Erotica कुँवारियों का शिकार

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मैने कहा के कणिका देखो अब जब हम दोस्त बन गये हैं तो शरमाना छोड़ो और खुल कर बात करो. बताओ के क्या क्या चाहती हो. वो बोली के मैं चाहती हूँ के मुझे भी अरषि की तरह प्यार से चुदाई का मज़ा दो और फिर से शर्मा के नज़रें झुका लीं. मैने नाटकिया अंदाज़ में कहा के हाए राम क्या अदा है शरमाने की. फिर मैं आगे हुआ और उसको अपनी बाहों में लेकर उसका चेहरा ऊपेर उठाया और कहा के मैं बहुत प्यार से अपना लंड तुम्हारी चूत में डालूँगा पर क्या है के तुम्हारी पहली बार है ना तो थोड़ा सा दर्द होगा पर मैं पूरा ध्यान रखूँगा और ज़्यादा दर्द नही होने दूँगा. उसके बाद तुम्हें बहुत मज़ा आएगा और अगली बार से तुम्हें दर्द भी नही होगा. और तुम मेरी दोस्त बन गयी हो तो मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा और जब भी तुम्हें कोई भी परेशानी या कोई भी ज़रूरत हो तो तुम बेजीझक मुझे कह सकती हो मैं तुम्हें कुच्छ नही होने दूँगा. वो बोली ठीक है मुझे मंज़ूर है आपकी बात और अब आप देर ना करो मुझे घर भी जाना है 5 बजे से पहले पहुँचना है. मैने घड़ी देखी 2-30 हुए थे, बहुत टाइम था. मैने कहा के चलो फिर अपने सारे कपड़े उतार दो जल्दी से और तैयार हो जाओ.

मैं अपने कपड़े उतारते हुए उन्हे देखने लगा. दोनो ने अपने कपड़े उतारे और अरषि के कहने पर उसने भी अरषि के साथ कपड़े सलीके से फोल्ड करके रख दिए. मैं उसका जिस्म देख कर बहुत खुश हुआ. वैसे यह उमर ही ऐसी होती है के 18-22 साल तक अगर थोड़ा सा भी ख़याल रखे तो लड़की का जिस्म बहुत शानदार रहता है. दोनो ने टॉप्स के नीचे कुच्छ नही पहना था. कणिका के मम्मे देख कर मेरी आँखें चौंधिया गयीं, ऐसे लग रहे तहे उसके मम्मे जैसे एक गोल नारियल आधा काटकर उसकी छाती पर चिपका दिया हो. बस इतना फ़र्क था के नारियलकाला होता है और यह गोरे थे और उनपर हल्के भूरे रंग के चूचकों पर मटर के छ्होटे दाने जैसे निपल ग़ज़ब ढा रहे थे. निपल पूरी तरह से कड़क हो चुके थे, शायद आगे जो होना है की सोच ने कणिका को उत्तेजित किया हुआ था.

मैने आगे बढ़कर उसके मम्मों को हाथों में लेकर हल्का सा दबाया पर वो दबाने में नही आए इतने टाइट और चिकने थे के मेरा हाथ फिसल गया और उसके निपल्स मेरी उंगलियों में फँस गये. मैने उनको ही हल्के से दबाया तो कणिका की सिसकारी निकल गयी. मैने कहा के कणिका तेरे ये मम्मे तो बहुत ज़बरदस्त हैं और तुम बहुत ही सुन्दर हो. वो मेरी आँखों में देख रही थी और मेरी बात सुनकर थोड़ा सा मुस्कुरा दी. मैने उसको अपने साथ चिपका लिया. एक तेज़ उत्तेजना की लहर दोनो के शरीर में दौड़ गयी. कणिका का शरीर था ही इतना मस्त. उसकी चूत भी कम नही थी. बिना बालों की चूत और फिर उसकी चिपकी हुई फाँकें, ऐसे लगा रहा था जैसे एक लकीर खींच दी हो. एक हाथ से मैने उसकी चूत को सहलाया और उंगली उसकी दरार में रगडी तो दोनो फाँकें थोड़ा सा अलग हुईं और मैने देखा की उसकी पंखुड़ियाँ लाली लिए हुए गुलाब की कलियों जैसी दिख रही थीं और उनपर कणिका की उत्तेजना से निकला पानी ओस की बूँदों की तरह चमक रहा था. मैने अरषि को भी इशारा किया और उसने हम दोनो को अपनी बाहों में भींच लिया. तुम क्यों परे खड़ी हो, हमारी मदद नही करोगी, मैने पूछा. वो बोली के क्यों नही पूरी मदद करूँगी पर मुझे क्या मिलेगा. मैने कहा के तुझे वही मिलेगा जो हमें मिलेगा, घबराती क्यों है? है चाहे मेरे उसूल के खिलाफ इतनी जल्दी किसी लड़की को दुबारा चोदना, पर आज की स्पेशल ट्रीट के बदले में तू डिज़र्व करती है के तुझे भी मज़ा दिया जाए.

कणिका को कुच्छ समझ नही आई हमारी बात तो मैने उसको बताया के देखो चुदाई ज़्यादा करने से चूत थोड़ी ढीली पड़ जाती है और आगे चलकर तुम्हारी शादी होनी है और तुम्हारा पति जब तुम्हारे साथ सुहागरात मनाएगा तो उसको तुम्हारी चूत में लंड डालने से पता लग जाएगा के तुम बहुत ज़्यादा चुदाई करवा चुकी हो. इसलिए मैं अपनी क़िस्सी भी दोस्त लड़की को महीने में एक बार से ज़्यादा नही चोदता हूँ. और अरषि को अभी 3 दिन पहले ही चोदा है और आज फिर चोदना है, इसीलिए कहा. वो सर हिला के बोली यह सब मैं नही जानती अब तुम ही बताना कि क्या और कैसे करना है, मैं वैसे ही करूँगी. मैने कहा के बहुत अच्छी बात है.

फिर मैं उन दोनो को बेड पर ले के आया और शुरू हो गया वही चिर परिचित खेल जिस्मों का, स्पर्श का, स्पर्श के सुख का, स्पर्श सच से उत्पन्न होने वाली उत्तेजना का, और उत्तेजना से भरे दिलों की तेज़ होती धड़कानों का. कहाँ तक कहूँ वो सब बातें, बस इतना ही कह सकता हूँ के हर बार यह स्पर्श सुख एक नयी ऊर्जा को जन्मा देता था और एक कुँवारी लड़की औरत बन जाती थी अपनी चूत को मेरे लंड की भेंट चढ़ाकर. अभी कुच्छ देर में यही होने वाला था. मेरी और अरषि की मिली जुली मेहनत से कणिका बहुत जल्दी उत्तेजित हो गयी और आहें भरने लगी. मैने अरषि को इशारा किया के वो उसके मम्मों से खेलती रहे और मैं उठकर उसकी टाँगों के बीच में आ गया. उसकी टाँगें उठाकर मैने अपने कंधों पर रख लीं और उसकी बिना बालों वाली छूत पर अपना मुँह चिपका के चूसने लगा. एक हाथ उसकी गांद की गोलाईयों को सहला रहा था और दूसरे हाथ का अंगूठा उसके भज्नासे पर दस्तक दे रहा था. कणिका की साँसें अटाकनी शुरू हो गयीं. उत्तेजना के मारे वो बोल भी नही पा रही थी. आ….आ….आ….न, उ….उ….उ….न ही कर रही थी. मैने अपनी जीभ कड़ी कर के उसकी चूत में डाल दी और जीभ से ही उसे चोदने लगा. थोड़ी ही देर में वो ज़ोर से उच्छली और झाड़ गयी. मैने उसकी टाँगें नीचे की और उसकी बगल में लेट कर उसको बाहों में कस लिया. वो भी मुझसे लिपट गयी और बोली ऐसे ही इतना मज़ा आया है जब मुझे चोदोगे तो कितना मज़ा आएगा? मैने कहा के इस मज़े से भी बहुत ज़्यादा मज़ा आएगा, तुम बस देखती रहो.

मैं और अरषि शुरू हो गये कणिका को उत्तेजित करने में और कुच्छ ही देर में हमारी मेहनत रंग लाई और कणिका की साँसें भारी हो गयीं और आँखें आधी मूंद गयीं. अरषि उसका एक मम्मा अपने मुँह में भर के चुभला रही थी और दूसरे को अपने हाथ से सहला रही थी और मैं कणिका को प्यार से चूम रहा था और उसके बदन पर अपना हाथ बहुत कोमलता से चला रहा था. फिर मैं थोड़ा नीचे आया और उसके पेट पर छ्होटे छोटे चुंबन देने लगा और उसके बाद मैने उसकी नाभि पर अपना मुँह रख दिया और जीभ की नोक से उसकी नाभि को चाटने लगा. अब जो उसकी उत्तेजना बढ़ी तो वो बोल उठी के जल्द चोदो ना मुझे मैं देखना चाहती हूँ की चुदाई का मज़ा क्या होता है. मैने कहा के अभी लो मेरी जान.

मैं उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी गीली चूत के मुँह पर रख दिया. गीली होने के बाद भी इतनी गरम थी उसकी चूत जैसे भट्टी हो और मेरा लंड अंदर जाते ही भून देगी. मैने क्रीम की ट्यूब उठाकर उसकी चूत पर क्रीम लगाई और उंगली से थोड़ी अंदर भी कर दी. साथ ही मैने अपने लंड के सुपारे पर भी क्रीम अच्छी तरह से लगा दी और फिर से अपना लंड हाथ में लेकर उसकी चूत के मुहाने पर रगड़ते हुए दबाव डाला. लंड तो इतनी देर से आकड़ा हुआ था के दबाव डालते ही झट से सुपरा कणिका की चूत में घुस गया और कणिका के मुँह से एक लंबी आ……….आ……….ह निकली, मैने उसको पूछा के क्या हुआ? वो बोली के कुच्छ नही बड़ा गरम और टाइट लग रहा है. मैने कहा के कोई बात नही, डरो नही और हिम्मत रखना क्योंकि अब मैं लंड को अंदर घुसाने जा रहा हूँ और तुम्हे थोड़ा दर्द होगा और फिर जब दर्द कम हो जाएगा तब मैं चुदाई शुरू करूँगा. यह दर्द तुम सह लोगि तो तुमको मज़ा आना शुरू होगा और आज के बाद तुम्हें कभी ऐसा दर्द नही होगा. वो बोली के ठीक है मैं यह दर्द सह लूँगी.

इतना सुनते ही मैने एक ज़ोरदार लेकिन छ्होटा धक्का मारा और मेरा लंड उसकी चूत में आधे से थोड़ा ज़्यादा घुस गया उसकी चूत को फाड़ कर. वो बहुत ज़ोर से नही चीख सकी क्योंकि अरषि ने उसके मुँह पर अपना मुँह लगा दिया था और उसको किस कर रही थी. मैने उसकी जंघें पकड़ कर उसको हिलने भी नही दिया. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे. मैने कहा के बस हो गया थोड़ा सा लंड बाहर है और वो मैं इतनी आहिस्ता आहिस्ता अंदर घुसा दूँगा के तुम्हें पता भी नही चलेगा. अब मैं आगे तभी चलूँगा जब तुम्हारा दर्द कम हो जाएगा. मैने उसकी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया और साथ ही उसके भज्नसे को भी प्यार से रगड़ना शुरू किया. थोड़ी सी देर में कणिका के चेहरे के भाव बदलने शुरू हो गये तो मैने पूछा के क्यों कणिका अब दर्द कम हो गया है ना? उसने कहा के कम तो हो गया है पर हुआ बहुत था. मैने उसको पचकारा कि होता है लेकिन अब आगे से तुमको कभी दर्द नही होगा. वो बोली के ठीक है. मैने आधा इंच लंड बाहर निकाला और बड़े प्यार से उसको अंदर घुसा दिया लेकिन अंदर घुसाया पौना इंच. इसी तरह आधा इंच बाहर निकालने के बाद पौना इंच अंदर घुसाते हुए मैने 10-15 धक्कों में अपना लंड पूरा का पूरा कणिका की चूत में घुसा दिया. आख़िरी धक्के से जब लंड उसकी बछेदानि के मुँह से टकराया तो उसको गुदगुदाहट सी हुई और वो मुस्कुरा दी. मैने कहा के मज़ा आना शुरू हुआ के नही? वो बोली के ज़्यादा तो नही पर अब अच्छा लग रह है करते रहो. मैने कहा के ठीक है. बहुत प्यार से लंड को अंदर बाहर करते हुए मैने अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ानी शुरू की.

कणिका ने भी अपनी गांद उठाकर मेरा साथ देना शुरू कर दिया तो मैने अरषि से कहा की वो अपनी चूत कणिका के मुँह पर रख्दे और कणिका को बोला के अरषि की चूत को अपने जीभ से वैसे ही चोदे जैसे मैने उसकी चूत को अपनी जीभ से चोदा था. जैसे ही अरषि ने अपनी चूत कणिका के मुँह पर रखी कणिका ने उसकी चूत को पहले चटा और फिर अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगी. मैने उसकामम्मा अपने मुँह में भर लिया और प्यार से चूसने लगा और दूसरे मम्मे को अपने हाथ में लेकर कभी सहलाता, कभी दबाता तो कभी उसके निपल को प्यार से मसल देता. अब दोनो बहुत तेज़ी से अपने चरम की ओर बढ़ रही थी. कणिका की आवाज़ें आनी शुरू हो गयीं, ह……ओ……ओ……न, ह……ओ……ओ……न, ग……ओ……ओ……न और मैने अपने गति और बढ़ा दी साथ ही अपना लंड भी पूरा बाहर निकाल कर अंदर घुसाने लगा.

उधर अरषि आज जल्दी झाड़ गयी और निढाल होकर लेट गयी पर एक समझ दारी उसने क़ी और वो यह कि उसने कणिका के मम्मे दबाने शुरू कर दिए और उसके निपल भी मसल्ने लगी. मैने अपने दोनो हाथ कणिका की पुष्ट गांद के नीचे करके दोनो गोलाईयों को अपने हाथों में मज़बूती से पकड़ लिया और थोड़ा सा ऊपेर उठाकर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. मेरा लंड अब एक पिस्टन की तरह कणिका की चूत में अंदर बाहर हो रहा था और उसका चेहरा बता रहा था के वो असीम आनंद में डूबी हुई है. मुझे भी अत्यधिक मज़ा आ रहा था जैसा हर बार किसी कुँवारी लड़की की पहली चुदाई में आता है. कसी हुई चूत की मेरे लंड पे इतनी ज़बरदस्त पकड़ थी के अगर क्रीम और कणिका के स्राव की मिली जुली चिकनाई ना होती तो मुझे अपना लंड अंदर बाहर करना मुश्किल हो जाता. उसकी चूत लगातार हल्का हल्का पानी छ्चोड़ रही थी जिसके कारण मुझे उसको चोदने में कोई परेशानी नही हो रही थी बल्कि बहुत ही मज़ा आ रहा था. तभी कणिका के शरीर ने एक ज़ोरदार झटका खाया और वो ज़ोर से कांप उठी. साथ ही उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. वो झाड़ गयी और मैं भी उसके बाद 8-10 धक्के मार के झाड़ गया. जैसे ही मेरे वीर्य की गरम बौच्चरें उसकी चूत में पड़ीं वो एक बार फिर झाड़ गयी. मैं अपने लंड को पूरा चूत के अंदर घुसा के उसके ऊपेर ही लेट गया. थोड़ी देर में मैं उसकी साइड में आ गया और उसको अपनी बाहों में भींच कर पूछा, कैसी लगी पहली चुदाई?

वो मुझे अपनी अधकुली आँखों से देखते हुए बोली के फॅंटॅस्टिक. इतना मज़ा आया जिसकी मैने कल्पना भी नही की थी. अरषि ने मुझे बताया तो था के बहुत ज़्यादा मज़ा आता है, पर इतना ज़्यादा मज़ा आता है मैं सोच भी नही सकती थी पर अब जान गयी हूँ.
 
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मैने दोनो के बीच में आकर दोनो को अपने साथ चिपका लिया. दोनो मुझे बहुत प्यार से मस्ती भरी आँखों से मुझे देख रही थी. मैने अरषि से कहा के मेरी जान अब आगे की तैयारी करो. वो उठी और बाथरूम में चली गयी हॉट वॉटर ट्रीटमेंट के तैयारी करने और मैने कणिका को कहा के देखो मज़ा तो लेती रहो पर इसमे इतना ज़्यादा ध्यान मत देना कि पढ़ाई में ध्यान ना रहे. क्योंकि अभी तो तुम्हारी पहली ज़रूरत पढ़ाई है और ये मज़े तो आते रहेंगे. अब तुमने जान लिया है की यह मज़ा क्या है तो यही याद रखना के जैसे भूख लगने पर खाना खाते हैं लेकिन खाते उतना ही हैं के पेट भर जाए. ज़्यादा खाने से पेट खराब हो जाता है. वैसे ही बहुत ज़्यादा मज़े करने से पढ़ाई नही हो पाती और नुकसान हो जाता है. इस बात का ध्यान रखना और पढ़ाई के बाद ही इसके बारे में सोचना. वो बोली के ठीक है मैं पूरा ध्यान रखूँगी के पढ़ाई का कोई नुकसान ना हो.

अरषि ने कहा के सब तैयार है. मैने कणिका को उठाया और कहा के आओ बाथरूम में चलें. कणिका ने खड़े होने की कोशिश की पर उसकी टाँगों ने उसका साथ नही दिया. मैने उसको उठा लिया और लेकर बाथरूम में आ गया और उसे गरम पानी के टब में बिठा दिया. टाँगें बाहर लटका दीं और हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया ताकि उसकी चूत की सिकाई हो जाए और उसको कुच्छ आराम मिले. फिर मैने उसको किस करके उसके मम्मे भी सहलाए और कहा के अपनी चूत की सिकाई तब तक होने दो जब तक यह पानी ठंडा नही हो जाता और तब तक मैं ज़रा अरषि की गर्मी झाड़ दूं. वो मुस्कुराई और बोली के ठीक है.

बेडरूम में वापिस आकर मैने अरषि को अपने साथ चिपका लिया अपनी ओर पीठ करके और उसके मम्मे सहलाने लगा. उसके मम्मों से मेरा दिल भरता ही नही था. फिर मैने उससे पूछा के अरषि एक बात कहूँ? वो बोली के कहो. तो मैने कहा के अभी परसों तुम्हारी डबल चुदाई की है अगर आज दूसरी तरहा करें तो ठीक नही रहेगा? वो बोली के जैसे ठीक समझो. मैं उसको उसी पोज़िशन में उठा के बेड पर आ गया और उसको नीचे कर दिया. अब वो उल्टी हो कर बेड पे लेटी हुई थी. मैं उसके ऊपेर लेट गया अपनी कोहनियों पर अपना भार डाल के और नीचे से उसके मम्मे पकड़ के सहलाने लगा. उसकी साँसें तेज़ होने लगीं तो मैने उसको सीधा लिटा दिया और उसके एक मम्मे को मुँह में भर के चुभलने लगा और दूजे को हाथ से प्यार से मसल्ने लगा. वो मस्ती में उच्छलने लगी और बोली के हाए राम मुझे तो इसमे ही इतना मज़ा आ रहा है. फिर मैने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और उसका एक हाथ अपने गर्देन के पीछे से अपने कंधे पर रख दिया और उसके मम्मे को मुँह में ले लिया. मेरा एक हाथ उसके दूसरे मम्मे पर था और दूसरे हाथ से मैने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. अपनी बीच की उंगली उसकी चूत की दरार पर फेरते हुए मैने थोड़ी सी उसकी चूत में घुसा दी और अंगूठे से उसके भज्नासे को रगड़ने लगा. वो ह….आ….आ….न, ह….आ….आ….न, आ….ई….स….ए ह….ई क….आ….र….ऊऊऊऊ. थोड़ी देर में ही वो झाड़ गयी और मैने उसको घुमा के अपने सीने में दबा लिया. वो भी मुझसे चिपक गयी और थोड़ा संयत होने के बाद बोली के तुम तो पूरे जादूगर हो ज़रा सी देर में इतना मज़ा दे दिया है के पूच्छो मत. मैने कहा के चुदाई के अलावा भी बहुत सारे तरीके हैं मज़ा लेने और देने के.

थोरी देर में ही कणिका भी उठकर बाहर आ गयी और बोली के अब तो बहुत ठीक लग रहा है पर अभी भी पूरी तरह आराम नही आया. मैने कहा के अभी आ जाएगा और उसको एक मसल रिलाक्सॅंट पेन किल्लर टॅबलेट खिला दी. मैं और अरषि बाथरूम में गये और एक गीले टवल से अपने को सॉफ कर के बाहर आ गये. फिर हमने कपड़े पहने और मैं उनको लेकर कंप्यूटर रूम में आ गया. कणिका को मैने आंटी प्रेग्नेन्सी टॅबलेट भी दी और कहा के इसको कल सुबह नाश्ते के बाद खा ले. उसके कुच्छ भी बोलने से पहले ही अरषि ने उसको समझा दिया के यह क्या है और क्यों ज़रूरी है. कणिका ने प्रशंसा भरी नज़रों से मुझे देखा और मुस्कुरा दी. थोड़ी देर के बाद मैने कणिका को पूछा की अब कैसा लग रहा है? वो बोली के ठीक ही हूँ अब तो. मैने कहा के घर पहुँचते तक बिल्कुल ठीक हो जाओगी और कुच्छ पता नही लगेगा किसी को. वो हंस दी. मैने कहा के तुम्हें अपना आप बदला हुआ लग रहा है. कोई और देखे तो उसको कुच्छ नही पता लगेगा. पर तुम्हे बिल्कुल नॉर्मल रहना है जैसे पहले रहती थी. अगर तुम नॉर्मल नही रहोगी तो क़िस्सी को शक हो सकता है. वो बोली के ठीक है मैं बिल्कुल वैसे ही बिहेव करूँगी जैसे हमेशा करती हूँ. फिर वो दोनो चली गयीं.

मैने आज की रेकॉर्डिंग की डVड बर्न करके लॉकर में रखी और कंप्यूटर से डेलीट करके बाहर आ गया. गेट पर राम सिंग से हमेशा की तरह दो बातें करके मैं घर आ गया.

वो पेरेंट टीचर मीटिंग का दिन था और स्कूल में क्लासस नही हो रही थीं. पेरेंट्स आकर टीचर्स से मिलकर अपने बच्चो के बारे मे बात करके जा रहे थे. पीयान ने अंदर आकर मुझे कहा के कोई नीरू मेडम आपसे मिलना चाहती हैं और उनके साथ उनकी बेटी भी है जो हमारे स्कूल की 12थ की स्टूडेंट है. मैने कहा के अंदर भेज दो. नीरू अंदर आई और उसके पीछे उसकी बेटी भी थी जिसका नाम था आँचल. मैं नीरू को देखता ही रह गया. वो हंसते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाकर मेरी ओर आई और बोली क्यों पहचाना नही क्या या भूल ही गये हो हमको? मैने खड़े होकर उसका हाथ पकड़ा और हंसते हुए बोला के तुम्हे कोई भूल सकता है भला, मैं तो यह सोच रहा था के क्या हम इतने बड़े हो गये हैं या हमारे बच्चे बड़े हो गये हैं? वो भी हंस दी और बोली के कुच्छ भी कह लो बच्चे तो बड़े हो ही गये हैं. और यही बताने मैं आई हूँ के मेरी बेटी का18थ बर्तडे है और पार्टी में तुमको ज़रूर आना है मैं कोई बहाना नही सुनूँगी आंड दट ईज़ फाइनल. मैने कहा के ठीक है अब तुम इतना ज़ोर देकर कह रही हो तो आ जाएँगे पर यह तो बताओ के कब और कहाँ? वो बोली के सॅटर्डे ईव्निंग 7-30 शार्प मेरे घर पे आना है और कहाँ? हां हो सके तो तोड़ा जल्दी आने की कोशिश करना तुमसे कुच्छ बात भी करनी है मुझे. मैने कहा के ठीक है मैं कोशिश करूँगा के 7 बजे ही पहुँच जाऊँगा. फिर वो बाइ करके चली गयी. उसके जाने के बाद मैने घड़ी देखी, छुट्टी का टाइम हो गया था तो मैने भी अपना समान समेटा और चलने को तैयार हो गया. इतने में बेल भी हो गयी और मैं उठकर बाहर आ गया.

घर पहुँच कर मैने खाना खाया और अपने कमरे में आराम करने के लिए लेट गया. रह रह कर मन में एक ख़याल आ रहा था के नीरू को मुझसे क्या बात करनी हो सकती है और वो भी इतने सालों के बाद. सोचते हुए मैं पुरानी यादों में खो गया, अपने कॉलेज के दिन याद आ गये, जब नीरू ने पहली बार मुझसे बात की थी. हालाँकि वो हमारे स्कूल में ही पढ़ी थी पर वो मुझसे 3 साल जूनियर थी. जी हां में कॉलेज में M.एससी. 1स्ट्रीट एअर में था जब हम एक दूसरे के बहुत करीब आ गये थे. उसका यह कॉलेज का 1स्ट्रीट एअर था.

हुआ यूँ के एक दिन मैं कॉलेज पहुँचा ही था और मैन गेट से अंदर जा रहा था के सामने से 4-5 लड़कियाँ आती दिखाई पड़ीं. उनमें दो लड़कियाँ मेरी क्लास की ही थीं तो मैने उनको पूछा के क्या बात है क्लास में नही जाना? वो बोलीं के नही हम सब घूमने जा रही हैं क्लासस बंक करके. मैने कंधे उच्काये और आगे बढ़ने लगा. उनमें से एक लड़की ने मुझे रोक कर पूछा के क्या बात है मुझे जानते नही या पहचाना नही? मैने देखा के वो नीरू थी.

मैने उसको पूछा तुम नीरू हो ना तुम यहाँ क्या कर रही हो? वो बोली के यह मेरी कज़िन्स हैं और मेरे ही बुलाने पर यह मेरे साथ घूमने जा रही हैं. मैने ऐसे ही पूछा के तुम कौन्से कॉलेज में हो. तो वो बोली के मिरंडा में. मैने कहा के बढ़िया है मिलती रहा करो. वो बोली के अब तो मिलते ही रहेंगे क्योंकि हम कोंसिंस का आपस में बहुत प्यार है और मैं आती रहूंगी इनको मिलने तो तुमसे भी कभी कभी मुलाकात हो ही जाएगी. मैने फिर चुटकी ली के कभी कभी क्यों हर बार क्यों नही. वो हंस के बोली ठीक है बाबा जब भी आऊँगी पहले तुमको मिलूँगी फिर इनको. मैने भी हंस कर कह दिया के यह हुई ना बात. फिर वो चली गयीं.

मैं उनको जाते हुए देखता ही रह गया और सोचने लगा के यह नीरू को क्या हो गया है स्कूल में तो कभी मेरी ओर देखती भी नही थी और आज कैसे खुल कर बातें कर रही थी जैसे बहुत पुरानी दोस्ती हो. फिर मैने सोचा के छ्चोड़ो लड़की सुंदर है, बात कर रही है तो अच्छा ही है. कुच्छ दिन बाद मैं कॉलेज से निकल रहा था तो नीरू बाहर ही मिल गयी और कहने लगी के मैं वेट ही कर रही थी तुम सब की. मैने कहा के सब कौन मैं तो अकेला ही हूँ. वो बोली के अभी मेरी कज़िन्स भी आ रही हैं, उनकी भी तो क्लासस ख़तम हो गयी हैं ना. मैने उसको बताया के वो डीप डिस्कशन में बिज़ी हैं फ्रेंड्स के साथ, 5-7 मिनट लग सकते हैं उनको आने में.

वो बड़ी प्यारी स्माइल देके बोली के कोई बात नही इसी बहाने तुम से बातें कर लूँगी, नही तो तुम कहाँ हमसे बात करते हो. मैने कहा मैं तो स्कूल में भी तुमसे बात करना चाहता था पर तुम कभी मेरी तरफ देखती भी नही थी और ऐसे बिहेव करती थी जैसे मैं हूँ ही नही. वो बोली के तब मैं तुमसे डरती थी के प्रिन्सिपल का बेटा है इतनी लड़कियाँ इसकी दोस्त हैं और मुझसे सीनियर है, मैं किस गिनती में आती हूँ. मैने कहा के नही ऐसी तो कोई भी बात नही थी तुमको ऐसा क्यों लगा मैं नही जानता, मैने कभी ऐसा बिहेव भी नही किया. कभी कोई आटिट्यूड भी नही दिखाया किसी को. वो बोली हां लेकिन पता नही क्यों मुझे तुमसे डर ही लगता था और मैं जानबूझ कर तुम्हारे सामने भी नही आती थी. पर चलो कोई बात नही और शोखी से बोली के अब कसर निकाल लेंगे. मैने कहा के वो कैसे? वो हंस दी और बोली की यह क्या क्वेस्चन अवर शुरू कर दिया है? यह बताओ के मुझे पिक्चर कब दिखा रहे हो? और हां ना नही बोलना, अगर दिखानी नही है तो टाइम बोलो मैं दिखा दूँगी. मैने कहा के जब कहो तब दिखा दूँगा और तुम क्यों दिखओगि मैं ही दिखा दूँगा जो भी कहोगी वो दिखा दूँगा तुम बोलो तो सही. वो बोली के ऐसे चॅलेंज ना करो मुश्किल में पड़ जाओगे. अब बात इज़्ज़त की बन गयी थी तो मैने कहा के तुम आवाज़ करो और फिर देखो. वो बोली के ठीक है बॉब्बी का प्रिमियर शो दिखा सकते हो तो दिखा दो. मैने भी जोश में कह दिया के ठीक है तैयार रहना ये ना हो के बाद में कहो के ईव्निंग शो है मैं नही जा सकती मैं तो ऐसे ही मज़ाक कर रही थी.

वो हंस दी और हाथ आगे बढ़के बोली नही पक्का प्रॉमिस, मैं हर हाल में चालूंगी. मैने भी उसका हाथ पकड़ के हल्के से दबाया और कहा ठीक है फिर मिलते हैं. वो बोली के हां ठीक है. तब तक उसकी कज़िन्स भी आ गयीं और वो सब बाइ बाइ करती हुई चली गयीं. अब मुझे प्रिमियर शो की 2 टिकेट्स का इंटेज़ाम करना था और यह कोई मामूली काम नही था.

मैं सोचता रहा फिर याद आया के मेरे एक स्कूल के दोस्त का फॅमिली बिज़्नेस है फिल्म डिस्ट्रिब्यूशन का और वो काई फिल्म्स फाइनान्स भी कर चुके हैं. वो शायद मेरी हेल्प कर सके. मैने तुरंत उसको फोन किया तो वो बोला की राज शर्मा जी आज कैसे याद आ गयी हमारी? मैने उसको कहा के दोस्त एक बहुत ज़रूरी काम है और वो तुम्हारे सिवा कोई नही कर सकता. वो बोला चलो काम से ही सही पर याद तो आई. बोलो क्या काम है. अगर मेरे से हो सका तो ज़रूर कर दूँगा. मैने उसको कहा के देख यार हो सका तो नही ज़रूर करना है यह काम, तुम मेरी आखरी उम्मीद हो. वो बोला ऐसी क्या बात है यार तुम बताओ तो सही. मैने उसको कहा के यार बॉब्बी के प्रिमियर की 2 टिकेट्स चाहियें और मैं प्रॉमिस कर चुक्का हूँ, अगर नही मिली तो मेरी बहुत इन्सल्ट हो जाएगी. वो बोला के हमारे होते हुए तुम्हारी इन्सल्ट कौन कर सकता है? समझ लो कि तुम्हारा काम हो गया. मैने कहा के सच? वो बोला दोस्त तेरा यार उस फिल्म का डिसट्रिब्युटर है और अगर तेरा यह काम ही नही कर सका तो क्या फायडा. मैं सुनकर खुश हो गया और उसको बोला की यार तूने तो मेरी सारी मुश्किल हल कर दी. उसने कहा के शाम तक मेरे पास टिकेट्स भिजवा देगा और फोन रख दिया.

मैने एक ठंडी साँस भरी और भगवान को धन्यवाद किया. शाम को एक पीयान टाइप का आदमी आया जो मुझे पूछ रहा था. नौकर ने आ कर मुझे बताया और मैं उसके पास आया और पूछा के क्या बात है. उसने एक छ्होटा सा लिफ़ाफ़ा मेरी तरफ बढ़ा दिया और मैं देखते ही समझ गया के इसमे टिकेट्स हैं. मैने उसको टिप देनी चाही तो वो बोला के नही सर मैं नही ले सकता. मैने ज़बरदस्ती उसकी जेब में पैसे डाले और कहा के कोई बात नही रख लो. वो चला गया. मैने जल्दी से अंदर आकर लिफ़ाफ़ा खोला तो देखा उसमे एक कॉंप्लिमेंटरी पास फॉर टू था बॉब्बी के प्रिमियर शो का आज़ स्पेशल इन्वाइटी. मैं तो हैरान रह गया. मैने अपने दोस्त को फोन किया और पूछा के यह क्या है तो वो बोला यार आम खाओ गुठलियाँ मत गिनो. तुमने हमें इतनी ऐश करवाई है आज मैं तुम्हारे लिए इतना भी नही कर सकता क्या? मैं चुप रह गया. फिर उसने बताया कि वो भी वहीं होगा और हमें प्रिमियर के फंक्षन में भी शामिल करवाएगा और फिल्मी लोगों से भी मिलवा देगा. मैने कहा के ठीक है भाई तुमने तो मुझे थॅंक यू कहने लायक भी नही छोड़ा. वो बोला के कहना भी मत, अपना ही डाइलॉग याद कर लो के दोस्ती में थॅंक यू और सॉरी नही होता. मैने कहा के हां याद है इसीलिए तो कहा है. फिर वो बोला के आ जाना टाइम पे नही तो मैन गेट्स लॉक कर दिए जाएँगे और फिर फिल्मी लोगों के जाने के बाद ही खुलेंगे. मैने कहा के ठीक है दोस्त और फोन रख दिया.

अब मैं बहुत खुश था और मुझे इंतेज़ार था प्रिमियर शो का और नीरू को वहाँ लेजाकार अचंभित करने का. फिर वो दिन भी आ गया. मैने नीरू को फोन किया और पूछा के उसको कहाँ से पिक करना है? वो बोली के घर से और कहाँ से? मैने कहा अच्छी तरह सज धज के तैयार हो जाए. वो बोली के ऐसा क्या एक पिक्चर देखने ही तो जाना है तो मैने कहा के मत भूलो के ये प्रिमियर शो है इसलिए क्या पता फिल्मी लोगों से मिलने का मौका भी मिल जाए तो क्या ऑर्डिनरी कपड़ों में उनको मिलेंगे. वो हंस दी और बोली के अपनी ऐसी किस्मेत कहाँ. मैने कहा के देखो कोई पता नही होता के कब क्या हो जाए. वो बोली के चलो ठीक है बहुत ज़्यादा तो नही फिर भी वो अच्छे से तैयार हो जाएगी.

मैं टाइम से पहले ही तैयार होकर घर से निकल पड़ा कार लेकर. नीरू भी तैयार मिली और हम टाइम से 10 मिनट पहले ही पहुँच गये. वहाँ पहुँच कर नीरू हैरान रह गयी, इतनी सारी भीड़ देखकर. वो बोली की हाए राम इतनी भीड़ हम कैसे अंदर जाएँगे और कार कहाँ पार्क करेंगे? मैने कहा के चिंता ना करो मैं हूँ ना तुम्हारे साथ. मैने कार का हॉर्न बजाकर थोड़ा रास्ता बनाया और कार आगे को बढ़ा दी. आगे सेक्यूरिटी गार्ड ने हमें हाथ देकर रोका तो मैने शीशा नीचे करके उसको स्पेशल इन्वाइटी का कार्ड दिखाया तो एकदम अटेन्षन मुद्रा में सल्यूट करके बोला आप सीधे अंदर ले जाएँ गाड़ी को और अंदर ही पार्क कर दें. मैं कार अंदर ले गया और आगे एक और सेक्यूरिटी गार्ड मिला उसने हमें रोका और बड़े अदब से उतरने को कहा. हम दोनो उतरे और उसने कार की चाबी मेरे से ले लीं और एक टोकन मुझे थमा दिया और बोला के साहिब मैं कार पार्क कर दूँगा आप वापिस आके टोकन दे के अपनी कार ले जा सकते हैं. फिर उसने हमें कहा के आप लिफ्ट से सीधे ऊपेर चले जायें यह ऊपेर स्पेशल इन्वाइटी एरिया में ही रुकेगी. नीरू यह सब देखकर हैरान हो रही थी.
 
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मैने उसकी कमर में हाथ डाला और बोला आओ डियर ऊपेर चलें. हम ऊपेर आ गये. लिफ्ट में से निकलते ही मैने इधर उधर नज़रें दौड़ाइं तो देखा के मेरा दोस्त कुच्छ लोगों से बातें कर रहा है. मुझे देखते ही वो उनको एक्सक्यूस मी कहके मेरी ओर लपका. वेलकम राज भाई आपकाबहुत बहुत धन्यवाद जो आप यहाँ पधारे. मैं कुच्छ बोलता उसने पहले ही मुझे आँख मारके इशारा कर दिया. मैं चुप ही रहा और फिर मैने उसका और नीरू का परिचय कराया और उसने नीरू को हाथ जोड़ कर नमस्ते किया. मैने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोकी. नीरू हक्की बक्की सब देख रही थी. मैने उसका हाथ दबा कर उसके कान में हल्के से कहा के रिलॅक्स तो वो थोड़ी नॉर्मल हुई.

फिर पिक्चर का टाइम हुआ तो एक-एक दो-दो करके सब लोग हॉल में दाखिल हो गये. हमें सबसे पीछे की रो में सेंटर कॉर्नर की सीट पर बिठाया गया. कॉर्नर पे मैने नीरू को बिठा दिया और मैं उसके साथ वाली सीट पर बैठ गया. अब नीरू मेरी ओर मुँह करके बोली के सब क्या है राज. मैने कहा के तुमने पहली बार कुच्छ फरमाइश की तो मैं कैसे पूरी ना करता हां यह अलग बात है कि मेरी मदद मेरे दोस्त ने की जिसको मैने तुम्हे अभी मिलवाया था, वो फिल्म डिसट्रिब्युटर है और यह फिल्म वही डिसट्रिब्यूट कर रहा है देल्ही रीजन में. वो बोली तो यह बात है. मैने कहा के हां बात तो यही है पर भगवान की मर्ज़ी से बड़े स्टाइल में तुम्हारी इक्षा पूरी हो गयी. अभी फिल्मी लोग भी आने वाले हैं इंटर्वल के आस पास और हो सकता है के ऋषि और डिंपल भी आयें लेकिन अनाउन्स इसलिए नही किया के इन लोगों का पक्का कुच्छ नही होता आयें या ना आयें. हां प्रोड्यूसर और कुच्छ कास्ट आंड क्र्यू तो ज़रूर आयेंगे और हम सबको मिलेंगे भी. वो बहुत खुश हुई और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरा गाल चूम कर बोली मैं बहुत खुश हूँ राज, तुम बहुत अच्छे हो. मैने कहा ओये मेम साहिब मैं कोई अच्छा वछा नही हूँ मैं राज हूँ अपनी तरह का सिंगल पीस और मैं खूबसूरत लड़कियों का रसिया हूँ समझी, मुझसे बचना मुश्किल है. वो हंसते हंसते सीट पर दोहरी हो गयी और मेरा हाथ जो उसने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ था उसके दोहरे होने पर उसके मम्मों के नीचे दब गया और मैं चौंक गया. उसने ब्रा नही पहनी थी और मैने महसूस किया के उसको ज़रूरत भी नही थी क्योंकि उसके मम्मे एकदम कड़क थे.

मैने अपना हाथ खींचना चाहा तो वो बोली के क्या बात है मेरा हाथ पकड़ना अच्छा नही लगा क्या. मैने कहा के अच्छा तो बहुत लग रहा है पर मैं भी कुच्छ पकड़ना चाहता था. क्या, उसने पूछा तो मैं अपना हाथ उसकी गर्दन के पीछे से उसके कंधे पर ले गया तो वो फिर बोली बस. मैने कहा के अभी तो हाथ का आधा सफ़र ही हुआ है और कहते कहते मैने हाथ नीचे करते हुए उसके खुले गले के टॉप में डाल दिया और उसकाएक मम्मा हाथ में भर के तोलने लगा. उसके मम्मे के मेरे हाथ में आते ही दोनो को जैसे करेंट सा लगा. मेरे हाथ ने पूरी तरह से मम्मे कानाप-तोल किया और फिर हल्के से दबाया. ऐसे लगा जैसे कोई टेन्निस की बॉल हाथ में आई हो पर टेन्निस की बॉल तो बहुत खुरदरी होती है, यह तो बहुत ही मुलायम थे और चिकने इतने के हाथ फिसल जाए. वो बोली क्या कर रहे हो मैने आज तक किसी को इन्हें छ्छूने नही दिया. मैने कहा के ठीक है आज तक नही किसी ने च्छुआ होगा इनको पर आज तो तुम पूरी तैयारी के साथ आई हो इनको छुआने को. वो चौंक के बोली तुम्हे कैसे पता. मैने कहा के मैं पहले ही तुम्हे अपना इंट्रो बता चुका हूँ, और बाकी की जो आधी लाइन रह गयी थी वो भी सुन लो के उड़ती चिरिया के पर ही नही गिन लेते हैऔर उसको पकड़ के रख लेते हैं अपने पास. नीरू से कुच्छ भी बोलते नही बना.

मैने उसकी गर्दन पर हल्का सा दबाव डाल कर उसको अपनी ओर किया और उसके गाल से गाल लगाकर प्यार से पूछा के सच बताना क्या मेरी जड्ज्मेंट ग़लत है, देखो अब हम दोस्त हैं झूठ तो बोलना नही और डरो नही अगर तुम नही चाहोगी तो मैं कुच्छ नही करूँगा और वैसे भी मुझे लड़कियों से ज़बरदस्ती करना बिल्कुल पसंद नही है पर सच बताना. वो बोली के तुम सच में बहुत चालाक हो. मैं आई तो यही सोच कर थी पर इतनी जल्दी तुम शुरू हो जाओगे यह नही सोचा था, इसीलिए थोड़ा चौंक गयी थी. मैने कहा चलो अब तो डर ख़तम हो गया. जहाँ तक चाहोगी वहीं तक करूँगा और आगे तुम्हारी मर्ज़ी के बिना नही बढ़ूंगा. बड़े प्यार से उसने कहा के वो सब जानती है बस पहले हिम्मत नही जुटा पाई थी, डरती थी, फिर उस दिन कॉलेज में मिले तो हिम्मत करके बात शुरू करदी और आज यहाँ तक पहुँच गये अब आगे भी पहुँच जाएँगे.

मैं दिल ही दिल में खुश हुआ के यह तो पूरी तरह से तैयार है. मैने उसके मम्मे को प्यार से सहलाया तो उसका निपल जो सर उठा कर खड़ा हो गया था मेरी हथेली गुदगुदाने लगा. मैने अपना दूसरा हाथ ऊपेर किया और उसके टॉप को उसके कंधे से नीचे खींच लिया. टॉप थोड़ा नीचे आया और मैने अपने हाथ में पकड़े मम्मे को ऊपेर किया तो वो टॉप में से बाहर आ गया और मैने अपना मुँह नीचे करके उसके निपल को मुँह में भर लिया और चाटने और चूसने लगा. नीरू के मुँह से स….ई….ई….ई…. की आवाज़ निकली और उसने मेरा सर अपने मम्मे पर दबा दिया. मैने अपना सर उठाकर इधर उधर देखा सब फिल्म देखने में व्यस्त थे और हमारी तरफ किसी की तवज्जो नही थी. मैं दोबारा उसे मम्मे को चुभलने में लग गया.

उसने 4-5 मिनट कुच्छ नही कहा फिर बोली के यहाँ मत करो प्लीज़. मैने भी उसकी बात समझी और हट गया. फिर वो बोली के कही प्राइवसी में मिल सकते हैं. मैने कहा के यार तुम जब कहो तब मिल सकते हैं. ठीक है मैं तुम्हें फोन करूँगी जैसे ही कोई मौका बनेगा. इसके बाद हमने पूरी पिक्चर देखी और इंटर्वल में प्रिमियर का प्रोग्राम भी देखा और फिल्मी लोगों से भी मिले. नीरू बहुत खुश हुई. पिक्चर ख़तम हुई तो मैने उसको घर छोड़ा और अपने घर चला आया.

कुच्छ दिन बाद उसका फोन आया और उसने पूछा के कल मिल सकते हो. अगला दिन फुल वर्किंग डे था तो मैने पूछा के कब तो उसने बोला मॉर्निंग में ही हम कॉलेज बंक कर लेंगे. मैने कहा के ठीक है मैं तुमको 9 बजे पिक कर लूँगा. वो कहने लगी के 9 नही 8-30 मैं घर से निकलती हूँ तो तुम मुझे उसी वक़्त बाहर से पिक कर लेना. मैने कहा के ओके और फोन काट दिया. अब मुझे फिकर थी के लेके कहाँ जाउ नीरू को? फार्म हाउस में रेनवेशन का काम चल रहा था. एक फ्लोर लिया था लास्ट एअर पिताजी ने, पर उसकी चाबी तो मा के कपबोर्ड की ड्रॉयर में रहती थीं और वहाँ तक पहुँचना आसान नही था. फिर मुझे याद आया के मा कयि दिन से पिताजी को कालकाजी मंदिर ले जाने के लिए ज़िद कर रही हैं तो क्यों ना उनको थोड़ा सा भर दूं तो शायद वो सुबह-सुबह पिताजी को लेकर मंदिर चली जायें तो मैं चाबी निकाल लूँगा.

मैं मा के पास आया और इधर उधर की बातें करने के बाद उनसे पूछा के क्या आप कालकाजी मंदिर हो आए हो? मा बोली के कहाँ तेरे पिताजी चल ही नही रहे. मैने कहा के क्या मा तुम ज़ोर देकर नही कहती हो इसलिए नही ले जा रहे अगर तुम थोड़ा दबाव देके कहो ना तो वो तुमको मना कर ही नही सकते. मा बोली के हट शरारती कहीं का. मैने कहा मा अगर तुम कल जा रही हो तो मेरे लिए भी प्रार्थना करना के इस बार भी एम.एससी. में मैं फर्स्ट ही रहूं. मा बोली के तू भी चल हमारे साथ और आप ही कर लेना प्रार्थना. मैने कहा के नही मा मैं कल तो नही जा सकता पर हां अगर इस बार भी फर्स्ट आया तुम्हारी प्रार्थना के बाद तो मैं पूजा करवाने तुम्हारे साथ ज़रूर चलूँगा. मा बोली के पक्कावादा, तो मैने कहा के गॉड प्रॉमिस. मा जानती थी के जब मैं गॉड प्रॉमिस बोलता हूँ तो पूरा ज़रूर करता हूँ. बहुत खुश हुई मा और रात को डिन्नर पे पिताजी के पीछे ही लग गयी के कल तो हर हाल में आप मुझे कालकाजी मंदिर ले के जा रहे हो. आख़िर पिताजी मान गये सुबह 6-00 बजे से पहले पहले ही जाने को ताकि वापिस आकर स्कूल भी जा सकें टाइम पर.

मैं सुबह 6-30 का अलार्म लगा के सोया और उठकर सीधा मा-पिताजी के कमरे में गया और मा का कपबोर्ड खोलकर उसमे से कीस निकली और अपने कमरे में आ के तैयार होने लगा. मा पिताजी आ गये और मैं उनके साथ बैठ कर नाश्ता करके कॉलेज का बोलकर निकल आया. वैसे तो मैं कॉलेज यूनिवर्सिटी स्पेशल में मस्ती करते हुए जाता था पर आज तो स्पेशल मस्ती का दिन था इसलिए मैने कार निकाल ली थी. ठीक टाइम पर मैने नीरू को पिक किया और चल दिया अपने ठिकाने की ओर. नीरू ने पूच्छा के कहाँ जा रहे हैं तो मैने कहा के हमारा एक और घर है जो पिताजी ने एक फ्लोर खरीद रखा है और वहाँ कोई नही रहता है, हम वहीं जा रहे हैं. नीरू बोली के वा क्या बात है, सब काम तुम्हारे पूरी तरह फिट होते हैं. मैने कहा के फिट रखने पड़ते हैं नही तो सेवा कैसे कर पाउन्गा और मेवा कैसे मिलेगा. वो हंस दी और बोली के वाह क्या बात है. थोड़ी देर में हम मकान पर पहुँच गये. हमारा फर्स्ट फ्लोर था और प्लॉट एरिया था 500 ज़्क.य्ड्स. पूरा फर्निश्ड था. साइड में 10 फुट की गली थी और उस में एक डोर था और स्टेर्स थीं. मैने कार बाहर पार्क की और नीरू को लेकर अंदर चला गया. हम ऊपेर आ गये और मैने मैन डोर खोला और दोनो अंदर चले गये.

मैने डोर लॉक किया और नीरू को एक सोफे पर बिठा दिया. किचन से मैं कोल्ड ड्रिंक्स लेकर आया और हम बैठ के इधर उधर की बातें करने लगे. मैने उसको पूछा के घर वापिस कब जाना है. वो बोली कॉलेज टाइम तो 2 बजे का है लेकिन आगे पीछे हो सकता है. मैं सोफे पर उसके साथ बैठा था. मैने उसका चेहरा अपनी ओर किया और कहा के फिर तो बहुत खुल्ला टाइम है हमारे पास मस्ती करने का. वो बोली के टाइम तो खुल्ला चाहिए भी क्योंकि टाइम लगेगा ही. मैने पूछा के क्यों लगेगा? तो उसने कहा के अपने आप समझ जाओगे. मैने उसका चेहरा अपने पास किया और उसको किस करने लगा. उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया. हमारी किस कोई 10 मिनट तक चली. इतनी देर में उसस्के होंठ लाल हो गये. मैने उसको कहा के यार एक बात है तुम्हारे जितनी बोल्ड आंड ब्यूटिफुल लड़की मैने पहले नही देखी तुम बहुत सुन्दर तो हो ही बहुत बोल्ड भी हो.

वो थोड़ा सीरीयस होकर बोली के मेरी फ्रस्ट्रेशन ने मुझे बोल्ड होने पर मजबूर किया है. लकिली तुम मिल गये और मैने तुम्हारे बारे में स्कूल में ही बहुत सुना था के तुम फर्स्ट टाइमर्स के लिए बहुत अच्छे लवर हो. बहुत प्यार से करते हो और बहुत ख्याल रखते हो लड़की का. इसलिए तुमको देखते ही मेरे मन में आया के अब मौका नही गवाना चाहिए और मैने बोल्ड होकर तुमसे बातें शुरू की और फिर और भी बोल्ड हो गयी. मैं चौंक गया और उसको पूछा के तुम सच कह रही हो के यह तुम्हारी पहली बार है और इसके पहले तुमने कभी नही चुडवाया? वो बोली के क्या बोल रहे हो? तो मैने उसको कहा के देखो यार मुझे तो प्रॉपर वर्ड्स ही यूज़ करना अच्छा लगता है. कुच्छ और बोलने से भी लंड तो लंड ही रहता है और चूत चूत ही रहती है और चुदाई भी चुदाई ही रहती है. चूची को ब्रेस्ट कहने से वो कुच्छ और नही बन जाता. फिर जब आपस में हम यह करने ही वाले हैं तो शरम कैसी. हां अभी तुम्हे थोड़ा अजीब लग रहा है पर जब तुम खुद बोलोगि और सुनोगी तो अजीब नही लगेगा बल्कि ऐसे बोलना भी मज़ा देगा और असली मज़े में वृद्धि करेगा. मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराई और बोली तुम्हारी बात तो बिल्कुल ठीक है मैं अभी यूज़्ड तो नही हूँ ना इसलिए मुझे अजीब लगा. मैने कहा के कोई बात नही. फिर मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको बेडरूम में ले आया.

वहाँ आकर मैने उसको बेड पर बिठाया और उसस्के साथ बैठ गया. अभी तक तुमने अपने आप को बचा के कैसे रखा हुआ है, मैने पूछा. वो मुस्कुराई और बोली के शायद मैं तुम्हारे लिए ही बची हुई हूँ. स्कूल तक तो मैं बहुत डरती रही थी फिर अभी मैं सोच ही रही थी इस बारे में तो तुम मिल गये उस दिन और फिर मैं अपने आप को रोक नही पाई और तुम्हारे साथ फ्रॅंक होती चली गयी. तुम्हारे बारे में मैने और लड़कियों से सुन रखा था इसीलिए मुझे तुमसे इतना डर भी नही लग रहा था. बोलते हुए वो मेरी ओर ही देख रही थी तो मैने उसको किस करना शुरू कर दिया. वो भी पूरी तरह से मेरा साथ देने लगी. किस करते हुए मैने उसके टॉप को नीचे से पकड़ा और ऊपेर उठाया तो उसने अपनी दोनो बाहें ऊपेर करदी और अपने मुँह को तोड़ा सा परे कर लिया. मैने फुर्ती से उसके टॉप को उसके जिस्म से अलग किया और झुक कर उसके मम्मे को किस कर लिया. आज भी वो बिना ब्रा के थी.
 
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क्या शानदार और जानदार मम्मे थे उसके. मैने उसको कहा के यार तुम्हारे मम्मे तो बहुत ज़बरदस्त हैं, एकदम तन कर खड़े हैं जैसे कोई छ्होटे छ्होटे पहाड़ी टीले हों. बहुत मस्त और सख़्त भी, बहुत ख़याल रखती हो इनका और शायद कभी इनको बेदर्दी से तंग नही किया गया है. मेरे किस करने से उसके निपल उभर कर बहुत ही आकर्षक मुद्रा में तन गये और मैने अपने दोनो हाथों में एक-एक मम्मे को पकड़ा और बहुत हल्के से उसके निपल्स को दबाया. वो तड़प उठी और बोली के मैने कभी किसी को इन्हें टच भी नही करने दिया और तुम पहले शख्स हो जिसने इनको च्छुआ है और किस किया है. मैने उसको कहा के तुम नही जानती के वॉट यू हॅव बीन मिस्सिंग. वो बोली के हां अब लग रहा है कि मैने बहुत कुच्छ मिस किया है बट इट ईज़ नेवेर टू लेट, जब आँख खुली तभी सवेरा समझो. अब मैं भरपूर मज़ा लेना चाहती हूँ और मुझे पता है के तुम मुझे बिल्कुल निराश नही करोगे. मैने कहा के मेरी पूरी कोशिश होती है के मेरे पास आने वाली किसी भी लड़की को चुदाईका पूरा आनंद मिले और कोई भी तकलीफ़ ना हो. पर यह तो तुम जानती हो ना के पहली बार लंड को चूत में डालने पर दर्द होता है. वो बोली के हां बाबा जानती हूँ के पहली बार में दर्द होता है और थोड़ी देर के बाद मज़ा भी खूब आता है. मैने कहा के मैं पूरी कोशिश करता हूँ के पहली चुदाई लड़की के लिए एक भयानक ख्वाब ना बने और बड़े प्यार से लंड को चूत में डालता हूँ. और दर्द के कम होने का इंतेज़ार भी करता हूँ. पर ऐसा कोई तरीका अभी तक नही बना के पहली बार में दर्द ना हो, क्योंकि जो तुम्हारी कुमारी झिल्ली है ना वो जब फटती है तो दर्द होना स्वाभाविक है पर उसके बाद तो मज़े ही मज़े हैं. वो बोली के ठीक है मैं तो मज़े लेना चाहती हूँ और ये जो थोड़ा सा टॅक्स देना पड़ेगा उसके लिए तैयार हूँ.

फिर मैं खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतारने लगा. वो भी खड़ी हो गयी और उसने भी अपने जीन्स उतार दी. नीचे उसने एक पिंक कलर की पॅंटी पहनी हुई थी जिस पर गीलापन सॉफ नज़र आ रहा था. मैं मुस्कुरा दिया तो उसने पूच्छा के क्यों मुस्कुरा रहे हो तो मैने उसको बताया. वो हंस पड़ी और बोली के मैं इतनी एग्ज़ाइटेड हूँ के रह रह कर सिहर जाती हूँ यह सोच सोच कर के आज मैं पहली बार सेक्स करने, मेरा मतलब है के चुदवाने जा रही हूँ. और इसीलिए यह पॅंटी भी गीली हो रही है. मैने कहा के हां डियर अब तुम थोड़ा खुल गयी हो और तुम्हे यह शब्द भी अजीब नही लग रहे. फिर हम पूरी तरह से नंगे होकर एक दूसरे से लिपट गये और जैसे ही मैने उसको अपनी बाहों में लपेटा उसके मम्मो ने मेरे सीने पर मचलना शुरू कर दिया. उनके कोमल दबाव ने मेरे अंदर एक आग भर दी और मेरा खून बहुत तेज़ी से दौड़ने लगा मेरे शरीर में जैसे एक करेंट भर गया हो. दिल की धड़कनें तेज़ हो गयीं. मैने अपनी एक टाँग उसकी टाँगों में फँसा दी और उसकी टाँग जो मेरी टाँगों के बीच मैं आ गयी थी उसको ज़ोर से भींच लिया. उसने भी मेरा अनुसरण करते हुए अपनी टाँगों में मेरी टांग दबा ली. मेरे हाथ उसकी पीठ और उसकी गांद का निरीक्षण करने लगे. क्या चिकना और सख़्त जिस्म था उसका जैसे मेरे हाथ किसी मोम की गुड़िया पर फिर रहे हों. मैं उसको लिए हुए ही बेड पर इस तरह गिर गया के मैं नीचे और वो ऊपेर थी और फिर मैं थोड़ा ऊपेर होते हुए पूरी तरह बेड पर आ गया. नीरू की आँखों में अब लाल डोरे दिखाई दे रहे थे. मैने घूम कर उसको बेड पर लिटा दिया और खुद उसकी लेफ्ट साइड पर चिपक कर लेट गया. उसके सर के नीचे तकिया लगाया और अपना बयाँ हाथ उसस्की गर्दन के नीचे से लाकर उसके बायें मम्मे पर रख दिया. दाईं टाँग से उसकी जाँघ को रगड़ने लगा और दायें हाथ को आज़ाद रहने दिया उसके पूरे शरीर की नाप तोल करने के लिए. मेरा दायां हाथ उसकी बाईं जाँघ पर पहुँचा तो मैने उसको थोड़ा सा अपनी ओर घुमा लिया. केले के तने जैसी जाँघ पर कुच्छ देर घूमने के बाद मेरा हाथ आया उसकी गांद पर. बिल्कुल गोल किसी फुटबॉल की तरह लेकिन मुलायम. गंद को अच्छी तरह से प्यार करने के बाद हाथ ऊपेर की ओर आया ओर उसकी नाज़ुक कमर को सहलाते हुए उसकी पीठ पर गया और वहाँ से ऊपेर की ओर जाकर आगे आया और उसके बायें माम्मे को नीचे से ऊपेर की ओर दबाने लगा. ऊपेर मेरा दायां हाथ था और इसीलिए उसका तना हुआ मम्मा दोनो हाथों के दबाव में आकर और ज़्यादा तन गया तथा और ऊपेर सर उठा लिया उसने. मैने अपना मुँह उस पर लेजाकार उसको अपने मुँह में भरने की भरपूर कोशिश की. पर यह सिर्फ़ कोशिश ही रह गयी क्योंकि वो इतना छ्होटा नही था के मेरे मुँह में आ जाता. फिर भी जितना ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह में भर सकता था मैने भर लिया और अपनी जीभ उस पर चलाने लगा और जीभ से ही उसके निपल को छेड़ने लगा. नीरू की आहें निकलनी शुरू हो गयीं. वो उत्तेजित हो रही थी और शायद कंट्रोल नही कर पा रही थी. मैने अपनी टाँगों में उसकी जाँघ फसा ली और रगड़ने लगा. वो कांप रही थी और मुझसे अमर बेल की तरह लिपट रही थी.

फिर मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा कर अपनी जीभ उसकी चूत की दरार पर चलाने लगा. ऐसे ही करते करते मैने अपनी जीभ कड़ी करके उसकी चूत के मुहाने पर लगा दी. अपने दोनो हाथ लगाकर उसकी चूत की दोनो फाँकें अलग करी और जीभ से चाटने लगा. वो अब एक वाइब्रटर की तरह काँप रही थी और आ……आ……ह, उ……ह……ह की आवाज़ें भी निकाल रही थी. नीरू बैठ गयी और अपने हाथ बढ़ाकर मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया. फिर उसका शरीर बहुत ज़ोर से झटका खा कर कांपा और वो झाड़ गयी.

मैने फुर्ती से उठकर उसकी चूत से निकलते पानी में अपने लंड को अच्छी तरह गीला कर लिया और उसकी चूत के मुहाने पर रख कर हल्कासा दबाया. मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत के अंदर चला गया. इस वक़्त वो पूरी तरह से ढीली पड़ी हुई थी इसलिए कोई ज़ोर नही लगाना पड़ा. मेरा लंड भी इतना आकड़ा हुआ था के दीवार में भी घुस जाए. फिर मैने उसके मम्मे चुभलाने और दबाने शुरू कर दिए. वो बहुत जल्दी ही उत्तेजित होने लगी. मैं नीचे से अपने लंड को भी हिला रहा था. इतने कोमल धक्के थे कि मेरा लंड अंदर बाहर तो नही हो रहा था पर उसकी कसी हुई चूत का छल्ला जो मेरे लंड पर कसा हुआ था वो आगे पीछे हो रहा था और हल्का सा घर्षण उसकी चूत के अंदर हो रहा था. इसी तरह करते करते नीरू की उत्तेजना बढ़ती गयी और वो अपना सर इधर उधर झटकने लगी. थोरी देर और उसको उत्तेजित करने के बाद मैं सीधा हुआ और उसकी जंघें पकड़ कर पूरे ज़ोर से एक धक्का लगाया. मेरा लंड उसकी चूत में आधे से थोड़ा ज़्यादा घुस गया. नीरू की एक चीख निकली जो उसने बड़ी मुश्किल से दबाई. उसकी टाँगें बहुत ज़ोर से देर तक काँपति रहीं. मैने अपने आप को वहीं रोक लिया. उसकी सील टूट गयी थी और उसकी चूत से खून निकल कर नीचे टवल को लाल कर रहा था. नीरू के चेहरे पर दर्द के भाव थे और उसकी सारी उत्तेजना ख़तम हो चुकी थी, आँखों से आँसू बह रहे थे. मैने उसको पूछा के क्या बहुत दर्द हुआ डियर. तो वो बोली के बहुत हुआ पर तुम रुक गये हो तो ठीक है. हिलना मत मुझे अभी भी दर्द हो रहा है. मैने कहा के मैं रुका हूँ और जब तक तुम्हारा दर्द कम नही होगा मैं बिल्कुल नही हिलूँगा.

उसकी चूत बहुत ही टाइट थी और मेरा लंड उसमे पूरी तरह से फसा हुआ था. मैं नीचे को झुका और उसके मम्मे को मुँह में लेकर फिर से चुभलना शुरू कर दिया और दूसरे मम्मे को हाथ में लेकर दबाया और प्यार से मसलता रहा. मैने अपना दूसरा हाथ नीचे लाकर उसके भज्नासे को रगड़ना शुरू कर दिया. थोड़ी ही देर में वो फिर से उत्तेजित होने लगी. फिर मैं चौंक गया. नीरू की चूत अब मेरे लंड पर और अधिक कस गयी थी और फिर वो कसाव कम हो गया. मैं समझ गया के उसकी चूत मेरे लंड पर संकुचन से दबाव बढ़ा रही है और फिर खुल रही है. यह सही वक़्त था और मैने अपना लंड एक इंच के करीब बाहर निकाला और फिर अंदर कर दिया बहुत ही प्यार से. नीरू ने एक लंबी साँस ली और अपनी आँखें खोल कर मेरी ओर देखा और मुस्कुरा दी.

मैने उसको पूछा के अब तो दर्द नही हो रहा ना? वो बोली के दर्द तो हो रहा है पर कम हो गया है, साथ ही मज़ा भी आना शुरू हो गया है. मज़े के साथ इस दर्द को तो मैं सह लूँगी. मैने कहा के फिर ठीक है, मैं अभी बहुत प्यार से धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करूँगा और जब तुम कहोगी तब तेज़ी से भी और ज़ोर से भी तुमको चोदून्गा. उसने सर हिला दिया. मैं शुरू हो गया. अंदर करते हुए मैं थोड़ा सा दबाव और डाल देता और मेरा लंड थोड़ा सा और अंदर घुस जाता. करते करते मैने अपना पूरा लंड नीरू की चूत में घुसा दिया. उसकी चूत मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ा कर क़म करती थी तो मेरा घर्षण का आनंद काई गुना बढ़ गया था. मुझे लगा के मुझे जल्द ही कुच्छ करना पड़ेगा नही तो मैं नीरू से पहले ही झाड़ सकता हू जो मुझे बिल्कुल मंज़ूर नही था. यह नीरू की पहली चुदाई थी और अगर मैं पहले झाड़ गया तो बड़ी इन्सल्ट वाली बात होगी और वो क्या कहेगी.

मैने वही किया जो ऐसे वक़्त में करना चाहिए. मैने अपना पूरा ध्यान अपनी उत्तेजना से हटा कर उसको उत्तेजित करने में लगा दिया और खुद एक मशीन की तरह अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. मेरे दोनो हाथ उसके शरीर से खेल रहे थे. यूँ कहो के उसके पूरे शरीर पर फिसल रहे थे. ज़्यादा से ज़्यादा स्पर्श सुख दे रहे थे उसको. मेरा मुँह लगा हुआ था उसके मम्मों को चुभलाने में. कभी एक मम्मा मेरे मुँह में जाता और मैं उसको चूसने लगता और कभी अपने दाँतों पर अपने होंठ चढ़ाकर उसके निपल तो दबा देता पूरे ज़ोर से और जीभ से चाट लेता. छ्होटी छ्होटी लव बाइट्स उसके मम्मों पर देता अपने दाँतों से.

आख़िर मेरी सारी कोशिशें रंग लाईं और नीरू की उत्तेजना बढ़ने लगी. उसकी साँसें भारी हो गयीं और उसने अपनी टाँगें उठाकर मेरी पीठ पर बाँध लीं और बोली के अब दिखाओ अपना ज़ोर और तोड़ दो मुझे, फाड़ दो मेरी चूत को. इतना तडपाया है इसने मुझे के बता नही सकती. मैने कहा के कोई बात नही अब हम इसको तडपा देंगे. फुट तो गयी है यह और चुद रही है बड़े प्यार से. इसको और नही फाड़ेंगे पर इसको बहुत मारेंगे अपने लंड से. इतना मारेंगे इसको के यह अभी रो पड़ेगी. चिंता मत करो आज इसकी खून के आँसू रोने की बारी है. अब वो नीचे से अपनी गांद उठा कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी. नीरू ने बोलना शुरू कर दिया. मैं तो पागल थी जो इतना डरती रही. इतना मज़ा आता है चुदवाने में के पहले पता होता तो कब की चुद गयी होती. हाए राज तुम्हारा लंड तो बहुत शानदार है एक दम स्टील रोड की तरह है. मेरी चूत को फाड़ के चोद रहा है मुझे, इतना मज़ा आ रहा है के बता नही सकती. जी करता है के सारी उमर ऐसे ही चुदवाती रहूं और यह चुदाई कभी ख़तम ही ना हो.

मैने अपना चिर परिचित वाक्य दोहराया के माइ डियर नीरू ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ कम टू आन एंड. लेकिन कोई बात नही हम फिर से तैयार होकर शुरू हो जाएँगे. आज मैं तुमको जी भर के चोदुन्गा और देखना तुम्हारा भी जी भर जाएगा कम से कम आज के लिए. वो बोली के यही तो वो चाहती है. मैं लगातार अपने धक्कों में वॅरीयेशन लाकर उसको चोद रहा था. नतीजा मेरे अनुकूल निकला और नीरू थोड़ी ही देर में ज़ोर से उछली और ह……आ……आ……य……ए करती हुई झाड़ गयी और उसकी चूत ने मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ाना और कम करना तेज़ कर दिया. मैं भी कुच्छ सेकेंड बाद ही 2-3 करारे धक्के मार के झाड़ गया. मैने अपना लंड पूरा उसकी चूत में घुसा दिया और उसकी चूत में ही अपने वीर्य की गरम बौच्चरें कर दीं. मेरा वीर्य इतनी ज़ोर से उसकी बcचेदानि से टकराया के वो सह नही सकी और दुबारा झाड़ गयी. नीरू ने मुझे अपने ऊपेर खींच लिया और ज़ोर से अपने साथ चिपका लिया. उसकी बाहें मेरी पीठ पर कस गयीं. फिर मैं साइड लेकर लेट गया और नीरू को अपनी बाहों में भींच लिया.

हम थोड़ी देर तक बेसूध से पड़े रहे. फिर मैने प्यार से नीरू के एक मम्मे को अपने हाथ में लेकर सहलाना शुरू किया और दूसरे को मुँह लगाकर चूसने और चाटने लगा. टाइम हमारे पास बहुत था अभी इसलिए मैं एक बार उसको और चोदना चाहता था और पूरे इतमीनान के साथ. नीरू बोली के क्या दिल भरा नही जो फिर शुरू हो गये हो? मैने कहा के दिल कभी नही भरता, यह तो शरीर थक जाता है और थोड़ी देर के लिए तसल्ली भी हो जाती है. तुम बताओ के तुम्हारा दिल क्या कह रहा है. बोली के अच्छा तो लग रहा है. तो मैने कहा के फिर टोका क्यों. वो कहने लगी के ऐसे ही. मैने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और कहा के ऐसे ही टोकना नही चाहिए. अगर दिल कर रहा है तो साथ देना चाहिए. वो तुनक कर बोली ठीक है जो तुम्हारा दिल चाहे वो करो, पता नही मैं इतना मज़ा झेल भी सकूँगी या नहीं. मैने उसको तसल्ली दी के तुम अभी बहुत ज़्यादा मज़ा भी ले लोगि तुम्हें कुच्छ नही होगा. देखेंगे कहते हुए उसने मुझे ज़ोर से भींच लिया, वो मेरी बाहों से निकल कर मेरे ऊपेर आई और मुझे चूमने लगी. मैने उसको तसल्ली से गरम किया और उसकी एक और भरपूर चुदाई की जिसमे वो कितनी बार झड़ी याद ही नही क्योंकि दोबारा तैयार होने के बाद मैं तो जल्दी झड़ने वाला नही था. इसके बाद भी हम काई बार अकेले में मिले और चुदाई काखेल खेलते रहे. फिर उसकी शादी हो गयी. उसकी शादी के बाद मेरी उसकी कोई मुलाकात नही हुई क्योंकि जिस घर में उसकी शादी हुई थी वो एक बहुत रिच और फाइ फ्लाइयर जेट-सेट टाइप की फॅमिली थी और हमारा उनसे कोई भी वास्ता नही था.

मैं अपनी यादों के घेरे से बाहर आया और सोचने लगा की इतने अरसे के बाद नीरू को मुझसे क्या काम हो सकता है? फिर मैने इस ख़याल को अपने दिमाग़ से झटक दिया के जो भी होगा वो सॅटर्डे को पता लग ही जाएगा फिकर क्यों करें.
 
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सॅटर्डे भी आ गया. मैने आँचल के लिए एक डिज़ाइनर ड्रेस खरीदी और उसको स्पेशल गिफ्ट रॅप करा के ले गया. मैं नीरू के घर पूरे 7-00 बजे पहुँच गया. नीरू को फोन कर ही दिया था इसलिए वो बाहर ही मिल गयी और मुझे साइड डोर से अंदर ले गयी. यह एक छ्होटा ड्रॉयिंग रूम था. आँचल भी वहाँ थी. मैने आँचल को वो ड्रेस दी और हॅपी बर्तडे विश किया. वो बड़ी उत्सुकता से उस पॅकेट को देख रही थी. उसने पूछा के ये ड्रेस है ना. नीरू ने उसको चुप करना चाहा तो मैने रोक दिया और कहा के हां आँचल ये ड्रेस ही है आंड आइ होप यू विल लाइक इट. उसने कहा के मा मैं ये देख सकती हूँ? नीरू के कुच्छ कहने से पहले ही मैने कहा के बिल्कुल देख सकती हो. तो उसने तेज़ी से रॅपिंग्स हटाईं और ड्रेस निकाल ली. ड्रेस को देखते ही वो बोली की वाउ, मा लुक इट ईज़ मॅग्निफिसेंट. मैं आज यही पहन लूँ. मैने नीरू का हाथ पकड़ के दबा दिया और सर को हल्का सा हिला दिया. वो समझ गयी मेरी बात को और झट से बोली के शुवर्ली यू कॅन आँचल. उसने कहा के थॅंक यू मा और ड्रेस हाथ में लेकर चली गयी.

नीरू ने मेरी ओर देखा और बोली, भगवान जो करता है अच्छे के लिए ही करता है. मैं चाहती थी के आँचल तुमसे थोड़ा फ्रॅंक हो जाए और तुम ये ड्रेस ले आए हो उसके लिए जो उसको बहुत पसंद आई है और है भी बहुत अच्छी. अब वो तुमसे इतना फॉर्मल नही रहेगी. मैने कहा कि क्या बात है और तुम मुझसे क्या बात करना चाहती थीं. वो बोली के आँचल के बारे में ही बात करना चाहती थी. मुझे लगता है के वो ग़लत दिशा में जा रही है. उसको लड़के बिल्कुल पसंद नही हैं और मैने छन्बीन भी की है और मुझे अपने सर्कल की एक औरत पर शक़ है कि वो इको लेसबो (समलिंगी) बना रही है क्योंकि वो खुद भी कन्फर्म्ड लेसबो है. मैने कहा के मैं इसमे तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ. नीरू बोली के उसने आँचल से बात की थी और पता किया है कि आँचल अभी वर्जिन ही है. नीरू आगे बोली के मैं और किसी पर भरोसा नही कर सकती. तुम ही एक भरोसे के आदमी हो. मैं जानती हूँ के तुम आँचल को सही रास्ते पर ला सकते हो. तुम ही उसको एक आदमी का प्यार देके लड़की से एक पूरी औरत बना सकते हो. तुम एक्सपर्ट हो इस मामले में.

मैने नीरू को कहा के तुम यह क्या कह रही हो मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ. नीरू ने कहा के देखो राज मैं अपने पति से भी इस बारे में बात कर चुकी हूँ और उन्होने मुझे सॉफ शब्दों में यह कहा है के जो भी हो जैसे भी हो आँचल को सही रास्ते पर लाना बहुत ज़रूरी है. अगर वो बाइसेक्षुयल होती तो भी हमें कोई शिकायत ना होती पर उसका लेसबो होना हमारे लिए बहुत बड़ी बदनामी होगी और वो औरत शायद इसलिए ऐसा कर रही है हमें नीचा दिखाने के लिए. क्या तुम मेरी मदद नही करोगे? मैने कहा की ठीक है मैं देखता हूँ क्या कर सकता हूँ. मुझे उसको अपने साथ अकेले में ले जाना होगा और क्या वो इसके लिए मान जाएगी? नीरू ने कहा के वो इस बात का इंटेज़ाम कर देगी पर इसके लिए मुझे उसके दूसरे बंग्लो में जाना होगा. मैने कहा के ठीक है. फिर नीरू ने कहा के वो मुझे फोन करके बता देगी.

इतने में आँचल वो ड्रेस पहन कर आ गयी. बिल्कुल परी लग रही थी उस ड्रेस में. नीरू भी देख कर हैरान रह गयी. मैने आगे बढ़कर आँचलका हाथ पकड़ा और कहा के आज की महफ़िल में तुम सबसे सुंदर लगोगी. उसने बहुत गरम्जोशी से मेरा हाथ दबाया और बोली के थॅंक यू सर…… मैने उसकी बात काटी और कहा नो, नो, नो, अब तुम बड़ी हो गयी हो और अब हम दोस्त हैं और दोस्ती में कोई थॅंक यू और सॉरी नही होता. ठीक? वो बोली के हां अगर हम दोस्त हैं तो नो थॅंक्स नो सॉरी और उसने मेरे गाल पे हल्का सा किस किया और नीरू की ओर चल दी. मा देखो कितनी अच्छी लग रही है ये ड्रेस. नीरू ने भी कहा के हां राज ने तो तुमको बिल्कुल परी बना दिया. परी लग रही है मेरी गुड़िया. वो हंसते हुए बोली मा तुम्हारी गुड़िया आज बड़ी हो गयी है अब गुड़िया ना कहा करो. मैने कहा के आँचल लड़की कितनी भी बड़ी हो जाए मा के लिए वो गुड़िया ही रहती है. वो बोली के हां यह तो है और हम सब हंस पड़े.

फिर हम बड़े हाल में आ गये जहाँ पार्टी का इंटेज़ाम था. पार्टी ख़तम होने पर मैं घर आ गया और अपनी नयी ज़िम्मेदारी के बारे में सोचने लगा. मैं अपने आप से बोला के राज तू बहुत हरम्खोर टाइप का आदमी है. पहले मा को चोदा अब बेटी को चोदने जा रहा है, कुछ तो ख़याल कर. फिर आप ही जवाब भी आया के वो मा बेटी हैं तो क्या हुआ, मेरा उनसे कोई खून का रिश्ता नही है, ना मा से ना बेटी से. मा भी मेरे से चुदी थी अपनी मर्ज़ी से और बेटी भी चुदेगि तो अपनी मर्ज़ी से और उसकी मा की भी रज़ामंदी शामिल होगी इसमे. और यह तो उस लड़की को एक ग़लत राह पर जाने से रोकने के लिए है. काँटा निकालने के लिए सुई का इस्तेमाल तो करना ही पड़ता है. इस पर भी अगर वो ना मानी तो फिर वो भी उसकी ही मर्ज़ी होगी.

अगले दिन सनडे था और नीरू का लंच के बाद फोन आया के उसने आँचल से बात कर ली हा और क्या मैं कल आ सकता हूँ. मैने कहा के ठीक है स्कूल के बाद मैं फ्री हूँ. उसने कहा के 3 बजे मेरे दूसरे बंग्लो पर मिलो और मुझे अड्रेस दे दिया. मैने कहा ठीक है मैं सही टाइम पर पहुँच जाऊँगा.

अगला दिन मंडे था तो मैने स्कूल में ही आँचल से बात करने की सोची क्योंकि मैं कोई भी काम अपनी सेफ साइड करके ही करना चाहता था. मैने रिसेस में आँचल को अपने ऑफीस में बुलाया. वो आई तो मैने देखा के वो कुच्छ सीरीयस थी. मैने उसको पूछा के क्या वो जानती है के मैने उसको क्यो बुलाया है. वो बोली के हां आज दोपहर को हमे मिलना है इसलिए. मैने कहा के वाह तुम तो बहुत समझदार हो. वो बोली के मैं अब बड़ी हो गयी हूँ और बच्ची नही रह गयी. मैने कहा के यही कहने के लिए मैने तुम्हें बुलाया है. तुम अब बच्ची नही हो बड़ी हो गयी हो और हम अब दोस्त बन चुके हैं. मैं नही चाहता की उसकी मर्ज़ी के खिलाफ कोई भी बात हो. अगर वो नही चाहती तो मैं नही आऊंगा और कोई भी बहाना कर दूँगा नीरू को. उसने कहा के नही ऐसी कोई बात नही है मुझे आप पर पूरा भरोसा है. मैने कहा के गुड. भरोसा है तो जैसे मैं कहूँगा उसे मेरा साथ देना होगा पर अपनी मर्ज़ी से ही बिना किसी दबाव के. वो जब भी चाहेगी हम आगे कोई बात नही करेंगे. सब कुच्छ उसकी मर्ज़ी से होगा और कोई भी ज़बरदस्ती उसके साथ नही होगी और अगर ज़रूरत होगी तो मैं नीरू को भी समझा दूँगा. वो बहुत खुश हुई इस बात पर तो मैने उसको कहा के चलो इसी बात पर हाथ मिलाओ. वो मेरे पास आई तो मैने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी आँखों में देख के बोला की आँचल तुम बहुत सुन्दर हो और समझदार भी हो और मैं जानता हूँ के तुम मेरी बात समझोगी.

मैं तुम्हारे साथ हूँ मैने कहा और तुम्हारे साथ कोई भी ज़बरदस्ती नही होने दूँगा. तुम्हे बिल्कुल भी मजबूर नही किया जाएगा किसी भी बात के लिए, यह मेरा वादा है तुमसे. वो बोली के मुझे यही उम्मीद थी. मैने उसका हाथ छ्चोड़ दिया और अपने दोनो हाथ फैला कर उसको कहा के तुम्हारी यह उम्मीद मैं टूटने नही दूँगा. वो सर को हिला कर मेरे सीने से लग गयी और बोली के अब मुझे कोई भी डर नही है. मैने कहा के ठीक है फिर मिलते हैं दोपहर को. उसने हां कहा और चली गयी.

स्कूल से मैं घर गया और फिर तैयार होकर आँचल से मिलने चल पड़ा. वहाँ पर नीरू भी थी और मेरे पहुँचते ही उसने कहा के आप दोनो बात करो और मैं चलती हूँ. मैं नीरू को छोड़ने दरवाज़े तक आया तो उसने कहा के शाम को घर में गेट टुगेदर के बहाने सारे नौकर वहाँ भेज दिए हैं और यहाँ तुम दोनो अकेले हो, तुम्हे कोई डिस्टर्ब नही करेगा. मैने कहा के ठीक है. और नीरू चली गयी. मैं वापिस आया और आँचल के पास सोफे पर बैठ गया और उसको पूछा के हां आँचल अब बताओ कहाँ से शुरू करें. आँचल ने कहा के मैं क्या जानूँ आप जो भी बात करना चाहते हैं वहीं से शुरू कर दें. मैने कहा के ठीक है मैं जो भी पूछून्गा उसका वो सच सच जवाब दे बिना किसी जीझक के. यह सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे बीच में रहेगा और मैं किसी को भी इसके बारे में नही बताऊँगा, नीरू को भी नही, यह मेरा प्रॉमिस है. उसने कहा की उसे पूरा भरोसा है के मैं अपना प्रॉमिस नही तोड़ूँगा और वो सब कुच्छ मुझे सच सच ही बताएगी और कुच्छ भी नहीं च्छुपाएगी.

मैने उसको कहा के मैं थका हुआ हूँ और थोड़ा आराम करना चाहता हूँ, साथ साथ बातें भी कर लेंगे. वो बोली के ठीक है अंदर बेडरूम में चलते हैं. हम बेडरूम में आ गये और मैने अपनी शर्ट उतार के एक ओर रख दी और बेड पर लेट गया. फिर मैने आँचल को कहा के वो भी बैठ जाए. वो भी बेड पर बैठ गयी. मैने उसको पूछा के नीरू कह रही थी के शायद तुमको लड़के पसंद नहीं हैं. क्या बात है? वो तुरंत बोली आइ हेट बाय्स. मैने कहा के ऐसी क्या बात हो गयी है जो तुम बाय्स को हेट करने लगी हो? वो बोली के सब एक ही बात के पीछे पागल होते हैं और वो है सेक्स. मैं मुस्कुराए बिना ना रह सका पर कहीं वो बुरा ना माने इसीलिए सहमति में सर भी हिलाने लगा. मैने कहा के हो सकता है के तुम्हारे साथ ऐसा ही हुआ हो और कुच्छ नासमझ लड़कों से तुम्हारा वास्ता पड़ा हो, पर सच यह है के सारे लड़के ऐसे नही होते. हां यह ज़रूर है के कुच्छ ऐसे ही होते हैं. तुम जानती हो इस दुनिया में सब तरह के लोग होते हैं. वो बोली के हां होते तो हैं पर मुझे तो जो भी मिले ऐसे ही मिले. मेरे एक्सपीरियेन्स तो खराब ही रहे. मैने कहा के क्या तुम एक एक्सपेरिमेंट और करने को तैयार हो मेरे कहने पर? वो चौंक गयी और बोली के कैसा एक्सपेरिमेंट. मैने कहा के जो भी मैं कहूँ अगर तुम्हें मुझपर विश्वास है तो.

विश्वास तो पूरा है. इतनी देर से हम अकेले बैठे हैं और तुमने अभी तक कुच्छ भी ग़लत नही किया. मैने कहा देखो आँचल ग़लत और सही बहुत बड़े शब्द है और इनकी कोई सीमा नही होती. हो सकता है जो तुम्हारे लिए ग़लत हो वो तुम्हारे जैसी किसी और लड़की के लिए बहुत सही हो और इसका उल्टा भी हो सकता है. वो बोली के हां मैं समझती हूँ यह तो बिल्कुल हो सकता है. मैने कहा के फिर क्या तुम मेरे कहने पर एक एक्सपेरिमेंट करने के लिए तैयार हो. किसके साथ उसने पूच्छा? मैने मुस्कुराते हुए जवाब दिया के तीसरा तो कोई हैं नही यहाँ पर तो ज़ाहिर है के मेरे साथ. उसने पूछा के क्या करोगे? तो मैने कहा के सब कुच्छ करूँगा लेकिन तभी जब तुम्हारी मर्ज़ी होगी अगर तुम्हें ठीक ना लगे तो मुझे रोक देना मैं उसके आगे कुच्छ नही करूँगा. सब कुच्छ, उसने पूछा? मैने कहा के हां सब कुच्छ करेंगे तभी तो तुम्हें पता चलेगा के क्या होता है, कैसे होता है और कितना मज़ा आता है और कितना दर्द होता है पहली बार करने पर. वो बोली यह तो मैं जानती हूँ के पहली बार करने पर दर्द भी होता है पर कितना होता है मैं नही जानती.

मैने कहा के दर्द वर्द तो बहुत बाद की बात है, क्या पता तुम वहाँ तक पहुँचने से पहले ही मुझे रोक दो, इसलिए दर्द के बारे में अभी नही सोचो जब उसका वक़्त आएगा तो देखेंगे. पहले तो तुम यह हां करो के एक्सपेरिमेंट करने के लिए तैयार हो. अगर नही तो कोई बात नही और अगर हां तो कब? अगर सोचना चाहती हो तो सोच लो. कोई जल्दी नही है. आज नही तो फिर कभी मिल लेंगे पर मैं चाहूँगा के अगर मुझ पर भरोसा है तो एक बार एक्सपेरिमेंट कर लेते हैं और फिर देखते हैं क्या नतीजा निकलता है. वो कुच्छ देर सोच के बोली के बात तो तुम्हारी ठीक है एक्सपेरिमेंट करने में कोई नुकसान नही है जब तुम यह प्रॉमिस कर रहे हो के कोई ज़बरदस्ती नही करोगे और अगर मैं कहूँगी तो एक्सपेरिमेंट वहीं पर ख़तम कर देंगे. चलो ठीक है मैं तैयार हूँ और जब करना ही तो बाद में क्यों आज ही कर लेते हैं जो करना है. बोलो क्या और कैसे करना है. मैने कहा के देखो तुम्हे मुझ पर पूरा भरोसा करना होगा और जैसे मैं काहू वैसे ही करना होगा और अगर तुम्हें बुरा लगे तो मुझे रोक देना हम वहीं पर एक्सपेरिमेंट ख़तम कर देंगे. वो बोली के भरोसा तो है तभी तो कह रही हूँ के बताओ क्या करना है.

मैं उठकर खड़ा हो गया और उसको भी खड़े होने को कहा. फिर उसको कहा के अपने सारे कपड़े उतार दो. और मैने अपने सारे कपड़े उतारने शुरू कर दिए. कुच्छ सेकेंड रुक कर उसने भी मेरा अनुसरण किया और अपने कपड़े उतारने लगी. थोड़ी देर में हम दोनो जन्मजात अवस्था में नंगे खड़े थे और मैं उसका जिस्म देखकर सन्न रह गया था. मेरी आँखें खुली की खुली रह गयीं और उनमें एक अनोखी चमक आ गयी. उसका जिस्म इतना सुंदर था के जैसे साँचे में ढली कोई मूर्ति हो. अत्यंत सुन्दर, सुडौल, कसे हुए मम्मे जो उसकी छाती पर आम लड़कियों से कुच्छ ऊपेर स्थित थे. गोरे रंग पर उसके हल्के भूरे रंग के रुपी साइज़ के चूचक और उनके बीच में संकुचित निपल जो चूचक से थोड़ा गहरे रंग के थे और अंदर को धाँसे हुए थे. नीचे सपाट पेट और सुंदर नाभि के नीचे हल्के हल्के रोँये थे जो उसकी चूत पर भी थे और बहुत ध्यान से और नज़दीक से देखने पर ही मालूम पड़ते थे. बहुत अच्छे अनुपात में सुगठित टाँगें जो पिंदलियों से लेकर घुटनों तक बहुत अच्छे अनुपात में आईं और फिर सुडौल जंघें कुल मिलाकर केले के तने जैसी चिकनी और चमकीली थीं. फिर उसकी गांद ऐसी जैसे की दो ग्लोब्स इकट्ठे लगा दिए हों. भगवान ने उसे बहुत फ़ुर्सत में बैठ के बनाया था. मैं उसको खामोशी से देखता ही रह गया. कुच्छ देर बाद उसने खामोशी तोड़ते हुए पूछा के ऐसे क्या देख रहे हो? मैने कहा कि द्रिश्य सुख ले रहा हूँ.

मैने उसको समझाया के संपूर्ण लव मेकिंग के लिए पहला स्टेप होता है द्रिश्य सुख. किसी भी सुन्दर वास्तु को देखकर जैसे उसको छूने की इच्छा होती है वैसे ही तुम्हारे जैसे सुन्दर शरीर को देखकर आँखों की प्यास बढ़ जाती है और एक-एक अंग की सुंदरता को देखकर अपने दिल में बसा लेने को जी चाहता है. और उसके बाद स्पर्श सुख प्राप्त करने की इच्छा होती है ऐसे. यह कहते हुए मैने उसको अपने निकट किया और फिर उसकी जांघों पर पीछे से हाथ फिरा कर उसकी पुष्ट गांद की गोलैईयों पर अपने हाथ प्यार से रख दिए. वो सिहर उठी. मैने उसको पूछा के अच्छा लगा ना? उसने हां में सर हिलाया. यह है स्पर्श सुख और स्पर्श सुख से उत्तेजना बढ़ती है और सेक्स की इच्छा जागृत होती है. एक बात मैं तुम्हें यहाँ और बता दूं के श्रवण सुख भी इसमे बहुत योगदान करता है. वो बहुत हैरान हुई और बोली के श्रवण सुख से मतलब? मैने कहा के सेक्स संबंधी शब्द, जिनको हम आम बोलचाल में प्रयोग करना ठीक नही समझते वो जब ऐसे मौके पर जब एक आदमी और एक औरत अकेले में सेक्स के लिए तैयार हो रहे होते हैं तो अच्छे लगते हैं जैसे की लंड, चूत, चोदना, चुदाई, चूत चाटना, लंड चूसना, मम्मे दबाना आदि जब कानों में पड़ते हैं तो इनसे भी उत्तेजना मे वृद्धि होती है. आँचल मेरी सारी बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी.
 
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उसने मुझे रोका और कहा के मैं भी चाहती हूँ के ऐसा कुच्छ मेरे साथ भी हो और मैं अपने पुराने अनुभव भूल कर लड़कों का साथ एंजाय कर सकूँ. मुझे अपने से अधिक चिंता अपने पेरेंट्स की है क्योंकि वो मेरे इस व्यवहार से बहुत परेशान हैं और मैं उनको परेशान नही देख सकती. तुम जो कुच्छ कह रहे हो यदि वो हो सकता है तो मुझे थोड़ा बहुत नापसंद भी सहना मंज़ूर है पर क्या तुम मुझे यह सब अनुभव करवा सकते हो जो कह रहे हो? क्या इसमे बहुत मज़ा आता है मास्टरबेशन से भी ज़्यादा? मैने कहा के इतना ज़्यादा की तुम मास्टरबेशन के मज़े को भूल जाओगी और केवल मजबूरी में जब कोई और विकल्प नही होगा तभी मास्टरबेशन करोगी वरना यही मज़ा लोगि. उससने कहा के फिर बताओ क्या और कैसे करना है. मैने कहा के अपने आप को पूरी तरह मेरे हवाले कर दो और जो मैं करता हूँ मुझे करने दो तुम्हें अपने आप पता लग जाएगा की तुमने क्या करना है और जहाँ नही पता लगेगा वहाँ मैं हूँ ही सब सीखा दूँगा. पहले मैं तुम्हारे इस सुंदर शरीर को प्यार से सहला के, चूम के, चाट के तुम्हें उत्तेजित करूँगा फिर तुम्हारी इस जादू की डिबिया चूत को चाटूँगा, अपनी जीभ से तुम्हें चोदून्गा और फिर अपने लंड को तुम्हारी चूत पर रख के इसकी गर्मी तुम्हारी चूत को दूँगा और तुम्हारी चूत की गर्मी अपने लंड से महसूस करूँगा. फिर तुम्हारी चूत के अंदर अपना लंड घुसा दूँगा और तुम्हारी कुमारी झिल्ली को फाड़ कर अपना लंड पूरा तुम्हारी चूत में अंदर बाहर करके तुम्हें घर्षण कास्पर्श सुख दूँगा और जब तुम उत्तेजना के शिखर पर पहुँच कर जधोगी और तुम्हारी चूत अपना पानी छ्चोड़ेगी तब तुम्हें इतना मज़ा आएगा कि उस मज़े को केवल अनुभव किया जा सकता है बताया नही जा सकता. वो बोली के इतना बोल रहे हो कर के दिखाओ तो मानूँगी.

मैने अब प्रॅक्टिकल शुरू कर दिया. मैं जल्दी से बेड के हेडबोर्ड से अपनी पीठ लगाकर और अपने पैर खोलकर बैठ गया. दो तकिये मैने लंबे करके अपने सामने लगा दिए और आँचल को उनपर सीधा लिटा दिया के उसका सिर मेरे पैरों की ओर था और टाँगें हेड बोर्ड के ऊपेर. उसको मैने अपने और पास खींच लिया. अब उसकी गंद मेरी पसलियों को छ्छू रही थी और नीचे तकिये होने के कारण उसको कोई परेशानी नही थी. मैने अपना मुँह नीचे किया और उसकी चूत को बिल्कुल पास से देखने लगा. मैने अपनी पूरी हथेली उसकी चूत पर रख दी और उसको धक लिया. जब मैने प्यार से उसकी चूत को सहलाया तो वो सिहर उठी. उसकी चूत इतनी मुलायम थी के मेरा हाथ उस पर फिसल रहा था. चूत की दोनो फाँकें आपस में चिपकी हुई थीं और एक पतली सी लकीर नज़र आ रही थी. मैने उस लकीर पर अपनी जीभ बहुत प्यार से फेरी. वो फिर सिहर उठी. मैं अपने दोनो हाथों से उसकी जांघों को सहला रहा था और अपनी जीभ की नोक उसकी चूत की दरार में फिरा रहा था. थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद मैने अपने हाथों को उसकी चूत पर लाकर दोनो अंगूठो की सहाएता से उसकी चूत की फांकों को खोला और उसकी गुलाबी चूत को देखता ही रह गया. ग़ज़ब की थी उसकी चूत अंदर से. दोनो पंखुड़ियाँ गुलाब की पट्टियों के समान थीं और उसके हल्के स्राव से भीग कर उसकी चूत की छटा देखने लायक थी. मैने अपने जीभ से दोनो कोमल पंखुड़ियों को टटोला तो वो बहुत ज़ोर से काँप गयी और बोली के हां ऐसे ही करो बहुत अच्छा लग रहा है. मैने अपनी जीब का दबाव थोड़ा सा बढ़कर उनको चॅटा तो वो और काँप गयी. फिर मैने अपनी जीभ को आक़ड़ाकर उसकी चूत के सुराख मे डालने की कोशिश की. बहुत गरम थी उसकी चूत और ऐसे लग रहा था के मेरी जीभ को जला देगी. मैने अपनी जीभ का दबाव बढ़ाया और मेरी जीभ थोड़ी सी उसकी चूत में घुस गयी. वो एक बार फिर काम्पि और उसकी चूत से थोड़ा स्राव और निकला और मैं उसको अपनी जीभ से चोदने लगा. उसकी उत्तेजना अब बढ़ती जा रही थी और फिर उत्तेजना के आधी बढ़ जाने से उसने अपने हाथ अपने मम्मों पर रख दिए और उनको मसल्ने लगी. उसके निपल अब तन कर बाहर आ गये थे और ऐसे लग रहे थे जैसे पिस्टल के कारतूस की नोक होती है.

मैने अपना ध्यान वापिस उसकी चूत की ओर किया और पूरी तन्मयता से कभी अपनी जीभ से उसे चोद और कभी चाट रहा था. धीरे धीरे उसकी उत्तेजना बढ़ती गयी और इतनी बढ़ गयी कि वो उच्छलने लगी और उसको संभालना मुश्किल हो गया. उसका शरीर झटके खाने लगा और फिर वो झाड़ गयी.

वो तकिये हटाते हुए मेरी ओर पलटी और मुझसे लिपटकर कहने लगी के यह तो कमाल हो गया, मैने तो कभी सोचा भी नही था के एक मेल से मुझे इतना आनंद मिलेगा. मैने कहा के अभी तो कुच्छ भी नही हुआ असली मज़ा तो अभी बाकी है. मैं उसके साथ चिपके हुए ही नीचे को हुआ तो वो मेरे ऊपेर हो गयी. उसके मम्मे मेरी छाती में गढ़ने लगे और उसके निपल मेरी छाती मे चुभ रहे थे. मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी पीठ सहलाने लगा. अब उसको मेरे हर काम में मज़ा आ रहा था. अब उसका शरीर एक सितार बन चुक्का था और मेरी हर हरकत जैसे उस सितार को छेड़ रही थी और वो मेरे हर इशारे पर बज रही थी. मेरी हर छेड़छाड़ उसकी आँखों और चेहरे से प्रकट हो रही थी. मेरे हाथ घूमते हुए उसके मम्मों पर आ गये और मैने बहुत प्यार से उनको सहलाना शुरू कर दिया. उसने भी छाती तानकर मेरे हाथों को जैसे निमंत्रण दिया कि आओ और इतने हल्के नही थोड़ा ज़ोर से हमें दबाओ.

मैने उसको अपने साथ चिपका कर साइड ली और अपनी एक टाँग उसकी टाँगों में डाल कर रगड़ने लगा. उसने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा और बोली के हाए राम मुझे नही पता था के इतना मज़ा आता है वो आंटी तो बहुत झूठी है. मैने पूछा के कौन आंटी? तो वो बोली कि है एक आंटी. मेरी मम्मी की पहचान वाली है. उसने ही मुझे लड़कों के खिलाफ भड़काया था और मैं अपने पुराने एक्सपीरियेन्सस की वजह से उसकी बातों में आ गयी थी. अब मैं कभी उस आंटी से बात नही करूँगी. मम्मी ठीक कहती थी के वो हमारी फॅमिली से जलती है और इसीलिए वो मेरे साथ ऐसा कुच्छ कर रही है जो ठीक नही है. अब मैं उस आंटी की तो छुट्टी कर दूँगी ऐसा सबक सिखाऊँगी के भूल जाएगी लड़कियों को बहकाना. मैं उसकी बात ख़तम होने तक चुप रहा और फिर उसको पूछा के कहीं वो लेज़्बीयन तो नहीं है. वो बोली के हां वो लेज़्बीयन है और मर्द उसको पसंद नही हैं. मैने कहा के तभी वो तुम्हे उल्टा सीधा पाठ पढ़ाती रही है पर अब तुम्हें सब पता लग ही गया है तो सब ठीक हो जाएगा. वो बोली के ये क्या बातें करने लगे गये हम, अब जल्दी से आगे का प्रोग्राम शुरू करो. मैं चाहती हूँ के अब तुम मुझे चोद कर जल्दी से वो मज़ा दो जिसके बारे में तुमने बता कर मेरी उत्सुकता बढ़ा दी है.

मैने उसको अपने साथ चिपका लिया और बोला के अभी लो मेरी जान मैं अभी तुमको वो मज़ा दूँगा जिसका तुम्हें इंतेज़ार है. फिर मैने पूरे जी जान से उसको उत्तेजित करना शुरू कर दिया. धीरे धीरे उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली के तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है यह मेरी चूत में कैसे घुसेगा. मैने कहा के देखती जाओ यह जो तुम्हारी चूत है ना यह एक जादू की डिबिया है और इसमे बहुत जगह होती है और इसमे मेरे लंड से भी मोटे लंड घुस सकते हैं. वो बोली के कैसे मैने कहा के यह खुल जाती है फिर कोई परेशानी नही होती. हां पहली चुदाई में ज़रूर दर्द होता है कुमारी झिल्ली फटने पर, लेकिन उसके बाद मज़ा ही मज़ा है. वो बोली के क्या मैं इसको चूम लूँ, यह बहुत प्यारा लग रहा है. मैने कहा के इसको चूमो ही नही इसको मुँह में लेके चूसो भी, मुझे बहुत अच्छा लगेगा. उसने मेरे लंड को मुँह में लिया और थोड़ा सा अंदर करके अपनी जीभ उस पर फिराने लगी और फिर मेरे लंड को चूसने लगी. मैने उसकी चूत में अपनी बीच की उंगली डाल दी और चूत के छेद पर चलाने लगा. उसकी चूत फिर गीली हो चुकी थी और मेरी उंगली उसकी चूत के छेद पर चलाने से उसकी चूत का छेद थोड़ा खुल गया और मैने अपनी एक उंगली और उसमे डाल दी और घुमाने लगा. बाहर मेरा अंगूठा उसके भज्नासे को रगड़ रहा था और उसकी उत्तेजना लगातार बढ़ती जा रही थी. थोड़ी देर में उसकी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी के उसके मुँह से ग……ओ……ओ…..न, ग…..ओ…..ओ…..न की आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं. मेरा लंड उसके मुँह में होने से वो स्पष्ट कुच्छ नही बोल पा रही थी.

मैं समझ गया के अब देर करना उचित नही है और मैने उसको सीधा करके लिटा दिया और उसकी टाँगों के बीच में आ गया. अपने लंड को हाथ में लेकर मैने उसकी चूत के मुहाने पर रगड़ना शुरू किया. उसकी थूक से गीला लंड उसकी चूत के स्राव से और गीला हो गया और बड़े प्यार से फिसलने लगा. मैने उसकी चूत के छेद पर अपने लंड को फ़साते हुए दबाव डाला और दबाता चला गया. मेरा लंड उसकी चूत के मुँह को खोलते हुए अंदर घुसा और जाकर सीधा उसकी कुमारी झिल्ली से जा टकराया. झिल्ली पर दबाव पड़ते ही वो चिहुनक गयी और उसके मुँह से एक आह निकली. दर्द हुआ क्या मैने पूछा? वो बोली नही दर्द तो नही हुआ पर बहुत भारी भारी लग रहा है. मैने कहा के अब जो मैं करने जा रहा हूँ उसमे तुम्हें दर्द होगा और बस उसके बाद तुम्हें कभी भी चुदवाने में दर्द नही होगा. और मैने उसको बातों में उलझा लिया और उसके मम्मे दबा कर तथा उसके भज्नासे को मसलकर उसकी उत्तेजना को बढ़ाते हुए उसके ध्यान को बटा दिया और एक ज़ोर का धक्का मार कर अपने लंड को उसकी चूत में जड़ तक घुसा दिया. उसकी ज़ोर की चीख निकली. उसकी कुमारी झिल्ली फॅट चुकी थी और उसकी चूत से खून निकलने लगा. मैं रुक गया और उसको प्यार करने लगा उसके मम्मे को मुँह में लेकर चुभलना शुरू कर दिया और उसके भज्नासे को भी मसलना जारी रखा. थोड़ी देर में ही उसकी आँखों और चेहरे से दर्द के भाव गायब हो गये और उनकी जगह मस्ती ने ले ली. उसस्की आँखों में लाल डोरे चमकने लगे और मुँह से आ……आ……ह, आ…..आ…..ह….. की आवाज़ें निकालने लगीं.

मैने अपना लंड दो इंच के करीब बाहर निकाला और वापिस उसकी चूत में पेल दिया. उसके मुँह से उ……..उ……..न……..ह की आवाज़ निकली, मैने दोबारा अपना लंड निकाल के वापिस डाल दिया और इसी तरह करने लगा. उसको भी मज़ा आना शुरू हो गया था और वो भी नीचे से हिलने लगी थी. मैने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी और लंड भी 3-4 इंच निकाल कर घुसाने लगा. आँचल की आँखें मूंद गयीं और वो अपनी गांद उठा कर मेरे लंड को जल्दी जल्दी अपनी चूत में लेने लगी. पता नही क्यों मुझे नीरू का ख़याल आ गया और मैं सोचने लगा कि उसको कोई परेशानी नही रहेगी अब. उसकी बेटी अब बिल्कुल नॉर्मल हो गयी है और चुदाई का पूरा मज़ा ले रही है. मैं यह सब सोच रहा था और पता ही नही चला के आँचल झाड़ गयी और उसने अपने हाथ मेरी पीठ पर कस्स दिए और जब उसके नाख़ून मेरी पीठ में गढ़े तो मुझे होश आया और मैं चौंक गया. क्यों क्या हुआ मज़ा आ रहा है, मैने पूछा? आ भी गया मुझे तो, वो बोली, और इतना ज़्यादा मज़ा आया है की पूछो मत. मैने कहा के अभी और भी आएगा तुम तैयार हो जाओ मैं तुमको अभी और ज़्यादा मज़ा देने वाला हूँ. वो बोली के देखो कहीं मैं मज़े में मर ही ना जाऊं. मैने उसको प्यार से समझाया के मरने की बात मत करो आज तो पहली बार मज़ा आया है, अभी तो तुमने बहुत बहुत मज़ा लेना है. आगे तुमको और भी ज़्यादा मज़े मिलेंगे.

फिर मैने उसको उत्तेजित करने के लिए अपने हाथ चलाने शुरू किए. मेरे हाथ उसके शरीर पर कोमलता से दौड़ रहे थे. और मेरे हाथों के कोमल स्पर्श से उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. मेरा लंड उसकी चूत में लगातार अंदर बाहर हो रहा था. उसकी चूत में झड़ने से जो गीलापन आने से जो फिसलन पैदा हो गयी थी वो 10-15 धक्कों के बाद काफ़ी कम हो गयी थी और अब मुझे घर्षण का भरपूर आनंद आ रहा था. मेरी भी उत्तेजना बढ़ने लगी. आँचल ने अपनी टाँगें उठाकर मेरी पीठ पर बाँध लीं और मेरे धक्कों का जवाब अपने गांद उठाकर देने लगी. फिर वो बोली की ज़ोर से चोदो. फाड़ दो मेरी चूत को. बहुत तड़पाती है यह मुझे. आज थोड़ा आराम मिला है तुम्हारी चुदाई से पर अब फिर फड़फड़ाने लगी है यह. मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और पूरे ज़ोर से धक्के लगाने लगा. उसकी चूत ने अब मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ाना शुरू कर दिया था और फिर थोड़ा सा स्राव छ्चोड़ देती और ढीली पड़ जाती. फिर कस्स जाती. फिर वो काँपने लगी और मैं समझ गया के फिर से झड़ने वाली है. मैने पूरी ताक़त लगाकर आँचल की चूत मारने लगा. वो झड़ी और उसके झड़ने पर उसकी चूत ने मेरे लंड को जाकड़ लिया और मैं भी दो धक्के मार के झाड़ गया और मेरे लंड ने वीर्य की एक ज़ोरदार पिचकारी उसकी चूत में छ्चोड़ दी और फिर 3-4 छ्होटी छ्होटी पिचकारियाँ और छ्चोड़ के शांत हो गया. आँचल भी निश्चल पड़ी हुई लंबी लंबी साँसें ले रही थी. मैं भी उसकी बगल में लेट गया और अपनी साँसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगा.

कुच्छ देर ऐसे ही पड़ा रहा मैं. फिर मैने आँचल की ओर करवट ली और उसका चेहरा निहारने लगा. बहुत शांति थी उसके चेहरे पर और उसके होंठों पर एक दिलकश मुस्कान उसकी सुंदरता को चार चाँद लगा रही थी. उसने अपनी आँखें आधी खोल कर मेरी ओर देखा और उसकी मुस्कुराहट और गहरी हो गयी. वो मेरी ओर पलटी और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बोली के आज का दिन वो कभी नही भूल पाएगी. आज उसने अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा और प्यारा मज़ा लिया है और यह कहकर उसने मुझे चूम लिया.

मैने भी उसको वापिस चूमा और उसको अपने साथ चिपकाते हुए भींच लिया. उसके मम्मे मेरी छाती में एक अनोखा दबाव डाल रहे थे. अनोखा इसलिए कि वो कोमलता से भरा हुआ एक सख़्त दबाव था जो विरोधाभास का परिचायक है. पर मुझे इसके अतिरिक्त शब्द नही मिल रहे उस दबाव के बारे में बताने के लिए.
 
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कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे. फिर मैने उसको उठाया और कहा के अब हमे चलना चाहिए. जैसे ही वो खड़ी हुई उसका शरीर लहरा गया. उसकी टाँगें जैसे उसका फूल सा बोझ भी सहने को तैयार नही थीं. मैने उसको सहारा दिया और फिर उठाकर बाथरूम में आ गया. फिर वही पुराना तरीका, हॉट वॉटर ट्रीटमेंट और उसके बाद कहीं वो बिना सहारे के खड़ी होने के काबिल हुई. अपने साथ लेके आई हुई दर्द की गोली उसको खिला दी और आंटी प्रेग्नेन्सी गोली भी उसको दी और कहा के कल नाश्ते के बाद खा लेना. उसके पूच्छने पर मैने उसको बताया की वो गोली क्या है और क्यों ज़रूरी है उसको लेना. वो बोली वाउ पूरी तैयारी के साथ आए थे. मैने कहा के मैं जानता था के वो समझदार लड़की है और इसलिए मान भी जाएगी. वो मुस्कुरा दी और फिर हम कपड़े पहन कर तैयार हो गये और मैने नीरू को फोन किया और बताया के आँचल बहुत समझदार लड़की है और मैने उसको सब समझा दिया है और वो समझ भी गयी है. फिर आँचल ने मेरे हाथ से फोन ले लिया और बोली हां मा तुम ठीक कहती थी के वो आंटी मुझे बहका रही है, अब देखना मैं उसका क्या करती हूँ. नीरू ने कहा के वहीं रूको मैं आ रही हूँ.

कुच्छ ही देर में नीरू वहाँ आ गयी और सबसे पहले उसने आँचल को गले लगाया और कहा के मैं जानती थी के मेरी बच्ची बहुत अच्छी है और राज शर्मा एक अच्छे टीचर हैं सो मेरी बेटी को समझा देंगे और उसकी ग़लतफहमी दूर कर देंगे. फिर उसने आँचल को पानी लाने के बहाने किचन की तरफ भेज दिया और उसके जाने के बाद मुझे बोली के राज तुम बहुत अच्छे दोस्त हो और आज तुमने मेरा वो काम किया है जिसके लिए मैं तुम्हें कभी भूल नही सकूँगी. मैने अर्थपूर्ण स्वर में उसको कहा के इसमे मेरा भी तो स्वार्थ था. वो समझ गयी और मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन हिला दी और बोली के काँटा निकालने के लिए सुई का इस्तेमाल तो करना ही पड़ता है और उसको तो यही खुशी है के सब ठीक हो गया है. आँचल पानी लेकर आ गयी, उसकी चाल में अभी भी थोड़ी लड़खड़ाहट थी जिसे देखकर नीरू मेरी ओर देखकर मुस्कुराई. फिर हम बाहर आ गये और आँचल नीरू की कार में बैठ गये और मैं अपनी कार में और वहाँ से निकल आए.

मैं घर आकर लेट गया और आराम करने लगा. लेटे हुए सोचने लगा जो कुच्छ अभी तक मेरे साथ हुआ था पिच्छले कुच्छ दिनों में. कितनी लड़कियाँ चोदि थीं मैने और सब की सब कुँवारियाँ. सबकी सील तोड़ी थी और उनको पहली चुदाई का मीठा अनुभव करवाया था. काफ़ी सोचने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा के इस इंटरनेट और आधुनिकता के दौर में लड़कियाँ चुदना तो चाहती हैं पर सही मौका नही मिलता या भरोसे का लड़का नही मिलता इस लिए डरती हैं. और इसी चक्कर में कयि क्लब और डिस्को आदि में जाकर ग़लत हाथों में पड़ जाती हैं कभी धोके से नशा कराके तो कभी ग़लत आदमी पर विश्वास करके और कठपुतली बन जाती हैं ग़लत लोगों की. मैने फ़ैसला किया कि मैं अब बड़ी होशियारी से नज़र रखूँगा हर जवान लड़की पर जो मेरे संपर्क में है चाहे स्कूल में चाहे वैसे और हर तरह से उनको अपने जाल में फँसाने काप्रयत्न करूँगा और उनको चोद के चुदाई का मज़ा दूँगा भी और लूँगा भी. और ख़याल रखूँगा की वो वासना के जाल में ना फँसें और संयमित चुदाई ही करें जब तक उनकी शादी नही हो जाती. इस तरह जितनी भी लड़कियों का भला हो सकता है करूँगा और साथ ही साथ अपना भी. यह विचार पक्का करके मैं आगे का प्रोग्राम बनाने लगा.

स्कूल मैं मैने सारी ट्यूबलाइट्स हटवा के उनकी जगह फॅन्सी कफ्ल लाइट्स लगवाने का फ़ैसला किया और उनकी फिटिंग्स के साथ साथ लड़कियों के वॉश रूम्स में और जिम और स्विम्मिंग पूल के श्वर्स में सीक्ट्व मिनियेचर कॅमरास फिट करवा दिए. हरेक बड़ी लड़की के आचरण पर नज़र रखने लगा. साथ ही मैने पर्फॉर्मेन्स चार्ट बना लिया उन लड़कियों का और उनकी मंत्ली असाइनमेंट्स की डीटेल्स उसमे भरनी शुरू कर दीं. इस तरह कोई 15-20 लड़कियाँ मेरे निशाने पर आ गयीं जो पढ़ाई में नीचे जा रही थीं और उनके आचरण भी शंकित करने वाले थे. जैसे कुच्छ लड़कियाँ शवर स्टॉल्स में हर वक़्त यही कोशिश करती रहती के वो किसी को छू लें या कोई उनको छू ले चाहे किसी भी बहाने से और ऐसा करते वक़्त उनके चेहरे तमतमा जाते या उनकी आँखें बता देती के वो कुच्छ और ही महसूस करने की कोशिश में हैं. वो और कुच्छ, कुच्छ और नही स्पर्श सुख ही तो है, जिससे वो प्राप्त करने की कोशिश कर रही थीं. मैं यह सारी रिपोर्ट्स बना कर अपने पास रख रहा था और सही वक़्त का इंतेज़ार कर रहा था.

कुच्छ दिन पहले दो जूनियर टीचर्स की शादी हो जाने के कारण मैने नयी टीचर्स की भरती के लिए आवेदन मँगवाए. आवेदन तो बहुत आए पर मैने कोई 10 लड़कियों को इंटरव्यू के लिए चुना था. इंटरव्यू में 8 लड़कियाँ ही आई थीं और 2 नही आ पाईं. सबसे आख़िर में जो लड़की आई उसका नाम तनवी था. उसका आवेदन मैने देखा तो पता चला के वो अभी एनटीटी कर रही थी और इसी साल कंप्लीट होनी थी. मैने उसको स्पष्ट शब्दों में कह दिया के मुझे खेद है के आपको नही रख सकते. जब आप न्ट कंप्लीट कर लें तो दोबारा आवेदन करना फिर देखेंगे. वो ये सुनकर बहुत मायूस हो गयी और ऐसा लगा के अभी रो देगी. मैने ऐसे ही पूछा के क्या बात है वो ठीक तो है? वो कुच्छ बोली नही बस सर हिला दिया, पर उसकी बेचैनी सॉफ दिख रही थी. मैं उठकर उसके पास गया और उसकी पीठ थपथपा कर उसको कहा के घबराओ मत मैं ध्यान रखूँगा के जब अगली बार तुम इंटरव्यू के लिए आओगी न्ट कंप्लीट करके तो तुमको ज़रूर नौकरी मिलेगी. वो मुस्कुरा दी और बोली की अगली बार तो पता नही कब आएगी और तब तक कुच्छ हो ना जाए उसके साथ. मैने कहा के बताओ क्या बात है डरो मत और खुल कर बताओ.

उसने अपनी दुख भरी कहानी सुनाई की उसके पापा की डेत हो चुकी है 3 महीने पहले और वो घर में सबसे बड़ी है और उसके 3 छ्होटे भाई बेहन भी हैं और उसकी मा ज़्यादा पढ़ी लिखी ना होने के कारण कोई नौकरी नही कर सकती. उसे इस नौकरी की बहुत ज़रूरत थी और वो नौकरी पाने के लिए कुच्छ भी करने को तैयार थी, पर जो भगवान को मंज़ूर है. कहकर वो खड़ी हो गयी और नमस्ते कर के बाहर जाने लगी. मैने कुच्छ सोचा और उसको कहा की टीचर तो नही पर अगर वो ऑफीस स्टाफ में काम करना चाहे तो मैं सोच सकता हूँ. वो वापिस आकर बैठ गयी और बोली के उसे मंज़ूर है. मैने कहा के सोच लो शुरू में तो उसकी सॅलरी टीचर की सॅलरी से बहुत कम होगी और उसको केवल 5000 ही मिलेंगे पर 6 महीने बाद उससे 7,500 मिलेंगे और साथ ही सारी सुविधाएँ भी मिलेंगी. वो बोली के वो कुच्छ भी काम करने के लिए तैयार है. मैने कहा के कुच्छ भी नही तुमको मेरी निजी सहयिका का काम करना होगा. मेरे सारे काम काज का, मेरी अपायंट्मेंट्स का और मेरी स्कूल की ज़िम्मेदारियों का ध्यान रखना होगा. काम आसान है लेकिन बहुत ज़िम्मेवारी का है. वो काम के साथ साथ अपनी न्ट भी कर सकती है.वो मान गयी तो मैने कहा के बाहर इंतेज़ार करो मैं तुम्हारा अपायंटमेंट लेटर बनवा देता हूँ. 3 दिन के अंदर ही उसको जाय्न करना होगा. वो बोली के मैं कल से ही जाय्न कर लूँगी. मैने कहा के ठीक है और उठ कर अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और बोला के तनवी मेरे स्टाफ में तुम्हारा स्वागत है.

वो खड़ी हुई और घूम कर मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली आपका बहुत धन्यवाद आप बहुत अच्छे हैं. मैं हंस पड़ा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा के मैं कोई अच्छा वछा नही हूँ पता नही क्या सोचकर मैने तुम्हें यह नौकरी दे दी है. वो थोड़ा चौंक गयी, उसकी आँखें भीग गयीं और फिर आकर मेरे सीने से लग गयी और रोने लगी. मैने उसको दिलासा दिया और कहा के देखो यह दुनिया है और यहाँ दुख सुख तो लगे रहते हैं इनसे घबराना नही चाहिए बल्कि डटकर मुक़ाबला करना चाहिए. वो थोड़ी संयत हुई और बाहर चली गयी. मैने उसकाअपायंटमेंट लेटर टाइप करवाया और उसको अंदर बुलाया. वो आई और मैने उस्स्को अपायंटमेंट लेटर दिया और कहा के एक कॉपी वो रख ले और दूसरी पर अपनी सहमति के रूप में अपने साइन कर दे.

और कोई काम तो था नही सो मैने उसको पूछा के वो देल्ही में किसके पास रह रही है? क्योंकि उसने अपना पर्मनेंट अड्रेस मेरठ का दिया था. उसने कहा के कोई पहचान वाले हैं उनके पास ट्रांस यमुना की किसी कॉलोनी में रह रही है. मैने ऐसे ही कहा के फिर तो उसको आने जाने में बहुत मुश्किल होगी और उसको न्ट की तैयारी भी करनी है. वो बोली कि मॅनेज तो करना ही पड़ेगा. मैने कहा कि एक सुझाव है मेरा अगर उसे ठीक लगे तो मान ले नही तो कोई बात नही. वो बोली की बताइए. मैने कहा के देखो अगर मुझ पर तुम्हे विश्वास है तो तुम मेरे घर में 2न्ड फ्लोर पर वन रूम सेट है वित इनडिपेंडेंट एंट्री, वहाँ रह सकती हो. मैं अकेला रहता हूँ पूरे घर में. इसी बहाने तुम्हारा साथ भी हो जाएगा और तुम्हारा सारा आने जाने का टाइम बचेगा. वो बोली के मुझे पूरा भरोसा है और मैं सनडे को शिफ्ट करूँगी पर जाय्न मैं कल से ही कर लूँगी. मैने कहा के तुम्हें कोई तकलीफ़ नही होगी और हां मैं किराया भी लूँगा तुमसे पर वो कॅश नही लूँगा. उसने प्रश्नावाचक दृष्टि से मेरी ओर देखा तो मैने हंस कर कहा के डरो नही तुम बस मुझे कभी कभी अपने हाथ से बना खाना खिला देना क्योंकि नौकरों के हाथ का बना खाना खाते खाते दिल ऊब जाता है. वो बोली के वो तो मैं रोज़ खिला दूँगी कभी कभी क्यों. मैने हंसते हुए कहा के नही कभी कभी ही ठीक रहेगा रोज़ नही, मुझे अपनी आदत खराब नही करनी है. बड़ी मुश्किल से तो नौकरों के हाथ का खाना खाने की आदत डाली है. वो भी हंस दी और बोली के चलो ठीक है जब भी दिल करे आप मुझे बता देना मैं बना दूँगी. फिर वो अगले दिन मिलने का कह कर चली गयी.

सनडे भी आ गया और तनवी ने शिफ्ट भी कर लिया. अब मैं थोड़ा तनवी के बारे में भी बता दूं. तनवी की एज थी 22 साल और गाथा हुआ सुडौल शरीर जिसका माप होगा 34-23-35. रंग उसका गेहुआ था और बड़ी आँखें, सुतवान नाक और गुलाब की पंखुरी जैसे होंठ. कुल जमा एक औसत से काफ़ी ज़्यादा सुंदर लड़की थी. पिच्छले दिनों मे उसके साथ हुई बातचीत से पता चला था कि उसके बाद उसकी दो छ्होटी बहनें थीं और भाई सबसे छ्होटा और 11थ क्लास में पढ़ता था. एक बेहन 12थ में थी और एक 2न्ड एअर बी.कॉम (हॉन्स) कर रही थी और तीनों अपनी मा के साथ मेरठ में अपने मकान में रहते तहे. उसके पिता सरकारी नौकरी में थे और उनकी फॅमिली पेन्षन आती थी पर इस महनगाई के दौर में घर खर्चा चलाने के लिए काफ़ी नही थी. इसलिए तनवी को नौकरी करनी पड़ी थी. मैने उसको तसल्ली दी थी के वो फिकर ना करे सब ठीक हो जाएगा. उसने कहा के आप की मेहरबानी से नौकरी और रहने का हो गया है तो उम्मीद है के सब ठीक हो ही जाएगा. मैने उससे गुस्से से कहा के दोबारा कभी मेहरबानी, थॅंक यू, सॉरी जैसे शब्द प्रयोग किए तो मैं उसको नौकरी से निकाल दूँगा. हम दोस्त हैं और दोस्ती में कोई थॅंक्स या सॉरी नही चलता. तो वो बोली के ठीक है नही कहूँगी कभी नही कहूँगी.

मेरा काम अब स्कूल में बहुत बढ़ गया था सारी रेकॉर्डिंग्स चेक करनी होती थीं और डीटेल्स नोट करनी होती थीं. मैने नोट किया कि एक लड़की जिस्का नाम था मिनी बहुत ज़्यादा दिलचस्पी ले रही थी दूसरी लड़कियों में. कभी किसी को कहती के यार ज़रा मेरी पीठ पर साबुन लगा दो या ऑफर करती के मैं तुम्हारी पीठ पर साबुन लगा देती हूँ और तुम मेरी पीठ पर लगा देना और साबुन लगाते उसके हाथ भी बहुत बहकते थे. साथ ही उसकी असाइनमेंट्स के मार्क्स का ग्रॅफ लगातार नीचे गिर रहा था. 80% से अधिक लाने वाली लड़की अब 70% के पास पहुँच चुकी थी. मैने उसकी क्लास लगाने का फ़ैसला किया और उसको बुलवा भेजा. वैसे मिनी मेरे घर के साथ ही दो मकान छ्चोड़ कर रहती थी.

मिनी एक औसत कद काठी की लड़की थी. 5’-4” और 32-22-30 के साथ उसका कुच्छ भी मुझसे छुपा नही था, थॅंक्स टू सीक्ट्व जो मैने लगवा रखे थे. मिनी डरते हुए आई और मैने उसको बैठने के लिए कहा. वो बैठ गयी और मैने उसको पूछा के उसकी पढ़ाई कैसी चल रही है? ठीक चल रही है उसने कहा. मैने कहा के उसके नंबर तो यह नही कहते के ठीक चल रही है. वो चुप हो गयी और मैने पूछा के कितनी देर पढ़ाई करती हो? जी 4 घंटे. मैने कहा के आज से 3 महीने पहले तक वो क्लास के टॉप स्टूडेंट्स में से थी और उसके 80% से अधिक नंबर होते थे और अब उसके 70% नंबर रह गये हैं तो इसका क्या कारण है? वो चुप रही. मैने उसे अपने पास बुलाया और उसकी पीठ पर हाथ रख के कहा के देखो डरो नही और मुझे अपना दोस्त समझ कर बताओ के क्या प्राब्लम है. अगर बतओगि नही तो मैं कैसे उस प्राब्लम को सॉल्व करूँगा. वो फिर भी कुच्छ नही बोली. मैने कहा के कंप्यूटर पर इंटरनेट पर कितना टाइम लगाती हो चाटिंग और नेट सरफिंग में? जी 2 घंटे. मैने कहा के इन 2 घंटों में अडल्ट साइट्स पर कितना समय लगता है. जी मैं ऐसा कुच्छ नही करती हूँ. मैने कहा के और कोई कारण है तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से हटने का तो बताओ? वो चुप रही तो मैने कहा के देखो अब तुम बड़ी हो गयी हो और तुम्हारी जिग्यासा भी बढ़ गयी है यह सब जानकारी लेने की तो इसमे कोई बुराई नही है. कम से कम मैं तो ऐसा नही समझता. तुम बिना किसी डर के मुझे अपना दोस्त समझ कर बताओ के यह सच है या नही? उसने अपना सर हां में हिला दिया.

मैने कहा के देखा मैने समझ ली ना तुम्हारी परेशानी? मैने उसका चेहरा ऊपेर करके उसकी आँखों में देखते हुए कहा के अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी कोई मदद करूँ? वो बोली के कैसे? मैने कहा के बताओ के तुम क्या जानकारी चाहती हो? वो बोली के सब कुच्छ. मैने पूछा के इंटरनेट पर तुम्हें कोई जानकारी नही मिली? उसने ना में सर हिलाया. क्यों, मैने पूछा? उसने कहा के घर में डर लगता है इसलिए च्छूप कर ही नेट सरफिंग करती हूँ पर फिर भी डरती हूँ के कहीं कंप्यूटर चेक कर लिया गया तो मैं पकड़ी जा सकती हूँ. मैने देखा के अब तक उसके निपल्स कड़क खड़े हो चुके थे और शर्ट के नीचे कुच्छ ना होने के कारण सॉफ दिख रहे थे. मैने अपना हाथ उसकी पीठ से ले जाकर उसकी साइड पर रख दिया और बोला के तुम्हारा ध्यान अब केवल इसी तरफ लगा हुआ है और यही कारण है के तुम अभी भी उत्तेजित होती दिख रही हो. नही ऐसी कोई बात नही है, उसने कहा. मैने हाथ और आगे सरकाके उसके मम्मे पर रख दिया और उसके निपल को उंगली और अंगूठे के बीच लेकर प्यार से मसल दिया और पूछा के अगर ऐसी बात नही है तो यह क्या है?
 
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वो काँप गयी तो मैने कहा के देखो मुझे दोस्त मान लिया है तो सच बोलो. झूठ बोलकर अपना और मेरा समय खराब मत करो. मेरा हाथ अभी भी उसके मम्मे की नाप तोल कर रहा था. मैने उसके मम्मे को हाथ में भर कर हल्का सा दबाव डाला और उसको कहा के अगर उसको मुझ पर विश्वास है और अगर वो मुझे अपना दोस्त समझती है तो वो स्कूल के बाद मेरे घर पर आ जाए तो मैं उसकी सारी उत्सुकता शांत कर दूँगा ताकि वो शांति के साथ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सके और अच्छे नम्बरो से पास हो कर अपना और स्कूल का नाम करे. उसने कहा के ठीक है और जाने लगी. जाते जाते उसने रुक कर पूछा कि क्या वो 3 बजे आ जाए? मैने कहा के हां 3 बजे ठीक रहेगा क्योंकि नौकर अपने रूम्स में चले जाते हैं आराम के लिए. उसने कहा कि वो 3 बजे के थोड़ा बाद में ही आएगी जब उसकी मम्मी सो जाएगी. मैने कहा के ठीक है. फिर वो चली गयी.

छुट्टी के बाद मैं घर आ गया और मिनी का इंतेज़ार करने लगा. 3 बजे मैं ड्रॉयिंग रूम में आ गया और दरवाज़ा खोल कर बैठ गया. 5 मिनट बाद ही मिनी आई और मैने उठकर उसको अंदर बुलाया और दरवाज़ा लॉक कर दिया. उसने एक ढीला सा टॉप और लेगैंग्स पहनी हुई थीं और टॉप में उसके निपल्स चोंच उठाए दिख रहे तहे. मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको अपनी स्टडी में ले आया. कंप्यूटर टेबल के सामने मैने जानबूझकर एक 2’X2’ का गद्देदार स्टूल रखा था जिस पर मैने उसको बिठा दिया. कंप्यूटर तो ऑन था और मैने उसको पूछा के वो क्या देखना चाहती है? फोटोस या वीडियो? उसने कहा के वीडियो. मैने पूछा के कैसा वीडियो बॉय-गर्ल या गर्ल-गर्ल या कोई और. वो चौंक गयी और पूच्छने लगी के गर्ल-गर्ल भी होता है? और इसके अलावा क्या होता है जो आपने कहा के कोई और? मैने कहा के बहुत कुच्छ होता है जैसे कि यंग गर्ल विथ एज्ड मॅन, यंग बॉय विथ एज्ड लेडी और गर्ल-गर्ल तो होता ही है. और इसके अलावा सॉफ्टकोर और हार्डकोर वीडियो होते हैं. वो क्या होते हैं उसने पूछा? मैने उसको बताया के सॉफ्टकोर होते हैं के लड़की को टॉपलेस तो दिखाया जाता है और उनको हिलते हुए ही शॅडोस में दिखाया जाता है आक्चुयल आक्षन नही दिखाते. और हार्डकोर में पूरे नंगे दिखाते हैं. आदमी लड़की की चूत को चाटता और चूस्ता है और लड़की भी लंड को मुँह में लेकर चूस्ति है और फिर उनकी चुदाई भी स्पष्ट दिखाई जाती है. वो शरम से लाल हो गयी और लाली उसके कानों तक दिखने लगी. मैने कहा के इसमे शरमाने की क्या बात है जब तुम यह सब देखने को तैयार हो तो इन शब्दों से क्यों शरम आ रही है? वो कुच्छ नही बोली.

मैने देखा के उसके निपल कुच्छ ज़्यादा ही कड़क होकर उसके टॉप में से बाहर निकले हुए थे जैसे उसको छेद कर बाहर आ जाएँगे. मैं उसके पीछे स्टूल पर ही बैठ गया और उसकी बगलों में हाथ डालकर उसके दोनो मम्मे अपने हाथों में पकड़ लिए और बोला के तुम तो बहुत उत्तेजित हो गयी हो और वीडियो देखकर तो और भी उत्तेजना बढ़ जाएगी. वो बोली कि आप हो ना आप को ही उत्तेजना को शांत करने के लिए कुच्छ करना पड़ेगा. मैने उसके मम्मे मसालते हुए कहा के बड़े मस्त मम्मे हैं तुम्हारे. वो हंस दी और मैने अपने हाथ नीचे ले जाकर उसके टॉप को ऊपर उठाया और सर से निकाल दिया. उसने नीचे कुच्छ नही पहन हुआ था. उसके मम्मे देख कर मुझे बहुत मज़ा आया. नाश्पति के आकार के और उसकी ही तरह टाइट मम्मे थे. जैसे दो नाश्पातिया लगी हों उसकी छाती पर और उनके सिरों पर उसके निपल्स जो बिल्कुल कड़क थे मीडियम साइज़ के मटर के दाने की तरह थे और अलग ही चमक रहे थे. मैने दोनो को अपने हाथों में लिया और मसल्ने लगा और उनके निपल्स को अपने अंगूठे और उंगली में लेकर रगड़ दिया. वो पीछे को हुई और उसने अपनी पीठ मेरी छाती से चिपका दी और अपना चेहरा ऊपर करके मेरे होंठों को किस करने लगी.

मेरे सहलाने और दबाने से उसके मम्मे और ज़्यादा अकड़ गये और ऐसे लग रहा था जैसे दो सख़्त नाषपातियां मेरे हाथो में हों और मैने उनको खाना चाहा. एक को मुँह में लिया तो उनका आगे का पतला हिस्सा मेरे मुँह में आ गया. ऐसे मम्मे मुँह में लेने का यह मेरा पहला अनुभव था. बहुत ही अच्छा लगा. मैने प्यार से अपनी जीभ उनपर रगड़ी और चूसने लगा. मिनी चिहुनक गयी और उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं. उसने मेरा सर अपने मम्मे पर दबा दिया और कहा के बहुत मज़ा आ रहा है और ज़ोर से चूसो. मेरे दूसरे हाथ को अपने हाथ से दबाकर बोली के इसको भी दबाओ बहुत अच्छा लगता है. मैने उसको समझाया के ये सब स्पर्श सुख है और इसका मज़ा लो. उसने पूछा कि वो क्या होता है? मैने कहा की मेरे छूने पर उसको जो मज़ा आ रहा है वो स्पर्श सुख ही तो है जो हम दोनो को अच्छा लग रहा है. और जब लंड उसकी चूत में जाकर अंदर बाहर होगा तो वो भी तो स्पर्श सुख ही होगा और उसमे बहुत मज़ा भी आएगा. वो बोली के वो तो कब से चाहती है ऐसा मज़ा लेना पर मौका ही नही मिलता. मैने कहा के आज पूरा मौका है जो वो चाहेगी और जैसे वो चाहेगी मैं उसको मज़ा दूँगा. फिर मैने कहा के वीडियो स्टार्ट करूँ. वो बोली के जब प्रॅक्टिकल ही कर लेंगे तो वीडियो की क्या ज़रूरत है? मैं हंस पड़ा और कहा की जैसी तुम्हारी मर्ज़ी और बात तो उसकी ठीक है.

मैं उसको उठाकर स्टडी रूम में ही रखे एक काउच पर ले आया और उसको कहा के अपने सारे कपड़े उतार दे. साथ ही मैने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. थोड़ी ही देर में हम पूरी तरह से नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए तहे. मैने काउच पर बैठ कर मिनी को अपनी टाँगों के बीच खड़ा कर लिया और उसकी नाभि पर अपना मुँह लगा के उसकी नाभि को अपनी जीभ से चाटने लगा. मेरे हाथों की आवारगी शुरू हो गयी और उसकी पिंदलियों के पीछे से सहलाते हुए उसकी जाँघो के पिच्छले हिस्से पर पहुँच गये. मेरी हथेलियाँ मिनी की जांघों के पीछे और उंगलियाँ अंदर की ओर सहला रही थीं. मिनी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. फिर मेरे हाथ थोड़ा ऊपेर की ओर बढ़े और उसके पुष्ट नितंबों पर आ गये. मस्त कर देने वाला अनुभव था. दोनो गोलाइयाँ चिकनी थीं और मैने उन्हें अपने हाथों से दबाकर उनकी सख्ती का अंदाज़ा लगाया. मैने हल्के हाथ से दोनो पर चपत लगाई और फिर उनपर प्यार से हाथ फेरा. मिनी ज़ोर से कसमासाई और मेरी पकड़ से छ्छूटने की कोशिश करते बोली के तडपा क्यों रहे हो? मेरी समझ में नही आ रहा के मुझे क्या हो रहा है पर मेरी बेचैनी और उत्तेजना दोनो बढ़ती जा रही हैं. जल्दी से कुच्छ करो मैं और बर्दाश्त नही कर सकती.

मैने अपने दोनो हाथों से उसकी गांद को पकड़ कर उसे ऊपेर को उठाया और उसकी टाँगें अपने दोनो ओर करके अपनी गोद में चढ़ा लिया. उसकी चिकनी गांद मेरे जांघों पर फिसलती हुई आगे आ गयी और मेरा टनटनाता हुआ लंड उसकी बिना बालों की चमकती चूत की दरार से सॅट गया. उसके मम्मे मेरी छाति से टकराकर थोड़े दबे और मुझे गुदगुदाने लगे. मेरे हाथ उसकी पीठ पर कस गये. उसने एक लंबी साँस लेकर जैसे हवा अपने सीने में भरने की कोशिश की. उसके मम्मे और ज़्यादा मेरी छाती में गढ़ने लगे. मैने उसकी गर्दन पर अपना मुँह रख दिया और उसकी उभरी हुई नस को अपनी जीभ से चाटने लगा. वो सिहर गयी और उसने अपनी बाहों में मुझे ज़ोर से भींच लिया. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में और दब गये और उसके निपल्स ऐसे चुभने लगे जैसे अभी छेद कर देंगे मेरी छाती में.

मैने अपने हाथ नीच लाकर उसकी गांद पर रख दिए और दबाकर अपने और पास करने की कोशिश की. मेरा लंड उसकी चूत की दरार पर और ज़्यादा दब गया. मैने अपना लंड उसकी चूत की दरार पर रगड़ना शुरू कर दिया. मिनी अब रह रह कर झुरजुरी ले रही थी. उसकी चूत से निकले स्राव से मेरा लंड गीला हो रहा था और उसकी चूत की दरार में बड़े प्यार से फिसल रहा था. मैने उसके एक मम्मे को अपने मुँह में भर लिया और चुभलाने लगा. दूसरे मम्मे को मेरे हाथ ने सहलाना और मसलना शुरू कर दिया. फिर मैने मिनी को कहा के थोड़ा पीछे हो कर अपने घुटनों पर आ जाए. वो थोड़ा पीछे को हुई और अब उसकी गांद मेरे घुटनों पर टिकी थी. मैने अपने बायें हाथ के अंगूठे से उसके भज्नासे को सहलाना शुरूकिया तो वो उच्छल पड़ी और बोली के हाए यह क्या कर रहे हो बहुत करेंट जैसा लग रहा है. मैने कहा के मज़ा लूटो. आनंद लो. मैने अपने लंड को अपने दायें हाथ में लिया और सुपारे को उसकी दरार में दबा के फेरने लगा. उसकी चूत अब रह रह कर झटके खा रही थी और पनिया रही थी. मेरे लंड का सुपरा उसके स्राव से पूरी तरह गीला हो गया था और उसकी दरार में दबाव के बावजूद फिसल रहा था. मैने उसकी चूत के छल्ले पर अपने लंड का सुपरा टीका दिया और अपने हाथ से दबाव भी बढ़ा दिया. टक्क करके सुपरा उसकी चूत को फैला कर अंदर घुस गया और मैने अपने हाथ से लंड को उसकी चूत में घुमाने का प्रयत्न किया.

मिनी आआआआआआआः, आआआआआआआआः कर उठी और तेज़ तेज़ साँस लेने लगी. घुमाते हुए मैं अपने हाथ से लंड को अंदर भी डालने की कोशिश कर रहा था. थोड़ा थोड़ा करके ही सही पर मेरा लंड उसकी चूत में घुसकर उसकी कुमारी झिल्ली से जा टकराया. रुक जाओ वो बोली अब दर्द होने लगा है. मैने कहा के मिनी पहली बार चुदवाने पर दर्द तो होता ही है और उसके बाद मज़ा ही मज़ा है. मैं पूरी कोशिश करूँगा के तुम्हें ज़्यादा दर्द ना हो पर होगा ज़रूर और अगर असली मज़ा लेना हा तो यह दर्द तो सहना ही पड़ेगा. वो कुच्छ नही बोली तो मैने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर उतने तक ही अंदर डाल दिया और 5-6 बार ऐसे ही किया. हर बार मेरा लंड थोड़ा सा बाहर आता और फिर उसकी कुमारी झिल्ली के पास पहुँच कर रुक जाता. मिनी को मज़ा आने लगा और मैने उचित मौका जानकार उसकी गांद पर अपने दोनो हाथ मज़बूती से रखते हुए नीचे से एक करारा धक्का मारा. मेरा लंड उसकी कुमारी झिल्ली को फड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया. हाआआआआआअए माआआआआआआआआ माआआआआआऐं मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गइईईईईईईईईई, वो ज़ोर से चीखी.

मैने उसकी गांद को कस के पकड़ा हुआ था इसलिए वो कुच्छ कर नही सकी. उसकी आँखों से आँसू बहने शुरू हो गये. मैने उसको तसल्ली दी के बस हो गया. अब तुम्हारी चूत में लंड घुस चुक्का है और जो भी दर्द होना था हो गया और अब थोड़ी ही देर में ये दर्द कम हो जाएगा और फिर तुझे वो मज़ा आएगा जिसके लिए तू तड़प रही थी. फिर मैने उसके मम्मे पकड़ कर उन्हें दबाना और मसलना शुरू कर दिया और कभी एक को मुँह में लेकर चुभलता तो कभी दूसरे को. मिनी पर अब फिर मस्ती छाने लगी थी और उसका दर्द भी काफ़ी हद तक कम हो गया था. फिर मैने उसकी गांद पर अपने हाथ दुबारा जमाए और उसको थोड़ा सा ऊपेर को उठाया. उसके खून से सना मेरा लंड 2-3 इंच बाहर आ गया. मैने धीरे से उसको नीचे होने दिया तो लंड वापिस चूत में घुस गया. 5-6 बार ऐसा करते मिनी को मज़ा आना शुरू हो गया और वो अपने घुटनों पर ज़ोर देकर खुद ही अपनी चूत को मेरे लंड पर ऊपेर नीचे करने लगी. अब मेरा लंड 5-6 इंच बाहर आकर उसकी चूत में घुस रहा था. उसकी चूत के कसाव से मुझे घर्षण का जो मज़ा मिल रहा था वो मैं शब्दों में बयान नही कर सकता.

मैं भी नीचे से अपनी गांद उचककर लंड को मिनी की चूत में घुसा रहा था और वो ऊपेर नीचे हो कर लंड को चूत में ले रही थी. हमारी रफ़्तार बहुत तेज़ हो गयी और थोड़ी ही देर में मिनी झाड़ गयी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. वो निढाल होकर मुझ पर गिर गयी और उसने मुझ पर छ्होटे छ्होटे चुंबन बरसा दिए. फिर वो बोली के इतना मज़ा आया है के पूच्छो मत. फिर वो बोली के उसे बहुत तेज़ पेशाब लगी है. मैं उसकी चूत में लंड डाले हुए ही उसको उठाकर स्टडी के साथ लगे मेरे बेडरूम में ले आया और अटॅच्ड बाथरूम में पहुँच गया. मैने मिनी को सीट पर बिठाते हुए ही अपना लंड बाहर निकाला. मेरा लंड एक पोप की आवाज़ के साथ बाहर निकला और उसकी चूत में से थोड़ा सा लाल पानी बाहर आया.

मिनी ने मूतने के बाद अपनी चूत को पानी से अच्छी तरह धोया और फिर मेरे लंड को भी पानी से धोकर साफ कर दिया. मैने एक टवल लेकर दोनो को पोंच्छा और हम दोनो बाथरूम से निकल कर बेडरूम में आ गये. मिनी मेरे आकड़े हुए लंड को देखकर बोली के क्या यह ऐसे ही आकड़ा रहता है? मैने तो सुना था कि चुदाई के बाद यह ढीला हो जाता है. मैने कहा के ढीला तो यह भी होता है पर अभी यह झाड़ा नही है इसीलिए खड़ा है. चुदाई में तुम्हें तो मज़ा आ गया और तुम झाड़ गयीं पर यह अभी पूरा मज़ा नही ले पाया है इसीलिए अभी खड़ा है कहते हुए मैने उसको अपनी ओर खींचा और उसके मम्मे सहलाने लगा तो वो बोली के अब क्या इरादा है? मैने कहा के मेरे लंड को भी तो शांत करना है. वो शोखी से बोली के यह कैसे शांत होगा? मैने कहा के चुदाई से. मिनी ने पूछा के क्या फिर से चोदोगे मुझे? दर्द नही होगा? मैने कहा के अब तुम्हे कभी भी दर्द नही होगा बल्कि और ज़्यादा मज़ा आएगा.

मिनी ने मेरे लंड को हाथ में लिया और बोली के चोदना है तो जल्दी से चोद लो देर हो गयी तो मम्मी जाग जाएँगी और कयि सवाल करेंगी. मिनी की बात सुनकर मेरी हँसी निकल गयी और मैं उसको लेकर बेड पर आ गया. मैने उसके मम्मे चुभलाने शुरू कर दिए और मेरे हाथों ने अपनी आवारगार्दी. उसके पूरे जिस्म का लेखा जोखा कर रहे थे मेरे हाथ. कभी उसकी जांघों, कभी उसकी चिकनी गांद को सहलाते और कभी उसकी बिना बालों की चूत पर दस्तक देते. कुच्छ ही देर में मिनी फिर से चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गयी. मैने उसको घोड़ी बनाकर चोदने की सोची और उसको घुटनों पर बैठके आगे झुकने को कहा और मैं उसके पिच्छवाड़े में आ गया. वो समझी के मैं उसकी गांद मारने लगा हूँ तो उसने अपने दोनो हाथ पीछे कर लिए और बोली के नही वहाँ मत करना.
 
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मैने मिनी को तसल्ली दी और कहा के घबराओ मत मैं तुम्हारी गांद नही मारूँगा और ना ही मुझे शौक है गांद मारने का. मैं पीछे से तुम्हारी चूत में लंड डाल कर तुम्हें चोदून्गा. उसने डरते डरते अपने हाथ हटाए और मैने उसकी चूत पर लंड रख के ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में घुस गया. वो झटके से आगे हुई पर मेरे हाथों की उसकी गांद पर पकड़ ने उसको आगे नही होने दिया. उसने कहा के आराम से डालो ना पहले कितने प्यार से डाला था. मैने कहा के पहले तुम्हारी चूत बिना चुदी थी और अब चुद चुकी है और थोड़ा ज़ोर काधक्का सह सकती है. फिर मैने धक्के लगाने शुरू कर दिए.

अपने हाथ मैने उसकी गांद से हटाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और उनको दबाने और मसल्ने के साथ साथ उसकी चूत मारनी भी चालू रखी. मिनी को मज़ा आना शुरू हो गया था और वो खुद ही आगे पीछे होने लगी. तेज़ तेज़ और ज़ोर से चोदो मुझे वो बोली तो मैने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. उसकी सिसकारियों का संगीत कमरे में गूंजने लगा. थोड़ी ही देर में वो बोलने लगी के हाए रे यह कैसा मज़ा है मुझसे बर्दाश्त भी नही हो रहा और मैं इसको ख़तम भी नही होने देना चाहती. यह लंड नही कोई जादू का डंडा है जिसने मेरी चूत की प्यास बुझाकर उसमे आग लगा दी है. फाड़ दो मेरी चूत को बहुत सताया है इसने मुझे. हाए और ज़ोर से चोदो. लगा दो जितना ज़ोर है सारा. ऐसे ही बोलते हुए वो माआआआऐं गाआआआआाआआइईईईईई कहते हुए झाड़ गयी और उसके झड़ने पर उसकी चूत के मेरे लंड को जाकड़ लेने से थोड़ी देर में मैं भी झाड़ गया. मेरे लंड से निकला वीर्य की गरम बौच्चारों ने उसकी चूत पर आग में घी का काम किया और वोकाँपते हुए फिर से झाड़ गयी. मैने अपना लंड बाहर निकाला और बेड पर ढेर हो गया. वो भी मेरे बराबर में लेट गयी और अपनी साँसों परकाबू पाने की कोशिश करने लगी. थोड़ा संयत होने पर उसने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और बोली के मैं तो कभी सोच भी नही सकती थी के चुदाई में इतना मज़ा आता है.

मैने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बोला के देखो मिनी अब तुम चुदाई के बारे में सब कुच्छ जान चुकी हो और तसल्ली से चुद भी चुकी हो, इसलिए अब तुम्हारा ध्यान हर वक़्त इसकी तरफ नही रहना चाहिए. अब तुम इसको कुच्छ दिनों के लिए भूल ही जाओ तो अच्छा है और अपना पूरा ध्यान पढ़ाई की ओर लगाओ ताकि तुम्हारे अच्छे नंबर आयें और तुम्हारा और स्कूल का नाम हो. फिर मैने उसको अपनी एक महीने में एक बार चुदाई की थियरी के बारे में बताया और वो समझ भी गयी. हम उठ कर बाथ रूम में गये और अपनी अपनी साफ सफाई करके बाहर आ गये और मिनी जाकर स्टडी से हमारे कपड़े ले आई. हमने कपड़े पहने और मैने उसको एक पेन किल्लर गोली खिला दी और एक आंटी प्रेग्नेन्सी टॅबलेट उस्स्को देकर समझा दिया के क्यो वो इसको कल नाश्ते के बाद खा ले. उसने प्रॉमिस किया के वो अब एक महीने से पहले चुदाई के बारे में सोचेगी भी नही और पूरे ध्यान से अपनी पढ़ाई करेगी. फिर वो चली गयी. मैं वहीं बेड पर लेट गया और सोचने लगा के मेरा तरीका काम कर गया और आगे भी करता रहेगा. लेटे लेटे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला.

मेरी नींद खुली 6-30 बजे शाम को जब नौकर ने आकर मुझे उठाया और कहा के तनवी जी आई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं. मैने ऐसे ही नींद में कह दिया के यहीं बुला लो. वो गया और थोड़ी देर में ही मुझे तनवी की आवाज़ सुनाई दी के क्या बात है तबीयत तो ठीक है तुम्हारी जो इतनी देर तक सो रहे हो? मैं चौंक के उठा और बोला के नही ऐसी कोई बात नही है ज़रा सा सर भारी हो रहा था सो अब सोने के बाद ठीक है. आओ बैठो खड़ी क्यो हो, मैने पूछा? वो अंदर आ गयी और एक चेर पर बैठ गयी और बोली के लाओ मैं थोड़ा सर दबा दूं, तुम नही जानते मेरे हाथों में जादू है. अभी दो मिनिट में बिल्कुल ठीक हो जाओगे. मैं बोला के कहा ना ठीक हो गया है बस अब थोड़ा नीचे जिम में एक्सर्साइज़ करूँगा तो बिल्कुल ठीक हो जाएगा. वो चौंक के बोली के नीचे कौनसा जिम है? मैने कहा के नीचे बेसमेंट में मेरा अपना पर्सनल फुल फ्लेड्ज्ड जिम है. वो बोली के पहले क्यों नही बताया, मैं तो सोच ही रही थी के कोई जिम जाय्न कर लूँ ऐसे तो मोटी हो जाऊंगी. चलो मुझे भी दिखाओ.

मैं उठा और तनवी को लेके नीचे बेसमेंट में आ गया. अंदर आते ही तनवी मशीन्स देख कर बहुत खुश हुई और बोली के यहाँ तो सारी अड्वॅन्स्ड मशीन्स लगी हुई हैं जो किसी बहुत अच्छे जिम में भी सारी तो मुश्किल ही होती हैं. मैने कहा के मेरे पास सारी अच्छी मशीन्स ही मिलेंगी. जैसे ही कोई नयी मशीन या किसी मशीन का कोई अड्वॅन्स्ड मॉडेल आता है मैं पुरानी मशीन रीप्लेस कर देता हूँ. वो बोली के मेरा तो बहुत अच्छा वर्काउट हो जाया करेगा जिसके बिना मैं तो अपने आप को अधूरा समझने लगी थी. फिर हम वर्काउट करने लगे. मैं 45 मिनट ही वर्काउट करता था और वो मैने किया बिना तनवी की तरफ ध्यान दिए. उसके बाद मैं एक कुर्सी पर बैठ के उसको देखता रहा. वो तो एक एक्सपर्ट की तरह वर्काउट कर रही थी और पूरा एक घंटा वर्काउट करने के बाद ही वो रुकी. उसके वर्काउट लड़कियों के हिसाब से ही थे यानी लाइट. क्योंकि लड़कियों को कोई बॉडी बिल्डर्स की तरह अपने मसल्स या एबेस तो बनाने नही होते. मैने उसको कॉंप्लिमेंट किया वो तो बहुत अच्छे से वर्काउट करती है बिल्कुल एक्सपर्ट्स की तरह. उसने कहा के हां मैं काई सालों से वर्काउट कर रही हूँ. मैने कहा के तभी उसकी बॉडी वेल टोंड अप है और कहीं पर भी किसी तरह का भी फ्लॅब नही है. वो हंसते हुए बोली के यह कब देख लिया? मैने कहा के देख तो पहले दिन ही लिया था. बड़ी क्ष-रे नज़र है जो ढका हुआ भी सब देख लेती है. मैने कहा के लिफ़ाफ़ा देख के मजमून भाँप लेते हैं, पूरी चिट्ठी खोल के देखना कोई ज़रूरी है? वो हंस पड़ी और बोली के यह बात तो है.

फिर हम ऊपेर आ गये. वो ऊपेर अपने कमरे में जाने लगी तो बोली के आज मेरे साथ खाना खाएँगे? मैने भी पूच्छ लिया के आज ख़ास क्या है? तो उसने कहा के आज उसने अपनी फॅवुरेट डिशस बनाई हैं और उसे पूरी उम्मीद है के मुझे भी पसंद आएँगी. मैने कहा के चलो ठीक है देख लेते हैं की तुम्हारी फेवराइट्स क्या हैं और कैसा खाना बनाती हो. वो बोली के कब तक आएँगे ऊपेर? मैने कहा के मैं तो अभी आ जाता पर वर्काउट के बाद नहाना ज़रूरी होता है, सो अभी नहाने के बाद आता हूँ 20-25 मिनट में. मोस्ट वेलकम कह के वो ऊपेर चली गयी और मैं भी नहाने चला गया.

जल्दी से नहा के मैने एक कुर्ता-पाजामा पहना और ऊपेर चला गया. छत पर वन रूम सेट ही बना हुआ था लेकिन उसस्के साथ साथ पूरी लंबाई में शेड था जिसपर फाइबर की शीट्स थीं और नीचे मिट्टी डलवा के घास लगी थी. डाइरेक्षन ऐसी थी की शाम को शेड की छाया करीबन पूरी छत पर आ जाती थी और एक गार्डन का एहसास होता था. मैं जब ऊपेर पहुँचा तो तनवी नहा के आ चुकी थी और इस वक़्त उसने एक पतला सा लूस टॉप और नी लेंग्थ स्प्लिट स्कर्ट जैसा कुच्छ पहना हुआ था जिसमे से उसकी गोरी पिंदलियाँ और आकर्षक घुटने दिख रहे थे और वो अपने बॉल ब्रश करके सुखाने की कोशिश कर रही थी. हाथों के झटकों से टॉप में मचल रही उसकी गोलाइयाँ देख कर मैं समझ गया के उसने ब्रा नही पहनी थी.

मुझे देख कर उसकी आँखों में एक चमक और होंठों पर एक दिलकश मुस्कान उभर आई. छत पर बने उस बगीचे में गार्डेन चेर्स और बेंच रक्खे हुए थे. उन्ही में से एक बेंच की ओर बढ़ते हुए उकी मुझे स्वागतम कहा और बैठ गयी. मैं भी उसकी बगल में बैठ गया. वो बोली की कुर्ते पाजामे में तो बहुत हॅंडसम लग रहे हो. क्यों क्या मैं वैसे हॅंडसम नही हूँ, मैने चुटकी ली. उसने कहा की नही नही ऐसी बात नही है मैं तो यह कह रही हूँ के इसमे ज़्यादा हॅंडसम लग रहे हैं. मैने मुस्कुरा के उसको थॅंक्स कहा. वो खड़ी हो गयी और बोली के आप बैठो मैं कुछ ठंडा लेकर आती हूँ और अंदर चली गयी. मैं पीछे से उसकी भरी हुई गांद का मटकना देखता रहा. पता नही क्यों मुझे लग रहा था के आज कुछ होने वाला है. उसके हाव भाव बता रहे थे के वो कुच्छ कहना चाह रही है पर कह नही पा रही है. मैं अपनी ओर से कोई पहल नही करना चाहता था क्योंकि अभी तक कोई पक्का इशारा मुझे नही मिला था उसकी तरफ से और मैं जल्दबाज़ी के तो बहुत खिलाफ हूँ और दूसरी बात यह भी थी के वो यह ना समझे के मैं उसकी नौकरी की मजबूरी का फयडा उठाने की कोशिश कर रहा हूँ. उसस्के यहाँ आकर रहने के बाद मैं पहली बार ऊपेर आया था और वो भी उसके बुलाने पर.

वो एक ट्रे में दो गिलास और एक जग लेकर आई और बेंच के सामने रखी टेबल पर ट्रे रख दी और दोनो गिलास एक शरबत से भर दिए. मैने एक गिलास उठाया और एक सीप लिया और चौंक गया. बहुत ही टेस्टी शरबत था. कुच्छ मिलाजुला सा जाना पहचाना स्वाद लेकिन मैं समझ नही पाया के यह कौनसा शरबत है. मैने थोड़ा बड़ा घूँट भरा और उसको थोड़ी देर मुँह में रख कर धीरे धीरे पिया. फिर भी मुझे नही समझ आया के यह क्या है. तनवी मेरी ओर देख कर थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली के परेशान मत होइए यह हमारे घर की निजी रेसिपी है इसलिए आप इसको नही पहचान सकेंगे. यह मेरी दादी ने मुझे सिखाया था और खुस और गुलाब का मिला जुला शरबत है जो घर पर ही तैयार किया जाता है. कोई रेडीमेड आर्क़ नही डाला हुआ है इसमे. मैने कहा के बहुत लाजवाब स्वाद है इसका और अंदर तक ठंडक पहुँचा देता है. मैने गिलास खाली करके रखा तो तनवी ने उससे फिर आधा भर दिया और बोली के दादी कहा करती थी के इसको सिर्फ़ एक गिलास ही पीना चाहिए और फिर भी दिल करे तो आधे गिलास से ज़्यादा नही. मैने फिर अपना गिलास उठा लिया और धीरे धीरे पीने लगा. शरबत इतना स्वाद लग रहा था के दिल कर रहा था के यह ख़तम ही ना हो. उसने भी अपना गिलास खाली किया और फिर ट्रे और खाली गिलास उठा कर अंदर ले गयी.

वो वापिस आई और मुझसे पूछा के खाना कितनी देर में लेंगे. मैने कहा के कोई जल्दी नही है. वो आकर फिर मेरे पास बैठ गयी. फिर मैने ही बात शुरू की और उसको पूछा के दिल तो लग गया ना उसका नयी जॉब और नयी जगह पर? और कोई तकलीफ़ तो नही है उसको यहाँ रहते? वो बोली के दिल भी लग गया है और आपके होते मुझे कोई तकलीफ़ कैसे हो सकती है? मैने उसको कहा के देखो यह आप-आप कहना मुझे पसंद नही है, ऑफीस में भी ज़्यादा से ज़्यादा राज सर कह सकती हो और यहाँ मुझे केवल राज और आप की जगह तुम कहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा. उसने कहा के ठीक है अब से राज ही कहूँगी पर ऑफीस में तो राज सर के अलावा कुच्छ नही कह सकूँगी. मैने काहा के ठीक है चलेगा.

कुच्छ देर हम चुप रहे और फिर तनवी ही चुप्पी को तोड़ते हुए बोली के राज मैं कुच्छ बात करना चाहती हूँ पर समझ नही आ रहा के कैसे और कहाँ से शुरू करूँ? मैने मुस्कुराते हुए कहा के कोई भी प्राब्लम है तो बेझिझक मुझे बताओ और कोई और बात है तो बिना किसी भी डर के मुझे बताओ और कैसे भी शुरू करो मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता पर पूरी बात ही बताना, आधी अधूरी नही. उसने कहा के प्राब्लम तो कोई भी नही है और कोई बहुत खास बात भी नही है और कुच्छ है भी पर चलो मैं बताती हूँ और मेरे तरीके से मेरी बात पूरी हो जाने पर ही मुझसे कुच्छ पूच्छना और प्लीज़ बीच में मत टोकना, मैं अपनी बात नही कह पाऊँगी. मैने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसकी आँखों में देखते हुए उसे तसल्ली देते हुए कहा के बोलो क्या बात है तुम भी रुकना नही जो कहना है सॉफ सॉफ कहना और डरना बिल्कुल नही. उसने कहा के ठीक है मैं ऐसे ही अपनी सारी बात कह दूँगी.

मैने अपना हाथ उसके कंधे से हटा लिया और उसकी बात सुन-ने के लिए तैयार हो गया. उसने शुरू किया मेरे बारे में बताकर के कैसे उसको मेरे सारे हालात का पता चला है और पहले स्टडी टाइम में मैं कैसा था फिर शादी के बाद कैसा बदल गया था फिर मेरी ट्रॅजिडी और उसके बाद मेरा शादी ना करने का फ़ैसला जिसे वो ग़लत नही मानती. फिर उसने मुझे बताया के वो कुच्छ समझ नही पाई है मेरे आज कल के बिहेवियर के बारे में क्योंकि कुच्छ भी स्पष्ट नही है उसके सामने जिस पर वो पॉइंट आउट कर सके पर उसको लगता है के कुच्छ है जो उसके लिए अभी छुपा हुआ है. इसको मैं उसकी 6थ सेन्स कह लूँ या कुच्छ और पर उसको यह लगता है के मेरे बारे में उसे काफ़ी कुच्छ समझना बाकी है. और वो इसलिए के वो मेरी पर्सनल असिस्टेंट है और मेरे ही घर में रह रही है तो वो यह चाहती है के वो मुझे पूरी तरह से जान ले. अगर मैं चाहूं तो उसके साथ सब कुच्छ शेर कर सकता हूँ. जो भी मैं उसको बताना चाहूं वो उसे समझेगी और वो उस तक ही सीमित रहेगा जैसे दोस्तों में रहता है. उसे बहुत उम्मीद ही नही है यकीन है के वो मेरी दोस्ती के काबिल है.
 
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मैने बहुत हैरान था और सोच रहा था के यह लड़की क्या चीज़ है जो मेरा फ़ॉर्मूला मुझ पर ही चला रही है और इसको क्या-क्या पता है कहीं ये मुझसे कुच्छ च्छूपा तो नही रही? यह असल में चाहती क्या है? मैने हाथ उठा कर उसको रोका और पूछा के वो और क्या जानती है, और ऐसा विचार उसके मन में कैसे आया? वो मुस्कुराई और बोली के मैं नही जानती. मैं तो पहले दिन से ही बता चुकी हूँ कि यह नौकरी पाने के लिए मैं कुच्छ भी करने को तैयार थी पर तुमने कोई गौर ही नही किया और कोई भी ऐसी वैसी बात नही की बल्कि मुझे यहाँ रहने की जगह भी दे दी वो भी बिना किसी लालच के. फिर भी जाने क्यों मुझे लगता है कि तुम्हारा कोई और पहलू भी है जिसे मैं नही जानती और चाहती हूँ की अगर कुच्छ है तो उसे बता दूं अगर उसको इश्स लायक समझू तो, कहते हुए वो कुच्छ गंभीर हो गयी.

मैने उससे कहा के अगर उसकी बात ख़तम हो गयी हो तो मैं कुच्छ कहूँ. उसने कहा के हां वो अपनी बात कह चुकी और मेरे जवाब के लिए तैयार है. मैने मुस्कुराते हुए कहा के मेरी बात पूरी कहने में टाइम लग जाएगा इसलिए पहले खाना खा लें उसके बाद बात करें तो कैसा रहेगा? वो चौंक गयी और घड़ी देखने लगी और बोली के बिल्कुल ठीक है पहले पेट पूजा पीछे कम दूजा. खाना यहीं बाहर या अंदर? मैने कहा के यहीं ठीक है. और वो गयी और 10 मिनट में ही खाना लगा दिया और हमने खाना शुरू किया. खाना बहुत ही बढ़िया बना था और जैसे एक-एक चीज़ उसने बहुत खास बनाई थी. मैने उसके खाने की तारीफ की और यह भी कहा के मैं तो महीने में एक बार से ज़्यादा उसके हाथका खाना नही खा सकता और अगर खाया तो फिर नौकरों के हाथ का खाना मुश्किल हो जाएगा. वो हंस पड़ी और बोली के जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. मैं तो रोज़ भी खिला सकती हूँ. मेरा क्या है एक की जगह दो का खाना बनाने में कोई भी एक्सट्रा मेहनत नही लगेगी. खाना ख़तम किया तो वो स्वीट डिश ले आई और वो भी उन्नकि फॅमिली रेसिपी थी उसकी नानी की सिखाई हुई स्पेशल नेवाबी फिरनी. मैने कहा के क्या बात है आज इतनी ज़्यादा मेहरबान क्यों हो रही हो मुझ पर शुरू भी और आख़िर भी स्पेशल रेसिपी के साथ. वो बोली के पहली बार खाना खिला रही हूँ तो याद तो रहना चाहिए ना कि कुच्छ स्पेशल था. फिर उसने बर्तन समेटे और आकर मेरे पास बैठ गयी.

मैने बोलना शुरू किया. तनवी जैसे कि तुम्हे मेरी पिच्छली ज़िंदगी के बारे में तो पता चल ही गया है की शादी के पहले मैं कैसा था और शादी के बाद मैं कैसा था. अचानक हुए हादसे ने मुझे तोड़ के रख दिया था और मैने खुद को अपने बच्चो में और अपने काम में बिज़ी कर लिया था और मुझे किसी और बात की कोई होश नही थी. मेरी सेक्स की भूख भी ना जाने कहाँ खो गयी थी. दोबारा शादी ना करने का फ़ैसला मेरा खुदका था और मैं उस पर आज भी अटल हूँ. फिर एक दिन एक घटना ने जैसे मुझे नींद से जगा दिया. सेक्स की मेरी सोई हुई इच्छा जाग गयी और मैं अपने आप को रोक नही पाया. एक बात मैं यहाँ पर स्पष्ट कर दूँ के शादी के पहले भी और अब कुच्छ महीनों से मैं जिन लड़कियों के संपर्क में आया हूँ किसी पर भी मैने कोई भी, किसी तरह का भी दबाव नही डाला है, कोई लालच नही दिया है, किसी भी मजबूरी का फयडा नही उठाया है. जो भी लड़की मेरे संपर्क में आई है पूरी तरह से अपनी मर्ज़ी से आई है और अच्छी तरह से समझ बूझ कर आई है. मैने उनकापूरा साथ दिया है और देता रहूँगा एक अच्छे दोस्त की तरह. वी आर अडल्ट्स और अपनी मर्ज़ी से अगर अपनी किसी भूख को मिटाना चाहते हैं तो मैं किसी भी तरह से इसको ग़लत नही समझता. मैने हमेशा उनको सेक्स से विमुख रहने की तो नही पर लिमिट में करने की सलाह दी है और अब तक तो मैं सफल भी रहा हूँ. अब मेरा सोचने का और देखने का तरीका भी बदल गया है और फ्रॅंक्ली स्पीकिंग हर सुन्दर लड़की मेरी कमज़ोरी है.

कुच्छ देर रुक कर मैने सोचा के कहूँ या ना कहूँ, फिर मैने बोलना शुरू किया. तनवी तुम सोच रही होंगी के मैने तुम्हारी तरफ कोई ध्यान नही दिया. ऐसा नही है. मैं तो तुम्हें देखते ही तुम्हारी ओर आकर्षित हो गया था, क्योंकि तुम हो ही इतनी सुंदर. लेकिन तुम्हारी बातें और तुम्हारी मजबूरी ने मुझे कुच्छ भी कहने और करने लायक नहीं छोड़ा सिवाए तुम्हारी हेल्प करने के. तनवी चौंक कर कुछ बुदबुदाई. मैने कहा के तनवी जो भी कुच्छ तुम्हारे मन में है साफ बोलो ऐसे नही. उसने नज़रें झुका के कहा कि यही तो मैं सोच रही थी के तुम कैसे पत्थर हो कभी एक बार भी कोई इशारा तक नही किया और यह भी के शायद मेरी उमर की लड़कियाँ तुम्हें पसंद ही नही हैं. मैने उसको कहा के कोई पागल ही होगा जो तुम्हें पसंद नही करेगा. लेकिन मैं तो यही सोच कर चुप रह गया के तुम कहीं ग़लत ना समझ लो कहते हुए मैं थोड़ा उसकी ओर सरका और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसे अपनी ओर खींचा. वो भी मेरी ओर सर्की और मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया और अपना हाथ मेरे गले में लपेट दिया. उसका एक मम्मा मेरी छाती को गुदगुदाने लगा. मैने अपने दूसरे हाथ से उसका चेहरा ऊपेर किया और उसकी मुंदी हुई आँखों को चूम लिया. वो सिहर कर पलटी और मेरी गोद में लेट सी गयी और अपनी दोनो बाहें मेरे गले में डाल कर मुझ से लिपट गयी और बोली के मैं बहुत प्यासी हूँ और मुझे कब्से इस दिन का इंतेज़ार था के कोई मुझे अपनी बाहों में लेकर मसल दे. मैने उसे अपनी बाहों की गिरफ़्त में ले लिया. उसके भरे हुए सख़्त मम्मे मेरी छाती में गढ़ने लगे और मेरे होंठ उसके होंठों से जा टकराए. मेरी जीभ ने उसके होंठों पर दस्तक दी और उसके होंठ अपने आप खुल गये जैसे मेरी जीभ का स्वागत कर रहे हों. मेरी जीभ उसके मुँह में चली गयी और उसकी जीभ से जा टकराई. दोनो जीभें आपस मिली एक दूसरे से लिपटने लगीं. यह चुंबन कोई 15-20 मिनट तक चला. हमारे शरीर निश्चल थे केवल जीभें आपस में उलझी हुई थीं.

तनवी की साँसें भारी होने लगीं और उसने मुझे ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया. मैने उसको कहा के अब बस करो नही तो मैं अपना नियंत्रण खो दूँगा. वो मेरी बाहों में मचल के बोली के 4-5 साल अभी लगेंगे उसको शादी करने में क्योंकि वो पहले अपनी बहनों की शादी करेगी और अपने भाई को इस लायक बनाएगी कि वो घर का बोझ अपने कंधो पर उठा सके. तभी वो शादी के बारे में सोचेगी और तब तक वो इंतेज़ार नही कर सकती. क्या मैं इतना समय उसकी देखभाल कर सकता हूँ. मैने कहा के देखभाल की उसको कोई ज़रूरत नही है और जहाँ तक उसकी ज़रूरतों का सवाल है वो मैं कर ही दूँगा पूरी. और उसको क्या चाहिए? वो बोली के तुम्हारा सहारा मिल जाएगा तो मैं…. ये क्या बोल रही हो मैने उसको टोका? वो बोली के मैं तो यही कह रही हूँ के 4-5 साल मुझे तुम्हारा साथ मिल जाए तो मैं निश्चिंत हो जाऊंगी. मैने कहा के कैसा सहारा? वो बोली के यही के मैं तुम्हारी शारीरिक ज़रूरत पूरी करूँ और तुम मेरी. मैने अब तक इस बारे में कभी सोचा भी नही था पर अब मैं और इंतेज़ार नही कर सकती और चाहती हूँ के तुम मुझे वो एहसास कराओ जो मैं आज तक करने की हिम्मत नही जुटा पाई हूँ.

मैं चौंक गया और पूछने लगा के क्या कह रही हो? क्या तुम अभी तक….. हां उसने मेरी बात काटी और बोली के मैने अभी तक सेक्स काकोई अनुभव नही किया है और चाहती हूँ के तुम वो प्रथम पुरुष बनो जो मुझे यह अनुभव कराए और कम से कम 4-5 साल तो मैं तुम्हारी ही होकर रहूं. मैने कहा के मैं बँध कर नही रह सकता तो वो बोली तुम्हें बाँधने के लिए कौन कह रहा है मैं तो यह कह रही हूँ के मैं बँधी रहूं. इसके साथ ही वो मेरी छाती में मुँह छुपा कर मुझसे लिपट गयी और मेरे बहुत कहने पर भी उसने ना तो अपना मुँह खोला और ना ही आँखें. अभी तक वो मेरी गोद में अढ़लेटी अवस्था में ही थी. मैने अपना एक हाथ उसकी पिंदलियों पर पहुँचाया और उन्हें सहलाने लगा और उसे घुटनों के नीचे के कोमल भाग पर रख दिया. वो सिहर गयी और ज़ोर से अपने मम्मे मेरी छाती पर रगड़ने लगी. मैने अपना हाथ ऊपेर किया और उसके टॉप में घुसा दिया. मेरे हाथ का स्पर्श उसकी नगञा त्वचा पर होते ही वो कांप गयी. मेरा हाथ उसके पेट से होता हुआ उसके कठोर मम्मे पर पहुँचा और उसका माप तोल करने लगा. वो जूडी के मरीज़ की तरह काँपने लगी तो मैने अपना हाथ उसके टॉप में से निकाल कर उसको उठाकर कमरे के अंदर आ गया और उसको बेड पर लिटा दिया.

वो अपनी आँखें बंद करके लेटी रही. मैने फुर्ती से अपने कपड़े उतारे और फिर आगे बढ़कर उसको बिठा दिया और उसके टॉप को उतार दिया. उसके सख़्त और उन्नत मम्मे मेरे आँखों के सामने थे और जैसे गुरुत्वाकर्षण को चुनौती देते हुए सर उठाकर खड़े थे. जवान और सुन्दर लड़कियों में मेरी दिलचस्पी का यह भी एक कारण था के उन्नकि त्वचा बहुत ही चिकनी और सुदृढ़ होती है और उनका जिस्म एक दम कड़क होता है जो छ्छूने पर एक मादक एहसास पैदा करता है. मैने बेड पर ही उसको ऊँचा किया और वो अपने घुटनों पर आ गयी. मैने उसकी बगलों में हाथ डाल कर उसको अपने साथ चिपका लिया और उसकी पीठ सहलाने लगा. चिकिन पीठ पर मेरे हाथों ने जैसे कयामत ढा दी और वो एक लंबी साँस लेकर मेरे साथ ज़ोर से चिपक गयी. फिर मैं उसको नीचे ले आया और उसकी स्प्लिट स्कर्ट को खोलना चाहा. उसने खुद ही उसको खोल दिया और वो उसके पैरों में गिर गयी. फिर उसने अपनी पॅंटी भी नीचे कर दी और बारी-बारी अपने पैर उठाकर दोनो कपड़े उतार दिए. अब दोनो पूरी तरह से नंगे थे और एक दूसरे से चिपके हुए थे और हमार स्पर्श ने जैसे हमारे शरीरों में आग भर दी थी जिसको शांत करने का एक ही उपाए था और वो था तनवी की चुदाई.

मैने उसको बेड पर लिटा दिया और अपने हाथों और होंठों से उसकी उत्तेजना को बढ़ाने लगा. उसके मम्मे जिनपर उभरे हुए उसके निपल बहुत आकर्षक लग रहे थे सबसे पहले मेरे मुँह और हाथों के शिकार बने. मैं बहुत देर तक उसके दोनो मम्मों को बारी बारी से चुभलता और सहलाता रहा. कभी उन्हें दबा देता और कभी उसके निपल्स को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच मसल देता. वो हाआआआआाआआइईईईईईईई, हाआाआआइईईई करने लगी. इधर मेरा दिल भी मेरी छाती में ऐसे धड़क रहा था जैसे अंदर से हथोदे चल रहे हों और हम दोनों की साँसें क़िस्सी धौंकनी के समान चल रही थीं. बॉडी टोनिंग एक्षसेरसिसेस ने उसके जिस्म को सुन्दर और गथीला बना दिया था और मेरे हाथ उसकी कोमल और चिकनी त्वचा पर फिसल से रहे थे. उसने अपनी उखरी साँसों पर काबू पाने की कोशिश में गहरी साँसें लेना शुरू कर दिया था. मैने उसको पलट दिया और उसका मुँह अपने पैरों की ओर करके अपने ऊपेर खींच लिया. उसकी चूत अब मेरे मुँह के पास थी और उसका मुँह मेरे लंड के पास. उसकी चूत में से एक मदहोश करने वाली महक आ रही थी. मैने अपना मुँह उसकी चूत पर चिपका दिया और पूरे जोश के साथ उसकी चूत को चाटने और चूसने लगा. वो एक बार तो सन्न रह गयी और फिर उसके शरीर ने मचलना शुरू कर दिया. उत्तेजना तनवी से संभाले नही संभाल रही थी. रह रह कर वो कांप जाती. मेरा लंड उसके मुँह से टकरा रहा था. उसने अपने आप को मेरी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश नाकाम होती देख कर मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और उसको मुँह चाटने लगी. अब काँपने की बारी मेरी थी.

तनवी क़िस्सी एक्सपर्ट की तरह मेरा लंड चूस और चाट रही थी और मेरी उत्तेजना को बहुत तेज़ी से बढ़ा रही थी. मैने अपना लंड उसके मुँह से निकाल कर उसको वापिस पलटा और पीठ के बल लिटा दिया. उसकी चूत पर अपना ढेर सारा थूक लगा दिया और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख के एक धक्का मारा. मेरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया और उसकी कुमारी झिल्ली से जा टकराया. मैं रुका नही और अपने लंड को थोड़ा बाहर खींच कर एक ज़ोर का धक्का मारा. वो ज़ोर से चिल्लाई माआआआआआआआआआआआअ, मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गइईईईईईईईईईईई माआआआआआआआआआआआऐं. मेरे हाथ उसके मम्मों पर और मुँह उसके मुँह से जा चिपका और उसके होंठों को चूसने लगा. मम्मे मेरे हाथों की गिरफ़्त में थे और मेरे हाथ अपने पूरी मनमानी कर रहे थे. थोरी देर में जब उसका दर्द कम हुआ तो मैने तनवी की चुदाई आरंभ कर दी. पहले धीरे-धीरे प्यार से और फिर आहिस्ता-आहिस्ता तेज़-तेज़ और ज़ोर से. फिर हमारे जिस्मो के टकराने की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी. अब तनवी को भी मज़ा आना शुरू हो गया था. वो पूरी मस्ती में झूम रही थी और बोल रही थी के ज़ूऊऊऊऊऊऊऊओर से चोदो, ज़ूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊर से, मैं तूऊऊऊओ पाााआआआगल त्ीईीईईईईईईईईईई, पहलीईईईईई क्यूऊऊऊऊऊऊओन नहियीईईईईईईईईईईईईई चूदी

ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई. मैने उसको कहा के कोई बात नही अब सारी कसर निकाल देंगे. वो नीचे से गांद उठा-उठा कर चूत मरवा रही थी और मैं धक्के पे धक्का लगा रहा था. मेरा लंड पूरी तेज़ी के साथ उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. 5-7 मिनट की तगड़ी चुदाई के बाद वो झाड़ गयी और उसकी चूत ने पानी छ्चोड़ दिया. उसकी चूत ने मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ा दिया जो उसके पानी छ्चोड़ने की वजा से बहुत गीली थी और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड किसी मुलायम और स्पंज के शिकंजे में कसा हुआ है. अब मुझे लग रहा था के मैं और ज़्यादा देर नही चोद सकूँगा और झाड़ जाऊँगा. तनवी की कसी हुई चूत काघर्षण जैसे मेरे लंड को बाहर निकलने से रोकने की कोशिश में नाकाम हो रहा था और मेरे मज़े को बढ़ा रहा था.
 

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