Erotica कुँवारियों का शिकार

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प्राची ने कुच्छ ऐसा अस्सर डाला था मेरे ज़हन पर कि मुझे और कुच्छ सूझ ही नही रहा था. दोपहर को जब खाने पर बैठे थे तो तनवी से भी मेरी मनोस्थिति च्छूपी ना रह सकी. उसने मुझसे पूच्छ ही लिया: “क्या बात है राज कुच्छ खोए-खोए से और उड्द्वेलित लग रहे हो?” मैं मुस्कुरा दिया और बोला, “तुमने भी भाँप ही लिया तनवी, आज एक नयी अड्मिशन हुई है…….”

“प्राची”, तनवी ने मेरी बात काटी. मैं फिर से मुस्कुराए बिना ना रह सका और बोला, “बहुत ही अच्छे से समझ लेती हो तुम मुझे, मेरा क्या होगा जब तुम चली जाओगी?”

तनवी: “इसमे हैरानी की क्या बात है, वो है ही ऐसी, मैने उससे देखा था तुम्हारे ऑफीस से निकलते, मम्मी-पापा थे शायद उसके साथ. उसको देखते ही मैं समझ गयी कि नयी अड्मिशन हुई है, बुक्स और यूनिफॉर्म बॅग भी तो था. फिर मैने चेक किया तो नाम भी पता चल गया. अब तुम्हारी यह दशा देखकर तो कोई भी 2 और 2 चार कर सकता है.”

मैने तनवी को प्रशंसा भरी नज़रों से देखते हुए कहा, “मैं बहुत भाग्यशाली हूँ के मुझे तुम्हारे जैसी दोस्त मिली है.”

तनवी: “नही, प्राची बहुत भाग्यशाली है के उससे तुमने पसंद कर लिया है और वो तुम्हारे संसर्ग में आकर लड़की से औरत बन-ने जा रही है.”

मैं: “यह क्या कह रही हो तनवी?”

तनवी: “ठीक कह रही हूँ रोमी, मेरा दावा है कि एक महीने के अंदर वो तुम्हारे नीचे उच्छल रही होगी, मैं हूँ ना.”

मेरा लंड उसकी बात सुनकर मेरे जॉकी में उच्छलने लगा. तनवी से मेरी हालत च्छूपी नही थी, उसने हाथ बढ़ा कर मेरी जांघों पर रख दिया और प्यार से सहलाते हुए मेरे आकड़े हुए लंड पर ले आई तो मैने कहा कि क्यों सोए हुए नाग को छेड़ रही हो तो हंस के बोली कि सोया हुआ कहाँ है यह तो जाग गया है और मैं जानती हूँ की इस अंधे नाग को इसके बिल का रास्ता दिखाना है. हम दोनो उठे और बिना देरी किए हुए बेडरूम में आ गये और कब हमारे कपड़े हमारे शरीरों का साथ छ्चोड़ गये और कब हम बेड पर एक दूसरे में समाने को आतुर हो गये और कब एक घंटा बीत गया पता ही नही चला. फिर हम दोनो एक दूसरे की बाहों में सीमटे हुए सो गये और शाम को 6 बजे के बाद हमारी नींद खुली. दोनो इकट्ठे ही उठे और एक दूजे की ओर देख कर मुस्कुराए और एक बार फिर एक दूजे की बाहों में बँध गये. रात का खाना भी हम ने इकट्ठे ही खाया और इकट्ठे ही सोए. आख़िर सुबह भी हो ही गयी.

स्कूल पहुँचे. और प्राची भी आ गयी. पेवं ने जैसे ही बताया मैने उससे अंदर बुला लिया. क्या लग रही थी वो, एकदम गुड़िया सी. स्कूल यूनिफॉर्म में उसकी सुडौल गोरी टाँगें चमक रही थीं. मैने अपने चेहरे पर एक ज़बरदस्त मुस्कान लाते हुए उससे चेर पर बैठने के लिए कहा और उसे बताने लगा.

मैं: “प्राची आज तुम्हारा स्कूल का पहला दिन है और तुम्हारा स्वागत है. मुझे पूरा विश्वास है के यू विल प्रूव टू बी आन असेट टू दा स्कूल. मेरे रहते तुम्हें यहाँ कोई भी परेशानी नही होगी और आशा करता हूँ कि यहाँ तुम्हारा यह साल बहुत अच्छा बीतेगा. मैं स्टूडेंट्स के साथ हमेशा एक दोस्त की तरह रहता हूँ तो क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी?”

प्राची: “(मुस्कुराते हुए) जी मैं बहुत खुश हूँ कि मुझे इतने अच्छे स्कूल में अड्मिशन मिला है. पापा और चाचा बहुत तारीफ़ कर रहे थे स्कूल की और आपकी भी और मैं प्रॉमिस करती हूँ कि आइ विल नेवेर लेट यू डाउन. और मुझे बहुत खुशी होगी आपसे दोस्ती करके.”

मैं: “गुड. किसी भी तरह की कोई भी बात हो तुम मेरे पास बेझिझक आ सकती हो और मैं हर तरह से तुम्हारी मदद करूँगा और बदले में मुझे केवल एक प्रॉमिस चाहिए कि तुम्हारी पढ़ाई में किसी भी तरह की कोई भी कमी नही आनी चाहिए. अगर तुम्हें मुझसे बात करने में कोई परेशानी हो तो तनवी से बात कर सकती हो, मैं तुम्हें तनवी से मिलवा देता हूँ.”

मैने तनवी को इंटरकम पर कॉल करके कहा कि मेरे ऑफीस में आ जाए. तनवी आई तो मैने प्राची से उसे मिलवा दिया और कहा कि उसको सब बातें समझा दे और उसका ध्यान रखे. तनवी उससे अपने साथ ले गयी और जाते जाते मुझे एक अर्थपूर्ण मुस्कान दे गयी.

मैं दोनो को जाते हुए देखता रहा और सोचने लगा कि देखो अब तनवी क्या गुल खिलाती है. मुझे बहुत सोचने पर भी ऐसा नही लगा कि तनवी अपना दावा पूरा कर पाएगी पर फिर यह सोचकर रह गया कि त्रिया चरित्रां, पुरुषास्या भागयाँ देव ना जानाती, का मनुष्या. स्त्री काचरित्रा और पुरुष का भाग्या, देवता नही जानते मनुष्या क्या जानेगा. थोड़ी देर बाद तनवी मेरे पास आई और बोली के ज़्यादा से ज़्यादा एक महीना. मैं मुस्कुरा कर रह गया. प्राची की सूरत मेरी आँखों के सामने घूमती रही सारा दिन.

3-4 दिन के बाद तनवी ने कहा कि ग्राउंड रेडी हो रही है प्राची से तुम्हें मिलाने की. मैने पूछा की कैसे तो वो बोली की आम खाने से मतलब रखो और मुस्कुरा दी. फिर उसने बताया कि प्राची उस में रह कर आई है इसलिए उसे इंग्लीश लॅंग्वेज में तो कोई परेशानी नही है पर यहाँ के हिसाब से उसे ग्रामर और स्पेल्लिंग्स में थोड़ी मुश्किल आ रही है और वही मुश्किल उसे हिन्दी में भी आ रही है. तनवी उससे कोचैंग दे रही थी हर दूसरे दिन एक घंटा पढ़ा कर दोपहर को स्कूल के बाद अपने कमरे में.

कुच्छ दिन बाद तनवी एक शाम को मेरे पास आई और उसने मुझे बताया कि मामला आगे बढ़ना शुरू हो गया है. मेरे पूच्छने पर उसने जो बताया वो उसी के शब्दों में:

हमेशा की तरह आज भी जब प्राची आई तो मैं उसे पढ़ाने बैठी. मैने उस दिन स्कूल से आने के बाद नाहकार केवल एक नाइटी ही पहनी थी और उसके नीचे कुच्छ भी नही पहना था. प्राची उस दिन एक लाइट ब्लू कलर के ढीले से टॉप और बर्म्यूडा शॉर्ट्स में बहुत प्यारी लग रही थी. मैं उसकी ओर देख रही थी तो उसने पूछा के क्या देख रही हैं ऐसे? मैने कहा के प्राची तुम बहुत सुंदर हो, बहुत खुशनसीब होगा जिससे तुम्हें प्यार करने का अवसर मिलेगा. प्राची शर्मा गयी और अपनी नज़रें झुका कर बोली के ऐसी बातें मत कीजिए. मैने कहा के क्यों तुम्हें अच्छी नही लगती ऐसी बातें, तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड नही था क्या उस में. तो प्राची ने कहा के नही उसने कभी इस बारे में सोचा भी नही है. मैने तब तक अपना हाथ उसके घुटने पर रख दिया था और बहुत ही धीरे से उसे सहला रही थी. मैने उससे कहा कि देखो प्राची अब तुम बच्ची नही हो बड़ी हो गयी हो और तुम ना भी चाहो तब भी लड़के तुम्हारे पीछे पड़ेंगे ही दोस्ती करने के लिए और उसके भी आगे बहुत कुच्छ करने के लिए. और बहुत कुच्छ क्या वो चौंक कर बोली? मैने कहा कि तुम हो ही इतनी सुन्दर के किसी का भी दिल तुम्हें प्यार करने को चाहेगा. इस बीच मेरा हाथ लगातार उसके घुटने से आगे बढ़ रहा था बहुत ही धीरे-धीरे और अब उसकी गोरी, चिकनी, कोमल जाँघ को सहला रहा था. प्राची ने मेरे हाथ को हटाने की कोई कोशिश नही की सिर्फ़ अपनी दोनो टाँगें भींच कर मेरे हाथ को जकड़ने की कोशिस ज़रूर की.

मैं उसे बातों मे ही उलझा कर अपने हाथ की कारगुज़ारी चालू रखे हुए थी. प्राची का चेहरा लाल हो रहा था और मैं समझ रही थी की ये सब उसके लिए नया है और उसे इसका कोई अनुभव नही है. प्राची ने कहा की वो मेरी बात का मतलब नही समझी. मैने कहा की देखो प्राची तुम इतनी सनडर हो की तुम्हे हर कोई प्यार करना चाहेगा ऐसे, कहते हुए मैने अपने हाथ को प्यार से उसकी जाँघ पर फिराया तो प्राची के मुँह से एक मादक सिसकारी निकल गयी. मैने तुरंत उसको पूचछा की प्राची तुम्हे अच्छा लगा ना? प्राची का चेहरा लाल अनार हो गया और वो कुच्छ नही बोली सिर्फ़ अपना सर झुका लिया. मैने प्यार से उसकी जाँघ को सहलाना जारी रखा. अब उसकी टाँगें भींची हुई नही तीन.

फिर मैने उसको कहा के प्राची इसके आयेज भी बहुत कुच्छ करना चाहेंगे तुम्हारे साथ. उसने पूचछा की क्या? मैने पूचछा की तुम बुरा तो नही मानोगी? अब बात चल ही पड़ी है तो मैं चाहती हूँ की तुम सब जान लो. प्राची ने प्रश्नवाचक दृष्टि से मेरी ओर देखा. मैने अपना दूसरा हाथ बढ़कर उसकी पीठ के पीच्चे से लेजाकर उसको अपने पास खींचा और फिर उसकी बगल से आयेज निकाल कर उसके माममे पर रख दिया और बहुत ही हल्का सा दबाव डाला. उसका छ्होटा सा मम्मा मेरी हथेली मे पूरा आ गया और उसका कड़क हो चुका मटर के छ्होटे दाने जैसा निपल मेरी हथेली को गुदगुदाने लगा. मेरे इस आक्रमण से प्राची सिहर गयी और उसका पूरा शरीर काँप गया जैसे कोई करेंट उसके शरीर मे दौड़ गया हो. उसने एक गहरी साँस ली और बोली की ये क्या हो रहा है मुझे? मैने पूचछा की तुम्हे अच्छा लग रहा हैं ना प्राची? उसने हन मे अपने सर को हिलाया.

मैने अपने हाथ का दबाव उसके माममे पर तोड़ा बढ़ा दिया और दूसरे हाथ से उसकी जाँघ को सहलाते हुए, अपने हाथ को उसकी बर्म्यूडा शॉर्ट्स के अंदर घुसा दिया. प्राची की जांघों पर गूस बंप्स उभर आए और उसकी साँसें तेज़ हो गयीं. फिर मैने कहा की ये मेरे एक लड़की के प्यार करने से तुम्हे मज़ा आ रहा है तो सोचो की जब एक मर्द तुम्हे ऐसे प्यार करेगा तो कितना आनंद आएगा. प्राची ने कोई जवाब नही दिया और मेरे द्वारा दिए जा रहे आनंद का अनुभव करती रही. मैने अपना हाथ नीचे लाकर उसके टॉप को ऊपेर उठा दिया और उसका एक प्यारा सा मम्मा बाहर निकाल लिया और उसको अपने मुँह मे लेकर चुभलाने लगी. प्राची के शरीर मे सर से पाँव तक एक तेज़ करेंट की लेहायर दौड़ गयी और उसके मुँह से एक ज़ोर की सिसकारी निकली और वो बोली दीदी ये क्या हो रहा है मुझे मैं से नही पा रही हूँ. मैने अपना मुँह उसके माममे से हटा लिया और पूचछा के अगर तुम्हे अच्छा नही लग रहा तो रुक जाती हूँ? वो बोली की नही दीदी बहुत अच्छा लग रहा है आप करती रहो.

मैने अपना मुँह दुबारा उसके मम्मे पर रख दिया और उसको पूरा अपने मुँह मे भर के चूसने लगी. प्राची की साँसें बहुत तेज़ हो गयीं. तुम भी तो मुझे ऐसे ही प्यार करो ना, मैने उसको कहा तो प्राची ने अपना एक हाथ मेरी जांघों पर रख दिया और दूसरा हाथ मेरे एक मम्मे पर और मुझे प्यार से सहलाने लगी. प्राची बोली कि हाए दीदी बहुत मज़ा आ रहा है. मैने उसको पूछा की प्यार करने मे ज़्यादा मज़ा आ रहा है या करवाने मे. प्राची ने कहा के दोनो मे ही आ रहा है. फिर मैने उसका टॉप पूरा उतार दिया और अपनी नाइटी उतार कर पूरी नंगी हो गयी. प्राची मुझे देखती ही रह गयी और बोली की दीदी आप भी बहुत सुंदर हो और आपके बूब्स तो बहुत प्यारे हैं और इतने बड़े हैं और इतने टाइट हैं. मैने उसे कहा कि तुम भी जब मेरी उमर की हो जाओगी प्राची तो तुम्हारे बूब्स भी बड़े हो जाएँगे और इनका ख्याल रखोगी तो टाइट भी रहेंगे.

फिर मैने उसको लीप किस करना शुरू किया तो वो एकदम चिपक गयी मुझसे और वापिस किस करने लगी. मैने उसका बर्म्यूडा भी खोल कर उतार दिया और उसकी लाइट पिंक कलर की पॅंटी भी उतार दी. अब हम दोनो बिल्कुल नंगी एक दूजे से चिपकी हुई थीं. मैने अपनी एक टाँग उठाकर प्राची की टाँगों के बीच मे डाल दी और रगड़ने लगी. एक हाथ से उसकी गोल गांद को सहलाते हुए और कभी दबाए हुए उसको चूमती रही. फिर मैने अपना हाथ आगे लाकर उसकी कुँवारी बिना बालों की मुलायम चूत पर रख दिया जो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. मैने अपनी एक उंगली उसकी चूत की लकीर पर फिराई तो वो काँप कर मुझसे चिपक गयी. मेरी उंगली उसकी गांद के छेद से होती हुई उसके भज्नासे को छ्छू गयी. वो तड़प उठी. मैने कहा की देखो प्राची सबसे ज़्यादा मज़ा तो तुम्हे तब आएगा जब तुम्हारी इस चूत मे किसी मर्द का कड़क लंड घुसेगा.

प्राची बोली कि दीदी मैने तो सुना है की बहुत दर्द होता है जब इसमे वो घुसता है. मैने उसको पूछा के वो क्या? प्राची शर्मा कर बहुत धीमी आवाज़ मे बोली की वही जो आप अभी कह रही थीं, लंड. मैं हंस दी और उसको बोली कि मेरी गुड़िया पहली बार जब लंड किसी की चूत मे घुसता है तो उसकी कुंआरा झिल्ली फॅट जाती है और उसकी वजह से दर्द होता है जो हर लड़की को पहली चुदाई मे सहना पड़ता है. ये दर्द एक बार ही होता है और थोड़ी देर के लिए ही होता है. मज़ा तो उसके बाद मे ही आता है और इतना मज़ा आता है की उसके आयेज सारे मज़े बेकार लगने लगते हैं.

फिर मैने प्राची की दोनो टाँगें खोल दीं और अपने मुँह उसकी चूत पर चिपका दिया. वो चौंक कर बोली ये क्या कर रही हो दीदी? तो मैने कहा के तुम्हारी चूत को चाटने लगी हूँ. वो हैरान होकर बोली कि ऐसे भी करते हैं क्या? मैने कहा के हां तुम देखना कितना मज़ा आएगा तुम्हे और मैने अपनी जीभ उसकी चूत की लकीर पर फिरानी शुरू कर दी. मेरी जीभ जब उसके भज्नासे पर पहुँची तो प्राची ज़ोर से काँप उठी. थोड़ी देर के बाद ही उसने कहा के छोड़ दो दीदी मेरा पेशाब निकलने वाला है. मैने हंस कर कहा कि नही पेशाब नही तुम्हारा पानी निकलने वाला है जो मज़े की चरम सीमा पर निकलता है.

मैने तेज़ी से अपनी जीभ उसकी चूत मे चलानी शुरू कर दी और वो थोड़ी देर मे ही आ……………आ…………….ह, ओ………………ह करती हुई झाड़ गयी. उसका शरीर अकड़ गया और वो हाँफने लगी.फिर मैने प्राची को अपनी बाहों मे कस्स लिया और पूछा कि कैसा लगा मेरी गुड़िया को मेरा प्यार करना. वो शर्मा कर बोली कि दीदी बहुत मज़ा आया, मुझे नही पता था कि इतना मज़ा भी आता है. मैने कहा कि प्राची ये तो कुच्छ भी नही है सिर्फ़ ऊपेरी मज़ा है असली मज़ा तो तुम्हे तब आएगा जब तुम्हारी चूत मे लंड घुसेगा और तुम्हे चोद कर मज़े की चरम सीमा पार कराएगा. प्राची बोली के पता नही वो कब होगा?

मैने कहा के प्राची वो जब भी तुम चाहोगी हो सकता है और अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ. तुम मेरी दोस्त हो और दोस्त ही दोस्त के काम आते हैं. फिर आज जो कुच्छ हुआ है उसके बाद तो हमारी दोस्ती और भी पक्की हो गयी है, है ना? उसने कहा कि वो तो हो गयी है और बहुत ही पक्की हो गयी है पर ………. मैने उसकी बात को काट दिया और कहा कि वो तुम मुझ पर छोड़ दो अगर तुम्हे मुझ पर विश्वास है तो. प्राची बोली की दीदी आप के ऊपेर तो मुझे अपने से भी ज़्यादा विश्वास है.

फिर तनवी ने मुझे कहा के राज तुम अगर चाहो तो कल ही प्राची की कुँवारी चूत का उद्घाटन कर सकते हो. मैने उसे कल भी बुलाया है और वो आ रही है कल दोपहर को 3-4 घंटे के लिए. मेरा लंड अकड़ चुका था उसकी बातें सुनकर. मैने तनवी से कहा कि कल की कल देखेंगे तुम तो पहले आज की बात करो. मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और वो मुस्कुरा कर बोली कि वाह राज तुम तो एवर रेडी रहते हो. मैने उसे खींच कर अपने साथ सटा लिया और फिर उसे लेकर बेडरूम मे आ गया. तनवी भी उत्तेजित थी, उसने प्राची को तो चरमा सुख प्रदान कर दिया था पर खुद वंचित रह गयी थी. फिर हम दोनो ने जमकर चुदाई का आनंद लिया. खाने के बाद भी चुदाई का एक और दौर चला और हम दोनो नंगे ही सो गये एक दूजे से चिपक कर.
 
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अगले दिन स्कूल से आने के बाद मैने फ्रेश होकर जल्दी लंच कर लिया और तोड़ा आराम करके नाहकार फ्रेश हो गया. प्राची के आते ही तनवी ने उसे लेकर मेरे पास आना था. थोड़ी देर मे ही तनवी प्राची को लेकर आ गयी. उसने हल्के फ़िरोज़ी रंग का टॉप और बर्म्यूडा शॉर्ट्स पहनी हुई थी और बिल्कुल लाइफ साइज़ गुड़िया लग रही थी. प्राची ने मुझे विश किया तो मैने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ा और हेलो कहते हुए अपनी ओर खींचा. वो थोड़ा शर्मा गयी और नज़रे झुकाकर मेरी तरफ आ गयी. मैने उसे अपनी बाहों मे भर लिया और उसके गाल पर एक प्यारी सी किस करके कहा कि देखो शरमाने से काम नही चलेगा, हम दोस्त हैं और दोस्ती मे शर्म नही की जाती. उसने कहा कि ठीक है. फिर मैने उसको अपने साथ ही सोफे पर बिठा लिया और कहा कि तनवी बोल रही थी कि तुम सेक्स के बारे मे बिल्कुल अंजान हो और चाहती हो कि तुम्हे उसके मज़े का पूरा अनुभव कराया जाए.

प्राची का चेहरा पूरी तरह लाल हो गया और वो बोली के चाहती तो हूँ. मैने कहा कि मैं इसमे तुम्हारी पूरी मदद कर सकता हूँ अगर तुम चाहो तो. प्राची ने कहा कि उसे डर लगता है कि दर्द बहुत होगा. मैने कहा के देखो प्राची पहली बार करने पर दर्द तो होगा ही पर मैं इस बात का पूरा ख़याल रखता हूँ के दर्द कम से कम हो और पूरा मज़ा आए. उसके चेहरे पर दुविधा के भाव देखकर मैने कहा के ऐसा करते हैं के पहले मैं तनवी के साथ करता हूँ और तुम अच्छे से देख और समझ लो फिर अगर तुम्हारा दिल चाहे तो तुम भी करवा लेना. मैं कभी भी किसी के साथ ज़बरदस्ती नही करता. अगर तुम नही चाहोगी तो रहने देंगे. टेन्षन बिल्कुल नही लेना तुम. इस पर वो बोली की ठीक है. मैं उठकर दोनो को अपने बेडरूम मे ले आया.

अंदर आते ही मैने और तनवी ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. प्राची दोनो को हैरानी से देखती रही. तनवी ने उसे कहा कि देख क्या रही हो, चलो अपने कपड़े तो उतारो. मैने भी उसको अपने साथ चिपकाते हुए कहा कि देखो प्राची हम आपस मे बाकी सब तो कर ही सकते हैं ना, तुम हमारे साथ स्पर्श सुख तो प्राप्त कर ही सकती हो और अगर नही चाहोगी तो तुम्हारी चुदाई नही करूँगा, और बहुत तरीके हैं मज़ा लेने के, वैसे ही मज़ा लो.

प्राची ने भी अपने कपड़े उतार दिए. मैं तो उसे देखता ही रह गया. छ्होटे छ्होटे उसके मम्मे, पतली लंबी टांगे, भरी हुई जंघें, पिचका हुआ पेट और गोरी रंगत मे उसकी नीली नसें दिख रही थी जो उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ा रही थी. मैने आगे बढ़कर उसे अपने साथ चिपका कर उसके एक मम्मे पर अपना हाथ रख दिया और आहिस्ता से उसे दबाया और सहलाया. उसका अनार के दाने जैसा निपल कड़क होकर मेरी हथेली को गुदगुदाने लगा. मैने अपना मुँह नीचे करके उसके दूसरे मम्मे को अपने मुँह मे भर लिया. प्राची के मुँह से एक मादक सिसकारी निकली और वो ज़ोर से मेरे साथ चिपक गयी.

मैं उसे और तनवी को लेकर बेड पर आ गया. तनवी ने मेरे अपडे हुए लंड को हाथ मे लेकर प्राची को दिखाया और कहा देखो ये हैं लंड और चूत मे जब अंदर जाता है तो बहुत मज़ा आता है और असली मज़ा वही होता है. मैने तनवी और प्राची के बीच मे आकर दोनो के एक एक मम्मे को अपने हाथ मे लेकर सहलाना शुरू क्या. फिर मैने प्राची को कहा के वो तनवी की दूसरी साइड पर आ जाए और उसके मम्मे सहलाए. मैने तनवी को किस करना शुरू किया. फिर उसकी गर्दन पर अपने होंठ फिराते हुए उसके मम्मे को चूसा और अपने मुँह का नीचे कासफ़र जारी रखते हुए उसकी नाभि से हो कर उसकी चूत पर अपना मुँह टीका दिया. तनवी ने प्राची को उलट जाने के कहा और उसकी टांगे सहलाते हुए उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया और प्राची से कहा के मेरे लंड को सहलाए और अगर बुरा ना लगे तो उसको चूमे और लॉलिपोप की तरह चूसे.

प्राची ने बड़ी कोमलता से मेरा लंड अपने हाथ मे लिया और उसे चूमा, फिर अपनी ज़बान से उसके टोपे को छ्छू कर देखा और फिर टोपे तो अपने मुँह मे ले लिया. वो बहुत तेज़ी से लंड को चूसना सीख रही थी और थोड़ी देर मे ही वो बहुत अच्छी तरह से लंड को चूसने लगी. तनवी की कसमसाहट को देख कर मैं समझ गया कि वो मस्ती मे आ चुकी है. मैने प्यार से अपना लंड प्राची के मुँह से निकाला और तनवी की चूत के सुराख पर लगा दिया. फिर मैने प्राची से कहा के अच्छी तरह से देख ले की लंड चूत मे कैसे जाता है.

प्राची उठकर बैठ गयी और बहुत ध्यान से देखने लगी. मैने तनवी की चूत पर अपने लंड को रगड़ा और फिर उसकी दोनो पुट्तियों को फैला कर अपना लंड उसकी चूत मे दबाना शुरू कर दिया. तनवी ने एक सिसकारी ली और बोली एक ही झटके मे डाल दो ना पूरा अंदर. तो मैने हंसते हुए कहा के प्राची को भी तो समझाना है कि लंड कैसे चूत मे जाता है. आधा लंड जब तनवी की चूत मे घुस गया तो मैं रुक गया और लंड को बाहर खींच कर फिर अंदर डाल दिया. इस बार आधे से थोड़ा ज़्यादा अंदर कर दिया. मैने देखा की उत्तेजना के मारे प्राची का चेहरा तमतमा रहा था और उसने अपना एक हाथ अपने मम्मे पर रखा हुआ था और उसे दबा रही थी. प्रच ने अपना दूसरा हाथ बढ़ाकर मेरे लंड को च्छुआ, जैसे देख रही हो की ये कैसा डंडा है जो चूत को भेद कर अंदर बाहर हो रहा है. 3-4 घससों मे मैने अपना पूरा लंड तनवी की चूत मे डाल दिया और प्राची से कहा के देख लो पूरा लंड तनवी की चूत मे चला गया है और उसे कोई दर्द नही हुआ बल्कि मज़ा आ रहा है.

फिर मैने प्राची से कहा के देखती रहो अब मैं चुदाई शुरू करने जा रहा हूँ. मैने लंबे घस्से मारने शुरू कर दिए. अपना लंड मैं टोपे तक बाहर खींच लेता और फिर एक ही झटके मे पूरा तनवी की चूत मे डाल देता. हर घस्से पर तनवी के मुँह से एक मादक आआआआआआआः निकलती और वो अपनी गांद उठा कर लंड के अंदर आने का स्वागत करती. धीरे धीरे मैने घस्सो की रफ़्तार बढ़ानी शुरू कर दी और ये रफ़्तार इतनी बढ़ गयी की प्राची हैरानी से देख रही थी कि इतनी तेज़ी से मेरा लंड तनवी की चूत मे अंदर बाहर हो रहा है और तनवी को उसका बहुत मज़ा आ रहा है. फिर मैने अपने घस्सो का ज़ोर भी बढ़ाना शुरू कर दिया और अब हमारे शरीर आपस मे टकराने पर आवाज़े भी करने लगे.

करीब 10 मिनट की तगड़ी चुदाई के बाद तनवी झाड़ गयी और उसके साथ ही मैने अपनी रफ़्तार अत्यधिक तेज़ करके पूरे ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए और 10-15 करारे घस्से मार के मैं भी झाड़ गया और अपना लंड तनवी की चूत मे पूरा घुसा कर अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.

प्राची अपना उत्तेजना से लाल चेहरा घुमा घुमा कर कभी मेरा और कभी तनवी का चेहरा देख रही थी. तनवी के चेहरे पर असीक तृप्ति के भाव देखकर उसने एक झुरजुरी ली और बोली कि इतना मज़ा आता है. मैने हंस कर कहा कि हां मज़ा तो बहुत ही आता है चुदाई मे, पर तुम बताओ के तुम्हारा क्या ख्याल है ट्राइ करना चाहोगी या अभी और सोचना है. प्राची ने एक बार मेरी तरफ देखा और पूछा कि जो पहली बार दर्द होगा वो कितना होगा तो मैने कहा कि जितना इंजेक्षन लगवाने पर होता है उसी तरह का होगा बस थोड़ा सा ज़्यादा होगा. वो झेलने के बाद मज़े ही मज़े हैं, और सब से मज़े की बात ये है कि दर्द सिर्फ़ एक बार ही होगा और मज़े तुम बार बार ले सकोगी. दर्द फिर कभी नही होगा. इंजेक्षन की तरह नही की जितनी बार लग्वाओ उतनी बार दर्द होगा. ये सुनकर प्राची मुस्कुरा दी.

तनवी ने उठकर पास पड़े एक टवल से मेरे लंड और अपनी चूत को पोंच्छा और प्राची के पास आकर उसके मम्मे सहलाने लगी और बोली की लाडो तुमने देख ही लिया है कि ये जादू का डंडा जिसे लंड कहते हैं मेरी चूत मे कितनी तेज़ी से और ज़ोर से अंदर बाहर हो रहा था और मुझे कोई भी दर्द नही हुआ और मुझे भरपूर मज़ा आया. फिर उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया और मेरा लंड जो शिथिल पड़ गया था फिर से अकड़ने लगा. मैने प्राची को अपने पास खींच कर अपने ऊपेर लिटा लिया और उसे डीप किस करने लगा. अपना एक हाथ उसके कड़क मम्मे पर रखकर सहलाने लगा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर फेरना शुरू कर दिया. धीरे धीरे प्राची की मस्ती बढ़ने लगी. दूसरी तरफ से तनवी ने भी एक हाथ से मेरे लंड को सहलाते हुए दूसरे हाथ से प्राची के शरीर को सहलाना शुरू कर दिया.

प्राची को मैने और ऊपेर करके उसके मम्मे को मुँह मे लेकर चुभलना शुरू किया और तनवी को बोला कि नीचे से वो प्राची को प्यार करे. क्या एहसास था. बहुत ही अनोखा था उसका स्पर्श. हाथ उसके जिस्म पर फिसल फिसल जा रहे थे. थोड़ी ही देर मे प्राची की साँसें तेज़ हो गयीं और वो इधर उधर मचलने लगी. मैने उसको सीधा करके लिटा दिया और तनवी को इशारे से ऊपर आने को कहा. मैने लूब्रिकेटिंग जेल्ली उठा कर उसकी चूत पर लगा दी और अपनी उंगली से उसे फैलाने लगा और उसकी चूत के छल्ले पर अपनी उंगली से दबाव डाला.

प्राची की चूत की फाँकें पूरी तरह से आपस मे चिपकी हुई थी और उसकी चूत का छल्ला बहुत टाइट था. मैने हल्का सा दबाव बढ़ाकर अपनी उंगली उसके अंदर कर दी और उसे इस तरह से दबा कर घुमाने लगा जिस से प्राची की चूत का छल्ला थोड़ा ढीला हो जाए. मेरे उंगली अंदर डालने पर प्राची चिहुनक गयी और बोली ये क्या कर रहे हैं. तनवी ने कहा कि तुम्हारी चूत का उद्घाटन करने की तैयारी कर रहे हैं.

फिर तनवी ने प्राची का ध्यान बटाने के लिए उसके साथ बातें करनी शुरू कर दीं. वो बोली कि प्राची तुम बहुत भाग्यशाली हो की राज जैसा समझदार और प्यार करने वाला तुम्हारी पहली चुदाई करने जा रहा है. तुम्हे इतना मज़ा देगा कि तुम सब कुच्छ भूल जाओगी और ऐसा मज़ा तुम्हे पहले कभी भी नही आया होगा. प्राची ने कहा कि मज़ा तो बाद मे आएगा, पर जो दर्द होगा पहले उसका क्या? तनवी हंस पड़ी और बोली कि प्राची तुम दर्द से डर रही हो, वो तो तुम्हे चाहे कोई भी चोदे या तुम खुद अपने हाथ से कोई भी चीज़ अपनी चूत मे डाल लो पहली बार तो होगा ही पर राज इतने प्यार से चुदाई करता है की तुम्हे दर्द कम से कम होगा और मज़ा ज़्यादा से ज़्यादा आएगा.

तुम बिल्कुल भी डरो नही दर्द होगा भी तो वो बहुत ही थोड़ी देर के लिए होगा और मज़ा इतना ज़्यादा होगा कि तुम्हारा दर्द उसमे खो जाएगा. चिंता की कोई बात ही नही है. राज को बहुत तजुर्बा है कुँवारी चूतो की पहली चुदाई का और मेरे सामने ही इसने 5-6 कुँवारी चूतो का उद्घाटन किया है और मेरी भी पहली चुदाई राज ने ही की थी. इसलिए मैं तुम्हे विश्वास दिलाती हूँ की चिंता की कोई भी बात नही है.

इधर अब मेरी दो उंगलियाँ प्राची की चूत मे जा चुकी थी और मैं उन्नको घुमा कर चूत के छल्ले को ढीला करने मे जुटा हुआ था. साथ ही मैं और तनवी दोनो मिलकर प्राची की उत्तेजना को बढ़ाने मे भी लगे हुए थे. मैं रह रह कर चूत के भज्नासे को छेड़ देता था और उसकी चिकनी जांघों को अपने दूसरे हाथ से सहला भी रहा था. तनवी कभी उसे डीप किस कर रही थी और कभी उसके मम्मे मुँह मे लेकर चूसने लगती तो कभी अपने हाथो मे लेकर उसके निपल चुटकी मे प्यार से मसल देती. प्राची के मुँह से अब हाआआआआआआआं, हूऊऊऊऊऊऊऊओन की आवाज़े आनी शुरू हो गयी थी.

मैने ढेर सारी लूब्रिकेटिंग जेल्ली प्राची की चूत मे लगा दी और अपने लंड पर भी अच्छी तरह से लगा कर उसे चिकना करके प्राची की टाइट चूत मे घुसने के काबिल बना दिया. फिर मैने तनवी को इशारा किया और प्राची की दोनो टांगे पूरी खोल कर अपने लंड को उसकी चूत की दरार पर रगड़ने लगा. प्राची अपनी तेज़ साँसों के साथ उत्तेजित हो चुकी नज़र आ रही थी और उसकी आँखे मूंदी हुई थी. मैने अपने लंड काटोपा उसकी चूत के छल्ले पर रख कर दबाव डालना शुरू किया. थोड़ी सी जगह बनते ही मैने एक हल्का सा झटका दिया और मेरा टोपा प्राची की चूत के छल्ले को पूरा फैला कर अंदर घुस गया. प्राची उच्छलने को हुई पर मेरे हाथों की उसकी जांघों पर पकड़ मज़बूत होने के कारण और तनवी के उसको कस के पकड़ने की वजह से बिल्कुल भी नही हिल सकी.

मैने पूछा के प्राची क्या हुआ? तो वो बोली के जैसे दर्द होने लगा था पर नही हुआ और अब बहुत भारी सा लग रहा है, क्या डाल दिया है? मैने कहा के हां डाल तो दिया है पर थोड़ा सा ही गया है अंदर और अब और भी अंदर जाएगा. पर तुम चिंता ना करो तुम्हे कुच्छ नही होगा हम दोनो हैं ना. मैने अपने लंड को अंदर बाहर हिलाना शुरू कर दिया और सिर्फ़ इतना ही की प्राची की चूत का छल्ला मेरे लंड पर जहाँ था वहीं रहे बस लंड के साथ ही अंदर को दब जाए और बाहर आ जाए. उधर तनवी ने प्राची को उत्तेजित करना चालू रखा हुआ था और उसी वजह से प्राची को कुच्छ समझ नही आ रहा था कि क्या हो रहा है और क्या होने जा रहा है. तनवी ने अपना एक हाथ नीचे करके प्राची के दाने को छेड़ना शुरू कर दिया और प्राची की आँखे फिर से मुन्दने लगी. मैने धीरे धीरे झूलते हुए एक ज़ोरदार धक्का मारा और मेरा लंड प्राची की सील को तोड़ता हुआ अंदर घुस गया.

प्राची के मुँह से एक ज़ोर की चीख निकली जो कमरे की दीवारों से टकरा कर रह गयी. बाहर भी चली जाती तो कुच्छ फिकर नही था क्यों कि बाहर कोई भी नही था. मैने अपने लंड को वहीं पर जाम कर दिया. प्राची की टांगे जो इस बीच मैने उठा दी थी बुरी तरह से काँप रही थी और उसकी आँखों से मोती झार रहे थे. तनवी ने उसको बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा कि बस अब हो गया और जो भी दर्द होना था हो गया. अब तुम्हारी चूत आराम से लंड ले सकती है आगे कभी भी लंड घुसने मे दर्द नही होगा. मैं पहले की तरह ही लंड को हल्के हल्के अंदर बाहर कर रहा था लेकिन उतना ही जैसे पहले शुरू मे था. थोड़ी ही देर मे प्राची समान्य होती नज़र आई तो मैने अपने लंड को आधा इंच अंदर बाहर करना शुरू कर दिया लेकिन बहुत धीरे धीरे. अब इतना एक्सपीरियेन्स हो चुका था कि मैं ये सब मशीनी अंदाज़ मे करता था, मतलब की इसके लिए मुझे कुच्छ भी सोचना या कोई प्रयास नही करना पड़ता था सब अपने आप ही होता था.

थोड़ी देर और गुज़री और प्राची के चेहरे से सारा तनाव और दर्द की रेखायें मिट गयी थी और उनकी जगह एक मनमोहक मुस्कान ने ले ली थी. मैने पूछा के क्यों प्राची अब दर्द तो नही हो रहा. प्राची ने कहा के नही अब दर्द तो बहुत ही कम हो रहा है और मज़ा आना शुरू हो गया है, आप करते रहो. फिर क्या था मैने अपने लंड के धक्कों की लंबाई बढ़ानी शुरू कर दी और थोड़ी देर मे ही मेरा लंड आधा बाहर आकर अंदर जा रहा था. प्राची ने भी नीचे से अपनी गांद हिलानी शुरू कर दी थी और मज़े ले रही थी. हर धक्के के साथ मैं अपने लंड को थोड़ा और अंदर कर देता था. नतीजा ये की 15-20 धक्कों के बाद मेरे लंड का टोपा प्राची की बच्चेदानी के मुँह से जा टकराया और उसको गुदगुदा गया. वो मस्ती मे झूमती हुई बोली के ये क्या किया है. मैने प्यार से कहा के कुच्छ नही मेरा लंड पूरा अंदर घुस कर तुम्हारी बच्चेदानी के मुँह से टकराया है और तुम्हे गुदगुदा गया है. मैने उसे पूछा की उसे अच्छा लग रहा है या नही? प्राची बोली के बहुत मज़ा आ रहा है.

फिर मैने बड़े प्यार से प्राची की चुदाई शुरू कर दी. तनवी के साथ मैं एक बार झाड़ चुका था, इसलिए मुझे दुबारा झड़ने मे टाइम तो लगना ही था. मैं एक लयबद्ध तरीके से प्राची की चुदाई करने लगा. प्राची के गुदाज का स्पर्श मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था और मैं उसका भरपूर आनंद ले रहा था. चुदन चुदाई का इस खेल का मैं पुराना खिलाड़ी हूँ, इसलिए मुझे मज़ा लेने के साथ साथ मज़ा देना भी खूब अच्छी तरह से आता है. मैं कभी अपने घिसों की रफ़्तार तेज़ कर देता और कभी कम और कभी लंबाई ज़्यादा और कभी कम.
 
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मैने प्राची के पुष्ट मम्मे जो अब पत्थर की तरह सख़्त हो रहे थे अपने हाथो मे पकड़े और उनके छ्होटे छ्होटे निपल्स को अपने अंगूठों से रगड़ने लगा. फिर मैने उसके एक निपल को अपने मुँह मे लेकर चुभलना शुरू कर दिया. दूसरा मम्मा मेरे हाथ की जाकड़ मे था और मैं उसे दबाने की नाकाम कोशिश कर रहा था. प्राची ने अपने दोनो हाथ लाकर मेरे सर पर रख दिए और दबाने लगी. फलस्वरूप उसके मम्मे पर मेरे मुँह का दबाव और बढ़ गया. मैने उसे चूसना शुरू कर दिया और अपने मुँह मे पूरा भरने की कोशिश की. मेरे दातों का हल्का सा दबाव उसके मम्मे पर था और मेरी जीभ उसके निपल से छेड़ छाड़ कर रही थी. अत्यधिक मज़े के कारण प्राची की आँखे मूंद रही थी और वो अधखुली आँखों से मुझे देख रही थी.

उधर मेरा लंड उसकी चूत मे लगातार अंदर बाहर हो रहा था और अब उसकी रफ़्तार भी तेज़ हो गयी थी. प्राची अब नीचे से अपनी गांद पूरी उठा कर लंड को तेज़ी से अंदर लेने का प्रयास कर रही थी और जब लंड पूरा अंदर घुस जाता तो धक्के के ज़ोर से उसकी गांद बेड पर जा टिकती और जब मैं अपना लंड बाहर निकालता तो वो गांद को बेड पर टिकाए लंड के अंदर घुसने का इंतेज़ार करती. थोड़ी हे देर मे प्राची के चेहरे के भाव बदले और मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है. मैने तुरंत अपने घस्सो की रफ़्तार और तेज़ करदी और साथ ही ज़ोर भी लगाना शुरू कर दिया. प्राची के मुँह से उउउउउउउउउउउन्ह, आआआआआआआः, ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ की आवाज़े निकलने लगी और वो हान्फ्ते हुए बोली की और ज़ोर से करो, मुझे कुच्छ होने लगा है.

उधर तनवी बड़े मनोयोग से इस ज़बरदस्त चुदाई को देख रही थी और प्राची के जोश मे आते ही उसने अपना हाथ बढ़ाकर उसकी चूत के दाने को छेड़ना शुरू कर दिया और अपना मुँह प्राची की गर्दन पर रखकर उसकी फूली हुई नस पर अपनी जीभ फेरने लगी. इस दोहरे मज़े को प्राची सह नही सकी और जल्दी ही झाड़ गयी. उसका पूरा शरीर झंझनाने लगा और वो बोली के दीदी मुझे पकड़ लो मैं गयी. तनवी ने प्यार से उसके सर पर अपना हाथ रखा और कहा के कुच्छ नही होगा तुम्हे हम हैं ना. प्राची की चूत से पानी निकल कर नीचे टवल को भिगोने लगा. पानी के साथ साथ थोड़े खून के कतरे भी थे. इस सब के दौरान मैं अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा और प्राची के समान्य होने का इंतेज़ार भी. थोड़ी देर मे प्राची ने अपने आँखे खोल कर मेरी तरफ एक लुभावनी मुस्कान के साथ देखा और बोली कि इतना मज़ा आया जो मैं सपने मे भी नही सोच सकती थी. मैने कहा के अभी तो और भी आएगा और आता ही रहेगा.

फिर मेरे झड़ने तक प्राची 2 बार और झड़ी और जब मेरे गरम गरम वीर्य की पिचकारी उसकी चूत मे बच्चेदानी पर पड़ी तो जैसे उसकी साँसें ही अटक गयीं. उसकी चूत झटके खाने लगी और मेरे वीर्य को जैसे नोचोड़ना चाहती हो. मैं भी मज़े से अपना लंड पूरा उसकी चूत मे डाल कर अपने वीर्य की बौच्चरें उसकी चूत मे छ्चोड़ता रहा और आख़िर मे उसके ऊपेर ढेर हो गया. फिर मैं पलटा और प्राची को अपने साथ चिपकालिया. प्राची ने भी मुझे अपनी बाहों मे कस लिया और दनादन ढेर सारे चुंबनों से मेरा पूरा चेहरा गीला कर दिया. मैने हाथ बढ़ा कर टवल से अपना लंड पोंच्छा और प्राची की चूत को भी पोंच्छ कर टवल नीचे फेंक दिया.

मैने तनवी को इशारा किया और वो उठकर बाथरूम मे चली गयी, प्राची के हॉट वॉटर ट्रीटमेंट के इंतज़ाम के लिए. थोड़ी देर मे ही मैने प्राची को अपनी गोद मे उठाया और उसे बाथरूम मे गरम पानी के टब मे बिठा दिया और कहा के तनवी तुम्हे सब समझा देगी कि ये क्या और क्यों है. मैं बाहर आकर उनका इंतेज़ार करने लगा. कुच्छ देर के बाद तनवी प्राची को सहारा देकर बाहर ले आई. प्राची की चाल मे अभी भी लंगड़ाहट थी पर वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और मुझसे लिपट गयी. मैने उसे एक पेन किल्लर और एक आंटी-प्रेग्नेन्सी टॅबलेट खिला दी और उसको वही अपना पुराना लेक्चर पिलाया की बहुत ज़्यादा चुदाई की तरफ ध्यान ना देकर अपनी पढ़ाई करे एट्सेटरा.

कुच्छ देर बाद प्राची ने मुझसे पूछा कि इतनी अच्छी चुदाई कैसे सीखी, पर सबसे पहले ये बताओ कि सबसे पहले तुमने चुदाई कब की? मैने कहा कि आज ही सब पूछोगि क्या. प्राची तुनक कर बोली कि हां मुझे आज ही पता लगाना है, बताओ ना. मैने हंस कर कहा कि चलो ठीक है मैं अपनी पहली चुदाई से शुरू करता हूँ. तनवी भी बड़ी उत्सुकता से मेरे दूसरी तरफ आ कर बैठ गयी और बोली कि हां ये तो मैं भी सुनूँगी.

मैं अपनी पुरानी यादों मे खो गया. मुझे याद आई बड़ी बड़ी आँखों वाली नैना. उसे याद करके मैं मुस्कुराए बिना ना रह सका. मैने एक बार तनवी की तरफ देखा और फिर प्राची को देखते हुए मैने बोलना शुरू किया. निमा नाम था उसका. और वो मुझसे उमर मे बड़ी थी लेकिन केवल 10 दिन. वो शुरू से ही हमारे पड़ोसी थे. बात उन दिनों की है जब मैं 12थ क्लास मे था और अभी कुच्छ दिन पहले ही मैं 18 साल काहुआ था. हमारे स्कूल का आन्यूयल डे का फंक्षन था और वो उसमे म्यूज़िकल डॅन्स ड्रामा मे बादशाह अकबर का रोल कर रही थी.

मैं भी स्कूल फंक्षन मे पार्टिसिपेट कर रहा था. फाइनल ड्रेस रॅहर्सल के दिन वो मेरे पास आई और बोली के राज प्लीज़ मेरी हेल्प करो ड्रेस अप करने मे. अभी रॅहर्सल स्टार्ट होने मे बहुत टाइम था और मैं तो वहाँ जनरल सूपरविषन करने के लिए सबसे पहले पहुँचा ही था और वो बाकी सबसे पहले वहाँ आ गयी थी. मैने कहा के चलो मैं तुम्हे ड्रेस अप करवा देता हूँ फिर मेक-अप तुम सबसे पहले करवा लेना. उसने कहा के इसीलिए तो वो जल्दी आई है ताकि सबसे पहले उसका मेक-अप हो जाए. हम ड्रेसिंग रूम मे आ गये और उसने दरवाज़ा अंदर से लॉक कर दिया और अपने कपड़े उतारने लगी. सर्दी शुरू हो चुकी थी और उसने अपनी जीन्स के नीचे शॉर्ट लेगैंग्स पहनी हुई थी. ऊपेर शर्ट के नीचे उसने सिर्फ़ एक पतली सी अंडर शर्ट पहनी हुई थी और उसमे उसके 38 साइज़ के बिना ब्रा के मम्मे ग़ज़ब ढा रहे थे.

ठंड के कारण उसके अंगूर के दाने जैसे निपल उभरे हुए नज़र आ रहे थे. मैने उसे कहा के क्या बात है आज तुमने ब्रा भी नही पहनी है. वो मेरे साथ बहुत फ्रॅंक थी, इसलिए मुस्कुरा के बोली के ओये झल्ले अपने मम्मे नही दिखाने, इनको ब्रा मे नही पट्टी मे बाँधना है ताकि मेल चेस्ट लगे. मैने कहा के हां ये बात तो है. उसने अपने बॅग मे से पट्टी निकाली तो मैने वो पकड़ ली और उसके पीछे आ गया और उसको कहा कि अपनी अंडर शर्ट ऊपेर करे ताकि मैं पट्टी बाँध दूं. उसने अपनी शर्ट ऊपेर की तो मुझसे रहा नही गया और मैने अपने हाथ बढ़ा कर उसके दोनो सख़्त मम्मे अपने हाथ मे ले लिए और उन्हे दबाने लगा और अपने जलते हुए होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए. उसके मम्मे अपने हाथो मे लेते ही मुझे एक ज़बरदस्त करेंट जैसा लगा और मेरा पूरा शरीर झानझणा गया.

ये मेरा पहला मौका था कि किसी के नंगे मम्मे मेरे हाथो मे थे और वो भी इतने सुडौल और बड़े साइज़ के. मैने उनका पूरा नाप तोल कर डाला. वो भी बहुत ज़ोर से काँप गयी, शायद उसके लिए भी ये पहली बारी थी. निमा ने एक ज़ोर के झुरजुरी ली और बोली ये क्या कर रहे हो कोई आ जाएगा. मैने कहा कि कुच्छ नही होगा दरवाज़ा तो तुमने लॉक कर दिया है कोई नही आएगा. मैने उसके मम्मों को बड़े प्यार से सहलाना और दबाना शुरू कर दिया तो वो मचल उठी और बोली की राज अभी नही प्लीज़ बाद मे करेंगे ये सब अभी तो मुझे जल्दी से तैयार होने दो. मैने कहा कि ठीक है पर पहले तुम पक्का वादा करो कि बाद मे हम ये सब करेंगे. वो बोली के गॉड प्रोमिस राज बाद मे करेंगे, दिल तो मेरा भी बहुत कर रहा है पर अभी तैयार होना है. फर्स्ट थिंग्स फर्स्ट. ना चाहते हुए भी मैने जल्दी से उसे तैयार होने मे हेल्प करी. उसके मम्मों पर पट्टी बाँध दी और उसको कहा कि अपने मम्मों को बाहर की तरफ कर दे ताकि चेस्ट फ्लॅट दिखे. फिर उसे चोगा पहनाया जो कि एक अंगरखा था और उसके फीते साइड पर थे. चूड़ीदार उसने खुद ही पहन लिया. और फिर मैं बाहर आ गया.

रॅहर्सल के ख़तम होते ही वो जल्दी से चेंज करके आई और मुझे बुलाने लगी. मैं तो चेंज कर ही चुका था और बाकी सबके चेंज करने काइंतेज़ार कर रहा था. मैने उसको कहा कि गर्ल्स की सारी प्रॉपर्टी वो संभलवा दे और मैं इधर बाय्स की सारी प्रॉपर्टी देख लेता हूँ. वो गयी और जल्दी से सारा काम निपटा कर आ गयी और मेरे हाथ मे रूम की की देते हुए बोली की लो मैं सारा काम कर आई हूँ. तब तक मैं भी फ्री होकर उसी का इंतेज़ार कर रहा था. उसने मुझे बड़ी अदा के साथ बताया कि वो मेरे साथ चल रही है मेरे घर क्योंकि उसे अपनी मूव्मेंट्स और क्यूयेस पूरी तरह याद नही हैं और इसके लिए उसने अपने मम्मी-पापा से पर्मिज़न भी ले ली है. मैं उसकी तरफ देख कर मस्कुराया और बोला कि बहुत चालाक हो तो वो बोली की राज क्या करूँ मेरा कई दिन से दिल कर रहा था और आज मौका मिला है तो चौका मारना चाहती हूँ. मैने कहा के नेकी और पूच्छ पूच्छ.

हम गार्ड को चाबियाँ देकर साइड गेट से निकल कर घर आ गये. डिन्नर का टाइम हो रहा था और मा-पापा मेरा इंतेज़ार कर रहे थे. निमा ने उनको नमस्ते की और बोली के आज वो अपनी रॅहर्सल से खुश नही है और अपने क्यूयेस और मूव्मेंट्स ठीक से याद करने मे मेरी मदद ले रही है. पापा ने कहा कि कोई दिक्कत नही है राज सब जानता है और तुम्हे अच्छे से प्रॅक्टीस करवा देगा. निमा बोली की जी सर और अगर देर हो गयी तो वो यहीं हमारे घर रह जाएगी और इसके लिए उसने अपने मम्मी-पापा से पर्मिज़न ले ली है. मा ने कहा के ठीक है तुम दोनो मुँह हाथ धो कर खाने की टेबल पर आओ और वो तब तक ऊपेर रूम तैयार कर देती हैं निमा के लिए. पापा ने कहा के ये ठीक रहेगा.

हम जल्दी से मुँह हाथ धो कर आ गये. तब तक मा भी रूम ठीक करके आ गयीं. फिर हमने खाना खाया और मैं और निमा ऊपेर जाने लगे. मा ने कहा कि देखो बहुत ज़्यादा देर मत जागना कल शो है, इसलिए जो रह जाए वो सुबह उठ कर याद कर लेना. हमने कहा के ठीक है, और ऊपेर आ गये. मैने जानबूझ कर अपने कमरे मे आ कर दरवाज़ा लॉक नही किया था. मैने टेप-रेकॉर्डर सेट करके बलेट की कॅसेट लगा दी. तब तक मा दो मग मे कॉफी और कुच्छ बिस्किट्स लेकर आ गयीं और बोलीं के अभी तुम्हे टाइम लगेगा, इसलिए मैं ये कॉफी ले आई हूँ, इस से चुस्ती आ जाएगी और नींद भी नही आएगी. फिर मुझे कहा के दरवाज़ा बंद करके प्रॅक्टीस करना, आवाज़ ज़्यादा ऊँची मत करना और देखो निमा से लड़ना नही. मैने कहा के क्या मा, मैं कोई लड़ता रहता हूँ? मा बोली के हां, देखा नही आज कितने दिनो बाद निमा आई है, तू ही लड़ता रहता था जो इसने आना बंद कर दिया. निमा बोली के नही आंटी अब हम नही लड़ते, अब बड़े हो गये हैं और आज तो मैं बिल्कुल भी नही लड़ूँगी, मुझे प्रॅक्टीस करनी है ताकि शो बहुत बढ़िया जाए. मैने भी वैसा ही कुच्छ कहा मा से और मा चली गयीं और जाते हुए दरवाज़ा भी बंद कर दिया.

मेरा बेडरूम काफ़ी बड़ा है और मेरे बेड के अलावा उसमे एक छ्होटी सेंटर टेबल, एक सेट और दो चेर्स भी रखी हैं. हम ने ये चेर्स, सेट और सेंटर टेबल एक साइड पे कर दी ताकि यही लगे की प्रॅक्टीस करने के लिए स्पेस बनाया है. मैने टेप-रेकॉर्डर ऑन किया और उसका वॉल्यूम मीडियम कर दिया ताकि अगर कोई दरवाज़े के बाहर आए तो उसे सुनाई दे पर नीचे किसी भी बेडरूम मे उसकी आवाज़ डिस्टर्ब ना करे. हमने अपनी कॉफी ख़तम की और मग्स ट्रे मे रख दिए और फिर मैने निमा की तरफ देखा और उसको पूछा की अब बताओ क्या प्रोग्राम है. उसने कहा कि जैसे तुम कहो. मैने कहा की अभी कुच्छ देर इंतेज़ार करते हैं, जैसे ही मा-पापा सो जायेंगे उसके बाद ही कुच्छ करेंगे. निमा भी मुस्कुरा के बोली कि हां ये ठीक रहेगा. फिर मैने उसे अपने पास खींच लिया और अपनी बाहों मे भर लिया. उसने भी अपनी बाहें उठाकर मेरे इर्द-गिर्द कस दीं. उसके मम्मे मेरी छाती मे गढ़ गये और मुझे गुदगुदाने लगे. मैने निमा का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उसे किस करने लगा. स्मूचिंग और नेक्किंग तो हम पहले भी करते रहे थे पर उसके आगे कभी नही बढ़े थे. मैने उसे कहा के अपनी अंडरशर्ट निकाल कर शर्ट वापिस पहन ले. उसने जल्दी से अपनी शर्ट उतारी और फिर अपनी अंडरशर्ट को उठाने के लिया अपने हाथ बढ़ाए.

मैने आगे बढ़कर उसकी अंडरशर्ट पकड़ा ली और कहा कि मुझे मदद करने दो. उसने अपने हाथ ऊपेर किए और मैने उसकी अंडरशर्ट उठा कर उसके सर से निकाल दी और उसकी पीठ पर अपने हाथ डाल कर उसे अपने साथ सटा लिया और उसके एक मम्मे को मुँह मे भरने की कोशिश करने लगा. हम दोनो बुरी तरह से काँपने लगे. निमा की आँखे मुन्दने लगी और उसने जल्दी से अपनी अंडरशर्ट से अपने हाथ आज़ाद किए और मुझे अपने साथ भींच लिया. मैने अलग होकर उसकी शर्ट उठाई और उसे पहनाने लगा. उसने भी बात को समझते हुए अपनी शर्ट पहन ली और बटन्स लगा लिए. फिर मैने उसे कहा की थोड़ी सी प्रॅक्टीस कर ही ले. वो अपनी मूव्मेंट्स करने लगी और मैने उसकी अंडरशर्ट उठाकर उसके बॅग मे च्छूपा दी. फिर मैने एक पेन और नोटेपद ले लिया और निमा की मूव्मेंट्स के बारे मे कुच्छ रिमार्क्स लिख सकूँ. अभी हम आधे तक भी नही पहुँचे थे कि दरवाज़ा खुला और मा ने अंदर आते हुए पूछा के कॉफी पी ली, कुच्छ और तो नही चाहिए? मैने टेप बंद कर दिया और कहा के नही मा और कुच्छ नही चाहिए और अगर चाहिए भी होगा तो मैं ले लूँगा आप चिंता नही करो.

मा ने कहा के ठीक है तुम्हारे पापा सो गये हैं और मैं भी सोने जा रही हूँ. मा ट्रे उठाकर चल दीं और जाते हुए दरवाज़ा भी बंद कर गयीं. मैने और निमा ने एक दूसरे को मुस्कुरा कर देखा और मैने टेप वापिस चला दिया. बलेट ख़तम हो गया तो मैने टेप रीवाइंड किया और दोबारा चला दिया. मैने कुच्छ रिमार्क्स सिर्फ़ दिखावे के लिए लिख दिए और निमा को भी पढ़वा दिए ताकि अगर कोई बात हो तो वो बता सके कि क्या कमी थी और कैसे उसे ठीक किया था हमने. निमा मेरी ओर देख कर मुस्कुरा दी और बोली कि राज तुम हर बात का पूरा ध्यान रखते हो. मैने कहा के ना रखूं तो पकड़े नही जायेंगे? फिर हमने थोड़ा और इंतेज़ार किया और जब लगा कि अब तो मा भी सो गयी होगी, मैने निमा को अपने पास खींच लिया और कहा कि अब नही रुका जाता.

निमा ने भी अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दीं और बोली के वो तो बहुत देर से तैयार है. मेरे रूम मे दो हीटर लगे हुए थे. मैने उनको फुल पर कर दिया और निमा के कपड़े उतारने लगा. निमा को मैने कहा के मैं तुम्हारे कपड़े उतार रहा हूँ तुम मेरे कपड़े उतारो. कुच्छ ही देर मे हम दोनो पूरी तरह नंगे हो गये थे और एक दूसरे को देख रहे थे. मेरा लंड पूरा तना हुआ था और सर उठा कर खड़ा था. उधर निमा के मम्मे भी तने हुए सर उठा कर खड़े थे. फिर हम दोनो बढ़े और एक दूसरे की बाहों मे समा गये. मुझे तो कुच्छ पता ही नही था सेक्स का और मेरे पूच्छने पर निमा ने कहा कि वो भी बिल्कुल अंजान है. मैने कहा कि कोई बात नही मैने पॉर्न की वीडियो कॅसेट देखी थी और जैसे उसमे था वैसे ही करने की कोशिश करते हैं. निमा ने कहा कि ठीक है राज जैसे तुम बताते जाओगे मैं वैसे ही करती रहूंगी. मैं निमा को लेकर बेड पर आ गया और प्यार से उसका पूरा शरीर सहलाने लगा. वो उत्तेजित होने लगी और बोली के हाए राज बहुत अच्छा लग रहा है. मैने उसे कहा कि वो भी मुझे ऐसे ही सहलाए. उसने भी मेरे शरीर पर प्यार से हाथ फेरना शुरू कर दिया.
 
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फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. उसने कहा कि ये तो बहुत गरम है. मैने कहा के हां ये भी गरम है और तुम्हारी चूत भी बहुत गरम है और जब दोनो मिलेंगे तो इन की गर्मी शांत होगी. निमा की चूत पर एक भी बाल नही था और वो एकदम सॉफ थी. उसकाफिगर था 38-25-38. बिल्कुल अवर ग्लास फिगर था और कहीं से भी मोटापा नही था. हम एक दूजे को सहलाने के साथ साथ किसिंग भी करते जा रहे थे. मेरे हाथो की आवारगी बढ़ रही थी और मैने अपना एक हाथ ले जाकर उसकी चिकनी चूत पर रख दिया. बहुत गरम थी उसकी चूत और पनिया भी गयी थी. उसकी चूत की फाँकें भी आपस मे चिपकी हुई थी, जिन्हें मैने अपनी एक उंगली से कुरेदा और उसकी चूत के सुराख पर मेरी उंगली जा लगी. यहाँ बहुत गीलापन था. मैने अपनी उंगली सुराख के अंदर करने की कोशिश की और हल्का सा दबाव डाला. मेरी उंगली थोड़ी सी निमा की चूत के अंदर घुस गयी और निमा चिहुन्क उठी. मैने पूछा कि क्या हुआ? निमा बोली कि कुच्छ नही बहुत अच्छा लग रहा है करते रहो.

मैं अपनी उंगली को उसकी चूत मे हिलाने लगा और जैसे ही मेरा अंगूठा सहारे के लिए उसकी चूत के ऊपेरी किनारे से टकराया तो निमा उच्छल पड़ी और उसके मुँह से एक सिसकारी निकली. मेरा अंगूठा उसके भज्नासे को रगड़ गया था जिसकी वजह से वो गंगना उठी थी. मैने एक बार फिर अपने अंगूठे से उसी जगह को रगड़ा तो निमा ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और बोली कि धीरे से करो इतना मज़ा सहा नही जाता. मैने कहा के अभी तो और भी ज़्यादा मज़ा आना है फिर क्या करोगी? निमा बोली के प्यार से धीरे धीरे करते रहो सब सह लूँगी. मैने उसको कहा कि तैयार हो जाओ और उससे पलट कर अपने ऊपेर खींच लिया. उसकी चौड़ी और गोल गांद अब मेरी आँखों के सामने थी और मैने उसकी जांघों से शुरू करके उसकी चूत पर अपनी जीभ को लगा दिया. निमा बहुत ज़ोर से काँप गयी और बोली कि ये क्या कर रहे हो? मैने कहा के वैसे ही कर रहा हूँ जैसे उस वीडियो मे देखा था. तुम भी मेरे लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसो.

निमा ने अपना मुँह मेरे लंड पर लगा दिया और मेरे टोपे को किस करके अपनी जीभ से चाता. फिर अपना मुँह खोल कर मेरे लंड को मुँह मे भरने की कोशिश की. पूरा मुँह खोल कर उसने टोपे को अंदर ले लिया और अपने होंठ बंद करके चूसना शुरू कर दिया. मुझे इतना मज़ा आया कि मैं बता नही सकता. ये मेरा पहला मौका था कि मेरा लंड चूसा जा रहा था. मैने उसकी चूत की लकीर के दोनो तरफ अपने अंगूठे लगा कर उनको खोला ओआर अपनी जीभ उसकी लाल चूत पर लगा दी और चाटने लगा. निमा झुरजुरी लेकर काँपने लगी और उसने मेरे लंड को और ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर की चाटम चाती के बाद पहले निमा झड़ी और उसके कुच्छ सेकेंड बाद ही मैं भी झाड़ गया.

मेरा सारा वीर्य निमा पी गयी और मैं उसकी चूत से निकला सारा पानी चाट कर गया. मेरा लंड थोड़ा सा ढीला पड़ा पर निमा के चूस्ते रहने से 5 मिनिट मे ही फिर से अकड़ने लगा और पूरी सख्ती मे आ गया. उधर निमा भी चूत के लगातार चाते जाने से उत्तेजित हो गयी और मैने उसको पूछा कि चुदाई भी करना चाहती हो क्या? निमा बोली कि हां आज मौका मिला है तो सब कुच्छ करना चाहती हूँ. मैने कहा के ठीक है और उठकर बाथरूम से एक टवल और कोल्ड क्रीम की शीशी उठा लाया. निमा को सीधा करके मैने टवल उसकी गांद के नीच लगा दिया फोल्ड करके और कोल्ड क्रीम लेकर उसकी चूत पर लगा दी और अपने लंड पर भी लगाकर उसे चिकना कर लिया. फिर उसकी टांगे खोल कर अपनी दोनो तरफ कर दीं और अपना लंड हाथ मे लेकर उसकी चूत पर रगड़ने लगा.

निमा की उत्तेजना बहुत बढ़ गयी थी और वो बोली की राज जल्दी कर दो अब रहा नही जा रहा. मैने कहा कि ये जल्दी का काम नही है आराम से ही करने दो नही तो तुम्हे बहुत दर्द होगा. पहली बार लंड को चूत मे डालने पर दर्द होता है ये तो तुम जानती हो. वो बोली के हां जानती हूँ पर देर नही करो. मैने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए उसकी चूत के छेद पर अटकाया और हल्का सा दबाव डाला. मेरा टोपा उसकी चूत मे घुस गया और वो एक दम चौंक गयी. मैने थोड़ा रुक कर फिर दबाव डाला तो मेरा लंड उसकी चूत मे और अंदर घुसा और उसकी कुंआरी झिल्ली से जा टकराया. मैं वहीं रुक गया. मैने अपने लंड को थोड़ा सा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. लंड तो ज़्यादा अंदर बाहर नही हो रहा था पर हल्की सी रगड़ ने निमा की उत्तेजना को बढ़ा दिया. फिर मैने लंड को अंदर करते हुए एक ज़ोर का धक्का लगाया.

लंड उसकी चूत मे उसकी सील को तोड़ता हुआ अंदर घुसता चला गया और वो ज़ोर से चीखने को हुई, पर मैने उसकी चीख को वहीं उसके मुँह पर अपना हाथ दबा कर रोक दिया. निमा की आँखे फटी रह गयीं और उनमे से आँसू गिरने लगे. मैने अपने लंड को वहीं जाम कर दिया और उसके आँसू पोंछ कर उसको पूचकार कर कहा कि बस अब हो गया है और मेरे ख्याल से अब तुम्हे दर्द नही होगा. निमा रुआंसे स्वर मे बोली कि बहुत दर्द हुआ, तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी. मैने कहा के निमा दर्द तो होना ही था पर अब नही होगा ना मैं बहुत प्यार से चोदुन्गा. वो चुप रही और मैने धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. कुच्छ ही देर मे निमा को भी मज़ा आना शुरू हो गया और वो भी नीचे से हिलने लगी. मैने रफ़्तार के साथ-साथ अपने लंड को अंदर बाहर करने की लंबाई को भी बढ़ाना शुरू कर दिया.

निमा का दर्द गायब हो गया और वो अपनी गांद उठाकर मेरे लंड को अपनी चूत मे लेने लगी. मैने अपने हाथ उसके सख़्त मम्मों पर रख दिए और उन्हे दबाने लगा. निमा बोली के ज़ोर से दबाओ इन्नको. मैने उन्हे ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद ही एक मम्मे को अपने मुँह मे लेकर उसके निपल को चूसने लगा. निमा अत्यधिक उत्तेजित हो उठी और बोली के हां अपने दाँतों मे लेकर हल्का-हल्का काटो इनको बारी-बारी से और मैने वैसे ही करना शुरू कर दिया. फिर निमा ने कहा कि अब ज़ोर से घस्से मारो बहुत मज़ा आ रहा है. मैने अपनी पूरी ताक़त से घस्से लगाने शुरू कर दिए और नतीजा ये हुआ के हम दोनो इकट्ठे ही झाड़ गये. मेरे वीर्य की गरम-गरम पिचकारी नीमा की चूत मे उसकी बच्चेदानी के मुँह से जा टकराई. कुच्छ ही देर मे मेरा लंड ढीला हो गया तो मैने उसे बाहर निकाल लिया और टवल से निमा की चूत से बहते खून मिले पानी को साफ कर दिया.

अब मुझे चिंता हुई और मैने निमा को कहा कि एक ग़लती हो गयी है कि मैने उसकी चूत मे ही डिसचार्ज कर दिया है, कही कोई गड़बड़ ना हो जाए. वो बोली के फिकर ना करो मेरी कॅनडा वाली मासी ने मम्मी को आंटी-प्रेग्नेन्सी टॅब्लेट्स भेजी हैं मम्मी कभी-कभी लेती है वो गोली और मैं भी चुप चाप एक निकाल के ले लूँगी. ये कोई नयी टॅब्लेट्स आई हैं, सेक्स के बाद अगले दिन भी ले लो तो प्रेग्नेन्सी नही होती. मुझे चैन पड़ा और मैने निमा को अपने साथ चिपका लिया. फिर निमा उठकर कपड़े पहन कर दूसरे कमरे मे चली गयी.

“वाउ, तुम तो बहुत पुराने चुड़क्कड़ निकले”, तनवी बोली. मैने कहा के पुराना तो हूँ ही, एक्सपीरियेन्स के कारण ही तो बढ़िया चुदाई करता हूँ. हम तीनों हंस पड़े. प्राची को मैने कहा कि तुम्हारे जाने का टाइम हो रहा है तुम तैयार हो जाओ. उसने जल्दी से अपने कपड़े पहने और जाने के लिए तैयार हो गयी. जाने से पहले उसने मुझे लीप किस किया और बोली कि लव यू तो नही पर मुझे तुम्हारी चुदाई से प्यार हो गया है. मैने कहा के अच्छी बात है मैं तुम्हे चुदाई का मज़ा देता रहूँगा पर ये ध्यान रहे की चुदाई के चक्कर मे अपनी पढ़ाई मत भूल जाना. उसने वादा किया कि उसकी फर्स्ट प्राइयारिटी पढ़ाई ही रहेगी और चली गयी.

मैने तनवी को अपनी बाहों मे भर लिया और कहा कि मैं बहुत खुश हूँ तुमसे और मुझे तुम पर नाज़ है. वो हंस दी और बोली कि राज हम दोनो एक दूजे के पूरक हैं. मैने कहा कि हां ये तो है.

फिर हमने इकट्ठे चाय पी और वो अपने रूम में चली गयी. मैं सोचने लगा कि तनवी का दखल मेरी ज़िंदगी में कितना ज़्यादा हो गया है और मैं उस पर कितना डिपेंड करने लगा हूँ.

अगले दिन मैने बहुत सोचा और आख़िर में एक फ़ैसला ले लिया. मैने तनवी से कहा कि दोपहर का खाना मेरे साथ खाए, क्योंकि मुझे कुच्छ बात करनी है. उसने कहा कि ठीक है.

दोपहर में हमने खाना इकट्ठे खाया और खाने के दौरान हमारे बीच कोई बात नही हुई. खाना खा के मैं तनवी को अपने बेडरूम में लेकर आ गया और उसको बिठाकर कहा के देखो तनवी तुम मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखती हो और मैं तुम्हारे ऊपेर बहुत ज़्यादा डिपेंड करने लगा गया हूँ.

तनवी ने मेरी तरफ देखा और बोली, “क्या कहना चाहते हो?”

मैने कहा, “तुम मुझे बहुत अच्छी तरह से समझ चुकी हो और मेरा मान ना है के शायद मुझ से भी अच्छी तरह तुम मुझे समझ सकती हो. और अब तो तुमने मेरे लिए वो काम किया है कि मैं सोच भी नही सकता था.”

तनवी ने पूचछा, “कौनसा काम?”

मैने केवल इतना कहा, “प्राची.”

वो हंस पड़ी और बोली, “वो तो मैं आगे भी करती रहूंगी हमेशा.”

मैने भी उससी लहजे में बिना रुके पूछा, “अगर मैं तुमसे शादी कर लूँ तो उसके बाद भी?”

एक बार तो तनवी सन्न रह गयी और मेरी आँखों में झाँकति रही फिर उसकी आँखें गीली हो गयीं और वो रुँधे गले से बोली, “फिर तो मरते दम तक.”

मैने उससे अपनी बाहों में भर लिया और कहा, “कल हम कोर्ट में शादी कर लेंगे और उसस्के बाद मंदिर में भी. और उसके लिए तुम अपने घर पर खबर कर दो ताकि वो भी आ जायें और मंदिर में हमारी शादी संपन्न करवा दें.”

हमारी शादी हो गयी और सब कुच्छ वैसे ही चल रहा है बस इतना अंतर आया है कि तनवी अब नीचे मेरे साथ मेरे दिल में रहती है.

दोस्तो, यह कहानी मैं यहाँ पर इसलिए ख़तम कर रहा हूँ ताकि यह बोर ना करने लगे. काफ़ी लड़कियों का परिचय आपको दे दिया है और अब कुच्छ नयापन लाना कठिन है. आशा है कि आप मेरी बात को समझेंगे.

धन्यवाद.

एंड
 

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