Adultery कभी गुस्सा तो कभी प्यार

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पूनम के हाथ में अपना लण्ड पकड़ा दिया। लण्ड पकड़ते ही पूनम पूरा होश खो बैठी। बहुत दिन बाद कोई लण्ड उसके हाथ में था। वो लण्ड जो अभी उसकी चुत में जाने वाला था। वो लण्ड जिससे वो अपनी बहन को चुदते देख चुकी थी। पूनम लण्ड सहलाने दबाने लगी। जितना बड़ा और मोटा वो सोची थी, उससे ज्यादा ही लग रहा था उसे। बंटी पूनम के होठ को छोड़ा और बोला "चूस न।"

पूनम उठ कर बैठ गयी और बिना किसी नॉटंकी के लण्ड चूसने लगी। वो पहले अच्छे से देखी की बंटी का लण्ड कैसा है। गुड्डू के लण्ड की ही तरह मोटा, लम्बा, सामने से चिकना और पूरा काला। वो लण्ड पर किस की और मुँह में भरकर उसे चूसने लगी। उसे लण्ड चूसने आता था। गुड्डू ने उसे ट्रेंड कर दिया था। बंटी सीधा लेटा हुआ था और पूनम उसके लण्ड को पूरा मुँह में भरकर चूस रही थी। बंटी उसके सर को अपने लण्ड पर दबा रहा था। एक नए मुँह में उसका लण्ड गया था और कुछ ही देर में एक नयी कमसिन चुत में जाने वाला था।

बंटी खड़ा हो गया और पूनम को बोला "तू नंगी नहीं होगी क्या?" पूनम बैठे बैठे ही अपने लहँगे को उतार दी और पूरी नंगी ही गयी। बंटी ने पूनम को सीधा लिटा दिया और उसके पैर के बीच में बैठ गया। पूनम की ऑंखें बंद हो गयी। वो चुदने वाली थी। उसकी चुत में फाइनली एक मोटा लण्ड जाने वाला था। अगर उसे पता होता की वो यहाँ शादी में बंटी से चुदेगी तो वो गुड्डू से चुदवाने में इतना देर नहीं करती, इतना सोच विचार नहीं करती। वो तो शरीफ बनी रहना चाहती थी, लेकिन रह नहीं पा रही थी। पहले अमित से चुदी और अब बंटी से चुदने वाली है। और जब चुदवाना ही है तो फिर इतनी देर क्यों करना।

बंटी अपने लण्ड को पूनम की चुत से सटा दिया और छेद पर रखकर लण्ड से चुत सहलाने लगा। पूनम अपनी टाँगों को और फैला दी और लण्ड को अंदर लेने के लिए ऐसे तैयार हो गयी जैसे कोई आदमी इंजेक्शन लेने के लिए तैयार होता है। उसे पता होता है कि दर्द करेगा ही, लेकिन लेना जरूरी है। पूनम को भी पता था कि जब अमित का लण्ड इतना दर्द किया था तो ये तो उससे बहुत मोटा और बड़ा है। पूनम भी बंटी के लण्ड का इंजेक्शन अपनी चुत में लेने के लिए तैयार हो गयी।

बंटी लण्ड को निशाना पर लगाकर पूनम के ऊपर लेट गया और ताकत लगाया। पूनम की गीली चुत में बंटी का मोटा मूसल लण्ड सरकने लगा। पूनम दर्द से सिहर उठी। बंटी ने उसे जोर से दबाया हुआ था तो वो हट नहीं पाई। बंटी थोड़ा और जोर लगाया और उसका लण्ड एक नयी चुत के अंदर था। पूनम अपने पैरों को और फैला ली थी और लण्ड सरसराता हुआ चुत में उतरने लगा।

अब बंटी ठीक से पूनम के ऊपर हो गया और जोर का धक्का लगाने लगा। "आह" पूनम को मज़ा आने लगा था। लण्ड चुत की गहराई में ठोकर मार रहा था। पूनम बंटी को पकड़ ली और उसकी कमर को अपने चुत पे दबाने लगी और उसके पीठ को सहलाने लगी। बंटी पूनम के होठ को चूसता हुआ दोनों चुच्ची को पकड़ कर मसल रहा था और पूरे स्पीड में धक्का लगाता हुआ अपनी नयी माल को चोद रहा था। दोनो को पूरा मज़ा आ रहा था। बंटी को मज़ा आ रहा था कि वो पूनम की टाइट कसी हुई चुत को चोद रहा था और पूनम को मज़ा आ रहा था कि वो बंटी के मोटे लंबे लण्ड से चुद रही थी।

बंटी लण्ड को चुत में पूरा अंदर किया और इसी तरह पूनम को पकड़ कर घूम गया। अब वो नीचे था और पूनम उसके ऊपर। पूनम को बहुत मज़ा आया इस तरह। पूनम उसके लण्ड पर अपनी चुत रगड़ने लगी और बंटी पूनम की गांड को पकड़ कर अपने लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगा। पूनम की चुच्ची बंटी के सीने पे रगड़ाती रही। कुछ ही देर में पूनम की चुत ने रस छोड़ दिया और पूनम तेज साँसे लेती हुई बंटी के ऊपर लेट रही। बंटी मुस्कुरा उठा और पूछा "पानी छोड़ दी क्या?" पूनम कोई जवाब नहीं दी, उसी तरह लेटी रही। उसे बहुत मज़ा आया था। इतनी बार खुद से चुत से पानी निकालने के बाद आज वो चुदवाते हुए पानी छोड़ी थी।

बंटी पूनम के नीचे से हट गया। पूनम अभी भी पेट के बल ही लेटी हुई थी। उसकी चुत से रस टपक रहा था। बंटी पूनम की टाँगों के बीच आ गया और अपने लण्ड को चुत के छेद पर सटाने लगा। लेकिन उस तरह लण्ड अंदर जाना मुश्किल था। उसने पूनम की कमर पकड़ कर ऊपर उठाया और अब पूनम कुतिया बनी हुई थी। बंटी ने अपने लण्ड को अब अच्छे से चुत पर सटाया और पूनम की कमर को पकड़ कर धक्का लगाया।

पिछे से लण्ड अंदर जाते ही लण्ड चुत के ऊपरी हिस्से में टकराया और पूनम दर्द से सिहर उठी और आगे की तरफ छिटकी। लेकिन बंटी मंजा हुआ अनुभवी चुदक्कड़ था। उसने पूनम की कमर को अच्छे से कस के पकड़ा हुआ था और पूनम आगे हुई तो वो भी आगे होता हुआ लण्ड को अंदर उतार दिया। उसने फिर से पूनम को सीधा किया और फिर से धक्का मारा। लण्ड अब पूरा अंदर उतर गया और अब बंटी पीछे से पूनम की चुदाई कर रहा था। दर्द की वजह से पूनम अपने सर को गद्दे पर रखकर दर्द बर्दाश्त कर रही थी।
 
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बंटी अब अच्छे से धक्का लगा रहा था। उसने पूनम के बालों को पकड़ा और अपनी तरफ खींचता हुआ पूनम के सर को उठा दिया और फिर से चोदने लगा। पूनम का भी दर्द कम हो गया था तो वो भी मज़े लेने लगी। पूनम अपनी चुचियों को देखी और उसे ज्योति की हिलती हुई चुचियों की याद आ गयी की अभी कुछ घंटे पहले यही लड़का इसी तरह ज्योति को चोद रहा था और अब वो खुद चुद रही थी। बंटी पुरे ताकत से धक्का लगा रहा था और लण्ड पूरा अंदर जा रहा था चुत में। हर धक्के के साथ पूनम आगे पीछे हो रही थी और उसकी चुच्ची भी पूरा झूलते हुए आगे पीछे हो रही थी।

बंटी ने लण्ड बाहर निकाल लिया और पूनम के बालों को खींचता हुआ ही बोला "उठ, खड़ी हो जा।" पूनम बाल खींचे जाने के दर्द से "आहः" करती हुई खड़ी हो गयी। उसकी चुत और जाँघों पर चुदाई का रस लगा हुआ था। बंटी पूनम को छत पर बने दीवाल पर झुका दिया और उसके पीछे आकर फिर से उसकी चुत में लण्ड डाल दिया। लण्ड अभी तुरंत अंदर घुस गया और फिर से पूनम चुद रही थी।

पूनम को सामने का नज़ारा दिख रहा था। सामने की बिल्डिंग में उसकी बहन की शादी हो रही थी जो अभी कुछ देर पहले इसी लण्ड से चुदी थी। वहीँ पे पूनम के मम्मी पापा और बाँकी रिश्तेदार मौजूद होंगे। बंटी पीछे से धक्का लगाता जा रहा था और पूनम हर धक्के के साथ आगे पीछे हो रही थी। पूनम की चूचियाँ छत की दीवाल पर टकराते हुए रगड़ा रही थी। बंटी अच्छे से कमर को पकड़े हुए था और पूनम की भरपूर चुदाई हो रही थी।

बंटी ने लण्ड निकाल लिया और पूनम को सामने घुमा कर चूसने बोला। पूनम नीचे बैठ गयी और बंटी के लण्ड को मुँह में भरकर चूसने लगी। लण्ड पूरा गीला था पूनम की चुत के रस से। पूनम चुदाई की खुशबू लेती हुई बंटी के लण्ड को चूस रही थी। बंटी उसके मुँह को अपने लण्ड पर दबा लिया और पूनम के मुँह के अंदर ही उसका लण्ड झटके मारने लगा। गरमा गरम वीर्य पूनम के गले में उतरने लगा। पूनम को अब वीर्य पीने का अनुभव था। वो भी झट से वीर्य को निगलने लगी। बहुत सारा वीर्य पूनम निगल गयी और बहुत सारा उसके चेहरे पर गिर पड़ा।

आखिरी बून्द वीर्य टपका कर बंटी गद्दे पर लेट गया और पूनम भी गद्दे पर गिर गयी। उसकी जान ही निकल गयी थी। इतनी लम्बी और दमदार चुदाई ने उसके जिस्म से जान निकाल दिया था। आखिर पूनम फिर से चुद ही गयी थी। जिस चुदाई से बचने के लिए वो गुड्डू से दूर रहने की कोशिश की थी, बंटी ने तीन दिन में उसे चोद लिया था। थोड़ी देर में बंटी उठ पड़ा। पूनम का उठने का मन तो नहीं था, लेकिन उसे भी उठना पड़ा। बंटी अपने कपड़े पहनने लगा था। पूनम भी अपने कपड़े पहनने के लिए उठी। उसके सारे कपड़े छत पर अलग अलग जगहों पर थे। वो सबसे पहले अपने लहँगे को पहन ली जो उसके बगल में ही था। फिर वो नंगी ही उठी और चलती हुई पैंटी तक आयी पैंटी और उठाने लगी तो उससे पहले बंटी पैंटी को उठाकर अपनी जेब में रख लिया। बोला "इसे मेरे पास रहने दो। एक ही रात में दोनों बहनों की चुदाई की है मैंने, दोनों की पैंटियों को भी एक साथ ही रहने दो।

पूनम भी बहस या ज़िद नहीं की। वो उसी तरह नंगी चुचियों के साथ छत के कोने तक गयी और अपनी चोली को उठा कर पहनी और चोली की डोरी को बंटी से ही बंधवाई। उसी ने खोला था और चोदने के बाद बाँधा भी उसी ने। दोनों नीचे आ गए और पूनम चुपचाप ज्योति की बगल में जाकर बैठ गयी। ज्योति धीरे से पूछी "कहाँ थी?" तो पूनम शरमाते हुए मुस्कुरा दी। ज्योति को तभी सामने से बंटी भी आता दिखा। ज्योति धीरे से बोली "तू बंटी के साथ थी?" पूनम शरमाते हुए मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलायी। ज्योति अपनी आँखों को बड़ी करते हुए आश्चर्य से इशारे से ही पूछी "हाँ?" पूनम उसी तरह शरमाते हुए हाँ में सर हिलायी। ज्योति उसे अपनी कोहनी से मारी और दोनों बहनें मुस्कुरा दी। बंटी भी दोनों को देखकर मुस्कुरा रहा था।
 
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पूनम भी बहस या ज़िद नहीं की। वो उसी तरह नंगी चुचियों के साथ छत के कोने तक गयी और अपनी चोली को उठा कर पहनी और चोली की डोरी को बंटी से ही बंधवाई। उसी ने खोला था और चोदने के बाद बाँधा भी उसी ने। दोनों नीचे आ गए और पूनम चुपचाप ज्योति की बगल में जाकर बैठ गयी। ज्योति धीरे से पूछी "कहाँ थी?" तो पूनम शरमाते हुए मुस्कुरा दी। ज्योति को तभी सामने से बंटी भी आता दिखा। ज्योति धीरे से बोली "तू बंटी के साथ थी?" पूनम शरमाते हुए मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलायी। ज्योति अपनी आँखों को बड़ी करते हुए आश्चर्य से इशारे से ही पूछी "हाँ?" पूनम उसी तरह शरमाते हुए हाँ में सर हिलायी। ज्योति उसे अपनी कोहनी से मारी और दोनों बहनें मुस्कुरा दी। बंटी भी दोनों को देखकर मुस्कुरा रहा था।

आखिरकार पूनम चुद ही गयी। अमित से मिले धोखे के बाद कितना उथल पुथल मचा था उसके दिमाग में। कितना कुछ सोची थी वो की अब शादी से पहले किसी के साथ कोई संबंध ही नहीं रखेगी, किसी के करीब ही नहीं होगी। लेकिन पहले तो गुड्डू ने उसे पिक्स और कहानी भेजकर और फोन पे उसे चोद कर उसके दिमाग को बदला, फिर भी वो बहुत कुछ सोचती रही थी, यही वजह थी की गुड्डू के साथ इतना कुछ होने के बाद भी वो उससे चुदवाने की हिम्मत नहीं कर पाई थी। लेकिन ये गुड्डू के सिखाये पाठ का ही असर था कि जिस माल को गुड्डू ने इतनी मेहनत से तैयार किया था, 3 दिन में ही बंटी ने उस फसल को खा लिया था। उस कमसिन कसी हुई चुत में अपना लण्ड घुसा दिया था।

देखा जाए तो एक तरह से पूनम का रेप हुआ था। बंटी ने उसे मजबूर कर दिया था नंगी होने को और बिना उसकी मर्ज़ी के उसके कपड़ों को उसके बदन से उतार दिया था, लेकिन पूनम बहुत खुश थी बंटी से चुदवा कर। जितना कुछ वो सोची थी और जैसी जैसी पिक्स वो देखी थी, बहुत कुछ किया था बंटी ने। जैसे जैसे वो चुदवाना चाहती थी, उस तरह ऊपर नीचे आगे पीछे करके चोदा था बंटी ने उसे और फिर अपनी ही चुत को चोदने वाले लण्ड को वो चूसी भी थी और उसका वीर्य भी पियी थी।

एक तो वो इतने दिनों बाद चुदी थी और उसपर से अमित और बंटी में बहुत अंतर था। दोनों के लण्ड के आकार में भी और चोदने के अनुभव में भी। अमित ने पहली पहली बार पूनम को ही चोदा था जबकि बंटी पता नहीं कितने सारे चुत का स्वाद चखा चूका था अपने लण्ड को। बंटी का लण्ड चुत में गहरा अंदर तक घुमा था जबकि अमित का लण्ड तो बस दरवाजे के अंदर जाकर ही रह गया था। बंटी से चुदवा कर उसे यकीन हो गया कि गुड्डू सच कहता है और एक बार चुदवा लेने के बाद कोई भी ओरत मना नहीं करती होगी।

उसे बुरा बस ये लग रहा था कि वो बंटी से चुदवा ली, लेकिन गुड्डू से नहीं चुदवाई। उसे लग रहा था कि उसे पहले गुड्डू से चुदवाना चाहिए था, फिर जिसे चोदना होता चोद लेता। गुड्डू ने ही उसे चुदवाने के लिए तैयार किया था, गुड्डू ने ही उसे बताया था कि चुदाई कैसे होती है और उसमें कितना मज़ा आता है, लेकिन फिर भी वो उसके घर पर नहीं गयी और रेस्टुरेंट में इसलिये मिली की चुदे नहीं और यहाँ बंटी ने उसे इतने लोगों के होते हुए भी चोद लिया था। पूनम सोच ली की घर वापस पहुँचते ही वो गुड्डू के सामने नंगी होकर बिछ जायेगी और वो जितनी बार चोदेगा उतनी बार उससे चुदवाएगी। उसकी चुत पर पहला हक़ गुड्डू का है, फिर चाहे जो चोद ले। अब वो दो लण्ड से तो चुद ही चुकी है तो दो और लण्ड तो लेगी ही। उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो गुड्डू के साथ धोखा की हो।

सुबह होने वाला था और शादी लगभग हो चुकी थी। ज्योति अब एक कमरे में थी और उसे भी बहुत बेचैनी हो रही थी। वो जल्दी से जल्दी जानना चाहती थी की कैसे कैसे क्या हुआ, लेकिन उसे अब तक मौका नहीं मिला था। अभी भी कमरे में बहुत सारे लोग थे और पूरा शोरगुल हो रहा था। वो मौका देखकर पूनम को अपने बगल में बिठायी और उससे पूरी बात पूछने लगी की कैसे बंटी ने उस मतवाली घोड़ी की चुत में अपने लण्ड का लगाम लगाया। पूनम भी शर्माती मुस्काती उसे पूरी बात बता दी की कैसे बंटी उसकी चोली खोला और कैसे अधनंगी कर छत पर ले गया और फिर कैसे पूनम पूरी नंगी होकर अपनी दीदी के बॉयफ्रेंड से चुदी। ज्योति सबके बीच में ही धीरे धीरे पूछती रही और पूनम भी धीरे धीरे ही बताती रही।

ज्योति धीरे से पूनम के कान में बोली "अगर पहले मेरी बात मान लेती तो इस तरह अधनंगी होकर तो नहीं घुमाता वो। लेकिन इसमें भी मज़ा ही आया होगा।" पूनम बोली "मैं तो शॉक्ड हो गयी थी की ये क्या हो रहा मेरे साथ। लेकिन जब छत पर सिर्फ लहँगे में दरवाज़ा बंद करने गयी और उसके पास आई, तब तो बहुत अच्छा लगा।" ज्योति पूनम के पेट में धीरे से कोहनी मारती हुई बोली "तब...पूरा अंदर गया न एकदम गहराई तक?" पूनम शरमाते हुए हाँ में सर हिलायी। पूनम को चुदाई याद आ गयी की बंटी का लण्ड कितना बड़ा और मोटा है और कैसे उसकी चुत पूरी फ़ैल गयी होगी और अंदर के धक्के तक को वो कैसे महसूस की थी। अमित से भी चुदवाने में उसे मज़ा आया था लेकिन बंटी के मुकाबले अमित की चुदाई कहीं नहीं टिकती है।
 
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पूनम को गुस्से में देख उस लड़के को भी गुस्सा आना ही था. वो भी गुस्से में ही बोला “बोल तो ऐसे रही हो जैसे कितनी शरीफ हो. तुम्हे क्या लगता है मैं तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जनता क्या.” उसके मुंह से ऐसा सुनकर पूनम शॉक्ड सी हो गयी. वो लड़का आगे बोला “देखो, तुम किसके साथ क्या कर रही हो और क्या नहीं, मुझे उससे कोई मतलब नहीं , मैं बस इतना कह रहा हूँ की मेरे साथ भी एक बार मस्ती कर लो. बस.”

पूनम की बोलती बंद हो गयी थी, लेकिन वो फिर से अपने गुस्से को बढाती हुई बोली “मुझे ऐसी वैसी समझने की गलती भी मत करना. मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ. भागो यहाँ से नहीं तो तुम सोंच भी नहीं सकते की मैं तुम्हारा क्या करवाउंगी. बोलती हुई पूनम तेज़ तेज़ कदमो से चलती हुई अपने घर की तरफ चल पड़ी। वो जब अपने घर का गेट खोल रही थी तो देखि की वो लड़का अभी भी कार्नर पे ही खड़ा था और उसे ही देख रहा था.

पूनम को बहुत डर लग रहा था की कहीं उसकी माँ ये सब देख न ली हो या सुन न ली हो. लेकिन उसकी माँ अन्दर किचेन में कुछ कर रही थी. पूनम चैन की साँस ली और अपने रूम में चली गयी. थोड़ी देर बाद वो छत पे जाकर देखी लेकिन अभी वहां कोई नहीं था.

पूनम को बहुत डर लग रहा था. उसे समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे. कभी उसका मन होता की माँ को ये सब बता दी, लेकिन फिर डर होता की कहीं अगर उसके घर में अमित के बारे में न पता चल जाये. दूसरा डर ये था की कहीं ये बात पापा को पता चली तो पापा उसका घर से बाहर निकलना बंद करवा देंगे और फिर न तो वो नौकरी कर पायेगी और न ही अमित से मिल पायेगी, जिसे वो अपना सब कुछ दी चुकी है और जिससे वो बहुत प्यार करती है और शादी करना चाहती है.

2-3 इसी तरह शांति से गुजर गए थे। पूनम उन लड़कों के लेटर और पिक्स को डर से फेंक दी थी की कहीं उसकी माँ उसे देख न ले। वो लड़के उसे दिखे जरूर थे लेकिन फिर से उनलोगों ने कोई भी रिएक्शन नहीं दिया था। पूनम की चुत की खुजली मिटी नहीं थी और वो चाह कर भी अमित से चुदवा नहीं पाई थी। अभी स्थिति ऐसी थी की उसे अफ़सोस हो रहा था कि वो उन पिक्स को क्यू फेंक दी। उसे फिर से उसी तरह के पिक्स देखने का मन कर रहा था और वो चाह रही थी की वो लड़के फिर से उसे पिक्स और स्टोरी अगर दे देते तो अच्छा रहता।
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