Adultery कभी गुस्सा तो कभी प्यार

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पूनम की शर्म और बढ़ गयी। बोली “तुम जाओगे यहाँ से। जिसकी मसलते हो उसकी मसलो जाकर।” बंटी थोड़ा आगे बढ़ता हुआ बोला “उसकी कहाँ मसलने मिलेगी अब जान, तुम्हारी भी तो मसलने नहीं ही मिलेगी कल से। इसलिए तो बोल रहा हूँ की एक बार मसल तो लेने दो, प्लीज़।” पूनम डर कर थोड़ी पीछे होती हुई बोली “देखो...., मैं शोर मचा दूँगी।” बंटी मुस्कुराता हुआ ऐसे झुका जैसे पूनम को पकड़ लेगा और फिर नीचे रखा हुआ सामान उठा लिया और बाहर आने लगा। पूनम को लगा की वो मुझे डरा रहा था और मैं डर गयी।

पूनम बाहर आकर स्टोर रूम का दरवाज़ा लॉक करने लगी तब तक बंटी वहीँ खड़ा रहा. पूनम बोली “तुम गए क्यों नहीं? भारी सामान उठा कर खड़े हो।” बंटी आँखों से पूनम की चुचियों की तरफ इशारा करता हुआ बोला “तुम भी तो भारी सामान लिए घूमती रहती हो।" पूनम गुसाते हुए बोली “तुम पागल हो। जाओ यहाँ से, भागो।” बंटी बोला “तुम आगे चलो। कम से कम अच्छे से तुम्हारी बलखाती कमर को तो देख लूँ।" अब पूनम को अजीब लग रहा था। बोली “लगता है तुम ऐसे नहीं ही मानोगे। जाओ आगे।” लेकिन बंटी अपनी जगह से हिला भी नहीं। पूनम को लगा की इस तरह बाहर में खड़ी रहूंगी और कोई देखेगा तो मेरे बारे में ही गलत सोचेगा। हारकर वो अपने हाथों से अपनी कुर्ती को पीछे से ठीक की और चलने लगी। उसे अजीब लग रहा था। वो जान रही थी की बंटी क्या देख रहा होगा।

सभी लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। फिर से कोई रस्म हो रही थी। रस्म एक कमरे में हो रहा था और वहाँ बहुत सारे लोग खड़े थे। बंटी को आगे जाना था और पूनम दीवाल के किनारे में खड़ी थी। बंटी को बैठे बिठाए अच्छा मौका मिल गया था। सब लोग रस्म में व्यस्त रहे और बंटी पूनम के कमर को दोनों तरफ से पकड़ा और पीछे से उसके बदन से रगड़ता हुआ आगे बढ़ा और पूनम की कमर से हाथ हटाते वक़्त उसने चुच्ची को भी किनारे से छू लिया। मज़ा आ गया बंटी को। बंटी ने जानबूझकर ऐसा किया था, लेकिन जगह ही इतनी थी वहाँ पर। पूनम फिर से कुछ बोल नहीं पाई थी। फिर से बंटी ने उसके बदन को छुआ था। उसे बंटी पे तो गुस्सा आ ही रहा था, खुद पे भी गुस्सा आ रहा था। ऐसी हालत उसकी आज तक नहीं हुई थी। एक ही दिन में इतनी बार उसके बदन को बिना उसकी मर्ज़ी के छुआ गया था।

शाम तक ये सिलसिला चलता रहा. बंटी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था, मौका मिलते ही उसे छू ले रहा था और इशारे से उसे छेड़ रहा था. एक जगह पूनम खड़ी थी तो बंटी ने उसके गर्दन के पीछे पीठ पर हाथ सहलाया और जब पूनम गुस्से से पीछे पलटी तो मुस्कुराता हुआ अपने हाथ में एक कीड़ा दिखाया की “इसे हटा रहा था.” पूनम फिर से मन मसोस कर रह गयी.

बारात आने का वक़्त हो गया था। ज्योति सज कर दुल्हन बन कर एक जगह बैठी हुई थी और लोग आ आकर उससे मिल रहे थे और गिफ्ट देने और फोटो खीचने का दौर चल रहा था। पूनम भी तैयार हो गयी थी। वो लहंगा चोली पहनी थी जो कुछ दिन पहले ही ली थी वो। पुरे मेकअप के बाद बहुत ही क्यूट लग रही थी पूनम। बहुत लोगों के दिलों पे छुरियां चलने वाली थी आज। चोली डिजाइनर थी। बैकलेस और स्लीवलेस। चोली पीठ और गर्दन पे डोरी से बंधी हुई थी, और इसके साथ एक ट्रांसपेरेंट दुपट्टा। पूनम का सपाट गोरा पेट चमकता हुआ सबकी निगाहों को अपनी नाभि पे रोक ले रहा था। चुच्ची की पूरी गोलाई चोली में कैद थी और कुछ भी कहीं से दिख नहीं रहा था। ब्रा का कप चोली में ही लगा हुआ था तो चुच्ची पूरी तरह से टाइट होकर पैक थी चोली में। लेकिन देखने वाले तो कहीं से भी कुछ देख लेते हैं और लण्ड का पानी कुर्बान कर देते हैं। कितने लड़के तो सिर्फ उसकी पीठ को देखकर अपने लंड का पानी बहा बैठे होंगे और कितनो का पानी पूनम की सपाट पेट और नाभी देखकर गिरा होगा। आज रात बहुत लोग पूनम को याद करने वाले थे अपने बाथरूम में।
 
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ऐसा नहीं था कि सिर्फ पूनम ही इस तरह तैयार हुई थी, बाँकी और औरतें और लडकियाँ भी तैयार हो गयी थी और सबके कपड़े इसी तरह के थे जिसमे उनका बदन झलक ही रहा था, लेकिन पूनम की तो बात ही अलग थी। पूनम ज्योति के पास ही बैठी थी। तभी 'बारात आ गयी' का शोर हुआ और ज्योति के आस पास के सारे लोग बाहर जा कर बारात देखने लगे। पूनम भी दौड़ कर बाहर जाने लगी तो ज्योति उसे बोली “देख कर तू तुरंत आ जाना, बताना कितनी देर है बारात आने में।” पूनम तुरंत ही वापस आ भी गयी क्यूँ की उसकी दुल्हन बहन अकेली थी और वो उसके साथ ही रहना चाहती थी।

पूनम बताई की "बारात होटल से थोड़ी ही दूर है, पूरा डांस कर रहे हैं बाराती, सब बाहर जा रहे हैं बारात के स्वागत में।" ज्योति पूनम का हाथ पकड़ ली और बोली “एक काम और कर देगी?” पूनम बोली “बोलो” ज्योति बोली “अभी बंटी आ रहा है। तू यही रुक जा थोड़ी देर।" पूनम शॉक्ड हो गयी. उसे यकीन नहीं हुआ की ज्योति अभी भी बंटी से मिलने की सोच रही है, वो भी तब जब उसकी बारात बाहर रोड पे आ चुकी है।

बोली “दी, तुम पागल हो गयी हो क्या? बारात कभी भी आ जाएगी। कभी भी कोई भी आ जायेगा यहाँ तुझसे मिलने, तुझे देखने। थोड़ी ही देर में तुम्हारा जय माला होना है, तुम पागल हो क्या?” ज्योति बोली “कुछ नहीं होगा. तू मदद कर दे बस. बस आखिरी बार और तू हमारे लिए पहरेदारी कर दे।” पूनम कुछ बोलती उससे पहले ही बंटी वहाँ आ पहुँचा। बंटी को देखते ही दुल्हन बनी ज्योति उठी और अपनी चूड़ी, पायल खनकाती हुई उसके सीने से लग गयी। बंटी भी उसे खुद से चिपकाकर उसकी पीठ सहलाता हुआ उसके माथे पे हाथ फेरने लगा और प्यार से उसके माथे को चूम लिया।

पूनम को बंटी पे बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन वो भला किसे क्या बोलती। दोनों बेवकूफों वाली हरकत कर रहे थे। बंटी तो लड़का है, उसे तो चुत मिल रही है तो उसे क्या परेशानी है। अभी न उसे समझ है और न ही ज्योति को। अभी तक जो की वो अलग बात है, लेकिन इस कुछ पल की वजह से उसकी जिंदगी बर्बाद हो सकती है। पूनम गुस्से और परेशानी में ही दरवाज़े के पास आ गयी ताकि कोई उन दोनो को देख न ले. वो पीछे पलटी तो ज्योति उसे कुछ बोलती उससे पहले ही पूनम गुस्से और चिढ़ में बोली “जल्दी ख़तम करो यार तुमलोग अपनी प्रेम कहानी।"

ज्योति उसी तरह बंटी के सीने से लगी हुई ही बोली "थैंक्स मेरी प्यारी बहना।" बंटी भी तुरंत बोला "थैंक्स मेरी प्यारी साली।" बंटी से तो पूनम को और ज्यादा नफरत हो रही थी। कल तक उसने ज्योति के साथ जो किया, वो उनका अपना व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आज जिस तरह से उसने पूनम के साथ किया और फिर अभी जिस तरह वो ज्योति के साथ है, पूनम को उस पे बहुत गुस्सा आ रहा था। अगर वो लोग पकड़े गए तो उसका कुछ नहीं होना था लेकिन ज्योति की जिंदगी बर्बाद हो जानी थी।
ज्योति उसी तरह बंटी के सीने से लगी हुई ही बोली "थैंक्स मेरी प्यारी बहना।" बंटी भी तुरंत बोला "थैंक्स मेरी प्यारी साली।" बंटी से तो पूनम को और ज्यादा नफरत हो रही थी। कल तक उसने ज्योति के साथ जो किया, वो उनका अपना व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आज जिस तरह से उसने पूनम के साथ किया और फिर अभी जिस तरह वो ज्योति के साथ है, पूनम को उस पे बहुत गुस्सा आ रहा था। अगर वो लोग पकड़े गए तो उसका कुछ नहीं होना था लेकिन ज्योति की जिंदगी बर्बाद हो जानी थी।

पूनम दरवाजे पे हड़बड़ी में खड़ी थी की कहीं अगर कोई इधर आ गया तो वो क्या जवाब देगी। 2 मिनट के बाद वो अन्दर पलट कर देखी तो अन्दर का नज़ारा तो और बदला हुआ था। उसे लग रहा था की दोनों गले मिले हुए होंगे और अब अलग होने का सोच रहे होंगे, लेकिन यहाँ तो सीन ही दूसरा चल रहा था। ज्योति की चोली का बटन सामने से खुला था और ब्रा ऊपर उठा हुआ था और बंटी झुक कर उसकी खुली हुई चुचियों को चूस रहा था। ज्योति भी जैसे पूरी बेशर्म थी और उसने इस बात का भी लिहाज नहीं रखा था की उसकी बहन सामने ही खड़ी है।

पूनम ही शर्मा कर वापस से बाहर की तरफ घूम गयी और पुरे गुस्से में बोली “पुरे ही पागल हो क्या तुमलोग। बंद करो ये सब। कोई आ जायेगा तब समझ में आएगा। दीदी तुम्हे भी दिमाग और समझ नहीं है क्या? पागल हो गयी हो क्या इसके चक्कर में।” ज्योति बंटी का सर पकड़ कर अपने चुच्ची से हटाते हुए बोली “छोड़ो बंटी, पूनम सही कह रही है। कोई आ जायेगा अब।” बंटी जैसा लड़का हाथ आई दुल्हन को छोड़ने वाला नहीं चोदने वाला था। उसने चुच्ची से तो मुँह हटा लिया लेकिन उसे अपने हाथों से मसलता हुआ बोला “कोई नहीं आएगा जान, और पूनम तो खड़ी है ही बाहर। फिर तुम कभी भी मुझे ऐसे नहीं मिलोगी। इस तरह दुल्हन बनी हुई, शादी से ठीक पहले। इसके बाद अगर कभी मिलोगी भी तो किसी और की पत्नी बनकर, लेकिन अभी तुम सिर्फ मेरी हो। अभी मत रोको मुझे।” बोलकर वो फिर से निप्पल को मुँह में भरकर चूसने लगा। ज्योति उसे क्या बोलती। निप्पल बंटी के मुँह में जाते ही उसके विरोध करने की क्षमता ख़त्म हो गयी थी।

पूनम का गुस्सा अब और बढ़ गया की वो दोनों फिर से अभी वो करने वाले हैं जो पिछली दो रातों से कर रहे हैं। वो गुस्से में बोली “तो करो जो करना है तुमलोगों को। मैं चली।” पूनम आगे बढ़ने लगी तो ज्योति हड़बड़ी में उसकी तरफ आगे बढ़ी और दौड़ कर उसका हाथ पकड़ ली। ज्योति की चूचियां बाहर ही थी और वो इसी तरह कमरे से बाहर हो गयी थी। वो दुल्हन जिसकी अभी कुछ देर बाद शादी होने वाली थी, वो अपने यार के लिए अधनंगी ही कमरे से बाहर आ गयी थी। अपनी हालत याद आते ही वो एक हाथ से अपनी ब्रा को नीचे करने की कोशिश की लेकिन फिर भी उसकी चूचियां बाहर ही रही। ज्योति एक ही हाथ से ब्लाउज को पकड़ने की कोशिश की और चूची को ढकने की कोशिश करती हुई बोली “प्लीज़ पूनम, मत जा। बस थोड़ी देर रुक जा। मेरी खातिर। प्लीज़।”

पूनम गुस्से में पीछे पलटी और ज्योति की हालत देखकर उसका गुस्सा और बढ़ गया। बोली “उसे तो कोई मतलब नहीं है दी, लेकिन तुम तो सोचो की अगर किसी को पता चल गया तो बदनामी तुम्हारी होगी। उसका क्या है, आज तुम्हारे साथ ऐसा कर रहा है, कल किसी और के साथ करेगा। मुझे तो परेशान कर ही रखा है। तुम्हारा क्या होगा वो तो सोचो।” ज्योति अब तक अपनी चुचियों को ढक चुकी थी और बोली “कुछ नहीं होगा। मैं करवाना चाहती हूँ इससे। सच कह रहा है बंटी, मैं इसे इस तरह कभी नहीं मिलूँगी। तू बस रुक जा थोड़ी देर। प्लीज़ मेरी बहन।”

पूनम को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी बहन इस कदर पागल है बंटी के पीछे। बोली "दीदी.... तुम किसी की दुल्हन हो अभी! बाहर बारात खड़ी है तुम्हारी! कुछ ही देर में तुम्हारी शादी होने वाली है! तुम समझ रही हो की तुम क्या बोल रही हो।" ज्योति पूनम का हाथ छोड़ दी और दोनों हाथ जोड़ कर प्रणाम करती हुई बोली "प्लीज़ पुन्नु, प्लीज़ मेरी बहना, मान ले मेरी बात। बस थोड़ी देर के लिए हमारी मदद कर दे।"
 
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पूनम भला क्या बोलती। ज्योति ने उसे कुछ बोलने लायक छोड़ा ही नहीं था. वो गुस्से में बोली “ठीक है, जो करना है जल्दी करो। बस इतना याद रखना की तुम्हारी बारात बाहर डांस कर रही है।” ज्योति हड़बड़ी में “थैंक्यू मेरी बहना” बोलती हुई और पूनम की तरफ “उम्माह” करती हुई चुम्मी उछालते हुए अन्दर चली गयी। अन्दर बंटी अपने पैंट को नीचे करके अपने चड्डी से लंड बाहर निकाल कर सहलाता हुआ खड़ा था। उसे पता था की उसकी जान ज्योति अपनी बहन को रखवाली के लिए मना कर उसके पास आएगी ही। ज्योति जाकर उससे लिपट गयी। वो एक हाथ से लंड पकड़ी हुई थी और बंटी उसकी चुचियों को फिर से बाहर निकाल कर मसल रहा था, जब पूनम दरवाजा बंद करने के लिए अन्दर की तरफ देखी।

उनलोगों को इस तरह देखकर पूनम को गुस्सा के साथ साथ चिढ भी हो रही थी। उनदोनो को इस बात का कई असर ही नहीं था की पूनम उन्हें देख रही है या देख सकती है। किसे होता, बंटी को तो नहीं ही होता और ज्योति तो उसके लिए दीवानी थी। पूनम दरवाजा सटा दी और चिढती हुई बोली “जल्दी करो यार तुमलोग, और दी तुम अपना मेकअप ख़राब मत कर लेना।” पूनम दरवाजा बाहर से बंद कर दी और गैलरी में टहलने लगी। वो बाहर तक जा कर देखी तो सभी बारात देखने में व्यस्त थे।

ज्योति का कमरा जिस ब्लॉक में था शादी वहीँ से होनी थी और सभी लोग दुसरे ब्लॉक के छत पर जाकर और बाहर जाकर बारात देख रहे थे। बारात अभी तक नाच ही रही थी और जैसी उनकी आगे बढ़ने की रफ़्तार थी, अभी दुल्हे के अन्दर आने में और देर थी। पूनम मन ही मन हँसने लगी की बाहर बारात दुल्हन को लेने आई है यहाँ दुल्हन अपने आशिक को देने में व्यस्त है।

पूनम वापस ज्योति के रूम के सामने आ गयी। अन्दर से अलग अलग तरह की आवाजें आ रही थी। पूनम गेट पे धीरे से नॉक की और धीरे से ही बोली “आवाज़ बाहर तक आ रही है, धीरे करो।” अन्दर कोई अंतर नहीं पड़ा। अंदर फुल स्पीड में कुँवारी दुल्हन की चुदाई चल रही थी। पूनम धीरे से झुक कर की होल से अन्दर झांकी तो अन्दर ज्योति पलंग पर डॉगी स्टाइल में पलंग का सर पकड़े हुए झुकी हुई थी और बंटी पीछे से उसके लहंगे को उठाकर उसकी चूत में अपना लंड अन्दर बाहर करता हुआ उसे चोदे जा रहा था। ज्योति की चूचियां हवा में झूल रही थी और बंटी के हर धक्के के साथ आगे पीछे झूल रही थी।

पूनम के सामने दो बार ज्योति छत पर जाकर बंटी से चुदवा चुकी थी, लेकिन दोनों बार अँधेरा था और पूनम को बस परछाई दिखी थी उनदोनो की। लेकिन अभी कमरा रौशनी से डूबा हुआ था और पूनम को सब कुछ साफ़ साफ़ दिख रहा था। ज्योति की गोरी चमकती हुई हिलती हुई चुच्ची, जांघें, गांड और कमर और उसे चोदता हुआ बंटी का काला पैर और काला मोटा लंड। पूनम गौर से लंड को ज्योति की चूत के अन्दर बाहर होती देख रही थी। बंटी का लंड अभी और बड़ा और मोटा दिख रहा था उसे, गुड्डू के लंड की ही तरह।

बंटी के हर धक्के से साथ ज्योति के मुँह से सिसकारी निकल रही थी और उसके हिलते ही चूड़ियों और पायल की खनक भी कमरे में गूंज रही थी। बंटी ज्योति की कमर को पकड़ कर चोद रहा था और फिर उसने एक हाथ आगे बढ़ा कर एक चुच्ची को पकड़ लिया और मसलने लगा। लंड पूरा अन्दर जा रहा था और ज्योति के चूत के रस से भीग कर चमक रहा था और पूनम को वो चमक भी दिख रही थी और ज्योति के चूत के बाहर जो सफ़ेद क्रीम फ़ैल रहा था, वो भी देख रही थी। लण्ड के जड़ तक ज्योति की चुत का रस लगा हुआ था, मतलब बंटी अपने मोटे लंबे लण्ड को आखिर तक ज्योति की चुत में पेलता हुआ मज़े से चोद रहा था। इससे ज्यादा मज़ा उसे क्या मिलता की वो उस दुल्हन को चोद रहा था जिसकी कुछ ही देर में शादी होने वाली थी और बाहर दुल्हन की बहन पहरेदारी कर रही थी।
 
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बंटी के हर धक्के से साथ ज्योति के मुँह से सिसकारी निकल रही थी और उसके हिलते ही चूड़ियों और पायल की खनक भी कमरे में गूंज रही थी। बंटी ज्योति की कमर को पकड़ कर चोद रहा था और फिर उसने एक हाथ आगे बढ़ा कर एक चुच्ची को पकड़ लिया और मसलने लगा। लंड पूरा अन्दर जा रहा था और ज्योति के चूत के रस से भीग कर चमक रहा था और पूनम को वो चमक भी दिख रही थी और ज्योति के चूत के बाहर जो सफ़ेद क्रीम फ़ैल रहा था, वो भी देख रही थी। लण्ड के जड़ तक ज्योति की चुत का रस लगा हुआ था, मतलब बंटी अपने मोटे लंबे लण्ड को आखिर तक ज्योति की चुत में पेलता हुआ मज़े से चोद रहा था। इससे ज्यादा मज़ा उसे क्या मिलता की वो उस दुल्हन को चोद रहा था जिसकी कुछ ही देर में शादी होने वाली थी और बाहर दुल्हन की बहन पहरेदारी कर रही थी।

बाहर पूनम की चूत गीली हो रही थी। उसे डर भी लग रहा था की कहीं कोई आ न जाये। जो आता वो ज्योति के बारे में तो बाद में पूछता, पहले उसी से पूछता की वो छिप कर क्या देख रही है। पहली बार वो किसी को इस तरह चुदते देख रही थी। वो एक बार गैलरी की तरफ देखी और फिर से अन्दर देखने लगी। बंटी ने लंड बाहर निकाल लिया था और पूनम को लगा की अब उनका हो गया है, लेकिन बंटी का लंड अभी भी उसी तरह अकड़ कर टाइट था। ज्योति पीछे घूमी और उसी तरह अपने दोनों हाथों को पलंग पे कुतिया की तरह रखे हुए ही लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।

पूनम अब और अच्छे से लंड को देख पा रही थी। पूरा तना हुआ लण्ड पूनम को चमकता हुआ दिख रहा था। ज्योति लण्ड को बिना पकड़े हुए मुँह में ले रही थी और चूस रही थी तो लण्ड इधर उधर छिटक रहा था। अभी बंटी के पास वक़्त उतना नहीं था इसलिए उसने ज्योति के सर को पकड़ लिया और मुँह पे दबाते हुए उसी तरह उसका मुँह चोदने लगा जैसे अभी थोड़ी देर पहले उसकी कमर पकड़ कर उसकी चूत चोद रहा था। पूनम को अपना वक़्त याद आ गया की कैसे गुड्डू ने रेस्टुरेंट में उसके साथ भी ऐसा किया था और कैसे गुड्डू का लण्ड उसके गले तक में घुस रहा था। ज्योति की शक्ल देखकर पूनम को एहसास हो रहा था कि अभी बंटी का लण्ड भी पूनम के गले में कितना अंदर तक जा रहा था। उसे लगा की अब बंटी के लंड से वीर्य निकलेगा जिसे ज्योति पी जाएगी, लेकिन बंटी ने ज्योति को छोड़ दिया और पलंग पे उसके बगल में लेट गया।

बंटी सीधा लेटा हुआ था और उसका पूरा टाइट लंड छत की तरफ अकड़ कर खड़ा था।
ज्योति अपने लहंगे को पकड़ी और अच्छे से उठाते हुए बंटी के लंड को अपनी गीली चूत पे रखकर बैठ गयी। लंड सरसराता हुआ कुंवारी दुल्हन की चूत में जा घुसा और ज्योति ऊपर नीचे होती हुई आनंद के सागर में गोते लगाने लगी। अभी पूनम को बस ज्योति की उछलती हुई चूचियां दिख रही थी जिसे बंटी निचोड़ निचोड़ कर मसल रहा था।

पूनम अपनी जगह से उठ खड़ी हुई। उसके लहंगे में भी हलचल हो रही थी। वो गैलरी में देखी की कोई नहीं है तो वो लहंगे के ऊपर से ही अपनी चूत सहला ली। उसका मन और देखने का था, लेकिन उसे डर लग रहा था। वो फिर से टहलती हुई बाहर की तरफ आई, लेकिन अभी भी बारात नाचने में ही व्यस्त थी और इधर के सब लोग उन्हें देखने में। अभी दूल्हा भी डांस कर रहा था और उसकी दुल्हन अंदर बंटी के लण्ड पर बैठी थिरक रही थी।

पूनम का मन हो रहा था की वो भी दुल्हन की चुदाई देखती रहे, लेकिन वो ठीक से देख नहीं पा रही थी। एक बार उसका मन हुआ की दरवाज़ा खोल कर अन्दर चली जाये और बैठ कर अच्छे से चुदाई देखने लगे। उसे कोई मना भी नहीं करता या वो दोनों घबराते भी नहीं और उसके सामने भी चुदाई चलती ही रहती। लेकिन पूनम ऐसा कर नहीं सकती थी। वो फिर से की होल से अन्दर झांकी। बंटी अभी भी सीधा ही लेटा हुआ था लेकिन ज्योति अपने दोनों हाथ पीछे किये हुए लंड को मुँह में भरकर चूस रही थी।

बंटी ने ज्योति को फिर से कुतिया बना दिया और पीछे से उसकी चुत में धक्का लगाने लगा। पूनम फिर से खड़ी हो गयी और बाहर टहलने लगी। वो अपने हाथ को अपने लहँगे और पैंटी के अंदर डाली और अपनी गीली चुत सहलाने लगी। उसका मन हो रहा था कि पूरी नंगी होकर अपनी चुत में ऊँगली करे, लेकिन वो ऐसा कर नहीं सकती थी।

पूनम वापस की होल में झाँकने लगी। अंदर बंटी 4-5 धक्का और लगाया और फिर उसने लण्ड को पूरा अंदर डाल कर जोर से ज्योति की कमर को पकड़ लिया। ज्योति पलंग पर गिरने लगी लेकिन बंटी उसे पकड़े रहा। थोड़ी देर बाद उसने लण्ड बाहर निकाला तो ज्योति की चुत से वीर्य टपक कर बाहर भी गिरने लगा। बंटी ने अपना वीर्य ज्योति की चुत में ही भर दिया था।

ज्योति पलंग पे ही पेट के बल लेट रही और बंटी अपने कपड़े पहनने लगा। पूनम खड़ी हो गयी। उसकी चुत भी पूरी गीली थी। वो अपनी बहन की चुदाई देखी थी और उसकी चुत में वीर्य भरा हुआ देखी थी। पूनम एक मिनट खड़ी रही और फिर गेट पे नॉक करती हुई बोली "जल्दी करो। अब कोई आ जायेगा।"

ज्योति अपनी चोली को ठीक से पहनती हुई बोली "बस हो गया। आ जाओ।" पूनम दरवाजा खोल दी पर बाहर ही खड़ी रही। बंटी ज्योति की पैंटी को हाथ में फैलाकर देख रहा था। ज्योति उसे पैंटी देने बोली तो बंटी बोला "इसे मेरे पास रहने दो। ये तुम्हारी याद दिलाएगी मुझे की मैंने अपनी जान को दुल्हन बनने के बाद भी प्यार किया था।" ज्योति बोली "अरे नहीं... ये डिज़ाइनर सेट है, ब्रा पैंटी दोनों ब्राइडल कलेक्शन का है।" बंटी उसे अपनी जेब में रखता हुआ बोला "इसलिए तो तुम्हारी याद दिलाएगी।"
 
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पूनम अंदर आती हुई बोली "तुम जाओ अब यहाँ से जल्दी। और दी तुम जल्दी से अपना मेकअप ठीक करो।" बंटी बाहर निकालता हुआ बोला "थैंक्यू साली।" और इससे पहले की पूनम कुछ ध्यान दे पाती, उसने जोर से पूनम की चुच्ची को मसल दिया। जबतक पूनम कुछ कर पाती, बंटी मुस्कुराता हुआ बाहर निकल चुका था। पूनम गुस्से से एक बार बाहर देखी और फिर ज्योति को घूरने लगी।

ज्योति उठी और अपने चेहरे को ठीक करने लगी। उसका चेहरा तो ठीक ही था, उसकी चुत से बंटी का वीर्य टपक रहा था। तभी बाहर से लोगों के आने की आवाज़ सुनाई देने लगी। ज्योति बाथरूम चली गयी और अपनी चुत को पोछने लगी, जिस पर अब उसके पति का हक़ हो जाना था।

बारात आ गयी थी और लोग अब दुल्हन को ले जाने वाले थे। ज्योति के मेकअप को टचअप किया गया और पूनम और बाँकी लोग उसे बाहर ले जाने लगे जहाँ जयमाला होना था। ज्योति की चुत से अभी भी बंटी का वीर्य रिस कर बाहर आ रहा था और उसकी जाँघों को चिपचिपा कर रहा था। अंदर पैंटी नहीं थी तो ज्योति को लहँगे के अंदर वो चिपचिपाहट महसूस हो रही थी। सिर्फ पूनम को पता था कि ये दुल्हन अभी अभी अपने यार से चुदवा कर आ रही है।

पूनम अपनी दीदी के साथ स्टेज पे खड़ी थी और अब जयमाला होनेवाला था। लड़के वालों में से हर किसी की नज़र बस पूनम पे ही थी, लेकिन पूनम अदा के साथ बिना किसी से नज़रें मिलाये खड़ी थी। उसे पता था कि सभी उसे कैसे देख रहे होंगे और क्या क्या सोच रहे होंगे। ज्योति को अजीब लग रहा था, उसकी चुत जल रही थी। उसकी जाँघें चिपचिपी हो रही थी। वो बंटी से तुरंत चुदी थी और तुरंत ही जयमाला के लिए सब उसे ले आयी थी। बिना पैंटी के उसकी चुत बह रही थी। दूल्हा दुल्हन खड़े हुए और फिर एक दुसरे को माला पहनाने की रस्म हुई। ज्योति अपनी चुत से अपने यार का वीर्य टपकाते हुए खड़ी हुई और अपने होने वाले पति की आरती की और फिर उसके गले में माला डाली। उसकी जाँघें आपस में चिपक रही थी।

स्टेज के पास काफी भीड़ थी और हर कोई फोटो खीचने और खिचवाने के लिए स्टेज के आसपास ही था। थोड़ी देर बाद पूनम स्टेज से नीचे उतर कर बगल में खड़ी हो गयी क्यों की अब लड़के वाले फोटो खिचवाने वाले थे। अचानक से उसे अपनी गांड और कमर पे एक हाथ रेंगता हुआ महसूस हुआ। वो पलट कर देखी तो पीछे बंटी उसी तरह मुस्कुराता हुआ खड़ा था। वो ज्योति की पैंटी को अपने चेहरे के पास लाकर उसे अपने नाक के पास सहलाता हुआ धीरे से पूनम के कान में कहा “थंक्स साली।” एक सेकंड में पूनम की नज़रों के सामने ज्योति की चुदाई का दृश्य घूम गया। पूनम सामने देखने लगी। सामने स्टेज पे वही लड़की दुल्हन बनी हुई फोटो खिंचवा रही थी जिसकी पैंटी बंटी के हाथों में थी और जिसके चूत से बंटी का वीर्य रिस रहा था।
 
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स्टेज के पास काफी भीड़ थी और हर कोई फोटो खीचने और खिचवाने के लिए स्टेज के आसपास ही था। थोड़ी देर बाद पूनम स्टेज से नीचे उतर कर बगल में खड़ी हो गयी क्यों की अब लड़के वाले फोटो खिचवाने वाले थे। अचानक से उसे अपनी गांड और कमर पे एक हाथ रेंगता हुआ महसूस हुआ। वो पलट कर देखी तो पीछे बंटी उसी तरह मुस्कुराता हुआ खड़ा था। वो ज्योति की पैंटी को अपने चेहरे के पास लाकर उसे अपने नाक के पास सहलाता हुआ धीरे से पूनम के कान में कहा “थंक्स साली।” एक सेकंड में पूनम की नज़रों के सामने ज्योति की चुदाई का दृश्य घूम गया। पूनम सामने देखने लगी। सामने स्टेज पे वही लड़की दुल्हन बनी हुई फोटो खिंचवा रही थी जिसकी पैंटी बंटी के हाथों में थी और जिसके चूत से बंटी का वीर्य रिस रहा था।

बंटी का हाथ अभी भी पूनम की गांड का मखमली एहसास ले रहा था। बंटी हलके हलके उसकी गांड को दबा रहा था और उसकी चिकनी नंगी कमर को सहला रहा था। पूनम एक बार हाथ हटाने की कोशिश भी की, लेकिन वो ज्यादा जोर लगा नहीं सकती थी और बंटी आसानी से हट नहीं रहा था। भीड़ पूरा था और काफी शोर हो रहा था। बंटी फिर से पूनम के कान में धीरे से बोला "तुमने आज दिल खुश कर दिया। तुम नहीं होती तो ये कभी नहीं हो सकता था।" पूनम उसकी बात का कोई जवाब नहीं दी, बस धीरे से उसे बोली "छोड़ो मुझे। हाथ हटाओ।" उसे पता था कि बंटी सच कह रहा था। वो पहरेदारी करती हुई अपनी बहन को चुदवाई थी और अगर वो नहीं होती तो इसकी उम्मीद ज्यादा थी की ज्योति दुल्हन बनकर नहीं चुदती।

बंटी को हाथ न हटाना था न वो हटाया। उसका एक हाथ सामने पूनम के पेट पर था और वो पीछे से पूनम से चिपका हुआ था। इतनी भीड़ में कौन ध्यान देता और अगर कोई देख भी रहा होगा तो उसे लग रहा होगा की बंटी भीड़ में मज़े ले रहा है। वो पूनम की बात को अनसुना करते हुए बोला "ये पहली दुल्हन होगी जो अपने BF से करवा कर यहाँ है, ये पहली दुल्हन होगी जो शादी के मंडप पे अपने BF के साथ सुहागरात मना कर बैठी है। बहुत बहुत थैंक्स साली जान। अब तुम्हारी बारी।" उसने तुम्हारी बारी बोलते हुए जोर से गांड को अंदर की तरफ दबाया की पूनम चिहुँक गयी। बहुत भीड़ थी फिर भी पूनम आगे खड़ी आंटी पे गिरने लग गयी। बंटी मुस्कुराता हुआ पीछे हो गया।

फोटो शूट ख़त्म हो गया और पूनम वापस से स्टेज पे चढ़ कर ज्योति को अन्दर ले जाने लगी। रूम में पहुँचते ही ज्योति सबसे पहले बाथरूम गयी और पूनम से मांग कर एक पैंटी पहनी। उसकी चूत से अभी तक गीलापन हटा नहीं था। पूनम उसे फिर से बंटी की अभी की हरक़त बताई, तो ज्योति भी उसे गले लगाते हुए बोली "थैंक्स पूनम, सच में तू नहीं होती तो ये नहीं होता।" पूनम उसे आगे कुछ बोलती, लेकिन अभी वहाँ कई सारे लोग आ गए थे। पूनम को लगा की ज्योति को कुछ भी बोलना बेकार है। अगर बंटी मंडप पे भी उसे चोद सके तो वो चुदवा लेगी।

शादी की बाँकी रस्मे होती रही, हँसी मज़ाक चलता रहा। रात के 2 बज गए थे और खाना पीना हो चुका था। मंडप पर शादी हो रही थी। ज्यादातर लोग सोने जा चुके थे और घर के लोग और करीबी नाते रिश्तेदार बैठ कर शादी देख रहे थे। पूनम भी एक चेयर पे बैठी हुई शादी देख रही थी। उसकी आँखें भारी हो गयी थी नींद की वजह से। दिन भर भी वो बहुत काम की थी और अभी तक वो जगी हुई थी। अचानक से चेयर के बगल से उसे अपनी कमर पे हाथ रेंगता हुआ महसूस हुआ। वो चौंक गयी लेकिन अगले ही पल उसे लग गया कि ये बंटी ही होगा। और किसी की हिम्मत नहीं थी की इस तरह उसके बदन से खेले। लेकिन बंटी था कि उसे किसी भी तरह पूनम रोक ही नहीं पा रही थी। रोकती भी कैसे, वो तो खुद उससे अपनी बहन को चुदवा रही थी।
 
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पूनम धीरे से पीछे पलटी तो बंटी मुस्कुराता हुआ बैठा हुआ था और उसे देखते ही किस उछालता हुआ आँख मार दिया। पूनम धीरे से उसके हाथ को हटाई, लेकिन तुरंत पूनम के हाथ हटते ही फिर से बंटी का हाथ पूनम की चिकनी नंगी कमर पर था। बंटी धीरे से पूनम के कान में बोला "चलो न बाहर।" पूनम कुछ नहीं बोली। उसे समझ नहीं आ रहा था कि इसका क्या करे वो। उसे डर भी लग रहा था कि लोग उसे देख भी रहे होंगे। अब बंटी उसकी पीठ भी सहला रहा था। वो फिर से बोला तो पूनम ना में सर हिला दी।

पूनम समझ रही थी की बंटी बाहर जाने क्यों बोल रहा था। इस रात के अंधेरे में वो उसकी भी जवानी का मज़ा लूटना चाहता था। फिर से पूनम की नज़रों में ज्योति की दुल्हन वाली चुदाई का दृश्य घूम गया। उसे बंटी का लण्ड भी दिख गया और ज्योति की चुत में पड़ने वाले धक्के भी दिख गए। उसे लगा की वो बाहर गयी तो बंटी का लण्ड उसकी चुत में भी उसी तरह धक्के लगा रहा होगा। पूनम का मन ललच गया। उसकी चुत गीली हो गयी। गुड्डू का सिखाया पढ़ाया सब याद आ गया। लेकिन अगले ही पल उसे डर लगने लगा।

उसे लगा की 'कोई देख लेगा, मेरी कोई बहन तो है नहीं पहरेदारी करने के लिए। और मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ की किसी के साथ भी करवा लूँ। तो गुड्डू के साथ क्या करवा रही थी? और विक्की के साथ क्या करवाने वाली है? वो लोग कौन हैं? वो लोग भी तो वही करेंगे। चोदेंगे, मस्ती करेंगे और बस, काम खत्म। ठीक तो बोली है ज्योति, ये भी ओके टेस्टेड माल है। इसका लण्ड भी तो देखी ही। फिर क्या परेशानी है। .... लेकिन फिर गुड्डू? उसके साथ नहीं करवाई और इससे करवा लूँ? अरे तो उसके साथ तो करवाऊँगी ही न। यहाँ से जाते ही गुड्डू से चुदवाऊँगी। दोनों से। तो क्या बंटी से चुदवा लूँ? चुदवा ले यार, फिर कहाँ ऐसी मस्ती होने वाली है।..... नाह... ये ठीक नहीं है।'

पूनम अपनी सोच में मगन थी और बंटी आराम से उसकी नंगी पीठ और बगल को सहला रहा था। उसे लग रहा था कि पूनम रेडी हो गयी है। वो फिर से बोला "चल न बाहर।" पूनम फिर से न में सर हिलायी। उसे लगा की बंटी यहाँ पे उसे परेशान करता रहेगा तो वो कुर्सी से उठने लगी। अचानक से पूनम को लगा की बंटी ने उसकी चोली का हुक और बँधा हुआ डोरी खोल दिया है। पूनम शॉक्ड हो गयी। वो पीछे पलटी तो बंटी हॉल के बाहर जा रहा था। पूनम हड़बड़ा गयी। उसे समझ नहीं आया की क्या करे, किसे बोले इसे बाँधने। सभी शादी में व्यस्त थे और वो उन अंटियों को नहीं बोलना चाहती थी जो उस से 10 सवाल करती और फिर बाद में पता नहीं क्या क्या बातें करती।

पूनम अपने दुपट्टे से खुद को अच्छे से ढँकी और हॉल से बाहर आ गयी। दुपट्टा ट्रांसपेरेंट ही था, लेकिन अभी बहुत कम लोग थे जो जगे हुए थे। हॉल में जो बाथरूम था, उसमे जाने के लिए उसे सबको पार करके जाना पड़ता और सबको उसकी खुली हुई चोली दिख जाती, इसलिए पूनम दूसरे ब्लॉक में बने बाथरूम की तरफ चल पड़ी।

बंटी बाथरूम के पास ही खड़ा था और पूनम को मुस्कुराता हुआ देख रहा था। उसे देखकर पूनम गुस्सा होती हुई बोली "तुम पागल हो क्या? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की। बोली हूँ न की जो करना है ज्योति दी कि साथ करो, मुझसे दूर ....." पूनम की बात पूरी भी नहीं हुई थी की बंटी आगे बढ़ा और पूनम को गले से लगा लिया।

पूनम अपने दुप्पट्टे से खुद को ढँकी हुई थी तो वो ज्यादा विरोध नहीं कर पाई। जब तक वो दुप्पटे से अपने हाथ को बाहर निकाली तब तक बंटी उसके होठों को चूमता हुआ उसके पीठ को सहला रहा था और खुद से चिपका लिया था। पूनम को उम्मीद नहीं थी की बंटी कुछ ऐसा भी करेगा, लेकिन यहाँ कोई नहीं था जो उन्हें देखता।
 
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पूनम दुप्पट्टे से अपने हाथ को आज़ाद की और खुद को छुड़ाने के लिए बंटी को धक्का देने लगी। लेकिन बंटी हाथ आये माल को छोड़ने के मूड में नहीं था। वो कस के पूनम को पकड़े रहा लेकिन तुरंत उसे लगा की लोग जग सकते हैं या कोई यहाँ आ सकता है। उसने पूनम के चोली की गले के पास वाली डोरी को भी खोल दिया और अब चोली पूनम के बदन में बँधी हुई नहीं थी।

पूनम पूरी ताकत लगा कर बंटी के बदन से खुद को छुड़ाई और तब अचानक उसे एहसास हुआ की वो ऊपर से नंगी थी। पूनम का दुप्पट्टा इस छिना झपटी में ज़मीन पे गिरा हुआ था और बंटी उसकी चोली अपने हाथ में झुलाता हुआ पीछे पलट कर मुस्कुराता हुआ सीढ़ियों पर चढ़ता जा रहा था। पूनम इस तरह खुल्ले में टॉपलेस होकर अधनंगी खड़ी थी। लाइट में उसका दूधिया बदन चमक रहा था। बंटी उसकी गोल रसगुल्लों को देखता हुआ मुस्कुराता ऊपर छत पर जा रहा था। जैसे ही पूनम को अपनी नग्नता जा एहसास हुआ, वो झट से अपने दुप्पट्टे को उठायी और जल्दी से खुद को ढँकी और बंटी को आवाज़ देती हुई उसके पीछे भागी। उसे यकीन नहीं हुआ की वो इस तरह इस हालत में ऐसी जगह पर भी हो सकती है और इस तरह किसी लड़के के पीछे जायेगी।

बंटी छत पर पहुँच चूका था और पूनम ट्रांसपेरेंट दुप्पट्टे से अपने नंगेपन को छुपाने की नाकाम कोशिश करती हुई उसके पीछे छत पर आ चुकी थी। वो हैरान परेशान सी बंटी को ढूंढने लगी, लेकिन छत बड़ा था और रात का वक़्त था। वो धीरे से आवाज़ देती हुई बोली "बंटी, प्लीज़... ऐसे मत करो। मेरी चोली दो मुझे।" वो छत की दूसरी तरफ आयी तो बंटी उसे छत के कोने में खड़ा दिखा। पूनम की चोली बंटी के हाथ में थी और छत से नीचे की तरफ लटकती हुई लहरा रही थी।

पूनम और ठीक से अपने बदन को ढँकने की कोशिश की और बोली "मेरी चोली लाओ इधर, ये तुम ठीक नहीं कर रहे। मैं बता दूँगी सबको की तुम यहाँ क्या क्या कर रहे हो।" बंटी उसकी तरफ पलटा और बोला "क्या बताओगी? की मैं यहाँ छत पर तुम्हे जबर्दस्ती लेकर आया हूँ। मैंने जबर्दस्ती तुम्हारी चोली को उतारा है। क्या बताओगी की मैंने ज्योति के साथ रेप किया है?" पूनम कुछ नहीं बोली। उसके पास कोई जवाब नहीं था। अगर अभी कोई उसे देख लेता तो यही समझता की वो अपनी मर्ज़ी से यहाँ बंटी के साथ जवानी की मस्ती कर रही है।

पूनम अपनी हिम्मत हारती हुई बोली "किसी को कुछ नहीं बोलूँगी। प्लीज़ मेरी चोली मुझे दे दो। कोई देख लेगा, कोई आ जायेगा। मैं कितनी मदद की तुम्हारी, प्लीज़ मेरे साथ ऐसा मत करो।" बंटी पूनम की तरफ आगे बढ़ता हुआ बोला "ठीक है दे दूँगा। बस एक बार अपने चमकते जिस्म को देख तो लेने दो। तुम्हारे जैसी परी को देखने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।" पूनम शर्मा कर अपना सर झुका ली। बंटी उसकी नंगी चुच्ची को देखना चाहता था जिसकी एक झलक वो अभी नीचे देख चुका था।

"प्लीज़ ऐसा मत करो। मैं कितनी हेल्प की तुम्हे ज्योति से मिलाने में। प्लीज़ मेरी चोली मुझे दे दो। कोई आ जायेगा।" बंटी पूनम की तरफ आगे बढ़ने लगा तो पूनम भी थोड़ी पीछे हो गयी। बंटी अपनी जगह पर रुक गया और वापस से छत की दीवाल तक जाता हुआ बोला "तो ठीक है, मैं जाता हूँ नीचे और तुम्हारी चोली को भी नीचे भेज देता हूँ।" पूनम की चोली फिर से छत के नीचे होकर बंटी के हाथों में लहरा रही थी।

पूनम डर गयी की कहीं बंटी ने सच में चोली नीचे फेंक दिया या गलती से भी उसके हाथ से अगर छूट गया तो वो क्या करेगी। वो खुद को नंगी करने के लिए मानसिक तौर पर तैयार कर ली। बोली "प्लीज़ ऐसा मत करो बंटी। तुम ज्योति दी कि साथ किये न, तुम उससे प्यार करते हो न। प्लीज़...." बंटी बोला "तुम्हारी ज्योति दी तो गयी साली साहिबा, अब तो वो दूसरे के बिस्तर पे नंगी होगी। मेरे बिस्तर पे कौन नंगी होगी?
 
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पूनम कुछ नहीं बोली। वो तैयार हो रही थी। बंटी आगे बोला "देर मत करो साली, मुझे देख लेने दो एक बार तुम्हारा सुनहला बदन।" पूनम सर झुकाए खड़ी थी। बंटी फिर से चलते हुए उसके सामने आया और कंधे पर हाथ रखता हुआ पूनम के गर्दन को सहलाने लगा। पूनम कोई विरोध नहीं की सिवाय गर्दन हिला कर बंटी के हाथ को रोकने की। वो अपने हाथ का इस्तेमाल कर नहीं सकती थी। बंटी उसके और करीब आ गया और एक हाथ पूनम की कमर पर रखा और उसकी कमर, बगल को सहलाता हुआ पीठ को सहलाने लगा। बंटी का हाथ उसके नंगे बदन पर फिसल रहा था और पूनम की जवानी गर्म हो रही थी।

कुछ ही पल में बंटी का हाथ पूनम के बगल से रेंगता हुआ दुप्पट्टे के अंदर पहुँच गया था और पूनम की चुत गीली होने लगी थी। वो समझ गयी थी की अब उसे नंगी होना होगा और बंटी से चुदवाना होगा। बंटी ने पूनम का हाथ उसके सीने से हटाया तो पूनम धीरे से बस "प्लीज़ बंटी... नहीं..." बोलती हुई अपनी पकड़ ढीली कर दी और बंटी पूनम का हाथ उसके सामने से हटा दिया। उसकी नज़रों के सामने पूनम की दूधिया जवानी चमकने लगी। बंटी ने पूनम के दोनों हाथों को सीधा कर दिया और उसकी गोल गुदाज चुचियों को देखता हुआ दुप्पट्टे को उतार कर हटा दिया। पूनम सर झुकाए जमीन पर देखते हुए खड़ी थी। वो एक और लड़के के सामने नंगी खड़ी थी। ऐसे लड़कों के सामने जिन्हें बस उसे चोदना था, बस मस्ती करनी थी।

बंटी उसके बदन को निहारता हुआ थोड़ा पीछे होता हुआ बोला "जाओ, दरवाज़ा बंद कर दो।" पूनम को इस चीज़ की उम्मीद नहीं थी। उसे लगा था कि अब बंटी उसके बदन से खेलता हुआ उसे नंगी करेगा और फिर अपने मोटे काले लण्ड से उसकी चुदाई करेगा। पूनम चुदवाने के लिए खुद को तैयार कर ली थी, लेकिन वो तो दूसरे ही मूड में था। पूनम को तो समझ ही नहीं आया की वो क्या करे। वो बस अपने हाथों से अपनी छाती को फिर से ढँक ली। छत पर ज्यादा रौशनी नहीं थी, लेकिन नीचे शादी की जगमग रौशनी और ऊपर आसमान में मौजूद आधा चाँद इतनी रौशनी दे रहा था कि पूनम का गोरा बदन बंटी की नज़रों में चमक बिखेरता रहे।

बंटी फिर से बोला "हाथ नीचे करो और जैसे कमर मटका कर चलती हो, वैसे चल कर जाओ और दरवाज़ा बंद कर दो। अगर कोई आ गया न तो समझ लेना तुम की किसे क्या बोलोगी।" बंटी पूनम के दुप्पट्टे को छत से उठा लिया और चोली के साथ लपेट कर छत के कोने में फेंक दिया। पूनम कुछ बोलने का सोंची लेकिन फिर उसे लगा बोलने से कोई फायदा नहीं है। वो खुद को तैयार कर ली की अब चुदवा ही लेना है।

वो दरवाज़े की तरफ घूमी और अपने हाथ को नीचे करते हुए जाने लगी। वो बहुत रोमांचित महसूस कर रही थी की इस तरह छत पर अपनी चूचियाँ नंगी कर हिलाते हुए वो चल रही है। वो कभी नहीं सोची थी की इस तरह कहीं और नंगी घूमेगी, कोई लड़का इस तरह उसे नंगी घुमाएगा। पूनम दरवाज़ा बंद कर दी और वापस बंटी की तरफ घूमी तो वो न चाहते हुए भी शर्मा गयी और उसके हाथ उसके सीने पर आ गए। पूनम वापस उसी जगह पर आकर खड़ी हो गयी और बोली "अब देख लिए न, अब मेरे कपड़े वापस दो और मुझे जाने दो।" पूनम को पता था कि वो ऐसे ही बोल रही है, इसका कोई मतलब नहीं है और बंटी को अगर कपड़ा देना होता तो वो दरवाज़ा बंद नहीं करवाता। पूनम भी अब चुद जाने के लिए तैयार थी। ज्योति की बात मान ले रही थी।
 
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वो दरवाज़े की तरफ घूमी और अपने हाथ को नीचे करते हुए जाने लगी। वो बहुत रोमांचित महसूस कर रही थी की इस तरह छत पर अपनी चूचियाँ नंगी कर हिलाते हुए वो चल रही है। वो कभी नहीं सोची थी की इस तरह कहीं और नंगी घूमेगी, कोई लड़का इस तरह उसे नंगी घुमाएगा। पूनम दरवाज़ा बंद कर दी और वापस बंटी की तरफ घूमी तो वो न चाहते हुए भी शर्मा गयी और उसके हाथ उसके सीने पर आ गए। पूनम वापस उसी जगह पर आकर खड़ी हो गयी और बोली "अब देख लिए न, अब मेरे कपड़े वापस दो और मुझे जाने दो।" पूनम को पता था कि वो ऐसे ही बोल रही है, इसका कोई मतलब नहीं है और बंटी को अगर कपड़ा देना होता तो वो दरवाज़ा बंद नहीं करवाता। पूनम भी अब चुद जाने के लिए तैयार थी। ज्योति की बात मान ले रही थी।

बंटी उसके करीब आया और बोला "अच्छे से देखने तो दो मेरी साली। अपने यौवन से हाथ तो हटाओ मेरी जान।" बोलते हुए बंटी ने पूनम के हाथों को नीचे कर दिया और पूनम भी हाथ को ढीला करते हुए नीचे हो जाने दी। बंटी गौर से उन चुचियों को देख रहा था जिसे वो रसमलाई की तरह खा जाना चाहता था। पूनम शर्मा गयी और नीचे देख रही थी। खुली हवा में नंगा बदन, वो भी एक लड़के के सामने, पूनम की निप्पल पूरी टाइट होकर तन गयी थी, उसकी चुत गीली हो गयी थी। वो चुदने वाली थी। एक अनजान लड़के से।

"उफ़्फ़...क्या माल हो मेरी जान तुम" बोलता हुआ बंटी अपनी हथेली को पूनम की एक गोलाई पर रखा और जोर से मसला। पूनम के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी। बंटी ने उसे खुद से चिपका लिया और एक हाथ से उसकी पीठ और एक हाथ से चुच्ची सहलाने लगा। पूनम का बदन पिघलने लगा। इससे पहले भी गुड्डू ने उसके बदन को छुआ था, लेकिन अभी पूनम को पता था कि वो आज चुदेगी। बंटी का हाथ फिसलता हुआ लहँगा के अंदर जा रहा था और वो झुक कर पूनम के गर्दन को चूम रहा था और निप्पल को मुँह में भरकर चूस रहा था।

पूनम अपने हल्के हाथों से बंटी के हाथों को रोकती हुई बोली "आह बंटी.... ये क्या कर रहे हो। तुम तो बोले थे बस देखोगे...., अब जाने दो मुझे।" उसे लगा था कि 'ऐसा बोलने से बंटी को ये नहीं लगेगा कि वो चुदवाने के लिए तैयार है, उसे लगेगा कि मैं ये सब नहीं चाहती। लेकिन अब वो बिना चोदे रुकने वाला नहीं।' बंटी अचानक से पूनम के बदन को सहलाता हुआ रुक गया और उससे अलग हो गया। पूनम शॉक्ड हो गयी की ये क्या हो रहा है और बंटी अब क्या कराने वाला है उससे।

बंटी थोड़ा पीछे हो गया और बोला "ठीक है, तुम्हे जाना है तो जा सकती हो। बस अपनी पैंटी मुझे देती जाओ। ज्योति की भी पैंटी मेरे ही पास है। बस, तुम चली जाओ।" बंटी अपनी जेब से ज्योति की पैंटी निकालकर पूनम को दिखाता हुआ बोला। पूनम को पता था कि बंटी का वीर्य ज्योति की चुत से उस वक़्त भी बह रहा था जब ज्योति जयमाला कर रही थी। पूनम को समझ नहीं आया की अब वो क्या करे। उसे बंटी पे चिड़चिड़ाहट हो रही थी। 'चोदना है तो चोद ले जल्दी। इतनी नौटंकी क्यों कर रहा है। कोई आ जायेगा या देख लेगा बस। नीचे लोग भी ढूंढने लगे होंगे मुझे।'

पूनम को खड़ी देख बंटी फिर बोला "क्या सोच रही हो? दो अपनी पैंटी। ब्रा तो तुम पहनी नहीं थी, चोली रख नहीं सकता। पैंटी ही रखूँगा तुम्हारी याद में।" पूनम देर नहीं की और अपने लहँगे को ऊपर की और हाथ अंदर डालते हुए अपनी पैंटी को उतारने लगी। पूनम पैंटी नीचे की और फिर पैर से निकाल दी। अब वो बस लहँगे में थी। बंटी नीचे बैठकर पैंटी को उठा लिया और सूँघते हुए बोला "मम्मम... जवानी की ख़ुशबू...." पूनम शर्मा गयी। बंटी खड़ा हो गया और पूनम को गोद में उठा लिया और बगल में बिछे गद्दे पे लिटा दिया। पूनम कोई विरोध नहीं की।

पूनम गद्दे पे सीधी लेटी हुई थी और बंटी उसके ऊपर झुक कर उसकी चुच्ची को चूसने लगा और दूसरे चुच्ची को मसलने लगा। पूनम के मुँह से फिर से सिसकारी निकलने लगी। बंटी का हाथ पूनम के नंगे बदन पे रेंग रहा था और वो लहँगे को ऊपर उठाता जा रहा था। पूनम अब उसे मना करने के मूड में नहीं थी। कुछ ही पल में बंटी का हाथ पूनम की चिकनी जाँघों पर था लहँगा और ऊपर उठ चुका था। पूनम की चिकनी चुत उस कम रौशनी में भी चमक रही थी।

बंटी का हाथ पूनम की चुत के ऊपर आया और अगले ही पल चुत की दरारों में बंटी की उँगलियाँ गीली हो रही थी। "आह" करती हुई पूनम के पैर अपने आप फ़ैल गए। बंटी ने ऊँगली को चुत के अंदर डाल दिया और उसे तुरंत एहसास हो गया कि कमसिन चुत अंदर से कितनी गर्म है। बंटी तुरंत पूनम की टाँगों के बीच में आ गया और उस कमसिन जवान चुत का रसपान करने लगा। बंटी ने पूनम के पैरों को फैलाया तो पूनम खुद ही अपने पैर को और फैला दी। बंटी अपने हाथों से पूनम की चुत को फैलाकर उसे पुरे मुँह में भरता हुआ चूस रहा था। जीभ की नोक चुत के मुहाने पर रगड़ रहा था वो। पूनम का बदन ऐंठ रहा था। वो बंटी के सर को अपनी चुत पर दबा रही थी। पूनम की चुत अब रस छोड़ने वाली थी की बंटी ने मुँह हटा लिया। पूनम तड़प कर रह गयी।

बंटी अपने कपड़े उतारने लगा। पूनम ऑंखें बंद किये उसी तरह लेटी रही। बंटी पूरा नंगा हो गया और पूनम के बगल में लेटते हुए उसके होठ चूसने लगा और पूनम के हाथ में अपना लण्ड पकड़ा दिया। लण्ड पकड़ते ही पूनम पूरा होश खो बैठी। बहुत दिन बाद कोई लण्ड उसके हाथ में था। वो लण्ड जो अभी उसकी चुत में जाने वाला था। वो लण्ड जिससे वो अपनी बहन को चुदते देख चुकी थी। पूनम लण्ड सहलाने दबाने लगी। जितना बड़ा और मोटा वो सोची थी, उससे ज्यादा ही लग रहा था उसे। बंटी पूनम के होठ को छोड़ा और बोला "चूस न।"
 

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