की मै तुझे अधमरी हालत में किसी सुनसान जगह पर मिला सुबह गुमशुदा की तलाश में इनकी फोटो देखी तो सीधा हॉस्पिटल ले आया । और तुझे कुछ नही पता और तुझे पुलिस के झंझट में नही पड़ना है । ये ले इस लड़के का फ़ोन इस फ़ोन से इसके घर पर फ़ोन मिला और बता उनका लड़का तुझे बेहोशी में कहा मिला और तूने उसे कहा एडमिट कराया है । 2cr का इनाम था इस पर जो अब हमें मिलेंगे । 1cr तेरा और 1cr मेरे अकाउंट में डलवा दियो । फिर जितना जल्दी हो सके ये शहर छोड़ के भाग जा और फिर कभी नजर नही आना । चल अब मार और अब इसके आगे 2hr तक हमारी किस्मत तेरे हाथ में है मेरे भाई । जैसा तू करेगा वैसा फल हम मिलेगा कट ज्यादा गहरा ना हो की हॉस्पिटल जाने से फल मै निकल लूं हॉस्पिटल यहां से 1 घंटा दूर है ।

गोविंद हस रहा था ।

विशाल – हस मत लोड़े जल्दी कर किस्मत बदल ने में देर नहीं होनी चाहिए ।

इतने मै और कुछ बोलता गोविंद ने चाकू मेरे पेट में उतर दिया 2 बार मै बेहोश होने लगा और जब आंख खुली तो मै हॉस्पिटल के बेड पर था मुझे बोहूट दर्द हो रहा था गोविंद ने बोहुत जोर लगा दिया था ।
 
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मुख्य पात्र

कविता – गोविंद की बहन

राजलक्ष्मी सिंघानिया – विश्वास की दादी

वीरेंद्र सिंघानिया – ताऊजी – 50

सुष्मिता सिंघानिया – ताईजी – 48

अंकुश सिंघानिया – बेटा – 28

अवंतिका सिंघानिया – भाभी – 26

आरती सिंघानिया – बहन – 26

प्रीति सिंघानिया – बहन – 24

जितेंद्र सिंघानिया – पिता – 48

आशा सिंघानिया – मां – 40 (सेकंड वाइफ)

नंदिनी सिंघानिया – बहन – 25 (सौतेली)

वैशाली सिंघानिया – बहन – 22

विश्वास सिंघानिया – हीरो – 18

महेंद्र सिंघानिया – चाचा – 46

मोहिनी सिंघानिया – चाची – 44

अनामिका सिंघानिया – बहन – 22

जूही सिंघानिया – बहन – 20

इंद्राणी ठाकुर – बुआ – 48 ( पापा की जुड़वा )

कोमल ठाकुर – बहन – 25

सोनम ठाकुर – बहन – 23

महेश ठाकुर – फूफा जी – 50 ( मार गए )

देवकी ओबेरॉय – बुआ – 44

सुरेश ओबेरॉय – फूफा जी – 48

इशिका ओबेरॉय – बहन – 21

इशानी ओबेरॉय – बहन – 19

उर्मिला सिंघानिया – बुआ – 40 (तलखशुदा)

विक्रम – बड़े मामा – 48 ( सौतेले )

विशाखा – ( बड़ी मामी ) 46 ( सौतेली )

रिया – 25 ( सौतेली बहन )

आरोही – 23 ( सौतेली बहन )

अमन – छोटे मामा – ( 44 ) ( सौतेले )

रेवती – छोटी मामी – ( 42 ) ( सौतेली )

राधिका – 20 ( सौतेली बहन )

रोशनी – 18 ( सौतेली बहन )

उषा – 44 – मौसी

नंदिनी – 24 – बहन

नताशा – 22 – बहन

उमा – 38 – मौसी

नमिता – 36 – मौसी

मोहिनी – 50 – प्रिंसिपल

ऋतु – 28 – प्रिंसिपल बेटी टीचर

सुप्रिया – 32 – टीचर

हरप्रीत – 26 – टीचर

विशाखा – 36 – टीचर

सौम्या – 30 – टीचर

और भी पात्र है जो समय आने पर रूबरू होंगे
 

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