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मैने दोनो को अपने फैले हुए बाज़ुओं में भींच लिया और उनके एक-एक मम्मे को अपने हाथों में लेके दबाने लगा. चुदाई के अलावा अगर मुझे सबसे ज़्यादा कुच्छ पसंद है तो वो है मम्मों के साथ खेलना. मैने दोनो मम्मों के निपल्स को पकड़ कर खींचा तो दोनो के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. फिर प्रिया बैठ गयी और निशा भी उसका अनुसरण करते हुए बैठ गयी. प्रिया ने निशा को कहा के वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लॉलिपोप की तरह चूसे. निशा ने प्रिया को प्रश्नावाचक दृष्टि से देखा तो प्रिया बोली के ट्राइ करो अगर अच्छा नही लगे तो में चूसुन्गि. उसने निशा को समझाया के चूसने से यह जल्दी अकड़ जाएगा और तुम्हारा काम जल्दी शुरू हो सकेगा. प्रिया ने मेरे अंडकोष अपने हाथों में लेकर चाटना शुरू कर दिया. दोनो के सम्मिलित प्रयासों ने अपना असर दिखाया और जैसे साँप अपना फॅन उठाता है मेरे लंड ने, जो निशा के मुँह की गर्मी और जीभ की रगड़ का आनंद ले रहा था, भी अपना सर उठाना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अपने पूरे आकार में सख्ती के साथ तन कर खड़ा हो गया.
निशा घुटनों पर मेरी एक साइड में बैठी हुई थी. मैने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी दूसरी साइड पे की और उसको ऊपेर के तरफ खींचा और कहा के चूसना जारी रखे. उसकी गांद बिल्कुल हार्ट शेप्ड थी और मैने प्यार से अपने दोनो हाथ उसकी गांद पर फिराने शुरू कर दिए. साथ ही मैने उसकी गांद पर छ्होटे-छ्होटे चुंबनों की वर्षा करदी. फिर मैने अपने दोनो अंगूठे उसकी गांद के बीचो- बीच रखकर और अपने हाथ पूरे फैलाते हुए दोनो गोलाईयों को अपने हाथों की मज़बूत पकड़ में लिया और फैला दिया. इसके साथ ही मैने अपना मुँह उसकी गांद के च्छेद पर लगा दिया और जीभ से चाटने लगा. निशा को जैसे करेंट का झटका लगा और वो मचलने लगी. प्रिया ने उसकी हालत समझते हुए उसको प्यार से डांटा के चुप-चाप मज़ा ले ज़्यादा ना हिलजुल नही तो मज़ा जाता रहेगा. निशा उसकी बात सुनकर थोड़ा संयत हुई. मैने अपनी बड़ी अंगुली अपनी थूक से गीली की और उसकी गांद के च्छेद पर रगड़ते हुए एक पोर तक अंदर कर दी. निशा का शरीर एक बार फिर झटके सेकाँप गया.
मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ चुका था और अब केवल इंतेज़ार था निशा के पूरी तरह बेकरार होने का. प्रिया ने उसके मम्मे दबाने और चूसने जारी रखे थे और इधर मैं भी पूरी तन्मयता से उसकी चूत में अपनी जीभ चला रहा था और उसकी गांद में अपनी अंगुली घुमा रहा था. हमारी मेहनत रंग लाई और थोड़ी देर में ही निशा की आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं. कभी उसकी उ……..न……..ह तो कभी आ……..आ…….ह मेरे कानों में पड़ने लगी. फिर वो बिन पानी की मछली की तरह च्चटपटाने लगी. मैं तेज़ी से उसके नीचे से निकला और उसको सीधा करके पीठ के बल लिटा दिया. प्रिया ने उसके मम्मों को फिर से जाकड़ लिया. मैने उसकी गांद उठाकर फोल्ड किया हुआ टवल नीचे लगा दिया. निशा की चूत के ऊपेर गीलापन चमक रहा था. मैने उसकी दोनो टाँगें उसके घुटने मोडते हुए पूरी फैला दीं और अपना लंड उसकी चूत पर इस तरह लगाया के उसकी दरार को मेरे खड़े लंड ने धक लिया और मैं उस पर लेट गया. निशा के गोल-गोल मॅम मैने अपने हाथों में ले लिए और उनको प्यार से मसल्ने लगा. फिर उसके मम्मों को और खड़े निपल्स को कभी मुँह में भर लेता कभी चट लेता और कभी दाँतों में दबाता. नीचे उसकी चूत पर मेरा लंड कॅसा हुआ था और उसके भज्नासे पर भी दबाव डाल रहा था.
निशा की साँसें धोन्कनि की तरह चलने लगीं. उधर प्रिया भी उसे उत्तेजित करने में कोई कसर नही रख रही थी. उसके हाथ निशा के शरीर को प्यार से सहला रहे थे साथ ही वो निशा के शरीर को चूम और चाट रही थी. मैं महसूस कर रहा था के निशा की चूत की मेरे लंड पर गर्मी बढ़ रही थी और वो नीचे से हिल कर मेरे लंड को अपनी चूत की दरार पर हल्के से रगड़ रही थी. मेरी उत्तेजना भी अब काफ़ी बढ़ चुकी थी इसलिए मैने अपने हाथों और मुँह को निशा के मम्मों पर और तेज़ी से चलाना शुरू किया. फिर मैने अपने आप को थोड़ा ऊपेर की ओर उठाया और प्रिया को कहा के निशा के मुँह पर अपनी चूत रखे चटवाने के लिए और निशा को कहा के जैसे प्रिया ने उसकी चूत चॅटी थी वैसे ही वो प्रिया की चूत को चाते और उसको मस्त कर्दे. हमारे शरीर एक बार फिर त्रिकोण की शकल में आ गये. प्रिया के दोनो हाथ मैने निशा की जांघों पर रख दिए और उसे कहा की इनको प्यार से सहलाए और जब में अपने लंड को निशा की चूत में डालूं तो पूरे ज़ोर से पकड़ ले और निशा को हिलने ना दे.
मैं अपने लंड को अपने दायें हाथ में लेकर निशा की चूत पर रगड़ने लगा. निशा की दरार में फिरने से लंड का सुपरा पूरी तरह भीग गया. कभी मैं अपने लंड को चूत के च्छेद पर गोल-गोल घुमाता और कभी उसके भज्नासे पर रगड़ता. निशा की उत्तेजना अब बहुत बढ़ गयी थी और उसने हिलने की कोशिश की लेकिन प्रिया की पकड़ उसकी जांघों पर होने से वो ऐसा नही कर सकी. वो चूत चाटना छोड़ कर बहुत धीरे से बड़ी दयनीय आवाज़ में बोली के पता नही मुझे क्या हो रहा है बहुत घबराहट सी हो रही है और जल्दी से कुच्छ करें. मैं समझ गया के वो पूरी तरह तैयार हो चुकी है और अब देर करना उचित नही होगा. मैने पास रखी क्रीम की ट्यूब में से थोड़ी क्रीम निशा की चूत पर अंदर तक लगा दी और अपने लंड को भी क्रीम से अच्छी तरह तर कर दिया. मैने प्रिया को इशारा किया और अपना लंड निशा की चूत के च्छेद पर रख के गोल-गोल घुमाते हुए हल्का सा दबाव डाला. मेरा लंड उसकी चूत के च्छेद में थोड़ी सी जगह बनाते हुए अटक गया. मैने कहा के निशा तैयार रहो अब मैं अपने लंड को तुम्हारी चूत में डालने जा रहा हूँ और तुम्हे एक बार तो दर्द सहना होगा ताकि तुम चुदाई का मज़ा ले सको लेकिन इसके बाद कभी दुबारा तुम्हे दर्द नही होगा, प्रिया ने भी तुम्हे समझा तो दिया था ना? निशा ने हां बोला और कहा के वो तैयार है पर जो भी करना है जल्दी से करो बेचैनी बहुत हो रही है और अब रुका नही जाता.
मैने एक बार प्रिया को प्रश्वचक दृष्टि से देखा तो उसने अपनी गर्दन हिला दी. फिर मैने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर एक छ्होटा पर पूरे ज़ोर का धक्का लगाया. मेरा लंड दो इंच के करीब निशा की चूत में घुस गया. निशा के मुँह से एक हुंकार निकली. अगले ही क्षण मैने अपने हाथों से निशा की जांघों पर अपनी पकड़ बनाते हुए एक और ज़ोरदार धक्का मारा और अपना लंड निशा की चूत में आधे से थोड़ा अधिक घुसा दिया. उसकी कुमारी झिल्ली तार तार हो गयी और अंदर खून भी निकलने लगा.
निशा घुटनों पर मेरी एक साइड में बैठी हुई थी. मैने उसकी एक टाँग उठाकर अपनी दूसरी साइड पे की और उसको ऊपेर के तरफ खींचा और कहा के चूसना जारी रखे. उसकी गांद बिल्कुल हार्ट शेप्ड थी और मैने प्यार से अपने दोनो हाथ उसकी गांद पर फिराने शुरू कर दिए. साथ ही मैने उसकी गांद पर छ्होटे-छ्होटे चुंबनों की वर्षा करदी. फिर मैने अपने दोनो अंगूठे उसकी गांद के बीचो- बीच रखकर और अपने हाथ पूरे फैलाते हुए दोनो गोलाईयों को अपने हाथों की मज़बूत पकड़ में लिया और फैला दिया. इसके साथ ही मैने अपना मुँह उसकी गांद के च्छेद पर लगा दिया और जीभ से चाटने लगा. निशा को जैसे करेंट का झटका लगा और वो मचलने लगी. प्रिया ने उसकी हालत समझते हुए उसको प्यार से डांटा के चुप-चाप मज़ा ले ज़्यादा ना हिलजुल नही तो मज़ा जाता रहेगा. निशा उसकी बात सुनकर थोड़ा संयत हुई. मैने अपनी बड़ी अंगुली अपनी थूक से गीली की और उसकी गांद के च्छेद पर रगड़ते हुए एक पोर तक अंदर कर दी. निशा का शरीर एक बार फिर झटके सेकाँप गया.
मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ चुका था और अब केवल इंतेज़ार था निशा के पूरी तरह बेकरार होने का. प्रिया ने उसके मम्मे दबाने और चूसने जारी रखे थे और इधर मैं भी पूरी तन्मयता से उसकी चूत में अपनी जीभ चला रहा था और उसकी गांद में अपनी अंगुली घुमा रहा था. हमारी मेहनत रंग लाई और थोड़ी देर में ही निशा की आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं. कभी उसकी उ……..न……..ह तो कभी आ……..आ…….ह मेरे कानों में पड़ने लगी. फिर वो बिन पानी की मछली की तरह च्चटपटाने लगी. मैं तेज़ी से उसके नीचे से निकला और उसको सीधा करके पीठ के बल लिटा दिया. प्रिया ने उसके मम्मों को फिर से जाकड़ लिया. मैने उसकी गांद उठाकर फोल्ड किया हुआ टवल नीचे लगा दिया. निशा की चूत के ऊपेर गीलापन चमक रहा था. मैने उसकी दोनो टाँगें उसके घुटने मोडते हुए पूरी फैला दीं और अपना लंड उसकी चूत पर इस तरह लगाया के उसकी दरार को मेरे खड़े लंड ने धक लिया और मैं उस पर लेट गया. निशा के गोल-गोल मॅम मैने अपने हाथों में ले लिए और उनको प्यार से मसल्ने लगा. फिर उसके मम्मों को और खड़े निपल्स को कभी मुँह में भर लेता कभी चट लेता और कभी दाँतों में दबाता. नीचे उसकी चूत पर मेरा लंड कॅसा हुआ था और उसके भज्नासे पर भी दबाव डाल रहा था.
निशा की साँसें धोन्कनि की तरह चलने लगीं. उधर प्रिया भी उसे उत्तेजित करने में कोई कसर नही रख रही थी. उसके हाथ निशा के शरीर को प्यार से सहला रहे थे साथ ही वो निशा के शरीर को चूम और चाट रही थी. मैं महसूस कर रहा था के निशा की चूत की मेरे लंड पर गर्मी बढ़ रही थी और वो नीचे से हिल कर मेरे लंड को अपनी चूत की दरार पर हल्के से रगड़ रही थी. मेरी उत्तेजना भी अब काफ़ी बढ़ चुकी थी इसलिए मैने अपने हाथों और मुँह को निशा के मम्मों पर और तेज़ी से चलाना शुरू किया. फिर मैने अपने आप को थोड़ा ऊपेर की ओर उठाया और प्रिया को कहा के निशा के मुँह पर अपनी चूत रखे चटवाने के लिए और निशा को कहा के जैसे प्रिया ने उसकी चूत चॅटी थी वैसे ही वो प्रिया की चूत को चाते और उसको मस्त कर्दे. हमारे शरीर एक बार फिर त्रिकोण की शकल में आ गये. प्रिया के दोनो हाथ मैने निशा की जांघों पर रख दिए और उसे कहा की इनको प्यार से सहलाए और जब में अपने लंड को निशा की चूत में डालूं तो पूरे ज़ोर से पकड़ ले और निशा को हिलने ना दे.
मैं अपने लंड को अपने दायें हाथ में लेकर निशा की चूत पर रगड़ने लगा. निशा की दरार में फिरने से लंड का सुपरा पूरी तरह भीग गया. कभी मैं अपने लंड को चूत के च्छेद पर गोल-गोल घुमाता और कभी उसके भज्नासे पर रगड़ता. निशा की उत्तेजना अब बहुत बढ़ गयी थी और उसने हिलने की कोशिश की लेकिन प्रिया की पकड़ उसकी जांघों पर होने से वो ऐसा नही कर सकी. वो चूत चाटना छोड़ कर बहुत धीरे से बड़ी दयनीय आवाज़ में बोली के पता नही मुझे क्या हो रहा है बहुत घबराहट सी हो रही है और जल्दी से कुच्छ करें. मैं समझ गया के वो पूरी तरह तैयार हो चुकी है और अब देर करना उचित नही होगा. मैने पास रखी क्रीम की ट्यूब में से थोड़ी क्रीम निशा की चूत पर अंदर तक लगा दी और अपने लंड को भी क्रीम से अच्छी तरह तर कर दिया. मैने प्रिया को इशारा किया और अपना लंड निशा की चूत के च्छेद पर रख के गोल-गोल घुमाते हुए हल्का सा दबाव डाला. मेरा लंड उसकी चूत के च्छेद में थोड़ी सी जगह बनाते हुए अटक गया. मैने कहा के निशा तैयार रहो अब मैं अपने लंड को तुम्हारी चूत में डालने जा रहा हूँ और तुम्हे एक बार तो दर्द सहना होगा ताकि तुम चुदाई का मज़ा ले सको लेकिन इसके बाद कभी दुबारा तुम्हे दर्द नही होगा, प्रिया ने भी तुम्हे समझा तो दिया था ना? निशा ने हां बोला और कहा के वो तैयार है पर जो भी करना है जल्दी से करो बेचैनी बहुत हो रही है और अब रुका नही जाता.
मैने एक बार प्रिया को प्रश्वचक दृष्टि से देखा तो उसने अपनी गर्दन हिला दी. फिर मैने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ कर एक छ्होटा पर पूरे ज़ोर का धक्का लगाया. मेरा लंड दो इंच के करीब निशा की चूत में घुस गया. निशा के मुँह से एक हुंकार निकली. अगले ही क्षण मैने अपने हाथों से निशा की जांघों पर अपनी पकड़ बनाते हुए एक और ज़ोरदार धक्का मारा और अपना लंड निशा की चूत में आधे से थोड़ा अधिक घुसा दिया. उसकी कुमारी झिल्ली तार तार हो गयी और अंदर खून भी निकलने लगा.